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। कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः ।।
।। अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः ।।
।। गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः ।।
।। योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः ।।
। चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः ।।
आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर
पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा.
जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प
ग्रंथांक :१
जैन आराधना
न
कन्द्र
महावीर
कोबा.
॥
अमर्त
तु विद्या
श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र
शहर शाखा
आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websiet : www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org
आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - ३८०००७ (079)26582355
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
प्रबन्ध सम्पादक
डा० पद्मधर पाठक [निदेशक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर]
ग्रन्थांक 157
राजस्थानी-हिन्दी संक्षिप्त शब्दकोश
द्वितीय-खण्ड ['प' से 'ह']
सम्पादक पद्मश्री सीताराम लालस
प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur
1987
प्रथमावृत्ति 1000]
मूल्य रु0 145.00
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
प्रबन्ध सम्पादक
डा० पद्मधर पाठक निदेशक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर]
ग्रंथांक 157
राजस्थानी-हिन्दी संक्षिप्त शब्दकोश
द्वितीय-खण्ड ['प' से 'ह']
सम्पादक पद्मश्री सीताराम लालस
प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur
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प्रथमावत्ति 1000
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राजस्थान
विक्रमाब्द 2044]
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पुरातन ग्रन्थमाला
राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित
सामान्यतः अनिल भारतीय तथा विशेषतः राजस्थान प्रदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, राजस्थानी आदि भाषा निवड दिवि वाङ्मय प्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावली
प्रबन्ध सम्पादक
डा० पद्मधर पाठक
ग्रंथांक 157
प्रकाशक
राजस्थान राज्य संस्थापित
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
मुद्रक
श्री पुखराज जांगिड, पंकज प्रिण्टर्स, जोधपुर
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[ शकाब्द 1909
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दो शब्द
कोश का द्वितीय खण्ड जिज्ञासु विद्यार्थियों के सम्मुख रखते हा हमें हर्ष मिथित अवसाद का अनुभव हो रहा है। कोशकार के जीवन-काल में ही यह खण्ड भी प्रकाश में या जाता तो हम इसे भी उनके हाथों में सौंप कर अपेक्षाकृत अधिक परितोष का अनुभव करते ।
उनकी स्वर्गस्थ प्रात्मा को प्रतिष्ठान की विनम्र श्रद्धाञ्जलि ।
निदेशक पद्मधर पाठक
भाद्रपद पूरिणमा; वि.सं. २०४४
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सकेत-चिह्न
संकेत
पूर्ण
स्त्री .
वि.
यौ०
अव्य. क्रि.वि.
संज्ञा पुलिंग संज्ञा स्त्रीलिंग विशेषण क्रिया यौगिक अव्यय क्रिया विशेषगा संस्कृत अरबी फारसी देशज शब्दावली देखो
फा०
देश
(-)
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प-देवनागरी वर्णमाला का इक्कीसवां वर्ण ।
पक्ति-पावन-पु०यज्ञ में बुलाकर दान देने लायक ब्राह्मण । पंइताळीस-देखो 'पंत ळीस' ।
पात्र, पंखड, पखड़ी (डी) पंखड़ौ, (डो)-पु० [सं० पक्ष १ पक्षी पक-पु० [सं०] १ पाप । २ काचः । ३ कलंक, दोष । गादि का पर । २ पुष्प-दल । ३ धूलि । ४ मांसाहारी पक्षी।
४ दलदल । ५ मलहम । --जनम, जात-पु० कमल । , ५ राजा की सवारी का हाथी। ६ अश्व, घोड़ा। ७ धारा
-पभा, प्पहा, प्रभा -श्री० एक नक। -रुट, रुह, रूह- प्रवाह । ८ देखो 'पक्षी' । ९ देखो 'पंखारौ'। पु० कमल ।
पंखरण (रिण, पो)-स्त्री० [सं० पक्षिणी] १ मादा पक्षी । पंककोर-पुल मं०] टिटहरी नामक पनी ।
२ मादा गिद्ध । ३ चील । ४ वर्तमान व पाने वाले दिन के पंकज-पु० सं०] १ कमल । २ फल । ३ सारस पक्षी। -वि० बीच की रात । ५ अप्सरा । ६ राठौड़ों की कुल देवी।
कीनड में उत्पन्न होनेवाला । --ग्रासन-पु० ब्रह्मा। -ग्रह- --प्राळो, याळी, वाळो-पु० पक्षी। पु० वग। --बंधु-पु० मूर्य, रवि । -राग-पु० पत्र पंखराउ, (राऊ, राज, राय, राव)-देखो 'पक्षीराज'
राग मणि। --हत, हती, हत्थ, हत्थी-पु० सुर्य, रवि । पंखराळ-वि० १ बड़े-बड़े परों वाला। २ देखो 'पखराळ' । पकजणी, पंकजिपी-देखो 'पंकजिनी' ।
पखवा-स्त्री० पंखे की हवा । पंकजित-पु. [सं०] गझड़ का एक पुत्र ।
पंखवी-देखो 'पंखारौ'। पंकजिनी-स्त्री० [सं०] कमन की नाल ।
पंखांण-देखो 'पासांग । पंकज्ज-देखो 'पंकज ।
पंखांराउ, (राऊ, राज, राव)-देखो ‘पक्षीराज'। पंकण (रिण, रगी)-स्त्री० १ प्रत्यञ्चा : २ देखो 'पंखगी'। पंखाकुळी, पखाबरदार-पु. पंखा से हवा करने वाला अनुचर । पकत (ति, ती-देगो पंक्ति'।
पंखाबरदारी-स्त्री० पंखे से हवा करने का कार्य । पंकति-दूही-पु. दो छन्द का एक भेद ।
पंखायण-देखो 'पंखणी'। पकदिग्धांन-पु० स्कन्द का एक अनुचर ।
पंखार, पंखारौ-पु० तीर की पूछ । पकधुम-पु. एक न क विशेष ।
पखाळ, (ळी)-वि० सं० पक्षालु] १ पंख या परों वाला, पंकय-देखो 'पंकज'।
परदार । २ पक्षवाला, पक्षधर । -पु० १ पक्षी । पंकाउळी-देखो 'पंकावळी' ।
२ मांसाहारी पक्षी । ३ पक्षीराज गरुड़। ४ गिद्ध । ५ सर्प, पंकाभा-म्बी० एक नरक विणेप ।
नाग । ६ घोड़ा, अश्व । ७ तीर, शर । ८ एक डिंगल गीत पंकाळ (ळी)-स्त्री० एक छन्द विशेष
विशेष ।
पंखावरदार- देखो 'पंखाबरदार' । पंकि-देखो पंक्ति'।
पंखावरदारी-देखा पखाबरदारी' । पंकेरुह-देखो 'पंकरह' ।
पखासाळ-स्त्रो० १ वह कक्ष जहां खा लगा हो । २ मकान का पंक्खरा- देखो पंख' । २ देखो 'पक्षी'। ३ देखो 'पंखी'।।
हवादार कक्ष । पंक्ति-श्री० [सं०] १ कतार २ रेखा । ३ वर्तमान पौढ़ी।
पाढ़ी। पंखि-१ --देखो 'पक्षी'। २ देखो 'पंख' । ३ देखो 'पंखी' । ४ धेगी। ५ मनुष्यों की कतार । ६ पृथ्वी । ७ कीति, यश ।
पंखिऔ-१ देखो 'पक्षी' । २ देखो 'पंखियो' । ३ देखो 'पक्ष' । एक ही जाति के मनुष्यों का ममुह । ९ पांच की संख्या। १० दश की संख्या । ११ एक वर्ण वत्त विशेष । -- टाळ
पंखिण, (रिण, पो)-देखो 'पखरण' । वि० पंक्ति या जाति से बहिष्कृत । ---बद्ध-नि० कतार में पखियो--० १ छोटी पपली वाला बैल । २ देगो पक्षी'! जुडा या बंधा हया, अंगीयन ।
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पखी
पंचक्षारगरण
पखी-पु. [सं० पक्षी] १ पक्षीराज गरुड़ । २ पक्षी। ३ बांण. का अंक । -वि० १ चार व एक । २ पांच के स्थान वाला।
पार । । एक प्रकार का ऊनी वस्त्र । ५ रहट का एक भाग। ३ हर बात में टांग अड़ाने वाला, पंचायती करने वाला । ६ पुष्प दल । ७ मांसाहारी पक्षी । ६ मक्खी, मक्षिका। --प्रग-वि० पाच अगों वाला, पंचांग ।-पु० कछुपा । पांच
५ बन्दूक के मुह पर बनी नोक । १० देखो 'पंख' । प्रग। --प्राचार-यु० प्राचार के पांच अंग (जैन) । पखोप्रो-१ देखो पंखियो' । २ देखो 'पक्षी' ।
-----इंद्री-स्त्री० पंचेन्द्रिय । पखीड़, पखोड़ो-१ देखो 'पंखो' । २ देखो 'पक्षी' ।
पचहवाद्य-देखो पंचवाद्य । पखीसी (मी)-१ देखी 'पखणी' । २ देखो 'पक्षी' ।
पचक-पु० स०] १ पाच नक्षत्रों का समूह । २ फलित ज्योतिष पखोपत (पति, पती, पत्त, पत्ति, पत्ती)-देखो 'पक्षीपत' ।
में नक्षत्रों का एक समय विशेष । ३ शकुन शास्त्र । ४ पांच पखीयो-१ देखो 'पक्षी' । २ देखो 'पंखियो ।
का समूह । पखीराव-देखो 'पक्षीराज'।
पंचकन्या--स्त्री० स०) सदा कुमारी मानी गई पाच पौराणिक पखीस-पु० स० पक्षी-ईश १ गरुड़ । २ देखो पक्षो' ।
स्त्रिया-अहल्या, कुंती, द्रौपदी, तारा व मंदोदरी । पखुडो-देखो 'पख'।
पचकपाळ-पु० स० पचकपाल] एक प्रकार का पुराडोश । पंखेवो. पंखेल, पखेरूपो, (वौ)-पु. पक्षी।
पचकमाळा-स्त्री० एक वणिक वृत्त विशेष । पखेसर-वि० [स. पक्ष-ईश्वर पखधारी, पखवाला । -पु. पचकरम-पु०स०पचकम
पचकरम-पु०[सं०पचकर्म] १ पांच प्रकार के कर्म (वैशेषिक) । १ पक्षीराज गरुड़ । २ जटायु । ३ पक्षी।
२ चिकित्सा की पांच क्रियाएँ । पंखोयो- देखो ‘पखारौ' ।
पचकळा-स्त्री० [सं० पंचकला पाच शस्त्रों का समूह । पखो-पु. १ हवा करने या गर्मी में हवा खाने का उपकरण। पंचकल्प-पु० स०] एक सूत्र का नाम । (जैन)
२ स्त्रियों की प्रोढनी के किनारे लगी तार गोटे की पचकल्याण-पृ० [सं०] एक प्रकार का अश्व । झल्लरी । ३ देखो 'पख'।
पचकवळ--पृ० [सं० पंचकवल कुत्ते प्रादि के लिये निकाले जाने पग-पु० स० उपांग १ ढोलक के पाकार का एक वाद्य ।।
वाले पांच ग्रास । २ देखो 'पंगु' । ३ देखा 'पंक'।
पचकविधि-स्त्री० म०) पंचक में मरने वाले के लिये किया पगत. पगति (ती)-देखो 'पंक्ति' । -टाळ-'पक्तिटाळ' । जाने वाला एक सस्कार विशेष । पगत्रप-पु० राजा जयचन्द्र की एक उपाधि ।
पंचकसाय -पु० स० पंचकषायपाच वृक्षों का कषाय । पंगरण-पु० सं० उपांगधरण] १ वस्त्र । २ पहनने के वस्त्र। पंचकांम-पृ० [सं०] पाच प्रकार के कामदेव । पंगराज, पंगराव-पु० [सं० पगुराज| राजा जयचन्द ।
पंचकारण--पु० [सं०] किसी कार्य की उत्पत्ति के माने गये पाच पगळ, पगळियो, पगळो-देखो 'पगुळ' ।
कारण । (जैन) पगळी-देखो 'पगुळी'।
पकिलांग (किलियांण, किल्याण)--देखो 'पचकल्याण' । पगी-स्त्री० स० पम्वी कीति. यश -वि. ग. लगदी पचकेस-स्त्री० [म. पन केश] यज्ञोपवीत संस्कार में बटक के पगु-वि० सं०] (स्त्री० पगवी, पगी) पावो से लाचार. शिर में रखी जाने वाली पांच शिखायें ।
अपग, लगड़ा । -१० १शनिश्चर । २ सूर्य के सारथी पंचकेसी-स्त्री०१ शरीर के मभी अगों पर रखे जाने वाले बाल। का एक नाम । -पह-पु० मकर राशि । मकर ।
२ इस प्रकार में रखे गये बालों वाला व्यक्ति । पगुगति-पु० एक छन्द विशेष ।
पंचकोरण--पु० [सं०] कुण्डली में पांचवा व नौवां स्थान । पगुरण, पगुरिण, पगुरिणी-देखो 'पंगरण' ।
पंचकोल-पु० [सं०] पाचक व रुचिकर पांच वस्तुएँ। पगुळ-पु० [सं० पगुल:] १ श्वेत घोड़ा । २ देखा 'पंग। पंचकोस-पु. [सं० पंचकोण] १ शरीरस्थ पांच कोश । २ पांच ३ देखा ‘पागळे'।
। कोश के क्षेत्र में बसी काशी । पगुळी-देखो 'पंगी'।
| पंचकोसी-स्त्री० [स. पंचकोशी १ काशी का एक नाम । पंगुळो, पगू-देखो पंगु ।
२ काशी की परिक्रमा । ३ प्रयाग की परिक्रमा । पंगो-वि. (स्त्री. पगी) पतला, इव ।
पंचकम-देखा 'पचकरम'। पंधरणों (बो)-देखा 'पागरणों (बी)।
पंचक्रत्य, पचक्रित्य-पु० [सं० पंचकृत्य ] ईश्वर के पांच कर्म । पच-पु० [सं०] १ग्राम पंचायत का सदस्य,जनप्रतिनिधि । रविवाद | पचक्लेस-पु० [सं०पचक्लेश] राग-द्वेषादि पांच प्रकार के क्लेश ।
क निर्णय हेतु नियुक्त व्यक्ति या व्यक्ति समूह । ३ पाच | पचनारगण-प० [सं० ) लवणादि पांच प्रकार के क्षार ।
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पंचगंगा
पचपुसप
पंचगंगा-स्त्री० [सं०] गगा, यमुनादि पांच नदियों का समूह,
| पंचतिथ (तिथि)-स्त्री० [सं० पंचतिथि] कात्तिक व वैशाख के पंचनद ।
शुक्ल पक्ष की पांच पुण्य तिथियां । पंचगण-स्त्री० [सं०] १ पांच औषधियों का समूह । २ पंचों का पंचतीरथ-पृ० [सं० पंचतीर्थ] विश्रांति, शौकर, नैमिष, प्रयाग समूह।
___ और पुष्कर तीर्थ । पंचगव्य -पु० [सं०] दूध, दही, घी, गोमल और गौमूत्र, गाय के
पंचतीरथी-स्त्री०१ एक प्रकार की असद् भूत स्थापना (जैन) । पांच पदार्थ। -घ्रत, घ्रित-पु० उक्त पदार्थों से बनी औषधि
२ देखो 'पंचतीरथ'। विशेष ।
पंचत्रण-पु० [सं० पंचतृण] कुश, कांस, शर, दर्भ और ईख के पंचगीत-पु० [सं०] भागवत के दशवें स्कन्ध के पांच मुख्य
तृणों का समूह । प्रकरण।
| पंचत्व-पु० [सं०] १ पांच का भाव । २ अवसान, मृत्यु । पंचगुप्त-पु० [सं०] कछुवा ।
३ मोक्ष । पंचगौड़-पू० [सं०] विध्याचल के उत्तर में निवास करने वाले. पंचवसी-स्त्री० [सं० पंचदशी] १ पूणिमा । २ अमावस्या । ब्राह्मणों के पांच वर्ग ।
पंचदेव-पु० [सं०] आदित्य, वरुण, विष्णु, गणेश और देवी। पंचग्गळउ-वि० [सं० पंच + अग्रिल कम्] जिसके पांच अग्र हों।।
पंचदेववक्ष (वख, प्रिक्ष, विख)-पु० [सं० पंचदेववृक्ष] मंदार, पंचग्रह-पु० [सं०] मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि, इन पारिजात, सतान, कल्प व हारच दन वृक्ष। ___ पांचों ग्रहों का समूह।
पंचद्रविड़-पु० [सं०] दक्षिण वासी ब्राह्मणों के पांच वर्ग । पंचघट्टो-पु० [सं० पंचटिका] पांच घटी रात्री व्यतीत होने
पंचधारलपननी-स्त्री० लपसी नामक एक खाद्य पदार्थ । का समय ।
पंचन-पु. कमल । पंचचक्कर(चक्र)-पु० मि०पंचवक परिस्थिति संबंधी पांच चक्र। पंचनइ-देखो 'पंचनद'। पंचचामर-पु० [सं० पंचचामर] एक वर्णवत्त विशेष । पंजनख-पु० पांच-पांच नाखूनों वाला प्राणी। पंचचूड़-पु० [सं०] पांच शिखा वाला व्यक्ति ।
पंचनद (नदी, नदी)-पु० [सं०] १ रावी, सतलुज, व्यास, पंचचूड़ा-स्त्री० [सं०] एक अप्सरा।।
चिनाव और झेलम नदियों का समूह । २ उक्त नदियों पंचजन-पृ० [सं०] १ पांच व्यक्तियों का समूह । २ ब्राह्मण,
वाला प्रदेश । ३ इन नदियों का संगम स्थल । क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और निषाद । ३ पुरुष । ४ शरीर संबंधी
पंचनाथ-पु० [सं०] बदरीनाथ, द्वारकानाथ, जगन्नाथ, रंगनाथ पांच प्रारण। ५ एक प्रजापति का नाम ।
और श्रीनाथ ।
पंचनांमौ-पु० [सं० पंचनाम्नः] पंचों के निर्णय का पत्र । पंचजन्य-पु० [सं० पांचजन्य] 'पंचजन' असुर की हड्डी का बना
पनिब-पु० [सं०] नीम वृक्ष के पांच अंग। श्रीकृष्ण का शंख।
पचपचाळ-पु. पांचाली (द्रौपदी) के पांच पुत्र । पंचडोळियो-पु० पांच लोक देवता संबंधी गीत ।
पंचपक्षी-पु० [सं०] एक प्रकार का शकुन शास्त्र । पंचतंत्री-स्त्री० [सं०] पांच तार की वीणा ।
पंचपगी-पु० [सं० पंचपदी] एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। पंचतत, पंचतत्व-पु० [सं० पंचतत्त्व] १ पृथ्वी, जल, वायु आदि
| पंचपणी-पु० [सं० पंच-त्व] १ पंच का कार्य । २ पंच का पद । पांच प्राकृतिक तत्त्व । २ वाम मार्ग के अनुसार मद्य, मांस
। ३ वाद-विवाद । मत्स्य, मुद्रा और मैथन । ३ तन्त्रानुसार गुरु तत्त्व,मंत्र तत्त्व,
पचपद-देखो 'नवकार'। मनस्तत्त्व, देवतत्त्व और ध्यानतत्त्व ।
पचपरमेस्ठि-देखो 'नवकार'। पंचतन्मात्र-पु० [सं०] इन्द्रियों से ग्रहण किए जाने वाले पांच | पर
- पंचपातर, पंचपात्र-पु० [सं० पंचपात्र] १ पूजन संबंधी पात्र । विषय यथा शब्द, रस, स्पर्श, रूप और गंध ।
२ पांच धातु का बना पात्र ।
पंचपिता-पु० [सं० पंचपितृ] पांच प्रकार के पिता। पंचतपो-पु० [सं० पंचतपस्] पंचाग्नि तापने वाला तपस्वी।
पंचपित्त-पु० [सं०] वराह, छाग, महिष, मत्स्य और मयूर पंचतर (तर)-पु० [सं० पंचतरु] पांच देव वृक्ष ।
का पिता। पंचतव-देखो 'पंचत्व' ।
| पंचपीर-पु० पांच लोक देवता यथा-पाबू, हड़बू, रामदेव, पंचताळ-स्त्री० [सं० पंचताल] अष्टताल का एक भेद
मांगलियांमहा व गोगादेव । पंचताळीस-देखो 'पैताळीस'।
। पचपुसप (पुसब, पुस्प)-पु० [सं० पंचपुष्प] चंपा, आम, शमी, पचतिक्त-पु० [सं०] पांच औषधियों का समूह
कमल और कनेर के पुष्प ।
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पंचबळा
पंचवीस
पंचबळा-स्त्री० पांच औषधियों का समूह ।
पंचमुद्र-पु० [सं०] शिव, महादेव । पंचबलि-स्त्री० [सं०] पांच प्रकार का पुण्य ।
पंचमुद्रा-स्त्री० [सं०] १ पूजन विधि में पांच प्रकार की मुद्राएँ। पंचरण-पु. १ कामदेव के पांच बाण । २ कामदेव के | २ हठ योग की पांच मुद्राएं।
पांच पुष्प-अरविंद, अशोक, प्राम, नवमल्लिका, नीलोत्पल । पंचमूळ-पु० [सं० पंचमूल] पांच प्रकार की जड़ीय प्रौषधियां । ३ कामदेव।
पंचमूळी-स्त्री० [सं० पंचमूली] स्वल्प पंचमूल । पंचभद्र-पु० [सं०] १ एक प्रकार का घोड़ा । २ घोड़ों की एक | पंचमेर, (मेरु) -पु० [सं० पंचमेरु] पांच प्रसिद्ध पर्वत ।
जाति । ३ पंचकल्याण घोड़ा। ४ एक प्रकार का प्रौषधि | पंचमेळ, (मेळो)-वि० [सं० पंचमिलन] पांच वस्तुओं का समूह ।
मिश्रण । पंचभरतारी-स्त्री० [सं० पंचभर्तृका] द्रौपदी।
पंचमेवी-पु० बादाम, पिश्ता आदि पांच मेवे । पंच-भीख (भीखण, भीखम)-देखो 'भीखमपंचक' । । पंचमेस-पु० [सं० पंचमेश] जन्म कुण्डली में पांचवें घर का पंचभूत-पु० [सं०] पांच भौतिक तत्त्व ।
स्वामी । पंचभूतक (भूतिक, भौतिक)-वि० [सं० पंचभौतिक] पांच | पंचमौ-देखो 'पंचम' । भौतिक तत्त्वों से बना । -पु० शरीर ।
पंचरंग-वि० [सं०] पांच रंगों का, पचरंगा। पञ्चमंडळी-स्त्री० पंचायत, पंच-समूह ।
| पंचरतन, (रत्न)-पु० [सं० पंचरत्न] १ पांच प्रकार के रत्न । पंचम (उ)-पु० [सं०] १ संगीत में सप्तक का पांचवां स्वर ।। २ एक स्तोत्र का नाम । ३ पांच धार्मिक ग्रंथ विशेष । २ एक राग विशेष । -वि० पांचवां ।
पंचराइग्री-पु० एक वस्त्र विशेष । पंचमकार-स्त्री० [सं०] मद्य, मांस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन ।
पंचरात्र-पु० [सं०] १ पांच दिनों में पूर्ण होने वाला यज्ञ । (वाम मार्ग)
२ पांच रातों का समूह । पंचमगति-स्त्री० [सं०] मोक्ष ।
पंचरासिक-पु० [सं० पंचराशिक] गरिणत की एक विधि । पंचमगुण-पु० [सं०] मोक्ष ।
पंचरूप, (रूपी)-पु० [सं०] सुमेरु पर्वत । पंचमराग-देखो 'पंचम'।
पंचळ-वि०पांचाल या पंजाब देश का । -पु० द्रुपद राजा का पुत्र पंचमहायज्ञ-पु० [सं०] पितृ तर्पण, हवनादि गृहस्थ के पांच ।
धृष्टद्युम्न।
टयाना कर्म विशेष ।
पंचलक्षण-पु० [सं०] पुराण के पांच लक्षण या चिह्न । पंचमहापातक-पु० [सं०] ब्रह्म हत्या प्रादि पांच प्रकार के पचलड़ी-वि० [सं० पच-लटिक] १ पांच लड़ों का, पंचलड़ा। महान् पाप कर्म।
२ पांच तह का । ३ पांच गुना । -पु० गले का एक पंचमहाव्याधि-स्त्री० [सं०] यक्ष्मा, कुष्ठ प्रादि पांच भयंकर हार विशेष । रोग।
पंचलोह (लोह)-पु० [सं०] १ सोना, चांदी आदि पांच धातुएँ। पंचमहावत-पु० [सं०] योग शास्त्रानुसार पांच प्रकार के पांच प्रकार के लोह । प्राचरण ।
पंचवटी, पंचवट्टी-स्त्री० [सं० पंचवटी] दण्डकारण्य का एक पंचमहासबद (सम्ब)-पु० [सं० पंचमहाशब्द] १ पांच प्रकार के
| स्थान । वाद्यों का समूह । २ इन वाद्यों से उत्पन्न ध्वनि ।
पंचवदन-पु० [सं०] १ शिव । २ ब्रह्मा । ३ एक मात्रिक छन्द पंचमाय-पु० [सं० पंच-मस्तक] शिव, महादेव ।
विशेष । पंचमी-स्त्री० [सं०] १ चंद्र मास के प्रत्येक पक्ष की पांचवीं
| पंचवय-पु० [सं० पंचव्रत] पांच महाव्रत । (जैन) तिथि । २ मुक्ति, मोक्ष । ३ द्रौपदी। ४ अपादान कारक ।
पंचवरग-पु० [सं० पंच-वर्ग] पांच वस्तुओं का समूह । ५ शौचादि से निवृत्ति की क्रिया। -वि० चार के बाद
पंचवरण, पंचवरन-पु० [सं०पंचवर्ण] १ प्रणव के पांच वर्ण । वाली, पांचवीं।
२ वस्त्र विशेष । ३ पचरंगा घोड़ा । -वि० पांच रंग का । पंचमुख-पु० [सं०] १ सिंह । २ नृसिंहावतार । ३ शिव, | पंचवांणी-स्त्री० [सं० पञ्च-वारणी] कबीर, दादू, हरिदास, महादेव । ४ ब्रह्मा। ५ हनुमान का एक रूप।।
रामदास और दयालदास की वाणियां । पंचमुखी-वि० [सं०] पांच मुखों वाला। -पु०एक प्रशुभ रंग
| पंचवाद्य-पु० [सं०] तंत्र, पानद्ध, सुशिर, धन और वीरों का का घोड़ा विशेष ।
गर्जन । पंचमुदरा-देखो 'पंचमुद्रा'।
पंचवीस-देखो ‘पचीस' ।
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पंचों
पंचासम
पंचवौं-देखो 'पंचम'।
पंचाक्षर, पंचाक्षरी-पु० [सं० पंच + अक्षर] पांच अक्षरों पंचसंधि-स्त्री० [सं०] १ संधि के पांच भेद । २ पांच की संख्या। का मंत्र । -वि० १ पांच अक्षरों वाला । २पांच अक्षर पंचसद (सद्द)-देखो ‘पंचसब्द' ।
के मंत्र का जाप करने वाला ।। पंचसदी-पु० [सं० पंच+फा० सदी] १ पांच सौ ऊंटों का | पंचागनि, पचागनी, पंचाग्नि-स्त्री० [सं० पंचाग्नि] १ तपस्वी __ स्वामी। २ पांच सौ की संख्या ।
के चार मोर जलाई जाने वाली धूणियों की अग्नि व पचसबद (सबवउ, सबद्द, सब्द)-पु० [सं० पंच शब्द] १ पांच पांचवीं सूर्य की अग्नि । २ अधिक उष्ण मानी जाने वाली
प्रकार के वाद्य । २ पांच प्रकार की ध्वनियां । ३ पांच पांच औषधियां । ३ पांच की संख्या*। -वि. पंचाग्नि ___ वाद्यों की ध्वनि ।
तापने वाला। पंचसमंबीय-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
पंचाचार-देखो 'पंचप्राचार'। पंचसर-पु० [सं० पंचशर] १ कामदेव । २ काम के पांच बाण।। पंचागणु (णु)-देखो 'पंचानन' । -धारी-पु. कामदेव ।।
पंचातप-पु० [सं० पंच-पातप] ग्रीष्म ऋतु में चारों ओर अग्नि पंचसाख-पु० [सं० पंचशाख] हाथ, कर ।
जला कर किया जाने वाला तप । पंचसिख-पु० [सं० पंचशिख] सिंह।
पंचात्मा-पु० [सं०] पंच प्रारण। पचसिद्धीसधि-स्त्री० [सं० पंचसिद्धौषधि] पांच प्रकार की | पंचाद-स्त्री० पश्चिम व वायव्य के मध्य की दिशा। औषधियों का योग।
पंचादी-वि० उक्त दिशा संबंधी। पंचसूना-स्त्री० [सं० पञ्चसूनः] गृहस्थी के पांच दैनिक कर्म । | पंचादौ-पु० एक मात्रिक छन्द विशेष । (जैन)
पंचानन-वि० [सं०] १ पांच मुख वाला, पंचमुखी । २ वीर, पंचसौ-पु० [सं० पंच-शत् ] देशी कपड़े की बुनाई का एक बहादुर । -पु० १ शिव, महादेव । २ शेर । ३ सिंह राशि । प्रोजार । -वि. पांच सौ।
४ स्वर साधन की एक विधि।। पंचस्नेह-पु० [सं०] पांच प्रकार के स्निग्ध पदार्थ ।
पंचाननी-स्त्री० [सं०] पार्वती, दुर्गा । पंचस्वेद-पु. पांच प्रकार के स्वेद ।
| पंचामरा-स्त्री० [सं०] दूर्वा, विजया, बिल्वपत्र, निगुडी और पचह जारी (हज्जारी)-पु० [फा०] १ पांच हजार की सेना का काली तुलसी का समूह ।
नायक । २ मुगल साम्राज्य में सामंतों की एक उपाधि । पंचाम्रत, पंचाम्रित-पु० [सं० पंचामृत] दूध, दही, शक्कर, पंचहम-देखो 'पंचम'।
घृत व मधु के मिश्रण से बना नैवेद्य । पंचहुतासण-पु० [सं० पंचहुताशन] तपस्या की पांच अग्नियां ।। पंचाम्ल-पु० [सं०] पांच खट्ट पदार्थ । पंचांइण-देखो 'पंचानन' ।
पंचायण (णो)-देखो 'पंचानन'। पंचांग-पु० [सं०] १ पांच अग। २ पांच अंग वाला पदार्थ ।। पंचायत, पंचायतड़ी (डी)-स्त्री० १ गांव या बस्ती का प्रशासन
३ वार, तिथि, नक्षत्र आदि का विवरण-पत्रक (ज्योतिष) , देखने वाली संस्था, मंडली। २ विवाद के समाधान हेतु ४ पुरश्चरण में किये जाने वाले पांच कर्म । ५ तांत्रिक मनोनीत व्यक्तियों का समूह । ३ पंचों की सभा । उपासना के पांच अंग । ६ सहाय, साधन, उपाय, देशकाल
४ किसी विषय पर व्यर्थ का वाद-विवाद ।। भेद और विपद प्रतिकार । ७ वृक्ष के पांच अंग । पंचायतन-पु० [सं०] देव प्रतिमाओं का समूह । ८ कच्छप । ६ देखो 'पंचकल्याण' ।
पंचायती-वि० १ पंचायत संबंधी। २ देखो 'पंचायत' । पंचांगनि, पंचांगनी, पंचांगि-देखो 'पंचाग्नि'।
पंचायन-१ देखो 'पांचजन्य' । २ देखो 'पंचानन'। पंचरण-देखो 'पंचानन'।
पंचाळ-पु० [सं० पंचाल] १ हिमालय व चम्बल के बीच बसा पंचां, पंचांण, पंचांग-देखो ‘पचांणू' ।
एक प्राचीन प्रदेश । २ गुजरात - काठियावाड़ का प्राचीन पंचारणमौ (वी), पंचांनमो (वो)-देखो 'पचाणवो' ।
नाम, सौराष्ट्र देश । पंचायण, पचाइण-देखो 'पंचानन' ।
पंचाळि, पंचाळी-वि० [सं०पांचाली]पंचाल का, पंचाल संबंधी। पचाप्रगनि-देखो 'पंचाग्नि' ।
___ -स्त्री. १ चारणों की एक देवी । २ देखो 'पांचाली'। पंचाइन, पंचाईण, पंचाईन-१ देखो 'पंचानन' । २ देखो
पंचावन, पंचावनइ, पंचावनि-देखो 'पचपन'। 'पचजन्य'।
पंचवनौ-देखो 'पचपनौ'। पंचास-देखो 'पचास' । पचासम-देखो 'पचासमौ'
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पंचासर
पंशाळ
पंचासर-पु. पार्श्वनाथ का एक नाम ।
पजाळी-वि० पंजेवाला। पचास-देखो 'पिचियासी' ।
पंजावी-पु. १ प्रथम गर्भवती गाय के पांचवें मास के पन का पंचाहर-देखो 'पंजाहर' ।
उभार । २ देखो 'पचावी' । पंचीकरण-वि० [सं०] वेदान्त में पंच भूतों का विभाग विशेष । पजाहर-स्त्री० सेना, फोज । पंचीकत-वि० [सं० पंचीकृत] जिसका पंचीकरण हुआ हो। जियो-देखो 'पंजो'। पंचीकनी-पु० [सं० पंचीकरण] मनुष्य ।
पंजी-देखो 'पांची' । पंचुत्तर-पु० [सं०] पंच अनुत्तर ।
पंजीरी, पजेरो-स्त्री० [सं० पंच-जीरा धनिये के प्राटे में पंचेंदि, पंचेवी, पंचेंद्री, पंचैदी, पंचद्री-स्त्री० [सं० पंचेंद्रिय] शक्कर आदि मिला कर बनाया जाने वाला एक १ प्रांख, नाक, कान, जिह्वा व त्वचा ये पांच इन्द्रियां।'
नैवेद्य विशेष । २ उक्त इन्द्रियों वाला प्राणी ।।
पंजोळ-पु० खेत में सूखने के लिये खड़े किये गये पांच-पांच पचेख-पू० [सं० पंचेष] १ कामदेव । २ काम के पांच बारण। पुवालों के समूह । पंचेरी, (रौ)-देखो पंसेरी'।
पंजो-पु० [फा० पंजा] १ पांच का समूह । २ हाथ या पांव की पंचोतरौ-देखो ' पितरौ'।
पांचों अंगुलिये । ३ शरीर का अंगुलियों वाला भाग । पंचोळ-पु० पंचायत ।
४ हाथ का निशान, चिह्न। ५ बादशाह की हस्तमुद्रा । 'चोळी-पु. (स्त्री० पंचोळण) कायस्थ जाति व इस जाति का
६ शेर, बिल्ली प्रादि प्राणियों के पांवों का अग्र भाग । व्यक्ति ।
७ जूते का अग्र भाग। ८ पांच बूटी वाला ताश का पत्ता । पच्चारण-देखो 'पंचानन'।
। ९ पांच का अंक । १० जूए का एक दाव । ११ पीठ पच्चाण, पंच्यांणु-देखो 'पर्वाणू' ।
खजलाने का उपकरण विशेष ।। पंच्यासी, पंच्यासीइ-देखो 'पिचियासी' ।
पंड-पु० स० पिण्ड, पण्ड] १ प्राकाश, नभ । २ पवन । पंछि-देखो 'पक्षी'।
३ अर्जुन। ४ हिजड़ा, नपुंसक । ५ देखो 'पांडु' । पंछियो-पु० १ छोटी धोती। २ देखो 'पक्षी'
पडग-न० [सं० पंडक नपुसक, हिंजड़ा। पंछी, प छोड़ो, पछीलो-देखो 'पक्षी।
पडत-देखो 'पंडित' । (स्त्री० पंडतरणी, पंडताणी) पंछोलो-पु० स्वर्णकारों का एक प्रौजार ।
पडर, पडरवेस, पंडरावेस, पडरु (रू)-पु० [सं०पाण्डु] १ यवन, पंज-देखो 'पंजो'
मुसलमान । २ बादशाह । [सं० पिण्ड] ३ पानी का पंजरपो-वि० मिटाने व नाश करने वाला।
बुदबुदा । ४ देखो 'पांडुर'। ५ देखो "पिंडरु' (रू)। पंजणी (बी)-क्रि० मिटाना, नष्ट करना, ध्वंस करना । पंडव, पंडवडो-देखो 'पांडव' । पंजरई-१ देखो 'पंजर' । २ देखो ‘पीजरौं'।
पंडवतिलक-देखो 'पांडवतिलक' । पंजर (रि, री)-पु. [सं०पंजर] १ शरीर, देह । २ प्राणियों के
पंडवनामी-देखो 'पांडवनामी' । शरीर का कठोर भाग, हड्डियां । ३ कंकाल, ठट्ठर । शवप्रिया-स्त्री० [सं० पाण्डव-प्रिया] द्रौपदी। ४ भाला । ५ देखो 'पींजरौ' । -वि. रक्षक | ---विसन, पंडवमध-पु० सं० पाण्डव-मध्य | अर्जुन। विसनु-'विस सुपंजर'।
पंडवैस-पु० [सं० पाण्डवेश] १ राजा पाण्डु । २ युधिष्ठिर। पजहजारी-देखो 'पंचहजारी' ।
३ पाण्डव ।[सं० पाण्ड] ४ मुसलमान, मवन । ५ बादशाह । पंजातोड़-बैठक-पु० कुश्ती का एक दाव, पेच ।
६ ललाई युक्त पीला रंग। ७ श्वेत रंग । ८ श्वेत हाथी । पजाब-पु०भारत का उत्तरी प्रांत विशेष ।
पंडवी-१ देखो 'पांडव' । २ देखो 'पांडु'। पजाबळ-पु. कहारों की एक बोली या संकेत ।
पडसुत-पु० [सं० पांडु-सुत] १ राजा पाण्डु के पुत्र, पाण्डव । पंजाबी-वि० [फा०] पंजाब का, पंजाब संबंधी । -पु० पंजाब का
। २ अर्जुन। निवासी । -स्त्री० पंजाब की भाषा ।
पंडां-देखो 'पिंडां'। पंजार-देखो 'पंजोळ'। पजारी-देखो 'पंजीरी।
पडा-स्त्री० [सं०] १ बुद्धि । २ विद्या । ३ समझदारी। पंजाळी-स्त्री० चड़स खींचने वाले बैलों के गर्दन में फंसाया जाने | ४ विज्ञान । वाला जुमा ।
पंडाळ-पु० बड़ा मण्डप ।
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पडित
पसेरो
पडित पु० [सं० 1 (स्त्री० पंडितांणी) १ शास्त्रों का ज्ञाता। पथाण-देखो 'पंध' ।
विद्वान, ज्ञानी । २ विशेषज्ञ । ३ ब्राह्मण । -वि० पथाई-वि० १ वाम मार्ग को मानने वाला, वाममार्गी । १ बुद्धिमान, चतुर । २ निपुण, दक्ष ।
२पथ का, पथ संबधी। पडितांणी-स्त्री. १ पंडित की स्त्री। २ ब्राह्मणी । ३ विदुषी।।पयाळरी-पु० घोड़ा। पडिताइ (ई)-ग्यो. विद्वता, पाण्डित्य ।
पथिक-देखो 'पंथी। पडिताउ (ऊ)-वि० पण्डितो के अनुरूप ।
पथिड़ो, पथियो-देखो 'पथी । पंडिति-देखो पंडित'।
पथी, पंथोक, पथोड़ो, पथोडौ-पु० [सं० पथिक) १ राही, पंडिपाद-पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
यात्री। बटोही। २ किसी पथ या सम्प्रदाय का अनुयायी। पडिय- देखो 'पति '।
३ वाम मार्गो। ४ पथ प्रदर्शक । पडिवेस-देखो 'पंडवेम' ।
ज्यीय पंथीयौ--देखो 'पथी' । पंडी-स्त्री० [मं पण्डा] पडे की स्त्री।
पदरमो, दरवा-देखो ‘पनरमौ'। पंडीर-पु. महादेव, शिव ।
पदरह पदर, पंद्रह, नर-देखो 'पनरै'। पंडीस पडोसीक-देखो 'पांडीम् ।
नरपि--अव्य० [सं० पुनरपि] फिर, पुनः । पडु-१ देखो पा'। २ देखो 'पांडव' । ३ देखो 'पांडुर। पंग-देखो 'पन्नग'। पंडुक-पु० [सं० पा] (म्बी० पड़की) कबूतर जाति का
पन्नड़ी, पंन्नडी (डो)-१ देखो 'पनड़ी' । २ देखो 'पान' । एक पक्षी।
पपा-स्त्री० [सं०] १ दक्षिण भारत की एक नदी । २ इस पडुकुमरी-स्त्री० द्रोपदी।
नदी के पास बमा एक नगर। ३ दण्डकारण्य की एक
झोल या मरोवर। पडुरी-स्त्री० [म० पड़की] फास्ता पक्षी।
प'पागर (गिर, गिरि)-पु. [सं० पपागिरि उक्त नदी के पास पडू-१ देवो पांद' । २ देखी 'पांडव' ।
__ का ऋष्यमूक पर्वत । पर-वि. म. पागदग १ उज्ज्वल, निर्मल ! २ देखी पाळ (लो)-१०१ अठ. असत्य । २ ढोंग, प्राडंबर, पाखंड । ___'पार। दरो 'गदर'।
३ मझट, झमेला। ४ व्यर्थ का प्रलाप । ५ दुनियादारी पडोखळी-स्त्री० गाट बाधने का वस्त्र ।
का प्रपंच । -वि० मिथ्या, झूठा । पडो-१० म० पावित् | १ मंदिर का पुजारी। २ तीर्थ गुरु । पोटौ-पु. पानो प्रादि का बुलबुला । पत-वि० [सं० प्रान्त] १ नुन्छ। २ देखो 'पंक्ति'। ३ देखो पपोळरणी (बी)-क्रि० [सं० पम्पस् ] धीरे-धीरे हाथ फेरना, पाति'।
सहलाना। पतर, पतरण-देखो पातरण' ।
पोळारणी (बी), पपोळावणी (बी)-क्रि० धीरे-धीरे हाथ पंतरणौ (बी)-देखो 'पांतरणो' (बी) ।
फिराना, महलवाना। पतरोह-स्त्री० म पक्ति-कट] धूलि, रज ।
मार-देखो ‘परमार'। पप्तावख-पू. स्वर्ग, देवनाकः ।
। पयाळ देखो पताळ'। पति पती-१ देखो पनि । दे वो 'पाति'।
पंव-वि० पांच। पथ-१० स० थ | १गरना, प्रागं । २ मम्प्रदाय, धर्म मार्ग, पंबर, पंवरी-देखो पामड़ी' ।
मत । ३ प्रचार पद्धति, व्यवहार, क्रम । ४ एक तांत्रिक पवार-देखो ‘परमार'। मत, वाम-मागं ।
। पसरणी-वि० [स० पासुल] (स्त्री० पासुली) दुष्ट, नीच । पथक-वि० [सं० पथ-क] राह में उत्पन्न । पृ. चार ।
। प सारी-पु० [म. पण्यशाली (स्त्री० पंसारण) किराणा व पंथक-पथक-बी० १ शत्र, दुश्मन । २ नुटरा ।
जडी, बू टी आदि का व्यापारी । पथग-१० [सं० पथग अनुयायी, शिष्य ।
पसीउकत-स्त्री० पैशाची भाषा । पथडो-देखो पथ'। पथवारियो-पु. १ 'पथवारी' पर स्थापित ककड़। र तीथं ।
पंसुली-देवो पामली। यात्रियों की याद में गेहै. जब प्रादि बोय जान का स्थान। पसेरी-स्त्री०१ पाच सेर का तोल, बाट । २ पाच सेर पदार्थ पथवारी-स्त्री० तीर्थ यात्रियों की याद में बाये जाने वाले गेहका मात्रा। जब आदि ।
मेरौ-वि०१ रक्षक । २ देखो पंसेरी'।
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पकदाणी
प-पु० [सं०] १ रवि, सूर्य । २ पवन । ३ वृक्ष । ४ गुरु। | पउ-पु० [सं० वपु]. शरीर, देह ।
५ राजा। ६ सिंह । ७ कामदेव । ८ पीना क्रिया। पउढरपो, (बो)-देखो 'पौढ़णी (बी)।
९ पत्ता, पत्र । १० अण्डा । ११ शासक । १२ रक्षक । पउदारणो (बी) देखो 'पौढ़ाणी (बी)। पइंठणी (बी)-देखो 'पैठणों (बो)।
पउढ़िम-देखो 'पौढ़म'। पइंडउ, पइंडो-देखो 'पैडौ।।
पउतार-देखो 'पूतार'। पइतीस, पइंत्रीस-देखो 'पैतीस' ।
पउतीय, पउतीयो-१ देखो 'पोतियो' । २ देखो 'पोत' । पइंसठ, (ठि, ठी)-देखो 'पैंसठ'।
पउधारखो, (बो)-देखो 'पधारणो' (बी)। पई-अव्य० [सं० प्रति] १ वश में, अधिकार या कब्जे में। | पउम-देखो 'पदम'।
२ पास में, निकट । -क्रि०वि० अपेक्षा में, बनिस्पत से। | पउमा-देखो 'पदमावती'। -पु० [सं० पद] पैर, चरण।
| पउर-देखो 'प्रचुर'। पड़ो-देखो 'पेड़ो'।
पउरिस, पउरिस्सि-देखो 'पोरस' । पहठ्ठपो (बी), पइठणो (बो)-देखो 'पैठणी' (बी)।
पउळ, पउळि (ळी)-देखो 'पौळ' । पठाणी-वि० पइठाण देश का, पइठाण देश संबंधी ।
पउहतरणी, (बी)-देखो 'पहुंचणी' (बो)। -पु० पठाण देश का वस्त्र ।
पऊर-१ देखो 'प्रचुर' । २ देखो 'प्रहर'। पइठाणी-पु० पइठाण देश का घोड़ा।
पएस-देखो 'प्रदेस'। पइविणि-क्रि० वि० [सं० प्रतिदिन प्रतिदिन, रोजाना।
पएसी-देखो 'प्रदेसी'। पहला-पु० [सं० प्रकीर्ण] प्रकीर्ण, स्फुट संग्रह । पइमाळ-देखो 'पैमाल'।
पमोहर-देखो 'पयोधर'। पहयो-१. देखो 'पड़ो' । २. देखो 'पईसौं' । ३ देखो 'पथिक'। पकड़-स्त्री० [सं० प्रकृष्ट] १ पकड़ने की क्रिया या भाव । पहर-पु० [सं० प्रकार] १ तरह, भांति, प्रकार । २ देखो 'पैर' । ग्रहण । २ पकड़ने का ढंग। ३ प्रशुद्धि या दोष ढूढ़ने की पहरवी-देखो 'पेरवो'।
क्षमता। ४ ग्राह्य शक्ति। ५ चिपकने की शक्ति । पहरोज, पहरोजउ, पहरोजी-देखो 'फिरोजो' ।
६ संगीत में एक प्रकार का स्वर समूह । ७ समझने की पहलइ-देखो 'पल'।
शक्ति, बुद्धि । ८ वस्तु को पकड़ने का प्रौजार, उपकरण । पइलई, पइलो-देखो 'पैलो' ।
९ वश, काबू। पइसड़ो-देखो 'पईसो' ।
पकड़णी (बी)-क्रि० [सं० प्रकृष्ट] १ हाथों में कोई वस्तु पइसणी (बौ)-देखो 'पैसणी' (बो)।
लेना, हाथों से पकड़ना। २ छूना, हाथ लगाना। पईसागर-देखो पयसागर ।
३ थामना । ४ अशुद्धि, त्रुटि, दोष प्रादि निकालना । पइसारउ, पइसारो-देखो ‘पयसागर' ।
५ अनुचित कार्य करने वाले को देख लेना, चोरी पइसौ-देखो 'पईसौ' ।
पकडना। ६ काबू में करना, नियंत्रण में करना, पइहरणो, (बौ)-देखो 'पै'रणो' (बौ)
दबोचना। ७ गिरफ्तार करना, बंधन में डालना । पहिलो-देखो ''लो'।
८ रोक-टोक करना। आगे जाने वाले तक पहुंचना.। पई-१ देखो 'पथिक' । २ देखो 'पड़ो'
१० साथ कर लेना। ११ कोई कार्य करना, कार्य प्रारंभ पईखणी, (बौ)-देखो 'पेखणी' (बी) ।
करना । १२ अपने स्वभाव के अनुरूप करना । १३ असना, पईडउ-१ देखो 'पैड़ी' । २ देखो 'पैडो' ।
घेरना । १४ प्राक्रांत करना, प्रभाव में रखना । १५ संपर्क पईयो-१ देखो पईसो' । २. देखो 'पड़ो' ।
बनाये रखना । १६ धारण करना, रखना । १७ जिम्मेदारी पईसड़ो, पईसी-पु० [सं० पस्य-अंश या पणांश] १. तांबे या | लेना, संभालना।
धातु का सिक्का जो पहले रुपये का चौसठवां भाग था और पकड़ापो (बी), पकड़ावणी (बी)-क्रि० १ हाथ में कोई वस्तु अब सो वां भाग है। २ पाव छटांक का एक तौल । ३ उक्त
देना, पकड़ाना । २ छूमाना । हाथ लगवाना । ३ थमवाना । तौल का बाट, जो मोहर के आकार का होता था। ४ धन, ४ अशुद्धि, दोष, त्रुटि आदि निकलवाना। ५ अनुचित दौलत, द्रव्य । ५ ऋण, कर्ज ।
कार्य करते हुए को दिखाना। चोरी पकड़ाना । ६ काबू में पउजरणी-देखो 'पूजणी'।
करवाना, नियंत्रण में कराना। दबोचवाना । ७ गिरफ्तार पउतार-देखो 'पूतार'।
कराना, बंधन में डलवाना । ८ रोक-टोक कराना।
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पहली
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( 8 )
९ आगे जाने वाले तक पहुंचवाना । १० साथ कराना । ११ कोई कार्य या धंधा प्रारम्भ कराना । १२ स्वभाव के अनुरूप कराना । १३ ग्रसाना, घेराना । १४ आक्रांत कराना, प्रभाव में रखाना । १५ संपर्क कराना । रखाना । १७ जिम्मेदारी देना,
१६ धारण कराना, संभलाना ।
[सं०
पकरणों (बौ) - क्रि० २ मामला तय होना, का चक्कर पूरा होना । 'पाकरणों' (बी) ।
पकरी स्त्री० [सं०] एक वृक्ष विशेष
पकल्ल - पु० [सं० पक्षलः ] घोड़ा ।
पकवांन (तु, न ) - पु० [सं० पक्वान्न ] घी, तेल आदि में पका
खाद्य पदार्थ, पौष्टिक भोजन ।
पचष् ] १ कार्यं सिद्ध होना । सौदा पटना । ३ चोसर की गोटी ४ उपार्जन होना । ५ देखो
श्रवयव ।
पकाई स्त्री० [सं० पक्व] १ पहने या पकाने की क्रिया या
भाव । २ पकाने की मजदूरी ३ दृढ़ता, पक्काई । ४ कठोरता, ठोसपना । ५ निपुरगता, चतुराई । ६ सतर्कता, सावधानी ।
पकाणी (ब) क्रि० [सं० पचप्] १ कार्य सिद्ध कराना। २ मामला तय कराना, सौदा पटाना । ३ चौसर की गोटी का चक्कर पूरा कराना । ४ उपार्जन कराना । ५ अनाज, फलादि को परिपक्वावस्था प्राप्त कराना । ६ खाना प्रादि पकाना, सिझाना। ७ कच्चापन दूर करना । ८ घाव आदि पकने की दशा में लाना ।
पावली (बी) देखो 'पाणी' (बी)।
पकोड़ी, पकोड़ो- पु० बेसन या दाल का बड़ा, वटक । पकौ - १ देखो 'पक्को' । २ देखो 'पाकी' । (स्त्री० पकी) पक्कबर - देखो 'पैगंबर' ।
पकार - पु० [सं०] 'प' अक्षर, वर्ण ।
पकाव- पु० [सं० पक्व] १ पकने की अवस्था या भाव। २ मवाद, पीप |
पक्खरेत, पक्खरंत - देखो 'पख रेत' ।
पखाउन (न) देखो 'पखावज' |
पकवारा पु० [सं० पक्वाशय ] उदरस्थ भोजन पचाने वाला पविख पश्खी-स्त्री० १ मृतक के पीछे नित्य ब्राह्मणों को भोजन कराने की प्रथा । ( कायस्थ ) २ देखो 'पक्षी' ३ देखो 'पखी' । ४ देखो 'पख' ।
पक्कड़ (बौ) - देखो 'पकड़णी' (बी) । पकरण ० [सं०] १ एक धनाये देश का नाम २ बर्बर या चाण्डाल का झोंपड़ा । ३ श्रनार्य देशवासी । rest - वि० पका हुआ परिपक्य २ पूर्ण सम्पूर्ण प्रभाव रहित ३ सन्देह रहित घट, प्रगाढ़ ४ प्रशिक्षित, धन्यस्त, कार्य सिद्धि लायक । ५ प्रौढ़, परिपुष्ट ६ श्रांच गर्मी आदि से पककर दृढ़, मजबूत । ७ दक्ष, प्रवीण, कुशल ।
[सं० पक्व ] ( स्त्री० पक्की ) १ जो कच्चा न हो,
। ।
पक्ख - देखो 'पक्ष' | पक्खर - देखो 'पाखर' ।
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अकाट्य प्रखण्ड, प्रमाणित ९ प्रामाणिक मान का टकसाली १० पत्थर, ईंट, पूने का बना (भवन) । ११ उबाला हुआ घौटाया हुआ। १२ शुद्ध, विशुद्ध, असली १३ घटल अडिग १४ घी, तेल आदि में सिका या तला हुआ । १५ प्रमाणित, सनद । १६ स्थिर, दृढ़,
,
। । टिकाऊ १७ देखी 'पाकी' पईसौ पु० तांबे का
-
एक प्राचीन तौल जो पांव छटांक का होता था ।
पक्षपाती
पखरण (बी) देखो 'पारो' (बो) ।
पक्राळ (ळौ ) - १ देखो 'पखराळ' । २ देखो 'पाखर' । परिय-देखो 'पावर'
पक्खियो- पु० [सं० पक्षिक पक्षी, पंखेरू । पक्खे (क्ख) - देखो 'पखे' ।
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पवन, पश्यतु, पक्वान्न देखो 'पकवांन । पक्ष-पु० [सं०] १ दायां बायां भाग, बगल, पायं धोर तरफ । २ हाथी, घोड़े आदि का वाम भाग, दक्षिणी पार्श्व । ३ किसी विषय का कोई अंग, प्रसंग, प्रकरण । ४ किसी विषय की धारणा, मत, सम्मति । ५ चन्द्रमास की पन्द्रह दिवसीय कोई अवधि । ६ किसी व्यक्ति या विषय के समर्थन की क्षमता या मात्रा, समर्थकों का दल । ७ वंश, कुल । ८ हित या फायदे की बात । ९ संबंध, लगाव । १० वह वस्तु जिसमें साध्य की स्थिति संदिग्ध हो ११ सेना, दल, फौज । १२ सहायक, सखा, साथी १३ साथियों की टोली । मण्डली । १४ समान विचारधारा या विभिन्न विचार धाराओं वाला वर्ग । १५ आर्थिक स्थिति । १६ पक्षी का पर, पंख, डेना । १७ बारण की पूंछ । १८ शरीर का दायां, बायां कोई भाग । १९ मदद, सहायता, समर्थन । २० पक्षी २१ परिस्थिति, हालत अवस्था २२ पोड़ा, अश्व । २३ राजा की सवारी का हाथी । २४ दीवार । २५ मकान, घर । २६ विरोध, प्रत्युत्तर । २७ धारणा । २० पड़ोस । २९ कोष्ठक । ३० दो की संख्या । पक्षता स्त्री० [सं०] तरफदारी, पक्षपात |
। । -
पक्षधर पु० [सं०] १ चन्द्रमा २ पक्षपाती ३ पक्षी ० किसी पक्ष में रहने वाला ।
पक्षपात - पु० [सं०] १ अनुचित विरोध या समर्थन | २ अन्याय । पक्षपाती - वि० [सं०] पक्षपात करने वाला ।
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पक्षवरदिनी
पगड़
पक्षवरबिनो-स्त्री० [सं०] एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय पर्यन्त | पखा-क्रि०वि० [स०पक्ष] १ ओर, तरफ । २ देखो 'पखावज' । __ रहने वाली द्वादशी ।
पखाउज-देखो 'पखावज'। -कार-'पखावजकार'। पक्षाघात-पु० [सं० पक्षाघात] शरीर का भाग बेकार कर देने | पखाउजि (जी)-देखो 'पखावजी'। वाला वात रोग।
| पखाघात-देखो 'पक्षाघात' । पक्षितीरथ-पु० [सं० पक्षितीर्थ] दक्षिण भारत की एक नदी। पखाचळ-वि० [सं० पक्ष + अचल] पक्ष को दृढ़ करने वाला। पक्षियो-पु० [सं० पक्षी] पक्षी, पंखेरू।
पखापखि, पखापखी-देखो 'पक्षपात' । पक्षिराज-पु० [सं०] १ गरुड़ । २ जटायु।
पखापत-वि० पक्ष करने या लेने वाला, पक्षपाती। पक्षी-वि० [सं० पक्षिन्] १ पंखो वाला, परों वाला । २ पक्षों | पखारणो (बो)-देखो 'पखाळणी' (बो)।
वाला । ३ पक्ष सम्पन्न । -पु०१ पंखों वाला प्राणी, पंछी, | पखाळ-पु० [सं० प्रक्षालनम्] १ स्नान, मज्जन । २ विरेचन, चिडियादि। २ मध्य ह्रस्व की मात्रा का माम। -राज-पु०
पु० जुलाब। गरुड़, जटायु ।
पखाल-स्त्री० ऊंट या मैंसे पर लाद कर, पानी ढोने की चमड़े पख-देखो 'पक्ष' ।
की बड़ी मश्क, थैली। पखग्रंधियार-देखो 'अंधारोपख' ।।
पखाळणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रक्षालनम्] १ बोना। २ धोकर पखइ, पखई-१ देखो 'पखं' । २ देखो 'पक्ष' ।
साफ करना । ३ स्नान करना । पखउ-१ देखो 'पक्ष' । २ देखो 'पखं'।
पखाळव-स्त्री० विचार-विमर्श । पखस्न-देखो 'क्रसरणपख'।
पखाळियौ, पखाळी-पु० १ 'पखाल' से पानी ढोने वाला पखघात-देखो 'पक्षाघात' ।
भिश्ती। २ पखाल' ढोने वाला पशु । पखरणपती-पु० [सं० पक्षिपति गरुड़ ।।
पखावज-पु० [सं० पक्ष + वाद्य] मृदंग से कुछ छोटा एक पखणी-स्त्री० [सं० पक्षिणी) १ रात्रि, निशा । २ मादा पक्षी। वाद्य। पखतरणि-पु० [सं० पक्ष तरणि] शुक्ल पक्ष ।
पखावजी-पु० [स० पक्षवाद्य] पखावज बजाने वाला। पखतूट-पु० [सं० पक्ष-त्रुटि] काव्य संबंधी एक दोष । पखि, पखी-वि० १ हितैषी, शुभेच्छु । २ समर्थक, पक्ष करने पखपाडो-पु० [सं० पक्षपत्] हीरे का एक दोष ।
वाला। ३ सहायक मददगार । ४ रक्षक, रक्षा करने वाला। पखपात-देखो 'पक्षपात' ।
५ पक्षपात करने वाला। -पु. १ मित्र, दोस्त । २ बगल पखर-देखो 'पाखर' ।
पाव । ३ बढ़ई का एक प्रौजार । ४ देखो 'पक्ष' । पखरणी (बी)-देखो 'पाखरणो' (बी)।
-क्रि०वि० पोर, तरफ। पखरण-देखो 'पाखर'।
पखीई, पखीइ (ई)-देखो 'पखं'। पखराणो (बी)-क्रि० हाथी व घोड़े को झूल या कवच धारण | पखोरणी-वि० [सं० पक्षिन्] (स्त्री० पखीणी) पक्ष का, पक्ष कराना।
संबधी। पखराळ-पु. १ पाखर से सज्जित घोड़ा या हाथी । २ घोड़ा। पख-देखो 'पखी'। ३ देखो 'पाखर'।
पखे, पखं पढ़-क्रि० वि० [सं० पक्ष, पक्षास्मिन्] १ मोर, पखराळो-वि० [सं०प्रख र] (स्त्री०पखराळी) १ पाखर संबंधी । तरफ । २ सिवा, अतिरिक्त । बनिस्पत, अपेक्षा । ३ बिना, २ पाखर युक्त । ३ देखो 'पख राळ' ।
प्रभाव में। पखराव-देखो 'पक्षिराज'।
पखंत-वि० पक्ष वाला। पखरावणो (बो)-देखो 'पखराणी' (बो) ।
पक्षपार-वि० प्रसीम, अपार। पखरेत, पखरत-वि० [सं०प्रखरेतस्] कवचधारी -पु. १ योद्धा, पखोळणी (बी)-देखो 'पखाळणी' (बो)। वीर । २ घोड़ा।
पखौ, परव-देखो 'पक्ष'। पखवाड़ो, पखवारौ-पु० [सं० पक्ष-पाटक] १ चन्द्र मास का ..
पग-पु० [सं० पदक] १ प्राणियों के शरीर का प्रमुख अंग कोई पक्ष । २ पन्द्रह दिन का समय ।
जिनसे चलने-फिरने की क्रिया होती है । २ उक्त अंग का पखवासउ-पु० [सं० पक्ष-वास] एक पक्ष की अवधि ।
चिह्न जो चलने फिरने से बनता है। ३ पद । ४ किसी पखाल-देखो 'पासाण' । -भेद = 'पासांणभेद' ।
वस्तु या उपकरण का पाया। ५ कदम । पखांणी-देखो 'पासणी'।
| पगड़-१ देखो 'पग' । २ देखो 'पाग'।
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पगड़ी
(
११
)
- पगो
पगड़ी-१ देखो 'पाग' । २ देखो 'पेडी'।
पगलियो-देखो 'पगल्यौ' । २ देखो 'पग' । पगड़ी-पु० [सं० प्रगे] १ उषाकाल, सवेरा । २ चौसर के | पगलू-१ पदचिह्न। २ देखो 'पग' ।
खेल में गोटियां रखने की क्रिया । ३ देखो 'पागड़ो' । पगलौ-पु. १ खड़ाऊ, पादुका । २ देखो 'पग' । ३ देखो 'पागल' ४ देखो 'पग'।
पगल्भ-देखो 'प्रगल्भ'। पगचंपणी, पगचंपी, पगचांपणी-स्त्री० १ हाथों से पांवों को पगल्यौ-पु० १ किसी देवता या पीर के, सोने, चांदी या पत्थर
धीरे-धीरे दबाने की क्रिया । २ सेवा शुश्रुषा । ३ खुशामद । आदि पर खुदे पद चिह्न। २ देखो 'पग' । पगछटो-वि० (स्त्री० पगछंटी) चुश्त, फुर्तीला।
पगल्ल, पगल्लौ-१ देखो 'पागल' । २ देखो 'पग' । पगडंडी, पगडांडी-स्त्री० [सं० पदक + दण्ड जंगल या पगवंदरण, पगवंदन-पु० [सं० पदवंदनम्] चरण स्पर्श करने ___मैदान में बना पतला व लम्बा रास्ता ।
की क्रिया । पगरणी (बौ)-क्रि० १ अनुरक्त होना, पासक्त होना । २ लीन | पगवट, पगवट्ट-पु० [सं० पद-वाट:] १ कदम रखने की क्रिया। होना।
२ पैदल चलने की क्रिया । पगत-क्रि०वि० नित्य ।
| पगवाव, पगवावड़ी-स्त्री [सं० पदक-वापिका] पेड़ियों वाली पगतरी-स्त्री० [स० पाद - तल] जूती।
___ वापिका । पगतळ, पगतळी, पगतळी-पु० [सं० पाद + तल] पांव का | पगवाही-वि० [सं० पदक-वह] पांव पैदल । तलुवा, पादतल ।
पगविण-पु० [सं० पद विहीन] सूर्य, रवि । प्रगतियो, पगत्यौ-देखो 'पगथियो' ।
पगसुख-पु० [सं० पद सुख] जूती, उपानह । पगथळी-देखो 'पगतळी' ।
पगह-देखो 'परग'। पगथियो, पथियो-पु० [सं०पदक+स्था] जीने की सीढ़ी, पेड़ी। | पगां-क्रि० वि० १ लिए. वास्ते । २ सामने, चौड़े में, प्रकट में । पगदासी-स्त्री० जूती।
पगाणी, पगांतियो, पगांती, पांत्यो, पगांथियौ, पाथी, पगधोई-स्त्री० १ शादी के अवसर पर वर के पिता के पांव | पगांथ्यौ-पु० [सं० पद-स्था] १ चारपाई का, पावों की धोने की एक प्रथा । २ मेवाड़ की एक नदी ।
तरफ रहने वाला भाग । २ सोते समय पैरों की तरफ पगपड़ण, पगपडण-पु० [सं० पदक + पतनम्] बधू द्वारा बड़ी वाला स्थान । बूढ़ियों के चरण स्पर्श की प्रथा या क्रिया ।
पगांम-देखो 'पैगांम'। पगपलोटण-पु० [सं० पाद-प्रलोटनम्] १ पांव दबाने की क्रिया | पगा-देखो 'पगां' । या भाव । २ पांव दबाने वाला।
पगाई-स्त्री० [सं० प्रकृति ] प्रकृति । (जैन) पगपांन-पु० [सं० पदक-पत्रम्] स्त्रियों के पैरों का आभूषण पगाणी (बौ)-क्रि० अनुरक्त करना, लीन करना। विशेष ।
पगार (रि)-पु० [सं० प्रकार] १ परकोटा, शहरपनाह । पगपांवड़ो (डो)-पु० १ किसी का स्वागत करने के लिये रास्ते २ मार्ग, रास्ता । ३ पराक्रम, शौर्य, बाहुबल । ४ छिछले में बिछाया जाने वाला वस्त्र । २ पायंदाज ।
पानी वाला जलाशय। ५ गढ़,किला। ६ रक्षा, पनाह । पगपाखर-पु० [सं० पदक-प्रखर] जूती।
७ वेतन। -वि० रक्षा करने वाला, रक्षक । पगपावटी-स्त्री० पैरों के बल पर चलाया जाने वाला रहट। पगावणी (बौ)-देखो पगाणो' (बी)। . पगफूटणी-स्त्री० पांवों का एक रोग ।
पगास-देखो 'प्रकास'। पगमड, पगमंडण, पगमंडणा-पु० [सं० पदक-मंडनम्]
पगि-देखो पग'। १ अतिथि के स्वागतार्थ बिछाया जाने वाला वस्त्र, |
| पगी-स्त्री० रहट में लगने वाली लकड़ी विशेष । पायंदाज । २ उक्त वस्त्र पर पांव रखते हुए चलने की |
पगे-देखो 'पगां'। क्रिया। ३ उक्त प्रकार से चलने से बनने वाला पदचिह्न। ।
पगेलो-वि० १ पांवों से चलने योग्य । २ पैदल चलने वाला।
३ पदयात्री। पगरकी, पगरको-देखो 'पगरखी' ।
पगोड़ो पगोठो-देखो ‘पगथियो । पगरखी-स्त्री० [सं० पद-रक्षिका] पांव की जूती।
पगोडौ-पु० स्वर्णकारों का एक उपकरण । पगरखौ-पु० जूते बानाने वालों से लिया जाने वाला कर
पगोतियो, पगोत्यौ, पगोथियो, पगोथ्यौ-देखो 'पगथियो । या टेक्स ।
पगौ-पु० १ रहट के स्तंभ के नीचे रहने वाला पत्थर । पगलड़ो-देखो 'पग'।
२ देखो 'पागौ'।
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पग
पड़वापोस
पग्ग-वेखो 'पग'।
होना । ७ मिलना, मिश्रण होना । - दशा या स्थिति में पग्गार-देखो 'पगार'।
परिवर्तन होना। 6 बनना। १० बीच में पाना, हस्तक्षेप पघड़, पधड़-१ देखो 'पाग'। २ देखो 'पग'।
करना, दखल देना। ११ झपट कर पाना, किसी पर पघड़ी-देखो 'पाग'।
टूटना, धावा बोलना। १२ स्वत: उत्पन्न होना । पर-स्त्री० [सं० पट] १ कपड़े पर चित्रित, किसी लोकनायक १३ होना, बनना। १४ विशेष परिस्थिति माना। ___ का जीवन चरित्र । २ देखो 'परड़' ।
१५ टिकना, पड़ाव डालना । १६ सोना, लेटना, विश्राम पड़काळ, पड़काळो-पु० १ घायलों को उठाने की डोली। करना। १७ घायल होकर गिरना वीरगति पाना। २ जीना, सीढ़ी ।
१८ मरना । १६ सयोग बनना। २० लगन लगना, चिन्ता पड़कोट, पड़कोटो-पु. [सं० परिकोट] परकोटा, शहर पनाह । होना । २१ उतरना, उतर कर अलग होना । २२ बंधन में पड़को-क्रि०वि० [सं० पत] पट्ट की ध्वनि करते हुए।
डाला जाना। २३ उपार्जन होना, लाभ होना । २४ सस्ती पडक्खणी (बी), पड़खणी (बी)-देखो 'पडखणी' (बी)।
या महगी पाना। २५ मिलना, प्राप्त होना । २६ उखड़ना, पखाऊ-वि० १ न कमाने वाला, कमा खाने में असमर्थ । ढहना। २ निठल्ला।
पड़त-स्त्री० [सं० पत] १ उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये खाली पड़गन-पु० [स० प्रतिग्रहण] वचन बद्धता।
छोड़ी हुई भूमि । २ किसी वस्तु की बिक्री दर, लागत । पड़गनौ-पु० [फा० पर्गन:] १ प्रान्त, जिला । २ तहसील । ३ दर, शरह । [सं० प्रति] ४ पुस्तक की प्रति, प्रतिलिपि । पड़गाहरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रतिग्रहण] १ कैद करना । | पड़तमाळ (माळी)-देखो 'प्रतिमाळ' । २ देखो 'पडगाहणौ' (बौ)।
पड़त-रा-खालड़ा-पु० जागीरदारों द्वारा किसानों से लिया पड़चंदौ-देखो 'पडचदौ'।
जाने वाला कर विशेष । । पड़चिवो-देखो 'पड़चौ' ।
पड़तळ -वि० निर्धन, कंगाल, असमर्थ । -पु. १ सामान सामग्री पड़ण, पाचून, पड़चूरण, पड़चून-स्त्री० [सं० प्रचूरिण] २ चारजामे के उपकरणों का समूह । ३ चारजामे के नीचे किराणा की परचूनी दुकान या व्यवसाय ।
का वस्त्र । ४ कृषि संबंधी उपकरण । ५ देखो 'पड़त' । पड़चौ-१ देखो 'पड़छौ' । २ देखो 'परची'।
पड़तळो-पु० [सं०परि-तन] १ तलवार का पट्टा । २ चपरास । पड़च्छ-देखो 'पड़छ' ।
पड़ताळ-स्त्री० [स० प्रति-भालनम् १ देखभाल, जांच, पड़च्छी-देखो 'पुड़छी'।
निगरानी। २ खोज, तलाश । ३ वनि, आवाज । पड़छदो-देखो 'पञ्चदौ'।
४ बौछार । ५ प्रहार, चोट । ६ छानबीन । पड़छ-स्त्री० १ ऊंट की एक चाल । २ घोड़े की एक चाल । | पडताळणी (बो)-क्रि० [सं० प्रताडनम्] १ जोश पूर्वक प्रागे ३ चौपाये का कदम । ४ देखो 'पुड़छी' ।
बढ़ाना, झोंकना। २ ध्वस करना, नष्ट करना । ३ पीटना, पड़छणी (बी)-देखो 'परछरणी' (बी)।
मारना । ४ पराजित करना, हराना । ५ भगाना, तेजी से पड़छाय, पड़छाव-स्त्री० [सं० प्रतिछाय] छाया। प्रतिछाया। चलाना। ६ खोजना, तलाश करना। ७ छान-बीन करना, परछाई।
जांच करना। पड़छी-स्त्री. १ घोड़े या ऊंट के चारजामे लगने में वाला एक | पड़ती-देखो 'पड़त' । उपकरण । २ देखो 'पुड़छी' । ३ झोली।
पड़द-स्त्री० [सं० पर्द:] खजूर ।
पडदड़ी, पड़दड़ो-पु० १ तलवार की म्यान या कोश । पड़छी-पु. १ लोहे का छोटा कड़ाहा । २ देखो 'परचौ'।
२ तलवार का पट्टा । परजांन-स्त्री०१ गांव या नगर के बाहर, कन्या पक्ष की ओर |
आर पड़दनी-स्त्री० कूए पर काम आने वाला चमड़े का एक उपकरण ___ से की जाने वाली बरात की अगवानी । २ सीमान्त पूजन ।
विशेष । पड़जानियौ-पु० उक्त प्रकार से अगवानी करने वाला व्यक्ति।
पड़दळी, पड़दळो-देखो 'पड़दड़ो' । पररणी (बी)-क्रि० [सं० पतनम्] १ ऊचे स्थान से नीचे
पड़दांनौ-स्त्री० रहट पर रखने की एक प्रस्तर शिला। धरातल पर गिरना, पतन होना । २ किसी वस्तु को किसी पात्र में डाला जाना, रखा जाना । ३ वृष्टि के रूप
पड़दाइत-देखो ‘पड़दायत'। में गिरमा । ४ उड़कर गिरना, फैलना, छितराना । | पड़वादी-पु० [सं०प्रपितामह ] (स्त्री०पड़दादी) पिता का दादा। ५ चोट या प्राघात होना । ६ प्रविष्ट होना समाहित | पड़दापोस-देखो 'परदापोस' ।
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पड़दापोस
पतर
पड़दापोस-देखो 'परदापोस' ।
पड़वज-पु० १ सहानुभूति, हमदर्दी । २ प्रतिउपकार । पड़दाबेगण-स्त्री० [फा०पर्दः बेगम] राजप्रासादों की सशस्त्र |
। -क्रि०वि० प्रति दिन, रोजाना । स्त्री पहरेदार।
पड़वा-स्त्री० [स० प्रति पदा] चन्द्र मास के प्रत्येक पक्ष की पड़दायत पड़दायतन-स्त्री० १ पर्दा रखने वाली स्त्री, परदे में प्रथम तिथि ।
रहने वाली स्त्री। २ राजा या सामतों की उपपत्नी पडवाचा, पड़वाचौ-पु० [सं० प्रति-वचन] उत्तर जवाब । रखैल । ३ पर्दा रखने की प्रथा ।
पड़वौ-पु० [सं० प्रतिपस्त्य] १ कच्ची छाजन का बना कक्ष । पडदार-पु० [फा० पर्दः दार] १ बादशाहों की जनानी ड्योढ़ी | २ रंग महल । ३ देखो 'पड़ह'।
पर पहरे का कार्य करने वाली एक मुसलमान जातिः। पड़सद, पडसह, पडसाद-पु० [सं० प्रति-शब्द] १ प्रति ध्वनि । २ इस जाति का व्यक्ति । ३ दरबान, द्वारपाल ।
२ घोर शब्द, जोर की ध्वनि । पड़दारू-पु० [फा० पर्दाज] चित्र की महीन रेखाएं।
| पडसाळ (साळा)-स्त्री० [सं० प्रति-शाला] मकान का एक पड़दावेगरण-देखो 'पड़दाबेगण' ।।
| कक्ष। पड़दो-स्त्री० [फा० पर्दी] १ किसी मकान, कक्ष या कोष्ठक | पडसूची (सूदी, सूधी)-देखो ‘पड़ दी' ।
के विभाग करने के लिये बीच में बनाई जाने वाली पतली | पड़हड़-देखो 'पटह' । दीवार या खड़ी लकड़ी । पार्टीशन । ताटी । पड़हार-देखो 'प्रतिहार'। [सं० परिधानो] २ वर-वधूके बीच में लगाने का पड़ह, पड़हौ-पु० [सं० पटह] १ सार्वजनिक घोषणा, डूडी। अन्तरपट । ३ एक प्रकार का बटुवा ।
२ देखो 'पटह' । पडदौ (द्दी-पु० [फा० पर्द:] १ पाड़ या प्रोट के लिये टांगा
पड़ाउ, पडाऊ-पु० [सं० पतित] पराजित सेना का रणक्षेत्र जाने वाला वस्त्र । २ चिक, टाट । ३ ढकने या छुपाने
में छोड़ा हुआ सामान । -वि० पड़ा हुआ। का वस्त्र । ४ घूघट पर्दा । ५ किसी बात प्रादि को छुपाने
| पड़ो, (बी)-कि० १ गिरवाना, पटकवाना । २ छिनवाना, की क्रिया। ६ व्यवधान, प्रोट, छिपाव । ७ अन्तःपुर,
झपटवाना । ३ बनवाना। ४ पात्र आदि में डलवाना । जनानखाना । ८ बच्चे को पालने में झुलाने का वस्त्र ।।
५ उखड़वाना । ६ चोट कराना, पिटवाना। ७ मिलवाना, ६ तह, परत । १० पतली दीवार, ताटी।
मिश्रण कराना। ८ मरवाना । ९ उपार्जन कराना । पड़धांन-देखो 'प्रधान' ।
पड़ापड़, पड़ापड़ी-स्त्री० [सं०पत्] १ पट-पट की लगातार होने पड़धानगी-देखो 'प्रधानगी' ।
वाली ध्वनि । २ लगातार होने वाले प्राघात । ३ पटाखे पड़नांनौ-पु० (स्त्री० पड़नांनी) माता का दादा ।
आदि की ध्वनि । पड़नाळ-देखो 'परनाल'।
पड़ाळ, पड़ाळा-स्त्री० [सं०पत्] टीबों के मध्य की भूमि ।
पड़ाव-पु० [सं० प्रत्यावास] १ यात्रा के बीच का अस्थाई पड़पड़ाणी (बौ)-क्रि० १ पड़पड़ शब्द करना। २ बकना बड़बड़ाना । ३ पपड़ी जमना।
विश्राम, ठहराव । २ उक्त प्रकार का विश्राम लेने का
स्थल । ३ यात्रियों के ठहरने का स्थान । पड़पड़ाट, पड़पड़ाहट-पु० १ पड़पड़ाने की क्रिया या शब्द ।
पड़ावणी (बो)-देखो 'पड़ाणी' (बी)। २ बड़बड़ाहट, बकवाद ।
पड़िआगळ, पडिमाळग-देखो 'पड़ियालग' । पड़परण-पु० [सं०परिपणम्] १ मूल पूजी । २ धन, दौलत,द्रव्य ।। पडिकमउ, पडिकमणा,(पौ)-देखो 'पडिकमण' ।
३ शक्ति, सामर्थ्य । ४ सहायता, मदद । ५ कूए के उपकरण पडिमा-देखो 'प्रतिमा' । विशेष ।
पडियागळ-देखो 'पडियालग' । पड़पणो (बी)-क्रि० १ पार पाना, जीतना । २ वश चलना ।
पडियार-देखो 'प्रतिहार'। ३ साथ निभाना, निर्वाह करना । ४ काम चलाना ।
पडित्ति-स्त्री० [सं० प्रतिपत्तिः] १ प्राप्ति, उपलब्धि । ५ मुकाबला करना।
२ ज्ञान । पड़पोतरी, पड़पोतो, पड़पोत्र, पड़पोत्री-देखो 'प्रपौत्र' ।
पड़िवा-देखो ‘पड़वा'। पड़प्पण-देखो ‘पड़पन'।
पडिहाइणौ (बो)-क्रि० व्याकुल होना, घबराना, परेशान होना। पड़फ्फरणौ (बो)-क्रि० वरण करना, वरना ।
पड़िहार-देखो 'प्रतिहार' । पड़भव-पु. प्रातः काल, सवेरा।
| पड़ तर (तर)-पु० [सं० प्रत्युत्तर] उत्तर, प्रत्युत्तर ।
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पड़ दी
पर्वत देखो 'पडत' ।
पोज देखो 'पोज' |
पड़ोटियो देखो 'पर' । पडोबी, पोछी-देखो 'पड़ दी।
पडोस-देखो 'पाटोस' |
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पड़वी स्त्री० मेदे व घी-शक्कर से बना एक पौष्टिक पदार्थ । पचपीर- पु० १ लोकदेवता । २ देखो 'पंचपीर' । पचपनी कनात पर्दा
।
पचमगियो पु० कंठ का एक ग्राभूषण ( मेवात ) ।
पचरंग पु० [सं०] १ पांच रंगों का समूह २ पांच रंगों की सामग्री । ३ देखो 'पचरंगी' ।
पचरंगी वि० [सं० पंचरंग] [स्त्री० पचरंगी) पांच रंगों का, पंचरंगा |
पराई स्त्री० [सं० पंच राजी) कावर व्यारकली, टिडी तुरई व बैंगन के मिश्रण का शाक ।
पचलड़ी पचड़ी - स्त्री० [सं० पच-लटिका ] पांच लड़ियों का हार. माला ।
(ब) देखो 'पिक' (बी)। - देखो 'पंचकल्याण' ।
( १४ )
पडोसी देखो 'पाड़ोसी' ।
पच पु० [सं० पच्] १ पाचन क्रिया । २ देखो 'पथ्य' । पचक - देखो 'पंचक' ।
,
पचव (ब) देखो 'पण' (दो)। पंचवीस-देखो पचीस'
पचकारी (बौ) - देखो 'पिचकारणी' ( बौ) ।
पचहतर देखो 'पिवंतर' |
पञ्चकूटी - पु० [सं० पञ्च- कुट्टनम् ] केर, कुंभट, सांगरी, श्रमचूर पांणु पचरण - वि० [सं० पंचनवति ] नब्बे व पांच पांच कम गुड़ आदि की मिश्रित सब्जी । सौ । - पु० नब्बे व पांच की संख्या, ९५ ।
parant (at), पचखरणी (बो) - क्रि० [सं० प्रत्याख्यानम् ] पंचांग 'क- वि० पचानवे के लगभग ।
छोड़ना, त्यागना ।
पखां पु० [सं० प्रत्याख्यान] १ त्याग, परहेज । २ दुष्कर्मों
के परित्याग का व्रत ।
खाली (बी) पचावल (बी) कि० [सं० प्रत्याख्यानम् ] छुड़ाना, परित्याग कराना ।
पच देखो 'पंच' ।
पचड़ो क्रि० [सं० पचनम् ] भट, बसेड़ा, प्रपंच, पेचीदा कार्य पण (मौ) - क्रि० [सं० पचनम् ] १ खाया हुआ पदार्थ पचना, हजम होता २ पाई हुई वस्तु या धन अपने पास ही रह जाना, वापस लौटाना न पड़ना । २ एक पदार्थ में दूसरा पदार्थं लीन होना । ४ अवैध रूप से धन कमाना । ५ पकना । ६ सामर्थ्य से बाहर कार्य करने का प्रयास
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पचीसमो
-
पचपनम (ब) वि० [सं० पंचपंचाशत्] १ पंचपन के स्थान वाला, पचपनवां । २ चोपन के बाद वाला । पचपन - g० [सं० पंचपंचाशत् ] पचपन की संख्या का वर्ष ।
पचांगम (ब)- वि० जिसका स्थान चौराणू के बाद हो, पचानवां । - पु० पचाणू का वर्ष । पचास (बी)फ० [सं० पचप्] १ हजम करना, पचाना २ ली हुई वस्तु या धन को लेकर न लौटाना, दबाकर रख लेना । ३ सहन करना, बर्दाश्त करना । ४ एक पदार्थ को दूसरे में लीन करना, मिलाना । ५ पकाना । ६ थकाना, हैरान करना । ७ क्षमता से बाहर का कार्य कराना ।
पचारली (बी) देखो 'पहाड़ी' (बो) । पचावणी (बी) देखो 'चा' (बौ पचावन- देखो 'पचपन' ।
पचावनौ - देखो 'पचपनौ ।
पचायो पु० बाजरी या स्वार धादि के सालों का तरतीब बार जमा हुआ लंबा व चौड़ा ढेर ।
पचास - वि० चालीस और दश, सौ का आधा ।
करना । पचदारी, पचधारी पु० १ दूध व मावे के योग से बना हलवा विशेष । २ एक प्रकार की मिठाई । पचपच - पु०
- पु० पचास की संख्या ५०
१ कीचड़ । २ पच पच शब्द करने की क्रिया । ३ पीप श्रादि भर जाने की अवस्था । ४ अधिक तरावट होने की अवस्था ।
पचासमौ (व) - वि० [स० पंचासम: ] पचास के स्थान वाला । पचासे'क - वि० [सं० पंचशत् ] पचास के लगभग । पचासौ पु० १ पचास का वर्ष । २ देखो 'पचावी' | पचीयत - पु० पश्चाताप
पचपच वि० [स्त्री० [पचपची) १ त घादि से तर व्यंजन २ गीला या कुछ पानीदार ।
पचपन - वि० [सं० पञ्च पञ्चाश ] पचास व पांच पु० पचास पनीर- पु० 'सुरणाई' वाद्य के मुंह पर लगा नारियल की खोपड़ी व पांच की संख्या, ५५ ।
का गोल खंड |
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पचीस - वि० [सं० पंचविंशति ] पांच और बीस, चौबीस व एक 1 - पु० पचीस की संख्या, २५ ।
पचीसमो (व) - वि० पचीस के स्थान वाला, पचीसवां ।
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पचीसिका
(
१५ )
पछिलउ
पचीसिका, पचीसी-स्त्री० [सं० पच विंशति] १ पचीस वस्तुओं पछतानो-देखो 'पछतावौ' ।
का समूह । २ पचीस छन्दों का काव्य संग्रह । ३ मनुष्य | पछतापो (बी)-क्रि० [स० पश्चाताप] १ पश्चाताप करना, जीवन के प्रारभ के पचीस वर्ष ।
अफसोस करना, खेद प्रगट करना । २ रंज करना । पचीसेक-वि० [सं० पंच विंशति] पचीस के लगभग । पछताप, पछतापो, पछताव-देखो ‘पछतावौ' । पचीसी-पु० [सं० पचविंशत्] पचीस का वर्ष ।
पछतावरणो (बौ)-देखो 'पछताणी' (बो)। पचेटो, पचोटो-पु० पांच गोली का एक खेल विशेष । पछतावो-पु० [सं० पश्चाताप] किसी बात पर रंज, खेद या पचोतर, पचोतरसौ-वि० [सं० पञ्चोतर] एक सौ व पांच । ____ मनस्ताप करने की क्रिया या भाव, पश्चाताप । -पु० उक्त संख्या का अंक, १०५ ।
पछम-देखो 'पच्छिम' । -घाट= पच्छिम-घाट' । पच्चंग-पु० [सं० प्रत्यङ्ग] प्रत्यंग (जैन)।
पछमाण-वि० १ पश्चिम का, पश्चिम संबधी । २ देखो पच्चखांण (खांणी)-देखो 'पचखांण' ।
___पच्छिम'। पच्चर-देखो' फाचर'।
पछलारी-वि० १ पाखिर का, अाखिरी । २ देखो 'पाछलो' । पच्चहिमाण-देखो 'पहिचाण, ।
पछलौ-देखो 'पाछलौ' । (स्त्री० पछली) पच्ची, पच्चीकारी-स्त्री० [सं० पचिता] १ जड़ाई या जमाई | पछवारण-१ देखो 'पछमाण' । २ देखो 'पच्छिम' ।
का कार्य । २ किसी धातु के पात्र प्रादि पर दूसरी धातु की पछवा-देखो 'पिछवा' । चित्रकारी आदि ।
पछवाई-स्त्री० [सं० पश्चात] १ सेना का पिछला भाग। पच्चीस-देखो 'पचीस' ।
२ इस भाग से युद्ध करने की क्रिया । ३ पिछला भाग । पच्चीसी-देखो 'पचीसी।
४ पीछे का कार्य । ५ पश्चिम की अोर की वायु, हवा । पच्छ-१ देखो 'पक्ष' । २ देखो 'पर्छ'।
पछवाड़ो-पु० [सं० पश्चात्+वाटः] पीछे का भाग। पीछे का पच्छम-देखो 'पच्छिम'।
प्रदेश । पच्छमी-वि० १ पश्चिम का, पश्चिम संबंधी । २ देखो
पछवाह-देखो 'पछवाई। __ 'पच्छिम' ।
पछाणणी(बो)-देखो 'पहचांरगणो' (बी)। पच्छवाण-देखो ‘पछेवारण'।
| पछाड़-स्त्री० [सं० पश्चात्-प्रहार] १ उठा कर पटकने की पच्छिम-पु० [सं० पश्चिम] १ पूर्व के सामने की दिशा । क्रिया या भाव । २ सहसा गिर पड़ने की क्रिया या भाव ।
२ पृथ्वी के पश्चिमी भाग में बसे देश। -घाट-पु० बंबई ३ मूछित होकर गिरने की क्रिया या भाव । के पश्चिम की ओर की पर्वतमाला।।
पछाड़णो, (बी)-क्रि० [सं० पश्चात् प्रहार] १ वध करना, पच्छिमि-वि० [सं० पश्चिमी] पश्चिम का, पश्चिम संबंधी ।
मारना, हनन करना । २ घात करना, वार करना । पच्छी-देखो 'पक्षी'।
३ पराजित करना, हराना । ४ मारना, पीटना। ५ जमीन पच्छेवाण-वि० [सं० पश्चात्-त्वन्] पीछे का, बाद का, | या शिला पर जोर से पटकना, मारना, पाछंटना । ६ कुश्ती पीछे वाला।
में गिराना, पटकना । ७ गिराना, पटकना । ८ मात देना । पच्छोकड़ो, पच्छोकडउ, पच्छोकडो-देखो 'पछोकड़ो' ।
पछाड़ी-स्त्री० [सं० पश्चात] १ पीछे का हिस्सा या पृष्ठ भाग । पच्यासियो-देखो "पिचियासियो' ।
२ घोड़े के पिछले पांव बांधने की रस्सी। ३ पंक्ति का सबसे पच्यासो-देखो पिचियासी'।
अतिम व्यक्ति। ४ बन्दूक छोड़ते समय लगने वाला कुदे पछंटणी (बौ)-देखो 'पछटणी' (बी)।
का झटका । ५ देखो 'पछाड़। -क्रि० वि० पीछे, पीछे पछ-पु० [सं० पथ्य] १ व्रत, संकल्प, प्रण । २ त्याग । ३ देखो | की अोर । ___ 'पथ्य' । ४ देखो 'पर्छ ।
पछाड़ीवाव-स्त्री० बन्दूक छोड़ते समय लगने वाला कुन्दे का पछइ-देखो पर्छ।
झटका पछट-स्त्री० १ तलवार, खड्ग । २ प्रहार, चोट । ३ पछाड़। | पछाडणौ (बो)-देखो 'पछाड़णी (बी) । पछटणी (बौ)-क्रि० १ तेज हांकना, तेज चलाना । २ पछाड़ना,
पछाताप, पछातापौ-देखो 'पछतावो' । जोर से पटकना । ३ प्रहार करना, मारना।
पछि-क्रि० वि० पश्चात, बाद में, पीछे । पछटी, पछट्ट, पछठ-देखो 'पछट'। पछट्टरपो (बी), पछठरणी (बी)-क्रि० १ भेजना, प्रेरित करना ।
पछिमी-१ देखो 'पच्छिम' । २ देखो 'पच्छिमी' । २ देखो ‘पछटणी' (बी)।
पछिलउ, पछिलो-देखो 'पाछलौ' । (स्त्री० पछिली)।
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पछिवांण
पछिवांण-देखो 'पछेवारण' ।
७ पीटना, मारना। ८ काबू में करना, वश में करना । पछीत-देखो 'पछीत'।
९ ठीक-ठीक समाहित करना। १० टक्कर लिराना, पछी-क्रि० वि० [सं० पश्चात्] १ बाद में, पश्चात्, तदनन्तर, भिड़वाना । ११ सम्पर्क कराना। १२ संबंध स्थापित कराना। पीछे । २ देखो 'पक्षी'।
पजाब-देखो 'पजावी'। पछीत, पछीतरा-स्त्री० मकान के कक्ष में, दीवार के सहारे पजावगर-पु० [फा०] मिट्टी की ईटें बनाने वाला व्यक्ति । ___ऊंची लगाई जाने वाली पत्थर की पट्टी, टांड । पजावणी (बौ)-देखो 'पजाणी' (बो)। पर्छ, पछे-देखो ‘पर्छ'।
पजावी-पु० [फा० पजावः] मिट्टी की ईटें या खड्डी का, घास-फूस पछेडलु (लू), पछेडलु (लू)-वि. (स्त्री० पछेड़ली) १ बाद का, या कंडों में पकाने के लिये, जमाया हुमा ढेर । पश्चात का। २ पीछे का।
पण, पजूरण, पजूसरण-देखो 'परयू सण'। पछेड़ी-देखो 'पछेवड़ी'।
पजोणी (बो), पजोवरणों (बौ)-क्रि० प्राप्त करना । पछली-स्त्री. १ स्त्रियों के हाथ का एक आभूषण विशेष । पज्ज-पु० [सं० पद्य] मार्ग, रास्ता। २ विधवा स्त्री के हाथ का आभूषण (मेवात)।
पज्जण-पु० [सं० पर्जन्य] १ वर्षा का बादल (जैन)। २ इन्द्र । पछवड़ी-स्त्री० [सं० प्रच्छदः] १ मोटे सूती कपड़े की चादर, | पज्जत, पज्जत्त-वि० [सं० पर्याप्त] १ परिपूर्ण मात्रा में, पूर्ण ।
चद्दर । २ मोटे कपड़े का थान। ३ पगड़ी पर बांधने का | २ सम्पूर्ण । ३ समर्थ, शक्तिशाली । ४ यथेष्ट (जैन)। वस्त्र विशेष । ४ सिरोपाव में पगड़ी के साथ दिया जाने | पज्जत्ता-स्त्री० [सं० पर्याप्त सम्पूर्णता, पूर्णता। वाला वस्त्र । ५ स्री संघ द्वारा पूज्य पाट पर प्रासीन पज्जत्ति-स्त्री० [सं० पर्याप्ति] १ पुद्गलों को ग्रहण करने की करते समय प्रोढ़ाया जाने वाला श्वेत वस्त्र (जैन)। शक्ति । २ शक्ति, सामर्थ्य । ६ देखो 'पछेवड़ो'।
पज्जव-पु० [सं० पर्यव] १ परिच्छेद, निर्णय (जैन)। पछेवड़, पछेवड़, पछेवड़, पछेवड़ो, पछेवडो-पु० [सं० प्रच्छदः २ विशेषता (जैन)। ३ द्रव्य और गुण का रूपान्तर (जैन)
+ पट:] १ प्रायः सफेद रंग का, प्रोढ़ने का वस्त्र । ४ पर्याय। २ सफेद चादर । चद्दर।
पज्जूसरण, पज्जोसवरण, पज्जोसवणा-देखो 'परघ सण' । पछेवाण, पछेवाणि-क्रि०वि० पीछे की ओर ।
पज्झटिका-स्त्री० [सं० पद्धटिका] एक प्रकार का मात्रिक छन्द । पर्छ, पछ-क्रि०वि० [सं० पश्चात्] १ बाद में, तदुपरांत, | पटंगय-स्त्री० एक राग विशेष । तदनन्तर, पीछे । २ फिर । ३ अन्त में।
पटतर-पु० [सं०] १ गूढ़ विषय, गोप्य बात, रहस्य की बात । पछोकड़ो, पछोकडउ, पछोकडो-पु० [सं० पश्चादोक] पीछे का २ भेदोपभेद । ३ पार्थक्य, पृथकत्व, अलगाव । ४ सादृश्य ___ स्थान, पीठ का स्थान ।
कथन । उपम । ५ समानता, सादृश्य । ६ परिवर्तन । पछोड़ी (डी)-देखो 'पछेवड़ी' ।
पटतरह (रो)-स्त्री० १ पाट बैठते समय प्रोढ़ाई जाने वाली पछोपों, पछोपौ-देखो 'पाछोपौ।
चादर । २ प्राचार्य के पाट या गादी पर बैठाया जाने वाला
दूसरा व्यक्ति। पजणी (बी)-क्रि० [सं० प्रजुडनम्] १ बंधन में माना, पकड़ में
पटंबर-पु० [सं०] १ कोशेय, रेशमी वस्त्र । २ वस्त्र, कपड़ा। माना । २ उलझन में प्राना, परेशानी में पड़ना । ३ घुसना,
३ कपटता, धूर्तता । ४ गुप्त भेद । ५ गोप्य विषय । प्रविष्ट होना। ४ घुसकर फंस जाना, अटक जाना, अड़
पटबरि, पटंबरी-वि० १ कपट करने वाला, धुर्त । २ देखो जाना । ५ ठसाया जाना । ६ जड़ा जाना । ७ पीटा जाना,
'पटंबर'। मारा जाना । ८ काबू में प्राना, वश में पाना । ६ ठीक
परबरौ-देखो ‘पटंबर'। ठीक समाहित होना । १० टक्कर लेना, टकराना, भिड़ना। ११ सम्पर्क करना, संबंध स्थापित करना ।
पट-पु० [सं०] १ वस्त्र, कपड़ा । २ महीन वस्त्र । ३ कपाट,
किंवाड़। ४ पर्दा । ५ पालकी के दरवाजे का कपाट । पजामो-देखो 'पाजामौ'।
६ चित्रांकित करने का पत्र या गत्ता। ७ जगन्नाथ, पजाऔ-देखो 'पजावी'।
बद्रीनाथ आदि का चित्र । ८ नदी तट, किनारा । पजाणो (बी)-क्रि० [सं० प्रजोडनम्] १ बंधन में डालना, पकड़ ९ शकट या गाड़ी पर लगाने का छप्पर । १० छत, छाजन ।
में लाना। २ उलझन में डालना, परेशानी में पटकना। ११ कुश्ती का एक पेच । १२ किसी वस्तु के गिरने से ३ घुसाना, प्रविष्ट करना। ४ घुसा कर फंसाना । उत्पन्न 'पट' ध्वनि । १३ नाश, ध्वंस। -क्रि०वि० अटकाना, अड़ाना। ५ ठसाना, ठूसना। ६ जड़ना।। १ शीघ्र, तुरंत, झट । २ देखो 'पट्ट' ।
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पटराशि
( १७ )
पटह
देना।
पटति, पटउडी-देखो 'पटकुटी'।
पटणी (बी)-क्रि० [सं० पत् १ वसूल होना, प्राप्त होना। पटउलउ, पटउलड़ी (बी), पटउली, पटउलीय, पटउलौ-देखो २ मन मिलना, संबंधों का निर्वाह होना । ३ सौदा तय 'पटकूल' ।
होना, समझौता होना । ४ गड्ढ़ा या कूप प्रादि का पट पटौ-देखो 'पटवौं'।
जाना, बुर जाना, भर जाना। ५ छा जाना, फैल जाना, पटक-स्त्री० [सं० पत्] १ पराजय, हार । २ पछाड़, पटकी। भर जाना, बिछ जाना। ६ धंसना, प्रविष्ट होना, घुसना । पटकरणी (बी)-क्रि० [सं०पत्] १ किसी वस्तु को ऊपर से नीचे ७ अजित होना।
डालना, पटकना। २ अधिक व्यय या दान करना। पटतर-देखो 'पटतर'। ३ पहनाना, धारण कराना। ४ फेंकना, उछालना, पटताळ-पु० [सं० पट्टताल] मृदंग की एक ताल । गिराना । ५ व्याप्त करना, फैलाना । ६ करना, पटधारी-वि० [सं०] वस्त्र धारी। बनाना, सौंपना। ७ पछाड़ना, गिराना। ८ निकालना, | पटन-देखो 'पट्टण' । छोड़ना । ६ खड़े हुए, रखे हुए या जमाये हुए पदार्थ को पटपड़ी-पु. १ मस्तक, शिर । २ 'चूनगरों' का एक उपकरण । जमीन पर गिराना, फैलाना, डालना । १० गिरा देना, पटपाटु-पु. एक प्रकार का बढ़िया वस्त्र । खो देना । ११ बलात् कहीं रख देना ।
पटपोरी-पु. सूती या तंबाखू की डिब्बी को खोलने से पूर्व पटकाणी (बी)-क्रि० १ ऊपर से नीचे डलवाना, पटकाना । | अंगुली से झाड़ने की क्रिया या भाव ।
२ अधिक व्यय या दान कराना। ३ धारण करवाना। पटमंजरी-स्त्री० [सं०] सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी। ४ फेंकाना, उछलवाना। ५ व्याप्त कराना, फैलवाना, पटमंडप-पु० [सं०] तंबू, खेमा । ६ करवाना, बनवाना, सौंपवाना। ७ पछाड़ दिराना। पटरंगणा (ना)-पु. विवाहोपरान्त वर-वधू से खेलाया जाने गिरवाना । ८ निकलवाना, छोड़ाना । ९ खड़े या । वाला एक खेल। जमाये हुए को जमीन पर गिरवाना, फैलवाना, डलवाना। पटरांणी, पटरागणि (पी, नी)-देखो 'पट्टराणी' । १० गिरवा देना, गुम करा देना । ११ बलात् कहीं रखवा | पटरी-१ देखो ‘पट्टी' । २ देखो 'पाटी'। .
पटळ, पटल-पु० [सं० पटलम्] १ मकान की छत, छाजन, पटकाय-पु० [सं० पटकारः] १ कपड़ा बुनने वाला, जुलाहा,
छप्पर । २ पर्दा, प्रावरण। ३ माड़। ४ ढेर, अंबार । ततुकाय । २ चित्रकार।
५ समूह, झुण्ड । ६ प्रांख का मोतियाविंद रोग । ७ देखो पटकावरणौ (यो)-देखो 'पटकाणी' (बौ)।
"पिटल'। पटकी-स्त्री० [सं० पत्] १ वज्राघात, बिजली, विद्युत । पटलि, पटली-स्त्री. १ धोती या साड़ी के पल्लू की छोटी
२ वज, इन्द्र का अस्त्र । ३ भयंकर माफत । ४ कुश्ती का | छोटी तहें जो नाभि के नीचे खोंसी जाती हैं । २ इसी तरह एक दाव।
पोढ़नी के पल्लू की तहें। ३ मोटाई, मोटापन । परफुटी-स्त्री. छोटा तंबू, खेमा, छोलदारी।
४ देखो 'पटी'। पटकूळ-पु० [सं० पट्ट-दुकूल] १ वस्त्र, कपड़ा। २ रेशमी वस्त्र,
| पटवाय-पु० [सं०] झांझ से मिलता-जुलता एक वाद्य । कपड़ा । ३ दुपट्टा।
पटवार, पटवारगिरी-स्त्री० [सं० पट्ट-कार] पटवारी का कार्य, पटक्करणो (बो)-देखो पटकणो' (बी)।
पद या पारिश्रमिक। पटड़ियो-१ देखो 'पाटौ' । २ देखो 'पद्रो'। ३ देखो 'पटियो' ।
पटवारी-पु० [सं० पट्ट-कार] राजस्व विभाग का एक कर्मचारी पटड़ी-१ देखो 'पट्टी' । २ देखो 'पाटी'।
जो कृषि भूमि के लगान वसूली मादि का कार्य करता है। पटड़ो-१ देखो 'पट्टो' । २ देखो 'पाटो' ।
पटवौ-पु० (स्त्री० पटवी) हार आदि गूथने का कार्य करने पटवर-पु० [सं० पटच्चर] चोर ।
वाला व्यक्ति। पटवार-पु० [सं० पटचार] वस्त्र, कपड़ा।
पटसन-पु० एक पौधा जिसके रेसों से टाट सूतली मादि पटभर-देखो 'पटाझर'।
बनते हैं। पटण-देखो 'पट्टण'।
पटसाळ-स्त्री० [सं० ठ-शाला] मकान के पृष्ठ भाग में बनी पटरपी-स्त्री० एक बहुमूल्य वस्त्र विशेष ।
शाला, कक्ष। पटगीतेग-स्त्री. एक प्रकार की तलवार ।
पटह-पु. [सं० पटहः] १ दुन्दुभी, नगाड़ा। २ बड़ा ढोल । पटणी-पु. [सं० पट्टन] पाटलीपुत्र ।
३ प्रथम गुरु ढगण का एक भेद ।
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पटहत्य
पटोळी
पटहत्य (हष, हस्ती)-पु० [सं० पट्ट-हस्ती] १ राजा की सवारी बना पतला मार्ग। ४ काष्ठ की पतली तख्ती। ५ देखो ___ का मुख्य हाथी । २ हाथी, गज । ३ खड्गधारी योद्धा। 'पट्टी' । पटहोड, पटहोगउ, पटहोडो-पु० घोड़ा, अश्व ।
पटीड़णौ (बो)-क्रि० फट-फट मारना । पटांतर, पटांतह-अव्य० [सं० प्रत्यन्तर] प्रत्यन्तर ।
पटीदारी-देखो 'पट्टीदारी'। पटांसुक-पु० [सं० पटांशुक] एक प्रकार का वस्त्र या पहनावा। पटु-वि० [सं०] १ चतुर, निपुण, दक्ष । २ चालाक, धूतं, पटाइत-देखो 'पटायत'।
। मक्कार । ३ स्वस्थ, निरोग। ४ तीक्ष्ण, तेज । ५ चरपरा, पटाई-स्त्री० [सं०] १ पटाने की क्रिया या भाव । २ वसूली तीता। ६ कुशाग्र बुद्धि । -पु० प्रोढ़ने का ऊनी वस्त्र ।
प्राप्ति । ३ पाटने की क्रिया । ४ पाटने का पारिश्रमिक। पटुनौ-देखो 'पटवो' । पटाक-अव्य० १ शीघ्र, तुरन्त । २ 'पट' की ध्वनि करता हुआ। पटुडो-देखो ‘पटु'। पटाको, पटाखो-पु० १ आतिशबाजी, बारूद की गोली। पटुता-स्त्री० [सं०] १ चतुराई, निपुणता, दक्षता । २ चालाकी, २ फट-फट आवाज करने वाला।
धूर्तता, मक्कारी । ३ स्वस्थता, निरोगता । ४ तीक्ष्णता। पटाझर-पु० [सं० पट्ट-झर] १ मस्त हाथी। २ हाथी गज । ५ चरपराहट । ६ कुशाग्रता । ३. सिंह, शेर।
पटुलडी-देखो 'पटकूळ' । स्टाणी (बो)-क्रि० १ वसूली करना, प्राप्त करना । २ अपने | पटुलडो-देखो 'पटुलौ' ।
कार्य के लिए किसी को राजी करना, अपने पक्ष में करना। पटुली-देखो 'पटोली'। ३ परस्पर समानता कराना। ४ ते कराना, सौदा कराना । | पटूली-१ देखो 'पटोलो' । २ देखो 'पटु'। ५ कूप, गड्ढे प्रादि को पटवाना, बराबर कराना, | पदवी-देखो 'पटवौं'। भरवा देना । ६ पाच्छादित कराना। ७ ध्वस्त या नष्ट | पदक, पटूडो-देखो 'पटु' । कराना । धसाना, प्रविष्ट कराना।
पटेत-देखो 'पटत'। पटाधर-वि० [सं० पट्ट-धारी] वह जिसके पास पट्टा हो। पटेपड़ी-देखो 'पाटेपड़ी। पु. १ जागीरदार । २ सामन्त । ३ हाथी । ४ सिंह।
पटेबाज-देखो पटैबाज'। पटापांन-स्त्री० एक प्रकार की तलवार ।
पटेल-१ देखो 'पिटल' । २ देखो 'पटैल'। पटाबधाई-देखो 'पाटाबंधाई'।
पटेली-स्त्री० श्वेत व काली लकीरों वाली बकरी। पटाबाज-देखो 'पटबाज'।
पटत, पटतिय--पु० १ सिंह । २ सिंहों की एक जाति । ३ योद्धा, पटायत-पु० १ जागीरदार, सामन्त । २ पट्टे का अधिकारी। | वीर । ४ पटबाज । पटाळ-वि० १ पट्टदार बालों की गर्दन वाला। २ पट्ट खेलने | पटेबाज-वि० १ पट्टा खेलने वाला, पट्टे से लड़ने वाला।
वाला । -पु. १ लंबे बालों वाला व्यक्ति। २ हाथी। २ धूर्त, चालाक। ३ व्यभिचारी। ३ शेर, सिंह । ४ ऊंट । ५ जागीरदार, सामंत ।
पटेल-वि० १ शिर या गर्दन पर बालों वाला। २ पट्टाबाज । पटालय-पु० [सं० पटः प्रालय] खेमा, तम्बू ।
-पु. १ लम्बे बालों वाला व्यक्ति । २ सिंह की एक पटाळो-देखो 'पटाळ' ।
जाति या इस जाति का सिंह। ३ शिर पर बालों वाला पटावणी (बो)-देखो ‘पटाणी' (बो)।
भयंकर सर्प । ४ सिंह, शेर । ५ ऊंट । ६ हाथी । ७ वीर, पटावळी-देखो 'पट्टावळी'।
योद्धा। ८ पट्टा अधिकारी। ९ जागीरदार, सामंत । पटासी-स्त्री० लकड़ी छीलने का मौजार ।
१० स्वामी, मालिक । ११ देखो "पिटल' । पटियार-स्त्री० १ विवाह योग्य कन्या को पाट पर (बाने) | पटोधर, पटोधरु-देखो 'पाटोधर'।। बैठाने की प्रथा । २ देखो ‘पठियार' । ३ देखो 'पटियारी' ।
पटोळ, पटोलड़ी-पु० [सं० पटोल:] १. परवल की लता व पटियारी-स्त्री• बकरी के बालों का दरीनुमा बना मोटा वस्त्र । उसका फल । २ कड़वी तोरू ३ देखो 'पटोळी' । पटियो-पु० [सं० पट्टः] १ स्त्रियों का एक कंठाभरण । ४ देखो 'पटोली'।
२ बकरी के बालों से बनी मोटी दरी। ३ देखो 'पट्टो'। पटोलि, पटोली-स्त्री० साड़ी। ४ देखो 'पटौ'।
| पटोळी (लो)-पु० १ वस्त्र, कपड़ा। २ लहंगा। ३ रेशमी पटी-स्त्री० [सं० पट्टी] १ सड़क के दोनों प्रोर पैदल चलने का। वस्त्र। ४ गेहूँ या बाजरी के प्राटे का बना एक पेय
पक्का मार्ग, फुटपाथ । २ रेल मार्ग। ३ क्यारों के पास | पदार्थ ।
लहगा। ३ रेशमी
वा ४ गेहूँ या बाजरी
। ३ क्यारों के पास
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पटो
पडंग
पदा
पटौ-पु० [सं० पट्टः] १ राजा या शासक द्वारा प्रदत्त भूमि | पट्टत-देखो 'पटत' ।
संबंधी अधिकार पत्र, पट्टा । २ किसी सामन्त को किसी | पट्ट दार-वि० जागीरदार, सामंत, भूमि का मालिक । जागीर के संबंध में दिया गया अधिकार-पत्र । ३ जागीर । | पट्टोळो-देखो 'पटोळी' । ४ स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । ५ घोड़े के मस्तक | पट्टो-पु० [सं० पट्ट] १ भूमि या मकान का अधिकार पत्र । का प्राभूषण । ६ चपड़ास । ७ चपड़ास टांगने की चमड़े
पट्टा । २ मशीन का पट्टा, मोटा फीता। ३ कमरबंद । की पट्टी। ८ कमरबंद, पट्टा। ९ पुरुषों के शिर के लम्बे ४ वर या वधू के ललाट पर लगाई जाने वाली चमकी। बाल । १० शेर, ऊट, हाथी के गर्दन के बाल । ११ ऊंट, ५ राजा द्वारा दिया जाने वाला भूमि के स्वामित्व का हाथी प्रादि का मद । १२ एक प्रकार की छोटी तलवार । अधिकार पत्र । (प्राचीन) १३ शस्त्र विद्या संबधी खेल । १४ कसीदे की जूती पर | पाण-देखो 'पठाण'। लगने वाला रेशमी वस्त्र । १५ देखो 'पाटो'।
| पट्ठी-वि० [सं० पुष्ठ] (स्त्री० पटठी) १ नवयुवक, तरुण । पट्टतरु-देखो 'पटंतर'।
२ पुष्ठ शरीर वाला। ३ कुश्तीबाज । -पु०१ कुश्ती का पट्ट-पु० [सं०] १ लिखने की तख्ती, सलेट । २ किसी वस्तु
खिलाड़ी, नया पहलवान । २ मांस पेशियों को परस्पर का चौरस या चपटा तल-भाग । ३ रेशम । ४ महीन बांधने वाला तंतु । ३ कमर प्रौर जांघ के जोड़ का वस्त्र । ५ मुकुट । ६ राज सिंहासन, तख्त । ७ धड़ का स्थान । कवच । ८ ढाल । ६ घाव पर बांधने की पट्टी । १० चौरस | पठंग (गो)-पु० [सं० पृष्ठ-अंग] सहारा, मदद । व चपटा भूमि तल । ११ देखो ‘पट'। १२ देखो 'पाट'।।
पठ-पु० [सं० पठ्] १ पढ़ना क्रिया या भाव । २ देखो 'पाट' । १३ देखो 'पाटी'।
पठड़ी-देखो 'पाठ'। पट्टकूळ-देखो 'पट्टदुकूळ' ।
पठणी (बी)-क्रि० भेजना । पट्टझर-देखो पटाझर'।
पठन-पु० [सं० पठ्] १ पढ़ने की क्रिया। २ बहत्तर कलामों पट्टडी-१ देखो 'पट्टी' । २ देखो 'पाटी'।
में से एक । पट्टण, पट्टन-पु० [सं० पट्टन] नगर, कस्बा।
पठमंजरी-स्त्री० एक रागिनी विशेष । पट्टदुकूळ -पु० [सं० पट्टदुकूल] १ रेशम का वस्त्र । २ वस्त्र, पठसाळ-देखो 'पठाळ'। कपड़ा । ३ पटकूल ।
पठाण-पु० [फा० पुरुतोना] (स्त्री० पठाणी) अफगानिस्तान पट्टप-देखो पाटप'।
व पाकिस्तान की सीमा पर बसने वाली एक मुसलमान पट्टयकुमार-पु. [सं०] ज्येष्ठ कुमार, युवराज ।
जाति व इस जाति व्यक्ति। . पट्टरांणी-स्त्री० [सं० पट्ट-राज्ञी] राजा की प्रधान रानी।
पठाणी-वि० [फा० पुख्तोना] पठान का, पठान संबंधी । पट्टसिखर-पु० [सं० पट्ट-शिखर] शिर का एक प्राभूषण विशेष । -स्त्री० पठान जाति की स्त्री। पट्टहरी, पट्टहीर-पु. एक प्रकार का रेशमी वस्त्र ।
पठाणीलोद (लोध)-पु० [सं० पट्टिकालोध्र] एक प्रकार का पट्टाझर-देखो 'पटाझर'।
वृक्ष जिसकी छाल प्रादि औषधि में काम पाते हैं। पट्टाबींटी, पट्टावींटी-स्त्री० [सं० पट्ट-मावेष्टनम्] पाणिग्रहण | पठाणी (बो)-क्रि० [सं० प्रस्थान] भेजना, रवाना करना,
से पूर्व वर की अोर से वधू को पहनाई जाने वाली चांदी विदा करना। की मुद्रिका।
पठार-पु० [सं० पृष्ठ + धार] ऊंची व पहाड़ी समतल भूमि । पट्टायत-देखो 'पटायत ।
पठाळ-स्त्री० [सं० पृष्ठशाला] बरामदा। पट्टावळि, पट्टावळी-स्त्री० [सं० पट्ट-प्रवली] पाट परम्परा, | पठावडी-स्त्री० [सं० पट्ट-प्रवली] पेट पर सफेद दाग वाली ___ गुरु परम्परा । (जैन)
बकरी। पट्टिस-पु० [सं० पट्टिश] एक प्रकार का भाला ।
पठावणी (बी)-देखो 'पठाणी' (बी)। पट्टी-स्त्री० [सं०] १ घोड़े की तेज चाल । २ तेज दौड़। पठिक-देखो 'पाठक'।
३ घोड़े का तंग । ४ लम्बा व पतला पत्थर जो मकान की पठित-वि० [सं०] १ पढ़ा हुआ । २ शिक्षित । छाजन में रखा जाता है। ५ वस्त्र का पतला लंबा खण्ड । पठौ-देखो 'पट्ठो'। (स्त्री० पठ्ठी) ६ सूती या ऊनी वस्त्र की धज्जी। ७ कोई भू-भाग या पडंग-पु० [सं० पतंग] १ पक्षी, चिड़िया । २ पतंगा, जीव । प्रदेश । ८ मूर्तियों का संचा। ९ देखो 'पटी'। १० देखो ३ टिड्डी। 'पाटी'।
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पडखरणों
पढ़ायो
उत्तर ।
पडखणी (बी)-क्रि० [सं० प्रतीक्षा] प्रतीक्षा करना, इन्तजार | पडिमाधारी-वि० प्रतिमाधारी। करना।
पडियाळ, पडियाळग, पडियालग, पडियालगि-स्त्री० १ तलवार । पडगन-देखो 'पड़गन' ।
२ कटारी। पडगौरव-स्त्री. विवाहोपरान्त वधू पक्ष की अोर से दिया | पडिल-देखो 'पिटल' । जाने वाला भोज । (श्रीमाली)
पडिलेहरण, पडिलेहणा, पडिलेहा, पडिलेही, पडिलेह.या-स्त्री. पउधारव-स्त्री० ध्वनि, आवाज ।
[सं० प्रतिलेखन] दैनिक उपयोग के पात्र, वस्त्र प्रादि पउचंबो-पु० [सं० प्रति-चंद] प्रतिबिंब ।
का पूर्वावलोकन। पाच-देखो 'पड़छ।
पडिवजणी, (बी)-क्रि० [सं० प्रतिपद्यते] स्वीकार करना । परणी (बी)-१ देखो 'पड़णी' (बी)। २ देखो 'पढ़णी(बी)। पडिया-वि० [सं० प्रतिपद] स्पष्ट, उचित । पत्यागळ, पख्याळ (ल)-देखो 'पडियालग' ।
पडिहाइपो, (बी)-क्रि० [सं० प्रति भांति] १ भयभीत होना, पडरेट-पु. मैंस का बच्चा ।
डरना। २ दिखाई देना । ३ प्रकट होना । ४ यार या पडळी (लो)-पु० [सं० पटल] १ गणेश पूजन की सामग्री ।।
कटिबद्ध होगा। २ इस सामग्री के साथ वर पक्ष की ओर से लाया जाने | पडिहार, पडिहाक, पडिहारो-देखो 'प्रतिहार'। वाला सामान ।
पडीवा-देखो 'पड़वा'। पडवज -पु० सहानुभूति, हमदर्दी ।
पडु-पु० खलिहान में अनाज के ढेर में खड़ा किया जाने वाला पडवाणी (बी)-क्रि० [सं० प्रतिपधध्वम्] १ माशंका करना । ____ लकड़ी का लट्ठा। २ डरना । ३ समझना । ४ बोध होना।
पडुतर (तर)-पु० [सं० प्रत्युत्तर] उत्तर, जवाब, उत्तर का पडसूदी, पडसूधी-देखो ‘पड़ दी' । पह, पडहउ-देखो 'पटह' ।
पहूचउ-पु० [सं० प्रतिभाव्यम्] प्रति भाव्य ।
पडूछरणी (बी)-क्रि० [सं० प्रतिपच्छति] गुरु से पूछ कर कार्य पडाउ (क)-देखो ‘पड़ाऊ' ।
करना। पडाग-स्त्री० पताका।
पडूवी, (धी)-देखो ‘पड़ दी । पडायो-पु० घास-फूस का बना छोटा-मकान ।
पडूर पडूरि-पु० [सं० प्रचुर] अधिक, बहुत । पडाळ-स्त्री० धोरे के नीचे की भूमि ।
पडेरौ-पु० डेरा, खेमा, शिविर । पडाव-पु० [देश॰] १ गर्व, घमण्ड । २ अहसान ।
पडोज-पु० सहानुभूति, हमदर्दी, शिष्टाचार । ३ देखो 'पड़ाव'।
पडोटियो-पु. छोटा चितकबरा सर्प । पडि-पु० [सं० प्रति] युद्ध।
पडोसी, पडोसु- देखो 'पाड़ोसी' । पडिमागळ, पडियालग-देखो 'पडियालग' ।
पडो-देखो 'पाडौं। पडिआर-देखो 'प्रतिहार' ।
पढ़णी-स्त्री० [सं० पठ्] १ पढ़ने की क्रिया या भाव । पढ़ाई । पडिकमह, पडिकमण, पडिकमणउ, परिकमणा, परिकम,
| २ पढ़ने का ढंग। ३ छंद पाठ या छद पाठ की ध्वनि । परिकमणो, पडिक्कमणा, पडिक्कमणी-पु० [सं० प्रतिक्रमण,
पढ़रणी (बी)-क्रि० [सं० पठनं] १ लिखावट को देख कर प्रतिकर्मण] १ अशुभ योग में गये पुरुष का शुभ योगों में
समझना, पढ़ना । २ लिखावट के अनुसार बोलना, भाने की क्रिया (जैन)। २ प्रतिकार, बदला। ३ जवाबी
उच्चारण करना । ३ उच्चारण करमा, मंत्रोच्चार करना। कार्य या कर्म । ४ अंग कर्म ।
४ पढ़ाई करना, अध्ययन करना, शिक्षा ग्रहण करना। पडिगरिउ-वि० [सं० प्रतिजागृत] सचेत, सावधान ।
५ रटना, रटाई करना । ६ सीखना। काव्य पाठ करना । परिगाहण-वि० नाश करने वाला, विध्वंस करने वाला।
पढ़म-देखो 'प्रथम'। परिपुन्न-वि० [सं० प्रतिपन्न] पूर्ण, पूरा ।
पढ़ाई-स्त्री० [सं० पठनम्] १ विद्याध्ययन, अध्ययन । २ पढ़ने पडिबिंद-देखो 'प्रतिबिंब'।
की क्रिया या भाव । ३ पढ़ाई के लिये व्यय किया जाने पडिबोध (बोह)-देखो 'प्रतिबोध' ।
वाला धन । ४ शैली। ५ पढ़ाने का पारिश्रमिक । पडियोहणौ (बो)-देखो 'प्रतिबोधणो' (वी)।
पढ़ारणी, (बी), पढ़ावणो (बी)-क्रि० १ लिखावट को दिखाकर पतिमा-देखो 'प्रतिमा'।
समझाना, पढ़ाना । २ लिखे अनुसार बोलाना, उच्चारण
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पढिमाक
(
२१ )
.
पत
कराना । ३ उच्चारण कराना, मंत्रोच्चार कराना । पणव-पु० [सं० पणव] १ छोटा नगाड़ा । २ छोटा ढोल । ४ पढ़ाई कराना, अध्ययन कराना, शिक्षा देना । ५ रटाना, | पणस-पु० [सं० पनस] १ कटहल । २ राम की सेना का एक रटाई कराना। ६ सीखाना।।
बन्दर। पढ़िवाल-देखो 'प्रतिहार'।
परणसणु-वि० नष्ट करने वाला। पढ़िवं -वि० [सं० पठितव्यम्] १ पढ़ने योग्य । २ पढ़ाने योग्य । | पणसरणौ (बी)-क्रि० [सं० प्रनाश] १ नष्ट करना । २ नष्ट पढ़-वि० [सं० प्रति-भूः] १ जमानत देने वाला, जामनी ।। होना।
२ निष्कलंक, निष्पाप बेदाग । ३ वीर, बहादुर । पणहा-पु० [सं० उपानह] जूती (मेवात)। पढोकड़ो-वि० १ पढ़ने वाला, अध्येता । २ अधिक पढ़ने वाला। पणहार (हारण, हारी)-वि० [सं० प्रतिज्ञा-हारी] १ प्रतिज्ञा ३ विद्वान ।
हारने वाला, प्रणहारी । २ देखो 'पणिहार'। पगंग, पणंगियो, पगंगौ-पु० [सं० पानाङ्ग] १ पानी, जल । पणि-देखो 'पण'। . २ मेघ की बूद।
परिणयार, पणियारी, परिणहार, परिणहारण, पणिहारी-स्त्री. पर्णच-देखो ‘पणच'।
[सं० पानीयहारी] १ जलाशय से पानी लाने वाली स्त्री। पण-पु० [सं०प्रतिज्ञा, प्रण] १ दृढ़ निश्चय, संकल्प,, प्रतिज्ञा। २ वर्षा के समय बहते पानी में उठने वाले बुद-बुदे ।
प्रण । २ व्रत। [सं० पर्वन्] ३ आय के चार भागों में से | ३ हल में लगने का एक उपकरण (मेवात)। ४ हल का एक । [सं० पानीयम्] ४ पानी, जल । -क्रि०वि० [सं०पुनः]। एक अन्य उपकरण । ५ एक लोग गीत । ६ सारंगी का मुख्य १ भी । २ परन्तु । ३ तो भी । ४ फिर, फिर भी। छेद (शेखावटी) । ७ गधा या गधी। (ऊमर कोट) -वि० [सं० पंच पंच, पांच ।
परणी-देखो 'पण'। पणइंद्रिय-देखो 'पंचेंद्रिह' ।
परणीहारी-देखो 'पणिहारी' । पणखी-पु० छाछ से बना पेय पदार्थ ।
पण, पणौ-पु० [देश॰] १ खरबूजा, पपीता, ग्राम प्रादि की परणग (गो)-स्त्री० १ वर्षा की बंद । २ देखो 'पणंग' । ३ देखो| गिरी के शक्कर मिले टुकड़े । २ देखो 'पण' । 'पाणगौ'।
पण्यांगना-स्त्री० [सं०] वेश्या, गणिका। पणघट-पु० [सं० पानीय-घट्ट] १ जलाशय का किनारा जहां से | पतंग-पु० [सं०] १ सूर्य, सूरज । २ दीपक, ज्योति ।
पीने का पानी भरा जाता है । २ घाट । ३ पानी लाने ३ चिनगारी । ४ खून । ५ लाल रंग । ६ हल्का रंग ।
वाली स्त्रियों का समूह । ४ इस घाट पर जाने का रास्ता। ७ मच्छर आदि उड़ने वाले जीव । ८ पक्षी । ९ टिड्डी। पणच, पणछ-स्त्री० [सं० प्रतंचिका, प्रा० पडंचा] धनुष की १० कनकौमा, गुड्डी । ११ शरीर, अंग । १२ एक झाड़ी डोरी, प्रत्यंचा।
विशेष । १३ एक प्रकार का वृक्ष । १४ डिंगल का परणमल्ल-वि० प्रतिज्ञा का पालन करने वाला ।
एक छन्द । पणणौ (बौ)-क्रि० [सं० प्रणमति] १ प्रणाम करना, नमन | पतंगज-पु० [सं०] १ सूर्य पुत्र यम । २ कर्ण । ३ अश्विनी कुमार। करना । २ देखो 'पुणणो' (बौ)।
४ पसीना । परणधर (धारी)-वि० [सं० प्रतिज्ञा-धारी] प्रतिज्ञा करने पतगजा-स्त्री० सूर्य पुत्री यमुना। वाला, प्रणधारी ।
पतंगबाज-पु. पतंग या गुड्डी उड़ाने का शौकीन, निपुण, दक्ष । परणनडो-पु० पोखर, पानी का गड्डा ।
पतंगबाजी-स्त्री० पतंग उड़ाने की क्रिया, हौड़, प्रतिस्पर्धा । परणपणो (बी)-देखो 'पनपणी' (बी) ।
पतंगसुत-देखो 'पतंगज'। पणपाणी (बी), पणपावरणी (बी)-देखो 'पनपाणी' (बी) । पतंगियो, पतंगो-पु. १ पर दार कीट । २ टिड्डी। परणफर-पु० [सं०] कुण्डली में लग्न से दूसरा, पांचवां, पाठवां | पतग्या-देखो 'प्रतिग्या'। और ग्यारहवां घर।
पतंजळि-पु० [सं० पतंजलि] १ योग शास्त्र के रचनाकार एक परणबंद (बंध)-वि० [सं०प्रतिज्ञा-बन्ध] प्रणवीर, प्रतिज्ञावान। ऋषि । २ पाणिनीय सूत्रों पर महाभाष्य लिखने वाले एक पणमंड-वि० [सं० प्रतिज्ञा-मण्डनम्] प्रणवीर, प्रणधारी ।
मुनि । परणमणी (बी)-क्रि० [सं० प्रणाम्] प्रणाम करना । नमस्कार | पत-स्त्री. १ मर्यादा, प्रतिज्ञा, गौरव । २ इज्जत, प्रतिष्ठा । करना।
३ गुड़ की चासनी । ४ विश्वास, भरोसा । ५ साख, पैठ । पणयालीस-देखो 'पैतालीस' ।
६ देखो 'पति' । ७ देखो 'पत्री' । ८ देखो 'पत्र' । पणवंत-वि॰ [सं० प्रतिज्ञा • वान] प्रणधारी ।
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पतउड
( २२ )
पंताका
पतउड-पु. [सं० उडुपति] चन्द्रमा, शशि ।
पतरूह, पतरोह-स्त्री० [सं० पृथ्वी-रूह] रज, धूल । पतऔखव-पु० [सं० पौषधि-पति] चन्द्रमा, सोम ।
पतळ-देखो 'पातळ' । पतकिरण-पु० [सं० किरणपति] सूर्य, रवि ।
पतलज-स्त्री. व्यभिचारिणी, कुल्टा स्त्री। पतग-देखो 'पतंग' ।
पतळियो-पु० [सं० पत्रल] १ सोने, चांदी के आभूषणों पर पतगर-पु० विश्वास, भरोसा ।
खुदाई करने का औजार । २ देखो 'पतळो' । (स्त्री०पतळी) पतगरणी (बी)-क्रि० १ विश्वास करना, भरोसा करना । पतलून-पु० १ पजामा । २ पेंट । २ स्वीकार करना, मानना ।
पतळोड़ो-देखो 'पतळो' । (स्त्री० पतळोड़ी) पतगरौ-देखो 'पतगर' ।
पतळी-वि० [सं० पत्रल] (स्त्री० पतळी) १ तरल, द्रवमान । पतग्वाळ-पु० [सं० ग्वालपति] श्रीकृष्ण ।
२ अशक्त, कमजोर । ३ जिसकी मोटाई व स्थूलता कम पतड़ी-स्त्री० [सं० पत्रम्] १ धातु के पत्र खण्डों पर बनी किसी हो। ४ कृशकाय, दुबला । ५ बारीक, महीन, झीना ।
इष्ट की मूर्ति । २ दांत कुरेदने की चांदी की ६ संकरा, पतला, कम चौड़ा । ७ सूक्ष्म । पत्ती । (मेवात)
पतवरत-देखो 'पतिव्रत'। पतड़ो-पु० [सं० पत्रम्] १ तिथिपत्र, पंचांग । २ कुभट की पतवरता-देखो 'पतिव्रता'। फली।
पतवसांन-पु० [सं० प्रत्यक्सान] भोजन । पतचील-पु० शेष नाग।
पतवांगणी (बी)-क्रि० [सं० प्रत्यवायनम्] १ जांच करना, पतजादव-पु० [सं० यादव पति] श्रीकृष्ण ।
परीक्षा करना। २ काम में लेकर देखना। ३ व्यवहार पतझड़-स्त्री० [सं० पत्र-क्षरणम्] षट् ऋतुओं में से एक, करके देखना। शिशिर ऋतु।
पतवार-स्त्री० [सं० पत्रबाल] नाव की बल्ली, कर्ण । पतरणी-देखो 'पत्नी' ।
पतवासत-पु० [सं० वास्तोष्पति] इन्द्र । पतत-देखो 'पतित'।
पतधत-देखो 'पतिव्रत'। पतत्रि, पतत्री-पु० [सं०] पक्षी, चिड़िया । -भरण-पु० पतधता-देखो 'पतिव्रता'। जटायु ।
पतसंगम-वि० [सं०] शीतल " पतधीर-वि० विश्वासी, भरोसेमंद ।
पतसा-देखो 'बादसाह'। पतन-पु० [सं०] १ अवनति, गिरावट । २ पड़ना क्रिया । पतसार-पु० [सं० सार-पत] पहाड़ ।
३ अधोगति । ४ ह्रास । ५ उत्थान का विपर्याय । पतसाळ-स्त्री० [सं० पितृ-शाला] १ पैतृक भवन । २ पीहर, ६ मृत्यु, नाश । ७ देखो ‘पट्टण' ।
मायका। पतनाळ (ळो)-देखो 'परनाळ' ।
पतसाह-देखो 'बादसाह। पतनी, पतनी-स्त्री० [सं० पत्नी] १. स्त्री, नारी, औरत । पतसाहण-वि० १ बादशाह का, बादशाही । २ देखो 'बादसाह ।
२ देखो 'पत्नी'। -बरत, बत, वरत, व्रत-पत्नीव्रत' । पतसाही-देखो 'बादसाही' । पतनो-देखो 'पतरणो'।
पतस्वाहा-पु० [सं० स्वाहापति] अग्नि । पतन्या-देखो 'प्रतिग्या' ।
पतहीण, पतहीणी-वि० १ अविश्वसनीय, जो भरोसेमंद न पतपच्छी-पु० [सं० पक्षीपति] १ गरुड़ । २ देखो 'प्रतिपक्षी' ।
| हो । २ पतिहीना, विधवा। ३ मानहीन । ४ साख हीना । पतप्रीत-पु० [सं० पति-प्रीति] १ सैवक, अनुचर । २ पतिव्रता,
पतांणणौ (बौ)-क्रि० [सं० प्रत्यवाय:] जांच करना। पतिप्रिया । पतप्रेम-पु० [सं०पति-प्रेमा १ सती, साध्वी । २ सेवक ।
पता-देखो 'पिता'। पतबत-देखो 'पतिव्रत'।
पताक-देखो ‘पताका'। पतमंदोदरी-स्त्री० [सं० मंदोदरीपति] रावण ।
पताकणी (नी)-स्त्री० [सं० पताकिनी] १ फौज, सेना, दल ।
२ एक देवी। पतर-१ देखो 'पात्र' । २ देखो 'पत्र'।
पताका-स्त्री० [सं०] १ झण्डा, ध्वजा, पताका । २ घोड़े के पतरणी (बो)-देखो 'पथरणो' (बी)।
चारजामे का एक भाग। २ पिंगल के नौ प्रत्ययों में पतराखण-वि० प्रतिष्ठा रखने वाला । -पु० ईश्वर ।
से पाठवा । -दंड-पु० ध्वज फहराने की लकड़ी, दण्ड । पतरी-१ देखो ‘पथरी' । २ देखो 'पत्र' ३ देखो 'पतडी' ।
ध्वज ।
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पनाकामीन
( २३ )
पताकामीन-पु० [सं० मीन-पताका] कामदेव, मदन ।
५ हारा हुआ, पराजित । ६ अधीन, अन्तर्गत । ७ स्थापित । पताकिनी-देखो 'पताकनो' ।
पतितउधारण -पु० [सं० पतित-उदारण] ईश्वर, जो प्रधमों पताकी-वि० [सं० पताकिन्] पताकाधारी। -पु. १ रथ । का उद्धार करे। २ फलितज्योतिष में एक चक्र विशेष ।
पतिमराळ-पु० [सं० मराल-पति] ब्रह्मा । पताख, पताखा-देखो 'पताका' ।
पतियत-पु० स्वामित्व, पतित्व । विवाह । पतामह-देखो 'पितामह' ।
पतिया-स्त्री० [सं० पत्र] पत्री, चिट्ठी। पताळ, पताळि, पताळी-देखो 'पाताळ' । -खंड-'पाताळ , पतियारणी (बी)-देखो 'पतिप्राणो' (बी)। खंड। -गाड़ी = 'पाताळगारुडी'। -जंत्र = 'पाताळजंत्र'। पतियारी-पतिवारी'। -दंती = पाताळदती'।
पतियावणी (बो)-देखो 'पतिप्राणी' (बी)। पताळि यौ-वि० [सं० पाताल] १ पाताल का, पाताल संबंधी। पतिलोक-पु० [सं०] पतिव्रता स्त्री को मिलने वाला स्वर्गलोक ।
२ पाताल तक गया हुमा । -पु० १ अत्यन्त गहरा एवं पतिवत-पु० [सं०] १ स्त्री का अपने पति के प्रति कर्तव्य प्रथाह कूमा । २ नीचे की ओर झुके हुए सींगों वाला धर्म । २ स्त्री का शीलवत । जानवर । ३ देखो 'पाताळ' ।।
पतिव्रता-स्त्री० [सं०] उक्त धर्म व व्रत को धारण करने वाली पतास, पतासड़ौ, पतासियो-देखो 'पतासौ' ।
- स्त्री, सती स्त्री। पतासि, पतासी-स्त्री. १ लकड़ी का दस्ता लगा लोह का बड़ा पतिसाह, पतिस्या-देखो 'बादसाह'।
प्याला जो चम्मच की तरह होता है। २ छोटी व छिछली पतिसाही-देखो 'बादसाही'। कड़ाही। ३ बढ़ई का एक औजार, 'रुखाणी'। ४ एक पतिहथरणापुर-पु० [सं० हस्तिनापुर-पति] युधिष्ठिर। . प्रकार की प्रातिशबाजी।
पती-१ देखो 'पति' २ देखो 'पत्र'। पतासौ-पु. [सं० वातास] १ शक्कर की नरम चासनी को पतीपार-वि० [सं० अपार-पति] जिसके अनेक पति हों।
टपका कर बनाई एक मिठाई, बतासा। २ पानी का | -स्त्री० १ पृथ्वी । २ वेश्या। ३ लक्ष्मी । बुदबुदा। ३ जलजीरे का पानी भरकर खाने का, मेदे | पतीग्रह-पु० [सं० ग्रहपति] सूर्य । का बना गोला।
पतीज-पु० विश्वास । पतिग-देखो 'पतग'।
पतीजणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रत्ययित्] विश्वस्त होना, प्राश्वस्त पति-पु० [सं०] १ किसी स्त्री का खाविंद, भर्ता । २ स्वामी, होना, संतुष्ट होना।
प्रभु, मालिक । ३ ईश्वर । ४ शिव । ५ अध्यक्ष । पतीत-देखो 'पतित'।। ६ शासक । ७ अधिष्ठाता। ८ मर्यादा, इज्जत, प्रतिष्ठा ।। पतीनागराइ-पु० [सं० पति नागराज] शेषनाग । ६ विश्वास, प्रतीति । १० जड़। ११ गमन, गति । पतीनि-देखो 'पत्नी'। १२ देखो 'पत'। -घातरण, धातरिण, घातरणी, घातिणी- पतीयासी-स्त्री० सरोवर। स्त्री० पति की हत्यारी स्त्री । स्त्री की हथेली पर होने | पतीराखरण-देखो 'पतराखण' । . वाली एक रेखा । वैधव्य के लक्षणों वाली स्त्री। -धरम, पतीवरत, पतीव्रत-देखो 'पतिव्रत' । बरत, व्रत-पु० पति के प्रति स्त्री का कर्त्तव्य, स्त्री का पतीवरता, पतीग्रता-देखो 'पतिव्रता' । धर्म। -बरता, बता = 'पतिव्रता'।
पतीवसंत-पु० [सं० वसंत-पति] १ वृक्ष । २ कामदेव । पतिवाणी (बी)-क्रि० [सं० प्रत्ययितम्] १ विश्वास करना,
पतीहतरणापुर-देखो 'पतिहथरणापुर। भरोसा करना। २ सच मानना। ३ निश्चय करना ।
पतेरि-स्त्री० [सं० पितृव्य] चचेरी, बहन । ४ संतुष्ट होना।
पतोड़, पतोळ-देखो 'पितोड़' ।
पतोलड़ी, पतोली-देखो 'पातली' । पतिवारी-पु० [सं० प्रत्ययित] भरोसा, विश्वास ।
पती-पु० [सं० प्रत्यय] १ निश्चित स्थान । २ कोई स्थान पतिउत्तर-पु० [सं० उत्तर-पति] कुबेर ।
विशेष । ३ निश्चित स्थान बताने वाली बात । ४ डाक पतिजळ-पु० [सं० जलपति] समुद्र, सागर ।
का पता, ठिकाना। ५ ठोर-ठिकाना, प्रता-पता । पतित-वि० [सं०] (स्त्री० पतिता) १ गिरा हुआ, पड़ा हुआ, ६ जानकारी, सूचना। ७ खोज, अनुसंधान । ८ टोह,
टपका हुआ। २ जिसका पतन हो गया हो, अधःपात सुराग, चिह्न । ९ ताश का पत्ता । १० देखो 'पत्र'। हुआ। ३ धर्म व जाति से च्युत । ४ महापापी, पातकी ।। ११ देखो 'पत्तो'।
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पस
पस-१ देखो 'पत्र' । २ देखो 'पिता' । ४ देखो 'पात्र' ।
पतन - १ देखो 'पतन' । २ देखो 'पट्टण' । पत्तपुष्क- देखो 'पप' ।
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( २४ )
३ देखो 'पति' ।
पसर - पु० [सं० पात्र ] १ संन्यासियों का भिक्षा पात्र । खप्पर । २ किसी धातु की चद्दर । ३ देखो 'पत्र' । ४ देखो 'पात्र' ।
पसल देखो 'पावळ' । पति, पत्ती स्त्री० [सं०
पत्र ] १ पेड़, पौधों की छोटी पत्तियां । २ पत्ते का खण्ड ३ धातु का छोटा व पतला खण्ड, पाती । ४] ठोड़ी, बाड़ी बनाने का उपकरण (ब्लेड)।
पतीजी, (बौ) - देखो 'पतीजणी' (बो) । पीसुरळिया पु० स्त्रियों के कर्णा
।
सेलम - देखो 'पत्र'।
पती पु० [सं० पत्रक] १ स्त्री के कान का प्राभूषण २ देखो 'पती' । ३ देखो 'पोतो' ।
पश्च-१ देखो 'पारथ' । २ देखो 'पंथ' । ३ देखो 'पथ्य' । ४ देखो 'पथ' ।
पत्थर पु० [सं० प्रस्तरः] पहाड़ का खण्ड, पाषाण । चट्टान पत्थरकळा स्वी० [सं० प्रस्तरकला] एक प्रकार की बन्दुक पत्थरचट स्त्री० [सं० प्रस्तर:- चष्ट] एक प्रकार की धौषधि । पत्थरी वि० [सं० प्रस्तर-पष्ट] कंजूस, सूम पु० १ एक
प्रकार का सर्प । २ एक प्रकार की घास । पत्थरफोड, पत्थरकोड़ी वि० [सं० प्रस्तर-स्फोटनम् ] पत्थर तोड़ने का कार्य करने वाला, संगतरांस । पु० १ पत्थर फोड़ने का उपकरण । २ एक पक्षी विशेष ।
पत्थरबाज - पु० पत्थर फेंकने वाला । पत्थरबाजी-स्त्री० पत्थर फेंकने की क्रिया ।
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।
परच्या स्त्री० [सं० पच्या] १ गली, बीची २ मार्ग रास्ता । पत्नी - स्त्री० [सं०] किसी पुरुष की विवाहिता स्त्री, भार्या, गिनी - बास पु० पत्नी का गुलाम प्रिय पु० पत्नी का प्रिय पुरुष । जो पत्नी को अधिक प्यार करे -व्रत पत्नीव्रत' । भक्त-वि० पत्नी की अधिक सेवा करने वाला व्रत - वि० केवल अपनी ही पत्नी से प्रेम व भोग करने के संकल्प वाला । पत्यारी- देखो 'पतियारों' । पत्र - पु० [सं०] १ चिट्ठी खत, सन्देश पत्र दस्तावेज । ३ पन्ना, पृष्ठ, पेज । ४ ५ पक्षी का पर६ तीर की पूंछ ७ चिड़िया, पक्षी ८ पुष्प-दल, पंखुड़ी। ९ किसी धातु का पत्तर । १० तलवार धादि की धार । ११ रथ, घोड़ा प्रादि सवारी । १२ प्रथम
२ लिखा हुआ कागज,
वृक्ष प्रादि का पत्ता ।
।
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लघु ढगण के भेद का नाम । १३ देखो 'पात्र' । १४ समाचार
-पत्र । पत्रका-देखो 'पत्रिका' ।
पत्रकार - पु० [सं०] किसी समाचार पत्र का सम्पादक या संवाददाता |
पथछाया
पत्रच्छ व स्त्री० [सं०] पुरुषों की ७२ कलामों में से एक । पचन पु० [सं०] तेजपात ।
पत्र, पत्रगायल - पु० [सं० पत्रदूत ] १ पत्रवाहक २ डाकिया, चिट्ठी रसा ।
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पत्रपुस्प - पु० [सं० पत्र - पुष्प ] मामूली भेंट । भेंट की साधारण सामग्री ।
पत्रवाह-देखो 'पत्रवाहक
पत्र- पु० [सं०] शु वारार्थ माये व गाल पर की जाने वाली चित्रकारी ।
पत्ररथ पु० पक्षी।
पत्रवाह, पत्रवाहरूपु० [सं०] पत्रवाहक पत्र लेजाने वाला, डाकिया ।
पत्रांतूळ पत्रांतूल पु० [सं० पत्रं तुल्य] नाश, समाप्ति । पत्राकार - वि० [सं०] १ पते के प्राकार का । २ पत्र के रूप में । पत्राळ- पु० [सं० पत्र + श्रालुच ] १ पक्षी, पंखेरू । २ घने पत्तों वाला वृक्ष या पौधा ।
पत्रावळी स्त्री० [सं० पत्रावली १ पत्र नत्थी करने की किताब,
फाइल । २ पत्रों की पंक्ति । ३ एक प्रकार का हार । पत्रिका स्त्री० [सं०] १ छोटा बत, चिट्ठी २ जन्म पत्रिका ३ लग्न पत्रिका । ४ कोई समायिक समाचार पत्र या साहित्यिक पत्र । ५ निमन्त्रण पत्र । पत्रियाणी-देखो 'पत्र' ।
-
पत्री - स्त्री० [सं० पत्रिन्] १ वृक्ष । २ पक्षी । ३ तीर, बारा । ४ यमराज । ५ कमल । ६ चिट्ठी, खत ७ जन्म पत्रिका ।
= ताड़ । ९ पर्यंत, पहाड़ । १० रथ - वि० पत्तों वाला । - राज-पु० गरुड़ |
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पत्रीस पुत्र० [सं०] पत्रीश] १ कल्प वृक्ष कल्पतरु २ पत्रेसुर - देखो 'पित्रेस्वर' ।
पत्री-देखो 'पतड़ी'।
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पथ - पु० [सं०] १ मार्ग, रास्ता । २ देखो 'पंथ' । ३ जल पानी । ४ देखो 'पथ्य' ५ देखो 'पारथ' ।
पथक - पु० [सं०] १ रास्ता जानने वाला । २ रास्ता बतलाने वाला । ३ देखो 'पथिक' ।
पथचारी- पु० [सं० पथचारिन् ] राहगीर, पथिक । पछाया - पु० प्राकाश, पासमान ।
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पथदरसक
( २५ )
पदम
पथदरसक-वि० [स० पथदर्शक] रास्ता दिखाने वाला। पदग, पदग्ग-पु० [सं०. पदग, पदाग्र] १ पैदल चलने वाला पथर-देखो 'पत्थर'। -कळा='पत्थरकला'।
प्यादा । २ पैर का अगला भाग। ३ देखो ‘पदक' । पथरणउ, पथरणी-पु० [सं० प्रस्तरणम्] १ गद्दा, घासिया । पदचर-वि० [सं०] १ पैरों से चलने वाला। २ पैदल चलने २ बिछाने का वस्त्र
वाला, प्यादा। पथरणो (बी)-देखो 'पाथरणी' (बी)।
पदचापड़ी-स्त्री० पगचम्पी। पथराणौ (बो), पथरावणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रस्तरणम्] | पबचार, पदचारी-पु० [सं० पदचारिन्] १ पैदल चलने वाला
१ बिछवाना, फैलवाना । २ छितरवाना, बिखरवाना । ___व्यक्ति या प्राणी । २ देखो 'पदचर। पथरी-स्त्री० [सं० प्रस्तर] १ मूत्राशय में जमने वाला पत्थर पदचिह्न-पु० [सं०] १ चलते समय बनने वाले पैरों के निशान । . खण्ड, एक रोग । २ पक्षियों का पक्वाशय । ३ पत्थर की । २ किसी देव या सिद्ध-पुरुष के, पत्थर प्रादि पर बने पैरों - प्याली या कुडी । ४ चकमक का पत्थर । ५ शान, सिल्ली। | के निशान । पथरीली-वि० पत्थरों से युक्त, पत्थरों से भरा, जहां पर | पवठवणउ, पवठवणी-पु० [सं० पद - स्थापनम्] पांवड़ा। पत्थर बिखरे हों।
पवलळ-पु० [सं० पद-तल] पैर का तल, तलुवा । पथरोटी, पथरोटो-पु० पत्थर का पात्र, कुडा ।
पदत्याग-पु० [सं०] किसी प्रोहदे, उपाधि या स्थान का परित्याग । पथारी-स्त्री० [सं० प्रस्तरणम्] १ बिस्तर, बिछौना । २ झड़ | पदत्रभंग-पु० [सं० पद त्रिभंगी] श्रीकृष्ण । बेरी के कांटों का बड़ा गुच्छा।
पदद्रव-पु० [सं०] भागना क्रिया, पलायन । पथि-देखो १ 'पथ' । २ देखो 'पथ' ।
पदपलब, पदपल्लव-पु० [सं० पदपल्लव] पैर की अंगुली। पथिक-पु० [सं०] १ राहगीर, यात्री। २ रास्ता बताने वाला।
पदपीठ-स्त्री० [सं०] जूती। पथिचक्र-पु० [सं०] यात्रा का योग जानने का चक्र। (ज्योतिष) पथी-१ देखो 'पथ' । २ देखो 'पथिक' ।
पदबंध-पु० [सं०] १ वह गद्य जिसमें अनुप्रासों और समासों की पथ्थ-१ देखो ‘पथ' । २ देखो 'पथ' । ३ देखो ‘पथ्य'।
अधिकता हो। २ पद्य बंध पथ्थर-देखो 'पत्थर'।
पदबी-देखो ‘पदवी'। पथ्य-पु० [सं०] १ शीघ्र पचने वाला भोजन, आहार । २ पेट | पदम-पु० [सं० पद्म] (स्त्री० पदमण, पदमणी) १ कमल ।
व स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाला पदार्थ । ३ हर्र का २ विष्णु का एक आयुध । ३ पैर में रेखामों से बना कमल । वृक्ष । ४ हित, मंगल । वि०-१ गुणकारी, लाभप्रद । ४ नव निधियों में से एक । ५ गले में पहनने का एक प्रकार २ योग्य, उपयुक्त ।
का गहना । ६ हाथी के मस्तक पर बनाये जाने वाले चिह्न । पश्या-स्त्री० [सं०] हरीतकी, हर्र ।
७ पदम वृक्ष, पदमाख । ८ सर्प के सिर पर बना चिह्न। पद-पु० [सं०] १ पैर, चरण, पग । २ योग्यता के अनुसार ९ बिल्ली के पंजे पर बना चिह्न । १० एक
नियत स्थान। दर्जा । ३ भक्ति संबधी कविता, भजन । ही कुर्सी पर बना आठ हाथ चौड़ा घर । ११ एक ४ छन्द या श्लोकादि का चतुर्थांश । ५ नौकरी में किसी प्रकार का नाग । १२ . गणित में सोलहवें स्थान वेतन विशेष का स्थान । प्रोहदा ६ व्यवसाय, कार्य । का संख्या। १३ शरीरस्थ एक कमल विशेष । १४ सोलह ७ निश्चित अर्थवाला वाक्यांश । ८ उपाधि, पदवी। पैर प्रकार के रतिबंधों में से एक । १५ बलदेव । १६ पुराणाका चिह्न या निशान । १० मोक्ष, निर्वाण । ११ दान में नुसार एक नरक का नाम । १७ जम्बू द्वीप के दक्षिणदेने की वस्तु । १२ महिमा, मर्यादा । १३ खोज, पता। पश्चिम का एक देश। १८ भारत का नौवां चक्रवर्ती १४ प्रावास स्थान, घर। १५ प्रकाश की किरण । (जैन)। १९ एक पुराण । २० जनों के एक तीर्थकर । १६ देखो 'पद्य' । -वि० कोमल, मुलायम ।
२१ एक वर्ण वृत्त । २२ घोड़े के कंधे व बगल की भौंरी। पवआस्रय-पु० [सं० पदमाश्रय] घर, गृह ।
२३ प्राभूषणों पर खोद कर बनाया गया चिह्न विशेष । पदक-पु० [सं०] तुकमा, मंडल, बिल्ला ।
२४ वार व नक्षत्रों का एक योग । २५ हाथी, गज । पदकड़ी-स्त्री० एक आभूषण ।
-धर-पु० ईश्वर, विष्णु । -नाग-पु. नागों की एक
जाति । -नाम-पु० ईश्वर, विष्णु, श्रीकृष्ण । ब्रह्मा । एक पदक-झरना-पु० हीरा।
तीर्थकर । -बंध-पु. सूर्य, भानु । -भू-'पद्मभू'-सिलापरकणी (बो)-देखो 'फुदकणो' (बी)।
स्त्री० रहट वाले पत्थर को दबा कर रखने वाली शिला । पदकुळक, पबकूळक-देखो 'पादाकुळक' ।
-हत, हस्त-पु० सूर्य, भानु ।
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মৰমলী
पदमअंजणी (नी)-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
पदाधिकारी-पु. [सं.] किसी पद का धारक, पद पर पासीन पदमजूरण (जोगी)-देखो 'पद्मजूण'।।
व्यक्ति, प्रोहदेदार । परमण, पबमरिण, पदमणी-स्त्री० [सं० पद्मिनी] १ सर्वश्रेष्ठ पदानुग-पु० [सं०] अनुसरण करने वाला, अनुयायी।
जाति की स्त्री । २ छोटा कमल, कमलिनी । ३ कमल युक्त | पदायत-देखो ‘पदात' । जलाशय । ४ हथिनी । ५ सुन्दर स्त्री । ६ कुमुदनी। | पदारणो(बो)-देखो 'पधारणा' (बी)। ७ चित्तौड़ की एक प्रसिद्ध रानी। -पति, पती-पु. सूर्य, | पदारथ-पु० [सं० पदार्थ] १ पर्थ, धर्म, काम और भानु । चन्द्रमा ।
मोक्ष चार साधन । २ कोई चीज, बस्तु । -बाद-पु० पदमणी-वि० (स्त्री० पदमणी) चतुर, बुद्धिमान । प्रच्छा श्रेष्ठ। भौतिक पदार्थों की सता को मानने का सिद्धांत । पदमराग-पु० [सं० पद्मराग] एक रत्न विशेष । -पटळ-पु० -वादी-वि० उक्त सिद्धान्त को मानने वाला । -विग्यान
एक प्रकार का वस्त्र । -मरिण, मिण, मिरिण-स्त्री. लाल पु० भौतिक विज्ञान शास्त्र । -विद्या-वि० पदार्थों का ज्ञान मणि ।
कराने वाली विद्या। पदमा-स्त्री० [सं. पद्मा] १ लक्ष्मी । २ नव निधियों में से एक । पदारपण-पु० [सं० पदार्पण] पाना क्रिया, पांव रखना क्रिया।
३ रुक्मिणी। -एकादसी='पद्माएकादसी' । | पदारौ-पु० [सं० पदधारणम् किसी के शरीर में किसी देवता पवमाक-देखो 'पदमाक्ष'।
की अनुभूति। . पदमाकर-देखो 'पद्माकर'।
पदावळी-स्त्री० [सं० पदावली] पदों की शुखला, पद्यों पदमाक्ष, पदमाख-पु० [सं० पद्माक्ष] १ फलित ज्योतिष के का संग्रह ।
२८ योगों में से एक । २ पाकाष्ठ नामक एक वृक्ष । | पबु-देखो 'पद।
३ कमल के बीज, कमल गट्ठा। ४ विष्णु । ५ सूर्य । पबोड़(डो)-स्त्री. एक प्रकार की बकरी। -वि०(स्त्री० पदोड़ी) पदमापित (पिता)-पु. [सं० पद्यापिता] १ समुद्र । २ भीष्मक ।। अधिक पादने वाला। पदमालय-देखो 'पद्मालय' ।
पदोदक-पु० [सं०] चरणामृत । पदमालया-देखो 'पद्मालया ।
पदमनाम-देखो ‘पदमनाभ' । पदमालया पिता, (पिता)-देखो 'पद्मापित' ।
पद्धति, (ती)-स्त्री० [सं०] १ कार्य करने की रीति, प्रणाली। पदमावती-देखो 'पद्मावती' ।
२ परम्परा, रिवाज । ३ मार्ग, रास्ता। पदमासण-देखो 'पद्मासण' ।
पद्धर, पद्धरय-१ देखो 'पाधरी, । २ देखो 'पाधर'। -पति, पती
= 'पाधरपतसा'। परमिण, पदमिणि, पदमिणी, पदमिनि, पदमी-देखो पदमणी'।।
| पद्धरि, (री)-पु० १ सोलह मात्रा व अंत जगण वाला एक छन्द परमूळ-पु० [सं० पदमूल] पैर का तलुवा । पदम्म-देखो 'पदम' ।
विशेष । २ देखो 'पाधरी' ।
पद्धरौ-देखो 'पाषरौ'। पम्मिणी-देखो ‘पदमणी' । पवम्मी-पु० [सं०पमिन्] (स्त्री० पदम्मण, पदम्मणी) हाथी।
पक्षेत्र-पु० [सं०] उड़ीसा का एक तीर्थ ।
पपज-पु० [सं०] ब्रह्मा। पदर-पु० ड्योढ़ीदार के बैठने का स्थान ।
पाजण, (जोण,जोषी,जोनी)-पु० [सं० पायोनि] १ ब्रह्मा । पाराणी (बी), पदरावणो (बी)-देखो 'पधराणी' (बी)।।
२ बुद्ध का एक नाम । पदरी-देखो 'पद्धरी'।
पाणी-देखो 'पदमणी'। पदबन-देखो 'पदमणी'।
पद्मनाम(नामि)-देखो ‘पदमनाभ'। पदवी-स्त्री० [सं०] १ मार्ग, रास्ता । २ पद, उपाधि ।
पानिधि-स्त्री० [सं०] नव निधियों में से एक । पासुक-पु० [सं० पदांशुक] वस्त्र विशेष ।
पद्मनी-देखो ‘पदमणी'। पदाकांती, पदाघात-पु० [सं० पदक्रान्त,पदाघात] पदाघात
पद्मप्रभ (प्रभु)-पु० [सं०] वर्तमान काल के छठे तीर्थकर (जैन)। ठोकर।
पप्रबंध-पु० [सं०] एक प्रकार का चित्रकाव्य । पाणी (बी)-देखो "पिदाणी' (बी)।
पद्मभास-पु० [सं०] १ विष्णु । २ शिव । पात(ति,सी)-पु० [सं० पदातः] १ पैदल, प्यादा । २ डगण
पद्मभू-पु० [सं०] ब्रह्मा। के चतुर्थ भेद का नाम ।
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पद्ममुद्रा
( २७
)
पनर
पपमुद्रा-स्त्री० [सं०] दोनों हथेलियों को मिलाकर बनाई जाने | पधोरणी (बो)-देखो 'पाधोरणो' (बी) । वाली एक मुद्रा।
पध्धर-देखो 'पाधरौ' । पाराग-देखो 'पदमराग'।
पध्धारणो (बी)-देखो 'पधारणो' बो) । पपरेखां-स्त्री० [सं०] सौभाग्य सूचक हस्तरेखा।
पनंग-देखो ‘पन्नग' । पालांछणा (ना)-स्त्री० [सं०पपलाञ्छना] १ सरस्वती का | पनंगणी-स्त्री० १ नाग कन्या । २ नागिन ।
एक नाम । २ तारा का एक नाम । ३ लक्ष्मी । पनंगपति, (पती)-देखो 'पन्नगपति' । पालेस्या-स्त्री० [सं० पद्मलेश्या] जैन मतानुसार एक लेश्या । पनंगपाळ-पु० [सं० पन्नग-पाल चन्दन । पग्रहथ, (हस्त)-देखो 'पदमहत'।
पनंगलोक-देखो पन्नगलोक' । पना-देखो ‘पदमा'।
पनंगसंधार, पनंगसिंघार-पु० [सं० पन्नग-संहार] मोर, मयूर । पपाएकादसी-स्त्री० भाद्रपद शुक्ला एकादशी।
पनंगांरण-देखो 'पन्नग'। पनाकर-पु. [सं०] १ तालाब, सरोवर । २ कमलयुक्त तालाब। पनंगांराय-पु० [सं० पन्नगराज] शेषनाग । पद्मालय-पु० [स०] १ समुद्र । २ सरोवर । ३ ब्रह्मा। पनंगासन-देखो 'पन्नगासन' । पद्मालया-स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी । २ रुक्मिणी। ३ लौंग। पनंगेस-पु० [सं० पन्नग-ईश] शेषनाग । पद्मावती-स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी । २ पद्मिनी जाति की स्त्री। | पनग्ग-देखो 'पन्नग' ।
३ चित्तौड़ की प्रसिद्ध रानी । ४ एक अप्सरा (पौराणिक)। | पन-१ देखो 'पुण्य' । २ देखो 'प्रण' । ३ देखो 'पान' । ५ उज्जयिनी का प्राचीन नाम । ६ बत्तीस मात्राओं का | ४ देखो 'पानी'। एक छन्द विशेष ।
| पनग-देखो 'पन्नग'। -पति, पती = 'पन्नगपति'। -लोक पद्मावळि (ळी)-पु० [सं० पद्मावली] एक वस्त्र विशेष ।
'पन्नगलोक'। पद्मासण (न)-पु० [सं० पद्मासन] १ योग के चौरासी आसनों | पनगहार-पु० [सं० पन्नग-हार] शिव, महादेव । ___ में से एक । २ संभोग का एक आसन। .
पनगांण-देखो 'पन्नग'। पद्मिनी पद्मोनी-देखो 'पदमणी' ।
पनगारि-देखो ‘पन्नगारि'। पद्मोत्तर-पु० [सं०] एक प्रकार का वस्त्र ।
पनगासन-पु० [सं०पन्नग-प्रसन] १ गरुड़ । २ विष्णु।। पद्य-वि० [सं०] १ जिसमें कविता के पद या चरण हों, जो | पनग्ग-देखो 'पन्नग' ।
छन्दोबद्ध हो । २ चरण संबंधी । ३ पद चिह्नों से चिह्नित। | पनग्गौ-देखो 'पन्नग'। ४ शब्द संबंधी। ५ अंतिम । -पु. पिंगल के अनुसार चार | पनघट-देखो 'पणघट'। चरणों वाला एक छन्द ।
पनड़ियो-पु. खूबकला नामक घास । पधड़ी-देखो 'पद्धरी' ।
पनड़ी-स्त्री० (ब. व.) [सं० पत्रम्] १ प्राभूषणों में लटकते हुए पधर-देखो 'पाधरौ' ।
छोटे-छोटे पत्तेनुमा भाग । २ पेड़ या पौधों के सूखे पत्तों पधराणो, (बौ)-क्रि० [सं प्र-धारणम्] १ प्रादर पूर्वक लाना,
का समूह। ३ किसी पौधे की सुगंधित पत्ती। ४ चने के लेजाना । २ ससम्मान बुलाना । ३ स्थापित करना, प्रति
पौधे के पत्तों का ढेर । ५ देखो 'पांनड़ी'। ६ देखो 'पान' । ष्ठित करना। ४ देव मूर्ति की स्थापना करना। ५ हड़प लेना, छीन लेना। ६ डाल देना, फेंक देना। ७ तिरोहित करना ।
| पनडुब्बी-स्त्री० १ एक जल पक्षी विशेष । २ पानी के अन्दर ८ धारण करना, पहनना, पहनाना । ६ भेंट करना। १०
चलने वाली नाव। खाना, हजम करना । ११ लाना । १२ बैठाना, विराजमान पनपणी (बी)-क्रि० १ किसी पेड़ या पौधे का उगकर बढ़ते कराना । १३ प्रवेश कराना । १४ लेना । १५ ले जाना ।
जाना । २ पानी मिलने से हरा होना । ३ स्वस्थ व तंदुरुस्त १६ भेज देना। १७ प्रकट या जाहिर करना।
होना । ४ आर्थिक दृष्टि से संभलना । ५ वैभव युक्त होना । पधरावणी-स्त्री० किसी महन्त को घर बुलाकर दी जाने वाली ६ बढ़ना, वृद्धि होना । ७ प्राप्त होना, मिलना।
पनपाणी, (बी)-क्रि० १ किसी पेड़ या पौधे को पानी देकर पधरावणों (बौ)-देखो 'पधराणो' (बी)।
बढ़ाना। २ स्वस्थ या तंदुरुस्त करना । ३ प्रार्थिक स्थिति पधरी-देखो 'पद्धरी'।
मजबूत करना। ४ बढ़ाना वृद्धि करना। ५ प्राप्त कराना, पधारणौ (बो)-क्रि० [सं० पद् धारणम्] १ आना, पहुँचना ।
मिलाना । २ जाना, चला जाना । ३ ससम्मान प्राना-जाना। पनर, पनरह-देखो 'पनरह।
भेट ।
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पनरम
( २८
)
पपीतो
पनरम, पनरमंड, पनरमंड पनरमी -वि० [सं० पंचदश:] पर्ने-देखो 'पनौ'। पन्द्रहवां ।
पती-वि० [सं० पूत] पवित्र, श्रेष्ठ । पमरवाड़ियो-पु. १ किसी नक्षत्र पर सूर्य का पन्द्रह दिन तक | पनूरी-देखो 'पनसूरी' ।
रहने का क्रम । २ किसी नक्षत्र का पन्द्रह दिन तक प्रभावी पनोति, पनोती-स्त्री० [सं० प्रशप्ति] १ शनि ग्रह की शुभाशुभ रहने का क्रम ।
फलप्रद स्थिति । महाकल्याणी । २ कुग्रहों का योग, पनरह-वि० [सं० पंचदश दश और पांच, पन्द्रह । -पु. पन्द्रह दुर्दशाकाल । की संख्या व उसका अंक, १५ ।।
पनोतो-देखो 'पतो। पनरहवींविद्या-स्त्री० छल-प्रपंच वाली एक विद्या ।
पनौ-पु० [सं०] १ हरे रंग का एक रत्न विशेष । २ चौड़ाई, पनराड़ी-स्त्री० पन्द्रह दिन का समय, पखवाड़ा।
अरज । -वि० १ सुकोमल, सुकुमार । २ देखो 'पनामारू' । पनरे (रे)-देखो ‘पनरह'।
३ देखो 'पानी'। पनर'क-वि० पन्द्रह के लगभग ।
पन्नंग-देखो 'पन्नग'। पनरोतको, पनरौ-पु० पन्द्रह का वर्ष ।
पन्न-१ देखो 'पान' । २ देखो 'पवन' । पनवा-स्त्री. प्राभूषणों के बीच लगी पाननुमा चौकी। पन्ना-पु० [सं०] (स्त्री० पन्नगी) १ सर्प, नाग। २ शेषनाग । पनवाड़ि (डी)-स्त्री० [सं० पर्णवाटिका] १ नागरवेल का ' खेत । २ पान का व्यापारी। ३ पान लगाकर देने वाला | पन्नगपति, (पती)-पु० [सं०] १ शेष नाग । २ नाग लोक अनुचर । ४ अच्छे पानों वाला प्रदेश ।
का राजा। पनस-पु० [सं०] कटहल का वृक्ष व उसका फल ।
पन्नगपीवण-देखो 'पैणी'। पनसारी-देखो 'पंसारी'।
पन्नगलोक (लोकि)-पु० [सं०] नागलोक, पाताल । पनसूरी-पु० [सं० पत्र-चूरणम्] ज्वार, बाजरी आदि के पत्तों
पन्नगारि-पु० [सं०] गरुड। का चूरा ।
| पन्नत्ता-पु० [सं० प्रज्ञप्तिः] १ विज्ञप्ति, घोषणा । २ सूचना । पनहि (ही)-स्त्री० [सं० उपानह] जूती ।
___३ शिक्षा । ४ प्रण, शर्त । पनहरो-देखो 'पनसूरी'।
पन्नवणा-स्त्री० [सं० प्रज्ञापना] एक सूत्र विशेष (जैन)। पनांग-देखो 'पिनाक' ।
पन्नाभंवर, पन्नामाल-देखो 'पनामारू' । पना-देखो 'पनाह'।
पन्नी-स्त्री० [सं० पर्ण] १ किसी धातु का कागजनुमा पत्तर, पनाक-देखो 'पिनाक'।
पत्र । २ छोटे पत्तों का ढेर। पनाकी- देखो "पिनाकी'।
पन्नीगर, पन्नीसाज-पु० [सं० पर्णीकर] धातु की पन्नी बनाने पनाग-पु० [सं० पन्नगः] १ हाथी, गज। २ देखो 'पन्नग'
वाला। ३ देखो 'पिनाक'।
पन्नीसाजि-स्त्री० पन्नी बनाने का व्यवसाय या कार्य । पनामा-पु. १ पति । २ प्रेमी, नायक । ३ रसिक । ४ एक | पन्नो-पु.१ कागज, पत्र । २ एक रत्न विशेष । ३ प्ररज.चौडाई। लोक गीत ।
पन्हा-देखो 'पनाह'। पनाळ-देखो 'परनाळ'।
पपइयो, पपईयो-पु० [सं० पपीहा १ चातक पक्षी । २ एक पनाह-स्त्री० [फा०] १ रक्षा, सुरक्षा । २ शरण, पाश्रय ।।
___ लोक गीत । ३ शरणस्थल । ४ सुरक्षा पाने का स्थान । ५ शहर के
| पपड़ी-स्त्री० [सं० पर्पटी] १ किसी सतह या वस्तु पर जमने चारों पोर बनी मोटी व ऊंची दीवार ।
वाली परत । २ पापड़नुमा कोई पदार्थ, चीप्स । पनिया-देखो 'पनहीं'।
पपधनवा-देखो 'पुस्पधन्वा' । पनी-स्त्री० [सं० पर्ण] १ ऐरे की सिट्टी या बाली जो भौषधि
पपय्यौ-देखो 'पपइयो। में काम पाती है । २ देखो 'पन्नी' ।
पपिळका-देखो 'पिपिलिका'। पनीडी-देखो 'परीडो' ।
पपिळी-देखो 'पिपीळी'। पनीर-पु० [फा०] १ फटे दूध का जमा हुमा दही, छेना। पपिहियो, पपिही-देखो 'पपइयो' । २ पानी निचोड़ा हुआ दही ।
पपी-पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ चन्द्रमा, सोम । पनीहारी-देखो 'पणिहारी।
पपीतो-पु. [मला. पपाया] ऐरंड जाति का एक वृक्ष व पर्नुती-देखो 'पनोती।
उसका फल ।
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पपीयरी
पपीयरी, पपीयो-देखो 'पपयी'।
पपील-१ देखो 'पिपील' २ देखो 'पिपिळिकामार' । पपीलिका- देखो 'पिपिळका' ।
पपीहरी, पपीहो पयों, पीपी-देखो 'पपइयो' पोळ (बी) देखो पंपोळी' बो
'पप्पड़- देखो 'पापड़' ।
पपड़ी देखो 'पपड़ी।
पपड़ी - १ देखो 'पापड़' । २ देखो 'पापड़ी |
पबंध - देखो 'प्रबंध' ।
पब-१ देखो 'परबत' । २ देखो 'परव' ।
पबळ - देखो 'प्रबळ' ।
पांरणी - वि० पर्वतीय, पर्वत संबंधी ।
पबासाई, पबासाही - स्त्री० एक प्रकार की तलवार । पवि-देखो 'पवि' ।
पबे, पब- देखो 'परबत' ।
अस्त - पु० [सं० प्रस्ताचल पर्वत ] अस्ताचल पर्वत । पड़ो पु० हाथ में रखने का डंडा ।
पबैराट - देखो 'परबतराज' । पम्ब, पब्बय- देखो 'परबत' ।
पब्बाया- देखो 'परबत' ।
पन्यासाही देखो 'पवासाई' | पम्बे - देखो 'परबत' ।
परि० पर्वत
पराज राह-देखो 'परवतराज' |
"
पभंकर - देखो 'प्रभाकर' ।
पमणौ (बौ) - क्रि० [सं० प्रभरणं ] कहना, बोलना । पभा - देखो 'प्रभा' ।
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( २९ )
पचाव-देखो 'प्रभावती' ।
पमारा स्त्री० [सं० प्राम्भारा] शरीर की पाठवी अवस्था
जरा अवस्था । (जैन)
अश्व ।
पबंगाली पु० [सं० प्रबंग] घोड़ों का समूह। मंगेश पु० [सं० प्रबंध-ईश श्रेष्ठ घोटा
पग्गं, पमग - देखो 'पमंग' |
पमत देखो 'प्रमत' ।
माड़ियों, पमाडियो देखो 'पांड'
पाणी (बी) - देखो 'पोमाणी' (बी) ।
पमा देखो 'प्रभाव' ।
मार-१ देखो 'परमार' २ देखो 'पंवार'।
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पावणो (बी) - देखो 'पोमोलो' (बो) ।
मुह, मुह पु० [सं०] प्रतिमुख] १ उल्टा विरुद्ध २ देखो 'प्रमुख' ।
प' करणी, (बी) - देखो 'मूकरणी' (बी) । मोहीत्री० [सं० पथकर्कटी] पद्मकर्कटी
पमोद - देखो 'प्रमोद' म्हदेवो'पद्म'
पन्हा- देखो 'पद्मा' ।
पयंग-१ देखो 'पमंग' । २ देखो 'पतंग' ।
पथ पडी० [सं० प्रचण्ड] १ प्रखर तेज ती २ जबरदस्त, जोरदार ।
पद - पु० [सं० पय- इन्द्र ] तालाब, सरोवर, समुद्र । पपरणी (ब) - क्रि० [सं० प्रजल्पनम् ] कहना, कथना ।
प० [सं०] १ दूध २ पानी ३ वीर्य ४ भोजन ५ बल, शक्ति । ६ तेज, कांति। [सं०पद] ७ चरण, पंक्ति । पैर
पयसागर
पग पु० [सं० [पयोग]।
पण स्त्री० शरीर, देह ।
पयचार - स्त्री० [सं० पदचार ] १ पाद रक्षिका, जूती । २ देखो 'पदचार' ।
1
पठणी (ब) पी (बी) देखो 'पैठणी' (बी) ।
पड, पड, पडिउ पयडु पु० [सं० प्रकट] १ प्रकट २ प्रसिद्ध, विख्यात ।
पर्याय पयडी स्त्री० [सं० प्रकृति] प्रकृतिबंध 'प्रक्रतिबंध' ।
पहिलो 'पद' |
पथद- देखो 'पयोद' ।.
पदात पु० [सं० पदाति पैदल, प्यादा।
पयध- देखो 'पयोधि' ।
पयधर - देखो 'पयोधर' ।
पय- देखो 'प्रभूत' ।
पर्याधि- देखो 'पयोधि' ।
पमंग, पमंगयं, पमंगर, पमंगह, पभंगांल पु० [सं० प्रबंग ] घोड़ा, पयनध, पर्यानिध, पर्यानिधि - देखो 'पयोनिधि' ।
पयनिरत स्वी० [सं० पयोनृत्य] मछली
पन्ना-१० [सं० प्रकर्ण] प्रकर्ण
पथप पु० [सं०] बरु ।
पपांन पु० [सं० पयपान ] दुग्ध या जलपान ।
पथमाल - वि० [फा०पाय्माल, पामाल ] रौंदा हुना, प्रति दुःखी ।
पपलु वि० [सं० पराचीन] पराचीन
पण (बी) देखो 'सखी' (बी)
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पयसागर - पु० [सं०] १ समुद्र, सागर । २ जलाशय, तालाब । ३ बर्तन या पात्र विशेष ।
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पयसीर
परकोट
पयसीर, पयसीरा-स्त्री० [सं० पय] नदी।
परंतप-वि० [सं०] १ बैरियों को दुःख देने वाला । २ जितेन्द्रिय । पयस्वनी-स्त्री० [सं० पयस्विनी] पानी वाली नदी।
-पु० [सं०] चिन्तामणि । पयहर-देखो ‘पयोधर'।
परंतु-अव्य० [सं०] १ पर । २ तो भी। ३ किन्तु । ४ लेकिन । पयहारी-पु० [सं० पय-प्राहारी] केवल दूध पर निर्वाह करने | परंद, परंदौ-पु० [फा० परिन्दः] चिड़िया, पक्षी। वाला।
परंध्री-देखो 'पुरंधि' । पर्याण, पाणउ, पयारणो-देखो 'प्रयाण' ।
परंपर-पु० [सं०] १ अविच्छिन्न क्रम, सिलसिला। २ पुत्र, पौत्र पयाव, पयादौ-पु० [सं० पदाति] (स्त्री० पयादी) पैदल आदि । प्यादा ।
परंपरा-स्त्री० [सं०] अनुक्रम, सिलसिला । रीति पयार-पु० [सं० प्रकार] १ प्रकार । २ देखो 'पाताळ' । पर-वि० [सं०] १ अन्य, दूसरा, पराया। २ मागे का, पूर्व का। पयाळ-देखो 'पाताळ'। -सींगी='पाताळसींगी' ।
३ दूसरे का, पराए का। ४ बाद का। ५ चोर । -पु. पयाळि-१ देखो 'पाताळ' । २ देखो 'प्याली' ।
[सं०] १ शत्रु, वैरी। २पंख, पक्ष । -स्त्री० [सं०] ३ प्रीति, पयालु, पयालो-देखो 'प्यालो' ।
प्रेम । ४ प्रतिज्ञा, प्रण। ५ मर्यादा, परम्परा । ६ इतिहास । पयावच्च-पु० [सं० प्रजापति] ब्रह्मा।
इतिवृत्त । -अव्य० १ परन्तु, लेकिन । २ ऊपर, सीमा से पयावाळी-वि० धनवान, पंसे वाला।
परे। ३ देखो 'प्र'। पयावि-देखो 'प्रतापी'।
परइ-देखो 'परै'।
परइधत-पु० [सं० परैधित] दास, मृत्य । पयासणु-देखो 'प्रकासन' ।
परउपकार-देखो 'परोपकार' । पयासणी (बी)-देखो 'प्रकासणी' (बी)।
परउपकारी, परउपगारी-देखो 'परोपकारी'। पयूख-देखो 'पीयूख' ।
परकट-देखो 'प्रकट'। पर्य-देखो 'पय'।
परकज-देखो 'परकज्ज'। पयोद-पु० [सं०] बादल ।
परकजू-वि० परोपकारी। पयोवर-देखो ‘पयोधर'।
परकज्ज-पु० [सं० पर-कार्य] दूसरे का कार्य, पराया कार्य । पयोवु-देखो 'पयोद'।
परकत, परकत्त-देखो 'प्रक्रति' । पयोध-देखो 'पयोधि'।
परकमण, परकमणा, परकमा, परकम्मा-देखो 'परिक्रमा'। पयोधर-पु० [सं०] १ समुद्र । २ तालाब । ३ बादल । ४ स्तन,
परकर-पु० [सं० परश्वयं] वैभव । कुच । ५ गाय का प्रयन। ६ सूर्य । ७ गुरु-लघु की चार
परकरती-देखो 'प्रक्रति'। मात्रा का समूह । ८.४८ मात्रा का एक छन्द विशेष ।
परकरमण, परकारमण-पु० [सं० पर-कार्मण] अनुचर, नौकर । ९ छप्पय छंद का एक भेद विशेष ।
परकांड-देखो 'प्रकांड'। पयोधार, पयोधि-पु० [सं० पयोधर] १ सागर । २ जलाशय । परकार, परकाळ-पु० [फा० परकार] १ वृत्त बनाने का पयोनिध, पयोनिधि, पयोनिधी-पु० [सं० पयोनिधि] समुद्र । उपकरण । २ देखो 'प्रकार' । पयोमुख, पयोमुच-पु० [सं०] बादल, मेघ ।
परकास-पु. [सं० प्रकाश] १ हंस । २ देखो 'प्रकास' ।
परकासक-देखो 'प्रकासक' । पयोवह-पु० [सं०] बादल, मेघ ।
परकासण-देखो 'प्रकासण' । पयोव्रत-पु० [सं०] एक व्रत विशेष ।
परकासरगो (बी)-देखो 'प्रकासणी' (बी)। पयोहको-स्त्री० [सं० पयोष्णी] नदी।
परकासमान, पदकासवांन-देखो 'प्रकासवांन' । पयोहर-देखो 'पयोधर'।
परकिरिया-देखो 'प्रक्रिया'। पयो-पु० पैसा, धन, द्रव्य ।
परकीय-वि० [सं०] दूसरे का पराया ।
परकीया-स्त्री० [सं०] १ पर पुरुष से प्रेम करने वाली स्त्री। परं-प्रव्य किन्तु, लेकिन ।
२ एक प्रकार की नायिका । ३ गाथा छन्द का एक भेद । परंग, पर गि-पु० [सं० परंग] दूसरे का शरीर या अंग ।
परकीरण-देखो 'प्रकीरण' । परंच-अव्य० [सं०] १और भी। २ तो भी । ३ परन्तु ।
परकोट, परकोटो-पु० [सं० पर-कोट:] १ शहर पनाह । परजण (न)-देखो 'परजन्य' ।
| २ चाहर दिवारी, माहता।
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परकाप
परी
परकोप-देखो 'प्रकोप'।
परगळांरण, परगळाई-स्त्री० [सं० पुष्कल] १ बाहुल्यता, परक्खरणी (बी)-देखो 'परखणी' (बी)।
आधिक्य । २ विस्तार, फैलाव । परक्रत, परक्रति, परकत्त, परक्रत्ती-त्री० [सं० परकृति] १ दूसरे | परगळो-देखी 'परगळ' ।
का किया कार्य । २ दूसरों की रचना । ३ देखो 'प्रक्रति' । परगस-पु० पुष्प विशेष । परक्रम, परक्रमा-देखो परिक्रमा' ।
परगह-देखो 'परिग्रह। परखंड-पु० [सं०] विदेश, परदेश ।
परगाढ़-देखो 'प्रगाढ़'। परख-देखो 'परीक्षा'।
परगाळ-देखो 'प्रगाळ' । परखरगो (बो)-क्रि० [सं० परीक्षणम्] १ गुण, दोष, स्वभाव | परगाळियौ-देखो 'प्रगाळियो' ।
प्रादि की जाँच करना । २ परीक्षा करना । ३ मान, महत्त्व परगासंक-देखो 'प्रकासक'। मादि की जानकारी करना । ४ जानना, पहिचानना । | परमासणी (बौ)-देखो 'प्रकासणी' (बी) ५ कसौटी पर रख कर देखना ।
परगाह, परगे, परग्गह-देखो 'परिग्रह' । परखत्र-वि० [सं० पर-क्षत्रम्] क्षत्रियत्व, वीरता, बहादुरी ।। परग्या-देखो 'प्रग्या'। परखद, परखबा-देखो 'परिसद' ।
परग्याचक्ष -देखो 'प्रग्याचक्षु' । परखर-१ देखो 'प्रखर' । २ देखो 'परकर' ।
परग्रह-देखो 'परिग्रह। परखा-देखो 'परीक्षा'।
परघट-देखो 'प्रकट'। परखाई-स्त्री० [सं० परीक्षा] १ परखने की क्रिया या भाव। परघरळ, परघळ-देखो 'परगळ' । .२ परखने की मजदूरी ।
परघळणी (बौ)-देखो 'पिघळणो' (बी)। परवाणी (बी), परखावरणी (बी)-क्रि० १ किसी वस्तु के गुण | परघळांण, परघळाई-देखो 'परगळांण' ।
दोषों की जांच कराना । २ मान, परिमाण प्रादि ज्ञात | परघळो-देखो 'परगळ' । कराना । ३ परीक्षा कराना, जांच कराना । ४ किसी प्राणी | परघु, परघू, पर घे, पर-देखो 'परिग्रह। के स्वभाव व चरित्र की जानकारी कराना । ५ पहचान परप्रत-पु. [सं० परघृत] मक्खन, मवनीत ।
कराना । ६ परिचय कराना। ७ कसौटी पर कसवाना। परक, परड़ोटियो-स्त्री. एक जाति विशेष का सर्प । परखी-स्त्री० [सं० परीक्षणम्] बंद बोरे में से कुछ अनाज प्रादि | परडो-देखो 'प्रलय' ।
निकाल कर देखने का लोहे का उपकरण । 'बबी' । परचंड-देखो 'प्रचंड' । परस्य-देखो 'परीक्षा'।
परचइ-१ देखो 'परचौ । २ देखो 'परिचय । परग-पु० पैर, चरण ।
परचक्कपल्ल-वि० शत्रु दल को रोकने वाला वीर । परगड़उ-देखो 'प्रकट' ।
परचसो (बी)-क्रि० [सं० प्रच्छ] १. कहना । २ स्वीकार परगजु-देखो 'परकजु'।
करना, मानना । ३ समझना । परगट-देखो 'प्रकट'।
परचलण-देखो 'प्रचलन'। परगटणौ (बो)-देखो 'प्रकटणी' (बौ)।
परवाइलो (बी)-देखो 'परचाणो' (बी) । परभटारणी (को), परगटावरणी (बी)-देखो 'प्रकटाणी' (बी)। परचाणी (बो)-क्रि० १ कहलाना । २ स्वीकार कराना । परगट्ट-देखो 'प्रकट' ।
३ परिचित कराना। परगडरणो (बो)-देखो 'प्रकटणी' (बी)।
परचाधारी-पु० १ सिद्ध पुरुष, महात्मा । २ चमत्कार पूर्ण परगडी-वि० [सं० प्रकट] प्रकट ।
काम करने वाला पुरुष । परगणो-देखो 'परगनौ'।
परचार-देखो ‘प्रचार' । परगत-पु० [सं० परित्यक्त] १ परित्याग । २ देखो 'प्रक्रति' ।
परचारणौ (बौ)-देखो 'प्रचारणौ (बी)। परगती-१ देखो 'प्रक्रति' । २ देखो 'प्रगति' । परगनौ-पु० [फा० पर्गन:] एक ही प्रशासन के अधीन कुछ
परचारत-देखो 'प्रचास्ति'। गांवों का समूह । क्षेत्र विशेष ।
परचावरणी (बौ)-देखी 'परचाणो' (बी) । परगरणी (बी)-क्रि० [सं० परिगलनम्] घुल जाना । परचासुध-वि० सतर्क, होशियार । सिद्ध । परगळ-वि० [सं. पुष्कल] (स्त्री० परगळी) प्रचुर, अधिक, | परची-स्त्री० [सं० परिचय] १ किसी महात्मा के जीवन पूर्व, पूरा ।।
चरित्र संबंधी ग्रंथ । २ कागज की पर्णी (स्लिप)।
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परचूण
परणाणी
परचूण (न)-वि० फुटकर, जो थोक न हो । -पु. फुटकर | परजायोक्ति-पु० [सं० पर्यायोक्ति] एक प्रकार का अर्थालंकार । किराणे का सामान ।
परजाळ-पु० [सं० प्रज्वलनम्] प्राग की लपट, जलन । परचूनी-वि० १ फुटकर व्यापार संबंधी । २ फुटकर किराणा परजाळणी (बो)-देखो 'प्रजालणो' (बी)। ___ संबंधी।
परजाव-पु० अवसर, मौका । परचूररिण-देखो पड़चूरण'।
परजिण, परजिन-१ देखो 'परजन्य' । २ देखो 'परिजन' । परचूरता-देखो 'प्रचुरता' ।
परजूड़ी-स्त्री० जूए का निम्न भाग, प्रासंग । परचेतस-पु० [सं०] वरुण ।
परट्ट, परट्ठ-देखो 'परठ'। परच-देखो 'परिचय' ।
परहणी, (बौ)-देखो 'परठणी' (बौ)। परचौ-पु० [सं० परिचय, फा० परचः] १ चमत्कार । पराणी (बौ), परट्ठावरणो (बो)-देखो 'परठाणों (बी)। .
२ परिचय, पहचान । ३ शक्ति, बल । ४ पत्र, चिट्ठी। परठ-स्त्री० [सं०परस्थापन्] १समाचार, सूचना । २ सूची,लिस्ट । ५ परिणाम, फल । ६ प्रश्न, सवाल । ७ परीक्षा का __३ चौकसाई, दक्षता । ४ निरख, भाव, रेट । ५ आकाश, प्रश्न-पत्र । ८ देखो 'पड़छौ' ।
प्रासमान । ६ ब्रह्मा। परचोवरणी (बी)-क्रि० [सं०क्वचित] उपदेश देना, समझाना। परठण-क्रि० [सं० पर-स्थापनम्] १ स्थिति ।२ व्यवस्था । परछणी (बी)-क्रि० [सं० प्रोक्षणम्] १ पकड़ना । २ स्त्रियों ३ प्रस्थान । द्वारा तोरण पर प्राये दूल्हे का स्वागत करना।
परठणी (बी)-कि० [सं० प्रतिष्ठापितं] १ चिह्न बनाना, परछन-स्त्री० [सं० परि+अर्चन] तोरण पर पाये दूल्हे का निशान बनाना। २ पहनना, धारण करना । ३ भेजना, स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला स्वागत ।
पठाना । ४ प्रस्थान, करना । ५ पूजा करना, पूजना । परछयजार-पु० [सं० परक्षयज्वाल] सुदर्शन चक्र ।
६ स्थापित करना, सजाना । ७ देखना । ८ प्रहार करना । परछाई, परछाई-स्त्री० [सं० प्रतिच्छाया] १ छाया अक्स । ६ रखना । १० चलना । ११ बन्दूक से निशाना लगाना । २ प्रतिबिंब, परछाई।
१२ रचाना, बनाना । १३ देना। १४ देव मन्दिर की परछाणी (बो), परछावणी (बौ)-क्रि० १ पकड़ाना । स्थापना करना, प्रतिष्ठा करना। २ तोरण पर दूल्हे का स्वागत कराना ।
परठता-स्त्री० [सं० प्रतिष्ठापनम्] जैन साधुनों के लघु शंका परछेव-देखो 'परिच्छेद।
करने का पात्र विशेष । परजक-देखो 'परयंक' ।
परठाणी (बो), परठावरणी (बी)-क्रि० १ चिह्न बनवाना, निशान परजंग-देखो 'प्रजंघ'।
बनवाना । २ पहनाना, धारण कराना। ३ भिजवाना, परजंत-देखो 'परयंत'।
पठवाना । ४ प्रस्थान कराना। ५ पूजा कराना, पुजवाना। परज-स्त्री० [सं० पराजिका] १ एक रागिनी विशेष । २ देखो ६ बंधवाना, सजवाना । ७ दिखाना।८ प्रहार कराना। 'प्रज'। ३ देखो 'प्रजा'।
९ रखवाना । १० चलवाना । ११ बन्दूक से निशाना लगपरजघण-पु० सूपर।
वाना । १२ रचना कराना, बनवाना। १३ दिलाना। परजन, परजन्य-पु० [सं० पर्जन्य] १ मेघ, बादल । २ वर्षा । १४ देव मन्दिर की स्थापना कराना, प्रतिष्ठा कराना । ३ इन्द्र । ४ देखो 'परिजन' ।
परठि-स्त्री० [सं० पृथ्वी] १ पृथ्वी, भूमि । -पु० २ समुद्र । परजळणी (बो,-देखो 'प्रजळणी' (बी)।
परठौ-पु० [सं० प्र-स्था] सजावट । परजळाणी (बो)-देखो 'प्रजळाणी' (बी)।
परड, परडोटियो-देखो 'परड़' । परजा-देखो 'प्रजा'।
परण-पु० [सं० पर्ण, परिणय] १ पत्र । २ पलास । परबाऊ-देखो 'परिजाऊ'।
३ विवाह। परजागर-देखो 'प्रजागर'।
परणकुटी-स्त्री० [सं०पर्ण-कुटी] घास-फूस की कुटिया, झौंपड़ी। परजात-पु० [सं०] १ नौकर, चाकर, सेवक । २ कोकिल परणण-पु० [सं. परिणय] विवाह।।
कोयल । -वि० १ दूसरे से उत्पन्न । २ पराश्रित । परणणी (गे)-क्रि० [सं० परिणयनम्] विवाह करना, विवाहित ३ दूसरी जात का।
___ होना। परजापत (पति, पती)-पु. १ इन्द्र । २ देखो 'प्रजापति'। परणसाळा-स्त्री० [सं० पर्णशाला] झोंपड़ी, कुटिया । परजापाळ-देखो 'प्रजापाळ'।
| परणाणी (बी)-क्रि० [सं० परिणयनम विवाह कराना।
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पररणाम
परदोस
परणांम-१ देखो 'प्रणाम' । २ देखो 'परिणाम' ।
परतिनिधि-देखो 'प्रतिनिधि' । परणाळ-देखो 'परनाळ'।
परतीत, परतीति, (ती)-१ देखो 'प्रतीत' । २ देखो 'प्रतीति' । परणावरणौ (बौ)-देखो 'परणाणी' (बी)।
परते'क-देखो 'प्रत्येक'। परणाह-वि० [सं० परिणाह] दीर्घ, बड़ा।
परते-क्रि० वि० द्वारा, मार्फत, से। पररिण, परणी-स्त्री० [सं० परिणीता] १ विवाहिता स्त्री। परतो-देखो 'परचौ'। २परची, स्लिप।
परत्त-देखो 'परत'। परणेत-वि० [सं० परणीत] विवाहित ।
परत्तख-देखो 'प्रत्यक्ष। पररणेता-स्त्री० [सं० परिणीता] विवाहिता स्त्री।
परत्थी-देखो 'परत्री'। परणेतू-वि० १ विवाह संबंधी । २ देखो 'परणेत' ।
परत्यक्ष-देखो 'प्रत्यक्ष' । परणी-पु० [सं० परिणयनम्] विवाह ।
परत्र-प्रव्य० [सं०] परलोक में, अगले जन्म में । परण्योड़ो, परण्यौ-वि० विवाहित । -पु० पति ।
परत्री-स्त्री० [सं० पर+स्त्री] पराई स्त्री। परतंग्या-देखो 'प्रतिग्या'।
परथ-वि० [सं० परार्थ] पराधीन, परतंत्र । परतंचा-देखो 'प्रत्यंचा।
परवट्टपल्ल-वि० शत्रु दल को रोकने वाला वीर । परतंत, परतंत्र-वि० [सं० परतंत्र] १ अधीन, वशीभूत । | परथम-देखो 'प्रथम'।।
२ दूसरे के सहारे रहने वाला, पराधीन । ३ देखो | परथी-देखो 'प्रथवी'।-धर='प्रथवीधररा-नाथ 'प्रथवीनाथ'। 'परमतत्त्व' ।
परवकरण, परवकणा, परवक्खरण, परदक्षण, परवक्षणा, परवखरण, परत-पु०१ सामना, मुकाबला । २ प्रण, प्रतिज्ञा । ३ प्रकृति, | परवखरणा-देखो 'प्रदक्षिणा' ।
स्वभाव । ४ तह । ५ स्तर । ६ पुट । ७ पपड़ी। ८ पर्दा, | परवर-देखो 'प्रदर'। प्रावरण। किसी पत्र की प्रतिलिपि । -सर्व० प्रापस, परवरप-पु० [सं० परदपं] पक्षी। परस्पर । -क्रि० वि० १ हरगिज, कदापि, कभी भी । परदरसक-पु० १ गढ़, किला । २ देखो 'प्रदरसक' । २ प्रत्यक्ष । ३ देखो 'पड़त' ।
परदळि (लि)-पु० [सं० पर दल] शत्रुसेना । परतक-देखो 'प्रत्यक्ष'।
परदान-१ देखो 'प्रदान' । २ देखो 'प्रधान' । परतकाळी-स्त्री० एक प्रकार की शराब ।
परवानगी-देखो 'प्रधानगी' । परतकूळता-देखो 'प्रतिकूळता' ।
परदाखत-पु० [अ० परदास्त] संरक्षण, देखभाल । परतक्ख, परतक्ति, परता, परतत, परतखि, (खी, ख्य)-देखो | परदाज-पु० सजावट, सज्जा। 'प्रत्यक्ष'।
परदादार-वि० [फा० पर्दादार]पर्दा रखने वाला, वाली। -स्त्री. परतग्या-देखो 'प्रतिग्या'।
पर्दा रखने वाली स्त्री। परतणो (बी)-क्रि० परिवर्तित होना।
परवावारी-स्त्री० [फा० पर्दादारी] पर्दा रखने की क्रिया या परतमा-देखो 'प्रतिमा'।
प्रथा। परतमाळ, परतमाळा, परसमाळी-१ देखो 'प्रतिमा' । २ देखो | परदादो-देखो 'पड़दादी'। (स्त्री० पड़दादी) 'प्रतिमाळ'।
परदायत-देखो ‘पड़दायत'। परतळ-देखो 'पड़तळ'।
परदक्षिण, परदक्षिणा, परदिखणा-देखो 'प्रदक्षिणा' । परतळी-पु. १ पुतला। २ चद्दर, चादर । ३ देखो 'पड़तळो'। परदीपत, परदीप्त-देखो 'प्रदीप्त' । परताप-पु० १ किनारा, तट । २ देखो 'प्रताप' ।
परदुज-देखो 'परदाज' । परतापी, परतापीक-देखो 'प्रतापी' ।
परदे, परदेस, परदेसड़ी (ो)-पु० [सं० परदेश] १ अन्य देश, परताळ-देखो 'पड़ताळ'।
पराया देश । २ प्रदेश । परताळणी (बौ)-देखो 'पड़ताळणो' (बो)।
परदेसि, परदेसी, परदेसीडो-वि० [सं०परदेशी] (स्त्री० परदेसण परतिग्या-देखो 'प्रतिग्या'।
(णी) अन्य देश का, विदेशी । -पु. १ अन्य देश का परति-देखो 'प्रति'।
निवासी। २ अन्य देश का पदार्थ । परतिकूळ-देखो 'प्रतिकूळ' ।
परदेह-देखो 'परदेस'। परतिख-देखो 'प्रत्यक्ष'।
परवोस-देखो 'प्रदोस'
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परदो
परभेद
परदौ-देखो 'पड़दौ'।
परबतमेर-देखो 'मेरुपरवत'। परधान-१ देखो 'प्रधान' । २ देखो 'परिधान'।
परबत्त-देखो 'परवत' । परधानगी-देखो 'प्रधानगी'।
परवयं-पु० [सं० पर्वयश] सुदर्शन चक्र । परघांम-पु० [सं० परधाम] परलोक ।
परबळ-देखो 'प्रबळ'। परनाळ-पु० [सं० प्रणाल] छत का पानी नीचे बहाने का परबस-वि० [सं० परवश] १ पराधीन, जो स्वतंत्र न हो, दूसरों नाला।
का वशवर्ती । २ पराश्रित । ३ विवश, मजबूर। परनाळका-देखो 'प्रपाळका'।
परबसता, परबसताई-स्त्री० परावीनता, विवशता । परनाळणी (बो)-क्रि० [सं० प्रणालनम्] चीरना, फाड़ना। परबात-देखो 'प्रभात'। परनाळी (ळो)-१ देखो 'परनाळ' । २ देखो 'प्रणाली' । परबारी-वि० [सं० पर-द्वार] (स्त्री० परबारी) १ जो किसी परन्योड़ो-देखो 'परण्योड़ी।
के मार्फत न हो, सीधा, प्रत्यक्ष । २ स्वतः, स्वयं ही। परपंच-देखो 'प्रपंच'।
३ बिना, रहित । -क्रि०वि० १ परोक्ष में, पीठ में । परपंची-देखो 'प्रपंची'।
२ बीच वालों को छोड़ते हुए । ३ बिना रुके। परपख-देखो 'परिपक्व' ।
परबाळ-पु० १ प्रांख में चुभने वाला, पलक का बाल । परपचक-वि० [सं० प्रपाचक] पचाने वाला, पाचक ।
२ देखो 'प्रवाल'। परपट, परपटी-वि० [सं०. पर्पट] पपड़ी जमा हुमा, सूखा।' परबीरण, परबीन-देखो 'प्रवीण'।
-स्त्री० १ पपड़ी, तह । २ पापड़ । ३ वैद्यक में एक प्रकार | परबेस-देखो 'प्रवेस'। का रस ।
परबोद, परबोध-पु० [सं० प्रबोध] १ एक छन्द विशेष । परपत्रावली-स्त्री० [सं०] खजूर ।
२ देखो 'प्रबोध'। परपराट-स्त्री० परपराहट ।
परबोधक-देखो 'प्रबोधक' । परपरिवाब-पु० [सं०] १ अपवाद, परिवाद । २ पराये दोष देखने | परबोधणी (नी)-देखो 'प्रबोधनी' । ___की क्रिया या भाव । (जैन) :..
परबोधणी (बी)-देखो 'प्रबोधणो' (बी)। परपात-पु० [सं० परिपात] १ डाकू, लुटेरा । २ देखो 'प्रताप'।। परपिंड, परपिंडी-पु० [सं० परपिण्ड] चाकर, दास ।
| परब्बत, परब्ब-देखो 'परवत' । परपुरुस-पु० [सं० परपुरुष] पति के अलावा कोई पुरुष, अभ्य
परबहम, परब्रह्म, परब्रिह्म-पु० सं० परब्रह्मन्] १ परमारमा पुरुष जो परिवार का न हो।
___ईश्वर । २ शिव । परपुस्ठ-स्त्री० [सं० परपुष्ट] कोयल। परपूठ-क्रि०वि० [सं० परपृष्ठ] पीठ पीछे, अनुपस्थिति में।
परभव, परमवि-पु० [सं० परभव] १ दूसरा लोक । २ दूसरा परपूरण-देखो 'परिपूरण'।
जन्म । ३ देखो 'परिभव' । परपेठ-स्त्री० पहली व दूसरी बार लिखी हुण्डी के खो जाने पर | परभवणी (बौ)-क्रि० तिरस्कृत होना, अनादृत होना। तीसरी बार लिखी हुण्डी।
परभवह-पृ० [सं० परिभवः] अनादर, तिरस्कार । परिभव । परपोतरी, परपोतो, परपोत्र, परपोत्री-देखो 'प्रपोत्र'। (स्त्री० | परमा-देखो 'प्रभा'। परपोतरी, परपोती, परपोत्री)
परभाकर-देखो 'प्रभाकर'। परप्पण-देखो 'पड़पण'।
| परभात, परभातड़ली, परमातड़ी, परमाती-१ देखो 'प्रभात' । परप्रिया-स्त्री० [सं०] १ वेश्या, गणिका। २ कुल्टा स्त्री,
२ देखो 'प्रभाती'। व्यभिचारिणी। परकूल्लत-देखो 'प्रफुल्लित' ।
परमातीतारौ-देखो 'प्रभातियो-तारौ' । परवंव-पु. [सं० पदबंध] नृत्य की एक गति ।
परभारी-देखो 'परबारी'। परब-देखो 'परव'।
परभाव-देखो 'प्रभाव'। -साळी='प्रभावसाळी' । परबत-देखो 'परवत'।
परभास-पु० [सं० प्रभासः] सूर्य, रवि । -क्षेत्र 'प्रभासक्षेत्र'। परबतना-देखो 'परवतजा'।
परभु, परभू देखो 'प्रभु'। परबतमाळ (माळा)-देखो 'परवत-माळा' ।
परभेद-देखो 'प्रभेद' ।
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परात
परात, परचित पु० [सं० परभृतः ] १ शिव, महादेव २ चाकर, सेवक । ३ कोयल । ४ स्वामिकार्तिकेय । परम वि० [सं०] १ अंतिम २ प्रति दूरवर्ती ३ बहुत । ४ मुख्य, प्रधान । ५ सर्वोच्च, सर्वश्रेष्ठ । ६ प्रारम्भिक । ७ प्रत्यंत, बहुत महान्, बड़ा पु० १ ईश्वर परमात्मा । २ विष्णु । ३ शिव । ४ कामदेव | - श्रव्य० परसों ।
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( ३५ )
परम कोस पु० [सं० परम-को०] कपट
परमगत, परमगति ० [सं० परमगति] मोक्ष, मुक्ति । परमगुर, परमगुरु (रू) - पु० [सं० परमगुरु ] १ ईश्वर । २ शिव । ३ श्रीकृष्ण । ४ चंद्र, चांद । परमचित- पु० [सं० पराचित] चाकर, सेवक। स्त्री० संगीत परमादो-देखो प्रमाद' ।
की एक ताल । परमत देखो 'प्रमत्त' ।
परमतत (तत्व) - पु० [सं० परमतत्त्व ] १ विश्व के विकास का
मूल तत्त्व । २ ब्रह्म, ईश्वर । परमस्थ, परमथ- देखो 'प्रमथ' नाथ = 'प्रमथनाथ' | परमव - पु० [सं०] शराब से होने वाला एक रोग विशेष । परमधाम पु० [सं० परमधाम] वैकुण्ठ, स्वर्ग
1
परमनंद, परमनंदन - पु० [सं०] गणेश, गजानन । परमपद-पु० [सं०] १ मुक्ति, मोक्ष २ ईश्वर । परमपिता पु० [सं०] परमेश्वर, ईश्वर परमपुर - पु० [सं०] १ विष्णुलोक । २ वैकुण्ठ, स्वर्ग । ३ कैलाश, शिवधाम ।
1
परमफळ - पु० [सं०] मोक्ष, मुक्ति । परमब्रह्म १० [सं०] ईश्वर । परमब्रह्मचारिणी श्री० [सं०] दुर्गा परमर - वि० श्र ेष्ठ, उत्तम ।
परम
परमपुराण - पु० [सं० परम-परायण] ईश्वर । परमपुरा पु० [सं० परम पुरुष] ईश्वर, विष्णु
परमप्रिय पु० [सं०] १ दो ह्रस्व मात्राओं का नाम । २ प्रत्यन्त प्रिय प्राणी । ३ पति ।
1
परमळि पु० के हुए दाने २ देखो 'परिमळ' ।
परमसुख - पु० [सं०] घन
परमहंस वि० [सं०] सीधा, सरल, भोला-भाला। -पु० १ परमात्मा ईश्वर । २ ज्ञान मार्ग में घप्रणी, संन्यासी ।
३ संन्यासियों की चार णियों में से श्रेष्ठ श्रेणी । ४ उक्त श्रेणी का संन्यासी ।
परम १ देखो 'प्रमाण' २ देखो 'परमाणु' । परमाणिक देखो प्रमाणिक'
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परमाणु, (लौ ) - पु० [सं० परमाणु ] १ अत्यन्त सूक्ष्म कण । २ किसी पदार्थ का अत्यन्त छोटा अंश जिसका खण्ड न हो सके बाद पु० सृष्टि संबंधी एक सिद्धान्त
बाबी
- पु० उक्त सिद्धान्त को मानने वाला । परमा- देखो 'प्रमा' |
परमाइस्ट- पु० [सं० परमेष्टिन् ] ब्रह्मा ।
परमानंद, परमानंदौ-देखो 'परमानंद' ।
परमेसर
परमातम, परमातमा, परमात्म, परमात्मा पु० [सं० परमात्मा ] १ ईश्वर, परमेश्वर । २ परब्रह्म । परमाददेखी 'प्रसाद' 1 परमादी- देखो 'प्रमादी' ।
परमाई पु० [सं०] १ जीव और ब्रह्म में अभेद करने वाला वेदान्त का सिद्धान्त । २ परब्रह्म, परमात्मा ।
परमा
परमाद्यमी पु० [सं० परम धार्मिक ] नरकवासियों को दण्डित करने वाला देव ।
परमानंद, परमानंदी - पु० [सं० परमानंद ] १ आनन्द स्वरूप ब्रह्म, परमात्मा । २ ब्रह्म के अनुभव का सुख, ब्रह्मानन्द । ३ अत्यधिक सुख ।
परमापति ० [सं० परमन्यति] ईश्वर ।
परमायत- वि० ० १ सब से दीर्घ । २ सब काल में स्थित । परमार पु० [सं० प्राभार ) एक राजपूत वंश
परमारत, परमारथ पु० [सं० परमार्थ] १ परोपकार २ उत्कृष्ट पदार्थ । ३ मोक्ष । ४ परमसुख । ५ वास्तविक सत्ता । परमारथता - स्त्री० [सं० परमार्थता] १ सत्य भाव, यथार्थं । २ परोपकारिता
परमारथी - वि० [सं० परमार्थी ] १ परोपकारी । २ मोक्ष चाहने वाला ।
परमाहनी, परमाहम्मिश्र वि० [सं० परम-अधर्मी ] १ परूम धर्मी, महानीच । २ देखो 'परमाधांमी' । परमिट्ठी- देखो 'परमेस्ठी' ।
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परमिति पी० [सं०] १ सीमा २ मर्यादा ३ परिमिति । ४ नाप, परिमाण ।
पर मिस्ट- पु० [सं० परमेष्ट ] ब्रह्मा ।
परमुख वि० [सं०] १ प्रतिकूल या विरुद्ध धारण करने वाला। २ विमुख, उल्टे मुंह । स्त्री० १ राजस्थानी साहित्य की एक विद्या । २ देखो 'प्रमुख' ।
परमे देखो 'परम' |
परमेठि- देखो 'परमेस्टी' ।
परमेस (रु) - पु० [सं० परमेश] १ परमेश्वर । २ परब्रह्म । परमेसटी- देखो 'परमेस्ठी'
परमेसर देखो 'परमेस्वर'।
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परमेसरी
परवतसुत
परमेसरी-देवो पर मेस्वरी'।
परळउ-देखो 'प्रळय'। परमेसर, परमेसुर-देखो 'परमेस्वर' ।
परळको-देखो 'पळको'। परमेस्ट-देखो 'परमेस्ठ' ।।
परळय-देखो 'प्रळय' । -करण-'प्रळयकरण' । परमेस्टि, परमेस्टी-देखो 'परमेस्ठी' ।
परळाई-स्त्री० उछल कूद । परमेस्ठ-पु० [सं० परमेष्ठ] ब्रह्मा, प्रजापति ।
परळे-देखो 'प्रलय'। -करण-'प्रळयकरण' । परमेस्ठि, परमेस्टिनी-स्त्री० [सं० परमेष्ठिनी] १ देवी। २ श्री। परल-क्रि०वि० [सं० पर-लै] उस ओर, दूसरी ओर, उधर । परमेस्ठी-पु० [सं० परमेष्ठिन्] १ ब्रह्मा, चतुरानन । २ अग्नि -वि० उधर के, उस ओर के ।
प्रादि देवता । ३ तत्त्व, भूत । ४ एक यज्ञ विशेष । परल दिन-देखो 'पैलदिन' । ५ शालिग्राम की एक मूर्ति । ६ ब्रह्म का रूप, विराट पुरुष। परलोक-पु० [सं०] १ वैकुण्ठ । २ दूसरा लोक । ३ यमलोक । ७ अहंन्, सिद्ध, प्राचार्य, उपाध्याय और मुनि ।
परळो-देखो 'प्रळय'। परमेस्वर-पु० [सं० परमेश्वर] १ ईश्वर, ब्रह्म । २ विष्णु। परलो-वि० [सं०पर-रा+लौ] (स्त्री०परली) १ उस प्रोर का, ३ शिव ।
दूसरी पोर का। २ सामने की पोर भगा हुआ। ३ ध्यान परमेस्वरी-स्त्री० [सं० परमेश्वरी] देवी, दुर्गा ।
देने वाला । ४ उत्तर काल भव । ५ दूसरा। परमेह-देखो 'प्रमेह' ।
परव-पु० [सं०पर्वन्] १ ग्रथि, जोड़, गांठ । २ अंश, भाग,टुकड़ा, परम-प्रव्य० परमों।
विभाग। ३ ग्रंथ का भाग। ४ निर्दिष्टकाल, अवधि । परमोच्छव, परमोछव, परमोतसव-पु० [सं० परम-उत्सव] | ५ पूर्णिमा, अमावस्या और संक्रांति । ६ देव पूजन या व्रत १ बड़ा उत्सव, महान् उत्सव । २ हंसी, खुशी व मानन्द
उपवास की तिथि विशेष । ७ उत्सव, पुण्यकाल । का अवसर ।
८ अवसर, मौका । ६ त्यौहार । १० यज्ञादिक उत्सव । परमोद-१ देखो 'प्रबोध' । २ देखो 'प्रमोद'।
११ चन्द्र या सूर्य ग्रहण। [सं० प्रपा] १२ पौसाला, परम्म-देखो 'परम'।
प्याऊ । १३ कूप, कुण्ड । १४ समय । -कार-पु. लोभ वश परम्मळ-देखो 'परिमळ' ।
पर्व दिनों का धर्मानुष्ठान अन्य दिन को कराने वाला परम्मुख-देखो 'परमुख' ।
ब्राह्मण । -काळ-पु० पर्व का समय, पुण्य काल । परम्य-देखो 'परम'।
चतुर्दशी, अष्टमी, पूणिमा, अमावस्या और संक्रान्ति । परयंक-पु० [सं० पर्यक] पलंग, शय्या ।
चन्द्रमा के क्षय का समय। --गांमी-स्त्री० पर्व के दिन परयंत-प्रव्य० [सं० पर्यंत] तक, लो, निश्चित सीमा तक स्त्री प्रसंग करने वाला। परयटन-पु० [सं० पर्यटन] भ्रमण, देशाटन ।
परवज-पु० [सं० पर्वज] तने में गांठ वाला वृक्ष । परयाग-देखो 'प्रयाग।
परवरणी-स्त्री० [सं० पर्वणी] पूर्णिमा, पूनम । परायागत-देखो 'प्रियागत' ।
| परवत-पु० [सं० पर्वत] १ पहाड़, पर्वत । २ पहाड़ की तरह परयाप्त-वि० [सं० पर्याप्त] यथेष्ट, यथोचित, पूरा, जितना ही ऊंचा ढेर । ३ दशनामी संन्यासियों की एक शाखा । आवश्यक हो।
४ वृक्ष, पेड़। ५ महाभारत के अनुसार एक गंधर्व का परपुक्षण-पु० [सं० पर्युक्षणम्] पूजन से पूर्व मंत्रोच्चार से नाम । ६ एक प्रकार की मछली। पवित्र करने की क्रिया।
परवतमरि-देखो 'परवतारि'। परयुक्षणी-स्त्री० [सं० पर्युक्षणी] शुद्धिकरण के लिये पानी परबतजा-स्त्री० [सं० पर्वतजा] १ पार्वती, गिरिजा । २ नदी। लेकर छिड़कने का पात्र ।
परवतनंदणी (नी)-स्त्री० [सं० पर्वतनन्दिनी] १ पार्वती परयुसण, परयूसरण-पु० [सं० पयुषणम्] १ पूजन, अर्चन, | गिरिजा । २ गौरी। सेवा। २ जैनियों का एक पर्व विशेष । ३ वर्षाकाल में
वर्षाकाल में | परवतमाळ, परवतमाळा-स्त्री० [सं० पर्वतमाळा] १ पर्वत साधुमों का एक ही स्थान पर विश्राम ।
श्रेणी । २ हिमालय पर्वत । पररउ-वि० पराया, दूसरे का ।
परवतमेर-पु. मेरु पर्वत। परळंब-देखो 'प्रलंब'।
परवतराज-पु० [सं० पर्वतराज] १ हिमालय पर्वत । २ कोई परळंबो, परसंबो-देखो 'प्रलंब'।
बड़ा पर्वत । ३ सुमेरू, पर्वत । परळ-स्त्री. १ झूठ। २ असत्य बात, गप्प ।
| परवतस्त-पु० [सं० पर्वतसुत] लोहा ।
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परवतारि
परसत
परवतारि-पु० [सं० पर्वतारि] इन्द्र ।
परवाइ, परवाई-स्त्री० [सं० पूर्व-वायु] वर्षाकालीन पूर्व दिशा परवतासरण(न)-पु० [सं० पर्वतासन] एक प्रकार का योगासन। की वायु । परवतास्त्र-पु० [सं० पर्वतास्त्र] एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र । | परवाड़मल (मल्ल)-देखो 'प्रवाड़मल्ल' । परवतिया-वि०१ पर्वत संबधी, पर्वत का। २ पर्वतों में रहने । परवाडौ-देखो 'प्रवाड़ो' ।
वाला। ३ पर्वतों में उत्पन्न होने वाला। -स्त्री० एक प्रकार परवाद-पु० [सं० प्रवाद] १ छल, कपट । २ देखो 'प्रवाद' । की बकरी।
परवायी-देखो 'परवाइ'। परवतेस, परवतेसर-पु० [सं० पर्वतेश] १ हिमालय पर्वत । परवार-देखो 'परिवार' । २ सुमेरु पर्वत । ३ कोई बड़ा पर्वत ।
परवारणो, (बी)-क्रि० [सं० परवारणम्] १ मस्त होना, परवन-स्त्री० मेवाड़ की एक नदी।
लीन, होना, तल्लीन होना । २ तृप्त होना, अघाना । परवर-वि० [फा०] परिपालक, पोषण करने वाला। -स्त्री. ३ तैयार होना, सन्नद्ध होना । ४ दुरावस्था को प्राप्त होना,
१ चूल्हे की बेवणी । २ देखो 'प्रवर' । ३ देखो 'परवळ' । खराब दशा में आना । ५ नष्ट होना, बरबाद होना। परवरगो (बी)-क्रि० [सं० प्रवर्तनम्] १ घूमना-फिरना । ६ नीति पथ से भ्रष्ट होना, बदचलन होना । ७ बरबाद
२ व्याप्त होना। ३ प्रसिद्धि प्राप्त करना। ४ प्रस्थान कर देना । ८ बिगड़ना । करना, गमन करना।
परवारौ-१ देखो 'परिवार' । २ देखो 'परबारी' । परवरती-वि० [सं० प्रवर्ती] १ भूले भटकों को राह पर लाने परवाळ-देखो 'प्रवाळ'। वाला । २ बाद का, बाद में होने वाला।
परवाळि, परवाळी-पु. १ प्रवाल के रंग से मिलते-जुलते रंग का परवरदिगार, परवरदीगार-पु० [फा०] १ ईश्वर । २ पालन __ वस्त्र । २ देखो 'प्रवाळ' । कर्ता. पालक । .
परवाह-१ देखो 'प्रवाह' । २ देखो 'परवा' । परवरा-वि० पर्व का पर्व संबधी ।
परवाहणो, (बौ)-देखो 'प्रवाहणौ' (बी)। परवरिस, परवरिसी-स्त्री० [फा० परवरिश] पालन-पोषण ।।
परवाहपय-पु० [सं० प्रवाह-पय] नदी । परवळ-स्त्री० १ एक प्रकार की लता विशेष । २ उक्त लता का
परवाही-वि०१ परवाह करने वाला । २ खुशामदी, चापलूस । फल । ३ नागरबेल का फल । ४ चिचड़ा का फल ।
३ देखो 'परवाई' । ४ देखो 'प्रवाही' । परवलांण-स्त्री० घोड़े के पर बाधने की रस्सी ।
परवीण-देखो प्रवीण'। परवस-वि० [मं० परवश] १ पराधीन, परतंत्र । २ पराश्रित ।
परवीणता-देखो 'प्रवीणता'। ३ विवश, मजबूर।
परवीन-देखो 'प्रवीण' । परवसता-स्त्री० [सं० परवशता] १ पराधीनता, परतंत्रता ।
परवेस-१ देखो परवेस' । २ देखो 'प्रवेस' । २ दूसरों पर निर्भरता। ३ विवशता ।
परबढ़-पु० राजा, नृप। परवसि-देखो 'परवस'।
परब्रहम-देखो 'परब्रह्म'। परत्रस्ती-स्त्री० परवरिश, पालन-पोषण ।
परसंख्या-देखो 'परिसंख्या'। परवस्स-देखो 'परवस' ।
परसंग (घ)-देखो 'प्रसंग'। परवाण-१ देखो 'प्रमाण' । २ देखो 'परिमाण' ।
परसंगी (घी)-देखो 'प्रसंगी'। परवारिण, परवाणी-वि० [सं० प्रमाणिक] १ शास्त्र सिद्ध ।
परसंतोख-पु० [सं०] परसंतोष चोर । २ मान्यता प्राप्त, माननीय । ३ प्रमाण में देखने लायक ।
| परसंसरणी, (बौ)-देखो 'प्रसंसरणी' (बी)। ४ प्रमाण सिद्ध । परवाणे (ण)-क्रि० वि० [सं० प्रमाण] अनुसार, मुताबिक,
परससा-देखो 'प्रसंसा'। अनुरूप ।
परस-पु. १ दो लघु ठगण के तीसरे भेद का नाम । २ देखो परवाणी, परवान-पु० [फा० परवाना] १ प्राज्ञा पत्र । २ माप,
'स्परस' । ३ देखो 'परसरांम' । ४ देखो 'पारस' । नाप । ३ देखो 'प्रमाण' ।
परसण-१ देखो 'प्रसन्न'। २ देखो 'प्रस्न'। परवानो-पु० [फा० परवान] १ पतंगा। २ देखो 'परवाणी'। परसणौ (बो)-क्रि० सं० स्पर्शनम्] १ देव दर्शनार्थ जाना। परवा-स्त्री० [फा०] १ चिन्ता, फिकर । २ व्यग्रता, व्याकुलता।
२ तीर्थ यात्रा पर जाना। ३ स्पर्श करना, छूना । ३ भय, डर । ४ ध्यान, खयाल । ५ तबज्जा । ६ देखो
४ देखो 'पुरसणी' (बी)। 'पड़वा' । ७ देखो 'परवाई' ।
| परसत, परसद, परसदा-देखो 'परिसद' ।
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परसन
पराक्रति
परसन, परसन्न-१ देखो 'प्रसन्न'। २ देखो 'प्रस्न'।
६ भिन्न प्रकार से । ७ बाद को, मोर मागे। [सं० प्राक] परसपर-देखो 'परस्पर'।
८ पहले। ९ प्रारंभ में, हाल ही में । १० पूर्व में। परसरग-पु० [सं० परसर्ग] भाषा विज्ञान में कुछ संज्ञा ११ पूर्व दिशा में । १२ सामने । १३ जहां तक हो विभक्तियां।
वहां तक। परसबरण-पु० [सं० परसवर्ण] पर या उत्तरवर्ती वर्ण के परहरणी, (बी)-कि० [सं० परिहरणम्] १ छोड़ना, त्यागना। समान वर्ण।
२ मागे बढ़ना, प्रागे चलना । ३ भाग जाना। ४ नष्ट परसारणी (बो)-क्रि० [सं० स्पर्शनम्] १ स्पर्श कराना, करना, मिटाना, हटाना। ५ छीनना, झपटना। ६ मुक्त
छुमाना। २ तीर्थ यात्रा कराना। ३ देव दर्शन कराना। होना, छूटना। ४ देखो पुरसारणो' (बो)।
परहा-वि० [सं० परस्मिन्] १ दूर, पृथक, अलग । २ नष्ट, परसाब-१ देखो 'प्रसाद' । २ देखो 'प्रासाद'।
- बर्बाद। परसार-देखो 'प्रसार'।
परही-क्रि० वि० [सं० परस्मिन] परे, दूर, प्रतिदूर परसारणी (बौ)-देखो 'प्रसारणौ' (बो)।
परहरणी-स्त्री. १ लगन, चाह । २ उत्साह । परसावणी (बी)-१ देखो 'प्रसारणो' (बी) । २ देखो | परहेज-पु० [फा०] १ कुपथ्य का त्याग । २ संयम, पथ्य । ___'परसाणी' (बी)।
३ बुरी बातों से बचाव । -गार-वि• पथ्य रखने वाला, परसिब, परसिद्ध, परसिध-देखो 'प्रसिद्ध'।
संयमी। बुरी बातों से दूर रहने वाला। -गारी-स्त्री. परसिदता, परसिद्धता, परसिधता-देखो 'प्रसिद्धता'।
परहेज रखने की क्रिया या भाव । परसिधि (धी)-देखो 'प्रसिद्धि' ।
परहेरौ-क्रि० वि० पृथक, अलग, दूर । परसीजणी (बी)-क्रि० [सं०प्रस्वेदनम्] १ पसीना होना, पसीने | परहो-देखो 'परी' । से तर होना।२ देखो 'पसीजणो' (बी)।
परा-क्रि० वि० १ ऊपर। २ पूर्व, पहले। ३ उस मोर । परसोरणो-देखो 'पसीनो' ।
४ देखो 'परसू"। परसोतस-पु० [सं० परशु-रा० तस-हाथ] १ गजानन, गणेश । | परांखरणी (बी)-देखो 'प्रांखरणी' (बी)। २ परशुराम ।
परांण-१ देखो 'प्रयोग' । २ देखो 'प्राण' । ३ देखो 'पुरांण'। परसीधर-देखो 'परसुधर'।
परांणउ-वि० [सं० प्राण] बलवान, शक्तिशाली। परसीपारण-पु० [सं० परशु-पाणि] १ गजानन, गणेश ।।
पराणि, परांणी-स्त्री० [सं० प्रेरणिका] १ बैलों को हांकने की २परशुराम ।
लकड़ी । २ देखो 'प्राणी'। -क्रि० वि० [सं० प्राण परसु-पु० [सं० परशु] कुल्हाड़ीनुमा एक शस्त्र, फरसा ।
बलात्, बलपूर्वक। -धर, धरण-पु० परशुराम । गजानन, गणेश । परशुधारी सिपाही । फरसा रखने वाला।
परांत-स्त्री० फसल की पंक्तिबद्ध कटाई या गुड़ाई करने का क्रम । परसुराम-पु० [सं० परशुराम] जमदग्निनन्दन परशुराम । । पर्यावठी-पु० [सं० प्रोत्या] घी या तेल में तल कर सेकी हुई परसुवन-पु० [सं० परशुवन] एक नरक का नाम ।
रोटी। परस-क्रि० [वि० सं० परश्वः] गत दिन से पहले, आगामी दिन | परा-प्रव्य० [सं०] एक अव्यय शब्द जो दूर, पीछे, एक तरफ, के बाद । -पु० गत दिन से पहले व मागामी दिन के बाद
मोर प्रादि के अर्थ में प्रयुक्त होता है। -स्त्री. १ चार का दिन।
प्रकार की वारिणयों में से एक। २ ब्रह्म विद्या। ३ एक परसूत-देखो 'प्रसूत'।
प्रकार का साम-गान । ४ गंगा नदी का एक नाम । परसून-देखो 'प्रसून'।
पराई-देखो परायी' । परसेव, परसेवी-देखो 'प्रस्वेद' ।
पराए-क्रि० वि० दूर पृथक, प्रतिदूर । परस्पर-क्रि० वि० [सं०] मापस में, एक दूसरे के साथ । परस्सणी (बी)-देखो 'परसणी' (बी)।
पराका-स्त्री० [सं०] ध्वजा, पताका । परस्सी-१ देखो 'फरसो' । २ देखो 'परसुरांम'।
पराकास्टा, पराकास्ठा, पराकोटी-स्त्री० [सं० पराकाष्ठा]
१ चरम सीमा, हद । २ ब्रह्मा की आधी पायु । परहंस-स्त्री. १ पराजय, हार । २ देखो 'परमहंस' । परहउ-प्रव्य० [सं० परतस्] १ दूसरे से । २ शत्र से। ३ मागे. | पराक्रत-देखो 'प्राक्रत ।
परे, पीछे, अपर । ४ दूर, मलग। ५ अन्यथा, नहीं तो। पराक्रति, पराक्रती-देखो 'प्राक्रतिक' ।
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पराक्रम
परि
पराक्रम (म्म)-पु० [सं०] १ बल, शक्ति । २ साहस, हिम्मत। परामरस-पु० [सं० परामर्श] १ सलाह, राय । २ विवेचन,
उद्योग, पुरुषार्थ । -बत-वि. वीर, बहादुर, साहसी, विचार । शक्तिशाली, पुरुषार्थी।
परामुख-पु० [सं० पराङ-मुख] कवि निबद्ध पात्र प्रौढ़ोक्ति । पराक्रमी-वि० [सं०] १ बलवान, शक्तिशाली। २ साहसी। -वि० विरुद्ध, विमुख । ३ पुरुषार्थी।
परायउ-देखो 'परायो' पराखाड-पु० [सं० परासाड] इन्द्र ।
परायचित-देखो 'प्राछत' । पराग-पु० [सं०] १ पुष्प रज : २ धूल, रज। ३ चन्दन । परायण-वि० [सं०] १ निरत, लीन, प्रवृत्त । तत्पर । २ निष्ठ। ४ कीर्ति, ख्याति ।
३ देखो 'पारायण' । परागकेसर-पु० [सं०] फूलों के बीच के तंतु ।
परायौ-वि० (स्त्री० पराई) १ अन्य, दूसरा । २ जो घर का, परागवड़-देखो 'प्रयागवड़।
परिवार का न हो। पराघड-क्रि० वि० [सं० पराग्रक] दूर ।
परारंभ-देखो 'प्रारंभ'। पराचत-देखो 'प्राछत' ।
परार-प्रव्य० [सं०परारि गत वर्ष से पूर्व । -पु० गत वर्ष से पूर्व पराचित, पराचिति-पु० [सं० पर-प्राचित] १ नौकर, मृत्य ।। का वर्ष । २ देखो 'प्राछत'।
परारय-पु० [सं० परार्थ] परोपकार, दूसरों का उपकार । पराचीन-देखो 'प्राचीन' ।
पराळ-पु० [सं० पलालः] १ चावलों की भूसी । २ घास का पराचीपति-देखो 'प्राचीपति' ।
छोटा पुलिंदा । ३ भूसा, घास । ४ जंजाल, प्रपंच । पराछत. पराछित, पराछीत-देखो 'प्राछत' ।
पराळी-वि० प्रचंड, तेज । पराज-स्त्री० तलवार का एक भाग ।
पराळु, पराळू-स्त्री० [सं० पल्लवित] १ बोवाई के बाद, वर्षा पराजय-स्त्री० [सं०] हार, शिकस्त, असफलता ।
होने से पहले उगजाने वाली खरीफ । २ देखो 'पराळ' । पराजित-वि० [सं०] हारा हुमा, परास्त ।
परावणो (बो) देखो 'पराणो' (बी)। पराज-देखो 'पराजय' । .
परावत-देखो 'पारावत' । पराणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रावृष] गाय, भैस आदि के स्तनों में | परावध, परावधी-स्त्री० [सं० परावधि] १ सीमा, छोर, हद । दूध उतरना ।
। २ अंतिम सीमा । ३ चरमोत्कर्ष । परात-स्त्री० [सं० पात्र] पाटा गं दने की बड़ी थाली। -वि० | परावह-पु० [सं०] वायु के सात भेदों में से एक । [फा० परास्त] हारा हुआ, पराजित ।
परासकंद, परासकंदी, परासकधी-वि० [सं० परास्कंदित] चोर, परातरणौ (बो)-क्रि० हारना, पराजित होना।
तस्कर । परातिपरि, परात्पर-वि० [सं०] सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्कृष् परासर-पु० [सं० पराशर] १ वेदव्यास के पिता एक ऋषि । -पु. १ परमात्मा । २ विष्णु ।
२ आयुर्वेदाचार्य एक ऋषि । ३ वशिष्ठ एवं शक्ति के पुत्र पराथ-देखो 'पारथ'।
एक गोत्रकार ऋषि । ४ एक प्रसिद्ध स्मृतिकार ऋषि । परादन-पू० [सं०] फारस का घोड़ा विशेष ।
५ पाराशर संहिता के रचयिता एक ज्योतिषाचार्य । ६ एक पराधीन-वि० [सं०] १ दूसरों का वशवर्ती । २ परवश, परतंत्र ।। एक अष्टापद जानवर । ७ हिंसक वन्य पशु । पराधीनता-स्त्री० [सं०] १ परवशता, परतंत्रता । २ दूसरों की परासु-वि० [सं०] प्राणहीम, मृत । अधीनता।
परास्त-वि० पराजित, हारा हुआ। परापत-देखो 'प्राप्त।
परास्रय-पु० [सं० पराश्रय] दूसरों का आश्रय, पराधीनता । परापति, परापती-देखो 'प्राप्ति' । .
परि-देखो 'परि'। परापर, परापरी-पु० [सं०] १ एक फल विशेष, फालस । परिडो-देखो 'परीडो' । २ देखो 'परंपरा।
परिदौ-पु० [फा० परिन्द] पक्षी । पराभव-स्त्री० [सं०] १ ध्वंस, नाश, सहार । २ पराजय, हार। परि-उप• किसी शब्द के आगे लगकर अर्थ वृद्धि करने वाला ३ अवनति । ४ तिरस्कार, अपमान । ५ वियोग ।
एक उपसर्ग। -क्रि० वि० १ ऊपर, पर । २ ज्यों, मानो, परामवरणौ (बी)-क्रि० पराजित होना, तिरस्कृत होना।
जैसे । ३ परन्तु, किन्तु । ४ कर। -वि. १ समान । पराभूत-वि० [सं०] १ ध्वस्त, नष्ट । २ पराजित, परास्त । २ देखो 'परी' । ३ देखो 'परी'। -स्त्री. १ प्रकार, तरह ३ अवनत । ४ तिरस्कत. अपमानित । ।
रीति । २ देखो 'पग'।
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परिच
परिच, परि प्रचि, परिश्रछ स्त्री० पर्दा । परि-१ देखो 'परियो' २ देखो 'प्रयास' ।
परिप्रातमा - देखो 'परमात्मा' ।
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(8)
परिकर पु० [सं०] १ परिवार, कुटुम्ब २ लवाजमा ३ दल, समूह, सेना । ४ प्रनुचर, सेवक । ५ वैभव । ६ कमर बंद, पटुका । ७ पर्यंक, पलंग । ८ फैसला, निर्णय । ९ एक
अर्थालंकार ।
परिकरांकुर - पु० [सं०] एक प्रकार का प्रर्थालंकार ।
परिकास - देखो 'प्रकास' ।
परिक्कम देखी 'पराक्रम' ।
परिवकमी पु० [सं० परिक्रमः] १ भ्रमण २ फेरी ३ चारों घोर घूमना क्रिया । ४क्रम सिलसिला । ५ एक के पीछे एक दूसरे का गमन । - वि० टहनेवाला ।
परिक्खणी (ब) - देखो 'परखणी' (बो) ।
परिविजय- देखो 'परीक्षित' ।
परिविवि- देखो 'परिसव' ।
परिभ्रमणा, परिक्रमा परिक्रमा स्त्री० [सं० परिश्रमा] १ किसी देव मूर्ति, देवालय आदि के चारों ओर घूमने की क्रिया । २ किसी तीर्थ या क्षेत्र विशेष के चारों धोर की फेरी ।
परिगणन, परिगणना- स्त्री० [सं०] ठीक प्रकार से की गई
गणना, गिनती।
परिगणित वि० [सं०] १ ठीक से गिना हुआ २ कथित परिवत वि० [सं०] १ बीता हुआ, गत २ विस्मृत । ३ मरा हुआ । ४ घेरा हुना, वेष्टित । ५ समझा हुआ, शात । ६ ढका हुआ, प्राच्छादित। ७ पाया हुआ, प्राप्त । परिगर - पु० १ मूर्ति के प्रास-पास का कोतरणी (नक्काशी ) का परिवेश । २ देखो 'परिकर' ।
परिपरि देखो 'परिकर' ।
परिगह, परिगहि-देखो 'परिग्रह' ।
परिगृह- वि० [सं०] मतिगूढ़ रहस्यमय परिग्रह देखी 'परिग्रह' ।
परिक्षा, परिख- देखो 'परीक्षा' ।
परिखणी - वि० परीक्षा या जांच करने वाला ।
परिक्षण (ब)-देखो 'परी' (बौ
परिक्षा परिया स्त्री० १ किसी शहर की पनाह के बाहर बनी मोटी खाई। २ देखो 'परीक्षा'। - वि० प्रसीम, परिचायक- वि० [सं०] परिचय कराने वाला, परिचय देने
वाला, द्योतक ।
अपार ।
परिस्य वि० [सं० परीक्षणम् ] परीक्षा करने वाला।
परिख्यात - देखो 'प्रख्यात' ।
,
परिग्रह, परिग्रहौ पु० [सं० परिग्रह] १ वस्तु या धन का संग्रह २ परिजन परिवार ३ चाकर, सेवक ४ स्वीकृति । ५ दान । ६ पकड़ । ७ प्राप्ति, उपलब्धि । ८ धन, दौलत ९ सेना, फौज १० घन्तःपुर, रनवास । ११ सूर्य या चन्द्र ग्रहण । १२ कलंक, दोष, पाप । १३ घिराव । १४ पकड़। १५ पहनावा । १६ शपथ । १७ मनुष १८ पूर्णता १९ विष्णु का एक नामान्तरण । २० जड़, मूल ।
परिघ, परिधन पु० [सं० परिघः] १ एक श्रायुध विशेष । २ ज्योतिष के २७ योगों में से १९ वां ।
परिचर देखो 'परिग्रह।
परिघळ - देखो 'परगळ' ।
परिघात - पु०
[सं०] १ वध, हत्या । २ हनन । ३ डंडा, लुहांगी । ४ छुटकारा ।
परिपीस पु० [सं० परिपोष ] १ मे की गर्जना २ कोई घोषणा धनुचित कथन ४ शोर हल्ला । परिप्यन देखो 'परिष' ।
परिचउ, परिचय - पु०
[सं० परिचय ] १ जान-पहचान । २ जानकारी, ज्ञान । ३ प्रमाण । ४ अनुभव ।
परिचत वि० [सं० परित्यक्त] परित्यक्त ।
परिचर पु० [सं०] १ नौकर चाकर, सेवक २ धनुयायी । ३ चौकीदार।
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परिवार पु० [सं०] १ सेवा टहल २ देखो 'प्रचार । परिचारक, परिवारिक ० [सं०] सेवक, धनुचर, दास, अनुयायी ।
परिचम
परिचारी पु० [सं० परिचारिन्] सेवक, अनुचर | परिचालक - वि० [सं०] १ चलाने वाला । चलने की प्रेरणा देने वाला । २ कार्य चलाने वाला । ३ गाड़ी का चालक, (ड्राइवर)।
-
परिया
(ब) क्रि० फुसलाना, ललचाना ।
परिचित वि० [सं०] जाना-पहचाना जिसका परिचय प्राप्त हो । परिचौ - देखो 'परची' ।
परिच्छेद- पु० ग्रंथ या पुस्तक का परिच्छेद्य - वि० १ गिनने, नापने या विभक्त करने योग्य
परियां परिग्यांन० [सं० परिज्ञान] किसी विषय का परिछंदो० परिवार
।
पूर्ण व सम्यक ज्ञान ।
परिछन- देखो 'परछन ।
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2
प्रध्याय, प्रकरण । विभाग । या तोलने योग्य । २ बांटने
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परिव
परिवार
-
परिछेव-देखो 'परिच्छेद ।
परिदळ-पु० शत्रु, शत्रु दल । परिजंक-देखो 'परयंक' ।
परिध-पु० [सं० परिधि] १ गढ़, किला । २ देखो 'परिधि' । परिजन-पु० [सं०] १ परिवार, कुटुम्ब । २ परिवार के सदस्य। परिधन, परिधान-पु० [सं० परिधान] पहनने का वस्त्र, पोशाक ।
३ अनुचर, अनुयायी । ४ आश्रित जन । ५ देखो 'परजन'। परिधि-स्त्री० [सं०] १ किसी वृत्त की सीमा, गोलाई, घेरा। परिजनता-स्त्री० [सं०] परिजन होने की अवस्था या भाव । २ पाहता, घेरा । ३ दीवार । ४ सूर्यमण्डल का घेरा। परिजळणी (बो)-देखो 'प्रजळणी' (बौ) ।
५ प्रकाश का घेरा । ६ किसी ग्रह की कक्षा । परिजाउ-वि० वीर रस पूर्ण कविता।
परिनाळ-देखो 'परनाळ'। परिजात-वि० [सं०] १ उत्पन्न, जन्मा हुमा। २ देखो 'पारिजात'। परिनिस्ठा-पु० [सं० परिनिष्ठा] १ चरम सीमा, पराकाष्ठा । परिजाळणी (बी)-देखो 'प्रजाळणी' (बी) ।
| २ पूर्णज्ञान या परिचय । ३ पूर्णता । परिणी (बी)-क्रि० विवाह करना, शादी करना । परिन्यास-पु० [सं०] किसी काव्य का वह स्थल जहां कोई परिणत-वि० [सं०] बदला हुआ, रूपान्तरित, स्थानान्तरित । विशेष अर्थ पूरा हो। परिणति-स्त्री० [सं०] १ अवनति । २ रूपान्तरण । ३ परिवर्तन। परिपक्व-वि० [सं०] १ पूर्ण पका हुमा। २ पूर्ण विकसित ।
४ पूर्णता। ५ परिणाम । ६ अन्त । ७ अवसान, मृत्यु। ३ निपुण । ८ पकावट । ९ नमन, झुकाव । -पु० १० तिरछी चोट |
| परिपण-पु० [सं०] मूल धन, पूजी । करने वाला हाथी।
परिपाक-पु० [सं०] १ पकने या पचने का भाव । २ पूर्णता । परिणय, परिणयण (न)-पु० [सं० परिणय:] १ विवाह, | ३ निपुणता । ४ पाचन शक्ति । ५ पकमा क्रिया । ६ फल, शादी । २ लग्न ।
परिणाम । ७ चालाकी । परिणाणो (बी)-देखो 'परणाणी' (बी)।
परिपाटि, परिपाटी-स्त्री० [सं०] १ प्रणाली, शैली। २ परंपरा, परिणामदस्सी-वि० [सं० परिणामशिन्] दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी। रीति । ३ प्रचलन ।। परिणिति-स्त्री० १ प्रवृत्ति । २ देखो 'परिणति' ।
परिपाळग-पु० [सं० परिपालक] पालन करने वाला, पालन परितारण-देखो 'परित्राण, ।
कर्ता। परिताप परितापन-पु० [सं० परिताप:] पश्चाताप, संताप, कष्ट । परिपाळणी (बौ)-क्रि० [सं० परिपालम्] पालन-पोषण करना, परितापी-वि०१ पश्चाताप करने वाला, दुःखी । २ दुःख दायी। __ रक्षा करना। परितुस्ट-वि० [सं० परितुष्ट] संतुष्ट, प्रसन्न ।
परिपीड़ण-पु० [सं० परिपीडनम्] दुःख, पीड़ा, कष्ट । परितुस्टि-स्त्री० [सं० परितुष्टि] संतोष, प्रसन्नता ।
परिपुसट, परिपुस्ट-वि० [सं० परिपुष्ट] भली भांति पोषित, पूर्ण परितोख-देखो 'परितोस' ।
हृष्ट-पुष्ट, मोटा ताजा। परितोम-पु. खोल, गिलाफ ।
परिपूजण-पु० [सं० परिपूजनम्] विधिवत पूजा व उपासना की परितोस-पु० [सं० परितोष] संतोष, प्रसन्नता।
क्रिया। परितोसक-पु० [सं० परितोषक] संतुष्ट करने वाला, प्रसन्न | परिपूजणौ (बी)-क्रि० [सं० परिपूजनम्] परिपूर्ण करना, करने वाला।
___ सन्तुष्ट करना । परितोसी-वि० [सं० परितोषिन] संतोषी, सब्रवाला। परिपूर, परिपूरण-वि० [सं० परिपूर्ण] १ सम्पूर्ण, पूरा । परित्त-वि० चारों ओर।
| २ पूर्ण भरा हुमा । ३ लबालब । ४ संतुष्ट, तृप्त । परित्यज्य-वि० [सं०] त्यागने योग्य, छोड़ने योग्य ।
परिपोटक, परिपोटिक-पु० [सं० परिपाटक] कान का एक रोग परित्यागी-पु० [सं०] छोड़ने का भाव, त्याग ।
| विशेष । परित्यागी-वि० [सं०] छोड़ने वाला, त्यागी। परित्रप्त-वि० [सं० परितृप्त] अघाया हुआ, संतुष्ट ।
'परिप्रीछक-वि० [सं० परिपृच्छक] जिज्ञासा करने वाला।
। जिज्ञासु। परित्राण-पु० [सं० परित्राणम्] रक्षा, बचाव । परिदक्षिण, परिवक्षिणा, परिदखणा, परिवखिरणा-देखो, परिबंधन-पु० [सं] बंधन, कठोर बंधन । 'प्रदक्षिणा'।
परिबह-पु० [सं० परिबह] १ राजा के हाथी या घोड़े की झूल । परिबरसण (न)-पू० [सं० परिदर्शन] अवलोकन, ध्यानपूर्वक २ राजा के छत्र, चंवर प्रादि । देखना क्रिया।
| परिवार-देखो 'परिवार'।
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परिबह्म
বলিঙ্গ
परिब्रह्म-देखो 'परब्रह्म'।
परिवरत-पु० [सं० परिवर्त] १ घुमाव, चक्कर, फेरा, फिराव । परिभव, परिभवण, परिभाव-पु० [सं० परिभावन] १ पराजय, २ विनिमय, प्रदल-बदल । ३ किसी काल या युग का अंत । हार । २ तिरस्कार, अपमान । अनादर।
४ प्रलय, नाश। ५ परिवर्तन । ५ मृत्यु के पुत्र दुस्सह के परिमासा-स्त्री० [सं० परिभाषा] १ किसी विषय या सिद्धान्त | पुत्रों में से एक । का परिचयात्मक वाक्य, अर्थ कथन । २ स्पष्ट कथन ।
| परिवरतक-वि० [सं० परिवर्तक] १ उलट-पुलट करने वाला, ३ किसी ग्रंथ, शास्त्र मादि की विशिष्ट संज्ञा ।
परिवर्तन करने वाला। २ घूमने वाला, फिरने वाला। परिभ्रत-देखो 'परभ्रत'।
३ युग का अंत करने वाला। ४ प्रलय करने वाला। परिभ्रमण-पु० [सं०] १ घुमाव, चक्कर, फेरी । २ यात्रा, परिवरतम-पु० [सं० परिवर्तन] १ अदल-बदल, हेर-फेर । पर्यटन । ३ पद यात्रा।
. २ उलट-पुलट । ३ प्रावर्तन, चक्कर । ४ शृगार का एक . परिमरळ-पु० [सं०परिमंडलम्] १ फेरा, चक्कर । २ वृत्त, घेरा। प्रासन । ५ युग का अन्त, काल का अंत । परिमळ-स्त्री० [सं० परिमल] सुगंध, सुवास ।
परिवह-पु० [सं०] १ सात प्रकार के पवनों में से एक । परिमाण-पु० [सं० परिमाण] नाप, तौल ।
- २ अग्नि की सात जिह्वानों में से एक । परिमित-वि० [सं०] सीमित, नपा तुला ।
परिवाण-देखो 'प्रमाण'। परिम्मल-देखो 'परिमल'।
परिवडि, परिवाडी-देखो 'परिपाटी'। परियंक, परियका-पु० [सं० पर्यक] पलंग, शय्या ।
परिवाद-पु० [सं०] १ दोष-कथन । २ निंदा। ३ तार वाद्य परिबट्ट-पु० [सं० परिवंत] परिवर्तन दोष (जैन)
बजाने का छल्ला। परियरण-पु० [सं० प्रणय] १ प्रेम । २ देखो 'परिजन'। परिवादक-पु० [सं०] निंदा करने वाला व्यक्ति । निंदक । परियरणो (बो)-क्रि० [सं० परित्यागम्] छोड़ना, परित्याग परिवादरणी-स्त्री० [सं० परिवादिनी] सात तारों वाली वीणा । करना।
परिवादी-वि० [सं०] अपवादी, निंदक । विरोधी। परियां-पु० [सं० परिजन] पूर्वज ।
परिवापण-स्त्री० [सं० परिवापन] हजामत । परियाण-पु. १ वंश, कुटुम्ब । २ पंखधारी । ३ कीर्ति, यश ।
परिवार, परिवारि, परिवारी, परिवारो-पु० [सं० परिवारः] ४ पर्यटन, भ्रमण । ५ सूर्योदय के समय पुकारी जाने वाली १ कुटुम्ब, घर के लोग । २ एक ही पिता या दादा की
पूर्व व आग्नेय के बीच की दिशा। ६ देखो 'प्रयाण' । संतान । ३ वंश । ४ तलवार की म्यान, कोष । ५ अनुचर परिया-क्रि० वि० १ उस तरफ, उस पोर । २ दूर, अलग ।
वर्ग। ६ माश्रित जन । ३ परे । ४ देखो 'प्रजा'।
परिवारणौ (बी)-पु० [सं० परिवारणम्] चारों ओर से परियागत-देखो "प्रियगत'।
मावेष्टित होना, घेरा जाना। परियारणी (बो)-क्रि० जाना, गमन करना ।
परिवाह-पु० सं०] १ पानी बहने की नाली, मोरी। २ कुण्ड परियावट-वि० पूर्वकृत ।
व जलाशयों में सीमा से अधिक पानी भरने पर निकास परियावळी-स्त्री० [सं० पूर्वज-अवली] वंशावली। वंश-वृक्ष ।। की नाली, रास्ता, मोटा। परियास-पु० [सं० प्रकाश] १ प्रकाश । २ देखो 'प्रयास' ।
परिवेख-देखो 'परिवेस' । परिरंभ-पु० [सं०] १ प्रालिंगन । २ गले मिलन ।
परिवेदन-पु० [सं०] पूरा ज्ञान, सम्यक ज्ञान । परिरोध-पु० [सं०] अवरोध, रुकावट ।
परिवेस-पु० [सं०परिवेश] १ घेरा, वृत्त, परिधि । २ प्रकाश का परिलंघन-पु० [सं०] लांघना क्रिया, कूद-फांद ।
वृत्त। परिलाप-पु० [सं० प्रलाप] आक्रंद, प्रलाप ।
परिवेसण-पु० [सं० परिवेषणं] परसना, परोसना । परिलुस-वि० १ नष्ट । २ क्षतिग्रस्त ।
परिवेस्टन-पु० [सं० परिवेष्टन] १ दायरा, घेरा। २ वेष्टन परिलेख-पु० [सं० परिलेख:] ढांचा, खाका ।
क्रिया। परिलोप-पु० [सं० परिलोप] विलोप, नाश ।
| परिव्रज्या-स्त्री० [सं०] १ भिक्षुक की तरह भ्रमण । २ परि परिवा-स्त्री० [सं० प्रतिपदा] प्रत्येक पक्ष की प्रथम तिथि।। भ्रमण । ३ तपस्या। परिवत्सर-पु० [सं०] पंचवर्षीय युग का दूसरा वर्ष ।
परिवाज, परिधाजक-पु० [सं०] (स्त्री० परिवाजिका) परिवरणो (बो)-क्रि० १ पाना, पागमन होना। २ प्रावेष्टित | १ सदा भ्रमण करने वाला संन्यासी । २ यती, परमहंस ।
होना, घिर जाना । ३ देखो 'परवरणों' (बी)। । ३ तपस्वी।
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परिसंख्या
पहसाणी
परिसंख्या-पु० [सं० १ गणना, गिनती । २ एक अर्थालंकार | परीक्षक--पु० [सं०] (स्त्री० परीक्षिका) १ परीक्षा करने विशेष ।
वाला, जांच करने वाला । २ उत्तर पुस्तिका की जांच परिसव, परिसदा-पु० [सं० परिषद्] १ सभा, समिति ।। करने वाला। २ सदस्य, मण्डली।
परीक्षत-देखो 'परीक्षित' । परिसन-पु०[सं०] १ सामीप्य, पास । पड़ोस । २ सीमा, किनारा। परीक्षा-स्त्री० [सं०] १ गुण-दोष व योग्यता की जांच ।
३ परिधि । ४ चौड़ाई, परज । ५ मृत्यु । ६ नियम, | २ पढ़ाई का इम्तिहान । प्राज्ञा । ७ पाहता।
परीक्षित-वि० [सं०] जांचा हुमा, जांच किया हुआ। परिसरण-क्रि० [सं० स्पर्शनम् ] छूना स्पर्श करना।
-पु० अर्जुन का पौत्र व अभिमन्यु का पुत्र, एक राजा । परिसह, परिसहा, परिसा-पु० [सं० परिषह] संयम च्युत साधु| परीख-स्त्री० १ इच्छा । २ देखो 'परीक्षा'। द्वारा किये जाने वाले २२ प्रायश्चित ।
परीखण-देखो 'परीक्षण'। परिसिद्ध-देखो 'प्रसिद्ध'।
परीखणी (बौ)-देखो 'परखणो' (बो)। परि सस्ट-वि० [सं० परिशिष्ट] छटा हमा, अवशिष्ट । परीखत-देखो 'परीक्षित' । -पु०१ किसी विषय, ग्रंथ या रचना का छूटा हुमा भाग |
| परीख्या-देखो 'परीक्षा'। जो अतिरिक्त अध्याय के रूप में अंत में जोड़ा जाता है । परीचरणो-पु० रहट में लगने वाला लकड़ी का एक लट्ठा। २ किसी विषय से संबंधित अतिरिक्त विवरण ।
परीछणौ (बो)-देखो 'परखणी' (बो)। परिसीलन-पु० [सं० परिशीलन] मनन पूर्वक अध्ययन। परीछारणी (बी), परीछावणी(बी)-देखो 'परखागो' (बी)। परिसोधन-पु. [सं० परिशोधन] १ किसी पदार्थ को शुद्ध करने परीणत-देखो 'परिणति'।
की क्रिया । २ सफाई, स्वच्छता । ३ चुकारा, निपटारा । परिसो-देखो 'परिसह'।
परीती-पु० रहट का एक उपकरण । परिस्तान-पु० [फा०] १ परियों का लोक, देश । २ सुन्दर परीभव-देखो 'पराभव' । स्त्रियों वाला क्षेत्र।
परीभ्रम्म-देखो 'परब्रह्म । परिस्कृत-वि० [सं० परिष्कृत) शुद्ध व विकसित किया हुआ।
परीमग-पु० प्राकाश, प्रासमान । परिस्रम-पु० [सं० परिश्रम] श्र , मेहनत, उद्यम ।
परीमीड-पु. एक प्रकार का व्यंजन । परिस्रमो-वि० [सं० परिश्रमिन्] उद्यमी, मेहनती ।
परीयच्चय-पु. प्रांचल । परिस्राव-पु० [सं०] एक रोग । विशेष
परीयछ, परोयछि-स्त्री. १ पर्दा। २ दरी, जाजम । परिहंस-देखो 'परहंस'।
३ बिछायत । परिहंसणी (बो)-क्रि० हंसना, परिहास करना ।
परीयरिण-देखो 'परिजन' परिहण-देखो 'पहरण'।
परीवाडीवोस-पु. भोजन की पंक्ति को छोड़कर भोजन करने परिहरणौ, (बौ)-देखो 'परहरणो' (बी)।
पर लगने वाला दोष । (जैन) परिहां-देखो 'परियां'।
परीवादू-देखो 'परिवार'। परिहांण-देखो 'पहरण' ।
परीसउ-देखो 'परिसह । परिहार-पु०१त्यागना, छोड़ना क्रिया, त्याग। २ देखो'प्रतिहार'।
परोसणौ (बौ)-क्रि० परोसना । परिहास-पु० [सं०] हंसी, दिल्लगी, मजाक ।
परोसदा-देखो ‘परिसद'।
परीसह, परीसा-देखो ‘परिसह' । परीको-पु० घर का वह स्थान जहां पीने के पानी के पात्र
परीसौ-देखो परिसह'। रहते हैं।
परुतसार-पु. एक पौराणिक राजा। परी-स्त्री० [फा०] १ अप्सरा । २ कंधों पर परों वाली कल्पित
परुस-वि० [सं०परुष] १ कठोर, कड़ा, ठोस, सख्त । २ कर्कश । ___ सुन्दर स्त्रियां। ३ एक पुष्प । ४ एक प्रकार का बाण । |
३ अप्रिय, बुरा। -पु० बाण, तीर । --पु० शत्रु, विरोधी।
परुसणी (बी)-क्रि० १ क्रोध करना (जैन) । २ देखो परीमा--देखो 'परियां'।
'पुरसणी' (बी)। परीकर--देखो 'परिकर' ।
परसारौ-देखो 'पुरसगारौ' । परीक्षणी (बी)--देखो 'परखरगो' (बी)।
पहसाणौ (बौ)-देखो 'पुरसाणो' (बो)।
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परूसावरणी
( ४४
)
पलटरणी
परूसावरणो (बो)-देखो 'पुरसाणो' (बौ)।
परोहन-पु० [सं० प्ररोहणं] १ नाव, नोका । २ वह वस्तु जिस पल्सौ-पु० आमंत्रित व्यक्ति के न पा सकने की दशा में उसके पर सवार हो कर यात्रा की जाय । सवारी । घर भेजा जाने वाला भोजन का थाल ।
परौ-पु. (स्त्री० परि) १ निश्चय एवं पूर्णता बोधक शब्द जो परेंडी-देखो 'परीडी'।
सदैव क्रिया से संबंधित रहता है । २ मृत व्यक्ति जो देव परे-प्रव्य० १ भांति, तरह। २ दूर । ३ देखो 'परै'।
योनि में मान कर पूजा जाता है। ३ पितर । -अव्य० दूर परेख-स्त्री० १ कील, मेख । २ देखो 'परीक्षा'।
अलग, परै। परेखणी (बौ)-देखो 'परखरणी' (बी)।
पर्याय-पु० [सं० पर्याय १ समानार्थक शब्द । २ द्रव्य और परेग-स्त्री० कील ।
गुरगों में रहने वाली अवस्था । परेव-देखो 'परीयछ।
पसण (न)-देखो ‘परयूसण' । परेज-देखो ‘परहेज' ।
पलक-देखो 'पलंग'। परेत-देखो 'प्रेत'।
पलंकसा-स्त्री० [सं० पलंकषा] १ लाख, लाक्षा। २ गूगल । परेतपत (पति, पती)-देखो 'प्रेतपति'।
३ गोखरू। परेम-स्त्री० [सं० परिमल] १ सुगन्ध, सुवास । २ देखो 'प्रेम'। पलंग-पु० [सं० पल्यंक] १ चारपाई, खाट । २ शय्या, सेज । परेमी-देखो 'प्रेमी'।
३ प्लव, गति । ४ एक प्रकार का घोड़ा । -तोड़-वि० परेरउ-वि० १ पराया, दूसरे का, अन्य का । २ देखो 'परै'। निठल्ला, निकम्मा। -स्त्री० एक औषधि विशेष । परेरणा-देखो 'प्रेरणा'।
-पोस-पु० चारपाई पर बिछाने की चादर । परेली-पु० ताण्डव नृत्य का प्रथम भेद ।
पलंगि-देखो 'पलंग'। परेवी-१ देखो 'पारेवो' । २ देखो 'परसेवो' ।
पलंडु-देखो 'पलांडु'। परेस-देखो 'प्रेस'।
पलंब-१ देखो 'प्लवंग' । २ देखो 'प्रलंब'। परेसान-वि० [फा० परेशान] व्यग्र, उद्विग्न, व्याकुल, हैरान ।।
पलंवंग-देखो 'प्लवंग' । परेसांनी-स्त्री० [फा० परेशानी] उद्विग्नता, व्याकुलता, बेचैनी। पळ, पल-पु० [सं० पल] १ मांस । २ समय का एक बहुत छोटा पर, पर-पु० १ प्रकार, तरह, भांति । २ सामने वाला दूसरा विभाग । क्षण । ३ प्रांख की पलक । पार्श्व । -क्रि०वि० १ अलग, दूर । २ उस ओर, उधर। पलक-स्त्री० [सं०] १ आंख के ऊपर का अवयव जो गिरता ३ ऊपर, पर।
उठता रहता है। २ पल क्षरण । परज-देखो 'परहेज'।
पळकणी (बो)-क्रि० चमकना, टिमटिमाना। परेरौ-वि० (स्त्री० परैरी) दूर, अति दूर ।
पळकाणी (बी)-क्रि० चमकाना । परेलु-वि० (स्त्री० परैली) परली तरफ का, दूसरी पोर का ।
पलकारणी (बी)-क्रि० टपकाना, गिराना । परसू-प्रव्य० [सं० परसू] उस अोर से, दूसरी ओर से ।
पळकावणौ (बौ)-देखो 'पळ काणी' (बी)। परोंणी-देखो 'परांणी'।
पळको-पु० चमक । परोंस-स्त्री० फसल की कटाई का क्रम ।
पलक्क-देखो 'पलक'। परोक्ष-पु० [सं०] १ अनुपस्थिति । २ अभाव । ३ छिपाव ।
पलखद्वीप -पु० [सं० प्लवक्षद्वीप] पृथ्वी के सात बड़े खण्डों में परोजन-देखो 'प्रयोजन'।
से एक। परोजी-देखो 'फिरोजो'।
पळगांण-पु० पक्षी। परोटणी (बी)-क्रि० १ उपभोग करना, इस्तेमाल करना। | पलड़ौ-पु० १ तराजू का पल्ला, तुलापाट । २ झूले का मंच ।
२ निभाना, निर्वाह करना । ३ सम्हलाना । ४ सुधारना । पळचर, पळचार, पळचारी, पळचारी, पळच्चर-पु० [सं०पलचर] ५ देखभाल करना, हिफाजत करना।
१ मांसाहारी प्राणी । २ रक्त प्रिय एक देवता । परोत्तर-देखो 'प्रत्युत्तर'।
पलट-स्त्री० १ अधोवस्त्र का झोला । २ अंटी।
पलटण-स्त्री० १ पैदल सेना का एक विभाग, सेना की टुकड़ी। परोपंखी-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
२ दल, समूह, झुण्ड । परोपकार-पु० [सं०] दूसरों की भलाई का कार्य ।
पलटणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रलोठन] १ किसी स्थिति का परोपकारक-वि० [सं०] दूसरों की भलाई करने वाला।
बदलना, विपरीत दशा होना। २ कह कर इन्कार कर परोसणौ (बो)-देखो 'पुरसणी' (बो) ।
देना, मुकरना। ३ अधिकार से हटना, छूट जाना ।
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पलटारो
पलावित
४ विरुद्ध होना, विमुख होना । ५ उलटना, औंधा होना। | पलवक्ष-पु० [सं०] सिंह । ६ लौटना, वापिस होना । ७ अवस्था या दशा बदलना । | पलवग-देखो 'प्लवंग' । ८ स्वभाव बदलना, मनोदशा बदलना। ६ मूल वस्तु के | पलवट-स्त्री० कमर, कटि । स्थान पर दूसरी पाना। १० उलटना, बदलना । | पलवसु-पु० [सं० पल्लवसू] नाखून । ११ प्रागे पीछे या ऊपर-नीचे करना। १२ लौटाना, पलवाडी-पु० पीछे का भाग, पृष्ठ भाग । मोड़ना । १३ घुमाना, मोड़ना । १४ रूप परिवर्तन करना। | पळसेटी-क्रि०वि० तेजी से, वेगपूर्वक । १५ स्थान परिवर्तन करना ।
पळहारी-वि० मांसाहारी। पलटाणा (बो)-क्रि० १ किसी स्थिति को बदल देना, विपरीत | पला-स्त्री० वाद्यों के बोलों का मिलान, क्रम ।
दशा करना। २ मुकरा देना, इन्कार करा देना। | पळांचर-देखो 'पळचर' ।। ३ अधिकार से हटा देना, छुड़वा देना । ४ विरुद्ध व विमुख पलांडु-पु० [सं०] प्याज । करना। ५ उलटा देना, श्रौंधा करना। ६ लौटाना, पलाण-पु० [सं० पल्ययनम्] १ ऊंट का चारजामा, ऊंट की जीन । वापिस करना । ७ अवस्था या दशा बदलना। ८ स्वभाव २ मिट्टी की दीवार पर की जाने वाली घास-फूस की बदलाना, मनोदशा बदलाना। मूल वस्तु के स्थान पर छाजन । दूसरी लाना । १० उलटाना, बदलाना । ११ आगे पीछे या | पलागणो (बो)-क्रि० [सं० पल्लयनम्] ऊंट पर चारजामा ऊपर नीचे कराना। १२ लौटवाना, मुड़वाना । कसना, जीन लगाना, सवार होना । १३ घुमवाना, मुड़वाना। १४ रूप परिवर्तन कराना। पलांणियौ-पु० १ ऊंट को हल से जोड़ने का एक उपकरण । १५ स्थान परिवर्तन कराना ।
२ देखो 'पलांण' ।। पलटाव-पु० परिवर्तन ।
पलांणी-देखो पलाण'। पलटावणी (बी)-देखो पलटाणो' (बी)।
पला-स्त्री० [सं० पल्लव] १ मृतक के पीछे रुदन के साथ गाया पलटी-स्त्री० [सं० प्रलोठनम्] स्थानान्तरण, बदली ।
जाने वाला विरह गीत। [सं० पलायन] २ पलायन, पलटो-पु० [सं० प्रलोठन] १ परिवर्तन । २ चक्कर, घुमाव ।
प्रस्थान । ३ प्रतिशोध, बदला। ४ लोहे का बड़ा खुरचा, खुरपा । | पलाऊ-वि० १ राकने वाला, राकने योग्य । २ मना करने वाला, ५ रसोई का बर्तन विशेष (मेवात)।
नियंत्रित करने वाला। पलट्टण-देखो 'पलटण'।
पळाक, पळाको-पु० चमक, प्रकाश । पलरणो-देखो 'पालणी' ।
पळाटो-पु० चक्कर, फेरा। पळणौ (बी)-क्रि० [सं० पालनम्] १ परवरिश पाना, पोषित पलाणी (बौ)-क्रि० [सं० पलायनम्] १ रुकवाना, रोकाना ।
होना । २ पाश्रय पाना, पनाह पाना। ३ निभाया जाना, २ मना करवाना, नियंत्रित कराना । ३ परस्पर समायोजित निभना । ४ देखो 'पलणो' (बी)।
कराना । ४ भागना, दौड़ना पलायन करना। पलणी (बो)-क्रि० [सं० पलायनम्, पल] १ भागना, भाग | पलायी-देखो 'पालथी'।।
जाना । २ अड़ना, डट जाना । ३ रोका जाना रुकना। पलाद-पु० [सं०] मांस भक्षी प्राणी, राक्षस । ४ मिटना। ५ प्रभाव मानना । ६ समायोजित होना, | पलादार-देखो 'पल्लेदार' । सदना । ७ देखो 'पळणी' (बी)।
पळापळ-पु. तेज प्रकाश, चमचमाहट । पलथी-देखो 'पालथो'।
पलायणौ, (बौ)-क्रि० [सं० पलायनम्] १ भागना, भाग जाना। पळपळाट-पु. [सं० पल्लवम्] १ चमचमाहट । २ नटखटपन, | २ प्रस्थान कर जाना। चंचलता । ३ दुष्टता, नीचता ।
पलायन-पु० [सं०] भागना क्रिया, प्रस्थान । पळपळाणी (बी), पळपळावणी (बी)-क्रि० १ चमकना । पलायमान-वि० भागता हुआ, प्रस्थान को तैयार ।
चमचमाना । २ प्राभा युक्त होना। ३ चंचलता करना। | पळायौ-पु. कृषि कार्य के (लाह) भोजन में सम्मिलित होने
४ उद्दण्डता करना । ५ दुष्टता करना, नीचता करना। वाला व्यक्ति। पलबंग-देखो 'प्लवंग'।
पलाल, पलालि-पु० [सं०] १ घास, भूसा। २ घास का ढेर । पळभक्षी, पळमच्छ-वि० मांसाहारी ।
३ मांस का ढेर। पलव-वि० [सं० पलवम्] १ चंचल, नटखट । २ देखो 'पल्लव' । पळावरण-पु० गाय, भैंस को दुहते समय पहले स्तन धोने का पानी। पलवकर-पू० [सं० पल्लवकर] हाथ की अंगुली ।
| पलावित-देखो 'प्लावित'।
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पळास
पलहव
पळास-पु० [सं० पलाश] १ राक्षस, दुष्ट । २ एक वृक्ष विशेष । पलेहण-पु० [सं० प्रलेखन] वस्त्रादि संभालने की क्रिया (जैन)। ३ एक प्रौजार।
पलोटण-पु० १ वैभव । २ लोट-पोट । ३ देखो 'पलोथन'। पळासण--वि० [सं० पलम्-प्रशन्] मांस भक्षी।
पलोटणी (बी)-क्रि० [सं० प्रलोठनम् ] लोट-पोट होना । पळासपापड़ी--देखो 'पलास पापड़ो' ।
पलोणी (बो)-क्रि० [सं० प्रलोपनम्] देखना, निरीक्षण करना। पळासपापड़ो-पु० पलास की फली जो प्रौषध में काम पाती है। पलोतरण, पलोथरण-पु० [सं० प्रलेपनम्] १ रोटी बेलते समय पळासि-वि० [सं० पलाशिन्] मांसाहारी।
गीले प्राटे पर लगाया जाने वाला सूखा पाटा । २ अतिरिक्त पळासियो-१ देखो 'पळास' । २ देखो ‘पळायौ' ।
व्यय । पलिग-देखो 'पलंग' । .
पळी-पु० द्रव पदार्थ लेने का, खड़ा हत्था लगा, कटौरीनुमा, पलित-वि० [सं०] १ वृद्ध, बूढ़ा । २ पका हुआ (बाल)। उपकरण। -०१पका बाल । २ वैद्यक के अनुसार एक रोग।
लौ-० [सं० पल्ल]१ कपड़े का छोर, पल्ला । २ साड़ी या पळियो-देखो 'पळी'।
मोढ़नी का छोर विशेष । ३ दूरी, फासला । ४ किंवाड़ का पलियौ-पू०१ पायंदाज की जगह रखा टाट का टुकड़ा।।
पट । ५ तराजू का पलड़ा। ६ चार मन का एक तौल । २ कोई वस्त्र का टुकड़ा । ३ देखो 'पल्लो' ।
पल्थी-वि० १ उस मोर का । २ देखो 'पालथी'। पलींडो-देखो 'परीडो'।
पल्यंक, पल्यकि, पल्यंकु, पल्यंग, पल्यंग्ग-स्त्री० [सं० पल्यंक] पळी, पली-स्त्री०१ विशेष खाद्य पदार्थ बनाने का उपकरण ।
बढ़िया व उत्तम श्रेणी की खाट, चारपाई, सेज, शय्या । [सं० पलित] २ सफेद बाल । [सं० पल्लिः , पल्ली] ३ मकान,
पल्या, पल्यु-पु० [सं० पलित] सफेद बाल । झोंपड़ी। ४ छोटा ग्राम ।
पल्योपम-पु० [सं०] काल का एक माप, एक विभाग जो कूप पळीचरणो-देखो 'परीचरणो'। पलीत-वि० [सं० प्रेत, फा० पलीद] १ कायर, डरपोक ।
की उपमा से गिना जाता है। २ मूर्ख, मूढ़। ३ पालसी, निकम्मा। ४ मैला. गन्दा. पल्लंक-देखो ‘पल्यक' । अपवित्र । -पु० १ नाश, विनाश, ध्वंस । २ मसुर ।
पल्ल-देखो 'पल'। ३ प्रेत, भूत।
पल्लो -पु. १ झूले का मंच । २ देखो 'पलड़ो' । पलीती, पलीती-पु० [फा० फतीत] १ कोई तांत्रिक यंत्र । पल्लचर-देखो 'पळचर'।
२ बन्दूक मादि छोड़ने की चिनगारी । ३ पनसाखे पर रख पल्लरण-वि० मिटाने वाला, दूर करने वाला। कर जलाई जाने वाली कपड़े की बत्ती।
पल्लणी (बो)-देखो 'पलणी' (बी)। पलीयो, पलोधौ-पु. मट्ठ के साथ बनाया जाने वाला मांस का पल्लर-देखो 'पालर'। सालन ।
पल्लव-पु० [सं०] १ कोमल पत्ता, कोंपल । २ दक्षिण का एक पळू-पु० एक कृषि उपकरण विशेष ।
राजवंश । पलूटा-स्त्री० गायन का अलंकार विशेष ।
पल्लवणी (बौ)-क्रि० वृक्षों व पौधों के नये पत्ते पाना, पले'क-वि० एक क्षण के लगभग ।
पल्लवित होना। पलेट-स्त्री० १ तश्तरी । २ पट्टी।
पल्लवि-देखो 'पल्लव'। पळेटणी, (बो)-क्रि० लपेटना, आवेष्टित करना ।
पल्लवित-वि० [सं०] पत्तों से युक्त, फला-फूला। हरा-भरा। पळेटाणो (बी), पळेटावणो (बो)-क्रि० लिपटवाना, मावेष्टित कराना।
पल्लांणणो (बो)-देखो 'पलाणणो' (बी)। पळेटौ-पु० १ भावेष्टन, घेरा। २ विवाह में, भावरी या यज्ञ | पलळाटौ-देखो 'पळळाटो'। की परिक्रमा।
पल्ली-स्त्री० छोटा वस्त्र, झोला। पळेथन, पलेथन-देखो 'पळोथन' ।
पल्लू-पु. १ अांचल या वस्त्र का छोर । २ चौड़ा पट्टा, गोट । पलेव, पलेवड़ो-देखो 'पलेवो' ।
पल्लेदार-पु. १ अनाज ढोने वाला मजदूर ।२ एक बन्दूक विशेष । पलेवणउ-पु० [सं० प्रदीपनम्] आग लगाने की क्रिया । पल्लोल-पु० प्रवाह, झोंका। पलेबो, पलेह-पु० [सं० अवलेह] १ पतला खाद्य पदार्थ । | पल्लौ-पु. १ वस्त्र का छोर । २ अांचल । ३ देखो 'लो' ।
२ पहिये की धुरी में स्निग्ध वस्तु के साथ लगाया जाने पल्हण-पु० स्नान, मज्जन । वाला सन या कपड़ा।
| पल्हव-देखो 'पल्लव'।
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बल्हवणी
पस
पम्हवणी (बो)-देखो 'पल्लवणों' (बी)।
पांड़, पवाड़उ, पवाड़ो-पु० १ चकवड़, चक्रमई, एक औषधि । पल्हवित-देखो 'पल्लवित'।
२ देखो 'प्रवाड़ी'। पल्हांण-देखो 'पलाण'।
पवाचरणो (बो)-कि० पढ़ना, वाचना। पाल्हागणी (बी)-देखो 'पलांणणो' (वी)।
पवाडौ-देखो 'प्रवाडो'। पवंग, पवंगम-१ देखो 'प्लवंगम'। २ देखो 'पमंग'। पवारसाही-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । पर्वण-देखो 'पवन'।
पवाल (3)-देखो 'प्रवाळ' । पव-देखो 'परबत'।
पवासणी (बी)-क्रि० [सं० प्रकाशनम्] १ चमकना, प्रकाशित पवण-देखो 'पमंग'।
होना । २ तुष्टमान होना। पवण-देखो 'पवन'।
| पवासौ-पु० [सं० प्रभास] प्रकाश, चमक । पर्वत्रिय-देखो 'पवित्री'।
पवि-पु० [सं०] १ वज्र । २ मार्ग, रास्ता। पवत्री-देखो 'पवित्री'।
पविगि-देखो 'पमग'। पवन-पु० [सं०] १ वायु, हवा । २ वायु का अधिष्ठाता
पवित, पवितर-देखो 'पवित्र'। देवता । ३ प्राण वायु । ४ सर्प, सांप । ५ श्रीविष्णु ।
पवितरी-देखो 'पवित्री'। ६ प्रथम लघु ढगण के भेद का नाम । ७ कुछ विशिष्ट
| पवितरो-देखो 'पवित्री'। जातियों के वर्ग का नाम । ८ उन्चास की संख्या । -वि० |
पवित्त, पवित्तर, पवित्ति, पवित्र-वि० [सं० पवित्र] १ शुद्ध, चंचम*। -कुमार-पु० हनुमान, भीम। -चकी, चक्की
- पाप रहित । २ निर्मल, स्वच्छ, साफ । ३ यज्ञादि द्वारा स्त्री० हवा से चलने वाली चक्की।-चक्र-पु० चक्रवात । शुद्ध। -पु० १ यज्ञ में घी छिड़कने का कुश । २ तांबा । -ज, जात-पु० हनुमान, भीम । -तनय-पु. हनुमान, | पवित्रता-पु० [सं०] शुद्धता, पावनता निर्मलता। भीम। -दाग, बाह-पु. मृतक के शव को किसी ऊंचे व पवित्रा-स्त्री० [सं०] १ तुलसी । २ श्रावण शुक्ला एकादशी । खुले स्थान पर रख देना। --धिस्ण-पु. प्राकाश, | पवित्रिय, पवित्री-स्त्री. १ कुश की अंगुठी । २ संन्यासियों की प्रासमान । -नंद, नंदन-पु० भीम, हनुमान। -पंथ, माला के मध्य का मणिया। ३ तांबा और चांदी के मिश्रण पथ, पध-पु० माकाश, प्रासमान। -पुत्र, पूत-पु.
से बनी मुद्रिका। हनुमान, भीम। -मग-पु० आकाश, पासमान। | पवित्री-पु० [सं० पवित्र] १ मेड़तिया राठौड़ों की पगड़ी पर
-बांण-पु. तेज हवा चला देने वाला प्रस्त्र। -वेग-पु० बांधने की चारभुजा के नाम की पट्टी। २ रेशम के गुच्छे हवा का वेग। घोड़ा। -वि० हवा की तरह वेगवान । का बना मांगलिक हार। -सख, सखा-पु. अग्नि, आग। -सुत-पु० हनुमान, | पविधर-पु० [सं०] इन्द्र । भीम।
पविन-देखो 'पावन'। पवनघणईहा-स्त्री० [सं० पवन-धन-ईहा] अग्नि, पाग ।
पविपांणी-पु० [सं०] इन्द्र । पवनबध-पु० पवन को बांध देने वाला सिद्ध या मंत्र ।
पवी-देखो 'पवि' । पवनांण-१ देखो 'पावन' । २ देखो 'पवन'।
पवीतरी-१ देखो 'पवित्र' । २ देखो 'पवित्री'। पवनासण (न)-पु० [सं० पवन-प्रशनम्] १ हवा पीकर जीने
पर्व-देखो 'परवत'।
पबोड़ी-स्त्री० कमल के बीज । वाला प्राणी। २ सर्प, सांप। [सं० पवन-प्राशन] ३ योग
पव्वय, पर्व-देखो 'परवत' । के चौरासी वासनों में से एक।
पसंगौ-देखो 'पासंग'। पवनासणी (नी)-पु० [सं० पवनाशिन्] १ सर्प, सांप । २ पवन पसंति-देखो 'पस्यंती'। प्रासन लगाने वाला योगी।
पसंद-वि० [फा०] १ जो अच्छा लगे, रुचिकर, इच्छित । पवनियो, पवनी, पवन, पवनि-देखो 'पवन' ।
२ देखो 'प्रसन्न'। पवर्माण, पवमान-पु० [सं० पवमानः] हवा, वायु ।
पसंनि-पु० दर्शन । पवर, पवरु-देखो 'प्रवर'। .
पसंसा-देखो 'प्रसंसा'। 'प'वरग-पु० [सं०] नागरी लिपि के 'प' से 'म' तक का वर्ण | पस-स्त्री. १ अवधि, समय । २ मोहलत, छूट । ३ प्रवेश । समूह।
४ देखो 'पुसी'। ५ देखो 'अंजली'।-प्रव्य० [फा०] प्रतः, पवसाक, पवसाख-देखो 'पौसाक'।
इस कारण, इसलिये।
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पसकरण-वि० कायर, डरपोक ।
पसायती-पु० 'पसायत' की भूमि या जागीर पाने वाला व्यक्ति । पसको-पु. कायरपन, भीरता ।
पसार-देखो 'प्रसार'। पसगत-देखो 'पसुगत' ।
पसारटौ-पु. पंसारी का कार्य। पसण-देखो 'पिसण'।
पसारणी (बी)-कि० [सं० प्रसारनम्] फैलाना, पसारना, पसणी (बी)-देखो 'फंसपो' (बी)।
विस्तृत करना, छितराना । पसती-पु० [फा० पश्तो] १ साढ़े तीन मात्रा का एक ताल ।
| पसारी-देखो 'पंसारी'। २ अफगानिस्तान की भाषा ।
पसाव-पु० [सं० प्रसाद] १ मेंट, पुरस्कार । २ कपड़ा, वस्त्र । पसत्थ, पसष-देखो 'प्रसस्त' ।
[सं० प्रस्राव] ३ चावल की मांड। ४ किसी पदार्थ से पसथराग-पु० [सं० प्रशस्त-राग] दान-पुण्य, गुरु भक्ति प्रादि के
निकाला गया जलाश । ५ पसीना, स्वेद । ६ देखो 'प्रसाद'। प्रति अनुराग। (जैन)
पसावरण-पु० [सं० प्रस्रावण] मांड, पीच, पानी। पसन्न-१ देखो 'प्रसन्न' । २ देखो 'प्रस्न'।
पसावरणी, (बी)-देखो 'पसाणी' (बी)। पसम-पु० [फा० पश्म] १ रोम, बाल, रोमावली। २ मुलायम
पसीजरो (बी)-क्रि० [सं० प्र-स्विद] १ पिघलना, द्रवित व उत्तम श्रेणी की ऊन । ३ गुप्तांगों के बाल ।
होना । २ दयामय होना। ३ प्रच्छी तरह पक कर फूल पसमीन, पसमीर, पसम्म-पु. [फा० पशमीना] मुलायम ऊन का
जाना। ४ नम होना । ५ पसीना-पसीना होना । बना वस्त्र ।
पसीनी-पु० [सं० प्रस्वेद अधिक गर्मी या श्रम के कारण शरीर पसर-पु० [सं० प्रसर] १ माक्रमण, हमला । २ विस्तार, फैलाव ।
के रोम कूपों से निकलने वाला पानी, पसीना, स्वेद । ३ पिचकारी। पसरकंटाळी-स्त्री० [सं० प्रसर-कंटाली] कंटीले पत्तों वाला एक | पसु-पु० [सं० पशु चौपाया जानवर । -काळ-पु० सर्प, सांप । पौधा विशेष।
-पति-पु० पशुओं के समान गति, पशु योनि । -घातपसरलो (बी)-क्रि० [सं० प्रसरणम्] १ फैलना, विस्तृत होना,
स्त्री० पशु बलि । -ता-स्त्री० पशु के समान क्रिया। छितरना, पसरना । २ पैर फैलाकर सोना । ३ प्रधिक पशुत्व । -धरम-पु० पशुओं के समान प्राचरण । फैलाव करना। ४ आगे बढ़ना।
-नाथ, पति, पती-पु. शिव । सिंह । -भाव-पु० पशुपन,
पशुत्व । -राज-पु० सिंह, शेर। पसराणी (बी), पसरावणी (बी)-क्रि० १ फैलाना, विस्तृत
-लक्षरण, लक्षण-पु. करना, छितराना, पसराना। २ पैर फैलाकर सुलाना।
पशुओं के गुण । ७२ कलाओं में से एक । ३ अधिक फैलाव कराना । ४ आगे बढ़ाना ।
पसुपतास्त्र-पु० [सं० पशुपतास्त्र] शिव का त्रिशूल । पसळी-देखो 'पासळी'।
पसुवो, पन -देखो 'पसु'। . पसवान-पु० [सं० प्सानम्] भोजन । खाद्य ।
पसे-पु० दर्शन । पसवार-देखो 'पसवाड़ी।
पसेउ, पसेव, पसेवी-देखो 'पसीनो'। पसवाई-क्रि० वि० [सं० पाव-पाटक] १ पार्श्व में, बगल में, | पस-स्त्री० हाथों से अंजलि बनाने की मुद्रा । निकट । २ ओर, तरफ।
पसोपेस-पु० [फा० पसोपेश] असमंजस, दुविधा, धर्म संकट । पसवाडी-पु० [सं० पार्श्व:] पार्श्व, बगल, करवट ।
पस्चाताप-देखो 'पछतावो'। पसवाज-पु. नृत्य के समय पहनने का, वेश्यामों का घाघरा। पस्चिम-पु० [सं० पश्चिम] पूर्व के सामने की दिशा, सूर्यास्त पसाइत, पसाइती-देखो 'पसायती' ।
वाली दिशा। -प्रचळ= 'प्रस्ताचल' । -सागर-पु. पसाइतो-देखो 'पसायतो'।
पायर लेण्ड व अमेरिका के बीच का समुद्र ।। पसाउ, पसाउलो-१ देखो 'प्रसाद' । २ देखो 'पसाव'। पस्त-वि० [फा०] पराजित, दबा हुमा, निराश, हताश । पसाणो, (बो)-क्रि० [सं० प्रसावण] १ भात या चावल का मांड | -हिम्मत-वि. साहस रहित, कायर।
निकालना । २ किसी पदार्थ का जलांश निकालना । |पस्ता-देखो 'पिस्ता'। पसाबत, पसायती-पु०१ सेवा या नौकरी के बदले दी जाने | पस्ताणौ (बी)-देखो 'पछताणी' (बी)।
वाली भूमि या जागीर । २ उक्त प्रकार की भूमि को भोगने | पस्ताव-१ देखो 'पछतावो । २ देखो 'प्रस्ताव' । वाला व्यक्ति।
| पस्तावणी, (बी)-देखो पछताणी' (बी)। पसायतबाप-पु. उक्त प्रकार की भूमि के स्वामी से लिया जाने | पस्तावी-देखो 'पछतावों'। बाला कर ।
। पस्तौ-देखो 'पसतो'।
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परम
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परम-स्त्री० [फा०] पश्म] बढ़िया व मुलायम ऊन
पश्यंती - स्त्री० [सं० पश्यंती ] मूलाधार से उठ कर हृदय में जाने
की ध्वनि, नाद ।
पसरली (बी) देवो 'पसरणी' (बो)। पह पु० [सं० पथ ] १ रास्ता, मार्ग प्रभु । ३ राजा, नृप । ४ योद्धा, वीर।
[सं० प्रभु ] २ स्वामी, [सं० पद ] ५ प्रातः, उषाकाल प्रतिष्ठा, मर्यादा ७ पुग्य काल, सुवसर
। ६ ।
८ पृथ्वी, भूमि वि० [सं० प्रथम ] १ पहला, प्रथम ।
२ दाता ।
)
पहड़णी (बी) क्रि० [सं० पृथु = प्रक्षेपे] १ अपने स्थान से हटना । २ डिगना, विचलित होना । ३ फिसलना । ४ अधीर होना, घबराना । ५ धोखा देना ।
पहचान स्त्री० १ जान पहचान, परिचय । २ गुण-दोष देखने की शक्ति ।
पहचांणणी (at) - क्रि० १ परिचय करना, जान लेना। २. गुण दोष या असली-नकली की जानकारी कर लेना। ३ ठीक से समझ लेना ।
पहचि पहवी देखो 'पहंच' पहट - स्त्री० ० १ पराजय, हार । २ टक्कर, चोट, प्राघात । ३ विनाश, बरबादी ।
पहटणी (बी) - क्रि० १ हराना, पराजित करना । २ नाश करना, बरबाद करना । ३ टक्कर मारना, चोट लगाना । पहट्ट - देखो 'पहट' ।
पहनानी (बी) देखी 'पहराणी' (बी) पहनाथ पु० [सं० प्रभु-नाथ ] ईश्वर । पहनाव- देखो 'पहनावो' ।
पहनावली (बी) देखो 'पहराणी' (बो) ।
पहनावा पु० पहनने का वस्त्र, पोशाक।
7
पहनी स्त्री० [सं०] उपानह] जूती परक्षिका पहनी - देखो 'पनी' ।
पच देखो 'पुरुष' ।
पट्टणी (ब) - देखो 'पहटणी' (बी) ।
पती (बी) देखो 'पहु'चलो' (बी) पहनणी (बौ) - देखो 'पहरणी' (बी) ।
पहनाइ, पहनाई स्त्री० पहनने की क्रिया या भाव पहनाने का
ढंग |
४९ )
पहम पहमो-देखो 'प्रथवी' । पहर - देखो 'प्रहर' ।
पहपवेल - स्त्री० [सं० पुष्पवेणि] फूलों की चोटी, वेणी । पपणी (बौकि० [सं० पुष्प] प्रफुल्लित होना, फलना,
पुष्पित, पल्लवित होना
पहरण, पहरणि (जी) - पु० (बी) पु० [सं० उपकरण । २ अस्त्र-शस्त्र वस्त्र, परिधान ।
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पहरणौ (बी) - क्रि० [सं० परिधान ] पहनना, धारण करना । पहरतणी (बौ) - क्रि० [सं० प्रहरणम् ] नष्ट करना, नाश करना । पहरखो-देखो प्रहरी' ।
पहरावणी, पहरावणी-देखो 'पहरावणी' । पहरामण (ब) देखो 'पहराणी' (दो)। पहराइत, पहराउत - देखो 'पौ'रायत' । पहराणी (बी) - क्रि० पहनाना, धारण कराना । पहरायत देखो 'पी' रायत'
पहराब देखो 'पहनाव' ।
[सं० प्रहरताम्] १ पहनने के [सं० परिधान ] ३ पहनने के
पहलोत
पहरावणी - स्त्री० [सं० परिधापनी ] १ विवाह कर, विदाई के समय कन्या के पिता की ओर से दिये जाने वाले वस्त्रादि । २ वृद्ध मृतक के पीछे उसकी संतान को उसके ससुराल पक्ष द्वारा दी जाने वाली वस्त्रादि की भेंट पहरावणौ (बौ) - देखो 'पहराणी' (बो) । पहरियो (ब) देखो 'पहरण' (बी) पहरी, पहरु ( रू ) - देखो 'प्रहरी' ।
।
1
पहरी - पु० [सं० प्रहरदान] १ चौकीदारी, चौकसी । २ निगरानी, रखवाली रक्षक, सुरक्षा कर्मचारी ४ चौकीदारी प्रादि के लिये क्रमशः नियुक्ति । ५ उक्त प्रकार से पारी निकालने वाला व्यक्ति । ६ हिरासत, हवालात ।
-
पहल- पु० [सं० प्रथम ] १ शुरूआत, प्रारंभ । २ अगवानी । ३ शत्रु, दुश्मन । ४ धुनी हुई रूई की मोटी तह । ५ देखो 'पहलू' ।
पहलकं- देखो 'पैलकै' ।
पहलव[स्त्री० [सं०] पहलब] एक प्राचीन वंश ।
पहलां पहलवान पु० [फा० पहलवान] मल्ल, कुश्ती बाज
पहलवानी +त्री० [फा० पहलवानी] कुश्ती, मल्ल युद्ध
पहलवी - स्त्री० [फा०] ईरान की एक भाषा ।
पहला- देखो ''लॉ'
पळा पळाव देखो 'प्रह्लाद' ।
पहली १ देखो 'ली' २ देखो 'पहली'
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पहलीभव- वि० पहले जन्मा हुआ, ज्येष्ठ ।
पहलू - पु० [फा०] १ बगल, पार्श्व, करवट । २ पड़ोस, श्रासपास का क्षेत्र, स्थान। ३ सेना का दायां या बायां भागे ४ विषय का कोई पक्ष, भांग ।
I
पहले देखो 'पं'ले' |
पहलोत - स्त्री० १ प्रथम पत्नी । २ देखो 'पैलियांग' ।
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पहळी
पडतरणो
पंहळो-वि० (स्त्री० पहळी) चौड़ा, विस्तृत ।
पहिरायत पहिरायति, पहिरायती-देखो 'पौ'रायत' । पहल्ल-देखो पहल'।
पहिरावणी-देखो 'पहरावणी' । पहल्ली-देखो ''ली'।
पहिरावणौ (बो)-देखो 'पहराणो' (बी)।
पहिरी-देखो 'प्रहरी' । पहल्लो-देखो 'प'लो'।
पहिलइ, पहिलउ-देखो 'प'लो' । पहव-पु० [सं० प्रभु]१ राजा, नृप । २ स्वामी, प्रभु । ३ योद्धा, वीर । -वि० प्रथम ।
पहिलकउ, पहिलको, पहिलड़ौ-वि० (स्त्री० पहिलकी)पहले का, पहवि, पहवी-देखो 'प्रथवी'।
पूर्व का । पहसांच-पु० [सं० प्रहसांच] चन्द्रमा ।
पहिळाद (दि, दी, दौ)-देखो 'प्रहळाद'। पहाण (णो)-देखो 'प्रधान'।
पहिली-देखो 'प'ली'। पहा-स्त्री० प्रतिज्ञा, प्रण ।
पहिलु, पहिलु, पहिलू -देखो 'पै'लो'। पहाड-पु० [सं० पाषाण] १ पर्वत, गिरि । २ बड़ा टीबा, ढेर ।
| पहिलू रिण, पहिणी-वि० १ प्रथम पहला । २ देखो 'पैलियांण' __ ३ बहुत बड़ा पत्थर । ४ भारी व असाध्य कार्य ।
पहिलू गौ-देखो 'प'लूरणो' । पहावी-स्त्री० दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली हवा, वायु ।
पहिल-देखो 'प'ली'। पहाड़ा-पु० प्रत्येक अंक का १ से १० तक के गुणनफल से बनने
पहिलो-देखो 'प'लो'। वाला क्रम।
पहिल्ली-१ देखो 'पै'ली' । २ देखो 'पहेली'।
पही-१ देखो 'पथिक' । २ देखो 'प्रथवी' । ३ देखो 'प'डी'। पहाड़ी, पहाडी-वि० [सं० पाषाणी] १ पहाड़ का, पहाड़ संबंधी।
पहुँच, पहुँचरण-स्त्री० [सं० प्रभूत] १ गन्तव्य स्थान तक जाने, २ पहाड़ पर होने वाला। -स्त्री०१ पहाड़ी प्रदेश का
लेजाने, लेजाकर रखने की क्रिया या भाव । २ ठिकाने या निवासी । २ इस प्रदेश की भाषा। ३ छोटा पहाड़।
यथा स्थान हो जाने की क्रिया या भाव । ३ यथा स्थान पहार-१ देखो 'प्रहार' । २ देखो 'पहाड़' ।
होने, जाने प्रादि की सूचना । ४ क्षमता, सामर्थ्य । पहारको (बी)-देखो 'प्रहारणों' (बो)।
पहुचरणी (बी)-क्रि० [सं० प्रभूत] १ किसी गन्तव्य स्थान तक पहास-देखो 'प्रभास।
जाना । २ मंजिल तय कर लेना । ३ एक स्थान से दूसरे पहासणी (बी)-देखो 'प्रभासणी' (बी)।
स्थान तक ले जाया जाना । ४ यथा-स्थान होना । ५ भेजी पहि, पहि-अव्य०१ किन्तु, लेकिन । २ देखो 'प्रथवी' । ३ देखो . 'पथिक'।
हुई वस्तु का मिलना। ६ फैलते हुए जाना। ७ निश्चित
स्थान तक बढ़ना, प्रगति करना । पठना, बैठना, व्याप्त, पहिलो-देखो 'पड़ो'।
होना। ९ ज्ञान या अनुभव प्राप्त करना । १० सक्षम व पहिचारण-देखो 'पहचाण'।
समर्थ होना। ११ शत्रु प्रादि से मुकाबला कर लेना। पहिचाणणी (बी)-देखो 'पहाणणो' (बी)।
१२ होना, मिलना। पहिचाणी-देखो 'पहचाण' ।
पहुँचवान-वि० १ सक्षम, समर्थ । २ पुरुषार्थी । पहिटणी(बी)-क्रि० १ पलटना,बदलना। २ देखो 'पैठणी' (बौ)।
(बा)। | पहुचाडपो (बी), पहुचारणौ (बी), पहचावरणी (बो)-क्रि० पहिठाणी-पु. एक विशेष जाति का घोड़ा।
१ किसी गन्तव्य स्थान तक ले जाना । २ मंजिल तय पहिडपो (बो)-देखो 'पहड़णो' (बौ)।
कराना । ३ एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना । पहिनरो (बी)-देखो 'पहरणो' (बी)।
४ यथा स्थान करना । ५ भेजी हुई वस्तु को निश्चित स्थान पहिनाणी (बौ), पहिनावरणौ (बो)-देखो 'पहराणो' (बी)। या व्यक्ति को देना । ६ फैलाते हुए ले जाना । ७ निश्चित पहिनावी-देखो 'पहनावो' ।
स्थिति तक बढ़ाना, प्रगति कराना । ८ पैठाना, बैठाना पहिय, पहिया-देखो 'पथक' ।
व्याप्त कराना । ९ ज्ञान या अनुभव प्राप्त कराना। पहियो-देखो 'पड़ो'।
१० सक्षम व समर्थ करना । ११ शत्रु प्रादि से मुकाबला पहिरण (णी)-देखो 'पहरण' ।
कराना । १२ कराना, मिलाना।
पहुचि, पहुंची-देखो 'पहुँच' । पहिरणी (बी)-देखो 'पहरणो' (बी)।
पहुचौ-देखो 'पुरणची'। पहिरोमनी, पहिरावनी-देखो 'पहरावणी'।
पहुत-देखो 'पहुच'। पहिरायणी (बो), पहिराणी (बो)-देखो 'पहराणी' (बौ)। | पहुतणी (बी)-देखो 'पहुंचणी' (बौ)।
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बहु-पु० [सं० प्रभु] १ ईश्वर, परमात्मा ३ राजा, नृप । क्रि० वि० प्रत्यक्ष, सामने |
पहुद्यावर पु० एक प्रकार का व्यंजन विशेषः । पहुची (बी) देखो 'पहुंची' (बी)
'पहुंचा' (बी)।
'पटणी (बी) - देखो 'पहरणी' (बी) ।
बहुत (स) देखो 'पहुंच
पहुतणी (बौ), पत्तयो (बौ) - देखो 'पहु'चणी' (बो) । पंजलि पहूपांजलि देखो 'पुवाळी' ।
पह प- देखो पुरुष' |
पहुचाती (ब) पहुचाल (बी) पहचाचणी (बी) देखो पांक- देखो 'ख' २ देखो पंक (बौ), -
१ । ।
पह.मि, पहमी-देखो 'प्रथवी' |
पहर देखी 'प्रहर'।
पहवी-देखो 'प्रथवी' नाह प्रथवीनाथ' ।
पहूत-देखो 'पहुंच' । (बी) पहू- देखो 'पहु'।
पहुंची' (बी) ।
पहेली - १ देखो 'पहेली' । २ देखो '१'ली' ।
पाँच- देखो 'पहुंच'।
पहूत - देखो 'पहु'च' ।
पहेली - स्त्री० [सं० प्रहेलिका ] १ व्यंग, वक्रोक्ति या गुढ़ार्थक वाक्य या शब्द | हेली । २ परोक्ष अर्थ बोधक वाक्य |
पत- वि० सहित, संयुक्त ।
२ स्वामी, प्रभु । स्वामी प्रभु
पहोंत-देखो 'पहुंच' ।
पहोच देवो 'पहुंच'
पाँचौ (बो) - देखो 'पहुंची' (बी)।
पहोंचाली (बौ), पहोंचावणी (बौ) - देखो 'पहुंचारणी' (बो) ।
पहोचणी (बौ) - देखो 'पहुंचणी' (बो) ।
पहोय-देखो 'पुरुष'
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पहोमि (मी) - देखो 'प्रथवी' ।
पहोर - देखो 'प्रहर' |
पहोरी-देखो 'परी' |
पहोपकछौ - पु० [सं० पुष्पकच्छ] एक प्रकार का अशुभ रंग का
घोड़ा ।
पहोवर-देखो 'पयोधर' ।
पहोवी-देखो 'प्रथवी' ।
पहोत देखो 'पहुँच'।
महोतणी (बी) देखो 'पहुंची' (बो)।
पहौर देखो 'प्रहर'।
-
पहलवी -देखो 'पहलवी' ।
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FT
पां क्रि०वि० १ पास में निकट २ देखो 'पांसु' ३ देखो 'पद' । ४ देखो 'पांम' |
पांडी, पांउडी देखो 'पांवडी' ।
पांउणी-१ देखो पांमणी' । २ देखो 'पांवणी' ।
पाँचरणा
पांकणी (बी) क्रि० १ छोड़ना त्यागना २ 'ख' (दो) ।
·
पांख, पांखड़ली, पांखड़ी, पांखड़ी स्त्री० [सं० पक्ष] १ पक्षी का पर, पंख । २ कुक्षि, कूख । ३ शाखा । ४ पुष्पदल । ५ देखो''। पांच-देव'पंख' ।
पांचवी देखो 'पंच'।
पांची (बी) देखो 'ख' (बी)।
पांखळियो-देखो 'पांखळो' ।
पांखळी - पु० १ बेलगाड़ी के थाटे पर लगाया जाने वाला कटहरा । २ उक्त कटहरा में आने लायक सामान की मात्रा । पांखिय-देन पक्षी' ।
पांखी-देखो 'पांख' ।
(बी)फ० नींटियों, पक्षियों आदि के पंख माना।
पांडी, पांडी-देखो 'पास'।
पांगरण- देखो 'पंगरण' ।
पांगरी (बी० [सं० उपाङ्ग धरणम् १ अंकुरित होना,
पनपना २ हृष्टपुष्ट व मोटा-ताजा होना ३ बिहार
करना ।
पांगळ- पु० [सं० पांगुल्य] १ ऊंट । २ युवा ऊंट | ३ देखो 'पंगु' । पांगळ (बी) देखो 'पांगरणी' (बी) पांगलियो१ देखी पांगळ' २ देखो 'पंगु' पांगी- देखो 'पंगी' ।
पांगुरण- देखो 'पंगरण' ।
पांगरणी (बौं), पांगूरणी (बौ) - देखो 'पांगरणी' (बौं) ।
योगी ०१ पतला पानी जैसा द्रव पदार्थ
२ देखो 'पंगु' ।
पर (बी) देखो पांगरणी' (बो)।
पांच वि० [सं० पंच] चार व एक, पांच संख्या व अंक, ५ । २ देखो 'पंच' । ० [सं० पंच पत] हिंसा, झूठ, परिग्रह - श्रव्रत । (जैन)
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पु० १ पांच की अंग = 'पंचांग' |
चोरी, मैथुन और
पांचौ पु० [सं० पंच] प्रसव के पांचवें दिन किया जाने वाला संस्कार |
पांचों, पांचौ ० १ लम्बा कदम, छलांग २ देखो 'पांच' । पांचजन, पांचजन्य पु० [सं० पांचजन्य] श्रीकृष्ण का मंथ पांवणा पु० (२०१०) बलि किये बकरे के चारों पांव व शिर
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पांचों
पारण
पांचणी (बौ)-देखो 'पहुंचरणों' (बी)।
पांच-देखो 'पंचमी' । पांचनखौ-पु० [सं० पंचनख] एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। | पांचे'क-वि० [सं० पंच-एक] पांच के लगभग । पांचपदी-पु० [सं० पंच-पद] बागड़ क्षेत्र में जोगियों के एक पांचो-पु० [सं० पंच[१ पांच की संख्या का अंक । २ पांच का समूह वादन का नाम ।
वर्ष । पांचवांण-देखो 'पंचबाण'।
पांजर, पांजरउ, पजिरउ-पु० १ चड़स में लगने वाले लकड़ी पांचभूतिक-देखो 'पंचभूतक'।
के गुटके । २ देखो 'पंजर'। पांचम-१ देखो ‘पंचमी' । २ देखो 'पंचम' ।
पांजरी-पु० [सं० पंजर] १ नाव का एक भाग या हिस्सा । पांचमउ-देखो 'पंचम'।
२ देखो 'पंजर'। पांचमहायत-देखो 'पंचमहाव्रत' ।
पांजा-पु० [सं० पंच] पांच तंतुओं से बना धागा। पांचमि (मी)-१ देखो 'पंचम'। २ देखो 'पांचमी' ।
पांड-स्त्री० १ छाब । २ देखो 'पांडु' । ३ देखो 'पिंड' । पचिमुख-देखो 'पंचमुख' ।
४ देखो 'पांडुर' । ५ देखो 'पांडव'। पांचमो-देखो 'पंचम' (स्त्री० पंचमी)।।
पांडर, पांडरउ, पांडरो-वि० [सं० पाण्डुर] १ स्वच्छ, निर्मल । पांचयग्य-पु० [सं० पंचयज्ञ] श्रीकृष्ण के शंख का नाम ।
२ देखो 'पांडुर'। पांचरूप-देखो 'पंचरूप'।
| पांडव-पु० [सं०] १ राजा पांडु के पुत्र । २ पांच इन्द्रियां । पांचलड़ी-देखो 'पंचलड़ी'।
३ घोड़े का सईस । ४ यवन, मुसलमान। -तिलक-पु. पांचलड़ो-वि. १ पांचों तत्त्वों वाला, पांचों तत्त्वों से युक्त।
युधिष्ठिर। -नगर-पु० दिल्ली, इन्द्रप्रस्थ। -नामी-वि. २ देखो 'पंचलड़ी।
पांचों पाण्डवों में से किसी नाम का।
पांडिति-देखो 'पंडित'। पांचली-स्त्री. १ मूर्ति । २ देखो 'पंचाली' ।
पांडियो-देखो 'पंडो'। पांचलोड़-पु० पुरोहित ब्राह्मणों का एक भेद । पांचवीं-स्त्री०१ नैऋत्य कोण से चलने वाली अकाल सूचक
पांडीउ-पु० [सं० पाण्डु] एक देश का नाम । हवा । २ देखो 'पंचमी'।
पांडीस-स्त्री० तलवार ।
पांड-पु० [सं०] १ एक रोग विशेष । २ सफेद रंग । ३ कुछ पांचवों-देखो 'पंचम'।
लाली लिये पीला रंग । ४ कुरुवंश का एक राजा पांडु। पांचसई-देखो 'पांचसौ' ।
५ देखो 'पांडव'। पांचसवी-देखो 'पंचसदी'। पांचहजारी-देखो 'पंचहजारी' ।
पांडुता-स्त्री० [सं०] सफेदी, रक्ताल्पता। पांचाणी (बो)-देखो 'पहुंचाणी' (बी)।
पांडुनाग-पु० [सं० पाण्डुनाग] १ सफेद हाथी । २ सफेद, सांप । पांचाधर-पु० सेना के पांच दल ।
पांडुपुत्र, पांडुपूत-पु० [सं०] राजा पांडु के पुत्र, पांडव।. पांचानत-देखो 'पंचाम्रत'।
पांडुर-वि० [सं०] १ पीला, पीत । २ श्वेत, सफेद । पांचायण-देखो 'पंचायण' ।
-पु०१ पीलिया नामक रोग । २ रक्ताल्पता का एक रोग । पांचाळ-देखो 'पंचाळ'।
| पांडुरी-स्त्री० पारस पीपल नामक वृक्ष ।
पांडुरो-देखो 'पांडुर'।। पांचाळी-स्त्री० [सं० पांचाली] १ द्रौपदी का एक नाम ।
पांडुलिपि-स्त्री० [सं०] १ प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ । २ किसी २ साहित्य में एक प्रकार की रीति । ३ इन्द्रजाल के छः
लेख प्रादि का लिखित प्रारूप, मसविदा। भेदों में से एक।
पांडू-देखो 'पांडु'। पाच-देखो 'पांच'।
पांडूय-पु० एक वस्त्र विशेष । पाचिद्रिय-देखो 'पंचेंद्रिय'।
पांडूर, पांडूरो-देखो 'पांडुर'। पांचिम-देखो 'पंचमी'।
पांडे-देखो 'पांडयौ'। पांची-स्त्री० ताश में पांच बूटी वाला पत्ता ।
पांडेरी-पोवरी-स्त्री. मेवाड़ के महाराणा का एक विभाग । पांचु, पांचू-वि० [सं० पंच] १ समस्त पांचों । २ देखो
पांडीसबो-पु० खड्गधारी योद्धा। ___ 'पांच' । ३ देखो 'पंचमी'।
पांडयौ-पु० [सं० पण्डा] १ विद्वान, पण्डित । २ तीर्थ गुरु । पांप्रगट-पु० [सं० पंचप्रकट] कछुपा, कमठ ।
३ शिक्षक । ४ रसोइया। पांचूसाख-देखो 'पंचसाख'।
| पाण-पु० [सं० प्राण, प्रण, पानीय, उपानह, पानम्] १ शक्ति,
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पाकीर
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( ५३ )
बल, सामर्थ्यं । २ जीव, प्राण । ३ पानी, जल । ४ प्रभाव, प्रताप । ५ प्ररण । ६ करवट, बगल । ७ जूती । ८ कारण, हेतु । ६ मर्यादा, प्रतिष्ठा । १० शस्त्रादि की धार ११ चमक । १२ कपड़े में लगाई जाने वाली मांड । १३ खड़ी पाई । १४ तुष्टि, संतुष्टि । १५ मान । १६ सिंचाई | क्रि०वि० [सं० प्राण] १ ही । २ तुरन्त, शीघ्र ३ देखो 'पांणि' ।
।
पांणकोर, पांणको पु०बिना धोया, कलप या मांड वाला वस्त्र पांणगौ, पांग-पु० [सं० पान:] १ गांव में पीने के पानी का कुप्रा । २ शराब आदि की गोष्ठी ।
पणदेखो 'पाणिग्रहण'
पांरणव- देखो 'पाणी' । पांरणधर - वि० [सं० प्राणधारिन्] १ शक्तिशाली, बलवान । २ प्राणवान, जीवधारी । पांरणप- देखो 'पाणिप' ।
पांणपखो - पु० घीया पत्थर ।
पणिपुत्र पु० [सं० पानी पुष्य ] पानी पिलाने का पुष्प पांचही देखो 'नहीं'।
पांसि पु० [० पाणि] १ कर हाय २ देखो 'पण' । २ देखो 'पाणी'। देखो''।
,
पाणिग्रहण पु० [सं० पाणिग्रहण] विवाह शादी वर द्वारा कन्या का हाथ थाम कर ग्रहण करने की क्रिया ।
पणिणि पाणिन, पांचिनि० [सं० पाणिनि] संस्कृतव्याकरण के प्रख्यात विद्वान् ।
पाणिनीय वि० [सं० पाणिनीय] पाणिनि का बनाया हुया । पाणिप ० १ शक्ति बल सामर्थ्य २ प्रतिष्ठा, मान
"
३ कांति, आभा ।
ग्रहण देख परिग्रहण' ।
पांरण - पु० १ एक प्रकार का छंद । २ देखो 'पाणी' ।
पांणत
- ।
पण स्त्री० [सं० पानीयकृत्य ] १ फसल की सिंचाई करना, पांगेची (डी) वि० १ पानी की पानी संबंधी २ पूर्वओं की पुश्तंनी स्वी० पानी के पात्र रखने की जगह परींडा
क्यारियां पाना । २ उक्त कार्य की मजदूरी ।
पांगतियों, पांगती पु० सिचाई करने वाला क्यारियां पाने पाचीधरा स्त्री० पूर्वजों की भूमि
7
वाला व्यक्ति ।
पाणिपीड़ - पु० पाणिग्रहण । पांणी - पु० [सं० पानीय] १ जल, पानी । २ शक्ति, बल, सामर्थ्य | ३ चमक, कांति । ४ तेज, ग्रोज । ५ वीर्य । ६ यांसू । ७ इज्जत, प्रतिष्ठा ८ स्वाभिमान । देखो 'पांरिण' । १० किसी पदार्थ का द्रवीय भाग ।
| पांणीहड, पांणीहल- पु० मुक्ता, मोती । पांणीहारी देखो 'पणिहार' ।
पाणीड़ी देखो 'पाणी' ।
पांणीजरो, पांणीझरी- पु० एक प्रकार का यांत्रिक ज्वर । पालीजीबी पु० [सं० पानीयजीव] १ कछुवा, कच्छप २ जल
के जीव ।
पांणीपंथ- देखो 'पांणीपत' ।
पांणीपथौ पु० एक जाति विशेष का घोड़ा ।
पांणीपत, पांणीपथ पु० [सं० पानीपत] दिल्ली के प्रास-पास का एक प्राचीन प्रदेश जहां पर इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुए थे। पी० मृतक के परिवार वालों को बस जल ग्रहण कराने की प्रथा ।
पांणीबाड़ी पु० दाह संस्कार के बाद स्नानादि कर मंजलि देने की क्रिया ।
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पाण- वि० शक्तिशाली, समर्थ । क्रि० वि० लिए, वास्ते, निमित्त देखो 'पा'
1
पांनकराड़
पाली-१ देखो 'पौ' २ देवो 'पांण' ।
पांत १ देखी 'पंक्ति'
२ देखो 'पती' |
पांतर, पांतरण स्त्री०
१ विस्मरण, भूल । २ स्याग ।
३ पागलपन |
पांतरण (ब) ० १ छोड़ना, त्यागना। २ भूलना, विस्मृत होना। ३ बुद्धिहीन होना, पागल पन करना । ४ धोखा खाना । पांतरी देखो 'पांतर' ।
पांति-१ देखो 'पांती' २ देखो 'पंक्ति' । पांतिग- देखो 'पातक' ।
पांतोटो, पांती, परियो-देखो 'पांतियों' । पांथो (बौ) - देखो ' पहुंचणी' (बी) ।
पांतियों- पु० [सं० पंक्ति] भोजन के लिये पंक्ति बद्ध बैठाने के लिये बिछाने का लंबा वस्त्र ।
पांती - स्त्री० [सं० पंक्ति] १ हिस्सा, भाग । २ देखो 'पंक्ति' । - बार० हिस्सेदार, भागीदार -बार वि० हिस्से के अनुसार ।
पांन० [सं० पर्णम् ] १ पत्ता पत्र २ कत्था, चुना व सुपारी के
साथ खाने का नागर बेल का पत्ता, ताम्बूल । ३ इसी पान के प्रकार का कोई प्राभूषण या उपकरण । ४ तमाखू | [सं० पा] ५ पीना क्रिया । खान-पान । [सं० पान:] ६ नगाड़ा । ७ सर्प, सांप । ८ ताश का लाल रंग, पान का पत्ता । ९ स्त्रियों के कान का प्रभवा । १० फौलाद की बनी पत्ती ।
पनिक स्त्री० [सं० पानकम्] पेय पदार्थ
पांनकराड़ - पु० शराब का व्यापारी, कलाल ।
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पानडलो
( ५४ )
र पाइक
पांनडलो-देखो 'पान'।
पामरजोग-पु० [सं०पामरयोग] १ बाजीगर भादि के चमत्कारिक पानडी-स्त्री० [सं० पर्णम्] १ चंदा उगाहने की सूची, याद | खेल । २ निकृष्ट मानी जाने वाली योगिक क्रियायें।
दाश्त । २ रहट में खट-खट करने वाला उपकरण । पामरी-देखो 'पांमड़ी' । ३ मूग, मोठ आदि के सूखे पत्ते । ४ देखो 'पनड़ी' ।
पामल, पांमलियौ-१ देखो 'पॉमर' । २ देखो 'पायलो'। पांनड़ो-१ देखो ‘पान' । २ देखो 'पांनो'।
पाम्हणो-देखो 'पामणी'। पनिचराई-स्त्री० मवेशी चराने का एक टैक्स, कर । पाय-१ देखो 'पद', 'पांव' । २ देखो ‘पाम' । पानवान-पु० ताम्बूल रखने की डिबिया, पात्र ।
पायल, पायलियो, पायलो-वि० (स्त्री० पायली) पामारोग से पानवार-पु० सर्प का चित्र खुदा, अर्धमण्डलाकार पत्थर ।
ग्रसित। पानपखीण-पु० चन्द्रमा ।
पांव-पु० १ पैर, चरण । २ देखो 'पद' । ३ देखो 'पाम'। पानबीड़ो-पु० ताम्बूल की गिलौरी।
पांवड़ो-डो)पु० [सं०पदक]१ कदम, डग, पैड। २ पायंदाज, पगपानस-स्त्री० तिलहन की सूखी पत्तियां ।
पांवड़ा। पानसी-स्त्री०१चने के पौधे की कच्ची पत्तियां । २ मोठ, मूग | पांवरणी-देखो 'पांमणी'। (स्त्री० पावणी) ___ आदि के पौधों की सूखी पत्तियों का ढेर । ३ देखो 'पनड़ी' ||पवर-देखो पामर'। पनिह, पानही-देखो 'पनही'।
पोवळ, पावळियो, पावळी-१ देखो 'पायलो'। २ देखो 'पद' । पनि-देखो 'पाणि'।
(स्त्री० पांवळी) पानिप-पु० [सं० पानः] १ नगाड़ा, ढोल । २ शराब पीने पांस-स्त्री० [स० पांशु] १ रज, धूलि । २ देखो फांस' ।
वाला व्यक्ति । ३ देखो 'पणिय' । ४ देखो 'पाणिप'।। | पांसर-पु० १ डांस, गोमक्खी । २ देखो 'पांसुल'। पांनी-देखो 'पाणी' ।
पासळि, पासळी-देखो 'पासळी' । पानीपथ-देखो 'पाणीपथ'।
पांसु-१ देखो 'पास' । २ देखो 'पांसली'। पांनूस-देखो 'फांनूस'।
पांसुखुर-पु० घोड़ों के पैरों का एक रोग । पांनोळी-स्त्री० नए पौधे पर पाने वाली पत्तियां, नवीन पत्ते। पांसुभंग-पु० [सं० पशुका-मंज] छोटी पसली का ऊंट । पांनो, पान्ही-पु० [सं० पान] १ नगाड़ा।२ हिस्सा व अधि- पांसुल-वि० [सं० पांशुल] १ पापी, दुष्ट । २ गंदला किया हुअा,
कार । ३ सम्पर्क, व्यवहार । [सं० पणं] ४ कागज, पत्र। . मलिन । ३ भ्रष्ट, पतित । ५ पृष्ठ, पेज । ६ वंश । ७ पत्ता। [फा० पहन] ८ माता | पांमुळी-स्त्री० [सं० पांशुला] १ रजस्वला । २ छिनाल औरत । के स्तनों में पाने वाला दूध । ९ जमीन का भाग, हिस्सा ।। ३ देखो 'पासळो' । १० लंबे कागज की तरह का खेत । ११ शस्त्र आदि की | पांस-देखो 'पांस'। धार। १२ देखो 'पान'।
पांसौ-देखो 'पासो'। पापण, पापरिण-स्त्री० पलक ।
पहि-स्त्री० १ महीनतम रज या धूलि । २ देखो 'पास' । पांमड़ी, पाभरी-स्त्री० [सं० पक्ष्माटिका] १ एक प्रकार का पाहणी-देखो 'पांमणो' ।
दुशाला, प्रोढ़ने का वस्त्र । २ दुल्हिन को विवाह-मण्डप पहि, पाही-क्रि०वि० पास, निकट । में प्रोढ़ाने का वस्त्र ।
| पाहुणो-देखो 'पांमणी'। पांम-स्त्री० [सं० पामन] १ रक्त विकार से होने वाला एक | पा'--देखो 'पास'।
चर्म रोग । खुजली। २ रोग, बीमारी। ३ व्यर्थ की बला। पा-वि० पीने वाला। -पु० १ पान । २ पक्षी। ३ मत । पांमड़ी-देखो 'पांभड़ी'।
-स्त्री० ४ शिवा । ५ रज, धूलि । पामडो-देखो 'पांवडो'।
पान-देखो 'पद'। पामणचार, पामणाचार-पु. खातिरदारी, पावभगत । | पामणी (बी)-देखो 'पाणी' (बी)। पांमणी-पु० [सं० प्राघुणक] १ मेहमान, अतिथि। २ जमाता, पारिनौ-देखो 'पायडी'। जमाई।
पाराधिय, पापाराधिय-पु० मोट से मारने वाला भील, पामणी (बी)-देखो 'पाणी' (बो)।
शिकारी। पामर-वि० [सं० पामर १ नीच कुल या वंश का । २ पापी, | पाइ-देखो 'पद' । नीच । ३ मूर्ख, निर्बुद्धि।
| पाइक (क्क)-देखो 'पायक' ।
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पाइगह
पाखरांण
पाइगह-देखो 'पायगा'।
पाकती-क्रि०वि० १ निकट, समीप, पास में। २पावं में, पाइरिण-देखो 'पोयणी'।
बगल में । पाइदळ-देखो 'पाईदळ' ।
पाकथांन-पु० [सं० पाकस्थान] १ पाकशाला, रसोईघर । पाइल-देखो 'पायल'।
२ पवित्र स्थान । ३ पाकिस्तान । पाइली-देखो 'पायली'।
पाकरिपु-पु० [सं०] इन पाई-स्त्री. १ पैसे का तिहाई भाग एक प्राचीन सिक्का ।
पाकसाळा-स्त्री० [सं० पाकशाला] रसोईघर । रसौड़ा । २ छोटी खड़ी रेखा । ३ इकाई का चतुर्थांश । ४ झड़बेरी पाकसासण, पाकसासन-पु० [सं० पाक शासन] इन्द्र । के सूखे कांटों का बड़ा गुच्छा ।
पाकसिया-स्त्री० रामावत साधुओं की एक शाखा।
पाकारि-पु० [सं०] इन्द्र । पाईक (कु)-देखो 'पायक' । पाईगह-देखो 'पायगा'।
पाकिस्तान-पु. भारत के पश्चिम में स्थित एक मुश्लिम देश । पाईता-पु. एक वणिक छन्द विशेष ।
पाकेट, पाकेद-पु० ऊंट । पाईवळ-पु० [स. पदाति] पंदल सिपाही।
पाकोड़ो-वि०(स्त्री० पाकोड़ी) पका हुमा, परिपक्व ।
पाको-वि० [सं० पक्व] (स्त्री० पाकी) १ पका हुआ । २ वृद्ध । पाउंडो-देखो 'पांवडो'। पाउं, पाउ-१ देखो 'पद' । २ देखो 'पाऊ' ।
३ चतुर, निपुण । ४ देखो 'पक्को'। पाउरदोस-पु० [सं० प्रकाश-दोष] दीपक, मणि आदि के पाक्षिक-वि० [सं०] १ पक्ष या पखवाड़े से संबंधित । २ तरफप्रकाश से लगने वाला दोष । (जैन)
दार, मददगार। ३ अच्छे वंश का। ४ पन्द्रह-पन्द्रह दिन
में प्रकाशित होने वाला या बनने वाला। पाउधारौ-देखो ‘पधारौ'। पाउल-देखो पाटल'।
| पाखंड-पु० [सं० पाखण्ड] १ वेद विरुद्ध माचरण । २ ढोंग, पाउस-देखो 'पावस'।
स्वांग, आडंबर । ३ षट् दर्शनों में से एक अथवा प्रत्येक । पाऊ-पु. १ ऊपर से. मुड़ा हुआ लोहे का मोटा कीला।
४ शरारत, नीचता। ५ कपट, धोखा। ६ ९६ की २ देखो 'पद'।
संख्या *। पाए-देखो 'पद'।
| पाखंडी-वि० [सं० पाषण्डिन्] १ वेद विरुद्ध प्राचरण करने पाएल-१ देखो 'पदल' । २ देखो 'पायल' ।
वाला। २ षट्दर्शनी। ३ ढोंगी कपटी,। ४ धोखेपाओला-स्त्री० [सं० पाद-प्रवलि] चमड़े की कसों में गुथी
बाज, धूर्त, नीच । ५ शरारती।
पाख-क्रि०वि०१ मोर, तरफ। २ देखो 'पक्ष'। ३ देखो घुघुरुषों को दो पट्टियां।
'पाखर'। पाक-वि० [फा०] १ पवित्र, शुद्ध, निर्मल । २ पाप रहित, निर्दोष । [सं० पाक:] ३ पकाया हपा। ४ पकने योग्य ।
| पाखइ-देखो 'पखै'। ५ अनुकूल पड़ने वाला । -पु. १ पकने की क्रिया या भाव ।
पाखड़ी-स्त्री० १ प्रांख की पलक । २ देखो 'पांख'। २ पका हुआ अन्न, भोजन, मिठाई। ३ मिठाई, मिष्ठान्न । | पाखड़ो-पु० १ ऊंट के चारजामे के बाजू की लकड़ी । २ ऊंट ४ मिश्री, चीनी या शहद के योग से बना पौष्टिक खाद्य | या भैंस का अगला पांव बांधने का बंधन । पदार्थ । ५ पचने की क्रिया । ६ घाव पकने की अवस्था । | पाखति, पाखती-देखो 'पाकती' । ७ बालों की सफेदी, पकाव । ८ लकड़ी के मध्य का
| पाखर-वि० [सं० प्रक्खर] तीक्ष्ण, तेज। -पु० [सं० प्रखर] परिपक्व भाग। ९ एक दैत्य विशेष । १० बालक, बच्चा।
१ युद्ध के समय हाथी या घोड़े पर डाली जाने वाली झूल, ११ कर्मविपाक । १२ पाकिस्तान ।
कवच । २ कोहरा, धुंध । ३ कवच । पाकर-पु० [सं० पर्कटी] प्लक्ष नामक वृक्ष विशेष ।
पाखरड़, पाखरडो-देखो 'पाखर'। पाकड़णौ (बौ)-देखो 'पकड़णी' (बी)।
पाखरणी (बो)-क्रि०वि० [सं० प्रखर] १ कवच, शस्त्रादि से पाकठ-वि० १ पका हुमा । २ अनुभवी।
सज्जित होना । २ घोड़े प्रादि पर जीन या पाखर कसना। पाकरणो (बो)-क्रि० [सं० पचष्] १ अनाज, फल आदि परिपक्व पाखरवंत, पाखरवत-वि० [सं० प्रक्ख रवत् कवच, झूल, जीन
होना, पकना। २ अांच या गर्मी पाकर पकाव लेना। शस्त्रादि से सज्जित । ३ घाव भरना, घाव में पीप पड़ना । ४ देखो पकणी' (बो)। पाखरांण-देखो 'पाखर'।
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पाखरी
पाथक
पाखरी-१ देखो 'पाखर' । २ देखो 'पाखळी'।
पागलियो-१ देखो 'पग' । २ देखो 'पागौ। ३ देखो 'पागल' । पाखरंत-देखो पखरैत'।
पागार (रो)-पु० [सं० प्राकार परकोटा, पाहता। पाखळणी (बो)-क्रि० ऊंट या घोड़े के पैर बांधना।
पागि-देखो १ 'पग'। २ देखो 'पागी'।। पाखळि, पाखळिय-देखो पाखळी' ।
पागी, पागोड़ो-पु० [सं० पदक] १ पद चिह्नों से चोर प्रादि पाखळियो-देखो 'पांखळो'।
का पता बताने वाला, खोजी। विशेषज्ञ । २ मार्ग दर्शक, पाखळी, पाखळीय-पु० मोट खाली करने के स्थान पर लगाया
प्रेरक । ३ जानकार, विज्ञ । जाने वाला पत्थर । -क्रि०वि० पास, समीप । चारों ओर,
पागीपो-पु० [सं० पदक] १ चोरों आदि के पद चिह्न पहचानने चारों तरफ।
__का कार्य । २ इस कार्य का पारिश्रमिक । पाखळी-देखो 'पांखळो' ।
पागोड़ियो, पागोड़ो, पगोटियो-देखो 'पावड़ियो । पाखोण-देखो 'पासांग'। -बद्ध='पासारणबद्ध। -भेव%3D
पगोटी-स्त्री० [सं० पदक] बैठक, पालथी। 'पासांगभेद'।
पागोटो, पागोडियो, पागोडो, पागोतियो, पागोतीयो, पागोत्यो, पाखांणी-देखो 'पासांणी'।
पागोथियो, पागोय्यौ-देखो 'पगथियो । पाखरणो-देखो 'पाखांनो'।
पागौ-पु० [सं० पाद] पलंग, खाट, कुर्सी मादि का पाया। पाखान-देखो 'पासांण'।
पाघ-देखो 'पाग'। - पाखांनी-पु० [फा० पायखाना] १ शौचालय, टट्टी । २ मल,
| पाघड़-१ देखो 'पाग' । २ देखो पागड़ों। विष्ठा।
पाघड़ी-देखो 'पाग'। पाखाळणी (बी)-देखो 'पखाळरणो' (बी)।
पाघडो-देखो 'पागड़ो। पाखि, पाखी-क्रि० वि० पास, निकट, समीप । -स्त्री०१ कूए
पाचणी-देखो 'पाग'। की सिंचाई में एक ही नाली से भरी जाने वाली क्यारियां । -पु० २ घोड़ा, अश्व । ३ देखो 'पक्षी'। ४ देखो 'पखै'।
पाघोड़ो, पाघोटो-देखो 'पावड़ियो' । पाखें, पाखेड़ि पाख-१ देखो 'पाकती'। २ देखो 'पखै' ।
पाड-पु. १ एक प्रकार का वाद्य । २ अहसान। ३ देखो 'पाख'।
पा' -देखो 'पहाड़। पाखो-पु. [सं० यक्ष]१ दूधारू पशु के स्तन-मण्डल का प्राधा
पाडणी (बौ)-क्रि० [सं० पातनम्] १ पराजित करना, हराना। - भाग । २ देखो 'पक्ष' । ३ देखो ‘पर्ख' ।
२ प्रविष्ट करना । ३ दखल देना, हस्तक्षेप करना । ४ दुःख पाग, पागड़-स्त्री० [सं० पदक] १ सिर पर बांधने की पगड़ी।
या विपत्ति पड़ना। ५ वीरगति पाना । ६ मारना, संहार २ देखो 'पग' । ३ देखो 'पाक' । ४ देखो 'पागड़ो' ।
करना । ७ त्वचा उतारना । ८ गिराना, पटकना । एक पागाछाक-स्त्री० प्रस्थान के समय मेहमानों से की जाने
वस्तु को दूसरी पर फैलाना । १० छोड़ा या डाला जाना । वाली शराब की मनुहार ।
११ स्थिति बदलना । १२ प्राप्त करना, हथियाना । पागडापछाड-स्त्री० घोड़े के पेट पर होने वाली एक भंवरी। १३ उखाड़ना । १४ लूटना। पागड़ी-देखो 'पाग'।
पावलो-देखो 'पड़दली'। पागडन-पु०१ घोड़े के चारजामे में लगा पायदान का बंधन ।। पाड़ी-देखो 'पाडी'। २ देखो 'पागड़ी'।
पाई-प्रव्य० १ निकट, पास। २ ओर, तरफ । पागड़ी-पु० १ घोड़े के चारजामे में लगा पायदान, रकाब। पाड़ोस-पु० [सं० प्रतिवेश] १ पास-पास का निवास स्थान ।
२ पुरुषों के पैर का प्राभूषण विशेष । ३ देखो 'पाग'। २ सीमावर्ती देश या क्षेत्र। . पागणी (बी)-क्रि० [सं० पाक:] १ किसी खाद्य पदार्थ को गुड | पाड़ोसण-स्त्री० [सं० प्रतिवेगिन्] अगल-बगल वाले मकान
या शक्कर की चासनी में डुबाना । २ डूबना, तन्मय होना, में रहने वाली स्त्री। मग्न होना ।
पाड़ोसी-पु० [सं० प्रतिवेशिन] (स्त्री० पाड़ोसण) पास-पास के पागती, पागते-देखो 'पाकती' ।
मकानों के निवासी। पागल-वि० [सं०] (स्त्री० पागलड़ी) १ जिसका दिमाग पाडो-पु० [सं० पट्टन] मुहल्ला।
ठीक न हो, बावला, सनकी । २ नासमझ, मूर्ख । पाच-स्त्री० मरिण । ३ क्रोध प्रादि की भावना में उन्मत्त ।-खांनो-पु. पागलों पाचक-वि० [सं०] शीघ्र पचने या पचाने वाला। पचने में को रखने का स्थान, पागलों का चिकित्सालय ।
हल्का। -पु०- १ रसोईया, बावर्ची । २ पांच प्रकार के
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पाचड़ियो
पाटो
पित्तों में से एक । ३ उक्त पित्त में रहने वाली अग्नि । | पाछोपौ-वि० [सं० पश्चात् १ पीछे का, बाद का। २ पीठ ४ पाचन शक्ति बढ़ाने वाली प्रौषधि ।
पीछे का। पावड़ियो-पु० हल के पीछे लगने वाली लकड़ी।
पाछोर-स्त्री० [सं० पश्चात् ] तालाब या पोखर के पास-पास पाषणो-देखो 'पाछणो' ।
___ की पिछली भूमि। पाचणी (बी)-क्रि० [सं० पचष्] १ पकाना । २ हजम होना | पाछी-वि० (स्त्री० पाछी) वापस, पीछे । पचना।
पाज-स्त्री० [सं० पाजस्य] १ प्रण । २ पुल, सेतु । ३ तट, कूल, पाचन-पु. [सं०] १ खाया हुअा पदार्थ पेट में हजम होने की किनारा । ४ तालाब की पाज । ५ सीमा, हद । ६ प्रतिष्ठा,
क्रिया । २ उदरस्थ अग्नि जिससे पाचन क्रिया होती है। गौरव, मान । ७ पंक्ति, कतार । ८ पट्ठा, घाट । ३ पाचन शक्ति बढ़ाने वाली प्रौषधि । ४ प्राग, अग्नि । | पाजड़ी-देखो 'पाज' । ५पकाने की क्रिया। ६ प्रायश्चित । -वि० १ पचाने पाजणक्षीर-पू० एक प्रकार का कंद विशेष । या पकाने वाला । हजम करने वाला। --सक्ति, सगति, | पाजणी-देखो 'पैजणी'। सगती-स्त्री० भोजन पचाने वाली अग्नि । हजम करने पाजांमौ-१० [फा० पाजामा] दोनों पांवों में पिरो कर कमर की क्षमता।
में बांधने का अधोवस्त्र । पाचनी-स्त्री० [सं०] हरड़े, हरीतकी।
पाजा-देखो 'पाज'। पाचर, पाचरो-पु. बैलगाड़ी के पहिये की 'पूठियों के शिरों | पानि, पाजी-वि० [फा० पा] १ दुष्ट, नीच । २ लुच्चा, में फंसाई जाने वाली लकड़ी।
। बदमाश। पाळणी-वि० पीछे का । क्रि०वि०- पीछे से ।
पाजेब-देखो 'पायजेब'। पाची-स्त्री० १ एक प्रकार की लता, हरित पत्रिका । २ देखो
पासळणौ (बी)-देखो 'प्रजळणी' (बी)। ___ 'पुणछी'।
पाझो-देखो 'प्राझी'। पाचू-पु० ऊंट के किसी अंग में होने वाली ग्रथि ।
पाटंबर-देखो ‘पटंबर'। पाछ-स्त्री० कमी, कसर, बाकी।
पाट-पु० [सं० पट्ट] १ रेशम का वस्त्र । २ रेशमी डोरा । पाछह-क्रि०वि० पीछे, बाद में ।
३ वस्त्र । ४ सिंहासन, राजगद्दी। ५ पीढ़ा, बाजोट, पाछउ-देखो पाछौ' । (स्त्री० पाछी)
चौकी । ६ तख्ता । ७ राजा, सम्राट । ८ पीसने की चक्की पाचटणी (बी)-क्रि० १ वार करना, चलाना । २ फोड़ना | का कोई पाट । ९ कोल्हू में लगने वाला एक तस्ता तोड़ना। ३ देखो 'पछटणी' (बी)।
विशेष । १. कपड़े का थान । ११ मकान की चुनाई मादि पाछणी-पु. १ उपतरा । २ द्वन्द्व युद्ध के समय पैर के अंगूठे में
में काम पाने वाला मोटा, चौड़ा व लम्बा पत्थर । १२ छत बांधने का छोटा छुरा ।।
में लगाए जाने वाले लकड़ी के मोटे पाटिये। शहतीर । पाछत, पाछतरी-पु० [सं० पश्चात् मौसम के अंत में बोई | १३ रबी की फसल की भूमि विशेष । १४ भूमि की तह, जाने वाली फसल। -वि. विलंब से बोया हुमा।
परत । १५ भूमि, जमीन । १६ नदी की चौड़ाई। पाछपीलि(ळी)-क्रि०वि० [सं० पश्चात् पीछे, बाद में । १७ लकड़ी की मोटी व बड़ी पट्टी। १८ पत्थर की बड़ी पाचमनी-वि० [सं० पश्चात्-मन] १ प्रागे बढ़ने में उदासीन । पट्टी। १९ स्त्रियों के गले का माभूषण विशेष ।
२ विलंब से कार्य करने वाला । ३ निरुत्साहित, धीमी २० कोमल *। २१ देखो 'पट' । २२ देखो 'पट्ट'। गति वाला।
पाटऊधोर-देखो 'पाटोधर'। पाछल-स्त्री० [सं० पश्चात् १ पीठ, पृष्ठ । २ देखो 'पाछलौ' । पाटक-वि• [सं० पटु] १ चतुर, बुद्धिमान, योग्य । २ दक्ष, पाछनो-वि० [सं० पश्चात] (स्त्री० पाछली) १ पूर्व का, पहले | निपुण, प्रवीण। ३ धूर्त, चालाक । [सं० पाटकः] का । २ पीछे का, बाद वाला । ३ पृष्ठ भाग वाला।
४ विभाजन करने वाला । -पु. १ नदी तट । २ एक बाजा पाधिम-देखो 'पच्छिम' ।
विशेष । ३ ग्राम का अर्द्ध भाग । ४ बालिश्त, बित्ता । पाछिलत, पाछिलो-देखो 'पाछलौ' (स्त्री० पाछली)।
पाटड़ागोह-स्त्री० एक प्रकार की भूरे रंग की गोह । पार-वि० पीछे का, पश्चात का ।
पाटड़ी-१ देखो 'पाटी'। २ देखो 'पटी'। ३ देखो 'पट्टी' । पाछेपो-देखो 'पाछोपों'।
४ देखो 'पाटी'। पाछ-देखो 'पर्छ' ।
| पाटड़ी-पु० [सं० पट्टः] हेगा।
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पाटण
पाठभेद
पाटण-पु० [सं० पत्तन] १ गुजरात का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक पाटी- स्त्री० [सं० पट्टः,पाटी:] १ परिपाटी, रीति । २ गुणादि का
नगर । २ पाटने की क्रिया या भाव । ३ नगर, शहर । क्रम । गणना क्रम । ३ पाठ, सबक । ४ बच्चों के पढ़ने पाटणमुखी-पु. काजल, कज्जल ।
लिखने की स्लेट या तख्ती। ५ चारपाई की लम्बाई पाटणी-पु. १ वस्त्र विशेष । २ देखो 'पट्टण'।
की ओर की पट्टी। ६ विवाह के समय पढ़ा जाने वाला पाटणी (बी)-क्रि० [सं० पाटनम्] १ किसी चीज की रेल- वेद मंत्र । ७ कान का निचला भाग। ८ जुताई किये खेत
पेल कर देना। २ गड्ढे को बराबर कर देना, बूर देना, को समतल करने का उपकरण। ६ घाव पर बांधने की समतल कर देना। ३ छत या छाजन बनाना । ४ खलल पट्टी। १. किसी कपड़े की कोर अथवा किनारी।
भर देना, अवकाश न रहने देना। रिक्तता न रहने देना। ११ मांग, बालों की पट्टी। १२ मवेशी चराने व घास के पाटयम-पु० [सं० पट्ट-स्तम्भ] १ राज सिंहासन का रक्षक। लिये छोड़ा हुआ भू-भाग । १३ देखो 'पट्ट' । १४ देखो २ राजा। ३ सामन्त, सरदार ।।
'पट्टी' । १५ देखो 'पाट'। पाटथान-पू० [सं० पट्ट-स्थांन] १ किसी राज्य की राजधानी । पाटीपोती-पु० [सं० पट्ट:-पोत] स्लेट साफ करने का छोटा २ धर्म या सम्प्रदाय का मुख्य केन्द्र ।
कपड़ा। पाटनगर-पु० [सं० पट्ट नगर प्रमुख स्थान, राज्य स्थान ।
पाटीहोड़ो-देखो 'पटहोड़ो'। पाटप-वि० [सं० पट्टप] १ प्रधान, मुख्य । २ शिरोमणि ।
| पाटु-पु० [सं० पट्ट] १ बस्त्र विशेष । [सं० पाद] २ लात । पारपा (पति, पती)-पु० [सं० पट्टपति) १ राजा, नृप। पाटयाली-स्त्री० [सं० पाद-पालच] पाट प्रमाणिी की २ युवराज, उत्तराधिकारी।
चोट। पाटरस्यक-पु. [सं० पाट रक्षक] १ राजा, नृप । २ राजगद्दी पाटेपड़ी-स्त्री० एक पक्षी विशेष । की रक्षा करने वाला।
पाटेदार-पु० [सं० पट्ट+फा. दार] पट्टी बांधने वाला। पारायंभ-देखो 'पाटथंभ।
पाटोतो-पु० भोजन की थाली रखने की छोटी चौकी। पाटरियन-पु० [सं० पट्ट] युद्धस्थल, रणक्षेत्र ।
पाटोधर-वि० [सं० पट्ट-धारिन्] १ श्रेष्ट, उत्तम । २ वस्त्रपाटळ, पाटल-पु० [सं० पाटल:] १ एक वृक्ष विशेष । २ एक धारी । ४ वीर, बहादुर । -पु० १ राजा, नप । २ युवराज,
देश । ३ पाडर वृक्ष या इस वृक्ष का फूल। ४ एक प्रकार उत्तराधिकारी। का चावल ।
पाटो-पु० [सं० पट्ट] १ मरहम, पट्टी। २ काष्ठ का बना कोई पाटला, पाटलावती-स्त्री० [सं० पाटलावटी] देवी, दुर्गा।
तख्ता । ३ देखो 'पाट' । ४ देखो 'पाटी'। पाटली-पु० मगध (बिहार प्रदेश) की राजधानी। | पाटोधरण-देखो 'पाटोधर'। पाटली-पू० १ स्त्रियों के हाथ का कंगन । २ बैलगाड़ी के पहिये पाठ-पु० [सं०] १ पढ़ने की क्रिया, पढ़ाई । २ धार्मिक पुस्तक
का एक भाग । ३ चरखे का एक भाग । ४ देखो 'पाटल'। का नियमित पठन । ३ पढ़ने का विषय । ४ प्रतिदिन पढ़ने पाटव-पु० [सं०] १ स्वास्थ्य, पारोग्यता । २ स्फूर्ति, कुशलता। का विषय । ५ पुस्तक का अंश, परिच्छेद, अध्याय । - ३ देखो 'पाटवी'।
६ किसी वाक्य या पंक्ति में शब्दों का अन्तर, पाठान्तर । पाटवी-वि० १ उत्तराधिकारी। २ गद्दी का संभावित ७ फालसा । ८ जवान बकरी जो गर्भवती न हुई हो। प्रधिकारी । ३ रेशमी वस्त्र, कौशेय ।।
६ देखो 'पाठी' । १० देखो 'पाट'। पाटवीराग-स्त्री० वीर राग, सिंधुराग।
पाठक-पु० [सं०] १ पढ़ाने वाला, अध्यापक । २ नित्य पाठ पाटहाथो-देखो 'पटहस्ती'।
करने वाला, पढ़ने वाला। ३धर्मोपदेशक । ४ ब्राह्मणों का पाटाबंध, पाटाबांधण-वि० [सं० पट्ट-बंधनम्१ घावों की भेद । ५ विद्यार्थी । ६ कथावाचक । ७ दीक्षा गुरु ।
मरहम पट्टी करने वाला, जर्राह । २ जिसने युद्ध स्थल में | पाठड़ी-देखो 'पाठ'। कइयों को घायल किया हो। ३ जिसके कई घाव लगे हों पाठडौ-पु० सूअर का जवान बच्चा। व पाटे बंधे हों।
पाठदोस-पु० [सं० पाठ दोष] १ किसी ग्रंथ में लिखावट या पाटाबंधाई-स्त्री० [सं० पट्ट-बंधनम्] १ घावों पर मरहम्म पट्टी छपाई की अशुद्धि । २ वजित रीति से पढ़ने की क्रिया।
करने का कार्य । २ उक्त कार्य का पारिश्रमिक । पाठन-पु. [स०] पढ़ाना क्रिया, अध्यापन । पाहि-१ देखो 'पाट'। २ देखो 'पाटी' । ३ देखो 'पाटौ'। पाठप्रणाली-स्त्री० [सं०] पढ़ने-पढ़ाने की रीति या डंग। पाटिसथान, पाटिस्थान-पु० [सं० पट्ट-स्थान] १ प्रमुख स्थान। पाठभेद-पु० [सं०] किसी ग्रंथ की प्रतिलिपियों में कहीं-कहीं २ सिंहासन । ३ राजधानो।
होने वाला शब्दों या वाक्यों का अन्तर ।
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पाठर-देखो 'पाठा'।
पाडूई, पाडूउ-देखो ‘पाडुइ'। पाठवणी (3)-देखो 'पाणी' (बौ)।
पाडोस-देखो 'पाड़ोस,। पाठसाळा-स्त्री० [सं० पाठ-शाला] विद्यालय, स्कूल । पाडोसी-देखो 'पाड़ोसी'। पाठांण, पाठांन-देखो 'पठाण' ।
पाडौ-पु० [सं० पटह] १ भैसा, महिष । २ घोषणा, ढिढ़ोरा । पाठांतर-देखो 'पाठभेद'।
३ आक वृक्ष का फल । ४ देखो 'पाड़ो'। पाठा-स्त्री० [सं०] एक लता विशेष ।
पाढ़-पु. १ वंश, कुल । २ देखो 'पाठ' । पाठाफेर-पु० किसी कवि या लेखक की रचना में किया जाने
पाढ़गत, पाढ़गति-देखो 'पाडगत' । वाला आंशिक परिवर्तन ।
पादि-१ देखो 'पाट' । २ देखो पाढ़' । पाठिक-देखो 'पाठक'।
पाढ़ीक-देखो 'पाठक'। पाठी-वि० पाठ करने वाला, पढ़ने वाला। -स्त्री० जवान एवं
| पाढ़ी-पु. १ योग संस्कार । २ देखो 'पाट' । ३ देखो 'पाढ़' । हृष्ट-पुष्ट स्त्री।
पारणी (बो)-क्रि० [सं० प्रापण, पा.] १ पान कराना, पिलाना। पाठीक-देखो 'पाठक'।
२ प्राप्त करना, पाना, उपलब्ध करना। ३ भोगना, पाठीन-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार की मछली । २ देखो 'पाठी'।
अनुभव करना। ४ भोजन करना, खाना । ५ समझना। पाठेड़ी-स्त्री० जवान बकरी।
६ देखना, साक्षात्कार करना। ७ किसी के बराबर पाठेपड़ी-देखो 'पाटेपड़ी।
पहुंचना । ८ समर्थ होना । ९ धूम्रपान करना । १० मिलना पाठौ-पु० [सं० पुष्ट] (स्त्री० पाठी) १ हृष्ट-पुष्ट या मोटा
प्राप्त होना। ताजा व्यक्ति । २ ऊंट के चारजामे में लगने वाला डंडा । |
पातंग-देखो 'पतंग'। ३ एक प्रकार का हिरण। ४ लिखने का बड़ा कागज ।
पातजळ, पातंजळि-देखो 'पतंजळि' । ५ जांघ पर गांठ होने का एक रोग । ६ जवान हाथी।
| पात-पु० [सं० पात्रम्] १ कवि । २ याचक । ३ हल की 'चऊ' । पाड, पाउ-१ देखो 'प-ह' । २ देखो 'पट्ट' । ३ देखो पा'ड' ।
४ प्रहार, चोट । ५ प्राभूषणों प्रादि पर चढ़ाने की सोने ४ देखो 'पहाड़।
आदि की पतली पत्ती। ६ स्त्रियों के शिर का प्राभूषण पाडकी-देखो 'पाडी'।
विशेष । ७ पत्ता, पल्लव । ८पाई की बुनावट में बान की पाङगत, पाडगती-पु. १ राजस्थानी में 'सुपंख' गीत जिसमें
लड़ियों का समूह। ९ पतन, गिरावट। १० गुड़ की हल्की नृत्य के बोल पाते हैं। २ एक गीत या छन्द विशेष । .
