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८- व्याख्यान के अन्त में चन्दा करना ।
९ - रात्रि जागरण करना । १०- रुपये पैसे रखना |
११-- फरमान, पटा, परवाना, १२ – उपासरों में देरासर और मूर्तियों का रखना ।
१३ – रात्रि में दीपक करवाना । १४ - छोटे छोटे बालकों को
चेला बनाना ।
१५ -- मंत्र यंत्र करना |
१६- निमित्त बताना | १७- - नगर प्रवेश की अगवानी
कराना ।
१८ - सात क्षेत्र में धन निकलवाना 18
१९- पुस्तक द्रव्य से पुजवाना । २० -- संघ पूजा करवाना 18 २१- प्रतिष्ठा करवाना | २२- पर्युषण में पुस्तक महोत्सव २३ - सोने चांदी की ठवणी ( पुस्तकाधार) रखना | २४ -- पगवन्दन करते वक्त वस्त्र पर चलना ।
जैन साधुओं का भ० व्य०
व्याख्यान के अन्त में चंदा
करना ।
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रात्रि जागरण करना । रुपये पैसे रखना ।
फरमान, पटा, परवाना रखना। उपासरों में देरासर और मूर्त्तियों
का रखना ।
रात्रि में दीपक करवाना | छोटे छोटे बालकों को चेला
बनाना ।
मंत्र यंत्र करना । निमित्त बताना ।
नगर प्रवेश की अगवानी कराना ।
सातक्षेत्र में धन निकलवाना |
पुस्तक द्रव्य से पुजवाना । संघ
पूजा करवाना | प्रतिष्ठा करवाना | पर्युषण में पुस्तक महोत्सव | सोने चांदी की ठवणी (पुस्तकाधार ) रखना । पगवन्दन करते वक्त वस्त्र पर चलना ।
* इन कार्यों का साधु उपदेश दे की ओट में स्वस्वार्थ साधन करना ज़रूर बुरा है ।
सकते हैं पर इसमें इन कार्यों
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