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स्रबरणो
( ८६६ )
नवणी (बी)-क्रि० [सं० श्रवणम् | १ बहना । २ बरसना । श्रद्धा के पति मनु का नाम । २ यमराज, धर्मराज ।
३ झरना, रिसना, चूना । ४ टपकना, गिरना। ५ सुनना। ३ ब्राह्मण। स्रवत-पु० [सं० स्रष्ट] ईश्वर, परमात्मा।
स्राध-देखो 'स्राद्ध'। स्रवता-पु० [सं० सविता] सूर्य, सूरज ।
नाप-देखो 'सराप' । स्रवती-स्त्री० नदो।
सापणौ (बो)-देखो 'सरापणी' (बी)। स्रवतायक-पु. [स० सर्वदायक] कल्पवृक्ष ।
स्रायक-वि० [सं० श्र] बरसाने वाला देने वाला । स्रवमंगळा (मंगला)-देखो 'सरवमंगळा'।
स्राव-पु० [सं०] १. बहाव, रिसाव, टपकाव । २ गर्भपात, नवसार-पु० शब्द, ध्वनि ।
गर्भस्राव । ३ पेड़-पौधों व जीव-जन्तुषों के भीतरी अंगों सवाड़ा-पु. कथा, बात, वृत्तान्त ।
से निकलने वाला तरल पदार्थ, रस । ४ युवनाश्व प्रथम सविस्टा, सविस्ठा-पु० [स० अविष्ठा] १ धनिष्ठा नक्षत्र । का पुत्र, शावस्त । . २ श्रवण नक्षत्र।
स्रावक, स्रावग-पु० [सं श्रावक] (स्त्री० स्रविदा) १ शिष्य, स्रवेति, स्त्रवेती-स्त्री. नदी, सरिता ।
अनुयायो । २ बारह सूत्रों का पालन करनेवाला, जैन सव्व-देखो 'सरव'।
धर्मानुयायी, जैनी। ३ बौद्ध संन्यासी। ४ जैन साधु । स्रसतर-देखो 'नस्तर'।
५ बौद्ध भक्त । -वि० १ बहाने, रिसाने, चुमाने वाला। सस्ट, स्रस्टा-पु० [सं० स्रष्टा] १ ब्रह्मा। २ विष्णु । ३ शिव, २ सुनने वाला।
महादेव । ४ ईश्वर । -वि. १ सृष्टि का निर्माता, कर्ता। स्रावगी-पु० [सं० धावगी] जैन 'धावक, जैनी। २ देखो 'सस्टि'।
खावण-वि०१ देने वाला, चुमाने वाला, बरसाने वाला। सस्टि-स्त्री० [स० सृष्टिः] १ संसार, विश्व । २ संसार के २ सावण संबंधी, सावण मास का ३ देखो 'सांवण'।।
चराचर प्राणी व पदार्थ । ३ पृथ्वी, जमीन । ४ निर्माण, ४ देखो 'सांवण' । रचना। ५ कंस के एक भाई का नाम । ६ एक देवी का | स्राणि, स्रावणी-स्त्री० [सं० श्रावणी] १ श्रावण मास की
पूर्णिमा, रक्षा बंधन पर्व । २ देखो 'सांवणी'। . लस्टिकरता-पु० [सं० सृष्टिकर्त] १ ब्रह्मा । २ सृष्टि की रचना नावणी (बो)-क्रि० १ बरसना । २ गिराना, टपकाना ।
करने वाला ईश्वर । सस्टिवेल (वेलि, वेली)-स्त्री० एक प्रकार की लता बिशेष ।
सिंग-देखो 'स्रग'। स्रस्टी-देखो 'स्रस्टि'।
लिंगक-देखो स्रगक' । स्रस्टीवार-क्रि० वि० सृष्टि के क्रमानुसार
सिंगार-देखो 'सगार'।
लिंगी-देखो स्रग'। स्रस्तर-पु० [सं० संस्तरः] १ शय्या, बिस्तर । २ घास-फूस
त्रि-देखो स्रो'। मादि का प्रासन ।
निक-देखो 'स्रक'। नांत-वि० [सं० श्रांत) १ परिश्रम से थका हुमा । २ दुःखी,
त्रिखड-देखो 'स्रोखड'। खिन्न । ३ जितेन्द्रिय । ४ जो सुख भोगकर तृप्त हो चुका निज-देखो 'नक' । हो।-पु० साधु, तपस्वी।
त्रिय-देखो 'सी'। त्राद्ध-पु० [सं० बाबम्] १ श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाला स्रियखंड-देखो 'स्रीखंड' ।
कार्य । २ वह कृत्य जो सनातनी हिन्दुनों में पितरों के स्त्रिया-देखो 'स्रो' । २ देखो 'सीता'। . लिये तीर्थस्थलों पर किया जाता है। ३ प्राश्विन मास का खियाबर, स्त्रियावर-देखो 'सीतावर'। कृष्ण पक्ष व इस पक्ष का कोई दिन । ४ इन दिनों में, मृत | त्रिलोक स्रिलोकू-देखो 'स्लोक' । २ देखो सिलोको'। व्यक्ति या पितरों के उद्देश्य से किया जाने वाला कार्य त्रिस्ट, त्रिस्टि, स्रिस्टी-देखो 'सस्टि'। या ब्राह्मण भोजन प्रादिन- पक्ख, पक्ष, पख-पु० आश्विन स्त्रीगी-देखो 'स्र गी'। मास का कृष्ण पक्ष । -पूनम, पूरणिमा-पु० भादो मास |
स्त्री-स्त्री० [स० श्री] १ लक्ष्मी, रमा। २ पृथ्वी, भूमि, धरती। की पूणिमा ।
सम्पत्ति के रूप में भू-माग । ४ धन, दौलत, सम्पत्ति । साबकरता-पु० [सं० बाद्ध कर्ता] श्राद्ध करने वाला व्यक्ति । । ५ कीति, यश । ६ कांति, चमक । ७ मर्यादा, सीमा। बाडदेव (देवता)-पु० [साधाद्धदेव] १ मार्कण्डेय पुराणानुसार ८ इज्जत, प्रतिष्ठा । । कुशल, क्षेम । १. प्रकाश ।
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