चासनी । ११ देखो 'पत' । पारड़ी-देखो 'पाडी'।
पातक (कु)-पु० [सं०] १ कुकर्म, पाप, अघ । २ गुनाह, दोष । पाडण-स्त्री० एक प्रकार की मछली।
पातकि, पातकी-वि० [सं० पातकिन्] १ पापी, कुकर्मी, पाडणी (चौ-देखो 'पाडणो' (बो)।
अधर्मी । २ गुनाहगार। पाडर-देखो 'पाटल'।
पातग-देखो 'पातक'। पाडळ-स्त्री० १ एक रंग विशेष की गाय । २ पीले रंग की
पातड़ी-स्त्री०१ ऊंट की नाक पर चोट से होने वाली ग्रंधि। हिरणी। ३ एक प्रकार का पीपल, पारस पीपल ।
२ देखो 'पतड़ी'। ३ देखो 'पातड़ो। ४ देखो 'पात'। ४ देखो 'पाटल'।
५ देखो 'पातौ' । पाडलिया-देखो 'पाटलीपूत्र' । पाडसूत्र-पु० [सं० पट्ट-सूत्र] रेशमी धागों का कार्य करने वाली पातड़ो-पु०१ रूझ का वृक्ष व फल । २ बबूल वृक्ष की फली। जाति।
| पातन-पु० [सं०] पारे के पाठ संस्कारों में से पांचवां । पाखुरो-पु० मैंसे के समान क्षुरों वाला सूअर ।
पातर-स्त्री० [सं० पात्र] १ हिन्दू वेश्याओं की एक जाति ।
२ देखो 'पातळ' । ३ देखो 'पात्र' । ४ देखो 'पातरौ' । पाडाजीमी-स्त्री० भैसे की जिह्वा के आकार की कटार । पाडियो-देखो 'पाडो'।
| पातरउ-देखो पातरौ'। पाडिहार, पाडिहारु, पाडिहारू-देखो 'प्रतिहार'।
| पातरवाडौ-पु० [सं० पात्र-पाटक] वेश्याओं का मुहल्ला । पाडी-स्त्री. मैंस की छोटी बछिया।
पातरु-१ देखो 'पातरौ' । २ देखो 'पातर'। पाइ, पाडया-वि० [सं० पातुक] हल्का, स्वराब, अशुभ । (जैन) पातरौ-पु० [सं० पात्र] १. साधु, विशेष कर जैन साधु का पाडू-स्त्री० लूट ।
काष्ठ-पात्र । २ देखो 'पात्र' । ३ देखो 'पातड़ी।
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पातळ-स्त्री० [सं० पत्र] १ पत्तल, पनवारा। २ एक व्यक्ति के पात्रता-स्त्री० [सं०] १ पात्र होने की अवस्था या भाव। एक समय की भोजन सामग्री । ३ देखो 'पतळो' ।
२ योग्यता, भाजनता । ३ अभिनेता होने की स्विति । पातळडो-देखो 'पातळी',
पात्रो-१ देखो पातरो'। २ देखो 'पात्र। पातळबट्ट, पातळचट्टी-वि० (स्त्री० पातळचट्टी) १ स्वार्थी, धोखे पाप-पु० [सं० पाथ] १ जल, पानी । २ देखो पत्थर' ।
बाज। २ खुशामद खोर, चापलूस । ३ खाने के लिये । ३ देखो 'पंथ'। ४ देखो 'पारय' । ५ देखो 'पर्व' । मरने वाला।
-नाथ-पु० समुद्र, सागर । -निधि-पु. समुद्र । पातळपेटी-वि० [सं० पत्राल-पेट] पतले पेट वाली, कृशोदरा।। पाथर-१ देखो 'पत्थर' । २ देखो 'पथ'। पातळियो-देखो 'पतळो'।
पाथरणि, पाथरपो-देखो 'पथरणों'। पातळी-वि० [सं० पत्राल] पतली, कृशांगी, सुन्दरी । पाथरणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रस्तरणम] १ फैलाना, बिछाना । पातली-स्त्री० मटकी, घघरी।
२ धराशायी करना, मारना । पातळो-वि० [सं० पत्राल] (स्त्री० पातळी) १ कम उपजाऊ। पाथराणी (बी)-देखो 'पथराणी' (बौ)। '२ देखो 'पतळो। ३ देखो 'पाटलो' ।
पाथरावरणो (बी)-देखो 'पथराणी (बी)'। पातसा(ह)-देखो 'बादसाह ।
पाथरी-१ देखो 'पाथरी। २ देखो 'पथारी'। पातसाई-देखो 'बादसाही'।
पाथरी-पु० [सं० प्रस्तरणम्] खेत में अनाज के कटे पौधों का पातस्याई, पातस्याही-देखो 'बादसाही'।
पाचारी-स्त्री० [सं० प्रस्तरणम्] १ गोष्ठी । २ घास की गंजी पाताळ-पु० [सं० पाताल] १ पृथ्वी के नीचे का लोक ।
___या ढेरी। २ अत्यधिक गहरा कूमा या खड्डा । ३ मात्रिक छन्दों की
पाथियो-पु० [सं० पथिक] राहगीर । मात्राओं को जानने का चक्र विशेष । -खंड-पु० पाताल
पाधिव-देखो 'पारथिव' । लोक । -गरी, गरुड, गरुडो-स्त्री० एक प्रकार की लता।
पा-१ देखो 'पात' । २ देखो 'पाथ' । ३ देखो 'पथक' । जल जमनी। -जंत्र-पु. कड़ी प्रौषधियां पिघलाने का यंत्र
पाथेय-पु० [सं०] यात्रा के समय साथ रखने की भोजन विशेष । -तुंबी-स्त्री० हाथी जिसके दांत नीचे झुके हुए
सामग्री। हो।-पति, पती-पु० शेषनाग। -सोंगी-पु० मवेशी,
पाथोज-पु० [स.] कमल । जिसके सींग नीचे की ओर झुके हों। --सिद्धि-स्त्री०
पाथोद-पु० [सं०] १ मेघ, बादल । २ समुद्र । बहत्तर कलाओं में से एक।
पायोधर-पु. [सं०] बादल, मेघ । पाताळियौ-१ देखो 'पताळियो' । २ देखो 'पाताळ'।
पायोधि, पाथोनिधि, पायोनिधी-पु० [सं०] समुद्र, सागर । पाति-देखो 'पाती।
पायोरुह-पु० [सं०] कमल । पातिक (ग, गि)-देखो 'पातक'।
पाद-पु० [सं० पर्दः, पादः] १ अपान वायु । २ पैर, चरण । पातिव्रत-देखो पतिव्रत'।
पावक-पु० [सं०] आभूषण विशेष । --वि० पादने वाला अपान पातिसा, पातिताह-देखो 'बादसाह'।
___ वायु निकालने वाला। पातमाही-देखो 'बादसाही'।
पादचारी-देखो पदचारी। पातिस्था, पातीच्या-देखो 'बादसाह'।
पाइटीका-स्त्री० [सं०] किसी ग्रंथ के पृष्ठ के नीचे दी गई पातिस्याही-देखो 'बादसाही।
टिप्पणी, फुटनोट। पाती-स्त्री० [सं० पत्री) १ तलवार । २ स्वर्णकारों का पावण-स्त्री० [स० पर्दन] १ अपानवायु निकलने की क्रिया
प्रौजार विशेष । ३ लोहे मादि की पत्ती। ४ पत्र, या दंग। पान वायके रोग वाली सी। चिट्टी। खत।
पादरणी-वि० [सं० पर्दनम्] (स्त्री० पादरणी) बिसके अपान वायु पातुर, पातुर-देखो 'पातर'।
अधिक निकलती हो। पाती-पू० [सं० पात्र] १ मिट्टी का बना बड़ा पात्र । २ स्त्रियों ] पो -क्रि० fie के कंठ का एक प्राभूषण।
___ निकलना। पात्र-पु० [सं०] १ बर्तन, भाजन । २ किसी नाटक, कहानी | पादत्र, पादत्राण-पु० [सं०] १ जूता, जूती । २ खड़ाऊ।
मादि के अभिनेता । ३ किसी पद या हक का अधिकारी | पावदाह-स्त्री० [सं०] पैरों के तलवों में होने वाली जलन । व्यक्ति । ४ देखो 'पत्र । ५ देखो 'पातर'। ६ देखो 'पात'। पाप-पु० [सं०] वृक्ष, पेड़।
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पाचपोस
पापत्रयताप
पादपोस-पु० जूता, पगरखी।
पाधोरणी (बो)-क्रि० [सं० उपाधोरणम्] १ दंड देकर सीधा पावर-देखो 'पाधर'।
करना । २ युवा बैल को हल गाड़ी, प्रादि के लिये अभ्यस्त पावरी-पु. १ ईसाई धर्म का पुरोहित । २ देखो 'पाधरी'। करना। पादरौ-देखो पाधरौ'। (स्त्री० पादरी)
| पाधोरी-वि० (स्त्री० पाधोरण) १ दण्ड देकर सुधारने वाला। पाववंदन-पु० [सं०] पैर पकड़ कर प्रणाम करने की क्रिया । २ युवा बैल को कृषि कार्य के किये अभ्यस्त करने वाला। पारवेस्टक-पु० [सं० पादवेष्टक मेर में धारण करने का प्राभू- | ३ अचूक निशाने बाज । षण विशेष ।
पाची-पु० [सं० उपाध्याय] पंडित, ब्राह्मण । सकळिका-स्त्री० [सं० पाद शखलिका] पैरों का प्राभूषण पाप-पु० [सं०] १ कुर्कम, दुष्कर्म , बुरा कार्य, निदित कर्म। २ धर्म विशेष ।
व समाज की दृष्टि से वर्जित कर्म । ३ दुर्भाग्य । ४ वध, पासवा-श्री० [सं० पादशाखापांच की अंगुली।
हत्या । ५ हीन या बुरी भावना । ६ अहित, अनिष्ट, बुराई। पावसाह-देखो 'बादसाह।
७ प्रपंच, झंझट, बुराई । ८ अपराध । ९ दुःखद वर्णन*। मालहरस-पु० [सं० पाद हर्ष] एक रोग विशेष ।
१० पटल* । ११ तप्त वर्णन । १२ कृष्ण वर्णन। पारहिता-स्त्री० [सं०] जूती, उपानह ।
पापइयो-देखो 'पपइयो' । पालक-देखो पातकुळक' ।
पापकरण-पु० [सं०] शिकार, माखेट । पादानंगद-पु० [सं०] नूपुर।
पापकरम-पु० [सं० पापकर्म] बुरे व अनुचित कार्य । दुष्कर्म । पादाकांती-वि० [सं०] पैरों से कुचला हमा, पददलित। पापकरमी-वि० [सं० पाप+कमिन् ] पापी, दुराचारी, कुकर्मी पादाकुदक, पावाकुळति, पावाकूलक-पु० [सं०] एक मात्रिक | पापक्षय, पाक्सी-पु० [सं० पापक्षय] १ पापों के क्षय होने की छद विशेष ।
क्रिया या अवस्था। २ पापों से मुक्ति देने वाला स्थान, तीर्थ । पादारवंद, पादारव्यंद-पु० [सं० पादारविन्द] चरण कमल। पापगण -पु० [सं०] उनण का पाठवा भेद। पादुका-स्त्री० [सं०] १ खड़ाऊ । २ जूती। ३ देखो 'पगलिया। पापग्रह-पु० [सं०] १ कृष्ण पक्ष की दशमी से शुक्ल पक्ष की पावोदक-देखो ‘पदोदक'।
पंचमी तक का चन्द्रमा । २ फलित ज्योतिष के सूर्य, मंगल, पादोदर-पु० [सं०] सर्प, सांप ।
शनि, राहु और केतु ग्रह। पादोरणी (बो)-देखो 'पाधोरणो' (बो)।
पापड़-पु. सं. पट] १ मूग आदि के घाटे में भार मित्रा कर, पादौ-पु. १ काला नमक, संबन लवण । २ देखो 'पादरणी' ।
अत्यन्त पतला, रोटीनुमा बनाया जाने वाला खाद्य पदार्थ । पाद्रि-देखो 'पाधरी'।
२ एक वृक्ष विशेष । -वि० १ बारीक, पतला । पाधड़ी-देखो 'पद्धरी।
२ सूखा, शुष्क । अधर-वि. १ पालतू । २ अनुकूल। -पु०१ समतल भूमि, खुला पापड़ो-स्त्री० [सं० पर्पटी] १ बबूल की फली। २ एक प्रकार मैदान । २ तलबार । ३ सीध, लंबाई । ४ देखो 'पाधरौ' ।
का खाद्य पदार्थ । ३ एक प्रकार का वृक्ष विशेष । ४ देखो पाधरणी (बी)-देखो 'पाधोरणो' (बी)।
'पपड़ी। पाथरपतला-स्त्री. १ तलवार का स्वामी, योद्धा । २ खुले मैदान पापड़ो-खार-पु० [सं० पर्पट क्षार] केले के पेड़ का क्षार, क्षार में लड़ने वाला वीर।
विशेष । पारसलो-वि० १ प्रासादगुण युक्त । २ सरल स्वभाव का। पापड़ो-पु० १ स्कंध के पीछे की हड्डी । २ देखो 'पापड़। पायरी-बि०१ सीधी, बिमा मोड़ की, लंबी । २ सहज, सरल । पापड़ो-कायौ-पु० [सं० पर्पट-क्वाथ] एक प्रकार का कत्था । - ३ देखो 'पद्धरी'।
पापचंद्रमा-पु० [सं०] विशाखा के अंतिम चरण से उयेष्ठा के पारो-वि० (स्त्री० पाधरी) १ बिना मोड़ या घुमाव का, । प्रतिम चरण तक का चन्द्रमा ।
सीधा । २ सरल, सहज । ३ जिसमें ऐंठन न हो। ४ जिसमें | पापचर, पापचारी-वि० [सं०] पापी, पापाचारी। पड़ने या दुराग्रह की प्रवृत्ति न हो । ५ जो कपटी न हो, पापजूण-स्त्री० [सं०पापयोनि] पशु प्रादि की मिकृष्ट योनि । भकुटिल । ६ जो विरुद्ध न हो, अनुकूल । ७ जो कठिन न वापरण, पापरणी-वि० [सं० पापिनी] पाप कर्म करने वाली, हो, प्रासान। ८ शांत, गंभीर। ९ शिष्ट, सुशील ।। हत्यारी, पापिनी । १० सुबोध, सुगम्य । ११ देखो 'पाधर'
पापत्रयताप-पु० [सं०] १ कायिक, वाचिक व मानसिक तीन पाधोर-वि० १ लक्ष्य पर सीधा निशाना लगाने वाला । प्रकार के पाप । २ प्राध्यात्मिक, प्राधिभौतिक समाधि २ देखो 'पाघर'।
दैविक ताप।
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पापवरसी
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( ६२ )
पादरसी - वि० [सं० पापदर्शन्] १ बुरी नियत या दृष्टि वाला । २ पाप को न जानने वाला ।
पापस्टी-स्त्री० [सं० पाट] कुदृष्टि, बुरी नियत ।
। ।
पापनक्षत्र पु० [सं०] [भरणी, कृतिका, विशाखा, ज्येष्ठा और पा-१ देखो 'पाप' २ देखो 'पापा'। पापड़ी पु० पाप कर्म कुकर्म ।
अश्लेषा नक्षत्र ।
पायोस पु० [फा०] पापोश] जूता, उपानह
पानीवि० [सं० पाचनामन] पापी दुष्ट
पापनाशी पी० [सं० पापनाशिनी पापों को नष्ट करने पापी देखो 'पाप'
पाप कर्म ।
।
पापमति वि० [सं०] बुरे कामों की प्रवृत्ति वाला दुर्बुद्धि पापमय वि० [सं०] पापों से युक्त पापमोचरण । । बायमच (न) - १ देखो 'पापमोचणी' २ देखो 'पापनासन' पापमोजणी (नी) - स्त्री० [सं०] १ चैत्र कृष्णा एकादशी । २ गंगा । बावरोग पु० [सं०] पाप या निदनीय कामों से होने वाला रोग। पापरोगी - वि० [सं०] उक्त प्रकार के रोगों से ग्रसित । पापळ - वि० ० प्रशक्त, कमजोर ।
३ कुकर्मी, दुष्कर्मी ४ क्रूर निर्दयी धन्यायी पा तायी । ६ दुष्ट, दुःखदायी । ७ उत्पीड़क ८ गुनाहगार अपराधी ।
वाली, तुलसी ।
पापनासन पु० [सं० पापनाशन् ] १ पापों का विनाश करने वाला
पाबंद - वि० [फा०] १ बंधा हुआा, बद्ध, कैद । २ नियम, प्रतिज्ञा प्रादि का पालनहार । ३ कर्तव्य के प्रति सावधान । ४] अपने कार्य या ड्यूटी पर मुश्तैदी से लगा हुमा ५ रोका हुआ। पु० घोड़े की पिछाड़ी ।
1
।
विष्णु, परमात्मा । २ शिव । ३ पाप का क्षय करने वाला कर्म प्रायश्चित पाप-पु० [सं० पापफल] जिस कार्य से पापों की उत्पत्ति हो पाबंदी स्त्री० [फा०] १ पाबंद होने की अवस्था या भाव बढ़ता २ नियम प्रतिज्ञा मादि की अनुपालना ३ कर्त्तव्य के प्रति सावधानी । ४ बाध्यता, लाबारी । ५ रोक, मनाही ।
स्थान ।
पापहर, पापहारी - वि० [सं० पापहारिन] पापनाशक, पापों को मिटाने वाला । स्त्री० १ एक नदी का नाम । २ गंगा । पापांकुशा स्त्री० [सं० पापांकुशा ] आश्विन शुक्ला एकादशी । पापा- पु० १ बच्चों द्वारा पिता का एक सम्बोधन । २ बिसप व यूनानी पादरियों की उपाधि विशेष । ३ पुराणानुसार एक तीर्थ ।
पाप-देखो 'पापी' २ देखो'पाप'
प्रापिणी- देखो 'पापणी' ।
पापियउ, पापियो-१ देखो 'पापी' । २ देखो 'पपईयो' । पापिस्ट - वि० [सं० पापीष्ट ] पापियों में अग्रणी । महापातकी । पापी, पापीवी वि० [सं० पापिन] (स्त्री० पापण, पापणी) १ निद नीम व हेयकर्म करने वाला २ हत्यारा, अधिक
पापलो पु० [सं०] नरक लोक
1
पापसमची वि० [सं० पाप मनी] पापनाशक तुलसी पापस्थान पु० [सं० पापस्थान] जन्म कुण्डली में ३, ८, १२ पाबै- देखो 'परवत' ।
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पावागढ़ पु० चौहानों का एक छोटा सा राज्य । पावावर पु० [सं० पर्वतसर] पर्वत के मध्य की कील या
तालाब ।
1
-
पावासरी पावाहरी वि० [सं०] पर्वतसर ] पर्वतीय बड़ी झील या जलाशय । - पु० हंस, मराल ।
पाबू पाबूराठौड़ १० एक इतिहास प्रसिद्ध वीर ।
प्रतिश राठौड़
2
पापा
पराज पु० [फा०] पैर पोंछने का उपकरण पविड़ा पायंदारी स्त्री० एक समय का राशन
पाय - देखो 'पद' |
पायक - पु० [सं० पादाति] (स्त्री० पायका) १ सेवक, नौकर परिचायक । २ पैदल सिपाही, प्यादा ३ दूत, सन्देशवाहक । ४ योद्धा, वीर ।
पाका स्त्री० [सं० पादातिका] दासी, सेविका, परिचारिका ।
पायाख्या स्त्री० [सं०] बुध ग्रह की हस्त धनुराधा या ज्येष्ठा पापकी १ देखो 'पातकी' २ देखो 'पायका नक्षत्र में रहते समय की गति ।
पायको पायक्क देखो 'पायक' ।
पापाचार - पु० [सं०] १ दुराचार, कुकर्म । २ श्रन्याय, अत्याचार । पापाचारी- वि० [सं०] पापकरने वाला, दुराचारी । पापात्मा वि० [सं०] जिसकी भावना गंदी हो पाप करने पायची ० पहने हुए अधोवस्त्र का बनाया हुआ फोला ।
पायगा, पायगाह - पु० [फा० पाएगाह ] अश्वशाला, घुड़शाला । पापड़ पु० गाड़ी के पहिये का मुख्य भाग
वाला ।
पायच्छित पावत पातिदेव प्राप्त'।
पायजामा- देखो 'पंजांमी' ।
पायजादी- वि०
० प्राप्त करने वाला ।
पावत पु० एक प्रकार का छन् विशेष पायताबी० [फा०] पैर का मौजा, जुब
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पायजेब [स्त्री० [फा०] स्त्रियों के पैरों का धागा, नूपुर पापडीउ वि० [सं० प्रकटित] प्रकट
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पापवळ.
पारस्पती
पायबळ-पु० [सं० पाद दल] पैदल सेना, प्यादा।
सामने वाला। ३ दूसरे तट तक गया हुआ । -क्रि०वि० सायबार-वि० [फा०] १ टिकाऊ, दृढ़, मजबूत । २ निश्चित, १ दूसरे तट या किनारे, उस ओर । २ दूसरी पोर । स्थिर । ३ प्रामाणिक ।।
-पु० १ जलाशय प्रादि का दूसरा किनारा, अपर तट । पायनामी, पायनामो-वि० पैरों में सिर झुकाने वाला, नमने २ आगे की सीमा। ३ छोर, अंत हृद। ४ दोनों मोर के वाला, नम्र । -पु० [सं० पद-नाम] अधिकार ।
तट। ५ शत्रु, दुश्मन । ६ चोर । ७ किसी वस्तु का पायपोस-देखो 'पादपोस'।
अधिक से अधिक परिमारण। पायपोसबरदार-पु० जूना उठा कर चलने वाला व्यक्ति। पार-प्रपार-पु० ईश्वर, परमात्मा। पायरस-स्त्री० परीक्षा, जांच ।
पारउ-देखो पारौ'। पायरखू-पु० परीक्षण कसौटी। -वि० परीक्षक, परीक्षा करने | पारक-वि० [सं०] (स्त्री० पारकी) १ पार करने वाला। वाला।
२ बचाने वाला। ३ मुक्त करने वाला। ४ उद्धार करने पायल-स्त्री. १ स्त्रियों के पैरों का प्राभूषण विशेष । २ मकान वाला। ५ पराया, अन्य । ६ विरोधी। -पु. [4. पार्क] पर पट्टियां चढ़ाने के लिये बनाया गया ढालु रास्ता।।
१ बाग, बगीचा, उपवन । २ देखो 'पारकर'। ३ देखो ३ देखो 'पायदळ' ।
'परीक्षा'। पायलड़ी-१ देखो 'पायल' । २ देखो 'पायली'।
पारकर-पु०१ एक प्रान्त विशेष । २ इस प्रान्त का घोड़ा। पायली, पायलो-पू० १ अनाज नापने का पात्र विशेष । | पारकियो-देखो 'पारको' । २ एक तौल विशेष । ३ अफीम का छबड़ा।
पारको-वि० [सं० पारकीय] (स्त्री० पारकी) १ पराया, दूसरों पायल्ल-१ देखो 'पायल' । २ देखो 'पायदळ' ।
___का। २ शत्रु का। पायस-पु० [सं०] १ दूध, क्षीर। २ देखो 'पाइस'। पारक्खड़ी-देखो 'परीक्षा'। पायांरण-देखो 'प्रयांण'।
पारख-१ देखो 'परख' । २ देखो 'परीक्षा' । पायाकुळक-देखो 'पादाकुळक' ।
पारखरणो (बो-देखो 'परखणो' (बी)। पायारोपणी-स्त्री० मंदिर, मकान प्रादि की नींव लगाने की | पारखत, पारखद-देखो 'पारसद'। क्रिया।
पारखा-देखो 'परीक्षा'। पायारो-देखो 'पगार'।
पारखि, पारखी, पारखु, पारखू पारखी-1 देखो 'परीक्षक' । पायाळ (ळि)-देखो 'पाताळ' ।
२ देखो 'परीक्षा'। पायाळमुख-पु० [सं० पाताल मुख वृक्ष, पेड़।
पारग-वि० [सं०] पार जाने वाला। पायुभेव-पु० [सं०] चन्द्र ग्रहण के मोक्ष की एक विधि । पारगत-देखो 'पारंगत'। पायू-पु. [सं० पायु] मल द्वार, गुदा ।
पारगामी-वि० [सं० पारगामिन्] पार जाने वाला, पार पायो-पु० [सं० पाद] १ बन्दूक का घोड़ा, खटका । २ एक बार उतरने वाला।
में सेका व तला जाने वाला भोजन का अंश । ३ नक्षत्र का पारचौ-पु० [सं० पारज] १ स्वर्ण, सोना। [फा० पार्च:] चतुर्थांश समय। ४ खंभा, स्तंभ। ५ पैर, पाया। ६ पर | २ कपड़ा वस्त्र । ३ कपड़े का टुकड़ा । की एक बीमारी। ७ पद, प्रोहदा । ८ वश, अधिकार । | पारजात, पारजातक, पारजाति (ती)-देखो 'पारिजात' । ९ देखो 'पागो'।१०देखो 'पद'।
पारजीत-वि० [सं०] १ पार जाने बाला । २ मुक्त, स्वतंत्र । पारंग, पारंगत-वि० [सं० पारंगत] १ किसी विषय का पण्डित, पारणउ-देखो 'पारणो' ।
विशेषज्ञ, विज्ञ । २ निपुण, दक्ष । ३ पार गया हृमा । पारणी-देखो 'परणी'। पारंव-पु. १ बाण, तीर । २ देखो 'पारीद्र'।
पारपी-पु० [सं० पारणम्] १ किसी व्रत या उपवास के पारंपर-पु० पार, पारपार ।
दूसरे दिन किया जाने वाला पहला भोजन और तत्संबंधी, पारंप-देखो 'प्रारंभ'।
कृत्य । २ तृप्त करने की क्रिया या भाव । ३ समाप्ति । पारमगुर (गुर, गुड)-वि० [सं० पारंभगुर । महान् कार्य ४ किसी पुराणादि धर्म प्रथ का नियमित रूप से नित्य पाठ।
करने वाला। २ यश का कार्य करने वाला। ३ प्रारंभ | पारत-देखो 'पारद' । किये कार्य को पूरा करने वाला।
पारस्थ-देखो 'पारथ'। भर-वि० [सं० पारम्] १ दूसरा, पराया, अन्य । २ पागे या | पारस्थणी (बौ)-देखो 'प्रारथरणो' (बी)।
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पार-पु० [सं० पाथं] १ पृथा के पुत्र, पाण्डव । २ अर्जुन का की पुत्री व शिव की पत्नी। २ प्रादि बक्ति, गुलन
एक नामान्तर । ३ अर्जुन नामक वृक्ष । ४ पृथ्वी पति,राजा। ३ द्रौपदी। ४ पहाड़ी नदी । ५ ग्वालिन । । सु म -वि०१ श्वेत, सफेद* । २ श्याम-काला*।
मृतिका। -नाष, पति, पती-पु० शिव, महादेव । पारखी (बी)-देखो 'प्रारथरणो' (बी)।
पारवारय-वि० पार होने वाला, पार जाने वाला पारपर-देखो 'पारथिव' ।।
पारवाळ-पु. [सं० प्रहारिवाल] प्रांख की पलक के भीतर होने पारपि-१ देखो 'पारव' । २ देखो 'पारथी' । ३ देखो 'प्रारथी'। वाले बाल, एक रोग। पारपिव-वि० [सं० पार्थिव] १ पृथ्वी संबंधी, पृथ्वी का। पारवहंम, पारब्रह्म-देखो 'परब्रह्म' । २ मिट्टी का बना। ३ पंचभौतिक । -पु०१ राजा, नृप ।
पारस-वि० चंगा, स्वस्थ, निरोग। -पु० [सं० स्पर्श २ बादशाह, सम्राट । ३ तगर वृक्ष । ४ मंगल ग्रह । ५ मिट्टी।
को स्वर्ण बनाने वाला कल्पित पत्थर । [सं० पारस्य का बर्तन । ६ पृथ्वी का प्राणी। -लिंग-पु० मिट्टी का २ अफगानिस्तान के पास का एक देश। [सं० पावं] शिव लिंग।
३ पास का भाग, बगल, करवट । ४ देखो 'परतुराम । पारपी-वि०१ प्रार्थना, निवेदन, विनती। २ पार्थिव शिव
५ देखो 'पारसनाथ' । लिंग की उपासना, अर्चना । ३ कवि । ४ योद्धा, वीर। पारसब-पु० [सं० पार्षद] १ किसी परिषद्का सदस्य, पंच। ५ देखो 'प्रारथी'।
२ गण, दूत । ३ सेवक, परिचायक, नौकर । ४ सापी, पारस्थ, पारग्बी-१ देखो 'पारथ' । २ देखो 'पारथी'।
सहायक । ५ विख्यात पुरुष । पारव-वि०१ परे, सीमा से परे । २ मुक्ति दाता । -पु. [सं०]| पारसदेव-देखो 'पारसनाथ'। १पारा नामक धातु । २ पारस में रहने वाली एक जाति ।
| पारसनाथ-पु० [सं० पार्श्वनाथ जैनियों के तेईसवें तीर्थकर। ३ श्वेत, सफेद ।
पारसपीपळ, पारसपीपळी-पु० [सं० पारीश पिप्पल] पीपल पारपरसक-वि० [सं० पारदर्शक] १ जिसके प्रार-पार दिखाई
___ जाति का एक वृक्ष विशेष ।
पारसब-देखो 'पारसव' । देता हो । २ जिसके अन्दर की वस्तु दिखती हो । ३ प्रकाश
पारसल-स्त्री० [पं० पार्सल] डाक, रेल प्रादि के द्वारा भेजने का जिसके प्रार-पार जाता हो ।
किसी वस्तु का पुलिंदा, गठरी। गांठ । पारवरसी-वि० [सं० पारदशिन्] १ उस पार तक देखने वाला।
पारसव-पु० [सं० पारशव] १ लोहा। २ वर्णसंकर संतान । २ चतुर, बुद्धिमान । ३ दूरदर्शी।
[सं० पाश्वं] ३ करवट, बगल । ४ पड़ोस, सामीप्य । पारध-पु. १ खुला मैदान । २ देखो 'पारधी'।
-क्रि० वि०१ निकट, पास, बगल में, पड़ोस में। -वि. पारधि, पारधी, पारधियो, पारब्धी-पु० [सं० पापद्धि] २ हरामी, दोगला।
१बहेलिया, शिकारी । २ भील । ३ पाड़ लेकर वार करने | पारसी-स्त्री०१ सांकेतिक भाषा या बोली । २ संकेत, इशारा। बाला। ४ शिकार, आखेट ।
३ देखो 'फारसी'। पारधिवसरण-पु० [सं० पापदिव्यसन] शिकार का व्यसन । पारसी अजमोद, (अजमो)-पु. खुरासानी अजवायन । पारपंचक-पु० [सं० पार पथिक] डाकू, चोर।
पारसीयो-पु० मिट्टी या पत्थर का बना पात्र । पारपख-वि० असंख्य, अपार, असीम ।
पाराजातपत-पु० [सं० प्रजात-पति] इन्द्र । पारपलव-देखो 'पारिपलव'।
पारातीरत, पारातीरथ-पु. [सं० परातीर्थ] वेश्या या पर श्री पारबत, पारवता, पारबती, पारबत्ती, पारम्बती-देखो 'पारवती'। गमन, व्यभिचार ।
-भाष= 'पारवतीनाथ' । -पति- 'पारवतीपति'। पाराय-पु० १ योडा, तीर । २ देखो 'पारथ'। देखो पारब्रह्म-देखो 'परब्रह्म'।
'प्ररथना'। पारमारपिक-वि० [सं० पारमार्थिक] १ पस्मार्थ संबंधी । | पारापनो (बो)-देखो 'प्रारथणों' (बी)।
२ जिससे मनुष्य को पारलौकिक सुख हो। ३ सदा | पाराध, पाराधो-देखो 'पारधी' । अपरिवर्तित रहने वाला । ४ वास्तविक ।
पारायण-पु. [सं०] १ किसी निश्चित अवधि में किसी ग्रंप का पारलौकिक-वि० [सं०] स्वर्ग या परलोक संबंधी।
पाठ। २ अनुष्ठान । ३ किसी अनुष्ठान की समाप्ति पारवण-पु० [सं० पार्वण] किसी पर्व में किया जाने वाला | ४ बार-बार पढ़ने की क्रिया । श्राद्ध।
| पारायणी-स्त्री० १ चिंतन-मनन के साथ समाप्ति की क्रिया या पारवता, पारवती, पारवत्ती-स्त्री० [सं० पार्वती] १ हिमालय भाव । २ सरस्वती । ३ पार पाने वाली, पार जाने वाली।
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पातलो
भारावत-पु. १ कबूतर । २ लाल या रक्त वर्ण ।
२गरपुर में निकलने वाला संगमूसा पत्परः । पारावार-वि० [सं०] पारंमत, पूर्ण । -पु.१ समुद्र, सागर | पारसी-देखो पारेची'। २ सीमा, हद।
पारोकिया-वि०१दूर की। २ देखो'परकिया। पारासर पारासुर, पारावर-पु. [स. पाराशर] १ परासर | पारोटियो, पारोटी-पु० मिट्टी का छोटा पात्र ।
ऋषि के पुत्र । २ वेवण्यास का नामान्तर ।। ब्राह्मणों की पारोठो-देखो 'उपराठी'। एक जाति । ४ देखो 'परासर।
पारी-पु. [सं० पारद] १ एक प्रसिय द्रवीय धातु । २ पी रखने पारि-१ देखो 'पार'। २ देखो 'पारी'।
का मोटा पात्र । ३ देखो 'पार। पारिक-१ देखो 'परीक्षक' । २ देखो परीक्षा'।
| पालखी, पालडी-सी० [सं० पालि:] . पानी की रोक । पारिता,पारित, पारिखो-१ देखो 'परीक्षा'।२ देखो परीक्षक'।।
२बांध । [सं० पाल:] हरं. हर। ४ देखो 'पायल' । पारिस्या-देखो 'परीक्षा।
पाळ-स्त्री० १ पालन पोषण २ बांध या तालाब के चारों पोर पारिजात, पारिजातक, पारिजाती-पु. [सं० पारिजातः] | बना मिट्टी का गोलकार बांध। १ इन्द्र के नन्दन बन का एक देव वृक्ष । २ इस वृक्ष का
| पाल-पु० [सं० पट] १ छोटा तम्बू, सामियाना । २ बिछाने का फूल। ३हर सिंमार नामक वृक्ष का नामान्तर । ४ पारियात्र
टाट भादि वस्त्र । ३ नाव के मस्तूम पर बांधा जाने वाला नामक एक सूर्यवंशी राजा । ५ फलित ज्योतिष के अनुसार
कपड़ा। ४ रोक, अवरोध, मनाही । [स. पल्लि] एक शुभयोग।
५ भीलों की बाहुल्यता वाला गांव । ६ फल पकाने का पास गरितोसिक-पु० [सं० पारितोषिक] पुरस्कार, इनाम।
फूस बिछा स्थान । देखो बाल। पारिप-देखो 'पारधी'।
पाकर-देखो 'पाळी'। पारिपलव-वि० [सं० पारिप्लब चंचल ।
| पाल, पालक-वि० [सं० पासक] १ रमक रक्षा करने वाला। पारिपात्र-पु० [सं० परिपाबविध्या के अन्तर्गत सप्त कुल
१.पालन-पोषण करने वाला एक प्रकार का पत्ती पर्वतों में से एक।
वाला शाक। एक देव विमान । पारिमासिक-वि० [सं० पारिभाषिक] बिसे परिभाषा द्वारा
पालकी (बी)-स्त्री० [सं० पल्यक] डोली। कहागेंद्वारा उठाने स्पष्ट किया जावे।
की सवारी। -नी-पु. होलियां रखने का कम् । पारियो-पु० हल में लगने का लकड़ी का एक उपकरण
-नसीन-पु. डोली में बैठकर पलने वाला।-सिरोपावपारिखो-खो 'पारेवौं'।
पु० जोधपुर दरबार द्वारा दिया जाने वाला एक पुरस्कार । गरिस-देखो 'पारस'।
पालको (दो)-पु. एक प्रकार.का पत्तीबार लाक। पाणिपीपोलो 'पारसपीपळ' ।
पाळम-पु० [सं० पालक] १बादल, मेष । २ देखो 'पासक' । पारी -पु० [सं०] १ सिंह, मेर। २ प्रनगर।
पाळगर-पृ० [सं० पाल-कर] पालनहार, रमक । पारी-स्त्री.१बी मावि रखने का मिट्टी का पात्र । २ व्यंजन
पालड़ी-स्त्री० गोष्ठी। विशेष । ३ किसी काम का अवसर, कम, नम्बर, बारी। पालको-देखो 'पलड़ो। पारीक-पु. ग्याति ब्राह्मणों की एक शाखा।
पामड-पु० परिवर्तन, बदलाव । पारीख-देखो 'परीभा'। २ देखो 'पारीक'।
पालखी (बो)-देखो, 'पलटणी' (बी)। पारीचो-देखो 'परीक्षक
पालठी-देखो पालकी'। पार, पाल-वि० [सं० पारमा पार करने वाला।
पाळल. पालण-पु. [सं० पालनम्] १ रक्षा, बचाव । २ पोषण, पाठी-देखो 'मपूठी'।
परवरिश । ३ पथ्य । ४ रोक, ममाही। पारेपी-पु. रहट पर बनी कूडी जिसमें पानी गिरता है। पालनको, पामखियो, पागली-पु. [सं. पल्वंक] १ छोटे बच्चों पारेवर-पु. १ वस्त्र विशेष । २ देखो 'पारेवी'।
को सुलाने का मुमा । २ भूलने बाबा पलंग, भूला। पारेवड़ी-खो 'पारेवी'।
३व्रत के उपरांत किया जाने वाला भोजन ।.... पारेषड़ी-देवो 'पारेवा'।
पाणी (गे)-कि० [सं० पासनम् . भरण-पोषण करना, पारेवर-देखो. पारेको।
परवरिश करना । २ रक्षा करना। निभाना, निर्वाह पारेबी-स्त्री० [सं० पारावती] कबूतरी, कपोती।
• करना। पारेवी-पु. सिं० पारावत (स्त्री० पारेवी) पोत. कमतर ।। पालखी (बो)-क्रि० [सं० पालनम्] १र करना, हटाना।
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पालतू
पाचपोस
२ रोकना, मना करना। ३ मिटाना, नष्ट करना। मैदान में प्रत्येक पक्ष की सीमा। ४ खेल की पारी (गेम)। ४ भगाना।
५ निर्जन स्थान, शून्य स्थल । ६ रेगिस्तान । ७ देखो पालतू-वि० [सं० पालनम्] १ पाला हुप्रा, पोसा हमा।।
'पारौ'। २ पालन-पोषण के लिए रखा हुमा।
पाली-पु. [सं० पल्लवम्] झडबेरी के सूखे पत्तों का ढेर । पालथी-स्त्री० [सं० पर्य्यस्त] पद्मासन, कमलासन, बैठक। पाल्डो-पु. बैलगाड़ी के पहिये का एक भाग । पाळम-स्त्री० शकुन चिड़ी।
पाल्हवरणो (बो)-देखो 'पल्लवणी' (बी)। पाळमहि-पु० [सं० महिपाल] १ बादल, घन । २ राजा, नप । पावंडो-देखो 'पावडो। पालर, पालरियो-पु. वर्षा का पानी, नदी, नहर या सरोवर पाव-पु० [सं० पाद] १. चौथा भाग, चतुर्था । २ सेर का का पानी।
चौथाई भाग, एक तौल। ३ नाथ सम्प्रदाय के सिद्धों की पालमणी-स्त्री. एक गीत या छद विशेष ।
एक उपाधि विशेष । ४ पैर, चरण। ५ देखो 'पाप'। पालबरणी (बी)-देखो 'पल्लवणी' (बी)।
पावक, पावको, पावरक(ग)-पु० [सं० पायक पग्नि, माग । पालवी-पु. [सं० पल्लिः ] १ भीलों का मुखिया । २ भील । ..-.-२ एक प्रकार का बाण, तीर।।.सूर्य। ४ अग्नि का पाळसेट-देखो 'पलसेटी'।
अधिष्ठाता देव । ५ तेज, ताप । ६ मावा तीन की पालसो-देखो 'फालसौ' ।
संख्या --पु. अग्नि जलाने का कुणा त्रिकोण । पाळागर -पु० [सं०'प्रालेय-गिरि] हिमगिरि, हिमालय ।
--मरिण-स्त्री० सूर्यकान्त मरिण। पालापाली, पालापूली-स्त्री० वर्जन क्रिया, मनाही, रोकथाम। | पावड़ियो-पु. १ सीढ़ी। २ देखो फावड़ो। पालिगी-देखो 'पलंग'।
पाबड़ी-स्त्री० [सं० पादुका] १ खड़ाऊ, पादुका । २ जुलाहे का पाळि-स्त्री० [सं० पालि] १ पंक्ति, कतार। २ पवि-पैदल, | __ एक उपकरण । ३ फासला, दूरी। ४ देखो 'पावलियों। प्यादी।। देखो 'पाळी'। ४ देखो 'पाळ'।.. .
५ देखो 'फावड़ों'।
पाबड़ौ-१ देखो 'पहाड़ो' । २ देलो 'फावड़ों। पाक्षिका, पालिका-वि० [सं० पालिका] १ पालन करने वाली।। २ रक्षा करने वाली। -स्त्री. किसी कार्य या व्यवस्था
| पावजळी-पु० [सं० जालंद्रपाद] जलंधर नाय ।
" | पाचटो-पु. १ पावों से चलाने का छोटा रहट । २ जलाशय का . विशेष के लिये गठित समिति, परिषद् ।
घाटे । ३ देखो 'पावड़ो'। पालिस-स्त्री. [4. पोलिस] १ 'किसी पात्र या वस्तु
पावठी-खो 'पावड़ी'। विशेष की सुन्दरता के लिए लगाया जाने वाला रोगन, मशाला। २ चमक, मामा। ३ निकल ।
पावरण-वि• पिलाने वाला । -स्त्री०१ पिलाने की क्रिया या पालिसरंदी-पु० बढ़ई का एक प्रौजार विशेष ।
___ ढग । २ देखो 'पावन'।
पावणी-स्त्री. १ पिलाने की क्रिया। २ पिलाने वाली। पालती-स्त्री० [मं०] १ कार्य प्रणाली । २ व्यवहार ।
३ मेहमान स्त्री, ३ नीति।
पाचरणो-वि० पिलाने वाला। -पु. १ मेहमान । २ जंवाई। पाळी-स्त्री० [सं० पालि] १ कान का अग्र भाग । २ रेत की
पावणो (बी)-देखो 'पाणी' (ग)। . छोटी कतार । ३ पांव पंदल, प्यादी। ४.देखो 'पाळ'।
पावन-वि० [सं०] (स्त्री० पावनी) १ पवित्र, शुद्ध । २ पाप ५ देखो 'पारी'।
मिटाने वाला, पवित्र करने वाला। २.अवगुणा बदोष रहित । पाली-स्त्री० १ एक प्राचीन भारतीय भाषा । २ कोना।
-पु० १ एक छग्द विशेष । २ परमेश्वर, ईश्वर । ३ गोबर। पालीयात-वि० [सं० पदाति] पैदल, प्यादा।
४ रुद्राक्ष । ५ चंदन । ६ सिद्ध पुरुष । ७ विष्णु। अपने पाळू-वि० [सं० पालक] १ पालने वाला, पालक । २ पालतू,
पति के बजाय अपने राजा के लिये सुहागिन बनी रहने पाला हुमा । ३ देखो 'पाळो'।
बाली दासियां। -पुरख, पुरखि-पु. श्रीविष्णु । श्रीकृष्ण। पाळे, पाळे-पु० भैस मादि मादा पशु का ऋतुमति होना ।
पावनता-स्त्री० [सं०] पावन होने की अवस्था या भाव, पाकोका, पाळोकड़ी-खो 'पालतू' ।
पवित्रता, शुद्धता। पालोठी-देखो पालथी'।
पावन-देखो 'पावन'। पाळी-वि० [सं० पाल-मालुच (स्त्री० पाळी) पैदल, प्यादा। पावपंच-पु० [सं० पाद+पंथ नाथ पंथ, नाथ सम्प्रदाय ।
-पु० [सं० प्रालय] १ बर्फ, हिम। २ वृद्ध या रोगी को | पावपंथी-वि० उक्त सम्प्रदाय का अनुपायी। मल-मूत्र कराने का थालीनुमा पात्र विशेष । ३ खेल के पाबपोस-देखो पादपोस'।
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पावरी
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( ६७ )
शबरी स्त्री० [सं० प्रावशे] १ चमड़े, ऊन या सूत की बनी पासली देखो 'पाणी'। छोटी थैली । २ देखो 'पावरी' ।
पावसि देखो 'पावस'।
पाहियो न० १ हिजड़ा, नपुंसक २ देखों 'पपी'
पावही स्त्री० एक देवी का नाम ।
पावासर, बाबाहर-देखो 'पावर'
पाबड़- पु० [सं० प्रयागवट ] प्रयाग का बोधिवृक्ष
पावशेर - पु० [सं० पापरौरव ] भयकर पापः । पाथरी- पु० [सं० प्रावर ] १ घोड़े की जीन पर लटकाने का थैला । २ घोड़े को दाना खिलाने का थैला ।
पासणी (बी) कि० [सं० पास] पानी निकालने के लिए कुए में मोट आदि डालना ।
पासल्यउ - वि० चरित्र पालन में शिथिल, ढीला प्रढ़ (जैन) पासत्यमत दोस-पु० पाचार भ्रष्ट साधु से प्राहार लेने का दोष । (जैन)
1
पान-देखो 'पाशोला ।
पासनाह देखी 'पारसनाथ' ।
पायांस स्त्री० सीड़ी, जीवा
पावली स्त्री० १ रुपये का wrete एक frक्का २ देखो पासपातळी १० पतली पसली का घोड़ा। पासवान- देखो 'पासवान' ।
'पायली' ।
पावली - ०१ पैर, चरण । २ देखो 'पावली' ।
पावस-स्त्री [सं० प्रावृष] १ वर्षा ऋतु । २ वर्षा, बारिस । ३ मेघ बादल । ४ गाय-मंस के स्तनों में दूध उतरने की अवस्था पास] [सं०] प्रावृधम्] १ गायन्स यादि के स्तनों मैं उतरता २ द्रवित होना 1 पावसा ( ० १ गाय-मैस आदि के स्तनों में दूध उतरने
जैसी क्रियाएं करना । २ द्रवित करना ।
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"
पासंग पासंगी पु० [फा०] १ तराजू के संतुलन में होने वाला अन्तर, 'कारण' । २ उक्त अन्तर को ठीक करने के लिये रखा जाने वाला भार ३ सहारा, मदद पास, पासह वि० [सं०] १ पार तय २ उत्तीर्ण सफल ३ पारित, स्वीकृत ० [सं० पानं ] १ सामिप्य निकटता नजदीकी २ पड़ोस [सं० पास] ३ पान, फंदा ४ बंधन । ५ अधिकार, कब्जा । ६ समूह, झुण्ड । ७ वरुण । ८ कहीं जाने का पार-पत्र। ९ देखी 'पारसनाथ' । - क्रि०वि० [सं० पार्श्वकम् ] १ बगल में, निकट में २ प्रदर ३ पड़ोस में पास में ४ अधिकार में कब्जे में
|
1
"
पासी
पासात पु० [सं० पास भृत] वरुण ।
पासरर - पु० [सं० प्रसरण ] १ फैलाव । २ धावा । - वि० धावा करने वाला ।
पासरी (बी) देखी 'परी' (बी) । बासरी० [सं०] उपाश्रय] जैन यतियों का स्थान ।
पासठी रंत्री० [सं० पशु का] मनुष्य, बन्दर धादि के सीने तथा पशुओं के पेट पर रहने वाला गोलाकार हड्डी समूह । पासवनी- देखो 'पासवान' ।
| पासवय - पु० लघुशंका, मूत्र । (जैन)
पासवान स्त्री० [सं० पार्श्व] १ उप पत्नी, रखेल । २, सेवक, मर्जीदान । ३ अंग रक्षक । पासवनियोजी रखेल का पुत्र पासवाड़ी देखो 'पसवाड़ी।
पावे कवि० पाव सेर के लगभग
पाथी-पुं० १ बड़े टीन या बड़ी बोतल का चतुर्थांश । २ बौना, पासहर- पु० [सं० पासीघर] फांसी का फंदा रखने वाला ।
पासवान देखो 'पासवान'
ठिगना ।
पासारण - पु० [सं० पाषाण ] पत्थर । प्रस्तर ।
पासणिकरम- पु० [सं० पाषाणकर्म] ७२ कलाधों में से एक । पासांगवड पु० [सं० पाचाणवड] चारों ओर पत्थरों से बंधा
सरोवर ।
पासांसी- वि० सं० पावाल] पत्थर का पत्थर संबंधी पासमेव पु० सुन्दर पत्तियों वाला पौधा विशेष
पासावळी देखो 'पासकरेगी'।
पासाठी देखो 'पनवाड़ी'
पासाब- देखो 'प्रासाद' ।
पासावळि, पासावळी - क्रि०वि० [सं० पार्श्व प्रवलि] पास,
निकट ।
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पासक रेली स्त्री० पाशा फेंक कर गणना करने की ज्योतिष की
पासासार पु० [सं० पाशक] चौसर नामक खेल ।
एक प्रक्रिया ।
पासड़ी-देखो 'पास' ।
पासि क्रि०वि० १ पास में नजदीक में २ देखो 'पारसनाथ' । '३ देखो 'पास' । ४ देखो 'फांसी' । पासची देखो 'पाचड़ियों' ।
पासचिव, पाराचिम० पार्श्वनाथ (जैन) प्राणी-स्त्री० [प्राथन] बच्चे को प्रथम बार मन्त्र बटाने पासी पु० [सं० पार्श्व] १ मोर तरफ २ देखो 'फांसी' ।
की क्रिम +
३ देखो 'पास' ।
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पासीगर
वाला । जालसाज ।
पासीजळ - पु० [सं० पाशी-जल] जल का देवता, वरुण । पालु बासू-१ फांसी का जान २ देखी 'पास'
पारी० [सं० पार्श्व] एक प्रकार का तकिया । पाहं देखो 'पास'
पासीगर - पु० [सं० पाश कर] जाल रचाने वाला, फांसी गूंथने विंग वि० [सं०] १ लाल-पीला मिला हुआ भूरा । २ कतिपय
पीत ।
पाहइ - देखो 'पखे' |
पाहट देखो 'पहाट'।
'पासो' । पावदेव पासवान' | पासेस- देखो 'पारसनाथ' ।
पासेही देखो 'पास' |
1
पास क्रि०वि० [सं० पार्श्व] १ दूर अलग । २ पास में । पासौ पु० [सं० प्राशन] १ पौसर खेलने के गुटके जिन पर अंक लिखे होते हैं। [सं० पार्श्व] २ बगल, करवट । ३ कान का प्राभूषण विशेष । ४ देखो 'पास' । ५ देखो 'पारसनाथ' ।
पाहल, पाहन- देखो 'पासांण' ।
पाहुति-देखो 'पर्व'।
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पाहन देखो 'पागल'।
पाहड़ी-देखो 'पावहियो' ।
( ६५ )
पाहून, पाहुण, पाणी-देखो 'पोमणी'। पाहुर, पाहुरी- देखो 'पावरी'।
पाहरी, बाहर, पाहरू- देखो 'प्रहरी'।
पाहा देखो 'पासांगण'
पाहावी देखो 'पागी ।
पाहाड़ देखो 'पहाड़' ।
1
पाहावी, पाहार-०१ पत्थरों का ढेर २ पहाड़ी प्रदेश ३ देखी 'हा' ४ देखो 'प्रहार' | पाहारी-देखो प्रहारणों पाहार (देखो 'प्रहार' (बी) पाहि १ देखो 'पास' । २ देखो 'पख' ।
पाहि पाहि सव्य० १ सुरक्षा की मांद सूचक आवाज । २ देखो 'पद' |
३ देखी
पाहा वि० पास का निकट का पाहोरी-देखो 'पावरी' । पाहोरी-देखो 'पावरों
पिक-स्त्री० [सं० पिनेक] मस्ती, उन्माद ।
पाहे पाहेगेव्य मैस को पानी पिलाते समय मुंह से बोला जाने वाला शब्द |
पा-१ देखो 'पास' २ देखो''।
रापन लिये
पिंगति-देखो पंक्ति' । पिगळ वि० [सं० पिङ्गल] १ पीला पीत २ पीला, सुंघनी के रंग का । ३ भूरापन लिये लाल । - पु० [सं०] १ सूर्य रवि । २ शनि । ३ मेघ, बादल । ४ छन्द शास्त्र के निर्माता एक मुनि । ५ छन्द शास्त्र । ६ वृज भाषा । ७ पीतल ८ एक नाग का नाम । ९ एक प्रकार का फनदार सर्प । १० भैरव का पुत्र एक राग । ११ बन्दर, कपि । १२ नेवला, नकुल । १३ उलूक पक्षी, उल्लू । १४ हरताल । १५ कुबेर की नवनिधियों में से एक ।
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पिंगळा स्त्री० [सं०] पिंगला] १ शरीरस्थ तीन प्रधान नाड़ियों
में से एक (योग) । २ लक्ष्मी का एक नाम। ३ दक्षिणी दिग्गज की स्त्री । ४ राजा भर्तृहरि की रानी का नाम | ५ एक भगवद् भक्त वेश्या का नाम । ६ एक प्रकार की चिड़िया । ७ गोरोचन ।
पिंड
विगा - स्त्री० [सं०] १ रक्त वाहिनी एक नाड़ी । २ हल्दी । ३ केसर । ४ हरताल । ५ चण्डिका देवी ।
पिगी- स्त्री० [ देशज ] स्त्रियों के द्वारा खेत में काम करते समय बच्चों के पैर में बांधने की रस्सी ।
बी० पछाड़ना, पटकना
चिमी ० १ वर्ष के उपरान्त नदी के किनारे पर जाने वाली मिट्टी । २ देखो 'पींगो' ।
जो-देखो 'पीजरों' ।
पिजरण (न) - देखो 'पींजरण' ।
पिजर देखो 'पंजर' |
पिजरौ - १ देखो 'पींजरौ' । २ देखो 'पंजर' ।
पिजस पु० [फा०] फिनस] १ पलंग, डोलिया २ डोली की तरह बंद एक सवारी विशेष ।
पारस्त्री० पिंजारा जाति की स्त्री ।
पिंजारा स्त्री० रुई धुनने का कार्य करने वाली जाति । विजारी - पु० [सं० पिञ्जनम् ] (स्त्री० पिंजारण, पिंजारी) पिंजारा जाति का व्यक्ति घुनका
विजूस, पिंजूसन-पु० [सं० पिंजूष ] १ श्रवणेन्द्रिय कान । २ कान का मेल, ठेठी ।
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पिंड पु० [सं० पिण्डम् ] १ गोलाकार कोई वस्तु, गोला ।
२ कोई द्रव्य खण्ड, ठोस टुकड़ा । ३ ढेर, राशि । ४ तीर्थों में अस्थि विसर्जन के समय बनाया जाने वाला घाटे का गोला | ५ पितृ तर्पण के समय पके चावलों का बनाया जाने वाला गोला । ६ रण क्षेत्र में घायल वीर द्वारा पितृ तर्पण के लिये बनाया जाने वाला खून-मिट्टी का गोला ।
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पिंडखजूर
पिघळपो
७ शरीर, देह । ८ शक्ति, बल । ६ भोजन, प्राहार । | पिंडोळी-स्त्री. १ एक लता विशेष । २ किसी पदार्थ के लम्बे १० देखो 'पांडव'।
लड्डू । ३ पैर की पिडली । ४ देखो पिडी'। ५ देखो 'पिंड' । पिडखजूर, पिंडखिजूर-पु० [सं० पिण्ड खजूरम्] १ खजूर वृक्ष | विडो-देखो 'पिंड'। के मीठे फल, गीला छुहारा । २ खजूर वृक्ष ।
पिण-देखो 'पण'। पिंडज-पु० [सं०] १ गर्भ में सर्वांग पूर्ण होकर जन्मने वाला | पिदो-देखो ‘पींदौ'। प्राणी । २ पुत्र।
पिंधन-पु० [स० पिधान] १ वस्त्र, कपड़ा, परिधान । २ प्रावरण, पिडत-देखो 'पंडित' ।
ढक्कन । पिंडदान-पु० [सं० पिंडदान] १ मृतक के पीछे किये जाने वाले
पिंयाळ-देखो 'पाताळ' । पुण्य-दान, तर्पण प्रादि के संस्कार । २ श्राद्ध पक्ष में किया
पि-स्त्री० [सं०] १ विषय । २ योनि, भग। ३ भीष्म । जाने वाला पितृ तर्पण । ३ रण भूमि में घायल वीर द्वारा बनाये जाने वाले रक्त व मिट्टी के पिण्ड ।
४ पवित्र । ५ शिखा । ६ स्वर्ग । पिडप-पु. १ शक्ति, बल । २ देखो 'पिंड' ।
पिन, पिप्रउ-देखो 'प्रिय'। पिंडपुस्प-पु० [सं० पिण्डपुष्पम्] १ अनार, दाडिम । २ अशोक
पिप्रणौ (बौ)-देखो 'पीणों' (बो)।
पिग्रहरु-देखो 'पी'र'। वृक्ष । ३ गुलाब वृक्ष । पिंडबड़ी-देखो "पिंडवड़ी'।
पिप्राई-स्त्री० [सं० पा] १ कूए से पानी निकाल कर पिलाने पिंडबळी-वि० शक्ति शाली, बलवान ।
की क्रिया । २ इस कार्य का पारिश्रमिक । ३ पानी पिलाने पिडर-देखो 'पांडुर'।
वाले का पारिश्रमिक । ४ देखो 'पिसाई' । पिडा-पु० [सं० पिण्ड किसी के जन्म से घर में होने वाला |
पिनार-१ देखो 'प्यार' । २ देखो 'पाताल' । अशौच ।
पियारी-देखो 'प्यारी'। पिंडवड़ियो-पु० 'पिंडवड़ी' के अनुसार कार्य करने वाला व्यक्ति। पिप्रारो-देखो 'प्यारौ'। (स्त्री० पिपारी) पिंडवड़ी-स्त्री० कृषि कार्य में परस्पर एक दूसरे के यहां कार्य | पिमालो-देखो 'प्यालो' । ___ कराने की रीति ।
पिनास-देखो 'प्यास'। पिंडवाय-स्त्री० भिक्षार्थ भ्रमण (जैन)।
पिनासौ-देखो 'प्यासो' । (स्त्री० पिनासी) पिडवो-१ देखो "पिंड' । २ देखो पांडव' ।
पिउ-देखो 'प्रिय'। पिंडां-पु० [सं० पिण्ड] श्रीमान, पाप ।
पिउड़ो-देखो 'प्रिय'। शिकार-वि० गोलाकार, वृत्ताकार ।
पिउहर-देखो 'पीर'। . पिडाण-देखो "पिंड'।
पिऊ-देखो 'प्रिय'। पिंडार-पु० [सं०] १ ग्वाला, गोप । २ देखो "पिंडारी' ।
पिकंबर-देखो पैगंबर'। पिडारक-स्त्री० [सं०] १ एक पवित्र नदी का नाम । २ गुजरात स्थित एक प्राचीन तीर्थ । ३ एक नाग का नाम ।
पिक, पिको-स्त्री० [सं०] १ कोयल । २ काला, श्याम । पिंडारा-स्त्री० [सं० पिंडार] दक्षिण की एक जाति ।
-कंठी-वि० मधुर स्वर वाली। -बणी, बेनी, बैनी-वि० पिडारियो-देखो "पिंडारौ'।
मृदु भाषी, मीठे स्वर वाली। -बलभ, वल्लभ-पु० ग्राम पिंडारी-स्त्री० "पिंडारा' जाति की स्त्री।
का वृक्ष । शिरी-पू० (स्त्री० पिंडारण, पिंडारी) १"पिंडारा' जाति का | पिक्खरणी (बी)-देखो 'पेखणो' (बी)।
व्यक्ति । २ उपलों को व्यवस्थित जमाकर रखा हमा हेर। पिखरणय-पु० [सं० प्रेक्षणम् ] दृश्य । पिडाल, पिंडाळू, पिंडाळू-पु. १ एक प्रकार का कन्द । २ अरबी। पिगळणी (बी)-देखो 'पिघळणी' (बी)। पिडि-१ देखो "पिंड' । २ देखो 'पिंडी' ।
| पिगळारणी (बौ)-देखो 'पिघळाणी' (बी)। पिंडी-स्त्री० [सं० पिण्ड] १ पोटली, गठरी। २ रस्सी या डोरे | पिगाळणी (बी)-देखी 'पिघाळणौ' (बो)।
की गद्री, गोला। ३ सारंगी बजाने के गज का एक स्थान | पिघळणी (बी)-क्रि० [सं० प्र+गलनम्] १ किसी ठोस वस्तु या भाग । ४ देखो 'पीडी' ।
का गर्मी पाकर नरम होना, द्रव के रूप में होना । २ द्रवीपिंडुपिड-पु० [सं० पिंड] १ कामदेव । २ पाप, यस्व ।
भूत होना, पसीजना। ३ विचलित होना, फिसलना।
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पिघळारणो
पिछलगू
पिघळाणी (बो), पिघळावणी (बौ)-क्रि० १ किसी ठोस वस्तु | पिचरंग, पिचरंगौ-१ देखो ‘पचरंग' । २ देखो ‘पचरंगी'।
को गर्मी द्वारा नरम कराना, द्रव रूप कराना । २ द्रवी भूत | पिचरको, पिचरको-देखो 'पिचकारी'।
कराना, पसीजाना । ३ विचलित कराना, फिसलाना। पिचांणरणो (बो)-देखो पैचाणणो' (बो)। पिघाळणी (बो)-क्रि० [सं० प्रगलनम्] १ किसी ठोस वस्तु को | पिचारणवी-देखो 'पचाणवौ' ।
गर्मी द्वारा नरम करना, द्रव रूप करना । २ द्रवीभूत | पिचास-देखो 'पिसाच'।
करना, पसीजाना । ३ विचलित करना, फिसलाना। पिचियासियो-पु० ८५ का वर्ष । पिड़-पु०१ युद्ध, संग्राम । २ जोर से अपान वायु निकलने | पिचियासी-वि० अस्सी व पांच, पिच्यासी। -पु. अस्सी व __ का शब्द ।
पांच की संख्या, ८५ । पिड़गनू, पिड़गनो-देखो 'परगनी' ।
पिचियो-पु. १ छोटा बच्चा । २ फोड़ा, फुसी। पिडगी-स्त्री० [सं० पिटक] १ ध्वनि, मावाज । २ पानी आदि पिचुळ-पु. झाऊ का पेड़।।
के पात्र के नीचे लगी गोल गिरीं जिससे पात्र ठीक से रखा | पिचू-पु. १ कर का वृक्ष । २ कर का फल । ३ नीम का वृक्ष । जा सके।
पिचोतर-देखो 'पिचंतर'। पिडजांन-देखो 'पड़जांन'।
पिचोतरी-स्त्री० सौ के ऊपर पांच, एक सौ पांच । पिड़वा-देखो ‘पड़वा'।
पिचोवड़ी-देखो ‘पछेवड़ी'। पिडि-पु० [सं० पिंड] १ वृक्ष का तना। २ देखो "पिड़'। पिच्चक-देखो 'पंचक'। पिचड-पुं० [सं०] उदर, पेट ।।
पिच्छ-पु० [सं०] १ पंख, पर । २ मयूर का पंख । ३ बाण की पिचंतर-वि० [सं०पञ्च सप्तति] सत्तर और पांच । -पु० सत्तर पूछ । ४ चोटी, कलंगी। ५ पूछ । व पांच की संख्या, ७५ ।
पिच्छम-देखो 'पच्छिम' । पिचंतरमौ (वो)-वि० चौहत्तर के बाद वाला, पिचहत्तर के पिच्छु-स्त्री० ह्रस्व इकार की मात्रा । स्थान वाला।
पिच्यांणम, पिच्यांण (ग)-देखो 'पचांणू' । पिचंतरे'क-वि० पिचहत्तर के लगभग ।
पिच्यासी-देखो 'पिचियासी'। पिचंतरी-पु. पिचहत्तर का वर्ष ।
पिछ-देखो ‘पीछु”। पिचक-देखो 'पंचक'।
पिछक-पु० [सं० पिच्छक] तमाल-पत्र । पिचकणी (बो)-क्रि० [सं० पिच्च] फूली हुई वस्तु का दबना। पिछडणी (बौ)-क्रि० [सं० पश्चात्कृत] १ पीछे रह जाना। पिचकाणी (बी)-क्रि० किसी फूली हुई वस्तु को दबा देना, उभार | २ विकास या प्रगति न करना। ३ बलपूर्वक दबाने से न रहने देना।
टूट-फूट जाना । ४ दबने से रस निकलना। पिचकार, पिचकारका, पिचकारी-स्त्री० [सं०पिच्चकार] १ तरल | पिछतानौ-देखो 'पछतावो' ।
पदार्थ को भरकर जोर से फेंकने का नलीदार यंत्र, उपकरण। पिछताणी (बी)-देखो 'पछताणी' (बो)। २ इस उपकरण द्वारा फेंकी जाने वाली द्रव पदार्थ की पिछताप, पिछतापो, पिछताब-देखो 'पछतावो' । धारा । ३ इसी प्रकार किसी पदार्थ की निकलने वाली | पिळतावो (ब)-देखो 'पळतागौ' धारा ।
पिछतावो-देखो 'पछतावो'। पिचकावणी (बौ-देखो 'पिचकारणो' (बी)।
पिछम-देखो 'पच्छिम'। पिचकिच-पु० खजूर ।
पिछमारण, पिछमारणो-देखो ‘पछमाण' । पिचड़गो (बी)-क्रि० १ दब कर पिचक जाना ।
पिछमाद-क्रि० वि० १ पश्चिम में, पश्चिम की पोर । २ देखो 'पिछड़णी' (बी)।
२ देखो 'पश्चिम' । पिपिचासौ (यो)-क्रि० [सं० पिच्च] १ घाव में पीप भरना
व गीला पड़ना। २ अधिक नरम या तर होने से पच-पच | पिछमियो-देखो 'पच्छिमी' । करना। ३ रसना, झरना।
पिछलगी-स्त्री० अनुकरण, अनुसरण, देखा-देखी, नकल । पिपिचाहट-स्त्री० पाद्र, नमी या भराव के कारण होने वाली -वि० पीछे-पीछे रहने वाली। पच-पच ।
पिछलगू, पिछलगी, पिछलग्गू-पु. (स्त्री० पिछलगी) १ अनुयायी, पिचपिचौ-वि० १ अधिक गीला । २ अधिक नरम । ३ अधिक | अनुगामी । २ शिष्य । ३ सेवक, नौकर। -वि० १ पीछे-पीछे तर । ४ देखो 'चिपचिपो'। ५ देखो 'पचपचो' ।
रहने वाला, चापलुस । २ अनुसरण करने वाला।
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पिछलो
पितसरी
पिछलौ-देखो 'पाछालौ'। (स्त्री० पिछली)
पिट्ठ, पिट्ठी-देखो 'पीठ' । पिछवा-स्त्री० [सं० पश्चिम-वायु] पश्चिम की वायु । पिट्ठ-वि०१ दोस्त, मित्र । २ सहायक, मददगार। ३ पीछे पिछवाड़ो-पु० १ पीछे का भाग। २ मकान का पिछला ___ चलने वाला, अनुगामी। हिस्सा।
पिठरणौ (बो)-क्रि० पेठना, प्रवेश करना । पिछवी-पु० [सं० पृष्ठ] हाथी का एक आभूषण विशेष । पिठवण-स्त्री० [सं० पृष्ठपर्णी औषधि में काम आने वाली पिछारण-देखो 'पै'चारण' ।
एक लता। पिछाणणो (बो)-देखो 'प'चांगरणी' (बौ)।
पिठाण-देखो 'पीठाण'। पिछारणी, पिछांणु-देखो 'पै'चांण' ।
पिडिउ-वि० [सं० पीड़ित दुःखी, पातुर । पिछाड़ी-देखो पछाड़ी' ।
पिडीयार, पिढ़ीयार-देखो प्रतिहार' । पिछाबडो-देखो 'पछोकड़ो' ।
पिण-१ देखो 'परण' । २ देखो 'प्रण' । पिछी-स्त्री० ह्रस्व इकार की मात्रा ।
पिणघट-देखो 'पणघट' । पिछु-पु० [सं० पुच्छ] १ पूछ । २ देखो 'पिच्छू' । पिणच-स्त्री० १ बुना हुआ कपड़ा फैलाने का लकड़ियों का पिछवडो-देखो 'पछेवड़ों'।
ढांचा विशेष । २ देखो 'पुणच'। ३ देखो ‘पणच' । पिछोकड़, पिछोकडी, पिछोकडउ, पिछोकडो-देखो 'पछोकड़ो'। पिणचीजणी-पु. १ ऊंट के पिछले पैरों में होने वाला एक रोग । पिछोड़ी-देखो 'पछेवड़ी'।
। २ इस रोग से पीडित ऊंट । पिछोड़ो, पिछोवड़ो-देखो 'पछेवड़ो' ।
पिणचीजरणौ (बी), पिणछोजणी (बी)-क्रि० रोग विशेष से पिछोहा-पु० सांसियों में, पुत्र जन्मोत्सव के छठे दिन का भोज । ऊंट के पिछले पैरों में सूजन आना । पिजूसण-१ देखो 'पिंजूसण' । २ देखो 'परयूसण' ।
पिरणयार, पिणहार, पिणहारी-देखो 'पणियार' । पिटत-स्त्री० पिटाई, मारपीट।।
पिरिण-क्रि०वि० परन्तु, किन्तु । पिटणी (बी)-क्रि० [स. पीडनम्] १ पीटा जाना, पिटाई | पितबर-देखो 'पीतांबर' ।
होना, मार खाना । २ हारना, किश्त खाना । ३ प्रतियोगिता पित-१ देखो 'पिता' । २ देखो 'पित्त'। में हारना । ४ खेल में गोटी का मारा जाना । ५ अधिक पितकाळी, पितगाळी-स्त्री० [सं० पित्तकारी] लाल मिर्च ।
काम में माने पर घिस जाना, पुराना पड़ जाना। पितपति-देखो 'पितरपति'। पिटपिट-स्त्री० [अनु॰] हल्की सी ध्वनि विशेष ।
पितरपापड़ो-देखो 'पित्तपापड़ो' । पिटपिटापो (बो)-क्रि० १ पिट-पिट ध्वनि करना । २ विवश पितमनमथ-पु० [सं० मन्मथ-पिता मन ।
रहना, मजबूर रहना। ३ कसमसाना, मन मसोस कर पितर, पितरियौ-पु० [सं० पित-पितरः] (स्त्री० पितरांणी) रह जाना।
१ परलोकवासी पूर्वज । २ प्रेतत्व से मुक्त मृत व्यक्ति । पिटपिटी-स्त्री० चने के पौधे पर लगने वाले पोपले जिनमें दाना ३ सब जीवों के प्रादि पुरुष एक देव विशेष । ४ किसी पड़ता है।
परिवार का मत सदस्य जो देव योनि में होकर किसी अन्य पिटल-पु. १ एक काश्तकार कोम या जाति । २ इस जाति का सदस्य के जरिये अपना परिचय कराता हो। (रूढ़ि)। व्यक्ति ।
-पति-पु० धर्मराज, यमराज । पिटांट-वि० दुबला-पतला, कृशकाय ।
पितरेसुर, पितरेस्वर-देखो 'पित्रेस्वर' । पिटाई-स्त्री० [सं० पीडनम्] १ पीटने की क्रिया या भाव।। पितळकरण-देखो 'पितळण' । - २ पीटने की मजदूरी। ३ किसी पर पड़ने वाली मार। पितळकणौ (बौ)-देखो 'पितळणी' (बी)। पिटाट-पु० सिर, मस्तक । ।
पितळण-स्त्री० १ फिसलन । २ फिसलने लायक चिकनाई। पिटारो (बो)-क्रि० १ पिटवाना, पिटाई कराना, मार ३ चिकनाई वाला स्थान ।
पटकवाना। २ प्रतियोगिता में हरवाना। ३ किश्त पितळणो (बी)-क्रि० १ फिसलना, रपटना। २ पीतल के बर्तन खिलवाना। ४ खेल में गोटियां मरवाना ।
मादि में कोई तरल पदार्थ कसैला होना। पिटापिट-पु०१ ध्वनि, पावाज । २ पिटाई।
पितळारणी (बी), पितळावणौ (बौ)-क्रि० १ फिसलाना, पिटारी-स्त्री० टोकरी, डलिया।
रपटाना । २ कसैला करना । पिटारो-पु० [सं० पिटक:] बड़ा टोकरा ।
पितवड-देखो 'पित्तोड़' । .पिटावणी (बी)-देखो "पिटारणो' (बी)।
| पितसरौं-पु० [सं० पिता-श्वसुर श्वसुर ।
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पिता
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चमडा ।
पितृ-देखो 'पिता'।
पितुडियो, वितुडो-देखो 'पितु 'डियो'
पिलोड, पितो देखो पित्तो
( ७२ )
पिता-पु० [सं० पितृ] जन्म दाता, जनक, बाप । पितामह - पु० [सं०] १ पिता का पिता दादा। २ भीष्म । ३ शिव । ४ ब्रह्मा । 2 चौसठ भैरवों में से एक । पिताविरच, पिताविरधि, पिताविरंची-पु० कमल । पितु डियो, पितुडौ- पु० मोठ पर बंध पत्थर के नीचे लगाने का
पित्त १० [सं०] १ शरीरस्य तीन तत्वों में से एक (वात, पित्त, कफ) २ उक्त तत्व का गुरण-दोष । ३ देखो 'पिता' -कर- वि० पित्त की वृद्धि करने वाला । -कारक - वि० पित्त उत्पन्न करने वाला। -कास-पु० पित्त विकृति से होने वाला रोग, खांसी जुर, ज्वर-पु० पित्त प्रकोप से होने वाला ज्वर, बुखार दाह- 'पित्तज्वर' । - प्रक्रति पु० पित्त की प्रधानता वाला शरीर । -- प्रकोप - पु० पित्त की विकृति व उग्रता - व्याधि-स्त्री० पित्त विकृति का रोग मूळ पु० पिस विकृति से होने बाला दर्द तुलस्यान पु० पित्ताशय । हर पु० पित्त पर नियंत्रण करने वाली धौषधि उशीर पितातिसार ० [सं०] पित्त प्रकोप से होने वाला प्रतिसार पित्तारि - वि० [सं०] पित्त का नाश करने वाला। -पु०- १ पित्त का शत्रु । २ पित्त पापड़ा । ३ पीला चंदन |
।
पित्तासय पु० [सं० पित्ताशय] पित्त रहने का स्थान ।
पिसी स्त्री० पित्त प्रकोप से होने वाली रक्त विकृति एक रोग । पितोड़ चु० [सं० पावलोट] बेसन से बनने वाला एक नमकीन खाद्य पदार्थ । वित्तोदर - पु० रोग । पितोन्माद - पु० [सं०] पित्ताशय की खराबी से होने वाला उन्माद रोग ।
[सं०] पित्त विकृति से होने वाला, पेट फूलने का
पित्र पु० [सं० विश्व १ बड़ा भाई २ देखो 'पित्री' ।
। -करम 'पित्रीकरम' ।
।
- प्रमावस - 'पित्री अमावस' -किरिया = 'पित्रीकिया कुछ 'पिषीकुछ' । -किया- 'पित्रीक्रिया' - गीता 'पित्रीगीता' । -ग्रह- 'विजीग्रह' तरपरा" = । -तरपण = 'पित्रीतरपण' । - बक्ति, भगति 'पित्री भक्ति' लोक 'पित्रीलोक' ।
1
चित्र पूरबी (पूरवी)- १० [सं० पित्र्यः पूर्वी ] बड़ा भाई । पित्राई पु० [सं० पिव्य] पिता के चाचा का बेटा दि० पिता संबंधी, पिता का वंशज ।
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पित्रीकुळया
पित्री- पु० [सं० पितृ] १ पिता । २ ३ प्रेतत्व से मुक्त हुप्रा मृत जीवों के आदि पूर्वज एक देव ।
- श्रमावस स्त्री० श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि । -करम पु० पितरों के लिये किया जाने वाला घाट, तर्पण प्रादि । कळप पु० श्राद्धादि कर्म कल्प । - कांनन- पु० श्मशान भूमि मरघट । कारज - पु० बाद, तर्पणा चादि कर्म । किरिया 'पित्रीक्रिया' । - कुळ- पु० पिता या पितामह का समस्त परिवार । - ऋत्य, क्रिया-स्त्री० श्राद्धादि के कर्म । गीता स्त्री० वराह पुराण का एक अंश जिसमें पितरों का माहात्म्य कहा गया है। प्रह-पु० पिता का घर । स्त्री का मायका नेहर । स्कन्द प्रादि बाल ग्रहों में से एक । - घर - 'पित्री ग्रह'
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किसी के मृत पूर्वज । व्यक्ति । ४ समस्त ५ देखो 'पितर' |
- घातस- पु० ० पिता का वध, हत्या । —घातक, घाती घातीकवि० पिता का हत्यारा जय, जग्य पु० पितृ तर्पण । -तरवरण-पु० पितरों को दी जाने वाली जलांजलि । गया तीर्थ पर किया जाने वाला पितृ श्राद्ध । - तिथ तिथि स्त्री० अमावस्या | - तीरथ पु० गया तीर्थ । मत्स्यपुराण में वणित प्रयाग, वाराणसी घादि २२२ तीर्थ । अंगूठे व तर्जनी के मध्य का स्थान । - दानपु० पिता या पूर्वजों की सम्पत्ति बाद संबंधी दान |
- दिन १० प्रमावस्या - देव पु० पितरों का अधिष्ठाता
देव - देवत पु० पितरों के निमित्त किया जाने वाला
|
कर्म । पितरों का अधिष्ठाता देव । पित्रीदेव । -नाथपु० यमराज । श्रर्यमा नामक पितर | -पक्ष, पख-पु० श्राद्ध पक्ष प्राश्विन मास का कृष्ण पक्ष । पितृ कुल । -- पती पु० यमराज पद १० पितृ लोक पितर होने की अवस्था या स्थिति पिता दु० पितामह, दादा प्रसू-स्त्री० पिता की माता, दादी संध्या, सायंकाल । - प्रिय स्त्री० मंगरा । भृंगराज । अगस्त का वृक्ष । -भक्त, मगत पु० माता-पिता की सेवा करने वाला पुत्र । -भक्ति भगतिस्त्री० माता-पिता की सेवा माता-पिता के प्रति श्रद्धा व भक्ति भोजन पु० पितरों के निमित्त किया जाने वाला भोजन, का घर । श्मशान भूमि । स्पेष्टि कर्म । पितृ यज्ञ
वरद मंदिर पु० पिता
।
।
८.
- मेघ- पु० एक प्रकार का मंत्री 'पितरांमेळी' । -- राज-पु० यमराज । - रिष पु० पिता का ऋण । -लोक-पु० पितरों के निवास का लोक
५० पिता का कुल वन, वसती, वास-पु० श्मशान । मरघट । -स्थान- पु० पिता का पद । पितरों का स्थान । पित्रीकुळया - पु० [सं० पितृकुल्या ] एक प्राचीन तीर्थं का नाम ।
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पित्रीगण
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( ०३ )
पित्रीजांण पु० [सं० पितृयान] मरणोपरान्त जीव को परलोक
ले जाने का मार्ग ।
वित्रीगण पु० [सं० पितृगण] १ पिटर २ मरीचि प्रादि विद्यालो (बी), विद्यावली (भी) कि० १ प्राच्छादित करना, ऋषियों के पुत्र । ढकना । २ देखो 'पिदाणी' (बो) |
वित्रीगाथा - स्त्री० [सं० पितृगाथा ] पितरों द्वारा पढ़ा जाने वाला पिद्ध-देखो 'पीन्हों' ।
श्लोक विशेष ।
पित्रोरिस्ट पु० [सं० पितृरिष्ट] जन्म संबंधी एक कुयोग । वित्रीरूप पु० [सं०] पितृरूप] शिव पित्रीयनेचर पु० [सं० पितृ-वन-चर] शिव, महादेव १ । २ भूत-प्रेत ३ श्मशानवासी।
पथराव - पु० [सं० पृथु-राज ] राजा पृथु ।
पिथी, विधी- देखो 'पृथ्वी'
पित्रीवदन- पु० [सं० पितृ-बदन] कुश । पित्रीव्रत पु० [सं० पितृ-व्रत] पितृकर्म ।
पित्रीसू-स्त्री० [सं० पितृसू] १ पिता की माता, दादी । २ संध्याकाल ।
पित्रीता वि० [सं० पितृ-हंता ] पिता का हत्यारा, पिता-याती पित्रेस - पु० [सं० पितृ - ईश ] यमराज ।
पित्र सुर, विशेस्वर- पु० [सं० पितर ईश्वर ] १ यमराज । २ परलोकवासी पूर्वज ३ देवयोनि ४ देखो 'पितर' विच-देखो 'प्रयु'
।
पिashi - पु० १ कचूमर । २ नाराजगी । ३ फटकार । पदी (ब) ० १ खेल में किसी पक्ष या खिलाड़ी की पिटाई होना । २ अधिक चक्कर खाना, भाग-दौड़ करना । ३ बार-बार इधर-उधर घूमना । ४ परेशान होना, कष्ट
उठाना ।
पिदर- पु० [सं० पितृ] पिता । पिदाई - स्त्री० १ खेल में खिलाड़ी की सजा के रूप में होने वाली भाग-दौड़ । २ किसी कार्य के लिये बार-बार चक्कर लगाने की क्रिया । ३ परेशानी, कष्ट । ४ भाग-दौड़ । पाणी (बी), विदावणो ( बौ) - क्रि० १ खेल में किसी खिलाड़ी को अधिक दौड़ाना, पिदाई कराना । २ बार-बार चक्कर कटवाना, भाग-दौड़ कराना। ३ बार-बार इधर-उधर घुमाना । ४ परेशान करना, तंग करना ।
पिदियो ५० एक प्रकार की छोटी चिड़िया
पिद्दी स्त्री० एक प्रकार की छोटी चिड़िया । - वि० तुच्छ,
विधान पु० [सं० पिधानम् ] १ तलवार का कोष, म्यान ।
२ प्रावरण, ढक्कन ।
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विन स्त्री० [सं०] १ कागजों में लगाने की छोटी व बारीक कील । २ वस्त्रों में लगाने का तार का छोटा उपकरण । ३ स्त्रियों के बालों में लगाने की पिन । पिनक-स्त्री० १ अफीम का हल्का नशा । २ तन्द्रा, नींद ।
पिनकरण (बी) - क्रि० १ अफीम के नशे में झूमना । २ नींद का झोंका खाना ।
पिनकी वि० १ अफीमची । २ तंद्रित ।
पिनस देखो 'पीनस' २ देखो 'पिंजरा' | विनसन- देखो 'पेनसन' ।
पिनाक- पु० [सं०] १ शिवजी का धनुष ।
1
विनायक, पिनायय-देखो 'विनाक' विनारा देखो 'विजारा' ।
पिनारी- देखो 'पिंजारी' ।
पिम्म
३ धनुषाकार एक वीणा विशेष शिव, महादेव
पिनाकी, पिनास, पिनाकी पु० [सं० पिनाकिन] शिष
महादेव ।
पिपलीओ पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष । विपास, विपासा - स्त्री०
२ धनुष ।
विनिद्य वि० [सं० पिन पहना हुआ, धारण किया था। पिनाक- देखो 'पिनाक' ।
पिपरमिट, पिपरमेंट पु० [सं० पेपरमिट] १ पुदीने की जाति का एक पौधा । २ इस पौधे का अर्क । ३ इस प्रर्क के योग से बनी शक्कर की गोली ।
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पालि पोली-पु०
[सं० पिपासा ] प्यास, तृष्णा ।
उत्कण्ठा ।
पिपासित, पिपासी, पिपासु वि० [सं०] १ तृषित, प्यासा । २ उत्कण्ठित। ३ पीने का इच्छुक । विपीतकी - स्त्री० [सं०] वंशाख शुक्ला द्वादसी ।
पिपील, पिपीलक, पिपीलिक- पु० [सं० पिपीलः ] १ चींटा । २ एक प्रकार का सुवर्णं । पिपीलिका, पिपली स्त्री० चींटी ।
पिपी-देखो 'पीपौ' ।
पिप्पल - देखो 'पीपळ' ।
नगण्य ।
दिव्यास्त्री० [सं० पिण्याला] एक प्राचीन नदी ।
पिद्दो- पु० तुच्छ जीव ।
पिणी (बी) कि० [सं० परिवारसम्] १ बाच्छादित होना, पिप्पल, पिप्पली स्त्री० [सं०] पीपल नामक लता या उसका
ढका जाना । २ देखो 'पिदणी' (बी) ।
फल । - मूळ-पु० ० पीपल नामक लता की जड़ ।
fपकरण (बी) - देखो 'मूकरणी' (बो) ।
पिम्म, पिस्तु देखो 'प्रेम'
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पियंकर
पिवासा
पयंकर-वि० [सं० प्रियकर हितैषी । (जैन)
पिराचित, पिराछत, पिराछित, पिरास्चित-देखो 'प्रायत' । पय-पु० [सं० प्रिय] १ चातक पक्षी की आवाज । २ देखो | पिरि-देखो 'परि'। __'प्रिय' । ३ देखो 'पिता'। ४ देखो 'प्रिया'।
पिरिमां, पिरियां- देखो 'परसू'। २ देखो 'परियां'। पेयडउ-देखो 'प्रिय'।
पिरियोजन- देखो 'प्रयोजन'। पयर-१ देखो 'पितर'। २ देखो 'पी'र'।
पिरीत-देखो 'प्रीत'। पयरोळा-स्त्री. मधुर बोली वाली एक पीली चिड़िया । पिरू', पिरू-देखो 'परसू' । पयहर-पु० [सं० पितृगृह] पीहर।
पिरोजन-देखो 'प्रयोजन'। पर्याण, पियारणउ, पियांणौ-देखो 'प्रयाण' ।
पिरोजी-देखो 'फिरोजी' । पेयांनी-पु. एक प्रकार का स्वर वाद्य ।
| पिरोणो (बो), पिरोवणी (बो)-देखो 'पोणो' (बी)। पेया-१ देखो 'प्रिय' । २ देखो 'प्रिया' ।
पिरोहित-देखो 'पुरोहित'। पया-पु. [सं० पा] पीने वाला, अधिक पीने वाला। पिलंग-पु० १ शिकारी कुत्ता। २ देखो 'पलंग'। पयाड-पु. सिंचाई किया हुआ खेत ।
पिलंड-पु० १ शेषनाग । २ सर्प, सांप । पयाबास-पु० कटसरैया, कुरबक ।
पिलणी (बी)-क्रि. १ भग जाना। २ दूर होना, मिटना । पेयामहि-देखो 'पितामह'।
३ द्रवित होना, पिघलना। ४ तिल, सरसों प्रादि पेरा पियार-१ देखो 'प्यार' । २ देखो 'पंयाळ' ।
जाना। ५ किसी कार्य में जोर-शोर से लग जाना । पियारी-देखो 'प्यारों'। (स्त्री० पयारी)
६ अत्यधिक मार-पीट करना। पियाळ-पू० [सं० पियाल] १ एक छोटा वृक्ष विशेष । | पिलपिल-स्त्री. अधिक नरम होने की अवस्था, पिलपिलाहट । २ देखो 'पाताळ'।
पिलपिलणौ (वो)-क्रि० नरम व पिलपिला होना । २ सड़ना। पियालो-देखो 'प्यालो'।
३ फलादि का अत्यधिक पकना । पियास-देखो 'प्यास'।
| पिलपिलाणी (बो)-क्रि० १ नरम करना, गीला करना, पियासाळ-पू० [सं० प्रियसालक] बेहड़े की जाति का एक वृक्ष | पिलपिला करना । २ सड़ाना । ३ अधिक पकाना। विशेष ।
पिलपिलाट, पिलपिलाहट-स्त्री. नरमी, गीलापन, पोपलापन । पियासो-देखो 'प्यासी'।
पिलपिलो-वि० (स्त्री० पिलापिली) १ अत्यधिक नरम, पोपला । पियूख, पियूस-देखो 'पीयूख'।
२ जिसमें अधिक रस हो। ३ प्रत्यधिक पका हुमा। पियो-पु० [सं० पा] पशुपों को पानी पिलाये जाने का दिन।
४ सड़ा हुआ। पिरकरमा-देखो 'परिक्रमा'।
पिलवाण-देखो 'पीलवाण' । पिरजा-देखो 'प्रजा'। -पत, पति, पती = 'प्रजापति'। पिलां-स्त्री. एक चिड़िया जिसका मांस खाया जाता है। पिरणणो (बो)-देखो 'परणणो' (बो)।
पिलारण-देखो 'पलांण'। पिरतक, पिरतल्ख, पिरतख-देखो 'प्रत्यक्ष ।
पिलांबणी (बी)-देखो 'पलांगणो' (बी)। पिरचमी-देखो 'प्रथवी' । -तळ = 'प्रथवीतळ' -नाथ= पिलांरिणयौ-देखो 'पलारण'। 'प्रथवीनाथ' ।
पिळायखतेस-देखो 'पीळाप्रक्षत' । पिरषवी, पिरथि, पिरषो-देखो 'प्रथवी'।-घर = 'प्रथवीधर'। पिलाणी (बी)-देखो 'पाणी' (बी)।
-नाथ = 'प्रथवीनाथ' । -पाळ = 'प्रथवीपाळ' । पिलिया-स्त्री. पकी हुई ककड़ी।
-पोख= 'प्रथवीपोख'। -राज % 'प्रथवीराज' । पिलुपरणी-स्त्री० [सं० पिलुपर्णी] मूर्वा लता व फली। पिरषु-देखो 'प्रथु।
पिलू वी-स्त्री० एक लता विशेष । पिरभु, पिरभू-देखो 'प्रभु'।
पिल्ल-देखो 'पल'। पिरवा, पिरवाई-देखो 'परवाई।
पिल्लो (बी)-देखो 'पिलणौ' (बी)। पिरवार-देखो 'परवार'।
पिल्हणी (बी)-क्रि० १ स्पर्श करना, छूना । २ चूमना। पिरत-देखो 'परसू"।
३ देखो "पिलणी' (बी)। पिरांणी-१ देखो 'परांणी' । २ देखो प्राणी।
पिल्लौ-पु० [तामिल पिल्ला] कुत्ते का बच्चा, छोटा कुत्ता । पिरांगो-देखो 'प्राण'।
| पिव-देखो 'प्रिय'। पिराग-१ देखो'प्रयाग' । २ देखो 'पराग'।-बड़ : 'प्रयागवड़।पिवासा-देखो 'पिपासा' ।
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पिवरणी
(
७५
)
पिहाई
पिवणो (बो)-देखो 'पीणो' (बी)।
पिसाचभाखा, पिसाचभासा-स्त्री० [सं० पिशाच भाषा] एक पिसकस-पु. १ एक विशेष प्रकार का धनुष । २ धनुष ।
प्राचीन भाषा, पैशाची भाषा । पिसण-वि० सं० पिशुन] १ नीच, दुष्ट । २ पापी। पिसाचमोचन-पु० [सं० पिशाचमोचन] १ पिशाच योनि से
३ चुगलखोर, निंदक । ४ छली, कपटी, धूर्त । -पु० शत्रु, मुक्ति दिलाने वाला काशी का एक तालाब । २ देखो
दुश्मन । -खोर-वि० शत्रुओं का नाश करने वाला। ___ "पिसाचघन'। पिसण-पनग-पु० [सं० पिशुन-पन्नग] मयूर, मोर ।
पिसाचर-देखो 'पिसाच'। पिसणाक-देखो "पिसण'।
पिसाचविवाह-पु० विवाह की एक अधम रीति । पिसणो (बो)-क्रि० १ पीसा जाना, महीन पाटे की तरह किया पिसाचांगजन-पु० वरुणदेव ।
जाना। २ कुचला जाना, दबना । ३ नरम व रसदार पदार्थ | पिसाचा-पु० [सं० पिनाचिन्] १ कुबेर । -स्त्री० [सं० पिशस्य] का दबकर फूट जाना। ४ चूर्ण हो जाना, टूट कर बिखरना।। २ एक देव जाति । ५ थकना, शिथिल होना । ६ शोषण किया जाना। पिसाची-स्त्री० [स० पिशाची] १ पिशाच स्त्री। २ पिशाचों ७ अधिक दबाव या खिचाव से वस्त्रादि का फटजाना। की भाषा। ३ जटामासी। ८ देखो 'फिसणी' (बी)।
पिसाणी (बी)-क्रि० १ अनाज प्रादि का प्राटा बनवाना, पिसताणी (बौ), पिसतावणी (बौ)-देखो 'पछताणी' (बी)। पिसवाना । २ महीन चूर्ण बनवाना, पाटे की तरह कराना । पिसतावो-देखो पछतावो' ।
३ चटनी की तरह कराना । ४ कठोर श्रम कराना। पिसतोल-देखो 'पिस्तोल'।
५ व्यर्थ में नुकसान पहुंचवाना । ६ मरवाना, सहार पिसतो-देखो 'पिस्तौ'।
कराना । ७ शोषण कराना। पिसन (न)-देखो 'पिसण' ।
पिसादिय-देखो 'फिसादी' । पिसर-पु० [फा०] पुत्र, लड़का, बेटा ।
पिसारण, पिसारी-स्त्री० [सं० पेषणम् ] पिसाई का कार्य करने पिसळणी (बी)-क्रि० १ किसी नरम वस्तु को हाथ से मसलना,
वाली स्त्री। रगड़ना । २ देखो 'फिसळणो' (बी)।
| पिसावरणौ (बो)-देखो 'पिसाणी' (बो)। पिसाई-स्त्री० [सं० पेषणम्] १ पीसने की क्रिया या भाव। पिसित-पु० [सं० पिशितस्] १ मांस, गोश्त । २ मांस का
२ दानेदार वस्तु को प्राटे के रूप में करने की क्रिया। टुकड़ा, बोटी । ३ पीसने का व्यवसाय । ४ पीसने का किराया। | पिसु-देखो 'पंसु' । पारिश्रमिक । ५ प्रत्यधिक शारीरिक श्रम। ६ ताश के | पिसुरण, पिसुन-देखो "पिसण' । खेल में पत्ते बांटने का कार्य ।
पिस्ट-वि० [स० पिष्ट] पिसा हुप्रा, चूर्ण किया हुअा। -पु. पिसाच, पिसाचक-पु० [सं० पिशाच] (स्त्री० पिसाचण, १ उबटन । २ पाटा । ३ चूर्ण ।
पिसाचणी) १ भूत या प्रेतों की तरह की एक योनि । पिस्टपेसन-पू० [सं० पिष्ट पेषणम्] १ पिसी हुई वस्तु की पुनः २ इस योनि का जीव । ३ बीभत्स या जघन्य कार्य करने
पिसाई । २ कही हुई बात का पुनर्कथन । ३ व्यर्थ का कार्य । वाला व्यक्ति । ४ भारत के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित एक
पिस्टि, पिस्टी-स्त्री० [सं० पिष्टि] १ पीसी हुई वस्तु । २ पीठी। प्राचीन प्रदेश । ५ इस प्रदेश का निवासी। -वि०
पिस्ती-देखो "पित्तो' । मांसाहारी, मांस भक्षी। -धन-वि० पिशाचों का नाश करने वाला । पिशाच बाधा मिटाने वाला । -स्त्री.
पिस्तौ-पु० [सं० पिस्त] १ एक प्रकार का मूखा मेवा । २ कलेजे
का एक भाग । पीली सरसों। पिसाचकी-पु० [सं० पिशाचकिन्] कुबेर ।
पिस्सू-पु० [फा० पश्शः] १ मच्छर । २ मच्छर जैसा एक अन्य
कीड़ा। पिसाचचरजा-स्त्री० [सं० पिशाचचर्या] पिसाचों की तरह।
पिह-पु० [सं० प्रभु] पति । स्वामी । मरघट का परिभ्रमण ।
पिहर-देखो 'पी'र'। पिसाचन्द्र-पु० [सं० पिशाचद्रु] सिहोर का वृक्ष ।
पिहरिण-देखो 'पहरण'। पिसाचपत, पिसाचपति-पु० [सं० पिशाचपति] शिव, महादेव। पिहलउ-वि० [सं० प्रथून] १ चौडा, विम्तृत । २ देखो 'प्रथम'। पिसाधनाथा-स्त्री० [सं० पिचाशबाधा] १ पिशाचों का उत्पात । पिहलाव-देखो 'प्रहलाद' । २ पिशाचों के उत्पात से होने वाला कष्ट ।
पिहाई-१ देखा "पिसाई' । २ देखो 'पिधाई'।
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पिहित
पीक
पिहित, पिहिय-वि० [सं० पिहित] १ छुपा हुआ, गुप्त । पौंडार-पु० [सं० पिण्डार] १ गडरिया । २ ग्वाला। ३ देखो २ ढका हुप्रा।
"पिंडारौं'। पिहिरण-देखो 'पहरण' ।
पौंडारउ-पु० [सं० पिंडहर गायों का झुण्ड, गायों का समूह । पिहिलू-वि० प्रथम ।
पोंडाळू-देखो "पिंडाळू'। पिहुक्खरणौ (बौ)-देखो 'पेखरणो' (बी)।
पौंडी-स्त्री० [सं० पिण्ड] १ शिवलिंग । २ शिव की प्रतिमा । पिहलउ, पिठुलो-देखो 'पिहलउ' ।
३ माटे आदि का छोटा व लंबूतरा पिंड। ४ पैर का, घुटने पौं-स्त्री. अव्यक्त ध्वनि या शब्द ।
के नीचे का भाग। ५ रस्सी प्रादि समेट कर बनाया गया पौंग-देखो 'पिंग'।
लंबा गोला । ६ मोट के मुंह पर लगाया जाने वाला लकड़ी पींगो-पु० [सं० प्लवंग] बच्चों का झूला, पालना । का चौखटा। ७ देखो 'पीडी। -वि० प्रति तरल।
पींडो-पु० [सं० पिण्ड] १ पशुओं के पिछले पैरों का मांसल पोडणी (बी)-देखो 'पीड़णों' (बी)।
भाग । २ हल पर रखा जाने वाला वजन । ३ पिण्ड या पीचरणो (बी)-क्रि० [सं० पिच्च] १ दबाना, कसकर पकड़ना। गोला, लोथा । ४ रस्सी का गोमा । ५ जल-पात्रों का २ सिकुड़ना या तनाव खाना । ३ कुचलना, रोंदना।
समूह, पीने के पानी के पात्र रखने का स्थान । पाँची-पु० एक प्रकार की चिड़िया, गुल-दुम ।
पीरणच-देखो 'पुणच'। पोंछ-पु० [सं० पिच्छम] १ मयूर की पूछ, पर । २ मोर की पौंदौ-पु० [सं० पिण्ड] १ तल, नीचे की सतह, पैदा । २ अंतिम पूछ का चंदौवा । ३ डैना । ४ किलंगी।
स्थिति। पीछरी-पु० [सं० पिच्छम् ] गेहूं, ज्वार प्रादि की कच्ची बाल । | पींधी-पु० चिथड़ा। पौंजरण-स्त्री० [सं० पिजनम्] रूई धुनने की धुनकी, पिंजन ।। पौंजणी-स्त्री० १ बैलगाड़ी के पहिए के प्रागे का धनुषाकार पीपटी-देखो 'पीपी'। . लकड़ी का उपकरण जिस पर होकर धुरा निकला रहता पौंपळ पीपळियो-देखो 'पीपळ' ।
है। २ पैर में धारण करने का प्राभूषण । ३ देखो 'पीजण'। पीपली-देखो 'पीपळी'। पोजरणी (बो)-क्रि० [सं० पिजि] १ धुनकी से रूई धुनना । पोपळी-पु० भाले या तलवार की नोक । २ पीटना, मारना।
पीपा-स्त्री० खींप की फली। पीजर-देखो 'पंजर'।
पीपाड़ी, पीपी-स्त्री० १ फूक कर बजाने का बच्चों का खिलौना। पीजरणी (बी)-क्रि० [सं० पिजि १ संहार करना, मारना।। २ सीटी, विसल । २ ध्वंस करना, नष्ट करना । ३ आच्छादित करना, ढकना।
पीपी-पु० लोहे का टीन । बड़ा या चौकोर डिब्बा। ४ देखो 'पीजणो' (बी)।
पी-पु० [सं०] १ स्वर्ण, सोना। २ लोहा । ३ पीड़ा कष्ट । पीजरल्यौ-देखो 'पींजरी'।
| ४ हल्दी। ५ चींटी। ६ पोना क्रिया। ७ देखो 'प्रिय'। पीजरापिरोळ, पोंजरापोळ-स्त्री० [सं० पञ्जर-प्रतोली १ किसी ८ देखो 'पिनाई'।
संस्था द्वारा चलाई जाने वाली गौशाला । २ फसल को पीअणजहर-पु. शिव, महादेव ।
हानि पहुंचाने वाले पशुओं की कैद, कांझी हाउस। पीअरणी (बी)-देखो 'पीणी' (बो)। पीजरी-पु० [सं० पञ्जरकम्] चारों ओर जाली लगा कोई पीअळ (ल)-देखो 'पीयळ' । सन्दूक या कक्ष ।
पोआंग, पीआणी-देखो 'प्रयाण' । पोंजस-देखो 'पिंजस'।
पीमाई-१ देखो 'पिप्राई'। २ देखो 'पिसाई। पोंजारा-देखो "पिंजारा'।
पीआरड़ी (डी)-वि० [सं० पराक] १ पराई, दूसरे की । पोंजारौ-देखो 'पिंजारौ'।
२ देखो "प्रिया' । पीजू-पु० करील का पका फल, ढालू।
पीपारडो-वि०(स्त्री० पीपारडी)पराया, दूसरे का। पौंड-१ देखो "पिंड' । २ देखो 'पीडो' । ३ देखो 'पीडी'। पोइ, पीई-देखो 'प्रीति' । पोंडको-देखो 'पोंडो'।
पीउ, पीऊ, पीऊडइ-१ देखो "पिय' । २ देखो 'प्रिय'। पौंडळी-देखो 'पीडी'।
पोऊस-देखो 'पीयूख'। पीडवा-स्त्री० हल पर वजन रख कर की जाने वाली जुताई। पीक-पु० [सं० पिच्च] १ थूक, ष्ठीवन । २ पान का यूक। पीडाढ़ाळ-पु० ऊंट।
-स्त्री० ३ चाह, इच्छा । ४ मावश्यकता, जरूरत ।
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पोगळरणौ
पीठमर
५ प्राशय मतलब । -दान, दांनी-पु. थूकने का | वाले स्थान से पहले पूर्व में। ५ चलने वाले के पृष्ठ भाग पात्र।
में। ६ तदनन्तर, बाद में, पश्चात् । ७ अनुपस्थिति में । पोगळणी, पीघळरणो (बो)-देखो "पिघळणी' (बी)।
८ अत में, पाखिर में । ६ लिये, वास्ते, निमित्त । पीर-देखो 'पीड़ा'।
१० मरणोपरान्त, बाद में । पीडक-वि० [सं० पीडक] १ कष्ट देने वाला, पीड़ा पहुंचाने | पीछोड़लू-देखो पछेवडो' ।
वाला । २ प्रत्याचारी, प्राततायी। ३ ग्रहण करने वाला | पीछोड़ी-देखो पछेवड़ी'। पकड़ने वाला। ४ दबाने वाला।
पोछौ-पु० [सं० पश्चात् ] १ जाने या भागने वाले के पीछे-पीछे पोड़ण, पीडाणी-स्त्री० [सं० पीडन] १ कोई मानसिक या जाने की क्रिया या भाव । २ पृष्ठ भाग । ३ पिछवाड़ा।
शारीरिक कष्ट । २ दर्द, पीड़ा । ३ प्राक्रमण द्वारा किसी | पीजणवाव-स्त्री० प्रजा से लेने का एक प्राचीन कर । देश को बर्बाद करने का कार्य । ४ कष्ट, सकट । ५ सूर्य या | पीजणी-देखो ‘पीजणी'। चंद्र का ग्रहण । ६ उच्छेद, नाश । ७ स्वरों के उच्चारण | पीजवरणो (बी)-देखो 'पीजरणो' (बी)। का एक दोष ।
पीजहलउ, पीजहलू-पु० [सं० पेय फलम्] पेय फल । पीड़णी (बी)-क्रि० [सं० पीडनम्] १ पीड़ा देना, कष्ट देना। | पीट-स्त्री० [सं० पीड] प्रहार, चोट, मार ।
२ दर्द करना । ३ तंग या परेशान करना, दुःख देना। पीटणी (बो)-क्रि० [सं० पीडनम्] १ मारना, चोट लगाना । पीड़त-देखो पीड़ित'।
२ पिटाई करना। ३ प्रहार करना, प्राघात करना। पीड़न-देखो 'पीड़ण'।
४ सोना, चांदी प्रादि धातु की पिटाई करना । ५ बजाना । पीड़ा-स्त्री० [सं० पीडा] १ रोग, बिमारी, व्याधि । २ यातना, ६ किसी तरह उपार्जन करना । ७ खेल में गोटी को
कष्ट दुःख । ३ वेदना, व्यथा, दर्द। ४ शारीरिक पीड़ा । मारना । ८ प्रतियोगिता में हराना । ५ अव्यवस्था के कारण होने वाली असुविधा। ६ चंद्र या पीटोकड़, पीटोकड़ो-वि० [सं० पीड] (स्त्री० पीटोकड़ी) सूर्य ग्रहण । ७ नाश, उच्छेद । ८ हल्दी। -कर-वि०१ निर्लज्ज, ढीट, दुष्ट । २ मार खाने का प्रादी। कष्टप्रद, हानिकारक । -घर-पु० दुःखदाई स्थान, वस्तु पीठ-स्त्री० [सं० पृष्ठम्] १ छाती व पेट के पीछे का भाग, या कार्य। -वि. जिसके रोग या दुःख मधिक रहता हो । पृष्ठ भाग। २ वस्त्रादि का पिछला हिस्सा। ३ फुर्सी, -स्थान-पु. जन्म कुण्डली में अशुभ ग्रहों का स्थान ।
सिंहासन आदि में पीठ टिकाने का स्थान । ४ मकान मादि पीड़ावणौ (बो)-क्रि० [सं० पीडनम्] १ पोड़ामय होना, कष्ट का पिछवाड़ा। ५ दुकान पर ग्राहकों की भीड़ । युक्त होना । २ प्रसव पीड़ा होना।
६ जलाशय पर पानी पीने वाले पशुओं की भीड़ । पीड़िका-स्त्री० [सं० पीडिका] फुसी, फोड़ा।
[सं० पीठः] ७ मूर्ति का प्राधार स्थान । वेदी। प्रासन, पीड़ित-वि० [सं० पीडित] १ पीड़ा या व्यथा से ग्रस्त । कुशासन । बैठने की चौकी, पीढ़ा। १० बैठने का ढंग,
२माधि-व्याधि से दुःखी। ३ अत्याचार या जुल्म का मुद्रा, प्रासन । ११ राज सिंहासन । १२ किसी धर्म या शिकार, माक्रान्त । ४ दुःखी, परेशान । ५ शृगार का एक शिक्षा का केन्द्र । १३ वह स्थान जहां सती के शरीर का प्रासन ।
अंग विष्णु के चक्र से कटकर गिरा हो। १. कपड़े की पीच-पु. १ समूह, भीड़। २ जलाशय के किनारे पानी पीने बुनावट की मोटाई, दृढ़ता ।
वाले पशुमों की भीड़। ३ कूए से पीने का पानी निकालने | पीठक-स्त्री० [सं०] चौकी । पीढ़ा। का कार्य या श्रम । ४ इस कार्य का पारिश्रमिक । ५ऐसे | पीठगरभ-पु० [सं० पीठगर्भ] मुर्ति को जमाने का गड्ढा, वेदी।
पानी के उपयोग के बदले दिया जाने वाला कर। पीठड़ली-देखो 'पीठी'। पोचको-पु० [सं० पा] सार्वजनिक कूमा ।
पीठड़ी-स्त्री० [सं० पिष्टि] प्रांख की एक दवा विशेष । पोचू-पृ० करील का पका फल, ढालू ।
पीठनायका-स्त्री० [सं०] १४ वर्ष की कन्या जो दुर्गोत्सव में पीचो-देखो 'पींची'।
दुर्गा की प्रतिनिधि मानी जाती है। पीछ-पु. १ पर्दा । २ पूछ। ३ पीछे। ४ देखो 'पीच'। पीठभू-पु० [सं०] चहार दिवारी के पास-पास का भू-भाग । ५ देखो 'पींछ'।
पीठमरद (क)-पु० [सं० पीठ-मर्द] १ नायक के चार सखामं पीछम-देखो 'पच्छिम'।
में से एक । २ कुपित नायिका को प्रसन्न करने वाल पीछे, पीछ-क्रि०वि० [सं० पश्चात] १ विरुद्ध या विपरीत नायक। ३. वेश्या को नृत्य सिखाने वाला उस्ताद, नत्य
दिशा में। २ मागे, सामने । ३ पृष्ठ भाग में। ४ माये | शिक्षक।
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पीठलो
(
७८ )
पौषि
पीठलौ-पु० बेसन की, हलवे की तरह बनी सब्जी।
पोतडली, पोतड़ी-देखो 'प्रीत' । पीठवनी-स्त्री० [स० पृष्टि पर्णी] १ एक प्रकार का क्षुप । | पीतता-स्त्री० पीला पन, पीली झांई। २ एक प्रकार का वृक्ष ।
पोतधातु-स्त्री० [सं०] गोपी चंदन । पीठांण, पीठांणि (णी)-पु० युद्ध, लड़ाई।
पीतन, पीतनक-पु० [सं० पीतनम्] १ केशर । २ हरताल । पीठाड़ी-स्त्री० एक प्रकार का गोलाकार पौधा ।
३ वट वृक्ष। पीठि, पीठी-क्रि०वि० [सं० पृष्ठ] १ पीछे । २ देखो 'पीठ'। पीतनायक-पु० [सं० प्रीत-नायक प्राभूषण विशेष । पीठिका-स्त्री० [सं०] १ मूर्ति या खंभे का प्राधार । २ पुस्तक | पीतपट-पु. [सं०] पीला वस्त्र, पीतांबर । के विशिष्ट भागों में से कोई एक ।
| पीतम (मो)-देखो 'प्रीतम' । पीठी-स्त्री० [सं० पिष्टि] १शरीर की त्वचा को कोमल व | पीतरग-पु० [सं०] १ सोना, स्वर्ण । २ अनार । ३ पीला रंग।
सुन्दर बनाने का उबटन विशेष । २ विवाह के समय ऐसा | पीतरगत-वि० [सं० पीत रक्तम्] १ नारंगी रंग का । २ पीत उबटन करने की रीति । ३ पीठी कराते समय गाया जाने वर्णी । -स्त्री०१ केशर । २ पुखराज । वाला लोक गीत ।
पोतरयाई-पु० [सं० पितृव्य] पितृव्य, चाचा। पीढ़, पीढलो-पु० [सं० पीठम् ] प्रासन, पीढ़ा ।
पीतळ-फु० [सं० पित्तलम् ] तांबे और जस्ते के योम से बना पीढ़ियो-पु० [सं० पीठम् ] बैलगाड़ी के थाटे के नीचे लगाया एक मिश्र धातु । - जाने वाला काष्ठ खण्ड विशेष ।
पीतळियौ-वि० १ पीतल का बना, पीतल संबंधी। २ पीतल के पीढ़ी-स्त्री० [सं० पीठिका] १ मूज या सूत की बनी चौकी, पात्र में रहने से हुअा विकृत, कसेला। -पु. पीतल का
प्रासन, पीढ़ा । २ वंश क्रम । ३ वंश क्रम में प्रत्येक क्रम की तसला । कलसा। संतान । ४ किसी देश, समाज या परिवार में किसी पीतळीजरणी (बी)-क्रि० [सं० पित्तलम्] पीतल के बर्तन में निश्चित प्रायु या अवधि में रहने वाले प्राणियों का समूह । | रहने से विकृत होना, कसेला होना । ५ किसी विषय या क्षेत्र विशेष से संबंधित परम्परागत | पीतलोह-पु० [सं०] पीतल । अवस्था। -नामो-पु० वंश वृक्ष, वंशावली ।
पीतवसु-पु. एक देश का नाम । पीढ़ी-पु० [सं० पीठक] बैठने की चौकी, प्रासन ।
पीतवान-पु० हाथी की दोनों आंखों के बीच का स्थान । पीण-देखो 'पीन'।
पीतवास-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ विष्णु का एक नामान्तर । पोरगीहारी-देखो 'पणिहारी'।
पीविदु-पु० [सं०] विष्णु के चरण चिह्नों में से एक । पौणुक-वि० [सं० पा] उपभोग करने योग्य ।
पीतस-स्त्री० सासु । काकी सासु । पोरगी-पु० [सं० पानम्] १ पीना क्रिया या भाव । २ देखो पीतसरी-पु० चचिया ससुर ।। 'परणो'।
पीतांबर-पु० [सं०] १ पीला वस्त्र । २ पूजा-पाठ के समय
पहनने का वस्त्र विशेष, कौशेय । ३ पीला वस्त्र पहनने वाला पीणो (बौ)-क्रि० [सं० पानम्] १ पानी या किसी तरल पदार्थ
व्यक्ति । ४ विष्णु । ५ श्रीकृष्ण । का पान करना, पीना । २ किसी अप्रिय बात को चुप
पीता-स्त्री० [सं०] हल्दी। चाप सह जाना । ३ इसी तरह किसी उग्र मनोविकार |
पीति, पीती-पु० [स० पीती] १ घोड़ा । २ देखो "पित्ती'। को दबा लेना । ४ धूम्रपान करना, नशा करना । ५ शोषण करना, सोखना । ६ पेड़-पौधों, वनस्पतियों
पोतु-पु० [सं० पितुः] १ सूर्य । २ अग्नि । ३ हाथियों के झुण्ड प्रादि का सीचित होना । ७ प्रात्मसात करना । ८ सर्प
का सरदार, यूथपति । विशेष द्वारा अपने श्वास से मनुष्य की प्राण वायू खींच लेना। पोतो-पु० [सं० पित्त] १ यकृत के पीछे नीचे की ओर रहने
वाला पित्त का थैला, पित्ताशय । २ बल, सामर्थ्य । पीतंबर-देखो 'पीतांबर'।
पीत्रांत्री-वि० [सं० पित] १ पिता के वंश से संबंधित । पीत-वि० [सं०] १ पिया हमा, पान किया हुआ । २ भीगा हुआ तर । ३ पीला, पीले रंग का । ४ भूरा। -पु०१ पीला
२ पिता का, पिता संबंधी । -स्त्री. चाची, काकी। रंग । २ भूरा रंग । ३ हरताल । ४ देखो 'प्रीत' । पीत्रीयउ, पीत्रीयु-पु० [सं० पितृव्य] १ चाचा, काका। --चंदण, चंदन-पु० पीला चंदन, हरिचंदन ।
२ कुटुम्ब का कोई वृद्ध पुरुष । पीतभंजणी-पु. पीले चकत्तों वाला घोड़ा।
पोथ-पु० [सं० पीथः] १ सूर्य । २ अग्नि । ३ जल । ४ समय । पीतकुस्मांड-पु० [सं० पीत-कुष्माण्डु] पीला कुष्माण्डु । | पीथि (यो)-पु० [सं० पीथि:] घोड़ा।
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।
७९
)
पीर
पीर, पी, पीवी,पीधु', पीधौ-देखो 'पीन्हो' ।
पीपी-स्त्री० [सं० पिप्पल] १ पीपल का फल । २ फूक कर बीन-वि० [सं०] १ मोटा, स्थूल, मांसल । २ भरा पूरा, बजाने का बच्चों का खिलौना। ३ छोटा टीन ।
सम्पन्न । ३ पुष्ट । ४ देखो 'पीन्हीं'। -पु. बड़े-बड़े पीपूड़ी, पीपूड़ीपरड़-स्त्री० एक छोटा सर्प विशेष जो उछल कर वक्षस्थल, कुच।
काटता है। पीनरण-देखो 'पींजण'।
पीपी-पु० १ लोहे की पतली चादर का बना तेल प्रादि डालने पीनणी-देखो 'पीजणी'।
का चौकोर पात्र । २ कूए से पानी निकालने की डाली पीनणी (बी)-देखो ‘पीजणी' (बो)।
विशेष । ३ गागरोण का खींची राजा। पीनस-पु० [सं०] १ सर्दी, जुखाम । २ नाक का एक रोग। पीब-देखो 'पीप'। ३ देखो 'पिंजस'।
पीय-१ देखो 'प्रिय' । २ देखो 'पिता'। पीनसी-वि० पीनस रोग से पीड़ित ।
पीयरण-वि० पीने वाला। -स्त्री. १ पीने की क्रिया या भाव । पीनारा-देखो "पिंजारा'।
. २ देखो 'प'णो'। पीनारो-देखो 'पिंजारौं'।
पीयणजहर-देखो 'पीप्रणजहर'। पीनोड़ो, पोन्ह, पीन्होड़ो, पीन्ही-वि० सं० पीत] पान किया | पीयरणो-देखो 'परणो'। हुमा, पिया हुआ।
पीयमधु-पु० [सं० प्रियमधु] श्रीकृष्ण के बड़े भाई, बलराम । पीप-पु० [सं० पूर्य] फोड़ा, फुसी, घाव आदि में भरने वाला पीयर-देखो 'पी'र'। मवाद।
पीयल-स्त्री० [सं० पा] १ सिंचाई की कृषि भूमि । २ उक्त पीपड़ी-१ देखो 'पीपी'। २ देखो 'पीप'।
भूमि में सिंचाई से होने वाली फसल । ३ पीले रंग की पीपड़ो-पु०१ चारों ओर से उठे हुए किनारों का लोहे का एक चिड़िया। ४ शराब की गोष्ठी। ५ कान का प्राभूषण पतरा । २ देखो 'पीपी'।
विशेष । पीपर-पु० [सं० पिप्पली] १ एक प्रकार की लता । २ उक्त | पीयळी, पीयली-देखो 'पीळी' ।
लता की कली जो मौषध में काम माती है। ३ देखो पीयांण, पीयारणउ, पीयारणो-देखो 'प्रयांण'। 'पीपळ'।
पीया-१ देखो 'प्रिय' । २ देखो 'प्रिया'। पीपरामूळ-देखो 'पिप्पळीमूळ' ।
पीयाई-१ देखो 'पिसाई' । २ देखो पिपाई। पीपळ-पु० [सं० पिप्पल] १ बरगद जाति का एक पवित्र वृक्ष । पीयामह-पु० [सं० पितामह १ पितामह । २ देखो "पियमधु'। २ देखो 'पीपर'।
पीयार-१ देखो 'पाताल'। २ देखो 'प्यार'। पोपळपतो, पीपलपत्ती, पोपळपान-पु० [सं० पिप्पलपत्र] | पीयारडु, पीयारडो-वि० १ पराया, दूसरे का। २ देखो
१पीपल वृक्ष का पत्ता, पान । २ स्त्रियों के कान का | 'प्यारी'। प्राभूषण विशेष । ३ पीपल के पत्तों के प्रकार की बनी | सारी-टेखो प्राभूषणों की झल्लरी।
पीयारी-देखो 'प्यारी'। (स्त्री० पीयारी) पीपळपानकटार-स्त्री० पीपल के पत्ते के प्रकार की बनी पीयाल-१ देखो 'पाताळ'। २ देखो 'प्यालो'। कटार।
पीयाली-देखो 'प्याली'। पोपळामूळ-देखो 'पिप्पळीमूळ' ।
पोयालो-देखो 'प्यालो'। पीपळि-१ देखो 'पीपर'। २ देखो 'पीपळी'।
पीयूख, पीयूस-पु० [सं० पीयूषं] १ अमृत, सुधा । २ दूध । पीपलिगच्छि-पु. जैन साधुओं का दल या समूह विशेष ।
-वि० मधुर। पोपळियो-वि० पीपल के वृक्ष का या पीपल संबंधी। -पु. १पीपल का फल । २ देखो 'पीपळ' ।
पीयोड़ो-वि० [सं० पीतः] (स्त्री० पीयोड़ी) पिया हुआ । पीपळी-स्त्री० [सं० पिप्पल] १ पीपल की जाति का एक वृक्ष | पीयो-देखो १ 'प्रिय' । २ देखो पियो' ।
विशेष । २ बहन जो धर्म की प्रतीक हो। ३ एक पी'र-पु० [सं० पितृ-गृह] स्त्री या लड़की का मायका । पिता राजस्थानी लोक गीत।
___का घर । पीहर। पीपळो-पु. तलवार का चन्द्राकार भाग।
| पीर-वि० [फा०] १ महात्मा, सिद्ध । २ बड़ा, पूज्य । ३ बूढा । पीपावंसी-पु०१ पीपा नामक भक्त के वंशज । २ दजियों की | ४ चालाक, धूर्त ।-पु. १ धर्म गुरु, उपदेश । २ सिद्ध पुरुष । एक शाखा।
३ मुसलमानों का पैगंबर। ४ सोमवार । ५ पीड़ा, दर्द ।
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पीरांग
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1
-प्रजोणी, अजोनी-पु० शिव, महादेव जावीपु० धर्म गुरु का पुत्र सुगावी १० महादेव शिव पीरांग, पीराणी- वि० १ पीरों का, पीरों
1
संबंधी । २ देखो
'प्राण' ।
(
पोराई स्त्री० १ पीर होने की अवस्था या भाव | पीरत्व । २] पीरों का चमत्कार पीरों के गीत गाने वाली मुसल मान जाति ।
पी' रियो- वि० स्त्री के पीहर का, मायके का -पु० १ स्त्री के मायके का व्यक्ति । २ का सदस्य । ३ देखो 'पी'र' ।
पीरी स्त्री० १ पीर होने का भाव, पीरत्व २ वृद्धावस्था ।
३ शिष्य बनाने का कार्य ।
पीरीयन देखो 'परीक्षित' ।
पी, पीरू - स्त्री० [सं० पीड़ा] दर्द, पीड़ा, पीर । पोरोजियो, पीरोजी-देखो 'फीरोजी' ।
पीरोजी-देखो 'फीरोजी' ।
पौरोत देखो 'पुरोहित
पी'रो-देखो 'पी'र' ।
पीहर संबंधी । मायके के परिवार
करना ।
पोलणी (ब) - क्रि० १ कोल्हू प्रादि में डाल कर रस निकालना । २ अधिक दबाव देकर सत्व निकाल देना । ३ मारना, संहार करना । ४ ध्वस्त करना, नष्ट करना । ५ तंग करना परेशान करना । ६ अत्यधिक परिश्रम कराना । ७ काम में लगाये रखना ।
पोलती- देखो 'पीली' ।
,
पीलपांव-पु. श्लीपद नामक एक रोग ।
पीलपायो पु० [फा० पील-पाय ] १ चारपाई के पायों के नीचे लगाया जाने वाला सहारा, प्राधार । २ किले की दीवार के नीचे बनी मोटी दीवार ।
पील- वि० १ रक्षक, सहायक । २ देखो 'पीयल' । पीलखानी पु० हाथियों के बांधने का स्थान हस्तीशाला । पीळबोस (पोस, जोत- देखो 'पीलसोत'।
पीळणी, पीळबी - क्रि० पीला पड़ना, पीतवर्ण होना । पीला पीलु पीलू-पु० [सं० पीलुः ]
पीलवांनी स्त्री० १ महावत का कार्य २ महावत का पद । ३ महावत का वेतन । ४ देखो 'पीलवण' । पीळसोज, पीळसोत-स्त्री० [फा० फतीलसोज] १ पीतल श्रादि धातु की बनी खड़ी दीवट, जिसमें कई बत्तियां एक साथ जलाई जाती हैं । २ साधारण चिराग दान | बीळाअक्षत, पोळाचाखती, पीळाचाचा पीळाचावळ-पु० [सं० पीत+अक्षत] हल्दी या केसर से रंगे चावल जो मांगलिक अवसरों पर इष्ट मित्रों को निमंत्रण के रूप में दिये जाते हैं । पीळाडी- वि० पापी, दुष्ट ।
पीलाखो (बी), पीलावणी (यो) - क्रि० १ कोल्हू आदि में डाल कर पेराना रस निकलवाना २ मरवाना, संहार कराना । ३ परेशान करना, अत्यधिक परिश्रम कराना ।
J
पीलिया देखो 'बी' ।
पोळियो - वि० पीत वर्णं का, पीले रंग का पु० १ रक्त दोष का एक रोग । २ पीला बैल ।
पीळी- वि० पीत वर्ण की, पीली, पीत । स्त्री० पीले रंग की गाय, पीली घोड़ी, पीली मिट्टी ।
पीळीकर स्त्री० [पीले फूलों वाली कमेर पीळीचमेली स्त्री० पीले फूलों वाली चमेली जाति की एक लता । पीळीजही स्त्री० पीले फूलों वाली जूही, सोन जूही । पीळीमाटी स्त्री० [पीले रंग की चिकनी मिट्टी ।
१ हाथी, गज । २ तीर, बाण । ३ मरुदेशीय एक वृक्ष विशेष । ४ इस वृक्ष के फल । ५ एक राग विशेष । ६ ताड़ वृक्ष । पीलूवडी-पु० [सं० पीलू] वृक्ष विशेष । पीलो-देखो 'पीलसोज' |
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पीळौ - वि० [सं० पीत ] ( स्त्री० पीळो) १ केसर या हल्दी जैसे रंग का पीत, पीला, जर्द । २ पीत वर्ण । ३ कांतिहीन, निस्तेज ४ शर्मिदा भयातुर पु० १ स्त्रियों की पीनी भोढ़नी २ एक मांगलिक लोक गीत ३ पीला रंग । ४ पीले रंग का बैल। ५ रंग विशेष का घोड़ा ।
पीलपाळ, पोलबांन - देखो 'पीलवान' |
पीलरियो, पीलरौ - वि० (स्त्री० पीलरी) १ रक्ताल्पता के रोग पीवरणौ (बी) - देखो 'पीणी' (बौ) ।
से पीड़ित । २ पीले रंग का, पीत ।
पीला
पीळोपी, पीळौबावळ-पु० उषा काल, सवेरा, तड़का । पीच पु० [सं० प्रिय] १ चातक पपीहा २ पति ३ प्रिय पीवड़लो - १ देखो 'पीव' । २ देखो 'पी'र' ।
1
पीवरण, पीवरगड, पीवणी - वि० १ पीने वाला । २ देखो 'पेरणी' ।
पीलवण, पीलवली - स्त्री० वृक्षों पर चढ़ी रहने वाली एक मोटी पीवरियो - देखो 'पी'र ।
लता विशेष ।
पीवर - पु० [सं०] १ बड़ा, स्थूल, मोटा । २ देखो 'पी'र' ।
पीपल देखो 'पीयन' २ देखो 'प्रिय' ।
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पीलवल, पीलवान पु० [सं० पीलुबान] १ महावत, हाथीवान। पीसरप, पीस, पीसखौ - पु० [सं० पेषणं ] १ पीसने की क्रिया या २ देखो 'पीलवरण' । भाव । २ पीसने की वस्तु । ३ पिसाई करने का उपकरण ।
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पीसणी
पुकरमूळ
४ पिसाई का व्यवसाय । ५ पिसाई के लिये रखा पुडरी-वि० [सं० पाण्डरीक श्वेत, सफेद । हुआ अनाज।
पुंडरीक-पु० [सं०] १ श्वेत, कमल । २ रघुवंश का एक पीसो (बी)-क्रि० [सं० पेषणं] १ महीन चूर्ण या पाटे के राजा । ३ यवन, मुसलमान । ४ बादशाह । ५ जैनियों के
रूप में करना । २ अनाज का आटा बनाना । ३ चटनी के एक गणधर । ६ सिंह । ७ श्वेत वर्ण । ८ श्वेत हाथी। रूप में बांटना। ४ अधिक श्रम कराना । ५ शोषण कराना। ६ श्वेत सर्प । १० एक बाज पक्षी विशेष । ११ एक नाग ६ ताश के खेल में पत्ते बांटने का कार्य करना ।
का नाम । १२ क्रौंच द्वीप का एक पर्वत । १३ प्राकाश । पोसाई-स्त्री. १ पीसने का कार्य । २ पीसने का पारिश्रमिक । १४ तिलक । १५ हाथी का ज्वर । १६ अग्निकोण के ३ ताश के पत्ते बांटने का कार्य ।
दिग्गज का नाम । १७ श्वेत कुष्ट । पीसाणो (बी), पीसावरणौ (बो)-क्रि० १ महीन चूर्ण या पाटे | पुडरीकस, पुडरीकाक्ष, पुंडरीकाख, पुंडरीकास-पु०
के रूप में कराना । २ अनाज का पाटा बनवाना । ३ चटनी [सं० पुंडरीकाक्ष] कमल नयन, श्रीकृष्ण, ईश्वर, विष्णु । के रूप में बटवाना। ४ अधिक श्रम करना। ५ शोषण | पुंडरीकासण-पु० [सं० पुंडरीकासन] ब्रह्मा । कराना । ६ ताश के पत्ते बंटवाना ।
पुंड्र-वि० [सं०] श्वेत, सफेद । -पु. १ एक देश का नाम । पीसू-देखो 'पिसू'।
२ एक वृक्ष का नाम । ३ बलि के पुत्र का नाम । ४ केसर पीसी-देखो 'पईसौ'।
या चंदन का तिलक, टीका । ५ कमल । ६ श्वेत कमल । पीसौधरी-पु० [सं० पिश-धारिन् राक्षस, असुर ।
पुण-देखो 'पूण'। पीसौर-पु० पेशावर।
पुणच, पुणछ-पु० हल और हरीसा के जोड़ पर मजबूती के पोह, पोहर, पीहरड़ी, पीहरि, पीहरौ-देखो 'पी'र'।
लिये लगा डंडा। पोहरियो-१ देखो 'पी'रियौ' । २ देखो 'पी'र'।
पुतार-पु० हाथी का शिक्षक । पीहू-स्त्री० पपीहे की बोली।
पुन्नाग-पु० [सं० पन्नग] १ सर्प, सांप । [सं० पुन्नाग] २ श्वेत, पुख, पुखो-पु० [सं० पुङ्ख] १ तीर की पूछ । २ देखो 'पू'ख' । हाथी । ३ श्वेत कमल । ४ नाग केसर । पुंग-देखो 'पूग'।
पुन्यु-देखो 'पूनम'। पुगरण-देखो ‘पंगरण' ।
पुलिंग-देखो 'पुल्लिग'। पुंगळ-देखो 'पूगळ'।
पुस-पु० [सं० पुस्] पुरुष, नर। पुगव-वि० [सं०] कुशल, श्रेष्ठ ।
पुसचळी-स्त्री० [सं० पुश्चली] १ कुलटा या व्यभिचारिणी पुगी-देखो 'पूगी'।
स्त्री। २ वेश्या, गणिका। पुगीफळ-देखो 'पूगीफळ' ।
पुसत्व-वि० [सं० पुशत्व १ पुरुषार्थ बल । २ सत्य । पुचाळी-देखो 'पूचाळी' । (स्त्री० पूचाळी)
पुसरस-पु० [सं०] दूध । पुचिका-देखो 'पुणची' ।
पुसळी-देखो 'पुसचळी'। पुची-देखो 'पुरणची'।
पुसवन-पु० [सं०] गर्भाधान के तीसरे मास में किया जाने पुंचीयो-१ देखो 'पुणचौ' । २ देखो 'पुरणचौ' ।
वाला एक संस्कार। पुंछ-देखो 'पूछ।
पुहंच-देखो 'पहुंच'। पुछाळ, पुछाळी-वि० [सं० पुच्छ+पालुच] १ पूछ वाला ।
पहचणी (बो)-देखो 'पहुचणौ' (बौ)। २ पिछलग्गू । -पु० घोड़ा, अश्व ।
पहचौ-देखो 'पुणचौ'। पुज-पु० [सं० पृषो] १ समूह, ढेर, राशि । २ गुच्छा । पुजी-देखो 'पूजी'।
पहत-देखो ‘पहुंच'।
पहतणौ (बौ)-देखो ‘पहुंचणी' (बौ) । पुंठ-देखो 'पूठ'। .
प.हरी-देखो 'पांभरी'। पुंड-पु. [सं० पुण्ड] १ केसर, चंदन आदि का तिलक, टीका । २ सफेद कमल ।
प.प्राळ-देखो 'पूळो' । पुंडग-पु० बूद।
पुरोहर-देखो ‘पयोधर'। पुंडर-१ देखो 'पु'ड्र' । २ देखो 'पांडुर' ।
पुप्री-पु० [सं० पूप] मीठा बड़ा, गुलगुला, पूवा । पूडरिकरणी-पु० १ श्वेत कमलिनी। २ एक नगर का नाम । | पुकरमूळ-देखो 'पुस्करमूळ' ।
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पुकार
पुजागो
पुकार-स्त्री० [सं० प्रकुश] १ किसी प्रकार की मदद प्रादि के | पुगड़ो-देखो 'पगड़ो।
लिये लगाई जाने वाली लम्बी प्रावाज। २ किसी को | पुगताई-देखो 'पुखताई' । बुलाने के लिये की जाने वाली आवाज। ३ फरियाद । पुगतापरण-देखो 'पुखतापण' । ऊंची आवाज में की जाने वाली मांग। ४ राजा, | पुगतो-देखो 'पुख्नो' । बादशाह या शासक के सामने अपने कष्ट संबंधी कही पुगाणी (बी)-देखो ‘पहुंचाणो' (बी)। जाने वाली बात । ५ दुःख में ईश्वर को याद करने की | पुगावरण-स्त्री० १ पहुंचाने की क्रिया । २ पहुँचाने वाला। क्रिया।
पुगावरणौ (बौ)-देखो 'पहुंचाणो' (बी)। पुकारणी (बो)-क्रि० [सं० प्रकुश] १ रक्षा या बचाव के लिये | पुग्गळ, पुग्गल-१ देखो 'पुदगळ' । २ देखो 'पूगळ' ।
चिल्लाना, पुकारना । २ किसी को बुलाने के लिये जोर से पुड़-पु० [स० पुट] १ तह, परत । २ नगाड़े या ढोल पर मंढा प्रावाज देना। ३ जोर से बोलकर सुनाना। ४ फरियाद जाने वाला चमड़ा । करना, शिकायत करना। अपने कष्ट की बात कहना। पुड़ऊंध-पु० [सं० पुटऊर्ध्व] उथल-पुथल । अव्यवस्था । ५ नाम जपना, रट लगाना।
पुड़च्छी, पुड़छी-स्त्री० १ घोड़े की पीठ में 'मुद्दा' और 'पु?' पुकार-वि० पुकार करने वाला, फरियादी।
के मध्य का भाग । २ देखो 'पड़छी'। पुक्कर-देखो पुस्कर'।
पुड़तकाळ-देखो 'पुरतगाळ' । पुक्कळ-पु० एक सूर्य वंशी राजा का नाम ।
पुड़दड़ी-स्त्री० [स० पुट-द्रढ़ी] कटारी की म्यान । पुक्खर-वि० [सं० प्रखर १ तीक्ष्ण, धारदार पैना । २ देखो | पुडपुड़ी-स्त्री० [सं० पुट्] गुदगुदी। 'पुस्कर'।
पुडि-१ देखो 'पुड' । २ देखो 'पुडी'। पुक्खरवरत-देखो 'पुस्करवरत'।
पुड़िको-देखो 'पुड़ो'। पुक्ष-पु० [सं०] १ पुस्य नामक राजा जो हिरण्यनाभ का पुत्र था।
पुड़ियाळ-देखो 'पुड़। २ देखो 'पुस्य'।
पुड़ियो-पु० १ चक्की का पाट । २ देखो 'पुड़ो' । ३ देखो 'पुडी'। पुख-देखो 'पुम्य'।
पुड़ी-स्त्री० [सं० पुटिका] १ चक्की से पीसा हमा पाटा गिरने पुखणी (बो)-क्रि. [सं० पुष्प] १ पुष्पों की माला बनाना। ___ का गोलाकार स्थान । घेरा । २ पराठा । ३ तली हुई २ देखो 'पोखणो' (बी)।
पूरी । ४ कागज में कोई वस्तु रख कर बांधा गया संपुट । पुखत-देखो 'पुख्त'।
५ देखो 'पुड़। पुखताई-स्त्री० १ गंभीरता, गांभीर्य । २ वृद्धावस्था । ३ मजबूती पुडी-पु० १ बड़ा सम्पुट, बण्डल, पुडीका । २ चूतड़ । दृढ़ता।
पुचकार-स्त्री० १ मोठों से की जाने वाली प्यार भरी ध्वनि । पुखतापण, पुखतापणी, पुखतापी-पु० १ गंभीरता । २ वृद्धावस्था। चुमकार । २ अोठों से चूमने से उत्पन्न ध्वनि। ३ दृढ़ता मजबूती। ४ स्थिरता।
पुचकारणी (बौ)-क्रि० १ स्नेह या प्यार करना, प्यार से धैर्य पुखमास-देखो 'पुस्यमास'।
बंधाना । २ मोठों से स्नेह भरी ध्वनि करना। चुमकारना । पुखर-देखो 'पुस्कर'।
३ प्यार से शरीर पर हाथ फेरना । ४ रोते हुए को पुखरांग-पु० [सं० पक्षिराज] गरुड़ ।
सांत्वना देना। पुखराज-पु० [सं० पुष्पराग] पीले रंग का एक बहुमूल्य रत्न। | पुचकारी-देखो 'पुचकार'। पुखराजी-वि० 'पुखराज' का बना ।
पुच्छ, पुच्छी-देखो 'पूछ' । पुखलावती-स्त्री० [सं० पुष्कलावती] पुष्कलावती नामक नगरी।
पुच्छरणी (बी)-देखो 'पूछणो' (बी) । पुखसनान-देखो 'पुस्यस्नान' ।
पुजनीक-देखो 'पूजनीक'। पुखा-पु० [सं० पूषन] सूर्य ।
पुजा-देखो 'पूजा'। पुखि-देखो 'पुस्पनक्षत्र'।
पुजाई-स्त्री. १ पूजने की क्रिया भाव, पूजा, सेवा । २ पूजा के पुखीख, पुखेक-पु. कामदेव ।
बदले मिलने वाला पारिश्रमिक या भेट । पुस्त, पुस्ता, पुखतौ-वि० [फा० पुख्तः] १ बृद्ध, बुजुर्ग, बूढ़ा। पुजाणो (बी)-क्रि० १ देव पूजन कराना, पूजा का कार्य कर २ पक्का, दृढ़, मजबूत । ३ पूर्ण, पूरा।
वाना । २ अपनी पूजा या प्रतिष्ठा कराना। ३ पुजवाना, पुख्यारक-देखो 'पुस्यारक' ।
महत्व बढ़वाना ।
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पुजापो
पुण्यारथ
पुजापी-पु० १ देव पूजन की सामग्री। २ चढ़ावा, नैवेद्य। पुणगो (बी)-क्रि० [सं०पणनम्] १ बोलना, कहना । २ बमामा पुजारी, पुजारौ-पु० [सं० पूज] (स्त्री० पुजारण, पुजारिण)। रचना, कथना।
१ देव मंदिर की पूजा करने वाला । २ पूजा प्रादि का पुरिणद-देखो 'फरणीद'। कार्य करने वाला।
पुरिण-१ देखो 'पुण्य' । २ देखो ‘पुन' । पुजावणी (बो)- देखो 'पुजाणी' (बी)।
पुरिणयो-१ देखो 'पुरणियौ' । २ देखो 'पुरण' । पुज्न-१ देखो 'पूज' । २ देखो 'पूज्य'।
पुणु पुण्ण-देखो 'पुण्य' ।। पुट-पु० [सं०] १ तह, परत, पल्ला । २ गिलाफ, खोल ।। पुण्णट्ठा-पु० [सं० पुण्य-नष्ट मृत्यु भोज का भोजन लेने से
३ पाच्छादन । ४ दोने या कटौरेनुमा पदार्थ । ५ दोना, होने वाला दोष (जैन)। कटौरा, ऐसा ही कोई पात्र । ६ प्रौषध पकाने का. बंद | पुण्णमासि, पुष्णमासी-देखो 'पूरणमासी'। बर्तन । ७ ऐसे बर्तन में औषध बनाने की क्रिया या विधि । पुरिणम-देखो 'पूरणिमा'। ८ किसी औषधि या किसी पदार्थ में किसी अन्य प्रौषधि | पुण्य (न्यु)-वि० [सं०] १ पवित्र, शुद्ध । २ मांगलिक, शुभ । या वस्तु का दिया जाने वाला संपुट, योग । ६ इसी तरह ३ उत्तम फलदायी। ४ उत्सवसंबंधी । ५ नेक, ईमानदार, किसी एक रंग में अन्य रंग का योग देकर रंगने की धार्मिक । ६ मनोहर, सुन्दर । ७ कोमल* । प्रानन्ददायी । क्रिया। १० ढक्कन। ११ नगर, शहर । १२ पृष्ठ भाग । -पु. १ शुभ परिणाम व फल वाला कार्य । २ शुभ कर्मों -वि० उल्टा, औंधा।
का संचय । ३ शुभ कर्मों का बंध । ४ विशुद्धता, पवित्रता। पुटपड़ो-पु० १ गाल । २ देखो 'पापड़ौ'।
५ परोपकार । ६ दान, धर्म । ७ धार्मिक कर्म । पुटपाक-पु० [सं०] पत्तों के दोने में रख कर प्रौषध बनाने का पुण्यक-पु० [सं०] १ पुण्य दायक व्रत, अनुष्ठान । २ पुत्र के ___ कार्य या ढंग।
__ कल्याण हेतु माता द्वारा किया जाने वाला व्रत । ३ विष्णु। पुटभेव, पुटभेवरण (न)-पु० [सं० पुट भेदनम्] १ नगर, शहर ।
पुण्यकरता-पु० [सं० पुण्य कर्तृ ] पुण्य कर्म करने का समय । २ एक वाद्य विशेष ।
पुण्यकरम-पु० [सं० पुण्य कर्मन् ] पुण्यदायी कार्य । पुटाळ, पुटाळी-पु० [सं० पुट-पालुच] तलवार की मूठ का
| पुण्यकाळ-पु० [सं० पुण्यकाल] दान-पुण्य करने का समय । - मध्य भाग।
पुण्यक्षेत्र (खेत)-पु० [सं० पुण्य क्षेत्र] वह स्थान जहां पुण्य पुटियो-पु. एक प्रकार की छोटी चिड़िया ।
प्राप्त होता है, तीर्थ । पट्टळी-देखो 'पोट'।
| पुण्यजन-पु० [सं] १ राक्षस, असुर । २ यक्ष । पट्ठमाहिनौ, पुठ्विाहिऔ, पुठ्ठाहिनौ-देखो 'पोटियौ' ।
| पुण्यजनेस्वर-पु० [सं० पुण्यजनेश्वर] कुबेर । पुढी-पु० [सं० पृष्ठ] १ पृष्ठ के नीचे नितंबों वाला भाग । २ चौपायों के पिछले पैरों के ऊपर का भाग । ३ किसी
पुग्यजोग-देखो 'पुण्ययोग'। पुस्तक का गत्ता, प्रावरण ।
पुण्यतिथ, पुण्यतिथि-स्त्री० [सं० पृण्यतिथि] १ शुभ कार्य का पुठाणी (बी)-क्रि० बैल गाड़ी के चक्के में 'पूठिया' लगवाना । ___ उपयुक्त दिन । २ शुभ मुहूर्त वाला दिन । ३ पर्व दिवस । पुरणो (बी)-देखो 'पोढ़णौ' (बी)।
पुण्यपुरुस-पु० [सं० पुण्य पुरुष] धर्मात्मा व्यक्ति । पुढ़गर-पु० [सं० पुथकर] विलाप, रुदन ।
पुण्यभूमि-पु० [सं०] १ भारतवर्ष, प्रार्यावर्त । २ वह स्थान पुढ़वी-देखो 'प्रथवी'।
या प्रदेश जहां धर्मात्मा जन्म लेते हैं या निवास करते हैं। पुरण-१ देखो 'पुन' । २ देखो 'पुण्य' । ३ देखो 'पुरण' ।
पुण्ययोग-पु० शुभ योग । पुणग-स्त्री० जल करण, बूद । वि० अणुमात्र, किंचित ।
पुण्यवत (बोन)-वि० [सं० पुण्यवत् ] (स्त्री० पुण्यवंती] शुभ पुणच-१ देखो 'पुणचौ' । २ देखो 'पणच'।
कार्य करने वाला, धर्मात्मा, दानी। पुणचियो-देखो 'पुणचौ'।
पुण्यस्थांन-पु० [सं० पुण्यस्थान] १ तीर्थ स्थान । २ पुण्य भूमि । पुणची-स्त्री० [सं० प्रकोष्ठ] स्त्रियों की कलई पर धारण करने | ३ जन्म कुण्डली में लग्न से नौवां स्थान । का प्राभूषण।
पुण्याई-स्त्री० पुण्य का प्रभाव । पुण्य का फल । पुणबी-पु० [सं० प्रकोष्ठ] १ कलाई, हाथ का पहुंचा पुण्यातमा, पुण्यात्मा-वि० [सं० पुण्यात्मन] धर्मात्मा व पुण्यवान । २ कलाई का प्राभूषण ।
पुण्यारप-वि० [सं० पुण्यार्थ] १ पुण्य-प्राप्ति के लिये किया पुणछ-पु. १ पशु का पृष्ठ भाग, चूतड़ । २ देखो ‘पणच । जाने वाला। २ दान या परोपकार में लगाया हमा।
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पुण्योदय
पुष्फमई
-पु. १ परोपकार या दान में लगाया हुआ धन । पुनरनवा-स्त्री० [सं० पुनर्नवा] वर्षा ऋतु में होने वाली एक २ परोपकार की भावना ।
___ वनस्पति -वि० वि० देखो 'साटी'। पुण्योदय-पु० [सं०] शुभ कर्मों के फल स्वरूप होने वाला | पुनरपि-अव्य० [सं० पुनर-अपि] दुबारा, पुनः फिर से। भाग्योदय ।
पुनरभव-पु० [सं० पुनर्भव] १ नाखून । २ दूसरा जन्म । प्रत-पु. १ एक नरक विशेष । २ नितम्ब, चूतड़ । पुनरवसु, पुनरवसू-पु० [सं० पुनर्वसु] सत्ताईस नक्षत्रों में से एक । ३ देखो 'पुत्र'।
पुनरविवाह-पु० [सं० पुनर्विवाह] दुबारा विवाह. दूसरी शादी। पुतना-देखो 'पूतना' ।
पुनरावत-वि० [सं० पुनरावृत्त] दोहराया हुआ। फिरसे घुमाया पुतर-देखो 'पुत्र' ।
हुआ। पुतळी-देखो 'पूतळी'।
पुनरासो-पु० [सं० पुण्यराशि] १ पुण्य का समूह । २ पुण्य कर्मों पुतळो-देखो 'पूतळो' ।
का संचय। पुतार-देखो 'पूतार' ।
| पुनरुक्ति-पु० [सं०] कही हुई बात को दोहराना, पुनरावृत्ति । पुतारणी (बी)-देखो 'पूतारणो' (बी)।
पुनवती-देखो 'पुण्यवती'। पुती, पुतीय-स्त्री० पुत्री। -दान-पु० कन्यादान ।
पुनवती-स्त्री० [सं० पूर्णवती] १ ध्वजा । २ देखो 'पुण्यवंती' । पुतो, पुत्त, पुत्तर, पुत्त -देखो 'पुत्र'।
पुनाजोग-देखो 'पुण्ययोग'। पुत्तलविधान-पु० [सं०] अस्थियों के प्रभाव में कृत्रिम पुतला पुनावत-पु० राठौड़ वंश की उपशाखा एवं इस शाखा का व्यक्ति ।
बना कर किया जाने वाला कर्म, विधान, संस्कार । पुनि-पु० [सं० पुनः] १ दूध । २ देखो 'पुन'। पुत्ति-१ देखो 'पूरति'। २ देखो 'पुत्री'।
पुनितोया-स्त्री० [सं० पुण्यतोया] गंगा। पुत्तिका-स्त्री० [सं०] १ तितली । २ मधु मक्षिका । ३ दीमक ।
पुनिम-देखो 'पूरणिमा'। पुत्त , पुत्तो, पुत्र-पु० [सं० पुत्र] (स्त्री० पुत्ती, पुत्री) १ लड़का, पुनियर-देखो 'पुण्य'। बेटा, वत्स, प्रात्मज । २ बालक।
पुनियाई-देखो 'पुण्याई'। पुत्रदाएकावसी-स्त्री० [सं० पुत्रदा एकादशी] श्रावण के शुक्ल | पुनीत-वि० [सं० पुण्यमय] (स्त्री० पुनीता) १ जो पवित्र एवं पक्ष की एकादशी।
शुद्ध हो । २ उत्तम, श्रेष्ठ । -पु. १ सूर्य, भानु । पुत्रवंती (वती)-स्त्री० [सं० पुत्रवती] वह स्त्री जिसके पुत्र हो । २ युधिष्ठिर । ३ धर्म, पुण्य । । पुत्रि, पुत्रिका, पुत्री-स्त्री० [सं०पुत्री] १ बेटी, वत्सा, प्रात्मजा। पुनु, पुनु, पुन-१ देखो 'पुण्य' । २ देखो 'पूरण'। २ कन्या, लड़की।
पुन्नवसु-देखो 'पुनरवसु'। पुत्र -देखो 'पुत्र' ।
पुन्नाक-पु० [सं०] १ सुलताना चम्पा नामक वृक्ष । २ देखो पुत्रेस्टि-पु० [सं० पुत्रेष्टि] पुत्र प्राप्ति हेतु किया जाने वाला | 'पिनाक'।
पुनि-१ देखो 'पुण्य' । २ देखो 'पुन' । पुत्रोछव, पुत्रोत्सव-पु० [सं० पुत्रोत्सव] पुत्र जन्म का उत्सव ।
पुन्य-देखो 'पुण्य'। -वंत='पुण्यवत'। -वांन='पुण्यवंत' । पुत्री-देखो 'पुत्र'।
पुन्याई-देखो 'पुण्याई'। पुद्गळ, पुदगल, पुद्गळ-पु० [सं० पुद्गल] १ शरीर, तन।' २ रूप रंग और स्पर्श गुण वाला एक मूर्त पदार्थ । ३ पूर्ण
पुन्यात्मा-देखो 'पुण्यात्मा'। गलन धर्म वाला द्रव्य । ४ परमाणु।।
पुन्यारथ-देखो 'पुण्यारथ'। पुन-प्रव्य० [सं०पुनः] १ पुनः दुबारा । २ नए शिरे से, फिर से । पुन्यु, पुन्यू-१ देखो 'पूनम' । २ देखो 'पुण्य' । ३ अनन्तर, पीछे। ४ देखो 'पुण्य' ।
पुन्योदय-देखो 'पुण्योदय' । पुनजनेसर-देखो 'पुण्यजनेसर'। पुनजोग-देखो 'पुण्ययोग'।
पुप्फ-देखो 'पुस्प'। पुनमां, पुनमी, पुनम्म-देखो 'पूरणिमा'।
पुष्फकरंड-देखो 'पुस्पकरंडक' । जन्मपरजीव संपनर्जन्म मरणोपरान्त पुष्फचूलिका, पुप्फचूलिया-पु० [सं० पुष्पचूलिका] प्रश्न व्याकरण किसी जीवात्मा का दुबारा होने वाला जन्म । २ हृदय गति सूत्र का एक उपांग । (जैन) रुक कर दुबारा चल जाने की अवस्था । ३ भयंकर रोग | पुप्फदंत-देखो 'पुस्पदंत' । या दुर्घटना से बच जाने की अवस्था ।
पुष्फमई-देखो 'पुस्पमई'।
यज्ञ।
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पुष्फि
(
८५ )
पुरसड़ी
पुप्फि, पुफ-देखो 'पुस्प,।
पुरणवांसी-देखो 'पूरणमासी'। पृफचूलीका, पुफचूलीया-देखो 'पुप्फचूलिया।
पुरणाई-स्त्री० [सं० पूर्ण] मांगलिक अवसरों पर गोबर प्रादि से पुब्ब-१ देखो 'परवत' । २ देखो 'पूरव' ।
प्रांगन लेपने की क्रिया। पुमान-पु० [सं० पुमान्] मनुष्य, पुरुष ।
पुरणाहुति, पुरणाहुती-देखो 'पूरणाहुती' । पुमाड़ो-देखो 'प्रवाड़ी'।
पुररिणम -देखो पूरणिमा'।। पुमाणो, (बौ) पुमावणी (बौ)-देखो 'पोमाणी' (बी)। पुरणियो-पु० १ गधा । २ देखो 'पूरण' । पुय-पु० [सं०] १ वरुण । २ जीवात्मा।
पुरतकाळ, पुरतगाळ-पु० १ योरुप के दक्षिण-पश्चिम में पुरद, पुरंदर-पु० [सं० पुरंदर] १ इन्द्र । २ शिव, महादेव । स्थित एक छोटा देश । २ इस देश की बनी तलवार ।
३ विष्णु । ४ ज्येष्ठा नक्षत्र । ५ नगर । ६ अग्नि । ७ चोर। पुरतगाळी-वि० 'पुरतगाल' का, पुरतगाल संबंधी। -पु. पुरंदरा-स्त्री० गंगा।
१ पुरतगाल की भाषा। २ पुरतगाल का निवासी। पुरवरू-देखो 'पुरंदर'। .
पुरतोरण-पु० [सं०] नगर का मुख्य द्वार । पुरंघ्रि, पुरंध्री-स्त्री० [सं०] १ सुहागिन व बाल-बच्चों वाली पुरतौ-अव्य० [सं० पुरतस्] १ भागे, सामने, सम्मुख । २ पूर्व, स्त्री । २ स्त्री, नारी।
पहले। ३ पीछे से। पुर-पु० [सं०] १ नगर, शहर । २ घर, निवास। ३ देह, शरीर।
पुरत्राण-पु० [सं० पुरत्रांण] परकोटा, शहरपनाह । ४ लोक, भुवन । ५ नक्षत्र-ज।
पुरबड़ी-देखो ‘पड़दळी'। पुर'-देखो 'पुरस'।
पुरद्वार-पु० नगर का मुख्य द्वार । पुर-अमर-पु० [सं० अमर-पुर] स्वर्ग ।
पुरधर-पु० [सं०] नगर, शहर । पुरइद-पु० [सं० इन्द्रपुर स्वर्ग।
पुरनविरम-देखो 'पूरणब्रह्म'। पुरक्ख-देखो 'पुरुस'।
पुरनारी-स्त्री० [सं०] वेश्या, रण्डी। पुरखपुराण-देखो 'पुराणपुरुस'।
पुरपाळ-पु० [सं० पुर-पालक] १ नगर रक्षक । २ नगर का पुरख, पुरखड़ी-देखो 'पुरुस'।
प्रमुख अधिकारी। ३ कोतवाल । ४ प्रात्मा, जीव । पुरखपुरांण-देखो 'पुरांण पुरुस' ।
पुरब-देखो 'पूरव'। पुरखातण, पुरखातन-देखो 'पुरुसातन' ।
पुरबलौ-देखो 'पूरबळी' । (स्त्री० पूरबली) पुरखाप्रम-पु० [सं० पुरुष-धर्म] कुबेर ।
पुरबी-देखो 'पूरवी'। पुरखारत, पुरखारव-देखो 'पुरुसारथ'। .....
पुरबीकम-पु० [सं० विक्रमपुर बीकानेर नगर । पुरखि-देखो 'पुरुस'।
पुरराउ-पु० [सं० पुरराज] नगर पति । पुरखेस-पु० [सं० पुरुष-ईश] राजा, नृप ।
पुरलिंग-देखो 'पुल्लिग'। पुरखोतम-देखो 'पुरुसोत्तम'।
पुरवणी (बौ)-देखो 'पूरणी' (बी)। पुरखो-पु० [सं० पुरुष] १ पूर्वज । २ वद्ध परुष, बुजुर्ग । पुरवाई-देखो 'परवाई। पुरख्ख-देखो 'पुरुस' ।
पुरवासी-पु० [सं०] नगर का निवासी।। पुरज-देखो 'पुरजो' ।
पुरविसन, पुरविस्न-पु० [सं० विष्णु-पुर] वैकुण्ठ । पुरजण (न)-पु० [सं० पुरजन] १ नगर के लोग, नगरवासी,
पुरस-पु० [सं० पुरुष] १ ऐडी से चोटी तक को लम्बाई पुरवासी । २ गेहूं की फसल के साथ होने वाला एक पौधा ।
का नाप । २ दोनों हाथों को समानान्तर फैलाने पर एक पुरजित-पु० [सं० पुरजित्] १ शिव, महादेव । २ जाम्बुवती
हाथ की मध्यमा से दूसरी मध्यमा तक का फैलाव, माप । एवं श्रीकृष्ण का एक पुत्र ।
३ देखो 'पुरुस'। पुरजियो-देखो 'पुरजो'। पुरजो-पु० [फा० पुर्जः] १ टुकड़ा, खण्ड । २ कागज का टुकड़ा,
पुरसकारी, पुरसगारी-स्त्री० [सं० परिबेषकार] १ भोजन परोचिट, पर्णी । ३ छोटा खत, चिट्ठी। ४ किसी यंत्र का कोई
सने वाली स्त्री। २ भोजन परोसने की क्रिया । ३ भोजन भाग, उपकरण।
परोसने की कला । ४ परोसी जाने वाली भोजन सामग्री। पुरट-पु० [सं०] सुवर्ण, सोना।
पुरसकारो, पुरसगारो-पु० [सं० परिवेषकार] (स्त्री० पुरसगारी) पुरण-पु० [सं० पुरन्ति] १ घोड़ा। प्रश्व । २ वाहन, सवारी।। भोजन परोसने वाला व्यक्ति। २ देखो 'पूरण'।
} पुरसड़ी-१ देखो 'पुरस' । २ देखो 'पुरुस' ।
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पुरसरो
पुरसरणी (बी)-क्रि० [सं० परवेषणम्] भोजन परोसना । पुराचीन-देखो 'प्राचीन'। पुरसपत-देखो 'सप्तपुरी'।
पुराणौ (बो)-क्रि० १ भरवाना, भर्ती करवाना । २ पूर्ति पुरसपुरांण-देखो 'पुराणपुरुस' ।
कराना, पूरा कराना । ३ सजवाना, सजावट कराना। पुरसली-स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया, काबर ।
पुरातत्व-पु० [सं०] प्राचीन काल संबंधी विद्या। पुरसाकार-पु० [सं० पुरुषाकार लिंग, शिश्न ।
पुरातन, पुरातम-वि० [सं०] १ प्राचीन, पुराना । २ बूढ़ा । पुरसाणी (बौ)-क्रि० भोजन परोसवाना ।
३ प्रादिकाल का । ४ जीर्ण-शीर्ण, घिसा हुआ। -पु० १ पुरसातरण, पुरसातन-पु० [सं० पुरुष-तन] बल, पराक्रम ।
विष्णु का नामान्तर । विष्णु । २ सनातन या प्रादि पुरुष । पुरसाद-देखो 'प्रसाद'।
पुरातळ-पु० [सं० पुरातल] तलातल । पुरसारथ-देखो 'पुरुसारथ'।
पुरायण-देखो 'पारायण'। पुरसारी-देखो 'पुरसगारी' ।
पुरारि-पु० [सं०शिव । पुरसारौ-देखो 'पुरसगारौ' ।
पुरालब्ध-देखो 'प्रारब्ध। पुरसि-१ देखो 'पुरस' । २ देखो 'पुरुस' ।
पुरालब्धी-देखो 'प्रारब्धी'। पुरसोतम, पुरसोत्तम-देखो 'पुरुसोत्तम' ।
पुरावणी (बो-देखो 'पुराणो' (बौ)। पुरस्कार-पु० [सं०] पारितोषिक, इनाम ।
पुरिद, पुरिबर, पुरिद्र-देखो 'पुरंदर'। पुरस्कृत-वि० [सं० पुरस्कृत] जिसे पुरस्कार दिया गया हो, पुरिद्री-देखो 'पुरंध्री'। इनाम प्राप्त ।
पुरिख, पुरिखि-१ देखो 'पुरीख' । २ देखो 'पुरुस'। पुरहथरण-पु० हस्तिनापुर।
पुरिखिपुराण-देखो 'पुरांण पुरुस' । पुरहूत (ति,तो)-देखो 'पुरुहूत'।
पुरिखोतम-देखो 'पुरुसोतम' । पुरहूत-जय-पु० [सं० पुरुहूतजय] वच ।
पुरिखो-देखो 'पुरखौ'। पुरहत-पु० [सं०] शिव, महादेव ।
पुरिमड्ढ-पु० प्रथम दो प्रहर तक भोजन त्यागने की क्रिया । पुराइंद-देखो 'इंद्रपुरी'।
पुरिस-देखो 'पुरस'। पुराण-वि० [सं० पुराण] १ प्राचीन, पुरातन । २ आदि का, | पुरिसोतम, पुरिसोत्तम-देखो 'पुरुषोत्तम' ।
मूल । ३ पुराना, काम में लिया हुअा। -पु०१ हिन्दुओं के पुरिसौ-देखो 'पोरसौ' . धर्म एवं संस्कृति संबंधी १५ ग्रंथ । २ इतिवृत्त, इतिहास । | पुरींद्री-देखो 'पुरंध्री'। ३ कोई प्राचीन घटना, पाख्यान ।-स्त्री०४ एक नदी पुरी-स्त्री० [सं०] १ नगर, शहर । २ छोटी मगरी।३ जगन्नाथ का नाम । ५ पुरुष की बहत्तर कलानों में से एक ।
पुरी। ४ दशनामी संन्यासियों की एक शाखा। ५ इस ६ अठारह की संख्या ।
शाखा का संन्यासी।। ६ चन्द्रमा । ७ देखो 'पुड़ी'। पुराणग-पु० [सं० पुराणग] ब्रह्मा, विधि ।
पुरीख, पुरीस-पु० [सं० पुरीष] १ मल, विष्टा। २ देखो पुराणपुरख, (पुरस,पुरुक्ख,पुरुख,पुरुस)-पु० [सं० पुराण-पुरुष] १ ईश्वर, ब्रह्म । २ श्रीकृष्ण ।
पुरु-पु० [सं०] १ ययाति के पुत्र एक प्राचीन राजा। पुराणिक-देखो 'पुरांणीक'।
२ सिकन्दर से लड़ने वाला पंजाब का राजा । ३ शरीर, पुराली-१ देखो 'पुराणो' । २ देखो 'परांणी'।
देह । ४ देवलोक, अमरपुर, स्वर्ग । ५ पुष्पराग। पुराणीक-वि० [सं० पौराणिक] १ पुराण संबंधी, पुराण का। ६ देखो 'पुर'। २ पुराणों का जानकार।
पुरुकुसीमान-पु० [सं० पुरुकुत्स] एक सूर्यवंशी राजा। पुरांगो-वि० [सं० पुराण] (स्त्री० पुरांणी) १ जो नया न | पुरुक्ख-देखो 'पुरुस'।।
हो, पुराना, प्राचीन । २ पूर्व काल में बना या रचा हुमा। पुरुख, पुरुखड़ो-देखो 'पुरुस' । ३ जीर्ण-शीर्ण या कमजोर हालत का। ४ प्राचीन, पुरातन ।
पुरुखपुरांण-देखो 'पुराणपुरुख' । ५ परिपक्व । ६ अनुभवी, ज्ञाता। ७ पूर्ण रूप से अभ्यस्त ।
पुरुखातम, पुरुखात्रम-देखो 'पुरुसातन' । ८ वरिष्ठ । ६ किसी निश्चित अवधि से सुरक्षित किया
पुरुखारय-देखो 'पुरुसारथ' । हुआ। पुरा-प्रव्य० [सं०] १ पूर्व काल में, पुराने समय से । २ शीघ्र. | पुरुखि-देखो 'पुरुस' ।
तुरंत । ३ अब तक । -वि० प्राचीन, पुराना। | पुरुखो-देखो 'पुरखौ'।
___'पुरुस'।
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पुरुजित
पुळपुळाणी
पुरुजित-पु० [सं०] १ कुतिभोज का पुत्र व अर्जुन का मामा।| की क्रिया। ३ उक्त पाहुति देते समय पढ़ा जाने वाला २ निमिवशीय एक राजा । ३ विष्णु ।
मत्र । ४ सोमरस । पुरुणो (बो)-क्रि० पूर्ण करना, पूरा करना।'
पुरोहिप, पुरोहित, पुरोहितु-पृ० [सं० पुगेहित] (स्त्री. पुरुस पुरुसड़ौ-पु० [सं० पुरुष] १ मानव जाति का नर प्राणी, पुरोहितरण, पुरोहितारणी) १ यज्ञ, अनुष्ठान सस्कार मादि
मादमी, पुरुष । मनुष्य । २ प्रकृति से भिन्न एक अपरिणामी कराने वाला ब्राह्मण । २ प्रधान याज्ञिक कर्म कराने वाला अकर्ता और प्रसंगचेतन तत्त्व, विश्वात्मा । ३ मानव शरीर ब्राह्मण। ३ ब्राह्मणों का एक वर्ग । ४ सामंत या राजा या प्रात्मा। ४ किसी स्त्री का पति । ५ जीव, प्रात्मा। का कुलगुरु । ५ राज गुरु । ६ परमात्मा । ७ सूर्य । ८ शिव। ९ किसी पीढ़ी या पुश्त | पुरोहिताई-स्त्री०१ यज्ञ प्रादि कराने का कार्य । २ राज गुरु का प्रतिनिधि । १० अधिकारी, कार्यकर्ता। ११ वक्ता की का पद । ३ उक्त पद का वेतन । दृष्टि से किया जाने वाला सर्वनाम का विभाजन। पुरी-देखो 'पर'। १२ पुरुषों की बहत्तर कलाओं में से एक । १३ गुमाश्ता पुलबर, पुल दो, पुलंद्र-देखो 'पुरंदर'। नौकर । १४ प्रांख की पुतली। -ग्रह-पु० रवि, मंगल, पूल, पल-स्त्री० [फा० पल] नदी, जलाशय प्रादि के पार-पार गुरु । -नक्षत्र-पु० अश्विनी, मघा, मूल, रेवती, पुष्य, | जाने का, पानी के ऊपर बना रास्ता, सेतु । २ देखो ‘पळ' । श्रवण, हस्त और शतभिषा नक्षत्र । -मेध-पु. मनुष्य |
पुळक, पुलक-पु० [सं० पुलकन्] १ प्रेम, भय, हर्ष के कारण की बलि वाला यज्ञ । -रासि-स्त्री० मेष, मिथुन, सिंह,
शरीर में होने वाला रोमांच, कम्पन । २ कोई कार्य करने तुला, धन और कुभ। -वार-पु० रवि, मंगल और
__ की इच्छा, कामना । ३ हर्ष, प्रसन्नता । ४ एक प्रकार का गुरुवार ।
बहुमूल्य पत्थर, रत्न । ५ हाथी का रातिब । ६ हरताल । पुरुसातन-पु० [सं० पुरुष-तन] शक्ति, बल, सामर्थ्य । पुळकरणौ (बौ)-कि० १ रोमांचित होना, कम्पायमान होना । पुरुसारथ-पु० [सं० पुरुषार्थ] १ पुरुष की शक्ति, सामर्थ्य । २ इच्छा या कामना होना। ३ हर्षित या प्रसन्न होना।'
२ कार्य करने का उत्साह । ३ पुरुष के उद्योग का विषय । पुळकारणी (बी), पळकावणो (बी)-क्रि० १ रोमांचित करना, ४ परिश्रम, उद्यम।
कम्पायमान करना। २ इच्छा या कामना जागृत करना । पुरुसारथी-वि० [सं० पुरुषार्थी] १ परिश्रम एवं मेहनत करने । ३ हर्षित या प्रसन्न करना। वाला । २ उत्साही।
पुकि-देखो 'पुळक'। पुरुसु-देखो 'पुरुस'।
पुलकित-वि० [सं०] १ रोमांचित, कम्पित । २ गद्गद् । ३ हर्षित, पुरुसोतम, पुरुसोत्तम-पु० [सं० पुरुषोत्तम] १ पुरुषों में उत्तम,
प्रसन्न । श्रेष्ठ पुरुष। २ ईश्वर । ३ श्रीरामचन्द्र । ४ श्रीकृष्ण ।
पुलग-पु० [सं० प्लवंग] घोड़ा। ५ जगन्नाथ पुरी का मंदिर । ६ जगन्नाथ की मूति(उड़ीसा)
पुळच(छ)-देखो 'पोळछ' । -क्षेत्र-पु० जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) । -मास-पु०
पुळण(न)-देखो 'पुलिन'। अधिकमास, मलमास ।
पुळणी(बो)-क्रि० [सं० पलायनम्] १ कूच करना, प्रस्थान पुरुहूत-पु० [सं०] इन्द्र ।
करना । २ चलना, गमन करना । ३ गतिमान होना । पुरुसरणौ (बो)-देखो 'पुरसणी' (बौ)।
४ बहना । ५ दौड़ना, भागना । ६ युद्ध से भागना । ७ नष्ट पुरेंद्री-देखो 'पुरंध्री'।
होना, मिट जाना । ८ खिसकना । ९ व्यतीत होना, गुजरना। पुरे-देखो 'प्रहर'।
पुळपुळ-स्त्री० १ उद्दण्डता. शैतानी। २ चंचलता। ३ गुदगुदी, पुरोगत-वि० [सं०] १ जो सामने हो, सम्मुख । २ पुराना,
मचमची । ४ हल्की खुजलाहट । प्राचीन । ३ गत, विगत । ४ देखो 'पुरोगति' । पुरोगति-वि० [सं०] अग्रगामी। -स्त्री० १ आगे-मागे चलने
पुळपुळणी (बो)-क्रि० १ उद्दण्डता या शैतानी करना । की क्रिया या भाव । २ पुरोगत होने की अवस्था -पु०
२ चंचलता करना । ३ गुदगुदी होना, मचमचाना। ४ हल्की ३ स्वान, कुत्ता।
खुजलाहट होना। पुरोचन-पु० [सं०] लाक्षागृह में पांडवों को जलाने के लिये पुळपुळा'ट-देखो 'पुळपुळाहट' । ____ नियुक्त दुर्योधन का म्लेच्छ मंत्री।
पुळपुळाणी(बी)-क्रि० १ कोई खाद्य पदार्थ मुह में रख कर पुरोडा, पुरोडास-पु० [सं० पुरोडाश] १ कपाल में पकाई हुई उसका स्वाद लेना, रस-चूसना । २ ऊपर हाथ फेरमा,
प्राटे की टिकिया । २ इस टिकिया की यज्ञ में आहुति देने | सहलाना । ३ देखो 'पुळपुळणो' (बो)।
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पुळपुळ
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(
८८)
पुळपुळाहट - देखो 'पुळपुळे' ।
पुळपुळौ - वि० (स्त्री० पुळपुळी) १ उद्दण्ड, शैतान । नटखट । ३ दुष्ट, उत्पाती । ४ गुदगुदा, नरम, ५ फुर्तीला, ताकीदवाला ।
पुलमा देखो 'पुलोमजापति पुलोमजापति' । पुलवती - वि० सौभाग्यवती, सुशील ।
पुळसत पुछसुत पुरस्य पु० [सं० पुलस्ति, पुलस्त्य ] सप्त ऋषियों में से एक ऋषि ।
२ चंचल,
मुलायम
पुलाक-पु० [सं०] १ धान की भूसी । २ दुष्ट रस वाला द्रव्य । ३ एक प्रकार का कदन्न, अंकरा । ४ चावल की मांड, पीच । ५ भात । ६ पुलाव । ७ पुलाकलब्धि वाला साधु (जैन) ।
पुलाकलधि स्त्री० [सं०] देवता के समान समृद्धि वाला मुनि । पुळारणी (बौ), पुलागौ (बौ) - क्रि० [सं० पलायनम् ] १ कूच करना,
प्रस्थान करना । २ चलाना, गमन कराना। ३ गतिमान करना । ४ बहाना । ५ दौड़ाना, भगाना । ६ युद्ध से भगाना । ७ नष्ट करना, मिटाना । ८ खिसकाना । ९ व्यतीत करना, गुजारना ।
पुळीरण, पुलीन- देखो 'पुलिन' ।
गुलाब, पुलाव पु० [फा०] १ मांस के साथ पकाये गये चावल । मांसोदन । २ नमकादि मसाले डालकर पकाया हुवा चावल । पुलावणी (बो) - देखो 'पुलागो' (बो) ।
पुदि (यू) - पु० [सं० पुलिदक] १ भारत में बसने वाली एक प्राचीन असभ्य जाति । २ इस जाति का व्यक्ति । ३ इस जाति के निवास वाला प्रदेश । ४ देखो 'पुरंदर' ।
पुलिंदर - देखो 'पुरंदर' ।
पुलिंदा स्त्री० ताप्ती की सहायक एक नदी ।
पुलियो पु० कागज यादि की छोटी गठरी, गट्टर, बंडल
पुळिण, पुलिरण- देखो 'पुलिन' । पुलित पु० [सं० प्लुतिः] १ स्वर का एक भेद जो तीन मात्रा
का होता है । २ घोड़ की एक चाल विशेष । ३ सरपट चाल । ४ छलांग, फलांग ।
पुलिन - पु० [सं०] १ नदी का रेतीला तट । २ नदी का तट । पुलियार - वि० [सं० पलायनकार ] भागने वाला ।
।
पुलिस पु० [०] १ राज्य की प्रान्तरिक सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने वाला एक विभाग २ उक्त विभाग के सुरक्षात्मक कार्य करने वाले कर्मचारियों का दल । ३ इस दल का व्यक्ति ।
पुलोम- पु० [सं०] १ 'शची' का पिता एक दैत्य । २ एक राक्षस
का नाम ।
पुवंग - देखो 'पूरवांग' | पुवाड़ी - देखो 'प्रवाड़ी' ।
पुष्वंग - देखो 'पूरवांग' । पुष्य-देखो 'पूर'।
पुण्यभव, पुव्वहव- देखो 'पूरवभव' । पुण्वांग - देखो 'पूरवांग' |
पुस १ देखो 'पुरुष' २ देखो 'पुरुष'। पुसकर - देखो ' पुस्कर' ।
पुलोमजा स्त्री० [सं०] इन्द्राणी, शची । पति - पु० इन्द्र । पुलोमा - स्त्री० [सं०] महर्षि भृगु की पत्नी का नाम । पुळी - पु० [सं० प्लुतं ] १ घोड़ े की एक चाल विशेष । २ देखो
'धूळी'।
पुयंदर - देखो 'पुरंदर |
पुल्लिंग - पु० [सं०] १ पुरुष चिह्न वाला प्राणी । २ पुरुष वाची नाम, शब्द या सम्बोधन । ३ स्त्री लिंग का विपर्याय।
पुल्ली - पु० घोड़े के सुम के ऊपर का भाग । पुव-देखो 'पूरव'
पुन-देखो 'पवन'। पुभव देखो 'पूव भव' ।
पुवांड - देखो 'पमाड' ।
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पुसटाई
पुसकर चूड़-पु० [सं० पुष्कर चूड़] एक दिग्गज का नाम । पुसकरणा- स्त्री० एक ब्राह्मण वर्गं विशेष ।
पुसकररणी - स्त्री० [सं० पुष्करिणी ] १ हस्तिनी । २ देखो 'पुसकरणी' (स्त्री० ) पुसकरखौ - पु० ब्राह्मण ।
( स्त्री० पुसकरणी ) पुष्करणा जाति का
पुसकरनाम देखो 'पुस्करनाथ' ।
पुसकरपांन पु० [सं० पुष्कर-पर्णं ] यज्ञ वेदी बनाने के काम आने वाली ईंट ।
पुसकळक - पु० [सं० पुष्कलक ] कस्तूरी मृग ।
बुळी स्त्री० छोटे बच्चड़ के सींगों का धारण २ काने व भूरे पुसकळावती स्त्री० [सं० कलावती ] गांधार देश की प्राचीन
राजधानी ।
रंग की एक चिड़िया विशेष ।
पुसकरमुख- पु० [सं० पुष्कर मुख ] हाथी की सूंड का विवर पुसकरमूळ - देखो ' पुस्करमूळ' ।
पुसकराक्ष, पुसकराय वि० [सं० पष्करराक्ष] कमलनयन । - पु० विष्णु ।
पुसकरावती स्त्री० [सं० पुष्करावती ] एक प्राचीन नदी सकल-देखो 'पुस्कल' ।
पुसट - देखो 'पुट' |
पुसटता देखो 'पुस्टता' ।
-
पुसटाई - देखो ' पुस्टाई' ।
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पुसटो
(
८९
)
पुस्तैन
बहुत ।
पुसटी-देखो 'पुस्टी'।
पुस्करमूळ-पु. एक प्रकार की वनस्पती जिसकी जड़ पौषध में पुसटीमत (मारग)-देखो 'पुस्टीमारग'।
काम पाती है। पुसतक-देखो 'पस्तक'।
पुस्करबरत-पु० [सं० पुष्करावर्तक) मेघों का एक विशेष पुसप-देखो 'पुस्प'।
अधिपति। पुसपकरंड-पु० [सं० पुष्पकरंडक] १ फूल रखने की डलिया। पुस्करी-पु० [सं० पुष्करिन्] हाथी, गज । २ उज्जयिनी के शिवोद्यान का नाम ।
पुस्कळ-वि० [सं० पुष्कल] १ विपुल, पर्याप्त । २ अत्यधिक, पुसपकाळ-पु० [सं० पुष्पकाल] वसंत ऋतु । पुसपकीट-पु० [सं० पुष्पकीट] भ्रमर, भौंरा ।
पुस्ट-वि० [सं० पुष्ट] १ पोषित, पाला हुमा। २ हृष्ट-पुष्ट, पुसपकेतु-पु० [सं० पुष्पकेतु] कामदेव ।
मोटा-ताजा। ३ सम्पन्न, पूर्ण सम्पन्न । ४ बल बद्धक, पुसपगंध-पु० [सं० पुष्पगंध] १ भौंरा, भ्रमर । २ जूही।
पौष्टिक । ५ पूर्ण, पूग । ६ पक्का । पुसपधनाव-देखो 'पुस्पधन्वा'
पुस्टता, पुस्टाई-स्त्री० पुष्ट होने की अवस्था या भाव । पुसपधनु-देखो ‘पुस्पधनु'।
पुस्टि-स्त्री० [सं० पुष्टि] १ पोषण । २ बलिष्ठता । ३ मोटाई, पुसपनक्षत-देखो 'पुस्पनक्षत्र' ।
मुटापा । ४ वृद्धि, पूर्णता । ५ समर्थन, पक्कापन । पुसपपुर-देखो 'पुस्पपुर'।
६ निश्चय । ७ सोलह मात्रामों में से एक । -कर-वि. पुसपबांण-देखो 'पुस्पारण' ।
बलवर्द्धक, पौष्टिक । पुष्ट करने वाला । पुसपमाळ. पुसपमाळा-देखो 'पुस्पमाळा'।
-करण-वि० बल वर्द्धक । पुसपरस-पु० [सं० पुष्परस] १ पुष्प पराग, मकरंद । २ शहद । पुस्टिमत, पुस्टिमारग-पु० [सं० पुष्टिमत, मार्ग] वल्लभाचार्य ३ भौंरा।
| के मतानुसार वैष्णव भक्ति मार्ग । पुसपवाटिका-देखो 'पुस्पवाटिका'।
पुस्तंग-पु० [फा० पुश्त-सं० अंग] १ घोड़े के पिछले पैरों का पुसपनस्टी-स्त्री० [सं० पुष्पवृष्टि] फूलों की वर्षा, कहीं पर फूल ऊपरी भाग । २ घोड़े के पिछले पैरों में होने वाला एक बरसाने का कार्य।
रोग । ३ घोड़े की पीठ के नीचे रहने वाला पट्टा। पुसपसर-पु० [सं० पुष्पसर] कामदेव ।
पुस्त-स्त्री० [फा० पुश्त] १ पृष्ठ भाग, पृष्ठ, पीछा। २ किसी पुसबन-देखो 'पुस्प'।
प्राणी की पीठ। ३ वंशक्रम या प्रायुक्रम से होने वाली पुसरी-पु० रक्त, खून ।
पीढ़ी, पीढ़ी क्रम से होनेवाला प्राणी समूह । ४ लेपन, पुसळाई-स्त्री० द्वार पर लगी लकड़ी की चौखट ।
प्लास्टर । ५ मिट्टी खोदने का कार्य। ६ पुस्तक। ७ हाथ
की लिखी पुस्तक । ८ देखो 'पुस्ती'। पुसळी-देखो 'पुसी'।
पुस्तक-स्त्री० [सं०] १ कोई ग्रंथ, किताब । २ कागजों की पुसाणो (बो)-देखो 'पोसारणी' (बो)।
बंधी हुई जिल्द । ३ घोड़े की दुलती, पिछले पैरों का पुसी-स्त्री० [सं०प्रसर] १ दोने की तरह बनाई गई हथेली की प्राघात । --प्रकास-पु० पुस्तकों का संग्रहालय, पुस्तकालय । मुद्रा। २ उक्त मुद्रा में प्राने लायक वस्तु ।
- साळ-स्त्री० पुस्तकालय । पुस्कर-पु० [सं० पुष्कर] १ जल, पानी। २ कमल। ३ नील पुस्तकाकार-वि० [सं०] पुस्तक के प्राकार में, पुस्तक के रूप में।
कमल । ४ तालाब, सरोवर। ५ प्राकाश, अंतरिक्ष । | पुस्तकालय-पु० [स०] पुस्तकों का संग्रहालय । लाईब्ररी। ६ तलवार की धार । ७ तलवार । ८ तलवार की म्यान । | पुस्तखार-पु० [फा० पुश्तखार] पशुओं की पीठ खुजलाने का ९ तीर, बाण। १० हाथी की जिह्वा का अग्रभाग ।
| लोहे का उपकरण। ११ हाथी की सूड का अग्र भाग। १२ युद्ध, लडाई। | पुस्तग- १ देखो 'पुस्तंग'। २ देखो 'पुस्तक' । १३ सर्प विशेष । १४ विष्णु का एक नाम । १५ शिव । पुस्तनामी-पु० [फा० पुश्त-सं० नाम्न] वंशावली, वंगक्रम । १६ सूर्य, भानु । १७ भग्नपाद नक्षत्र का एक अशुभ योग।। पुस्तबंद, पुस्तबंध-स्त्री० [फा० पुश्त-संबंध] पुश्ते की बंधाई, १८ ढोल की चाम, चर्म । १९ ढोलक का मुख । पुश्ता उठाने की क्रिया। २० अनावृष्टि सूचक बादल । २१ ब्रह्माण्ड के सात विशाल पुस्ती-स्त्री० [फा०] १ जलाघात प्रादि से दीवार या बांध की भागों में से एक । २२ अजमेर के पास का एक तीर्थ । सुरक्षा हेतु मिट्टी प्रादि का दिया जाने वाला सहारा । २३ पीले और बादामी रंग का मृग विशेष । -वि० | २ पालण-पोषण । ३ सहायता-मदद । ४ मजबूती, दृढ़ता । कोमल *। -नाम-पु. विष्णु ।
| पुस्तैन-स्त्री० वंशक्रम, वंशपरंपरा, पीढ़ी ।
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पुस्तैनी
पूगड़ो
पुस्तैनी-वि० [फा०] १ वंशपरम्परा का। २ बाप दादों से चला पुहचतु (तो)-वि० बलवान, शक्तिशाली।
आ रहा । ३ पूर्वजों का बनाया हुमा । ४ भावी पीढ़ी तक पुहण-देखो 'पुरण'। _चलने वाला।
पुहतरणो (बौ)-देखो 'पहुंचणी' (बी)। पुस्तौ-पु० पुस्तक की जिल्द पर लगने वाला चमड़ा या कपड़ा। पुहप-देखो 'पुस्प'। पुस्प-पु० [सं० पुष्प] १ लताओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों पर पुहपति-पु० [सं० पुष्पपति] १ कामदेव । २ पृथ्वीपति ।
लगने वाले फूल, कुसुम । २ ऋतुमति स्त्री का रज । ३ प्रांख पुहपमाळ (माळा)-देखो 'पुस्पमाळ' । का फूला नामक रोग । ४ पुखराज । ५ कुबेर का पुष्पक | गृहपवती-स्त्री० [सं० पुष्पवती] १ फूलों वाली, फूलों से युक्त। विमान ६ घोड़े के शरीर पर होने वाली चित्ती । ७ वीरता।
२ रजस्वला स्त्री। ८ सुशीलता । ९ विकास, प्रफुल्लन । १० देखो 'पुस्य' । -चाप-पु०कामदेव ।-धनु, धन्वा, ध्वज, पति-पु. कामदेव
पुहपांजळी-देखो 'पुस्पांजळी' । -मइ,मय-वि० पुष्पों से युक्त। -माळ, माळा-स्त्री०
पुहपाई, पुहपावती-स्त्री० [सं० पुष्पावती] पुष्पावती नगरी। फूलों का हार । -मास-पु०चैत्रमास ।-रथ-पु.एक प्रकार
पुहम, पुहमि, पुहमी-देखो 'प्रथवी' । का रथ । -वाटिका-स्त्री० फुलवारी। -सजा, सज्जा
पुहर, पुहरि, पुहरी-देखो 'प्रहर'। स्त्री० फूल बिछाकर तैयार की शय्या । -सरासण (न)- पुहरौ-देखो 'पहरौ'। पु० कामदेव।
पुहव-१ देखो 'पुस्य' । २ देखो 'पुस्प' । पुस्पक-पु० [सं० पुष्पक] कुबेर का विमान ।
पुहवि, पुहवी-देखो 'प्रथवी'। -पति पत्ति='प्रथवीपति'। पुस्पदंत (वंती)-पु० [स० पुष्पदंत] १ वायु कोण का दिग्गज । | पुहवीतळ (ळि)-पु० [सं० पृथ्वीतल] पृथ्वीतल ।
२ शिव का एक अनुचर । ३ नगर का एक द्वार विशेष ।। पुहवीस-देखो 'प्रथवीस' । पुस्पपुर-पु० [सं० पुष्प-पुर] पाटली पुत्र का एक नाम । पहुच-स्त्री० पहुंचने की क्रिया या शक्ति । पुस्पांजलि, पुस्पांजळी-स्त्री० [सं० पुष्पांजलि] १ देवता या पुहु वणी (बो)-देखो 'पहुंचरणो' (बी)।
महापुरुषों को अर्पित की जाने वाली फूलों से भरी अंजलि। पुढचाड़णो (बी), पहुंचारणौ (बी), पुहंचावरणौ (बो)-देखो पुस्पा-स्त्री० [सं० पुष्पा] चम्पानगरी।
___ 'पहुंचाणो' (बौ)। पुस्पाकर-पु० [सं० पुष्पाकर] वसंतऋतु ।
| पुह तरणो (बो)-देखो ‘पहुंचणौ' (बी)। पुस्पावळि (ळी)-स्त्री० [सं० पुष्पावली]पुष्प, पूष्पों की कतार ।। पुह.च-देखो 'पहुंच' । पूस्पिका-स्त्री० [सं० पुष्पिका] १किसी नथ या ग्रंथ के अध्याय | पुह ण-देखो 'पुरण' ।
के अंत में लिखा समाप्ति सूचक वाक्य, इति वाक्य । | पुह तणी (बौ)-देखो 'पहुंचणी' (बी)। २ दांतों का मेल । ३ लिंग का मेल ।
पुह प-१ देखो 'पुस्प' । २ देखो 'पुस्य'। -माळ, माळा= पुस्य-पु० [सं० पुष्य] १ पोष मास । २ सत्ताईश नक्षत्रों में से | 'पुस्पमाळ' । एक । ३ कलियुग।
पुह रायत-देखो 'पौ'रायत' । पुस्यनक्षत्र-पु० [सं० पुष्यनक्षत्र] एक नक्षत्र विशेष ।
पुह वि, पुहोवी-देखो 'प्रथवी'। -धणी='प्रथवीधणी' । पुस्यमास-पु० [सं० पुष्यमास] विक्रम संवत का दशवां मास। |पू-स्त्री० ध्वनि विशेष । पुस्यसनांन (स्नान)-पु० [सं० पुष्यस्नान] पूसमास का चन्द्रमा | पूक, पूकड़ो-देखो 'पू'ख' ।
पुष्य नक्षत्र में आने पर किया जाने वाला तीर्थ स्नान। पूकरणौ (बो)-देखो 'प्रांखरगो' (बौ)। पुस्यारक-पु० [सं० पुष्यार्क] १ रविवासरीय पुष्य नक्षत्र । पूख-पु० [सं० प्रख] १ बाजरी, ज्वार आदि के कच्चे दानों
२ कर्क की संक्रांति में सूर्य का पुष्य नक्षत्र में होने का एक की बाल जिसे सेक कर खाया जाता है। २ मक्का का योग।
भुट्टा । ३ खेत की मेढ़। पुह-१ देखो 'पुस्प' । २ देखो 'प्रथवी'।
पूंखणी (बो)-देखो 'प्रांखरणौ' (बी)। पुहकर-१ देखो 'पुस्कर' । २ देखो 'पुस्पकर'। पुहकरनाभ-देखो 'पुस्करनाभ' ।
पूखियो-पु. १ एक घास विशेष । २ देखो 'ख'। पुहकरमूळ-देखो 'पुस्करमूळ' ।
पूग-देखो 'पूग'। पुहगाळ-पु० [सं० पुष्यकाल] प्रातः काल, सवेरा ।
| पूगड़ी-पु. (स्त्री० पूगड़ी)१ बड़े घर की संतान । २ शाहजादा।
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पूगरण
(
९१ )
पूंगरण-देखो पंगरण'।
पूजळी-देखो 'पूज'। पूगळ-पु० बीकानेर राज्यान्तर्गत एक भू-भाग।
पूजवाळ-पु० १ मूज या डाभ का एक बार में, रस्सी बुनने में पूंगी-स्त्री० १ संपेरे का फूक वाद्य । २ सुपारी।
जोड़ा जाने वाला भाग। २ रस्सी या पलंग बुनते समय पूमोकळ-पु० [सं० पूगफल] सुपारी।
बिखरने वाला मूज का फूस । पूगीधर-पु. संपेरा, गारुड़ी।
पूजी-स्त्री० [सं० पुज] १ जोड़ा या जमा किया हुअा धन । पूचरणा-देखो 'पांचणा'।
२ व्यापार में लगा या ऋण पर दिया हुमा मूल धन । पूचाळ, पूचाळी-वि० समर्थ, शक्तिशाली।
३ प्राय वाली पूजी या संपत्ति। ४ किसी विषय की योग्यता, पूचियो-देखो 'पुरणचौ'।
धन। -वार-पु० अधिक धन या सम्पत्ति वाला व्यक्ति । पूची-पु. १ चोरी का माल लाने वाला, तश्कर । २ इस कार्य -दारी-स्त्री० धनवान होने की अवस्था। -पति-वि०
का पारिश्रमिक । ३ बैलगाड़ी के थाटे के नीचे लगने धनवान । -बाद-पु० पूजी या पूजीपतियों के वर्चस्व वाला डडा विशेष । ४ बैलगाड़ी के पिछले भाग में लगाया वाली आर्थिक नीति । सिद्धान्त। -वावी-स्त्री. उक्त जाने वाला लकड़ी का कटहरा । ५ देखो 'पुरणची' ।
नीति या सिद्धान्त को मानने वाला। पूचौ-देखो 'पुणचौ'।
पूठ-देखो 'पीठ'। पूंछ, पूछड़-स्त्री० [सं० पृच्छ] १ पक्षियों या जानवरों आदि पूठगठरी-पु० पीठ पर गठरी लादे घूम-घूम कर सौदा बेचने
की दुम । लांगूल । २ किसी वस्तु के पीछे का लंबा भाग। | वाला सौदागर । पूछड़तंग-पु० ऊंट के चारजामे या बैल की झूल का, पूछ के पूठि-क्रि०वि० पीछे, पूठ पीछे । नीचे रहने वाला भाग।
पूठियो, पूठोड़ी-पु. वस्त्र विशेष, अंगा, अंगरखा । पूछड़ी, पूछड़ी-देखो 'पूछ' ।
पूण-वि० [सं० पाद-ऊन] १ तीन चौथाई, पौन, एक में पाव पूछडोलो-पु० एक प्रकार का अशुभ घोड़ा।
कम । २ देखो 'पूरण। छणो (बो)-क्रि० [सं० प्रोच्छन] हाथ या वस्त्रादि से कुछ
देखो परशियो। टेखो 'परशा' | देखो 'पगा'। पोंछना, साफ करना।
पूतरी-पु० छिलका, छाल । पूछपांछ, पूछापांछो-वि० शेष बचा हुआ, अवशिष्ट । पूतार-पु० महावत । -पु. पोंछने की क्रिया या भाव ।
पुतारणौ (बौ)-क्रि० [सं० पूतान्तरणम्] प्रोत्साहित करना । पूछबुवार-पु०पूछ की जमीन पर घसीटते हुए चलने वाला बैल । जोश दिलाना । पूछरेल-वि० पूछ वाला।
द-पु० नितम्ब, चूतड़ । छलतारो-पू० भाप या कुहरे की पूछ वाला एक तारा | Gदियो-प० चरस चलाते समय ला
|दियौ-पु० चरस चलाते समय लाव पर रख कर बैठने का विशेष ।
चमड़ा। पूछवाळ-पु० पूछ के नीचले भाग के बाल।
पूदी-वि० कायर, डरपोक । पूछाळ-वि० बड़ी पूछ बाला ।
पन-१ देखो 'पवन' । २ देखो 'पू'द' । पूछियौ-देखो 'पूची'।
पूमड़ो-देखो पूगड़ी'। पूछी-स्त्री० [सं० पुच्छ] चौपायों पर लिया जाने वाला कर पू-वि० पूर्ण । -पु०१ नभ, आकाश । २ पूर्व, प्राची। ३ नगर। विशेष ।
४ शरीर, वपु । -स्त्री०५ गंगा । पूछटणी (बी)-क्रि० बैलों के पूछ मरोड़ना।
पूनोहर-देखो 'पयोधर' । पूज-पु०१ बाजरी के सिट्रों का ढेर। २ घास का ऊंचा व | पूख-१ देखो 'पुस्य' । २ देखो 'पूख'।
सीधा गंज । ३ वेखो 'पुज'। ४ देखो 'पूजवाळ' । पुखण-वि० [सं० पूषणम्] १ पालन-पोषण करने वाला। पूजड़ी-देखो 'पूजी'।
२ देखो 'पूसरण'। -
पूग-पु० [सं०] १ सुपारी का पेड़ । २ सुपारी। ३ झुण्ड; पूंजण-पु० [सं० परिमार्जनम् ] सफाई करने का उपकरण।।
समूह । ४ देखो 'पहुंच' । [सं० परिमाजिका] जैन साधुओं का जमीन | पूगणौ (बौ)-देखो 'पहुंचणी' (बी)। प्रादि बुहारने का चंवर, उपकरण, अोघा
पूगफळ-देखो 'पूगीफळ'। पजणी (बी)-क्रि० १ किसी उपकरण से खुजली मिटाना, पुगरण-देखो 'पगरण' । खुजलाना । २ पूजणी द्वारा सफाई करना ।
पगळ-१ देखो 'पुद्गळ' । २ देखो 'पूगळ' ।
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पूगळगढ़
पूठी
पूगळगढ़, पूळि-देखो 'पूगळ' ।
पूजा-स्त्री० [सं०] १ किसी देवी-देवता या इष्ट की प्रतिमा पूगाणी (बी), पूगावणी (बी)-देखो 'पहुँचारणी' (बी)।
पर केसर, चंदन, फल-फूल नैवेद्य प्रादि चढ़ा कर किया पचाळी-देखो 'पूचाळी'।
जाने वाला पूजन, अर्चना, वंदना । २ पिटाई (व्यंग)। पछ-स्त्री. १ पूछने की क्रिया या भाव । २ चाह, जरूरत । पूजाणो (बो)-कि० १ किसी की बराबरी कराना समता ३ प्रादर, इज्जत । ४ लोकप्रियता।
कराना । २ पूजा, अर्चना, वदंना कराना। ३ प्रादर, पूछणी (बी)-क्रि० [स० पृच्छ] पूछना, प्रश्न करना।
सत्कार कराना। ४ बड़ाई कराना, प्रतिष्ठा कराना। पूछगाछ-देखो 'पूछताछ' ।
५ पूर्ण कराना । ६ इच्छा पूरी कराना। ७ देखो पूछड़ो-देखो 'पूछ'।
'पहुचाणों' (बी)। पूछरणी (बी)-क्रि० [सं० पृच्छ] १ प्रादर करना, सम्मान पूजापती, पूजापाती-स्त्री० १ देव-पूजन में रखे जाने वाले
करना । २ टोकना, रोक-टोक करना । ३ हाल-चाल जानना । पदार्थ । २ देखो 'पूजा'। कुसल पूछना । ४ ध्यान देना, महत्व देना। ५ किसी बात | पूजापौ-पु० पूजा की सामग्री। की जानकारी हेतु बात करना। ६ प्रश्न करना । ७ जांच | पूजारी, पूजारु, पूजारू, पूजारौ-देखो 'पुजारी'।
करना, पूछताछ करना । ८ सलाह, मशविरा लेना। । पूजावरणौ (बी)-देखो 'पूजाणी' (बी)। पछताछ, पूछताज, पुछपाछ-स्त्री०१ पूछने की क्रिया या भाव । | पूजित-वि० पूजा हमा, पाराधित, सम्मानित । २ चाह, आवश्यकता।
पूज्यजी-पु. १ साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका इन चतुर्विध पछारणी (बी), पछारणी (बी)-क्रि० १ प्रादर करवाना, श्रीसंघ के प्रधिष्ठाता (जैन)। २ कोई पूज्य पुरुष ।
सम्मान कराना । २ रोक-टोक कराना । ३ हाल-चाल ज्ञात | पृटी-देखो 'पूठी'। कराना, कुसल पुछवाना। ४ ध्यान दिलाना, महत्व दिराना। पूठ-पु० [सं० पृष्ठ] १ सहायता, मदद । २ शरण। ३ देखो ५ किसी बात की जानकारी कराना। ६ प्रश्न कराना। । 'पीठ'। ७ जांच कराना, पूछताछ कराना । ८ सलाह मशविरा पूठइ (ई)-क्रि०वि० [सं० पृष्ठ] पीछे, अनुपस्थिति में । कराना ।
पूड़ियो-पु० [सं० पृष्ठवाह] १ फेरी लगाकर सौदा बेचने पूछाताछी, पूछापाछी-देखो 'पूछताछ' ।
___वाला व्यापारी। २ देखो 'पूठाडो'। पूछावणी (बौ)-देखो 'पूछाणी' (बी)।
पूठड़ो-देखो 'पूठाड़ी। पूछी-देखो 'पूछी'।
पूठसो (बी)-क्रि० १ गाड़ी, शकट आदि के चक्के में पूठी पूज-पु० [सं० पूज्य] १ देवता, देव । २ पहुँच, निर्वाह । ३ देखो लगाना । २ कूए या जलाशय के अन्दर पत्थरों से बंधाई _ 'पूजा'।
करना। पूजक, पूजग-पु० [सं० पूजक] पूजा करने वाला। | पूठरौ-वि० [सं० पृष्ठ] (स्त्री० पूठरी) १ पीठ का, पीछे का । पूजजी-देखो 'पूज्यजी'।
२ देखो 'फूठरौं'। पूजणी, (बी)-क्रि० [सं० पूजनं] १ देवी-देवताओं की प्राराधना | पूठली-देखो 'पीठ'।
करना, पूजा-अर्चना करना । २ समता करना, तुलना करना | पूठलौ-वि० [सं० पृष्ठ] (स्त्री० पूठली) पीछे का, पीछे वाला। मुकाबला करना । ३ प्रादर करना, सत्कार करना । | पूठवाड़ो-क्रि०वि० १ पीछे की पोर, पीछे । २ देखो 'पूठाड़ी'। ४ तारीफ करना, वाह-वाह करना। ५ पूर्ण करना । | पूठवाल-पु. पहरेदार, चौकीदार (मेवात)। ६ देखो 'पहुंचणी' (बो)।
पूठाडो-पु० फेरी लगा कर सौदा बेचने का थैला, बुगचा । पूजदेव-पु० [सं० पूज्यदेव] इष्टदेव ।
पूठाणी (बी), पूठावरणो (बो)-देखो 'पुठाणो' (बो)। पूजन-पु० [सं०] पूजा, अर्चना, वन्दना। पूजनीक, पूजनीय-वि० [सं० पूजनीय] पूजा करने योग्य,
पूठि-१ देखो 'पूठ' । २ देखो 'पीठ' । ३ देखो 'पृठी'। वन्दनीय।
पूठियो-पु० पहनने का वस्त्र विशेष, अंगरखा । पूजली-१ देखो 'पूजळी' । २ देखो 'पूज'।
पूठिलो-देखो 'पूठलो' (स्त्री० पूठली)। पूजवरण-देखो 'पूजवाण'।
पूठी-स्त्री०१ बैलगाड़ी के चक्के पर लगने वाली प्रद्धचंद्राकार पूजवरपो(बो)-१ देखो 'पहुँचणी'(बी) । २ देखो 'पूजणी'(बी)। मोटी व चपटी लकड़ी। २ कूए या जलाशय की दीवार में पूजवारण-स्त्री० [सं० पूजः प्रण] १ शक्ति बल । २ वैभव ।। लगाने का प्रर्द्धचंद्राकार पत्थर । ३ वधू के प्रथम गृह प्रवेश ३ पहुँच । -वि० समक्ष ।
के समय द्वार पर पढ़ा जाने वाला मंत्र । (ब्राह्मण)
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पूठीसबारक
पूरण
-क्रि०वि० १ वापस, पीछी । २ देखो 'पूठ' । -बंध-वि० | पूतळो-पु० [सं० पुत्रकः] १ मिट्टी या धातु प्रादि की पुरुषाकार पूठी लगा कर बांधा हुमा । पूठी युक्त ।
मूर्ति । २ मृतक के प्रतीक रूप में बनी घास-फूस प्रादि की पूठीसंवारक-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
प्राकृति। पूठे-देखो 'पीठ'।
पूतातमा-वि० [सं० पूतात्मा] पवित्र या शुद्ध हृदयवाला । पूठो-क्रि०वि० [सं० पृष्ठ] १ पीछे की ओर, वापस । -पु० पक्षीराज गरुड़ ।
२ लौटकर । ३ पुनः, दुबारा। -पु. १ बैल आदि पशुओं पूतारणी (बौ)-देखो 'पूतारणो' (बी)। के पिछले पैरों का ऊपरी हिस्सा। २ किसी पुस्तक मादि | पती-देखो 'पुत्री'। का गत्ता, आवरण । ३ देखो पीठ' ।
पूत, पूस, पूत , पूत्रो-देखो 'पुत्र' । पूदरणी (बी)-देखो 'पौढ़णी' (बी)।
पून-१ देखो 'पवन'। २ देखो 'पु'। ३ देखो 'पुण्य' । पूढ़ी-स्त्री० [सं० प्रौढ़ा] वृद्ध स्त्री, बुढ़िया ।
४ देखो 'पूनम'। पूण-वि० १ एक में पाव कम, तीन चौथाई, पौन । २ देखो | पूनजनेसर (सुर, स्वर)-देखो 'पुण्यजनेस्वर' ।
'पूरण' । ३ देखो 'पून' । ४ देखो 'पवन'। -जात= | पूनम, पूनमी-स्त्री० [सं० पूणिमा] प्रत्येक मास की अंतिम तिथि, 'पवन' (३)।
पूर्णिमा । -पत-पु. चन्द्रमा, शशि । पूणणी (बी)-क्रि० [सं० पादोनन] १ नष्ट करना, खराब | पूनागिर-पु० मारवाड़ का एक पर्वत विशेष ।
करना । २ कम मूल्य में बेचना। [सं० पूर्णयति] ३ पूरा पूनिम, पूनिमी, पून, पूनौ-देखो 'पूनम' । करना, पूर्ण करना।
पुन्य-देखो 'पुण्य'। पूणाणौ (बी), पूणावरणौ (बो)-क्रि० १ नष्ट कराना, खराब
| पून्यम, पूम्यू-देखो 'पूनम' । कराना। २ कम मूल्य में बिकवाना। ३ पूरा कराना,
पूपी-स्त्री० [सं० पूपिका] १ पूरी, पूड़ी, रोटी। २ छोटा पूर्ण कराना।
मालपूवा । पूरिणयो-वि. तीन चौथाई के नाप वाला, तीन चौथाई मात्रा पूफ-देखो 'पुस्य' ।
वाला। -पु० १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'पूण' । पूमारणो (बी), पूमावरणौ (बो)-देखो 'पोमाणो' (बी) । ३ देखो 'पुरणियो' । ४ देखो 'पूरण' ।
पूर-वि० १ पूरा, पूर्ण। २ सहित युक्त । ३ क्षत-विक्षत । पूणी-स्त्री० [सं० पुरिणत] चरखा कातने की धुमी हुई रूई की -पु० १ घाव का भराव । २ फटा कपड़ा, चिथडा। बत्ती।
३ समूह, ढेर । ४ बहुतायत, भरमार । ५ जल की धारा । पूणौ-पु० १ पौन का पहाड़ा । २ देखो 'पूर्ण' । ३ देखो 'पणो'।
६ जल की बाढ़। ७ नदी की बाढ़। ८ प्रपात, प्रवाह । पूत-वि० [सं०] १ पवित्र, शुद्ध । २ देखो 'पुत्र' ।
९ देखो 'पूरक' । १० देखो 'पूरण' । ११ देखो 'पूरौं' ।
पूरउ-देखो 'पूरी'। पूतप्रातमा-देखो 'पूतातमा' ।
पूरक-वि० [सं०] १ पूर्ति करने वाला, पूरा करने वाला। पूतड़लो, पूतड़ो-देखो 'पुत्र'।
२ संतुष्ट करने वाला । -पु० [सं०] १ प्राणायाम की एक पूतना-स्त्री० [सं०] १ स्तन पान द्वारा कृष्ण को मारने के | विधि । २ मृतक के पीछे दश दिन तक दिया जाने वाला
लिये नियुक्त कंस की एक अनुचरी। २ हरं, हरीतकी । पिण्ड दान । ३ गुणक अंक । पूतनारि, पूतनासूदन-पु० [सं०] श्रीकृष्ण ।
पूरण-वि० [सं० पूर्ण] १ जिसमें कोई कमी न हो, पूर्ण । पूतनाहरू-स्त्री० [सं० पूतना-हरीतकी छोटी हरड़।
२ पूरा किया हुआ, परिपूर्ण, पूर्ण । ३ पर्याप्त,
भरपूर । ४ समस्त, समूचा, कुल । ५ निपटाया पूतरो-देखो 'पुत्र'।
हुमा, समाप्त सम्पन्न । ६ बीता हुमा, विगत । ७ संतुष्ट, पुतळ-पु० [सं० पुत्रक:] वर्ण संकर या जारज संतान ।
तृप्त । ८ दृढ़, बलिष्ठ । ९ स्वार्थी । १० प्रखण्ड । पूतळविधि-देखो 'पुत्तळविधान' ।
--पु० [सं० पूरण] १ पूति, पूर्णता । २ समाप्ति । ३ रिक्त पूतळी-स्त्री० [सं० पुत्रक:] १ लकड़ी, पत्थर, धातु प्रादि की स्थान की पूर्ति । ४ पूर्ण ब्रह्म, परमात्मा । ५ प्राकाश,
कोई प्रतिमा, प्राकृति । २ मृतक के प्रतीक रूप में बनी प्रासमान । ६ मृतक के दशवें दिन का पिण्ड दान । ७ रोटी घास-फूस प्रादि की प्राकृति । ३ कपड़ा बुनने की कल । या पूड़ी विशेष । ८ वृष्टि, वर्षा । ९ अंक का गुणन । ४ प्रांख का काला भाग । ५ घोड़े को टाप का मेंढ़कनुमा -चंद, चंद्र-पु० पूर्णिमा का पूरा चन्द्रमा । -पादासन निकला हुमा मांसल भाग ।
-पु. एक योगासन विशेष । -पुरख, पुरस-पु. ईश्वर,
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पूरगता
पूरबतरकासन
परमात्मा। -प्रतिग्य-वि० दृढ़ प्रतिज्ञ। -ब्रहम, ब्रह्म, | पूरबपत (पति, पती)-देखो 'पूरवपति' । ब्रह्म-पु० ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म।
पूरबमीमांसा-देखो 'पुरवमीमांसा'। पूरणता-स्त्री० १ पूर्ण होने की अवस्था । २ अभाव या त्रुटि न | पूरबळ -पु० १ 'पूर्वजन्म, पहिला जन्म। २ पूर्वकाल, पहला होने की दशा।
समय, प्राचीन काल । ३ पूर्ण शक्ति । पूरणमासी-स्त्री० [सं० पूर्णमासी] प्रत्येक मास की अंतिम पूरबलो-देखी 'पूरवलो'। (स्त्री० पूरबली) तिथि।
पूरबानक्षत्र-१ देखो 'पूरवाफालगुणो' । २ देखो 'पूरवासाढ़ा' । पूरणविराम-पु० [सं० पूर्ण विराम] १ वाक्य के अंत में लगने । ३ देखो 'परवा भाद्रपदा'।
वाला खड़ी पाई का चिह्न, बिन्दु । २ पूर्णतया ठहरने पूरबासाडा (साढ़ा)-देखो 'पूरवासाढ़ा'। की अवस्था या भाव।
पूरबिया-वि० पूर्व का, पूर्व संबंधी । -पु० १ पूर्व प्रदेश का पूरणा-स्त्री० [सं० पूर्णा] प्रत्येक मास की पंचमी, दशमी, राजपूत या व्यक्ति । २ चौहानों की एक शाखा । ३ नाइयों अमावस्या एवं पूर्णिमा तिथि ।
की एक शाखा। परणाघात-पू० [सं० पूर्णाघात ताल में अनाघात की एक मात्रा पनि पर्व पटेप का निवासी
ना के बाद आने वाला स्थान ।
निवासी । ३ पूरबिया शाखा का चौहान या नाई। पुरणानंद-पु० [सं० पूर्णानन्द] १ परमानन्द, परमेश्वर ।
पूरब-देखो 'पूरव' । २ सम्पूर्ण आनन्द । पूरणावतार-पु० [सं० पूर्णावतार] ब्रह्म का अपनी सम्पूर्ण |
पूरव-क्रि० वि० [सं० पूर्व] १ पहले, प्रथम । २ आगे । कलाओं सहित अवतार। ।
३ निश्चित अवधि से पहले। -स्त्री०१ सूर्योदय की दिशा ।
२ किसी स्थान से पूर्व में बसा प्रदेश। ३ दीर्घकालीन एक पूरणाहुति, पूरणाहुती-स्त्री० [सं• पूर्ण-पाहुति] १ यज्ञ की
अवधि या समय । -वि०१ पहले का, आगे का । २ प्राचीन, समाप्ति पर दी जाने वाली अंतिम पाहुति । २ किसी
पुरातन । ३ अगला, पूर्व वाला । ५ पहले कथित । कार्य का अंतिम भाग। ३ अंतिम कृत्य ।
-करम-पु० पूर्व जन्म के कार्य। रोगोत्पति से पहले के पूरणिमा-स्त्री० [सं० पूणिमा] प्रत्येक मास की अंतिम तिथि ।
कार्य। -ग्यांन-पु० पूर्व जन्म का ज्ञान। -ज-पु० बड़ा पूरणी-स्त्री० १ एक दीवार से सटा कर उठाई गई दूसरी
भाई। पूर्व पुरुष, बडेरे, पुरखे । -जन्म-पु० वर्तमान - दीवार या पर्दी । २ कार्य पूर्णता।
जन्म से पहले का जन्म । -जन्मा-पु०-बड़ा भाई । जो पूर्णदु-पु० [सं० पूर्णेन्दु] पूर्णिमा का चन्द्रमा ।
पहले जन्मा हो। -देव-पु० नर और नारायण । असुर, पूरणोपमा-पु० [सं० पूर्णोपमा] एक प्रकार का अर्थालंकार।
राक्षस । -धर, धारी-पु० पूर्व पक्ष को धारण करने परणौ (बी)-क्रि० [सं० पूरणम्] १ पूर्ति करना, भर्ती करना ।
वाला। -पक्ष, पख-पु० चन्द्र मास का कृष्ण पक्ष । शास्त्र २ रिक्त स्थान को भरना। ३ तृप्त या संतुष्ट करना ।
विषयक कोई प्रश्न या शंका । वादी या दावेदार की बात, ४ पूरा करना, पूर्ण करना। ५ आवश्यकता की पूर्ति
पक्ष, वाद। -पक्षी-वि० पूर्व पक्ष उपस्थित करने वाला। करना । ६ गुजर चलना, पूरा पड़ना। ७ मांगलिक
वादी। -पति-पु० पूर्व दिशा का अधिपति । इन्द्र । अवसरों पर प्रांगन में चित्रकारी करना । ८ वाद्य बजाना ।
-भव-पु० पूर्व जन्म, पहला जन्म । -रूप-पु. प्रारंभिक ९ व्यतीत होना, समाप्त होना। १० भर जाना, पूर्ण हो
रूप, आकार । एक अर्थालंकार । -वाद-पु० न्यायालय में जाना।
प्रस्तुत किया जाने वाला अभियोग, वाद । -वादी-पु० पूरत, पूरति-स्त्री० [सं० पूर्ति] १ पूर्णता, पूरापन । २ घाटा
अभियोग प्रस्तुत करने वाला । -व्रत-पु०-इतिहास, या कमी बराबर करने की क्रिया। ३ समाप्ति ।
इतिवृत्त । ४ अनुपालना । ५ तृप्ति ।
पूरबगंगा-स्त्री० [सं० पूर्व गंगा] नर्बदा नदी । पुरन-देखो 'पूरण'। -मासी='पूरणमासी' ।
पूरवण-वि० (स्त्री० पूरवणी) पूर्ण करने वाला। पूरपटी-क्रि०वि० पूरे वेग से, तेजी से ।
पुरवणी (बो)-क्रि० [सं० पोषणम्] १ पालना-पोषना। २ सथना, पूरब-देखो 'पूरव' ।
साध्य होना, सज प्राना। २ निर्वहित होना । पोसाना । पूरबज-देखो 'पूरवज'।
३ देखो 'पूरणी' (बो)। पूरबजळम-देखो 'पूरवजन्म'।
पूरवतरकासन-पु० [सं० पूर्वतर्कासन] योग के चौरासी प्रासनों पूरबदेव-देखो 'पूरवदेव'।
में से एक।
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पूरवदिगवदन
पंजार
पुरवदिगवदन-पु. [सं. पूर्व दिग्वदनम्] मेष, सिंह, और धनु | पूराणौ (बौ)-क्रि० १ कमी पूर्ति कराना, पूरा-बराबर कराना । राशियां।
२ खाली स्थान को भराना। ३ तृप्त या संतुष्ट कराना । पूरबविगीस-पु० [सं० पूर्वदिगीश] १ इन्द्र । २ मेष, सिंह और ४ पूर्ण कराना। ५ मनोरथ सफल कराना, इच्छा पूर्ति धनु ये तीन राशियां।
कराना। ६ मांगलिक अवसरों पर प्रांगन में चित्रकारी पूरवविस्ट-पु० [सं० पूर्वदिष्ट ] पूर्व कर्मों से भोगे-जाने वाले सुख- | कराना। ७ बजवाना। ८ व्यतीत या समाप्त कराना । दुःख।
९ भरवाना, पूर्ति करवाना। पूरवफाल्गुनी-देखो 'पूरवाफालगुनी' ।
पूरातन-देखो 'पुरातन'। पूरवभाद्रपद-देखो 'पूरवा भाद्रपद' ।
पूरामास-पु० स्त्री के गर्भ की पूर्णावधि । पूरवमीमांसा-पु० [सं० पूर्वमीमांसा जैमिनी ऋषि द्वारा रचित । पूरावणी (बो)-देखो 'पूराणी' (बी)। कर्मकाण्ड संबंधी शास्त्र ।
पूरित-वि० [सं०] १ परिपूर्ण, पूर्ण भरा हुमा। २ तृप्त, पूरवराग-पु० [सं० पुर्व राग] संयोग से पूर्व नायक-नायिका का
नायिका का संतुष्ट । प्रेम संबन्ध ।
पूरिय--पु० [सं० पुरिका] १ नगर, करबा । २ देखो 'पुरी' । पूरवलो-वि० (स्त्री० पूरवली) १ पहले का पूर्व का। २ पूर्व पूरी-देखो 'पूरौ' । (स्त्री०) जन्म का।
पूरु-पु० [सं०] १ वैराज मनु के एक पुत्र । २ मनुष्य । पूरवांग-पु० [सं० पूर्वाङ्ग] १ पूर्व भाय । २ अगला भाग ।
पूरुख-देखो 'पुरुस'। ३ चौरासी लाख वर्ष का समय (जैन)।
पूरपाठ-क्रि०वि० परिपक्वावस्था में।
पूरौ-वि० [सं० पूर्ण] (स्त्री० पूरी) १ जिसमें रिक्तता या पूरवाखाडा-देखो 'पूरवासाढ़ा' ।
अवकाश न हो । २ जिसमें कमी या कोई कसर न हो। पूरवाचळ-पु० [सं० पूर्वाचल] उदयगिरि पर्वत ।
३ यथेष्ट, पर्याप्त । ४ समग्र, समूचा, कुल । ५ जो अपूर्ण पूरवाचारिज-पु० [सं० पूर्वाचार्य] पूर्व पीढ़ी के प्राचार्य ।
या अधूरा न हो। ६ निश्चित या निर्धारित अवधि पर्यन्त पूरवानुराग-देखो 'पूरवराग' ।
रहने वाला । ७ आद्योपान्त, सर्वांगीण । ८ पूर्णता को पूरवापर-प्रव्य० [सं० पूर्वापर] मागे-पीछे ।
प्राप्त किया हुमा । ९ दृढ़, पक्का, अटल । १० संतोषजनक, पूरवाफालगुणी-स्त्री० [सं० पूर्वाफाल्गुनी] सत्ताईस नक्षत्रों से
तुष्टिप्रद । ११ संतुष्ट, तृप्त । १२ बलिष्ठ, समर्थ । ग्यारहवां, दो तारों वाला नक्षत्र ।
पळी, पूळो-पु० [सं० पूलक] घास के तृण या पौधों का छोटा पूरवाभाद्र, पूरवामानपद, पूरवाभाद्रपदा-पु० [सं० पूर्वाभाद्रपदा] |
गट्ठर, पूवाल । २७ नक्षत्रों में २५ वां नक्षत्र ।
| पूर्वा-देखो 'पुनो। पूरवारद्ध (ध)-पु० [सं० पूर्वाद्ध] १ किसी कार्य, विषय या
पूस-पु० [सं० पौष] विक्रमी संवत का दशवां मास । ग्रंथ का पूर्व या प्रारंभ का आधा भाग । २ शरीर का पहला
पूसरण-पु० [सं० पूषण] १ सूर्य । २ बारह प्रादित्यों में से अर्ध भाग।
एक । ३ पालन-पोषण करने वाला। पुरवासादा-स्त्री० [सं० पूर्वाषाढ़ा]२७ नक्षत्रों में २० वां नक्षत्र । पूसणा-स्त्री० [सं० पूषणा] स्कन्द की अनुचरी एक मातृका । पूरविलइ-वि० [सं० पूर्विल] पूर्व का, पिछला ।
पूसवंतहर-पु० [सं० पूसदतहर] शिव का अनुचर, वीरभद्र ।
पूसली-देखो 'पुसी'। पूरवी-वि० [सं० पूर्वीय] १ पूर्व का, पहले का । २ पूर्व दिशा
पूसा-स्त्री० [सं० पूषा १ दाहिने कान की एक नाड़ी का का, पूर्व दिशा संबंधी। -स्त्री० १ एक बोली। २ एक
नाम । २ देखो 'पूसण' । रागिनी। ३ बिहार प्रान्त में गाया जाने वाला एक
पूहड़णो (बो)-देखो 'पहड़णौ' (बो)। दादरा।
पहरण-देखो 'पूरण'। पूरवीघाट-पु० [सं० पूर्वी-घट्ट] दक्षिण-भारत में पूर्वी समुद्र के
पूहतरणो (बौ)-देखो 'पहुंचणी' (बौ)। साथ-साथ बालासोर से कन्याकुमारी तक की पर्वत
पूहप-देखो 'पुस्प' । शुखला।
पूहमीपोख-देखो 'प्रथवीपोख'। पूरसल-वि० पूर्ण।
पूहर-देखो 'प्रहर'। पूरहूत-देखो 'पुरुहूत'।
जार-देखो 'जार'।
पघला
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पेड
पेड-१ देखो 'पेंड' । २ देखो 'पंडो' । ३ देखो 'पिड' । पंडौ- १ देखो 'पेंडी' । २ देखो 'परींडो' ।
पॅडो-देखो 'पींदी'।
पेंड - पु० एक घास विशेष ।
पे - स्त्री० १ पीने की क्रिया । २ पेटी । ३ भोग । ४ पक्ष । ५ अंडा । ६ पानी, जल ।
पेई [स्त्री० [सं० पेटिका छोटी सन्दूक, पेटी ।
पेकंबर - देखो 'पैगंबर' ।
पेगंबर देखो 'पैगंबर' ।
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( ९६ )
पेड़-पु० [सं० पिण्ड ] वृक्ष, दरख्त ।
1
पेड़काली - स्त्री० [सं० पट्टिकालय] सीढ़ियों की पंक्ति । जीना । पेड़ी स्त्री० १ पेड़ का तना। २ तीर्थ का घाट । ३ घाट पर बनी सीढ़ियां । ४ देखो 'पेडी' । ५ देखो 'पैड़ी' । पेड़ी-देखो 'पैड़ो'।
पेच - पु० [फा०] १ छल, कपट, धोखा । २ षड़यंत्र, दाव । ३ चतुराई, बुद्धिमानी । ४ उलझन, बखेड़ा, भंभट । ५ संता, चालाकी ६ पगड़ी, साफे प्रादि का बंध, सपेट, फेरा। ७ लकड़ी या यंत्रादि में कसने का धारीदार कीला
धूर्तता, ।
।
। ।
८ यंत्र चलाने या बंद करने का उपकरण । ९ युक्ति,
तरकीब १० पतंग लड़ाने का खेल, पतंगबाजी ११ कुश्ती का दाब १२ जोड़-तोड़ मरम्मत १३ घुमाव, फिराव, । चक्कर । १४ सिर का प्राभूषरण विशेष । १५ व्यसन,
पेकार पु० गाने का व्यवसायी
धरण |
खण (बी) देखो 'पेखणी' (बी)।
पेचू देखो 'पेछ' ।
पेखक- देखो प्रेक्षक ।
पेची पु० किनारी पर तार मोटा लगी पगड़ी विशेष । पेछी, पेहू - वि० व्यसनी, दुष्यंसनी ।
खली-देखो 'सणी' ।
।
dant - (बी), पेसो (बी) क्रि० [सं० प्रेक्षण] १ देखना, पेज-पु० [सं० पेय] १ पीने की वस्तु द्रव पदार्थ २ प्रतिष्ठा, अवलोकन करना । २ गौर करना, ध्यान देना । इज्जत । ३ लाज, शर्म । ४ शील । ५ प्रतिज्ञा । ६ शर्त । ७ पृष्ठ, पन्ना । पेजको देखो 'पीचकी' ।
harit (at), पेखावरणी ( बौ) - क्रि० १ दिखाना, अवलोकन
कराना । २ गौर कराना, ध्यान दिशना ।
पेचकस - पु० १ धारीधार कील को कसने का उपकरण । २ एक प्रकार का शस्त्र विशेष
-
पेचदार वि० [फा०] जिसमें पेच हो, पेजवाला, ऐंठन बाला । पेचबाव - पु० १ दावपेच, तरकीब, उपाय। २ चालाकी, धूर्तता । पेचपट्टी स्त्री० एक प्रकार का बोजार वा उपकरण पेचसंरीय स्त्री० घोड़े की एक चाल विशेष पेचांळी - पु० घुंघुराले बालों वाला व्यक्ति ।
वाला । ३ गूढ़ रहस्यमय ।
J
पेचिस स्त्री० १ प्रतिसार रोग । पेट की खराबी जिसमें बारबार दश्त होती है । २ पेट के अन्दर की मरोड़, ऐंठन ।
rat - वि० १ चालाक या धूर्त। २ देखो 'पेछी' । स्त्री० १ वर की लाल पगड़ी पर लपेटने का वस्त्र ( वांभी) । २ पगड़ी बांधने का एक ढंग |
पेचीदा - वि० [फा०] १ पेचदार । २ उलझन भरा, झंझटों
पेटी - स्त्री०
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पेटौ
आदत ।
।
पेचक - स्त्री० [सं०] [१] पूंछ का मूल २ हाथी की पूंछ की पेटी, पेटीय त्री० [सं० पेटिका] १ संदूकची, छोटी संदूक जड़ । ३ सेज, शय्या । ४ बादल । ५ जूं चील्हर । पेचको-देखो 'पीचको' ।
,
२ कमर, कटि । ३ कमर बंद । ४ नाई के औजार रखने की किसबत । ५ पेट का कवच । ६ मशीन पर कते सूत का गट्ठर ।
पेटू - वि० ९ मोटे पेट वाला । २ अधिक खाने वाला । पेट ०वि० १ बदले में, एवज में २ लिए, निमित्त पेटी - g० १ किसी पदार्थ का मध्य भाग । २ पशुनों की प्रांतें ।
३ वृक्ष का तना । ४ बही के पृष्ठ का मध्य भाग, बही का एक भाग । ५ जुलाहे की ढरकी के मध्य का रिक्त स्थान । ६ तलवार के मध्य का चौड़ा भाग । ७ कपड़े की बुनावट
मनुष्य की नाभि के नीचे चलने वाली नथ ।
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पेट, पेटड़ली, पेटल-पु० १ प्राणियों के शरीर का मध्य भाग, उदर । २ शरीर में अन्न पचाने वाला संस्थान, अवयव । श्रामाशय । ३ परिवार, श्रीलाद, संतान । ४ वंश, कुल । ५ बन्दूक या तोप में गोला भरने का स्थान । ६ किंसी वस्तु के मध्य का पोपला भाग । ७ स्त्री का गर्भ । ८ मन अन्तः करण । - घियाळी - स्त्री० उदर पूर्णार्थ की जाने की मजदूरी। छोटी चोरी। - घियाळियौ-पु० उक्त कार्य करने वाला । -पसार स्त्री० पेट तक ऊंची भूमि । पेटारवी- वि० पेट भरना ही सब कुछ समझने वाला पेटू । । । पेटाळजी, पेटाळिजी पु० १ पक्षियों का उदरस्थान २ शिकारी । पशु का पेट
पेटि १ देखो 'पेट' २ देखो 'पेटी'। ।
पेटियौ पु० १ एक समय के भोजन का पाटान्दाल धादि सामान । २ बन्दूक या तोप में एक बार खर्च का बारूद । ३ भोजन, खाना ।
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पेठावड़ी
पेसगी
में बाना का भाग । ८ उड़ती हुई पतंग की डोर में पड़ने पेरवी, पेरुवी-पु० [सं० पर्व १ अंगुलियों के संधिस्थान, वाली झोल । ९ देखो 'पेट' ।
जोड़ । २ इन जोड़ों के बीच का भाग। ३ अंगुली या पेठावड़ी-स्त्री० सफेद कुम्हड़े को मसालों के साथ पीस कर अंगूठे के ऊपर का भाग। बनाई गई बड़ी।
पेरी-स्त्री० [सं० पर्व गन्ना, बाजरी, ज्वार प्रादि के पौधे या पेठो-पु० १ एक प्रकार का फल, कुम्हड़ा। २ शक्कर से पागी बांस के बीच-बीच में पाये जोड़। विभाग । हुई मावे की मिठाई विशेष ।
पेरोजौ-देखो 'फीरोजो'। पेडाइत-देखो 'पैडायत' ।
पेरचाळ, पेरचाळी-वि० (स्त्री० पेऱ्याळी) दूसरी ओर का, पेडी-स्त्री०१ द्वार की चौखट के नीचे की लकड़ी। २ दुकान | दूर का।
या मकान (किराये के) के हस्तान्तरण में पहले वाले पेल-पु० पेलने का भाव, धक्का, ढकेल । किरायेदार को दी जाने वाली धन राशि ।
पेलणी (बो)-कि० [सं० पीड़नम्, पेलनम्] १ धक्का लगाना, पेडू-पु०१ नाभि व मूत्रेन्द्रिय के बीच का स्थान, उपस्थ । ठेलना, धकाना, ढकेलना। २ हराना, पराजित करना । २ गर्भाशय । ३ स्त्री की कामेच्छा ।
३ पीछे हटाना। ४ जाना। भेजना। ५ नष्ट करना पेढ़-देखो 'पेड़।
मिटाना । ६ पठाना, रवाना करना । ७ झौंकना, डालना । पेढ़ी-देखो 'पेडी'।
८ चलाना । ९ दौड़ाना। १० चालू करना । पेतावी-देखो 'पैताळो'।
पेलव-वि० [सं०] १ दुर्बल, कृश, कमजोर । २ सुकुमार, पेय वाई-स्त्री० चारण वंशोत्पन्न एक देवी विशेष ।
कोमल । ३ सूक्ष्म, छोटा। ४ पतला, महीन, बारीक । पेदल-देखो 'पंदल'।
पे'लवांन-देखो 'पहलवान' । पेदो-देखो 'पेट'।
पेलवांनी-देखो ‘पहलवानी'। पेनसन-स्त्री० [मं०] सेवा निवृत्त कर्मचारी को मिलने वाला पेलाडि-स्त्री० पीड़ा, दर्द, कष्ट वेदना । मासिक वेतन, उपादान ।
पेलावेलि-क्रि०वि० [सं० प्रेरा, प्रेरि] बार-बार, पुनः पुनः पेनसनर, पेनसनियो-पु० सेवा निवृत्त कर्मचारी।
निरतर। पेनाकी-देखो पिनाकी'।
पेस-क्रि०वि० [फा० पेश] १ प्रस्तुत, उपस्थित । २ सामने, पेम-देखो 'प्रेम'।
सम्मुख। -वि० १ पूर्ण, पूरा। २ हाजिर, मोजूद । पेमचीबोर-पु० कलम द्वारा मीठा किया बड़ा बेर ।
-पु० १ स्वामी, मालिक । २ दण्ड, कर, लाग। ३ वरुण । पेमचौ-देखो 'पोमचो'।
४ भेट, नजर । पेमजीबोर-देखो 'पेमचीबोर'।
पेसकबज (कबग्ज, कवज)-पु० [फा० पेशकब्ज] कटार विशेष । पेमदी-पु. एक देव वृक्ष ।
पेसकस (कसि, कसी)-स्त्री० [फा० पेशकश] १ भेंट, नजर, पेमरस-देखो 'प्रेमरस'। .
उपहार । २ प्रस्ताव । ३ निवेदन, अर्ज। ४ मुगलकाल में पेमल-वि. प्रेम करने वाला, प्रेमी। मोह ममता वाला। हुक्मनामे के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द । -स्त्री० मीरा बाई का बचपन का नाम ।
पेसकार-पु० [फा० पेशकार] १ पत्र व्यवहार प्रादि कार्यालयीय पेमली, पेमलीबोर-देखो 'पेमचीबोर'।
कार्य करने वाला कर्मचारी, लेखक, लिपिक । २ छोटा पेमांनो-पु० [फा० पैमान] १ संदेश । २ देखो 'पैमानो'।
मजदूर। पेमौ-देखो 'प्रेम'।
पेसकारी-स्त्री० [फा० पेशकारी] 'पेशकार' का कार्य, पद या
वेतन। पेय-वि० [सं०] पीने योग्य, द्रवीय गुण वाला। -पु. १ पीने
| पेसखांनउ, पेसखांनो, पेसवेमौ-पु० [फा० पेशखेमा] १ अगले .. की वस्तु। २ जल-पानी। ३ दूध । ४ शर्बत । ५ देखो
पड़ाव पर अग्निम लगाया जाने वाला खेमा। २ अग्रिम प्रिय' । ६ देखो 'पिता'।
भेजा जाने वाला सेना का सामान । पेयामहि-देखो 'पितामह'।
पेसगार-देखो 'पेसकार'। पेयी-देखो 'पेटी'।
पेसगारी-देखो 'पेसकारी'। पेरण-देखो 'परण'।
पेसगी-स्त्री० [फा०पेशगी] किसी कार्य के लिये अग्रिम दिया पेरणी (बी)-क्रि०१ गन्ने को कोल्ह में डाल कर रस निकालना। जाने वाला धन । -वि. अग्रिम तौर पर किया जाने २ देखो 'प्रेरणौ' (बी)।
वाला।
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पेसणी
पतीसो
पेसणी-स्त्री० [सं० पेषणी] चक्की । पिसाई करने का यंत्र। | पेस्तर-क्रि० वि० [फा० पेश्वर] पहले, पूर्व । पेसणौ (बी)-क्रि० १ उभरी हुई या फूली हुई वस्तु पर जोर | पेहगार-देखो 'पेसकार'।
देकर पिचका देना। २ दबा कर पूरा कर देना, चूर्ण कर | पेहगारी-देखो 'पेसकारी'। देना। ३ देखो 'फेसणी' (बी)।
पेहटा (ठा) मोड-पु० फावड़ा (मेवात)। पेसतर-क्रि०वि० [फा० पेश्तर] पूर्व में, पहले।
पेहळाद-देखो 'प्रहलाद'। पेसता-देखो ‘पस्तौ'।
पेहली-१ देखो 'पै'ली' । २ देखो 'पहली'। पेसताख-स्त्री० [सं० पेशताक] इमारत के आगे निकली एक | पेहवौ-वि० व्यर्थ । प्रकार को मेहराब ।।
पै-देखो 'पै'। पेसबद (बंदी, बध)-पु. [फा० पेशबंद, बंदी] १ घोड़े की | पैक-देखो 'पैक'।
गर्दन से बांधा जाने वाला चारजामे का भाग। २ पूर्व में | बैंकड़ो-देखो 'पैखडी'। __ सोची हुई युक्ति, तरकीब । ३ षड़यंत्र, छल ।
पैखड़णो, (बी)-कि० ऊंट या मैस के अगले पैर में लोहे का पेसबाब-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
___ कड़ा डाल कर बांधना । पेसराज-पु० पत्थर ढोने वाला मजदूर ।
पैखड़ौ-पु० ऊंट या भैस के अगले पैर बांधने का लोहे का उपकरण। पेसरद-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा।
पंगळ-देखो "पिंगळ'। पेसळ, पेसल-वि० [सं० पेशल] १ सुन्दर, मनोहर । २ प्रवीण, | पंडणी, (बौ)-देखो 'पहडणौ' (बी)। कुशल ।
| 4जरणो, (बौ)-स्त्री० [सं० पद+झन] स्त्रियों के पैरों का पेसवा-पु० [फा० पेशवा] १ नेता, अगुवा । २ महाराष्ट्र साम्राज्य प्राभूषण । नूपुर । के प्रधानमंत्री की उपाधि ।
पेंड-पु० [सं० पद दण्ड] १ कदम, डग । २ देखो 'पै' डो'। पेसवाई-स्त्री० [फा० पेशवाई] १ अगवानी, स्वागत । २ पेशवा | पैडाक-वि० डग भरने वाला, चलने वाला। का कार्य ।
पंडायत-पु० बटमार । पेसवाज-स्त्री० [फा० पिशवाज] वेश्याओं का एक लहंगा | पंडू-देखो 'पैड'। विशेष ।
पंडो-पु०१ मार्ग, रास्ता । पथ । २ यात्रा, विशेष कर पैदल पेसांणी, पेसांनी-स्त्री० [फा० पेशानी] १ ललाट, भाल । | यात्रा। ३ प्रथा, परंपरा, प्रणाली। ४ पद-यात्रा । ५ देखो
२ भाग्य, प्रारब्ध । ३ किसी वस्तु का अगला या ऊपरी 'परीडो' । भाग
पैरणी-पु० [सं० पा, पवन] १ सोते हुए मनुष्य की छाती पर पेसाब-पु. [फा० पेशाब] १ मूत्र, मूत । २ निकृष्ट व हेय बैठकर श्वास पीकर प्राण लेने वाला विषेला सर्प विशेष। __वस्तु। -खांनी-पु० मूत्रालय ।
२ कपटी व्यक्ति। पेसार-देखो 'पैसार'।
पंतरी-पु० [सं० पदांतर] १ कुश्ती बाजी। २ चालाकी की बात । पेसारियो-पु० चोरी के लिये संध में घुसने से पूर्व कपड़ा बांध | पंताबो-देखो 'पैताळो'। कर डाली जाने वाली लकड़ी।
पैताळवी-देखो 'पैताळीसौ'r पेसावर-पु० [फा० पेशावर] १ व्यवसायी, पेशा करने वाला। पैताळीस-वि० [सं० पंचचत्वारिंशत्] चालीस और पांच ।
२ पाकिस्तान का एक नगर । -स्त्री० [फा० पेश:वर] -पु० चालीस और पांच की संख्या व अंक, ४५ । ३ व्यभिचार से धन कमाने वाली स्त्री।
पैताळीसमों (वी)-वि० पैंतालीस के स्थान वाला। पेसावरी-वि० १ व्यवसायी, पेशेवर । २ पेसावर नगर का। पैताळीसेक-वि० पैंतालीस के लगभग । पेसिकस-देखो 'पेसकस' ।
पैताळीसो-पु० ४५ का वर्ष । पेसिका-पु० [सं० पेशिका] अण्डा ।
पैताळी-पु० [सं० पाद-तल] १ जूती के अन्दर लगने वाला पेसी-स्त्री० [फा० पेशी] १ मुकद्दमे की सुनवाई । २ सामने । चमड़े आदि का अतिरिक्त तलवा । २ देखो 'पैताळीसो' ।
प्रस्तुत होने की क्रिया या भाव । ३ शरीरस्थ मांस की | पैंतीस-वि० [सं० पंचत्रिंशत्] तीस और पांच । -पु० तीस गुत्थी, गांठ।
और पांच की संख्या व अंक, ३५ । . पेसोर-देखो 'पेसावर'।
पैतीसमों (वौं)-वि० पैतीस के स्थान वाला। पेसी-पु० [फा० पेश] १ जीविकोपार्जन का उद्योग, व्यवसाय । | पैंतीसौ-पु० १ पतीस का वर्ष । २ तीन हजार पांच सौ की २ वेश्यावृत्ति।
संख्या, ३५००।
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पंतो
पैंती- पु० भेद, रहस्य | त्रीसी-देखो 'पेठीयों
नाग- देखो 'नाग' ।
पेसट - देखो 'पैंसठ' |
पैकंबर - देखो 'पैगंबर' । पंक [वि० [फा० बैंक ] चतुर, होशियार, कुशल, प्रवीण कनभाव - पु० हाथी की एक बीमारी ।
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( ९९ )
,
पेट-देखो 'पेठ' ।
के लिये अभ्यस्त करना, प्रशिक्षरण देना ।
स- वि० [सं० पञ्चषष्ठि] साठ और पांच पु० साठ और पंठ स्त्री० [सं० प्रविष्ठ १ प्रवेश गति पहुंच २ मूल हो
पांच की संख्या व उसका अंक, ६५ । पैंसठमा (व) - वि० पैंसठ के स्थान वाला । - वि० स के भ
खोजाने पर उसके स्थान पर लिखी जाने वाली हुण्डी । ३ भरोसा, विश्वास । ४ साख, प्रतिष्ठा, इज्जत । ५ चरित्र । ६ कार्य कुशलता, दक्षता । ७ जानकारी, ज्ञान ।
सठी पु० ६५ का वर्ष
पैठणी (बौ) - क्रि० [सं० प्रदिष्ठम् ] १ प्रविष्ठ होना, घुसना । २ गहरा जाना, उतरना ।
क
पं वि० [सं० प्रभा ] १ सुन्दर, मनोहर २ चमकदार [सं० पद] ३ पैदल, प्यादा
पु० [सं० पद १ चरण. पैर । २ पद, श्रोहदा । ३ सगा संबंधी । ४ पैसा, टका । श्रद्धा [सं०] [स] दूध ७ जन, पानी पयज] ८ कमल, नीरज - क्रि०वि० १ ऊपर पर । ३ पास, निकट । ४ किन्तु, लेकिन ५ अनन्तर, पीछे ।
1
२
[सं०
में
कळी ० १ बड़ी जू २ देखो। पैकाम पु० [फा०] पैकान] तीर की नोक पैकार - स्त्री० [फा०] १ लड़ाई, युद्ध । [फा० पायकार ] २ फुटकर सौदा बेचने वाला व्यापारी । ३ देखो 'पेसकार' । पैकेट पु० [० ] छोटा गट्ठर, पुलिंदा ।
|
पैगंबर- पु० [फा०] ईश्वर का संदेश वाहक धर्म प्रवर्तक । पंबरी० [फा०] १ पैगंबर होने की अवस्था या भाव।
२ पैगंबर का पद ।
पंचांग-पु० संदेश, सूचना, खबर पंडकाळी १० जीना, सोड़ी
पेड़णी (बो) - देखो 'पहड़गी' (बी) ।
1
ही स्त्री० [१] जीना सीढ़ी २ सिचाई के लिये जलाशय से पानी लाकर डाले जाने का स्थान, पोदर । ३ डिंगल का निसांरगी छंद विशेष । ४ देखो 'पेड' । बैड़ी पु० [सं० परिधि] १ पहिया, चक्का, चक २ जा चक्र । जाटों का बड़ा मृत्यु भोज । ३ खोए की एक मिठाई विशेष । ४ मकान पर पट्टियां चढ़ाने के लिए बनाया गया रास्ता । ५ देखो 'पेड़ो' ।
'बाल स्त्री० [सं० प्रत्याभिज्ञान] १ परिचय पहचान २] जानकारी ।
'चलो (बी) - देखो 'पहचांगरणी' (बो) ।
पैज स्त्री० [सं० प्रतिज्ञा ] १ प्ररण, प्रतिज्ञा २ प्रतिस्पर्धा । प्रतिद्व ंद्विता । ३ मर्यादा, सीमा । बंध-वि० प्रतिज्ञा
वीर प्रति मर्यादा रखने वाला प्रतिस्पर्धा करने वाला ।
पंजार - पु० [फा०] जूता, उपानह ।
पेटवली (बी) क्रि० [सं०] प्रविष्ठम्] नये बैलों को कृषि कार्य
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पैठवांन, पंठवांनियो- पु० १ विश्वसनीय व्यक्ति । २ रेल की लाइन बदलने वाला कर्मचारी ।
पंडाली (बी) कि० १ प्रविष्ठ कराना, पुमाना २ गहरा
भेजना, उतारना । हार-०१ प्रवेश २ प्रवेश द्वार दरवाजा | पेठावणी (बी) - देखो 'पठाणी' (बो) । पंडि-देखो बैठ
पैनाग
पंड - स्त्री० १ कुए
के पास बना ढालु रास्ता जिस पर बैल चलते हैं । २ देखो 'पंडी' ।
पैरागी - देखो 'पांणगी' ।
पंडी पु० १ गाटा' या रहट में भीतर की मोर चलने वाला
वेद २ देखो 'पैडी'।
पेली-देखो ''शो'।
पत्रक, पैत्रिक वि० [सं० पैतृक] पूर्वजों का, पूर्वजों से चला भा रहा, पुश्तैनी
पैदल- वि० [सं० पाद तल] १ पैरों से चलने वाला, प्यादा । २ बिना सवारी का क्रि०वि० पैरों से, पांव पांव । -पु० १ पांवों से चलने की क्रिया या भाव। २ पैदल सिपाई । ३ शतरंज की एक गोटी, प्यादी । वंवादि० [सं०] १ उत्पन्न, प्रसूत जम्मा हुधा २ प्रति
"
कमाया हुआ । ३ प्रकट, उपस्थित ।
पैदाइस पैदास-स्त्री० [फा० पैदाइश] १ उत्पत्ति जन्म
२ प्राप्ति । ३ श्रय, ग्रामदनी । ४ उत्पादन । ५ निर्माण । ६ सृजन, रचना ।
पैदावार, पैदावारी - स्त्री० [फा० पैदावार ] १ फसल उपज । २ ग्रामदनी प्राय ।
पैदास - देखो 'पैदाइस' ।
पैना देखा पिनाक' २ देखो 'नाग' ।
"
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पैनाग, पैनायक - पु० [सं० पन्नग] १ सर्प, सांप । २ हाथी, गज । ३ देखो 'पिनाक' |
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पना
( १०० )
पंसाच
पैनो-वि० [सं० पैण] १ तेज धार वाला, तीक्ष्ण । २ देखो | पल-पु. १ मंद गति से चलने वाला बैल । २ आलसी, सुस्त 'पनौ'।
शिथिल । ३ प्राथमिकता, विशेषता। ४ प्रथमावसर । पैबंद-देखो 'पैवंद'।
पैल-देखो 'पहल'। पैबंदी-देखो 'पैवंदी'।
प'लके-प्रव्य०१ पहले, पूर्व में । २ पूर्व या गत वर्ष में । पबदू-देखो 'पैवंद'।
लड़ो-देखो 'पै'लौ'। पेमांनो-पु० [फा० पैमाना] १ माप दण्ड, नाप । २ नापने पैलणी (बी)-देखो 'पेलणी' (बी)। का उपकरण।
प'लपांत, 'लपोत, पैलपोत-अव्य० सर्वप्रथम, सबसे पहले। पैमाइस, पैमायस-स्त्री० [फा० पैमाइश] भूमि नापने की | | पैलांतर-वि० पूर्व जन्म का। क्रिया, माप ।
पै'ला-प्रव्य० १ आदि से, शुरू में, सर्वप्रथम । २ भागे, पूर्व । पैमाल-वि० [फा० पा-माल] १ रौंदा हुआ पदाक्रान्त । | ३ विगत काल में, पूर्व में। ४ देखो ''ली'।
२ तबाह, नष्ट, दुर्दशाग्रस्त । ३ नष्ट-भ्रष्ट । ४ निरर्थक | 'ळाद-देखो 'प्रहळाद'। व्यर्थ । बेकार ।
पलियांण, पलियांत-वि० १ प्रथम, पहली । २ पहली बार होने पमाली-स्त्री०१ दुर्गति । २ बरबादी
वाला । -स्त्री० प्रथम प्रसव करने वाली मादा पशु । पैमास-देखो 'पैमाइस'।
'ली, पली-क्रि०वि० १ प्रथम, पहले। २ उस प्रोर, दूसरी पैर-पु० [सं० पददण्ड] १ चरण, पांव । २ धूलि पर पड़ा पद अोर । -वि. १ प्रथम, पहली। २ उस ओर की, दूसरी चिह्न । ३ वैभव, ऐश्वर्य । ४ रक्त प्रदर। ५ प्रहर। पोर की । ३ देखो 'प'लो' । ४ देखो 'पै'ला'। ६ वक्त, जमाना । ७ खलिहान । ८ समय या युग का पलीधर-स्त्री० दूसरा किनारा, दूसरा तट । कोई विभाग। ९ बड़े कार्य का कोई भाग । -गाडी-स्त्री० पलीयांत-देखो 'पैलियांण'। पैरों से चलाने की छोटी गाड़ी।
| पलूण, पैलूणी-देखो 'पैलियांण' । पैरण-पु० [सं० परिधान] खत्री-वैश्यों की स्त्रियों का एक | 'ल, पल-क्रि०वि०१ उस पोर । २ प्रथम, पहले। अधोवस्त्र विशेष ।
पलदिन-क्रि० वि० वर्तमान दिन से तीन दिन पहले या बाद । 'रणौ बौ)-क्रि० १ स्वीकार करना, अपने ऊपर लेना।। पैलपार-क्रि०वि० उस पार, दूसरे किनारे । २ तैरना । ३ देखो 'पहरणो' (बी)।
प'लोड़ो-देखो 'पै'लो'। (स्त्री० पै'लोड़ी) पैरवाई-देखो 'पैरवी'।
पलोट, पलोटणी, पलोठणी-देखो 'पलियांण' । परवास, परवेस-पु० [सं० परिवेश] पोशाक, वेशभूषा, पै'लो, पैलो-वि० (स्त्री० पै'ली, पली) १ प्रथम, पहला, प्रथम पहनावा।
बार हुआ। २ किसी वर्गीकृत वस्तु के प्रारंभिक अंश से पैरवी-स्त्री० [फा०] १ अनुगमन, अनुसरण । २ पक्ष का
संबंधित । ३ प्रतियोगिता में सर्वप्रथम घोषित । ४ वर्तमान मण्डन, न्यायालय में किसी पक्ष का प्रस्तुतीकरण ।
काल से पूर्व का । ५ दूसरा, अन्य ।। ६ शत्रु । ७ प्रागे पाने ३ माज्ञा पालन। ४ कार्यवाही । ५ कोशिश, प्रयास,
वाला, भावी। -जनम-पु० पूर्व जन्म । अगला जन्म । प्रयत्न । -कार-वि० पैरवी करने वाला।
-भव-पु० पूर्व जन्म । 'रांमणी (वी) देखो 'पहरावणी' ।
पंवंद-पु० [फा० पैबंद] १ किसी वस्त्र के बड़े छेद पर सीने का पराक-वि० [सं० प्लावक] तैरने वाला, तैराक ।
वस्त्र-खण्ड । २ जोड़। पैराकर-वि० पार करने वाला।
पवंदी-वि० [फा० पैबंदी] १ जिसमें पैबंद लगा हो। २ पबंद पैराकी-वि० १ प्रवीण, चतुर । २ देखो 'पैराक' ।
लगा कर तैयार किया । ३ वर्ण संकर । पराणी (बो)-क्रि० १ स्वीकार कराना । २ तैराना, तैरने के | पैस-स्त्री० १ गति, पहुँच, प्रवेश । २ देखो 'पेस' । लिये प्रेरित करना । ३ देखो 'पहराणी' (बी)।
पैसण-स्त्री० [सं० प्रविष्ट] पहुंच, प्रवेश ।। पैरावरण-स्त्री० [सं० परिधानम्] १ पहनाने की क्रिया या भाव।
पसणी (बो)-क्रि० [सं० प्रविश] प्रवेश करना, घुसना । २ पहनाने के वस्त्रादि । ३ गिरासी जाति में विवाह की एक रीति विशेष ।
पंसर-देखो 'पैसार'। पै'रावणि-देखो 'पहरावणी'।
पैसवाई-देखो 'पेसवाई'। पैरावरणा(बी)-१देखो 'पहराणी'(बी)। २ देखो प'राणौ'(बी)। पंसाच, पैसाची-वि० [सं० पैशाची] पिशाच संबंधी, पिशाची। पैरोकार-देखो 'परवीकार' ।
-स्त्री० [सं० पैशाची] एक प्रकार की प्राकृत भाषा ।
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पंसारणी
परेधारणी
पैसाइणी (बो), पैसारणी (बी)-क्रि० प्रविष्ट कराना, घुसाना। | पोक्कारणी (बौ)-देखो 'पुकारणो' (बी)।। पंसार-पु० [सं० प्रवेशनम्] १ प्रवेश, पेठ । २ डेरा। ३ प्रवेश | पोख-पु० [सं० पोषण] १ शरण, प्राश्रय, सहारा। २ देखो द्वार । ४ पायात।
'पोसण' । ३ देखो 'पौक' । पेसारी-पु० [सं० प्रवेशम्] १ पुष्करणा ब्राह्मणों की एक | पोखण-देखो 'पोसण' ।
वैवाहिक रीति या रश्म । २ इस अवसर पर गाया पोखणौ-वि० [सं० पोषण] (स्त्री० पोखरणी) १ पालन पोषण जाने वाला गीत । ३ विवाहोपरान्त दूल्हे-दुल्हन के गृह-प्रवेश करने वाला । पोषक । २ संरक्षक । -पु० श्रीमालो की रश्म विशेष । ४ देखो 'पैसार'।
ब्राह्मणों की एक वैवाहिक रश्म । पैसावरणौ (बौ)-देखो 'पैसाणो' (बी)।
'पोखरणो (बो)-१ देखो 'पोसणो' (बौ) । २ 'प्रांखरपी' (बी)। पहरण-देखो 'पहरण'।
पोखता-स्त्री० [सं० पोषित] मनोवांछित सुख देने वाली एक पहरणो (बौ)-देखो 'पै'रणी' (बौ)।
अप्सरा विशेष । पहराणी (बी)-देखो ''राणी' (बो)।
पोखर, पोखरी-पु० [सं० पुष्कर] १ छोटा तालाब, जलाशय । पहरावणी-देखो 'पहरावरणी' ।
२ बरसाती पानी का गड्ढ़ा। ३ देखो 'पुस्कर'।' पहरी-देखो 'पैड़ी'।
पोखाळी-पु० १ नाश विनाश, खराबी, बरबादी । २ तत्त्व हीन पहल-देखो 'पहल'।
व निरर्थक वस्तु। पहलड़ो-देखो 'पै'लो'।
पोगड-देखो 'पौगंड'। पहलां, पहला-देखो 'प'ला' ।
पोगर-स्त्री० [सं० पुष्करी] हाथी की सूड । पहळाव-देखो 'प्रहलाद'।
पोगसापुद्गळ-पु. प्रात्मा से लगकर अलग हुए पुद्गल । (जैन) पहली-देखो 'प'ली'।
पोगेती-स्त्री० [सं० पर्यस्त स्वस्तिकाशन, पालथी। पहलौ-देखो 'पै'लो' । (स्त्री० पहली)
पोग्गळ, पोग्गल-देखो 'पुद्गल' । पोंच-१ देखो 'पहुंच'। २ देखो 'पौच'।
पोग्गळी, पोग्गली-वि० पुद्गल वाला। पोंचणी (बो), पोतरणी (बी)-देखो 'पहुंचणी' (बी)। पोड़-देखो 'पौड़' । पोहच-१ देखो 'पहुंच'। २ देखो 'पौच'।
पोडकणौ (बो)-क्रि० बदलना, फिसलना। पोहचणौ (बो)-देखो 'पहुंचणी' (बो)।
पोड़ि-देखो 'पौड़'। पोहचाणी (बो)-देखो 'पहुँचाणो' (बौ)।
पोच-वि० [फा० पूच] १ नीच, दुष्ट । २ पोचा, अोछा, तुच्छ । पोहतरणी (बी)-देखो 'पहुँचणी' (बी)।
-पु. १ कुमार्ग, कुसंग । २ कायरता, कमजोरी। पो-पु०१ पिण्ड । २ सुत, पुत्र । ३ वध । ४ प्रभु । ५ देखो 'पौ'। । ३ देखो 'पोचौ'। पो'-स्त्री० १ पृथ्वी। २ चौपड़ नामक खेल में एक दांव । पोच-देखो 'पहच'। ३ देखो 'पौ'।
पो'चणी (बी)-देखो 'पहु चरणो' (बी)। पोन-देखो 'पोत'।
पो'चाणो (बी)-देखो 'पहुंचाणो' (बौ)। पोप्रो (बी)-देखो 'पोव गो' (बी)।
पो'चापी-पु०१ प्रतिष्ठा, अपकीर्ति । २ पोछापन, हल्कापन । पोप्राणो (बो)-देखो 'पोवाणी' (बी)।
३ अपमान, अनादर । ४ कायरता। पोइण-देखो 'पोयण' ।
पोचावरणौ (बौ)-देखो 'पहुंचाणी' (बौ)। पोइणि, पोइणी-देखो 'पोयणी' ।
पोचौ-वि० [फा० पू] (स्त्री० पोची) १ घृणित, निकृष्ट, पोइस-प्रव्य० [फा० पोश] हटो, बचो मादि सांकेतिक ध्वनियां ।।
हेय । २ तुच्छ । ३ कमजोर, अशक्त, क्षीण । ४ शूद्र । पोईण-देखो 'पोयण'।
५ अनुसूचित वर्ग का। . पो'कर-१ देखो 'पुस्कर' । २ देखो 'पोखर' ।
पोछड़ी-स्त्री० [सं० पश्च] १ प्रौढ़ावस्था की अंतिम संतान । पोकरणा-देखो 'पुस्करमा'। .
२ उक्त संतान वाली स्त्री। पोकरणो-देखो 'पुस्करणो' । (स्त्री० पोकरणी)
पोछड़ीयो-पु० पानी निकालने के रस्से से जोड़ा जाने वाला पोकरमूळ-देखो 'पुस्करमूळ' ।
छोटा रस्सा । पोकरी-देखो 'पुस्करी'। पोकारणी (बौ)-देखो 'पुकारणो' (बो)।
पो'छणौ (बो)-देखो 'पहचरणो' (बौ) । पोका-वि० १ पुकारने वाला । २ देखो 'पुकार' ।
पोछाणौ (बो)-देखो 'पहुंचारणौ' (बो)।
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पोछोंडी
( १०२ )
पोषड़
पोछोंडो-पु० मकान का पृष्ठ भाग ।
मोटाई। १३ दश वर्ष का हाथी। १४ वृक्ष का अंखुमा । पोट-स्त्री० [सं०] १ ढेर, समूह। २ पकने की स्थिति । ३ पीठ १५ वह स्थल जहां घर हो। [सं० प्रोत] १६ स्त्री के
पर माल लदे गधे, बैल मादि का समूह । ४ गठरी, बुगचा। कंठाभरण में पिरोये जाने वाले छोटे मोती। १७ माला। ५ बिजली, बज्र । ६ सर्प के मुंह में होने वाली विष की १८ गले में पहनने का काला डोरा, पवित्रा। थैली।
पोतइ-देखो 'पोते'। पोटलियौ-पु०१ कंधे पर सामान लाद कर फेरी लगाने वाला। | पोतक-पु० [सं०] १ नाव, नौका। २ जानवर का बच्चा । व्यापारी। २ बकरी के बालों की बनी छोटी दरी। | ३ छोटा वृक्ष । ४ वह भूखण्ड, जिस पर मकान बना हो। ३ देखो 'पोट'।
पोतड़ियो-देखो 'पोतड़ो'। पोटली-स्त्री. १ छोटी गठरी । २ देखो 'पोट' ।
पोतड़ी-पु. १ बच्चों के अधो भाग में बांधने का वस्त्र खण्ड, पोटळी-पु. १ कोड़ा, चाबुक । २ देखो 'पोट'। ३ देखो | चिथड़ा । २ देखो 'पोतो'। 'पोटळियौ'।
पोतरणो-पु० वह कपड़ा जिसमें कोई चीज पोती जावे। पोटाणौ (बो), पोटावणी (बौ) -क्रि० बहकाना, फुसलाना। -वि० पुताई करने वाला। पोटि-देखो 'पोट'।
पोतरणौ (बो)-क्रि० [सं० प्लुत] १ पुताई करना । पोतना। पोटियो-पू० [सं० पृष्टिवाहिकः] १ घास का छोटा ढेर।। २ लेपन करता
२ पीठ पर बोझा लादने के काम वाला बैल । | पोतदार-पु० [फा०] १ कोषाध्यक्ष, खजांची । २ बड़ा अफीमची। पोटी-स्त्री० १ पक्षियों की पेट की थैली जिसमें चुगा-पानी पोतरउ-देखो 'पोतो'। रहता है । २ ऊंट के पैर में होने वाली ग्रंथि ।
पोतरौ-देखो 'पोतो'। पोटीजणी (बी)-क्रि० १ बहकाया जाना, फुसलाया जाना । | पोतवाळ, पोतवाल, पोतवाळियौ-पु० अण्डकोश । २ पटाया जाना।
पोता-देखो 'पोते'। पोटो-पू० १ गोबर, गोमय। २ अनाज के पौधों की बालें मास्वीरे निकलने से पूर्व की अवस्था । ३ देखो 'पोटी'।
पोताचेली-पु० चेले का चेला, प्रशिष्य । पोट्टलजिरण-पु. एक जैन तीर्थंकर ।
पोतादार-देखो 'पोतदार' । पोठ-देखो 'पोट'।
पोतार-देखो 'पुतार'।। पोठियो-देखो 'पोटियो' ।
पोतारणौ (बौ)-देखो 'पूतारणी' (बो)। पोठी-1 देखो 'पोटियो' । २ देखो 'पोट' । ३ देखो 'पोटियो' ।
पोतारो-पु० १ पुताई करने का ढंग, पुताई का कार्य । पोठीयो-देखो 'पोटियो ।
२ पुताई का उपकरण । पोठो-देखो 'पोटौ'।
पोताळ, पोताळियौ-देखो 'पोतवाळ' । पोडी-देखो 'पौड़ो'।
पोति-१ देखो 'पोत' । २ देखो 'पोती' । ३ देखो 'पोते'। पोढ़उ-देखो 'प्रौढ़'।
पोतियो-पु० साफा । पगड़ी। पोढ़णौ-वि० (स्त्री० पोढ़णी) शयन करने वाला। पोढरणो (बो)-देखो 'पौढ़णों (बौ)।
पोती-स्त्री० [सं० पौत्री] पुत्र की पुत्री, पौत्री। पोदारो (बी)-देखो 'पौढ़ाणी' (बी)।
पोते, पोत-सर्व० स्वयं, खुद । -क्रि०वि०.१ हिसाब में, खाते पोदिम, पोढिमपणउ-देखो 'पौढ़म' ।
में । २ पास में, कब्जे में । ३ जमा बंदी में । पोढ़ी-देखो 'पौढ़ी'।
पोतदार-देखो ‘पोतदार। पोढ़ीनाथ-पु० रामदेव तुवर नामक सिद्ध का एक नामान्तर । | पोती-पु० [सं० पौत्र] १ पुत्र का पुत्र, पौत्र । २ अफीम का पोढ़ीनेर-देखो 'पौढ़ी।
बटुमा। पोरगी (बी)-देखो 'पोवणो' (बी)।
पोत्यौ-देखो 'पोतियो'। पोत-पु० [सं०] १ जहाज, नाव । २ पशु, पक्षी प्रादि का
पोत्राण-देखो 'पौत्रांगण' । बच्चा । ३ अधोवस्त्र, धोती। ४ बालक । ५ भेद, रहस्य । ६ वह गर्भस्थ पिण्ड जिस पर झिल्ली न चढ़ी हो। ७ ढांचा,
पोत्रो-देखो 'पोतो'। बनावट, रचना । ८ प्राभा, कांति। ९ बरछी। १० वस्त्र,
| पोथकी-स्त्री० नेत्र की पलक का एक रोग । रेशमी वस्त्र । ११ वस्त्र की बुनावट । १२ वस्त्र की पोथड़, पोथड़की, पोथड़ी-देखो 'पोथी' ।
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पोथी
पोलो
पोपी, पोयो-स्त्री० [सं० पुस्तिका] १ पुस्तक, किताब, मथ । पोरख-देखो 'पौरम' ।
२ किसी ग्रंथ का कोई भाग, जिल्द। -खांनी-पु० पोरचौ-पु० पत्थर की वह कुण्डी जिसमें रहट की माल से पुस्तकालय।
पानी गिरता है। पोद-स्त्री. १ कुछ विशेष प्रकार के पौधों का नया कल्ला जिसे पोरवाळ-पृ० जैन मतावलंबी एक जाति ।
एक स्थान से उखाड़ कर अन्यत्र खोंसा व उगाया जाता | पोरस -देखो 'पोरस'। है। २ उक्त प्रकार के पौधों का समूह । ३ इन पौधों को पोरस, पोरसी-स्त्री० [सं० पौरुषी] १ एक प्रहर तक धर्म रोपने की क्रिया।
ध्यान करने की क्रिया। (जैन) २ देखो 'पौरस' । पोदीनी-पु० [फा० पोदीन] पत्तीदार छोटा पौधा जिसकी पोरसौ-देखो पौरसौं'।
पत्तियां साग-सब्जी व प्रौषधि में काम पाती हैं। पोरस्स-देखो 'पोरस'। पोदो (धौ)-पु० १ वृक्ष का कल्ला, पौधा । २ छोटे पौधों वाली पो'रायत-देखो 'पौ'रायत' । ___ वनस्पती।
पोरियौ-पु. उदर-भरण का साधन, छोटी मजदूरी। पोध-देखो 'पोद।
पोरिस-देखो 'पोरस'। पोन-देखो 'पवन'।
पोरिसी-देखो 'पोरसी'। पोनखीलो-पु० ग्राभूषणों पर खुदाई करने का प्रौजार विशेष । पोरी-स्त्री० १ मूल द्वार, गुदा । २ योनि । पोन्य-देखो 'पुण्य'।
पोख्याड, पोख्याड-देखो 'पोरवाळ' । पोपट-पु० १ योनि भग। २ तोता, शुक ।
पो'रौ-देखो 'पहरौ'। पोपळ, पोपल-वि० १ खोखला, पोला, पोपला। २ कमजोर | पोळ-स्त्री०१ साढ़े पांच गज का जमीन का एक माप विशेष । __ अशक्त । ३ सारहीन, तत्त्व रहित ।
२ देखो 'पौळ'। पोपलीन-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।
पोल-स्त्री०१ पासमान, आकाश । २. खाली जगह, खोखलापोपलो-वि० (स्त्री० पोपली) १ अत्यन्त पिलपिला । २ पिचा पन । ३ शून्य स्थान, रिक्तता। ४ अव्यवस्था । ५ अनुशासन हुया, पिचका हमा। ३ बिना दांत का। ४ खोखला,
का प्रभाव । ६ देखो 'पौल' । थोथा । ५ स्थूलकाय, थलथला।
पोलक-पु० हाथी को नियंत्रित करने हेतु बांस पर बांध कर पोपां, पोपांबाई-वि० मूर्खा, मूर्ख । -स्त्री. एक प्रयोग्य व जलाया जाने वाला पयाल । मूर्खा रानी जो जालौर की शासक थी।
पोलग्वाळी-पु. एक प्रकार का सिंचाई का कूमा। पो'बारा-पु० चौपड़ का एक दाव।
पोळच, पोळछ-स्त्री० १ कृषि भूमि की उर्वरावस्या विशेष । पोमचियो, पोमचौ-पु० १ एक विशेष प्रकार का दुपट्टा । २ इस अवस्था वाला खेत । २ स्त्रियों के प्रोढ़ने का एक वस्त्र विशेष ।
पोलड़ी-स्त्री०१ अंगूठी के मध्य का उभरा हुमा भाग। २ देखो पोमणी (बी), नोमाणी (बो), पोमावणी (बौ)-क्रि० पोल' । ३ देखो पोलरी' ।
[सं०पहुपमानम्] १ प्रात्मश्लाघा या खुद की प्रशंसा करना। पोलरी-स्त्री० १ सिलाई करते समय दजियों द्वारा अंगुली में २ मन ही मन खुश होना, मोद भरना, इतराना। पहनने का छल्ला । २ स्त्रियों के पैरों का प्राभूषण विशेष । ३ गर्व करना।
पोल-रो-खत-पु. कर्जे की लिखावट का पत्र । पोमावती-स्त्री. १ एक मात्रिक छंद विणेष । २ एक प्राचीन | पोलसेढी-स्त्री. प्रासानी से दही जाने वाली मवेशी। नगर।
पोलाद-देखो 'फोलाद'। पोमी-स्त्री. १ मल द्वार, गुदा । २ योनि, भग। ३ देखो।
पोळि-१ देखो 'पोळी' । २ देखो 'पौळ' । -पात= 'पौळपात' । 'प्रथवी'।
पोळियो-देखो 'पौळियौ'। पो'मूळ-देखो 'पुस्करमूळ' । पोय-पु० [सं० पथ] १ कमल । २ टगरण के सातवें भेद का | पोळियति-स्त्री० [सं० प्रतोली-वृत्ति] मुख्य द्वार पर नियुक्ति नाम । -नाम-पु० ब्रह्मा । विष्णु।
। के संबंध में मिलने वाला वेतन । पोरिण, पोयणी-स्त्री० [सं० पधिनी] कमलिनी । -नाळ-स्त्री० पोळी-पु० रोटी के ऊपर की पतली परत । २ दूध पर प्राने कमल की नाल।
वाली पतली मलाई । ३ देखो 'पौळी'। पोयणौ (बो)-देखो 'पोवरणौ' (बौ)।
पोलो-वि० (स्त्री० पोली) खोखला, खाली।-पु. १ लकड़ी पोर, पोर-१ देखो 'पो'र' । २ देखो 'प्रहर' । ३ देखो 'पेरवो'। प्रादि पर लगाने का धातु का छल्ला, खोल । २ पर का
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पोपट
( १०४ )
पोहोसो
प्राभूषण विशेष । ३ गोबर, गोमय । ४ घोड़ों पर बैठ पोस्त, पोस्ता-पु० [फा० पोस्त] प्रफीम का पौधा व डोडा। कर खेला जाने वाला एक खेल। .
पोस्ती-पु० [फा०] १ डोडा पीने वाला अफीमची। २ भालसी पोवट, पोवटो, पोवठ, पोवठी-पु० [सं० पौष-प्रावट] पौष | आदमी। - मास की वर्षा ।
पोस्तीन-पु. [फा०] १ गरम और मुलायम रोऐं वाला समूर पोवरण (रिण, पी, ग, पो)-स्त्री० १ रोटी बनाने की क्रिया। हिरणु आदि । २ खाल का बना कोट विशेष ।
माला पिरोने का कार्य । ३ उक्त कार्य करने वाला। पोह-१ देखो 'पह' । २ देखो 'पूस'। पोवणी (बौ)-क्रि० १ रोटी बनाना, रोटी बेलना। २ माला |
पोहकर-देखो 'पुस्कर'। -नाम--'पुस्करनाभ' । पिरोना, बनाना । ३ सुई भादि में डोरा डालना ।
पोहकरमूळ-देखो 'पुस्करमूळ' । पोवा-देखो 'प्याऊ'।
पोहकरी-देखो 'पुस्करी'। पोवाणी (बी)-क्रि०१ रोटी प्रादि बनवाना, बेलवाना-। २ माला | पोहच-देखो 'पहंच'।
पिरोवाना, बनवाना । ३ सुई में धागा डलवाना। पोहचरणो (बो)-देखो 'पहुँचणी' (बी)। पोस-पु० [फा० पोश] १ मेज प्रादि पर बिछाने का वस्त्र । पोहचारणी (बौ), पोहचावरणी (बी)-देखो 'पहुंचाणों' (बी)।
[सं० पोषणम्] २ पालन-पोषण। ३ सुरक्षा, संरक्षण। | पोहढरणो (बी)-देखो 'पौढ़णों' (बो)। ४ कवचधारी योद्धा । ५ कृपा, दया । ६ देखो 'पूस' । पोहतरणी (बी)-क्रि० १ पूर्ण होना, पूरा होना । २ देखो ७ देखो 'पोरस'।
___'पहुंचरणौ' (बौ)। पोसउ-देखो 'पोसध'।
पोहप-१ देखो 'पुस्पक' । २ देखो 'पुस्प'। पोसक-वि० [सं० पोषक] १ पालने वाला, पालक । २ सहायक। पोहपमाळ, पोहपमाळा-देखो 'पुस्पमाळा' । ३ बढ़ाने वाला, वर्द्धक ।
पोहपविमर्माण-देखो 'पुस्पकविमाण' ।। पोसण-पु० [सं० पोषण] १ पालन । २ वर्द्धन, बढ़ोतरी। पोहम, पोहमी-देखो 'प्रथवी' । पोसणो (बी)-क्रि० [सं० पोषणं] पालना, रक्षा करना। पोहमीईस-पु० [सं० पृथ्वीश] राजा, नप । पोसत-देखो 'पोस्त'।
पोहर-देखो 'प्रहर'। पोसता-देखो 'पोखता'।
पोहराइत, पोहराधत-देखो 'पौ'रायत' । पोसती-देखो 'पोस्ती'।
पोहरू-१ देखो 'पौ'रायत' । २ देखो 'पहरौ' । पोसध-देखो 'पौसध'।
पोहरे'क-देखो 'पौरे'क'। पोसप्प-देखो 'पुस्प'।
पोहरी-१ देखो 'पहरौ' । २ देखो 'प्रहर'। पोसवा-स्त्री० पंवार वंश की एक शाखा ।
पोहल-पु. गुरु नानक की वाणी सुनाने के बाद पिलाया जाने पोसवाळ-देखो 'पोसाळ'।
__ वाला शर्बत। पोसह, पोसहउ-देखो 'पोसध'।
पोहव-१ देखो 'पह' । २ देखो 'प्रथवी' । पोसाक, पोसाख-स्त्री० [फा० पोशाक पहनने के वस्त्र, वस्त्रों पोहवी-देखो 'प्रथवी'। . का जोड़ा। पहनावा ।
पोहो-स्त्री० पौष मास की पूर्णिमा । पोसारणी (बी)-क्रि० १ पूरा पड़ना, निर्वाह होना, गुजर | पोहोकर-देखो 'पुस्कर'। -नभ,नाम= 'पुस्करनाभ' । होना। २ हानि न होना, देन-लेन में ठीक पड़ना।
पोहोचाणी (बो)-देखो 'पहुंचाणो' (बौ)। ३ पालन कराना, रक्षा कराना।।
पोहोत-देखो 'पहुँच' । पोसारी-देखो 'पौसध'। पोसाळ-स्त्री० [सं० पाठशाला] छोटा विद्यालय, चटसाल ।
पोहोतरणौ (बो)-देखो 'पहुँचरणो' (बी)। महाजनी विद्यालय ।
पोहोप-देखो 'पुस्प', पोसाळियो-पु० उक्त प्रकार के विद्यालय का प्रध्यापक व छात्र ।
पोहोपकछ-मधुवैत्य-पु० एक प्रकार का प्रश्व विशेष । पोसावणी (बी)-देखो 'पोसाणी' (बी)।
पोहोमी-देखो 'प्रथवी'। पोसीदगी-स्त्री० [फा० पोशीदगी] छिपाव, दुराव ।
पोहोर-देखो 'प्रहर'। पोसीदा-क्रि०वि० छिपे तौर पर, गुप्त रूप से।
पोहोलो-वि० (स्त्री० पोहोली) चौड़ा, विस्तृत । पोसीदी-वि० (स्त्री० पोसीदी) छुपा हुमा, गुप्त ।
पोहोव-१ देखो 'पह' । २ देखो 'पौ'। पोसौ-१ देखो 'पौसध' । २ देखो 'पूस' ।
. | पोहोसौ-देखो 'पौसध'।
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पोही
पोरस
पोहो-देखो 'पौ'।
पौढरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रलोठनम्] १ सोना, मोजाना । पोहोर-देखो 'प्रहर'।
२ आराम करने के लिये लेटना, विश्राम करना । पाँच-देखो 'पौच'।
३ धराशायी होना। ४ घोड़े या घोड़ी का भूमि पर पांचाळ, पौचाळी-देखो 'पौचाळी' (स्त्री पींचाली)
बैठना। पाँची-स्त्री० हाथी को नियंत्रण में करने का काष्ठ का उपकरण पौढ़म पु० [सं० प्रौढ] १ शौर्य, पराकम, बहादुरी। २ पौढ़ता, विशेष ।
प्रौढ़त्व । ३ देखो 'पौढिम'। पौय-देखो ‘पहुंच।
पौढ़ाकू वि० शयन करने वाला। पौंथरणो(गे)-१ देखो 'पौथणी' (बी) । २ देखो 'पहुंचणी' (बो)। पौढ़ाडणौ (बौ), पौढ़ाणौ (बो)--क्रि० १ सुलाना, सोने के लिये पोहचणी (बो)-देखो 'पहुंचणी' (बौ)।
प्रेरित करना । २ लेटाना, पाराम कराना। ३ धराशायी पौहचि-देखो 'पोच' ।
करना । ४ घोडे या घोड़ी को भूमि पर बैठाना, गिराना। पोहचौ-देखो 'पूचौ'।
| पौढ़ापौ-पु० [सं० प्रौढत्व] १ प्रौढ़ावस्था । २ वृद्धावस्था, पौ'-स्त्री० [सं० प्रपा] १ राहगीरों, यात्रियों प्रादि को जल वृद्धत्व । ३ देखो 'पौढ़म'।
पिलाने का स्थान, प्याऊ। २ प्रातःकाल । ३ चौपड़ का पौढ़ी-स्त्री. १ मारवाड़ के पोकरण नगर का पुराना नाम । एक दाव । ४ देखो 'परौं।
२ सोने की क्रिया या भाव । पौइणी-देखो 'पोयणी'।
पौढ़ोमणी-वि० [सं० प्रौढ़] प्रौढ़त्व वाला, प्रौढ़ । पौक-पु० पशुओं के बैठने का खुला स्थान ।
पौढ़ी-वि० [स० प्रौढ़] (स्त्री० पौढ़ी) १ प्रौढ़ । २ अनुभवी, पो'कर-देखो 'पुस्कर'।
बुद्धिमान । ३ विकसित, परिपक्व । ४ निपुण, चतुर । पौकार-देखो 'पुकार'।
पौतरणो(बी)-१देखो 'पोतरणो' (बो)। २ देखो 'पहुँचरणों' (बी)। पौगड-पु० [सं० पौगंडम्] पांच से सोलह वर्ष तक की अवस्था। पोताणी (बो), पोतावणो (बो)-१ देखो 'पोताणी' (बो)। पौड़-पु० घोड़े का सुम।
२ देखो 'पहुंचारणो' (बी)। पोडी-स्त्री० घोडे या ऊंट के अगले पैरों में बांधने का बंधन पौतारणी (बी)-देखो 'पू'तारणो' (बी)। विशेष ।
पौत्र-देखो ‘पोतो। पौच-स्त्री० [सं० प्रभूत] १ पहुंचने की क्रिया या भाव। पौत्राण-पु० १ दोहित्र की संतान, दोहित्र का वंश ।
२ यथा-स्थान पहुंचने की सूचना । ३ जाने या पहुँचने की २ पौत्र व उसका वश । सीमा। ४ क्षमता, बल, सामर्थ्य । ५ ज्ञान, अनुभव, सूझ- पौथरणो (बी)-क्रि० [स० प्रस्थानम्] १ प्रस्थान करना । बूझ । ६ ज्ञान की सीमा। ७ काम करने की योग्यता। २ प्रयाण करना । ३ देखो 'पहुँचणो' (बो)। ८ देखो 'पूची'।
पोथाळी-वि० हृष्ट-पुष्ट ।। पौचणी (बौ)-देखो 'पहुंचरणो' (बौ)।
पौद, पौध, पौधौ-देखो 'पोदो'। पोचवान-वि० १ सिद्धि प्राप्त, सिद्ध। २ शक्तिशाली, समर्थ, पौन-देखो 'पवन'। क्षमतावान । ३ पहुंचने वाला।
पौर- १ देखो 'पौर' । २ देखो 'प्रहर'। पौचाणी (बी)-देखो 'पहुंचाणो' (बो)।
पौर-प्रव्य० [सं० परुत] गत वर्ष में, पिछले वर्षों में । पौचारी-पु. १ पानी आदि में भिगोकर प्रांगन आदि पोंछने का
-पु०- गत वर्ष, पिछला वर्ष । वस्त्र । २ उक्त वस्त्र से पोछने का कार्य । ३ उक्त कार्य की
पौरख-देखो 'पोरस' । मजदूरी। ४ तोप या बंदूक की नाल को ठंडी करने का
पौरव-वि० [सं०] १ पुरु का, पुरु संबंधी । २ पुरु से पाया वस्त्र।
हुमा । -पु. १ पुरु के वंशज । २ उत्तर भारत का एक
प्रान्त । ३ उक्त प्रान्त का अधिशासी। पौचाळ, पौचाळी-वि० १ पहुंच वाला, शक्तिशाली, समर्थ ।
पौरवी-स्त्री० [सं०] १ संगीत में एक प्रकार की मूर्च्छना । २ सिद्ध, मिद्धि वाला।
२ युधिष्ठिर की धर्मपत्नी का नाम । ३ वसुदेव की पोचावणो (ब)-देखो 'पहुंचाग (बी)।
एक पत्नी का नाम । पौछ-देखो 'पौच'। -वान-='पोचवांन' ।
पोरस-वि० [सं० पौरुषेय] मनुष्य का, मनुष्य संबंधी। -पु० पौछाड़सी (बो), पौछारणो (बो), पौछावणी (बो)-देखो [सं० पौरुषम्] १ मानवी कर्म, मनुष्य का कार्य । २ वीरता 'पहुंचारणी' (बी)।
बहादुरी, शौर्य । ३ शक्ति, बल । ४ जोश, उत्साह ।
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पौरसी
५ अहंकार, अभिमान । ६ उद्योग, परिश्रम - वांन - वि० शक्तिशाली, बलवान ।
पोरसी - वि० १ पुरुषार्थी, समर्थ । २ शक्तिशाली, बलवान । ३ देखो 'पोरस' ।
·
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पौरव (बी) देखो 'पौराणों' (बो)। पौरिस देखो 'पोरस' ।
-
( १०६ )
पारसी - पु० [सं०] [पुरुष] पुतला |
स्थान ।
पौरांग - वि० [सं० पौराणिक ] १ पुराण संबंधी, पुराण का । २ प्राचीन पुराना ३ देखो 'पुराण'।
पोसाक (ख) देखो 'पोसाक' ।
पौराणिक वि० [सं० पौराणिक] १ पुराण पाठी । २ पुराण नैसाळ - देखो 'पोसाळ' |
संबंधी ३ पुराण वेत्ता । ४ पूर्व कालीन ।
पोरी पु० १ मूलद्वार, गुदा २ देखो 'पोळ'
पौरख देखो 'पोरस' ।
पौराखौ यौ) - क्रि० प्रतीक्षा करना।
परायत, पौरायती - पु० चौकीदार, पहरेदार, सुरक्षा कर्मचारी पौह-१ देखो 'पह' । २ देखो 'पूस' ।
पौरेक, पौरेक वि० एक प्रहर के लगभग । पौरो देखो 'पहरो'।
पौळ स्त्री० [सं० प्रतोली ] १ बड़ा दरवाजा । २ तोरण द्वार । ३ राज भवन की ड्योढ़ी । ४ बन्दूक की नाल पर लगने वाला उपकरण विशेष ५ सारंगी के ऊपर का एक
भाग । पौल- देखो 'पोल' ।
पौळपात, पौळपात्र- पु० [सं० प्रतोली- पात्र ] १ मुख्य द्वार या पौल पर नियुक्त कर्मचारी । २ द्वाररक्षक । ३ युद्ध के समय मुख्य द्वार खोल कर सर्वप्रथम युद्ध करने वाला चारण वीर, योद्धा ।
पोळी-देखो 'पोळ' ।
पौछोड़ो-देखो 'पौळियो ।
पौळबारहठ - देखो 'पौळपांत' । पोळसत, पोळसित, पौलस्त पौलस्त्य - पु०
१ पुलस्त्य का वंशज । २ कुबेर । ३ रावण । पौलस्स्वी स्त्री० [सं०] रावण की बहन, घूर्पनखा पौहस्थौ पु० [सं० प्रतोली हस्त] १ बड़ा भोज जिसमें सबके
लिये खाने की छूट होती है । २ सती होने वाली स्त्री के हाथ का नगर के मुख्य द्वार पर बना चिह्न । पोळाणी (बौ) - क्रि० प्रारंभ करना, शुरू करना । पोलाब देखो 'फौलाद' ।
पोळावरी (बौ) - देखो 'पौळाणी' (बो) । पौद्धि देखो 'पोळ' ।
पौळिड़ो, पोळियो- पु० द्वारपाल, ड्योढ़ीदार । पोलिस - पु० १ चमक, निकल, कलई । २ चिकनाई, कलई आदि
करने का रोगन या पदार्थ ।
पौलोमी - स्त्री० [सं०] १ इन्द्राणी । २ भृगु ऋषि की पत्नी । पौल्यौ - देखो 'पौळियो' ।
पौस देखो 'पीस'
पौध - पु० [सं०] धर्म वृद्धि के लिये किया जाने वाला व्रत । पौसाला (लो) स्त्री० [सं० पौषधशाला] उक्त व्रत करने का
पोहकर, पोहकर देखो 'पुस्कर' – मूळ' पुस्कर मूळ' | पोहचरणी (बौ) - देखो 'पहुंचणी' (बी) ।
पोहचाणी (बौ) - देखो 'पहु'चाणी' (बौ) । पोहचाळ-देखो 'पौचाळी'।
पोहचावरण (बौ) - देखो 'पहु'चाणी' (बौ) ।
पौहतरपी (बी) - १ देखो पहुचरणी' (बी) । २ देखो 'पोथी' (बी) पोहताणौ (बो), पौहतावणी (बी) - देखो 'पहुंचाणी' (बो) । पौष देखो 'पुरुष' धनु 'पुस्पधनु' । पौहमि पौमी देखो 'प्रथवी' । पौहमीवंदरण- पु० [सं० पृथवी वंदन ] बांस |
।
पीहर पु० [सं० प्रहर) १ जन, पानी २ समय । ३ प्रहर पौहरायत (ती) - देखो 'पौ' रायत' ।
पौहरेकरण - पु० [सं० कर्ण प्रहर] प्रातःकाल, राजा कर्ण
का वक्त ।
पोहरी- देखो 'पहरी' | पौहव-देखो 'पह'। [सं० पौलस्त्यः] पौहुमी- देखो 'प्रथवी' । पोहो-देखो 'पह' । प्यंड- देखो 'पिंड' ।
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प्यारी
पौसावी (बौ) - देखो 'पोसारणों' (बो) ।
पौस्टिक वि० [सं० पौष्टिक] बल, वीर्यवर्द्धक, पौष्टिक ।
प्याड पु० एक प्रकार का कण्ठाभरण । प्याद, प्यादल, प्यादो-देखो 'पैदल' | प्यारंभ - देखो 'प्रारंभ' ।
प्यलोली (बी) क्रि० समेटना ।
प्याज - पु० [फा० प्याज ] भारत में सर्वत्र पाया जाने वाला एक कंद जो सब्जी आदि में काम प्राता है ।
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प्यार - पु० [सं० प्रीति ] १ प्रेम,
स्नेह । २ ममता, वात्सल्य । ३ स्त्री-पुरुष का प्रेम संबंध ४ प्रेम-परक क्रियायें, चुम्बन आदि किसी को अत्यधिक चाहने या प्रासक्त होने की
अवस्था या भाव।
प्यारी वि० घडी लगने वाली प्रिय स्त्री० १ प्रिया, प्रेमिका । २ पत्नी ।
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प्यारो
( १०७ )
प्रकासरगो
प्यारौ-वि० [सं० प्रिय] अत्यधिक अच्छा लगने वाला, मन भाने प्रकरस, प्रकरसक-पु० [सं० प्रकर्ष] १ उत्कर्ष । २ प्राधिक्य,
वाला । प्रिय, प्यारा ।-पु. १ प्रिय प्राणी, प्रेमी । २ पति । अधिकता । ३ उत्तमता । ४ प्रसिद्धि । ५ दोघंता, लम्बाई । प्याली, प्यालो-पु० [फा० पियाल] १ मिट्टी या किसी धातु की ६ बल, ताकत । ____कटोरी विशेष । २ तोप या बन्दूक का कान ।
प्रकवाहरण (न)-पु. [सं० प्रकवाहन] स्वामिकात्तिकेय, षडानन । प्यावड़ी-स्त्री० शरीर पर रंगने की पीली मिट्टी।
प्रकांड-वि० [सं०] १ बहुत बड़ा, विशाल । २ महान्, उत्तम, प्यास (सा)-स्त्री० [सं० पिपासा] १ जल पीने की इच्छा श्रेष्ठ । ३ विस्तृत, चौड़ा । ४ अत्यधिक ।
तृषा। २ भोग की प्रबल इच्छा । ३ तृष्णा । ४ द्रव प्रकाम-स्त्री० [सं० प्राकाम्यां] अष्ट सिद्धियों में से एक । पदार्थ पीने की इच्छा।
प्रकार-पु० [सं० प्रकारः] १ ढंग, तोर, तरीका । २ रीति, प्यासौ-वि० [सं० पिपासु] (स्त्री० प्यासी) १ जल पीने का | प्रणाली। ३ तरह, भांति । ४ जाति, किश्म । ५ भेद ।
इच्छुक, तृषित, पिपासु, प्यासा । २ भोग की प्रबल इच्छा ६ देखो 'प्राकार'। वाला । ३ किसी प्रकार की तीव्र इच्छा या कामना वाला।
प्रकारी-देखो 'प्रकार'। प्यूतारणौ (बौ)-देखो 'पूतारणो' (बी)।
प्रकार, प्रकारौ-पु० [सं० प्रकारः] १ प्रताप, प्रभाव, प्रसर । प्रइज-देखो 'प्रजा'।
२ देखो 'प्रकार'। प्रईक (ख)-पु० [सं० प्रेष्य] नौकर, चाकर ।
प्रकास-पु० [सं० प्रकाश] १ अंधकार की विपरीत अवस्था, प्रउढ़-देखो 'प्रौढ़'।
रोशनी चांदनी । उजाला। २ अंधेरे का नाश करने वाला प्रउढ़ा, प्रऊढ़ा-देखो 'प्रौढ़ा' ।
तत्त्व या शक्ति। ३ ज्योतिर्मान पदार्थों की तरंग शक्ति । प्रकप-पु० [सं०] कंपन, थर्राहट, कंपकंपी।
४ सूर्य, चांद, दीपक आदि की ज्योति जिसकी सहायता से प्रकंपण-पु० [सं० प्रकंपन] १ वायु, हवा । २ थरथराहट ।
दृश्यमान वस्तुओं को देखा जा सके। ५ प्रांखों की देखने प्रकंपमान-वि० कांपने वाला, थर्राने वाला।
की शक्ति । ६ ज्ञान । ७ ख्याति प्रसिद्धि । ५ स्थिति प्रकंबरण-देखो 'प्रकंपण'।
अवस्था। ९ सूर्य का प्रातप, धूप । १० चमक, कांति । प्रक-पु० [सं० प्र-क] मयूर, मोर ।
११ सूर्य, भानु । १२ तेज, दीप्ति. औज । १३ भाकाश । प्रकट-वि० [सं०] १ जो खुला हो, प्रकाशित, बेपर्दा, गुप्त न
१४ घोडे की पीठ की चमक । १५ खुला मैदान । १६ किसी हो। २ प्रत्यक्ष, सामने, स्पष्ट । ३ प्रसिद्ध, मशहूर ।
नथ या पुस्तक का प्रध्याय । ४ दातार । ५ बहुचर्चित । ६ जो रहस्यमय न हो। ७ उत्पन्न । ८ दिखने योग्य । -अव्य० १ साफ तौर से ।
प्रकासक-पु० [सं० प्रकाशक] १ किसी पुस्तक, पत्र-पत्रिका
प्रादि का प्रकाशन करने वाला व्यक्ति, व्यापारी या संस्था । २ प्रत्यक्ष ।
२ सूर्य । ३ विख्यात या प्रसिद्ध कर्ता । -वि० १ प्रकाश में प्रकटणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रकटनम्] १ प्रकट होना, जाहिर
लाने वाला, चौड़े में लाने वाला । २ प्रकाशित करने होना। २ प्रकाशित होना, चौड़े होना। ३ जानकारी में
वाला। ३ व्यक्त करने वाला, व्याख्या करने वाला। आना , सामने आना। ४ उदित होना।
४ प्रसिद्ध या विख्यात करने वाला। ५ प्रगट करने वाला, प्रकटसरीर-पु० [सं० प्रकट:] प्रकट शरीर ।
दिखाने व बताने वाला । ६ चलाने वाला, प्रचलित करने प्रकटाणी (बी), प्रकटावणी (बी)-क्रि० १ जाहिर करना,
वाला । ७ चमकीला, उज्ज्वल । प्रकट करना। २ प्रकाशित करना, चौड़े करना।
प्रकासरण (न)-पु० [सं० प्रकाशन] १ प्रकाशित करने का कार्य । ३ जानकारी में लाना, सामने लाना। ४ पैदा करना ।
२ मुद्रित कर उपलब्ध कराने का कार्य । ३ मुद्रित की ५ भेद खुलवाना।
जाने वाली पुस्तक प्रादि । ४ विष्णु का एक नामान्तर । प्रकत, प्रकति, प्रकत्त, प्रकत्ति, प्रकत्ती-देखो 'प्रक्रति'।
५ सूर्य । ६ वर्णन, व्याख्या। -वि० प्रकट व प्रसिद्ध करने प्रकपन-देखो 'प्रकपण'।
वाला। प्रकर-पु० [सं० प्रकरः] १ समूह, ढेर । २ भीड़ । ३ संग्रह। प्रकासणी (बो)-क्रि० [सं० प्रकाशनम्] १ दिखाना, दर्शन ४ सहायता।
कराना । बताना । २ कहना, कथना। ३ वर्णन करना, प्रकरण-पु० [सं०] १ प्रसंग, विषय । २ किसी पुस्तक या ग्रथ बखान करना। ४ प्रगट व जाहिर करना। ५ चलाना,
का प्रध्याय । ३ प्रारंभिक विषय । ४ वक्तव्य । ५ किसी प्रचलित करना । ६ छपवा कर प्रकाशित करना । ७ चौड़े विषय की व्याख्या । ६ चर्चा का विषय ।
में लाना, सामने लाना।
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प्रकासत
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( १०० )
प्रकासत - देखो 'प्रकासित' ।
प्रकास भूप पु० [सं० प्रकाश भूप] सूर्य, भानु । प्रकासदांन पु० मकान या किसी कक्ष का रोशनदान, वातायन । प्रकासन - देखो 'प्रकासरण' ।
प्रकासमान, प्रकासवांन वि० [सं० प्रकाशमान ] चमकने वाला, चमकीला । उदयीमान । प्रकासित वि० [सं० प्रकाशित] १ जिससे प्रकाश निकल रहा हो, चमकता हुआ, रोशन २ जिसका प्रकाशन हो रहा हो. हो गया हो, प्रगट, प्रकाशित ३ प्रगट, सामने, चौड़ में आया हुआ । ४ दृश्यमान । ५ प्रत्यक्ष । प्रकासी वि० [सं० प्रकाशित्] १ चमकता हुआ चमकीला, प्रकाशमान । २ साफ, उज्ज्वल । ३ प्रकाश करने वाला ।
प्रकीरण - पु० [सं० प्रकीर्ण] १ फुटकर कविताओं का संग्रह | | २ किसी पुस्तक का अध्याय । ३ विभिन्न वस्तुओंों का संग्रह |
1
प्रकीररक - पु० [सं० प्रकीर्णक] १ ग्रंथ का अध्याय, प्रकरण । २ चंवर । ३ घोड़ा । वि० १ फुटकर । २ बिखरा हुआ प्रकीरतन पु० [सं० प्रकीर्तनम् ] १ घोषणा । में कीर्तन |
२ ऊंची श्रावाज
प्रकुचित वि० [सं०] फूड कुपित रूप में, उम्र प्रकुस्मांडी - स्त्री० [सं० प्रकुष्माण्डी] दुर्गा | प्रकोप - पु० [सं०] १ अधिक क्रोध । २ प्रबल व उग्र प्रभाव । ३ रोग का अधिक विस्तार, व्यापकता । ४ शरीरस्थ वात, पित्त, कप आदि में से किसी की विकृति । ५ क्षोभ, दुःख । ६ किसी की नाराजगी के कारण होने वाला प्रभाव । प्रकोर पु० [सं० प्रकोष्ठ १ कोहनी के नीचे का भाग।
२ चारों ओर इमारत से घिरा खुला प्रांगन । ३ बाहरी बैठक का कमरा, कक्ष । ४ कोई विभाग या कक्ष, कोष्ठक प्रक्कास - देखो 'प्रकास' ।
1
प्राणों (यौ) - देखो 'प्रकासणी' (बी)।
-
"
प्रत वि० [सं० प्रकृत] १ असली यवार्थ २ स्वाभाविक । ३ देखो 'प्रक्रति' ।
प्रति, प्रती (ति, सी) स्त्री० [सं० प्रकृति] १ वह धनादि शक्ति जो समस्त विश्व के सृजन, विनाश आदि समस्त क्रियानों का उद्गम स्रोत है । २ प्राणी या वस्तु का जन्मजात गुण, स्वभाव, प्रवृत्ति । ३ वह स्थान जहां वनस्पतियां, पशु, पक्षी आदि अपने मूल रूप में दिखाई देते हों। ४ मनुष्य का जन्मजात गुण जिससे वह शुभाशुभ प्राचरण करता हो। ५ घावास, निर्वाह की वह व्यवस्था जिसके अन्तर्गत मनुष्य मूलभूत पदार्थों का मौलिक स्थिति में उपभोग करता है। ६ माबोहवा वातावरण, जलवायु ।
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७ वैद्यक के अनुसार शरीर रचना व प्रवृत्ति के सात विभाग ८ व्याकरण में वह मूल धातु रूप जिसके उपसर्ग एवं प्रत्यय लगने से अनेक रूप बनते हैं । ६ भारत की प्राचीन राजनीति में राजा, अमात्य, सुहृद, कोष, राष्ट्र, दुर्ग, बल, प्रजा एवं शिल्पी इन नौं तत्त्वों का समूह । १० दार्शनिक क्षेत्र में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि धौर ग्रहंकार इन घाटों का समूह ११
वायु, पृथ्वी, जल व तेज पांच तत्त्व व इनके प्रत्येक के पांचपांच तत्त्व १२ प्रकृति । १३ प्रजा । १४ संतान । १५ स्त्री, नारी । १६ माता । १० योनि लिंग । १८ स्वभाव, तासीर । १६ नमूना, श्रादर्श । २०.२५ की संख्या । २१.८ की संख्या ।
प्रगटदसा
प्रक्रम - पु० [सं०] १ आरंभ, शुरूप्रात । २ ढंग, तौर। ३ कार्यवाही, पद्धति । ४ पैर, कदम भंग-पु० एक साहित्यिक दोष । प्रक्रस्ट - वि० [सं० प्रकृष्ट] १ उत्कृष्टतर, श्रेष्ठ । २ प्रधान, मुख्य ।
प्रक्रस्टता - स्त्री० उत्तमता, श्र ेष्ठता 1 प्रति-देखो 'प्रति' ।
प्रक्ष ेप- पु० [सं०] १ ३ बढ़ाव । ४ फैलाव, बक्सा, भण्डारिया ।
२ परम्परा,
प्रक्रिया स्त्री० [सं०] १ ढंग तौर तरीका प्रणाली । ३ विधि, रीति । ४ ग्रंथ का अध्याय, परिच्छेद । ५ अधिकार, हक । ६ व्याकरण में वाक्य रचना की विधि । प्रक्षिप्त वि० [सं०] १ बाद में जोड़ा या ऊपर से मिलाया हुआ । २ घुसेड़ा या डाला हुआ । ३ आगे की ओर बढ़ा या निकला हुआ । ४ फेंका हुआ ।
1
मिलावट, जोड़। २ घुमाव, प्रवेश ५ बिखराव । ६ छोटा
छितराव
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प्रखंड-देखो 'परखंड' |
प्रखत पु० [सं०] पुत] १ चित्तीदार हिरण २ हिरण ३ मोर, मयूर । ४ मोती । ५ धन, द्रव्य । प्रखतक - पु० [सं० पृषत्क] तीर, बाण । प्रखतवाह पु० [सं० पृषत्वाह] स्वामिकार्तिकेय ।
प्रखर - वि० [सं०] १ तीव्र, तेज, तीक्ष्ण २ बड़ा । ३ श्रत्यन्त उष्ण ।
1
प्रखाळित, प्रखोळित वि० [सं० प्रक्षालित] १ धोया हुआ । २ स्पष्ट, साफ । ३ छिड़का हुआ । ४ पवित्र किया हुआ । प्रख्यात वि० [सं०] प्रसिद्ध विख्यात मशहूर । प्रख्याति स्त्री० [सं०] १ कीर्ति, सुयश । २ प्रसिद्धि । प्रगट - पु० [सं० प्रकट] १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'प्रकट' | प्रगटर (बी) - देखो 'कट' (दो)।
प्रगटदसा स्त्री० [सं० प्रकट + दशा) १ प्रकाश, रोशनी, ज्योति । २ दीपक ।
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प्रगटाणो
प्रत्यक
प्रगटारगो (बो), प्रगटावरणौ (बी)-देखो 'प्रकटाणी' (बी)। प्रघात-पु० [सं०] १ युद्ध, लड़ाई। २ वध, हत्या। प्रगट्ट-देखो 'प्रकट'।
प्रघेळ -देखो 'परगळ'। प्रगट्टणो (बो)-देखो 'प्रकटणी' (बौ) ।
प्रचड-वि० [सं०] १ अत्यन्त तेज तीव्र, उग्र । २ तेज, तीक्ष्ण । प्रगड-पु० [सं० प्रगाढ़] गरुड़।
३ मजबूत, दृढ़। ४ बलवान शक्तिशाली। ५ साहसी, प्रगडउ-देखो 'पगडौं।
वीर । ६ महान्, बड़ा। ७ अधिक. अत्यधिक । ८ भयंकर, प्रगत (ति, तो)-स्त्री० [सं० प्रगति] १ उन्नति, तरक्की, भयावह । ६ महाकाय, बड़ा। १० कठिन, कठोर । विकास, बढ़ाव । २ देखो 'प्रक्रति' ।
११ प्रतापी । १२ दुःसाध्य, कठिन । १३ गुस्सल, क्रोधी । प्रगळ-देखो 'परगळ' । .
