Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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स्मृतियों के वातायन से
GOOD WISHES
It is a matter of great pleasure to write a few words of appreciation, for some one who was a past collegue.
When Dr. Jain came to my college as a lecturer in Hindi, I was impressed by his confidence and method of delevering lectures. His speech was so impressive that we utilised his services for public speaches. At that time, I anticipated that he would easily go up on the ladder of progress and academic achievements. I feel happy for what he has achieved. I wish him good health, innate happiness and satisfaction. Shri B. M. Peerzada ( Ahmedabad)
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आर्ष परंपरा के रक्षक
अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि परिषद के कर्मठ कार्यकर्ता एवं मेरे परम मित्र डॉ. शेखरचन्द्र जैन के राष्ट्रीय अभिनन्दन और उनके गुणानुवाद से समन्वित अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन की शास्त्रि परिषद के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं ।
डॉ. शेखरचन्द्र जैन का व्यक्तित्व और कृतित्व प्रभावक है । इसने भारतीय ही नहीं अपितु पाश्चात्य सुधी समाज को प्रभावित किया है। यही कारण है कि विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न डॉ. जैन हिन्दी साहित्य के विद्वान् होकर भी संस्कृत प्राकृत साहित्य में अपने को सतत लगाये रहे जिससे जैन, जैनेतर में इनके लेखन और व्याख्यानों का विशेष बहुमान है। शास्त्र परिषद् ने इनकी महत्वपूर्ण कृति 'मृत्युञ्जयी केवलीराम' को प्रकाशित कराया।
इनके व्यक्तित्व में कुछ ऐसी विलक्षणता है कि एक और सत्य के लिए संघर्ष करने की वृत्ति और दूसरी ओर परिस्थितियों से जूझने का अटल साहस। इसका उदाहरण है जब एकान्तवाद (कहानपन्थ) ने धर्म के स्वरूप को विकृत करने की कोशिश की। गुजरात के साथ साथ सम्पूर्ण देश की समाज को जागृत किया। कोर्ट में केश दायर कर एकान्तवादियों के खिलाफ मुकदमा लड़ा। अपनी बात को जितने निर्भीक और बेवाकरूप से प्रस्तुत करने की क्षमता आप में उतनी अन्य में मिलना कठिन होती आपने शास्त्रि परिषद का अहमदाबाद में ऐतिहासिक अधिवेशन सम्पन्न कराया।
दुनिया में सम्मान / अभिनन्दन अनेकों का होता है, जब किसी अपने का होता है तब कुछ विशेष ही आनन्द की अनुभूति होती है । मुझे भी इससे विशेष आनन्दानुभूति हो रही है। इनकी अनेक कृतियों ने समाज को ही लाभान्वित नहीं किया है अपितु जैन-जैनेतर विद्वानों को भी लाभ पहुँचाया है। आपके कर्तृत्व के फलस्वरूप ही 1 आपको गणिनी आर्यिका ज्ञानमती पुरस्कार, श्रुत संवर्धन पुरस्कार आदि से तो पूर्व में ही सम्मानित किया जा चुका है। अब पूरे जैन जगत की ओर से आपका सम्मान हो रहा है।
प्रज्ञा-प्रतिज्ञा के धनी डॉ. जैन पुरुषार्थ में विश्वास करनेवाले हैं अतः आपका अभिनन्दन होना ही चाहिए था। शत शत वसन्त ऋतुओं के सुमनों से सुवासित आपका जीवन हो और जैसा आर्ष परम्परा के संरक्षण में आपका योगदान रहा है वैसा ही आगे रहे। इसीके साथ कामना करता हूँ कि परिवार आपकी ऊँचाईयों के गौरव गौरवान्वित होता हुआ समाज और धर्म के लिए सदा समर्पित हो । मेरी भावना है
वह चाल चल कि उम्र खुशी से कटे तेरी । वह काम कर कि याद सबको रहे तेरी ॥
डॉ. श्रेयांसकुमार जैन अध्यक्ष- भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद (बड़ौत )