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काशाद ने क्या किया ?
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श्रावकों को कृतघ्नी बना दिया । यह लौंकाशाह ने आठवाँ काम
किया ।
( ९ ) श्री संघ को शक्ति एवं संगठन रूप वज्र किल्ला को तोड़ कर अर्थात् उसके टुकड़े टुकड़े कर अनेक विभागों में विभक्त कर दिया और उसकी शक्ति का सत्यानाश कर दिया । यह लौंकाशाह ने नौवाँ काम किया ।
(१०) जैनजातियों के जाति सम्बन्धी नियम इतने तो सुदृढ़ और इतने सुन्दर थे कि अन्याय अत्याचार को स्थान तक नहीं मिलता था, परन्तु लौंकाशाह के नये मत से आपस की फूट और कुम्प के कारण कन्याविक्रय, बालविवाह, वृद्धविवाह रविक्रय आदि हानिकारक प्रथाएँ भी जैन जातियों में श्र घुसी। इतना ही नहीं पर वे तो घर कर बैठ गई । यद्यपि इनको निकालने का बहुत प्रयत्न किया जा रहा है, परन्तु संगठन के प्रभाव से सब प्रयत्न निष्फल होते हैं । यह लौंकाशाह ने दशव काम किया ।
( ११ ) जैनों में झूठ बोलना, विश्वासघात करना, किसी को धोखा देना ये महान् पाप समझे जाते थे । । पर लौंकाशाह जैसों ने हठ, कदाग्रह कर असत्य को अपने हृदय में स्थान देकर नया मत चलाया, और उसको पुष्ट करने को आपके अनुयायियों ने खास वीतराग के वचन, पूर्वाचार्यों के प्रन्थों को झूठ बताने की धृष्टता कर डाली, इसी कारण झूठ बोलने की जो प्रतिज्ञा थी, उस वज्र पाप से लोगों को जो डर था, वह हृदय से निकल गया । श्राज तो अन्य लोंगों से भी इस समाजमें इन बातों की विशेषता दिखाई दे रही है । यह लौंकाशाह ने ग्यारहवाँ काम किया ।
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