प्रचंडक देखो प्रचंड'। प्रगळणी (बो)-देखो 'पिघळणी' (बी)।
प्रचंडता-स्त्री० उग्रता, भयानकता, महानता । प्रगळम-देखो 'प्रगल्भ'।
प्रचंडा-स्त्री० [सं०] दुर्गा, रणचण्डी। प्रगळांण-देखो 'परगळांण' ।
प्रचंडौ-देखो 'प्रचंड' । प्रगल्भ-वि० [सं०] १ निर्भय, निडर । २ साहसी, उत्साही प्रचक्र-पु० [सं०] शत्र दल, शत्रु सेना ।
हिम्मती। ३ वीर, बहादुर । ४ प्रत्युत्पन्न मति, हाजिर | प्रचर-पु० [सं०] मार्ग, रास्ता ।
जवाब । ५ बुद्धिमान, निपुण, चतुर। ६ अभिमानी, गविला। प्रचलण (न)-पु० [सं०] १ परंपरा. प्रथा । २ रीति, रिवाज, प्रगल्भता-स्त्री० [सं०] १ निर्भयता, निडरता । २ साहस नियम, सिद्धान्त। ३ किसी नियम या रीति का व्यवहार
उत्माह । ३ वीरता, बहादुरी । ४ बुद्धिमानी, चतुराई चालू रहना। ४ चलन, प्रचार, फैशन । ५ अनुकरण से निपुणता । ५ ढीटता, दुष्टता ।
चलने वाले कार्य । रूढ़ि प्रगाढ़-वि० [सं०] १ दृढ़, मजबूत । २ अत्यधिक, बहुत ।
| प्रचलित-वि० [सं०] १ जिसका चलन, प्रचलन हो । २ अधिक ३ गहरा, गहन । ४ शक्तिशाली, समर्थ । ५ वीर, बहादुर ।
व्यवहार में पाने वाला। ३ जो चलन में प्रा गया हो। प्रगाळ-पु० [सं० प्रगे-काल] प्रातःकाल, सवेरा । -प्रव्य.
४ प्रचारित। सवेरे । प्रगाळियो-वि० प्रात: काल का, उषाकाल संबंधी। -पु. प्रात:
प्रचार-पु० [सं० १ किसी बात या वस्तु को अधिक लोगों की
जानकारी में लाने की क्रिया, विज्ञापन । २ प्रचलन । कालीन तारा। प्रगास-देखो 'प्रकास'।
३ रिवाज, चलन । ४ परंपरा, रश्म । ५ मार्ग । ६ चालप्रगासणी (बो)-देखो 'प्रकासणी' (बी)।
चलन, प्राचरण। प्रगिना-देखो 'प्रग्या'।
प्रचारक-वि० [सं०] प्रचार, विज्ञापन करने वाला। प्रग्गडणी (बो)-देखो 'प्रकटणौ' (ौ)।
प्रचारणौ (बौ)-क्रि० स० प्रचारम] १ प्रचार करना, प्रग्घळ, प्रग्घळो-देखो ‘परगळ' ।
विज्ञापन करना। २ फैलाना। ३ अधिक लोगों की प्रग्य-वि० [सं० प्रज] १ बुद्धिमान, चतुर । २ प्रतिभावान । जानकारी में लाना। ४ कहना, कथना। ५ प्रचलन में ३ बिद्वान, पंडित । -चक्ष , चख-पु० ज्ञान के नेत्र । नेत्र
लाना । चलाना । ६ भेजना।' हीन, अंधा । मन । धृतराष्ट्र का नामान्तर ।
| प्रचारित-वि० [सं०] जिसका प्रचार कर दिया गया हो, प्रग्रह-पु० [सं०] १ सूर्य या चंद्र ग्रहण का प्रारंभ । २ लगाम
विज्ञापित । प्रचलित. जारी । फैलाया है.प्रा। वल्गा।३ रोक थाम । ४ बंधन, कैद । ५ बंदी, कैदी ।
| प्रचुर-वि० [सं०] १ बहुत, अधिक । २ विपुल, पर्याप्त । प्रघट-देखो 'प्रकट'।
३ बड़ा, दीर्घ, विस्तृत । प्रघटणी (बौ)-देखो 'प्रकटणी' (बौ)।
प्रचुरता-स्त्री० [सं०] १ बहुतायत, अधिकता । २ विपुलता। प्रघट्ट-देखो 'प्रकट'।
३ दीर्घता, विस्तार । प्रघट्टणी (बौ)-देखो 'प्रकटणी' (बी)।
प्रचेता-पु० [सं० प्रचेतस्] १ वरुण । २ एक ऋषि का नाम । प्रघरण, प्रघळ- १ देखो 'परगळ' । २ देखो 'प्रघळी' ।
३ बारहवां प्रजापति । प्रघळी-वि० [सं० पुष्कल] (स्त्री० प्रश्ळी) १ महान्, जबर
प्रचेलक-पु० [सं०] अश्व, घोडा । दस्त । २ देखो 'परगळ' ।
प्रचोळ-वि० अत्यधिक लाल, रक्तवर्ण का। प्रधस-पु० [सं०] १ राक्षस । २ भुक्कड़पन, पेट्रपन । प्रचो-देखो 'परचौ' । ३ ग्रहदीपना ।
| प्रच्छक-वि० [सं०] प्रश्नकर्ता, पूछने वाला।
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प्रच्छन्न
प्रच्छन- वि० [सं०] छुपा है प्रा, गुप्त । प्रच्छा-त्री० [सं०] प्रच्छ) प्रश्न इच्छा
"
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प्रछन, प्रछन्न-देखो 'प्रच्छन्न' ।
प्रजक - देखो 'परयंक' ।
( ११० )
प्रजध- पु० [सं०] रावण की सेना का एक योद्धा ।
प्रजत-देखो 'परयंत' ।
प्रज-पु० १ पति, स्वामी । २ संतान, श्रीलाद । ३ देखो 'प्रजा' ।
प्रजपाळ - पु० [सं० प्रजापालक ] राजा, नृप ।
प्रजपाळरण - पु० प्रजा पालन, प्रजा की रक्षा | प्रजरणी (बी) देखो 'प्र' (बी)
(ब) ० [सं० प्रज्वलनम्] १ जलना, भस्म होना । २ कोप करना, क्रुद्ध होना । ३ फोड़े में जलन होना । प्रजळत [स्त्री० [सं० प्रज्वलनः] १ पनि भाग । अग्नि, । २ देखो
'प्रज्वलित'।
प्रच्छादन - पु० [सं० प्रच्छादनम् ] १ ढकना, छिपाना । २ कपड़ों प्रज्जळणी (बौ) - देखो 'प्रजळणी' (बी) ।
के ऊपर धारण करने का वस्त्र ।
प्रज्जुन- देखो 'प्रद्य ुम्न' ।
प्रज्झटिका - स्त्री० [सं० पद्घटिका ] एक छंद विशेष । बो-देखो 'खो' (बी)।
प्रज्वलित वि० [सं०] १ जो जल रहा हो, सुलगा हुआ,
धधकता हुआ । २. चमकीला । ३ क्रुद्ध । प्रवाळ (बोकि [सं० प्रवासनम् ] जलाना ।
प्रशाळ - स्त्री० [सं० प्रज्वाला ] आग की लपट, ज्वाला । प्रडीन पु० [सं०] उड़ान उड़ना क्रिया या भाव। प्रछ- देखो 'पराव' ।
प्रणत वि० [सं०] १ बहुत शुका हुआ। २ विनीत नम्र ३ दीन । ४ प्रणाम करता हुआ। ५ चतुर, निपुण । - पु० नमस्कार ।
प्रणतारत वि० [सं०] मरणायत दुःखिया
प्रगति, प्रणती - स्त्री० [सं० प्रणति] नम्रता, सुशीलता, दीनता । प्रणपति स्त्री० [सं० प्रणिपातः ] नमस्कार, प्रणाम प्ररणमंग, प्रणम-देखो 'प्रणाम' |
प्ररणमणी (बौ), प्ररणमरणो (बौ) - क्रि० [सं० प्रणाम् ] १ पैरों में झुक कर प्रणाम करना, नमस्कार करना । २ विनय करना ।
जळ प्रजल्प, प्रजल्पन पु० [सं०] गप्प-शप्य वार्तालाप ।
बकवाद । प्रलाप ।
प्रजा स्त्री० [सं०] १ संतान, औलाद । २ किसी राजा, शासक या राज्य के अधीन बसने वाला मानव समाज । जनता । - नाथ, प, पत, पति, पती - पु० राजा, बादशाह ।
शासक ।
प्रजागर - पु० [सं०] १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण का एक नामान्तर । ३ अभिभावक, संरक्षक
प्रजानाथ- पु० [सं०] १ ब्रह्मा । २ मनु । ३ दक्ष प्रजापति । ४ राजा । ५ बादशाह ।
प्रजाप, प्रजापत, प्रजापति, प्रजापती- पु० [सं० प्रजापति ] १ सृष्टि उत्पन्न करने वाला, मूल पुरुष । २ ब्रह्मा, विरंची। ३ ब्रह्मा के दश पुत्र । ४ कश्यप । ५ मनु । ६ सूर्य, भानु । ७ विश्वकर्मा । ८पिता, जनक । ९ राजा नृप । १० कुम्भकार, कुम्हार । ११ सात संवत्सरों में से पांचवां । १२ वार-नक्षत्र संबंधी बनने वाला एक योग विशेष । प्रजापाळावर पु० [सं० प्रजापाल] राजा, नृप । जाळ (बोकि० [सं० प्रज्वलनम् ] १ जलाना, करना । २ क्रुद्ध करना, कुपित करना । प्रजु, प्रजुण, प्रजुन- वि० [सं० प्रज्वलनम् ] १ प्रज्वलित, हुमा २ देखो 'प्रद्युम्न
भस्म
प्रजेस - पु० [सं० प्रजेश ] प्रजापति, राजा । प्रजोग-देखो 'प्रयोग' ।
प्रजोध - वि० [सं०] योद्धा, वीर । प्रश्न- देखो 'प्रजा' ।
सुलगा
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,
प्ररणीत
प्रणय पु० [सं०] १ प्रेम प्रीति, मासक्ति स्नेह २ मंत्री, दोस्ती । ३ मेल-जोल। ४ विश्वास, भरोसा । ५ विवाह, पाणिग्रहण [सं० प्रापी] ६ पति भतार |
प्रणव- पु० [सं०] १ ओंकार मंत्र २ त्रिदेव । ३ परमेश्वर । (बी) देखो 'प्रणमणी' (बी)।
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प्रणाम - पु० [सं० प्रणाम ] नमस्कार, अभिवादन, नमन। प्ररणा स्त्री० [सं० प्ररणी-भावे क्विप् ] गली । प्रणाळ, प्रणाळका पु० १ बड़ा जल मार्ग, नहर, बंबा । २ पानी के निकास की नाली । ३ कमल की नाल । ४ देखो परनाळ' |
प्रणाली स्त्री० [सं० प्रणाली) कार्य करने की विधि, रीति, ढंग परंपरा, रूढ़ि ।
प्रणिधांन पु० [सं० प्रणिधानं ] १ प्रयोग व्यवहार उपभोग २ विशेष प्रयत्न । ३ समाधि ।
प्रणिपात - पु० [सं०] नमस्कार, प्रणाम ।
प्रणीत पु० [सं०] १ मंत्रों द्वारा संस्कारित यज्ञाग्नि २ यश के लिये, मंत्रोच्चार सहित, कूए से निकाला हुआ जल । ३ ऐसा जल रखने का पात्र वि० [सं० प्रणीत] १ उपस्थित प्रस्तुत तैयार । २ लाया हुआ । ३ भेंट किया हम्रा ४ निर्मित, रचित ।
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प्रता
प्रणेता - वि० [सं० प्रणेतृ] निर्माता, रचयिता । प्रतग्या - देखो 'प्रतिग्या' ।
प्रतचा, प्रतज्या- देखो 'प्रत्यंचा' ।
प्रत स्त्री० १ प्रतिज्ञा, प्रण २ देखो 'प्रति' ।
प्रतउत्तर - देखो 'प्रत्युत्तर' ।
प्रतक- देखो 'प्रत्यक्ष'
प्रतस्थ - पु० [सं० प्रतथ्य ] शास्त्र । प्रतिदव (ब)-देखो 'प्रतिद्वंद' । प्रतबंदी (डी) देखो 'प्रतिद्वंदी'
प्रतकूळ - देखो 'प्रतिकूळ' ।
प्रतक्क (वख, क्ष, ख, रूख) प्रतखि (खो) - देखो 'प्रत्यक्ष' |
-बादी = 'प्रत्यक्षवादी' ।
प्रतया प्रतया देखो 'प्रतिस्या' पत्र प्रतिस्यापत्र' । प्रतण-देखो 'प्रत्यक्ष' ।
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प्रतना प्रतनी स्त्री० [सं० पूतना] १ सेना, फौज २ सेना का एक संगठन विशेष । ३ युद्ध, लड़ाई ।
प्रतया देखो प्रतिया' |
प्रतपक्षी प्रत देख प्रतिपक्षी' ।
प्रतपावरण वि० [सं० प्रतिपादन] दातार, दानी, उदार प्रतपाळ - देखो 'प्रतिपाळ' |
प्रतपाळक, प्रतपाळग-देखो 'प्रतिपालक' | प्रतपाळण-देखो 'प्रतिपाळण ।
प्रतपाळणो (बो) - देखो 'प्रतिपाळणी' (बो) ।
प्रतपाळी- देखो 'प्रतिपाळ' ।
प्रतप्यणी (बी) देखो' (बी)।
प्रतबंध - देखो 'प्रतिबिंब' |
प्रतबंध - देखो 'प्रतिबंध' ।
प्रतिबिब देखो प्रतिविव
( १११ )
प्रतपरण- पु० [सं० प्रतपनम् ] १ तप, तेज । २ प्रताप, प्रभाव । ३ शौर्य ।
प्रतपणौ (ब) - क्रि० १ प्रताप फैलना, यश फैलना। २ शौर्य बढ़ना । ३ तपना, तेजोमय होना । ४ ऐश्वर्यवान होना, सुख भोगना ।
प्रतबिंबी- पु० [सं० प्रतिबिंब ] दर्पण, शीशा । प्रतभा देखो 'प्रतिभा' ।
प्रतमक - पु० [सं०] एक प्रकार का दमा रोग ।
प्रतमा - देखो 'प्रतिमा' ।
प्रतमाळ, प्रतमाळा, प्रतमाळी- देखो प्रतिमाळी' । प्रतयोगता - देखो 'प्रतियोगिता' ।
प्रतर - पु० [सं०] पार उतरने या जाने की क्रिया या भाव। प्रतरतप- पु० [सं०] एक प्रकार का उपवास (जैन) ।
प्रतहार - देखो 'प्रतिहार' ।
प्रतानी देखो 'पता कली'।
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प्रतरोधक देखो प्रतिरोधक' ।
प्रतळ - पु० [सं० प्रतल] १ पाताल के सातवें भाग का नाम । २ हाथ की हथेली ।
प्रतवाय० [सं० प्रत्यवाय] १ शस्त्रोक्त कर्तव्य एवं नित्य कर्म न करने पर लगने वाला दोष । २ शास्त्र विरुद्ध मार्ग | ३ शास्त्र विरुद्ध प्राचरण ४ न्यूनता, ह्रास । प्रतवासत पु० [सं० वास्तोष्पति ] इद्र ।
प्रतव्योम - पु० एक सूर्यवंशी राजा ।
प्रतसटा, प्रतसठा- देखो 'प्रतिस्ठा' ।
प्रति
प्रताप पु० [सं०] १ ऐसा ताप जिसमें तीव्र तेज हो, श्राभा, चमक, कांति । २ उष्णता, गर्मी, ताप । ३ पराक्रम, शौर्य । ४ साहस । ५ ऐश्वर्य, वैभव । ६ प्रभाव, रौब । ७ पुण्य प्रभाव । ८ गौरव, यश ६ ख्याति । १० बल, शक्ति । ११ यश, कीर्ति । १२ प्रकाश, रोशनी । १३ कारण । १४ प्रतिभा बळी, बळी वि० शूरवीर, यशस्वी, प्रतिभाशाली । भाग्यशाली । नवविक्रमी, प्रतापी । महिमावान ।
प्रतापी, प्रतापीक वि० [सं० प्रतापी ] १ प्रभावशाली, गौरवशाली । २ शक्तिशाली । ३ ऐश्वर्यशाली । ४ यशस्वी । प्रतापिता पु० [सं० प्र + ताबू] पिता प्रति-देखो 'प्रति' । प्रतिवादेन प्रत्यंचा'।
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प्रति अव्य० [सं०] १ एक उपसर्ग, हर । २ उल्टा, विपरीत, विरोध में । ३ समान सदृश। ४ बदले । ५ स्पष्ट, सामने । ६ प्रत्यक्ष । ७ फल स्वरूप | ८ भली प्रकार से । ९ हरेक, एक-एक । १० तुलना में, मुकाबले । ११ ओर, तरफ । स्त्री० १ किसी ग्रंथ की जिल्द, किताब, कृति । २ नकल, प्रतिलिपि । कार पु० बदला, प्रतिशोध, वैर । चिकित्सा, इलाज । निराकरण । पुरस्कार । - कुछ वि० विपरीत, उल्टा विरुद्ध जोया माफिक न हो कुछता स्वी० उस्टापन, विरोध । अनुकूल न होने की अवस्था या गुण ।घात पु० सामना, मुकाबला । चोट के बदले चोट । रुकावट, बाधा ।
1
-घातक. घाती- वि० सामना करने वाला, चोट के बदले चोट करने वाला । रुकावट या बाधा डालने वाला । शत्रु, दुश्मन । -पक्ख, पक्ष, पख वि० विरोधी पक्ष, सामने वाला पक्ष । शत्रु सेना पक्षी, पच्छी - वि० विरोधी मुकाबले में पाने वाला
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प्रतिप्रयसीन
। ११२ )
प्रतिबोषण
--फळ-पु० किसी कार्य का परिणाम । किसी कार्य से प्राप्त का पक्ष रखने वाला व्यक्ति । ५ किसी संस्था या संघ का होने वाला फल । एक क्रिया के बदले की जाने वाली क्रिया। सदस्य । ६ संसद या विधान सभा के लिए चयनित व्यक्ति। प्रतिशोध । -बंब, बिब-पु० प्रतिछाया, छाया । परछाई। प्रतिपति-पु० [सं० पितपति] यमराज । चमक, झलक।
प्रतिपतिकरम-पु० [सं० पितपतिकर्म] श्राद्धादि में सबसे अंत में प्रतिप्रवसान-पु० भोजन ।
किया जाने वाला कर्म । प्रतिक्रम-पु० [सं०] १ प्रदक्षिणा, परिक्रमा । २ विपरीत क्रम । प्रतिपद, प्रतिपदा-स्त्री० [सं० प्रतिपदा, प्रतिपद] १ किसी प्रतिक्रमण (णा)-पु. [सं०] शुभ योग के लिये की जाने वाली | मास के पक्ष की प्रथम तिथि । २ द्वार, दरवाजा। साधना।
प्रतिपावक-वि० [सं०] १ विषय की व्याख्या करने वाला, प्रतिक्रिया-स्त्री० [सं०] १ एक क्रिया के परिणाम स्वरूप होने २ सविवरण सामने रखने वाला। ३ साबित करने वाला,
वाली दूसरी क्रिया। २ किसी कार्य या घटना के पक्ष- प्रतिपन्न करने वाला। विपक्ष में कही जाने वाली बातें । टीका-टिप्पणी । प्रतिपादन-पु. [सं०] १ व्याख्या, निष्पादन । २ किसी पक्ष की ३ विपरीत क्रिया। ४ एक अवस्था के अंत से दूसरी स्थापना । ३ प्रारंभ । ४ अभ्यास । ५ प्रस्तुतीकरण । विपरीत प्रवस्था का प्राविर्भाव । ५ रक्षण, रक्षा । प्रतिपाप-पु० [सं०] पापी के साथ किया जाने वाला कठोर व ६ सहायता। ७ बदला, प्रतिकार। ८ विरोध, मुकाबला। पापमय व्यवहार। -वाब-पु० परम्परागत सिद्धांतों का विरोध करने वाला प्रतिपायण-पु० [सं० प्रतिपादन] दान ।
मत । -वादी-स्त्री० उक्त मत को मानने वाला। प्रतिपाळ प्रतिपाल-स्त्री० [सं० प्रतिपालन] १ रक्षा, रक्षण, प्रतिग्या-स्त्री० [सं० प्रतिज्ञा] १ कुछ करने या न करने का संरक्षण । २ देख-रेख, निगरानी। ३ पालन-पोषण ।
दृढ़ निश्चय, संकल्प। प्रण। २ शपथ, सौगंध । ३ वादा, ४ सहायता, मदद । ५ बचाव । -वि० १ रक्षा करने वचन। ४ बयान, घोषणा । ५ न्याय के पांच अवयवों में
वाला रक्षक । २ सहायता करने वाला सहायक । से एक। -पत्र-पु० उक्त प्रकार के निश्चय का लिखित प्रतिपाळक, प्रतिपाळग-वि० [सं० प्रतिपालक] १ रक्षक, रक्षा पत्र, दस्तावेज ।
करने वाला। २ सहायक, मददगार । ३ प्रतिज्ञा पालन करने प्रतिग्रह (ग्रहण)-पु० [सं०] १ स्वीकृति, ग्रहण। २ विधि वाला। ४ बचाने वाला । ५ पोषक ।
पूर्वक दिये दान को ग्रहण करने की क्रिया । ३ पकड़, प्रतिपाळण-पु० [सं० प्रतिपालन] रक्षा, सहायता, पोषण आदि
अधिकार । ४ पाणिग्रहण, विवाह । ५ रुकावट, बाधा। | करने की क्रिया। प्रतिछांह (छाया)-स्त्री० [सं० प्रतिच्छाया] १ परछाई, प्रतिबिंब । प्रतिपाळणी (बी)-क्रि० [सं० प्रतिपालनम्] १ पालन-पोषण २ प्राकृति, शक्ल ।
करना । २ रक्षा, करना। ३ प्रतिज्ञा पालन करना, प्रतिताळ-पु० [सं० प्रतिताल] कांतार, समराव्य, वैकुठ और निभाना। वांछित नामक चार तालों का समूह ।
प्रतिपाळी-देखो 'प्रतिपाळ' । प्रतितूनी-स्त्री० चौरासी प्रकार के वात रोगों में से एक ।
प्रतिबंध-पू०[सं०] १ सौगंध, शपथ । २ विघ्न, बाधा, अवरोध । प्रतिदद, प्रतिद, प्रतिद्वंद-पु०[सं० प्रतिद्वन्द्व झगड़ा, मुकाबला,
३ किसी क्रिया या क्रिया-व्यापार को रोकने के लिये की दो समान शक्तियों का परस्पर मुकाबला । प्रतिस्पर्धा ।
गई व्यवस्था। ४ नियंत्रण । ५ बन्धन ।
प्रतिबंधक-वि० [सं०] १ प्रतिबन्ध लगाने वाला । २ रोकने या प्रतिवेदी, प्रतिदुबी, प्रतिद्वंदी-वि० [सं० प्रतिद्वन्द्वी] आमने
अटकाने वाला। ३ मुकाबला या सामना करने वाला। सामने या मुकाबले में आने वाला, विरोधी । प्रतिस्पर्धी ।
| ४ बांधने वाला। -पु. १ अंकुर । २ शाखा। प्रतिधुन, प्रतिध्वनि-स्त्री० [सं० प्रतिध्वनि] १ किसी शब्द, पतिवारी
मावाज या ध्वनि के टकराव से पुनः होने वाली आवाज । प्रतिबधणौ (बी)-क्रि० [सं० प्रतिबोधनम्] १ प्रतिबोधित होना, गूज । २ छाया, झलक ।
पात्मज्ञानी होना। २ देखो 'प्रतिबोधणो' (बी)। प्रतिनायक-पु० [सं०] किसी नाटक में मुख्य पात्र का विरोधी प्रतिबोध-पु० [सं०] १ ज्ञान । २ शिक्षण, शिक्षा । ३ जागरण पात्र ।
४ युक्ति, तर्क । प्रतिनिध, प्रतिनिधि, प्रतिनिधी-पु० [सं० प्रतिनिधि] १ मूर्ति, प्रतिबोधण-पु० [सं० प्रतिबोधनम्] १ शिक्षा, ज्ञान, उपदेश
प्रतिमा । २ प्रतिक्रिया में होने वाली किसी पदार्थ के आदि देने की क्रिया। २ जागत करने की क्रिया । समानता की कल्पना। ३ स्थानापन्न । ४ शासन एवं राष्ट्र | ३ उपदेश, चेतावनी ।
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प्रतिबोधण
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( ११३ )
प्रतिलाभरणौ (बो) १० दानादि का प्रतिफल मिलना, प्राप्त होना ।
प्रतिबोधरणौ (बौ) - क्रि० [सं० प्रतिबोधनम् ] १ शिक्षा, ज्ञान श्रादि देना, उपदेश देना । २ जागृत करना, जगाना । ३ सचेत करना । ४ आत्मज्ञान कराना ।
प्रतिमट पु० [सं०] बराबरी या मुकाबले का योद्धा - वि० मुकाबला करने वाला ।
1
प्रतिमा स्त्री० [सं०] १ साधारण मानसिक शक्ति, असाधारण बुद्धिबल । २ प्रभावित या आकर्षित करने की असाधारण शक्ति। ३ साहस, वीरता ४ चमक, उज्ज्वलता । ५ प्रकाश, रोशनी । ६ प्रतिबिंब । ७ ढीटता । -वांन वि० जिसमें प्रतिभा हो, विशेष शक्ति वाला । - संपन, साळी- वि० प्रतिभावान ।
अक्खड़पन ।
प्रतिभू पु० [सं०] जमानत देने वाला, जामनी ।
प्रतिमल (मल्ल) - पु० [सं० प्रतिमल्ल ] १ मुकाबला । २ मुकाबला करने वाला ।
प्रतिमांन पु० [सं० प्रतिमान] १ हाथी के ललाट के नीचे या दोनों दांतों के बीच का भाग । २ मूर्ति, प्रतिमा । ३ साहश । ૪ दृष्टान्त, उदाहरण आदर्श प्रादर्श | ५ मान, तौल । ६ प्रतिबिंब । ७ मानदण्ड । प्रतिमा स्त्री० [सं०] १ धातु या पत्थर आदि की बनी कोई मूर्ति । २ शक्ल, आकृति । ३ चित्र ४ किसी देवता की मूर्ति । ५ हाथी के दांतों पर लगाने का छल्ला । ६ हाथी के शिर का एक भाग । ७ साहित्य में एक अलंकार । प्रतिमाळ (माळा, माळी) - स्त्री० १. कटार । २ चौसठ कलायों में से एक ।
प्रतियोगता प्रतियोगियता स्त्री० [सं०] १ मुकाबला, प्रतिस्पर्धा । २ तुलना शत्रुता, दुश्मनी ४ खण्डन । प्रतिराह - स्त्री० [सं०] वही मार्ग ।
प्रतिस्परद्धा, प्रतिस्परधा स्त्री० [सं० प्रतिस्पर्द्धा ] १ प्रागे बढ़ने की होड़, मुकाबला प्रतियोगिता २ मुकाबला। प्रतिस्रत स्त्री० [सं० प्रतिश्रुत ] वादा, प्रतिज्ञा ।
प्रतिहत- वि० [सं०] १ हटाया हुआ । २ भगाया हुआ । ३ रुका हुआ, अवरुद्ध |
प्रतिरोध पु० [सं०] १ विरोध अवरोध रुकावट
1
२ रोक, मनाही ३ रा ४ छिपाव, दुराव ५ चोरी, डकैती प्रतिहार ० [सं०] १ । घेरा । । । पु० द्वारपाल, दरबान । २ छड़ीदार, ६ भर्त्सना । चवदार ३ पहरेदार ४ राजकुल रक्षक एक कर्मचारी विशेष | ५ उक्त कर्मचारी वर्ग से उत्पन्न एक राजवंश । प्रतीक - वि० [सं०] १ प्रतिकूल, विरुद्ध २ उल्टा, विलोम ।
प्रतिरोधक पु० [सं०] १ वं शत्रु २ चोर प्रतिरोध
करने वाला ।
प्रतिरोधन - पु० [सं०] १ प्रतिरोध की दशा, अवस्था । २ चोर, डाकू ।
३ स्थानापन्न । पु० १ स्थानापन्न वस्तु । २ सबूत । ३ नमूना ४ प्रतिमा, मूर्ति ५ प्राकृति६ मुख, मुँह ७ किसी गद्य-पद्य का प्राद्यन्त ।
प्रतीकार- देखो 'प्रतिकार'
प्रतिलिपि, प्रतिलिपी - स्त्री० [सं० प्रतिलिपि ] मूल पत्र या दस्तावेज की नकल, कोपी 1
प्रतिवाद पु० [सं०] १ किसी बात का विरोध, खण्डन । २ उत्तर-प्रतर विवाद बहस प्रतिवादी - वि० [सं०] प्रतिवाद विरोध या बहस करने वाला, विरोधी ।
--
"
·
प्रतिवास स्त्री० [सं०] १ सुगंध महक २ प्रतिवेश, पड़ोस ३ पास में निवास ।
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प्रतिभ्यंब - देखो 'प्रतिबिंब' ।
प्रतिसत श्रव्य० प्रति एक सौ पर ।
प्रतिसी स्त्री० [सं०] परदा कनात चिक
प्रतिस्टा ( स्वा) स्त्री० [सं०] प्रतिष्ठा] १ स्थापना, स्थापित करने की क्रिया । २ मान, मर्यादा, इज्जत । ३ आदर, सत्कार, सम्मान । ४ यश कीर्ति, ख्याति । ५ पृथ्वी । ६ आधार, ठहराव । ७ शांति, विश्राम । ८ स्थिरता, स्थाइत्व । ९ चार वर्ण का एक वृत्त विशेष ।
प्रतिस्ठापण (न) - पु० प्रतिस्ठापण (न) पु० [सं० प्रतिस्थापन] किसी प्रतिमा की
विधिवत स्थापना ।
प्रतीठ
प्रतिवचन- पु० [सं०] उत्तर, जबाब ।
प्रतिवस्तु स्त्री० [सं०] अन्य वस्तु के सदृश वस्तु ।
प्रतिवस्तूपमा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का उपमा अलंकार विशेष प्रतीह देखो 'प्रतिस्ठा'।
,
प्रतिस्ठावांन वि० इज्जत प्रतिष्ठा वाला । प्रतिस्ठित वि० [सं० प्रतिष्ठित ] १ स्थापित किया हुआ । २ सम्मानित, इज्जतदार, गौरवशाली । ३ पूर्ण किया हुआ । ४ प्रभावशाली ।
प्रतिस्थावरण - पु० [सं० प्रतिस्थापन] १ मूल वस्तु के स्थान पर स्थानापन्न वस्तु रखने की क्रिया । २ स्थापित करने की क्रिया । ३ स्थापना ।
.
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प्रतीकास पु० [सं० प्रतीकाश्व ] सूर्यवंशी राजा भानु का पुत्र । प्रतीक्षा [स्त्री० [सं०] १ इंतजार २ प्रत्याशापेक्षा । ३ खयाल, विचार । ४ प्रासरा ।
प्रतीचि प्रतीची स्त्री० [सं० प्रतीची] पश्चिम दिशा । प्रतीचीप पु० वरुण ।
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प्रतीठिउ
प्रचवीस
प्रतीठिउ-देखो 'प्रतिस्ठित' । .
प्रत्यग्या-देखो 'प्रतिग्या'। प्रतीत-वि० [सं०] १ गया गुजरा, बीतां हा, व्यतीत । प्रत्यनीक-पु० [सं०] एक अर्थालंकार विशेष ।
२ विश्वास किया ह.मा, विश्वस्त । ३ सिद्ध, साबित । प्रत्यय-पु० [सं०] १ मूल शब्द के अन्त में जुड़कर संयुक्ताक्षर
४ भली प्रकार ज्ञात, प्रसिद्ध । ५ देखो 'प्रतीति' । ___ बनाने वाला शब्द । २ पिंगल का एक अंग । प्रतीतणी (बी)-क्रि० [सं० प्रतीतिः) १ व्यतीत होना, गुजरना। | प्रत्याख्यांन-पु० [सं०] खंडन। . २विश्वास करना ।
प्रत्यागम-पु० [सं०] १ पुनर्जन्म। २ पुनरागमन, वापसी। प्रतीति-स्त्री० [सं०] १ विश्वास, भरोसा। २ अनुभव, प्रत्याहार-पु० [सं०] योग के पाठ अंगों में से एक । ___ जानकारी । ज्ञान । ३ कीर्ति, ख्याति । ४ हर्ष, प्रानन्द । प्रत्युक्ति-स्त्री० [सं०] जबाब, उत्तर । प्रतीप-वि० [सं०] १ प्रतिकूल, विरुद्ध, उल्टा । २ हटी, | प्रत्युत्तर-पु० [सं०] उत्तर पर उत्तर, विवाद। -कळा-स्त्री.
दुराग्रही। ३ बाधक, विघ्नरूप । ४ शत्रु । ५ अप्रिय। बहत्तर कलाओं में से एक । -पु. १ एक अर्थालंकार विशेष । २ राजा शान्तनु के पिता | प्रत्यूह-पु० [सं०] १ रोक, अटकाव । २ विघ्न, बाधा। का नाम ।
प्रत्येक-वि० [सं०] १ बहुतों में से एक, हरेक । २ सब, समस्त । प्रतीर-पु० [सं०] किनारा, तट ।
३ एक बार में एक । ४ अलग-अलग, एकाकी। प्रतीयता-देखो 'प्रतिव्रता'।
प्रथ-देखो 'प्रथु'। प्रतीहार-देखो प्रतिहार'।
प्रथक-प्रव्य० [सं०पृथक्] १ अलग, जुदा । २ भिन्न । ३ एकाकी। प्रतुद-पु० [सं०] पक्षी।
अकेला। प्रते-देखो 'प्रति'।
प्रथम-वि० [सं०] १ पहला, प्रारंभ का। २ सर्वश्रेष्ठ, उत्तम । प्रतेस्ट, प्रतेस्ठ-देखो 'प्रतिस्ठा'।
३ प्रतियोगिता या परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त । प्रतं-देखो 'प्रति' ।
--क्रि०वि० पहले, प्रारंभ में । -पु० पिता । प्रतोखरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रतोषणम् ] संतुष्ट करना । | प्रथमज-वि० [सं०] पहले पहल जन्मन वाला । -पु. बड़ा भाई, प्रतोद-पु० [सं०] १ बैलों को हांकने का डंडा । २ चाबुक । । अग्रज। प्रतोळका, प्रतोळिका-स्त्री० [सं० प्रतोलिका] गली।
प्रथमता-स्त्रो० प्रथम होने की अवस्था या भाव । प्राथमिकता । प्रतोळी-स्त्री० [सं० प्रतोली] १ किसी नगर का मुख्य मार्ग ।
प्रथमपुरस-पु०[सं० प्रथम-पुरुष १ पहला व्यक्ति । २ व्याकरण २ नगर के मध्य का चौड़ा मार्ग। ३ गली। ४ मुख्य
मे उत्तम पुरुष । ३ सस्कृत व्याकरण में अन्य पुरुष । द्वार, बड़ा दरवाजा । ५ नगर प्राचीर का द्वार । ६ दुर्ग का |
प्रथमारण-देखा 'प्रथवी'। मुख्य द्वार। ७ वह दुर्ग जिसका द्वार नगर की भोर हो।।
प्रथमा-स्त्री० [सं०] १ व्याकरण में कर्ता-कारक । २ एक -द्वार-पु० मुख्य दरवाजा।
प्रकार की शराब। प्रत्त स्ट, प्रत्तस्ठ-देखो 'प्रतिस्ठा'।
प्रथमाव, प्रथमादा, प्रथमी-देखो 'प्रथवी'। -सळ='प्रथवीतळ' । प्रत्य-देखो 'प्रथु'।
-पोख%'प्रथवीपोख'। प्रत्यमिय-देखो 'प्रथवी'।
प्रथमेण-१ देखो 'प्रथवी'। २ देखो 'प्रथम'। प्रत्थळ-देखो 'प्रथुळ'।
प्रथम्म-देखो 'प्रथम'। प्रत्थी-देखो 'प्रथ्वीप'।
प्रथम्मी-देखो 'प्रथवी'। प्रत्यंचा-स्त्री० [सं०] धनुष की डोरी।
प्रथरोमा-देखो प्रथुरोमा'। प्रत्यत-पु० [सं०] यवन, म्लेच्छ । -देस-पु. म्लेच्छों का देश ।
प्रथळ-देखो 'प्रबुळ'। धरा-पु० म्लेच्छ देश । -राज-पु० यवन राजा।। प्रत्यक्ष-वि० [सं०] १ जो दिखाई दे रहा हो। २ जो वर्तमान | प्रथा
प्रथवी-स्त्री० [सं० पृथ्वी] १ धरती, धरा, भूमि । २ राज्य, हो, उपस्थित, मौजूद। ३ जो इन्द्रियों से गोचर हो।
राज्य का क्षेत्र । -तळ-पु. पाताल । -धणी-पु० ४ जो सबूत के तौर पर प्रस्तुत हो। ५ जो घुमाव-फिराव
राजा, नप । शेषनाग । -धर-पु. राजा । शेषनाग । पर्वत । से रहित हो, सीधा, सहज । ६ स्पष्ट, साफ, साक्षात् ।
-नाथ-पु० राजा। शेषनाग । -पत, पति-पु० राजा । ७ समीप, पास। ८ शरीर संबंधी। -पु० चार प्रकार के
यमराज। शेषनाग । -पाळ-पु. राजा । इन्द्र, मेघ । प्रमाणों में से एक । -वादी-पु. प्रत्यक्ष को ही प्रमाण
-पोख-पु० इन्द्र । -राज-पु. राजा। मानने वाला व्यक्ति।
प्रथवीस-पु. [सं० पृथिवीश] १ राजा, नृप । २ इन्द्र ।
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प्रथा
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( ११५ )
प्रथा - स्त्री० [सं०] १ परम्परा, परिपाटी, रूढ़ि । २ रीति, ढंग, प्रणाली विधि ३ रश्म, रिवाज [सं० पुषा] ४ पाण्डवों की माता कुंती ।
।
प्रथित - वि० [सं०] प्रसिद्ध, विख्यात ।
प्रथिमि प्रथिमी १ देखो 'प्रथवी' २ देखो 'प्रथम'
1
प्रथिवी-देखो 'प्रथवी' । -धर - 'प्रथवीधर' । -नाथ
'प्रथवीनाथ' । पति, पती- प्रथवीपति' । -पाळ'प्रवीपाळ' |
प्रथी- देखो 'प्रथ्वी' ।
-छात= 'प्रथवीछात' । -नाथ'प्रथ्वीनाथ' । पत, पति, पती 'प्रथ्वीपति' ।-पाळ = 'प्रथ्वीपाल' |
प्रथीप- देखो 'प्रथ्वीप' |
प्रथीपुरदर - देखो 'प्रथ्वीपुरंदर' |
प्रथीस - देखो प्रथ्वीस' ।
प्रभु - वि० [सं० पृथु] १ चौड़ा विस्तृत | २ बड़ा, महान् । ३ दीर्घ, लंबा । ४ विपुल, पर्याप्त अधिक । ५ असंख्य, गणित पु० १ सूर्य वंशी एक राजा । २ राजा वेणु के पुत्र का नाम । ३ अग्नि, आग । ४ विष्णु । ५ शिव । ६ अफीम |
-
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प्रदेश
प्रथ्वीस- पु० [सं० पृथ्वीश ] १ राजा, तृप । २ इन्द्र । प्रदवि० [सं०]] देने वाला, दाता ।
प्रदकण ( णा ) प्रदक्खण (रगा), प्रदक्षरण (गा), प्रदक्षिण (ना) प्रख (सा) स्त्री० [सं० प्रदक्षिण) परिक्रमा, चारों धोर फिर कर लगाया जाने वाला चक्र |
प्रवयवि० [१०] प्रदन] १ चतुर, दक्ष २ प्रदक्षिणा प्रदच्छरण (गा), प्रदच्छिल (गा), प्रदछण (गा), प्रदछिण ( रा ) - देखो 'प्रदक्षिणा' |
·
प्रदत प्रदत्त - वि० [सं० प्रदत्त ] जो दिया जा चुका है, दिया हुआ । प्रदमन-देखो 'प्रद्युम्न' ।
प्रदर- पु० [सं०] १ तीर बारण २ दरार, तड़करण ३ स्त्रियों के गर्भाशय संबंधी एक रोग ।
नदरसक - वि० [सं० प्रदर्शक ] १ दिखानेवाला । २ विज्ञापन करने वाला । ३ प्रेरणा देने वाला । प्रदरसरण (न) - पु० [सं० प्रदर्शन] १ दिखावा, विज्ञापन | २ दिखलाने का कार्य । ३ शिक्षा, उपदेश, व्याख्या । ४ सूरत, शक्ल ५ चितवन । प्रदरसणी, प्रदरसनी - स्त्री० [सं० प्रदर्शनी] नुमाइश वस्तुप्रों का दिखावा ।
।
प्रयुक- पु० [सं०पृथुक ] (स्त्री० प्रभुका ) १ बालक बच्चा, शिशु प्रदर्शन पु० [सं० प्रदानम् ] १ देना किया २ दान ३ भेंट २ चिड़वा । ३ हिंगुपुत्री ।
। ।
चढ़ावा ।
प्ररोमा स्त्री० [सं० पृथुरोमा ] मछली ।
1
|
प्रदाक प्रदाकु० [सं० पुदाकु] १ सर्प सांप २ बिच्छु प्रधुळे - वि० [सं० पृथुल ] १ अधिक व्यापक । २ अधिक लम्बा, प्रदायक - वि० [सं०] देनेवाला । दीर्घ विस्तृत विस्तीर्ण ४ बहुत अधिक ५ ढेर प्रदाव-पु० [सं०] अग्नि धाग । ३ । । राम समूह प्रभू-देखो 'प्रभु' |
1
|
प्रदाह - स्त्री [सं०] शरीर में ज्वर आदि से होने वाली जलन । प्रदिक्षरण, प्रदिक्षणा - देखो 'प्रदक्षिणा' ।
-देखो 'प्रपुळ' ।
प्रविख (ला) देखो 'प्रदक्षिणा'। प्रदिमन-देखो 'प्रद्युम्न' ।
प्रविसा स्त्री० [सं०] प्रदिशा] दो मुख्य दिशाओं के बीच की दिशा, कोरण ।
|
प्रदीप पु० [सं०] १ दीपक, विराग २ प्रकाश ज्योति ३ किरण, रश्मि
प्रदीपक- वि० [सं०] १ प्रकाश या रोशनी करने वाला । प्रदीप्त
प्रधूळप्रथ्वी स्त्री० [सं० पृथ्वी ] १ सौर मण्डल का ग्रह जिस पर मानव सृष्टि चल रही है २ पृथ्वी तत्व भूमि, धरती ३ मृत्युलोक, इहलोक । संसार । ४ धरातल, जमीन । ५ सत्रह अक्षरों का एक वर्ग वृत्त । ६ एक की संख्या*। - काय- पु० मिट्टी, हींगुल, हरताल, पत्थर, हीरा आदि तत्त्व - चक्र पु० भू-मंडल । छात पु० राजा, नृप । - तळ- पु० । ० भूमि की ऊपरी सतह धरातल संसार, विश्व पाताल ! - धर-पु० राजा, नृप । शेषनाग । पहाड़ - नाथ पु० राजा नृपपत, पति, पती पु० | राजा, नृप । यमराज । -पाळ- पु० राजा । इन्द्र । मेघ । - पुत्र-पु० [० मंगल वृक्ष - पोख- पु० राजा । इन्द्र | -- राज-पु० राजा । इन्द्र । प्रथ्वीप - पु० [सं० पृथ्वीप ] राजा । प्रथ्वीपुरदर पु० [सं० पृथ्वीपुरंदर ] राजा, नृप ।
करने वाला, प्रकाशक । २ एक प्रकार का भयंकर विप । प्रदीपल (न) पु० [सं० प्रदीपन] १ प्रकाश या रोशनी करने का कार्य । २ एक प्रकार का खनिज विष । वि० १ प्रकाश करने वाला । २ उत्तेजक ।
प्रदीप्त - वि० [सं०] १ प्रज्वलित । २ प्रकाशित, रोशन ।
३ जगमगाता हुआ, प्रकाशमान । प्रदुमन, प्रदूमन देखो प्र प्रदेश पु० [सं० प्रदेश प्रांत, इलाका
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१ किसी राष्ट्र या देश का कोई भाग २ कोई बड़ा भू-भाग ३ कोई राज्य ।
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प्रवेसी
प्रबळ
४ स्थान, जगह। ५ सघीय राज्य की कोई इकाई। विस्तार। १५ बहुलता, अनेकत्व। १६ भ्रम, धोखा। ६ तर्जनी की नोक से अंगुठे की नोक तक की लंबाई । १७ दृश्य जगत। १८ उलझन । ७ अग, अवयव । -बंध-पु. जीव के साथ न्यूनाधिक प्रपंचक, प्रपची-वि० [सं०] १ प्रपंच करने वाला। २ छली, परमाणु व ले कर्म स्कन्धों का संबंध ।
कपटी। प्रदेसी-वि० [सं० प्रदेशी] प्रदेश का, प्रदेश संबंधी।
प्रपत-देखो 'प्राप्त। प्रदोख-देखो 'प्रदोस'।
प्रपथ, प्रपथ्या-स्त्री० [सं० प्रवथ्था] हरीतकी, हरें। प्रदोमन-पु० [सं० प्रद्युम्न] १ सूर्य , रवि । २ देखो 'प्रद्युम्न'।प्रपा-स्त्री० [सं०] १ पीने के पानी का स्थान, प्याऊ । २ कूप, प्रदोस-पु० [सं० प्रदोष १ सायंकाल, शाम । २ मास के प्रत्येक | कुण्ड । ३ जलकुण्ड । ४ जल पिलाने का कार्य ।
पक्ष की त्रयोदशी को किया जाने वाला व्रत। ३ सायकाल प्रपात-पु० [सं०] १ पतन, गिरावट । २ पहाड़ या ऊंचाई से का अंधेरा। ४ एक दोष विशेष ।
__ गिरने वाला झरना । ३ जल प्रताप । ४ झड़ना, गिरना। प्रद्य मन, प्रद्युम्न-पु० [सं० प्रद्य म्न] १ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । प्रपितामह-पु० [सं०] (स्त्री० प्रपितामही) पिता का दादा ।
२ कामदेव, मदन । ३ मनु के पुत्र का एक नाम । प्रपोडण, प्रपीडन-पु० [सं० प्रपीडनम्] १ बहुत अधिक सताना, प्रद्योत-पु० [सं] १ किरण, रश्मि । २ दीप्ति, प्राभा, चमक । - कष्ट देना। २ बहुत दबाकर रस निकालना । ३ ज्योति ।
प्रपुन्नाट. प्रपुनाड-पु० [सं० प्रपुन्नाट] एक प्रकार का क्षुप, प्रद्योतन-पु० [सं०] १ सूर्य, भानु । २ चमक, प्रकाश । ३ दहकन । चक्रमर्द, चकवड। प्रद्रव, प्रद्राव-पु० [सं०] १ पलायन, प्रयाण। रवानगी । ५ गति, चाल ।
प्रपोतरी, प्रपोतो, प्रपौत्र, प्रपौत्री-पु० [सं० प्रपोत्र] (स्त्री० प्रधन-पु० [सं०] १ युद्ध । २ युद्ध में लूटा हुआ माल । ३ नाश, | प्रपोतरी, प्रपोती, प्रपौत्री) पुत्र का पौत्र, पौत्र का पुत्र । विनाश । ४ नमस्कार ।
प्रफुल-देखो 'प्रफुल्ल'। प्रधान-वि० [सं० प्रधान] १ मुख्य, खास । २ प्रसिद्ध, ख्याति
प्रफुलणी (बो)-देखो 'प्रफुल्लणी' (बौ)। प्राप्त । ३ उत्तम, श्रेष्ठ। ४ मुख्यतया प्रचलित । -पु० १ मुख्य व आवश्यक पदार्थ । २ संसार का उपदान कारण।
प्रफुलित-देखो 'प्रफुल्लित'। ३ परब्रह्म, ईश्वर । ४ शिव। ५ सरदार, दरबारी ।। प्रफुल्ल-वि० [सं०] १ पूर्ण खिला हुमा, फूला हुमा । २ मानन्दित । ६ सचिव, मंत्री, अमात्य । ७ सेनापति । ८ सामंत | ३ मुस्कराता हुआ।
कालीन एक पद। ९ सरपंच के ऊपर का एक पद। प्रफुल्लयो (बौ)-क्रि० १ फलना, फूलना। २ फूल प्रादि का प्रधानगी-स्त्री. १ प्रधान का पद व कार्य । २.ता।
खिलना। ३ प्रानन्दित होना । हषित होना। ४ मुस्कराना। प्रधानता-स्त्री. १ प्रधान होने की अवस्था या भाव ।
प्रफुल्लता-स्त्री०१ फूल आदि के खिलने की अवस्था। २ प्रानन्द, २ प्राथमिकता।
हर्ष । ३ स्वस्थता। प्रधारक-पु० [सं० पदाकु] १ बाण, तीर । २ सर्प, सांप ।
प्रफुल्लित, प्रकूलत-वि० [सं० प्रफुल्लित] १ पूर्ण खिला हुमा, प्रधाव-पु० अाक्रमण, हमला।
फूला हुअा। २ लहलहाता हुमा, हरा-भरा। ३ प्रानन्दित, प्रधुन-देखो 'प्रधन'।
हर्षित । ४ मुस्कराता हुआ। प्रध्वंस-पु० [सं०] १ पूर्ण विनाश । २ संहार । ३ नितान्त
प्रबंड, प्रबंध, प्रबंधौ-पु० [सं० प्रबंध] १ साहित्य में श्रव्य अभाव। प्रध्वंसक, प्रध्वसी-वि० [सं०] विनाश व ध्वंस करने वाला।
काव्य का एक भेद विशेष । २ पद्यबंध रचना, काध्य । प्रनाळ-देखो 'परनाळ'।
३ काव्य का एक भेद । ४ विभिन्न कथानकों का संकलित
ग्रंथ। ५ ऐसा निबंध या लेख जिसका सिलसिला या क्रम प्रनाळका-देखो 'प्रणाळका'।
जारी रहे । ६ अध्याय, सर्ग। ७ सजावट। प्रण, प्रतिज्ञा। प्रनाळी-देखो 'प्रणाली' ।
९ व्यवस्था, इंतजाम। १० योजना । प्रपच-पु० [सं०] १ संसार, दुनिया। २ उद्योग परिश्रम । ३ सांसारिक, झझट । ४ प्रपंच, बखेड़ा। ५ तजबीज
प्रब-देखो 'परव'। उपाय । ६ षड़यंत्र, जाल। ७ विस्तार, फैलाव । ८ कपट, | प्रबय-वि० [सं० प्र-वय] वृद्ध, वयोवृद्ध । बूढ़ा। छल । ९ वागविस्तार, वचनचातुर्य । १० रचना, लीला। प्रबळ-वि० [सं० प्रबल] १ ताकतवर, शक्तिशाली । २ खतरनाक, ११ ठगी। १२ लड़ाई, झगड़ा। १३ प्रदर्शन, विकास। १४ अति | विनाशकारी। ३ प्रचंड, भयंकर । ४ अद्भुत, विचित्र ।
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प्रबहरा
प्रभुता
५ विपुल, अधिक । ६ अत्यन्त मजबूत, सुदृढ़ । ७ उग्र | का नाम । १० कीति, सुयश । ११ लक्ष्मी । १२ आभूषण । प्रचंड।
-कर-पु० सूर्य। चांद, चन्द्रमा। समुद्र, सागर । शिव । प्रवहण-देखो 'प्रवहण'।
-पत, पति-पु० सूर्य. भानु । प्रवाळ (ल)-पु० [सं० प्रवाल] मूगा नामक नगीना। | प्रभात, प्रभाति-पु० [सं०] १ प्रातःकाल, सवेरा। २ रोशनी प्रवाळी-वि०१ प्रवाल का, प्रवाल संबंधी। २ प्रवाल के रंग का प्रारभ । --फेरी-स्त्री० ईश्वर नाम की रट लगाते हुए का। ३ लाल । ४ देखो 'प्रबाळ' ।
प्रात:कालीन नगर-भ्रमण । प्रबीरण-देखो 'प्रवीण'।
प्रमातियो-वि० १ प्रभात संबंधी, प्रभात का। २ प्रभात के प्रबीत-देखो 'पवित्र' ।
समय उदय होने वाला। -तारो-पु० प्रात:काल उदय प्रबीर-देखो 'प्रवीर'।
होने वाला तारा। वह नक्षत्र (ग्रह) जो सूर्य की संक्रान्ति प्रबुद्ध-वि० [सं०] १ बुद्धिमान, विद्वान् । २ जानकार, विज्ञ । | की राशि में हो अथवा उसकी पूर्व राशि में हो।
३ जागृत, जमा हुआ। ४ पूर्ण खिला हुआ, विकसित। प्रभाती-स्त्री० [सं०] १ प्रत्यूष और प्रभास वसुओं की माता । प्रबोध-पु० [सं०] १ किसी विषय या बात का पूर्ण ज्ञान । २ प्रातःकाल (ब्राह्म मुहूर्त) में गाया जाने वाला राग
२ यथार्थ ज्ञान । ३ बुद्धि, प्रज्ञा । ४ जागृतावस्था, अनिद्रा। विशेष । ३ उक्त राग में गाया जाने वाला पद, भजन । ५ सतर्कता, सावधानी। ६ सत्यासत्य का ज्ञान । ७ धैर्य, ४ देखो 'प्रभात'। सांत्वना, प्राश्वासन ।
प्रभावक-स्त्री० [सं० वक्र-प्रभा] तलवार । प्रबोधक-वि० [सं०] १ यथार्थ ज्ञान कराने वाला, बताने वाला।। प्रभाव-पु० [सं०] १ अच्छा या बुरा असर । २ परिणाम,
२ ज्ञान या बुद्धि देने वाला। ३ समझाने-बुझाने वाला। फल । ३ कारण । ४ बल शक्ति । ५ चरित्र बल या सत्ता ४ सचेत करने वाला, चेताने वाला। ५ धीरज बंधाने बल के कारण पड़ने वाला रोब । ६ डर, भय । ७ अन्त: वाला । ६ सांत्वना देने वाला।
करण को किसी प्रोर प्रवृत्त करने का गुण । ८ ज्योतिष में प्रबोधणी (बी)-क्रि० [सं०प्रबोधनम्] १ जागृत करना, जागाना ग्रह या ग्रहों की विशिष्ट स्थिति या विकार ।-साळी-वि०
२ सचेत करना। ३ उपदेश देना। ४ यथार्थ ज्ञान देना। जिसका प्रभाव या रौब पड़ता हो। प्रतिष्ठित । ५ शिक्षा देमा ।
प्रभावती-स्त्री० [सं०] १ एक राग विशेष । २ सूर्य की पत्नी प्रबोधनी-स्त्री० [सं०] कात्तिक शुक्ला एकादशी।
का नाम । ३ एक वर्ण वृत्त, रुचिरा छन्द । प्रब-देखो 'परव'।
प्रभावित-वि० [सं०] १ जिस पर प्रभाव पड़ा हो, जो किसी प्रम्बत-देखो 'परवत'-माळा='परवतमाळा' ।
के प्रभाव में आ गया हो। २ लागू. मान्य । प्रन्म प्रम्भु प्रभू-देखो 'प्रभु'।
प्रभास-वि० [सं०] १ चमकदार, प्रभापूर्ण चमकीला । २ प्राभा प्रबत्ति-देखो 'प्रवत्ति'।
या कांति युक्त। -पु. १ ज्योति, प्रकास, चमक । २ पाठ प्रमज प्रमजण, प्रभंजन-पु० [सं० प्रभञ्जन] पवन, हवा । वसुत्रों में से एक । ३ सौंदर्य । ४ काठियावाड़ का एक प्रम-१ देखो 'प्रभा' । २ देखो 'प्रभु'।
प्रसिद्ध तीर्थ । --खेत्र-पु. उक्त तीर्थ वाला क्षेत्र । प्रभणी (बी)-क्रि० सं० प्र + भण] १ कहना, कथना। प्रभासणी (बी)-क्रि० [सं० प्रभासनम्] १ चमकना, प्रकाशित २ वर्णन करना, बखान करना। ३ रटना, जपना ।
होना । २ दिखाई पड़ना । ३ आभा व कांतिमय होना । ४ उच्चारण करना बोलना।
प्रभित-देखो 'प्रभ्रति'। प्रमत, प्रमता,प्रभति,प्रमती,प्रभत्त, प्रभत्ता, प्रमत्ती-देखो प्रमुता'। प्रमित, प्रभिति-देखो 'प्रभ्रति' । प्रभव-पु० [सं०] १ उद्गम स्थल, निकास, उत्पत्ति स्थान । प्रभिन्न-पु० [सं०] मस्त हाथी । उन्मत्त हाथी ।
२ जन्म, उत्पत्ति । ३ शक्ति, बल, पराक्रम । ४ विष्णु का | प्रभु-वि० [सं०] १ शक्तिशाली, बलवान् । २ योग्य । एक नामान्तर ।
३ अधिकार प्राप्त । ४ बराबरी का। -पु० १ ईश्वर, प्रभवस्यांमळ-पु० [सं० श्यामल-प्रभ] श्रीकृष्ण ।
परमात्मा । २ श्रीकृष्ण । ३ शिव, महादेव । ४ स्वामी प्रभा-स्त्री० [सं०] १ चमक-दमक, जगमगाहट । २ कांति,
मालिक । ५ इष्टदेव । ६ राजा। ७ सर्वोच्च अधिकारी। दीप्ति, प्राभा । ३ ज्योति, प्रकाश, रोशनी। ४ किरण,
८ श्याम रंग । ९ सूर्य । १० इन्द्र । रश्मि । ५ शोभा। ६ सूर्य की छाया। ७ दुर्गा का एक प्रभुता, प्रभुताई, प्रभुति-स्त्री० [सं० प्रभुता] १ प्रभु होने की नामान्तर । ८ कुबेर की नगरी का नाम । ९ एक अप्सरा । दशा । २ प्रभुत्व, प्रभाव । ३ महानता, बड़पन ।
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प्रभू
प्रमुकाणी
४ ऐश्वयं, वैभव । ५ हुकूमत, शासन । ६ शक्ति, बल । ८ सबूत के रूप में मान्य । -पु. १ सबूत के तौर पर कही सामर्थ्य । ७ यश, कीति ।
हुई बात या वस्तु । २ गवाही, साक्षी । ३ सत्यता, सच्चाई। प्रभू-देखो 'प्रभु'।
४ प्रतीति, यकीन, दृढ़ विश्वास । ५ सब के लिये मान्य प्रभूत-वि० [सं०] १ निकला हुआ, उत्पन्न । २ बहुत, विपुल । उचित बात। ६ माप व तोल का मान । ७ लम्बाईप्रभेद-पु० [सं०] १ हाथी की कनपटियों से चूने वाला मद । चौड़ाई, विस्तार, प्राकार, प्रायतन । ८ प्राधार भूत वस्तु । २ भेद, भिन्नता।
९ तरह. भांति, प्रकार। १० तर्क या विवाद की पुष्टि में प्रेम्भु-देखो 'प्रभु'।
कही गई बात । ११ धर्म शास्त्र, प्रागम। १२ तालाब । प्रभ्र स-पु० [स० प्रभ्रंश] पतन, गिरना।
१३ साहित्य में एक अलंकार विशेष । १४ बनाबट । प्रभ्रत, प्रधति, प्रभ्रती, प्रभ्रत्ती प्रनित्ति-प्रव्य० [सं० प्रभृति] | १५ लक्षण, नियम । १६ प्राधार, बूता, जोर । १७ अपना इत्यादि ।
व दूसरों का निश्चय करने वाला सच्चा ज्ञान । १८ न्याय प्रभ्रस्ट-वि० [सं० प्रभ्रष्ट] नीचे गिरा हुमा, पतित ।
शास्त्र के चार प्रमाण । १९ यथार्थ ज्ञान, शुद्ध बुद्धि । प्रम-देखो 'परम' । -गुर, गुरु= 'परमगुरु' ।
२० मात्रा। २१ युक्ति । २२ सीमा । प्रमजोत-स्त्री० [सं० परम ज्योति] परम ज्योति ।
प्रमागणी (बी)-क्रि० [सं० प्रमाणम्] १ मानना, मान्य होना । प्रमत-वि० [सं०] १ विचारा हुआ, मनन किया हुआ ।। २ सिद्ध करना, पुष्ट करना । २ देखो 'प्रमत्त'।
प्रमाण-पत्र-पु० [सं० प्रमाण-पत्र] १ परीक्षा, प्रशिक्षण प्रादि प्रमत्त-वि० [सं०] १ मद मस्त, नशे में चूर । २ उन्मत्त, पागल ।
का उपाधि पत्र । २ सबूत के लिए मान्य लिखित-पत्र । ३ असावधान, लापरवाह । ४ अधिकार प्रादि के
प्रमाणि-देखो 'प्रमाण'। गर्व से युक्त। प्रमथ-पु० [सं० प्रमथनम्] १ मथन । २ पीडा, कष्ट, त्रास । | प्रमाणिक-वि० [सं० प्रमाणिक] १ प्रमाण के रूप में मान्य ।
३ हत्या, वध । [सं० प्रमथः] ४ शिव के गण । ५ घोड़ा। २ शास्त्रज्ञ । ३ मान्य । ४ ठीक, सही । ५ शास्त्र-सिद्ध । --नाथ-पु. शिव, महादेव । -पत, पति-पु० शिव, ६ साक्ष्यों द्वारा सिद्ध। महादेव ।
प्रमाणिका-स्त्री० [सं० प्रमाणिका] एक छन्द विशेष । प्रमथाधिप, प्रमथाध्रप-पु० [सं० प्रमथाधिप] शिव, महादेव ।।
प्रमाणी-१ देखो 'प्रमाण' । २ देखो 'प्रमाणिका' । प्रमथालय-पु० [सं०] १ शिव के गणों का निवास स्थान । २ श्मशान भूमि । ३ कष्ट या यंत्रणादायक स्थान ।
प्रमाणु', प्रमाणु (नु)-१ देखो 'प्रमाण' । २ देखो 'परमाणु' । प्रमदति-देखो 'प्रमुदित'।
प्रमा-स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी, रमा। २ रुक्मिणी का एक नाम । प्रमदरस-पु० [सं० प्रमद-रस] प्रानंद ।
३ यथार्थ ज्ञान, शुद्ध बोधन। ४ यथा आवश्यक अनुभव । प्रमदा-स्त्री० [सं०] १ धर्म पत्नी, भार्या । २ युवती, सुन्दरी । | प्रमातम-देखो 'परमात्मा' । ३ स्त्री, रमणी। ४ रात्रि, निशा ।
प्रमाद-पु० [सं०] १ मादक पदार्थों के सेवन से होने वाला प्रमदावन-पु० [सं०] अन्तःपुर के समीप का बगीचा ।
नशा । २ मस्ती। ३ मानव मस्तिष्क की मदान्ध अवस्था । प्रमपुर-देखो 'परमपुर'।
४ ऐसी अवस्था में की जाने वाली भूल । अनुचित कार्य । प्रममंडप-पु० [सं० परममंडप] देवालय, देवमंदिर ।
५ लापरवाही, बेपरवाही । ६ उन्माद, पागलपन । ७ अन्तः प्रमरथ-देखो 'परमारथ'।
करण की दुर्बलता । ८ बेहोशी, मूर्खा । पालस्य । प्रमरदन-पु० [सं० प्रमर्दनम्] १ अच्छी तरह से मन।। १० भूल, गलती गफलत । ११ बेहोशी, मूर्छा। १२ योग २ कुचलने या नष्ट करने की क्रिया।
शास्त्र के अनुसार नौ प्रकार के अंतरायाम । प्रमळ -देखो 'परिमळ' ।
प्रमादी-वि० [सं० प्रमादिन्] (स्त्री० प्रमादण) १ प्रमाद करने प्रमहंस-देखो ‘परमहंस'
वाला । २ पागल । ३ उन्मत्त, मस्त । ४ लापरवाह,
असावधान । प्रमाण (प)-वि० [सं० प्रमाणम् ] १ जो सबके लिये मान्य
प्रमार-देखो 'परमार'। हो । २ मुताबिक, अनुसार। ३ समान, तुल्य, अनुरूप,
7 मरण। ४ पटल. दद। ५ कामयात कार्य | प्रमीस-पु० [सं० परम-ईश] १ परमात्मा, ईश्वर । २ विष्णु । सफल, सार्थक । ६ निर्धारित, निश्चित, सही। ७ सत्य। प्रमुकरणौ (बौ), प्रमुक्करणो (बौ)-देखो 'मूकणो' (बौ)।
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प्रमुख
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प्रमुख - वि० [सं०] १ सबसे अग्र या पहले होने वाला । २ मुख्य, प्रधान। ३ सर्वश्र ेष्ठ, उत्तम ४ सर्वोच्च पद पर होने वाला । ५ जो दूसरों के प्रतिमुख होकर खड़ा हो। -पु० १ राज्य का प्रधान । २ प्रधान शासक ३ विधान सभा या संसद का अध्यक्ष । - श्रव्य० १ प्रादि प्रभृति । २ प्रागे सामने २ बर्गर प्रमुखता - स्त्री०
[सं०] १ प्रमुख होने की अवस्था या भाव। २ प्राथमिकता । ३ विशेषता ।
( ११९ )
प्रमुख पु० [सं०] १ धानन्द, हर्ष २ देखो 'प्रमुदित'
प्रमुदित - वि० [सं०] १ प्राह लादित, हर्षित, खुश । २ सुखी । प्रमूhit (at) - देखो 'मूकणी' (बौ) ।
प्रमेय - वि० [सं०] १ जिसका अवधारण हो सके, जो समझ में
श्री सके । २ जो प्रमाण का विषय हो । ३ जो प्रमाणों से सिद्ध हो सके। पु० १ प्रमारणों से जाना हुआा विषय । २ सूत्र ।
प्रम्मळ, प्रम्मल- वि० [सं० परिमल ] २ देखो 'परिमल' |
प्रमेस, प्रमेसर, प्रमेसुर, प्रमेस्वर - देखो 'परमेस्वर' । प्रमेह - पु० [सं०] धातु संबंधी एक रोग विशेष । प्रमोद पु० [सं०] हर्ष, खुशी, मोद, विनोद। प्रमोदक - वि० [सं०] हर्ष-प्रद, आनन्द-दायक - पु० एक प्रकार का जड़हन ।
प्रमोदन पु० [१०] विष्णु का एक नामान्तर । प्रमोश स्त्री० [सं०] पाठ प्रकार की सिद्धियों में से एक। प्रमोहन - पु० [सं०] सम्मोहन क्रिया । प्रम्म- देखो 'परम'।
प्रम्मदा-देखो 'प्रमदा' ।
१ सुन्दर ।
प्रयत्न- पु० [सं०] १ किसी कार्य के लिये
की जाने वाली मानसिक व शारीरिक चेष्टायें । २ प्रयास, उद्योग । ३ श्रम, परिश्रम । ४ क्रियाशीलता, सक्रियता । ५ वर्ण के उच्चारण की क्रिया । ६ न्याय शास्त्र के अनुसार जीव या प्रारणी के छः गुणों में से एक जो उसकी सक्रिय चेष्टा का सूचक हो । प्रयसा - स्त्री० [सं०] रावण की अनुचरी एक राक्षसी । प्रय ० [सं० प्रयाणम् ] १ यात्रा का प्रस्थान, कूप, रवानगी २ यात्रा, सफर । ३ अभियान, चढ़ाई । ४ मर कर किसी ४ मर कर किसी अन्य लोक में गमन । ५ कार्य का अनुष्ठान या प्रारंभ । ६ प्रक्रमण हमला । ७ उन्नति, विकास, बढ़ोतरी। ८ मृत्यु, महायात्रा ९ घोड़े या पशु की पीठ । -काळपु० प्रस्थान का समय, यात्रा का प्रारंभ । मृत्युकाल । प्रयाग पु० [सं०] १ गंगा-यमुना के संगम स्थल पर बना एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान । २ वह स्थान जहां अधिक यज्ञ होते
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प्ररूपणी
३ प्रथम गुरु की चार मात्रा का नाम । ४ यज्ञ । ५ घोड़ा । ६ इन्द्र ।
प्रयागराज पु० [सं०] 'प्रयाग' तीर्थ । प्रयागराजेस्वर - पु० [सं०] प्रयाग वट के पास स्थित शिवालय । प्रयागवड - पु० [सं० प्रयाग-वट ] प्रयाग का प्रसिद्ध वट वृक्ष । प्रयाविनी पु० [सं० प्राश] पंडित
-
।
प्रयास - पु० [सं०] १ किसी कठिन कार्य के लिये किया जाने वाला उद्योग, श्रम, कौशिश, प्रयत्न २ मेहनत या श्रम से निर्मित वस्तु, श्रम साध्य कार्यं । प्रपुंजली (बी)- कि० प्ररूपित करना ।
प्रयुक्त - वि० [सं०] १ कार्य या व्यवहार में लिया हुआ, इस्तेमाल नियुक्त, नामजद किया हुआ ।
किया हुआ २ संलग्न
४ प्रेरित उकसाया हुआ ।
प्रयुत वि० [सं०] दश लाख पु० दश लाख की संख्या । प्रयोग पु० [सं०] १ किसी कार्य में लगना क्रिया २ अभ्यास
प्रयास । ३ इस्तेमाल, काम में लेना क्रिया । उपभोग । ४ वैज्ञानिक अनुसंधान के पश्चात् नवीन भाविष्कार का परीक्षण ५ इस परीक्षण से सिद्ध वस्तु को समझाने की क्रिया । ६ प्रौचित्य जानने की क्रिया । ७ राजनीति में साम-दाम आदि का अवलंबन । ८ उचित रूप से कार्य करने की विधियां ढंग । ९ तांत्रिक उपचार । १० व्याकरण में क्रियापद का नाम । ११ अभिनय, नाटक । १२ श्रोषध योजना, उपचार । १३ उपकरण, श्रौजार । १४ कार्य का अनुष्ठान प्रारंभ । १५ तरकीब, युक्ति, उपाय । १६ परिणाम प्रतिफल | १७ घोड़ा । १५ प्रथा -साळा स्त्री० वैज्ञानिक परीक्षण सिद्ध करने का विभाग । प्रयोगी- वि० [सं० प्रयोगिन् ] १ व्यवहार में लेने योग्य । २ प्रयोग करने वाला, प्रेरक 1
प्रयोजक- वि० [सं०] १ प्रयोग या अनुष्ठान कर्त्ता । २ काम में लगाने वाला, प्रेरक ।
प्रयोजन पु० [सं०] १ मतलब, आशय, अभिप्राय २उद्देश्य
लक्ष्य ।
परम पु० [सं० प्रथम वेग, गति
प्ररहा - पु० [सं० प्रहार] युद्ध, लड़ाई, श्राघात । प्ररूढ़ - वि० [सं०] १ भागे या ऊपर उठा हुआ । २ उगा हुआ । प्ररूप- पु० [सं०] १ प्रादर्श वस्तु, व्यक्ति या प्रांणी ।
२ व्याख्या ।
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प्ररूपक - पु० [सं०] व्याख्याकार । प्रतिपादक । समझाने बाला । प्ररूपणा स्त्री० [सं०] कथन, वक्तव्य । प्रतिपादन । प्ररूपण (बी) - क्रि० [सं० प्ररूपणम् ] १ कथना । २ प्रतिपादन, व्याख्या करना । ३ समझाना । ४ स्थापित करना,
स्थापना ।
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प्ररोप
( १२० )
प्रवरतारणो
प्ररोप-पु० [सं०] तीर, बांण ।
प्रलोक-देखो ‘परलोक'। प्ररोह-पु० [स०] अंकुर ।
प्रळोणी (बी)-क्रि० [सं० प्रलोठनम्] १ लौटना-पोटना । प्ररोहणी (बो)-क्रि० [सं० प्ररोहणम्] १ उदय होना, उठना । २ धारण करना। २ अंकुरित होना, उगना।
प्रलोप-पु० [सं०] लोप। प्रलंद-देखो 'पुरंदर।
प्रलोभ-पु० [सं०] अत्यन्त लोभ, अधिक लालच । प्रळब, प्रलंब-वि० [सं० प्रलंब १ नीचे की ओर लटकता हुआ | प्रलोभक-वि० [सं०] अधिक लालच देने या करने वाला।
लंबा। २ बड़ा लम्बा। ३ सुस्त । ४ दीर्घ सूत्री। -पु० प्रलोमन-वि० [सं०] १ लोभ, लालच । २ लालसा, तीव्र इच्छा। १ बलराम द्वारा मारा गया एक दैत्य । २ लटकाव, ३ पाकर्षण । झुलाव । ३ शाखा, डाली। ४ कण्ठहार । ५ फूल माला । प्रळोभी-वि० [सं० प्रलोभिन्] १ लोभी, लालची, लालायित ६ स्त्री के कुच । ७ जस्ता, सीसा ।
रहने वाला। २ आकर्षित होने वाला। प्रलंबन-पु० [सं० प्रलंबनम् ] सहारा, प्रवलंबन ।
प्रळो-देखो 'प्रळय'। प्रलंबी-पु० [सं० प्लवंग] १ बन्दर, मर्कट । २ देखो 'प्रलंब'। प्रल्लय-देखो 'प्रळय'। प्रलंभन-पु० [सं० प्रलंभ] छल, कपट, धोखा ।
प्रल्लाद, प्रल्हाद-देखो 'प्रहलाद' । प्रळ-देखो 'पळ'।
प्रवंग-पु० [सं०] घोड़ा, अश्व । प्रळइ, प्रळउ, प्रलइ, प्रलउ-देखो 'प्रळय' ।
प्रवंचक-वि० [सं०] ठग, धोखेबाज, चोर, धृतं । प्रलपन-पू०[सं०प्रलपनम्] १ वार्तालाप, बातचीत । २ संभाषण । | प्रवंचना-स्त्री० [सं०] ठगी, धोखा, चोरी, धूर्तता। ३ गप्प-शप्प। ४ प्रलाप, बकवाद ।
प्रव-देखो 'परव' । प्रळयकर-वि० [सं०प्रलय-कर] प्रलय मचाने वाला, विनाशकारी।
प्रवचन-पु० [सं०] १ किसी विषय को समझाने के लिए दिया प्रळय-पु० [सं० प्रलय] १ न रहने की स्थिति व अवस्था, लय, विलीन। २ पृथ्वी व दृश्य जगत का जल में विलीनी-1
जाने वाला वक्तव्य । २ व्याख्यात्मक भाषण। ३ धार्मिक
| विषयों का उपदेश । करण । कल्पांत में संसार का नाश। ३ कोई बड़ा विनाश होना। ४ भयंकर प्राकृतिक प्रकोप के कारण जन धन की प्रवत-पु. पानी, जल। भारी क्षति । ५ संहार, विनाश, ध्वंस । ६ साहित्य में एक प्रवदारुण-देखो 'प्रविदारण'। सात्विक अनुभाव। ७ मूर्छा, बेहोशी। ८ मृत्यु, मौत। प्रवयण-पू०[सं०] १ बैल हांकने का डंडा, प्रेरणिका । २ चाबुक । -कार-पू० नाश, विनाश, ध्वंस, संहार ।-काळ-पु. ३ अंकूश । संसार के नाश का समय, कल्पांत। विनाश की घड़ी।
प्रवर-वि० [सं०] १ महिमान्वित । महिमा वाला। २ श्रेष्ठ, -काळी-वि० विनाशकारी। -झळ-पु० प्रलयकाल की
उत्तम । ३ मुख्य, प्रधान। ४ आयु में सबसे बडा । ज्वाला अग्नि । विनाशकारी अग्नि ।
५ वरिष्ठ । -पु० १ गोत्र प्रवर्तक ऋषि । २ पूर्व, पुरुष । प्रळयांतक-पु० [सं०] चौसठ भैरवों में से एक ।
३ संतति, वंशज, संतान । ४ वंश, कुल । ५ अग्नि संस्कार प्रळयानळ-पु० [सं० प्रलय मनिल] प्रलयकाल की वायु ।
का मंत्र विशेष । प्रळाद-देखो 'प्रहलाद'। प्रळाप-पु० [सं० प्रलाप] १ वार्तालाप, संवाद । २ व्यर्थ की| प्रवरत-पु० [सं० प्रवर्त] कार्यारंभ, प्रारंभ । बकवाद । ३ विलाप, रुदन ।
प्रबरतक-वि० [सं० प्रवर्तक] १ किसी कार्य या बात को शुरू प्रळापक-वि० [सं० प्रलापक] प्रलाप करने वाला। विलाप
करने वाला। २ किसी कार्य की प्रेरणा देने वाला। करने वाला। -पु. एक प्रकार का सन्निपात रोग ।
३ किसी मत को चलाने वाला। ४ किसी सिद्धान्त को प्रलेप-पु० [सं० प्रलेपः] १ लेपन, उबटन । २ मरहम ।
प्रचलित करने वाला। ५ कार्य का संचालक । ६ उत्साह प्रळ-देखो 'प्रळय' । -कार='प्रळयकार' । -भळ=
देने वाला । ७ गति देने वाला। नया प्राविष्कार करने 'प्रळयझळ'।
वाला। प्रख्वातार-पु० [सं० प्रलयदातार] महादानी, बड़ा दान करने | प्रवरतणो (बी)-क्रि० [सं० प्रवर्तनम् १ फैलना, प्रवृत्त होना। वाला।
२ लेन-देन में माना, व्यवहार में माना । चलन में माना । प्रळमेघ-पु० [सं० प्रलयमेघ] प्रलय के समय भयंकर वर्षा करने | प्रवरतारणी (बी)-क्रि० [सं० प्रवर्तनम्] १ फैलाना, प्रवर्तन वाले मेध ।
कराना । २ व्यवहार में लाना, चलाना।
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प्रबह
( १२१ )
प्रसंसरणी
प्रबह-पु० [सं०] १ धारा। २ पवन, हवा । ३ सात प्रकार के | प्रवीण-वि० [सं०] १ किसी कार्य में दक्ष, निपुण । २ चतुर, पवनों में से एक।
बुद्धिमान । ३ गाने-बजाने का कलाकार । ४ कार्य का अच्छा प्रबहरण-पु० [सं०प्रवहणम्] १ पर्दादार गाड़ी, पालकी या डोली। जानकार । -पु. १ पंडित । २ कवि । ३ वीणावादक । २ जहाज, नौका, पोत ।
प्रवीणता-स्त्री० निपुणता, चतुराई, दक्षता । बुद्धिमानी । प्रवाण-देखो 'प्रमाण'।
प्रवीत-देखो 'पवित्र'। प्रवाणी-देखो 'परवाणी'।
प्रवीन-देखो 'प्रवीगा'। प्रवाड़-देखो 'प्रवाड़ो'।
प्रवीर-पु० [सं० प्रवीर:] वीर पुरुष, बहादुर व्यक्ति, योद्धा। प्रबाड़मल (मल्ल)-पु० योद्धा, वीर ।
प्रवेस-पु० [सं० प्रवेश] १ किसी के अन्दर जाने की क्रिया या प्रवाडि-स्त्री० प्रदक्षिणा, परिक्रमा ।
भाव । घुसना क्रिया। २ अन्तनिवेस । ३ समावेश । प्रवाडौ, प्रवाड-पु० [सं० प्रवाद] १ युद्ध, लड़ाई, संग्राम । ४ गति, रसाई, जानकारी। ५ दूसरे के काम में दखल ।
२ वीरतापूर्ण कार्य, बहादुरी का काम । ३ शौर्य, पराक्रम । ६ किसी कार्य में संलग्नता। ७ रंगमंच पर पात्र की ४ कीति, यश वर्धक कार्य । ५ कीर्ति, यश। ६ विजय, उपस्थिति । ८ द्वार। ९ सूर्य का किसी राशि में संक्रमण । जीत । ७ दैविक, चमत्कारिक कार्य ।
-द्वार-पु० प्रवेश करने का रास्ता, द्वार । प्रवाद-पु० [सं० प्रवादः] १ वार्तालाप, संवाद । २ बातचीत । प्रवेसक-वि० [सं० प्रवेशक] १ प्रवेश करने या घुसने वाला।
३ अफवाह, जनश्रुति । ४ वर्णन । ५ शब्दोच्चारण। २ प्रवेश कराने या घुसाने वाला। ६ निन्दा।
प्रव्रज्या-स्त्री० [सं०] गृहस्थाश्रम छोड़कर संन्यास लेना। प्रवाळ-देखो 'प्रबाळ'।
प्रवत्त-वि० [सं० प्रवृत्त] १ कहीं लगा हुआ, झुका या मुड़ा प्रवाळक-वि० [सं०] १ लाल, रक्ताभ । २ प्रवाल के रंग का। हुआ । २ किसी में संलग्न । प्रवाळड़ो, प्रवाळियौ-देखो 'प्रबाळ' ।
| प्रवत्ति-स्त्री० [सं० प्रवृत्ति] १ मन की वृत्ति । मनोदशा । प्रवाळी-पु० [सं० प्रवालम्] १ नवीन पत्ते, कोंपल, किसलय । २ वृत्ति का किसी ओर झुकाव, लगाव । ३ प्रवाह, बहाव । २ देखो 'प्रबाळी'।
४ झुकाव । ५ उन्नति, बढ़ती। ६ उत्पत्ति । उद्गम । प्रवास-पु० [सं०] १ परदेश या विदेश में निवास, परदेश-वास । | ७ उदय, प्राकटय । ८ आरंभ । ९ लगन, रुझान । २ देश निर्वासन ।
१० चालचलन, प्राचरण। ११ काम धंधा । १२ भाव, प्रवासी-पु० [सं० प्रवासिन्] १ यात्री, पथिक, बटोही । २ परदेश अर्थ । १३ सांसारिक विषयों में अनुरक्ति। १४ वृत्तान्त, में बसने वाला।
हाल । १५ प्रारब्ध, भाग्य । १६ बोध । १७ हाथी का प्रवाह-पु० [सं०] १ पूर्ण वेग से बहने वाली बड़ी जल धारा ।
मद । १८ जीवनयापन का ढंग । १६ यज्ञ, पूजादि धार्मिक २ जल का बहाव । ३ जल या किसी द्रव पदार्थ के बहाव
कार्य। की तेज गति । ४ नदी। ५ सोता। ६ गति, गमन, चाल ।। प्रवद्ध-वि० [सं० प्रवृद्ध] १ पूर्ण बूढ़ा, वृद्ध । २ वृद्धि युक्त। ७ किसी कार्य प्रादि का निरन्तर चलने वाला क्रम ।
३ फैला हुमा, विस्तृत । ४ अहंकारी, अभिमानी। -पु. ८ स्नान। ९ दान ।
तलवार के ३२ हाथों में से एक । प्रवाहणी (बी)-क्रि० [सं० प्रवाहनम्] १ जल धारा में बहाना। प्रसंग(घ)-पु० [सं०प्रसंङ्ग]१ अनुराग,प्रासक्ति ।२ संसर्ग, संपर्क । २ रुके हुए को गति देना ।
३ संबंध, रिश्ता। ४ मेल-मुलाकात । ५ अनुचित संबंध, प्रवाहिका-स्त्री० [सं०] पेट का एक रोग विशेष ।
लगाव । ६ वार्ता, विषय । ७ विवादग्रस्त व चर्चा का विषय । प्रवाही-वि० [सं० प्रवाहिन्] जो प्रवाह में बह रहा हो। जिसमें
८ संभोग, मैथुन । ६ मौका, अवसर। १० प्रकरण ।
११ हेतु, कारण। प्रवाह हो।
प्रसंगी (घी)-वि० [सं० प्रसंगिन्] १ जिसका प्रसंग चल रहा प्रवित (ति, त, ती)-देखो 'पवित्र' ।
हो। २ प्रसंग युक्त। ३ सम्बन्धी, रिश्तेदार। ४ अनुरक्त, प्रविदारण-पु० [सं० प्रविदारणम्] युद्ध, लड़ाई ।
___ प्रासक्त । ५ संभोग करने वाला। प्रविसरणी (बी)-क्रि० [सं० प्रविश] प्रवेश करना, घुसना । । प्रसंध-प० शरीर की रचना, शरीर का गठन । प्रविस्ट (स्ठ)-पु० [सं० प्रविष्ट ] प्रवेश, दाखला । -वि०१ प्रवेश प्रसंसक-वि० [सं० प्रशंसक] तारीफ या प्रशंसा करने वाला, किया हुमा, घुसा हुमा । २ अन्दर गया हुअा। ३ संलग्न ।
प्रशंसक। ४ समाहित ।
| प्रमंसरणौ (बो)-क्रि० [सं० प्रशंसनम् ] तारीफ या प्रशमा करना ।
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प्रसंसा
। १२२ )
प्रसिद्धता
प्रससा-स्त्री० [सं० प्रशंसा] १ अच्छे कार्य या गुणों की बड़ाई, | प्रसरणी (बी)-देखो 'पसरणी' (बी)। तारीफ, श्लाघा । २ यश, कीति । ३ स्तुति ।
प्रसव-पु० [सं०] १ प्रजनन क्रिया । २ उत्पत्ति, जन्म । प्रसण-१ देखो 'प्रसन्न' । २ देखो 'प्रस्न' । ३ देखो "पिसण'। ३ बच्चा । ४ पुष्प, फूल । प्रसरणांण. प्रसरणायण-देखो 'पिसण' ।
प्रसवणी (बी)-क्रि० [सं० प्रसवनम्] १ बच्चा उत्पन्न करना, प्रसरणी-स्त्री० [सं० पृश्निः] श्रीकृष्ण की माता देवकी का एक जनना, जन्म देना । २ उत्पन्न करना, पैदा करना। नामान्तर । २ देखो 'प्रस्नि' ।
प्रसस्त-वि० [सं० प्रशस्त] १ प्रशंसनीय । २ प्रशंसित । प्रसरणीप्रम-देखो 'प्रस्निग्रभ'।
३ सर्वोत्तम, श्रेष्ठ । ४ कृत-कृत्य । ५ स्पष्ट, साफ। प्रसत-वि० प्रकट, प्रत्यक्ष, जाहिर । -पु० [सं०पृषत्] १ जल या ६ विस्तृत, चौड़ा।
किसी द्रव पदार्थ को बूद। कतरा। २ दाग, धब्बा। प्रसस्ति-स्त्री० [सं० प्रशस्ति] १ प्रशंसा, बड़ाई। २ यश, ३ चित्तीदार हिरण ।
कीति । ३ कीति के रूप में लिखित पत्र, कविता या गीत । प्रसतर-देखो 'प्रस्तर'।
४ कीर्तिगान, विरुदावली। प्रसतांनो-देखो 'प्रस्थानी'।
प्रसारण-देखो "पिसण'। प्रसतार-देखो प्रस्तार'।
प्रसांत-वि० [सं० प्रशान्त] १ चंचलता रहित, स्थिर, शांत । प्रसताव-देखो 'प्रस्ताव'।
२ शांत व निश्चल वृत्ति वाला । ३ वशीभूत, दमनित । प्रसारण-देखो 'प्रस्थान'।
-पु० एशिया व अमेरिका के बीच का एक महासागर । प्रसद (ध)-स्त्री० [सं० पृषत्] १ नदी। २ देखो 'प्रसिद्ध'। प्रसांति-स्त्री० [सं० प्रशांति शांति, स्थिरता।। ३ देखो 'प्रसिद्धि'।
प्रसाख, प्रसाखा-स्त्री० [सं० प्रशाखा] किसी बड़ी शाखा की प्रसन-१ देखो 'प्रसन्न' । २ देखो 'प्रस्न'। ३ देखो 'पसंद'।
शाखा, उपशाखा। प्रसनता-देखो 'प्रसन्नता'।
प्रसाच-देखो 'पिसाच'। प्रसना-स्त्री० [सं० प्रसन्ना] मदिरा, शराब ।
प्रसाद-पु० [सं०] १ देव प्रतिमा के आगे चढ़ाया जाने वाला प्रसनाइ (ई)-देखो 'प्रसन्नता'।
मीठा पदार्थ प्रादि, नैवेद्य । २ नैवेद्य स्वरूप या साधुनों, प्रसनोतर, प्रसनोत्तर-देखो 'प्रस्नोत्तर'।
भक्तों के भोजनार्थ बनाया हुमा खाद्य पदार्थ । ३ देवता या प्रसन्न-वि० [सं०] १ खुश, हर्षित, प्रानन्दित । २ संतुष्ट । |
गुरु के अनुग्रह से प्राप्त वस्तु। ४ उपकार, भलाई। ३ पवित्र, शुद्ध । ४ निर्मल, स्वच्छ । ५ चमकीला।। ५ अनुग्रह, कृपा। ६ वरदान । ७ कारण। ८ भोजन । ६ साफ, स्पष्ट । ७ सत्य, सही। ८ शुभ। ९ कृपालु ।
९ काव्य का सुबोधगम्य होने का गुण। १० एक मात्रिक १० बोधगम्य । -मुख-वि० जिसका चेहरा खुशी से
छन्द विशेष । ११ देखो 'प्रासाद'। खिला रहता हो । हंसमुख ।
प्रसादक-वि० [सं०] १ अनुग्रह करने वाला। २ मानन्द बढ़ाने प्रसन्नता-स्त्री० [सं०] १ खुशी, हर्ष, आनन्द । २ संतुष्टि ।
व प्रसन्न करने वाला। ३ निर्मलता । ४ कृपा, अनुग्रह ।
प्रसावी-स्त्री. १ नैवेद्य । २ प्रसाद के रूप में प्राप्त वस्तु । प्रसन्नांध-पु० [सं०] घोड़ों का एक रोग।
३ नैवेद्य के रूप में बांटा जाने वाला पदार्थ। ४ तीर्थ प्रसन्नियप्रम-देखो 'प्रस्निगरभ' ।
यात्रा से लौटकर किया जाने वाला बड़ा भोज । प्रसन्नी-वि० प्रसन्न होने वाली, खुश रहने वाली। -स्त्री० प्रसाधन-पु० [सं० प्रसाधनम्] १ सजावट का सामान । [सं० पृश्निः] श्रीकृष्ण की माता का एक नाम ।
२ सजावट । ३ शूगार । ४ शगार की सामग्री। ५ कंघी। प्रसपधन्वा-देखो 'पुस्पधन्वा'।
६ वेश। प्रसम-पु० [सं० प्रसभम्] १ हठ, दुराग्रह । २ छल, कपट । प्रसार-पु० [सं०] फैलाव, विस्तार । प्रसम-पु० [सं० प्रशम] १ शांति । २ शमन, उपशम । प्रसारणौ (बौ)-क्रि० १ स्पर्श कराना, छुमाना। २ देखो प्रसमन-पु० [सं० प्रशमन्] शांति, शमन ।
'पसारणो' (बो)। प्रसर-अव्य० [सं० प्रसर] १ शीघ्र, जल्दी। २ निरंतर, प्रसिटि, प्रसिटी-पु० [सं० प्रेष्ठ] पति।
लगातार । -पु. १ वेग, गति, तेजी। २ निरंतर चाल। प्रसिद्ध-वि० [सं०] १ विख्यात, मशहूर । २ जिसकी ख्याति ३ अभिव द्धि, विकास, प्रगति । ४ विस्तार, फैलाव हो। ३ जिसे ज्यादा लोग जानते हों। ४ देखो 'प्रसिद्धि'। ५ वात, पित्त प्रादि दोषों का संचार, घटाव-बढ़ाव। | प्रसिद्धता-स्त्री० [सं०] १ ख्याति, प्रसिद्धि । २ प्रभावपूर्ण होने ६ व्याप्ति । ७ राशि, समूह । प्रधानता ।
की अवस्था। ३ यश कीति ।
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प्रसिद्धि
( १२३ )
प्रस्सरणी
प्रसिद्धि-स्त्री० [सं०] १ प्रसिद्ध होने की अवस्था, ख्याति । | प्रस्ताविक-वि० [सं०] प्रस्ताव संबंधी, प्रस्ताव का। -पु. २ यश, कीर्ति । ३ सजावट, शृगार । ४ सफलता।
१ काव्य का एक भेद । फुटकर काव्य । २ पूर्वापर संबंध प्रसिध-१ देखो 'प्रसिद्ध' । २ देखो प्रसिद्धि'।
रहित वार्तालाप । प्रसिधि प्रसिधी-देखो 'प्रसिद्धि'।
प्रस्तावित-वि० [सं०] जिसका प्रस्ताव किया गया हो, जो प्रसुन-देखो 'प्रसून'।
प्रस्ताव के लिये रखा गया हो। प्रसू-स्त्री० [सं०] माता, जननी ।
प्रस्तावू-वि० १ प्रस्ताव के तौर पर कहा हमा। २ प्रस्ताव के प्रसूत--वि० [सं०] १ उत्पन्न, पैदा, जनित । २ संजात । -पु० ढंग का । ३ प्रस्ताविक ।
१ संतान, प्रौलाद । २ देखो 'प्रसूति' । ३ देखो 'प्रसूता'। प्रस्तावो-देखो 'प्रस्ताव' । प्रसूता-स्त्री० [सं०] जच्चा स्त्री।
प्रस्तुत-वि० [सं०] १ तैयार, मौजूद, उपस्थित, वर्तमान । प्रसूति-स्त्री० [सं०प्रसूतिः] १ प्रस्व, जनना क्रिया। २ उद्भव ।। २ जो समीप या सामने हो। ३ प्रारंभ किया हमा। ३ संतान । ४ उत्पत्ति, पैदावार । ५ माता, जननी ।
४ पूर्ण । ५ वरिणत । -पु. प्रस्तुत विषय । प्रसूतिका-स्त्री० [सं०] जच्चा ।
प्रस्तुतांकुर, प्रस्तुतालंकार-पु० [सं०] एक अर्थालंकार । प्रसून-पु० [सं०] १ पुष्प, फूल । २ कमल । ३ कली। ४ फल। प्रस्थान-पु० [सं० प्रस्थानम्] १ कूच । २ गमन, यात्रारंभ, प्रसेणिय, प्रसेपी-स्त्री० घोड़ी।
रवानगी । ३ सेना का कूच, प्रयाण । ४ चढ़ाई । ५ जाना प्रसेद-देखो 'प्रस्वेद'।
क्रिया । प्रसेनजीत-पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा ।
प्रस्थानौ-पु० [सं० प्रस्थानं] १ यात्रा में साथ ले जाने का प्रसेव-देखो 'प्रस्वेद' ।
सामान । २ किसी मुहूर्त को साधने के लिये उक्त सामान प्रस्कन्न-पु० [सं०] घोड़ों का एक रोग।
को यात्रा से पूर्व कहीं पर रखने की क्रिया । प्रस्ट-देखो 'प्रिस्ट'।
प्रस्थापन-पु० [सं०] १ रवानगी, विदाई । २ स्थापना, सिद्ध प्रस्टवस-स्त्री० [सं० पृष्टवंश] रीढ़ की हड्डी ।
- करना, स्थापित करना। प्रस्टा-वि० [सं० पृष्टा] प्रश्न पूछने वाला।
प्रस्थाव-देखो 'प्रस्ताव'। प्रस्टि-पु० [सं० प्रष्टि] तीन घोड़ों के रथ का एक घोड़ा। प्रस्न-पु० [सं० प्रश्न] १ वह वाक्य या शब्द जो कुछ जानने के प्रस्ठ-देखो 'प्रिस्ठ'।
लिये किसी को कहा गया हो, सवाल । २ वह सवाल प्रस्ठोदय-पु० [सं० पृष्ठोदय] पीठ की पोर उदय होने वाली जिसका जवाब अभीष्ट हो। ३ उत्तर पाने के लिये कही छः राशियां।
गई बात । ४ परीक्षा में पूछने की बातें। ५ समस्या । प्रस्तर-पु० [सं०] १ पत्थर, चट्टान । २ चौरस जगह, मैदान ।। ७ न्यायालय में होने वाले विचारणीय विषय ।
३ सेज, शय्या। ४ फूल-पत्तों की सेज । ५ रत्न । ६ देखो प्रस्नि-स्त्री० [सं० पृश्नि] श्रीकृष्ण की माता देवकी का एक 'प्रस्तार'।
नाम । -गरम-पु. श्रीकृष्ण। -भद्र-पु. श्रीकृष्ण प्रस्तांनो-देखो 'प्रस्थांनो'।
का एक नाम। प्रस्ताऊ-देखो 'प्रस्तावू'।
प्रस्नोतर, प्रस्नोत्तर-पु० [सं० प्रश्नोत्तर] सवाल-जवाब का प्रस्तार-पु० [सं०] १ प्रस्ताव, फैलाव । २ चौरस जमीन, |
सिलसिला। मैदान । ३ पिंगल के नव प्रत्ययों में से प्रथम ।
| प्रस्नोतरी, प्रस्नोत्तरी-स्त्री. १ प्रश्न और उत्तर की सूची या प्रस्ताव-पु० [सं०] १ अवसर, मौका। २ समय । ३ विचारार्थ । पुस्तिका । २ प्रश्न व उत्तर दोनों होने वाली वस्तु ।।
कही जाने वाली बात । ४ चर्चा, जिक्र, वर्णन । ५ प्रकरण, प्रस्रवणी (नी)-स्त्री० [सं० प्रस्रसनी] निरन्तर पानी बहते रहने अध्याय । ६ भूमिका, उपक्रम। ७ प्रारंभ, शुरूपात । वाली योनि (वैद्यक)। ८ सलाह मशविरा। ९ विषय, प्रसंग। १० अभिनय से
प्रस्रगद्वार-पु० [सं० प्रसर्गद्वार] सूर्य । पूर्व का प्रसंग । परिचय।
प्रस्ताव-पु० [सं० प्रश्राव] १ झरना । २ पेशाब, मूत्र । प्रस्तावक-वि० [सं०] १ प्रस्ताव करने वाला। २ प्रस्ताव करने
प्रस्वास-पु० [सं० प्रश्वासः] १ नथने से बाहर पाई हुई श्वास । योग्य ।
२ नथने से सांस निकलने की क्रिया । प्रस्तावना-स्त्री० [सं०] किसी विषय या पुस्तक का प्रारंभिक वक्तव्य, भूमिका।
प्रस्वेद-पु० [सं०] पसीना। प्रस्तावि-देखो 'प्रस्ताव' ।
| प्रस्सरणौ (बो)-देखो 'पसरणौ' (बो)।
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प्रह
मह पु० [सं० प्रभा] १ सूर्योदय का प्रकाश २ देखो 'यह'। ३ देखी प्रहर'
महगळ देव 'प्रगाळ
प्राडियो देखो प्रणालियों
प्रहत- वि० [सं०] (स्त्री० प्रहतरण ) १ मारा हुआ, प्रताड़ित । २ घायल किया हुआ ।
प्रहर - पु० [सं०] १ दिन रात का आठवां भाग । २ समय का मान विशेष । ३ समय ।
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प्रहरण १० [सं० प्रहरणम् ] १ घर-शस्त्र
२ प्रायुध हथियार । ३ प्राक्रमण, हमला ४ प्रहार, चोट । ५ युद्ध । प्रहरी पु० [सं०] १ पहरा देने वाला, पहरेदार, चौकीदार । २ घंटा बजाने वाला ।
( १२४ )
प्रहळा - पु० [सं० प्रहलाद ] १ हिरण्यकश्यप के पुत्र भक्तराज प्रहलाद | २ प्रत्यन्त हर्ष एवं श्रानन्द |
प्रा- पु० धनुष ।
प्रहार पु० [सं०] बापात, चोट वार
प्रहळावगुर - पु० [सं० प्रहलाद गुरु ] विष्णु ॥
प्रहसत प्रहस्त पु० [सं० प्रहस्त ] रावण का एक धमात्य व सेना
,
पति ।
प्रहारक- वि० [सं०]] चोट व धाघात करने वाला । प्रहारण पु० [सं०] प्रहार व चोट करने की क्रिया । प्रहारणौ - वि० १ प्रहार करने वाला । २ मारने वाला । प्रहारणी (बी) - क्रि० १ प्रहार करना, मारना । २ चोट या
प्रहुंची- देखो 'पुराणची' । प्रस देखो 'प्रहरस'।
श्राघात करना ।
प्रहारि, प्रहारी - वि० [सं० प्रहारिन्] १ प्रहार, चोट या वार करने वाला । २ मारने वाला । ३ देखो 'प्रहार' । प्रहास-पु० [सं०] १ पट्टहास २ प्रहसन, हंसी,
बोल
३ शिव । ४ स्वामिकार्त्तिकेय का एक अनुचर । ५ तलवार । ६ एक मात्रिक छन्द विशेष ।
प्रहेति पु० [सं०] एक राक्षस । प्रहलाद - देखो 'प्रहलाद' ।
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-
प्रांछ- देखो परांत' ।
-
प्रांण- पु० [सं० प्राण: ] १ श्वास प्रश्वास, सांस । २ हृदयस्थ प्रारण वायु ३ जीवन शक्ति । ४ शरीरस्थ पंच प्रारण वायु । ५ बल, शक्ति, पौरुष । ६ जीव, प्रात्मा । ७ पवन, वायु ८ प्राण के समान प्रिय वस्तु या कोई जीव । ९ मित्र । १० प्रेमी माशूक । ११ पाचन शक्ति । १२ ब्रह्मा । १३ विष्णु । १४ ब्रह्म, परमेश्वर १५ इन्द्रिय १६ समय का एक मान विशेष । १७ गंध रस, बोल । १० प्रयाण । १९ प्रतिभा । २० महत्वाकांक्षा । प्रधार, श्राधार= 'प्राणाधार' । -इस्ट पु० दोस्त, मित्र । पति । - कस्ट पु० मृत्यु के समय प्रारणों को होने वाला कष्ट । - गुर- पु० बड़ा बलवान । - घात- पु० श्रात्मघात । - घातक, घाती वि० वधिक, लेने वाला । श्रात्महत्या करने वाला। बहादुर जिहान० वायु, पवन अवसान बंड पु० मृत्युदण्ड रक्षा । प्राणों का बलिदान । युद्ध लायक प्राणी को दिया जाने वाला वि० मरणासन्न को जिंदा करने प्रारणों के समान प्रिय । पति - धार - वि० प्राणधारी, जीवित । - धारण - पु० शिव प्राण रक्षा का भाव । - धारी पु० जीव प्राणी नाथ पु० पति स्वामी प्राणों का स्वामी । नास - पु० अवसान, मृत्यु । -नासकवि० मारने वाला, हत्यारा । पत, पति, पती- पु० स्वामी मालिक पति वार्षिद प्यारी, प्रिय, बालवि० [प्रत्यन्त प्रिय, परमप्रिय । परमप्रिय व्यक्ति । पति । —वांन - वि० जिसमें प्रारण हो । वायु-स्त्री० प्रारण । जीव । श्वास, सांस । आक्सीजन । संकट पु० बड़ी भारी विपत्ति प्राणों के जाने लायक स्थिति र वि० प्राणों का हरण करने वाला । प्राणघातक । यम । -हरण - पु० प्राण लेने की क्रिया या भाव। यमराज । हरली बी० प्राण लेने वाली प्राणों को खतरे में डालने वाली मृत्यु मौत
स्थागपु० मृत्यु | बांग-पु० प्राणों की मारने या वध करने क्षमादान । -दातावाला। धन- वि०
।
,
1
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प्रांणग्रस्टीक
-
वध, हत्या । हत्यारा, प्राण खंड - वि० बीर
।
प्रांणी (बी) कि० [सं० पोषणम् ] तोरण द्वार या गृह द्वार प्रांगदा स्त्री० [सं०] हरीतकी, हरें - पर दूल्हे या दुल्हिन का स्त्रियों द्वारा स्वागत व भगवानी|
प्रांणनांम पु० [सं० प्राणनाम) हस
।
करना ।
प्राणपूर- वि० पूर्ण शक्तिशाली
प्रांगण १० [सं० प्रांगणम् ] मकान के बीच या सामने की सुनी प्राणप्रतिस्टा, प्रांणप्रतिस्ठा स्त्री० [सं० प्राण-प्रतिष्ठा] १ प्राण
- पु०
-
जमीन, प्रांगन । प्रचणादेखो 'पांचा'। प्रांचाली देखो 'पौचाळी' ।
धारण कराना। २ देवमूर्ति की विधि-विधान एवं मंत्रोच्चार द्वारा की जाने वाली स्थापना ।
१ प्राणदाता । २ स्वास्थ्य
प्रांची देवो'पुराची'। प्रांची देखो 'पुराची ।
प्राणप्रद - वि० [सं० प्राणप्रद वर्द्धक । प्रस्टीक - पु० [सं० वृष्टिक- प्रारण] मयूर, मोर ।
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प्राणमयकोस
प्रागना
प्राणमयकोस-पु० [सं० प्राणमयकोश] पांच कर्मेन्द्रिय और पांच प्रारणेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० प्राणेश्वर] १ प्राणों का स्वामी, प्राणों के समूह का नाम ।
मालिक । २ परमप्रिय व्यक्ति । ३ पति । प्राणयात्रा-स्त्री० [सं० प्रारणयात्रा] १ श्वास-प्रश्वास के आने- | प्रांत-पु० [सं० प्रांत] १ किसी देश या राष्ट्र का कोई भाग, ... जाने की क्रिया। २ प्राणी के जीवित रहने की चेष्टायें। क्षेत्र । २ संघीय शासन की कोई इकाई । ३ राज्य । ४ सीमा, ३ पाजीविका।
हद । ५ किनारा, छोर। ६ किसी के निवास स्थान के प्रासप्राणयोनि-पु० [सं० प्राणयोनि] १ परमेश्वर । २ वायु, हवा।। पास का क्षेत्र। प्रांरणसंतोख-पु० [सं० प्रारणसंतोष] हरें, हरीतकी।
प्रांन-देखो 'प्राण'। प्रांरणसंदेह-पु० प्राण रहने का सन्देह ।
प्रांनी-देखो 'प्राणी'। प्रारणसरीर-पु० [सं० प्राणशरीर] १ वह सूक्ष्म शरीर जो प्रांमणड़ो, प्रामणौ-देखो 'पांमणों'।
मनोमय, विज्ञान और क्रिया का कारण माना गया है। प्रामणो (बी)-देखो 'पाणी' (बो)। २ ईश्वर, परमेश्वर ।
प्रांमती-वि० प्राप्त करने वाला। प्रांगांत-पु० [सं० प्राणांत ] अवसान, मृत्यु ।
प्रांसु-वि० [सं० प्रांशु] ऊंचा, लंबा, बड़ा । -पु. लंबे डील-डौल प्राणांतक-वि० १ प्राणों का अन्त करने वाला । २ हत्यारा, | का आदमी। वधिक । ३ मौत के जैसा कष्ट देने वाला।
प्रांहणो, प्रांहुणौ-देखो ‘पांमणी'। प्रांगाघात-पु० [सं० प्राणाघात] वध, हत्या ।
प्राकम -देखो 'पराक्रम'। प्रांगातिपात-पु. जीव हिंसा, हत्या ।
प्राकमी-१ देखो 'पराक्रमी' । २ देखो 'पराक्रम' । प्रांणात्मा-स्त्री० [सं०] प्राणात्मा, जीवात्मा ।
प्राकाम, प्राकामिया-स्त्री० [सं० प्राकाम्यं] पाठ प्रकार की प्राणाधार-वि० [सं० प्राणाधार] जिस पर प्राण प्राधारित हों, सिद्धियों में से एक ।
जिसके बिना प्राण न रहे। -पु० १ प्रेम पात्र । २ स्त्री | प्राकार-पु० [सं०] १ चाहर दीवारी, पाहते की दीवार । २ गढ़, का पति ।
किला । ३ देखो 'प्रकार'। प्राणायाम-पु० [सं० प्राणायाम] श्वास को नियंत्रित करने की | प्राकिरत-देखो 'प्राक्रत'। यौगिक क्रिया विशेष ।
प्राक्कथन-पु० [सं०] १ पहले कही हुई बात, पूर्व कथन । प्राणायांमी-वि. १ प्राणायाम संबंधी। २ प्राणायाम करने २ प्रस्तावना, भूमिका। वाला।
प्राकृत-वि० [सं० प्राकृत] १ प्रकृति का, प्रकृति संबंधी। प्रांपासण (न)-पु० [सं० प्राणासन] १ योग के चौरासी प्रासनों २ असली, स्वाभाविक । ३ प्रकृतिजन्य । ४ स्वत:निर्मित ।
में से एक । २ तांत्रिक साधना में एक प्रकार का प्रासन ५ मामूली, साधारण । ६ प्रशिक्षित, अनपढ़ । ७ तुच्छ, विशेष ।
क्षुद्र, नीच । ८ प्रान्तीय । ९ पूर्वकालिक । १० प्रादि । प्रांणाहुति-स्त्री० [सं० प्राणाहुति] पांच ग्रासों के रूप में पांच -स्त्री० १ बोलचाल की भाषा जो स्वत: स्फुटित होती प्राणों को दी जाने वाली प्राहुति ।
है। २ एक प्राचीन भाषा । ३ किसी प्रांत या स्थान विशेष प्राणि-१ देखो 'प्राणी'। २ देखो 'प्राण'। -मंडळ='प्राणी- की बोली, लोकभाषा । अपभ्रंश रूपों से बनी भाषा । मंडळ'।
४ पुरुषों की बहत्तर कलाओं में से एक । -प्रळय-पु० प्रांरिणय, प्राणियउ-१ देखो 'प्राणी' । २ देखो 'प्राण'।
प्रकृति का ब्रह्म में लीन होने की अवस्था।-बंध-पु० जन प्राणियो, प्राणी, प्राणोड़ो-वि० [सं० प्राणिन्] पांचों प्राणों . साधारण की बोली में रचित काव्य ।
को धारण करने वाला, प्राणवान, जिसमें प्राण हों। प्राक्रतिक-वि० [सं० प्राकृतिक] १ प्रकृति संबंधी, प्रकृति का। जीव धारी । -पु. १ जल-थल व नभ में विचरण करने २ प्रकृति से उत्पन्न, प्रकृतिजन्य । ३ वास्तविक, वाले विभिन्न योनियों के जीव । २ मनुष्य, व्यक्ति ।
स्वाभाविक । ४ साधारण मामूली। ३ प्रत्येक परिवार के सदस्य। ४ पति-पत्नी। -मंडळ- प्राक्रम-देखो 'पराक्रम'। पु० जीव, जन्तु व वनस्पतियों वाला जल-थल व प्राकाश प्राक्रमी-देखो 'पराक्रमी'। का भाग।
प्राक्रमीस-वि० [सं० पराक्रमीश] महान् पराक्रमी, साहसी, वीर प्रांगेय-पु० [सं० प्रणयी] पति।
- श्रेष्ठ। प्रारणेस-पु० [सं० प्राणेश] १ प्राणों का स्वामी। २ पति, प्राग-१ देखो 'प्रयाग' । २ देखो 'पराग'। खाविद।
प्रागना-देखो 'प्रग्या' ।
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प्रागभाव
(
१२६ )
प्रारंभिक
पाठ।
प्रागभाव-पु० [सं०] १ वैशेषिक-शास्त्र के अनुसार पांच प्रकार | प्राजो-पु० [सं० पराजय] (स्त्री० प्राजी) १ हार, पराजय ।
के प्रभावों में से पहला । २ वह पदार्थ जिसका प्रादि न हो। २ देखो 'प्राझी'। अन्त न हो । अनादि । सांत पदार्थ ।
प्राझो -वि० [सं० प्राज्ञ] (स्त्री०प्राझी) १ बुद्धिमान, चतुर, दक्ष । प्रागवड-देखो 'प्रयागवड़।
२ प्रसिद्ध, विख्यात। ३ महान् । ४ बहुत, अपार । ५ शक्ति प्रागज्योतिस-पु० [सं० प्राग्ज्योतिष] अासाम प्रदेशान्तर्गत काम शाली, समर्थ । ६ वीर, बहादुर । ७ वयोवृद्ध, पूज्य ।
रूप देश का प्राचीन नाम । -पुर-पु. इस देश की ८ अटल, दृढ़। राजधानी का नगर ।
प्रात-अव्य० [सं० प्रातर ] सवेरे, तड़के, भोर । -करम-पु. प्राग-प्रव्य० प्रातः, सवेरे।
नित्य कर्म । -काळ-पु. उषाकाल, सवेरा । --नाथ-पु. प्राग्य, प्राग्यन-स्त्री० [सं० प्राज्ञ]१ बुद्धिमान, चतुर । २ पंडित, सूर्य, भानु । -संध्या-स्त्री. प्रात: कालीन संध्या, पूजा,
विद्वान । ३ मूर्ख, प्रज्ञानी । ४ कवि। ५ देखो 'प्रग्या'। प्रापळो-टि० [सं० पुष्कल] १ उदार चित्त । २ देखो 'परगळ'। प्रादुरभाव-पु० [सं० प्रादुर्भाव] १ उदय, उत्पत्ति प्राघुणक-पु० [स०] मेहमान, अतिथि।
२ आविष्कार । ३ प्रकटीकरण । ४ अवतार । प्राचत-देखो 'प्राछत' ।
प्रादेस-देखो 'प्रदेस'। प्राचाळी-देखो 'पौचाळी'।
प्राधान-वि० [सं० प्राधानिक] १ प्रधान संबंधी। २ सर्वश्रेष्ठ, प्राचि-देखो 'प्राची'।
सर्वोत्कृष्ट । प्राचिति-देखो 'प्राछत'।
प्रापक-पु० [सं०] हवा, पवन । -वि० प्राप्त करने वाला। प्राचिनविरह-पु० [सं० प्राचीनवहिस्] इंद्र।
प्राप्त करने योग्य । प्राची-स्त्री० [सं०] पूर्व दिशा ।।
प्रापणौ (बी)-क्रि० [सं० प्र+ प्राप्] १ प्राप्त करना। प्राचीन-वि० [सं०] १ पूर्व दिशा का, पूर्व दिशा संबंधी। २ पूर्व २ मिलना।
की ओर मुड़ा हुआ। ३ अगला, पूर्व कथित । ४ पुरातन, प्रापत-१ देखो 'प्राप्त' । २ देखो 'प्राप्ति' । पुराना । ५ ऐतिहासिक। -ब्रह, वरह वरही, वह ='प्राचिन प्रापतरूप-पु० [सं० प्राप्तरूप] १ पंडित, विद्वान । २ कवि। विरह'।
प्रापति, प्रापती-देखो 'प्राप्ति' । प्राचीनता-स्त्री० [सं०] पुरानापन, पुरातनता।
प्रापतीक-वि० १ प्राप्त करने वाला। प्राप्त करने योग्य । प्राचीनावीत-पु० [सं०] यज्ञोपवीत धारण करने का एक ढग।। २ देखो 'प्राप्ति'। रीति।
प्राप्त-वि० [सं०] १ पाया हमा, लब्ध, मिला हुआ। २ जीता प्राचीनधीती-वि० उक्त रीति से यज्ञोपवीत धारण करने वाला ।। हुमा, लिया हुअा। ३ जो प्राप्य हो, मिलने योग्य । प्राचीप-पु० [सं०] इन्द्र। .
४ सहा हुआ। ५ आया हुआ। ६ पूर्ण किया हुआ । प्राचीपति-पु० [सं०] इन्द्र ।
७ उपयुक्त, ठीक । प्राचीर-पु० [सं०] किसी नगर के बाहर बनी चाहर दीवारी, | प्राप्ति-स्त्री० [सं०] १ उपलब्धि, प्रापण, मिलना क्रिया। ___ शहर पनाह ।
२ पहुँच। ३ प्रागमन । ४ अर्थागम, अर्जन । ५ हिस्सा, प्राच्य-वि० [सं०] १ पूर्व दिशा का, पूर्व दिशा संबंधी । अंश । ६ प्रारब्ध, भाग्य । ७ अष्ट सिद्धियों में से एक । २ प्राचीन, पुराना ।
८पाय, प्रामदनी। ९ अनुमान, कल्पना। १० उदय । प्राछत प्राछत्त, प्राधित-पु० [सं० प्रायश्चित] १ कलंक, धब्बा, ११ सुखागम ।
दाग । २ पाप, दोष । ३ कुकर्म या भूल सुधार के लिये | प्रायचित, प्रायस्चित-देखो 'प्राछत' । किया जाने वाला पश्चाताप, पछतावा । ४ पापों से छुटकारा प्रारंभ-पु० [सं०] १ काम का श्रीगणेश, प्रारंभ, शुरूपात । पाने के लिये किया जाने वाला प्रायश्चित ।
२ किसी कार्य या विषय का प्रारंभिक अंश। ३ उपद्रव, प्राजळ-पु० [सं० प्रजल] जल, पानी।
युद्ध । ४ बड़ा कार्य । ५ वैभव । ६ जलसा । ७ तैयारी। प्राजळणी (बो)-देखो 'प्रजळणी' (बौ) ।
प्रारंभणी (बो)-क्रि० [सं० प्रारंभणम् ] प्रारंभ करना, शुरू प्राजापत्य-वि० [सं०] प्रजापति संबंधी। -पु० १ यज्ञ विशेष ।
करना । चलाना। २ उत्पादक शक्ति । ३ आठ प्रकार के विवाहों में से चौथा | प्रारंभिक-वि० [सं०] १ प्रारंभ का शुरूपात का । २ प्रारंभ के विवाह।
लिये कहा या लिखा हमा। . ३ प्रादि । ४ प्राथमिक । प्राजाळ-वि० [सं० प्रज्वलनम्] जलाने वाला।
५ प्रस्तावना के रूप में।
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प्रारथरण
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( १२७ )
प्रारण (शा) स्त्री० [सं० प्रार्थन] १ प्रार्थना विनय
२ याचना । ३ इच्छा ।
प्रारपणो (बो)- क्रि० [सं० प्रार्थनम् ] १ याचना करना। २ प्रार्थना करना । विनय करना । प्रारथना - स्त्री०
1 प्रित्थी- देखो 'प्रथ्वी' ।
[सं० प्रार्थना] १ प्रार्थना, विनय, श्रर्जी । २ याचना । ३ इच्छा पत्र पु० लिखित प्रार्थना करने का कागज, अर्जी । प्रावेदन-पत्र | प्रारथनासरण (न) - ५० एक योगासन विशेष । प्रारथी-वि० [सं० प्रार्थी १ प्रार्थना करने वाला प्रावेदक २ याचक । ३ विनीत |
प्रारब्ध० [सं०] १ पूर्व जन्म या पूर्व काल के शुभाशुभ कर्म २ उक्त कर्मों का फल । ३ भाग्य ।
प्रारब्धी वि० [सं०] १ प्रारब्ध या पूर्व कर्म भोगने वाला । २ भाग्यशाली ।
प्रालब्ध- देखो 'प्रारम्य' ।
प्राय पु० [सं० प्रालेयम् ] बर्फ, हिम
प्राळो-देखो 'पाळी' ।
प्रावरण- पु० [सं०] प्राच्छादन, आवरण, ढक्कन ।
प्रावट पु० [सं० प्राट] १ वर्षा २ वर्षां ऋतु । प्राथति स्त्री० [सं० प्रावृति] हाथी का मद प्रासंग - पु० [स०] १ जूए का निम्न भाग । २ पशु के कंधे पर रहने वाला जूए का भाग ।
प्रास पु० [स०] १ एक प्रकार का भाला विशेष । २ देखो
'पास' ।
प्रासणी (बी) क्रि० [सं० प्राशनम् ] भोजन करना कुछ खाना प्रासन्न- देखो 'प्रसन्न' ।
प्रासरणौ पु० [सं० प्रसरणम् ] १ भागे बढ़ने की किया।
२ प्रयाग ।
प्रासाद (बु) - पु० [सं०] १ विशाल या बड़ा भवन ।
२ राज भवन, महल । ३ देवमंदिर, देवालय । ४ महल, अट्टालिका । ५ देखो 'प्रसाद' ।
प्रासी पु० [सं० पाणिन् ] वरुण ।
प्रासुक - वि० चेतना शक्ति हीन (जैन) ।
प्राहs - अव्य० [सं० प्रायः ] लगभग, बहुत करके, बहुधा, अक्सर ।
प्रायः ।
प्राहली-देखो 'पांमली। प्राहार- देखो 'प्रहार' । प्राहि प्राहि-देखो 'प्राह' प्राण- देखो 'पांमरणो' ।
प्राण प्राणी-देखो'पांगण'। funny - देखो 'प्रियमधु' । शिव-देखो 'प्रिय'
प्रित्थु प्रियू प्रिय-देखो 'प्रभु' प्रिथम- देखो 'प्रथम' |
प्रिथमी,
-पाळ 'प्रथ्वीपाळ' ।
प्रिथवीस - देखो 'प्रथवीस' ।
प्रिय प्रियवीय-देवो 'प्रथवी' ।
त्रिथवी-देखो 'पृथ्वी' त'प्रथ्वीतळ'
=
1
प्रिया देखो 'प्रथा'।
प्रिथु-देखो 'प्रथु' |
प्रिथुक देखो 'क'
प्रिचि देखो 'पृथ्वी' ।
प्रिथिमि, प्रिचिमी-देखो 'पृथ्वी'
प्रिथी- देखो 'प्रथ्वी' नाथ = 'प्रथ्वीनाथ' । प्रिथीप- देखो 'प्रथ्वीप' ।
प्रीति-देखो 'प्रथ्वीपति' ।
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|
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प्रियवादिका
प्रिथुळ - देखो 'प्रथुळ' ।
-
प्रियगु ( 1 ) - पु० [सं०] वृक्ष विशेष व उसके फल (गुदी) । प्रियंवदु वि० [सं० प्रियवंद ] मृदुभाषी मीठा बोलने वाला । प्रिय वि० [सं०] (स्त्री० प्रिया) १ प्यारा, वल्लभ । २ सुन्दर, मनोहर । ३ हर्षप्रद श्रानन्ददायक पु० १ पति, खाविंद । २ प्रेमी । ३ स्वामी, मालिक । ४ दामाद, जमाता । ५ जाति विशेष का हिरण । ६ प्रानन्द हर्षं । ७ दो लघु मात्रा का नाम । - कांक्षी - वि० हितैषी, शुभेच्छु । -गणपु० प्रिय लगने वाले सदस्य। दो लघु की मात्रा का नाम । - पात्र वि० प्रेम या प्यार करने योग्य । प्रेम पात्र । प्रियतम - वि० [सं०] ( स्त्री० प्रियतमा) सर्वाधिक प्रिय सबसे अधिक प्यारा । पु० १ पति, भर्ता । २ प्राशिक, प्रेमी । ३ स्वामी, मालिक । ४ ईश्वर ५ मित्र, दोस्त, सखा । प्रियवाहि स्त्री० प्रियदाह ।
--
2
प्रियंवत पु० [सं०] १ स्वायंभुव मनु के पुत्रों में से एक २ एक राजा ।
प्रियम पु० [सं०] श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम । प्रियमास पु० [सं० विभावरण] मधुर संभाषण, मीठे बोल । प्रियमासी वि० [सं० प्रियभाषी ] मधुर भाषी, मधुर भाषा
बोलने वाला ।
प्रियमधु - पु० [सं०] बलराम का एक नामान्तर । प्रियम- पु० [सं० प्रियमरुस्थल ] मरुस्थल का प्रेमी, ऊंट । प्रियमेळ पु० [सं० प्रियमिलाप ] प्रिय का मिलाप, मिलन। प्रियवलका स्त्री० [सं० प्रियवल्लिका ] रामवेलि । प्रियवादी वि० मधुर भाषिनीषी मानती। प्रियवादी वि० [सं० प्रियवादिन्] मधुर भाषी प्रियवादिका स्त्री० एक बाजा विशेष ।
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प्रियसंदेस
। १२८ )
प्रेम
प्रियसंदेस-पु० [सं० प्रियसंदेश] शुभ संदेश, खुश खबरी। प्रीमि-१ देखो 'प्रेम' । २ देखो 'प्रेमी'। प्रिया-स्त्री० [सं०] १ प्रेयसी, नायिका। २ स्त्री, पत्नी। प्रीय-देखो 'प्रिय'। -मधु, मधू='प्रियमधु' ।
३ माया । ४ छोटी इलायची। ५ खबर । ६ दो रगरण का | प्रीया-देखो 'प्रिया'। एक वर्ण वृत्त । ७ चमेली । -अधर-वि० मधुर । -पु० प्रीयारी-देखो 'प्यारी'। प्रियतमा के प्रोठ।
प्रीयु, प्रीयुड़ो, प्रीव-देखो 'प्रिय' । प्रियाग-देखो 'प्रयाग'। -बड़, बड़='प्रयागवड'।
प्रीसरणौ (बी)-क्रि० [सं० परिविश्] परोसना, भोजन कराना । प्रियागत-वि० [सं० प्रजागत] वंश परंपरागत ।
चाळी, पूचाळी-देखो 'पौचाळी'। प्रियात्मा-स्त्री० [सं०] प्रिया, भार्या ।
पूँद-देखो 'प्रौढ़'। प्रियाळ-देखो पियाळ'।
प्रेक्षक-वि० [सं०] १ दर्शक । २ जांच व परीक्षा करने वाला। प्रियास-देखो 'प्रयास'।
प्रख-स्त्री० [सं० प्रेक्षा] प्राज्ञा । प्रियुज्या-वि० [सं० प्रयोजित] प्रयोजित ।
प्रेत-पु० [सं०] (स्त्री० प्रेतण, प्रेतणी) १ मरा हुआ मनुष्य । प्रियु-१ देखो 'प्रिय'। २ देखो 'प्रिया'।
२ मनुष्य के मरने के बाद प्राप्त होने वाली भूतादि की प्रधो प्रियुड़उ-देखो 'प्रिय'।
योनि। ३ अधोयोनि में प्राप्त कल्पित शरीर । ४ एक प्रियोग-देखो 'प्रयोग'।
कल्पित देव योनि जिसका शरीर विकराल माना जाता है। प्रियोजन-देखो 'प्रयोजन'।
५ प्रेत, भूत । -वि० मृत, मरा हुआ। महा कृपण, कंजूस । प्रिव-देखो 'प्रिय'।
-अधिपति-पु. शिव । यमराज। -अन्न-पु० पितरों को प्रिवित-देखो 'पवित्र'.
अर्पित अन्न । -अस्थि-स्त्री० मुर्दे की हड्डियां । प्रिसटपरणी-स्त्री० [सं० पृष्टिपणी] एक प्रकार की,लता।
-ईस, ईसर, ईस्वर-पु. शिव। यमराज । -करम, प्रिसण, प्रिसणांण-देखो 'पिसण' ।
कत्य-पु. मृतक के पीछे किये जाने वाले संस्कार । प्रिसिधि-देखो 'प्रसिद्धि'।
-ग्रह-पु० श्मशान भूमि । कब्रिस्तान । -चारी-पु. प्रिस्ट, प्रिस्ठ-वि० [सं० पृष्ट] पूछा हुआ, जो पूछा गया हो। शिव । -तरपण-पु. मृतक के पीछे किये जाने वाले कर्म ।
-पु० [सं० पृष्ठ] १ पत्र, कागज, पन्ना। २ लिखे या छपे -दाह-पु. दाह संस्कार। -देह-पु० मरने के दिन से कागज का एक भाग। ३ पीठ ।
सपिंडी तक मृतक को मिलने वाला कल्पित शरीर । प्री, प्रीउ-देखो 'प्रिय'।
-नदी-स्त्री. वैतरणी नदी। -नाथ, नाह-पु. शिव । प्रीउड़ी, प्रीउडी, प्रीऊ, प्रीऊड़ो, प्रीऊग-देखो 'प्रिय'।
यम। -पक्ष, पख-पु. श्राद्ध पक्ष । -पत, पति, पतीप्रोच्छत-देखो ‘परीक्षित'।
पु० यमराज। शिव। -पिंड-पु० मृतक के पीछे किया प्रीधरणो (बो)-क्रि० [सं० परि+ईक्षणम्, पृच्छ] १ समझना। जाने वाला पिंडदान । -पुर-पु० यमपुरी । श्मशान भूमि।
२ प्रतीति करना, विश्वास करना। ३ पूछना । ४ देखो -भाव-पु० मृत्यु, मौत। -भूम, भूमि, भोम-स्त्री. 'परखणी' (बौ)।
श्मशान भूमि । मरघट । -मेध-पु० मृतक कर्म विशेष । प्रोछत-देखो 'परीक्षत' ।
-राज-पु० यमराज। -लोक-पु. यमलोक । -बनप्रोत, प्रीतड़ली, प्रीतड़ी-देखो 'प्रीति' ।
पु० श्मशान भूमि। -सरीर-पु. मृतक को प्राप्त होने प्रीतधारी-वि० [सं०] प्रीति करने वाला।
वाला कल्पित अधोयोनि का शरीर। -साख-पु० मृतक प्रीतम, प्रीतमौ-देखो 'प्रियतम'।
के पीछे एक साल में किये जाने वाले सोलह श्राद्ध । प्रीति, प्रीती,प्रोतो-स्त्री० [सं०प्रति] १ प्रेम, स्नेह, प्यार, ममता। प्रेतम-देखो 'प्रियतम' । २ स्त्री-पुरुष की परस्पर आसक्ति इश्क, मुहब्बत ।
प्रेताधिप-पु० [सं०] यमराज । ३ अनुराग । ४ प्रानन्द, हर्ष । ५ इष्ट या प्रभीष्ट वस्तु की ! प्रेतासिनी-स्त्री० [सं०] मृतकों को खाने वाली देवी। प्राप्ति का सुख । संतुष्टि । ६ मैत्री, दोस्ती । ७ कामदेव प्रेम-पु० [सं०] १ स्नेह, प्रीति, ममत्व । २ किसी जीव या वस्तु की स्त्री रति की सौत का नाम । ८ फलित ज्योतिष के के प्रति हार्दिक लगाव । ३ स्त्री-पुरुष की परस्पर प्रासक्ति, २७ योगों में से चौथा योग। -मोज-पु० इष्ट-मित्रों व इश्क, मुहब्बत । ४ अनुकंपा। ५ हर्ष, प्रसन्नता। ६ एक सगे-संबंधियों को दिया जाने वाला भोज ।
मात्रिक छन्द विशेष । ७ प्रामोद-प्रमोद । -वि. कोमल, प्रीयी-देखो 'प्रथ्वी'।
मुलायम *। -करता-वि० प्रेमी, पाशिक । -गरविताप्रीदुम, प्रीदुम-पु० [सं० प्रियद्र म] वानर, कपि ।
स्त्री० मान करने वाली एक नायिका विशेष । -जळ-पु.
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प्रेमदा
( १२९ )
प्रोढ़ा
प्रेमाश्रु। -पात्र-वि० जिससे प्रेम किया जाय । प्रेम करने | प्रेसित-वि० [सं० प्रेषित १ भेजा हुआ। २ प्रस्तुत किया हुभा । योग्य। -पास-स्त्री. प्रेम का बंधन। -भक्ति-स्त्री० | प्रेहसी-देखो 'प्रेयसी'। प्रेम व्यापार में की जाने वाली भक्ति। ईश्वर को प्रेमी के प्रेहा-स्त्री० [सं० प्र + इहा] इच्छा, आकांक्षा । रूप में देखना। -रस-पु. प्रेम का प्रानन्द । -वारि, प्रैतीस-देखो तीस'। वारी='प्रेमजळ' ।
प्रेत-देखो 'प्रेत' । -करम-'प्रेतकरम' । प्रेमदा-देखो 'प्रमदा'।
प्रेळाद-देखो 'प्रहळाद'। प्रेमनांनाणी-पु० माता का ननिहाल ।
प्रोंच-देखो 'पुणचौ'। प्रेमनांनो-पु० माता का नाना।
प्रोची-देखो 'पुणची'। प्रेमलेसा, प्रेमलेस्या-स्त्री० [सं० प्रेमलेश्या] मनुष्य की दया, | प्रोढ़-देखो 'प्रौढ़। निस्वार्थ एवं विवेकमय वृत्ति ।
प्रोढ़ा-देखो 'प्रौढ़ा। प्रेमातुर-वि० [सं०] प्रेम में विह्वल, आतुर, प्रेमी से मिलने को | प्रोढ़ो-देखो 'प्रौढ़'। - व्याकुल ।
प्रो'णी (बो)-देखो 'पोणी' (बी)। प्रेमालाप-पु० १ प्रेम की बातें। २ प्यार की बातें।
प्रोत-देखो 'पोत'। प्रेमास्र -पु० [सं० प्रेमाश्रु] अधिक प्रेम या प्रिय के मिलने पर प्रोत्साहन-पु० [सं०] १ जोश बंधाने व उत्साहित करने की पाने वाले हर्ष के प्रांसू ।।
क्रिया । २ हिम्मत, साहस । प्रेमास्वारथ-स्त्री० [सं० स्वार्थ-प्रेमा] वेश्या, गणिका । प्रोष-पु० [सं० प्रोथम्] १ घोड़े या सूअर का नथूना । २ नितंब, प्रेमी-वि० [सं० प्रेमिन्] १ प्रेम करने वाला, अनुरागी। चूतड़। ३ कटि प्रदेश । पाशिक । -पु० दोस्त, मित्र ।
प्रोथी-पु० [सं० प्रोथिन् घोड़ा, प्रश्व । प्रेमौ-देखो 'प्रेम' ।
प्रोयणी (बौ)-देखो 'पोपो' (बी)। प्रेयसी-स्त्री० [सं०] १ प्रिय. स्त्री, प्रेमिका, प्रिया। २ स्त्री, प्रोयत-देखो 'पुरोहित'। भार्या । ३ हरीतकी, हरे।
प्रोळ, प्रोळि-देखो 'पोळ' । -पात, पात्र='पौळपात'। बारट, प्रेरक, प्रेरक्क-वि० [सं० प्रेरक] १ प्रेरणा देने वाला, संस्कार | बारहठ = 'पोळबारहठ' । - जगाने वाला । २ प्रेरणा का प्राधार। ३ मार्ग दर्शन या प्रोळियो-देखो 'पौळियौ' । उपदेश करने वाला । ४ उत्साहित करने वाला।
प्रोळी-देखो 'पौळ'। प्रेरणा-स्त्री० [सं०] १ किसी कार्य में लगाने या प्रवत्त करने | प्रोवरणी' (बौ)-देखो 'पोपो' (बी)।
की क्रिया। २ अच्छे कार्य के प्रति जागत की जाने वाली प्रोसितपतिका-स्त्री० [सं० प्रोषित पतिका] पति की वियोगिनी भावना। ३ किसी कार्य के लिये मन में सहसा होने वाला
नायिका । विचार । ४ दबाव । ५ उत्साह, उत्तेजना। ६ भावना, प्रोह-पु० [सं०] १ हाथी का पर। २ देखो 'पौ'। 'प्रवृत्ति ।
प्रोहत, प्रोहित, प्रोहित-देखो 'पुरोहित' । प्रेरणारथकक्रिया-स्त्री० [सं० प्रेरणार्थक क्रिया] व्याकरण में
प्रौंचाळ-देखो 'पौंचाळी'। क्रिया का एक रूप।
प्रौचाळो-देखो 'पौंचाळो।
प्रौ-देखों 'परी'। प्रेरणिका-स्त्री० १ बैलों को हांकने की लकड़ी। २ प्रेरित करने
प्रौचाळो-देखो 'पौंचाळो' । वाली।
प्रौढ़-वि० [स०] (स्त्री० प्रौढ़ा) १ जो वृद्धावस्था के पूर्व की प्रेरणौ (बी)-क्रि० [सं० प्रेरणम्] १ प्रेरित करना । २ भेजना ।
प्रवस्था में हो। परिपक्वावस्था वाला । २ परिपक्व व ३ चलाना । ४ फेंकना । ५ ढकेलना, गति देना ।
विकसित । पूर्ण बढ़ा हुआ। ३ बलवान, शक्तिशाली। ६ उत्साहित करना।
४ दृढ़, पक्का, मजबूत । ५ चतुर, चालाक । प्रेरित, प्रेरियोड़ो-वि० [सं० प्रेरित] १ प्रेरित किया हुअा। प्रौढ़ता-स्त्री० [सं०] प्रौढ़ होने की अवस्था या भाव । प्रौढत्व।
२ भेजा हुआ । ३ चलाया हुआ। ४ फेंका हमा । ५ ढकेला | परिपक्वावस्था ।
हुमा, गतिमान किया हुआ । ६ उत्साहित किया हुआ। प्रौदा-स्त्री. १ 'प्रौढ़' स्त्री, परिपक्वावस्था वाली स्त्री । प्रेसक-वि० [सं० प्रेषक] १ भेजने वाला। २ प्रस्तुत करने २ काम कला में दक्ष स्त्री, नायिका (साहित्य) । वाला।
। ३ भगण के अधिक प्रयोग वाली गाथा (छन्द) ।
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प्रौढ़ो
( १३० )
फंसरणी
-प्रधोरा-स्त्री० एक प्रकार की नायिका । -धीरा-प्लवंग-पु० [सं०] १ बन्दर, कपि । २ अश्व, घोड़ा । स्त्री०एक नायिका विशेष । -धीराधीरा-स्त्री० एक ३ हिरण मृग। नायिका विशेष।
प्लवंगम्-पु० [सं०] १ एक छन्द विशेष । २ वानर । ३ मेंढ़क । प्रौढ़ी-देखो 'प्रौढ़'।
प्लवंगेस-पु० [सं० प्लवंग+ईश] हनुमान । प्रौढोक्ति-स्त्री० [सं०] एक प्रकार का शब्दालंकार । प्लव-पु० [सं०] चाण्डाल । प्रौळ, प्रौळि-देखो 'पौळ' । ।
प्लवग-देखो 'प्लवंग'। प्रौळियो, प्रौलियो-देखो 'पौळियौ' ।
प्लावत-वि० [सं०] भरा हुआ। प्रोस्ठपदी-स्त्री० [सं० प्रौष्ठ पदी] भादव मास की पूणिमा। प्लीहा-स्त्री० [सं०] तिल्ली नामक रोग । प्लक्ष-पु० [सं०] १ सप्त महाद्वीपों में से एक । (पुराण) प्लुत-पु० [सं०] १ घोड़े की एक चाल । २ व्याकरण में स्वर २ एक प्राचीन तीर्थ ।
का एक भेद । ३ तीन मात्रामों की ताल ।
--फ
फ-देव नागरी वर्णमाला का २२ वां व्यंजन, 'प' वर्ग का दूसरा | फंदाणी (बौ), फंदावणी (बो)-क्रि० १ बंधन में डालना । - वर्ण ।
२ आफत में डालना। ३ उलझन में फंसाना। ४ धोखे में फंक-देखो ‘फांक'। .
लेना । ५ कोई वस्तु किसी में डाल कर अटकाना । ६ कार्य फंकणी (बौ)-देखो 'फाकणो' (बौ)।
में उलझाना । ७ फंसाना, धंसाना। फको-स्त्री० १ मोठ, मूग, ग्वार आदि का महीनतम चूर्ण । फंदौ-पु० दिश०] १ बंधन । २ अाफत, विपत्ति । ३ जाल, फंदा, २ देखो 'फाकी'।
धोखा। ४ उलझन, प्रपंच । ५ दुःख, कष्ट । ६ झगड़ा, टंटा । फंग-पु. एक प्रकार का पौधा ।
७ उपद्रव, उत्पात । ८ स्त्री-पुरुष का नाजायज प्रेम संबंध । फंगड़ियो-पु० रहट में, बैल हांकने के लिये बैठने का स्थान । ६ रस्सी में गांठ लगा कर बनाया जाने वाला गोल घेरा। फंट-पु० [सं० फांट] १ विरोध । २ पृथकता।
१० फांसी का फंदा। फंटरणौ (बी)-क्रि० १ विरुद्ध होना । २ पृथक होना, अलग | फफरणो (बी)-क्रि० प्रयत्न करना, परिश्रम करना। होना । ३ साथ छोड़ देना।
फफारणी (बो), फंफावरणौ (बी)-क्रि० प्रयत्न कराना, परिश्रम फंटाई-स्त्री० १ अलग होने की क्रिया या भाव, छटनी, पृथकता। कराना। २ बढ़ई एक औजार।
कंफेडणी (बौ)--क्रि० १ तीर मारना, तीर घुसाना। २ किसी फंटाणौ (बौ), फंटावणी (बी)-क्रि० १ पृथक कराना, अलग | प्राणी या वस्तु को पकड़ कर जोर से हिलाना, झकझोरना ।
कराना । २ विभक्त कराना । ३ विरुद्ध कराना। ४ साथ | फंवार-स्त्री० [अ० फव्वार] १ बारीक बूदों वाली हल्की वर्षा । छुड़वाना। ५ विपरीत पक्ष में करना ।
२ फंवारे की जल धारा । फंड-पु. १ ढोंग, आडंबर । २ कार्य विशेष के लिये | फंवारौ-पु० [अ० फव्वार] १ बारीक धाराओं में पानी फेंकने निर्मित कोष ।
का यंत्र विशेष । २ बरसात की हल्की बौछार । ३ महीन फंद-देखो 'फंदौ'।
बूदों की झड़ी। फंदणौ (बौ)-क्रि० १ बंधन में पड़ना । २ अाफत में पड़ना। फसणौ (बौ)-क्रि० [सं० पाशनं] १ बंधन में पड़ना, बंधन के
३ उलझन में फंसना । ४ धोखे में आना। ५ कोई वस्तु वशीभूत होना । २ आजाद या मुक्त न रहना । ३ उलझन किसी में धंस कर अटक जाना। ६ कार्य में बलात् अटक या परेशानी में पड़ना। ४ सांसरिक प्रपंचों में उलझ जाना। जाना । ७ फंसना, धंसना।
५ किसी कार्य में अधिक व्यस्त होना, प्रासानी से न छुट
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फंसारगौ
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( १३१ )
सकना । ६ किसी धोखे, जाल या षड़यंत्र में पड़ जाना, छलना में पड़ना । ७ वशीभूत या अधीन होना । ८ तीक्ष्ण वस्तु का किसी धन्य वस्तु में घुस जाना कोई वस्तु किसी अन्य वस्तु में घुस कर अटक जाना। १० पर स्त्री प्रसंग में पड़ जाना । ११ पाश या फंदे में फंस जाना । १२ पशु-पक्षियों का शिकारी के जाल में पड़ जाना । १६ तांत्रिक या किसी चमत्कारिक प्रभाव में आना । फंसाणी (बी), फसावणी (यो) क्रि० १ बंधन में पटकना, बंधन के वशीभूत करना। २ आाजाद या मुक्त न रहने देना । ३ उलझन या परेशानी में डालना । ४ सांसारिक प्रपंचों में उलझाना । ५ किसी कार्य में अत्यधिक उलझा देना | ६ धोखे या षड़यंत्र में उलझाना । ७ वशीभूत या प्रधीन करना । ८ तीक्ष्ण वस्तु को किसी अन्य वस्तु में घुसा देना । E कोई वस्तु किसी अन्य वस्तु में घुसा कर अटका देना । १० पर स्त्री प्रसंग में पटकना । ११ पशु-पक्षियों को शिकारी के जाल में फंसाना । १२ पाश या फंदे में डाल देना । १३ तांत्रिक या किसी चमत्कारिक प्रभाव में लेना । फ-पु० १ पाप २ भाग, फेन। ३ पुण्य । ४ माघ महिना । ५ ध्वनि । ६ प्रांधी, प्रधड़, तूफान । ७ वर्षा । ८ भय । रक्षा । १० निष्टा । ११ बुद्धि । १२ वारणी । १३ प्रसन्नता । फड़, कईड़ौ पु० हाथ या जूते का प्राघात व इस प्राघात की ध्वनि ।
फउज - देखो 'फौज' | फरणी (ब)- देखो 'फेरणी'
(बी) ।
वि० [सं०] स्फटिक ] १ श्वेत शुभ्र २ स्वच्छ, साफ स्त्री० [ श्र० फक] १ भय, लज्जा, आश्चर्य आदि के कारण चेहरे पर होने वाले उदासी के चिह्न । २ ध्वनि विशेष । ३ इन्जन की ध्वनि । श्रव्य० अवाक् हतप्रभ । फकत - अव्य० १ केवल, सिर्फ मात्र । २ इति । फकर - वि० [ प्र० फक्र ] १ दीन, दरिद्र । २ निर्लोभी, संतोषी, मस्त । ३ अभिमानी, घमंडी । ४ देखो फिकर' । ५ वैरागी । -पु० १ साधु, फकीर २ दरिद्रता
फकारी ० सर्प, सांप
फकीर - वि० [अ०] ( स्त्री० फकीरणी ) १ निर्धन, कंगाल । २ भिक्षुक, भिखारी । ३ संसार त्यागी, विरक्त । पु० १ मुसलमान साधु । २ एक मुसलमान जाति । ३ साधु । फकीरी - स्त्री० [अ०] १ निर्धनता, कंगाली २ भिखारीपन । ३ विरक्ति, वैराग्य ४ संन्यास ५ साधुस्व फरक देखो 'फक' |
फक्कड़, फक्कर, फक्खड़, फखर देखो 'फकर' ।
फगडंड - पु० [सं० पाखण्ड ] ढोंग, पाखण्ड | फगडंडी - वि० [सं० पाखण्डी] ढोंगी, पाखण्डी ।
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"
फगडो पु० [सं० पाखण्ड] १ डोंग, पाखण्ड २ टंटा झगड़ा फगत - देखो 'फक्त' ।
पडवी
फफगण ( 1 ) ० १ बिसना, फलना, प्रफुल्लित होना । २ सर्वांगीण विकसित होना ।
फगवा, फगुवा पु० [सं० फाल्गुन] १ होलिकोत्सव का दिन, होली २ होली के ग्रामोद-प्रमोद खेल ३ उ अवसर पर दिया जाने वाला उपहार भेंट ।
1
फग्ग- देखो 'फाग' |
फागुन- देखो फाग
फड़- पु० १ समूह, ढेर । २ बैलगाड़ी की छत का एक भाग । बैल की मूत्रेन्द्रिय स्त्री० ४ चीरी हुई लकड़ी
५ ध्वनि विशेष ६ लम्बा पत्र | फड़क - देखो 'फड़की' ।
फड़कड़, फड़कड-पु० १ घोड़े की तेज चाल । २ इस चाल से उत्पन्न ध्वनि । फड़करण - स्त्री० १ फड़कने की क्रिया या भाव। २ दिल की धड़कन ।
।
फड़कर (बौ) - क्रि० [सं० स्फुरणम् ] १ दिल का सामान्य से अधिक धड़कना २ किसी अंग में स्फुरण होना, अंग फड़कना । ३ हवा से कागज प्रादि का उड़ना । ४ उड़ने की ध्वनि होना ।
फडकाणी (बी), फडकावलो(बी)
१ हिलाना, हुलाना। २ हवा में उड़ाना, फहराना । ३ पक्षियों द्वारा प्रपने पर तथा पशुप्रों द्वारा अपने कानों को हिलाकर आवाज करना । फड़कौ - पु० १ कपाट का एक भाग, पल्ला । २ एक पल्ले का कपाट, पाटिया । ३ किसानों से लेने का एक कर विशेष । ४ कुम्हार, सुधार यादि को बविहान से दिया जाने वाला अनाज । ५ पतंगा। ६ कंचुकी के पार्श्व भाग में रहने वाला वस्त्र | सहसा बड़ी हुई दिल की धड़कन देखो 'करण' ।
,
फड़कर (बी) - देखो 'फड़करणी' (बी) ।
फड़फड़फड़ाटी फड़ाहट (टो) स्त्री० १ वस्त्र फटने से उत्पन्न ध्वनि । २ उड़ते समय पक्षियों के पंखों से उत्पन्न ध्वनि । ३ प्रपान वायु की ध्वनि । ४ पशुओं के नाक से कभी-कभी होने वाली ध्वनि ५ कोई ध्वनि विशेष । फड़व स्त्री० [फा० फर्द ] १ सूची, तालिका। २ निमत्रण का सूची पत्र । ३ आय-व्यय का पत्र । ४ रजाई के ऊपर का
खोल खोल का एक भाग । ५ ग्रामीण स्त्रियों के घाघरे
"
का वस्त्र विशेष |
फड़दी-१ देखो 'फरद' । २ देखो 'फड़द' |
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फड़फड़
फटको
फड़फड़-पु० ध्वनि विशेष ।
१ तुरंत, शीघ्र, झट-पट । २ देखो 'फिट'। फड़फड़णी (बी)-क्रि०१प्रातुर, व्यग्र, बेचैन होना। २ घबराना। | फटक-देखो 'स्फटिक'।
३ ध्वनि होना । ४ उद्वेलित होना । ५ पक्षियों के पर व । फटकड़ी-देखो 'फिटकड़ी' । पशुपों कानों से झटका लगने पर ध्वनि होना।
फटकड़ो-पु. [देश॰] वस्त्र विशेष । फड़फड़ारणी (बौ), फड़फड़ावणो (बौ)-क्रि० १ पक्षियों द्वारा फटकण-स्त्री० १ सूप से अनाज साफ करने पर निकला कचरा ।
पर व पशुओं द्वारा कानों को जोर से हिलाना। २ अातुर २ फटकने की क्रिया या भाव ।
या व्यग्र करना । ३ उद्वेलित करना । ४ ध्वनि करना। फटकरणी (बी)-क्रि० १ फट-फट शब्द करना। २ अस्त्र-शस्त्र फड़कड़ी-स्त्री० १ झुझनाहट । २ हिम्मत, साहस, जोश । आदि चलाना, फेंकना। ३ पटकना, गिराना। ४ रुई को
३ उद्घलन । ४ जोर से झटका देने की क्रिया, फटकार । धुनकी पर धुनना । ५ लावारी में हाथ पांव पटकना, फड़मल-पु० फोग नामक झाड़ी का फूल ।
फटकना । ६ किसी को बुरा-भला कहना । ७ सूप में लेकर फड़वड़ा-स्त्री० घोड़े की तेज चाल व इससे उत्पन्न ध्वनि ।
अनाज साफ करना । ८ कपड़े को झटका लगाना । फड़वडाणी (बो)-क्रि० १ घोड़े को तेज दौड़ाना। २ देखो ९प्राना, हाजर होना । 'फड़फड़ाणी' (बौ)।
फटकमण, फटकमणी, फटकमिणी-देखो 'स्फटिकमणि' । फड़हड़-देखो 'फड़हड़ाट' ।
फटकाणी (बी)-क्रि० १ फट-फट शब्द करना। २ अस्त्र-शस्त्र फडहाणी (बी)-क्रि० १ पशुनों की तेज चाल से नाक से आदि चलवाना, फेंकाना । ३ पटकाना, गिरवाना । आवाज होना। २ देखो 'फड़फड़णो' (बी)।
४ रुई को धुनकी से धुनवाना। ५ सूप से अनाज आदि फड़ाफड़-देखो 'फटाफट'।
साफ कराना । ६ वस्त्र के झटका लगवा कर साफ कराना। फड़ियो-पु. अनाज का फुटकर व्यापारी ।
७ बुरा-भला कहाना, फटकार लगवाना । फड़ी-स्त्री० १ लगातार मारने की ध्वनि । २ ऊंट के पैर के | फटकामिण-देखो 'स्फटिकमणि' ।
नीचे का भाग । ३ ऊंट के पैर का प्रहार । ४ उक्त | फटकार-पु० [सं० फट् + कारः] १.४९ क्षेत्रपालों में से एक । प्रहार की ध्वनि ।
२ प्रताड़ना, डांट, झिड़की, बुरा-भला कहना, भर्त्सना । फड़ स-पु० 'भुरट' घास के दाने।
धमकी। ३ मार्मिक प्राघात । ४ शाप, बदुप्रा । ५ प्रहार, फडौ-पु. ऊंट के चारों पैरों से कूदने की क्रिया।
प्राघात । ६ कोप दृष्टि । ७ प्रभाव, असर । ८ पक्षियों के फचर, फचराक, फच्चर-देखो 'फा चर'।
परों की फड़फड़ाहट । ९ झटका, धक्का । फजर, फजराट-स्त्री० [अ० फज्र] १ प्रात:काल, सवेरा। फटकारणी (बौ)-क्रि० १ शाप देना, बदुवा देना।२ प्राघात, २ सवेरे की नमाज ।
प्रहार या चोट करना। ३ झाड़ना, झटकना। ४ पटकना, फजल-स्त्री० [अ० फज्ल] १ खैरियत, शांति, सुख-चैन पछाड़ना। ५ उपार्जन करना, कमाना । ६ डाट-डपट २ कृपा, दया। -पु० ३ बुजुर्ग ।
करना, धमकाना । ७ सीख या शिक्षा देना । ८ झटका फजीत, फजीतवाडौं, फजीती, फजीती-देखो 'फजीहत'।
देना। ६ झटका देकर दूर फेंक देना। १० रोष प्रकट फजीलत, फलीलस-पु० [अ० फजीलत] १ श्रेष्ठता, उत्तमता । करना । ११ झटके के साथ तेजी से जाना। २ इज्जत, प्रतिष्ठा ।
फटकारियो-पु० एक ही नाली से सींचित होने वाले क्यारों में से फजीहत, फजीहती-स्त्री० [अ०] १ दुर्गति, दुर्दशा । २ बदनामी । अंतिम क्यारा। फजुली-देखो 'फजूल'।
फटकारे-क्रि० वि० शीघ्रता से, त्वरित गति से । तुरंत । अ० फजूल] १ जिसकी जरूरत, आवश्यकता न हो, | फटकारौ-पु० १ झटका । २ झौंका, झपट्टा । ३ शाप, बद्दुना। व्यर्थ, निरर्थक । २ जो आवश्यकता से अधिक हो, ४ धिक्कार, लानत । ५ फटकार, धमकी । ६ झड़ी। अतिरिक्त । ३ निकम्मा। ४ बेमतलब का। -खरच- ७ आघात, टक्कर, प्रहार । ८ फट-फट ध्वनि । पु० अपव्यय । -खरची-वि० अपव्ययी । -स्त्री० ९ फड़फड़ाहट । १० शीघ्रता, सत्वरता। ११ झाड़ पौंछ अपव्यय की दशा, अवस्था ।
करने की क्रिया : सफाई। फजूली-देखो 'फजूल'।
फटकावणौ (बौ)-देखो 'फटकाणी' (बौ)। फज्जर-देखो ‘फजर'।
फटकिमणी-देखो 'स्फटिकमणि' । फट-स्त्री० [सं०] १ एक तांत्रिक मंत्र । २ वायु या गैस भरी फटको-पु. १ झटका । २ फट-फट ध्वनि । ३ साफ-सफाई
वस्तु फूटने की आवाज । --वि० सफेद, स्वच्छ । -क्रि०वि० करने की क्रिया ।
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फटरपो
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फटणी (बौ) - १ देखो 'फाटणी' (बौ) । २ देखो 'फंटणी' (बौ) । फटफट- देखो 'फटाफट' |
( m )
4
फटफटाणी (बौ) - क्रि० १ फड़फड़ाना । २ पक्षियों का परों के पर पशुओं का कानों को झटका देना । ३ फट फट ध्वनि करना ।
फटफटियो - वि० व्यर्थं बकने वाला। फटा पु० [सं० स्फटा ] सांप का फन ।
फटाक - क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । फटाको देवो पटाको' ।
-पु० मोटर साईकिल ।
फटाफट क्रि० वि० १ शीघ्र, तुरंत । २ निरंतर, लगातार ।
-स्त्री० ध्वनि विशेष ।
फडियाळ-देखो 'पडियाळ' |
1
फटि देखो 'फिट' |
फटिक देखो 'स्फटिक' ।
फटिकमरिण देखो 'स्फटिकमरिण' ।
फटित देखी 'स्फटिव' ।
फूटने की ४ चोट,
फटीड़, फटोड़ी-पु० हवा वास भरी वस्तु के श्रावाज । २ थप्पड़, चांटा । ३ चांटे की ध्वनि । आघात की ध्वनि । ५ वस्तु के गिरने की ध्वनि । फट्टणी (बी-१ देखो 'फाटणी' (बी) । २ देखो 'फंटरणी' (बी) ।
फड - देखो 'फड़' |
फडड, फडडाट--देखो 'फड़ड़ाट' |
फडद - १ देखो 'फड़द' । २ देखो 'फरहद' |
फडफड - देखो 'फड़फड़' ।
फडहर देखो 'फाट
फडियो, फडीयौ देखो 'फड़ियो' ।
फलं० [सं० फरिन + अंग] शेषनाग |
करण - पु० [सं० फरण] सांप का मुख ठोडी, फन । —कर - पु० साप - मंडप पु० फन का फैलाव, या विस्तार ।
फणकार, फणकारौ स्त्री० १ बेल या घोड़े को चलाते समय अभीष्ट दिशा में मोहने के लिये रात या लगाम का जाने वाला झटका । २ सांप की फुफकार । ३ पशुओं के सांस लेने की क्रिया । ४ उक्त क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । फणकारणी (बी) १ बैलों की रास या घोड़े की लगाम का झटका देना । २ फुफकारना । ३ पशुनों द्वारा श्वास लेना ।
०
फरगट- देखो 'फरगट' ।
फरगटो-देखो 'फागोटी
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फणगर स्त्री० ० १ पर, पंख [सं० फरिणधर ] २ सांप, नाग । फरगगरी स्त्री० शाक विशेष ।
फणगी - पु० पतंगा ।
फरणधर वि० [सं० फलधारिन्] फनवाला कधारी पु० १ सांप । २ शेषनाग |
-
3
,
रंगति फणपती स्त्री० [सं० पंक्ति पानों की पंक्ति । फणपत ( पति पति पती, पत्त, पति, पत्ती) - ० [सं०फा-पति]
१ सर्प सांप २ देखो 'फणिपति' ।
1
फतवा
फणफण - स्त्री० १ तीर, पत्थर आदि तेज गति से चलने से उत्पन्न ध्वनि । २ उद्दण्डता, बदमाशी । ३ तुनतुनाहट । फणमंडप पु० [सं०] फल मण्डप ] सर्प का फैला हुआ फल फरणमाळ - स्त्री० [सं० फरण माल ] शेषनाग ।
फणस - स्त्री० [सं० पनस] कटहल का वृक्ष और उसका फल ।
फणसहस देखो 'सहरुफणधार महसफलधार
फणाकार - पु० [सं० करण - प्रकार ] १ सर्प का फन ।
२ सर्प, सांप, शेषनाग ।
फडहटीया स्त्री० एक व्यावसायिक जाति । फडली (बी) १ देखो 'फड़णी' (बो) । - देखो 'फड़हड़णी' (बी) । २ देखो फरिणयास पु० शृंगार में एक प्रासन का नाम ।
'फड़फड़णी' (बौ) ।
फणिफेन पु० [सं० फखिन्नः ] अफीम
फडडा देखो 'फडाट ।
फणिराज - पु० [सं० फणिन् - राज ] १ शेषनाग । २ वासुकिनाग । फणींद, फणींद-पु० [सं० फणींद्र ] १ शेषनाग । २ नागराज वासुकि । ३ सर्प । ४ एक प्रकार का वृक्ष विशेष । फणी - पु० [सं० फरिणन् ] १ सांप, सर्प । २ शेषनाग । ३ एक प्रकार का बिना पत्तों का भू-फोड़ । ४ टगरण के पांचवें भेद
फणाधर देखो 'फरणधर' |
फरपाळी, फणाळौ - वि० फनधारी । पु० १ शेषनाग । २ सर्प सप फलिय-देखो 'फणींद
फरिण - पु० १ रागरण के प्रथम भेद गुरु का नाम । २ देखो 'फणी' |
फणिजकुमारी स्त्री० [सं० फरिणजकुमारिका ] नाग कन्या । फणिपति पु० [सं० फरिणन्पतिः] १ शेषनाग, नागराज २ वासुकि नाग ।
का नाम ।
फणीधर देखो 'फसवर
कणीस पु० [सं० फणीश] १ शेषनाग २ सर्पसच फर्णजा - सर्व० आपका अपना । फली-देखो 'फु' |
फल- देखो 'फतह'
फतन देखो 'फित
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फतवा - पु० [० फतवः] मुसलमान धर्माचार्य द्वारा किसी विवाद का लिखित निर्णय ।
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फतवी
फर
फतवी-देखो फतूही'।
का काजल का टीका । ४ स्त्रियों व कन्यानों द्वारा हथेली फतह-स्त्री० [१०] १ विजय । २ सफलता, कामयाबी।
पर बनाई जाने वाली मेंहदी की टिकिया। ५ अपराधी को __-चांद-पु. पगड़ी पर धारण करने का आभूषण ।
कैद से छुड़ाने के बदले दिया जाने वाला धन। ६ एक फतहपेच-पु. [अ० फतह-रा०पेच] १ पगड़ी बांधने का एक ढंग। प्रकार का अर्थ दण्ड ।
२ पगड़ी पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । ३ स्त्रियों फन-पु० [अ०] १ गुण, खुबी । २ विद्या । ३ कला, दस्तकारी। के शिर गूथने का एक ढंग । ४ स्त्रियों के शिर का एक | ४ देखो 'फण'। प्राभूषण विशेष ।
फनधर-देखो 'फरणधर'। फतूर-पु० [अ० फुतूर] १ उपद्रव, खुरापात । २ ढोंग, आडंबर | फनपति-देखो 'फणपति'। पाखंड । ३ विघ्न, बाधा । ४ हानि, नुकसान ।
फनफनाट-पु. १ शरारत, उद्दण्डता। २ क्रोध में बड़बड़ाट । फतूरियो-वि० १ 'फतूर' करने वाला । २ उपद्रवी, उद्दण्ड । ३ फन फटकारने की क्रिया। ३ ढोंगी, पाखंडी। ४ विघ्नकारक, बाधक ।
फनमाळ-देखो 'फरणमाळ' । फतूह-पु० [अ० फुतूह] १ समूह, ढेर । २ विजय, जीत । फनाळी-देखो 'फरणाळी'। ३ सफलता।
फनी-देखो 'फरणी'। फतूहा-स्त्री० ध्वजा, झडा, पताका ।
फफरी-स्त्री० [देश॰] धमकी, घुड़की । डांट, फटकार । फतही-स्त्री० [अ० फुतूही] १ बिना प्रास्तीन का एक छोटा | -वि० १ नमकीन । २ चिकनी चुपड़ी।
कमीज । २ सदरी, जाकेट । ३ युद्ध में लूटकर लाया माल । | फफबा, फफबौ-पु. एक प्रकार का विषैला जीव । फते, फतेह, फतै-देखो 'फतह'।-चांद='फतहचांद' । फफूदी-स्त्री० [देश॰] १ स्त्रियों की साड़ी प्रादि में लगाने की फतैपेच-देखो 'फतहपेच'।
गांठ बिशेष । २ बरसात के दिनों में किसी वस्तु पर जमने फवकरण-पु. १ चारों ओर पाहते से घिरे खेत के प्रवेश द्वार वाला रुई की तह जैसा पदार्थ । ३ एक पतंगा विशेष ।
पर खड्डा खोद कर, उस पर रखा जाने वाला लंबा सीधा ४ भुकड़ी। पत्थर या लकड़ा । २ देखो 'फुदकरण'।
फफोळी-पु० [सं० प्रस्फोट] जलने या रक्त विकार से त्वचा पर फवकणो, (बौ)-देखो 'फुदकणों' (बौ)।
बतासे की तरह होने वाला फोड़ा। फदकूड़ी-पु. (स्त्री० फदकूड़ी) १ उछल-कूद करने वाला। | फब, फबण-वि० [सं० प्रभवन] १ सुन्दरता, छबि । शोभा।
२ उछलने वाला । ३ बिना मतलब की भाग-दौड़ करने २ अच्छा लगने की अवस्था । वाला।
फबरणो (बौ)-देखो 'फाबरणो' (बी)। फदके (के)-क्रि० वि० शीघ्रता से, जल्दी।
| फबती-वि० उपयुक्त, प्रसंगानुसार । -स्त्री० १ उपयुक्त बात । फदको, फवड़कउ, फदड़की-पु० [देश॰] १ कूद-कूद कर चलने २ व्यंग, चुटकी।
वाला कीड़ा । २ फुदकने वाला जीव । ३ फटे हुए दूध का | फबीलो-वि० [सं० प्रभा+रा० ईलौ] (स्त्री० फबीली) सुन्दर, लच्छा। ४ रुई कातने में बीच-बीच में रहने वाला गुच्छा, । छैला, रसिक, शौकीन । फुमदा । ५ अाकाश में छितराये खाली-बादल । ६ देखो फबो-देखो 'फुबौ'। 'फरडको'।
फम्बरणौ (बौ)-देखो 'फाबरणो' (बौ)। फबफव-स्त्री. १ खिचड़ी प्रादि से, पकते समय उत्पन्न ध्वनि
फभड़ी, फमड़ी-देखो 'पांभड़ी' । २ देखो 'फदाफद'।
फरंग-१ देखो 'फिरंग' । २ देखो 'फिरंगी'। फदफदाटौ-पु० [देश॰] १ उछल कूद । २ जोश, आवेश । ३ फुदकने की क्रिया या भाव ।
फरंगट-देखो 'फरगट'। फदाको-देखो 'फदाक'।
फरंगांरण, फरंगी-देखो 'फिरंगी'। फदाफद-क्रि० वि० फुदकते हुए, उछलते हुए, छलांगें मारते हुए । फर-स्त्री० [सं० फलम्] १ पीठ । २ पर्वत की तलहटी। फवाळ-पु०[देश॰] 'फदाळी' लोगों द्वारा बजाने का एक बाजा। ३ जलाशय की पाज का नीचला भाग । ४ पशुओं के अगले फवाळी-स्त्री० सुन्नी मुसलमानों के अन्तर्गत एक जाति ।
पैरों के संधिस्थल के पास का भाग। [सं० फलकं, फदियो-पु० [अ० फदियः] १ मध्यकाल में प्रचलित एक छोटा फलम] ५ ढाल। ६ बाण की नोक । ७ ढलवां भू-भाग,
सिक्का। २ मांगलिक अवसरों पर कुम्हार, बढ़ई प्रादि को ढलाव । ८ झूठी प्रशंसा । ६ चिड़िया आदि के उड़ने से दिया जाने वाला पुरस्कार । ३ बच्चे के अंगप्रत्यंग पर लगाने । उत्पन्न ध्वनि । १० देखो 'फळ' ।
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फरक
( १३५ )
फरळणी
फरक-पु० [अ०फर्क] १ अन्तर । २ दूरी, फासला। ३ पार्थक्य, फरण-स्त्री० [देश॰] १ घूमने या चक्कर काटने की क्रिया या
पृथकता, अलगाव । ४ भेद, भिन्नता । ५ भेद-भाव, भाव । २ ध्वनि विशेष । ३ स्फुरण। परायापन, दुराव । ६ विभिन्नता, विशेषता। ७ कमी, | फरणफट-क्रि०वि० शीघ्रता से, तेजी से, त्वरा से । न्यूनता । ८ हेर-फेर, परिवर्तन। ९ असर, प्रभाव । फरणाट (फरणाटौ)-स्त्री० १ शीघ्रता, तेजी, तेज गति । १० हिसाब-किताब का अन्तर । ११ एक संख्या से दूसरी २ ध्वनि विशेष । ३ फनफनाहट । संख्या घटाने से निकलने वाला शेष । १२ दो वस्तुओं की फरणाहट-क्रि वि० शीघ्रता से, तेजी से ।। विषमता। १३ सुधार । १४ उन्नति या अवनति की दशा। फरणो (बौ)-देखो 'फिरणो' (बो)। १५ ध्वज, झडा।
फरती-स्त्री० १ वेश्या, रण्डी । २ व्यभिचारिणी स्त्री। फरकणो (बो)-देखो 'फड़कणो' (बो)।
फरद, फरदी-देखो 'फड़द'। फरकारणो (बी)-देखो 'फड़कारणो' (बौ) ।
फरफर-स्त्री० [अनु॰] १ वस्त्रादि के हवा में उड़ने की क्रिया। फरकावरणौ (बी)-देखो 'फड़काणो' (बी)।
२ इस प्रकार उड़ने से उत्पन्न ध्वनि । ३ एक प्रकार का फरकी-देखो 'फिरकी' ।
खाद्य पदार्थ । फरकीवाड़ो, फरकेडो-पु० [देश॰] १ भूमि आदि का हल्का फरफराणौ (बौ)-क्रि० १ वस्त्रादि को हवा में उड़ाना, ध्वज
सूखापन । २ कई दिन की वर्षा के बाद निकलने वाली धूप। का लहराना । २ किसी खाद्य पदार्थ को हल्को पाच फरको-वि० [देश॰] १ हल्का नमकीन, चटपटा, चरपरा । पर सेंकना।
२ हल्का-फुल्का । ३ कम गीला । ५ स्वच्छ, निर्मल । फरफरियो, फरफरौ-वि० (स्त्री० फरफरी) १ मामूली सूखा, -पु० नमकीन खाद्य पदार्थ ।
फरफरा । २ हल्का नमकीन व चटपटा। ३ हल्का-फुल्का । फरक्कणी (बी)-देखो 'फड़करणो' (बौ)।
४ पतला, क्षीण । ५ बनावटी. काल्पनिक । ६ सुडौल । फरगट, फरगटो, फरगट्ट-पु.[देश॰]१ तिरछी चितवन, नजारा। फरमाण, फरमान-पु० [फा० फर्मान] १ राज्याज्ञा, शासन का
२ घोड़े की चाल विशेष । ३ एक प्रकार का लोक नृत्य । हुक्म । २ प्रादेश, प्राज्ञा-पत्र । ३ विनती, मर्ज । ४ तमक । ५ चक्कर, घुमाव, वृत्त ।
फरमांबरदार, फरमांवरदार, फरमांवरदारु-वि० फरड़-देखो 'फडड' । .
[फा० फर्माबरदार] प्रादेश या हुक्म मानने वाला। फरकणी (बी)-क्रि० १ घोड़े, गधे आदि के नाक से तेज श्वास | फरमाइस, फरमाईस-स्त्री० [फा० फार्माइश] १ प्राज्ञा आदेश ।
लेने से ध्वनि होना । २ क्रोध में अनुपयुक्त बातें कहना।। २ इच्छा, मांग। ३ अपान वायु की ध्वनि होना ।
फरमाणौ (बौ)-क्रि० [फा० फर्मान्] १ कहना। २ आज्ञा देना फरड़को, फरहाट, फरहाटौ-पु. १ क्रोध में कही हुई बात, दो। आदेश करना। ३ इच्छा बनाना। ४ मांग करना।
टूक बात । २ घोड़े, गधे प्रादि के नाक की तेज प्रावाज । ५ विनती, अरज करना । ६ कुछ करना । ३ देखो 'फडड' .
फरमाबरदार-देखो 'फरमाबरदार' फरड़ाहक, फरड़ाहट-देखो ‘फड़ड़'
फरमावरणौ (बो)-देखो ‘फरमारणौ' (बौ)। फरड़ी-स्त्री० [देश॰] बालों या सिट्टों सहित काटे हुए |
फरमास-देखो 'फरमाइस' । ___ बाजरी के पौधे ।
फरयाद-देखो ‘फरियाद' ।
फरयादी-देखो 'फरियादो'। फरडो-पु० [देश॰] १ ऊंट का पदाघात । २ डंठल । फरजंद-पु० [फा० फ़र्जन्द] १ पुत्र, लड़का, बेटा । २ संतान । ।
फरर-स्त्री. १. ध्वजा, पताका प्रादि हवा में उड़ने की क्रिया।
२ इस क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । ३ देखो 'फररी' । फरज-पु० [फा० फर्ज]१ कर्तव्य, धर्म । २ कर्म, अनिवार्य कर्म । ३ मुसलमानों के अनिवार्य धार्मिक कार्य । ४ ऋणभार ।
| फररणौ (बौ)-देखो ‘फरहरणी' (बो)। ५ काल्पनिक व अनुमानित बात । ६ एहसान ।
फरराट (टो)-स्त्री० फर-फर या सर-सर को ध्वनि । तीव्र [अ० 'फ़र्द] हुक्मनामा, प्रादेश ।
गति का भाव । फरजन, फरजन्न, फजिव-१ देखो 'फरजंद' । २ देखो 'फरज'। फररी-स्त्री० [देश॰] १ छोटी पताका, झण्डी । २ भाले पर लगी
झण्डी। ३ देखो 'परसु' । फरजि, फरजी-वि० [फा० फर्जी] १ जो असली या मूल न
हो, नकली । २ झूठा, असत्य, जाली। ३ कल्पित ।। फररी-पु० १ संकेत, इशारा । २ देखो 'फररी' । ४ नाम मात्र का, सत्ताहीन । -पु० शतरंज का एक मोहग। | फरळणी (बौ)-देखो 'फुरळणी' (बी)।
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फरबट
( १३६ )
फरिस्तो
फरवट-पु. १ चालाक, चतुर, चलता-पुर्जा । २ वर्तमान युग में, ४ छलांग लगवाना, कूदाना । ५ हवा में तैराना। अपना कार्य साधन में चतुर ।
फरहरी-वि० (स्त्री० फरहरी) १ सुडौल, सुगठित, सुन्दर । फरवारण-देखो 'फरमांण' ।
२ सबुक, छरहरा। फरवास-पु. एक प्रकार का वृक्ष विशेष ।
फरहास -देखो 'फरवास' । फरवरी-वि० (स्त्री० फरवी) तेज चलने वाला ऊंट, बैल या | फरहो-देखो 'फरहरी'। घोड़ा।
| फरांस-१ देखो ‘फरवास' । २ देखो 'फांस' । फरस-पु० [सं० स्पर्श] १ छुना क्रिया, स्पर्श। [अं० फर्श फरा-स्त्री० गुफा, कन्दरा। २ पत्थर की चौकोर शिला। ३ गृह का प्रांगन । ४ आंगन
फराक-स्त्री० लड़कियों के पहनने का वस्त्र, गगरी । फाक । में बिछाने की बड़ी दरी। ५ देखो 'परसु' । ६ देखो
फराकत-देखो 'फरागत'। 'परसुरांम'।
फराकी, फराखी-स्त्री० [फा०फराखी] १ विशालता, विस्तृतता। फरसण-देखो 'स्परसण'।
२ छलांग। फरसणा-स्त्री० [सं० स्पर्शनम्] १ पालन, आचरण व फरागत-स्त्री [अ०] १ मल त्याग प्रादि नित्य क्रियामों से
क्रियान्वयन । २ ग्राहय पदार्थ के रूप, रंग, गंध आदि में । निवृत्ति । २ किसी कार्य की पूर्णता, निवृत्ति । ३ मुक्ति, परिवर्तन ।
छुटकारा।
फराडो-पु. १ अधिक वर्षा के बाद वातावरण में कुछ सूखापन फरसणी (बी)-देखो 'परसणी' (बी)।'
होने की दशा । २ एक वर्षा से दूसरी वर्षा के बीच का फरसतो-देखो 'फरिस्तो'।
समय । फरसधर (धरण)-देखो 'परसुधर'। फरसपासण-पु० [सं० स्पर्श-पाषाण] पारस पत्थर ।
फराणी (बी)-देखो 'फिराणी' (बी)। फरसबंध-पु. पक्के प्रांगन वाला ऊंचा स्थान ।
फरामोस-वि० [फा० फरामोश] १ भूला हुआ, विस्मृत । फरसरांम-देखो 'परसुरांम' ।
- . २ भ्रमित । फरसांधर(धरण), फरसाधर(धरण)-देखो 'परसुधर'। फरार-वि० [फा०] १ गायब, लुप्त । २ अपराध के बाद भागा फरसि-१देखो 'परसु' । २ देखो 'परसुरांम' । ३ देखो 'फरसी' हुआ । फरसिरांम-देखो 'परसुरांम' ।
| फरारी-स्त्री. १ भागने, गायब या लुप्त होने की क्रिया । २ देखो फरसी-स्त्री० [सं० परशु] १ कृषि कार्य में काम पाने वाला, |
'फरार' । परस के आकार का, एक उपकरण । २ देखो 'परसु । फराळ-पु० फलाहार, शाकाहार । फरसीचुग्गी-पु०[सं० परशु-चुग्गा] एक प्रकार का शस्त्र विशेष । फरास-पु० [अ० फर्राश] १ तम्बू, शामियाना, दरियां आदि फगसीझालण-पु० परशुराम का एक नामान्तर ।
सामान । २ शामियाना आदि लगाकर व्यवस्था करने वाला फरसीधर (धरण, धारण)-देखो 'परसुधर'।
कर्मचारी । २ देखो 'फरवास'। -खांनो-पु० तम्बू, शामिफरसीसाह-पु० परशुराम का नामान्तर ।
याना प्रादि सामान रखने का स्थान । इस सामान की देख फरसूधर-देखो 'परसुधर'।
रेख करने वाला विभाग । इस विभाग का कार्य । फरसौ-१देखो 'परसु' । २ देखो 'परसुरांम' ।
फरासत-स्त्री० [अ० फिरासत] १ बुद्धि की तीव्रता, बुद्धिमता, फरस्स-१देखो 'परसु' । २ देखो 'परसुराम' । ३ देखो 'फरस' अक्लमंदी। फरस्सी-देखो' फरसी'।
फरासीपखो-पु० हवा करने का काष्ठ का एक पंखा । फरस्सौ-१ देखो 'परसु । २ देखो 'परसुराम' ।
फरि-१ देखो 'फररी'। २ देखो 'फरसी' ३ देखो 'परसु'। फरहहरणी (बी)-क्रि० [देश॰] 'फड़हड़' की ध्वनि करना। फरियाव-स्त्री० [फा० फर्याद] १ दु:खी या त्रस्त व्यक्ति द्वारा फरहव-पु० परिभद्र वृक्ष का नाम ।
रक्षार्थ की जाने वाली पुकार, अन्याय के विरुद्ध उठाई जाने फरहर-देखो ‘फहर' ।
वाली आवाज । २ विनती, अर्जी । ३ अन्यायकर्ता की, फरहरणो (बो)-क्रि० १ वस्त्र, पताका आदि हवा से उड़ना ।। राजा या प्रशासन के पास की जाने वाली शिकायत ।
२ ध्वजारोहण होना। ३ पवन चलना । ४ छलांग लगाना, | फरियादी, फरियादू-वि० [फा० फर्यादी] १ फरियाद संबंधी । कूदना। ५ हवा में तैरना ।
२ फरियादनुमा । ३ फरियाद करने वाला । ४ प्रावेदक । करहराणी (बो), फरहरावणो (बो)-क्रि०१ वस्त्र, पताका आदि | फरिस्तौ-पु० [फा० फिरिश्तः] १ ईश्वर का दूत । २ देवदूत ।
हवा में उड़ाना । २ ध्वजारोहण करना। ३ पवन चलाना ।। ३ विष्णु का पार्षद ।
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फरी
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( १३७ )
फरी-१ देखो 'फरसी' । २ देखो 'फररी' । ३ देखो 'परसु' । फरीक पु० [प्र०] १ वादी या प्रतिवादी २ झगड़ने वाला कोई
पक्ष ।
फरीकन - पु० [अ०] झगड़ने वाले दोनों या सभी पक्ष । करीब - वि० [अ०] अनुपम, अनोखा, प्रद्वितीय। फरसरांम - देखो 'परसुराम' ।
फड़ी ० १ इमारा, संकेत २ फड़कन
फरूणौ (बो) - क्रि० १ उपस्थित होना, हाजिर होना । २ आना दिखाई पड़ना । ३ देखभाल करने के लिये माना । ४ देखो 'फडकणी' (बी)।
फकाणी (धौ), फलकावरी (बी) - क्रि० १ उपस्थित करना, लाना लेकर थाना २ देखो 'फड्को' (बी)। फरुवौ (बी) देखो 'फरकणी' (बौ
फरेब - पु० [फा०] १ छल, कपट । २ चालाकी, घूर्तता ।
फरेबी वि० [फा०] कपटी, भूर्त
फरेसतो, फरेस्तो, फरस्ती- देखो 'फरिस्तों' |
फरोई- देखो 'फरोही' ।
फरोकड़ो-देखो 'फिरोकड़ी' |
फोकस, फरोख, फरोखत स्त्री० [फा० फरोख्त ] बेचने की क्रिया, विक्रय
फरोवस्त, फरोदस्ती - पु० [फा०] १ एक वस्त्र विशेष । २ एक प्रकार का संकर राग । ३ चौदह मात्रानों की एक ताल । फरोळ- पु० उत्पात, उपद्रव ।
फरोळणी (बौ) - देखो 'फुरळणी' (बी) ।
फरोही स्त्री० पशुपालकों से लिया जाने वाला एक कर विशेष फरौ - पु० १ नगर या ग्राम के बाहर की बस्ती । २ पर्वत की तलहटी ।
देखो 'फलांग |
फळंगरणी (बौ) - देखो 'फलांगणी' (बौ ।
फळ - पु० [सं० फलम् ] १ वृक्ष, पौधों व लतानों के फूल के बाद लगने वाला तत्त्व, बीज, बीज का कोष । फल । २ परिणाम, नतीजा ३ शुभाशुभ कर्मों का भुगतान ४ शुभ कर्मों के चार परिणाम- धर्म, काम, मोक्ष ५ लाभ प्राप्ति । ६ कर्मों का प्रतिकार, बदला । ७ न्याय शास्त्र के अनुसार वह अयं जो प्रवृत्ति और दोष से उत्पन्न होता है ८ गणित की क्रिया का परिणाम ९ फलित ज्योतिष के अनुसार ग्रह नक्षत्र की स्थिति से होने वाला सुख या दुःख १० गुण प्रभाव । ११ प्रयोजन । १२ भाले या छुरी प्रादि का पैना या नुकीला भाग । १३ गौरी पूजन के लिये स्त्रियों द्वारा आटे की बनाई जानेवाली सुपारी । १४ जायफल । १५ नारियल । १६ ढाल । १७ हल की फाल । १८ चार की संख्या ।
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फळससकार
फलक, फलकी- पु० [सं०] १ ढाल । २ शस्त्र की धार । [अ०] [२] पाकाश, आसमान ४ देखो 'फुलको' । फलकू - स्त्री० १ बालू रेत । २ देखो 'फलको' । फळकेसर पु० [सं० फल केशर ] नारियल का वृक्ष । फळकोस पु० [सं० फलं+कोष] १ पुरुषेन्द्रिय २ अंडकोश फलको पु० १ फफोला । २ देखो 'फुलको' ।
फळगट फळगडी-स्त्री० [सं० फल + पट्ट] गवार, मोठ प्रादि की फलियों का भूसा ।
फलगर- देखो 'फुलपगर' ।
फळगु-देखो फल्गु' ।
फळप्राही- पु० [सं० फलग्राहिन् ] १ वृक्ष । २ फल को ग्रहण करने वाला ।
फळवर - पु० [सं० फलचर ] वानर, बन्दर
फळढोकळी - स्त्री० गणगौर पूजन के लिये बनाये गये प्राटे के बेरनुमा दाने व वधु वे के पत्ते की पिंडियां ।
पौधों व
फळणी (बौ) - क्रि० [सं० फलम् ] १ वृक्ष, लताओं का फलों से युक्त होना, फलना २ पुष्पित, पल्लवित व फलित होना ३ गृहस्थ का संतान प्रादि से युक्त होना । ४ स्त्री का प्रसव करना । ५ किसी बात, कार्य या प्रयास का शुभाशुभ परिणाम निकलना ६ विस्तार होना, वृद्धि होना ७ एक संख्या का दूसरी संख्या में गुणा होना। फळतरीढ़ाळ स्त्री० एक प्रकार की ढाल । फळद - वि० [सं० फलद] फलदायक ।
फळदान - पु० [सं० फलदान ] १ फलों का दान २ सगाई पर वर को वधू पक्ष की ओर से श्रीफल देने की प्रथा । फळदाइक, फलवाइक देखो 'फळदायक' ।
फळबात - पु० [सं० फल दातृ ] फल देने वाला | फळदायक, फळदायन - वि० [सं०] फल देने वाला, शुभ,
लाभप्रद ।
फळवार वि० [सं० फलं +फा० दार] जिसके फल हों, फलों
वाला ।
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फळ-पु० [सं० पालद] वृक्ष ।
फळपित, फळपिता-पु० [सं० फल पितृ] पुष्प. फूल । फळपुहप, फळपुहाप, फळपुहुप पु० [सं० फल + पुष्पम् ] वह वृक्ष जिसके फल- पुष्प दोनों लगते हों ।
फळप्रव - वि० [सं० फलप्रद ] फल देने वाला, लाभदायक । फळभूम (भूमि प्रोम) स्त्री० [सं० फल-भूमि ] कर्म फल भोगने का स्थान | पृथ्वी, स्वर्ग, नरक ।
फळराज वि० पु० [सं० फलं राजन्] फलों में श्रेष्ठ । - पु० १ तरबूज । २ खरबूजा । ३ ग्राम । फळसंसकार, फळसंस्कार पु० किसी ग्रह के केन्द्र का
[सं० फल- संस्कार ] श्राकाश में समीकरण या मंद-फल निरूपण ।
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फलसाउगाड़
। १३८ )
फसादी
फळसाउगाड़, फळसाउघाड़-पु० अपने समूचे गांव व निकटवर्ती फाळकार-देखो ‘फलहकार'। गावों के लोगों को दिया जाने वाला भोज ।
फळित-वि० [सं० फलित्] फला हुअा । फळसौ-पु. १ भवन, गवाड़ी, ग्राम या नगर का मुख्य द्वार । | फलितज्योतिस-पु० ज्योतिष शास्त्र का एक विभाग ।
२ खेत, बाड़ी आदि के आहते के द्वार पर लगा का कांटों फळियळ-वि० फलयुक्त, फलों वाला । फल सहित । का फाटक ।
फळी-वि० [सं० फलित्] १ फलों से युक्त, फलों वाला । २ फल फळस्थापन-पु० [सं० फलस्थापन] सीमन्तोन्नय-संस्कार, लगनेवाला। -पु. १ फलों वाला वृक्ष, पेड़ । २ वृक्ष, पौधे फलीकरण ।
या लता पर लगने वाला लम्बा संपुट जिसमें बीज होते हैं। फळहकार-पु० [सं० फलकं-कारः] १ मुद्गर ढाल प्रादि बनाने फली।३ प्रोढ़ने के वस्त्र के छोर पर ऐंठन दिये हुए डोरे,
वाला व्यक्ति । २ फलों को तैयार कर रखने व पेश करने | तन्तु । ४ शाखा, वंश। वाला व्यक्ति ।
फळीजणी (बी)-क्रि० [सं० फलम्] १ बकरी या मादा ऊंट का फळहळि (ळी)-स्त्री० [सं०फुल्ल पौलिका, प्र० फुल्ल प्रोलिया] | गर्भवती होना । २. फलयुक्त होना। पीसी हुई दाल में फल मिला कर घी में सेक कर बनाई हुई | फळीभूत-वि० [सं० फलीभूत] सफल । रोटी, फुल्लौरी।
फळीस-पु. १ मोठ, मूग आदि की फलियों का भूसा। २ भुरट फळहिकार-देखो 'फलहकार'।
___ नामक घास के बीज । ३ देखो 'फळी'। फळहुलि-देखो ‘फळहली'।
फळ 'सी-स्त्री० मोठ, मूग आदि फलियों का छिलका । फला-वि० [अ०] अमुक । कल्पित ।
फळ-देखो ‘फळी'। फलांग-स्त्री० [देश॰] १ छलांग, कुदान, कूद कर जाना क्रिया । | फलूरियौ-वि० [देश॰] व्यर्थ का प्रलाप करने वाला। २ देखो 'फरलांग'।
फलोडौ-पु० जलने से होने वाला फफोला । फलांगणो (बो)-क्रि० १ छलांग लगाना, कूदना, लांघना। | फळोदय-पु० [सं० फलोदय] १ फलित ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों के २ बीच की सीढ़ी को छोड़कर आगे बढ़ जाना ।
- योग से शुभाशुभ फल प्राप्ति का समय । २ स्वर्ग । ३ फल फलाणसिंह-देखो 'फलाणो' ।
का प्रत्यक्षीकरण । फलांणियो, फलाणी-वि० (स्त्री० फलाणी) अमुक, कल्पित। फळो-देखो 'फळसौ'।
-पु० अज्ञात व्यक्ति या वस्तु जिसके बारे में बात कही जा | फल्गु-वि० [सं०] १ निरर्थक, बेकार, व्यर्थ । २ निस्सार । ३ क्षुद्र । रही हो।
४ साधारण । ५ वसंत ऋतु । फळाणी (बी)-क्रि० [सं०फलम् ] दो संख्याओं का परस्पर गुणन | फल्गुन-पु० [सं०] १ इन्द्र का नाम । २ देखो 'फागण। करके फल निकालना, हिसाब लगाना ।
फल्गुनी-देखो 'फाल्गुणी'। फळादेस-पु० [सं० फलादेश] ग्रहों के प्रभाव बताने वाली बातें। फवज, फवज्ज-देखो 'फौज'। फळाध्यक्ष-पु. सब प्रकार के फल देने वाला, ईश्वर।
फवारो-देखो 'फंवारौ'। फळापेक्षा-स्त्री० [सं० फलं-अपेक्षा] फल प्राप्ति की अपेक्षा, फवो-देखो 'फुबौ' । कामना, इच्छा, संभावना ।
फव्वज-देखो 'फौज' । फळाफळ-पु०शुभाशुभ फल ।
फसरणौ (बौ)-देखो 'फंसरणी' (बी) । फळायफळाय-स्त्री० बच्चे के रोने की ध्वनि ।
फसत, फसद-देखो 'फस्त' । फळारथी-वि० [सं० फलाथिन् ] फल पाने का इच्छुक ।
फसल-स्त्री० [अ० फस्ल] १ ऋतु, मौसम । २ काल, समय । फलालेन (लॅन)-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र ।
३ निर्धारित ऋतु में पक कर तैयार होने वाली अनाज आदि फळावट-स्त्री० गुणा करने की क्रिया, गुणा करने का परिणाम ।
की पंदावार । ४ कृषि उपज ।
फसळरणो (बी)-देखो 'फिसळणी' (बौ)। फळावणी (बी)-देखो 'फळाणी' (बी) ।
फसळी-वि० [अ० फस्ली] १ फसल का, फसल संबंधी । २ ऋतु फळासव-पु० [सं०] फलों का पासव, पौष्टिक औषधि ।
विशेष में होने वाला। -बुखार-पु० वर्षा ऋतु में होने फळाहार-पु० [सं०] १ केवल फलों का ही माहार । २ व्रत, वाला विषम ज्वर। उपवास के दिन खाने की वस्तु ।
फसारणी (बी)-देखो 'फंसाणो' (बी)। फळाहारी-वि० [सं०] १ केवल फल ही खाने वाला ।। फसाद-देखो "फिसाद' । २ फलाहार संबंधी।
| फसादो-देखो 'फिसादी'।
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फसावरणी
। १३९ )
फाकी
फसावरणौ (बो)-देखो 'फंसाणी' (बौ)।।
डालना, जाल में फंसाना। ३ नर पशु का मादा पशु से फस्त, फस्व-स्त्री० [अ० फस्द] नस को छेद कर दूषित रक्त संभोग करना । निकालने की क्रिया।
फांदळ, फांदाळ, फांदाळी-वि० (स्त्री० फांदळी, फांदाळी) बड़े फहम-स्त्री० [अ० फहम] १ ज्ञान, समझ । २ बुद्धि, अक्ल । पेट या तोंद वाला। ३ ध्यान, खयाल ।
फांदो-पु०१ कोल्हू का मुख्य फंदा, बंधन । २ देखो ‘फंदौ' । फहर-स्त्री० [देश॰] फहरने की अवस्था, क्रिया या भाव।। | फांनूस-पु० [फा० फानूस] १ एक प्रकार बड़ा दीपक, कंडील, फहरणो (बो)-देखो 'फरहरणो' (बौ)।
ज्योति विशेष । २ छत में लटकाने का शीशे का गुलदस्ता फहराणी (बौ), फहरावरणौ (बौ)-देखो 'फरहराणी' (बो)। जिसमें मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। फहरिस्त-देखो 'फैरिस्त'।
| फांफ-स्त्री० [देश॰] १ छोटे पक्षियों का शिकार करने का डंडा । फांक, कांकड़, फांकडी-स्त्री० [सं० फलक] १ ककड़ी आदि २ प्रयत्न, कोशिश । ३ ठण्डो व तीक्ष्ण वायु ।
फलों का अर्धचन्द्राकार काटा हुप्रा खण्ड । २ नारंगी के | फांबड़ी-देखो ‘पोमड़ी' । छिलके के नीचे जुड़े रहने वाले अर्ध चन्द्राकार विभाग। फांस, फांसड़ी-स्त्री० [सं० पाश] १ पशु पक्षियों को फंसाने की ३ खरबूजे पर बनी लंबी रेखाएँ । ४ रेखा, लाइन ।
रस्सी, फंदा । २ जाल, बंधन । ३ सूखी लकड़ी या बांस का फांकरणो (बो)-क्रि० १ झूठ बालना, मिथ्या भाषण करना।। बारीक तंतु जो कांटे की तरह चमड़ी में घुस जाता है। २ देखो 'फाकरणों' (बी)।
४ देखो ‘फांसी'। फांकी-१ देखो ‘फांक' । २ देखो 'फाकी'।
फांसणी (बी)-क्रि० [सं० पाशन] १ पशु या पक्षी को फदे या फांगि-स्त्री० [देश॰] व्यंजन विशेष ।
जाल में फंसाना । २ फसाना, उलझाना । ३ धोखे या जाल फांट-स्त्री० [देश॰] १ कई भागों में बांटने, विभाजन करने की। में लेना, फंसाना । ४ फुसला कर अपने वश में करना ।
क्रिया । २ पृथक या अलग करने की क्रिया । ३ बांटा या | फांसियो-वि० फांसने वाला, बांधने वाला, बंधन में डालने अलग किया हुआ भाग, अंश। ४ युवा बकरी जो गर्भवती
वाला। न हो । ५ औषधियों के महीन चूर्ण को उबाल कर तैयार फांसी-स्त्री० [सं० पाश, प्रा०फासी] १ फसाने का फंदा, पाश । किया हुआ रस, पेय पदार्थ । ६ गठरी । ७ वह स्थान जहां २ बंधन । ३ रस्सी का गोल फदा जिसे अपराधी के गले में मुख्य रास्ते से अन्य दिशा में कोई रास्ता मुड़ता हो।
डालकर खींचकर प्राण दण्ड दिया जाता था। ४ एक कांटरपो (बी)-क्रि० [देश॰] १ बांटना, हिस्से करना, विभाग प्रकार का प्राण दंड ।
। २ अलग करना, पृथक करना। ३ प्रोषधियों | फा-पू०१ विष । २ तीर्थ । ३ बैठक, गूदा । के चूर्ण से रस बनाना । ४ विरुद्ध या विपरीत करना। | फाउ, फाऊ-वि० [देश॰] मुफ्त। -स्त्री० पोरवाल जाति की एक फांटियो-पु. [देश॰] रेखा खींचने या बनाने का एक प्राचीन | वैवाहिक प्रथा । उपकरण।
फाकउ-देखो 'फाको'। कांटो-पु. [देश॰] १ भूत, प्रेत प्रादि से प्रभावित होने की अवस्था | फाकड़ी-देखो ‘फांक' ।
या भाव । २ भिन्नता, भेद । ३ विरोध, शत्रुता । ४ कचरा,काकरणौ (बी)-क्रि० [देश॰]१ पौषधि, चूर्ण, नमकीन यादि भूसा । ५ पृथकता, अलगाव । ६ शाखा । ७ मुख्य रास्ते के
की थोड़ी मात्रा हाथ में लेकर मुह में डालना । २ फक्की बीच से अन्य दिशा में जाने वाला रास्ता। ८ वह स्थान
लगाना । जहाँ से दो रास्ते अलग-अलग होते हैं।
फाकता-देखो 'फाखता'। फांडर-स्त्री०१ बंध्या गाय या मादा ऊंट । २ केवल एक ही बार
फाकर-स्त्री० एक मांसाहारी जानवर । प्रसव करने वाली गाय ।
फाका-पु० [अ० फाका:] १ व्रत, उपवास । २ लंघन । ३ अन्न फांडो-पु० [देश॰] १ बड़ा छेद या सूराख । २ चोरी के निमित्त
या रोटी का प्रभाव । ४ अत्यन्त गरीबी अवस्था । दीवार में बनाई गई सेंध । ३ हाथी की पीठ पर 'तहरू'
-कस-वि० निर्धन, कंगाल । भूखा । व्रतधारी । - कसने की क्रिया या कसावट ।
–कसी-स्त्री. निर्धनता, कंगाली। अन्नाभाव की दशा । फाणस-पु० [सं० पनस] कटहल ।
भूखा रहने की अवस्था। फांव-स्त्री० [देश॰] १ बड़ा पेट, तोंद । २ छलांग, फलांग, फाको-स्त्री० [फा०] १ चूर्ण या प्रौषधि प्रादि की एक बार फावणी (बौ)-क्रि० १ उछलना, कूदना, लांघना । २ बंधन में फाकने लायक मात्रा । २ इस मात्रा को फाकने की क्रिया
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फाको
फातमा
या भाव । ३ फल प्रादि की फांक । ४ सिखावट, सीख, | फाट-पु० [देश॰] १ फटने की क्रिया या भाव । २ फटाव, बुद्धि भ्रमित करने वाली बात ।
चिराव, चीरा, दरार । ३ खण्ड, टुकड़ा। फाको-पु० [देश॰] १ टिड्डी के बच्चों का दल । २ देखो फाकी'। फाटक-स्त्री० [सं० कपाट] १ बड़े भवन, पाहते, कारखाने आदि फाखता-स्त्री० [फा० फाख्तः] पडुकी नामक पक्षी।
का बड़ा मुख्य द्वार । २ मुख्य द्वार का कपाट। ३ दरवाजे फाग-पु० [सं० फाल्गुन] १ होली के अवसर पर खेलने का रंग। या रास्ते में, कुत्तों आदि की रोक के लिये लगाया जाने
प्रादि का खेल । २ इस अवसर या फाल्गुन में गाये जाने वाला छोटा कपाट, जाली। ४ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले लोक गीत । ३ फाल्गुन मास के उत्सव । ४ फाल्गुन वाले मवेशियों को बंद कर रखने का स्थान । मास में की जाने वाली शृंगारिक क्रियाएँ । ५ प्रोढ़नी का | फाटकी-स्त्री० [देश॰] १ लकड़ी या लोहे प्रादि की पट्टी । रंग विशेष ।
२ देखो ‘फाटक'। फागण-पु० [सं० फाल्गुन] १ माघ मास के बाद वाला मास | फाटको-पु० [देश॰] १ व्यापारिक सट्टा, जूमा। २ इस सट्ट में
जिसमें होली के उत्सव चलते हैं । २ होली के गीत ।। धन लगाने की क्रिया । ३ हानि-लाभ की अनिश्चितता वाला फागरिणयो-वि० [सं० फाल्गुन] फाल्गुन संबंधी, फाल्गुन का। कार्य । ४ शस्त्र प्रहार । ५ चेजारे के बैठने का पाटिया ।
-स्त्री० स्त्रियों की प्रोढ़नी का एक रंग विशेष । फाटणी (बौ)-क्रि० [सं० स्फाटनम्] १ किसी वस्तु का विदीर्ण फागणी-देखो 'फाल्गुनी'।
होना, चिरना । २ वस्त्रादि साबुत न रहना, टुकड़े या बीच फागण्या-देखो ‘फागणियो' ।
में छेद होना या फट जाना। ३ किसी द्रव पदार्थ में विकृति फागुण-देखो 'फागण'।
पाना । ४ दरार पड़ना, तरेर आना, चिर जाना । ५ अपने फागुरिणयामूग-पु० रबी की फसल के साथ होने वाले मूग । पक्ष से अलग या विरुद्ध होना। ६ अांख या मुह का खुलना, फागुणियो, फागुण्यो-देखो ‘फागणियो'।
चौड़ा होना । ७ त्वचा में दरार पड़ना । ८ तितर-बितर फागोटो-पु० फागुण का एक शृगारिक संभाषण।
होना । मर्यादा का उल्लंघन करना । सीमा छोड़ना । फाड़-देखो ‘फाड' ।
१० बादल आदि मिट कर मौसम साफ होना। फाड़कती, फाइखती, फाड़गती-देखो 'फारगती' ।
फाटोड़ी-वि० (स्त्री० फाटोड़ी) फटा हुआ, फटी हालत में ।
फाटो, फाट्योड़ो-वि० (स्त्री० फाटी) १ फटा हुआ, विदीर्ण । फाडणी (बी)-क्रि० [सं० स्फाटनम्] १ शस्त्र, छुरी, चाकू
२ अश्लील, अशिष्ट । प्रादि से विदीर्ण करना, चीरना । २ वस्त्र, कागज आदि |
फाड-स्त्री० [देश॰] १ एक प्रकार का वस्त्र । २ किसी वस्तु को खींचकर या झटका देकर खण्डित करना, टुकड़े करना।
के लंबे दो खण्डों में से एक । ३ काष्ठ या फल का लंबा ३ चीर-फाड़ करना, शल्य क्रिया करना । ४ किसी समूह
खंड । फांक। या दल के बीच से दो भाग कर देना, बीच में से चीरते हुए
फाडणउ-वि० १ फटने वाला । २ पृथक होने वाला। पार निकल जाना । बीच में रास्ता बना देना। ५ तालाब,
फाडपो (बो)-देखो ‘फाड़णी' (बी)। नदी,जलाशय को तैरकर पार करना । ६ लम्बी वस्तु के दो लम्बे विभाग करना । ७ आपस में विरोध डालना, भेद
फाडसींगो, फाडासींगौ-पु० [देश॰] (स्त्री०फाडसींगी,फाडासींगी)
लंबे व फैले हुए सींगों वाला पशु । भाव कर देना । ८ संपुट की तरह बंद वस्तु को खुला कर देना । ९खोलना, खुली स्थिति में करना । १० अच्छे भावों | काडासुपारी-स्त्री० छालिया (पान की सुपारी) का अर्धभाग। के स्थान पर क्रूर या विरोधी भाव पैदा करना । ११ दूध | फाडी-स्त्री. १ लकड़ी की चीप । २ देखो 'फाड' । ३ देखो प्रादि पदार्थ में अम्ल या विपरीत गुण की वस्तु का योग | 'फाडौ'। (स्त्री०) . देकर विकृत करना, रासायनिक परिवर्तन करना । १२ मकान | फाडो-पु० [देश॰] (स्त्री० फाडी) १ लंबे और फैले हुए सींगों में सेंध लगाना । १३ दरार या विवर करना ।
वाला पशु । २ असामान्य ढंग से लंबे कदम रखने वाला काडो-पु० [देश॰] १ खेत में दो सीतामों के बीच रहने वाली व्यक्ति । ३ पशु का फैला हुआ लंबा सींग । ४ काष्ठ का
जमीन । २ किसी पदार्थ का तोड़ा या चीरा हुअा भाग । चीरा हुमा लंबा खण्ड । ५ छालिया का अर्धगोलाकार
३ खण्डित अंश । ४ भाग, हिस्सा । ५ देखो ‘फाडौ'। अंश। -वि०- अधिक फैला हुआ। फाचर, फाचरियो, फाचरौ-पु० [देश॰] १ पत्थर या लकड़ी का | फातडो-पु. [देश॰] हिजड़ों के साथ रहने व लाग वसूल करने पतला तीक्ष्ण खण्ड, चीप । २ देखो 'पाचरौ'।
वाला व्यक्ति। फाचे-क्रि० वि० [सं० पश्चात्] बाद में, पीछे, पश्चात् । फातमा-स्त्री० [अ० फातिम] मुहम्मद साहब की कन्या ।
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फाललो
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( १४१ )
फातळी वि० [देश०) (स्त्री० फावळी) १ कायर, डरपोक २ देखो 'फाल्ड़ो' |
फातिया, फातिहा स्त्री० [० फातिह] १ प्रार्थना विनती । २ वंदना | ३ मृतक के नाम पर दिया जाने वाला चढ़ावा । फाबीजली (बी) कि १ अर्थ संकट से घबराना २ भ्रम में
फारकती देखो 'फारवती'।
फारकी स्त्री० [देश०] हाथी की पीठ पर रखी जाने वाली श्रम्बारी विशेष |
و
फारक्क- १ देखो 'फारक' । २ देखो 'फारकी' ।
फारवती फारवती स्त्री० [प० फारिग+फा०वती ] १ कर्ज उधार लेन-देन घादि का निपटारा प्रदायगी २ उक्त प्रकार के लेन-देन के निपटारे पर की जाने वाली रसीद ।
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पड़ जाना ।
काथी - वि० [देश० ] ( स्त्री० फाथी ) १ शीघ्रता करने वाला फारसी - पु० [फा०] १ फारस देश का निवासी। स्त्री० २ फारस की भाषा व लिपि । -पोस वि० फारसी जानने वाला । फारिग - वि० [अ०] १ निवृत्त । २ छुटकारा पाया हुआ, मुक्त । २ पूर्ण समाप्त । ३ मस्त, बेफिक्र ।
उतावला । २ भूला हुआ, भ्रमित । फाफड़ो, फाकरी- पु० [देश०] १ गेहूं की पतली रोटी २ सूखी रोटी ।
फाफनवड-देखो 'फोफानंदफद' । फावली (बी० [सं० प्रभवनम् ]
फारोज-पु० दण्ड स्वरूप लिया जाने का अतिरिक्त कर । फाळ - स्त्री० [सं० प्लव] १ छलांग, कुदान, फलांग । २ हल का
-
१ उपयुक्त स्थान पर शोभित होना, जचना । २ सुन्दर लगना । ३ उपयुक्त व अवसर अनुकूल लगना । ४ अपनी स्थिति के अनुकूल ठीक होना ।
नुकीला भाग । ३ हल की फाल को गरम कर अपराधी को सजा देने की एक प्राचीन क्रिया [अ० फाल] ४ पासा फेंक कर रमल में शुभाशुभ बताने की क्रिया ।
फावी पु० १ पैर का पंजा २ कोल्हू की लाट के शीर्ष में लगने काल-पु० [सं० फल, फालः] १ मूंग, मोठ धादि की फलित होने की अवस्था । २ वस्त्र खण्ड । ३ सूती कपड़ा । ४ शस्त्र का पैना भाग ।
का डंडा ।
३ छुटकारा मुक्ति ४ पूर्व लेन-देन के चुकता होने की लिखावट व लेख पत्र |
फारग-१ देखो 'फारक' । २ देखो 'फारिग' ।
फाथ स्त्री० [देश०] १ प्रत्यन्त लोभ, लालच । २ हाय तोबा । ३ प्रातुरता ।
फायदेमंद (मंद) - वि० [अ० फाइद: + फा० मंद] १ लाभदायक लाभप्रद । २ हितकर । ३ स्वास्थ्यवर्द्धक । फायदौ- पु० [अ० फायद: ] १ लाभ। २ हित, भलाई । ३ प्राप्ति प्रार्थिक लाभ । ४ सुधार । ५ बचत । ६ निष्कर्ष, नतीजा । ७ प्रतिशोधात्मक गुण ।
फायोफीटी - वि० [देश० ] ( स्त्री० फाइफीटी) हक्का-बक्का फालडी स्त्री० १ एक प्रकार का श्राभूषण। २ देखो 'फाल' । फालणी (बी) - क्रि० [सं० फलम् ] फल युक्त होना ।
भौंचक्का ।
अावश्यकता से अधिक हो, अतिरिक्त । ४ बेकार, निकम्मा । फालर, फालरियौ, फालरी- पु० [देश०] १ बकरा । २ देखो
'दान' ।
फार वि० [सं० स्फार ] बहुत अधिक। स्त्री० [सं०] स्फारम् ] फालतू - वि० [देश०] १ व्यर्थ, निरर्थक । २ अनुपयोगी । ३ जो प्राधिक्य, अधिकता, विपुलता । फारक - वि० ० १ हल्का-फुल्का । २ सहज, सरल । ३ जो अधिक भार- बोझ वाला न हो। ४ जिसकी चाल बोझिल न हो । ५ स्फूर्तिवाला, फुर्तिला । ६ हल्का, घटिया । [सं०] स्फारकम् ] १ शत्रु, दुश्मन । २ योद्धा, वीर । ३ शस्त्रधारी पैदल सिपाही । ४ बच्चों का एक खेल विशेष ५ देखो 'कारिय' ।
- पु० | फाळसो, फालसो - पु० [अ० फालसा ] १ एक प्रकार का वृक्ष ।
२ इस वृक्ष का फल |
फालि स्त्री० [देश०] फांक | फालिज - पु० [अ० फालिज ] एक प्रसिद्ध वात रोग जिससे शरीर का दायां या बायां भाग निष्क्रिय हो जाता है । पक्षाघात ।
फालियो देखो 'फाळ' |
फाली - पु० १ वस्त्र का टुकड़ा । २ साड़ी । ३ पहेली ( मेवात ) । फालीय पु० एक प्रकार का प्राभूषण ।
फाली पु० [देश०] जलने या चोट प्रादि से शरीर पर होने वाला फफोला ।
फालो
फारस
स- वि० [सं० पारस्य ] फारस देश संबंधी, फारस देश का । - पु० १ ईरान देश का पुराना नाम । २ इस देश का निवासी । ३ देखो 'फारसी' ।
फालक - पु० एक प्रकार का वृक्ष । फालका स्त्री० [सं०] [] छलांग, कुदान
फाळकौ, फालको पु० [देश०] १ भाग में तेज गरम की हुई लोह की छड़ । २ अंगारा । ३ देखो 'फालौ' ।
फालगुण - १ देखो फाल्गुन' २ देखो 'फागरण' । फालगुली देवो'फाल्गुनी' ।
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फाल्गुन
( १४२ ।
फिरंगवाय
फाल्गुन-स्त्री० [सं०] १ अर्जुन का एक नाम । २ अर्जुन वृक्ष । फिटकड़ी-स्त्री० [सं० स्फटिका] श्वेत एवं चमकीला एक खनिज ३ फागण मास ।
पदार्थ। फाल्गुनी-पु० [सं०] १ फाल्गुन मास की पूणिमा । २ पूर्वी व | फिटकडो-पु० [देश॰] सिर में तालू के ऊपर का स्थान । उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र । ३ देखो 'फाल्गुन'।
। फिटकरयणमरिण-स्त्री० स्फटिक रत्न मरिण । फावडियो, फावड़ी, फावड़ो-पु० [देश॰] मिट्टी आदि खोदने | फिटकरी-देखो 'फिटकड़ी'। का लोहे की चद्दर का बना उपकरण विशेष ।
फिटकार -देखो 'फटकार'। फावणो (बौ)-क्रि० [देश॰] १ फंसाना । २ अड़ाना, फिटकारणी (बी)-देखो 'फटकारणो' (बी)।
अटकाना। ३ सफल होना। ४ देखो 'फाबरणी' (बी)। फिटकारियो-वि० [देश॰] शापित, अभिशप्त । फास-देखो १ 'फांसी' । २ देखो 'फांस' । ३ देखो 'स्परस'। फिटकारो-देखो ‘फटकारी' । फासलौ-पु० [अ० फासिल] दूरी, अन्तर ।
फिटकी-स्त्री० बद्दुआ, शाप । फासीगर-देखो 'पासीगर'।
फिटळो-देखो 'फिटोळ' । (स्त्री० फिटळी) फासुम, फासू, फासूय-वि० [सं० प्रासुक] १ साधु के ग्रहण करने | फिटिभ-पु० [सं० स्फटी-फणी] १ सर्प, नाग। २ खटमल ।
योग्य । २ दोष रहित, निर्दोष । ३ व्यर्थ, फिजूल । फिटोफिट-वि० [अं० फिट नाप में सही। किंगररणो (बी)-क्रि० [देश॰] १ लाड में इतराना । २ फूलना, | फिटोळ-वि० [देश॰] १ अवारा। २ बिगड़ेल । ३ बदचलन ।
घमंड करना । ३ क्रोध करना, बिफरना । ४ झुंझलाना । ४ अविश्वनीय । फिद-पु. एक वृक्ष विशेष ।
फिटौ-पु० [देश॰] त्यागना, छोड़ना, क्रिया । परित्याग । फिफर, फिफरड़-देखो ‘फैफड़ो' ।
-वि० (स्त्री० फिटी) १ खुला, ढीला, स्वतन्त्र । २ किसी फिकन-वि० दुष्ट, नीच, पतित, हीन ।
कार्य में संलग्न । ३ उपेक्षित, नगण्य । ४ लज्जित, शर्मिन्दा फिकर-पु० [अ० फिक्र] १ चिंता, सोच । २ किसी कार्य के । ५ अपमानित । प्रति लगन, जागरुकता ।
फितन-पु० [अ० फित्नः] १ एक प्रकार का पुष्प विशेष । फिड़-पु० [देश॰] समूह, ढेर ।
२ इस पुष्प का रज, पुष्पसार । फिड़कली-स्त्री० [देश॰] १ छोटा पतंगा। २ देखो फिरकी' । फितूर-देखो ‘फतूर' । फिड़कलो-पु० [देश॰] १ बड़ा पतंगा। २ वर्षा ऋतु में होने | फितूराळी, फितूरी-वि० १ उपद्रवी, झगड़ालू । २ खुरापात करने वाला पतंगा।
वाला, खुरापाती । ३ धूर्त, कपटी, पाखण्डी, ढोंगी । फिडकियो-पु० [देश॰] १ 'झाल' के पीछे बांधने की रस्सी । ४ विघ्नकारक, बाधक । ५ हानिकारक । २ देखो "फिड़को'।
फिदकड़ी, फिदड़की, फिदड़को-देखो 'फदड़को'। फिड़को-पु० [देश॰] (स्त्री० फिड़की) १ छोटी टिड्डी या टिड्डी | फिदवी-वि० [अ० फिद्वी] १ आज्ञाकारी । २ स्वामिभक्त, ' का बच्चा । २ पतंगा । ३ सनक ।।
विश्वसनीय । ३ सेवक, दास । फिचळणी (बौ)-क्रि० [देश॰] १ चलचित्त होना, विचलित | फिदा-वि० [अ०] १ आसक्त, मोहित । २ वशीभूत ।
होना । २ घृणा करना । ३ कायर होना । ४ इन्कार होना ३ न्यौछावर । वारि । ५ बात से मुकरना।
फिफरड़-देखो 'फैफड़ो'। फिजूल-वि० [अ०] १ व्यर्थ, निरर्थक, बकार । २ निकम्मा, फिफ्फर, फिफ्फरक-देखो ‘फेफड़ो'।
निठल्ला । ३ सारहीन, तथ्यहीन । -खरच-पु० अनावश्यक | फियो-पु० [सं० प्लीहा] पाचन संस्थान का एक अवयव । व्यय । -खरची-स्त्री० अनावश्यक व्यय की क्रिया या | तिल्ली। प्रादत।
फिरंग-पु० [अ० फ्रांक] १ पश्चिम यूरोप का एक देश । फिट-अव्य० [देश॰] तिरस्कार सूचक ध्वनि, धिक् । -वि० [अं॰] २ इस देश का निवासी । ३ अंग्रेज । ४ आतशक रोग
१ उपयुक्त सही, ठीक, मुनासिब । २ ठीक नियोजित या | गर्मी । ५ एक प्रकार का फूल । ६ शराब संग्रह करने का स्थापित । ३ नाप में ठीक ।
एक पात्र । ७ देखो 'फिरंगी'। फिटक-स्त्री० [देश॰] १ चाल, जाल, धोखा । २ कब्जा. वश. | फिरंगण-स्त्री० अग्रेज स्त्री, गौरी स्त्री।
काबू । ३ जालसाजी की नीति । ४ स्वार्थ वश किसी फिरंगथांन-पु० अग्रेजों का देश । की चाल में फंसने की क्रिया । ५ प्रभाव । ६ लज्जा। | फिरंगवाय-पु० १ एक रोग विशेष, पातशक रोग । २ घोड़े की ७ देखो 'स्फटिक'।
इन्द्रियों का एक रोग।
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फिरंगांस
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( १४३ )
फिरंगांग - देखो 'फिरंगी'।
फिरंगी - वि० १ फिरंग देश का, फिरंग देश संबंधी । २ फिरंग रोग से पीड़ित पु० १ युरोप देश का निवासी, अंग्रेज २ फिरंग देश की बनी तलवार ३ प्रोढ़ने का एक वस्त्र विशेष |
फिरंड - वि० [देश०] विरोधी, विपक्षी ।
फिर अव्य० [देश०] १ बाद में धनम्तर पीछे २ प्रतिरिक्त, अलावा ३ पुनः, और, दुबारा ४ उपरान्त, बावजूद । फिरकी स्त्री० [देश०] बच्चों का खिलौना, चकरी । फिरको पु० [अ० फिर्क] १. जाति, वर्ग २ पंथ सम्प्रदाय फिरड-स्त्री० [देश०] टिड्डी की प्रारम्भिक अवस्था । फिरड़ी-स्त्री० [देश०] १ बन्ध्या ऊंटनी, बांझ सांड
3
२ देखो 'फरदी'।
फिरण - स्त्री० फिरने की क्रिया । वि० फिरने वाला । हिरवार वि० फिरने वाला, घुमक्कड़ फिरणी - स्त्री० १ घूमने-फिरने की क्रिया या भाव। २ फिरने का ढंग । ३ प्रदक्षिणा, परिक्रमा । ४ परिक्रमा का मार्ग | ५ ऊंट, घोड़े आदि की चाल । ६ भ्रमण परिभ्रमण | ७ चकरी, फिरकी देखो 'कुरणी' ।
।
फिरणी (बी) - क्रि० [सं० स्फिर ] १ इधर-उधर चलना, टहलना घूमना २ प्रातःकालीन भ्रमण करना, घूमना वृत्ताकार घूमना । गोल चक्कर लगाना । ४ दिशा परिवर्तन करना, मुड़ना, घूमना । ५ किसी स्थान पर बार-बार जाना चक्कर लगाना । ६ किसी के चारों ओर व्याप्त होना, वृत्त बना लेना, श्रावेष्टित होना । ७ कार्य सिद्धि के लिये जगह जगह जाना। युद्ध से भागना, पीठ दिखाना, हारना | ९ लोटना, लौट जाना । १० वादे से फिर जाना, मुकरना 1 ११ किसी वस्तु का वापस होना, लौटाया जाना १२ ग्रहों के अनुसार दिनमान बदलना, शुभाशुभ योग धाना १३ रोग में सुधार होना, स्वास्थ्य सुधरना । १४ देशाटन करना । १५ व्यर्थ फिरना, भटकना । १६ परिभ्रमण करना परिक्रमा करना, प्रदक्षिणा करना । १७ छानबीन करना, खोज करना । १८ फैलना, व्याप्त होना । १६ बाधा स्वरूप सामने नाना । २० खिलाफ या विरुद्ध होना । २१ चारों ओर प्रचारित होना । २२ ऐंठना । २३ शौचादि । के लिये बाहर जाना । २४ किसी धुरी या अक्ष पर चक्कर लगाना । २५ दौड़ना, सचेत होना ।
फिरत स्त्री० १ घोड़े, ऊंट श्रादि को ठीक चलने के लिये शिक्षित करने की क्रिया । २ शिक्षित ऊंट या घोड़े की चाल । फिरवाज देखो 'फेरवाज' । फिरसत देखो 'फैरिस्त' ।
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फिरोकड़ौ
फिरसतो-देखो 'फरिस्तो' ।
फिरसांगणी स्त्री० एक वृक्ष विशेष |
फिरांस- देखो 'फरास' ।
फिराऊ वि० १ विरोधी विपक्षी २ वापस लौटाया जाने
वाला ।
फिराक - वि० १ तेज गति से चलने वाला । २ इधर-उधर फिरने वाला । ३ व्यर्थ फिरने का प्रादी । ४ अच्छी चाल वाला (ऊंट या घोड़ा) -स्त्री० १ घोड़े या ऊंट की अच्छी चाल । २ टोह, खोज ३ ताक । ४ चिता, फिक्र । ५ उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा । ६ देखो 'फराक' । फिरावट ० १ लघुशंका (मेवा) २ देखो 'फरागत' फिराणी (बी) - क्रि० [सं० स्फिर ] १ इधर-उधर चलाना, टहलाना, घुमाना । २ प्रातः कालीन भ्रमण कराना, घुमाना । ३ वृत्ताकार घुमाना, गोल चक्कर लगवाना । ४ दिशा परिवर्तन कराना, मुड़ाना, घुमाना । ५ किसी स्थान पर बारबार भेजना। चक्कर लगवाना । ६ चारों ओर व्याप्त कराना, आवेष्टित कराना । वृत्त बनवाना । ७ कार्य सिद्धि के लिये जगह-जगह भेजना ८ युद्ध से भगाना, हराना । ९ लौटाना, वापस कराना । १० वादे से फिराना, मुकराना । ११ किसी वस्तु को वापस कराना । १२ देशाटन कराना । १३ व्यर्थ फिराना, भटकाना । १४ परिभ्रमण कराना, परिक्रमा कराना । १५ छानबीन कराना, खोज कराना । १६ फैलाना व्याप्त कराना। १७ बाधा रूप में सामने लाना । १८ खिलाफ या विरुद्ध कराना । १९ चारों ओर प्रचारित कराना । २० ऐंठाना । २१ शौचादि के लिये बाहर भेजना । २२ किसी धुरी या अक्ष पर चक्कर लगवाना । २३ दौड़ाना सचेत कराना । फिराद देवो 'फरिवाद'।
-
1
"
।
किराब ० १ चाल गति २ चलने की गति क्रिया या ढंग ३ किसी के चारों और खींची रेखा, घेरा, बुत, परिधि वृत्त, फिरावरणी (बी) - देखो 'फिराणी' (बो) । फिरास देखो 'फरवास |
फिरासत स्त्री० [अ० फिरासत] १ दक्षता, प्रवीणता । २ किसी बात को शीघ्र समझने की क्रिया । फिरिब, फिरियाद-देखो 'फरिवाद' । फिरीयादी- देखो 'फरियादी । फिरिस्ती-देखो 'फरिस्ती' । फिरी-देखो 'फिर' ।
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फिरिवादी देखो 'फरियादी' |
फिरोकड़ौ - वि० ( स्त्री० फिरोकड़ी ) १ अधिक घूमने-फिरने वाला, भ्रमणशील । २ घूमने-फिरने का शौकीन । ३ व्यर्थं भटकने वाल । ४ गतिशील ।
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फिरोज
( १४४ )
फीरगनाग
फिरोज, फिरोजियो, फिरोजी, फिरोजी-पु० [फा० फिरोज] फीच-पु० [सं० स्फिच] मनुष्यों व पशुमों के नितम्बों के नीचे
१ नीले रंग का एक नग या पत्थर। २ इस नग से मिलता | का भाग। जुलता एक रंग । ३ 'फिरोजशाह' द्वारा चलाया गया | फींचणी (बी)-देखो 'फीचणी' (बी) । सिक्का।
फीचियौ-पु० [देश॰] दौड़ते हुए को पटकने के लिये पीछे से फिरोळरणौ (बी)-देखो ‘फुरळणो' (बी)।
पैरों में अड़ाई जाने वाली टांग । फिरोळी-स्त्री. उलट-पुलट करने की क्रिया या भाव, उलट फीडो-वि० [देश॰] (स्त्री० फीडी) १ चपटा। २ चपटी नाक पुलट ।
वाला। फिलवाण-देखो 'फीलवांन' ।
फीरण-देखो 'फैरण'। फिळसौ-देखो 'फळसो'।
फीरणौबटियो-देखो 'फीणाबाटी'। फिलहाल-क्रि०वि० [म.] १ अभी-अभी तो, इस समय ।
फीदी-स्त्री० [देश॰] छोटा टुकड़ा, विभक्त भाग। २ अस्थाई तौर पर।
फीफरौ-देखो ‘फेंफड़ो। फिळाउगाड, फिळाउघाड़-देखो 'फलसाउघाड़' ।
फी-स्त्री. १ तिरस्कार सूचक शब्द । २ अव्यवस्था के प्रति फिळियौ, फिळो-देखो 'फळसौ' ।
कहने का शब्द । ३ देवता । ४ वायु । ५ हाथी। [फा०] फिस-प्रव्य०१ असफलता या अव्यवस्था सूचक ध्वनि। २ धिक् ।
नि। धिक।। ६ नुक्स, दोष, कमी। ७ कसर, न्यूनता। -प्रव्य मि.] फिसकणी (बी)-क्रि. १ धोखा खाना । २ बदलना, मुकरना। प्रति, हर । ३ कायर या कमजोर पड़ना।
फीक-स्त्री०१ विशेष दशा में होने वाला मुख का फीकापन । फिसड्डी-वि० [देश॰] १ हर काम में पीछे रहने वाला, सुस्त,
| २ यथेष्ट मात्रा में मीठा या नमक न होने की स्थिति । प्रालसी । २ कमजोर, निर्बल । ३ अकर्मण्य, निकम्मा। फीकर-पु० [देश॰] बकरे के पीठ के ऊपर का मांस पिड । फिसरणी (बी)-क्रि० [देश॰] १ हड्डी का संधि स्थान छोड़ना।। फोकरियो-वि० [देश॰] नीरस, रूखा, फीका।
२ द्रवित होना । ३ जीर्ण वस्त्र का घिस कर फट जाना । ४ रसदार फल का दब कर फूट जाना । ५ बदलना, फीको-वि० [देश॰] (स्त्री० फीकी) १ स्वाद रहित, स्वाद मुकरना। ६ देखो "पिसणी' (बी)।
हीन । २ कम शक्कर, गुड़ या नमक वाला । ३ उदास,
खिन्न । ४ अपमानित, लज्जित । ५ निष्प्रभ, निस्तेज । फिसळ, फिसळण-स्त्री० [सं० प्रसरणम्] १ फिसलने की क्रिया
६ हल्का, धीमा,मलिन । ७ रूखा । ८ तुच्छ, हीन । ९ प्रभाव या भाव, रपटन । २ चिकनाई जहां पर कोई वस्तु ठहर
हीन । १० नीरस, शुष्क । ११ प्रानन्द, उत्साह, उमंग न सके । ३ दृढ़ता या ठहराव की कमी।
रहित, जहां रागरंग की कमी हो । १२ सारहीन, निस्सार। फिसलणौ (बो)-क्रि० १ चिकनाई के कारण कोई चीज रपट
१३ अलोना । १४ प्रोजहीन । १५ तुच्छ, हल्का । जाना, खिसक जाना।२ कीचड़ आदि पर अचानक पैर
१६ अभीष्ट परिणाम रहित । १७ अप्रिय, अरुचिकर । पड़ जाने पर गिर पड़ना । ३ चिकने पत्थर या अन्य धातु
१८ न्यून । १६ निष्फल । २० नगण्य । से बने स्थान पर चढ़ कर धीरे-धीरे नीचे खिसकने, रपटने
फीच-देखो 'फीच'। की क्रिया करना । ४ प्रवृत्त होना, लालायित होना । ५ वचन से बदलना, मुकरना । ६ दृढ़ न रहना । ७ पथ
फीचरणौ (बी)-क्रि० लत्ती लगाना, टांग अड़ाना । भ्रष्ट होना । ८ देखो "फिसणी' (बौं)।
फीट-प्रव्य०१ फोकट, मुफ्त । २ तुरन्त। -पु०- १ फीकापन । फिसाद-पु० [अ० फसाद] १ लड़ाई, झगड़ा। २ टंटा, कलह ।
२ देखो 'फिट' । ३ देखो "फिटौ'। ४ देखो 'फुट'। ३ उपद्रव, बलवा, विद्रोह । ४ बिगाड़, खराबी। फीटणी (बी)-क्रि० [देश॰] नाश होना, नष्ट होना। फिसाविक, फिसादिय, फिसाबी-वि० [अ० फसादी] १ लड़ाई फोटोकड़, फोटोकड़ो, फोटो-वि० [देश॰] (स्त्री० फीटी,
झगड़ा करने वाला,झगड़ालू । २ उपद्रवी,उत्पाती । ३ दंगा फिटोकड़ी) १ बेशर्म, निर्लज्ज । २ ढीट, दुष्ट । ३ झूठा। करने वाला, बलवा मचाने वाला । ४ विद्रोही । ५ बिगाड़ ४ अश्लील । ५ लज्जित, शर्मिन्दा । ६ अपमानित । या बरबादी करने वाला। ६ देखो 'फिसाद' ।
कोण-देखो 'फरण'। फिहो-देखो 'फियो।
फीरणनाखती-पु० ऊंट। फीकर-देखो 'फोकर'।
कोणनाग-पु० [सं० फेण-नाग] मफीम ।
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फोरणाबाटी
। १४५
)
फुरणांफेर
कोणाबाटी, फोणारोटी-स्त्री० घी का संपुट देकर दुबारा बेली फुककार, फुफकारौ-देखो फूकार'। हुई अधिक परतों वाली रोटी विशेष ।
| फुफाडो-देखो फूफ़ ड़ो' । कोणी-स्त्री० [सं० फेनिका] १ स्त्रियों के नाक का छोटा फुबी-स्त्री० [सं० पृथ्वी] १ वर्षा ऋतु में होने वाला एक
प्राभूषण, कांटा । २. मेदे के तंतु का गोल गुच्छा बना कर भू-फोड़ । २ देखो 'फूभी' । तैयार की जाने वाली मिठाई विशेष ।
फुबौ-पु० [देश॰] रुई का लच्छा या वस्त्र खण्ड । फीरणी-पु० [देश॰] रहट में लगने वाला लकड़ी का गुटका फुवार- १ देखो ‘फंवार' । २ देखो 'फवारौ' । विशेष ।
फुवारी-देखो 'फवारो'। फीत-स्त्री० [फा०] १ सेना या पुलिस कर्मियों को तरक्की पर | फु सहलि-स्त्री० एक वनस्पति विशेष ।। दिया जाने वाला चिह्न । २ देखो 'फीतो' ।
फुसी-स्त्री० [सं० पन सिका] छोटा फोड़ा, फुसी । फीतउ-वि० [सं० स्फीत] समर्थ, शक्तिशाली ।
फुहार-देखो' फंवार' । फीती-पु० [पुर्त० फीता] १ सूत प्रादि की पतली लम्बी पटी।। फुहारो-देखो 'फंवारी'।
२ लंबाई नापने का फीता, टेप । ३ चौडी पटी का गोटा। कु-पु०१ कात्तिक मास । २ कृतज्ञता । ३ गुण । ४ विलम्ब । ४ कपड़े की लम्बी पट्टी।
फुग्रारो-देखो 'फवारो'। फीदो-वि० [देश॰] खोखला ।
फुकनीबाज-वि० बकवास करनेवाला, व्यर्थ बकने वाला। फीनसताई-स्त्री० तारीफ, प्रशंसा ।
फुकार- १ देखो 'पुकार' । २ देखो 'फूकार'। फीफर, फीफरउ, फीफरड, फीफरियू. फीफरो-देखो 'फेफड़ो' ।। फुगतरो-पु० [देश॰] १ छिलका। २ छिलके का टुकड़ा । फीयो-देखो 'फियो' ।
३ चमड़ा। फीरोजी, फीरोजौ-देखो 'फिरोजो' ।
फुडकली-देखो 'फिरकी'। फील-पु० [फा०] १ हाथी, गज । २ एक प्रकार का बाण । फुटकर-वि० १ अलग, पृथक । २ भिन्न प्रकार का, कई मेल का।
-खांनो-पु. हस्तिशाला । -चराई, चरावणी-स्त्री० ३ जो थोक में न हो, परचून । ४ छोटी-छोटी इकाइयों हाथी को चराने का कर ।
वाला। कोलवांन-पु० [फा०] महावत, हाथीवान ।
फुटबाल-स्त्री० [अं॰] परों से खेलने वाली बड़ो गेंद । फीळाउगाड़, फोळाउघाड़-देखो ‘फलसाउघाड़' ।
फुटरो-देखो 'फूटरौ' । फोहो-देखो 'फियो।
फट्टणी (बो)-देखो 'फूटणी' (बौ)। कुपारी-देखो 'फंवारों'।
फुड, फुडवि, कुडियो, फुडौ-वि० [सं० स्फुट] १ प्रगट, साफ, फुकणी (बो)-देखो 'फूकणी' (बौ) ।
स्पष्ट । २ हृष्ट-पुष्ट । ३ एकाक्षी, काना । -पु० १ यवन । फुकारणी (बी)-क्रि० १ मुह से फूक निकलवाना । २ फूकने २ उपस्थ।
की क्रिया कराना। ३ मंत्रादि पढ़कर झाड़ फूक कराना, | फणद, फणंद्र-देखो 'फणींद'। तांत्रिक उपचार कराना । ४ जलवाना, भस्म कराना ।
फुण-पु० १ पवन । २ देखो ‘फरण' । ३ देखो 'फुणो' । ५ दाह संस्कार करामा । ६ नष्ट कराना, नाश कराना। फुणकली, फुणकलो-पु० छोटा फोड़ा, फुसी। ७ किसी धातु की रासायनिक क्रिया से भस्म बनवाना ।
फुणकार, फुरणकारी-१ देखो 'फणकार' । २ देखो 'फरणकारो'। ८ सताने के लिये प्रेरित करना। ९ फूक वाद्य बजवाना ।
| ३ देखो 'फूकार' । फुकार-देखो 'कार'।
फुरणगळ-देखो ‘फुरणकली'। कुंकावरणौ (बो)-देखो 'फुकारणो' (बौ) ।
फुडसरण-पु० [सं० फरण-दंश सर्प, सांप । फुणाळ-देखो 'फणाळी' ।
फुरणद-देखो 'फरणींद'। कुणौ-देखो 'फुणो'।
फुरणधर-देखो 'फणधर'। फुतरको-देखो 'फूतरौ'।
फुरणली-स्त्री० मादा सर्प, सर्पिणी, नागिन । फुद-देखो 'फौंद'।
फुरणसहस-देखो 'सहसफुण' । फबळ,फुबल,फ दाळ, दाल,फुदाळी,दालो-देखो 'फ़ौंदाळी' । फुरणसी-देखो 'फुसी'। फुदो-देखो 'फूदी'।
फणापति, फरणापति-१ देखो 'फणपति' । २ देखो 'फरिणपति' । फुदो-देखो 'फू'दो'।
फुरणांफेर-पु० [सं० फण+रा० फेर] शेषनाग ।
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फुरणकार
फुलको
फुरणाकार-देखो 'फरणाकार' ।
फरपकरणो (बी)-१ देखो 'फरकरणो' (बी)। २ देखो 'फड़करणो' फुरणाट-देखो 'फरण'।
(बी) । ३ देखो 'फरूकणो' (बी)। फगाफेर-देखो 'फुणांफर'।
फुरण-देखो 'फुरणी'। फुरणाळ-देखो 'फणाळी'।
फुरणा-स्त्री० [सं०स्फुरणम्] १ इच्छा । २ अनुभूति । ३ कंपन, फुरणावरण-वि० [सं०फण+रा० वरण] फनधारी। -पु० १ सर्प। फड़कन, धड़कन । ४ मनमें सहसा उठने वाला विचार । २ शेषनाग।
फुरणि, फुरणी, फुरण, फरणी-पु. १ स्फूर्ति, तेजी। २ तेजी से फुणिंद-देखो 'फणींद'।
मुडने या घूमने की क्रिया। ३ नाक का छिद्र, नाशापुट%3; फुरणी-देखो 'फरणी'।
नथूना। फरणीचील-पु० शेषनाग ।
फरणी (बो)-१ देखो'फड़ कणो' (बी)। २ देखो'फिरणी' (बी)। फुरणौ-पु० [सं०'फणः] पैर की अंगुलियों के नीचे का भाग। .
| फुरत, फुरती-स्त्री० [सं० स्फूति] १ शीघ्रता, जल्दी। २ चंचलता फुतरको देखो 'फूतरौ'।
| स्फूर्ति । फुत्कार-देखो 'फूतकार'।
फुरतीलौ-वि० (स्त्री० फुरतीली) १ चंचल, फूर्तिला। २ तेजी से फवकडी-स्त्री० एक विशिष्ट जाति की चिड़िया ।
कार्य करने वाला । ३ तेज गति या चाल वाला। फुदकरण-वि० दिश०] कूद-फांद करने वाला, फुदकने वाला। करना-देखो फरणा'। -स्त्री. १ फुदकना क्रिया। २ बरसाती कीड़ा, पतंगा।
| फुरफुरणो (बो)-क्रि० १ किसी अंग में हल्की स्पंदन होना, ३ देखो 'फदकरण' ।
धीरे-धीरे फड़कना । २ फुरफ़र करके उड़ना । फुवकणी (बौ)-क्रि० १ उछल-कूद करना, कूदना, फुदकना । फुरफुराहट-स्त्री० १ अंग-प्रत्यंग में होने वाला स्पंदन, फडकन । २ फुदकते हुए उड़ना। ३ हर्ष में उछलना-कूदना।
२ पवन की सरसराहट, हवा से उत्पन्न ध्वनि । ३ पक्षियों फुलकी-स्त्री० फुदकने की क्रिया, छलांग ।
की फडफड़ाहट । फुलगळ-देखो 'पुदगळ' ।
फरमाण, फरमारिण, फुरमारणी, फरमान-देखो 'फरमाण' । फुद्दी-देखो 'फूदी'।
फरमारणो (बो)-देखो 'फरमाणी' (बी) । फनिंग, फुनिग-पु० [सं० पन्नग] १ सर्प, सांप । २ शरीर, देह ।
फुरमायस-देखो 'फरमाइस'। ३ परमाणु । ४ प्रात्मा।
फरमावणी (बो)-देखो 'फरमाणी' (बी) । फुप्फुस-पु० [सं०] फेंफड़ा। फुफकार-देखो 'फूकार'।
फुरमास-स्त्री० १ एक प्रकार का लगान । २ देखो 'फरमाइस' । फुफकारणी (बी)-देखो 'फूकारणो' (बौ)।
फुरम्माण-देखो 'फरमाण' । फुफकारो-देखो, 'कार'।
फुरळणी (बो)-क्रि० [देश॰] १ इधर-उधर करना, अस्त-व्यस्त फुर-स्त्री०१ पक्षियों के उड़ते समय परों की ध्वनि । २ उड़ने । करना । २ बिखेरना, छितराना, तितर-बितर करना ।
की क्रिया । ३ फड़कने की क्रिया या भाव । -वि० ३ वस्तु के ढेर को उथल-पुथल या ऊपर-नीचे करना । अस्थिर।
स्थिति में परिवर्तन करना। ४ चीरना-फाड़ना । ५ कोई फुरकण-पु. [देश॰] १ सफेद मांखों वाला बैल जिसकी मांखों | चीज ढूंढने के लिये अन्य चीजें इधर-उधर करना । पर भंवरो हो । २ फड़करण ।
फुरसत-स्त्री० [अ० फुर्सत] १ अवसर, मौका । २ समय, फुरकरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रस्पंदनम्, स्फुरणम्] १ अंग-प्रत्यंग
अवकाश । ३ व्यस्तता से छुटकारा । काम से छुट्टी । में स्पंदन होना, फड़कना । २ फुर्र करके उड़ना ।
४ निवृत्ति । ५ कोई भी काम न होने की अवस्था । ३ हवा का बहना, हवा चलना। ४ देखो 'फ़ड़करणी' (बी)।
| फुरसरांम, फुरुसरांम, फुक्सरामि-देखो 'परसुराम'। ५ देखो 'फरूकणो' (बी)। फुरकान-पु० [अ० फुकनि] मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ ।
फुरोळणो (बो)-देखो ‘फुरळणो' (बी)। फरकारपो (बौ)-१ देखो 'फड़काणी' (बी)। २ देखो 'फरूकाणी' | फुल-स्त्री० अग्नि । -वि० [अं०] १ पूर्ण, पूरा । २ तीव, तेज । (बी)।
३ शक्ति भर । ४ देखो 'फूल' । फरकारी-पु० इशारा, संकेत । विश्राम, विश्रांति ।
| फुलक-पु. १ कोयला । २ देखो 'फुलको' । फुरकावणी (बो)-१ देखो 'फड़काणी' (बी) । २ देखो | फुलको-पु० [सं० फुल्लक] १ गेहूं की रोटी, चपाती। २ हल्की 'फरूकाणी' (बी)।
पतली रोटी।
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फुलगार
। १४७ ।
फूगारी
फुलगार-पु. [सं० फुल्ल-कार १ शाक, रायते प्रादि में दो फुस, फुसकी-स्त्री० [सं० स्पृशः] १ बहुत धीमी व अस्पष्ट ध्वनि जाने वाली छौंक, धूगार, बगार । २ उक्त छौक की सुगन्ध । २ धीरे-धीरे निकलने वाली अपान वायु । ३ स्पर्श ।
४ देखो फिस'। फुलगारणी (बी)-क्रि० शाक, रायते मादि में छौंक लगाना, धुगार देना ।
फुसफुसारणी (बो)-कि० धीरे-धीरे अस्पष्ट ध्वनि करना, फुलड़ी-स्त्री०१ गाड़ी, दरवाजे आदि पर कीलों से जड़ा जाने
फुसफुसाहट करना।
फुसलारणौ(बौ), फुसलावणी(बौ-क्रि०१ चिकनी-चुपड़ी व मीठीवाला धातु का फूल, तारों की तरह बने धातु के उपकरण । २ देखो 'फूलड़ो' । ३ देखो 'फूली' ।
मीठी बातें करके किसी को भुलावे में लेना, अपनी स्वार्थ :
सिद्धि के लिये राजी करना । २ बहकाना । फुलडो-देखो 'फूल'। फुलछड़ी, फुलझड़ी-देखो 'फूलझड़ी' ।
फूहड़, फूहड, फूहडी-देखो 'फूड' । फुलण-देखो 'फूलण' ।
फुहली-देखो. 'फूहली'। फुलणी (बौ)-देखो 'फूलणी' (बी)।
फुहार-देखो 'फंवार'।
फुहारौ-देखो 'फंवारी' । फुलपगर-देखो 'फूल पगर' ।
फुही-स्त्री०रात्रि में बोलने वाला एक मांसाहारी जंगली छोटा फुलमद-देखो 'फूलमद' ।
जानवर। फुलमाळ-देखो 'फूलमाळ' ।
फू-स्त्री. १ मुह से, जोर से निकलने वाली हवा । श्वास । फुलरडी, फुलरी-देखो 'फूलरी' ।
२ इस श्वास की ध्वनि। ३ सर्प के फुफकारने की ध्वनि । फुलवांद-देखो 'फुलवाद'। फुलवाई, फुलवाड़ी-स्त्री० [सं० फुल्ल-वाटिका] पुष्प वाटिका
फूक-स्त्री० १ मुह से विशेष प्रकार से निकाली जाने वाली
वायु । मुह की हवा, श्वास । २ मंत्रोच्चार के साथ छोड़ी उद्यान । छोटा बगीचा।
जाने वाली श्वास । फुलवाद, फुलवादि, फुलवादी-स्त्री० [सं० फुल्लवाटिका] १ फूलों वाला पौधा । २ फूलों वाले पौधों का समूह । ३ पुष्प
फकण-वि० फूक मारने वाला -पु० जहरीली फूक मारने वाला
जीव । फूल ।
फूकरणी-स्त्री० १ भाग सुलगाने के लिये फूक मारने की फुलवारी-पुरु १ एक रंग विशेष का घोड़ा । २ देखो 'फुलवाड़ी'।
नलिका । २ भाथी । फुलाणी (बो)-क्रि० १ किसी वस्तु में वायु भर. कर मोटा
फूकणी-पु० रब्बर का खिलौना, गुब्बारा। ___ करना, फुलाना । २ पेट बढ़ाना । ३ पुलकित या पानन्दित करना । ४ गर्व, अभिमान या मान करना । ५ मान करके
फूकणो (बो)-क्रि०१ मुंह से फूक मारना । २ मंत्र पढ़कर फूक
लगाना । ३ मुह से बाजा बंजाना । ४ जलाना, भस्म करना चेहरे की विशेष प्राकृति बनाना । ६ फूलों से युक्त करना।
५ नष्ट या बरबाद करना । ६ किसी धातु की रासायनिक फुलाद-देखो 'फुलवाद'।
विधि से भस्म बनाना । ७ सताना, कष्ट देना । फुलाळो-देखो 'फूलाळो' ।
८ अनावश्यक खर्चा करना। फुलावणो (बो)-देखो 'फुलाणी' (बी)।
फूकरड़-देखो 'फूकार'। फलिंग-पु० [सं० स्फुलिंग] अग्निकरण ।
फू कारणौ (बो)-देखो 'फुकाणी' (बी)। फुली-१ देखो 'फूली' । २ देखो 'फूल' ।
फूकार-स्त्री० [सं० फूत्कार] १ सर्प प्रादि प्राणियों द्वारा मुह
से जोर से श्वास छोड़ने की क्रिया, फुफकार । २ इस फुलेल-पु० [सं० फुल्ल-तैल] फूलों की महक वाला तेल ।
प्रकार श्वास निकालने से उत्पन्न ध्वनि । ३ श्वास । फुलेली-स्त्री० उक्त तेल रखने का काच का बर्तन ।
४ विधाम । फुलोत्तर-देखो 'फूलप्रांत'।
| फूकारणौ (बी)-क्रि० १ सर्प आदि प्राणियों का मुह से जोर से फुल्ल-वि० [सं० फुल्ल्] १ फूला हुअा, विकसित । २ देखो
श्वास छोडना, फुफकारना । २ फफकार की ध्वनि होना । ___ 'फूल'।
३ जोर की श्वास लेना। फुल्ली-१ देखो 'फूल' । २ देखो फूल ड़ी' । ३ देखो फूनी । फूकारो-देखो 'फकार'। ४ देखो फूलरी।
फूकावरणौ (बो)-देखो 'फुकाणी' (बी)। फुल्लौ-देखो 'फूलो'।
फूको-१ देखो 'फूक' । २ देखो 'फुकरणो' । फुवारी देखो 'फबारी'।
| फूगारी-स्त्री० एक प्रकार का भू-फोड़।
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फूलो
( १४८ )
फूटोड़ी
फूणो-देखो 'फुरणों।
फूकण-पु० १ फेफड़ा । २ देखो 'फूकणो'। फूतकार-देखो 'फूतकार'।
फूको-देखो १ 'क' । २ देखो 'फुकरणों' । ३ देखो 'फाको' । फूतरी-पु० दिश०] छिलका।
फूल-वि० १ किसी कार्य में जो चतुर या प्रवीण न हो. प्रदक्ष । तारियो-पु. उदयपुर राज्य का प्राचीन सिक्का ।
२ अभद्र, भद्दा, बेशउर । ३ मैला-कुचैला । ४ चाल-चलन फूब-देखो 'फू दौ' ।
का बेढंगा। फूदाळ-देखो 'फूदाळो' ।
| फूड़ियो-पु० ध्वनि । -पु० कुत्ते या बिल्ली का विष्ठा, मल । फूदाळो-वि० (स्त्री०फूदाळी) जिसमें फूदे लगे हों। फूदोंवाला | फुट-स्त्री० [सं० स्फुट] १ फूटने की क्रिया या भाव । २ पृथक फूदी-स्त्री० [देश॰] १ तितली । २ एक लोक नृत्य विशेष । होने का भाव, पृथकता । ३ किसी परिवार, समाज या
३ इस नृत्य के साथ गाया जाने वाला लोक गीत । संगठन के सदस्यों में परस्पर प्रेम, मेल या मतंक्य का ४ देखो 'फू दौ'।
प्रभाव । ४ वैमनस्य, विरोध । ५ संगठन की कमी । फूबौ-पु० [देश॰] १ रंग-बिरंगे धागे, सूत या रुई का छोटा | ६ पौधे की अंकुरित होने की अवस्था । ७ बाजरी के पौधे गुच्छा । २ एक प्रकार की राखी ।
की पेरी में से निकलने वाले अंकुर । फूद्याळी-वि० फूदों वाली, फूदों से युक्त। -डोरी-स्त्री० एक | फूटण, फूटरपी-स्त्री० [सं० स्फूटनम्] १ फूटने की त्रिया या लोक गीत विशेष ।
भाव । २ फूट कर अलग हुअा अंश । ३ शरीर के संधि फूफा-स्त्री. १ जोर से श्वास लेने की क्रिया व ध्वनि । स्थलों में होने वाली पीड़ा। २ व्याकुलता से किया जाने वाला कार्य। .
फूटणी (बी)-क्रि० [सं० स्फूटनम्] १ बर्तन आदि का टूटना, फूफाड़ियो-वि० १ फू-फ़ करने वाला, फुफकारने वाला । बर्तनों में छेद होना । २ टूट-फूट होना । ३ किसी वस्तु २ जल्दबाज । ३ देखो 'फूफ़ाडौ।
के टुकड़े होना । खण्डित होना। ४ ढोल प्रादि वाद्यों का फूफाड़ियो, फूफाड़यो-वि० 'फूफाड़ा' करने वाला फू-पां चमड़ा फट जाना । दरार पड़ना। ५ जलाशय की पाज करने वाला।
या बांध पादि की दीवार में दरार पड़ना । छेद होना । फूफाडौ-पु०१ सर्प प्रादि की फुफकार, फूकार । २ तेज श्वास ६ संगठन या परिवार में मतभेद या विरोध पैदा होना ।
से नाक से उत्पन्न ध्वनि । ३ क्रोधावस्था में ली जाने वाली ७ मर्यादा का उल्लंघन होना । सीमा छोड़ देना । ८ संगतेज श्वास ।
ठन से पृथक होकर भेद दे देना । ९ शरीर के अंग में घाव फूफी-स्त्री० [सं० पुष्पी पिता की बहिन, बूमा।
होना, रक्त बहना, शिर फटना। १० आर-पार होना, फूफौ-पु० [सं० पुष्पा] (स्त्री० फूफी) बूमा का पति, पिता बेध कर निकल जाना । ११ फोड़े, फुसी आदि का फटना । का बहनोई।
१२ गैस, हवा या द्रव पदार्थ भरी वस्तु का सहसा फट फूबदौ-पु. [देश॰] रुई या सूत प्रादि का छोटा गुच्छा। जाना । १३ किसी महत्वपूर्ण या गुप्त बात का प्रसारित फूबी-देखो 'फुबी'।
होना । १४ किसी बात को तीव्र प्रतिक्रिया फूबो-देखो 'कु'बो'।
होना । १५ अवरोध हटने से अबाध गति से 'पावागमन फूभड़ौ-देखो 'पूगड़ी'।
खुलना । १६ विस्फोट होना । १७ स्रोत के रूप में निकफूभी-स्त्री० [सं० पुष्पुम्भी] १ बाजरी की बालों आदि पर लना । १८ प्रस्फुटित या अंकुरित होना । १६ पृथक, अलग
जमने वाली रुई की तरह की परत । २ देखो 'फुबी' ।। या विभक्त होना । २० शरीर के संधि स्थलों में दर्द होना । ३ देखो 'फूदी'।
२१ गुप्त बात या रहस्य का उद्घाटन होना, बात खुलना। . फूभौ-देखो 'फुबौ'।
२२ कहीं से चुपके से खिसकना । जाना । २३ तरल पदार्थ फमदौ-देखो 'फू बदौ'।
का रिसना। फूमी-१ देखो फूभी' । २ देखो 'फुबी' ।
फूटर-वि० [देश॰] १ निर्मल, स्वच्छ । २ देखो 'फूटरौ' । फूस-पु. पौष मास ।
फूटरमल-पु. पति, ख विद । -वि- सुन्दर, मनोहर । फूहारौ-देखो 'फवारौ।
फूटरियो, फूटरौ-वि० [देश॰] (स्त्री० फूटरी) १ सुन्दर, मनोहर । फूही-देखो फुही।
२ गुणवान । ३ साफ-सफाई वाला । सुव्यवस्थित । फू-पु. १ फूक । २ ऋण । ३ भू. भूमि । ४ शरण । ५ वचन । फूटोड़ी, फूटौ-वि० [सं० स्फुट] (स्त्री० फूटी,फूटोड़ी) १ फूटा
६ घास । ७ तिनका, तृण । ५ कूड़ा-करकट, फूस-कचरा। हुआ। २ छिद्रित । ३ टूटा-फूटा, भग्न, खण्डित । ४ दरार ६ कुश।
युक्त । ५ क्षत-विक्षत । ६ हतभाग्य । ७ पृथक व अलग ।
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फूठरी
। १४९ )
फूलधार
फूठरी-देखो 'फूटरौ' ।
अड मा । -प्रांत-स्त्री० पशुओं की स्थूलांत्र जिसमें मल फूढीयो-पु. १ वृक्ष विशेष । २ देखो 'फूड़ियो' ।
रहता है । -कारी-स्त्री० फूलों जैसी चित्रकारी । फणी-पु० १ एक प्रकार का शाक विशेष । २ देखो 'फुरणी' । -~-गोभी-स्त्री० गोभी का फूल । -सड़ी-स्त्री० पुष्प फूतकार-स्त्री. १ लोमड़ी, गीदड़, वानर आदि जानवरों के वर्षा । -दान-पु० फूल सजाने का काच, मिट्टी या धातु मुह की फें-फे ध्वनि । २ देखो 'फूंकार' ।
निर्मित पात्र. देवताओं के समक्ष फूल रखने का पात्र । फूतकारणौ (बी)-क्रि० १ लोमड़ी, गीदड़ आदि का फें-फें --माळ, माळा, माला-स्त्री० फूलों का हार । हड्डियों बोलना । २ देखो ‘फूकारणो' (बौ)।
की माला । एक जाति विशेष का घोड़ा। -माळी-पु. फूलकारौ. फूत्कार, फूत्रकार-देखो 'फूतकार'।
फूलों का बगीचा लगाने व फूल बेचने वाला माली, बागवान । फूडो-देखो 'पूगड़ो'।
-रज-पु० पुष्प पराग । -हटी-स्त्री० फूलों की दुकान । फूदडी-स्त्री० पंखुरी।
फूलमण्डी। बाजार । फूबडौ-देखो 'पूगड़ों'।
फूलगार-पु० १ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । २ देखो 'फुनगार'। फ्धेडी ढी)-स्त्री० १ शाक या वनस्पती विशेष । २ वृक्ष विशेष ।। फूलगूधर-पु० शीश पर गूथा जाने वाला एक रजत का आभूषण फूनी-स्त्री० १ तितली । २ बच्चों की लिंगेन्द्रिय ।
विशेष । फूफस-स्त्री० पति या पत्नी को बूमा । बूमा सास । फूलड़ी-स्त्री० १ बिवाई । २ देखो 'फूल' । ३ देखो 'फूली' । फूफसरौ-पु० पति या पत्नी का फूफा ।
फूलडो-देखो 'फूल'। फूफाडो-देखो 'फूफाड़ी'।
फूलझड़ी-स्त्री. १ एक प्रकार की प्रातिशबाजी । २ मस्ते फफी-देखो 'फूफी'।
हाथी को वश में करने का आतिशबाजी का एक उपकरण । फफूकार-स्त्री० ध्वनि या शब्द विशेष ।
३ झगड़ा या विवाद वाली बात । ४ पुष्प वर्षा, झड़ी। फूफौ-देखो 'फूफी' (स्त्री० फूफी)।
५ फलों की कतार । फूबड़ौ-देखो 'पूगड़ौ'।
फूलभूमको-पु०१ स्त्रियों का प्राभूषण विशेष । २ फूलों का
गुच्छा । फूभदौ, कूमदो-देखो 'फू बदौ' ।
फूलडोल, फूलडोल-पु. १ चैत्र शुक्ला एकादशी को मनाया जाने फूरकरणी-स्त्री० हल्का सा दर्द, चरमराहट ।
वाला एक उत्सव । २ होली के अगले दिन 'खेड़ापा' ग्राम फूरकणी (बी)-देखो 'फुरकरणो' (बो)।
में लगने वाला रामस्नेहियों का एक मेला। फुल-वि० [सं० फुल्ल] १ तुलनात्मक दृष्टि से हल्का, फारिक। फलण-स्त्री. १ वर्षा ऋतु में प्रायः खाद्य पदार्थों पर जमने वाली
२ खुश । ३ नाजुक कोमल । -पु०१ पेड़, पौधों व | सफेद फफूदी । २ शरीर पर पसीने से जमने वाली सफेद बनस्पतियों के लगने वाला पुष्प, कुसुम । २ फूल के प्राकार धारियां, धब्बे । ३ पिंगल प्रकाश के अनुसार एक छन्द । का आभूषण । ३ फूल जैसी चित्रकारी। ४ भट्टी. से प्रथम | ४ फूलने की क्रिया या गुण । बार निकला हुआ हल्के नशे का शराब । ५ हल्का नशा ।।
फुलणौ (बी)-क्रि० १ फूलों से युक्त होना । २ प्रफुल्लित होना, ६ बलि पशु का रक्त। ७ मृतक की अस्थियां । [सं० स्फुलिंग]
खिलना, विकसित होना । ३ खुश होना प्रानन्दित होना । ८ अग्निकरण, चिनगारी। ९ आतिशबाजी की चिनगारी।।
४ सम्पन्न होना । ५ हवा, गैस या पानी प्रादि भरने से १० दो वस्तुओं के संघर्षण से निकलने वाली चिनगारी ।
गेंद या गुब्बारे की तरह उभरना, मोटा होना, फूलना । ११ चिराग-बत्ती पर पड़े हुए गोल दाने । १२ चिराग का
६ सूजन या वर्म पाना । ७ स्थूल काय होना, मोटियाना । वह भाग जिसमें बत्ती रहती है । १३ पशुओं की स्थूलान्त्र ।
८ गर्व करना, अभिमान करना । ९ सूर्यास्त के उपरांत १४ तलवार । १५ पितरों या देवताओं के नाम पर बने, गले
रक्तिम प्राभा का छाना । १० उभार होना । ११ शीलन में पहनने के प्राभूषण । १६ हड्डी । १७ गर्भाशय ।
से लकडो प्रादि का बढ़ना। १८ शरीर पर पड़ने वाला कुष्ट रोग का धब्बा । १६ चेचक के व्रण, दाने । २० स्त्रियों के मासिक धर्म का रज ।
फूलता-पु. एक शस्त्र विशेष । २१ तांबे व रांगे का एक मिश्र धातु । २२ मथानी के प्रागे | फूलद-पु० [सं० फूल्ल+द] वृक्ष, पेड़ । का फूल जैसा भाग । २३ कागज की फूल पत्ती । २४ धातु फूलधार, फूलधारा, फूलब्धरा-पु० [सं० फुल्लधार] १ तलवार । के बने फूल या नारे । २५ तलवार की मूठ का एक भाग । २ तलवार की धार । ३ देवता के लिये बलि पशु के रक्त २६ पानी का बुलबुला । -परडूनो-पु. एक पौधा विशेष।। की धारा । २ फूल जाति की शराब की धारा।
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फूलनसो
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( १५० )
फूलनसौ - पु० १ हल्का नशा । २ फूल नामक शराब का नशा । फूलपगर पु० १ प्रकार का वस्त्र २ पुष्प समूह । फूलप्रियंगू - पु० एक श्रौषधि विशेष । फूलफगर देखो 'कुलपगर' ।
-
फूलबाई [स्त्री० मेहा की पुत्री व करणीदेवी की बहन । फूल बाज-पु० नट जाति की एक शाखा ।
मा० सफेद ताल मखाना ।
o
फूलमती जी० शीतला रोग की अधिष्ठायी एक देवी । फूलमहल - पु० [फा०] १ राजा महाराजानों का एक महल । जिसमें चित्रकारी की होती । २ भोग विलास का महल, रंग महल ।
फूलरी - स्त्री० १ सफेद रंग की या सफेद कानों वाली बकरी ।
२ देखो 'फूलड़ी' । फूलवाड़ी-देखो 'फुलवाड़ी' । फूलहत्य, फूलहब स्वी० तलवार फुलहरी - पु० शुभ रंग का घोड़ा । फूलहाथ - देखो 'फूलहत्य' ।
फूल देखो 'फूलबाई' |
- पु० १ फूल की गठरी २ ढेर, समूह फूलसिज स्त्री० पुष्प शय्या
फुलाला (बो) - देखो 'फुलाणी' (बी) ।
फूलाव देखो 'फुलवाद'।
फुलांमाळ (माळा ) - १ देखो 'फूलमाळ' । २ देखो 'फूलमाळा' । फुलांरोमारी वि० १ अमीर, भाग्यशाली २ कोमल नाजुक ।
|
फुलावणी (बौ) - देखो 'फुलाणी' ( बौ) ।
फूलि - १ देखो 'फूल' । २ देखो 'फूली' । फूलियो १ देखो 'फूल' २ देखो 'फूल' । । फूली - स्त्री० १ आक या मदार के फूल का मध्य भाग । २ आंख की पुतली पर होने वाला सफेद दाग । ३ सिर का एक श्राभूषण । ४ भुनी हुई ज्वार, मक्का, चावल, खीरा, लावा । ५ एक प्रकार का शाक। ६ देखो 'फूल'। ७ देखो 'फहली'। फूलेरी - पु० [सं० पुष्पमू वेला ] विवाहित कन्या के प्रथम रजो दर्शन की शुद्धि पर उसकी माता द्वारा मनाया जाने वाला
उत्सव ।
फूलेल - देखो फुलेल' |
फूलो- पु० १ प्रांख की पुतली पर पड़ने वाला सफेद दाग । २ खोला लावा देखो 'फूल' ४ फिटकरी, गोंद प्रादि को प्रांच पर भुनने से फूला हुआ दाना ।
फूस- पु० १ सूखा तिनका तृण । २ कचरा, कूड़ा करकट ।
फेंक देखो 'फँक' ।
फेंकणी (बौ)- देखो 'फेंकरणी' (बो) । फेंकल-देखो 'फेकल' ।
फूसगज - पु० पौष की पूर्णिमा के दिन घास-फूस का बनाया जाने वाला हाथी ।
फूह-देखो 'फूस' ।
फूहड़ (ड), फूहड-देखो 'फू' ।
फूहलि, फूहली - स्त्री० बहन की राखी प्राप्त होने पर भाई द्वारा बहन को भेजी जाने वाली पौशाक ।
फहारी देखी पंवारों ।
फूहौ - देखो 'फू' बौ' । फॅ-देखो 'फै'।
फूलाळ, फूलाळौ - वि० (स्त्री० फूलाळी) फूलोंवाला, फूत्रों फेकळ- पु० कच्चा पीलू | से प्राच्छादित ।
फॅारण (बो), कावली (बी) देखो 'फेंकाणी' (बो) 1
फॅगळ - पु० फेन, भाग |
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फेंट-स्त्री० ० १ मल्ल युद्ध का एक दाव २ कटि प्रदेश, कमर का घेरा । ३ देखो 'फांट' । ४ देखो 'फैंटो' । ५ देखो 'फेंटो' । फेंटर (ब) - क्रि०१ लपेटना, बांधना । २ देखो 'फांटणी' (बौं) । फॅटो - पु० १ कमर पर लपेटकर बांधने के वस्त्र का छोर । २ देखो 'फैंटो' ।
फेफडो-देखो फेफड़ों ।
फे- पु० १ भ्रमरण । २ रट, जाप ।
फेकरी स्त्री० स्यालिनी ।
1
फेटी
फेकारी - स्त्री० १ एक वृक्ष विशेष । २ देखो 'फेकरी' । फेज- देखो 'फैज' ।
चपेट |
फेट स्त्री० १ टक्कर, धक्का, प्राघात । २ झपट, ३ चोट । ४ हष्ट-पथ में होने की दशा या भाव। ५ किसी प्रासुरी माया या प्रेत बाधा का प्रभाव ६ अन्तराय, विघ्न । ७ नाश, ध्वंस |
फेटो (ब) - क्रि० १ टक्कर, धक्का, झटका लगना । २ दृष्टि गोचर होना । ३ किसी आसुरी माया के प्रभाव में आना । ४ साक्षात्कार होना ।
फेडियो पु० १ पायरे के नीचे पहनने का लंबा व २ विधवा स्त्रियों का, एक रंग विशेष का अधोवस्त्र । ३ कमर पर लपेटने का वस्त्र |
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फेटो - पु० १ किसी स्थान विशेष पर आने-जाने का मभ्यास या
श्रवसर । २ भेंट, मिलाप, साक्षात्कार । ३ अधिक घूमने फिरने की क्रिया अवस्था या भाव। ४ दूरी का चक्कर, घुमाव । ५ देखो 'फैंटो' ।
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फंडणी
( १५१ )
फेराणी
फेडणी (बी)-क्रि० [सं० स्फेटयति] १ विनाश करना । २ दूर फेरे खाना । ७ किसी वस्तु को किसी प्रक्ष पर या धुरी पर
हटाना। ३ परित्याग करना । छोड़ना। ४ जानना । घुमाना। चारों पोर घुमाना। ८ एक दिशा से दूसरो दिशा ५ तोड़ना । ६ उद्घाटन करना।
में मोड़ना.घुमाना। ९ परास्त करना, खदेड़ना। १० किसी फेरण-पु०१ श्वेत, सफेद । २ देखो 'फैण'।
के इर्द-गिर्द चक्कर लगवाना। ११ कार्य सिद्धि या सम्पर्क फेणी- देखो 'फीणी'।
के लिये बार-बार भेजना । १२ सहलाना । १३ किसी पर फेतकार, फेत्कार-पु. १ लोमड़ी के आकार का एक मांसाहारी तेल, रोगन आदि का लेपन करना, लगाना । १४ प्रदर्शनार्थ
जानवर । २ स्यालिनी । ३ स्यालिनी की बोली । घुमाना । १५ वितरित करना, देने के लिये प्रागे करना । ४ लोमड़ी। ५ देखो 'फूतकार'।
१६ परिर्वतन करना, बदलना । १७ पड़ी चीज को उथलफेवड़-स्त्री० १ दूध प्रादि पदार्थों में अम्ल के योग से पड़ने वाले पुथल करना। १८ पार्श्व बदलना । १९ दिशा परिवर्तन
फिदड़के । विकृतावस्था । २ आकाश में छितराये बादलों करना । २० अंग-प्रत्यंग पर धीरे-धीरे हाथ फेरना । के खण्ड ।
२१ वचन बदलना । २२ कायरता दिखाना । २३ पढ़ हुए फेन, फेनक-देखो 'फैण'।
को दोहराना । २४ मुह को सामने न रखना। फेनी-देखो 'फीणी'।
फेरफार-पु० [देश॰] १ धूर्तता, चालाकी, छल, कपट । फेफड़ी-स्त्री. १ प्रोठों पर जमने वाली पपड़ी । २ कोई पपड़ी।। २ घुमाव, फिराव, चक्कर । ३ बहुत बड़ा परिवर्तन, उलट फेफडौ, फेफर-देखो 'फेफड़ो' ।
फेर । ४ रद्दोबदल, परिवर्तन । ५ लेन-देन या व्यवहार फेफरी-स्त्री. १ फेफड़ा । २ देखो 'फेफड़ी'।
चलते रहने की क्रिया । ६ फरक, अन्तर । ७ निश्चय । केफरी-देखो 'फैकड़ो।
८ परिवर्तन की क्रिया । ६ आवागमन । के'म-देखो 'फहम'।
फेरबाज-देखो 'फेरवाज'। फेरंड-पु० [सं०] १ शृगाल, गीदड़, सियार । २ लोमड़ी। फेरव-पु० [सं० फेरवः] (स्त्री० फेरवी) १ सियार, शूगाल, फेर-पु०१ फिरने की क्रिया या भाव । २ आने-जाने का चक्कर।।
गीदड़ । २ कपटी, चालाक प्राणी। ३. हिंसक जानवर । ३ घुमाव, मोड़ । ४ परिवर्तन का सिलसिला-क्रम ।। ४ राक्षस। ५ अन्तर, फर्क, भिन्नता। ६ भाग्य या परिस्थितियों का | फेरवणी (बी)-देखो 'फेरणी' (बी)। चक्कर या प्रभाव । ७ दुविधा, उलझन, झ'झट । फेरवाज-स्त्री० लहंगे के अन्दर नीचे लगने वाली पट्टी या ८ प्रपंच, बखेड़ा, जंजाल । ९ परिवर्तन, उलट-फेर, अदला
झल्लरी। बदली । १० संशय, भ्रम, संदेह, गलत फहमी। ११ धोखा,
| फेगरणी (यो)-क्रि० १ ऊंट, घोड़े आदि को चाल सिखवाना, प्रवंचना, चालबाजी। १२ दैवी या प्रासुरी माया का |
प्रशिक्षित कराना । २ शस्त्रों को हाथ से घुमवाना । प्रभाव । १३ हानि, नुकसान, घाटा । १४ फासला, दूरी ।
३ शस्त्र चलाने का अभ्यास कराना। ४ भेंट स्वरूप प्राई १५ विस्तार, फैलाव । १६ ऊंट या घोड़े को चाल सिखाने
हुई वस्तु को वापस कराना। ५ कहीं पर बार-बार पानेका ढंग । १७ किसानों से लिया जाने वाला एक कर ।
जाने के लिये विवश कराना। ६ दूल्हे-दुल्हिन को भांवरी १८ ऊंट या घोड़े की चाल । १९ झुकाव । २० चक्कर
दिलाना । फेरे खिलाना । ७ किसी वस्तु को किसी प्रक्ष लगाने का क्रम । [सं० फेरः] २१ शृगाल, गीदड़ ।
या धुरी पर घुमवाना, चक्कर दिराना, फिराना । ८ एक -वि० अन्य, दूसरा, अतिरिक्त । -क्रि० वि० १ पुनः दुबारा
दिशा से दूसरी ओर मुड़वाना, धुमवाना ।९ परास्त २ वापस । ३ और, फिर । ४ तदन्तर, उपरांत, बाद में ।
कराना । १० किसी के पास-पास चक्कर लगवांना । ५ इस पर भी। लेकिन, परन्तु ।
११ कार्य सिद्धि या सम्पर्क के लिये बार-बार भिजवाना । फेरउ-देखो ‘फे.रंड' ।
१२ महलवाना। १३ किसी पर तेल, रोगन प्रादि का फेरणी (बी)-क्रि० [सं०प्रेरणम्] १ ऊंट, घोड़े प्रादि को चाल | लेपन कराना। १४ प्रदर्शनार्थ घुमवाना। १५ वितरित
सिखाना, प्रशिक्षित करना । २ शस्त्रों को हाथ में लेकर कराना । देने के लिये आगे करवाना । १६ परिवर्तन घुमाना। ३ शस्त्र चलाने का अभ्यास करना । ४ भेंट स्वरूप कराना, बदलवाना । १७ पड़ी वस्तु को उथल-पुथल दी वस्तु या कोई दी गई वस्तु को वापस करना, स्वीकार कराना । १८ पार्श्व बदलाना । १६ दिशा परिवर्तन न करना। ५ किसी स्थान पर बार-बार पाने-जाने के कराना । २० अंग-प्रत्यंग पर धीरे-धीरे हाथ फिरवाना । लिये मजबूर करना। ६ दूल्हा-दुल्हिन की भांवरी पड़ना ।। २१ वचन या वादे से बदलवाना। २२ कायरता दिखवाना ।
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फेरावी
( १५२ )
फलणी
२३ पड़े हुए को दुहरवाना । २४ मुह को सामने न ११ उठा कर पटक देना । १२ उछाल देना। १३ सहसा रखवाना । २५ देखो 'फिराणो' (बौ)।
कोई भावना छोड़ देना। फेरादी-देखो 'फरियादी'।
फैटौ-पु० १ सिर पर बांधने का साफा । पगड़ी। २ बैलों के फेराफेरी-देखो 'फेरफार'।
शगार निमित्त सींगों पर बांधी जाने वाली रंगीन फेराबाज-देखो 'फेरवाज'।
रस्सी । फेरावरणौ (बी)-देखो 'फेराणी' (बी)।
फैरण-पु० [सं० फेण] किसी तरल पदार्थ पर पाने वाले झाग । फेरासारी-देखो 'फेरफार'।
बुदबुदे । फेरि-१ देखो 'फेर' । २ देखो 'फेरी।
फैतकार, फैतकारी, फत्कार-१ देखो 'फेतकार' । २ देखो फेरिय-पु० धतूरा।
_ 'फूतकार'। फेरिस्त-देखो 'फैरिस्त'।
फेफड़ो-पु० [सं० फुप्फुम] प्राणियों की छाती के नीचे होने फेरी-स्त्री० [देश॰] १ परिक्रमा, प्रदक्षिणा । २ भिक्षाटन के | वाला धोंकनी जैसा अवयव, जिससे श्वास क्रिया होती है।
लिये फिरने की क्रिया । ३ सूर्योदय से पूर्व हरिकीर्तन करते | -पु०१ साख । २ लाल । ३ फूल । ४ वसंत ऋतु । हुए नगर भ्रमण । ४ सौदा बेचने के लिये गांव-गांव, गली फैकरणौ (बी)-क्रि० १ करुणा करके रोना, करुण क्रन्दन गली फिरने की क्रिया। ५ चक्कर, फेर। -वाळी-वि० | करना । २ इतराना। उक्त प्रकार से फेरी देने वाला।
फैज-पु० [अ०] १ फायदा लाभ । २ परोपकार, हित । ३ दानफेर, फेल-क्रि०वि०फिर, पुनः, दुबारा, और। -वि०१ फिराने | ‘शीलता। ४ यश, कीर्ति ।
वाला, घुमाने वाला । २ पशुओं को चाल सिखाने वाला। फैटौ-१ देखो 'फैटौ' । २ देखो 'फेट'। ३ देखो 'फेटो'। फेरी-पु० १ चक्कर । २ घुमाव, फिराव । ३ बार-बार घूमना | फेरण-देखो ‘फैण'।
क्रिया । ४ विवाह के समय होने वाली भांवरी, फेरा । | फैतकार, फत्कार-१ देखो ‘फेतकार'। २ देखो 'फत्कार'। अग्नि परिक्रमा । ५ किसी के चारों ओर फिरने की क्रिया। फैन-वि० पाखण्डी, ढोंगी। -पु. १ विद्युत चलित पंखा। ६ कहीं पर बार-बार जाना क्रिया । ७ जन्म-मरण, आवा
२ देखो 'फेरण' । गमन । ८ फरक, अन्तर । ९ बार, दफा। १० समय । | फेफड़ो-देखो 'फेफड़ो'। ११ शौच निवृत्ति क्रिया।
फैम-देखो 'फहम'। फेसरणी (बो)-क्रि० [सं० पिष्ट] १ रगड़ के साथ महीन पीसना, । फै'मदार-वि० [फा० फहम-दार] बुद्धिमान, चतुर ।
महीन चूर्ण बना देना । २ तोड़ना, फोड़ना। ३ पेसना। फंयाज-वि० [अ०] उदार, दातार । फेसाणी (बो), फेसावणी (बी)-क्रि० १ रगड़ के साथ महीन
फैरिस्त-स्त्री० [अ० फेहरिस्त] १ सूची-पत्र । २ बीजक । पिसवाना, महीन चूर्ण बनवाना। २ तोड़ाना, फोड़ाना ।। ३ सूची। ३ पेसाना।
फैरु (क)-देखो ‘फेरू"। फेहरिस्त-देखो 'फैरिस्त'।
फैल-पु० [अ० फे'ल] १ उत्पात,उपद्रव, बदमाशी। २ ढोंग पाखंड ।
३ अव्यवस्था, गड़बड़ी । ४ असाधारण व्यवहार, चाल फै-वि० १ उन्मत्त, मस्त । २ तेज वायु की ध्वनि ।
चलन । ५ अनावश्यक क्रियाएँ। ६ हल्का नशा । ७ बच्चों, फैक-स्त्री. १ फेंकना क्रिया या भाव । २ फेंकने की क्षमता ।
स्त्रियों का दुराग्रह, हठ । ८ फैलने की क्रिया या दशा। __ ३ असत्य या अतिरंजित बात । ४ सारहीन बात ।
-वि० [अं०] असफल, अनुत्तीर्ण । फैकरणी (बो)-क्रि० [सं० प्रक्षेपणम् १ हाथ या किसी उप- | फलणौ (बी)-क्रि० [सं० प्रसरणम] १ विस्तत होना, लंबाई करण की सहायता से कोई वस्तु दूर तक समानान्तर या
चौड़ाई के हिसाब से विस्तार पाना । २ स्थूल या मोटा ऊपर उछाल देना, फेंक देना, चला देना । २ कोई वस्तु
होना । ३ प्रावृत्त होना, छा जाना । ४ पनपना, पसरना । झटके के साथ इधर-उधर रखना, हटाना । ३ इधर-उधर ५ बिखरना, छितरा जाना । ६ संख्या में वृद्धि होना । डाल देना, कहीं रख देना। ४ लापरवाही से कोई वस्तु कहीं
७ प्राकार-प्रकार के अनुसार अभिवृद्धि होना । ८ प्रचलित डाल देना। ५ वार या आघात की दृष्टि से कोई वस्तु होना । ९ प्रसिद्ध होना । १. प्रसारित होना। ११ प्रकाचलाना, फेंकना, उछालना । ६ त्याज्य वस्तुओं को बाहर शित होना । १२ व्यापक होना । १३ कार्य क्षेत्र की सीमा डाल देना । ७ दृष्टि चलाना, नजर फेंकना । ८ अपव्यय बढ़ना । १४ प्रकट होना । १५ स्फीति होना । १६ विज्ञा करना । ९ जूए का पाशा चलाना । १० हाथ-पांव पटकना।। पित होना, जानकारी में आना।
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फैलाणी
( १५३ )
फोफळियौ
फैलाणी (बी), फैलावणी (बी)-क्रि० १ विस्तृत करना । बात जानना । ७ विरोध डालना । ८ पृथक या अलग
बनाना । २ स्थूल या मोटा करना । ३ प्रावृत्त करना, छा | करना । ९ मस्तक में चोट से घाव करना। १० घाव में देना । ४ पनपाना, पसराना । ५ बिखराना, छितराना । छेद करना। ११ स्त्री के साथ संभोग या मैथुन करना । ६ संख्या में वृद्धि करना । ७ प्राकार-प्रकार में अभिवृद्धि १२ मर्यादा छोड़ना । १३ रहस्योद्घाटन करना, बात करना। ८ प्रचलित करना। ९ प्रसिद्ध करना । १० प्रसारित खोलना । १४ बात का विज्ञापन या प्रसारन करना । करना । ११ प्रकाशित करना । १२ व्यापक करना। १५ विध्वंस, नाश या तहस-नहस करना । १६ बंब या १३ कार्य क्षेत्र बढ़ाना, सीमा बढ़ाना । १४ प्रकट करना। प्रातिशबाजी में विस्कोट करना। १७ प्रावरण या तल में
१५स्फीति करना। १६ विज्ञापित करना,जानकारी में लाना। छेद करना। फैलाव-पु० १ विस्तार, बढ़ाव। २ प्रचार । ३ लम्बाई-चौड़ाई । फोडारणी (बौ), फोडावरणौ (बो)-क्रि० १ प्राघात, चोट, दबाव ४ फैलने की क्षमता।
या पटका कर किसी वस्तु को तुड़वाना। खण्डित कराना । फैली-वि० १ उत्पाती, उपद्रवी । २ ढोंगी, पाखंडी । ३ दुरा | २ किसी पात्र या वस्तु में छेद कराना, दरार कराना । 'ग्रही, हठी।
३ पानद्ध वाद्य को विदीर्ण कराना । ४ बांध, सीमा, फैसन-स्त्री० [अं० फैशन] १ शृगार, आकर्षक वेश-भूषा प्रवरोध प्रादि तुड़वाना, हटवाना । ५ किसी दल या संगठन २ प्रथा, प्रचलन । ३ रीति, ढंग, चाल ।
के सदस्यों को अपनी ओर मिलवाना । ६ प्रलोभन देकर फैसलो-पु० [अ० फैसल] १ निर्णय, निपटारा । २ अभियोग भेद लिवाना, गुप्त बात कहलाना । ७ विरोध डलवाना ।
या झगड' के प्रति न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था । ८ पृथक या अलग करवाना । ९ मस्तक में चोट लगवाकर फसवौ-पु० एक प्रकार का पतंग ।
घाव कराना । १० घाव में छेद कराना । ११ स्त्री के साथ फो-पु० १ फल । २ वैधृत । ३ काल । ४ बंध्या । ५ श्याम । संभोग कराना, मथुन कराना । १२ मर्यादा छुड़वाना । फोनौ-देखो 'फुबी'।
१३ रहस्योद्घाटन कराना । १४ बात का विज्ञापन कराना, फोई-देखो 'फुही'।
प्रसारण कराना । १५ विध्वंस या नाश कराना। १६ बंब फोक-वि० १ व्यर्थ, फिजूल । २ खोखला।
या प्रातिशबाजी में विस्फोट कराना । १७ प्रावरण या फोकट-देखो 'फोगट'।
तल में छेद कराना। फोग, फोगड़, फोगडी-पु० मरुस्थल में होने वाली एक झाड़ी ।फोड़ो-पु० [सं० स्फोटक] १ शरीर में होने वाला, घाव, फुसी, २ ऊंट, बकरी प्रादि की चोरी।
फोडा। २ कष्ट, संकट । फोगट-वि० मुफ्त,बिना पैसे । २ नि: शुल्क । ३ व्यर्थ ,निरर्थक । फोज-देखो 'फौज'। -प्राभरण-'फौजमाभरण' । -गाहण= फोगणी (बो), फोगरणी (बो)-क्रि० १ फूलना, प्रफुल्लित 'फौजगाहण'। -बंधी='फौजबंधी'। --मुसाहब-'फौज ___होना । २ फफोले पड़ना।
मुसाहब'। फोगराणी (बी), फोगरावरणौ (बो)-क्रि० १ फुलाना, प्रफुल्लित | फोट, फोटकार-स्त्री०.१ फटकार, प्रताड़ना। २ धिक्कार, करना । २ फफोले पटकना ।
तिरस्कार । ३ वस्तु के टूटने- फूटने की ध्वनि । फोगल, फोगलियो, फोगलौ-पु. १ 'फोग' नामक पौधे की मंजर फोडउ-देखो 'फोड़ो'। २ देखो 'फोग' ।
फोडणी (बो)-देखो 'फोडणी' (बी)। फोगसींगियो-वि० वह घोड़ा जिसके पिछले पैर के संधिस्थल पर | फोत-देखो 'फौत' । भंवरी हो।
फोतकार-देखो 'फूतकार'। फोगारणी (बी)-देखो 'फोगराणी' (बी)।
फोता-पु० [फा० फोता] अडकोश । फोगियो-देखो 'फोग'।
फोदी-पु. एक पक्षी विशेष । फोड़उ-देखो 'फोड़ो'।
फोफळ, फोफल-पु० १ नारियल का वृक्ष । २ नारियल । फोडणी (बी)-क्रि० [सं० स्कोटनम्] १ माघात, चोट, दबाव या
३ देखो 'फौफळ' । ४ देखो 'फोफळियो' । पटक कर कोई वस्तु तोड़ना, खण्डित करना । २ किसी
फोफळणी-स्त्री० एक वृक्ष विशेष । पात्र या वस्तु में छेद या दरार कर देना । ३ प्रानद्ध वाद्य को विदीर्ण करना। ४ बांध, सीमा, अवरोध आदि तोड़ना,
फोळिया-पु. एक व्यावसायिक जाति । हटाना। ५ किसी दल या संगठन के सदस्यों को तोड़ना, | फोफळियो, फोफलियो, फोफळीयौ, फोफलीयौ-पु. १ "तिसंडी' अपनी मोर मिलाना । ६ प्रलोभन देकर भेद लेना, गुप्त के सूखे टुकड़े । २ फफोला। ३ विस्फोट । ४ बढ़ई का एक
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फोफानंदफड़द
( १५४ )
फ्लवग
उपकरण । ५ टोपीदार एक लंबी कील । ३ फोफलिया | ४ ऐसे मुकद्दमे सुनने वाला न्यायालय । ५ जोर-जबरदस्ती। जाति का व्यक्ति ।
फौजदेसरी-स्त्री० एक सरकारी लगान विशेष । फोफानंदकड़व-पु० बाहयाड'बर दिखाने या लम्बी-लम्बी डींगें | फौजपति, फौजपती-पु० सेनापति । ___ हांकने वाला व्यक्ति।
फौजबक्सी-पु० [अ०] सेना के कामों की देख-रेख करने वाला फोयो-देखो 'फुबौ'।
सामंत । फोर-पु० परिवर्तन।
फौजबळ-पु० [अ०] १ सैन्य शक्ति । २ सामन्तों से लिया फोरणा-देखो 'फुरणा'।
जाने वाला कर। ३ पराजित राजा या सरदार से फौज कोरणी-स्त्री० कपड़े की बुनाई में काम पाने वाला एक डंडा । के खर्चे संबंधी लिया जाने वाला धन । ४ राज्य की सीमा फोरणौ (बो)-१ देखो 'फेरणी' (बो)। २ देखो'फोडणी' (बी)।। पर स्थित गांवों की रक्षा के लिए नियुक्त सेना के लिए फोरौ-देखो 'फोरौ'।
गांवों से लिया जाने वाला कर। फोलादीतोड़ो-देखो 'फौलादीतोड़ो' ।
फौजबाब-पु० [अ०] एक प्रकार का कर । फोलो-पु. चने का फल।
फौजबीडार-पु. १ लाल बाल व सफेद टीकों वाला घोड़ा । फोहारौ-देखो 'फ'वारी'।
२ योद्धा । फोहो-देखो 'फुबौ'।
फोजांअग्रेसर-वि० फौज में प्रागे, अग्रगण्य रहने वाला। फोरणस-देखो 'फानूस'।
फौजी-पु० [अ०] १ सैनिक, फौज का सिपाही । २ फौज का फौंद-पु. तोंद, बड़ा पेट ।
___ सदस्य । -वि० फौज का, फौज संबंधी। फौदाळ, फौंदाळी-वि० तोंदल, पेटु ।
फौत-स्त्री० मृत्यु, मौत । फौ-पु. १ शेषनाग । २ द्रोण । ३ स्वर्ण । ४ गंगा। ५ सात | फौतकार-देखो 'फूतकार'।। की संख्या।
फौपलो-पु०१ सूखा गोबर, ऊपला । २ देखो 'फोफलो' । फौप्रारो-देखो ‘फवारों'।
फोफळ, फोकल, फौफलौ-वि० १ खोखला । २ वायु से फूला फोडणी (बो)-देखो 'फोडणी' (बी)।
हुआ, वात युक्त । -स्त्री० सुपारी। फोड़ारणौ (बौ)-देखो 'फोड़ाणी' (बी)।
फौरणौ (बी)-१ देखो 'फेरणी' (बी)। २ देखो 'फोड़णी' (बौ)। फौज-स्त्री० [अ०] १ सेना । सैन्य दल । २ जत्था, समूह | फौरन-क्रि०वि० [अ०] शीघ्र, तुरंत ।
झुण्ड। -पाभरण-पु० मंत्री । शस्त्र । -गाहरण-पु० | फोरौ-वि० (स्त्री० फौरी) १ प्रशुभ । २ कमजोर, दुर्बल । योद्धा, वीर । -बंधी-स्त्री० सेना की तैयारी, सेना की ३ हल्का । ४ निम्न श्रेणी का। ५ नीच । ६ हल्के चरित्र व्यूह रचना । -मुसायब, मुसाहब, मुसाहिब-पु. फौज वाला। बक्सी । सेनापति।
फौलाद-पु० [म.] अच्छा लोहा, इस्पात । फौजखरच-पू० सेना को रखने के लिए प्रजा से लिया जाने फौलादी-वि० [अ०] १ फौलाद का बना। २ फौलाद संबंधी। वाला कर।
३ दृढ़, मजबूत,कठोर। फौजथंब (यंम)-पु० किसी सेना का प्रमुख योद्धा ।
फौव्वारो, फौहार, फोहारौ-देखो 'फवारौ' । फौजदार-पु० [अ०] १ सेनापति । २ फौज के प्रागे चलने वाला | फोही-देखो 'फुही' ।
छड़ीदार । ३ सैन्य संगठन, विन्यास या व्यूह करने वाला । | फोहो-देखो 'फुबो' । ४ फौजदारी मामलों पर निर्णय देने वाला। ५ हस्ती फ्यावड़ी, फ्यावरी-स्त्री० एक प्रकार का जंगली जानवर । शाला का अध्यक्ष । ६ महावत । ७ पुलिस, सिपाही । फ्रांगणी-स्त्री० एक प्रकार का छोटा पौधा । नगर रक्षक, अधीक्षक ।
फ्रोहारो-देखो 'फंवारौ' । फौजदारी-स्त्री० [अ०] १ फौजदार का कार्य या पद । | फ्लवंगम-देखो 'प्लवंगम' ।
२ लड़ाई, झगड़ा, मारपीट। ३ मार-पीट संबंधी मुकद्दमा। | पलवग-देखो 'प्लवंग' ।
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(
१५५ )
बंचारणी
ब-देवनागरी वर्णमाला का तेईसवां व्यंजन तथा 'प' वर्ग का | बंगड़ीदार-पु० १ वह चूड़ी जिस पर सोने या चांदी के पत्तर तीसरा वर्ण ।
__ का बन्द लगा हो। २ कंगूरे वाला अद्ध मण्डलाकार पत्थर । बंइंयासियो-देखो 'बंयासियो' ।
बंगळ-देखो 'बंगाळ'। बंइंयासी-देखो 'बंयासी'।
बंगळा, बंगला-स्त्री० बंगाल की भाषा । बंइंयासी'क-देखो 'बंयासी'क' ।
बंगळियौ-देखो 'बंगळो' । बंक, बंकउ, बंकड़, बंकड़ो-स्त्री० [सं० वक्र] १ एक प्रकार की | बंगळी, बंगली-पु० घोड़ा, अश्व ।
तलवार विशेष । २ देखो 'बांक' । ३ देखो 'बांकों' । बंगळी-पु. १ चारों ओर से खुला व चाहर दिवारी से घिरा ४ देखो 'वक्र'।
एक मंजिला मकान । २ मकान के ऊपर बना छोटा हवादार बंकट-वि० [सं० वक्र] २ उल्टा, विरुद्ध । २ निष्ठुर, बेरहम ।। कमरा। ३ घास-फस या खपरैल का छोटा मकान ।
३ भयावह, विकट । ४ वीर, बहादुर। -पु. हनुमान, ४ जागीरदारों की मर्दानी बैठक का कमरा । ५ छोटा बजरंग।
मंदिर । बंकनाळ, बंकनाळि, बंकनाळी-स्त्री० [सं वक्र-नलिका] १ स्वर्ण- | अंगस, बंगसी, बंगस्स-पु० [फा० बंगिश] १ एक पठान जाति व
कारों की छोटी नलिका जो पागे से मुड़ी हुई होती है । इस जाति का व्यक्ति । २ यवन, मुसलमान ।
२ सुषुम्ना नाड़ी। -वि० वि० देखो 'सुसुम्ना'। नंगा-पु०१ हाथ का आभूषण विशेष । २ देखो 'बंगाळ' । बंकवत्ती-स्त्री० [सं० वक्र-वर्तिका] टोपी के ऊपर लगी चोटी, | बंगार-देखो 'बधार'। किलंगी।
बंगारणी (बौ)-देखो 'बघारणी (बी)। बंकरी-पु० [सं० वक्र-हरि] हनुमान, महावीर ।
बंगारा-वि० [देश॰] १ बंगाल देश का । २ बंगाल से संबंधित । बंकाई-स्त्री० [सं० वक्र १ टेढ़ापन, बांकापन, तिरछापन ।। बंगारी-स्त्री० [सं० वंग-परि] हरताल । २ बांकुरापन, विशेषता ।
बंगाळ-पु० [सं० वंगा] १ भारत का एक प्रान्त । २ बादशाह । बंकार (क)-देखो 'बांको' ।
३ मुसलमान, यवनं । ४ असुर, राक्षस । ५ बंगाल प्रदेश बंकि-१ देखो 'बंक' । २ देखो 'बांकी' । ३ देखो 'बांको'। का घोड़ा । ६ वाम पक्ष की सेना । ७ एक रागिनी विशेष । बकियो-पु. १ स्त्रियों के बाहु का एक आभूषण विशेष ।। -वि० बड़ा, महान् । २ देखो 'बांकियौ' । ३ देखो 'बांकी।
बंगाळिका-स्त्री० मेघ राग की स्त्री एक रागिनी । बंकी-देखो 'बंक, बांकी, बांकी' ।
बंगाळिय, बंगाळी-वि० बंगाल का, बंगाल संबंधी।-पू०१ बंगाल बंकुर-देखो 'बांकी'।
देश का निवासी । २ यवन, मुसलमान । ३ महादेव, शिव । बंकुरता-देखो 'बंकाई'।
-स्त्री०४ बंगाल की भाषा । ५ एक रागिनी विशेष ।
बंगाळो-देखो 'बंगाळ'। बंको-देखो 'बांको'।
बंगू-पु. १ एक प्रकार की मछली। २ एक प्रकार का बंग-पु०१ एक देश का नाम । २ बंगाल का नाम । ३ यवन, खिलौना । ३ देखो 'बरघू' ।
मुसलमान । ४ रहस्य, भेद । ५ एक वाद्य विशेष । ६ पहाड़ | बंगेस्वरी-स्त्री०१बंग देश की देवी । २ एक रागिनी। की घाटी, दर्रा । ७ देखो 'वंग' ।
३ देखो 'वागीस्वरी'। बंगड़-पु. १ हाथी के दांत के ऊपर लगने वाला धातु का छल्ला, बंघोटी-वि० बांधने वाली।
बंद । २ धातु का छल्ला । ३ इसी तरह लोहे या पीतल बंचक-देखो 'वंचक'। के बने छोटे-बड़े छल्ले जो यथा अवसर काम आते हैं । | बंचकता-देखो 'वंचकता' । ४ देखो 'बांगड़ौ'।
बंचरणा-देखो 'वंचना' । बगड़ा-स्त्रा० १ एक प्रकार का प्राभूषण । २ एक प्रकार का बचणी (बी)-देखो 'वंचरणी' (बी)।
खिलौना । ३ नैचे के मध्य का उभरा हुमा भाग । बंचत-१ देखो 'वांछित' । २ देखो 'वंचित' । ४ देखो 'बंगड़' । ५ चूड़ी पर लगने का बंद ।
बंचारणी (बौ) देखो 'बचाणो' (बौ)।
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बंचित
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( १५६ )
बंचित-देखो 'वंचित' ।
बंधक - १ देखो 'वंछक' । २ देखो 'वंचक' |
छण (ब) - देखो 'बंछणी' (बी) ।
दाणी (बी) देखी छाणी' (यो) बछासुर - देखो 'वत्सासुर' ।
बंधित देखो 'वांछित'।
बच्चा देखो 'बांछा"।
1
जड़ बंजर वि० [सं० बंध्या] जहां उपज या पैदावार न होती हो, ऊसर । - भूमि-स्त्री० ऊसर भूमि । बिना उपज वाली कृषि भूमि । जवाड़-० नुकसान, हानि। बंजारा देखो 'बिराजारा' । बंजारी- देखो 'बिणजारी' । बंभ, वंश्या- देखो 'बंध्या' । बंट-देखो 'वंट'।
बेंट |
बंटक - पु० किसी उपकरण का दस्ता,
दिया
बंटी (बी) क्रि० [सं० [ब] १ विभाजित होना, अलग-अलग हिस्सों में होना । २ वितरित होना, बांटा जाना जाना । ३ पीसा जाना, बंटाई होना । बंटवाई देखो 'बंटाई
बटवाड़, बंटवाड़ौ, बंटवारी - पु० [सं. वंट + पाटक] १ बांटने, विभाजित करने आदि का कार्य, विभाजन, बंटवारा। २ विभाजित भाग या हिस्सा
बंटाइयत देखो 'बंटायत' ।
बरपकड - पु० एक वृक्ष विशेष ।
बतळ - देखो 'वंतळ' |
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मंडी - ०१ बिना बांहों का बनियान या कमीज २ देखो 'बंदी, बांडी, वांडी' ।
बंदांमी
बत्रीस - देखो 'बत्तीस' ।
बंद वि० [फा०] १२ प्रतिबंधित ३ जो चारों प्रोर या किसी भी प्रोर से खुला न हो । ४ जिसके मुंह पर डाट या ढक्कन लगा हो । ५ जिसका कोई मुंह न हो । ६ जिसका द्वार जड़ा हुआ हो। ७ जिसका कार्य, गति या उद्योग चालू न हो जो गतिमान न हो, रुका हुआ । स्थिर εजिसका प्रचलन रुक गया हो, जो चलन में न हो । १० जो मुक्त या प्राजाद न हो ।
। ८
११ बन्धन में पड़ा हुआ। पु० १ बांधना क्रिया या भाव बंधन । २ रंगाई के समय कपड़े को स्थान-स्थान से बांधने की क्रिया । ३ पगड़ी बांधने का एक ढंग । ४ चुनाई की मजबूती के लिये दीवार के बीच-बीच में लगाई जाने वाली पट्टियां । ५ स्त्रियों के हाथ का प्राभूषरण विशेष । ७ विबंध श्रानाह, कब्ज । ७ देखो 'बंध' ।
बंदक- वि० १ बंधन युक्त । २ देखो 'बंधक' ।
बंदगी - स्त्री० [फा०] १ ईश्वर वंदना, ईश्वर भक्ति । २ सेवाशुश्रूषा अभिवादन, सलाम। बंदगोभी- स्त्री० पत्ता गोभी, करमकल्ला, एक शाक । बंदड़ी-१ देखो 'बांदी' । २ देखो 'बनी' ।
बद-१ देखो 'बंदन' २ देखो 'बंधन' । बंदना - देखो 'वंदना' ।
बंदरिया - वि० १ वंदना या आराधना करने वाला । २ बंधन में श्राने वाला । ३ देखो 'बंधन' । ४ देखो 'बंधणी' |
बंटाई स्वी० १ बांटने का कार्य बंटवारा विभाजन २ वित्तरण । ३ पीसने का कार्य, पिसाई ४ इस कार्य का पारिश्रमिक | बंटाली (बो-०१ विभाजित कराना, अलग-अलग हिस्सों में बंदगी-१ देखो 'बंधणी' २ देखी 'बंधन' क्रि० । । कराना । २ वितरित कराना, बंटवाना । ३ पिसवाना | बंदी (बी) १ देखो 'बंदी' (बो) २ देखो 'बंध' (बी)। बंडायत पु० हिस्सेदार, भागीदार, साझीदार । बंदन - १ देखो 'बंधन' । २ देखो 'बंदन' | भंडारा - वि० १ विभाजन या बंटवारा करने वाला २ हिस्से बंदनमाळ-देखो 'वांदरमाळ' । बनाने वाला । ३ वितरण कराने वाला । ४ पीसने वाला । बंदना - देखो 'वंदना' । बंटाव (बी) देखो 'बंडाणी' (बी)
|
बंटी - स्त्री० हिरन आदि पशुओंों को फंसाने का जाल या फंदा ।
बंदर ०१ बन्दूक चलाने का खटका २ देखो 'बंदरगाह' ३ देखी 'वांतर' |
- ०१ बच्चों के खेलने की काच की गोली २ देखो 'बोटी' बंदरगाह पु० [फा०] समुद्र के किनारे जहाजों के ठहरने का
।
स्थान ।
बंटी बंड - वि० १ चंचल, उद्दण्ड, बदमाश । २ देखो 'वांडो' । ३ देखी 'बांडी' । ४ देखो 'बंडो' ।
मंडळी स्त्री० व्यक्तियों का समूह, दल, मण्डली ।
मंडियो-देखो 'बंडी' ।
बंडी - स्त्री० १ प्राचार प्रादि रखने का, चीनी मिट्टी का पात्र विशेष । २ देखो 'बंडो' ।
बंदरमाळ मंदवाळ, बंदरवाळ बंदराळ-देखो 'बदरमाळ'। बंदरियो - पु० १ बढ़ई की कबानी का एक भाग । २ देखो 'बंदर' । ३ देखो 'वांनर' ।
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दळी० [सं० विदुः] स्त्रियों का एक माभूषण । बंद - देखो 'बंधु' ।
बंदवामी-देखो 'वामीबंद' ।
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बंक्वीर
( १५७ )
बंधरण
बंदवीर-वि० जिसकी वंदना की जाय, बंदनीय ।
बंदोबस्त-पु० [फा०] १ इंतजाम, प्रबंध, व्यवस्था । २ कृषि बंदवी-देखो 'बंधु' ।
भूमि की नपाई का कार्य । ३ कृषि भूमि पर कर निर्धारित बवसाळ-स्त्री० [सं० बंध-शाला] बंदीगृह, जेल ।
करने वाला विभाग । बंदारण-देखो 'बंधारण'।
बंदोर-पु. कैदी। बंदांणी-देखो 'बंधांणी'।
बंदोरी-देखो 'बंदोळो' । बंदारणो(बी)-१ देखो 'वंदाणौ' (बी)। २ देखो 'बंधारणी' (बी)। बंदोळी-स्त्री० [स. वंदवल्ली] विवाह के पहले दिन की संध्या बंदारक-देखो 'वदारक'।
___ को होने वाला उत्सव या कार्यक्रम विशेष । बंदारा-स्त्री० रंगाई का कार्य करने वाली एक जाति । नंदोळी-पु० विवाह के पूर्व वाले दिनों में इष्ट-मित्र या सगे बंदारौ-पु० उक्त जाति का रंगरेज ।
- संबंधियों द्वारा दूल्हे या दुल्हिन को दिया जाने वाला भोज । बंदावरणी(बी)-१देखो बंधाणी' (बौ) । २ देखो'वंदाणी' (बी)। बदोपस्त-देखो 'बंदोबस्त'। बंदि-देखी 'बंदी'।
बंदी-पु० [फा० बंद] (स्त्री० बंदी) १ सेवक, दास । २ नौकर, बंदिग्रण, बंदिप्राण-देखो 'बंदीजण' ।
अनुचर । ३ भक्त । ४ कृपा पात्र । ५ स्वयं के लिए एक बंदिखांनौ-देखो 'बंदीखांनौ' ।
सम्बोधन, एक शब्द । ६ देखो 'बांध' । विजण, बंदियण, बदियांण-देखो 'बंदीजण' ।
बंदी-देखो 'बंदी'। बंदिरण, बंदिन-पु० [सं० वंदिन] १ बन्दीजन, भाट । २ कैदी। बंद्रवाळय-देखो 'बांदरमाळ' । ३ देखो 'वंदन'।
बंध-पु० [सं० बंधः] १ बांधने की क्रिया, भाव या ढंग । बंदिवस-स्त्री० [फा० बंदिश] १ बांधने की क्रिया या भाव । २ बंधन । ३ डोरी, रस्सी, जजीर। ४ फीता, कस्सा, २ बधन रुकावट ।।
डोरा । ५ गांठ, ग्रंथि । ६ कैद । ७ लगाव, फंसाव । बंदी-पु० [सं० वंदिन] १ बंदीजन, भाट । २ कैदी। ८ संबंध, मेल । ६ प्राड, रोक, रक्षा, सहारा । १० मर्यादा, ३ नियमित चलने वाला कार्य । ४ देखो 'बांदी' ।
सीमा । ११ तट, किनारा। १२ चौखट । १३ लकड़ी बंदीप्रण, बंदीआंण-देखो 'बंदीजण'।
प्रादि के सिरे पर मजबूती के लिये लगाया जाने वाला बंदीखांनो-पु० [फा० बंदीखांन] कैदखाना, बंदीगृह ।
धातु का गोल छल्ला । १४ युद्ध के नियम, कलाएँ बदीगी- देखो 'बंदगी'।
१५ शरीर । १६ शरीर का गठन । १७ लगान, कर, टेक्स । बंदीघर-पु० [फा० बंदी+सं० गृह] कैद खाना, कारावास । १८ जाल । १९ संकट । २० संग्राम। २१ अस्त्र-शस्त्र । बंदीजण,बंदीजन,बंदीयण-पु० [सं०वन्दिन्+जन] १ विरुदावली २२ जोड़, जुड़ाई । २३ बनावट, रचना। २४ प्रबन्ध पढ़ने वाला भाट । २ याचक ।
काव्य रचना । २५ काव्य-छंद का एक भेद । २६ चित्र बंदीवान-पु० [सं० बंदी+वत्] १ कैदी। २ याचक । ३ भाट काव्य में छंद रचना । २७ मैथुन संबंधी एक आसन । बंदीजन।
२८ योग साधना की कोई मुद्रा । २९ साहित्य में निबंध बंदुकची-देखो 'बंदूकची'।
प्रादि की रचना । ३० किसी जलाशय का बांध । ३१ परिबंदुबस्त-देखो 'बंदोबस्त'।
माण या महत्ता सूचक एक प्रत्यय शब्द । ३२ मलबंधी, बदूक, बंदूकड़ी-स्त्री० [अ०] नलीदार अस्त्र (यंत्र) जिसमें कब्जियत । ३३ परिणाम, हल, नतीजा। ३४ परिस्थिति ____ गोली और बारूद भर कर छोड़ा जाता है।
अवस्था । ३५ जिसके द्वारा कर्म और आत्मा क्षीर-नीर बंदूकची-पु० [अ० बंदूक+तु० ची] १ बंदूक चलाने वाला की तरह एक हो । ३६ सम्प्रदाय सूचक शब्द । ३७ बहत्तर
व्यक्ति, योद्धा। २ बंदूक की सफाई करने वाला व्यक्ति । कलामों में से एक । ३८ देखो 'बधु' । ३९ देखो 'बद' । ३ बंदूक बनाने वाला लोहार ।
४० देखो 'बांध'। बंदूकिया-स्त्री० बंदूक बनाने का व्यवसाय करने वाली जाति ।
है |बंधक-वि० [सं०] १ बांधने वाला । २ पकड़ने वाला । ३ तोड़ने,
भंग करने वाला। -पु०१ कैद । २ कैदी। ३ रेहन रखी बंदूकियो-पु० उक्त जाति का व्यक्ति ।
जाने वाली वस्तु । ४ धरोहर । ५ पट्टी । ६ बांध । बंदूख-देखो 'बंदूक'।
बंधक, बंधकी-स्त्री० [सं०] १ बदचलन या व्यभिचारिणी बंदेज-देखो 'बंधेज'।
___ स्त्री। २ वेश्या, रंडी । ३ देखो 'बंधक' । बंदोकड़ी, बंदोखड़ी, बंदोगड़ी-स्त्री०१ बंधन । २ रुकावट । | बंधकुस्ट-पु० कब्जियत, कोष्ठ बद्धता । ३ अटकाव । ४ नियंत्रण, कैद ।
| बधण-पु० १ खड्ग, तलवार । २ देखो 'बंधन'।
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बंधणियो
( १५८ )
बंधेज
बरिणयो-१ देखो 'बंधणौ' । २ देखो 'बंधन'।
बंधाड़णौ (बी), बंधारणी (बौ)-क्रि० १ बंधवाना, बंधन में बधणी-स्त्री. १ शरीर के संधिस्थलों को जोड़ने वाली नाड़ी। लिराना, बंधन युक्त कराना । २ रस्सी आदि के बंधन में २ रस्सी, डोरी।
डलवाना, फंदे में डलाना। ३ प्रवि या सम्पुट रूप में बंधणी-पु० [सं० बधन] १ रस्सा । २ देखो 'बंधन'।
कराना, गांठ बनवाना । ४ गट्टर बनवाना। ५ प्रतिबंध में बंधणौ (बो)-क्रि० [सं० बंधनम्] १ बंधन में आना, बंधना। कराना, अटकवाना । ६ प्रतिज्ञा या वचनबद्ध कराना । २ डोरी आदि के बंधन में प्राना,फंदे में पाना । ३ प्रटकना,
७ फंसवाना, उलझवाना । ८. स्वाद या रस लोलुप कराना, प्रतिबंधित होना । ४ प्रतिज्ञाबद्ध होना, वचनवद्ध
वशीभूत कराना । ६ आसक्त या मुग्ध कराना। १० क्रम होना। ५ फंसना, उलझना । ६ स्वाद-वशीभूत होना ।
या नियम निर्धारित कराना। ११ नियमित कराना । रसलोलुप होना। ७ आसक्त, मुग्ध या मोहित होना ।
१२ प्रचलन या पालन के लिये निर्धारित कराना । ८ क्रम निर्धारित होना । ९ नियमित होना । १० पालन
१३ सैन्य विन्यास कराना, सजवाना, गठित कराना । या प्रचलन के लिये नियत या निर्धारित होना। ११ सैन्य
१४ काव्य रचना करवाना । १५ धारण करवाना, शिर विन्यास होना, युद्ध के लिये सजना। १२ काव्य रचना
पर बंधवाना। १६ रंगाई के लिये वस्त्र को विशेष ढंग होना। १३ सिर पर साफा आदि बांधा जाना । १४ रंगाई
से बंधवाना । १७ स्थित कराना, स्थापित या स्थिर के समय वस्त्र को विशेष ढंग से बांधा जाना । १५ स्थिर कराना । १८ जुड़वाना, संलग्न कराना। १६ कूए प्रादि होना । १६ स्थापित होना । १७ जुड़ना, संलग्न होना।
की बंधाई कराना । २० बांध या दीवार बनवाना । १८ कूए आदि की बधाई होना। १६ तालाब, खेत आदि
२१ देखो 'वंदारणो' (बी)। के चारों ओर दीवार किया जाना । २० मैल या स्निग्धता
बंधारणौ, (बो)-देखो 'वधारणी' (बी)। के कारण परस्पर चिपकना, ग्रंथि बनना । २१ उत्तरदायित्व
बंधारा-देखो 'बंदारा'। में फंसना । २२ स्थाई संबंध होना । २३ देखो 'वंदणी'
बंधारी-देखो 'बंदारो'। (बौ) । २४ देखो 'बांधणो' (बौ)।
बंधालग-पु० [देश॰] एक प्रकार का कीमती वस्त्र विशेष । बंधन-पु० [सं० बंधनम्] १ बांधना क्रिया या भाव । २ बांधने
बंधावरणो (बौ)-देखो 'बंधाणो' (बौ)। का उपकरण । ३ रस्सा, रस्सी, डोरी । ४ वस्त्रों की
बधित-वि० [सं०] १ बंधा हुआ । २ प्रतिबंधित । ३ नियमित ।
४ कैद में पड़ा हुआ । ५ बंध्या, बांझ । रंगाई के समय विशेष रूप से बांधने का ढंग । ५ फसा रखने वाली वस्तु । ६ शरीर का गठन । ७ प्रतिबंध, रुका
बंधिनी-स्त्री० एक प्रकार की विद्या विशेष ।
नंधियो-देखो 'बंध'। वट । ८ हथकड़ी या बेड़ी। ९ जेल, कैदखाना। १० बांध
बंधी-देखो 'बंदी'। कर रखने का स्थान । ११ मानसिक रूप से बंधे रहने की |
बंधीखांनो-देखो 'बंदीखांनो' । अवस्था, भाव ।
बंधु-वि० [सं०] सहायक । -पु. १ पारिवारिक जन । २ भाई । बंधर-देखो 'बंधुर'।
३ नाते-रिश्तेदार । ४ दोस्त, मित्र । ५. 'बधु-जीवक' नामक बंधव-देखो 'बंधु'।
वृक्ष । बंधवरणौ (बी)-१ देखो बंधणी' (बौ) । २ देखो बांधणी' (चौ)। | बंधुता-स्त्री० १ भाई चारा, भ्रातृत्व, बंधुत्व । २ दोस्ती, बंधवौ-देखो 'बंधु'।
| मित्रता ।
बंधुर-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर । २ तरंगित, लहराता बंधारण-पु० [सं० बंधनम्] १ किसी कार्य के चलने की रीति,
हुआ । ३ टेढ़ा-मेढ़ा। नियम, परिपाटी। २ परंपरा अनुसार लेने-देने वाला धन,
बंधू-देखो 'बंधु'। वस्तु । ३ सृष्टि का नियम । ४ नियम । ५ कैद। ६ वचन
बंधूक-पु० [सं०] दोपरिया नामक वृक्ष । बद्धता । ७ रुकावट, बाधा । ८ व्यसन । ९ संगीत में ताल
बंधूजगत-पु० [सं. जगत्-बंधु] १ ईश्वर । २ सूर्य । का सम । १० देखो 'बंधन' । ११ देखो 'बंध' ।
बंधेज-पु० १ नियम में बंधा चलने वाला कार्य-क्रम । २. नियबंधारणी-वि० १ किसी बंधन में आया हुआ, वशीभूत । २ व्य- मित रूप से दिया जाने वाला द्रव्य या पदार्थ । ३ व्यवस्था, सनी, आदी । ३ विवश, लाचार । ४ कुछ क्रियाएँ नियमित
प्रबंध । ४ किसी वस्तु को रोकने या बांधने का ढंग । रूप से करने वाला।
५ वीर्य स्तंभन की युक्ति । ६ काव्य-प्रबन्ध । ७ व्यूह रचना । बंधांन-देखो 'बंधांग'।
८ रंगाई से पूर्व वस्त्र को बांधने का ढंग विशेष ।
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बंधोकड़ी
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( १५९ ।
९ इस प्रकार से बांध कर रंगा हुआ वस्त्र । १० देखो 'बंधरण' । ११ देखो 'बंद' |
बंधोकड़ी, बंधोखड़ी, बंधोगड़ी-देखो 'बदोकड़ी' । बंधी - १ देखो 'बंधु' । २ देखो 'बंध' । ३ देखो 'बांध' । गंध्य - वि० [सं०] १ बांधने व कैद करने योग्य । २ बंध्या । बंध्या-वि० [सं०] जिसके संतान न होती हो, बांझ
बाड़ी (बी) - क्रि० [सं० वम्भाषणम् ] १ जोश पूर्ण आवाज करना । २ रंभाना । ३ चिल्लाना, जोर से पुकारना । ४ रुदन करना, रोना ।
बंबार - वि० गहरा, बड़ा पु० १ शस्त्र का घाव या छेद । २ बड़ा पाव ३ देखो 'बा'
बंबारी - पु० १ उदर, पेट । २ बड़ा खड्डा । ३ देखो 'बंबार' | बंबाळ वि० (स्त्री० बंबाळी) १ प्रचंड, भयंकर २ तेज, तीव्र
३ जबरदस्त, महान् । ४ लाल, रक्ताभ । ५ भयावह, भयप्रद । ६ लथपथ, तर । ७ तेजस्वी । - पु० १ सिंह । २ सूर्यं । ३ नगाड़ा । ४ सांसारिक प्रपंच, झमेला । ५ ढोंग, पाखण्ड । ६ उत्तरदायित्व, बोझा । ७ झुण्ड समूह । ८ ऊंटों की एक जाति व इस जाति का ऊंट । ९ समुद्र । १० गुच्छा । ११ देखो 'बंब' ।
'बाळ-देखो 'बंबाळ' |
मंत्री
बालियो, बंबाळी- वि० १ प्रपंची, झमेले में पड़ा हुआ । २ देखो 'बंबाळ' |
बवि. बंबी पु० [सं० विवर ] १ नगाड़ा २ सर्प । ३ सर्प का बिल विवर । ४ बंद बारी से सामान निकाल कर देखने
का उपकररण, परखी।
-स्त्री० बांझ स्त्री या मादा पशु । बंनी १ देखो 'बनी' । २ देखो 'वन' |
रंगोली देवो बंदोळी |
बंनोळी- देखो 'बंदोळौ' ।
वि० [सं० [ब] रक्ताभ, साल १० १ सूर्य, रवि २ प्रतिबिंब चमक । ३ खून । ४ ररगनाद । ५ आवाज, ध्वनि । ६ ढोल । ७ नगाड़ा। दुदुभि । [अं०] ९ बारूद का गोला । [ अनु०] १० शिव भक्तों का एक उच्चारण 'बं बं महादेव' । ११ देखो 'बिब' । १२ देखो 'बंबळी' | क० रक्त न २ नगाड़ा बराळ-वि० १ को पूर्ण क्रुद्ध २ विकराल, भयंकर, बंमहत्या देवो 'ब्रह्महत्या' क्रोष जबरदस्त । ३ जोश पूर्ण । ४ लाल । बंबळ - वि०
बंगलोक, बंगलोग देखी 'ब्रह्मलोक'
० लाल ।
देवो'बंदी'।
देखो 'बाळ' ।
बबूळी- देखो 'बांवळी' ।
ब बौ-पु० १ पानी का बड़ा नाला २ गंदे पानी का नाला ३ स्रोत |
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मंड- देखो 'ब्रह्म' ।
बम - १ देखो 'ब्रह्मा' । २ देखो 'ब्राह्मण' । ३ देखो 'ब्रह्म' | ४ देखो 'बंब' ।
।
पंचांग-१ देखो 'बा' २ देखो 'ब्रह्म' ३ देखी 'ब्राह्मण' बंभार - देखो 'बंबार' ।
- स्त्री० । बळी मी० १ युद्ध में बजने वाला एक बाजा २ देखो मि बंधी-१ देखो 'ब्राह्मण' २ देखो 'भोगी' [३] देखो बंदी' । । ।
'बांवळी' ।
ब्रह्म २ महादेव ब्राह्मणों
बमेसर पु० [सं०] ब्रह्म-ईश्वर] का स्वामी ।
बहर- पु० १ सूर्य, भानु । २ महादेव ।
बंबाड़-पु० [सं० भाष्] १ चिल्लाहट, पुकार २ जोरदार
मणि-१ देवो 'ब्रह्मा' २ देखो 'ब्रह्मा' ३ देखो 'ब्राह्मण'। या देखो 'ब'
ध्वनि । ३ जोश पूर्ण आवाज । ४ रंभाने की क्रिया या भाव ५ देखो 'मोबाइ
बंयाळी, बंयाळीस - वि० [सं० द्विचत्वारिंशत् ] चालीस व दो, बयाली 1 -पु० चालीस व दो का श्रंक व संख्या, ४२ । बंयाळीसमौ (व) - वि० बयालीस के स्थान वाला, इकतालीस के
बं भगवाड़ - पु० [सं० ब्राह्मण पाटक] एक देश का नाम । गंभदेव - देखो 'ब्रह्मदेव' ।
बंसल
बंभर ५० [सं० विवर ] १ बड़ी गुफा कंदरा २ बड़ा छेद ३ देखो 'बंबार' |
बाद वाला ।
बंगाळीसी, बयाळी, बंयालो - पु० बयालीस की संख्या का वर्ष । बयासियो - पु० बंयासी की संख्या का वर्ष । बयासी - वि० [सं० द्वयशीति] अस्सी व दो, बंयासी । -पु० अस्सी व दो की संख्या, ८२ ।
बंयासी क- वि० बंयासी के लगभग |
बंयासीमो (व) - वि० बयासी के स्थान वाला, इक्यासी के
う
बंबळी- देखो बांवळ' ।
बाद वाला ।
बंरड करणाँ (बौ) देखो 'बड़कणौ' (बी) ।
*
सक-देखो 'वंसक । बंसज - देखो 'वंसज' ।
सब देखो 'सव' ।
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बस - १ देखो 'वंस' । २ देखो 'वंसी' । ३ देखो 'बांस' | - बेतर 'वंसखेतर' ।
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बंसभाई
( १६० )
बकमक
बंसमाई-देखो 'वंसभाई'।
बइसावरणौ (बो)-देखो 'बैसाणी' (बी)। बसरी, बंसळी-१ देखो बंसी' । २ देखो बांसरी'। ३ देखो'वंसी'। | बहन-देखो 'बहन' । 'बंसलोचन-देखो 'वंसलोचन' ।
बई-स्त्री० १ चड़स खींचने के जूए के ऊपर-नीचे लगने वाली सा-१ देखो 'वंसा' । २ देखो 'बांस' ।
लकड़ी। २ देखो 'बही'। बंसाबळियो, बसाबळीयो, बंसावळियौ-देखो 'वंसावळियो' । | बईपर-१ देखो 'बैर' । २ देखो 'बोर'। ३ देखो 'वर'। बसावळी-१ देखो 'वंसावळी' । २ देखो 'वासावळी' । बईअरि,बईपरी-१देखो'बर'। २ देखो 'वैरी' । ३ देखो 'वर' । बसी-स्त्री०१ मछली पकड़ने का कांटा । २ देखो 'वंसी' । बईकुठ-देखो 'वैकूठ'। __ ३ देखो 'बांसरी'। -धर, धरण='वंसीधर' ।
बईठणो (बो)-देखो 'बैठणी' (बौ)। बंसीघर-देखो 'वंसधर'।
बईठाणी (बी), बईठावरणौ (बी)-देखो 'बैठाणी' (बी)। बहाळ, बहाळो-देखो 'बांहाळो'।
बईमांन-देखो 'बेईमान' । ब-पु० [सं०] १ बोल । २ नीम का फल । ३ ववकरण । बईमांनी-देखो 'बेईमानी'।
४ कलस । ५ प्लुत स्वर । ६ संग्राम । ७ प्रवेश । ८ बुनावट | बईयर-१ देखो 'बैर' । २ देखो 'वर'। ३ देखो 'बोर'। ९ बुवाई। १० वरुण । ११ योनि । १२ समुद्र । १३ जल । बईयरि (री)-१ देखो 'बैर'। २ देखो 'वैरी' । ३ देखो 'बोर'।
१४ गमन । १५ तंतुसंतान । १६ सूचना । -वि० चमकयुक्त । बईयासी-देखो 'बंयासी'। बनरि, बपरी-१ देखो 'बोर' । २ देखो 'बैर'।
बईयो-देखो 'बइयो' । बसिरणौ (बी)-देखो 'बसणो' (बी)।
बईर-१ देखो 'बर' । २ देखो 'वर' ३ देखो 'बोर'। बइन, बइंनड़, बइंनड़ी, बइंनड, बइंनडी-देखो 'बहन'। बईरण, बईरणी-१ देखो 'वैरण' । २ देखो 'बर'। बइकार-पु. १ बाजा बजाने वाला व्यक्ति । २ देखो 'बेकार' । बईरी-१ देखो 'वैरी' । २ देखो 'वैर'। बइट्टक-देखो बैठक' ।
बईस-देखो 'वैस्य'। बइठ्ठरणी (बौ)-देखो 'बैठणी' (गो)।
बउ-देखो 'बहु'। -खीचड़ी='बहुखीचड़ी' । -बंदोळीबइठ्ठारो (बी)-देखो 'बैठाणी' (बौ)।
'बहुबंदोळौ'। बइठक-देखो 'बैठक'।
बउर-देखो 'बोर' । बहठरण, बइठरणी-पु. बैठने का ढंग, बैठने का प्रासन । बउरात-देखो 'बहुरात'। बइठरणी (बो)-देखो 'बैठरणो' (बी)।
बउरि, बउरी-देखो 'बोर' । बइठारणी (बी)-देखो 'बैठारणो' (बी)।
बउलारणी (बी), बउलावरणौ (बी)-१ देखो 'बोलाणी' (बी)। बइठ्ठणी (बौ)-देखो 'बैठणो' (बी)।
२ देखो 'बुलाणी' (बौ)। बइठ्ठारो (बी)-देखो 'बैठाणी' (बी)।
बउलोच-देखो 'बलोच'। बताळीस, बइतालीस-देखो 'बयाळीस'।
बऊ, बऊड़ी-देखो 'बहू'। बइयर, बइयरि बइयरी-१ देखो 'बैर' । २ देखो 'वर' । बऊजी-देखो 'बहूजी'। ३ देखो 'वैरी । ४ देखो 'बोर' ।
बोत्तर-वि० [सं० द्विसप्तति] सत्तर और दो, बहत्तर । बइयो-पु० [सं० वयनम्] एक प्रकार की छोटी चिड़िया ।
-पु. सत्तर व दो की संख्या, ७२ । बइर-१ देखो 'बैर'। २ देखो 'वर' । ३ देखो 'बोर'।
बनोत्तरमों (वौं)-वि० बहत्तर के स्थान वाला, इकत्तर के बाद बहरण, बहरणी-१ देखो 'वैरण'। २ देखो 'बैर'।
वाला। बइरी-१ देखो 'वैरी' । २ देखो 'बर'। ३ देखो 'बोर'। बइल, बइल्ल-देखो 'बैल'।
बोत्तरी-पु० बहत्तर का वर्ष । बइस-देखो 'वैस्य।
बक-वि० [सं० बकः] (स्त्री० बकी) १ बगुले के समान श्वेत । बइसक-देखो 'बैसक'।
२ बक ध्यानी, ढोंगी, पाखण्डी। -पु. १ जल जन्तुषों बइसपो-देखो 'बैसों'।
का शिकार करने वाला एक श्वेत व बड़ा पक्षी । २ पुष्प । बइसणौ (बी)-देखो 'बैसणो' (बी)।
३ अगस्त्य नामक वृक्ष व उसका फूल । ४ कुबेर । ५ भीम बइसारणी (बो)-देखो 'बैसाणो' (बी)।
द्वारा वधित एक असुर । ६ कंस का अनुचर एक राक्षस । बहसारणी (बौ)-१ देखो 'बैसाणो' (बी) । २ देखो। ७ देखो 'बाको'। ८ देखो 'बख'। 'विसारणी' (बो)।
बकझक-पु. बकवाद, प्रलाप । व्यर्थ का विवाद ।
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बकट
बकाई
बकट-देखो विकट' ।
बकरियो-पु. बकरी का बच्चा । छोटा बकरा । बकरणी-स्त्री० बकने की क्रिया या भाव ।
बकरी-त्री० दो थन बाला दूधारू, छोटा चौपाया मादा पशु । बकरणौ (बी)-क्रि० [सं० वच्] १ कहना, बोलना । २ उपदेश बकरीद-देखो 'बकरा ईद' ।
देना । ३ अधिक बोलना, व्यर्थ बकना । ४ हल्ला करना, बकरी-पु० [सं० वर्कर] (स्त्री० बकरी) लम्बे बालों व दो चिल्लाना । ५ अचेतन अवस्था में बड़बड़ाना । ६ प्रलाप सींगों वाला चौपाया छोटा जानवर । बकरा।
करना, बड़बड़ाना । ७ विलाप करना , रुदन करना । बकवती-स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी । बकत-१ देखो 'बखत' । २ देखो 'वक्त' ।
बकवाद-स्त्री० [सं० वच्+वाद] १ व्यर्थ बोलने या बकने की बकतर-देखो 'बखतर' ।
क्रिया या भाव । २ सारहीन बात, प्रलाप। ३ व्यर्थ का बकता-देखो 'वक्ता'।
वाद-विवाद । ४ विवाद, हुज्जत । ५ शेखी, डींग । बकतावर-देखो 'बखनाबर'।
६ भागड़ा, तकरार। बकत्तर-देखो 'बखतर'।
बकवावी-वि० १ व्यर्थ बोलने वाला, बकने वाला । २ प्रलापी। बकत्तावर-देखो 'बखतावर'।
३ विवादी । ४ शेखी मारने वाला, डींग हांकने वाला। बकत्र-देखो 'वकत्र'।
बकवास-देखो 'बकवाद'। बकध्यान-पु० [सं० बक-ध्यान] बगुले की तरह का दिखावटी बकवती, बकवत्ती-वि० [सं० बकवृत्ति] १ बुगले के समान ध्यान, ढोंग, पाखण्ड ।
अपने शिकार की ताक में शांत बैठने वाला । २ मौका बकध्यांनी-वि० [सं०] १ ढोंगी, पाखण्डो। २ छली, कपटी, धूर्त । पाकर घात करने वाला। ३ ढोंगी, पाखण्डी, छलिया । बकपंचक-स्त्री० [सं०] कात्तिक शुक्ला ग्यारस से पूर्णमासी -पु० उक्त प्रकार के चरित्र वाला व्यक्ति । तक की तिथियां।
बकस-१ देखो 'बक्स'। २ देखो 'वक्ष' । बकबक-देखो 'बकझक' । .
