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हिंसा अहिंसा की समा०
१७-साधु सम्मेलनादि मे और | साधु सम्मेलनादि कार्यों में
शासन कार्यो में हजारों लाखों आरंभ और लाखों रुपयों का
रुपयों का खर्चा होता है। । खर्चा होता है । १८-जैनों में धर्म की और धर्मा. धर्म, समाज. जाति आदि शुभ
नुकूल समाज व जाति की कर्मों में हिंसा होती है। उन्नति के लिए कार्य किया उसे ये लोग, मन्दबुद्धि जाता है। उसमें अनेक और बोध बीज का नाश प्रकार की हिंसा होती है, होना समझते हैं किर भी जिसे स्वरूप हिंसा मानते गुरुकुल बोर्डिंग खुलवाते हैं । इससे शुभ कर्म और हैं । साधुओं की गोचरी, शुभगति प्राप्त होती है। थंडिला, विहार, नदी और साधुओं का बिहार, उतरना, नाव में बैठना, नदी से पार उतरना, गो- पूंजन, प्रतिलेखन, गुरुचरी प्रति लेखन, थंडिल वन्दन आदि कार्यों में जो बन्दन करने आदि में भी
हिंसा होती है, उसे स्वरूप हिंसा होती है। अनुबंध हिंसा मानते हैं। १९-साधुओं का मृत्यु महोत्सव। साधुओं का मृत्यु महोत्सव । २०-तीन दिन के बाद आचार तीन दिन के बाद का भी आचार
नहीं खाते हैं क्योंकि उसमें | खा लेते हैं। भले ही उनमें
असंख्य जीवोत्पत्ति होती है। असंख्य जीवोत्पत्ति हो। २१-रांधा हुआ वासी अन्न वासी पड़ा हुआ रांधा हुआ अन्न
नहीं खाते हैं । जिसमें अन्न भी खा लेते हैं । जिस पर के साथ पाणी रहा हो भी अपने को उत्कृष्ट समउसे वासी कहते हैं, ऐसे । झते हैं। ऐसे अन्न में चाहे
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