________________
लौकाशाह कौन थे कि वर्तमान यतियों का आचार व्यवहार शास्त्रानुसार नहीं है अर्थात् यति लोग शिथलाचारी हैं बस इसी कारण से लौका. शाह ने अपने नाम पर अलग मत निकाला और हम लोग उसी मत को परम्परा में लौकाशाह के अनुयायी हैं।"
इस समय स्थानकमार्गी नामक समाज है वह भी अपने को लोकाशाह का अनुयायी होना बतलाता है पर वास्तव में वह लौकाशाह के अनुयायी नहीं किन्तु लोकाशाह की आज्ञा का भंग करने वाला यति लवजी का अनुयायी है। लौकाशाह के अनुयायी और लवजी के अनुयायियों में बड़ो शत्रुता थी और वे आपस में एक दूसरों को उत्सूत्र प्ररूपक, निन्हव और मिथ्यास्वी बतला रहे थे, इस हालत में स्थानकमार्गी समाज लोकाशाह के अनुयायी कैसे हो सकते हैं ? ___क्या लौकाशाह के अनुयायी, और क्या लवजी के अनुयायी (स्थानकमार्गी) इन दोनों में ज्ञान का बोध बहुत कम था इसी कारण न तो इनमें कोई विद्वान् हुआ और न हुआ कोई अच्छा लेखक । साहित्य की सेवा और ग्रंथों का निर्माण तो दर किनारे रहा पर जिस लौकाशाह को अपने मत का आदि पुरुष माना जा रहा है उसका जीवन चरित्र के लिये भी किसी ने आज पर्यंत लेखनी हाथ में नहीं ली अतएव परम्परा से चली आई बात पर विश्वास कर लौकाशाह को एक साधारण गृहस्थ एवं लहिया मान रक्खा है।
वर्तमान युग, ज्ञान-युग है। इसका थोड़ा बहुत प्रभाव सब संसार पर हो चुका है। इस हालत में केवल स्थानकवासी समाज ही ज्ञान से वश्चित क्यों रहे ? उस पर भी यत् किंचि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org