बकसरणी (बी)-क्रि० [फा० बख्श] १क्षमा करना, माफ करना। बकबकरणो (बी)-देखो 'बकरणौ' बो)।
२ इनायत करना, पुरस्कार देना । ३ दया पूर्वक छोड़ बकबाद-देखो 'बकवाद' ।
देना, मुक्त करना । ४ देना, वितरण करना । बकमारण-पु० [सं०] १ बकासुर को मारने वाले, श्रीकृष्ण ।
बकसारणी (बी), बकसावरणौ (बी)-क्रि. १ क्षमा कराना, माफ २ भीम।
कराना । २ इनायत कराना, पुरस्कार दिलाना । ३ दया बकमौन-देखो 'वकध्यांन'। बकमौनी-देखो 'बकध्यांनी' ।
पूर्वक छुड़ा देना, मुक्त कराना । ४ वितरण कराना। बकयंबलि-स्त्री० एक वृक्ष विशेष ।
बकसी-पु० [फा० बख्शी] शाही सेना का प्रमुख अधिकारी जो बकयली-स्त्री. एक वक्ष विशेष ।
सेना के कार्यों के प्रति उत्तरदायी रहता था और सैनिक बकर-पु० [अ०] १ गाय । २ देखो 'बकरौ' ।
गति-विधियों में बादशाह को परामर्श देता था। बकरकसाई-वि० [अ० बकर-कस्साव] गौ वधिक, गौ हिंसक । बकसोजागीर-पु. १ जागीर की व्यवस्था या प्रबन्ध का महकमा। बकरडौ-देखो 'बकरौ।
२ इस विभाग का अधिकारी। बकरणो (बी)-क्रि० १ अपनी ग़लती या भूल कबूल करना, | बकसीफौज-पू०१ सेना की व्यवस्था व प्रबंध वाला महमा ।
मानना । २ गुप्त बात कहना, भेद प्रकट करना। ३ मुश्किल २ इस विभाग का अधिकारी। से सत्य बोलना । ४ बोलना, चिल्लाना।
बकसीस-स्त्री० [फा० बख्शिश] १ दान । २ इनाम, पुरस्कार, बकराईद-पु० [अ०] एक मुस्लिम त्यौहार ।
इनायत । ३ देने की क्रिया । ४ प्रस्तुत करने की क्रिया । बकराड़ियो-पु० बकरी या भेड़ के बच्चों को रखने का स्थान । बकारण, बकांरिण, बकारणी-पू०१ एक प्राचीन देश । २ देखो बकरारणी (बो)-क्रि० १ गलती मंजूर करवाना, भूल कबूलवाना। 'बकायन' । ३ देखो 'बखाण' ।
२ गुप्त बात या भेद प्रकट कराना। ३ सत्य बुलवाना । बकांनी-स्त्री० १ दाढ़ी के बालों को ठीक जमाये रखने के लिये ४ बुलवाना, चिल्लाटी कराना ।
बांधी जाने वाली कपड़े की एक पट्टी । २ ऐसी पट्टी बांधने बकराबाव-पु० एक प्रकार का सरकारी कर ।
की क्रिया। बकराळ, बकराळो-देखो 'विकराळ' ।
बकाइन-देखो 'बकायन'। बकरिपु-पु० [सं०] १ बकासुर का शत्रु, भीम । २ श्रीकृष्ण। बकाई-स्त्री० हकला कर बोलने की क्रिया, हकलाहट ।
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बकारी
कारण (ब) देखो 'वाकार' (वी)।
बकारि पु० [सं० बक- श्ररि ] १ श्रीकृष्ण । २ भीम ।
काल- देखो 'बक्काल' ।
कारणौ (at) - क्रि० १ कहलाना, बोलाना । २ हल्ला कराना चिल्लाने के लिये प्रेरित करना । ३ प्रलाप कराना, बकवाद कराना, बकझक कराना । कारण- देखो 'बकायन' |
बकायन ० नीम की जाति का एक वृक्ष, महानिम्ब । बकाया वि० [प्र० कायः] बचा हुआ
1
1
२ देखो 'यक्ष'
१ बाकी निकलने वाला धन ऋण राशि । ३ बचत । ४ कार्य का शेष रहा भ्रंश । बस पु० [पं०] १ पेटी. सन्दूक प्रकार - ० [सं०] १'प' वर्ग का तृतीय वर्ण 'ब' २ देखो बक्सर (बी) - देखो 'बकसणी' (बी) | 'वाकार' । ३ देखो 'बकारि ' । बक्सारणी (बौ) - देखो 'बकसारणी' (बी) ।
।
।
बक्सी देखो 'बसी ।
धवशिष्ट शेप ५०
।
1
२ चुकाने लायक धन
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( १६२ )
बकासुर - पु० [सं०] १ भीम द्वारा मारा गया एक दैत्य । २ श्री कृष्ण द्वारा वधित एक प्रसुर ।
afeat - देखो 'बखियो' |
बकी, बकु वि० बकने वाला, बकवादी स्त्री० [सं०] १ बका सुर की बहन पूतना २ देखो 'क' agat - देखो 'बुगचौ' ।
बकुल- पु० [सं०] १ मौलसिरी का वृक्ष । २ इस वृक्ष का फल या फूल ।
बकुली-देखो''।
बल - वि० १ अधिक बोलने वाला बकने वाला । २ देखो 'बल' ।
केसर - पु० १ भूत, प्रेत । २ देखो 'बकासुर' |
बकैल- १ देखो 'बकेल' । २ देखो 'बघेल' ।
बकौरी - वि० बकवादी, प्रलापी वाचाल, बातूनी । (ब) देखो 'बकणी' (वी)।
बक्कतर - देखो 'बखतर' ।
बक्कर- १ देखो 'बकर' । २ देखो 'बकरौ' ।
बरियो-देखो बकरियों' |
बक्करौ- देखो 'बकरी' ।
बकोट - पु० [सं०] १ बगुला । २ सारस । ३ काग ।
कोर - पु० १ पक्षियों का कलरव । २ बतखों की ध्वनि । ३ बकवाद, प्रलाप । ४ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला बो-देखो 'बाको
बक्कल - १ देखो 'बकल' । २ देखो 'वल्कल' ।
बक्काल पु० [०] किराणा का परचूनिया दुकानदार
१ बेवकूफ, मूर्ख । २ डरपोक ।
बनकी देखी 'बी' ।
aret - देखो 'बाको' ।
बक्ल, बक्खळ - १ देखो 'बख' । २ देखो 'वक्ष' ।
वि०
बखाबखां देखो 'घास' ब- देखो 'व' । —तुंड = 'वक्रतु'ड' | बोवर-देखो 'व्रकोदर' । बक्षी-देखो 'बसी' |
बोजागीर देखो 'बसीजागीर' । बक्षीफोन देखो 'बकसीफोन' | बक्षोज - देखो 'वक्षोज' ।
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बक्सीस- देखो 'बकसीस' ।
बख पु० [सं० पक्ष] १ यावदेव
२ युक्ति, उपाय ३ कुश्ती का दाव । ४ वश, काबू । ५ अवसर मौका । ६ मभ्यास । ७ रोमावली । ८ देखो 'विस' ।
बखतैत
बखड़ी - स्त्री० [सं० वक्षटि] १ व्यर्थ की उठा-पटक, हाथापाई । २ व्यर्थ की मेहनत । ३ वश काबू | ४ पकड़, शिकंजा । ५ देखो 'बख' ।
"
बखली कि०वि० १ अधिकार या कब्जे में वश में २ पकड़ में बखत पु० [फा० बखत] १ भाग, किस्मत, सौभाग्य । २ देखो 'वक्त' ।
बखतधर, बखतधारी - वि० सौभाग्यशाली, भाग्यवान ।
बखतबळ, बखतबळी - पु० [फा० बख्तवरी] प्रबल भाग्य । खुश नशीबी - वि० सौभाग्यशाली, भाग्यवान। कि०वि०
यथासमय ।
बखतब वि० हतभाग्य, भाग्यहीन ।
बखर - पु० [फा० बखतर] कवच, सनाह । - खांनौ-पु० कवच आदि रखने का स्थान । -पोस - वि० कवचधारी । बचतरिवी, बखरी- पु० १ कवच धारी योद्धा या व्यक्ति । २ अंगरखा । ३ देखो 'बखतर' ।
बचत
डाळ-वि० [फा० बत+सं०यंत] सौमाध्य शाली, भाग्यवान । वि० सम्पन्न, धनाढ्य । भाग्य शाली, खुशहाल ।
बचतविद वि० [फा० बसतेसंद] जिसके भाग्य का सितारा चमक रहा हो। पु० अच्छा भाग्य, सौभाग्य 1 बचतावर वि० [फा० बस + सं० वंत ] भाग्यशाली, सौभाग्यशाली |
बख्त
बखतावरी - स्त्री० [फा० बख्तावरी ] १ खुश किस्मती, सौभाग्य । २ धनाढ्ता सम्पन्नता ।
.
बखति बखती देखो 'बचत'।
बचत वि० अपने समय का वीर प्रभावशाली, भाग्यशाली ।
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बखधर
( १६३ )
बगल
बखधर-देखो 'विसघर' ।
बग-पु० [सं० पदक] १ डग, कदम । २ देखो 'बाग' । ३ देखो बखधारी-देखो 'विसधारी' ।
'ब' । ४ देखो 'बुग' । ५ देखो 'वगर' । बखम-देखो विसम'।
बगाती-पु० अशुभ रंग का एक घोड़ा । बखसणी (बो)-देखो 'बकसणी' (बी) ।
बगग-स्त्री० ध्वनि विशेष । बखसारणी (बौ), बखसावरणौ (बो)-देखो 'बकसाणौ' (बो)। बगड़-पु. १ मकान के मामने या अन्दर पड़ा खुला मैदान । बखसी-देखो 'बकसी'।
२ लम्बा-चौड़ा व खुला मैदान । ३ सहन, चौक, प्रांगन । बलसीस-देखो 'बकसीस'।
४ मार्ग, रास्ता। बाण-पु० [सं० व्याख्यान] १ व्याख्यान, भाषण । २ उपदेश, बगड़णी (बौ)-देखो 'बिगड़णी' (बौ)।
धर्मोपदेश । ३ व्याख्या । ४ वर्णन । ५ कीर्ति । ६ स्तुति, बगड़ारणी (बौ), बगड़ावरणौ (बौ)-क्रि० दौडाना, भगाना । प्रार्थना । ७ प्रशंसा।
बगड़ावत-देखो 'वगड़ावत' । बखाणण-पु० [सं० व्याख्यानम्] १ बखान करने की क्रिया या बगट्ट-वि० [सं० विकट] जबरदस्त, जोरदार । भाव । २ बखान करने का ढंग।
बगणौ (बी)-१ देखो 'बजणों' (बी) । २ देखो 'बाजणी' (बौ)। बखाणणी (बी)-क्रि० [सं० व्याख्यानम्] १ व्याख्यान देना, | बगत-१ देखो 'बखत' । २ देखो 'वक्त'।
भाषण देना । २ उपदेश करना, उपदेश देना । ३ व्याख्या | बगतर-देखो 'बखतर' । -खांनो-='बखतरावांनो'। -पोस करना । ४ वर्णन करना । ५ यश या कीर्तिगान करना । ='बखतरपोस'। -बाज='बखतरबाज'। ६ स्तुति या प्रार्थना करना । ७ प्रशंसा करना, तारीफ बगतरियौ,बगतरी-पु०१ अंगरखा,अंगरखी। २ देखो वखतरियो। करना।
३ देखो बखतर'। बखाकझंड-वि० बाह याडंबर या ठाट-बाट वाला।
बगतावर-देखो 'बखतावर'। .. बखारी-देखो 'भखारी' ।
बगतावरी-देखो 'बखतावरी । बखाळ-देखो 'पखाळ'।
बगती देखो 'बुगती'। बखाळियौ-वि० बक-बक करने वाला।
बगत्तर-देखो 'बखतर'। -पोस== 'बखतरपोस' । बखियो-पू० [फा० बखियः] १ एक प्रकार की महीन व मजबूत बगथरो-स्त्री० १ एक प्रकार की वनस्पति । २ देखो 'बखतरी' । __सिलाई । २ रस्सियों के जोड़ का मजबूत बंध ।
३ देखो 'बगती। बखील-वि० [अ०] कृपण, कंजूस ।
बगदाव-पु० [फा०] इराक देश की राजधानी का नगर । बखबी-प्रव्य० [फा० बखूबी] १ भली भांति, अच्छी तरह से । | बगदादी-वि० [फा०] बगदाद का, बगदाद संबंधी। बगदाद २ पूर्ण रूप से, पूरी तरह से ।
का निवासी । -पु० मुसलमान । बखेडियो बखेडी-वि० १ उपद्रवी, उत्पाती। २ विवाद करने | बगदो-40 १ कहा कचरा वाला झगड़ालू ।
सारहीन भाग। बखेडो-पू०१ अस्त-व्यस्त पड़ा सामान, बिखेरा। २ झ झट, | बगनी-स्त्री०१ मुसलमानों का एक टोंटीदार लौटा । २ देखो झगड़ा, तकरार । ३ आडंबर । ४ व्यर्थ का विस्तार ।
'बगनौ' (स्त्री)। ५ भारी प्रायोजन । ६ सांसारिक प्रपंच । ७ विवाद, गौ-वि शिनाखो मगनी), गणित विन पनि झगड़ा ।
भ्रम । २ पाश्चर्य चकित, विस्मित। ३ हतप्रभ, हैरान । बखेरणौ (बी)-देखो बिखेरणी' (बी) ।
बगर-पु० [देश॰] १ फलांकुर। २ देखो 'बगड़' । ३ देखो बखेड़ी-देखो 'बखेड़ी'।
'बगैर'। बखोरो-देखो 'बको '।
बगरुडो-पु० [देश॰] एक लोक गीत विशेष । बखो-देखो विखो'।
बगरू-पु. [देश॰] क नों के पास घुघराले बालों वाला ऊंट । बस्त-१ देखो 'बखत' । २ देखो 'वक्त' ।
बगरौ-पु० एक पौधा विशेष । बस्तर-देखो 'बखतर'।
बगळ-स्त्री० १ बड़े-बड़े कौर लेकर जोर-जोर से खाने की बख्सरणौ (बौ)-देखो 'बकसणी' (बी)।
क्रिया। २ वायु। बख्साणी (बो)-देखो 'बकसाणी' (बी)।
बगल, बगलउ-स्त्री० [फा०] १ मनुष्य के शरीर का हाथ के बल्सिस, बससीस-देखो 'बकसीस'।
नीचे का भाग। कांख । २ छाती के दोनों किनारों का
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बगलगिरी
बघवाय
भाग, पाव । ३ ऊंट के अगले पैरों के संधिस्थलों वाला | बगसौ-देखो 'बक्स'। भाग । ४ कांख में होने वाले बाल । ५ पहनने के वस्त्र का | बगहरा-देखो 'वगैरह। कांख के पास रहने वाला भाग। ६ निकट का स्थान । बगाई-स्त्री० [देश॰] १ जमुहाई, उबासी । २ फेंकना क्रिया । ७ पड़ोस । -क्रि०वि० १ पोर तरफ । २ समीप, पास। | बगारगो(बी)-क्रि०१ फेंकना,उछालना । २ देखो'बजाणो' (बी)। निकट । ३ देखो 'बक'।
बगार-१ देखो 'बधार' । २ देखो 'बेगार'। ३ देखो 'बगारो'। बगलगिरी-देखो 'बगलगीरी' ।
बगारणी (बौ)-देखो 'बघारणो' (बी)। बगलगीर-वि० [फा०] बगल में रहने वाला। -स्त्री० गले बगारौ-पु० [सं० भक्षागार छिद्र, छेद, सूराख । मिलने या लिपटने की क्रिया या भाव ।
बगावरणौ (बो)-देखो 'बगाणी' (बी)। बगलगीरी-स्त्री० १ बाथों में भरकर मिलने की क्रिया या भाव। बगावत-स्त्री० [अ०] । विद्रोह की भावना, बागी होने का
अंकमाल । २ मेहमानों के स्वागत में इत्र लगाने की क्रिया। भाव । २ शासन के विरुद्ध खड़े होकर किया जाने वाला बगलड़ी, बगलडी-देखो 'बगल'।
विद्रोह । ३ किसी के विरुद्ध षड़यंत्र । बगलतकियो-पु० बगल में दबाकर बैठने का तकिया।
बगासुर-देखो 'बकासुर'। बगलबंदी (बंधी)-स्त्री० शरीर पर धारण करने का एक वस्त्र बगितार-पु० पुकार, चिल्लाहट। विशेष ।
बगीची, बगीचो, बगीछौ-पु० [फा० बागचः] उपवन, वाटिका, बगलाऊ-क्रि.वि. बगल में, पास में, निकट ।
बाग। बगलामक्त (भगत)-देखो 'बुगलाभक्त' ।
बगीलगी-क्रि० वि० लगभग, करीब । बगलाभक्ति (भगती)-देखो 'बुगलाभक्ति' ।
बगु-देखो 'बक'। बगलामुखी-स्त्री० १ एक देवी । २ दश महाविद्याओं में से एक । बगुळियो, बगुलियो, बगुळो, बळियो, बगूळो, बगूलो, बगूल्योबगलाया-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
| १ देखो 'बक' । २ देखो 'बघूळो'। बगलि-१ देखो 'बगली' । २ देखो 'बगल'।
| बगेची, बगेची (छौ)-देखो 'बगीचौ' । बगलियो-पु० [देश॰] १ लकड़ी में छेद करने का औजार । | बगेर, बगर-अव्य० १ बिना, बे । २ अलावा, अतिरिक्त । २ देखो 'बक'।
३ रहित। बगली-वि० [फा०] १ बगल का, बगल संबंधी। २ एक ओर का । | बगेल, बगैल-देखो 'बघेल'।
-स्त्री. १ दजियों की सूई-धागा रखने की थैली विशेष । बग्ग-पु. १ किसी द्रव पदार्थ का तेज प्रवाह । २ उक्त प्रवाह की २ कुरते की बगल में लगने वाला कपड़ा। -पु. ३ ऊंटों ध्वनि । ३ सहसा, जल्दी, शीघ्र । ४ देखो 'बक' । ५ देखो का एक रोग। ४ इस रोग से पीड़ित ऊंट। ५ मुगदर 'बाग'। ६ देखो 'वरग'। चलाने का एक ढंग । ६ चोरी के उद्देश्य से खोदी जाने बग्गणी (बौ)-१ देखो 'बजणी' (बौ)। २ देखो 'बाजणी' (बौ)। वाली सेंध । ७ कुश्ती का एक दाव । ८ बुगले की जाति
बग्गी-देखो 'बग्घी'। -खांनो- बग्घीखांनो'। की मादा पक्षी। देखो 'बगल' । १० देखो 'बगलबंधी।
बग्गू-देखो 'बरघू'। बगली-गुप्ती-स्त्री० एक शस्त्र विशेष ।
बग्गी-पु० दो की संख्या का वर्ष । बगलौ-देखो 'बक'। (स्त्री० बगली) बगस-देखो 'बक्स'।
बग्धी-स्त्री. चार पहियों वाली घोड़ा-गाड़ी । -खानी-पु. बगसरण-स्त्री० दान करने की क्रिया, दान । -वि. दाता, दानी, | उक्त गाड़ी रखने का स्थान । देनेवाला।
बघबर-देखो 'बाघंबर'। बगसरणौ (बो)-देखो 'बकसरणौ' (बी)।
बघ-१ देखो 'बग्ग' । २ देखो 'बाप'। बगसर-पु० [देश॰] यवन, मुसलमान ।
बघबाव-देखो 'बघवाव' । बगसरियौ-देखो 'बगसर' । बगसारणी (बी), बगसावरणौ (बो)-देखो 'बकसाणो' (बी)।
बघर-पु० आमोद-प्रमोद । बगसियो-१ देखो 'बक्स' । २ देखो 'बुगचौ'।
बघलावणी (बो)-क्रि० चोरी करना, चोरना। बगसिस-देखो 'बकसीस'।
बघवाणी-स्त्री० [सं० वाक्वांणी] सरस्वती । पती-देखो 'बकसी'।
बधवाय, बघबाव-स्त्री० [सं० व्याघ्रवायु] सिंह के शरीर बगसीस-देवी कसीस'।
की गंध।
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बघार
मारना ।
बधी- देखो 'बग्धी' ।
बघार पु० [सं० भ्रज्जकार ] १ साग-सब्जी के मसाले भुनने की क्रिया २ मसाले भुनने के लिये घी या तेल गर्म करने की क्रिपा छौं, धमका ४ छौंक के लिये पीतेल आदि में डाला जाने वाला हींग, जीरा घादि पदार्थ । बधारण (ब)- क्रि० [सं० भ्रज्जकरणम् ] १ छौंक लगाना, छौंकना । २ भुनना, भुनाई करना । ३ सेखी या डींग
बघेरी - पु० [सं० व्याघ्र ] सिंह जाति का हिंसक पशु । बघेल - वि० ० १ युवा, जवान । २ देखो 'बाघेल' । बघेलखंड देखो बालखंड'
बघुर, बघूर, बघूळ, बघुल-१ देखो 'बघूळो' । २ देखो 'बक' । बळियो-१ देखो 'बळी' २ देखो 'ब'
बधूलो, बधूलो- पु० [० वर्तुलः, वातूल] १ वातचक्र, हवा का गोल चक्र । २ पवन । ३ नाश, संहार । ४ देखो 'बक' । बघेरियो बघेरियो-देखो 'बचेरी' |
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-
बघू -
( १६५ )
बघेल, बघेल - १ देखो 'बाघेल' । २ देखो 'बघेल' ।
बघौ - पु०१ कान के सामने का भाग, कनपटी । २ कांख, बगल । बघी - पु० १ एक प्रकार का नृत्य । २ देखो 'बग्घी' |
- देखो 'बरघू' |
|
बड़ देखो 'वट' |
बड़करणt (at) - क्रि० १ फटना, दरार पड़ना, चटकना, तड़कना ।
२ वजन या दबाव के कारण, गाड़ी, छकड़े आदि से चलते चलते बटबट ध्वनि होना । ३ चलते समय मनुष्य या पशु के पैरों से चटपट ध्वनि होना।
बड़बोली- देखो 'बहकावली' |
बड़कारणी (बौ) - क्रि० १ फाड़ना, दरार पटकना, तड़काना चटकाना । २ मारना, काटना । ३ वजन या दबाव डाल कर बट बट की आवाज कराना । बड़काबोल पु० कटु शब्द
बड़काबोली- वि० (स्त्री० बड़काबोली) १ कटुवादी, कर्कशवचन कहने वाला । २ बकवाद करने वाला । बड़काव (बी) देखो 'बड़काशी' (बी)।
बड़की - g० १ क्रोध या श्रावेश में सहसा बोला जाने वाला शब्द । २ कर्कश ध्वनि या शब्द लकड़ी यादि के टूटने की ध्वनि । ४ प्रहार की ध्वनि । ५ झिड़की, झटका । बड़कोली- पु० बरगद का फल
astri (ब)- देखो 'बड़कणी' (बी) ।
बड़ग पु० [सं० व अंग] भाला ।
बड़ व पु० १ लकड़ी के प्रहार से होने वाली ध्वनि । २ लकड़ी बड़बड़ाट-स्त्री० १ बड़बड़ाने की क्रिया व ध्वनि । २ क्रोधा
टूटने की ध्वनि ।
वेश में मुंह से निकलने वाली अस्पष्ट ध्वनि । ३ व्यर्थ की बकवाद । प्रलाप । ४ तू-तू, मैं-मैं । बड़बड़ा (ब)- देखो 'बड़बड़ी' (बौ) ।
बड़बड़ी स्त्री० १ जोश, ग्रावेश । २ झुंझलाहट । ३ देखो
'बड़बड़' । ४ देखो बड़ाबड़ी' ।
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बड़गड़गो (बौ) - क्रि० तेजी से दौड़ना । बड़गांव तेजी से दौड़ते हुए डालो (बी) कि० तेजी से दौड़ाना। बड़गड़ी स्त्री० [तेज दौड़ बड़गड़ौ-पु० १ तेज दौड़, तेज गति । २ घोड़े की एक चाल विशेष |
बड़वानळरस
बड़ड़ स्त्री० [१] लकड़ी के फटने की ध्वनि २ सख्त वस्तु चवाने की ध्वनि । ३ बोझ से लदी गाड़ी के चलने पर उत्पन्न ध्वनि ।
बड़ड़ो (बौ) - क्रि० १ बड़बड़ करते हुए फटना । २ बटबट की ध्वनि करना ।
बड़ी (बोकि० १ चुसना घसना २ प्रवेश करना, पैठना । बड़बखती देखी 'बडवखती' । बड़बड़ स्त्री० [१] व्यक्त ध्वनि
२ कोध में बढ़ाने की क्रिया । ३ बकवाद, प्रलाप ४ सख्त वस्तु चबाने की ध्वनि ।
बड़बड़रौ (बौ) - क्रि० १ द्रव पदार्थ में गर्मी प्रादि के कारण बुद-बुदे उठना, विकृत होना। २ घावों से खून बुदबुदाना । ३ किन्वन के कारण पदार्थों में गैस उत्पन्न होना । ४ क्रोध में बड़बड़ाना । ५ मस्ती में गुनगुनाना । ६ प्रलाप या बकवाद करना । ७ विलाप करना ।
बड़बड़ देखा 'बड़बड़' ।
बड़भाग- देखो 'बडभाग' । बड़भागी - देखो 'बडभागी' । बडलो बस्यौ देखो 'वट'
बड़वा स्त्री० [सं० वडवा ] १ घोड़ी । २ बही भाटों की एक शाखा । ३ अश्विनी नक्षत्र । ४ सूर्य की स्त्री प्रश्विनी नामक अप्सरा । ५ दासी, परिचायिका । ६ रंडी, वेश्या ७ देखो 'बड़वानळ' ।
1
बड़वागन, बड़वाग, बड़वागन, बडवागनी, बड़वागि, बड़वाग्नि, बड़वानळ - स्त्री० [सं० वडवाग्नि, वडवानल] समुद्र के भीतर की प्राग, ताप |
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बडवाळ चूरल० [सं० वडवानलपूर्ण] सजीनाशक एवं क्षुधावर्धक एक चूर्णं ।
बड़वानळरस पु० एक प्रौषधि विशेष ।
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बड़वामुख
पैठाना ।
बड़वामुख-पु० [सं० वडवामुख १ पाताल । २ शिव का मुख । बचत-स्त्री. १ प्रावश्यक खर्चे के बाद शेष रहने वाला प्राय का ३ बड़वाग्नि । ४ एक औषधि विशेष ।
भाग । २ बचे रहने या सुरक्षित रहने की अवस्था या भाव । बड़बालो-पु० बरगद का वृक्ष ।
___३ रक्षा, सुरक्षा । ४ किसी विपत्ति में न फंसने की अवस्था। बड़वासी-पु० [सं० वटवासी] १ यक्ष, किन्नर । २ पक्षी।
५ शेष या प्रवशिष्ट रहा भाग । ६ मुनाफा, लाभ । बडवासुत-पु० [सं० वडवासुत] अश्विनी कुमार ।
बचन-१ देखो 'वच' । २ देखो 'वचन' । बड़वा-पृ० 'बड़वा' शाखा का बही भाट ।
बचनका बचनिका-देखो 'वचनिका' । बडाको-पु. १ शस्त्र टकराने की ध्वनि । २ शस्त्र प्रहार की | बचनीय-देखो 'वचनीय' ।
ध्वनि । ३ सख्त वस्तु के टूटने या कटने की ध्वनि । बचपरण, बचपणो-देखो 'बाळपणो' । ४ देखो 'बड़को' ।
बचाडपो (बी). बचाणी (बी)-क्रि० १ दुःखद स्थिति या बड़ारणी (बो) क्रि० १ घुसाना, धसाना । २ प्रवेश कराना, विपत्ति से दूर रखना । ग्राफत में नही फंसाना । २ सुरक्षित
रखना, क्षतिग्रस्त न होने देना। ३ बुरी संगत या दुर्व्यसनों बड़ाबड, बड़ाबडि बडबडी-स्त्री० १ युद्ध । २ शस्त्र प्रहार । से दूर रखना । ४ कुकर्मों से वंचित रखना। ५ किसी के
३ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । ५ बड़-बड़ ध्वनि । ५ महामारी प्रभाव से मुक्त रखना, निलिप्त रखना। ६ पालोचना, प्लेग । -अव्य० १ निरन्तर, लगातार । २ देखो 'बड़बड' । प्रशंसा प्रादि से वंचित रखना । ७ प्राश्रय देना, शरण देना। बडारण-देखो 'बडारण'।
८ शेष रखना, अवशिष्ट रखना । ६ नष्ट न होने देना। बडियो-पु० [सं० भातिक] १ दैनिक मजदूरी पर कार्य करने
१० बड़ी दुर्घटना या मौत से बचाना । ११ झपट में न वाला श्रमिक । २ काम का बदला काम करके चुकाने वाला
पाने देना । १२ पढ़वाना। १३ खर्च में से बचा कर कृषक । ३ देखो 'बड़ी'।
रखना। बडी-श्री० [सं० वटिका] १ मूगेड़ी, मूग की बड़ी। २ छोटा | बचाळे-देखो 'बिचै'।
मांस पिंड, बोटी। [सं०वर्ती] ३ मूज, डाभ प्रादि की बनी | बचाव-पु० १ बचाने की क्रिया या भाव। २ सुरक्षा, त्राण, रस्सी । [सं० वृत्ति] ४ काम का बदला काम से चुकाने
रक्षा । ३ छुटकारा। की क्रिया। ५ दैनिक मजदूरी । ६ दैनिक श्रम का धन । | बचावरणौ (बी)-देखो 'बचाणो' (बी)।
७ तुरंत प्रसव वाली गाय या भैंस का गर्म किया हुया दूध। बत्तियौ, वचीयौ, बचौ-देखो 'बच्चो' । बड़ीड, बडीडी-पु० १ प्रहार की ध्वनि । २ देखो 'बटीड़' ।।
बच्चक-१ देखो 'वच्चक' । २ देखो बचको'। बड़ को-देखो 'बड़को।
बच्चड़ी (डो)-१ देखो 'बच्चौ' । २ देखो 'बछड़ो'। बड़ो-पु० [सं० वटक] (स्त्री०बड़ी) १ बेसन आदि का पकौड़ा।
बच्चरणो (बी)-देखो 'बचरणो' (बी)। २ गिरासिया जाति में मृतक के पीछे किया जाने वाला
बच्चादानी-स्त्री० [फा० बच्चःदान] गर्भाशय, कोख । भोज । ३ देखो 'बडो'।
बच्ची-पु० [फा०] (स्त्री० बच्ची) १ किसी प्राणी का नवजात बच-१ देखो 'वच' । २ देखो 'वचन' ।
शिशु । २ बाल्यावस्था वाला प्राणी । ३ अबोध या नाबाबचको, बचक्क-पु० १ पांचों अंगुलियों को फैलाकर उल्टे प्याले लिग प्राणी। ४ संतान । -वि० १ नासमझ, नादान ।
जैसी बनाई हुई हाथ की मुद्रा । २ इस मुद्रा में समाने २ अनुभवहीन । लायक पदार्थ की मात्रा ।
बच्छ-१ देखो 'वत्स' । २ देखो 'वक्ष' । ३ देखो 'वत्सर' । बचणी (बी)-क्रि० [सं०] १ दुःखद स्थिति या विपत्ति से दूर | ४ देखो बछड़ो'। रहना, प्राफत में नहीं फंसना । २ सुरक्षित रहना, क्षति |
बच्छड़ो-१ देखो 'वत्स' । २ देखो 'बछड़ो' । ग्रस्त न होना । ३ बुरी संगत या दुर्व्यसनों से दूर रहना।
| बच्छर-देखो वत्सर'। ४ कुकर्म से वंचित रहना । ५ किसी के प्रभाव में न पाना, बच्छराज-देखो 'वत्सराज'। निर्लिप्त रहना ६ पालोचना, प्रशंसा आदि से वंचित बच्छळ-देखो 'वत्सळ' । रहना। ७ प्राश्रय पाना । शरण पाना । ८ शेष रहना,
| बच्छस-देखो 'वक्षस्थळ' । अवशिष्ट रहना। ९ नष्ट होने से रह जाना। १० बड़ी
बच्छो-देखो 'बच्चों'। दुर्घटना या संभावित मृत्यु की लपेट से दूर रह जाना । ११ झपट में न आना । १२ पढ़ने योग्य होना । १३ बाकी
बछ-१ देखो 'वत्स' । २ देखो 'वक्ष' । रहना।
बछक-देखो 'वत्सक'।
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बछड़ो
बदराज देखो 'वत्सराज
बखरी-१ देखी 'ब' २ देखो 'बछेरी' ।
बछड़ौ० [सं० वत्स] १ गाय का बच्चा, बछड़ा २ देखो बजरबंदी स्त्री० स्त्रियों का एक प्रावण विशेष ।
'वास'
बछदेव - देखो 'वसुदेव' |
बछनाग, बछनाम - देखो 'वत्सनाभ' |
बछवारस देखो 'बवारस'
बछार देखो'बरसामु
बछियो-१ देखो 'बच्चो' । २ देखो 'वत्स' ।
बछळ - देखो 'वत्सळ' ।
बडयो देखो 'वास'।
बछालो (बौ), बछावरणौ (बो) - १ देखो 'बचारणी' (बो) । २ देखो 'विशाल' (बी) ।
बछो-१ देखो 'वत्स' २ देखो 'बच्ची' । बजेट-देखो 'बजरबंदी' | बयंत्रण पु० [सं० वाद्य बजंत्री० [सं० वाद्य बजाने वाली मंडली
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बो-१ देखो 'बधेगे' २ देखो 'बच
बछेरियो, बछेरी- पु० [सं० वत्स तर ] ( स्त्री० बछेरी) घोड़ी का बजवाई - स्त्री० [सं० वाजनं] १ बच्चा बच्चा थोड़ा । भाव । २ वाद्य बजाने की पारिश्रमिक |
-
( १६७ )
बजर - देखो 'वज्र' ।
यंत्र] वाद्ययंत्र बाजा।
यंत्री) १ वाद्य बजाने वाला २ बाय ३ पेशेवर गाने बजाने वालों से
बजरगौ- देखो 'बाजणी' ।
बजली (बो० [सं० पाद्यम् १ घड़ी के अनुसार समय
होना, घड़ी से समय लक्षित होना । २ घड़ी की सुई का निश्चित समय पर श्राना। ३ दौड़ना, भागना । ४ देखो 'बाजी' (बी)।
बजन - देखो 'वजन' ।
बजरंग, बजरंग
महावीर हनुमान, पवनपुत्र
बली) बजरंगी पु० [सं० बाग-बलिन्]
बजरकपाट (किवाड़ ) - देखो 'वज्रकपाट' । बजरग (बौ) - देखो 'वज्जरणी' (बी) ।
बजरतु' - देखो 'वज्रतु'ड' । बजरवत - देखो 'वज्रदंत' ।
लिया जाने वाला कर ।
बजाड़ो (बौ) - देखो 'बजारणी' (बो) ।
बज स्त्री० [सं० वाद्यम् ] १ नगारा बजाने की ध्वनि । २ वाद्ये बजाज पु० [ प्र० वज्जाज ] कपड़े का व्यापारी, वस्त्र - व्यवसायी ।
ध्वनि [[सं० [ब] ३ संयम
।
जड़ बड़ देखो 'वज्र' कपाट, शिवा'वचकपाट' । बजट - पु० [०] १ प्राय-व्यय का ब्योरा विवरण । २ आयour पत्रक । ३ किसी विभाग के लिये खर्च की निर्धारित राशि, मद ।
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(ब) वि० [सं० बच-वृत्ति ] १ अत्यधिक मजबूत, ठोस । २ कठोर, सख्त ३ स्वभाव से कठोर । - 10 [सं० वज्र + वटुक ] बारूद का खिलौना विशेष, एक प्रातिशबाजी ।
बजरमखि, बजरमणी-स्त्री० [सं० वज्रमणि] होरा बजराक, बजराग, बजरागि, बजरागी वि० [सं० वज्र-यंग] १ वज्र के समान मजबूत एवं दृढ़ अंगों वाला । २ शक्ति शानी बलवान् ३ घटल ४ भयंकर, भीषण, प्रचंड । स्त्री० [सं० वज्र + अग्नि] १ बिजली, विद्युत । २ आफत, विपत्ति ।
बरि-१ देखी 'वज्र' २ देखी बजरी' बजरी स्त्री० १ दानेदार रेत विशेष ३ देखो 'वज्र' |
बजौ
-
३ देखो 'बाजरी | २ देखो 'बाजरी' ।
बजह देखो 'वजह'।
-
बजा - वि० [फा०] १ उचित, वाजिब । २ यथावत्, ठीक ।
३ दुरुस्त । ४ उचित स्थान वाला । बजाई देखो 'बजवाई।
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वाद्य बजाने की क्रिया या विधि । ३ वाद्य बजाने का
बजाजा पु० [अ० बज्जाजा ] कपड़ा बाजार ।
बजामी स्त्री० [० बज्जाजी १ वस्त्र-व्यवसाय २ बजाज की दुकान की सामग्री । ३ देखो 'बजाज' ।
बजारणी (बी) - क्रि० १ नगाड़े. ढोल प्रादि पर प्राघात कर ध्वनि करना । २ वाद्य बजाना । ३ करतल ध्वनि करना । ४ दो वस्तुओं को परस्पर टकराकर ध्वनि करना । ५ मुद्रा या पात्र की जांच के लिये उसे बजाना ६ शस्त्र प्रहार करना । ७ युद्ध करना, लड़ना । ररग कौशल दिखाना । ८ वीर गति प्राप्त करना। ख्याति या प्रसिद्धि प्राप्त करना । १० दौड़ाना, भगाना । बजाय क्रि०वि० [फा०] १ अपेक्षा में बदले में, एवज में । २ तुलना में मुकाबले में । ३ स्थानापन्न रूप में । बजार देखो बाजार' ।
बजार देखो 'बाजार' ।
बजारी, बजारू - देखो 'बाजारू' ।
बजावणी (बी) - देखो 'बजारणी' (बी) |
बजीर- देखो 'वजीर' ।
बज १०१ कलंक दोष २ बदनामी अपवाद दोषारोपण
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बज्ज
( १६८ )
बटी
बज्ज-देखो 'वज्र'।
बटन-देखो 'बटण'। बज्जणी (बी)-१ देखो 'बजणी' (बी)। २ देखो 'बाजणी'(बो)। बटपड़ो, बटपाड़ो, बटपाडो, बटपारौ-पु० [सं० वाट-पाटकम्] बज्जर-देखो 'वज्र'।
राहगीरों को लूटने वाला, लुटेरा । बज्जरणौ (बी)-देखो 'वज्जरणो' (बी)।
बटबड़-देखो 'बाटबड़'। बज्झ-वि० बाहय, बाहरी ।
बटभरणी-देखो 'बटभरणो' । बज्र गो-देखो 'वजरंगी'।
बटमार-देखो ‘बटपाड़ो'। बज्र-देखो 'वज्र'। -तुंड= वज्रतुड' । -धर='वज्रधर'। बटळणौ (बी)-देखो 'विटळणो' (बी)।
-नाम 'वज्रनाभ' । -पात-'वज्रपात'। -भास- | बटलाळीयो-पु० लकड़ी में खुदाई करने का उपकरण। 'वज्रभास'।
बटली, बटलोई-स्त्री० [सं० वट-लोटिका] दाल, चावल मादि • बज्राग-देखो 'बजराक' ।
पकाने का पात्र, पतोली। बज्रागमुख-पु० [सं० वज्र-मन-मुखवज्र का अगला भाग, बटवी-पु० १ एक लोक गीत । २ देखो 'बटुवो' । नोक, मुख ।
बढाइ, बटाई-स्त्री० [सं० वट-वेष्टनम्] १ बटने या ऐंठन देने बजी-देखो 'वज्री'।
की क्रिया या भाव । २ रोटी, पापड़ प्रादि की बेलाई । बमरणो (बौ)-१ देखो 'बंधणी' (बौं)। २ देखो 'बजरणो' (बी)। ३ उक्त कार्य का पारिश्रमिक । ४ इस प्रकार का व्यवसाय । ३ देखो 'बाजरणो' (बो) । ४ देखो ‘बझणौ' (बो)।
५ देखो 'बंटाई। बझौ-देखो 'बजो'।
बाउ, बटाउड़ो-देखो 'बटाऊ'। बट-१ देखो 'वट' । २ देखो 'वाट' ।
बटाऊ-पु० पथिक, राहगीर, यात्री। बटकड़ो-पु० [देश॰] १ आंगन में चूना या सीमेंट जमाने का | बटारो (बी)-क्रि० १ रस्सी, डोरा आदि बनवाना, ऐंठन .
- काष्ठ का उपकरण । २ देखो 'बटको'। ३ देखो 'वाटको'।। दिरवाना । २ रोटी, पापड़ प्रादि बेलाना। ३ बिक्री कर बटकरणौ (बो)-क्रि० [सं० वदम्] १ चिल्लाना, चीत्कार करना। वाना । प्राय कराना । ४ उपाय कराना, वश चलवाना ।
२ कड़कना, गरजना । ३ टूटना । ४ दांतों से काटना ।। ५ देखो 'बंटारगो' (बी)। ५ गिरता, पड़ना । ६ क्रोधित होना । ७ देखो बंटापट, बटाबट-पु०१ शीघ्रता से तोड़ने, मारने या काटने की 'भटकणो' (बी)।
क्रिया या भाव । २ उक्त क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । ३ देखो बटकी-देखो बाटकी'।
'फटाफट'। बटको-पु० [सं० वट] १ वस्त्र-खण्ड, कपड़े का टुकड़ा । बटारक-देखो 'बटारक' ।
२ टुकड़ा, टूक । ३ विभाग, खण्ड । ४ दांतों से काटने की | बटारौ-पु. (स्त्री० बटारी) १ बटाई का कार्य करने वाला
क्रिया या भाव । ५ दांतों से काटने का घाव । चिह्न । व्यक्ति, श्रमिक । २ बेलने का कार्य करने वाला श्रमिक । बटक्कणी (बो)-देखो 'बटकरणो' (बो)।
३ देखो 'बंटारो'। बटक्को-देखो 'बटको' ।
बटाळ-देनो 'बटालो'। बटरा-पु० अ. बटन] १ पहनने के वस्त्रों में लगने वाली बटाळणौ (बो)-देखो 'विटाळ गो' (बो)।
घुडी । २ किसी यंत्र को चलाने या रोकने का उपकरण । | बटाव-पु० प्रजा से लिया जाने वाला एक कर विशेष । ३ बिजली जलाने-बुझाने का खटका । [सं० वेष्ट] ४ रस्सी बटावरणौ (बौ)-१ देखो 'बटाणो' (बी)। २ देखो 'बंटाणो'(बी)। आदि में ऐठन दो की क्रिया। ५ठन, उमेठन । ६ गले
बार-देखो बटाऊ' । . का एक आभूषण विशेष ।
बटियो-१ देखो 'बाटियो' । २ देखो 'बाटो'। बटरिणयो, बटणी-पु० रस्सी ऐंठने का उपकरण । -वि० बटने
बटींग-वि० [सं० वटुकः] १ मूर्ख, मूढ़ । २ देखो 'बटीड़ो'। वाला, ऐंठने वाला।
बटी-स्त्री० [सं० वटी] १ अफीम की टिकिया । २ साबुन की बटणौ (बी)-क्रि० [सं० वेष्टनम्] १ तंतु या रेशों में ऐठन
__ टिकिया। ३ इसी तरह की किसी पदार्थ की चौकोर देकर डोरा या रस्सी बनाना। २ रोटी पापड़ आदि
टिकिया। ४ राहगीर, पथिक । ५ देखो 'वटी'। बेलना । ३ सौदा बिकना, सौदा बिकने से पैसा पाना । बटीड़, बटीडो-पु० [सं० वात+पाहत] १ मस्तिष्क या शरीर ४ देखो 'बंटणी' (बो)।
के किसी अंग में वात विकार से अचानक उठने वाला दर्द । बटत--स्त्री० [सं० वाणिज्यम्] १ विक्रय, बिक्री । २ बिक्री का . २ रह-रह कर होने वाला तीव्र दर्द । ३ बिच्छू के काटने रुपया या धन । प्राय ।
का दर्द । ४ प्रहार, चोट । ५ प्रहार की ध्वनि।
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बटुक
बडबोर
बटुक-देखो 'वटुक'।
बडकुमारी-स्त्री० [सं० वड-कुमारी] १ बड़ी लड़की, युवा बटुवौ-पु० [सं० वट-वेष्टनम्] १ चमड़े, प्लास्टिक आदि का लड़की । २ ज्येष्ठ राजकुमारी।
बना, रुपये-पैसे रखने का, ढक्कनदार छोटा थेला । २ देव बडको-पु० [सं० बडूक] पूर्वज, बडेरा । -वि० १ सर्वोत्तम, मूर्ति रखने का थैला। .
श्रेष्ठ । २ मुख्य, प्रधान । बटूकरणी (बी)-कि० [सं० वक्त्र+कट्ट] दांतों से काट कर खाना। बडकोळी-पू० वट का फल ।। बटेर-पु० [सं० वर्तिक] तीतर जाति का एक छोटा,पक्षी बडखेत-वि० [सं० वड़+क्षेत्रम्] श्रेष्ठ भूमि।
विशेष । -बाज-पु. बटेर को पालने व लड़ाने वाला। बडगूदी, बडगूदौ-पु० १ गूदी जाति का वृक्ष विशेष । २ इस -बाजी-स्त्री० बटेर को पालने व लड़ाने की क्रिया।
वृक्ष का फल । बटोड़ी-पु. सूखे उपलों का चुना हुआ ढेर।
बडगोतरण-वि०१ श्रेष्ठ या उच्च कुल की। २ गविली,मानिनी। बटोती-पु० बंटवारा, हिस्सा।
बडचीत-देखो 'वडचीत'। बटोरणौ-पु० [सं० वठ्] एक प्रकार का शस्त्र ।
बडणौ (बी)-१ देखो 'बढ़णौ' (बौ)। २ देखो 'बड़णो' (बी)। बटोरणौ (बी)-क्रि० [सं० वट] १ इकट्ठा करना, संग्रह करना। ३ देखो 'बधणो' (बी)।
२ समेटना, एकत्र करना । ३ चुनना, चुगना, बीनना । बडदूमो-पु. [देश॰] लम्बी दुम का हाथी। बटोही-देखो 'बटाऊ'।
बडनाळ-देखो 'वडनाळ' । बटौ-देखो 'बट्टी' ।
| बडपण, बडप्परण-पु० १ श्रेष्ठ या बड़ा होने की अवस्था या बट्ट-१ देखो 'वट' । २ देखो 'वाट' । ३ देखो 'बट्टी'।
भाव । २ बड़ा कार्य, उच्च भावना या विचार। ३ सज्जनता बट्टाखाती-पु० १ उधार की रकम जो वसूल होने लायक न हो। का कार्य । ४ महत्व, बड़ाई। ५ गौरव । २ उक्त रकम का खाता । ।
बाफर-देखो 'वडफर'। बट्टी-देखो 'बटी'। .
बड़बेडो, बडबेहड़ी-पु० [सं० व+द्विघटक स्त्रियों द्वारा बट्टी-पु० [सं० वार्त] १ किसी वस्तु के लेन-देन में होने वाली किसी के स्वागतार्थ शिर पर रखे जाने वाले दो घड़े,
कमी । २ नुक्स वाली वस्तु की कीमत में होने वाली कमी। द्विघटक। ३ नोट या मुद्रा के लेन-देन में होने वाली कटौती । ४ सोने | बडबोर, बडबोरड़ी, बडबोरो-स्त्री० [सं० वडूबदर] १ बेर का चांदी के प्राभूषणों में मिलाई जाने वाली अन्य धातुओं की अपेक्षा कृत बड़ा फल । २ बड बेरों वाला वृक्ष । खोट । ५ घाटा, नुकसान । ६ धब्बा, कलक, दाग । बडबोल-पु० [सं० वड-वचनं] १ महापुरुषों के वचन, बोल, ७ भाग, हिस्सा । [सं० वटकः] ८ बाजीगर का बड़ा वाणी, उपदेश । २ ऊंची बातें। ३ शेखी, डींग । ४ सार गोला । ९ देखो 'बटेर'।
गभित बात। बठठ-स्त्री० बट-बट ध्वनि ।
| बडबोलो-वि० [सं० वड+वच्] (स्त्री० बड़बोली) १ महत्वपूर्ण बठठाठ-स्त्री. ध्वनि विशेष ।
और सारगभित बात कहने वाला । २ वाक्चतुर । बठांगपो (बी)-देखो 'बैठाणो' (बी)।
३ बहुत बोलने वाला, प्रलाप करने वाला । ४ शेखी मारने बठी, बठीन-देखो 'वठी'।
या डींग हांकने वाला। ५ बरगद का फल । बठेई, बठ, बठई-देखो 'वठ'।
बडमाग-पु० [सं० वडू-भाग] १ अहोभाग्य, सौभाग्य । २ देखो बठोठ-पु. १ गर्व, घमंड । २ विशेष, अधिक ।
_ 'बडभागों। बठोबठ-वि०१ नाप के अनुसार ठीक, बराबर। २ उचित, | बडभागी-वि० [सं० वड्र-भागिन्] (स्त्री० बडभागण) १ सौभाग्य अनुरूप ।
शाली, बड भाग्य वाला । २ खुशकिस्मत, सुखी। बडंग, बडंगी-देखो 'विडंग'।
बडम-१ देखो 'बडो' । २ देखो 'वडम'। -बोल='बडबोल' । बर-१ देखो 'बडो' । २ देखो 'वट'।
बडमेधा-पु० [सं० वड़-मेधा] ब्रह्मा ।
बडराग-देखो 'बडौराग'। बमार-पु० [देश॰] बड़ का फल ।
बडवंस-पु० १ प्रसिद्ध या श्रेष्ठ कुल । २ बड़ा परिवार । बडइल-देखो 'बडहिल' ।
बडवखती-वि० सौभाग्यशाली, भाग्यवान । बडउ-१ देखो 'बडी'। २ देखो 'बटुक' ।
बरवानगन, बडवाग, बडवाग्नि, बडवानळ-देखो 'बड़वाग्नि' । बरकुमार-पु० [सं० वड-कुमार] (स्त्री० बडकुमारी) १ बड़ा | बरवार-वि० यशस्वी, कीर्तिवान। लड़का । २ युवराज ।
| बाबोर-वि० [सं० वडू-वीर बहादुर, साहसी ।
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बश्वोर
बढ़ारणो
बस्वोर-देखो 'बडबोर'।
बडीसांकळी-स्त्री० एक व्रत विशेष । (जैने) बडहंस-पु० एक राग विशेष ।
बड़यों-देखो 'बटुक'। बहससारंग-पु० सम्पूर्ण जाति का एक राग ।
बउ, बनौ-देखो 'बडी'। बरहल-देखो 'बडहिल'।
बडूकलियो, बडूकल्यौ-देखो 'भड़भोलो' । बडहार-पु० [सं० वड़-पाहार] १ विवाह के बाद बरात को | बंडूजा-देखो 'विडूजा' -बाह='विजाबाह'।
दिया जाने वाला विशेष भोज । २ देखो 'बडहर'। बडेर-देखो 'वर'। बडहिल-स्त्री० रथ, गाड़ी आदि को धुरी, कील ।
बढेरौ-वि० (स्त्री० बडेरी) १ महान्, श्रेष्ठ । २ मुख्य, प्रधान । बडांबडी-स्त्री. देवी, दुर्गा ।
३ वृद्ध, दाना । ४ बड़ा, ज्येष्ठ । ५ प्रायु के हिसाब से या बहाई-स्त्री. १ बड़प्पन की भावना । २ गुणों की श्रेष्ठता, रिश्ते या पद में बड़ा । -पु. १ पितामह, प्रपितामह,
महत्ता । ३ तारीफ, प्रशंसा। ४ यश, कीर्ति, प्रतिष्ठा । पूर्वज । २ परिवार का वृद्ध पुरुष । ३ बड़ा भाई । ५ महिमा, प्रभाव । ६ भादर । ७ प्रभिमान, गर्व । ४ परिवार का वरिष्ठ सदस्य। ८ देखो 'बढ़ई'।
बडोड़ो, बडो. बडोड़ो-वि० [सं०बड़ (स्त्री० बडी, बडोड़ी) बाणी (बौ)-१ देखो 'बढ़ाणी' (बौ)। २ देखो 'बधाणो' (बौ)। १ प्रायु में बड़ा, ज्येष्ठ । २ अग्रज । ३ पूर्वज, पुरखा। बडातत-पु० [सं० वडू-तत्त्व] महतत्त्व । बुद्धितत्त्व
४ पद या रिश्ते में बड़ा । ५ महान्, श्रेष्ठ । ६ उत्तम । बडादिन-पु० [सं० वड-दिन] १ पर्व या त्यौहार का दिन । - ७ समर्थ, प्रबल । ८ जबरदस्त, जोरदार । ९ महत्वपूर्ण । २.२५ दिसम्बर का दिन ।
१० सम्मानित । ११ सम्पन्न । १२ विशाल, विस्तृत । बापण (परणो)-देखो 'बडप्पण' ।
१३ दीर्घ, बड़ा । १४ अत्यधिक, बहुत । १५ अद्भुत, बडाबोल-देखो 'बडबोल'।
अनौखा । १६ बुझा हुमा (दीपक) । १७ खण्डित । बडारण-देखो 'वडारण'।
-पु० ब्राह्मण। बसळ-१ देखो 'वडाळ' । २ देखो 'बडी' ।
बडौराग-पु० वीर रस पूर्ण राग, सिंधु राग । बाळभुजाळ-वि० १ सर्व-समर्थ, ईश्वर । २ विशाल भुजामों बडोवेस-पु० विवाह के समय वधू के लिये बनाई गई विशिष्ट वाला, प्राजानुबाहु । ३ समर्थ, सक्षम ।
| पोशाक। बडाळी-१ देखो 'वडाळ' । २ देखो 'बडी' । (स्त्री० बडाळी) |बडो-देखो 'बडौं । बडिम, बडिमि-देखो 'बडम'।
बढ़-वि० [सं० वधित] १ बढ़ा हुमा, उन्नत । २ अधिक, ज्यादा । बडियो-पु० वट वृक्ष का फल ।
[सं० वठरः] ३ मूर्ख । ४ देखो 'बाढ़' । बडिस-देखो 'वडिस'।
बढ़ई-पु० [सं० वर्षकि] १ लकड़ी का इमारती सामान पादि बडी-स्त्री० [सं०वड] १ किसी व्यक्ति की दो स्त्रियों में से प्रथम
बनाने वाली जाति । २ इस जाति का कोई व्यक्ति, सुथार, विवाहिता स्त्री, प्रध्यूढा, प्रधिविन्ना। २ ताई। ३ देखो। खाती । ३ लकड़ी का कारीगर । 'बडी' (स्त्री०)। -इलायची-स्त्री० पूर्ण पकी इलायची। बढ़को-देखो 'बडको'। गरम मसाले में डाली जाने वाली डोडा इलायची। इस बढ़चीत-देखो 'वडचीत'। इलायची का पेड़। -जान-स्त्री० बरातियों को दिया | बदरणी (बी)-क्रि० [सं० वर्धनम्] १ वीर गति प्राप्त होना, जाने वाला एक भोज विशेष । -तीज-स्त्री० भादव के शहीद होना । २ समाप्त होना, मिटना । ३ टुकड़े होना,
कृष्ण पक्ष की तृतीया। -वाक-स्त्री० मुनक्का दाख । कटना। ४ युद्ध किया जाना। ५ अपने स्थान से कटना । बडोनीत-स्त्री. दीर्घ शंका निवारण की क्रिया । (जैन)
६ देखो 'बधणी' (बौ)। बडीबलाय-स्त्री. १ महान उलझन या झंझट वाला कार्य । बढ़वार-वि० [सं० वडू-वार] भाग्यशाली, योग्य । -पु.
२ बड़ी विपत्ति । -पु० ३ पुण्य जन, पुण्य पुरुष । ४ दानव झड़बेरी का पौधा।
दैत्य । ५ यक्ष । -वि० १ समर्थ, शक्तिशाली । २ महान् । बढ़हर-देखों 'वडहर'। बडीमा, बडीमाता-स्त्री०१ शीतला माता, चेचक । २ मां की बढ़हार-देखो 'वडहार। जेठानी, ताई।
बढ़ारणी (बी)-क्रि० १ मरवाना । २ मिटवाना, समाप्त कराना। बडीराई-स्त्री० १ लाल रंग की सरसों विशेष । २ इस सरसों ३ कटवाना, टुकड़े करवाना। ४चिरवाना५ युद्ध कराना। का पौधा।
| ६ देखो 'बधाणो' (बी)।
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बढ़ाबढ़ी
( १७१ )
बणाणी
बढाबढ़ी-स्त्री० [सं० वर्धनम्] १ मर्यादा या सीमा तोड़ने की या धोखे में प्राना, मतिभ्रम होना । १४ सुधरी अवस्था क्रिया या भाव । २ प्रतिस्पर्धा, होड़।
में प्राना, संतोषजनक अवस्था में प्राना। १५ अभिनय बढ़ार-देखो 'बडहार'।
या भूमिका करना । १६ प्राविष्कृत होना। १७ कार्य बढ़ारौ-वि० काटने या चीरने वाला।
सम्पन्न होना, पूर्ण होना । १८ अवसर मिलना, कार्य बढ़ाळी-देखो 'बाढ़ाळी' ।
साधन का मौका मिलना। १९ लक्ष्य सिद्धि होना। २० वश बढ़ाळो-देखो 'बाढ़ाळी'।
चलना । २१ संभव होना । २२ स्थिति बिगड़ने से रहना । बढ़ाव-पु० [स० वर्धनम्] १ बढ़ने की क्रिया या भाव । २ वृद्धि, २३ अप्रत्यासित योग पाना । संयोग बनता । २४ कहीं पर
बढ़ोतरी। ३ विस्तार, फैलाव। ४ विकास, प्रगति । कुछ होना । २५ निर्मित या अंकित होना । २६ सजना। ५ उन्नयन । ६ गति । ७ तीव्रता । ८ कटाव ।
२७ होना । २८ ढोंग करना । २९ व्यापारिक लाभ होना। बढ़ावणौ (बो)-१देखो'बढ़ाणी' (बौ) । २ देखो'बधाणी' (बौ)। ३० प्राप्ति या वसूली होना । ३१ निर्वाह होना, किसी बढ़ावौ-पु० [सं० वर्धनम्] १ मागे बढ़ने की क्रिया, मागे बढ़ने के दशा को चलाते रहना । ३२ व्यवस्था होना। ३३ एकत्र लिये प्रेरित करने की क्रिया। २ प्रोत्साहन । सह।
होना, जुड़ना । ३४ नवीन संबंध होना । ३५ देखो बढ़िया-वि० १ रूप-रंग के अनुसार सुन्दर, अच्छा । २ गुण व | 'बुणगौ' (बी)। स्वभाव से उच्च, उतम श्रेष्ठ । ३ जाति से उच्च।
| बणत-पु. १ मेल-जोल, प्रेम । २ बुनने की क्रिया या भाव । बढ़ोतरी-स्त्री. १ बढ़ने की क्रिया या भाव । २ उत्तरोत्तर होने
३ बुनने का ढंग, बुनावट । ४ बनावट । वाली वृद्धि । ३ उन्नति, तरक्की। ४ व्यापारिक लाभ ।
बणयांणी-देखो वणियांखी' । ५ वार्षिक वेतन वृद्धि । ६ वंश या संतान वृद्धि । ७ पोषण।।
बणरांम-देखो 'बळरांम'। ८ कटने की क्रिया ।९ प्राय या जमा पूजी की वृद्धि ।
बणराई,बणराइ (६),बणराज (राब, राय,राब)-देखो'वनराज' । वण-१ देखो 'वन' । २ देखो 'वण' । ३ देखो 'वणी'।
बणसटी-देखो 'वणस्टी'। बणक-देखो 'वणिक' । बणकर-देखो 'बुनकर' ।
बरपाई-१ देखो 'वणत' । २ देखो 'बुणाई'। बरणखंड-देखो 'वनखंड' ।
बणाक-वि० [सं० वननम्] १ किसी वस्तु को बनाने वाला, बणचर-देखो 'वनचर'।
निर्माता। २ निर्माण कार्य में दक्ष । ३ बुनाई करने वाला। बरज-१ देखो 'विणज' । २ देखो 'वाणिज्य' ।
-पु० १ एक पक्षी विशेष । २ देखो "विनायक' । बरगजरणी (बी)-देखो 'विरजणी' (बी)।
बरणारणी (बी)-क्रि० १ विभिन्न वस्तुओं, तत्त्वों, संसाधनों से बणजार-देखो 'बिणजार' ।
कोई चीज तैयार करना । बनाना, अस्तित्व में लाना । बणजारक, बणजारौ-देखो 'बिणजारौ' ।
२ कोई वस्तु उपयोग की दशा में लाना। ३ नवीन रूप में बणठण-स्त्री. १ सुसज्जित होने की क्रिया या भाव ।
परिवर्तित करना। ४ किसी पद पर प्रासीन करना ।
५ नियुक्त करना । ६ अभिनय या बनावटी प्राचरण के २ सुसज्जित होने की सामग्री।
लिये तैयार करना । ७ अपनी स्थिति को बनाये रखना । बणण-स्त्री० ध्वनि विशेष ।
८ मेल-जोल कराना, संबंध या सम्पर्क कराना, पटवाना । बमणी (बौ)-क्रि० [सं० वननम्] १ विभिन्न वस्तुओं, तत्त्वों, ६ भाव या संबंध बदलाना । १० झगड़े की स्थिति लाना,
संसाधनों से कोई चीज तैयार होना, बनना, अस्तित्व में ठनाना। ११ किसी विशेष अवस्था या दशा में करना । माना । २ कोई वस्तु उपयोग की स्थिति में आना । १२ बेवकूफ बनाना। १३ ठगना, धोखे में लेना। मति ३ नवीन रूप में परिवर्तित होना । ४ किसी पद पर प्रासीन भ्रमित करना। १४ सुधरी या संतोषजनक दशा में लाना । होना । ५ नियुक्त होना । ६ असलियत छिपाने हेतु कुछ १५ अभिनय या भूमिका कराना । १६ प्राविष्कार करना । विशेष अभिनय, प्राचरण या व्यवहार करना । ७ विषम १७ कार्य संपन्न करना, पूर्ण करना । १८ अवसर देना। परिस्थितियों का सामना करते हुए अपनी स्थिति बनाये | मौका देना । १९ लक्ष्य सिद्ध कराना । २० वश चलाना । रखना । ८ मेल-जोल होना, संबंध या सम्पर्क होना, पटना। २१ संभव करना। २२ स्थिति को बिगड़ने से बचाना। ९ भाव या संबंध बदलना । १० झगड़े की स्थिति माना, | २३ अप्रत्यासित योग बनाना । २४ कहीं पर कुछ बनाना। ठनना । ११ किसी विशेष अवस्था या दशा में होना । २५ निर्मित, चित्रित या अंकित करना । २६ सजाना। १२ बेवकूफी या हास्यास्पद अवस्था में होना । १३ ठगी २७ करना। २८ ढोंग कराना । २९ व्यापारिक लाभ
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बणारस
( १७२ )
बसीसियो
करना । ३० वसूली करना। ३१ निर्वाह कराना।। बतळाव, बतळावरण, बतलावरण-स्त्री० [सं० वार्तन] १ विचार ३२ व्यवस्था करना । ३३ एकत्र करना,जुड़ाना । ३४ नवीन | विमर्श करने की क्रिया या भाव । २ बात । ३ बोल-चाल । संबंध करना । ३५ देखो 'बुणाणी' (बौ)।
४ बात-चीत । ५ होड़, बहस । ६ सम्बोधन । ७ समझौता। बणारस-स्त्री० १एक प्रकार की शक्कर । २ देखो 'बनारस' । ८ दिखलाना या बताना क्रिया। बणारसी-वि० १ उक्त शक्कर का बना। २ देखो 'बनारसी'। बतळावणी (बी)-१ देखो 'बतळाणी' (बो)। २ देखो 'बताणी' बरणाव-पु०१ शृगार,सजावट । २ माभूषण, गहना । ३ शृगार | (बौ) ।
प्रसाधन । ४ बनावट,रचना। ५ स्वांग। ६ रूप । ७ रचना। बतसर-देखो 'वत्सर'। बणावट-देखो 'बनावट'।
बताड़णी (बी), बताणो (बी)-क्रि० १ जानकारी या सूचना बजावटी-देखो 'बनावटी'।
देना। २ परिचय देना, जान-पहचान कराना। ३ वर्णन बणावणी (बी)-देखो 'बणाणो' (बी)।
करना, कथना । ४ मार्ग दर्शन करना । ५ सलाह या बणास-१ देखो 'बाणास' । २ देखो 'बनास' ।
सुझाव देना । ६ समझाना । ७ दिखलाना, इंगित करना । बणि-१ देखो 'वणी' । २ देखो 'वण' ।
८ शारीरिक चेष्टा या संकेतों से समझाना, दर्शाना । बणिक-देखो 'वणिक'।
६ कहना, बोल देना । १० उपभोग कराना, भुगतवाना। बणिजारा-देखो 'बिणजारा'।
११ सबक सिखाना, मजा चखाना । १२ सतर्क करना, बणिजारियो, बणिजारौ-देखो 'बिणजारौं।
सचेत करना। बणियाणी-देखो 'वरिणयांणी'।
बतार-पु० नदी या सरोवर का घाट । बणियो-देखो 'वरिणक'।
बतावणी (बी)-देखो 'बताणी' (बौ) । बी-१ देखो 'बो'। २ देखो 'बनी'। ३ देखो 'वण'। | बतासौ-पु०१ तलवार की मूठ का एक भाग। २ देखो 'पतासौ'। ४ देखो 'वन'।
बति-१ देखो 'बत्ती'। २ देखो 'बात'। बणेटी-देखो 'बनटी'।
बतियां-१ देखो 'बात' । २ देखो 'बत्ती'। बणेसुर-पू० [सं० वन-ईश्वर] १ सिंह, शेर । २ हाथी, गज। |बती-१ देखो 'बत्ती'। २ देखो 'बत्ती'।३ देखो 'बात'। बणेटी-देखो 'बनटी'।
बतीस-देखो 'बत्तीस' । बणोखड़ी-स्त्री० [सं० वाणि-लकुटी] १ कपास का पौधा । | बतीसौं-देखो 'बत्तीसमौं' । २ इस पौधे के डंठल ।
बतीसौ-देखो 'बत्तीसो'। बणोड़ो-पु० १ प्रांख का एक फोड़ा, रोग विशेष । २ व्यवधान । -क्रि० वि० बीच में ।
बतौर-क्रि.वि [फा०] १ तरह से, रीति से । २ रूप में, किसी बनौ-पु. कपास का पौधा।
दशा में । तौर पर । ३ सदृश, समान । बतंगड़-पु० बढ़ा-चढ़ा कर कही हुई बात, बात का बड़ा रूप। । वत्त, बत्तड़ी-देखो 'बात'। बत-देखो 'बात' ।
| बत्ती-स्त्री० [सं० वति] १ दीपक, चिराग ।२ विद्युत से मतक-पु० [सं० वर्तक] १ एक प्रकार का जल पक्षी । जलने वाला चिराग । बल्ब । ३ चिराग में जलने वाला २ शराब रखने की सुराई। -वि. लाल ।
सूत या रुई। ४ रुई या सूत का मोटा डोरा । ५ मोमबत्ती। बतकाव-देखो 'बतळाव' ।
६ अगरबत्ती । ७ छाजन में लगने का घास का पूमाल या बतख-देखो 'बतक'।
पाक की लकडियां । ८ बंदूक, तोप मादि का पलीता ।
९ धाव में भरने को रुई या कपड की धज्जी । बतगाव-देखो 'बतळाव'।
बत्तीस-वि० [सं० द्वाविंशत] तीस और दो।-पु. तीस व दो बतरी-स्त्री. १ रहट के घेरे में लगने वाली लोहे की एक कोल | की संख्या, ३२। विशेष । २ जूए में लगने वाली एक कील ।
बत्तीसका-देखो 'बत्तीसी' । बतळ-देखो 'वंतळ'।
बत्तीसमौ (वौ)-वि० बत्तीस के स्थान वाला, इकत्तीस के बाद बतळाणी (बी), बतलारणी (बी)-क्रि० [सं०वार्तन] १ सम्बोधन | वाला।
करना । २ पूछना, प्रश्न करना। ३ हाल चाल पूछना। बत्तीसियो-वि० १ बत्तीस दांतों वाला । २ बत्तीस अंग या ४ बोलना। ५ किसी से भागे होकर बोलना। ६ विचार- भागों वाला । ३ बत्तीस लक्षणों वाला, सर्वगुणी। -पु. विमर्श या बात-चीत करना । ७ देखो 'बताणी' (बी)। । १ एक पक्षी विशेष.। २ देखो 'बत्तीसौ' ।
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बत्तीसेक
( १७३ ।
बदबू
बत्तीसेक-वि० बत्तीस के लगभग ।
भाग्य वाला । अभागा। हतभाग्य। -किस्मती-स्त्री. बत्तीसी-स्त्री०.१ मनुष्य के मुंह में ऊपर-नीचे स्थित दंत | बुरे भाग्य । प्रभाग्य । -खोर, खोरी-वि० दुष्ट, नीच ।
पंक्तियां । २ बत्तीस दांतों का समूह । ३ एक ही प्रकार की कमीना । हरामी। -स्वाह-वि० बुराई चाहने वाला । बत्तीस वस्तुओं का समूह । ४ बत्तीस छंदों का समूह । अहित चितक । शत्रु, विपक्षी। -चलण (न)-वि० कुमार्ग ५ विवाह के अवसर पर वर-कन्या के ननिहाल वालों को गामी, वेश्यागामी । दुश्चरित्र । -चलणी (नी)-स्त्री० दिया जाने वाल विशेष निमंत्रण । ६ वैवाहिक निमंत्रण, बुरा आचरण । व्यभिचार । वेश्यागमन । -जबांन-वि० कुम-कुम पत्रिका।
गंदी भाषा बोलने वाला। गाली देने वाला । कटुभाषी। बत्तीसौ-वि० (स्त्री० बत्तीसी) १ शक्तिशाली, समर्थ । २ चतुर --जात-वि० नीच कुलोत्पन्न । कमीना, नीच, दुष्ट ।
पंडित । ३ विद्वान । -पु. १ नर बलि के लिये निश्चित बदमाश । -तमीज-वि० अनुचित पाचरण करने वाला। मनुष्य । २ बत्तीस पदार्थों के मिश्रण से बना अफीम । प्रशिष्ट, असभ्य । नीच, ढोट, धष्ट । -तमीजी-स्त्री० ३ बत्तीस सुगंधित पदार्थों से बना धूप । ४ बत्तीस पौष्टिक अशिष्टता । धृष्टता, नीचता । -विमाग-वि० तुनक पदार्थों से बना खाद्य पदार्थ । ५ बत्तीस की संख्या वाला मिजाज, चिड़चिड़ा । अड़ियल । घमण्डी।-दिमागी-स्त्री. वर्ष । ६ एक छन्द विशेष ।
चिड़चिड़ापन । घमण्ड । अड़ियलपन । -नसीव-वि० बसेरो-वि. १ विशेष प्रधिक । २ देखी 'वतेरौं'।
बुरे भाग्य वाला । अभागा । -नसीबी-स्त्री० बुरे भाग्य । बत्थ-देखो 'बाथ'।
प्रभाग । -नीत, नीयत-वि० बुरी नीयत या भावना बत्युविजा-स्त्री. वास्तु विद्या।
वाला । बईमान । लोभी, छलिया । दुष्कर्मी। नीयतीबत्रा-वि० बिखरा हुआ।
स्त्री० बुरी नीयत या भावना। बत्रारि-पु० [सं० वृत्र-परि] इन्द्र ।
बवगांठ-स्त्री० [सं० वर्म-प्रथि] एक प्रथि रोग विशेष । बत्रीसलक्षणो-देखो 'बत्तीसलखणो' ।
बदरणी-१ देखो 'बंधणी' । २ देखो 'बधणो' । बत्सर-देखो 'वत्सर'।
बदरणी (बी)-१ देखो 'वदरणी' (बी) । २ देखो 'बधरणी' (बी)। बथ-देखो 'बाथ'।
बदतर-वि० [फा०] अपेक्षाकृत तुच्छ, हेय, नीच, खराब । बथकड़-पु० १ मल्ल युद्ध । २ देखो 'बाथ ।
दुदुमा-स्त्री० [फा० बद+प्र. दुपा] १ प्रशुभ कामना, बधणौ (बौ)-क्रि० मिलना, प्राप्त होना ।
अशुभ चितन । २ अभिशाप, दुराशीश, शाप । ३ हाय । बपी-पु. [सं० वास्तुकम्] १ अधिकतर गेहूं व जौ के खेतों में
बदन-पु० [अ०] १ शरीर, देह, तन । २ देखो 'वदन'। होने वाला एक पौधा । २ उक्त पौधे का पत्ता।
बदनाम-वि० [फा०] १ कुख्यात । २ अपने प्राचरण के प्रति बधारणौ (बी)-क्रि० १ भिड़ना, युद्ध करना। २ मल्ल युद्ध
अप्रतिष्ठित, बेइज्जत । ३ निन्दित, अपकीति वाला। करना।
बदनामी-स्त्री० [फा०] १ बदनाम होने की अवस्था या भाव । बयुनो, बथुवी-पु. १ एक छंद विशेष । २ देखो 'बथवी'। २ निन्दा, अपकीति । ३ कुख्याति, अप्रतिष्ठा, बेइज्जती । बधूडणी (बौ)-क्रि० १ छानबीन करना, खोज करना । २ळूस- बदनीयत-[सं०] धोखेबाज, कपटी, छल करने वाला।
ठूस कर खाना । ३ इकट्ठा करना । ४ कुश्ती लड़ना, बदनौ-वि० १ बदन का, बदन संबंधी । २ शरीरधारी, धक्का देना। ५ छीनना।
देहधारी । ३ मुहवाला। बघूळ, बळियो, बळी-पु० [सं० वातुल] चक्कर खाती हुई | बदन्न-देखो 'बदन' ।
तेज चलने वाली हवा । वायु का गुल्म । वातचक्र । बदपरहेज-वि० [फा०] कुपथ्य लेने वाला। बथोबथ-देखो 'बाथोबाथ'।
बदपरहेजी-स्त्री० [फा०] १ कुपथ्य का सेवन । २ कुपध्य । बज्य-देखो 'बाथ'।
बदफैल-वि० [फा०] १ बदमाश, उद्दण्ड । २ दुष्कर्मी । .. बद-वि० [फा० बद] १ दुष्ट, नीच, मनहस । २ उपद्रवी, बदफैली-स्त्री० [फा०] १ बदमाशी, उद्दण्डता। २ दुष्कर्म ।
फिसादी। ३ बुरा, खराब । ४ देखो 'वद'। -अमल-वि० ३ व्यभिचार । दुष्कर्म करने वाला। बुरे कर्म करने वाला । -प्रमली-स्त्री.
| बदबखत-वि० [फा०] जिसका वक्त बुरा हो। प्रभागा । कुप्रबंध । अव्यवस्था । बुरा शासन । अराजकता । | बबबसती-स्त्री० [फा०] बुरा वक्त । प्रभाग । -इंतजाम, इंतजामी-स्त्री० अव्यवस्था । अराजकता , बदबू, बदबोई, बदबोय(बोह), बदबो-स्त्री॰ [फा०बदबू] १ बुरी -कार-वि० दुष्कर्मी, कुकर्मी । दुराचारी। -कारी-स्त्री० | गंध, दुर्गन्ध । २ अपकीर्ति, बुराई। -वार-वि०-दुर्गन्ध । कुकर्म । दुराचार । व्यभिचार । -किस्मत-वि० बुरे युक्त ।
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बदमास
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( १७४ )
बदमास - वि० [फा० बदमाश ] १ बुरे श्राचरण या स्वभाव वाला । २ उद्दण्ड, उपद्रवी । ३ नीच, बुष्ट । ४ बदचलन, व्यभिचारी । ५ लुच्चा, बईमान । ६ नटखट । बदमासी - स्त्री० [फा० बदमाशी ] १ बुरा श्राचरण या स्वभाव । २ उद्दण्डता, उपद्रव । ३ नीचता, दुष्टता । ४ व्यभिचार । ५ लुच्चापन, बईमानी । ६ नटखटपन | देखो 'बददिमाग'।
बदमिजाजी देखो 'बददिमागी' ।
बदरंग वि० [फा०] १ जिसका रंग विकृत या फीका हो गया हो । २ बुरे रंग का । ३ विवर्ण, भिन्न रंग का । ४ खराब, खोटा । ५ अन्य रंग खेलने वाला खिलाड़ी (ताश ) । बदरंगी स्त्री० [फा०] १ बदरंग होने की अवस्था या भाव। २ रंग का फीकापन या विकृति । ३ खोटापन । ४ अशुभ या बुरा रंग ।
बदरको स्त्री० [लगाड़ी में घास घादि भरने के लिये ऊपर लगाई जाने वाली लंबी लकड़ी।
बदरा पु० [सं०] [भ] १ कल्याण २ देखो 'बदरा'। बराह - वि० [फा०] १ बुरे रास्ते चलने वाला, पथ भ्रष्ट कुमार्गी । २ व्यभिचारी । ३ दुर्व्यसनी । ४ दुष्ट, पाजी । - पु० १ कुमार्ग, कुपंथ । २ व्यभिचार, दुर्व्यसन । बदरी - स्त्री० [सं०] १ बेर का पेड़ । २ हिमालय की एक चोटी का नाम कई रंगों के चकत्तों वाली गाय ४ देखी 'बदरीनाथ' ।
।
बदरीकाश्रम, बदरीनाथ, बदरीनारायण, बदरीबिसाल पु० १ हिमालय पर स्थित हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ २ उक्त तीर्थ में प्रतिस्थापित देवता ।
बदरी पु० चितकबरा, पशु
बबळ - पु० [अ० बदल] १ अदल-बदल, हेर-फेर परिवर्तन । २ देखो 'बादळ' |
बदळणी (बौ) - क्रि० १ परिवर्तन होना, हेर-फेर होना । २ एक स्थिति से दूसरी में घाना ३ एक स्थान से दूसरे पर आना । ४ एक के स्थान पर दूसरा श्राना । ५ पद या नियुक्ति में परिवर्तन होना । ६ मनस्थिति बदलना । ७ पीछे की ओर घूमना, मुड़ना । ८ विरुद्ध होना । ९ वादे या बात से मुकरना, इन्कार करना । १० वेश परिवर्तन करना । ११ एक के स्थान पर दूसरे को लाना । १२ विषयान्तर करना । १३ परिवर्तन करना । १४ परस्पर हस्तान्तरण करना । १३ दिशा परिवर्तन करना । बवळाणी (बौ) - क्रि० १ परिवर्तन कराना, हेर-फेर कराना । २ एक स्थिति से दूसरी में लाना ३ एक स्थान से दूसरे पर कराना । ४ एक के स्थान पर दूसरे को लिवाना ।
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६ मनस्थिति बदलाना ।
८ विरुद्ध कराना ।
५ पद या नियुक्ति में परिवर्तन कराना ७ पीछे की ओर घुमवाना, मुड़वाना ९ वादे या बात से मुकराना, इन्कार कराना । १० वेश परिवर्तन कराना । ११ विषयान्तर कराना । १२ परिवर्तन कराना । १३ परस्पर हस्तान्तरण कराना । १४ दिशा
बदलाना । बबळायत - वि०
० १ जो बदला लेना चाहता हो । २ शत्रु वैरी । ३ एवज में काम करने वाला, स्थानापन्न । बळावण (बौ) - देखो 'बदळाणी' (बी) ।
बदळी - स्त्री०. १०. १ बदले हुए होने की अवस्था । २ स्थानान्तरण, तबादला । ३ देखो 'बदल' । ४ देखो 'बादळ' |
बबळे, बदळं - क्रि०वि० १ एवज में । २ पदल-बदल करने पर ।
बदारणो
३ स्थानापन्न दशा में । ४ लिये, वास्ते ।
बदलौ - पु० १ बदलने की क्रिया या भाव। २ किसी वस्तु के एवज में ली जाने वाली वस्तु । ३ क्षतिपूर्ति का धन । ४ प्रतिकार प्रतिक्रिया ५ प्रति व्यवहार ६ प्रतिफल, भुगतान । ७ मुद्रावजा, मुआवजे का धन । ८ प्रतिशोध, वंर । 8 स्थानापन्न, एवज । १० देखो 'बादळ' | बदवा - देखो 'बद्दुआ' ।
बदसलूक - वि० [फा०] १ दुर्व्यवहार करने वाला, बुरा सलूक करने वाला । २ असभ्य, अनाड़ी ।
बहसको स्त्री० १ दुर्व्यवहार बुरा व्यवहार२ सभ्यता, अनाडीपन ।
।
बदसाह देखो 'बादशाह' बदसूरत वि० [फा०] जिसका चेहरा सुन्दर न हो, जो रूपवान न हो । कुरूप ।
-
बदस्तूर - क्रि०वि० [फा०] १ परिवर्तन के बिना यथावत् यथा पूर्व इंगसर २ कायदेसर नियमानुसार ३ परम्परा या रूढ़िगत । ४ निरन्तर ।
बदहजमी स्त्री० [फा०] १ अपच का रोग, अजी २ किसी बात को मन में न रख पाने की अवस्था । बदम-देखो 'बादाम
बदाम १ देखी 'बदावण' २ देखो 'बदावन' बदांमणौ- देखो 'वधांमणी' |
मणी (ब)- देखो 'वधारणी' (बी) । बदामी - देखो 'बादांमी' |
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बदारणौ (बौ) - १ देखो 'वदाणी' (बी) । २ देखो 'बधारणी' (बी) । बदाबदी स्त्री० १ वाद-विवाद । २ होड़, प्रतिस्पर्धा । ३ किसी को नीचा दिखाने या रखने की प्रवृत्ति । बदारी (बौ) - देखो 'वधारणी' (बी) ।
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बदावरण
बधारणी
बवावरण-स्त्री० [सं० बद्ध-दामन्] १ खाट के पैताने की प्रोर विद्या, योग्यता में वृद्धि होना। ७ विशेष गुण प्राप्त
खींच कर लगायी जाने वाली मूज या सूत की रस्सी। करमा, विशिष्ट होना । ८ परिणाम या नाप तौल में वृद्धि २ देखो 'वदावन'।
होना । ६ अधिक व्यापक होना । १० प्रबल या तीव्र होना । बवावरणी-देखो ‘वधांमणो' ।
११ प्रतियोगिता में प्रागे होना, अग्रगण्य होना । १२ धन बवावरणो(बो)-१ देखो'वधाणो' (बो) । २ देखो 'वदाणी' (बौ)। या सम्पत्ति में वृद्धि होना। १३ वस्तुओं की कीमतें बढ़ना । बबावन-१ देखो ‘वदावन' । २ देखो 'बदावरण' ।
१४ अस्त होना । १५ मारना, संहार करना, वध करना। बवावी-देखो 'बधावों।
१६ देखो 'वदणी' (बौ)। बवि, बबी-स्त्री० [फा० बदी] १ बुरी या गंदी बातें । बधतीवेस-स्त्री० युवा अवस्था । जवानी ।
२ निन्दनीय चर्चाः। ३ निन्दा, कटवी, मालोचना । ४ बुरा | बधती-वि० [सं० वर्धनम्] (स्त्री० बधती) १ निश्चित मात्रा
कार्य, कुकर्म । ५ बदनामी । ६ बईमानी। ७ देखो 'वदि'। से कुछ अधिक । २ अग्रसर । ३ चढ़ता हमा, उन्नत । बबीत-देखो 'विदित'।
४ विकासशील, विकसित । ५ विशिष्टता प्राप्त, विशेष । बबीती-वि० १ प्रसिद्ध, विख्यात । २ कबूल किया हुमा ।
६ उत्तरोत्तर वृद्धि करने वाला, प्रगतिशील । ७ अस्त होने बदोलत, बदौलत-क्रि० वि० [फा० बदौलत] १ अनुग्रह या कृपा को उन्मुख । ८ तेजी की मोर उन्मुख ।
से । २ प्रयत्न या प्रयास से । ३ अवलंब या सहारे से । बधरणौ (बो)-देखो 'वधरणो' (बी)। ४ कारण, वजह से । ५ द्वारा ।
बधराणी (बी), बधरावणी (बी)-देखो 'वधराणी' (बी)। बद्दल-देखो 'बादळ' ।
बधरोम-देखो 'वधरोम'। बद्दळी-१ देखो 'बदळी' । २ देखो 'बादळी' ।
बधवा-स्त्री० १ तोप, बंदूक मादि के छूटने का धूपा । बद्दळी-१ देखो 'बदळो' । २ देखो 'बादळ' ।
२ आतिशबाजी का धूमा । ३ देखो 'विधवा'। बख-वि० [सं०] १ बंधन में पड़ा हुमा । २ हथकड़ी या बेड़ी में | बधहोणी-स्त्री० [सं० बध-भू] १ धरती, भूमि, पृथ्वी। २ कलह
जकड़ा हुमा, कैदी, बंदी । ३ गिरफ्तार किया हुआ । करने वाली स्त्री। ४ किसी प्रकार के घेरे में पड़ा हुमा । ५ प्रतिबंध लगा
तिबंध लगा बधामरणो-देखो 'वधांमणी'। हुआ। ६ गतिरोध प्राया हुमा, प्रवरुद्ध, रोका हुमा ।
| बधामणौ (बी)-देखो 'बधाणी' (बी)। ७ बनाया हुमा, रचा हुमा । ८ जमा हुमा । ९ जुड़ा हुमा, सटा हुमा, संलग्न । १० सज-धज कर तैयार, पहना हुप्रा ।
बधाई-स्त्री० [स. वर्धय] १ मांगलिक या शुभ अवसरों का ११ निर्धारित या निश्चित । १२ फंसा हुमा, उलझा हुप्रा।
उत्सव । २ शुभ संवाद, खुशखबरी । ३ शुभ संवाद देने १३ सांसारिक प्रपंच में पड़ा हुप्रा । -कोस्ठ-पु० कब्ज
वाले को दिया जाने वाला पुरस्कार । ४ घर में शुभ कार्य का रोग। कब्ज हो जाने की दशा।
या खुशी की घटना होने पर इष्ट मित्रों व संबंधियों में बद्धणी (बी)-१ देखो 'बधणो' (बी)। २ देखो 'बंधणी' (बौ)।
बांटा जाने वाला मांगलिक पदार्थ । ५ माशीर्वचन । बी-स्त्री०१ रंगे हुए चमड़े का पतला फीता, कस्सा । २ गंडा
६ मुबारकवाद, शुभकामना । ७ स्वागत ।-बार, हार-वि० ताबीज।
शुभ संवाद या खुश खबरी देने वाला। मुबारकवाद देने बद्राचळ-देखो "विध्याचळ' ।
वाला । पाशीर्वचन कहने वाला। बद्रीनाथ, बद्रीपति-देखो 'बदरीनाथ' ।
बधाउड़ी, बधाऊ, बधाऊड़ी-वि० [सं० वर्धय] १ शुभ समाचार बध-देखो 'वध'।
या बधाई संदेश देने वाला, लाने वाला । २ शुभ कार्य बधक-१ देखो 'वधिक' । २ देखो 'वधक' ।
या भावी घटना की सूचना देने वाले लक्षण, चिह्न, प्रतीक । बधको-वि०१ कीमती । २ बढ़िया, अच्छा । (स्त्री० बधकी)
३ अधिक, विशेष । -पु. १ वर्षा की सूचना देने वाला बधरणी-वि० [सं० वर्धनम्] १ बढ़ने योग्य । बढ़ने वाला । २ जोर पतंगा। २ देखो 'बधावी'।
लगने पर बढ़ जाने वाला । ३ लचीला, लोचदार । बधारणौ-वि० [सं० वर्धन] (स्त्री० बधारणी) वृद्धि करने ४ देखो 'बंधणो'।
वाला। बधरणी (बौ)-क्रि० [सं० वर्धनम्] १ प्राकार-प्रकार या क्षेत्र में बधारणौ (बो)-क्रि० [सं०वर्धावनम्] १ स्वागत.करना, अगवानी वृद्धि होना । २ निश्चित सीमा से बाहर होना। ३ मागे
करना । २ उत्सव मनाना, खुशी मनाना। ३ सम्मान, चलना, अग्रसर होना। ४ उन्नत होना, ऊपर उठना । प्रादर या सत्कार करना । ४ प्राकार-प्रकार, क्षेत्र या मात्रा ५ विकसित होना, प्रफुल्लित होना, खिलना । ६ गुण, में वृद्धि करना । ५ निश्चित सीमा से बाहर या मागे करना,
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बधापौ
बधावधी- देखो 'बढ़ाबढ़ी' ।
बधारणी (ब) देखो 'धारण' (बी) ।
बढ़ोतरी ३ देखो 'विधारी' । बधाव - पु० [सं०] वर्धन] १ बढ़ा हुआ स्थिति, वृद्धि, अधिकता, विशेषता फैलाव । ४ मूल्य वृद्धि । बधावणौ- देखो 'वधांमणी' |
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बनरियों, बनणी- देखो 'बंधणी' | बनता - देखो 'वनिता' ।
बढ़ाना । ६ आगे चलाना, अग्रसर करना । ७ उन्नत करना ऊपर उठाना । ८ विकसित करना । ९ गुण, विद्या में बढ़ोतरी करना, योग्यता बढ़ाना १० विशिष्टता प्राप्त • कराना । ११ परिमाण, नाप तौल में वृद्धि करना । १२ अधिक व्यापक करना । १३ प्रबल या तीव्र करना । १४ प्रतियोगिता में भागे रखना १५ धन-सम्पत्ति बढ़ाना १६ कीमतें बढ़ाना । १७ दुकानदारी समेटना ।
नतुलसी देखो 'वनतुलसी'। बनव- देखो 'वनद' ।
,
वनविधि- देखो 'वननिधि' ।
बननेटिय पु० वैमनस्य धनवन
बनपत (पति, पती) - देखो, 'वनपति' ।
बधापौ पु० [सं०] वर्धनम् ] १ वृद्धि २ सन्तानोत्पत्ति, वंश बनपसा स्त्री० [फा० बनपक्ष ] एक प्रकार की वनस्पति जो वृद्धि ।
श्रौषधि में काम प्राती है ।
वनपाळ, बनपाळक - देखो 'वनपाळ' | बनफळ - देखो 'वनफळ' ।
बनबास - देखो 'वनवास' । बनमय देखो 'वनमय' ।
बधारौ - पु० [सं० वर्धार ] १ शासन की अच्छी सेवा के बदले दी जाने वाली अतिरिक्त जागीर ( मध्यकाल) २ तरक्की,
( १७६ )
1
धाव (बी) देखो 'बधाणी' (बो) ।
बधावा - पु० [सं०] वर्धाप] १ स्वागत, अगवानी २ मंगल गान, लोक गीत ३ मानन्दोत्सव उत्सव ४ खुशी पर बोटा जाने वाला पदार्थं । ५ देखो 'बधाऊ' ।
बनकर देखो 'वनकर' ।
बनखंड- देखो 'वनखंड' ।
होने की अवस्था या २विकास ३ विस्तार
1
1
बधिक - देखो 'वधिक' ।
बधिर वि० [सं०] जिसकी श्रवणेन्द्रियां निष्क्रिय हों, बहरा
बधिरता - स्त्री० बहरापन ।
बधिसमर पु० [सं० समरवधी] योद्धा, पुरवीर ।
बघु ब-१ देखो 'वधू' २ देखो 'बाध'
बधेषी-देखो 'बधापी' ।
बध-देखो 'बाधो' (स्त्री० बधी)
धरण (ब) - १देखो 'बंधणी' (बो) । २ देखो 'बधणी' (बी) ।
बधी - १ देखो 'बद्धी' । २ देखो 'वृद्धी' ।
बच्चो-देखो 'बाघ' (स्त्री० बध्धी ) ।
बन-देखो 'वन'
बनखंडी- देखो 'वनखंडी' ।
बनगव (गाय, गाव) - देखो 'वनगव' । बनड़ी - देखो 'बनी' ।
बड़ी-देखो 'बनौ' |
इनवर (चरी, चारी) देखो 'वनपर' । बनज - १ देखो 'वनज' । २ देखो 'विराज' । ३ देखो 'वाणिज्य' । बनजारी-देखो 'बिजारों' ।
बनमानस (मांनुस ) - देखो 'वनमांनुस' । वनमाळ (माळा) देखो 'वनमाळा' | बनमाळी वनमाळी-देखो 'वनमाळी' । बनर - देखो 'वानर' ।
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-
बनराइ, बनराज ( राय, राव) - देखो 'वनराज' । बनवास, बनवासी देखो 'वनवास' । बनसपति, बनसपती- देखो 'वनस्पति' । बन्दसी-१ देखो 'वंसी' २ देखो 'बंदी' । बनस्पति, बनस्पती - देखो 'वनस्पति' ।
बनावटी
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बनाम - अव्य० [फा० बनाम ] १ किसी के नाम पर या नाम से । २ किसी के प्रति या अपेक्षा में ३ विरोध में, विरुद्ध । ४ सामने, मुकाबले में ।
बनात - पु० १ रंग विशेष का ऊनी या रेशमी उत्तम वस्त्र, चादर । २ रंगीन रस्सी या डोरी । ३ वनात के रंग का वस्त्र । बनाती - वि० १ बनात का, बनात संबंधी । २ बनात के रंग वाला ।
बनाफर पु० एक क्षत्रिय वंश या इस वंश का व्यक्ति ।
बनारणौ (बौ) - देखो 'वधारणी' (बौ) ।
बनारस स्त्री० [सं० वाराणसी] काशी नगरी का एक नाम। बनारसी - वि० [सं० वाराणसी ] उक्त नगरी का, उक्त नगरी संबंधी । पु० १ बनारस का निवासी २ बनारस में निर्मित वस्तु ।
बनावट - स्त्री० १ किसी वस्तु की रचना, निर्माण विधि, ढांचा,
शैली, विधान । २ रूप रेखा, आकार-प्रकार ३ दिखावा मात्र, सत्यता की नकल । ४ कृत्रिमता । ५ ढोंग, प्राडंबर | बनावटी वि० १ जिसमें वास्तविकता का अभाव हो। २ जिसमें वास्तविता की नकल हो । ३ कृत्रिम, मकली । ४ कल्पित ।
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बनास
( १७७ )
बमकरणी
बनास-स्त्री० १ अरावली से निकल कर चंबल में गिरने वाली | अपुख-१ देखो 'वपुस' । २ देखो ‘वपु' । एक नदी । २ देखो 'विनास' ।
बपूकार-देखो 'बापूकार'। बनासपति (पति)-स्त्री०१ नाशपति नामक वृक्ष व उसका फल । बपूकारणी (बी)-देखो 'बापूकारणो' (बी)। २ देखो 'वनस्पति'।
अपूकारिईनौ, बपूकारियौ-देखो 'बापूकारियो' । बनि-१ देखो 'वनी' । २ देखो 'बनी' । ३ देखो 'वनि' । बयो-देखो 'पपईयो। . बनिता-देखो 'वनिता'।
बपोती, बपौती-देखो 'बापोती'। बनियांन-पु. १ कुर्ता । २ गंजी, बंडा।
बप्प-१ देखो ‘वपु' । २ देखो 'बाप' । बनिस्पत, बनिस्बत-क्रि० वि० [फा० बनिस्बत] १ किसी की बप्पड़ो, बप्पडौ-देखो 'बापड़ी।
तुलना में, मुकाबले में । २ अपेक्षा में। ३ तुलनात्मक बप्पियारी, बप्पीउ, बप्पीह, बप्पीही-देखो 'पपईयो' । दृष्टि से।
| बप्पु-१ देखो 'वपु'। २ देखो 'बाप' । बनी-स्त्री०१ दुल्हन । २ नववधू । ३ सरपंखा नामक पौधा। बफातो-वि० [सं० वाष्पं] जिसमें भाप निकल रही हो, भाप ४ देखो 'वनी'।
1. युक्त । बनीत-पु० [सं० वैनतेय] गरुड़ ।
बफादार-देखो 'वफादार'। बनू-देखो 'बनो'।
बफादारी-देखो 'वफ़ादारी' । बनेई-देखो 'बहनोई'।
बफारी-पु० [सं० वाष्प-धारा १ उबलते पानी में दवा डालने बन-पु० [सं०द्वि] दोनों, दो।
से निकलने वाली भाप । २ उक्त भाप से किया जाने वाला बनेटी, बनठी-स्त्री० [सं० वन-यस्ठी] पट्टे बाजी में काम पाने सेंक । ३ तपाने या सेंक करने की क्रिया । ४ प्रांख पर वाली एक प्रकार की छड़ी।
साधारण चोट लगने पर कपड़ा लगाकर मुंह की भाप बनोक-देखो 'वनोक'।
से किया जाने वाला सेंक । बनोळी-देखो 'बंदोळी'।
बफीजणी (बौ)-क्रि० १ भाप से उबलना, सीजना, पकना, गर्मी बनौ-पु. (स्त्री० बनी) १ दूल्हा, वर । २ किसी युवक या कुमार पाना। २ 'बफारा' से सिकताव किया जाना। ३ उबलना ।
का संबोधन । ३ वर के प्रति गाने का एक लोक गीत । ४ अत्यधिक गर्मी महसूस करना । । ४ देखो 'बांनो' ।
बबकरणौ (बौ), बबक्कणी (बी)-देखो 'भभकणो' (बी)। बन्न-देखो 'वन'।
बकाणी (बी)-देखो 'भभकाणी' (बी)। बन्नउळो, बन्नउलो-देखो 'वंदोळी' ।
बबक्काणौ (बी)-देखो 'भभकाणी' (बौ)। बन्नर-देखो 'वानर'।
बबर-पु० [अ०] शेरों की एक जाति व इस जाति का शेर। बन्नरवाळ-देखो 'बांदरमाळ' ।
-वि०१ वीर, बहादुर । २ जबरदस्त, भयंकर । बन्नी-वि० [सं० वनं] १ बनी हुई, निर्मित । २ देखो 'बनी' || बबरची-देखो 'बावरची'। -खांनी= 'बावरचीखांनो' । ३ देखो 'बनी' । ४ देखो 'वनि'।
बबरेल, बबरैल-देखो 'बबर'। बन्नीत-देखो 'बनीत'।
बबहियो-देखो 'पपईयो'। बन्नौ-देखो 'बनो'।
बबाजांन-देखो 'बाबाजांन'। बन्यावांना-स्त्री० गुजराती नटों की एक शाखा ।
बबीईयो-देखो 'पपईयो । बन्हिा बन्ही-१ देखो 'बनी' । २ देखो 'वनि' । ३ देखो 'वनी' । | बबीहो-देखो 'पपईयो' । बन्हे, बन्हे-देखो 'बनै'।
बबूळ, बबूळियौ, बबूळी-१ देखो 'बांवळ' २ देखो 'बथूळो' । बप-१ देखो 'वपु'। २ देखो 'बाप'।
बबेक-१ देखो 'विवेक' । २ देखो 'विसेस' । बपटो-पु० [सं० द्विपट्ट] १ एक ही हरीसा में जुड़े दो हल । बबयो-देखो 'पपईयो'। २ दो पाट की कोई वस्तु ।
बब्बर-देखो 'बाबर'। बपत, बपता-देखो 'विपदा' । अपराणी (बी)-देखो 'वपराणो' (बी) ।
बब्बीही-देखो 'पपईयो। बपा-देखो 'वपा'।
बब्बुळ, बब्बूळ-१ देखो 'बांवळ' । २ देखो 'बथूया, बपीही-देखो 'पपईयो'।
बम्मीखण, बब्भीसण-देखो 'विभीसण' । बपु-१ देखो 'वपु' । २ देखो 'बाप' ।
बभखणी (बौ)-देखो 'भभकणी' (बो)।
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बभूत बघू बघूती देखो 'विभूति' सिद्ध सिध 'विभूति सिद्ध' ।
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( १७८ )
(ब) वणी ( वो देखो 'भभकारणों (बी) बयान पु० [० बयान] १ बातचीत २ चर्चा, जिवन बीच बी-देखो 'विभीसण'।
उल्लेख । ४ वृत्तान्त, हाल-चाल । ५ सूचना । ६ न्यायालयों में होने वाले वादी प्रतिवादी व गवाहों के वक्तव्य । यस वर्षाळीस देखो 'पाळी
"
बभीत पु० [सं० विभीत] १ बहेड़ा नामक वृक्ष । २ इस वृक्ष फल जो औषधियों प्रयोग लिया जाता है । बभीसरण - देखो 'विभीसरण' ।
बी-देखो 'बळी'।
बमीण, मीन, बम्भीसरण- देखो 'विभीम'।
बन ु, बच्च–पु० [सं०] १ अग्नि, आग । २ भूरा रंग । ३ भूरे केशों वाला मनुष्य । ४ शिव । ५ विष्णु । ६ न्योला, नेवला, नकुल । ७ एक राजा जो ययाति का पौत्र एवं द्रह्य का पुत्र था। ८ रोमपाद का पुत्र एक राजा । ९ विश्वामित्र ऋषि के ब्रह्मज्ञानी पुत्रों में से एक। वि० १ सांवला । २ भूरा । ३ श्वेत । ४ गंजा - बाहरण, वाहन-पु० अर्जुन का एक पुत्र ।
बम - देखो 'बंब' |
बमण, बमरोटी, बमरगोटी, अमणो-देखो 'दूणी' (स्त्री०बमणी ) । बम (ब) क्रि० [सं० वमनम् ] १ वमन करना, उबलना करना । २ बात प्रगट करना । बर्मा-देखो 'विमण' ।
देखो वितंड' २ देखो 'बंदी'।
वयं
बय- देखो 'वय' ।
बांगियो - पु० अनाज का एक माप, परिमाण विशेष । मिसन मिलनि, यमीलन इमीलनि पु० नगाड़ा
जब जब समूजय, बमूजिव कि०वि० तदनुसार मुताबिक बमूह - देखो 'विमुह' ।
मेक देखो 'विवेक' |
बयल, बयल्ल- देखो 'बैल' ।
बयस - १ देखो 'वयस' । २ देखो 'वेस्य' । बसरण (बौ) - देखो 'बैठणी' (बौ) ।
,
कुट, बयकूट - देखो 'वैकु ंठ' ।
"
बयट्ठरौ (बौ) - देखो 'बैठणी' (बो) । ट्ठारो (बी) - देखो 'बैठाणी' (बौ) ।
(ब) - देखो 'बैठणी' (बी) ।
बयठाणौ (बौ) - देखो 'बैठाणी' ( बौ) ।
बयरण, बयन - देखो 'वचन' ।
बयर - १ देखो 'बैर' । २ देखो 'वर' । ३ देखो 'बोर' |
बयल पु० [सं०] वलन्] १ सूर्य २ वीर बलवान पुरुष ।
३ तेज, प्रोज। स्त्री० ४ आभा, कांति |
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1
बरकरार
पळस बळी ० १ बयालीस का समूह २ बयालीस का वर्ष ।
बयार स्त्री० [सं०] वायुः] पवन, वायु, शीतल व मंद पवन । बयाळिस, बयाळी, बयाळीस, बयालीस - देखो 'बंयाळी' | बयासी देखो 'बंवासी' ।
बयौ, बय्यो- देखो 'बइयो' ।
बरंग, बरंगळ- पु० १ टुकड़ा, खंड । २ भाग, अंश । ३ कवच, सनाह । ४ देखो 'वरंग' ।
बरंगा - देखो 'वारंगा' ।
बरंगी - वि० १ जबरदस्त जोरदार । २ भयंकर, भयावह । २ देखो 'बरंगी'।
बरंगोळ - देखो 'बरंग' ।
बरौ ०१ छत को पाटने की छोटी लकड़ी २ छत पाटने की पत्थर की छोटी पट्टी । ३ डडा । ४ देखो 'बरंग' | बरंडी-देखो 'मिटी' ।
बरंडौ- देखो 'वरंडी' ।
बर स्त्री० १ लंबी यात्रा या थकान से शरीर में होने वाली जकड़न । २ करुण क्रन्दन । ३ देखो 'वर' । ४ देखो 'वार' | बरभंग - देखो 'वरांग' ।
बरकंदाज - वि० [फा०] १ शीघ्र उपस्थित होने वाला, फुर्तीला ।
२ तैयार रहने वाला पु० १ तोरेदार बन्दूक रखने वाला सिपाही । २ चौकीदार । ३ एक महकमा । बरक- स्त्री० [अ० बर्क] १ बिजली, विद्युत। २ चिल्लाहट । ३ गर्जना । ४ राड़ । ५ मांस । ६ देखो 'वरक' । वरकरणी (बी) कि० १ जोशपूर्ण भावाज करना, दहाड़ना, गर्जना । २ चिल्लाना, चीखना। ३ दु:ख या दर्द भरी आवाज करना । ४ देखो 'बड़कणी' (ब)।
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बरकत (स) स्त्री० [०] १ अावश्यकताओं की पूर्ति घासानी
से होते रहने की दशा या अवस्था २ निर्वाह, गुजारा। ३ बचत । ४ लाभ, फायदा, वृद्धि । ५ क्षमता, गुंजाईश धनु, कुरा ७ प्रारंभ शुरूवात की संख्या ( मंगल भाषित) ।
एक
बरकमदाज- देखो 'बरकंदाज' ।
बरकर - १ देखो 'बकर' । २ देखो 'बकरौ' ।
बरकरार - वि० १ जो अपने अस्तित्व में हो, वर्तमान हो । २ कायम मौजूद । ३ सही सलामत सुरक्षित । ४ बहाल किया हुआ, पुनर्नियुक्त |
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बरकला
( १७९ )
बरजरणी
बरकला-देखो 'बुरकला'।
बरघू-पु. तुरही से मिलता-जुलता एक वाद्य विशेष । -वि० बरकस-वि० [सं० वक्रिन्] उल्टा, विपरीत, विरुद्ध ।
१ मूर्ख, मूढ़, बेवकूफ । २ देखो 'बगनी'। बरकसी-स्त्री० शत्रुता, वैर ।
बरघोसा-स्त्री० [सं० वरघोषा] मंजू घोषा नामक अप्सरा बरकारणौ (बी), बरकावणी (बी)-क्रि० १ जोश पूर्ण प्रावाज बरड़-पु० १ पथरीली भूमि। २ बूदी क्षेत्र का दक्षिणी प्रदेश ।
कराना, गर्जाना । २ चीखाना । ३ करुण क्रन्दन कराना। ३ देखो 'बड़ड़। ४ देखो 'बड़काणी' (बी)।
बरड़क, बरड़को-पु. १ लकड़ी प्रादि के टूटने की ध्वनि । बरकियो-पु० बकरियों का एक चिल्लाने का रोग विशेष । २ देखो 'बड़को'। बरकी-स्त्री० १ रुई या ऊन का बोरा । २ गद्दी।
बरडण-स्त्री. दहलीज । बरको-पु० १ बलि पशु का एक ही बार में किया जाने वाला बरड़णौ (बी)-क्रि० १ प्रलाप करना, बक-बक करना ।
वध । २ दर्द भरी मावाज, चिल्लाहट । ३ देखो 'बड़को' । बकना । २ चिल्लाना, चीखना। ३ विलाप करना, रोना। बरख-१ देखो 'वरस' । २ देखो 'वरक'।
४ क्रोध या दर्द में अस्पष्ट ध्वनि करना। ५ क्रोध करना, बरखणो (बी)-देखो 'वरसणी' (बी)।
क्रुद्ध होना । ६ नींद में बड़बड़ाना। ७ गुर्राना । ८ कठोर बरखा-देखो 'वरसा'।
वस्तु चबाने से ध्वनि होना। ९ चिरना, फटना । १० माख बरखाणौ (बौ)-देखो 'वरसाणी' (बो)।
का दुखना। बरखास, बरखास्त-वि० [फा० बरखास्त] १ जिसका कार्य बरड़ाटो-पु० १ प्रलाप, कूक, चिल्लाहट । २ क्रोधपूर्ण प्रावाज ।
बंद हो गया हो । २ विजित । ३ स्थगित । ४ नौकरी ३ गुर्राहट । ४ चिरने-फटने से उत्पन्न ध्वनि । ५ जोश, या पद से हटाया हुअा, पदच्युत ।
साहस । ६ कठोर वस्तु को चबाने की ध्वनि । बरखास्तगी-स्त्री० [फा०] १ बरखास्त होने की अवस्था या | बरडाणी (बी)-क्रि० १ प्रलाप करना, कूकना, चिल्लाना।
भाव । २ बरखास्त करने की क्रिया । ३ विसर्जन ।। २ विलाप करना, रोना। ३ दर्द में कराहना, तड़फ़ना । ४ नौकरी या पद से निष्कासन ।
४ क्रोध में बड़बड़ाना । ५ नींद में बड़बड़ाना । ६ गुर्राना। बरखिलाफ-वि० [फा०] १ विरुद्ध, विपरीत । २ भयंकर, ७ कठोर वस्तु जोर-जोर से चबाना । ८ चीरना, फाड़ना, विरोधी । ३ प्रतिकूल ।
टुकड़े करना । ९ जोश या पावेश में माना। १० दबाव बरखिलाफत-स्त्री० [फा०] १ विरोध, भयंकर विरोध ।।
. २ प्रतिकूलता । ३ 'बरखिलाफ' होने की अवस्था या भाव। बरड़ियौ-पु. १ मेघवालों में, दूल्हे के प्रोढ़ने का एक वस्त्र । बरख्यात-देखो 'वरख्यात' ।
२ देखो 'बरड़ो'। बरग-१ देखो 'बरग' । २ देखो 'बरघू' । ३ देखो 'बरक' ।। | बरडी-स्त्री॰ [देश॰] १ पहाड़ी, भाखरी। २ काली व श्वेत बरगड़ो-पु. [देश॰] १ चीता, तेन्दुप्रा । २ भेड़िया । ३ घोड़े । चौकियों वाला एक ऊनी वस्त्र विशेष । -वि. कठोर, की एक तेज चाल ।
सख्त । बरगत-देखो 'बरकत'।
बरड़ करणौ (बो)-देखो 'बड़कणी' (बी)। बरगद-पु० वट वृक्ष।
बरड़ को-देखो 'बड़को'। बरगळ-पु. १ छिद्र, छेद । २ खण्ड, टुकड़ा । ३ अंश, भाग।
बरड़ो-देखो 'ब'डो'। बरगळणी (बौ)-देखो 'वरगळणो' (बो)।
बरचस-देखो 'वरचस'। बरगळारणौ (बो), बरगळावरणौ (बी)-देखो 'वरगळाणी' (बी)। बरचि, बरची, बरछी, बरछी-स्त्री० [सं० वश्च] १ छोटा बरगिरा-स्त्री० घोड़ों का एक रोग विशेष ।
बरछा या भाला। २ बत्ती। बरगी-पु० [फा०बरगीर] १ अश्वपाल, सईस । २ अश्वारोही, |
बरछेत, बरछत-वि० १ बरछा चलाने में दक्ष व निपुण । अश्व सैनिक । ३ एक जाति व इस जाति का ब्यक्ति ।
२ बरछा चलाने वाला। बर, बरगू-देखो 'बरघू' ।
बरछौ-पु० एक शस्त्र विशेष, भाला। बरध-देखो 'बरग' ।
बरजणी (बी)-क्रि० [सं० वर्जनम्] १ मना करना, निषेध
करना । २ रोकना। ३ बात-बात में रोकना, टोकना । बरघड़ो-देखो 'बरगड़ो'।
४ समझाना । ५ सामना करना, मुकाबला करना । बरघळ (ळ)-देखो 'बरगळ' ।
६ उपभोग न करना, प्रयोग में न लाना। '७ छोड़ना, बरघुदार-वि० 'बरधू' वाद्य बजाने वाला।
त्यागना।
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बरजनीक
( १८० )
बरवेत
बरजनीक, बरजनीय-वि० [सं० वयं] १ जिसका निषेध हो, १० उपयोग में प्राना, प्रयोग में लाना । ११ उपस्थित या
निषिद्ध । २ रुकवाने, रोकने योग्य । ३ त्यागने योग्य, विद्यमान होना । त्याज्य ।
बरतन-पु० [सं० वर्तन] १ धातु या मिट्टी मादि का बना कोई बरजाणो (बो)-क्रि० १ निषेध करवाना, मना करवाना। | पात्र । २ देखो 'बरतण'।
२ रुकवाना, रोकाना । ३ बात-बात पर निषेध कराना, बरतारणी (बो)-कि० १ बर्ताव करवाना, व्यवहार करवाना। टोकाना। ४ समझवाना । ५ उपभोग न कराना, प्रयोग २ पाचरण या अमल करवाना । ३ उपयोग कराना, में न लाने देना। ६ छड़वाना, त्याग करवाना।
इश्तेमाल कराना। ४ एक दूसरे का साथ कराकर प्राचरण बरजोड़, बरजोडण-पु. १ बंधन । २ ग्रंथि, गांठ । ३ वैवाहिक व्यवहार प्रादि की जानकारी करवाना । ५ रखवाना । ६ सूत्र बंधन ।
कराना । ७ बंटवाना, वितरण कराना । ८ उपस्थित करना, बरजोर-वि० १ प्रबल, तेज, जबरदस्त । २ बलवान, शक्ति विद्यमान करना । ९अंत करना । कराना। १० बंटवाना शाली । ३ अत्याचारी, दुष्ट । ४ कठिन, भारी ।
वितरण कराना। बरजोरी-स्त्री. १ जोर-जबरदस्ती की कार्यवाही। २ बलात् | बरतारि-देखो 'व्रतारि' ।।
कराया जाने वाला कायं । ३ अनुचित काम । ४ छीना | बरताव-पु० [सं० वर्तन] १ बरतने की क्रिया या भाव । झपटी। ५ बल प्रयोग। -क्रि० वि० १ जबरदस्ती से २ प्राचार, व्यवहार, सुलूक । बलात् । २ बल पूर्वक, दबाव से ।
बरतावरणौ (बो)-देखो 'बरताणों' (बी)। बरटी, बरठी-पु० [सं० वरटः] १ एक प्रकार का हल्का धान, बरतियो-देखो 'भरतियो'। अनाज । २ हंस।
बरती-१ देखो वती' । २ देखो 'वति'। बरण-१ देखो 'वरण' । २ देखो 'वरण' ।
बरतीक-पु० कन्या पक्ष के लोग (पुष्करणा ब्राह्मण)। बरणण-देखो 'वरणन'।
बरतुळ-१ देखो 'वरतुळ' । २ देखो 'बथूळो' । परपणी (बो)-देखो वरणणो' बो)।
बरतेसर-देखो 'विरतेसर'। बरगदूत-देखो 'वरणदूत'।
बरत्री-पु० [सं० वरत्रा] १ चमड़े का घोड़ा व बड़ा फीता, बरणन-देखो 'बरणन'।
तस्मा । २ हाथी या घोड़े का जेरबंद । ३ देखो 'वरत' । बरणा'ट, बरणाटक-पु० १ तीव्र गति से उत्पन्न ध्वनि । बरद-१ देखो 'विरुद' । २ देखो 'वरद'। -पत, पति, पती२ प्रहारों की ध्वनि । ३ तीव्र चाल ।
'विरुदपति' । बरणी-स्त्री०१ मिट्टी का छोटा पात्र विशेष । २ एक वक्ष | बरवांन-देखो 'वरदान' । विशेष । ३ देखो 'वरणी' । ४ देखो 'भरणी'।
बरवाई-देखो 'वरदाई'। बरणी-पु. १ श्रीमाली ब्राह्मणों की एक वैवाहिक रश्म । बरदाणी (बौ)-देखो 'विरुदाणो' (नौ)। २ देखो 'वरणो'।
बरवाता-देखो 'वरदाता' । बरत-१ देखो 'व्रत' । २ देखो 'वत्ति' । ३ देखो 'वरत' ।।
बरदायक-देखो 'वरदायक' ।
|बरदायण (रिण, पो)-देखो 'वरदायण'। बरतरण-पु० [सं० वर्त] १ बरतने की क्रिया या भाव ।।
बरदार-वि० [फा०] १ मानने वाला, पालन करने वाला । २ बर्ताव । ३ देखो 'बरतन' ।
२ वहन करने वाला, धारण करने वाला। बरतणी-स्त्री० [सं० वत्तिका] १ लकड़ी को छील कर बनाई |
बरदारी-स्त्री० [फा०] १ 'बरदार' होने की स्थिति । २ बरएक कलम विशेष । २ चित्रकार की तूलिका, कूची ।। दार का कार्य।
३ वेतन । ४ व्यवहार । ५ किसी शब्द का वर्णानुक्रम। बरदावरी (बी)-देखो 'विरुदाणी' (बी)। बरतणी-पु० १ स्लेट पर लिखने की कलम । २ खडिया लिपि । की पटिया पर लिखने की कलम ।।
बरदासणी (बी)-कि० [फा० बरदाश्त] १ सहन करना, सहना । बरतरणी (बी)-क्रि० [सं० वर्तन] १ बर्ताव करना, व्यवहार २ संभालना, संभाल कर रखना । ३ धारण करना,
करना । २ आचरण या अमल करना। ३ उपयोग या वहन करना । इस्तेमाल करना । ४ साथ-साथ रहना, लेन-देन आदि का | बरदास्त-स्त्री० [फा० बर्दाश्त] १ सहने की क्रिया या भाव, . व्यवहार करना । ५ करना । ६ रखना । ७ बांटना, सहने की क्षमता । २ सहनशीलता, सहन । वितरण करना। बीतना, व्यतीत होना। ९ अंत होना। बरत-देखो 'वरदायक'।
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बरधक
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बरधक, बरधकी- देखो 'वरधक' । बरन, बरम्न- देखो 'वरण' ।
बरफ पु० [फा० बर्फ ] १ हिम, हिमखण्ड । तुषार । २ ठण्डक से जमा हुआ पानी । ३ मशीन से जमाया हुधा पानी, दूध या फल का रस । - वि० प्रत्यधिक ठण्डा बर्फ बनाने या रखने का स्थान । बरफण-देखो 'वरफ' ।
खांनी पु०
( १०१ )
बरफणी वि० [फा०] बर्फानी ] १ बर्फ का बर्फ संबंधी २ बर्फ से युक्त । ३ बरफ से आच्छादित ४ बर्फ से प्रभावित प्रत्यधिक ठण्डा ।
बरफान पु० [फा०] बर्फ वाला प्रवेश अत्यधिक ठण्डा
स्थान ।
बरफी - पु० [फा० बर्फी ] १ खोए में चीनी मिलाकर तैयार की मिठाई, चक्की २ सच, प्रसूता गाय या भैंस के दूध को गरम कर बनाया गया खाद्य पदार्थ । वि० बरफ से मुक्त, ठण्डी ।
बरखंड-देखो 'बळबंड' । बरवर वि० [सं० बर्बर १ असभ्य, जंगली, धनाड़ी २. उद्दण्ड कूर, हिंसक मूर्ख बेवकूफ ४ पु पराले बालों वाला - पु० १ एक प्राचीन मानव जाति । २ इस जाति का मनुष्य । ३ क्रूर व हिंसक व्यक्ति । ४ प्रसभ्य व्यक्ति । ५ घुघराले बाल ६ देखो 'बड़बड़' ७ देखो 'बारबार' | ८ देखो 'बराबर' | काय - पु० बर्बर मानव जाति या इसका व्यक्ति ।
बरवाड़ी - स्त्री०
बरवर (बी) देखो 'बड़ी' (बी)।
बरबरियो पु० पहाड़ी इलाकों में होने वाला एक वृक्ष विशेष । बरबस - प्रव्य० [सं० बल-वंशम् ] १ बल पूर्वक, दबाव डाल कर, जबरदस्ती । २ निरर्थक, व्यर्थं । ३ सहसा, अचानक । ४ प्रवेश या भावावेग में। - वि० लाचार ।
० एक प्रकार का घास ।
बरबाद - वि० [फा०] १ जो ध्वस्त या नष्ट हो गया हो
।
२ जिसका पतन हो चुका हो। ३ तबाह, चौपट । ४ लुटा हुम्रा, श्रीहीन । ५ शोचनीय या दयनीय दशा वाला । ६ व्यर्थ में खर्च
बरबादी स्त्री० [फा०] १ बर्बाद होने की अवस्था या भाव। २ विनाश, ध्वंस । ३ तबाही । बर्बादी । ४ व्यर्थं का खर्चा । ५. लूट-पाट ।
'बरबीसहती पु० बीस हाथों वाली के पति, शिव ।
बरम्बर- १देखो 'बरबर' । २ देखो 'बड़बड़' । २ देखो 'बराबर बरम- १ देखो 'वरम' । २ देखो 'ब्रह्म' । बरम-देखो 'बह्माड'
बरमा पु० [सं०] ब्रह्म + देश] १ भारत के पूर्व में स्थित एक छोटा देश २ देखी 'ब्रह्मा' ३ देवो 'वरमा' । बरमानंद - देखो 'ब्रह्मानंद' ।
बरमाळ, बरमाळा- देखो 'वरमाळा' ।
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बरमी- वि० बरमा से संबंधित, बरमा का। पु० बरमा का निवासी ।
बरमौ पु० १ लकड़ी, धातु, दीवार आदि में छेद करने का श्रीजार । २ चकरीदार सियार ।
बरवं पु० १ एक मात्रिक छन्द विशेष बरवी ५० १ मोठा रस्सा २ सकोरा रागिनी विशेष |
बरम्म - १ देखो 'वरम' । २ देखो 'ब्रह्म' |
बरम्मा, बरम्हा १ देखी 'बा' २ देखो 'बरमा' । बरयांम-देखो 'वरियांम' ।
बरना-देखो 'बरयता' ।
बररुचि देखो 'वररुचि' ।
बरळ- १ देखी 'बराळ' २ देखो 'वर'
बरलब्धि, बरलधि - पु० [सं० लक्ष्मी वर] लक्ष्मीपति, श्रीविष्णु । बरालो (बौ) बळावली (बी) देखो 'बरहाणी' (बो)। बी-देखो 'बरवती' ।
बरसोड़ी
बरसरणी (बो) - देखो 'वरसरंगी' (बौ) । बरसावली देखो 'वरसम्यावणी'। बरसरथ - पु० [देश०] सूर्य, रवि । बरसरी-१० घोड़ों का एक रोग विशेष बरसा- देखो 'वरसा' ।
बरस बरसड़ी- देखो 'बरस' गांठ 'वरसगांठ' बरसरण- देखो 'बरसल'
२ एक राग विशेष ।
करवा पात्र ३ एक
,
बरसाऊ- देखो 'परमाऊ' ।
बरसाली (बी) देखो 'वरसाणी' (दो) ।
बरसात - देखो 'बरसात' ।
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बरसाती - स्त्री ० १ घोड़ों का एक रोग विशेष । २ देखो 'वरसाती' । बरसाव, बरसायत - देखो 'बरसात' ।
बरसाळ, बरसाळा, बरसाला, बरसाळी-१ देखो 'बरसाळ । २ देखो 'बारसाळी' । बरसा-देखो 'बरसाळू'। बरसाळा - देखो 'वरसाळी' ।
बरसावणी (बी) देखो 'बरसाणी' (बो)।
बरसी - १ देखो 'वरसी' । २ देखो 'वरसाळी' । बरसोंद - देखो 'वरसोद' ।
बरसोंदिया - देखो 'बरसोदियो' ।
बरसोड़ी - वि० [सं० वार्षिक ] १ एक वर्ष की आयु की । २ वर्ष में एक बार होने वाली । वार्षिक ।
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बरसोद
। १८२ )
बरिस
बरसोव-देखो 'वरसोद' ।
बरातियो, बराती-पु० [सं० वर-यात्री] १ 'बरात' का सदस्य । बरसोवरण-देखो 'वरसोदरण' ।
२ वर पक्ष का व्यक्ति ।। बरसोदियो-देखो 'वरसोदियो ।
बरापुर, बरापूर-वि० १ प्रोज, कांति या तेज युक्त । तेजस्वी । बरसोदी-देखो 'वरसोदी' ।
२ वीर, योद्धा । ३ साहसी, पराक्रमी। बरसोळी, बरसोलो-देखो 'वरसोळी' ।
बराबट, बराबर-वि० [फा० बराबर] १ गुण व मात्रा में बरह-देखो 'वरह'।
समान, तुल्य । २ समतल, एकसा। ३ उपयुक्त, वाजिब बरहक-वि० [फा०] १ न्याय व धर्म के अनुसार उचित, ठीक, उचित । ४ चुकाया हुआ । ५ पूर्ण किया हुमा,
न्यायोचित । २ उचित, वाजिब । ३ हक के अनुसार । पूरा । ६ समाप्त, नष्ट । -क्रि०वि० १ लगातार, बिना बरहास-देखो 'वरहास'।
रुके, निरन्तर । २ एक ही पंक्ति में, सीधा । ३ पार्श्व या बरहि (ही)-स्त्री० [सं० बहिस, बहिण, बह] १ अग्नि, बगल में, जोड़े-जोड़े, साथ में । ४ समानान्तर दूरी में।
प्राग । २ प्रकाश, तेज । ३ मोर, मयूर । ४ मोर की पूछ। ५ हमेशा, प्रतिदिन। ५ मोर की पूछ का चंदोवा । ६ पक्षी की पूछ । ७ पत्ता। बराबरि-१. देखो 'बराबर' । २ देखो 'बराबरी' । -मुख-पु० अग्नि । देवता, सुर ।
बराबरियौ-वि० १ गुण, प्रायु, योग्यता, क्षमता प्रादि में जो बरांग-देखो 'बांणू'।
समान हो । २ समान रिश्ते वाला । ३ जोड़ का, साथ का। बरांमण-देखो 'ब्राह्मण'।
बराबरी-स्त्री० [फा०] १ बराबर होने की अवस्था या भाव । बरामद-वि० [फा०] १ उपलब्ध, प्राप्त । २ प्रगट, सामने | २ समता, तुल्यता । ३ प्रतियोगिता, स्पर्धा प्रादि में __ मौजूद।
समानता । ४ मुकाबला, सामना । ५ जोड़। ६ देखा-देखी बरामदौ-पु० [फा० बरामदः] १ मकान के पागे बना कक्ष जो | की जाने वाली क्रिया, नकल, होड़ । ७ देखो 'बराबर'।
ऊपर पटा हुमा तथा प्राजू-बाजू से खुला होता है । बराबाट-पु० १ चौपट, नष्ट, नाश'। २ तहस-नहस । २ दालान ।
बराय-प्रव्य० [फा०] १ वास्ते, लिये, कृते । २ बतौर, तौर । बराक-देखो 'वराक'।
- ३ नाम मात्र के लिये । बराड़-पु० १ गहरा घाव । २ दरार । ३ उष्ण, वाष्प।बरायती-वि० [सं० वर्चस्वी] १ प्रभावशाली, प्रोजस्वी ।
४ कराह, प्राह । ५ मध्य भारत का एक प्रदेश । २ कांतियुक्त, तेजस्वी । [फा० बरमार] ६ गांव के हर घर से लिया जाने वाला बरार-देखो 'बराड़' । चंदा । ७ टैक्स, महसूल ।८ पूर्ण करने की क्रिया ।
बरारक-देखो 'बरारक' ९ ऊपर या सामने लाने की क्रिया। -वि० १ लाने | बरारी-स्त्री०१ सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी। २ देखो वाला। २ लाया हुआ।
'बराड़ी'। बराडणौ (बौ)-देखो 'बरडाणों' (बो)।
| बरारोकोट-वि० [सं० वर्चस्वी-कोट] वीर, बहादुर । बराड़ी-वि० १ बराड़ का, बराड़ संबंधी । २ बराड़ से उत्पन्न ।
बरारौ-वि० [सं० वर्चस्विन्] १ भोज पूर्ण, प्रोजस्वी । २ जोश -पु० १ बराड़ का निवासी । २ बराड़ की रुई। ३ बराड़
पूर्ण, जोशीला । ३ भयंकर, विकराल । ४ जबरदस्त, की पीपल। ४ बराड़ को बनी वस्तु ।
जोरदार । ५ शूरवीर, पराक्रमी ।
बराळ-देखो 'वराळ। बराचक, बराछक-वि० [सं० वर्चस्वी] १ बीर, बहादुर ।
बरास-पु० [सं०पोतास] १ सुगंधित भीमसेनी कर्पूर । २ देखो २ जबरदस्त, जोरदार । ३ प्रचंड, तेज । ४ जोश युक्त
। 'वरहास'। जोशीला। ५ मोजस्वी, तेजस्वी । ६ भरपूर, पूरा ।
बराह-देखो 'वराह' । ७ पूर्ण मस्त ।
बरिखा-देखो 'वरसा'। परामुखौ-वि० दिश०] १ निःशंक, मस्त । २ खुले मुह वाला।
बरिठ-देखो 'वरिस्ठ' । बराजरणी (बी)-देखो 'विराजणी' (बो)।
बरिसंह-देखो 'बळबंड'। बराट-१ देखो 'वैराट' । २ देखो 'विराट' । ३ देखो 'वराट' ।
बरियां-देखो 'वेळा' । बराटक-देखो 'वराटक'।
बरियांनी-पु० [देश॰] दही और शक्कर के योग से बना मांस । बरात-स्त्री० [सं०वर-यात्रा] १ दूल्हे के साथ रहने वाला उसके | बरियांम-देखो 'बरियांमः ।
परिवार व इष्ट-मित्रों का समूह । २ वर पक्ष । | बरिस-देखो 'वरस'।
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बरी
( १८३ )
बळतोकड़
बरी-पु० [देश॰] १ बाजरी नामक अनाज की फसल में लगने १६ इन्द्र द्वारा वधित एक दैत्य । १७ छप्पय छंद का एक
वाला कीड़ा । २ खलिहान में घूमने वाले बैलों में से बाहर भेद । १८ एक पौधा, क्षुप विशेष । -वि० १ सुन्दर । की पोर चलने वाला बैल । ३ भेड़िया। ४ एक प्रकार २ देखो 'वळ'। -कर-वि० बल देने या बढ़ाने वाला; का घास । -वि० [अ०] १ मुक्त, स्वतन्त्र, आजाद । पौष्टिक। २ वंचित, बचा हुमा । ३ बंधन या कैद से छोड़ा हुआ । बळक, बलक-१ देखो 'वळक' । २ देखो 'बलख' ।
४ बेकसूर, निर्दोष । ५ देखो 'वरी'। ६ देखो 'बड़ी'। बलकल-देखो 'वल्कल'। बरीक-देखो 'बारीक'।
बलकार-पु० [देश॰] बैल । बरीख-देखो 'वीख'।
बलकी-१ देखो 'बलखी' । २ देखो 'वल्लकी'। बरीजणी (बी)-क्रि० लंबी यात्रा या थकान से शरीर अकड़ बलक्क-पु० [देश॰] १ लचक, मोड़ । २ देखो 'बलख' । जाना।
बलक्की-देखो 'बलखी' । बरीयां-देखो 'वेळा' ।
बलख-पु० [फा०] १ अफगानिस्तान का एक प्राचीन नगर । रीयांम-देखो 'वरियांम'।
२ इस नगर के पास-पास का क्षेत्र । ३ एक द्वीप विशेष ।। बरीस-१ देखो 'वरस' । २ देखो 'वरीस' ।
-वि० उज्ज्वल, श्वेत । बरीसरण-देखो 'वरीसण' ।
बलखी, बलख्खी-पु० [फा०] १ 'बलख' का निवासी । बरीसणी (बी)-देखो 'वरीसणी' (बी)।
२ मुसलमानों की एक जाति । ३ बलख देश का घोड़ा। बरु-पु. एक प्रकार की घास ।
बलगम-पु० [अ० बल्गम] कफ, श्लेष्मा।. बरुग्री-पु० [देश॰] मिट्टी का छोटा जल-पात्र ।
बलज-पु० [सं०] १ नगर द्वार, फाटक । २ खेत । ३ अनाज बरुण-देखो 'वरुण'। -पुरी='वरुणपुरी'।
___का ढेर, अनाज । ४ युद्ध, लड़ाई। -वि. जो बल से बरुणीं, बरुणी-स्त्री. १ पलक के किनारे के बाल, बरौनी।
उत्पन्न हो। २ देखो 'वारुणी'।
बळटु, बळट्ठी, बळठी-देखो 'बलिस्ठ' । बरुय, बरूथी, बरूथ्थ-देखो 'वरूथ' । बरूद, बरूध-१ देखो 'वरसोद'। २ देखो 'विरुद्ध'।
बळण-स्त्री० [सं० ज्वलन] १ जलने, दहकने की क्रिया या भाव । बरोटियो-१ देखो 'बारोटियो' । २ देखो 'बरोटी' ।
२ दाह, जलन । ३ अग्नि । ४ ईर्ष्या। ५ घाव या रोग के - बरोटी-स्त्री० विवाह के बाद वधू के स्वागत में किया जाने वाला
कारण होने वाली जलन । ६ देखो 'वळण' । भोज ।
बळणौ (बौ)-क्रि० [सं० प्रज्वलनम्] १ प्राग के संयोग से किसी बरोठियौ-१ देखो 'बारोटियो' । २ देखो 'बरोटी' ।
पदार्थ में धूपा या लो निकलना, जलना, भाग लगना, बरोठी-देखो 'बरोटी'।
दहकना, धधकना। २ अग्नि में भस्म हो जाना। ३ अग्नि बरोठीयो-१ देखो 'बारोटियो' । २ देखो 'बरोटी' ।
या अत्यधिक गरम वस्तु से शरीर का कोई अंग झुलसना, बरोद (ध)-१ देखो 'वरसोद'। २ देखो 'विरोध'।
जलना'। ४ अत्यधिक तपन से वनस्पति का झुलसना, बरोबर-देखो 'बराबर'।
मुरझाना । ५ बुखार से शरीर गरम होना । ६ विरह या बरोबरी-१ देखो 'बराबरी' । २ देखो 'बराबर'।
दुःख में तड़फना । ७ दीपक या बत्ती लगना, जलना । बरोळ-देखो 'वरोळ'।
८ भौतिक या रासायनिक ताप से वस्तु के गुण समाप्त हो बरोळणी (बो)-देखो 'विरोळणो' (बी)।
जाना । ९ द्वेष या ईर्ष्या करना। १० क्रोध में घुटना । बरोळी-देखो ‘बराळ'।
११ समाप्त होना, नष्ट होना । १२ देखो 'वळणो' (बो)। बरी-पु० १ तेज, मोज । २ प्रकाश ।
बळत-स्त्री० [सं० ज्वलन] १ जलने की क्रिया या भाव । बलंब-स्त्री०१ हाथी के पांव में डाली जानी वाली बेड़ी विशेष ।। २ शरीर के किसी अंग में जलने, चोट लगने या घाव प्रादि २ देखो 'बुलंद'।
से होने वाली दाह। ३ मिर्च आदि की जलन । ४ उदराबळ, बल-पु० [सं०बलम्] १ शक्ति, ताकत । २ शौर्य, पराक्रम । ग्नि । ५ प्रांतरिक अग्नि, दाह, तप्त । ६ ईर्ष्या, द्वेष
३ सामर्थ्य क्षमता । ४ प्रावेश, जोश । ५ धैर्य, धीरज । | मानसिक कष्ट । ७ धूप की गर्मी । ६ वीर्य । ७ सेना। ८ प्रभाव, रौब । ९ लहरदार । | बळताणक-पु० सेना या फौज का घोड़ा। १० प्राश्रय, सहारा । ११ प्राभा,कान्ति । १२ तत्त्व, । बळतोकड़-वि० १ चिड़चिड़े स्वभाव वाला । २ ईष्या या द्वेष सार। १३ बलराम । १४ नाव, नौका। १५ बैल ।। करने वाला।
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बळतो
बळहीण
बळती-वि० [सं० ज्वलन] (स्त्री० बळती) जलता हुआ। -पु० बलमयागत-पु० [सं० वल्लव-प्रागत] दूध ।
१ ग्रीष्मकालीन उष्ण वायु, लू । २ गर्मी, तप्त। ३ देखो बलमी, बलमीक-देखो 'बालमीक' । 'वळतो'।
बलय-देखो 'वलय'। बळव-पु० [सं० बलद] गाय का बछड़ा जिसकी नाक में नकेल बळरांम-पु० श्रीकृष्ण के बड़े भाई का नाम ।
डाल कर कृषि कार्य के लिये तैयार किया गया हो। -वि. बळराज, बळराजा (राव)-देखो 'बळिराजा'। १ व्यर्थ परिश्रम करने वाला, पचने वाला । २ अड़ियल, बळरितं-पु० [सं० बल-ऋतम्] इन्द्र । मूर्ख । ३ पशु स्वभाव वाला।
बळवंड, बळवंडो-देखो 'बळबंड' । बळदांन-देखो 'बलिदान' ।
बळवंत (ती, तु, तू, तौ)-वि० [सं० बलवत्] १ बलवान, बळदाऊ-देखो 'बळदेव' ।
शूरवीर । २ योद्धा, वीर । ३ जबरदस्त, जोरदार । बळवार-पु० १ बैलों को बांधने का सुरक्षित स्थान । २ देखो | ४ सामर्थ्यवान, सक्षम । ५ सघन, गाढ़ा । ६ अधिक भारी। 'वळदार'।
-पु. १ बलदेव का नामान्तर । २ गरुड़ । बळदियो-देखो 'बळद'।
| बलव-देखो 'बल्लव'। बळवेव, बलदेव-पु० [सं० बलदेव] १ श्रीकृष्ण के बड़े भाई | बळवधरण-वि० [सं० बल-वधन] १ जिससे बल की वृद्धि होती बलराम । २ पवन, हवा ।
__ है। २ पौष्टिक । -पु० भोजन । बळध, बळधियो-देखो 'बळद' ।
बळवनांमी-देखो 'बल्लवनांमी'। बळपूर-वि० [सं० पूर्णबलि] पूर्ण शक्तिशाली।
बळवळ-देखो 'वळवळ' । बळबंड, बलबंड-वि० [सं० बरिबंड] १ महाबली, शक्तिशाली। बळवळरणो (बौ)-देखो 'बलबळणी' (बी)।
२ भयंकर, जोरदार । ३ तीक्ष्ण, तेज । ४ प्रभावशाली, | बळवाण, बळबांणी (बांन)-वि० [सं० बल-वत्] १ शक्तिशाली, प्रतिभाशाली । ५ सुस्थिर, दृढ़ ।
पराक्रमी । २ मजबूत, दृढ़, पुष्ट । बळबद, बलबंध, बळबंधण (बंधु, बंधू)-देखो 'बळिबंध'। बलवाई-वि०१ बलवा करने वाला, उपद्रवी । २ विद्रोही, बागी। बळबळ-देखो 'वळवळ' ।
बळवारी-स्त्री० एक घास विशेष । बळबळरणौ (बी)-क्रि० [सं० प्रज्वलनं] १ धधकना, जलना, | बळवाळौ-देखो 'बळवाण' ।
प्रज्वलित होना । २ ताप से अत्यधिक गरम होना। ३ धूप | बळवीर-पु० [सं० बलवीर] १ विष्णु । २ बलराम । ३ केसर । आदि से वातावरण में अधिक गर्मी होना ।
४ देखो 'बलवान'। बळबळतो-वि० [सं० ज्वलित] (स्त्री० बळबळती) १ खूब | बळवंरी-पु० [सं०] इन्द्र।।
गरम या तपा हुआ । २ दहकता हुआ, धधकता हुमा।| बलवी-पु० [अ० बल्वा] १ शासन के विरुद्ध विद्रोह, बगावत, ३ प्रज्वलित।
क्रांति । २ उपद्रव, हुल्लड़ । ३ झगड़ा, संघर्ष । बळबळी, बलबली-वि० [सं० वावदूक] १ अच्छा बोलने वाला, | बळसंध-पु० [सं०] वीर, बहादुर।।
वक्ता । २ वाचाल, अधिक बोलने वाला। ३ प्रलापी, | बलसणी (बौ)-देखो 'विलसणी' (बी)।
बकवादी। -पु० १ बुदबुदा । २ देखो 'भळभळी'। बळसदन-पु० [सं० बलि-सदन] १ बलि राजा का सदन, महल । बळबांध-चि० शक्तिशाली, शूरवीर ।
२ पाताल । बळबळ, बळम्बळि-देखो 'वळवळ' ।
बलसारणी (बी)-देखो 'विलसाणी' (बौ)। बळम-देखो 'वल्लभ'।
बळसाळी, बळसीळ-वि० [सं०बलशालिन्] बलवान्,शक्तिशाली। बळमज्जन-देखो 'वळभज्जन'।
बळसूदन-पु० [सं० बलसूदनः] १ इन्द्र । २ विष्णु । बळभद, बळभद्द, बळ भद्र-पु० [सं० बलभद्र] १.श्रीकृष्ण के बड़े | बळहंत-वि० [सं० बलहन्] बल का हनन करने वाला,
भाई बलराम । २ मजबूत या दृढ़ व्यक्ति । ३ बैल विशेष । कमजोरी लाने वाला । -पु० इन्द्र। ४ भाई । ५ लोध्र वृक्ष ।
बळ हट-स्त्री० बलात् किसी को भोजन कराने की क्रिया। बलात् बळभि, बळभी-देखो 'वळभि' ।
किसी को भोजन कराने का विरुद। -मल, मल्ल= बळभुज-पु० [सं० बलि-भुज] ईश्वर । -वि० योद्धा, वीर। 'वलहटमल'। बळमडळ-पु० [सं० बलिमंडल] पाताल, बलि लोक । बळहारी-देखो 'बळिहारी'। बलम-१ देखो 'बल्लम'। २ देखो 'वल्लभ' । ३ देखो 'बालम'।बळहीण (हीन)-वि० [सं० बलहीन] १ शक्तिहीन, कमजोर । बळमथरणी (नी)-स्त्री० एक महाविद्या ।
२ दुर्बल, क्षीण । ३ प्रक्षम ।
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बळां
( १८५ )
बळिराउ
-
बळी, बळाई-१ देखो 'वळा' । २ देखो 'बला'।
बलावणी (बौ)-देखो बुलाणी' (बी)। बळाणी, बलारणी-पु. १ राजकीय खर्च पर किसी के यहां रखा | बलावी-देखो 'बुलावो' ।।
जाने वाला हाथी । २ राजकीय खर्च व राजा की इच्छा | बळाह, बलाह-पु. गर्दन और दुम में पीले बाल वाला घोड़ा। तक किसी को सवारी के लिये दिया जाने वाला घोड़ा। बलालाकि बलागि
|| बळाहक, बळाहकि, बळाहिक-पु० [सं० बलाहक:] १ बादल । ३ घोड़ा ।
२ बुगला, सारस । ३ पहाड़ । ४ श्रीकृष्ण के रथ के एक घोड़े बला-स्त्री० [सं०] १ युद्ध में भूख-प्यास प्रादि को रोक रखने
का नाम । ५ प्रलयकालीन सात बादलों में से एक। वाला मंत्र या विद्या । २ औषध में काम आने वाले पौधों
बळाही-देखो 'बळाइ'। का एक वर्ग । [सं०१३ मनुष्य की तीस से चालीस वर्ष तकनी नली, बलि पण या पागी । बलि की अवस्था। ४ कष्ट, दुःखदायक दशा, विपत्ति, संकट । घोर
पशु का मांस । ३ देवालय या देव मूर्ति के प्रागे रखा जाने संकट । ५ घृणित, तुच्छ या हेय वस्तु । ६ भूत-प्रेतों की
वाला नैवेद्य, चढ़ावा । ४ देव-पूजन की सामग्री । लीला । ७ अद्भुत या विचित्र वस्तु । ८ रोग, व्याधि ।
५ उच्छिष्ट पदार्थ । ६ प्रह्लाद का पौत्र एक प्रसिद्ध दैत्य ९ मादक पदार्थ । १० परेशान करने वाला कार्य, वस्तु या
राजा। ७ भू-स्वामियों द्वारा राजा को दिया जाने वाला प्राणी। -वि० १ जबरदस्त, जोरदार । २ वीर, बहादुर ।
उपज का षष्टांश। ८ पांच महायज्ञों में से एक। ९ पाठवें ३ भयंकर।
मनवन्तर के इन्द्र का नाम ।१० बलराम का एक नामान्तर । बळाइ,बळायी-पु० [देश॰] (स्त्री० बळाइण,बळायण) चमार ।
११ छोटा भाई, अनुज । १२ शब्द । १३ बैल । १४ बल, २ कांख में होने वाला फोड़ा ।
शक्ति । १५ चंवर दण्ड, डण्डा । १६ न्यौछावर, बलिहारी । बलाइ, बलाई-देखो 'बला'।
१७ झूठ। -वि० १ बलवान, शक्तिशाली। २ देखो 'वळि'। बलाक-पू० [सं० बलाक:] (स्त्री० बलाका,बलाकी) १ बगला, लित-वि० [सं० ज्वलित] जला प्रा. दग्ध । बक । २ भागवत के अनुसार एक राजा।
बळिदान-पु० [सं० बलिदान] १ देवी-देवताओं को किसी जीब बलाका-स्त्री० [सं०] १ मादा बगला, बगली । २ बक पंक्ति ।
के प्राणों की भेंट । २ प्राणी वध, उत्सर्ग । ३ किसी अच्छे ३ वर्षा ऋतु में एक साथ उड़ने वाले पक्षी। ४ नृत्य में |
कार्य के लिये किया जाने वाला प्राण त्याग, उत्सर्ग । एक गति विशेष ।
बळिदेव-देखो 'बळ देव' । बळाकारी-वि० १ जबरदस्त, जोरदार । २ प्रचंड, भयंकर।।
बळिनंदन-पु० बाणासुर। बळाको-देखो 'वळाको'।
बळिबंध, (बंधण, बंधणि, बंधाणि, बंधि)-पु० [सं० बलिबंधन] बळाक्रम-पु० [सं० बल-प्राक्रम] शक्ति, सामर्थ्य ।
१ परमात्मा, ईश्वर, विष्णु । २ वामन अवतार । बळाक्रमी-वि० बलवान, शक्तिशाली, समर्थ ।
३ श्रीकृष्ण । -वि० बलवान, शक्तिशाली। बलाट-पु० [सं० बलाट:] मूग, हरिया नामक अन्न ।
बळिबळि -क्रि० वि० बार-बार, पुनः पुनः । बलापो (बी)-देखो 'बुलाणों' (बो)।
बळिभद्र, बलिभद्र, बलिमद्रि, बलिभद्री-देखो 'बळभद्र' । बलात-क्रि०वि० [सं०] १ बल पूर्वक, जबरदस्ती से। २ हठात् |
बळिभुक, बळिभुज-पु० [सं० बलिभुज] १ कोपा, काक । हठ पूर्वक । ३ सहसा, अचानक ।
२ सारस, गैरैया। ३ बगला । बलात्कार-पू० [सं०] १ बल पूर्वक या जोर जबरदस्ती से किया बळिभोग-पृ० [सं० बलि-भोग] देवी-देवताओं के भोग का बलि
गया कार्य । २ किसी स्त्री या युवति से बलपूर्वक किया । पशु या मनुष्य, नैवेद्य, प्रसाद । जाने वाला संभोग । ३ ऋणि को पकड़ कर बैठाने की
बळिमुक (मुख)-पु० [सं० बलिमुखः] बंदर, वानर । क्रिया।
बळियउ, बलियउ-देखो 'बळी'। बळाबंध-देखो 'वळाबंध' ।
बळियारी-देखो 'बळिहारी' । धळावळा, बळाबळी-देखो 'बळबळ' ।
बळियौ-पु. १ कच्चे मकानों की छत के नीचे लगाया जाने वाला बलाय-देखो 'बला'।
लकड़ी का डंडा । २ स्त्रियों की कलाई का प्राभूषण विशेष । बलायां-देखो 'बलया। बलाराति-पु० [सं० बल-प्ररातिः] 'बल' दैत्य को मारने वाला |
-वि० १ जला हुमा । २ देखो 'वळियौ' ।
बळिरांम-देखो 'बळराम'। बलारौ-पु० [देश॰] बढ़ई का एक प्रौजार ।
बळिराउ,बळिराज, बळिराजा, बळिराव-पु० [सं० बलि+राज] बलाल-पु० हंस ।
। १ दैत्यराज बलि । बलिराजा । २ कपट, छल ।
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बळिवंत
( १८६ )
बवारी
बळिवंत, बळिवंति-देखो 'बळवंत' ।
बळया-स्त्री०१ बला, बलाय, प्राफत, २ न्यौछावर वारना, बळिवरव-देखो 'बळीवरद' ।
उत्सर्ग। बळिवीर-देखो 'बळवीर'।
बलोच-पु० [फा०] १ पाकिस्तान के पश्चिम में बसने वाली एक बळि स्वदेव-पु० [सं० बलिवैश्वदेव] पांच महायज्ञों में से चौथा, मुसलमान लड़ाकू जाति । २ बलोचिस्तान । - भूत यज्ञ।
बलोचिस्तान (स्थान)-पु० [फा० बलोचिस्तान] पाकिस्तान का बलिस्ट, बलिरठ-वि० [सं० बलिष्ठ] १ शक्तिशाली, बलवान् । एक पश्चिमी प्रदेश । २ दृढ़, मजबूत ।
| बलोची-पु० [फा०] (स्त्री० बलोचण, बलोचपी)१ बलोच जाति बलिहार, बलिहार-देखो 'बळिहारी'।
का व्यक्ति । २ 'बलोचि-स्तान' का निवासी । ३ इस बविहारणी (बौ)-क्रि. १ बलया लेना।२ बलिहारी जाना। प्रदेश की भाषा । ४ शाक प्रादि वनस्पति । -वि. बलोच ३ बलिदान करना।
का, बलोच संबंधी । बलिहारी, बलिहारी, बळिहारौ-स्त्री. १ न्यौछावर, उत्सर्ग ।
| बलोटी-देखो 'बरोटी। २ बलयां। ३ बलिदान । ४ विशेषता, महत्व । ५ बड़प्पन ।
बळोबळ, बळोबळी, बळोवळ, बळोवळी-देखो 'वळोवळ' । ६ धन्यवाद, साधुवाद ।
बळी-पु.[देश॰] १ लगन, धुन । २ जलन, दाह । ३ देखो 'वळी'
बलौच-देखो 'बलोच'। बळीड-पु० [सं०वलीकम् ] मकानों की छाजन में लगने का लकड़ा |
बल्कि-प्रव्य० [फा०] १ इसके विरुद्ध, अन्यथा । २ अपेक्षा में, बळी, बली, बळीम-वि० [सं० बलिन्] १ बलवान, ताकतवर,
स्थान पर। पराक्रमा, वार । २ जारदार, जबरदस्त । ३ भयकर, भया-बलगा-देखो 'वल गा'। वह । ४ दृढ़, मजबूत । ५ अडिग, अटल । -पु० १ भीम । बली-त्री का से पानी निकालने के लिये जती दई बैलों की २ भैसा । ३ ऊट । ४ सूअर । -स्त्री. ५ एक प्रकार की जोड़ी। चमेली। ६ 'चैजारे' के काम पाने वाली मोटी लकड़ी।
| बल्लम-देखो 'वल्लभ' । ७ देखो 'वळी' । ८ देखो 'बली' ।
बल्लम-पु०१ भाला, बरछा । २ राजा या सामंत के आगे हाथ बळीट, बळीठ-देखो 'बलिस्ठ'।
में लेकर चलने का सुनहरा डंडा, छड़ी। ३ डण्डा, सोंटा । बळीती-पु० [सं० ज्वलन] १ चूल्हे में जलाने की लकड़ियां,।
छड़ी । ४ देखो 'वल्लभ'। ऊपला मादि । २ खाना पकाने का ईधन । ३ बेकार व बल्लव, बल्लवु-पु० [सं० बल्लवः] १ अज्ञातवास के समय भीम अनुपयोगी वस्तुओं का ढेर । फालतू सामान । ४ जलाने का नाम । २ रसोइया । ३ ग्वाला, अहीर । -मामी-पु० लायक वस्तु ।
भीम । बळीमुख, बलीमुख-देखो 'बळिमुख'।
बल्लहो-देखो 'वल्लभ'। बळीराज, बळीराजा, बळीराव-देखो 'बळिराज'।
बल्ला-पु. एक प्राचीन राजवंश । बलीवरद-पु० [सं० बलीवर्द] १ बैल । २ सांड ।
बल्लारी-स्त्री. एक रागिनी विशेष । बळीहार, बळीहारी-देखो 'बळिहारी'।
बल्लालदेवी-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी। बळु, बलु-१ देखो 'बळ' । २ देखो 'बलराम' ।
बल्लि-१ देखो 'बल्ली' । २ देखो 'वल्ली'। बलू बरणी (बौ)-देखो 'विलूबरणो' (बो)।
बल्लितान-पु० [देश॰] १ रोम, लोम । २ केश, बाल । बळू-देखो 'वळू'।
बल्लिस्ट (स्ठ)-देखो 'बलिस्ठ' । बळूखड़ी-देखो 'बरणोखड़ी'।
बल्ली-पु० १ ताम्बूल । २ देखो 'वल्ली' । बलूच-देखो 'बलोच'।
बल्व-पु० [सं०] करण का एक नाम । (ज्योतिष) बलूद, बखूध-देखो 'बळद'।
बल्हो-देखो 'वल्लभ'। बळे, बले-देखो 'वळं'।
बवंडर-पु० [सं० वाताडम्बर] १ गोलाकार चलने वाली प्रचण्ड बळेटी, बनेठी-देखो 'बलिस्ठ'।
वायु । चक्रवात २ अांधी, तूफान । ३ उपद्रव, हंगामा । बनेणो-देखो 'बलाणो' ।
बव-स्त्री० [देश॰] १ कर,टैक्स । २ देखो 'बव'। ३ देखो 'दो। बळेबीज-वि• कुटिल*।
बवतर, बवत्तर-देखो 'बोत्तर'। बलेरख-देखो 'बलेरण'।
बवार-देखो 'व्यवहार'। बळे-देखो 'वळे।
| बवारी-१ देखो 'बुहारी' । २ देखो 'व्यवहारी' ।
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बवाळ
( १८७ )
बस्ती
बवाळ-पु० हंगामा, उपद्रव । झगड़ा।
बसि, बसी-देखो 'वसी'। बवासिर, बवासीर-पु० [अ० बवासीर] गुदा के अन्दर होने | बसीकर-देखो 'वसीकर'। वाला मस्सा, अर्श रोग।
बसीकरण-देखो 'वसीकरण'। बवीसमो-देखो 'बाईसमो' ।
बसोटाळू , बसोटाळी-१ देखो 'विस्टाळू' । २ देखो 'विस्टाळी'। बौतर, बवोत्तर-देखो 'बमोत्तर'। ।
बसीठ-१ देखो 'वसीठ' । २ देखों 'वसिस्ट' । बसंत-देखो 'वसंत'। -पंचमी, पांचम, पांचिम, पांचमी= | बसीभूत-देखो 'वसीभूत'।
'वसतपंचमी'। -रमणी='वसंतरमणी'। -रितु='वसंत | बसीयत-देखो 'वसीयत'। रितु' ।
बसीलो-देखो 'वसीलो'। बसंता-स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया।
बसीवांन-देखो 'वसीवान' । बसंती-देखो 'वसंती'।
बसुधरा-देखो 'वसुधरा' । बसंदर-१ देखो 'वैस्वानर'। २ देखो विसुदरी'।
बसु-देखो 'वसु' । बसंदरा, बसंघरा-देखो 'वसुधरा' ।
बसबरभ-देखो 'वसुदरभ' । बस-वि० [फा०] १ केवल, मात्र, सिर्फ । २ समाप्त, पूर्ण। बसुदेव-देखो 'वसुदेव' ।
३ यथेष्ट, पर्याप्त । -स्त्री. १ किसी क्रिया को रोक देने | बसुधा-देखो 'वसुधा' । का संकेत । २ सवारियों वाली बड़ी मोटर गाड़ी । ३ देखो | बसुधाधिप-देखो 'वसुधापति'। 'वस'।
बसुधेस-देखो 'वसुधेस'। बसण-स्त्री० [सं० वसनं] १ बसने की क्रिया या भाव । बसुमति, बसुमती-देखो 'वसुमती' । २ निवास, मावास । ३ देखो 'वसन' ।
बसू-देखो 'वसु'। बसणौ-पु० [सं० वसनं १ बस्ता । २ निवास स्थान, घर । बसूली-देखो 'बसूली'। '३ देखो 'वसन'।
बसूली-देखो 'वसूलो'। बसणो (बौ)-क्रि० [सं० बसनं] १ किसी स्थान विशेष या क्षेत्र बसेरौ-पु० [सं० बसति] १ रात्रि, विश्राम । २ रात्रि विश्राम विशेष में स्थाई रूप से रहना। निवास करना । २ रहना। __ लेने का स्थान । ३ निवास स्थान, आवास गृह । ४ शिविर ३ प्राबाद होना, आबादी के रूप में होना । ४ ठहरना, डेरा । ५ पक्षियों का घोंसला। टिकना। ५ स्थित होना। ६ दृढ़ता से जमना, हृदयगत
। ६ दृढ़ता से जमना, हृदयगत | बसेलौ-देखो 'वसूलो'। होना।
बसेस-देखो 'विसेस'। बसत, बसतड़ी-१ देखो 'वस्तु' । २ देखो 'बस्ती'।
बसेवांन, बसवांन-देखो 'वसीवान'। बसति, बसती, बसत्ती-१ देखो 'बस्ती'। २ देखो 'वस्ति'। बसोली-देखो 'वसूली'। सतो-देखो 'बस्ती'।
बसोलो-देखो 'वसूलो। बसत्र-देखो 'वस्त्र'।
बस्क-पु० [सं० वष्क] १ चलना या जाना क्रिया । २ एक बसन (न)-देखो 'वसन'।
प्राचीन देश । बसर-स्त्री० [फा०] १ गुजारा । २ जीवन निर्वाह । [अ०] | बस्कय-पु० [सं० बष्कय] एक साल का बछड़ा। -वि. पूर्ण ३ दृष्टि, नजर । ४ प्रांख, नेत्र ।
वयस्क । बसा-देखो 'वसा'।
बस्कयरणी-स्त्री० [सं० बष्कयणी] १ चिर प्रसूता गाय । बसाणी (बो)-क्रि० १ किसी स्थान या क्षेत्र विशेष में स्थाई २ बछड़ों वाली गाय ।
रूप से रखना । बसाना। २ प्राबाद करना। ३ रखना। | बस्त-पु० [सं०] १ बकरा । २ देखो 'वस्तु'। ४ ठहराना, टिकाना। ५ दृढ़ता से जमाना। हृदयगत | बस्तर-देखो 'वस्त्र'। कराना ।
बस्ति-१ देखो 'बहिस्त' । २ देखो 'बस्ती' । ३ देखो 'वस्ति' । बसाव, बसावट-पु०१ बसने की क्रिया या भाव। २ निवास, | बस्तिकरम-देखो 'वस्तिकरम' ।
आवास । ३ प्राबाद होने की अवस्था। ४ टिकाव, ठहराव, बस्तिमल-देखो ‘वस्तिमल' । जमाव । ५ बसने का ढंग ।
बस्ती-स्त्री० [सं० वसती] १ वह स्थान जहां लोग स्थाई रूप बसावरणौ (बो)-देखो 'बसाणो' (बौ)।
से निवास करते हों, नगर, कस्बा, गांव। २ मुहल्ला । बसास-देखो 'विस्वास'
३ घर, प्रावास । ४ शिविर । ५ बसना क्रिया, निवास ।
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बस्तु
। १८८ )
बहरावरको
६ माबाद होने की अवस्था । ७ समाज, प्राबादी, जन | बहत-१ देखो 'बहुत' । २ देखो 'वहत' । संख्या, जनपद । ८ रात, रात्रि । ९ ठहराव । १० प्राधार।। बहतर, बहतरि, बहतरी-देखो 'बोतर'। ११ परिवार । १२ चहल-पहल । १३ देखो 'वस्ति' ।। बहतरौ-देखो 'बमोतरी। -मल-पु० नगर का योद्धा, पहलवान ।
बहत्त-१ देखो 'बहुत' । २ देखो 'वहत' । बस्तु-देखो 'वस्तु'।
बहत्तर, बहत्तरि, बहत्तरी-देखो 'बोत्तर' । बस्ती-पु० [फा० बस्तः] १ पुस्तके कागज प्रादि बांधने का | बहत्तरो-देखो 'बमोती।
वस्त्र । २ इस प्रकार बंधी पुस्तकें या कागजों का बंडल । | बहदा, बहदी-पु० बढ़-बढ़ कर बातें करने की क्रिया । ३ विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकों का थैला । ४ दुकानदारों | बहदो-पु० [सं० विघातः] १ युद्ध, लड़ाई । २ उपद्रव टंटा, के 'बटखरे' रखने की थैली ।
फिसाद । ३ विवाद । ४ विघ्न, बाधा, अड़चन । ५ अन्तर, बस्त्र-देखो 'वस्त्र'।
फर्क । ६ सन्देह । ७ हल्ला-गुल्ला, हुल्लड़। बस्सी-देखो 'वसी'।
बहधा-देखो 'बहुधा' । बहंग-देखो 'विहंग'।
बहन, बहनड़, बहनड़ली, बहनड़ी-स्त्री० [सं भगिनी] १ खुद के बहचरणो (बो)-देखो 'बैचरणो' (बौ)।
माता-पिता की लड़की, कन्या/भगिनी, बहन । २ चाचा, बहतर-देखो 'बमोतर'।
ताऊ, मामा, बूमादि की पुत्री । ३ बहन के रूप में स्वीकृत बह-१ देखो 'वह' । २ देखो 'बहुत' ।
स्त्री, धर्म बहन । बहक-स्त्री० १ बहकने की क्रिया या भाव । २ पथ भ्रष्ट या | बहनामि, बहनामी-देखो 'बहुनामी'।
मति भ्रष्ट होने की दशा। ३ पागलपन । ४ प्रलाप, | बहनि (नी)-१ देखो 'बहन'। २ देखो 'वनि'। बकवास । -क्रि०वि० किसी के हक में, लिये, वास्ते, | बहनेवी बहनोई, बहनोबी, बहनोई-पु० [सं० भगिनी पतिः] प्रति ।
- बहन का पति। बहकरणौ (बी)-क्रि० १ सही रास्ता छोड़कर गलत रास्ते जाना, | बहन्न-देखो 'बहन' ।
भटकना, पथ भ्रष्ट होना । २ गुमराह होना, भ्रमित होना । | बहबहणी (बी)-क्रि० १ प्रसन्न होना, खुश होना । २ खिलभुलावे में पाना । ३ लक्ष्य चूकना, भूलना । ४ विचार | खिलाना। ३ उमंगित होना । ४ उत्कंठित होना । धारा में परिवर्तन होना, विषयान्तर होना। ५ भावेश | बहबिद्ध-देखो 'बहुविधि' । मद या क्रोध में पागल हो जाना, पापे में न रहना । ६ इस | बहबुवरणी-वि० [देश॰] (स्त्री० बहबुबणी) १ प्रसन्न, खुश । दशा में बड़बड़ाना । ७ मातंकित होना । डरना ।
२ अधीर, उतावला । ३ अातुर । बहकांमी-देखो बहुकांमी'।
| बहमंड-देखो 'ब्रह्मांड'। बहकाणी(बी), बहकावणी (बो)-क्रि० १ पथ भ्रष्ट करना, सही | बहम-देखो 'वहम' ।
रास्ता छुड़ाना । २ गुमराह करना, भ्रमित करना । ३ | बहमारणी-१ देखो 'बहुमांनी' । २ देखो 'ब्रह्मांणी' । लक्ष्य चुकाना, मुलाना । ४ विचारधारा में परिवर्तन | बहमी-देखो वहमी'। कराना, विषयान्तर कराना । ५ प्रापे में न रहने देना । बहमोलो-देखो 'बहुमोलो'।
६ शान्त करना, बहलाना । ७ आतंकित करना । डराना । बहरंग, बहरंगी (गो)-देखो 'बहुरंगी'। बहाणी (बो)-क्रि० १ कटना, कटजाना । २ देखो | बहरक, बहरख-स्त्री० भाले की नोक में बंधी रहने वाली झंडी। __ 'बावड़णों' (बौ)।
बहरखणी (बो)-क्रि० १ फहरना । २ चमकना । बहडारणौ (बो), बहडावरणो (बौ)-क्रि० १ कटवाना, कटवाया बहरखौ-पु. १ बाहू का एक गहना विशेष । भुजबन्ध । २ कुहनी जाना। २ देखो 'बावड़ाणो' (बी) ।
पर पहनने का वस्त्र विशेष । बहवराय-स्त्री० [देश॰] चारण कुलोत्पन्न एक देवी विशेष ।
बहरणो-देखो ‘बारणो'। बहठणी (बी)-देखो 'बैठणी' (बौं)।
बहरणौ (बो)-देखो 'बैरणो' (बी)। बहठाणौ (बो)-देखो 'बैठाणी' (बी)।
बहराणी (बौ)-देखो 'बैराणो' (बौ)। बहरण, बहरणी-१. देखो 'बहन' । २ देखो 'वहरण' । ३ देखो 'बहणी'।
बहरापरणो-पु० बहरापन । बहरणोई-देखो 'बहनोई'।
बहरार-वि० [सं० वर्द्धन] चीरने वाला । बहरणौ (बो)-देखो 'वहणो' (बो)।
| बहरावणौ (बौ)-देखो 'बैराणौ' (बौ)।
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( १८९ ।
बहरी, बहरू (क)-वि० [अ० बह्री] समुद्र का, समुद्र सम्बन्धी । बहसरणी (बौ)-क्रि०१ जोश या प्रावेश में आना । २ माक्रमण
-पु. १ एक सामुद्रिक शिकारी पक्षी । २ डायनी, प्रेतनी ।। के लिये तेजी से बढ़ना। ३ उत्साहित होना। ४ युद्ध करना, ३ देवी । ४ देखो 'बहरों' (स्त्री०) ।
लड़ना। ५ मारना, संहार करना। ६ शोभा देना। बहरूपियौ, बहरूपी, बहरूपौ-देखो 'बहुरूपियो' ।
७ प्रसन्न होना, खुश होना । ८. देखो 'बैसणो' (बी)। बहरौ-वि० [सं० बधिर] (स्त्री० बहरी) १ जिसकी श्रवणेन्द्रियां | बहसाणणी (बो)-देखो 'बैसाणी' (बो)।
नष्ट हो चुकी हों, श्रवणशक्ति समाप्त हो गई हो। २ जो बहसांमि, बहसांमी-देखो 'बहुम्वांमी' । सुनने में असमर्थ हो। ३ कही हुई बात को जो ध्यान से | बहसारणौ (बी), बहसावरखौ (बौ)-क्रि० १ जोश में लाना, न सुन सकता हो ४ काव्य का एक दोष ।।
आवेश में लाना। २ युद्धार्थ तेजी से गमन कराना। बहळ. बहल-वि० [सं०बहल] १ अत्यधिक, बहुत प्रचुर, विपुल ।।
३ उत्साह बढ़ाना । ४ युद्ध करामा, लड़ाना । ५ मरवाना, २ स्थूल, मोटा, बड़ा। ३ मजबूत, दृढ़, सशक्त। ४ गाढ़ा, संहार कराना । ६ शोभित करना । ७ प्रसन्न या खुश घना ।-पु० १ ऊख विशेष । २ कीचड़, पंक । ३ एक प्रकार |
__ कराना । ८ देखो 'बैसाणी' (बी)। की बैल गाड़ी। ४ रथ । ५ देखो 'बळद' ।
बहसिणी (बौ)-देखो ‘बहसणी' (बो)। बहलणी (बी)-क्रि० [फा० ब-हाल १ दुःखी या परेशान मन | बहस्कार-देखो 'बहिस्कार'।
को शांति मिलना, तसल्ली होना। २ मनोरंजन होना। बहस्ऋत-देखो 'बहिस्क्रत' । ३ परेशान करने वाली बातों से ध्यान बंटना । ४ रोता बहस्वामि (मी)-देखो बहुस्वामी' । बच्चा खेलने लग जाना ।
बहस्स-देखो 'बहस'। बहलवान-पु० 'बहल' नामक गाड़ी चलाने वाला । गाड़ीवान। बहस्सरणौ (बौ)-देखो 'बहसणी' (बी)। बहलाणी (बी)-क्रि० १ दुःखी या परेशान मन को शांति देना, बहाण, बहाणी-१ देखो 'विहांण' । २ देखो 'वाहन' । ३ देखो
तसल्ली देना । २ मनोरंजन कराना । ३ दुःखी करने वाली 'वहांनो' ।
बातों से ध्यान बंटाना । ४ रोते बच्चे को खेलने में लगाना। | बहाड़णी (बी), बहाणी (बी)-देखो 'वहाणी' (बी)। । बहलायण-स्त्री० [सं० बहुलाध्यन] उत्तर की तेज वायु । बहादर-देखो 'बहादुर'। बहलाव-पु० १ बहलाने की क्रिया या भाव । २ मन बहलाव । | बहावरि (री)-देखो 'बहादुरी' । मनोरंजन । ३ प्रसन्नता । ४ संतोष ।
बहादुर-वि० [तु०] १ शक्तिशाली, बलवान । २ शूरवीर, योद्धा, बहलावणी (बी)-देखो 'बहलाणी' (बी)।
वीर । ३ उत्साही, साहसी । बहलिय-पु० एक अनार्य जाति व इस जाति का व्यक्ति। बहादुरी-स्त्री० [तु.] १ 'बहादुर' होने की अवस्था या भाव । बहलियौ-पु. १ 'बहल' में जोतने का बैल । २ देखो 'बळद', २ साहस का कार्य। ३ वीरता। ४ साहस । ५ बल प्रदर्शन । ३ शिकारी।
| बहानौ-पु० [फा० बहान] १ किसी कार्य या जिम्मेदारी से बहली-पु. १ एक देश का नाम । २ देखो 'बहल'। | बचने के लिये की जाने वाली असत्य बातें, मिस, बहाना। बहलीक-पु० एक देश का नाम ।
२ निमित्त, कारण। बहलीम-पु. १ सुन्नी मुसलमानों की एक शाखा व इस | बहार-स्त्री० [फा०] १ फूलों के खिलने की ऋतु । २ वसंत ऋतु
शाखा का व्यक्ति । २ नायक जाति के मुसलमानों का ३ यौवन का विकास, यौवन का रग । ४ विकास । ५ प्रफुएक भेद ।
ल्लता। ६ आनन्द, मौज । ७ रमणीयता, सुहावनापन । बहलीयो-देखो 'बहलियो' ।
८ एक रागिनी विशेष । बहळी-क्रि० वि०१ शीघ्र, तुरंत । २ वैसा। ३ देखो 'बहल'। बहारी-वि० [फा०] १ बहार का, बहार संबंधी । २ देखो बहवड़-देखो 'बहू'।
'बुहारी'। ३ देखो 'बाहरी'। बहवरणी (बी)-देखो 'बहणी' (बी)।
बहारू - १ देखो 'विहारी' । २ देखो 'बहारू' । बहविध-देखो 'बहुविध' ।
बहाल-वि० [म.] १ कायम, बरकरार । २ पुननियुक्त । ३ अच्छी बहस-स्त्री० [म.] १ अपने पक्ष को सही सिद्ध करने के लिये दशा में, भला; चंगा। ४ उत्साहयुक्त, फुर्तीला, साहसी।
कही गई बात, तर्क, वाद-विवाद । २ हुज्जत, व्यर्थ का बहाली-स्त्री० [अ०] १ बहाल करने की क्रिया, अवस्था या विवाद । ३ वाग्युद्ध । ४ प्रतिस्पर्धा, हौड़। ५ न्यायालयों में भाव । २ पुननियुक्ति। ३ तंदुरुस्ती, स्वस्थता। ४ उत्साह, होने वाली वकीलों की जिरह । ६ समान, बराबर । साहस । ५ झोसा-पट्टी, झूठ । ७ समपद । ८ पराक्रम ।
| बहाळी-देखो 'वाळी'।
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बहाली
बहुतेरो
बहालौ-देखो 'वालौ' ।
बहिस्कार--पु० [सं० बहिष्कार] १ बाहर निकालने की क्रिया । बहाव-पु० [सं० वहनं] १ बहने की क्रिया या भाव । २ पानी २ अलग या पृथक करने की क्रिया या भाव। ३ अनादर,
प्रादि के बहने की गति, बहने का रास्ता। ३ जल प्रवाह बेइज्जती । ४ सम्बन्ध विच्छेद । ५ सामाजिक असहयोग । से उत्पन्न ध्वनि । ४ प्रवाह, धारा, सोता । ५ किसी भावना ६ त्याग । ७ घृणा या असहयोग करने की क्रिया । या विचार धारा का प्रभाव ।
बहिस्क्रत-वि० [सं० बहिष्कृत] १ जिसका बहिष्कार किया जाय बहावरणी, (बी)-देखो 'वहाणी' (बी)।
बहिष्कृन । २ त्यक्त । बहि-अव्य० [सं०बहिस्] १ द्वार के बाहर । २ अन्दर के सामने । बहिस्त-पु० [फा० बहिस्त] स्वर्ग, वैकुण्ठ। बहिकरणो (बो)-देखो ‘बहकणो' (बी)।
बही-स्त्री० [सं० बद्ध] १ लेन-देन का हिसाब रखने की किताब, बहिकाणी (बो), बहिकावणी (बी)-देखो 'बहकाणी' (बी)। पंजिका । २ व्यापार का लेखा-जोखा लिखने की पुस्तक, बहिड़-देखो 'ब'ड'।
पंजिका । -खत, खातो='खाताबही' । बहिड़ौ, बहिडौ, बहिदू-देखो 'बे'डो' ।
बहीचरा-देखो 'बहचराय' । बहिण, बहिणि, बहिणी-देखो 'बहन'।
बहोभाट-पु० वंशावली लिखने वाले भाटों की एक शाखा। बहित्तरि (री)-देखो 'बमोत्तर' ।
बहीर-देखो 'वहीर'। महित्र-देखो 'बहित्र'।
बहुतर, बहुतरि, बहुतरी, बहुत्तर, बहुत्तरि, बहुत्तरी-देखो बहिन, बहिनड़, बहिनड़ी, बहिनडीय,बहिनर,बहिनि,बहिनी-देखो 'बमोत्तर'। __ 'बहन' ।
बहु-१ देखो 'बहुत' । २ देखो 'बहू' बहिनेवी-देखो 'बहनोई'।
बहुअड़, बहुअर, बहुप्राण-देखो 'बहू'। बहिनौ-देखो 'बहानो'।
बहुकांमी-वि० [सं० बहु-कामिन्] १ जो अधिक मैथुन करता बहिफनी-देखो 'बहुफळी'।
हो, ऐयाश, कामी । २ स्त्रण। [सं० बडु-कर्मिन] बहिरंग-वि० [सं बाह्य] १ बाहरी, बाहर का, बाह्य । २ जो ३ जो कार्य में अधिक व्यस्त रहता हो। ४ जिसके पास
किसी क्षेत्र या वर्ग से बाहर हो । ३ जो अनावश्यक हो । अधिक कार्य हो । बहुधंधी। ५ ईश्वर । ४ बाहर की भोर का। -पु० १ बनावट, प्राकार-प्रकार । | बहुखीचड़ी-स्त्री० [सं० वधू-कृसर] नव वधू के स्वागत में किया २ पूजा प्रादि प्रौपचारिक कर्म । ३ देखो 'बहरंगी' ।
जाने वाला भोज। बहिर-१ देखो 'वहीर'। २ देखो 'बाहर'।
बहुगुणी, बहुगुणी-वि० [सं० बहु-गुणिन्] १ जिसमें अनेक गुण बहिर उ-देखो 'बहरो'।
__ हो, गुणवान । २ जो कई कामों में उपयोगी हो। -पु. बहिरखू, बहिरखो-देखो 'बहरखो।
विशेष लक्षणों वाला घोड़ा । । बहिरगत-क्रि० वि० [सं० बहिर्गत] बाहर ।
बहुडपो (बो)-देखो 'बावड़णो' (बी)। बहिरणौ (बौ)-देखो 'बैरणो' (बो)। .
बहुडाणी (बौ), बहुडावरणों (बी)-देखो 'बावड़ाणी' (बौ)। बहिरलापिका-स्त्री० [सं० बहिर्लापिका] काव्य रचना में एक बहुड़ि-१ देखो 'बहुरि'। २ देखो 'बहू'। पहेली।
| बहुचक्र-पु० [सं०] १ जलेबो व इमरती नामक मिठाई। बहिराणौ (बौ), बहिरावरणौ (बो)-देखो 'बैराणी' (बो)। २ फोणी नामक मिठाई। बहिरिखौ-देखो 'बहरखौ' ।
बहुजाण-वि० [सं० बहुज्ञ] १ बहज्ञानी, पंडित । २ चतुर, बहिरो-देखो 'बहरौ'।
बुद्धिमान । बहिल-देखो 'बहल' ।
बहुडाणी (बौ), बहुडावणी (बौ)-देखो 'बावड़ाणी' (बी)। बहिलायत-वि० कृपा पात्र ।।
बहुत-वि० [सं० प्रभूत] १ जो गिनती में अधिक हो । अनेक । बहिल्ल-देखो 'बहल'।
२ मात्रा या परिमारण में अधिक, अत्यन्त । ३ विपुल, प्रचुर, बहिस-प्रव्य० [सं० बहिस] १ बाहिर की भोर, बाहरी । २ द्वार | पर्याप्त । ४ विविध । ५ समूह ।
के बाहर । ३ बाहर की ओर से । ४ देखो 'वहिस' । बहुतर, बहुतरि, बहुतरी-देखो 'बमोत्तर'। ५ देखो 'बहिस्त'।
बहुतरो-देखो 'बोतरी' । बहिस्करण-पु. [सं० बहिष्करण] १ बहिष्कार करने की क्रिया | बहुतात, बहुतायत-स्त्री. १ बहुत होने की अवस्था, अनेकता।
या भाव । २ अलगाव, पृथक्करण । ३ शरीर के बाहर की २ अधिकता, विपुलता, प्रचुरता । पांच ज्ञानेन्द्रियां व पांच कर्मेन्द्रियां।
| बहुतेरौ-क्रि० वि० बहुत से, बहुत बार ।
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बहुत
बहुवार
बहुत्त-देखो 'बहुत'।
बहुरात-स्त्री० [सं० वधुरात्रि] नव वधू के भागमन पर प्रथम बहुत्तर, बहुत्तरि, बहुत्तरी-देखो 'बोत्तर' ।
रात्रि को किया जाने वाला जागरण । बहुत्तरी-देखो 'बमोत्तरौं'।
| बहुरि-कि०वि० [सं०] १ पुनः, फिर, बार-बार । २ अनन्तर बहुधांन्य-पु० [सं०] १ ब्रह्मा के बीस वर्षों में से बारहवां वर्ष। उपरान्त, बाद में। ३ पीछे। ४ देखो 'बहू'। बहधा-प्रव्य० [सं०1१ कई बार, अनेक बार । २ भांति-भांति | बहुरिणी (णी)-वि० [सं० बहु ऋणी] १ जिस पर अधिक
से, विविध रूपेन। ३ अनेक प्रकार से। ४ कई अवसरों पर। कर्ज हो । २ जो एहसानों से दबा हुमा हो। ५ कई स्थानों पर । ६ अधिकतर, प्रायः ।।
बहुरी-पु० [सं० वाटुक:] १ यज्ञ । २ देखो 'बहुरि' । ३ देखो बहुधीत-वि० [सं० बहु-अधीत] बहुज्ञानी, पंडित, विद्वान । 'बहू' । बहुनामिय, बहुनामी-वि० [सं० बहुनाम्न] जिसके अनेक नाम | बहुरूप-वि० [सं०] १ जिसके अनेक रूप हो । अनेक रूप बनाने __ हों। -पु. १ ईश्वर, परमात्मा। २ शिव, महादेव ।
वाला । २ चितकबरा । -पु० १ परमात्मा, विष्णु । ३ विष्णु । ४ राम । ५ कृष्ण।
२ शिव, महादेव । ३ ब्रह्म। ४ सूर्य । ५ कामदेव । ६ केश । बहुपांव, बहुपाद-पु० [सं० बहुपादः] वट वृक्ष ।
७ गिरगिट, सरट । बहुप्रज-वि० [सं०] जिसके अनेक संतानें हों। -पु० १ सूअर, बहुरूपा-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा, देवी । २ अग्मि की सात वराह । २ मूज नामक घास ।
- जिह्वानों में से एक । बहुफळ-पु० [सं० बहुफलः] कदम्ब वृक्ष ।
| बहुरूपियो, बहुरूपी-वि० [सं० बहुरूपिन्] १ अनेक रूपों वाला बहुफळी-स्त्री० एक प्रकार की जंगली गाजर ।'
अनेक रूप बनाने वाला । २ नकल करने वाला । -पु. बहुकूली-पु. अधिक फूलों वाला पौधा विशेष ।
स्वांग बना कर जीविका निर्वाह करने वाला व्यक्ति । बहबंदोळी-पु० नव वधु के स्वागत में संबंधियों द्वारा दिया जाने | बहुळ, बहुल-वि० [सं० बहुल] (स्त्री० बहुली) १ प्रचुर, अधिक वाला भोजन।
विपुल, पर्याप्त, ज्यादा । २ सघन, गाढ़ा । ३ कसा हुमा। बहुबीज-पु० अधिक बीजों वाला फल ।
-पु० १ आकाश । २ सफेद मिर्च । ३ कृष्ण पक्ष ।
४ शिव । ५ अग्नि । बहुबोलौ-देखो 'बहुभासी'।
बहुलता-स्त्री० [सं०] १ 'बहुल' होने की दशा या अवस्था । बहुमखी-वि० [सं० बहुभक्षी] जो अधिक खाता हो। -पु० भीम |
२ अधिकता, प्रचुरता। का एक नामान्तर ।
बहुळा, बहुला-स्त्री० [सं० बहुला] १ गौ, गाय । २ इलायची । बहुभाखी (भासी)-वि० [सं० बहुभाषिन् ] १ अधिक बोलने
३ नील का पौधा । ४ कृत्तिका नक्षत्र । ५ देखो 'बहुल' । वाला । २ प्रलापी, बकवादी, गप्पी । ३ लम्बे-लम्बे भाषण
-चौथ-स्त्री० भादव कृष्णा चतुर्थी की तिथि । -बन,वन-पु० देने वाला।
वृन्दावन के ८४ वनों में से एक । नील के पौधों वाला बहुमान-पु. १ अधिक मान व प्रादर । २ बड़ों द्वारा छोटों
जंगल । को प्रदत्त पुरस्कार। बहुमानी-वि० [सं०] १ जिसका अधिक मान या आदर हो।
या पार हो। बहुलातमज-पु० [सं० बहुला-मात्मज] स्वामि कात्तिकेय । २ प्रतिष्ठित ।
बहुली-स्त्री० १ चौसठ योगिनियों में से एक । २ शाक, व्यंजन बहुमूत्र-पु० [सं०] १ अधिक पेशाब पाने का रोग । २ ऐसे
। प्रादि । ३ देखो 'बहुल' । रोग का रोगी।
बहुळु, बहुलु, बहुळी, बहुलौ-देखो 'बोळी'। बहुमूल-देखो 'बहुमूल्य'।
बहुवड़-देखो 'बहू'। बहुमूळी -स्त्री० [सं० बहु+मुलिन] १ एक जड़ी विशेष ।
बहुवद-देखो ‘बहुवादी'। २ अधिक जड़ों वाला पौधा।
बहुवाद-पु० [सं०] १ भिन्न-भिन्न मत । २ अध्यात्म व दर्शन बहुमूली (मूलौ, मूल्य, मोलो)-वि० [सं० बहुमूल्य १ जो
सो सम्बन्धी विभिन्न सिद्धान्त । ३ एक राजनैतिक सिद्धान्त । मूल्यवान हो, कीमती, ममूल्य । २ अधिक महत्वपूर्ण।
| बहुवादी-वि० [सं० बहुवादिन] १ बहुवाद के सिद्धान्त को मानने बहुय-देखो 'बहुत'।
वाला। २ ऐसा सिद्धान्त बनाने वाला । ३ बहुत बोलने बहुरंगी-वि० [सं० बहुरंगिन्] १ जिसके अनेक रंग हों, विविध |
वाला, बकवादी। रंगों वाला । २ विविध विचारों वाला । ३ जिसके कई बहुवार-अव्य० [सं० बहुवार] १ कई बार, अनेक बार, प्रायः । तरह के शौक हों, मनमौजी, रंगीला ।
२ बार-बार । -पु. १ लिसोड़े का पेड़ । २ उक्त पेड़ का बहुरखउ-१ देखो 'बहरखो' । २ देखो 'बाहुरक्षक' ।
फल ।
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बहुवासो
( १९२ ) .
बांकम
बहुवासी-पु० [सं० वधुवास] बहू को ससुराल में मिलने वाला | बहोत-देखो 'बहुत'। कष्ट, त्रास ।
बहोतर-देखो 'बोत्तर'। बहुविध, बहुविधि-क्रि०वि० [सं०बहुविध] १ अनेक प्रकार से, | बहोतरी-देखो 'बमोत्तरी'। रीति या ढंग से । २ अनेक नीतियों से।
बहोनांमी-देखो 'बहुनामी' । बहुव-पु० [सं० द्वे] १ दोनों। २ देखो 'बहुत'।
बहोर, बहोरि (री)-देखो 'बहुरि'। बहुव्रीहि-वि० [सं०] बहुत चावलों वाला । -पु. व्याकरण के | बही-देखो 'बोह'। छः प्रकार के समासों में से एक ।
बहोडणी (बौ)-देखो 'बहोड़णो' (बी)। बहुस त, वह स्रोत-वि० [सं० बहुश्रुत] १ जिसने बहुत कुछ | बहोडारणौ (बौ), बहौड़ावरणौ (बी)-देखो 'बहोड़ाणी' (बी)।
सुना हो । २ अनेक विषयों का जानकर । ३ विद्वान, पंडित। | बहीड़ि-देखो 'बहरि'।
४ वेदों का ज्ञाता । ५ अधिक सुनने वाला । ६ अतिवृद्ध । | बहौत-देखो 'बहुत'। बहुस्वामी-वि० [सं० बहस्वामिन्] १ बहुतों का स्वामी । २ जिस | बहौत्तर-देखो 'बनोत्तर'। के अधीन बहतसी वस्तुएं हों। -पु० ईश्वर ।
बां-स्त्री०१ गाय के रंभाने की ध्वनि । २ बार, दफा । बहू-स्त्री० [सं० वधू] १ धर्म-पत्नी, जोरू । ३ स्त्री, औरत, ३ देखो 'वा' ।
नारी । ३ पुत्र वधू, पतोहू । ४ नव वधू । ५ छोटे सम्बन्धी बांइ-देखो 'बायो। की स्त्री। ६ धार्मिक बुद्धि, सुबुद्धि । [सं० बहु] ७ समूह बांइटो-देखो 'वांइटौ'। -वि०१ दोनों। २ देखो 'बहुत'।
बांई-स्त्री० १ दरवाजे के प्रगल-बगल खड़ा लगाया जाने वाला बहूजी,बहूजीराज-पु०१ राजमाता । २ वृद्धा स्त्रियों के लिये एक
पत्थर । २ देखो 'बायौ' (स्त्री०)।३ देखो 'वाई' । ४ देखो प्रादर सूचक संबोधन। ३ नववधू का आदर सूचक संबोधन 'बांह। बहूतरि, बहूतरी-देखो 'बोतर'।
बाईटो-देखो 'वाइंटो'। .. बहूत-देखो 'बहुत' ।
बांक-पु० [सं० वक्र] १ घुमाव, मोड़ । २ धनुष । ३ टेढ़ापन; बहूदक-पु० [स० बहुउदक] संन्यासियों का एक भेद ।
वक्रता । ४ हथियार चलाने की एक विद्या का नाम । बहूधीत-देखो 'बहुधीत' ।
५ वीरता, बहादुरी, पराक्रम । ६ अभिमान,गर्व । ७ ऐंठन, बहूपमा-स्त्री० [सं०] एक प्रकार का अर्थालंकार ।
मरोड़ । ८ तलवार । ६ तलवार से मिलता-जुलता एक बहूपांव, बहूपाद-देखो 'बहुपाद'।
शस्त्र विशेष । १० घिसते समय लोहे को पकड़ने का उपकबहूय-देखो 'बहुत'।
रण, सिकंजा । ११ रहट में लगने वाली एक लकड़ी विशेष बहूळा (ला)-देखो 'बहुला'।
१२ बैलगाड़ी के थाटे के नीचे का मुड़ा हुमा भाग । १३ बहूवड़-देखो 'बहू'।
जल-पात्र विशेष । १४ कमी, कसर । १५ परसु नामक बहूविध-देखो 'बहुविध'।
कृषि उपकरण । १६औरतों के वस्त्रों में लगाने का तार गोटे बहेड़, बहेड़उ, बहेड़ा, बहेड़ो-देखो 'बेड़ो'।
का एक फीता विशेष । १७ व्यंग। -वि० १ टेढ़ा, तिरछा । बहेटौ-पु० ऊंट ।
२ मुड़ा हुना। रहे रखो-देखो 'बहरखो।
बांकउ-देखो बांकी'। बहेला-देखो 'बाघेला'।
बांकड़-१ देखो 'बांको । २ देखो 'बांक' । बहेलियौ-पु० [सं० वधजीवन्] १ व्याध, शिकारी, बहलिया।
बांकड़मल-वि०१ योद्धा, वीर । २ मल्ल । २ कसाई, बूचर । ३ जल्लाद ।
बांकड़ली-देखो 'बांकी' । बहोडणी (बी)-क्रि० १ लेना, प्राप्त करना । २ रक्षा करना,
बांकड़लौ-देखो 'बांको'। . बचाना । ३ लौटाना, वापस करना । ४ पीछे फेरना,
| बांकड़ी-स्त्री० १ लाठी, लकड़ी। २ धातु के हुक्के में लगने मोड़ना, घुमाना। ५ विसर्जन करना, समाप्त करना।
वाला एक उपकरण । ३ देखो 'बाकी' । ४ देखो 'बांकली'। बहोड़ापो (बी), बहोड़ावरणौ (बौ)-क्रि० १ प्राप्त कराना
बांकड़ो-१ देखो 'बांक' । २ देखो 'बांकी'। लिवाना, । २ रक्षा करवाना, बचवाना। ३ वापस कराना लोटवाना। ४ पीछे फिरवाना, मुड़वाना, घुमवाना ।
बांकनळ, बांकनाळ-देखो बंकनाळ' । ५ विसर्जन कराना, समाप्त कराना।
बांकबसूली-स्त्री० बढ़ई का एक भौजार । बहोडि-देखो 'बहरि'।
बांकम-स्त्री. १ बहादुरी का कार्य । २ शौर्य, पराक्रम ।
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बांकल
( १६३ )
बांटीलो
बांकल-स्त्री० [सं० वक्र] १ तलवार। २ 'माधा' चारण की | बांगरू-स्त्री० केवल वर्षा के पानी से ही होने वाली फसल । पुत्री एक देवी।
बांगळ-पु० एक प्रकार का घोड़ा विशेष । बांकलमाता-स्त्री. रेबारियों के ढाढ़ियों की एक देवी। बांगळी (लो)-देखो 'बांघलौ' । बांकली-स्त्री० [सं० वक्रनलिका] १ रहट की माल से पानी बांगौ-देखो 'बगनौ' । - गिरने के स्थान पर बनी कुडी । २ देखो 'बांकल' । बांधळी (लो)-वि० [सं० व्याघ्र+रा० लो] १ योद्धा, वीर । बांकापण, बांकापणी-पु० १ बांका होने की अवस्था या भाव । २ क्रुद्ध, क्रोधित । ३ भूखा । ४ जबरदस्त, जोरदार । . २ टेढ़ापन, बांकापन । ३ तिरछापन । ४ ऐंठन । ५ वीरता, ५ असावधान । -पु. भूखा व क्रुद्ध शेर ।
शौर्य । ६ श्लेषात्मक भाषा, व्यंग । ७ बनावट या रचना | बांच-देखो 'बांमच' । की सुन्दरता, छवि, प्राभा।
| बांचरणी (बी)-क्रि० [सं०वाचनम्] १ लिखी हुई भाषा या इबाबांकिम-देखो 'बांकम'।
रत को पढ़ना, पढ़कर सुनाना। २ पाठ करना। ३ पत्र बांकियो-पु. १ फूक कर बजाने का बाजा विशेष, तुरही । पढ़ना। ४ कथना, कहना। ५ जान लेना, भांप लेना,
२ स्वर्णकारों का एक उपकरण । ३ देखो 'बांक' । ४ देखो समझ लेना । ६ देखो 'वांछणो' (बी)। 'बांको'।
बांछरणी (बी)-देखो 'वांछणो' (बी)। बांकिपाबाव-पु० धनुर्वात नामक रोग ।
बांछा-देखो 'वांछा'। बांकी-वि० [सं० वक्र] १ ऊबड़-खाबड़, ऊंची-नीची। २ टेढी | बांछित-देखो 'वांछित' ।
तिरछी, वक्र । ३ दुर्गम, दुरूह, विकट । ४ देखो 'बांकी'। । बांजंत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'। बांकीनाळ-देखो 'बंकनाळ' ।
बांझ-देखो 'बंध्या'। बांकुरो, बांको-वि० [सं० वक्र] (स्त्री० बांकी) १ मुड़ा हुमा, | बांझकंकाड़ी (कंकोड़ी, कांकड़ी)-पु० [सं० बंध्याककौंटकी]
वक्र । २ टेढ़ा,तिरछा । ऐंठनदार । ३ पैना। ४ शूरवीर, वृक्षों पर फैली रहने वाली बिना फलों वाली लता। पराक्रमी । ५ जबरदस्त । ६ पुरुषार्थी, हिम्मतवान । बांझड़ियो-देखो 'बांझड़ी'। ७ गविला, अभिमानी । ८ निपुण, दक्ष । ९ दृढ़, मजबत । | बांझड़ी-देखो 'बंध्या' । १० दुर्गम, दुरूह । ११ कठिन । १२ विरुद्ध उल्टा। १३ बांझड़ो-वि० [सं० बंध्य] (स्त्री० बांझड़ी) १ संतान रहित, कुटिल, क्रूर । १४ विकट, भयावह । १५ छल-छबीला, संतानहीन । २ स्त्री विहीन, रंडवा, विधुर । ३ बंजर, शौकीन । १६ छैला । १७ घुघुराला,छल्लेदार । १८ शोभ- बेकाम।
नीय । १९ दीर्घ । २० विशेष गुणों वाला । -पु० हनुमान । बांगरणी-देखो 'बंध्या'। बाखोरण-देखो 'बखांण'।
बांझरणी-देखो 'बांझड़ो'। बांखांणणो (बी)-देखो 'बखाणणी' (बी)।
बांसपण (परणी)-पु. १ बांझ होने की दशा, अवस्था । बांग-स्त्री० [फा०] १ जोर से पुकारने की क्रिया या भाव । २ ऊसरता।
२ धावाज, ध्वनि, स्वर, नाद । ३ मुर्गे की बोली ।। बाक्षिणी-देखो 'बंध्या' । ४ मस्जिदों में मुल्लापों द्वारा की जाने वाली प्रजान ||
बाझियो-देखो 'बांझड़ो'। ५ मृत व्यक्तियों के पीछे जोर से रोने की प्रावाज ।
बांझी-देखो 'बंध्या'। ६ जोर से रोना, चिल्लाना, हाय-तोबा करने की क्रिया ।। बांट-१ देखो 'वंट'। २ देखो 'बांटको'। बांगड़-पु० १ करनाल, रोहतक,हरियाणा और हिसार प्रदेश का
| बांटकियो, बांटको-पु० [सं० वठरः] कटीला पौधा या छोटी नाम । २ देखो 'बंगड़' । ३ देखो 'वांगड़' । ४ देखो 'बांगर'।
झाड़ी। ५ देखो 'बांगड़ों।
बांटरपो-वि० [सं० वंटक] १ बांटने या विभाजन करने वाला।
२ देने वाला, दाता । -पु. सिल-बट्टा ।। बांगड़ फूली-स्त्री. अधिक फूलों वाली एक वनस्पति ।
बांटरको (बी)-क्रि० [सं० वंटनम्] १ किसी वस्तु या क्षेत्र को बांगणी-पु० भगोना।
कई भागों में विभक्त करना। बांटना । २ सम्पत्ति आदि बांगणी (बी)-क्रि० [फा० बांग] १ अजान देना। २ मुर्गे का | के हिस्से कर के भागीदारों को देना। ३ वितरण करना,
बोलना । ३ मृतक के पीछे जोर से रोना । ४ रोना, हाय | बांटना। ४ दान देना। ५ पीसना । तोबा मचाना । ५ देखो 'वांगणी' (बो)।
बांटीलो-वि० (स्त्री० बांटीली) १ बांटने या वितरण करने बांगर-स्त्री० वर्षा के पानी से ही फसल देने वाली कृषि भूमि । वाला, वितरक । २ गविला, अभिमानी।
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बांटो
( १९४ )
बांदरमाळ
बांटौ-पु० [सं०वट] १ बांटने की क्रिया या भाव । २ विभाजित | बांणपति (पती, पत्ती)-पु० [सं० बाण-पति] १ महादेव, शिव।
अंश या हिस्सा । ३ जागीरदार को दिया जाने वाला | २ धनुर्धर । उपज का भाग । ४ मवेशियों को खिलाने की खाद्य | बांरणप्रस्थ-देखो 'वानप्रस्थ' । सामग्री विशेष । ५ खलिहान में रखा कटी फसल का बाणभट्ट-पु० [सं०] संस्कृत का एक प्रसिद्ध कवि । गोलाकार ढेर ।
बांरणमौ (बौं)-वि० इकराणु के बाद वाला, बानवे के स्थान बांठ-स्त्री०१ बध्या बकरी । २ मादा सूपर । ३ देखो 'बांटकौ'। वाला । -पु० वानवे की संख्या का वर्ष । ठको (डो)-देखो 'बांटको' ।
बाणाध-पु. सूर्य। बांठौ-पु. कच्चे मकानों की छाजन में काम आने वाला क्षुप । बांरणारसि, बाणारसी-१देखो वाराणसी' । २ देखो 'बनारसी' । बांडकी-देखो 'बांडी'।
बांणाळ (ळो)-१ देखो 'बाण' । २ देखो 'बांणावळी' । बांडपांसू, बांडपाही-पू० [सं० वंड+पार्श्व] वह बल जिसके | बाणाव-देखो 'बरणाव' । अन्तवाली पसली छोटी हो।
बांणावती-स्त्री० [सं० बाणावती] दैत्यराज बाणासुर की पत्नी बांडा-स्त्री० कुम्हारों की एक जाति विशेष ।
का नाम । बांराई-स्त्री० १ शरारत, बदमाशी । २ चालाकी, धूर्तता। बाणाळि, बांरणावळी-वि० [सं० बाणावली] जो धनुविद्या बांडाबीज-स्त्री० अक्षय तृतीया के पूर्व की तिथि ।
में प्रवीण या दक्ष हो । कुशल धनुर्धर । -स्त्री० तीरों की बांडियौ-पु. १ एक प्रकार का छोटी बांह का अंगरखा ।। कतार या बौछार । २ देखो 'बांडो'।
बाणास-स्त्री० [सं० बाण] १ तलवार, खड्ग । २ धनुष । बांडी-स्त्री. १ सर्प विशेष । २ राजस्थान के दक्षिण एवं पूर्व बाणासरण, बाणासणी-पु० [सं० बाणासनं] धनुष, कमान । ___ में बहने वाली दो नदियां । ३ देखो 'बांडो' (स्त्री)। बारणासि-देखो 'बांणास' । बांडेरू--पु० [देश॰] १ 'पाई-माता के भक्त 'सीरवी' । २ देखो बाणासुर-पु० [सं० बारण-असुर] राजा बलि का बड़ा पुत्र ।
सहस्रबाहै। बोडी-वि० [सं० वंड] (स्त्री० बांडी) १ कटे हए 'छ का । बारिण-१ देखो 'वाणी' । २ देखो 'बाण'।
२ उदण्ड बदमाश उत्पाती।-५०१ कटी छका | बांरिणक-१ देखो 'वारणक' । २ देखो 'वणिक' । पशु । २ सुन्नी मुसलमान । ३ बांडा जाति का कुम्हार । |
बारिणयौ-देखों 'वरिणक' । बांदो-देखो 'वांढ़ो'।
बाणी-देखो 'वाणी'।। बांण-वि० चतुर, दक्ष, निपुण । -पु० [सं० बाण] १ तीर
बाण, बारण -वि० [सं० द्विनवतिः] नब्बे और दो। बानवे ।
| -पु० १ नब्बे व दो की संख्या, ९२ । २ देखो 'बांगण' । नामक शस्त्र, सायक, शर । २ तीर का अग्र भाग ।
बाणमौ (वौं)-देखो ‘बांणवो' । ३ निशाना, लक्ष्य । ४ बारूद से छोड़ने का उपकरण ।
बारणेत, बांणत-देखो 'बांनेत' । ५ गाय का स्तन । ६ स्वर्ग । ७ बल । ८ पुत्र, सुत । ९चारण। १० बाणभट्ट । ११ बाणासुर । १२ ध्यान,
बांरणी-पु. एक प्रकार की मोटे दाने की रेत । लगन । १३ महादेव । १४ स्वभाव, प्रकृति । १५ मर्यादा,
| बांय-देखो 'बाथ'। मान । १५ जोर से चिल्लाने की आवाज, रोने की आवाज। बांब-स्त्री० [सं० वांद] १ दूल्हे-दुल्हिन को, इष्ट-मित्रों १७ अग्नि, प्राग । १८ प्राजा । १६ बाण गंगा। २० खाट संबंधियों द्वारा भेंट किया जाने वाला द्रव्य । २ इष्ट-मित्रों बुनने की रस्सी, मूज आदि । २१ ऋतुमति गाय व मैस । | द्वारा दुल्हिन-दूल्हे को दिया जाने वाला भोज । ३ सेवक,
२२ पांच की संख्या । २३ देखो 'वाणी' । २४ देखो 'वाण'। दास । बांणक-१ देखो 'वांणक' । २ देखो 'वणिक' !
बांदड़माळ-देखो 'बांदरमाळ' । बाणगंगा-स्त्री० १ जोधपुर जिले में बिलाड़ा ग्राम के पास | बांदणौ (बौ)-क्रि० [सं० वंदनम्] १ अभिवादन या नमस्कार बहने वाला एक जल स्रोत । २ हिमालय के सोमेश्वर गिरि
करना । २ पूजा करना, अर्चना करना । ३ स्वागत करना । से निकलने वाली एक नदी का नाम । ३ धौलपुर, जयपुर ४ देखो 'बांधणो' (बी)। व बूदी प्रदेशों के पास बहने वाली नदियां ।
बांदर-१ देखो 'वानर'। २ देखो 'बंदर'। बांरणरण, बांगनी-देखो 'बणियांणी' ।
बांदरमाळ, (माळा, वाळ)-स्त्री० [सं० वंदनी+माला] बारणपंजरि-स्त्री० [सं० बाण-पञ्जर] तरकस तूणीर, भाता।। १ मकानों के द्वार या मण्डप की सजावट में लटकाई
' पाए ।
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बांवरियो
( १९५ )
बांबाडी
जाने वाली माला ।। २ स्वागत के समय पहनाई जाने | बान-१ देखो 'बांण' । २ देखो 'बांनो' । ३ देखो 'बांद' । वाली माला।
४ देखो 'वान'। बांदरियो, बांदरी-देखो 'वानर'।
बांनक-देखो 'वांणक'। बांबा, बांबाल-पु० [सं० बांदाल] अन्य वृक्ष की शाखा पर उगने | बानगी-स्त्री०१ बिक्री योग्य सामान का नमूना । २ प्रादर्श । __ वाली वनस्पति ।
| ३ रूपरेखा ढांचा। बांदि-१ देखो 'बांदी' । २ देखो 'बंदी' ।
बांनणी-स्त्री० जुलाहों का एक उपकरण । बांबी-स्त्री० १ दासी, सेविका, परिचारिका । २ नौकरानी। बोनद्रोही-पु० भैसा, महिष । बांदो-१ देखो 'बंदी' । २ देखो 'बांनो' ।
बांनप्रस्त. बानप्रस्थ-देखो 'वानप्रस्थ' । बांध-पु० [सं० बंध] १ बांधने की क्रिया का भाव । २ नदी या | बानर बानरडो-देखो 'वानर' ।
जलाशय का पानी रोकने के लिए बनाई गई मोटी दीवार, | बानरधी-पु० [सं० वारिनिधि] समुद्र, सागर । पुश्ता, धुस्स । ३ छोटा ढेर ।
बांनात-देखो 'बनात'। बांधण-वि० [सं० बंध] १ बांधने वाला। २ रक्षा करने वाला बांनाधार-वि० कुल-मर्यादा को धारण करने वाला।
-पु० १ बांधने की क्रिया या भाव । २ देखो 'बंधन'। बांनाबंध बांनाबधण-वि० १ गुणधारी। २ सैनिक वेश भूषा बांधणी-स्त्री० [सं० बंधन] १ बांधने की क्रिया या ढंग । धारण करने वाला । -पु. १ सैनिक । २ तीरंदाज। ३ युद्ध २ देखो 'बांनणी'।
में दृढ़ प्रतिज्ञ रहने का चिह्नधारी योद्धा। ४ वीर, बहाबांधण-पु० [सं० बंधन] १ रंगरेज का कपड़ा विशेष । २ रंगाई
दुर । ५ पूजनीय । से पूर्व वस्त्र को स्थान-स्थान से बांधने का ढंग । ३ वह वस्त्र |
बांनी-१ देखो 'वाणी' । २ देखो 'वांनी'। जिसमें सूत के धागों से बांधकर बुदकियां लगाई जाती हैं ।।
बानेत, बांनत-पु० १ योद्धा, वीर । २ धनुर्धर । ३ कोई वेश ४ देखो 'बांधण'।
धारण किया हुआ । ४ प्रधान सेनापति । ५ युद्ध से न भागने
की प्रतिज्ञा का चिह्न रखने वाला योद्धा। बांधणी(वो'-क्रि० [सं०बंधनम्]१ रस्सी या डोरी आदि से पाबद्ध
|बांनंतपण (परणो)-पु० १ बानेत होने की अवस्था या भाव करना, बन्धन युक्त करना, बांधना। २ किसी वस्तु पर
२ वीरता, बहादुरी। डोरा प्रादि कसकर लपेटना । ३ कैद करना, बन्धन में
बांनोळी-देखो 'बंदोळी' । डालना। ४ किसी फंदे में फंसाना। ५ उलझन या झंझट
बांनोळो-देखो 'बदोळी'। में फसाना । ६ लटकाना, टेरना, टांकना। ७ अधीन करना,
बांनो-पु० [सं० वर्ण] १ वेश-भूषा, पहनावा । २ ध्वज, झण्डा, काबू या नियन्त्रण में करना। - मुग्ध करना, मोह लेना।
पताका । ३ दूल्हे या दुल्हिन की वेश-भूषा । ४ विवाह की ९ अवरुद्ध करना, रोकना । १० गतिहीन करना । ११
रश्म प्रारम्भ करने का प्रथम दिन। ५ जाति या वर्ण का प्राड लगाना, बांध बनाना । १२ कूए प्रादि की बंधाई
प्रच्छा गुण या स्वभाव । ६ गुण-स्वभाव । ७ चिह्न । मान, करना । १३ निर्माण करना, बनाना । १४ नया राज्य या
मर्यादा, प्रतिष्ठा, इज्जत । ९ मार्ग-दर्शन । उपदेश, दीक्षा। जागीर स्थापित करना । १५ स्थापित करना, स्थापना ।
१० वंश परम्परागत कार्य या पाचरण । ११ प्रवस्था, १६ निश्चित या तय करना । १७ नियमित करना । १८ क्रम निश्चित करना । १९ नियम व सिद्धान्तों में मर्यादित
प्रायु । १२ स्वभाव । १३ चाल । १४ रीति । १५ तैयारी
१६ खातर, तवज्जा। [सं० वयनम्] १७ कपड़े की बुनवाट करना । २० तंत्र-मन्त्र से वशीभूत करना । २१ शस्त्रादि
का वह धागा जो प्राड़ा डाला जाता है। १८ बुनावट । धारण करना । १६ सैन्य विन्यास करना । २३ कल्पना
बांफणी, (बी)-देखो 'बाफरणो' (बी)। करना, धारणा बनाना । २४ रखना । २५ रचना के लिए
बांबड़-१ देखो 'बांबाड़'। २ देखो 'बांबड़ी'। सामग्री एकत्र करना । साधन जुटाना । २६ किसी को किसी के साथ संबद्ध करना, जोड़ना । २७ लड्डू या पिण्ड के रूप
| बांबड़ी-स्त्री० [सं० बंध्या] बांझ गाय, भैस या मादा मवेशी। में बनाना । २८ साफा या पगडी शिर पर लपेटता ।। बांबळ-वि० लाल । २९ रंगाई के लिए वस्त्र की बंधाई करना । ३० काव्य | बांबराड़, बांबाड़-वि० १ जबरदस्त, जोरदार । २ शूरवीर, बल रचना करना । ३१ पुस्तक की जिल्दबंधी करना।
वान । ३ देखो 'बंबाड़'। बांधव-देखो 'बंधु'।
बांबाड़ी-वि० १ चिल्लाने वाला । २ अनाड़ी। ३ देखो 'बांबड़'। बांधवर-स्त्री० एक जड़ी विशेष ।
| बांबाड़ौ-पु० जोर का हल्ला, चिल्लाहट ।
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बांबाळ
'बंबी' । बांभ- देखो 'भांब' ।
बांबाळ - देखो 'बंबाळ' ।
लग्गी । ७ देखो 'वास' |
बांब बांबी स्त्री० १ एक लता विशेष एवं उसका फूल २ देखो बांसट देखो 'वास'।
1
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( १९६ )
बबल-१ देखो 'ब्राह्मण' २ देखो 'भावी'।
बांभी. वांभीड़ो-देखो 'भांबी' ।
बांम देखो 'वांम' ।
बांभरण- १ देखो 'ब्राह्मण' । २ देखो 'वांमन' ।
बांमरण गिलोतरी - स्त्री० छिपकली जाति का एक जीव विशेष । बांमरनेगी - वि० दु:खद ।
मा०वियों की एक शाखा ।
बामदेव-देखो 'वामदेव' |
बांमन- १ देखो 'वांमन' । २ देखो 'ब्राह्मण' ।
बांग - देखो 'वांममारग' ।
मासुमार पु० स्वर्णकारों की एक शाखा ।
यांमणी - स्त्री० १ घोड़े की प्रथाल या दुम में होने वाला एक बांसोली- देखो 'वसूली' ।
रोग । २ 'मोठ' में लगने वाला कीड़ा विशेष ।
मी स्त्री० सर्प के आकार की मछली विशेष । बांगली - पु० १ बेलों का एक दोष । २ उक्त दोष वाला बैल | ३ महा[िसं० वल्मिक] ४ दीमक का बनाया मिट्टी का ढेर । बंबीठा ।
बांमांग - देखो 'वांमांग' |
बांगा- देखो 'वांमा' ।
बांमी- देखो 'वांगी' । – बंद, बंध - 'वांमीबंध' । बांसी- देखो 'वामी' ।
बी-१ देखो 'वाह' २ देखो 'बोय' ।
aint - वि० [सं० वाम] (स्त्री० बांइ, बाई, बांयी) १ बायीं ओर
। । का वाम २ दाहिने से उल्टा, बायें से विपरीत
३ वाम भाग में स्थित । ४ वामांगी। -पु० १ वाम-भाग, वामांग । २ बायें हाथ से बजाया जाने वाला तबला । देखो 'वाह'।
बांठ- वि० खिचा खिचासा, टेढ़ा-मेढ़ा | बांबळ, बांवल, बांबळियो, बांवळौ-पु० [सं० बर्बुर]
१ लंबे-लंबे कांटों वाला एक प्रसिद्ध वृक्ष विशेष, बबूल वृक्ष । २ देखी बाह'।
बावळि, बांवळी - स्त्री० [सं० बर्बुर] बबूल जाति की झाड़ी । बांबी- पु० एक देश का नाम । बायो-देखो 'बायो' । बांस बांसड़ी पु० [सं० वंश ]
|
१ गन्ने के समान गांठदार लंबी लकड़ी जो प्रायः अन्दर से खोखली होती है । २ इस जाति की कोई लकड़ी, लाठी ३ सवा तीन गज का एक नाप । ४ रीढ़ की हड्डी । ५ लट्ठा, लाठ । ६ नाव खेने की
बांसुरी, बांगुली देखो 'वंसी' ।
बांस बसि देखो 'वां"।
बांसरी, बांसली वि० [सं० वंश ] १ यांस को, बांस संबंधी। - स्त्री० १० १ बांस की बनी वस्तु । २ देखो 'वंसी' । बांसली-देखो 'बोसो' (स्त्री० बांसली) । बांसा-१ देखो 'वांसा' २ देखो 'वा' । बांसिया- क्रि०वि० पीछे ।
बांसियो देखो 'बांसियों' |
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बासोड़-पु० यह नया कपड़ा जो अधिक समय तक पड़ा रह जाने के कारण कमजोर हो गया हो ।
बा
बांसी-१ देखो 'वांसी' २ देखो 'बांस' | बांह, बांडली, बोहड़ी स्त्री० [सं० बाहः] १ मनुष्य के कंधे से कलई के बीच का अवयव, भाग भुजा, बाहु । २ पहनने का वस्त्र का मुजा पर रहने वाला भाग । प्रास्तीन। ३ सहायता, मदद। ४ वचन, वादा, श्राश्वासन । ५ मुजबल, शक्ति ।
,
बहरा देखो 'वाहन'।
|
वहतोड़ ० [सं०] बाहः + त्रुटित] कुश्ती का एक दाव पेच बाहर - वि० १ स्वागत या अगवानी करने वाला । २ विश्वास पात्र । ३ जमानत देने वाला, जमानती । बहिनौ - देखो 'बहानी' ।
२ श्राजानबाहु |
बांहि - देखो 'बांह' |
बाहि-देखो 'वाहन'।
बाहोळौ - देखो 'वसूली' ।
बांहपसाव, बांहपासाव- पु० १ लंबे हाथ बढ़ाकर परस्पर मिलने की क्रिया या भाव। २ राजा महाराजाओं द्वारा दिया जाने वाला सम्मान ।
बहर-देखो 'बांवर'।
बांहबळ - देखो 'बाहुबळ' |
बांबेली - वि० १ सहायक, मददगार । २ रक्षक, संरक्षक । बांहबोल- पु० १ वचन, वादा २ विश्वास, भरोसा । बाहमरोड़ पु० कुश्ती का एक पेच । बांहळियो-देखो 'बोहळियो' |
बांहवर - वि० [सं० बाहः वरः ] वीर, वो देखो 'बाहुब
बाळ बाळ बाळ वि० १ वीर शक्तिशाली पराक्रमी
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पराक्रमी ।
बा- पु० १ पिता बाप | २ वृद्ध पुरुष । ३ वृद्ध पुरुषों का एक
"
संबोधन । ४ बच्चों का एक प्यार भरा संबोधन । ५ माता;
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पाप्रणी
( १९७ )
बाखासौड़
दादी आदि के प्रति एक संबोधम । ६ बाबू का संक्षिप्त रूप। बाउलि, बाउलो-१ देखो ‘बांवळी' । २ देखो 'बावळी' । अव्य० [फा०] १एक उपसर्ग । २ देखो 'वा'।
बाउलीउ, बाउलू, बाउळी (लो)-देखो 'बावळी' । बामणी-देखो 'वाहणी'।
बापोतर, बाप्रात्तर-देखो 'बमोत्तर'। बाइ-देखो 'बाई'।
बामोलियु (यौ)-१ देखो 'बांवळ' । २ देखो 'बकुल' । बाइक-१ देखो 'वाक्य' । २ देखो 'बायक' ।
बाक-१ देखो 'वाक' । २ देखो 'बाको' । बाइड-देखो 'बापड़' ।
बाकचाल-देखो वाचाळ' । बाइर-देखो 'बैर'।
बाकड़ी-देखो 'बाखड़ी'। बाइस-१ देखो 'बाईस' । २ देखो 'वायस' ।
बाकर, बाकरउ, बकरडौ-१ देखो 'बकरौ'। २ देखी 'बकर'। बाइसटोळा-देखो 'बाईसटोळा' ।
बाकरियो-१ देखो 'बकरो' । २ देखो 'बकरियो' । बाइसी-देखो 'बाईसी'।
बाकरू, बाकरो-देखो 'बकरौं' । बाइसौ-देखो 'बाईसौ'।
बाकळ-१ देखो 'वाकळ' । २ देखो 'बाकळा' । बाईटो-देखो 'वाइटो'।
बाकळा, बाकळी-पु० [सं वाष्कब] १ उबाला हुमा अनाज । बाई-स्त्री० १ बहिन, भगिनी । २ पुत्री। ३ लड़की, कन्या । २ देवी-देवताओं को चढ़ाई जाने वाली बलि ।
४ माता, जननी। ५ स्त्री, भौरत । ६ स्त्री या युवती बाकबारगी-देखो 'वाकवाणी'। के लिए प्रेम व ममत्व भरा संबोधन । ७ वेश्या, रंडी। बाकस-पु०१ रस रहित, शुष्क । २ स्वाद रहित । ३ रस ८ कमजोर या प्रशक्त पुरुष । ९ देखो 'वाई'।
निकला हुमा गन्ना, रसरहित गन्ना। बाईजी-स्त्री० १पिता की बहन, बना, फूफी। २ पति की बहन, बाकसाळी-देखो 'वाकसाळी' । ननद । ३ बड़ी बहन ।
बाकार-देखो 'वाकार। बाईजीलाल-स्त्री. राजकुमारी या सामंतों की लड़कियों का | बाकारणो (बो)-देखो 'वाकारणो' (बी)। संबोधन ।
बाकी-वि० [अ०] १ अवशिष्ट, शेष । २ कमी। ३ अन्य । बाईबंगौ-पु. १ औरतों के लक्षण या स्वभाव वाला पुरुष । ४ ऋण के रूप में बकाया। -स्त्री० १ बड़ी संख्या में
२ मस्थिर चित्त व्यक्ति । ३ नाजुक मिजाज व्यक्ति । से छोटी घटाने की क्रिया । २ बड़ी संख्या में छोटी संख्या बाईबराइ-पु. राजकुमारी के विवाह पर प्रजा से लिया जाने घटाने पर निकलने वाला परिणाम । ३ बकाया रकम, वाला कर।
ऋण । -प्रव्य० १ लेकिन, मगर, परन्तु । २ अन्यथा । बाईमंगौ-पु. (स्त्री० बाईमंगी) १ बहन या बेटी के बदले धन | बाकुळ, बाकुल, बकुळा (ला,ळी)-देखो 'बाकळा'।
लेने वाला व्यक्ति । २ बहन या बेटी का प्राश्रित रहने वाला | बाको-पु० [सं० वकत्र] १ मुख, मुह। २ खुला हुमा मुह । व्यक्ति ।
३ चेहरा । ४ थूथन, चोंच । बाईस-वि० [सं० द्वाविंशति] बीस व दो, बाईस । -पु० बीस बाखड़, बाखड़ी-स्त्री० [सं० बष्कखणी] दूध देना बंद कर देने व दो की संख्या, २२ ।
की अवस्था वाली गाय या भैस । -जान-स्त्री० वयस्क बाईसटोळा-स्त्री० जैन सम्प्रदाय की एक शाखा ।
दूल्हे की बरात (विश्नोई)। बाईसमों (वौं)-वि० जो इक्कीस के बाद पाता हो, बाईस के बाखड़ी-पु० 'बाखड़ो' गाय या भैंस का दूध । ___ स्थान वाला।
बाखर-पु० १ धन-दौलत, जायदाद । २ कई वस्तुओं का समूह, पाईसी-स्त्री. १ बाईस सूबों से एकत्र की गई शाही सेना। ढेर । ३ मिश्रित वस्तुओं की मात्रा । २ बाईस वस्तु या पद्यों का समूह ।
बाखरी-स्त्री० १छोटा मकान, छोटा प्रावास । २ देखो 'बाखर'। बाईसौ-पु० बाईस की संख्या का वर्ष ।
बाखळ-पु० १ गांव के बीच का चौक । २ गांव के बाहर का वह बाउहरणो (बो)-देखो 'बावड़णो' (बी)।
स्थान जहां जंगल में चरने जाने वाले मवेशी एकत्र होते बाउड़ी-देखो 'बावड़ी'।
हैं । ३ छत के मागे बना पाहता। बाउड़ो-देखो 'बाहु ।
बाखांण-देखो 'बखांण'। बाउचो-देखो 'बापची' ।
बाखाणणौ (बी)-देखो 'बखांणणो' (बी)। बाउल-स्त्री. १ सुन्दर, स्त्री। २ पुतली, पंचालिका, गुड़िया । बाखांरिण-देखो 'बखांण'। ३ देखो 'बांवल'। ४ देखो 'बाबल' । ५ देखो 'वावल'। ।
बाखामोड-स्त्री० [सं० वक्त्र-जल्पः] १ व्यर्थ का विवाद । वाद बाउलउ-देखो 'बावळो' ।
विवाद, तर्क । २ बकवाद-प्रलाप । ३ झगड़ा, फिसाद ।
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बाखार
( १९८ )
बाघमुखी
बाखार, बाखारौ-देखो 'भखारी'।
बागहीण-वि० [सं० वाक्-हीन] १ मूक, गूगा। [सं० वल्गाबाखोट, बाखोटियो-पु० [सं० बाहुपोटलिक] हिरन का बच्चा हीन] २ बिना लगाम का, मुक्त । मृगशावक।
बागांसपूर-वि० तेजगति वाला, वेगवान । -पु. तीव्र गति वाला बाखोळी-स्त्री० बीमार या घायलों को उठाने की झोली विशेष ।। बागंबर-देखो 'बाघंबर'।
बागाइत, बागात, बागाती, बागायत-पु० [फा० बागाइत ] बाग-पु० [फा०] १ बगीचा, उद्यान, उपवन । --स्त्री० १ बाग, बगीचे, उपवन प्रादि । २ सार्वजनिक (सरकारी) [सं० वल्गा] २ घोड़े आदि की लगाम, रास । [सं० वाक्]
बगीचों की देख-भाल करने वाला विभाग । ३ बगीचा ३ वाणी, गिरा । ४ सरस्वती। ५ देखो 'वरग' । लगाने की भूमि । ६ देखो 'बाघ'।
| बागी-वि० [फा० बाग] १ बाग, बगीचा संबंधी । [अ०]
२ बगावत या विद्रोह करने वाला, विद्रोही। ३ क्रांतिकारी, बागड़-स्त्री० १ बच्चों को डराने के लिये बताया जाने वाला
राजद्रोही। ४ विरोधी, विपक्षी। ५ प्राज्ञा की अवहेलना एक काल्पनिक जतु । २ सारगी वाद्य का एक उपकरण । ३ वन बिलाव । ४ कायर व्यक्ति । ५ देखो 'बागड़' ।।
करने वाला । -पु. १ लुटेरा । २ सुरणाई वाद्य के झाबे
में बंधी रहने वाली रस्सी। ६ देखो 'बागळ' ।
बागुर-देखो 'बागर'। बागड़णी (बौ)-देखो 'वागड़णी' (बी)।
बागेलो-देखो 'बाघेलो'। बागड़वा-स्त्री० ढाढ़ी जाति की एक शाखा ।
बागेसरी, बागेसुरी, बागेस्वरी-देखो 'वागीस्वरी' । बागड़ियो-१ देखो 'वागड़ियो' । २ देखो 'वागड़।
बागोटियो-देखो 'बाखोट' । बागड़ी-देखो ‘वागड़ी'। बागड-१ देखो 'बागड़' । २ देखो 'वागड़' ।
बागोरा-स्त्री० भाट जाति की एक शाखा। बागडोर-स्त्री० [सं० वल्गा-दोर] १ लगाम, रास । २ मौरी। बागोल-पु० पशुओं द्वारा की जाने वाली जुगाली। __३ किसी कार्य का उत्तरदायित्व ।
बागोलणी (बौ)-क्रि० [सं० वोदगलनम्] पशुओं का जुगाली बागरणौ (बौ)-देखो 'बाजरणौ' (बो)।
करना। बागपकड़ाई-स्त्री० दूल्हे की घोड़ी की लगाम पकड़ने का नेग। | बागोला-पु० गडरियों द्वारा दिया जाने वाला कर। बागर-स्त्री०१ घास या चारे का चुना हा गोल ढेर । २ चारा बागा-पु०१ प्राचीन समय का एक पहनावा, अंगा । २ दुल्हे, गाह, घास-भण्डार । ३ कड़बी के पुनालों का 'पचासा' ।
दुल्हिन की पोशाक । ३ पहनावा, पोशाक । ४ बड़ा छेद । ४ ऊंट की गर्दन के बाल । ५ ऊंट की पूछ के बाल ।
५ मार्ग, रास्ता । ६ चुननदार घेरे वाला पुरुषों का एक ६ जाल, फंदा। ७ बंध्या गाय । ८ नदी किनारे की ऊंची पहनावा।
भूमि । ६ ऊंची भूमि । १० देखो'बागळ' । ११ देखो वागड़। बाघबर-पु० [सं० व्याघ्रांबर] सिंह चर्म का वस्त्र । मागरी-पु० [सं० वागुरिका] १ शिकारी, व्याध । २ देखो बाघ -पु० [सं० व्याघ्र] (स्त्री० बाघण, बाघणी) १ सिंह, शेर । "वागड़ी'।
२ दूहा नामक छन्द विशेष । बागळ-स्त्री० १ उल्लू जाति का एक पक्षी विशेष । २ चमगादड। बाघड१ देखो 'बागड़' । २ देखो 'वागड़' । बागळी-स्त्री. १ कंधे पर लटका कर पीठ पर डालने की थैली | बाघचरम-पु० [सं० व्याघ्र चर्म] सिंह की चर्म, बाघंबर।
विशेष । २ रहट की माल में बंधे जल पात्रों के नीचे का | बाघनख-पु० [सं० व्याघ्रनख] १ शेर या चीते का नख जो बच्चों हिस्सा ।
के गले में बांधा जाता है। २ एक प्रसिद्ध गंध द्रव्य । बागळी (लो)-पु०१ यात्रा में साथ ले जाने का जल-पात्र ।।
३ थूहर नामक वृक्ष या पौधा । ४ एक प्रकार का कंद । २ देखो 'बैंक' ।
५ देखो 'बाघनखो'। बागव, बागवान-पु० [फा० बागवान] १ माली, बागवान । घनखो-पु० [सं० व्याघ्रनख] शेर के पंजेनुमा स्टील का एक
२ बाग-बगीचों में पौधों की देख-भाल करने वाला व्यक्ति, नुकीला शस्त्र विशेष । कर्मचारी।
बाघभूरी-पु. केसरीसिंह। बागवांनी-स्त्री० [फा०] १ बागवान का कार्य । २ बगीचों में बाघमुखी, बाघमुखो-पु० [सं० व्याघ्रमुखं] सिंह के मुख के पेड़-पौधे लगाना, पानी देने आदि का कार्य ।
समान मुख वाली तोप । -वि. सिंह के मुख वाली/वाला ।
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बाघमूत
बाजदार
माधमूत-पु० [सं० व्याघ्र-मूत्र] १ सिंह का मूत्र । २ नर मूत्र, | बाचरण-देखो 'वाचन' । - आदमी का मूत ।
बाचरणो (बो)-देखो 'बांचो ' (बी)। बाघवाहिणी-स्त्री० [सं० व्याघ्र वाहिनी] १ पार्वती । २ देवी, बाचबंध-देखो 'वाचाबंध'। दुर्गा ।
बाचरी-देखो 'बहचराय' । बाधिनीकुच-पु० [सं० व्याघ्री-कुच] १ शेरनी के स्तन । २ नौ बाचा-देखो 'वाचा' । -बंध, बंधी 'वाचाबंधी'। की संख्या ।
बाचियो, बाचौं, बाच्यौ-पु०१ प्यार भरा चुम्बन । २ देखो 'वाचौ' बाघेलखंड-पु० मध्य भारत का एक प्राचीन प्रदेश ।
बाछ-१ देखो 'बच्चौ' । २ देखो 'वत्स' । बाघो-देखो 'बागी'।
बाछड़वायो-वि० प्रार्द्र, नम ।। बाड़-स्त्री० [सं० वाटम्] १ झड़बेरी के कांटे या कटीली | बाछड़ियो, बाछड़ , बाछड़ो, बाछल-पु० [सं०वत्स](स्त्री०बाछड़ी)
झाड़ी के सूखे पौधों का बनाया हुग्रा पाहता, प्राड ।। १ गाय का बछड़ा। २ चमड़े की खोल में भूसा भर कर २ सीमा, हद । ३ पाहता । ४ ढेर । ५ कतार । ६ गन्ना । बनाया हया बछड़ा। ३ देखो 'वत्स'। ७ गन्ने की फसल या गन्ने का खेत ।
बाछळ, बाछल-देखो 'वात्सल्य' । बाडणी (बो)-क्रि. १ घुसाना, धंसाना । २ प्रवेश करवाना, | बाछियो-देखो 'वत्स' । पैठाना।
बाछुबाई, बाबाई-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी । बाड़नळ-देखो 'बड़वानळ' ।
बाछो-देखो 'वत्स'। बाड़लियो-१ देखो 'बाड़लो'। २ देखो 'बाड़ो' ।
बाजंत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'। बाड़ली, बाड़ली-पु० स्त्रियों के गले का आभूषण विशेष । बांजंद बाजंद्र, बाज-पु० [सं० वाजिन्, वाजः] (स्त्री० बाजणी) बाड़व, बाड़वी-स्त्री० [सं० वाडवं] १ अग्नि, प्राग । २ समुद्र १ घोड़ा, अश्व । २ तीर में लगने वाला पर । ३ बाजे की
की अग्नि, बड़वाग्नि । ३ विद्युत, बिजली । ४ घोड़ियों का ध्वनि । ४ बजाने का ढंग या तरीका । ५ वेग। ६ सितार समूह । ५ ब्राह्मण।
का पहला तार । ७ बाजा, वाद्य। ८ सूत के तानों के बाड़ियो, बाड़ियो-पु० १ फोग पौधे की, फूल आने से पूर्व की बीच लगाई जाने वाली लकड़ी। वस्त्र । [फा०]
दशा । २ शौच जाते समय पानी ले जाने का बर्तन । १० एक हिंसक पक्षी, शिकरा, बाज, श्येन । ११ कर, ३ देखो 'बाड़ी' ।
महशूल । -वि० १ वंचित, रहित । २ चतुर, निपुण, बाड़ी-स्त्री० [सं० वाटिका] १ उपवन, बगिया, फलबगिया ।
होशियार । ३ विशिष्ट, कोई-कोई । -क्रि० वि०३१ जल्दी, २ घर । ३ गांव के समीप का छोटा खेत । ४ साग-सब्जी
शीघ्र । २ बगैर, बिना । ३ पीछे, उल्टे । -प्रत्य० ४ संज्ञा . बौने का छोटा खेत । ५ तंबू के चारों ओर लगने वाली शब्दों के पीछे लगकर विशेषण बनाने वाला प्रत्यय । कनात । ६ मिट्टी का टोंटीदार बर्तन । ७ प्राबदस्त का
| बाजउठ-देखो 'बाजोठ' । पानी रखने का बर्तन । -वि० कड़वी । स्वाद में तीक्षण ।
| बाजण, बाजणी, बाजरगो-स्त्री० [सं० वादन] १ बाजने की बाड़-वि० अड़ियल, उद्दण्ड । -पु० १ एक प्रकार का पत्थर ।
क्रिया या भाव । २ बजाने का ढंग, तरीका। ३ किसी २ एक प्रकार की कृषि भूमि ।
वाद्य की ध्वनि । ४ ध्वनि युक्त वस्तु, पात्र । -वि. बाड़ोटियो-देखो 'बाड़ो' । बाड़ोतरी-पु० [सं॰ द्वयुत्तर] १ बारह का वर्ष । २ बारह का
[सं० वाद्य] १ बजने वाली। २ ध्वनि करने वाली ।
३ ध्वनिमय । पहाड़ा । ३ एक सो दो की संख्या । ४ एक सौ बारह की संख्या। -वि० बारहवां ।
बाजणी (बौ)-क्रि० [सं० वादनं] १ बाजे का बजना, ध्वनि बाड़ौ-वि० (स्त्री० बाड़ी) १ कर्कस, कटु । २ कटुभाषी ।। होना । २ समय सूचक घंटे का बजना। ३ शस्त्र चलना, ३ कड़वा, खारा, तीक्ष्ण । -पु० [सं० वाट] १ दीवार या
प्रहार होना। ४. लड़ना, भिड़ना, युद्ध करना। ५ वीर कंटीली बाड़ से घिरा क्षेत्र, पाहता । २ रहट के समीप
गति प्राप्त होना । ६ प्रसिद्ध, विख्यात होना । सब्जी प्रादि लगाने का स्थान । ३ सूर्य या चन्द्रमा के चारों ७ ललकारना, पुकारना। ८ कहलाना, पुकारा जाना । पोर बना रहने वाला वृत्त । ४ घर, भवन ।
९ गतिमान होना, चलना । १० पहुंचना, उपस्थित होना । बाच-देखो 'वाच'।
बाजत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'। बाचक-वि. १ मुह से खाने वाला । २ अन्याय से पैसा खाने | बाजदार-वि० [फा०] १ शाही कर एकत्र करने वाला, वाला। ३ देखो 'वाचक' ।
बाजगीर । २ बाज रखने वाला। ३ घुड़ सवार ।
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बाजबट
। २०० )
बाटा
बाजवट-देखो 'ब जोट'।
४ हास्य अभिनेता, कौतुकी । ५ कव्वालों की एक जाति बाजर-देखो 'बाजरौ'।
विशेष। बाजराज-पु. [सं० बाजिन्-राज:] घोड़ा, अश्व ।
बाजीसा-पु० वृद्ध एवं पादरणीय पुरुष । बाजरियोबट-पु० तलवार की एक प्रकार की पैनी धार । बाजु-१ देखो 'बाजू' । २ देखो 'बाजूबंध । बाजरियौ-पु० १ बाजरी नामक अन्न के साथ पकाया हुआ | बाजुबंद, बाजुबंध-देखो 'बाजूबंध' ।
मांस । २ बाजरी का खीच । ३ करील वृक्ष के छोटे फूल । बाजुवाणे (ण)-क्रि० वि० पार्श्व में बगले में । बाजरी, बाजरी-स्त्री. १ मरुस्थल में होने वाला प्रसिद्ध अनाज। बाजू बाजूडो-पु० [फा०] १ मुजा, बांह, बाहु । २ पार्श्व, बगल २ उक्त अनाज का पौधा ।
३ प्रास-पास, पड़ोस । ४ मोर, तरफ । ५ सेना के एक बाजवट-देखो 'बाजोट'।
पोर का भाग । ६ मित्र, सहायक । ७ पक्षी का डैना । बाजसाला-स्त्री० अश्व शाला ।
८ देखो 'बाजूबंध'। बाजांन-पु० [सं० वाद्य वाद्य ध्वनि ।
बाजूजोसण-पु० हाथ का प्राभूषण । बाजाज-देखो 'बजाज'।
बाजूपुरी-पु० १ सिह की एक जाति विशेष । २ इस जाति का बाजाब्ता-क्रि० वि० [फा०] १ नियमानुसार, नियम के अनुरूप । सिंह। २ हिफाजत से।
|बाजूबंद (बंध, बंधन)-पु. भुजा का प्राभूषण।। बाजार-पु० [फा०] १ वह स्थान या क्षेत्र जहां वस्तुप्रों के क्रय- बाजे-वि० [अ० बज] कई-कई । -सर्व० किसी-किसी ।
विक्रय की दुकानें हों। २ वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिये | -क्रि०वि० कभी-कभी।
निश्चित स्थान व अवधि के लिये लगने वाली दुकानें । बांजेजमा-पु० प्रजा से लिया जाने वाला सरकारी कर । बाजारी, बाजारू-वि० [फा०] १ बाजार का, बाजार सबंधी। बाजोट, बाजोटियो, बाजाटो, बाजोठ, बजोठचौ-पु. लकड़ी की
२ बाजार में बैठने वाला । ३ मर्यादाहीन, अशिष्ट ।। चौकी। ४ निम्न स्तर का, साधारण । ५ खुले आम व्यभिचार करने | बाजी-पु० [सं० वाद्य] १ वाद्य, किसी प्रकार का बाजा । वाला । ६ दिखावटी ।
२ फूक कर बजाने का खिलौना। बाजिद, बाजिद्र-१ देखो 'बाज' । २ देखो 'बाजिदो' । बाज्यौ-पु० [देश॰] लम्बे प्रोटों का एक ऊंट विशेष । बाजिदौ-वि० [फा० बाजिद] १ प्रसिद्ध, विख्यात । २ कुख्यात । बाझरणौ (बो)-कि०वि० [सं० बंध] १ बनना, रचा जाना,
३ बोलने वाला, वक्ता । ४ आवाज करने वाला, ध्वनिमान। गठित होना । २ संगठित या व्यवस्थित होना । ३ सुरक्षित ५ खेलने वाला, खिलाड़ी। -पु० लोटन कबूतर ।
होना । ४ बंधन युक्त होना, बांधा जाना। ५ वृद्धि को बाजि-१ देखो 'बाज'। २ देखो 'बाजी ।
प्राप्त होना। बाजित्र-देखो 'वाद्ययंत्र' ।
बाट-पु. १ करील वृक्ष के लाल फूल । २ करील वृक्ष की
बौर । ३ जाल वृक्ष की बौर । ४ छाछ और जी के प्राटे बाजिया-स्त्री. गेहूं की एक जाति ।
के योग से बना ठंडा पेय पदार्थ । ५ 'जो का दलिया, बाजी-स्त्री० [फा०] १ दो पक्षों में हार-जीत के प्रति होने वाली
खिचड़ी। ६ गेहूं का दलिया। ७ देखो 'वाट'। शर्त । दांव । २ खेल का क्रम । ३ खेल में दांव लगाने का
बाटकडो-देखो 'बाटको'। अवसर । ४ खेल। ५ होड़, प्रतिस्पर्धा । ६ वाद-विवाद । बाटकी-स्त्री० कटोरी, प्याली । ७ मौका, अवसर । ८ विजय, जीत । ९ मान, प्रतिष्ठा,
बाटकोटाळ-वि० जाति बहिष्कृत । इज्जत । १० ताश का खेल । -पु. ११ वृद्ध पुरुष ।
बाटको-पु० धातु का बड़ा कटोरा, प्याला। १२ पूर्वज, दादा । १३ करदाता । -प्रत्य० १ संज्ञा शब्दों
बाटड़, बाटडली, बाटड़ी-देखो 'वाट'। के पीछे लगने वाला शौक या व्यसन सूचक प्रत्यय। बाटणी (बी)-क्रि.१ बिक्री की प्राय करना, बेच कर पैसा २ देखो 'बाज'।
लेना । २ देखो 'बांटणी' (बी)। बाजीकर, बाजीकरण-स्त्री० [सं० वाजीकरण] १ एक प्रकार | बाटबड़-स्त्री. तीतर के प्राकार का एक पक्षी विशेष ।
की प्रौषधि विशेष । २ वह प्रक्रिया जिससे पुरुष में घोड़े बाटमौ-वि० (स्त्री० बाटमी] १ कठोर शब्द कहने वाला, कटु की शक्ति पा जाती है।
भाषी । २ टेढ़ा, वक्र, विरुद्ध । बाजीगर-पु० [फा०] १ कसरत के खेल करने वाला, नट तमास | बाटली-पु. १ बोतल । २ देखो 'वाटी' ३ देखो 'बाट'।
गीर । २ जादूगर, तांत्रिक । ऐन्द्रजालिक । ३ मदारी । बाटा-पु० (ब.व.) स्त्रियों के कानों के प्राभूषण ।
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बाटानरको
बातप
बाटावरडो-पु० अव्यवस्थित कार्य ।
बाढ़ाळी-स्त्री० [सं० बाध] १ कटारी। २ तलवार, खड्ग । बाटिका-देखो 'वाटिका'।
बाढ़ाळी-वि०१ वीर, योद्धा । २ काटने वाला। ३ तेज धार बाटियो-पु० [स० वट] १ कई तहों वाली मोटी रोटी । वाला, पनी धार वाला। ४ तलवारधारी।
२ बाटी, रोटी। ३ रोटी की तरह पिचका हुआ पदार्थ । | बाढ़ी-वि० [सं० वर्ध] कटी हुई । -पु० [सं० वर्धकि] १ बढ़ई, ४ देखो 'बाटो'।
तक्षक । २ देखो 'बादी'। बाटी-स्त्री० [सं० वट,वाटी] १ गोली, पिण्ड । २ अनाज
बाढ़त, बाढ़ती-पु. १ नौकरी या सेवा के बदले दी जाने वाली विशेष । ३ चपाती, रोटी। ४ गेहूँ के प्राटे की गेंदनुमा
। भूमि । २ ऐसा भूमि पाने वाला व्यक्ति । रोटी । ५ देखो 'वाट'। बाटीकोळी-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक प्रकार का कद्द ।
|बाणी (बो)-देखो 'बावणी' (बो)। बाटो-पु० [सं० वट] १ गेहूं के प्राटे का गोल रोटा, बाटी । बात, बातडली बातड़ी-स्त्री० [सं० वार्ता] १ किसी विषय २ एक प्रकार घास। ३ देखो 'बाट'।
को सूचित करने वाला सार्थक शब्द । वाक्य, वाणी, वचन, बाठो-वि० (स्त्री० बाठी) १ भौंधा, उल्टा । २ देखो 'बाटो'।। बोल, कथन । २ चर्चा, जिक्र, प्रसंग। ३ वार्तालाप, कथोपबाड-स्त्री० १ ऐंचापण । २ देखो 'बाढ़' । ३ देखो 'बाड़।
कथन । ४ विचार-विमर्श । ५ मामला, माजरा, मसला। बाडणी (बी)-देखो 'बाढ़णो' (बी)।
६ विषय । ७ समाचार, सूचना, खबर, संदेश । अफवाह, बाडमेय-देखो 'वाडवेय'।
प्रवाद । वृत्तान्त, हाल-चाल । १० गुप्त वार्ता, रहस्य, बाडव-देखो 'बाड़व'।
भेद । ११ अभिप्राय, माशय, भाव । १२ संबंध, लगाव । बाडोटेढ़ी. बाडोटेरी, बाडोतेडी, बाडा-वि. (स्त्री० बाडीटेरी)
१३ व्यवहार, बर्ताव, सम्पर्क । १४ स्वभाव,प्रकृति, लक्षण, १ऐंचाताना, २ प्राड़ा, तिरछा ।
चरित्र, पाचरण । १५ विशेषता, खूबी। १६ प्रशंसा, बाद-स्त्री० [सं० वर्द्धन] १ बढ़ने की क्रिया या भाव । २ अधिक
तारीफ, यश, कीति । १७ सामर्थ्य, हस्ती, हैसियत । १८ वर्षा से होने वाला जल-प्लावन, नदी की बाढ़ । ३ तोप
मान, मर्यादा, प्रतिष्ठा। १९ वचन, प्रमाणे, साख, विश्वास, पादि के निरन्तर छूटने की क्रिया । ४ शस्त्र की धार ।
२० प्रभाव, धाक, रौब । २१ प्रतिज्ञा, प्रण, वादा, कोल। ५ शस्त्र का टुकड़ा । ६ निरन्तर होने वाला शस्त्र प्रहार ।
२२ कार्य, कर्म, क्रिया । २३ कोई घटना, संयोग। २४ ७ घाव, क्षत । ८ छेद । ९ युद्ध । १० पेचिस रोग से पेट
कारण, हेतु । २५ प्रश्न, सवाल । २६ अभिलाषा, कामना, में होने वाली ऐंठन । मरोड़। ११ व्यापारिक लाभ, वृद्धि । इच्छा, चाह । २७ मिस, बहाना। २८ विचार । २९ भाव । १२ सेवा या नौकरी के बदले मिलने वाली जागीर । ३० नसीहत, सीख, शिक्षा । ३१ प्रादेश, हुक्म । ३२ उक्ति; १३ विभाग, हिस्सा। १४ देखो 'वादी'। -वि० [सं०वाद] चमत्कार पूर्ण कथन । ३३ अवस्था, परिस्थिति । ३४ १ दृढ़ । २ अत्यधिक, अधिक । ३ उच्च स्वर युक्त ।
समस्या, उलझन । ३५ विवाद, हुज्जत । ३६ सलाह, बाढ़कढ़-स्त्री० तलवार, खड्ग ।
सुझाव । ३७ स्पष्टीकरण । ३८ उल्लेख । ३९ व्यवस्था, बाढण-स्त्री० [सं० वध्] १ काटने की क्रिया या भाव । २ मारने,
प्रबंध । ४० अभिलेख । ४१ वस्तु, पदार्थ, चीज । ४२ मूल संहार करने या हिंसा करने की क्रिया। ३ कतरण । ४ वृद्धि।
कारण, बीज । ४३ वस्तु का मूल्य, दाम, कीमत । '४४ बादरणी-वि० [सं० वध्] १ काटने वाला । २ मारने, संहार
उचित, ठीक । ४५ निश्चय । ४६ मावश्यकता, जरूरत । करने वाला ।३ वृद्धि करने वाला ।-पु. काटने का उपकरण।
४७ उपाय, तरकीब, तरीका। ४८ तरह, भांति, प्रकार । बादणौ (बौ)-क्रि० [सं० वध्] १ काटना, काटकर टुकड़े
४९ वास्तविकता, सही मतलब, तत्त्व । ५० सामान्य बात । करना। २ मारना, संहार करना। ३ प्रतिशोध लेना, वैर ५१ क्रिया-कलाप । ५२ बहकावा, धोखा, प्रवंचना । ५३ लेना । ४ समाप्त या नष्ट करना । ५ वृद्धि होना, बढ़ना ।
अन्तर कथा । गूढ़ प्राशय । ५४ चुगली । ५५ इतिवृत्त, ६ घाव करना । ७ बांटना, पीसना ।
इतिहास । ५६ प्रेमाख्यान । ५७ धार्मिक या पौराणिक बाढ़ाक-वि० [सं० वर्धक] १ वीर । २ मारने संहार, करने
प्राख्यान । ५८ कहानी । लघु कथा । ५९ उपन्यास । ६० वाला । ३ काटने, टुकड़े करने वाला। ४ काटने में दक्ष,
देखो 'वात'। -कर, कार-वि० बातें करने वाला, निपुण ।
वार्ताकार। बाढ़ापो (बी)-१ देखो 'बाढणी' (बी) । २ देखो | बातचीत-स्त्री० [सं० वार्ता चितन] किसी मामले पर की जाने 'बढ़ाणी' (बी)।
वाली बातें, विचार-विमर्श । बाढ़ाळ-देखो 'बाढ़ाळी'।
|बातप-देखो वातप'
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बातपोस
। २०२ )
बाइसाही
बातपोस-वि० [सं० वार्ता पोषिन्] १ बात कहने में चतुर, की मात्रा । ३ तोले हुए पदार्थ में से कुछ छूट की जाने दक्ष । २ बातूनी ।
वाली मात्रा। [फा०बाद] ४ पवन, वायु । ५ देखो'वाद' । पातबतळावरण-स्त्री० वार्तालाप, बातचीत, सम्बोधन । बोल- | बावकाकुल-पु. ताल का एक भेद । चाल ।
बादकेसर-पु. एक प्रकार का पशु रोग । बातलको देखो 'बात'।
बावगीर-वि० १ झगड़ा करने वाला, झगड़ालु । २ विवाद . बातलाणी (बौ)-देखो 'बतलाणी' (बी)।
करने वाला। बातळाव-देखो 'बतळाव' ।
बावरण-१ देखो 'बादळ' । २ देखो 'वादण'। बातविगत-स्त्री०१ समाचार । २ हाल-चाल । ३ विवरण। बावरणौ (बी)-१देखो 'वादरणी' (बी)। २ देखो 'बांधणी' (बी)। बातायण-देखो 'वातायण'।
बाबर-देखो 'बहादुर'। बाती-१ देखो 'वत्ती' । २ देखो 'बात' । ३ देखो 'वाती'। बाबर-वि० [सं०] १ बेर का, बेर संबंधी । २ कपास का, बातूनी-वि० [सं० वार्ता-उन्मद] १ बातों का शौकीन, रसिक । कपास संबंधी । ३ स्थूल, मोटा । ४ एकेन्द्रियादि जीव . २ व्यर्थ बातचीत करने वाला, वाचाल ।
(जैन)। -पु. १ बेर का पेड़ व फल । २ कपास का पौधा, बातूल-देखो 'वातुल'।
कपास। ३ रुई। ४ कपड़ा । ५ रेशम । ६ पुद्गल के छः बातो-१ देखो 'बात'। २ देखो 'बात्यौ'।
भेदों में से एक । ७ देखो 'बादल'। बात्यौ-पु० घोड़ी की योनि ।
बादरायण-पु० [सं०] वेदव्यास का एक नाम । बाबाथ-देखो 'बाथोबाथ'।
बा'दरी-देखो 'बहादुरी'। बाथ, बाथ, बाथड़ी-स्त्री० [सं० बाहूत्था,बाहूत्थ] १ दोनों | बादरी-स्त्री० [सं० वध्री] १ चमड़े का तस्मा विशेष । २ देखो
हाथों को पूरा फैलाकर बनाया गया वृत्त । २ प्रालिंगन के 'बादळ'। समय की बाहनों की मुद्रा, बाहुपाश, अंक । ३ बाहुपाश बावरी-देखो 'बादळ' । में समाने वाला पदार्थ । ४ आलिंगन । ५ मुजा, बांह । बादळ-पु० [सं० वारिद] १ मेघ, घन, बादल । २ दूधिया रंग
का पत्थर विशेष । -भरणी, बरणी, बरणी-वि. बाथट-देखो 'बाथोट'।
जिसका रंग-वर्ण बादल जैसा हो । बाथटणौ (बो)-देखो 'बाथोटणी' (बो)।
बादळमहल (मै'ल)-पु. राज प्रासाद का सबसे ऊंचा बना कक्ष । बाथमा-वि० [सं० बाहूत्थः] बाथ में भरने या समाने योग्य । बावळांवाळी-पु. एक बाल रोग विशेष । बापळकुडियो (कूडियो)-पु. एक खेल विशेष ।
बावळाईपारचौ-पु० जरीदार वस्त्र विशेष । बायां, बाथियां-स्त्री० [सं० बाहूत्थ] १ कुश्ती। २ गुत्थमगुत्था। बावळि, बावळियौ, बावळी-देखो 'बादळ' । ३ द्वन्द्वयुद्ध । ४ बाहुपाश । ५ मल्ल युद्ध ।
बावळी-पु० १ सोना, चांदी आदि का चमकीला तार, कलाबतू बापू-देखो 'बाथ'।
कामदानी तार। २ उक्त तारों का बना वस्त्र । ३ चमकीले बाथेड़ी-पु० १ झगड़ा, हुज्जत । २ किसी प्रकार का श्रम, व्यर्थ ।
तारों का बुरादा । [सं० वारिदः] ४ यात्रा के समय साथ श्रम । ३ मगज पच्ची। हाथापाई । ५ उठा-पटक ।
ले जाने का जल-पात्र, केतली। ५ देखो 'बादल'। बाय-देखो 'बाथा'।
बादल्ल-देखो 'बादळ' । बायोड़ो-देखो 'बाथेड़ो'। बायोट-पु० [स० बाहूत्थः] बाहुपाश ।
वादसा, बावसाह-पु० [फा० बादशाह] १ बड़े राज्य का शासक बायोटो (बो)-क्रि० [सं० बाहूत्थापन] १ युद्ध करना, लड़ना।
सम्राट, राजाओं का राजा । २ निरंकुश एवं स्वतंत्र व्यक्ति । २ बाहुपाश में प्राबद्ध करना, प्रालिंगन करना । ३ कुश्ती |
३ किसी वर्ग या कार्य क्षेत्र का सबसे बड़ा व्यक्ति ।
४ उदार एवं श्रेष्ठ पुरुष । ५ शतरंज का सबसे बड़ा लड़ना। बायोबाथ-वि० गुत्थमगुत्था। -पु०-१ द्वन्द्व युद्ध का एक
मोहरा । ६ तास का एक बड़ा पत्ता । दाव । २ कुश्ती। ३ मालिंगन, प्रालिंगन की एक क्रिया। बावसाहत-स्त्री० [फा० बादशाहत] १ बादशाह का कार्य बाथ्या-देखो 'बाथां'।
शासन, हुकूमत । २ बादशाह का राज्य । बाद-वि० [अ० बाद] १ अलग किया हुअा, छोड़ा हुमा । बादसाही-स्त्री० [फा० बादशाही] १ बादशाह का शासन ।
२ अतिरिक्त । -कि वि० १ अनन्तर, पीछे, पश्चात् ।। २ बादशाह होने की अवस्था। -वि० । बादशाह का. २ सिवाय, अलावा । -पु०१ घटाने की क्रिया । २ घटाने | बादशाह संबंधी । २ बादशाहों के समान ।
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बावस्या
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( २०३ )
बावस्या देखी 'बादशाह' बादस्थाई - देखो 'बादसाही' । बावस्याह देखो बादसाह बावस्याही - देखो 'बादसाही' । बाबांम स्त्री० [फा०] बादाम ] १ एक प्रसिद्ध सूखा मेवा २ इस मेवे का वृक्ष ।
बाबि देखो 'वादी' |
बादसाह देखो 'बादसाह' । बाविसाही देखो 'बादसाही' ।
-
बाविस्याह- देखो 'बादसाह' । बादिस्याही देखो बादसाही'
बादामी वि० [फा०] बादामी ] १ बादाम का बादाम संबंधी २ बादाम के आकार-प्रकार का । ३ बादाम के रंग का । ४ बादाम के योग से बना । पु० १ बादाम के रंग का घोड़ा । २ शाही महलों में रहने वाले ख्वाजाश्रों का एक भेद ३ जलाशयों के किनारे रहने वाली एक चिड़िया विशेष बावाळक देखो 'वादाळक' |
बाबी पु० [सं०वादिन] १ म्यायालय में बाया पेश करने वाला व्यक्ति, दावेदार, मुद्दई । २ भाष्यकार, टीकाकार । ३ शिक्षक ४ संगीत में किसी राम का मुख्य स्वर शरीर में होने वाला वात विकार ६ शरीरस्य वायु ७ लुहारों का एक भोजार । ८ चमारों के नट, देढिया नट । ९ अन्न पर लिया जाने वाला एक प्रकार का ब्याज, ऊप । प्रव्य० व्यर्थ में, निरर्थक । फालतू । - वि० [सं० वादिन् ] १ बोलने बाला, बक्ता २ झगड़ा करने वाला विवादी ३ हठी, जिद्दी, दुराग्रही ४ किसी पर अभियोग लगाने वाला । ५ प्रतिद्वन्द्वी, विपक्षी, शत्रु ६ प्रारम्भ या शुरूश्रात करने वाला । ७ किसी कार्य में पहल करने वाला। किसी विषय का प्रस्तावक । ९ किसी वाद को मानने वाला । [सं० वा] १० वायु संबंधी ११ शरीर में वायु कारक १२ वायु ग्रस्त १३ विद्वान पंडित १२ बधिया किया हुआ, बस्सी
१४ निपुण, दक्ष
।
कर वि० शरीर में -कर- वि० शरीर में
वायु कारक । पु० वायुकारक खाद्य । बाबीगर - देखो 'बाजीगर' । बावली वि० [सं०] बाद + पत्र) (स्त्री० [बादीली १ हठी, जिद्दी २ स्थूल काय, मोटा ३गवला, अभिमानी । बादुर स्त्री० चमगादड़ ।
बाली पु० एक प्रकार का तकिया ।
बाबोबाद - पु० १ प्रतिस्पर्धा, होड़। २ विवाद, बहस । बादी- १ देखो 'बाधौ' । २ देखो 'वादी' ।
बाध- १ देखो 'बाधा' । २ देखो 'वाद' |
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बापडी
,
बाधक वि० [सं०] १ रुकावट डालने वाला विघ्न डालने वाला, रोहा घटकाने वाला २ दुखदायी, हानिकारक
३ मिटाने वाला । ४ छेड़-छाड़ करने वाला । ५ स्त्रियों का एक प्रजनन संबंधी रोग ।
बाघकता पु० [सं०] बाध] १ बाधक का कर्म किया २ देखी 'बाधा' ।
बाधरण (बौ) - १ देखो 'बधरणी' (बौ) । २ देखो 'बंधणी' (बो) २ देखो 'बांधणी' (बी)। बा'घरी-देखो 'बहादुर' ।
बाधली स्त्री० [सं० वर्धी] भैंस के चमड़े की बनी लाव । बाघा स्त्री० [सं०] १ रुकावट घड़चन २ विघ्न, रोड़ा, व्यवधान । ३ कठिनाई दिक्कत, मुश्किल । ४ उलझन समस्या । ५ मुकाबला, सामना ६ प्रतिवाद एतराज, श्रापत्ति । ७ अनिष्ट, हानि भय, डर । ९ कष्ट, पीड़ा । १० प्रत्याचार । ११ बंधन । १२ सम्पूर्णता १३ अखण्डता । १४ रुकावट डालने वाली वस्तु । बाधारणौ, (बी) - देखो 'बधारणो' (बी) । बाधारवांन पु० मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । बाधावरणौ (बौ) - देखो 'बधारणी' (बी) ।
बाधित वि० [सं०] १ पीड़ित जस्त २ रोका माधव
३ मुकाबला या सामना किया हुआ । ४ खारिज किया हुश्रा, निरस्त । ५ खण्डन किया हुआ, खण्डित । ६ परिमित, सीमित । ७ रोड़ा डाला हुआ ।
बाधिरच पु० [सं० वाधिर्यं ] बहरापन | बाधी १ देखो 'बडी' २ देखों 'बाध' । बाघू देखो 'बाधौ' । बाधेपी- देखो 'बधापौ' !
बाधो- वि० [सं० वद्ध] (स्त्री० बाधि, बाधी ) १ सम्पूर्ण, पूर्ण
सब । २ वृद्धि, बढ़ोतरी, अधिकाई । ३ प्रखण्ड । ४ विशेष । बाध्य वि० [सं०] १ विवश मजबूर २ पीड़ित जस्त ३ विवश, मजबूर। ४ रोका हुआ, अवरुद्ध | बाध्यउ-देखो 'बाधो' ।
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बाप बापड़ पु० [सं० वध्य] पिता, जनक। -देखो 'बापड़ी' |
बापड़
बापड, बापडियों, बापड - १ देखो 'बापड़ी' । २ देखो 'बाप' | बाग, बापडेल - वि० १ जबरदस्त जोरदार । २ महान्, बड़ा ।
बापडी - वि० (स्त्री० वापड़ी ) १ जिसका पालन-पोषण करने वाला न हो, बेचारा, बेसहारा । २ विवेकहीन, प्रज्ञानी । ३ जिसकी कोई गणना न हो, नगण्य । अकिंचन, तुच्छ । ४ सीधा-साधा भोला-भाला। ५ जबरदस्त, शक्तिशाली ।
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वापची
( २०४ )
बाबिल
बलवान । ६ मूर्ख, बेवकूफ । ७ बिना बाप का, बाप से निकलने वाली भाप । ७ मन की घुटन । भावना, इच्छा । वंचित । ८ देखो 'बाप'।
८ एक बहुमूल्य वस्त्र विशेष । ६ भेद, रहस्य । बापची-स्त्री० [सं० बाकुची] १ एक औषधि विशेष व इसका बाफरणौ (बौ)-क्रि० [सं० वाष्पनम्] १ भाप द्वारा गर्मी पहुँचाना, क्षुप । २ देखो 'बापजी'।
गरम करना । २ भाप से पकाना । ३ उबालना। ४ वाष्प बापजी- पृ० १ ईश्वर, देवता, सिद्ध पुरुषों आदि के लिये आदर से किसी अंग का सेक करना।
सूचक सबोधन । २ वधू द्वारा श्वसुर के प्रति संबोधन। बाफती-पु० [फा० बाफतः] १ एक प्रकार का रेशमी वस्त्र ३ पिताजी । ४ राजाओं का संबोधन । ५ कुमार, विशेष । २ एक प्रकार सफेद वस्त्र । राज कुमार । (मेवाड़)
| बाब-पु० [अ०] १ प्रजा, रैयत । २ कर्जा, ऋण । ३ कर बापडौ-देखो 'बापडौ।
लगान । ४ मुकद्दमा, मामला। ५ विषय । ६ पुस्तक का बापतांमी-वि० १ अपने पिता के गुणों एवं नाम को प्रसिद्ध कोई अध्याय । ७ तरह, भांति, प्रकार । ८ अभिप्राय,
करने वाला । २ अपने पिता के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त करने मतलब, आशय । ९ द्वार, दरवाजा । १० संबंध । वाला।
११ योग्य । १२ वस्त्र, कपड़ा । १३ वायु । बापमारी-वि०पिताघाती।
बाबड़णी (बी)-देखो 'बावड़णो' (बौ)। बापरणौ (बो)-देखो 'वापरणो' (बो)।
बाबची, वाबजी-देखो 'बापची' । बापि, बापिका-देखो 'वापी' ।
बाबत-अव्य० [फा०] १ विषय में, संबंध में, बारे में । २ लिये, बापिअ, बापिय, बापियडौ-देखो 'पपईयो' ।
वास्ते । ३ निमित्त, हेतु । -स्त्री० १ संबध । २ विषय । बापी-स्त्री. १ पूर्वजों की सम्पत्ति, जायदाद, जमीन । २ पूर्वजों | बाबय्यौ-देखो 'पपईयो' । का बना मकान । ३ देखो 'वापी' ।
बाबर--पु०[तु०] १एक प्रसिद्ध मुसलमान बादशाह । २ मुसलमान। बापीपड , बापीऊड -देखो 'पपईयो'।
[सं० बर्बर] ३ नाइयों की एक शाखा । ४ मरहम पट्टी बापीपाव-देखो 'पगवाब' ।
या वैद्य का कार्य करने वाला व्यक्ति । ५ केश, बाल । बापीयडो, बापीयडौ, बापोहउ-देखो 'पपईयो' ।
६ घुघराले बाल । ७ फूहड़ स्त्री। ८ मूर्ख व्यक्ति । ६ एक बापु-१ देखो 'बाप' । २ देखो 'बापू' ।
जंगली जाति या कबीला। १० उक्त कबील का व्यक्ति । बापुड़ो, बापुरौ-१ देखो 'बाप'। २ देखो 'बापू' । ३ देखो ११ हथियारों की खनक । १२ नृत्य का एक भेद विशेष । __'बापड़ो'।
बाबरकोट-पु. वीरों के कटे शिरों का ढेर । बापू-पु० [सं० बप्प] १ वृद्ध पुरुषों का संबोधन । २ राजा, बाबरची-देखो 'बावरची' । -खांनो-'बावरचीखांनो' ।
महाराजानों का संबोधन । ३ महात्मा गांधी की उपाधि । बाबरशंट-पु० राक्षक, असुर । -वि० कुरूप, बदसूरत । __४ देखो 'बाप'।
बाबरियौ-वि० १ जटाधारी । २ देखो 'बाबर'। बापूकार-पु० उत्साहित करने वाली आवाज ।
बाबरी-पु० [तु० बाबर] १ 'बाबर' के वंशज । २ एक मुगल बापूकारणी (बौ)-क्रि० उत्साहित करना, जोश दिलाना । वंश । ३ मुसलमान। [सं० बबर] ४ घुघराले बाल ! बापूकारियो-वि० उत्साहित करने वाला, जोश दिलाने वाला।। ५ केशों की जुल्फ, लट । ६ धातु पिंड को काटने या पीटने बापूड़ो-१ देखो 'बाप'। २ देखो 'बापू' । ३ देखो 'बापड़ी'। से निकला पतला हिस्सा। बापेयौ, बापयौ-देखो 'पपईयो' ।
| बाबरेल, बाबरैल-देखो 'बबर'। बापोती-स्त्री० [सं० वाप : + ऊति] १ पैतृक सम्पत्ति । भूमि, वाबरोल -पु. १ एक देश का नाम । २ देखो 'बबर'। जायदाद । २ पूर्वजों का मकान ।
बाबल, बाबलियौ-पु० पिता, बाप । बापो-पु. १ चित्तौड़ का महाराणा बप्पा रावल । २ वाह
बाबहियउ, बाबहियौ-देखो 'पपईयो' । वाही, धन्य-धन्य । ३ व्यं गार्थ सूचक शब्द विशेष । ४ देखो 'बाप'।
बाबा-पु० १ बूढ़े व्यक्ति का आदर सूचक संबोधन । २ कोई बापौती-देखो 'वापोती'।
साधु, फकीर । ३ ताऊ। बाफ-स्त्री० [सं०वाप] १ तरल पदार्थ को गरम करने पर उठने
बाबाई-वि० १ बाबा का, बाबा संबंधी । २ ताऊ के वंश का । वाली भाप, वाष्प । २ धूपा, धूम्र । ३ गैस । ४ ज्वर के | | बाबाजांन-पु० [अ०] १ पिता, दादा, नाना । २ सरदार । कारण देह से निकलने वाली गमीं । ५ क्रोधावस्था में मुह बाबिल-पु० [अ०] १ इराक का एक प्राचीन नगर । २ देखो रो निकलने वाली गरम श्वास । ६ ठंड के कारण मह से | 'बाबल' ।
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बाबी
( २०५ )
बाबी-स्त्री० १ हुक्का । २ देखो 'बाबा' (स्त्री०)
बायाळ, बायाल-१ देखो 'बयाळीस' । २ देखो 'बाई'। बाबीय, बाबीयौ,बाबीह, बाबीहउ,बाबीहड़उ,बाबीहीयो, बाबीही | बायीस-देखो 'बाईस'। - देखो 'पपईयो।
बायु-देखो 'वायु'। बाबुल-१ देखो 'बाबल' । २ देखो 'बाबिल'।
बायुबाह, बायुवाह-देखो 'वायुवाह' । बाबू, बाबूड़ी-पु०१ सभ्य या सज्जन व्यक्ति । २ बच्चा, शिशु । बायुसखा-देखो 'वायुसखा' ।
३ सरकारी कार्यालय का एक कर्मचारी, लिपिक । बायू-देखो 'वायु'। -सखा='वायुसखा' । बाबेली-स्त्री० सखी, सहेली।
बायो-पु. १ बैल गाड़ी के थाटे का एक भाग । २ देखो 'वाचा'। बाबेहियो, बाबहीयौ, बाबयौ-देखो 'पपईयो' ।
३ देखो 'बायो। बाबोड़णी, (बी)-क्रि. १ पूछना, बतलाना, संबोधित करना। | बारंग, बारंगना, वारंगा-देखो 'वारंगना' । २ बोलाना।
बारंबार, बारंबारी-अव्य० [सं० वारंवार] १ पुनः-पुनः, बारबाबी, बाबीजी, बाबासा-पु. १ ईश्वर, देवता या पीर के बार। र बहुतबार, अनेक बार, निरंतर । लिये प्रयुक्त संबोधन । २ रामदेव नामक सिद्ध पुरुष । बार-पु. १ मृतक के पीछे किया जाने वाला रुदन । २ देखो ३ साधु, फ़कीर, संन्यासी । ४ पितामह, दादा । ५ ताऊ । । 'वार'। ३ देखो 'द्वार'। ४ देखो 'बाल'। ५ देखो'बारह' । ६ पिता, बाप । ७ वृद्ध पुरुष, बूढ़ा व्यक्ति। ८ मेवाड़ के | ६ देखो 'बाहर'। सामंतों की एक उपाधि । ९ बच्चों को भय दिखाने का बार-१ देखो 'बाहर'। २ देखो 'बारस' । एक काल्पनिक जंतु ।
बा'रई, बा'रइ-१ देखो 'बारह' । २ देखो 'बाहर'। बाभी, बाभीजी, बामीसा-देखो 'भाभी'।
बा'रकर-क्रि० वि०१ चारों ओर से, चौतरफ से । २ किसी बाभौसा-१ देखो 'बाबोसा'। २ देखो 'भाभीसा'। | क्षेत्र के बाहर होकर। ३ बाहर की तरफ से। बाय-स्त्री० १ तरह, भांति, प्रकार । २ देखो "वायु' । ३ देखो बारखडी -स्त्री० [सं० द्वादशाक्षरी] वर्णमाला में प्रत्येक व्यंजन 'वाय' । ४ देखो 'बाई'।
___ में स्वरों के योग से बनने वाले वर्ण समूह । बायक-देखो 'वायक'।
बारखाळी-वि. (स्त्री. बारखाळी) व्यभिचारी, पथभ्रष्ट । बायड-स्त्री० [स. वाक्कट] १ अभिलाषा, इच्छा, कामना। | बारगिरी-देखो 'बारगीर'।
२ नशे प्रादि की खुराक लेने की तीव्र इच्छा, उत्कण्ठा । बारगी-पू० [फा०] घोड़ा, प्रश्व। -प्रव्य० [सं० वार] दफा; ३ देखो 'बाई'।
बार। बायडियो-वि. १ जिसे इच्छा या कामना हो । २ नशे मादि के बारगीर-पू०[फा०1१ अश्वपाल, सईस । २ धुड़ सवार । ३ घोड़ा; लिये लालायित हो।
अश्व । ४ ऊंट । ५ बैल, वृषभ । -वि०साधारण, मामूली। बायडी-देखो 'बाई'।
बारछुड़ाई(छुडाई,छोड़ाई)-स्त्री० विवाह संबंधी एक रश्म विशेष । बायणी-क्रि० वि० १ बायीं ओर बायीं। २ विरोध में।
बारट-देखो 'बारहठ'। बायनंद-देखो 'वायनंद'।
बारठी-पु० १ किसी चारण को दी जाने वाली पदवी । २ इस बायविडंग, बायबिडंग-देखो 'बायविंडग'।
पदवी के साथ मिलने वाली जागीर । बायर-१ देखो 'बर'। २ देखो 'बायड़' ।
बारण-देखो वारण'। -पति, पती='वारणपति' । बा'यर-देखो 'बाहर'।
बारणी-स्त्री० १ मांगणियार (मुसलमान) जाति का एक भेद । बायरि, वायरि-१ देखो 'बैर' । २ देखो 'बाहरी' ।
२ देखो 'वारुणि'। बायरियो-१ देखो 'बायरी' । २ देखो 'बायड़ियो'।
बार-देखो 'बारणो' । बायरी, बायरी-१ देखो 'बाहरि' । २ देखो 'बैर'।
बारणे, बारण-क्रि०वि० द्वार के बाहर, सामने, द्वार पर । बायरी-पु० पवन, हवा, वायु ।
बारणी-पु० [सं० द्वार] दरवाजा । घर-द्वार। बायरी-वि० (स्त्री० बायरी) रहित, विहीन, बिना । बायल, बायली-१ देखो 'बाई'। २ देखो 'वायल'।
बारणौ (बो)-देखो 'वारणी' (बी)। बायस-देखो 'वायस'।
बारता-देखो 'वारता'। बायसुत-देखो 'वायुसुत' ।
बारतू-वि० [सं० बहिस्] १ बाहर का, बाहरी । २ जो अपने बायां, बायांसा-देखो 'मावलियां'।
___ शहर, गांव या प्रदेश का न हो । ३ विदेशी। बाया-१ देखो 'बाई' । २ देखो 'वाचा'।
बारद-देखो 'वारिद'।
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बारदांनी
बारनिस - देखो 'वार निस' ।
बारमो देखो 'वारणा' । बा'रगो - वि०
बारवांनी पु० [फा० बारदान) १ जूट का बना वस्त्र २ जूट की बोरी या बड़ा थैला । ३ सामान पेक कर भेजने का पात्र या संदूक । ४ सेना की खाद्य सामग्री, रसद, राशन । वारद्धक - देखो 'वारद्धक' ।
बारहट देखो 'पोळपा बारहटो-देखो 'बारठी' । बारहट्ट (5)- देखो 'पोळा' बारहणं - देखो 'बारठौ' । बारहदरी-देखो 'बारा' दरी' ।
बारध, वारधि- देखो 'वारिधि' ।
बारनियाँ ० १ घास-फूस का बना कक्ष छान, छप्पर वारमासिपी पु० [सं० द्वादश मास] १ बारह महीनों के वर्णन २ देखो 'बारी' ।
वाला गीत या कविता । २ रेल मार्ग या सड़क पर वर्ष भर कार्य करने वाला मजदूर । ३ बारह मास गर्भ में रह कर जन्मने वाला बच्चा । ४ सदा एक स्थान पर रहने वाला व्यक्ति ५ वर्ष भर फलते-फूलते रहने वाला पौधा । - वि० बारह मास का, बारह मास संबंधी, बारह मास होने वाला ।
बारहमासी - वि० [सं० द्वादश- मासिक ] १ जो वर्ष भर या सब ऋतु में वर्तमान रहे । २ सभी ऋतुद्मों में फलने-फूलने
३ प्रवारा ।
बारबरवार पु० [फा०] बोझा ढोने वाला मजदूर, कुली । बारबार देखो 'बारंबार' |
बारबिलासिपी देखो 'वारविलासिणी' ।
-
१ व्यभिचारी, लम्पट । २ धूर्त, दुष्ट ।
बारम १ देखो 'बारह' । २ देखो 'बारवीं'। बारमद, बारमउ-देखो 'बारी' ।
-
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( २०६ )
बारम्बार देखो 'बारंबार' ।
बारमो-देखो 'बाखीं ।
,
बारम्-१ देखो 'बारव' २ देखी 'बार'। बारस्काई, बारकाई-स्त्री० १ विवाह के समय की एक रश्म । २ इस रश्म में सवासरणी को दिया जाने वाला धन । मारलो वि० [सं०] बाह्य] (स्त्री० वारसी) १ बाहर बाला बाहरी । २ बाहर की घोर बना हुआ या स्थित । ३ अन्य देश का परदेशी, विदेशी ४ पराया धन्य ५ विरोधी, शत्रु । ६ विलग अलग । बारवट० [सं०] बार] द्वार का कपाट, किवाड़ २द्वार बारां-देखो 'बां'।
1
का पर्दा द्वार पर लगो नाम पट्टिका । बारव - वि० [सं० द्वादशः] (स्त्री० बा'रवीं) १ दश व दो के
स्थान वाला, ग्यारह के बाद वाला । २ देखो 'बा' रियो' । बारसनि० बारहवीं राशि पर प्रभाव बताने वाला शनि
ग्रह |
बारस स्त्री० [सं० द्वादशी] प्रत्येक मास के प्रत्येक पक्ष की बारहवीं तिथि ।
बारसाळी स्त्री० [सं० वार-शाला] महान में मुख्य द्वार पर बारसाळी-स्त्री०
बना कक्ष |
वारसि देखो 'बारस' ।
बारसु वरी- देखो 'वारसुंदरी' ।
बारसोत देखो 'बात' ।
बारह - वि० [सं० द्वादश] दश व दो, द्वादश । स्त्री० दश व दो की संख्या १२ ।
बारहखड़ी-देखो 'बारखडी'।
बारहघर - पु० बारह प्रकार की मेघ माला ।
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वाला ।
बारहमासी - वि० [सं० द्वादशमासिक ] १ बारह महीनों के वर्णन वाला गीत या काव्य । २ देखो 'बारहमासियो' । बारहम (बी) देखो 'बार'।
बाराबाट
बारहर - पु० [सं० वारि + धर] समुद्र, सागर । बारहवफात - स्त्री० मुसलमानों का एक त्यौहार । बारहसिंगौ- पु० [सं० द्वादश-शृंग] वह मृग जिसके सींग की कई शाखाएँ हों, सांभर ।
बारहहजारी पु० शाहजादों को दिया जाने वाला एक मनसब । बारां देखो 'बारह' २ देखो 'बाहर' ।
बारांगना - देखो 'वारंगना' |
बारा पु० [सं०वार ] १ समम वक्त काल २ घवसर मौका।
३ विलम्ब, देर । ४ विषय, प्रसंग, बाबत। ५ दिन, दिवस । बारा १ देखो 'बाहर' २ देखो 'बार' ३ देखो 'बा'परी' | बाराजोरी देखो 'बरबोरी'
।
बारात - देखो 'बरात' ।
बाराबड़ी, बारावरी बारा' घड़ी-स्त्री० बारह दरवाजों वाला बड़ा कक्ष ।
बारावी, बारावांनी वि० [सं० द्वादश-वरणं] १ सूर्य के समान चमकने वाला, प्रत्यन्त प्रकाशवान । २ पूर्ण शुद्ध, खरा । ३ निर्मल, स्वच्छ । ४ उचित वाजिब ठीक ।
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बाराबाट वि० [सं० द्वादश-वाट] १ अस्त-व्यस्त, विछिन्न । २ माथयहीन धनाथ [सं० वहिवाट ३ नष्ट-भ्रष्ट बरबाद । ४ राजद्रोही, बागी । पु० १ व्यर्थ का प्रसार, विस्तार, फैलाव । २ इधर-उधर फैले कई मार्ग । ३ डाकू, लुटेरा ४ कुमार्गगामी व्यक्ति ।
3
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बारासदी
।
२०७ ,
बाळक
कक्ष।
बारासदी-पु० शाही शासन में एक मोहदा ।
बार बार-देखो 'बारंबार'। बाराह-१ देखो 'वराह' । २ देखो 'बारह' ।
बाणी-देखो 'वाणी'। बाराही-१ देखो 'बारह' । २ देखो 'बा'रियो।
बाह-क्रि० वि० [सं० बाह्य] १ बाहर से, बाहर की तरफ से। बारि-१ देखो 'वारि' । २ देखो 'बारी' । ३ देखो 'वार' । २ देखो 'बारह' । ३ देखो 'बाहरु' । बारि-देखो 'बाहरी'।
बार-देखो 'बाडू'। बारिगर-पु० हथियारों पर धार लगाने वाला, सिकलीगर।। | बा'रू-१ देखो 'बाहरू' । २ देखो 'बारह' । ३ देखो 'बा'रू' । बारिगह-पु० [फा० बारगाह] १ राज दरबार, कचहरी ।। बारुणी-देखो 'वारूणी' । २ तम्बू, खेमा । ३ ड्योढ़ी, राजद्वार ।
बारूद-पु० [फा०] चूर्ण की तरह महीन एक विस्फोटक पदार्थ, बारिज-देखो 'वारिज'।
अग्निचूर्ण, शोरा । -खांनो-पु० उक्त पदार्थ का संग्रह बारिद-देखो 'वारिद' । बारिधर-देखो 'वारिधर'।
बारे, बार-१ देखो 'बाहर'। २ देखो 'बारह' । बारिधि-देखो 'वारिधि'।
बारक-वि० बारह के लगभग । बारियांम-देखो 'वरियांम' ।
बारहजारी-देखो 'बारहहजारी' । बारियो-पु० [सं० द्वादशा] मृतक के बारहवें दिन किये जाने बारोटिगे-पु० [सं० बार. उत्थित] १ राजा या जागीदार के वाले क्रिया कर्म, ब्राह्मण भोजन प्रादि ।
विरुद्ध होकर निकल जाने वाला व्यक्ति, बागी, राजद्रोही । बारियो-पु० कूए पर मोट खाली करने वाला व्यक्ति ।
२ लुटेरा, डाकू। बारिस-स्त्री० [फा० बारिश] १ वर्षा, वृष्टि, बरसात । २ वर्षा | बारोटो-पु० १ क्रोध, कोप । २ देखो 'बारठौ' । ३ देखो __ऋतु । ३ देखो 'वारीस' ।
_ 'बारोटियो'। बारी-स्त्री० [सं० वार] १ खिड़की, छोटा दरवाजा । २ वाता- | बारोठियो, बारोठीयो-देखो 'बारोटियो' ।
यन । ३ झरोखा, गवाक्ष । [फा०] ४ किसी कार्य का क्रम | बारोठो-१.देखो 'बारोटौ' । २ देखो 'बारठौ। तथा क्रमशः पाने वाला अवसर । नम्बर । ५ अवसर, मौका | बारोत-पु० [सं० वार-उत्थ] १ द्वार या खिड़की की चौखट । ६ किसी कार्य पर क्रमशः की जाने वाली नियुक्ति ।। . २ चौखट की खड़ी लकड़ी। ७ समय, वक्त, अवसर । झूठी पत्तले उठाने वाला एक | बारोतरउ, बारोतरी-देखो 'बाड़ोतरो' ।
वर्ग । ९ देखो 'वारी' । १० देखो 'वार'। ११ देखो 'बेरी' बारोबारू-देखो 'बारबार'। बारीक-वि० [फा०] १ अत्यन्त गूढ़, रहस्यमय । २ सूक्ष्म भाव |
पारोळ-वि० बदचलन, अवारा। या ज्ञान वाला । ३ सूक्ष्म अणुप्रों वाला, अत्यन्त महीन पिसा हुमा । ४ जिसका पायतन बहुत कम हो (डोरा प्रादि)
बारी-पु० १ बड़ा छेद, सूराख । २ मौकी, नाली। [सं० द्वादश] ५ अत्यन्त पतला, क्षीण, झीना । (वस्त्रादि) ६ घिस कर
३ बारह की संख्या वाला वर्ष । ४ प्राय का रास्ता, जरिया
[सं० बाल] ५ बालक, बच्चा । ६ देखो 'बारह' । ७ देखो जीर्ण-शीर्ण हुवा हुमा । पुराना
'वार' । ८ देखो 'वारी'। बारीकी-स्त्री० [फा०] १ बारीक होने की अवस्था या भाव ।
२ सूक्ष्मता गहराई। ३ महीनता, पतला या झीनापन ।। बारौल-देखो 'बारोळ' । ४ गूढ़ता । ५ भावों की सूक्ष्मता, निपुणता ।
बाळ, बाल, बाल, बालउ-वि० [सं० बाल] १ बाल्यावस्था बारीदार-पु० [फा०] १ पत्तल-दोना बनाने वाली जाति विशेष। वाला, अवयस्क । २ तुरन्त का जन्मा या उदित । ३ प्रबोध,
२ उक्त जाति का व्यक्ति । ३ निश्चित अवधि के लिये नासमझ । -पु० १ बालक, बच्चा । २ लड़का, पुत्र, वत्स । तैनात व्यक्ति।
३ किसी पशु का बच्चा । ४ नासमझ व्यक्ति । ५ बाल्याबारीबारी-क्रि० वि० क्रमशः, रह-रह कर, एक के बाद एक । वस्था । ६ बालकदास नामक एक नाथ । ७ पांच वर्ष का बारीयांम-देखो 'वरियांम'।
हाथी । ८ किसी पशु की पूछ । -6 केश, लोम, रोम । बारीयो-देखो 'बा'रियो' ।
१० नारियल । ११ भुट्टा । १२ भुजग, सर्प । १३ दया । बारीस-१ देखो 'बारिस' । २ देखो 'वारीस'।
१४ बालि नामक बदर । १५ देखो 'बाळ' । १६ देखो बार-१ देखो 'बाहरू' । २ देखो 'बाहर' । ३ देखो 'बारू' । 'बाला'। ४ देखो 'बार'।
बाळक, बालक-वि० [सं० बालक] (स्त्री० बाळिका, बालिका) बाती, वाहतो (यौ)-प्रव्य० बाहर की पोर ।
१ बाल्यावस्था वाला, प्रवयस्क । २ बच्चों की तरह का।
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बाळकता
( २०८ )
बालमखीरा
, प्रबोध, नासमझ । ४ अज्ञानी, विवेकहीन । बालटी-स्त्री० डोली की तरह बना व ऊपर कड़ा लगा एक ५ चंचल । ६ असमर्थ । -पु० १ बच्चा, लड़का । २ पुत्र, जल-पत्र विशेष । बेटा, वत्स । ३ किशोर, कुमार । ४ मूर्ख, व्यक्ति । ५ घोड़ा बाळरिणयौ-पु० मुट्ठी भर गेहूं के पौधों का समूह जिसे भाग में या हाथी की पूछ ।
सेक कर खाया जाता है। .. बाळकता, बाळकताई, बाळकपण-स्त्री०बाल्यावस्था बालक होने बाळरणी (बी)-क्रि० १किसी वस्तु को पाग में डालना या प्राग की अवस्था या भाव।
लगाना । जलाना, भस्म करना । २ सुलगाना, प्रज्वलित बाळकपुर-पु० एक देश का नाम ।
करना । ३ दीपक प्रादि को ज्योतिर्मय करना । ४ झुलसा बाळका, बालका-स्त्री० [सं० बालिका] बालिका, लड़की, पुत्री देना । ५ विद्युत प्रादि के प्रभाव से तार या यंत्र को जला बाळकाळ-देखो 'बाल्यकाळ'।
देना, प्रमुख गुणों को समाप्त करना । ६ क्रोधित करना, बाळकियो-देखो 'बाळक' ।
खिजाना, तंग करना । ७ वियोग से तड़फाना । ८ देखो बाळकी-देखो 'बालका'।
'वाळणौ' (बी)। बाळकूची-स्त्री. घोड़े के बालों की बनी कूची, ब्रश । बाळतंत्र -पु० [सं० बालतंत्र] बच्चों के पालन-पोषण की विधि बाळकेळि, बाळकेळी-स्त्री० [सं० बाल-केली] बच्चों का खेल, धात्री-कर्म । - आमोद-प्रमोद, क्रीड़ा।
बाळतोड़-पु० बाल टूटने से होने वाला एक फोड़ा विशेष । बाळको, बालको, बाळक्क, बालक्क-देखो 'बालक' । बाळद-स्त्री० [सं० बलदः] १ देशान्तर में व्यापार के लिये बालक्ररण-पु० [स० बालकृष्ण] बाल्यावस्था वाले कृष्ण । माल ढोने वाले बैलों का समूह । २ बैलगाड़ी, रथ । बाळक्रीडाकरम-पु० [सं० बालक्रीड़ा कर्म] १ बच्चों के खेल | ३ बैलों पर लदा माल, सामान । ४ बाल-बच्चे, संतान । प्रादि क्रियाएँ। २ चौसठ कलानों में से एक ।
५ देखो 'बळद'। बाळखिल्य-पु० [सं०] ब्रह्मा के रोम से उत्पन्न एक ऋषि समूह । बाळदियौ-पु० १ बैलों पर माल ढोकर देशान्तर में व्यापार बाळग, बालग-देखो 'बालिग' ।
करने वाला बनजारा । २ कृषक के बैलों को चराने वाला बाळगोठियौ-पु. बचपन का मित्र, बाल सखा।
नौकर । ३ कृषि कार्य के लिये रखा हुमा नौकर । बाळगोपाळ, बालगोपाल-पु० [सं० बाल-गोपाल] १ बालक | बाळदी-१ देखो 'बाळदियो' । २ देखो बाळधी'।
बच्चा, शिशु । २ पुत्रादि संतान, परिवार । ३ बाल्यावस्था बाळदौ-पु. १ बैलों का समूह । २ देखो 'बाळद' । ३ देखो के श्रीकृष्ण ।
'बाळदियो'। बाल-१ देखो 'बाळ' । २ देखो 'बालड़ी।
बाळध-देखो 'बाळद'। बालड़ी-देखो 'बाला'।
बाळधी-स्त्री० [सं० बालधि] १ पूछ, दुम । २ देखो 'बाळदौ'। बालडो-पु. १ कर या जाल वृक्ष की बौर । २ बाजरी प्रादि के | बालप्परिण-पु. बालकपन ।
दाने के ऊपर का छिलका तुस, भूषा । ३ देखो 'बाल'। बालबंध-देखो 'बालाबंध' । बाळचद्र-पु० [सं० बालचंद्र] शुल्क पक्ष की द्वितीया का बाळबकेल, बाळबघेल-वि० तरुण, युवा। चन्द्रमा ।
बाळबुद्धि-स्त्री० [सं० बालबुद्धि] बालकों के समान बुद्धि, विवेक बालचंद्रिका-वि० [सं०] १ कुटिल । २ तिरछा। -स्त्री० ।
हीनता, प्रबोधता । -वि०१ अल्प बुद्धि, अल्पज्ञ । १ कुटिल कटाक्ष । २ कर्नाटक पद्धति की एक रागिनी । २ मंद-बुद्धि । बाळचोटी-स्त्री. १ स्त्रियों के शिर का एक प्राभूषण विशेष । बाळबोध-पु० [सं० बालबोध बालकों के पढ़ने या समझने २ स्त्रियों की वेणी, चोटी।
लायक पुस्तक या भाषा। बाळछड़-स्त्री० जटामासी ।
बाळभोग-पु० [सं० बाल-भोग] १ इष्टदेव या देव मूर्ति के मागे बालछौ-पु [सं० बाल-पुच्छ] १ घोड़े की पूछ के बाल ।।
- प्रातः काल रखा जाने वाला नैवेद्य । २ नाश्ता, कलेवा । २ तलवार की धार।
| बालम-पु० [सं० वल्लभः] १ किसी स्त्री का पति, स्वामी। बाळजति (जती)-वि० [सं० बालयति] १ जो बाल्यकाल से ही
२ प्रेमी, प्रिय व्यक्ति। ३ जार । ४ गधा। -वि०१ सर्वोपरि संयमशील और जितेंद्रिय हो । बाल संन्यासी २ बाल
प्रधान । २ प्यारा। ३ देखो 'वालमकाकड़ी' । वैरागी, सांसारिक प्रपंचों से विरक्त । ३ बाल ब्रह्मचारी। बालमकाकड़ी-देखो वालम काकड़ी'। ---पु. लक्ष्मण ।
| बालमखीरा-पु. खीरा नामक बड़ा फल ।
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बालमुकदं
बाळूडी
बाळमुकंव, बाळमुकु-पु० [सं० बालमुकुद] १ बाल्यावस्था के १ ऊपर, ऊंचा। २ सब से अच्छा, श्रेष्ठ । ३ सामने, पागे।
श्रीकृष्ण । २ बालक रूप में ईश्वर । ३ ईश्वर, परमेश्वर । ४ अलग, पृथक। बालमिक, बालमीक-देखो 'बालमिक'।
|बाबाई-स्त्री. १ पगड़ी का एक बंध । २ मलाई । -वि० ऊपरी बालमीयो, बालमो-देखो 'बालम' ।
बाहरी। बाळयति (ती)-देखो 'बाळजति' ।
| बालाचुंदड़ी (चूदड़ी, चुनड़ी)-स्त्री० एक प्रकार की चुनड़ी बाळरंट, बाळरांड-देखो 'बाळविधवा' ।
विशेष। बाळलियो-देखो 'वाळलो'।
बाळाजळ-स्त्री० [सं० बाला-जल] विद्युत, बिजली। बाळलीला-स्त्री० बाल सुलभ क्रीड़ा, चेष्टा, खेल ।
बालाजी-पु० [सं० वल्लभ] हनुमान, बजरंग । बाळविधवा-स्त्री० [सं० बालविधवा विवाह के तुरंत बाद ही बालाजोड़ी-स्त्री० एक दूसरे के हाथों के पंजे परस्पर मिलाकर विधवा हो जाने वाली लड़की या स्त्री।
| चलने की क्रिया। बाळविधु-पु० [सं०बालविधु शुक्ल पक्ष की द्वितीया का चन्द्रमा।| बाळानंदी-स्त्री० वैष्णव संप्रदाय की एक शाखा । बाळविनोव, बालविनोप-पु० [सं० बालविनोद] बच्चों के | बालापरण-पु० १ बाल्यावस्था । २ युवापन, जवानी। मनोविनोद के खेल ।
बाळापोस-पु० [फा० बालोपोश] १ किसी वस्तु पर ढकने का बाळविवाह-पु० [सं० बालविवाह] बाल्यावस्था में हो जाने वाली वस्त्र, भावरण का वस्त्र । २ उत्तरीय । शादी।
बालाबंद, बालाबंदी, बालाबध (बंधी)-स्त्री० पगड़ी पर धारण बाळवेसी-स्त्री० [सं० बाल-वयस्याः] १ बालिका, बाला । करने का एक जरीदार वस्त्र । २ बाल सहेली, बाल सखी।
बाळाबोध, बाळावबोध-पु० [सं० बाल-बोध] १ बच्चों को बाळग्यजन-पु० [सं०] केशों का बना चधर ।
दिया जाने वाला ज्ञान, बोध । २ किसी काव्य या ग्रंथ की बाळसंघाती-पु० [सं० बाल-संगिन् ] बाल-सखा, बचपन का
सरल टीका । साथी।
| बालार-पु० एक प्रान्त का नाम ।
बालारण-स्त्री० एक प्रकार की ककड़ी। बाळस, बालस-वि० [सं० वालिश] १ मूर्ख । २ नादान ।
बाळि, बालि-पु० [सं० बालि] १ किष्किन्धा का राजा एक -पु० १ नासमझ व्यक्ति। २ बालक, बच्चा । ३ तकिया,
वानर । २ देखो 'बाळ' । ३ देखो 'बाला' । उपधान, सिरहाना।
बालिक-१ देखो 'बाळक' । २ देखो 'वाल्हीक'। बाळसखा-पु० [सं०] बचपन का मित्र ।
बाळिका, बालिका-स्त्री० [सं० बालिका] १ कन्या, लड़की। बाळसद-देखो 'बाळसाद"।
२ पुत्री, बेटी । ३ देखो 'बाला'। सळससि-पु० [सं० बालशशि] शुक्ल पक्ष की द्वितीया का बाळिकुमार-पु० [सं० बालि-कुमार] वानर राज बालि का पुत्र चन्द्रमा । -वि० कुटिल, तिरछा ।
____ अंगद । बाळसाद-पु० [सं० बाल-शब्द] १ बच्चे का रुदन । २ तुरत के |
बालिग-वि० [अ०] वयस्क, दाना । जो अबोध न हो। जन्मे शिशु का रुदम।
बाळियौ-१ देखो 'बाळो' । २ देखो 'बा'लो' ।
बालिस्त-पु० [फा० बालिश्त] हाथ के अंगुष्ठ व कनिष्ठा के बाळसूरज-पु० [सं० बालसूर्य प्रातःकालीन उगता हुआ सूर्य ।
फैलाव की लम्बाई, इस लंबाई का नाप विशेष । बाळहट, बाळहठ-पु० [सं० बालहठः] बच्चे का किसी बात पर | बाळी-स्त्री. १ नाक या कान का एक प्राभूषण विशेष । होने वाला जिद्द, हछ।
२ देखो 'बाला' बालहौ-देखो 'वालो'।
बाली-स्त्री. १. देखो 'बालि' । २ देखो 'बाला'। बाळा, बाला-स्त्री० [सं०. वाला] १बारह से सत्रह वर्ष की बाळीवेस, बालोवेस-स्त्री० [सं० बाल-वयस] १ छोटी उम्र,
प्रायु वाली लड़की, युवती । २ छोटी बालिका। ३ पत्नी, बाल्यावस्था, बचपन । २ नव यौवना स्त्री, युवती । भार्या, अर्धागिनी। ४ स्त्री, औरत । ५ वेश्या । ६ दश बाळु-१ देखो 'बाळ' । २ देखो 'बाळू' । महाविद्यामों में से एक । ७ छोटी इलायची। ८ हल्दी । बालुकाजत्र (यंत्र)-पु० [सं० बालुकायंत्र] प्रौषधियों को फूकने ९ घृत कुमारी। १० चमेली विशेष । ११ एक प्राभूषण का यत्र। विशेष । १२ निसाणी छन्द का एक भेद । १३ घोड़ों की बाळुडो, बालुड़ी-१ देखो 'बाळ' । २ देखो 'वालो' । एक जाति व इस जाति का घोड़ा। -वि० [फा० बाला] | बाळू ड़ी-देखो 'बाळोडीकीडी' ।
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बाळू जो
( २१० )
बावनबीर
बाळूजौ, बाळूडौ, बालू दौ-पु० [सं० वल्लभोदय] प्रथम प्रसव | बावड़-पु० १ पता, ठिकाना, खोज खबर । २ संकेत, इशारा ।
के समय पिता के घर से मिलने वाला धन, द्रव्य सामान ३ अभिलाषा, इच्छा, चाह । पादि।
बावड़णो (बी)-क्रि० [सं०व्यावर्तन] १ वापस पाना, लौटना । बाळू-स्त्री० [सं० बालुका] मेदे की तरह बारीक मिट्टी, धूलि २ मोड़ लेना घूमना । ३ पुनः प्राप्त होना । ४ पुनः संचरित रज।
होना, होश में आना। ५ समाप्त, खत्म या अंत होना । बाळडो-१ देखो 'बाळ' । २ देखो 'बाळ'।
६ समाचार या खबर मिलना । ७ पता लगना, जानकारी बालड़ौ-देखो 'बालो'।
होना । ८ जाना । ९ इच्छा, अभिलाषा या चाह होना । बाळूछी-स्त्री. सूपर के बालों को बनी एक प्रकार की कूची। १० विसर्जन होना । ११ भिड़ना, युद्ध होना । बाळबानी-स्त्री० बारीक रेत रखने की जालीदार डिबिया । बावड़ली-देखो 'बावड़ी'। बालूयड़उ-देखो 'बाळ' ।
बावड़ाणी (बौ)-क्रि० १ वापस लाना, लौटाना । २ मोड़ना, बालूसाही-स्त्री० एक प्रकार की मिठाई।
। घुमाना । ३ पुनः प्राप्त करना । ४ पुनः संचार करना, होश बाळेचौ-देखो 'बाळ छौ' ।
में लाना । ५ समाप्त कराना, खत्म कराना, अंत कराना । बालेय-पु० [सं० बालेयः] गधा, खर, रासभ । -वि० १ बलि | ६ समाचार, खबर या संकेत कराना । ७ पता लगवाना, देने योग्य । २ कोमल, मुलायम । ३ बलि के वंश का।
मालूम करवाना, जानकारी करवाना । ८ भिजवाना । बाळेस- देखो 'बाळि' ।
८ इच्छा या अभिलाषा कराना । १० विसर्जन कराना । बाळोडीकोड़ी-स्त्री० लाल रंग की छोटी चींटी ।
११. युद्ध कराना, लड़ाना । बालोत-पु० [सं० वल्लभः] प्यार।
बावड़ी-स्त्री० [सं० वापि] १ चारों तरफ मीढ़ियां व चौडे मुंह बालोचरण-स्त्री० १ एक लोक गीत विशेष । २ देखो 'बालो' । वाला खुला कूपा । वापिका । २ बांसुरी का एक भाग । बालोजी-देखो 'बालाजी'।
बावरण-स्त्री० [स० बापन] १ बोने की क्रिया, बोवाई । बाळी, बालो-पु०१ कान का प्राभूषण विशेष । २ देखो 'बाळ'। २ बोवाई की विधि या ढंग । ३ उक्त कार्य की मजदूरी । ३ देखो 'वा'ळो'।
- ४ फेंकने की क्रिया या ढंग । ५ देखो 'बावन'। बाळीमेळ-पू० [सं० बाल-मेल] बचपन की मित्रता, बाल्यावस्था | बावरिण, बावरणी-स्त्री०१ रहट के चक्र में लगने वाली एक ____ का संग।
लकड़ी। २ अनाज बोने की क्रिया। ३ अनाज बोने का बाळौसीत-पु. शीतकाल की प्रारम्भिक अवस्था ।
समय । ४ बोये जाने वाले अनाज की मात्रा । ५ देखो बाल्टी-देखो 'बालटी'।
'बावनी'। बाल्य-वि० [सं०] १ बच्चों संबंधी । २ बचपन जैसी । बावरणो-देखो 'बावनी'।
३ बालकों जैसा। -पु. १ बचपन, लड़कपन । २ मूर्खता, कायरो (बो)-क्रि० [सं० वापनं] १ भूमि में अनाज की मूढ़ता । -काळ-पु. बचपन, किशोरावस्था से पूर्व की
बोवाई करना, बोना । २ अंकुरित करना । (स० वहनं] अवस्था।
३ प्रहार या चोट करना । ४ चलाना,फिकवाना ! ५ प्राक्रमण बाल्यावस्था-पु० [सं०] बचपन, किशोरावस्था से पूर्व की करना, हमला करना । ६ व्यवस्थित करना, संवारना । अवस्था ।
७ शपथ लेना, अथवा देना । ८ बांधना । ९ ठगना धोखा बाल्हम, वाल्हमो-देखो 'बालम'। बाल्हा-१ देखो 'वाला' । २ देखो 'वाल्हा' ।
बावत्तर (रि,री)-देखो 'बमोत्तर' । बाल्हि, बाल्ही-पु० [सं० बाल्हिः] बलख बुखारा नामक देश । बावन-वि० [सं० द्विपंचाशत् पचास व दो। -पु. १ पचास व वाल्हीक-देखो 'वाल्हीक'।
दो की संख्या, ५२ । २ युद्ध प्रिय बावन भैरव । ३ देखो बाल्ही-१ देखो 'वालो' । २ देखो 'वा'ळी'।
'वामन'। बाव-पु० १ वादा, कोल, प्रतिज्ञा, वचन । २ देखो 'वाय' । ३ देखो 'बावड़ी'।
बावनउचंदरण, बावनचंदरण, बावनचंदन-देखो 'बावनौचंदण' । बावईयो-देखो 'पपईयो।
बावनजीरीबारस-स्त्री० [सं० वामन-द्वादशी] भादवा शुक्ला बावकरण-पु० [सं० वात-करण] १ वायु पैदा करने वाला,
द्वादशी को होने वाली वामन जयंती। वायुकारक पदार्थ। २ वायु फैलाने या फंकने वाला उप-बावनजीरोबेळो-पु० उक्त तिथि को किया जाने वाला व्रत । करण, पंखा।
बावनबीर-देखो 'बावनवीर'।
सपना
देना।
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, बावनमो
बासिंद
बावनमो (वों)-वि० [सं० द्विपंचाशत्] (स्त्री० बावनमी) बावन प्रभ, भौंचक्का । ४ बेसुध । ५ नासमझ, मूर्ख । ६ प्रज्ञानी । के स्थान वाला, इक्कावन से बाद वाला।
७ वायु का, वायु सम्बन्धी । बावनवीर (बीरि)-वि०१ पराक्रमी, साहसी, वीर । २ चतुर, | बावीस-देखो बाईस'। चालाक।
बावीसमो (वों)-देखो 'बाईसमो'। बावनहजारी-पु० मुगलकालीन एक मनसब ।
बावीसी-देखो 'बाईसी'। बावनिचंदण (चंदन)-देखो 'बावनौचंदण' ।
बावों-देखो 'बायो। बावनियो-पु०१ तास का एक खेल । २ देखो 'वांमन' । बावीतर-देखो 'बोत्तर'। बावनी-वि० [सं० द्विपंचाशत्] बावन का, बावन संबंधी । बासंत-देखो 'वासंत'।
-स्त्री० १ बावन वस्तुओं या पद्यों का समूह । २ बावन | बासंद (दो)-देखो 'बासिंदौ' । बीघों की जमीन ।
बास-देखो 'वास'। बावने क-वि० बावन के लगभग ।
बासक-१ देखो 'वासक'। २ देखो 'वासुकि' । बावनौ-पु० [सं० द्विपंचाशत्] १ बावन की संख्या का वर्ष ।। बासकसज्जा-देखो 'वासकसज्जा'। २ देखो 'बावनमौं।
बासग-देखो 'वासुकि' । बावनौचंदरण (चंदन, चन्नण) बावनौस्रीखंड-पु० [सं० द्विपंचा- बासड़ी, बासड़ौ-देखो 'वास' ।
शत्+चन्दनम्] १ उत्तम श्रेणी का एक चन्दन विशेष । बासटो-देखो बासठो' । २ इस चन्दन का वृक्ष व लकड़ी ।
बासठ, बासठि (ठी)-वि० [सं० द्वाषष्टि] साठ और दो । बावन्न-१ देखो 'वामन' । २ देखो 'बावन'।
-पु० साठ और दो की संख्या, ६२ । बावन्नतीरी-स्त्री० एक शस्त्र विशेष ।
बासठे'क-वि० बासठ के लगभग । बावन्यू-देखो 'वांमन'।
बासठी-पु० [सं० द्विषष्टाः] बासठ की संख्या का वर्ष । बावभख-वि० [सं० वायु+भक्षः] १ वायु का भक्षण करने | बासण-पु० १ बर्तन, पात्र । २ साधन, उपकरण।
वाला । २ वायु द्वारा सोखा हुआ। ३ वायु द्वारा दूषित या | बासरणी(बी)-क्रि० [सं० वासनम्] १ बदबू देना, सड़ना,
प्रशक्त किया हुआ । -पु०१ सर्प । २ वायु का भक्षण । दुर्गन्ध युक्त होना । २ महकना । गंध देना । ३ अपशब्द बावमखी-पु० [सं० वायु-भक्षण] १ वायु पीकर रहने वाला । कहना । ४ बुरे भाव व्यक्त करना । ५ देखो 'बसणो' (बी)
साधु, तपस्वी । २ व्यर्थ बकने वाला व्यक्ति । ३ पागल | बासती-पु. १ लाल रंग का वस्त्र विशेष । २ भाग का अंगारा. व्यक्ति । -वि. १ वायु भक्षण करने वाला । २ वायु द्वारा प्राग ।
बासते (त)-१ देखो 'वास्ते' । २ देखो 'वासदी' । बावर-पु० [फा०] १ एक देश का नाम । २ यकीन, विश्वास । बासतो (तो,स्थौ)-पु० १ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । २ देखो बावरची-पु० [फा०] रसोईया, पाक शास्त्री । -खांना-पु.
