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लौंकाशाह का जन्म स्थान
प्रकट होता है कि लोकाशाह का जन्मस्थान लीवड़ी हो था, और लौकाशाह का जितना संबंध लींबडी से है उतना अरहटवाडा, जालौर और पाटण से नहीं है। अब जरा स्थानकवासी नये विद्वानों की ओर भी दृष्टिपात कीजिये कि वे इस विषय में क्या लिखते हैं । - स्वामी मणिलालजी ने लौकाशाह का जन्म अरहटवाडा में लिखा है और स्वामी संतबालजी ने अहमदाबाद में वि० सं० १४८२ काति सुदि १५ को इनका जन्म महोत्सव बड़े समारोह से होना लिखा है। आश्चर्य तो यह है कि जब पूर्णरूपेण जन्म स्थान का भी पता नहीं है तो फिर काति सुदि १५ की मिति किस आधार से लिखी गई है । इस मिति के लिखने का कारण मेरी बुद्धि में तो शायद यह हो सकता है कि कार्तिक शुक्लो १५ सिद्धाचल की एक महत्व पूर्ण यात्रा का दिन है । हजारों भावुक सिद्धाचल पर जाते हैं, जिनमें लौकागच्छीय और स्थानकवासी भी शामिल हैं, उनको वहाँ जाने से रोकने के कारण ही लौंकाशाह की जन्मतिथि कार्तिक शुक्ला १५ की बता के उस दिन उनकी जयन्ती को खाका खड़ा करना ही इष्ट है । लौकाशाह का जन्म अरहटवाड़ा में बताने का तो स्वामी मणिलालजी के पास आकस्मिक प्राप्त दो पत्रों का प्रमाण है । पर संतबालजी के पास तो सिवाय मनकल्पित आधार के और कोई प्रबल प्रमाण नहीं है, क्योंकि होता तो वे अपने लेखमें जरूर लिखते । हाँ! अब ये भी एक ऐसी घोषणा करदें कि मुझे भी प्राचीन पुस्तकें टटोलते ३ पत्ते मिले हैं जिनमें लौंकाशाह का जीवन और अन्मस्थान लिखा है और अहमदाबाद को उनकी जन्म भूमि करार दी है तो बचाव हो
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