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भरत
( २७२ )
मरळ
नियुक्ति होना । ५ भावावेग में प्राना । ६ तृप्ति या अरुचि भरथाप्रज-देखो 'भरताग्रज' । होना । ७ सवारी, वाहन प्रादि पर लदान करना । भरथार-देखो 'भरतार' । ८ खड्डा, विवर या दरार का पटना, बंद होना। प्रोत भरवाज, भरद्वाज-पु० [सं० भरद्वाज] १ अंगिरसवंशीय एक प्रोत या तर होना, सन जाना । १० उत्साहित होना, | सुविख्यात ऋषि । २ सप्तर्षियों में से एक। ३ भरत पक्षी। मावेश में पाना । ११ गर्भवती होना । १२ रिक्तता की ४ पूर्व मन्वंतर के एक ब्रह्मर्षि । ५ एक अग्नि विशेष । पूर्ति करना । १३ रेखा या चित्र में रग देना । १४ दंड ६ एक धर्म शास्त्रकार । ७ एक राजा विशेष । ८ वाल्मीकि देना, भति पूर्ति करना। १५ निर्वाह करना, निभाना।। ऋषि के शिष्य एक ऋषि । १६ कहना, शिक्षा देना; किसी के विरुद्ध भड़काना। भरनी-देखो 'भरणी' । १७ यंत्र संचालन की अपेक्षित क्रिया करना । १८ संग्रह | भरपाई-स्त्री० १ किसी वस्तु की प्राप्ति या प्राप्ति की सूचना । करना। १९ सहमति देना । २० मापना ।
२ वसूली । ३ वसूली या प्राप्ति के प्रति की जाने वाली भरत-पु० [सं०] १ राजा दशरथ का एक पुत्र । २ राजा दुष्यन्त | रसीद । -क्रि०वि० पूर्ण रूप से, पूरी तरह।
का पुत्र । ३ जड भरत नामक महायोगी। ४ नाट्य शास्त्र | भरपूर-वि० १ भरा पूरा, परिपूर्ण । २ यथेष्ट, पर्याप्त । के प्रणेता सुविख्यात एक प्राचार्य । ५ लवा पक्षी का एक ३ प्रावश्यकता की पूर्ति के लिये खुब । ४ पूर्ण विकास की भेद । ६ प्रथम तीर्थंकर ऋषभ के ज्येष्ठ पुत्र का नाम ।। दशा में। ५ पूरी क्षमता या जोर के साथ । ७ तांबा व रांगा मिश्रित एक धातु । ८ गहरी जमीन | भरमड-वि० धूलि धूसरित । वाला खेत । ९ देखो 'भरती' । १० देखो 'वरत' । भरमार-पु. उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी। -क्षेत्र-पु. भारतवर्ष ।-खंड, खेतर, खेत्र-पु. भारत | भरभोलियो-देखो 'भडभोलियो । वर्ष।
भरम-पु० [सं० नम] १ संशय, सन्देह, शंका, अविश्वास । भरतपुरिया-स्त्री. रामावत साधुनों की एक शाखा।
२ भेद, रहस्य । [सं० भर्मन] ३ मिथ्या ज्ञान । ४ गलत भरतपुरियोलोटो-पु.१ भरत धातु निर्मित लुटिया, पात्र । | फहमी । ५ झूठी प्राशा या विश्वास । ६ गुंजाइश । ७ सार २अनिश्चित विचारों वाला व्यक्ति । (लाक्षणिक)
तत्त्व । ८ अवतार । ९ वेतन, मजदूरी। १० विश्वास, भरतर, भरतरि-पु० [स.भत] १ उज्जैन के प्रसिद्ध राजा जो साख । [सं० भन्] ११ स्वर्ण, सोना। वैरागी हो गये। -स्त्री० १ पृथ्वी, भूमि ।
भरमकारी-देखो 'भ्रमकारी' । भरतबीरणा-स्त्री. एक प्रकार की वीणा ।
भरमजाळ-देखो भवरजाळ' । भरतान, भरता-पु० [सं०भर्तृ] १ युधिष्ठिर का एक नामान्तर ।। भरमण-देखो 'भ्रमण'।
२ राजा । ३ पति । ४ स्वामी, मालिक । ५ नेता, नायक, मरमरणा-स्त्री० [सं० भ्रम] १ भ्रम, संदेह । २ विश्वास प्रधान । ६ समर्थक, रक्षक । ७ ईश्वर ।
भरोसा । ३ धोखा । ४ भूल, गलती। ५ मन में होने वाला भरतापज-पु० [सं०] श्रीरामचन्द्र ।
अनिश्चय। मरताचारज, भरताबारय-पु० [सं० भरत+माचार्य] एक ऋषि | भरमणी (बी)-देखो 'भ्रमणी' (बी)। का नाम ।
भरमारणौ (बी)-देखो 'म्रमाणी' (बी)। भरतार-पु० [सं० भत] १ पति । २ मालिक, स्वामी ।परमाभरमी-स्त्री०१भ्रम के कारण होने वाली स्थिति । ईश्वर, मालिक।
२ भुलावा । ३ भरोसा।। मरतियो-पु० [सं० भृत्य] १ नौकर, सेवक, अनुचर । २ क्षति भरमार-स्त्री० [सं०] अधिकता, बाहुल्य, प्रचुरता। पूर्ति । पूर्ति । ३ भरत धातु का बना पात्र । ४ यति, तांत्रिक ।
भरमावरणी (बी)-देखो 'भ्रमाणी' (बी)। भरती-स्त्री. १ रिक्त स्थान को भरने की क्रिया या भाव ।
भरमासतक-पु० सिकलीगर । २ चित्र मादि में रंग देने की क्रिया या भाव । ३ नियोजन, नियुक्ति । ४ प्रवेश, दाखिला । ५ क्षति पूर्ति ।।
मरम्म-देखो 'भरम' । ६ भराव।
भरराट-पु० ध्वनि विशेष । भरतेसर, भरतेसह भरतेस्वर-पु० [सं०भरत-ईश्वर मादिनाथ के | भरराणी (बी), भररावणी (बी)-क्रि० भर-भर्र की मावाज पुत्र प्रथम चक्रवर्ती भरत ।
होना । २ चक्कर पाना । ३ उड़ना। मरम-देखो 'भरत'।
भरळ-स्त्री. उट-पटांग बकने की क्रिया। -क्रि०वि०१ चम भरपरी-देखो 'भरतरी'।
चमाता हुमा । २ एकाएक, अकस्मात । ३ निरन्तर ।
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