'वास्तो। रसोईघर, पाकशाला।
बासदी, बासदे-देखो 'वासदी' । बावरणी (बो)-देखो 'वापरणो' (बी)।
बासदेव-१ देखो 'वासदे' । २ देखो 'वासुदेव' । बावरिया-स्त्री० एक खानाबदोश जंगली जाति ।
बासना-देखो 'वासना'। बावरी-पु० (स्त्री० बावरण, बावरणी) १ एक अनुसूचित जन | बासप-देखो 'वास्थ जाति । २ इस जाति का व्यक्ति ।
बासर-देखो 'वासर' । -कर, किरण-'वासरकर' । बावरी-देखो 'बावळी'।
बासव-देखो वासव' । बावळ, बावल-१ देखो 'वावळ' । २ देखो 'बांवळ' । ३ देखो।
बासवी-देखो 'वासवी'। ..'बावळी'
बासवोदिसा-देखो 'वासविदिसा'। बावळि-१ देखो 'बावळी' । २ देखो 'बांवळी' । ३ देखो 'बावळो' | बाससुमेर, बाससुमेरु-देखो 'वाससुमेर' । बावळिनौ, बावळियो-१ देखो 'बांवल' । २ देखो 'बावळी' । । बासांवळी-देखो 'वासावली' । बावळी-वि० [सं० वातुल (स्त्री० बावळी) १ जिसकी बद्धि | बा'सा-पु० वृद्ध पुरुष, वृद्ध पुरुष का सम्बोधन ।
या मस्तिष्क वात विकार के कारण विकृत हो चुका हो । बासिद, बासिदो-पु० [फा० बाशिद १ बसने वाला, रहने वाला पागल, विक्षिप्त । २ मदोन्मत्त, उन्मत्त, मतवाला । ३ हत | निवासी । २ प्रसिद्ध, मशहूर ।
दूषित।
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बाली
बासू - पु० [सं० वसु] घोड़ा ।
'बासो-देखो 'वाम' ।
बासी - वि० [सं० वास] १ जो ताजा न हो । २ जो रात का या एक वक्त पहले का बना हो। ३ देखी 'वासी' जो कुम्हला गया हो । ५ अधिक समय तक पड़े रहने से जो विकृत हो गया हो ।
बासी डौ - पु० प्रातःकाल जागने पर रहने वाली मुंह की दशा ।
बासुकि, बासुकी, बासुग- देखो 'वासुकि' । बासुर-१ देखो 'बासुरा' २ देखो 'वास'। बासुरी-देखो 'वासर' ।
बाहर देखो 'बहादुर' । बाहवी-देखो 'बासदी' । बाहन देखी 'वाहन'। बानी देखो 'वाहनी' । बाहनी देखो 'बहानी' ।
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बाल ब- देखो 'बाहुप्रलंब ।
बाहवाही देखो 'वाहवाही' ।
-
( २१२ )
वास्ती- देखो 'वासदी' २ देखी 'बासती'।
बास्ते, बास्तं - १ देखो 'वास्ते' । २ देखो 'बासती' ।
।
ब्रास्ती १ देखो 'वासती' २ देखो 'वास्ती' ३ देखो 'बासती' बाहसवा स्त्री० पार्वती दुर्गा । । । बाह - स्त्री० [सं०] १ भुजा, हाथ। २ भुजबल, शक्ति । - [ प्र०
]
३ मैथुन शक्ति, काम शक्ति ४ बाजा, वाद्य ५ देखो
बाहांप्रळंब- देखो 'बाहुप्रळंब' । बाळ (डी) देखो 'बाळ' बाहादर-देखो 'बहादुर' ।
'वाह' बाजांन] 'जांनबाहु'।
- ।
बाहरवो-देखो 'बाहरू ।
।
,
1
1
क्रि० वि०
बाहरि (री) वि० [सं०] बाह्य] १ बाहर का बाह्य । ४ २ अजनबी, अनजान । ३ अलग, भिन्न । ४ पराया, गैर 4 ५. समाज से बहिष्कृत ६ पतित ७ विदेशी १ वगैर, बिना रहित । २ देखो 'बाहर' । बाहरु (रू) - वि० १ रक्षा करने वाला, रक्षक । २ सहायक, मददगार । ३ युद्ध या संटककाल की सूचनार्थ बजने वाला बाद ४ पीछा करने वाला ५ देखो 'बाहरी' ।
बाहरी देखो 'बायरी' (स्त्री० बाहरी) । बाहळो-देखो 'वा'को' ।
"
बाहादरी - देखो 'बहादुरी' ।
बाड़ी (बी) - देखो 'बावड़रणी' (बो) ।. बाण - देखो 'वाहन' ।
बाहरी ०१ मेसा, महिष २ ऊंट बाहणमेह - पु० [सं० वाहन मेघ ] इन्द्र । बाहणी - देखो 'वाहनी' ।
बाहार-१ देखो 'बाहर' । २ देखो 'वार' | बाहारसो-देखो 'बारली' (स्त्री० बाहारली ) बाहाळी-देखो 'वाळी' ।
बाचिदोस पु० भिक्षा संबंधी एक दोष (जैन)
।
बाहौ (at) - क्रि० [सं० वाहनं ] १ प्रवाहित करना, बहाना बाहिज्यालोचन - पु० ललाट पर आडे तिलक वाला घोड़ा विशेष
२ देखो 'वाणी' (बो) ।
बाहित्यवदेस पु० [सं०] बाहय देश ] हाथी के कुंभस्थल के नीचे
का भाग ।
बाहित्र स्त्री० नाव । जहाज ।
बाहिनी देखो 'वाहनी' ।
-
बाहिर - देखो 'बाहर' ।
बाहिरली (पु) देखो 'वारली' (स्वी० बाहिरली ) ।
२ देखी 'बाहरी'
बाहिर (११ दे 'बाहर' बाहिरी देखो 'बा'यरौ' ।
|
बाह्मण पु० [सं०] भानुवादन] १ घोड़ा, प्रस्ट २ सूर्य का बाही देखो 'नहीं'।
अश्व |
बाहीयउ - देखो 'बाह्य' ।
बाहर [वि० [सं०] बहिस्] १ भीतर का विषयार्थ अन्दर का उल्टा । २ किसी पात्र, क्षेत्र या सीमा से अलग, दूर, तटस्थ । ३ सीमा से दूर । ४ मर्यादा को छोड़ा हुआ । - अव्य० सिवाय, वग़ैर, अलग, अलावा छोड़कर । - स्त्री० १ सहायता, मदद। २ रक्षा, बचाव । ३ अनुधावन, पीछा । ४ पीछा करने की क्रिया । ५ पीछा करने वाला दल या टोली । ६ पीछा करने वाली सेना । बाहरजांमी - पु० [सं०] बाह्ययासी] ईश्वर का सगुण रूप बाहरी
रूप । बाहरलौ - देखो 'बारलो' (स्त्री० बाहरली ) ।
बाहली-देखो 'वाल' (स्त्री० बाहुली) ।
बाहस - पु० [सं० वाहस] अजगर नामक सर्प ।
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बाहुक
बाहु, बाहुध पु० [सं० बाहु] ३ पशु के अगले पैर के
१ भुजा, बांह । २ हाथ, कलाई । ऊपर का हिस्सा ४ इक्ष्वाकुदशीय का एक राजा । ५ पृथुराजा के पुत्र का नाम । ६ इन्द्र सावरण मनवन्तर के सप्तऋषियों में से एक। ७ स्वारोविष मनु का एक पुत्र बीस विहरमानों में से एक।
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बाहुक - पु० [सं०] १ राजा नल का एक नाम । २ नकुल का नामान्तर । ३ कौरव्य कुल का एक नाग । ४ बन्दर । ५ इक्ष्वाकुवंशीय राजा बाहु का नामान्तर । ६ वृष्णिवंशीय एक वीर ।
बाहुड़ - १ देखो 'बावड़' । २ देखो 'बाहु' ।
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पाहुणी
बाहुडणी (बौ)-देखो 'बावड़णो' (बी)।
बिणणो (बी)-क्रि० [सं०] १ चुनना, बीनना । २ किसी बाहुडि-देखो 'बहुरी'।
पदार्थ की छंटनी करना, अलग-अलग करना । बाहुड़ी-१ देखो 'बहू' । २ देखो 'बाहु' ।
बिणाई-स्त्री. १ चुनने या बीनने की क्रिया या भाव । छंटनी। बाहुज-पु० [सं० बाहुजन्य] १ ब्रह्मा के हाथ से उत्पन्न, क्षत्रिय। २ चुनने या छंटनी करने का पारिश्रमिक । ३ देखो 'बुणाई' २ तोता।
बिंद-१ देखो 'बिंदु'। २ देखो 'बूद' । ३ देखो "बिंदी' । बाहुत्र, बाहुत्राण-पु० [सं० बाहुत्र] बाहु की रक्षा करने वाला | ४ देखो 'बिंदक'। कवच।
बिंदक-पु. १ एक राजवंश । २ देखो 'बिंदु' । ३ देखो 'बूद' । बाहुदंड-पु० [सं०] भुजदंड, बाह, भुजा ।
बिदकौ-वि० वीर्य से उत्पन्न । -पु० दशनामी गोस्वामियों की बाहुदंतक-पु० [सं०] इन्द्र द्वारा रचित स्मृति ।
। किसी स्त्री से उत्पन्न उत्तराधिकारी शिष्य या पुत्र । बाहुदंती-पु० [सं० बाहुदन्तेय] इन्द्र ।
बिदणी (बौ)-१ देखो 'वंदणी (बी) । २ देखो 'विंधणी' (बो) बाहुप्रळंब (भ)-वि० [सं०बाहुप्रलंभ] जिसकी भुजाएं लम्बी हों। | बिदली-देखो 'बिंदी'। बाहुबळ(ल)-पु० [सं० बाहुबल] पराक्रम, शौर्य, भुजबल । विदवी-देखो 'बिंदु'। बाहुबळी (लो)-वि० पराक्रमी, शूरवीर ।
बिंदाळ-पु. देवदाली का वृक्ष । बाहुमूळ-पु० [सं० बाहुमूल] कंधे का संधिस्थल ।
बिदी-स्त्री० [सं० बिदु] १ स्त्रियों के ललाट पर होने वाला बाहुयुद्ध-पु० [सं०] १ मल्ल युद्ध । २ कुश्ती।
सुहाग बिंदु । २ उक्त प्रकार का प्राभूषण । ३ ललाट पर बाहुरक्षक-पु० [सं०] १ अंगरक्षक । २ बाहुरक्षक कवच ।
लगने वाला गोल तिलक, टीका । ४ देखो 'बिंदु'। बाहुळ-पु० [सं० बाहुल] १ युद्ध के समय बाहु पर धारण करने | बिदु-पु० [सं०] १ किसी तरल पदार्थ की बूद, कतरा । २ सूक्ष्म
का कवच । २ हाथों के दास्ताने । ३ अग्नि । ४ कात्तिक परमाणु, छोटा कण । ३ शून्य, सिफर, गोला अंक । ४ वीर्य मास।
की बूंद, शुक्र करण । ५ योग में अनाहत नाद के प्रकाश का बाहुसगार-पु० [सं बाहुशृगार] भुजा का आभूषण ।
व्यक्त रूप । ६ ज्योमिती के अनुसार बहुत छोटा चिह्न या बाहुसंस्फोट-पु० [सं०] ताल ठोकना क्रिया ।
वस्तु जिसके विभाग नहीं किया जा सके। ७ शब्द या वर्ण बाहुसाळी-पु० [सं० बाहुशालिन्] १ शिव, महादेव । २ भीम ।। पर लगने वाला अनुस्वार । ८ ललाट पर लगने वाला गोल बाहुहजार-पु० सहस्रबाहु ।
टीका, तिलक, बिंदी। ९ किसी रंग प्रादि का लगने वाला बाहू, बाहू, बाहूडो-देखो 'बाहु' ।
छींटा धब्बा । १० किसी क्षेत्र प्रादि का केन्द्र स्थान, बाहूजुद्ध-देखो 'बाहुयुद्ध'।
मध्यस्थल । ११ अोस कण । १२ श्रम कण। बाहूडड, बाहूदंड-देखो 'बाहुदंड' ।
बिंदुसार-पु० [सं०] १ शिशुनाग वंशीय एक राजा । २ एक बाहूसाखा-स्त्री० [सं० बाहु शाखा] अंगुलि ।
मौर्य वंशीय राजा। बाहेण-देखो 'वाहन'।
विद्राबम, विद्रावन-देखो 'वंदावन' । बाहैरी-१ देखो 'बाहर' । २ देखो 'बाहरी'।
विध-देखो "विध्य'। . बाहा-वि० [सं०] १ बाहर का, बाहरी । २ अजनबी, अपरिचित बिधणी (बौ)-क्रि० [सं० वेधनं] १ छेदा जाना, छिद्रित होना ।
३ विदेशी। ४ जो अन्दर का न हो। ५ परिवार, वर्ग या | २ शस्त्र या किसी तीक्ष्ण वस्तु से बेधा जाना । ३ उलझना, संघ से इतर । -पु० राजा की सवारी का हाथी।
फंसना । ४ किसी के साथ संलग्न होना । ५ तीखे औजार बाह्यांतर-क्रि०वि० [सं०] भीतर-बाहर दोनों ओर ।
से खोदा जाना। बाह्यायाम-पु० [सं०] एक प्रकार का वात रोग ।
बिंधारणौ (बी), बिंधावरणौ (बौ)-क्रि० [सं० वेधनं] १ छेदना, बालीक-देखो 'वाह लीक' ।
छिद्रित करना । २ शस्त्र या किसी तीक्ष्ण वस्तु से बेधना । वि-देखो 'बी'।
| ३ उलझाना, फंसाना । ४ किसी के साथ संलग्न करना । बिजण, बिजन-१ देखो 'व्यंजन' । २ देखो 'बींजरणो' ।
५ तीखे प्रौजार से खोदना । बिजणी-देखो 'बींजणो' ।
बिध्य-देखो 'विध्य' । विझ-देखो 'विध्य' ।
बिध्याचल-देखो "विंध्याचल'। बिट-१ देखो 'वींट' । २ देखो 'विट' ।
बिब-पु० [सं० बिम्बम्] १ किसी पारदर्शक पदार्थ से दिखने . बिटणी (बी), बिट्टणौ (बी)-देखो 'वींटणो' (बी)
वाला प्रतिबिम्ब, प्रतिमूर्ति, प्रतिछाया । २ सूर्य । ३ सूर्य या बिडी-१ देखो 'भिडी' । २ देखो 'विदी' ।
चन्द्रमा का मण्डल । ४ सूर्य या चन्द्रमा का प्राकार, गोला ।
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बिबफळ
( २१४ )
विखरणी
५ कोई गोलाकार चिह्न, मण्डल । ६ शीशा, दर्पण । ७ पर- | विकराळ-देखो "विकराळ' । छाई, छाया । ८ सूरत,शक्ल । ९ चमक,दमक । १० प्रकाश, बिकरी, बिकरौ-देखो 'विक्रय'। रोशनी । ११ शोभा, कांति, प्राभा। १२ प्राभास, झलक, बिकळ-देखो 'विकळ'। -चित-'विकळचित' । झांकी । १३ मूर्ति, प्रतिमा । १४ देवालय । १५ शिखर ।। बिकसरणी (बी)-देखो 'विकसणी' (बी)। १६ एक राजा जो वसुदेव व भद्रा का पुत्र था । १७ कुंदरू। | विकसत-देखो 'विकसित'। १८ एक छंद विशेष । १९ लक्षणा या व्यंजना शक्ति से | बिकसारणी (बी), बिकसावरणी (बी)-देखो "विकसाणी' (बी)। निकलने वाला अर्थ । २० देखो बंब' ।
बिकसित-देखो "विकसित' । बिबफळ-पु० [सं० बिंबकम् ] एक प्रकार का लाल कुदरू । बिकस्सरणी (बो)-देखो 'विकसणी' (बी)। बिबर-देखो 'विवर'।
बिकाऊ-पु० [सं० विक्रयं] बिकने योग्य वस्तु, बेचने के लिये बिबसार, बिबिसार-पु.१ अजातशत्रु के पिता एक राजा । निश्चित किया हुमा या रखा हुआ। - २ राजा बिन्दुसार का एक नाम ।
बिकाणौ (बो)-क्रि० १ मूल्य या कीमत पर दिलवाना, बिक बिभर-देखो 'विवर'।
वाना, बेचाना । २ दुकान प्रादि पर विक्री कराना । बिभळ-१ देखो 'विह्वल'। २ देखो 'विमळ'। .
३ दास या गुलाम बनवाना । ४ प्रात्म-समर्पण कराना। बिमरवित-पु० संभोग विषयक एक प्रासन विशेष ।
५ स्वीकार कराना, मनवाना । ६ प्रौचित्य समझाना। बियाळीस-देखो 'बंयाळीस' ।
७गिनवाना। - बियो-पु. १ ऊन का धागा । २ रुई के टुकड़े में रखी जाने | विकार-देखो 'विकार'। वाली अमल की मात्रा । ३ साग-सब्जी
बिकारी-देखो 'बिकारी', बिरद-देखो 'विरुद'।
बिकावाणी (बौ)-देखो 'बिकाणी' (बी)। बिहू-देखो 'बेऊ' ।
बिकासणो (बो)-देखो 'विकासणी' (बो)। बि-पु०१नभ । २ फल । ३ वचन । ४ विष । ५ शशि । बिक्क-पु० बीस वर्ष का हाथी। -स्त्री० ६ पत्ती। ७ पृथ्वी। ८ देखो 'बी' ।
बिक्कराळ-देखो "विकराळ'। विप्रो (बी)-देखो 'बीहणौ' (बौ)।
बिक्रत-देखो 'विक्रत'। विमरणो-देखो 'विहांणो' ।
विक्रम-देखो 'विक्रम'। विमा-देखो 'बी'।
बिक्रमांत-देखो 'विक्रमांत'। विधारणौ (बी)-१देखो 'ब्यारणो'(बी)। २ देखो विवाहणी'(बी)। विक्रमाजीत, विक्रमारक-देखो 'विक्रमारक' । बिह-देखो 'बी'।
विक्रमी-देखो 'विक्रमी'। बिउ-देखो 'बेऊ'।
विक्रय-देखो "विक्रय'। बिउलसिरी-देखो 'बोलसिरी'।
बिक्री-स्त्री० [सं० विक्रय] १ बेचने का कार्य । २ बेचने से होने विप्रोग-देखो 'वियोग'।
वाली प्राय। वियोगी-देखो "वियोगी'।
विक्रय-१ देखो "विक्रय' । २ देखो 'विक्रेय'। विनोतर-देखो बोत्तर'।
बिखंड-देखो 'विखंड'। बिकड़ियो-पु० [सं० द्विकटह] १ दो कड़ों का पात्र । २ छोटा | विखंडणी (बी)-देखो 'विखंडणी' (बी)। . कटाह, कड़ाई।
बिखंभ-देखो 'विसंभ'। बिकट (ह)-देखो 'विकट'।
बिख-देखो 'विस'। विकरणी (बी)-क्रि० [सं० विक्रय] १ मूल्य या कीमत पर | बिखम-देखो 'विसम'।
बिकना, बेचा जाना । २ बिक्री होना । ३ दास या गुलाम | बिखमी-देखो 'विखमी' । होना। ४. प्रात्म-समर्पण करना। ५ स्वीकार करना, | बिखरणो (बी)-क्रि० [सं० विकरणम्] १ किसी पदार्थ के कण मानना । ६ अधिकार में जाना । ७ उचित समझना ।
या रेशे इधर-उधर फैलना, छितरना, पसरना । २ एकत्र ८ गिनना ।
या संगठित हुए का अलग-अलग हो जाना। ३ लिखावट बिकरंद-देखो 'विकरंद'।
या अंकन का मिटना, अलोप होना। ४ अव्यवस्थित होना, बिकरतन-पु० [सं० विकर्तन] सूर्य, भानु ।
अस्त-व्यस्त होना । ५ नष्ट होना, ध्वस्त होना । ६ सोजन, बिकरम-१ देखो 'विक्रमादित्य' । २ देखो 'विक्रम'।
शोथ या वर्म का मिटना । ७ प्रकाशित या विज्ञापित होना।
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बिखराणी
( २१५ )
बिगोई
८ ढह जाना, मिटना। विसर्जन होना। १० खुलना, | बिगड़ायल, बिगड़ल-वि० १ वर्ण संकर । २ पथ-भ्रष्ट । बद उधड़ना।
चलन । ३ उद्दण्ड, बदमाश । ४ चुगलखोर । ५ ऋद्ध, बिखराणो (बी), बिखरावरणौ (बो)-क्रि० १ किसी पदार्थ के | बिफरा हुमा।
कण या रेशों को इधर-उधर फैलाना, छितराना, पसराना। | बिगड़ो-वि० [सं० द्वि-गुणित] (स्त्री० बिगड़ी) १ दुगुना । २ एकत्र या संगठित हुए को अलग-अलग कराना। | २ दो। -पु० दो की संख्या। ३ लिखावट या अंकन को मिटाना, अलोप कराना । बिगत-देखो 'विगत' । -वार='बिगतवार' ४ अव्यवस्थित या अस्त-व्यस्त कराना। ५ नष्ट कराना, | बिगतापो (बी)-देखो 'विगतारणो' (बो) । ध्वस्त कराना। ६ सोजन, शोथ या वर्म मिटाना । |बिगताळ, बिगताळू-देखो 'विगताळू' । ७ प्रकाशित या विज्ञापित कराना । ८ ढहाना, मिटाना। बिगतावरणो (बी)-देखो 'विगतारणो' (बी)।
९ विसर्जन कराना । १० खुलवाना, उधड़वाना। बिगन-देखो 'विघ्न' । बिखसूचक-पु. चकोर।
बिगनांम-देखो 'विग्यांन' ।
बिगर, बिगरि-देखो 'बगैर'। बिखहर-१ देखो 'विसधर'। २ देखो 'विसहर'।
बिगल-देखो 'बिगुल'। बिखहा-पु० [सं० विष-हन्] गरुड़।
बिगसणौ (बौ)-देखो विकसरणी' (बी)। बिखाद-देखो 'विसाद'।
बिगसारणी (बी), बिगसावरणौ (बौ)-देखो 'विकसाणी' (बो)। बिखेर-स्त्री० पैसे आदि उछालने की क्रिया, शव पर पैसे बिगाड़-पु. १ बिगड़ने की क्रिया या भाव । २ ऐब, खराबी । उछालने की क्रिया ।
३ वैमनस्य, शत्रता । ४ बुराई, अपकार, अहित। ५ हानि बिखेरणी (बी)-क्रि० [सं० विकीर्णक] १ किसी वस्तु के रेशों |
नुकसान । ६ संहार, नाश । ७ विकृति, विकार।। या करणों को इधर-उधर फैलाना, छितराना, पसराना । विगाड़णी (बी), बिगारणौ (बौ)-क्रि० [सं०विकार] १ किसी २ एकत्र या संगठित का अलग-अलग होना, यत्र-तत्र होना।। वस्तु के रूप गुण आदि विकृत करना । २ निर्माण या ३ अव्यवस्थित या अस्त-व्यस्त करना। ४ नष्ट करना,
बनावट में दोष या ऐब रख देना । ३ दुर्दशा करना, खराबी ध्वस्त करना । ५ भंग करना, विसर्जन करना । ६ सोजन,
करना । ४ मन-मुटाव करना, तनाव बढ़ाना। मतभेद शोथ या वर्म मिटाना । ७ खोलना, उधेड़ना । ८ लिखावट
बढ़ाना। ५ कुलीनता मिटाना, कुल गौरव नष्ट करना, या अंकन मिटाना । ९ प्रकाशन या विज्ञापन करना ।
वर्ण संकर करना । ६ प्राचरण, प्रकृति या स्वभाव १० ढहाना, मिटाना।
खराब करना । ७ नाराज करना, क्रुद्ध करना। गुस्से में बिखेराणी (बौ)-देखो 'बिखराणो' (बौ)।
करना । ८ पथ-भ्रष्ट करना, बदचलन करना । ९ सतीत्व
या शील नष्ट करना । १० पतन करना, बरबाद करना, बिखै-देखो 'विसय'।
ह्रास करना । ११ नष्ट करना । १२ प्रतिष्ठा में हानि बिखोरणी (बी)-देखो 'बिखेरणौ' (बी)।
पहुंचाना, बेइज्जती करना । १३ काव्य रचना में दोष बिखो-देखो 'विखो' ।
रखना। १४ हानि करना । १५ व्यर्थ खर्च करना । बिगड़णो (बौ)-क्रि० [सं० विकरण] १ किसी वस्तु का, रूप |
१६ लड़ाई करना, झगड़ा करना । १७ विपरीत या विरुद्ध गुण, स्वभाव की दृष्टि से विकृत होना । २ निर्माण क्रिया
करना। १८ व्यवस्था खराब करना । १६ गुमराह करना, में त्रुटि रह जाने से कोई वस्तु ठीक न बनना । ३ खराब
कुमार्ग पर डालना । २० दूषित या गंदा करना । दशा या अवस्था में पाना, विकृत होना। ४ परस्पर बिगास-देखो 'विकास' । संबंध खराब होना, तनाव होना । ५ आचरण, स्वभाव
बिगासणी (बौ)-देखो 'विका सरणी' (बी)। या प्रकृति में विकार पाना । ६ नाराज, ऋद्ध या गुस्से. में
बिगुण, बिगुणो-वि० [सं० द्वि-गुरिणत] दुगुना । होना । ७ कुलीनता मिटना, कुल गौरव नष्ट होना । ८ उद्दण्ड या अनियंत्रित होना । ९ पथ भ्रष्ट होना, बद
बिगुल-स्त्री० १ एक प्रकार की तुरही। २ उक्त तुरही का
. शब्द । चलन होना । १० पतन होना, ह्रास होना । ११ नष्ट होना । १२ प्रतिष्ठा घटना। १३ काव्य संबधी दोष पाना। बिगूचरणी (बी)-क्रि० [सं० विकोचनम्] १ निदित होना, १४ हानि या नुकसान होना । १५ व्यर्थ खर्च होना । बदनाम होना । २ दुःखी होना, संतप्त होना। १६ लड़ाई होना । १७ विपरीत होना, विरुद्ध होना। बिगोई बिगोई-वि० १ चुगलखोर । २ निंदक ।
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गोचण
बिगाहा स्त्री० भार्या छन्द का एक भेद्र ।
बिग्यान - देखो 'विग्यान' ।
बिगो (ब) - क्रि० [सं० विकोचनम् ] १ निंदा या अपकीर्ति करना । २ दुःखी या संतप्त करना, श्रस्त करना । गोणी (ब), बिगोवणी (बो) - देखो 'किगोणी ? (बो) । बि० वर्ष का प
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विग्रह - देखो 'विग्रह' |
बिघड़ियों - १ देखो- 'बेड़ो' । २ देखो 'दुगड़ियो' । विधन, विनदेखो 'विघ्न' कारी-'विधकारी' - हरण (न) = ' विघ्नहरण' ।
1
-
( २१५ )
ब्रिड-स्त्री० झाड़ी या झुरमुट का भूमि स्पर्श भाग । वि० [सं० वृद्धि] १ विवाह आदि मांगलिक
कार्य: । २ मांगलिक कार्य के समय बनाया जाने वाला मिष्ठान । ३ इस मिष्ठान का गणेश को चढ़ाया जाने
वाला भाग ।
|
बिबड़ी स्त्री० [सं०] वृद्धिटिका ] विवाह के प्रारंभ में मातृका पूजन के समय बनाई जाने वाली वाटिका, मुगोड़ी। बड़वारणी (दो), बिड़दावरणौ (बी) - देखो 'विरुदावरण' (बो) । बिड़ली - पु० [देश०] १ संबंध या सगाई के लिये आने वाला श्रीफल मादि २ मिट्टी के पात्र में उगाया जाने वाला पौधा ३ देखो 'बोड़ो' ।
चिकल पु० [सं० विचकितः] एक प्रकार की मल्लिका या चमेली, मदनक |
विचच्छरण- देखो 'विचक्षण' ।
विचारणी (बो) - देखो 'विचारणी' (बो) | fernia (air ) - देखो 'विचारवान' ।
बिचारी देवो बेचारों' ।
-
बिचरणौ (बो-देखो 'विचरणों' (बो)। विळी (बी) देखो 'विपळण' (यो) ।
विळा (बी), बिचळावली (बो-देखो विचाणों (ब)। बिचल वि० [स्त्री० [बिवली) १ बीच में रहने वाला, मध्यस्थ ।
२ मध्यस्था करने वाला । ३ मध्यम श्रेणी का । ४ मध्यम प्राकार का बासी पु० शव यात्रा में मार्ग में ठहरने का
स्थान ।
faar - देखो 'बीच' ।
विचार-देखो 'विचार' ।
बिड़ाळ - देखो 'बिडाळ' ।
बिड़ोतरसौ - वि० [सं० द्वयुं तर शतम्] एक सौ दो पु० एक बिछात्रो देखो 'बिछोह' ।
सौ दो की संख्या, १०२ ।
बिड़ो-१ देखो 'वि' २ देखो 'बीडी'।
बिड़ोजा - देखो 'विडूजा' ।
बिच देखो 'बीच' ।
बिचाळ, विचाळी, विचाळे - देखो 'बिच' ।. बिचि -१ देखो 'बीच' । २ देखो 'विचिः । विचित्र-देखो 'विचित्र' ।
विचित्रता देखो 'विचित्रता' ।
।
विचिन-वि० चतुर, होशियार बिचियो देखो 'बयो' ।
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}
बिचेटियो - वि० १ मध्य का, बीच वाला । २ मंझला । विकि०वि० १ बीच में या मध्य में २ तुलना में मुकाब में । ३ अन्दर में, भीतर में। ४ दरम्यान । fast, frog, बिच्छू, बिच्छूड़ी बिच्छ्रौ पु० [सं० वृश्चिक ] १ प्रति विषैला एक जीव जिसके पूंछ में डंक होता है । २ एक प्रकार की घास । ३ काकतुरंडी का पौधा व उसका फल । ४ स्त्रियों के पैरों का एक प्राभूषण विशेष । बिछड़ो (बी) - १ देखो 'बिछुड़णी' (बी) : २ देखो! 'बिछूटणी' (बी) । बिछड़ाणी (बो), बिछावणी (बी) देखो 'बिहाणी' (बी) - बिछौ (बौ) - क्रि० [सं० विस्तरणम् ] १ बिछौने की तरह धरातल या किसी आधार पर फैलना । २ यत्र-तत्र फैलना,. बिखरना । ३ युद्ध स्थल में लाशों का पड़ना ।
बिछवी ५० १ महावत के अंगूठे में पहनने का उपकरण ।. २ देखो 'बियो'
बिछाइत - देखो 'बिछायत' ।
बिठुमके
बिछाणी - पु० [सं० विस्तरणं] दरी, गद्दा, चादर प्रादि साधन, बिस्तर, बिछौना ।
बिछारपौ (बो)- क्रि० [सं० विस्तरणम् ] १ विस्तर फैलाना, बिछाना । २ यत्र-तत्र बिखेरना, छितराना । ३ युद्ध स्थल में लाशों का ढेर लगा देना ।
बिछात, बिछायत स्त्री० [सं० विस्तर ] १ बिछाने का कार्य है.
२ दरी, गद्दा प्रादि बिछा कर की गई तैयारी । ३ बिछौना,. बिस्तर । ४ विशेष समारोह के लिये की गई तैयारी । बिछावण, बिछावरणौ - देखो 'बिखाणी' | बिछावणी (बौ) - देखो 'बिछाणी' (बो) ।
बिछियो - पु० [सं० विच्छ] १ स्त्रियों के पैरों का एक आभूषण विशेष २ देखो 'बच्चों'।
बिछुड़ - स्त्री० [सं० विच्छेदन] १ बिछुड़ने की क्रिया या भाव। . २ वियोग, जुदाई ।
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बिछुड़ी (बौ) - क्रि० [सं० विच्छेदनम् ] १ साथ रहने वालों का अलग-अलग होना, पृथक-पृथक होना २ वियोग या जुदाई, होना । ३ भटक जाना, भूल में पड़ना । ४ साथी से अलग रह जाना साथ छूट जाना ।
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बिछुडाणी
(
२१७ ).
बिटिया
बिछुड़ारणो (बी), बिछुड़ावणी (बी)-क्रि० [सं० विच्छेदनम्] बिजळसार-पु० [सं० विद्युत-सार] उत्तम श्रेणी का लोहा
१ एक साथ रहने वालों को अलग करना, जुदा करना। विशेष । २ वियोग या जुदाई की स्थिति में रखना या करना। बिजळा-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी'। ३ भटका देना, भ्रमित करना। ४ साथी से अलग करना, |बिजळी-देखो 'बीजळी' । साथ छुड़ा देना।
बिजलोटन-स्त्री० एक प्रकार की विलायती बन्दूक । बिछुटणी (बो)-१ देखो 'बिछुड़णो' (बो)। २ देखो बिछूटणो' बिजाई-देखो 'विजाई'। (बी)।
बिजाणी (बी)-क्रि० बीज बोवाना, बोवाई कराना। बिछुटाणो (बी)-१ देखो 'बिछुड़ारणो' (बौ) । २ देखो बिजाति-देखो 'विजाति'। बिछूटाणो' (बी)।
बिजायठ-पु० बांह पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । बिछुरणो (बो)-देखो 'बिछुड़णी' (बौ)।
बिजावरणौ (बी)-देखो 'बिजाणी' (बी)। बिदरी-स्त्री. विषतुइया, छिपकली।
बिजु-देखो 'बिज्जू'। बिछूटरपो (बो)-क्रि० १ कटकर दूर होना। २ मुक्त होना। बिजुरांणी-स्त्री० [सं० विद्युत-राजी विद्यत, बिजली।
३ शेष रहना । ४ समाप्त होना, मिटना। ५ चल पड़ना। बिजुजळ, बिजूझळ-देखो 'बीजूझळ' । ६ अलग या दूर होना। ७ छूट पड़ना, गिरना । ८ देखो | बिजेत-देखो 'विजेत' । "बिछुड़णो' (बी)।
बिज-देखो 'विजय'। बिछूटाणो (बी)-क्रि० [सं० विछूटणौ] १ काट कर दूर | बिजमंड-देखो 'विजमंड' ।
करवाना । २ छुड़वाना, मुक्त करवाना । ३ शेष रखवाना । | बिसार-देखो 'विजयसार' । ४ समाप्त करवाना, मिटवाना। ५ चलवाना । ६ अलग | बिजोग-क्रि०वि० १ लिये, निमित्त, हेतु । २ देखो 'वियोग' । हटवाना, दूर करवाना । ७ छूटवाना, गिरवाना । ८ देखो | बिजोगिय, बिजोगी-देखो 'वियोगी' ।
'बिछुड़ाणों (बी) । ६ देखो 'छूटाणो' (बी)। बिजोरी, बिजोरो-पु. १ मध्यम प्राकार का, नींबू की जाति बिछूटो-वि० (स्त्री० बिछूटी)मुक्त, खुला हुआ, फेंका हुमा । का एक वृक्ष विशेष । २ उक्त वृक्षका फल । ३ मिट्टी का बिछेद-देखो 'विच्छेद'।
एक पात्र विशेष । बिछेवी, बिछवी-देखो 'विछोह'।
बिज्ज, बिज्जड़-१ देखो 'बीजळी' । २ देखो 'बीजळा' । बिछोड़सौ (बी), बिछोडारणी (बो), बिछोड़ावरणी (बी)-देखो बिज्जरण-स्त्री० पंखे से हवा करने का कार्य या ढंग । ___ बिछुड़ारणो' (बी)।
बिज्जु, बिज्जू-पु० १ एक प्रकार का छोटा जानवर । २ बिल्ली बिछोव, बिछोवो, बिछोह-देखो 'विछोह' ।
के प्राकार का एक अन्य जानवर विशेष । बिछोहणी (बो)-देखो 'विछोहणो' (बो)।
बिझड़-देखो 'बीजळा'। बिछोहो-देखो विछोह।
बिझासणियां-स्त्री० कुछ लोक देवियों का समूह । बिज-१ देखो 'बीज' । २ देखो 'बीजळी' ।
बिटब-वि० लम्पट, बदमाश, दुष्ट । बिजकरणौ (बौ)-देखो 'भिचकणी' (बी)।
बिटबरण-पु० छल, धोखा, विडंबना । बिजकारणी (बी), बिजकावणी (बौ)-देखो 'भिचकारणो' (बो)। विटंबणी (बी)-क्रि० १ घूमना, विचरण करना। २ भ्रमित बिजक्क, बिजड़, बिजड़ली-देखो 'बीजळा' ।
होना, भटकना । बिजड़ाहय (हथी, हयो)-देखो 'बीजळाथ'।
बिट-१ देखो 'विट'। २ देखो 'वींट'। बिजड़ी, बिजड़ो-देखो 'बीजळा'।
बिटकरणी-देखो 'वीटरणो'। बिजणी-देखो 'बींजणो' ।
बिटचार-देखो "विटचर' । बिजन-देखो "विजन'।
बिटप-देखो "विटप' । बिजय-देखो 'विजय' । -घंट='विजयघंट' । -सार= बिटळ -देखो 'विटळ । "विजयसार'।
बिटळरणी (बौ)-देखो 'विटळणी' (बी) । बिजया-देखो 'विजया'। -दसमी-='विजयादसमी'। बिटळी-स्त्री० चोटी, शिखर । बिजळ, बिजलड़ी-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी'। बिटळो-देखो 'विटळ' । (स्त्री० बिटळी) बिजळणी (बो)-क्रि० १ चकाचौंध होना, चौंधिया जाना। बिटाणौ (बौ)-देखो 'बठाणी' (बी)। २ भौंचक्का होना, हक्का-बक्का होना।
बिटिया-देखो बेटी'।
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बिट्टी
। २१८ )
विदवा
बिट्रो-वि० (स्त्री० बिट्टी) १ दो तह या परत वाला। २ देखो बिणठ्ठरणौ (बी)-क्रि० [सं० विनष्टनम्] १ प्राण निकलना, 'बपटो'।
__मरना । २ विनष्ट होना, नष्ट होना । बिट्ठळ-देखो 'विदुळ'।
बिरणरणी (बौ)-देखो "बिणणो' (बी)। बिठरणौ (बौ)-देखो 'बैठणो' (बी)।
बिरणसणी (बी)-देखो 'विणसरणी' (बी)। विठाणो (बो)-देखो 'बैठाणी' (बो)।
बिसील-वि० [सं० विन-शील] दुश्चरित्र । -पु० दुःख। बिठोरणी (बी)-क्रि० भुजाएं ठोकना, चुनौती देना।
बिरगाव-देखो 'बणाव'। विडब-देखो "विडंब'।
बिरपास-देखो 'विनास' । बिडंबक-देखो 'विडंबक'।
बिरणासरणी (बी)-देखो 'विरणासणी' (बी)। बिडबरण-पु. धोखा, कपट, छन ।
बिणियांणी-देखो 'वणियांणी' । बिडबना-देखो 'विडंबना'।
बिशु-देखो 'बिना। बिड-१ देखो 'बिड़' । २ देखो 'विट' ।
बिरगोकड़ी-देखो 'विणोकड़ी' । बिडवाणी (बी), बिडदावणी (बी)-देखो "विरुदाणी' (बो)। बितंड-देखो 'वितंड'। बिडरसो (बौ)-देखो विडरणो' (बी)।
बित-देखो 'वित्त'। बिडराणौ (बी), बिडरावणी (बी)-देखो "विडराणो' (बौ)। | बितय-देखो 'वितथ'। बिडरी-देखो 'विडरी'।
बितरण-देखो 'वितरण'। बिडरूप-देखो 'विडरूप'।
बितरणोपी)-देखो 'वितरणो' (बी)। बिडरूपी-देखो 'विहरूपी'।
बितांन-देखो 'वितांन'। बिडळो-१ देखो 'बीडो' । २ देखो 'बिड़लो'।
बिताणी (बी), बितावरणौ (बी)-क्रि०१ समय गुजारना, व्यतीत बिडलो-पु. १ ममला, पौधा । २ देखो 'बीड़ो' ।
करना । २ घटित करना । ३ समाप्त या नष्ट करना। बिडाणी-देखो 'विरांणो'।
४ बेकार करना। बिडारणो (बो)-देखो "विडारणो' (बी)।
बितिहोतर (होत्र)-देखो 'वीतिहोत्र' । बिडाळ-पु. [सं० बिडाल] (स्त्री० बिडाळी) १ बिल्ली । बितीत-देखो 'व्यतीत' ।
२ वन बिलाव । ३ दोहे का बीसवां भेद । ४ मांख का बितीतरणौ (बी)-क्रि० [सं० व्यतीत] १ समय गुजरना, व्यतीत डेला । ५ प्रांखों की चिकित्सा विशेष ।
होना । २ घटित होना । ३ बेकार होना, उपयोगहीन बिडूजा, बिडोजा-देखो "विडूजा'। -बाह-'विजावाह। होना । ४ समाप्त होना, नष्ट होना। बिदरण-देखो 'विढ़ण'।
| बिड-देखो 'वितंड' । बिदरणी (बौ)-देखो 'विढ़णो' (बी)।
| बित्त-देखो 'वित्त'। बिढ़ाळ-देखो बेढ़ाळ'।
बित्थरणौ (बी)-देखो "विस्तरणो' (बौ)। बिहू-पु० बहेड़े का वृक्ष या फल ।
बित्थीररण-देखो 'विस्तीरण' । बिठूरणी, बिढ़ोयो-वि० १ युद्ध का, युद्ध संबंधी । २ वीर रस | बिथरणी (बौ)-देखो 'विस्तरणो' (बी)। पूर्ण।
बिया-देखो 'व्यथा'। बिढ़ौ-पु० [सं० बिभित कम्] बहेड़ा नामक वृक्ष या इसका फल । | बिथार-देखो 'विस्तार' । विणंगरणी-देखो 'बिरणगणी'।
बिथारणो (बो)-देखो 'विस्तारणो' (बी)। बिरण-१ देखो बिना' । २ देखो 'वण'।
बिथित-देखो व्यथित' । बिरगरणी-स्त्री० बैलगाड़ी के अग्रभाग में लटकने वाली लकड़ी । बिथुरणौ (बो)-देखो 'विस्तरणी' (बौ)। बिणज-१ देखो 'विरज' । २ देखो 'वाणिज्य'।
बियु भियो-पु० [सं० द्वि-स्तूप] दो कोहान वाला ऊंट । बिरगजरो 'बो)-देखो 'विरजणी' (बी)।
बिदमांन-देखो 'विद्यमान'। बिणजार-पु०१अच्छी नस्लका बैल या सांड।२ देखो बिणजारौं'। बिणजारा-स्त्री. बैलों पर सामान लाद कर देशांतर में व्यापार
बिदरंग-देखो 'बदरंग'। करने वाली जाति।
बिदर-स्त्री०१ तांबे व जस्ते के संयोग से बनी धातु विशेष । बिणजारी-पु० [सं० वाणिज्यकर (स्त्री०बणजारण बणजारी) ! २ देखो 'विदुर' । ३ देखो 'विदरम' । १ उक्त जाति का व्यक्ति। २ सौदागर ।
बिदवा देखो 'विधवा'।
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बिदाम
विबहार
बिदाम-पु. १ सोने-चांदी के आभूषणों पर खुदाई करने का बिनज-१ देखो 'बिरणज' । २ देखो 'वाणिज्य' ।
एक औजार । २ जिसका दाम या मूल्य न हो, मूल्य | बिनतासुत-देखो 'विनतासुत' । रहित । ३ देखो 'बादाम'।
बिनती-देखो "विनती'। बिदामी-देखो 'बादामी'।
बिनवणी (बो)-देखो 'विनवणी' (बी)। बिदा-देखो 'विदा'।
बिनसणौ (बौ)-देखो "विनसणो' (बी)। बिदाइ, बिदाई-देखो 'विदाई'।
बिनसारणौ (बी), बिनसावणो (बी)-देखो 'विनसाणी' (बी)। बिदारक-देखो 'विदारक'।
बिना-देखो 'बिना'। बिदारणौ (बी)-देखो 'विदारणों' (बो)।
बिनाण-देखो 'विनांण'। बिदारीकंद-देखो "विदारीकंद'।
बिनाणी-देखो "विनांणी'। बिदित-देखो 'विदित'।
बिना-प्रव्य० [सं० विना] १ न होने या रहने की स्थिति । बिदिया-देखो 'विद्या'।
२ रहित, बगैर । ३ अतिरिक्त, सिवाय, छोड़कर। बिदिसा, बिदिसा-देखो "विदिसा'।
बिनादी-वि० आदि रहित, अनादि । बिदीरण-देखो 'विदीरण'।
बिनायक-देखो "विनायक' । बिदुळ-स्त्री० एक प्रकार की लचीली लकड़ी।
बिनास-देखो 'विनास' । . बिदूखरणो (बौ), विदूसरणी (बौ)-देखो 'विदूसणी' (बौ)। बिनासपो-देखो "विनासणों'। बिदेस-देखो 'विदेस'।
बिनिंदनीय-वि०१ बुरा । २ निदा करने योग्य । बिदेही-स्त्री०१ राम स्नेही साधुओं की एक शाखा व इस शाखा बिनि-देखो "बिना'। का व्यक्ति । २ देखो 'विदेही' ।
बिनीत-देखो विनीत'। बिदोस-पु० [सं० वि-दोष] दोष, अवगुण, बुराई ।
बिने, बिन-वि० दोनों। -पु० १ दो की संख्या । २ देखो बिद्ध-१ देखो 'विधि' । २ देखो 'विध' । ३ देखो 'बद्ध'।
'बिना'। बिद्या-देखो 'विद्या' ।
बिनोटा-पु. दूल्हे या दुल्हिन की जूती। बिद्रमो-देखो 'विद्रु मी'।
बिन्नोट-पु. एक प्रकार का शस्त्र । बिद्रावण -पु०१ पलायण, प्रस्थान । २ भाग-दौड़ ।
बिन्हां, बिन्हें, बिन्है-१ देखो 'बिनै'। २ देखो 'बिना। बिधसणी (बी)-देखो विधूसरणौ' (बौ)।
बिपक्ख, बिपच्छ-देखो 'विपक्ष' । बिध-१ देखो 'विध' । २ देखो 'विधि'।
बिपच्छी-देखो विपक्षी'। बिधना-देखो 'विधना'।
बिपणक-देखो 'विपणक' । बिधवा-देखो 'विधवा' ---परण, परा, पणौ='विधवापरणों' । बिपरणी-देखो विपणी' । बिधाण-देखो 'विधांन' ।
बिपत, बिपता, बिपति, बिपती, बिपत्त, विपत्ति-देखो 'विपत्ति'। विधारणों (बी)-देखो 'वदाणी' (बी)।
बिपद, बिपदा-देखो 'विपदा'। बिधाता-देखो 'विधाता'।
विपर-देखो 'विप्र'। बिधि-देखो 'विधि'।
बिपरघास-पु० [सं० विपर्यास] प्रदल-बदल, परिवर्तन । बिधु-देखो 'विधु'।
बिपरोत-देखो 'विपरीत'। बिधुर-देखो 'विधुर'।
बिपुळा-देखो 'विपुळा' बिधू सण-देखो 'विधूसण' ।
बिपुहरीयो-देखो 'दोपारियो' । बिधू सरणौ (बौ)-देखो 'विधूसणी' (बो)।
बिष्फरणौ (बौ)-देखो "विफरणों (बौ)। बिधूसण-देखो 'विधू सण'।
बिप्र-देखो 'विप्र'। बिधूसणौ (बो)-देखो 'विधूसो ' (बी)।
बिफरणौ (बौ)-देखो 'विफ़रणौ (बी)। विधेय-देखो 'विधेय' ।
बिफळ-देखो 'विफळ' । बिध्वंस-देखो :विध्वंस'।
बिबरण-देखो 'विवरण' । बिन-देखो 'बिना'।
बिबरौ-पु० १ भेद, रहस्य, जानकारी । २ ज्ञान, इल्म । बिनउलौ-देखो 'बंदोळो' ।
बिबस-देखो "विवस' । बिनड़णो (बो)-देखो 'विनड़णो' (बी) ।
| बिबहार-देखो 'व्यवहार' ।
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विवाह
( २२० )
बिरती
बिबाह-देखो विवाह। बिबाहरण-देखो 'व्याण'। बिबाहरणो (बौ)-देखो 'विवाहणो' (बी)। बिबाहिणि (रणी)-देखो 'व्याण' । विबाही-१ देखो 'ब्याई'। २ देखो 'बिवाई'। बिबुध-देखो 'विबुध'। बिबुधालय-देखो "विबुधालय'। बिबुधेस-देखो "विबुधेस'। बिबेक-देखो 'विवेक'। बिब्बड़-देखो 'वरवड़ी। बिब्बर-देखो 'विवर' । विभंजण-देखो 'विभंजण' । बिमंजणी (को)-देखो 'विभंजणी' (बौ), बिभचार-देखो 'व्यभिचार' बिभळ-देखो "विभळ'। बिमव-देखो 'वैभव'। बिभा-देखो 'विभा'। बिमाकर-देखो “विभाकार'। बिभाग-देखो 'विभाग'। विभागी-देखो 'विभामी' । विमाड़णी (बौ)-देखो 'विभाड़णो' (बौ). विभावरी-देखो 'विभावरी'। विभावसू-देखो 'विभावसू । विभीषण, विभीसण-देखो 'विभीसण' । बिभु, बिभू-देखो 'विभू'। विभूत, बिभूति-देखो 'विभूति' बिभूसा-देखो 'विभूसा'। विभेवरण-देखो 'विभेदण' । बिभौ-१ देखो 'वैभव' । २ देखो 'भभो'। विमळ-देखो 'विह्वल'। बिमराउ, बिमणो-देखो 'दूरणो' । बिमन, बिमनौ-देखो "विमन'। बिमर-वि० १ जबरदस्त । २ देखो विवर' । बिमळ-देखो 'विमळ'। बिमहो-देखो 'विमुहो'। बिमाण-देखो 'दिमाग' । बिमाणग-देखो 'विमाणस' । बिमांणण, बिमान-देखो 'विमांगण', बिमां, बिमाह-देखो 'विवाह'। बिमुद्र-देखो 'विमुद्र'। बिमुहो-देखो 'विमुहो' । बिमेक-देखो 'विवेक'।
बिमोहरणो (बो)-देखो 'विमोहणो' (बी)। बिम्मर-देखो 'विवर'। बिय-वि० [सं० द्वि] १ दो। २ युग्म, जोड़ा। ३ दूसरा, द्वितीय।
४ अन्य, दूसरा, और । ५ देखो 'बीज' । बियत-देखो 'वियत'। बियांन-पु० १ निर्जन, सूना । २ देखो 'विमान' । बियाप-पु० [सं० व्याप्त] १ साधन, सामग्री । २ व्याप्त । बियापक-देखो 'व्यापक'। बियापणो (बी)-देखो 'व्यापणो' (बौ)। बियापी-देखो 'व्यापी'। बियाळको-वि० [सं० भय-पालुच-क] (स्त्री०बियाळकी) १ डर
पोक, कायर । भयभीत, डरा हुआ । २ उपद्रवी, दुष्ट ।
-पु० [सं० व्यालक] दुष्ट हाथी। बियाव. बियाह-देखो 'विवाह' । बिये, बिय-सर्व० उस। बियोग-देखो 'वियोग' । बियोगी-देखो 'वियोगी'। बियोबारमौं-पु० वर-कन्या संबंधी एक अशुभ-फल (ज्योतिष)। बियो-देखो 'दूजौ'। बिरंग-देखो 'विरंग'। बिरंगौ-देखो 'विरंगी'। बिरंच, बिरंचिय, बिरंची-देखो “विरंची' ।-नाथ-'विरंचिनाथ' बिरंज-पु. १ एक प्रकार का मांस । २ देखो "विणज' । बिरंडी-देखो भिंडी। बिरंडो-वि० १ दृढ़, अटल, अडिग । २ देखो 'वरंडो' । बिरकत-देखो 'विरक्त । बिरक्ख-देखो 'क्ष'। बिरक्खा-देखो 'वरसा'। बिरख-देखो 'वक्ष'। बिरखा-देखो 'बरसा'। -कर, करण-'वरसाकरण'
-रत, रितु='वरसारितु'। बिरगत-देखो 'विरक्त'। बिरचणी (बी), बिरच्चरणी (बो)-देखो 'विरचरणो' (बी)। बिरछ-देखो 'वृक्ष'। बिरज-देखो 'वज'। बिरजा-देखो 'विरजा'। बिरजानंद-पु. स्वामी दयानन्द सरस्वती के गुरु का नाम । बिरतंत, बिरतांत-देखो 'व्रतांत'। बिरति, बिरती-देखो 'वति'। बिरतेसर, बिरतेसरी, बिरतेस्वरी-देखो "विरतेस्वरी'। बिरतो (तो)-वि० [सं० वि-रक्त] (स्त्री० बिरत्ती) क्रोध पूर्ण
लाल चेहरे वाला।
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विरथ
बिर-१ देखो 'व्यरथ' । २ देखो 'विरथ' ।
विश्वा-देखो 'प्रथा' ।
बिरद - देखो 'विरुद |
बिरयानी (बी) देखो 'विदा' (बो) बिरवाधिपति-देखो 'विरुदपति' विश्वाय देखो 'विदायक'।
बिरदाळ, बिरवाळा- देखो 'विरुदाळी' ।
बिरदि- देखो 'विरुद' ।
बिश्वेत विरदंत-देखो 'विस्वत' । बिरद्द - देखो 'विरुद' ।
बिरध-देखो 'वद्ध' ।
विरधाई, विरधापस (सौ) - देखो 'पता'
बिरमचारी देखो 'ब्रह्मचारी' ।
रिमांड देखो ब्रह्मांड
बिरमा - देखो 'ब्रह्मा' ।
बिरयां-१ देखो 'बेळा' । २ देखो "बिरिया' ।
का पौधा. बूट ।
बिरस, विरसन पु० जहर, विष
बिरह देखो 'विरह'।
बिरहानळ देवरे 'विरहानळ' |
बिरही देखो 'विरही' ।
बिरांशी- देखो 'बिरांणों'
-
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( २२१ )
बिरळी- देखो 'विरळौ' । (स्त्री० विरळी)
faral पु० [सं० विपक] १ वृक्ष पेड़ २ पौधा ३ पने विरोधी देखो 'विरोधी' ।
विराम देवो ब्राह्मण' ।
बिरामी - वि० १ प्रशान्त, व्याकुल । २ देखो 'ब्राह्मी' | बिराई (ब) दूषित जल पीने से पशु का पेट फूलना। विराग देखो 'वैराग्य' २ देखो 'विराय'।
बिराजो (बी) - देखो 'विराजणी' (बी) | बिराट - १ देखो 'वैराट' । २ देखो 'विराठ' । विरावर पु० [सं० भ्रातुक] १ भाई, भ्राता । २ स्वाजातीय
बंधु । ३ कुटुम्बी |
बिरादरी स्त्री० [सं० भ्रातुकी १ जाति२ वर्ग ३ याति । विराध- देखो 'विराध' ।
रावी (बी) देखो 'रिबी (बी)।
बिरिख, विरि-देखो 'दक्ष' ।
विश्व विरिदि-देखो 'विरुद' पति विश्वपति' | विधि-देखो 'वज्र' |
विराधवीर देखो 'विराधिवीर'। बिराळी - स्त्री० १ जीरे की तरह के दाने वाला एक पदार्थ । २ इस पदार्थ का पौधा । ३ हाथ की अंगुली में होने वाला एक फोड़ा ।
विरियां, विरिया, विरीया ५० १ एक प्रकार का पकाया हुमा मांस । २ भीग कर फूले हुए मोठ । ३ देखो 'बेळा' ।
बिरुद - १ देखो 'विरुद' । २ देखो 'विरुद्ध' । पत, पति'विरुदपति' ।
fort (ब) - देखो 'विरुदाणी' (बी) | विश्वाळ (a) देखो 'बिरुदाळी'। बिरुदावली-देखो 'विरुदावळी' ।
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बिरवंत - देखो 'विरुदैत' । बिरुद्ध, बिरुध - देखो 'विरुद्ध' । विभो (बी) देखो 'विरुभी' (बी)।
fat (बी) वि० जोशपूर्ण, वीररस पूर्ण ।
बिरुतौ, बिरूथ-१ देखो 'वरूथ' । २ देखो 'वरूथी' बिरुचरण, विरुचली बिरुपनी देखो 'वरूपणी' । बिषौ देखी 'बस्पो' ।
बिरोचन - देखो 'विरोचन' ।
विरोध देखी 'विरोध' ।
बिरोधी (ब) - देखो ' विरोधरणी' (बो) ।
विरोबट, बिरोबठ, बिरोबर देखो 'बराबर । बिरोबरी-देखो 'बराबरी'
बिरोळी (बी) - देखो 'वरोळणी' (बी) । विशेवटी देखो 'बराबरी' |
बिरोबर - देखो ' बराबर' |
बिरोबरी-देखो 'बराबरी' । बिरोळी (बी) देखो 'विरोळी' (वो) | बिलंगरणी - स्त्री० छोटी खाट । विलंद १ देखी 'विलंद' २ देखो 'बुलंद' बिलंब देखो 'विलंब |
fire
बिबरण (ब) - देखो 'विलंबरणी' (बौ) । बिल पु० [सं०] १, सुराख २ भूमि में बना वियर जिसमें सर्प हे आदि रहते हैं । ३ निकास मुहाना ४ गड्डा, ग
"
।
1
५ गुफा, कंदरा ६ इन्द्र के घोड़े उच्चैश्रवस् का नाम । ७ किसी कानून की पांडुलिपि विधेयक ९ किसी वस्तु की कीमत आदि के विवरण वाला पत्र | १० वेतन, चुकारे आदि के विवरण वाला पत्रक
1
बिलकुल - वि० [अ०] १ सम्पूर्ण, सब कुल । २ निरा, नितांत । - क्रि० वि० १ निश्चय ही । २ हर तरह से, सब तरह से सर्वथा । ३ पूर्ण तौर से ।
fazgant (at)tut 'fasgzul' (1)
"
बिनौली-देखो दिलों (स्त्री० लिखी।
बिलख बिलख देखो 'विनय'।
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बिलखणी
। २२२ )
बिल्लोर
बिलखणौ-देखो 'विलखणौ'।
बिलाप-देखो 'विलाप'। बिलखणौ (बौ)-देखो 'विलखणी' (बी)।
बिलापणी (बो)-देखो 'विलापणी' (बी)। बिलखाणो (बौ)-देखो 'विलखाणी' (बौ)।
बिलाय-पु. १ कांख में होने वाला फोड़ा । २ देखो 'बला' । बिलखो-देखो 'विलखौ'। (स्त्री० बिलखी)।
बिलायत-देखो 'विलायत' । बिलग-देखो 'विलग'।
बिलार-देखो 'बिडाल'। बिलगणी-देखो 'बिलंगरणी' ।
बिलावल-पु. १ दीपक राग का पुत्र एक राग विशेष । बिलगरणी (बी)-देखो 'विलगणो' (बी) ।
२ संगीत का एक थाट । बिलगाणी, (बौ)-देखो 'विलगाणी' (बी)।
बिलास-देखो 'विलास'। बिलग्गरणी (बौ)-देखो 'विलगणौ' (बौ)।
बिलासरणौ (बौ)-देखो 'विलासणी' (बौ)। बिलच्छरण-देखो 'विलक्षण'।
बिलि-स्त्री० १ दरवाजे के कपाट के अन्दर की चिटकनी । बिलटी-स्त्री० १ रेल पार्सल या ट्रक से सामान भेजते समय
- २ देखो 'बिल्ली'। प्रेषक को दी जाने वाली रसीद । २ छात्रों को वर्णमाला | बिलियो-पु० हाथी दांत या नारियल की चूड़ी विशेष । सिखाने के लिये खींची जाने वाली सीधी रेखा । (प्राचीन) बिलोंदी-पु० एक वस्त्र विशेष । ३ वर्णमाला में स्वर ज्ञान ।
बिली-देखो 'बिल्ली'। बिलपणी (बी)-देखो 'विलपणी' (बी)।
बिलियां-देखो 'वेळा' । बिलफेल-क्रि०वि० [अ०] प्रभी, इसी समय, वर्तमान दशा में । बिलुबणी (बी), बिलूबरणी (बी), बिलू मणौ (बी)-देखो बिलबिल-पु० [सं० विह्वल] १ करुण-क्रन्दन, विलाप । 'विलू बरणी' (बी)। २ विह वल होने की अवस्था या भाव।
बिलू-पु० [सं०बिल ] एक जीव विशेष । -वि०१ मूर्ख । २ दुर्बल । बिलबिलणी (बौ)-क्रि० [सं० विह्वलम्] १ करुण क्रन्दन करना बिलूधरणी (बी)-देखो 'विलू घणो' (बी)। बिलखना, विलाप करना। २ विह्वल होना। ३ हाहाकार
बिलेसय, बिलेसरी-पु० [सं० बिलेशय] १ सांप, सर्प । २ चूहा, करना, प्रलाप करना । ४ भूख से व्याकुल होना।
- मशक । ३ बिल में रहने वाला जीव । बिलबिलाट-पु० विलाप।
बिलं-१ देखो 'वळे' । २ देखो 'विलय' । बिलबिलाणौ (बौ)-देखो 'बिलबिलणी' (बी)।
बिलोकणी (बी)-देखो 'विलोकणी' (बी)। बिलम-देखो 'विलंब'। .
बिलोड़णौ (बौ)-देखो विलोडणी' (बी)। बिलमरणौ (बो)-देखो 'विलमणी' (बो)।
बिलोच-१ देखो 'बलोच' । २ देखो 'बलोचिस्तांन'। बिलमाणी (बो) बिलमावणी (बी)-देखो 'विलमायो' (बी)। ।
बिलोचिस्तांन-देखो 'बलोचिस्तांन' । बिललाणी (बौ), बिललावणी (बी)-देखो 'बिलबिलगो' (बौ) | बिलोणी (बौ)-देखो विलोड़णी' (बौ) । बिलळी-वि० (स्त्री० बिलळी) १ अश्लील, बेहूदा । २ धर्म या| बिलोवो-देखो 'विलोवणी' (बौ) । प्राचरणच्युत, पतित । ३ मूर्ख, नासमझ । ४ सारहीन,
बिलोवणी (बौ)-देखो "विलोडणी' (बी)। निरर्थक, व्यर्थ ।
बिलौ-देखो 'बिल्लौ'। बिलवर-देखो "बिल्लौर'।
बिलौर-देखो 'बिल्लौर'। बिलवाल-पु० एक जाति विशेष ।
बिल्कुल-देखो 'बिलकुल'। बिलसरणी (बौ)-देखो विलसणी' बो)।
| बिल्लगरणी (बौ)-देखो 'विलगणो' (बी) । बिलसाणों (बो)-देखो 'विलसारणी (बी)।
बिल्लायत -देखो 'विलायत'। बिलहेक-प्रव्य० [फा०] १ बिना आश्चर्य के । २ बिना अफसोस के बिल्ली-स्त्री० [सं०विडाल १ शेर की जाति का, चूहा भक्षी एक बिलांत-देखो 'बालिस्त।
चौपाया जानवर, मार्जार । २ सारंगी की खूटियों को बिलाई-स्त्री. १ कूए में गिरी वस्तु को निकालने का, लोहे के |
| कसने का उपकरण। कांटों का गुच्छा । २ वन बिलाव । ३ बिल्ली। ४ मत्यू । । बिल्लोच-१ देखो 'बलोच' । २ देखो 'बिल्लौच'। बिलागणौ (बौ)-देखो 'विलागणो' (बी)।
बिल्लौ-पु० १ धातु का बना तुकमा, टोकन, बैज । २ देखो बिलाड़, बिलाड, बिलाडउ-देखो 'बिडाल' ।
___विल्लो ' । बिलारणौ (बी)-देखो 'विलाणी' (बौ) ।
| बिल्लोर-पु०[सं०वैइयं] एक प्रकार का सफेद, पारदर्शक पत्थर ।
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बिछौरी
पत्थर का बना ।
बिबड़ौदेवो 'बेवड़ों'
बिबरण, बिवरणी-देखो 'दूणी' । बिबरण - देखो 'विवरण' ।
बिवरी - पु० फर्क, अन्तर । बिवसाय देखो 'व्यवसाय' बिवस्था देखो व्यवस्था'। बिवहार- देखो 'व्यवहार' ।
बिवरण- देखो 'विमांण' ।
-
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बिल्लौरी- वि० १ बिल्लौर का बिल्लौर संबंधी २ बिल्लौर बिसदी (दी)- पु० [सं० द्विशती] १ मुगलकालीन एक सैनिक
पद विशेष । २ एक मनसब ।
बिसन -१ देखो 'व्यसन' । २ देखो 'विष्णु' । पथ - 'विस्णुपथ' ।
-पद-विस्णुपद' बिसनीदेखी 'यती' ।
बिसनु - देखो 'विस्णु' ।
बिसन- देखो 'विस्णु' २ देखो 'व्यसन' ।
बिसप पु० [० ] ईसाइयों का बड़ा पादरी । बिसप्रसून देखो 'विसप्रसून'
बिसफल देखो 'विसफळ ।
विवेकी देखो 'विवेकी ।
बियोग- देखो 'वियोग' ।
( २२३ )
बिवाई - स्त्री० [सं० विपादिका ] १ शीतकाल में हाथ-पांवों की बिस्फोटक - देखो विस्फोटक' । चमड़ी फटने का रोग । २ देखो 'व्याई' । बिसवास देखो 'विस्वास' । विसमत देखो 'विसमत' ।
विवाद- देखो 'विवाद' ।
विवार स्त्री० १ दोबार २ देखो 'व्यवहार' ।
बिसमय- देखो 'विस्मय' । विसमरण- देखो 'विस्मरण' ।
विवाह देखो 'विवाह' ।
विद्यालय- देखो विबुधालय' ।
सिमरी (बी) देखो 'विस्मरणी' (दो)।
बिवेक देखो 'विवेक' ।
सिमित १ देखो 'विस्मित' २ देखो 'विसमत'
-
सिंगर-देखो 'विश्वंभर'।
बिसेन, बिसंघ - १ देखो 'विष्णु' । २ देखो 'व्यसन' ।
विस-१ देखो बिस २ देखो 'विसम' ३ देखो 'वैस्य' ।
बिस देखो 'विस' ।
सिकसक देखो 'विस्कंभ' |
बिसकन्या- देखो 'विसकन्या' ।
बिसकांमरणी-देखो 'विसकांमणी' । बिसकूट - देखो 'बिस्कुट ' । बिखरी पु० [सं० विष+खर्पर] करीब डेढ़ फुट लंबा एक सरीसृप विषैला जंतु । २ एक जंगली बूटी । ३ पुनर्नवा | बिसटर-१ देखो 'विस्टर' । २ देखो 'बिस्तर' ।
१
बिसटाळू देखो 'विटाळू बिसटाळी-देखो 'विटाळी'। सिटी- देखो 'विस्टो' ।
बिसरणी (बौ) - १ देखो 'बैसरणी' (बी) । २ देखो 'बसरणी' (बी)। बिसत - पु० [सं० बिस्तः ] ८० रत्ती के बराबर का एक तौल । बिस्तर-१ देखो 'बिस्तर' । २ देखो 'बिस्तरबंध' ।
बितरण (ब) - देखो 'विस्तरणों' ( बौ) ।
सितरबंद देखो 'विस्तरबंद'
बिसतार देखो 'विस्तार'।
विस्तारखी (बी) देखो 'विस्तारणी' (बी)। मिव-देखो विद
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जिसमे देखो 'विस्मय' (स्त्री० विसमी)। बिसर - देखो 'विसर' ।
बिसरणी (बौ) - देखो 'विसरणी' (बौ) । सिरोम-देखो 'विस्रांम'
बिसरांनी देखो 'विस्रामी' |
बिसराणौ (बौ) - देखो 'विसराणी' (बी) । बिसराळ - देखो 'विसराळ' ।
बिसवार देखो 'बेसयार' | बिसवास देखो 'विश्वास' बिसवासी देखो 'विस्वासी' । बिसहर - देखो 'विसधर' । विहरतिय देखो 'विसहरंतिय' । बिसाई देखो 'विस्रांति' ।
बिसरावणो (बौ) - देखो 'विसरावणी' (बी)।
बिसरी वि० [सं० द्विम्) (स्त्री० बिसरी) दूसरा द्वितीय बिसबाबीस-देखो''।
बिसांवरी-देखो 'विसू ंदरी' । विसांनी- देखो 'विसांनी' ।
बिसांगणो (बौ) - देखो 'बैठाणी' (बौ) 1 बिसारणी-देखो 'विस्रांति' ।
बिसाल
यात 'विश्वासघात' ।
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बिसाई देखो 'विस्रांति'
बिसाल देखी विसाख' २ देखो 'साथ' । विसाखा देवो 'विशाखा' ।
विमान स्त्री० [०] १ सामर्थ्य हंसियत पहुंच २ साहस हिम्मत । ३ सतह स्तर । ४ बिछौना, फर्श । ५ शतरंज
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बिसाती
बिहां
का तखना व चौपड़ का कपड़ा। ६ पूजी। ७ विसाती का बिस्मय-देखो 'विस्मय'। कार्य। ८ बिसाती का सामान ।
बिस्मल्ला-देखो 'बिस्मिल्ला' । बिसाती-पु० [अ०] १ सूई, धागा, चूड़ी आदि का व्यापार । बिस्मिल-वि० [अ०] १ कुर्बानी किया हुमा । २ कुर्बान । २ऐसा व्यापार करने वाला ।
३ घायल, जस्मी। बिसारणी (बो)-१ देखो 'विसारणी (बी) । २ देखो 'बैठाणी' बिस्मिल्ला, बिस्मिल्लाह-प्रव्य० [अ०] कार्य के प्रारम्भ में लिया
जाने वाला ईश्वर का नाम । -पु. १ कार्य का शुभारम्भ । बिसारद-देखो 'विसारद' ।
२ हलाल। विसाळ-देखो 'विसाळ।
बिस्र-देखो 'विस'। बिसाळापुरी-देखो 'विसालापुरी' ।
बिस्व-देखो 'विस्व' । बिसास-देखो 'विस्वास'।
बिस्वकसंहर-पु० [सं० विश्व-संहर] १ यमराज। २ शिव । बिसासरणौ (बौ)-देखो 'विस्वासणौ' (बो)। बिसाहणी-पु० वैर, शत्रुता ।
बिस्वरेतस-पु. [सं० विस्वरेतस्] ब्रह्मा, विरंची, चतुरानन । बिसाहरणौ (बौ)-देखो ‘विसाहरणो' (बौ)।
बिस्वाबीस-देखो 'विसवावीस' । बिसिख-देखो 'बिसिख' ।
बिस्वास-देखो 'विस्वास' । -घात='विस्वासघात । -पात्र- . बिसिखा-देखो "विसिखा'।
विस्वासपात्र'। बिसिया-वि० [सं० विष] १ विष का, विष संबंधी । २ देखो | बिस्वासणी (बी)-देखो 'विस्वासणी' (बी)। "विसय'। ३ देखो 'विस' ।
बिस्वी-देखो 'विस्वौ'। बिसी-देखो 'वीसी'।
बिहंग, बिहंगड़ी-पु. १ एक राग विशेष । २ देखो 'विहंग' । बिसुकरमा-देखो 'विस्वकरमा' ।
विहंगम-१ देखो 'विहंग । २ देखो "विहंगम' । बिसुद्ध-देखो 'विसुद्ध' ।
बिहंगी-देखो 'विहंग'। बिसुद्धि-देखो 'विसुद्धि'।
बिहंड-देखो 'विहंड' । बिसुध-१ देखो 'बेसुध । २ देखो 'विसुद्ध'।
बिहडपो (बो)-देखो 'विहंडणी' (बी)। बिसुधा-देखो 'वसुधा'।
बिहसपो (बी)-देखो 'विहसणी' (बी)। बिसू-१ देखो 'विस्व' । २ देखो 'वसु' ।
बिहग-देखो 'विहग'। बिसूकरणो (बो)-देखो "विसूकरणो' (बी)।
बिहगेस-देखो 'विहंगेस'। बिसूरणो-देखो 'विसूरणो' ।
बिहड़-देखो 'बीहड़' । बिसेख-देखो 'विसेस।
बिहड़णी (बो)-क्रि० १ नाश होना, मिटना, समाप्त होना । विसेखरगो (बी)-देखो 'विसेसरणी' (बी) ।
२ दूर होना, पृथक होना । बिसेखता-देखो 'विसेसता' ।
बिहचरणौ (बौ)-देखो 'बैचरणो' (बौं)। बिसेन-पु०१ एक प्राचीन क्षत्रिय वंश । २ इस वंश का व्यक्ति। बिहण-देखो 'विहण' । बिसेस-देखो विसेस'।
बिहणी (बी)-देखो 'बीहणो' (बौ) । बिसेसता-देखो दिसेसता'।
बिहत्तरि, बहत्तरि (री)-देखो 'बमोत्तर'। बिसेसर-देखो 'विस्वेसर'।
बिहद, बिहद्द-देखो 'बेहद' । बिस्णु-देखो "विस्णु'।
बिहन-देखो 'बहन' । बिस्तर -पु० [फा०] १ शय्या, सेज, बिछौना । २ देखो 'विस्तार बिहरणौ (बौ)-१देखो बैरणी' (बी) । २ देखो'विहरणो' (बौ)। ३ देखो "बिस्तरबंद' ।
बिहराणी(बो)-१देखो बैराणो'(बी)। २ देखो विहराणी' (बी)। बिस्तरणो (बी)-देखो "विस्तरणो' (बी)। बिस्तरबद-पु० [फा०] यात्रा प्रादि में बिछाने-प्रोढ़ने के
बिहरो-क्रि० वि० [सं० द्वि+हरौ] १ दुबारा, दूसरी बार । संसाधन बांध कर ले जाने का बड़ा थैला, बेडिंग, होलडोल।
२ दूतरफा दोहरा। बिस्तार-देखो 'विस्तार'।
| बिहबल-देखो 'विह वल' । विस्तारणी (बी)-देखो 'विस्तारणो' (बौ
बिहसरणी (बौ)-देखो 'विहसरणो' (बौ) । बिस्नुक-देखो "विस्णु'।
| बिहां वि० [सं० द्वि) दोनों । -सर्व०-उन । -क्रि० वि० वहां ।
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बिहाण-देखो 'विहांण' ।
बिहू-देखो 'बेऊ"। विहांणा-पु० विवाह के दिनों में प्रातःकाल गाये जाने वाले बिरगी-देखो 'विसांनी' । मांगलिक गीत।
बिहूगो, बहूण-देखो 'बिहूणों'। बिहाणी-देखो 'विसांनी'।
बिहूणी-देखो 'विसांनी'। बिहारणी, बिहान-देखो 'विहारण' ।
बिहूणो, बिहून-वि० [सं० विहीन] (स्त्री० बिहूणी) १ बिना, बिहानी-१ देखो 'विहांणी' । २ देखो 'विसांनी' ।
रहित । २-शून्य; सूना। बिहामा-देखो "विहांमणो' । (स्त्री० विहांमणी)। बिहामणी-वि० (स्त्री० बिहामणी) डर उत्पन्न करने वाला,
बिह्म-देखो 'ब्रह्म'। भयावना।
बिह्वल-देखो 'विठ्ठल' । बिहामणी (बो)-१ देखो "विवाहणी' (बी) । २. देखो 'बीहणी'
बौं-देखो 'बी'।
बीखरो (बी)-देखो 'वीकरणी' (बी)। (बौ । बिहामी-देखो 'विस्रांति'।
बॉछियौ-पु.१किसी लकड़ी की पट्टी में लगने वाला एक कीला, बिहाग, बिहागड़ो-स्त्री० मध्य रात्रि को गाइ जान वाली राग . पिन । २ हल के पीछे लगने वाला हुक । ३ देखो "बिछियो' विशेष ।
बीजण-स्त्री० [सं०बीजनं] १हवा करने की क्रिया या भाव । बिहाणी (बो)-१ देखो 'विवाहणी' (बी) । २ देखो 'विहाणी' २ देखो 'बीजणी' । ३ देखो 'व्यंजन' । (बौ) । ३ देखो ब्यारणो' (बो)।
बोजगी, बीजणी-पु. [सं०वीजनं] १ हवा करने का उपकरण बिहार-देखो "विहार'।
पंखा । २ बढ़ई का एक मौजार विशेष । बिहारणौ (बौ)-१ देखो 'विहारणो' (बौ)।२ देखो 'बैराणी' बोमरणौ (बी)-क्रि० [सं०बीजनं] १. पंखे से हवा करना ।
२वंबर डुलाना, चंबर से हवा करना। बिहारी-देखो 'विहारी'।
. बीजाणो (बौ)-कि० १ पंखे से हवा कराना।२ वरसमाना बिहाल-देखो 'बेहाल'।
चंवर से हवा करकामा । बिहाल्यौ-पु० बिछौना, गद्दा ।
|'बीझ-देखो विध्य' । बिहावणी (बी)-१ देखो विहाणी' (बी)। २ देखो ब्याणी' | बोशणी (बी)-देखो 'बींजणों' (बी)। (बी)। ३. देखो 'विवाहणी' (बी)।
बझाजळ-देखो "विंध्याचळ' । बिहि-देखो 'विधि।
बोमाणी (बी)-देखो 'बीजाणी' (बी)। बिहीड-देखो 'बड़ों।
| बोट-१ देखो 'वीटी' । २ देखो 'वींट' । ३ देखो 'बूट' । बिहित-देखो 'विहित'।
बोटको-देखो 'बूट'। विहितरणौ (बो)-देखो 'बीतणो' (बी)
बीटणी-स्त्री० १ स्त्री के स्तन पर बनी घुडी, नोक । २ बच्चों बिहिन-देखो 'बहन'।
को दूध प्रादि पिलाने का रब्बड़ का उपकरण। बिही-पु० १ एकः वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष का फल । बोटणी (बी)-देखो 'वीटणी' (बी)। बिहीण (म)-देखो 'विहीन'।
बीटळी-स्त्री० १ अजमेर के पास पर्वत शिखर पर स्थित ताराबिहीदांणी-पु० बिही के फल का बीज।
___गढ़ का एक नाम । २ देखो 'बीटी' । ३ देखो 'बीटणी' । बिहु-देखो 'बेऊ'।
बीटी-स्त्री० [सं० बेष्टिता] मुद्रिका, अंगूठी। बिहुज-देखो 'बिहूणो' ।
बीटी-पु० [सं० वट-वेष्टने] १ बिस्तर मादि को बांधकर रखा बिहुवे ()-क्रि० वि० दोनों भोर, दोनों तरफ । -वि. गोल गट्ठर बिस्तरबंद । २ घेरा, ग्रावेष्टन । दोनों दो।
बोठ-देखो 'वीट'। बिहु-देखो 'ऊ'।
बीठो-देखो 'वीठी'। बिहुणो-देखो 'बिहूणो'।
| बोर-पु० [सं० बिन्द:] (स्त्री० बींदणी, बीनणी) १ जिसका
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बॉली
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विवाह सद्य होने को हो या हुआ हो, दूल्हा । २ पति, बीकम - १ देखो 'विक्रम' । २ देखो 'विक्रमादित्य' । खाविंद । बीकमपुर (रौ) - देखो 'विक्रमपुर' ।
बाग बींदबाघो पु० दूल्हे की पोशाक । बोंदव- देखो 'बींद' ।
( २२६ )
बदली, बोंबड़ी-स्त्री० [ सं बिद्धपुटी ] सौगात, उपहार की बीकांण, बीकांणौ, बोकांनयर, बीकानेर- पु० [सं० विक्रमनगर | छोटी बडरी । उत्तरी राजस्थान का एक नगर ।
बोंबड़ी पु० १ रहट की माल के लिये बना बबूल की पतली बीकानेरियो, बीकानेरी- वि० बीकानेर का बीकानेर संबंधी । टहनियों का घेरा । २ देखो 'बींद' । -पु० बीकानेर का निवासी
- स्वी० [सं० विन्दी] १. सद्य विवाहिता युवती स्त्री । नववधू । २ पुत्र वधू या छोटे भाई प्रादि की स्त्री । ३ पत्नी भार्या । ४ कुल वधू । ५ बच्चे की लिगेंद्रिय । बद-१ देखो 'बीज' २ देखी 'बींदणी' बवरण (ब) - देखो 'बींधणी' (बो) ।
० [सं० विद+पदक] १ दूल्हे की मंद चाल । २ चलने का एक ढंग ।
बीनणी-देखो 'बींदणी'
बीकासी पु० [मेपाच्छादित दिन या वातावरण बीको-देखो 'विक्रमादित्य' ।
बीख - देखो 'वीख' ।
Patant (at), atarrो (बो) - १ देखो 'वीखणी (बी) । २ देखो
'वेखणी' (बौ) ।
बखर (बी) देखो 'वारी' (दो) ।
बखराणौ (at), बीखरावणो ( (ब) - देखो 'बिखराणी' (बो) । बीबेरी (बी) देखो 'बिखेरो' (दो) ।
बीगड़ (बी) देखो 'बड़ी' (बी)। बीधनहरण - देखो 'विघ्नहरण' ।
बॉबी-देखो 'दिदी'।
!
बोळी स्त्री० [१] हे दुल्हिन की पोशाक २ देतो 'बंदोली' बोपोडी-स्त्री० कृषि भूमि पर लिया जाने वाला लगान कर दूल्हे । ।
1
।
बौधी पु० कृषि भूमि का एक नाव बीड, बीड़उ-देखो 'बीड़ी' । बीड़ी (ब) ० १ किसी वस्तु के दो भागों को जोड़ना, भिड़ाना, सम्पुटावस्था में करना । २ बंद करना 1 ३ जड़ना, जड़ाई करना ।
बीड़मी (व) - पु० १ ढक्कनदार पात्र, ढक्कन वाला पात्र | २ ऐसा उपकरण जो प्रावश्यकतानुसार समेटा जा सके - वि० ढक्कनदार, सम्पुटावस्था वाला । बीड़ाझीड़ा पु० १ वन, जंगल। स्त्री० २ सीमा, सरहद । बीड़ाणी (बी) - क्रि० १ किसी वस्तु के दो भागों को जुड़वाना, भिड़वाना, सम्पुटावस्था में करवाना। २ बंद करवाना । ३ जड़ाई करवाना, जड़ाना ।
बोडादार वि० पान का बीड़ा देने वाला ।
धरण - ।
(ब) ० [सं० बेधनम् ] १ छेदना, छिद्रित करना
२ उलझाना, फंसाना । ३ किसी के साथ संलग्न करना । ४ त्रास देना । ५ शस्त्र से बेध कर घायल करना । बधाणी (श्री) बौधायनी (बी) कि० १ छेदवाना, छिद्रित कराना । २ उलझवाना, फंसवाना ! ३ किसी के साथ संलग्न कराना । ४ त्रास दिराना । ५ शस्त्र से बेधा कर
घायल कराना |
१ देखो 'बींद' २ देखो 'वीणा' ।
बीनोळी-१ देखो 'बंदोळी' । २ देखो 'बींदोळी' ।
बोनोळी- देखो 'बंदोळो' ।
बीबाळी वि० प्रतिशुद्ध भाग बबूला
बॉमर देखो 'भीमर' ।
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भरणी (बी) - देखो 'भीभरणी' (बौ) ।
J.
बाँचियो पु० बजे धारे का एक अवयव विशेष । बीबीपु० [सं०] [भी] डर भय घातक । २ विरह ३ राजा, नृप । स्त्री० ४ लता । ५ रात्रि । ६ विनय । ७ खजुर । सर्व ० १ वह । २ उस । - वि० [सं० द्वि] १ दूसरा, द्वितीय । २ दो । -क्रि०वि०३ ही । ४ देखो 'भी' ।
-
बीक - १ देखो 'विक्रमादित्य' । २ देखो 'बी' ।
-
बीकण वि० भयभीत रहने वाला डरपोक २ देखो 'भीखल' बीकपुर, बीकपुरी (रौ ) - पु० [सं० विक्रमपुर ] १ बीकानेर नगर का एक नामान्तर । २ बीकानेर का निवासी । वि० बीकानेर का बीकानेर सम्बन्धी ।
1
पचली
बीड़ी - स्त्री० १ टीमरू के पत्ते में जर्दा डालकर बनाई गई घुम्र दण्डिका २ देखो 'बीड़ों'
|
बीड़ी - पु० १ तलवार की म्यांन के मुंह पर बंधी रहने वाली डोरी २ पड़त में छोड़ा हुआ खेत, कृषि भूमि । ३ घास का सुरक्षित मैदान । ४ गोचर भूमि ५ जंगल । ६ बंधन । ७ नागरबेल के पान का संपुट, पान की गिलोरी ।
बीच- १० १ मध्य २ फासला, दूरी, अन्तर । ३ केन्द्र स्थान, मध्यस्थल, केन्द्र बिन्दु । ४ दरम्यान । ५ भेद अन्तर । ६ द्वेष |
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बीचखी-स्त्री० विद्युत, बिजली ।
बीचबचाव- पु० झगड़े या विवाद में की जाने वाली मध्यस्थता । बीचलो-देखो 'बिचलो' ।
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बीचार
बीचार - देखो 'विचार' ।
बीचारणी (बी) देखो 'विचार' (दो) ।
बीचाछे देखो 'बि'
बीचि-१ देखी 'बीच' २ देखो 'विचि' । बीबी-देखो 'बोबी'
बीचे देखो 'वि' ।
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( २२७ )
बीजड़ली - १ देखो 'बीजळी' । २ देखो 'बीजळा' । बोज, बीज बीज बीज बीज बीज बीजड़ाहत, बीजड़ाहती, (हथ, हथी ) - देखो 'बीजळाहथ' । बीजरण - वि० १ बोया जाने योग्य । २ बोया जाने वाला । ३ बोने वाला । स्त्री० १ बोने की क्रिया या भाव । २ बोने योग्य अन्न । ३ देखो 'बींजणौ' ।
थैली । बीचोबीच बीचोबीच धव्य० ठीक बीच में मध्य में केन्द्र बीजणी स्त्री० [सं०] १ बोवाई का बीज रखने की नी २ बोवाई करने की बांस की नलिका जो हल के पीछे, बंधी रहती है। देखो 'बीज' । बीजी-देखो 'बीजो' ।
बोजणी (ब) ० १ किसी अनाज, साग आदि के बीजों की बोवाई करना । २ किसी बात का बीजारोपण करना ।
बीण (ब) - १ देखो 'बिछुड़ो' (बो)। २ देखो 'वीचरणों' (बो) बीजपूर, बीजपूरक-पु० [सं० बीजपुर ] १ बीजोरा नींबू ।
२ चकोतरा ।
३ देखो 'बिछौ' (बी) । बीबी देखो 'बिडियो' २ देखो 'बीच्छ' । बीछी, बी-१ देखो 'बिच्छू'। २ देखो 'बीच्छू' । बीड़ी (बो) - देखो 'बिछड़णी' (बो) । agrrt (ब) - देखो 'बिछूटणी' (बी) । बीछोड़णी बो देखो 'बिछोड़रणी (बी) ।
बिदुर ।
बीच्छु, बीच्छ्र- पु० १ विशाखा नक्षत्र २ देखो 'बिच्छू ।
बोडणी (बी) देखो 'बडी' (बी)।
बोछण, बोछणी - स्त्री० १ मादा बिच्छू । २ एक प्रकार का
वात रोग ।
बीज - पु० [सं०] १ किसी वस्तु, पेड़ पौधे श्रादि का उत्पत्ति तत्त्व गर्भाण्ड, दाना २ अंकुर ३ वीर्य, शुक४ वंश
बीज बीज देखो 'दूज' २ देखो 'बीज' ।
J
बीजभवन ० [सं०] बीयं ।
बीजर देखी 'बीजोरी' ।
-
५ बोवाई के लिये सुरिक्षत रखा हुआ अन्न । ६ जड़, मूल ७ गिरी, मिगी। उद्गमस्थल । ९ प्रधान या मुख्य कारण । १० सारांश, सार भाग । ११ नाटक की मूल कहानी, कथानक । १२ एक मंत्र विशेष । १३ मंत्र का प्रधान भाग । १४ कारण, हेतु । १५ कोई अव्यक्त वर्ण समुदाय जिसे हर व्यक्ति न समझ सकता हो । १६ किसी देवता को प्रसन्न करने की व्यक्त ध्वनि या शब्द १७ एक यज्ञीय देवता विशेष १० देखो 'दूज' १९ देखो 'बीजी'बीची (हथी) देखो 'बीजळात २० देखो 'बीजळा' ।
बीज
बीजउरीचा पु० कोई व्यवसाय विशेष ।
बीजक - पु० [सं०] १ विक्रेता द्वारा क्रेता को दी जानी वाली ग्रेची हुई वस्तुयों की मूल्य सूची, दिल २ किसी गई धन के साथ लगी रहने वाली सूची । ३ संत महात्मानों के प्रामाणिक पद या छन्दों का संग्रह ।
बीजगणित - स्त्री० [सं०] गणित का एक भेद |
बीजड़-देखो 'वीजळा' ।
बीजका पु० एक प्रकार का शीला जिसे फर्श पर लगाने से
जल का प्राभाश होता है ।
बीजबंद, बीजबंध-पु० [सं० बीजबंध] खरेंटी या बरियारी के बीज, बला ।
बीजमंत्र - पु० [सं०] १ किसी देवता की स्तुति का मूल मंत्र । २ किसी कार्य का मूलतत्त्व, सारांश ।
बोजमारग पु० [सं० बीजमार्ग] वाम मार्ग का एक भेद । बीजमारगी - वि० [सं० बीजमार्गी] वाममार्गी ।
बीज बीजल-स्त्री० १ एक प्रकार का लोहा विशेष २ सुन्दर
,
स्त्री, सुन्दरी । ३ विद्यत । - वि० [सं० बीजल ] १ बीजों वाला, बीजों से युक्त । २ अधिक बीजों वाला ३ सुन्दर; मनोहर ४ दूसरा द्वितीय ५ देखो 'बीजळा' । बीजलड़ी-१ देखो 'बीजळी' । २ देखो 'बीजळा' ३ देख 'बीजळ' |
बोजळसार - देखो 'बिजळसार' ।
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बीजवर
बीज बीजळहत्व बीजळहस्थी, बीजळप
बीजळा स्त्री० [सं० विद्युत] १ तलवार, खड्ग २ कटार ३ देखी 'बळी'।
बीजळात बीजळाती
बीजलाहस्वी बीनळाह
ही बाबी वि० १ जिसके हाथ में तलवार हो। २ बनधारी या कटारधारी योद्धा
बीज
बीजलोही- पु० १ रक्त, धतुर ।
बीजवर देखो 'दुजवर
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बीजी-स्त्री० [सं० विद्युत] १ एक प्रसिद्ध प्राकृतिक शक्ति, विद्युत २ वैज्ञानिक ढंग से उत्पादित उक्त शक्ति का एक रूप । ३ बरसाती मेघों की परस्पर टक्कर से उत्पन्न अग्नि, तड़ित चपला । ४ वज्र ।
3
बीज ।
२ दुर्गा द्वारा सहारित एक
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बीजवाड़ियो
( २२८ ।
बीचड़ली
बीजवाड़ियो, बीजवाडौ-पु. कुम्हार, खाती आदि को दिया | बीटाणौ (बौ ,-देखो 'वीटाणौ' (बौ) । जाने वाला अन्न ।
बीटी-देखो 'बीटी'। बीजाण-देखो 'बिजळी'।
बीठळ, बीठुळ-देखो 'विट्ठळ' । –नाथ 'विट्ठळनाथ' । बीजाकारण-पु० [सं० बीजकारण] पिता, जनक ।
बीठौ-वि० (स्त्री० बीठी) १ अश्लील, भद्दा । २ खराब, गन्दा । बीजाक्षर, बीजाखर-पु० [सं० बीज-प्रक्षर] किसी बीज मंत्र का । ३ निकम्मा। पहला अक्षर।
बीड-देखो 'बीडी'। बीजापुर-पु० भारत का एक नगर ।
बीडउ-देखो वीड़ी। बीजापुरी, बीजापुरी-वि. १ बीजापुर का, बीजापुर संबंधी। बीडळ-स्त्री० बैलगाड़ी को धुरी के आगे लगाई जाने वाली
२ बीजापुर का बना हुपा । -पु० १ बीजापुर का शासक । | कील। २ बीजापुर का निवासी।।
बीडो-देखो 'बीड़ो' । बीजाबरगी-स्त्री. व्यापार करने वाली एक जाति विशेष । बीढ़-१ देखो 'भीड़' । २ देखो 'वेढ़' । बीजाबोल-पु० [सं० बोल] एक प्रकार का गोंद विशेष । बीढ़ण-देखो 'विढ़ण'। बीजियाण-देखो 'दूजियांग'।
बीढ़णी (बी)-देखो 'विढ़णो' (बो)। बीजु-वि० १ जो बीज बोने से उगा हो। २ देखो 'द्रजी'। बीण-देखो 'वीणा'। ३ देखो 'बिज्जु'।
बीणणो (बौ)-१ देखो "बिणणो' (बौ)। २ देखो 'बुगणी' बीजुरी- १ देखो 'बीजळी' । २ देखो 'बीजोरी'।
(बी)। बीजुरी-देखो 'बीजोरौ' ।
बीणती-देखो 'विनती'। बीजुळी-देखो 'बीजळी'।
बीणा-देखो 'वीणा'। बीज, बीज-प्रव्य०१ौर । २ देखो 'दूजौ। ३ देखो 'बीजळी'। | बीणाई-देखो 'बूणाई'। ४ देखो 'बिज्जु'।
बोरगी-१ देखो 'वाणी' । २ देखो 'वीणी' । बीजूजळ, बीजूजळा, बीजूझळ-स्त्री० [सं० विद्य तज्वाला] | बीरगौ-पु० १ स्त्रियों द्वारा अपने ललाट पर बालों से बनाई तलवार, खड्ग ।
___ जाने वाली चन्द्राकृति, बाल बनाने का एक ढंग । २ देखो बीतमाळा-देखो 'विद्युत्माळा' ।
'वीणो'। बीजसाही-देखो 'विजयसाही' ।
बीणो (बी)-देखो 'बीहणी' (बी)। बीजोड़ो-देखो 'दूजो'।
बीत-१ देखो 'वीत' । २ देखो 'वित्त'। बीजोरड़ी-देखो 'बीजोरी' ।
बोतरणी (बी)-क्रि० [सं० व्यतीतनम्] १ काल चक्र के अनुसार बीजोरी-स्त्री०१ बीजोरा नींबू का वृक्ष व फल । २ एक फल समय का भूत की ओर जाना, गुजरना, व्यतीत होना । विशेष ।
२ बात या घटना का समय जाना । ३ घटित होना । बीजोरी-पु० [सं० बीजपूरक] १ एक जाति विशेष का नींबू व ४ अन्त होना, समाप्त होना। ५ बेकार होना, अप्रयोज्य
इसका वृक्ष । २ पूजा या स्वागत के थाल में रखने का होना, नष्ट होना । ६ उचित या अनुचित व्यवहार होना । जल पात्र।
७ उम्र या अवधि का कम होना । ८ हानि-लाभ भुगतना। बीजोळियौ-पु० बोवाई का बीज रखने का छोटा थैला। ९ जीर्ण-शीर्ण होना । १० असर होना, प्रभाव होना । बीजो-देखो 'दूजो'। .
११ महावत का हाथी पर बैठे-बैठे पांव हिलाना। बीमण', बोझरणो-देखो 'बींजणी' ।
बीतत्यागी-पु० [सं० वित्त-त्याग्री] दानवीर, महादानी । बीझरणो (बौ)-क्रि० [सं० विभेमि] डरना, भय खाना। बीतराग-देखो 'वीतराग'। बीमूझळ-देखो 'बीजूजळ' ।
बीतहोत्र. बीतिहोत्र-देखो वीतिहोत्र'। बीझोडणी (बी)-देखो वीझोड़णो' (बी)
बीती-देखो 'वीति'। बीट-देखो 'वीट'।
बोथरणी (बौ)-देखो 'विस्तरणो' (बो)। बीटण-देखो 'वींटण'।
बीथि, बीथी-देखो 'वीथी' । बोटणी-देखो 'बीटणी'। बीटणी (बौ)-देखो 'वींटो' (बी)।
बीदग-देखो 'वीदग'। बीटळी, बीटली-१ देखो 'बीटळी' । २ देखो 'बीटी'। | बोदड़ली, बीदड़ी-देखो 'बींदड़ो' ।
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बीदा
।
२२९ )
बीरोचन
सजा बाक्पा
बीवा-देखो 'विदा'।
बोमो-पु० [फा० बीम] किसी प्राणी के जीवन या किसी वस्तु बीधणी (बो)-देखो 'बींधणी' (बी)।
की भावी क्षति की पूर्ति हेतु की जाने वाली व्यवस्था । बीधू सणों (बौ)-देखो 'विधूसणी' (बौ)।
बीमा। गारण्टी। बीन-१ देखो 'वीणा' । २ देखो 'बींद' । ३ देखो 'विनय'। बीय-देखो 'बी'। बीनड़ी, बीनणी-देखो 'बींदणी'।
बीयडोत्तरसौ-देखो "बिड़ोत्तरसो'। बीनणी (बौ)-क्रि० [सं० विनयनम्] १ विनती या प्रार्थना बोयाळ, बोयाळकौ, बीयाळी-वि० [सं०व्यालू] (स्त्री०बीयाळकी) करना । २ अभिवादन या स्वागत करना ।
१ डरने वाला, डरपोक, भयभीत । २ डराने वाला। बीनती-देखो 'विनती'।
बीयास-देखो 'व्यास'। बीनळ-स्त्री० [सं० वह्नि] अग्नि, प्राग ।
बीयौ-पु० [सं० द्वि] १ दो की संख्या का अंक । २ दो की संख्या बीनवणी (बो)-देखो 'विनवणी' (बी)।
का वर्ष । ३ देखो 'दूजो'। ४ देखो 'बइयो' । बीनांण-देखो 'विनाण' ।
बीर-देखो 'वीर'। बीनी-स्त्री० [फा०] नासिका, नाक ।
बोरख-१ देखो 'वस' । २ देखो 'क्ष'। बीने, बीन-क्रि०वि०१ उस ओर, उधर । २ उसको, उसे । बीरखेत-देखो 'वीरखेत'। ___ -वि०-दोनों।
बोरखेती-देखो 'वीरखेती। बीनो, बोन्ही-पु० [फा० बीना] १ मुह, मुख । २ उषाकाल | बीरगत, बीरगति-देखो 'वीरगति'।
प्रभात । ३ उषाकाल का उजाला । ४ कष्ट, तकलीफ । बीरघंट-देखो 'वोरघंट'। ५ छान-बीन, नुक्ता चीनी। -वि०जिसे दिखाई देता हो, बीरज-देखो 'वीरज'। दृष्टिवाला।
| बीरत, वीरता, बीरताई, बीरती-देखो 'वीरता' । बीफरणी (बो)-देखो 'विफरणो' (बी)।
बीरपण, बीरपणी-देखो 'वीरपण, वीरपणो'। बीफरेल, बोफरल-देखो 'विफरेल' ।
बीरबर-देखो 'वीरवर'। बीबड़ी-देखो 'बीबी'।
बीरबळ-पु० बादशाह-अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से बीबाळ-पु. १ योद्धा, वीर । २ मुसलमान ।
एक। बीबाह-देखो 'विवाह'।
बीरबळी-पु०१ स्वर्ण निर्मित गोल चक्राकार प्राभूषण विशेष । बीबी-स्त्री० [फा० बी] १ यवन स्त्री, मुसलमान औरत । २वीरों को चढ़ाई जाने वाली बलि ।
२ अच्छे घराने की स्त्री, कुलवधू । ३ पत्नी, भार्या । बीरभद्र-देखो 'वीरभद्र'। ४ स्त्री, औरत।
बीरमाव-देखो 'वीरभाव' । बीबू, बीबी-पु. (स्त्री० बीबी) १ यवन, मुसलमान । २ कार्य | बीरभोम-देखो 'वीरभूमि'। का विस्तार, बिखराव, फैलाव ।
बीररस-देखो 'वीररस'। बीमचार-देखो 'व्यभिचार'।
बोरवर-देखो 'वीरवर'। बीमच्छ बीभत्स, बीभत्स-देखो 'विभत्स' ।
बीरहक, बीरहाक-देखो 'वीरहाक' । बीभरणौ (बो)-देखो 'विफरणो' (बी)।
बीरांण-देखो 'वीरांग'। बीमळी-देखो 'वीभळी'।
बीरांमी-देखो 'ब्राह्मी'। बीमाडणी (बी)-देखो 'विभाड़णो' (बी)।
बीरा-देखो 'वीरा'। बीपीछन-देखो "विभीसण' ।
बीराधबीर, बोराधिबीर-देखो 'वीराधिवीर'। बीमोग-देखो 'विभोग' ।
बीरारस-देखो 'वीररस'। . बीमाण-देखो 'विमाण'।
बीरी-स्त्री० १ सखी, प्राली । २ वीरबहूटी। बीमाणग (गी)-देखो 'विमाणग' । बीमार-वि० [फा०] रुग्ण, रोगी, रोगग्रस्त ।
बोरीयां-देखो 'वेळा'। बीमारवारी-स्त्री० [फा०] रोगी की सेवा शुश्रुषा ।
बीरू-स्त्री० बापंद की पुत्री एक देवी विशेष । बीमारी-स्त्री० [फा०] १ रोग, व्याधि । २ झंझट, परेशानी। बीरूप-देखो "विडरूप' । बीमाह-देखो 'विवाह'।
बीरोचन-देखो 'विरोचन'।
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बीरी
। २३०
)
पुगची
बोरौ-देखो 'वीरौ'।
बीहड़-पु० १ ऊंचा-नीचा, ऊबड़-खाबड़ । २ विकट, दुर्गम । बील-पु. १ जुगनू, मागिया । २ सर्प, सांप । ३ देखो 'बीलो' । . ३ सघन, घना। ४ देखो वील'।
बोहणो (बो)-क्रि० १ डरना, अातंकित होना, भयभीत होना। बोलपतर (पत्तर, पत्र)-पु० [सं० बिल्व-पत्र] शिवजी को चढ़ाये २ शंका खाना, लिहाज रखना । जाने वाले, बील वृक्ष के पत्ते ।
बीहसरणी (बी)-देखो 'विहसणी' (बी)। बोलपुरी-देखो 'वीरपुरी'।
बीहारण (ए)-देखो 'विहांण'। बोलफळ-पु० [सं० बिल्व-फलम्] बील वृक्ष का फल । बीहांमणु (एण, रणौ)-वि० (स्त्री० बीहांमणी) भयानक, डरावना । बीलरीकुड-स्त्री० एक प्रकार का सरकारी कर ।
बीहारपो (बौ), बीहावरणौ (बौ)-क्रि० भयभीत करना, डराना। बोलोणी (बी)-देखो 'विलोड़णी' (बी)।
बुगरड-स्त्री० १ तोप के गोले की ध्वनि । २ वर्षा होने की बोलोपत्र-देखो 'बीलपत्र' ।
ध्वनि । बोलो-पु० [सं० बिल्व] १ बिल्व नामक वृक्ष विशेष । २ इस | बुंगळी -१ देखो 'बंगळो' । २ देखो बगळी। वृक्ष का फल ।
| बुगलौ-पु० मकान की छत पर कोने पर ताजिये की शक्ल का बीस-देखो 'वीस'।
बना गुम्बज । बीसधरपाणी-पु० [सं० विशंति-पारिएधर] रावण ।
बुदी-देखो 'बूदी'। बीसन-१ देखो "विस्णु' । २ देखो 'व्यसन' ।
बुंदीदार-पु० १ वूदी वाले लड्डू। २ वूदी की मिठाई। -वि. बोसबसा, बीसबिसवा, बीसबिस्वा-देखो 'विसवावीस'।
छोटी-छोटी बूदी वाला या बूदी के छापे वाला। बोसभुज, बीस भुजा-देखो 'वीसभुज' ।
बुंदेलखंड-पु० उत्तर व मध्य भारत का एक प्रदेश । बीसभुजाळ, बीसभुजाळी-देखो 'वीसभुजाळी' ।
बुंदेलखडी-वि० उक्त प्रदेश का, उक्त प्रदेश संबंधी। -स्त्री. बीसमरणौ (बी)-देखो 'वीसमणी' (बी)।
उक्त प्रदेश की बोली। बीसमौ-देखो 'वीसवौं'।
बुब-देखो 'बूब' । बीसरणी (बो)-देखो 'विसरणी' (बी)।
बुप्रारणो (बी)-देखो 'बुहारणो' (बी)। बीसराणौ (यो), बीसरावणो (बी)-देखो 'विसरागो' (बी)। बुप्रारी-देखो 'बुहारी' । बीसळवे-पु० प्रजमेर का एक चौहान राजा ।
बुई-स्त्री० रुई जैसी मुलायम बाल वाला एक पौधा विशेष । बीसौं-देखो 'बीसौं ।
बुक-१ देखो 'बक' । २ देखो 'बुग' । बीसहत, बीसहती, बीसहस्थ, बीसहत्थी, बीसहथ (थि, थी)- बुकचौ-देखो 'बुगचौ'। देखो 'वीसहती'।
बुकनी-स्त्री० १ किसी वस्तु का महीन पिसा चूर्ण । २ देखो बीसांबीस-देखो 'विसवावीस' ।
'बकांनी'। बीसारणी (बो)-देखो 'विसारणो' (बी)।
बुकरणो (बौ)-देखो 'बूकरणो' (बी)। बीसाबीस-देखो 'विसवाबीस'।
बुकस -पु० [सं०] १ हरिजन, मेहत्तर, भंगी । २ देखो 'बुगस' । बीसियो-देखो 'बींछियो ।
बुकांन बुकांनिय, बुकानी-देखो 'बकानी'। बीसी-देखो 'वीसी'।
बुक्क, बुक्को-पृ० [सं० बुक्कः] १ वक्षस्थल, छाती । २ देखो बीसुबसा-देखो "विसवावीस'।
'बूक' । ३ देखो 'बाको'। बीसूती-स्त्री० दो सूत का वस्त्र । -वि० दो सूत वाला, बुखार-पु० [अ०] १ ज्वर, ताप । २ व्याधि । ३ वाष्प, भाप । दो सुती।
४ एक द्वीप का नाम । बीसूनी-देखो 'विसोनी'।
बुखारी-पु० १ बुखार द्वीप का निवासी। २ मुसलमान । बी'सेक-देखो 'वीसे'क'।
.. ३ बुखार द्वीप की बोली। बीसोतर-देखो 'वीसोत्तर' ।
बुग-पु. १ मक्खी के आकार का एक कीड़ा विशेष । २ कुबेर ।
३ अगस्त्य का वृक्ष । ४ उक्त वृक्ष का फूल । ५ देखो 'बक' । बीसोनी-देखो 'विसोनी' ।
बुगची, बुगची-पु० [सं० वकोच] १ वह गठरी जिसमें वस्त्र या बीसौ-देखो 'वीसौ' ।
फुटकर सामग्री बांधी जाती है। २ चौकोर वस्त्र के तीन बीहंडणी (बी)-देखो 'विहंडणी' (बी) ।
कोणों को परस्पर जोड़ कर बनाया जाने वाला थेला बीह-देखो 'बी'।
विशेष ।
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पुगती
( २३१ )
बुढ़ापो
बुगती-स्त्री० मिट्टी का बना जल-पात्र विशेष । केतली । बुजविल-वि० [फा०] डरपोक, कायर, भीरु । बुगदाव-देखो 'बगदाद'।
बुजदिलो-स्त्री० [फा०] कायरता, भीरुता । बुगदादी-देखो 'बगदादी'।
बुजरग-पु. [फा० बुजुर्ग] १ वृद्ध पुरुष । २ पूर्वज, पुरखा । बुगदी-पु. बोझा ढोने वाला ऊंट।
३ अनुभवी वृद्ध पुरुष । बुगदौ-पु० [अ० बुग्द] एक प्रकार का बड़ा छुरा विशेष । । बजरगो-स्त्री० [फा० बुजुर्गी] बुजुर्ग होने का भाव, बड़प्पन । बुगध्यांनी-देखो 'बकध्यांनी' ।
बुजारणी (बी), बुजावणी (बी)-देखो 'बुझावणो' (बी)। बुगर-पु. १ ऊंटों के लिये प्रसिद्ध एक प्रान्त । २ इस प्रान्त का | बुजी-देखो 'वुजी' । ऊंट ।
बुजुरग-देखो 'बुजरग'। बुगल, बुगलाण-देखो 'बक'।
बुजुरगी-देखो 'बुजरगी'। बुगलामक्त-वि० १ बगले के समान ध्यान लगाकर बैठने वाला, बुज्ज-१ देखो 'बुरज' । २ देखो 'बुज' । ३ देखो 'बुज्झ' ।
पाखडी, ढोंगी, बकध्यांनी। २ कपटी, धूर्त, धोखेबाज। बुज्जी, बुज्झ, बुझ-वि० [फा० बुज] (स्त्री० बुज्जी, बुझी) मूर्ख, बुगलाभक्ति-स्त्री० [सं० बक-भक्ति] १ बगले की तरह ध्यान | - नासमझ । -पु. बकरा ।।
लगाकर बैठने की क्रिया या भाव । २ ढोंग,पाखंड,प्राडम्बर। | बुझणी (बी)-कि० [सं० उज्झति १ दीपक की ज्योति समाप्त ३ प्रवंचना, कपट, छल ।
होना । २ जलते हुए पदार्थ से अग्नि समाप्त हो जाना। बुगलाभगत-देखो 'बुगलाभक्त'।
३ कांतिहीन व निस्तेज होना । ४ मंद, धीमा या प्रवास बुगलाभगति (ती)-देखो 'बुगलाभक्ति' ।
होना। ५ पानी के योग से पग्नि शान्त होना । ६मावेग बुगलियो-पु. १ रहट की माल का पानी गिरने के स्थान पर शांत होना । ७ भूख-प्यास मिटना, तृप्ति होन। । गरम बनी पत्थर की कुण्डी। २ देखो 'बक'।।
वस्तु को विशेष गुण लेने के लिये किसी तरल पदार्थ बुगलौ-पु० १ एक जाति विशेष का घोड़ा। २ देखो 'बक' । में डाल कर ठंडा किया जाना [चूना] । ९ देखो बुगस-पु० [फा०] १ कोमा। २ एक प्रकार का बड़ा छुरा 'बूझणो' (बी)। . विशेष । ३ देखो 'बक'।
बुझविल-देखो 'बुजदिल'। बुगाळ-पु० ग्रास, कौर।
बुझदिली-देखो 'बुजदिली' । बुग्गी-स्त्री. १ गर्दन । २ गर्दन के ऊपर के बाल । ३ ऊंट की | बझाई-स्त्री० बुझाने की क्रिया या भाव । कुकुद के ऊपर के बाल ।
बुझाकड़, बुझाकड, बुनागड़, बुझागर-वि० [सं०बुद्धि+पाकर] बड़को-पु. १ बकरी प्रादि को खिलाया जाने वाला अन्न।। चतुर, बुद्धिमान, अनुभव सिद्ध । २ पानी में कोई वस्तु डूबने की ध्वनि ।
बुझाणी (बी), बुलावणी (बी)-क्रि० १.दीपक की ज्योति बुड़चरणौ (बो)-क्रि० वि० १ तोड़ना । २ काटना, कतराना । समाप्त करना । २ जलते पदार्थ की अग्नि समाप्त करना । ३ पशुओं द्वारा खड़ी फसल खाना। ...
३ कांतिहीन व निस्तेज करना । ४ मंद, धीमा या उदास बुडव-देखो 'बुरद'।
करना । ५ पानी डालकर अग्नि शांत करना । ६ मावेग बुडपांचम-स्त्री. वसंत पंचमी।
शांत करना । ७ भूख-प्यास मिटाना, तप्त करना । ८ गरम बड़बड़ाक-स्त्री० खरगोश के बैठने का स्थान ।
वस्तु को विशेष गुण लेने के लिये तरल पदार्थ में डाल कर बड़बड़ियो, बुबड़ी-पु० [सं० बुद् बुद्] १ हवा भर जाने से | ठंडा करना। देखो 'बूझाणी' (बी)। ' - पानी या किसी तरल पदार्थ में उठने वाला बुदबुदा। बझ्झ-१ देखो 'बूझ' । २ देखो 'बुज्झ' । . . बुल्ला । २ मन में होने वाली खुशी की तरंग ।
बुटाबटो-पु. एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। बरबूटियो-पु० शरीर से मैल उतारने का छोटा पत्थर ।
बुट्ठो (बौ)-देखो 'बूठणो' (बौ) । बुड़ियोतीतर-पु. एक प्रकार का तीतर।
बुड-पु. प्रस्थान, रवानगी, कूच । बुचकार-देखो पुचकार'।
| बुडणी (बो)-देखो 'बूडणी' (बौ) । बुचकारणौ (बी)-देखो 'पुचकारणो' (बी) । बुचकारी, दुचकारी-देखो 'पुचकार' ।
बुड्ढ़ो-देखो बूढ़ो' । बची, बुच्चौ-देखो 'बूची'।
बुढ़ण-देखो 'बूढण'। बुज-स्त्री० [फा० बुज] १ बकरी, प्रजा । २ देखो 'बुज्झ' । बुढ़ाई-स्त्री० वृद्धावस्था, वृद्धत्व । बुजणी (बो)-देखो बुझणौ' (बौ)।
| बुढ़ापी-पु. वृद्ध होने की अवस्था, वद्धावस्था ।
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वि
-
-
बुढ़ो-देखो 'बूढ़ो'।
बुद्धिचा (ख)-पु० [सं० बुद्धिचक्षः] १ प्रज्ञा पज्ञान का बुढ़म-देखो 'बूढण'।
नेत्र । २ धृतराष्ट्र। पुणजी (बी)-क्रि० १ सूत या रुई के तानों या रेशों से करघे बुद्धिजीवी-वि० [सं० बुद्धिजीवन् बुद्धि के द्वारा भाजीविका
से वस्त्र बनाना । २ ऊन या रुई के तामों से पहनने के वस्त्र | कमाने वाला । बौद्धिक कार्य करने वाला। मादि बनाना । ३ खाट की बुनाई करना । ४ डोरों का बुद्धिबळ-पु. सिं०] १ बुद्धि व विवेक पूर्वक बल प्रयोग की जाल मादि बनाना।
अवस्था । २ बल एवं बुद्धि का सामंजस्य । ३ बुद्धिवज्ञान बुणाई-स्त्री० बुनने का कार्य । बुनने का ढंग । बुनने की मजदूरी का बल। बणाणी (बी)-क्रि० १ सूत या रुई के तानों या रेशों से करघे बद्धिमंत (मत)-वि० [सं० बुद्धिमत्] १ विद्वान, पंडित, ज्ञानी।
द्वारा वस्त्र बनाना । २ ऊन या सई के तागों से पहनने के २ बुद्धिमान, चतुर, समझदार, विवेकशील । ३ प्रतिभा 'वस्त्रादि बनवाना चाट की चुनाई करवाना । '४ जाल । शाली। ४ चालाक । प्रादि बनवाना।
बुद्धिमता-स्त्री० [सं०] बुद्धिमानी, समझदारी, अक्लमंदी। बुत-पु. [फा०] प्रतिमा, मूर्ति । देव प्रतिमा । -परस्त-वि• बद्धिमान-देखो 'बुद्धिमंत'। मूर्ति पूजक । परस्ती स्त्री मूर्ति पूजा।
बद्धिमानी-स्त्री०१ समझदारी, अक्लमंदी। २ चतुराई। वृतसिकन-वि० [फा०बुतशिकन] मूर्ति पूजा का विरोधी ।
बुद्धिवंत, बुद्धिवत-वि० [सं० बुद्धि-वत्] १ जो बुद्धि से भरपूर बुती-१देखो 'बुत्तो' । २ देखो 'बूतो' ।
हो, पंडित, ज्ञानी, विद्वान । २ चतुर, विवेकशील । वृत्त बाज-वि. १ धोखागाज, झांसाबाज । २ फुसलाने वाला, ३ प्रतिभा या प्रभावशाली । ४ चालाक । बहकाने वाला। ३ कपटी, धृतं ।
'बुधिवर, बुधियान-वि० [सं० बुद्धि-वर] १ जिसकी बुद्धि धुत्तो, बुओं-पु.धोखा, चकमा, झांसा।
प्रखर और तेज हो, श्रेष्ठ बुद्धि । २ पंडित, ज्ञानी विद्वान । धन्य- देखो 'भ्य।
३ समझदार, चतुर। बुद-१ देखो 'बुद्धि' । २ देखो 'बुद्ध' । ३ देखो 'बुध'।
| बुर्विसदन-पु० [सं०] बुद्धि का घर, गजानन, गणेश । बदबूत-स्त्री० [सं० बुद् बुद्] १ पानी या किसी तरल पदार्थ में बविधसागर-वि० [सं०] १ जो बुद्धि का सागर या भण्डार हो। बुद-बुदे उठने की क्रिया या भाव । २ देखो 'बुदबुंदी'।
२ विद्वान, पंडित, ज्ञानी । ३ चतुर बुद्धिमान । बुदबुदाकार-पु० [सं० बुबुम्माकार] जस, जल ही जल । बुविधसाळी, बुद्धिसील-वि० [सं० बुद्धिशालिन्, बुद्धिशील) बुबुदी-स्त्री०१ तमन्ना, इच्छा, कामना। २ त्वरा । ___ समझदार, अक्लमंद, चतुर । बुदबुदा-पु० [सं० बुद् बुद्] १ पानी या तरल पदार्थ में वायु से बुद्धिहदी-स्त्री० 'एक जाति विशेष ।
उठने वाला.बुल्ला, बुदबुदा । २ देखो 'बुबुड़ियो'। बदिधहीन-वि० [सं०] जिसमें बुद्धि का प्रभाव हो, मूर्ख, पदसागर-देखो 'बुद्धिसागर'।
"बेवकूफ । बद्ध-पु० [सं०] १ बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सिद्धार्थ गौतम । २ बुद्धि
बुद्धी-देखो 'बुद्धि'। मान व्यक्ति । -वि० १ ज्ञानी, पंडित, विद्वान । २ जो
बुद्धीवाळो-देखो 'बुद्धिवांन'। जाना हुमा हो, जय । ३ देखो 'बुद्धि' ।
बुध-पु० [सं० बुध] १ सूर्य के समीप रहने वाला सौर-जगत बुमावेज-वि० बुद्धिमान, चतुर ।
का एक ग्रह । २ नौ ग्रहों में से चौथा ग्रह । ३ प्रत्येक पुढबर-देखो 'बुद्धिवर'।
सप्ताह का चौथा दिन। ४ पंडित, ज्ञानी, विद्वान । बुद्धवंत-देखो 'बुद्धिवत'।
५ देवता । ६ चतुर, निपुण । ७ एक ऋषि । ८ वेगवत् बुद्धवर-देखो 'बुद्धिवर'।
राजा का पुत्र एक राजा । । एक स्मृतिकार-धर्म शास्त्रज्ञ । बुद्धवान-देखो 'बुद्धिवंत'।
१० मगध देश का एक राजा। ११ एक राक्षस । १२ बुद्धि-स्त्री० [सं०] १ बोध शक्ति, घी, मक्स, मति । २ समझ,
कुत्ता। १३ सुतथ देवों में से एक । -वि. १ श्वेत । ज्ञान । ३ धारणा, विचार, राय। ४ चेतना। ५ युक्ति,
२ कृष्ण । ३ देखो 'बुद्ध' । ४ देखो 'बुद्धि'। प्रटकल । ६ चाल, नीति । ७ हाजर-जबाबी । - विवेक, धैर्य । ९ विश्वास । १० इरादा, अभिप्राय,प्राशय । ११ मन, ।'
बुधप्रांबेज-देखो 'बद्धांबेज'। चित्त । १२ वृत्ति । १३ छप्पय छंद का एक भेद ।। बुधकरण-वि० बुद्धिमान । पंडित । ज्ञानी। १४ देखो 'बुद्धिगाथा'।
मुजांमी-पु० [सं० बुधयामी] बुध का पिता चन्द्रमा । विगाथा-स्त्री० गाथा छंद का एक भेद ।
बुधवा-स्त्री० [सं० बुद्धि-दात्री] सरस्वती, शारदा।
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बुधबळ
( २३३ )
बुधबळ-देखो 'बुद्धिबळ'।
बुरकाणौ (बी), बरकावणो (बो)-क्रि०१ मिट्टी या महीन बुधबायरो-वि० बुद्धिहीन ।
कणों वाली वस्तु किसी स्थान या पदार्थ पर छिड़कना, बुधवंत (तो)-देखो 'बुद्धिवंत' ।
छितराना, फैलाना । २. प्रौषधि का बुरादा घाव पर बुधवर-देखो 'बुद्धिवर'।
डालना। ३ किसी खाद्य पदार्थ पर शक्कर डालना। बुधवाण (न)-देखो 'बुद्धिवान'।
| बुरको-पु० [फा० बुर्का] १ पर्दानसीन मुसलमान स्त्रियों का बुधवार-पु० [सं०] प्रत्येक सप्ताह का चौथा दिन ।
एक पहनावा जिससे शिर से पांव तक शरीर ढका बुधसदन-देखो 'बुद्धिसदन'।
रहता है। २ नकाब। बुधसागर-देखो 'बुद्धिसागर' ।
बुरगटियो, बरगटौ-पु० वस्त्र को चारों प्रोर से दबा कर बुधहा-स्त्री० [सं० बुद्धिहा] शराब, मदिरा।
मोढ लेने की क्रिया। बुधहीण (हीणो)-देखो 'बुद्धिहीन'।
बुरहणौ (बो)-क्रि० ऊपर से तोड़ना, बेरहमी से तोड़ना। बुधा-पु० [सं० बुधान] प्राचार्य, पंडित, ज्ञानी।
बुरचणी (बौ)-देखो 'बुड़चणी' (बी)। बुधासणी (बौ)-क्रि० रोना, विलाप करना, रुदन करना। बुचितो, बुरचीती-वि० बुरी बातें सोचने वाला, बुरा चाहने बुधास्टमी-स्त्री० [सं० बुध-अष्टमी] बुधवार के दिन प्राने वाला। वाली अष्टमी तिथि।
बुरछ-स्त्री० बरछी। बुधि-देखो 'बुद्धि'।
बुरछाळ-पु. १ बरछी धारण करने वाला । २ वीर, योद्धा । बुधिबळ-देखो 'बुद्धिबळ' ।
३ देखो 'बुरछ'। बुधिवत (बांन)-देखो 'बुद्धिवंत' ।
बुरज-स्त्री० [अ० बुर्ज] १ किले या परकोटे की दीवार में बुधिवांनी-देखो 'बुद्धिमानी' ।
मीनार की तरह बना हुमा कक्ष । २ किले या परकोटे पर बुधीहीण-देखो 'बुद्धिहीण' ।
तोपें रखने का स्थान । ३ मीनार का ऊपरी भाग, गुम्बद बुध-१ देखो 'बुद्ध' । २ देखो 'बुध' । ३ देखो 'बुद्धि'।
गुम्बज । ४ मण्डप । ५ गुब्बारा । ६ राशि । ७ एक पक्षी बुनकर-पु० कपड़ा बुनने वाला कारीगर ।
विशेष । बुनाई-स्त्री० बुनावट, बुनने का कार्य या पारिश्रमिक । | बुरजाळ-पु० १ गढ़, कीला । २ जिसमें बुर्जे बनी हों। बुनियाद, व न्याव-स्त्री० [फा० बुन्याद] १ प्राधार, नीव । बुरजी-पु० [सं० वर्द्धमान] मिट्टी का गुबजदार ढक्कन ।
२ सामर्थ्य, शक्ति, बल । ३ जड़, मूल । ४ असलियत । बुरज्ज-देखो 'बरज' । ५ अस्तित्व । ६ प्रारंभ, शुरूपात ।
बुरझी-देखो 'बरछी'। बुनियादी बुन्यावी-वि० [फा० बुन्यादी] १ आधारभूत । | बुरटी-स्त्री० [देश॰] एक लोक गीत विशेष । २ मूल भूत । ३ असली, सही। ४ प्रारंभिक ।
बुरह-पु. एक जाति विशेष व इस जाति का व्यक्ति । बुलुकणी (बो)-क्रि० [सं० बुक्कनम्] १ दहाड़ मारकर रोना, | बुरडी-स्त्री० [देश॰] जिसके कान कटे हों, कान कटी।
विलाप करना, कूकना । २ भभकना । ३ उबक कर बाहर | बरणी (बो)-देखो 'बूरणो' (बी)। आना । ४ चिल्लाना, भौंकना।
बुरद-स्त्री० [फा० बुदं] १ शतरंज में किसी पक्ष के हार की बुबुकारी-स्त्री० [सं० बुक्कनम्] १ जोर-जोर से रोने की क्रिया
एक अवस्था । २ बाजी, शर्त । ३ प्रतियोगिता, होड़ । या भाव । २ भभकाहट । ३ भौंकने की प्रावाज, चिल्लाहट ।
४ रिश्वत की रकम ।-वि०१ नष्ट, बर्बाद । २ डूबा हुआ। बुबुक्षा, बुबुखा, भुखा-स्त्री० [सं० बुभुक्षा] १ खाने की इच्छा,
भूख, क्षुधा । २ तीव्र प्राकांक्षा। चाह। ३ हविस, कामना। बुरबुर-स्त्री० धूल या किसी वस्तु के महीन करण । बक्षित, बभुखित-वि० [सं० ब भूक्षित] १ भूख से पीडित, बुरबुरखांड-स्त्री० महीन कणों या दानों वाली शक्कर । भूखा । २ लालायित ।
बुरळ-पु० वात चक्र । बुरगा-स्त्री० एक प्रकार की सवारी ।
बुरस-पु० [अं॰ब श१ महीन तार या बालों का बना उपकरण बुर-स्त्री० १ महीन कण । २ एक सुगंधित पौधा विशेष । विशेष । २. बालों की कूची।' बुरउ-१ देखो 'बूरौ' । २ देखो 'बुरौ' । ३ देखो 'बुर'।
बुराई-स्त्री०१ बुरा होने का भाव, बुरापन । २ खराबी । बुरकरणो (बो)-देखो 'बुरकाणो' (बी)।
गड़बड़ी। ३ अवगुण, ऐब, दोष । ४ पालोचना, कटवी । बुरकलौ-पु. गोबर व पीली मिट्टी के मिश्रण से बनी छोटी ५ अपयश, निंदा। ६ मनोमालिन्य, कलुषता । ७ वैर, मोली।
शत्रुता । ८ द्वेष, ईर्ष्या । ९ शिकायत १० संबंधों में खराबी।
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पुराया
पुराणो (बो)-देखो 'बुरावणो' (बी)।
बुलाकी-पु० [तु० बुलाक] १ घोड़ों की एक जाति । २ उक्त बुरावी-पु. [फा० बुराद] १ चीराई के समय लकड़ी से निकलने | जाति का घोड़ा।
वाला बुरादा । २ साफ करते समय उतरने वाले लकड़ी| बुलाणी (बौ)-क्रि० [सं० वद्] १ किसी को पास पाने का के छिलके । ३ किसी वस्तु का महीन चूर्ण।
कहना, संकेत या इशारा करना । २ बुलावा भेजना, दुरावणी (बी)-क्रि० १ किसी खड्डे प्रादि में मिट्टी पत्थर पास पाने का कहलाना । ३ पुकारना, मावाज देना ।
प्रादि डाल कर भरवाना, समतल कराना। २ जमीन में ४ निमन्त्रण देना, प्रामन्त्रण देना। ५ प्राह वान करना । दफन कराना, दफनाना । ३ निन्दा, पालोचना या बुराई ६ बोलने के लिये प्रेरित करना । करना, कोसना ।
बुलावरण-स्त्री० १ बुलाने की क्रिया या भाव । २ पास. पाने बुरियो-पु० महाब्राह्मण ।
का संकेत । ३ प्राह वान। बुरी-स्त्री. १ निन्दा । २ शिकायत, चुगली । ३ देखो 'बुरौ'। | बुलावरणौ (बौ)-देखो 'बुलाणो' (बी)। बुरीगार-वि० १ दुष्ट, नीच। २ बुरे कार्य केरने वाला । बलावो-पु० १ बुलाने की क्रिया या भाव । २ प्रादेश, हुक्म । ३ किसी की बुराई या अहित करने वाला ।
३ निमन्त्रण । ४ प्रावाज, पुकार । बरी-वि० [सं० विरूप] (स्त्री० बुरी) १ अच्छे का विलोम, | बुलि, बुलो-स्त्री० [सं०] १ योनि, भग। २ छोटे बच्चे का
विपर्याय । २ खराब, निकृष्ट । ३ अनुचित, खराब । शिश्न । ३ गुदा ।। ४ सामाजिक, नैतिक व धार्मिक दृष्टि से निकृष्ट, हेय, बल्लरणी (बी)-देखो 'बोलणो' (बी) । निदनीय । ५ अशुभ, अमंगलकारी । ६ प्रशोभनीय, बुल्लाणो (बौ), बुल्लावरणी (बी)-१ देखो 'बोलाणी' (बौ) । अनुचित । ७. घृणित, गंदा । ८ असह्य, दुःखदायी ।। २ देखो 'बुलाणी' (बी)। ६ स्वभाव से दुष्ट, नीच । १० हानिकारक । ११ व्यवहार बुल्ली-स्त्री०१ प्राभूषण बनाने का एक औजार । २. देखो 'बुली' से उग्र । १२ दोष पूर्ण गुणों वाला । १३ अप्रिय, बुल्लौ-देखो 'बुलबुलो' । प्रसुहावना। -पु० १ नुकसान, हानि, अनिष्ट । २ देखो | बुवारणो (बी)-देखो वहाणी' (बी)। 'बूरों'।
बुवारणी (बी)-देखो 'बहारणो' (बी)। बलंव-वि० [फा० बलंद] १ चमकता हुआ, तेज । २ बहुत | बुवारी-१ देखो 'बहारी' । २ देखो 'बहू' ।
ऊंचा। ३ जबरदस्त । ४ प्रतिष्ठित, महान् उच्च, श्रेष्ठ । बहरणौ (बी)-देखो 'वहणी' (बी)। ५ बलवान । ६ निःशंक, निडर । ७ प्रबल । ८ लम्बा । बहत्तर, बुहत्तरि (री)-देखो 'बमोत्तर'।
९ भारी, तीव्र । १० प्रसिद्ध । ११ अधिक असरदार ! बुहराड़णी (बी), बुहराणी (बौ), बहरावणी (बी)-क्रि० बुलदी-स्त्री० [फा० बलन्दी] १ बुलंद होने का भाव । १ बुहारने का कार्य करवाना । २ झाड़ लगवाना, सफाई
२ ऊंचाई, लम्बाई । ३ शक्ति, बल । ४ श्रेष्ठता, महानता, करवाना । ३ कांटे या कचरा साफ करवाना । ४ इकट्ठा उच्चता। ५ प्रबलता । ६ भारीपन ।
करवाना, एकत्र करवाना । बुलगार-वि० सुन्दर, मनोहर ।
बुहाई-स्त्री० [फा० बू] १ दुर्गंध बदबू । २ गंध, महक । बुलडोग-पु० [अं०] १ एक प्रकार का विलायती कुत्ता, | वृष कुक्कर । २ वृषमुख ।
बुहानौ-देखो 'बहानी'। बुलबुल-स्त्री० [फा०] १ एक प्रकार की चिड़िया । २ एक
बुहार-देखो 'व्यवहार'। प्रकार का वस्त्र । -बाज-वि० बुलबुलें पालने व लड़ाने
का शौकीन । -बाजी-स्त्री० उक्त प्रकार का कार्य या शौक । | बुहारड़ी-१ देखो 'बुहारी' । २ देखो 'बहू'। बुलबुलो-पु० [सं० बुद्बुद्] १ किसी तरल पदार्थ का बुदबुदा, | बुहारण-पु० पूछ पर भौंरी वाला घोड़ा। बुल्ला । २ क्षणिक, वस्तु ।
बुहारणी (बी)-क्रि० [सं० बहुकरणम्] १ किसी स्थान या बल वाक-पु०१ बुलाने वाला व्यक्ति । २ संदेश वाहक,
मकान में झाड़ लगाना, सफाई करना । २ रास्ते या स्थान हलकारा।
से कांटे या कूड़ा-कचरा हटाना । ३ बिखरे पदार्थ को बुलवारणी(बो)-देखो 'बुलाणी' (बौ)।
बटोरना, एकत्र करना। ४ झाड़ना। ५ अवांछित तत्त्वों बुलाक-पृ० [तु०] १ स्त्रियों के नाक का प्राभूषण विशेष ।। को हटाना।
नथ । २ उक्त नथ में डालने का लम्बा मोती विशेष । बहारि, बहारी-स्त्री० [सं. बहकरी] १ सींकों का बना झाडू, -स्त्री० ३ नाक के बीच की हड्डी।
सोहनी, बढ़नी। २ देखो 'बहू'।
बुहाणी (बो)-देखो
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बुहारी
। २३५ )
बुहारी-पु० १ झाड़ लगाने की क्रिया । २ झाड़ । ३ देखो | बूतणी(बी)-क्रि० [सं०व्यूतीकरणम् ] मापना, निर्धारित करना। 'पूछ-बुहार'।
बूद, बूबड़, बड़ो-स्त्री० [सं० बिन्दु] १ तरल पदार्थ, पानी बुहि-देखो 'बेऊ' ।
आदि का छोटा, कण, कतरा, पृषत । २ पानी का छींटा, बुहुतर, बहुतिरि, बुहुतिरी-देखो 'बमोत्तर' ।
बरसात की बूद। ३ प्रश्र , प्रांसू । ४ स्त्री के गर्भाशय में बुहुत्तर, बहुत्तिरि, बहुत्तिरी-देखो 'बोत्तर'।
पुरुष के वीर्य का गिरने वाला अश । ५ देखो बूदी' । गंग-पू० १ टुकड़ा, खण्ड, अंश । -स्त्री० २ चिनगारी । बबळा-प० (ब.व.) 'दी के राजा
बूवळा-पु० (ब.व.) बूंदी के राज्य पर अधिकार करने वाले ३ द्रव पदार्थ की तेज धार, प्रवाह । ४ चिल्लाहट, रुदन ।। भील । ५ बूझ ।
बूंदा-पु. कान के आभूषण । बूंगरी-देखो 'बुहारी'।
बूदी-पु. १ चूतड़ पर भंवरी वाला बैल । २ कमर का जोड़ । बूगी-देखो 'बूझ'।
-स्त्री० [सं० बिंदु] ३ मोतियों के दानों जैसी बनने वाली गौ-पु० [देश॰] १ बैलगाड़ी के थाटे का, पीछे मुड़ा हुआ बेसन की मिठाई विशेष । ४ देखो 'बूद' । ५ देखो 'बुदी'। शिरा, नोक । २ दीवार में लगे पत्थर या लकड़ी का दौ-पु० १ बड़ी बूद । २ अग्नि, प्राग । ३ जलता हुमा काष्ठ बाहर निकला हुप्रा हिस्सा।
खण्ड। -वि० थोड़ासा, अत्यल्प । बूघरी-देखो 'बुहारी'।
बूब-पु० [सं० बुब] १ पुकार, आवाज । २ चिल्लाहट, त्राहिबूघरी-पु० झाड़ ।
त्राहि । ३ रक्षार्थ की जाने वाली पुकार । ४ चिंघाड़ बूझ-स्त्री० १ किसी प्राणी की संज्ञाहीन होने की अवस्था या
गर्जन । ५ कोलाहल । ६ जोर का धमाका, मावाज । दशा । २ बेहोशी, मूर्छा, गश ।
७ समर वाद्य, रणभेरी। बझियो, झो-पू० १ घास की जड़ों का समूह । २ पोधा, | बडी-स्त्री०१ शाहजादी। २ देखो 'ब'ब'।
क्षप । ३ कंटीली झाड़ी। ४ पानी की 'मूण' पर लगाने । बरण, बरिण-स्त्री० १ त्राहि-त्राहि की पुकार, करुण का रस्सी का ढक्कन । ५ बोतल के मुंह पर फंसाने का
क्रन्दन । २ जोर की आवाज, चिल्लाहट । कार्क, गोटी। ६ 'वेह में रखे जाने वाले कलशों में से
बूबला-देखो 'बूमड़ा। सबसे ऊपर का कलश ।
बूबाड़ौ-देखो 'बूब'। बूट-पु० [सं० विटप] १ वंश, बीज । २ जड़, मूल । ३ अंकुर, बारव-देखो 'बूबरण' ।
कोंपल । ४ फल की लता से जोड़े रखने वाला डंठल । बारोळ-देखो 'बूबरण'।
५ मशीन से बना जूता विशेष । ६ देखो 'बूटो'। बूबी, बीउ-स्त्री० १ आवाज, पुकार । २ झुंझलाहट, घुटन । बूंटको-देखो 'बूट'।
३ आवेश, जोश। टाउपाइ-वि० १ वश को नाश करने वाला । २ पौधे उखाड़ने |
| बूबोजणी (बी)-क्रि० १ गुस्से या क्रोध में घुटना, झुंझलाना ।
२ मावेश या जोश में आना। ३ चिल्लाना । ४ दम घुटना ___वाला।
घबराहट होना । ५ गश खाना।। बूटी-स्त्री० [सं० विटप] १ वनस्पति, पौधा । २ जड़ी,
बूमड़ा-पु० [देश॰] अनाज के दानों के ऊपर का छिलका । औषधि, ३ पौषधि, दवा । ४ मंग, विजिया । ५ कपड़े
बूल, बूल्यौ-देखो 'बांवळ' । आदि पर बनी फूल पत्तियां । ६ खेलने के पत्तों [ताश] पर
बू-स्त्री० [फा०] १ गंध, वास, महक । २ बदबू, दुर्गन्ध । बनी पत्तियां। -वि० [सं० बंड] १ कान कटी हुई ।।
३ आभास, प्रतित । ४ प्रभाव, असर । ५ गर्व, अभिमान । २ विलक्षण, विचित्र ।
[सं०वधू] ६ बच्चों द्वारा माता के प्रति संबोधन । ७ बूढ़ी बूटो-पु० [सं० विटप] १ पौधा, क्षुप । २ अंकुर, कोंपल । औरत के प्रति संबोधन । ३ अनाज की कटाई के बाद जमीन में गड़ा रह जाने वाला
बूई-देखो 'बुई'। हिस्सा । ४ वस्त्रादि पर अंकित पौधे का चित्र । -वि.
बूक, बूकड़, बूकड़ो-स्त्री० [सं० बाहु-वक्त्र] १ हथेली व अंगु[सं० वंड] (स्त्री० बूटी) १ कान कटा हुमा, बूचा ।।
लियों को समेट कर पात्रनुमा बनाई गई मुद्रा। २ बाहु । २ विचित्र, अद्भुत ।
३ गुरदा । ४ हृदय । ५ नरसिंघा, तुरही। ६ नगारा । बूंठ-पु० १ किसी पेड़ या पौधे का फूल, पत्ती व शाखा रहित |
७ तेज, प्रवाह । ८ शस्त्रों की तेज बौछार । ९ देखो खड़ा ठूट, डंठल । २ देखो 'बूटो' ।
'बूकियो' । ठो-१ देखो बूटो' । २ देखो 'बूठ'।.
बूकच, बूकचौ-देखो 'बुगचौ'।
ब
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वृरुणा
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( २२६ /
बूको (ब) ० १ ली में ब्रेकर किसी पदार्थ की फक्की लगाना २ रुदन करना फिल्माना ३ सिल पर पीसना रगड़ना ।
वाली शीशे की मजबूत छड़ ।
सूच[स्त्री० कान कटे होने की अवस्था, वृचान
बु० [अ०] बुचर ] १ मांस के लिये पशु वध करने वाला कसाई । २ मांस का व्यवसायी । ३ पशु वध की क्रिया। -यांनी ५० पशु वध करने का स्थान कसाईखाना । मांस की दुकान।
कियो, को पु० १ बाहु, भुजा । २ स्त्रियों के बाहु का वस्त्र । ३ तालाब या बांध के दोनों किनारे । ४ किसी वस्तु की फक्की लगाने की क्रिया । फक्की की मात्रा । बूग-पु० १ भाले की नोक, धरणी । २ देखो 'बक' । बूस देखो''।
बूढ़ों (बी) - देखो बूडणी' (बी) ।
बूढ़ी-स्त्री० [देश०] भाले, बच्चे यादि के निचले शिरे में लगने बूट स्त्री० १ चारण कुलोत्पन्न एक देवी पु० २ एक प्रकार का हिंसक जानवर । ३ देखो 'बूट' । - वि० जिसके कान न हो, बूचा।
बूची - वि० (स्त्री० बूची ) १ जिसके कान कटे हों, कान कटा । २ छोटे-छोटे कानों वाला
बूबकी - स्त्री० १ कटे कान की गाय या बकरी । २ छोटे बूटकी- देखो 'बू'टी' |
कानों की बकरी।
बृहाड़-पु० हिरा
बूज - १ देखो 'बूझ' । २ देखो 'बू'झ' ।
बूजरणी (बी) - देखो 'बूझरणी' (बो) ।
यूजर पु० राजा नल द्वारा विजित एक प्राचीन देश बूजली- देखो 'बूझली' ।
बृजाणी (बी), जावली (बी) देखो मासी' (बी)। बूजी-देखो 'बूझ' ।
बूजौ पु० [देश०] १ खलिहान में चलने वाले बैलों के मुंह पर लगाई जाने वाली जाली । २ गाड़ी श्रादि पर लाद कर पानी लाने के जल पात्र का ढक्कन । ३ छोटा बच्चा । ४ देखो 'बू ंझौ' ।
बूजी - स्त्री० [देश०] ग्वार की फलियों का साग विशेष । बूझ पु० [सं०] बुद्धि] १ समझ, बुद्धि, ज्ञान २ देखो 'बू''। [३] देखो 'पू'
बूगर - देखो 'बूझागर' ।
बूझरणी (बी) - क्रि० [सं० बोधव्यम् ] १ बोध करना, समझना ज्ञान करना। २ गूढ़ विषय या मर्म समझना, रहस्य जानना । ३ अनुभव करना । ४ देखो 'पूछणी' (बी) । ५ देखो 'बुझखौ' (बो) ।
-
बूझबूझाकर बूशबूसागर - वि० [सं० बुद्धि-बुद्ध्याकर ] १ बहुगुणी शानी, गुणज्ञ २ बहुतसी बातें जानने वाला, बहुत ३ मोहल्ले या गांव में सब से अधिक ज्ञानी, अनुभवी । ४ ज्ञानी होने का ढोंग करने वाला, पाखंडो ।
बूझली स्त्री० कान का प्राभूषण विशेष ।
बूभवल स्त्री० [सं० बोधनम् ] १ बोध करने या समझने की क्रिया या भाव। २ पूछने की क्रिया, पूछताछ ।
बूझवरणौ (बी) - १देखो 'बूझणी' (बो)। २ देखो पूछरणी' (बो) । ३ देखो 'बुझरणी' (बी) ।
सारणी (बी), सावली (बी) - कि० १ बोध कराना, समझाना
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grade
ज्ञान कराना। २ गूढ़ विषय या ममं समझाना, रहस्य जनाना । ३ अनुभव कराना । ४ देखो 'पूछाणी' (बी) । ५ देखो 'बुझाणी' (वी) ।
बूटी देखो दृ'टी' ।
बूटी देखो 'बू'टी' |
मूठ- देखो 'बू'ठ' |
बूठी (at) - क्रि० [सं० वृष्टनम् ] १ बरसना, वर्षा होना । २ बौछार होना, झड़ी लगना । ३ तुष्टमान होना । ४] प्रवाहित होना। बूढो देखो 'बूंठी' |
बूड पु० [सं० डनम् ] १ डूबने की दशा, क्रिया या भाव। २ डुबकी लगाने का ढंग । ३ एक प्राचीन देश । ४ देखो 'बूढ़ी' ५ देखो 'बूढ़ी' ६ देखो 'बुढा' (पि, पी) - देखो 'बूढ़ण' ।
बूड
बूडली (बो) - क्रि० [सं० ब्रुड ] १ जल में समाना, डूबना । २ गहरे जल में जाना। ३ निमग्न होना, सीन होना, लिप्त होना । ४ किसी विषय या विचार में खो जाना । एकाग्रचित्त होना। ५ नाश होना, मिटना समाप्त होना। ६ पतन होना, गिरना, ह्रास होना । ७ भयंकर प्राधिक हानि होना ।
परवा परवा स्त्री० [सं० वृद्ध-पूर्व-वायु] माग्नेय कोण से बहने वाली हवा |
arit (at), वूडrant (बी) - क्रि० १ जल में डुबाना | २ निमग्न, लीन या लिप्त करना । ३ तन्मयता लाना, एकाग्रता लाना । ४ नष्ट करना, मिटाना, समाप्त करना । ५ गिराना, पतन करना, ह्रास करना । ६ घेरे या प्रभाव में लाना, फंसाना, उलझाना ७ धाविक हानि पहुंचाना। बूदो-देखो 'बूढ़ों'।
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बूढ़- स्त्री० १ वृद्धता, वृद्धपना । २ देखो 'बूढ़ों' । ३ देखो 'बूढ़ण' । बृजपु० [सं०] वृद्ध-जनित] वृद्धावस्था की संतान
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।
२३७ ।
बेअक्सरी
बूढ़ण. (णि, गो)-स्त्री० [सं० वृद्धा] १ वृद्ध स्त्री, वृद्धा बूराणी (बो), बूरावणी (बो)-देखो 'बुरावणो' (बी)। बुढ़िया । २ वीर बहूटी नामक कीड़ा।
बूरी-स्त्री. १ रंग विशेष की मादा मवेशी। २ एक वनस्पति बूदरणी (बी)-क्रि० [सं० वृद्धत्वं] बुद्ध होना, बुढ़ापा पाना। | विशेष । • बूढल (लि, ली)-देखो 'बूढण' ।
बूरी-पु. १ अच्छे किस्म की शक्कर विशेष । २ भूरे रंग की बूढलो-देखो 'बूढ़ी'।
कच्ची चीनी। ३ कोई महीन चूर्ण । ४ देखो 'बुरौ'। बूढ़वेम, बूढ़वम-देखो 'बूढ़जांम'।
बूला-स्त्री० चमड़े की रंगाई का कार्य करने वाली एक बूढ़ाई, बूढ़ापण (पो)-पु० [सं० वृद्धत्वं] १ वृद्ध होने की | चमार जाति, रैगर ।
दशा, अवस्था या भाव । २ वृद्धावस्था का भाव । बूसी-स्त्री० हाथ में रखने की लाठी। बूढ़ापौ-देखो 'बुढ़ापौ'।
बहणी (बो)-देखो 'वहौ ' (बी)। बूद्धि, बूढ़ी-वि० [सं० वृद्धा] वृद्धा अवस्था वाली, वृद्धा। बूहाणी (बी)-देखो 'वहाणों' (बी)। बड़े वारे, बूढ़वार-क्रि० वि० [सं० वृद्ध वेला] वृद्धावस्था में, बूहारणो (बौ)-देखो 'बुहारणी' (बी)। ___ बुढ़ापे में।
बुहारी-देखो 'बुहारी'। बूढ़ी-वि० [सं० वृद्ध] (स्त्री० बूढ़ी) १ वृद्धावस्था वाला, वृद्ध, बैं-सर्व०१ उस,वह । २ । -स्त्री. भेड़ या बकरी की बोली।
बूढ़ा। २ बुजुर्म, दाना । ३ वृद्धि को प्राप्त, बढ़ा हुमा। बॅच-स्त्री० १ लंबी कुर्सीनुमा बैठने का प्रासन, बैठने का लम्बा ४ बुद्धिमान, चतुर । ५ झर-झर, पुराना, क्षीण । | तख्ता । २ न्यायाधीश या सांसदों के बैठने का मासनं । ६ परिपक्व । -पु० १ वृद्धावस्था का प्राणी। २ वृद्ध बॅचरणी (बौ)-देखो 'बांटणो' (बौ) । पुरुष ।
बॅचवाड़ी-पु० बंटवारा, विभाजन, वितरण। बूढोडेरण-पु० [सं० वृद्ध] प्रति वृद्ध एवं संज्ञा शून्य प्राणी। | चारणो(बी), बैंचावणी (बी)-देखो 'बंटाणों' (बी)। बूणा-स्त्री० भाटों की एक शाखा विशेष ।
बेंट-पु० [सं० वण्ट] प्रौजार आदि का दस्ता, हत्था । बूतणी (बी)-देखो 'बूतणी' (बी) ।
बेंडो-देखो 'बैडी' । (स्त्री० बेंडी) बतौ-पु. १ योग्यता, अनुभव । २ हौसला, ज्ञान, बोध । | बॅग-१ देखो 'वेन' । २ देखो 'बहन' । ३ देखो 'वचन' ।
३ मौकात, क्षमता । ४ सामर्थ्य, हस्ती । ५ शक्ति, बल, | बेंत-स्त्री० [सं० वेतस्] १ ताड़ या खजूर की छड़ी विशेष । पराक्रम । ६ प्रायु । ७ शारीरिक क्षमता ।
२ ताड़ या खजूर की शाखा की लकड़ी की छाल का पतला बूरकार-स्त्री० [सं० चीत्कार] चिल्लाहट, चीत्कार ।
रेशा (केन)। ३ बालिश्त। [सं० व्यूतिः] ४ सिलाई के बूथ-स्त्री० १ मांस का टुकड़ा, बोटी। २ गाढ़े खून की ग्रन्थि । वस्त्रों का माप । ___ रक्त पिण्ड ।
बैतरणी (बी)-क्रि० [सं० व्यूतिः करणम् ] सिलाई के वस्त्रों का बूथेळी-देखो 'बथूलो'।
माप लेना। बून-देखो 'बूंद'।
बंतारणी (बी)-क्रि० सिलाई के कपड़ों का माप लिरवाना । बने, बून-क्रि० वि० उस मोर, उधर । -सर्व. उसे, उसको। बैंतालीस-देखो 'बयालीस'। बूब, बूबड़-देखो 'बूब'।
बतावरणों (बी)-देखो 'बैताणों' (बी)। यूबड़ी-१ देखो 'बूबड़ी' । २ देखो 'बूब' ।
बंदी-देखो "बिंदी'। वणी (बी), बूबूरणी (बी)-कि० जोर से बोलना, चिल्लाना। बे-वि० [सं०] १ दो। २ दोनों । -क्रि० वि० [फा०] बूम-देखो 'बूब'।
१ बगैर, बिना। २ अभाव में । ३ उपसर्ग विशेष । -पु. बूमनौ-पु. फकीर।
१ कमल । २ क्रम । ३ जग । ४ नीचजन । ५ संसार । बूर, बूरो-यु० १ प्रहार । २ बौछार । ३ प्रवाह, बहाव ।। ६ साक्षी । ७ देखो 'बे'। -अंत-वि. अनन्त, अन्तहीन
४ समूह । ५ एक प्रकार की घास । ६ अधिक जड़ों वाला -अकल-वि० मूर्ख, बुद्धिहीन । नादान । -प्रकली
एक सुगधित घास विशेष । ७ सुहागा । ८ देखो 'बुरौ'। स्त्री० मूर्खता । नादानी। -अवब-वि० धृष्ट, गुस्ताख । बूरणी (बी)-क्रि० १ गड्ढा खोद कर गाड़ देना, दफना देना।
बदतमीज । असभ्य । प्रशिष्ट । -अदबी-स्त्री० पशिष्टता २ खाई, गड्ढे आदि को पाट देना, समलत कर देना ।
असभ्यता, बदतमीजी, धृष्टता । बलात्कार । ३ क्षत-विक्षत कर मिट्टी में मिला देना । ४ सन देना, बेअक्खरी, बेप्रखरी, बेमख्खरी, बेप्रख्यरी-पु. १ सोलह मात्रा पाच्छादित कर देना । ५ धूल आदि वस्तु के ढेर में दबा का एक छन्द विशेष । २ चौदह वर्ण का एक छन्द विशेष । देना । ६ अधिक देना, भरना ।
-चौसर-पु. एक छन्द विशेष ।
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प्ररय
( २३६ )
बेप्ररथ (थो)-वि० [सं० वि+अर्थ] १ जिसका कोई अर्थ न हो। बेकदर-वि० [फा०] १ जिसकी कद्र, इज्जत, प्रतिष्ठा, आदर न २ निरर्थक, व्यर्थ, तथ्यहीन । ३ जिसके दो अर्थ हों ।
हो। २ अपमानित, जलील । ३ उपेक्षित । ४ तुच्छ, हेय । बेग्राब-वि॰ [फा०] १ जो प्राभाहीन हो कांतिहीन, निस्तेज । बेकदरी-स्त्री० [फा०] १ बेकदर होने की दशा या भाव । . २ प्रतिष्ठाहीन । ३ चमकहीन, धुंधला। ४ जिसमें पानी २ अप्रतिष्ठा, अनादर । ३ उपेक्षा । ४ तुच्छता, हेयता । न हो, जलहीन ।
बेकर, वेकरड़ी बेकरी-पु० [सं० विकीर्ण] १ याचकों की बेनाबरू- वि० [फा०] १ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा, रहित । झोली का मिश्रित अनाज । २ दानेदार धूल । ३ खूबकला ___२ बेशर्म ।
नामक औषधि । बेइंदिय, बेइदी, बेइंद्रिय-वि० [सं० द्वि-इन्द्रिय] दो इन्द्रियों बेकरार-वि० [फा०] जिसके चित्त में शांति न हो, प्रशान्त,
वाला । -पु. मुख व शरीर, दो इन्द्री वाले जीव । | व्याकुल, बेचैन । बेइंसाफ-वि० [फा०] अन्यायी ।
| बेकरारी-स्त्री० [फा०] १ बेकरार होने की अवस्था या भाव । बेहसाफी-स्त्री० [फा०] अन्याय, पक्षपात ।
२ व्याकुलता, बेचनी । ३ अशान्ति । बेइ-देखो 'बेई'।
बेकरियो, बेकरू-देखो 'बेकर'। बेइज्जत-वि० [फा०] १ मान, प्रतिष्ठा व इज्जत से रहित । बेकळ-१ देखो 'विकळ' । २ देखो 'बेकळू'। . २ निदित । ३ तिरस्कृत । ।
बैकळी-पु. १ प्रसव के बाद घोड़ी के होने वाला एक रोग । बेइज्जती-स्त्री० [फा०] १ मान, प्रतिष्ठा की हानि ।। २ देखो 'व्याकुली' ।
२ अपमान, अनादर । ३ तिरस्कार । ४ निंदा । | बेकळू-स्त्री० [सं० बालुका] १ महीन बालू रेत । २ एक विशेष बेइतबार-पु० [फा०] १ अविश्वास । २ संदेह । ३ बेसब्री। प्रकार की रेत । बेइल्म, बेइल्मी-वि० [फा०] १ जो किसी इल्म या कला का | बेकस-वि० [फा०] १ असहाय, निराश्रय । २ दीन, अनाथ, __ जानकार न हो । २ अनपढ़, अज्ञानी ।
मुहताज । ३ दुःखी, पीड़ित, त्रस्त। बेई-वि० [सं०] १ दो, दोनों। २ विचारा हुमा । -पु० | बेकसूर-वि० [फा०] १ जिसका कोई कसूर न हो, निर्दोष, .
लकड़ी के दो सींगों वाला एक कृषि उपकरण । . निरपराध । २ सीधा-सादा, भोला-भाला। . -क्रि० वि० लिए, वास्ते, निमित्त, प्रति ।
बेकाम, बेकाज-वि० [फा० बेकार] १ जिसके पास कोई कार्य बेईठणो (बो)-देखो बैठणी' (बी)।
न हो, बेकार, निठल्ला, निकम्मा । २ निरर्थक, व्यर्थ, बेईठाणी (बौ)-देखो बैठाणी' (बो)।
बेकार । [सं० निष्काम] ३ जिसका कोई मतलब या बेईमान-वि० [फा०] १ जिसका कोई ईमान या धर्म न हो, प्रयोजन न हो। ४ कामना या इच्छा रहित ।
प्रधर्मी। २ अविश्वासी, झूठा । ३ प्रतिष्ठा या इज्जत बेकाबू-वि० [फा०]१ जो काबू में न त्रासके, वश के बाहर का।
रहित । ४ उद्दण्ड, बदमाश । ५ अत्याचारी, अन्यायी । | २ निरंकुश, उच्छखल । ३ उद्विग्न, प्रापे से बाहर । .. दुष्ट ।
४ स्वतन्त्र, आजाद । ५ सीमा से बाहर । बेईमानी- स्त्री० [फा०] १ ईमान या धर्म का प्रभाव, अधर्म । बेकार-वि० [फा०] १ निठल्ला, निकम्मा । २ निरर्थक, व्यर्थ ।
३ अविश्वास, झूठ । ३ धोखा, जालसाजी । ४ उद्दण्डता, ३ फालतू, अतिरिक्त । ४ सारहीन, तथ्यहीन । ५ नौकरी बदमाशी। ५ अनाचार, अत्याचार, अन्याय ।
या उद्यमहीन । बेउ-देखो 'बेऊ" ।
बेकारी-स्त्री० [फा०] १ निठल्ला या निकम्मापन । २ बेकार बेउंडी-देखो 'बेवणी'।
होने की दशा । ३ बेरोजगारी । बेउ-देखो 'बेऊ"।.
बेकी-स्त्री० १ दो की सख्या । २ दो वस्तुओं का जोड़ा, युग्म । - उग्र-वि० १ जिसे किसी बात का उज्र या आपत्ति न हो ।
३ दो अंगुलियों का संकेत । २ जिसमें प्रापत्ति करने की गुजाईश न हो।
बेकोमती-वि० [फा०] अमूल्य, बहुमूल्य, निमूल्य ।
बेकुंठी-देखो 'वकुठ'। बेउसीलो-वि० [फा०] (स्त्री० बेउसीली) प्राश्रय, सहारा या| बेकफ बेख-देखो 'बेवकूफ'। साधनहीन ।
बंकूबी-देखो 'बेवकूफी'। बेऊ. बेऊ-वि० [सं०] १ दो, दोनों । २' दूसरा, द्वितीय ।
बख-पु० [सं० वेष] १ वेश-भूषा, पोशाख । २ स्वरूप, रूप । ३ दो बार प्रौटाया हुया। -सर्व० उन्हें, उनको।
[सं० वयस] ३ प्रायु, उम्र, वय । ४ जड़, मूल । बेकट, बेकठ-देखो "विकट'।
५ समान, तुल्य । . . . . .
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२३६
)
बेखटक, बेखटके-क्रि०वि० [फा०] १ बिना किसी प्रावाज या | बेगानगी-स्त्री० [फा०] १ परायेपन की भावना । २.अपरिचि
खटके से । २ बिना किसी रुकावट या व्यवधान के ।। तता। ३ बिना किसी भय, संकोच के ।
बेगांनो-वि० [फा० बेगानः] (स्त्री० बेगानी) १ पराया, मन्य, बेखणी (बी)-देखो बेखणी' (बौ।।
गैर । २ अजनबी, अनजाना । ३ अनभिज्ञ, प्रज्ञानी । बेखता-वि० [फा०] १ निरपराध, बेकसूर । निर्दोष । २ प्रमोघ | बेगागळ -देखो 'वेगागळ'। प्रचूक ।
बेगार-स्त्री० १ बिना शुल्क दिये, बलपूर्वक करवाया जाने वाला बेखबर-वि० [फा०] १ जिसकी कोई खबर न हो । २-जिसे कार्य । २ निरर्थक श्रम। ३ मन से किया गया कार्य ।
होश-हवास या चेतना न हो। ३ असावधान, लापरवाह । ४ व्यर्थ का झमेला, झंझट, बखेड़ा। ५ बेरोजगारी, बेकारी ४ अनजान ।
बेगारी-वि० [फा०] १ बेगार का कार्य करने वाला । बेखबरदारी-स्त्री० [फा०] १ बेखबर होने की दशा या भाव । - २ बेमन से कार्य करने वाला।
२ अचेतनता । ३ लापरवाही,असावधानी। ४ अनजानपना। बेगुना, बेगुनाह-वि० [फा०] १ निरपराध, निर्दोष । २ बेदाग, बेखबरी-पु०१ बेखबर होने की अवस्था या भाव । २ लापरवाही, | निष्कलंक। प्रसावधानी । ३ प्रज्ञानता । ४ बेहोशी ।
बेगौ-देखो 'वेगौ' । (स्त्री० बेगी) बेखरच-वि० [फा०] धनहीन, गरीब ।
| बेड़-पु० [देश॰] १ कूए का जलस्तर । २ कूए की गहराई । बेखवेरी-स्त्री० एक देवी का नाम ।
___ ३ बीहड़वन, जंगल । ४ देखो 'बड़ो' । ५ देखो 'बैड' । खातर बेखातिर-वि० [फा०] १ बेचैन, प्रशान्त, दुःखी, बेडकी-स्त्री० [सं० द्विघट] १ मिट्टी का छोटा जल पात्र । व्याकुल । २ जिसकी इज्जत, मान, प्रतिष्ठा न हो।
२ देखो 'बै''। बेखोफ-वि० [फा०] शंका व डर से रहित, निःशंक, निडर । ।
बेडरपी-स्त्री. १ बेड़ने की क्रिया या भाव । २ अनाज की बेग-पु० [अं॰] १ चमड़े, प्लास्टिक प्रादि का बेला विशेष ।
बालों की कटाई । ३ शिर काटने की क्रिया । ४ मुण्डन, [तु.] २ अध्यक्ष, नायक । ३ अमीर, धनवान । ४ मुगलकालीन एक उपाधि । ५ देखो 'वेग'।
मुण्डाई। गोगनपानी नलीमा जाने बेडरपी (बौ)-क्रि० १.अनाज की बालें काटना । तोड़ना । के पशुपों का झुण्ड । ३ दो गढ़ या किल्ले । ४ देखो
| - २ काटना। ३ मुण्डन करना । 'बेगड़ी।
बेड़लो-देखो 'बेड़ों। बेगड़ो-पु०१ सीधे व लम्बे सींगों वाला, अच्छी नस्ल का बैल । | बेडाफोड़-पू० एक भयंकर विषैला सर्प । २ बल । ३ नर हिरण । ४ दो गढ़ों का प्रधीक्षक । -वि०
बेड़ियो-देखो 'बेड़ो'। १ जबरदस्त, जोरदार, २ दोगला, वर्णसंकर।।
बेड़ी-स्त्री० [सं० वलय] १ कैदी के पांव में डालने का लोहे का बेगति (ती)-स्त्री. १ दुर्गति, दुरावस्था । २ प्रेत योनि । बेगम-वि० [फा०] जिसे कोई गम या चिंता न हो। निश्चित ।।
छल्ला । २ हाथी प्रादि पशुओं के पांव में डालने का
छल्ला । ३ स्त्रियों के पांव का एक प्राभूषण विशेष । -स्त्री० बादशाह या नबाब की स्त्री। २ सभ्रांत परिवार
४ छोटी नौका, नाव । ५ बंधन । -वाहो-पु. नाविक, की स्त्री। ३ पत्नी, बीबी । ४ अप्सरा, हूर । ५ रानी के
मल्लाह। चित्र वाला ताश । बेगमी-वि० १ बेगम का, बेगम संबंधी । २ उत्तम, बढ़िया । बेड़ को, बेड़, खो-पु० [सं० द्विवृक्षता] १ दो शाखामों वाला -स्त्री. निश्चितता, बेफ़िक्री ।
वृक्ष । २ हाथ की अंगुलियों का संधिस्थान । बेगर-प्रव्य० बगैर, बिना, रहित । -वि. विरक्त, उदास ।| बेडबौ-पू० [सं० विद्धांग] बिगड़ा हमा, खराब । __-पु० रंगाई का मसाला विशेष ।
बेड़ो-पु० [सं० बेडा] १ बड़े लट्ठों को जोड़ कर बनाया जल बेगरज-वि० [फा०] १ जिसे कोई गरज, मतलब या स्वार्थ न |
पोत । नौका । २ नावों या जलपोतों का समूह । ३ मिट्टी हो, निस्वार्थ । २ व्यर्थ, निरर्थक ।
का जल-पात्र । [सं० द्विघटक] ४ पनिहारी के शिर पर बेगरजी-स्त्री० [फा०] १ निस्वार्थ की भावना । २ व्यर्थता ।
रखा जल पात्रों का जोड़ा । ५ एक पर एक रखी वस्तुओं बेगल-पु० [देश॰] भूखा सिंह ।
का समूह । ६ पवन, हवा । ७ फौज, सेना । ८ हाथ की बंगवती-पु. १ एक वद्धि वृत्त विशेष । २ देखो 'वेगवंत'। ।
अंगुलियों के संधिस्थल । ९ पहाड़ों का संधिस्थल । बेगसर-पु० [सं० वेबसरः] खच्चर, अश्वतर ।
१० पेड़ की शाखानों का संधिस्थल [सं० विभितक:]
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ব'ड़া
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( २४० )
बेड़ो-देखो 'वे'डी' ।
( क्रि० [सं० विकपणम्] १ मूल्य लेकर कोई वस्तु देना | बेचना । २ बिक्री करना । ३ समर्पित करना । ४ द्रव्य आदि के लोभ में धर्म-ईमान खोना ।
११ बहेड़े का वृक्ष । १२ इस वृक्ष का फल । १३ देखो | बेजां वि० [फा०] १ जो उचित स्थान पर न हो । २ अनुचित, 'ई'हो'।
अनुपयुक्त, बुरा ३ तुच्छ, घटिया, हेप खराब । ४ प्रसंगत, बेतुका । ५ बेकाबू |
बेजापता बेजान्ता वि० [फा०] १ जिसका कोई जातान किया गया हो, प्रसुरक्षित । २ जो कानून या नियम के विरुद्ध हो। ३ अव्यवस्थित प्रस्त-व्यस्त
चरण (म) पु० [सं० विक्रप] १ येवने की क्रिया या भाव। २ बेनी जाने वाली वस्तु
।
1
चाक - वि० [देश०] १ पूर्णतया अस्वस्थ रुग्ण बीमार २ क्षीण, दुर्बल। ३ सावधान, गाफिल । ४ सुस्त, उदास । ५ बेचने का कार्य करने वाला, व्यवसायी ।
चालो (बी) क्रि० [सं० विक्रयणम् ] १ मूल्य के बदले कोई वस्तु दिराना, बिकवाना । २ बिक्री कराना । ३ समर्पित कराना । ४ धन आदि का लोभ देकर धर्म-ईमान गमवाना । बेबारी दि० [फा०] बेचारा] [स्त्री० [बेपारी) १ जिसके पास कोई साधन या कोई उपाय न हो । २ निस्सहाय, बेसहारा ३ दुःखी, परेशान ४ दरिद्र, कंगाल, दीन बेचावणी (ब) - देखो 'बेचाणी' (बी) ।
1
बेचिराग - वि० [फा०] १ जहां चिराग न जले । २ जहां चिराग का अभाव हो । ३ निस्संतान ।
,
बेचेत चेतं वेते वि० १ जिसमें चेतना न हो, प्रचेत बेहोश । २ होश - हवास से रहित मतिभ्रम । ३ श्रसावधान । बेचैन वि० [फा०] १ जिसे पैन न हो, शान्त
२ व्याकुल विकल । ३ दुःखी, संतप्त । ४ उदास, चिन्तित । ५ भयातुर उद्विग्न ६ स्थिरचित्त
।
देबेनी-स्त्री० [फा०] १ चेन रहित होने की दशा, प्रशान्ति । २ व्याकुलता विकलता ३ शोक, दुःख, उदासी । ४ उद्विग्नता भय ५ चित्त की स्थिरता, घबराहट छाड़ देखो छाड़' ।
बेज, वे' को बु० [सं० वेध ] छिद्र, सूराख, विवर, छेद । बेजड़ - वि० १ जिसकी कोई जड़ या मूल न हो, निर्मूल । २ बेबुनियाद, निराधार ३ सारहीन व्यर्थ पु० [स० दिन] १चने का मिश्रण २ कई अनाजों का मिश्रण । ३ देखो 'बीजला' ।
।
।
बेज हथ - देखो 'बीजळाहथ' ।
बेजबान - वि० [फा०] १ जिसके जबान या वारणी न हो, मूक । २ जो बोलना न जानता हो । ३ चुप, शांत, गभीर । ४ दीन, गरीब, विवश । पु० अपशब्द, गाली । बेजान - वि० [फा०] १ जिसमें जान न हो, निर्जीव । २ प्रत्यन्त कमजोर, क्षीण
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बेजारा - स्त्री० [देश०] वस्त्र बुनने का व्यवसाय करने वाली जाति ।
बेजारी पु० [देश०] उक्त जाति का व्यक्ति ।
-
बेजु बेजू - देखो 'बिज्जु' ।
बेजोड़ - वि० [फा०] १ जिसकी कोई जोड़ न हो, श्रद्वितीय, अनुपम, अनोखा | २ जिसमें कोई जोड़ न हो, प्रखण्ड ।
डोळ
३ जिसका कोई साम्य न हो, बेतुका
बेजt - पु० १ कपड़ा बुनने का एक यन्त्र । २ कपड़ा बुनने की क्रिया ।
बेस, येस बेसको देखो 'वे'ज'
.
बेड़ देखो 'बेजड़' ।
बेझौ -
सौ पु० [सं० वेध] निशाना, लक्ष्य ।
बेज्यास पु० [फा०] १ विश्वास या तसल्ली का प्रभाव । २ धैर्य की कमी, अधीरता । ३ निराशा । ४ श्रविश्राम, अशांति ।
बेट - पु० समुद्र के बीच का टापू, द्वीप ।
बेट बैटकियों, बड़ी-देखो 'बेटी' ।
बेटड़ी बेटी स्त्री० [सं० परेसा] १ पुत्री, बया चात्मजः २ कन्या, लड़की । ३ किसी के प्रति स्नेहयुक्त संबोधन । बेटी - पु० [सं० वत्स, बटु] ( स्त्री० बेटी) १ पुत्र, सुत, वत्स । २ लड़का, बच्चा 1 ३ छोटे बच्चों का युक्त सम्बोधन ।
1
बेठ-पु० [देश०] मुफ्त काम कराने की क्रिया, बेगार बैठक - देखो बैठक' ।
बेटियो- पु० बेगारी 1
बेली देवी 'बेडी' ।
ठणी (बौ) - देखो 'बैठणी' (बो) । बेठाणी (बी) देखो 'बंडाणी' (बौ
बैठकले ( ० वि० [फा०] १ निर्धारित स्थान से अलग । २ अन्यत्र । ३ अनुपयुक्त स्थान पर ४ गलत पते पर । ५ बेमेल ।
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बेडाळ - वि० [फा०] १ जिसकी कोई डाल या शाखा न हो । २ अव्यवस्थित ३ देखी 'बेड़ो' |
बेडीवाही देखो 'बेड़ीवाही' ।
बेडोल - वि० १ भद्दा, बेढंगा । २ कुरूप । ३ अस्त-व्यस्त ।
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ब्रेडंग
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बेणि बेणी-१ देखो 'वेणी' २ देतो बीणी'।
बेणीडंड, बेणीदंड - देखो वेणीदंड' बेलील देखावेली।
( २४१ )
बेढ़ंग - पु० १ ढंग का प्रभाव। २ अव्यवस्था । ३ भद्दापन, बेतार - वि० [फा०] बिना तार कां । - पु० रेडियो, श्राकाशवाणी भोंडापन । बेताळ-वि० [फा० + ० ताल] १ जिसमें ताल वा सम का प्रभाव हो या मेल न हो । २ देखो वेताळ' | - भट्ट 'वेत ळभट्ट' । बेताळ-देखता।
बेतालीस बेतालीस देखो 'बंबाळीस' । बेताव- देखो 'बेताब' |
aart - वि० [फा०] १ जिसकी कोई तुक या मेल न हो. बेमेल । २] जिसका कोई सामंजस्य न हो। ३ बेडंगा ४ विषय से हटकर, अप्रासंगिक । ५ श्रसुहावना ६ अनिष्ट सूचक । ७ विशेषता से हीन ।
बेगाव (सौ) - ० १ बेढंगा होने की अवस्था या भाव। २ अव्यवस्था । ३ भद्दापन, भोंडापन ४ विचित्रता । बेबी ० १ जिसका कोई ढंग न हो, अनुपयुक्त ।
1
२ अव्यवस्थित । ३ भद्दा, भोंडा । ४ विचित्र । बेढ़-देखो 'बेद'।
बेक, बेढ़की-देखो 'वेढ़क' ।
बेदौ (ब)- देखो वेढ़णी' (बौ) ।
बेढब - वि०
१ जिसका कोई ढब या ढंग न हो, बेढंगा । २ अव्यवस्थित । ३ भद्दा, भोंडा ।
- । । ।
बेदाळ वि० [१] यस्त-व्यस्त अव्यस्थित २ विरूप कुरूप, भद्दा वेषळियो दि०१ संपत्तिहीन, निर्धन, गरीब २ बेहूदा । । बेढ़ी-देखो 'वेद' |
बेमाय देवो'वाह' ।
बेढ़ीगार, बेढ़ीगारी- देखो 'वेढ़ीगारी' ।
बेड़ीम (मणौ ) - देखो वेढ़ीमणी' ।
बेग-१ देखो 'वीणा' । २ देखो 'वेणी' । ३ देखो 'वचन' |
बेगका स्त्री० १ वीरणा । २ वेणी ।
बेची स्त्री० [देश०] चारपायों का एक आसन विशेष पीढ़ा बेणसुत देखो येनसुत' ।
बे. बेणु-देखो 'वेणु' ।
बेतंड- देखो 'वितु'ड' |
तर ० [सं०] येत-धर]] १ द्वारपाल २ दण्डी । बेतररणी- देखो 'वैतरणी' ।
बेत पु० १ मौका, अवसर । २ संतान । ३ वक्त, समय । ४ देखो 'वंत' ।
बेतरह क्रि०वि० [फो०] १ बुरी तरह। २ विचित्र ढंग से । ३ साधारणतया । - वि० अत्यधिक बहुत । बेलब तलब वि० [१] कर मुक्त २ जांच से मुक्त -स्त्री० करमुक्त जागीर I
बेतस- देखो 'वेतस' ।
बेताब - वि० [फा०] १श्रातुर, श्रधीर । व्यग्र । २ प्रबल इच्छा वाला, उत्कण्ठित । ३ प्रवेश या जोश पूर्ण । ४ रोष पूर्ण, क्रोध युक्त । ५ बेचैन, प्रशांत । ६ अशक्त । ७ उतावला, त्वरित ।
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-
बेताबी स्त्री० [फा०] १ बेताब होने की दशा या भाव, धातुराई, व्यग्रता । २ उत्कण्ठा । ३ प्रवेश जोश ४ रोष, क्रोध । ५ बेचैनी, अशांति । ६ अशक्तता । ७ त्वच, उतावली
बेदाग
बेबी - स्त्री० दूरी, फासला, अन्तर ।
बेद पु० १ भेद, फर्क, धन्तर २ देखो 'वेद' ३ देखो 'वैद्य' । बेदक१ देखो 'वैदिक' २ देखो''।
बेदखल वि० [फा०] १ जिस पर किसी का दखल अधिकार या कब्जा न हो। २ जो हस्तक्षेत्र से रहित हो।
जागीर | बेदसली स्त्री० [सं० द्विरसना ] सपिणी । बेदी देखो 'बैनांणी' ।
बेदखली - स्त्री० [फा०] १ बेदखल होने की अवस्था या भाव । २ अधिकार या कब्जे का प्रभाव । ३ बिना हस्तक्षेप की
श्रवस्था ।
बेदगरभ-देखो 'वेदगरभ' ।
वेदन (नि, नी) देखो 'वेदना'। बेदब- देखो 'बेअदब' ।
'बेबी' ।
वेदव्यास- देखो 'वेदव्यास' ।
बेदम - वि० [फा०] १ जिसमें दम, जीवन शक्ति या प्राण न हो : २ शक्तिहीन, कमजोर दुर्बल । ३ प्रक्षम । बेदरदरी वि० [फा० बेदर्द] जिसमें दया, रहम धादि कोमल भावों का प्रभाव हो, निर्दयी, बेरहम, कठोर, क्रूर वेदलदेव'वेदिन' |
।
वेदांली वि० [फा०] वेदानः] १ जिसमें दाना वा बीज न हो ।
-
[फा० बेदाना ] २ मूर्ख, बेवकूफ । ३ ओछी भावना वाला । - पु० १ विहीदाना नामक फल । २ इस फल के बीज । दादी
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बेदांत देखो 'वेदांत
बेदांती - वि० १ जिसके दांत न हो, बिना दांत वाला । २ देखो 'वेदांती' ।
बेदाग - वि० [फा०] १ जिस पर दाग या धब्बा न हो, साफ,
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बेबि
स्वच्छ, निर्मल । २ जिसका चरित्र उज्ज्वल हो, निष्कलंक, शुद्ध । ३ निरपराध, निर्दोष । निष्पाप । ४ श्रवगुरण रहित बेऐब । ५ अचूक, अमोघ । ६ कोरा, अछूता । - क्रि०वि० बिना क्षति उठाये, बिना मात खाये ।
वि० [सं०] बेधी ] १ पृष्ट या ढीठ हाथी २ देखो 'बेद'। बेबिल - वि० [फा०] १ जिसका दिल या मन ठीक न हो, उदास, खिन्नचित्त । २ जिसमें उत्साह या साहस की कमी
वीर- वि०
हो निराश इतास ३ शोकसंतप्त दुःखी
1
दुःखी, उदास । देवी-देखो 'बेदी'।
बेपरवा, बेपरवाह - वि० [फा० बेपर्वा ] १ जिसे कोई परवाह न
हो, बेफिक्र, निश्चित २ भय या शंका से रहित, निर्भय निडर । ३ गैर जिम्मेवार, लापरवाह । ४ बहुत बड़ा, उदार दानी ।
बेपरवाई, बेपरवाही स्त्री० [फा०] १ बेपरवाह होने की अवस्था या भाव । २ निश्चितता, बेफिक्री | ३ निशंकता निस्संकोच ४ लापरवाही, गैर जिम्मेदारी ५ निर्मयतः । ६ उदारता ।
बेवाक वि० [फा०] १ जो पाक न हो, २ जो स्वच्छ न हो, गंदा
बेपार वि० जिसका पार न हो, अपार । ० १ दोपहर, मध्याह्न २ देखो 'व्यापार'।
बेदौघर - देखो 'वेदौघर' ।
बेपारह पु० १ दुपहरी का भोजन, मध्याह्न का खाना २ दो प्रहर । ३ मध्याह्न ।
बेदोधुन- देखो 'वेदोधुन' ।
बेध - पु० [सं० वेध] १ युद्ध, लड़ाई, संग्राम । २ वैर, शत्रुता, बेपारहो, बेपारियो- पु० १ दुपहरी में किया जाने वाला भोजन वैमनस्य, विरोध, दुश्मनी ३ द्वेष, ईर्ष्या
बेधड़क देखो 'निधड़क'
आदि कार्य । २ दुपहरी में खिलने वाला पौधा । बेपारी १ देखो 'व्यापारी' २ देखो 'दोपारी' । बेपारी १ देखो 'व्यापार' २ देखो 'दोपारों । बेपद- वि० ० १ जिसके पैदा न हो। २ जिसकी बात का विश्वस न हो । ३ जो अपने वादे का पक्का न हो । ४ झूठा, निराधार । ५ अस्थिर ।
1
बेधरणी-देखो 'वेधणी' ।
,
बेदुरुस्त - वि० [फा०] १ जो दुरुस्त या ठीक न हो । २ धनुचित, गैरवाजिब । ३ प्रसत्य । ४ अस्वस्थ, रुग्ण । ५ भौंडा, भद्दा, बदशक्ल । ६ खण्डित, टूटा हुआ । मेवाय त्री० [फा०] बहुधा ] अभिशाप, बद्दुचा बेदी पु०१ झगड़ा टटा भट २ लड़, मोर, कोलाहल । ३ विघ्न, बाधा । अड़चन । ४ प्रावाज ।
(बी) देखो वेधणी' (बो)।
बेधरम १ देखो 'विधरम्म' । २ देखो 'प्रधरम' ।
देखो 'वेध' ।
'वेधा देखो 'वेषा' । बेधावी देखो 'वेधाधी' ।
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(२४५ )
बेपीर-देखो 'अधीर ।
बेधो-देखो 'बेदी' |
बे-१ देखी 'बहन' २ देखो 'वीणा' ३ देखो 'येन' बेड़ बेड़ी-देखो 'बहन'
बेनागा- क्रि०वि० निरन्तर, नियमित, बिना रुके ।
बेनी-देखो 'वेली' ।
बेनोई- देखो 'बहनोई' ।
बेपटो-देखो 'बटौ ।
-
बेवास्त्री० मुसलमान फकीरों की एक शाखा प्रत्यधिक । - वि० बेनसीब वि० [फा० बे- नसीब] १ हतभाग्य, मंदभागी । २ उपलब्धियों से वंचित ।
बेपरव] [वि० [फा०] बेपर्द] १ जिस पर पर्दा
२ स्पष्ट साफ३दार्थ रूप में
।
४
बेपतरी वि० [स्त्री०बेपतरी) १ जिसकी साख या इज्जत न हो। २ श्रविश्वसनीय । ३ झूठा, धोखेबाज ।
न हो खुला काव-छिपान से
रहित स्त्री० १ विना दुवाली औरत । २ पर्दा न करने वाली पोरत ।
बेपरदगी स्त्री० [फा० बेपर्दगी ] १ बेपर्दा होने की अवस्था या भाव । २ खुलापन । ३ स्पष्टवादिता ।
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बेपी पोर वि० १ जिसके हृदय में पीड़ा या सहानुभूति न हो । २ निर्दय, बेरहम । ३ जो पर दुःखकातर न हो । बेपुड़ (डी) वि० १ दो परतों वाली, दोहरी २ जो दोनों प्रोर से चले ।
बेगोहर पु० [सं० द्विप्रहर] दो प्रहर, मध्याह्न बेबोहरी० [सं० द्विप्रहरिकम् ] १ मध्याह्न का भोजन | २ मध्याह्न का समय ।
बेफाड-पु० [सं० द्विफलक ] १ दो खण्ड, टुकड़े या विभाग । २ दो दल ।
बेफायदा - वि० लाभ रहित, बेकार ।
बेफिकर देखो 'बेफिक्र'।
बेफिकरी-देखी बेफिकी
बेफिकरी बेफिक वि० [फा० बेफिक] १ जिसे कोई फिक्र या चिन्ता न हो । निश्चित । श्राश्वस्थ । २ निर्भय, निडर । ३ लापरवाह, बेपरवाह ।
बेफिक्री - स्त्री० [फा०] १ निश्चितता । २ निर्भयता । ३ लापरवाही ।
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(
२४३ ।
बेब-पु. भाग्य, किस्मत, नसीब ।
| बेमोको, बमौको-पु० [फा०] १ कुअवसर, असमय । २ बुरा बेबसी-स्त्री० [सं० विवश] १ विवश होने की अवस्था या समय।
भाव । २ लाचारी, मजबूरी। ३ परवशता, पराधीनता। बेमौसम, बेमौसमी, मौसिम-क्रि०वि० मौसम के विपरीत बेवाण-पु० [देश॰] १ एक जाति विशेष का घोड़ा । २ देखो
देखो असमय में। -वि. बेतुका । 'विमान'।
| य-वि० [सं०] १दो। २दोनों। बेबाह-वि॰ [सं० विबाहु] १ बिना भुजाओं का । [सं० द्विबाह] बेर-१ देखो 'वेला'। २ देखो 'बोर' । ३ देखो 'वर' ।
२ दो भुजामों वाला। ३ शक्तिशाली पराक्रमी । ४ दोनों ४ देखो 'वेर'। ५ देखो 'वर'। भुजानों से शस्त्र चलाने वाला बिना किसी सहारे के। बेरप्रबर-क्रि०वि० [सं० वेला] १ समय-समय, वक्त-बेवक्त । -स्त्री० [सं० वाहिनी] सेना, फौज ।
२ चाहे जिस समय। बेबुद्धि, बद्धी -वि० [सं० वि+बुद्धि] मूर्ख, बुद्धिहीन । | बेरक-पु० [अ०] १ सैनिकों का प्रावास । २ घुड़शाला ।। देखो बेबुनियाद-वि० [फा०] १ जिसकी कोई बुनियाद या जड़ न _ 'वैरक'। ४ देखो 'बेरक' ।। ___ हो, निराधार । २ अप्रामाणिक ।
बेरजौ-पु. चीड़ या साल वृक्ष का गोंद, गंधा विरोजां। वेब्याहौ-वि० १ अविवाहित, कुवारा । २ दो बार विवाहित.। बेरटी-१ देखो 'बोर' । २ देखो 'बर'। बेभव-देखो 'वैभव'।
बेरणौ-देखो 'बारणो'। बेभाव-क्रि०वि० १ जिसका कोई भाव न हो, जिसका हिसाब बेरणी (बो)-देखो 'बरणी' (बो)। या लेखा न हो । २ बिना किसी औचित्य के। -वि.
| बेरस-वि० १ नीरस, बेमजा, रुखा-सूखा। २ भानन्द या खुशी ३ अत्यधिक, बहुत ।
से रहित । ३ बेस्वाद, स्वाद रहित । ४ नाखुश, नाराज । बेम-पु० १ गाय, मैंस आदि के प्रसव की क्रिया। २ संतान, बेरहड्डी-पु० घोड़ों का एक रोग विशेष । पोलाद । ३ पुत्र, लड़का ।
| बेरहम-वि० [फा०] १ निषयी, निष्ठुर, कर । २ माततायी बेमजा-वि० [फा०] १ प्रानन्द या लुत्फ से रहित । २ नीरस | जुल्मी। सूखा, रूखा ।
बेरहमी-स्त्री० [फा०] १ निर्दयता, निष्ठुरता, क्रूरता । २ जुल्म, बेमजी-पु०१ गोने के समय कन्या को दिया जाने वाला द्रव्य | अत्याचार । वस्त्रादि । २ द्विरागमन ।
बेराज-वि० [फा०] १ जिसका कोई राज या रहस्य न हो । बेमन-वि० [फा०] १ उदास, खिन्न । २ प्रशान्त, चिन्तित । २ निस्सार, निमूल । ३ सुस्त, उदास, नाराज। -पु.
३ दिलचस्पी रहित । -क्रि.वि. बिना मन से बिना विषाद, दुःख, उदासी। दिलचस्पी के।
बेराजी-वि० [फा०] १ अप्रसन्न, नाखुश । २ रुष्ट, क्रुद्ध । बेमाता-देखो वेमाता'।
३ रोने वाला, व्याकुल । ४ असंतुष्ट । -पु. रुदन विलाप । बेमार-देखो 'बीमार'।
| बेराह-वि० [फा०] १ पथ भ्रष्ट, कुमार्गगामी। २ गुमराह, बेमारी-देखो ‘बीमारी' ।
पथ भ्रमित -पु. १ दो राह । २ गलत रास्ता। बेमालूम-वि० [फा०] १ जिसका प्रता-पता, ठिकाना या जान-बेरियां-देखो 'वेळा' ।। ___कारी न हो। २ प्रज्ञात । ३ गुप्त ।
बेरी-स्त्री० [सं० बेड़ा] १ छोटे मुंह का कूमा। २ खलिहान में बेमुख-वि० १ बिना मुख का । २ देखो 'विमुख'।
घूमने वाले बैलों में से बाहर वाला बैल । ३ देखो 'बैरी'। बेमुनासिब-वि० [फा०] अनुचित ।
४ देखो 'बेड़ी'। ५ देखो 'बोर'। बेमुरव्वत-वि० [फा०] १ जिसमें शील, संकोच प्रादि न हो। बरुख-वि० [फा०] १ बेमुरव्वत, स्वार्थी । २ नाराज, की। २ उज्जड़, अनाड़ी। ३ निष्ठुर, बेरहम ।
३ विमुख, विरुद्ध । ४ उपेक्षित । ५ दुःशील । ६ जो इस
न मिलाता हो। बेमुरब्बती-स्त्री० [फा०] १ शील, संकोच का अभाव ।
'बेखी-स्त्री० [फा०] १ बेरुख होने की अवस्था या भाव। २ उज्जड़ता, अनाड़ीपन । ३ निष्ठुरता, बेरहमी।
२ माराजगी, क्रोध । ३ विमुखता, विरोध। ४ उपेक्षा । बेमुरीबी-वि० [फा०] बिना प्रेम वाला, प्रेम रहित, निर्मोही।
५ दु.शीलता। ६ रुख न मिलाने की अवस्था । बेमुरोवती-देखो 'बेमुरव्वती' ।
बेरूप-वि० [सं० विरूप] कुरूप, बदशक्ल । बेमुही-वि० [सं० मुख:] १ दो मुख वाला । २ दो तरह की बेरोक-क्रि० वि० [फा०] १ बिना रुकावट या मनाही के।
बात करने वाला । ३ कपटी, धोखेबाज । ४ देखो 'विमुख'। २ निर्विघ्न, बेखटके । ३ निरन्तर, लगातार ।
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। १४४ )
बेरोजगार-वि० [फा०] १किसी नौकरी या उद्यम से रहित, बेलदार-वि० [सं० वेल्लि+फा० दार] १ जिस पर लता या बेकार । २ निकम्मा, निठल्ला ।
- बेल-बूटे बने हों। २ लताओं से युक्त । -पु० [फा॰] बेरोजगारी-स्त्री० [फा०] १ बेरोजगार होने की अवस्था या (स्त्री० बेलदारी) १ पत्थर तोड़ने या जमीन खोदने का
भाव । २ बेकारी की समस्या। ३ व्यवसाय या उद्यम का कार्य करने वाली एक जाति । २ इस जाति का व्यक्ति। प्रभाव।
बेलवारी-स्त्री०१ फूल-पत्तियों का कसीदा । २ वस्त्रादि में बेरी-पु० [देश॰] १ जानकारी, पता, इल्म, मालूम, अनुभव । बने लतामों के चित्र । ३ बेलदार की स्त्री।
२ रहस्य, भेद, वस्तुस्थिति का ज्ञान । ३ ज्ञान । ४ चालू बेलपत्र, बेलपात-पु० [सं० बिल्वपत्रं] बेल वृक्ष के पत्ते जो . विषय की पकड़, समझ । ५ देखो 'वेरौ'।
- शिवजी को चढ़ाये जाते हैं । बरौनक-वि० [फा०] १ कान्ति या माभाहीन । २ शोभा या बेलस-पु. १ लोहे का प्रौजार विशेष । २ सहायता, मदद।
श्रोहीन । ३ उदास, खामोश। ४ सूना, उजाड़। ५ जहां । ३ देखो विलास' । ४ देखो 'वेलास'। चहल-पहल न हो।
बेलसरणी (बी)-देखो 'विलसमो' (बी)। बेरोनको-स्त्री० [फा०] १ कान्तिहीनता । २ शोभा या श्रीहीन बेळा, बेला-स्त्री. १ ऊंट पर सवारी करने का ढंग विशेष
होने की दशा । ३ उदासी, खामोशी । ४ सूनापन, २ देखो 'वेळा'। उजड़ापन । ५ चहल-पहल का प्रभाव ।
बला-स्त्री० साग के लिये बनाई गई बेसन की गोल टिकिया बेलव-देखो 'बुलंद'।
बेलाय-वि०१ जिसमें किसी प्रकार का लगाव न हो । २ क. बेळ, बेल-पु० [सं० बिल्व] १ एक वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष मुक्त । ३ तटस्थ, अलग । ४ स्पष्ट, साफ ।
के पत्ते या फल । ३ लता विशेष । ४ लता की चित्रकारी। बेळायो-पु० [सं० लात] दो व्यक्तियों की सवारी वाला ऊंट। ५ सीमा निरधारण वाली रेखा । ६ बंश, कुल, परिवार । बेळास-पु. १ दो सवारी से युक्त घोड़ा या ऊंट । २ देखो ७ सहायता, मदद, रक्षा । ८ क्यारियों की सिंचाई के लिये । 'विलास'। बनी नाली। ९ सहायक, मददगार । १० नाव खेने का डंडा, बेलि-स्त्री० [प्रा० वइल्ल] १ गाय, गो । २ देखो 'बेल' । बल्ली। ११ हलवा प्रादि पकाने का लम्बा खुरपा । ३. देखो 'बेली'। १२ ऊंट के पेट में होने वाला रोग। १३ घोड़ों का एक बलियो पु० १ डिंगल का एक छन्द विशेष । २ देखो बहलिये। रोग। १४ हाथ का आभूषण विशेष । १५ जोड़ा, युग्म । ३ देखो 'बैल'। १६ देखो 'वेळ' ।
बेलियौपीपळ-पु. एक जाति विशेष का. पीपल । बेलकी-स्त्री० मिट्टी का छोटा-अल-पात्र ।
बेली, बेलीडो-पु. [सं० वल] १ प्रियतम, प्यारा, प्रेमी । बला-पू०१लता फेल । २ देखो 'बेल'। ३ देखो 'वेलडी' । २ सखा, मित्र, साथी । ३ सहायक, मददगार । ४ सेवा बेलटली. बेलडिबेलड़ी-वि० [सं० द्वि-लटिका] १ दो लड़ों या दास, भृत्य । ५ मनुष्य । व्यक्ति । ६ द्वार के बाहरी .. लटों वाली। २ देखो 'बेल' ।
पोर लगाया जाने वाला पत्थर । ७ देखो 'बेल'। बेळचबेलच-क्रि०बि० सहायता के लिये, सहायतार्थ। -स्त्री.] बलीपा-पु० १ बेली होने की अवस्था या भाव । २ मित्राः १ सहायता, मदद । -पु० २ फावड़ा, कुदाली।
दोस्ती । ३ सहायता, मदद । ४ सेवा, चाकरी, नौकरी । बेळचौ, बेलचौ-पु०१ ऊंट की नकेल की रस्सी । २ देखो | बेळू, बेलू बेळूड़ी-१ देखो 'बाळू' । २ देखो 'वेळ' । ४ देतो 'बेरजी'।
- ब्याळू'। बेलज, बेलज-स्त्री० मिर्च । -वि. निर्लज्ज, बैशर्म ।
बेले-स्त्री० मदद, सहायता । बेलण-स्त्री० [सं० बल्लभा, वेल्लनं १ प्रेयसी, प्रिया, प्यारी। बेळी बेलो-पु० [सं०] १ एक ही गर्भ से साथ जन्मने व ले २ सहेली, साथिन । ३ रोटी बेलने का उपकरण ।।
शिशुओं का जोड़ा, युग्म । २ कतार, पंक्ति । ३ एक साथ ४ बेलन की तरह काम पाने वाला कोई उपकरण ।
किये जाने वाले दो उपवास । ४ वामन द्वादशी का व्रत । ५ किसी यन्त्र का कोई पुर्जा विशेष । ६ करघे में लगी ५ युग्म, जोड़ा, दम्पति । ६ गाय, भैस के दो स्तन । एक लकड़ी विशेष ।
७ ऊंट पर सवार दो व्यक्ति । बेलपी (बी)-कि० [सं० वेल्लनम्] , रोटी प्रादि बेलना, | बेव-देखो बे'।
बटना। २ छितराना, फैलाना। ३ अधिक श्रम करना । बेवकूफ-वि० [फा०] १ जिसमें बुद्धि का प्रभाव हो, निबुदि । ३ देखो 'बैजसो (बो)।
२ मूर्ख, मूढ़, प्रशानी । ३ नादान ।
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apan
। २४५ )
बेवकूफी-स्त्री० [फा०] १ बेवकूफ होने की अवस्था या भाव ।। बेसरणी-देखो 'बैसणौ'।
२ मढ़ता, प्रज्ञानता, मूर्खता । ३ नादानी, बचपना। बेसणी (बो)-देखो 'बैसणी' (बी)। बेवक्त-क्रि० वि० [फा०] १ कुसमय, असमय । २ अनुपयुक्त बेसबधू-स्त्री० [सं० वेसवधू] नगर वधू, वेश्या, रंडी। अवसर पर।
बेसबर-वि० [फा० बे-सन्न जिसे धैर्य न हो, अधीर, पातुर । बेवडीचड-पु. प्राभूषणों की खुदाई करने का मौजार विशेष । बेसबरी-स्त्री० [फा० देसी] १ अधीरता, मातुराई । बेवड़ी-वि० सं० वट] (स्त्री० बेवड़ी) १ दो तह, परत या २ जल्दबाजी, त्वरा। ३ धैर्य का प्रभाव ।
लटों वाला -२ दुगुना, दोहरा । ३ झुका हुआ मुड़ा बेसमझ-वि० [फा०] १ नासमझ, नादान । रमज्ञानी, मूर्ख । हुप्रा । ४ देखो 'बेड़ो।
३ अनुभवहीन । बेषरण-स्त्री० [सं० वहनं] १ चलने की क्रिया या भाव । बेसमझी-स्त्री० [फा०] १ नासमझी, नादानी । २ अज्ञानता, २ चलने का ढंग।
मूर्खता । ३ अनुभवहीनता। ४ धृष्टता । ५ मूर्खता . वणी-स्त्री० [सं० वेपनी चूल्हे के सामने पाहते की तरह कार्य । बनी छोटी पाली।
| बेसर-पु. १ नाक का माभूषण विशेष । २ बघेरा । ३ देखो बेवणी (बी)-क्रि० [देश॰] १ अवलोकन करना, देखना । 'वेसर'।
२ ध्यान करना, सोचना, विचारना । ३ भागा-पीछा | बेसरज-वि० एक प्रकार का हाथी। सोचना । ४ अनुभव करना, महसूस करना । ५ देखो | बेसरम-वि० [फा० बेशर्म] १ निर्लज्ज, बेशर्म। २ ढीट, धृष्ट । 'वहणी' (बी)।
बेसरमी-स्त्री० [फा० बेशर्मी] १ निर्लज्जता, बेशर्मी । बेवतन-वि० [फा०] १ जिसका कोई देश , प्रदेश या वतन न २ढीटता, धृष्टता।।
हो । २ घरबार रहित । ३ परदेशी । ४ निर्वासित । बेसहूर-देखो 'बेसऊर'। बेवफा-वि० [फा०] १ वफा से रहित, कृतघ्न । २ प्रविश्वासी, बेसाणणी (बी)-देखो 'बैसाणणी' (बी)। धोखेबाज, दगाबाज । ३ बेमुरव्वत, निर्मोही।
बेसांनर-देखो 'स्वानर'। बेवळ-वि० सीधा-सादा, सरल ।
बेसारणी (बी), बेसारणी(बा), बेसारणी(वी), बेसावणी (1) बेवळी, बेवलो-वि० (स्त्री० बेवळी) दोहरा, दिगुणा । -पु० देखो 'बैसाणो' (बी)। दो सींगों का एक कृषि उपकरण ।
बेसास-वि० १ श्वास रहित । २ देखो 'विस्वास'। बेवारण-१ देखो 'विमाण' । २ देखो 'भ्यारण।
बेसासहउ-देखो 'विस्वास' । बेवा-स्त्री० विधवा स्त्री या युवती।
बेसासणी (बौ)-देखो 'विस्वासणों' (बी)। बेवाई-स्त्री० १ विधवापन, वैधव्य । २ देखो 'बिवाई' । बेसी-वि० [फा० बेश] अधिक, ज्यादा, अतिरिक्त । -स्त्री.. ३ देखो 'व्याई'।
[फा०बेशी] १ अधिक होने की दशा या भाव । अधिकता बेवापण, बेवापणी (न)-पु० विधवा होने की अवस्था, वैधव्य, ज्यादती । ३ वृद्धि, बढ़ोतरी । ४ मफा, लाम । रंडापा।
बेसुध-वि०१ बेहोश, अचेत । २ असावधान, लापरवाह । बेबि, बेवे-देखो 'बेऊ"।
३ मूढ़मति, मतिभ्रम । बेसंग-पु० [सं० -संघदो दल, दो दलों का समूह ।
| बेसुधि, बेसुधी-स्त्री०१ सुधी का प्रभाव । २ बेहोशी, मूछी, बेसंसा-वि० संशय या संदेह रहित ।
अचेतना । २ घबराहट, बदहवासी । ४ विमूढ़ता । बेस-१ देखो 'वेस' । २ देखो 'वयस'।
५ देखो 'बेसुध' । सऊर-वि० [फा० बेशऊर] १ असभ्य, अशिष्ट, गंवार ।।
| बेसुमार-वि० [फा०] १ जिसका कोई सुमार या मणना न हो, २ साधारण ज्ञान से रहित, मूर्ख, मूढ़।
अगणित, असंख्य । २ अपार, अत्यधिक । बेसऊरी-स्त्री० [फा०] १ बेसऊर होने की अवस्था या भाव । २ असभ्यता, अनाड़ीपन, गंवारूपन । ३ मूर्खता।
बेसुरत-देखो 'बदसूरत'। बेसक-क्रि०वि० [फा० बेशक] शक या संदेह रहित, निस्संदेह ।।
बेसुर, बेसुरौ-वि०१ संगीत में जो स्वर के मेल में न हो, जिसकी बेसकीमत, बेसकीमती-वि० [फा० वेश-कीमती] बहुमूल्य,
आवाज वाद्य-ध्वनि से न मिलती हो । २ जिस स्वर वा अधिक मूल्य का।
प्रआवाज में मीठास न हो। बेसण-पु० चने का प्राटा ।
बेसूर-देखो 'बेसऊर'। बेसणी-वि.चने के आटे का बना।
बेसोटी-पु. प्रासन ।
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बेस्म
देखो 'वेस्म' |
बेस्वाद वि० [फा० वे संस्याद] १ स्वाद रहित २ जिसका स्वाद अच्छा न हो। ३ अप्रिय, अरुचिकर बेह-देखो 'देह' ।
1
बेहक वि० [फा०] १ जो हक से बाहर का हो, नाजायज । २ जो उचित न हो, अनुचित । ३ जो न्याय संगत न हो । ४ असत्य । ५ अनधिकृत । ६ देखो 'बहक' ।
बेहerit (at) - देखो 'बहकरणी' (बो) ।
बेहकाणी (at), बेहकावरणी (बौ) - देखो 'बहकारणी' (बी) । बेहड़ देखो 'बे'डी'।
बेहड़ली- देखो बेह' ।
बेहड़ ू - देखो 'बे'ड़ौ' । बेहड़ी-देखो 'मेरो' ।
बेहरी- पु० कंट
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बेहन बेहनड़ी-देखो 'बहन' ।
बेहमाता देखो 'वेमाता' ।
( २४६ )
बेहमी पु० [सं० विश्राम ] भाराम, विश्राम। बेहा- देखो 'विधाता' ।
बेहिसाब - वि० [फा०] १ जिसका कोई हिसाब या लेखा न हो । २ असंख्य अगणित । ३ प्रसीम, अपार । बेहु-देखो 'बेऊ' ।
बेमौ वि० [सं० बधिर ] ( स्त्री० बेहुंगी) १ अस्थिर चित विक्षिप्त, बहिरा । २ लापरवाह ।
बेनर वि० [फा०] १ किसी इनर या कला से रहित
२ जिसके पास कोई काम धंधा न हो । ३ निकम्मा, निठल्ला । ४ मूढ़, मूर्ख ।
बेहतरी स्त्री० १ निठल्लापन निकम्मापन २ हुनर या का
देखो 'देवी' ।
का प्रभाव ।
बेहतर वि० [फा०] जो तुलना में अच्छा, ठीक उचित हो देखो'वेळ' - पु० १ श्रच्छापन, प्रच्छाई । २ भलाई। बेहच वि० [सं० द्वि हस्त]
बेहूड़ो-देखो 'मे'ड़ो' ।
दो हाथों वाला।
---
बेहूदगी स्त्री० [फा०] १ असभ्यता, अनाड़ीपन २ अश्लीलता भद्दापन ।
बेहद, बेहद्द - वि० [फा०] १ जिसकी कोई सीमा या हद न हो, पन्त, प्रत्यधिक
असीम पार
३ अगणित असंख्य । । संप ४ मर्यादा से बाहर ५ प्रतिशयोक्तिपूर्ण ६स्य प्रमेय ।
बेहूदी [वि० [फा० बेहूद] [स्त्री० [बेहूदी) १ असभ्य, शिष्ट बदतमीज । २ व्यवहार व श्राचरण की दृष्टि से धनुचित ।
३ अवारा दुश्चरित्र । ४ बेढंगा, बेमेल । ५ व्यर्थ, बेकार ।
बेवी-देखो 'बहदी' ।
[६] अस्त-व्यस्त छिन्न-भिन्न क्षतिग्रस्त बेहाल।
'
।
बेहाल- वि० [फा०] १ अभ्यवस्थित अस्त-व्यस्त २ बिगड़ी दशा या हालत का । ३ संज्ञा शून्य, चेतनाहीन, बेहोश,
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मूच्छित । ४ विकल, व्याकुल, अधीर, दुःखी । ५ दुर्दशाग्रस्त । ६ बेखबर, अनजान। ७ मस्त, मग्न, मोदमय 1
बेहाली स्वी० १ बेहाल होने की दशा वा भाग २ व्याकृ बेचैन, अधीर होने की दशा । ३ अज्ञानता । ४ शोचनीय अवस्था । ५ मस्ती ।
-
बैंचली
या वि० [फा०] बेशर्म, निर्लज्ज ।
बेहपाई - स्त्री० १ बेशर्सी, निर्लज्जता । २ बेशर्म होने की | बेहोस - वि० [फा० बेहोश ] १ जिसे होश न हो, मूच्छित, श्रचेत ।
अवस्था या भाव ।
२ असावधान, लापरवाह । ३ श्रालसी, निश्चेष्ट । ४ उन्मत्त, मस्त ।
। ।
बेहररणौ (बो) – देखो 'बँरणो' (बो) । बेहरी [स्त्री० [१] पृथ्वी, धरती 'बहरी' । बेहरौ वि० [सं० द्व े ] ( स्त्री० बेहरी ) १ दूसरी बार, दुबारा ।
धरा २ घोड़ा ३ देखो बेहोसी स्त्री० [फा० बेहोशी ] १ बेहोश होने की दशा या भाव। २ मूर्च्छा, श्रचेतना, शून्यता । ३ प्रसावधानी, लापरवाही । ४ सुस्ती, प्रालस्य । ५ उन्मत्तावस्था, मस्ती । बें-देखो''।
२ दोहरा । स्त्री० १ फूलों का हार । २ एक प्रकार की घास । ३ देखो 'बे ड़ो' । ४ देखो 'बहरी' |
बेहल - पु० १ चारण कवि । २ देखो 'बहल' । बेहली - पु० (स्त्री० बेहली ) ऊंट । बेहवाल देखो 'बेहा
बेहसरगी (बी) देखो 'बहसरणी' (बौ
"
बेहैफ - वि० [फा०] १ जिसे कोई चिता या शंका न हो । २ खेद रहित ३ आश्चर्य रहित । ४ मस्त । बेहोंनी देखो 'बिसोनी' ।
-
बैंक - पु० [०] रुपयों का लेन-देन, ऋण आदि देने वाला कार्यालय, बजाना ।
=
बैकु ंठ, बैकूठ - देखो 'वैकु ंठ' । - वासी 'वैकु ंठवासी' । बैंकति देखो 'बैंक' ।
-
- ० [सं० वंगण ] एक पौधा विशेष जिसके फलों की सब्जी बनती है ।
बेंगणी - वि० उक्त फल के रंग जैसे रंग का ।
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बंची (बी) बंदी (बी) क्रि० [सं० विभाजनं] १ वितरण - करना, बांटना । २ विभक्त करना, हिस्से करना ।
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बैजा
बेंजा - पु० घोड़ों का एक रोग ।
बैड पु० [सं०] १ मांगलिक एवं विशेष अवसरों पर बजाये जाने वाले वाद्यों का समूह । २ उक्त वाद्यों को बजाने वाला दल । ३ देखो 'बैंडो' ।
"
बैंडाक- पु० १ घोड़ा, प्रश्व । २ देखो 'बेडी' । बैंडाराग - स्त्री० वीररसपूर्ण एक राग । बैडूर- पु० १ घोड़ा । २ हाथी ।
बैंडी - वि०
[सं० वितुण्ड, विदर: ] (स्त्री० वंडी ) १ उन्मत्त, मस्त २ तेजस्वी बांकुरा, वीर चतुर, चालाक बुद्धिमान । ४ उद्दण्ड, बदमाश । ५ पागल, बावरा । ६ दुर्गम, दुरुह कठिन ७ अनुपयुक्त, खराब – पु०
१ घोड़ा. अश्व । २ श्रीजार का दस्ता, बेंट ।
- पु० [सं० वह] १ मार्ग, रास्ता, पथ । २ वचन । ३ वीणा ४ बहन । बैत-देखो 'बत' ।
तरणी (बी) - देखो 'बेंतरणी' (बो) ।
बेताली (बी) देखो 'ताणी' (बी) ।
बताळीस-देखो 'बंयाळीस' ।
बंदी देखो 'विदी' ।
चैन- पु० १ वचन । २ वीरणा । ३ बहन । बनोई - देखो 'बहनोई |
'देखो 'बम' ।
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( २४७ )
घडी देखो 'वे'डो' |
बंधखरी, बंधावरी-देवो 'बेवरी'
बेंसी- पु० शस्त्र या प्रौजार की मूठ, दस्ता, बेंट ।
- सर्व० ०१ वे उन । २ उस पु० १ करण । २ मरुण ।
1
३ बालक । ४ श्रवन । ५ वच । ६ सत । ७ करघे का एक उपकरण । ८ उमर, आयु. वय अवस्था । ९ देखो 'व' । १० देखो बे' ।
बैकरण- पु० बैलगाड़ी में चारा आदि भर कर बांधने का रस्सा | 'कणी (बी) देखो 'बहकणी' (बी)।
कळ-देखो 'विकल' ।
(बी) देखो 'बो' (बौ १ देखो 'वेग' २ देखो 'वेग' गौ- देखो 'बेगो' ।
'कारणी (बी), 'कावणो (बी) - देखो 'बहकारणी' (बी) बैकु ंठ-देखो 'वैकु ंठ' ।
कुठप्रमी० [सं०] वैकुण्ठग्रामिन् ] विष्णु ईश्वर। कुठामिळ - पु० [सं० वैकुण्ठ- गृह विमल ] ईश्वर, विष्णु । कूट, कूठ-देखो 'वैकु ंठ' ।' बैठी देखो 'कु'ठी' बैखरी-देखो 'वैखरी' ।
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बैठकठी
बैंड बैड बेडकी-स्त्री० १ प्रथम बार प्रसूता होने वाली गाय । २ युवा गाय ।
बैडलो पु० १ ढेर, समूह । २ देखो 'बेडली' ।
डाई स्वी० १ कड़वाहट, बारापन २ उत्तेजना, क्रोध, गुस्सा ३ कटुता, अप्रियता । ४ बदमाशी, उद्दण्डता । ५ तनाव । बेड़ी देखो 'बेटी'।
-
बंडू को (ख) - देखो 'बेड'की' ।
बड़ी बेड़ी - वि० (स्त्री० बेड़ी, वंडी) १ कड़वा, क्षारयुक्त । २ श्रमधुर, श्ररुचिकर । ३ कटु, कर्कश । ४ उग्र, क्रोधी, क्रूर । ५ दुर्गम, दुरूह, विकट । ६ कड़ा, कठोर । ७ भयंकर भयानक, भयावह 5 बदमाश, उद्दण्ड, बुरा। ६ जोशीला, तेजस्वी १० कड़ा, कठोर ११ वीर बहादुर १२ उन्मत्त १३ विरोधी विपक्षी १४ देखो 'वे'हो' । बेचरा, बेचराय - देखो 'बहुचराय' । बेचाड़ - देखो 'बैखाड़' । वचन-देखो 'बेचैन' ।
रारा देखो 'बहुचराय' । वि०१तान, भारतायी
२ शक्तिशाली, प्रचण्ड . जबरदस्त । ३ वश में या काबू में न घाने वाला, वीर, बहादुर । ४ उद्दण्ड, बदमाश । ५ जिसमें कोई ऐब हो, खोटी प्रादत वाला। स्त्री० दूहृते समय पांव पछाड़ने वाली
गाय ।
arit (at) - देखो 'बिछारणो' (बी) ।
बंछौळ - वि०
० शान्त ।
बैजंती- देखो 'वैजयंती' । -माळ, माळा - वंजंतीमाळा' । बेज - पु० [सं० वेध ] छेद, सूराख, छिद्र ।
बजरगती, मंजयंती- देखो 'वैजयंती' ।
बेजा- पु० १ घोड़ों का एक रोग विशेष। २ देखो 'बेजा' । बजागर - देखो 'बेजारा' ।
बैटरी स्त्री० [०] १ विद्युत उत्पादक यंत्र २ टो ३ तोपखाना ।
बैठक स्त्री० [सं० वेशन] १ बैठने की क्रिया या ढंग । २ बैठने की जगह स्थान ३ भागंतुकों को बैठाने का कक्ष ४ गांव या मुहल्ले की चौपाल । ५ दरबार में बैठने का प्रतिष्ठित स्थान । ६ रात्रि में मवेशियों के बैठने का स्थान । ७ व्यायाम या कसरत का एक ढंग ८ करघे में जुलाहे के बैठने का स्थान | बैठने का घासन, पीढ़ा । १० सभा, मिटिंग । ११ बैठने पर जमीन पर टिकने वाला शरीर का भाग । १२ किसी मूर्ति या खंभे की चौकी । १३ गुदा । १४ संगति | सोबत ।
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बैठकपुडी स्वी० १ बड़ी-बड़ी निदियों वाली पूड़ी विशेष । २ सादी चूड़ी ।
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बैठकी
( २४८ .)
बयकी
बैठकी-वि. बैठकों में प्रायः जाने-माने वाला।
स्थान, गांव व नगर में रह कर किया जाने वाला विवाह । बैठको-पु. १ बैठने का स्थान । २ बैठने का प्रासन ।
बंडोळ-देखो 'बेडौल'। बैठरणौ (बौ)-क्रि० [सं० वेशन] १ मनुष्य द्वारा पांवों को बढ़-देखो बेढ़' ।
समेटकर या गुदा टिकाकर कहीं पर अवस्थित होना स्थिर | बैढ़ीमरण-देखो 'वेढीमरण' । होना, प्रासन जमाना । २ किसी प्राणी का खड़े होने वा | बैढीगारो-देखो वेढी गारौ' । सोने की बीच की दशा में होना । ३ रेंगने वाले या उड़ने | बैरण-१ देखो 'वचन' । २ देखो 'बहन' । वाले प्राणियों का कहीं पर रुके रहना । ४ कहीं ठीक बणव-देखो 'वैरणव' । स्थित होना, सही-सही जमना । ५ प्रासन या पद ग्रहण | बैरणसगाई-देखो 'वयरणसगाई'। करना । ६ किसी कार्य में जमकर संलग्न होना । ७ सवार | बैरणी-देखो 'वेणी' । होना, सवारी करना । ८ प्रवेश होना, घुसना. धसना । बैणी-देखो 'वै'णो' । ९ सतह पर जमना । १० चुनाव या प्रतियोगिता में मैदान बैणी (बौ)-देखो 'बहणी' (बौ)। से हट जाना । ११ सोते हुए का उठना । १२ विद्यमान, | बैत -१ देखो 'वैत' । २ देखो 'वेंत' । मौजूद या वर्तमान होना । १३ समझ में आना । | बैतड-बि० १ बहता या चलता हुमा । २ बलवान । ३ धनाढय, १४ व्यवसाय न चलना । १५ तोल में निश्चित मान ज्ञात | धनी । -स्त्री० कृषि भूमि ।। होना । १६ समाना, फिट होना । १७ निकम्मा, निठल्ला | बैतणी (बी)-देखो 'बेतणो' (बी)। होना । १८ निरुपाय या निरुत्तर होना । १६ स्थाई रूप से | बैतरणी-देखो 'वैतरणी' । अंकित होना, लगना । २० यथा स्थान पाना । बैतारणौ (बौ)-देखो 'ताणी' (बो)। २१ आमदनी होना। २२ बकाया रकम वसूल होना । | बैताळ -देखो 'वैताळ' । २३ अस्त होना डूबना। २४ पतन होना, ह्रास होना । | बैताळिक-देखो वताळिक' । २५ पिचकना । २६ किसी स्त्री का अन्य पुरुष के घर में | बंद देखो 'वैद्य' ।। रह जाना । २७ अभ्यास में माना । २८ मृतक के संबंधियों | बैदई -१ देखो 'वैद्यक' । २ देखो 'वैदेही' । को संवेदना देना।
| बैदक, बैदगी-देखो 'वैद्यक' । बैठाणणौ(बी), बैठाणी(बी), बैठालणी(बी), बैठावणी(बी)-क्रि० बैदिक-१ देखो 'वैदिक' । २ देखो 'वैद्यक'।
१ बैठने के लिये प्रेरित करना, बैठाना । २ खड़े या सोने बैध-पु० युद्ध, संग्राम। के बीच को अवस्था में करना । ३ किसी स्थान पर रोकना | बंधपण-वि० [सं० बंधेय] मूर्ख, मूढ़ । गेके रखना । ४ ठीक स्थित करना, जमाना । ५ प्रासन या बंधव-देखो 'वैधव्य' । पद ग्रहण कराना । ६ किसी कार्य में संलग्न करना, लगाना
बैन बैनड़, बैनड़ली बैनडी-१ देखो 'वचन' । २ देखो 'बहन'। ७ सवार कराना, सवारी कराना । ८ प्रवेश कराना, घुसाना
बैनतीय, बैनतेय-देखो 'वैनतेय' । ९ सतह में जमाना। १० विरक्त करना. मैदान से हटा बैनाणी-पु० [सं० वेध-धानी] १ लोहार । २ बाज पक्षी । देना । ११ सोते हुए को उठाना । १२ वर्तमान या उपस्थित | बैमीत-देखो 'बेनीत' । रखना । १३ कारोबार डुबा देना । १४ निश्चित तौल | बनु -वि० दोनों। -क्रि० वि० उधर, उस पोर । निकालना, तोलना । १५ व्यवसाय न चलाना । बनोई-देखो 'बहनोई'। १६ समझाना, दिमाग में बैठाना । १७ फिट करना । बंपाक-देखो बेपाक'। , १८ निकम्मा करना। १६ निरुपाय या निरुत्तर करना । बंपार-देखो 'व्यापार'। २० स्थाई रूप से अंकित करना, दागना । २१ यथा स्थान | बंपारी-देखो 'व्यापारी' । लाना । २२ प्रामदनी करना । २३ बकाया रकम बसूल
बैपैरोराछ-पु. कपड़ा बुनने का औजार विशेष । करना । २४ अस्त करना, डूबाना । २५ पतन करना, ह्रास
बबरण (न)-वि० [सं० वैवयं] १ फीके रंग का, मंद रग का, करना । २६ पिचकाना । २७ किसी स्त्री को अन्य पुरुष के घर में रखना । २८ अभ्यास में लाना । २६ मृतक के
विवर्ण । २ बदले हुए रंग का। संबंधियों को संवेदना दिराना ।
बैभव-देखो 'वैभव'। बैठोखातो-पु०१ देन-लेन का हिसाब । २ इस हिसाब की बही। बैं'म-देखो 'वहम'। बैठौविवाह, (व्याह) -पु. वर पक्ष व कन्या पक्ष का एक ही | बयको-स्त्री० बजा बुनने के लिये बैठने का स्थान ।
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पर
( २४६ )
सारिल
बयर-१ देखो 'वर'। २ देखो 'बैर'।
बरौ-देखो 'वेरौ'। बैयालिस-देखो 'बंयाळी'।
बै'रौ-देखो 'बहरो'। बैयौ-देखो 'बइयो।
बैल-पु० [सं० बलीवर्द] १ गऊ पुत्र एक प्रसिद्ध चौपाया जो बरंग-वि० [फा०बे-रंग] १ रंग हीन, बिना रंग का । २ अन्य रंग कृषि कार्य में उपयोगी होता है । वृषभ । २ शिव का का। ३ खाली हाथ । ४ बिना टिकट लगा।
वाहन नंदी । ३ देखो 'बहल'। रंगी-वि० १ कई रंगों वाली, बहुरंगी । २ बहुरूपिया। बैलगाड़ी-स्त्री. बलों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी। बैर-स्त्री. १ पत्नी, भार्या । २ स्त्री, प्रौरत, नारी। बंलड़ली, बैलड़ी-१ देखो 'बहल' । २ देखो 'बैल' । ३ देखो 'वर'।
बैलण-देखो 'वेलण' । बैरक, बरक्क, बैरख-पु० [फा०] १ ध्वजा । पताका|| बैलपो (वी)-क्रि० नींद में सोते समय या सन्नीपात रोम में
२ झण्डी । ३ किसी भूमि पर कब्जा करने पर माड़ा जाने बड़बड़ाना, प्रलाप करना ।
वाला झण्डा । ४ सैनिकों के लिये बने मकान या कक्ष । बैलर-पु० १ एक घोड़ा विशेष । २ भाप से चलने वाली मशीनों बैरडो-देखो 'बैर'।
का एक भाग । बैरडो-पु. एक सर्प विशेष ।
बैलियो-१ देखो 'बहलियो । २ देखो 'बैल' । औरण-देखो 'बर'।
बैली-१ देखो 'वेली' । २ देखो 'बहल' । बरणों-देखो 'बारणो'।
बैलून-पु० [अं॰] रब्बर का गुब्बारा । बरसो (बो)-क्रि० [सं० वर्द्धनं] १ चीरना, फाड़ना। २ जैन बैलो-देखो 'बळी'।
साधुपों का भिक्षार्थ जाना । ३ दूल्हे का अपने इष्ट मित्रों | बल्यो-देखो 'बल'।
व संबंधियों के यहां भोजन करना । ४ काटना, चीरना। बैव-पु० [सं० विवेक] विवेक, ज्ञान, बुद्धि । बरभाव-देखो 'बैरभाव' ।
बैवणी-देखो 'बेवणी'। रसुध-देखो 'वरसुध'।
बवणौ (बौ)-देखो 'बहणो' (बी)। बरहर-देखो 'वरहर'।
बंबळसरी-देखो 'बौल सिरी'। बरहरण-देखो 'वरहरण'।
बैवस-१ देखो 'वैवस्वत' । २ देखो 'विवस'। रांगर-देखो 'वैरागर'।
बचांणी (बी)-देखो 'वहाणी' (बी)। बैराण (म)-देखी 'वीरांन'।
बैसंदर-देखो 'वैस्वानर'। राई-स्त्री० १ लड़की प्रादि की चीराई । २ इस कार्य का वैस-पु० १ एक प्राचीन क्षत्रिय राजवंश । २ देखो 'वेस्य' । - पारिश्रमिक । ३ जैन साधुणे को भोजन देने का कार्य। ३ देखो 'वयस' । ४ देखो 'वेस'। ५ देखो 'बहस'। -वि० शत्रु, दुश्मन, वैरी।
बैसक-देखो 'बठक' । राग-देखो 'वैराग्य' ।
बैसकी, बस-स्त्री० पशु की, बैठने के बाद, उठने की बंरागर-देखो वैरागर'।
असमर्थावस्था । बरागी-देखो 'वैरागी'।
बैसणी-पु० [सं० उपवेशनम्] १ निवास, मावास, रहना । राम्य-देखो 'वैराग्य'।
२ प्रासन, बिछायत । ३ निवास स्थान । ४ राजधानी । बराडी-वि० बैराड़ देश का, बैराड़ देश संबंधी। -पु० बैराड़ ४ राजसिंहासन । ५ जैनियों का एक अनुष्ठान । देश का घोड़ा ।
बसणौ (बी)-देखो 'बठणी (बी)। बराजमान-देखो "विराजमान' ।
बैसर-१ देखो 'बेसर' । २ देखो 'वेसर'। बैराट-१ देखो 'वैराट' । २ देखो 'विराट'।
सरवण-देखो 'वैस्रवण' । जीबो-क्रि०१ची राना, फड़वाना। २ जन साधुनो को [सरणरणी (बौ)-देखो 'बैठाणी' (बी) । भिक्षा या भोजन देना । ३ दूल्हे को भोजन कराना ।
बैसाख-देखो 'वैसाख'। बरायत-देखो 'वैरायत' ।
बैसाखि, बैसाखी-देखो 'वैसाखी' । बरी-देखो 'बैरी'। बरीड़ो-देखो 'बरी'।
बैसाइण। (बौ)-देखो 'बठाणो' (बी)। बैकगी-वि० १ विशाल, दीर्घ, प्रचण्ड । २ विविध रूपों वाला । पैसाणो(बो), बैसारणो(बो)-देखो 'बैठाणी' (बी) रोचम-१ देखो 'विरोचन' । २ देखो 'वैरोचन'।
बैसारिण-देखो 'वैसारिण' ।
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बैसाह
। २५०
)
बोझ
बैसारू-वि० १ बैठने वाला। २ सवारी करने वाला । ३ बैठने | बोको-देखो 'बोखो' ।
योग्य । ४ यात्री। -गाड़ी-स्त्री० यात्री गाडी। बोखरी-वि० छोटे कानों वाली। (बकरी) बंसालणी (बी), बैसावणौ (बी)-देखो 'बैठाणी' (बौ)। बोखलौ-देखो 'बोखो'। बैसास देखो "विस्वास' ।
बोखार-देखो 'ब खार'। बैसासरणी (बी)-देखो 'विस्वासणी' (बौ)।
बोखियो, बोखो-वि० (स्त्री० बोखी) १ जिसके मुह में दांत बैसिक-देखो 'वै सिक'।
न हो, बिना दांत का, पोपला । २ जिसके मुंह में सामने बंसोत-देखो 'बेसारु'।
वाले दांत न ही। -पु० मुह टूटा हुआ मिट्टी का पात्र । बैस्नव, बस्नव्व-देखो वस्णव'।
बोगणी-पु. १ पक्की चद्दर का बना नाना प्रकार के फूलों का बह-देखो वेह।
__सांचा । २ देखो 'बहुगुणो' । बहकाणी (बौ), बहकावणी (बो)-देखो 'बहकाणों' (बी)। । बोगमौ-पु० घोड़ों का एक रोग । बैहडो-देखो 'बे'डी'।
बोगी, बोधी-स्त्री. १ प्रागे-पीछे दोनों प्रोर मुंह वाला सर्प, बैहण, बहन-देखो 'बहन'।
राजिल सर्प । २ मिट्टी का एक बड़ा पात्र विशेष । बैहणी (बी)-देखो 'वहरणो' (बी)।
___३ रेल का डिब्बा। बैहनेई, हनोइ, बहनोई-देखो 'बहनोई'।
बोडणी (बी)-क्रि० [सं० बहंणम्] १ नष्ट करना, बरबाद बहर-वि० [सं० चर] भयानक, विकट ।
करना । डुबाना । २ जलमग्न करना, डुबाना । ३ हराना बैहराव-पु० लवाजिमा।
पराजित कराना । ४ दांतों से काटना । ५ चुटकी काटना । बैहरि (रो)-स्त्री. रणक्षेत्र में नत्य करने वाली एक देवी ६ मस्त होना, उन्मत्त होना । ७ पागल या विक्षिप्त हो विशेष। .
जाना। बैहल-१ देखो 'बैल' । २ देखो 'बहल'।
बोडारणी (बी)-क्रि०१ नष्ट कराना, बरबाद कराना, डुबवाना । बहलियो-देखो 'बलियो।
२ निमग्न करवाना, जलमग्न कराना। ३ पराजित कराना बहिन-देखो 'बहन'।
हरामा । ४ दांतों से कटवाना । ५ चुटकी कटाना । ६ मम्त बैहियां-देखो 'बाह'।
या उन्मत्त कराना । ७ पागल बनवाना, विक्षिप्त बनाना। बोंकार-पु. [सं० बुक+कार] दहाड़ने या गर्जने की ध्वनि। बोडियो-पु. [देश॰] रहट की ठल्ली का एक भाग । बोंगड़ो-पु. [देश॰] रहट का प्रमुख चक्र ।
बो'डी-देखो 'बोरडी' ।। बोडियो-१ देखो 'बंडो' । २ देखो 'बांडो'।
बोचड़ो-देखो 'बोछड़ो'। बॉलसरी-देखो 'बोलसरी'।
बोचणी (बौ)-क्रि० १ काटना, काटकर अलग करना । बो-पू० १ बकरा । २ दाडिम । ३ जांबूफल । ४ पांव । ५ श्वास । । २ बीताना. गुजारना । ३ कतरना ।
६ उश्वास, निश्वास । ७ प्राण । ८ रसास्वादन, प्रानन्द । | बोछड़ी-वि० [सं० वचर (स्त्री० बोछड़ी) ६. उद्दण्ड, बदमाश । -सर्व वह ।
२चंट, नटखट । ३ चंचल । ४ छेड़-छाड़ करने वाला। बो'-अव्य० दुःख या शोक सूचक ध्वनि ।
बोछरड़ाई-स्त्री० [सं० वंचन] १ चंचलता, नटखटपना । बोप्रणो (बी)-देखो 'बोवरणो' (बी)।
२ लड़ाई, झगड़ा । ३ बदनामी उद्दण्डता । ४ छेड़-छाड़ बोअर, बोरि, बोपरी-देखो 'बोर' ।
चुहलबाजी। बोक-वि० मूर्ख, प्रज्ञानी, अनजान । -पु० [सं० बुक:]
बोछरडो-देखो-'बोछड़ो। १ बकरा । २ छेद, सूराख । ३ चांडाल, श्वपच । ४ रोने
बोछाड़, बोछार -देखो 'बौछाड़'। . या चिल्लाने की ध्वनि। ५ किसी पदार्थ का तेजप्रवाह। बोज-देखो 'बोझ'। ६ मूर्खता, अज्ञान । ७ देखो 'बूक' ।
बोजनोळी-पु० शुभ रंग का एक घोड़ा विशेष । बोकड बोकड, बोकडो, बोकडु, बोकडो-पु० [सं० बक्क बोजो-१ देखो 'बूझी' । २ देखो बोझो' । बकरा।
बोझ-पु० [अ० वन] १ वजन या भार । २ भारीपन, गुरुत्व । बोकणी (बी)-क्रि० [सं० बक्कनं] १ बकरे का बोलना ।
३ किसी बड़े कार्य की जिम्मेदारी । ४ मानसिक दबाव २ कूकना, चिल्लाना । ३ रोना। ४ भूकना। .
चिन्ता । ५ खर्च प्रादि का भार । ६ किसी कार्य का श्रम बोकरौ-देखो बोकड़ो'।
या कष्ट । ७ कठिन कार्य । क्षतिपूर्ति का प्रभाव , असर
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बोझा
बोधिधख
भार । ६ गधे, घोड़े आदि पर लादा जाने वाला मामान । बोथौ-देखो 'बोतो'। १० संभाल रक्षा।
बोदड़-देखो 'बोदौ'। बोझा-देखो 'बोझ्यां'।
बोदरी-स्त्री० चेचक जैसा एका रोग विशेष । बोझियौ-१ देखो बूझो' । २ देखो 'बोझो'।
बोदलियो-पु० १ एक कार का घोड़ा। २ देखो 'बोदो' । बोझिल, बोझीलो-देखो बझल' ।
३ देखो 'बोदलौ'। बोझी बोझो-पु० [अ० वज्न] १ पुलिंदा, टोकरा । २ कलंक, बोदलो-पु० १ एक देश विशेष का ऊंट । २ देखो 'बोदो' । दोष । ३ देखो 'बोझ' । ४ देखो 'बूझौ' ।
बोदाकाठी-स्त्री० एक खाद्य सामग्री विशेष । बोझ्या-क्रि०वि० वजन से, भार से ।
बोदापण (णौ)-पु० [सं० वृद्धापनम्] १ पुरानापन, जीर्णता, बोझ्यौ-देखो 'बूझौ'।
वृद्धपना । २ पोछापन, टुच्चापन ३ कमजोरी । ४ मूर्खता । बोट पु० [अं०] १ भाप से चलने वाली छोटी नौका, नाव । बोदार-पु० [फा० बूदार] इत्र ।
[अं० बोट] २ मत समर्थन, महमति। [देश॰] ३ वादा, बोदौ-वि० [सं० वृद्ध] (स्त्री० बोदी) १ जीर्ण-शीर्ण, पुराना ।
कोल, वचन, । ४ टुकड़ा, टूक, खण्ड । ५ काचर का २ प्रायु में वृद्ध । ३ अशक्त, कमजोर । ४ डरपोक, भीरु, । टुकड़ा।
कायर । ५ अोछा, संकीर्ण, तुच्छ । ६ निर्दयी, कुटिल । बोटकाचरी-स्त्री० सूखे हुए काचर का टुकड़ा।
७ निकम्मा, बेकार, नाकाम । ८ बुरा, खराब । ६ मूर्ख । बोटगो (बौ)-कि० १ टुकड़े या खण्ड करना । खण्ड-खण्ड १० भद्दा, हेय । ११ क्षुद्र । १२ वृद्ध, बूढ़ा।
करना । २ काटना, तोड़ना। ३ खाना, चबाना ।. बोध-पु० [सं०] १ रूप, स्वरूप या अस्तित्व आदि का होने बेटी-स्त्री० [सं० बट] १ मांस का टुकड़ा, खण्ड । २ खण्ड, वाला भान, अनुभव, अनुभूति । २ ज्ञान, समझ, जानकारी। ___भाग, अंश।
३ उपदेश, मार्ग दर्शन । ४ ध्यान । ५ तसंल्ली, धीरज, बोटी-पु० मोटे लट्ठ का काटा हुया छोटा खण्ड ।
सांत्वना । ६ अर्थ, आशय । बोठवणौ बौ)-देखो ‘बोटगो' (बी)।
बोधक-वि० [सं०] १ बोध कराने वाला । २ उपदेश या ज्ञान बोडबिलाब, बोडबिलावर-पु० बिल्ली जाति का एक हिंसक | देने वाला । ३ प्रेरक । -पु० १ जासूस, भेदिया । २ शृगार · जंगली जानवर ।
का एक भाव। बोरगौ (बौ)-देखो 'बोवरणी' (बौ)।
बोधकर-पु० [सं०] १ भाट, बंदीजन । २ देखो 'बोधक' । बोत-पु० १ घोड़ों की एक जाति । २ दश वर्ष की आयु का | बोधगम्य-वि० [सं०] जो समझ में पाजाय, बुद्धिगत होने हाथी । ३ देखो 'बहुत' ।
योग्य । बोतर-देखो 'बमोतर'।
बोधजाण-पु० बुद्धि, ज्ञान, जानकारी। बोतरौ-देखो 'बग्रौतरौ'।
बोधणी (बौ)-क्रि०वि० [सं० बोधनम्] १ रूप, स्वरूप या बोतल-स्त्री० [अं॰बोटल] १ लबे व संकरे मुह की बड़ी शीशी । अस्तित्व की अनुभूति करना, ज्ञान करना । समझना ।
२ इस शीशी में समाने लायक द्रव पदार्थ की मात्रा । २ चितन करना, याद करना, समझना । ध्यान करना । ३ शराब की बोतल ।
३ उपदेश करना, समझाना । ४ शिक्षा या प्रेरणा देना । बोता-पु. १ मुह पर कपड़ा लपेट रखने वाले साधु, संन्यासियों ५ सूचना, जानकारी देना। ६ तसल्ली देना, धीरज बंधाना। ___का वर्ग। २ तीन की संख्या सूचक उच्चारण ।
७ जगाना। बोताज-पु० अधिक संतान ।
बोधव्रता--पु० [सं० बोधव्रत] १ गगेश । २ बुद्धिमान । बोती-पू० १ अनाज मापने के पात्र के मुंह पर अनाज भरते | बोधस-देखो 'बोध' ।
समय रखे जाने वाले दोनों हाथ । २ युवा बैल । ३ किसी बोधि -१ देखो 'बोध' । २ देखो 'बुद्ध' । वस्तु का परिमाण । ४ नाटे कद का प्रादमी । ५ प्रोढे हुए
| बोधितरु-देखो 'बोधिव्रख' । वस्त्र की गाढ़ी लपेट, गाती । ६ पल्लू, छोर । -वि० कायर
बोधिबीज-पु० ज्ञान-तत्त्व । डरपोक, भीरु । बोथ-पु. किसी माप का अंदाज, अनुमान ।
बोधिलता-स्त्री० ज्ञान-वल्लि । बोथरणौ (बौ)-क्रि० १ बिना तौल या माप किये परिमाण | बोधिलाभ-पु० ज्ञान प्राप्ति ।
निर्धारित करना । २ तय करना । निश्चित करना । बोधिवख-पु० [सं० बोधिवृक्ष १ वह वृक्ष जिसके नीचे बुद्ध को बोथी-स्त्री. वादा, वचन ।
सिद्धि प्राप्त हुई थी। २ पीपल का वृक्ष ।
साल
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बोधीउ
( २५२ )
बोलणी
बोधीउ-वि० [सं० बोधित] उपदेश दिया हुमा उपदिष्ट ।
एक रंग विशेष । बोनोळो-देखो 'बंदोळी'।
बोरकियो, बोरको, बोरखौ-१ देखो 'बहरतो' । २ देखो 'बोर'। बोपार-देखो 'व्यापार'।
बोरगत-देखो 'बौरगत' । बोपारी-देखो 'व्यापारी'।
बोरड़ी-देखो 'बोर'। बोपूसाही-पु० कुचामनी सिक्का।
बोरटी-देखो 'बोर'। बोफाई बोफापण (गो)-स्त्री० नादानी, नासमझी। बोरणौ (बौ)-१देखो बुहारणी' (बौ)। २ देखो'बोड़णी' (बौ)। बोकूली-स्त्री० औषध के काम पाने वाली बूटी विशेष । . बोरलौ-देखो 'बोर' । बोफो-वि० (स्त्री० बोफी) नादान, नासमझ, मूर्ख । | बोरारणौ (बौ) बोरावरणौ (बो)-देखो 'बुहराणो' (बौ) । बोबाइ-पु. १ जोर की पावाज, शब्द, चिल्लाहट । २ जोर से | बोरि-१ देखो 'बोर' । २ देखो 'बोरी'। . रोने की पावाज ।
बोरिमावडी-देखो 'बोरीयावडी'। बोबाड़णी (बौ)-क्रि० [देश॰] १ जोर-जोर से बोलना, चिल्लाना। बोरियो पु० १ कमीज के लिये बनाया कपड़े का बटन ।
२ रोना, कूकना । ३ रुलाना, कूकाना। ४ हाय-त्राय करना । । २ देखो 'बोर'। बोबाडौ-पु० [देश॰] १ जोर की आवाज, चिल्लाहट । २ जोर | बोरी-स्त्री. १ अनाज प्रादि भरने का बारदाने का बड़ा थैला।
से रोने की आवाज । ३. करुण क्रन्दन, त्राहि-त्राहि । २ इस थैले में समाने लायक सामान या अनाज । ३ देखो ४ चीख, पुकार ।
'बोर'। बोबाणी (बौ)-देखो ‘बोबाड़णी' (बी)।
बोरीयाडि-पु. एक प्रकार का कीमती वस्त्र विशेष । बोबियो-पु० १ गोखरू व काटी नामक घास व फल । बोरौ-पु. ऊट या बकरो के बालों या जूट आदि का बना बहुत २ देखो 'बोबी'।
बड़ा थैला। बोबो-पु० स्तन, थन, चूची।
बो'गै-देखो 'बौ'रौ'। -बोभर-स्त्री० [सं० विभावसुः] १ छोटे-छोटे अग्नि करणों का बोळ-पु० १ रंग में डुबाने का भाव । २ रंग। ३ लाल, रक्ताभ।
समूह । २ गरम राख । ३ कर्णमूल के पास का हिस्सा। | ४ रंग में तर । ५ बहरापन । बोरियो-वि०१'बोभर' का, 'बोभर' संबंधी । २ 'बोभर' से बोल-पु० [सं० वद्] १ मनुष्य के मुंह से उच्चारित कोई शब्द, सिका । ३ देखो 'बोभरौ' ।
वाक्य, वचन । २ ध्वनि, नाद, शब्द । ३ कथन बात । बोभरी-पु० शिर, मस्तक ।
४ वचन, वादा, कौल । ५ वृत्तान्त, हाल । ६ व्यंग, ताना बोमंगी-वि० [सं० व्योम-अंग] आकाशचारी, प्राकाशगामी।।
कटुवचन । ७ कीर्ति, ख्याति, प्रसिद्धि । ८ भाषा । ६ वाद्य -पु० [सं० विहंगम] पक्षी, पंछी।
का स्वर । १० गीत, पद, अंतरा। ११ देश, ज्ञान, सीख । बोम-देखो 'व्योम'।
१२ हंसी, मजाक। बोमगा-स्त्री० [सं० व्योम-गंगा] १ प्राकाश गंगा । २ देखो | बोलक-पु० जल-भ्रमर, जल-चक्र ।। __ 'बोमंगी'।
बोळको-स्त्री० युवा गाय। बोमगांमी-वि० आकाशचारी।
बोळको-वि० (स्त्री० बोळ की) अधिक बोलने वाला, वाचाल । बोमचक्री-पु० [सं० व्योम चक्रिन्] सूर्य, भानु ।
बोलगत-स्त्री० १ बोलने की क्रिया या भाव । २ बोलने का बोमतिलक-पु० [सं० व्योम-तिलक] सूर्य, भानु ।
ढग । ३ वार्ता, बातचीत । ४ वाणी, बोली। बोय-स्त्री० [फा० बू] १ गंध, सुवास, महक । २ दुर्गध, बदबू ।
बोलडो-देखो 'बोल'। ३ देखो 'बो' । बोयरणौ (बो)-देखो 'बोवणी' (बी)।
बोलचाल-स्त्री० १ बोलने की क्रिया या भाव । २ बोलने, बात बोयथ-देखो 'बोहित'।
करने का ढंग । ३ किसी विषय पर होने वाला वार्तालाप । बोयनो-देखो 'बहांनो'।
४ मेल-जोल, प्रेम संबंध । ५ छेड़-छाड़। ६ तर्क-वितर्क। , बोयल-देखो 'वायल'।
७ झगड़ा, वाग्युद्ध । ८ सामान्य बात, चलती भाषा । बोयो-पु० अंबाड़ी या सन की छाल उतारने के बाद का डंठल ।
बोळचोथ-स्त्री० श्रावण शुक्ला चतुर्थी का दिन । बोर-पु० [स० बदर] १ बेर का पेड़, वृक्ष । २ इस वृक्ष का | बोलण-पु० १ मुख, मुह । २ देखो 'बोलणी' ।
फल, बेर, बदरी-फल । [सं० वतुल] ३ स्त्रियों के शिर का बोलणी-स्त्री० १ बोलने की क्रिया या भाव । २ बोलने का भाभूषण विशेष । ४ मांस पिण्ड या खण्ड । ५ घोड़ों का | ढंग । ३ वाणी । ४ जिह्वा, रसना, गिरा ।
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बोलणौ
बोली
बोलणी-पु०१ दान, पुण्यादि का संकल्प । २ नैवेद्य आदि | बोळाणो(बी)-क्रि०१ सराबोर करवाना, डुबवाना र रंगवाना ।
चढ़ावा । –वि० १ बकने वाला, प्रलापी । २ बोलने | ३ डुबा देना, जल मग्न कराना । ४ प्रारंभ या शुरू कर वाला । ३ जिसमें प्रावाज हो। ध्वनिकारक ।
| वाना। ५ देखो वौळाणो' (बी)। बोळरणो (बो)-क्रि० १ डुबाना, सराबोर करना, तर करना। बोलारणी (बौ)-कि० १ मुह से बोनने के लिये प्रेरित करना ।
२ रंग में डुबाना । ३ लाल, रक्ताभ करना । ४ डुबाना, जल वाणी या बचन निकालना । २ शब्दों द्वारा विचार प्रगट मग्न करना । ५ देखो 'बौळणी' (बौ)। .
कराना, कुछ बुलवाना । ३ बात कराना, बात छेड़ाना । बोलणी (बो)-क्रि० [सं० यम्] १ मुह से कुछ शब्द, बोल, वचन परस्पर बात कराना। ४ रोक-टोक कराना, जांच कराना,
वाणी या आवाज निकालना । २ कुछ कहना । ३ संबोधन पूछताछ कराना । ५ झंकृत कराना, बजवाना । ६ भाव करना, बुलाना, बात छेड़ना । ४ पूछताछ करना, रोक- प्रगट कराना । ७ दो वस्तुओं को परस्पर टकरा कर अावाज टोक करना। ५ पक्ष या विपक्ष में बोलना, कहना ।। कराना । ८ ऊपर से गिरा कर धमाका कराना।एचीखाना ६ भाव व्यक्त करना, कहना । ७ ध्वनि या आवाज करना, चिल्लाहट कराना। १० कटुशब्द कहाना, अपशब्द कह झंकृत होना । ८ परस्पर टक्कर या आघात से ध्वनि होना। लाना। ११ जोश पूर्ण शब्द कहलाना । १२ राय दिराना । ९ चीखना, चिल्लाना । १० कटु शब्द या अपशब्द कहना । १३ उत्तर या जवाब दिराना । १४ वाग्युद्ध या झगड़ा ११ जोश पूर्ण बात करना । १२ राय देना, अभिमत देना। कराना । १५ बात या चर्चा कराना । १६ अपने गुण १३ गिरने का शब्द होना । १४ उत्तर देना, जवाब देना । बताना । १७ प्रतिवाद कराना। १८ दान-पुण्य का संकल्प १५ झगड़ा या वाग्युद्ध होना । १६ बात करना, चर्चा कराना । १९ किसी देवता के चढ़ावे या फेरी की घोषणा करना । १७ अपना गुण बताना । १८ प्रतिवाद करना । कराना । २० आदेश सुनवाना। २१ संदेश या सूचना १९ दान-पुण्य का सकल्प करना । २० देवता का नैवेद्य दिलाना । २२ आवाज दिराना । २३ प्यार कराना। कहना चढ़ावे की घोषणा करना । २१ प्रादेश सुनाना । २४ देखो 'बोळाणी' (बी)। २२ संदेश या सूचना देना । २३ अावाज देना । २४ देखो | बोलाळी-पु० १ बोलने की क्रिया या भाव । २ बोलने की 'बोळरणी' (बी)।
ध्वनि । ३ शोर-गुल, कोलाहल । बोलती-स्त्री. १ वाणी, भाषा, बोलने की शक्ति । २ जिह्वा | बोलावड़ी-स्त्री० सफेद-मुह व पांवों वाली बकरी। रसना, जबान ।
बोळावरणी-देखो 'वोळावणी' । बोलती-पु० १ बोलने का ज्ञान कराने वाला तत्त्व । २ जीवन | बोळावरणौ (बो)-देखो 'वोळाणी' (बी)। तत्त्व, प्राण, प्रात्मा । ३-मनुष्य ।
बोलावणो (बौ)-१ देखो 'बोलाणो' (बौ) २ देखो बोलबंध-पु० वचन, वादा।
_ 'बुलाणी' (बो)। बोलबाला, बोलबालो-पु. १ प्रभाव, धाक, रौब । २ शान
बोळावी, बोळावू, बोळावी-देखो 'वोळावो' । शौकत, ठाट-बाट । ३ विशेषता, महत्व । ४ मान, प्रतिष्ठा
बोलावी-देखो 'बुलावो'। इज्जत । ५ लोकप्रियता, यश, कीर्ति । ६ विजय, जीत ।
बोलींट, बोलींटियो-पु. दो से ढाई वर्ष की आयु वाला बछड़ा। बोलमां, बोलमा- देखो 'बोलवा' । बोळरीपाटी-स्त्री० [देश॰] पढ़ने व लिपि सुधारने की तख्ती । बोळी-स्त्री० १ फाख्ता पक्षी । २ मूक, गूगी। बोळवणी (बी)-देखो 'बोळणी' (बी)।
बोली-स्त्री० १ बोलने की क्रिया या भाव । २ किसी प्राणी के बोलवां, बोलवा-स्त्री० किसी देवता के चढ़ावे, पूजा, फेरी बोलने की आवाज । वचन, बात । ३ किसी देश या प्रदेश आदि की घोषणा।
के लोगों के बोल-चाल की भाषा । ४ विशिष्ट अभिप्राय से बोलसर-पु० एक प्रकार का घोड़ा।
कही जाने वाली बात, वाक्य, शब्द । ५ वादा, वचन । बोलसरी, बोलसह, बोलसिरी-पु० [सं० बकुलश्री] १ मोलसिरी | ६ वाणी, जबान, बात करने का ढंग । ७ मयाद, मोहलत का वृक्ष, पेड़। २ उक्त वृक्ष का फल या फूल । ।
छूट । ८ वस्तु आदि की नीलामी पर कीमत की घोषणा । बोलाई-स्त्री० बोलाने का कार्य।
९ बोल-चाल का स्वर या ध्वनि । १० व्यंग, ताना। बोळाऊ-पु. १ दूत, संदेश वाहक । २ बुलाने वाला ।
११ हसी, ठिठोली। -ठोली-स्त्री० हंसी ठट्ठा, मजाक । सोलाकड़ो-पु० १ वाक्पटु । २ वाचाल, अधिक बोलने वाला । -वार-पु० नीलामी की घोषणा करने वाला। बोलाड़णो(बौ)-१देखो 'बोलाणी'(बी)।२ देखो 'बुलाणी'(बी)। बोळीबेपार (ब पार)-पु० मध्याह्न। बोलाचाली-देखो 'बोलचाल'।
| बोलूड़ी-स्त्री० बोली, पावाज, ध्वनि ।
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. बोळी
( २५४ )
बौताज
वोळौ -वि॰ [सं० बधिर (स्त्री० बोळी) १ जिसकी श्रवणे- बोहत-देखो 'बहुत' ।
न्द्रिपां बेकार हों, जो सुन नहीं सकता हो, बहग । २ जो | बोहतर-देखो 'बोत्तर'। सुनने के लिये तैयार न हो, सुनने में ध्यान न हो।। बोहदोगी-वि० [सं० बहु-दीप्ति] प्राभा और कान्ति से भरपूर । ३ जिसका स्वर या ध्वनि समाप्त हो गया हो । ४ ऊचा बोहनामी-देखो 'बहुनामी' । या कम सुनने वाला । -पु. चर्मकार ।
बोहरगी-देखो 'बहुरगी'। बोलो-१ वि० बोलने वाला, वाचाल । २ चुप, शांत, खामोश । बोहरा-पु० १ बावरी । २ एक वर्ग विशेष । बोळौधोनर बोळोघौन-वि० बिल्कुल बहरा ।
बोहराळ-पु० एक प्रकार का घोड़ा । बोलो बोली क्रि० वि० १ शांति से, चुपचाप । २ बिना बोले | बोहरूपी-स्त्री. १ पृथ्वी, भूमि । २ लक्ष्मी । ३ देखो 'बहुरूपी' । या कोई खटका या अावाज किये।
| बोहरौ-देखो 'वो'गे'। बोल्लाह-पु. वह घोड़ा जिसकी अयाल व पूछ के बाल | बोहळ-पृ० १ तलवार की धार में की जाने वाली स्नान । सपेट हों।
२ देखो बोहळ'। बोवड़-पु. एक पक्षी विशेष ।
बोहळ गो (बी)-क्रि० १ तलवार की धार में स्नान करना, बोवणी-श्री० [सं० वपनी] १ दुकान लगाने या खुलने पर नहाना । वीर गति प्राप्त होना। २ युद्ध करना । ३ देखो
सर्वप्रथम की गई बिक्री या सौदा । २ प्रथम सौदा। ३ सर्व | 'बोळ गौ' (बी) । ४ देखो 'बौळगो' (बो)। प्रथम की प्राय । ४ कारिंभ, शुरूपात । ५ बोने की बोहळा (बौ)-कि० १ तलवार की धारा में स्नान कराना, क्रिया या भाव।
वीर गति प्राप्त कराना । २ देखो 'बौळाणो' (बौ) बोवणी (बी)-क्रि० सं० वपनम्] १ फसल के लिये बोवाई | बोहलियौ १ देखो 'बैल' । २ देखो 'बौळियौ' ।
करना, अनाज आदि खेत या किसी जगह डालना, बोना । | बोहळा 'बैल' । २ व्यर्थ गमाना, निरर्थक व्यय करना। बरबाद करना । बोहळो देखो 'बोळो' । (त्री बोहळी) ३ डुबाना । ४ पतन करना, गिराना। ५ नुकसान या | बोहा - खो 'बहुत' । हानि पहुंचाना । ६ दुःखी करना।
बोहि बोहित, बोहिति, बोहित्थ, बोहिथ-स्त्री० [सं० वहित] बोवारणी (बों), बोवावणौ (बौ)-क्रि० १ फसल के लिये बोवाई | नाव, जहाज, बेड़ा ।
कराना, बोवाना । २ व्यर्थ गमवाना, बरबाद कराना । | बोहिथस्वांभी-पु० [सं० वहिव-वामी] विष्णु का एक नाम । ३ डुबवाना । ४ पतन कराना, गिरवाना । ५ नुकसान या | बोही-देखो 'वोही' । हानि कराना। ६ दुःखी कराना।
बाहोत-देखो बहुत' । बोसरारणौ (बौ), बोसिराणी (बी)-देखो "विसराणो' (बौ)। बोहोनांमी-देखो ‘बहुनामी' । बोसो-पु० चुम्बन।
बोहोळी, बोहोलो-देखो 'बोळो' । बोह-स्त्री० [फा० बू] १ सुगंध, महक, सौरभ । २ गंध । बोहो- देखो ‘बहुत' ।
३ दुर्गन्ध । ४ प्रवाह, धारा । ५ बौछार । ६ वृद्धि, बढ़ोतरी | बौ'- अव्य० अरे रे । ७ समूह, शुड । ८ बहुत. अधिक, प्रचुर । ६ प्रहार, चोट । | बौ-सर्व० वह, उस । -पु० जुलाहों का एक उपकरण । १० कौशल । ११ उत्साह, ग्रानन्द, चाव । १२ संपुट, पुट, | बौखो देखो 'बोखौ' । लेपन । १३ भाले या बरछो की लंबाई के बराबर का न.प।
बौड़-पु० तेज अंगारा। १४ देखो 'बोध'।
बौछर डौ- देखो 'बोछड़ो'। बोहड़-देखो 'बावड़'। बोहडपो (बौ)-देखो 'बहोडणौ' (बौ) ।
बौछाड़, बौछार, बौछाळ -स्त्री० [सं० वायुछटा] १ वर्षा, बोहडाणी (बो)-देखो 'बहोड़ाणी' (बौ)।
बारिस । २ लगातार गिरने, पड़ने या चलने की क्रिया। बोहछाड़-देखो 'बौछाड़।
३ वर्षा की झड़ी। ४ तीव्र प्रवाह, प्रपात । ५ निरन्तर बोहजूझी, बोह मूझौ-वि० अधिक युद्ध करने वाला, युद्धप्रिय ।
चलने वाला सिलसिला, क्रम । ६ व्यंग, ताना, कटाक्ष । बोहडडीय-वि० १ जो बहुतों को दण्ड दे चुका हो । २ अधिक
वार । ७ तरंग, लहर, वेग । - दण्ड देने वाला । ३ जिसको अधिक दण्ड मिला हो।
बौडी-स्त्री० हाथ में रखने का डंडा । बोहडपो (बी)-देखो 'बहोड़णो' (बी)।
बौत-देखो 'बहुत'। बोहणी (बी)-देखो 'बोधणी' (बौ) ।
! बौताज, बौतायत-देखो 'बहुतायत' ।
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बौतेरो
( २५५ )
म्याळ
बौतेरौ-देखो 'बहुतेरौं'।
बौहत्तरी-देखो 'बनोत्तरी । बौती, बौथो-देखो 'बोतो'।
बौहनामी-देखो 'बहुनामी' । बौद्ध-वि० [सं० बुद्ध+प्रण] १ बुद्ध का, बुद्ध संबंधी। २ बुद्ध | बौहरो-देखो 'बौ'रौ।
द्वारा प्रचलित । ३ बुद्ध का अनुयायी।-पु०१ गौतम बुद्ध बौहळ-पु. १ समूह । २ खलिहान में साफ अनाज का ढेर । द्वारा प्रचलित एक धर्म । २ इस धर्म के नाम पर चलने | ३ बहुतायत । वाला एक सम्प्रदाय ।
बोहळियौ-पु०१ छोटी उम्र का बैल, युवा बैल । २ देखो 'बैल'। बोम-देखो 'व्योम'।
बोहळो-देखो 'बोळो' । (स्त्री० बौ'हळी) बौरंगौ-देखो 'बहुरंगी।
बौहित-देखो 'बोहित'। बौर-पु० ग्राम की मंजरी ।
बोहोडंडीय-देखो 'बोहडंडीय' । बोरको, बौरखो-देखो 'बहरखौ' ।
बोहोरो-देखो 'बो'गे'। बोरगत-स्त्री० सूद पर ऋण देने का व्यवसाय ।
व्यंग-देखो 'व्यंग'। बोरता-पु० घोड़ों का एक रंग विशेष ,
व्यंजन-देखो 'व्यंजन'। बौराणी (बी), बोरावरणौ (बी)-क्रि० १ पागल या बावरा व्यंजना-देखो 'व्यंजना'।
होना । २ मस्त होना, उन्मत्त होना । ३ भ्रमित या व्यंदु-देखो 'बिंदु'। गुमराह होना। ४ देखो 'बुहराणी' (बी)।
व्यतीत-देखो 'व्यतीत'। बोरी-देखो 'बोरी'।
व्यथा-देखो 'व्यथा'। बौरूप-देखो 'बहुरूप'।
व्यलागणौ (बी)-देखो 'लागणो' (बी)। बौपियो-देखो 'बहुरूपियौ' ।
व्यवसाय-देखो 'व्यवसाय'। बोरी-पु० [सं० व्यवहारिन्] (स्त्री० बोरी) १ सूद पर ऋण व्यवस्था-देखो 'व्यवस्था', देने वाला व्यक्ति, व्यापारी । २ ऋण दाता ।
व्यवहार-देखो 'व्यवहार'। बोळ-देखो 'बोळ'।
व्यवहारी-देखो 'व्यवहारी'। बोळचौथ-देखो 'बोळचौथ' ।
व्यसन-देखो 'व्यसन'। बौळणी (बो)-१ देखो 'बोळणी' (बी) । २ देखो वोळणी' व्यसनी-देखो 'व्यसनी'। (बी)।
व्यांन-देखो 'व्यांन'। बोळसर, बौलसिरी-देखो 'बोलसिरि'।
ब्यांनत-पु० शगार में एक प्रासन विशेष । बोळाई-स्त्री. १ अधिकता, बाहुल्य । २ विपुलता, प्रचुरता । | ब्यांव-देखो 'विवाह'। ३ अनेकता।
ब्याई-देखो 'व्याई'। बोलाई-स्त्री. १ एक मादा पशु विशेष । २ बोलाने की क्रिया। ब्याऊ-१ देखो 'बेऊ" । २ देखो 'बिवाई'। बोळाचौथ-देखो 'बोळचौथ' ।
व्याकरण-देखो 'व्याकरण' । बोळाणी (बी)-१ देखो 'वौळाणो' (बी) । २ देखो व्याकुळ, व्याकुळी-देखो 'व्याकुळ' । 'बोळाणो' (बी)।
व्याख्यान-पु० [सं० व्याख्यान] भाषण, वक्तृता । बौळायत-१ देखो 'बुलावो' । २ देखो 'बौळावी' ।
ब्याज-देखो 'व्याज'। बोळावणी (बी)-१ देखो 'वोळाणी' (बो) । २ देखो | व्याध-१ देखो 'व्याधि' । २ देखो 'व्याध' । ___ 'बोळाणी' (बी)।
व्याधि-देखो 'व्याधि'। बौलावी-देखो 'बुलावो'।
ब्याणी (बी)-क्रि. १ गाय, मैस आदि मादा पशुपों का बच्चा बोळी-वि. (स्त्री० बौ'ळी) १ अधिक, बहुत, प्रचुर ।।
जनना, प्रसव करना । २ देखो 'विवाहणी' (बौ)। २ गहरा ।
व्यापक-देखो 'व्यापक'। बोवार-देखो 'व्यवहार' ।
ब्यापरणो (बी)-देखो 'व्यापणी' (बी)। बौह-१ देखो 'बोह' । २ देखो 'बहुत' । बौहजारण-देखो 'बहुजाण' ।
व्यापार-देखो 'व्यापार' । बोहत-देखो 'बहुत'।
व्यायी-देखो 'व्याई'। बोहत्तर-देखो 'बोत्तर'।
ब्याळ, व्याल-देखो 'व्याळ'।
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म्याळिस
( २५६ )
व्याळिस, व्याळीस-देखो 'बयाळीस' ।
-नायक='व्रजनायक' । -पत, पति-'जपति' । व्याळू-देखो 'व्याळू'।
–वणता, बनिता='ब्रजबनिता' ।-बाळ-व्रजबाळा' । व्याव-देखो 'विवाह'।
-बास='बजवास'। -बासी='व्रजवासी' ।-भूखरणव्यावच-स्त्री० सेवा भक्ति, व्यावृत्ति ।
'व्रजभूसण' ।-यंद-'वजयंद' ।-राज'वजराज' । व्यावरण, ब्यावरणी-स्त्री. १ मादा पशु की प्रसव क्रिया ।। --वासी='ब्रजवासी'। २ पशु के प्रसब का रंग।
बजाक, ब्रजाग, बजागि-देखो 'बजराक'। व्यावरण-वि० गर्भवतो, (पशु) ।
बजिन-देखो 'जिन'। व्यावरणौ (बो)-१ देखो 'ब्याणी' (बी) । २ देखो बज्ज-देखो 'व्रज'। विवाहणी' (बी)।
अर-१ देखो 'वरण' । २ देखो 'वरण'।-पद = 'वरणपद' । व्यास-देखो 'व्यास'। -पूनम='व्यासपूनम' ।
व्रत-१ देखो 'व्रत' । २ देखो 'व्रतांत' । म्याह-देखो 'विवाह'।
बतति-स्त्री० लता, बेल, वल्लरी । स्याहरणी-देखो 'ब्यावरणी'।
ब्रतांत-देखो 'व्रतांत'। व्याहरणो (बौ)-देखो 'विवाहणो' (बी)।
सताव-देखो 'बरताव' । . व्याहता-१ देखो बिवाहित' । २ देखो 'विवाहिता'।
बत्त-देखो 'व्रत'। व्याहती-पु. (स्त्री० ब्याहता) पति ।
बत्तांत-देखो 'व्रतांत'। व्याही-देखो 'ब्याई।
अत्रपरि-देखो 'वत्रारि' म्यूह-देखो 'व्यूह'।
अथा-देखो 'व्रथा'। ब्योंत-देखो 'बेंत'।
बद-देखो 'विरुद'। व्योपार-देखो 'व्यापार'।
बबाळ-देखो "विरुदाळो'। म्योपारी-देखो 'व्यापारी।
बदाळी-१ देखो विरुदावळी' । २ देखो विरुदाळी' । व्योम-देखो 'व्योम'।
ब्रदाळी-देखो 'विरुदाळी' (स्त्री० ब्रदाळो) । ब्योरौ-देखो 'व्योरों।
बद्ध-देखो 'बद्ध। व्योसाय-देखो 'व्यवसाय'।
बद्धता-देखो 'बद्धता'। व्योहार-देखो 'व्यवहार',
बद्धपूनम-स्त्री० वैशाख की पूर्णिमा । व्यापार-देखो 'व्यापार'। न्यौपारी-देखो 'व्यापारी',
अध-१ देखो 'वध । २ देखो 'ब्रद्ध'। ब्यौरी-देखो 'व्योरौ'।
अधी-देखो 'विधि'। व्यौहार-देखो 'व्यवहार'।
ब्रन, बन्न-१ देखो 'वण' । २ देखो 'वरण' । बंद-देखो 'द' ।
ब्रम, ब्रम्म-देखो 'ब्रह्म' । -पाखर'ब्रह्माक्षर' । 'कुछबारक-देखो 'वंदारक'।
'ब्रह्मकु'ड' ।--खाड='ब्रह्मखाड' ।-यांन='ब्रह्मग्यांन' । बंदावन-देखो 'दावन' । -राव-दावनराव' ।
-- ग्यानीब्रह्मग्यांनी' ।-चर च= 'ब्रह्मचर्य' । -चार = ब्रमण्यांन-देखो 'ब्रह्मण्यांन'।
'ब्रह्मचारी' 1-जोग='ब्रह्मयोग' ।-तारथ : 'ब्रह्मतीरथ' । बमचार, ब्रहमचार-१ देखो 'ब्रह्मचारी'। २ देखो 'ब्रह्मचर य'।
--दंड- 'ब्रह्मदंड' ।-दवार='ब्रह्मद्वार'।-दान-'ब्रह्मदान । बक-देखो 'क'।
-दिन='ब्रह्मदिन'।-दैत्य='ब्रह्मदैत्य'.-बोस- ब्रह्मदोस'। बकोदर-देखो 'वकोदर'।
-द्रोही-'ब्रह्मद्रोही'। -नाम='ब्रह्मनाभ' । -निस्टबक्क-१ देखो 'क'। २ देखो 'वक्क'।
'ब्रह्मनिस्ट' । -पव-'ब्रह्मपद'। -पास='ब्रह्मपास' । अक्ख, ब्रख-१ देखो 'ख' । २ देखो 'वृक्ष' ।
-पुतर='ब्रह्मपुत्र' ।-पुतरा,पुतरी,पुत्तरी पुत्री= ब्रह्मपुत्री । अषय खम-देखो 'व्रखब'।-धुज='व्रखबधुज'।
-पुरांणदेखो 'ब्रह्मपुराण' । -बळ='ब्रह्मबळ' । खा-देखो 'वखा'।
--भूत-'ब्रह्मभूत'। -भोज= ब्रह्मभोज' । -मूरत= अच्छ-देखो 'वक्ष।
'ब्रह्ममूरत' । –रंध्र- ब्रह्मरंध्र' । राक्षस, राखसबज-देखो 'व्रज' । -चंद-'ब्रजचंद' । -देव 'व्रजदेव' । 'ब्रह्मराक्षस'.।-रात ब्रह्मरात' ।-रिसी 'ब्रह्मरिसी'।
-देस- व्रजदेस' ।-नंद= 'वजनंद' ।-नाथ='वजनाथ'।। -लोक='ब्रह्मलोक'।-वादिनी- 'ब्रह्मवादिनी'। -विद्या
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समग्य
( २५७ )
ब्रह्म
...'ब्रह्मविद्या' ।-वेता, वेत्ता- ब्रह्मवेता' ।-सुता- ब्रहामण-देखो 'ब्राह्मण' । 'ब्रह्मसुता'।-हत्या-'ब्रह्महत्या'।
ब्रहास-देखो 'वरहास' । ब्रमग्य: बम्मग्य-देखो ब्रह्मग्य' ।
ब्रह्मड-देखो ब्रह्मांड'। सम्मा-देखो 'ब्रह्मा'।
ब्रह्म डी-स्त्री० दुर्गा का एक नाम । नव-पु. १ दान । २ लगन । ३ ईया।
ब्रह्म-पु० [सं० ब्रह्मन्] १ सत्, चित् प्रानन्द से युक्त एव सम्पूर्ण अवरण-देखो 'वण' ।
जड़-चेतन में व्याप्त एक मात्र सत्ता जो सृष्टि का मूल नवणी (बी)-देखो 'श्रवणो' (बो)।
कारण है और अविनाशी है। २ ईश्वर, परमेश्वर । अस-देखो 'वस'।
३ विष्णु । ४ महादेव । ५ ब्रह्मा । ६ सूर्य । ७ चैतन्य । असमांन-देखो 'वसभान'।
८ अन्तरात्मा, जीवात्मा। ९ भोंकार, प्रणव । १० वेद । बसल-देखो 'वसल'।
११ श्रुति । १२ ब्रह्मविद्या । १३ वेदों का ब्राह्मण भाग । अस्की, स्ली-देखो वस्ठी'।
१४ ब्राह्मण । १५ भक्त जन । १६ ब्रह्म विद्या को जानने बहंमचार-देखो 'ब्रह्मचारी'।
वाला । १७ सप्त प्रजापतियों का नामान्तर । १८ बृहस्पति ब्रह-पु. १ इन्द्र । २ देखो "विरह' । ३ देखो 'ब्रहत' ।
का नामान्तर । १९ फलित ज्योतिष में एक शुभ योग । बहत-देखो 'ब्रहत'।
२० छप्पय छंद का एक भेद । २१ प्रार्या गीति का एक भेद । बहती-स्त्री० [सं० वृहितं] १ हाथी की चिंघाड़ । २ एक जड़ी
२२ संगीत में एक ताल । २३ आकाश, पासमान, नभ । बूटी। ३ देखो 'वहती'।
२४ एक की संख्या*। -कन्यका, कन्या-स्त्री० सरस्वती । बहतीपति-देखो 'ब्रहस्पति' ।
-कपाळ-पु. ललाट के मध्य का भाग । -करम-पु. बहद-देखो वहत'।
ब्राह्मण का अनुष्ठेय कर्म, एक यज्ञ विशेष ।-कल्प-पु० बहवभाग (मान, भानु)-देखो 'ब्रहदानु' ।
एक ब्रह्मा का समय । -कवच-पु. एक मन्त्र विशेष । बहदारण्यक-पु० (सं० बृहदारण्यक] दश मुख्य उपनिषदो में से
-कांड-पु० वेद का एक भाग, ज्ञान कांड ।-कास्ठ-पु०
शहतूत का वृक्ष ।-कुछ-पु. एक तीर्थ विशेष । कूरचबहब्रय-पु० [सं० बृहउथ] १ इन्द्र । २ मगध का राजा व जरा
पु० एक व्रत विशेष ।-क्षत्र, खत्री-पु. क्षत्रिय एवं ब्राह्मण - सध का पिता । ३ सामवेद का एक अंश । ४ यज्ञ पात्र ।
से उत्पन्न एक जाति । वैश्य जाति । वस्त्र छपाई का कार्य बहनट, बहनल ब्रहमळा, बहन्नट, बहाना बहन्नळ, ब्रहन्नळा- |
करने वाली एक जाति ।-खा-पु० अत्यन्त गहरा खड्डा । -पु० [सं०. बृहन्नट] अज्ञातवास में अर्जुन का एक नाम ।
संसार ।-गति-स्त्री० मुक्ति, मोक्ष। -गांठ : 'ब्रह्मग्रंथि' । ब्रहमड-देखो ब्रह्मांड'।
-गिनान- 'ब्रह्मग्यांन'।-गिमांनी: 'ब्रह्मग्यांनी' ।-गोळबहमडी-देखो ब्रह्मांडी'।
पु० ब्रह्माण्ड । -यनि-पु. ब्रह्म का बोध । प्रद्वैत सिद्धान्त ब्रहम-१ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा'। ३ देखो 'ब्राह्मण' ।
का बोध । ब्रह्मविद्या । प्रात्म ज्ञान । -यांनी-पु० ब्रह्म का -गिनान='ब्रह्मम्यान' । -गियान-'ब्रह्मग्यांन'।-चरज
बोध रखने वाला । पात्म तत्त्व वेत्ता ।' प्रद्वैतवादी । 'ब्रह्मचरज' ।-धिया= ब्रह्मधिया' ।-पास- ब्रह्मपास' ।
ब्रह्म विद्या को जानने वाला। -प्रवि-स्त्री० जनेऊ की -पुरी'ब्रह्मपुरी' ।-सतन= ब्रह्मसुतन' ।-सुता ब्रह्मसुना'।
प्रमुख गांठ । शरीर की एक ग्रंथि ।-प्रह-पु० ब्रह्मराक्षस । बहमारण-देखो 'ब्रह्मा।
-घाट-पु० पुष्कर तीर्थ के सरोवर का एक घाट । ब्रहमाणी-देखो 'ब्रह्माणी'।
-घात-पु. ब्राह्मण की हत्या, ब्रह्महत्या ।-घातक-वि. ब्रहमांन-देखो 'ब्रह्म'।
ब्राह्मण का हत्यारा । ब्रह्म हत्या का दोषी।-घातिणी (नी)बहमा-देखो 'ब्रह्मा'।
स्त्री० वह रजस्वला स्त्री जिसका दूसरा दिन हो। -वि. बहम्म-देखो 'ब्रह्म'।
ब्राह्मण की हत्यारी ।-धातो = 'ब्रह्मघातक' ।-घोस-पु.
वेद पाठ की ध्वनि । वेदाध्ययन । वेदपाठ ।-चक्र-पु. बहम्मा-देखो 'ब्रह्मा'।
संसार चक्र । -ज-पु. ब्रह्मा । स्वामिकात्तिकेय ।-जळबहम्मापित्त-पु० [सं० ब्रह्मा-पिता] ब्रह्मा के पिता, विष्णु ।
पु० गंगाजल । ताम्रपात्र में रखा जाने वाला जल । छप्पय बहसपति (पती), बहस्पति (तो)-देखो 'ब्रहस्पती'।
छंद का एक भेद । -जार, जारी-पु. ब्राह्मणी के साथ बहस्पतिस्म्रति-स्त्री० [सं० बहस्पति+स्मति] बृहस्पति द्वारा व्यभिचार करने वाला, ब्राह्मणी का उप पति । इन्द्र । - रचित एक स्मृति ।
-जीवी-वि० श्रोत कर्म कराकर निर्वाह करने वाला,
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बा
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( २५८ )
-
वेतन भोगी या स्वार्थ सेवी ब्राह्मण । —जूल, जोनी'ब्रह्मयोनी' जोग'बायोग'तत'ब्रह्मतत्व' तत्व -पु० ब्रह्म संबंधी सत्पज्ञान :-तीरथ पु० नर्मदा तट का एक प्राचीन तीर्थ - तेज-पु० ब्रह्म का तेज, प्रकाश | ब्रह्मचर्य के कारण मुख का प्रोज, धामा, कांति ब्राह्मण के मुख का तेज । ब्राह्मण का क्रोध आवेश । दंड - पु० ब्राह्मण का शाप । ब्राह्मण या योगी के हाथ का डंडा । ब्राह्मण पर किया जाने वाला दंड महादेव, शिव ब्राह्मण की प्रशंसा । -डी-त्री० ब्राह्मी नामक जड़ी जयंती दान-पु० विद्या दान वेद पढ़ाने की क्रिया । शता पु० वेद पढ़ाने वाला प्राचार्य विन- पु० ब्रह्मा का एक दिन । - देव पु० ब्रह्मा । ब्राह्मण । देस्य पु० राक्षस वृत्ति वाला ब्राह्मण । - दोस- पु० ब्रह्महत्या व इसका दोष । - बोली- वि० [० ब्रह्म हत्या का दोषी । ब्राह्मण का हत्यारा । - द्रोही - वि० ब्राह्मण से वैर रखने वाला । नास्तिक | --द्वार पु० खोपडी के मध्य का रंध्र । ब्रह्मरंध | ब्रह्मा का द्वार । - धिया स्त्री० ब्रह्मा की पुत्री । सरस्वती । -नाम-पु० विष्णु निस्ठ वि० ब्रह्मज्ञान में लोन ब्रह्मज्ञानी । ब्राह्मणभक्त ।-पद-पु० मोक्ष मुक्ति । ब्रह्मत्व । ब्राह्मणत्व | - पास पु० ब्रह्मा का एक प्रस्त्र । पुत्तर, पुत्रपु० नारद । मरीचि । वसिष्ठ । मनु । सनकादिक । ब्राह्मण का पुत्र । मान सरोवर से निकलने वाला एक नद। एक प्रकार का विषाक्त कंद । - पुत्री - स्त्री० सरस्वती । सरस्वती नदी । वाराही कद ।—पुर- पु० ब्रह्माजी का लोक । हृदय । पुराण- पु० अठारह पुराणों में से एक-पुरीस्त्री० ब्रह्मा की पुरी, वाराणसी ब्राह्मणों का मोहल्ला । -- फांस 'ब्रह्मपास' ।-बळ पु० तपस्या का बल । ब्रह्म की शक्ति भट्ट पु० ब्राह्मणों की एक उपाधि । भाटों की एक शाखा । — भूत-पु० मर कर प्रेत योनि में गया ब्राह्मण । ब्रह्म में लीन । —भोज-पु० ब्राह्मणों का सामूहिक भोजन । —महूरत, मुहरत, मूहूरत- पु० सूर्योदय से पूर्व का समय । तड़का। प्रातःकाल । —योग- पु० प्राध्या त्मिक ज्ञान की उपलब्धि । ब्रह्म के मिलने का योग । १८ मात्राों की एक ताल। -योनि- वि० ब्रह्म से उत्पन्न । - पु० ब्रह्म का ध्यान गया जी के पास का एक तीर्थं । सरस्वती । - रंध्र -पु० मानव मस्तिष्क का गुप्त छेद, दशवां द्वार । 'योग के अनुसार एक कमल । - राकस, राक्षस-पु० शिव का एक गण । मर कर प्रेत योनि को प्राप्त ब्राह्मण । ---रात, रात्र, रात्रि-स्त्री० रात के अंतिम चार दण्ड ब्रह्म
-
की एक रात शुकदेव वशवमुनि राति १० । । याज्ञवल्क्य बृहस्पति से प्राक्रांत एक श्रवरण नामक नक्षत्र | परशुराम का एक नाम रिसी पु० ब्राह्मण जाति का ऋषि
1
1
वसिष्ठ श्रादि मन्त्र दृष्टा ऋषि ऋषियों की उपाधि या i श्रेणी - रूप पु० वणिक छन्द विशेष—रेख, लेख-पु० भाग्य के लेख । प्रारब्ध । सत्य एवं युक्ति संगत लेख । - लोक-पु० ब्रह्मा के निवास स्थान का लोक । मोक्ष । - वध - पु० ब्रह्म हत्या । - वांणी स्त्री० वेद । वाचा - पु० वेद वाक्य । सत्य व प्रटल शब्द । ब्राह्मण के बोल । -वाह पु० ब्रह्मचर्य की मर्यादा ब्राह्मणों की गवाही। -बाद- पु० वेदपाठ। श्रद्वतवाद का सिद्धान्त । ब्रह्ममय सृष्टि मानने का दर्शन । - वादिनी-स्त्री० गायत्री -वादी पु० ब्रह्मवाद के दर्शन को मानने वाला व वादी । वेदपाठी । वेदान्ती । - विद्या स्त्री० ब्रह्म के पह चान की विद्या दुर्गा बेला पु० ब्रह्मज्ञानी ऋषि -वेवरत, वैवरत पु० ब्रह्मा का विवर्त जगत | कृष्ण भक्ति संबंधी प्रष्टादश पुराणों में से एक। श्रीकृष्ण । - सभा स्त्री० ब्रह्मा की सभा, दरबार । ब्राह्मणों का न्यायालय । -समाज-पु० राजा राममोहनराय द्वारा प्रचलित एक सम्प्रदाय ब्राह्मणों का समाज सर पु० एक प्राचीन तीर्थं । - सिद्धांत-पु० ज्योतिष की एक सिद्धान्त पद्धति । सिर- पु० एक अस्त्र विशेष । -स्तनपु० नारदादि सप्तऋषि गए महादेव हेतु विशेष - सुता स्त्री० सरस्वती । पृ० कामदेव | विष्णु की एक मूर्ति विशेष - सूत, सूत्र- पु० जनेऊ यज्ञोपवीत । वेदान्त का एक मुख्य ग्रंथ । -हत्या, हित्या-पु० ब्राह्मण की हत्या । महा पाप । - ह्रदय पु० शुद्ध हृदय । प्रथम वर्ग के १६ नक्षत्रों में से एक ।
-
ह्या पनिरुद्ध
-
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ब्रह्मकूरच पु० [सं० ब्रह्मकूचंम् ] रजस्वला के स्पर्श-दोष को मिटाने का व्रत, प्रायश्चित ।
- - 1
ब्रह्मचारी
ब्रह्मग्य वि० [सं० ब्रह्मज्ञ] १ वेदांत तस्व को जानने वाला । वेदज्ञ । ज्ञानी । २ जिसे ब्रह्म का बोध हो । ३ विष्णु । ४ कार्तिकेय ।
ब्रह्मचरज, ब्रह्मचरज्ञ्ज, ब्रह्मचर्य ब्रह्मचार पु० [सं० ब्रह्मचर्य ] १ मनुष्य जीवन की प्रारंभिक अवस्था जब वह भोगों से दूर रह कर विद्याध्ययन करता है । २ जीवन के चार आश्रमों में से एक। ३ संभोग व मैथुन से बचने का व्रत । ४ योग में एक प्रकार का यम । ५ वीर्य रक्षण की साधना । ब्रह्मचारण्य - देखो 'ब्रह्मचारिणी' |
ब्रह्मचारि देखो 'ब्रह्मचारी' ।
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T
ब्रह्मचारिति (जी) स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मचर्य व्रत पालने वाली स्त्री । २ सती स्त्री । ३ पार्वती ४ दुर्गा ५ सरस्वती । ब्रह्मचारी - वि० [सं०] १ जो ब्रह्मचर्यं श्राश्रम में हो । २ जो
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बह्मणी
। २५९ )
ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके सात्विक जीवन व्यतीत करता | ब्राहमी-देखो 'ब्राह्मो' । हो। ३ जिसे ब्रह्म का बोध या ज्ञान हो। ४ जिसने कभी | ब्राह्मण-पु० [सं०] (स्त्री० ब्राह्मणी) १ पुरुष समाज के चार स्त्री प्रसंग न किया हो, जितेन्द्रिय । ५ वेदाध्ययन करने वों में से प्रथम वर्ण । इस वर्ण का व्यक्ति, द्विज, विप्र । वाला । ६ विद्यार्थी । ७ शिव, महादेव । ८ स्वामि कात्ति- २ यज्ञ कराने वाला। ३ ब्रह्मवादी । ४ वेदों का एक भाग। केय, स्कन्द ।
५ विष्णु । ६ शिव । ७ अग्नि ।--भोजन-पु० ब्राह्मणों को ब्रह्मणी-१ देखो 'ब्रह्माणी' । २ देखो ब्राह्मणी'।
दिया जाने वाला भोजन । ब्रह्मतत.ब्रह्मत्व-पु० [सं०ब्रह्मत्व] १ शुद्ध ब्रह्म का भाव । २ ब्रह्म | ब्राह्मणत्व-पु० [सं०] १ ब्राह्मण होने का भाव या दशा । २ ब्राह्मण
मय या ब्रह्म में लीन होने की अवस्था । ३ ब्रह्मा नामक का धर्म या प्राचरण । ३ ब्राह्मण के गुण, प्रतिभा। ऋत्विज होने की अवस्था । ४ ब्राह्मणत्व ।
। ब्राह्मणी-स्त्री० [सं०] १ भारंगी का नामान्तर । २ ब्राह्मण ब्रह्मांड, ब्रह्मांडि-पु० [सं०] १ सृष्टि एवं अन्तरिक्ष में माने गये | स्त्री। ३ गाथा छंद का भेद ।
अनन्त लोकों का समूह । २ अन्तरिक्ष, आकाश । ३ कपाल | बाह्ममुहूरत-देखो 'ब्रह्ममुहूरत' ।।
खोपड़ी। ४ समुद्र । ५ स्वर्ण का एक महादान । | ब्राह्मी-स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मकी मूर्ति मति शक्ति । २ शिव की ब्रह्मांण-देखो 'ब्रह्म'।
पाठ मातृकामों में से एक । ३ सरस्वती।४ दुर्गा । ब्रह्मांणी-स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मा की स्त्री। २ सरस्वती, शारदा। ५ वाणी।६ रोहिणी नक्षत्र । ब्रह्म विवाह से परिणिता
३ ब्रह्म की शक्ति, दुर्गा, पार्वती, देवी । ४ ज्योतिष की । स्त्री। ब्रह्म की पत्नी। भारत की एक प्राचीन लिपि। एक देवी विशेष । ५ रेणु गंधा नामक द्रव्य, पीतल । १० एक प्रसिद्ध प्रौषधि । ११ एक नदी का नाम । ६ उड़ीसा की एक नदी।
विखा-देखो 'वखा'। ब्रह्मा-पु० [सं०] १ सृष्टि की रचना के लिये बनाया ब्रह्म का | बित-देखो 'वत्ति'।'
एक सगुण रूप । चतुरानन, विधाता । २ यज्ञ का एक | बिद, विवि-देखो "विरुद' । ऋत्विज । ३ टगण के पाठवें भेद का नाम ।
बिहनट-देखो 'बहनट'। ब्रह्माक्षर-पु० [सं०] १ मोंकार, प्रणव । २ वर्ण माला का बिहसपत-देखो 'ब्रहस्पति' ।
प्रथम अक्षर । ३ प्रारंभिक ज्ञान ।।. . बिह्म-देखो 'ब्रह्म'। ब्रह्मानद-पु० [सं०] ब्रह्मज्ञान का मानन्द।।
श्रीख-देखो 'बीख'। ब्रह्माव-पु० [सं०] पाशीर्वाद, माशीष ।
बीड़, बीड़ा-देखो 'ब्रीड़ा'। ब्रह्मावत-पु० [सं० ब्रह्मापुत्र] नारद मुनि ।
ब्रोवरणौ (बो)-क्रि० [सं० धूम्] १ कहना । २ बोलना । ब्रह्मावरत-पु. [सं० ब्रह्मावर्त] सरस्वती एवं दशदति नदियों के । ३ पुकारना । ४ उत्तर देना। बीच के प्रदेश का प्राचीन नाम।
बहबहार-देखो 'भ्र। ब्रह्मावरि-पु. एक ब्रह्मास्त्र जो रावण के पास था।
बेता-१ देखो 'व्रतासुर'। २ देखो 'वत्र'। ब्रह्मासन-पु० [सं०] १ ब्रह्म का ध्यान व चितन के लिये लगाया जाने वाला प्रासन । २ तंत्रोक्त देव पूजा का प्रासन ।
ब्रमर-देखो 'ब्रह्मांड'। ब्रह्मास्त्र-पु० [सं०] १ सभी प्रस्त्रों में श्रेष्ठ एक अस्त्र ।। ग्लोच-देखो 'बलोच'।
२ ब्रह्मा की शक्ति से परिचालित एक अस्त्र । ३ सन्निपात | ब्लोचिस्तान (स्थान)-देखो 'बलोचिस्तान' । की एक प्रौषधि ।
व्हार-१ देखो 'बाहर' । २ देखो 'बहार'। बहिस्ता-स्त्री० [सं० ब्रह्मिष्ठा] दुर्गा, देवी ।
व्हाल-देखो 'बहाल' । ब्रह्मी-खो 'ब्राह्मी'।
व्हाळी-१ देखो 'वा'को' । २ देखो 'वाळो' । बाम-देखो 'ब्रह्म। ब्रामण-देखो 'ब्राह्मण' --भोजन-'ब्राह्मण भोजन'।
म्हालो-देखो 'वालो'। बात-देखो 'बात'।
व्हेनड़, बहेनर-देखो 'बहन' । ब्राहमण-देखो 'ब्राह्मण'।
म्ही-देखो 'बहुत'।
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गड़ देखो 'मंगेड़ी' ।
( २६० )
देवनागरी वर्णमाला का चौबीस वर्ण ।
मंड्स - देखो 'भैंस' |
मंडी-देखो 'भैसो' । मंकारी - स्त्री० [सं० भंकार ] १ भुनगा । २ एक प्रकार का छोटा मच्छर ।
मंख-वि० निर्धन, कंगाल
मंगल-वि० तोड़-फोड़ करने वाला
--
--भ-
३. धावत
.
अंग-पु० [सं० भङ्ग] १ टूट-भाग, खण्डन । २ दरार । ४ पृथकता बलदमी ५ अंश हिस्सा ६ नियम या क्रम में पड़ने वाला प्रन्तर । ७ किसी कार्य को स्थगित करने की क्रिया । ८ बाधा, विघ्न, रुकावट, गड़बड़ी । ९ प्रतिबंध, मुअत्तली । १० भागने की क्रिया । ११ पराजय । १२ असफलता । १३ नाश, बरबादी । १४ कार्य, व्यवस्था प्रादि की रुकावट १५ भगदड़, खलबली । १६ ध्वंस, विनाश। १७ फेर, मोड़ । १८ तह. परत । १६ लहर या सिकुड़न । २० जल मार्ग, नहर । २१ पथ रास्ता । २२ छल, धोखा । २३ प्रदित वात रोग । २४ एक देश का नाम । २५ हानि, क्षति । २६ देखो 'वंग' । वि० १ टूटा हुआ क्षत-विक्षत । २ बिखरा हुधा । ३ जो गठित न हो । ४ रुका हुम्रा, बाधित । ५ देखो 'भांग' । गधहारी- पु० [सं०] १ शिव, महादेव २ भांग का नशा
,
करने वाला व्यक्ति ।
स्त्री० मंत्री की स्त्री ।
मंगो (बी) - क्रि० [सं० भञ्ज्]
१ टूटना, खण्डित होना,
। । ३
भग्न होता २ हारना, किसी से दबना, दबाव मानना । ४ मिटना, नष्ट होना ।
परास्त होना
५ देखो 'भांगणी' (बौ) । बिहारी पु० शिव, महादेव
मंगराज पु० [सं० भृगराज] १ काले रंग की एक चिड़िया विशेष २ देखो 'भांगरी' | |
मंगरी-देखो 'भांबरी' ।
मंगट, मंगच मंगवाट देखो 'भगवट'
मंगांरण - स्त्री० १ भागने की क्रिया या भाव, भागदड़ । २ धाक, भय, रौब 1
भंगार - देखो 'बधार' ।
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भंगार (बी) देखो 'वपारण' (बी) मंगि- स्त्री० [सं०] १ तरीका, ढंग । २ शरीर की कोई भाव सूचक मुद्रा । ३ टूट-फूट । ४ घुमाव, टेढ़ापन ५ सिकुड़न । ६ फरेब, जाल । ७ विन्यास, विच्छेद । ८ व्यंग्योक्ति । ६ रसिकतापूर्ण उत्तर ।
मंत्री, भीड़-पु० (स्त्री० मंगण) १ एक प्रस्पृश्य जाति या इस [स० भंग + ङीप ] २ रेखा [६० मन्]ि शिव,
जाति का व्यक्ति, हरिजन । चित्र रेखाओं की चित्रकारी महादेव । गोवाड़ी पु० १ मंगियों का मोहल्ला २ गंदा स्थान ३ गंदगी ।
मंजरी
भंगुर - वि० [सं० मंजू +घुरच्] १ टूट-फूट कर विघटित होने वाला । २ नष्ट होने योग्य । पु० नदी का मोड़ । भगेड़ी - वि० [सं० मगा) बहुत अधिक भांग पीने वाला, भांग पीने का मादी ।
मंगेड़ो भगेरी-देखो 'गंगेड़ी' ।
भळ, मंगळी वि० [सं० मंग+रा.प्र. एलियो] भागने
वाला ।
पंजी० १ लंब दूरी २ तोड़ना किया मंजन ३ पहले बोई फसल खराब होने पर उस पर दुबारा बोई जाने वाली फसल । ४ विघ्न, बाधा, प्रड़चन । ५ जोड़े का
खण्डन ।
,
मंजक [वि० [सं०] मंजू]
तोड़ने-फोड़ने वाला मंजन करने वाला । २. विघ्न या बाधा डालने वाला । मंजी-स्त्री० [सं० भज्] विघ्न, बाधा।
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मं० १ तोड़ने या भंग करने की क्रिया २ ध्यांस नाश । ३ खडन, भांग । ४ सहार । ५ पराजय, हार । - वि० १ मिटाने, नाश करने या ध्वंस करने वाला । २ मारने वाला । ३ पराजित करने वाला, हराने वाला । भजली वि० [सं०] मंज] १ मिटाने वाला नाश करने वाला। २ पराजित करने वाला । ३ सहार करने वाला । ४ तोड़ने वाला, टुकड़े करने वाला ५ मानने वाला डरपोक ।
भंजर (ब)- क्रि० १ मिटना, नाश होना
२ पराजित होना ।
३ सहार होना । ४ टूटना । ५ डर कर भागना । ६ जोड़े
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भंजाड़ली
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( २६१ )
का बिखरना । ७ बड़ी मुद्रा का फुटकर सिक्कों में होना । देखो 'भांजली' (बो) ।
जौ (बी), पंजानी (बी) पंजाबी(ब)-कि० १ मिट वाना, नाश करवाना । २ पराजित कराना। ३ संहार करवाना । ४ तुड़वाना, टुकड़े करवाना। ५ भगवाना । ६ बड़ी मुद्रा को छोटी मुद्रा में बदलवाना । ७ मुड़वाना । ८ तह करवाना। ६ खर्च करवाना। १० नियम से विचलित करवाना, प्ररण तुड़वाना ।
भंड- पु० [सं० भण्ड] १ एक देश का नाम । २ देखो 'भांडो' । ३ देखो 'भांड' |
भंडवाड़ी - पु० भांडने की क्रिया, निंदा, अपकीर्ति ।
भंडाइ, भंडाई- देखो 'भांडाई' ।
भंडाफोड़ - पु० [सं० भाण्ड-स्फोट] १ रहस्योद्घाटन, गुप्त बात प्रकट होने की अवस्था । २ गुप्त योजना की जानकारी । भंडार, भंडार, भाउ १० [सं० भाण्डागारम्] १ बजाना कोष, धनागार । २ भोजन, रसोई । ३ किसी वस्तु का बड़ा संग्रहालय, कोठार । ४ भोजन सामग्री का कोठार । ५ माल गोदाम । ६ देखो 'भंडारी' । भंडारण (बी० [सं० भाण्डारणम् ] १ संग्रह करना, - संगृहीत कर रखना । २ गर्भ की जरा को भूमिगत करना । भंडारियो पु० [सं० भण्डार ] १ छोटा भंडार या कोठार | २ दीवार या किसी उपकरण में भण्डार की तरह बना खाना । ३ श्रीजार रखने की पेटी, सदूक । ४ एक प्रकार का सर्प विशेष । ५ देखो 'भंडार' । ६ देखो 'भंडारी' । भंडारी - पुं० [सं० भाण्डागारिक] १ भण्डार का प्रभारी या अध्यक्ष २ रसोईया । ३ छोटी कोठरी, खजाना । ४ पृथ्वी, मुरखी।
भंडारी पु० [सं०] भण्डार ] १ साधु सन्यासियों के लिये किया जाने वाला बड़ा भोज २ किसी बड़े दशनामी साधु की मृत्यु के पीछे किया जाने वाला भोज । ३ देखो 'भंडार' | (ब) देवी 'मंडी' (बी)। भंडार देखो 'भंडार
भंडीस - वि० विध्वंस या नाश करने वाला । पु० दक्ष प्रजापति । मंडेल - स्त्री० एक पर एक रखे बर्तनों का ढेर । भडेली - पु० मुसलमान जाति का भांड ।
फोड़ - देखो 'भूः फोड़' ।
भंड- पु० [सं० भाण्डक] १ क्षति, हानि । २ कवच । ३ निन्दा भंभरभूळो, भंभरभोळ, मंगळपोळी- वि० [सं० विह्वल + मुल्लक ] मंडी (बी) देखो 'डी' (बी) (स्त्री० मंगरभोळी, मंभळभळी) बहुत भोला-भाला, सीधा,
मंडफोड- देखो 'भंडाफोड' ।
भंडोपकरण- पु० [सं० भण्डा- उपकरण] गृहस्थ संबंधी सामान । भंडो-देखो 'भांडो' ।
itment (at), मंकणी (बी) देखो 'भरणकणी' (बौ भंगी (बौ) - देखो 'भरणी' (बी) । पंत मंतिमंती-१ देखो 'भांत' २ देखी 'शांति' । । भंदोळी-देखो 'बंदोळी' । दोळी-देखो 'बंदोळी । दो-देखो 'बोध' ।
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भंकर
०१२ अधिक बालों का समूह।
-
शंभर वि० [सं० विद्वल] १ घबराया हुमा व्याकुल २ भीत भयातुर इवित
1
सरल । मुग्ध ।
भंगा-स्त्री० एक वाद्य विशेष ।
भार- वि० १ बहुत बड़ा २ देखो 'बंबार
भंडारण (बौ) - क्रि० १ निंदा कराना, अपकीर्ति कराना । भंभारी- पु० १ जैसलमेर का एक क्षेत्र । २ देखो 'बंबार' । २ बिगाड़ना, खराब करना ।
३. देखो 'बंबारी' ।
भंभीर - वि० भयानक, भयाबह । मंळियो देखो 'बळी' । मंळी-देखो 'बळी' भंभेड़ी-स्त्री० एक वृक्ष विशेष |
मेंरी (बौ) - क्रि० क्रुद्ध करना, कुपित करना । भंभेरी - स्त्री० १ एक देश का नाम । २ देखो 'विभी' । मौ- पु० एक वाद्य विशेष ।
भंगर-१ देखो 'भंवर' । २ देखो 'भ्रमर' | भमरकड़ी-देखो 'भंवरकड़ी' ।
भंमरो-१ देखो 'भ्रमर' । २ देखो 'भंवर' । मंगळ-देखो 'भंबळ' |
संयोग देखो 'भयानक' ।
वण १ देखो 'मंगळ' २ देखो ''ण' मंदणी (बौ)- कि० [सं० भ्रमणम् ] १ घूमना फिरना ।
२ चक्कर खाना, भटकना । ३ उड़ना । ४ मुड़ना, वक्राकार होना । ५ भ्रम में पड़ना, भ्रमित होना ।
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मंवर पु० [सं०] भ्रमरं ] (स्त्री० भंवरी) १ नाक का प्राभूषण विशेष । २ गहरे पानी में पड़ने वाला भावर्त, चक्कर । ३ श्याम रंग । ४ मकान का गंदा पानी जाने के लिये बना गड्ढा । ५ गेहूं की फसल का एक रोग ६ चक्राकार बने हुए बाल । ७ घास का गोल ढेर। [सं० भ्रमरः ] ( स्त्री० भंवरी) वह लड़का जिसका दादा जिन्दा हो । ९ पति खाविंद । १० श्याम रंग का घोड़ा । वि० १ काले रंग का, श्याम ।
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भंवरकड़ी
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२ रसिक, शौकीन, छैल-छबीला । ३ मस्त, उन्मत्त । मइंस मईसि देखो 'भैंस' । ४ देखो 'भ्रमर' |
( २६२ )
महंसौ-देखो 'भैंसो' ।
मंबरकड़ी - स्त्री० [सं० भ्रमर-कटक] पशुद्मों के गले में बांधने भइ १ देखो 'भय' । २ देखो 'भाई' । महल मणि महभी देखो बहन' महयो-देखो 'भाई'।
की लोहे या पीतल की कड़ी
भंवर' जार- स्त्री० [सं०] १ डिंगल का एक अष्टपदी बंद |
२ भरे की 'जन
भंवरल- देखो 'छलभंवर' ।
नंबर गुफा स्त्री० [सं० भ्रमर-गुहा] १ अंधेरी कोठरी २ योग भइरवी-देखो 'भैरवी'
के अनुसार शरीरस्थ एक चक्र ।
भंवरजाळ - पु० [सं० भ्रम जाल] १ सांसारिक प्रपंच, बंधन ।
२ उलझन. झंझट, बखेड़ा । ३ छल, कपट । ४ अशुभ रंग का घोड़ा विशेष
मंगळ - स्त्री० [सं० भ्रमः] १ चक्कर, गश । २ गश खाने की क्रिया या भाव।
० विध्वंस
भसम - देखो 'भसम' ।
भंवर तिलक - पु० शिर का एक प्राभूषरण विशेष । भंवरमीच स्त्री० [सं० अमर-भिक्षा) भौरे के समान घूम-घूम भरी १ देखो 'भंवर' ४ देखो 'भ'वारी' ।
कर मांगी जाने वाली भिक्षा । भंवराई - स्त्री० शौकीनपना, छैलापन । भंवरामी स्त्री० [सं० भ्रमर मृत्तिका ] १ अपने झंडों की सुरक्षा हेतु भंवरी द्वारा बनाया मिट्टी का घरोंदा । २ उक्त घरोंदे की मिट्टी ।
भंवराळ, भंवराळी- वि० [सं० भ्रमर-घालुन) (स्त्री० मंगराळी)
१ गोलाकार या चक्करदार। २ श्याम वर्ण का, काला । रियो, बरौ ०१ एक लोक गीत विशेष २ देखो 'भंवर' भवरी स्त्री० १ टिटहरी पक्षी, टीटोड़ी २ देखो 'नंबर' । । ३ देखो 'भ्रमर' | भंवरी-देखो 'भ्रमर' ।
बहारी-१ देखो ''२ देखो 'वारी'
वाली (बो)- क्रि० १ घुमाना, फिराना २ चक्कर खिलाना ३ मोड़ना । ४ ऐंठन देना ।
भंवारी ५० किसी मकान का भूमिगत कक्ष, तलह भवावरणी (बौ) - देखो 'वाणी' (बी) ।
राई- देखो 'भंवराई' ।
भरव पु० १ बहुमूल्य रश्न २ देखो भैरव' ।
मंसा पु० एक प्रकार का चोहटा
- पु० [सं०] १ ऋषि । २ गृह । ३ जल । ४ दीप्ति । ५ नक्षत्र । ६ नभ । ७ भय ८ पर्वत, पहाड़ सूर्य, भानु । १० भूप, राजा । ११ भ्रमर । १२ राशि । १३ जांच । १४ सेवा । १५ भार्गव । १६ भ्रम । १७ माया । १८ शुक्रग्रह । • १९ शुक्राचार्यं । २० मधु मक्खी । २१ सत्ताईस की संख्या । २२ 'भगरण' नामक गा का संक्षिप्त रूप ।
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मइसाइत पु० [सं० महिष] भैसा रखने वाला । मसि देखो मैस'।
भई १ देखो 'भाई' । २ देखो 'भय' ।
मईया स्त्री० १ माने बजाने वाली एक जाति । २ देखो 'भाई' । मर-देखो 'भंवर' ।
मरी स्त्री० १ घोड़े का नथूना । २ देखो 'भंवरी' । २ 'समर' देखो''। । ३
भउ १ देखो 'भय' २ देखो 'बहू' । भउजाई देखो 'भोजाई । मउडि- देखो 'भडि
नकालो
-देखो 'बहू'
मक-स्त्री० १ वायु के दबाव से उत्पन्न एक ध्वनि विशेष । २ संकरे मुंह के पात्र से द्रव पदार्थ या 'धा निकलने की ध्वनि । ३ बकवाद । ४ देखो 'भक्ष' । भकक्षा-स्त्री० o नक्षत्र कक्षा ।
कज-वि० [सं० भक्षक] भक्षण करने वाला । मकरणी (बौ) - १ देखो 'भक्षणी' (बी) । २ देखो 'भाव' (बी)।
भकत - देखो 'भक्त' । -बचळ 'भक्तवत्सळ' ।
भकति, भक्ती-देखो 'भक्ति' । - कर भक्तिकर' । सुतर =
'भक्तिसूत्र' ।
Howert (at), मक मक्कणी (बी) - क्रि० १ भक भक की आवाज होना । २ इस आवाज के साथ धंधा. या पदार्थ निकलना ।
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ਕਰ
कमूक- पु० महीन चूर्णं । पूरा मकसूर पु० १ २ ऐसा पूर्ण जिसमें करण भी हों। ३ पूल से लथपथ, धूसरित मटमैला । भकभूरी- वि० १धूल से मिलता-जुलता रंग । २ देखो 'भकभूर' । कळ (ल) क्रि० वि० १ बिना रुके लगातार २ अनियंत्रित रूप से, अशिष्टता से ।
',
मकाऊ पु० एक भयानक कल्पित जीव ।
(बी) देखो 'भवाणी' (बो) २ देखो 'महारथी' (बो) ।
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भकार
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मकारी (बी) देखो 'वाकारणी' (बी)।
मकारी-देखो 'भखारी' ।
( २६३ )
मकार - पु० १ 'भ' अक्षर, वर्णं । २ भगरण के लिये प्रयुक्त | भक्षणों (बौ) - क्रि० [सं० भक्षण] १ भोजन करना, माहार
शब्द |
करना, खाना । २ अशिष्टता से खाना । ३ काटना, देशना । मक्षाखौ (बौ) - क्रि० [सं० भक्षण] १ भोजन कराना, महार कराना, खिलाना । २ अशिष्टता से खिलाना । ३ कटाना, दंशाना |
भकावटो-देखो 'भखावटी' ।
'देखो 'मातृ'ड'
अकूट - पु० [सं०] विवाह की गणना में शुभ मानी जाने वाली राशियों का समूह ।
मकूडी - पु० तोप में बत्ती ठूसने का मोटा गज ।
भक्करण (ब)- १ देखो' भक्षणी' (बी) । २ देखो' भाखरणी' (बी) । भक्ख- देखो 'भक्ष' ।
मक्खी (बो) -१ देखो भक्षणी' (गो) २ देखो 'भाखों (दो)। भक्खर भक्खर - १ देखो 'भाखर' । २ देखो 'भास्कर' । भक्खरी स्त्री० १ एक प्रकार की रोटी । २ देखो 'भाव' । मक्खी देखो 'सी' |
भक्त - वि० [सं०] १ ईश्वर, किसी देवता या महात्मा के प्रति श्रद्धा-भक्ति व प्रास्था रखने वाला । २ भजन करने वाला । ३ जो किसी के प्रति प्रत्यन्त श्रद्धालु हो, धनुयायी । ४ पक्षपाती - पु० १ भोजन । २ उपासना या भक्ति करने वाला मनुष्य । ३ धार्मिक वृत्ति वाला प्राणी । - तारण तरण - वि० भक्तों का उद्धारक । -पु० ईश्वर । गरुड़ । दास-पु० अपने स्वामी से भोजन कपड़ा पाने वाला भक्त परायण
ईश्वर भक्तों का पालक-बल बल भक्तवत्सल' - राक्षस पु० विभीषण-बल, वत्सल - वि० भक्तों पर दया, स्नेह रखने वाला । - पु० ईश्वर । भक्ति स्त्री० [सं०] १ ईश्वर, किसी देवता या महात्मा के प्रति
होने वाली टूट श्रद्धा, प्रास्था । २ उपासना, भजन, तपस्या । ३ विश्वास, निष्ठा, श्रद्धा । ४ सेवा-शुश्रूषा । ५ अनुराग । ६ प्रादर-सम्मान । ७ मान प्रदर्शन ८ पूजा अर्चना । ९ भोजन १० सजावट ११ भात । १२ उबाला हुआ भोज्य पदार्थ । १३ भिन्नता, पृथकता । १४ बंटवारा बाट १५ हिस्सा अंश विभाग १६ साहित्य में ध्वनि विशेष १७ छन्द शास्त्र में एक वृत्त विशेष १८ जेन मतानुसार एक वमन । १९ नौ की संख्या * -कर, कारक - वि० जिससे भक्ति उत्पन्न हो । भक्तियोग्य । - मारग पु० भक्ति करके युक्ति वा सिद्धि प्राप्त करने की विधि।
तर,
सूत्र पु० वैष्णव संप्रदाय का एक सूत्र ग्रन्थ । -
।
भक्ष - पु० [सं०] १ भोजन, श्राहार । २ भोज्य पदार्थ । वि० १ प्रहार करने वाला । २ देखो 'भक्ष्य' । भक्षक - वि० [सं०] खाने वाला, प्राहारी । भक्षण पु० [सं०] १ माहार भोजन २ भोजन करने वाला भक्षणी स्त्री० [सं०] [भक्षिणी] भक्षण करने वाली ।
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भगवंती
मक्षि, मक्षी - वि० [सं० भक्षिन् ] ( स्वी० भक्षिणी) १ खाने वाला आहार करने वाला । २ पदार्थ या वस्तु विशेष को खाने
वाला ।
देखो 'भिक्षु'
भक्ष्य-वि० खाने योग्य पदार्थ ।
।
-देखो 'भूखंड' |
भख पु० [सं० भक्ष्] १ पानी २ किसी देवता को चढ़ाई जाने वाली बलि । ३ भखना या निगलना क्रिया । ४ बलात् खाने की क्रिया । ५ देखो 'भक्ष' ।
खास स्त्री० [सं० प्राशु+भक्षी ] मकड़ी भखख देखी 'भक्षण' । भखरणी-देखो 'भक्षणी' ।
मखणी (बौ) - क्रि० [सं० भक्षरणम् ] १ प्रहार करना, खाना ।
२ बलात् खाना, निगलना । ३ दंश करना, काटना । ४ देखी 'भाव' (बो)।
भखपनंग- पु० [सं० पन्नगः + भक्षक ] १ मयूर, मोर । २ गरुड़ । भखमूर-देखो 'भकपूर' |
मखभूरी-स्त्री० भोजन की चिन्ता । भखभूरी-देखो 'भकभूरी'।
भखमंगार पु० [सं०] मार्जार भक्ष्य ] चूहा मूषा भखरी-१ देखो 'भाखर' । २ देखो 'भक्खरी' ।
भखाखौ (बौ) - १देखो 'भक्षारणी' (बो)। २ देखो 'बहकारणी' (बो)। भखार - देखो 'भखारी' ।
भखारणी (बी) - देखो 'वाकारणो' (बी) ।
भखारी, भखारी रंत्री० [सं० भक्षागार) किसी दीवार में बा जीने के नीचे बना कक्ष ।
भखावटी पु० उपाकाल, ब्राह्ममुहूर्त। भखावणो (बी) - १ देखो 'भक्षाणी' (बो)। २देखो बहकारी' (बी) भखी-स्त्री० १ एक घास विशेष । २ देखो 'भक्षी' ।
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भखंड, भड - वि० [सं० भू-खंड ] धूल से सना, धूसरित । भवी० पेट के बाजू का स्थान ।
भखखणी-देखो 'भक्षणी' ।
खणी (बौ) - देखो 'भक्षणी' (बी) ।
मस्तु देखो 'भक्षी'।
भगंबर - पु० [सं०] गुदावर्त के पास होने वाला एक रोग ।
| भगवंती - देखो 'भगवती' ।
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भग
प्रयास
भग-पु० [सं०] १बारह प्रादित्यों में से एक । २ सूर्य । ३ शिव भगवउ-देखो 'भगवा' ।
का एक रूप विशेष । ४ एक देवता का नाम । ५ शोभा, भगवट, भगवट्ट-स्त्री० १ भागने की क्रिया या भाव । २ युद्ध में - कांति । ६ योनि, गुदा । ७ चन्द्रमा। ८ सौभाग्य, समृद्धि पीठ दिखाने का भाव । ३ भामने का रास्ता या मार्ग।
९ गौरव कौति । १० सौन्दर्य । ११ प्रेम । १२ धर्म। | भगवत-पु० [सं० भगवत्-मतुप्] १ विष्णु । २ ईश्वर, परमेश्वर। १३ उत्तराफाल्गुणी नक्षत्र ।।
३ शिव, शंकर । ४ सूर्य । ५ जिन देव ।। ६ देवता । मगड-स्त्री. १. भगदड़, दौड़-भाग । -पु०२मकान के प्रागे या | भगवतगीता-देखो 'भगवद्गीता' । ..' मुहल्ले के बीच पड़ा अनावश्यक खुला स्थान ।
भगवति, भगवती, भगवत्ती-स्त्री० [स०] १ देवी, दुर्गा, पार्वती। भगण-पु० १ छन्द शास्त्र में तीन वर्णों का एक गण विशेष । २ सरस्वती । ३ गंगा ।--भरता-पु. शिव, महादेव । २ खगोल में ग्रहों का चक्कर ।
भगवत्पदी-स्त्री० [सं०] गंगा। भगणो (बो)-देखो 'भागणी' (बी)।
भगवद्गीता-स्त्री० [सं०] महाभारत के भीष्म पर्व के अठारहवें भगत-पु० [सं०] (स्त्री० भगतरण, भगंतणी) १ एक जाति अध्याय का एक प्रकरण।
विशेष व इस जाति का व्यक्ति । र देखो भक्त' । ३ देखो भगवन, भगवन्न-पु० [सं० भयवत्] १ सादर संबोधन । 'भक्ति '।
. २ देखो भगवान'। भगतणी (बो)-देखो भुगतरणो' (बो)।
भगवांरण, भगवान, भगवानडो-वि० [सं० भगवान्] ऐश्वर्ययुक्त । भगतपरायण-देखो भक्तपगयण' ।
-पु. १ ईश्वर, परमात्मा। २ शिव, महादेव । ३ विष्णु । भगतबच्छळ (बछळ)-देखो 'भक्तवत्सल' ।
४ जिन । ५ कात्तिकेय। ६ सूर्य । ७ कोई पूज्य पोर भगतमाळ-स्त्री० [सं० भक्त-माला] १ भक्तों की शृखला । आदरणीय व्यक्ति। २ भक्तों के चरित्र वर्णन की पुस्तक ।
भगवाट-देखो 'भगवट'। . भगतराकस-देखो भक्तराक्षस'।
भगवौ-वि० गेरुएं रग का, भगवा । -पु. गेरु प्रां रंग । भनतवच्छळ (वछळ विछळ)-देखो 'भक्तवत्सळ' ।
---मेस-पु० संन्यासियों का वेश । "ममतापत (पति)-पु० सं० भक्त-पति] १ भक्तों का स्वामी।। भगवान-देखो 'भगवान'। ईश्वर । २ श्रीराम । ३ श्री विष्णुः । ४ श्रीकृष्ण।
भगसास्त्र-पु० [सं० भग-शास्त्र] कामशास्त्र, कोकशास्त्र । भगतांवछल (वछळ)-देखो 'भक्तवत्सल'।
भगांकुर-पु० [सं०] बवासीर नामक रोग । भगताणी (बी)-क्रि० [स० भुज्] १ कहना । २ भोजन कराना भगांण-देखो 'भंगांण' ।
खिलाना। ३ उपभोग कराना। ४ देखो 'भुगताणी' (बी)। भगा-क्रि०वि० लिए, वास्ते, निमित्त । भगतावणी(बो)-१देखो 'भगतारणों (बो)।२देखो 'भुगताणी' (बी)। भगाणी (बी)-क्रि० १ दौड़ाना, भगाना । २ दौड़ कर जाने के भगति, मगती-देखो भक्ति' । -कर-'भक्तिकर'। --सूतर- . लिये कहना । ३ उड़ा ले जाना। ४ तेज चलाना । ५ भाग 'भक्तिसूत्र।
| दौड़ कराना। भगवड़-स्त्री० एकत्र समाज या समूह की, सहसा यत्र-तत्र भागमे भगाळ-स्त्री० [सं० भगाल] आदमी की खोपड़ी। मुड । की क्रिया, खलबली। दौड़-भाग।
भगाळी-पु० [सं० भगालिन्] मुडमाला धारण करने वाला भगदत्त, भगदत्त-पु० [सं० भगदत्त] कौरव पक्षीय, प्राग्ज्योतिष शिव । पुर के राजा का नाम ।
भगावटी-देखो 'भखावटी' . भगवसू-पु० [सं० दिक्स-भग] सूर्य ।
भगावरणी(बी)-१देखो 'मंजारणो' (बो)। २ देखो भगाणी' (बी)। भगनाळ-स्त्री० [सं. भग-नालिका] लंबी-चौड़ी या गहरी
भगिनी-स्त्री० [सं०] बहन । नाली। भगनी-देखो 'भगिनी'।
भगिर, भगिरथ, भगिरथ-देखो 'भगीरथ' भगयुग-पु. बृहस्पति के बारह युगों में से अंतिम युग।
भगी-स्त्री० १ भागने की क्रिया, भगदड़, दौड़-धूप । २ फूट । भगळ, भगळखांनो, भगळखेल, भगळविद्या-पु. १ माडंबर, ढोंग। भगीरथ-पु. [सं०] एक सूर्यवंशी राजा जिसने कठिन तपस्या से
२ ऐन्द्रजालिक खेल । ३ अव्यवस्था । ४ फूहड़, असभ्य ।। गंगा की प्रतारणा की थी।
५ छल कपट, धोखा । ६ एक प्रकार का जल जंतु विशेष । | भगवौं-देखो 'भगवौ' । भगवंत-देखो भगवत'।
| भगू, भगेडी, भगोड़ो-वि० १ भागने वाला। २ भागा हुआ। भगवंती, भगवई-देखो 'भगवती-भरता='भगवतीभरता' । । ३ डरपोक ।
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भगोळ
( २६५ )
भराव
भगोळ-देखो 'भूगोळ'।
भड़खांणो-वि० योद्धानों का भक्षण करने वाला। भगोलो-पु० पीतल प्रादि का पात्र, भगोना ।
भडखाणी (बी), भड़खावणो (बो)-देखो भड़काणी' (बी)। भग्गरणौ (बो)-देखो 'भागणी' (बो) ।
भाडाट-स्त्री० ध्वनि विशेष । भग्गवत-देखो 'भगदत्त'।
भाच्छणो (बी)-क्रि० १ दांतों से काटना । २ जल्दी-जल्दी भग्गर-पु. १ कहूर । २ मोठ, ग्वार प्रादि के फूल । । ____ खाना। भगवान-देखो 'भगवान'।
मडज-पु० १ घोड़ा अश्व । २ योद्धा वीर । भग्गी-देखो 'भगी'।
भड़णो (बी)-क्रि० १ घुसना, धंसना, पैठना। प्रविष्ट करना । भग्गू-देखो 'भगू।
२ देखो 'भिड़णी' (बी)। भग्न-वि० [सं०] १ टूटा हुमा, खण्डित । २ पराजित, हारा | भड़ताळ-स्त्री. १ प्राग, अग्नि । २ तीव्र गर्मी, उष्णता । हुआ।
भडत्थरणी (बो), भड़पणी (बी)-क्रि० [सं० भृष्ट] भुनना । भग्नदूत-पु. हारी हुई सेना की टुकड़ी।
भड़पाळक-पु० सेनापति । भग्नपाव-पु० [सं०] पुनर्वसु, उत्तराषाढा, कृतिका, उत्तरा- भड़बोलियो-देखो 'भड़भोलियो। फाल्गुनी, पूर्व भाद्रपद व विशाखा नक्षत्र ।
भडभड़णी (बी)-क्रि० भड़-भड़ की ध्वनि होना, करना। भग्नावसेस-पु० [सं० भग्नावशेष] खण्डहर, टूटा हुआ खण्ड । | भयभडाट-स्त्री० भड़-भड़ की ध्वनि । अवशेष, चिह्न।
भड़भडाणी (बी)-क्रि० भड़-भड़ की ध्वनि कराना। भग्नी-देखो 'भगिनी'।
भड़भडियो-वि० १ भड़-भड़ करने वाला । २ गप्पी, प्रलापो। मा गाण-पु० घोड़ा।
भड़भड़ी-स्त्री. १ ध्वनि विशेष । २ महामारी, प्लेग । भाव-१ देखो 'भडिद' । २ देखो 'भड़।
३ आवेश, जोश। भड-पु०१ वट वृक्ष की शाखा । २ देखो 'भट' ।
भड़म जौ-पु० [सं० भ्राष्ट-भर्जनम्] चने मादि का भाड़ चलाने भाक-स्त्री. १ भड़कने की क्रिया या भाव । २ उत्तेजना, जोश । वाला, चना सेकने वाला।
३ चमक-दमक । ४ मावाज, ध्वनि । -क्रि०वि० शीघ्र भडभोलियो, भड़मोली, भड़भोल्यो-पु. होली के साथ जलाने सहसा।
| के लिये बनाई गई गोबर की गोल टिकिया। भडकणी (बी)-क्रि० १ सहसा तेज प्रावाज के साथ विस्फोट | भइयत-पु० योद्धा, वीर।
होना, जोर से जलना।२ प्रावेश या क्रोध में बोलना। भड़वाई-स्त्री० भड़कों का कार्य, वेश्यानों की दलाली । ३ बहकावे में पाकर क्रुद्ध होना । ४ चमकना । ५ पहले | मड़वाणी (बो)-क्रि० १ घुसवाना, घंसवाना, प्रविष्ट कराना। की अपेक्षा तीव्र होना । ६ देखो 'भिड़कणो' (बो)।
२ पराजित कर भगाना । ३ देखो 'भिड़वाणी' (बी)। भडकारणी (बी), भड़कावणी (बो)-क्रि० १ सहसा विस्फोट | मड़वापरणी-देखो 'भड़वाई'।
करना, जोर से जलाना। प्रज्वलित करना । २ प्रावेश या | भड़वी-पु. [सं०भाटिक] (स्त्री०भड़वी)१ वेश्यामों का दलाल । जोश में लाना । ३ बहका कर क्रोधित करना। ४ चमकाना । | २ वेश्याओं के साथ साज बजाने वाला।
५ पहले की अपेक्षा तीव्र करना । ६ देखो 'भिड़काणों (बो)। मड़हक्क-पु० योद्धाओं की प्रावाज, गर्जना, दहाड़ना । भड़कमार, भड़किवाद-पु० [सं० भट+कपाट, वज्र-कपाट] | भड़ाकिमाइ, (किवाड़)-देखो 'भड़किंवाई।
१ योद्धा, वीर । २ रक्षक, पहरेदार । ३ वज की तरह | भड़ांठेक-वि• पूर्ण स्वस्थ । मजबूत व बढ़ कपाट ।
भड़ांबळी, महामड-वि० योद्धामों में बलवान, महायोदा। भड़कीली-वि० (स्त्री० भड़कीली) १ चमक-दमक वाला । भड़ाक-क्रि० वि० तुरंत, शीघ्र। २ जोश व मावेश में पाने वाला । ३ क्रोध करने वाला।
कड़ाकी-पु. ध्वनि विशेष । ४ चौंकने वाला।
भडाझड-स्त्री. ध्वनि विशेष । भर को-पु० १ चमक-दमक, तड़क-भड़क । २ ध्वनि विशेष ।
मडामड-स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ शीघ्रता, तेजी। -क्रि०वि० महक्क-देखो 'भड़क'।
तुरंत, शीघ्र। मटक्करणो(बी)-१देखो 'भड़कणी' (बी)। २देखो 'भिड़कणी'(बी)। भक्कारणी (बी)-१ देखो भड़काणी' (बी) । २ देखो | भडाभड़ी-स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ देखो 'भड़भड़ी' । "भिड़काणी' (बी)।
मड़ाळ, मड़ालो-देखो 'भट'। भड़खणी (बो)-देखो 'भड़कणो' (नौ)।
| मड़ाव-पू०१ समूह, झण्ड। २ दल, साथ।
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भड्दि
। २६६ )
भजारपो
भडिय-पु. १ विस्फोट की ध्वनि । २ भारी वस्तु के गिरने या | मचाभच-स्त्री० १ प्रहार या वस्तुमों के टकराने की ध्वनि । टकराने की ध्वनि।
२ शिर दर्द । ३ शीघ्रता। भडिक-देखो 'भड़क'।
मचीड़-पु. १ प्राघात, प्रहार । २ टक्कर । ३ प्रहार या टक्कर भडियाळ-वि० टक्कर लेने वाला ।
से उत्पन्न ध्वनि । ४ कूट-मार । ५ दुःख, कष्ट । ६ हानि, भड़द-देखो 'भडिद'।
नुकसान । ७ दर्द, चीस । ६ भटकने की क्रिया । ९ कपाट भाडीड-स्त्री० १ प्रहार, चोट या टक्कर । २ प्रहार, चोट या __जड़ने की ध्वनि। टक्कर की प्रावाज।
भचीड़णी (बो)-क्रि० १ बंद द्वार को हिलाना, खटखटाना । मड़ीती-पु० [सं० भटित्र या भृष्ट] १ सींचकों पर भुना हुमा २ टक्कर या माघात करना । ३ कूटना, मारना। ४ हानि
मांस । २ पालु, बैंगन प्रादि का सालन। ३ दबकर या| पहुँचाना । कुचलकर विकृत हुमा पदार्थ ।
भचीड़ो-देखो 'भचीड़। भड़ीहार-पु. भटिहार।
भचेड़णी (बो)-देखो 'भचीड़णो' (बी) । महस-पु० बिना पानी के सफेद बादल ।
मच्च-देखो 'भच'। मच-क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत ।
भच्छ-देखो 'भक्ष'। भडोची-वि० भड़ौच संबधी, भड़ौंचका। -पु. भड़ौंच प्रदेश | भच्छणी-देखो 'भक्षणी' । का घोड़ा।
मच्छरणो (बो)-देखो 'भक्षणी' (बी)। भड़ोलियौ-पु० वट वृक्ष का फल ।
मच्छनी-देखो 'भक्षणी'। भच-पु० १ शिर में होने वाली पीड़ा विशेष । २ झटका, मजरो (बी)-क्रि० [सं० भज्] १ अपने इष्ट या ईश्वर का
धक्का । ३ झटके की ध्वनि। -क्रि० वि० १ शीघ्र. भजन करना, भक्ति करना । २ स्मरण या ध्यान करना। तुरंत । २ सहसा, एकदम। .
