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प्रकरण उन्नीसव
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अहमदाबाद और लींबड़ी को ही भारत समझ के लौंकाशाह का भ्रमण मानते हों तो उनकी बात सत्य सिद्ध हो सकती है । अन्यथा सुज्ञ समाज इन लीचर, दलीलें, और कल्पित प्रमाणों की कितनी भर कीमत करता है, यह विज्ञ विचारक जानते ही हैं।
जिस प्रकार उक्त निबन्ध से लौंकाशाह का परिभ्रमण मिथ्या ठहरता है उस प्रकार लौंका के अनुयायी वर्ग का लक्षाऽधिक संख्या में बताना भी मिथ्या है, इसका विस्तृत विवेचन बीसर्वे प्रकरण में देखने की कृपा करें ।
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