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सारिवा
सारीस - वि० १ क्रोध पूर्ण, क्रुद्ध । २ देखो 'सारीखो' । सारीसो-देखो 'सारीखो' ।
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सारिवा स्त्री० एक प्रकार की घास या पौधा ।
सारियो-देखो सारीखों
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सारी, सारी स्त्री० १ रहट के चक्र को खड़ा रखने के लिये लगाई जानी वाली बड़ी लकड़ी २ मैना पक्षी ३ चौसर आदि खेल की गोटी । ४ खेल की बाजी । वि० १ प्रत्येक, हरेक । २ सम्पूर्ण, सब तमाम ३ देखो 'स्यारी' । सारीक, सारीख, सारीखउ, सारीखौ - वि० [सं० सदृश ] ( स्त्री० सारखी) १ समान, सदृश । २ बराबरी या समता वाला । ३, जो प्राकार, तौल प्रादि में बराबर हो । ४ निरन्तर चलने वाला । ५ जैसा । सारीवारी फि० वि० पारी के अनुसार सारीमेर- क्रि० वि० चारों घोर, सर्वत्र ।
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सारू, सारू-स्त्री० मैना पक्षी । क्रि० वि० १ लिए, वास्ते । २ मुताबिक अनुसार ३ काबू में पकड़ में ४ किसी के ऊपर, हाथ में ।
सारूवार, साहद्वार, साख्यार, साख्यारू - वि० बढ़िया, श्रेष्ठ, सुन्दर ।
सारूप - १ देखो 'सरूप' । २ देखो 'सारूप्य' । ३ देखो 'स्वरूप' । सारूपता - स्त्री० सारूप्य होने की अवस्था या भाव। सारूप्य पु० [सं० सारूप्यं ] पांच प्रकार की मुक्तियों में से एक जिसमें भगवान का सा रूप मिलता है ।
सारं सारं - क्रि० वि० अधिकार में, वश में, काबू में ।
सारोट पु० कवच, बख्तर |
सारोपास्त्री० साहित्य में एक लक्षण ।
सारे सारं देखो 'हा'
सारोखली (बी) - क्रि० [सं० स+रोष ] क्रुद्ध होना, कुपित होना ।
सारोड़ो देखो 'हायें।
सारी, स, रौ- पु० १ हुक्म प्राज्ञा । २ वश, काबू । ३ शक्ति, जोर । ४ अधिकार, प्राधिपत्य - वि० (स्त्री० सारी )
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१ समस्त सब । २ कुल, तमाम, पूरा ३ पूर्ण, सम्पूर्ण । सारी, सारी-१ देखो 'सहारो' । २ देखो सासरी' | सारी-बारी ०१ वश चलन २ प्राथमिकता। सालंक- पु० एक प्रकार की राग ।
साळ - स्त्री० [सं० शाला] १ मकान के घन्दर का कक्ष जिसमें प्रायः खिड़की, रोशन दान प्रादि न हो। २ वह कक्ष जिसके दरवाजे एक से अधिक दिशाओंों में खुलते हों । ३ चडस खींचते समय बैलों के चलने का मार्ग । ४ कपड़ा बुनते समय बैठने के लिये बना खड्डा । ५ मुख्य दरवाजे के पास बना खुला कमरा । साल (साल) पु० [फा० शाल] १ बारह महीनों का समय
साल- देखो 'सवाल' । साळउ-देखो 'साळो' ।
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वर्ष । २ एक प्रकार का वृक्ष व उसकी लकड़ी । ३ वृक्ष, पेड़ । ४ अश्वकर्ण वृक्ष । ५ एक प्रकार का पुष्प । ६ वह स्थान जहां सिक्के ढाले जाते हैं, टकसाल । [स० शस्य ] ७ दुख दर्द । ८ शल्य, कोटा । ९ प्रहार, घाव । १० घाटा, हानि, नुकसान। ११ पलंग, खाट आदि के पायों के छेद जिनमें पार्टियों के सिरे फसाये जाते है । इस प्रकार फसाने के लिए तैयार किए गए पार्टियों के शिरे १२ सोना स्वर्ण । [सं० शाल ] १३ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ७७ वां ग्रह | १४ एक प्राचीन नदी । १५ प्रस्त्र चिकित्सा | [फा० शाल ] १६ एक प्रकार की ऊनी या रेशमी चादर । १७ देखो 'स्रगाळ' । १६ देखो 'साली' । १९ देखो 'साळ' | २० देखो 'स्याल' |
साळबाद
सालक - पु० १ तालाब की मिट्टी में होने वाला एक मेवा विशेष । २ देखो 'स्यालक' |
साळकार ( कटारी ) - स्त्री० चारण- राजपूतों में विवाह संबंधी एक रश्म ।
साळकी देखो 'साळ' ।
साळगणी (बी), सालगरणी (बो)- क्रि० १ अंकुरित होना; पल्लवित होना । २ सुलगना, जलना । साळगरांम, सालगरांम पु० [सं० शालग्राम ] १ विष्णु (शालग्राम) की एक प्रतिमा या रूप । २ गंडक नदी के किनारे
का वन
सालगाली (बौ) - क्रि० १ अंकुरित करना । २ सुलगाना । सासाराम (सालग्राम) देखो 'सागरांम' ।
सालगिरह (गिरे - ० [फा० सालगिरह ] वर्षगांठ जन्म दिन सालग्रांमि (मी) - स्त्री० १ गंडक नदी का एक नाम। २ इस नदी के उद्गम स्थान पर स्थित पुण्य स्थल ।
सालरण स्त्री० १ पंवारों की एक देवी विशेष । २ एक प्रकार का तरल पदार्थ । ३ मसालेदार साग सब्जी, नमकीन आदि खाद्य पदार्थ ।
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सालखि (सी) स्त्री०एक वणिक वृत्त विशेष विचावल का सालखी (बो) - क्रि० १ खटकना, कसकना । २ दुःखदायी या दर्द युक्त होना ३ पसंग बाट बादि पायों में छेदकर पाटी फंसाना । ४ तपना । ५ प्राकर्षित करना । सालपरण (गि, पी) - स्त्री० [सं० शालपर्णी ] १ साल विन वृक्ष । २ एक क्षुप विशेष । सालवाफ-पु० [फा० शालबाक ] १ कपड़ा बुनने वाला व्यक्ति । २ एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । साळबाव, सालबाव-पु० कपड़ा बुनने वालों से लिया जाने वाला कर विशेष ।