३ जपना, जाप करना । ४ ध्यान मग्न होना, अनुरक्त होना। मचक-स्त्री. १ भय, प्रातक । २ प्रहार से उत्पन्न ध्वनि ।
५ हर समय याद करना । ६ अधिकार या कब्जे में करना। ३ टक्कर, भिड़त । ४ शिर में दर्द का लगने वाला
७ कहलवाना। ८ प्राश्रित होना । ९ बटवारा करना । झटका।
१० उपभोग करना । ११ सम्मान करना । १२ सेवा शुश्रूषा मचकणी (बी)-क्रि० १ पाश्चर्य में चौंकना, भौंचक्का.
करना । १३ पसंद करना, चाहना । १४ स्वीकार करना, रहना । २ झटका लगना। ३ प्रहार करना। ४ काटना।
भगीकृत करना । १५ सभोग करना, भोगना । १६ धारण ५ देखो "भिचकणो' (बो)।
करना, वहन करना। १७ देखो 'भंजणी' (बी)। १५ देखो मचक-क्रि० वि०१ शीघ्र, तुरंत । २ सहसा, अचानक ।
- 'भाजणी' (बी)। भचको, भचक्क-देखो 'भचक' ।
भजन-पु० [सं०] १ पूजा, उपासना, सेवा । २ भक्ति, कीर्तन, भचक्करणौ (बी)-देखो 'भचकणी' (बी)।
नाम जपन । ३ स्मरण, ध्यान । ४ ईश्वर या किसी देवता भचक्को-देखो 'भधक'।
के गुणानुवाद का गीत या पद।-मानंद-पु. ईश्वर भक्ति मचक्र-पु० [सं०] १ नक्षत्रों का समूह । २ ग्रहों के भ्रमण
| से मिलने वाला सुख ।-मानंदी-वि० ईश्वर भक्ति में की कक्षा।
'मस्त रहने वाला। -उपदेसक-वि० भजन के माध्यम से भाड-स्त्री० १ सहसा उखाड़ने की क्रिया । २ इस क्रिया से
उपदेश करने वाला। उत्पन्न ध्वनि । ३ जोर से चबाकर खाने की क्रिया या | उससे उत्पन्न ध्वनि । ४ देखो भचीड़' ।
" भजनी, भजनीक-वि० भजन करने वाला, भक्ति-पद गाने वाला। भचणी (यो)-क्रि० १ टक्कर खाना । २ भच-भच ध्वनि ।
भजनेर-देखो 'भटनेर'। होना । ३ बड़े-बड़े ग्रास लेकर जोर-जोर से खाना। मजन्न-देखो 'भजन'। ४ खटखटाना।
भजाड़णी (बो)-१ देखो 'भजाणी' (बी) । २ देखो 'भजाणी' भचमवाणी (बी)-क्रि० १ शीघ्रता करना । २ सड़खड़ाना, (बी)। खटखटाना।
भजाणो (बी)-क्रि० १ ईश्वर या इष्ट का भजन कराना, भक्ति भवभेड़ो-देखो 'भचोड़ो'। .....
.कराना । २ स्मरण या ध्यान कराना । ३ जाप कराना, भचाक-स्त्री. १ प्रहार, चोट । २ प्रहार की ध्वनि । -क्रि०वि० जपवाना । ४ ध्यान में मग्न करना, अनुरक्त करना । ५ हर १ 'भच' की ध्वनि के साथ । २ सहसा।
समय याद कराना । ६ अधिकार या कब्जे में कराना ।
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मजावणी
( २६७ )
मठी
७ कहलवाना । ८ माश्रित करना । ९ बंटवारा कराना। भटक्करणो (बो)-देखो 'भटकणो' (बी)। १० उपभोग कराना। ११ सम्मान कराना । १२ सेवा | भटतीतर-पु. तीतर जाति का एक पक्षी विशेष । शुश्रूषा कराना । १३ पसंद कराना । १४ स्वीकार या | भटनेर-देखो 'भाडंगनेर' । प्रगीकृत कराना । १५ संभोग कराना, भोगवाना । भटनेरी-पु. भटनेर का निवासी। १६ धारण कराना । वहन कराना । १७ देखो 'भजाणी' | भटांण-वि० पूर्ण परिपक्व । (बो)। १८ भगाना, दौड़ाना।
भटाकड़ो, भटाको-पु० पटाखा । मजावरणो (बो)-१ देखो 'भजाणी' (बी)। २ देखो 'भजाणो' | भटालि, भटाळी-स्त्री० [सं० भट-प्रवलि] १ वीरों की पंक्ति। (बौ)।
२ सुभटों की पक्ति । ३ सेना । मज्जणी-देखो 'मजणी'।
भटियारी-पु० [सं० म्राष्टमिन्ध] (स्त्री० भटियारण, भटियाभज्जणी (बो)-देखो 'भजणी' (बो)।
रणी, भटियारी) १ भड़भूजा । २ किसी सराय का मज्जा-स्त्री० भार्या।
कर्मचारी। भज्य-वि० [सं० भज्] १ भजने योग्य, सेवा करने योग्य । भटो-१ देखो 'भट्टी' । २ देखो 'भाटी'। . २ विभक्त करने योग्य ।
भटू दर (रौ)-पु० छछू दर । भट-पु० [सं० भटः] १ योद्धा, बीर । २ सिपाही, सैनिक ।
३ पहलवान, मल्ल । ४ नौकर । ५ देखो 'भाट'। ६ देखो भटुकड़ो-पु० पटाखा। 'भट्टौ । ७ देखो 'भट्टी'।
भटेस-पु० [सं० भट-ईश] योद्धा, वीर, शूरवीर । मटक-पु० कोप।
भटो-पु० १ बैगन नाम शाक । २ देखो 'भट्टो' । भटकटैया-स्त्री० एक वनस्पति विशेष ।
भट्ट-पु० [सं० भट्टः] १ प्रभु, स्वामी । २ ब्राह्मणों की एक मटकरिया-पु० कुम्भट के बीज ।
उपाधि । ३ एक वर्ण संकर जाति । ४ देखो 'भाट'। भटकणी (बी)-क्रि० १ निरुद्देश्य घूमना, इधर-उधर फिरना। ५ देखो 'भट' । ६ देखो 'भट्टी'। ७ देखो 'भट्टो'।
२ प्रावारा फिरना । ३ कार्य सिद्धि के प्रयास में फिरना । | भट्टाउरि-पु. भटनेर-नगर का एक नाम । ४ विचरण करना। ५ सही दिशा या रष्टि कोण से अलग | भट्रार, भट्रारक-वि० [सं०] (स्त्री० भट्रारिका) मान्य, पूज्य । जाना। ६ भ्रमित होना । ७ अस्थिर चित्त होना ।
| भट्टारिका-भवन-पु० [सं०] राजमहिषि का महल । ८ मर्यादा छोड़ना । ९ भड़कना, प्रज्वलित होना। १० क्रुद्ध होना, कुपित होना । ११ लालायित होना, इच्छुक होना ।।'
| भट्टी-स्त्री० [सं० भ्राष्ट्र] १ बड़ा चूल्हा । २ भाड़। ३ रसायन १२ गमन करना, जाना। १३ बज्रपात होना, बिजली
या शराब बनाने का चूल्हा । ४ शराब बनाने का
स्थान । गिरना। भटकळ-पु० [सं० भट] १ युद्ध, लड़ाई । २ संहार, नाश ध्वंस | भट्ट-पु० १ भानजा । २ देखो 'भटु' । ३ देखो 'भट्ट' । ३ भीड़।
भट्टो-पु० [सं० म्राष्ट्र] १ चूना पकाने का प्रग्नि कुण्ड । मटका-स्त्री. १ किसी बात की रह-रह कर होने वाली २ ईटें पकाने का स्थान । उत्कण्ठा । २ भटकने की क्रिया या भाव।
भट्ठ-१ देखो 'भट्टी' । २ देखो 'भट्ट' । ३ देखो 'भट्टी'। भटकारणो (बो), भटकावणो (बी)-क्रि० १ निरुद्देश्य घुमाना,
भट्ठी-देखो 'भट्टी'। इधर-उधर फिराना। २ अवारा फिराना । ३ कार्य सिद्धि
| भट्ठो-देखो 'भट्टो'। के लिये फिराना। ४ विचरण कराना । ५ गलत दिशा मठ-१ देखो 'भट' । २ देखो 'भट्ट' । ३ देखो 'भट्टी' । या दृष्टिकोण में ले जाना । ६ भ्रमित करना। ७ अस्थिर ४ देखो 'भट्टी। चित्त करना । ८ मर्यादा छुडाना। ९ भड़काना, प्रज्वलित
मठियारपण (पणौ)-पु० [सं० भ्राष्ट्रन्त्वन] भटियारे का करना । १० क्रुद्ध या कुपित करना। ११ लालायित
कार्य । या इच्छुक बनाना । १२ गमन कराना, भेजना ।
मठियारो-देखो 'भटियारी' । (स्त्री० भठियारी) १३ वज्रपात करना। मटकी-स्त्री० भ्रम, अज्ञान ।
भठी-देखो ‘भट्टी'। - भटफूड़ी-वि० १ अधिक घूमने वाला, घुमक्कड़ । २ प्रवारा
| भठीयारो-देखो 'भटियारो'। घूमने वाला।
भळी-देखो 'भट्टी'।
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मडंग
( २१८ .)
भभतीज
भडंग-पु० मूर्ख व्यक्ति ।
भरणरणरणौ (बौ)- देखो 'भणकणौ' (बौ)। भडगी-वि० प्राडंबर रचने वाला । दिखावा करने वाला। | भरपरणांट, भणणाट (टो)-देखो 'भणण' । भडजर-पु० [सं० भट्-पंजर] योद्धा का अस्थि-पंजर । भरगणारणी (बौ), भणणावणो (बो)-क्रि०१ भौंरे का गुनगुनाना। भड-पु. १ एक प्रकार का वृक्ष विशेष । २ देखो 'भट'।
२ मक्खियों का भिनभिनाना। ३ चक्र का जोर से फिरना । भडकणो (बी)-१ देखो 'भिडकणी' (बी) । २ देखो | ४ चक्र फिरने की ध्वनि होना। "भड़कणो' (बौ)।
भरणगाहट-देखो 'भणण' । भडकाडणी (बो), भड़काणी (बो)-१ देखो. 'भड़काणी' (बो)।
| भणणौ (बौ)-क्रि० १ पढ़ना, पढ़ाई करना । २ अध्ययन करना २ देखो 'भिड़काणी' (बी)।
मनन करना । ३ पाठ करना, मंत्रोच्चार करना। ४ जपना। भडकिमाड, (किंबाड, किमाड)-देखो 'भड़किंवाड़'।
५ रटना । ६ कहना, कथना । ७ बुनाई करना । ८ होना । भडग-पु० [सं० भद्रांग] १ शिव, महादेव । २ बलराम ।
९बनना। भडणी (बी)-क्रि० १ हाथों से जड़ सहित उखेडना । भरणत-स्त्री०१ पढ़ने की क्रिया या भाव । २ बुनने की क्रिया देखो 'भिडणी' (बो)।
या भाव । ३ बुनाई का ढंग । ४ कृषकों का लोग गीत भड़ताळ -देखो "भिड़ताळ' ।
विशेष । भडत्थ-देखो 'भड़ीतो' ।
भणभणाट, भणभणाहट, भरणभरणाटो-देखो 'भणण' । भडबाउ, भडवाय-पु० [सं० भटवाद] १ बीरता की ख्याति । भरणसाल, भरणसालइ-स्त्री० कोषागार, खजाना । २ सामथ्र्य, बल, शक्ति । ३ योद्धापन ।
भरपहरण-देखो 'भणण'। भडांप-स्त्री० एक प्रकार की बन्दूक ।
भणहणणो (बौ)-क्रि० १ हवा का चलना । २ देखो 'भणकाणी' मडांबली-स्त्री० १ द्विविधा, सन्देह । २ प्रातुरता, त्वरा ।
(बी)। भडाभड-देखो 'भड़ाभड़'।
भणाड़णी (बौ)-देखो 'भणाणो' (बी)। भडाळ-देखो 'भट'।
भरगाणी (बो), भणावरणो (बो)-क्रि० १ कहलाना, बुलवाना । भडोळ-वि० फूहड़, असभ्य ।
२ पढ़ाना,पढ़ाई कराना। ३ प्रध्ययन कराना, मनन कराना। भडोळखानौ-पु० अव्यवस्था ।
४ पाठ कराना, मंत्रोच्चार कराना ।५ जपाना । ६ रटाना । भड-देखो ‘भट' ।
७ कथाना । ८बुनाना । ९ बनवाना । भडुळीपुरांण, भडळीपुराण-पु० 'डंक' ज्योतिषी द्वारा रचित मरिणत-स्त्री० कही हुई बात या कथा ।-वि० पढ़ा हुआ, बना ___ वर्षा-विज्ञान संबंधी पद्यों का संग्रह ।
____ हुअा, बुना हुआ। भयंक-देखो 'भरणक'।
भरिणयरण-वि० १ पठित, पढ़ा हुआ । २ विद्वान ।-पु० चारण भणकरणौ (बो)-देखो 'भरणकरणों' (बी)।
कवि। भणकार, भणंको भणक्क-देखो 'भरणक' ।
भणी क्रि०वि० १ कहकर, बोलकर । २ लिए, वास्ते, निमित्त ।
भरोज भणज-देखो 'भाणेज'। भणंकणी (बौ)-देखो 'भणकणी' (बी)।
भण्यागरी-वि० साथ रहने वाला, सहचर । भरण-पु० ताड़ का वृक्ष ।
भत-१ देखो 'भांत' । २ देखो 'भात' । भणक-स्त्री० [सं० भरण, भणन] १ ध्वनि, आवाज । २ अफवाह, उड़ती खबर । ३ किसी बात का संकेत ।
भतई-१ देखो 'भातवी' । २ देखो 'भात' । ४ हल्की आवाज।
भतवार, भतवारण, भतवारी-स्त्री० [सं० भक्त-हारिणी] कृषक भरणकरणो (बौ)-क्रि० १ भन-भन शब्द होना। २ मंडराना ।
के लिये खेत में भोजन लेकर जाने वाली स्त्री। ३ पाना। ४ जाना । ५ भन भन शब्द करना। ६ मक्खियों | तवारी-पू० कृषक के लिये खेत में भोजन ले जाने वाला का भिन-भिनाना।
व्यक्ति । भरणकार, भणकारी, भणको भरगणक-देखो 'भणक' । भतार, भतारौ-देखो भरतार' । भरगणकरणो (बौ)-देखो 'भरणकणो' (बी)।
भति-१ देखो 'भांत' । २ देखो 'भती' । भणण-स्त्री. १ भौरे आदि की गुनगुनाहट । २ मक्खियों की | भती-स्त्री० १ पृथ्वी, भूमि । २ देखो 'मांत'।
भिन-भिनाहट । ३ एक ही वृत्त पर जोर से घूमने की भतीज, भतीजी-पु० [सं० भ्रातृज] (स्त्री० भतीजी) बड़े भाई क्रिया । ४ इस क्रिया से उत्पन्न ध्वनि।
का लड़का । भतीजा।
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भतळियो
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मतुळियो, चतुळो चतुस्योदेखो''।
भत्त-१ देखो 'भांत' । २ देखो 'भक्त' । ३ देखो 'भात' । ४ देखो 'भांति' ।
-
( २६९ )
प्रति मत्ती १ देवो 'भांत' २ देखो 'भक्ति' ३ देखो 'भाई'। भतीजा देखो 'भतीजो' । (स्त्री० भतीजी )
मतौ पु० [सं० भक्तम्] वेतन के अलावा विभिन्न रूपों में मिलने वाला द्रव्य, भत्ता, अलाउंस । भत्रीज, भत्रीजउ-देखो भतीजो' । भयरट्ट - स्त्री० एक जाति विशेष । मथाइत, मथाइति (ती, तु) भषाउ,
मचाउत, भयाउति पु० [सं०] [भस्त्रा + रा. पाइति ] १ तरकसधारी योद्धा । २ तरकस बनाने वाली जाति या इस जाति का व्यक्ति । भथारो - १ देखो 'भाथो' । २ देखो 'भातो' ।
'भजात' । भदरा- देखो 'भद्रा' ।
J
भाउ भाउड़ी भाऊ, भादेखो 'बाऊ' । मदाह स्त्री० [अग्नि ।
मधूळियो, मधूळी, मल्यौ - देखो 'बथूळो' ।
भदौ (बी) - १ देखो 'भिदणी' (बी)। २ देखो 'बधरणी' (बो)। भद्रबल्लभ पु० बलराम का एक नाम । भवर-१ देखो 'भटुर' २ देखो 'भट्ट'
7
मदरक - पु० [सं० भद्रक] १ सार तत्त्व । २ मनोहर, सुन्दर । ३ देवो'' काळी 'भडकाळी' जात जाति, जाती
1
भदोराराय स्त्री० प्रावड़देवी की बहन ।
भट्ट-१ देवो 'भादवी' २ देखो''। भद्दता - देखो 'भद्रता' ।
भद्दर पु० [सं० भद्राकरण] १ परिवार के वृद्ध की मृत्यु पर दाढ़ी, मूंछ व शिर के बाल मुंडवाने की क्रिया
या
भाव । मुण्डन । २ देखो 'भादवी' । वि० १ मुण्डित २ देखा भद्र'।
महुव-देखो 'भादवौ ।
भद्दा -
-देखो 'भद्रा' ।
भद्दावरण ( पण ) - पु० [फा० बद] भद्दा होने की अवस्था या भाव । कुरूपता । भद्दी - वि० [फा०] बद] २ बेढंगा, बेडौल । ३ अशिष्ट, असभ्य, फूहड़ । ४ अप्रिय, कर्कश, प्ररुचिकर । ५ अश्लील हेय ।
(स्त्री० भट्टी) १ कुरूप बदल ।
भद्र भट्ट पु० [सं० भद्र) १ सफेद हाथी २ उत्तर दिशा का
दिग्गज । ३ वृषभ, बैल । ४ शिव, महादेव । ५ सफेद रंग । ६ खंजन पक्षी । ७ स्वर साधन की एक विधि ८ शिव का गण वीरभद्र । ९ जैनियों का एक व्रत । १० जैनियों के तीर्थंकर । ११ मेरू पर्वत । १२ कदम्ब वृक्ष - वि० १ उत्तम श्रेष्ठ । २ कल्याण व मंगलकारी । ३. सभ्य,
शिष्ट । ४ सज्जन, साधु । ५ कृपालु, दयालु ६ भाग्यवान, समृद्ध । ७ शुभ अनुकूल । सुन्दर, मनोहर । १० प्रशंसनीय । ११ प्रिय । १२ दंभी, पांखंडी । १३ देखो 'भद्दर' काळी स्त्री० दुर्गा की १६ भुजाओं वाली मूर्ति । कात्यायनी । एक स्कन्द मातृका । जात, जाति, जाती जाती जातीनाग पु० हाथी, गज सफेद हाथी भद्रक - पु० एक प्रकार का छन्द ।
मात्री० [सं०] [भक्षेमा] दुर्गा देवी, भगवती । भद्रग- देखो 'भडग' ।
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भद्ररणी (बी) - क्रि० [सं० भद्रं ] अच्छा करना । भद्रतरुणी - स्त्री० [सं०] गुलाब का एक फूल विशेष । भद्रता - स्त्री० [सं०] १ श्रेष्ठता, उत्तमता । २ प्रच्छाई ।
३ सज्जनता, साधुता । ४ सुन्दरता, मनोहरता । भद्रपीठ - स्त्री० [सं०] राजा या देवता के अभिषेक का सिंहासन ।
भवकणौ
भद्रबाहुस्वामी - पु० [सं०] यशोभद्र के शिष्य व कल्पसूत्र के
रचनाकार |
भद्रसेन पु० १ स द्वारा वचित देवकी का एक पुत्र २ कुंती
का एक पुत्र ।
मसेव पु० [सं० भद्र क्षेम] कुशलता, क्षेम।
भद्रा - स्त्री० [सं०] १ द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी तिथि की संज्ञा । २ दुर्गा, देवी । ३ पृथ्वी, अवति । ४ गंगा की एक धारा ५ अर्जुन की स्त्री, सुभद्रा । ६ श्रीकृष्ण की एक पत्नी । ७ कल्याणकारिणी शक्ति ८ श्राकाश गंगा । ९ गौ, गाय । १० हल्दी । ११ दूब, दूर्वा । १२ छाया के गर्भ से उत्पन्न सूर्य की एक कन्या । १३ गौतम, बुद्ध की एक शक्ति । १४ वनस्पति विशेष । १५ ज्योतिष में एक प्रशुभ योग । १६ श्रार्या गीत या 'बंधांण' का एक भेद विशेष । १७ फूहड़ स्त्री ।
भद्राकरण-पु० [सं०] मुण्डन किया हजामत | भद्रानंद - पु० संगीत में स्वर साधन की एक प्रणाली । भद्रासरण - पु० [सं०] १ राजसिंहासन । २ कोई प्रासन विशेष ।
मननेटिय-30 चक्कर | भपत-पु० चन्द्रमा, शशि । भपोभप - वि०
३ कुर्सी ।
भद्रिका स्त्री० [सं०] भद्रा ] १ ज्योतिष में योगिनी दशा के अन्तर्गत पांचवीं कक्षा । २ देखो 'भद्रा' । भद्रोतर पु० जैनियों का एक व्रत मनक, मनक- देखो 'भरणक"।
अनुरूप, तुल्य, समान । हूबहू । ween (बी) देखो 'करणी' (बी) ।
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भवकाणौ
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Shanti (at), भवकारणी (बो) – देखो 'भभकारणी' (बी) । भभूतो-देखो 'विभूती' ।
भवकी देखो भभकी' ।
भबको देखो 'भभकौ' ।
भबूत भबूती - देखो 'विभूति' ।
मम्मको (बी) - देखो 'भभकरणी' (बो) ।
( २७० )
(ब) देखो 'मणी' (बी) |
अखवकालौ (बो), भबक्कावरणौ (बी) - देखो 'भभकारणी' (बो) । भमगर - पु० काला, सर्प, काला नाग़ । भवन- देखो 'भवन' ।
भतासि भावि देखो 'वितासि' ।
भभक स्त्री० १ गंध, बदबू । २ अग्नि, आग । ३ भड़कन । ४ भडभड़ाहट । ५ धमका ६ सहसा सुलगने की क्रिया
या भाव।
मय
मकर (बी) क्रि० १ रह-रह कर जलना २ जलते भभकना । ३ सहसा प्रज्वलित होना । ४ क्रोध में भड़कना । ५ फफक कर रोना । ६ तेज बदबू आना, नाना । ७ सड़ना ८ बुदबुदाना । ९ द्रव से उमग कर थाना । १० वाद्यों की ११ उबलना, भाप की आवाज होना ।
पाना ।
भभकभक पु० वनि विशेष ।
भमकारणों (बौ) - क्रि० १ रह-रह कर जलाना । २ भभकाना, जलाना । ३ सहसा प्रज्वलित करना । ४ क्रोध में भड़काना । ५ फफक कर रुलाना । ६ सड़ाना । ७ वाद्य ध्वनि करना । ८ उबालना । प्रवेश में लाना ।
मत देखो 'विभूति' ।
भभूता सिद्ध (सिध) देखो विभूतासिद्ध'
दुर्गंध का झोंका पदार्थ का तेजी ध्वनि होना । १२ श्रावेश में
अमकार स्वी० [१] सड़ांध २ बुदबुदाहट
कर फूटने
या बहने की क्रिया या भाव। ४ घोर गर्जना । - वि० १ गहरा । २ देखो 'भभक' ।
मकार (ब)-कि० सिंह आदि का वर्जना, दहाड़ना। महावली (बी) देखो 'मनकारणी' (बो) |
ममकी - स्त्री० १ झूठी व दिखावटी धमकी । २ गहरी प्यास । ३ जलन, दाह ।
भभको पु० १ प्रासवन यंत्र । नलिका यंत्र । २ सहसा चमक कर बुझने वाली अग्नि । ३ क्षणिक प्रकाश । ४ रोष, क्रोध । ५ उत्तेजना, उग्रता, आवेश । ६ चमक-दमक, तड़कभड़क । ७ दिखावटी प्रभाव ।
meerut (at) - देखो 'भभकरणों' (बौ) ।
समयको देखो 'भभको ।
भमरणो (बी) - क्रि० १ घबराना । २ भ्रम में पड़ना, चकराना । भमरुक, भमरूक, भभरूत - पु० एक कल्पित प्रेत विकराल प्रचण्ड |
1
- वि०
भभोखरण, भभीसरण - देखो 'विभीसरण' |
मंग वि० [सं०] अमर-बंग] काला, कृष्ण। पु० १ भौरा भ्रमर । २ देखो 'भुजंग' ।
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(बौ), मणी (बी) देखो 'भंगी' (यो) | भ्रम-देखो 'भवन' ।
भमर पु० १ एक छन्द विशेष २ देखो 'भंवर' । ३ देखो 'पर'कड़ी भरकडी' पुंजार - 'भंवरगुजार' |
=
- गुफा - भंवरगुफा' । ठेल = 'छलभंवर' । -जाळ 'भंवरजाळ' |
भयंगचर
भमरड़ो, भमरडउ, भमरडो-देखो 'भंवर' ।
भमखियो ० १ चरखे का गोल चक्र २ देखो 'भूख'। भमरभार स्त्री० एक प्रकार की भांग ।
भमरभीख- देखो 'भंवरभीख' ।
भमरभोळियो (कौ) - वि० सादा, सीधा, भोला ।
भमरलउ, भमरलु, भमरलो-१ देखो 'मंत्र' । २ देखो 'भ्रमर' । भमरांग-१ देखो 'भ्रमर' । २ देखो 'भंवर' । भमराळौ - देखो 'भंवराळी' ।
अमरावळि (ळी) देखो 'मंदरावळी'।
मरी स्त्री० [सं०] भ्रमरी] स्त्री का एक प्रकार का धावण भ्रमरो, भमरची-१ देखो 'भ्रमर' । २ देखो 'भवर' । भमळ ( लि, ली) - १ देखो 'भ्रमर' । २ देखो 'भवळ' । महडी, ममहि-स्त्री० [सं० भ्र ू ] भौंह ।
,
माइली (बी) माडली यो समालो (बीमारी - देखो 'भवाणी' (बो) ।
भावरणकुंजर - पु० [सं० कु जर भ्रामक ] भीम । भमियाळ - वि० जानकार, ज्ञाता ।
मुह, भमुहिय- देखो 'भ्र ू'।
भमरणौ (बी) - देखो 'भवणी' (बो) । भम्मर देखो 'भंवर' ।
भयंकर - वि० [सं०] १ डरावना, भयावह । २ विकराल, प्रचण्ड । ३ खतरनाक । ४ अत्यधिक, बहुत । ५ जबरदस्त, जोरदार । ६ विशाल ।
भयकरता स्त्री० [सं०] १ डरावनापन | २ विकरालता,
प्रचण्डता । ३ प्रबलता । ४ अधिकता ।
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मयंकरपीठ पु० [सं० भयंकर + पृष्ठ ] हाथी ।
भयंकरी - स्त्री० देवी का एक रूप विशेष ।
भयंकर, मयंकारी देखा 'भयंकर'
भयंग स्त्री० [सं० भू] १ पृथ्वी, भूमि । २ देखो 'भुजंग' । भयंगचर - पु० [सं० भुजंग-चर ] १ गरुड़ । २ मोर, मयूर ।
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मयंगर
।
२७१ )
भरपो
वाला।
भयंगर, भयंव-देखो 'भयंकर'।
कटे पौधों को, एक बार में बैलगाड़ी में भरने लायक भय-पु० [सं०] १ डर, खौफ, भीति । २ चिता, प्राशंका, मात्रा । १० बालू का टीबा । -वि०१ कुल, समस्त, सब ।
अनिष्ट की संभावना । ३ जोखिम । ४ बीमारी, रोग । २ पूर्ण, चरमोस्थिति में । ३ पोषक ।-क्रि०वि०४ तक - ५ अधर्म द्वारा उत्पन्न एक राक्षस । ६ द्रोण का एक पुत्र । पर्यन्त । ५ अवधि या परिमाण पर्यन्त । ६ अच्छी तरह, भयकर, भयकार-देखो 'भयंकर'।
भली प्रकार से । ७ के, द्वारा, से । ८ देखो 'भेरी'। भयकारमुखी-स्त्री० [सं० भय-मुख] तोप । -वि० डरावने मुख | भरकुट, भरफूट-देखो 'भ्रकुट'। वाली, विकराल मुख वाली।
भरखमो, भरखवू, भरखियो, भरखीमो-वि० (स्त्री० भरखमी). मयचक-देखो 'भंचक'।
सहनशील, सहिष्णु । भयट्ठाण-पु० [सं० भयस्थान] भयप्रद स्थान ।
भरग, भरगु-देखो 'गु'। भडि, भडिहि-स्त्री० [सं० भ्रकुटि] भौंह ।
भरगुलता-देखो 'भ्रगुलता' । भयरिण (पी)-देखो 'बहन' ।
| भरह-स्त्री० ध्वनि विशेष । भयद-पु० [सं०] १ सूपर, वराह । २ देखो 'भयदाई'।
भरड़कोट-पु० एक प्राचीन दुर्ग । भयदाई-वि० [सं०] १ डरावना, भयप्रद । २ डराने-धमकाने | भरडणी (बी)-क्रि. १ मारना, संहार करना । २ कुचलना;
| रौंदना । ३ दांतों से चबाना । भयनामण (न)-वि० [सं० भय-नाशिन्] भय, प्राशंका या कम-भरड़ा-स्त्री० एक जाति विशेष। .
जोरी मिटाने वाला, भयनाशक । -पु० ईश्वर, परमेश्वर । | भरडौ, भरडउ, भरतु-पु०१ उक्त जाति का व्यक्ति । २ श्वेत भयपद, भयप्रव-वि० भयानक, डरावना, खतरनाक ।
व स्याह रंग का घोड़ा। भयमजक, भयभजण-देखो 'भयनासण' ।
भरडपो (बो)-देखो 'भरड़णो' (बी)। भयभीत, भयभूत-वि० [सं०भयभीत] डरा हुमा, सहमा हुआ भरण, भरणको-वि० [सं० भृ] १ भरने वाला, परिपूर्ण करने प्राशंकित, भ्रमित ।
वाला । २ पालन-पोषण करने वाला ।-पु. १ भरने की भयमोचरण-देखो 'भयनासण' ।
क्रिया या भाव । २ पालन-पोषण । ३ क्षति पूर्ति । ४ बांस भयरव-देखो 'भैरव'।
की खपचियों का बना, मनाज नापने का टोकरा । ५ मेघ, भयरवी-देखो 'भैरवी'।
बादल । ६ तगारी, पात्र । ७ प्रथम गुरु के गगण का भयहर, भयहरण, भयहरता, भयहारी-वि० [स० भय+हरण] नाम । ८ देखो 'भरणी'।
डर और भय का हरण करने वाला।-पु० ईश्वर, परमात्मा।। भरणनद, भरणनिवारण-पु. बादल । भयाणक, भयाणख-देखो 'भयानक'।
भरणाटे, भरणाट-क्रि०वि० वेग से, तेजी से। चक्र की तरह । भयांण-पु. १ एक जाति विशेष का घोड़ा। २ देखो 'भयानक'।
भरणाटी-पु०. चक्कर। भयारणउ-पु. १ एक प्रदेश का नाम । २ देखो 'भयानक' ।
| भरणारणो (बो)-क्रि० १ भ्रमित करना, घुमाना । २ तेज भयाणक (ख, ग)-देखो 'भयानक' । मयांगो-देखो 'भयावरणो' ।
घुमाना। भयान, भयानक-वि० [सं० भयानक] १ जिससे भय लगता हो, | मरणियो-वि० भरने वाला।
भयप्रद, डरावना । २ प्रबल, प्रचण्ड । -पु. १ साहित्य में | भरणी-स्त्री० [सं०] १ सत्ताईस नक्षत्रों में से एक । २ एक एक रस । २ बाघ । ३ राहु ।
प्रकार का शुभ लग्न । ३ सांप को चीर देने वाला कीड़ा भयागर-देखो 'भयंकर'।
विशेष । ४ काच, चीनी मादि का पात्र विशेष । ५ करघे भयातिसार-पु. भय के कारण होने वाला प्रतिसार रोग।
की ढरकी । ६ बुनाई में बाने का सूत । भयातुर-वि० [सं०] भय से व्याकुल ।
भरणीजळ-स्त्री. उत्तर और ईशान के मध्य की दिशा । भयावरणौ (नौ)-वि० डरावना, खौफनाक ।
भरणी-पु. [सं० भरणं] १ सेवाओं के बदले दिया जाने वाला भयावह-वि० [सं०] डरावना, भयानक ।
द्रव्य या पदार्थ, एवजाना, मुपावजा। २ क्षति पूर्ति । भरंग-वि० अत्यन्त काला, श्याम ।
कमी पूति । भर-पु.१ उत्तरदायित्व, जिम्मेवारी। २ संग्रह। ३ भराव । भरणी (बो)-क्रि० [सं० भृ] १ अपेक्षित वस्तु से परिपूर्ण
४ रिक्तता का प्रभाव । ५ भार, बोझ । ६ तोल । होना, रिक्त न रहना। २ रिक्तता की पूर्ति होना, अवकाश ७ पूर्णता, यथेष्टता । ८ एक तोले का तौल । ९ तिल के न रहना । ३ हृष्ट-पुष्ट होना, पुष्ट होना । ४ रिक्त पद पर
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भरत
( २७२ )
मरळ
नियुक्ति होना । ५ भावावेग में प्राना । ६ तृप्ति या अरुचि भरथाप्रज-देखो 'भरताग्रज' । होना । ७ सवारी, वाहन प्रादि पर लदान करना । भरथार-देखो 'भरतार' । ८ खड्डा, विवर या दरार का पटना, बंद होना। प्रोत भरवाज, भरद्वाज-पु० [सं० भरद्वाज] १ अंगिरसवंशीय एक प्रोत या तर होना, सन जाना । १० उत्साहित होना, | सुविख्यात ऋषि । २ सप्तर्षियों में से एक। ३ भरत पक्षी। मावेश में पाना । ११ गर्भवती होना । १२ रिक्तता की ४ पूर्व मन्वंतर के एक ब्रह्मर्षि । ५ एक अग्नि विशेष । पूर्ति करना । १३ रेखा या चित्र में रग देना । १४ दंड ६ एक धर्म शास्त्रकार । ७ एक राजा विशेष । ८ वाल्मीकि देना, भति पूर्ति करना। १५ निर्वाह करना, निभाना।। ऋषि के शिष्य एक ऋषि । १६ कहना, शिक्षा देना; किसी के विरुद्ध भड़काना। भरनी-देखो 'भरणी' । १७ यंत्र संचालन की अपेक्षित क्रिया करना । १८ संग्रह | भरपाई-स्त्री० १ किसी वस्तु की प्राप्ति या प्राप्ति की सूचना । करना। १९ सहमति देना । २० मापना ।
२ वसूली । ३ वसूली या प्राप्ति के प्रति की जाने वाली भरत-पु० [सं०] १ राजा दशरथ का एक पुत्र । २ राजा दुष्यन्त | रसीद । -क्रि०वि० पूर्ण रूप से, पूरी तरह।
का पुत्र । ३ जड भरत नामक महायोगी। ४ नाट्य शास्त्र | भरपूर-वि० १ भरा पूरा, परिपूर्ण । २ यथेष्ट, पर्याप्त । के प्रणेता सुविख्यात एक प्राचार्य । ५ लवा पक्षी का एक ३ प्रावश्यकता की पूर्ति के लिये खुब । ४ पूर्ण विकास की भेद । ६ प्रथम तीर्थंकर ऋषभ के ज्येष्ठ पुत्र का नाम ।। दशा में। ५ पूरी क्षमता या जोर के साथ । ७ तांबा व रांगा मिश्रित एक धातु । ८ गहरी जमीन | भरमड-वि० धूलि धूसरित । वाला खेत । ९ देखो 'भरती' । १० देखो 'वरत' । भरमार-पु. उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी। -क्षेत्र-पु. भारतवर्ष ।-खंड, खेतर, खेत्र-पु. भारत | भरभोलियो-देखो 'भडभोलियो । वर्ष।
भरम-पु० [सं० नम] १ संशय, सन्देह, शंका, अविश्वास । भरतपुरिया-स्त्री. रामावत साधुनों की एक शाखा।
२ भेद, रहस्य । [सं० भर्मन] ३ मिथ्या ज्ञान । ४ गलत भरतपुरियोलोटो-पु.१ भरत धातु निर्मित लुटिया, पात्र । | फहमी । ५ झूठी प्राशा या विश्वास । ६ गुंजाइश । ७ सार २अनिश्चित विचारों वाला व्यक्ति । (लाक्षणिक)
तत्त्व । ८ अवतार । ९ वेतन, मजदूरी। १० विश्वास, भरतर, भरतरि-पु० [स.भत] १ उज्जैन के प्रसिद्ध राजा जो साख । [सं० भन्] ११ स्वर्ण, सोना। वैरागी हो गये। -स्त्री० १ पृथ्वी, भूमि ।
भरमकारी-देखो 'भ्रमकारी' । भरतबीरणा-स्त्री. एक प्रकार की वीणा ।
भरमजाळ-देखो भवरजाळ' । भरतान, भरता-पु० [सं०भर्तृ] १ युधिष्ठिर का एक नामान्तर ।। भरमण-देखो 'भ्रमण'।
२ राजा । ३ पति । ४ स्वामी, मालिक । ५ नेता, नायक, मरमरणा-स्त्री० [सं० भ्रम] १ भ्रम, संदेह । २ विश्वास प्रधान । ६ समर्थक, रक्षक । ७ ईश्वर ।
भरोसा । ३ धोखा । ४ भूल, गलती। ५ मन में होने वाला भरतापज-पु० [सं०] श्रीरामचन्द्र ।
अनिश्चय। मरताचारज, भरताबारय-पु० [सं० भरत+माचार्य] एक ऋषि | भरमणी (बी)-देखो 'भ्रमणी' (बी)। का नाम ।
भरमारणौ (बी)-देखो 'म्रमाणी' (बी)। भरतार-पु० [सं० भत] १ पति । २ मालिक, स्वामी ।परमाभरमी-स्त्री०१भ्रम के कारण होने वाली स्थिति । ईश्वर, मालिक।
२ भुलावा । ३ भरोसा।। मरतियो-पु० [सं० भृत्य] १ नौकर, सेवक, अनुचर । २ क्षति भरमार-स्त्री० [सं०] अधिकता, बाहुल्य, प्रचुरता। पूर्ति । पूर्ति । ३ भरत धातु का बना पात्र । ४ यति, तांत्रिक ।
भरमावरणी (बी)-देखो 'भ्रमाणी' (बी)। भरती-स्त्री. १ रिक्त स्थान को भरने की क्रिया या भाव ।
भरमासतक-पु० सिकलीगर । २ चित्र मादि में रंग देने की क्रिया या भाव । ३ नियोजन, नियुक्ति । ४ प्रवेश, दाखिला । ५ क्षति पूर्ति ।।
मरम्म-देखो 'भरम' । ६ भराव।
भरराट-पु० ध्वनि विशेष । भरतेसर, भरतेसह भरतेस्वर-पु० [सं०भरत-ईश्वर मादिनाथ के | भरराणी (बी), भररावणी (बी)-क्रि० भर-भर्र की मावाज पुत्र प्रथम चक्रवर्ती भरत ।
होना । २ चक्कर पाना । ३ उड़ना। मरम-देखो 'भरत'।
भरळ-स्त्री. उट-पटांग बकने की क्रिया। -क्रि०वि०१ चम भरपरी-देखो 'भरतरी'।
चमाता हुमा । २ एकाएक, अकस्मात । ३ निरन्तर ।
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परळकणी
( २७३ )
मोती
भरळकरणी (बौ), भरळक्करणो (बो)-क्रि० १ चमकना, चम- १६ कबूल कराना, सहमति कराना । १७ क्षतिपूर्ति
चमाना । २ प्रज्वलित होना, सुलगना । ३ कोप करना, कराना। क्रोध करना । ४ बकना ।
भरात (थ)-१ देखो 'भारत' । २ देखो 'बरात' । भरळको-पु०१ झलक, झांकी। २ सहसा कुछ दिख जाने की भरारियो-पु० गेहूं आदि के भूसे को सुरक्षित रखने के लिये
क्रिया या भाव। ३ चमक-दमक । ४ बिजली की चमक । बनाया घास का घेरा, ढे। ५ माग की लपट, ज्वाला ।
मरारो-देखो 'भररौं। भरळाट (टी)-पु. १ चमक-दमक । २ भाग की लपट ग्वाला। भराव-पु० [सं० भरण] १ भरने की क्रिया या भाव । २ भुग३ क्रोध, गुस्सा।
तान कराना, चुकवामा । ३ भरी जाने वाली वस्तु । भरळाटतन-पु० सूर्य।
४ रिक्त स्थान की पूर्ति के लिये खींची जाने वाली रेखा। भरवाई-स्त्री० [सं० भरण] १ भरवाने का कार्य । पूर्ति का | ५ निचली सतह पर स्थित कृषि भूमि । ६ खेत का निचला
कार्य। २ रिक्तता पूर्ति का कार्य । ३ उक्त कार्य का पारि- हिस्सा । ७ फोड़े-फुसी में पीप भरने की दशा । श्रमिक।
८ स्वीकारात्मक शब्द । ६ एकत्र किया मलवा । १० देखो भरवार (डी)-पु० पशुपालक एक जाति विशेष ।
'भरेत'। भरवाडौ-पु. (स्त्री० भरवाड़ी) भरवाड़ जाति का व्यक्ति। भरावणी (बी)-देखो 'भराणी' (बी)। मरवाणी (बो)-देखो 'भराणी' (बी)।
भरावा-स्त्री० ठठेरा जाति की एक शाखा । भरसक-क्रि०वि० यथा शक्ति । मावश्यकतानुसार।
मरित-वि० भरा हुमा, परिपूर्ण । भरसूडो-पु० मुह, मुख ।
मरिया-पु० छोटे बच्चे का मल, विष्टा । भरह-देखो 'भरत'।-खड: 'भरतखंड'।
मरियावळि-वि० गर्वपूर्ण। भरहपुराण-पु० [सं० भरतपुरांण] भरत मुनि का नाट्य | भरियोगवाद-पु० १ गायों, मवेशियों से परिपूर्ण होने की शास्त्र ।
अवस्था। २ वैभव सम्पन्न घर। भरहम भ-पु० एक वाद्य विशेष ।
भरियोडील-पु० हृष्ट-पुष्ट देह, स्वस्थ शरीर । भरहर-पु. १ मेरी मादि वाद्यों की ध्वनि । २ एक दिशा का | भरिवीतरियो-वि० १. भरा हुआ परिपूर्ण । २ वैभवपूर्ण, नाम ।
सम्पन्न । मरहरउ, भरहरी-देखो 'भररो'।
भरियोभरम-पु० विश्वास । भरहरणो (बो)-क्रि० भेरी मादि का बजना।
भरी-१ देखो 'भर' । २ देखो 'वरी' । भरहसंगीत-पु० [सं० भरत-संगीत] भरत मुनि द्वारा रचित मज-पु० [सं०] गीदड़, शगाल । संगीत।
भरूट-देखो 'भुरंट'। मरहेर-देखो 'भरहर'।
भरूटी-पु० १ भारी गदुर । २ देखो 'भुरट' । भरहेरवय-पु० [सं० भरत+ऐरावत] एक क्षेत्र का नाम । भरूआडी-देखो 'भरवाई। भरात-१ देखो 'भ्रांत'। २ देखो 'भराव'।
मामाडो-देखो 'भरवाड़ी। मरांति-देखो 'भ्रांति'।
मस्वर-देखो 'भरवाई। भराई-देखो 'भरवाई।
भरेत-पु० १ वर्षा का पानी एकत्र होने वाली नीची भूमि । भराजक-देखो 'माजक' ।
२ निचली सतह की कृषि भूमि । मराणी(बी)- कि० [सं० भरण] १ पात्र, खड्डा या रिक्त स्थान भरेहर-देखो 'भरहर'। को परिपूर्ण कराना, भरवाना । २ वसूल कराना, अदायगाभर-
विकारपर, सफल । २माफिक, पक्ष में उपलब्ध। कराना । ३ रिक्तता या अवकाश न रखाना । रिक्त पद
४ फायदे में । पर नियुक्ति कराना । ५ पशु या सवारी पर बोझा लद
भरोटी, भरोटो-वि० १ भारी वजन पासा । देखो 'भरूटी'। वाना । छेद या दरार बंद करवाना । ७ सजामा, पोतप्रोत कराना। संग्रह कराना। चित्र में रंग लगवाना।
३ देखो 'भुरट' । १० निर्वाह कराना। ११ घोड़ी को गर्भवती कराना।। भरोडा-पु. भांख की पुतलियों में होने वाला एक रोग। १२ कहलवाना। १३ तृप्ति, संतोष या तुष्टि कराना। मरीती-स्त्री. १ एक प्रकार का कर । २प्रमाल, सन्त । १४ अरुचि कराना।१५ किसी यंत्र में बाबीमादि दिरवाना। २ पुष्टि, समर्थन । ४ प्राप्ति-रसीद । ५ देखो 'भारती'।
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भरोस
( २७४ )
भलोड़ो
होना ।
भरोस-देखो 'भरोसो' ।
भलहोडौ-देखो 'भलौ'। भरोसावार (बंद, बंध)-वि० विश्वास-पात्र । विश्वसनीय। भला,मलाई, भलाही-वि० १ ठीक, उचित, वाजिब । २ अच्छा । भरोसौ-पु०१ दृढ़ विश्वास । २ विश्वास । ३ प्राश्रय, सहारा, -क्रि०वि० १ शौक से, खुशी से, प्रसन्नता से । २ बिना प्रवलंब । ४ माशा, उम्मीद ।
आपत्ति से । ३ चाहे, इच्छा से, स्वेच्छा से। भळ-१ देखो 'भळावण'। २ देखो 'वळे' । ३ देखो 'बळ' । | भळारण, भळांमण, भळावरण, भलावणी-देखो 'भोळावण' । ४ देखो 'भालो'।
भलाई-स्त्री० १ भला होने की अवस्था या भाव । २ अच्छापन । भळ. मल-वि०१बहत अधिक। २ देखो 'भलां'। ३ देखो 'वळे।। ३ सज्जनता । ४ परोपकार. उपकार । ५ यश कीति । . ४ देखो 'भलो'। ५ देखो 'भालो' । ६ देखो 'वळ' ।
६ हित, लाभ। भलइ (6)-१ देखो 'भले' । २ देखो 'भलाई' । ३ देखो 'भलाई'। पळाकौ-पु० १ चमक-दमक । २ देखो 'वळाको' । ४ देखो 'भलो'।
भळाणों (बौ)-देखो 'भोळाणी' (बी)। मलउ-देखो 'भलो' ।
भलापण (पौ)-पु० १ भला होने की अवस्था या भाव । भळक-स्त्री० चमक, कांति ।
२ भलाई, सज्जनता। मळकणी-वि० (स्त्री० भळकणी) चमकदार, कांतियुक्त । भळाभळ-पु० जगमगाहट, चमचमाहट । भळकरणी (बी)-क्रि०१ चमकना, कांति युक्त होना । २ प्रकाशित | भलामण-देखो 'भोळावरण' ।
भळाव, भळावरण-देखो 'भोळावरण' । भळकाणी(बो)-क्रि०१ चमकाना, कांति युक्त करना। २ प्रकाशित भळावरणी (बी)-देखो 'भोळाणी' (बी)। करना।
भळाहळ-देखो 'भळाभळ'। भळकार-स्त्री० १ तीर । २ चमक, झलक ।
भलाही-देखो 'भलाई। भळकारी-पु०१ चमक, प्रकाश । २ झलक, प्राभास ।-वि० भलिउ-देखो 'भली'। चमकने वाला, चमकयुक्त ।
भळियार-पु० बीज बोने का उपकरण । भळकावणी बो)-देखो 'भळकाणी' (बी)।
भालिम, भलिमि (मी)-देखो 'भलम' । भळको-पु०१ चमक,कांति । २ झलक । ३ एक प्राभूषण विशेष । भलीमांत, भलीभांति-क्रि०वि० पूर्ण रूप से, अच्छी तरह से । भलको-पु०१ तीर, बाण । २ देखो 'भालो'।
उचित ढंग से। भळक्कणी (बौ-देखो 'भळकरणो' (बी)।
भलु. भलू-देखो 'भलो' । भलक्को-देखो 'भालौ'।
मळे-देखो 'वळे'। भळणी (बी)-क्रि०१ उत्तरदायित्व लेना, संभालना । २ स्वीकार | भले-प्रव्य प्रशंसा सूचक ध्वनि, अच्छा कर लेना । ३ देखो 'भिळणी' (बी)।
भलेई-देखो 'भलाई। भलपण (णो)-पु. १ भलाई, अच्छापन । २ यश, कीति ।
भलेरउ, भलेरड़ो मलेरडौ, भलेरो-देखो 'भलो' । भळभ-वि० क्रुद्ध, कुपित ।। मळमट (ट्ट)-वि० माग बबूला।
भळे वड़ो-पु. बैल के शिर में सींगों में बांधी जाने वाली रस्सी। भळभळ, भळभळाट-देखो 'भळळ' ।
भळे-अव्य० १ स्वतः उच्चारित वर्णात्मक शब्द, स्वर । २ देखो भळभळाणी (बी)-क्रि० चमकना । भळभळी-वि० स्वाद में कुछ कड़वा । (स्त्री० भळभळी) भळंटिया-पु० (ब.व.) अक्षरों की टेढ़ी-तिरछी रेखाएँ । प्रारंभिक मलम-पू०.१ अच्छापन, भलाई। २ यश, कीति । ३ सुन्दरता, ज्ञान के प्रक्षर । खूबसूरती।
| भलोड़ो, भलौ, भलौस-पु० [सं० भद्र] (स्त्री० भली) १ भलाई, भलमनसत, भलमनसात, भलमनसाहत, भलमनसाही, भलमनसो,
हित । २ मंगल, कल्याण । ३ नफा, लाभ । ४ परोपकार । मलमारणसी-स्त्री० इन्सानियत, सज्जनता, शराफत ।
-वि० १ अच्छा, बढ़िया, श्रेष्ठ, उत्तम । २ ठीक, उचित । : मळम्मळ-स्त्री० चमक। .
३ खूब, अधिक, प्रचुर । ४ श्रेयस्कर, उचित । ५ शोभनीय । भळळ, मळळाट, भळळाटो, भळहळ-स्त्री. १ चमक, कांति । ६ रोगरहित, स्वस्थ । ७ सदाचारी, सज्जन । ८ उच्च, २ तेज । ३ प्रकाश ।
महान् । ९ रुचिकर। १० अच्छी बनावट का । ११ कल्याभळहळणी (बी)-क्रि० १ चमकना, दमकना । २ प्रज्वलित णकारी, मंगलमय । १२ प्रशंसनीय । १३ प्रिय । होना ।
१४ संतोषजनक ।
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मल्ल
।
२७५ ।
भवाड़ो
भल्ल-१ देखो 'भलो' । २ देखो ‘भालो' ।
भवपकी-पु० जन्मरूपी दलदल' । भल्लमर-देखो 'भल्लयर'।
भवपाळी-स्त्री० [सं० भव-पाली] संसार की पालक मल्लक-पु० [सं०] शैछ, मालू ।
भुवनेश्वरी देवी। भल्ळकणी (बी)-देखो 'भळकणौ' (बी)।
भवपित, भवपिता-पु० [सं० भव-पिता] ब्रह्मा । भल्लयर-वि० भला, श्रेष्ठ।
भवप्राण-पु० [सं० भवप्राण] पार्वती। भल्लियो, भल्ली-१ देखो 'मलो' । २ देखो भालो' ।
भवबधन-पु० [सं०] १ सांसारिक कष्ट एवं दुःख । २ जन्म-मरण भवग-देखो 'भुजंग'।
का चक्र। भवर-१ देखो 'भंवर' । २ देखो 'भ्रमर' ।
भवबुद्ध-वि० [सं०] संसार को जागृत या प्रबुद्ध करने वाला। भव-पु० [सं०] १ संसार, जगत । २ महादेव, शिव । ३ जन्म। भवभंजण (न)-वि० [सं० भव-भजन] १ ईश्वर, परमात्मा ।
४ यमराज । ५ स्वर्ग। ६ जीवन । ७ कारण, हेतु। २ यमराज, काल । ८ कामदेव । ९ श्रीरामचन्द्र । १० बादल, मेघ । ११ मांस। भवभय-पु० [सं०] बार-बार जन्म-मरण का भय ।-हरण-पु. १२ कल्याण, मंगल । १३ कुशल-क्षेम । १४ सत्ता । | ईश्वर, परमात्मा । श्रीकृष्ण । १५ अस्तित्व । १६ निकास । १७ स्वास्थ्य । १८ प्राप्ति । भवभामिनी-स्त्री० [सं०] १ पार्वती । २ वेश्या। १६ श्रेष्ठता । २० ग्यारह की संख्या ।-वि० [सं० भवत् भवमोचक, भवमोचन-वि० संसार के बंधन छुड़ाने वाला । १ होने वाला । २ वर्तमान ।-क्रि०वि० ३ हरगिज, | -पु० ईश्वर, परमात्मा। कभी भी।
भवर, भवरियो-१ देखो 'भंवर' । २ देखो 'भ्रमर' । भवक-देखो भविक'।
-गुजार='भंवरगुजार'।-जाळ-'भंवरजाळ' ।-तिलकभवकेतु-पु० पूर्व दिशा में कभी-कभी दिखने वाला पुच्छल तारा। . भंवरतिलक' ।। भवको -पु०१ धड़कन । २ देखो 'भभको' ।
भवळ-देखो 'भंवळ'। भवड़-देखो 'बहू' ।
भवलील-स्त्री. शिव, महादेव। . भवण-१ देखो 'भवळ' । २ देखो 'भवन' । ३ देखो 'भूण'। भव-वांमा-स्त्री० [सं०] १ पार्वती । २ वेश्या । ४ देखो 'भ्रमण'।
भवविलास-पु० [सं०] १ सांसारिक सुख । २ माया जाल । भवणपति भवणबई, भवणवइदेव-देखो 'भवनपति' । भवस-पु० १ यवन, मुसलमान । [सं० भविष्यत्] २ भावी, भवणौ बौ)-क्रि० [सं० भू| १ होना। २ देखो 'भंवरणी' (बी)। होनहार । ३ देखो 'भविस्य'। भवतवता-देखो भवितव्यता' ।
भवसउ-पु० [सं० भव+शतक] सौ जन्म । भवतव्य-देखो 'भवितव्य' ।
भवसागर, भवसायर, भवसिंधु-पु० [सं०] संसार रूपी समुद्र । भवतव्यता-देखो 'भवितव्यता' ।
भवसि-१ देखो 'भवस' । २ देखो 'भविस्य'। भवतात-पु० [सं०] सूर्य, प्रादित्य ।
भवसुखा-स्त्री० नदी। भवतारक, भवतारण, भवतारन-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमात्मा। भवस्त, भवस्स-१ देखो 'भविस्य' । २ देखो 'भवस'। २. श्रीकृष्ण ।
भारणी-देखो 'भवांनी'। भवती-पु० एक प्रकार का जहरीला बाण ।
भवांतर-देखो 'भवनंतर'। भवधरण-वि० [सं०] संसार को धारण करने वाला । -पु. भवान-सर्व० [सं० भवत् पाप । ईश्वर ।
भवांनी-स्त्री० [सं० भवानी] १ पार्वती । २ दुर्गा, शक्ति । भवनंतर-पु. जन्मान्तर ।
३ एक चिड़िया विशेष । ४ उल्लू जाति का एक पक्षी भवन-पु० [सं०] १ गृह, मकान । २ महल, प्रासाद । ३ देवा |
विशेष । ५ एक रागिनी। लय, मंदिर । ४ संसार, जगत । ५ खड, टुकड़ा। ६ डेरा, विश्राम । ७ स्थान । ८ अस्तित्व । ९ उत्पत्ति । १० छप्पय
भवानीरथ-पु० [सं०] सिंह। छंद का एक भेद । ११ ज्योतिष के अनुसार एक लग्न ।
भवा-स्त्री. पार्वती । १२ देखो 'भुवन' ।-पति, पती-पु० घर का स्वामी, गृह भवाइया-स्त्री० एक जाति विशेष ।
स्वामी । ग्रहों का स्वामी । ईश्वर । जैन देवतामों का वर्ग। भवाडणी (बी), भवाडणी (बी), भवाणी (बी)-क्रि० [सं०भव] भवनार-स्त्री० [सं० भवनारी] १ पार्वती । २ वेश्या।
१ करना । २ शोभायमान करना। ३ देखो भवाणी' (बी)। भवनेस-पु० [सं० भवन+ईश] गृह स्वामी, भवन का मालिक ।। ४ बोवाई कराना।
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भवापत
। २७६ )
भांगड़ली
भवापत (पति)-पु० [सं० भवा-पति] शिव ।
भसमासुर-देखो 'भस्मासुर'। भवाब्धि-पु०.[सं०] संसार-सागर, जगत ।
भसमी-देखो 'भस्म' । भवाळ-पु० [सं० भूपाल राजा।
भसमीय-वि० [सं० भस्म] १ भस्म जैसा, भस्म की तरह। भवावरणो (बी)-देखो 'भवाणी' (बौ)।
२ भस्म के रंग का । ३ भस्म की तरह महीन। भवि-वि० भवजीव, मुक्तिगामी प्राणी। -क्रि०वि०१ पुनः फिर। मसम्मी-देखो 'भस्म'।'
२ देखो 'भय' । ३ देखो 'भव' । ४ देखो 'भावी'। भसर-पु० भौंरा । भविक-वि० [सं०] १ संसार का, संसार संबंधी। २ सिद्धि भसुड, भतूं-पु० [सं० भृश्-शुण्ड] हाथी, गज । -वि०राख या
प्राप्त होने के योग्य । ३ मोक्ष पाने.योग्य जीव । -जन-पु० धूल से भरा । सांसारिक प्राणी।
भस्त-देखो 'बहिस्त'। भवितव्य-वि० [सं०] १ भावी, होने वाला, होनहार । भस्म-स्त्री० १ लकड़ी, कंडे आदि के जलने के बाद बची रहने २ अवश्यम्भावी।
वाली राख। २ चिता की राख । ३ हवन कुण्ड या धूनी भवितव्यता-स्त्री० [सं०] १ होनी, भावी, होनहार । २ प्रारब्ध, की राख । ४ किसी प्रौषधि की राख, भस्मौषधि । -वि. भाग्य, किस्मत।
जल कर राख बना । -अंगी-पु. भस्म के रंग का भषिय-१ देखो 'भव्य' । २ देखो भविक' । -जरण, जन- घोड़ा। -वि० जिसके अंग पर भस्म लगी हो । धुलि'भविकजन'।
घूसरित । भविस्य-पु० [सं० भविष्य] १ आने वाला समय, प्रागामी काल, भस्मक-पु० [सं०] १ एक रोग विशेष । २ भस्मासुर का एक
क्षण । २ वर्तमान के बाद का समय । -वि. १ भागे होने नाम । -वि. भस्म करने वाला। वाला, पाने वाला । २ प्रत्यासन्न, निकट । -बाणी-स्त्री० भस्मकारी-वि० भस्म करने वाला। मागे घटने वाली बात की घोषणा।
भस्माकर-देखो 'भस्मासुर'। भविस्यत-पु० [सं० भविष्यत् प्रागामी समय ।
भस्मागनी-स्त्री० शरीरस्थ पंचाग्नियों में से एक । भविस्स-देखो 'भविस्य'।
भस्मासुर-पु. शिवोपासक एक प्रसिद्ध राक्षस । भवी-१ देखो 'भव' । २ देखो ‘भावी' । ३ देखो 'भवि' । भस्मीभूत-वि० [सं०] जल कर राख हुप्रा । भवीक-१ देखो 'भविक' । २ देखो 'भव्य' ।
महंगी-स्त्री० पत्थर ढोने की, लकड़ी की टोकरी। (मेवात) भवे, मव-क्रि० वि० हरगिज, कतई, कभी भी।
मह-देखो 'धू'। मवेस, भवस-पु. [सं० भव+ईश] । संसार का स्वामी, | महराणी (बी)-देखो 'भरराणी' (बी)।
ईश्वर, परमात्मा । २ शिव, महादेव । ३ देखो 'भवस'। महरौ-१ देखो 'भंवारी' । २ देखो 'भारी'। भवोदधि-पु० [सं० भव-उदधि] संसार सागर ।
महु-देखो 'बहू'। भवोभव-पु० [सं० भव] जन्म-जन्मान्तर ।
मां-देखो 'भांय'। भवो-देखो भव'।
मांकार, मौकारि-स्त्री० १भेरी नामक वाद्य । २ भेरी नामक भव्य, भव्यक-पु० [सं०] १ कुशल क्षेम । २ शिव, महादेव । | वाद्य की ध्वनि।
३ देवगणों का समूह विशेष । ४ चाक्षुष मन्वंतर का एक | भांख-स्त्री० तलहटी। देव । ५ घ्र व राजा का एक पुत्र । -वि० १ सुन्दर, | भाखड़ी-स्त्री. एक वनस्पति विशेष । मनोहर । २ शुभ, मंगलकारी । ३ योग्य, लायक ।
मांखणी (बी)-क्रि० [सं० भा+अंकन] रोटी पर थोड़ी मात्रा ४ भविष्य में होने या पाने वाला । ५ मोक्ष योग्य ।
में घी प्रादि लगाना, चुपड़ना । भव्या-स्त्री० [सं०] उमा, पार्वती। भव-देखो 'भव'।
भांखो-पु० घी, तेल प्रादि का हल्का लेपन, चुपड़न । भसंधि-स्त्री० [सं० भ+संधि ज्योतिष में एक नक्षत्र संधि। भांग-स्त्री० [सं० भंगा] १ एक प्रसिद्ध मादक वनस्पति । भस-स्त्री०१ किसी पदार्थ की प्रसह्य गंध। २ देखो 'भस्म'।। २ इस वनस्पति को घोट कर बनाया गया पेय । भसरण, भसरणउ-देखो 'भुसणो' ।
मांगड़-वि० भंग का नशेबाज, भगेड़ी। .. मसम, भसम्म-देखो 'भस्म'।
मांगाभुतड़, भांगड़भूत-वि० १ भंग में मस्त रहने वाला। मसमागि-स्त्री० [सं० भस्म-अग्नि] भाम करने वाली माग, २. उन्मत्त, मदमस्त । ३ बेपरवाह । तीव्र ज्वाला।
| भांगड़ली, भांगड़ी-देखो 'भांग' ।
पा
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भांगड़ो
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भांगा - स्त्री० [सं० भंग] बिगाड़, खराबी ।
भांग, मांगी-देखो 'भाग'
( २७७ )
भांगड़ी-पु० १ एक प्रौषधि विशेष, भांगरा । २ देखो 'भंगेड़ी' । भांगरण - स्त्री० [सं० भंग] १ तोड़ने, भंग करने की क्रिया या भाव । २ वध, हत्या ।
',
भांगण - वि० [सं० मंग्] १ निवारण करने, मिटाने वाला २ विध्वंसक संहारक ३ मारने पीटने वाला । । । ४ तोड़-फोड़ करने वाला ५ खण्डित भंग करने वाला । मांगणी (ब) - क्रि० [सं० भंग्] १ तोड़ना, टुकड़े-टुकड़े करना, खण्डित करना 1 २ खर्च करना । ३ भंग करना । ४ मार-पीट करना । ५ निवारण करना, मिटाना ६ विनास करना, विध्वंस करना । ७ पराजित करना, हराना सूटना मिटाना, नष्ट करना । १० संहार करना, मारना । ११ नियम तोड़ना । १२ व्यय या खर्च
करना । १३ प्रकट करना ।
भांगरी स्त्री० एक प्रकार की घास ।
मांगरी - पु० [सं० भृंगराज ] एक प्रकार का क्षुप ।
भांगेसुर - पु० [सं० भंगा-ईश्वर ] १ भंग । २ शिव, महादेव । ३ भंगे।
भोजघड़ स्त्री० [सं० भंग घट् ] १ पशोपेश, संकल्प-विकल्प, अनिश्चितता की दशा २ विवाद चितन विचार ४ तोड़-जोड़ । ५ संकल्प । ६ सलाह । भांजणी-देखो 'भांगणों
भांजणी (ब)- देखो 'भांगरणी' (बी) । भांड-पु० [सं० भंड] १ हास्यास्पद क्रियाएँ करने वाली एक याचक जाति । २ उक्त जाति का व्यक्ति । - वि० मुंहफट, बेशर्म ।
मांडणी (बी) - क्रि० १ बदनाम करना । २ निंदा करना । ३ प्रताड़ना देना ।
मी- पु० एक श्रादमकद पौधा जो श्रौषधि में काम श्राता है । भांडरति पु० कोषाध्यक्ष
द्वारा
भांडाई स्त्री० १ निदा करने की क्रिया या भाव। २ किया जाने वाला स्वांग रचना का कार्य । ३ निंदा । मांडाकार, भांडागार - पु० [सं० भंड + श्रागार ] कोष, खजाना । hiarifte - पु० कोषाध्यक्ष । भांडार - देखो 'भंडार' ।
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मनो
भांडेरू - वि० १ किसी कार्य को सुचारु रूप से पूरा करने वाला । २ निदक । ३ देखो 'भांड' ।
भांगड़ी-देखो 'भगेड़ी' ।
भागौ पु० १ टुकड़ा, खण्ड अंश २विघ्न, बाधा।
भगत (सुन) पु० [सं० भानु सुत] यम, शनि क
सुग्रीव ।
भांज स्त्री० १ तोड़ने-मरोड़ने की क्रिया या भाव। २ विघ्न, बाधा । ३ पंचायती । ४ विभाजन । ५ टूटन ।
प्रसुता स्त्री० [सं० भानुसुता ] यमुना । भाजक - वि० [सं० भंग्] भंग करने वाला, तोड़ने वाला - स्त्री० भांग -१ देखो 'भानु' । २ देखो 'भांणेज' । भांगेज (जौ) - पु० [सं० भगिनी + ज ] ( स्त्री० भांणजी, भांगेजी) बहिन का पुत्र भानजा । मांणौ- ०१ खाद्य सामग्री से युक्त भोजन का पात्र २ भोजन । ३ देखो 'भानु' |
बाधा, विघ्न ।
भांडौ - पु० [सं० मंड] १ बड़ा पात्र, जल पात्र । २ शरीर । भांगव पु० एक प्रकार का बाथ वाद्य । भांग १ देखी 'बाण' २ देखो 'भानु' २ देखो 'बहन' भांण उगवण, भांणउगांण-पु० [सं० भानु-उदय ] सूर्योदय । भांणउगाळी-स्त्री० [सं० भानु-उदयकाल ] सूर्योदय
समय ।
मांणकुळ-पु० सूर्यवंश ।
भांण कुळजा स्त्री० सूर्यवंशजा ।
मांण अड़ी, भांगजों पु० बहन का पुत्र ।
भांणनंव-पु० [सं० भानु-नंद] १ सूर्यपुत्र दानवीर करणं २ यमराज । ३ राहु । ४ सुग्रीव । ५ शनि । भोजनंदा स्वी० [सं०] भातु +नंदा] पूर्व पुत्री यमुना । भांग बंस- पु० सूर्यवंश |
भरण- भांणकुळ - पु० [सं० भानुकुल भानु] १ सूर्यवंश के सूर्य श्रीराम २ ईश्वर
का
मांगरांणी स्त्री० [सं० भानु +राज्ञी] देवी, दुर्गा ।
मांणव- पु० [सं० भागव] १ काव्यकार, कवि । २ उत्तम वक्ता ३ चारणों की एक उपाधि |
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भांत, भांतड़ली स्त्री० [सं०भाति] १ प्रकार किस्म । २ विशेष ढंग या परिरूप ३ भिन्नता ४ तुलनात्मक दृष्टि से भे अन्तर । ५ देखो 'भांति' ।
प्रांत पंतीलों-वि० (स्त्री० भांतभ तीली) तरह-तरह का,
विभिन्न प्रकार का ।
प्रांतर-१ देखो 'भांत' २ देखो 'भांति' ।
भांति
।
०१ प्रकार, तरह, किम २ चाल-ढाल रंग-ढंग ३ आचार व्यवहार की मर्यादा ४ प्रथा, रीति । ५ अनुरूप -क्रि०वि० प्रकार से तरह से मांन पु० [सं० भानं ] १ प्रकाश, रोशनी । २ ज्ञान, प्रतीति । ३] अनुभव ४ नाश, ध्वंस ५ प्राकट्य प्रकाशन, प्रादुर्भाव ६ देखो 'भानु' । भणी (ब) - देखो 'भांगरणी'
(बौ) 1
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भानमति
(२७८ )
भाई
भानमति (ती)-देखो 'भानुमति' ।
भामटी-स्त्री० एक प्रकार सब्जी। मानवी-स्त्री० [सं० भानबी] यमुना नदी।
भामरण-देखो भामिनी'। भानु-० [सं० भानु] १ सूर्य, भास्कर । २ विष्णु । ३ किरण । | भामगइ, भांमउ, भांमणां, भामरणा-देखो 'भामण'
४ प्राक, मदार । ५ पन्द्रहवें अरिहंत के पिता का नाम ।। भांमरिण, भामरणी, भामणि, भामणी-देखो भामिनी' । ६ कश्यप का एक पुत्र । ७ श्रीकृष्ण का पुत्र एक महारथी। | भामरणे (ण)-स्त्री० १ न्यौछावर, उत्सर्ग । २ बलया। -स्त्री० ८ दक्ष की कन्या ।
३ बलिहारी। भानुकाप्रमावस-स्त्री० [सं० भानुका अमावस्या, जेष्ठ कृष्णा भांमनि भामनि भोमनी -देखो भामिनी' । प्रमावस्या ।
भामरि-देखो 'भांवरि'। भानुज -पु. [स. भानुन] यम, शनि, कर्ण, सुग्रीव । -वि० सूर्य । भामरौं-देखो 'भ्रांमर'। से जन्मा ।
भामा, भांमिण भांमिरिण, भांमिणी भामिनी, भांमीनी-स्त्री० भानुजा, भानुतनया. भानुतनूजा-स्त्री० यमुना नदी, राधा । [सं० भामिनी] १ स्त्री, औरत । २ पत्नी, भार्या । भानुपाक-पु० [सं०] धूप से पकी औषधि ।
३ व्यभिचारिणी या कुल्टा स्त्री। भानुप्रताप-पु०१कैकय के राजा सत्यकेतु । २ सूर्य का प्रताप,तेज। | भांमी-देखो 'भामणे'। भानुमती-स्त्री० [सं० भानुमतो] १ अंगिरस ऋषि की बड़ी भांय भायको (खौ)-स्त्री० [सं० भूमि] १ दूरो, फासला ।
पुत्री का नाम । २ सगर राजा की रानी का एक नाम ।। २ भूमि ।। ३ राजा विक्रमादित्य की रानी । ५ नटों से मिलती-जुलती | भारंड पु० एक पक्षी विशेष ।
एक मुसलमान जाति व इस जाति की,स्त्री। ६ गंगा । | भाव-क्रि० वि०१लिए, निमित्त । २ देखो 'भांब' । मांनुमानु, भानुरथ-पु० वृहदश्व के पुत्र का नाम ।
भांवरण-देखो 'भावरण'। मांनुवार-पु० [सं० भानुवार, रविवार, इतवार ।
भांवणौ (बौ)-देखो ‘भावणौ (बौ)। भानुसप्तमी-स्त्री० [सं० भानुसप्तमी] १ माघ शुक्ला सप्तमी। | भांवर, भांवरि, भांवरी-स्त्री० [स० भ्रमणं] १ परिक्रमा, . २ रविवार को आने वाली सप्तमी।
फेरी । २ वर-वधू द्वारा विवाह वेदी के दिये जाने वाले मांनुसूत-पु० [सं० भानुसुत] यम, शनि, राहु, करण, सुग्रीव । | फेरे। ३ जल का चक्कर, जल-भ्रमर । भान-पु. [सं० भानु] १ अग्नि, माग । २ देखो भानु' ।
भांव-देखो 'भाव'। भांपटी-स्त्री० बांस की खपची। भांपरणी, भांपरणी-पु० पलक के बाल । पलक ।
भाहरौ-देखो 'भूह' । भापणी (बो)-क्रि. १ स्थिति या बात का अनुमान लगाना । भा-पु. १ प्राकाश । २ प्रकाश । ३ मद । ४ उज्ज्वलता। २ ताड़ लेना। ३ परिस्थिति की गंभीरता समझना ।
५ बड़े भाई का संबोधन । -स्त्री० ५ लक्ष्मी, श्री । भाव-स्त्री०१ गांव भाभी की पदवी । २ इस पदवी के साथ ६ यश, कीति । ७ रात, रात्रि । चमक, कांति । प्रभा। दिया जाने वाला धन या वस्तु । ३ भाभियों का कार्य ।
९ मर्यादा । १० किरण । ११ शोभा । १२ बिजली।। भांबटो, भांबिड़ो, भांबी-स्त्री० (स्त्री० भांबरण, भाबणी)। १३ देखो वाह' । .
१ चमड़े या जूते की सिलाई का काम करने वाली जाति । भालोड़-१ देखो, भालोड़' । २ देखो 'भालौ'। २ इस जाति का व्यक्ति।
भाइ-स्त्री० [सं० भाष्ट्र] १ भट्टी, भाड़ । २ देखो 'भाई'। भामर-पु० जोश, आवेश ।
भाइगु-देखो 'भाग्य' । भांभरभोळव, भांभरभोळवी, भांभरभोळो-देखो ‘भ भरभोळी । भाभरहूळी-स्त्री० एक प्रकार की सब्जी।
भाइडौ-देखो 'भाई। भांभराळी, मांभरी-पु. उन्मत्त, मस्त ।
भाइप, भाइपौ-देखो 'भाईपौ'। भांभळभळको (भोळी)-वि० सायंकाल का समय ।
भाइसाइत-पु. १ एक चौहटे का नाम । २ देखो 'भइसाइत' । भाभळी-स्त्री० गर्म राख, कुछ अग्नि कणों वाली राख ।
भाई-पु० [सं० भ्रात] १ अपनी माता या पिता का अन्य पुत्र, भामाई-स्त्री० बेगार का कार्य।
सहोदर, भ्राता । २ चाचा, ताऊ, भूपा, मामा प्रादि का भाभी-देखो 'भाबी' ।
पुत्र, बंधु । ३ भ्रातृत्व की श्रेणी में पाने वाला कोई भाम-पु. [स० भाम] १ बहनोई । बहिन का पति । २ देखो प्राणी । ४ अपनी जाति या गौत्र का व्यक्ति । ५ मित्र, 'भांमिनी'।
। दोस्त । ६ नागासाही साधुओं की एक शाखा। ७ भ्रातत्व
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भाई
। २७६ )
भागळ
की भावना से किया जाने वाला एक संबोधन । -क्रि०वि० | भाखरकेर-पु. केर की तरह का एक वृक्ष विशेष ।
प्रशंसा सूचक ध्वनि । आश्चर्य या घृणा सूचक शब्द । भाखरखड़-देखो 'भाकरखड' । भाईडउ, भाईडो-देखो 'भाई'।
भाखरगूदी-स्त्री० एक वृक्ष विशेष । भाईचारी-पु० [सं० भ्रातृ-चार] १ बन्धुत्व की भावना या | भाखरांनरेस-पु. सिंह व्याघ्र । रिश्ता । २ मित्रता, दोस्ती ।
भाखरि-१ देखो 'भाखर' । २ देखो 'भाखरी' । ३ देखो भाईजी-पु०१ पिता, बाप । २ बड़ा भाई ।
___ 'भक्खरी'। भाईदूज-स्त्री० [सं० भ्रातृ-द्वितीया] कात्तिक शुक्ला द्वितीया | भाखरियौ-देखो 'भाखर'। तिथि ।
भाखरी-स्त्री० १ छोटी पहाड़ी। २ देखो 'भाखर' । ३ देखो भाईपांचम-स्त्री० [सं० भातृ-पंचमी] मादपद शुक्ला पंचमी। भक्खरी'। भाईपो-पु० १ भ्रातृत्व-बंधुत्व । २ अपने परिवार या सगोत्रीय भाखल, भाखलियो, भाखलो-देखो 'भाकलो' । __ व्यक्तियों का समूह । ३ मित्रता-दोस्ती।
भाखवणी (बो)-देखो 'भाखरगो' (बो)। भाईबंट (बंटी)-पु० [सं० भ्रात-वण्ट] . पैतृक सम्पत्ति का | भाखसी-स्त्री. १ कंद खाना । २ कारागार की काल कोठरी। बंटवारा । २ बंटवारे से मिलने वाला अंश।
३ कैदियों को रखने का तलगृह । भाईबद (बंध)-पु. १ माता, बधु, अपने पारिवारिक जन । | भाखा-देखो 'भासा'। २ स्व जातीय बंधु ।
भाखाखोरणी-वि० प्राधा भूखा । भाईबीज-स्त्री० भाईदूज ।
भाखारी-देखो 'भखारी' । भाईयप -देखो 'भाईपो'।
भाखो-स्त्री० [सं० भाषणम्] वाणी, बोली। भाईलौ-देखो 'भायलो'।
भाख्या-देखो 'भासा'। भाईवट (बंटी)-देखो 'भाईबंट'।
भाग-पु० [सं०] १ किसी वस्तु का हिस्सा, अंश । २ खण्ड, भाउ, भाऊ-१ देखो 'भाई' । २ देखो'भाव' । ३ देखो 'बहजी' ।। टुकड़ा। ३ विभाग, उप खण्ड। ४ गणित की एक प्रक्रिया। भाऊगड़दी, भाऊगरवी-स्त्री० लड़ाई, झगड़ा ।
- ५ देखो 'भाग्य'। ६ देखो 'भाख'। भाएलो-देखो भायलो' । (स्त्री० भाएली)
भागणी-वि० (स्त्री० भागणी) १ भागने वाला, पलायनवादी। भाक-देखो 'भाख'।
२ कायर, डरपोक । . भाकणौ (बी)-१ देखो भासणो' (बी) । २ देखो भागणी (बो)-क्रि० १ दौड़ना, भागना । २ युद्ध स्थल से पीठ ___ 'भाखणी' (बी)।
दिखाकर जाना। ३ कांटे आदि का चुभना, धंसना । भाकर (जी, डो), भाकरियो-देखो 'भाखर' ।
४ मिटना, समाप्त होना । ५ तेज चलना । ६ चल-विचल भाकरखड-पु० मूज की तरह की एक घास ।
होना । ७ विभक्त होना । ८ व्यतीत होना, बीतना । भाकरी-१ देखो 'भाखरी' । २ देखो 'भक्खरी'।
६ खण्डित होना, टूटना । १० नष्ट होना, ध्वस्त होना। भाकल, माकलियो, भाकलो-पु० १ ऊंट के बालों का बना एक | भागदौड़-स्त्री० १ प्रयत्न, कोशिश। २ कार्य साधन के लिये बिछावन । २ प्रोढ़ने का ऊनी वस्त्र ।
इधर-उधर आने-जाने की क्रिया। ३ जल्दबाजी। भाकसी-देखो 'भाखसी' ।
भागधाम-पु० ललाट, भाल । भाख-पु०१उषाकाल । २ डिंगल का एक छंद। -स्त्री० [सं०भाष्] | भागधारी-वि०१ हिस्सेदार, भागीदार । २ भाग्यशाली।
सरस्वती। ४ देखो 'भासा' । ५ देखो 'भासण'। भागधेय-पू० [सं० भागधेयः कर, टेक्स । उत्तराधिकारी। भाखड़ी-स्त्री० १ एक डिंगल गीत विशेष । २ देखो 'भाखर'।
भागफळ-पु० [सं० भाग-फलम] १ गणित में 'भाग' की क्रिया ३ देखो 'भासा'।
से प्राने वाला परिणाम । २ प्रारब्ध का फल । भाखण-देखो 'भासण'।
भागबळी-देखो 'भाग्यबळी'। माखणी-पु० [सं० भाष] बोलना क्रिया । -वि० बोलने वाला।
भागभंवरी-स्त्री० घोड़े के ललाट पर होने वाली भंवरी। माखणी (बी)-क्रि० [सं० भाष्] १ कहना, बोलना । २ उच्चारण करना । ३ वर्णन करना। ४ प्रकट करना,
भागरा-स्त्री० एक राग विशेष । प्रकाशित करना। ५ देखो 'भासणी' (बी)।
भागरोकोट-वि० [सं० भाग्य-कोट] भाग्यशाली। माबर-पु. १ पहाड, पर्वत । २पर्वत की तरह गंभीर लगने | भागळ, भागल-वि. १ कायर डरपोक । २ व्रत या संकल्प वाला कार्य ।
तोड़ने वाला। -स्त्री० अर्गला, परिष ।
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मागळखेल
( २० )
भाटो
भागळखेल-देखो 'भगळखेल'।
भाड-पु० [सं० भ्राष्ट्र] १ भड़ भूजे की भट्टी, बड़ा चूल्ह । भागवंत-वि० [सं० भाग्यवत्] (स्त्री० भागवंती) १ भाग्यवान, २ लाक्षणिक भावों में विनाशकारी कार्य। भाग्यशाली। २ देखो 'भागवत'।
भाडागाडो-स्त्री० बैलगाड़ी से घास ढोने से बचना चाहे उन भागवत-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण की महिमा व भक्तिरस संबंधी | किसानों से लिया जाने वाला कर ।
ग्रंथ । २ कोई सम्पूर्ण कथा या वृत्तान्त । ३ तेरह की | भाडेती-वि० १ किराया देकर यात्रा करने या रहने वाल।। संख्या १३ । -वि. विष्णु का, विष्णु संबंधी।
२ किराया लेकर कार्य करने वाला । भागवती-स्त्री० [सं०] वैष्णवों की कण्ठी विशेष ।
भाडो-पु० [सं० भाटक] १ किराया। २ श्रम के बदले दिया जाने भागाम-वि० [सं० भाग्यवान्] धनवान, भाग्यवान ।
वाला धन या वस्तु। भागवानी-स्त्री० [सं० भाग्यवत् +६] १ सम्पन्नता, अमीरी। भाच-स्त्री० एक प्रकार का प्राचीन कर । २ प्रमीरों की सी स्थिति, अवस्था या भाव।
भाचक्र-पु० [स० प्राभा-चक्र] प्रकाश का वृत्त । कांति वृत्त । भागसाळी-देखो 'भाग्यसाळी'।
भाचर, भाचरियो, माचरी-पु०.१ सूपर का छोटा बच्चा । भागहीण-देखो 'भाग्यहीण' ।
२ लोहार का ऐरण। भगारणी-वि० भागने वाला। कायर । डरपोक ।
भाछ-देखो 'भाच'। भागादोड़-देखो 'भागदौड़'।
भाजक-वि० [सं०] विभाग करने वाला, विभाजक । -पु० मागि-१ देखो 'भाग्य' । २ देखो 'भागी'।
गणित में-विभाजक संख्या या अंक । भागिली-वि० भागने वाला। कायर।
भाजकांस-पु० [सं० भाजक+अंश] भाग लगाने पर शेष रहने भागी-वि० [सं० भागिन्] (स्त्री० भागण, भागणि, भागणी, वाला अंश (गणित)।
भागिण, भागिणी) १ भाग्यशाली, खुशकिस्मत । | भाजड-स्त्री० भागने की क्रिया।
२ हिस्सेदार, भागीदार । ३ अधिकारी, हकदार । भाजण-पु० [सं० भाजन] १ बर्तन, पात्र । २ अच्छा-बुरा फल भागीरप-वि० १ भगीरथ संबंधी, भगीरथ का । २ देखो भोक्ता । ३ भागने की क्रिया या भाव । ४ कायर । 'भगीरथ'।
भाजणी (बौ)-क्रि० १ विभाजन करना । २ हिस्से करना । भागीरथी-स्त्री० [सं०] गंगानदी।
३ देखो 'भागणी' (बी)। भागू-वि० भागने वाला, डरपोक, कायर ।
भाज-दोड़ो-देखो 'भागदौड़। भागोड़ी-वि. १ चुभा या घंसा हुमा। २ टूटा हुमा । भा' जी-पु० पिता या बड़े भाई का एक संबोधन । भागोत-देखो 'भागवत'।
भाजी-स्त्री० १ तरकारी, सब्जी। २ मांस । भागौ-वि० [सं० भग्न] (स्त्री० भागी) १ टूटा हुआ, खण्डित । भाजणी (बौ)-देखो 'भागणी' (बी): २ अपूर्ण, अधूरा।
भाज्य-पु० [सं०] गणित की सख्या जिसमें भाग दिया जाय। भागीत-देखो 'भागवत'।
भाट-पु० [सं० भट्ट] (स्त्री. भाटणी) १ वंशावली लिखने माडिवि, मारिदि-क्रि० वि० तत्काल ।
वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । २. एक अन्य भाग्य-पु० [सं०] १ प्रारब्ध, किस्मत । २ सौभाग्य । ३ हर्ष । । नीच जाति । ४ समृद्धि।
भाटक-पु० [सं०] १ किराया, भाड़ा। २ शस्त्र प्रहार की ध्वनि भाग्यचक्र-पु० [सं०] भाग्य का फेर, चक्कर । परिस्थितियों विशेष । का फेर।
भाटकणी (बौ)-क्रि० अत्यन्त क्रोध करना, कु.व होना । भाग्यवळ-पु० [सं०] १ भाग्य, प्रारब्ध, अच्छा भाग्य
भाटकळ-देखो 'भटकळ'। २ अदृष्ट लाम।
भाटखळ-पु. भीड़, समूह, जमघट । भाग्यभाव-पु० जन्म कुण्डली में एक स्थान ।
भाटभाखा, भाटभायखा-स्त्री० [सं० भट्ट-भाषा] पिंगल भाषः । भाग्यवान, भाग्यसाळी-वि० [सं० भाग्यवत्] १ भाग्यवान्, खुश |
भाटभोट-स्त्री. १ बौछार । २ झड़ी। ३ चुगलखोर । किस्मत । २ समृद्ध, सम्पन्न । ३ अमीर । भाग्यहीण-वि० प्रभागा, हतभाग्य ।
भाटिया-स्त्री० गुजरात की एक क्षत्रिय जाति विशेष । भाग्यांणी-वि० भाग्यशाली।
भाटी-देखो. 'भट्टी'। भार गनेर-पु. १ भटनेर शहर का नामान्सर र हनुमानगढ़ का | भाटीपौ-पु. जैसलमेर राज्य का नाम ।
एक प्राचीन किसा । ३ चुरू जिले का एक प्राचीन नगर। | भाटो-पु. १ पत्थर । २ ज्वार के बाद समुद्र के जल का उत र ।
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भाठमीठ
माठमीठ- स्त्री० शस्त्र प्रहार की ध्वनि ।
भाठियो-१ देखो 'भाटो' । २ देखो 'भाटिया' । भाडी देखो 'भट्टी'
भाडीत पु० यवन, मुसलमान
भाठो-देखो 'भाटो' ।
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भाडळी प्राठम-स्त्री० ० श्राषाढ कृष्णा अष्टमी ।
भाडळीनम-स्त्री० ० प्राषाढ़ शुक्ला नवमी 1
भाहिज मावेज पु० एक प्रकार का घोड़ा विशेष ।
भारणी - वि० रुचिकर, सुहावना ।
( २८१ )
भाइ वि० १ गरीब बेचारा २ मूर्ख नासमझ १०१ स्व भादु भादुड़ी रेल 'भाव'।
I
1
J
कारों का एक प्रोजार विशेष २ बड़ा मेंढ़क
माहुर-१ देखो 'बहादुर' २ देखो भाव is (ब) - क्रि० १ छल करना, ठगना । २ देखो 'बाढ़गो' भादुवो, भादू, मादू, भादूड़ी - देखो 'भादवी' ।
(गो)।
भाणी (बी) - क्रि० [सं० भा] १ रुचिकर, लगना, अच्छा लगना, सुहाना २ सहन होना । ३ फबना, शोभित होना । ४ चाहना, इच्छा करना । ५ स्वादिष्ट लगना । भात पु० [सं० भक्त ] १ पके हुए चावल । २ व्यंजन, भोजन ।
३ विवाह के समय दिया जाने वाला बडा भोज विशेष । ४ वरवधू के ननिहाल वालों की तरफ से दिये जाने वाले वस्त्राभूरण विशेष । ५ एक लोक गीत विशेष । भातड़ियो पु०१ गांव-गांव फिर कर काम करने वाला स्वर्णकार । २ देखो 'भात' । ३ देखो 'भायो' ।
भातड़ी - पु० १ चमड़े का एक थैला विशेष । २ देखो 'भात' । ३ देखो 'भाथो' |
भातवी - पु० वर या कन्या के ननिहाल वाले लोग । भाति माती-०१ किसान के लिये खेत में खाना जाने वाला व्यक्ति । २ देखो 'भातवी' । ३ देखो 'भांति' । भातीनी- देखो 'भतीजो' ।
भावात देवो भवाइत'
बाबा ० तरकसधारी योद्धा बाणावली योद्धा माथी स्त्री० [सं०] [भस्वका] लौहार आदि की कमी भाबो- पु० [सं० भस्त्रा ] तरकंस, तूणीर । भावउ, भावरउ, भावरव- देखो 'भादवी' । भादरो-देखो 'भादवी' ।
भादरवो भादव, मारवड़ी देखो 'भादयो' ।
भावी वि० [सं०] भाइपदी] भादौ मास की। भादवी - पु० [सं० भाद्रपद ] १ श्रावण के बाद भाने वाला महीना । २ बृहस्पति के उस वर्ष का नाम जब वह पूर्व भाद्रपदा या उत्तरा भाद्रपदा में उदय होता है । भाविज-देखो 'भ' |
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मादेव, wiदेव, भादौ, भाद्र, भाद्रपद पु० [सं० भाद्रपद ]
भादव मास ।
भाद्रपदा - स्त्री० [सं०] एक नक्षत्र पुंरंज का नाम ।
भाद्रव, भाद्रवउ, भाद्रवऊ, भाद्रवड, भाद्रवडउ, भाद्रवडी, भाइयो भाग्य देखो 'भादवी'।
भाद्रवी देखो 'भादवी' ।
भाद्रायण - पु० पूर्व देश का एक खण्ड ।
माप, माफ-स्त्री० [सं० वाध्य] १ किसी तरल पदार्थ प्रादि की वाष्प 1 २ किसी भी तत्त्व की वाष्पीय अवस्था ३ शीत काल में मुंह से निकलने वाली भाप । भाबोसा- देखो 'भाभोसा' । भाभज-देखो भावज' ।
भातो - पु० [सं० भक्त ] १ यात्रा या कार्य पर जाते समय साथ लिया जाने वाला खाना । २ खेत में कार्यरत किसान के लिये भेजा जाने वाला खाना । ३ पुट । ४ देखो' भाथी' । भात्रीज, भात्रीजौ - देखो 'भतीजो' । भाव, भाथड़ी-१] [देव] 'भात' २ देखो 'भायो' देखो मामळ पु० [सं०] सूर्य, रवि
। । ३
।
'भातो' । wre-tetra
।
युक्त । २ प्रत्यन्त ऋ पु० एक ऐतिहासिक
भामर पु० वर्षा ऋतु में होने वाला क्षुप विशेष । भाभराभूत - वि० १ पूर्ण वेग और जोश एवं जोशीला । ३ लापरवाह । व्यक्ति विशेष भाभा - स्त्री० १ राजा की उप-पत्नी की संतान का वंश । २ बड़ों के लिये एक संबोधन शब्द । ३ माता, जननी । मानो मामाजी मामीसा-स्त्री० बड़े भाई की वी भोजाई । २ जेठ की स्त्री, जिठानी ।
भाभू-स्त्री० माता के लिए उच्चारण किया जाने वाला
·
प्रायल
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शब्द, माता ।
भाभी, भाभोजी, भाभौसा पु० १ पिता या बड़े भाई का संबोधन । २ राजा की उप-पत्नी का पुत्र ।
भाय स्त्री० १ कृपा, दया । २ पसंद । ३ एहसान इच्छा । ५ तरह, भांति प्रकार । ६ १ मनवांछित, रुचिकर । २ देखो 'भाई' | भायकी - स्त्री० हल्की निद्रा, तद्रा । भायग- वि० प्रिय, प्यारा । भायजी-देखो भाईजी" | भाभावदेखो भाईयो।
भास देखो 'भायेलो' (स्त्री० भावली
।
४ वाह.
रुचि - वि०
|
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मायसो
( २८२ )
भारसह
भायसौ, भायही-देखो 'भासियो ।
भारतवरस-पु. [सं० भारतवर्ष] भारतदेश, हिन्दुस्तान, हिन्द । भायू बीज-देखो 'भाईदूज' ।
भारति-देखो 'भारती'। भाये-देखो 'भाई'।
भारतियो-वि० १ बढ़िया वस्त्र विक्रेता । २ विवाह में 'माहेरा' भायेली-पु० (स्त्री० भायेली) १ मित्र, दोस्त, सखा । लाने वाला। २ प्रेमी, प्राशिक ।
भारती-पु० [सं०] १ सरस्वती, शारदा। २ वाणी। ३ कविता। भायो-पु० १ संतान-पुत्र । २ देखो 'भाई ।
४ साहित्य में एक वृत्ति । ५ ब्राह्मी बूटी। ६ एक प्राचीन भायोजी-देखो 'भाईजी'।
नदी का नाम । ७ एक प्रकार का पक्षी। ८ दशनामियों भारग-पु. चन्द्रमा, चांद ।
की एक शाखा। भारगी-स्त्री. एक प्रकार की वनस्पति ।
भारतीय-वि० [सं० भारत भारत संबंधी, भारत का । भार:-पु. एक पक्षी विशेष ।
भारत्थ-१ देखो 'भारत' । २ देखो 'महाभारत' । भार-पु० [सं०] १ बोझा, वजन । २ तराजू का झुकाव । भारत्यि-१ देखो 'भारत' । २ देखो 'भारती'।
३ उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी। ४ संभाल, रक्षा । ५ प्राश्रय, | भारथ-१ देखो 'भारत' । २ देखो 'महाभारत'। सहारा । ६ समूह, झुण्ड, दल । ७ सेना, फौज । ८ संकट, भारथि, मारण्य-१ देखो 'भारत' । २ देखो 'भारती' । मापत्ति । ९ कष्ट, तकलीफ । १० भूमि, पृथ्वी । ११ पाप, ३ देखो 'महाभारत'। . . अत्याचार । १२ गौरव । १३ कठिन, दुष्कर । १४ सामान, भारदर-देखो 'भारवरदार'। सामग्री। १५ दहेज । १६ एक प्रकार का प्राचीन शस्त्र । भारदवाज, भारद्वाज-पु० [सं० भारद्वाज] १ अंगिरस गोत्र का १७ वनस्पति के एक वर्ग का नाम । १८ बल, शक्ति । ___ एक मंत्रकार । २ सप्तऋषियों में से एक । ३ एक श्रोत १९ क्रोध, गुस्सा । -प्रहार, अठार, प्रडार, प्रड्ढार, सूत्रकार । ४ एक ऋषि । ५ एक व्याकरणकार ।
पढ़ार-पु० अष्टादश वनस्पति का नाम । आबू पर्वत ।। ६ द्रोणाचार्य । ७ मंगलग्रह । ८ बृहस्पति का एक पुत्र । भारउतारभू-पु० श्रीकृष्ण ।
९ भरद्वाज कुल में उत्पन्न व्यक्ति। १० एक चिड़िया विशेष । भारखमो-देखो 'भरखमी' । (स्त्री भारखमी)।
मारपलांण, भारपिलाण-पु० बोझा ढोने के ऊंट का चारजामा। भारगव-पु० [सं० भार्गव] १ भृगुकुल में उत्पन्न व्यक्ति । | भारबंध-पु० रहट को माल के शिरे का बंध ।
२ च्यवन ऋषि । ३ उशीनस्, शुक्र। ४ जमदग्नि । भारवरदारी-देखो 'भारवरदारी'। ५ परशुराम । ६ वाल्मीकि । ७ उत्तर भारत में पाई जाने
भारभुज-पु० राजा, नप । वाली एक हिन्दू जाति ।
भारभोर-देखो 'भार'। भारगयी-स्त्री० [सं० भार्गवी] १ लक्ष्मी। २ पार्वती । ३ दूब ।
भारमाली-वि० [सं० भार+मालिन् भार उठाने वाला। उड़ीसा की एक नदी।
भारया (भारया)-स्त्री० [सं० भार्या] १ पत्नी, अर्धागिनी। . भारगस्वरि-पु. भांगासुरि राजा का नामान्तर ।
२ कोई स्त्री, महिला। भारज,भारजा,मारज्या-स्त्री० १ फूहड़ स्त्री। २ देखो 'भारया'।
भारलदण-वि० बोझा, ढोने वाला । -पु. गधा, खर । भारण, भाररिण-पु० रहंट पर रखने का बोझा । -विघातक ।
भारलदारी-वि० भार लदने या लादने वाला। देखो 'भारणी'। भारणिणे-पु. 'मोट' के मुंह पर बंधा रहने वाला बजनी भारव-स्त्री० [सं०] धनुष की डोरी। पत्थर ।
भारवरदार-पु० [फा० बारबरदार] भारवाहक । भारणी-स्त्री. १ पीटने की क्रिया या भाव, मार-पीट । भारवरवारी-स्त्री० [फा० बारबरदारी] १ भार वहन की क्रिया। २ सजा-दण्ड ।
. २ भारवहन करने वाली गाड़ी। भारणी (बो)-क्रि० १ अंगारोंवाली राख में दबाना ।
भारवहगात्र-पु० रथ । २ गाड़ना, दफनाना। ३ देखो भरणो' (बी)। ४ देखो 'बुहारगो' (बी)।
भारवहण-पु० गधा, खर। भारत-पु० [सं०] १ युद्ध संग्राम। २ लंबी गाथा, वृत्तान्त । | भारवाहक-वि० [सं०] बोझा ढोने या भार वहन करने वाला।
३ कसोदादार वस्त्र । ४ बढ़िया वस्त्र । ५ भरत का वंशज। भारवाहीनांव-स्त्री० माल ढोने वाली नौका, डुडी। ६ भारत देश । ७ भारतीय । ८ देखो 'महाभारत' ।
भारसह-पु० [सं०] बनिया, वैश्य, व्यापारी। -वि० सहनशील, भारतनं-पु. संगीत का एक मुख्य ताल ।
सहिष्णु ।
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भारहारी
भाको
भारहारी-पु. [सं० भारहारिन्] श्रीविष्णु । -वि०१ भार हरने | भालको-१ देखो 'भालोड़ । २ देखो 'भालो' । वाला । २ भार उतारने वाला।
भालडियो-पु० १ ताखे सींगों वाला बैल । २ देखो भालो' भारात भाराय, भाराषि-१ देखो 'भारत' । २ देखो ३देखो 'भालोड़' । 'महाभारत' ।
भालड़ी-१देखो 'भालो' । २ देखो 'भालोड़' । भारथियो-पु० युट करने वाला योद्धा ।
भालड़ो-१ देखो ‘भालो' । २ देखो 'भालोड़। भारिंगी-देखो 'भारंगी'।
भालचद्र-पु० शिव । भारिजा, भारिज्या-देखो 'भारया' ।
भालगो-वि० देखने वाला । -पु. याद, स्मरण । देखने की भारिय-देखो 'भारत' ।
इच्छा । भारियां-स्त्री०१ समुह । २ देखो 'बोझ्या' ।
भालपी (बी)-क्रि० १ देखना । २ तलाश करना, खोजना । मारिया देखो 'भारया'।
३ समझना, जानना । ४ ताकना, झांकना। . भारियो-पु. १ वजन उठाने वाला । २ भार वाहक । माळवार-वि० (स्त्री० भाळदारण) ध्यान से देखने वाला। ३ देखो 'भारी'।
भालनेत्र-पु० शिव । रुद्र । भारीगण-पु० मोट खींचने की लकड़ियों पर रखने का बोझा। मालपत(पति,पती)-पु. [सं० भालु-पति] रीछों का स्वामी, भारी-स्त्री० [सं० भारं] लकड़ियों या घास का गट्ठर । जामवंत । .. . -वि० १ अधिक भार या वजन, वाला, वजनी । २ अत्यन्त, मालम-देखो 'भलम'।
खूब, बहुत ३ भीषण, भयंकर । ४ कठिन, मुश्किल । मालमको-पू० कीर्ति का रक्षक । ५ जोरदार । ६ विशाल, बड़ा । ७ गंभीर, गुरुतर। भाळयळ-देखो 'भाळ' । ८ गरिष्ठ, ठोस । ९ अनिष्ट या हानिकारक। १०विकार भाळवी-वि० तलाश करने, देखने या ढूढने वाला । युक्त । ११ शक्ति या प्रभाव में प्रधिक। १२ सशक्त, भालांक-पु० [सं०भाल-अंक १ शिव, महादेव । २ भाग्य के लेख । बलवान । १३ चतुर, महान, बड़ा । १४ विपुल । १५ उत्तम मालागिरी-स्त्री. भाला चलाने की विद्या । सुन्दर । -क्रि० वि० वतई, बिल्कुल । -पण, पणी-पु. भालाबरदार-वि• भाला चलाने वाला । भारयुक्त, बोझयुक्त होने की अवस्था या भाव । -बोल- मालाळ, भालाळी-पु. १ भालाधारी योडा। २ पाबू राठौड़ पु० गर्व युक्त वचन ।
की एक उपाधि । भारीकन्यका-स्त्री० पृथ्वी, भूमि ।
भालासोंगो-पु. तीखे सींगों वाला बैल । भारीखमू (खमी खम्मा), भारीण-देखो 'भरखमी' । भालाहत्यौ-पु० भाला धारी योता। भारीगरी, भारीघरी-पु० बड़ा परिवार ।
माळाहळ-वि० १ पूर्ण, परिपूर्ण । २ देखो 'भळाभळ' । भारीलगनी-स्त्री० [सं० भारी+लग्न ] जिस कन्या का विवाह- भालि-देखो 'भालोड़ । लग्न ठीक न बैठे।
भाळिमाल-देखो 'भाळ' । माडी, भाकडी-स्त्री० रहट की लाट के पास रखा रहने वाला मालिम भानिमि-देखो 'भलम'। बोझा।
भाळियळ, मालियल, माळिाळ, भालियाल, भाळीत्रय, भारोट (8)-पु. छत के पत्थरों के नीचे लगने वाला शहतीर। भाळीयळ-वि० १ देखने वाला, दर्शक । २ देखो 'माळ' । भारी-पु० १ घास मादि का गट्ठर । २ देखो 'भारी'।
भालु, भालुर-देखो 'भालू' । भाळ (ल)-स्त्री० [सं० भाल] १ ललाट, मस्तक । २ खोज, भालुनाथ-पु० [सं० भाल्लुक-नाथ] रीछों का स्वामी,
तलाश ।। खबर, संदेश । ४ ध्यान, जानकारी । जामवंत । . ५.निरीक्षण, जांच । ६ प्रतीक्षा ।
माळ-पु०१ शिकार की खबर देने वाला व्यक्ति । २ देखभाल . भाल-पु०१ एहसान, उपकार । २ देखो 'बहाल' । ३ देखो करने वाला व्यक्ति । 'भालू' । ४ देखो 'भालो' ।
| भालू. भालूक-पु० [सं० भाल्लुक] रीछ नामक चौपाया जंगली भाळक, भालक-वि०१ देखभाल करने वाला । २ खोजने
दखभाल करन वाला र खाजन जानवर। बाला। ३ ध्यान या जानकारी रखने वाला । ४ खबर । भालेराव-प० भाला चलाने में कुशल व्यक्ति। करने वाला। ५ दर्शनीय। ६ जांच करने वाला, निरीक्षक ।
भालोड़, भालोडी, मालोज-पु.१ तीखी नोक वाला लंबा शस्त्र । ७ देखो भालू'।
२ तीर, बांण । ३ देखो 'भालो' । माळकी-स्त्री० एक वृक्ष विशेष ।।
| माळी-वि० १ देखने वाला, दर्शक । २ खोजने वाला।
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भालो
। २०४ )
भोषियो
भाली-पु० [सं० भल्ल तीखी नोक या नुकीले फल वाला एक | भावत-क्रि० वि० अचानक, सहसा । लंबा शस्त्र । बरछा, नेजा।
भावन-स्त्री० १ एक लोक गीत । २ एक राजस्थानी छन्द । भाव-पु० [सं०] १ अस्तित्व, सत्ता। २ अवस्था, दशा, हालत ।। ३ रुचि, पसंद । ४ देखो 'भावना' ।
३ श्रद्धा, भक्ति। ४ विश्वास, दृढ़मत । ५ कल्पना, भावना। भावना-स्त्री० [सं०] १ चित्त या मन का एक संस्कार, विचार, .६ मन का विचार, खयाल । ७ स्वभाव प्रकृति । खयाल, कल्पना । २ श्रद्धा, भक्ति, प्रेम । ३ इच्छा, कामना । ८ मानसिक स्थिति । ९ चित्त. मन। १० पद, प्रोहदा। ४ ध्यान, चितन । ५ उत्पत्ति, प्रादुर्भाव । ६ प्रौषधि बनाने ११ पाचरण । १२ तरह, प्रकार । १३ प्रेम, अनुराग । की एक विधि । ७ शक्ति, बल । ८ स्थान, गुंजाइश । १४ हाव-भाव,चेष्टाएँ। १५ सम्मान, इज्जत । १६ चोंचला, भावनामयसरीर-पु० सांख्य के अनुसार मृत्यु से पूर्व मनुष्य नखरा । १७ प्रतीति, आभास । १८ प्रवृत्ति । १६ लक्ष्य, द्वारा धारण किया जाने वाला शरीर । उद्देश्य । २० कार्य, क्रिया । २१ ढंग:तरीका । २२ प्रात्मा। भावनी-स्त्री० पार्वती। २३ जन्म, पंदाइश । २४ योनि, भग । २५ रति क्रिया। भावपरिग्रह-पु० [सं०] मनुष्य की धन संग्रह की अभिलाषा। २६ प्रभाव प्रकोप । २७ प्राशय, अर्थ । २८ सारांश। भावप्रधान-वि० भावों की प्रधानता वाला । २६ सांख्य के अनुसार छः भावों से युक्त पदार्थ । | भावभकात (भक्ति, भगत, भगति, भगती)-स्त्री० [सं० भाव३० वैशेषिक के अनुसार छः पदार्थ । ३१ सांख्य के भक्ति १ प्रादर, सत्कार। २ ईश-प्रार्थना । अनुसार बुद्धि तत्त्व का कार्य । ३२ वस्तु का मूल्य, दर । | भावमम-पु० [सं० भा+मन] पुद्गलों से उत्पन्न ज्ञान । ३३ व्यापारिक वस्तुओं की दर । ३४ साहित्य में मानसिक | भावरी-पु० गेहूँ के साथ होने वाला एक घास । प्रवस्थानों का व्यंजक तत्व । ३५ नायका के यौवनावस्था भावळी-स्त्री० चाही खेती की एक मावा । में उद्भूत २८ अलंकारों में से एक । ३६ संगीत में पांचवा भाववाचक, माक्वाच्य-स्त्री० व्याकरण में क्रिया या संज्ञा अंग। ३७ जन्म कुण्डली में ग्रहों की १२ स्थितियों में से एक । ३८ ज्योतिष में जन्म समय का लग्न। ३९ उद्देश्य, भावविकार-पु० यास्क के अनुसार जीव में होने वाले छः हेतु । ४० कामना, वासना । ४१ कर्मों के उदय, क्षय, विकार। क्षयोपशम या उपशम से होने वाले प्रात्मा के परिणामों के | भावव्यजक-वि० भाव प्रगट करने वाला। नाम। ४२ वस्तु का गुण या स्वभाव । ४३ किसी देवता | | भावसबळता-पु. एक प्रकार का अलंकार । का प्रसाद । ४४ विद्वान । ४५ शरीर में किसी देवता की | भावहिंसा-स्त्री० हिंसक वृत्ति या भावना ।" उपस्थिति की दशा । ४६ एक गोत विशेष ।
भावांतर -पु० बिचार परिवर्तन। भावई, भावइ-देखो 'भाव' ।
भावाभाव-पु. १ भावों का प्रभाव । २ उत्पत्ति, लय मोर भावक-पु० [सं०] १ कुशल, मंगल । २ भक्त । ३ किंचित, नाश। थोड़ा । ४ देखो 'भावुक' ।
भावाभास-पु० एक अलंकार विशेष । भावगम्य-वि० [सं०] भावों के द्वाग जाना जा सकने वाला। भावारच-पु० ग्राशय. तात्पर्य । । भावड़, भावड़वा-देखो 'भावट'।
भावारस-पु. तीन लघु मात्रा का नाम । भावज, भावजड़ी, भावण्या-स्त्री० बड़े भाई की स्त्री, भाभी। भावास्रित-पु. एक प्रकार का नृत्य । -वि. मावों पर भावट, भावठ (ठि: ठी)-स्त्री० [सं० भावट] १ अभिलाषा, । आधारित ।
इच्छा । २ भूव । ३ दिल का भाव, भावना । ४ शौक, भावि-देखो ‘भावी'। चाव । ५ कष्ट, दुःख, तकलीफ । ६ धोखा, चालाकी। भाविक-पु. १ मावी घटना का अनुमान । २ एक प्रलकार ७ उपाधि, जंजाल । -वि० मन वांछित, इच्छित ।
विशेष । -वि. १ भाव का, भाव संबंधी। २ भावों भावरण-स्त्री० इच्छा, रुचि, चाह। -वि० सुहावना, रुचिकर, | का ज्ञाता, मर्मज्ञ । ३असली, वास्तविक । ४ प्राकृतिक, मनभावता।
नैसगिक । ५ भविष्य में होने वाला । भावरणी-वि० १ सुन्दर, मनोहर । २ रुचिकर, सुहावना। भाविजोग, भाविजोगि-देखो 'भावीजोग'। ३ प्रिय।
भावित-वि० १ विचारा या सोचा हुना । २ मिलाया हुआ, भावरणौ (यो)-क्रि० १ अच्छा या रुचिकर लगना । २ प्रिय | __मिश्रित । ३ शुद्ध किया हुआ । ४ सुवासित । ५ किसी
लगना, पसंद पाना । ३ सुन्दर लगना । ४ खाया जा रस की भावना से युक्त । सकना। ५ खाने में ठीक लगना ।
- मावियो-पु. रसयुक्त, मिला हुमा ।
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भावी
।
२८५ )
भिवपाळ
भावी-स्त्री० [सं० भाविन्] १ भवितव्यता, होनहार । भासांतर-पु० [सं० भाषा-अंतर] अनुवाद, उल्था ।
२ भविष्य । ३ भाग्य, प्रारब्ध । ४ श्रद्धा, भक्ति । भासांन-पु० रवि, सूर्य । भाषीक-वि० [सं० भाविन] १ भक्ति या श्रद्धा रखने वाला। भासा-स्त्री० [सं० भाषा] १ किमी देश, क्षेत्र या समुदाय की २ देखो 'भावुक' । ३ देखो ‘भाविक' ।
बोली जो व्याकरण व साहित्य की दृष्टि से व्यवस्थित हो। भावीजोग-पु० १ भविष्य को घटनामों का योग । २ देखो भाषा । २ बोली, वाणी, वचन। ३ हिन्दी भाषा । ___'भावी' । .
४ संगीत में एक ताल । ५ पशु-पक्षियों की बोली। भावीस-देखो 'भावी'।
६ सरस्वती । ७ किसी छंद. पद्य या कविता का गद्य रूप । भावुक-वि० [सं०] १ भाव, भावना या विचार करने, समझने --वि० लिखित । टीका युक्त।
वाला । २ कोमल हृदय या कोमल भावों चाला । ३ भाव- भासासम-पु. एक शब्दालंकार विशेष । नाओं में बहने वाला । ४ मच्छे विचारों वाला । ५ समृद्धि भासासमिति-स्त्री० [सं० भाषा-समिति] जैन धर्म में एक शाली।
___प्राचार विशेष । भावे, भाव-क्रि०वि० १ भले ही, चाहे । २ अथवा, या । भासिक-वि० दृश्यमान ।
३ स्वतः, अपने पाप । ४ लिये, वास्ते। ५ अचानक, भासियो-पु० १ भैस या भैसे का पूरा चमड़ा । २ भाषा बोलने सहसा।
या समझने वाला। भावोदय-पु. एक प्रकार का अलंकार ।
भासी-वि० [सं० भाषिन्] १ बोलने वाला, कहने वाला। भावो-देखो 'भाव'
। २ भाषण देने वाला। भासकर-देखो 'भास्कर'।
मासुर, मासुरह-वि० [सं० भासुर] चमकीला। भास-पु. [सं०] १ प्रकाश, उजाला । २ प्राभा, प्रभा, दीप्ति । भास्कर-पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ शिव, महादेव । ३ मग्नि,
३ किरण, रश्मि । ४ सूर्य, रवि । ५ गीध । ६ शंकुत पक्षी | ७ एक छन्द विशेष । ८ कड़खा छन्द का नामान्तर । ९ पद्य भाह-क्रि० वि० पसंद ।। खण्ड । १० देखो 'भासा' । ११ देखो 'भास्य' । १२ पद्य माहर-देखो 'भररौ' ।
खण्ड के साथ-साथ होने वाला काव्य का भाग । | भाहरौ-पु० भारी स्वर, मोटी अावाज । भासक-वि० [सं० भाषक ] १ भाषण करने वाला, प्रवक्ता । माहि-स्त्री० भट्टी। २ बोलने वाला।
भाहियो-देखो भासियो' । भासकर-देखो 'भास्कर'।
भिगराज-देखो 'भ्रगराज' । भासकरण-वि० [सं० भासकर्ण] १ सूर्य, रवि । २ रावण का
भिगाणी (बो)-देखो 'भिजोणो' (बी)। ___ एक सेना नायक ।
भिगी-देखो 'भींगी'। भासग्य-वि० [सं० भाषाज्ञ] भाषा जानने वाला ।
भिगोणी (बी), मिगोवरणो (बौ), मिजोरणी (बी), बिजोवरणी भासच्छन्ना-वि० भस्म से प्राच्छादित।
(बी)-देखो 'भिजोगी' (बो)। भासण-पु० [सं० भाषण] १ वार्तालाप, बातचीत । २ बोली भिटणी (बो)-क्रि० अस्पश्यं वस्तु से स्पर्श होना, छूत होना ।
अावाज । ३ प्रवचन, उपदेश, व्याख्यान । ४ राजनैतिक | लगना । भाषण ।
भिडज्ज-देखो 'भड़ज'। भासणी (बी)-क्रि० [सं० भास्] १ माभास या प्रतीति होना, भिडपाळ, भिडरपाळ, भिडवाळ, मिडिपाळ-देखो 'भिदपाळ' । मालूम पड़ना। २ जानकारी या ज्ञान होना, अनुभव होना।
भिड्योगवार-पु. भिडी जैसी चिकनी फली वाला ग्वार । ३ प्रकाशित या प्रगट होना । ४ दिखना । ५ शोभित होना । ६ देखो 'भाखणी' (बी)।
भिडी-स्त्री० [सं० भिड] १ बड़ी फलियों वाला एक पौधा ।
२ इस पौधे की फली, जिसकी तरकारी बनती है। ३ छोटे भासतीक-पु० सूर्य, रवि ।
सींग वाली गाय । ४ सीदी-साधी गाय । ५ छोटी दीवार । भासमंत-वि० ज्योतिर्मय, चमकदार ।
६ कच्चे मकान के आगे बनी मिट्टी मादि की दीवार । मासमांण, भासवान-पु० [सं० भास्-मान] । सूर्य, रवि । भितर, मितरि, भितरी-देखो 'भीतर'। . २ दृश्यमान । -
भिवपाळ, भिदिपाळ, भिदीपाळ-पू० [सं० भिवपाल] १ एक भासक-वि० [सं० भास्वर] प्रकाशमान, तेजस्वी ।
प्रकार का शस्त्र । २ एक प्रकार का छोटा इंशा ।
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भिभरणी
भिनगी
भिप्ररणी (बो)-देखो 'भीभरणो (बौ)।
| भिडक-त्री०१ चौंकने की क्रिया या भाव । २ भड़कना किया। भिभळ-१ देखो 'विभळ' । २ देखो विह्वल'।
३ गुफा। मिसट-देखो 'भ्रस्ट'।
भिडकण मिडकाणी-वि० (स्त्री०भिडकणी) चौंकने वाला, चमकने भि-पु० १ तीर, बाण । २ प्रेम । ३ मैग्व। ४ सुमेरू पर्वत । ____ वाला । (पशु) -स्त्री० ५ औरत, नारी।
भिड़करणौ (बो)-कि० १ चौंकना, चमकना । २ चौंक कर या भिउड, मिड, भिउडी-देखो 'भ्रकुटी' ।
डर कर भाग जाना । ३ देखो 'भड़कणो' (बो)। भिको-पु० दुःखमय समय, कष्टप्रद समय (मेवात) । भिडकाणी(बी),भिडकावणो (बी)-क्रि०१ चमकाना, चौंकाना । भिक्खा-देखो 'भिक्षा'।
२ चमकाकर या डरा कर भगाना। ३ बहकाना, भुलावे में भिक्खाचरी, भिक्खायरिया-स्त्री० [सं० भिक्षा-141] भिक्षा- रखना । ४ सग छुड़वाना, त्याग करवाना । ५ देखो वृत्ति, भीख ।
'भडकारणो' (बो)। भिक्खायरी-वि० [सं० भिक्षाचारी] भिक्षा मांगने वाला | मिडकाव-पु० चमकने, चौंकाने प्रादि की क्रिया या भाव । भिक्षक।
भिड़ग, भिड़ज, भिडजाळ, भिज्ज-१ देखो 'भड़ज' । भिक्खुधम्म-पु० [भिक्ष-धर्म] जैन साधु का धर्म, यति धर्म। | २ देखो भट' । भिक्खू-देखो 'भिक्ष ।
भिडणी(बौ)-क्रि० १ संलग्न होना, सटना । २ परस्पर जुडना । भिमरणेस-पु० सिंह, शेर।
दो वस्तुओं का परस्पर ऐसा लग जाना कि बीच में मिक्षा-स्त्री० [सं०] १ याचित वस्तु, भीख । २ भिखारी का | अवकाश न रहे । ४ छूना, स्पर्श होना, लगना । ५ जोर से
कार्य । ३ मांगना या याचना की क्रिया। ४ साधुषों द्वारा टकराना, टक्कर खाना । ६ लड़ना, झगड़ना । ७ कुश्ती की जाने वाली खाद्य पदार्थ की याचना ।
या द्वन्द युद्ध करना, मल्ल युद्ध करना । ८ गुत्थमगुत्था भिक्षाचर -पु० [सं०] मिग्वारी, याचक. साधु ।
होना । ९ युद्ध करना। १० सामना होना, मुकाबला होना भिक्षाचार-पु. [सं०] भीख लेना क्रिया।
११ वाद-विवाद होना, करना । १२ मैथुन या संभोग भिक्षावारी-स्त्री० [सं०] १ शुद्ध प्राहार लेने को क्रिया । क्रिया करना । __२ भिक्षा के लिये घूमने वाला।
भिड़त-स्वा० १ सटाव, जुडाव । २ संलग्नता । ३ टक्कर, जोर भिक्षाटण (न)-पु० स० भिश्न-पटन] भिक्षार्थ भ्रमण, विचरण। | की टक्कर । ४ युद्ध, झगड़ा । ५ मुकाबला, सामना । मिक्ष ,मिक्षक-पु. [मं०] १ भिखारी । २ याचक । ३ रंक, ६ विबाद, बहस । ७ कुश्ती, मल्लयुद्ध । ८ मैथुन क्रिया । निधन । ४ जैन साधु । ५ साधु. फक्कड़ ।
भिडनच पु. एक प्रकार का वस्त्र । भिक्ष रूप-पु० शिव, महादेव ।।
भिडाणी (बी)-क्रि० १ संलग्न करना, सटाना । २ परस्पर भिखंग, भिखक भिखग-देखो 'भिक्ष क'।
जुडाना। ३ पास-पास.ऐसा लगानां कि बीच में अवकाश भिखमंगो पु० भिखारी, निधन।
न रहे । ४ छुपाना, स्पर्श कराना, लगाना । ५ जोर से भिखायत पु. १ भिखारी, याचक । २ देखो 'विखायत'।
टक्कर कराना । ६ लड़ाना, झगड़ाना । ७ कुश्ती या द्वन्द्व भिखारी भिखियारी-पु० [सं. भिक्षचारिन् । (स्त्री० भिखारण) युद्ध कराना । मल्ल युद्ध कराना । ८. गुत्थमगुत्था कराना ।
१ भीख मांग कर जीने वाला, गरीब, मंगता । २ याचक । ६ युद्ध कराना । १० सामना या मुकाबला करानः । ३रंक. दरिद्र।
११ वाद-विवाद कराना । १२ मैथुन कराना। भिल्या-देखो "भिक्षा'।
मिडाळ-देखा 'भट'। भिख्यारी देखो 'भिग्वारी'।
भिड़ावणी (बी)-देखो 'भिडाणी' (बी)। भिख्यासी-देखो 'भिखारी'।
भिडि-पु. १ युद्ध, लडाई। २ देखो 'भट'। भिगोणौ (बी), भिगोवणी (बौ)-देखो 'भिजोणो' (बी)।
भिडियाळ-वि० लड़ने-झगड़ने वाला । टकराने वाला । योद्धा,
वीर। भिगह-पु० [सं० प्रभिग्रह] धार्मिक नियम । प्रतिज्ञा ।
मिचक-स्त्री०१ संकोच, हिचकिचाहट । २ बाधा, विध्न । मित देखो "भिड़त'।
व्यवधान। मिड-पु.१बरं नामक कीड़ा, पतंगा । २ देखो 'भट'। -क्रि०वि० मिचकणी (बी)-क्रि० १संकोच करना, हिचकना । २ कतराना ___ समीप, नजदीक ।
३ भयभीत होना, डरना। ४ चौंकना । ५ किसी कार्य का भिड्माल-देखो 'मिडियाल'।
इरादा छोड़ देना।
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( २८७ )
मिस
मिच्च-पु० [सं० मृत्य] १ नौकर, मृत्य । २ सेना। भिमरणो (बो)-देखो 'भीभरणी' (बी)। मिच्छ, मिच्छा-देखो 'भिक्षा'।
भिमरियां-स्त्री० क्रोधावेश। भिच्छु-१ देखो 'बिच्छु' । २ देखो 'भिक्षुक'।
भिरंड, भिरड, भरती-देखो 'भिरा। भिच्छुक-देखो "भिक्षुक'।
मिरग, मिरगु-देखो 'गु'। भिछ, भिछा-देखो 'भिक्षा'।
भिरगसुत, भिरगुत-देखो 'भ्रगुसुत' । भिजोगो (बी), मिजोवणी (बी)-क्रि० १ पानी या किसी तरल | भिरा-पु० ततैया, बर्र जाति का एक बड़ा पतंगा।
पदार्थ से भिगोना, तर करना। २ पानी या किसी तरल | मिरणों, (बो)-क्रि० १ कुपित या कुछ होना । २ नाराज, पदार्थ में डाल देना। ३ गीला करना, प्राई करना । नाखुश होना। ३ मसलना । ४ मारना । ४ छींटे लगाना।
भिरडो-पु. एक प्रकार का औजार या उपकरण । भियंत-देखो 'भिडंत'।
भिराड भिराडी-वि० साहसी, बहादुर । मिड-१ देखो 'भड़' । २ देखो 'भट'।
भिराणी-देखो "बिरावणो'। भिडमाल, मिड्याळ-देखो 'भडियाळ' ।
मिलकि-स्त्री० भूमि की दरार। भिडज, भिडज्ज-देखो 'भड़ज'।
भिलणी-देखो 'भीलणी'। मिडणौ (बो)-देखो 'भिड़णों' (बी)।
मिळणी (बी), मिलणी (बी)-क्रि० १ एक वस्तु का दूसरी वस्तु भिडत-देखो 'भिड़त'।
में मिलना, मिश्रण होना । २ किसी पदार्थ में दूसरे का मिडियाळ, मिडीयाळ-१ देखो 'भट' । २ देखो 'भिडियाळ' । घंश पड़ जाना । ३ सम्मिलित होना, संलग्न होना । भिणकरणो (बो)-देखो 'भणकरणों' (बी)।
४ गढ़, किले या गांव में शत्र सेना का घुसकर फैल जाना। मिणणो (बो)-देखो 'भणणो' (बी)।
५ फसल कटने के बाद खेत में पशुपों का चर जाना । मिणमिणाटो, भिणभिरणाहट-पु० १ मक्खियों की भिन-भिनाट । ६ इसी तरह खड़ी फसल में पशुओं का चर जाना । ७ शस्त्र २ भ्रमर गुजार।
प्रहार होना । ८ युद्ध होना, लड़ाई होना । ९ किसी पक्ष में भित्त, भित्ति-देखो 'भीत'।
मिलना । १० किसी विशेष स्थिति में पड़ना या गिरना। भिवणी (बी)-क्रि० १ भेदा जाना । २ छेदा या फोड़ा जाना । ११ टूटना। १२ होना। १३ पहुंचना । १४ सूक्ष्म जीवों
३ छिद्रित किया जाना। ४ घायल होना । ५ रिसना। या कीटाणुओं का संक्रमण होना । १५ नष्ट होना। भिदाणी (बी), भिवावरणी (बी)-क्रि० १ भेदन कराना।। १६ ज्योति में लीन होना ।
२ छेदन कराना, छिद्रित कराना, फुड़वाना । ३ घायल | भिळाणी (वी) मिलापो (बी)-क्रि० १ एक वस्तु को दूसरी में कराना । ४ रिसवाना।
मिलाना, मिश्रण करना । २ एक वस्तु में दूसरी का अंश भिवि-देखो 'भेद'।
पटकना। ३ सम्मिलित करना,संलग्न करना । ४गढ़ किले भिदियो-वि० छिद्रित, छेदपूर्ण ।
या गांव में शत्रु सेना को घुसाना। ५ फसल कटने पर या भिदुर-पु० [स०] वज्र।
खड़ी फसल के खेत में पशुओं को चराना। ६ शस्त्र, प्रहार मिन-१ देखो 'भिन्न' । २ देखो 'भणण'।
करना । ७ युद्ध या लड़ाई करना । ८ किसी पक्ष में या मिनमिन, भिनभिनाट-स्त्री० मक्खियों के उड़ने व बोलने की। अपने पक्ष में मिलाना । ९ विशेष परिस्थिति में गलना, ध्वनि ।
पटकना । १० तोड़ना । ११ करना । १२ पहुंचाना। भिनभिनाणो (बो)-क्रि० मक्खियों का उड़ना व बोलना, किसी | १३ देखो 'भेळणो' (बो)। १४ नष्ट कराना। - स्थान पर भिनभिनाना ।
भिलाळ-पु. भीलों का समूह । । भिन्न-पु० [सं० भिद्] १ किसी वस्तु का खण्ड, टुकड़ा, भिलावी-पु० [सं० भल्लातकः] प्रौषधि में काम पाने वाला ग्रंश । २ गणित में किसी संख्या या इकाई का खण्ड या
एक फल व उसका वृक्ष । विभाग। ३ नीलम का एक दोष । -वि० १ अलग.
| मिळावरणौ (बी)-देखो 'भिळारणो' (बी)। .. अतिरिक्त, जुदा । २ पथक, दूर । ३ प्रकारान्तर से अन्य ।
भिले-देखो ‘भले'। ४ अन्य, दूसरा, अपर । ५ विभक्त । । विशिष्ट । भिन्नता-स्त्री०१ भेद. अन्तर । २ अलगाव, पार्थक्य ।
भिल्ल-देखो भील'। मिम्मर-देखो 'भीमळ' ।
भिल्लो-देखो 'बिल्लो'। भिमरी-पु. १ कपाल खोपड़ी। २ ललाट, भाल । ३ मस्तक । | मिस-अव्य० [सं. भृशं] अधिकता से, तेजी से, जोरों से।
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भिमक
(
२८० )
भीगोणी
भिसक भिसज-पु० [सं० भिषज] वैद्य, हकीम, चिकित्सक । भीत-देखो 'भीत'। डाक्टर।
भीतड़ो-पु०१ गह, भवन, मकान । २ देखो 'भीत' । भिसट-वि० १ नीच, पतित । २ देखो 'भ्रस्ट' ।
भीतर (रि)-देखो भीतर' । भिसटौ-देखो विस्ठौ ।
भीतहर-वि [सं० भीत-हर] १ भय का हरण करने वाला, भिसत-देखो हिस्त'।
भयहारी । २ देखो 'भीतिहर'। भिसति, भिसती-१ देखो 'भिस्ती' । २ देखो बहिस्त' । भीति-देखी भोत'। भिसम-देखो 'भीम'।
भीतियो-पु० १ मिट्टी की दीवारों पर बनी कच्ची झोंपड़ी। पिस्ट-देखो 'भ्रष्ट',
२ खपरैल की छाजन के सहारे के लिए दीवार में लगाया भिस्टौ-देखो 'विस्ठी'।
जाने वाला काष्ठ का डंडा । भिम्त-देखो 'बहिस्त ।
भीनणी (बो)-१देखो 'भीनणो'(बी)। २ देखो भीजणों (बी)। भिस्तनसीन-पु. [सं० बहिम्त नशीन] देहावसान, मत्यु। भीभर, भीभरी-पु. १ शिर, मस्तक । २ क्रोध, गुस्सा । भिस्ती-स्त्री० १ एक मुसलमान जाति जो मसकों से पानी | ३ झीगुर।
ढोने का कार्य करतो है । २ इस जाति का व्यक्ति । | भी रणौ (बी)-क्रि० १ क्रोध करना, गुस्सा करना । सक्का ।
२ बिखरना। मिहारणी-स्त्री० खेत में बनी झोंपड़ी। ढाणी।
भीभळ, भीभल-पु. १ महोत्सव । २ मुग्धा । ३ देखो 'विभळ'। भींग-देखो 'भींगी'| भीगी।
भीमा-पु० भीम का पुत्र । भीगणो (बो)-देखो भीजणी' (बी)।
भीयाडो-पु० मैस का चमड़ा। भीगी-स्त्री० वर्षा ऋतु के उपरांत होने वाला एक कोड़ा। | भीयौ-पु० १ जुलाहे के काम का बांस विशेष । २ देखो 'भीम'। भीगोणौ (बी) भींगोवणी (बी)-देखो 'भिजोणी' (बी)। भीव-देखो 'भीम'। भीगी-पु० भींगी' के गर्दन पर होने वाला चमकीला ठोम भीवराज-देखो 'भीमराज'। आवरण।
भी-अव्य० [सं० अपि] १ निश्चित रूप से, अवश्य, जरूर । भींच-पु० [सं० अभ्यंच] १ योद्धा, सुभट । २ दबाव, फंसाव । २ अपेक्षाकृत, तुलना में । ३ अतिरिक्त, सिवाय । ४ और । भींचणी (बो)-क्रि० १ बल पूर्वक दबाना, पकड़ना, संकुचित | ५ फिर, पुनः । ६ तक, पर्यन्त । ७ भर्त्सना सूचक ध्वनि । ___ करना । २ बंद करना, सम्पुट बनाना । ३ हाथ की मुट्ठी | क्षोभ व प्राश्चर्य सूचक अनि । बंद करना । ४ प्रावेश या क्रोध में दांत पीसना। भीक-देखो भिक्षा'। ५ मूविस्था में दांत जुड़ जाना । ६ कृपणता या भीकग-देखो 'भिक्षुक'। क जूसी करना।
भीकम-देखो 'भीस्म'। भौंचरह-वि० १ काटने या मारने वाला । २ देखो 'भीच'।
भीकमचांदी-स्त्री० पुरुषेन्द्रिय काटने की क्रिया। भोंछ-देखो 'भींच'।
भीख-१ देखो 'भिक्षा' । २ देखो 'वीख'। भीज-देखो 'भीज'।
भीखक भीखग-देखो 'भिक्षुक' । भीजणी (बी)-देखो 'भीजणी' (बो) ।
भीखण-देखो 'भीसगण'। भोजिया -स्त्री० छोटे बच्चे का मूत्र ।
भीखणी (बी)-कि० भीख मांगना, याचना करना। भीजोणी (बो), भोंजोवरणौ (बौ)-देखो 'भिजोरणी' (बौ)।
भीखम-१ देखो 'भीस्म' । २ देखो 'भीकम' । भीट-स्त्री. १ छुपाछूत का दोष । २ देखो भोट'। ३ देखो
भीखममाठम-स्त्री० [सं० मीष्म-अष्टमी] माघ शुक्ला मष्टमी । ___भीटोरी'।
भीखमक-देखो 'भीस्मक'। भीटणी (बी)-क्रि.१ अछून वस्तु से छु जाना, स्पर्श कर जाना। पीखमचांदी-देखो 'भीकमचांदी' । २ पास पाना, सम्पर्क में पाना । ३ होना।
भीखमपचक-पु० [सं० भीष्म-पंचक] कात्तिक शुक्ला एकादशी भीटारो, भीटोरी-पु. झड़ बेरी के सूखे डठलों के छोटे-छोटे
___ से पूणिमा पर्यन्त की तिथियां । ढेरों का समूह, जो एक साथ गाड़ी में भरा जाता हो।
भीखारी-देखो भिखारी'। भींडली-देखो भिडी'। भीडियो-पु. छोटे सींगों वाला बैल ।
भोगणो (बो)-देखो 'भीजणी' (बो)। भीडो-देखो भिडी।
भोगोखो (बी). भीगोवणी (बौ)-देखो 'भीजोणो' (बी)।
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भीड
( २८९ ।
भीर-स्त्री० १ समूह, जमघट । २ ग्रामश्यकता से अधिक वस्तुमों भीठो-पु. कपटी मित्र ।
का समूह । ३ फालतू व्यक्तियों की उपस्थिति । ४. सकट, | भीड-देखो भीड़। . विपत्ति। ५ सहायता, मदद । ६ बाहुल्य, अधिकता। भीडगो (को)-देखो 'भीड़णी' (को)। ७ भिड़ने की क्रिया या भाव। . मौजार या उपकरण भीडी, भीडू-देखो 'भोड़ी। विशेष । ६ बैलगाड़ी के थाटे का एक भाग । १० बैलगाडी भीत-वि० [सं०] १ डग हुप्रा, भयातुर । २ प्राप्तंकित, व्याकुल । के तख्ते के बीच का रिक्त स्थान ।।
-स्त्री० [सं० भीनि] १- भय, डर, प्रातक । २ दीवार। भीड़णी-स्त्री० घोड़े का चारजामा कसने की क्रिया या भाव। भीतड़ौ-देखो 'भीतड़ो। भीड़णी (बौ), भीड़वणी (ो)-क्रि० १ कसकर, पहनना । मोतर-प्रव्य [सं० अभ्यंतर] १ अन्दर में । २ किसी सीमा या
२ कसना। ३ चिपकाना। ४ कंजूसी करना। ५ बंद करना। दायरे या कक्ष में । ३ बाहर के विपरीत में। ४ गुप्त रूप ६ बाहु-पाश में लेना, प्रालिंगन करना । ७. शास्त्र धारण से, चुपके से । -पु. १ प्रान्तरिक कक्ष । २ भीतरी भाग। करना, बांधना। अंगों को परस्पर मिलाना।
३ पन्त पुर, रनिवास। भीडाणी (बी), मेडावनी (बी)-देखो 'भिडाणी' (बी)। भीतरलो-वि० [सं० अभ्यंतर १ भीतर का, अन्दर का। मीडि, भीड़ी, भोर-पु. १ सहायक, मददगार । २ मित्र, २.पापस का, पारस्परिकः ।।
दोस्त । ३ अपनी टोली, दल या संगठन का सदस्य। भीतरवाड़ियो-पु० (स्त्री० भीतरली).१ राजमहल के अन्दर का ४. संगी, साथी। ५ रक्षक । ६ जीवन साथी, पति। -वि०, नौकर । २ देखो 'भीतरियो। [सं०. भीरु] कायर, डरपोक ।
भीतरि-१ देखो 'भीतर'। २ देखो 'भीतरी'। भीड़ो-पु. १ बेंगन । २ देखो 'भीड़' ।
भौतरियौ-पु. १ निज मन्दिर का पुजारी। २ अन्दर वाला। भीच-देखो 'भींच।
भीतरी-वि० १ अन्दर का, भीतर का। २ गुप्त, गोपनीय । भीचड़ो-देखो 'भींच। ..
३ सच्चा । ४ अभिन्न । ५ देखो 'भीतर'। भीचरणो (बौ)-देखो 'भींचरणों (बी)।
भीतरीटांग-पु० कुश्ती का एक दाव। भीचरड़-वि०१ विध्वंसक, संहारक । २ देखो 'भींच' । भीति-स्त्री० [सं०] १ भय, डर, मातंक। २ देखो 'भीत। मीच्छा-देखो 'भिक्षा'।
३ देखो 'मांति'। भीछ देखो 'भीच'।
भीतिकर, भीतिकारी-वि० डरावना, भयानक । भील-स्त्री० भीगने की क्रिया या भाव ।
भीतिहर-पु० [सं० भित्तिः+हर] दुर्ग, किला। भीजण-देखो 'भीनण'।
बोलाउ-देखो 'भीनो। भीजणी (बो)-क्रि० [सं० प्रम्यंज : गीला होना,, पानी प्रादि | मीनण-पु. १ छाछ या म8 में भिगोई हुई सूखी रोटियां ।
मे तर होना। २ पार्द्र होना, नम होना। ३ पानी के छींटे | २ इसी तरह मिगोपा हुमा कोई खाद्य पदार्थ ।। लगना। ४ पानी आदि में डूबे रहने से फूल जाना। मीनणी (बी)-कि० १ किसी तत्वः विशेष या मार विशेष से ५ दयार्द्र होना, द्रवीभूत होना। ६ किसी रस या भावना युक्त होना, प्रभावित होना। २ परिपूर्ण होना, पूर्ण होना। से अभिभूत होना । [सं० भिध] ७ भेवा जामा, छेवाः |
३ अनुरक्त होना। ४ युक्त होना । ५ देखो'भीजणी' (बी)। जाना।
| भीनरवाइ-स्त्री० मा भूमि, गीली या नम जमीन । भीजोगो (बो), भीजोवणी (को)-देखो 'भिजोणों' (बी)। भीनरवाड़ो, भीनोटी-पु० नम या पाद भू-भाग। भीट. मोटकियो, मीटको, मोटा-पु० १ झड़बेरी के काठे पौधा भीनी-वि० [सं० भीनी] १ अनुरक्त । २ युक्त, सहित । ३ पूर्ण, का छोटा ढेर । २ केर की छोटी झाड़ी । ३ देखो भीट' ।।
परिपूर्ण । भरा हुमा। ४ भीगा हमा, गीला, श्रा। मोटसो (यो)-देखो 'भीटणी' (बी)।
| ५ मंद, धीमा। ६ मस्त, मतवाला । ७ श्याम रंग का। भीटहरी-देखो ‘भीटोरौं'।
८ प्रोत-प्रोत, सना हुमा। भीठ-पु० १ युद्ध, लड़ाई, संग्राम । २ शस्त्र समूह का प्रहार । | पोकरणो (ब)-देखो 'विफरणों' (बो)।
३ भीड़। ४ शस्त्र, प्रहार की ध्वनि । ५ किसी शस्त्र का भीमळ - देखो 'बिभळ'। प्रहार । वार । ६ देखो 'भीट' ।
भीभळपो (बी)-क्रि० । गर्म होना, उष्ण होना । २ बिल मीठकियो, मीठको-देखो 'भीडको।
होना। भीठहरौ-देखो 'भीटोरी'।
मोभू-पु. सिंह, शेरं ।
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भीम
। २९० )
भीलम
भीम-पु० [सं०] १ शिव, महादेव । २ विष्णु । ३ कुती का भीमोत्तर-पु. एक लता विशेष । कुम्हड़ा। द्वितीय पुत्र एक पाण्डव । ४ पुरुवंशीय एक राजा । भीमोदरी-स्त्री० दुर्गा। ५ रावण का मित्र एक राक्षक । ६ एक पग्नि विशेष । | भीय-देखो 'बी'। ७ एकादश रुद्रों में से एक । ८ विदर्भ देश का राजा, दमयंती | मीयड़-१ देखो 'भीड़ । २ देखो 'भीड़ो' । का पिता ।। कुभकरण का एक पुत्र । १० साहित्य में भीयो-वि० डरा हुआ, भीत। भयानक रस । ११ एक नदी का नाम । -वि० १ बहुत बड़ा, | भीर-देखो 'भीड़' । विशाल । २ भीषण, भयानक । ३ अत्यधिक ।
भीरव-देखो 'भीड़ी'। भीमएकादसी-स्त्री० [सं०] १ ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी । भोरि, भीरी-१ देखो 'भीड़ी' । २ देखो 'भीर'।
२ कात्तिक शुक्ला एकादशी । ३ माघ शुक्ला एकादशी। भीर-वि० [सं० भीम] कायर, डरपोक । -पु०१ चांदी, रजत भीमक-देखो भीस्मक।
२ देखो 'भीड़ी'। भीमकुंड-पु. एक तीर्थ विशेष ।
भीरता-स्त्री० १ कायरता, कमजोरी,२ डर, भय । भीमकुमार-यु० [सं०] घटोत्कच ।
भोल-स्त्री० [सं०] १ स्त्री, औरत । २ देखो 'भोर' । भीमगज-पु० पांडुपुत्र भीम द्वारा प्राकाश में फेंके गये हाथी।
भोलक-पु० [सं० भीरूकन्] १ चांदी । २ वन, जंगल । ३ उल्लू । भीमडात, भीमाय-पु. रंग विशेष का पोड़ा ।
मोरो-देखो 'भीड़। भीमा-देखो 'भीम'।
भील, भीलड़ो-पु० [सं०भिल्ल] (स्त्री०भीलण, भीलणी) १ एक भीमचंडी-स्त्री० एक देवी का नाम ।
जंगली या पहाड़ी अनुसूचित जाति । २ इस जाति भीमजी-पु. एक लोक गीत ।
का व्यक्ति । भीमसळाव-पु० बड़ा सरोवर । ।
| भीलड़ी, भीलण, भोलणी-स्त्री. १ भील जाति की स्त्री । भीमता-स्त्री० भयानक होने की अवस्था या भाव ।
२ शबरी नामक भील स्त्री जो राम की भक्त थी। भीमतिथ, भीमतिथि-स्त्री० [सं०भीमतिथि] १ ज्येष्ठ शुक्ला एका-भीळणी (बो)-देखो "भिळणी' (बो)।
दशी । २ कात्तिक शुक्ला एकादशी। ३ माघ शुक्ला एकादशी।। भीलप-पु० १ विलाप । २ कायरता । ३ घबराहट। भीमथळी-पु० जैसलमेर का एक भू-भाग ।
भीलभूसरण -पु० [सं० भिल्ल भूषण] गुजा या घुघची की भीमनाव-पु० [सं०] भयकर ध्वनि या शब्द । जोर की पावाजा
| माला। भीमफळोदया-स्त्री० [सं०] भयकर फल देने वाली।
भीलवाड़ो-पु. १ भीलों का क्षेत्र या प्रदेश । २ इस प्रदेश की भीमबळ-पु०१ एक प्रकार की अग्नि । २ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । मिट्टी का बना एक प्राचीन सिक्का । भीममुख-पु० एक प्रकार का बाण ।
भीळाणौ (बो)-देखो 'भिळाणी' (बी)। भीमरथ-पु. १ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । २ एक नृपति ।। भीलामो-देखो 'भिलावी' । .- ३ विकृति राजा का पुत्र । । एक अन्य राजा । भीळावरणी (बी)-देखो 'भिळाणो' (बी)। भीमरथी-स्त्री०१ एक पौराणिक नदी । २ मानव के ७७ वें वर्ष भोलावी-देखो 'भिलावो' । . में आने वाली एक कठिन अवस्था।
भोलि, भोली-देखो 'भीलणी'। भीमसंकरी-स्त्री० दक्षिण की एक बड़ी नदी।
भीव-देखो 'भीम'। भीमसेण, भीमसेन-पु. भीम ।
भीवणी (बी)-देखो 'भीजणी' (बी)। भीमसेनीकपूर-पु. एक प्रकार का कपूर ।
भीसण-वि० [सं० भीषण] १ भयानक, डरावना । २ विशाल, भीमसेतु-देखो 'भीमसेन'।
प्रचण्ड । ३ अत्यधिक खतरनाक । ४ उग्र, दुष्ट । भीमा-स्त्री. १ दक्षिण की एक नदी । २ देवी, दुर्गा । -वि०
५ दुष्कर, कठिन । ६ विकट, विपत्तिदायक । ७दुरा। भीषण, भयंकर ।
-पु. १ ब्रह्मा । २ शिव, महादेव । ३ बय नामक मसुर का भीमाजळ-पु० भीमसिंह नाम वाले के लिए सम्मान सूचक शब्द ।
पुत्र । ४ साहित्य में एक रस। ५ एक नृपति विशेष ।
६ एक असुर। भोमि, भीमी-स्त्री० १ भीम राजा की पुत्री, दमयंती। ।
भोसणता-स्त्री० [सं० भीषणता] १ भयंकरता, डरावनापन । २ देखो 'भीम'।
२ उष्णता, उग्रता । ३ दुष्करता, विकटता। भीमू, भीमेश-देखो 'भीम'।
भीसणी-स्त्री० [सं० भीषणी] सीता की एक सखी। भीमोत-पु० राठौड़ वंश की एक शाखा व इस शाखा का व्यक्ति।। मीसम-देखो 'भीस्म'।
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भीसममापी
( २९१ )
भुगतरणौ
भोसमायो-स्त्री० [सं० भीष्म-प्रार्या ] गंगा, भागीरथी। भग-देखो 'भुजंग' । भीसुर-वि० दीप्तिमान ।
भुअंगम (मि)-देखो 'भुजंगम' । भीस्म-पु० [सं० भीष्म कुरुराज शांतनु व गंगा का पुत्र । २ शिव, भुन-देखो 'भू'।
महादेव । ३ राक्षस, असुर । ४ साहित्य में एक रस । भुप्रण, भुमन-देखो 'भुवन'। -पति='भुवनपति' । -वि० भयंकर, डरावना ।
भुम्रपति, भुप्रगत्तिअ-देखो भूपति' । भीस्मक-पु० [सं० भीष्मक] विदर्भ देश का भोजवंशीय राजा। | भनखळ -पृ० [सं० भू-बल] १ राजा, नृप । २ बीर, योद्धा । --सुता-स्त्री० श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी ।
भुमा, भुप्राजी-देखो 'भूया'। भीस्मपितामह-पु० [सं० भीष्म-पितामह] कौरव-पांडवों के | भुमाळ-पु० १ केश, बाल । २ प्रार्या गीति का एक भेद । पितामह, भीष्म ।
३ देखो 'भूपाळ'। भीस्ममणि-स्त्री० [सं० भीष्ममणि] एक सफेद पत्थर या मणि | भई, भुइ-१ देखो 'भूमि' । २ देखो 'भाय' । विशेष।
भुइं प्रांवळी-पु० [सं० भूम्यामलकः] ठंडे स्थानों में होने भीस्मसू-स्त्री० [स० भीष्मसू] गंगा, भागीरथी ।
__वाला एक क्षुप विशेष ।। भोस्मास्टमी-स्त्री० [सं० भीष्माष्टमी] माघ शुक्ला अष्टमी जब भुइ, भुइण, भुई-१ देखो 'भूमि' । २ देखो 'भांय' । भीष्म ने देह त्याग किया।
भुई रीगणी-स्त्री० कंटकारी नामक छोटा क्षुप । भु, मुंभ-१ देखो 'भांय' । २ देखो 'भूमि' । ३ देखो 'भ्र। | भुई-देखो 'भूमि' । भुआरौ, भुइंरू, भुइरौ-देखो 'भंवारी' ।
भुक्ख-देखो 'भूख'। भुंड, भुइण-१ देखो 'भूमि' । २ देखो 'भाय' । ३ देखो 'भुवन'।। भुक्खड़, भुक्खो-देखो 'भूखौं' । भुइदाग-पु. १ शव का दफन । २ दाह संस्कार का दिन । भुक्त-वि० [सं०] १ खाया हुआ, भक्षित । २ भोगा हुआ । भुइरो-देखो 'भवारों'।
३ भुगता हुमा, वहन किया हुआ । ४ सजा, दण्ड आदि भुई-१ देखो भाय' । २ देखो 'भूमि' ।
पाया हुमा । ५ जिसे भुना लिया गया हो। -पु. भोजन । भुईबावळी-स्त्री० बबूल जाति का एक वृक्ष ।
भक्तकार-पु० [सं०] रसोईदार, रसोईया । भुकार-स्त्री० ध्वनि विशेष ।
मुक्तभोग, भुक्तभोगी-वि० [सं०] १ जिसने भोग किया हो। मगर-पु० एक जतु विशेष ।
२ जिसका भोग किया गया हो । ३ भुगता हुमा। भुंगरी-पु० रंग विशेष का घोड़ा। भुगळ-देखो भूगळ' ।
भुक्ति-स्त्री० [सं०] १ चार प्रकार के प्रमाणों में से एक। मजाइयो-पु० अतिथियों को भोजन कराने वाला।
२ ग्रहों का किसी राशि से गमन । ३ अपने अधिकार के भुजाई, भुजायी-स्त्री. १ भोज विशेष । २ देवता का नैवेद्य
प्रयोग की अवस्था, दखल । ४ प्राहार, भोजन । ५ भोग। ३ भूजने की क्रिया । ४ रसोई ।
६ प्रान्त । भुजारणी (बी). भुजावणी (बी)-क्रि. १ तलवाना, भुजवाला। मुखड़ी-स्त्री० एक प्रकार की बन्दुक । २ तलना, फ्राई करना।
भूखी -स्त्री० निर्धनता, कगाली। भुड, मुंडौ-देखो 'भूडो'।
भुखमरी-वि० (स्त्री० भुखमरी) १ भूखा, कंगाल, निर्धन, भुय-१ देखो 'भूमि' । २ देखो 'भाय' ।
दरिद्र । २ हर समय खाने की नीयत रखने वाला, पोछा। भुरट, भुरटियो-देखो 'भुरट'।
३ अत्यन्त भूखा, भूख से बेताब । भुबलि-देखो 'भुवन'।
भखारी-पु० [फा० बुखारा] तुर्किस्तान का एक नगर । मवारणी (बौ)-देखो 'भवाणी' (बी)। मुंबाळी-देखो 'भंवळ'।
भुख्याळवी-देखो 'भूख'। (स्त्री० भख्याळवी)। मवारी-१ देखो 'भवारो' । २ देखो 'भ्र'।
भुगटो-देखो 'भ्रकुटि'। भंवास-पू० १ घोड़े के पिछले पैर बांधने का खूटा । २ देखो भुगत-पु० [सं० भक्त] १ भोजन, प्राहार । २ धन, द्रव्य । 'भूयास' ।
३ भुगतने की क्रिया या भाव । भुहडिय-देखो 'भ्रू , भ्रकुटि' ।
भुगतणो (बी)-क्रि० [सं० भुक्त] १ उपभोग करना, भोगना। मुंहरो, भुहारी-१ देखो 'भ्र'। २ 'मंवारी'।
२ वहन करना, सहन करना । ३ भार उठाना, जिम्मेदारी भ-पु० १ कोमा । २ सर्प । ३ हड्डी। ४ वेसक ।
लेना। ४ अनुभव करना, देखना । ५ ऋण, देनादारी
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भुगतारण
( २९२ )
भुजसंमु
प्रादि का निपटना । ६ गुजरना, बीतना। ७ पूरा होना, की स्थिति । ८ दो की संख्या चार की संख्या ।
निपटना । ८ खबर होना, संदेश मिलना । ९ चुकता होना । १० देखो 'भुजा'। भुगतांण (न)-पु० १ ऋण आदि का चुकारा, निपटारा । भुज अंतर-पु० वक्षस्थल, छाती।
२ फैसला, निर्णय । ३ परिशोध । ४ भुगतान योग्य रकम । भुजप्राजांन-वि० प्राजानबाहु ।
५ प्रतिफल । ६ रसीद, पहुँच । ८ भोगना क्रिया। भुजकट (8)-पु० नाखून । भुगतारणी (बो), भुगतावणी (बो)-क्रि० १ उपभोग कराना, | भुजक--पु० [स० भुजिष्य] नौकर, अनुचर ।
भोगाना । २ वहन कराना, सहन कराना । ३ भार | भुजकांटो-देखो 'मुजकट' । उठवाना, जिम्मेदारी देना। ४ अनुभव कराना, दिखाना। भुजकोटर-स्त्री० [सं०] बाहुमूल के नीचे का खड्डा, कांख । ५ ऋण आदि पटवाना । ६ चुकता करना, देना । ७ पूरा | भुजग देखो 'भुजंग'। -पति='भजगपति' ।
करना, निपटाना। ८ खबर कराना । संदेश कराना। भुजगळ-देखो 'भुजळग'। भुगति -पु० [सं०] १ विषय-भोग, सांसारिक सुख । २ भोजन, | भुजगीस, भुजगेस, भुजगेस्वर-देखो 'भुजंगेस' । पाहार । ३ भोज ।
भुजा-पु. वीर, योद्धा। भुगोळ (ल)-देखो भूगोळ' ।
भुजठाळक-देखो 'भुजळक' । भुड़को-देखो बुगती'।
भुजडड-वि० [सं० भुजदण्ड] १ योद्धा, वीर। २ प्रचंड, भुड़की-पु० मिट्टी की सुराई, जलपात्र ।
जोरदार । ३ समर्थ, शक्तिशाली। ४ आभूषण विशेष । भुड़ा-देखो बुग्द'।
५ देखो 'भुजा'। भुचकरणो (बो)-क्रि० १ कम्पायमान होना, कांपना । | भुजडारण -पु० १ लम्बी भुजाओं वाला वक्षस्थल । २ योद्धा, २ डोलायमान होना, डोलना।
| वीर। भुचरको-पु०१ टक्कर, भिड़न्त । २ प्रहार, चोट । ३ चूर्ण, | भुजतळ-पु० भुजाओं का मध्य भाग।
भुजदंड-देखो 'भुजाडंड' । . भुजंग-पु० [सं०] १ सर्प, सांप । २ शेषनाग । ३ पति । भुजन -देखो 'भजन' ।
४ उप पति, यार, प्रेमी। ५ स्वामी, मालिक । ६ राजा | भुजपरिनाग-पु० [सं०] नवकुली नागों में से एक । नप। ७ कुंडलिनी नामक नागिन का पति । (हठयोग)। भुजपाळ-पु. योद्धा, वीर। ८ राजा का विशेष सेवक (प्राचीन) । ६ सीसा नामक | भुजपास-पु० [सं० भुजपाश] भुजामों का पाश, गलबांही। धातु । १० राजा, नृप । ११ पन्द्रहवें विहरमान। -चरपु. गरुड़ । मोर । -पत, पति-पु० शेषनाग । वासुकि । भुजबंद (बध), भुजबंधन-पु० [सं० भुजबंध] १ भुजा का -पास-स्त्री. नागपाश अस्त्र । -भुज, भोजिन-पु.
प्राभूषण विशेष । २ प्रालिंगन । गरुड़। मयूर।
भुजबळ-पु० [सं० भुजबल] १ शक्ति, बल सामर्थ्य, भुजामों का भुजंगप्रयात-पु० [सं०] एक वणिक छन्द विशेष ।'
बल। २ घोड़े के अगले पर पर होने वाली भौंरी। भुजंगम-पु० स०] सर्प, नाग, शेषनाग । -चर-
पु ड़ ।
___३ मुखिया, प्रधान । मोर।
भुजबळी (ळि)-वि० पराक्रमी, बली, वीर । भुजंगरसना-स्त्री० दो की संख्या ।
भुजबाथ-पु० मालिंगन, गलबांही। भुजंगासन-पु० चौरासी प्रासनों में से एक।
भुजभूसण-पु० [सं० भुज-प्राभूषण] भुजा का प्राभूषण विशेष । भुजगी-पु. १ एक वणिक छद विशेष । २ देखो मजंग'। भुजमूळ-पु० [सं०] कांख । भुजगेंद्र-पु० [सं०] शेषनाग ।
भुजमोचक-पु० [सं०] सर्प का विष उतारने वाला रत्न । भुजगेस, मजगेसर-पु० [सं०] १ शेषनाग । २ पातंजलि ऋषि | मुजयडड-दखा 'मुजडड ।। एक नाम । ३ वासुकि।
मुजळक भुजळग-स्त्री० तलवार । मुज-पु० [सं०] १ हाथ । २ मकान के एक मोर की दीवार। | मुजलका-० १
| मुजलठी-वि० १ हाथ में लाठी रखने वाला। २ उंडे के बल ३ हाथी की सूड । ४ वृक्ष की शाखा या डाली।५ रेखा काम कराने वाला। गणित की कोई रेखा। ६ रेखा गणित में समकोणों का | मुजबीसी-पु० बीस भुजा वाला, रावण । पूरक कोण । ७ ज्योतिष में तीन राशियों के अन्तर्गत ग्रहों | भुजसंभु पु० युद्ध का भार उठाने वाला योद्धा।
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मुजसीस
भुरजास
भुजसीस-पु० [सं०] कंधा।
२ इस जाति का घोड़ा। भुजाण, भुजान-देखो 'भुजा' ।
भुडंड -देखो 'भुजडंड। भुजा-स्त्री० [सं०] १ हाथ, हस्त । २ बांह, बाहु । भुरणकमळो-देखो 'भूणकमळो' । मुजामाजान-वि० प्राजानबाहु ।
भुतियौ, भुत्तियो-देखो 'भूतियो' । भुजाई-देखो 'भुजाई।
भुयाण-देखो 'भाथों'। भुजाकंट-देखो 'भुजकंट'।
मुधर, भुधरौ---देखो 'भूधर'। भुजाग-स्त्री० नागिन, सपिनी।
मुनगौ-पु० १ छोटा पतंगा, जीव । २ तुच्छ प्राणी या पदार्थ । भुजागळ-वि० १ रक्षक, पहरेदार । २ शक्तिशाली, बलवान । भुनणा(बो)-क्रि० १ माग पर सेकना, भुनना । २ गोलियों से
३ बड़ा, विशाल । ४ लम्बी भुजा वाला। -स्त्री० अर्गला, | | छलनी कर देना। ३ नोट या सिक्का खुला किया जाना । बेंडा।
भुनाणो (बो), भुनावणी (बौ)-कि० १ भाग पर सिकवाना । मुजान-देखो 'भुजाग'।
२ गोलियों से छलनी कराना। ३ मोट या सिक्का खुला भुजाट-वि० १ भयंकर' जबरदस्त । २ देखो ‘भुजा'।
कराना। भुजाउंड, भुजाहि-देखो 'भुजडंड' ।
भुपति-देखो 'भूपति'। भुजाडौं-पु. १ संहार करने वाला। २ पराक्रमी।
भुपाळ-देखो 'भूपाळ'। मुजादंड-देखो 'भुजडंड'।
भुमारब-पु. शेर, सिंह। भुजापत, भुजापति-पु० [सं० मुजपति] वीर, योद्धा। भुमंड, भुमंडळ-देखो 'भूमंडळ'। भुजाबळ, भुजाबळि-देखो 'भुजबळ' ।
भुमण-देखो 'भुवन'। भुजाबीच-स्त्री० कोहनी।
भुम्मि, भुम्मी-देखो 'भूमि'। भुजायत-स्त्री० लक्ष्मी, रमा ।
भयंग-देखो 'भुजंग'। -चर='भुजंगचर'। भुजाळ-वि० १ लंबी भुजाओं वाला । २ भयंकर, प्रचंड। भुयगम-देखो 'भुजंगाम'।
३ बहादुर, वीर । ४ समर्थ, शक्तिशाली । ५ देखो | मुयंगेस, भयंगेसर (सुर)-देखो 'भुजंगेसर'। _ 'बुरजाळ'।
भुयंद-पु० [सं० भू+इन्द्र] राजा, नृप । मुजाळि (ळी)-वि० १ समर्थ, शक्तिशाली । २ देखो 'बुरज'। भुय-१ देखो 'भूमि' । २ देखो 'भुज'। भुजाळो-देखो 'भुजाळ'।
मुयग, भुयग्गि-देखो 'भुजंग'। भुजावेद-पु० [सं०] १ गरुड़ । २ विष्णु ।
भयरण (णि णी)-देखो 'भुवन' । -पत, पति, पत्ति, पत्तीभुजि-देखो 'भुजा'।
___भुवनपति' । भजिया-पु. १ बेसन की बारीक सेंव । २ पकोड़े। ३ भुना | भयवंड-देखो 'भुजडंड' । हुमा खाद्य पदार्थ ।
भुरंगौ-वि० बुझा हुआ। भुजीस-पु० नाग, सर्प।
भुरंट, भरंटियो-देखो 'भुरट' । भुज्ज-१ देखो 'भुज' । २ देखो 'भुजा'।
भुरंड-पु० कवच बनाने वाला लुहार । भुज्जडंड-देखो 'भुजडंड'।
भुरकरणी (बो)-देखो 'बुरकणों' (बी)। भुज्जन-१ देखो 'भोजन' । २ देखो 'भजन'।
भुरकि, मुरकी, भुरक्की-स्त्री. १ महीन चूर्ण । २ वशीकरण भुज्जाळ-१ देखो 'बुरजाळ' । २ देखो 'भुजाळ' ।
मंत्र से मंत्रित भस्म, धूल । भुटत-देखो 'भूटांन'।
भरडणी (बो)-क्रि० १ महीन चूर्ण करना । २ संहार करना, भूटकरणो (बी), भुटक्कणौ (बो)-क्रि०१ भिड़ना, टक्कर खाना। ___ मारना । ३ ताप से झुलसना । २ युद्ध करना । ३ देखो 'भटकणो' (बी)।
भरज-स्त्री. १ शिखर । २ शिखरदार बादल । ३ देखो मुटणी (बौ)-क्रि० १ कुद्ध होना, क्रोधित होना। २ ईया, ____ 'बुरज'। द्वेष करना।
भुरजाळ-पु. १ योद्धा, वीर । २ गढ़पति, राजा। । देखो भूटाणौ (बी), भुटावणी (बी)-कि० १ क्रोध दिराना, गुस्सा 'बुरजाळ' । दिराना । २ द्वेष कराना।
मुरजाळी-स्त्री० गोल सींग वाली गाय या भैंस । भुट्टणी (बो)-देखो 'मुटणों' (बी)।
मुरजाळी-वि० १ शिखर वाला । २ देखो 'भुरजाळ' । मुठार, भुठीर-पु० १ घोड़ों की एक जाति विशेष । भुरजास-देखो 'बुरजाळ'।
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भाजी
( २९४ )
भुरजी-देखो ‘भुरजाळी'।
भुवडंड-देखो भुजडंड'। भुरज्ज-देखो 'बुग्ज'।
जवरण, भुवाणी-१ देखो 'सुवन' । २ देखो 'भवन' । -पत, पति भुरज्जाळ-१ देखो 'भुरजाळ' । २ देखो 'बुरजाळ' ।
_ 'भुवनपति'। भुरट-पु. १ लम्बे तण व बालों वाला एक घास विशेष । | भुवन-पृ० [सं०] १ संसार, जगत । २ पृथ्वी, भूमि । ३ जल, २ उक्त घास का कांटेदार डोडा।
पानी। ४ स्वर्ग । ५ मानव जाति, मनुष्य । ६ प्राणी, भुरड-पु० ज्वार का भुट्टा।
जीव । ७ तीन की सख्या । ८ चौदह की संख्या । भुरगाट-देखो 'भणणाट'।।
९ लोक । १० भवन । -क्षोमिनी-स्त्री० महाविद्या । भुरणौ (बौ)-क्रि० १ कोई वस्तु विकृत होकर धीरे-धीरे नष्ट
---गुरु-पु. जगद्गुरु । -पत, पति-पु० ईश्वर । इन्द्र । होना । २ क्षय होना।
राजा, नुप । सम्राट । समुद्र ।। भुरभुर-स्त्री० एक प्रकार की घास ।
भुवनेस, भुवनेसर-देखो 'भुवनेस्वर' । . भुरभुरी-वि० (स्त्री भुरभुरी) कम गीला या कम चिकना । भुवनेसरी, भुवनेसी-देखो 'भुवनेस्वरी'। जिममें घी, तेल की कमी हो, फरका ।
भुवनेस्वर-पु० [सं० भुवनेश्वर १ शिव । शिव की एक मूर्ति भुररी-स्त्री० बाजरी की बालों पर पाने वाली फुनगी।
या रूप । २ ईश्वर, परमात्मा । ३ उड़ीसा का एक तीर्थ भुरस, भुरसी-१ देखी 'भूरसी' । २ देखो 'बुरज' ।
स्थान । भुरियो-१ देखो भूरों' । २ देखो 'बुरौ'।
भुवनेस्वरी-स्त्री० [सं०भुवनेश्वरी] १ देवी। २ दश महाविद्यानों भुलणी (बौ)-देखो भूलणी (बो)।
में से एक। भुळभुळ-स्त्री० धूप में तपी हुई गरम मिट्टी।
भवन-देखो 'भुवन'। भुळसरणों (बौ)-क्रि० झुलसना, जलना ।
भुवपत, (पति, पती, पत्त, पत्ति)-देखो 'भूपति' । भुळसाणो (बौ), भुळसावरणौ (बो)-क्रि० झुलसाना, जलाना। भुवपाळ-देखो 'भूपाळ' । भुलाडणी (बो)-देखो 'भुलाणी' (बौ)।
भुवरलोक-पु० [सं० सुवर्लोक अतरिक्ष । भुलाचार-पु० भ्रम, भ्रांति ।
भुवरियो-वि० १ अधिक घुमावदार । २ घुघराला । भुळाणौ (बौ), भलाणो (बौ।-१ देखो 'भोळारणो' (बो)। भुवाणी (बो)-देखो 'बोवाणी' (बी)। २ देखो भुलागो' (बी)।
भुवाळ-पु० १ बाल, केश । २ देखो 'भूपाळ' । भलाणी (बो)-कि. १ कोई बात, प्रसग या कार्य मस्तिष्क में | भवाळी-देखो 'भवळ ।
न रखना, बिसरा देना, विस्मृत कर देना । ध्यान में | भवि, भुवी-देखो 'भूमि' । न रखना। २ यादी में या कण्ठस्थ न रखना । ३ किसी | भुस-देखो भूसो' । खास बात या विषय से ध्यान बटा देना । ४ चलते काय | भुसण-पु. १ कुत्ता, श्वान । २ कुत्ते की बोली। से त्रुटि करा देना । भूल करा देना । ५ भ्रमित करना | भुसपो-वि० १ भुसने वाला । २ व्यर्थ बकने वाला। धोखे में डालना । ६ विश्वास या भुलावे में रखना । | भुरागी (बो)-क्रि० १ कुत्ते का भौंकना, भुसना। २ व्यर्थ ७ अनुरक्त या पाशक्त करना, कराना । ८ अभ्यास | बकना। छुड़ाना।
| भुसाणी (बौ), भुसावरणौ (बी)-क्रि. १ कुत्ते को भौंकाना, भलापौ-पू० १ भूलने का भाव, अवस्था । २ विस्मृति ।। भौंकने के लिए प्रेरित करना । २ व्यर्थ बकवाना। ३ भ्रम, धोखा।
भूसी-देखो 'भूसी'। भुळावरण (पी)-देखो 'भोळावण'।
भुह, भुहर, भुहार, भुहारव-देखो 'भ्रू'। भुळावरणौ (बो)-देखो 'भोळाणी' (बी)।
'भुहि-देखो 'भूमि'। भुलावरणौ (यौ)-देखो 'भुलाणी' (बी)।
भू-पु. १ रुदन की प्रावाज या ध्वनि । २ देखो 'भ्र'। भुलावनौ-वि० भुलाने वाला। भुलावी-पु० १ धोखा, भ्रम। २ विस्मृति । ३ छल, कपट । .
भूइ-देखो 'भूमि'। भुल्लित-वि० भूला हमा।
भूक-स्त्री० गधे के रकने की ध्वनि । भुवंग-देखो “भुजंग'।
भूकरण-पु० १ गधा, खर । २ कुत्ता, श्वान । ३ कुत्ते की बोली। भुवगम-देखो 'मुजंगम'।
भूकणी (बौ)-क्रि० १ गधे का रेंकना, बोलना । २ कुत्ते का भुव-देखो 'भूमि'।
भौंकना । ३ व्यर्थ बकवास करना।
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भूकाक
भूखर-वि० प्रति शीतल।
भूग-पु० [सं० भ्रमण] कूए के ऊपर लगा बड़ा चक्र । भूगड़ी-पु० सेका हुमा चन।।
भूकमळो, दलमयो-पु. ऊंट। भूगरी-स्त्री० लाल मुंह वाली भेड़।
भूधरा-पु. (व.व.) शिर के अव्यवस्थित बाल । भूगळ-स्त्री० १ नरसिंघा नामक बाजा । २ बड़े उद्योग, भूम-स्त्री० मस्ती।
कारखाने या सार्वजनिक स्थान पर स्थित भू-भू कर लंबी | भूभाडो-पु०१ भू-भू कर तेज रुदन । २ तेज मांधी।
बोलने वाली सीटी। विसल । ३ देखो 'भूगळो' । भूभूकार-स्त्री० गधे के रेंकने की ध्वनि । भूगळी-स्त्री० चूल्हे या माग में फूक लगाने की नलिका। भूय-देखो 'भाय'। मूगळी-पु० बड़ी नलिका, नल, पाइप ।
भूयास-पु० [सं० भून्यास] १ किसी वस्तु का जमीन में गढ़ा भूगो-पु० १ वर्षा ऋतु में होने वाला उद्भिज पौधा । २ बांस छोर। २ जमीन में धंस कर या गढ़ कर पड़ी या खड़ी
का अंकुर । ३ एक कीड़ा विशेष । ४ पशुधों को चराने का वस्तु । ३ देखो 'भुवास' । कर विशेष ।
भू"रो-१ देखो 'भवारी'। २ देखो 'अमर'। भूच-स्त्री०१ ऊसर भूमि । २ रेगिस्तान । -वि. अपठित,मूर्ख । भूवरणो (बी)-देखो 'भंवणी' (बी)। भूचक-पु. सूपर का बच्चा ।
भूबारी-१ देखो 'भंवारों'। २ देखो '5'। मचरणो (बी)-क्रि.१ उपभोग करना, भोगना। २ मांगना, मवाळी-देखो 'भंवळ'। याचना करना।
भूविदेवता-पु. स्वर्ग। भूचाळ-देखो 'भूचाळ'।
भूसरो (बी)-देखो 'मुसणों' (बौ) । भूध-वि० १ कटा हुमा । २ भींचा हुमा । ३ देखो 'भूच'। मह-देखो 'भ्र'। भूजणी (बी)-क्रि० १घी या तेल में मिर्च मसाले भुनना, पकाना। हर-स्त्री० कुहरा।
२ भाग पर सेकना, अधिक सेकना । ३ सीधे प्रगारों पर | हरियो, भूहरो-वि० (स्त्री० भूहरी) १ धूलि से मान्छादित, पकाना । ४ गर्म हवा से झुलसना । ५ मांस मादि पकाना। धूमिल । २ देखो 'भंवारो'। ६ बदूक मादि की गोलियों से छलनी कर देना । ७ सताना महार, महारौ-१ देखो '5'। २ देखो 'भंवारी'। दुःख देना।
भू-स्त्री० [सं०] १ भूमि, पृथ्वी । २ संसार, जगत। ३ श्री जबी-पु. भुना हुमा मांस ।
विष्णु । ४ राजा, नृप। ५ भूषण । ६ साधु, महात्मा । भूबाई-देखो 'भुजाई'।
७ पानी, जल । ८ एक की संख्या*। ९ देखो '5'। भू-स्त्री. १ अपकीति, अपयश, बदनामी । २ कलंक। भून-१ देखो 'भू' । २ देखो 'भुज'। ..
३ दोष । -पु. (स्त्री० भूखण) ४ सूपर, बराह । भूप्रस-देखो 'भुजडंड'। भूग्ण-स्त्री. १ मादा सूपर । २ कलह प्रिय स्त्री।
भूप्रण-१ देखो 'ण' । २ देखो 'भुवन'। ग्सूरी-पु० ग्राम्य सूपर।
ममणतरि-पु० [सं० भवन+घंतर पाकाश, मम । मंगाई, भूखापरणो-स्त्री. १ शिकायत । २ निंदा, अपकीर्ति । | भूषपत (पति, पती, पत्ति, पत्ती)-देखो 'भूपति'।
दोष, अवगुण । ४ खराबी। ५ कुरूपता। ६ प्रभद्रता । | भूप्रबळा-देखो 'भुमबळ' । ७ बुरा होने का भाव, बुरापन ।
भूमा (बी)-स्त्री० [सं०बुमा] १ पिता की बहन । २ कंगाली। भूगो-देखो 'भू' । (स्त्री० डोड़ी)।
भूमाउ (क)-पु० पृथ्वी काय । मूडोळ-पु. भूकम्प, भूचाल ।
भूमाडौ-पु० पिता का बहनोई। मूडी-वि. (स्त्री० भूडी) १ अनुचित, खराब । २ दुरावस्था या भूई-देखो 'भूमि'।
खराब अवस्था वाला, बेकार । ३ प्रशोभनीय,महा, कुरूप । भूकत (ब)-पु. राजा, भूपति । ४ प्रनिष्टकर, पशुभ । ५ जिसमें शालीनता व शिष्टता का | -० [सं०] भमि के पन्टर रोते नाना . प्रभाव हो। ६ दयनीय । ७ अलाभकारी, हानिकारक । | भूमि में कंपन होती है या जमीन फट जाती है। असहप, कष्टप्रद । १ खतरनाक, कर। १० ऋद, .
| भक-पु०१ नाश, संहार । २ देखो 'भूख'। ३ देखो 'की' । नाराज। ११ प्रकीर्तिकर, निंदनीय । १२ निम्नस्तरीय । १३ घणा करने योग्य, परिणत । १४ गंदा. य. भूकरण-१ देखो 'भूकरण'। २ देखो 'भसरण'। अस्वच्छ। -पु० । अपकीति में लिखा काम्य या छन्द ।। भूकरणी (बी)-देखो 'भूकणी' (बी)। २ मांगलिक कविता ।
| भूकाक-पु. बाज जाति का एक छोटा पक्षी ।
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( २६६ )
भूकि-देखो 'भूको।
भूचर (भूचराव)-पु० [सं०] १ भूमि पर विचरण करने वाला। भूकियो-देखो 'भूखो।
प्राणी । मनुष्य, पशु आदि । २ शिक, महादेव । ३ भूल, भूको-देखो 'भूको'।
पिशाच । ४ एक सिद्धि । ५ देखो भाचर'। भूकोड़ो-देखो 'भूखौ'।
भूचरी-स्त्री० [सं०] समाधि अंग की एक मुद्रा। भूकोहली-पु० एक छन्द विशेष ।
भूचर (रू)-देखो भूचर'। भूको-पु. १ महीनतम चूर्ण, चूर्ण । २ सूक्ष्म टुकड़ों का ढेर। भूचार, भूचारी-देखो भूचर'।
३ नाश, सहार । ४ महीन पिसी हुई बुकनी। ५ देखी | भूचाळ-पु० [सं० भूचाल] वायु का तीव्र-प्रकोप जिससे पृथ्वी "भूखौ'।
कांपने या डोलने लगती है। भूकंप । भूख-पु. १ पृथ्वी का कोई एक भाय । २ नौ की सख्या । भूछाय-पु० अधेरा। भूखडियो-पु. छत्तीस प्रकार के शस्त्रों में से एक ।
भूजरणी-पु०१ राग-द्वेष, ईष्वा । २१मन-मुटाव। भूख-स्त्री० [सं० बुभुक्षा] १ प्राणियों की रोटी या अपना'| भूजणी (बौ)-क्रि० क्रोध करना, गुस्सा करना ।
खाद्य, खाने की इच्छा, प्रविश्यकता, शरीर की मांग, | भूजा-स्त्री० [सं०] १. जानकी, सीता । २ देखो भुजा'। क्षुधा । २.इसी तरह किसी कार्य विशेष या वस्तु की तीव्र | भजाई-१ देखो 'भुजाई'। २ देखो 'भोजाई'। कामना, अभिलाषा । ३ प्रावश्यकता, जखरत | भूज्ज-प्रव्य पुन!, फिर । ४ प्रभिलाषा, कामना । ५ कमी, टोटा । ६ दरिद्रता भूटको-पु. बन्दूक की आवाज । कंगाली। ७ वासना।
"
मूडड, भूउंडह-देखो "भुजडंड' । भूखरण-१ देखो 'भूसण' । २ देखो भूकण' ।
भूडोळ -पु० भूकंपन। भूचाल । भूखरगो (बो)-देखो 'भूकणो' (बी)।
भूडौ-पु० बालू रेत काटीषा। भूखळमेर-पु. जैसलमेर का एक नाम।
भूष-पु० [सं० भ्रूण] १ जल विहार, भ्रमण। गर्भस्थ भूखाण-देखो 'भूसरण।
शिशु । ३ देखो 'भूण' । भूखाळ-देखो भूखौ।
भूणहत्या-स्त्री गर्भस्थ शिशु की हत्या, गर्भपात । भूखाळुमो, भूखाळुवो, भूखाळू भूखाळो-देखो. 'भूखो' भूत-पु० [सं०] १ प्राकृतिक तत्त्व, (पृथ्वी, जल, प्रकाश प्रादि)। भूखि-देखो भूख।
द्रव्य । २ जीव, प्राणी । ३ पदार्थ । ४ तत्त्व । ५ प्रात्मा । भूखियो-देखों 'भूखौ'।
६ प्रेत, राक्षस । ७ संसार, जगत । ८ मूल बात। भूखौ-वि० [सं० बुभुक्षित] (स्त्री भूखी) १ जिसे भूख लगी ९ बीता हुमा समय, काल । १७ पांच की संख्या।
हो, भूखा, क्षुधित । २ दीन गरीब । ३ प्रभिलाषी, ११ बच्चा, पुत्र । १२ शिव । १३. मृत शरीर, शव ।
इच्छुक । ४ कृपण, कंजूस। ५.क्लिास के लिये उत्कण्ठित ।। १४ वीरभद्र। १५ भृगु ऋषि का पुत्र, एक ऋषि । भूगरणी (बो)-क्रि० १ भग्ना होना, खण्डित होना; टूटना । | १६ एक यादव राजा। १७ एक प्राचीन भारतीय मानव २ दुःखी होना।
जाति । १८ अधोगति को प्राप्त कोई मात्मा। १९ व्याकरण भूगरम-पु० [सं० भू गर्भ ] १ भूमि का भीतरी भाग। २ विष्णुः ।। में एक काल । २० कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी । २१ शिव के
३ संस्कृत के ककि भवभूति का एक नामः।-सासतर, अनुचर गण । - वि०१ बीता हुमा, गुजरा हुमा । २ घटित, सास्तर-पु. पृथ्वी तथा पृथ्वी के अन्दर स्थित भौतिक हुवा हुमा । ३ किसी विशिष्ट दशा को प्राप्त । ४ बना तत्त्वों का विवेचन ।
हुप्रा । ५ पुराना, प्राचीन । ६ पहले वाला, विगत, गत । भूगठ-देखो 'भूगळ' ।
७ सत्य । ८ ठीक, उचित । -अंतक-पु० यमराज, भूगोळ, भूगोल-पु० [सं०] १ पृथ्वी,धरती। २ पृथ्वी का गोला,
धर्मराज । -प्रात्मक-पु० पंच भौतिक शरीर । बनावट । पृथ्वी, जल, वायु, आकाश आदि तत्वों का
--प्रावास-पु० शिव। -कळा-स्त्री० पंच भूतों से उत्पन्न ज्ञान कराने वाली विद्या या शास्त्र । ४ भू-मण्डल ।
शक्ति। -काळ-पु० गुजरा हुमा समय । -काळिक-वि०
भूतकाल संबंधी।-ऋदत-पु० क्रिया का एक रूप । भूगोलक-पुं० [सं०] भू-मण्डल।
-बान-पु. गंदा, मध्यवस्थित व प्रधेरा कक्ष या स्थान । भूचकणी (बो)-क्रि० १ अंवाडोल होना, डगमगाना। २ कांपना
-गण-पु. शिव के अनुचरों का समूह |-चतुरदसी-पु. धड़कना । ३ हिलना, डुलना।
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी। -चारी-पु. शिव। -जग-पु. भूचक्र-पु० [सं०] १ पृथ्वी की परिधि । २ विषुवत रेखा। । एक प्रकार का यज्ञ । भूत-प्रेतों की बलि देकर किया जाने
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भूतक
(. २६
)
भूपयन
वाला यज्ञ । -, जोणी-स्त्री. प्रेत योनि, अधोगति। भूति-पु० [सं०] १ शिव । २ विष्णु । ३ पितृगण । ४ बृहस्पति । परमेश्वर । -धाम-पु० श्मशान भूमि, मरघट । । ५ विश्वामित्र का एक पुत्र । ६ अंगिरस् का एक पुत्र ।
-नाथ, नायक-पु० शिव । महादेव ।-माषका, नायिका- ७ एक यादव राजा । ८ राजा का एक मंत्री। ऐश्वर्य, स्त्री०-दुर्गा, देवी। -पक्ष, पख-पु. कृष्ण पक्ष । –प, वैभव । १० धन, सम्पत्ति । ११ सौभाग्य । १२ जन्म, पत, पति, पती-पु० शिव । महादेव । परमात्मा। -पाळ- उत्पत्ति । १३ अस्तित्व । १४ घटित होने की अवस्था या -पु० विश्वपालक विष्णु । ईश्वर । -पूनम, पूम्यु-स्त्री० भाव । १५ गौरव, महिमा । १६ वृद्धि । १७ प्रधिकता ।
पाश्विन की पूणिमा। -राज, राट-पु. शिव । महादेव ।। १८ वृद्धि नामक प्रौषधि । १९ पाठ प्रकार की सिद्धियां। भूतक-पु० [सं०] १ सुमेरु पर स्थित २१ लोकों में से एक। २० भूतण । २१ सत्ता । २२ . लक्ष्मी । २३ मुक्ति, मोक्ष । २ देखो 'भूत'।
२४ हाथी के मस्तक की चित्रकारी। २५ पकाया हुमा मूतघ्न-पु० [सं०] १ ऊंट । २ भोज-पत्र । ३ लहसुन ।
मांस । २६ रूसा नामक घास । २७ सत्य । भूतड़ियो, भूतड़ो-पु० १ एक रंग विशेष का घोड़ा। २ देखो | भूतियो-पु. पाक के फल में होने वाली रूई।
भूती-देखो 'भूति'। भूतवमन-पु. बहत्तर कलानों में से एक।
भूतेस, भूतेसर-पु० [सं० भूत-ईश्वर] १ शिव, महादेव । भूतभावन-पु० [सं०] परमात्मा, विष्णु ।
... २ परमेश्वर, ब्रह्मा । ३ स्वामिकात्तिकेय । भूतमासा-स्त्री० [सं० भूत भाषा] पैशाचिक भाषा विशेष । भूतेसरी-स्त्री० [सं० भूतेश्वरी] १ पार्वती । २ दुर्गा, देवी । भूतभिडग-वि० मस्त, उन्मत्त ।
भूतेसुरघ, भूतेस्वर-पु० [सं० भूतेश्वर] शिव, महादेव । भूतम-पु० [सं० भूतमम्] सोना, स्वर्ण ।
भूतोन्माव-पु० [सं०] भूत-प्रेतों के प्रभाव से होने वाला रोग, भूतमात्रा-स्त्री० [सं०] रूप, रस, गंध. शब्द व स्पर्श प्रादि उन्माद । सूक्ष्म तत्त्व ।
भूती-वि० [सं० भूत] घटित, बना हुपा, हुवा हुमा । भूतळ (ळि, लि, ली)-पु० [सं० भूतल] पृथ्वी सल, धरातल ।
भूषड़, भूयाण, भूधारण-देखो 'भायो। २ पाताल । ३ विश्व, दुनिया।
भदड-देखो 'भुजडंड' । भूतळेस-पु० [सं० भूतल-ईश] शिव, महादेव ।
भवाग-देखो 'भुइदाग' । भूतवास-पु. [सं० भूत वास:] १ शिव, महादेव । २ विष्णु । भूदार, भूवारक-पु० [सं० भूदार] सूपर, शूकर, वराह । ३ भूतों का निवास, श्मशान ।
भूदेव, भूदेवत-पु० [स० भूदेव] १ ब्राह्मण । २ राजा। भूतवाहन-पु० [सं०] १ शिद, महादेव । २ भूतों पर सवारी भूधर-पु० [स०] १ पहाड़, पर्वत । २ परमेश्वर, परमात्मा। करने वाला।
| ३ श्रीविष्णु । ४ श्रीकृष्ण । ५ वराह अवतार । भूतविद्या-पु० [सं०] प्रेत बाधा दूर करने की तांत्रिक क्रिया। ६ शेषनाग । ७ राजा, नृप । ८ शिव । ९ बैल, वृषभ । भूतहन-देखो "भृतघ्न'।
१० पारे की मौषध बनाने की किया। ११ सात की संख्या भतारण-१ देखो 'भाथों' । २ देखो 'भूत'।
-घणी-पु. विष्णु। भूतांपति-देखो 'भूतपति'।
भूधरेस्वर-पु० [सं• भूधर-ईश्वर] १ पर्वतों का राजा, हिमालय। भूतात्मा-पु० [सं०] १ शरीर । २ जीवात्मा। ३ शिव, महादेव । . २ शिव । ३ राजा, नुप । ४ इन्द्र । ४ विष्णु । ४ परमेश्वर।
भूधरो-देखो 'भूधर'। भूताधिपति-पु० [सं० भूत+अधिपति] शिव, महादेव । भूधाता-पु० [सं० भूधातृ] ब्रह्मा । भूतापि-पु. परमेश्वर।
भूनणो (बो)-देखो 'भूजणी' (बो)।
भूनेता-पु० [सं० भूनेत्] १ राजा, नृप । २ राजकुमार । भूतायत-पु० शिव, महादेव ।
भूपग-देखो 'भूप'। भूतार, भूतारण-पु० [सं०] १. भूमि तारण, ईश्वर । २ भूत, भूपल-पु० [सं०] राजा, नृप । प्रेत । ३ देखो 'भाचो'।
भूपत (ति, ती)-पु० [सं० भूपति] १ राजा, मृप । २ मेष भूतावळ (ळि, ळी)-पु० [सं० भूत-प्रवलि] १ नूतों की मंडली। राग का पुत्र एक राग । ३ ईश्वर । ४ शिव, महादेव । २ भूतों की कथा । ३ कल्पित कथाएँ।
५ इन्द्र । ६ एक सनातन विश्व देव । ७ मध्य गुरु की चार भूतावास-पु० १ संसार, विश्व । २ शरीर, देह । ३ विष्णु । मात्रा का नाम । ४ बहेड़ा। ५ श्मशान ।
| भूपवन-पृ० [सं०] शेर, सिंह ।
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भूपह
भूप पु० [सं० भूप्रभु राजा।
भूपण, भूराळ, भूपाळि पु० [सं० भूपाल ] राजा, नृप । भूपाळी - स्त्री० [सं० भूपाली ] एक रागिनी ।
० [सं०] १ वीर योद्धा २ राजा नृप । भूभरता- पु० [सं० भू + भतृ] राजा, नृप । भूम स्त्री० गर्म राख या धूल ।
भूमौ - वि० (स्त्री० भूभळी) धुंधला, धूलि धूसरित । भूभारघर - पु० [सं०] शेषनाग |
भूभूमाटि भूयाहि [स्त्री० [१] ध्वनि विशेष २ भृकुटि ।
मी- वि० भयानक, भयावह ।
भूपुत्र - पु० [सं०] १ नरकासुर नामक राक्षस । २ मंगल ग्रह । भूपुत्री स्त्री० [सं०] सीता, जानकी ।
।
भूफोड़-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला पौधा विशेष भूळ, भूयहि पु० [सं०] भू+बल] १ वीर नरेश।
योद्धा २ राजा, भूमिगम-पु० ऊंट ।
|
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भूमळ स्त्री० गर्म राख । भूमविहार स्त्री० नदी, सरीता
ममा वि० असीम पार धनन्त
( १९० )
भूमीह पु० [सं०] वृक्ष पेड़
भूमीप पु० [सं०] गोबर । भूमि- देखो 'भूमि' ।
भूत-पु० [सं० भूभृत] १ राजा नृप । २ इन्द्र का हाथी । भूयंग- देखो 'भुजग' । ३ पहाड पर्वत ।
भूम धूमल पु० पृथ्वी धरती
भूम- पु० १ ज्ञान । २ भूमि ३ दिशा, जंगल । ४ होश । ५ बुद्धि | ६ चतुराई, दक्षता । ७ मौन भ्रमण । भूमणी (ब)- कि० भ्रमण करना, घूमना फिरना ।
-
भूमि स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी अवनि । २ जमीन या जमीन का ३ खाली जगह, पृथ्वी का साली स्थान ४ पृथ्वी
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का तल सतह । ५ अपने अधिकार का भू-भाग ६ कृषि भूमि । ७ प्रदेश या प्रान्त । प्राधार या जड़ । ९ जन्म स्थान । १० धन, सम्पत्ति । ११ फांसला, दूरी १२ विस्तृत मैदान । १३ गोचर भूमि । १४ प्राधार । १५ योग शास्त्र में योगी की अवस्थाएं - कंत पु० राजा, नृप। भूस्वामी र वि० पृथ्वी पर विचरण करने वाला । - ज - पु० सोना। खनिज मंगल ग्रह । नरका सुर वि० पृथ्वी से उत्पन्ना स्त्री० जानकी सीता जीबी पु० कृषक खेतीहर यंत्रराजा । स्तंभ | पाळ- पु० राजा, नृप । पुत्र 'भूमिज' । - पुत्री = 'भूमिजा' । -सुत 'भूमिज' । सुता- 'भूमिजा' - सुर- पु०बाहारा ।
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भूमिका स्त्री० [सं०] १ किसी पुस्तक के पूर्व या किसी काव्य के पूर्व में संकलित उसी रचना का परिचायक प्रालेख । २ मुख्य पूर्व कही हुई बात। ३ नाटक के किसी पात्र का अभिनय । ४ चित्त की पांच अवस्थाऐं । ५ नाटक के नट की पोशाक । ६ जमीन भूमि ७ श्रृंगार ८ मकान की मंजिल । ९ श्मशान भूमि १० डग, पद ।
भूमियों पु० पंपा का एक पौधा विशेष मियाँ देखो 'भोगियों'।
भूमींद्र पु० [सं०] राजा, नृप । भूमी- देखो 'भूमि' । भूमीपाचारी देखो 'भोमीचारी' ।
भूमधा - स्त्री० [सं० भूमध्य ] अंधेरा । भूमबाद- पु० भाभियों से लिया जाने वाला कर ।
भूय पवन, हवा
भूयणंतरि कि० वि० संसार में
भूमय स्त्री० [स० भूमयट् ] सूर्य पत्नी छाया । - वि० मिट्टी का भूयण स्त्री० १ पृथ्वी, भूमि । २ देखो 'भुवन' । ३ देखो 'भवन' ।
बना ।
भूवणपति-देखो 'भुवनपति'। भू (ळी)- देखो 'भुजबळ भूयाळ - देखो 'भूपाळ' |
भूर- पु० [सं० भूरि ] १ एक प्रकार का चर्म रोग । २ भ्रम, संदेह । ३ देखो 'भूरि' । ४ देखो 'भूरो' ।
भूरइ स्त्री० [सं०] भूरज] धूलि, पूल भूरची, भूरछी- देखो भूरसी' ।
भूरज - स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी की घूल, रज । २ देखो 'बुरज' । भूरजपत्र - देखो 'भोजपत्र'
भूजाळ - देखो 'बुरजाळे' । भूरटो-देखो 'भूरो' ।
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भूयंगम (मि) - देखो 'भुजंगम' ।
भूय-पु० सिंह, शेर वि० [सं० भूयस ] बहुत अधिक। -श्रव्य ०.१ फिर, पुनः । २ देखो 'भांय' ।
भूयगांम - पु० [सं० भूत + ग्राम] १ भूत समुदाय । २ शरीर,
तन ।
-
पूछ
भूरदाडी पु० यवन, मुसलमान । भूरभूर-देखो 'मुरमुर'।
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भूरसी स्त्री० [सं०] [भू श्री ]
१ यज्ञ, विवाहादि की समाप्ति पर ब्राह्मणों को दी जाने वाली दक्षिणा २ बड़े कार्य की संलग्नता में होने वाला छोटा कार्य ।
भूरह - पु० [सं० भूमि + रुह ] वृक्ष, पेड़ ।
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मेहरवी
भूरि-पु० [सं०] १ ब्रह्मा। २ विष्णु । ३ शिव । ४ इन्द्र। भूवळ-, भूवल-पु० [सं० भू+वलयं] भूगोल ।
५ उपहार, भेंट। ६ दान । ७ स्वर्ण, सोना। बालू रेत। भूवल्लम-पु० [सं०] राजा, नप। __ -वि. बहुत, अधिक, प्रचुर ।
भूवा-देखो 'भूमा'। भूरिक, भूरिज-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, अवनि ।
भूवाजी-स्त्री० १ कंगाली, दरिद्रता। २ देखो 'भूया' । भूरिमायु-पु० गीदड़, सियार ।
भूवारि-स्त्री० 'हाथी पकड़ कर बांधने का स्थान । भूरियो-देखो 'भूगै'।
भूवाळ-देखो 'भूपाळ'। भूरिसरव, भूरिस्रवा-पु० [सं० भूरिश्रवस्] १ कुरुवंशीय एक भूविवार-पु. [सं०] सूपर।
राजा। २ अंगिरस् ऋषि का एक शिष्य। ३ एक यादव | भूविद्या-स्त्री० [सं०] भू-विज्ञान । • राजा । ४ एक पितृगण ।
भूसक्र-पु० [सं० भूशक] राजा, नप । भरी-स्त्री० भरे रंग की भैस । -वि० १ भूरे रंग की, भूरी। भूसण-पु० [सं० भूषण] १ प्रलंकार, गहना, भूषण । २ गुण २ देखो 'भूरि'।
विशेष। ३ शोभा बढ़ाने वाला पदार्थ। ४ साहित्य में भूरेस-पु० सिंह, शेर ।
अलंकार । ५ एक वनस्पति विशेष । ६ बारह की संख्या । भूरी-पु० [सं० वभ्र] (स्त्री० भूरी) १ मिट्टी जैसा रंग, मटमैला -वि० बारहवा ।
रग। २ सिंह, शेर । ३ ऊंट। ४ यूरोप का निवासी। भूसरणभोजन-पु० स्त्रियों की ६४ कलामों में से एक । ५ एक कबूतर विशेष । ६ महीन चूर्ण । ७ एक विशेष | भूसपोपमा-स्त्री० [सं० भूषणोपमा] उपमा अलंकार का एक प्रकार का अमल । भूरे रंग का भंसा । -वि०१ भूरा, मट | भेद । मैला, मिट्टी जैसे रग का । २ गौर वर्ण का। ३ वीर, योद्धा। भूसरग-पु० सुमेरु पर्वत का एक नाम ।
४ उदार हृदय, दानवीर । ५ यशस्वी । ६ देखो 'भंवारो' || भूसी-स्त्री० १ किसी वस्तु के छिलकों का महीन चूर्ण । भूरोबाघ-वि० वीर, योद्धा।
२ पत्तियों का महीन चूर्ण । ३ देखो 'भूसौ' । भूल-स्त्री. १ भूलने की क्रिया या भाव । २ अज्ञानता । भ्रम । भूसुर-पु० [सं०] ब्राह्मण ।
३ नासमझो । ४ गलती, चूक । ५ अशुद्धि, त्रुटि । ६'अपराध | भूसो-पु. १ चारे का महीन चूर्ण । २ चोकर, चापड़ ।
दोष, कसूर। ७ विस्मरण । ८ पाखण्ड । ९ कमी, अभाव । मूह-देखो '5'। भूलणी (गे)-क्रि० १ यादी या स्मृति न रहना, विस्मृति | भूहर-स्त्री० आकाश में छाए रजकण, गर्द, अंधड । .
होना । २ अनुरक्त या पाशक्त होना । ३ इतराना, फूलना । | भूहरणौ (बौ)-स्त्री. प्रकाश में गर्द छाना, अंधड़ माना। ४ गलती करना, त्रुटि करना। ५ भ्रम में पड़ना, भ्रमित | भूहरो, भूहार, भूहारी-१ देखो 'भ्र.। २ देखो 'भवारी' ।
होना । ६ भुलाना, विस्मृत करना । ७ अभ्यास छूटना । | भूहि-देखो 'भूमि' । भूलभूलैया-स्त्री०१ भ्रमित करने वाली बात । २ चक्करदार | भैइसि-देखो 'भैस'।
या पेचीदी बात । ३ अधिक कक्षों एवं दरवाजों वाली | भेंच-देखो 'भीच'। इमारत जिसके बाहर जाना मुश्किल होता है।
भेंठ-देखो 'भेट' । भूलिंग-पु० एक छोटा पक्षी।
भेंटगणसचौथ-पु. मरहठों द्वारा गणेशचौथ पर किसानों से भूलोक-पु० [सं०] १ पृथ्वी लोक, संसार, जगत । २ मृत्यु लोक ।। वसूल किया जाने वाला कर। भूलोड़ी-वि० (स्त्री० भूलोडी) भूला हुओ । भ्रमित । भेंटणी (बी)-१ देखो 'भेटणी' (बी)। २ देखो 'भीटणी' (बी)। भूली-वि० (स्त्री० मूली) १ विस्मृत हुवा हुमा । २ भ्रम में पड़ा | भेंटदसरावी-पु० दशहरे के उपलक्ष में मरहठों द्वारा, किसानों से
हमा, भ्रमित । ३ अनुरक्त या प्राशक्त। ४ गलती या त्रुटि वसूल किया जाने वाला कर। किया हमा । ५ इतरा हुमा, फूला हुआ । -पु. भेंटहोळी-स्त्री० होली पर्व पर मरहठों द्वारा लगाया गया कर १ विस्मृति । २ भूल ।
जो किसानों से वसूल किया जाता था। भूवंग-देखो 'भुजंग'।
मेंटी-देखो 'भेटी' । भूवंतरी-पु०. एक कंद विशेष ।
मेंसाखवियो-पु० स्वर्णकारों का एक प्रौजार विशेष । भूवरण (रिण)-1 देखो भुवन' । २ देखो 'भवन'।
भेसाद-देखो 'भैसाद'। वर-पु. एक प्रकार का घोड़ा विशेष । प्रवरियो-वि.१ गोलाकार, गोल प्राकृति का । २ देखो |
सोनालिका २ देखो भे-सर्व० [सं० भवन्त] पाप । 'सुगरियो' ।
| भेइरवी-देखो 'भैरवी'।
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भेड
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(३००)
भेड - वि० १ भेद जानने वाला । २ देखो 'भेद' | मेक-पु० [सं०] १ मेंढ़क २ देखो 'ख' लेख - ० [सं०] [वेश] १ वस्त्रादि का पहनावा पहनने के वस्त्रों का जोड़ा। देश-भूषा २ रूप, रंग, वर्ण ३ वस्त्रों को पहनने घोड़ने का ढंग विशेष ४ कृत्रिम पहनावा विशेष ५ साधु संन्यासियों का विशेष पहनावा या रूप विशेष । ६ संन्यास । ७ मत, सम्प्रदाय देखो 'भेक' ।
1
मेज-देखो 'भेसन' ।
+
मेखणी (बी) - क्रि०१ संन्यास लेना । २ भेष बदलना । मेधारी पु० किसी विशेष सम्प्रदाय का साधु | भेग - देखो 'भेख' |
भेड़ स्त्री० [सं० भेट : ] १ बकरी जाति का छोटा चौपाया जिसके बालों की ऊन होती है । २ बेल । ३ बड़ा मेंढ़क । ४ बिना सोचे दूसरों का अनुकरण करने वाला व्यक्ति । मेड़ी (बो) - क्रि० १ करना, कसना । ३ ५ सुसज्जित होना। मेववि० योद्धा, सुभट । मेड़ाव-पु० भेडिया
भेड़ियो - पु० जंगली कुत्तों से मिलता-जुलता एक मांसाहारी भेडव-पु० वीर, योद्धा ।
टक्कर लगाना, भिड़ाना । २ धारण प्रहार करना । ४ भिड़ाना, सटाना ।
जानवर ।
भेड़ - क्रि० वि० १ बराबर, समानान्तर । २ समीप, निकट । मेड़ी पु० १ नर भेड़ २ देखो 'भेड़ो' । जौ (ब)- कि० १ किसी को प्राज्ञा देकर कहकर प्रेरित करना, रवाना करना, भेजना। २किसी को कहीं जाने के लिये कहना । ३ पत्र या कोई वस्तु एक स्थान से दूसरे स्थान को प्रेषित करना । ४ संदेश कहलाना । ५ बुलावा देना ।
|
1
भेजा (बो), भेजावरणौ (बो) - क्रि० १ आज्ञा या प्रेरणा द्वारा कहीं रवाना कराना, भिजवाना प्रेरित कराना। २ किसी को कहीं जाने के लिये कहलाना । ३ पत्र या वस्तु प्रेषित कराना । ४ संदेश कहलवाना । ५ बुलावा दिराना । 'मेणी-देखो 'भेजो' ।
भेजी - पु० १ मस्तिष्क, दिमाग । २ मस्तिष्क या खोपड़ी के मन्दर का गूदा । ३ जानवरों के मस्तिष्क के अन्दर का मांस । भेट-स्त्री० १ मिलन, मुलाकात, साक्षात्कार २ उपहार सौगात, नजराना । ३ दर्शन । ४ देवता प्रादि को अर्पित की जाने वाली वस्तु । ५ कर, टॅक्स । भेटकt ०१ टक्कर, भिड़ंत युद्ध २ परिचय, जान-पहचान । ३ मालिंगन |
मेटल-स्त्री० मिलना क्रिया, स्पर्थं ।
भेटलो पु० १ विनती, प्रार्थना । २ मिलाप । ३ टक्कर, भिड़ंत । ४ देखो भेट' ।
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भेटौ (बी) - ० १ मिलना २ साक्षात्कार करना, परिचय करना । ३ प्रालिंगन करना । ४ टकराना, भिड़ंत करना ।
५ युद्ध करना, लड़ना ६ दर्शन करना । ७ तीर्थयात्रा करना । ८ स्पर्श करना, छूना। अछूत से स्पशं होना । १० संसर्ग करना, सम्पर्क करना । ११ अर्पण करना, चढ़ाना । १२ प्राप्त करना । १३ उदय होना । १४ गले लगाना, वरण करना ।
भेटरड़ौ - पु० गेहूं व चने का मिश्रण ।
मेदग
भेटा, भेटि देखो 'भेट' ।
भेटी-स्त्री० १ पशु या मनुष्य का शिर २ पशु या मनुष्य के शिर से किया जाने वाला प्रहार, प्राघात । ३ तुकबंदी । ४ टक्कर, भिड़ंत । ५ जुझारी द्वारा दाव पर लगाने का अक्षर । ६ सहारा ।
भेटीजरणी (बो) - क्रि० स्त्री का रजस्वला होना । मेटीदेखी 'भेट'।
भेडउ - देखो 'भेट' ।
भेड (बी) - १ देखो 'भेटणी' (बौ)। २ देखो 'भेड़णी' (बों)
मेडवरणी (बो) - १ देखो 'भिड़ाणी' (बो)। २ देखो 'भेटणी'
भेडौ- पु० भेड़ का मूत्र ।
श्रेणी-पु० पंजाब का एक तीर्थ स्थान ।
(बो)।
मेडा स्त्री० एक प्रकार की बतख ।
भेडागारी स्वी० एक प्रकार की वनस्पति शाक विशेष । भेडि- देखो 'भेट' ।
'भेणी (बौ) - देखो 'भेयणी' (बी) ।
भेदंग, भेदगर, भेरंगी - वि० भेदिया ।
भेद-पु० [सं०] १ भेदने, छेदन करने की क्रिया या भाव। बेधन, छेदन। २ दरार, फटाव ३ गुप्त बात, रहस्य । ४ झगड़ा, वैमनस्य । ५ अलगाव, पक्षपात ६ अन्तर, फर्क । ७ मर्म, तत्त्व, वस्तुस्थिति । ८ मतान्तर । ९ भिन्नता, विभिन्नता । १० तरह, प्रकार, किस्म । ११ विश्वासघात । १२ द्वैतता, भावात्मक एकता का प्रभाव । १३ एक प्रकार की नीति, नीति का एक अंग
मेवक पु० [सं०] १ भेदने वाला २ संगीतज्ञ ३ भेदिया। भेवकसूळ- पु० [सं० भेदकशूल ] एक प्रकार का शस्त्र । भेदकारी वि० १ भेदन करने वाला छेदने वाला २ भेदिया। - स्त्री० मिलावट |
-
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भेदग, भेदगर - वि० १ भेद जानने वाला । २ भेदने वाला । ३ गुप्तचर, भेदिया।
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मेवड़ी
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मेदड़ी-स्त्री० प्राटे व चावल का बना पतला खाद्य पदार्थ । भेदजमा पु० बलभद्र ।
मेवणी (ब)- क्रि० [सं० भेदनं] १ भेदन करना, छेदना, बाँधना। २ विदीर्ण करना । ३ चीर कर पार करना । ४ नार-पार निकलना ५ व्याकुल होना ।
( ३०१ )
मेवन पु० [सं०] भेदना-क्रिया, छेदन, विद्धन वि० भेदन - करने वाला । मेवनकालंद्री -पु० श्रीकृष्ण के भाई बलराम
५ गढ, किला या कोई मोर्चा जीतना । ६ खड़ी फसल के खेत में पशु चराना । ७ नष्ट करना बर्बाद करना । ८ तोड़ना । ९ प्रपनी ओर मिलाना, पक्ष में करना । १०] पहुंचाना पहुंचा देना ।
मेळप पु० १ साथ-साथ रहने का भाव । २ प्रविभाजन की दशा ।
प्रेम अनुराग मित्रता, दोस्ती ५ मेल-जोल। ६ एकता, सगठन । ७ साझा, 'साझेदारी । ८ संयोग । -वार- वि० साकेदार । साथ रहने वाला । मित्र । मळमळ - क्रि० वि० १ साथ-साथ, लगे हाथ । २ चालू कार्य के साथ । ३ शामिल । ४ संलग्लता में ।
·
मेवाड़ पु० १ सम्मिश्रण मिश्ररण। २ मिले हुए कई पदार्थ । ३ साझेदारी । ४ मवेशी चराने लायक फसल कटा हुआ खेत ।
भेळाणौ (बी) - क्रि० १ मिश्रण कराना, मिलाना। २ शामिल
कराना, संग में कराना । ३ मिलावट कराना । ४ झोंकाना, डलवाना। ५ गढ़ किला या मोर्चा जिता देना । ६ खड़ी फसल के खेत में पशु चरवाना । ७ नष्ट कराना, बर्बाद कराना । ८ तोड़ाना । ९ पक्ष में करना । १०] पहुँचवाना ।
३ शब्द बेधी बारा मेळा पु० १ शामिल या साथ रहने की अवस्था या भाव। २, मैत्री, दोस्ती । ३ हिस्सेदारी, साझेदारी । ळावर (बी) - देखो 'भेळाणी' (बी) । मेळियो पु० कई पदार्थों का मिश्रण। भेली - स्त्री० १ गुड़ की गोल व बड़ी बट्टी । २ छोटी नाव, डोंगी ।
भेदबुद्धि स्त्री० फूट डालने की क्रिया । मलगाव की भावना । भेदभाव पु० [सं०] [लग-अलग भावना से देखने का
मेवागळ - वि० भेद जानने वाला, रहस्य जानने वाला । मेवि-देखो 'भेद' |
मेदिनी स्त्री० योगियों की शक्ति या सिद्धि ।
दृष्टिकोण । २ भिन्न भाव । ३ पक्षपात ४ पक्षपात पूर्ण नीति । ५ अन्तर, फर्क । ६ मतान्तर । ७ एकता का प्रभाव । ८ ऊंच-नीच की भावना । ९ अपने पराये का भाव ।
मेदियो- पु० गुप्तचर ।
मेवी वि० [सं० मेदिन] १ मेदन या छेदन करने वाला २ रहस्य जानने वाला । ३ गुप्तचर, जासूस । मेवीसबद पु० १ दशरथ २ धर्जुन
,
चलाने वाला ।
भेद्य - वि० भेदने योग्य, छेदने योग्य ।
भेय-देखो 'भेद' |
मेवल देखो 'नेवन, भुवन, भवन 1 मेयर, भेयणी-देखो 'भेदिनी । मेपल (बी) बनाना ।
मेयो-वि० भीगां हुधा, गीला
मेर-पु० [सं०] १ तरबूज, मतीरा २ मेरी नामक बाच
३ बड़ा ढोल । ४ बड़ा नगारा । अव्य० १ फिर, पुनः । २. धौर ।
१ गीला करना, भिगोना २ पौषधि
मेरि, मेरी स्त्री० [सं०] १ युद्ध में प्रयुक्त एक बाघ विशेष । २ तुरही के प्रकार का वाद्य । ३ ढोलक । ४ ढोल । मेरोपरीक्षा स्वी० ७२ कलाधों में से एक ।
मे, मे, मेरुजी-देखो 'भैरव'
मेरी-देखो 'भेळी'।
भेळ- १ मिलावट मिथा २ वर्ण संकरता ।
मेळकौ - पु० १ मेल-मिलाप २ प्रेम ३ सामना, मुलाकात । ४ भिड़ंत, टक्कर । ५ स्पर्श ।
भेळणी (बी) - क्रि०१ मिलाना, मिश्रण करना। २ मिलावट करना । ३ सम्मिलित करना । ४ झोंकना
डालना ।
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भेसधारी
मेळी, मेलो - वि० (स्त्री० भेळी, मेली) १ एकत्रित, इकट्ठा । २ शामिल, साथ । ३ सम्मिलित । ४ संकुचित । ५ संचित या संग्रहीत। ६ सिमटा हुमा, सिकुड़ा हुधा । ७ मिश्रित । ८ साझेवाला, हिस्सेवाला । ६ व्यवस्थित कि० वि० साथ-साथ, साझे में, एक साथ । मेव-देवो 'भेद'।
1
भेवल (ओ) - क्रि० [सं० भेदनम् ] १ भिगोना, घाई करना । २ तरबतर करना । ३ चलना । ४ बहना ।
मेवाड़ी (मी), वामी (मी)
व (ब)-कि० १ भिगोना आर्द्र करना । २ तर करना, गीला करना । ३ चलाना । ४ बहाना ।
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मेबो-देखो 'भेद' | मेस देखो 'ख' |
मेन पु० [सं०] मेषर्ज] १ प्रौषधि, दवा १ जलविष्णु ४ चिकित्सक, वैद्य 1
मेसधारी - वि० किसी विशेष वेशभूषा या सम्प्रदाय विशेष का।
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भेसाब
( ३०२ )
मोई
मेसाद-देखो 'भैसाद'।
मैराण-देखो 'भैरव'। भेहरण-पु०[सं० भय हरण] ईश्वर, भगवान । -वि० भय को | भैरव-पु० [सं०] १ तेल और सिंदूर से पूजे जाने वाले एक देवता दूर करने वाला।
विशेष । २ शिव, महादेव । ३ शिव के गण जो उन्हीं के मैं-स्त्री० भेड़ या गाय प्रादि की बोली।
अवतार हैं । ४ साहित्य में भयानक रस । ५ ताल के सात मैंचकरणी (बो)-देखो 'भचकणी' (बी)।
मुख्य भेदों में से एक । ६ संगीत में एक रागका नाम । ७ एक भैण, भंगड, मैंन-देखो 'बहन' ।
प्रकार का बढ़िया वस्त्र । -वि० [सं० भै+रव] १ भीषण मैंह-देखो 'भैरव'।
शब्द वाला । २ भयंकर, भयानक । ३ घोर विनाशकारी। भैंस, भैसड़ली, भैसड़ी-स्त्री० [सं० महिष] १ अधिक दूध देने । ४ प्रति उग्र या तीव्र ।
वाली प्रसिद्ध मादा पशु, महिषी। २ पाक का फल । | भैरवसांप (फ)-स्त्री० हिमालय पर्वत पर केदारनाथ के मंदिर के ३ काली व मोटी औरत । (लाक्षणिक)
पीछे की एक कगार जहां से मनोकामना सिद्धि के लिये भैसपूछौ-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
' छलांग लगाई जाती है। #सागूगल-पु. एक प्रकार का गूगल विशेष ।
भैरवमस्तक-पु. संगीत में ताल का एक भेद । भंसात-पु० विसायती। '
मैरवा-स्त्री० एक पक्षी विशेष । मैंसाव-स्त्री० महिषासुर मर्दनी देवी विशेष ।
भैरवी-स्त्री०१ तांत्रिक देवी, महाविद्या । २ चामुण्डा, दुर्गा, देवी। मैंसापाज-स्त्री. एक देवी बिशेष।
३ 'कोचरी' नामक चिड़िया। ४ पार्वती। ५ सगीत में मैसामाता-स्त्री० बड़े दानों वाली शीतला, चेचक ।
एक रागिनी । ६ एक प्रकार का उत्तम वस्त्र । -चक्र-पु० भैसालसण-पु० मानव शरीर पर होने वाला एक दाग विशेष । । तांत्रिक अनुष्ठान का समय चक्र । भंसासुर-पु. एक राक्षम विशेष ।
भरवेस-पु० [सं० भैरव-ईश] शिव, महादेव । भैसौ-पु० [सं० महिष] १ मोटे डील डोल का प्रसिद्ध चौपाया | भैरवी-देखो 'भैरव'।।
जानवर । महिष । २ मदार वृक्ष का फल । ३ मोटा व भैरस-पु० [सं० भय+रस] साहित्य में एक रस ।। काला मनुष्य ।
भैराहर-पु० ऊंट। मै-पु० [सं०] १ नक्षत्र, तारा। २ देखो 'मैं'। ३ देखो 'भय' । भरिपु-पु० [सं० भय रिपु] ईश्वर, परमात्मा। अखज-देखो 'भेसज'।
भैरू-देखो 'भैरव'। भेडी-कि० (स्त्री० भैड़ी) १ भयंकर, डरावना । २ खतरनाक, भैरूजी-पु० १ भैरव की मूर्ति । २ एक लोक गीत । बुरा।
मैं' रौ-१ देखो 'भवरौ' । २ देखी 'भेळो' । मैचक-वि० (स्त्री० भचकी) १ भौचक्का, चकित, विस्मित । भैली-१ देखो 'बहल'। २ देखो 'भेलो' ।
२ घबराया हुमा । ३ भयभीत, डरा हुमा । ४ महान, | भेळो-देखो 'भेळो' । . बड़ा, प्रचण्डकाय । ५ भयकर, डरावना । -पु० एक भयंकर | भैसड़ी-देखो 'भैसौ' । .. जल जंतु।
मैसी-देखो 'भैस'। मैचकरणो (बो), भचक्कणी (बौ)-क्रि० १ भयभीत होना, | अहरण-पु० [सं० भय-हरण] ईश्वर, परमात्मा ।
डरना। २ संभ्रमित होना। ३ भौंचक्का होना, स्तंभित भों-१ देखो 'भव' । २ देखो 'भय' । होना। ४ चौंकना । ५ घबराना ।
मोंगरी-स्त्री० एक प्रकार घास । मंण, भैरगडी-देखो 'बहन' ।
भोंदू-क्रि० १ बेवकूफ, मूर्ख । २ सीधा-सादा, भोला-भाला । भैत-१ देखो 'भीति' । २ देखो 'वै'त' ।
भोंपू-पु० १ तुरही के प्राकार का एक बाजा विशेष । २ किसी भैन, भैनड़ो-देखो 'बहन'।
उद्योग आदि में लगी, समय-समय पर लंबी बोलने वाली अमंग-वि० [सं० भय अंग] १ भयभीत। २ देखो 'भुजंग' ।
सीटी । ३ मोटर आदि वाहनों में लगा बाजा, हार्न ।
४ इसी तरह बोलने वाला खिलोना । ममीत-वि० १ निडर, निर्भय । २ जबरदस्त, बड़ा । ३ देखो
मोंय-देखो 'भांय'। 'भयभीत'।
भोंह-देखो 'भ्र'। भैतकार-पु. हाहाकार।
मो-अव्य० १ हे, परे । २ देखो 'भय' । ३ देखो 'भव'। मैं' मी-देखो 'वहमी'।
भोप्रणनंदन-पु. [सं० भूनंदन] मंगल ग्रह । बी-पू०१लोकदेवता (मेवात)। २ देखो 'भाई'।
भोई-पु० (स्त्री० भोयण) १ कहार जाति व इस जाति का
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भोक्ता
( ३०३ )
भोगेसर
व्यक्ति । २ महावत का सहायक । ३ खैरादी। ४ भोजन | भोगपाळ-पु० [सं० भोग-पाल] १ भोग पति । २ सईस ।
करने वाला, भोजी । ५ तीर में होने वाला छल्ला। भोगभाड़ो-पु० [सं० भोग-भाटक] कृषक द्वारा जागीरदार को भोक्ता-वि० [सं० भोक्त] । खाने वाला, भोजन करने वाला। दिया जाने वाला एक कर।
२ भोगने वाला । ३ उपभोग करने वाला । -पु० स्त्री का | भोगभूमि-स्त्री० [सं० भोग्य भूमि] १ क्रीड़ा स्थल । २ विलास पति, स्वामी।
। का स्थान । ३ जैन मतानुसार एक लोक विशेष । भोग-पु० [सं०] १ भोगने की क्रिया या भाव । २ सुख-दुःख की भोगळ, भोगल-स्त्री० [सं० भुजार्गल] प्रर्गला।
अवस्था। ३ सुख-सुविधा की सामग्री । ४ उपयोग, उपभोग। भोगळाऊ, भोगळावू-वि० [सं० भोग-लाभ] ऋण के बदले रखी ५ देवतामों का प्रसाद, नैवेद्य । ६ भोजन, खाना। ७ खाना हुई भूमि, जायदाद या वस्तु जिसका उपभोग करने पर क्रिया । ८ जमीन-जायदाद पर अधिकार होकर मिलने वाला ऋण का ब्याज नहीं होता। लाभ । ९ कब्जा, भुक्ति । १० प्राराम, चैन, ऐश। भोगळावी-पु० [सं० भोग-लाभ:] एक प्रकार का ऋण । ११ संभोग, मैथुन । १२ संभोग शक्ति। १३ घर, मकान । | भोगलिप्सा-स्त्री० [सं०] संभोग की इच्छा, व्यसन । १४ निवास स्थान । १५ सुख, माराम । १६ दुःख, कष्ट । | भोगळियाळ, भोगळियाळी-स्त्री० कटार । १७ पाप, पुण्य का फल । १८ किसी घटना या बात का भोगळी (ली)-स्त्री० १ स्त्रियों के शिर के बोर के पीछे की प्रतिफल । १६ किराया, भाड़ा । २० राज्य कर, लगान। नलिका । २ देखो 'भूगळी'। २१ कृषि उपज का हिस्सा, हासिल । २२ ज्योतिष में सूर्य | भोगळी-पु. बैलगाड़ी के चक्के के बीच में लगने वाला लोहे का आदि ग्रहों का काल या समय । २३ सांप, सर्प । २४ सांप | उपकरण । का फन । २५ प्राय, प्रामदनी । २६ बलि । २७ दावत, । भोगवरण-पु० भोग करने योग्य वस्तु । प्रीतिभोज । २८ लाभ, फायदा । २९ धन संपत्ति । भोगवरणो (बो)-देखो 'भोगणी' (बी)। ३० संभोग के बदले वेश्या को दिया जाने वाला धन ।। भोगवती-स्त्री० [सं०] १ गंगा । २ पाताल गंगा । ३ नागिन । ३१ शरीर, देह । ३२ परिमाण, मान । ३३ प्रारब्ध, भाग्य । ४ नागलोक या नागपुरी। ५ द्वितीया तिथि की रात्रि । ३४ शासन, हुकूमत। ३५ माल गुजारी। ३६ छप्पन की | भोगवांन-पु० [सं० भोगवन्] १ साँप । २ गाना, गीत । संख्या * ।
भोगविलास-पु० [सं०] १ सुख-चैन, प्रानन्द-मौज, एशोमाराम । भोगण-वि० भोगने वाला।
२ संभोग । मोगरगजमी-पु० गजा, नृप ।
भोगसील-देखो 'भोगीसल'।. भोगणी-वि० (स्त्री० भोगणी) १ उपभोग करने वाला, भोक्ता। | भोगांतराय-पु० सुख व भोगों के बीच पड़ने वाला विघ्न ।
२ खाने वाला । ३ उपयोग करने वाला, काम में | भोगाणी (बौ), भोगावणो (बी)-क्रि० १ सुख-दुःख की दशा में लाने वाला । ४ संभोग करने वाला। ५ सहन करने वाला, रखना । पुण्य-पाप का फल भुगताना । २ स्त्री-प्रसंग या भुगतने वाला।
संभोग कराना।। उपभोग कराना। ४ भुगतवाना। भोगणी (बो)-क्रि० १ सुख या दुःख की अवस्था में रहना, पाप ५ ऐण कराना, मौज कराना । ६ उपयोग कराना।
पुण्य का फल भुगतना । २ स्त्री संभोग करना । ३ उपभोग | भोगि, भोगियो-देखो 'भोगी'। करना । ४ काम में लाना । ५ भुगतना । सहना । | भोगियोभमर, भोगियो भवर-वि. विलासी, विलास प्रिय ।। ६ आनन्द या ऐश करना । ७ सद्-उपयोग करना ।
"। भोगी-पु. १ सर्प, नाग । २ एक छन्द शास्त्रकार। ३ शेषनाग । ८ शासन या राज्य करना।
४ नृप, राजा। ५ जमींदार । ६ धनी, वैभवशाली । भोगता-पू० [सं० भोक्ता] १ पति, भरतार । २ उपभोक्ता । ७ संगीत में एक राग। -वि० १ भोगने वाला, भोक्ता । ___३ जागीरदार।
२ उपभोक्ता । ३ खाने वाला। ४ विषयासक्त, विलासी। भोगदेह-पु. मरणोपरांत मिलने वाला सूक्ष्म शरीर।
५ ऐश आराम करने वाला । मोजी। ६ पय्याश, रण्डीभोगनौ-पु. १ कान के प्रागे का भाग, कनपटी । २ मस्तिष्क ।। बाज। बुद्धि । ३. शिर, मस्तक । ४ प्रारब्ध, भाग्य ।
भोगीकुसुम-पु० भ्रमर, भौंरा।. भोगपत, भोगपति-पु० नगर का शासक, सूबेदार ।
भोगीसल-पु० [स. भोगीशैल:] जोधपुर के पास स्थित एक भोगपतर, भोगपत्र-पु० [सं० भोग-पत्र] किसी वस्तु के उपभोग पर्वत श्रेणी। के लिये दिया गया अधिकार-पत्र ।
भोगेसर, भोगेस्वर-पु. एक तीर्थ का नाम ।
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भोग्य
भोमका
भोग्य-वि० [सं०] भोगने लायक ।
मोट्ट, मोठ-देखो 'भोट'। भोग्यमान-वि० भोगने योग्य ।
भोठणो (बो)-देखो भोटणी' (बो)। मोड़, भोड़कियो-देखो 'भोड' ।
भोड, भोडक, मोडको-पु०१ मतीरे या तरबूज का विकृत फल । मोडणी (बो)-क्रि० नाश करमा, मिटाना ।
२ मस्तक, शिर । ३ मुडा हुया शिर। ४ देखा भोडल'। भोज-पु० [सं०] १ धार्मिक या मांगलिक दृष्टि से बनाया कई | भोडळ-पु०१ अभ्रक नामक खनिज धातु । -वि० श्वेत, मफेद ।
ध्यक्तियों का सामूहिक भोजन, बड़ा भोजन। २ दावत । भोडळी, मोडलो-वि० १ भोला भाला, मीधा-सादा । २ नासमझ, ३ खाद्य सामग्री । ४ यादव कुल में एक राजवंश । ५ एक | नादान । ३ बुद्ध , मूर्ख । लोक समूह । ६ यादव वंशीय एक राजा । ७ महाभोज | भोडागार-पु० भडार। राजा के वंशजों का उपनाम । एक अन्य राजवश । | भोडी-स्त्री. १ छोटा मतोग, तरबूज । २ देखो 'भोर'। ९ कश्यप कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । १० कान्य कुब्ज देश भोण-१ देखो 'भवन' । २ देखो मुधन' ।
का राजा । ११ मालवे का परमार वंशीय राजा। भोरणमती-वि० मस्थिर चित्त, बात बदलने वाला। भोजक, तोजग-पु. १ सूर्योपासक एक राजा । २ शाकद्विपीय | भोत-देखो 'बहत' ।
बाह्मण । -वि०१ भोजन करने वाला । २ भोग करने वाला। मोतरो-देखो 'बहुतेरी' । भोजड़ली-स्त्री० [सं० भुर्जपत्र] १ चिट्ठो, पत्री। २ देखो भोचार-पु. एक प्रकार का कोड़ा । भोजाई'।
मोचू-देखो 'भोंदू'। मोजण, भोजन-पु० [सं० भोजन] १भुधा शांति के लिये खाई | मोन-देखो "भवन, भुवन' ।
जाने वाली रोटी, खाद्य सामग्री, खाना । २ खाद्य विशेष । भोपणियो-देखो 'भापणो' । ३ खाने की क्रिया या भाव । -खांनो-पु० पाकशाला। भोपरणी-देखो 'भांपणो' । रमोईघर । -अट. भट्ट-वि० अधिक खाने वाला पेटू । भोपाई-स्त्री० १ भोपा का कार्य । २ सिद्धि, चमत्कार । -साळ. साळा-स्त्री० पाकशाला ।
भोगडप, भोपाडफ, भोपाडफर, भोपाडफरी-स्त्री. भोपा का भोजनालय-पु० १ रसोई घर, पाकशाला । २ मूल्य लेकर भोजन
दिखावा, ढोंग, पाखंड, प्राडंबर । खिलाने की दुकान, गृह । होटल ।।
भोपाळ-देखो 'भूपाळ' । भोजनियो, भोजन-देखो 'भोजन'। भोजपत्र-पु० [स० भुर्ज-पत्र] १ ऊंचे पर्वतों पर पाया जाने
| भोपाळी, भोपाली-स्त्री० संगीत में एक राग । वाला मझोले आकार का वृक्ष । २ उक्त वक्ष की छाल । भोपी-पु० (स्त्री० भोपण, भोपी) १ किसी देवता का भक्त या भोजपरीक्षक-पु० पाकशास्त्री, रसोईया।
पुजारी जिसके शरीर में देवता माकर भूत-भविष्य की बात भोजपुरियो-वि० १ भाजपुर का, भोजपुर संबंधी । २ भोजपुर कहता है । २ देवता का पुजारी। ३ भील जाति के व्यक्ति का बना । -पु० भोजपुर का निवासी।
का एक सम्बोधन । भोजपुरी-स्त्री० भोजपुर की भाषा । -वि० भोजपुर का। | भोवर-देखो 'भोभर'। भोजरू पु० शर पंखा।
मोबरियो, भोबरौ-देखो 'भोभरी' । भोजाई-स्त्री. बड़े भाई की पत्नी, भाभी।
भोभर, भाभरि-स्त्री. १ गर्म राख, छोटी चिनगारियों वाली मोजी-वि० १ भोजन करने वाला, खाने वाला । २ देखो
राख । २ देखो 'भोभरो'। 'भोजाई'।
भोमरियो, भोभरी-पु. शिर, मस्तक । भोजीसुधा-पु० [सं० सुधाभोजिन] इन्द्र । भोग्य-वि० भोजन करने योग्य ।
भोम-स्त्री० [सं० भौमः, भूमि] १ मंगल ग्रह । २ मंगल भोज्यविधि-स्त्री०६४ कलानों में से एक ।
वार। ३ भूमि । ४ अधिकृत भूमि । ५ कृषि भूमि । भोट-पु. १ भूटान देश की एक नाम । २ तीव्र या तेज गरमी, ६ श्मशान भूमि । ७ राज्य । ८ अग्नि, प्राग । ९ स्थान । ताप । ३ मग्नि, प्राग। ४ बौछार, झड़ी।
१० ज्ञान, बुद्धि । ११ ध्यान, चेतना। १२ परिचय । भोटपो (बी)-क्रि० १ दांतों से तोड़ना, काटना। २ भोजन | १३ कार्य क्षमता । १४ राज्य या शासन की सेवा के करना, खाना । ३ प्रहार करना ।
उपलक्ष में दी गई भूमि । भोटो-वि० (स्त्री० भोटी) १ जिसकी धार या नोक तीखी नभोमप्रंस-पु० [सं० भौमः अंश] रक्तवर्ण का मूगा वा साल। हो। २ मंद, धीमा । ३ मंदबुद्धि वाला।
भोमका-स्त्री० १ श्मशान भूमि । २ देखो भूमिका ।
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भोमदती
मोमी- देखो 'भूमि'
मोमीचार पु० भूमि का अधिकार
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भोमियाजी पु० एक प्रकार का लोक देवता । भोमियावं पु० पिता की संपत्ति का पुत्रों में बराबर विभाजन । भोमियौ वि० १ जानकार, विज्ञ । २ चतुर, दक्ष ३ मूल निवासी ४ बाहुबल से अधिकृत भूमि का स्वामी ५ क्षेत्र विशेष का विशेष जानकर ६ लुटेरा, डाकू । ७ किसी क्षेत्र या भूमि का सार्वभौम स्वामी पु०१ चूहा २ वह छोटा भू-स्वामी जो पुलिस का कार्य करता था ।
( २०३ )
मोमदंती - स्त्री० १ उत्तर दिशा का दिग्पाल । २ सार्वभौम भोळप-स्त्री० १ गलती भूल । २ भ्रम, धोखा । ३ श्रविवेक । दिग्गज । ४] मुखावा ५ सीधापन, सादगी ६ चतुराई, चालाकी
सोमबा० एक प्रकार का कर लगान जो भोमियों से लिया
का अभाव ।
जाता था ।
भोमविज्जा स्त्री० भूकंप से शुभाशुभ फल जानने की विद्या । मोमि देखो 'भूमि'।
मोमियाचारी- देखो 'भोमीचारी' ।
मोमीबळ - पु० जल,
पानी । भोमीयाबारी देखी 'भोमवारी' |
भोमीयो-देखो 'भोमियो' |
भोयंकर - देखो 'भयंकर' ।
भो-देखो 'मुजंग' |
भोयंगमंडळ - पु० [सं० भुजंग मंडल ] नागलोक, पाताल | भोय १ देखो 'भोम' । २ देखो 'भोग' ।
मोमीचारी- पु० १ भोमियों की बस्ती । २ 'भोमियों' का की
अधिकार
कृषि भूमि का
निःशुल्क भोग ५ जमींदारी विशेष
भोली - पु० एक अछूत जाति का व्यक्ति ।
भो भो
,
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करना । २ भुलावे में रखना । ३ धोखे में रखना । ४ सहलाना, पुचकारना ।
मोळवली (ब)- देखो 'भोळणी' (बो) ।
मोळाई - स्त्री० सीधापन, सरलता, भोलापन, नादानी । भोळाटी- वि० धोखा खाया हुधा, भ्रम में पड़ा हुआ, भ्रम, चक्कर ।
भोळाणी ( बौ) - क्रि० १ किसी की जिम्मेदारी या देखरेख में करना, देना। २ संचलाना, सौंपना ३ कार्य निर्देश करना । ४ भुलाना । ५ धोखे में डालना । ६ हिदायत देना । भोलानाथ पु० शिव, महादेव ।
भोळापरण ( परणौ ) - पु० १ नादानी, नासमझी। २ सीधापन, सरलता । ३ अज्ञानता, असावधानी । ४ मूर्खता । भोळावट-स्त्री० जिम्मेदारी, उत्तरदायित्व । भोळावरण (रिख, सी) - स्त्री० १
। । जिम्मेदारी २ निगरानी
४ सावधानी के लिये निर्देश
समझ ।
भोळावली (चौदेखी भोळाणी' (पो भोलि पु० [सं० बहुलिट ] ऊंट ।
भोळीचक्रवत (वति वरति ) - पु० शिव, महादेव ।
भोळेपण - देखो 'भोळापण' ।
भोळेराव पु० गुजरात का राजा भीता भीम
मौरामाखी
देखो 'भवन, भुवन' २ देखो 'भोजन'
भोर पु० १ सवेरा, प्रातःकाल २ धोखा, भ्रम-वि०
पति, स्तंभित।
भोर- वि० वृद्ध, बूढ़ा ।
भोरणी (बो) - क्रि० १ भ्रम में रखना, भ्रमित करना । २ टुकड़े भोसकियो, मोसक्यो- पु० स्त्री की योनि, भग।
टुकड़े करना, महीन चूर्ण बनाना ।
भोसागर - देखो 'भवसागर' ।
मोरी स्वी० चेचक रोग का एक भेद
4
कार्य का उत्तरदायित्व, देख-रेख ३ संभाल । सिफारिस ६ शिक्षा,
भोळं क्रि० वि० भ्रमवश असावधानी में, नादानी से । मोळी- वि० (स्त्री० भोळी) १ स्वभाव से सरल, सीधा-सादा । शरीफ। २ मासूम, नादान । ३ जिसके दिमाग में कोई चालाकी या चतुराई न हो । ४ मूर्ख, बेवकूफ । ५ समझदार, भला । ६ निश्छल । ७ सम्मिलित साथ। -पु० १ शिव, महादेव । २ प्रभाव । ३ भ्रम । ४ गर्व, अभिमान । भोलानाथ पु० शिव, महादेव । भोवाळ - देखो 'भपाळ' ।
,
मोहली (बी)- कि० भोगना उपभोग करना।
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,
मोरो-१० १ का दाना २ किसी वस्तु का महीन अंसभ स्त्री० ध्वनि विशेष ।
टुकड़ा ।
भकरण (at) - देखो 'भ'करणी' (बी) ।
भोळ-१ देखो 'भोळी' २ देखो 'भोळ' ३ देखी 'भोळानाव' भौंचक भाँचका वि० हक्का-बक्का, स्तंभित । मोल पु० योनि, भग, स्त्री चिह्न
मोबाई १ देखो 'मू'जाई' २ देखो 'भोजाई ।
भोळउ-देखो 'भोळो' ।
भौडेल पु० विवाहादि मांगलिक अवसरों पर कुछ उपहार लेने वाली जाति समूह
भोळणी (बो) - क्रि० १ अपने जिम्मे लेना, प्रपनी देख-रेख में
मौर, मोरो-देखो 'भ्रमर'
चौरामाची स्त्री० बड़ी
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भौळ
भ्रगुतुग
भौळ, भौळी-देखो 'भंवळ' ।
भौवाळ-देखो 'भूपाळ' । मोह. भौहारौ-१ देखो 'भ्र' । २ देखो 'भंवारो' ।
भौसिंध, भौसिंधु-देखो 'भवसिंधु'। मो-१ देखो 'भय' । २ देखो ‘भव' ।
मौह-देखो भ्रू'। भोमारो-१ देखो 'भ्र' । २ देखो 'भंवारौ।
भौहरण-देखो 'भवन'। भौग-देखो 'भोग'।
भौहरी, भौहारो-देखो 'भ्रू'। भौड़-स्त्री० १ सूर्य की कड़ी धूप या गर्मी । २ तीव्र खुजली का भ्याड-पु० बड़ा मेंढ़क । एक रोग ।
भ्यारियो-वि० तुच्छ, भोंदू, मूर्ख । पौटौ-वि० (स्त्री० भौटी) जो पैना या तीक्ष्ण न हो। भ्यास-देखो 'भास'। मोड, भोडक-देखो 'भोडक' ।
| भंग-पु० [सं० भृग] १ भ्रमर, भंवरा । २ भंवरा जाति का भौमि -पु० [सं भय+दु'दुभि] प्रापातकाल या युद्ध के समय | अन्य पतंगा । ३ हाथी, गज । ४ लता, बैल । ५ अभ्रक । बजाया जाने वाला वाद्य ।
६ दालचीनी । ७ देखो 'भ्रगु।-राज-पु० बड़ा भंवरा । मौरण-१ देखो 'भवन' । २ देखो 'भुवन' ।
भंगरा नामक औषधि । काले रंग का एक पक्षी विशेष । मौत-देखो 'बहुत' ।
भ्रगरीट-पु० [सं०] १ शिव का एक द्वारपाल । २ लोहा । भौतिक-पु० [सं०] १ शिव, महादेव । २ अांख, कान प्रादि दंगली-पु. एक वाद्य विशेष ।
इन्द्रियां। ३ प्राधि, व्याधि । ४ प्राकृतिक तत्त्व । -वि० नंगार-पु०१ एक पक्षी विशेष । २ राज्याभिषेक के समय काम १ पार्थिव, पंच भूतों से बना । २ पंच भूतों से संबंधित। पाने वाला घट, कलस । ३ स्वर्ण, सोना । ४ लौंग। ३ शरीर संबंधो। ४ सांसारिक, लौकिक । ५ मत योनि से भ्रगारी-पु० झींगुर । संबधित । ६ प्रकृति संबंधी। -स्टि-स्त्री० देव, मनुष्य भ्रगि-देखो 'भ्रगी'। व तियंक की समष्टि ।
| भ्रगिरीट (रीटि)-देखो 'भ्रगरीट'। मोदोख-पु० [सं० भयदोष मनुष्य का कर्म संबंधी दोष (जैन) भ्रगी-पु) १ शिव, महादेव । २ शिव का एक गण। ३ भौरा, भोपति-देखो 'भूपति' ।
भ्रमर । ४ भवरे जाति का पतंगा । ५ भांग, विजिया । मोपाळ-देखो 'भूपाळ' ।
भ्रगीस-पु० [सं० भृगीश] शिव, महादेव । भौम-१ देखो 'भोम' । २ देखो 'भूमि'।
भ्रता-वि० भ्रांति वाला, संदेही। भौमप्रदोस-पु० [सं० भौम प्रदोष] मंगलवार को पड़ने वाला भ्र ति-देखो 'भ्रांति' । __ प्रदोष व्रत ।
भ्रमरणो (बी)-देखो 'भवणो' (बी)। भोमवार-पु० [सं०] मंगलवार ।
भ्रसणौ-वि. नाश करने वाला। भौमासुर-पु. नरकासुर नामक राक्षस ।
भ्र सपो (बो)-क्रि० नाश करना, ध्वंस करना। भौमि, भौमी-स्त्री० १ पृथ्वी की पुत्री, सीता । २ देखो 'भूमि'। भ्रकट, भ्रकट्ट भ्रकुट भ्रकुटक प्रकुटि, प्रकुटी, भ्रकुट्री-स्त्री. भौमीचारी, भौमीयाचारो-देखो 'भोमीचारों'।
[सं० भ्रकुटि: १ भौह, धू । २ ललाट । ३ शिर, मस्तक । भौम्यौ-देखो 'भोमियो'।
भ्रकुड-वि० जिसकी भ्रकुटो चढ़ी हुई हो। -पु. शिर, मस्तक । भौयग-देखो 'भुजंग'।
भ्रख-१ देखो 'भक्ष' । २ देखो 'भख' । भौयण-१ देखो ‘भवन' । २ देखो 'भुवन'।
भ्रखरण-देखो 'भक्षण'। मौर-देखो 'भोर'।
भ्रखनिस-पु० [सं० निशा+ भ+रक्ष] चन्द्रमा, शशि । भौरिक-पु० [सं०] १ सोने, जवाहरात के भण्डार का अध्यक्ष ।।
भ्रग-देखो 'भ्रगु'। २ अध्यक्ष ।
भ्रगट, भ्रगिट-देखो 'भ्रकुटी'। भौळप-देखो 'भोळप' ।
भ्रगु-पु० [सं० भृगु] १ एक गोत्रकार मुनि जो ब्रह्मा के पुत्र थे। मौळवणी (बो)-देखो 'भोळणी' (बी)।
२ सप्तऋषियों में से एक । ३ परशुराम । ४ जमदग्नि ।
५ शुक्राचार्य । ६ शिव, महादेव । ७ श्रीकृष्ण। ८ शुक्रवार। मौळावरण-देखो 'भोळावरण'।
९ पहाड़ के शिखर की समतल भूमि । मौळाव-देखो 'भोळे'
भ्रगुकच्छ-पु० [सं०] भड़ौंच का प्राचीन नाम । भोळे-देखो 'भोळे'।
भ्रगुट, गुटि, भ्रगुटी, भ्रगुट्ट, भ्रगुट्टी-देखो 'भ्रकुटी'। मौळी-पु.१ भुलावा । २ देखो 'भोळो' ।
भ्रगुतुग-स्त्री० [सं०] हिमालय की एक चोटी।
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अगुनं व
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अनंत ( नंवण, नंदन ), अनाथ, अगुवत ( पति पती, रांम ) - पु० [सं०] परशुराम ।
गुलता, गुलात देखो 'भ्रिगुलता' । सूत-पु० १ शुक्राचार्य २ शुक यह -देखो 'गु'
अवार-देखो 'भरतार |
( ३०७ ।
गूट गूटी घटीय- देखो 'भ्रकुट' ।
भ्रस - पु० [सं० भृगु + ईश ] परशुराम ।
1
त पु०एक देव जाति । वि० १ प्रति बहुत । २ देखो' भ्राता' । ३ देखो 'भ्रत्य' ।
देखी 'भारत बंद'।
त्य- पु० [सं०] नौकर चाकर । जाती-देखो 'जात' ।
जोधपु० शिव का गए, वीरभद्र
भ्रम-पु० [सं०] १ मा विश्वास २ घोवा ३ संदेह प्रविश्वास शक ४ ग्राभास, प्रतीति ।५ भूल, गलती ।
६ गड़बड़ी । ७ बेहोशी, मूर्च्छा ८ एक रोग । ९ पुत्र । १० देखो 'भरम' । ११ देखो 'भ्रमण' |
भ्रमक पु० [सं०] डर, भय, आतंक |
मकारी - वि० [सं०] १ भ्रम में डालने वाला २ संदेह, अविश्वास जगाने वाला । ३ ग्राभास वाला । ४ गुंजाईश या सार वाला। ५ भेद या रहस्य वाला । मग मी वि० [सं० भ्रमांमी]१चलचित, डावांडोल २ भ्रमित भ्रमजाळ - पु०संदेह, भ्रम, अविश्वास, धोखे का वातावरण, घेरा । भ्रमण - पु० [सं०] १ घूमना क्रिया, विचरण । २ यात्रा, सफर । ३ चक्कर, फेरा । ४ माना जाना, आवागमन । ५ धोखा, भूल । ६ भ्रम, भ्रांति ।
भ्रमणी - वि० १ भ्रमण करने वाला, फिरने वाला २ यात्री ३ चक्कर या फेरी लगाने वाला ।
भ्रमण (बी) - क्रि० [सं० भ्रमणम् ] १ धोखा खाना २ सफर करना, यात्रा करना । ३ बहकना । ४ चकित होना । ५ देखो 'भंवरणी' (बो) ।
भ्रमना - देखो 'भरमना' ।
भ्रममूळक - वि० [सं० भ्रम-मूलक] भ्रम पैदा करने वाला । अमर-पु० [सं०] अमर] काले रंग का पतंगा, मंबरा, भौरा, १ चंचरीक २ श्याम रंग लहर, तरंग ४ प्राण, जीव, श्रात्मा"। ५ दोहे का एक भेद । ६ छप्पय छंद का एक भेद। '७ देखो 'वर'।
भ्रमरकेतु - पु० [सं०] एक राक्षस भ्रमरगुजार - स्त्री० [सं०] १ भ्रमर की भू-भू की ध्वनि । २ देखो 'भंवरगुजार' |
भ्रमरावध- पु० हाथी ।
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प्रतापहतुति
अमरावळ, भ्रमरावळी-स्त्री० [० भ्रमर+ प्रवलि] १ नंबरों की कतार, पंक्ति । २ एक मात्रिक छंद विशेष ।
भ्रमरी स्त्री० १ मिर्गी नामक रोग । २ एक लता, षट पदी । भ्रमवाण पु० इन्द्र |
प्रमाणी (बी), धमावलो(बी)
१ धोखा देना ।
२ बहकाना । ३ घुमाना, फिराना, विचरण कराना । ४ सफर या यात्रा कराना । ५ भ्रम में डालना, चकित करना ६ देखो 'मवाली' (बी)
मवारण कुंजर पु० पांडु पुत्र भीम । अमिस्त्री० [१] की पत्नी का नाम २ देखो 'भ्रमी' । भ्रमी - वि० [सं० भ्रमिन्] १ जो भ्रम में पड़ा हो, भ्रमित ।
२ शकी स्वभाव वाला । ३ चकित, भौंचक्का । स्त्री० एक प्रकार की बंदूके ।
भ्रमुवल्लभ - पु० [सं० प्रभ्रमुवल्लभ] ऐरावत हाथी । भ्रम्म- देखो 'भ्रम' ।
भ्रम्ह - १ देखो 'भ्रम' । २ देखो 'ब्रह्म' ३ देखो 'ब्राह्मण' । भ्रसंडी - वि० भयंकर, जबरदस्त ।
[सं-स्त्री० [सं० भृम्] अपकीति, निदा प्रसंसनीय वि० निंदनीय ।
भ्रसुंड, भ्रसुडो, सूड, सूडो- पु० १ हाथी का मस्तक । २ हाथी की 'ड
भ्रस्ट - वि० [सं० भ्रष्ट ] १
पतित, पदच्युत । २ नीच, दुष्ट । ३ खराब, दूषित । ४ चरित्रहीन, बदचलन । ५ नष्ट, बरबाद । ६ भला भटका ।
अस्ता वि० [सं०] [भृम् ] कुलटा, वी
भ्रस्टाचार पु० [सं० भ्रष्टाचार ] १ दूषित एवं निदनीय कर्म २ दुष्कर्म कर्म ३ रिश्वत, 'स
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हम - १ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा' । ३ देखो 'भ्रम' । भ्रमचार देखो 'ब्रह्मचरज' ।
धमचारी देखो 'ब्रह्मचारी' ।
मांस, अमा, अमेण १ देखी 'ब्रह्मा' २ देखी 'बा'। ग्रहांमण- देखो 'ब्राह्मण' ।
अहास देखो 'रहास'
देखो 'भू'
श्रति पु० [सं०] १ विरोध, वैमनस्य, शत्रुता । २ घूमना-फिरना भ्रमण । ३ विचार । ४ भ्रांति । वि० १ काम में पड़ा हुआ भ्रमित । २ संदेह की अवस्था वाला। शकी ३ भूला हुआ, भटका हुआ। ४ चक्कर खाया हुआ । ५. इधर-उधर घूमा हुंचा।
प्रतापहति पु० [सं० प्रान्तापह्न. ति ]
एक काव्यालंकार ।
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भ्रांति
( ३०८ )
मंगळ
भ्रांति, भ्रांती-स्त्री० [सं० मांति] १ भ्रम, धोखा । २ संदेह, भ्रातीज, भ्रातीजी, धात्रीज, . प्रात्रीजो-देखो 'भतीजो'।
शक । ३ मूल-चूक । ४ घबराहट, परेशानी। ५ मोह। (स्त्री० भ्रातीजी, भ्रात्रीजी) ।
६ प्रमाद । ७ चक्कर, फेरा । ८ एक काव्यालंकार । भ्रासड-स्त्री० भड़भूजे की भट्टी । भ्रांतिजथा-स्त्री० डिंगल का एक अलंकार ।
निंगी-देखो 'भ्रगी'। भ्रांमक-वि० [सं० भ्रामक] १ भ्रम, भुलावे या संशय में रखने | भ्रिकुट, भ्रिगुट-देखो 'भ्रकुटि'।
वाला भ्रमित करने वाला । २ धोखे में रखने वाला । भ्रिगुरिसी-देखो 'भ्रगु' । ३ धूर्त, चालाक । ४ घुमाने वाला।
भ्रिगुलता घिगुलात-स्त्री० विष्णु की छाती पर भृगु ऋषि की भ्रांमणी (बी)-देखो 'भ्रमणो' (बी)।
___ लात का चिह्न। प्रांमर, ग्रामरी-पु. १ दोहे का एक भेद । २ गोला, वृत्त । | भ्रित-स्त्री. १ कोयल । २ देखो 'प्रत्य' ।
परिक्रमा, भांवरी। ४ घूमर नृत्य । -वि० भ्रमर-संबंधी। भ्रिहम-१ देखो 'ब्रह्मा' । २ देखो 'ब्रह्म' । भ्रांमी-स्त्री० १ ब्राह्मण की स्त्री, ब्राह्मणी । २ एक प्रकार का | ब्रह.भ्र-देखो 'भ्र'। गाथा छंद । ३ देखो 'ब्राह्मी' ।
भ्रूण-देखो 'भ्रूण' । भ्राजक-पु० [सं० म्राजकं] स्वचा में स्थित पित्त ।
भ्रूह, धू, भ्रम, भ्रमावळ-पु० [सं०] प्रांख के ऊपर के धनुषा भाजणी (बो)-क्रि० शोभित होना।
कार बाल, भौंह । भ्रकुटि ।
भ्रूज-पु० [सं० प्रणः] १ स्त्री का गर्भ । २ गर्भस्थ शिशु । भ्रात-पु० [सं० भ्रातृ] भाई, सहोदर।।
'-हत्या-स्त्री० गर्भस्थ शिशु की हत्या । गर्भपात कराना। भ्रातविजेसर-पु० श्रीकृष्ण के भाई, बलराम ।
भ्रू भंग-पु० [सं०] तिरछी भ्रकुटि, चढ़े हुए तेवर । भ्राता-पु० [सं० भ्रातृ] १ भाई, सहोदर । २ सगा, संबंधी।
5 विक्षप-पु. टेढ़ी भ्रकुटि की दशा, क्रोधावस्था । भ्रातालछी-पु० [सं० लक्ष्मी-नाता] चन्द्रमा, शशि ।
बृह, मोह, चौह-देखो 'भ्रू'।
म-कदेवनागरी वर्णमाला के 'प' वर्ग का अंतिम वर्ण। मंगत-१ देखो 'मांगत' । २ देखो 'मंगती'। मं-पु. १ मंगलग्रह । २ दुष्ट । ३ गुड़ । ४ मिलन । ५ सुदर। मंगतराय-पु० याचकों का सरदार, याचकों में अग्रणी।
६ रूप । ७ मंगलगीत । ८ उत्सव । ६ देखो 'म'। मंगतवाड़, मंगतवेड़-पु० याचकों का दल ।। मंड-१ देखो 'म्हें । २ देखो ‘में' । ३ देखो 'मय'।
मंगताई-स्त्री. १ मांगने की क्रिया या भाव। २ दीनता व मकड़-१ देखो 'मकड़ो' । २ देखो 'मांकण'।
हीनता का भाव । ३ नीचता । ४ भिक्ष क जैसी हरकतें। मकू-पु० [सं० मंक] गति की शीघ्रता, तेजी, वेग।
मंगतो-पु. (स्त्री० मंगतरण, मंगती) भिखारी, याचक । महो-देखो 'मकड़ों'। मंख, मंत्र-पु० १ चित्रपट दिखाकर निर्वाह करने वाली भिक्ष.
| मंगन-देखो 'मग्न'। जाति । २ देखो 'मख' । ३ देखो मकू' ।
| मंगनी-स्त्री. १ मांगने की क्रिया या भाव । २ मांग कर ली मंग-पु० [सं० मृग] १ सिंह, वनराज । २ देखो 'मांग' । ३ देखो
जाने वाली वस्तु । ३ लड़के-लड़की का वैवाहिक संबंध, 'मारग'। -
सगाई। । मंगजण-देखो 'मांगरण'।
मंगर, मंगरो-१ देखो मगर'। २ देखो 'मगरों'। मंगजाई-देखो 'मगजाई।
मंगळ-वि० [सं० मंगल] १ शुभ, सौभाग्यमय। २ समृद्धिवान । मंगण-देखो 'मांगण'।
३ लाभप्रद । ४ वीर, बहादुर । ५ बंद । -पु. १ कुशल मंगरिष (ली)-देखो 'मंगनी' ।
क्षेम, हित, कल्याण। २ समृद्धि, खुशहाली । ३ हर्ष, मंगसी (बो)-देखो 'मांगणी' (बी) ।
प्रसन्नता, मानन्द । ४ शुभ कार्य । ५ प्रत्येक सप्ताह का
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मंगळगोरीवरत
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( २०९ )
तीसरा दिन ६ सौर जगत का एक ग्रह ७ विष्णु । ८ समापन्न, समाप्ति । ६ मांगलिक गीत । १० कंठ, ललाट व शिर पर भौंरी वाला घोड़ा । ११ लाल रंग या वर्णं । १२ विवाह मण्डप में होने वाली भांवरी । १३ वीर पुरुष, योद्धा । १४ विवाह । १५ एक डिंगले गीत विशेष । १६ डिंगल में छोटे सागोर का एक भेद । १७ एक छंद विशेष । १८ शुभ वस्तु । १६ हल्दी । २० प्राशीर्वाद । - प्रस्ट = 'प्रस्टमंगल' करण- वि० कल्याण व हित करने वाला । - पु० गणेश, गजानन । - करणी - वि० कल्याणकारी । स्त्री० केसर । - कळस - पु० मांगलिक अवसरों पर जल भर कर रखा जाने वाला घड़ा ।—कारी, कारी - वि० शुभ न मांगलिक गीत -- पु० शुभ ग्रह सौर जगत का एक ग्रह । - घट 'मंगळ कळस' - [पंडिका- स्वी० दुर्गा का एक नाम दायक fro warnकारी, शुभ पाठ-पु० देव तुष्टि के लिये कल्याणकारी, । किया जाने वाला स्तुति पाठ । पाठक, पाठी- पु० बीजन, भाट स्वरित वाचन करने वाला । -रूप-पु० शुभ व मानन्द दायक स्वरूप । ईश्वर । - वेळा स्त्री० दिन व रात में शुभ माने जाने वाले काल, शुभ समय मांग- पु० शुभ कार्य करने से पूर्व किया
1
जाने वाला स्नान । मंगळगोरीवरत पु० [सं० मंगलगोरीत धावण के कृष्ण पक्ष के प्रथम मंगलवार से चार मंगलवारों तक किया जाने
मंगळा- स्त्री० [सं० मंगला ] १ पार्वती, गिरिजा । २ दुर्गा, देवी ।
३ पतिव्रता स्त्री । ४ दूर्वा, दूब । ५ तुलसी । ६ हल्दी | ७ भाला ८ विष्णु, शिव, कृष्ण धादि के । भाग ६ मन्दिरों में प्रातः काल धंधेरे-अंधेरे में होने वाली भारती
१० त्रिपुरबध के समय - कार - वि० मंगल करने
शिव को वर देने वाली देवी वाला । -कारी- वि० शुभ ।
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मंगाड़ी
मंगळाचरण - पु० [सं० मंगल + प्राचरण] १ किसी कार्य का शुभारभ । २ किसी कार्य के प्रारंभ में किया जाने वाला स्वस्ति वाचन । ३ किसी ग्रंथ के प्रारंभ में शुभकामना
सूचक लिखा जाने वाला छंद या पद्म ।
मंगळाचार, मंगलाचार, मंगळाचारी- पु० [सं० मंगल- प्राचार] १ प्रानन्दोत्सव, हर्षोल्लास । २ मांगलिक कृत्य । ३ किसी कार्य के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन की क्रिया । ४ मांगलिक गीत ।
मंगळाची स्त्री० [सं० मंगला चतुर्थी] शुक्ल पक्ष में मंगलवार को पाने वाली चतुर्थी ।
मंगळारणी (बौ) - क्रि० १ होली जलाना । २ कपाट दिराना (शुभ) ३ पूर्ण कराना ।
1
मंगळामुखी-स्त्री० वेश्या रंडी । मंगळारंभ-पु० शुभारंभ श्रीगणेश
मंगळालय पु० [सं० मंगल-मालय] ईश्वर, परमेश्वर । मगळावणी ( बौ) - देखो 'मंगळाणी' (बो) ।
मंगळात पु० [सं० मंगलाव्रत] शिव-पार्वती के निमित्त किया जाने वाला व्रत ।
मंगळ-१ देखो 'मंगळा' । २ देखो 'मंगळी' ।
मंगळियी मंगलियों पु० मृतक के द्वादशे की क्रिया में काम लेने का मिट्टी का पात्र ।
वाला व्रत ।
मंगळवार (प्यार) देखो 'मंगळाचार' |
मंगळछाया स्त्री० [सं०] मंगलवायः] [प्लक्ष-वृक्ष
मंगळीक १०१ शुभ पदार्थ २ गुड देखो 'मांगलिक
मंगळ (०१ होली का जलना २ अच्छी दशा में मंगळीकमाळा (मात्रा) स्वी० शुभ पदार्थों की भेली, कतार,
पूर्ण होना ।
माला ।
मंगळमळ ( धवळ) - देखो 'धवळ मंगळ' | मंगळवाद - पु० [सं०] आशीर्वाद, आशीष । मंगळवार पु० [सं०] सप्ताह का तीसरा दिन । मंगळवारी वि० मंगलवार का मंगलवार संबंधी, मंगलवार को होने वाला |
-
मंगळसूत्र - पु० [सं० मंगल सूत्र ] १ शुभ अवसर या कार्य के समय हाथ में बांधने का धागा । २ सौभाग्यवती स्त्री के गले का माभूषण या डोरा । ३ गंडा, तावीज ।
मंगळी- वि० मंगल संबंधी, मंगल ग्रह संबंधी । स्त्री० १ मंगल ग्रह के अशुभ योग वाली जन्म कुण्डली २ स्वस्ति पाठ ३] देखो 'मंगळा' |
मंगळीकाळ - पु० बालू रेत बाली पोपली मरु भूमि । मंगळ्व० [सं०] मंचस्य] १ मंगलकारक मंगलदायक, शुभ
२ सुन्दर, मनोहर । ३ साधु । ४ पवित्र । पु० १ राज्याभिषेक के समय तीर्थ स्थलों से लाया गया जल । २ बैल । ३ दही। ४ चन्दन काष्ठ । ५ सिन्दूर । ६ स्वर्ण, सोना । ७ वट वृक्ष । ८ नारियल का वृक्ष व फल ।
मंगळ्या स्त्री० [सं० मंगलवा] १ दुर्गा का एक नाम २ एक
प्रकार का प्रनरु ।
मंगवाली (बी) देखो 'मंगाली' (बी) |
- पु० बड़े मंगलयांनी बड़े तम्बू में जगने वाला छीटा। मंगसर, मंगसिर देखो 'मिगसर' ।
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मगाड़ी (बो) मंगाली (बी), मंगावली (बी) कि० १ किसी वस्तु को लाने के लिये कहना २ वस्तु की मांग भेजना,
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নলি
..। ३१० )
मार्डर देना। ३ मांगने का कार्य कराना। ४ वस्तु को | मंजरीक-पु. १ मोती । २ तुलसी। लौटाने के लिये कहलाना।
मंजळी-देखो 'मंजुळ'। मंगिण-देखो 'मांगण'।
मंजवती-पु० एक वणिक छंद विशेष । मंगित-देखो 'मंगतो'।
मंजा-स्त्री० [सं०] १ बकरी। २ मंजरी । ३ लता, बेल । मंगेज-पु० गर्व, अभिमान।
मंजाणौ (बी)-क्रि० १ राख, मिट्टी प्रादि से साफ कराना। मंगेजण (न)-वि. गविली, मानिनी ।
२ स्वच्छ कराना, चमकवाना .। ३. स्नान करवाना, मंगेड़ो-पु० द्वार, दरवाजा।
नहलवाना। मंगेतर-स्त्री. १ विवाह हेतु निश्चित की गई लड़की, सगाई मंजार-१ देखो 'मारणार'। २ देखो 'मध्य' ।
की हुई लड़की। -पु. २ संबंध किया हुमा लड़का। मंजारखळ-पु० [स० मार्जार+खल] श्वान, कुत्ता। मंगोळ-पू०१ मध्य ऐशिया (मंगोलिया) व उससे पूर्व में बसने | मंजारड़ी-१ देखो 'मारजार' । २ देखो 'मंजा'। वाली एक जाति । २ इस जाति का व्यक्ति।
मंजारछळ-पु० [सं० मार्जार छल] शेर, सिंह। मंच, मंचक-पु० [सं०मञ्च] १किसी सभास्थल का ऊंचा स्थान, | मंजारी-देखो 'मारजार'।
चौकी जिस पर बैठ कर प्रवचन, अभिनय प्रादि किया जाता मंजावट-स्त्री० मज्जन व सफाई की क्रिया। है। स्टेज । २ खेत की रखवाली या शिकार के लिये बनाया मंजावरणी (बी)-देखो 'मंजारणी' (बी)। गया मचान । ३ पलंग, खाट । ४ पीठिका ।
मंजासणी-देखो मजासणो'। मचिका-स्त्री० [सं०] कुर्सी।
मजिल-स्त्री० [अ०] १ यात्रा के बीच पाने वाले ठहराव, मंचोनमंच-पु० मंडप ।
विश्राम स्थल । २ गन्तव्य स्थान । ३ क्रमशः तय की जाने मंच्छावाचा-पु० [सं० मनस्-वाञ्छा] शिव की उपासना वाली यात्रा की दूरी या चढ़ाई। ४ मकान के ऊपर
के लिये किया जाने वाला व्रत विशेष । -क्रि० वि० मन | नीचे का खण्ड, माला, स्टोरी। ५ एक दिन की यात्रा। भौर वचन से।
६ नक्षत्र । ७ चांद का घर । ८ लबी यात्रा। मंछर-देखो 'मछर' ।
मंजीठ-देखो 'मजीठ'। मंछा-देखो 'मंसा'।
मजीठी-देखो 'मजीठी'। मंछी-देखो 'मच्छी'।
मंजीर-पु० [सं०] १ पैरों में पहनने का प्राभूषण विशेष, नूपुर, मंज-पु० १ रंग । २ देखो 'मंजु' । ३ देखो 'मंजरी' ।
झांझर । २ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । ३ वह डंडा या मंजण, मजरिण (पी)-पु० [सं० मार्जनम्] १ स्नान । २ दांत खंभा जिसमें मथ-दण्ड बधा रहता है। ४ प्रथम गुरु के
साफ करने का चूर्ण या दवा, मंजन । दांतुन । ३ दांतुन नगण का एक भेद । ५ देखो 'मंजीरा'। करने की क्रिया।
मंजीरा-पु० (ब. व.) [सं० मंजीर] १ कांसी या पीतल के मंजणी (बी)-क्रि० [सं० मार्जन] १ स्वच्छ होना, नहाना।
प्यालानुमा युग्म वाद्य जो प्राय: ढोलक के साथ बजाये २ मांजा जाना, साफ किया जाना, चमकना, साफ होना।
जाते हैं । २ अठारह वर्ण का एक वणिक छद विशेष । ३ दक्ष होना, प्रवीण होना। ४ अनुभवी होना। ५ देखो | मंजु-वि० [सं०] सुन्दर, मनोरम । 'मांजणों' (बो)।
मंजुकेसी-पु० [सं० मंजुकेशिन्] श्रीकृष्ण । मंजन-देखो 'मंजण' ।
मंजुघोस-पु० [सं० मंजुघोष] तांत्रिकों का एक देवता।
| मंजुघोसा-स्त्री० [सं० मंजुधोषा] १ एक अप्सरा का नाम । मंजर-पु० [सं० मजर] १ मोती। २ मोर पंख की चंद्रिका केन महीनतम बाल । -वि. १ सुदर, मनोहर। २ देखो
र २ अप्सरा।
असर 'मंजरी' ।
मंजुनासी-स्त्री० [सं० मंजुनाशी] १ दुर्गा का एक नाम । मंजरणी (बी)-क्रि० वृक्ष व पौधों पर मंजरी आना, बौर युक्त |
- २ इन्द्राणी का एक नाम । होना ।
मधुर-देखो 'मंजरी'। २ देखो 'मंजूर'। मंजरि-देखो 'मंजरी' ।
मंजुरणौ (बो)-देखो ‘मंजरणी' (बी)। मंजरिनेत्र-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा।
मंजुळ-वि० [सं० मंजुल] १ सुन्दर, मनोहर । २ सुरीला । मंबरी-स्त्री० [सं० मंजर-डीप] १ कतिपय पौधों व वक्षों में मंजुसी-पु० [सं० मंजुश्री] १ एक प्रसिद्ध बौद्ध प्राचार्य । २ देखो
फलों से पूर्व पाने वाली बौर । २ एक राग विशेष । . 'मंजूसी'।
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मंजू
मंडळ
मंजू-१ देखो 'मंजु' । २ देखो मंजूस' ।।
कार्य करने लगना। १६ अंकित होना, चिह्नित होना । मंजूर-वि० [अ०] स्वीकारा हुआ, माना हुआ। स्वीकृत । १७ बनना, निर्मित होना । १८ संलग्न करना लगाना, जिसकी सहमति हो।
खड़ा करना। १९ लेने या झेलने के लिये हाथ या वस्त्र मंजूरी-स्त्री० स्वीकृति, सहमति, मान्यता । इजाजत, अनुमति । प्रादि फैलाया जाना । २० तनना। २१ घोडे, ऊंट प्रादि मंजूस, मंजूसी, मंजूसौ-पु० [सं० मंजूषा] १ छोटा पिटारा, पर चारजामा कसा जाना । २२ सर्जन होना, सृष्टि होना ।
डिब्बा। २ पक्षियों का पिंजरा। ३ हाथी का होदा । २. रचा जाना, रचित होना । २४ मनाया जाना । ४ संदूक, पेटी।
२५ सजना, सज्जित होना । २६ पाच्छादित होना, ढका मंजेस-पु० चरखे के नीचे की लंबी लकड़ी, डंडा ।
जाना । २७ तैयार, उद्यत या प्रस्तुत होना । २८ छितरना, मंजौ-देखो 'मांजो'।
बिखरना । २६ प्रबन्ध होना, व्यवस्था होना। ३० व्यक्त मंझ, मंझम-देखो 'मध्य' ।
होना । ३१ संबंध जुड़ना, मेल होना। ३२ संधान होना। मंझळो-वि० [सं० मध्यम] (स्त्री० मंझळी) बीचका, मध्यका।। ३३ शोभित होना। ३४ आभूषणों में रत्न मादि जड़ा मंझा-स्त्री० [सं० मध्या] १ कमर, कटि । २ मध्या।
जाना । ३५ ढोल आदि पर चमड़ा चढ़ाया जाना । मझार, मझारि, मंझार, मंझाळ, मंझि-क्रि० वि० बीच में, मध्य ३६ प्रावेष्टित करना। ३७ तश्वीर आदि काच में लगायी में। घेरे, दायरे.या क्षेत्र में। मध्य ।
जाना। ३८ शुगार किया जाना। ३६ कुछ करना। मंझिम-वि० [सं० मध्यम] १ मध्य । २ मध्यम ।
४० देखो 'मोडणो' (बौ)। . मंतियार-वि०१ मध्य का, बीच का, मझला।२ देखो 'मझार। | मंडन-देखो 'मंडण'। मंठणी (बौ)-क्रि० रचना, बनाना, निर्माण कराना। सजन मंडर-० [सं०] १देव मन्दिर, देवालय । २ भवन । ३ वितान कराना।
चंदोवा । ४ पाच्छादित स्थान । १ छपरा, छप्पर । मंठाणी (बी), मंठावरणौ (दो)-क्रि० १ रचवाना, बनवाना, ६ मंदिर में दर्शक कक्ष । ७ देवालय प्रादि पर बना गुबज,
निर्माण कराना । सर्जन कराना । २ देखो मठारणों' (बौ)।। अण्डा । ८ देवालय में मूर्ति पर तना चंदोवा। १ तंबू, मंड-पु० [सं०] १ आभूषण, गहना । २ रचना, सृष्टि । शामियाना । १० सामयिक तंबू या मंडप ।
३ ब्रह्माण्ड । ४ शरीर, देह । ५ निर्भरता। ६ मावागमन। मंडपपुर-पू० [सं०] म'डोर का नामान्तर । ७ देखो 'मंडप' । ८ देखो 'मंडारण' । ९ देखो 'मांडो'।
मंडपराइ, मंडपाळ-पु० [सं० मडपराज, मड-पाल] राजा, नृप । १० देखो 'माडांणी' । ११ देखो 'मंढ' । १२ देखो 'मुड'।
मंडपि-देखो 'मडप'। १३ देखो 'मांड'।
मंडरणौ (बी)-क्रि० चारों ओर से घिरना, छा जाना। मंडक, मंडको-पु० [सं० मण्डकः] १ मैले में घी-शक्कर मिला
मंडराणी (बो)-कि० [सं०मडल] १ मंडलाकार उठ कर छा ___ कर बनाई जाने वाली रोटी । २ मोटी रोटी या चपाती।
जाना। २ पक्षियों का किसी घेरे या वृत्त में उड़ना । मंडण (उ)-पु० [सं०मण्डनम्] १ सजावट, शृगार । २ प्राभूषण
३ किसी के पास-पास चक्कर लगाना । गहना । ३ शोभा । ४ पुष्टि, प्रमाणीकरण ।
मंडळ-पु० [सं० मडलम्] १ किसी स्थान या बिन्दु पर चारों मंडरणकोट, मडणगढां-पु० [सं० मंडन-कोट] हाथी, गज ।
पोर बना घेरा, वृत्त । २ सूर्य, चन्द्रमा प्रादि के चारों पोर मंडपछत्र-पु० [सं० मंडन-छत्र] प्राकाश, नभ ।
का प्रकाश वृत्त । ३ किसी वस्तु का मुख्य गोलाकार भाग । मंडणी (बी)-क्रि० [सं० मंडनम्] १ होने की स्थिति में प्राना,
४ गोलाकार प्राकृति, रचना या वृत्त । ५ पाकाश वृत्त । होना । २ ठनना, पक्का होना, निश्चित होना । ३ कटिबद्ध ६ श्वान, कुत्ता। ७ मित्रों का समाज, वर्ग। लोगों का तत्पर या उतारू होना। ४ उत्पन्न होना, अंकुरित होना । समाज । ८ किसी विभाग या संस्था के संचालन के लिये ५ स्थिर होना, रुपना, जमना, रुकना । ६ अटल, अडिग बना विभिन्न सदस्यों का समूह, बोर्ड। नक्षत्रों का रा। या बढ़ होना, डटना । ७ जुड़ना, लगना । ८ प्रारंभ होना, कक्षा। १० ढेर, समूह । ११ दल, समूह, १२ देश। शुरू होना । ९ स्थापित या कायम होना । १० सार्वजनिक १३ बारह राज्यों का संघ । १४ कोई क्षेत्र या प्रदेश विशेष । लेन-देन या व्यापार के लिये चालू होना, कार्य करने लगना। १५ गोल चिह्न या दाग। १६ चालीस योजन लंबा व ११ उमड़ना, उभरना, मंडराना । १२ चित्रांकित, चित्रित बीस योजन चौड़ा भू-भाग । १७ प्रशासनिक दृष्टि से होना । १३ लिखा जाना, दर्ज होना । १४ चलने या कार्य विभाजित प्रदेश, जिला। १८ गोलाकार विस्तार। १९ एक रूप में पाने के लिये स्थापित होना। १५ चलना,पल पड़ना, । प्रकार का कुष्ठ रोग । २० सैन्ध संगठन या यूह रचना।
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मंडळोखो
( ३१२ )
मदरसा
२१ पांच शामियानों का खेमा । २२ ऋग्वेद का एक १४ चलाने के लिये स्थापित कराना, रखवाना । १५ सहारे खण्ड या भाग । २३ संसार । २४ तीर्थ स्थान । २५ एक लगवाना, खड़ा कराना, स्थिर कराना । १६ हाथ या
जाति विशेष का सर्प । २६ मुड़ी हुई तलवार, खांडा । दामन फैलवाना । पसराना । १७ तनवाना । १८ घोड़े या मंडळओखी-पु० द्वारिका के समीपवर्ती एक क्षेत्र ।
ऊंट पर चारजामा कसवाना । १६ सजन करवाना । मंडळक-देखो 'मंडळीक'।
२० रचवाना, रचना कराना। २१ मनवाना । २२ सुसज्जित मंडळकरणिक-पु. राज्य के एक सूबे का अधिकारी ।
करवाना, सजवाना । २३ माच्छादित करवाना, ढकवाना । मडळाग, मरळाप्र-स्त्री० [सं० मण्डलान] तलवार ।
२४ तैयार या प्रस्तुत कराना । २५ छितरवाना, बिखरवाना मंडळाधीस-देखो' मंडळेस्वर'।
२६ प्रबंध या व्यवस्था कराना। २७ व्यक्त करवाना। मंडळि-देखो 'मंडळी'।
२८ सबंध जुडवाना, मेल कराना । २९ संधान करवाना। मडळिक-देखो 'मंडळीक।
३० प्राभूषणों में रत्नादि जड़वाना। ३१ ढोल मादि पर मंडळी-स्त्री० [सं० मण्डली] १ मानव दल, मानव समूह । चमड़ा लगवाना । ३२ तश्वीर प्रादि को शीशे या चौखट में
२ गोलाकार वृत्त, वर्तुल । ३ समान विचारों वाले व्यक्तियों | बिठवाना, फिट कराना। ३३ प्रावेष्टित कराना, मडित का दल, वर्ग । ४ सर्पो का एक वर्ग विशेष । ५ वट वृक्ष । कराना । ३४ शुगार कराना,सजवाना। ३५ कुछ करवाना। ६ गेहूँ व चने के कटे पौधों का ढेर। ७ नाच-गान व नाटक | मंगवी-देखो 'मांडवी'। करने वाले लोगों का समूह ।
मंडित-वि० [सं०] १ शोभित, विभूषित, सजाया हुमा। मंडळीक, मउलीक-पु० [सं०मांडलिक्] १ प्रदेश, प्रांत या जिले २ छाया हुमा, पाच्छादित । ३ जड़ित, जड़ा हुआ।
का प्रशासक । २ राजा, नृप । ३ बारह राज्यों का अधिपति। मंडी-स्त्री० १ दशनामी साधुओं के रहने का स्थान, मठ । मंडळेसर, मडलेस्वर-पु० [सं० मंडल-ईश्वर] १ एक मंडल या | २ किसी वस्तु विशेष या वस्तुओं का व्यापारिक केन्द्र ।
प्रदेश का शासक, अधिपति । २ बारह राज्यों का अधिपति । मंडुक, मडूक-पु० [सं० मंडुक] (स्त्री० मंडुकी) १ चार पैरों ३ खाखी साधुनों का कोई मठाधीश, महन्त । ४ महादेव, __ वाला छोटा जलचर प्राणी, मेंढ़क, दादुर । २ एक ऋषि शिव ।
विशेष । ३ दोहे छंद का एक भेद । ४ रुद्रताल के बारह मडव - देखो 'मंडप'।
भेदों में से एक । ५ एक प्रकार का वाद्य । ६ एक प्रकार का मडवी-देखो 'मांडवी'।
नत्य । ७ घोड़ों की एक जाति विशेष । मडवो-पु. १ एक प्रकार का कदन्न । २ देखो 'मंडप' । ३ देखो | मंडूकपरणी-स्त्री० [सं० मंडूकपर्णी] १ ब्राह्मी बूटी । 'मांडो'।
२ मजिष्टा, मंजीठ। मंडारण-पु० [सं० मंडनम्] १ मंडित करने की क्रिया या भाव। मंडूकासण (न)-पु० [सं० मण्डकासन] योग के चौरासी आसनों
२ विशेष कार्य की तैयारी। ३ रचना, बनावट। ४ प्राडंबर।। में से एक । ५ सजावट, सजधज । ६ तैयारी हलचल, चहल-पहल । महको-स्त्री० [सं०] १ मादा मेंढ़क, मेंढ़की। २ स्वेच्छाचारिणी
७ निशान, चिह्न। ८ लक्षण, प्रासार । ९ भूमिका। | छिनाल स्त्री। मंडाई-स्त्री०१ मंडने की क्रिया या भाव । २ मंडने का व्यवसाय। मंडूर-स्त्री० [सं०] लोहे के जंग से बनी भस्म, औषधि ।
३ इस कार्य का पारिश्रमिक । ४ लिखने का कार्य । | मंडेरी-स्त्री० [सं० मंडप] १ विशाल भवनों के तोरण द्वार पर ५ लिखने का ढंग।
बना बड़ा छज्जा । २ भवन के ऊपर,चारों ओर बनी छोटी मंडणी (बी), मंडारणी (बी), मंडावणी (बो)-क्रि० १ होने दीवार ।
की स्थिति में लाना । २ ठनवाना, पक्का करवाना, निश्चित | मंडेलौ-पु० बड़े-छोटे के क्रम से एक दूसरे पर रखे बर्तनों का ढेर । करवाना । ३ कटिबद्ध, तत्पर या उद्यत होने के लिये प्रेरित
मंडोर, मंडोउर, मंडोवर-पु० [सं० मंडपपुर] जोधपुर या करना । ४ स्थिर कराना, रुपवाना, जमवाना। ५ पटल,
___ मारवाड़ की प्राचीन राजधानी। अडिग या दृढ़ करने के लिये प्रेरित करना। ६ जुड़वाना, | लगवाना। ७ स्थापित करवाना, कायम करवाना। भारंभ |
| मंडोवरौ-पु. १ मंडोर का निवासी। २ मंडोर के शासक या शुरू करवाना । ६ कार्य या व्यापार के लिये खुलवाना,
राठौड़ों की एक उपाधि । -वि० मंडोर का, मंडोर संबंधी । लगवाना, चालू करवाना । १० चित्रित या चित्रांकित | मंढ़-पु० [सं० मंडम] १ दशनामी साधुनों का मठ । २ चौकी कराना। ११ लिखवाना, दर्ज कराना। १२ मंकित करवाना | या चबूतरे पर बना छोटा देव मंदिर । ३ देवी का मंदिर। चिह्नित करवाना । १३ निर्माण कराना, बनवाना । मंढरणो (बी)-देखो 'मंडणी' (बी)।
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मंढाणी
भयमचल
मंढाणी (बी), मंदावणी (बी)-देखो 'मंडाणी' (बी)। मंत्रपूत-वि. १ मंत्रों द्वारा पवित्र किया हमा। २ अभिमंत्रित । मंढ़ी-देखो 'मंडी'।
___-पु. गरुड़ । मंगणी (बो)-देखो 'मुगणी' (बो) ।
मंत्रबीज-पु० [सं०] मंत्र का मुख्य अक्षर । मूल मंत्र । मंत, मंतर-देखो 'मंत्र'। -कार='मंत्रकार'।
मंत्रमुग्ध-वि० [सं०] १ मंत्र द्वारा वशीभूत । २ मुग्ध, मोहित । मंतरणा-देखो 'मंत्रणा'।
मंत्रमूरत, मंत्रमूरति-पु० [सं० मंत्रमूर्ति] शिव, महादेव । मंतरणी (बो)-क्रि० [सं मंत्रणम्] १ मंत्र द्वारा संस्कृत करना, मंत्रमूळ-पु० [सं० मंत्रमूल] इन्द्रजाल, जादू।
पवित्र करना । २ जादू-टोना करना । ३ मंत्रों से वश में मंत्रयोग-पु० [सं०] १ मंत्र का प्रयोग । २ मंत्र पढ़ने का कार्य । करना । ४ सीखा, पढ़ा कर वश में करना । ५ झाड़-फूक ३ इन्द्रजाल, जादू । करना । ६ फुसलाना, भुलावे में डालना । ७ झूठी प्रशंसा मंत्रवाद-पु० [सं०] पुरुषों की ७२ कलाओं में से एक । या तारीफ करना।
मंत्रवादी-वि० [सं० मंत्रवादिन] मंत्र उच्चारण करने वाला, मंतराई-स्त्री० [सं० मंत्रता] १ अभिमंत्रित करने का कार्य । मंत्रज्ञ।
२ झाड़-फूक करने का कार्य । ३ जादू टोना करने का कार्य। मंत्रविद्या-स्त्री० मंत्रों की साधना, विद्या । मंत्र शास्त्र । ४ देखो "मित्राई'।
मंत्रबी-देखो 'मंत्री'। मंतरोळियौ-पु० बनावटी मित्र, साधारण मित्र ।
मंत्रसंसकार, मंत्रसंस्कार-पु० [सं० मंत्र संस्कार १ मंत्रोच्चार मंतव्य-पु० [सं०] मन का विचार, मन का लक्ष्य, उद्देश्य । से किया जाने वाला संस्कार । २ मंत्रग्रहण से पूर्व किया मंतु-पु० अपराध, गुनाह ।।
जाने वाला संस्कार । ३ विवाह । मंत्र-पु०१ देवाभिसाधन, गायत्री प्रादि वैदिक वाक्य जिसके मंत्रसंहिता-स्त्री० [सं०] वेदों का एक भाग ।
द्वारा देवस्तुति तथा यज्ञ आदि क्रिया करने का विधान हो, मंत्रसाधक-पू० [सं०] मंत्रों की साधना करने वाला व्यक्ति । वेद वाक्य । २ ऐसा वेद वाक्य जिससे सिद्धि प्राप्त की जा साधक, तांत्रिक ।। सकती हो । ३ सिद्धिदायक मंत्रों के समूह वाला वेदों का | मंत्रसाधन-पु० [सं०] किसी मंत्र की साधना। भाग । ४ साधना के लिये जपा जाने वाला शब्द । ५ ज्ञान | मंत्रसिद्ध, मंत्रसिध-वि० [सं० मंत्रसिद्ध] १ मंत्रों द्वारा सिख प्राप्ति, लक्ष्य सिद्धि या मोक्ष प्राप्ति के लिये गुरु द्वारा दी | किया गया । २ मंत्रों से सिद्ध करने वाला। गई विद्या, शिक्षा। ६ गोपनीय व रहस्य की बात। मंत्रसिद्धि, मंत्रसिधि-स्त्री० [सं० मंत्रसिन्नि] मंत्रों की साधना से ७ चौसठ कलानों में से एक । ८ विचार, उद्देश्य । ९ जादू | प्राप्त सिदि। टोना । १० तांत्रिक विद्या। ११ देखो 'मंत्री'। -कार- | मंत्र-संसकार-देखो 'मंत्र संस्कार'। पु० मंत्र दृष्टा ऋषि । -कुसल-पु० परामर्श देने में कुशल मंत्राई-१ देखो 'मतराई' । २ देखो ‘मंत्राई'।
-ऋत-पु. वेद रचयिता । वेद पाठी। परामर्श दाता। | मंत्रि-देखो 'मंत्री'। दूत । मंत्रों से निर्मित ।
मंत्रित-वि० [सं०] मत्रों द्वारा सुसंस्कृत, अभिमंत्रित । मंत्रग्य-पु० [सं० मंत्रज्ञ] १ मंत्री। २पंडित, ब्राह्मण । ३ मंत्रों मंत्री-प० [सं० मंत्रिन] १ परामर्श या मंत्रणा देने वाला; का ज्ञाता । ४ गुप्तचर । ५ वेदज्ञ ।
सलाहकार । २ राजा का मुख्य सलाहकार, मंत्री, अमात्य, मंत्रजळ-पु० [सं० मंत्रजल] अभिमंत्रित जल ।
प्रधान । ३ संसदीय प्रणाली से गठित मंत्री मण्डल का कोई मंत्रजांण-पु० [सं० मंत्रज्ञ] दूत ।
सदस्य । ४ किसी संस्था का सचिव, संस्था का प्रमुख कार्य मंत्रणा-स्त्री० [सं०] परामर्श, सलाह ।
कर्ता । ५ शतरंज का एक मोहरा, गोटी। मंत्रणी-वि० १ जादू-टोना करने वाली। २ मंत्राणी।
मंत्रीपाराथ-पु० [सं० पार्थ-मंत्री] श्रीकृष्ण । मंत्रणौ-पु० [सं० मंत्रणं] परामर्श, सलाह, मंत्रणा। मंत्रो (बी)-देखो 'मंतरणो' (बी)।
मंत्रीसर, मंत्रीसरि, मंत्रीस्वर, मंत्री स्वर-पु. राज्य या देश के मंत्र-तंत्र-पु० [सं०] १ जादू टोना का कार्य । २ तांत्रिक साधना
मंत्रियों का प्रधान । प्रधान मंत्री। का मंत्र ।
मंत्रोळियो-१देखो 'मित्र' । २ देखो 'मंतरोलियो'। मंत्रदेव, मंत्रदेवता-पु० [सं०] मंत्र से माहवान किया गया | मंथ-पु० [सं०] १ मंथन, विलोड़न । २ रगड़, मर्दन । ३ मथदेवता ।
दण्ड, मथानी । ४ एक प्रकार का मृग । ५ एक प्रकार का मंत्रपाळ (ल)-पु० [सं०मंत्रपाल] मंत्रणा देने वाला, सलाहकार शर्बत । ६ बाल रोगों का एक ज्वर । ७ देखो 'महंत'। मंत्री।
| मंथप्रचल, मंथगिरि-पु. मंदराचल पर्वत ।
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मथज
मंथज - पु० [सं०] मक्खन, नवनीत ।
मचण - देखो 'मंथन' |
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( ३१४ )
(ब) देखो 'मचखी' (दो) ।
मंथन - पु० [सं०] १
मथने की क्रिया या भाव, विलोड़न । २ म दण्ड र ३ देखी 'मन' मंथरां - क्रि० वि० [सं० मंथर ] धीरे से, मंद गति से । धीमे । मंथरा - स्त्री० [सं०] १ कैकई की प्रमुख दासी, कूबड़ी । २ देखो 'मथुरा' ।
अभाग्य ।
पण वि० १ मंचन संबंधी २ देखो 'मयांणी' ३ 'देखो मंदादा-देखो 'मंदाकिनी' ।
'मणी' ४ देखो 'मध्य' ५ देखो 'मचांरण'
मंद - वि० [सं०] १ मूर्ख, मूढ । २ कृपण, कंजूस । ३ तनिक, थोड़ा ४ कांतिहीन, फीका, नियम ५ कमजोर, झील ६ हल्का, धीमा । ७ खल, दुष्ट ८ कम वेग वाला, मंथर, धीमा । ९ प्रभावहीन । १० सुस्त, प्रालसी । ११ उदासीन । १२ कोमल । १३ दोष युक्त । १४ अभागा । १५ जिसमें तेजी, तीव्रता का प्रभाव हो । पु० १ घोड़ी की गर्दन का एक रोग । २ एक प्रकार का हाथी । ३ यमराज, यम । ४ शनिश्चर । ५ देखो 'मद' । ६ देखो 'मंदी' ।
मदरियाँ देखो मंदिर' ।
मदरी - वि० [० मंद] (स्त्री० मंदरी) धीमा, हल्का मंगळ-देखो 'मावळ'
मंदगति - स्त्री० [सं०] १ धीमी चाल गति । २ ग्रहों की एक
"
अवस्था ।
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मदवाड़, मवाद (डी) देखो 'मांदगी'। मंदहास-पु० [सं०] धीमी हंसी, मुस्कान। मंदा स्त्री० १ एक संक्रान्ति विशेष २ गंगा । मंदाप्राखर- पु० [सं० मंद + प्रक्षर ]
मवाक - वि० [सं० मंद] तुच्छ, तनिक
मंथांणी - स्त्री० १ दो तगरण का एक छद विशेष । २ देखो मंदाकण, मंदाकणी (नी), मंदाकिण, मदाकिणी (नी ) - स्त्री०
'मथांणी' ।
१ स्वर्ग में बहने वाली गंगा की धारा । २ गंगा का नामान्तर । ३ श्राकाश गंगा । ४ चित्रकूट के पास बहने वाली एक नदी । ५ सात प्रकार की संक्रान्तियों में एक ।
६ एक वणिक छंद विशेष । ७ कुबेर की माता का नाम । [मंदाक्रांता][स्त्री० [सं०] सत्रह अक्षरों का एक वर्ण वृत्त विशेष मदागनी - देखो मंदाग्नि' । मदागिरणी-देखो 'मंदाकिनी' | मंदागिर देखो 'मंदरविर' ।
मंदता स्त्रो० धीमापन, हल्कापन । मंदफळ- पृ० [सं०] मंदल) ग्रहों की गति का एक भेद ।
भाग मंदभागी वि० [सं० मद भाग्य ] ( स्त्री० मंदभागस)
१ अभागा, दुर्भाग्यशाली २. गरीब, निर्धन, दरिद्र । मंदमति, मदमती वि० मूड, मूर्ख, छोटी बुद्धि वाला, जिसकी बुद्धि प्रखर न हो ।
मंबर - पु० [सं०] १ मंदराचल पर्वत । २ इन्द्र । ३ वरुण । ४ स्वर्ग ५ कुल द्वीप पर्वत का एक तीर्थ ६ देखो 'मंदिर' । ७ देखो 'मंदरा' । ८ देखो 'मंदार' । मंदरगर (गिर, गिरि, गिरी ) - पु० [सं० मंदरगिरि ] पर्वत । मंदरा - स्त्री० एक छंद विशेष । मंदराव० [सं०] मंदराचल] एक पर्वत जो समुद्र मंथन में
काम आया ।
मवादर
मदभाग्य, हतभाग्य,
मंदक - वि० [सं०] १ मूर्ख, मूढ़। २ देखो 'मंदी' ।
मंदकोश स्त्री० [पोड़ों की एक जाति विशेष ।
मंदग - वि० [सं०] धीमी गति या चाल वाला। -पु० शाकद्वीप मदार, मंदारक- पु० [सं०] १ इन्द्र के नन्दन-वन के पांच वृक्षों
के ब्राह्मणों के चार वर्णों में से एक ।
में से एक । २ नाक मदार ३ धतूरा ४ मंदराचल पर्वत ५ हिरण्यकशिपु का ज्येष्ठ पुत्र, एक प्रसुर । ६ धौम्य ऋषि का पुत्र । ७ डिंगल का एक छंद ।
मंदाग्नि स्त्री० पाचन शक्ति मंद होने का रोग विशेष । मंदायण, मंदारण (गी, नी) - देखो 'मंदाकिनी' ।
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मंदजुर, मदज्वर - पु० [सं० मंदज्वर] निरन्तर बना रहने वाला मंदासय पु० [सं० मंदाशय ] अनुचित अर्थ का भाव ।
हल्का ज्वर ।
मंदिर मंदिरडर, मंदिर- पु० १ देवालय, देव प्रासाद ।
२ भवन, मकान । ३ राजमहल । ४ वह स्थान जहाँ पवित्र भावनाओं की गंगा बहती हो [सं० म] ५ वरुण मंदी स्त्री० १ मंद होने की दशा अवस्था या भाव मन्दता । २ पदार्थों के बाजार भाव कम होने की अवस्था सस्तीवाड़ा ३ व्यापार की धीमी दशा । ४ तेजी, तीव्रता का अभाव । ५ उदासी । ६ धीमापन । ७ धुंधलापन | मंदील - स्त्री० [प्र० ] जरदोजी का वस्त्र विशेष । मंदीवार, मंदीवाडी-१ देखो 'मंदी' २ देखो 'मांदगी' । मंदराचल मंदुर-स्त्री० [सं० मदुरा ] अश्वशाला, घुड़साला ।
बोच्च पु० [सं० मंद + उच्च] ग्रहों की एक प्रकार की गति । मंदोदर - वि० [सं०] १ छोटे व पतले पेट वाला । २ मंदाग्नि के रोग वाला। -पु० १ मय दानव का नामान्तर । २ देखो 'मंदोदरी' ।
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मंदोदर
मंगळ (म) देखो 'मदकल'
मंथली - देखो 'मांयलो' ।
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( ३१४ )
महंगळ- देखो 'मदकळ' ।
।
मंदोदर, मदोदरी, मंदोवर (री) - स्त्री० [सं० मंदोदरी ] रावण मई - सर्व ० १ मैं । २ मुझ । ३ मेरा । ४ देखो 'मई' । की प्रमुख रानी मंदौ - वि० [सं० मंद] (स्त्री० मंदी) १ सुस्त, शिथिल, श्रालसी । २ मंद गति से कार्य करने वाला । ३ रहित, हीन । ४ स्वस्थ, रुग्ण । ५ कम कीमत पर सस्ता । ६ देखो 'मंद' |
मंत्र- पु० १ हाथियों की एक जाति विशेष २ देखो 'मंदर' मंत्राचळ-देखो 'मंदराचळ ।
मधरी-देखो 'मंदरों' ।
मंन- देखो 'मन' |
मंनव-देखो 'मानव' ।
मंमद - देखो मैंमद, }
ममांणी स्वी० एक प्रकार की खान जहां पर संगमरमर जैसा पत्थर निकलता है ।
महबड़ली, मंहदी- देखो 'मैं दी' ।
हम देख महामाया' महल - देखो 'महल' ।
२ देखो 'मही' ।
महिमही १ देखी 'मांय' म पु० [सं०] १ समय,
काल । २ विष, जहर ।
३ विष्णु । ४ ब्रह्म । ५ चन्द्रमा । ६ यम । ७ शिव । ८ श्रीराम । ९ हाथी, गज । १० मस्तक । ११ शरीरं । १२ युद्ध । १३ समूह । १४ 'म' गण । १५ मध्यम स्वर ।
१६ जल । १७ सुख,' कुशलता । सर्व० [सं० श्रहं] १ उत्तम पुरुष में कर्त्ता का रूप में। २ षष्ठी व प्रथमा के अतिरिक्त विभक्तियों में लगने वाला 'में' का रूप । - प्रव्य० नहीं, मत, मा ।
मइंद- देखो 'मयंद' ।
म १ देखो 'मई' २ देखी 'भय' ३ देखी 'नीच' । मइगळ - देखो 'मदकळ' |
महल देखो 'मदन' |
महत - पु० [सं० मृतक ] शव । महषी देखो 'पिळी' ।
महदो-देखो 'मंदी।
महत, महमत देखो 'मेमंत' ।
मइयळ-देखो 'महीतळ' |
मइली सर्व १ मेरा मुझको २ देखो 'मेलो' देखो 'मांयलो' ।
मई - वि० विनीत, नम्र
सन् का पांचवां मास ४ देखो 'महीं'। मईन देखो 'मैथुन'। मनी देखो 'महीनी' ।
मंबर देखो 'मोर' |
मंस देखो 'मांस' |
मसचर मसचार देखो 'मांसाचर' |
मसब देखो 'मनसब' -वार- 'मनसबदार' ।
।
मसा - स्त्री० [सं० मनस्, मंशा] १ इच्छा, कामना, लालसा । २ मत्र स्वेच्छा ३ श्राप इरादा ४ संकल्प मउड़ देखो 'मौड़' । मनोरथ ६ मन वित्त ७ बुद्धि
।
मउड़ी-देखो 'मोड़ो' ।
मउज १ देखो 'मौज' २ देखो ''ज' मठ-देखो 'मोठं'।
सहार, मंसाहार ( हारी) - देखो 'मांसाहार, मांसाहारी' । मंसुख, मंसूख - वि० [० मंसूख] रद्द, खारिज । मसूखा स्त्री० [प्र० ] रद्द करने की क्रिया ।
मंसूखी, मंसोबी- पु० [० मंसूब] १ विचार इरादा २ संकल्प
3
३ श्रभिलाषा, मनोरथ । ४ योजना । ५ कल्पना, भावना । मह-देखो 'मां'
महंगी देखो ''गौ'।
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क्रि० वि० में, प्रन्दर। ०१ ईस्वी २ देखो 'मय' ३ देखो 'महीन'
मईया - पु० [सं० मय] कंटनियों के झुण्ड में रहने वाला नर ऊंट ।
मग पु० १ एक प्रकार का बाथ २ देखो ''व' । मउ-देखो 'ममी'।
मउड उडि १ देखो 'मौड़' २ देखो 'मुकुट' । मनावणी (बी) - देखो 'मनाणी' (बी) । मउर-१ देखो 'मौड़' २ देखो 'मोर'। उरण (बौ) - देखो 'मोरणी' (बी) । देखो 'बोलसरी' ।
,
मलिड मउलि-देखो 'मौळियो' । मउळी- देखो 'मोळी' ।
मउळू मळू, मउलू- देखो 'मोळो' ।
,
मऊ पु० १ मालव प्रदेशान्तर्गत एक स्थान, शहर की
२ प्रजा ।
मऊड़ी- देखो 'महुश्री' |
मएड़ी पु० एक प्रकार का घोड़ा।
मधील
देवो 'मोडियो'
मकंद - पु० एक प्रकार का कंद ।
मकड़ - १ देखो 'मत्कुण' । २ देखो 'मरकट' |
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मकड़ी - स्त्री० १ माठ पैरों का कीड़ा जो जाल फैलाकर शिकार फंसाता है । २ एक प्रकार का रोग । ३ एक प्रकार का
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मकाव
घास। ४ हाथी की पीठ पर होने वाला दाग या जख्म । मकरांणी-पु०१ बलूचिस्तान का एक प्रदेश, मकरान । २ सगमर५ माया।
____ मर का पत्थर । ३ राजस्थान में वह स्थान जहाँ इस पत्थर मकड़-स्त्री०बंक, टेढापन, ऐंठ।
की खान है। -वि० मकराने का। मकड़ो-पू० सं० मर्कट] १ मर्कट के रंग से मिलते-जुलते रंग | मकराई-स्त्री० [अ० मक] १ धूर्तता, विटाई । २ ठगी, छल,
का घोड़ा। २ घोड़ा । ३ एक प्रकार का घास जिसके बीजों प्रपच । ३ गर्व, अभिमान। की रोटी बनती है । ४ बड़ी मकड़ी।
मकराकर-पु० [सं० मकर-पाकर] समुद्र, सागर । मकतब-पु. [म० मक्तब] पाठशाला, विद्यागृह ।
मकराक्रत, मकराक्रिति-वि० [सं० मकर+प्राकृत] मकर की मकतूल-वि० [अ० मकतूल] १ जो कत्ल कर दिया गया हो। प्राकृति का। २ प्रेमी।
मकराक्ष, मकराख, मकराख्य-पु० [सं० मकराक्ष] खर नामक मकदूर-पु० [अ० मकदूर] सामर्थ्य, शक्ति ।
राक्षस का पुत्र । मकदोख-पु० हीरों का एक दोष ।
मकराळ, मकरालय-पु० [सं० मकरालय] समुद्र, सागर । मकबरी-पु० [अ०] शव दफन कर उस पर बनी इमारत । मकराव-पु० सागर । मजार।
मकरासन-पु. एक तांत्रिक पासन । मकबल-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
मकरासव, मकरास्य-पु० [सं० मकराश्व] वरुण । मकबूजा-वि० [अ० मकबूजः] जिस पर अधिकार किया गया हो, | मकरी-स्त्री० मछली । -वि० १ अभिमानी, गर्वीली । २ टेढ़ी, अधिकृत।
तिरछी, व्यग पूर्ण। मकरंद-पु० [सं०] १ पुष्परज, पराग । २ पराग कण, फूल का | मकरूह-वि० अपवित्र, घृणित ।
केसर । ३ कुद पुष्प । ४ कोयल । ५ मधुमक्षिका । ६ भ्रमर, मकरोणी (बी)-क्रि० प्राटे प्रादि को भुनना । भौंरा । ७ एक मात्रिक छन्द विशेष । ८ डिंगल के वेलिया | मकवा-पु. १ मक्के का पौधा । २ एक अन्य पौधा विशेष । सांगोर का एक भेद । -वि० श्याम, कृष्ण ।
मकसद, मकसब-पु० [अ० मक्सिद] १ उद्देश्य, आशय, मतलब । मकर-पु० [सं०] १ज्योतिष की बारह राशियों में से एक । २ मगर
के । २ मगर २ इच्छा, अभिलाषा । नामक जल जंतु । ३ माघ मास । ४ एक प्रकार का लग्न ।
| मकसूद-वि० [अ० मक्सूद] १ अभिप्रेत, उद्दीष्ट । २ वांछित । ५ नौ निधियों में से एक । ६ मछली। ७ एक प्राचीन
३ इच्छा, कामना। पर्वत का नाम । ८ सेना की एक व्यूह रचना । ९ मस्ती, उन्माद । १० मौज। ११ ऐश्वर्य । १२ गर्व, अभिमान ।
मकान-पु० [अ० मकान) १ गृह, भवन । २ इमारत । १३ दर्पण । १४ छप्पय छंद का एक भेद । १५ छल, कपट
३ आवास स्थान, निवास । फरेब । १६ नखरा, नाज, अदा। १७ देखो 'मक्कर'।मकांम-देखो 'मुकाम'। -कूडळ-पु० मकर की शक्ल के कुण्डल । -केत, केतन मकाई-वि. १ मक्के का, मक्के संबंधी। २ मक्के का निवासी। केतु-पु. कामदेव । प्रद्युम्न । -धज, धुज ध्वज-पु०-काम ३ देखो 'मक्की'। देव । रस सिंदुर । हनुमान का पुत्र । धृतराष्ट्र का एक | मकार-पू० १ 'म' अक्षर, वर्ण । २ पिंगल में मगण का संक्षिप्त पुत्र । -पत, पति, पती-पु. कामदेव । ग्राह, मकर राज ।
रूप । ३ देखो 'भक्कार'। -रासि-स्त्री० बारह राशियों में से एक राशि। -म्यूह-पु०
राशि। -यूह- पु° | मकाळ-स्त्री० १ शीतकाल में ताप के लिये अग्नि जलाने का सेना की व्यूह रचना ।-सकरांत, सकरांयत, संक्रांत, संक्रांति,
पात्र । २ अंगीठी। सकायत-स्त्री० सूर्य का मकर राशि में प्रवेश वाला पर्व दिन । -सातम-स्त्री० माघ शुक्ला सप्तमी।
मकियो-पु. १ मक्के अनाज का भुट्टा । २ स्त्रियों के पैरों का
प्राभूषण विशेष । मकरमोयौ-पु० कम घी का चूरमा ।
मकी-देखो 'मक्की'। मकरांण-पु० [फा० मकराना] १ बलूचिस्तान के पास का प्रदेश । २ देखो 'मकरांणौ'।
मकुनौ-देखो 'मुकुनो'। मकराणी-पू०१ बलूचिस्तान के मकरान प्रदेश का निवासी।। मकुर-देखो 'मुकुर'।
२ उक्त प्रदेश का घोड़ा। ३ एक जाति विशेष । -वि०मकूनीरोटी-स्त्री० गेहूँ व चने के आटे के मिश्रण की रोटी। मकराने का, मकराना संबंधी।
| मकोड़ी-स्त्री. चींटी।
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मकोड़ो
मकोड़ो - पु०
१ बड़ा चींटा । २ लोह पर खुदाई करने का श्रीजार । ३ शृंखला, सांकल की कड़ी । ४ प्राभूषणों का कड़ीनुमा एक भाग ।
मकोट, मकोड पु० बड़ा चींटा
मकोय पु० एक प्रकार का सूप
मक्कर - पु० १ गर्व, अभिमान । २ छल, ढोंग, पाखंड |
३ धूर्तता, फरेब । ४ देखो 'मकर' ।
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वि० [प्रति कृपण, महा कंजूस ।
( ३१७ )
होने वाला एक वात रोग ।
2
मक्कार वि० [प्र० ]. १ दुष्ट मीच २ पूर्त बदमाश ३ दगाबाद, कृतघ्न ।
मक्कारी - स्त्री० १ धोखा देने की प्रवृत्ति । २ छल, कपट ।
मक्का सरीफ - पु० [अ०] हजरत मुहम्मद का जन्म स्थान, हज । मक्की स्त्री० [१] मोटे दाने का प्रसिद्ध अनाज २ देखो 'माली' मक्कुन- पु० जांघ का कवच ।
मक्की - पु० [अ० मक्क: ] मक्का सरीफ, हज ।
म (न) - देखो 'माल'
मक्खी देखो 'माथी' ।
मक्खीमार देखो 'माखीमार' । मषदूर-देखो ‘मकदूर' । मद - देखो 'मकरंद' । 'म देखो 'मकर' मक्री- देखो 'मकरी' ।
केत, कंत 'मकरकेत' ।
महूळ-देखो 'मखतूळ' ।
मक्कल पु० [सं०] मल्ल] प्रसव के बाद जच्चा के पेट में मखांणी ० १ तिल, इलायची आदि के दानों पर शक्कर का
लेपन कर बनाई गई मिठाई । २ ताल मचारणा । मखालय - पु० [सं०] यज्ञशाला । मखिआरो- पु० [सं० मक्षिका प्रावरण] घोड़े या बैलों के मुख पर शोभा के लिये बांधी जाने वाली झल्लरी, तिल्हारी।
मखनाथ पु० [सं०] विष्णु मनी वि० मस्त (वात)
मखत्राता- पु० [सं०] १ यज्ञ रक्षक । २ श्रीरामचन्द्र । माघूम - वि० [अ०] ( स्त्री० मखदूमा) १ जिसकी सेवा मा खिदमत की जाय । २ मालिक, स्वामी । ३ पूज्य । - पु० मुसलमानों का एक धर्माधिकारी मखदोखी (सी, धेखी, घेसी ) - पु० [सं० मखदोषिन् ] १ राक्षस असुर । २ शिव का नामान्तर । मखन-देखो 'मायण'।
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मखमल - पु० [प०] मुलायम व चिकमा वस्त्र विशेष मखमली - वि० [अ०] १ मखमल का बना । २ मखमल जैसा नर्म वः चिकना ।
मणक
मखरक्षक - पु० यज्ञ की रक्षा करने वाला ऋषि या व्यक्ति । मखसाळा - स्त्री० [सं० मख शाला ] यज्ञ शाला । मसूद-देखो 'मसूद' ।
मखिका स्त्री० १ एक प्रकार का धाभूषण २ मक्षिका मखी- देखो 'माखी' ।
मख पु० [सं० मधुक] १ मधु, शहद । २ मख, यज्ञ ।
मग पु० [सं० मग ] १ मगध देश । २ मगधदेश का निवासी । ३ शाकद्विपीय ब्राह्मणों का एक वर्ग । ४ देखो 'मारग' । ५ देखो 'मूंग' |
मक्षिका- स्त्री० [सं०] १२ मधुमक्खी। मक्सी पु० १ एक रंग विशेष का घोड़ा । २ प्रयाम घोड़ा । म० [सं०] [१] पक्ष २ देखो 'माथी'
मगज पु० [० मग्ज] १ मस्तिष्क, दिमाग की गिरी, गूदा ३ गयं दबा । ५ देखो 'मगद' । लबार । - चट्टी - स्त्री० बकवास ।
० पैर घसीट कर चलने वाला घोड़ा । मखरण- देखो 'मायण'।
मगजपच्ची, मगजमारी स्त्री० किसी कार्य में व्यर्थ दिमाग लगाने
मखणी - पु० एक प्रकार की घास ।
की क्रिया, दिमागीश्रम ।
,
मखतूळ - पु० [सं० महतूल ] काला रेशम । मगजाई - स्त्री ० १ गवं प्रभिमान । २ गौरव । मखतूळी- वि० काले रेशम का बना । स्त्री० एक सुगंधदार मगजी स्त्री० [अ० मग्ज ] १ गवं धास विशेष ।
किनार
मलेना स्वी० दलों की धांधों पर बाँधने की चमड़े की पट्टी मलेस पु० [सं० मवेश] राजसूय यज्ञ ।
मखोळ (ल), मखौळ (ल) - स्त्री० हंसी ठिठोली, हास्यास्पद
बात, हास्य व्यंग |
मखोलियो - वि० मखौल करने वाला, मसखरा ।
२ फल के अन्दर
प्रभिमान ४ रोब, प्रभाव, दब-चट - वि० बातूनी | बकवादी ।
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अभिमान । २ वस्त्र की
मग पु० ढोल का एक उपकरण ।
मगरण - पु० [सं०] छन्द शास्त्र का एक गण, sss मगत; मगती - ० भिखारी, वाचक-जरा-पु० वाचकगण । मग कि०वि० लड़खड़ाता हुआ बोलता हुआ
मगव - पु० १ मंदे में घी, शक्कर डाल कर सेक कर, बनाया जाने वाला खाद्य पदार्थ । २ देखो 'मगध' ।
मावळ (०१ उड़द या मूंग के घाटे में पी-शक्कर मिठा कर भूनकर बनाया जाने वाला पदार्थ । २ मगद ।
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मगदूर
(
३१८
)
महोड़
मगदूर-देखो 'मकदूर'।
विहीन । ७ क्षीण । ८ प्रभावहीन ।। मगध-पु० [सं०] १ दक्षिणी बिहार प्रदेश का प्राचीन नाम । | मगह-देखो 'मगध' । -पति='मगधपति' ।
२ देखो 'मगद'। -पति-पु० मगध का राजा । जरासंध । | मगहर-पु० [सं० मृगहर] १ वायु, पवन । २ देखो 'मगध' । मगधवरणसर-पु. एक प्रकार का प्राभूषण ।
मगाड़णो. (बो), मगाणी (बी), मगावणो (बौ)-देखो - मगधारण-स्त्री० मूर्खता।।
___ 'मंगाणो' (बौ)। मगधेस, मगधस्वर-पु० [सं० मगधेश, मगधेश्वर] एक प्रकार | मगीमां-पु. एक प्रकार का वस्त्र । का प्राभूषण।
मगेज-देखो 'मंगेज। मगन-देखो 'मग्न'।
मगेरणी-देखो 'बारणो'। मगनता-स्त्री०१ प्रसन्नता, हर्ष, खुशी । २ तल्लीनता, एकाग्रता | मगेहर-१ देखो 'मगहर' । २ देखो 'मघा'। ३ देखो 'मगध' । ३ मस्ती।
मग्ग, मग्गड़, मग्गड़ो-देखो 'मारग' । मगर-पू० [सं० मकर] १ घड़ियाल । २ मछली । ३ पीठ । मग्गज-देखो 'मगज'।
४ करील वृक्ष का पुष्प । -वि०पूर्ण पूरा । -अव्य. लेकिन, मग्गारणो (बी)-देखो 'मंगाणो' (बी)। परन्तु।
मग्गि-देखो 'मारग'। मगरघर-पु० [सं० मकर गह] सागर, समुद्र ।
मग्दूर-देखो 'मकदूर'। मगरपचीस (पच्चीस)-वि० भरपूर जवान, पूर्ण युवा। मग्न-वि० [सं०] १ किसी कार्य में लीन, निमग्न । २ भाव मगरपचीसी (पच्चीसी)-स्त्री० पूर्ण जवानी, पूर्ण युवावस्था | विभोर । ३ प्रानन्द या सुख में डूबा हमा। ४ एकाग्रचित्त । मगरबी-वि० [अ० मगरिबी] पश्चिम का. पश्चिमी। -स्त्री० | मघ-१ देखो 'मघा' । २ देखो 'मारग' । ३ देखो 'मघवा' ।
१ एक विशेष बनावट की तलवार । २ देखो 'मगरेब'। | मघइ, मघई-वि० [सं० मगध] मगध देश का। -पु. एक प्रकार मगरमच्छ-पु० [सं० मकर+मत्स्य] मगर नामक जल जंतु ।
का तांबूल । मगरि-१ देखो 'मगर'। २ देखो मगरी।
मघबांण, मघवान, मघवांन, मघव, मघवाण, मघाणी, मघवान, मगरिब-पु० [४०] पश्चिम दिशा। ..
