________________
प्रकरण पाँचवाँ
३४ गंगाबाई नी कुक्षि था संवत १४८२ चौदा सौ ब्यासी ना कार्तिक शुक्ला पूनम ने दिवसे थयो ।"
लौकाशाह नुं जीवन प्रभुवीर पटावली पृ० १६१।
(E) इसी का अनुकरण स्वामी मणिलालजी और संतबालजी
ने किया है। अर्थात् श्राप दोनों का मत है कि लौकाशाह ___ का जन्म वि० सं० १४८२ में हुआ है । (१०) स्था० साधु जेठमलजी (वि० सं० १८६५) "संवत् पनरासौ गति से गयो, एक सुमेत मत तिहां थयो । अमदाबाद नगर मंझार, लौकाशाह वसे सुविचार ॥"
समकित सार पृष्ठ । आप वि० सं० १५३१ में लोकाशाह का होना लिखते हैं।
x
ऊपर दिये हुए प्रमाणों से यह स्पष्ट होजाता है कि लौंकाशाह का अस्तित्व तो विक्रम की पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी के मध्य में अवश्य था। परंतु उनकी निश्चित जन्मतिथि अवश्य सन्दिग्ध है, क्योंकि पं० लावण्य समयजी और मुनि वीका तो वि० सं० १४७५ में इनका जन्म होना मानते हैं, लौं० यति केशवजी १४७७ और अवशिष्ट, लौकागच्छीय यति भानुचन्द्रजी, स्था० साधु मणिलालजी, एवं संतबालजी तथा तपागच्छीय यति कान्तिविजयजी इन चारों की मान्यता है कि लौकाशाह का जन्म
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org