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प्रकरण ग्यारावा जैसे प्राचार्य रत्नप्रभसूरि श्रा० मुनिचंद्र सरि धर्म घोषसूरि आदि जैनाचार्यों ने लाखों करोड़ों अजैनों को जैन बनाया ।
(५) क्या लौकाशाह ने कोई तात्विक विषय का ग्रन्थ निर्माण करवाया ? या स्वयं किया ? जैसे श्राचार्य सिद्धसूरि उमास्वात्याचार्य, वादी देव सूरि, प्राचार्य हरिभद्रसूरि हेमचंन्द्रसूरि
और वाचक यशोविजयजी गणी जैसे विद्वानों ने अनेक ग्रन्थों की रचना की।
(६) क्या लौकाशाह ने जैनधर्म के स्तम्भ स्वरूप जैन मंदिर, मूर्तियों की प्रतिष्ठा कराई ? जैसे सैकड़ों जैनाचार्यों ने हजारों मंदिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाऐं कराई।
(७) क्या लौकाशाह ने किसी राजसभा में जाकर अपने प्रतिवादियों के साथ शास्त्रार्थ कर कहीं विजय पताका फहराई ? जैसे वादीवैताल शान्तिसूरि, प्राचार्य वादीदेवसूरि, राजगुरुककसरि, आदि ने जैनधर्म का डंका बजाया था ।
(८) क्या लौकाशाह ने किसी निमित्त ज्ञान द्वारा राजा, महाराजा या प्रना पर जैनधर्म का प्रभाव डाला ? जैसे प्राचार्य भद्रबाहु स्वामि ने डाला था।
(९) क्या लोकाशाह ने किसी राजसभा में जाकर व्याख्यान दिया था ? जैसे प्राचार्य बप्पभट्टिसरि, देवगुप्तसूरि हेमचन्द्र सूरि, जगद् गुरु श्री विजय हरि सूरि आदि ने दिया था। ___इत्यादि सैकड़ों जैनाचार्यों ने तो भस्मग्रह की विद्यमानता में भी यथाऽवकाश बहुत कुछ प्रभावशाली कार्य कर शासन का उगोत किया. किंतु भस्मग्रह के उतर जाने पर भी लौंकाशाह ने
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