________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रसउगाळ
रसन
४६ स्वादिष्ट पदार्थ । ४७ चटनी, मसाला। ४८ तरह ४पारद के योग से प्रौषधियां बनाने वाला । ५ समाभांति । ४९ जीत, विजय । ५० हार, पराजय । ५१ वश | लोचक । ६ रसायनी । ७ कवि । ८ वैद्य। काबू । ५२ सबक । ५३ प्रानन्द स्वरूप ब्रह्म। ५४ फसल रसग्यता-स्त्री० [सं० रसज्ञता] १ रसज्ञ होने की अवस्था या की परिपक्वावस्था। ५५ पाताल । ५६ पृथ्वी, धरती। भाव । २ पंडिताई। ५७ डिंगल का एक छन्द । ५८ एक लघु व एक गुरु का रसग्या-स्त्री० [सं० रसज्ञा] १ जीम, जिह्वा । २ गंगा। नाम । ५९ तीन लघु के ढगण के तृतीय भेद का नाम। | रसमय-पु० [सं०] १ शगार रस का ग्रंथ या काव्य । २ वह ६० रगण या सगण की संज्ञा। ६१ छः की संख्या।। अथ जिसमें साहित्यिक रसों का विवेचन हो। ६२ नौ की संख्या ।-वि०१ उपयोगी, कामयाब । रसघण-स्त्री० [सं० धनरसा] इन्द्र की माया। २ अनुकूल, माफिक । ३ छः । ४ नो।-क्रि०वि० ५ वश रसघन-पु० श्रीकृष्ण ।-वि० १ रसदार, रसवाला । २ स्वादिष्ट । में, काबू में । ६ शीघ्र, जल्दी ।-दायक, वायनी, दायी-वि० रसड़ो-१ देखो 'रस' । २ देखो 'रसोड़ो' । प्रानन्ददायक, रमणीय । रसदार, स्वादिष्ट ।-वार-वि० | रसवारी-वि० रसज्ञ, रसों का ज्ञाता । रसयक्त. रसवाला । स्वादिष्ट, मजेदार ।-पति-पृ० रसजाणण-वि० [सं० रसज्ञा] रस या स्वाद का अनुभव करने
रमजांगमा-वि.मि. रमजा रस या म्वा चन्द्रमा, शशि । शृगार रस । -पूर-वि० वीररस पूर्ण । वाला । रसज्ञ ।-स्त्री० जिह्वा । रस से परिपूर्ण।-मय-वि० रसों से युक्त, प्रानन्ददायक ।
रसरण-पु० १ सूर्य, भानु । २ देखो 'रसना'। -लोभी, लोलुअ, लोलुप-वि० कामुक, कामी। प्रेम में
| रसरणारण रसणा, रसणि-स्त्री० [सं० रश्मि] १ किरण । मग्न । कवि । भ्रमर ।-बछक-वि० प्रेम का इच्छुक ।
| २ पृथ्वी। ३ क्षितिज । ४ देखो 'रसना'। कामी।
रसरणी (बो)-क्रि० [सं० रसनं] १ पानी प्रादि द्रव पदार्थ का रसउगाळ (मोगाळ)-पु०१ जुगाली के समय पशु के मुह से |
धीरे-धीरे बहना । रिसना । २ टपकना, चूना । ३ रसमय गिरने वाला द्रव, रस । २ देखो 'रसूगाळ' ।
होना, रसीजना, रस या स्वाद जमना। ४ वश में होना रसउत्तम-पु० [सं० उत्तम-रस] दूध ।
काबू में होना । ५ अनुरक्त या प्रासक्त होना । ६ प्रसन्न रसउद्भव-पु० [सं०] मोती।
या खुश होना । ७ स्वाद लेना, रस लेना, रसास्वादन सउल्लाला-पु० एक मात्रिक छन्द विशेष ।
करना । ८ चोखना, चिल्लाना । ९ दहाड़ना, गर्जना । रसक-देखो 'रसिक' ।
१० शोर-गुल करना, बोलना। ११ ध्वनि करना । रसकपूर-पु० [सं०] पारा के योग से बनी रसौषधि ।
रसत-पु० [स. रसित] १ शब्द, ध्वनि, अावाज । २ निर्घोष, रसकरम (करम्म)-पु० [सं० रसकमं] एक रसौषधि विशेष ।
| गर्जन । ३ एक प्रकार का सरकारी कर । ४ देखो 'रसद'। रसकळ-पु० एक मात्रिक छंद विशेष ।
रसतरंग-पु० १ एक प्रकार का वाद्य विशेष । -स्त्री० २ लहर, रसकस-स्त्री०१ स्वाभाविक स्थिति । २ सार, तत्त्व । ३ प्रानन्द
तरंग, हिलोर। मौज।
रसतळ (तल, तलि)-देखो 'रसातळ' । रसकार-पु० [सं०] शराब बमाने वाला।
रसता-पु० दुकानों पर लगने वाला टेक्स । रसकुड-पु० अमृत का कुड।
रसतारब-पु. मेघ गर्जन के समान शब्द । रसकुळणी-स्त्री० घोडों का एक रोग।
रसतो (त्तौ)-देखो 'रास्तो'। रसकूपका (कूपिका)-स्त्री० योनि, भग।
रसत्याग-पु० [सं०] स्वादिष्ट पदार्थों के त्याग का व्रत । रसकेळि (ळी)-स्त्री० [सं० रसकेलि] १ रतिक्रीड़ा, संभोग ।
रसद-स्त्री० [अ०] १ अनाज आदि खाद्य पदार्थ । २ खाद्य २ हंसो, दिल्लगी, मजाक ।
सामग्री । ३ सेना के प्रयाण के समय साथ लीजाने वाली रसकेसर, रसकेसरी-स्त्री० [सं० रसकेसर] १ कपूर । २ पारा, | सामग्री । ४ प्रश, हिस्सा, भाग । ५ बंटवारे का हिस्सा । गंधक मादि के योग से बनी एक औषधि ।
६ चिकित्सक । ७ एक प्रकार का गुप्तचर । (मध्ययुगीन) रसग, रसगना, रसगिना-स्त्री० [सं० रसज्ञा] जिह्वा, जीभ ।।
-वि. रसदायक, मजेदार, हर्षप्रद । प्रानन्दमय । रसगुलियो, रसगुल्लो-पु० दूध को फाड़कर बनाई जाने वाली | रसधातु-पु० [सं०] १ पारद, पारा । २ शरीरस्थ प्रथम धातु । एक रसदार मिठाई।
रसधेनु-स्त्री० [सं०] दान हेतु बनी गुड़ आदि की गाय । रसग्य-वि० [सं० रसज्ञ] १ काव्यरस का ज्ञाता । मर्मज्ञ । रसन, रसना-स्त्री० [सं० रसना] १ जिह्वा. जीभ । २ वाणी,
२ रसों को जानने वाला। ३ किसी विषय का पंडित। प्रावाज । ३ करधनी, मेखला, किकिरण । ४ चन्द्रहार,
For Private And Personal Use Only