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महाप्रभाविक जैनाचार्य श्रीहेमविमलसूरि ( समय वि० सं० १५७२ तक)
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लौंकामत के पूज्य हानार्षि, श्रीपतिऋषि, गणपतिऋषि, आदि शिष्यसमुदायसह लौंकामतका त्याग कर आचार्यश्री के पास जैनविधि अनुसार वासक्षेप पूर्वक, पुनः जैन दीक्षा धारण कर रहे हैं।
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