________________
प्रकरण छटा
का जन्मस्थान "लीबड़ो" बहुत संभव है, अनन्तर लीबड़ी से लौंकाशाह गुजारे के लिये अहमदाबाद आया हो यह बात जॅच सकती है। इसे कुछ अंशों में अन्य लेखक भी स्वीकार करते हैं। लौकाशाह अहमदाबाद आकर फिर चिरकाल के लिए वहीं रहा, इसीसे इन्हें कोई २ अहमदाबाद वासी लिखते हों यह भी हो सकता है। तथा जिन्होंने लौंकाशाह को पाटण का लिखा है इसका कारण मेरे खयाल से अहमदाबाद का उपनाम “पाटण" होना ही है । । वीरवंशावली में लौंकाशाह का देहान्त सत्यपुरी ( मारवाड़) में होना लिखा है, इस हालत में यदि लौंकाशाह अपनी युवाऽवस्था में कभी जालोर गया हो और वहाँ के कुल गुरुओं के पास लिखाई का काम करने से किसी लेखक ने इन्हें जालोर का और जालौर के पास सत्यपुरी होने से आपका देहान्त सत्यपुरी में होना लिख दिया हो तो कोई आश्चर्य नहीं। परन्तु लौकाशाह का जन्मस्थान तो लीबड़ी होना ही युक्तियुक्त है । कारणप्रथम तो सब से प्राचीन अर्थात् वि० सं० १५७८ की चौपाई में इसका उल्लेख है और चौपाई लौकागच्छीय यति की ही बनाई हुई है और यह यति लौकाशाह के समय विद्यमान होना भी सम्भव है, अतः यह प्रमाण अति समीपवर्ती समय का है। दूसरा इस चौपाई में लखमसी को लौकाशाह के फई का पुत्र होना लिखा है। तीसरा लोंकाशाह ने यतियों के खिलाफपुकार अहमदाबाद में उठाई पर जब वहाँ किसी ने भी इनकी बात नहीं सुनी और उल्टा तिरस्कार किया तब वह लींबड़ी गया और वहाँ एक तो जन्मस्थान होने के कारण से तथा अन्य लखमसी की सहायता से उन्होंने लीबड़ी राज्य में अपने नये मत की विषवल्लो बोई । इससे यह स्पष्ट
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org