मघवा-पु० [सं० मघवन्] (स्त्री० मघवाणी) इन्द्र का मगरियो-पु. १ कृषक स्त्रियों का एक लोक गीत । २ गांव
नामान्तर। या कस्बे का कोई मेला। ३ वह स्थान जहां मेला लगता हो । ४ देखो 'मगरौ'। ५ देखो 'मगर'।
मघवापुर-पु० [सं०] इन्द्रलोक, सुरलोक । मगरी-देखो 'मगरौं'।
मघवारिपु-पु० [सं०] मेघनाद । मगरूर-वि० [अ०] १ गर्वयां अहंकार युक्त, गर्वीला । २ वीर, मघवाह-पु० [सं० मघः] १ मानव सृष्टि के मूल पुरुष, मनु । जोशीला।
२ देखो 'मघवा'। मगरूरी-स्त्री. १ गर्व, अहंकार । २ जोश, जोरावरी।
मघा-स्त्री० [सं०] सत्ताईश नक्षत्रों में से एक । मगरेब-स्त्री. १ एक विशेष प्रकार की तलवार । २ तलवार ।
मधाभव-पु० [सं०] शुक्र ग्रह का नामान्तर। मगरौ-पु० [सं० मर्कर] १ पर्वत, पहाड़ । २ कंकरीली धूल का टीबा । ३ कंकरीली, कठोर व ऊंची भूमि । ४ देखो मगर'।
मघोनी-स्त्री० इन्द्र की पत्नी, शचि ।। मगवन-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
मड़क-स्त्री. १ मुड़ना क्रिया, मोड़ । २ गर्व, अभिमान । मगवान-देखो 'मघबा'।
मड़कल-वि०१ क्षीण-काय, दुर्बल, कृशकाय । २ निर्बल, अशक्त। मगवाणी (बी)-देखो 'मंगाणी' (बी)।
मड़तंग-पु. १ सारंगी का भाग जहां सभी तार साथ बंधे रहते मगविवसांनु-पु० [सं० मार्गविवस्वत्] प्राकाश ।
___ हैं। २ देखो 'मरतंग'। मगस-पु. शाकद्विपीय ब्राह्मणों के चार वर्षों में से एक ।
मड़हट (6)-देखो 'मरघट'। मगसर-देखो 'मिगसर'। मगससि-पु० [सं० मार्ग-शशि] आकाश ।
मड़ाघाट-पु० [सं० मृतः -घट्ट] नदी किनारे का मुरदाघाट, मगसिर, मगसीर-देखो 'मिगसर' ।
जल दाग देने का स्थान । मगसुर-पु० [सं० सुर-मागं] प्राकाश ।
मडियल, मड़ियो-देखो 'मड़कल'। मगसौ-वि० (स्त्री. मगसी) १ कान्तिहीन, निष्प्रभ । २ धीमा | मड़े ठो-देखो 'मरहठो' ।
मंद । ३ फीका, घुधला । ४ हल्का । ५ मलिन । ६ तेजो- मड़ोड़, मढ़ोड़ी-देखो 'मरोड़'।।
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मड़ो
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(
३१९ )
Reen (a), मचमचाणी ( बौ) - क्रि० १ जागृत होना । २ लालायित होना । ३ होना, कामातुर होना । ४ देखो 'मचरणों' मचमबाट मचपाहट मचमची स्त्री० [१] मस्ती ३ धातुराई व्यकुलता ।
मचकरणी (बौ) - क्रि० १ प्राघात या बोझ से झुकना, दवना । २ लचकना, भूलना । ३ धक्के या प्राघात से हिलनाडुलना । ४ अडिग न रहना, डिग जाना, डौलना । मचकाणी (बी) मबकावली (बो) कि० १ प्रहार करना, प्राचा करना, मारना । २ झूले में झटका लगाना । झोंके देना । झुलाना । ३ खाना, भोजन करना । ४ मसलना, मलना ।
५ सभोग या मैथुन करना देना । ७ तेज चलाना,
६ पीछे हटाना, घडिंग न रहने गति देना । ८ व्यर्थ फिराना,
मड़ी - वि०
[सं० मृत] १ मरा हुआ मृत २ न क्षीण - काय । ३ प्रशक्त, निर्बल पु० शत्र, लाश । मयंक देखो 'सबक' । मचकद (ध) - देखो 'मुचुकु ंद' । मचकंदी - वि० हृष्ट-पुष्ट, उन्मत्त । मच पु० १ पुष्टता, सुडौलता र शक्ति बल ३ मस्ती, उन्माद - क्रि० वि० शीघ्रता से, जल्दी से ।
(ब) ० १ व्याकुल होना, धातुर होना २ बच्चे श्रादि का हठ करना जिद्द करना । ३ रूठना । ४ इन्कार करना, मना करना । ५ चलना । ६ विचलित होना ।
मचक-स्त्री० १ मचकना क्रिया या भाव। २ लचक, दबाव मचळांण, मचळाट स्त्री० १ मन की घबराहट । २ बू, गंध, ३ मोच ।
चलाना ।
मचकुद - देखो 'मुचुकुंद' ।
मचकूर पु० १ विशेषतः लिखित विवरण । २ वृत्तान्त, हाल ।
-
विवरण ३ सलाह, मंत्रणा, मशविरा ४ फौज, सेना
।
५ चर्चा, जिक्र ६ वार्त्तालाप, बात । ७ सूचना, खबर । पराजित करना राना २ कुछ
० खाना, भोजन करना । मचकोळणी (at) - क्रि० मुखाकृति बिगाड़ना बुरी मुद्रा बनाना । Hast - पु० १ झोंका, झटका, धक्का २ टक्कर प्राघात । ३ चापलूसी का कार्यं । ४ रति क्रिया के समय का धक्का । मचक्क देखो 'मनक
मचक्की (बी) देखो 'मी' (बी)
देव
·
मची ( ब ) - क्रि० १ होना, घटना । २ सहसा जोर से शुरू होना (धावाज धादि ) ३ प्रारंभ होना शुरू होना । ४ चारों ओर फैलना, व्याप्त होना । ५ पुष्ट होना, मोटा ताजा होना । ६ प्रबल होना, उग्र होना । ७ मस्ती में प्राना । जमना, अधिकार पूर्ण कार्य करना । ६
अनुचित हरकतें
करना ।
इच्छा या लालसा रति भाव जागृत
(बी) ।
२ कामातुरता
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मच्छ
मचरको पु० १ दबाव व धक्के से पाने वाली भारी वस्तु की रगड । २ बोझ का दबाव | ३ घर्षण ।
मचळ, मचळण - स्त्री० १ मन की घबराहट । २ उबकाई । ३ देखो 'मचळांरण' । ४ विचलन । ५ देखो 'मचळी' ।
बदबू ३ उबकाई ।
मचळी - स्त्री० उबकाई, के, वमन । मचली - स्त्री० छोटी खाट, खटिया ।
मचली वि० १ जो उबकाई पैदा करे, गंदा, अरुचिकर । २ श्रम्लयुक्त ।
मांग, मचान ० [सं० मंच] खेत की रखवाली या शिकार के लिये पेड़ पर बैठने के लिये बनाया गया स्थान । वाली (बी) क्रि० १ धारंभ करना जारी करना २ करना, (at) - । मचाना। ३ सहसा जोर से कुछ करना। ४ चारों प्रोर फैलाना, व्याप्त करना । ५ जोर पकड़ाना, तेज करना ।
६ पुष्ट या मोटा-ताजा करना । ७ प्रबल या उग्र बनाना ८ मस्ती में लाना ९ अनुचित हरकतें करना, धनीति
करना ।
मचामच क्रि० वि० सहसा दबादब
चावल (बी) देखो 'मवाली' (बी)। मड़ी पु० जोर, ताकत ।
मचोळ- स्त्री० १ लहर, तरंग, हिलौर। २ धक्का, झटका, भोला । ३ देखो 'मचोळो' ।
मोळी (बी० १ विलोड़ित करना, मचना २ विध्वंस
करना, तहस-नहस करना । ३ भूले को धक्का लगाना। डोलाना । ४ भोजन करना, चबाना । मचोळी-५०१ झूले को लगाया जाने वाला भटका, धक्का २ टक्कर । ३ मोट की लाव खींच कर चलने के स्थान का अंतिम शिरा । ४ मस्ती का झोंका, मस्ती | मच्च- देखो 'मच' ।
मच्चक- देखो 'मचक' ।
मच्चकरणों (बौ) - देखो 'मचकणी' (बी) । मच्चरणौ (बी) - देखो 'मचरणी' (बो) ।
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मच्चु - देखो ' म्रुत्यु' ।
मच्छ-पु० [सं० मत्स्य ] १ बड़ी मछली । २ ग्राह, मकर ।
३ दोहे का एक भेद । ४ छप्पय छन्द का एक भेद । ५ मत्स्य के धाकार की हस्त रेखाएँ । ६ देखो 'मत्स्य' । - वि० १ प्रबल, शक्तिशाली । २ देखो 'माछर' ।
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मच्छ असवारी
( ३२० ।
मजबूर
मच्छ असवारी-पु. कामदेव, मदन ।
मछरमाण-देखो ‘मच्छरमाण' । मच्छदेश-पु. [सं० मत्स्यदेश] भारत के एक प्रदेश का प्राचीन मछरां-स्त्री० प्रानन्द, मौज, मस्ती। नाम, विराट देश।
मछराळ, मछराळी-वि० (स्त्री० मछराळी) १ वीर, बहादुर । मच्छर-१ देखो 'मछर' । २ देखो 'माछर'।
२ गर्वीला, अभिमानी। ३ कोप करने वाला, क्रोधी। मच्छरमाण-पु. गर्व-हरण करने वाला।
४ योद्धा । ५ तेज, द्रुतगामी । मच्छराळ, मच्छराळो-देखो 'मछराळ' ।
मछरि, मछरी-१ देखो 'मछर' । २ देखो 'माछर'। मच्छरि-१ देखो 'माछर । २ देखो 'मछर'।
मछरूप-देखो 'मच्छरूप'। मच्छरियो-१ देखो 'मछरीक' । २ देखो 'माछर'।
मछरत-पु० जबरदस्त, जोरदार, शक्तिशाली। मच्छरी-१ देखो 'मछर'। २ देखो 'माछर'।
मछळांरण, मछळांव, मछळाट-देखो ‘मचळांण' । मच्छरूप-पु० [स० मत्स्य-रूप] मत्स्यावतार ।
मछळी-१ देखो ‘मच्छी'। २ देखो 'मच्छ' । मच्छवेदणी-स्त्रो० [सं० मत्स्य-वेधिना] मछली पकड़ने का कांटा।
मछवा-स्त्री० मछली पकड़ कर बेचने वाली जाति । मच्छावतार-पु० [सं० मत्स्यावतार] विष्णु का एक प्रवतार ।
| मछवी-पु० उक्त जाति का व्यक्ति । मच्छिया-स्त्री० मक्षिका, मक्खी।
मछांचर-पु० [सं० मत्स्यचर] १ छोटे जल जीव । मच्छी-स्त्री० [सं० मत्स्य] १ प्रसिद्ध जल प्राणी, मछली, मीन ।
। २ बगुला, बक । -वि० मछली खाने वाला। २ बांह या भुजा को मांस पेशी। ३ ऐसो मास पेशा का
मछावतार-पु० विष्णु को एक अवतार । पका हमा मांस । ४ मच्छो के आकार का माभूषण। | मछियारी-प. मडवा। ५ स्त्रियों के पैर का प्राभूषण विशेष ।
मछी-देखो ‘मच्छी'। मच्छीकेतु-पु० [सं० मत्स्य केतु] कामदेव ।
मछोपटण-पु. एक प्रकार का वस्त्र । मच्छीमार-पु० मछुप्रा।
मछे दर, मछंद्र-देखो 'मछदर' । मछबर, मछबरनाथ, मछंद्र, मछद्राणी, मछवी-पु० [सं० मत्स्य | मछछी-स्त्री० एक लता विशेष । इन्द्रनौ प्रसिद्ध नाथों में से एक, मत्स्येन्द्रनाथ ।
मछोदरी-स्त्री. मत्स्य के उदर से जन्मी, सत्यवती, मत्स्यगंधा । मछ-पु०१ शक्ति, बल, पराक्रम । २ देखो 'मत्स्य'।
मछोलो- देखो ‘मचोळो'। . मछकरणौ (बो)-देखो ‘मचकरणों' (बी)।
मजकूर-वि० [अ०] १ पहले कहा हुअा, पूर्वोक्त । २ पूर्व मछकारणो (बी), मछकावरणौ (बो)-देखो ‘मचकाणी' (बी)।।
वरिणत । ३ वर्तमान, हाजिर । -पु० १ विवरण। २ चर्चा, मछकूर- देखो 'मचकूर'।
जिक्र । ३ उल्लेख, प्रसंग। ४ वृत्तान्त, हाल, वार्ता। मछगधा-देखो 'मत्स्यगंधा'।
५ सलाह, मंत्रणा। मछगात-वि० बड़े शरीर वाला, महाकाय ।
मजणी (बो)-देखो 'मंजणी' (बी)। मछटथळ-स्त्री० निसाणी छंद का एक भेद ।
मजदूर-पु० १ श्रमिक । २ बोझा ढोकर वृत्ति कमाने वाला मछपति-पु० [सं० मत्स्यपति] वरुण देव ।
व्यक्ति। मछपळ-पु० [सं० मत्स्य पाल] समुद्र ।
मजदूरी-स्त्री० १ श्रमिक की वृत्ति । २ बोझा प्रादि ढोकर की मछबारस-स्त्री० [सं० मत्स्य+द्वादशी] अगहन के शुक्ल पक्ष
जाने वाली वृत्ति । ___ की द्वादशी।
मजनू-पु. लैला नामक नायिका का प्रेमी। -वि० किसी के
प्रेम में पागल, प्रेमोन्मत्त । मछर-पु० [सं० मत्सर] १ गर्व, अभिमान । २ प्रोज, तेज। - ३ जोश, साहस । ४ शौर्य, पराक्रम । ५ क्रोध, कोप, गुस्सा।
मजब-देखो 'मजहब'। - शत्रुता । ७ डाह, ईर्ष्या । ६ मलिनता, कलुषता।
मचबी-देखो 'मजहबी'। ९ प्रमाद, पालस्य । १० देखो 'माछर'।
मजबूत-वि० [अ०] १ दृढ़, ठोस । २ जो प्रासानी से न टूटे । मछरगुर-वि० [सं० मत्सर+गुरु] १ वीर शिरोमणि । २ महा ३ जिसे नष्ट करना आसान न हो। ४ सबल, बलवान । अभिमानी, गर्वीला।
५ अटल, स्थिर । ६ स्थायी। मछरणो (बी)-क्रि० १ गर्व करना, अभिमान करना । २ कोप | मजबूती-स्त्री० [अ०] १ दृढ़ता, ठोसता । २ सबलता । करना, क्रोध करना । ३ बालस्य करना, प्रमाद दिखाना ।
३ अटलता, स्थिरता। ४ स्थायित्व । ५ शक्ति, बल । ४ मानन्द करना।
| मजबूर-वि० [१०] विवश, लाचार ।
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मजबूरी
( ३२१ )
मझालो
मजबूरी-स्त्री० [अ०] विवशता, लाचारी।
मजेज-क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत । मजमून-पु० [अ०] १ ढांचा, खाखा । २ इबारत, डौल । | मजेदार-वि० [फा० मजःदार] १ स्वादिष्ट, जायकेदार ।
३ लेख्य विवरण, लिखावट । ४ लिखने योग्य बातें, २ जिसमें मजा, मस्ती या मौज प्राती है। प्रानन्ददायक । विषय । ५ प्रारूप ।
३ चश्केदार । ४ विशेष, असाधारण । मजमौ-पु० [अ० मजमः] १ भीड़, लोगों का समूह। मजेदारी-स्त्री० [फा० मजः दारी] १ स्वाद, जायका । २ भीड़-भाड़ वाला स्थान ।
२ अानन्द, मजा । ३ विशेषता । मजराफ-पु. एक वाद्य विशेष ।
मजरो-क्रि० वि० (स्त्री० मजैरी) अच्छी तरह, सुविधापूर्वक, मजल-देखो 'मंजिल'।
संतोष पूर्वक । -वि० सुविधा जनक, संतोषप्रद । मजलस, मजलिस-स्त्री० [अ० मजलिस] १ सभा, बैठक । मजौ-पु० [फा० मजः] १ किसी कार्य या बात का आनन्द, मजा,
२ गोष्ठी । ३ महफिल, नाच-राग-रंग। ४ महफिल वाला मस्ती, मौज । २ स्वाद, जायका, रस,तृप्ति । ३ सुख, चैन, स्थान ।
पाराम । ४ मनोरंजन, हंसी। ५ तमाशा, खेल । ६ सैर । मजलिसी-वि० [अ०] १ महफिल में बैठने वाला। २ सभासद । ७ दंड, सजा, फल । ८ रति सुख । मजलेस-देखो 'मजलिस'।
मज्ज-देखो 'मध्य'। मजहब-पु. [अ०] १ धर्म । २ सम्प्रदाय, पंथ, मत । मज्जण-देखो 'मजण'। ३ धार्मिक दर्शन।
मज्जणी (बी)-क्रि० १ जमीन खोदना, गड्डा करना । मजहबी-वि० [अ०] १ धार्मिक । २ मजहब से संबंधित । । २ देखो ‘मंजणी' (बी)। ३ साम्प्रदायिक ।
मज्जन-देखो 'मंजण'। मजाक (ख)-स्त्री० [अ०] १ हंसी, ठट्ठा, दिल्लगी, हास-परिहास, | मज्जा, मज्जाव-स्त्री० [सं० मज्जा] १ शरीर की हड्डी के मखौल, व्यंग । २ तिरस्कार ।
भीतर का गूदा । २ फलों का गूदा । ३ पौधों के बीच की मजाकियो, मजाकी (खी)-वि० [अ०] हास-परिहास करने
नश । वाला, मनोरंजक ।
मज्जारस-पु० [सं० मज्जा+रस] शुक्र, वीर्य । मजाज-देखो 'मिजाज'।
मज्जीठ-देखो 'मजीठ'। मजार-पु० [अ०] १ कब्रिस्तान, समाधिस्थल । २ कब्र। मजीठो-देखो 'मजीठौं। मजारी- देखो 'मारजार'।
मझ-१ देखो 'मध्य' । २ देखो 'मुझ' । मजाल-स्त्री० [अ०] १ शक्ति, सामर्थ्य । २ हौसला, हिम्मत । मज्झलो-१ देखो 'मझलो' । २ देखो मध्य' । मजासणी-पु० [सं० मसि-आसनम्] स्याहि रखने का पात्र, दवात मज्झारी-क्रि० वि० मध्य में । मजाह-देखो 'मध्य'।
मजिम, मज्झिमझि, मझे-१ देखो 'मध्य' । २ देखो 'मध्ये' । मजीठ-स्त्री० [सं० मजिष्ठा] १ एक लता विशेष के सूखे डंठल
मझ-१ देखो 'मध्य' । २ देखो 'मुझ'। जो रंगाई व वैद्यक में काम पाते हैं। २ लाल रंग का घोड़ा।
मझताळी-पु० महादेव । ३ लाल रंग ।
मझधार-स्त्री० १ जल प्रवाह या नदी का मध्य भाग । २ चालू मजीठड, मजीठियो, मजीठौ- वि० [सं० मजिष्ठा] १ 'मजीठ' |
कार्य की मध्य व कठिन स्थिति । ३ मसहाय अवस्था। के रंग का, लाल । २ मजीठ से रंगा हुआ। -पु० इस रंग | का वस्त्र।
मझम-देखो 'मध्यम'। मजीठी-वि० [सं० मजिष्ठा] १ मजीठ का, मजीठ संबंधी। | मझमान-देखो 'मिजमान'। २ लाल । ३ देखो 'मजीठ' ।
मझमांनी-देखो 'मिजमांनी'। मजीत, मजीद-देखो 'मसजिद' ।
मझलोक-पु० [सं० मध्यलोक] सुमेरु पर्वत के मध्य ऊंचाई पर मजीर-देखो 'मंजीर'।
स्थित एक लोक। मजुर-देखो 'मजदूर।
मझलो-वि० [सं० मध्य] (स्त्री० मझली) बीच का, मध्य का । मजूरड़ी-देखो 'मजदूरी' ।
मझा-देखो 'मध्य'। मजूरड़ो, मजूरियो-देखो 'मजदूर' । मजुरी-देखो 'मजदूरी'।
मझार, मझारि, मझार-देखो 'मध्य'। मजुस, मजुसौ-देखो 'मंजूसो' ।
मसालो-देखो 'मझलो'।
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मशि
( ३२२ )
मठार
मझि, मझिलो, मझी-देखो 'मध्य'।
मटियामेट-वि० नष्ट, ध्वस्त, तहस-नहस । मझे, मझेण, मश-१ देखो 'मध्य' । २ देखो 'मध्ये'। मटियाळ, मटियाळी-स्त्री० चिकनी व भूरी मिट्टी।-वि० खाखी, मझ्यांन-पृ० [सं०मध्याह्न] दोपहर का समय, दिन का मध्यभाग। मटमैला । मटंब-स्त्री. वह बस्ती जिसके पास-पास पांच मील तक कोई | मटियाळी-वि० (स्त्री० मटियाळी) १ चिकनी या भूरी मिट्टी बस्ती न हो।
वाला । २ खाखी, मटमैला। मट-१ देखो 'मटको' । २ देखो 'मठ' । ३ देखो 'मंढ'। मटियौनीलो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। मटक-स्त्री०१ चाल,गति । २ चलने का विशेष ढग । ३ नाज, मटु, मड़ी-स्त्री० हाथ को तीसरी अंगुली, अनामिका । नखरा । ४ गर्व, अभिमान । ५ प्रांख की एक मुद्रा।
-वि० प्रिय। मटकरणो (बी)-क्रि० [सं० मठ] १ विशेष ढंग या प्रदा से | मटुकनाथ-पु. एक तीर्थ स्थान ।
चलना । २ नाज-नखरे बताना । ३ प्रांख की विशेष मुद्रा | मटोटपो (बी)-देखो 'मठोठणो' (बी)। बनना । ४ गर्व करना, ऐंठना।
मट्ट-१ देखो 'माट' । २ देखो 'मटको' । ३ देखो 'मठ' । मटकारणौ (बी)-क्रि० [सं० मठ] १ चलते समय कमर को | मट्रिया, मट्री-देखो 'माटी'।
विशेष ढंग से हिलाना । २ शरीर के किसी अंग या आंखों | मटो- देखो 'माटोटेखो ' टेडो : से नखरे दिखाना, अदाएं बताना। ३. गर्व या ऐंठन दिखाना। मट्ठ-१ देखो 'मठ' । २ देखो 'मट्ठौं। ४ खाना, निगलना।
मट्ठी-पु० दही को मथकर मक्खन निकाल लेने के बाद बनने मटकार-पु० [सं० मुष्ठिका-प्राकार] १ मुट्ठी के आकार का वाली छाछ तक। -वि० कृपण कंजूस । काचर, बड़ा काचर । २ देखो 'मटक' ।
मठ-पु० [सं० मठ] १ दशनामी साधुओं का गुरुद्वारा । मटकारणो(बो)-देखो 'मटकाणो' (बो)।
२ दशनामी साधुनों का निवास स्थान । ३ प्राचीन का काल मटकाळी-वि० (स्त्री० मटकाळी) अंग मटकाने वाला, नखरे |
में विद्यार्जन या ज्ञानार्जन का केन्द्र, पाश्रम । ५ देवी का बाज।
मंदिर। ६ गर्व, अभिमान । ७ तनाव, खिंचाव,ऐंठन । मटकावरणौ (बो)-देखो 'मटकारणो' (बी)।
८ छवि, शोभा। ९ आनन्द, सुख । १० मोज, मस्ती, मटकी-स्त्री० [सं० मार्तिकी] १ मिट्टी का जल-पात्र, चौड़े मुह मजा। ११ महत्व । १२ ऊंचा व लंबा टीला ।- वि.
का घड़ा, घटक । २ एक प्रकार का लोक नृत्य । ३ एक कृपण, कंजूस । वाद्य विशेष ।
मठठ-देखो 'मठोठ'। मटकीलो-देखो 'मटकाळी' (स्त्री० मटकीली)।
मठणी (बी)-क्रि० १ मथा जाना,मथना । २ देखो मठाणी' (बौ) मटको-पु० [सं०मातिक]१ मिट्टी का बड़ा व चौड़े मुंह का जल- | मठधारी, मठपति-पु० [सं०] १ दशनामी संन्यासी के गुरु द्वारे पात्र, बड़ा घड़ा । [सं०मटः स्फटि] २ नाज, नखरा,प्रदा।
___का महन्त । २ मठ का अधिष्ठाता । ३ प्राचार्य गद्दी का मटखोरी-पु. एक प्रकार का हाथी।
- अधिकारी। मटणी (बो)-देखो 'मिटणी' (बी)।
| मठमठौ-वि० (स्त्री० मठमठी) १ कृपण, कजूस । २ जो अधिक मटमेलो-वि० मिट्टी जैसे रंग वाला।
सख्त या अधिक मुलायम न हो। मटर-पु० १ चने से कुछ बड़ा, गोल दाने वाला द्विदल अन्न । | मठर-पू० १ हठ, जिद्द । २ देखो ‘मटर'। २ उक्त अन्न का पौधा ।
मठरी (लो)-स्त्री० पुड़ो की तरह बनी मैदे की पपड़ी। मटरको-पु० नाज, नखरा, प्रदा।
मठसेडी (सेढी)-स्त्री० कठोर स्तनों वाली गाय या भैस । मटरगस्त, मटरगस्ती-स्त्री० १ धीरे-धीरे घूमना। २ व्यर्थ मठाठ-देखो 'मठोठ'। भटकना।
मठारणी (बी)-क्रि० १ प्राटे को गूदना। २ मथ कर गाढ़ा मटरमाला-स्त्री० मटर के दाने जैसे मणिकानों की माला । करना । ३ अच्छा बनाने की कोशिश करना । मटली-देखो 'मट की।
मठाधीस-देखो 'मठधारी' । मटल्लौ-देखो 'मटको'।
मठारणी (बौ), मठावरणौ (बी)-क्रि०१ लोहे की चद्दर या पत्तरों मटवी-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
को 'मठरना' नामक प्रौजार से पीटना । २ पत्तरों को मटाणो (बी)-१ देखो 'मिटाणी' (बी)। २ देखो 'मठाणी'(बी)। पीटकर गोलाकार बनाना । ३ माटे या मैदे आदि को मटि-देखो 'माटै'।
हाथों से गूदना । ४ किसी वस्तु को संवारना । ५ बातों का मटिया,मटीया-पु० मटमैला या खाखी रंग। -वि० उक्त रंग का। रंग जमाना । ६ पत्थरों की घड़ाई करना।
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मठोटणी
( ३२३ )
मारिणमाळ
मठोटणी (बी)-देखो 'मठोठणी' (बी)।
मणाळ-देखो 'भुणाळ' । मठोटी-स्त्री. १ मरोड़ने की क्रिया या भाव ऐंठन । २ मरोड़ने मरिण-स्त्री० [सं.] १ बहुमूल्य रत्न, जवाहरात । २ हाथ
से पड़ने वाला बल, ऐंठन । ३ घुमाव-फिराव, चक्कर।। की कलाई । ३ प्राभूषण। ४ घड़ा । ५ योनि का अन ४ मानसिक पीड़ा, व्यथा । ५ पेट दर्द, पेचिश ।
भाग । ६ लिंग का प्रन भाग । ७ विष का प्रभाव मिटाने मठोठ-पु०१ गर्व, अभिमान । २ अकड़, हेकड़ी। ३ स्वाभिमान । वाला पदार्थ विशेष । ८ हथेली पर होने वाला एक
४ कृपणता, कंजूसी । ५ मकानों के स्तंभ के ऊपर लगने सामुद्रिक चिह्न । ९ कुल या परिवार का श्रेष्ठ पुरुष । वाला पत्थर।
१० देखो 'मन' । मठोठणौ (बो)-क्रि० १ खाना, निगलना । २ भक्षण करना। | मरिणप्रार, मणिपारौ-देखो 'मणियारो'।
३ गर्व करना, ऐंठना । ४ कंजूसी करना, कृपणता मणिक-स्त्री० १ घोड़े की चोटी पर होने वाली भंवरी । दिखाना। ५ ऐंठना, घुमाना।
-पु२ मन' वजन का तौल, बाट । मठो, मट्ठौं-१ देखो 'मछौ' । २ देखो 'माठौ' । (स्त्री० मठी) | मरिणकरणिका-पु० सं० मणिकणिका] काशी के पास के मडफ्फर-वि० गवित, गर्वीला ।
पांच मुख्य घाटों में से एक । मडि, मडी-देखो 'मंडी'।
मणिकार-देखो 'मणियारी'। मढ-देखो 'मंढ'।
मणिकूट-पु० [सं०] कामरूप देश के पास का एक पर्वत । मढगोरख-पु. द्वारिका के निकट एक तीर्थ, गोरखमढ़ी। मणिकेतु-पु० [सं०] एक छोटा पुच्छल तारा। मढणौ (बी)-देखो 'मंढरणो' (बी)।
मणिको-पु० चालीस सेर वजन वाला तौल, बाट । मढपति (पत्ती)-देखो 'मठपति' ।
मणिजळ-स्त्री० [सं० जलमणि] बिजली, विद्युत । मढाई-देखो ‘मंडाई'।
मरिणजाळ, मणिजाळक-पु० एक प्राभूषण विशेष । मढारणौ (बो)-देखो मंढारणो' (बौ)।
मणिधर-पु० [सं०] १ काला सर्प जिसके मस्तक में विष मढी-स्त्री० १ छोटा मठ । २ किसी साधु की झोंपड़ी, कुटिया। नाशक मरिण हो । २ सर्प, नाग। -वि. श्रेष्ठ, शिरोमणि । ३ देखो 'मडी'।
मणिनील-स्त्री० नीलमणि । मढुली-देखो 'मंडी'।
मणिपुर, मणिपूरक-पु० योग साधना में माना जाने वाला मढौ-देखो 'मड़ो'।
एक चक्र। मणधर-देखो 'मरिणधर'।
मणिबंध-पु० [सं०] १ हाथ की कलाई । २ पुरुषेन्द्रिय का मरण-पु० १ चालीस सेर का एक तौल । २ सुवृत्त । ३ देखो अन भाग। 'मरिण' । ४ देखो 'मन' ।
मणिबंधन-पु० [सं०] अंगूठी का रत्न जड़ित भाग । मणको-१ देखो 'मरिणको' । २ देखो 'मरिणयो' ।
मरिणबीज-पु० [सं०] अनार का पेड़। मणगयण-पु० [सं० गगनमरिण] सूर्य, रवि ।
मणिभद्र-पु० [सं०] शिव के एक गण का नाम । मणगुत्ती-स्त्री० [सं०मन-गुप्ती] मन के भावों का केन्द्रीकरण ।
मणिभू, मरिणभूमि-स्त्री० [सं०] १ रत्नों की खान । २ हिमालय मणछिउ-वि० [स० मनवांछित] इच्छित, मनवांछित ।
में एक तीर्थ स्थान । ३ रत्न जड़ित प्रांगन । मणणो (बौ)-देखो 'मुणणो' (बौ)।
मणिमडित-वि० [सं०] जिसमें रत्न जड़े हों। मणधर-देखो 'मणिधर'। मणपुग्न-पु० [सं० मनः पुण्य) दान रूप, शील रूप भावि के |
मणिमइ-देखो 'मणिमय'। शुभ भाव ।
मरिणमथ-वि० [सं० मणि-मस्तक] श्रेष्ठ, शिरोमणि । मणमय-देखो 'मणिमय' ।
-पु० सेंधा नमक । मरणरथ-देखो 'मनोरथ'।
मणिमय-वि० मरिणयों से युक्त । -पु. कर्नाटक पद्धति का मसमधि-स्त्री० मन समाधि ।
एक राग। मणहर, मणहारी-देखो 'मनोहर'।
मणिमाळ, मणिमाळा-स्त्री. १ रत्न या मणियों का हार । मणांबंध-क्रि०वि०मनों की तादाद में ।
२ चमक, दीप्ति, प्राभा । ३ रति क्रीड़ा में गाल प्रादि मणा, मणाई-स्त्री० [सं० मनाक्] १ अभाव, कमी ।।
पर होने वाले दांतों के निशान । ४ लक्ष्मी का एक २ चरम सीमा, पराकाष्ठा । ३ मावश्यकता।
नाम । ५ बारह प्रक्षरीय एक छन्द विशेष । ६ एक प्रकार मणारंभ-पु. सागर।
का प्राभूषण।
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मरियड़
मरियाबंध-पु० घोड़ों का एक रोग मणियार, मणियारा - स्त्री० [सं० मणिकार ] १ विसायती का काम करने वाली एक मुसलमान जाति विशेष । २ चूड़ीगर ।
मा- देखो 'मनुज' ।
मक- वि० एक मन के लगभग ।
मरस - पु० चितामणि ।
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मणिय, मणियार, मणियार पु० पश्चिमी राजस्थान का एक मतंगी पु० [सं० मतंगिन्] १ बहुत से हाथियों का स्वामी । प्रदेश | २ हाथी का सवार ३ महावत । ४ मल्ला । मतंगो-देखो 'मतंग' |
मत - पु० [सं०] १ राय, विचार सम्मति । २ सहमति, स्वीकृति । ३ उदाहरण दृष्टान्त | ४ सोच समझ कर निश्चित की गई बात | ५ कोई सिद्धान्त । ६ धार्मिक या दार्शनिक विचारधारा ७ सम्प्रदाय, पथ ८ लोकतंत्र में किसी प्रतिनिधि को चुनने के लिये दिया जाने वाला वोट । अव्य० १ नहीं, ना न २ शायद, संभवतः । ३ देखो मति' । ४ देखो 'मात्रा' । ५ देखो 'मत्त' । मतकुण देखो 'मस्त'।
मतकेमास मतकेवास - वि० १ कुशाग्र बुद्धि । २ अद्वितीय शक्तिशाली 1
मतक्षेत्र पु० [सं०] निर्वाचन क्षेत्र ।
मतगणना- स्त्री० १ जनमत संग्रह । २ वोटों मतदान - पु० [सं०] वोट देने की क्रिया । देने का निर्धारित स्थान ।
मनियारी स्त्री० १ उक्त जाति की स्त्री २ सुई धागा, चूड़ी प्रादि सामान का व्यवसाय ।
मणियारी - पु० [सं० मरिणकार ] १ मणियारा जाति का व्यक्ति । २ सुई, धागा, चूड़ी प्रादि का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति मरिणयो- पु० [सं० मणिक ] १ माला का मनिका दाना । २ गर्दन पर उभरी हुई हड्डी । ३ गर्दन के पीछे की हड्डी । ४ गर्दन, ग्रीवा । ५ रत्न मरिण - वि० चालीस सेर के तौल का ।
,
मणिरागग्यांन - पु० मणियों के रंगों का ज्ञान करने की कला ।
मलिक पु० [सं०] पुष
मनिवास पु० [सं०] रत्न जड़ित वस्त्र । मनिहार, मलिद्वारा देखो 'मणियार'।
मखिहारी- देखो 'मणियारी' । मलिहारी - देखो 'मणियारों' । मणी- देखो 'मणि' । मणीको-देखो 'मणिको' ।
मणीची- देखो 'मळीचौ' ।
बलोचर देखो 'मलियर'।
मणीमाळ, मणीमाळा-देखो 'माळा'।
मनु - देखो 'मन' |
मधु (थ) - देखो 'मनु'
मरण, मयू - सर्व ० १ मुझे, मुझको । २ देखो 'मन' । ३ देखो
'मरण' ४ देखो 'मनुज' ।
महोमय पु० मन के भाव
मनोरम देखो मनोरम' ।
( ३२४ )
मरणोरथ मरणोरह, मणोरहू- देखो 'मनोरथ' ।
मोहर, मरणोहार - देखो 'मनोहर' ।
मतंगज पु० [सं०] हाथी । मतंगरिप, अतंरिपु पु० [सं०] शेर, व्याघ्र ।
एक
मलंग पु० [सं०] १ हाथी २ एक ऋषि का नाम दानव ४ ऐरावत हाथी ५व्याध योनि में गया एक प्राचीन राजा । ६ बिछौनों के कोने पर रखी जाने वाली भारी चीज, मीरफर्स ।
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7
मतवाळड़ो
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की गणना ।
—
- केन्द्र - पु० वोट
मतदाता - पु० १ वोट देने वाला पुरुष या स्त्री । २ जिसे वोट देने का अधिकार हो ।
मतपत्र पु० [सं०] किसी क्षेत्र के उम्मीदवारों के नाम व चुनाव चिह्नों वाला पत्र, बेलेट पेपर ।
मतबाल मतबाळू मतबालु-देखो 'मतवाळी'।
मतभेद - पु० [सं०] १ किसी बात या सिद्धान्त के लिये होने वाली भिन्न विचारधारा । २ परसर विरोधी विचार धारा । मतांतर ।
मतमंद - देखो 'मतिमंद' ।
मतलब, मतलब - पु० [अ० मतलब ] १ अर्थ, प्राशय । २ उद्देश्य, तात्पर्यं । २ स्वार्थ, स्वहित । ३ विचार । ४ भाव । ५ संबंध, वास्ता ।
मतलबियो, मतलबी - वि० [अ० मतलबी ] स्वार्थी, खुदगर्ज । मतवंत-देखो 'मतिवंत' ।
मनवाय देखो 'मथवाथ'
मतवारी-देखो 'मवाली'
1
मतबाळ स्त्री० [१ मस्ती सुमारी २ मजलिस महफिल ३ मदिरापान । ४ किसी उपकरण के दस्ते में मजबूती के लिये लगी पट्टी । ५ मजाक, हंसी । ६ शराब, ७ देखो 'मतवाळी' ।
मदिरा ।
मतवाड़ी, मतवाळी वि० (स्त्री० मतवाली) १ नशे के प्रभाव
में आया हुआ, नशे में चूर । २ मस्त, उन्मत्त । ३ किसी रस या राग में रंगा हुआ । ४ रसिक, रतिप्रियं । -पु० १ दुर्ग या पहाड़ी से लुढ़काया जाने वाला बड़ा पत्थर २ देखो 'मलो' |
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मवाळीलाग
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( ३२५
मतवाळीला पु० किसानों से लिया जाने वाला कर विशेष । मतांतरदेखी मतभेद' |
मतवालो देखो 'मतवाळी'।
मत्तायत वि० १ मदमस्त । २ विचार करने वाला ।
मता - स्त्री० [अ० मतांन] १ लक्ष्मी, धन, दौलत । २ माल, मत्ति, मत्ती १ देखो 'मति' । २ देखो 'मस्ती' । ३ देखो 'मती' |
४ देखो 'मिति' ।
असबाब ।
मतालब - पु० [प्र० मतालिब] मतलब का बहु-वचन ।
मतालवी - पु० जागीरदारों से लिया जाने वाला कर विशेष । मताह- देखो 'मता' ।
मति स्त्री० १ बुद्धि, अक्ल । २ राय, सम्मति । ३ इच्छा, कामना । ४ साहित्य में एक संचारी भाव । ५ देखो 'मती' । ६ देखो 'मिति' । ७ देखो 'मत' ।
मतीर, मतीरड़ौ मतीरौ पु० छोटा हिन्दवानी का फल । मतोही मतीही गो-देखो 'मतिहीए'।
मतिगुर मतिगुरु - वि० तीक्ष्ण व कुशाग्र बुद्धि । प्रतिभावान । मतिघण वि० विद्वान पंडित । प्रतिजीवी वि० १ बुद्धिजीवी २ विवेकी मतिधर, मतिधीर वि० विवेकशील विवेकी मति पु० बुद्धि का ह्रास बुद्धि श मतिम० बुद्धि की भ्रमित धवस्था गलतफहमी मतिमंद - वि० [सं०] बुद्धिहीन, मूर्ख । मतिवत, मतियांन वि० चतुर, बुद्धिमान, विवेकशील मतिवाळी- वि० १ बुद्धिमान २ देखो 'मतवाळी' । मतिसार- वि० बुद्धिमान
मतिही ( होगी हीन) वि० [सं० मतिहीन] बुद्धिहीन, मूर्ख । मती स्त्री० १ विद्यात्मक मध्य ना नहीं मनाही २ देखो 'मति' । ३ देखो 'मिति' ।
।
',
मत देखो 'मत' |
मममर्ती'।
म कि० वि० १ इच्छा से विचार से इरादे से भरोसे में
2
२ उद्देश्य से, श्राशय से । ३ स्वतः ४ हरगिज । ५ लिए, वास्ते । ६ सन्नद्ध, 'मतो' ।
मतोमति प्रव्य० इच्छानुसार, जिसके जैसा जंचे, जिसको जो
अच्छा लगे ।
अपने प्राप । तैयार । ७ देखो
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मत्त - पु० ऋण पत्र पर किये जाने वाले हस्ताक्षर ।
मत देखो 'म' |
1
मतौ यो मत।
मथपरबत
मस्थ - १ देखा मार्थे' । २ देखो 'माथो' ।
मरयम क्रि० वि० १ मचने के लिये मचने को २ देखो
1
'मंथन' ।
मत्थरी (बौ) -- देखो 'मथणी' (बी)
मत्थे - १ देखो 'माथे'। २ देखो 'माथो' ।
मरथेन पु० जैनियों का एक अभिवादन ।
मत्थं, मथो - १ देखो 'मार्थ' । २ देखो 'माथो' ।
मत्य - १ देखो 'मति' । २ देखो 'मत्स्य' ।
मस्स देखो 'मत्स्य' ।
मत्सर - पु० [सं०] १ क्रोध, कोप । २ डाह, ईर्ष्या । ३ गर्व, श्रभिमान ।
महसरता स्त्री० [सं०] क्रोध, ईर्ष्या व ग्रहंकार का भाव । मत्सरी - वि० क्रोध, ईर्ष्या व गर्व करने वाला ।
। ।
मत्सरीता स्त्री० [सं०] संगीत में एक मूर्च्छना का नाम । मत्स्य पु० [सं०] १ मखनी २ज्योतिष की मीन राशि ३ विष्णु का एक अवतार । ४ विराट देश, एक प्रदेश | मत्स्यगंधा - स्त्री० [सं०] कुरुराज शांतनु की दूसरी पत्नी । मरस्यपुराण पु० [सं०] प्रट्ठारह पुराणों में से एक। मत्स्यमुद्रा [स्त्री० [सं०] एक तांत्रिक मुद्रा विशेष । मत्स्यासन पु० [सं०] एक योगासन विशेष ।
-
मत्स्येंद्रनाथ पु० [सं०] गोरखनाथ के गुरु, एक सिद्ध । मत्स्येंद्रासन - पु० [सं०] योग का एक श्रासन । मथ - १ देखो 'माथो' । २ देखो 'मार्थ' ।
मरण ० [सं० मंथन] १ मंचन किया मंचन २ समुद्र ३ देखो 'मथन' |
३ उथल-पुथल करना। ४ नष्ट-भ्रष्ट करना । ५ श्रभ्यास
मथरणी - स्त्री० १ दही मथने का मथ दण्ड । २ देखो 'मथांरणी' । मतौ - पु०१ विचार-विमर्श, परामर्श, सलाह । २ इरादा, विचार । मथरणी (बी) - क्रि० [सं० मंथनम् ] १ मथानी या रई द्वारा ३ निर्णय निश्चय । ४ उद्देश्य, लक्ष्य | दही मथना, बिलौना । २ विलोड़ित करना, मंथन करना । मत्कुण - पु० [सं० मत्कुण] १ खटमल । २ मच्छर । ३ पांच वर्षों का हावी ४ बिना दांतों का हाथी ५ छोटा हाथी मत्त - वि० [सं०] १ मस्त, मतवाला । २ उन्मत्त, मदोन्मत्त । पु० १ हाथी का मद २ देखो 'मात्रा' देखो'मान'। मत्तगयंद पु० [सं०] १ सर्ववाद का एक भेद २ मस्त हाथो ।
करना ।
1
I
मतभाव - पु० [सं०] मस्ती, उन्मत्तता ।
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मथदंड - पु० [सं०] दही मथने का उपकरण ।
मचन पु० [सं०] १ एक वृक्ष विशेष २ छा, मट्ठा तक ३ दही, दधि । ४ प्राचीन काल का एक अस्त्र । ५ देखो 'मंथन' | मथपरबत पु० मंदराचल पर्वत ।
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अथरा
३२६ )
मदन
मथरा-देखो 'मथुरा।
माथे से झरने वाला रस । ९ मदिरा, शराब। १० मधुमथवाय-पु० [सं० मस्तवात] शिर की पीड़ा, शिरशूल ।
शहद । ११ कस्तूरी । १२ वृक्षों से झरने बाला रस । मथवाळ-पु. स्त्रियों के शिर के टूटे बाल ।
१३ वीर्य । १४ कामदेव, मदन । १५ एक दानव । मथवाह-पु० महावत।
१६ एक अन्य दानव । १७ छप्पय छंद का एक भेद । मथाण-पु. १ झुण्ड, समूह, दल । २ नाश, ध्वंस । ३ बड़ा | १८ एक वर्ण वृत्त विशेष । १९ मस्त हाथी। २० खाता या
शहर, नगर । ४ सागर । ५ देखो 'मंथांण' । ६ देखो खाते का विभाग, लेखा । २१ बही में खींचने की एक 'माणी'। -वि. जो मथा गया ।
लकीर । २२ कार्यालय, विभाग या शाखा। २३ किसी मारणा-पु. एक छन्द विशेष ।।
विभाग के व्यय या प्राय का निर्धारित शीर्षक या राशि । मयांणी, मानी-स्त्री० [सं० मंथनम्] १ दही मथने का पात्र ।। -वि० काला, श्याम । -अंध = 'मदांध' । २ देखो 'मंथणी'।
मदउत्कट-पु० [सं०] मम्त हाथी । -वि० १ नशे में चूर। मथारणी (बो)-क्रि० मंथन कराना, मथाना ।
२ अहंकारी। ३ कामुक । मथारी-स्त्री० १ कटीली झाड़ियों का छोटा ढेर । २ 'सीवण' | मदकंध पु० [सं० मद+स्कंध] १ ऐगवत हाथी। २ हाथी। घास का देर।
मवक-पु० १ अफीम के सार की बनी मादक वस्तु । २ सांड । मथारौ-पु० १ बीच का सब से ऊंचा स्थान, शिखर । मदकर-वि० मद वर्द्धक, नणीला।
२ चर्मोत्कर्ष, चर्म बिन्दु । ३ ऊपरी शिरा या चोटी। मदकरण-पु. हाथी। -वि० मस्त, मतवाला। ४ उद्गम स्थान । ५ अंतिम मंजिल । ६ किसी वंश का मदकळ-वि० [सं०] १ मस्त, उन्मत्त । २ अस्पष्ट बोलने वाला। प्रादि पुरुष । ७ अंत, छोर, सीमा । ८ पूर्वजों का ३ धीरे-धीरे प्रेमालाप करने वाला । ४ मदमाता, मदोन्मत्त । उद्गम स्थल ।
५ मंद, मधुर । -पु. १ मस्त हाथी । २ दोहे छन्द का एक मजावटी-स्त्री. १ शिर का ऊपरी भाग। २ शिर । ३ ऊपर भेद । ३ आर्या गीति का एक भेद । का भाग।
मवगंध-देखो 'मदकंध'। मथासरौ-देखो 'माथास रौ'।
मदगंधा-स्त्री० [सं०] १ मदिरा, शराब । २ भांग । मथित-वि० मथा हुना, विलोड़ित । -पु० दही।
मदगर मदगळ-देखो मदकल'। मथिति-स्त्री० [सं० मथित] छाछ, मट्ठा ।
मदगळत-वि० मदमत्त, मस्त । मथियळ-पु० सागर, समुद्र ।
मदगळित-वि० मदच्युत । मथिला-देखो 'मिथिला'।
मदगू-पु० जलकाग। मथी-स्त्री० [सं०] दही मथने का दण्ड, रई।
मदग्गळ-देखो 'मदकल'। मथीत-देखो 'मथित'।
मदडो-देखो 'मद'। मथुरा, मथुरी-स्त्री० उत्तर भारत की एक नगरी
मबछकियो-वि० मद या नशे में चूर, मदमस्त । मथेण, मधेरण-पु० विवाहित जैन यति ।
मदछोक-स्त्री० मदिरा का प्याला । मर्थ-देखो 'माथ'।
मदजीवरण-पु० मदिरा का व्यवसाय करने वाला, कलाल । मयोग-पु० कलंक, धब्बा, दाग।
मदज्झर, मदझड़, मदझर-वि० जिसके मद साव होता हो। मथ्य, मचई-१ देखो 'माथी' । २ देखो 'मार्थ' ।
-पु० १ हाथी। २ ऊंट । ३ शेर । मथ्थरणो (बी)-देखो 'मथरणो' (बी)।
मदत (नि, ती) मदत्तिय-देखो 'मदद'। -कार-'मददगार'। मथ्र्थ-देखो 'माथे, माथै'।
मदद-स्त्री० [अ०] १ सहायता, सहयोग। २ सहारा, प्राश्रय । मदंती-स्त्री० [सं०] विकृत धैवत की चार श्रुतियों में से | -गार, गारौ-वि० सहायता करने वाला । सहारा देने दूसरी श्रुति का नाम ।
वाला। मदंद, मदध-देखो ‘मदांध'।
मदधर (धारी)-पु० हाथी, ऊंट, शेर । मदन-देखो 'मदन'।
मदन-पु० [सं०] १ कामदेव। २ वसंत । ३ धतुरा । ४ रति मव-पु० [सं०] १ मादक पदार्थों के सेवन से होने वाला प्रभाव, क्रीड़ा, संभोग । ५ कामेच्छा । ६ भौंरा । ७ मैना पक्षी।
नशा, खुमारी । २ अहंकार, गर्व । ३ मिथ्याभिमान । ८ मौलसिरी। ९ उड़द । १० ज्योतिष में जन्म से सातवें ४ कामोत्तेजना । ५ उन्मत्तावस्था, पागलपन । ६ हर्ष, __ गृह का नाम । ११ डिंगल का एक छंद । १२ छप्पय छन्द भानन्द । ७ जोश, आवेग, उत्तेजना। हाथी, ऊंट आदि के | का एक भेद । १३ प्रार्या गीति का एक भेद ।
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मपनकटक
मवारी
मदनकंटक-पु० [सं०] साहित्य में सत्विक रोमांच ।
मदपप्रसरण-पु. शराब के दौर के साथ खाया जाने वाला पदार्थ । मदनक-पु. १ मदन-वृक्ष, मैन फल । २ मौलसिरी ।। मदपटाधर-पु० हाथी, ऊंट । -वि० मदमत्त, मस्त । ३ धतूरा। ४ एक वर्ण वृत्त विशेष ।
मदपती-वि० १ शराब पीने वाला, शराबी । २ मदोन्मत्त, मदनकदन-पु० [सं०] शिव, महादेव ।
मस्त । मदनका-स्त्री० छः लघु वर्ण का एक वृत्त विशेष ।
मदपान--पु० सुरापान, मदिरापान, नशा । मदनगोपाळ-पु० [सं०] श्रीकृष्ण ।
मदभाव-पु० हाथो का एक रोग। मदनग्रह-पु० [सं० मदनगृह] १ योनि, भग। २ फलित ज्योतिष । मभिभळ-वि० सद विह्वल, मदोन्मत्त ।
में जन्म कुण्डली में सातवां स्थान । ३ मदन हर | मदमणी-स्त्री० युवती, महिला। नामक छन्द ।
मदमत, मदमत्त, मदमसत, मदमस्त, मदमाता-वि० मदनचतुरदसी (चौथ)-स्त्री० [सं० मदनचतुर्दशी] चैत्र शुक्ला [सं० मद+फा०मस्त] (स्त्री०मदमती, मदमाती, मदमाती) चतुर्थदशी।
१ मतवाला, मस्त । २ मदोन्मत्त । ३ कामातुर । मदनताळ-पु० संगीत में एक ताल विशेष ।
-पु० हाथी। मदनदमन-पु० [स०] शिव का एक नाम ।
मवमूक, मदमोख-पु० हाथी । मदनदिवस-पु० [सं०] मदनोत्सव का दिन ।
मदरसौ-पु० [अ० मदरसा] पाठशाला, विद्यालय । मदनदौळा-स्त्री० इन्द्रताल के छः भेदों में से एक ।
मदरा-देखो 'मदिरा'। मदनपति -पु० [सं०] १ इन्द्र । २ विष्णु ।
मदरागंध-पु० कदम का वृक्ष । मदनपाठक -पु० [सं०] कोकिल, कोयल ।
मदराळ-वि० मुद्रा धारी। -पु० योगी, सिद्ध । मदनफल-पु० [सं०] मैनफल ।
मदळ-पु० मुख्य द्वार पर लगने वाला पत्थर विशेष । मदनभवन-पु० १ योनि । २ जन्म कुण्डली में सातवां स्थान ।
मदलेखा-पु. एक वणिक छंद विशेष । मदनभेरी-पु० एक वाद्य विशेष ।
मदव-पु. एक वस्त्र विशेष । मदनमस्त-वि० [स०] १ मत वाला, मस्त । २ कामोन्मत्त,
मदवी-वि० मस्त, उन्मत्त, मदयुक्त। विषयाश त । ३ चम्पा जाति का एक फूल ।।
मदवी-वि० (स्त्री० मदवी) १ शराबी, मदिरापान करने वाला। मदनमहोत्सव-पु० [सं०] चैत्र शुक्ला द्वादशी से चतुर्थदशी तक
२ मदोन्मत्त, मस्त । ३ कामातुर, कामविह्वल । ४ गर्वीला, मनाया जाने वाला वसंतोत्सव ।
अहंकारी। मदनमोहन-पु० [सं०] १ योगीराज कृष्ण । २ ईश्वर ।
| मदसुदन, मवसूचन-देखो 'मधुसूदन' । ३ एक प्रकार का खाद्य पदार्थ ।
मांझर-देखो 'मदझर'। मवनरस-पु० [स०] औषध विशेष ।
मदांति-देखो 'वेदांती'। मदनरेखा-स्त्री० [सं०] एक महासती ।
मदांध (धौ)-वि० [सं०] १ अभिमानी, अहंकारी। २ नशे में मदनसदन-देखो सदनभवन' ।
चूर । ३ अहंकार में अंधा। ४ मदोन्मत्त, मतवाला। मदनसाही-पु० [सं०] प्राचीन झालावाड़ राज्य का सिक्का ।
५ कामातुर, कामांध। मदनांकुस-पु. [सं० मदनांकुश] १ लिंग, शिश्न । २ नख क्षत ।
मदा-देखो 'मदद। ३ योनि, भग।
मदाखिलत-स्त्री० [अ०] १ दाखिल होने की क्रिया या भाव । मदनांतक-पु. [सं०] शिव, महादेव ।
२ दखल, हस्तक्षेप। मदनांध-वि० [सं०] कामांध, कामाशक्त ।
| मदाखिलत-बेजा-पु० [अ०] अनावश्यक दखल, प्रतिक्रमण। मदनातुर-वि० [सं०] मैथुन या संभोग के लिये प्रातुर । मदार-पु० [अ०] १ उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी। २ निर्भरता, मदनायुध-पु० [सं०] १ कामदेव का अस्त्र-शस्त्र । २ योनि,
प्राश्रय । ३ सहारा । ४ हाथी । ५ पाक नाम का पौधा ।
६ मुसलमानों का एक पीर । मदनारि-पु० [सं०] शिव, महादेव ।
मवारत-स्त्री० [अ० मुदारत] आदर, सत्कार, स्वागत । मदनालय-देखो 'मदनग्रह।
मदारी-पु० [अ० मदार] १ रीछ-बन्दरों को नचाने वाला मदनी-स्त्री० १ सुरा, वारुणी । २ कस्तूरी।
व्यक्ति । २ बाजीगर,तमाशा दिखाने वाला। ३ सूफी मत के मदनोत्सव-देखो 'मदनमहोत्सव' ।
अनुयायियों की एक शाखा। ४ शाह मदार नामक पीर का मदन-देखो 'मदन'।
अनुयायी। ५ मिट्टी का हुक्का ।
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मवारी
( ३२८ )
मधुक्कर
मदारौ-पु० सीमा पर गड़ा पत्थर ।
मध-१ देखो 'मध्याह्न' । २ देखो 'मध्य, मद' ३ देखो 'मधु' । मदाळ-पु० [सं० मदकल] १ हाथी। २ एक रंग विशेष । ४ देखो 'मधुमास' । -वि० मदोन्मत्त, मतवाला।
मधक-पु० महुमा नामक वृक्ष । मदालसा-स्त्री० [सं०] काशी देश के ऋतुध्वज राजा की पत्नी। मधकर-पू०१ एक लोक गीत । २ एक प्रकार का वाद्य विशेष । मदाळो-देखो 'मदाळ' ।
३ देखो 'मधुकर'। मवावर-पु० हाथी।
मधकोट, मधकोटग. मधकेटभ-देखो 'मधुकैटभ' । मदि-देखो 'मद'।
मधन-स्त्री० एक राग विशेष । मदियो-पु०१ एक जंगली पौधा । २ देखो 'मदन'।
मधम-देखो 'मध्यम'। मदिरा-स्त्री० [सं०] १ एक नशीला पेय पदार्थ, शराब, सुरा | मधमति-देखो 'मधुमति' ।
२ पासव । ३ एक वणिक छंद विशेष । ४ रक्त वर्ण, लाल | मधर-कि०वि० १ भीतर, अन्दर । २ देखो 'मध्य' ३ देखो रंग । ५ समुद्र मंथन में निकली एक स्त्री। ६ श्रीकृष्ण | 'मधुर'। की विमाता ।
मधरौ-वि० (स्त्री०मधरी) १ मंद,धीमा,क्षीण । २ छोटे कद का मदीनी-पु० [अ० मदीनः] अरब का एक नगर ।
ठिगना,नाटा । -पु०१ ऊंट की एक चाल । २ चाल विशेष । मदीय-सर्व० मेरा।
मधवन-देखो ‘मधुवन'। मदीयून-वि० [फा०] ऋणी जिस पर दावा किया गया हो। मधवौ-देखो 'मदवौ'। मदीरा-देखो 'मदिरा'।
मधि-देखो 'मध्य मदील-देखो 'मंदील'।
मधिपंडव (पांडव)-पु० [सं० मध्य-पाण्डव] १ अर्जुन। २ भीम। मदुरोग-पु० घोड़े का एक रोग विशेष ।
मधिम-देखो 'मध्यम'। मदुरी, मदरौ-पु० [सं० मधुज्वर] एक प्रकार का मयादी बुखार मधियो-देखो 'मदियौ' । मदेरौ-देखो 'मधरौ'।
मधिलोकेस-पु० [स. मध्यलोकेश] राजा। मदोदध-पु० [सं० महोदधि] सागर ।
मधोरणी-स्त्री० दूध देनेवाली मवेशी का प्रभाव । मबोद्धत-वि० [सं०] १ मदोन्मत्त, मदमत्त । २ गर्व में चूर, | मधीणो-वि० दूध वाली मवेशी से रहित । अभिमानी।
मधु-पु० [सं०] १ शहद । २ मदिरा। ३ चैत्रमास । ४ दूध। मदोनमत, मदोन्मत्त, मदोमत्त, मदोमद, मदोमसत-देखो
५ धी। ६ मक्खन । ७ मिश्री। ८ शिव । ९ विष्णु द्वारा 'मदमस्त'।
वधित एक दैत्य । १० एक असुर । ११ महुवे का पेड़। मद्द-देखो 'मद'।
१२ फूलों का रस, पराग । १३ वसंत ऋतु । १४ मुलेठी। मद्दगळ-देखो 'मदकळ'।
१५ अमृत । १६ वन, जगल । १७ अशोक वृक्ष । १८ भौंरा। मद्दळ,मद्दल-पु०१एक प्रकार का वाद्य विशेष । २ देखो 'मादळ'।
१९ जल, पानी । २० श्रीकृष्ण । २१ विष्णु । २२ एक ३ देखो 'मादळियो' ।
राग । २३ घोड़ों का एक रोग। २४ एक वणिक छन्द महोमत्त-देखो 'मदमत्त' ।
विशेष । -वि० १ मीठा । २ मधुर । ३ पोला। -कंठमद्धरी-१ देखो 'मधरौ' । २ देखो 'मधुरौ' ।
स्त्री० कोयल । स्त्री । -ग्राहक -पु. भौंरा ।-धोस-पु. मद्धि-देखो 'मध्य' ।
कोयल । -धूळ-स्त्री० शक्कर । -मक्खी, माखी-स्त्री० मखर, मद्ध रो-देखो 'मधुर'।
शहद बनाने वाली मक्खी। -मास-पु० चैत्रमास । बसंत मद्य-देखो 'मद'
ऋतु। मद्यप-वि० [सं०] शराबी, नशाबाज।
मधुक-देखो 'मधूक'। मद्यपान-पु० [सं०] सुरापान, शराब पीना क्रिया। मा-पु० [सं०] १ एक प्राचीन देश । २ इस देश का राजा । मधुकर, (करि, करी)-पु० [सं० मधुकर] (स्त्री० मधूकरी) ३ मारवाड़ प्रदेश । -वि० [सं०] प्रसन्न, खुश । खुशहाल ।
| १ भौरा, भ्रमर । २ चन्द्रमा। ३ डिंगल का एक गीत । -धूय-स्त्री० माद्री।
४ भिक्षा। मद्रक, मद्रकि-वि० मद्र देश का, मद्र देश संबंधी।
मधुकोट (कीटक, कोटब, कीटम, केटब, कैटव)-पु० [सं० मद्राचळ-देखो 'मंदराचळ'।
मधुकैटभ] मधु व कैटभ नामक दो दैत्य । मद्री-देखो 'माद्री'।
| मधुक्कर-देखो 'मधुकर' ।
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मधुवा
मधुजा स्त्री० [सं०] पृथ्वी
मधुतम, मधुतर पु० भौरा, भ्रमर ।
मधुता स्त्री० १ मोठापन, मधुरता २ तमाल पत्र । मधुत्रय पु० [सं०] शहद, घी व चीनी का मिश्रण । मधुद-पु० भौंरा
मधुदीप पु० कामदेव ।
मधुवैत्य- पु० १ मधु नामक दैत्य । २ सफेद कान व मस्तक
वाला घोड़ा ।
मधुप पु० [सं०] १ भौंरा, भ्रमर । २ शहद की मक्खी, मधु मक्खी । ३ उद्धव का एक नाम। वि० काला, श्याम* । मधुपक्क वि० जो शहद व शक्कर की चासनी से तैयार किया गया हो ।
मधुपुर (पुरी)- पु० मथुरा नगरी ।
मधुप्रकासो पु० [सं०] वन, जंगल
मधुप्रिय पु० [सं०] श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम ।
मधुबन - देखो 'मधुवन' ।
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मधुमार - पु० एक छन्द विशेष ।
मधुमई- स्त्री० मालती लता ।
मधुमती स्वी० १ पार्वती दुर्गा २ एक वर्ण वृत्त ।
( ३२९ )
मधुमथन - पु० [सं०] विष्णु ।
मधुमखी - देखो 'मधुमक्खी' ।
मधुपनि पु० [सं०] श्रीकृष्ण
मधुपरक - पु० [सं० मधुपर्क] दही, घी श्रादि के मिश्रण से बना मधुरो-१ देखो 'मधुर' । २ देखो 'मदुरों' ।
पदार्थ विशेष |
मधुलोलुप - पु० [सं०] भ्रमर, भौंरा ।
मधुमाधव, मधुमाधवसारंग, मधुमाधवी पु० एक राग विशेष ।
मधुवारण पु० श्रीकृष्ण।
मधुमालती स्त्री० [सं०] एक लता
मधुमेह पु० [सं०] प्रमेह रोग का बढ़ा हुआ रूप मधुमेही- वि० उक्त रोग का रोगी
मधुरंगी - पु० बलराम का एक नामान्तर ।
मधुर - पु० [स०] १ मीठा पदार्थ, रस, स्वर श्रादि । २ मीठास ।
३ शक्कर, गुड़ । ४ लाल गन्ना । ५ मक्खन । ६ बादाम । ७ चावल । ८ ग्राम । ९ जंगली बेर । १० मटर ११ महुप्रा । १२ धान । १३ लोहा । १४ विष, जहर । १५ मक्खी । १६ एक छंद विशेष । १७ एक असुर । १८ स्कंद का एक सैनिक। १६ बिन्दुमत राजा का पुत्र, एक राजा - वि० (स्त्री० मधुरी) १ मीठा, स्वादिष्ट । २ सुनने में प्रिय । ३ सुन्दर, मनोहर ४ कटुता या तनाव रहित । ५ धीमा, मंद । ६ धीर, शांत । ७ सुस्त, उदास । अच्छा - -fo fao मधुरता से । मधुरता स्त्री० [सं०] १ मधुर होने की दशा या भाव।
२ मीठापन, माधुर्य ३ सुन्दरता, कोमलता
४ प्रिमत्व
मोहकता ६ खाई
हामी
मधुरत्रय - पु० [सं०] शहद, घी व शक्कर ।
मधुरमा देखो 'मधुरिमा
मधुरसा - स्त्री० [सं०] १ दाख, द्राक्ष । २ मुनक्का । ३ अंगुरों
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का गुच्छा ।
मधुराई श्री मधुरता
मधुराज पु० [सं०] भौरा, भ्रमर ।
मधुरास्रतपु० [सं० मधुरामृत] १ फूलों का रस, पराग ।
मधमास
२ शहद । ३ प्रमृत ।
मधुरिपु - १० [सं० | मधु राक्षस के शत्रु, विष्णु । मधुरिमा स्त्री० [सं०] १ मधुर होने की दशा या अवस्था
1
२ मीठास माधुर्य । ३ सुकुमारता, कोमलता ४ मोहकता । मधुरी स्त्री० १ गराव २ एक वाद्य विशेष ३ देखी 'मधुर'।
मधुवरत पु० [सं० मधुव्रत ] भ्रमर, भौंरा । मधुख ( सखा, सहाय ) - पु० मधुसुदन, मधुसूदन - पु० [सं० २ श्रीकृष्ण । ३ भ्रमर, मधुमक्खी ।
मधुवन - पु० [सं०] १ मथुरा के पास का एक वन । २ ब्रज का
एक वन । ३ aforन्धा के पास का एक वन । ४ वह वन जिसमें प्रेमी-प्रेमिका का मिलन हो । ५ कोयल, कोकिला । मधुवनमधुप, मधुवनसिधुपु० १ ईश्वर परमेश्वर २ श्रीकृष्ण मधुवनी पु० श्रीकृष्ण ।
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[सं० मधुसखा ] कामदेव, मदन । मधुसूदन] १ विष्णु, ईश्वर । भौंरा । ४ शहद की मक्खी,
मधुवा स्वी० संजीवनी बूटी - तीज स्त्री० बावण शुक्ला तृतीया तिथि ।
मधुस्वर - स्त्री० [सं०] कोयल । मधुस्वारथी - देखो 'मधुसख' ।
मधुहंता - वि० १ शहद को नष्ट करने वाला । २ आगम बतलाने वाला - पु० १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ शिकारी पक्षी । मध्हेतु, मधुहेतू पु० कामदेव, मदन ।
1
मधू - पु० १ युद्ध, समर । २ देखो 'मधु' ।
मधूक- पु० [सं०] १ महुए का पेड़ । २ उक्त पेड़ का फूल व फल । ३ मधुमक्खी । ४ भ्रमर । ५ मुलेठी । - फळ, फल - पु० महुए का फल |
मधुकर देखो 'मधुकर' ।
मधूदीपक देखो 'मधुदीप' । मधूधूळ - देखो 'मधुधूळ' । मधूप देखो 'मधुप' | मधुप्रकासी देखो 'मधुप्रकासी' । मधुमास देखो'मधुमास ।
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मधूर
मधूर - पु. १ कामदेव, मदन । २ देखो 'मधुर' । मधुरता देखो 'मधुरता' । मधूरसा- देखो 'मधुरसा' । मधुसारथी- देखो 'मधुसख' । मधूसूदन - देखो 'मधुसूदन' । मये देखो'मध्ये' |
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( ३३० )
1
मध्य, मध्ध्य-पु० [सं० मध्य] १ ठीक बीच का स्थान या भाग २ बीच की स्थिति ३ कमर, कटि ४ घोड़े की कोख, वक्खी । ५ पेट, उदर । ६ संगीत में स्वरों के सप्तकों के बीच का स्वर । ७ पश्चिम दिशा ८ विश्राम ९ सोलह से सत्तर वर्ष की अवस्था । १० दश अरव की संख्या । - वि० १ बीच का, मध्य वाला, मध्यवर्ती । २ मझोला | ३ न अधिक बुरा न बहुत अच्छा, साधारण ४ जो अधिक तीव्र या मंद न हो, मध्यम। ५ तटस्थ, निरपेक्ष । - क्रि०वि० ६ बीच में मध्य में । ७ चालू कार्य के दौरान
मध्यमान- पु० संगीत में एक मान ।
मध्यमा स्त्री० [सं०] १ हाथ के बीच की अंगुली । २ विवाह
योग्य लड़की, कन्या । ३ मध्य यौवना स्त्री । ४ रजस्वला स्त्री । ५ एक प्रकार की नायिका । ६ नाद के चार भेदों में से एक ।
मध्यमेळ - देखो 'तू'बेल' । मध्यरेखा - स्त्री० रेखा |
[सं०] ज्योतिष में देशान्तर निकालने की
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मध्यलोक - पु० [सं०] पृथ्वी लोक मध्यस्थ - वि० [सं०] १ दो प्रतिपक्षियों के का कार्य करने वाला । २ तटस्थ, उपकारी । ४ मध्यवर्ती, मझोला शिव की एक उपाधि |
मध्यस्थता स्त्री० १ दो पक्षों के बीच सुलह या समझौता कराने का कार्य । २ बीच-बचाव ।
मध्यता - स्त्री० [सं०] १ बीच का स्थान, अवस्था या भाव। २ बीच-बचाव । ३ बीच में होने की दशा । मध्यरेख पु० [सं०] शेख
मध्यनायक - पु० वक्ष पर धारण करने का प्राभूषण विशेष ।
मध्यपात - पु० ज्योतिष में एक पात ।
मध्यम - वि० [सं०] १ जो दो विपरीत दिशाओं या सीमाओं के
बीच या मध्य में हो । २ जो अधिक बड़ा या अधिक छोटा न हो । ३ मझोला, उम्र में बीच का, क्रम में बीच का । ४ पक्षपात शून्य, निरपेक्ष । ५ हल्का । ६ साधारण ७ नीच । - पु० १ संगीत में स्वर सप्तक का चौथा स्वर । २ एक राग विशेष । ३ साहित्य में एक प्रकार का नायक । ४ नायिका का उप पति । ५ मध्य प्रदेश । ६ प्रान्त का शासक, सूबेदार । ७ व्याकरण का मध्यम पुरुष ।
मध्यमभ्य- पु० हाथी के बराबर होरे, माणिक की राशि मनकरी - स्त्री० एक प्रकार की घास ।
का स्वामी ।
मनकामना - देखो 'मनोकामना' ।
मनाखाचार
मध्यांगुलीयक-५० एक प्राभूषण विशेष ।
मध्यांन - देखो 'मध्याह्न' ।
मध्या स्त्री० [सं०] एक प्रकार की नायिका । मध्यान्ह, मध्याह्न - पु० दुपहरी
मध्ये क्रि०वि० [सं०] १ बीच में, मध्य में, में । २ विषय में, बाबत, निमित्त । ३ लिए, वास्ते ।
मध्यालयलब्धि स्त्री० अट्ठाईस प्रकार की संधियों में से एक। मनंग- देखो 'मन' ।
८ दरम्यान ।
मध्यकुरुपु० [सं०] एक प्राचीन देश ।
मनछा- देखो 'मसा' ।
मध्य-पु० [सं०] उत्तर कान्तिवृत्त और दक्षिण कान्तिवृत्त के मनतर देखो 'मन्वंतर' बीच पड़ने वाला पृथ्वी का भाग ।
,
मन पु० [सं०] [मन] अन्तः करण की
१न्तः करण हृदय २ प्राणियों के वृत्ति, चित्त, बुद्धि, मस्तिष्क । ३ न्याय
के अनुसार आत्मा या जीव से भिन्न एक द्रव्य । ४ इच्छा, इरादा, कामना, अभिलाषा । ५ विचार, धारणा, कल्पना, खयाल । ६ प्रकृति, स्वभाव | ७ स्फूर्ति, उत्साह | ८ प्रतीति, प्रभास । ९ झुकाव । १० प्रतिभा । ११ सम्मान | १२ मान सरोवर । १३ भव्य, तुषित एवं साध्य देवों में से एक । वि० १ श्वेत । २ चंचल । - अव्य० निषेधार्थंक अव्यय ।
मनउपंग, मनउपयंग, मनउपांग-पु० घोड़ा । क्रि० वि० अपनी मर्जी या मनमाने ढंग से ।
बीच सुलह wife निरपेक्ष । ३ पर ५ उदासीन । - पु०
[सं० मध्याह्न] दिन का मध्य भाग,
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मनऊंच वि० दातार, दानी, उदार ।
मनऊंची - पु० १ अभिमान, घमंड । २ देखो 'मनऊच' | मनक देखो 'मनुस्य' ।
मनकूळ मनपूछा- वि० [० मन्कुल] १ पल पलायमान हस्तान्तरण योग्य । २ प्रतिलिपित ।
.
मनखच पु० मनमुटाव, वैमनस्य I
मनखंचौ वि० १ उदास, खिन्न । २ विरक्त । ३ अप्रसन्न । मनख देखो 'मनुष्य' ।
मनखमनमोहिणीमहा-स्त्री० पृथ्वी, धरती ।
मनखा - देखो 'मनीसा' |
मनाखाचार - देखो 'मिनखाचार' ।
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मनखाजनम
मनयोग
मनखाजनम-पु० [सं० मनुष्य जन्म] मनुष्य जन्म, मानव | मनपुण्ण, मनपुण्य-वि० [सं० मनपुण्य] शुद्ध विचारों वाला । योनि ।
मनबंछत, मनबांछित-देखो 'मनवांछित' । मनखाधरम (भ्रम)-देखो 'मनुस्यधरम'।
मनभंग, मनभंगो-वि० (स्त्री० मनभंगी) १ निराश, हतोत्साह । मनखिचाव-पु. १ मन मुटाव, वैमनस्य । २ वर, दुश्मनी। २ उदास, खिन्न । ३ कायर, डरपोक । मनख्यो देखो 'मनुम्य'।
मनमरियो-वि० १ प्रिय, प्यारा । २ जिससे मन को संतोष हो । मनगढत-वि. कपोल कल्पित, अव्यावहारिक ।
मनभामण, मनभाणी, मनभाइण, मनभायौ, भनभावण, मनगमलो (बौ)-क्रि० [सं० मन गम्य] मन को भाना, रुचि | मनभावतो, मनभावरणी, मनभावन-वि० (स्त्री० मनभावणी, कर लगना।
मनभावती) १ मन इच्छित । २ जो मन को अच्छा लगे । मनगमती-वि० [सं० मनगम्य] रुचिकर, मनवांछिन ।
३ प्रिय । मनगराइ (ई)-स्त्री० प्रावेश, जोश, उत्साह ।
मनभू-देखो 'मनोभव'। मनगरो-वि० (स्त्री. मनगारी) १ जोशीला. साहमी । मनमंध-वि० वश में करने वाला, वशीकरण ।
२ उत्साहित । ३ युद्ध के लिये तत्पर, कटिबद्ध । ४ खुश, मनमट्ठौ. मनमठौ-वि० (स्त्री० मनमठी) १ कृपण, कंजूस । प्रसन्न । ५ प्रान-बान वाला, स्वभिमानी। ६ उदार, दानी। २ निश्चेष्ट, उदास ।। ७ मस्त. उन्मत्त । ८ अनुकूल ।
मनमति-वि० [सं०] स्वेच्छाचारी, मनमानी करने वाला। मनगुप्ति-स्त्री० चित्त की एकाग्रता ।
मनमते, मनमतं, मनमत्री-क्रि० वि० १ स्वत: ही, स्वेच्छा से मनड़उ, मनड़ो-देखो 'मन' ।
ही। २ बिना किसी से पूछे या कहे। ३ स्वतन्त्रता से। मनचलो-वि० (स्त्री० मनचली) १ साहसी, हिम्मतवान । मनमत्थ मनमथ-पु० [सं० मनमथनः] कामदेव, मदन । हरण २ रसिक।
-पु. शिव, महादेव। मनचायो, मगवाहयो-वि० इच्छित, अभिलषित ।
| मनमानियो, मनमानी-वि० इच्छित, अभीष्ट । मनचीतउ मनीतिउ, ममचीतियौ, मनचीती, मनचीती-वि० मनमानी-स्त्री० १ स्वेच्छाचारिता। २ अनीति । ३ मन माना [सं० मनस्+चिन्तितं] इच्छित, मनचाहा ।
कार्य । -वि. स्वेच्छित, अभीष्ट । मनछा-देखो 'मंसा'। .
मनमुखी-वि० गुरु रहित। मनछाफळ-पु० अभीष्ट फन, इच्छित कार्य, सिद्धि ।
मनमुटाव-पु०१ राग, द्वेष । २ वैमनस्य । मनजारिणयो, मनजाणी-वि० १ जो मन को अभीष्ट हो, मनमेळग, मनमेळू-पु. १ पति, खाविन्द, प्रियतम । २ मित्र, वांछित । २ अपने मते का कार्य ।
दोस्त । ३ प्रेमी, स्नेही। मनजात-पु० [सं०] १ कामदेव, मनोज, मदन । २ मन की मनमेलो, मनमलो-वि० (स्त्री० मनमेली) जिसका मन साफ न उपज । -वि. मन से उत्पन्न ।
हो, कपटी, धूर्त । । मनजीत-वि. संयमी, मितव्ययी । इन्द्रियजित ।
मनमोट-वि० उदार चित्त, दानी, विशाल हृदय । मनडु, मनडो-देखो 'मन'।
मनमोद पु० १ डिंगल का एक छंद विशेष । २ दोहे छंद का मनण-देखो 'मनन'।
एक भेद । ३ मन की खुशी । मनणौ (बो)-क्रि० [सं० मन्] १ राजी होना, खुश होना । | मनमोदक-पु० मन के लड्डू, खयाली पुलाव ।
२ परस्पर मेल होना । समझौता होना । ३ किसी बात को मनमोह-देखो 'मनमोद'। मान लेना, सहमत होजाना। ४ सम्मान पाना, मान्यता | मनमोहण-देखो 'मनमोहन'। पाना। ५ श्रद्धा भक्ति से देखा जाना । ६ देखो 'मनो' | मनमोहरणहारो-वि. मन को मोहने वाला, लुभावना । (बी)।
मनमोहन-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ एक मात्रिक छंद मनदेवता-पु. विवेक, अन्तरात्मा ।
विशेष । -वि० १ चित्ताकर्षक, मोहित करने वाला। मनद्रोह-पु० छल, कपट ।
२ प्रेमी प्रियतम, प्यारा। मनन-पु० [सं०] १ किसी बात या विषय का मन ही मन किया | मनमौजी-वि०१ स्वेच्छाचारी, स्वतंत्र । २ मस्त । ३ इच्छा
जाने वाला विचार । २ ध्यान, चिंतन । ३ अध्ययन ।। नुसार कार्य करने वाला। ४ कल्पना । ५ मन ही मन से अभ्यास । -सील-वि. चितन | मनमौट-देखो 'मनमोट'। करने वाला। विचारशील ।
मनयस्ट-पु० [सं० मनईष्ट] पति, खांविंद । मननिध-पु. [सं० मनोनिधि कवि, पंडित ।
| मनयोग-पु० शुभाशुभ विचार ।
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मनरंगी
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( ३३२ )
मनरस्थ, मनरथ - देखो 'मनोरथ' ।
मनरळि, मनरळी (ली) - स्त्री० मन की मुराद, इच्छा, चाहना,
कामना वि० मुदित हृषित
मनरंगी - वि० [सं० मन + रंग] मनमौजी, रसिक, मस्त । मनरंज (म)-० [सं० मनरंजन] १२ घन द्रव्य । वि० १ मन को खुश करने वाला, मनोरंजन करने वाला । २ देखो 'मनोरंजन' । मनरथ मगरचम-वि० २ खुशामद खोर ।
मनसादेवी-स्त्री० एक देवी विशेष । मसापचमी (पांच) स्त्री० धावा कृष्णा पंचमी । मनसाल स्त्री० [सं० मनः शल्य ] मानसिक कष्ट, मन की दाह । मनसिज - पु० [सं०] १ कामदेव मदन । २ प्रेम ।
१ याचक, मांगने वाला ।
मनखी वि० [स्त्री० [मनरखी) मन रखने वाला पु० दास, मनसुख वि० [अ० मंसूख] १ त्यागा हुया परिक्त २ निरस्त सेवक परिचायक ।
३ टाला हुमा ।
या रद्द किया हुप्रा मनसूखी - स्त्री० टालना क्रिया ।
[अ०
मंसूबो ] त्यागना, निरस्त करना,
मनवाह पु० गरुड़ । मनयो-देखो 'मन' ।
मनसूड़ी- देखो 'मंसा' ।
मनरसि पु० मन का भाव ।
मनसूबो मनसोवो, मनसुभो मनसोमो देखो 'मसूदी' । मनगी - वि० १ अपनी लगन या धुन का पक्का २ सनकी, मनस्तं भिनी स्त्री० [सं०] एक महाविद्या । मनस्था देखो 'मनसा' ।
मनसख पु० एक प्रकार का वस्त्र मनसप, मनसम्प, मनसफ-देखो मनसब' मनराव- पु० [० मंसब] १ मुगल शासन पद चौहदा २ काम, कर्तव्य ४] वृत्ति
५, इच्छादार पु० उच्च पदस्थं श्रधिकारी । मुगलकालीन सैनिक पदाधिकारी ।
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तुनकमिजाज
मनलाल (बौ) - क्रि० १ विचारना, सोचमा मन में कोई बात मनस्विनी स्त्री० [सं०] १ पतिव्रता व सती स्त्री २ उदारमना,
1
लाना । २ किसी बात या विषय पर गौर करना । मनवंछत, मनवंछित, मनवंछितु- देखो 'मनवांछित' । मनबंख्या - १ देखो 'मनवांछा' । २ देखो 'मनवांछित' । मनव - १ देखो 'मानव' । २ देखो 'मन' ।
स्वाभिमानी स्त्री ३ दुर्गा का एक नाम । ४ मृकंडु ऋषि की पत्नी । ५ दक्ष प्रजापति की कन्या । ६ राजा उत्तानपाद की एक कन्या । ७ पुरुवंशीय सम्राट अन्तिनार की पत्नी । मनस्वी - वि० [सं० मनस्विन् ] १ श्रेष्ठ विचारों वाला । २ बुद्धिमान, चतुर, प्रतिभाशाली छड़ मन वाला मनहंस पु० एक वणिक छंद विशेष ।
मनहर पु० १ कुन्द पुष्प २ सोना ३ कामदेव ४ एक वणिक छंद । ५ देखो 'मनोहर' ।
दार- 'मनसबदार' । में एक उच्च सैनिक ३ अधिकार, हक
मनागौ
- वि० १ मन से संबंधित २ मन से उत्पन्न । ३ इच्छित । ४ देखो 'मंसा' ।
,
-
मनांछा स्त्री० मन की इच्छा, वृत्ति, कामना अभिलाषा । मनवांछित वि० [सं० मन + वांछित] १ अभीष्ट इच्छित, चाहा हुआ । २ मन को अच्छा लगने वाला । ३ संतोषप्रद । मनवा - स्त्री० १ मनकी इच्छा । २ उमंग, तरंग ।
मनवाली (ब)-० १. कोई बात मानने के लिये मनहरण देखो 'मनोहर' ।
।
मजबूर करना, दबाव डालना। २ कबूल कराना। ३ सहमत कराना ।
मनहरणी - स्त्री० पृथ्वी ।
मनहरू- देखो 'मनोहर'।
-
मनहार, मनहारि - देखो 'मनवार' ।
मनवार, मनवारी स्त्री० [सं० मान+हरण] १ सम्मान पूर्वक लेने के लिये कहना क्रिया । २ सादर आमंत्रित करना क्रिया । ३ आदर, सत्कार । ४ निहोरा । ५ कुछ लेने, ग्रहण करने का प्रस्ताव । ६ रूठे हुए को मनाना क्रिया । ७ खुशामद, चापलूसी ।
1
मनहित पु० [सं० मन-हित ] मन का मित्र, दोस्त, प्रेमी । मनहूस - वि० [अ० मन्हूस ] १ अशुभ बुरा । २ सुस्त, आलसी, निकम्मा ३ उदास, मंद, नीरस ४ प्रभागा, बदनसीब । मनां १ देखो 'मन' । २ देखो 'मांनो' । ३ देखो 'मना' । मनांग्यांना- क्रि० वि० मन, विचार व ज्ञान से मन ही मन । मना - वि० [अ०] १ यति निषिद्ध २ प्रतिबंधित
३ असहमत | - स्त्री० १ वर्जन, निषेध । २ प्रतिबंध, रोक । ३ प्रसहमति । ४ देखो 'मन' ।
मनाई - देखो 'मनाही' ।
मनाणी ( ब ) - क्रि० १ राजी करना, खुश करना। २ परस्पर मेल कराना । ३ समझौता कराना । ४ किसी बात पर सहमत करना । ५ सम्मान या मान्यता दिलाना | ६ किसी के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करना । ७ कबूल करवाना ।
मनसमी, मनसम्मी - देखो 'मनस्विनी' | मनसा - स्त्री० [सं०] १ कश्यप ऋषि की कन्या मनसादेवी। २ सिंधु दैत्य की कन्या । ३ इरादा, कामना ।
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मनावरणी
मनोव
८ प्रायोजन करना । ९ स्वागत, सत्कार करना । | मनुस्य-पु० [सं० मनुष्य] १ समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ एक स्थन १० प्रभ्यर्थना करना, स्तुति करना।
पायी प्राणी, नर, मानव, प्रादमी। २ मानव जाति । मनावरणी-पु० मनाने की क्रिया या भाव अथवा प्रयास ।
-धरम-पु० मनुष्य का धर्म । कुबेर । -लोक-पु० मृत्युमनावरणी (बी)-देखो 'मनाणी' (बी)।
लोक, भू-लोक। मनावी-स्त्री० [सं०] मनु की स्त्री का नाम ।
मनुस्यता-स्त्री० [सं० मनुष्यता] १ मनुष्य होने की अवस्था, मनाही-स्त्री० [अ०] १ रोक, निषेध, वर्जना । २ निषेधाज्ञा । गुण व भाव । २ मानवीय गुण । ३ भले मनुष्य के कार्य, मनि-१ देखो 'मन' । २ देखो 'मनी' । ३ देखो 'मांनो'।
विचार, गुण मनिख-देखो 'मनुस्य'।
मनुस्रेस्ठ-पु० [सं० मनुश्रेष्ठ] विष्णु । मनियावट-स्त्री० प्रशंसा।
मनुहरि-देखो 'मनोहर'। मनियो- १ देखो 'मिनियो' । २ देखो 'मन' ।
मनुहार-१देखो 'मनवार' । २ देखो 'मनोहर'। मनिसउ-पु० [सं० मनीषा] विचार ।
मनुहारणो (बी)-क्रि० [सं० मान-हरणम्] १ प्रातिथ्य सत्कार मनिसि-देखो 'मनीसी'।
करना, आवभगत करना, स्वागत करना । २ भादर मनी-देखो 'मन' ।
करना। ३ मान या क्रोध शान्त कराना । ४ किसी कार्य या मनीसा-स्त्री० [सं० मनीषा] १ मानसिक शक्ति, बुद्धि, प्रक्ल, बात पर सहमत करने के लिये मनाना । ५.कुछ स्वीकार
समझ । २ प्रभिलाषा, इच्छा, कामना । ३ प्रतिभा । करने के लिये भाग्रह करना। ६ भोजन के लिये प्राग्रह
४ प्रशंसा, तारीफ । ५ विचार, खयाल । ६ स्तुति, प्रार्थना। करना। मनीसि, मनीसी-वि० [सं० मनीषिन्] १ पण्डित, विद्वान् । मनुहारि, मनुहारी-देखो 'मनवार'।
२ प्रतिभाशाली, प्रभावशाली । ३ बुद्धिमान, चतुर, विवेक-|-मनू, मनु-१ देखो 'मानो' । २ देखो 'मनु'। . शील । -पु० १.ऋषि, मुनि, महात्मा । २ बुद्धिमान व्यक्ति । मनेत्र-पु. एक प्रकार का वस्त्र । मनु-१ देखो 'मानो' । २ देखो 'मन' । ३ देखो 'मनु'। मन-१ देखो 'मना' । २ देखो 'मानो'। मनुतर-देखो 'मन्वंतर'।
मनंगन, मनग्यांन-देखो 'मनांग्यांना' । मनु-पु०[सं०] १ ब्रह्मा का पुत्र व मानव सृष्टि का प्रादि पुरुष। मनोकामना-स्त्री० मन की इच्छा, अभिलाषा । चिर
२ चौदह मन्वन्तरों का अधिपति । ३ ब्रह्मा। ४ विष्णु । | अभिलाषा। ५ अग्नि । ६ मन्त्र । ७ एक रुद्र का नाम । ८ यज्ञ || मनोगत, मनोगति-वि० मन का; मन संबंधी, मन में रहने ९ अन्तःकरण । १० जनों के जिनदेव । ११ मत्स्यावतार के | वाला, दिली । मन में होने वाला । -स्त्री० मन की समय का एक राजा । १२ मनुस्मृति का रचयिता ऋषि ।। गति, इच्छा। १३ एक अर्थशास्त्रकार । १४ एक ऋषि । १५ यादव राजा | मनोगिन-देखो 'मनोग्य' । विशेष । १६ एक अग्नि । १७ एक गोत्रकार । १८ चौदह की मनोगुप्ति-देखो 'मनगुप्ति'। संख्या *। -स्त्री० १९ मनु की स्त्री मानवी। २० एक | मनोग्य-वि० [सं० मनोज्ञ] सुन्दर, मनोहर । अप्सरा जो कश्यप एवं प्राधा की कन्या थी। २१ वनमेथी। मनोग्यता-स्त्री० [सं० मनोझता] सुन्दरता, मनोहरता। २२ देखो 'मन' । २३ देखो 'मांनो' ।
मनोज-पु० [सं० मनस्+ज] कामदेव, मदन । -वि० मन से मनुमो-देखो 'मन' ।
उत्पन्न । -धेनु-स्त्री० कामधेनु । मनुक्ष, मनुख-देखो 'मनुस्य' .
मनोजब (बी)-पु० [सं०] १ छठे मन्वन्तर के इन्द्र का नाम । मनुज-पु० [सं० मनुजः] १ मनुष्य, मानव । २ मानव जाति ।।
२ रुद्र के एक पुत्र का नाम । ३ अनिल नामक वसु ३ दश विश्वेदेवों में से एक ।
का जेष्ठ पुत्र । ४ सोमवंशीय एक राजा । ५ एक अनुमात-वि० [सं०] मनु से उत्पन्न, मनु का।
प्राचीन तीर्थ । -वि. १ मन के समान वेगवान । -पु० मनुष्य, मानव ।
२ चुस्त, फुतिला। ३ कुशाग्र बुद्धि । ४ बाप का, पैतृक । मनुजाधिप-पु० [सं० मनुजः अधिपति] राजा, नरेश ।
५ पिता तुल्य, बड़ों के समान । मनुजुग-पु० [सं० मनुयुग] प्रत्येक मनु का युग, काल, मन्वंतर। मनोजवा-स्त्री० [सं०] १ अग्नि की एक जिह्वा । २ क्रौंच द्वीप मनुवार-देखो 'मनवार'।
___ की एक नदी । ३ स्कंद की एक अनुचरी मातृका । मनुस्म्रति-स्त्री० [सं० मनुस्मति] मनु द्वारा रचित धर्मशास्त्र | मनोती-देखो 'मनौती'। का ग्रन्थ ।
मनोव-पु० [सं० मनस्+दूह) कामदेव, मदन ।
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मनोव्यांन
मनोनीत वि० [सं०] १ मन के अनुकूल हुआ ४ नियुक्त या पदासीन या उत्तराधिकार के लिये प्रस्तावित समर्पित
मनोध्यांन - पु० [सं०] एक राग विशेष । मनोनिग्रह पु० [सं०] मन-निग्रह] संयम । इन्द्रियों को वश में
रखने की क्रिया ।
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मनोभाव - पु०
कल्पना ।
( ३३४ )
,
२ पसंद ३ चुना ५ किसी स्थान पद
नियत निश्चित व
[सं०] १ कामदेव, मदन । २ चन्द्रमा । ३ प्रेम,
मनो-देखो मनोभव'।
मनोमन पु० [सं०] कामदेव |
मनोमय - वि० [स०] १ मन से युक्त, मानसिक । २ श्राध्यात्मिक | -कोश पु० वेदान्त के अनुसार शरीरस्थ एक कोश मनोयोग पु० [सं०] मनस् योग ] मन की एकाग्रता । मनोरंजक वि० [सं०] १ मन का रज मिटाने वाला । २ हास्यास्पद ।
मनोन्य- १० एक फल विशेष मनोभव - पु०
स्नेह । ४ कामवृत्ति ।
मनोहरता, मनोहरताई-स्त्री० सुन्दरता
[स०] मन के विचार, भाव, इच्छा, खयाल | मनोहरा स्त्री० अनुस्वारों की बाहुल्यता वाला गाथा छन्द ।
मनोहरी-देखो 'मनोरी' ।
मनोरंजण, मनोरंजन- पु० [सं० मनस् रंजनम् ] १ मनोविनोद, हंसी-खुशी का कार्य, दिल्लगी ।२ दिल बहलाव । ३ रज मिटाने का कार्य ।
मनोरच पु० [सं०] १ अभिलाषा, इच्छा, कामना २ संकल्प ३ मन का विचार । ४ कल्पना । मनोरथावसी स्त्री० [सं० मनोरथ द्वादशी) १ यंत्र शुक्ला द्वादशी की तिथि । २ इस दिन किया जाने वाला व्रत । मनोरम - वि० [सं०] सुन्दर, मनोज्ञ। जिसमें मन रमे । मनोरमा स्त्री० [सं० मनस् रमा] १ सुन्दर स्त्री । २ सात सरस्वति में से चौथी ३ गौतम बुद्ध की एक शक्ति ४ एक प्रप्सरा । ५ ध्रुवसंधि राजा की पत्नी । ६ एक
।
गंधर्व कन्या । ७ आर्या छन्द का एक भेद । एक छन्द विशेष | ९ दश प्रक्षर का एक वर्ण वृत्त १० चौदह अक्षरों का एक छन्द । १९ दोधक छन्द का एक नाम। १२ गोरोचन ।
मनोराज ( राज्य ) - पु० [सं० मनोराज्य] मानसिक कल्पना । मनोरी स्त्री० मन की भावना या इच्छा ।
मनोवरी- देखो 'मनोहर' ।
मनोवांछा देखो 'मनोधा'
मनोविकार पु० [सं० मनस्-विकार ] १ चित्त वृत्ति, चित्त की अवस्था । २ मन के दूषित विचार । ३ ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि की भावना ।
मनोविग्यान पु० [सं० मनोविज्ञान] मन की अवस्था या विचारों का विश्लेषरण करने वाला शास्त्र या सिद्धान्त । मनोवेग - पु० [सं०] मन का प्रावेश, जोश ।
मनोवति स्त्री० [सं० अन-वृत्ति ] मन की प्रकृति भारत। विचारधारा |
मनोहर पु० [सं०] १ परमेश्वर ईश्वर २ श्रीकृष्ण ३ एक राग विशेष ४ छप्पय छन्द का एक भेद । वि० १ मन का हरण करने वाला, चित्ताकर्षक । सुन्दर, मनोज्ञ । २ देखो 'मनहर' |
मनोहारू देवो मनोहर । मनो-देखो 'मानी' ।
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मनी (बौ) - देखो 'मनी' (बौ) । मन्नमोट- देखो 'मनमोट' । मनि- देखो 'मन' ।
मन्मथ - देखो मनमथ' ।
मनोती स्त्री० १ किसी देवी-देवता की पूजा के लिये किया गया संकल्प । २ मनुहार, निहोरा ।
मन्न- देखो 'मन' | मन्ना-देखो मं
मम्मी - वि० [सं०] मम्मचिन्] कामुक, कामी. मन्यु मम्पू पु० [सं०] मन्यु] १ यज्ञ, हवन ३ अभिमान, गर्व । ४ दुःख, शोक ७ स्तोत्र । ८ अग्नि । ९ शिव, महादेव का पुत्र ।
५
।
मन्वंतर पु० [सं०] १ इकहत्तर चतुर्युगी काल दिन का चौदहवां भाग । २ प्रत्येक मनु के अवधि । ३ चौबीस अवतारों में से एक । दुर्भिक्ष । मन्हा देखो 'मना' |
मन्हे सर्व ० १ मुझको । २ देखो 'मना' ।
ममकार
मपणी (बो) - क्रि० मापा जाना, नाप किया जाना । मधुनि स्वी० ढोल की हवा मयारी स्त्री० एक जाति विशेष मकरा- स्त्री० नशीली वस्तु
मफो-देखो 'मापो' ।
मर्मकार देखी 'महार' |
नि
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।
२ फोध, गुस्सा
|
दीनता ६ कर्म 1
१० वितथ राजा
ब्रह्मा के एक शासन की ४ प्रकाल,
मम सर्व० [सं०] मेरा, मेरी, मेरे, मुझ । - प्रव्य० [सं० म] नहीं, न, मत ।
ममकार - देखो 'मकार' ।
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ममत
ममेस्त्री० पहंकार की भावना ।
-
ममत देखो 'ममत्व' ।
ममतमल- पु० ममता का मेल ।
ममता - स्त्री० [सं०] १ माता का स्नेह, वात्सल्य । २ कृपा, दया, सहृदयता । ३ लोभ, लालच । ४ अहंकार, गर्व । ममत्व - पु० [सं०] १ स्नेह व वात्सल्य का भाव २ कृपा, दया । ३ लोभ, लालच । ४ ग्रहकार, गर्व । ममरणौ (बौ) - क्रि० चबाना | ममाई - स्त्री० १ कस्तूरी । २ इजाजत । ममारक (ख, खी) - देखो 'मुबारक' ।
ममीरौ - पु० [प्र० ममीरान ] एक जड़ीय पदार्थ विशेष ! म १० 'म' वर्ग
विशेष वीरबहूटी।
ममी - पु० 'म' अक्षर |
मम्म १ देखो 'मरम' । २ देखो 'मम' ।
मां वि० मकराने का मकारने संबंधी
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( ३३५ )
०१ महिष २ देखो 'मयंक'
मयंक मयंकर ० [सं० मृगांक ] १ चन्द्रमा २ पवन
३ कपूर ।
ममोड-स्त्री० बंबई नगर ।
ममोलियो ममोली, मोहयो ममोलो- पु० एक बरसाती कीड़ा मया स्त्री० [सं० माया, ममता ] १ कृपा, दया, धनुष
२ प्रेम, ममता, स्नेह [सं० म] ३ इजाजत, अनुमति, [सं०] मातृ] ५ माता, माँ
स्वीकृति ४ छूट रियायत
मयग- देखो 'मग' ।
मंगळ-देखो 'मद
मयंब, मयंदी - पु० [सं० मृगेन्द्र ] ( स्त्री० मयंदण, मयंदणी) १ सिंह । २ हाथी, गज । ३ ऊंट । ४ राम की सेना का एक वानर । ५ चन्द्रमा । ६ काव्य छंद का एक भेद विशेष । ७ एक छन्द विशेष । ८ डिंगल के सिंहचले गीत का एक भेद गति स्त्री० सिंह की चाल । मयंमंत देखो 'मेमंत ।
।
समिरा वी० मंदिरा, शराब
मय पु० [सं०] १ दानव जाति का एक शिल्पी । २ ऊंट ।
३ घोड़ा । ४ हाथी । ५ खच्चर । ६ धाराम, सुख । ७ एक प्रत्यय । ८ एक देश का नाम । ६ आधार या आश्रय रूप । १० देखो 'मद' । ११ देखो 'मैं'
1
मयरेखा देखो 'मदनरेखा' । मयरमहल - पु० ग्राम विशेष ।
मयजं पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
मयकांमा स्त्री० मदिरा, शराब
मयगळ, मयगल, मयगळि - देखो 'मदकळ' ।
मयड़ी- देखो 'मेड़ी' ।
मयण पु० १ हाबी २ देखो 'मदन'३ देखो 'मेग'। ४ देखो 'मणि' ।
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मयरणा - १ देखो 'मेरणा' । २ देखो 'मेना' । ३ देखो 'मैना' । मयार देखो 'मदनातुर' ।
मर्याणि (गो) - देखो 'मदन' | मयन- देखो 'मदन' ।
मयूरेस
मयनक - पु० १ जलंधरनाथ के गुरु का नाम । २ देखो 'मैनाक' । मयना-१ देखो 'मेना' । २ देखो 'मैना' ।
मयनाक- देखो 'मैना' ।
मयत गमंत मयमत मयमत (सी) देखो 'मेमंत' । मयरहरौ - पु० समुद्र, सागर ।
मयराळ, मयराल- देखो 'मराळ' |
मयलू' - देखो 'मैली' । (स्त्री० मैली)
मयसुता स्त्री० [सं०] रात्ररण की पत्नी, मंदोदरी ।
मयानगर स्त्री० तलवारों की म्यांने बनाने वाली जाति ।
- वि० दयालु कृपालु 1 मयाचळ - देखो 'मलयाचळ' ।
मयाब - स्त्री० [ प्र० मीयाद] १ वक्त, समय, काल । २ एक, निश्चित अवधि, मुद्दत। ३ वादा, वचन, करार ।
मयादी वि० [० मीमादी ] १ समय से संबंधित
२ एक निश्चित समय के लिये होने वाला । ३ समय-समय पर होने वाला ।
मयाळ, मयाळू - वि० दयालु, कृपालु ।
मयावंत - वि० १ दयावान, कृपालु, । २ कृपापात्र ।
मयु- पु० [सं०] १ किन्नर । २ मृग, हिरण । - राज - पु० किरराज कुबेर । मपुर-देखो 'मयूर'।
मयूक, मयूख - स्त्री० [सं० मयूख: ] १ किरण, रश्मि । २ दीप्ति, श्रभा । ३ अंगारा । ४ सौन्दर्यं ।
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मयूर - पु० [सं०] (स्त्री० मयूरणी) १ मोर, । २ एक पुष्प
विशेष । ३ एक क्षुप विशेष । ४ सूर्य शतक का रचयिता कवि । ५ एक सुविख्यात प्रसुर । ६ सुमेरु पर्वत के अधीन एक पर्वत । ७ काव्य छन्द का एक भेद । ८ डिंगल का एक छंद विशेष । ९ एक रंग विशेष का घोड़ा ।
मयूरणी - पु० एक छन्द विशेष । स्त्री० मोरनी, मादा मोर । मयूरग्रस्य पु० [सं० मयूरनृत्य ] नृत्य का एक भेद । मयूरासन पु० योग के पौरासी घासनों में से एक। मरिय स्त्री० घोड़ी।
मयूरेस - पु० [सं० मयूर +] स्वामिकालिकेप
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मयेळी
मरण
मयेळी-स्त्री. १ उड़ते पक्षियों की पंक्ति । २ पंक्तिबद्ध उड़ने | | मरघलियो, मरघलो-देखो 'म्रिग । की क्रिया।
मरड़-देखो 'मरोड'। मयेस्वर-पु० [सं० मयेश्वर मय दैत्य का नामान्तर ।
मरड़कणो (बो) क्रि. १ मारना. संहार करना । २ तूटना, मय-देखो 'मय' ।
फटना। मयोमय-पु० [सं० महामहिमन] शिव, महादेव ।
मरडको-पृ० १ ऐंठन. मरोड । २ गुम्मा । मयोर-देखो 'मयूर'।
मरडूमी-स्त्री० एक जंगलं! पौधा । मयो-वि. १ महीन, बारीक । २ देखो 'मईयो'।
मरच-देखो 'मिरच'। मच्यासांमद-पु० श्रीकृष्ण ।
मरछा-देखो 'मुग्छा'। मरद, मरदक-पु० [सं०] पु.लों का रस, पराग।
मरछागत-देखो 'मुरछागत' । मर-पृ० [सं० मृ] १ मरणा क्रिया, मौत, मृत्यु । २ नाश, | मरज-पु० [अ० मर्ज] १ रोग, बिमारी। २ ऐब, दोष, अवगुगा ।
विनाश । ३ ससार, जगत । ४ पृथ्वी । ५ ईश्वर ।। ३ दुरी प्रादत । -दार-वि० रुग्ण, बीमार । ऐवी, दोषी, ६ देखो 'मुर'।
अवगुणी। बुरी आदत वाला। मरक-पू० [सं० मक] १ शरीर. देह । २ प्राण । ३ बन्दर। | मरजाद, मरजादा, मरजादौ-स्त्री० [म. मर्यादा] १ गौरव,
४ भेद, रहस्य । ५ याकर्षगा, खिचाव । ६ अन्तरद्वष ।।। मान, प्रतिष्ठा । २ नियम, विधान । ३ रीति-रिवाज, ७ मन की उमंग । ८ एक सक्रामक रोग विशेष ।
परम्परा । ४ हस्ती, पोकात, ताकत । ५ सीमा, हद । मरकट-पु० [सं० मर्कट] (स्त्री० मरकटी) १ वानर, बंदर । ६ लाज, शर्म । ७ शान, शौकत । ८ शोभा । ९ महत्व ।
२ तांबा । ३ मकड़ी। ४ सारस । ५ एक प्रकार का विष । १० धर्म । ६ संभोग का एक प्रासन । ७ दोहे छद का एक भेद | मरजियो-वि० १ मरकर जीने वाला । २ मरणासन्न ।
विशेष । ८ छप्पय छन्द का एक भेद । ९ देखो ‘मरकटक' ।। ३ अधमरा । -पु० समुद्र का गोताखोर । मरक्टक-पु० [सं० मकंटक] १ एक मछली विशेष । २ मकड़ी। मरजी-स्त्री० [अ० मर्जी] १ इच्छा, चाह । २ कामना, प्राशा। ३ छन्द शास्त्र में एक प्रत्यय ।
३ मन की मौज । ४ खुशी । ५ स्वीकृति, अनुमति । मरकत, मरकतमरिण, मरकतमिणि, मरकति, मरकतिमरिण, ६ प्राज्ञा, आदेश । ७ रजामंदी । ८ कृपा, अनुग्रह । मरकतिमिरण-पु० [सं०] १ पन्ना । २ नीलम । ३ नग, -दान पात्र-वि० कृपा पात्र । विश्वसनीय । प्रधान, नगीना।
मुख्य। मरकब-पु० [अ० मकंब] १ एक प्रकार का वाहन, सवारी।
मरजीयौ, मरजीवउ, मरजीवी-देखो 'मरजियो' । २ घोड़ा, अश्व ।
मरज्यादा-देखो 'मरजादा' । मरकलडइ-स्त्री० मुख की एक मुद्रा । मरको-देखो 'मुरकी'।
मरट, मरट्ट, मरठ-पु० १ गर्व, अभिमान, घमंड । २ गौरव, मरखरण-पु०[सं०मर्षण मरू राजा का प्रपौत्र एक प्राचीन राजा। मयादा । ३ एठन, मरोड़, घुमाव । ४ समूह, फोज । मरग-देखो म्रिग'।
५ अत्यन्त क्रुद्ध, जला-भुना । ६ काव्य छन्द का एक भेद । मरगड-पु० (स्त्री० मरगडी) १ बिना सिर की देह, कबंध । मरड-देखो 'मरोड़। ___ २ मृग, हिरण ।
मरड्डणी (बो)-देखो 'मरोड़णी' (बी)। मरगची-पु. एक प्रकार का मर्दन ।
मरण-पु० [सं०] १ मृत्यु, मौत, प्राणान्त । २ एक विष मरगछाळा-देखो 'म्रिगछाला'।
विशेष । ३ साहित्य में एक अनुभाव । -दिन-पु० किसी मरगद-पु. हरे रंग का वस्त्र विशेष ।
का मृत्यु दिवस । मरगयजावर-पु० एक प्रकार का नीलम जड़ित जादर वस्त्र ।।
मरणांत-क्रि०वि० मृत्यु पर्यन्त, मरने तक, अन्त तक। मरगलो-देखो 'म्रिग'। मरगाबू-पु. एक पक्षी, मुर्गाबी।
मरणी-स्त्री० मौत, मृत्यु । मरगी-देखो "मिरगी'।
मरणीक-वि० १ मरने को उद्यत, उत्सर्ग होने को तैयार । मरगोजी-पु. एक पदार्थ विशेष ।
२ मरने-मारने को कटिबद्ध । मरग्गड-देखो 'मरगड' ।
मरण (ग, पो)-वि० [सं० म] १ मरने-मारने को उतारू, मरघट-पु० [सं० मरघट्ट] श्मशान भूमि ।
तैयार । २ देखो 'मरण'।
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मरणी
( ३३७ )
मरपूरो
मरणो (बी)-क्रि० [सं० म्रियते १ किसी प्राणी का मरण | मरवणी (बी)-क्रि० [सं० मर्दन] १ मर्दन करना, मसलना,
होना, मृत्यु या प्राणान्त होना । मरना । २ वीरगति रगड़ना । २ मलना, मसलना, उबटन करना । ३ लेपन पाना। ३ भूख, प्यास प्रादि से व्याकुल या त्रस्त होना। 1 करना । ४ दबाव डालना, दबाना । ५ सन्तापित ४ हत्या द्वारा मारा जाना । ५ न्यौछावर या उत्सर्ग होना। करना पीड़ित करना । ६ पीसना, घोंटना । ७ कुचलना, ६ विकल या विह्वल होना । ७ कुम्हलाना, मुरझाना, रोंदना । ८ नष्ट करना, उजाड़ना । सूख जाना । ८ कष्ट या विपत्ति से मृत प्रायः होना। मरवन-पु० [सं० मर्दन] १ मसलने या रगड़ने की क्रिया ९ शक्ति, पौरुष प्रादि से हीन, निश्चेष्ट होना । १० बोझ या भाव । २ मालिश, लेपन, उबटन । ३ संताप, उत्पीड़न । से दबना । ११ शर्म, चिन्ता प्रादि से अधिक ग्रस्त होना। ४ दबाव । ५ विनाश । -वि. कुचलने वाला, पीसने वाला, १२ अधिक श्रम करना, पचना । १३ किसी पदार्थ के नाश करने वाला । -काळी-पु. श्रीकृष्ण । ईश्वर । गुण या शक्ति समाप्त होना, अप्रयोज्य होना । १४ इच्छा -मेघ-पु० श्रीकृष्ण ! या वेग समाप्त होना । १५ खेल में परास्त होना। मरदनी-स्त्री० [फा० मुर्दनी] मूर्छा, उदासी, श्रीहीनता, १६ जलन या ईर्ष्या होना। १७ पैठना, रिसना ।
___ कमजोरी। मरण्ण-देखो 'मरण' ।
मरवनीयो-वि० मर्दन करने वाला, मालिश करने वाला। मरतंग-पु० मरण. गमी, मौत।
-पु० उबटन करने वाली जाति, वर्ग या व्यक्ति । मरत-पु० [सं० मत:] १ मनुष्य, प्रादमी, मानव । २ पृथ्वी। मरदमी-स्त्री० [फा० मर्दुमी] १ बल, पौरुष, शक्ति । २ साहस, ३ मृत्यु लोक । ४ देखो 'म्रित्यु'। ५ देखो 'मरत्य'।
हिम्मत । ३ पुसत्व गुण, स्तंभनशक्ति। ४ मानवता, मरतकाळ (गाळ)-पु० [सं० मृत्यु+काल] अन्तिम समय, मौत इन्सानियत । ५ सुशीलता, शालीनता। -वि० बलशाली की घड़ी।
पुरुषार्थी, साहसी। मरतब-पु. [म. मर्तबः] १ पद, दर्जा, श्रेली । २ प्रतिष्ठा, मरवल-पु. एक प्रकार का वाद्य विशेष । इज्जत । ३ वर्ग।
मरवानगी-स्त्री० [फा० मर्दानगी] १ मर्द होने की अवस्था मरतबान-पु. १ प्राचार, मुरब्बा प्रादि रखने का बर्तम । या भाव। २ बल, पौरुष । ३ साहस, हिम्मत । ४ वीरता, २ अमृतबान ।
बहादुरी। ५ पुसत्व गुण। मरतबा-पु. [अ० मर्तबः] वार, दका, पारी।
मरवानी-वि० [फा०मर्दानी] मर्दो की, मदों के काम पानेवाली। मरतबो-देखो 'मरतब।
-डोढ़ी, बोढ़ी-स्त्री. महल में पुरुषों का प्रवेश द्वार । मरतलोक-देखो 'म्रित्युलोक' ।
मरदांनू (नौ)-वि० [फा०मर्दानः] (स्त्री० मरदांनी) १ मर्दो का, मरतुजय-देखो म्रित्युजय' ।
मर्दो संबंधी । २ बल-पौरुष वाला, शूरवीर। -पु० बल, मरतु-देखो "म्रित्यु।
पौरुष व वीरता। मरतुजामली-स्त्री० हजरत अली की एक उपाधि ।
| मरदांमरव-वि०१मों में मर्द, नर श्रेष्ठ । २ अद्वितीय पुरुष, मरत्य-पु० [सं० मयं] शरीर, बदन । -वि० १ मरणशील, वीर, योद्धा। -पु० अर्जुन का एक नामान्तर । -क्रि. वि.
मरणासन्न । २ देखो 'म्रित्यु'। -सोक-'म्रित्युलोक' । जबरदस्ती, बलात् । येन-केन-प्रकारेण । मरदग-देखो 'म्रदंग।
मरवाई-स्त्री० मर्दानगी। मरद-पु० [फा० मर्द] १ पुरुष, नर, प्रादमी । २ पति, खाविंद।
मरवुम-पु० [फा० मर्दुम] मनुष्य, इन्सान । -सुमारी-स्त्री.
जन-गणना । मंत्री। ४ वीर पुरुष । ५ मनुष्य जाति, मानव वर्ग ।
मरदूद-वि० [फा० मर्दू द] तिरस्कृत, बहिष्कृत, नीच । शक्ति, साहस व पौरुष वाला व्यक्ति । -वि० १ बल,
मरद्द- देखो 'मरद'। पौरुष व साहस से युक्त । २ साहसी । ३ पुरुष का, पुरुष
मरहक-देखो 'मरदक' । संबंधी। ४ कुचलने व नष्ट करने वाला। ५ पीसने वाला,
मरद्दण, मरद्दन-देखो 'मरदन' ।-काळी : 'मरदनकाळी'। घोंटने वाला।
मरद्दल-देखो 'मरदळ'। मरवक-वि० [सं० मर्दक] १ मर्दन करने वाला । २ चबाने
मरद्दां-मरह-देखो 'मरदांमरद'। वाला।
मरहित-वि० [सं० मर्दित] १ यसला हुमा, जिसका मर्दन • मरदगी-देखो 'मरदानगी' ।
किया गया हो । २ पीसा हुआ। ३ नष्ट किया हुधा । मरवण-देखो 'मरदन'।
| भरपूरी-वि० मर-डूब कर किसी तरह पूरा किया गया।
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मरीची
मरम-पु० [सं० ममं] १ सत्य, यथार्थ । २ सार, तत्त्व । मरहठ-पु० [सं० महाराष्ट्र] १ दक्षिण भारत का एक प्रान्त,
३ प्राशय, अर्थ, भाव । ४ रहस्य, भेद । ५ कपट, छल ।। महाराष्ट्र । २ देखो 'मरघट' । ६ शरीर का नाजुक भाग । ७ संधिस्थल । हृदय । ९ एक मरहठी-वि०महाराष्ट्र का, महाराष्ट्र संबंधी।-स्त्री०१ महाराष्ट्र वाद्य विशेष । -वि० गुप्त, छुपा हुमा ।
___ की भाषा। २ महाराष्ट्र की स्त्री। मरमक-पु. एक प्रकार का प्राभूषण ।।
मरहठौ-पु. १ महाराष्ट्र का निवासी। २ एक जाति विशेष । मरमग, मरमग्य वि० [सं० मर्मज्ञ] १ सत्य या यथार्थ जानने मराड़णी (बो)-देखो 'मराणी' (बी)।
वाला । २ सार व तत्त्व बताने वाला। ३ अर्थ समझाने | मराज-देखो 'महाराज'। वाला । ४ रहस्य या भेद जानने वाला, भेदिया । मराट-वि० १ मारने वाला, मर्दन करने वाला। २ नष्ट व ५ प्रकाण्ड पंडित । ६ विद्वान ।
विध्वंस करने वाला । ३ जबरदस्त, जोरदार । मरमचर-पु० [सं० मर्म+चर] हृदय ।
४ शक्तिशाली, बलवान । ५ दृढ़, मजबूत। ६ सख्त, ठोस । मरमट-पु० १ गर्व, अमिमान । २ बल, पौरुष, शक्ति।
७ अधिक, बहुत। मरमत-देखो 'मरम्मत'।
मराणो (बो)-क्रि० १ किसी जीवित प्राणी को मरवाना। मरमपीड़ा-स्त्री० १ प्रान्तरिक पीड़ा । २ मानसिक क्लेश। वध या हत्या कराना। २ युद्ध में झूझने के लिये प्रेरित मरमप्रहार-पु० शरीर के नाजुक अंगों पर किया जाने वाला करना। ३ अधिक भूखा-प्यासा रखना। ४ पिटवाना। प्रहार।
५ कष्ट भोगाना । ६ पराजित कराना । ७ मैथुन या संभोग मरममोख-पु० चोर।
कराना। मरमर-स्त्री० [सं० मर्मर] १ पत्तों की हल्की खड़कन । मरातब, मरातिब-पु० [अ० मतंब] १ अधिकार युक्त पद ।
२ पत्तों की परस्पर रगड़ । ३ पत्तों को रगड से होने | २ दर्जा श्रेणी । ३ क्रमशः पाने वाली प्रवस्थाएँ। ४ तह, वाली ध्वनि । ४ एक प्रकार का सफेद पत्थर ।
पृष्ठ । ५ मकान । ६ मंजिल । ७ ध्वजा, पताका, झडा। मरमराणी (बी)-क्रि० १ पत्तों का परस्पर टकराना, रगड़ ८ प्रतिष्ठा, इज्जतं ।
खाना। २ पत्तों की रगड़ से ध्वनि होना । ३ बोझ से | मराळ, मराल-पु० [सं० मराल] (स्त्री० मराळि, मराळी) झुकते हुए चरमराना।
१ हंस । २ एक जल पक्षी विशेष, कारण्डव । ३ घोड़ा, मरमरी-स्त्री०१ बेसन की पकौड़ी या सेंब । २ मरने की इच्छा। प्रश्व । ४ हाथी। ५ बादल, मेघ । ६ अंजन, सुरमा । ३ दूध या छाछ में तैरने वाली घी की डली।
७ अनार के वृक्षों का कुंज या बाग । ८ दोहे छद का एक मरमस्थल (स्थान)-पु. शरीर के नाजुक अंग, संधिस्थल । भेद। -वि. १ कोमल, चिकना । २ छली, कपटी बदमाश । मरमी-वि०१ मर्म संबंधी, मर्म का । २ मर्म जानने वाला। मराबरणो (बी)-देखो 'मराणी' (बी)। मरमीक-देखो 'मरमग्य' ।
मरिच-१ देखो 'मरीचि'। २ देखो 'मिरच'। ३ देखो 'मरीच'। मरमु मरमी, मरम्म-देखो 'मरम'।
मरियाद, मरियादा-देखो 'मरजाद' । मरम्मत-स्त्री० [फा०] १ किसी वस्तु की टूट-फूट सुधारने का | सोनी , एक मंत्रा
मरी-स्त्री. १ एक संक्रामक रोग विशेष । महामारी । कार्य, जीर्णोद्धार । २ मारपीट, दण्ड ।
२ मृत्यु, मौत। मरयाद, मरयावा-देखो 'मरजादा'।
मरीच-पु० [सं०] १ एक रघुवंशीय राजा । २ काली मिरच । मरवट-देखो 'मरोट'। ।
३ काली मिरच का पौधा । ४ देखो 'मारीच'। ५ देखो मरवण-स्त्री० १ स्त्री या पत्नी के लिये एक संबोधन । २ एक
'मरीचि'। लोक गीत विशेष । ३ देखो 'मारवणी'। मरवी-पु० [सं० मरुबकः] १ तुलसी जाति का एक पौधा ।। मरीचि-पु० [सं०] १ ब्रह्मा का प्रथम पुत्र एक प्रजापति । २ एक लोक गीत विशेष । ३ दोहे का एक भेद ।
२ भृगु के पुत्र एक ऋषि । ३ एक स्मृतिकार ऋषि । मरसियौ-पु० मृतक के शोक में रचा गया पद्य या छन्द ।
४ एक ज्योतिष शास्त्रज्ञ । ५ एक मरुत का नाम । मरहट-१ देखो 'मरघट' । २ देखो 'मरहठ'।
६ एक दानव विशेष । ७ एक राजा । ८ श्रीकृष्ण का मरहटी-पु. १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'मरहठौं' ।
ऐक नामान्तर । ९ कंजूस व्यक्ति । १० सूर्य । ११ प्रकाश मरहट्ट, मरहट्ठ, मरहठ्य-१ देखो'महरठ' । २ देखो'मरहठौं'। का अणु। १२ किरण, मयूख, रश्मि । १३ मग तृष्णा । मरहट्टी-देखो 'मरहठी'।
मरीचिका-स्त्री० [सं०] १ किरण, रश्मि । २ मृगतृष्णा। मरहट्ठो, मरहठो-देखो 'मरहठो' । (स्त्री० मरहट्टी) | मरीची-देखो 'मरीचि'।
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.मरीज
मलंगणी
मरीज-वि० [अ०] रोगी, बीमार, अधिकतर रुग्ण रहने वाला। महडियो-पु० १ एक वर्ग विशेष । २ देखो 'मुड' । मरीयत-स्त्री० [सं० म्रिङ] महामारी, भयंकर संक्रामक रोग। मा-पु. १ मूर्छा, गश । २ देखो 'मरु' । मरु-पु० [सं० मृ+उ] १ पानी के प्रभाव वाला, रेतीला-सूखा | मकाउ-देखो 'मरवों'।
प्रदेश, रेगिस्तान । २ मारवाड़ प्रदेश । ३ जलहीन पर्वत । | मनमाड़ि-देखो 'मारवाड़। ४ एक सूर्यवंशी राजा। ५ विदेह का एक प्राचीन राजा। महउ-पु० मुकुल ।
६ एक दैत्य जो नरकासुर का प्रमुख सहायक था। मरूक-पु० [सं०] १ मोर, मयूर । २ एक प्रकार का मृग । मराडि, माडि-देखो 'मारवाड़' ।
मस्त-देखो 'मरुत'। मरुक-पु० [सं०] १ मोर, मयूर । २ एक लोक-समूह । ३ देखो | महतयांन-पु० [सं० मरुतयान] गरुड़। 'मरुग' ।
मरूदेव-देखो 'मरुदेव'। मक्कांतर-पु० रेगिस्तान, मरुभूमि ।
महदेवा (देवी)-देखो 'मरुदेवी' । मरुग-पु. मरु प्रदेश, मारवाड़, रेगिस्तान ।
महधर (धरौ)-देखो 'मरुधर' । मरुत-पु० [सं०] १ वायु. पवन । २ वायु का अधिष्ठाता देव । मरूमडळ-पु. मारवाड़।
३ इन्द्र । ४ देवता । ५ कश्यप व दिति के पुत्र उनचास | मरूवी-देखो 'मरवौ'। देवगण । ६ मनुष्य । ७ पहाड, पर्वत । ८ मरुवक नामक | मरेटौ (ठो)-देखो 'मरहठौ' । पाषा । ९ श्रीकृष्ण के समकालान एक महाष । -चक्र-पु.मरोड़-स्त्री० [सं०मुरम्] १ मोड़ने, घुमाने या ऐंठने की क्रिया। वात चक्र ।-जरण-पु. राक्षस । -सखा-पु. इन्द्र, पवन ।
२ ऐंठन, बल, डेढापन। ३ पेट में होने वाला वात विकार, -सुत, सुति-पु. हनुमान, बजरंग, भीम।
पीड़ा, दर्द । ४ विरोध, वैमनस्य । ५ गौरव, मान, प्रतिष्ठा मरत्त-पु० [सं०] १ वैशाली का तुर्वसु वंशीय एक राजा।
इज्जत । ६ वीरता, पराक्रम । ७ गर्व, पभिमान, घमंड । २. एक यादव राजा । ३ देखो 'मरुत' ।
८ नायिका का गुमान, मान। . मवत्पति-पु० [सं०] देवराज इन्द्र । मरुत्पथ-पु० [सं०] आकाश, अंतरिक्ष ।
| मरोड़णी(बी)-क्रि० [सं० मुरम्] १ वस्तु या अंग को घुमाना, मरुत्वत-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ इन्द्र । ३ हनुमान ।
फेरना, ऐंठन देना, बल डालना। २ घुमाकर टेढ़ा कर देना। मरुत्सुत-देखो 'मरुतसुत'।
३ नष्ट करना, समाप्त करना। ४ कष्ट या पीड़ा बेना। मस्थळ-देखो 'मरुस्थळ' ।
५ तोड़ना । ६ रूठना। मरुख-देखो 'मरद'।
मरोड़फळी, मरोडाफळी-स्त्री. प्रौषधि के काम की एक फली, मरदेव-पू० [सं०] १ इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा ।२ एक देव | पावर्तनी। विशेष।
मरोड़ी-स्त्री. १ लोहे की बनी छोटी पेचदार कटिया। २ देखो मरुदेवी-स्त्री. भगवान ऋषभदेव की माता ।
'मरोड़ो। महद्रथ-पु० घोड़ा।
मरोड़ो-पु०१ पेट में होने वाला वात विकार, ऐंठन, दर्द, पीड़ा। मरुद्विप-पु. १ हाथी । २ घोड़ा।
२ रक्तातिसार रोग । ३ गवं, अभिमान । ४ ऐंठन, बस । मरदेस-पु० मारवाड़।
धुमाव । ५ मोड़। ६ उमस, गर्मी। माधम्बा-पु० [सं० मरु+धन्वन्] मरुस्थल, मारवाड़।
मरोट (8)-देखो 'मारोट' (8)। मरुधर (धर)-पु० मरु प्रदेश । मरुधरा (भूमि)-स्त्री० १ मारवाड़ । २ निर्जन भूमि
मरोडी-पु. एक प्रकार का अफीम । ३ रेगिस्तान ।
मरी-पु० मृत्यु, मौत। मधरियो-पु०मारवाड़ का निवासी, मारवाड़ी। -वि० मारवाड़ मलंग (मलंगो)-पु० [फा०] १ मुसलमान साधु विशेष । का, मारवाड़ संबंधी।
२ सूफी फकीरों की एक शाखा । ३ मस्त फकीर । ४ एक मरभूमि-स्त्री० मारवाड़, मरुधरा ।
प्रकार का बगुला । ५ छलांग, झंप । ६ उछलते हुए चलने मस्यउ-देखो 'मरवी'।
की क्रिया। -वि० १ छलांग लगाने वाला। २ मस्त, मरवण-देखो 'मरवण'।
बेफिक्र । ३ पुष्ट, मोटा। ४ लापरवाह । । मच्चो-देखो 'मरवौं'।
मलंगरणी (बी)-क्रि० १ छलांग लगाना, कूदना।२ कूदते हुए मस्थळ, मरुस्थळि-पु० निर्जल व रेतीला प्रदेश ।
चलना।
गर्व, प्रमिएन, पद, पीर
१ मोड़।
| मरोहा
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मळ
(
३४० )
मळाई
ज्वर।
मळ, मल-पु० [सं० मलः] १ मल, मूत्र। २ मैल, गंदगी। भागों का ढेर । ५ प्राचीन समय में भू-स्वामियों से लिया
३ शरीर के विकार । ४ पाप, दुष्कर्म । ५ अवगुण, दोष । जाने वाला एक कर। ६ मनोविकार, दूषित भावना। ७ कपूर। ८ समुद्र का | मळमजरण-पु० [सं० मल+मज्जन] पानी, जल । फैन। ९ मिलावटी धातु विशेष । १० मादा पशुओं के मलम-पु० [फा० महम] घाव पर लेपन करने की चिकनी योनि द्वार से बहने वाली गंदगी। ११ धातु का मैल। प्रोषधि। -पट्टी-पु० उक्त मल्हम लगा कर बांधने की १२ कमाया हुमा चमड़ा व चर्म वस्त्र । १३ कचरा । पट्टी । उक्त प्रकार का उपचार। .. १४ देखो 'मल्ल'।
मलमल, मलमलसाही-स्त्री० एक प्रकार का बारीक वस्त्र । मलउसीउं-पु० एक वस्त्र विशेष ।
मळमास-पु० [सं० मल-मास] १ मलिन मास । २ दो प्रमावस्या मलकछ, मलकछो-पु. शुभ रंग व वर्ण का घोड़ा विशेष । व संक्रांति के प्रभाव वाला चन्द्रमास । मलका-पृ० १ एक छंद विशेष । २ देखो 'मलिका'।
मलमुलच-पु. [सं० मलिम्लुच:] चोर । मलकाहली-स्त्री० एक प्रकार का वाद्य ।
मळय-पु० [सं० मलय] १ चंदन के वृक्षों वाली, दक्षिण भारत मलयका-पु० १ एक मांसाहारी पक्षी । २ देखो 'मलिका'।
की एक पर्वत माला । २ उक्त पर्वत माला के पास का गलखंभ (खंम)-पु० १ वसरत के लिये बनाया गया लकड़ी का प्रदेश, मालाबार । ३ उक्त, प्रदेश का निवासी । ४ इम म्तंभ । २ इस स्तंभ से की जाने वाली कपरत ।
प्रदेश का श्वेत चंदन । ५ एक उपद्वीप । ६ इन्द्र का नन्दन मलजुङ, मलजुध-देखो 'मल्लयुद्ध'।
वन । ७ गरुड़ का एक पुत्र । ८ बाग । ९ एक प्राचीन मळम्बर-पु० [सं० मल+ज्वर] मलावरोध से होने वाला राजा । १० छप्पय छंद का एक भेद। -गिर, गिरि, गिरी
-पु. दक्षिण भारत का मलय पर्वत, इस पर्वत में होने मळण-पु० मालिश, उबटन ।
वाला चंदन । एक प्राचीन देश । मळणी (बो)-क्रि० [सं० मलनं] १ मालिश या उबटन करना। | मळयज-पु० [सं० मलयज] १ चन्दन । २ राहु नामक ग्रह ।
२ लेपन करना, पोतना । ३ दबाना, अधिकार में करना ।। -वि०१ मलय पर्वत या प्रदेश में होने वाला । २ शीतल*। ४ हाथों से मसलना, मर्दन करना । ५ दो वस्तुओं को | मळयद्र म-पु० चन्दन का वृक्ष । परस्पर रगड़ना । ६ हाथ फेरना। ७ मिटाना, नष्ट करना। मळयवासिनी-स्त्री० दुर्गा देवी।। ८ कुचलना । ९ मरोड़दा, ऐंठना । १० पीसना । ११ देखो | मळयवासी-पु. मलय देश का निवासी। 'मिळणौ' (बी)।
मळयागिरि-पु० १ एक रंग विशेष । २ देखो 'मळयगिरि'। मलतांन-देखों 'मुलतांण'।
मळयाचल, मलयाचल-पु. दक्षिण का मलय पर्वत । मद्वार-पु० [सं० मलद्वार] गुदा द्वार, मल निकलने वाली मळयातर- देखो 'मलतर' । इन्द्रियां।
मळयानिळ-पु० [सं० मलय+अनिल] मलय पर्वत से पाने मलप-देखो ‘मलफ'।
वाली शीतल वायु, बयार । मलपणी (बो), मलप्पणी (बो)-देखो 'मलफणी' (वी)।
मळयालम-पु० १ भारत का केरल प्रान्त । २ इस प्रान्त
की भाषा। मलफ-पु. १ छलांग, कूद, कुदान । २ उड़ान। ३ मस्ती,
मळयाळी-पु. मलयालम में बसने वाली एक जाति विशेष । झूमना क्रिया । ४ प्रयाण ।
मलयुज-देखो ‘मलया। मलफणी (बी), मलफ्फणी (बी)-क्रि०१ छलांग लगाना, कूदना ।
मळरोधक-वि० कब्ज करने वाला। २ फांदना । ३ उड़ना। ४ तेजी से आगे बढ़ना । ५ झूमते
मलवरक-पु. एक प्राचीन कर । हुए चलना । ६ मंद गति या मस्ती से चलना।
मलविता-स्त्री० मल्ल विद्या । ७ प्रयाण करना, चलना । ८ फंदे में फंसना। ९ दौड़ना,
मळसारणी (बी)-कि० चिढ़ना, तुनकना, झल्लाना । भागना । १० दौड़ कर जाना।
मलाण-पु० १ वाहन, सवारी। २ देखो ‘म्लांन' । मलबाथ-स्त्री० मल्ल युद्ध या कुश्ती का एक दाव ।
मलांरिग (पी)-देखो 'मालाणी'। मेलबारी-स्त्री० १ एक प्रकार का वस्त्र । २ एक फल विशेष । मळाई-स्त्री. १ गर्म दूध या दही पर जमने वाली परत जिसमें मळबौ-पु. १ कचरा, कूड़ा-कर्कट का ढेर । २ टूटी-फूटी या घी अधिक होता है। दूध की साढ़ी। २ सार भाग, मुख्य
निरर्थक वस्तुमों का ढेर । ३ गिरे हुए मकान की धूल- तत्त्व। ३ मलने की क्रिया या भाव। ४ उक्त कार्य की पत्थर का ढेर । ४ किसी बड़ी वस्तु के टूटे या नष्ट हुए। मजदूरी। ५ देखो 'मिलाई।
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मलाकरसी
( ३४१ )
मलोमली
मलाकरसी-पु० [सं० मलाकर्षिन] १ भंगी, महत्तर, हरिजन । | मळियातर-देखो 'मलतर'। २ कूड़ा-कचरा साफ करने वाला।
मलियेच-देखो 'मळेच्छ' । मलाका-स्त्री० [सं०] १कामातुर स्त्री । २ दूती। ३ वेश्या, | मलियौ-पू०१बंदर । २ देखो 'मल्लो' । रंडी। ४ मादा हस्ती, हथिनी।
मळी-स्त्री. १ जस्ते का फूला, एक औषधि । २ माफत, बला। मलाखा-पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
मली-स्त्री०१ऊन भरने का बोरा । २ बला, प्राफत । मलाखी-वि. अज्ञानी, मूर्ख ।
मलीग्रागिर (गिरि, गिरी)-देखो 'मलयागिरि'। मलाखू-वि० ऐंचाताना।
मळीच-देखो 'मळेच्छ' । मलागरी,मलागिरी-१ देखो 'मलयागिरी' । २ देखो' मळयगिरि'। मळीची-पु. एक प्रकार का घास व इस घास के बीज । मलाजमत-देखो 'मुलाजमत' ।
मळीजी-स्त्री० प्राफत, बलाय । मलाणी (बी)-देखो 'मल्हाणी' (बी)।
मलीरण-देखो 'मलिन'। मलापणी (बी)-देखो 'मलाफरणो' (बी)।
मलीरणपुहकर-पु० चन्द्रमा । मळाफ-देखो 'मलफ'।
मलीवी-पु० [फा० मलीद] १ चूरमा नामक खाद्य पदार्थ । मळाफणी (बो)-क्रि० १ छलांग लगाना, उछलना, कूदना । २ विशिष्ट खाद्य पदार्थ, पकवान ।
फांदना । २ झूमते हुए चलना, झूमना। ३ मंद गति से ! मलीन-देखो 'मलिन'। मस्ती में चलना ! ४ उड़ान भरना, उड़ना। ५ प्रयाण | मलीनमुख-वि० खिन्न चित्त, उदास । करना, चलना । ६ दौडना, भागना ।
मलोमलुच-देखो 'मलमुलच'। मलाबार-पु० भारत के दक्षिण का एक प्रान्त ।
मलीमस-पु. १ लोहा । २ पाप । ३ मलिन, मैला । मलार-स्त्री० वर्षा ऋतु का एक राग ।।
मळीयागर-देखो 'मळयगिरि'। मलारि, मलारी-स्त्री०वसंत ऋतु की रागिनी। -वि०१मलार | मलीर-पु० एक वस्त्र विशेष । का, मलार संबंधी। २ प्रानन्द देने वाला।
| मलुक, मलूक-पु० [अ० मुलूक] १ युवक । २ बादशाह, राजा। मलाल-पु० [अ०] १ दुःख, रंज। २ पश्चाताप, अफसोस, ३ घोड़ा, अश्व । ४ बन्दर । ५ पुष्प, फूल । ६ एक प्रकार उदासी । ३ कष्ट, तकलीफ । ४ रंग विशेष का घोड़ा।
का पक्षी । ७ एक प्रकार का कीड़ा। ८ उदर, पेट । ९ एक मलासय-पु० मल का स्थान, मलाशय ।
बहुत बड़ी संख्या । -वि० १ कोमल, मुलायम । २ सुन्दर, मलि-देखो 'मैल'।
मनोहर । ३ नाजुक, सुकुमार। मलिक-पु० [अ०] (स्त्री० मलिका) १.बादशाह, सम्राट । मलूकजावी-पु० शाहजादा, राजकुमार ।
२ शासक, अधीश्वर । ३ शाही दरबार की एक उपाधि। । मलूको-पु० हरिण्य कश्यप का वेश बनाने वाला व्यक्ति । मलिका-स्त्री० [म०मलिक:] १ बादशाह की बेगम, साम्राज्ञी। मलेच्छ, मलेछ-पु० [सं० म्लेच्छ] (स्त्री० मलेच्छरणी, मलेछणी) २ रानी, महारानी। ३ देखो 'मल्लिका' ।
१ भारतीय समाज की कोई शूद्र जाति या वर्ग। २ इस मलिन्छ-देखो 'मलेच्छ ।
जाति का व्यक्ति। ३ यवन । ४ तांबा। ५ जंगली जातियों मलिन-पु० [सं०] १ अपराध, गुनाह । २ दोष, अवगुण । की बोली विशेष । ६ एक भाषा विशेष । -वि०१ निकृष्ट,
३ रनों का एक दोष । ४ मठ्ठा, तक। ५ सोहागा। नीच । २ गदा, मैला । ३ स्पष्टं बोलने वाला। अनार्य। ६ चन्दन, अगर । ७ गो का ताजा दूध । ८ हंस । ९ दस्ता, ५ जाति बहिष्कृत। मूठ, हस्था। १० नखरा । -वि. १ मल से युक्त, मैला, | मलेछणी-वि० १ यवनों की । २ म्लेच्छों की; म्लेच्छ संबंधी। गंदा । २ अपवित्र, प्रशुद्ध । ३ दिल का काला, पापात्मा। मलेछमुख-पु० तांबा धातु । ४ नीच, दुष्कर्मी । ५ कान्तिहीन, श्रीहीन, मंद, धीमा। मळे-देखो 'मळय'। ६ धुघला । ७ उदास, म्लान । ८ दोष युक्त, दोषी।
मळेपद-देखो 'मलयगिरि। मलिनता, मलिनाई-स्त्री. १ मलिन होने की दशा, अवस्था या भाव । २ गंदगी, मैल । ३ अपवित्रता। ४ उदासी।
मळगिर (गिरि, गिरी)-देखो 'मळयगिरि'। ५ फीकापन । ६ कालापन । ७ दोष, ऐब, खराबी । मळेतर, मळतरि, मळेतक-पु० [सं० मलय तक चंदन का वृक्ष ८ पाप ।
__ इस वृक्ष की लकड़ी। मळियागर (गरि, गरी, गिर, गिरि, गिरी)-देखो 'मळयगिरि। मळेयंद-देखो 'मलय' । मळियाचळ-देखो 'मळयाचळ' ।
| मलोमती-कि० वि० जबरदस्ती, बलात् ।
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मलो
मलौ पु० एक प्रकार की कंटीली झाड़ी ।
मल्ल - पु० [सं०] १ एक प्रचीन जाति । २ द्वन्द्व युद्ध करने वाला योद्धा । ३ द्वन्द्व युद्ध | ४ योद्धा, वीर, बहादुर ५ पहलवान । ६ एक संकर जाति । ७ एक प्राचीन जन पद । ८ शक्तिशाली व्यक्ति । ९ प्याला, कटोरा १० कपोल, कनपटी ११ नैवेद्य १२ श्रीराम के मंत्री सूश का पुष १३ धर्म के साथ पुत्रों में से एक १४ एक राक्षस । - वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ मजबूत, दृढ़ । ३ कसरती । ४ रोबीला ५ अच्छा, उत्तम । मालक पु० एक व्यावसायिक जाति।
मल्लवुड (बुध, गुरध) देवो 'मल्लयुद्ध' ।
मल्लणी (बौ) - १ देखो' मलणी' (ब) । २ देखो 'मिळणी' (बी) मल्हावियौ पु० एक प्रकार का घोड़ा ।
मल्लताळ - स्त्री० संगीत की एक ताल ।
मवइ स्त्री० मनोती।
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मल्लारी स्त्री० वसंत ऋतु की एक राविनी । मल्लाह पु० [अ०] नाविक, धीवर, केवट मल्लि पु० जैनियों के एक तीर्थंकर मल्लिक पु० [सं०] एक प्रकार का हंस मल्लिका स्त्री० ० १ एक छंद विशेष । २ चमेली । ३ एक प्रकार का बेला ।
( ३४२
मल्लिका पु० [सं०] मल्लिकारक्षि] १ एक प्रकार का घोड़ा जिसकी बांधों में सफेद धब्बे होते हैं। २ उक्त प्रकार के सफेद धब्बे । ३ एक प्रकार का हंस ।
|
एक शिव लिंग । २ एक राजा का नाम ।
महिल जिन (नाथ) - पु० जैनियों के तीर्थंकर |
मल्लिवाल पु० एक देश का नाम । महलीत - देखो 'मसलत' ।
२ देवता फरिश्ता सौंपने वाला व्यक्ति ।
मल्लभूमि- स्त्री० [सं०] १ मल्ल युद्ध की भूमि, युद्ध भूमि मवक्किल पु० [अ०. मुवक्किल] १ किसी वकील का प्रासामी । २ कुश्ती का मैदान, अखाड़ा । ३ अपना कार्य किसी अन्य को मल्लयुद्ध - पु० [सं०] १ दो योद्धाओं का द्वन्द्व युद्ध । २ कुश्ती । मल्लयोद्ध (योद्धा) - पु० [सं०] द्वन्द्व युद्ध करने वाला योद्धा । मल्लविद्या स्त्री० [सं०] कुश्ती की कला। महलसाळा स्त्री० [सं० मल्लशाला] १ मल्ल युद्ध करने का मबड़ौ - देखो 'मोड़ों' ।
स्थान । २ कुश्ती लड़ने का स्थान, प्रखाड़ा ।
मवजूद देखो 'मौजूद मवताळ-देखी 'मुक्तान' ।
मल्ला खाड़ी - पु० पहलवानों का प्रखाड़ा ।
मसारि पु० [सं०] मल+रि] 'महल' नामक असुर के शत्रु मवर-देखो 'मोर' ।
श्रीकृष्ण, शिव ।
- देखो 'मलूक' ।
मल्लूक
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महली - पु० १ व्यायाम के लिये उठाने का पत्थर । २ उक्त पत्थर से किया जाने वाला व्यायाम । वि० १. मस्त, मतवाला । २ केवल खाने-पीने की गरज वाला मित्र ।
महो०एक जाति विशेष का घोड़ा मल्हणौ (बौ) - देखो 'माल्हणी' (बौ) ।
मल्हचरणौ (बी), मल्हप्पणी (बौ) - देखो 'मलकरणी' (बो) । मल्हम - देखो 'मलम' ।
मल्लिकामोद-पु० ताल का एक भेद । मल्लिकारकुन पू० [सं० मल्लिकार्जुन] १ पर प्रतिष्ठित संजर- एक प्रकार का बहुमूल्य वस्त्र ।
श्रीशैल
पु०
मत देखो 'मस्त' ।
मल्हांल-पु० पड़ाव ।
मल्हारणी (बो) पु० १ मस्ती में घूमना, घूमते हुए चलना । २ अस्त-व्यस्त करना । ३ नाश करना, विध्वंस करना । ४ मलार राग गाना, अलापना 1 मल्हार - वि० १ प्यारा, प्रिय । २ देखो 'मलार' । महारौ (बी) क्रि० १ 'मल्हार' राग गाना २ सुमिरन करना, भक्ति करना ।
मस
मक्ष पु० पाडल नामक वृक्ष ।
मवड-१ देखो 'मोर' २ देखो 'मोट' ३. देखो 'माता'।
मवरण (a) - देखो 'मोरणी' (बौ) ।
मवरात स्त्री० पुण्य |
मवरित देखो 'मौरियोड़ी।
मवसर - देखो 'मोसर' ।
मवसी-१ देखो 'मौसी' २ देखो 'मवेसी' ।
मवाव - पु० [अ०] १ घाव से बहने वाला पीप । २ सामग्री, सामान | ३ मसाला । ४ प्रमाण ।
--
मवेशी पु० [० मवेशी ) पशु धन गाय, चैस चादि । ] -यांनी १० पशुचों को रखने का स्थान प्रवारा पशुओं को रखने का स्थान ।
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[सं-पु० १ सामंत ।। २ राजा । ३ देखो 'मसनद' | मसंबी - वि० १ सामन्तों की । २ देखो 'मसनदी' । मसंघ पु० सीमा, हृद
मस-पु० [सं० मश ] १ मच्छर डांस । २ गुनगुनाहट । ३ क्रोध | [सं० मसः ] ४ एक प्रकार तौल [सं० मशक ] ५ शरीर पर होने वाला दाग, दाना । मस्सा । ६ जोड़े
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( ३४३ )
मसबिरी
या बैल प्रादि का रोग विशेष । [सं० श्मश्रु] ७ मूछ के | मसतान-देखो 'मस्त' । बाल । ८ देखो 'मस्सों'।। देखो 'मिस'।
मसताक-देखो 'मुस्ताक'। मसउ, मसक-पु० [सं० मशक] १ मच्छर, डांस । २ भिश्तियों | मसती-देखो 'मस्ती'।
द्वारा पानी ढोने का, चमड़े का थैला । ३ कलाई । ४ दोनों | मसनद, मसनव-पु. [म०मस्नद] १ गद्दी, तकिया की बिछायत । हाथों को पीठ पीछे बांधने की क्रिया। ५ मजबूती से २ बड़ा तकिया ३ बड़ा तकिया लगाने का स्थान ।
बांधने की क्रिया या भाव । ६ मसकने की क्रिया या भाव । -नसीन-वि० गई तकियों पर बैठने वाला। अमीर । मसकणी (बी)-क्रि० सरकना, पसरना, फैलना।
मसनदी-वि० जहां मसनद लगे हों। मसकत-स्त्री० [भ० मशक्कत] १ मेहनत, मजदूर्ग, श्रम। मसपूरज-स्त्री० हेड्डी, प्रस्थि।
२ श्रमसाध्य कार्य, परिश्रम । ३ सेवा, चाकरी, नौकरी। मसर-मसर-क्रि० वि० धीमी गति से । धीरे-धीरे । ४ योग्यता।
मसरी-देखो 'मिसरी'। मसकर-पु० [सं० मस्कर] १ बांस । २ ज्ञान । ३ वंशी, बांसुरी। मसर, मसह-पु० [प्र. मशरूप] १ एक प्रकार का रेशमी
४ गति, चाल । ५ पोपली या थोथ वाली लकड़ी। ___ वस्त्र । २ रेशम व सूत का बना वस्त्र । मसकरि, मसकरी-देखो 'मसखरी'।
मसल-स्त्री० [अ०] १ कहावत, लोकोक्ति, मिसाल । २ समानता मसकरौ-देखो 'मसखरो'।
तुल्यता । ३ विषय, प्रसंग । ४ सलाह, परामर्श । ५ देखो मसकली-पु. छुरी, चाकू मादि पर धार देने का पत्थर ।
'मिसल' । ६ देखो 'मिसिल'। मसकित-देखो 'मसकत'।
मसळणी (बी)-क्रि० १ दोनों हाथों को परस्पर रगड़ना, मलना। मसकी-स्त्री० [सं०] गूलर । -वि. मशक से पानी भरने या | २ दबाकर रगड़ना, दबाकर हिलाना। ३ जोर से दबाना, ढोने वाला।
गूदना । ४ दबाव देकर पेस देना, मार देना, नष्ट कर मसकीन-वि० [म. मिस्की] १ प्रार्थी, विनीत, विनम्र । २ दीन, देना । ५ मर्दन करना।
असहाय, दरिद्र, गरीब । ३ सरल, सीधा-सादा । मसलत, मसलति (ती, त, ती) मसलहत-स्त्री० [म. मसलहत] ४ भिखारी । ५ त्यागी, विरक्त ।
१परामर्श, सलाह, मशविरा । २ गुप्त परामर्श, गोपनीय मसक्कत-देखो 'मसकत'।
वार्ता । ३ विचार-विमर्श, वार्तालाप । ४ ऐसी युक्ति जो मसक्की-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
सहज में जानी जासके। ५ भेद, रहस्य । ६ उल्लेख, मसखरी-स्त्री० [म. मस्खरः१ हंसी-मजाक, दिल्लगी। वर्णन । ७ विचार, मंशा, माशय ।
२ किसी का उपहास । ३ अवहेलना, बेइज्जती। मसळारणी (बी)-क्रि० १ दोनों हाथों को परस्पर रगड़ाना, मसखरौ-वि० [म० मस्खरः] हंसी, दिल्लगी, उपहास करने मलाना। २ दबा कर रगड़ाना, दबाकर हिलवाना ।
वाला । -पु०१ मजाकी स्वभाव का व्यक्ति । २ हास्य | ३ जोर से दबवाना, हिलवाना। ४ मरवाना, पिसवाना, अभिनेता । ३ विदूषक ।
नष्ट कराना । ५ मर्दन कराना। मसग-पु. १ एक प्रकार का बहुमूल्य वस्त्र । २ देखो 'मसक'। मसलि-१ देखो 'मिसल' । २ देखो 'मिसिल'। ३ देखो 'मसल'। मसगूल-वि० [म. मश्गूल] १ व्यस्त, लीन । २ किसी कार्य में मसलो-पु० १ व्यंग, ताना । २ समस्या, उलझन । ३ लोकोक्ति, संलग्न, प्रयत्नशील ।
कहावत । ४ परामर्श । ५ विषय, प्रसंग । मसजिव-स्त्री० [अ० मस्जिद] मुसलमानों का नमाज पढ़ने का मसल्ल-देखो 'मसल', 'मिसल', 'मिसिल' । मन्दिर, भवन ।
मसवाड-पु. १ मासिक वृत्ति, वेतन । २ देखो 'मास'। मसम्जर-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
मसवारि-क्रि० वि० मास में । मसट (ई), मसठ-वि० [सं० मष्ठ] १ चुप, मौन । २ संस्कार
मसवाडौ-देखो 'मास'। शून्य । ३ भूला हुमा । ४ ध्वस्त, नष्ट । मसत-देखो 'मस्त'।
| मसवासि, मसवासी-पु० [सं० मासवासी] (स्त्री० मसवासिणी) मसतक (क्क, ग)-देखो 'मस्तक' ।
___एक ही स्थान पर एक मास तक रहने वाला वैरागी। मसतपी, मसतफा-पु. [म मुस्तफा १ मोहम्मद साहब की एक मसवासिणि, मसवासिणी-स्त्री. १ वेश्या, रण्डी। २ मासवासी।
उपाधि । २ पवित्र पात्मा, सत्पुरुष । -वि. १ शुद्ध, मसविबी-पु० [म०मसन्विदः] १ किसी पत्र या लेख का प्रारूप । पवित्र, निर्मल । २ प्रवगुण रहित ।
पांडुलिपि । २ किसी कार्य की भूमिका । मसतांक-वि० [म. मुश्ताक] उत्कंठित, उत्सुक ।
| मसबिरी-पु० [म. मशविरा] विचार-विमर्श, परामर्श, सलाह ।
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। ३४४ )
मस्त
मसहव-पु० मुसलमानों का एक तीर्थ स्थान ।
मसीन-स्त्री० [अं० मशीन यंत्र, कल । मसहूर-वि० [प० मशहूर] प्रसिद्ध, प्रख्यात, विख्यात । मसीह, मसीहा-पु० [अ०] १ ईसाइयों के धर्म गुरु । २ ईसा का मां-क्रि० वि० मुश्किल से, कठिनता से। .
एक नाम । मसाल-पु० [सं० श्मशान] १ मृतक का दाह संस्कार करने का मसु-पु० [सं० मशक] मच्छर ।
स्थान, मरघट । २ मरघट की तरह लगने वाला स्थान या | मसुरौ-देखो 'मसनद'। मकान । ३ युद्ध भूमि, रणस्थल । ४ भूत-पिशाचों के लिये मसूड़ो मसूढ़ -पु० [सं० श्मश्र] मुंह का वह भाग जिसमें दांतों प्रयुक्त स्थान । -वि० प्रतिवृद्ध। -खम-पु० श्मशान भूमि | की जड़ें रहती हैं। में खड़ा स्तंभ। -भोम-पु० श्मशान भूमि। -वासी-पु. मसूदो-देखो ‘मसविदो' ।
शिव, महादेव । भूत-प्रेत । साधु, सन्यासी, फक्कड़। मसूर-पु० [सं० मसुरः] १ एक प्रकार का द्विदल प्रश्न । २ देखो मसारिणयो-वि० [सं० श्मशान] श्मशान का, श्मशान संबंधी। 'मसहूर'।
-पु० १ श्मशानों में रहने वाला साधु या व्यक्ति । २ भूत | मसूरति-स्त्री० सलाह, विचार, परामर्श ।' प्रेत आदि । ३ जोगियो का एक भेद । -वैराग-पु. मसूरि-देखो 'मसूर'।
श्मशान के वातावरण से होने वाला अल्पकालीन वैराग्य । | मसूरिक-पु० एक कर्मचारी विशेष । मसांसी-स्त्री० [सं० श्मशान] प्रेतनी, पिशाचिनी। | मसूरिका-स्त्री० [सं०] १ मसूर के दाने जैसी चेचक । मसाणी, मसांन-देखो 'मसारण' ।
२ दूती। मसा-पु. [सं० मशकमच्छर ।
मसूरिया, मसूरीया-वि० तकिया रखकर चलने वाला। मसारगल्ल, मसारी-पु. एक प्रकार का रत्न विशेष । | मसूरियो-पु० १ जोधपुर का एक स्थान । २ स्त्रियों के पांव का मसाळ, मसाल-स्त्री० [अ० मशाल पुराने समय की एक बड़ी| प्राभूषण विशेष । चिराग, बत्ती।
मसूस-स्त्री. १ मन मसोसने की क्रिया या भाव। २ देखो मसालची-पु०१ मशाल जलाने वाला व्यक्ति । २ मसाल लेकर | 'महसूस'।
चलने वाला अनुचर, सेक्क । ३ रसोईघर में मसाले पीसने | मसोड़, मसोडि-स्त्री० सर्दी में, रजाई के अन्दर मोढ़ा जाने वाला वाला नोकर।
वस्त्र, सोड़। मसाली, मसालेदार-वि. जिसमें मसाले मिले हों, चटपटा। मसोड़ो-देखो 'मसूड़ो' ।। -पु० अच्छे मसालों वाला व्यजन, भोजन ।
मसोतो-पु. १ रसोईघर में, रूमाल की तरह काम प्राने वाला मसालो-पु० [फा० मसालह) १ शाक-सब्जी आदि में पड़ने वस्त्र । २ गन्ने का रस बनाने में काम पाने वाला एक डंडा
वाला मिरच, नमक मादि । २ मेवा, मिश्री धादि खाद्य | विशेष । पदार्थ । ३ पौषधियों व रासायनिक पदार्थों का मिश्रण। मसोबी-१ देखो 'मसविदो' । २ देखो 'मसोतो'। ४ विशिष्ट वस्तु तैयार करने के लिये काम में ली जाने | मसोसपो (बी)-क्रि० १ सांस रोक कर मारना, समाप्त करना । वाली वस्तुएँ । ५ साधन-सामग्री।
२ मन की इच्छा या प्रावेश को बलात् दबाना, रोकना । मसाहली-पु० [सं महासाधनिक] १ घुड़शाला का अधिकारी। ३ कुण्ठित होना, कुढना । ४ ऐंठना, मरोड़ना। ५ तंग या
२ घोड़ों को प्रशिक्षण देने वाला। -वि० श्मशान में तंत्र परेशान करना । ६ निचोड़ना। साधना करने वाला।
| मसौ-पु० [सं० मशक] १ मच्छर । २ देखो 'मस्सो' । मसि-स्त्री० [सं०] १ काली स्वाही । २ स्याही।। कालिख,
| मसौदेबाज-वि० १ प्रच्छी युक्ति करने वाला। २ मसविदा कालिमा । ४ काजल । ५ अंधेश। ६ निमुडी का फल ।
बनाने वाला । ३ धूर्त, चालाक, दुष्ट । ७ कृष्ण वर्ण । काला रंग । ८ देखो 'मिस' । ९ देखो
मसौदौ-१ देखो 'मसविदो' । २ देखो 'मसौतौ'। "मिस्सी' ।
मस्कोरणी (बो)-क्रि० १ बिगाड़ना, विकृत करना । २ मुह मसिबिंदु-पु० [सं०] काजल का छोटा टीका ।
बिगाड़ना। मसिलत-देखो 'मसलत'। मसी-स्त्री०१ ऊंट, हाथी प्रादि पशूपों के झरने वाला मद।। मस् जिद-देखो 'मसजिद'। २ देखो 'मसि' । ३ "मिस्सी'।
मस्तंगी-१ देखो 'मस्त' । २ देखो 'मस्तगी'। मसीजरणी-पु० मसिपात्र, दवात ।
मस्त-वि० [फा०] १ मतवाला, उन्मत्त । २ मदोन्मत्त, नशे में मसीत, मसीति, मसीव-देखो 'मसजिद'।
चूर । ३ मौज या मस्ती से परिपूर्ण। ४ बेपरवाह,
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मस्तक
महजित
निश्चित । ५ खुश मिजाज, प्रसन्न रहने वाला। ६ प्रच्छी ३ गुरु परंपरा में गद्दीधारी व्यक्ति। ४ ब्राह्मण, पंडित । अनुभूति में मग्न । ७ जो अपने में लीन हो, अपने हाल से | -वि. प्रधान, मुखिया । संतुष्ट । ८ किसी कार्य में लीन, संलग्न, रमा हुमा । | महंतमोह-पु. महामोह । ९ अनुरक्त, मोहित। १० यौवन में परिपूर्ण । महतर-देखो 'महत्तर'। ११ अभिमानी, गर्वीला। १२ भयंकर । १३ खिलाड़ी, | महताई, महंति, महती-स्त्री. १ महंत होने की अवस्था या रसिक । १४ पागल।
भाव । २ महंत के अधिकार । ३ महंत का पद। . मस्तक, मस्तकु. मस्तक्क, मस्तग-पु० [सं० मस्तक] १ शिर, | महंदी-देखो 'मैदी'।
माथा, मुण्ड । २ भाग्य, तकदीर । ३ शिखर, चोटी। मह माई, महमाय-देखो 'महामाया'। मस्तगि, मस्तगी-पु० १ एक प्रकार का बढिया गूद। २ देखो | मह-पु० [सं०] १ उत्सव, जुलुस । २ उत्साह, खुशी। ३ नैवेद्य, 'मस्तक' ।
भेंट । ४ यज्ञ, हवन । ५ बलिदान, उत्सर्ग । ६ भैसा। मस्तान, मस्तांनि, मस्तानी-वि० १ जो मस्ती में हो, मस्त, -स्त्री०७ प्राभा, दीप्ति, चमक । -वि. मधुर, मीठा । मदोन्मत्त । २ देखो 'मस्ती'।
-सर्व० [सं० प्रहम्] १ मैं, मेरा। २ देखो 'मही। मस्तानी-वि० [फा० मस्तानः] (स्त्री० मस्तांनी) १ मस्तों की | महकंध-स्त्री. सुगंध, खुशबू, सौरभ । -वि. बड़े-बड़े कंधों
तरह का, मस्त,उन्मत्त । २ पागल । ३ मोटा, ताजा, वाला। तगड़ा ।
महक-स्त्री० १ सुगंध, सुवास, खुशबू, सौरभ । मस्ताई-देखो 'मस्ती'।
| २ गंध, वास। मस्तारणी (बी)-क्रि. १ मस्त होना, उन्मत्त होना। २ पागल | महकरणौ (बी)-क्रि० १ सुगंधित होना, सुवासित होना । २ गंध
होना । ३ मुग्ध होना। ४ मोटा-ताजा होना। ५ मस्ती में देना। ३ बोलना, कहकना। झुमना । ६ मस्त करना, मस्ती में लाना । ७ मोहित करना महकदार-वि. जिसमें खुशबू या सौरभ हो। मोहना।
महकम-वि० [अ० महकूम] अधीन। मस्तिकि-देखो 'मस्तक'।
महकमो-पु० [अ० महू कमः] १ प्रदालत, न्यायालय । २ विभाग, मस्ती-स्त्री० [फा०] १ मस्त होने की अवस्था या भाव । कार्यालय ।
२ उन्मत्तावस्था, मतवालापन, उन्माद । ३ खुशी, मानन्द । महकाणी (बी)-क्रि० १ सूगंधित या सुवासित करना। २ गंध ४ नशा । ५ संभोग की प्रबल इच्छा, काम-वेग । ६ शैतानी । युक्त करना। ३ बोलाना, कुहकाना। बदमाशी। ७ लापरवाही, निश्चितता । ७ पशुषों, वृक्षों | महकाळी-देखो 'महाकाळी'। मादि का रस स्राव । ६ ईश्वर उपासना में लीनता। महकासुर-देखो 'महिसासुर'। १० मुग्धावस्था।
महकी-देखो 'महिसी'। मस्तु-पु० [सं० मस्+तुन्। १ दही का पानी । २ फटे दूध का महकीलो-वि० महकने वाला, खुशबूदार।
महक्करणो (बौ)-देखो 'महकों ' (बी)। मस्तूल-पु. [पुतं०] नाव के बीच का बड़ा खंभा ।
महकत-देखो 'महाऋत' । मस्थ-देखो 'मस्त'।
महख, महखो-देखो 'महिस'। मस्ल-देखो 'मसल'।
महखि (बी)-देखो 'महिसी' । मस्सा-देखो 'मसां'।
महगळ (ल)-देखो 'मदकळ'। मस्सी-१ देखो 'मसि' । २ देखो 'मिस्सी'।
महग्य-वि० [सं० महायं] मूल्यवान, कीमती। मस्सो-पु. १मर्श रोग । २ देखो 'मस'।
महा-पु. गृहस्वामी (मेवात)। महं-देखो 'महा'।
महड़ी-स्त्री. १ छाछ । २ गृहस्वामिनी (मेवात)।
महचक-पु० [सं० महसूचक्र] १ सूर्य । २ चन्द्रमा । प्रकाश महकणो (बो)-देखो 'महकरणी' (बी)।
का गोला। महगाई-देखो 'मूगाई।
महज-वि० [अ०] १ केवल, सिर्फ, मात्र । २ निर्मल, बालिश, महंगो-देखो 'मू" गौ'।
शुद्ध । ३ निरा, प्रत्यल्प । महंत-पु० [सं०] - किसी सम्प्रदाय का प्राचार्य, प्रधान साधु । | महजरनामो-देखो 'मेजरनामों'।
२ सम्प्रदाय के किसी मठ का अधिष्ठाता, मठाधीश । महजित, महजिद, महजीत, महजीव-देखो 'मसजिद'।
पानी।
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महज्जुई
महमा
महज्जुई-पु० [सं० महाद्य ति] तेज प्रकाश, पाभा, कान्ति ।। | महतु-देखो 'महता'। महण-पु० [सं० महार्णव] १ महासागर, समुद्र । २ ईश्वर । महत्तत्त्व-पु०[सं०] १ प्रकृति का विकार । मूलतत्त्व । २ पच्चीस
३ डिंगल का एक छन्द । -मत्य, मथ-पु. विष्णु। -वि. | तत्त्वों में से तीसरा तत्त्व । महा शक्तिशाली।
महत्तम-वि० [सं०] १ सब से बड़ा। २ सब से ऊंचा, सर्व महणमह-पु. ईश्वर, परमेश्वर ।
श्रेष्ठ । ३ सब से अधिक । महणारथ-पु० समुद्र।
महत्तर-पु० [सं०] १ सर्वाधिक प्रतिष्ठित व्यक्ति । २ मुख्य या महरिण, महणी-१ देखो ‘महण' । २ देखो 'मणी' ।
प्रधान व्यक्ति । ३ गांव का मुखिया या बड़ा बूढ़ा। महरणो-देखो 'मणी'।
४ राज्य या बडी जागीर का प्रबंधक । ५ भंगी या हरिजन महण्णव-देखो 'महारणव'।
का एक संबोधन । महत-वि० [स० महत्] १ महान्, श्रेष्ठ। २ विशाल, भीमकाय | महत्ता-स्त्री० १ बड़ाई, विशेषता, महत्व । २ सम्मान, पादर ।
बड़ा, मोटा । ३ लंबा, चौड़ा, विस्तृत । ४ पर्याप्त, विपुल। ३ बड़प्पन । ४ देखो 'महता'। ५ अत्यधिक, बहुत । ६ दृढ़, मजबूत । ७ ताकतवर, बलवान । | महत्पुरुस-पु० [सं० महत्पुरुष] १ पुरुषोत्तम । २ महापुरुष । ८ उग्र, प्रचड, तेज । ९ गाढा, घना। १० आवश्यक, महत्व-पु०१ महान होने की अवस्था या भाव । २ विशेषता महत्वपूर्ण । ११ प्रसिद्ध, प्रख्यात । १२ उच्चकुलीन, | खासियत । ३ विशालता, गुरुता । सवर्ण। -पु० [सं० महत्व] १ आदर, मान, सम्मान । महद- वि० १ उत्साहवर्द्धक । २ महान्, बड़ा । ३ विशाल । २ बड़प्पन, बड़ाई । ३ अनन्तता, प्रखंडता । ४ असंख्य होने | महवालय-पु० आकाश, पासमान, नभ । की दशा । ५ राज्य, शासन । ६ प्रकृति का मूल तत्त्व । महदी-पु० [१०] १ ठीक रास्ते पर चलने वाला । २ शीया ७ ब्रह्म । ८ शिव । ६ जल, पानी। १० पवित्र ज्ञान । मुसलमानों का धर्म गुरु । ३ शोया सम्प्रदाय के २२वें ११ ऊंट । १२ देखो 'महत्व'।
इमाम । ४ देखो 'मेंदी'। ५ देखो 'मैंदी'। -वि. दीक्षा महतउ-१ देखो ‘महत्व' । २ देखो 'महत्ता'।
प्राप्त, दीक्षित। महतकळायण, महकिलारण-स्त्री० १ बादल, मेघ । २ घन-घटा। | महदीप-देखो 'महद्वीप'। महतगुणा-पु० [सं० महागुण] हंस ।
महनत, महन्नत-देखो 'मैं'नत'। महतर-देखो 'महत्तर'।
महनौ-देखो 'महिनो' महतत्त्व-देखो ‘महत्तत्त्व' ।
महपत, महपति, महपती, महपत्ति, महपत्ती-देखो 'महीपति' । महता-पु० [सं० महत्तर] १ राजा या किसी रईस के राज्य या | महपसमी-पु० [स० महत् +फा० पश्मी] बढ़िया ऊन का
जागीर का प्रबंधक । २ मुख्य या प्रधान व्यक्ति । ३ देखो बना वस्त्र। 'महत्ता'।
महपाळ-देखो 'महिपाळ' । महताप (ब)-पु० [फा०] १ चन्द्रमा । -स्त्री० २ चांद की | महपिता-देखो 'पितामह' ।
चांदनी, चंद्रिका। अग्नि । ४ रोशनी, चिराग ,मोमबत्ती। महपुर-पु० [सं० महिपुर] भू-लोक, पृथ्वीलोक । ५ एक प्रकार की आतिशबाजी। ६ जहाज पर रात में महफिल-स्त्री० [अ०] मजलिस, सभा, गोष्ठी। लगाई जाने वाली एक रोशनी। '
महबदी-स्त्री. प्रेयसी, प्रेमिका, महबूबा । महताबी-वि० [फा०] १ 'महताब' का, महताब सम्बन्धी। महबर-पु. एक प्राचीन देश ।
२ महताब' की तरह चमकने वाला। -पु०१ सोने, चांदी | महबळी-देखो 'महाबळी'। मादि के चमकीले तारों का बना वस्त्र, जरबफ्त | महबुब, महबूब-वि० [अ० महबूब] (स्त्री० महबूबा) १ अत्यधिक २ प्रातिशबाजी विशेष ।।
प्यारा, प्रिय । २ प्राशिक, प्रेमी । ३ प्रेम करने योग्य । महतारी-स्त्री० [सं० माता] जननी, मां, माता ।
४ रसिया, शोकीन । ५ खुश मिजाज । महतिजसुर-पु० [सं० महतीजसुर] स्वामिकात्तिकैय ।
महमंत-देखो 'मैमंत'। महती-स्त्री०१मंत्री, अमात्य या महामात्य की स्त्री। २ मुखिया
महमंती-१ देखो 'मैमतौ' । २ देखो 'ममंत'। या प्रधान की स्त्री । ३ नारद की वीणा का नाम । -वि. विशाल, दीर्घाकार।
महमंद-१ देखो 'मैमंद' । २ देखो 'मैमंत'। महतीद्वावसी-स्त्री० [सं०] भाद्रपद शुक्ला द्वादशी तिथि जो महम-देखो 'मुहिम'। श्रवण नक्षत्र में पड़े।
. | महमद-१ देखो 'मुहम्मद' । २ देखो 'ममंद'।
हना
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महमह
महमांचा महमान-देखो 'मैं'मान'
महमांनी देखो 'मं 'मांनी' ।
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।
महमह क्रि०वि० सुमन के साथ महमहरण - पु० [सं० महार्णव ] १ श्रीकृष्ण का एक नामान्तर । २ ईश्वर परमेश्वर विष्णु ४ समुद्र सागर ।
महमहली (बौ) - कि० १ महकना, खुशबू देना। २ गंध देना। महादेवी महिमा |
महमा देखो 'महिमा ।
महमाई, महमाय महमाया देखो 'महामाया' ।
( ३४७ )
महमान देवो मम ।
महमुद, महमुद - १ देखो 'महमूद' । २ देखो 'मुहम्मद' । महमुदी, महमूदी पु० [प्र० मुहम्दी ] १ एक प्रकार का बढ़िया वस्त्र । २ देखो 'मुहम्मदी ।
महमूद वि० [०] १ श्रेष्ठ, उत्तम २ शुभ, अच्छा ३ प्रशंसनीय, प्रशंसित । ४ इष्ट । -पु० एक प्रसिद्ध
मुसलमान बादशाह ।
महमूदी- देखो 'महमूदी' ।
महमोहरा देखो 'मदनमोहन
महम्मह - वि० सब से बड़ा, सर्वश्रेष्ठ, महान । महम्मा देखो 'महिमा' ।
1
महरंभ महरंभ ० १ परमात्मा ईश्वर ब्रह्म २ जान, बोध । ३ श्रात्मा । वि० १ भेदी, जानकार । २ ज्ञानी, विवेकी, तत्वज्ञ । ३ पवित्र. शुद्ध ।
1
1
महर स्त्री० [फा०] मेह] १ दया कृपा, अनुग्रह २ सहानु भूति हमदर्दी । ३ ममता, प्यार । ४ करुणा । ५ सूर्य सूरज ६ गूजर, ग्वाला, महीर । ७ मुसलमानों में की भोर से कन्या को दिया जाने वाला धन ।
देखो
दुर्लभ्य ।
महरयता स्त्री० [सं०महा] महंगा होने की अवस्था या भाव। महरबान देखो 'मे'मान'
महरलोक - पु० [सं० महर्लोक ] सात उध्वं लोकों में से चौथा लोक । महरलो - वि० (स्त्री० महरली ) भीतर या अन्दर का महरवान देखो 'मे' यांन
महरवानगी, महरबानी - देखो 'मे' रवांनी' |
'महिर' ९ देखो 'मुहर' ।
महसल पु० सलाहकार । महा देखो 'मसाल' |
महरय [वि० [सं० महापं] १ बहुमूल्य, कीमती २ महंगा, महता, महतासुर-देवी महिना
महसी देखो 'महिसी'।
महसूल - पु० १ कर, लगान, चूंगी। २ किराया, भाड़ा । महसूस वि० धनुभूत, ग्राभासित समझा धा
1
महरबानगी, महरवांनी- देखो 'में' रबांनी' ।
।
महरम पु० [अ०] १ रहस्य, भेद या ममं २ को जनानामहसेन पु० एक राजा का नाम । में जा सके। ३ अंतरंगमित्र, दोस्त ४ भीतरी रहस्य से महां सर्व १ हम २ देखो 'मां'
·
परिचित । ५ जानकारी ।
1
महरसि महरसी पु० [सं० महर्षि] १ ऋषियों में महान, बेष्ठ २ ऋषियों की एक पदवी ।
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महरांण, महरांणी-देखो 'महारणव' । महरा स्वी० एक प्रकार की कहार जाति ।
महराई स्त्री० १ उक्त जाति का कार्य २ बहीर होने का भाव । महराबवार देखो 'मेहराबदार' ।
महरावण- देखो 'महारावण' ।
महरि-देखो 'महर' |
महरिया, महरिसिदेखो 'महरम'
महरू देखो 'महर'।
महरूम वि० [० महूम] १ निराश, नाउम्मेद २ चित ३ प्रभागा, बदकिस्मत । ४ प्रसफल, नाकामयाब
महळ - देखो 'महिला' ।
महल पु० [अ० महल ] १ मकान पर
या राज प्रासाद । ३ देवालय, मंदिर । खाना । ५ स्थान, जगह । ६ अवसर, 'महिला' ।
मलका-१० [सं०] काष्ठ+फा० महत] चिता ।
महलायत पु० राजभवन, भवन ।
महळि (ळी) - १ देखो 'महल' । २ देखो 'महिला' । महली-देखो 'महत्वो' ।
महत्व-१ देखो 'महल' २ देखो 'महिला' । महल्लक - पु० राज्य कर्मचारी ।
महल्लकल्लिका, महल्लिका-स्त्री० राज्य कर्मचारिणी । महल्ली - पु० [अ० महल्लः] मुहल्ला, गवाड़, बास । महवर स्त्री० [सं०] महोवर] मग्नि । महवीर देखो 'महावीर' ।
महसद्द - पु० ब्रह्मा ।
महा
कोई बड़ा भवन
1
४ रनिवास जनानमौका । ७ देखो
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महांस महान वि० १ बेष्ठ, उत्तम २ विवाल, बड़ा ३ श्रत्यन्त, बहुत । ४ देखो 'महारणव' । महानता स्त्री० १ चेष्ठता, उत्तमता २ विशालता । ३ अधिकता ।
"
,
महा - वि० [सं०] १ प्रत्यन्त प्रति बहुत । २ सर्वोच्च, उच्चतम, सर्वोत्तम । ३ भयंकर, घोर ४ बड़ा, महान । ५ वीर, बहादुर । स्त्री० [सं०] मातृ] १ गाय २ देखो 'महां' ।
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महाप्रग
(
३४८ )
महाजोधा
महाप्रग-पु० [स०] ऊंट।
महागौरी-स्त्री० १ दुर्गा । २ पार्वती। ३ विंध्य पर्वत से महाअहि-पु. शेषनाग ।
निकलने वाली एक नदी । ४ माठ विशिष्ट देवियों बहाउर-देखो 'महावर'।
में से एक। महामखधी, महापौखद-स्त्री० [सं० महौषधं] १ सर्व रोग हरण | महाग्यांनी-पु० [सं० महाज्ञानिन्] १ शिव। २ बहुत बड़ा
दवा । र सोठ । ३ लहसुन । ४ वत्सनाम। [स. महा+ | विद्वान ।।
पौषधि] ५ बड़ी गुणकारी दवा । ६ दूब, दूर्वा पास । महाग्रह -पु० [सं० महाग्रह] १ सूर्य । २ राहु । महाकत पु० [सं० महाकांत] शिव, महादेव ।
महाग्रीव-पु० [सं०] १ शिव । २ ऊट। महाकंबु-पु० [सं० महाकम्बु] शिव, महादेव ।
महाघण-पु० [सं० महाघन] प्रलय कालीन मेघ । महाकच्छ-पु. स. महाकच्छः ] १ समुद्र । २ वरुण । महाघणरूप-पु. [सं. महाधन रूप] विष्णु, ईश्वर । ३ पर्वत । ४ कच्छ की खाड़ी।
महाघोस-पु० [सं० महाघोष] भारी शब्द । नाद । महाकल्प-पु० [सं०] ब्रह्मा की पूर्ण प्रामु के बराबर का समय । महाघ्रत-पु. [सन्म हा घृत] एक मो ग्यारह वर्ष पुगना घो। महाकवि-पु. स. १ शुक्राचाय । २ काइ बड़ा कवि । महाचड-वि० [स] भयंकर, बबरदस्त । महाका-पु०१ भयकर विपत्ति, सकट । २ बड़ा रोब या पीड़ा । | महाचंडी-स्त्री० [सं०] दुर्गा । महाकांत-पु.सि. लिव, महादेव ।
महाचकरवरतो, महाचकवरती-पु. सम्राट । महाकांता-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि ।
महाचक्री-पु० विष्णु। महाकाय-पु. [सं०] १ हाथी, गज। २ विष्णु। ३ शिव । महाचतुर-वि० [स०] १ पंडित । २ चतुर, दक्ष । ३ सतर्क, ४ शिव का एक गण, नन्दी।
सावधान। महाकालिको-या सं. महाकात्तिकी] रोहिणी नक्षत्र की महाचपला-स्त्री० प्रार्या छन्द का भेद । कात्तिक पूणिमा।
महाचाई-वि० महात्यागी। महाकाळ-पु० [म.महाकाल] १ शिव । २ शिव का एक मत । महाचोरण-पु. एक देश का नाम ।
३ शिव की एक प्रलयकारिणी प्रतिमा । ४ विष्णु । महाछत-पु. बड़ा भत्रिय, शूरवीर। ५ भयकर दुभिक्ष, मकाल । ६ कठिन समय । ७ एक | महानग-पु. भय कर युद्ध । नदी विशेष ।
महाजग्य-पु० विशाल व बड़ा यज । महाकाळी-स्त्री० [सं० महाकाली] १ महाकाल स्वरूप शिव | महाजटियाळ, महाजटीयाळ-पु. १ महादेव, शिव । २ बड़ी
की पत्नी। २ दुर्गा, शक्ति, पार्वती । क्ति की एक जटावाला। अनुचरी । ४ नियों की एक देवी।
महाजत-पु० [सं० महायति] संयमी, यति । महाकाव्य-पु० [सं०] १ पाठ या अधिक सर्गों में रचित कोई महाजन-पु. [सं.] १ धनी र अमीर व्यक्ति। २ व्यापारी, प्रबंध काव्य । २ बड़ा काव्य ।
बनिया । ३ गुणवान व चरित्रवान पुरुष । ४ साधु पुरुष । महाकुमार-पु० [सं०] किसी राजा का बड़ा पुत्र, युवराज । ५ व्यापारी वर्ग का मुखिया । ६ व्यापारी वर्ग। ७ श्रेष्ठ महाकुस्ट-पु. [स० महाकुष्ठ] एक प्रकार का कुष्ठ राय। पुरुष । ८ जन समुदाय। महाकोट-पु० एक तीर्थ विशेष ।
महाजनिक-पु. जन समुदाय । महाक्षेत्र-पु. स. एक तीथं विशेष ।
महाजनी-स्त्री० १ व्यापारिक गणित । २ बहियों की लिपि । महाऋत, महावित-पु० [सं० महाकृत्य] दान, पुण्य प्रादि शुभ | ३ रुपयों के लेन-देन का व्यवसाय । ४ सज्जनता । कार्य ।
-वि. महाजन का, महाजन संबधो। महाखरव-पु० [सं० महाखवं] सौ खरब की एक सख्या। महामन्न-देखो 'महाजन'। महागणपति-पु० गणेश, गजामन ।
महाजळ-पु० समुद्र, सागर । महागरिस्ठ-वि०१ अत्यधिक ठोस, ढ़। २ अधिक वजनी,
महाजुग-देखो 'महायुग'। भारी । ३ जो पासानी से हजम न हो। महागिड़-पु० १ वराह अवतार का एक नाम। २बड़ा वराह, |
महाजुध-देखो ‘महायुद्ध' । सूपर।
महाजोगी-देखो 'महायोगी'। महागिरी-पु.१हिमालय मादि बड़े पहाड़। २ कुबेर के महाजोयेसर, महाजोगेस्वर-देखो 'महायोगेस्वर'। माठ पुत्रों में से एक ।
| महाजोधा, महाजोधार-पु०वीरों में अग्रणी।
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महावाळ
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( ave)
महातत (स) देखो 'महतस्त्व' ।
महालय महानपि पु० [सं० महात्वस्] १ बड़ा तप साधना २ बड़ा तपस्वी । ३ विष्णु ।
महाज्वाळ (वाळा) त्री० [सं० महाज्वाला) १ वश को महादांनी वि० 'महादान' देने वाला बड़ा दानी। अग्नि । - पु० २ एक नरक का नाम । ३ महादेव । महादीन - वि० प्रत्यन्त निर्धन, गरीब । महाडोल, महाडोल - स्त्री० १ बड़ी डोली, पालकी । २ एक महादीप, महावीय-देखो 'महाद्वीप' । प्रकार की पालकी जो सती होने वाली रानी को श्मशान महादुकाळ, महादुकाल - पु० भयंकर दुष्काल, भारी प्रकाल । तक ले जाने में उपयोग ली जाती थी । महादुस्ट, महादुस्टी दि० प्रत्यन्तनोव, प्राततायी, प्रत्याचारी महातक- पु० [सं०] महाघातंक) १ भमकर घातक, डर, खौफ महादे, महादेव पु० [सं०] महादेवः शिव ] प्रातंक, ] । [स० महा अंतक] २ भयंकर रोग । ३ मृत्यु, मौत ३ मृत्यु, मौत महादेवी स्त्री० दुर्गा, पार्वती, क्ति । - वि० भयंकर | महाग्रह पु० [सं० महाहृद ] बहुत बडा गर्त ।
1
।
महाड म पु० [सं०] १ अश्वत्थ, पीपल । २ वट वृक्ष | ३ ताड़ वृक्ष । ४ बड़ा वृक्ष ।
महाद्वीप पु० [सं०] १ चारों ओर जल से गिरा भू-भाग जिसमें कई देश बसे हों । २ एक मात्रिक छन्द विशेष । महाधन- वि० [सं०] १ बड़ा धनवान २ बड़ा। बहुमूल्य पोशाक।
|
-पु० [सं०] महान] १ सोना महाधनुस पु० [स०] शिव का एक नामान्तर । महाघातु - पु० [सं०] १ सोना, स्वर्ण । २ शिव, महादेव । ३ सुमेरु पर्वत ।
महाविराज, महाधोराज पु० राजाधों में श्रेष्ठ ।
महातपोधन- पु० [सं०] बड़ा तपस्वी ।
- ] । महातम पु० [सं०] माहात्म्य १ महिमा, गौरव बढ़ाई महत्व
2
२ श्रादर, मान, सम्मान। [सं० महा-तम] ३ घोर अंधकार । ४ देखो 'महात्मा' ।
महातमा - देखो 'महात्मा' ।
महातपु० [सं०] महातलम् ] अधः लोकों में से पांचवां लोक ।
महातळाय पु० बड़ा तालाब ।
महाताव० [सं० महाताप] सिंह शेर । महातिक्खवि० [सं० महातीरा] घरयन्त तीक्ष्ण, तेज । महातेज, महातेजस, महातेजेसुर - पु० [सं० महातेजस्] १ स्वामि कात्तिकय । २ शिव । ३ अग्नि । ४ पारा, पारद । ५ शूर बीर बहादुर ।
महात्मन, महात्मा० [सं० महात्मन्) १ परम् वहा ईश्वर
२ शिव । ३ बडा साधु, संन्यासी । ४ ऊंचे विचार एवं श्रेष्ठ गुणों वाला पुरुष । ५ दानी, दातार । ६ धूर्त, चालाक । महात्रिफळा स्त्री० एक श्रौषधि विशेष ।
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महावळ पु० [सं० महादन] बड़ी सेना फीज
महादेव स्त्री० १ प्रदान २ देखो 'महादेव' । महावसा - स्त्री० ज्योतिष के अनुसार मुख्य ग्रह की दशा । महादान पु० [सं० महादान ] १ ग्रहण के समय शूद्रों को दिया -जाने वाला दान । २ स्वर्ण की कामना से दिया जाने वाला
दान ।
महाभ० [सं०] महास्तम] १ बड़ा व भीमकाय स्तभ । २ मोटे तने वाला वृक्ष - वि० दीर्घाकार, बड़ा महाड पु० [सं०] १ कठोर सजा । २ भाषिक दृष्टि से भारी
सजा 1 ३. यम का दंड ४ बड़ा डंडा । ५ बड़ी बाह, भुजा ।
महादंडधारी - पु० [सं०] यमराज ।
महानारायण पु० [सं०] विष्णु ।
महावत ( बस ) - पु० [सं० महादत्त) बढ़ा दान - वि० बड़ा महानाव-स्त्री० [सं०] बड़ी नौका, जहाज, बेड़ा।
दानी, उदार ।
महानिखा
महाधू - वि० [सं० मह+धी] १. बुद्धिमान, ज्ञानी । २ सर्वोच्च शिरोमणि । [सं० महा-धू] ३ घटल, निश्चित । महानंदी स्त्री० [सं०] शराब, मदिरा । महानठ-पु० [सं०] १ शिव । २ श्रीकृष्ण । महालव ० १ एक बड़ी नदी २ एक प्राचीन तीर्थ महानवी स्त्री० [सं०] १ गंगा, यमुना धादि बड़ी नदियां । २ बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली एक धन्य नदी । महानरक्ष-पु० इक्कीस बड़े नरकों में से एक । महानवमी नवी० प्राश्विन शुक्ल नवमी। महानस - पु० [सं०] रसोईघर, पाकशाला । महानाद - पु० [सं०] १ बावल की गरज । कोलाहल । ३ बड़ा ढोल या नकाड़ा
२ तेज ग्रावाज ४ सिंह, शेर
५ हाथी । ६ ऊंट । ७ शिव, महादेव ८ काम ९ शंख । १० एक प्रकार का वाद्ययंत्र ।
महानास - पु० १ प्रलय २ कोई बड़ा विनाश । ३ प्रलय कालीन रुद्र ।
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महानिद्रा - स्त्री० मृत्यु, मोत 1
महानिधांन पु० [सं०] धातु भेदी पारा वि० बुभुक्षित। महानिता, महानिसि-स्त्री० [सं० महानिशा] १ रात का मध्य भाग, वर्ध रात्रि । २ कल्पांत या प्रलय की रात । ३ रात का दूसरा या तीसरा भाग ४ रात का समय ।
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महानीबू
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( ३५० )
महानींबू- पु० बड़ा नींबू, बिजौरा नींबू
महापातकी - पु० [सं० महापातविन्] १ महापातक कार्य करने वाला । २ दुष्ट, पापी ।
महानील- पु० [सं०] एक प्रकार का रत्न ।
महानुभाव - पु० [सं०] १ सज्जन या सभ्य पुरुष । २ प्रादरणीय महापातयोग- पु० [सं०] फलित ज्योतिष का एक योग । व्यक्ति । ३ सत्यनिष्ठ पुरुष
महानेत्र, महानंत्र - पु० शिव, महादेव ।
महान्रत्य - पु० [सं० महानृत्य ] शिव, महादेव ।
महापंचमूल पु० [सं०] बेल, धरनी, सोनापाढ, काश्यरी व पाटला इन वृक्षों की जड़ों का समूह ।
महापंचविस पु० [सं०] शृंगी, कालकूट, मुस्तक, बछनाग व कवियों का समूह।
महापंडित पु० [सं०] १ बड़ा पंडित, पंडितों में श्रेष्ठ । २ प्रतिष्ठित विद्वान ।
महापथक पु० मरने के उद्देश्य से हिमालय में जाने वाला पात्री । महावदम, महापद्म-पु० [सं०] महापथ] १ कुबेर की नौ निधियों
में से एक । २ आाठ दिग्गजों में से एक। ३ हाथियों की एक जाति । ४ नागों के नो वशों में से एक व इस वंश का नाग । ५ सफेद कमल । ६ सो पद्म की एक संख्या । ७ एक नगर का नाम । नारद का एक नामान्तर । ९ कुबेर का एक मनुचर । महापथ, महापब्ब देखो 'महापरव' ।
महापर- देखो महाप्रलय
महापर- पु० [सं० महापर्व ] १ उत्सव, पुण्यकाल । २ सुश्रववर, मौका । ३ यज्ञादि का महोत्सव । ४ त्योहार । महापरसाद- देखो 'महाप्रसाद' |
महापचितर, महापवित्र - पु० [सं० महापवित्र ] विष्णु । महापसाव - पु० [सं० महाप्रसाद] एक प्रकार का बड़ा इनाम
या दान |
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महापह - देखो 'महापथ' ।
महावारण - पु० [सं० महापाणि] प्रजानबाहु | महापातक पु० [सं०] १ हत्या, चोरी, मद्यपान, बरु पत्नी से संभोग आदिका पाप । २ श्रत्यन्त नीच कर्म । ३ देखो 'महापातकी'।
महापाप - पु० १ बड़ा पाप । २ दुष्कर्म, हेय कर्म । महापापी - पु० बडा पापी, दुष्ट, नीच । महावास० [सं० महापाश] १ यमपाश२यमदूत । ३ बहुत बड़ा बंधन ।
(जैन)
महापण वि० [सं०] महप्रतिश] दृढ़ प्रतिश महापक्ष, महापक्षी - पु० [स०] १ गरुड़ । २ एक प्रकार की महापुरस- देखो 'महापुरुस ' ।
महापुराण - पु० श्रीव्यास द्वारा रचित पुराण ।
बतख । ३ उल्लू । ४ पेचक । ५ कोई बड़ा पक्षी । मा० [सं० महाप्रत्याखान] १ जैनियों का एक ग्रंथ महापुरी - स्त्री० [सं०] १ राजधानी २ कोई बड़ा नगर । महापुरास पु० [सं० महापुरुष] १ नारायण, परमात्मा ईश्वर ।
विशेष । अनशन । महापच पु० [सं०] १ हिमालय का एक सीर्थ २ इक्कीस नरकों में से सोलहवां नरक। ३ परलोक का मार्ग । मौत, मृत्यु ४ शिव, महादेव ५ लंबा-चौड़ा रास्ता, राज पथ । ६ कई ऊंचे शिखरों के नाम ।
२ विष्णु का एक नामान्तर । ३ उच्च विचार व श्रेष्ठ गुणों वाला व्यक्ति । ४ दशनामी सन्यासियों का एक नाम । ५ दुष्ट, पाणी, मूर्ख व्यक्ति ।
महापीठ - पु० [सं०] १ कोई बड़ा पुण्य स्थान । २ देवी-देवता की स्थापित प्रतिमा कला स्थान । ३ वह स्थान जहां दक्ष पुत्री सती का कोई अंग या प्राभूषण विष्णु चक्र से कट कर गिरा हो । ४ शकर मठ । ५ कोई केन्द्र
महापुट पु० [स०] श्रौषधि को भस्म तैयार करने की कोई विधि ।
महापूजा त्री० [प्राश्विन के नवरात्रों में दुर्गा की पूजा । महापूठ - पु० [सं० महापृष्ठः ] ऊंट । महापूर- वि० [सं० महा-पूर्ण] बड़ों में बड़ा, उच्चतर । महाप्रतिपट - वि० १ बलवान, शक्तिशाली, महावीर । २ योद्धा । महाप्रन्य- देखो 'महापरव
महाप्रभु पु० [सं०] १ ईश्वर, परमात्मा । २ विष्णु । ३ शिव,
महादेव । ४ इन्द्र । ५ राजा ६ प्रधान या मुखिया । ७ चैतन्य । ८ वल्लभाचार्य की एक पदवी । ९ संन्यासी । १० उच्चकोटी का साधु ।
महाप्रळय ( प्रळे) - पु० [सं० महाप्रलय ] १ सब सृष्टि की जल में डूब जाने की स्थिति । २ महा विनाश का दृश्य । महाप्रसाद - पु० [सं०] १ श्रीजगन्नाथजी को चढ़ाया हुप्रा प्रसाद, नैवेद्य । २ किसी देवता को चढ़ाया हुग्रा नैवेद्य । ३ किसी महंत या महात्मा के भोजन का उच्छिष्ट अंश । ४ कोई बड़ा अनुग्रह । ५ मांस, ग्रामिष । ६ भोजन । महाप्रस्थान - पु० [सं०] १ मरने के उद्देश्य से की जाने वाली हिमालय की यात्रा । २ मृत्यु, देहान्त ।
महाप्रां पु० [सं०] उच्चारण भेद के अनुसार वर्ण विशेष । महाप्रांगध्यांन० [सं० महाप्राणध्यान] प्राण । महाबराह पु० [सं० महावराह] १ वराहावतार का नामान्तर २ बड़ा सूघर ।
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महाबळ
महामाय
महाबळ-पु० [सं० महाबल १ वायु, पवन । २ शिव का एक | महाभुजंग-पु. शेषनाग ।
पार्षद । ३ विष्णु का एक पार्षद । ४ वैवस्वत मन्वन्तर का | महाभुज-वि० [सं० महत्+भुज] प्राजानबाहु । इन्द्र । ५ स्कन्द का एक सैनिक । ६ एक दानव विशेष । महाभूत-पु० [सं०] पृथ्वी, जल आदि पांच भौतिकतत्व । ७ एक पुरुवंशीय राजा । ८ हनुमान । ९ मीसा, | महाभैरव-पु० [सं०] शिव ।
गंगा । -वि. प्रत्यन्त बलवान । वीर शिरोमणि । महाभैरवी-स्त्री० [सं०] १ तांत्रिकों की एक विद्या । २ पार्वती, महाबळा-स्त्री० [सं० महाबला] १ स्कन्द की एक अनुचरी। दुर्गा, शक्ति।
२ सहदेवी नामक जड़ी। ३ पीतल । ४ धो का पेड़ । महाभोग-पु० महाप्रसाद । ५ नील का पौधा । ६ एक मातृका । ७ एक बड़ी संख्या | महामोगा-स्त्री० [सं०] दुर्गा, देवी। की सज्ञा ।
महाभोगी-वि० महान अय्याश । -पु० बड़े फण वाला सर्प । महाबळि (बळी)-वि० [सं० महाबलिन्] १ शूरवीर, परा- महामंगळा-स्त्री. १ पृथ्वी, भूमि । २ पग्नि ।
क्रमी, बड़ा योद्धा । -पु. १ माकाश, मासमान । २ मन । महामडळ-पु० [सं०] १ कोई बड़ा वृत्त या घेरा। २ कोई बड़ा महाबवाळ-स्त्री० । बड़ी बलाय, बड़ा संकट । २ झगड़ा। संघ । ३ कोई बड़ा समुदाय जिसमें कई ईकाइयां हों। महाबाह, महाबाह, महाबाहू-वि० [सं० महाबाहूः] १ लंबी महामंडळेस्वर-पु. कई मंडलेश्वरों का अधिपति या नेता ।
भुजामों वाला; माजानबाहु । २ शूरवीर, बलवान । महामंत-देखो 'महामत्त' । -०१ विष्णु का एक नामान्तर । २ एक राक्षस जो कश्यप | महामंत्र-पु० [सं]१ कोई वेद मंत्र । २ सिद्धि प्राप्त करने का मंत्र । व दनु का पुत्र था । ३ घृतराष्ट्र का एक पुत्र । ४ मगध ३ ऐसा मंत्र जिसे जपने से संकट दूर होते हैं । ४ कोई का एक राजा।
चमत्कारिक मंत्र । ५ अच्छी सलाह, राय । महाबिख, महाबिस-देखो 'महाविस' ।
महामंत्रि, महामंत्री-पु. किसी राजा या राज्य का प्रधान मंत्री महाबिल-पु० [सं० महाबिलम्] १ माकाश । २ हृदय । __ महामात्य । ३ सुराख ।
महामरिण-स्त्री० १ स्त्रियों का सौभाग्य सूचक चिह्न । २ हीरा। महाब्राह्मण-पु० [सं० महत्-ब्राह्मण] मृतक के पीछे दान लेने महामणिमत्थ-पु. मद मस्त हाथी । वाला निकृष्ट ब्राह्मण ।
महामत, महामति, महामत-वि० [सं० महामति] १ महा बुद्धि महाभारी-पु० [सं०] बड़ा कोषाध्यक्ष ।
मान । २ विद्वान, पंडित । ३ मदोन्मत्त, मस्त । ४ ज्ञानी । महाभगत-पु. भक्त शिरोमणि ।
-पु० १ गणेश । २ एक बोधिसत्व । महामड़, महामङि, महामड (डी)-वि० [सं० महाभट] महान् महामद-पु० [सं०] १ मस्त हाथी । २ प्रत्यधिक गर्ष । योदा, जबरदस्त वीर । -पु. कामदेव, मदन ।
महामन-वि० [सं०] १ उदार हृदय । २ दानी, दातार । महामत-पु० १ पुराणानुसार एक पर्वत । २ एक व्रत विशेष । ३ अभिमानी। ३ देखो 'महाभद्रजिन' ।
महामहल-वि० [सं०] १ बड़ा पहलवान । २बड़ा योद्धा, बीर । महामव्रजाति (जाती)-पु० सफेद रंग का हाथी ।
महामसाणी-देखो 'मसाहणी' । महामजिन-पु० जैनियों के अठारहवें विहरमान ।
महामह-पु० [सं०] १ महोत्सव । २ समुद्र, सागर । महाभद्रा-स्त्री० गंगा नदी।
महामहरण-देखो 'महमहण'। महाभर-स्त्री० वर्षा की तेज बौछार ।
महामहिमक, महामहीमक-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
महामहोपाध्याय-पु०१ गुरुपों का गुरु, प्राचार्य । २ एक महाभांडारिक-पु. भण्डार का मालिक, खजांची ।
उपाधि विशेष । महाभागवत-स्त्री० [सं०] १ पुराणानुसार प्रसिद्ध बारह भक्त । महामारणक-पु. एक रत्न विशेष ।
२ परम वैष्णव । ३ श्रीमद्भागवत पुराण । ४ एक महामाइ(ई)-देखो 'महामाया' । प्रकार का छंद ।
महामात्य-देखो 'महामंत्री'। महाभारत (भारय)-पु. [सं महाभारत] १ वेदव्यास द्वारा महामाय, महामाया-स्त्री० [सं० महामाया] १ माता, जननी।
रचित एक प्रसिद्ध महाकाव्य । २ कौरवों तथा पांडवों । २ प्रकृति । ३ देवी, दुर्गा। ४ पार्वती। ५ सीता । का प्रसिद्ध महायुद्ध । ३ कोई भयंकर युद्ध, लड़ाई।
६. अष्टसिद्धियों में से एक । ७ बुद्ध की माता का नाम महामास्य-पु० [सं० महाभाष्य] १ पाणिनी के व्याकरण ८ गंगा । ६ प्रार्या छंद का एक भेद । १० देखो
पर पतंजलि द्वारा लिखित भाष्य । २ बड़ी टीका । 'मावलिया।
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महामारी
।
३५२ )
महालोक
महामारी-स्त्री० [सं०] प्लेग प्रादि भीषण संक्रामक बीमारी। महाराज, महाराजा-पु. (स्त्री० महाराणी) १ राजामों में महामुद्रा-स्त्री० योग साधना की एक मुद्रा विशेष ।
श्रेष्ठ, बड़ा राजा। २ राजा, नप । ३ साधु, संन्यासी । महामुनि (मुनी)-पु० [स० महामुनि] १ मुनियों में श्रेष्ठ । ४ ब्राह्मण । ५ एक सम्मान सूचक संबोधन । २ कपटी या ढोंगी पुरुष ।
महाराजाधिराज-पु. १ राजाओं में श्रेष्ठ नरेश,, सम्राट । महामूढ़-वि० [सं०] अत्यन्त मूर्ख, मूखों में सर्वोपरि ।
२ राजाओं की एक उपाधि । महामेव-पु० प्रष्टगण वर्ग में से एक ।
महारात (रात्रि)-स्त्री० [स. महारात्रि] १ महाप्रलय की महायग्य-पु. [सं० महायज्ञ] १ बड़ा यज्ञ । २ नित्य किये जाने | रात । २ काल रात्रि । ३ आधी रात बीतने पर दो मुहूर्त वाले पांच प्रकार के यज्ञ ।
का समय । महायनि-पु० [सं० महायाम] १ बौद्धों की दो मुख्य सम्प्रदायों में | महाराय-देखो 'महाराज' । से एक । २ उत्तम व श्रेष्ठ मार्ग।
महाराव-पु० [सं० महाराट्] कोटा, बूदी व सिरोही के राजानों महायांम-पु० [स. महायाम्य: विष्णु ।
___ की उपाधि । महायुग-पु. [स०] देवतामों का एक युग, चार युगों का समूह । | महारावण-पु० हजार मुख व दो हजार हाथों वाला रावण । महायुध-पु० [सं० महा मायुध] १ शिव, महादेव । २ महायुद्ध, | महारावत-पु० [सं० महाराज+पुत्र] महा योटा। महाभारत ।
महारावळ-पु. जैसलमेर, डूंगरपुर प्रादि के राजामों की महायोगनाथ-पु० [सं०] योगियों का एक विभेद ।
उपाधि । महायोगी-पु० [सं०] १ शिव । २ विष्णु । ३ मुर्गा । ४ कोई | महारास्टर, महारास्ट-पु० [सं० महाराष्ट्र] १ भारत के दक्षिण बड़ा योगी या सिद्ध।
का एक प्रान्त । २ बड़ा राष्ट्र। महायोगेसर (स्वर)-पु० [सं०] योगियों में वरिष्ठ, श्रेष्ठ योगी महारास्ट्री-वि० [सं०महाराष्ट्री] महाराष्ट्र की, महाराष्ट्र संबंधो । महारंभ (म्म)-पु० [सं०] १.किसी शुभ कार्य की शुरूपात ।। -पु०१ महाराष्ट्र का निवासी । २ महाराष्ट्र की भाषा, २ देखो 'महरंभ'।
मराठी। महारउ-सर्व० मेरा ।
महारिख-देखो ‘महरसि'।
मडारिण-पु० [सं० महा-रण] बड़ा भारी युद्ध, महाभारत । महारजत-पु० [सं०] १ स्वर्ण, सोना, कनक । २ धतूरा ।
महारिस (रिसिरीसी)-देखो 'महरसि'। ३ कुसुम, पुष्प ।
महारी-देखो 'म्हारी'। महारणव-पु० [सं० महारणंव] समुद्र, सागर ।
महारुद्र (रूव)-पु० [सं०]महादेव । महारप-पु० [सं०] १ बड़ा रथ । २ बड़ा योद्धा, भट। महारूप-पु० [सं०] १ शिव का एक नामान्तर । २ महा सौन्दर्य । महारथी-पु० [सं०] १ सेना का अग्रणी योद्धा । २ हजार | महारोग-पु० असाध्य व भयंकर रोग । - योदामों से भकेला लड़ने वाला योद्धा।
महारोरव, महारौरव-पु० [सं० महारोरव] १ एक प्रकार का महारस-पु. [सं०] १ प्रत्यानन्द, परमानन्द । २ लोह, रक्त।
नरक । २ भयंकर दरिद्रता । ३ संकटकालीन अवस्था । ३ रसास्वादन । ४ स्वादिष्ट पेय पदार्थ । ५ वीर्य ।
त महारो-देखो 'म्हारौ'। ६ ऊख । ७ खजूर। ८ जामुन । ९ पारा। १० मभ्रक ।
महालक्षमी (लक्ष्मी)-स्त्री० [सं० महालक्ष्मी ] १ विष्णु की ११ ईगुर । १२ कांतिसार लोहा। १३ सोना मक्खी ।
प्रर्धागिनी देवी ।२ धन की अधिष्ठात्री देवी। ३ उक्त देवी १४ रूपा मक्खी। १५ कांजी। १६ कसेरु । १७ नशा की प्रतिमा जिसकी पूजा दीपावली को की जाती है । मादकता।
४ नारायण को एक शक्ति । ५ तीन रगण का एक महारसायण-पु० [सं० महारसायन] जरा व्याधि नाशक | वर्ण वृत्त। भौषधि ।
महालक्ष्मीमीवत-पु०माश्विन शुक्ला अष्टमी का व्रत । महाराण(णी)-पु० [सं०महा राट्] (स्त्री० महारांणी)१ राजा, महालखमी, (लच्छी, लछ, लछमी, लछी)-देखो 'महालक्ष्मी'।
नरेश । २ बड़ा राजा, सम्राट । ३ मेवाड़ के राजा की महालिंग-पू० [सं० महालिंग] १ शिव, महादेव । २ शिव लिंग उपाधि । ४ देखो 'महारणव'।
की प्रतिमा। . महारोमण (लो)-देखो 'महारावण' ।
महालिछमी-देखो 'महालक्ष्मी' महाराह ()-देखो 'महराज'।
| महालोक-देखो 'महरलोक' ।
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महावड़
महासूर
महावड़-पु. [सं० महावट] १ वट का बड़ा विशाल वृक्ष । ४ सत्य, अहिसा. ब्रह्मचर्य प्रादि का पालन । ५ जैन २ प्रयाग का विशाल वट वृक्ष ।
मतानुसार एक व्रत । --धारी-वि महाव्रत रखन वाला। महावत : पु० [सं० महामात्र] हाथी का चालक, फीलवान । । महाबती-पु० [सं० महाव्रतिन् । १ शिव, महादेव । २ संन्यासी। महावन-पु० [सं०] १ बड़ा, विशाल जंगल । २ सघन वन । ३ भक्त। ४ महाव्रतधारी। -स्त्री० [सं० महा-प्रवन] ३ गाय ।
महासकट-पु० घोर विपत्ति, अति दुःख । महावर-पु० [सं० महावरण] १ एक प्रकार का लाल रंग । | महासंख-पु० [सं० महाशंख] १ कुबेर की नौ निधियों में से २ मौभाग्य चिह्न।
एक । २ बहुत बड़ा सख । ३ ललाट । ४ कनपटी की हड्डी । महावरौ-पु० १ अभ्यास । २ व्यसन,ग्रादत । ३ देखो 'मुहावरौ' । ५ मनुष्य की ठठरी । ६ एक प्रकार का सर्प । ७ सो सख महावाक्य-पु० [सं०] १ सोऽह शब्द । २ महत्वपूर्ण वाक्य, की एक बड़ी संख्या । -वि० मूर्ख ।
बात या मंत्र । ३ दान देते समय कहा जाने वाला शब्द । महासईय-देखो ‘महासतो'। महावायुदोस-पु. एक प्रकार का वात रोग ।
महासक्ति (सगत, सगति, सगती)-स्त्री० [सं० महाशक्ति] महावारुणी-पु० [सं०] ज्योतिष के अनुसार एक योग ।
१ सृष्टि की रचना करने वाली मूल शक्ति । २ प्रकृति । महाविकळ-वि० [सं० महाविकल] १ अत्यन्त दु:खी, त्रस्त, | ३ दुर्गा । ४ कोई बड़ी हस्ती। ५ शगाली। ६ भैरवी व निराश । २ हर काम में असफल । ३ मूर्ख, मूढ़ ।
रूपारेल पक्षी। -पु०७ शिव । ८ स्वामिकात्तिकेय । महाविक्रम-पु० [सं०] सिंह, शेर ।
महासतक-पु० एक नरवर । (जैन) महाविगन्यांन-पु० घुघरू ।
महासति-देखो ‘महासती'। महानिदे, महाविदेह-पु० जैन मतानुसार एक प्रदेश ।
महासतियां-स्त्री. राजानों की श्मशान भूमि । ___ -वि० विरक्त, उदास ।
महासती-स्त्री० [सं०] पतिवता व साध्वी स्त्री। महाविद्या-स्त्री० [सं०] १ तांत्रिकों की दश देवियां । २ दुर्गा । | महासत्ति-१ देखो ‘महासती' । २ देखो ‘महासक्ति' । ३ गंगा।
महासत्य-पु० यमराज। महाविस-पु० [सं० महाविष] १ भयंकर विषला सर्प । २ प्राण महासद, महासद्द-पु० १ तुरंत का कटा ताजा मांस । घातक विष ।
[सं० महाशब्दी] २ तुमुलनाद । महाविसुव-पु० [सं० महाविषुवं] मेष या चैत्र की संक्रान्ति ।। महासभ्य-पु० राज दरबार की एक उपाधि । महावीथी, महावीही-स्त्री० [सं० महावीथी] बड़ा मार्ग, महासय्या-स्त्री० [सं० महाशय्या] १ राजगद्दी । २ राजामों बड़ी गली।
की शय्या। महावीर-पु० [सं०] १ हनुमान, बजरंग । २ विष्णु । ३ गरुड़ । महासर-पु. १ बड़ा तालाब । २ समुद्र, सागर ।
४ बाज पक्षी । ५ मिह. शेर । ६ सफेद घोड़ा । ७ इन्द्र का | महासरग-पु० [सं० महासर्ग] प्रलय के बाद की सृष्टि रचना। वज्र । ८ योद्धा, वीर, भट । ९ जैनियों के २४वें तीर्थंकर ।। सष्टि का प्रारंभ । -वि०१ शक्तिशाली, बलवान । २ साहसी, बहादुर।
महासरवर-पु० [सं०] बड़ा तालाब । महावेग-पु० [सं०] १ गरुड़ । २ वानर । ३ महादेव । ४ तीव्र या तेज चाल गति । ५ वन ।
महासांतपन-पु० [सं०] एक व्रत विशेष । महावेध, महावेधक-पु० बड़ा जंग, युद्ध, संग्राम ।
महासांमत-पु. राज दरबार का एक पदाधिकारी। महावेल-वि० [स० महाबिल ] बहुत बड़ा, विशाल, दीर्घाकार । | महासागर-पु० १ कोई बहुत बड़ा समुद्र । २ संसार, भव । महावैद्य-पु० बड़ा वैद्य।
महासिंधु-पु० बड़ा समुद्र । महावैधति-पु०महापात योग का एक भेद विशेष ।
महासिंह-पु० [सं०] दुर्गा का वाहन सिंह। __--योग-पु० विष्कम्भ प्रादि योगों में एक । महाव्यतिपात, महाव्यतीपात-पु० महापात योग का एक भेद |"
. महासिंहविक्रीड़ति-स्त्री० एक प्रकार का छंद । विशेष ।
महासिणांण-देखो ‘महास्नान'। महाव्याधि, महाव्याधी-स्त्री० १ दुस्साध्य व भयंकर बीमारी । महासिव-पु० [सं० महाशिव] शिव, महादेव । --रात,रात्रि२ कठिन संकट ।
स्त्री० फाल्गुन कृष्णा चतुर्थदशी की रात । महावत-पु० [सं०] १ कठिन व्रत । २ आश्विन की दुर्गा पूजा महासूर-पु० [सं० महाशूर] १ हनुमान, महावीर । २ अर्जुन।
या नवरात्र । ३ बारह वर्ष तक जारी रहने वाला व्रत।। ३ महायोद्धा, वीर, बहादुर।
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महासेत
( ३५४ ।
महिरावण
महासेत-पु० [सं० महाश्वेता] १ सरस्वती, शारदा । २ दुर्गा, महिपत (पति, पती, पत्ति, पत्ती) महिपाळ महिप्पति-देखो भवानी।
___ 'महीपति'। महासेन-पु. [सं०] १ स्वामिकात्तिकय। २ ऐरावत क्षेत्र के | महिउड़, महिपुडि-स्त्री० पृथ्वी भूमि।
भावी जिनदेव । ३ राजा श्रेणिक का एक पुत्र । ४ एक महिबूब-देखो महबूब'। यादव।
महिमंडळ, महिमंडळी-पु. [सं० मही-मंडल] भूमण्डल, पृथ्वी । महास्नान-पु० [सं०] आत्म शुद्धि हेतु प्राध्यात्मिक स्नान । | महिम-१ देखो 'महिमा'। २ देखो 'मुहिम' । महासमी-वि० [सं० महाश्रमी] गृहस्थी।
महिमट्ट-पु० गवं, अभिमान । महास्वास-पु० [सं० महाश्वासः] १ दमे का रोग । २ मृत्यु के महिमद-देखो 'मैमंद'। पूर्व का स्वास।
महिमन-देखो 'महिम्न' । महाहवि (हव्य)-पु० [सं० महाहव युद्ध, संग्राम ।
महिमांनी-देखो 'मैं मानी'। महि-१देखो 'मही' । २ देखो 'माह'।
महिमा-स्त्री० [सं०] १ विशेष होने की अवस्था या भाव। महिपळ (ळि)-देखो 'महीतळ' ।
२ महत्व,माहात्म्य, बड़ाई, गौरव । ३ यश, कीर्ति, प्रशंसा, महिमा-स्त्री० [सं० महिका) कोहरा, पाला।
तारीफ। ४ प्रभाव, प्रताप । ५ आदर, सत्कार, मान । महिपार, महिपारा-स्त्री० दूध, दही का व्यवसाय करने वाली! ६ सुन्दरता, शोभा । ७ अंणिमा आदि सिद्धियों में से एक । एक जाति ।
महिमाय-देखो 'महामाया' । महिपारौ-पु. (स्त्री० महिमारण) उक्त जाति का व्यक्ति। | महिमावत -वि० [सं०] जिसकी महिमा हो, विशेष गुणों वाला, महिक-देखो 'महक'।
प्रतिष्ठित, यशस्वी। महिख-देखो 'महिस' ।
महिमाह-देखो 'माहोमाह' । महिवघ्नखांडी-पु. एक प्रकार की तलवार ।
महिमुदी-१ देखो 'महमूदी'। २ देखो 'मुहम्मदी' । महिखजीह-स्त्री० [सं० महिष-जिह्वा] कटार।
महिमुदी-धटी-स्त्री० १ वर-वधू के प्रणय बंधन का वस्त्र । महिखधुज-देखो 'महिसधुज' ।
. २ देखो ‘महमुदी'। महिखाक-पु० [सं० महिपाक्ष] गुग्गुल नामक पदार्थ । महिमुदी-देखो 'महमूदो' । महिखासुर-देखो 'महिसासुर' ।
महिमूद-देखो 'मुहम्मद'। महिखी-देखो 'महिसी'।
महिम्न-पु० [सं०] पुष्पदंताचार्य द्वारा रचित शिव का एक महिखु, महिरुख, महित्य-देखो 'महिस' ।
। स्तोत्र। महिजा-देखो 'महीजा'।
महिय-पु० [सं० मथित] दधि, दही । महिजोत (ब)-देखो 'मसजिद' ।
महिय द-पु० [सं० महि-इन्द्र] राजा, नृप । महिडि-स्त्री० महद्धि, महाऋद्धि ।
महियळ, महियल, महियलि-देखो 'महोतळ' । महिणारंभ-देखो 'महारणव' ।
महियव-पु. राठौड़ों की एक शाखा । महिणौ-देखो महिनी'।
महियार-देखो 'महिप्रार'। महित-वि० सं०] प्रतिष्ठावान, कीर्तिवान ।
महियारड़ी, महियारो-देखो 'महिप्रारो' । -पु० शिव का त्रिशूल ।
महियो-१ देखो ‘मयो' । २ देखो 'मईयो' महितळ-देखो 'महीतळ' ।
महिर-पु० [सं०] १ नृप, राजा । २ योद्धा । ३ देखो 'महर। महिताब-देखो 'महताब' ।
४ देखो 'मिहिर'। महिपळ-देखो 'महीतळ'।
महिरबान, महिरवान-देखो 'मै'रवान'। महिबउरउ-पु. एक वस्त्र विशेष ।
महिरबांनी-देखो 'मैं'रवांनी' । महिधर-देखो 'महीधर।
महिराण-१ देखो 'महारणव' । २ देखो 'महरांण' ।
३ देखो 'महरांणो'। महिनाय-देखो 'महीना।
महिरांगवर-पु. १ राजा, नृप । २ देखो 'महारणव'। महिनौ-देखो 'महीनो'।
माहिरांमण-देखो 'महिरावण' । महिप-देखो 'महीप' ।
महिरावण-पु. १ रावण का पुत्र व पाताल का राजा महिपा-देखो 'महिषुड़।
अहिरावण।
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महिरिवारण
महौर
महिरिवाण-देखो 'मैं'रवान' ।
महाख-पु. १ एक प्रकार का पक्षी । २ देखो महिस' । महिरी-देखो 'महर'।
महीखधुज-देखो 'महिपधुज' । महिरेळण-पृ० १ इन्द्र । २ राठोड़ रायपाल को उपाधि । महोड़ो-देखो 'मही'। --वि० यशस्वी, कीर्तिवान ।
महीज-पु० [सं० मही+ज: १ मंगल ग्रह । २ वृक्ष, पेड़ । महिळ--देखो 'महिळा' ।
३ अदरक । महिल-देखो 'महल'।
महीजा-स्त्री० [सं०] सीता, जानकी। महिलाण-पु. डेरा, पड़ाव, विश्राम ।
महीजीत-पु० १ भूमि का विजेता । २ देखो 'मसजिद' । महिळा-स्त्री० [सं० महिला] १ स्त्री, औरत, नारी । २ पत्नी। महीणो-देखो 'महीनो।।
३ प्रिया, प्रेयसी। ४ स्त्रियों का प्रादर युक्त संबोधन । महीतळ, महोतळि, महोयळ-पु० [सं० महीतल] १ पृथ्वी का ५ मदमस्त महिला, मस्तानी स्त्री । ६ प्रियंगुलता । धरातल, सतह, भूमि । २ संसार, भव । ७ रेणुका नामक पौधा।
महीयळि, महीथळी-१ देखो 'मैथिली' । २ देखो 'महीतळ' । महिलाइत, महिलायत-देखो 'महलायत' ।
महोदेव-पु० [सं०] ब्राह्मण, विप्र । महिळि, महिली, महिल्ल, महिल्ली-१ देखो 'महिळा' । महीधर-पु० [सं०] १ विष्णु । २ पर्वत । ३ शेषनाग । २ देखो 'महल'।
४ एक वर्ण वृत्त विशेष । महिवटु-पु. एक प्रकार का सुगंधित पदार्थ ।
महीन-वि० [अ०] १ अत्यन्त लघु, बारीक । २ स्थूल का महिस-पु० [सं० महिष] १ भैसा, पाडा । २ महिषासुर । विपर्याय, सूक्ष्म । ३ तुच्छ । ४ जीर्ण-शीर्ण । ५ कमजोर, -वि० बहुत मोटा, सुस्त ।
क्षीण । ६ अत्यन्त पतला झीना । ७ कोमल, मंद, धीमा। महिसघ्नी-स्त्री० [सं० महिषघ्नी] दुर्गा, देवी ।
८ जिसकी सतह अत्यन्त पतली हो । ९ महीना, मास । महिसधुज-पु० [सं० महिषध्वज] यमराज ।
महीनदार-पु० [अ०] मासिक वेतन पर कार्य करने वाला महिसमरवणी, महिसमरदिणी-स्त्री० [सं० महिषमर्दनी] | व्यक्ति । दुर्गा देवी।
| महीनाथ-पु. राजा, नृप । महिसवाहण-पु० [सं० महिषवाहन] यमराज ।
महीनो'क-वि० मास या महीने के लगभग । महिसासुर-पु० [सं० महिषासुर मयासुर का पुत्र एक राक्षस । महीनौ-पु. [अ० महीनः] १ प्रायः तीस दिन की अवधि, वर्ष महिसी, महिसी-स्त्री० [सं० महिषी] १ पटरानी, महारानी, का बारहवां भाग, मास । २ प्रति मास का वेतन । साम्राज्ञो । २ भैस । -वि० काली, कृष्ण ।
महीप-पु० [सं०] १ इन्द्र । २ राजा, नृप । महि सुत देखो ‘महोसुत'।
महीपत, महीपति (नी, ति, ती)-पु० [सं० महिपतिः] राजा महिसुर-देखो 'मह'सर'। .
नृप, भू-स्वामी। महिसूफ-पु. एक प्रकार का खाद्य पदार्थ ।
महीपाळ (ल)-पु० [सं० महीपाल] १ राना, नप । २ मेघ । महीं-१ देखो 'महीन' । २ देखो 'मही' ।
महीपुत्र-पु. [स०] मंगल ग्रह । मही-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती, धरा, भू। २ भू-सम्पत्ति। महीभरत-देखो 'महीभ्रत' ।
३ रियासत, जागीर । ४ राज्य, देश । ५ मिट्टी। महीभुजंग-पु० [सं०] १ राजा, नृप । २ गणिका का पति । ६ समूह। ७ सेना, फोज । ८ खाली स्थान, अवकाश । महीभ्रत-पु० [सं० महीभत] १ राजा, नृप । २ पर्वत, ९ गाय, गौ। १० छाछ, मट्ठा, तक्र । ११ दहि, दधि । पहाड़। १२ एक नदी का नाम । १३ एक छन्द विशेष । महीमंडण-पु० [सं० मही मंडन] इन्द्र । १४ त्रिकोण । १५ एक की संख्या*।
महीमंडळ-पु. भू-मंडळ, पृथ्वी । महीप्रर-देखो 'महोधर'।
महीमुदीसाही-पु० एक प्रकार का बढ़िया वस्त्र । महीप्री-स्त्री० मासी।
महीमुरतब(व), महीमुरातव, महीमुरातिब-देखो 'माहीमुरातब'। महीप्रळ, महीप्रळि-देखो 'महीतळ' ।
महीयळ (ळि)-देखो 'महीतळ' । महीप्रारो-देखो 'महिपारौ'।
महीयां-वि० मूढ़, प्रज्ञानी। महीहंद-पू० [सं० महेन्द्र] १ देवराज इन्द्र । २ नेता, मुखिया, महीरंजण-पू) मेघ, बादल । __प्रधान । ३ राजा, नृप ।
महीर-वि• बड़ा, महान । -पु. १ पृथ्वी, भूमि । १ देखो महीकाळबासर-पु. प्रलय दिवस ।
'मिहिर'।
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महीरानाथ
महोरह
महीरानाथ-पु० राजा, नृप ।
महेळ (ल)-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिळा'। महीरुह-पु० [सं०] वृक्ष, पेड़ ।
महेलिआ, महेला, महेळि, महेळी, महेलीय-देखो 'महिळा' । महीवर-पु. [मं०] नृप, राजा।
महेब, महेवपुर-पु० मारवाड़ का मालानी प्रदेश । महीस-पु० [सं० महीश] राजा, नृप ।
महेवंचा-स्त्री० राठौड़ों की एक शाखा । महीसुत-पु० [सं०] १ मंगल गृह । २ वृक्ष, पेड़। ३ बछड़ा, बल। महेवेची-पु० उक्त शाखा का राठौड़ । महीसुर-पु० [सं०] ब्रह्मण, विप्र ।
महेवी-पु० मालानी प्रदेश । महीसूर-पु० [सं० मही-शूर अर्जुन ।
महेस-पु० [सं० महेश] १ शिव, महादेव । २ ईश्वर । --कंकण महर-देखो 'मोहर' ।
-पु. शिव का कंकण, कड़ा। महु-देखो 'मधु'।
महेसचख-पु. [सं० महेश-चक्षु] प्राग, अग्नि । महुआड़ो, महुआडौ-देखो 'महो।
महेसर -देखो 'महेस्वर'। महअर, महुअरि-वि० [सं० मधुकर] १ मीठा । २ पीछे का।। महेसरी-स्त्री० [सं० माहेश्वरी] वैश्यों की एक जाति । महुमाळ-पु. [सं० मधुजाल] मधुजाल ।
महेसवर-देखो ‘महेस्वर'। महुऊ-देखो 'महुनौ'।
महेसानी-स्त्री० [सं० महेशानी] १ दुर्गा, देवी। २ एक महुप्री-पु० [सं० मधुक] १ एक वृक्ष विशेष । २ एक प्रकार | | मातृका । ३ देखो 'महिसी' । ४ देखो 'महरसि'। का घोड़ा । -वि० मधुर ।
महेसुर, महेस्वर-पु० [सं० महेश्वर] १ शिव, महादेव । महकम-वि० समर्थ ।
२ ईश्वर। महकर-देखो 'मधुकर।
महरांण-देखो 'महारणव' । महुच्छव, महुछव-देखो 'महोत्सव' ।
महोख-वि० [सं० महोक्ष] बड़ी प्रांख वाला। महुडो- देखो 'महुनौ'।
| महोच्छव, महोच्छवु, महोछब (व), महोछवि, महोछिब (ब)महुत, महुत्त-१ देखो 'महुरत' । २ देखो 'महत्व' ।
देखो 'महोत्सव'। महुयर, महुयरि (री)-स्त्री० १ एक प्रकार का वाद्य । २ एक | महोतपळ, महोतपल-पु० [सं० महोत्पल] पुंडरीक, कमल । प्रकार की वंशी।
महोत्सव-पु० [सं०] १ कोई बड़ा उत्सव, शुभ व खुशी का . महुयरी-देखो 'मधुकर'।
___अवसर । २ कामदेव । महुर, महुरउ-१ देखो 'मधुर' । २ देखो 'मोहर'।। | महोदव (धि, धी धि)-पु० [सं० महा-उदधि] १ महासागर, महुरत, महुरति-पु० [सं० महत्त] १ काल का एक भाग, अंश | समुद्र । २ इन्द्र।
रात व दिन का तीसवां भाग । २ शुभ घड़ी, शुभ अवसर । महोदय-पु० [सं०] (स्त्री० महोदया) १ अधिपति, स्वामी। ३ प्रस्थान के लिये उचित समय । ४ निर्दिष्ट क्षण, काल | २ बड़ों के लिये सम्मान सूचक संबोधन । ३ महानुभाव, समय । ५ प्रारंभ, श्रीगणेश ।
श्रीमान । ४ स्वर्ग । ५ कान्य कुब्ज प्रदेश का एक नाम । महुरी-देखो 'मौरी।
महोदया-स्त्री० [सं०] १ नाग बला, गुल शकरी, गंगेरन । महुळ (ल)-१ देखो 'महिळा' । २ देखो 'महल'।
| २ सम्माननीय स्त्री। महुलेठी-पु० [सं० मधुयष्टि] गन्ना, ईख ।
महोदर-पु० [सं०] १ कश्यप का पुत्र एक नाग । २ धृतराष्ट्र महुवी-देखो 'महुयी।
का एक पुत्र । ३ एक राक्षस । ४ रावण का एक पुत्र । महूंता-देखो 'महता'।
५ रावण का प्रधान एक राक्षस । ६ रावण का एक भाई। महू-१ देखो 'महुप्रौ' । २ देखो 'मधु'।
७ एक ऋषि । ८ प्रातः स्मरणीय एक राजा । ९ एक महूप्रउ (3)-देखो 'महुनौ' ।
रोग विशेष । १० समुद्र । -वि० बड़े पेट या उदर वाला। महूपर-देखो 'मधुकर'।
महोदरमझवाळा-पु० यूरोप का निवासी, यूरोपियन । महूड़ो, महूडौ, महूयड़ो-देखो 'महो।
महोदव-पु० [सं० महत्-उदधि] समुद्र, सागर । महूर-वि० १ प्रथम, पहला । २ देखो 'मधुर'। ३ देखो 'मोहर।। महूरत (ति, ती)-देखो 'महुरत' ।
महोब, महोबो-पु० बुदेलखण्ड का एक प्राचीन नगर । महेंद्र-पु० [सं०] १ विष्णु । २ इन्द्र । ३ एक पर्वत का नाम । | महोर-देखो 'मोहर'। महेंद्राळ-स्त्री० गुजरात की एक नदी।
महोरत (य)-देखो 'महुरत'। महेल-पु० [सं० महेच्छ] दातार, दानी ।
| महोरह-क्रि० वि० आगे की, पूर्व की।
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महोळ
महोळ (ल)-१ देखो 'महल'। २ देखो 'महिळा'।
मांगरण-पु. [सं० मार्गण] १ मांगना क्रिया या भाव, याचना । महोलो-पु. १ झुक कर किया जाने वाला सलाम । २ मुजरा, २ पथ प्रदर्शक । ३ याचक, भिखारी। ४ बंदीजन, भाट, ।
अभिवादन। ३ किसी के स्वागत में गाया जाने वाला ५ विप्र, ब्राह्मण । ६ ज्योतिषी, जोशी। पंडित, कवि । गीत । ४ उत्सव, समारोह । ५ स्वागत । ६ निवासस्थान -वि० मांगने वाला, याचक । -गार, यार, हार-पु० डेरा। ७ सेना का पड़ाव। ८ काव्य रस । ९ देखो याचक, भिखारी । ढाढियों की एक शाखा । 'महल्लो '।
मांगणी-स्त्री० याचना। महोदध, महोवधि-देखो 'महोदधि' ।
मांगरणी-पु० भिक्षा। महोबत-देखो 'मुहब्बत'।
मांगणो (बो)-क्रि० [सं० मार्गण] १ कुछ पाने के लिये महोर (रि)-देखो 'मोहर'।
याचना करना, हाथ फैलाना, प्रार्थना करना। २ इच्छा महौसधि-स्त्री० [सं० मह-पोषधि] विशिष्ट प्रौषधियों का जाहिर करना, आवश्यकता बताना । ३ भिक्षा वृत्ति समूह ।
करना। ४ किसी को कुछ देने के लिये कहना । ५ ऋण मह युसालू-पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।
के रूप में बकाया होना, लेनदारी होना। ६ कोई वस्तु मह बौ-देखो 'महुवौ'।
लौटाने को कहना । ७ वस्तु की कीमत बताना, मोल मां-१ देखो 'मा' । २ देखो 'म्हां' । ३ देखो 'माय' ।
कहना । ८ इजाजत लेना, पूछना, अनुमति लेना । मांडो-सर्व०१ मेरा । २ देखो 'मूडौ'।
९ अफसोस आदि प्रगट या जाहिर करना। १० प्रस्ताव माइ-१ देखो 'माता' । २ देखो 'माय ।
करना। माई-१ देखो 'माईमा' । २ देखो 'माता' । ३ देखो 'माय'। मांगत-स्त्री. १ हिस्सा, अंश, हक । २ कर्जा, ऋण। माईजायो-पु०सं० मा+जात] विमाता का पुत्र । सौतेला भाई | | मांगफूल-पु० स्त्रियों के शिर का प्राभूषण विशेष । माईमां-स्त्री० [सं० मूर्त-माता] विमाता, सौतेली मां। मांगळगीत-पु० [सं० मांगल्यगीत] शुभ अवसरों पर गाये जाने माऊ-क्रि०वि० १ अन्दर से, भीतर से । २ तरफ, भोर वाले लोक गीत। (मेवात)।
| मांगळिक, मांगलिक-वि० [सं० मंगल+ इक] १ मगलदायक, मांक-पु० [सं० मकि] अर्जुन का एक नामान्तर ।
शुभ । २ शुभ मानने योग्य । ३ शुभ अवसरों पर काम मांकड़-पु० [सं० मर्कट] (स्त्री० मांकड़ी) १ जाति विशेष का | पाने वाला । -पु० गुड़। घोड़ा। २ देखो 'मरकट' । ३ देखो 'मत्कुण' ।
मांगळियावटी-पु. मांगलिया गहलोतों के शासन वाला प्रदेश । मांकड़ा-देखो 'माकड़ा'।
मांगली-स्त्री. १ जल पात्र । २ देखो 'मंगळा' । ३ देखो मांकड़ियो-१ देखो 'मत्कुण' । २ देखो 'मरकट'।
'मांगळिक'। मांकड़ी-देखो 'माकड़ी'।
मांगळीक-देखो 'मांगळिक' । मांकड-देखो 'माकड़'।
मांगलुरी-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र । मांकण-पु०१ कीट जाति का कोई जीव । २ देखो 'मत्कूण'। मांगल्य-वि० [सं०] मंगलकारक, शुभ । -पु. शुभ या खुशी मांकणी (बी)-क्रि. १ मांगना । २ शोषण करना, । का अवसर। खून चूसना।
मांगसर, मांगपुर-देखो 'मिगसर'। मांकर-१ देखो 'मत्कुण' । २ देखो 'मरकट'।
मांगातांगी(गो)-स्त्री. १ मांगने की क्रिया या भाव । २ इधरमाकुण-देखो 'मत्कुरण'।
उधर से कुछ लेकर गुजर करने की अवस्था । ३ ऋण, कर्ज। माखण-देखो 'माखण'।
मांगिण-देखो 'मांगण'। मांखी-देखो 'माखी'।
मांगिणहार-देखो 'मांगणगार'। मांग-स्त्री० [सं० मार्गण] १ खरीददारों की किसी वस्तु की | मांगी-पु. १ लड़के-लड़की के रिश्ते का प्रस्ताव । २ मांगने
प्रावश्यकता, चाह । २ चाही गई वस्तु को मात्रा । की क्रिया या भाव । ३ बड़े पात्र पर रखा जाने वाला ३ किसी प्रकार की इच्छा। ४ प्रावश्यकता या हकों के | छोटा जल-पात्र । प्रति उठाई जाने वाली प्रावाज । ५ वह कन्या जिससे | मांच-स्त्री. १ प्रारे के चारों ओर लगने वाला लकड़ी का प्रणय संबंध तय हो चुका हो। ६ स्त्रियों के शिर का।
चौखटा । २ ईंटों के लिये गीली मिट्टी ढोने का एक सौभाग्यचिह्न । ७ देखो 'मांगण'।
उपकरण । ३ रथ या बैलगाड़ी की मचान । ४ खाट के मांगटीको-पु० स्त्रियों का सौभाग्य सूचक गहना, माभूषण। बीच की बनी हुई झोली।
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भाव
माहरणो
मांचइ (ई)-१ देखो 'मंच' । २ देखो 'मांची'।
मांश-देखो 'मध्य'। मांचकरोत-पु. एक प्रारा विशेष ।
मांझर, मांझळ, मांझळि (ळी)-क्रि० वि० १ बीच या मध्य में । मांचरणौ (बी)-देखो 'मचरणौ' (बी)।
२ अन्दर, भीतर, में । ३ पर, ऊपर। -निस, रात-स्त्रो० मांची-१ देखो 'मंच'। २ देखो 'मांची' ।
मप निशा, अर्ध रात्रि। मांची-पु. [सं०मच] १ चारपाई, खाट । २ जालाशय की मिट्टी मांशवन-पु० रथ, स्यंदन । खोदने का एक माप विशेष ।
मांझि-१ देखो मांझी' । २ देखो 'मध्य' । मांछ मांछलौ, मांछौ-१ देखो 'मत्स्य । २ देखो 'माछलौ'। मांझिम-देखो मांझळ' । -रात='मांझळरात'। मांछळी (ली), मांछी-देखो 'मच्छी' ।
माझियांमांझी-पु. सरदारों का सरदार, बड़ा सरदार । मांज-स्त्री. श्रद्धा व भक्ति के साथ किसी को धन देने | मांझिळ -देखो 'मांझळ'। ___ की क्रिया।
मांझी-पु० [सं० मध्य] १ प्रधान, नेता, नायक, अगुवा । मांजरण-स्त्री० [सं० मार्जन] १ मांजने की क्रिया या भाव, २ बलवान, वीर, योद्धा । ३ मुख्य, खास । ४ स्वामी,
मार्जन. मज्जन । २ स्नान, परिमार्जन, मज्जन । -वि. अधिष्ठाता । ५ मेणों की एक उपाधि । ६ केवट, मल्लाह सफाई करने वाला, मांजने वाला।
नाविक । -पण पणो-पु० मांझी का कार्य, मांझी होने मांजणउ-देखो 'मांजण'।
की अवस्था । मांझी का हक, हिस्सा या भाग। माजरिणयौ, मांजरणी-वि० [सं० मार्जक] १ मांजने वाला, साफ | मांमू-१ देखो 'मझ' । २ देखो 'मांझी'।
करने वाला । २ सफाई करने वाला । ३ स्वागत करने | मांझौ-पु०१ सुनहरी जरी का वस्त्र विशेष । २ देखो 'मांजो'। वाला, प्रादर सत्कार करने वाला।
| मांट-देखो 'माट'। मांजरपो (बी)-क्रि० [सं० मार्जन] १ बर्तन या किसी वस्तु को मांटी, मांटीड़ौ, मांटीलो-पु. (स्त्री० मांटण) १ पति, खांविंद,
धूल प्रादि से रगड़ कर साफ करना । मांजना। २ स्नान भर्ता, कंत । २ स्वामी, मालिक । ३ मर्द पुरुष । ४ दोस्त, करना, नहाना । ३ सफाई करना, झाड़ना, पोंछना, पोंछ- मित्र, साथी । ५ वीर पुरुष । --पण, पणो-पु० क्षत्रित्व, कर साफ करना। ४ घोड़े, ऊट प्रादि का शरीर साफ मर्दानगी, पुसत्व । साहस । स्वामीत्व । करना । ५ अभ्यास करना । ६ रगड़ना। ७ मिटाना, दूर | मांठोड़ी-स्त्री०-मोठ की बड़ी। करना । ८ नष्ट करना ।
मांड-स्त्री० [सं० मण्ड] १ रचना, बनावट, सृष्टि । २ वैभव, मांजरि, मांजरी-स्त्री० १ बिल्ली जैसी भूरी प्रांखें । २ किलंगी ।।
विस्तार । ३ किसो कूर या तालाब पर होने वाली भीड़। २ देखो मंजरी'।
४ दबाव । ५ एक रागिनी विशेष । ६ जैसलमेर का एक मांजरौ-वि० [सं० मार्जारः] (स्त्री० मांजरी) १ बिल्ली जैसी
भाग जहाँ उक्त राग प्रथम गाई जाती थी। ७ देखो 'मोड़' । भूगांखों वाला । २ भूरी प्रांखों बाला। -पु. १ भूरी ८ देखो 'माडे'। खें वाला व्यक्ति । २ बिलाव । ३ छोटी बस्ती या गांव ।
| मांड-स्त्री०१ कलफ। २ उबलने के बाद चावलों का निकाला मांजवणी (बौ)-देखो 'मांजणी' (चौ)।
| जाने वाला पानी। ३ विवाह में कन्या पक्ष के लोग। मांजा-पु० गाडी के अग्र भाग में लगी दो लकड़ियां, पदिया। मांजाणौ (बो)-देखो 'मजाणो' (बी)।
मांडव-स्त्री० क्षण भर के लिये बना हमा स्थानादि। मांजिण, मांजिणउ-पु० [सं० मज्जन] स्नान ।
मांडण, मांडणउ, मांडणी-स्त्री० [सं० मण्ड] १ रचने या
बनाने की क्रिया या भाव । २ बनाव, शगार । ३ सजावट । मांजिरणौ (बौ)-देखो 'मांजणी' (बी)
४ व्यवस्था। मांजिस्टौ-देखो 'मजीठी'।
मांडणी-पु० [सं० मंडन] १ शुभ अवसरों में घर के प्रांगन में मांजी-देखो 'मांझी'।
की जाने वाली चित्रकारी। २ चित्र । ३ चिह्न, निशान । मांजूफळ-देखो ‘माजूफल'।
४ शगार, सजावट । ५ रंग-ढंग । ६ नतीजा, परिणाम। मांजोट-पु० बैलगाड़ी का एक उपकरण ।
७ प्रारभ, शुरूपात। मांजौ-पु. १ ताने के मध्य का भाम । २ खेत का वह टुकड़ा मांडणी (बौ)-क्रि० [सं० मण्डनम्] १ लिखना, लिखकर देना।
जो बचत होने पर बाद में जोता जाता है। ३ हल की। २ वर्णन या विस्तार से कहना । ३ प्रारंभ करना, शुरू दो रेखामों के बीच छूटी हुई जमीन । ४ पतंग की डोर | करना। ४ रचना करना, निर्माण करना, बनाना । विशेष । ५ बैलगाड़ी का एक अवयव । ६ देखो 'माहो'।। ५ स्थिर करना, स्थापित करना। टिकाना। ६ सजाना।
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मांडवक
७ चित्रित, चित्रांकित करना ८ शृंगार करना । ९ चिह्नित करना, चिह्न लगाना । १० रोपना, दृढ़ करना । ११ ठानना निश्चय । । । करना १२ कुछ करना १३ फैलाना, पसारना १४ छितराना विना १५ सृष्टि करना सूजन करना। १६ रचाना, बनाना । १७ उठाने, लेने के लिए तैयार करना । १८ जमाना, स्थिर करना । १९ हाट ग्रादि लगाना । २० प्रबंध या व्यवस्था करना । २१ व्यक्त करना, जताना, दिखाना । २२ विचारना, सोचना । २३ शुरू करना, प्रारंभ करना । २४ घोड़े या ऊंट पर चारजामा कसना, बांधना। २५ कायम करना तय करना २६ संबंध जोड़ना । । २७ किसी के सहारे टिकाना, खड़ा करना । २८ व्यवस्थित व स्थित करना । २९ रखना । ३० शस्त्र उठाना, प्रहार करने को तैयार होना ३१ हठ करना । ३२ देखो 'मंडल' (बी)।
मांsबिक, मांडबीक - पु० मंडप के ऊपरी कार्य कर्त्ता । मांडळ - पु० चरस के मुख पर लगाया जाने वाला लोहे का गोलाकार कड़ा ।
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1
( ३५९ )
मांडली पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
मांडळौ - पु० एक जाति विशेष का घोड़ा ।
मांडव, मांडवड- पु० १ मालवे का एक नगर । २ देखो 'मंडप' । ३ क्षणिक काल के लिए बना मंडप ।
o
1
मांडवी मांडवीयो पु० मण्डप का अधिपति, व्यवस्थापक । मांड मांडवी-देखो 'मांडी' ।
मांडव्य पु० [सं०] १ एक प्राचार्य जो कोल्स ऋषि का शिष्य था । २ विदेहराज जनक का मित्र एक प्राचार्य । ३ एक प्रसिद्ध ब्रह्मषि राजा । मांड मांडडी-देवो 'माही' मांडही देखो 'मांडी' ।
मांडो-देखो 'मांडो' ।
मांडवगढ़ पु० एक नगर का नाम ।
मांडवी० [सं०] १ दशरथ सुत भरत की पत्नी २ वात्सी- मांणणो (बी) क्रि० [सं० मरा] १ भोगना, संभोग करना ।
मांडवीपुत्र एक प्राचार्य की माता ।
२ मौज लूटना, आनन्द करना । ३ ऐश्वयं भोगना, सुख भोगना । ४ द्रव्य लुटाना, दान देना । ५ रखना । ६ करना । ७ देखो 'मांनरणी' (बो) । मांग बी- वि०१ मान होन, माग भंग मांणभंग - वि० तिरस्कृत, अपमानित मांसवड-देखो 'मणियह' । मांरणव- देखो 'मानव' ।
२ अपमानित तिरुत पु० अपमान ।
मांड मांडणी-देखो 'माडांणी' |
मांडियो - पु० १ विवाह में कन्या पक्ष का व्यक्ति । २ देखो 'मांडौ' ।
1
मांडी-स्त्री० [सं० मण्डिका] १एक प्रकार की रोटी विशेष वाटी २ दूध की मलाई पु० [सं० मंडप ] ३ विवाह में वधू पक्ष का व्यक्ति । ४ देखो 'मांड' |
मोक पु० [सं०] भृगु कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । माहूकापनि पु० [सं०] एक बाचायें ।
मांडूकायनीपुत्र पु० [सं०] एक प्राचार्य । मांडुकेय - पु० [सं०] १ एक प्राचार्य समूह । २ एक प्राचार्य ।
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मारिएक
मांडूक्य पु० एक उपनिषद । माडे, मांडेई - देखो 'माडांणी' ।
।
मांडेतियो मांडती मांडती पु०विवाह में कन्या पक्षका व्यक्ति । मांडणी-देखो माहोली'
मांडौ- पु० [सं० मण्डप ] १ विवाह के लिये बनाया हुआ मण्डप | २ विवाह में वधू का पक्ष | ३ विवाह में कन्या पक्ष का घर डेरा या स्थान ४ शिकार का मचान । ५ कच्चे दूध की साडी । ६ देखो 'मंडकी' । ७ देखो 'भू'डी' - वि० खिन्न, उदास, मलिन । मांडवड़ी, मांडवों, मांडडी, मांडहूड़ी, मांदी देखो 'मांडों'। मांग- स्त्री० १ शराब की भट्टी | २ देखो 'मान' | मांणक- देखो 'माणिक्य' । – डंड='माणिक्यदंड' | मांणकयंत्र- पु० तेल की धारणी का एक उपकरण विशेष मारकरूप-पु० एक प्रकार का घोड़ा ।
मांग वि० १ भोग विलास करने वाला रसिक प्रेमी । २ उपभोग करने वाला । ३ देखो 'माणिक्य' । मांगर-देखो 'मांडीवर' । मवाळी वि० शत्रुओं का मान मर्दन करने वाला ।
मांगण स्त्री० १ उपभोग करने की क्रिया या भाव। २ स्त्री, पौरत वि० उपभोग करने वाला |
1
मांणरि (खी) - स्त्री० स्त्री, रमणी वि० मान करने वाली, मानवती ।
प्रादमी
मांस पु० [सं० मनुष्य] १ मनुष्य २ परिवार, कुटुम्ब । ३ स्त्री, प्रौरत ।
मानव । ४ पत्नी, प्रर्दा गिनी
५ दासी, परिचायिका । ६ पुत्र वधू
। ७ जीवात्मा, जीव, प्राणी देखो 'मानस' खाली वि० नर भक्षिणी । । ८ ।
-
मांरणसर, मांणसरोवर - देखो 'मानसरोवर' । मांसाचार देखो'मिनखाचार' ।
मासियो पु० १ प्रांत को पुतली २ प्रांख में किसी पुरुष का दिखने वाला प्रतिबिंब । ३ देखो 'माणस' ।
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मांणातु बी- वि० अपमानित, तिरस्कृत ।
माणिक मक्कि, माणिक्य- पु० [सं० माणिक्य ] १ लाल रंग एक रन पद्मशन २ इसके रंग से मिलते-जुलते
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माणिक्यदंड
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रंग का एक घोड़ा । ३ घोड़े की चोटी के नीचे की भौंरी । ४ ऐसी भौंरो वाला घोड़ा । ५ एक प्रकार का केला । - वि० ० लाल । —माळा- स्त्री० उक्त रत्नों की माला, हार । माणिक्यद उ ० १ एक प्रकार का हाथी २ हाथी मारितारिका स्वी० एक व्रत विशेष (जैन) मांगिग -१ देखो 'मांगग' । २ देखो 'माणिक्य' । मांगिर देखो 'मोर'
( ३६० )
मांणिस - देखो 'मांणस' ।
मांणी- वि० १ मान वाला । २ वीर ।
मांणीगर - वि०१ वैभव को भोगने वाला । उपभोक्ता । २ संभोग या मैथुन करने वाला ३ मौजी, रसिक ४ दानी, उदार चित्त, दातार । ५ स्वाभिमान वाला पु० १ हाथियों की एक जाति विशेष । २ इस जाति का हाथी ।
मांखु - देखो 'मान' ।
मांस देखो 'मांनुस
सहस्त्री० [सं० मानुषधाणिका ] मनुष्य की गंध
मत देखो 'मानतरण'
मालेराव- देखो 'मांसीगर' |
मांणी - ० [ देशज ] १ अनाज का एक माप
२ इस माप के बराबर का एक पात्र । ३ गर्व, मान - सर्व० मेरा अपना ।
मांत-देखो 'मीत' ।
-
मांदळ-स्त्री० एक वाद्य विशेष ।
मांडळियो-देखो 'मादळियो' ।
मांत्रिक- वि० मंत्र साधने वाला । मांब - स्त्री० ० [सं० मान्य] १ मन्दा होने की अवस्था, दशा या भाव । २ प्रस्वस्थता, बोमारी, रुग्णता । ३ पीड़ा, दर्द । [फा०] ४ हिंसक जानवरों के रहने की गुफा, खोह शेर की मांद । ५ चंद्र, सूर्य आदि की गति विशेष । मांज- देखो 'मांदी' ।
मांदनी स्त्री० [फा०] १ बीमारी, रोग, अस्वस्थता २ उदासी
सुस्ती । ३ थकावट । ४ मदापन, फीकापन |
परिमाण । ।
मांन पु० [सं० मान] १ प्रतिष्ठा इज्जत साख २ गौरव ३ श्रादर, सत्कार, स्वागत ४ स्वाभिमान । ५ अहंकार, गर्व, मद । ६ स्त्री या नायिका के रूठने की अवस्था या भाव । ७ प्राकार, श्रायतन, प्रमाण सामर्थ्य, शक्ति
९ वस्तु का भार तोल, परिमाण । १० माप पैमाना । ११ प्रमाण । १२ भून के प्रति पश्चाताप । १३ वाद्य की गति में आने वाले विराम । १४ एक राठौड़ राजा ।
१५ एक मंत्र । १६ ग्रह । १७ मनुष्य श्रादपी । १८ उत्तर दिशा का एक देश - वि० समान ।
मांनको देखो 'मां' ।
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मानक - वि० [सं० मानक ] १ जो श्राधारभूत माना जाय
प्रामाणिक । २ देखो 'माणिक्य' ।
मांग- देखो 'मानस' २ देखो 'मांनुस मांनखो-देखो 'मानवी' ।
मांनराजा
मांदलियो देखो 'मांदौ' ।
मांदवाड़, मोवा मांदवाड़ी पु० [सं० मान्यत] १ बीमारी, मांनताळ-पु० मानसरोवर झील
·
अस्वस्थता । २ थकावट । ३ उदासी सुस्ती ।
मनखी पु० [सं०] मानवः) १ जनसमूह, जन समुदाय २ देखो "मानूस'
मांनगरौ - देखो 'मांणीगर' । (स्त्री० मांनगरी )
मांनग्रह - पु० [सं०] मान-गृह] स्त्रियों (रानियों) का कोप भवन । मानचित्र पु० [सं०] कोई नक्शा चित्र |
मानण स्त्री० १ मानने की क्रिया, स्वीकृति २ सहमति । ३ समझ ।
"
मांगणी (बी० [सं० मानं] १ स्वीकार करना मंजूर करना । २ ध्यान देना, गौर करना । ३ किसी के निर्देशों पर चलना । ४ सहमति देना, सहमत होना । ५ मन में कोई धारणा बनाना ६ ग्रहण करना । ७ किसी को मान्यता देना ८ श्रद्धा, आस्था, विश्वास रखना । 8 खुश होना, राजी होना १० पालन करना, धारण करना । ११ समझना, समझा जाना । १२ किसी बात पर एकमत होना । १३ अनुचित कार्य करते हुए रुकना । १४ विश्वास करना भरोसा करना । १५ महत्व देना, मान्यता देना । १६ किसी उक्ति या विचारधारा को मान कर चलना । १७ कल्पना करना । १८ ग्रनुकूल व माफिक पड़ना । १९ सम्मान या आदर करना । २० दक्ष, पारंगत समझना । २१ पूजा करना, अर्चना
करना । २२ प्रभावित या कायल होना । २३ प्रतिज्ञा या संकल्प करना। २४ धेयं रखना । २५ स्थिर रहना । मांना मानती स्त्री० [सं०] मान्यता ] २ प्रतिष्ठा इज्जत, मान्यता । ३ श्रद्धा,
१
मनौती, मित्रत भक्ति ।
मनितालकार ० एक जाति या वर्ग विशेष ।
मांडौ वि० [सं० [मान्य ] ( [स्त्री० मांदी) १ बीमार, रुग्ण मानवाला पु० [सं०] मान्धातृ] युवनाश्व का पुत्र एक सूर्य
रोगी । २ थका हुआ। । ३ उदास, सुस्त ।
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।
वंशी राजा ।
मध्य-पू० एक राठौड़ राजा
मानमंदिर- पु० [सं०] १ रानियों का कोप भवन । २ एकान्त कक्ष । ३ वैधशाला ।
मांनराजा- पु० एक राठौड़ राजा ।
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मानव
मनितरण
मानव-पु० [सं० मानवः] १ मनुष्य जाति का एक प्राणी, | मानससाततर (सास्त्र)-पु० [सं० मानस शास्त्र] वह ग्रंथ
प्रादमी, इन्सान । २ सृष्टि के अनेक प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ जिसमें मन की वृत्तियों का विवेचन हो। प्राणियों का वर्ग, जाति । ३ मनुष्य जाति, वर्ग, समाज । मानसिक-वि० १ मन से संबंधित, मन का। २ मन की ४ एक छन्द विशेष । ५ एक पुराण वेत्ता एवं धर्मशास्त्र कल्पना से उत्पन्न । ३ मन में होने वाला । ४ मनन करने कार । ६ अंगिरा कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । ७ उत्तम मन्वंतर लायक । ५ मस्तिष्क संबंधी -पु. विष्णु का एक का एक देव विशेष। -वि०१ मनु संबंधी, मनु का । २ मनु - नामान्तर । का वंशधर । ३ मनुष्य का।
मानसी-स्त्री० [सं० मानसी] १ एक विद्या देवी का नाम । मानवती-स्त्री० [सं० मानवती] १ रूठनेवाली नायिका, स्त्री। २ एक नदी। ३ एक प्रकार की पूजा । -वि० १ मन का, २ गीता स्त्री।
मन संबंधी । २ मन से किया हुअा, मन से सम्पादित ।. मानवदेव-पु. राजा, नप।
३ मानवी, इन्सानी। मानवधरमसास्त्र-पु० [सं० मानव-धर्म शास्त्र] मनुस्मृति । मानसीगंगा-स्त्री. गोवर्धन पर्वत के समीपस्थ एक पर्वत । मानवपति-पु० [सं० मानवपति] राजा, नरेश ।
मानसीपूजा-स्त्री० [स०] मन से की जाने वाली पूजा । मानवसासतर (सास्त्र)-पु. [सं० मानव शास्त्र] मानव की | मानसूक-पु० [सं० मानसौका] हंस । उत्पत्ति विकास प्रादि के वर्णन वाला मथ ।
मानसून-पु० १ वर्षा के लिये चढ़कर पाने वाले बादल । मानवा मानवी-वि० [सं० मानव] १ मनुष्य की, मनुष्य २ बादल । ३ उत्तर-पूर्व व दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली
संबंधी । इन्सानी । २ मनुष्योचित । -स्त्री०१ स्वयंभुव मनु हवा । ४ मौसम, वातावरण । ५ वर्षा ऋतु । की कन्या का नाम । २ परशु एवं इड़ा नामक वैदिक वाड्.मांना-स्त्री० गाथा छन्द का एक भेद ।
मय में निर्दिष्ट स्त्रियों का पैतृक नाम । ४ देखो 'मानव' । मांनाथ-पु० [सं० मानाथ] लक्ष्मीपति विष्णु । मानवीय-वि० [सं० मानवीय] इन्सानी ।
मांनिक्ख-देखो 'मांनुस' । मानवेंद्र-पु. [सं० मानव-इन्द्र] राजा, नरेश ।
मांनिरणी (बी)-देखो 'मानणो' (बी)। मानस-पु० [सं०मानस] १ मन की प्रान्तरिक सत्ता, मस्तिष्क, | मांनिता-देखो 'मांनता' ।
मन, चित्त । २ विचार, भाव । ३ हृदय. दिल । ४ संकल्प, | मानिनी-स्त्री० [सं० मानिनी] १ वैशाली के राजा राज्यवद्धन विकल्प । ५ कामदेव । ६ विष्णु का एक रूप । ७ एक ____ की पत्नी । २ गर्वीली नायिका । ३ देखो 'मांनी' । यक्ष विशेष । ८ पितरों का एक समूह । ९ वशवर्तिन देवों | मानी-वि० [सं० मानिन्] (स्त्री० मानिनी) १ स्वाभिमानी । में से एक । १० एक नाग । ११ चर, दूत । १२ शाल्मली द्वीप २ माननीय, सम्माननीय, प्रतिष्ठित । ३ गीला, अहंकारी। का एक देश । १३ एक राग विशेष । १४ मानसरोवर ४ान-बान वाला ।-पु० [अ०मानी] १ अभिप्राय, झील । १५ पुष्कर द्वीप का एक पर्वत । १६ एक लवण प्राशय, अर्थ । २ रहस्य मूलक तत्त्व, भेद । ३ प्रयोजन, विशेष । १७ मनुष्य, प्रादमी । १८ दो मात्राओं का उद्देश्य । समूह । १९ तुलसी कृत रामायण । २० देखो 'मांनसर'। मानीती-वि० (स्त्री० मांनीती) १ माना हुमा, प्रिय । २ खास -वि० १ मन से उत्पन्न, मनोभव । २ मन से संबंधित । विश्वसनीय । ३ मान, प्रतिष्ठा, गौरववाला । ४ कृपा ३ मन से सोचा या विचारा हुा । ४ मानसरोवर पर पात्र । ५ प्यारा, दुलारा। रहने वाला।
मांनु-१ देखो 'मान' । २ देखो 'मांनो' । मानसोक-पु० [सं० मानस-प्रोकस्] १ हंस । २ कामदेव। मांनुक्ष, मांनुख, मांनुस-पु० [सं० मानुष] (स्त्री० मानुसी) मांनसचारी-पु० [सं० मानस चारिन्] हंस ।
१ आदमी, इन्सान, नर । २ मिन, कन्या भोर तुला मानसपुतर, मानसपुत्र-पु० [सं०मानस पुत्र] मन इच्छा से राशियों का नामान्तर । ३ प्रमाण के तीन भेदों में से एक । उत्पन्न पुत्र ।
४ मनुष्यत्व, इन्सानियत । ५ पुरुषार्थ । -वि० १ मनुष्य मानसमुद्र-पु० मान सरोवर झील ।
संबंधी, मानवी । २ अनुग्रहशील, दयालु । मानसर (सरवर, सरोवर,सरोवरि), मानससर-पु० [सं०मानसर] मांनुसता-स्त्री० इन्सानियत, मनुष्यता । हिमालय के उत्तर की एक बड़ी झील ।
मानेतरण-स्त्री० [सं० मानित] १ पति को विशेष प्रिय स्त्री, मानसवत-पु० [सं० मानसवत] अहिंसा, ब्रह्मचर्य प्रादि का
नायिका । २ जिसकी मान्यता अधिक हो। ३ पति की पालन ।
कृपापात्र स्त्री। ४ मान करने वाली नायिका । -वि. मानससंन्यासी-पु० दशनामी संन्यासियों की एक शाखा ।
१ मानवती, मानिनी । २ कृपा पात्र, विशेष प्रिय ।
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मानी
मांस
मांनो-प्रव्य० १ यथा, जैसे, गोया। २ देखो 'मान' । | मामू-देखो 'मामा'। मान्य-वि० [सं० मान्य] १ मानने योग्य, माननीय । २ प्रामा-मांमूर-पु० [अ०] १ बस्ती, प्राबादी । २ साधन, सामग्री।
णिक । ३ सम्माननीय, प्रादर योग्य । ४ उचित, ठीक । ३ व्यवस्था । -वि० १ जिसे प्रादेश दिया गया हो। -पु. १ विष्णु । २ शिव । ३ मैत्रावरुण ।
२ तैनात, मुकर्रर, नियुक्त । ३ बसा हुमा, पाबाद । माम-पु० [सं० माम] १ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा, गौरव ।।
४ भरा हुआ, परिपूर्ण । ५ बंद। ६ खचाखच भरा हमा। २ सम्मान, पादर । ३ जीत, विजय । ४ मर्यादा, सीमा,
७ समृद्ध । ८ बिल्कुल । हद । ५ गर्व, अहंकार । ६ दृढ़ता। ७ पहाड़, पर्वत । मामूली-वि० [अ० मा'मूली] १ साधारण, सामान्य । ८ इच्छा, अभिलाषा । ९ युद्ध। १० शक्ति, बल ।
२ प्रत्यल्प, थोड़ासा, छोटासा। ३ महत्वहीन, निरर्थक । ११ बदला। १२ धन, दौलत, वैभव । १३ कार्य, काम । ४ अासान, सरल, सीधा-सादा । ५ रोजमर्रा का । -वि० १ लायक, योग्य । २ युद्ध करने वाला योद्धा।
६ प्रायः होने वाला। ७ परम्परागत, रस्मी। ८ निश्चित ३ मेरा, अपना । ४ देखो 'मांमौ'। ५ देखो 'मोम' ।
ढंग से होने वाला। मांमउ-देखो 'मांमौ'।
मांमूल्यो, मामोलियो, मामोलो, मामोल्यो-पु. १ मामा का मांमगर-पु० एक वर्ग विशेष ।
पुत्र भाई । २ देखो 'ममोलो'। मामड-पु०१प्रावड़ देवी के पिता का नाम । २ देखो 'मांमौ'। मामौ-पु० (स्त्री० मामी) १ मां का भाई, नाना का पुत्र । मामड़ाई, मांमडियाल-स्त्री. प्रावड़ देवी।
२ भीलों का एक संबोधन । मामलत, मामलति, मामलात-स्त्री० [अ० मुमामलत] मांमौजी-पु०१ परोपकार में वीरगति प्राप्त करने वाला व्यक्ति ।
१ पारस्परिक व्यवहार । २ विवादास्पद बात, मुकद्दमा। २ मामा। ३ कोई बात या विषय । ४ घटना।
मांय-क्रि०वि० [सं० मध्य] १ भीतर, अन्दर, में । २ प्रोट में, मामलागुजार-वि. 'मामला' नामक कर चुकाने वाला।
पाड़ में । ३ दरम्यान, बीच । ४ बहुतों के बीच, मध्य में । मामलियो-१ देखो 'मामा' । २ देखो 'ममोलो' ।
५ देखो 'माता'। मामली-पु० [अ० मुना मलः] १ युद्ध, लड़ाई, झगड़ा ।| मांयकर-प्रव्य० अन्दर से होकर ।
२ माक्रमण, हमला । ३ समस्या, उलझन । ४ दुःसाध्य | मायड़ी-देखो 'माता'। या दुष्कर कार्य । ५ कार्य या काम। कोई विषय, | मायनो-पु० [अ० मुग्रायनः] १ गौर करके ठीक देखने की क्रिया बात । ७ विवाद, मुकद्दमा । ८ घटना । ९ वैभव, ठाट- या भाव । २ निरीक्षण, जांच पड़ताल । ३ अर्थ, मतलब। बाट । १० व्यापार, व्यवसाय । ११ प्रभाव, रौब । मायड़लो, मायलोड़ो-देखो 'मायलो' । (स्त्री० मायड़ली) १२ स्थिति, हालत, दशा । १३ वृत्तान्त, हाल । | मायलो-वि० [सं० मध्य] (स्त्री० मायली) १ बाहर वाले का १४ समझौता । १५ व्यवस्था या परम्परा । १६ प्रधान विपर्याय, अन्दर का । २ किसी स्थान, क्षेत्र या परिधि के या मुख्य बात । १७ कौल, वचन । १८ खिराज नामक भीतर का । ३ अन्दर स्थित । ४ प्रांतरिक । ५ चारों कर।
पोर का । ६ कइयों के बीच का। ७ गुप्त, गोपनीय । मांमस-स्त्री० मामी सासू. सासू की भोजाई ।
-सर्व० मेरा। मांमसरी-पु. सासू का भाई, मामा श्वसुर ।
माया-स्त्री० १ सौतेली माता। २ देखो 'माया' । मांमारण, मामाणी-पु. मामा का घर, ननिहाल ।
मार-देखो 'मोर'। मामाई-पु. मामा का वंशज । -वि. मामा का, मामा से | मां'रौ-देखो 'मेरौं' । संबंधित।
माळ-देखो 'मौळ'। मामात-स्त्री० मामा की बेटी बहन ।
मांवड़ी-देखो 'माता'। मामामुरको-स्त्री० कान का प्राभूषण विशेष । मांमारखी-देखो 'ममारखी' ।
मांवरणी-स्त्री० [सं० म्नानी] पाठशाला के छात्रों द्वारा बोली
___ जाने वाली गिनती। मामाळ-पु० ननिहाल, मातृगृह, मामा का घर । मामालूणी-स्त्री० वर्षा ऋतु में होने वाला, छोटी पत्ती का एक मांवसी-स्त्री० मासी। घास विशेष ।
मांवीत-देखो 'माईत'। मामी-स्त्री. मामा की स्त्री। -सासू स्त्री० सासू की भोजाई। मांस-पु० [सं०] १ मानव आदि प्राणियों के शरीर में हड्डियों पर -सुसरौ, सूसरी-पु० सासू का भाई ।
होने वाला ठोस पदार्थ, गोश्त, मामिष । २ फल का गूदा ।
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मासकेसी
माऊनी
३ मछली । -प्रहारी-पु० पशु-पक्षियों का मांस मांहरे ()-देखो 'म्हारै'। पकाकर खाने वाला। -कर, करण, कारि-पु. कसाई, मांहरौ-देखो 'म्हारो'। मांस बेचने वाला। खटीक । रक्त, रुधिर। -खोर-वि० माहलु-देखो 'मायलो' । (स्त्री० माहली) मांस भक्षी।
| माहलो-देखो 'मायलो' । (स्त्री० महिली) मांसकेसी-पु० [सं० मांस केशिन्] वह घोड़ा जिसके पांवों में मांहा, माहा-१ देखो 'माय' । २ देखो 'म्हां' । मांम के गुठले निकले हों।
माहारी-देखो 'म्हारी। मांसचर-देखो 'मांसाचार'।
मांहीनो-देखो 'महीनो'। मांसट्ट-पु. मांस पिंड या खंड ।
मांहीली-देखो 'मायलो'। (स्त्री० मांहीली) मासती-देखो 'मासतो' ।
माहे-देखो 'माय'। मांसपिंड-पु० [सं०] शरीर, देह।
माहेमांहे-देखो 'माहोमांहि'। मांसपिंडी-पु. शरीरस्थ मांस-ग्रंथि ।
मांहेलो-देखो 'मायलो' । (स्त्री० माहेली) मांसपेसी-स्त्री. प्राणियों के शरीर के अन्दर का एक माहै-देखो 'माय'। अवयव ।
माहोमां, माहोमांह (हि,ही,हे है), माहीमाह-देखो 'माहोमांहि । मांसभक्षी (भखी)-वि० [सं० मांस-भक्षिन्] मांस खाने वाला, मा-स्त्री० [सं० मातृ] १ जननी, अंबा, माता । २ माता जिसका माहार मांस हो।
के स्थान वाली स्त्री, विमाता । ३ वृद्ध व प्रादरणीय स्त्री। मांसमौजी-वि० मांस खाने से तृप्त होने वाला।
४ बुद्ध स्त्री का एक संबोधन । ५ लक्ष्मी । ६ सीता । मांसरोहिणी-स्त्री० एक प्रकार का जंगली वृक्ष ।
७ दुर्गा, देवी, शक्ति । ८ गौरी, गिरिजा, पार्वती। मांसल-वि०१ मांस युक्त, मांस से परिपूर्ण। २ हृष्ट-पुष्ट । ९ पृथ्वी । १० गो. गाय । -प्रव्य. १ मत, नहीं, न । ३ स्थूलकाय ।
२ अन्दर, में। मांसलता-स्त्री० मांस से परिपूर्ण होने की अवस्था ।
मा'-देखो 'महा'। मांसाचार (चारी)-पु. १ मांस खाने वाला प्राणी । २ जिनका माइ, माइडी-देखो 'माता' । पाहार मांस हो, शेर, गिद्ध प्रादि ।
माइत-देखो 'माईत'। -पण, परणी-'माईतपणो' । मांसाडौ-पु० पशुगों के मुंह में होने वाला एक रोग। माइवाहक-पु० [सं० मातृ-वाहक] लकड़ी का घुरण, कीड़ा। मांसाळ-पु. मामा का घर, ननिहाल ।
माई-देखो 'माता'। मांसाहार-पु० [सं०] मांस भक्षण।
माईजायो-देखो माजायो' । मांसाहारी-वि० [सं०] मांस भक्षी।
माईत-पु० [सं० मात-पितृ] १ माता-पिता, मां-बाप । २ पूर्वज, मांसु-देखो 'मांस'।
बडेरे । ३ वृद्ध, बुजुर्ग । ४ संरक्षक, अभिभावक । -पण, मांसुरीलोम-पु० मूछ।
परी-पु० माता-पिता होने की अवस्था या भाव । मांसेरी, मांसरी-देखो 'मांसाहारी' ।
बड़प्पन, छोटों पर किया जाने वाला अनुग्रह । माह-१ देखो 'माय' । २ देखो 'माह' । ३ देखो 'मुख'। अभिभावकत्व । ४ देखो 'म्हां'।
माईय-देखो 'माता'। माहंकर, महिंकार-देखो 'मायकर'।
माईया-१ देखो 'माया' । २ देखो 'माता' । मांहगौ-देखो 'मू"गो'।
माईरौलाल-पु० साहस व परोपकार का कार्य करने वाला महिंजो-सर्व० (स्त्री० माहजी) हमारा, मेरा ।
व्यक्ति । महिंडौ, मांही-देखो 'मू"डो' ।
माउ, माउड़ी-देखो 'माता' । माहणी-देखो 'म्हांणी'।
माउजी-देखो 'माजी। भाहणी-देखो 'म्हाणी'। (स्त्री० म्हाणी)
माउलउ-देखो 'माउलो'। माहरणी (बी)-देखो 'मोहणों' (बी)।
माउलाही-पु० [सं० मातुलीय] मामा का, मामा संबंधी। महिमा-देखो'माहोमांहि। माहमुदी-देखो 'महमूदी'।
माउलौ-पु० [सं० मातुल:] माता का भाई, मामा । महिरह-देखो 'म्हार'।
माऊ-देखो 'माता'। मोहरी-देखो 'म्हारी।
माऊजी-देखो माजी'।
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माऊली
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( ३६४ )
माऊली-देखो 'माउली' ।
माकद पु० [सं०] १ श्रम का वृक्ष २ उक्त वृक्ष का फल | ३ इन्द्र |
माकंदी - पु०
[सं०] युद्ध से पूर्व पांडवों द्वारा मांगे गये पांच गांवों का समूह।
माक-पु० अर्जुन का एक नाम ।
मागणी (बी) - क्रि० [सं० मार्गग] १ खोजना, तलाशना । २ अनुसंधान या शोध करना। ३ देखो 'मांगणी' (बी) । मागध - पु० [सं०] १ एक प्राचीन वर्णकर जाति 1 २ उक्त जाति का व्यक्ति । ३ बंदीजन भाट । ४ मगध देश का राजा । ५ मगध का निवासी ६ जरासंध का नामान्तर । ७ मगध की भाषा। जीरा ९ पिप्पला
1
माकड़ - १ देखो 'मरकट' । २ देखो मत्कुण' ।
माकड़ा - पु० (ब.व.) १ बैलगाड़ी के दो अवयव । २ पशुश्रों | मागधक - पु०
के पुट्ठे । माकड़ी - स्त्री० १ पीठ । २ कान का एक आभूषण । २ कूम्रा खोदते समय काम आने वाला एक उपकरण । ३ देखो 'चाखड़ी' । ४ देखो 'मकड़ी' । ५ गाय की बिछिया । माकड़ी ०१ गाड़ी का एक अवयव कूल्हे तथा घुटनों का मध्य भाग संधिस्थल | ४ देखो 'मरकट' । माकरण - १ देखो' मत्कुरण' । २ देखो मरकट' । ३ देखो 'माखण’| माकरी - स्त्री० माघ शुक्ला सप्तमी तिथि ।
२ मनुष्य व पशुओं के ३ पशुओंों के पुट्ठों के
माकूल वि० [अ० मा कूल १ उचित मुनासिब
1
बाजिब २ उत्तम, उम्दा, अच्छा, बढ़िया । ३ श्रावश्यक, वांछनीय, यथेष्ट । ४ योग्य लायक ५ सभ्य, शिष्ट । माख पु० [सं० मक्ष] १ मक्खियों का झुण्ड समूह । २ गर्व, श्रभिमान । ३ नशा, मद I ४ नाराजगी, क्रोध ! ५ पश्चाताप पछतावा ६ देखो 'माखी' । माखलाड़ी पु० [सं०] अक्षरण १ दही को मथने पर निकलने वाला नवनीत, मक्खन । २ सार वस्तु तत्त्व । मारियो - पु० १ एक प्रकार का कपड़ा । २ एक प्रकार का घास । ३ एक प्रकार का पत्थर । ४ देखो 'माखण' । माखन- देखो 'माखण' ।
माली स्त्री० [सं०] मक्षिका १ पतंगों की जाति का एक जीव
२ मधु मक्षिका । ३ बन्दूक की नाल पर बना एक नुक्का । माखीना' र पु० मक्खियों का शिकार करने वाला एक पतगा । माखीव पु० [सं० मधुमक्षिका ] मधुमक्खियों का छत्ता । माखीमार - पु० १ मक्खियों को मार कर खाने वाला जानवर |
२ मक्खियां उड़ाने की छड़ी । ३ कजूस व्यक्ति । माखीमाळ, माखीमाळी - पु० मधुमक्खियों का छत्ता । माखी पु० १ बड़ी मधी २ सोना मक्सी बड़ा फीची माग-स्त्री० १ घोड़े की एक चाल विशेष । २ देखी 'मारग'। ३ देखो 'माघ' |
बागड़ी-देखो 'मारव' ।
मानदेय 'मांगण' ।
मागल देखी मांग
मागणहार, मागरणहार-देवो मांगगुहार'।
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मूल १० मगध वि० मगध का मगध संबंधी । [सं० मगध + अक] १ मगध का निवासी ।
मागध भाट ।
मगधी स्त्री० [सं०] १ मगध देश की प्राचीन भाषा । २ मगध की राजकुमारी ३ जुही यूथिका ४ छोटी इलायची ५ चीनी, शक्कर । ६ बड़ी, पीपल । भागधेय ० चुंगीकर महसूल
7
माछत्र
मागनिसार पु० [सं० मार्ग-निष्कासन ] निकलने का रास्ता, निकास ।
मागरवाळ - ० याचक, भिक्ष ुक ।
मागसिर, मार्गसिरि-देखो 'भिगसर' । मागि- देखो 'मारग' |
मागिणहार, मानिलिहार-देखो 'मांगगहार' । मागु-१ देखो 'मांग' २ देखो 'मारग' |
भाघ- पु० [सं०] १ शिशिर ऋतु का प्रथम मास । ग्यारहवां चन्द्र मास । २ संस्कृत के एक प्रसिद्ध कवि । ३ इस कवि का प्रसिद्ध ग्रंथ शिशुपालवधम् ४ कुंद का फल मापती- पु० स० मा १ योतिषी २ देखो 'मा'। माघव-देखो मघवा' ।
माघवई, माघवती स्त्री० [सं० माघवती ] १ सात नरकों में से एक । २ पूर्व दिशा ।
माछदर सिख - पु० गोरखनाथ । माछंद्र - देखो 'मछंदर' ।
माघवन - वि० [सं०] इन्द्र का, इन्द्र द्वारा शासित । माघारण, माघवान-देखो मघवा' |
माथि मापा स्त्री० [सं० माघ) माघ मास की पूर्णिमा
,
- वि० १ माघ का माघ संबधी २ मघा नक्षत्र युक्त ३ देखी 'मा' |
माझे वि० [सं० मद] (स्त्री० माड़ी) १ अशुभ खराब, बोटा 1 २ निम्न कोटी का घृणित, हेय । ३ गंदा, भद्दा । ४ नीच, बुरा । ५ अनुचित, बुरा, खराब । ६ शोचनीय, चिताजनक । ७ दुबला-पतला, कमजोर ८ बीमार, रोगी । ९ खिन्न, उदास । १० प्ररुचिकर ११ हल्के दर्जे का, न्यून मात्र देखो 'मोर्चा' ।
1
मारो (बी), माचवणौ (बौ) - देखो 'पचरणी' (बो) । मार-देखो 'मदर
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माछ
३६५ )
माठसेडो
माछ-पु० [सं० मत्सर] १ गाढ, दृढ़ता । २ देखो 'माछर'। | माझारी-क्रि०वि० भीतर, अदर, मध्य में ३ देखो 'मच्छ' ।
माझि-१ देखो 'मध्य' । २ देखो मांझो' । माछर-पु. [सं० मत्सर] मानव प्रादि प्राणियों का रक्त चूमने | माझिम-देखो 'मांझळ' । -रात= मांझळरात'। वाला एक सूक्ष्म पतंगा।
माझियो- देखो 'मांझी'। माछळ, माछळउ-देखो 'मच्छ' ।
माभिळ-देखो 'मांझळ' । माछलड़ी, माछळी, माछली, माछि-देखो 'मच्छी'।
माझी-देखो 'माझी' । माछळो-पृ० वर्षा ऋतु में प्राकाश में बना मच्छी के प्राकार का मानीपो-देखो 'मांझीपौ'। चिह्न, जो वर्षा का सूचक माना गया है।
माझौ-पु० हिफाजत, जाब्ता । माछिरिण, माछिळी. माछिली-देखो 'मच्छी' ।
माट-पु० [सं० मद्-भांड] १ दही मथने की रेई । २ मटका, माछी-पु. १ धीवर, मछया । २ देखो 'मच्छी' ।
भाण्ड । ३ मिट्टी का बड़ा पात्र । ४ मालिक, स्वामी । माछु, माछौ-प्रव्य० १ नहीं, न । २ मच्छ ।
५ मुह पर चमडा मंढा एक वाद्य । ६ खेत को मेंड़ । माज-स्त्री० प्रतिष्ठा, इज्जत, मान ।
७ देखो 'माठ'। ८ देखो 'माटी'। माजरणउ-देखो 'मांजरण'।
माटइ-देखो 'मार्ट'। माजणी (बी)-देखो 'मांजरणो' (बौ) ।
माटकी, माटली-१ देखो 'मटकी' । २ देखो माठी' । मा'जन-देखो 'महाजन'।
माटको-देखो 'मटको'। माजनी-देखो 'महाजनी'।
माटवी-स्त्री० चारणकुलोत्पन्न एक देवी। माजनू माजनौ-पु. १ इज्जत, प्रतिष्ठा, मान । २ लक्षण, माटि, माटी-स्त्री० [सं० मृत्तिका] १ पृथ्वी की सतह पर रहने
गुण । ३ बुद्धि, अक्ल । ४ अस्तित्व, हस्ती। ५ मान, वाली धूल रेत, रज। मिट्टी । २ जल पात्र प्रादि बनाने पादर, सम्मान । ६ बडाई, तारीफ । ७ कृत्य, कर्म ।
की चिकनी मिट्टी । ३ तालाब की सतह में जमने वाली माजम-स्त्री. भंग मिली बादाम की चक्की, स्वादिष्ट मादक मिट्टी। ४ ताजा खोदी हुई रेत । ५ शरीर, देह । ६ मृत पदार्थ।
शरीर, शव । ७ मांस, मामिष । ८ वह तत्त्व जिससे माजरि-देखो 'मांजरी'।
प्राणियों के शरीर बनते हैं । ९ देखो 'मांटो'। माजरी-पु० [अ० माजरा] १ घटना । २ किसी घटना का | माटुवी-पु. एक प्रकार का घोडा। विवरण । ३ मामला । ४ देखो 'मांजगै'।
माटे (टे)-क्रि०वि० १ लिए, वास्ते, निमित्त । २ केवल, माजा-स्त्री० १ ग्राज्ञा । २ मर्यादा, सीमा ।
सिर्फ, मात्र। माजाई माजायो-स्त्री० [सं० मात+जाता] बहिन, सहोदरा। माटो पु० [सं० मात्तिक] १ मिट्टी का बड़ा पात्र, मटका । माजायो-पु० [सं० मातृ+जातः] भाई, सहोदर ।
२ विलक्षण कार्य करने वाले के प्रति एक संबोधन । माजियो-१ देखो 'मांझी' । २ देखो 'माजी' ।
३ विवाह के बाद कन्या के साथ भेजा जाने वाला बड़ी, माजी-स्त्री० [सं०मा+जी] १ वृद्ध स्त्री, बुढ़िया । २ वृद्ध स्त्री पापड़ प्रादि सामान ।
का पादर युक्त संबोधन । ३ राजमाता । ४ मां, माता। माठ स्त्री० [सं० मष्ठ] १ चालू कार्य की समाप्ति, अंत । ५ दुर्गा, देवी। ६ देखो 'मांझी'।
२ मीमा, हद । ३ संतोष, सब, धोरज । ४ शांति, चुप्पो, माजुम-देखो 'माजम'।
मौन । ५ खेत की मेंड़ । ६ मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । माजू-पु० [फा०] एक प्रकार का वृक्ष ।
७ स्वाभिमान । ८ देखो 'भाठी'। माजून-पु० [अ० ममजून] १ पौषधि में काम पाने वाला मीठा |
माठरणो (बौ)-क्रि० १ पत्थर पर घड़ाई करना । २ देखो अवलेह । २ देखो 'माजम' ।
___'मठारणी' (बी)। माजूफळ-पु० [फा०] एक प्रौषधि विशेष ।
माठमो (वौं)-पु० घड़कर साफ किया पत्थर । माजी-पु० [अ० मौजा] १ ग्राम, गांव । २ स्थान, जगह । माझिले-देखो 'मझि'।
माठर-पु० [स०] १ वेदव्यास । २ सूर्य का एक गरण । माझ-० [अ० मवाज] १ राज्य, देश । २ रियासत ।।
३ अष्टादश बिनायकों में से एक । ४ ब्राह्मण । ५ कलाल ३ सीमा, हद । ४ मर्यादा । ५ छह । ६ देखो 'मध्य' ।
कलवार, शौण्डिक । माझम-स्त्री. १ मेवाड़ को एक नदो। २ देखो 'माजम'। । माठल-स्त्री० एक प्रकार की अगुठी । माझळ,माझळि,माझळी-देखो 'मांझळ' । -रात 'मांझळरात'। माठसेडो, माठसेढ़ी-देखो 'मठसेडो' ।
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मातर
माठा-स्त्री० १ एक मधुर रागिनी विशेष । २ कंजूसी ।
माढू-पु० १ मानव, मनुष्य, प्रादमी । २ मित्र, दोस्त । ३ यार, माठाकर-वि• कंजूस, सूम ।
प्रेमी। माठादिन-पु० दुदिन, बुरे दिन, दुःख का समय ।
माची-देखो 'माडेची'। माठामनी-वि० कृपण, कंजूस ।
मारणौ (बौ)-क्रि० [सं० मा] १ समाना । २ निभना, निर्वाह माठावरण-पु० भाग्य के बुरे लेख ।
होना, खटना । ३ सहन या बर्दाश्त होना । ४ हजम होना, माठि-१ देखो 'माठ' । २ देखो माठी' ।
पचना। माठी-स्त्री. १ पुरुषों की कलाई पर पहनने के कड़े । २ कवच, | मातंग-पु० [सं०] (स्त्री० मातंगी) १ हाथी, गज । २ इन्द्र का सन्नाह । ३ प्रावरण । ४ देखो माठौ'।
हाथी, ऐरावत । ३ पीपल, अश्वत्थ । ४ संवर्तक, मेघ । माठ, माठू, माठोड़ो, माठौ-वि० [सं० मष्ठ] (स्त्री० माठी) ५ एक नाग का नाम । ६ चांडाल, हरिजन । ७ किरात
१ मंद गति से चलने वाला, धोमा । २ शिथिल, सुस्त, | शूद्र । ८ एक राक्षस का नाम । ९ वार-नक्षत्रों संबंधी एक पालसी । ३ धृष्ट, बेशर्म । ४ उदास, मंद । ५ बुरा, योग । १० देखो 'मतंग' । खराब, खोटा । ६ अधम, नीच । ७ न्यून, निम्न । | मातंगध-पु० गणेश, गजानन । ८ अनुचित, नाजायज । ६ निरुत्साहित । १० मिथ्या, | मातंगपुर-पु० हस्तिनापुर । असत्य, झूठा । ११ गंदा, असभ्य । १२ कंजूस, सूम, | मातंगर-पु. हाथी, गज । कृपण । १३ मजबूत, दृढ़ । १४ कठिन, कठोर । मातंगी-स्त्री० [मं०] १ कश्यप की एक पूत्री । २ वशिष्ट की १५ जबरदस्त, भयंकर।
पत्नी । ३ पार्वती, गिरिजा। ४ दश महाविद्यानों में से माउंबीक-पु. मंडप का ऊपरि कार्यकर्ता ।
एक । ५ चांडाल जाति की स्त्री। ६ विजिया, भंग । माड (इ)-पु० १ गर्व, अभिमान । २ ऊमरकोट राज्य का
७ हाथी। उत्तरी भाग । ३ जैसलमेर राज्य का एक नाम ।
मात-स्त्री० [प्र०] १ हार, पराजय । २ सामर्थ्य, हस्ती। ४ देखो 'मार्ड' ।
३ गेहूं के प्राटे व गुड़ की चासनी से बना एक खाद्य
पदार्थ । -वि० १ नगण्य । २ देखो 'माता'। ३ देखो माडणी (बो)-देखो 'मांडणी' (बी)।
'मात्र' । ४ देखो 'मात्रा'। ५ देखो 'मातो'। माडपंच-पु. १ मुखिया, प्रधान, नेता । २ पंचायती करने वाला |
ला मातउ-देखो 'मातो' । - व्यक्ति, पंच । ३ अनावश्यक नेतागिरी करने वाला।
मातजायो-देखो 'माजायो। माडां, माडणी-क्रि०वि० १ जबरदस्ती, बलात्, हठात्, दबाव
मातबर-वि० [अ० मो'तबर] १ जिसका विश्वास किया जाय, डालकर । २ न चाहते हुए भी, मजबूरी में, मन मार कर भी । ३ स्वतः ही, अपने पाप । ४ बिना प्रयास के ।
खास विश्वसनीय । २ सम्पन्न, धनाढ्य । ३ प्रतिष्ठित,
प्रभावशालो, सज्जन । ४ प्रान-बान व प्रतिभाशाली, माडिय, माडी, माडीय-स्त्री. मां. माता ।
स्वाभिमानो । ५ अच्छे स्वभाव व गुणों वाला। माट-पु०१ एक प्रकार की प्राचीन ढाल । २ तलवार ।
मातबरी-स्त्री० [अ० मोतबरी] १ 'मातबर' होने की दशा या ३ देखो माढू'।
भाव । २ विश्वसनीयता । ३ साहूकारी । ४ गंभीरता । माडे-देखो 'माडां'।
मातबौ-पु० [सं० महात्मा] शादीशुदा जैन यति । माडेची-स्त्री० प्रावड़ देवी का एक नाम । -वि० जैसलमेर का,
| मातम-पु० [फा०] १ मृतक के पीछे किया जाने वाला शोक । जैसलमेर संबंधी।
२ दुःख, गम । ३ देखो 'महातम' । -पुरसी, पोसी-पु. माडेचौ-पु० जैसलमेर का निवासी।
मृतक के परिवार जनों को सांत्वना देने की क्रिया । मार्ड, माई-देखो 'माडां'।
मातमा-देखो 'महात्मा' । माढ़-पु० १ हठ, बहस, हा-नां । २ देखो 'मांड'।
मातमो-वि० [फा०] १ शोक संबंधी, शोक सूचक । माढ़राछात-पु० जैसलमेर के राजा का संबोधन विशेष।
२ मातमपोसी। माढव, माढवी-देखो 'माढू'।
मातमुख-वि०१ पालसो, सुस्त । २ मूर्ख, मूढ़, जड़मति । माढाणी-देखो 'माडांणी'।
मातर-१ देखो 'मात्र' । २ देखो 'मात्रका' । ३ देखो 'माता। माढ़ी-स्त्री० पत्तों के अन्दर का रेसा ।
४ देखो 'मात'।
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मातरा
माथासरी
मातरा-स्त्री० १ धन, दौलत, सम्पत्ति । २ मात्रा । ३ माता।। माता। ३ आर्यमा नामक मादित्य की पत्नी। ४ एक मातरौ-पु० मूत, पेशाब।
तांत्रिक यंत्र । ५ यंत्र में लिखे जाने वाले अंक या लिपि । मातळ, मातळि-पु० [सं० मातलि] १ महावत । २ इन्द्र का | मात्रमोम-देखो 'मात्रिभूमि' । सारथी, रथवान ।
मात्रा-स्त्री० [सं०] १ नाप या तोल के अनुसार कोई परिमाण । मातलोक-पु० [सं० मृत्यु लोक] १ मृत्युलोक, मनुष्य लोक । २ नाप या तोल का उपकरण । ३ अक्षर के प्रागे-पीछे व २ मातृ भूमि।
ऊपर लगने वाला चिह्न। ४ छन्दशास्त्र के अनुसार कला । मातवट (टि)-देखो 'मथावटि' ।
५ परिमाण, संख्या। ६ पौषधि की मात्रा, खुराक । ७ अंश मातवर-देखो 'मातबर'।
भाग। ८ करण, अणु । ९ पल, लहमा । १० धन, सम्पत्ति । माता-स्त्री० [सं० मात] १ जन्म देने वाली मां, जननी, अंबा । | ११ तत्त्व । .१२ शक्ति, बल। १३ संगीत में ताल का
२ माता के स्थान वाली स्त्री। ३ प्रादरणीय व वृद्धा स्त्री। निश्चित भाग । १४ स्वर के उच्चारण का समय । ४ पार्वती । ५ दुर्गा, देवी, शक्तिश६ लक्ष्मी । ७ गौ।।
१५ संगीत में गीत और वाद्य का समय, निरूपख । ८ पृथ्वी, भूमि । ९ धन, दौलत । १० शीतला या चेचक १६ काम की बाली। १७ एक माभूषण या रत्न । नामक रोग । ११ नव दुर्गाएँ। १२ इन्द्र वारुणी। मात्रि-वि० [सं० मातृ माता संबंधी, माता का। १३ जटामासी।
| मात्रिक-वि० [सं०] १ मात्रा संबंधी, मात्रा युक्त । २ मात्रा से मातामता-क्रि० वि० घूमते-फिरते।
बनने वाला । -पु० १ छन्दों का एक वर्ग व इस वर्ग का मातामह-पु० माता का पिता, नाना।
छन्द । २ देखो 'मात्रक' । मातीगोठ-स्त्री० बड़ी गोष्ठी ।
मात्रिभाखा (भासा)-स्त्री० [सं० मातृ भाषा] १ घर, परिवार मातीमुरगी-स्त्री० धनवान व सम्पन्न प्रासामी।
प्रदेश व देश की भाषा, बोली । २ राष्ट्रभाषा। मातु-देखो 'माता'।
मात्रिभूमि-स्त्री० [सं० मातृभूमि] जन्म भूमि, अपना मातुळ (ल), मातुलि (लो)-पु० [सं० मातुल] १ मामा।| देश, स्वदेश ।
२ धतूरे का पौधा । ३ एक सर्प विशेष । ४ देखो 'मातलि'। मात्रिमुख, मात्रीमुख-पु० [सं० मात मुख मूढ या मूर्ख। माते-देखो 'माथै'।
मात्रिरिस्ट-पु० [सं० मातृरिष्ट] प्रशुभ लग्न में संतान जन्मने मातेत-वि० [अ० मातहत] १ अधीनस्थ, अधीन रहने वाला।
पर माता-पिता पर पाने वाला संकट । २ पराधीन । -पु. १ अधीनस्थ कर्मचारी। २ सहायक कार्यकर्ता।
माथ, माथह-१ देखो माथी'। २ देखो 'माथै'। मातेती-स्त्री० [५० मातहती] १ 'मातहत' होने की दशा
माथइयो, माथउ, माथड़ो, मालियो-देखो मायो। अवस्था या भाव । २ अधीनता ।
माथाकर-क्रि० वि० ऊपर होकर, ऊपर से। मात-देखो 'मार्थ'।
माधाधोवरण, माथानावरण-पु० [सं० मस्तक+धोवनं, स्नान] मातो-वि० [सं० मत्त] (स्त्री० माती) १ मोटा-ताजा, स्थूल
१ प्रसव के कुछ दिन बाद जच्चा को कराया जाने वाला काय । २ हृष्ट-पुष्ट, तंदुरुस्त । ३ मस्त, मतवाला। स्नान । २ घी और छाछ मिला, शिर धोने का पानी। ४ मदमस्त, नशे में चूर । गर्क, लीन । ५ घायल ।
माथापच, माथापची, माथाफोड़, माथाफोड़ी-स्त्री. १ किसी ६अभिमानी, अहंकारी। ७ प्रसन्न, खुश । ८ अधिक दिन का
बात या विषय पर दिमाग लगाने की क्रिया, बुद्धि का श्रम । पड़ा हुमा, विकृत । ९ बलवान, शक्ति-शाली। १० भयंकर
२ प्रपंच, झट । ३ मन या बुद्धि पर अनावश्यक बोझा । भयानक । ११ जबरदस्त, जोरदार । १२ सघन, घना,
४ परिश्रम, मेहनत । ५ बहस, हुज्जत । ६ किसी बात या गहरा । १३ तेज, तीव्र, उग्र । १४ अत्यधिक । १५ भारी,
कार्य को समझने के लिये बुद्धि पर लगाया जाने वाला वजनी । १६ देखो 'माता' ।
जोर। मातंग-देखो 'मातंग'। मात्र-अव्य० [सं०] १ केवल, सिर्फ । २ समान, भर । ३ देखो
माथायलो-वि० (स्त्री० माथायली) मस्तक के ऊपर वाला। 'माता'
ऊपर वाला। मात्रक-पु० [सं०] माता का भाई, मामा।
माथारखी-स्त्री० १ छुपने की जगह । २ सुरक्षित स्थान । मात्रका-स्त्री० [सं० मातृका] १ अंधकासुर का खून चूसने हेतु माथासरी, माथासिरौ-पु. १ शिखर, चोटी। २ उद्गम स्थान ।
शिव द्वारा निर्मित शक्तियां । लोक देवियां। २ देवी, देव । ३ किसी वस्तु का सब से ऊपर का शिरा। ४ अन्तिम
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मापासून
माध्यम
मंजिल । ५ किसी वंश का प्रादि पुरुष । ६ अंत, छोर, मादी, माद्दौ-पु० [अ० मादः] १ कुछ समझने या सहन करने हद, सीमा। ७ पूर्वजों की जन्म भूमि, जन्म स्थान ।
की शक्ति या गुगण । २ सृष्टि की उत्पत्ति का मूल तत्त्व, ८ देखो 'मथारौ'।
प्रकृति । ३ किसी वस्तु का मूल तत्त्व । ४ व्याकरण में माथासून-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
शब्द की उत्पत्ति । माथासूळ-पु० [सं मस्तक-शूल] शिर दर्द ।
माद्री-स्त्री० [सं०] मद्र राजा की पुत्री व कुरुराज पाण्डु की माथाहरो-देखो 'माथासरौ' ।
पत्नी। मायीबो-पु० गाड़ी के जूए के नीचे बांधा जाने वाला चमड़ा। माद्र य-पु० [सं०] 'माद्री' के पुत्रों का एक संबोधन । माथे, मार्य-क्रि०वि० १ ऊपर, पर । २ मस्तक पर, शिर पर।
| माधव-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर, विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ पासरे, भरोसे, सहारे । ४ विश्वास पर । ५ निकट, ३ इन्द्र । ४ कामदेव का सखा, वसंत ऋतु । ५ वैशाख पास, नजदीक । ६ अवसर पर, मौके पर ।
मास । ६ परशुराम । ७ मालिक, स्वामी । ८ एक राग माथी-पु० [सं० मस्तक] १ मस्तक, शिर । २ बुद्धि, चित्त। विशेष । ६ ऋग्वेद के भाष्य कर्ता । १० उत्तम मन्वन्तर के
३ मनस्थिति, विचार । ४ मस्तक का ऊपरी भाग, मनु का पुत्र । ११ मृगु कुल का एक गोत्रकार । १२ भौत्य खोपड़ी। ५ मस्तक की केश राशि । ६ मुखाकृति । ७ किसी
मनु का एक पुत्र । १३ राजा विक्रम का पुत्र एक राजा। वस्तु का अग्र भाग। एक प्रकार की सवारी।
१४ एक यादव राजा । १५ एक धार्मिक ब्राह्मण । १६ मधु माद-पु० [सं०] १ नशा, मद । २ हर्ष, प्रानन्द । ३ गर्व राक्षस के वंशज । १७ माधवाचार्य ।
अहंकार। ४ खलिहान में भूसे व अनाज का ढेर ।। ५ देखो 'मादा' ।
माधवरित (रितु)-स्त्री० [सं० माधव+ऋतु] वसंत ऋतु। मादक-वि० [सं०] १ नशा देने वाला, नशीला । २ प्रानन्द | माधवाचारी, माधवाचार य-पु० [सं० माधव-प्राचार्य] १ ऋग्वेद दायक, मस्तीदायक । -पु० मादक पदार्थ ।
के भाष्यकर्ता एक प्रसिद्ध विद्वान । २ एक वैष्णव धर्माचार्य । मादकता-स्त्री० [सं०] १ नशे का गुण, नशीलापन । २ नशा । | माधवी-स्त्री० [सं०] १ चमेली जाति की एक प्रसिद्ध लता। ३ मस्ती । ४ प्रानन्द ।
. २ तुलसी। ३ मिश्री । ४ मधु से बनाई जाने वाली एक मावर-स्त्री० [सं०मातृ] माता, मां, जननी । -जात, जाद-वि० शराब । ५ दुर्गा । ६ दूती, कुटनी । ७ प्रोड जाति की एक
माता के उदर से निकले वैसा । मूर्ख । जन्म का, पंदाईमी। रागिनी। सवैया छन्द का एक भेद । ९ राजा ययाति वस्त्रहीन, नगा। सगा, सहोदर ।
की कन्या । १० रथध्वज राजा के पुत्र धर्मध्वज की पत्नी। मावळ, मादल-पु० [सं० मर्दल] १ पखावज या मृदंग से ११ जन्मेजय प्रथम की पत्नी। १२ स्कंद की अनुचरी
मिलता-जुलता एक वाद्य । २ ढोल । ३ मृदंग । ४ न अधिक एक मातृका। -लता-स्त्री० चमेली जाति की लता विशेष । उष्ण न शीतल, शीतोष्ण ।
माधवौ, माधियों-देखो 'माधव'। मावळियो, मादलीयो-पु० १ सोने-चांदी या धातु का बना
माधुर-पु० [सं०] १ चमेली, मल्लिका । २ देखो 'मधुर'। ताबीज । २ ताबीज, गंडा । ३ ऊंट के पांवों में बांधने की जापान में जारी , माधुरी-स्त्री० [सं०] १ मधुर होने की अवस्था या भाव । ५ मुखिया। ६ मित्र या दोस्त । ७ देखो 'मांदळ' ।
२ मिठास, मोठापन । ३ शराब । ४ एक लता। -वि. माविक-पु. १ मादक पदार्थ, मद्य । २ स्त्री, प्रौरत, नारी ।।
१ मोहित करने वाली, मनोहर । २ सुन्दर । ३ मीठी, -वि० [सं० मंद] १ सुस्त, पालसी। २ रोगी। ३ कम,
मधुर । थोड़ा।
माधुरच, माधुरचय-पु० [सं० माधुर्य] १ मधुरता, मीठापन ।
२ मधुर होने की दशा या अवस्था । ३ सौन्दर्य, लावण्य । मादियो-पु० [सं० मध्यस्थ] गहरा एवं लंबा छेद करने का |
४ मोहकता । ५ सात्विक नायक का एक गुण । ६ काव्य उपकरण । -वि० १ मस्त । २ लुच्चा लफंगा उदंड । ।
का एक गुण । ७ कर्नाटक पद्धति का एक राग । माविलर-स्त्री. एक प्रकार का वाद्य विशेष ।
माधौ-देखो 'माधव' । मादी-देखो 'मादा'।
माध्यम-पु० [सं०] १ कार्य सिद्ध करने का साधन, उपाय, मावीकड़कम-पु० पुरुषों के कानों का आभूषण ।
उक्ति। २ शिक्षा एवं विचारों की अभिव्यक्ति की भाषा। मादू-१ देखो 'माई' । २ देखो 'माढू'।
३ प्रस्तुतीकरण का साधन । -वि० मध्यस्थ, बीच का, मा'देव-देखो 'महादेव' ।
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माध्या करसरण
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( ३६९ )
. माध्याकरण - पु० [सं० माध्याकर्षणे ] पृथ्वी के मध्य भाग का प्रकर्षण । माझी देखो 'माधवी' ।
माध्व - पु० [स०] १ माधवाचार्य का वैष्णव संप्रदाय । २ इस संप्रदाय के अनुयायी । वि० १ मधुर, मीठा । २ माधव । माध्वी स्त्री० [सं०] १ मदिरा, शराब । २ देखो 'माधवी' ।
-
माप पु० [सं० मापनं १ माप-तौल करने की क्रिया या भाव। २ माप-तौल से निकलने वाला परिमाण, मान । ३ मात्रा । ४ माप, तौल । ५ सीमा, हृद । मापक - पु० १ वस्तु जिससे कुछ मापा जाय, माप का मान । २ लंबाई-चौड़ाई निकालने का उपकरण का कार्य करने वाला व्यक्ति । ४ तराजू । मा' पख पु० महावक्ष मापरिण, मापणी-स्त्री० १ रस्सी, डोरी । २ मापने का कार्य । ३ अनाज मापने का पात्र ।
मापणी (बी) - क्रि० [सं० मापनं ] १ किसी वस्तु का भार तौल निकालना, तौलना । २ किसी वस्तु या क्षेत्र की लंबाईचौड़ाई निकालना, वर्गत्व ज्ञात करना ३ सुना, स्पर्श करना । ४ तुलना करना । ५ थाह लेना । ६ द्रव पदार्थ या अन्नादि को मापना ।
भापती- स्त्री० किसानों से लिया जाने वाला कर विशेष । मा'पदम देखो 'महापदम' ।
माली - पु० माप करने का पात्र ।
मा' पातक (की) देखो 'महापातकी,' 'महापातक' । मापेट - पु० सहोदर | मापी - पु० १ वस्तुओं के प्रायात-निर्यात पर लिया जाने वाला एक कर २ धौरतों के लिये गाड़ी में लगाने का पर्दा विशेष | पर्दे वाली गाड़ी । ३ मापने की क्रिया या भाव। ४ मापने का उपकरण, तुला, बर्तन । ५ सीमा, हृद । मा' प्रभु-पु० महाप्रभु ।
मप्र पु० महाप्रलय ।
मा' प्रस्थान- पु० महाप्रस्थान |
मा' प्रसाद पु० महाप्रसाद ।
मा प्रांण पु० महाप्राण ।
माफ-पु० [अ० मुनाफ] क्षमा, माफी । - वि० क्षमा प्राप्त, क्षमित ।
माफक - वि० [० मुग्राफिक ] १ अनुसार, मुताबिक । २ अनुकूल । ३ ठीक, उचित ४ घोड़ा, मामूली, साधारण, ठीक-ठीक। ५ समान ६ अनुसार ।
निश्चित
३ माप
माफकत माफगत - स्त्री० [ प्र० मुग्राफकत ] १ समानता । २ धनुकूलता । ३ मंत्री, दोस्ती । ४ संयोग, इत्तिफाक । माकड़ (ई) कि० वि० मुफ्त में।
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मायाकर
माफिक - देखो 'माफक' |
| माफी स्त्री० [० मुग्राफी ] १ क्षमा २ क्षमा या धनुग्रह करने की क्रिया या भाव। ३ बख्शिश। ४ कर मुक्त भूमि । ५ देखो 'माफ' चार वि० कर मुक्त भूमि का उपभोक्ता ।
माफी - पु०१ हरिण की नाभि में होने वाली कस्तूरी की पोटली । २ देखो 'मापी' |
मा-बाप - पु० माता-पिता ।
माबूद वि० [अ० मा बुद] पूजनीय पु० परमात्मा ईश्वर ब्रह्म ।
मायं, माय - १ देखो 'माता' २ देखो 'मात्रा' । ३ देखो 'मांय' ।
मायइ (ई), मायड़, मायड़ी- देखो 'माता' ।
मायत - देखो 'माईत' । - पणौ - 'माईतपणी' । मायताय - पु० [सं०] मातृ-तात] माता-पिता । मायदे ( वे) - स्त्री० परमार चाहड़देव की पुत्री, एक देवी । मायरावार - वि० माहेरा करने वाला ।
मायरो - पु० [सं०] मातृ-भरह] विवाह में वर-वधू के नाना या मामा की ओर से दिया जाने वाला वस्त्र, धनादि सामान । मायां स्त्री० [सं०] मातृ] १ विवाह के अवसर पर घर में किसी दीवार पर बनाई जाने वाली घी की रेखाएं जो मातृका की प्रतीक होती हैं। २ मातृका, माठा ३ मावलियां
४ माया ।
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माया स्त्री० [सं०] १ धन की २ द्रव्य, सम्पत्ति, वैभव
४ मन को बांध रखने वाला एक पास। ५ सृष्टि का मूल कारण । ६ छल, कपट, धोखा, प्रवंचना । ७ प्रविद्या, प्रज्ञान, भ्रम, मोह । ८ अनुराग, प्राशक्ति, ममत्व । ९ मन का दुष्ट विकार । १० बाजीगरी का खेल, ऐन्द्रजाल । ११ राजनैतिक धोखा घड़ी । १२ मिथ्या या प्रवास्तविक धारणा । १३ गूढ़ बात । १४ लालच, लोभ । १५ मन की वृत्ति, वासना । १६ भोगविलास की सामग्री । १७ भट, झमेला । १८ तांत्रिक चमत्कार । १९ रचना, लीला, खेल 1 २० दैविक चमत्कार । २१ सृष्टि, संसार, जगत । २२ ठाटबाट । २३ सांसारिक बंधन । २४ प्रकृति । २५ दुष्टता, मन की कुटिलता । २६ प्रज्ञा, बुद्धि, ज्ञान । २७ शक्ति, दुर्गा, देवी । २८ नारी का एक रूप । २९ गौतम बुद्ध की माता । ३० विष्णु की नौ शक्तियों में से एक । ३१ सप्त पुरियों में से एक । ३२ एक वणिक छन्द विशेष । ३३ माया । ३४ देखो 'मया' । ३५ देखो 'माता' । मायाकर मायाकार पु० १ बाजीगर, ऐन्द्रजालिक २ ईश्वर।
प्रधिष्ठात्री, लक्ष्मी देवी । ब्रह्म की अलौकिक शक्ति
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मायागोलक
(
३७०
)
मारण
मायागोलक-पु० पानी का बुलबुला ।
नामान्तर । ३ प्राघात, चोट, प्रहार । ४ युद्ध, लड़ाई, मायाजाळ (जाल)-पु० [सं० माया-जालं] १ सांसारिक बंधन, झगड़ा । ५ घावयुक्त, घायल । ६ विष, जहर ।
झंझट, प्रपंच । २ मोह जाल, ममत्व । ३ चमत्कार । ७ नाग, सर्प। ८ अमृत । ९ निशाना, लक्ष्य । १० गोली, ४ ऐन्द्रजाल, जादू । ५ धोखा, ठगी, प्रवंचना ।
तीर या बार की संहारक सीमा । ११ संहारक, नाशक । मायातंत्र-पु० [सं०] एक प्रकार का तंत्र ।
१२ धतूरा। १३ कार्य का भार या उत्तरदायित्व । १४ विघ्न, मायाति-स्त्री० [सं०] दुर्गा पूजा में दी जाने वाली नर बलि । अड़चन, बाधा। १५ प्रेम, अनुराग। १६ हनन, नाश । मायादोख (दोस)-पु० [सं० मायादोष] दगाबाजी से प्राहार १७ चमड़ा भिगो कर रंगने का पानी। १८ श्वेत, सफेद । लेने का दोष । (जैन)
१९ मारने की क्रिया या भाव । २० पिटाई । २१ भूमि, मायापत (पति, पती)-पु० [सं० मायापति] १ परमात्मा, | पृथ्वी । २२ पराजय, हार । २३ मत्यु, मौत । २४ हानि, ईश्वर । २ धनवान, अमीर ।
नुकसान । -अव्य० १ बुरी तरह से । २ बुरी दशा में । मायापास (पासु)-पु० [सं० माया पाश:] माया का बंधन ।। ३ लगातार । ४ जोर-शोर से । मायामोसौ-पु० कपट पूर्ण झूठी बात ।
| मारकंड (कंडे, कंडेय, कडेव)-पु० [सं० मार्कण्ड:] १ भृगु कुलोमायामोह-पु० [सं०] १ विष्णु शरीर से निकला एक कल्पित त्पन्न एक ऋषि । २ अंगिरा कुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
पुरुष । २ विष्णु का एक अवतार । ३ भौतिक तत्त्वों के ३ एक अन्य ऋषि । ४ एक प्राचार्य विशेष । प्रति प्राकर्षण । ४ परिवार प्रादि से ममत्व ।
| मारक-वि० [सं०] १ मारने वाला, घातक । २ प्रहार करने मायावंत, मायावत-पु० [सं० मायावत्] १ धनवान, धनाढ्य । वाला, चोट करने वाला। ३ प्रतिघात करने वाला।
२ कंस का एक नाम । ३ राक्षस । ४ ईश्वर ।-वि० १ छली ४ किसी के प्रभाव को नष्ट करने वाला । -पु० [सं०] कपटी, धोखेबाज । २ मायावी, बाजीगर, जादूगर । १ प्लेग प्रादि संक्रामक रोग । २ कामदेव । ३ हत्यारा । ३ भ्रमात्मक, असत्य।
४ बाजपक्षी । ५ बार, मार । ६ निशाना, लक्ष्य । मायावती-स्त्री० [सं०] १ कामदेव की स्त्री रति का नाम । मारकट-पु० १ शृगार में एक प्रासन । २ मरकट । . २ प्रद्युम्न की स्त्री।
मारकरण, मारकणो-वि० (स्त्री० मारकणी) १ मारने वाला, मायावाद-पु० [सं०] ब्रह्म सत्यं व जगत् मिथ्या का सिद्धान्त। प्रहार करने वाला। २ संहारक । ३ देखो 'मारणो'। मायावियो, मायावी-पु० [सं० मायाविन्] १ ईश्वर, का एक | मारकाट-स्त्री० १ लड़ाई, झगड़ा । २ मारने-काटने की क्रिया।
नाम । २ ऐन्द्रजालिक, बाजीगर। ३ कपटी, धोखेबाज । मारकीन--4. एक प्रकार का वस्त्र । छलिया। ४ मय दानव के पुत्र का नाम । ५ माजूफल ।
मारकुनौ-पु० चोट, प्राघात, प्रहार सहने वाला, झेलने वाला। ६ बिडाल, बिल्ला । ७ धनवान । -वि० १ रहस्यपूर्ण एवं विचित्र कार्य करने वाला, चमत्कारिक । २ बाजीगरी में
मारकेस-पु० [सं० मारकेश] जन्म कुण्डली का अमंगलकारी निपुण । ३ स्वांग रचने वाला। ४ मायाका, माया संबंधी।
ग्रह योग। ५ मायामय । ६ जादू संबंधी।
मारको (क्को)-पु० [अ० मारिक:] १ युद्ध, लड़ाई, संग्राम । मायावीज-पु. ही नामक तांत्रिक मंत्र ।
२ उपद्रव, हंगामा। ३ महत्वपूर्ण घटना या कार्य । मायासंपत-स्त्री० [सं० माया संपत्ति] धन, दौलत ।
४ प्रहार । ५ योद्धा, वीर । ६ किसी का प्रतीक । ७ चिह्न, मायासीता-स्त्री० [सं०] सीता हरण से पूर्व रखी गई अग्नि |
निशान । ८ व्यापारिक चिह्न। ९ सांकेतिक लिखावट । रूप सीता।
१० शिर से प्रहार करने वाला पशु ।-वि० १ मारने वाला,
मार करने वाला। २ शक्तिशाली, प्रबल । ३ भयंकर, मायास्त्र-पु० [सं० मायाग्रस्त्र] एक प्रकार का प्रस्त्र ।
भयावह । ४ जबरदस्त । ५ प्रानबान वाला। मायी-पु० [सं० मायिन्] १ माया पति, ईश्वर । २ छलिया।।
| मारखाई, मारखाही-स्त्री० चोरी के माल का पता लगाने वाले ३ बाजीगर, जादूगर । ४ मायावी । -स्त्री० [सं० मात] |
को दिया जाने वाला धन ।-वि० ऐसा कार्य करने वाला। ५ मौसी। ६ माता, मां। मायूस-वि० [अ०] १ निराश, हताश । २ उदास, खिन्न ।
मारग-पु० [सं०मार्गः] १ रास्ता, पथ, सड़क । २ पगडंडी, वीथि ।
३ जगह, स्थान । ४ चिह्न, निशान । ५ सम्प्रदाय, पंथ । मायूसी-स्त्री० [अ०] १ निराशा । २ उदासी, खिन्नता ।
६ अनुसंधान, खोज । ७ कार्य सिद्धि का माध्यम, साधन, मायौ-देखो 'माता', 'माया', 'मईयो'।।
उपाय । ८ ढंग, तोर, तरीका । ९ अभिनय, नृत्य व संगीत मार-पु० [सं०] १ कामदेव, मदन। २ श्रीकृष्ण पुत्र प्रद्युम्न का | की एक उच्च श्रेणी । १० अगहन मास । ११ मृगशिरा
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भारगरण
मारहठी
नक्षत्र । १२ ग्रह का रास्ता। १३ विष्णु । १४ नहर।। विपक्षी को हराना। ११ प्रतिस्पर्धा में पीछे रखना । १५ माली। १६ कस्तूरी। १७ मलद्वार, गुदा। १८ धर्म, १२ खेल में मोहरे को परास्त करना । १३ निर्बल व निस्तेज कर्तव्य । १९ मृत्यु, मौत । २० तरीका, ढंग।
करना । १४ मरणासन्न स्थिति में करना। १५ किसी मारगण, मारगन-पु० [स० मार्गण] १ भिक्षुक भिखारी, वस्तु का कहीं पर प्राघात करना। १६ गुण समाप्त करना।
याचक । २ तीर, बाण, सर, सायक । ३ याचना, भिक्षा । १७ स्त्री-प्रसंग या मैथुन करना । १८ हथियाना, हड़पना । ४ खोज, अनुसंधान, तलाश । ५ पांच की संख्या ।
१६ धातु की भस्म बनाना । २० शिकार करना । २१ शरीमारगमास-पु० [सं० मृगमासः] मार्गशीर्ष का महिना ।
रांगों को इधर-उधर चलाना । २२ व्यग्रता से प्रयास मारगसिर, मारगसिरि-पु० [सं० मागं शीर्ष] १ मार्गशीर्ष मास । करना। २३ लगाना, देना, भिड़ाना । २४ सम्मिश्रण २ पूष मास की पूणिमा। ३ मगशिरस नक्षत्र ।
करना। मारगि, मागियो-देखो 'मारग' ।
मारतंड-पु० सं० मार्तण्ड] १ सूर्य, रवि, भानु । २ पाक वृक्ष, मारगी, मारगु, मारगू-वि० [सं० मागिन्] १ मार्ग का, मार्ग मदार । ३ शूकर, सूपर । ४ बारह की संख्या। -मळ
संबंधी। २ किसी सम्प्रदाय या मत का अनुयायी। -पु० पु० सौर मंडल ।-सुत-पु. कर्ण। यमराज । सुपोष। १ राहगीर, पथिक । २ संगीत में एक मूच्छना ।
शनि । मारग्ग-देखो 'मारग।
मारत-पु० मारुत, मारुति । मारग्गरण-देखो 'मारगण' ।
मारतु-देखो ‘मारतड'। मारच-पु. [म. मार्च] १ गमन, प्रस्थान, कूच । २ ईसवी सन् | | मारतौल-पु. [पु० मार्टली] एक प्रकार का बड़ा हाथी। का तीसरा मास ।
मारपीट-स्त्री. १ मारने-पीटने की क्रिया या भाव । २ हाथामारजण (न)-पु० [सं० मार्जन] १ नहाने या सफाई करने की | पाई, झमड़ा।
क्रिया या भाव । २ सफाई, स्वच्छता । ३ नहाने की क्रिया, | मारफत -प्रव्य. १ द्वारा, जरिये, माध्यम से । २ किसी की स्नान । ४ उबटन, मालिश । ५ मज्जन क्रिया । मध्यस्थता से।
६ प्रतिलेपन । ७ सुधार, परिमार्जन। अभ्यास, रियाज।। मारमिक-वि० [सं० मार्मिक] १ मर्म का, मर्म संबंधी। २ मर्म मारजणी-स्त्री० [स. मार्जनी] १ झाडू बुहारी । २ संगीत में पर प्रभाव डालने वाला । ३ मर्म जानने वाला । ४ अन्तएक श्रुति ।
निहित तत्त्व के प्राधार पर होने वाला। मारजर, मारजार, मारजारी-स्त्री० [सं० मार्जार] १ बिल्ली, मारव-पु० १ राठौड़। २ मरु देवता । ३ मारवाड़ का निवासी,
बिलाव । २ ऊदबिलाव । ३ मुश्क, कस्तूरी-टोडी-स्त्री. । मारवाड़ी। ४ मारू। एक रागिनी।
मारवण (लि, पी)-स्त्री० १ प्रेयसी, प्रियतमा । २ पूगल की भारण-पु० [सं०] १ मारने या हत्या करने की क्रिया या भाव । प्रसिद्ध राजकुमारी। ३ मा देश की स्वी। ४ एक लोग
२ विष, जहर । ३ एक मंत्र विशेष । ४ एक घातक तांत्रिक गीत । ५ देखो 'मरवण'। प्रयोग विशेष । -वि. १ मारने वाला, हनन करने वाला, मारवधरा-स्त्री० मरुधरा ।
नष्ट करने वाला। २ मिटाने व दूर करने वाला । मारवराव-पु० मरु राजा। मारण-मरण-वि० मारकर मरने वाला।
मारवा-स्त्री० एक प्रकार की संकर राम । मारणी-स्त्रो० १ पाठशाला में सिखाई व बोलाई जाने वाली
मारवाड़-पु० [सं० मरु पाट] १ राजपुताने का वह प्रदेश जहां गिनती। २ मारना क्रिया।
राठौड़ों का राज्य था । २ बरु प्रदेश, मरुभूमि ।। मारणो-वि० [सं० मारणं] (स्त्री० मारणी) १ मारने, संहार
न, सहारमारवाडी-पु.१ मरु प्रदेश की भाषा । २ इस प्रदेश का करने वाला। २ मार करने वाला। -पु० पास जाने पर |
निवासी । -वि० मारवाड़ का, मारवाड़ संबंधी। अपने मस्तक से वार करने वाला पशु ।
मारवाड़ी-पु. १ मारवाड़ का प्रधिपति ; राठौड़। २ यहां का मारणी (बी)-क्रि० [सं० मारणं] १ किसी के जीवन का अन्त
निवासी। करना, प्राण लेना, हत्या करना । २ प्राघात या चोट
मारवी-स्त्री. १ मा प्रदेश की स्त्री । २ एक रागिनी विशेष । करना, पीटना। ३ नष्ट करना, मिटाना । ४ सजा देना, दण्ड देना। ५ लूट-मार करना, छीनना । ६ कब्जे में करना।
___-राव-पु० मारू राजा । ७दुःखी करना, परेशान करना, सताना । ८ इच्छा या भाव | मारहट (8)-पु० मरहठा । को बलपूर्वक दबाना । ९पछाड़ना, पटकना। १० अपने | मारहटी (ठो)-स्त्री० मरहठी, मराठी।
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मारहती
( ३७२ )
माल
मारहती (थो)-वि० मारने वाला, मार करने वाला।
राग । १२ युद्ध का वाद्य । १३ कुम्हारों की एक शाखा । मारांकुस-पु० [सं०] नाखून, नख ।
१४ एक निसांणी छंद । -वि. १ मारने वाला, समाप्त माराज, मा'राज-पु० महाराज, ब्राह्मण, पंडित, साधु ।
करने वाला । २ मित्र, दोस्त, यार । माराजा, मा'राजा-पु० महाराजा । बड़ा राजा।
मालाड-देखो 'मारवाड़' । मारा-मार-स्त्री० मार-धाड, युद्ध ।
मारुमाडि-देखो 'मारवाडी'। मारि-स्त्री० [सं०] १ नाश, विध्वंस, हनन । २ मरी, प्लेग । मारूमौराव-देखो 'मारूराज' । मारिक-देखो 'मारक'।
मारूड़ी. मारूडो-पु. १ एक लोक गीत । २ देखो 'मारू'। मारिग-पु. मार्ग।
मारूजी-पु. प्रियतम, पति । मारिच-पु० मारीच ।
मारूणी -स्त्री. १ मरुप्रदेश की स्त्री। २ मारवाणी। मारिणी (बो)-देखो 'मारणो' (बी)।
मारूत-देखो 'मारुत, मारुति' । मारित-वि० १ जो भस्म कर दिया गया हो। २ मृत, वधित । मारूदेस (धर, धरा)-पु० मा प्रदेश, मारवाड़। ३ पिटा हुमा, पाहत ।
मारूभाखा (भासा)-स्त्री० मारवाडी, राजस्थानी भाषा । मारिस-पु० [सं० मारिष] १ नाटकों का सूत्रधार । २ प्रति- | माख्याड़, मारूयाडि, मारूयाउ (डि)-१ देखो 'मारवाड़' । ___ष्ठित, माननीय व्यक्ति ।
२ देखो 'मार-वाड़ी'। मारी-स्त्री. मरी, बीमारी।
माहरण (राई, राज, राजा, राव) मारूवाराव-पु. मा'री-देखो 'म्हारी'।
[सं० मरु+राजा, राद] १ मारवाड का राजा, अधिपति । मारीच (छ)-पु० [सं० मारीच] १ रावण का मामा एक | २ राठौड़।
राक्षस । २ एक ऋषि । ३ राजा, बादशाह की सवारी का | मालवी-पु०१ राठौड़ । २ मरु प्रदेश का निवासी। बड़ा हाथी । ४ मरीचि ।
मारे-सर्व० मेरे । मार, मारुअई. मारुप्रउ-देखो 'मारू'।
मारेल-वि० १ दबा हुआ। २ थका हुआ। ३ घायल । मारप्रति (भाड़, माड, मारि)-देखो 'मारवाड़।
मारोट (8)-स्त्री०१ विवाह के समय दूल्हे या दुल्हिन के मुख पर मारुनौ-देखो 'मारूवो'।
की जाने वाली सुनहरी चित्रकारी। २ एक प्रान्त का नाम । मारुडो-देखो 'मारूडो' ।
मारोमार-कि०वि० १ चोट पर चोट करते हए । २ निरन्तर मारजी-देखो 'मारूजी' ।
लगातार । २ अत्यन्त शीघ्रता से, द्रुतगति से। ३ क्रमश: मारुरिण, मारुणी-देखो 'मारूणी'।
एक के बाद एक । -पु० भगदड़, हुल्लड़ । मावत-पु० [सं०] १ हवा, पवन । २ वायु का अधिष्ठाता पवन | देव । ३ स्वांस । ४ शरीर के त्रिदोषों में से एक । ५ हाथी
मारो-देखो 'मार'। की सूड । ६ एक ऋषि । ७ एक गोत्रकार । ८ स्वाति | मारी-देखो 'म्हारी'। नक्षत्र । ९ मारुति । -चक्र-पु० वातचक्र । -सखा-पु० माळ(माल)-स्त्री० [सं०माल : १ किसी गांव या कस्बे की समस्त अग्नि । -सुत-पु. हनुमान, भीम ।
कृषि भूमि । २ खेत, भूमि । ३ वन, जगल । ४ ऊंची भूमि । मारुति-पु. [सं०] हनुमान, भीम ।
५ ककरीली भूमि । ६ स्थान, जगह । [सं० माला) मार-निसांणी-स्त्री० डिंगल का एक छन्द ।
७ कुए पर चलने वाले रहट पर धूमने वाली, मिट्टी या धातु मारुखेंगरण (बैंगण)-पु. वृताख की एक जाति व इस जाति के पात्रों की माला । ८ चरखे की डोरी जो बेलन व तकुवे __ का वृताख ।
को घुमाती है । ९ किसी चक्र को घुमाने वाली रस्सी। माख्याड़ (कि)-स्त्री० मारवाड़, मारवाड़ी।
१० नदी। ११ फसल की उपज । १२ मेघमाला, धनघटा। मारवणी-देखो 'मारवणी'।
१३ फसल पर लिया जाने वाला कर, राजस्व । १४ बाल, मारवी-देखी 'मारवी'।
कंश । १५ पंक्ति, कतार, श्रेणी । १६ झुण्ड, समूह । मारवो-१ देखो 'मारूवो' । २ देखो 'मारू'।
१७ देखो 'माला'। माइ-पु.१ मारवाड़ का राजा, अधिपति । २ राठौड़। ३ मरु | माल-पु० [सं०] १ द्रव्य, धन । २ सम्पत्ति, जायदाद । ३ सामान
प्रदेश का निवासी । ४ मरु प्रदेश, मारवाड़। ५ मारवाड़ी | सामग्री। ४ क्रय-विक्रय का सामान। ५ स्वादिष्ट या भाषा, बोली। ६ पति, प्रियतम । ७ नायक । ८ रसिक उत्तम भोजन । ६ हरताल । ७ किसी वस्तु का सार, तत्त्व । ९ एक रागिनी। १० एक लोक गीत । ११ युद्ध का एक | ८ मुन्दर स्त्री, युवती । ९ संगृहीत वस्तुओं में से कीमती
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मालक
मारिणी
सामान । १० विष्णु का एक नामान्तर। ११ छल, कपट, ६ रात्रि, रात। ७ ज्योत्स्ना, चांदनी. ८ एवः छन्द दगा। १२ बंगाल का एक जिला । १३ मालवा देश । विशेष । ९ एक वर्ण वृत विशेष । १० मत्तगयद छन्द का १. एक प्राचीन अनार्य जाति । १५ सामर्थ्य, हस्तो। एक नाम । ११ एक मात्रिक छन्द । १२ मद्र देश के राजा १६ शकुन चिड़ी जो दाहिनी और बैठकर शुभ शकुन की पत्नी । १३ शत्रुधातिन राजा की पत्नी। देती है । १७ गरिणत में वर्ग का पात, वर्ग अक । मालतीटोडी-स्त्री० एक रागिनी विशेष । १८ देखो 'मल्ल'।
मालतोड़-पु० बड़ा हथौड़ा। मालक-देखो ‘मालिक'।
मालदार-वि० [फा०] धनवान, अमार । मालकत-देखो ‘मालकियत'।
मालदौ-पु. एक प्रकार का प्राम । मालकपण (परणौ)-स्त्री. १ मालिकाना हक, स्वामित्व । | मालनेरी-पु. एक प्रकार का मूल्यवान कपड़ा। २ बड़प्पन, दयालुता।
मालपुरो (पुवो, पूौ, पूौ)-पु० [स० पूय] एक प्रकार का मालकांकरलो,मालकांगणी-स्त्री. १ हिमालय में पाई जाने वाली | पकवान।
लता विशेष । २ उयत लता कं बोज। ३ एक प्रकार का | मालपसोसामेरी-स्त्री० एक गिनी विशेष । कदन्न ।
मालबंध-पु० बैलगाड़ी के अग्र भाग में बाधने की रसो। मालकियत, मालकी - स्त्री स्वामित्व ।
माळबधरण-स्त्री० तलवार । मालकेत, मालकेतु-पृ० १ लोहार्गल पर्वत के एक लोक देवता। | मालम-वि० [अ०मालूम] १ जाना हुआ, ज्ञात, विदित । २ प्रगट, २ इस पहाड़ का नामान्तर ।
जाहिर। ३ स्पष्ट, साफ। ४ सूचित । ५ -पु० नाविक, मालकोत-स्त्री० [सं. माल कोश] सम्पूर्ण जाति को एक राग । मल्लाह। मा लक्ष्मी-स्त्री महालक्ष्मी। .
| मालमता, मालमत्ता-स्त्री० १ धन, दौलत, द्रव्य, सम्पत्ति । मालखम-देखो 'मलखंभ' ।
२ व्यापारिक सामान, सामग्री। मालगाड़ी-स्त्री० माल, असबाब, व्यापारिक सामान ढोने की मालमलीदौ-पु० बढ़िया भोजन, खाद्य सामग्री। पकवान । रेलगाड़ी ।
मालमाटियार, मालमोट यार-पु० पूर्ण युवा, जवान । मालगुजारी-पु. १ लगान । २ जमीदारों से लिया जाने वाला |
माळयौ-देखो 'माळियौ'। एक कर।
माळव, मालव-पु० [सं० मालव] १ मध्य भारत का एक प्रदेश । मालगुरजरी-स्त्री० एक राग विशेष ।
२ पंजाब प्रान्त का एक प्राचीन भू-भाग। ३ इन प्रदेशों का मालगोडो-स्त्रा. एक गगिनी विशेष ।
निवासी । ४ एक राग विशेष । मालगोदाम-पु. १ व्यापारिक माल संग्रह करने का स्थान । • पार्सल संग्रह का स्थान ।
माळवउ-देखो 'माळवो' । मालड़ी पु० चा र जामे पर रखा जाने वाला चमड़े का उपकरण।
मालवकौसिक-देखो ‘मालकोस'। मालजादी-स्त्रो० १ दुश्चरित्र व व्यभिचारिणो स्त्री, पतिता। माळवगिरी-पु. १ मालवा स्थित एक पर्वत । २ मालवा प्रदेश । २ वेश्या पुत्री, वेश्या।
माळवगौड़-स्त्री. एक गग विशेष । माल जादो-पु. (स्त्री० मालजादी) १ दुश्चरित्र व वेश्यागामी माळवण-स्त्री०१ मालवे की तम्बाखू। २ मालवा की स्त्री । ___ व्यक्ति । २ वैश्यापुत्र।
३ किसी देवस्थान के चारों ओर का छोटा वन । मालटो-पु. लाल रंग को नारंगी विशेष ।
| माळवरणी, मालवणी-स्त्री० १ मालव देश की स्त्री। २ एक मालण-स्त्री० [देश॰] १ दुल्हा बारहठ की पुत्री एक देवी । प्रकार की लिपि। २ देखो 'माली'। (स्त्री०),
मालवराउ (राजा, राव)-पु० मालव देश का राजा। मालणी-स्त्री० १ ललाट प्रदेश को रक्षिका देवी मालाधरी।
माळवळी-पु० मकान की छाजन के बीच लगने वाली लकड़ी। २ योग के अनुसार प्रात्मा। ३ देखो 'माळो' । (स्त्री०) ४ देखो 'मालिनी'।
माळवसिरी, मालवस्री-स्त्री० [सं० मालवश्रो] एक रागिनी
विशेष । मालगो (बी)-देखो 'माल्हणों' (बी)। मालति, मालती-स्त्री० [सं० मालती] १ एक लता विशेष
मालवाखर-पु० १ घोडे का पाखर, कवच । २ धन, दौलत । जिसके फूल सुगंधित या श्वेत होते हैं। २ उक्त लता के | माळावर फूल । ३ कली। ४ क्वारी युवती । ५ जायफल का वृक्ष ।| माळविणी-देखो 'मालवणी' ।
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माळविया
(
३७४ )
मानु
माळविया-स्त्री० लुहारों की एक शाखा ।
माळिो -देखो 'माळियो। माळवियो-पु०१ मालव देश का निवासी । २'मालविया' शाखा
। शाखा | मालिक-पु० [अ०] १ ईश्वर, परमात्मा । २ अधिपति, स्वामी। का लोहार । -वि० मालव का, मालव संबंधी।
३ सम्पत्ति या जायदाद का हकदार, वारिस । ४ पति, माळवी, मालवी-पु. १ मालवा प्रान्त का घोड़ा। २ मालवे का
खांविंद । ५ पदाधिकारी, अधिकारी । ६ अध्यक्ष, सरदार । निवासी । ३ एक रागिनी विशेष । ४ एक प्रकार का ७ नरक का अधिपति, देव । ८ माली। ९ रंगरेज । गुड। -वि० मालव का, मालव संबंधी ।
१० चित्रकार, चितेरा। माळवीक, माळवीख-स्त्री० १ घोड़े की एक चाल विशेष । मालिकपणी-१०१ मालिक होने की अवस्था या भाव । २ऊंट की एक चाल ।
२ स्वामित्व । ३ हकदारी। माळवीविद्या-स्त्री० मालव प्रदेश की विद्या ।
माळिण, माळिणी, माळिन-स्त्री० [सं० मालिनी] माली जाति माळवी, मालवी-पु० मध्य भारत का एक प्रदेश।
की स्त्री। मालस-देखो 'मालिस'।
मालिणी (नी)-स्त्री० [सं०मालिनी] १ दुर्गा का एक नामान्तर । मालसाहिब-पु०पूजीपति, धनवान ।
२ सात वर्ष की कन्या । ३ गौरी । ४ स्कन्द की मालसेपी-पु० किसानों से लिया जाने वाला एक कर ।
एक मातृ का । ५ प्राकाश गंगा । ६ रोच्य मनु की मालारणी-स्त्री० मारवाड का एक प्रदेश ।
माता का नाम । ७ एक प्राचीन नदी। ८ विभीषण को माळा, माला-स्त्री० [सं० माला] १ पुष्पहार, गजरा । २ हार,
माता का नाम । ९प्रज्ञातवास में द्रौपदी का एक नाम । कण्ठहार। ३ प्राभूषण । ४ मणिकों की माला, सुमरणी।
१० एक छन्द विशेष। ५ पंक्ति, कतार, शृखला । ६ नाम जप, जाप । ७ मुण्डों मालिम-देखो 'मालम'। का हार। क्रम, जखला । ९झुण्ड, समूह । १० रेखा। मालियत-स्त्री० [अ०१ धन, द्रव्य । २ सम्पत्ति, जायदाद । ११ एक मात्रिक छन्द विशेष । १२ निसाणी छन्द का एक ३ मूल्य, कीमत। भेद । १३ उपजाति छन्द का एक भेद । १४ दूब । माळियौ, मालियो-पू० १ ऊपरी मंजिल पर बना कमरा । १५ पांवला । १६ एक प्राचीन नदी का नाम । १७ तलवार २ ऊपरी मंजिल का कक्ष । ३ महल, अटारी। ४ घर, का एक भाग । १८ राठोड़ों की एक शाम्बा। १९ देखो
मकान । ५ दालान ।
| मालिस-स्त्री० [फा० मालश] १ मलने की क्रिया या भाव । माळाकार, मालाकार-पु० [सं०माला-कर:]१ माली। २ मालियों
२ उबटन, मर्दन । ३ उबटन करने का स्निग्ध पदार्थ । की एक जाति । ३ विश्वकर्मा के वंशजों का एक वर्ग ।
४ चमकीला करने की क्रिया, रगड़न । मालाखाड-पु० [सं० मल्ल-अक्षवाट] व्यायामशाला, अखाड़ा। माळागर-देखो 'माळवगिरी'।
माळी, माली-पु० [सं० मालिन] (स्त्री० माळण) १ प्रायः माळागळ-स्त्री. मालवा की भूमि, प्रदेश ।
बागवानी, साग-सब्जी व कृषि कार्य करने वाली जाति । माळागिर-देखो 'माळवगिरी'।
२ उक्त जाति का व्यक्ति । ३ मिट्टी के कोठे में छोटी माळाजप-पु. नाम जप, रट, जाप । सुमिरन ।
वस्तुओं के लिये बना कंगूरा, प्राचीर। ४ बागवानी का माळादोपक-पु० दीपक अलंकार का एक भेद ।
कार्य करने वाला कोई व्यक्ति । ५ राजीव-गण नामक माळादेवि, माळादेवी-स्त्री. विध्याचल की एक देवी।
छंद विशेष । -वि. १ माला धारी । २ माल संबंधी। माळाधर-पु. १ एक छन्द विशेष । २ एक अन्य वणिक छन्द ।।
३ देखो 'माळा'। माळाधरा-पु० एक वणिक छन्द ।
मालीइ-देखो ‘माळियो। माळाधार (धारी)-वि० माला धारन करने वाला -पु. १ | मालीकार-देखो 'माळाकार'।। संन्यासी। २ वैष्णव । ३ साधु। ,
माळीडो-देखो 'माळी'। मालाळी-स्त्री० बायें से दाय प्राकर शकुन देने वाली चिड़िया।
मालोत-स्त्री० [अ० मालियत] द्रव्य, सम्पत्ति, धन । मालाठी-पु. १ शकुन देने वाला तीतर । २ बायें से दायें प्राकर शकुन देने वाला हरिन ।
माळीपनो, माळीपन्नो-पु० किसी धातु का अत्यन्त बारीक-पत्र । मालावती-स्त्री० एक रागिनी विशेष ।
मालीबापची (बापचौ)-स्त्री० एक पौषधि विशेष । मालि-पु० [सं०] १ एक राक्षस । २ देखो 'माळा'। ३ देखो मालोयड़ो-पु० जंगलो बाकुची। 'माळो'।
मालु-स्त्री० [सं०] १ स्त्री, प्रौरत । २ एक लता विशेष ।
'माळ'।
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मानुधान
मालुपड़ी- देखो 'मालपूश्री' ।
माधान - पु० [सं० मालु धान: ] १ आठ प्रमुख नागों में से एक। मावडी - देखो 'माता' ।
२ एक सर्प विशेष । ३ महापथ |
मालुम
-देखो 'मालम' ।
मातृपो देखो 'मालपूबो' । मालूम - देखो 'मालम' ।
मालूर - पु० [सं०] १ बिले का वृक्ष । २ के का पेड़ । मालेरिया स्त्री० रहट में लगने वाली लकड़ी ।
मालोच पु० १ भाव भगत, प्रादर-सत्कार । २ उपचार । मालोपमा स्त्री० उपमा अलंकार का एक भेद ।
मालोमाल - पु० [फा० मलामाल ] धन से परिपूर्ण, सम्पन्न । मालोवम- देखो 'मालोपमा' ।
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( ३७५ )
-
मालोहड़ पु० जैन धर्मानुसार एक दोष ।
माळी, माली - पु० [अ० महल ] १ पक्षियों का घोंसला, नीड़ । २ मंच, मचान । ३ तलवार में संधि स्थल या जोड़ ४ देखो 'मल्लो' | माल्यवंत, माल्यवान - पु० [सं० माल्यवत् ] १ सुकेश नामक राक्षस का जेष्ठ पुत्र । २ पुष्पदंत नामक गंधर्व का नाम । ३] इलावृत एवं केतुमाल के बीच का एक पर्वतवि जो माला पहने हुए हो ।
बारह पु० धानंद, मंगल
माल्हण स्त्री० दुल्हेराज बारहट की पुत्री एक देवी । माही (बो) स्वी० १ मस्ती में झूमना, झूमते हुए चलना २ श्रानन्द या मौज करना । ३ उपभोग करना, भोग करना । ४ मंदगति से निर्भय चलना । ५ जन्म लेना, अवतार लेना । ६ मस्ती में बोलना, भूमना । ७ मंडराना ८ व्याप्त होना, जागृत होना, उद्दीप्त होना । ६ विध्वंस करना । १० प्रस्त
मावनी ( ) - कि० [प्र० समाना] १ किसी परेवा क्षेत्र में भाजाना, समाजाना । २ सीमा में रहना । ३ खटना, रहना । ४ निभना । ५ सहन होना । ६ हजम होना । मा'वत - १ देखो 'महावत' । २ देखो 'माईत' ।
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मा' वतससतर - पु० हाथी को हांकने का शस्त्र । अंकुश । माध-देखो 'महावत'
मावलियां स्त्री० [सं०] मातृका] सप्त लोक देवियों का समूह, स्कंद मातृकाएँ ।
मावळियाई-भाई पु० सहोदर भ्राता ।
मावली - स्त्री० दक्षिण भारत की एक पहाड़ी वीर जाति ।
मावस - स्त्री० श्रमावस की तिथि ।
मानसी देखो 'मासी' ।
मावस्या - देखो 'प्रमावस' ।
मावाळी - स्त्री० मिट्टी के बर्तन में वृद्धि के लिये लगाई जाने वाली मिट्टी
मासपरलो
मानित, मावित्र, मावीत, मावीत्र देखो 'माईत' पल पली'माईतपणो' ।
मावीती स्त्री० १ वासस्य प्रेम २ अपने से छोटे के प्रति
"
व्यस्त करना । ११ मलार राग गाना | माल्हाळी- देखो 'मालाळी' ।
माल्हाळी- देखो 'मालाळी' । मायड़ मावली-देखो 'माता'। मावड़ियां देखो 'मालिया ।
मावड़ियो - वि० [सं० मातरि पुरुष ] १ माता या श्रौरतों के सानिध्य में शेखी बघारने वाला । २ कायर, डरपोक । ३ स्त्रियों जैसे हाव-भाव दिखाने वाला । ४ सदा माता के पास रहने वाला ।
मावड़ी देखो 'माता'।
मावत देखो 'मावऽ' ।
मावटी स्त्री० स्त्रियों के शिर की मांग का प्राभूषण । मावी, मावठ मावठी० [सं० माघ-प्रावृष्ट] हेमंत ऋतु या मासवदौ पु० एक वस्त्र विशेष
4
माघ मास की वर्षा ।
स्नेह की भावना ।
भावी पु० [सं०] मुंड] १ दूध का बोधा २ किसी वस्तु का सार-तत्व, तत्त्व | ३ मसाला, सामग्री । ४ श्रोषधि विशेष । ५ प्रफीम का नशा । ६ अफीम की मात्रा । ७ कद्र, इज्जत ८ प्रकृति । ९ रस, प्रेम I
मास - पु० [सं०] १ वर्ष का बारहवां भाग, महिना । २ अवधि
समय । ३ ऋतु । ४ बारह की संख्या । ५ देखो 'मांस' । मास - १ देखो 'मासो' । २ देखो 'मास'
मा'सगती देखी 'महासक्ति' ।
मासड़ी-१ देखो 'मास' । २ देखो 'मांस' ।
मासक पु० [सं०] १ महिना मास २ देखो 'मासु' ३ देखो 'मासिक' । ४ देखो 'मासो' ।
मासकल्प पु० चातुर्मास के अलावा उन्नीस दिन की अवधि मासक्षमण, मासखमण पु० एक मास तक किया जाने वाला
व्रत ।
मा'सती स्त्री० [सं० महा-सती] वीर पुत्र को गोद में लेकर सती होने वाली स्त्री माता
मासदिवस पु० १ एक मास की अवधि २ तीस की संख्या । मासद्ध - पु० [सं० श्रद्धं मास] एक पक्ष, प्राधा मास ।
मासपरणी - स्त्री० [सं० माष-पर्णी] जंगली उड़द ।
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मासफल
माहप्रसाद
मासफळ-पु० [सं० मास-फल:] १ किसी मास का शुभाशुभ माहकाळ-देखो 'महाकाळ फल । २ वह पत्र जिसमें यह फल लिखा हो।
माहकाळी-देखो 'महाकाळी' । मासवारी-पु. एक महिने के बाद होने वाला प्रसूता का स्नान । माहकाव्य-देखो 'महाकाव्य' । मासांत-पु० [सं० मास+अंत] १ महिने का अंतिम दिन । माहगणपति-देखो 'महागणपति' ।
२ महिने का अन्त । ३ संक्रांति। ४ अमावस्या । माहगौरी-देखो 'महागौरी' । मासा अल्लाह-पु० [अ० माशा अल्लाह] वाह-वाही, साधु-वाद।। | माहग्यांनी-देखो 'महाग्यांनी' । मासाधिप-पु० किसी मास का स्वामी ग्रह ।
माहग्रीव-देखो ‘महाग्रीव' । मासाब-स्त्री० माता साहिबा, माता तुल्य स्त्री के लिये मादर | माहचंड-देखो 'महाचंड'। सूचक संबोधन ।
माहवंडी-देखो 'महाचंडी'। मासास-पु. [स. मास-माशः] घोड़ा, अश्व ।
माहचीण-देखो 'महाचीण' । मासि-१ देखो 'मास' । २ देखो 'मासी'।
माहजन-देखो 'महाजन'। मासिक-वि. १ मास का, मास संबंधी । २ मास में एक बार माहजी-देखो 'मांझी'। होने वाला । -पु. प्रति माह नियमित चलने वाला कार्य। माहजोगी-देखो 'महायोगी'।
-धरम, धरम्म-पु. स्त्रियों का मासिक रजोस्राव । । माहज्वाळ, माहज्वाळा-देखो 'महाज्वाळा'। मासियाइ, मासियात, मासियाळ, मासिहाई-पु० [सं० मातृष्व | माहठ-देखो 'मावट'। स्त्रीय] मौसी की संतान ।
माहण-पु० [सं० मा+हन्] (स्त्री० माहणी) १ अहिंसा का मासी-स्त्री० [सं० मातृ-व्वसा] १ माता की बहन, मौसी। कट्टर समर्थक साधू । २ ब्राह्मण, विप्र । -वि० सच्च,
२ मौसी के रूप में मानी जाने वाली लड़की, स्त्री । सभ्य । -रूप-पु. ब्राह्मण का रूप, वेश । ३ बनास की एक सहायक नदी।
माहणसंपाय-स्त्री० ब्राह्मण वर्ग, सम्प्रदाय । मासीसासू-स्त्री० सासू की बहन ।
माहरणी-स्त्री० साध्वी स्त्री । मासीसुसरी-पु० सासू का बहनोई ।
माहतमा-देखो 'महात्मा'। मासीसौ-पु. मृतक के पीछे प्रति मास किया जाने वाला भोज । माहतळ-देखो 'महातळ' । मासुधाकर-पु० [सं० महा-सुधाकर चन्द्रमा ।
माहतिरफळा-देखो 'महात्रिफळा' । मासुरी-स्त्री० [सं०] १ दाढ़ी । २ मूछ ।
माहदंड-देखो 'महादंड' । मासूक-वि० [म. माशूक] (स्त्री० मासूका) १ प्रियतम, प्रेमी । माहदान-देखो 'महादान'। २ प्रेम पात्र । ३ जिसके साथ प्रेम किया जाय ।
माहदेव-देखो 'महादेव' । मासूको-स्त्री० [अ० मा' शूकियत] १ प्रेमी होने की अवस्था, | माह म-देखो 'महाद्र म' । किसी के प्रेम में दीवानगी। २ प्रेम पात्रता।
माहद्वीप-देखो 'महाद्वीप'। मासूम-वि० [अ० मासूम] १ दोष रहित, निर्दोष । २ निष्पाप । माहना-देखो 'महानद' । ३ नादान, भोला भाला ।
माहपक्ष (ख)-देखो 'महापक्ष' । मासूरी-देखो 'मासुरी'।
माहपथ-देखो 'महापथ' । मासूल-देखो 'महसूल'।
माहपथिक-देखो 'महापथिक' । मासोतम, मासोत्तम-पु० [सं० मास-उत्तम] १ उत्तम व श्रेष्ठ | माहपदम-देखो 'महापद्म'। मास । २ अधिक मास । ३ मल मास ।
माहपरभु-देखो 'महाप्रभु। मासौ-पु० [सं०माषः] १ एक तोले का मरहवां अंश, एक मान । माहपरांण-देखो 'महाप्राण' । २ मौसी का पति, माता का बहनोई।
माहपवितर-देखो 'महापवित्र' । मास्याई, मास्याही-देखो 'मासियाई।
माहपातक-देखो 'महापातक' । मास्यूक-देखो 'मासूक'।
माहपूजा-देखो ‘महापूजा'। माह-पु० [सं० माह] १ महिना, मास । २ देखो !माघ'। ३ देखो 'माय' । ४ देखो 'महा'।
माहपुरस-देखो 'महापुरुस'। माहनहि-देखो 'महामहि'।
माहपुराण-देखो 'महापुरांण' । माहकंत-देखो 'महाकंत'।
माहप्रसाद-देखो 'महाप्रसाद' ।
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माहप्रस्थान
( ३७७ )
माहुर
माहप्रस्थान-देखो 'महाप्रस्थान'।
माहातमा-देखो 'महात्मा । माहप्राण-देखो 'महाप्राण'।
माहाबळे-देखो 'महाबळ'। माहबळी, माहबळीय-देखो 'महाबळी'।
माहामरातप, माहामरातब-देखो 'माहीमरातिब'। माहबाह-देखो 'महाबाहु' । ...
