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प्रकरण - पाँचवां लौंकाशाह का समय ।
इसमें
समें तो कोई सन्देह नहीं कि संघटित जैन समाज को भिन्नच्छिन्न करने के लिए लौकाशाह नामक एक व्यक्ति हुए, और इनका समय विक्रम को पंद्रहवीं शताब्दी के अंतिमाऽर्द्ध से सोलहवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक का है, परन्तु स्थानकमार्गियों के पास आपके उत्पत्ति समय के बारे में भी कोई निणित प्रमाण नहीं है, इस विषय में यत्किंचित् प्रमाण हाथ लगते हैं वे अन्यान्य गच्छीय लेखकों के लिखे हुए ही हैं जो निम्नप्रकार हैं ।
( १ ) पंडित मुनि लावण्य समय जी ( वि० सं० १५४३ ) "सई उगणीस वरिस थया, पणयालीस प्रसिद्ध । त्यारे पछी लुंकु हुइ असमंजस तीइ किद्ध ॥३॥ सिद्धान्त चौपाई | ये महाशय वीर प्रभु से १९४५ वर्षों के बाद अर्थात् वि० सं० १४७५ में लौकाशाह का जन्म होना बताते हैं ।
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( २ ) उपाध्याय कमल संयम ( वि० सं० १५४४ ) “संवत् पनर अठोतरउ जाणि, लुंको लहियो मूल निखाणि
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