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लौं हाशाह ने क्या किया? किये थे। उनके उत्तर वे खुद लिखने की बजाय कोई अन्य सज्जन लिखें तो अच्छा रहे। किसी ने नहीं लिखा उस हालत में मुझे लिखना पड़ा है कि लौंकाशाह ने निम्नलिखित कार्य किये हैं।
(१) भगवान महावीर ने फरमाया कि पाँचवें पारा में २१००० वर्ष तक हमारा शासन अर्थात् “साधु साध्वी श्रावक और श्राविका" अविच्छिन्न रहेगा। तब लौकाशाह ने केवल २००० वर्षों में ही जैन साधु संस्था का अस्तित्व मिटा दिया और भाणादि को बिना गुरुवेश पहना दिया । लौकाशाह ने यह प्रथम काम किया।
(२) जैन शासन के आधारस्तंभ स्वरूप जैनागमों को लौकाशाह ने अस्वीकार कर शासन का उन्मूलन करना चाहा फिर भी पीछे से लोकों के अनुयायियों ने ३२ सूत्र माने । लौकाशाह ने यह दूसरा काम किया।
(३) आचार्य भद्रबाहु जैसे चतुर्दश पूर्वधरों ने सूत्रों पर नियुक्ति वगैरह रचकर जैन सूत्रों को विस्तृत अर्थवाले बनाए । उन पञ्चाङ्गी को मानने से इन्कार कर दिया । यह लौकाशाह ने तीसरा काम किया।
(४) जैनधर्म में श्रावकों के करने योग्य नित्य क्रिया सामायिक, पौसह, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान और दान जैसी क्रियाओं का निषेध कर बिचारे भद्रिक जोवों को आत्मकल्याण करने से बन्द किया। यह लौंकाशाह ने चौथा काम किया।
(५) जैनधर्म में प्राचीन समय से जिनागमप्रमाण सिद्ध, जैन मन्दिर मूर्तियों की मान्यता है और चतुर्विध श्रीसंघ, इस निमित्त कारण से अर्थात् प्रभु पूजा, सेवा, भक्ति कर, स्व पर का कल्याण
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