Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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शुभेच्छा
311 शुभाकांक्षा ___ डॉ. शेखरचन्द्रजी को मैं पिछले लगभग द्विदशाब्द वर्षों से जानता हूँ। वे ऐसे मनीषी हैं, जिनकी पहचान वैसाखियों से नहीं, बल्कि उनकी स्वयं की श्रम-साधना की पहचान है। वे विचारों में खुले, साफ और निर्भीक, व्यवहार में धवल और निष्पक्ष, रचने में निरंतर लगनशील, पर इस सबके साथ ही साथ विषम से विषम परिस्थिति में सधे स्थिति-प्रज्ञ हैं। इस अभिनंदन के अवसर पर मैं उनके दीर्घ जीवन व सम्यक् विचार साधना के दिनप्रतिदिन बढ़ने वाले पल्लवन की शुभाकांक्षा करता हूँ।
वृषभ प्रसाद जैन प्रोफेसर व अध्यक्षः भाषा विद्यापीठ, वर्धा
- बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी डॉ. शेखरचन्द ___डॉ. शेखरचन्द निःसंदेह बहुमुखी प्रतिभावान वरिष्ठ विद्वान हैं। आप अपने अध्यापन काल में प्रगतिशील सफल शिक्षक तो रहे ही हैं, पत्रकारिता के क्षेत्र में निर्भीक लेखक के रूप में यशस्वी सम्पादक हैं। तीर्थंकर वाणी पत्रिका के माध्यम से तो मैं पहले जानता था, पर प्रसंग जब आपका जयपुर आना हुआ तो साक्षात्कार होने से जानने के साथ पहचान भी हुई और वह पहचान प्रीति में भी परिवर्तित होती गई।
जानना मात्र एकपक्षीय होता है, जबकि पहचान में दोनों पक्ष एक दूसरों के अन्तर-बाह्य व्यक्तित्व में सुपरिचित हो जाते हैं। _डॉ. शेखर उन विरले व्यक्तित्वों में हैं, जो धर्मप्रेमी तो हैं ही, स्वाध्यायशील भी हैं तथा अच्छे सामाजिक कर्मठ कार्यकर्ता भी हैं। सैद्धान्तिक मतभेदों के बावजूद भी आप सामाजिक एकता के पक्षधर रहे हैं। अतः सभी के अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने में आप सतत् प्रयत्नशील रहते हैं। एतदर्थ आपको अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। ___डॉ. शेखरचन्द्रजी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सामाजिक और शिक्षा जगत में अत्यन्त सराहनीय और अभिनन्दनीय है। ऐसे व्यक्तित्व के अभिनन्दन के सुअवसर पर मैं उनके प्रति अपनी मंगल कामनायें प्रेषित करते हुए भावना भाता हूँ कि आप स्वस्थ रहते हुए चिरायु हों और स्व-पर कल्याण में सतत संलग्न रहें।
रतनचन्द भारिल्ल (जयपुर) - निर्भीक विद्वान
विद्वान समाज व राष्ट्र के दर्पण होते हैं। वे समाज के प्रतिनिधि पथ प्रदर्शक व उन्नायक होते हैं। उन्हीके विचारों व प्रेरणाओं से समाज को बल मिलता है। समाज उनकी सेवाओं से कभी उऋण नहीं हो सकता है।
सम्प्रति विद्वानों में अग्रणी डॉ. शेखरचन्द्र जैन निर्भीक वक्ता, लेखक, मित्रजनों की झूठी प्रशंशा से विमुख हैं। मैंने आपको अनेक संगोष्ठियों / समारोहों में सुना है, समझा है, परखा है उनके कथन में विद्वत्ता व निर्भीकता टपकती है। आपके आलेखों में मौलिक-चिन्तन के साथ व्यावहारिक एवं प्रायोगिक पक्ष अधिक प्रस्तुत होता है। आप समन्वयात्मक स्वभाव के हैं। कहीं कोई छिपाव या दुराव नहीं, जो कहते हैं स्पष्ट सरल शब्दों में कहते हैं। । ऐसे अजस्र एवं निर्भीक लेखनी के धनी डॉ. शेखरचन्द्र जैन के अभिनन्दन के अवसर पर अपनी हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ तथा कामना करता हूँ कि दीर्घायु होकर जैनवाङ्मय की सेवा निरन्तर करते रहें।
डॉ. शीतलचन्द जैन अध्यक्ष-अ.भा.दि.जैन विद्वत परिषद, जयपुर