माहामोट-पु. एक देश विशेष । माहभारत-देखो 'महाभारत'।
माहार-पु० कुम्हारों की एक शाखा । माहमास्य-देखो 'महभाास्य'।
माहाराज-देखो ‘महाराज। माहभूत-देखो 'महाभूत' ।
माहाराजा-देखो 'महाराजा'। माहभैरव-देखो 'महाभैरव'।
माहारी-देखो 'म्हारी'। माहमोग-देखो 'महाभोग'।
माहारी-देखो 'म्हासै'। माहमंतरी-देखो 'महामंत्री'।
माहालइ-देखो 'माळी'। माहरइ-देखो 'म्हारै'।
माहालणौ (बी)-देखो 'माल्हणो' (बी)। माहरउ (उ)-देखो 'म्हारौं'।
माहाबठौ-देखो 'मावठी'। माहरम-स्त्री० १ सूचना । २ देखो 'महरंभ' । ३ देखो मलम'। माहावत-देखो 'महावत' । ४ देखो 'मुहरम'।
माहावबाळ-देखो 'महाबकाळ' माहराज-देखो 'महागज'।
माहासंघ-देखो 'महासंघ'। माहरि (री)-देखो 'म्हारी'।
माहासती-देखो 'महासती'। । माह (क)-देखो 'म्हारौ' ।
माहि, माहि-वि. १ माघ मास की । २ देखो 'माय' । माहरे (२)-देखो 'म्हारै'।
| माहित-स्त्री० [अ० माहीयत] १ वास्तविक ज्ञान, जानकारी। माहरो-देखो 'म्झरौं ।
। २ वस्तु स्थिति, हकीकत । ३ वस्तु का मूल गुण, तस्व। माहली-वि० १ अन्दरुनी, प्रांतरिक । २ अन्तःपुर संबंधी । ४ प्रकृति । ५ विवरण।
-पु०-१ खोजा, दास-दासी, सेवक मादि । २ राजमहल; माहिपत, माहिपति-देखो 'महीपति'। ___ अन्तः पुर।
माहिर-पु. [सं०] इन्द्र का नामान्तर । -वि० [अ०] १ दक्ष माहलो-देखो 'मायलो'।
निपुण । २ चतुर, होशियार । ३ अभ्यस्त । महव-देखो 'माधव'।.
माहिलइ-देखो 'मायलो' । माहवठउ-देखी 'मावठी'।
| माहिलवाड़ियो, माहिलवाड़ियो-पु. पन्तःपुर का परिचायक, माहवत-देखो 'महावत'।
• अनुचर। माहवार-पु० प्रतिमाह मिलने वाला वेतन । -वि० मासिक, प्रतिमास का -प्रव्य० हर मास प्रतिमास से।
| माहिल, माहिलु, माहिलो, माहिल्यु-देखो 'मायलो'। माहवारी-वि. १ प्रतिमास चलने वाला, मासिक २ हर मास माहिस्मती-स्त्री० [सं० महिष्मती] एक प्राचीन नगर।
मिलने वाला । -पु. १ स्त्रियों का मासिक धर्म । माहीं माही-स्त्री० [फा०] १ मछली। २ राजस्थान' की एक २ देखो 'माहवार'।
__नदी । ३ देखो 'माघी' । ४ देखो 'माय' । माहविवेह-देखो 'महाविदेह'।
माहीवांत-पु. मछली का दांत । माहवीर-देखो 'महावीर'।
माहोप-देखो ‘महीप'। माहवौ-देखो ‘माधव' ।
माहोमरातिब, माहीमुरातब, माहीमुरातबी, माहीमरातिब-पू० माहसूर-देखो ‘महासूर'।
बादशाह की सवारी के आगे चलने वाले झंडों का समूह । माहा-माहां-देखो 'माहोमांहि । माहा-स्त्री० [सं० माहेयी] १ गौ, गाय । २ देखो 'महा' ।| माहीसातम-पु० सं० माघ-सप्तमी] माघ शुल्क सप्तमी, सर्य ३ देखो 'मांय'।
. पूजन का पर्व दिवस । माहाकाळिपो-पु० १.एक असुर । २ काला नाग ।
माहुट, माहुटिं-देखो 'मावट'। माहाचीण-देखो महाचीण' ।
माहुत, माहुति-देखो 'महावत' । माहारोळ, माहाडोळ-देखी 'महाडोळ'।
माहुर-पु० [सं० मधुर] १ विष । २ विष समान वस्तु । माहातम-देखो 'महातम'।
३ मालियों का एक भेद । -वि. पहले का, पुराना ।
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माह
( ३७८ )
मिजी
माहेंद्र-वि० [सं० १ इन्द्र का, इन्द्र संबंधी। २ जिसके देवता | मि-सर्व० मैं, मेरा, मेरे ।
महेन्द्र हो। -पु. १ ज्योतिष का एक योग । २ एक प्राचीन मिनान-देखो 'म्यान'। प्रस्त्र । ३ जैन मतानुसार चौथे स्वर्ग का नाम । ४ सुश्रुत मिआव-देखो 'मयाद'। के अनुसार एक देवग्रह।
मिनावी-देखो 'मयादी'। माहेंब्री-स्त्री० [सं०] १ इन्द्र की शक्ति । २ इन्द्र की पत्नी। मिड-देखो 'म्रिदु'। ३ सप्त मातृकामों में से एक । ४.गौ, गाय।।
मिकदार-पु० [अ० मिकदार] १ मात्रा, परिमाण । २ तोल, माहे-देखो 'माय'।
वजन । ३ अंदाज, अनुमान माहेई, माहेयी, माहेरी-स्त्री० [सं० माहेयी] गाय, गौ। | मिग-देखो 'म्रिग'। माहेरौ-देखो 'मायरो'।
मिगसर, मिगसरी-पु० [सं० मार्ग शीर्ष] १ कात्तिक मास के माहेव-पु. १ बाड़मेर का प्राचीन नाम । २, देखो 'महादेव' ।
बाद पाने वाला मास । [सं० मुमशिरा] २ नक्षत्र विशेष, माहेस-देखो 'महेस'।
मृगशिरा । माहेसख, माहेसचख-देखो 'महेसचख'।
मिगसरियो, मिगस्सर-देखो 'मिगसर'। . . माहेसर, माहेसवर, माहेसुर-देखो 'महेस्वर'।
मिडकस-देखो 'मडकल'। माहेस्वर-पु० [सं० माहेश्वर] १ शिव के पुजारी, शैव । २ एक | मिचकोडणी (बी)-देखो 'मचकोड़ो' (बी)। __ यज्ञ का नाम । ३ पाणिनी के प्रारभिक चौदह मुख्य सूत्र। मिचरणो (बो)-क्रि० बंद होना, झपक जाना (खि)। माहेस्वरी-स्त्री० [सं० माहेश्वरी] १ पार्वती, गिरिजा । २ दुर्गा || मिचatण, मिचळद, मिचळाट-देखो 'मबळांण'। .
३ एक मातृका । ४ वैश्यों की एक जाति । -पु०५इस जाति मिचळाणी (बो)-क्रि० १ उबकाई भाना, मितली मामा, के का व्यक्ति ।
होना । २ देखो 'मचळणों' (बौ)। माहे-देखो 'माय'।
मिचलो-देखो 'मचलो'। माहोमाहि,माहोमाहि, माहोमांहै, माहीमा माहोमाह, माहोमाहि, | मिच्च-पु. [सं० म्ले छ] पवन । माहोमाहे-क्रि० वि० [सं० मध्यस्य मध्यस्मिनः] परस्पर, मापस | मिस्त्री० [सं०] बाधा, अडचन। ___में । एक दूसरे के प्रति ।
मिच्छत, मिच्छत्त-पु० [सं० मिथ्यात्व] सस्य को प्रसत्य व fotणी-देखो 'मींगरणी'।
असत्य को सत्य समझने की अवस्था। मिगणी-देखो 'मींगरणो'।
मिच्छदिट्टि, मिच्छविट्ठी-स्त्री० मिथ्या दृष्टि । (जैन मिजासणो-देखो 'मजासणों'।
मिच्छामिदुक्कड़-पु० मिथ्या दुष्कृत। मिठु-देखो 'मीठी'।
मिन्छा-स्त्री. मिथ्या। मिढ-देखो 'मीढी'।
मिच्छावंसरण-पु० मिथ्या दर्शन । मिढरपी (बी)-क्रि० १ बराबर होना, समान होना। २ एक | मिच्छादिटठी-स्त्री. मिथ्या दृष्टि ।
साथ रख कर मिलाया जाना। ३ देखो 'मींडणी' (बी)।मिच्छादुक्का-देखो "मिच्छामिदुक्कड़। मिङ्मुख-पु. एक देश का नाम ।
मिछ-वि० मत । मित, मितर-१ देखो 'मित्र'। २ देखो 'मंत्र'।
मिछत-पु० मिथ्यात्व, मिथ्यापन । मितरणौ (बो)-देखो 'मंतरणो' (बो)।
मिजनू-देखो 'मजनू'। मितरता, मितराई-देखो 'मित्रता'।
मिजबांनी-देखो "मिजमांनी'। मितरी-देखो मंत्री, मित्र'।
मिजमारण, मिजमान-पु० [फा० मेहमान मतिथि, मेहमान ।। मितरोळ, मिसरोळियो-१ देखो 'मंत्र'। २ देखो 'मंतरोळियो' ।
मिजमानिय, मिजमानी-स्त्री० [फा० मेजबांनी] १ आतिथ्य, . मिती-देखो "मिति'। मित्र-देखो 'मित्र'।
सत्कार, स्वागत । २ मातिथ्य में दिया जाने वाला भोज ।
३ अतिथि की भेंट। मित्राई-स्त्री. मित्रता, दोस्ती। मित्री-देखो 'मंत्री'।
मिजराब-पु. [म.] तार वाद्य बजाने का छल्ला । मिवर-१ देखो 'मंदिर'। २ देखो 'कठमंदिर'।
मिजलस-देखो 'मजलिस'। मियाळ-पु. कच्चे मकान की छाजन में लगने वाली लकड़ी | मिजळो-वि० (स्त्री• मिजळी) हीन या भोछी प्रवृत्ति वाला, विशेष ।
नीच, कृतघ्न ।
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मिजान
मिजान-पु० [अ० मीजान] १ तराजू. बुला । २ तुला राशि । मिलजळ-पु० [सं० मरिगजल] विद्युत, बिजली। ३ अंकों योग, जोड़।
मिणणो (बी)-क्रि० १ नापना, मिलाना । २ मंदाज करना । मिजाज-पु. १ स्वभाव; प्रकृति । २ स्वभाव, पादत। ३ स्वास्थ्य | . ३ देखो 'मुणणो' (बो)।
तबियत । ४ किसी पदार्थ का मूल गुण । ५ गवं, अभिमान, | मिणधर, मिणधरण, मिणधारी-देखो 'मणिधारी'!
घमंड । ६ नाज, नखरा । ७ खुशी, मोद । ८ दिल, मन । मिसरणी (बौ)-क्रि० [सं० मनस्यन्] १ मन में इच्छा या विचार मिजानमाली-पु० [१०] कुशल-मंगल पूछने का शब्द ।
करना। २ दृढ़ निश्चय करना, संकल्प करना । ३ संकल्प मिजाजरण-वि० गर्व व मभिमान करने वाली।
पूर्वक दान करना। मिजाजदार-वि० [अ०] गवं व अभिमान वाला।
मिणस्रीकर-पु० [सं० शीकरमरिण] चन्द्रमा, चांद । मिजाजपुरसी-स्त्री० [अ०] १ कुशल पूछने की क्रिया । | मिरिण-देखो 'मणि' । २ सुहानुभूति का प्रदर्शन ।
मिरिणग्रड, मिरिणधर, मिरिणयडमिणियर-देखो 'मणियर'। मिजाजसरीफ-देखो "मिजाजपाली' ।
मिणिहार-देखो 'मणिहार'। मिजाजी, मिजाजीड़ो, मिजाजो-वि० (स्त्री० मिजाजण ) | मिरिणहारो-देखो 'मणियारी'। १गर्वीला, अभिमानी । २ नाज, नखरेवाला ।
मिरणीयड़, मिरणीयर-देखो 'मरिणयड' । मिनमान-देखो "मिजमान' ।
मितंग, मितंगम-देखो 'मतंग' । मिसमानदारी, मिनमानी-देखो "मिजमांनी' ।
मिसंपच-वि० [सं०] १ निर्धन, दरिद्र । २ कृपण, कंजूस। मिझलस-देखो 'मजलिस'।
३ थोड़ा पकाने वाला। मिटणी (बी)-क्रि०.१ समाप्त होना, खत्म होना । २ बंद होना, मित-वि० [सं०] १ परिमित थोड़ा । २ तुल्य, समान । -स्त्री. — रुकना। ३ दूर होना, अलग होना, हटना। ४ नष्ट होना, १ तरह, भांति, प्रकार । २ संख्या, गिनती। पार, सीमा। क्षय होना । ५ निवारण होना, समाधान होना । ६ छूटना | ४ माप । ५ मृत्यु, मरण । देखो 'मित्र'। जाना । ७ शान्त होना । ८ कम होना, घटना, क्षीण होना ।
कम होना. घटना. मीण होना। मितड़ी-देखो 'मित्र' । ९ मरना, अवसान होना।
| मितभासी-वि० [सं० मित-भाषी] मावश्यकता अनुसार बोलने मिटाणी (बी), मिटावरणी (बो)-क्रि० १ समाप्त करना, कराना। वाला, जो बकवादी न हो।
२ बंद कराना, करना। रुकना, रोकना । ३ दूर, अलग | मितर-देखो 'मित्र' । करना, कराना । हटाना । ४ नष्ट करना, कराना । | मितराई-स्त्री० मित्रता, दोस्ती। ५ निवारण करना, कराना । ६ छुड़ाना, पृथक करना । | मितळणी (बौ), मितळारणौ (बौ), मितळावरणो (बो)-क्रि. जी ७ शान्त करना, कराना । ८ कम करना, कराना । घबराना, तबियत बिगड़ना, उबकाई होना. होना। ६ क्षीण करना, कराना ।
मितबो-देखो 'मित्र'। मिटियार-स्त्री० कीचड़, पंक।
मितव्यय, मितव्ययता-स्त्री. १ कम खर्च, खर्च में कमी । मिटियामेट-वि० नष्ट. बर्बाद, तहस-नहस, तबाह ।
२ फिजूलखर्ची का प्रभाव । ३ किफायत, बचत । मिटी, मिट्टि, मिट्टी-देखो 'माटी'।
मितव्ययी-वि० कम खर्च करने वाला, किफायती। मिट्ठ, मिट्ठो, मिट्ठो, मिठ, मिठडो-देखो 'मीठो' ।
मिलाई-स्त्री. मित्रता। मिटरस-पु० मीठा पदार्थ मीठा रस ।
मिति, मिती-स्त्री० [सं० मिति] १ मान, परिमाण । २ सीमा मिछु, मिळू-पु० तोता, सूपा, कीर ।
हद । ३ समय की अवधि. दिया या वक्त। ४ तिथि मिठरण-देखो 'मिस्ठान'।
तारीख। मिठाइ (ई)-स्त्री. १ लड्ड-पेड़े मादि पदार्थ, मीठे पकवान । २ मीठापन, मिठास।
| मितिकाटौ-पु. १ व्यापारिक लेन-देन की एक विधि । २ व्याज मिठायोलो-वि० (स्त्री० मिठा बोली) मदु भाषी।
' का एक नियम । मिठास, मिठियास-पु. १ मीठा होने की अवस्था, गुण । मितु मित्त, मित्तर-देखो 'मित्र'।
२.मीठा स्वाद, मीठापन । ३ मधुरता, माधुर्य । मित्र-पु० [सं०] १ सूर्य, भानु । २ बारह प्रादित्यों में से एक । मिठुलो-१ देखो 'मीठो'। २ देखो 'मिळू। ।
३ एक वैदिक देवता। ४ वार व नक्षत्रों का एक योग । मिग-१ देखो 'मरिण' । २ देखो 'मिण'। -धर-'मरिणधर'। ५ पुराणों के अनुसार मरुद्गण विशेष । ६ वशिष्ठ के एक मिण-स्त्री. १ कूए के घेरे की दीवार, घेराव। २ देखो 'मणि' पुत्र का नाम। -वि०१ सुहृदय हितैषी,परोपकारी । २ प्रेमी,
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. मित्रकषि
। ३८० )
मिमजर
प्रियतम । ३ सखा, यार। ४ श्वेत, सफेद । -बात-स्त्री० मिथ्यात-देखो 'मिथ्यात्व' ।
मित्र की हत्या। -घातक-वि० मित्र का हत्यारा। मिथ्याति (ती, तौ)-देखो 'मिथ्यात्वी'। मित्रकपि-पु० श्रीरामचन्द्र ।
मिथ्यात्व-पु० [सं० मिथ्यात्व] वस्तु स्थिति के विपरीत धारना। मित्रता, मित्रताई-स्त्री० [सं० मित्रता] मित्र होने की अवस्था, मिथ्यात्वी-वि. सत्य व धर्म पर अविश्वास करने वाला। धर्म या भाव।
मिण्यापुरुस-पु. छाया पुरुष । मित्रवान-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । २ मनु मिण्यामत-पु. पाखण्ड, नास्तिकवाद । का एक पुत्र ।
मिथ्यामति, मिथ्यामती-वि० १ दुष्ट बुद्धि, दुर्मति । २ नास्तिक । मित्रविवा-स्त्री० [सं०] श्रीकृष्ण की एक पत्नी।
-पु० छल, कपट, धोखा। मित्रसंजोंग-पु. [स० मित्रसंयोग] सुख।
मिथ्यावाव-पु. नास्तिकवाद, पाखण्ड । मित्रसंक्षमी, मित्रसातम-पु. मार्गशीर्ष व माघ शुक्ला सप्तमी। मिधिलोकेस-पु० [सं० मध्यलोकेश] राजा, नप । मित्रसेन-पु० [सं०] १ बारहवें मनु के एक पुत्र का नाम ।
मिनक-१ देखो 'मनुस्य' । २ देखो "मिनख'। २ श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम।
मिनकी-देखो 'मिनी'। मित्रा-स्त्री० [सं०] सुमित्रा का एक नामान्तर ।
मिनको-देखो "मिनो। मित्राई-स्त्री. मित्रता।
मिनक्ख, मिनख-पु०[सं० मनुष्य] १ स्त्री, औरत । २ पत्नी। मिथ-पु० [सं० मिथ] १ मंगम, सम्मिलन । ३ प्रहार, प्राधात ।
३ जनता, प्रजा । ४ पति । ५ मनुष्य । -जुण-स्त्री. ३ घायल, क्षत । ४ पहचान । ५ लड़ाई, झगड़ा।
मनुष्य योनि, मनुष्य जन्म। -पण, पण,परणी-पु० इन्सानियत ६ मिथ्या।
मानवता । -मार-पु. मनुष्यों का हत्यारा, मानव भक्षी। मिथन-देखो "मिथुन'।
मिनखांमनमोहरणी-स्त्री० पृथ्वी, भूमि, जमीन । मिथला-देखो मिथिला'।
मिनखा-स्त्री० [सं० मनिषा] बुद्धि, अक्ल । मियलापतजा-स्त्री० [सं० मिथिलापतिजा] सीता, जानकी। | मिनखाचार-पु० [सं० मनुष्य-प्राचार] मनुष्यों का माचारमिथलापुरी-देखो "मिथिलापुरी' ।
- व्यवहार। 'मिथळेस. मिथळेसर, मिथल्लेस-पु० [सं० मिथिला-ईश] राजा
| मिनखापण (परणो)-देखो "मिनम्बापण'। जनक ।
मिनखी-देखो 'मिनी'। मियांणी-स्त्री० मथ दण्ड, मथने का उपकरण।
मिनखीचार (चारो)-देखो "मिनखाचार' । मिथा-देखो 'मिथ्या'।
.
मिनखेडो-वि. (स्त्री० मिनखेडो) मनुष्यों की सोहबत में रहने मिाथ-पु० [सं०] विदेह देश का एक राजा।
____का प्रादि (प्राणी)। मिथिळा, मिथिळापुरी-स्त्री० [सं० मिथिला] १ वर्तमान तिरहुत
मिनड़ी-देखो 'मिनी'। प्रदेश का प्राचीन नाम । २ जनकपुरी।
मिनडो-देखो 'मिनी'। मिथिळेस, मिथिळेसर-पु० [सं० मिथिलेश] निमि के पुत्र राजा
मिनमिन-पु० धीमी व अस्पष्ट आवाज, गुन-गुन ।
मिनमिनाणी (बी)-क्रि० १ धीमे-धीमें बोलना, फुसफुसाना । जनक। मिथुन-पु० सं०] १ एक राशि । २ ज्योतिष में तीसरा लग्न ।
२ गुनगुनाना। ३ मिमियाना। ४ धीरे-धीरे काम करना।
मिनमिनी-वि० १ फुसफुसाने वाला, मिमियाने वाला । २ सुस्त, ३ एक साथ उत्पन्न दो बच्चे । ४ युग्म, जोड़ा । ५ संभोग
- धीरे काम करने वाला । ३ तुनक मिजाज । मैन । ६ संगम, समागम।
मिनि, मिनी-१ देखो 'मन' । २ देखो 'मिनी'। मिथुनधर-पु० [सं०] चक्रवाक पक्षी।
मिनियो, मिनीयौ-पु. बिल्ली का बच्चा । मिथ्या-वि० [सं०] १ असत्य, झूठा । २ प्रज्ञानवश सत्य माना
मिनी-१ देखो मिन्नी' । २ देखो महिनौ'। जाने वाला । ३ कृत्रिम, बनावटी । ४ निराधार । ५ कपट
मिन्नत-स्त्री० [अ०] विनती, प्रार्थना, दुपा । खुशामद । पूर्ण । ६ नीति या नियम विरुद्ध । ७ अस्थाई।
मिनी-स्त्री. १ बिल्ली, मार्जार । २ एक उपकरण विशेष । मिथ्याचार-पु. [सं०] १ कपटपूर्ण प्राचरण या व्यवहार । - २ बनावटी बातें।
मिन्नौ-पु० बड़ा बिल्ला, बिलाव । मिथ्याजोग-पु. [सं० मिथ्या योग, रूप, रस, प्रकृति प्रादि के | मिमंत-देखो 'मैमंत'। । विरुद्ध कार्य।
| मिमजर, मिमसर-स्त्री. बबूल, नीम प्रादि की बौर ।
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मिमता
(
१ )
मिळती
मिमता-देखो 'ममता।
मिरतिका-देखो 'म्रितिका' । मिय-वि० [सं० मित] १ मित, परिमित । २ स्वल्प । मिरतु, मिरत्यु-देखो 'म्रित्यु'.। -सोक-'म्रित्युलोक' । मियां-पु० [फा०] १पति, खाविंद । २ स्वामी, मालिक । | मिरवंग-देखो 'म्रिदंग'।
३ प्रतिष्ठित व्यक्ति । ४ मुसलमान । ५ उत्तर भारत के | मिरदंगी-देखो 'निदंगी'। पहाड़ी राजपूतों की उपाधि ।
मिर-देखो 'निदु। मियांमिळू-वि० १ अपनी तारीफ खुद करने वाला। २ मधुर- | मिरदुता-देखो 'मिदुता'। भाषी।
मिरमरी-देखो 'मरमरी'। मिरक, मिरख-स्त्री० कांटे की छोटी नोक या सूक्ष्म भाग।
| मिरसावाप-पु० [सं० मृषावाद] १ असत्य भाषण। २ झूठ, मिरखाबाद-देखो 'मिरसावाद' ।
मिथ्या । ३ झूठी बात । ४ फालतू, सारहीन बात । ५ चापमिरग-देखो म्रिग'।-जळ'म्रिगजळ'। --प्रसरणा-"म्रिग-| लसी।६व्यंग। ... सणा'। .
मिरा-स्त्री० [सं०] मदिरा, शराब । मिरगचड़ो-पु. एक कीट विशेष ।
मिरिगाखी-देखो 'निगाक्षी'।. मिरगलड़ो, मिरगलो-देखो "म्रिग'।
मिरिग्ध, मिरचौ-देखो 'निग। मिरगसिरा-देखो "म्रिगसिरा'।
मिरिच-देखो 'मिरच'। मिरगांक-देखो 'म्रिगांक' ।
मिरियो-पु. तेल, घी-प्रादि तरल पदार्थों में कान पाने वाला मिरगा, मिरगाळो-देखो "म्रिग' । -नयन, नैरणी, नैनी
कटोरीनुमा उपकरण जिसमें खड़ा डंडा लगा रहता है। . म्रिगनेरणी' ।
मिरी-स्त्री० मिर्च । मिरगी-देखो 'म्रिगी'।
मिरी-पु. छोटा खंड। मिरगेंद्र-देखो निगेंद्र
मिल-देखो 'मैल'। मिरगेस-देखो म्रिगेस'।
मिलक-देखो 'मलिक'। मिरगी मिरघ-देखो 'म्रिग' ।
मिळकरणी-स्त्री० मुंह का फीकापन, स्वादहीनता । मिरघमाळ-स्त्री० १ एक प्रकार की मंग। २ मृगों की पंक्ति ।
मिळणी-स्त्री. १ मिलने-मेंटने की क्रिया या भाव । २ मिलन, मिरघलो, मिरघांरण-देखो 'म्रिग' ।
मेंट । ३ विवाह के समय समधियों का सम्मिलन । ४ उक्त मिरघानरणी-देखो म्रिगानेणो'।
सम्मिलन के समय दिया जाने वाला धन । : . मिरची-१ देखो म्रिगी' । २ देखो 'म्रिग'।
मिळणी (बी)-क्रि. १ साक्षात्कार करना, मिलना, भेंट करना। मिरड़, मिरड़ियो, मिरड़ो-पु. काटे हुए झाड-वक्षों का ढेर ।
20२ मुलाकात करना। ३ मिलाप होना, सम्पर्क होना। मिरच-स्त्री० [सं० मरीच] १ सब्जी आदि नमकीन पदार्थों में
४ उपलब्ध होना, प्राप्त होना। ५ जानकारी प्राप्त होना, 'डाल कर खाने का तीक्ष्ण चरपरा प्रमुख पदार्थ । २ उक्त
ज्ञान होना, खोज निकालना। ६ मिश्रित होना । ७ एका पदार्थ का पौधा ।३ तास' के पत्तों का एक खेल । ४ बच्चों
कार होना। ८ पक्ष में होना, दल या संगठन में माना। का एक खेल।
९ स्पर्श होना, छूना, अड़ना। १० लक्ष्य या मिद्धि प्राप्त मिरचाई-स्त्री० मुनक्का दाख ।
होना। ११ एकत्र होना, जुड़ना। १२ सटना, लंगना, मिरवि-देखो "मिरच'।
जुड़ना । १३ इकट्ठा होना । १४ किसी में समाहित होना। मिरचियाकंद-पु० प्रौषध में काम पाने वाला एक कंद ।
१५ सम्मिलित होना, साथ होना। १६ टक्कर लेना, मिरचियागंध-पु० रूसा नामक घास ।
भिड़ना । १७ वाद्यों का एक स्वर में होना। १८ संलग्न मिरचियो-पु. १ चंचल बालक । २ एक प्रकार का पौष्टिक पदार्थ ।
होना। १९ जख्म भरना। २. दुधारू पशुमों का उनके मिरची, मिरच्च-देखो 'मिरच' ।
.. बच्चों को स्तन पान कराना। २१ संगठित होना । मिरची, मिरजौ-पु० [फा० मीरजा] १ मीर या अमीर का |
२२ संभोग या मैथुन होना। लड़का । २ शाहजादा। ३ तैमूर के वंशजों की उपाधि । | मिळताक (क)-वि. १ मेल-जोल से रहने वाला, सम्पर्क ४ मुसलमान । -वि. कोमल, नाजुक ।
बढ़ाने वाला । २ मिलनसार । मिरजई-पु० [फा० मिराज] एक प्रकार की कुर्ती ।
मिळतियांण, मिळतीयांण-पु० पूरे दांतों वाला युवा बैल। मिरतग-देखो ‘म्रितक'।
मिळती-वि० १ मेल खाने योग्य । २ अवसर के अनुरूप । ३ हो मिरति-देखो 'निति'।
में हां मिलाने की क्रिया या भाव ।
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मिळतो
( ३२
मिसलत
मिळतो-वि० (स्त्री० मिळती) समान, तुल्य, बराबर । | मिळीमनळि, मिळीयानळ-देखों 'मळयानिळ' । मिलमची-स्त्री. सप्तकोशी की एक सहायक नदी। . मिल्कियत-स्वी० [अ०] १धन, सम्पत्ति, जायदाद । २ जागीर। मिळाण, मिलान-पु. १ मिलाने की क्रिया या भाव । २ साक्षा- मिस्हणो(बो)-१ देखो 'मेलणी'() । २ देखो ‘मिळणो' (बी)।
कार, भेंट, मुलाकात । ३ हूबहू मकल की जांच।४ एक | मिसजर-पु. एक प्रकार का बहुमूल्य वस्त्र । वस्तु की दूसरी से तुलना । ५ एक कार्य का दूसरे से संयोग। मिसंव-देखो 'मसनद'। • यात्रा का पड़ाव, डरा, विश्राम।
मिस-पू० [सं० मिषम] १ बनावटी व्यवहार, बहाना । २ झूठा मिळाई-स्त्री०१ तेल कीट, कोटा, मैल । २ देखो 'मळाई'।
अभिनय, प्रदर्शन । ३ प्रवलब, सहारा । ४ अवसर, मौका । मिळाणी (बी), मिलायो (बी)-कि० १ परस्पर भेंट या साक्षा- ५माड। ६ छल, कपट, ढोंग, पाखंड । ७ कारण, हेतु ।
स्कार कराना। २ मेल-मिलाप कराना, सम्पर्क कराना।।, ८ समान, अनुरूप । -प्रव्य. १ बहाने से, कारण से, ३सामने लाना, पास में लाना। ४ प्रकाश में लाना। | निमित्त । २ रूप में। ३ मानी। सिद्धि प्राप्त कराना, उपलब्धि कराना। ६ परिचय कराना।
मिसक-देखो 'भसक'। ७ ज्ञान कराना। ५ दल में लेना, पक्ष में करना । ९ स्पर्श
मिसकरी-देखो 'मसखरी'। कराना, छूमाना। पड़ाना, सटाना। १० जोड़ना, संलग्न
मिसकरौ-देखो 'मसखरी'। करना । ११ बीच का फासला मिटाना। १२. सम्मिलित
मिसकीन-देखो 'मसकीन'। करना। १३ मिषण करना। १४ एकाकार करना ।।
मिसखरी-देखो 'मसखरी'। १५ संगठित या एकत्र करना। १६ बिछड़े हुए का साथ
मिसखरी-देखो 'मसखरौ' । कराना । १७ टक्कर कराना, भिड़ाना। १८ स्त्री-पुरुष का
मिसटाण, मिसठाण-देखो 'मिस्ठाण' संयोग कराना। १९ स्नेह या प्रेम कराना । २०ीना,
मिसतंगा-पु. एक प्रकार का खेल । गांठ लगाना । २१ सही नकल की जांच करना, कराना।
मिसतर-देखो 'मिस्तर'। २२ तुलना या मुकाबला करना। २३ जखम भराना।।
मिसतरी-देखो 'मिस्तरी'। २४ समान रूप-गुण वालों का साथ कराना । २५ केन्द्रित
मिसन-पु० [अं०] १ विशेष कार्य के लिये भेजा जाने वाला कराना । २६ बंवाहिक सूत्र में बांधना । २७ वाद्यों को एक
दल । २ सम्प्रदाय । ३ उद्देश्य ।' स्वर में करना । २८ भावात्मक एकता बनाना।
| मिसर-पु०१खाद । २ देखो 'मित्र' । मिलाप ,मिलाप-पु.१मिलने की क्रिया या भाव । २ मिले हुए। होने की अवस्था या भाव । ३ भेंट, साक्षात्कार, मुलाकात।
मिसरत, मिसरित-वि० [सं० मिश्रित] मिला हुमा, घुला हुमा, सम्मिलित। .
.. ४ प्रेमपूर्वक मिलन । ५ स्नेह मिलन की दशा, भाव । ६ सामना । ७ प्रकाशन, विज्ञापन, जानकारी । प्राप्ति- | मिसरा-पु० [अं॰] उर्दू, फारसी प्रादि कविता का पद्यांश । उपलब्धि । ९ परिचय, ज्ञान । १० समझौता । ११ स्पर्श ।। मिसराई-पु० मसूड़ा। १२ स्त्री-समागम। १३ साथ । १४ मिलकर एकाकार मिसरी-स्त्री० [प्रमिस्त्री] १ चीनी को साफ कर जमाया होने की दशा। १५ ताल-मेल ।।
हा पदार्थ, मिस्त्री । २ मिश्र देश का निवासी। ३ मिश्र मिळाव-पु.१ मिलाने की क्रिया या भाव । २ देखो मिळावष्ट'।
देश की भाषा। ४ तलवार । -वि० १ अत्यन्त मीठा । मिळावट-स्त्री. १ मिलाए जाने की क्रिया या भाव । २ अच्छे
२ शीतल । ३ मिश्र का, मिश्र संबंधी। पदार्थ में उसी जाति के घटिया पदार्थ का मिश्रण । ३ इस
मिसर (रू)-पु. एक प्रकार का कीमती रेशमी वस्त्र । - प्रकार मिश्रित किया जाने वाला पदार्थ । ४ विपक्ष के सदस्य से होने वाली संधि । ५ साजिश, सांठ-गांठ ।
मिसल-स्त्री० १ राज-दरबार में सामंतों की पंक्ति । २ सामत ६ सम्मिश्रण।
का पद । ३ वर्ग, समूह । ४ राज-सभा में बैठने का निश्चित ‘मिळावणी (बी)-देखो 'मिळाणी' (बौ)।
स्थान । ५ सिक्खों के विभिन्न समूह । ६ सभा, समाज । मिलिव-पु. [सं०] १ मधु मक्खी, मक्षिका। २ भौरा, भ्रमर ।
-वि० समान तुल्य, अनुरूप । -क्रि० वि० तरफ, मोर। मिलित-वि० [सं०] मिला हुआ । मिश्रित ।
देखो 'मिसाल' । देखो 'मिसिल' । मिलिभगत-स्त्री० साजिश । षड़यंत्र ।
मिसळणो (बो)-देखो 'मसळणी' (बौ)। मिलियागिरी-देखो 'मलयागिर'।
| मिसलत-देखो 'मसलत'।
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मिसलसर
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.(
३८३ )
मिसाल स्त्री० [अ०] १ उदाहरण २ उपमा३रष्टान्त
४ कहावत, लोकोक्ति । ५ नमूना ६ श्रादर्श । मिसि १ देखो 'मिस' । २ देखो 'मसि' । मिसिज्जाए- पु० साधु या गृहस्थ का मिश्रित दोष । मिसिमिस पु० अत्यन्त गुस्सा |
मिसियो देखो 'मिस'
मिसिर- देखो 'मित्र' ।
मिसिल स्त्री० [प्र०] १ किसी विवाद, मुकद्दमें की पत्रावली, फायल । २ किसी पुस्तक प्रादि के पृष्ठों का क्रम । मिसिली वि० [०] १ मिसिल संबंधी २जिसकी मिसिल बन गई हो । ३ जिसको सजा मिल चुकी हो ।
-
-
मिसी स्त्री० [सं० मिश्र ] १ विभिन्न पदार्थों का मिश्रण। सम्मिश्रण । २ देखो 'मिस्सी' । ३ देखो 'मिस' ।
मिसु - देखो 'मिस' |
मिसूर - g० एक प्रकार का वस्त्र ।
मिसे- देखो 'मिस' ।
मिस्कीन देखो 'मिसकीन' |
मिस्कोनी - स्त्री० १ मसकीन होने की अवस्था या भाव। २ दीनता, गरीबी । ३ सरलता । ४ विरक्ति ।
मिसलसर- क्रि० वि० अपने स्थान, पद या वर्ग के अनुसार
मिसल्लत-देखो 'मसलत' ।
मिसन - वि० [सं० मसि वर्ण] १ कृष्ण, काला । २ अंधकारमय । मिस्त्ररण- पु० [सं० मिश्रण] १ मिलाने की क्रिया, सम्मिश्रण । मिसाल मिसायुगल वि० ग्राम संयोगी ।
1
२ मिले हुए कई पदार्थ । ३ विभिन्न औषधियों का योग । ४ कई वस्तुओंों के योग से बना पदार्थ । ५ गणित में जोड़ लगाने की क्रिया ।
मिस्ट वि० [सं० मिष्ट] १ मधुर, मीठो २ स्वादिष्ट । मिस्टोन, मिस्टांन्न, मिस्ठान, मिस्ठांन पु० १ मधुर एवं स्वादिष्ट भोजन, पदार्थ ३ मिठाइयां । ४ नैवेद्य । मिस्तर पु० १ लिखने-पढ़ने के काम आने वाला एक दस्ती का उपकरण । २ पूना, सीमेंट संबंधी कार्य का उपका विशेष |
[सं० मिष्ठान्न] २ मीठा अन्न ।
1
मिस्र - पु० [अ०] १ अफ्रीका के उत्तर पूर्व में स्थित एक देश, घर गणराज्य [सं० मि] २ एक ब्राह्मण वर्ग | मिश्र । ३ नाटकों की कथावस्तु का एक भेद ४ व्याकरण में तीन प्रकार के वाक्यों में से एक । ५ ६ हाथियों की एक जाति । ७ ८सन्निपात रोग ६ खून, रक्त १० मूली । ११ मिश्रित वस्तु । १२ सचित्त व प्रचित्त पदार्थों का योग १ मिथित संयुक्त सम्मिलित २ धनेक तत्वों के बना । ३ माननीय, श्रेष्ठ, बड़ा ।
ज्योतिष में एक गरण सिहों की एक जाति ।
।
- वि० योग से
,
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मिस्र केसी स्त्री० [सं० मिश्रकेशी] एक प्रप्सरा विशेष मिजाति पु० वर्णसंकर जाति ।
माँच
मिपानी पु० धोवन (जैन)
विगत वि० [सं० मिथित) १ मिला हुआ, सम्मिश्रण किया हुआ । २ संयुक्त । ३ मिलावट युक्त । स्त्री० कृतिका एवं विशाखा की संक्रांति ।
मिस्री वि० [०] मिश्र का मिश्र संबंधी
-
-पु० १ मिश्र देश का निवासी
३ देखी 'मिसरी' |
मिश्र का बना हुआ।
२ एक नाग विशेष ।
मिस्स १ देखो 'मिसल' २ देखो 'मिसिल' ।
मिस्सी मी० [फा० मिसी ] १ एक प्रकार का मंजन २ मुसलमान वेश्या के प्रथम समागम का उत्सव । मिटरणी (बो) - क्रि० [सं० मिह] १ जलते हुए का बुझना, ठंडा होना । २ नम करना, तर करना। ३ छिड़कना । ४ सूत्र
करना ।
मिहनत देखो 'म'नव'।
मिहर पु० [फा० मह] १ मुसलमानों में वर पक्ष से लिया जाने वाला स्त्री धन । २ देखो 'मिहिर' । ३ देखो 'महर' ।
मिहरवाणी (वांगी) देखो 'मैं'खांनी' । मिहरवा - देखो 'मेहराब' । मिहरी-देखो 'मिहिर' ।
मिस्तरी, मिस्त्री- पु० १ शिल्पकार, कारीगर । २ यांत्रिक, मिहिर पु० [सं०] १ सूर्य, भानु, रवि । २ चन्द्रमा । ३ बादल,
यंत्रकार |
मेघ ४ वायु, पवन। ५ राजा ६ धाक, मदार। ७ तांबा ८ वृद्धजन । ९ विक्रमादित्य की सभा का एक पंडित । मिहिरकुल १० [सं०] १ एक प्राचीन राजा २ सूर्यवंश मिहिती देखी 'महिला' ।
।
मिहीं, मिहींन-देखो 'महीन' |
मंगलमाळा स्त्री० ऊंट धादि की मिनी की माता मोंगली स्त्री० भेड़, बकरी प्रादि के विष्टे की गोटी. मी मोंगली पु० ऊंट के विष्टे की गोटी।
मोंच- देखो 'मीच' ।
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मिहल -१ देखो 'महिला' । २ देखो 'महल' । मिहि-देखो 'महि'।
मिहिका पु० [सं०] हिम बर्फ २ कोहरा । ३ मोस । १ ४ कपूर ।
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मींचरणों
( ३८४ )
मीठाखाऊ
मोचरणो (बो)-देखो ‘मीचरणों' (बो)।
मीठासोंगी-स्त्री० १ घोड़े के कानों के पास होने वाली एक मी वाणी (बो), मोचावणो (बो)-देखो 'मीचाणो' (बो)। भवरी। २ देखो 'मेढासींगी'। मीचि-देखो 'मीच'।
मोढी-देखो 'मींडो'। मोजणी (बी)-क्रि० १ मसलना, मलना । २ बंद करना, | मोढी-पु. [सं० मेण्ढक] नर मेष, भेड़ा। -वि० सींग रहित, मूदना।
बिना सींग का। मोजर-देखो 'मिमजर' ।
मीरणा-देखो 'मीणा'। मीजी-स्त्री० [सं० मज्जा] १ हड्डी के भीतर रहने वाला गूदा, | मीत, मोंत्र-देखो 'मित्र'।
मांस का गूदा । २ फल के भीतर का गूदा । ३ चर्बी बसा । मींदर-देखो 'मंदिर'। ४ वीयं, बीज । ५ अन्त:. करण, हृदय, ममं ।
मीन-देखो 'मीन'। मोट-देखो 'मीट'।
मीनमेख-देखो 'मीनमेख' । मीठो-देखो 'मीठो'।
मीचो-पु० बच्चों की छोटो तलवार । मीड-पु० [सं० मीड़म्] १ तार वाद्यों में एक स्वर से दूसरे | मीह-देखो 'महीन'। ___स्वर पर जाने की विधि । २ समानता, तुल्यता, बराबरी || मो-स्त्री० १ रमा । २ यति । मोडक-देखो 'मींडको।
| मीप्राव-देखो 'मयाद' । मींडकी-स्त्री. १ मादा मेंढक, छोटा मेंढक । २ नीचे की मोर | मीमादी-देखो 'मयादी'। ____ लटकते सींगों वाली गाय या भैस ।
मीच-स्त्री० [सं० मृत्यु] १ मत्यु, मौत। २ भाव का इशारा । मोडकीपाव-पु. नाथ सम्प्रदाय का एक सिद्ध।
३ प्रांख बंद करने की क्रिया। -माळी-पु० यमलोक । मोडको-पु. [सं०. मण्डूक] (स्त्री० मोंडकी) मेंढक, दादुर। | मीचरणौ (बी)-क्रि० [स० मीलति] १ बंद करना, मूदना । मोडणी (बो)-क्रि० १ तुलना करना, मिलान करना, जांच २ जोड़ना, मिलाना ।
करना । २ अंकित करना, लिखना। ३ निरखना, देखना । मीचारणौ (बी), मीचावणी (बी)-क्रि०१बंद कराना, मुदवाना। ४ एक दूसरे की समता की जांच करना । ५ मुकाबला . २ जोड़ाना, मिलवाना । करना।
मोजर-देखो 'मिमजर'। मोडल-१ देखो 'मीडी' । २ देखो 'मीढ़ल'।
मीजाजण-देखो 'मिजाजण' । मोडली-देखो 'मींडी'
मीट-स्त्री. १ नजर, दृष्टि । २ ध्यान, याद । ३ एकाग्र बैठने मोडाखड़बड़-स्त्री० १ बकझक । २ कलह, झगड़ा।
की अवस्था । ४ निद्रा, नींद, तदा । ५ नयन, नेत्र । मोडासींगो-देखो 'मेढासींगी'।
६ रोग, पौषधि प्रादि के कारण होने वाली मूर्धा । मोडी-स्त्री०१ स्त्रियों/युवतियों के शिर में बालों की गुथी ७ नशे का प्रभाव, नशा। . हई लट । २ नीचे लटकते सींगों धाली गाय या भैंस । मीटवायु-पु. घोहों का एक रोग । शून्य या बिन्दी का अंक ''।
मीटि, मीटी-देखो 'मीट'। मोडी-पु. १ नीचे लटकते सींगों वाला पशु । २ शून्य या बिन्दी मीठ-स्त्री० [सं० मिष्ट] १ मोठा होने की अवस्था या भाव । का अंक । ३ देखो 'मीढी'।
२ मधुरता, मीठापन, मिठास । -वि० १ मीठा, मधुर। . मीठ-स्त्री. १ बराबरी, समता । २ तुलना करने की क्रिया । २ देखो 'मट'।
३ जोड़। -वि०१ समान, बराबर । २ तुलना में देखा | मीठउ, मीठड़उ, मीठड़ो-देखो 'मीठो' । जाने वाला।
मीठम-पु० [सं० मिष्टम् ] मीठास, मधुरता । मोढणो (बी)-देखो मींडणों (बी)।
मीठवारणीय-पु० [सं० मिष्ठ-पानीयं] मोटे पानी की सिंचाई मीढरी-वि० १ उपमा देने योग्य । २ बराबर का।
से उत्पन्न गेहूँ।
मीठांण-देखो ‘मिस्ठान्न'। मोढळ-पु. १ वृक्ष विशेष । २ देखो 'मीडी'।
मीठाणी, मीठांनी-स्त्री० [सं० मिष्ठ-पानीयं] मीठे पानी से भीढलो-देखो 'मींडो'।
सींचित भूमि। मोढवणी (बो)-देखो 'मींडणी' (बी)।
मीठा-स्त्री० एक व्यावसायिक जाति । 'मीढा-स्त्री. राजस्थान की एक नदी।
| मीठाखाऊ-वि० मीठा पदार्थ खाने वाला । स्वादलोलुप ।
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मीठानेहूं
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( ३०१ )
मीठागे १० मीठे पानी से उत्पन्न हूं।
मीठापणौ पु० १. मीठा होने की अवस्था या भाव, मृदुता । २. मिठास, मधुरता ।
मीड- देखो 'मींड' । मीडको-देखो 'मोडकी' ।
मीडाप्रांबळ स्त्री० एक प्रकार का क्षुप ।
मीठापोइयां स्त्री० घोडे की एक मध्यम चाल ।
मीढ़ - देखो 'मींढ़' ।
मीठा बोली - वि० [स्त्री० [मीठाबोली) मृदुभाषी ।
मीढ़ी (ब) - देखो 'मोंडणी' (बो) ।
मोठावरी - वि० स्वी० मीठावरी) मीठे पदार्थ खाने का इच्छुक मौस पु० [सं० मीदुष] शक्र नामक साहित्य का एक पुत्र
मीढ़ी-देखो 'मीढों' |
मीरा-१ देखो 'मणि' । ४ देखो 'मिरण' । मीण मेख- देखो 'मीनमेख' ।
मीणवाखर पु० एक प्रकार का घोड़े का पाखर
मीणा स्त्री. एक जाति विशेष
मीठीयांखी स्त्री० मधुर वचन ।
मीखियो मीलियो - ०१ एक वस्त्र विशेष २ देखो 'मणियों'।
मीठीबोरड़ी स्त्री० मीठे बेरों वाला वृक्ष
मीरणी - देखो 'मणि' । - धर = ' मणिधर' ।
मीठीमां स्त्री० बड़ी मां, ताई
मी दार - वि० मासिक वेतन पर रहने वाला ।
मीठीमार स्त्री० १ तीक्ष्ण व्यंग, हास्य व्यंग २ हंसते-हंसते मीलो, मी सौ पु० (स्त्री० [मीणी) १ मीणा जाति का व्यक्ति ।
२ देवो महीनो'
कही गई तीखी बात |
मीत, मोती देखो 'मित्र'
मीठ्ठ-१ देखो 'मोठी' २ देखो 'मिठू'।
मोठीउत्तर पु० १ मीठी वाणी से दिया जाने वाला उत्तर मीची १० एक प्रकार का वस्त्र
मीठासपु० मधुरता, मीठापन
मीठी - वि० १. मधुर, सुरीली । २. देखो 'मिठीमां'
मीठीकोळी स्त्री० [सं०] मिष्ठ-कवल] देवता के लिये मोठा
नैवेद्य । मीठीहुरी- वि० घोवाल, रुपटी
1
मीठी नाळ - स्त्री० मीठे फल देने वाला जाल का वृक्ष ।
इन्कार । २ याचक को कुछ न्यूनाधिक दान ।
मीठोको १०१ मीठे पदार्थ का ग्रास २ गुप्त वार्ता ।
मीठोड़ी देखो 'मीठी' (स्त्री० मीठोड़ी)
मीठोडग पु० मीठी बातों से भुलाया देकर धन लूटने वाला ठग, छलिया ।
मीठोल पु० तिस्सी का तेल |
मीठोनीय, मीठोमीम, (डी) पु० मीठे पत्तों वाला नीम वृक्ष । मीठोबच ( बैरण, वचन, वयन, बैण) - देखो 'मीठौवचन' ।
मीठोमारू - पु० प्रियतम, प्रेमी । पति ।
मीठोमेरांणी- पु० सतलुज नदी की एक शाखा ।
मोठी - वि० [सं० मिष्ट] [स्त्री० मोठी) १ शनकर, गुरु, शहद आदि की तरह स्वाद में मधुर, मीठा २ स्वादिष्ट रुचिकर प्रिय व प्यारा लगने वाला ४ सुशील, सरल, विनम्र । ५ सीधा-सादा सरल । ६ मधुर, सुरीला, कर्णप्रिय । ७ कोमल ८ जिसमें कड़वाहट का प्रभाव हो । ६ मनवांछित । १० अच्छा भला । ११ हल्का, मंद, धीमा । १२ लाभप्रद । १३ मोदभरा प्रेमभरा १४ धूर्त, पाखण्डी । १५ सुखद । पु० १ मीठा खाद्य पदार्थ । २ मिठाई, मिष्ठान्न, पकवान । ३ नमक का नामान्तर । ४ गुदा मैथुन कराने वाला ।
मीठो वचन पु० [सं० मिष्ट+वप्] १ कान व मन को अच्छा लगने वाला बोल, मधुर वचन । २ सुरीली आवाज । ३ प्रेम भरी बातें।
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मोनाबाजार
२ देखो 'ण' । ३ देखो 'मीन' ।
मीन - स्त्री० [सं०] १ मछली, मत्स्य २ बारह राशियों में से एक (ज्योतिष) । ३ विष्णु एक प्रवतार मत्स्यावतार | ४ मच्छी जैसी हस्तरेखा ५ संशय, संदेह । ६ देखो 'मीनमार' - वि० मर्यादाभ्युत, पतित, नीच ।
|
मीनकेत (केतन, केतु) - ० [सं० मीनकेतु] मदन, कामदेव मीनख - देखो 'मिनख' ।
मीनगंधा स्त्री० [सं०] मत्स्यगंधा, सत्यवती । मीनड़ी-देखो 'मित्रों' ।
मोनति (सी) देखो १. 'मिश्रत' २ देखी विग्यप्ति मीननाथ- पु० [सं०] मत्स्येन्द्रनाथ ।
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1
मीननिवास-पु० [सं०] जल, पानी समुद्र, तालाब, जलाशय मीनमारग पु० [सं० मीनमार्ग] योगसाधन का एक मार्ग विधि मीनमेख स्त्री० [सं० मीन-मेष] १ संशय, संदेह २ कमी, बामी ३ श्रागा पीछा, सोच विचार ।
मीनहा स्त्री० मछली फंसाने का यंत्र, वंशी । मीना- स्त्री० १ उषा व कश्यप की कन्या । [फा०] २ प्राभूषणों
पर की जाने वाली रंग-विरंगी चित्रकारी । ३ रंग-विरंगा शीशा । ४ नीला रत्न । ५ शराब की सुराई । ६ शराब की बोतल । ७ गितनी संख्या देखो 'मीन' कार ५० ८ | । प्राभूषणों पर 'मीना' करने वाला । -कारी-स्त्री० श्राभूषणों पर 'मीना' का कार्य । मीनाबाजार- पु० अकबर के शासनकाल में लगने वाला एक
बाजार ।
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मीनाबाव
। ३८६ )
मीनाबाव-पु. एक प्रकार का सरकारी लगान ।
शाहजादा। मीनार-स्त्री० स्तम्भनुमा गोलाकार ऊंची इमारत ।
मोरबहर-पु० [अ०मीरबह] जल सेनाध्यक्ष । मानारोग-पु० मीन की संक्रांति को होने वाला 'मीणा' लोगों
मीरबार-पु० [फा०] शाही दरबार का एक अधिकारी का मेला। (सिरोही)
मीरभुचड़ी-पु० हिंजड़ों का प्रादि पुरुष, कल्पित । मोनालय-पु० [सं०] समुद्र, सागर ।
मीरमजलस-पु० [फा० मीर-मजलिस सभापति । मीनी-१ देखो 'मिन्नी' । २ देखो 'मीन'।
मोरमुसी-पु० [अ० मीरमुशी] प्रधान मुशी। मोनोदर-पु० [स०मीन-उदर] मछली का पेट, मत्स्य उदर ।
मीरमुल्ला-पु० [फा०] बड़ा मौलवी। मोनो-पु. १ प्राभूषणों पर पच्चीकारी करने का रंगीन शीशा।
मोरल-देखो 'मीर'। २ देखो 'महीनो'।
मोरसांमां-पु० [फा०] १ शाही दरबार का एक अधिकारी। मोम-पु० दुशाला।
२ रसोड़े का दारोगा। ३ खान-सामा। मोमचियो, मीमचौ-देखो 'मोमचो' ।
मीरसिकार (सिकारु)-पु० [फा० मीरे शिकार] बादशाह की मीमजर-देखो 'मिमजर'।
शिकारगाहों का प्रबन्धक । मीमलइ, मीमली-स्त्री. वीरबहटी, लाल कीड़ा।
मीरां-स्त्री. १ मेड़ता के प्रसिद्ध शासक राव दूदा राठौड़ की पौत्री मीमांस, मीमांसक-पु० [सं०मीमांसक] १ मीमांसा करने वाला
व राणा सांगा की पुत्रवधू, श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त एक २ मीमांसा शास्त्र का पंडित, दार्शनिक ।
प्रसिद्ध कवियत्री। -पु० [फा०] २ ईश्वर, परमात्मा। मीमांसा-स्त्री० [सं०] १ किसी विषय, बात या तस्व का दाशं
३ स्वामी, मालिक । ४ सज्जन, सभ्य । ५ सुहृद व संत निक विवेचन । २ एक वैदिक दर्शन।
पुरुष । ६ अमीर, धनवान, उच्चकुलीन । मायण-१ देखो 'मेण'। २ देखो 'मीयौ' (स्त्री०)।
मीरांबर-पु० मुसलमान । मीयां-देखो 'मिया'।
मीरांसा,मीरासाह-वि० [फा० मीर-शाह१ मीरों का शाह, मीयाव-देखो 'मयाद'।
बादशाह । २ उदार, सुहृद । ३ अमीर, धनवान । मीयादी-देखो 'मयादी' ।
मीरात-पु. मवेशी, पशु। मीरवर-पु० अमीर, सामंत ।
मीरादमीर-पु. १ बादशाह । २ राजा । ३ प्रमुख सरदार । मीर-पु० [अ०] १ बादशाह, सम्राट । २ राजा, नवाब । मोनी
मोरासी-पु० [अ०] एक मुसलमान गायक जाति विशेष । १. सरदार, सामंत । ४ प्रधान, मुखिया, नायक । ५ बड़ मोरी-टेखो मोर सरदार का पुत्र । ६ बलवान, शक्तिशाली । ७ सय्यद जाति | मीह-प० मवेशियों का एक रोग ।
उपाधि । ८ मुसलमान, यवन । भगुवा, नता । मीहंबरा-पु० [फा० मीर+उमराव] सामंत, सरदार, अमीर। १० ताश का बडा पत्ता। ११ धामिक प्राचार्य । १२ प्रतियो-मील-१००१माठ फर्ला गया १७६०गज की दूरी का नाप। यिता में प्रथम रहने वाला । १३ ईश्वर, मालिक । १४ पति
२ उक्त दूरी के स्थान पर लगा पत्थर । ३ अंजन या सुरमा स्वामी। [सं० मीरः] १५ समुद्र, सागर । १६ पवंत, पहाड़
लगाने की सलाई । [अं०] 7 बड़े पैमाने पर वस्त्र उत्पादन १७ सोमा, हद। १८ जल, पानी।
करने का कारखाना । ५ उक्त कारखाने में चलने वाली मोरज-पु० [फा०] मुसलमान ।
बड़ी मशीन । मीरजादा, मीरजादू (जादी)-पु० [फा०] १ किसी सामंत या | मोलगो-टेणी रियासतों में लिया जाने वाला , सरदार का पुत्र । २ शाहजादा।
मौलत-देखो 'मोलित'। मोरजो, मीरज्यो-पु० [फा०मीरजा] १ किसी सरदार या सामंत | | मोलित-वि० [सं०] १ मिला हमा। २ मुदा हुमा, बंद ।
का पुत्र, मीरजादा। २ मुसलमान । ३ सम्यदो की एक ३ अधखिला । ४ पलक झपकाये हुए । ५ नष्ट, लुप्त । उपाधि । ४ शाहजादा।
-पु० एक भलंकार विशेष । मीरजक, मीरजक-पु० [अ० मीरतुजुक] सेना का प्रबन्धक,
मीसंजर-देखो 'मसंजर'। सेनानायक।
मीसरी-देखो 'मिसरी'। मौरपति-पु० [फा०] बादशाह ।
मोसल-देखो 'मिसिल', 'मिसल' । मीरवक्सी, मोरवक्सी-पु० [फा०] १ मुस्लिम शासन में कर्मचा-म
रियों को वेतन बांटने वाला अधिकारी । २ एक बड़ा पद । | मीहर-देखो 'मिहिर'। मीरबचा (बच्चा)-पु० [फा०] सरदार या सामंत का लड़का, | म-देखो 'मू"।
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मुसंधारी
। ३८७ )
मुंबरड़ी
मुंबंधारी-पु० १ अरुणोदय से पूर्व का समय । २ सूर्यास्त के -वि०१ मुडा हुमा, गंजा । २ कटा हुना। ३ नीच, कमीना । प्रारंभ का समय ।
मुडक-पु० [सं०] १ शिर, मस्तक । २ एक उपनिषद । ३ नाई मुंइयो-वि० अग्रणी, प्रधान, हरावल ।
हज्जाम । -वि० मुण्डन करने वाला । मुंई-वि० [सं मत] १ मृत, मरी हुई । २. सौतेली। मुंडकी-स्त्री० शिर, खोपड़ी। मुंप्री-वि० [सं० मृत] मृत, मरा हुमा।
मुंडण-पु० [सं० मुण्डन] १ मस्तक के केशों का मुण्डन । २ यज्ञोमुकरणो (बो)-देखो 'मूकणो' (बी)।
पवीत के समय का मुण्डन संस्कार । ३ शिशु का प्रथम मुकाणी (बी),मुकावरणी(बी)-देखो 'मूकारणों (बी)।
मुण्डन । ४ हजामत । मुक्को-देखो 'मुक्की'।
मुंडणी (बो)-क्रि० [सं० मु] १ मुडा जाना, मुण्डन किया मुगउ-१ देखो गूगो' । २ देखो 'मूगो'।
जाना, बाल काटे जाना । २ ठगा जाना । ३ पीसा जाना। मुंगतो-देखो मंगती।
मुंरत-वि० [सं० मुण्डित] मुश हुमा, मुडित । मुंगवणी-पु० [सं०मुग्धेन्दनम्] मांगलिक अवसरों पर लाया जाने | मुडमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० मुण्डमाला] कटे हुए शिरों की वाला ईधन की लकड़ियों का गाड़ा।
माला। मुंगम-स्त्री० १ अतिथि सत्कार, स्वागत । २ प्रतिष्ठा, इज्जत । मुडमालिनी-स्त्री० [सं० मुण्डमालिनी] उक्त मालाधारी दुर्गा, मुंगलो-पु० मुसलमान ।
महाकाली। मुंगवड़ी-देखो 'मूगोड़ी' ।
मुडमाळी-पु० [सं० मुण्डमालिन] १ शिव, महादेव । २ मुडमाला। मुंगियो-देखो 'मूगियो', 'मूगो' ।
मुउपई, म डरची-पु० [सं० मुण्डरुचि] पाखंडी साधु, ढोंगी साधु । मुंगीपटरण-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।
मुडहा-स्त्री० [सं० मुड-हन्] १ मुड राक्षस को मारने वाली मुंगी-देखो 'मूगो'।
दुर्गा । २ देखो 'मूडो'।। मुचणी (बो)-क्रि० [सं० मुच] १ झरना, टपकना। २ छूटना,
मुहाई-स्त्री०१मूडने या मुंडाने की क्रिया या भाव । २ उक्त मुक्त होना, रिहा होना।
कार्य का पारिश्रमिक। मुच्छ,मुछ-देखो मूछ' ।
मुगाणी (बौ)-क्रि० [सं० मुड] १ शिर के बाल कटवाना । म छणी (बौ)-देखो 'मूछरणो' (बी)।
शिर मुडवाना । २ मृतक के पीछे बाल मुडवाना। मुंघारणी (बो)-देखो 'मूछाणो' (बी)।
३ ठगाना। मुंछार-देखो 'मूछार'।
मुसाळियो, मुडाळी-पु. [देश॰] कूए का वह स्थान जहां से मुधाळ, मधाळो-देखो 'मूछाळो' ।
पानी मागे नाली में जाता है। मुंज-देखो 'मुझ', 'मूज'।
मुंडावणी (बौ)-देखो 'मुडाणो' (बी)। मुंजक-पु० घोड़ों की प्रांख का एक रोग ।
मुंडासुर-पु० [सं० मुण्ड-असुर] 'मुड' नामक असुर । मुंजकेतु-पु० [सं०] एक राजा विशेष ।
मुंडासौ-देखो 'मुडासौ'। मुजकेस-पु० १ एक प्राचार्य । २ एक राजा।
मुंडित-वि० [सं०] १ मुडा हुआ, गंजा । २ कटा हुषा । मजमेखळा-स्त्री० मूज की मेखला, कटिबंध ।
-पु. लोहा। मुजमेखळी-पु. १ महादेव, शिव । २ विष्णु ।
मुडिम-पु. एक प्राचीन प्राचार्य। मजरो-देखो 'मुजरौ'।
मुडी-स्त्री. १ विधवा, रांड । २ एक प्रकार की लिपि । मुंजाळ-पु० मूज का पौधा । मूजघास ।
मडीयो-पु० सरहद का पत्थर । मुजेवड़ी, मजोवड़ी-पु० मूज की रस्सी, घास की रस्सी।
मुंडेर-देखो 'मंडेरी'। मुंशाणो(बो)-देखो ' रझाणो' (बी)।
मतजिम-वि० [अ०] १ व्यवस्थापक, प्रबंधक । २ प्रकाशमान । मुं-पु० [सं०] १ मनुष्य का शिर, मस्तक । २ कटा हुमा शिर । मुंतणो (बी)-देखो 'मूतणी' (बी)।
३ गंजा या मुंडा शिर। ४ गंजा मनुष्य । ५ शाखा प्रादि | मुथा-पु. नवग्रहों के अतिरिक्त एक ग्रह विशेष । (ज्योतिष) रहित पेड़ का तना । ६ राहु नामक ग्रह । ७ भृगुकुलोत्पन्न | मगर-देखो 'मुदगर'। एक गोत्रकार । ८ एक दैत्य । ९ एक उपनिषद । १० शुभ- मुबड़उ, मुंदड़ी,मदडो-देखो 'मूदड़ी। निशुभ का सेनापति एक असुर। ११ कोरव दल का एक | मदरणी (बी)-क्रि० [सं० मुद्रण] १ खुली प्रांखें बंद होना,मिचना योदा । १२ नाई। १३ लोहा । १४ मंडूर । १५ अनाज का | २ अंत या समाप्त होना । एक प्रकार का नाप जो१० कलसी के बराबर होता था। मदरड़ी-देखो 'मदड़ी' ।
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मुदी
( ३८८ )
मुकतमाळ
मुदो-देखो 'मुदी'।
मुहमीठड़ो (मीठो)-पु. एक प्रकार का घोड़ा । -वि. मदु मुद्र-पु० [सं० समुद्र] सागर, समुद्र ।
भषी। मद्रही-देखो 'मदडी'।
मुहमेज, मुहम ज-देखो 'मुहमेज' । मुद्रणी (बो)-देखो 'मूदणी' (बी)।
मुहसाळ-देखो 'मोसाळ'। मद्रो-देखो 'मूदड़ो'।
मुहांणी. मुहागो-देखो 'मुहारणी' । मुंघ, मुधि-स्त्री० [सं० मुग्धा) मुग्धा नायिका ।
मुहासो-पु० मुह पर होने वाली फुसी। मुनिद्रस-देखो 'मुनींद्र'।
मुहि-१ देखो 'मुख'। २ देखो 'मैं'। म सिफ-पु० [अ०] छोटी अदालत का न्यायाधीश ।
मुहिमां-वि० व्यर्थ, निरर्थक । म सिफी-स्त्री० [अ०] १ न्याय, इन्साफ। २ मुसिफ का पद । | महियड-देखो 'मुहिपड़े। मुसी-पु. [५० मुशी] १ लेखक । २ किसी कार्यालय का
मुहियो-देखो 'मुहियो'। लिपिक, क्लर्क । ३ वकील, मुहरिर । ४ अर्जी नवीस ।
मुही-देखो 'मुख'/'मुही'। -खांनो-पु० मुशियों के बैठने का स्थान । कक्ष ।
| मुहुँगो-देखो 'मूगो'। -गिरी-स्त्री. मुशी का पद या कार्य।
महंडो-देखो 'मुख'। मसौ-देखो 'मूसो'।
महे (है)-क्रि० वि० मुख पर । मह-देखो 'मुख'।
मु-पु० [सं०] १ शिव का एक नाम । २ बंधन । महकम-देखो 'मुहकम'।
३ कारागार, कैद। ४ मोक्ष, मुक्ति । ५ ऋषि । मुहकारण-देखो 'मुकारण'।
६ मुष्टिका, मुट्ठी। ७ चिता। ८ देखो 'मू"। मुहगउ, महगौ-देखो 'मूगो' ।
मुअत्तल-वि० [अ०] १ किसी कार्य या पद से निलंबित, मलग। महचोर-वि० मुंह छिपाने, नजर चुराने या दूर रहने वाला। २ बेकार, खाली। ३ जो कार्य नहीं कर रहा हो। कतराने वाला।
४ स्थगित । महजोर-वि०१ अधिक बोलने वाला, वाचाल । २ बहस या मुअत्तली-स्त्री० [अ०] १ निलंबन । २ बेकारी, खालीपन ।
हुज्जत करने वाला। ३ उद्दण्ड । ४ एक प्रकार का अशुभ ३ मुमत्तल करने की क्रिया। घोडा।
मुग्रावजी-पु० [अ० मुआवजा] १ कृषि भूमि पर सरकार या किसी मजोहरी-स्त्री० १ बकवास, प्रलाप । २ प्रशिष्टता, उद्दण्डता । शासक को दी जाने वाली रकम, धन । लगान । २ क्षति महा-क्रि० वि० मुंह पर, मुह के प्रागे।।
पूर्ति के लिये दिया जाने वाला धन । ३ बदला, प्रतिफल । महाड, मुहडे मुहरे-क्रि० वि० १ भागे, मागाड़ी। २ सम्मुख ४ किसी कार्य या वस्तु की अपेक्षा में दिया जाने वाला
मामने-सामने । ३ सोमा पर । ४ मुंह पर । ५ मुह से। धन । ६ अनुपात में, परिमाण में । ७ चेहरे पर ।
मुइया-क्रि० वि० मागे, मागाड़ी। महडो-देखो 'मूडो'।
मुई-देखो 'मुहै। मुहता-देखो 'महता'।
मुऔ-वि० [सं० मत] (स्त्री० मुई) मरा हुमा, मृत । म हाण-पु० मुह का कवच । -क्रि० वि० मुह के बल, महकी मुकंद-देखो 'मुकुद'। भोर।
मुकदक-देखो 'मुकुदक'। महविखाई-स्त्री. १ सुहागरात की एक रश्म । २ इस रश्म के मुकट, मुकटि-देखो 'मुकुट' । -बंध='मुकुटबंध' । अनुसार वधू को दिया जाने वाला धन ।
मणि, मिण='मुकुटमणि' । महनाळ-स्त्री०१ घोड़ों का एक रोग। २ तलवार का ऊपरी | मुकटा-पु०१ एक प्रकार की रेशमी धोती। २ देखो!मकट'। भाग।
मुकरणो (बी)-देखो 'मूकरणो' (बी)। महपति (ती, ती)-स्त्री० [सं० मुख पट्टिका मुह पर बांधने मुकत-देखो 'मुक्त' / 'मुक्ति' । की श्वेत वस्त्र की पट्टी।
मुकतज-देखो 'मुक्तज'। मुहपल्लो-पु. मृतक के पीछे रोते समय मुह ढकने की क्रिया।
मुकतदा-वि० [सं० मुक्ति-दात्री] मोक्षदायिनी। मुंहफट-वि० वाचाल, प्रलापी, स्पष्टवादी
मुकतफळ-देखो 'मुक्ताफळ' । मुहम-देखो 'मुहिम'।
मुकतमाळ, मुकतमाळा-देखो 'मुक्तामाळ' ।
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मुकतसामीप
।
३८९
)
मुकीम
मुकतसामीप-देखो 'सामीप्यमुक्ति' ।
मुकरर-प्रव्य० एक मुश्त । मुकतहार-देखो 'मुक्ताहार'।
मुकरणो (बो)-क्रि० १ वादा, समझौता, बात प्रादि से फिर मुकता-देखो 'मुक्ता'।
जाना, बात पर कायम न रहना। २ इन्कार कर जाना, मुकतागळ-पु० मोतियों का झुण्ड, समूह ।
मना कर देना । ३ छोड़ना, मुक्त करना । मुकताया-पु० एक डिंगल गीत विशेष । -जया-स्त्री० डिंगल | मुकरर, मुकरिर-वि० [अ० मुकर्रर] १ निश्चित । २ तैनात, छंद रचना की एक विधि ।
नियुक्त । ३ पाबंद। -क्रि० वि० दुबारा, दूसरी बार, पुनः । मुकताचर-देखो 'मुक्ताचार'।
मुकरण-देखो 'मकरांणी'। मुकताफळ-देखो 'मुक्ताफळ' ।
मुकळाइ, मुकळाई, मुकळायत-स्त्री. १ अधिकता, माधिक्य । मुकतामाळ-देखो 'मुक्तामाळ' ।
२ गुंजाईश । ३ छूट । ४ सुविधा । ५ जगह, स्थान । मुकताळ-१ देखो 'मुक्ताफळ'। २ देखो 'मुक्तावळी' ।
मुकळावरणो (बो)-क्रि० [प्रा० मोक्कलई] १ विदा करना, मुकाळि, मुकतावळ, मुकतावळि, मुकतावलि, मुकतावळी (लो)
भेजना । २ दूर करना, पलग करना। ३ छोड़ना मुक्त देखो 'मुक्तावळी'।
करना। मुकताहळ-देखो 'मुक्ताफळ' ।
मुकळावी-पु० १ शादी के बाद कन्या की विदाई की एक रश्म । मुकताहार-देखो 'मुक्ताहार'।
गौना, द्विरागमन । २ इस रश्म के अनुसार दिया जाने मुकति (ती)-१ देखो 'मुक्ति' । २ देखो 'मुक्ता'।
वाला वस्त्राभूषण। मुकतिसाजोति-स्त्री० [सं० मुक्ति-स-ज्योति] पांच प्रकार की
मुकाण-पु० [सं० मुखकथानिका] मतक के पीछे उसके मुक्तियों में से एक।
__संबंधियों के पास संवेदना प्रगट करने की क्रिया या भाव । मुकत्ता-देखो 'मुक्ता'।
मुकान, मुकाम-पु० [अ० मुकाम] १ निवास-स्थान, घर, मकान । मुकत्ति. मुकत्ती-देखो 'मुक्ति' ।
२ प्रावास । ३ ठहरने का स्थान, विश्राम । डेरा पड़ाव । मुकदम-देखो 'मुकद्दम'।
४ जगह, स्थान । ५ ठौर-ठिकाना । ६ कब्रिस्तान । मुकदमेबाज-वि० [फा०] न्यायालय प्रादि में झगड़ों में लगा |
७ अवसर,मोका। ९ जांभोजी का मन्दिर, स्थल । (विश्नोई) रहने वाला। मुकदमो-पु. [प्र० मुकद्दमः] १ न्यायालय मादि में पेश किया मुकारणी (बी)-देखो 'मूकाणो' (बी)।
जाने वाला कोई विवाद, अभियोग, दावा । २ विवाद का | मुकातर-पु० मोक्ष, मुक्ति ।
विषय । ३ झगड़ा, लड़ाई। ४ एक प्रकार का कर। मुकातागीर-वि० 'मुकाता' की रकम भरने वाला। मुकदम-वि० [अ०] १ प्रधान, मुख्य । २ विशेष, खास ।
मुकाती-स्त्री० १ 'मुकाते' की रकम, माय । २ 'मुकाता' देकर ३ मावश्यक, जरूरी। ४ महत्व पूर्ण । -पु०१ गांव का
भूमि जोतने वाला कृषक । मुखिया । २ अग्र भाग।
मकाती-पु. किसानों से लिया जाने वाला कर । कृषि भूमि का मुकद्दमो-देखो 'मुकदमौ'। मुकदर-पु. [१०] १ भाग्य, प्रारब्ध, तकदीर । २ प्रहश्य ।
एक कर। ३ लुप्त शब्द । -वि० १ मलिन, मैला, गंदा । २ नाराज,
मुकाबली-पु० [अ० मुकाबलः] १ साक्षात्कार । २ पामना-सामना अप्रसन्न । ३ दुःखी, उदास ।
३ समता, बराबरी। ४ लड़ाई, कुश्ती । ५ प्रतियोगिता । मुकन-पु. शत्र, दुश्मन ।
६ टक्कर, मुठभेड़ । ७ तुलना, जोड़। ८ प्रतिस्पर्दा । मुकनौ-पु० १ सफेद बुर्का । २ बिना दांत का हाथी । ३ बिना
९ प्रसल से नकल का मिलान । १० विरोष ।' मूछ का व्यक्ति।
मुकाबिल-क्रि० वि० सम्मुख, सामने, प्रत्यक्ष में, प्रामने-सामने । मुकनौतुरंद (दुरत, हाथी)-पु. छोटे-छोटे दांतों वाला हाथी ।
२ तुलना, जोड़ या टककर में। ३ विरोध में । ४ अपेक्षा मुकम्मल-वि० [अ०] १ सब तरह से तैयार ।२ पूर्ण, सर्वा गपूर्ण।
में। -वि०१ सामने वाला। २ प्रतिद्वन्दी, विरोधी। परिपूर्ण, समाप्त, पूर्णता को प्राप्त ।
३ शत्र । मुकरव-देखो 'मकरंद'।
मुकालबो (पौ)-देखो 'मुकाबलो' । मुकर-वि० [म. मुकर्रर] १ तयशुदा, निश्चित, नियत । मुकावणो (बो)-देखो 'मूकारणो' (बी)।
२ नियुक्त, तैनात । ३ यकीनी, विश्वसनीय । ४ पाबंद। मुकीम-वि० [म.] अस्थाई निवासी, कुछ समय विधाम लेने -क्रि० वि० १ दुबारा, पुनः । २ देखो 'मुकुर'।
वाला । -पु. शाक-सब्जियों का थोक व्यापारी ।
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(
मुकु ंद पु० [सं०] १ ईश्वर, परमात्मा । २ भगवान विष्णु का एक नामान्तर । ३ श्रीकृष्ण । ४ नवनिधियों में से एक। ५ एक प्रकार का रत्न ६ पारा, पारद । ७ सफेद कनेर । ८ ढोल विशेष । ९ मुक्तिदाता । १० एक प्राचीन राजा । मुकुंदक - पु० [सं०] १ व्याज । २ साठीधान । मकुदि- देखो 'मुकुंद' |
मुकुट पु० [सं०] १ राजा-महाराजा, देवी-देवता, देव प्रतिमाओं के शिर का ताज, किरीट २ किलंगी । ३ शिखर, शृंग | ४ एक क्षत्रीय वंश । - वि० उत्तम, सर्वोत्तम । मुकुरबंध (ब) पु० १ राजाओंों में श्रेष्ठ राजा । २ संन्यासी । मुकुटमण (मरिण) - वि० सर्वश्रेष्ठ, उत्तम । मुकुटसप्तमी [स्त्री० [जैनियों का एक व्रत।
-
मुकुटि, मुकुटी - वि० १ जो मुकुट धारण किये हो, मुकुटधारी । २ देखो 'मुकुट' ।
मुकुटेस्वर - पु० [सं० मुकुटेश्वर ] १ एक शिव लिंग विशेष । २ एक तीर्थं विशेष ।
३९० )
-
मकुट्ट देखो 'मुकुट'। मुकुनो-देखो 'मुकनी' ।
मकुर - 9० [सं०] १ दर्पण, शीशा, ग्राइना, काच । २ श्रविकसित फूल, कली । ३ बकुल वृक्ष विशेष । ४ बेर। ५ कुम्हार के चाक का डंडा ।
कुछ पु० [सं०] मुकुलं] १ शरीर, देह २ जीवात्मा, मात्मा । ३ पृथ्वी । ४ कली । ५ जमाल गोटा । ६ गुग्गुल । मुकुलित वि० [सं०] मुकुलित] १ अधखिला २ कलियों से युक्त । ३ खिला हुधा । ४ शोभायमान, शोभित ।
मुकेस मुकेस - पु० [अ० मुक्कैश ] १ सोने, चांदी प्रादि के चौड़े तार । २ ऐसे तारों का बना वस्त्र, बादला । मुक्क-१ देखो 'मुक्त' २ देखो 'मूक' ३ देखो 'मुख' । मुस्करणों (ब)- देखो 'मूकरणी' (बौ)।
मुक्कामाळ - देखो 'मुक्ता माळ' ।
मुक्कनी देखो 'मुरुनो' । मुक्करांणी-देखो 'मुकरांणी' । मुक्काम - देखो 'मुकांम' ।
मुक्की स्त्री० [सं० मुष्ठिका ] १ मुट्ठी २ मुट्ठी का प्रहार । मुक्केबाज - वि० १ मुष्ठिका प्रहार में दक्ष । २ मुष्ठिका मारने वाला । ३ बोक्सर ।
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मुक्ता वळ
मुक्खि (क्खी ) - १ देखो 'मुख' । २ देखो 'मुक्ति' । मुक्त - वि० [सं०] १ जो बंधन में न हो, खुला, स्वतंत्र । २ जो पराधीन न हो। ३ सामाजिक या पारिवारिक दायरों से बाहर, समाज से तटस्थ । ४ पुनर्जन्म से छूटा हुप्रा । ५ कैद से बाहर । ६ त्यागा हुआ । ७ कार्य या उत्तरदायित्व से बरी, निवृत्त । ८ प्रदत्त । ९ गिरा हुमा १० देखो 'मुक्ति' । मुलकंठ वि० [सं०] १ स्पष्टवादी खुली बात कहने वाला।
२ निर्भीक वक्ता । ३ जोर से बोलने वाला । ४ निस्संकोच । मुक्तक- पु० [सं०] १ फुटकर कविता या छंद । किसी विषय या
भाव विशेष की कविता या छन्द । २ छोटे वाक्यों का सरल गद्य । ३ 'गणों' से मुक्त कविता । ४ प्राचीनकाल का एक शस्त्र ।
मुक्तक- वि० [सं०] उदार, दानी मुक्तक्षेत्र देखो 'मुक्तिक्षेत्र' । मुक्त-पु० मोती।
मुक्रख ( स ) पु० [सं०] १ मोक्ष को प्राप्त पुरुष, मुक्ति प्राप्त आत्मा । २ संसार से विरक्त पुरुष ।
मुक्तमाळ (माळा) देखो 'मुक्कामाळ' |
मुक्तवसन - वि० निर्वसन, नंगा, दिगम्बर। स्त्री० जैन यतियों का एक भेद ।
मुक्तवेणी - स्त्री० पृथ्वी, धरती । मुक्तहस्त - देखो 'मुक्तकर' ।
मुक्ता स्त्री० [सं०] १ मोती २ वेश्या रंडी पर्याप्त |
बहुत
मुक्ताग्रहजथा - स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक विधि । मुक्ताग्रह जुगबंध जथा स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक अन्य विधि । मुक्ताचर- पु० हंस
मुक्ता चूड़क पु० एक प्राभूषण विशेष । मुक्ताप्रसू - पु० [सं०] सीप ।
मुक्ताफळ- पु० [सं०] मुक्ताफलं] १ मोती २ कपूर ३ छोटा लिसोड़ा ४ लक्नीफल, हरफा, रेवरी ५ नगीना, रत्न । मुक्काम (भी) पु० हंस, मराल ।
मुक्तामाळ - स्त्री० [सं० मुक्तामाल ] मोतियों का हार, माला । मुक्तामुक्त पु० एक शस्त्र विशेष
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मुक्केबाजी [स्त्री० [१] मुक्के मारने का कार्य २ बोक्सिय प्रति मुक्ताकार पु० एक ग्राभूषण विशेष ।
योगिता ।
मुक्तासर - [स्त्री० [सं० मुक्ता लतिका] मोतियों का हार मुकौ पु० १ प्रहार के लिये तैयार मुष्ठिका । २ घूसे का मुक्तावळ, मुक्तावळि (ळी) - स्त्री०
प्रहार ।
[सं० मुक्ता अवलि] १ मोतियों की माला, हार । २ डिंगल का एक छन्द विशेष | ३ एक प्रकार की तपस्या, साधना । (जैन) ४ प्रायश्चित | (जैन)
मुखम-देखो 'गमन'। मुक्खहल - पु० [सं० मोक्ष-स्थल ] वैकुण्ठ, मोक्षधाम ।
1
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बक्ताहक
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मुक्ता देखो 'मुक्ता'।
1
मुक्ताहार - पु० [सं०] मोतियों का हार (माला) | मुक्ति, मुक्ती० [सं० मुक्ति] १ मुक्त करने को किया या भाव २ बंधन से छुटकारा, प्राजादी । ३ श्रात्मा का जन्ममरण से छुटकारा, मोक्ष निर्वाण ४ दैहिक व भौतिक कष्टों से छुटकारा, मृत्यु मौत ५ कार्य या उत्तरदायित्व से निवृत्ति । ६ जेल, कैद से छुट्टी । ७ त्याग ८ फेंकना क्रिया । ९ मुक्ति की पांच प्रवस्थाएं होती हैं१ सालोक्य । २ सामीप्य । ३ सारूप्य । ४ साष्टि । ५ सायुज्य । - क्षेत्र- पु० काशी, वाराणसी। वकुलारण्य नामक तीर्थपुरी-स्त्री० बँकुण्ड पुरी ।
( २११ )
मुक्त स्वर-पु० [सं०] मुक्तेश्वर]] एक शिव लिंग विशेष मुखढ़ि पु० एक शस्त्र विशेष ।
मुख- पु० १ प्राणियों के शरीर का, खाने-पीने, बोलने, बात करने प्रादि क्रियाsों वाला अंग, मुंह । २ शक्ल, सूरत, चेहरा । ३ द्वार, दरवाजा । ४ विवर । ५ थैले, बर्तन आदि का खुला भाग । ६ ऊपरी शिरा, छोर । ७ नोक ८ श्रागे का हिस्सा अग्रभाग ६ हाव-भाव, प्रकृति । १० गर्दन के ऊपर या आगे का भाग । ११ पक्षी की चोंच वि० [सं०] मुख्य] १ मुखिया प्रधान धदा २ खास विशेष - क्रि० वि० ३ सामने, भागे, सम्मुख – प्रग्न- पु० प्रधर, श्रोष्ठ, होठ । अग्रभाग ।
मुखक - देखो 'मूसक' ।
मुखखुर - पु० [सं० मुखः + खुरः ] दांत |
मुखधक पु० [सं०] प्याज
मुख- देखो 'मुयाय' । मुखग्ग
मुखड़ौ-देखो 'मुख' ।
मुखचबु-पु० चार मुख वाला, ब्रह्मा, चतुरानन । मुखवीरी-स्त्री० [१०]] बिह्वा, जीम
मुखवा स्त्री० सुपारी ।
मुखचपळता - स्त्री० १ बकवाद, वाचालता । २ कटु भाषण । ३ लबारपन ।
मुखपेटिका स्त्री० [सं०] थप्पड़ ।
मुखन पु० [सं०]] बाह्य
मुखजबानी - वि० कंठस्थ
मुखतार - वि० [प्र० मुख्तार ] १ प्रतिनिधि एजेण्ट | २ किसी
कार्य के लिये अधिकृत । ३ स्वतंत्र, प्राजाद, स्वच्छन्द | पु० १ किसी जागीर का व्यवस्थापक । २ छोटी अदालतों का वकील | - ग्राम-० समस्त कार्यों के लिये अधिकृत प्रति
मुखपूर पु० [सं०] कुल्ला, घाचमन मुखप्रिय पु० [सं०] संतरा, नारंगी । मुखबंध पु० [सं०] भूमिका प्रस्तावना ।
मुखबंधन - पु० [सं०] १ ढक्कन, प्रावरण । २ भूमिका । मुखबर, मुखबिर पु० [प्र० मुखिबर ] गुप्तचर, जासूस ।
मखचंग - पु० एक प्रकार का वाद्य । मुखचपळ-वि० [सं० मुखचपल ] १ वाचाल, बकवादी । २ कटु मुखबरी, मुखबिरी स्त्री० १ गुप्तचरी, जासूसी । २ मुखबिर वक्ता । ३ लबार, बातें बनाने वाला |
का पद ।
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निधि-पास पु० किसी कार्य विशेष के लिये अधिकृत प्रतिनिधि ।
मुखतारकार- वि० [०] किसी कार्य की देख-रेख करने वाला। मुखतारकारी- देखो 'मुखतारी' ।
मखतारनामो पु० [०] १ किसी को किसी कार्य के लिये अति करने का लेख पत्र अधिकार-पत्र २ प्रतिनिधि का नियुक्ति पत्र
मुखतारी. मुखत्यारी- स्त्री० [प्र०] १ 'मुखतार' होने की दशा या भाव, प्रतिनिधित्व । २ 'मुखतार' का कार्य या पद । ३ कानून की एक परीक्षा विशेष । मुखतिवार, मुखत्यार देखो 'मुखतार' | मुखदरस ५० शीशा, दर्पण, काच मुखदीप(न) - पु० दांत दसन मुखदूसरण - पु० [सं० मुख दूषण ] प्याज । मुखधोवरण- वि० १ कड़वा, कटु । २ स्वावहीन । ३ श्रप्रिय, कटु । मुखनस, मुखन्नस पु० [० मुखन्नस] १ हिजड़ा, नपुंसक । २ कायर, डरपोक ।
"
मुखपट पु० [सं०] १ घूंघट । २ नकाब | मुखपति - देखो 'मुहपति' ।
मुखम्मल
मुखपाक-पु० मुंह का एक रोग । मुखपंड - पु० [सं० मुख्यपिंड ] १ मृतक के पीछे किया जाने वाला प्रमख पिण्ड दान २ कौर ।
मुखबास-पु० [स०मुख वास] १ भोजनोपरान्त मुख शुद्धि के लिये खाया जाने वाला सुगंधित पदार्थ । २ पान, ताम्बूल । मुखविख्य-पु० बड़ा चमगादड़
मुखमा पु० तोता, कीर
मुखमिट्ट - देखो 'म' हमीठी' ।
मुखमुली - देखो 'मखमली' ।
मुखम्पल देखो मखमल'
मुखमंडल (न) - पु० १ पान । २ चौसठ कलाओं में से एक । मुखमल पु० १ पुष्प, फूल २ देखो 'मखमल' । मुखमली, मुखमलू- - देखो 'मखमली' | मुखमहल देखो 'मखमल',
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मुखर
मुखरिका, मुखरी स्त्री० [सं०] लगाम, बागडोर । मुखरिन वि० [सं०] सब्दायमान, ध्वनिमान । मुखरूप - पु० अधर, श्रोष्ठ, होठ ।
-
मुख- देखो 'मुख
- स्त्री०
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मुखर - पु० [सं०] १ प्रधान, पुरुष । २ शंख । ३ नेता । ४ नूपुर । ५ कौवा, काक ६ मुख, चेहरा ७ शब्द दि०१ बातूनी वाचाल । २ रुमझुम शब्द करने वाला । ३ द्योतक, प्रकाशक । ४ कटुभाषी । ५ उपहास करने वाला, मजाकिया । ६ मुख्य, प्रधान । मुखरातळ - स्त्री० १ दुर्गा, देवी । २ एक मांसाहारी पक्षी । मुखीयो-१ देखो 'मुखियौ' । २ देखो 'मूसक' । ३ रक्त वर्ण मुख । मुख, मुख - १ देखो 'मुख' । २ देखो 'मुख्य' ।
मुख्य मुख की शोभा, मुख की कांति।
मुचबाद-पु० बहस, विवाद
मुखवास देखो 'मुखवास।
( ३६२ )
मुखनासिरी (नी ) - स्त्री० सरस्वती, शारदा । मुखवीला [स्त्री० एक वाद्य विशेष ।
मुखसंभव पु० ब्राह्मण, द्विज । मुखसिखसंधि-स्त्री० ललाट, भाल ।
मुखसोस पु० [सं०] मुख शोष] मुख सूजन का एक रोग मुखस्राव - पु० [सं०] थूक, खंखार |
मुखस्री-स्त्री० [सं० मुखश्री ] मुख की शोभा, कांति । मुखांरण - पु० १ मोक्ष, मुक्ति । २ देखो 'मुकांरण' । मुखा देखो 'मुख' ।
मुखांगळ - पु० [सं० मुख लांगल] सूधर, शूकर ।
मुखले १० [सं०] १ मुख शोभा के लिये किया जाने वाला मुख्यता स्त्री० [सं०] खाशियत प्रधानता विशेषता अगुवाई
नेतागिरी ।
लेपन । २ मुंह का एक रोग ।
मुखाग्नि स्त्री० [सं० मुख-प्रग्नि] १ दावानल । २ यज्ञीय अग्नि । ३ दाह संस्कार की अग्नि । ४ भागिया वेताल । मुखाग्र - वि० [सं०] जो जबानी याद हो, कंठस्थ । -क्रि० वि० सम्मुख, सामने, धागे ।
मुखाधाय पु० मुख से बजने वाला वाद्य विशेष अलगोजा । मुखात वि० मौखिक, जबानी ।
मुखातर- देखो 'मुकातर' ।
मुखानि ० [ मुख निल] स्वास सोस
-
।
मुखामुख, मुखामुखि- क्रि० वि० १ सम्मुख भागे, प्रत्यक्ष, प्रगट । २ मुंह के सामने, चौड़े में । ३ एक दूसरे के देखादेखी । मुखारबंब, मुखारबिंद - पु० [सं० मुख-अरविंद ] कमल की तरह खिला हुआ मुख, सुन्दर मुख । मुखालिफ - वि० [अ०] १ विरोधी, शत्रु । २ प्रतिस्पद्ध, प्रतिपक्षी । मुखालिफत स्त्री० १ शत्रुता विरोध २ प्रतिस्पर्द्धा । मुखि- १ देखो 'मुख' । २ देखो 'मुख्य' ।
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मुखियौ - वि० [सं० मुरूप ] १ प्रधान, मुख्य, खास । २ नेता, अगुवा । ३ अग्रगण्य ।
मुखी - वि० १ मुख वाला। २ विशेष दिशा में या भवस्था में मुख रखने वाला । ३ किसी घोर प्रवृत्त हुवा हुधा । ४ देखो 'मुख्य' । ५ देखो 'मुख' ।
मुख्तसर - वि० [अ०] १ संक्षिप्त । २ सार, रूप, न्यून थोड़ा ।
मुख्य वि० [सं०] १ जो सब से ऊपर हो, उच्चतम श्रेष्ठ । २ प्रधान, खास, प्रमुख । ३ महत्वपूर्ण, प्रावश्यक । ४ अगुवा नेता, अग्रगण्य ।
मुख्यपति-पु० चूहा, मूषा । मुख्यो- देखो 'मुखियौ' । मुगंध - देखो 'मुग्ध' । मुग-देखो 'मू'द' | 'मग' मुगउ - देखो 'मूक' ।
मुगट- देखो 'मुकुट' ।
मुगटजथा स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक विधि ।
भुगताळा
मुगटधर पु० [सं०] मुकुटधारिन्] मुकुट धारन किया हुआ कोई राजा, देवी-देवता या प्रतिमा ।
मुगटबंध - देखो 'मुकुटबंध' ।
मुगटमण (मरण, मरणी) - देखो 'मुकुटमणि' । मुगटियो- देखो 'मुकुट' ।
मुगतकंठ- देखो 'मुक्तकंठ' | मुगलक देखो 'मुक्तक' । मुगतज - देखो 'मुक्तज, । मुगतपुरी- देखो 'मुक्तिपुरी' । मुगतफळ - देखो 'मुक्ताफळ' । मुगतबसन- देखो 'मुक्तवसन' । मुगतमाळ-देखो 'मुक्तामाळ' । मुगता- देखो 'मुक्ता' ।
मुमताजा देखो 'मुक्ताग्रह्जया' मुगताचर - देखो 'मुक्ताचर' । मुगाचाळ पु० हंस
मुगटी - पु० १ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । २ देखो 'मुकुट' । मुगत - स्त्री० १ पृथ्वी । २ मोती । ३ प्राभूषण, अलंकार, भूषण । ४ देखो 'मुक्त' । ५ देखो 'मुक्ति' ।
मुगताफळ - देखो 'मुक्ताफळ' । मुगतामली-देखो 'मुक्ताभक्षि' । मुक्ता माळ-देखो 'मुक्तामाळ' |
मुगताळा, मुगतावळि, मुगतावळी- देखो 'मुक्ताबळी' ।
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मुगताहळ
( ३९३ )
मुचरणों
मुगताहळ-देखो 'मुक्ताफळ'।
मुग्धा-स्त्री. [सं०] १ साहित्य में एक प्रकार की नायिका । मुगति-१ देखो 'मुक्ति'। २ देखो 'मोती'।-खेत 'मुक्तिक्षेत्र'। २ सुकुमारी, तरुणी, नव यौवना । ३ स्त्री, महिला। मुगतिसिला-स्त्री० [सं० मुक्ति-शिला] स्वर्ग से ऊपर एक स्थान | मुग्धापण (न)-पु० [सं० मुग्धत्व] मुग्धा होने की अवस्था या विशेष । (जैन)
भाव । मुगती-१ देखो 'मुक्ति' । २ देखो 'मोती'।
मुस-स्त्री० [सं० मुच्] १ हाथ-पांव, संधिस्थलों मादि पर माने मुगतीक-देखो 'मोती'।
वाली मोच । मुगते-क्रि० वि० मुक्ति को, मोक्ष को।
मुड़क-स्त्री. १ मुडने की क्रिया या भाव। २ लचीलापन । मुगतेसर-देखो 'मुक्तेस्वर'।
३ नरमी । ४ देखो 'मुड' । मगत्त-१ देखो 'मुक्त' । २ देखो 'मुक्ति' ।
मुड़कणी (बौ)-देखो 'मुड़णो' (बो)। मुगबर-पु० [सं० मुग्दर] १ व्यायाम के काम का एक पत्थर | मुक-देखो 'मुड़क'। विशेष । २ व्यायाम के काम की मोटी लकड़ी, मोगरी।। मुड़क्करणो (बौ)-देखो 'मुडणी' (बौ)। ३ गदा।
मुद्रणो(बी)-क्रि० [सं० मुरणं] १ सीधी वस्तु में बल पड़ना, मुगवल्ल-पु. शस्त्र विशेष ।
टेढ़ा या तिरछापन प्राना, झुकाव या घुमाव पाना । २ नोक मुगध-पु० बलराम का एक नामान्तर । -वि. १ छिपा हमा, टेढ़ी होना। ३ चलते-चलते पीछे या अन्य दिशा में धूम ___गुप्त । २ देखो 'मुग्ध' । ३ देखो 'मुग्धा'।
जाना । ४ लौटना, वापस पाना, पलटना। ५ पराड्.मुख मुगधता-देखो 'मुग्धता' ।
होना, विमुख होना, पृष्ठ फेरना । ६ शरीरांग घुमाना । मुगधप्रिय-पु० [सं० मुग्ध-प्रिय] शराब, मदिरा।
७ टेढ़ा होना, सीधा न रहना। करवट बदलना । मुगधबुद्धि (बुद्धी)-देखो 'मुग्धबुद्धि'।
६ घुमाव लेना । १० विमुख या विरुद्ध होना। ११ पीछे मुगधा-देखो 'मुग्धा'। -पण, पन='मुग्धापन' ।
हटना, खिसकना । १२ छिन्न-भिन्न या अस्त-व्यस्त होना। मुगपटण-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
१३ गिरना, पड़ना। १४ सलवट पड़ना । मुगरब-देखो 'मगरेब'।
मुड़वासंख, मुड़वासिंगी, मुड़वासिघी-देखो 'मुरदासिंधी' । मुगराटी-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र ।
मुगियो-देखो 'मुरदो'। मुगळ (ल)-पु० [म. मुगल] (स्त्री० मुगलण, मुगलांणी) | मुडदियौ-बुखार-पु० जीर्ण ज्वर ।
१ मुसलमान, यवन । २ मुसलमानों का एक वर्ग। ३ तुर्क। मुड़दौ-देखो 'मुरदो। ४ तुर्कों की एक शाखा । ५ मंगोल देश का निवासी। मुडारणो (बी), मुड़ावणी (बौ)-क्रि० १ सीधो वस्तु में बल ६ पवन, हवा । ७ देखो 'मदकल'।
पटकना, टेढ़ा करना, तिरछा करना । झुकाना, घुमाना। मुगलाणी-वि० १ मुगलों का, मुगल संबंधी। २ मुगल जाति या २ नोक टेढ़ी करना । ३ चलते हुए को पीछे मोड़ना, दिशा वर्ग का। -स्त्री० मुगल स्त्री।
परिवर्तन करना। ४ लौटाना, वापस करना, पलटाना । मुगलाराव-पु. मुसलमान बादशाह ।
बुलाना। ५ विमुख या विरुद्ध करना, पृष्ठ फेराना । मुगळी-वि० १ मुगलों की, मुगलों संबंधी। २ देखो 'मुगल'। ६ शरीरांग घुमवाना । ७ टेढ़ा कराना । ८ करवट बदलाना । मुगलेस-पु० मुगल बादशाह ।
९ घुमाव देना । १० पीछे हटाना, खिसकाना । ११ छिन्नमुगल्ल, मग्गळ, मुग्गुल-देखो 'मुगल'।
भिन्न या अस्त-व्यस्त करना। १२ गिराना, पटकाना । मुग्ध-वि० [सं०] १ नया, नवीन । २ मोहित, मासक्त, लुब्ध । १३ सलवट पटकना।
३ अनजान, भोला, नादान । ४ सरल, सीधा-सादा। मुड़ासौ-पु० १ शिर पर बोझा उठाने के लिये किसी वस्त्र ५ स्तब्ध, भौचक्का । ६ मूर्ख, मूढ़, अज्ञानी। ७ मस्त, की बनाई जाने वाली चकरी जो बोझे के नीचे शिर पर मतवाला । ८ मद मस्त । ९ मनोहर, सुन्दर ।१० निरीह ।
रखी जाती है । २ साफा। ११ पागल । १२ एक गण विशेष ।
मुडीयरण-पु०मुड़ने वाला, भागने वाला। मुग्धता-स्त्री० [सं०] १ मुग्ध होने की अवस्था या भाव ।
मुडो-१ देखो 'मुरदौ' । २ देखो 'मुड्डो' । २ मूढ़ता, मूर्खता, पागलपन । ३ नादानी। ४ सुन्दरता, मुचकंव, मुचकंध मुचकुर, मुचकुध-देखो 'मुचुकंद' । मनोहरता। ५ सरलता, सादगी।
मुचकोड़ो (बी)-देखो 'मचकोळणी' (बी)। मुग्धबुद्धि-वि० [सं०] १ बुद्धि रहित, मूढ, मूर्ख । २ सीधा-सादा, मुचरणो (बो)-क्रि० [सं० मुच्] १ किसी पात्र में मोच पाना, भोला-भाला । ३ पागल ।
किसी वस्तु का मोच खाजाना, बनावट में गड्ढे या झुकाव
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मुचत
( ३९४ )
मुख
पा जाना । २ छूटना, अलग होना । ३ स्यागना । मुझारणी (बो)-देखो 'मुरझाणी' (बो)। मुचत-स्त्री० छोड़ने की क्रिया या भाव ।
मुसारि-क्रि० वि० [सं० मध्यागारे] बीच में, मध्य में। मुचळको-पु० [तु० मुचल्का न्यायालय द्वारा अभियुक्त से लिख- | मुनि-१ देखो 'मुझे' । २ देखो 'मुझे। ____ वाया जाने वाला प्रतिज्ञापत्र ।
मुझे, मुझ-सर्व० [प्रा० मज्झम] कर्म और सम्प्रदान में होने मुचिर-पु० [सं० मुचिर] १ देवता। २ पवन, हवा । ३ गुण ।। वाला 'मैं' का रूप, मुझको, मुझ से । ४ भलाई।
मुटकरणो-वि० [सं० मटकन् बड़।। मचुकंद, मचकुद-पु० [सं०] १ इक्ष्वाकुवंशीय एक सुविख्यात | मुटकारणो (बौ)-क्रि० [सं० मुट्] १ बोलना, कहना, बात राजा । २ एक वृक्ष विशेष ।
करना। २ भर्त्सना करना, फटकारना। ३ कुचलना, मुच्छ-१ देखो 'मूछ' । २ देखो 'मूछौ'।मुड, मुडौ 'मूछमुडी। पीसना। मच्छित, मुग्छिय-देखो मुरछित'।
मुटबोलो-वि० १ बढ़-बढ़ कर बातें करने वाला । २ झूठो शेखी मुछंदर-१ देखो 'छंदर'। २ देखो 'मछंदर'।
बघारने वाला। मुछ, मुछार-देखो 'मू छ' ।
मुटाव-पु० १ तनाव, खिचाव । २ दूर, दूरस्थ होने की अवस्था । मुछाळ, मुछाळी, मुछियळ-१ देखो 'मूछाळ' । २ देखो 'मूछ' । मुट्ठी-स्त्री० [सं मुष्टिका] १ अंगुलियों को समेट कर बनाई गई मुछि-देखो 'मूछ' ।
हाथ की मुद्रा । मुष्टिका । २ उक्त मुद्रा में समाने वाली मुज-देखो 'मुझ'।
वस्तु की मात्रा। ३ मुष्टिका का धीरे-धीरे प्रहार । मुजनस-पु० घोडा, अश्व ।
४ शरीरांग को हाथों से दबाने की क्रिया या भाव । मजब, मजब्ब-क्रि० वि० १ अनुमार. मुताबिक, माफिक। मठकाचर-पू० मुष्टिका में समाने लायक छोटी ककड़ी, बड़ा २ तरह से, प्रकार से, भ'ति से। ३ अनुरूप, तुल्य ।
___ काचर। मजरउ-देखो 'मजरी'।
मुठड़ी-१ देखो 'मुट्ठी' । २ देखो 'मूठड़ी। मजराई, मुजरायत-वि० किसी राजा या रईस को अभिवादन
| मुठभेड़-स्त्री. १ सामना । २ साक्षात्कार, भेंट । ३ दो पक्षों की करने वाला। -पु. १ अभिवादन करने वाला व्यक्ति ।
लड़ाई, टक्कर । ४ प्रतिस्पर्धा, होड़। २ मुजरा करने वाला कर्मचारी।
मुठांगो-पु० तरकस, तूणीर । मुजरिम-पु० [अ०] १ अभियुक्त, अपराधी । २ जिस पर अपराध
मुठांणी-स्त्री० तलवार । लगाया जाय।
मुठाणौ (बो), मुठावणो (बो)-क्रि० तलवार पकड़ना । मुजरी-पु० [अ० मुज्रा]१ किसी राजा या रईस या को किया जाने
मुठियो, मुठीयो-देखो 'मूठियो' । वाला अभिवादन । २ अभिवादन । ३ वेश्या द्वारा गाया जाने वाला एक गाना विशेष । ४ एक लोक गीत विशेष ।
मुठो-देखो 'मुट्ठी'।
मुडक-देखो 'मुड़क'। ५ राज दरबार में उपस्थिति का एक भाव ।
मुडपो (बो)-देखो 'मुड़णो' (बो)। मुजलो-देखो 'मिजलो'।
मुडियांण-पु० मृगों की एक जाति व इस जाति का मुग। मुजवर-देखो 'मुजावर'।
मुडियाळ-पु० [देश॰] डिंगल का एक गीत या छंद। .. मुजाब-देखो 'मुजब'।
मुडियो-पु.१ सीमा पर गढ़ा पत्थर । २ देखो 'मुडियो' । मुजायद-देखो 'मुजाहिद'।
मुडुध-देखो 'मुकुटबद्ध'। मुजावर-पु० [अ० मुजाविर] । पीर की दरगाह पर रह कर
मुड्डो-पु. १ कुर्सी । २ सरकंडों की बनी कुर्सी या प्रासन । सेवा करने वाला मुसलमान । २ पड़ोसी।
३ मूज की बनी चौकी, पीढ़ा। मुजेवड़ी, मुजोबड़ी-देखो 'मुजेवड़ी। मुज्ज, मुज्म, मुमो-देखो 'मुझ' ।
मुड्ढो-देखो 'मुडी'। मुजिमम-देखो 'मध्यम'।
मुढ-देखो 'मूढ'।
मुढलो-देखो 'मुड्डी'। मुझ-सर्व० [सं० मह यम्] १ स्वयं के लिये प्रात्मवाची सर्वनाम
मुढेस-देखो 'मूढेस'। मैं। २ मेरा, मेरी, मेरे । ३ स्वयं, खुद ।- क्रि० वि०४ मेरे
मुढौ-देखो 'मूडो'। लिये । -पु० अपनत्व ।
मुद्दड-देखो 'मूढ'। मुसमानी-देखो 'मिजमांनी'।
मुण-१ देखो 'मुनि' । २ देखो 'मून'।
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मुणगो
मदिर
मुणणौ (बी)-क्रि० स० मुण] १ कहना, बोलना, कह कर मुताहळ-देखो 'मुक्ताफळ' ।
सुनाना । २ वर्णन करना । ३ सुमिरन करना, ध्यान करना। मुति-देखो 'मुक्ति'। ४ मनन करना । ५ प्रतिज्ञा करना । ६ पुकारना, पुकार | मुत्तफिक-वि० [अ०] जो सहमत हो, राजी हो । कर कहना । ७ रचना, रचना करना । ८ गुन-गुनाना, मुत्ता-देखो 'मुक्ता' -हळ, हळि = 'मुक्ताफळ' । गुजन करना । ९ जानना ।
मुत्ति-१ देखो 'मुक्ति' । २ देखो 'मोती'। मुणस-देखो 'माणस'।
मुसिमाग-पु० [सं० मुक्ति-मार्ग] मुक्ति का मार्ग, तपस्या, मुणाळ-पु० [सं० मृणाल] १ कमल । २ कमल की नाल । साधना । भक्ति। ३ कमल की जड़ । ४ हंस ।
मत्तियदाम-देखो 'मोतियदाम' । मुरिणद-देखो 'मनींद्र'।
मुत्ती-१ देखो 'मुक्ति'। २ देखो 'मोती'। मणि-देखो 'मुनि'।-पवर = 'मनिप्रवर'।-वर : 'मनिवर'। मुत्सदी, मुत्सही-देखो मतसद्दी। मुणिस-पु० युद्ध।
मुथकदा-पु० फलित ज्योतिष में एक योग । मुगिसगुर-पु० योद्धा, सुभट, वीर ।
मुथरा-देखो 'मथुरा। मुरिपसाळ-पु० मानव श्रेष्ठ ।
मुख-पु० [सं०] १ प्रानन्द, हर्ष, मोद । २ उत्साह । मुरणीसर-देखो 'मुनीस्वर'।
मुबई-देखो 'मुद्दई'। मुतअल्लिक-क्रि० वि० [अ०] विषय में, संबंध में ।-पू० नौकर, | मुदक-पु० एक माभूषण विशेष । मुलाजिम । -वि० संबंधित ।
मुदकारी-वि० [सं० मुदकारिन्] प्रसन्न करने वाला। मृतफरकात-स्त्री० [अ० मुतरिकात १ भिन्न-भिन्न, विविध । | मुदग-पु० [सं० मुद्ग] १ मूग । २ ढक्कन । ३ प्राच्छादन, २ फुटकर खर्च की मदें। ३ एक गांव की जमीन के अलग
गिलाफ। अलग खंड।
मुहगर-देखो 'मुगदर'। मुतबळ-देखो 'मतळब'।
मुदत-१ देखो 'मुद्दत' । २ देखो 'मदद' । मतरज्जिम-पु. [प्र. मुजिम] अनुवादक ।
मुदति-१ देखो 'मदद' । २ देखो 'मुदित' । ३ देखो 'मुद्दत' । मुतलक-देखो 'मुतअल्लिक'।
मुदमंगळ-पु० [सं० मुद-मगल] प्रानन्द-मंगल, खुशहाली। मुतळब, मुतलब-देखो 'मुतळब' ।
मुदर-देखो 'मुदिर'। मुतळबियो-देखो 'मतळबी'।
मुदरा-देखो 'मुद्रा'। मुतळबी-देखो 'मतळबी'।
मुदराळ-देखो 'मुद्राळ'। मुतलिक-देखो 'मुतअल्लिक' ।
मुदल-देखो 'मुद्दळ' ।
मुदाम-पु. प्रानन्द का स्थान । मुतसवी, मुतसद्दी-पु० [अ० मुतसद्दी] १ प्रबन्धक, व्यवस्थापक ।
मुदाइत-पु० [अ० मुद्दई] १ उत्तराधिकारी, वारिस, दावेदार । २ मारवाड़ के प्रोसवालों का एक वर्ग। ३ रियासतों में
२ मुखिया, प्रधान । ३. खास, मुख्य । ४ जिम्मेदार, होने वाला एक पद । ४ मुशी, पेशकार, लिपिक । ५ लेखा
उत्तरदायी। कार, गुमास्ता। -खरच-पु. महाराजा भीमसिंह द्वारा
मुदाई-१ देखो 'मुद्दई' । २ देखो 'मुदाइत' । लगाया गया कर विशेष ।
मुवावसिल-पु. मोर के प्राकार का पत्थर । मुताणी (बी)-देखो 'मूताणो' (बी)।
मुदायत-देखो 'मुदाइत'। मताबक, मुताबिक-क्रि० वि० [प० मुताबिक] अनुसार, इस |
मुदायले, मुदायलो-देखो 'मुद्दालेह' । प्रकार से । -वि. सहश्य, तुल्य, बराबर, समान ।
मदार-पु. [प्र. मदार] १ उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी, भार। मुताळब-वि० [अ०] १ तलब करने योग्य; मांगने योग्य ।
२ निर्भरता । ३ माश्रय, सहारा, माधार । २ बकाया, बाकी। -पु० १ मांग ,तकाजा । २ बकाया
मुदाळो-देखो 'मुद्राल'। रकम । ३ प्रार्थना।
मुदित-वि० [सं०] खुश, आनन्दित, प्रसन्न । -पु. १ रतिक्रिया मुतालबी-देखो 'मतलबी'।
में एक प्रालिंगन । २ देखो 'मदद'। मन-वि० प्रसन्नचित । मुतालबी-पु. [म. मुतालब]१ किसी की तरफ बकाया रकम। मुदिता-स्त्री०१ साहित्य में एक परकीया नायिका । २ प्रसन्नता। २ प्राप्त होने योग्य धन ।
मदिर-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ प्रेमी, पाशिक । मतावणो (बो)-देखो 'मूतारणो' (बी)।
३ लंपट व्यक्ति । ४ मेंढक ।
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( ३६६ )
मुधरु
मुदो-देखो 'मुद्दई'।
मुद्रणालय-पु० [सं०] छापाखाना, प्रेस । मुदु-देखो 'म्रदु'।
मुद्रांक-पु० [सं० मुद्रा+अंक] १ भदालतों प्रादि में काम पाने मदेत-देखो 'मुदाइत'।
वाला सरकारी मुद्रांकित-पत्र, स्टाम्प । २ ऐसे कागज पर मुद-देखो 'मुद्दई'।
अंकित मुदा । ३ डाक टिकट । ४ छाप, मुहर (स्टाम्प)। भदौ-पु. [प्र. मुहमा १ अभिप्राय, तात्पर्य, प्राशय। २ उद्देश्य ५ छाप लगाने का चिह्न, उपकरण ।
लक्ष्य । ३ अर्थ, मतलब, भाव । ४ वास्तविकता, असलियत । मुद्रांकित-वि० [सं० मुद्रा+अंकित] १ जिस पर कोई महर, ५ स्वार्थ, गरज। ६ उत्तरदायित्व, भार. जिम्मेदारी। मुद्रा प्रादि अंकित हो । चिह्नित । २ विष्णु के प्रायुधों से ७ प्रबंध । ८ अवसर, मौका । ९ विषय, प्रसंग, संबंध । । चिह्नित । ३ सरकारी स्टाम्प लगा। १० खुलासा, स्पष्टीकरण । ११ मुख्य विषय, विषय का मुद्रा-स्त्री० [सं०] १ मुहर, छाप, सील । २ अंगूठी, छल्ला, मुख्य भाग । १२ निर्भरता ।
मुद्रिका । ३ नामांकित मुद्रिका । ४ पत्र या परवाने पर मुद्गर-पु० [सं०] १ वार व नक्षत्र संबंधी एक योग । २ तक्षक लगाने की छाप । ५ लेन-देन में काम पाने वाले रुपये, पैसे कुलोत्पन्न एक नाग।
नोट प्रादि, करेंसी। ६ बैंक का चक, ड्राफ्ट मादि पत्र। मुद्दई-वि० [म०] १ वादी, दावेदार। २ वारिस, हकदार, ७ कोई सिक्का । ८ पदक, तकमा । ९ चपरास का बिल्ला।
उत्तराधिकारी। ३ प्रधान, मुखिया, अगुवा । ४ प्रमुख, १० मुद्रणालय में छापने के अक्षर। ११ योगियों के कान खास, मुख्य । ५ शत्रु, वैरी। ६ निर्भर, पाश्रित ।
का प्राभूषण विशेष । १२ शरीर पर अंकित विष्णु मायुधों मुद्दका-देखो 'मुद्रिका'।
के चिह्न। १३ मुह पर बदलते भावों का प्रभाव । १४ हाथ मुद्दत-स्त्री० [अ०] १ लेन-देन की निर्धारित अवधि । २ समय, पांव प्रादि शरीरांग की कोई स्थिति । १५ नृत्य का कोई
वक्त, काल । ३ बहुत लंबा समय, दीर्घकाल। ४ देर, भाव । १६ देव पूजन में हायों की कोई विशेष स्थिति । विलंब । ५ देखो 'मदद।
१७ हठ योग में शरीर या ग्रंगों का विन्यास । १८ तांत्रिकों मुद्दति, मुद्दती-वि० १ जिसमें कोई अवधि निश्चित की गई हो। की एक साधना । १९ तांत्रिक गुहय साधनात्रों में वह रमणी २ जो कोई निश्चित अवधि के लिये हो। -पु. एक प्रकार
जो तांत्रिक अनुष्ठानों में सहसाधिक रहती है । २० रहस्य, का बुखार।
भेद । २१ साहित्य में एक अलंकार । महळ-पु. [सं० मर्दलः] १ ऋण का मूल धन । २ एक वाद्य मुद्राजंत्र (यंत्र)-पु० मुद्रणयंत्र । विशेष ।
मुद्रानंदक-पु. एक प्राभूषण विशेष । मुद्दालेह-पु० [अ० मुद्दमामलह] जिस पर कोई दावा या
मुद्रामारग-पु. [सं० मुद्रामार्ग] योगियों का ब्रह्मरंध्र। मुकद्दमा किया गया हो, प्रतिवादी।
मुद्राळ-वि. कान में मुद्राधारी, मुद्रावाला ।-पु. नाथ सम्प्रदाय मुद्दी, मुद्दे, मुद्दे-देखो 'मुद्दई'।
___ का योगी। मुद्दो-देखो 'मुदी'। मुख-पु० [सं० मूर्धन] १ मस्तक, शिर। २ मुंड, कटा हुआ
| मुद्राळी-स्त्री० १ दुर्गा, महाकाली । २ हठयोग में अंग विन्यास । शिर । ३ देखो 'मुग्ध'।
३ महादेव, शिव । ४ नाथ सम्प्रदाय का योगी। ५ महात्मा। मुखरो-देखो 'मधुर'।
-वि० जिसने मुद्रा धारण की हो। मुद्र-पु. १ पुरुषों की बहत्तर कलामों में से एक। २ देखो मुद्रिका-स्त्री० [सं०] १ अगूठी, छल्ला। २ हाथों की एक ___ 'मद्र' । ३ देखो 'मुद्रिका'।
स्थिति। ३ योगियों की कर्ण मुद्रा। ४ सिक्का, नोट । मुद्रक-पु० [सं०] १ मुद्रणालय या छापाखाने का कर्मचारी,
५ छाप, मुहर । ६ छाप वाली अंगूठी।। अधिकारी। २ छपाई करने वाला। ३ किसी प्रेस का मुद्रित-वि० [सं०] १ छपा हुमा, छापा हुमा । २ चिह्नित, मालिक । ४ एक प्राभूषण विशेष ।
चिह्नांकित । ३ मोहर बंद, मुहर लगा हुमा। ४ रुका मुद्रका-देखो 'मुद्रिका' ।
हुमा, बंद। ५ त्यागा हुमा, छोड़ा हुप्रा । ६ विकसित,
अनखिला। मुद्रड़ी, मृद्रगडी-देखो 'मूदड़ी' । मुद्रण-पु० [सं०] १ छपाई का कार्य, छापाखाने का कार्य । गुहा
मुद्री-१ देखो 'माद्री' । २ देखो 'मुद्रिका'। २ वस्त्रों की छपाई, रंगाई। ३ चिह्नांकन । -यंत्र -पु० मुधप-देखो 'मधुप'। छपाई का कोई यंत्र ।
मुधर, मुधरू, मुधरौ-१ देखो 'मधुर' । २ देखो 'मधरौ'।
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मुधा
( ३६७ )
मुफोद
मुधा-प्रव्य० [सं०] १ व्यर्थ, निरर्थक, फालतू । २ भूल से । | -जण, जन-पु. ऋषि-समाज, मुनिगण। -पट-पु. -वि० झूठ, मषा, असत्य । -स्त्री० प्रसत्यता, झूठ ।
वल्कल। मुधि-१ देखो 'मुग्धा' । २ देखो 'मुग्ध' ।
मुनिपुगव. मुनिप्रवर-पु० [सं०] मुनि श्रेष्ठ, महर्षि, ऋषिराज । मुनंद, मुनंद्र-देखो 'मुनींद्र'।
मुनियंद, मुनियंद्र-देखो 'मुनींद्र। मुन-१ देखो 'मुनि' । २ देखो 'मून'।
मुनियपय-पु० [सं० मुनिपद मुनिपद या उपाधि ।। मुनकलब, मुनकलिब-वि० [म. मुन्कलिब] १ पलटा हुअा, फिरा | मुनिराज (राव)-पु० [सं०] मुनियों में अग्रणी, प्रधान ऋषि ।
हुमा । २ पौधा, उल्टा । ३ अस्त-व्यस्त, उथल-पुथल । मनिवर-पु० [सं०] श्रेष्ठ मुनि। ' मुनकिर-पृ० [म. मुन्कर] मुसलमानों का एक फरिश्ता । मुनिवत-पु० ऋषि-मुनियों के व्रत. तपस्या । मुनक्का-स्त्री० [अ०] मुनक्का दाख । बड़ी दाख ।
मुनिसर, मुनिसह-देखो 'मुनीस्वर'। मुनजन-देखो ‘मुनिजन'।
मुनिसुव्रत, मुनिसुव्रत (जिन)-पु. जैनियों के बीसवें तीर्थकर । मनब्बतकारी-स्त्री० [अ०] लकड़ी पर की गई चित्रकारी। मुनींद्र-पु० [सं० मुनि-इन्द्र] मुनियों में श्रेष्ठ । मुनमय-देखो 'मनमथ'।
मुनी-देखो 'मुनि'। मुनमाळ-स्त्री० [सं० मुनि-माला] मुनियों का समाज, मुनि वृद। मुनाउन-दखी 'उनमुना'। मुनराज-देखो 'मुनिराज'।
मुनीजन-देखो 'मुनिजन'। मुनवर-देखो 'मुनिवर'।
मुनीब, मुनीम-पु० [अ० मुनीब] १ किसी व्यापारी का गुमास्ता;
मुनीम । २ खजांची। ३ प्रतिनिधि । ४ अभिकर्ता। मुनसप, मनसफ, मुनसब, मुनसबत, मुनसम-देखो ‘मनसब' । -वार-'मनमबदार'।
मनीमी-स्त्री. १ मुनीम का कार्य या पद । २ मुनीम का वेतन । मुनसी-देखो 'मुसी'।
मुनीवर-देखो 'मुनिवर'।
मुनीस-पु. [मं० मुनि-ईश] १ मुनियों में श्रेष्ठ, प्रधान । मुनहार-देखो 'मनवार'। मुनावि, मुनावी-वि० [अ०] घोषणा करने वाला। -स्त्री०
। २ नारद मुनि । ३ विष्णु । ४ गौतम बुद्ध । १ घोषणा, ऐलान । २ डुग्गी या ढोल पीटकर दी जाने |
मुनीसर, मनीसर, मुनीसह मुनीसौ-देखो 'मुनीस्वर'।
| मुनीस्वर-पु० [सं० मुनि-ईश्वर] १ मुनियों में श्रेष्ठ व प्रधान । वाली सार्वजनिक सूचना, ढिंढोरा । ३ मौकात, हैसियत। ।
२ बृहस्पति । ३ शुक्राचार्य। ४ नारद । ५ विष्णु। ६ शिव, मुनाफौ-पु. क्रय-विक्रय या व्यापार में होने वाला लाभ ।
महादेव। मुनार, मुनारी-देखो 'मीनार'।
मुनेंद्र-देखो 'मुनींद्र'। मुनाळ-स्त्री. १ एक प्रकार का सुन्दर पहाड़ी पक्षी। २ देखो
मुनेस-देखो 'मुनीस'। ____ 'मुहनाळ'।
मुनेसर, मुनेस्वर-देखो 'मुनीस्वर'। मुमासब, मुनासिब-वि० [अ० मुनासिब] १ उचित, ठीक, | मुफत-देखो 'मुफ्त'। -चोर='मुफ्तखोर'।
वाजिब । २ यथेष्ट, काफी, पर्याप्त । ३ योग्य, काबिल । मुफर-१ देखो 'मुफरेह' । २ देखो 'मुफिर'। मुनितर-देखो 'मन्वंतर'।
मुफरद-वि० [अ० मुफद] १ एक। २ अकेला। मुनिद, मुनिंद्र-देखो 'मुनींद्र' ।
मुफरि-१ देखो 'मुफिर' । २ देखो 'मुफरेह'। मुनि-पु० [सं०] १ महात्मा, तपस्वी, ऋषि, साधक, मौनव्रती,
| मुफरेह, मुफरी-पु. [प्र० मुफरह] एक प्रकार की पौष्टिक ब्रह्मज्ञानी । २ त्यागी, वैरागी साधू । ३ मौनव्रत धारी
औषधि । -वि० उत्साह वर्धक । माघ । ४ नारत । ५ प्रगम्त्य । ६ वेदव्यास । बहादेव।। मुफलिस-वि० [अ० मुफ्लिस] निधन, गरीब, दरिद्र, कंगाल । ८ महन् नामक वसु का एक पुत्र । ९ कुरु राजा के पांच | मुफालसा-स्त्रा० [अ० मुफ्लिसा] निधनता, गरीबी, कंगाली, पुत्रों में से एक। १० रैवत एवं वैवस्वत के सप्त ऋषियों
प्रभाव । में से एक ।११ दश विश्व देवों में से एक । १२ प्रसूत देवों मुफसिल
मुफसिल-वि० [अ० मुफम्सल] १ विस्तार वाला, विस्तृतः में से एक । १३ अमिताभ देवों में से एक । १४ विदेह देश
ब्योरेवार, सविवरण । २ स्पष्ट, सरल । का एक राजा । १५ एक राजा जो द्युतिमान राजा के सात
मुफस्सिर-पु. [४०] भाषाकार, टीकाकार । पुत्रों में से एक था । १६ आम का पेड़ । १७ छप्पय छंद का
| मुफिर-वि० [१०] भागने वाला, पलायन करने वाला । एक भेद । -स्त्री. १८ कश्यप ऋषि की पत्नी। १९ सात | मुफीद-वि० [५०] १ लाभदायक, उपयोगी। २ यथा योग्य, की संख्या*। २० देखो 'मणि' । -चीर-पु० वल्कल । लायक, उपयुक्त । ३ अनुकूल ।
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मुफ्त
[ ३६८ ]
मरमरणी
मुफ्त-वि० [म.] १ जिसका कोई मूल्य या कीमत न हो। मुरगखांनो-पु० मुर्गे रखने या पालने का स्थान ।
२ जो बिना कुछ दिये प्राप्त होता है । ३ बिना मेहनत के | मुरगबाज-पु० [फा०] मुर्गे लड़ाने या खेलाने वाला। मिलने वाला। ४ जो व्यर्थ में जा रहा हो, नष्ट हो रहा मुरगाजी, मुरगाबू-स्त्री० [फा०] १ मुर्गे की जाति का एक हो। ५ भेंट के रूप में लिया-दिया जाने वाला, फ्री। पक्षी, जल-मुर्गा । २ एक प्रकार की तलवार । ३ जूती। ६ प्रकारण, बेसबब ।-खोर-वि. बिना श्रम के कुछ लेने मुरगी-स्त्री० [फा० मुर्ग] मादा मुर्गा । एक पक्षी। या खाने वाला । दूसरों की कमाई व्यर्थ में काम लेने वाला, | मुरगौ-पु० [फा० मुगं] (स्त्री० मुरगी) १ शिर पर किलंगा हरामखोर । जो दूसरों पर भार या बोझा हो।--खोरी- वाला एक नर पक्षी । २ एक चिड़िया विशेष । स्त्री० बिना श्रम के खाने, माल लेने, हरामखोरी करने | मुरड़-पु. १ एक प्रकार की मिट्टी जो चुनाई प्रादि में काम को क्रिया । हरामखोरी की प्रादत ।
पाती है । २ प्रात्म-गौरव, स्वाभिमान । ३ गर्व, अभिमान मुफ्ती-पु. [४०] मुसलमानों का धर्मशास्त्री, धर्माचार्य, घमंड । ४ ऐंठन, प्रक्कड़ । ५ क्रोध । ६ देखो 'मूढ' मौलवी।
७ देखो 'मुड'। मुबारक, मुबारको, मुबारिक-वि० [अ०] १ मंगलमय, शभ. | मुरड़क, मुरडक्क-स्त्री०१ मरोड़ने की क्रिया या भाव । २ मोच कल्याणकारी। २ धन्य, खुश-किस्मत । ३ लाभकारी।
मरोड़, ऐंठन। -स्त्री० बधाई, शुभकामना। -बाद, वाव-स्त्री० बधाई
मुरड़णी (बी)-क्रि० १ मुड़ना, बलखाना, ऐंठना, घुमाना। देने की क्रिया, धन्यवाद । बुश-खबरी। -बादी, वावी
२ कुपित होना, क्रोधित होना, नाराज होना। ३ विरुद्ध, वि० बधाई देने वाला, धन्यवाद करने वाला।
विपरीत होना । ४ पलटना, लौटना, घूमना। ५ भागना, मुबालिग-स्त्री० [अ० मुबालग] १ किसी बात को बढ़ा-चढ़ा
पीछे हटना। ६ अलग हटना, दूर होना, विलग होना । कर कहने की क्रिया या भाव । २ उक्त प्रकार से कही जाने
७ मोड़ना, मरोड़ना, बल देना, घुमाव देना । ८ गर्व करना वाली बात । ३ प्रतिशयोक्ति ।
अभिमान करना । ९ छीनना, झपटना। १० उखाड़ना ।
११ नष्ट करना। मुमकिन-वि० [अ० मुम्किन] संभव, शक्य । मुमानियत-स्त्री० [अ०] मनाही, निषेध, रोक ।
मुरच, मुरचौ-पु. १ चरणग्रंथि, पैर का मध्य भाग। २ टखना
गुल्फ । ३ हाथ-पावों के संधिस्थल । ४ देखो 'मोरची'। मुमारखी-देखो 'ममारखी'।
मुरच्छा, मुरछ-देखो 'मुरछा' । -गत, गति-'मुरछागत'। मुमुक्षा-स्त्री० [सं०] मोक्ष की इच्छा।
मुरछणो (बो)-देखो 'मुरछाणों' (बी)। मुमुक्ष, ()-वि० [सं०] मोक्ष का इच्छुक ।
मुरछळ-वि० १ मूच्छित, बेहोश । २ देखो 'मोरछल'। मुरंगी-वि० मृदुभंगी, कोमलांगी। नाजुक ।
मुरछा-स्त्री० [सं० मूर्छा] १ बेहोशी या संज्ञा शून्य होने की मुर-पु० [सं०] १ एक दैत्य । २ श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया एक अवस्था, प्रचेतनता। २ शिथिलता, कमजोरी।३ प्रमाद,
राक्षस । ३ एक यवन राजा। ४ तीन की संख्या। ५ कोई पालस्य । ४ गश। -गत, गति, गती-वि० बेहोश, तीन । ६ कश्यप व दनु का पुत्र एक राक्षस । ७ वेष्ठन, प्रचेतन, संज्ञा शून्य । घेरा । ८ मृदंग। -प्रव्य० दुबारा, फिर।
मुरछाणौ (यो)-क्रि० [सं० मूर्छनम्] १ बेहोश, मूच्छित या मुरकी, मुरकीय-स्त्री० [प्रा० मुरुक्की] १ पुरुषों के कान का संज्ञा शून्य होना । २ समाधिस्थ होना। ३ ऐन्द्रजालिक
पाभूषण विशेष । २ स्त्रियों के नाक का प्राभूषण विशेष । प्रभाव में माना। ३ सफेद जलेबी, मिष्ठान्न । ४ नुकती, बूंदी। ५ संगीत में मरछावत-वि. मूछित, बेहोश । अचेत । एक विधि । ६ एक प्रकार की गायन विधि । ७ तलवार मुरलित-वि० [स० मूच्छित] संज्ञा-शून्य, बेहोश, मूच्छित । की मूठ की कड़ी विशेष ।
मुरज, मरजा-पु० [सं०] १ मृदंग, पखावज । २ कुबेर की मरको-पु० बड़े व सुन्दर दांतों वाला हाथी ।
पत्नी का नाम । मुरक्की-देखो 'मुरकी'।
मुरजाद, मरजादा-देखो 'मरजादा'। मुरखा-पु० तीन लोक।
मुरजाबी, मरजावीक-वि० [सं० मर्यादिक] मर्यादा में रहने मुरख-देखो 'मूरख'।
वाला। मुरखाई-देखो 'मूरखाई।
मुरजीत-पु० श्रीकृष्ण। मुरग-देखो 'मुरगौ' ।
| मुरमणो (बौ)-देखो 'मुरझाणो' (बो) ।
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मुरझागत
[ ३६६ ]
मुरसिव
-
दयाल
मुरझागत-देखो 'मुरछागत' ।
मुरब्बत-स्त्री० [म. मुरब्बत १ भन मनसाहत, इन्सानियत । मुरमाणो (बो), मुरझावणी (बो)-क्रि० [सं० मूच्र्छन्] २ लिहाज, रियायत । ३ परोपकार, भलाई। ४ शील,
१ कुम्हला जाना, सूखना। खिला हुमा न रहना।२ उदास संकोच । ५ कृपा, अनुग्रह । या म्लान होना। ३ श्रीहीन या कांतिहीन होना । मुरब्बी, मुरब्बी-वि० [अ०] १ माश्रयदाता, संरक्षक । ४ खिन्न होना। ५ कुठित होना। ६ विकल होना । २ पोषक, पालक । ३ सहायक। ४ बड़प्पन रखने वाला, ७ उत्साहहीन या निराश होना। ८ शिथिल या रुग्ण गौरवशाली। ५ प्रधान, मुखिया, अग्रणी। ६ कृपालु,
होना । ९ प्रालस्यमय होना । १० मूच्छित, बेहोश होना। दयालु। मरट-पु० दिश०] १ एक प्रकार का घास । २ देखो 'मरट'। मुरब्बा-पु० [अ० मुरब्बा] १ प्रोवला, सेव प्रादि फलों में मुरड-देखो 'मुरड़े। .
शक्कर की चासनी मिलाकर बनाया गया पाक । २ कृषि मुरणौ (बो)-देखो 'मुरडणी' (बो)।
भूमि का एक माप । ३ कृषि भूमि का एक भाग । ४ चौरस मुरतब, मुरतबी-१ देखो 'मरतब' । २ देखो 'मुरत्तब' ।
वस्तु या क्षेत्र । मुरति, मुरतो-देखो 'मूरति'।
मुरभवरण (न)-पु० तीन लोक, त्रिलोकी।-पति-पु०श्रीविष्णु ।
मुरभूम-देखो 'मरुभूमि' । -भाखा, भासा-'मुरधरभासा' । मुरत्तब-वि० [अ०) १ सिलसिले वार, क्रमबद्ध । २ श्रेणी या
मुरमंडळ, (ल)-पु० मारवाड़। शुखला बद्ध । ३ संग्रहीत । ४ सम्पादित । ५ तरीयुक्त, तर।
मुरमरवण (न)-पु० [सं० मुर-मर्दन] १ श्रीकृष्ण । २ श्रीविष्णु । मुरत्ति-देखो 'मूरति'।
मुरमुर-पु० [सं०] १ कामदेव, मदन । २ सूर्य के रथ के घोड़े। मुरव-पु. १ शब्द । २ देखो 'मुरदी'।
___३ अग्नि कण, चिनगारी। मुरदनी-स्त्रो० म्लानता।
मुरमुरया, मुरमुरिया-स्त्री० बेसन की नमकीम बूदी। मुरवाणव-पु० मुर नामक दैत्य ।
मुरराघवेस-पु. श्रीकृष्ण, श्रीविष्णु । मुरवार-वि० [फा० मुर्दार] १ मृतक, मृत, निष्प्राण । २ अपनी
मुररिप (रिपु)-पु० [सं० मुर-रिपु]१ श्रीकृष्ण । २ श्रीविष्णु। मौत से मरा हुमा । ३ कमजोर, प्रशक्त, बेदम । ४ डरपोक
मुरळिका, मुरळिया, मुरळी, मुरली-स्त्री० [सं० मुरली] बांस कायर । ५ अपवित्र । ६ नपुंशक, नामर्द । ७ मवाद, पीव । या धातु की छेदों वाली नलिका, बांसुरी, वाद्य । -धरमुरदासंख, मुरदासिंगी, मुरवासिंधी, मुरवासिंही-स्त्री० सीसे पु. श्रीकृष्ण । ईश्वर।-मनोहर-पु० श्रीकृष्ण ।-वाळीऔर सिंदूर को फूक कर बनाया हमा पौषध ।
पु० श्रीकृष्ण। मुरवी-पु० [फा० मुर्दः] १ प्रेत, भूत । २ शव. लाश । -वि. मुरलोक-पु. तीन लोक, त्रिलोकी । . १ मृत, निष्प्राण, मरा हुआ। २ मत प्रायः प्रधमरा। मुरलोकगत-पु० एक देव जाति । ३ अशक्त, कमजोर । ४ पुंशत्वहीन । ५ कुम्हलाया हुआ,
मुरलोकनरेस-पु. श्रीविष्णु । मुरझाया हुमा।
मुरलोचन (लोयण)-पु. शिव, महादेव । मुरडर-देखो 'मरुधर'।
मुरलोयी-पु. तीन लोक । मुरद्धरा-देखो 'मरुधरा'।
मुरलो-देखो 'मोर'। मुरधर-१ देखो 'मरुधर' । २ देखो 'मुरधरभाखा'।
मुरवा, मुरवि, मुरवी-स्त्री० [सं०मोर्वी] १ एक प्रकार की घास । मुरघरमाखा (सा)-स्त्री० मरुभाषा, मारवाड़ी, राजस्थानी। २धनुष की डोरी, प्रत्यंचा । ३ एक शस्त्र विशेष, प्रायुध । मरधरमंडण-वि०मारवार की शोभा बढ़ाने वाला। -पु० एक | मुरवैरी-पु. श्रीकृष्ण श्रीविष्णु । प्रकार का जेवर ।
मुरबौ-१ देखो 'मोर' । २ देखो 'मरवो'। मुरधरा-देखो 'मरुधरा'।
मुरसंडो-देखो 'मुस्टंड' मुरधरियो-देखो 'मरुधरियो।
मरसथळ-देखो 'मरुस्थळ'। मुरघा-स्त्री० [सं० मूर्धन] १ शिर । २ देखो 'मरुधरा'। मुरसद-देखो 'मुरसिद'। मुरलयण, मरनेण, मुरनरण-पु. शिव ।
मुरसळ-देखो 'मुरसिल'। भरपुर-पु. तीन लोक।
मुरसिव-पु. [म. मुर्शिद] १ गुरु, प्राचार्य । २ मुसलमानों का मरपुरधरिण (धरणी, पत, पति, पती, पह)-पु. त्रिभुवन पति, धर्म गुरु । पीर । ३ अध्यात्मवादी, उपदेशक । ४ पथ प्रदर्शक श्रीविष्णु।
मार्ग दर्शक । ५ उस्ताद । ६ धूर्त, चालाक ।
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मुरलि
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( ४०० )
मुरहरी, मुरहारी पु० [सं० मुर-हारिन्] १ श्रीकृष्ण, विष्णु २ एक प्रकार का घोड़ा ।
मुरमिल - पु० [० मुसिल] १ घोड़े पर नगाडा रख कर बजाने | मुलक - पु० [अ० मुल्क ] १ कोई बड़ा देश या राष्ट्र २ रियासत वाला । २ एक वाद्य विशेष । ३ भेजने वाला, प्रेषक । प्रान्त सूबा ३ विश्व, दुनिया ४ कोई भू-भाग क्षेत्र 1 मुरस्थळ, मुरस्थळी- देखो 'मरुस्थळ' । ५ जन्म भूमि, वतन । ६ जनता, समाज, प्रजा । ७ विदेश परदेश |
मुरहेल- पु० हेल मछली का तेल । मुराइ, मुराई स्त्री० मसूड़ा । मुराड़ी-५०१ ज्ञान की धनि २ अग्नि श्राग । ३ भाग की लकड़ी । ५ सूरत, शक्ल ६ जाने वाला घास का पूवाल । - वि० १ क्रोध युक्त, कुपित ३ प्रचंड | ४ मूढ़, मूर्ख । मुशल, मुरातो-१ देवो 'मराव' २ देखो 'रस' मुरातम्ब - वि० १ सुसज्जित, सजा हुधा । २ देखो 'मरातब' । मुराव स्त्री० [ ५० ] १ उत्कण्ठा, लालसा, त्वरा, तमन्ना । २ इच्छा, कामना । ३ उमंग, उत्साह । ४ अभिप्राय, आशय, मतलब प्रयोजन |
भूतों द्वारा प्रज्वलित प्रन्नि लपट, ज्वाला । ४ जलती हुई दाह क्रिया के लिये जलाया ७ सूखे कांटों का संग्रह २ डरावना, भयानक ।
मुरावा - १ देखो 'मरजाद' । २ देखो 'मुराद' । मुरावि, मुरादी - वि० [प्र०] १ इच्छा या तमन्ना रखने वाला । २युक्त मतलबी ३ देखी 'मुराद'
मुराफी - पु० [प्र० मुराफऊ ] अपील ।
मुरावळी (ली) - स्त्री० १ एक प्रकार की कंटीली झाड़ी। २ देखो 'मुराई' |
मुरार - देखो 'मुरारी' ।
मुरारमाळी १० मालियों की एक शाखा ।
पु०
मुरारि, मुरारी पु० [सं० मुर- प्ररि ] १ श्रीकृष्ण । २ श्रीविष्णु । ३ ईश्वर ।
मुरु, मुरू- देखो 'मुर' । - लोक = 'मुरलोक' ।
मुरेठी- देखो 'मुळाटो' ।
खो-देखो 'मोर'।
मुराळ, मुराळी स्त्री० १ दुम, पूंछ २ देखो 'मराळ' ३ देखो 'मुरायबी' । ४ देखो 'मुराई' ।
मुरीद - पु० [०] १ चेला, शिष्य । २ अनुयायी, अनुगामी ।
मुरं। देखो 'मुलेठी' |
मुरोबत, मुरोषत-देखो 'मुरब्बत' ।
मुळ प्रव्य० १ बिल्कुल, कतई । २ एकदम । ३ तनिक भी थोड़ा भी, रंचमात्र । ४ अगर-मगर, किन्तु, परन्तु, लेकिन । ५ श्रन्ततः । ६ मूलतः ।
मुळक स्त्री० [सं० पुलक] मुस्कराहट, मंद हास्य, पुलक
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मुलकी, मळकी, मक्क- देखो 'मुळक'। मुलक्क - देखो 'मुलक' |
मुळक्करणो (बौ) - देखो 'मुळकरणी' ( बौ) । मुळश्या देखो 'मुळक' ।
मुलाकाती
मुलकगिरी (मोरी) स्त्री० [२०] १ देश विजय, विश्व विजय २ लूट-पाट, डकैती । ३ देशाटन, भ्रमण ।
मुळा, मुळकणी-स्त्री० १ मुस्कराहट, हंसी २ मंदहास्य । मुळशी (बी) फि० [सं० पुत्रकनम् ] १ मंद-मंद हंसना, मुस्कराना । २ हंसना ३ हुलसना, हुल्लासमय होना । ४ प्रसन्न, खुश होना । मुळकाणी (बी) क्रि०१ मंद-मंद हंसना । २ हंसाना । ३ हुलसाना हुलसित करना । ४ प्रसन्न व खुश करना ।
मुळगुळ - देखो 'मुगळ' ।
मुळगौ- क्रि० वि० [सं० मूल] १ पूर्णतया । २ बिल्कुल । ३ तनिक भी, किचित मात्र भी। वि० १ मुख्य, मूल,
असल ।
मुलजिम - वि० [प्र० मुल्जम ] प्रपराधी, अभियुक्त । मुळणी (बी) - क्रि० १ नटना, मुकरना, इन्कार करना । २ पल
टना, बदलना ।
मुळता, मुलतांण (न) - पु० [फा०] वर्तमान पाकिस्तान का एक नगर ।
मुळांली मुलतांसी (बी) वि० [फा०] मुलतान का मुलतान संबंधी । स्त्री० १ चिकनी व पीली मिट्टी विशेष । २ एक रागिनी । पु० ३ मुलतान का निवासी ४ एक -लुहार - पु० लुहारों की एक शाखा ।
प्रकार का वस्त्र ।
मुसमुस - देखो 'मनमल' ।
मुळमुळच देखो 'मसमुलच' ।
मुळमुळाणी (बी), मुळमुळावर (बो कि० १ फेरना।
२ हिलाना । ३ मुंह में इधर-उधर घुमाकर स्वाद लेना । मुलमूररण- वि० नाश करने वाला ।
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मुलम्मी- पु० [० मुलम्मा] सोने या चांदी की कलई, निकल । मुलवारी पु० एक प्रकार का घोड़ा। मुला- देखो 'मुल्ला' |
मुलाकात स्त्री० १ भेंट, साक्षात्कार । २ परिचय, जान-पहचान ३ प्रेम, मैत्री । ४ सहवास, रतिक्रीड़ा, मैथुन । मुलाकाती वि० १ परिचित जाना-पहचाना २ भेंट करने वाला । ३ प्रेमी, मित्र ।
,
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मुलाचात
मुळाटो- पु० कपड़े का गोला, गेंडुरी, ईडाणी । मुलाणी (बी) देखो 'मोताणी' (दो) । मुलाम देखो 'मुलायम' ।
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( ४०१ )
मुलाखात - देखो 'मुनाकात' । मुलाखाती- देखो 'मुलाकाती' ।
मुसकल ( लि, ल्ल ) - देखो 'मुस्किल' । मुसकारण, मुसकांन (नी) - देखो 'मुस्कान' |
मुलाजम, मुलाजिम पु० १ नौकर चाकर, सेवक। २ दास, मुसकाणी (बो), मुसकरालो (बौ) - क्रि० [सं० मुदु] १ मंद२ पुन िया हर्षित होना।
गुलाम । ३ नौकरी । ४ सेवा, चाकरी । मुलाजी देखो 'मुनाहिनी' ।
मद हंसना, मुकराना मी मना
मुलायजो देखो 'मुलाहिजो' ।
मुलायम - वि० [अ०] १ कोमल, नरम । २ नाजुक, सुकुमार । ३ शान्त, सरल ।
मुलायमत, मुलायमी स्त्री० [अ०] १ कोमलता, नाजुकता, नरमाई । २ सुकुमारता । ३ सरलता । मुलाव (बो) देखो 'मोलाली' (बी)।
"
मुला हिजो पु० [० मुपाहन] १ मान प्रतिष्ठा, इज्जत घादर २ लिहाज, संकोच । ३ प्रभाव, रोब ४ विरोध या प्रापत्ति न करने की अवस्था । ५ निरीक्षण, गौर :
1
मुसिक देखो 'मुन' ।
मुळेठी, मुलेठी - पु० [सं० मधुयष्ठि] १ एक प्रकार की लता । २ उक्त लता की जड़ जो मोठी होती है। मुळो-देखो 'मुलगी'।
मुल्क - देखो 'मुलक' । - गिरी = 'मुलकगिरी' । मुल्की वि० [०] १ देश का देश संबधी देशी 1
बना,
मुळक, मुलुक देखो 'मुळक' ।
मुळे मुळे पु० कुंभकार द्वारा चाक पर से उतारे हुए कच्चे मुसमूरल वि० [प्रा० मुसमूर | विनाशकारी बर्तनों का प्रारंभिक रूप ।
२ अपने देश का
मुल्तवी - वि० [प्र० ] स्थगित, त्यागा हुआ ।
मुल्लो पु० [० मुल्ला] १ मस्जिद में प्रजान देने वाला, मोलवी २ मुसलमानों का शिक्षक, विद्या गुरु मुवक्किल पु० [०] १ मुसलमानों का एक कस्थित देवता
।
मुसक १ देखो 'मसक' २ देखी मुस्क
मुसकरारणी (ब) - देखो 'मुसकारणी' (बी) । मुसकराहट देखो 'मुस्कराहट' ।
।
२ वह रूह या आत्मा जो आमिल द्वारा बश करली गई हो । ३ किसी वकील का आसामी, वादी या प्रतिवादी ।
मुबाळ स्वी० मुखाकृति
मुखड़, मुवि० [सं० मृत] भरा हुआ, मृत
मुसं वि० [सं० मषा ] झूठा, प्रसत्य । स्त्री० झूठ, मिथ्या । सुसंबदेखी 'मसंद'
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मुसल्मो
मुसकिल - देखो 'मुस्किल' ।
मुसकी देखा 'मुस्की' ।
मुसकुरारणो ( बौ) - देखो 'मुसकाणी' (बौ)
मुसट, मुसटक, मुसटि (टी) - स्त्री० १ चुपी, मौन । २ देखो 'मुस्टी' ।
(बी) देखो 'सखी' (बी)
मुस
मुसता स्वी० नागर मोथा ।
मुस्ताक ( कि) वि० [अ० मुस्ताक] १ उमंगित उत्साहित उसेजित । २ इच्छित, चाहा हुधा । ३ उत्कंठित, लालायित । ४ मस्त, मतवाला ।
मुसदी (द्दी) - देखो 'सदी' ।
मुसन्ना - स्त्री० [ प्र० ] १ नकल, प्रतिलिपि । २ रसीद का प्रधशि । मुसब्बर पु० [अ०] १ एक प्रौषधि विशेष, घी- कुंवार-रस । २ एलुवा । मुसमहला, मुसमुहला देखो 'मन' 'मुसलमान' |
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मुसरफ, मुसरिफ - पु० [प्र० मुशर्रफ ] एक उच्चाधिकारी व ऐसा पद - वि० १ प्रतिष्ठित सम्मानित । [ प० मुस्रिफ ] २ व्यय करने वाला, खर्चीला । ३ प्रपव्ययी । मुसळ (ख) देखो 'मूळ'
मुसलमान पु० [अ०] मुमस्यान] १ मुहम्मद साहब द्वारा बनाया गया धर्म, सम्प्रदाय । २ इस सम्प्रदाय का अनुयायी । ३ एक जाति ।
मुसलमानी - स्त्री० १ मुसलमान बच्चों के की जाने वाली सुन्नत । खतना । २ मुसलमानों का धर्म, कर्तव्य । ३ इस जाति की स्त्री । - वि० मुसलमान का मुसलमान संबंधी
मुसलमीन- देखो 'मुसलमान'। मुसला - पु० मुसलमान जाति या वर्ग । मुसा, मुसलायुध देखो 'मूसळायुध' मुसळ, मुसलि - देखो 'मूसळ, मूसळी' । मुसली (लो) १ देखो 'मुसलमान'
'मुसल्लो' ।
मुसल्मान देखो 'मुसलमान' ।
मुसल्ला - देखो 'मुसला' ।
मुसहलो पु० [अ० मुसल्ला] १ नमाज पढते समय विधाने का वस्त्र, चद्दर । २ मुसलमान । ३ देखो 'मूसळ' ।
२ देखो 'मूळ' ३ देवी
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मुसवर
( ४०२ )
मुस्तफी
मुसवर-पु० वस्त्र विशेष ।
मुस्क-पु• [फा० मुश्क] १ कस्तूरी, मृगमद । २ गंध, बू । मुसधिर-पु० [अ०] चित्रकार। चितेरा, चित्र-शिल्पी। मुस्कवाणी-पु० एक लता विशेष । मुसव्विरी-स्त्री [अ०] १ चित्रकारी। २ मुसव्विर का पेशा। मुस्कनाफौ-पु० [फा० मुश्कनाफ] मृगनाभि में स्थित कस्तूरी मुसाण-देखो 'मसाण'।
की थैली। मुसापरणा-स्त्री० मुसलमान जाति ।
मुस्कबिलाई-पु. एक जंगली बिलाव । मुसारणी (बो)- क्रि० [सं० मुष्] १ चोरी करवाना । २ लुटवाना।
मुस्करा'ट, मुस्कराहट-स्त्री० मद हास्य, मुस्कराहट, मुस्कान ।
मुस्कल-देखो 'मुस्किल'। ३ अपहरण करवाना। ४ पकड़वाना। ५ ढकवाना । ६ लिपटवाना, घिरवाना । ७ छिनवाना, झपटवाना।
| मुस्कवत-पु० [सं० मुष्कवत्] इन्द्र नामक वैदिक सूक्त द्रष्टा का ८ असवाना । ९ लुब्ध करना। १० मसोसना । ११ ठगवाना।
विशेषण ।
मुस्कांण (न)-स्त्री० मंद हास्य, धीमी हंसी। मुसाप-१ देखो 'मुमाहब' । २ देखो 'मुसाफ'।
मुस्काणी (बो), मुस्कावणो (बो)-देखो 'मुसकाणी' (बौ)। मुसाफ-पु० [अ० मुसाफ] १ समर, युद्ध । २ लड़ाई का मैदान, । रणक्षेत्र । ३ शत्रु के चारों भोर डाला जाने वाला घेरा।।
| मुस्किल-वि० [अ० मुश्किल १ कठिन, दुष्कर, दुःसाध्य ।
२ पेचीदा, जटिल । ३ गूढ, सारगर्भित । ४ सूक्ष्म, बारीक। [प्र० मुसहफ] ४ कुरान । ५ लेखों मादि का संग्रह ।
-स्त्री. १ कठिनाई, दिक्कत । २ विपत्ति,, संकट, बाधा। मुसाफर-देखो 'मुसाफिर'। -खांनो='मसाफिर खांनो' ।
३ पेचीदगी, उलझन । ४ गूढता, गहराई। ५ सूक्ष्मता, मुसाफरी-देखो 'मुसाफिरी'।
बारीकी। मुसाफिर-पु० [अ०] यात्री, राहगीर, पथिक, बटोही। -खांनी
| मुस्की-वि० [फा० मुशको] १ कस्तूरी का, कस्तूरी से संबंधित । -पु० रेल या बस स्टेशन पर बना स्थान या कक्ष |
२ कस्तूरी जैसा काला । -पु. इसी रंग का घोड़ा। जहाँ यात्री कुछ देर ठहरते हैं । सराय, धर्मशाला।
मुस्कोरणौ (गे)-देखो 'मस्कोरणी' (बी)। मुसाफिरी-स्त्री० [अ०] १ यात्रा, प्रवास, भ्रमण । २ मुसाफिर मुस्टड, मुस्टंडो-वि० १ हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा । २ चुप, मौन, होने की अवस्था या भाव ।
खामोश । ३ देखो 'मुस्टी'।. मुसाफीर-देखो 'मुसाफिर'।
मुस्टि-देखो 'मुस्टी'। मुसाब-देखो 'मुसाहब'।
मुस्टिक-पु० [सं० मुष्टिक] १ कंस का एक पहलवान । मुसायब-देखो 'मुसाहब'।
२ सुनार । ३ मुक्का, धूसा । मुसायबी, मुसायवी-देखो 'मुसाहबी'।
मुस्टिका-पु० [सं० मुष्टिका] १ मुट्ठी । २ मुक्का, धूसा। मुसाल-१ देखो 'मूसाळ' । २ देखो 'मसाल'।
मुस्टिभेव-पु० [सं० मुष्टि-भेद] पुरुषों की एक कला । मुसालो-देखो 'मसालो'।
मुस्टी-स्त्री० [सं० मुष्टि] १ अंगुलियों को समेट कर बनाई गई मुसाबाई-वि० [सं० मृषा-वादिन] झूठ बोलने वाला, झूठा । हाथ की मुद्रा, मुट्ठी । २ मुट्ठी का प्रहार । ३ मुट्ठी में पाने मुसावाब, मुसावाय-पु० [सं० मृषा-वाद] झूठ, असत्य ।
लायक वस्तु । ४ घूसा । ५ पुरुषों की एक कला । मुसाहब-पु० [५० मुसाहिब] १ राज-दरबार में एक पद । मुस्टी-पु० मावा घोटने का एक उपकरण। २ उक्त पद का कार्य करने वाला व्यक्ति । ३ सामंत, |
मित, | मुस्त-स्त्री० [फा० मुश्त] १ मुट्ठी । २ मुक्की । ३ मुट्ठी भर पार्षद । ४ राजा या रईस का पार्श्ववर्ती, सहवासी।
वस्तु । ४ समूचा। मुसाहबी-स्त्री० [अ०] 'मुसाहब' का पद या कार्य ।
मुस्तकिल-वि० [अ०] १ अटल, अडिग, दृढ़, मजबूत । मुसाहिब-देखो 'मुसाहब'।
२ निश्चित, स्थिर । ३ स्थायी। ४ पाबंद । ५ निरतर, मुसिकल-देखो 'मुस्किल'।
लगातार। मुसियारी-पु० १ चोर । २ ठग, वंचक, कपटी । ३ दगा-बाज ।
मुस्तगीस-पु० [अ०] न्यायालय में दावेदार, वादी । मुसीबत-स्त्री० [४०] १ आपत्ति, विपत्ति, संकट । २ कष्ट,
मुस्तनव-वि० [अ०] १ विश्वास करने योग्य, विश्वस्त । __ परेशानी ।
२ प्रामाणिक, मान्य । मुसुकारणो (बी)-देखो 'मुसकाणी' (बी)।
मुस्तफी, मस्तफो-वि० [म. मस्तफा] १ पवित्र, पुनीत । मुसब-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ देखो 'मुस्तैद'।
२ शुद्ध, स्वच्छ, निर्मल । ३ गुणवान । ४ मुहम्मद साहब मुसोर-देखो मसोड़।
का खिताब । ५ पीर, पंगबर ।
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मुस्तरका
मुस्तरका वि० [० मुश्तरक] सामूहिक साझे का
,
मुस्तसना - वि० [प्र० मुस्तस्ना] १ पाबंदी, दायरे प्रादि से परे, स्वतंत्र, मुक्त । २ प्रतिष्ठित । ३ चुना हुप्रा । ४ अपवाद
|
मुस्ताक - देखो 'मुसताक' ।
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( YoT )
स्वरूप ।
मुहमेस देखो 'मुहमेव ।
मुस्तहक - वि० [ प्र०] १ स्वत्वाधिकारी, हकदार २ योग्य, मुहमेळ, मुहमेळ (ळू) - वि०
लायक, सुपः । ३ जरूरत मंद ।
मुहरूमौ देखी 'महकमों
मुहकारण, महकारिण- देखो 'मुकोण' । मुहगो ( घो) - देखो मू 'गौ । देवाळ
मुहकणी (बी) - देखो 'मूकरणी' (बी) ।
मुहकम - वि० [प्र० मुहकम] १ दृढ, मजबूत, पक्का । २ टिकाऊ ।
३ घटल घडि ४ चिरस्थाई हुधा ।
५ फंसा हुआ, जकड़ा
मुहतो-देखो 'महता' ।
मुहपति (पती, पति, पत्ती, पोती ) - देखो 'म'हपति' ।
मुहडउ, मुहड- देखो 'मू'डो' । मुडे (डं) - देखो 'मुहडे' । मुहडो-देखो 'मू'डो' |
।
मुहत, मुहतर, मुहत्ता - देखो 'महता' । मुहताज-वि० [२०] १ गरीब, निर्धन धनहीन २ दरि, कंगाल । ३ परमुखापेक्षी, पराधीन, परवश । ४ जरूरत मंद। ५ इच्छा, कामना रखने वाला, प्रभिलाषी । मुहताजी - स्त्री० [०] १ 'मुहताज' होने की दशा या अवस्था । २ गरीबी, निर्धनता । ३ दरिद्रता कंगाली । ४ परवशता, विवशता ।
मुहमांगी वि० इति वांछित
मुहमेज, मुहमेजौ - पु० १ युद्ध, समर । २ मुठभेड़, टक्कर | - वि० वीरगति प्राप्त ।
-
मुस्तीखांड पु० शक्कर की एक किश्म, गुड़िया शक्कर । मुस्तंय वि० [अ०] मुस्तदद] १ सन्नद्ध, कटिबड तैयार, तत्पर २ चुस्त, फुर्तीला । ३ सावधान, होशियार । ४ चालाक। मुस्तैदी [त्री० [० मुस्तदद्दी ] १ 'मस्तेद' होने की अवस्था या भाव। २ फुर्ती, चुश्ती । ३ तत्परता, सन्नद्धता । ४ सावधानी, होशियारी २ चालाकी मुस्लमांण, मुस्समन, मुसलमाण, मुसलमान-देखो 'सलमान' महरखी वि० सन्देशवाहक
मुहर (ई) देखी 'मोहर' |
महंगो - देखो मू'गौ' ।
मुहरत देखो 'महरत' ।
मुहंडौ - देखो 'मूड' |
महरम पु० [० मुहर्रम ] इस्लामी व घरबी वर्ष का प्रथम मास - वि० वर्जित, निषिद्ध ।
मुहंम देखो 'मुहिम' |
मुह-१ देखो 'मुख' । २ देखो 'मुझ' ।
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मुहाळ
२ तुकबंदी से युक्त मुहम्मदेखो 'मुहिम' |
मुहम्मद पु० [प्र० ] इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब
- वि० सराहनीय, प्रशंसनीय
१ मिननसार, व्यावहारिक ।
देखो 'मुहमेज' |
मुहम्मदी वि० [अ० मुहम्दी ] मुहम्मद का, मुहम्मद संबंधी ।
०१ मुहम्मद साहब का धनुवायी, मुमलमान २ एक प्रकार का सिक्का । ३ एक प्रकार का उत्तम वस्त्र ।
मुहरमुह क्रि० वि० [सं० महस] बार-बार पुन: । रह-रह कर । मुराद (ई) स्त्री० [मुख कांति वि० १ धागे
२ देखो 'मुराई।
हरि-१ देखो 'मोहर' २ देवो 'मोरी'।
मुहरर - पु० [ प्र० मुहर्रिर ] १ वकील का मुशी । २ लेखक | ३ लिपिक
मुहर स्त्री० १ 'मुहरर का पेशा, कार्य २ ग मुहरी - देखो 'मो'री' ।
महरे देखो 'मोहरे'।
महरी - पु० [सं० मधुर ] १ विष, गरल, माहुर । २ देखो 'मो 'रौ' । महल देखो 'मह'।
महलत देखो 'मोहलत' ।
महलाअत, मुहलायत - देखो 'महलायत' ।
।
मुहली (स्त्री)-१ देखी 'मह'देखो'' मुहवड (डि ) - स्त्री० १ हाथी की सूंड का कवच । २ आगे का
भाग अग्रभाग ।
मुहब्बत स्त्री० [फा०] १ स्त्री-पुरुष या युवक-युवती का परस्पर मुहाडि पु० विचार-विमर्श ।
प्रेम, प्रीति । २ परस्पर प्रासक्ति, लगाव ।
सुहम, मुहमह-देखो 'मुहिम' ।
३ नदी का
मुहांणी, मुहांणी- पु० १ प्रवेश द्वार । २ प्रप्रभाग । मुख ४ मुख, मुंह क्रि०वि०सामने धागे 1 महामहि कि० वि० सामने सम्मुख
1
मुहा स्त्री० [सं० मुद्रा ] १ झूठ, प्रसत्य, मिथ्या । २ व्यर्थं निरक
महाजीवी - पु० भिक्षा वृत्ति करके जीने वाला ।
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मुहाळ मुहाल पु० १ मधु मक्खियों का छाता । २ पशुनों के मुंह का एक रोग । ३ प्रसन्नता, खुशी ४ देखो 'महाळौ' ।
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मुहाली
महाळी-पु. १ हाथी के दांतों पर लगाये जाने वाले पेबंद, मुहेंगौ-देखो 'मुगो'। चूड़ी । २ दरवाजे के ऊपर का भाग ।
मुहौ-पु० सामना, आगा। महावरेदार - वि० जिममें मुहावरे हों, मुहावरों से संयुक्त। मू-सर्व० [स० अस्मद्] १ मैं । २ मुझे, मुझको । ३ मेरा, मुहावरी-पु० [अ० मुहवर] १ विलक्षण व रोचक अर्थ बोध
। मेरी। __ देने वाला शब्द या वाक्य । २ अभ्यास, प्रादत । मू'-देखो मुख'। मुहासिर-पु० [अ० मुहासर] घेरा, घेराव, युद्ध का पेरा। म"ओडो-वि० [सं० मृत] मत, मरा हुआ। मुहाह-क्रि० वि० मुख पर ।
मूकगिर, मूकगिरी-देखो 'रिसीमूक' । मुहि-१ देखो 'मुख' । २ देखो 'मुहिम' । ३ देखो 'महि'। मूकरणो (बौ)-देखो 'मूकरणो' (बी)। महिपड़ (), मुहिड़-वि. १ मुख्य, प्रधान । २ योद्धा, भट, मूकारणों (बी), मूंकावरणो (बौ)-देखो 'मूकाणी' (बी)।
वीर । ३ सामने का. पागे का। -क्रि० वि० सामने, मागे। मूको, मूककी-देखो 'मककी' । मुहिनाळ-देखो 'मुहनाळ'।
मूक्को-देखो 'मुक्को'। मुहिम, महिम्म-पु. [प० महिम] १ युद्ध, समर, संग्राम ।। मूग-पु० [सं० मुद्ग] १ द्विदल अनाज विशेष, हरिया । २ इस
२ सेना का प्रयाण, चढ़ाई । ३ महत्वपूर्ण कार्य के लिये प्रनाज का पौधा या फसल । प्रस्थान, यात्रा । ४ सेना, फौज । ५ फौज का अग्रभाग। मगथाळ-पु० [सं० मुदग+स्थाल] बेसन आदि की जमाई हुई ६ बड़ा व महत्वपूर्ण कार्य । ७ महिमा, प्रशंसा। चक्की (मेवाड़)। ८ तपस्या । -क्रि० वि० १ सम्मुख, सामने, प्रागे । मंगफळी (लो)-स्त्री. १ जमीन पर छितराने वाला एक पौधा २ पामने-सामने। ३ अगाड़ी, हरावल । -वि० ४ भ्रामक, जिसकी फली जमीन के अन्दर रह कर पकती है। २ इस भ्रम में डालने वाला।
पौधे के बीज जिनका खाद्य तेल निकलता है। ३ मूग मुहियड़-देखो ‘मुहिगड'।
नामक पौधे की फली। मुहियो-वि० १ प्रधान, प्रमुख, नेता । २ व्यर्थ, निरर्थक। मगम-पु० १ मादर, सत्कार । २ मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । ___३ कटा हुप्रा।
मूगळ, मूगल-देखो 'मुगळ' । मुहिर-पु० [सं०] कामदेव, मदन । -वि० मूर्ख, मूढ़। मंगाई (मूगियाड़ौ)-स्त्री० १ बाजार में वस्तुओं के दाम ___-क्रि० वि० प्रागे, अगाड़ी।
अधिक तेज या ऊंचे होने की अवस्था, महंगापन । २ राज्य महिलो-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिला'।
कर्मचारियों को दिया जाने वाला एक प्रकार का भत्ता। मुहिवटो-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
३ देखो 'मगम'। मही-वि०१प्राण दाता, जीवन दाता । २ पक्का, दृढ़। देखो मूगियो, मूगीयो-वि०१लाल रंग का, लाल । २ हरा, हरे रंग 'मुहिम' । ४ देखो में'।
का । -पु. १ एक प्रकार का वस्त्र । २ मकानों की छत मुहीमो-देखो ‘मुहियो' ।
या प्रांगन बनाने में काम पाने वाली एक प्रकार की महोम-देखो 'मुहिम'।
कंकरी । ३ देखो 'मूगो'। मुहु गौ-देखो 'मू"गो'।
मूगीवाड़ौ-देखो 'मगाई। मुहुतु-देखो ‘महता'।
मूगु-१ देखो 'मूग / मूगौ'। मुहुर-१ देखो 'मधुर' । २ देखो 'मोहर'।
मूगोड़ी (मू गौड़ी)-स्त्री० मूग की दाल की वटिका, बड़ी। मुहुरणौ (बो)-देखो 'मोरणी' (बी)।
मूगो-पु० १ प्रवाल, मूगा । २ रत्न, नगीना । ३ सात प्रकार महुरत-देखो 'महुरत'।
की उप धातुओं में से एक ।- वि० लाल, हरा । मुहुरवाई-वि० परोक्षवादी, निदक ।
मगो, मू'धौ-वि० [मं० मह+अर्ध] १ अधिक मूल्य व ऊंचे मुहुरियो-देखो 'मोर'।
। दामों वाला, महंगा । २ बहुमूल्य, कीमती। ३ इज्जत,
मान, प्रतिष्ठा वाला । ४ अधिक प्यारा, विशेष प्रिय । मुहुल-देखो 'महल'।
मूचरणो (बी)-देखो 'मुचरणो' (बी)। मुहुसाळ-देखो ‘मोसाळ'।
मूछंदर-वि० बड़ी-बड़ी मूछोंवाला। मुहूडे-देखो 'मुहडे'।
मछ, भू छड़ली, मूछड़ी-स्त्री० [सं० श्मश्र] पुरुषों व कुछ मुहरत-देखो महुरत'।
जानवरों के मुंह पर नाक के नीचे होने वाले बाल ।
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मू छरण
( ४७५ )
मूबी
दुर्गा।
मछण, मूछरिणयो, मछली-देखो 'मूछण' ।
मूडवाळ-पु. नाई, नापित । मछणो (बौ)-क्रि० १ मूच्छित होना। २ देखो मूछणो' (बी)। मूडामूड, मूडामूडो-क्रि० वि० सम्मुख, प्रत्यक्ष, रुबरू । मछरेळ, मूछाळ, मूछाल-वि० [सं० श्मश्रु+पालुच] १ मछों | मूडाणी (बौ)-क्रि० १ मुडन करवाना, बाल कटवाना । २ भेड़
वाला, बड़ी-बड़ी मूछों वाला। २ बल, पौरुष व गौरव __ के बाल कटवाना । ३ चेला या शिष्य बनवाना। ४ ठगवाना, वाला। ३ युवा, जवान । ४ देखो 'मूछ' ।
धोखा दिराना । ५ मृतक के पीछे भद्र (मुडन) करवाना । मछाळी-स्त्री. १ तलवार । २ मूछ वाली स्त्री । ३ देवी, मूडापाती-स्त्री० एक प्रकार का पौधा, द्रोण पुष्पी।
मूडाळ-देखो 'मूंडवाळ । मछाळो-देखो 'मछाळ'।
| मूडो-देखो 'मूड'मुड' मडकी'। मूछियौ-पु० काटना क्रिया या भाव ।
| मूडेमड, मूडेमूड-देखो 'मूडामड' । मूछीयइ-देखो 'मुरच्छिन।
मूडौ, मूडो-पु० [सं० मुड] १ मुह, मुख । २ चेहरा, शक्ल । मज-स्त्री० [सं० मुज] १ सरकंडों की छाल जिसकी बुहारी ३ पक्षी की चोंच । ४ थैली मादि का खुला भाग । ५ द्वार,
बनती है तथा जिसे भिगोकर रस्सी बनाई जाती है। २ इस दरवाजा । ६ छेद, विवर। ७ अग्रभाग, शिरा, नोक । छालकी बनी रस्सी। ३ परमार राजा मुज। ४ देखो ८ देखो 'मोडी'। 'मुझ'।
मूढ-१ देखो 'मूढ' । २ देखो 'मूड' । मजणो-देखो 'मुगदणी' ।
मूढौ-देखो 'मूडौ'। मजि, मूजी, मूजीडो-वि० कृपण कंजूस, सूम।
मूण, मणि, (मणियो)-स्त्री. १ मिट्टी का बना बड़ा जल मजीपरणी-पु० कृपरण होने की अवस्था या भाव, कंजूसी।
पात्र विशेष । २ देखो 'मोण'। मूजेवड़ी, मूजोवड़ी-स्त्री० मज की रस्सी. डोरी।
मूत-देखो 'मत'। म' जोर-देखो 'मुहजोर'।
मूतणियो, मूतरणौ-देखो 'मूतणी' । म"जौर-पु. बड़े जलपात्रों के मुह पर लगाने का मज का मूतणो (बो)-देखो 'मूतणो' (बी)।
बना ढक्कन जो गाड़ी पर रख कर लाये जाते हैं । मूता-देखो ‘महता'। मश-१ देखो 'मुझ' । २ देखो 'मज' ।
मूबड़ी, (मू बड़ौ)-स्त्री० [सं० मुद्रिका] १ अंगुठी, मुद्रिका । ममणी (बी)- देखो 'अमूझणी' (बी)।
२ पितृ कर्भ के समय अंगुली में डालने की कुश की अंगुठी । मशी-देखो 'मूजी'।
मूबरणी (बी)-क्रि० [सं० मुद्रण] १ बंद करना, मीचना, मूझोपरणो-देखो 'मूजीपणो' ।
ढांपना । २ छेद या विवर बंद करना । ३ ढकना,माच्छादित मूठ, मूठड़ी, मूठि, मूठी-१ देखो 'मूठ' । २ देखो 'मुटी'। करना। ४ अंत करना, समाप्त करना । मूड-१ देखो 'मूढ' । २ देखो 'मुड' ।
| मूदरड़ी, मूदरी, मबली, मूबड़ी-देखो 'मदड़ी' । मडकटाई. मूहकटी-स्त्री० १ वीरतापूर्वक लड़ते हुए शिर मूद्रप्रभावि-पु० मुद्राप्रभाव ।
कटाने की क्रिया या भाव । २ बलिदान होने की क्रिया या मूध-देखो मुग्ध। भाव । ३ मस्तक कटाने की क्रिया या भाव ।
मूधरणौ (बो)-देखो 'मूदणो' (बौ)। मूडकी-स्त्री० [सं० मुण्ड] कटा हुमा शिर ।
मूधारौ-देखो 'मु"अंधारौ'। मूडको, मूड़ी-पु० [सं० मुण्डक] १ मस्तक, शिर । २ व्यक्ति | मूधोकाटो-पु. ऊंधा कांटा नामक पौधा । ___ प्रादमी । ३ सीमांत पर गढ़ा पत्थर ।
मून-देखो 'मून'। मूडण-देखो 'मुडण'।
मूनाळ-देखो 'मुहनाळ'। मूडरो (बी)-क्रि० [सं० मुण्डनम्] १ उस्तरेमादि से शिर के मूनी-देखो 'मुनि'।
बाल साफ करना । मुंडन संस्कार करना । २ भेड़ के बाल मूफाड़, मू काड़ी (जो)-स्त्री० मुह खोलते समय दिखने वाला काटना । ३ दीक्षित करना, अनुयायी बनाना। ४ ठगना. अवकाश, मायतन । धोखे से धन लेना, ऐंठना । ५ मृतक के पीछे उसके संबंधियों | मू"बती, मू"बत्तो-देखो 'मुहपत्ती'/'मोमबत्तो' । के बाल काटना।
मूम-देखो 'मोम'। मूडत-देखो 'मुडित'।
मूमारको, मूमारखी-देखो 'मुबारक' । मूडतहाथ-पु०१ हाथ का एक नाप विशेष । २ इस नाप की मूमीठो, मू"मीठो-देखो 'मुहमीठो'। (स्त्री. मुहमीठी) बस्तु।
| मूवौ-वि० १ मृत, मरा हुमा । २ देखो 'मूडो' ।
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म्सो
भूटी
मूसरणौ (7)-देखो 'मूसणो' (बो)।
मूक, मूकी, मूकी, मूक्को-देखो मुक्की' । मूसल-देखो 'मूसल'।
मूको, मूक्को-देखो 'मुक्को'। मूसळी (ली)-देखो 'मूमली'।
मूक्ता-देखो मरता'। मूसारो-पृ० चोर ।
मूख-देखो 'मुख' । मूसौ-पु० [अ० मूसा] १ यहुदियों के एक पेगम्बर । २ चूहा । मूखक-देखो 'मूमक'। मूह, मूहई-देखो 'मुख'।
मूखमल (लू।-देखो 'मखमल' । मूहगौ-देखो मू' गौ।
मूखो-देखो 'मुख'। मूंहाउ, मूहडो-देखो 'मूडी' ।
मूगता-देखो 'मुक्ता'। - फळ, हळ= 'मुक्ताफळे । मूहनाळ-देखो 'मुहनाळ'।
मूगनउ-पु० एक प्रकार का वस्त्र । मूहो-१ देखो 'मुख' । २ देखो 'मुहो।
मूगळ-देखो 'मुगळ'। मू-देखो 'मू" | 'मु'।
मूगळी-देखो 'मुगळा' । मूग्रणी (3)-क्रि० [सं० मृत] १ प्राणान्त होना, मरना। मूगीओ, मगीयो-देखो 'मुगियो। २ अत्यधिक कष्ट में पड़ना।
मूगोड़ी-देखो 'मूगोड़ी'। मूइमाटी, मुईमाटी-स्त्री. १ मृत शरीर, शव, लाश । २ मृत मूघौ-देखो 'मू' गौ। जीव का मांस ।
मूचौ-देखो 'मूछो। मूउ-देखो 'मूवो'।
मूछ. मूछड़ी-देखो 'मूछ' । मूओडो-वि० मृत, मरा हुमा ।
मूछरण-स्त्री. १ काटने या छीलने की क्रिया या भाव । २ भोजमुमो-देखो 'मूवो' ।
नोपरांत मुख शुद्धि । ३ मुख शुद्धि वाला पदार्थ । ४ शराब मूक-वि० [सं०] १ वाणीविहीन, गूगा। २ मौन, चुप, शान्त। व अफीम के साथ खाने का पदार्थ । .
३ प्रवाक, स्तंभित । ४ विवश, लाचार । ५ दीन, प्रभागा। मछरणी (बी)-क्रि० १ लकड़ी मादि को काटना, छीलना। ६ पागल, मूर्ख । ७ मौनी। -पु० [सं० मूकः] १ दानव,
२ काटना, कटाई करना। दैत्य, राक्षस । २ गूगा या मूक व्यक्ति, प्राणी । ३ तक्षक मछरेल, मछरैल-देखो 'मछाळ'। वंशीय एक नाग । ४ मछली ।
मूछाणी (बी)-क्रि० १ लकड़ी आदि को कटवाना, छिलवाना। मूकरणी (बी)-क्रि० [सं० मुक्त] १ परित्याग करना, त्यागना, तज २ कटवाना, कटाई करवाना।
देना, छोड़ देना। २ फेंकना, चलाना । ३ घटाना. मिटाना | मुछाळ-देखो 'मछाळ' । लोपना, छोड़ना। ४ बंधन मुक्त करना, प्राजाद करना,
मूछाळी-देखो 'मूछाळी'। मुक्त करना । ५ दूर करना, अलग करना, हटाना। ६ तय करना, निश्चित करना, निपटाना । ७ भेजना, पठाना ।।
मूछाळो-देखो 'मूछाळ' । ८ प्रदान करना, देना । ६ झोंकना, डालना, पटकना ।
मूछियो, मूछौ-पु. १ लकड़ी के शिरे की कारीगरी से की गई १० तोड़ना। ११ रखना, टिकाना, धरना । १२ निकालना,
कटाई । २ तरास, कटाई । ३ काटना क्रिया। छोड़ना। १३ अकुरित करना ।
मूज-देखो 'मूज'। भूकता-स्त्री० 'मूक' होने की अवस्था या भाव, गूगापन । मूजणी (बी)-देखो 'अमूझणो' (बी)। मूकपाहार-देखो 'रिसीमूक' ।
मूजाणो (बो)-देखो 'अमूझाणी' (बौ) मूकरई-मव्य० एक मुश्त ।
मूजिब-देखो 'मुजब'। मूकाणी (बो), मकावणी (बो)-क्रि० १ परित्याग करवाना, मूजी-देखो 'मूजी'। छुड़वाना । २ फिकवाना, चलवाना। ३ घटवाना, छुडवाना,
मूझ-देखो 'मुझ'। लोपवाना । ४ बंधन मुक्त कराना। ५ दूर करवाना।
मूमणौ (बौ)-देखो 'अमूझणी' (बो)। ६ तय कराना; सलटवाना, निफ्टवाना । ७ भिजवाना, पठवाना । ८ प्रदान कराना, दिलवाना । झोंकवाना,
मूझारणो (बौ)-देखो 'प्रमूझारणो' (बी) इलवाना, छुडवाना । १० तुड़वाना ११ रखवाना, धरवाना, | मूझे, मुझे-देखो 'मुझे टिकवाना । १२ अंकुरित कराना, निकलवाना । | मूटी-देखो 'मुट्ठो'।
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( ४०७ )
मूरखु
मूठ-स्त्री० [सं० मुष्टि] १ किसी प्रौजार मादि का दस्ता, बैंट | मूतायो-वि० (स्त्री० मूताई, मूतायी) जिसे पेशाब की सका हो, __ या मुट्ठी में पकड़ने का भाग। २ मुट्ठो। ३ मुट्ठीभर पदार्थ । मूतने का इच्छुक । . .
४ एक तांत्रिक क्रिया विशेष । ५ चोरी या लूट का माल । मूती-स्त्री० [सं० मूत्र] पेशाब, मूत्र । मूठडी-स्त्री० [सं० मुष्टि] १ मुट्ठो के आकार की बाटो, रोटी। मूत्र-पु० [सं०] पेशाब, मूत । -कच्छ, कच्छ-पु. पेशाब २ मुट्ठो की हल्की चोट । ३ देखो 'मुट्ठी'।
सबंधी एक रोग। मूठवार-पु. १ मूठ या दस्ता लगा कोई उपकरण। २ पगड़ो मूत्रग्रह-पु० [सं०] घोडों का एक रोग। बांधने का एक ढंग।
मूत्रबसक-पु. दश प्राणियों के मूत्र का मिश्रण । मूठरंवो-पु. बढ़ई का एक प्रौजार विशेष ।
मूत्रविग्यान-पु० [स० मूत्र विज्ञान] प्रायुर्वेदीय मूत्र परीक्षण मूठारणी (बी), मूठावरणौ (बो)-देखो 'मुठाणी' (बी)।
विद्या। मूठाली-पु० तलवार।
मूत्राघात-पु० [सं०] पेशाब संबधी एक रोग। मूठि-१ देखो 'मूठ' । २ देखो 'मुट्ठी'।
मूत्रासप-पु० [स. मूत्राशय] शरीर का वह भाग जहां मूत्र मूठियौ-पु. १ स्त्रियों के हाथों की चूड़ियों का समूह । २ हाथ | संचित होता है।
में समाने लायक धास, चारे मादि की मात्रा । ३ उपकरण | मूषा-देखो ‘महता'। का दस्ता । ४ पशु की टांग के नीचे का भाग । ५ मुट्री के मूद-पु० कुल्हाड़ी प्रादि का पृष्ठ भाग । प्राकार का कोई टुकड़ा, खंड ।
मूबड़ी-देखो 'मूदड़ी' । मूठी-देखो 'मुट्ठी'।
मूबड़ी-देखो 'मूदड़ो' मूठी क-वि० एक मुट्ठी के बराबर, मुट्ठीभर, मुट्री में समाने | मूबरणी (बो)-देखो 'मूदरणो' (बी)। लायक।
मबति,मदती-१ देखो 'मुदित' । २ देखो मदद' । ३ देखो 'मुद्दत' । मूड-१ देखो 'मूड' । २ देखो 'मुड' ।
मदरा-देखो 'मुद्रा'। मूडपो (बो)-देखो 'मूडणी' (बी)।
मूवी-देखो 'मुदी'। मूडवर-पु. रावण।
मून-स्त्री० [सं० मौन] १ चुप या मौन रहने की क्रिया या भाव । मूडाणी (बौ), मूडावरणी (बो)-देखो 'मूडाणी' (बौ)।
२ मौनव्रत, संकल्प। ३ चुप्पी, खामोशी, शान्ति । -वि. मूडीकट-पु. १ घोड़े की एक जाति । २ इस जाति का घोड़ा। मौनी, मुनि । मूडौ-१ देखो 'मुड्डो' । २ देखो 'मूडी' । ३ देखो 'मोडो'। मूनव्रत-देखो 'मौनव्रत' । मूढ-वि० [सं०] १ जड़ बुद्धि, मंद बुद्धि, मूर्ख । २ दुष्ट, कुबुद्धि। | मूनाळ-देखो 'मुहनाळ' ।
-स्त्री० १ योग में चित्त की एक वत्ति । २ देखो 'मुड'। मूनि, मनी-१ देखो 'मुनि' । २ देखो मौनी' । ३ देखो 'मुड'।
मूनेस-देखो 'मुनीम'। मूढगरभ-पु० [सं० मूढ-गर्भ] विकृत गर्म ।
मूफट-देखो 'मुंहफट'। मूढ़ता-स्त्री० [सं०] १ मूढ होने की अवस्था या भाव, मूर्खता। मूफाड़-देखो 'मूफाई।
२ बुद्धि का प्रभाव । ३ नासमझी, बेवकूफी। ४ असभ्यता। | मूम-देखो 'मोम'। ५ प्रज्ञानता । ६ गवारूपन ।
मूमळ-पु. एक लोग गीत । मूढी-देखो 'मूडो'।
मूमारखो-देखो 'मुवारकी' । मूण-देखो 'मूण'।
मूमावड़ी-पु. एक प्रकार का वस्त्र । मूणपठ्ठो-वि० मूण के प्रकार का, बड़ा ।
मूर-१ देखो 'मूळ' । २ देखी 'मुर'। .. मूणियह-देखो 'मरिणयड़'।
मूरख-वि० [सं० मूखं] , जिसमें बुद्धि का प्रभाव हो, मंद मूत-पु० [सं० मूत्रम्] १ पेशाब, मूत्र । २ पैदाईश, वंशज ।
बुद्धि, मूढ़, बेवकूफ । २ बुद्धिहीन, विक्षिप्त । ३ असभ्य,
गंवार । -पु. १ मूर्ख व्यक्ति । २ वन मूग, उर्द। -पट मूतणी-स्त्री० मूत्रेन्द्रिय ।
-पु० मूरख विद्यार्थी। मूतरिणयो, मूतणी-पु० मूत्रन्द्रिय ( पशुओं की)।
मूरखता, मूरखाइ (ई)-पु० [सं० मूर्खता] १ मूखं होने की मूतरणी (बी)-क्रि० पेशाब करना, मूतना ।
अवस्था या भाव । २ अज्ञानता, मूढ़ता, नादानी । ३ गंवारू. मतापी(बी)-क्रि० पेशाब कराना, मूतने में सहायता देना,
पन । असभ्यता। ४ नासमझी का कार्य । पेशाब करने की प्रेरणा देना।
! मूरखु-देखो 'मूरख'।
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मूरखौ
( ४०८ )
मूळगउं
मूरखो-देखो 'मूरख'।
रखने वाला । २ शिर या मस्तक में स्थित । ३ चोटी का। मूरच्छना- देखो 'मूरछना'
४ मुख्य, सर्वोत्तम । मूरच्छा- देखो 'मुरछा'
मूरखन्यवरण-पु० [सं० मूर्धन्य-वर्ण] मूर्दा से उच्चारित होने मूरछत-देखो 'मुरछित' ।
वाले वर्ण। मूरछन, मूरछना, मूरछा-पु० [सं० मूर्छना] १ मूच्छित होने की मूरद्धा-स्त्री० [सं० मूर्धा] १ मस्तक, शिर । २ मुंह के
अवस्था या भाव । २ मूर्छा, बेहोशी । ३ एक मंत्र अन्दर तालु व जिह्वा का अग्रभाग जो कुछ वर्गों के विशेष । ४ पारे का तीसरा संस्कार । ५ संगीत में | उच्चारण के समय परस्पर टकराता रहता है । प्रारोह-अवरोह । ६ काम का एक बाण ।
मूरद्धाभिसेक-पु० [सं० मूर्धाभिषेक] शिर पर किया जाने वाला मूरछागत (गति)-देखो 'मुरछागत'
अभिषेक, जल सिंचन । मूरछारणी (बो)-देखो 'मुरछाणो' (बो)।
मूरधन-पु० [सं० मूर्धन] १ शिर. मस्तक । २ भृकुटि, भौं । मूरचित-देखो 'मुरछित'
३ शिखर, चोटी। ४ प्रधान, मुख्य। ५ नेता, नायक, भूरट-देखो 'मरट'
अग्रणी। ६. प्रगला, अन । ७. एक देव विशेष । मूरत-१ देखो 'मूरति' । २ देखो 'महरत' ।
मूरधा-देखो 'मूद्धा'। मूरतवंत, मूरतवत-वि० [सं० मूर्तिमत] १ शरीरधारी, देह- मूरवा-देखो 'मुरवा'।
धारी, सशरीर । २ प्राकार-प्रकार या रुप वाला, साकार । | मूरिख-देखो 'मूरख'। ३. मूर्ति या प्रतिमा की तरह स्थिर, अचल । ४. प्रत्यक्ष, | मूरी-देखो 'मोरी'।
साक्षात् । ५ प्रतिमा के रूप में, प्रतिमा की तरह बना। मूरो-देखो 'मो'रो' । मूरति-स्त्री० [सं० मूर्ति] १ कोई देव प्रतिमा मूर्ति । मूळ,मूल-पु० [सं० मूलं] १ वृक्ष, पौधा, लता प्रादि की
२ पत्थर या धातु की पुतली, प्रतिमा। ३ चित्र, तस्वीर ।। जड़, मल । २ पेड़ का तना। ३ बीज । ४ जमीकंद, कद ४ शक्ल, सूरत, प्राकृति। ५ स्वरूप, रूप। ६ शरीर, देह। मूल । ५ किसी वस्तु के नीचे का भाग। ६ पिप्पल की ७ प्रतीक । ८ देवता की तरह माना जाने वाला प्राणी, जड़ । ७ प्रारंभ, शुरूपात, प्रादि । ८ उत्पत्ति, उद्भव । साधू । ९ प्राचेतस दक्ष की एक कन्या। १० स्वारोचिष ६ कारण, प्रयोजन । १० नीच, बुनियाद, प्राधार । ११ मन्वन्तर का एक प्रजापति । ११ ब्रह्म सावरिण मन्वन्तर के प्रादि या बीज मंत्र । १२ सत्ताईश नक्षत्रों में से उन्नीसवां सप्तर्षियों में से एक । १२ देव प्रतिमा युक्त प्राभूषण। नक्षत्र । १३ असल पूजी, शुद्ध धन । १४ मुद्रा विशेष । -कार-पु. मूर्तियें बनाने वाला शिल्पी। चित्रकार, चितेग। १५ दलाल । १६ तल। १७ छोर, शिरा । १८ वर्ग-पु० पूजक-किसी देवता का पुजारी । सगुण भक्तिधारा का मूल । १९ चन्दन । २० परम्परानुगत सेवक । २१ पडोस,
अनुगामी। -पूजा-स्त्री. सगुण भक्ति, देव पूजन । सामीप्य । २२ असल कृति या लेख, Original | मूरतिमत-पु० [सं० मूर्ति-मत] १ मूर्तरय राजा का एक २३ रात में जलाशय के निकट शिकार में बंटने की __ नामान्तर। २ देखो 'मूरतवंत'
क्रिया । २४ इस प्रकार बैठने का स्थान । २५ पूर्व दिशा। मूरतिमान-वि० [सं० मूर्ति-मान] १ शरीरधारी, देहधारी, -वि० १ मुख्य, खास, प्रधान । २ असल । ३ मोलिक, साकार । २ प्रत्यक्ष, साक्षात् ।
निजी, खुद का । ४ पहला, प्रथम । ५ किंचित, थोड़ा। मूरतिवंत (उ) मूरतिवतो-देखो 'मूरतवंत' ।
६ दृढ़, मजबूत । -क्रि० वि० १ कतई, बिल्कुल । मूरतिविद्या, मूरतिविध्या-स्त्री० [सं०मूर्ति विद्या] १ प्रतिमा २. जड़ा मूल से,जड़ से ।
बनाने की विद्या, शिल्पी कर्म। २ चित्रकारी का कार्य । मूल-देखो 'मूल्य' । मूरती-देखो 'मूरति'
मूळकरम-पु. [सं० मूल-कर्मन्] १ पौषधियों की जडों द्वारा मूरस, मूरत्ति-१ देखो 'मूरति'। २ देखो 'महुरत' ।
किया जाने वाला प्रयोग । २ जादू, टोना. मूठ ।
३ प्रधान कम । मूरख-पु० [सं० मूर्धन] शिर, मस्तक ।
मूळकवळ-पु० [स० मूल-कमल] नाभि कमल (हठयोग)। मरखज-वि० [सं० मूर्धज] शिर से उत्पन्न होने वाला । -पु० | मळकूण-पु. पूर्व दिशा ।। केश, बाल। श, बाला
मूळको, मूलको-पु. १ जड़ सहित उखाड़ा हुमा छोटा वृक्ष । मूरखज्योति (ती)-स्त्री० योग में ब्रह्मरंध्र ।
२ देखो मुळगो'। मूरद्धन्य मरधम्य-वि० [सं० मून्य, मूर्धन्य] १ मूर्द्धा से संबंध | मूळगडं, मूलगउ, मूलगु मूळगू, मूळगो, मूलगो-देखो 'मुळमौ' ।
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सूसी
मूळचक्र-पु. एक प्रकार का हाथी।
मूळू-देखो 'मूळा' । मूळछेद-पु० [सं० मूल-च्छेद] जड़ मूल से काटना क्रिया, मूळो, मूलौ-देखो 'मूळी'। समूल नाश ।
मूल्य-पु० [सं०] १ मुद्रा के रूप में या वस्तु के रूप में किसी मूळजग-पु० जगत का मूल,ब्रह्मा, विष्णु, महेश व शक्ति।
चीज का भाव कीमत, बिक्री दर। २ महत्व, विशेषता। मूळजड़ी-स्त्री० [स०मूल-जड़ी] जीवन का मुख्य प्राधार । -बांन-वि. कीमती। महत्वपूर्ण। मूळजांवउ-पु. एक प्राचीन देश।
मूबो-वि० [सं० मृत] मरा हुमा, मृत । मूळजात-पु० प्रारंभ की जाति, बंश।
मूस-स्त्री० [सं० मूसिका] स्वर्णकारों का एक उपकरण । मूळतारिण-देखो 'मुलतान' ।'
मूसउ, मूसक-पु० [सं० मूषक] १ चूहा । २. चोर। मूळत्रिकोण-पु० [सं० मूल-त्रिकोण] सूर्य प्रादि ग्रहों की कुछ | मूसककरणी-स्त्री० [सं०मूषककरणी] एक लता विशेष । विशेष स्थिति। ।
मूसकवाहण (न)-पु० [सं० मूषक-वाहनम] गणेश, गजानन । मूलयांरण-देखो 'मुलतान'।
मूसको (खो)-पु. स्वर्ण पात्र। मूळदेवी, मूलदेवी-स्त्री. एक लिपि विशेष ।
मूसंगो (बो)-क्रि. [सं० मूषणं] १ चोरी करमा, चुराना। मूलद्रव-पु० [सं०मूल-द्रव्य] ऋण की शुद्ध रकम । असल लूटना, खसोटना । ३ ठगना । ४ अपहरण करना, उड़ा पूंजो । मूलधन ।
लेजाना। ५ मोहित करना लुब्ध करना । ६ मसोसना, मूळद्वार-पु० [सं० मूम-द्वार] १ शरीर का गुदा द्वार। दबोचना । ७ पकड़ना। ८ छीनना, झपटना । ९ ढकना, २ योनि, भग । ३ मुख्य दरवाजा, सिंहद्वार।
लपेटना, छिपाना। १० प्रसना। . मूळधन-पु. [सं०मूल-धन असल पूजी, मूल धन ।
मूसळ मूसल-पु० [सं० मुसल] १ ऊखली में अनाज मादि कूटने मूळपुरुख, मूळपुरुस-पु० [सं० मूल-पुरुष] १ सृष्टि का मादि का मोटे लकड़े का उपकरण । २ बलराम का शस्त्र । पुरुष । २ वंश का प्रथम पुरुष ।
३ गदा का एक भेद । ४ स्वर्णकारों का एक उपकरण । मूळप्रक्रति-स्त्री० [सं० मूल-प्रकृति] १. सृष्टि की मूल प्राकृतिक ५ वार व नक्षत्रों संबंधी एक योग । -वि० मूर्ख व वधूफ।
सत्ता, कुदरत । २ मूल भूत गुण या प्रकृति । तासीर । मूसलदंती-वि० बड़े-बड़े दांतों वाला। . . मूळबंध-पु० [सं०मूलबंध] १. हठयोग में एक क्रिया । २. एक मुसळधार (धारा)-स्त्री० मोटी-मोटी छींटों की तेज वर्क। प्रकार का अंगुली-न्यास।
मूसळमाण (न)-देखो मुसलमान'। मूलवटणी-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
मूसलाधार-क्रि०वि० मूसल के समान मोटी धारा के रूप में। मूळस्थान-पु० [सं० मूलस्थान] १ ईश्वर, परमात्मा । २ उत्पत्ति मूसलायुद्ध, मूसलायुद्ध, मूसळायुध, मूसलायुध-पु. बलराम का
या उद्भब स्थान, मादि स्थान । ३ पूर्वजों का स्थान, जन्म | मायुध । भूमि । ४ प्रधान या मुख्य स्थान ।
मूसळियौ-पु.१दायें सफेद पैर वाला घोड़ा । २ देखो 'मूसण' । मूळा-स्त्री० [सं०. मूला] १ पृथ्वी, धरती । २ सतावर । मूसळी (मी)-स्त्री० [सं० मुशली] १ एक प्रकार की जड़ीय
३ पूना के पास. बहने वाली एक नदी । ४ मूल नक्षत्र । पौषधि । २ बलराम । ३ घोड़ों का एक रोय । मूलागौ-देखो 'मुळगो'।
४ मूसल वाला।
।
. मुळाधार-पु० [सं० मूलाधार] हठयोग में मानव-शरीर के | मुसळी, मूसल्यौ-पु० १ एक प्रकार का बोड़ा। २ देखो 'भूसब'। छः चक्रों में से एक।
मूसाब-स्त्री० मादा चूहा, चुहिया । मूळासी-वि० [सं०मूल-प्राधित कंद-मूल के माहार पर माश्रित
मूसाळ-देखो 'मोसाळ। रहने वाला।
मुसावाहण-पु० गणेश, नजानन ।
मूसिक-देखो 'मूसक'। मूळिका, मूलिका-देखो 'मूळी' ।
मूसिकांक-पु० [सं० मूर्षिकांक] गणेश का एक नामान्तर । मूलिकाप्रयोग-पु० बहत्तर कलामों में से एक ।
मूसिल्ल-देखो 'मूसल'। मूलिम-क्रि० वि० बिल्कुल, कतई।
मूसिल्लमांण (न)-देखो 'मुसलमान' । मूळी, मूली-स्त्री० [सं० मूलक] १ कुछ मोटी व लंबी जड़ मसौ-पु० [सं० मूषक] १ चूहा । २ चोर। ठग । सिरस
तथा बड़े-बड़े पत्तों वाली एक सब्जी विशेष, मूली। | का पेड़ । ५ अन्तः करण, मन । ६ एक देश का नाम । २ जड़ी, बूटी । ३ कंद-मूल, प्रादि। ४ एक प्रकार का ७ स्वर्णकारों का एक छोटा पात्र । बहुषियों के स्थावर विष । ५, छिपकली। ६ देशो 'मूल'।
। पेगम्बर । ९देखो 'मोसौ'।
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मूह
गृह मूह देखी 'मुख' । मूहडो-देखो 'मू'डो' । मूहनि सर्व० मुझको, मुझे । मूहमेव-देखो 'मुहमेव'
मूहमेळ- देखो 'मुहमेळ' ।
म्हरस देखो 'महूरत'।
मूहळ- १ देखो 'मूसळ' । २ देखो 'महळ" ।
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मेंगाई देखो 'मूं'गाई' | मेंढक, बेंडकी देखो 'मीडको'
मेडी-देखो 'भीडी' ।
मेना- देखो 'मीणा' ।
मेंरगाबती-स्त्री० राजा गोपीचंद का माता ।
मेदान- देखो 'मैदान' ।
( ४१० )
महरत, मूहूरत देखो 'महूरत'
में, में अव्य० [सं० मध्य] १ बन्दर भीतर २ ऊपर पर ३ किसी क्षेत्र या परिधि के भीतर । ४ किसी अवधि के दरम्यान । ५ किसी के साथ, किसी में संलग्न । ६ कइयों में से । ७ मध्य मा बीच ८ का, के, की । ९ से । १० देखो 'मैं' । गली-देखो !मगरणी'। मंगळ-देखो 'मदळ' |
मेबी-देखो 'मैंदी' ।
मैमत, मत देखो 'मैन'
मव-देखो 'मैमद मेवालियो-देखो 'मेवासी' । मेहदी-देखो 'मेंदी'।
मे, मे'- देखो 'मेह' ।
मेघाई- देखो 'मेहाई' |
मेडल, मेहली-देखो 'मेदिनी' ।
मेड़ी, मेऊड़ो-देखो 'मेह' ।
मेक- वि० [सं० एक ] अकेला, एक मात्र । -पु० १ एक की संख्या, एक। [सं० मेकः] २ बकरा । ३ देखो 'मेख' ।
मेकडसरण, मेकवंत पु० गणेश बजानन
"
मेकमो-देखो 'महकमी' ।
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की कील, चूप । ४ पलक झपकने खुलने की क्रिया, निमेष । ५ संदेह, प्रसमंजस । ६ मेष ।
मेची- पु० हथौड़ा ।
मेखमी - स्त्री० स्वर्णकारों का एक उपकरण ।
मेखळ- पु० १ हवन कुंड । २ देखो 'मेखळा' |
मेखलगन देखो 'मेल'
मेखलिक ० एक वर्ग विशेष
मेखळा - स्त्री० १ करधनी नामक ग्राभूषण । २ कमर का कटि सूत्र । ३ कमरबंद; इजारबंद । ४ चारों ओर लपटी रहने वाली वस्तु । ५ घेरा, वृत्त । ६ पहाड़ की ढलान । ७ हवन कुंड की पाज । ८ पर्वत का मध्य भाग । ९ कमर कूल्हा ।
१० तलवार का परतला । ११ तलवार की मूठ के बंधी डोरी । १२ घोड़े का जेरबंध । १३ धोड़ की तोंद पर होने वाली भंवरी १४ नर्मदा नदी का एक नाम।
१५ देखो 'मेखळी' । १६ एक प्रकार की रस्सी जो
संन्यासियों के कमर के चारों पोर बंधी रहती है।
मेघनाथ
मेखळवी-पु० पहनने का कुर्ता ।
मेवळी स्त्री० १ योगियों के पहनने का चोगा २ बड़ा भोला, वा 1
मेखळी ( ल्यो ) - देखो 'मेखलियो' ।
मेखसंक्रांति, मेखसंक्रांत स्त्री० [सं० मेष संक्रांति ] मेष राशि में पढ़ने वाली संक्रांति ।
मेरा-देवो 'मेथ' । मेगळ (ल)- देखो 'मदकल' ।
मेगवाल - ० एक धनुसूचित जाति इस जाति का व्यक्ति ।
मेघ - पु० [सं०] १ बादल, घन । २ वर्षा, का पुत्र मेघनाद, इन्द्रजीत ४ मेष ५ मेघ के समान ६ छप्पय छंद ७ तारकासुर के पक्ष का एक असुर एक पुत्र । ९ एक प्राचीन राजवश मेघारि - पु० [सं०] पवन, हवा |
मेघईस पु० [स०] इन्द्र
मेघकरण - स्त्री० [सं० मेघक] स्कन्द की प्रनुचरी एक मातृका ।
मेघकाळ - पु० [सं० मेघकाल ] वर्षा ऋतु ।
मेघजळ - पु० [सं० मेघ जलम् ] वर्षा का पानी ।
मेकळ - पु० विध्य पर्वत का एक नामान्तर ।
मेeserver मेकळकन्या, मेकलसुता, मेकळाहिजा स्त्री० मेघजाति-पु० [सं०] एक राजा ।
नर्बदा नदी का एक नामान्तर ।
मेघवर, मेघडमर देखो 'मेघावर'
मेकवीस स्त्री० इक्कीस की संख्या
मेकि मेको देखी 'मेक' |
मेख स्त्री० [फा०] १ काठ या धातु की कील । २ लोहे या लकड़ी की खूंटी स्त्री या पुरुष के दांत में जड़ी सोने मेघनाथ पु० [सं०] १ इन्द्र २
। ३
। वरुण ।
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बारिस ३ रावण
वर्ण श्वेत-कृष्ण।
1
का एक भेद ।
८ स्वायंभू मनु का वि० मस्त, मत्त ।
मेघ भी पु० [सं०] एक राक्षस ।
मेघदेहा-वि० [सं० [मेपदेहिन] बादलों के रंग जैसे शरीर
वाला ।
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मेघनांद
मज
मेघनांव, मेघनाव-पु० [सं० मेघनाद] १ मेघों की गर्जना, घन | मेघहतरी-पु० [सं० मेघहन्त] सुमेधस देवों में से एक ।
गर्जना । २ वरुण । ३ रावण का ज्येष्ठ पुत्र, इन्द्रजीत । मेघहास-पु० [सं०] राहु का एक पुत्र । ४ घटोत्कच के एक पुत्र का नाम । ५ स्कन्द का एक | मेघांण-देखो 'मेघ'। सैनिक । ६ पलास ।
मेघा-पु०१ मघा नक्षत्र । २ मेघ । -जळ-पु. वर्षा का पानी। मेघनादांनळ मेघनादांनुळ-पु० [सं० मेघनादानुल) मयूर, मोर । । -डब, डंबर, डबरि, डंमर-पु० मेघ गर्जना, घन गर्जना । मेघनादि-देखो 'मेघनाद'।
घन समूह, बादल समूह । बडा सामियाना, तंबू । हाथो मेघनाय-पु० १ नागरमोथा, मुसता । २ देखो 'मेघनाथ' ।
की अंबाड़ी। हौदा । एक प्रकार का वस्त्र । एक प्रकार मेघपथ-देखो 'मेघपथ'।
का छन । मेघपति-पु० [सं०] इन्द्र ।
मेधावलि-स्त्री० १ एक प्रकार का वस्त्र । २ मेघ माला, मेघपथ-पु० [सं०] आकाश, व्योम ।
मेघ पंक्ति। मेघपुसप (पुस्प, पुहप)-पु० [सं० मेघ-पुष्प] १ इन्द्र का घोड़ा। मेघासुर-पु० [सं०] ४९ क्षेत्रपालों में से एक।
२ श्रीकृष्ण के रथ का एक घोड़ा। ३ जल, पानी। मेघास्त्र-पु० [स०] एक प्रकार का प्रस्त्र । ४ वर्षा के मोले, हिमकण । ५ नदी का जल । ६ बकरे | मेघु-देखो 'मेघ' । का सींग । ७ मोथा । ८ कुसुम, फूल ।
मेड़-स्त्री० १ खेत की सीमा । २ सीमा, मर्यादा । ३ स्वर्णकारों मेघमंडाण-पु. प्रकाश में छाये बादल । बादलों की घटा । की एक शाखा। मेधमलार (मल्लार, मल्हार)-पु. १ वर्षा ऋतु की एक राग। मेड़तिया-स्त्री. राठौड़ों की एक शाखा । २ एक प्रकार का बड़ा पक्षी।
मेड़तियो-पु० १ राठौड़ वंश की मेड़तिया शाखा का व्यक्ति । मेघमाळ-पु० [सं० मेघमाल] १ रंभा का एक पुत्र । २ प्लक्ष २ मेडता शहर का निवासी । द्वीप का एक पर्वत । ३ देखो 'मेघमाळा' ।
मेड़ी-देखो 'मैड़ी'। मेधमाळा-स्त्री० [सं० मेघमाला] १ बादलों की घटा, पंक्ति, | मेच-पु. १ अवसर, मौका । २ देखो 'मेछ' । श्रेणी। २ स्कन्द की अनुचरी एक मातृका।
मेचक-पु. [सं०] १ कृष्ण पक्ष । २ कालापन, श्यामता । मेघमाळी (ली)-पु० [सं० मेघमालिन्] १ खर राक्षस का एक ३ अधेरा । ४ धूमा, धूम्र । ५ बादल । ६ काला नमक । अमात्य । २ स्कंद का एक पार्षद ।
७ सुरमा। ८ स्तन के ऊपर की धुडी। स्त्रियों के मेघराज-पु० इन्द्र।
चिबुक पर लगी बिंदी। -वि० कृष्ण, काला, श्याम । मेघलौ-देखो 'मेघ'।
मेचकता, मेचकताई-स्त्री० श्यामता, कालापन । मेघवत-पु० [सं०] एक दानव विशेष ।
मेचसिंगार-पु० पीतल। मेघवनी-देखो मेघवरणी'।
मेचु-पु० [सं० मिथ्या] १ झूठ, प्रसत्य । २ अवसर, मौका । मेघवरण, मेघवरणी-पु० [सं० मेघवणं] १ वरुण । २ घटोत्कच | मेच्छ-देखो मेछ' ।
के पुत्र का नामान्तर । ३ एक यक्ष । ४ बादली रंग का | मेछद-देखो 'मेछ' । वस्त्र । ५ बादली रंग की कोई वस्तु ।
मेछ-पु० [सं० म्लेच्छ] १ असुर, दैत्य, दानव । राक्षस मेघवाळ-देखो 'मेगवाळ' ।
२ यवन । ३ नीच, शूद्र । ४ विधर्मी । ५ तांबा । ६ देखो मेघवाह (वाहण, वाहन)-पु० [सं० मेघवाहन] १ इन्द्र । 'मेच'।
२ वरुण । ३ जरासंध का अनुयायी एक नप । ४ एक | मछक-देखो 'मेचक' । दत्य विशेष ।
मेछमुख-पु० [सं० म्लेच्छमुख तांबा । मेघविय्यूरणी-स्त्री० एक वर्ण वृत्त विशेष ।
मेछाइरण, मेछाण-देखो मेछ' । मेघवेग-पु० [सं०] कौरव पक्ष का एक वीर। मेघवन-देखो 'मेघवरण'।
मेछान, मेछाड़-देखो 'मेछ' । मेघसंधि-पु० [सं०] जरासंध का एक पौत्र ।
मछाधिपति-पु० [सं० म्लेच्छाधिपति] १ दैत्यराज, असुर मेघसाव-पु० [सं० मेघ-शब्द] घन गर्जन, बादलों की प्रावाज । राज । २ यवन बादशाह । मेघसार-पु० [सं०] चीनिया कपूर, घन सार ।
मेछायण, मेछाळ, मेछौ-देखो ‘मेछ' । मेघस्वना-स्त्री० [सं०] स्कंद की अनुचरी एक मातका । मेज-पु० [फा०] १ लकड़ी प्रादि की बनी ऊची चौकी, पाट, मेघस्वाति-पु० [सं०] एक राजा ।
टेबल । २ दावत का सामान, भोज्य सामग्री ।
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मेजपोस
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( ४१२ )
मेजरनामी पु० [० महजरनामा] १ कई व्यक्तियों का सामू हिक प्रावेदन-पत्र २ वह पत्र जिसमें कई व्यक्तियों की गवाही हो । ३ प्रमाण या साक्षी-पत्र ४ लोगों की उपस्थिति का स्थान ५ हत्या संबंधी साक्षीपत्र | मेट - स्त्री० १ मुल्तानी मिट्टी । - पु० [अ०] ३ मजदूरों कार्य करने वाला कर्मचारी । मेटन - वि० मिटाने वाला ।
२ मेटने की क्रिया या भाव। का जमादार । ४ जहाज पर
मेजोस पु० [फा० मेजपोश ) मेज पर विधाया जाने वाला मेलवतो, मेणबत्ती स्त्री० [फा० मोमबती ] मोमबती समा
वस्त्र, चादर।
मेरमाखी स्त्री० मधुमची मेला - देखो 'मेना, मेला' ।
मेखियो- पु० मोम का रोगन लगा वस्त्र । मेथी स्त्री० १ मेला जाति की स्त्री २ गुंडी मेखो-देखो 'भैणी ।
,
मेणो मे 'जी- देखो 'मणी' । मेतर - देखो 'महत्तर' ।
मेछपा पु० रात्रि को मिटाने वाला सूर्य
1
मेटातम - पु० १ सूर्य, चन्द्र । २ दीपक । ३ ज्ञान । मेटरी (बी) - क्रि० [सं० मृष्ट] १ समाप्त करना, नष्ट करना। २ दूर करना, हटाना, अलग करना। ३ निवारण करना, समाधान करना ४ छोड़ना, त्यागना। ५ बंद करना, रोकना । ६ टालना । ७ शान्त करना । ८ कम करना, घटाना, क्षीण करना । उल्लंघन करना, लोपना । १० मारना समाप्त करना ११ लिखावट या पिह्न मिटाना ।
"
मेटली स्त्री० [रहट द्वारा कुए से पानी निकालने का मिट्टी
-
का उपकरण ।
मेटि देखो 'मेट' |
मेडियो पु० मेट के रंग का घोड़ा।
मेड- पु० १ तीर, बाण । २ सुनारों का एक वर्ग । ३ मकान का ऊपरी भाग (मेड़ी)।
मेक, मेढ़की-देखो 'मींडकी' ।
मेदासींची स्त्री० [सं०] मेड-बी) १ पौषधि के रूप में काम धाने वाली एक फाटोवार लता २ देखो 'मीदासीवी' मेड़, मेड़ी पु० १ रहट या खलिहान में घूमने वाले बैलों में से
अंदर का बैल । २ खलिहान के बीच गाड़ा जाने वाला बड़ा खू ंटा | ३ स्तम्भ । ४ घोड़े के शिर पर होने वाली एक भंवरी । ५ स्त्रियों के बालों की गुंथी हुई लटें । - वि० मुखिया, प्रधान, पंच ।
मेट्रीमरणौ - वि० वीर, बहादुर । मेदो-देखो 'मीडी' । मेल- देखो 'मेरा'
मेराका देखा 'मैनका'।
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मेघा
तळणी (बी) क्रि० मुनना, वचना
मेती, मेथी - स्त्री० १ सीसफूल (प्राभूषण) में धागा पिरोने का स्थान । २ एक प्रसिद्ध खाद्य पदार्थ व उसका पौधा । मेथी-पु०यन मेथी
मेव स्त्री० [सं० मेदः ] १ चर्बी, बसा । २ शरीर के किसी भाग
में बनी चर्बी की गांठ । ३ एक वर्णसंकर जाति । ४ एक नाग विशेष । ५ एक प्रौषधि विशेष । ६ कस्तूरी। ७ देवो 'मेदनी' ।
गूगल मेदणी-देखो 'मेदनी' ।
मेदक - पु० [सं० मेदक: ] शराब खींचने के काम आने वाला द्रव्य । मेवकर पु० [सं० मेदकर ] मांस
मेव० [सं० मेवजमू] १ हड्डी, मरिच २ एक प्रकार का
मेधरा - पु० [सं०] शरीर की झिल्ली जिसमें चर्बी रहती है । मेवनी स्त्री० [सं०] मेदिनी] पृथ्वी, धरती ३ जगह, स्थान, स्थल । ३ संस्कृत का एक कोश तळ, तल पु० भूमितल,
धरातल ।
पाट - g० मेवाड़ प्रदेश का नामान्तर ।
मेवा स्वी० १ भ्रष्ट वर्ग के अन्तर्गत एक औषधि २ देखो 'मेघा' |
मेडल - पु० [प्र० ] पदक, तमगा ।
मेडी-देखो 'मेडी'
मेडी देखो 'मंडी' |
मेढ़-पु० १ पशुओं को बांधने का खूंटा । २ देखो 'मींढ' मेवालकड़ी-स्त्री० एक प्रौषधि विशेष । - वि० १ठ, घटल । २ देखो 'मेड' |
मेबिन, मेदिनी देखो 'मेदनी' ।
मेदिय, मेडियो- पु० एक प्रकार का वस्त्र । मेरी ०१ पक्वाशय कोठा २ पेट देखो 'मैदी' मेघ- पु० [सं०] १ यज्ञ, हवन, मल । २ हवि, बलि । ३ बलि पशु ४ हवन सामग्री ५ सीमा, हद मेघज - पु०
[सं०] भगवान् विष्णु का एक नामान्तर ।
मेधा - स्त्री० [सं०] १ बुद्धि, ज्ञान, सोचने की शक्ति । २ सूझबूझ, समझ । ३ स्मरणशक्ति, याददाश्त ४ मान्यता, धारणा । ५ सरस्वती का एक रूप । ६ सोलह मातृकाओं में से एक। ७ दक्ष प्रजापति की एक कन्या । ८ सीमा, हृद । ९ चोर । १० यज्ञ । ११ छप्पय छंद का एक भेद । -बध, दधि-पु० बुद्धि का सागर, कवि ।
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मेधामांन
मेघामान, मेघावांन, मेधावाळ - वि० कुशाग्र बुद्धि, बुद्धिमान । मेधावी - वि० [सं० मेधाविन्] १ जिसकी बुद्धि विलक्षण हो, कुशाग्र बुद्धि । २ होनहार । ३ चतुर, बुद्धिमान । ४ पंडित, ज्ञानी, विद्वान ।
मेनका स्त्री० [सं०] १ पुराण प्रसिद्ध स्वर्ग
। ।
परी २ पार्वती की माता का नाम
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मेथि, मेथी-पु० कवि वि० बुद्धिमान, चतुर मेन - ०१ अंधकार। [सं० मदन] २ कामदेव । वि० १ काला, श्याम २ देखो 'मेरा' ।
[ ४११]
मेनाक- देखो 'मैनाक' ।
मेनाव १० [सं०] १ मयूर, मोर २ बकरा
मेनाथ पु० हिमालय ।
मेनिक - पु० मधुधा, मल्लाह ।
मेमंत देखो 'मेमंत' ।
मेमटा-देवो 'मैमट ।
उमा, पार्वती, शकुन्तला
मेगा स्त्री० [सं०] १ पावती की माता का नाम २ देखो
'मैना' ।
की एक अप्सरा, मात्मना स्त्री०
मेमती, मेमत्तिय- देखो 'ममंत' ।
मेमल पु० एक बरसाती कीड़ा विशेष । मेमार पु० [० ] भवन का कारीगर, शिल्पी, राजगीर । मेमूवी देखो 'महमूदी' ।
मेघ - स्त्री० [सं०] नाप-तौल या परिमाण निकालने की क्रिया । - वि० परिमाण निकालने योग्य । प्रव्य० समान, तुल्य । - सर्व० मुझे, मुझको ।
मेर - पु० [सं० मेरु] १ प्रस्ताचल । २ सीमा, हद । ३ एक पहाड़ी जाति या इसका व्यक्ति । ४ डिगल का एक छद । ५ देखो 'मेरु' । ६ देखो 'मे'र' ।
मेर-देखो 'मेरो'।
मेरगरंब (गर, गिर, गिरम्बर, गिरि, गिर, गिरि) - देखो 'मेरुगिरि' |
रखंड-देखो मेरुदंड' |
मेरपब्बे, मेरपरबत, मेरपरवत, मेरपहाड़ देखो 'मेरुपरवत' । मेरम-१ देखो 'मरम' २ देखो 'महरम' |
मेरवाड़ी १० जमेर तथा मेरी सर्व० खुद स्वयं से
सन्यास का प्रदेश संबधित एक सार्वनामिक विशेषण रूप स्त्री० [१] महंभाव महंकार २ मेर जाति को स्त्री मेह - पु० [सं०] १ पुराणोक्त एक स्वर्ण पर्वत २ नाम जपने की माला का मध्य का बड़ा मशिया । ३ वीरणा का एक अंग । ४ छन्द शास्त्र में गणना की एक पद्धति । ५ छप्पय छंद का एक भेद । ६ हुक्के का एक भाग । ७ पर्वत, पहाड़ ।
1
८ प्रध ।
हिरन की त्वचा के बीच पड़ने वाला कीड़ा
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- वि० घटल डिग, २ देखो 'मेस्मंड' | ३] देखो 'मे' |
मेळची
मेवगिर (गिरि, गिरी ) - पु० सुमेरु पर्वत ।
मेखंड (दंड) पु० [सं०] मेरुदंड] १ रीढ़ की हड्डी २ ब के मध्य की एक कल्पित रेखा ३ बड़ तंबू के मध्य का स्तंभ ।
"
मेरुदेवी स्त्री० [सं०] ऋषभदेव की माता। मेधाया-१० [सं० मेध्यायन] महादेव शिव मेश्वश्वत (परबत) पु० [सं० मेव पर्यंत] सुमेव पर्वत । मेदसिखर - पु० [सं०] १ मेरु पर्वत की चोटी । २ मस्तक के छ
-
चक्रों में से एक ( हठयोग ) ।
मेरु- देखो 'मेरु' |
मेहवन - पु० मेरु पर्वत के प्रास-पास का जंगल, वन । मेरे, मेरे सर्व ० १ 'मेरा' का बहुवचन २ देखी 'म्हार' ।
मेरे मेरं स्त्री० [सं० मेरेव] एक प्रकार की शराब, मदिरा
,
मेरी सर्व० 'मैं' का सम्बंधकारक एक सर्वनाम रूप, मेरा ।
-पु० १ मेर जाति का व्यक्ति २ देखो 'मे'।
मेळ, मेल- पु० [सं० मेल: ] १ मिलन, भेंट साक्षात्कार । २ संयोग । ३ मिलने की क्रिया या भाव। ४ परस्पर एकता, प्रेम, स्नेह । ५ प्रेम सम्बन्ध । ६ मित्रता दोस्ती ७ सुलह समझौता, संधि समता, बराबरी, जोड़ । ९ ताल-मेल, सामजस्य । १० धनुकूलता, उपयुक्ता ११ मिश्रण, मिलावट १२ सम्बन्ध, लगाव । १३ यात्रा में सहगमन, सहचार्य, साथ। १४ एकाकार होने की स्थिति बिलय । १५ किसी घटना का योग, संयोग । १६ व्यवस्था इन्तजाम । १७ प्रभिवृद्धि । १८ टकराव । १६ समूह । २० फौज, सेना । २१ मौका, अवसर । २२ विवाह के समय किया जाने वाला भोज २३ मृतक का ग्यारहवां दिन २४ द्वादशे के दिन प्राये हुए लोगों का समूह। २५ गाय के स्तनों में दूध उतरने की स्थिति । २६ प्राय-व्यय का प्रतिदिन का लेखा । २० प्रकार, वर्ग; जाति । २८ वह गाडी, जिसमें डाक जाती है। २९छद का तुकांत ३० योग, जोड़ | ३१ देखो 'मेल' - वि० समान, तुल्य । मेल- देखो 'महल' | मेदेखी 'मेल'
|
मेलड़ी- देखो 'महल' ।
मेळवी - पु० मित्र, दोस्त, यार
।
मेळकी-स्त्री० एक प्रकार का घास व उसके दाने । मेळ ० १ संग्रह २ देखो 'मेजू' मेळगर - वि० १ मेल-मिलाप करने वाला ।
२ एकत्र व इकट्ठा करने वाला । -पु० १ दर्शकगण । २ एक वर्ग विशेष । मेलडियां - देखो 'मावलिया' ।
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मेळजोळ
मेवागोर
मेळजोळ-पु० १ दोस्ती, मित्रता । २ प्रेम । ३ परिचय, मुला- धराना, टिकवाना । ५ त्यागाना, छुड़वाना । ६ धारण कात । ४ सम्बन्ध । ५ सुलह, संधि । ।
कराना, मनवाना। मेळण, मलण-पु०१ दूध का दही बनाने के लिए मिलाया जाने | मेळाप, मेलाप, मेळापी, मेलापौ-देखो "मिलाप'।
वाला खट्टा दही या छाछ । २ माटा गूदते समय डाला | मेळाबड़ो-देखो 'मेळावो' । जाने वाला धी। ३ गोबर के ऊपले बनाते समय मिलाया | मेलामतर-पु० तांत्रिक मंत्र विशेष । जाने वाला घास का चूरा। ४ खाद्य पदार्थ में पड़ने वाले | मेलायत-देखो 'महलायत'। . मसाले । ५ मिश्रण, मिलावट । ६ सम्बंध। ७ प्रेम, मेल । मेळावउ,मेलाबउ, मेलाबड़ो,मेळावरण. मेळावरणौ-देखो 'मेळावो'। -वि० प्रेम या मेल करने वाला।
मेळावरणौ (बौ)-देखो 'मेळारणो' (बो)। मेळणी (बो)-क्रि० [सं० मेलनं] १ भेंट कराना, साक्षात्कार | मेलावरणो (बो)-देखो 'मेलाणो' (बो)।
कराना, मिलाना । २ सम्मिलित या एकत्र करना, | मळावो-पु० [सं० मेलापकः] १ मिलने की क्रिया या भाव मिलाना । ३ जोड़ना, भिड़ाना। ४ प्रम करना, स्नेह साक्षात्कार, मेंट, मिलाप। २ सम्मेलन, सामूहिक मिलन करना । ५ किसी को अपनी पोर करना । ६ जोड़ना, ३ कन्या पक्ष की वर पक्ष से भेंट । ४ सम्मिलित होने की प्रडाना, सटाना । संलग्न करना । ७ घाव की चिकित्सा अवस्था। करना । ८ मिश्रण करना । प्रांख बंद करना, नींद मेळ, मेलू-वि०१ परस्पर मिलाने वाला, मिलाप कराने वाला लेना । १० धारण करना, ग्रहण करना, अपने में रमाना । २प्रेमी, मित्र, स्नेही, हितैषी । ३ मिलने वाला, परि११ गाय, भैंस प्रादि के बच्चे को दूध पीने के लिये | चित । ४ पक्ष का, पक्ष वाला। ५ मिला हुमा, मिश्रित । छोड़ना।
६ देखो 'मेळूजो'। मेलणी (बो)-क्रि० [सं० मेलनं] १ जाने के लिये प्रेरित करना, | मेळूजी-पु. पहिये की मजबूती के लिए लगाया जाने
भेजमा, पठाना । २ वस्तु, पत्र, संदेश प्रादि एक स्थान । वाला कड़ा। से दूसरे स्थान पर पहुंचाना। ३ प्रेषित करना । ४ रखना, | मेळो-पु० [सं मेला] १ मिलने की क्रिया या भाव । २ किसी धरना, टिकाना । रख कर छोड़ देना । रख जाना । पर्व या दिन विशेष को किसी स्थान विशेष पर एकत्र होने ५ त्यागना, छोड़ना। ६ धारण करना, मानना ।
वाला जन समूह। ३ क्रय-विक्रय के लिए एकत्र किया जाने मेळप-स्त्री०१ मित्रता, दोस्ती। २ स्नेह, प्रेम ।
वाला पशु धन । ४ मिलाप, भेंट, साक्षात्कार, समागम मेळवण, मेळवरणी-देखो 'मेळण'।..
५ एकत्र जन समूह । ६ खेल, तमाशा । ७ हुल्लड़ । ८ योग मेळसरज, मेळसरोज, पु० मक्खन, नवनीत ।
संयोग । ९ सभा, सम्मेलन। १० फसल पर लिया जाने मेलाण-पु. १ यात्रा के बीच का पड़ाव, विधाम । २ स्थान, वाला एक लगान।
मुकाम । ३ रहट की माल का अतिरिक्त भाग। ४ महल, | मेलो-१ देखो 'मैलो'। २ देखो 'मेळो। प्रासाद मादि।
मेलहणी (बो), मेल्हवणी (बो)-देखो 'मेलणी' (बी) मेळाऊ-पु. १ एकत्रित जन समूह, भीड । २ शत्रु पक्ष । -वि० | मेल्हाण-देखो 'मेलाण'।
१ महार, धोखे बाज, शत्र पक्ष में मिलने वाला । २ मिला | मेल्हाणी (बी), मेल्हावरणौ (बी)-१ देखो 'मेलाणी' (बी)। हुमा, इकट्ठा, मिश्रित ।
२ देखो 'मेळाणो' (बो)। मेळाणी (बी)-क्रि० १ भेंट करवाना, साक्षात्कार करवाना, | मेल्हू-देखो 'मेळू'।
मिलवाना। २ सम्मिलित करवाना, एकत्र करवाना । मेव-पु० १ एक जाति विशेष । २ इस जाति का व्यक्ति । ३ जड़वाना, भिटवाना, मिलवाना । ४ प्रेम कराना, स्नेह | मेवडली-१ देखो 'मेह' । २ देखो 'मेवो' । कराना । ५ किसी को अपनी भोर करवाना, मिलवाना ।
| मेवड़ो-पु० १ दूत, चर, हलकारा । २ देखो 'मेवो' । ३ देखो ६ मड़वाना, सटवाना, जुडवाना । ७ धाव की चिकित्सा करवाना । ८ मिश्रण करवाना, मिलवाना । ९ मांख बंद
मेवती-पु० एक प्रकार की प्रफीम । कराना, नींद के लिये प्रेरित करना। १० गाय, भैस के बच्चे को दूध पीने के लिये छुड़वाना।
| मेवलो-देखो 'मेह'। मलाणी (बी)-क्रि. १ जाने के लिये प्रेरित कराना, भिजवाना, | मेवसियो-देखो 'मेवासी'।
पठवाना । २ वस्तु, पत्र या संदेश एक स्थान से दूसरे | मेवागोद-स्त्री० विवाह से पूर्व, इष्ट मित्रों से दूल्हे को मिलने स्थान को पहुंचवाना। प्रेषित कराना । ४ रखाना, बाली भेंट (मोसवाल)।
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मेवार
मेवार-पु० [सं० मेदपाट] राजस्थान के दक्षिण का एक प्रदेश। मेहए, मेहणी-देखो 'मै'णो' । मेवाड़ाकुमार-पु० कुम्हारों की एक शाखा ।
मेहतर-देखो 'महत्तर। मेवाड़ी-वि० मेवाड़ का, मेवाड़ संबंधी । -पु. मेवाड़ का | मेहबेहजा-स्त्री० मेहा की पुत्री श्रीकरणी देवी।
निवासी, मेवाड़ का राजपूत। -स्त्री० मेवाड़ की बोली। | मेहनत-देखो 'म'नत'। मेवाड़ी-१ देखो 'मेवाड़। २ देखो 'मेवाड़ी।
मेहनाम-पु० [सं० मेहनाम] अभ्रक। मेवार-देखो 'मेवार।
मेहपाठ-पु० मेड़ता का प्राचीन नाम । मेवात-पु० राजस्थान का एक पूर्वी प्रदेश।
मेहपुर-पु. बाड़मेर जिले का एक प्राचीन नाम । मेवाती-वि० मेवात का, मेवात संबंधी। -पु. १ मेवात का मेहमंत-देखो 'मैं'मंत ।
निवासी। २एक जाति विशेष या इस जाति का व्यक्ति। मेहमाण (मान)-देखो 'मे'मांन । -स्त्री. एक प्रकार की बोली।
मेहमाणी (मांनी)-देखो 'म'मानी। मेवादी-स्त्री. एक प्रकार की तलवार।।
मेहमा-देखो 'महिमा'। मेवाफरोस-पु० [फा० मेवाफरोश मेवे का व्यापारी। मेहर-1 देखो 'महर'। २ देखो 'मेर'। मेवास-पु० [सं० मेधा+वास] १ कू या लुटेरों के छुपने का | मेहरबानगी(बांनी, वानगी वानी)-देखो 'मै रगनी।
स्थान । २ सुदृढ़ किला, कोट, गढ़। ३ स्थान, मुकाम, | मेहरात-पु० एक वर्ग विशेष । डेरा । ४ चोर, लुटेरा, डाकू । ५ पूर्व या माग्नेय कोण के | मेहराब-पु० [अ० मिहराब] किसी द्वार पर बना पद मडमध्य की दिशा।
लाकार भाग। -दार-वि• जिस पर मेहराब बना हो। मेवासियो-देखो 'मेवासी'।।
मेहरित, मेहरितु-स्त्री० [सं० मेघ ऋतु ] वर्षा ऋतु मेवासी-पु. १ चोर, लुटेरा, डाकू । २ उद्दण्ड, बदमाश, | मेहरु(6)-पु० महत्तर। .
नटखट । ३ रसिक । ४ 'मेवास' दिशा में बोलने वाला | मेहरोमाग-पु० [स० मेघ मार्ग] आकाश, गगन । तीतर । ५ देखो 'मेवास।
मेहळ(ल)-१ देखो 'महल'। २ देखो 'महिला' । ३ देखो 'मेखळा' मेवासो-पु० [सं० मेघावास] १ सुदृढ़ किला, कोट, गढ़ । मेहलणी (बो)-देखो 'मेलणो' (बो) । २ देखो 'मेवास।
मेहळांण, मेहलाण-देखो 'मेलाण' । मेवो-पु० [सं० मेवः] १ बादाम, पिश्ता मादि सूखा मेवा । मेहलाणी (बो)-देखो 'मेलाणी' (बो)। २ मिष्ठान्न, पकवान ।
मेहलायत-देखो 'महलायत' । मेस-पु० [सं० मेष] १ नर भेड़, मेष । २ ज्योतिष की बारह मेहलावणी (बो)-देखो 'मेलाणो' (बी)।
राशियों में से एक । ३ देखो 'महेस'। --लगन, लग्न-पु० | मेहलि(लो)-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिला'। मेष राशि का लग्न ।
मेहलु (लू, लो)-देखो 'मेह' । मेसर-देखो 'महेस्वर'।
मेहवपुर-पु. राजस्थान का, बाढ़मेर के पास-पास का, प्रदेष । मेसरी-देखो 'माहेस्वरी'।
मेहसड़लो-देखो 'मेह'। मेसी-स्त्री० [सं० मेषी] मादा भेड़।
मेहांण-देखो 'महारणव' । मेसूरण-पु० [सं०] फलित ज्योतिष का दशम लग्न । मेहाणंद-पु. करणीजी के पिता का नाम ।
. मेस्री-देखो 'माहेस्वरी'।
मेहा-पु० [स० मेघ] १ वर्षा । २ वर्षा के बादल । ३ देखो मेहंबी-देखो 'मैंदी'।
'मेहाई'। मेह-पु० [सं० मेघ] १ बादल, घन, मेघ । २ वर्षा, बारिस । महाई-स्त्रा० श्री करणीदेवी।। [सं० मेह] ३ मूत्र, पेशाब ।
मेहागम-पु० [सं० मेघ प्रागमन ] वर्षा ऋतु का मागमन । मेहरणौ (बी)-क्रि० । भोगना, उपभोग करना।२ मानन्द
मेहावी-देखो 'मेधावी'। लूटना। मेहलो, मेहड़ो-देखो 'मेह'।
मेहासदु, महासदू (धू) महासिधू-स्त्री. श्रीकरणी देवी का मेहजाळ-देखो 'मेहमाळ'।
नामांतर। मेहबुज-वि० उन्मत्त ।
मेहाही-देखो 'मेहाई'। मेहमाळ-स्त्री० [सं० मेघ-झार] वर्षा हेतु किया जाने वाला यज्ञ । मेहिली-देखो 'महिला'। मेहणत-देखो 'म'नत'।
महू-१ देखो 'म्है' । २ देखो 'मह' मेहणी-देखो 'मैं'णो।
| मेहूडो-देखो 'मेह'।
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मेहेरबान
मेहेरबान-देखो 'में'रबांन' ।
मंग्ल-पु० [सं० मदनफल] मैनफल । मेहेरोरण-देखो 'महारणव'।
मैग-१ देखो 'मेढो' । २ देखो 'मड़ी' । मेहेली-देखो 'महिला'।
मंढी-देखो मेढी'। मैं-सर्व० उत्तम पुरुष का कर्त्ता रूप, स्वयं, खुद । -पु. १ बकरी| की भावाज । २ अहंभाव, प्रहमन्यता । ३ देखो ‘में'।
| मणंगना-स्त्री० [सं० मदनांगना] कामदेव की स्त्री, रति ।
| मैरण-पु. १ शिर का माभूषण, चूड़ामरिण । २ देखो 'मण' । मैंगळ-देखो 'मदकळ'।
३ देखो 'मदन'। . मैंगाई-देखो 'मू"गाई।
मैरणका-देखो 'मेनका'। मैंगो-देखो 'मू"गो'।
मणधार-देखो 'मणिधर' । मैंडा-वि० मेरे, मेरा।
मैगधुज-पु. मदनफळ । मैंरण-पु. मोम।
मंगल-पु० हाबी। मैंरएका-देखो 'मेनका'।
मरणसिल-देखो 'मैनसिल'। मैंणा-देखो 'मरणा'।
मैणा-स्त्री. १ एक जाति विशेष । २ देखो ‘मना'। मैंणावती-देखो 'मेंणावती।
मैणादे-देखो 'मेंणावतो। मैंगो-देखो 'मरणो'। मैत-देखो 'महत।
मरणी, मणी-स्त्री०१ कटुवचन, ताना, व्यंग। २ मैणा जाति की मैंतर-देखो 'महत्तर।
स्त्री। -वि० गुडी, बदमाश। मैंदान-देखो 'मैदान.
मणीयात-वि. कलंकित, बदनाम । मैंदालकड़ी-देखो 'मैदालकड़ी'।
| मैरणी-पु. (स्त्री० मैणी) मैणा जाति का व्यक्ति। मैंबी-स्त्री० [सं० मेधी] १ प्रायः समस्त भारत में होने वाली
मै'गो-पु० व्यंग। एक झाड़ी। २ उक्त झाड़ी की सूखी पत्तियां व इन | मंतर-देखो 'महत्तर'। पत्तियों का चूरणं । ३ एक लोकगीत ।
मैं'ता-देखो 'महता'। मैंनत-देखो 'मैं'नत'।
मैताब-देखो 'महताब'।
मैताबी-देखो 'महताबी'। मैपरणी-पु. अभिमान, गर्ब, महंभाव ।
मतारी-देखो ‘महतारी'। मैंमंतक, मैमट, मैमत-देखो 'मैमंत'।
मैत्रकार-पु० एक वर्ग विशेष मैमंव-पु० स्त्रियों के शिर का प्राभूषण विशेष ।
मंत्री-स्त्री० [सं०] १ दो या दो से अधिक व्यक्तियों का मैंहघो-देखो 'मू'गो'।
परस्पर प्रेम, मित्रता । २ मेल-जोल । ३ समानता । मैं-देखो"मय।
४ अनुराधा नक्षत्र । मेक-देखो ‘महक'। मैं'करणी (बी)-देखो ‘महकरणो' (बी)।
मथळी, मैथली-देखो 'मैथिळी'। मैकमो-देखो 'महकमों'।
मैथिल-वि० मिथिला का, मिथिला संबंधी। -पु. १ मिथिला मै'कार-स्त्री० महक, सुगंध ।
का निवासी । २ ब्राह्मणों का एक वर्ग । मेख-देखो 'महिस'।
मैथिळी, मैथिली-स्त्री० [सं० मैथिली] १ सीता का एक नाम, मेवास-देखो 'महिसासुर'।
जानकी । २ मिथिला प्रदेश की भाषा। मंगळ-देखो 'मदकळ।
मैथुन-पु० [सं०] १ किसी स्त्री के साथ किया जाने वाला मैडी-स्त्री. १ मकान के ऊपर बना कमरा, मटारी । संभोग, रति क्रीड़ा । २ काम-वासना की भावना से स्त्री के २ महल । देखो 'मेडी'।
साथ किया जाने वाला व्यवहार । मेवारण, मायण-देखो 'मेछ'।
मंयुनी-वि० मंथुन संबंधी । मैथुन करने वाला। -प्रजा-स्त्री. मेजड़ी-पु. कृषि भूमि समतल करने का काष्ठ का उपकरण । मधुन से उत्पन्न संतान । मेजर-पु. दबाव।
मंदड़ो-पु० पटेला (मेवात)। मैड-देखो 'मेड'।
मंबर-स्त्री. मौसी, माता की बहन (मेवात)।
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मैदान
( ४१७ )
मलामतर
मैदान-पु० [फा०] १ समतल तथा विस्तृत भू-खण्ड, क्षेत्र। म'मांग-पु. [फा० मेहमान] १ प्रतिथि, मेहमान । २ दामाद,
२ खेल-कूद का स्थान । ३ युद्ध-भूमि, रणक्षेत्र। ४ किसी जवाई। ३ सगा, संबंधी । पदार्थ का विस्तार । ५ रत्न की लंबाई-चौड़ाई। ६ मल | मै'मानदारी-स्त्री० [फा० मेहमानदारी] अतिथि सत्कार।
टट्टी। ७ मल त्याग करने का स्थान, जंगल । । मै'मांनी-स्त्री० [फा० मेहमानी] १ मेहमान बनने की अवस्था मैदानी-वि० मैदान का, मैदान संबंधी।
या भाव । २ अतिथि सत्कार, स्वागत । मैबालकड़ी-स्त्री० एक प्रकार की काष्ठ-पौषधि विशेष । मै'मा-देखो 'महिमा'। मवी-पु० [फा० मेदः] १ गेहूँ का अत्यन्त महीन पाटा । मै'मावान-देखो 'महिमावान' । २ पक्वाशय, पेट, कोठा।
मैयण-देखो 'मदन'। मध-देखो 'मेध'।
मैया-देखो 'माता'। मंधा-देखो 'मेधा'।
मंयो-देखो :मयो'। मैन-देखो 'मदन'।
मै'र-पु. १ हाथी, गज । २ देखो ‘महर'। मनका-देखो 'मेनका'।
मेरबान-देखो 'मैं'रवान' । मै'नत-स्त्री० [म. महनत] १ किसी कार्य के लिये होने वाला
मै'रबांनी-देखो 'म'रबांनी' । शारीरिक, मानसिक श्रम, परिश्रम । २ प्रयास, कोशिश ।
मै'रवान-वि० [प्र. मेहबान] १ जो दया, कृपा, अनुग्रह करता
हो, कृपालु । २ दातार । ३ मित्र, दोस्त। मैं'नती-वि० [प्र. महनती] १ परिश्रमी, मेहनती । २ अपने |
| मरवानगी, मेरवानी-स्त्री० [फा० मेहबानी] १ कृपा, दया, कार्य के प्रति प्रयत्नशील ।
अनुग्रह । २ तरस । ३ करुणा । ४ ममता, प्रेम । मैनफळ-पु० [सं० मदनफल] एक कंटीली झाड़ी व उसका | मै'राब-देखो 'महराब'। फल।
मै'रावबार-देखो 'मेहराबदार। मैनमूरत-पु० [सं० मदन-मूर्ति] कामदेव का स्वरूप ।
मैरियाळ, मैरी-पु० रहट में चलने वाले बैलों में से अन्दर की मैनसिस-स्त्री० [सं० मनःशिला] पीली मिट्टी की तरह की प्रोर का बैल। एक धातु । -वि० पीला, पीत ।
मैरौ-पु. ऊँची व पथरीली भूमि। मैना-स्त्री० [सं० मदना] १ पीली चोंच व काले रंग का एक | मल-पु० [सं० मलिन] १ शरीर या वस्त्र प्रादि पर पाने
पक्षी । सारिका । २ देखो 'मेनका' । ३ देखो 'मणा'। वाला कीट, गंदगी । २ विकार, दोष । दूषण । मैनाक-पु० [सं०] १ हिमालय और मैना से उत्पन्न एक | मैल-१ देखो 'महल'। २ देखो 'महिला'। पर्वत । २ हिमालय की एक चोटी।
मलखोरी-वि. जो मैला न हो, जिस पर मैल न दिखे। मैनावती-देखो 'मेणावती'।
-पु० १ ऐसा वस्त्र जिस पर लगा मैल न दिखे। २ मैल से मनावळी-स्त्री. एक वर्णवृत्त विशेष ।
बचाव के लिये वस्त्र के नीचे पहनने का वस्त्र । मैल
उतारने का छोटा पत्थर । मैं'पाळ-देखो 'महीपाळ।
| मैलाली-पु० १ घोड़े की पीठ पर रखने का वस्त्र विशेष । मैफल, मैफिल-स्त्री० [4. महफिल] १ किसी भवसर विशेष | २ मेलखोरी वस्त्र ।
पर की जाने वाली गोष्ठी,उत्सव, जलसा । २ सभा, बैठक । मैलणी (बी)-देखो 'मेलणी' (बो)। ३ सम्मेलन, समारोह । ४ उपासना, साधना का स्थान । मैलमाळिया-पु. १ महल व उस पर बनी अटारी। २ दीपावली ५ संसार, जगत।
पर शक्कर के बनाये जाने वाले खिलौने । मै'बूब-देखो 'महबूब'।
मैलरखो-देखो 'भलझली'। मैमंत-वि० [सं० मदमस्त] १ मदोन्मत्त, उन्मत्त, मस्त । मैलारण-देखो 'मेलाण'। -पु. १ हाथी, गज । २ मस्त हाथी, मदमस्त हाथी ।
मैलाकरम-पु०१ मानवीय व सामाजिक दृष्टि से मनुचित मैमर-१ देखो 'मुहम्मद'। २ देखो मैमंद' । ३ देखो 'मैमंत'।
कार्य । कुकर्म । २ वाम मागियों के कार्य । ३ दुर्भाग्य । मैम-स्त्री. १ अंग्रेज स्त्री। २ स्त्री के चित्र वाला ताश का पत्ता। | मलाणी (बो)-देखो 'मेलारणों' (बी)। मैमट-पु. १ बादल, मेघ । २ देखो 'मैमंत' ।
मैलात, मैलायत-देखो 'महलायत' । ममत, मैमतो, मैमत्त, मैमत्तौ-देखो मैमंत' ।
मलापण, मलापणी-पु० गंदगी, विकार । मैमन-१ देखो 'मैमंद' । २ देखो 'ममंत' ।
मलामंतर-पु० तांत्रिक क्रिया विशेष ।
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मळू
मोक्ख
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-
मळ-पू० गाड़ी के बक्के में लगने का लोहे का बंद विशेष । | मोसर-देखो 'मौसर'। मलो-वि० [सं० मलिन] (स्त्री० मैली) १ जिस पर मैल या | मोंसी-देखो 'मासी' ।
गंदगी हो, मैला, गंदा । २ बदबूदार, दूषित । ३ विकार | मोहडो-देखो 'मूडौ' । युक्त । ४ पतित, नीच, हीन । ५ बिना घुला । ६ जाति | मो-सर्व० [सं० मम] १ मैं, मुझ । २ मुझे, मुझको। ३ मुझ भ्रष्ट । -पु. १ मल, विष्ठा । २ कूड़ा, कचरा । ३ स्त्रियों पर, मुझ से । ४ मेरा, मेरी, मेरे।। का दूषित रज।
मो-देखो 'मोह'। मैलोमायो -पु. स्त्रियों की ऋतुमति की अवस्था, दशा। मोइडको-पु. बच्चों का एक खेल। मैल्हणो (बो)-देखो 'मेलणी' (बी)।
मोइ-देखो 'मो/मोई'। मैवट, (१)-वि० महान्, बड़ा ।
मोइल-देखो 'मोयल'। मैवास-देखो ‘मेवास'।
मोई-स्त्री. १ एक प्रकार का पौधा, झाड़ी। २ मूग के प्राटे मवासी-देखो 'मेवासी।
का एक पौष्टिक पदार्थ । ३ मसालेदार सूखी भांग । मंबासौ-देखो 'मेवासों'।
४ देखो 'मो'। मैसूल-देखो 'महसूल'।
मोउ, मोऊ-देखो 'मऊ। मैं'सूस-देखो ‘महसूस' ।
मोकड़ी-देखो 'माकडो'। मैहण-देखो 'महारणव' ।
मोकरणौ (बी)-देखो 'मूकणों' (बी)। महरणी-देखो 'मै'रणी'।
मोकदमो-देखो 'मुकदमौ'। महरणो-देखो 'भैरणी'।
मोकळ-स्त्री० १ इजाजत, माज्ञा । २ छुट्टी, अवकाश । ३ विशेष मैहमंत, महमत-देखो 'मैमंत'। .
प्रकार से तैयार किया गया खरगोश का मांस । ४ देखो महमद-देखो 'मैमंद'।
'मुकळायत' । ५ देखो 'मोकळो' । मेहमानी-देखो 'मै'मांनी'।
मोकळउ, मोकलउ-देखो 'मोकळो' । महर-देखो 'महर'।
मोकळरणी (बी), मोकलणी (बी)-क्रि० [सं० मोक्षणम् ] मेहरबान (बांन)-देखो 'मैं'रबान'।
१ जाने के लिए प्रेरित करना, भेजना, पठाना । २ मुक्त महरषांनी (वानी)-देखो 'मै'रबांनी'।
करना, पाजाद करना। ३ छोड़ना, त्यागना । ४ देना। महरांण-देखो 'महारणव'।
५ फैलना, बिखरना। महरात-स्त्री० एक जाति विशेष ।
मोकळमुख (मुह,मूडी, मूवी)-वि० वाचाल, मुंहफट, लबार । महरी-स्त्री० दले हुए जी, बाजरा या मक्का व छाछ के साथ
मोकळारण-देखो 'मुकळायत' । बना पेय पदार्थ, रबड़ी।
मोकळारणौ (बो)-कि० १ जाने के लिए प्रेरित करवाना, भिज महरु (क)-देखो 'महर'।
वाना, पठवाना। २ मुक्त कराना, प्राजाद कराना । महल-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिळा'।
३ छुडवाना, त्याग कराना। ४ दिलाना। ५ फैलाना, महलांण-देखो 'मेलाण'।
बिखेरना। ६ तानना, फैलाना । मैहलाइत, मैहलायत-देखो ‘महलायत'। मैहेली-पु० एक भोज्य पदार्थ विशेष ।
मोकळायत-देखो 'मुकळायत'। मों-देखो 'मो'।
मोकळावरणी (ो), मोकलावणी (बी)-देखो 'मोकळारणो' (बो) मोड़ो-देखो 'मोड़ो।
मोकळ , मोकळी, मोकलो-वि० (स्त्री० मोकळी) १ अत्यधिक मोंच-देखो 'मोच'।
ज्यादा । २ पर्याप्त, प्रचुर, काफी। ३ संख्या व मात्रा
में अधिक, अनेक । ४ विस्तृत, चोड़ा। ५ तीव्र, तेज । मोचकरोत-स्त्री० लकड़ी चीरने की बड़ी पारी, करोत ।।
६ प्रभावशाली, प्रभावपूर्ण । मोची-स्त्री०१ कूए से पानी निकालने की चड़स को बांधने का मोकल्यो-बि० मुक्त, स्वतंत्र, माजाद ।
लकड़ी का उपकरण । २ काष्ठ का एक अन्य उपकरण । मोकुख-देखो 'मौकूफ'। ३ देखो 'मोची'।
मोकबारदात-देखो 'मौकेवारदात' । मोंडको-पु० कूए के ऊपर मन्दर की घोर बना एक भाग। मोको-१ देखो 'मोखो' । २ देखो 'मोको'। मोंग-देखो 'मैण/मोण'।
| मोक्ख-देखो 'मोक्ष' । -मग, माग- मोक्षमारग' ।
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मोक्रकणि
( ४१९ )
मोड़
मोक्रकमरिण-पु. एक रत्न विशेष ।
मोखाणी (at), मोखावरणो (बो)-क्रि० १ मुक्त कराना, मुक्ति मोक्ष, मोक्स-स्त्री० [सं मोक्ष] १ बंधन से मुक्ति, छुटकारा दिलाना । २ बंधन से छुटकारा कराना, छुड़वाना,
प्राजादी । २ निर्वाण, कल्याण । ३ स्वर्ग. वैकुण्ठ । ४ मृत्यु खुलवाना । ३ रिहा व आजाद कराना। ४ फिकवाना। मौत । ५ अर्थ, धर्मादि कल्याण के चार पदार्थों में से एक। मोखि-१ देखो 'मोक्ष'। २ देखो 'मोखी'। ६ उऋण होने की क्रिया या भाव । ७ बचाव । ८ छूट, मोखी-स्त्रो० १ मकान या कक्ष से पानी बाहर पाने का नाला,
ढोल । ९ बहाव, पात । १० सूर्यादि ग्रहण की शुद्धि। । मोरो। २ गुदा, मूल द्वार । ३ बारी, खिड़की। मोक्षक-वि० [सं०] १ मोक्षदाता। २ मुक्तिदाता, प्राजाद करने | मोखो-पु० [सं० मुख] १ पानी के निकास का बड़ा नाला, मोरा । वाला।
२ रोशनदान। ३ दीवार में बना बड़ा छेद, विवर । मोक्षण-स्त्री० [सं०] १ मोक्ष देने की क्रिया या भाव । ४ देखो 'मोक्ष'। ५ देखो 'मोको'।
२ मुक्त होने की अवस्था । ३ स्वतंत्रता, पाजादी। मोग-१ देखो 'मोख'। २ देखो 'मोगी। मोक्षव-वि० [सं०] १ मोक्षदाता, मुक्तिदाता । २ छोड़ने वाला, मोगम-१ देखो 'मोखम' । २ देखो 'मूगम' । मुक्त करने वाला।
मोगर-पु० [समुद्गर] १ गदा की तरह का एक शस्त्र विशेष । मोक्षदा-पु० [सं०] सिक्खों की पांच वस्तु, कड़ा, कंधी मादि का ! मुद्गर । २ सोना, फोज । ३ झुण्ड, समूह । ४ मूग या माठ __ समूह । -वि. मोक्षदात्री।
की धुली हुई दाल । ५ इस दाल की सब्जी । ६ मुसलमान । मोक्षदा एकापसी-स्त्री० [सं० मोक्षदा एकादशी] मार्गशीर्ष शुक्ला
७ देखो 'मोगरी'। ८ देखो 'मोगरौ'। एकादशी।
मोगरवेलि-स्त्री० मोगरे की लता। मोक्षदाता-वि० मोक्ष या मुक्ति देने वाला ।
मोगरि, मोगरी-स्त्री०१मूले की जाति के एक पौधे की फली; मोक्षपति-पु० [सं०] संगीत का एक भेद विशेष ।
एक मब्जो। २ एक कंद विशेष । ३ काष्ठ का हयोड़ा। मोमपद-पु० [सं०] किसी जीव को वैकुण्ठ में मिलने वाला ४ स्वर्णकारों का काष्ठ का एक उपकरण । ५ छत कूटने स्थान । निर्वाण ।
का एक उपकरण । ६ छोटे मोगरे का फूल । ७ दुरमुस, मोक्षमारग-पु० [स०] मोक्ष प्राप्ति के प्रयास, प्राचरण, भक्ति |
दुरमच । पाटे, बेसन, मेदे प्रादि में थोड़ा घी व थोडा व तपस्या।
गर्म पानी डाल कर मसलने पर पड़ने वाले दाने । मोक्षविद्या-स्त्री० [सं०] १ प्राध्यात्मिक विद्या । २ वेदांतशास्त्र
था । २ वेदांतशास्त्र | मोगरेल-पु० [सं० मुद्गर-तेल] मोगरे का तेल । मोखंत, मोखतर-देखो 'मोक्ष'।
मोगरी-पु० [सं० मुद्गर] १ बढ़िया जाति का बेले का पौधा । मोख-पु० [सं०मयूख] १ प्राय: वर्षा ऋतु में सूर्योदय या सूर्यास्त | २ उक्त पौधे का फूल । ३ तलवार को मूठ का सब से ऊपरी
के समय बादल की मोट से दिखने वाला किरण समूह । भाग । ४ प्राभूषण पर लगने वाली गुडो । ५ देखो २ एक प्रकार का वृक्ष । ३ देखो 'मोक्ष' । ४ देखो 'मोखी'
'मुद्ग र'। ५ देखो 'मोस' । ६ मुख्यता ।
मोगळ-१ देखो 'मोगर'। २ देखो 'मुगळ' । मोखरण-देखो 'मोक्षण' ।
मोगिया-स्त्री० एक अनुसूचित जाति । मोखरणो (बो)-क्रि० [सं० मोक्षणम] १ मुक्त करना, मुक्ति देना। मोगा-वि० (स्त्री० मोगी) १ अशक्त, कमजोर, निर्बल । २ मंद
२ बंधन से छुटकारा करना, छोड़ना, खोलना । ३ रिहा | बुद्धि। ३ मूढ़, मूर्ख, अयोग्य । ४ चिड़चिड़े स्वभाव वाला। करना, भाजाद करना। ४ फेंकना।
५. सिंचाई के पानी की नाली। मोखा-देखो 'मोक्षद'।
मोघ-वि० [सं०] १ व्यर्थ, बेकार, निरर्थक, निष्फल । मोखदा-देखो 'मोक्षदा'।
२ फालतू, निरर्थक । ३ निरुद्देश्य । ४ त्यागा हमा, त्यक्त । मोखन-देखो 'मोक्षण'।
५ सुस्त। -पु० १ घेरा, पहाता । २ मेड़। ३ देखो 'मोख'। मोखपव-देखो 'मोक्षपद'।
पोधो-देखो 'मोगो'। मोखम-स्त्री० अनिश्चित अवस्था ।
मोड़-पु० । मुड़ने की क्रिया या भाव । २ मार्ग, गस्ता, पगडंडी मोखमल-देखो 'मखमल' ।
घुमाव । ३ बल, मुड़ी हुई अवस्था । ४ गर्व, अभिमान । मोखविधा-देखो 'मोक्षविद्या' ।
५ बनावट । ६ किरण । ७ देखो 'मोड़। मोखरण-देखो 'मुकारण।
मोड़गर-वि० पराजित करने वाला। मोखांतर-देखो 'मुकातर' ।
मोड़ण-स्त्री० मोड़ने की क्रिया या भाव । -वि०१ मोड़ने वाला
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मोडली
( ४२० )
मोटम
घुमाने वाला। २ झुकाने वाला, नमाने वाला । ३ मिटाने | मोचक-पु० [सं०] १ साधु, भक्त । २ मोक्ष, मुक्ति । ३ केसे का वाला।
पेड़ । -वि० छुड़ाने या मुक्त करने वाला। मोडगो (दो)-क्रि० [सं० मुरणम) १ किसी सीधी वस्तु में बल मोचड़ि, मोड़ी-स्त्री. १ पैर की जूती । २ देखो 'मोछ' ।
देना. खड़े को झुकाना, घुमाना । २ धारदार वस्तु की धार ३ वह गाय जिसका बछड़ा मर गया हो और दूध देती हो। टेढी करना। ३ ऐंठन देना, मरोड़ना । ४ किसी चलते | मोचडी-पु. १ जूता, बूट । २ घोडों को प्राख का एक रोग । हुए की दिशा परिवर्तन करना । ५ लौटने के लिये कहना, | मोचण-पु० [सं० मोचनं १ छोड़ना क्रिया या भाव । २ रिहाई लौटाना । ६ वापस करना। ७ पराङ मुख करना, पृष्ठ छुटकारा, मुक्ति। ३ दूर करना, हटाना क्रिया । ४ उऋण फिरवामा, विमुख करना । ८ शरीरांग घुमाना । ९ लौट होने की अवस्था या भाव । ५ बहाव, स्राव । ६ खींचा जाने के लिये मजबूर करना, पीछे हटाना, खिसकाना, तानी, छीनाझपटी । ७ विनाश, समाप्ति। ८ मोची भगाना । १० नष्ट करना, मिष्टाना, तोडना । ११ छिन्न- जाति की स्वी। -प्रध-वि० पाप या दोष मिटाने वाला । भिन्न करना, अस्त-व्यस्त करना । १२ टेढी-मेही स्थिति मोचरणी (बौ)-क्रि० [सं० मोचनम] १ रिहा करना, मुक्त में करना १३ विमुख करना, विरुद्ध करना । १४ गिराना, करना, छोड़ना। २ त्यागना, छोड़ना। ३ मिटाना, पटकाना । १५ कागज वस्त्रादि में सलवट डालना, समाप्त करना । ४ बहाना, प्रवाहित करना। समेटना । १६ काटना।
मोचबो-पु. रबी की फसल की बुवाई से पूर्व की जाने वाली मोड़-तोड़-पु० घुमाव-फिराव, चक्कर ।
जुताई। मोड़बंध (धौ)-देखो 'मोडबंध' ।
| मोचन-देखो 'मोचण'। -अध='मोचणप्रध' । मोहाणी (बो)-क्रि० १ किसी सीधी वस्तु में बल दिगना, मोचरस-पु० [सं०] १ सेमल वृक्ष का गोंद । २ सेवरी का
खडे को झुकवाना घुमवाना । २ धारदार वस्तु की धार फूल । ३ मोर पंख, मयूर पिच । ४ घोड़े के पैरों का टेढी कराना । ३ ऐंठन दिराना, मरोड़वाना । ४ चलते हुए | की दिशा परिवर्तन कराना । ५ लौटने के लिए कहलाना, मोची-पु. (स्त्री० मोचन) जूते बनाने वाली एक जाति व इत लोटवानी । ६ वापस कराना । ७ पगड मुख कराना, पृष्ठ जाति का व्यक्ति । फिरवाना, विमुख कराना । ८ शरीरांग घुमवाना । ६ लौटने | मोचौ-पु० १ झुकाव । २ जूता। को मजबूर कराना, पीछे हटवाना, खिसकवाना, भगाना । | मोन्छ-देखो 'मोक्ष'। १० नष्ट कराना। मिटवाना, तुडवाना । ११ चिन्न-भिन्न | मोच्छष, मोठव-देखी 'महोत्सव' । कराना, अस्त-व्यस्त कराना । १२ टेढ़ी-मेढी स्थिति में मोचरण-देखो 'मूछण'। कराना । १३ विमुख कराना, विरुद्ध कराना। १४ गिरवाना. | मोज-१ देखो 'मौज'। २ देखी 'मोजो' ।
पटकवाना । १५ कागज वस्त्रादि में सलवट पटकवाना। मोजड़ी-१ देखो 'मोचड़ी' । २ देखो 'मोजी'। मोहि, मोड़ी-पु० खलिहान में घूमने वाले बैलों में से अन्दर की | मोजड़ो-देखो 'मोजो'। पोर घूमने वाला बल।
मोजांण-देखो 'मौज'। मोड़री-क्रि० वि० देर से, विलंब से।
मोजी-देखो 'मौजी'। मोड़ों-पु० १ दरवाजा, द्वार । २ विलंब, देरी ।-क्रि० वि० । मोजूद-देखो 'मौजूद'।
(स्त्री. मोडी) १ विलंब से, देरसे । २ लंबी प्रतीक्षा | मोवा-देखो 'मौजूदा' । के बाद।
मोजो-पु. [फा० मोज:] १ पैर का जुर्राब, पायताबा । मोचंग-देखो 'मुखचंग' ।
२ जूता । ३ पंर का कवच । ४ कुश्ती का एक दाव, पेच । मोच-स्त्री० [सं० मुच] १ झटके से शरीर के संधि स्थलों की | ५ देखो 'मोजो'।
नश का हटना । २ संधिस्थलों पर सूजन माना। | मोट, मोटउ-स्त्री. १ बड़प्पन, बढ़ाई। २ गर्व, घमंड । ३ कूए ३ माघात व झटका। ४ धात प्रादि के पात्रों में होने वाले से पानी निकालने की चडस । ४ देखो 'मोटो'। गडढे या उभार में पड़ने वाला बल । ५ हटना क्रिया या मोटको-देखो 'मोटो'। भाव । ६ नाश, समाप्ति । ७ शंका, संदेह । ५ त्याग, निवा- | मोटड़ी-१ देखो 'मोठड़ो'। २ देखो 'मोटो'। रण । ९ खड़ी लकड़ी को चीरने के लिए करोत के चारों | मोटनक-पु० [सं०] एक वर्ण वृत्त विशेष । पोर लगने वाली चौखट । [सं० मोचं, मोचः] १. केले मोटम-स्त्री० १ बड़ाई, बड़प्पन । २ महत्त्व, विशेषता । का फल या वृक्ष । ११ शोभांजन वृक्ष । १२ देखो 'मौछ' ।। ३ गर्व, अभिमान । ४ देखो मोटो'।
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मोटमति
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( ४२१ )
मोटमति (सी) व बुद्धिमान समझदार मोटमन - वि०
१ दाता, दानी २ उदार, सहृदय । १३ महत्वाकाक्षी ।
मोटरवार मोटारी
अभिमान । ३ मर्यादा, प्रतिष्ठा । मोटवार देव 'मोटिवार
मोटर, मोटरड़ी-स्त्री० [०] १ वैधुतिक यंत्र । २ पेट्रोल, मोठियार देखो 'मोटियार' । डीजल या कोयले से चलते वाली गाड़ी, वाहन । मोठेड़ी-स्त्री० मोठ की फली । मोटाइ (ई) मोटा (जी), मोटापा ०१ मोटा होने को अवस्था या भाव, मोटापन र लम्बाई-चौड़ाई । ३ स्थूलता । ४ बड़प्पन, बड़ाई । ५ उदारता । मोटात - पु० [सं० मोहयिते] साहित्य में नायिका का एक हाव । मोटिममल (महल) - वि० १ गर्व एवं गौरववाला महान् । २ वीर, बहादुर, योद्धा । मोटिम्म देखो 'मोटम'
मोक-१ देखो 'मोडी' । २ देखो 'नौ' । मोent, मोहड़ी-देखो 'मोडी' । मोडली-देखो 'चोटीडिपो' । मोडणी (ब)- देखो 'मोडलो' (बो) । मोडली-देखो 'मोडी' ।
०
1
मोडी हिरन के बच्चे। मोडियो, मोडौ - वि० [सं० मुण्डित ] ( स्त्रो० मोडी) - १ जिसका शिर मुंडा हुआ हो, बिना बालों का २ उड बदमाश । ३ जो तीक्ष्ण न हो, भोंटा ४ जिसके शिखर या चोटी न हो । पु० १ मुडित साधु, योगी । २ ढोंगी या पाखण्डी साधु । ३ भिखारी, भिक्षुक । ४ बिना सींग का पशु । ५ स्त्रियों के शिर का प्राभूषण विशेष । मोडी - पु० मुसलमान, रंगरेज ।
मोढी पु० १ कधा । २ देखो 'मू'डी' ।
मो० १ माटे या मेवे धादि में मिथने से पूर्व थोड़ा पी व गर्म पानी मिलाकर तैयार किया गया दाना । २ वह परतदार रोटी जिस पर घी लगा हो । ३ देखो 'मौन' । ४ देखो 'मोम' |
मोठ-पु० [सं० मकुष्ठ) १ मूंग जाति का एक द्विदल पत्र २ इसका पौधा । ३ देखो 'नोट' । मोठउ-१ देखो 'मोठ' । २ देखो 'मोटो' ।
स्वाभिमान २ गवं मोडड़ी-पु० विदीदार रंगा हुआ एक साफा या बोड़नी मोठफळी-स्त्री० मोठ नामक पौध की फली । मोठा स्त्री० पूना के पास की एक नदो ।
मोटियार पु० १ पुरुष ग्रादमी र युवक, तरुण व्यक्ति । ३ पति, स्वाविद ४ पुत्र, लड़का ५ युवकों का सम्बोधन - वि० १ वीर बहादुर । २ युवक, जधाम - परण, पणौ - पु० पुरुषत्व मर्दानगी तरुणाई, जवानी इन्सानियत । मनुष्यता ।
।
मोटनीय स्त्री० महानिद्रा, मृत्यु, मोत 1 मोटीयार देखो 'मोटियार' | मोटारगाळी ० दुवावस्था जवानी मीटेड - वि० स्त्री० मोटेरी) १ बुद्ध २ जवान युवा मोटोड़ो - वि० (स्त्री० मोटोड़ी) १ बड़ा । २ प्रग्रज । मोटो - वि० [सं० महत्] ( प्रा० मुट्ट) १ बड़ा । २ विशाल ३ जो मान या परिमाण में बड़ा हो। ४ जो मपेक्षाकृत बड़ा हो । ५ उच्च श्रेष्ठ; महान् । ६ मादरणीय | ७ विस्तृत, चौड़ा ८ बड़े पद वाला, अधिक धन वाला । ९ प्रतिष्ठित । १० वयस्क, प्रायु में बडा ११ लंबा, दीघं १२ जिसका घनत्व बड़ा हो। १३ जिसकी गोलाई बडी हो । १४ बुरबुरा, दरदरा । १५ महत्वपूर्ण, विशेष | १६ महकारी, घमडी । १७ गंभीर, गहरा । १८ कठिन, भारी, असाधारण १९ अखरने वाला, खटकने वाला । २० खास, पसल । २१ अत्यधिक बहुत । २२ प्रशंसनीय २३ तुलना में बढकर । २४ ज्येष्ठ । २५ खतरनाक। २६ अधिक दिनों का पुराना । २७ गरिष्ठ, भारी २८ जबरदस्त, बलवान, शक्तिशाली ।
मोटी तो ० इष्ट-पुष्ट ।
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मोटोधी पु० ईश्वर।
मोट्यार देखो 'मोटियार' - पण, पणौं- 'मोटियारपणी' ।
मोतिया
मोणो (बी) - देखो 'मोहणी' (बो) | मोत-देशो 'मौत' ।
मोतसि वि० [० मुतदिन] मोतो । मोतबर, मोतबिर - देखो 'मातबर' | मो'ताज- देखो 'मुहताज' ।
| मो'ताजखानी- याचकों को दान देने का स्थान | मोताद स्त्री० [० मुम्रताद] १ निश्चित मात्रा २ खुराक मोताहल पु० १ तास २ एक प्रकार का हाथी रे वेखो 'मुक्ताफळ' । मोतिड़ो-देखो 'मोती' ।
मोतिहार - पु० मोतियों का हार ।
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मोनियम-पु० [सं० मौक्तिकदाम ] एक वर्णं वृत्त विशेष । मोतियमाळ (माळा ) - स्त्री० मोतियों की माला; हार । मोतिया वि० १ मोती संबंधी । २ मोती जैसे रंग का । ३ मोतियों के अनुरूप, मोती के श्राकार का। पु० १ मोती जैसे रंग का वस्त्र २ एक प्रकार का सलमा ।
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मोतियाबंध
( ४२२ )
मोडत
-स्त्री० ३ एक प्रकार की लता ।
मोथियो-पु० १ एक प्रकार का बारीक घास जिसकी जड़ मोती मोतियाबंध, मोतियाबिंद-पु. नेत्र संबंधी एक रोग ।
के समान होती है। २ देखो 'मोथी' । मोतियालाडू-पु. बूदी का लड्डू, मिष्ठान्न ।
मोपू, मोथी-वि० १ मूर्ख, नासमझ । २ अनपढ़, गवार, मोतियो-पु. १ मोती । २ मोथियो।
सुस्त । -पु० [सं० मुस्तक] १ नागर मोथा नामक मोतीड, मोतीडी-पु० [सं० मुक्ता-अंड] गाय या भैंस के बच्चा घास व इसकी जड़ । २ स पर, वराह ।
होने से पहले निकलने वाला पानी का मोटा अण्डा । । मोद-पु० [सं०] १ प्रानन्द, प्रसन्नता, खुशी, हर्ष । २ उत्साह, मोती-पृ० [सं० मौक्तिक] १ एक प्रसिद्ध बहुमूल्य रत्न। जोश । ३ गर्व, अभिमान । ४ मान, प्रतिष्ठा, गौरव ।
२ एक प्रकार का प्राभूषण । ३ घोड़ों का एक रंग या इस | ५ सुगंध, महक । [सं० मधु] ६ शहद, मधु। [सं० मद] रंग का घोड़ा । ४ रहस्य सम्प्रदाय के अनुसार मन । ७ शराब, मदिरा। ८ एक वर्ण वृत्त विशेष । ९ एक ५ कसेरों का एक उपकरण । ६ एक प्रकार का सम्बोधन प्रसुर । १० एक सर्प विशेष । ११ अनाज का गाहा। -वि० श्वेत, सफेद ।
मोदक-पु० [सं०] १ लड्डू नामक मिष्ठान्न । २ किसी प्रौषधि मोतीमालाडू-देखो 'मोतियालाडू'।
का लड्डू । ३ एक वर्ण वृत्त विशेष । ४ एक वर्ण संकर मोतीकड़ो-पु. १ मोती लगा, हाथ का स्वर्ण कंगन । २ मोतियों
जाति । -वि०१ हर्षप्रद, मानन्ददायक। २ उत्साह का हार।
वर्धक। मोतीडो-देखो 'मोती'।
मोदकर-पु० [सं०] एक प्राचीन मुनि । -वि. हर्षप्रद । मोतीचुर (चूर, चूरि)-पु०१ मोती जैसी बूदियों का बना | मोदण-पु०१ ईश्वर । २ अनाज ढोते समय गाड़ी पर लगाया लड्ड, मिठाई । २ एक प्रकार का वस्त्र।
जाने वाला कपड़ा। मोतीचोकड़ो (चौकड़ी)-पु. कान का एक प्राभूषण ।
मोवणी (बी)-क्रि० १ प्रसन्न होना, हर्षित होना । २ उत्साहित मोतीज्वर, मोतीसरी, मोतीमिरी-पु. एक प्रकार का ज्वर,
होना, उत्तेजित होना । ३ गवित होना, अभिमान करना। मधुर ज्वर।
४ महकना, सुगध देना। मोतीवाम-देखो 'मोतियदांम' ।
मोदिक-देखो 'मोदक'। मोतीनीलो-पु० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा।
मोदिकवलम-पु. गणेश, गजानन । मोतीपाक-पु. बूदी व दूध के मावे का बना पकवान । मोदियउ-पु० एक वस्त्र विशेष । मोतीपुर (पुरी)-पु० सीप के अन्दर का स्थान या भाग।
मोबियो-पु.१ अनाज की गाड़ी में लगने की वास-फूस की मोतीबेल-स्त्री० बेले का एक भेद ।
पट्टी। २ इस गाड़ी में भरी हुई वस्तु । मोतीभात-पु. एक प्रकार का भात ।
मोदी-पु. [प्र. मद्दन] किराणे का व्यापारी । खानी-पु० मोतीमाळ (माळा), मोतीयमाळा-स्त्री०१ मोतियों का हार।
मोदी की दुकान । रसोईघर भण्डार । एक सरकारी २ एक छन्द विशेप।
विभाग जो खाद्य पदार्थों की खरीद प्रादि का हिसाब मोतीयडो-देखो 'मोती'।
रखता था। (रियासती) मोतीयो-१ देखो 'मोती' । २ देखो 'मोथियो ।
मोबीपगौ-पु. एक प्रकार का बैल । मोतीसर-पु० चारणों का याचक एक वर्ग व इस वर्ग का
मोदीलो-वि० (स्त्री० मोदीली) १ गविला, अभिमानी । व्यक्ति।
२ प्रसन्न, खुश, हर्षित । मोतीसरी (सिरी, हरी)-स्त्री. मोतियों की बनी कण्ठी, कण्ठ | मोदोख-पु० [सं० मोदोष] एक प्राचार्य विशेष । का एक प्राभूषण।
मोनि, मोनी-१ देखो 'मून' । २ देखो 'मौनी' । मोतीहार-पु. मोतियों का हार ।
मोफत-देखो 'मुफ्त'। मोती-पु० १ प्राणांत, मृत्यु । २ देखो 'मोथौ ।
मोफतियो-देखो 'मुफ्तखोर'। मोष-स्त्री० [सं० मुस्ता] १ एक प्रकार की घास विशेष । मोब-पु. प्रथम प्रसब । २ देखो 'मोथी'।
मोबण-स्त्री० १ प्रथम प्रसव की पुत्री, लड़की । २ कन्या के मोषाव-पृ० १ इनाम,पुरस्कार । २ धन्यवाद, वाहवाही,शाबासी। विवाह के समय घर में रोपा जाने वाला काष्ठ का छोटा मोपामाळ-स्त्री० । जैसलमेर राज्य का एक नामान्तर ।
। स्तंभ। २ मूर्ख मण्डली।
मोबत-देखो मुहम्मत'।
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मोबद
मोरसिरी
मोबद, मोबिद-पु० [अ० मुनविद] १ फारसियों का धर्मोपदेशक । मोरचाबंदी-स्त्री. जमीन में खाई खोदकर युद्ध के लिए बैठने २ पुजारी।
की क्रिया। मोबियो-पु. १ मोटी व चौडी खपरल । २ देखो 'बोबियो'। मोरची-पु० [फा० मोरचाल] १ जमीन में खोदा जाने वाला मोबी, मोभी-पु. (स्त्री० मोबण) १ प्रथम प्रसव का पुत्र, ज्येष्ठ खड्डा या खाई जिस में बैठ कर शत्रु का मुकाबला किया
पुत्र । २ बड़ा भाई। ३ मकान की छत में लगाई जाने जाता है । २ गढ के चारों मोर सैनिकों के लिये खोदी वाली महराब, कड़ी।
जाने वाली खाई। ३ शत्र से मुकाबला करने का सुरक्षित मोम-पु० [फा०] १ एक प्रकार का गाढा व चिकना पदार्थ स्थान । ४ मुकाबला, सामना । ५ मुकाबले में प्राने की
जिसकी बत्तियां बनती हैं । २ शहद की मक्खियों द्वारा क्रिया या भाव । ६ लोहे का जंग। दर्पण का मैल । छत्ता बनाने का चिकना पदार्थ । ३ यश, कीति । ४ भूमि, मोरछड़, मोरछल-पु. मोर की पांखों का बना चवर । पृथ्वी। ५ युद्ध। -वि० दयालु। '
मोरछो-देखो 'मोरचौ'। मोमजामो-पु. मोम का रोगन चढा वस्त्र, मेणिया । मोग्ट-स्त्री० [सं०] १ गन्ने की जड़ । २ एक प्रकार की पास । मोमबसाहिमोळियौ-पु० कुछ विशेष रंगों का साफा। मोरण-पु. बाजरी की बाल को सेक कर निकाले जाने वाले मोमविल-वि० सहृदय, भावुक ।
_कच्चे दाने । मोमन-देखो 'मोमिन'।
| मोरणा-स्त्री० सारंगी की खूटी।। मोमना-स्त्री० घोड़ों की एक जाति ।
मोरणी-स्त्री. १ सारंगी में लगने की खूटी । २ बाजरी की मोमनी-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र ।
___ बाल से दाने निकालने की क्रिया या भाव । ३ देखो 'मोरनी'। मोमबत्ती-स्त्री. मोम की बनी बत्ती जो प्रकाश के लिये जलाई मोरणी-पु. एक प्रकार का सरकारी कर। जाती है।
मोरणी (बो)-देखो 'मौरणो' (बी) । २ देखो 'मोडणी' (बी)। मोमाली-स्त्री० मधु मक्खी।
मोरत-देखो 'महरत'। मोमाळ-पु. मामा का घर, ननिहाल ।
मोरधज, मोरधुज, मोरधून, मोरधूजी, मोरध्वज-पु. मोमिन-पु० [अ०] १ धर्मनिष्ठ मुसलमान । २ इस्लाम व खुदा
[सं० मयूर-ध्वज] १ एक प्रसिद्ध, पौराणिक राजा । पर ईमान लाने वाला। ३ जुलाहा मुसलमान । | २ जोधपुर के किले का नाम । मोवला-स्त्री०१कुम्हारों की एक शाखा । २ मिट्टी के बर्तन | मोरनदेवी-स्त्री० एक लोक देवी विशेष । बनाने वाली एक मुसलमान जाति ।
मोरनाच-स्त्री० नृत्य का एक भेद । मोयली-पु० उक्त 'मोयला' जाति का कोई व्यक्ति ।
मोरनी-स्त्री० [सं० मयूर] १ मादा मयूर, मादा मोर । मोरंबदोस-पु० जैन धर्म में एक दोष ।
२ देखो मोरणी'। मोर (उ)-पु० [सं० मयूर] (स्त्री० मोरनी)१ शिर पर किलंगी मोरपंखी-स्त्री०१ मोर पंख की तरह बनी व रंगी वस्तु या व लम्बी गर्दन का, गरुड़ जाति का एक बड़ा पक्षी । २ मुस
नाव । २ मल खंभ की एक कसरत । -वि० १मोर की लमानों की एक जाति । ३ एक रंग विशेष का घोड़ा।
पंख का बना । २ मोर की पंख के समान । ४ देखो 'मोर' । ५ देखो 'मोहर' । ६ देखो 'मोरा'।
मोरमींग्ली, मोरमीडी, मोरमीठो-स्त्री. १ स्त्रियों के शिर का मोर-देखो 'मोहर'।
पाभूषण विशेष । २ स्त्रियों के बाल की लटिका । मोरउ-देखो 'मोरा'।
मोरमुकट, मोरमुकुट, मोरमुगट-पु० [सं० मयूर-मुकुट] १ मोर मोरख, मोरखो-स्त्री० १ हल में लगने का लोहे का एक
की पंखों का मुकुट या ताज । २ वह मुकुट जिस पर मोर उपकरण । २ देखो 'मूरख'।
की पंख लगी हो। मोरही-स्त्री० १ कच्चे मकान के छाजन में लगने की एक . लकड़ी। २ देखो 'मोरनी'। ३ देखो 'मोरी'।
मोररथ-पु० [सं० मयूर-रथ] स्वामिकात्तिकय । 'मोरड़ो-पु०१ गेहूँ की बालों का गुच्छा । २ देखो 'मोर'। मोरलियो, मोरलो-देखो 'मोर' । ३ देखो 'मोरा'। .
मोरसल-देखो 'मोरछड़' । मोरचंदरका, मोरचंद्रिका-स्त्री० [सं० मयूर-चन्द्रिका मोर की | मोरसिका, मोरसिक्षा-स्त्री० [सं० मयूर-शिखा] १ मोर की पख पर होने वाली चन्द्राकार बिन्दी।
चोटी । २ एक जड़ी विशेष । मोरांब-स्त्री० प्राडी सीता, हल को रेखा।
| मोरसिरी-देखो 'बौलसिरी'।
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मोरा
। ४२४ )
मोलो
मोरा-सर्व. मेरा।
मोलगत-देखो 'मोहलत' । मोराइ, मोराई-देखो 'मुराई'।
मोळणी (बी)-क्रि० १ काटना, कतरना । २ उतारना, हटाना । मोराकीन-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
मोलणी (बो)-देखो ‘मोलाणो' (बी)। मोरादे, मोरादेवी-देखो 'मरुदेवी' ।
मोलत-देखो 'मोहलत'। मोरार, मोरारी-देखो 'मुरारी'।
मोलबी (बी)-देखो 'मौलवी'। मोरिय-१ देखो 'मोरच' । २ देखो 'मोरी' ।
मोलसरी, मोलसिरी, मोलस्री-देखो 'बोलसिरी' । मोरियो-पु०१गाय-भैंस प्रादि का मृत शरीर जिसमें मसाला
मोलाई-स्त्री. किसी वस्तु की कीमत या भाव पूछने की क्रिया । भर कर रखा गया हो । २ एक लोक गीत विशेष । | मोलाकुमार-पु० मुसलमान कुम्हार । ३ मोर, मयूर।
मोळाटी-पु० १ चोर, कुत्रों का मुंह ढकने का वस्त्र विशेष । मोरोंगो-पू. जमीन में रुपा या दीवार में लगा छेददार पत्थर। २ बोझा उठाते समय शिर पर रखने की वस्त्र की पहो। मोरी-स्त्री०१मकान से पानी बाहर पाने की माली। २ बांध | मोळाणी (बो)-क्रि० १ कटवाना, कतरवाना । २ 'मोळ' पाना का पानी निकालने का छोटा छेद । ३ तालाब का पानी
| या होना। बाहर करने की नाली। ४ छोटा द्वार या खिडकी।। मोलारणी (बो)-क्रि० १ खरीदने योग्य वस्तु या पशु धन का ५ बंदूक का मुख । ६ एक प्राचीन राजपूत वंश, मौर्य ।। मूल्य पूछना, भाव पूछना । २ खरीदना, क्रय करना। -वि० खाली, रिक्त । -सर्व• मेरी।
मोळावटो-देखो 'मोळाटो'। मोरी-स्त्री. अट की नकेल में बांधने की रस्सी।
मोलावणी (बौ)-देखो 'मोलागो' (बी) ।
मोलि-१ देखो 'मोल' । २ देखो 'मोळियो। मोगर-देखो 'मुहगिर।
मोळियामंगळ-देखो 'मौळियामंगळ' । मोरीसालो-पु० [अ० मूरिसे-पा'ला] गोद लेने का एक नियम ।
मोळियु, मोळियो-देखो 'मौळियो'। मोर, मोर-देखो 'मोरों'।
मोलियो-पु. १ पुरुषार्थहीन व्यक्ति, औरतों के लक्षण वाला या मोरडो-पु. एक लोक गीत विशेष ।
पौरत के वशीभूत रहने वाला व्यक्ति । जनखा । २ प्रशक्त मोरलो-देखो 'मोर'। मोह-१ देखो 'मोर'। २ देखो 'मोरो'।
या कमजोर व्यक्ति । ३ कृषि कार्य का भागीदार व्यक्ति ।
४ किराये किया हुमा हल । ५ काले मुह का बंदर । मोरूसो-वि० वंशानुगत, परम्परागत ।
६ जोरू का गुलाम । ७ देखो 'मोळियो' । मोरेल-स्त्री० बनास की एक सहायक नदी।
मोळी-१ देखो 'मोळी' । २ देखो 'मोळी' (स्त्री)। मोरेवी-पु० गेहूं की फसल के साथ होने वाला एक घास ।।
मोली-वि० १ दुर्बल, अशक्त । २ मूल्य वाला, कीमत वाला, मो'री-पु० [सं० मुकराकृति] १ ऊंट, बैल प्रादि के चेहरे पर
मूल्यवान, कीमतो। -स्त्री० [सं० मोलिः] १ मादा ऊंट । सौन्दर्य के लिये लगाई जाने वाली जाली। २ हाथी के
२ शिर की चोटी, बालों का जूड़ा। ३ जटाजूट । ४ मस्तक मुख पर लगाया जाने वाला एक उपकरण । ३ इसी तरह बैल
५ मुकुट । ६ पगड़ी । ७ प्रधान व्यक्ति । के मुंह पर लगाने का चमड़े आदि का उपकरण । ४ प्राकृति चेहरा । ५ घास-फूस का पूवाल । ६ प्राग जलाने की
मोळीप्री-पु. १ एक प्रकार का वस्त्र । २ देखो 'मौळियौ' । कंटीली पतली लकड़ियों का समूह । ७ माग, पग्नि । | मालामाया-पु० लकड़ा का वस्तुमा का किनार सुन्दर बनान ८ पशुमों का क्रोध या जोश । [फा० मुहू] ९ सर्प का विष | का भोजार। उतारने का पत्थर विशेष । १० बच्चों का ग्रह दोष मिटाने | मोळीयो-देखो 'मौळियो। का एक मणिया विशेष । ११ शतरंज की गोटी। १२ सेना |
| मोलीयो-देखो 'मोलियो। की अग्रिम पंक्ति । -सर्व० मेरा।
मोळी-वि० (स्त्री० मोळी) जो अधिक खट्टा न हो। २ जो मोर यो-देखो 'मोर'।
फीका हो। ३ उत्साह रहित, निरुरणहित । ४ सुस्त, उदास । मोळ-देखो 'मौळ'।
५ स्वभाव या चरित्र से कमजोर, अविश्वसनीय । ६ मंद, मोल-पु० [सं० मूल्य] १ मूल्य, कीमत । २ दर, भाव ।।
धोमा। शर्मिदा । ८ मोजस्वहीन । ३ क्रयण, खरीद। ४ खरीद के लिये किया गया भुगतान । | मोलो-वि०१ कीमती, मूल्यवान । २ कीमत या दाम वाला। ५ महत्व, विशेषता, कद्र ।
३ देखो :मोलियो।
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मोल्यो
मोहनि
मोल्यो, मोल्हिया, मोल्हीयो-देखो 'मोलियो ।
मोहरपवेलि (ली)-स्त्री० मन को प्राकृष्ट करने वाली लता। मोवरण-१ देखो 'मोण' । २ देखो 'मोहन'।
मोहणिज्ज-पु० -मोहनोय कर्म। . मोवणी-देखो 'मोहनी'।
मोहणियो-वि० मोहित करने वाला। मावणी-वि० (स्त्री० मोवणी) मोहित करने वाला, लुभावना, मोहरपी-स्त्री० १ एक नदी का नाम । २ देखो 'मोहनी' । सुन्दर, माकर्षक।
मोहरणीमत्र-देखो 'मोहनीमंत्र । मोबसो (बो)-देखो 'मोहणो' (बो)।
मोहरणीय-पु. मोहनीय कर्म (जैन)। मोवन-देखो 'मोहन'।
मोहरणो (बी)-क्रि० [सं० मोहनम्] १ मोहित करना, लुन्ध मोवनकठो-स्त्री० स्त्रियों के गले का हार। ..
करना, रीझाना, वश में करना । २ माकर्षित करना, मोवनी-देखो 'मोहनी'।
ललचाना। ३ प्रेम पाश में बांधना । ४ प्रमित करना, मोवनीइग्यारस (एकादसी)-स्त्री० वैशाख शुक्ला एकादशी । धोखे में डालना । ५ मूछित या बेहोश करना । ६ परेशान मोस-पु० [सं० मोष] १ चोर, तश्कर, उचक्का । २ चोरी या तंग करना । ७ सांसारिक कार्यों में समाना, माया में
का माल । ३ लूट-खसोट । ४ वध, हत्या। ५ झूठ, मिथ्या।। फसाना। ६ दंड, सजा। ७ ताना, व्यंग।
मोहतसिम-पु. १ अधिकार सम्पन्न व्यक्ति जिसके अधीन कई. मोसर-देखो 'मसोड़।
- व्यक्ति काम करते हों। २ प्रबंधकर्ता। मोसणो (बो)-क्रि० १ झूठा दोषारोपण करना, कलंक लगाना । | मोहतान, मोहताब-पु. १ भोजन सामग्री। २ मांस । ३ देखो २ व्यंग करना, ताना मारना। ३ चोरी करना, लूटना ।
___ 'मुहताज'। -खांनी-पु० अपाहिजों को सहायता देने ४ देखो 'मसोसपो' (बो)।
वाला विभाग। मोसर-पु. १ शुभ अवसर, मौका । २ समय, वक्त । ३ संयोग । | मोहताजी-देखो 'महताजी'। ४ मूछे। ५ देखो 'मोसर'।
मोहन-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर । २ श्रीकृष्ण का एक मोसार, मोसाळ, मोसाल-पु. १ मामा का घर, ननिहाल । नाम । ३ शिव, महादेव । ४ माया, भ्रम । ५ कामदेव के २ पोहर, पिता का घर । ३ मामा।
पांच बॉणों में से एक । . एक तांत्रिक प्रयोग विशेष । मोसाळी-देखो 'मोसाळ'।
७ उक्त प्रयोग में पढा जाने वाला मंत्र। धतुरा । स्त्री मोसी-देखो 'मासी।
प्रसंग, मथुन । १० परेशानी, व्याकुलता । ११ प्रांख । मोसेल-देखो 'मोसाळ' ।
१२ एक वर्ण वृत्त विशेष । १३ बारह मात्रामों की मोसो-पु० १ व्यंग, ताना । २ कटुवचन, प्राक्षेप । ३ उपालंभ। एक ताल । -वि० १ मोहित करने वाला, मोहने वाला। ४ देखो 'मासो'।
. २ माकर्षित करने वाला। ३ परेशान या व्याकुल करने मोह-पु० [सं०] १ सांसारिक पदार्थों को सत्य मानने का भ्रम । वाला । ४ माया में डालने वाला। ५ फंसाने वाला।
प्रज्ञान । २ सांसारिक तत्त्वों के प्रति प्रासक्ति, झुकाव, मोहनकंठो-स्त्री० स्त्रियों के गले का एक प्राभूषण । लगाव । ३ लोभ । ४ ममत्व, वात्सल्य । ५ प्रेम, स्नेह, मोनगार
५ प्रम, स्नह| मोहनगारउ (गारो)-वि० (स्त्री० मोहनगारी) मोहने वाला। प्यार । ६ प्रसन्नता खुशी, मद । ७ ब्रह्मा का एक पुत्री मोहनभोग-१०१ एक प्रकार की मिठाई । २ एक प्रकार का
मोरित होने की अवस्था या भाव। गवं, अभिमान, हलवा । ३ एक प्रकार का माम । ४ केला। घमंड। १० उद्विग्नता, पातुरता । ११ दया, कृपा। मोहनमाळा-स्त्री. १ गले की एक माला । २ एक प्राभूषण । १२ साहित्य का एक संचारी भाव । १३ एक प्रकार की | मोहनाळ-स्त्री.१ पशनों के नाक से शिर तक का तान्त्रिक क्रिया। -वि. काला, श्याम ।
भाग । २ देखो 'मुहनाळ'। मोहक-वि० [सं०] १ जिसके कारण मन में मोह उत्पन्न हो। मोहनास्त्र-पु. [सं० मोहन-प्रस्त्र] शत्र को मूच्छित करने का
२ मोहित करने वाला, पाकर्षक, लुभावना। ३ अत्यन्त सुन्दर । ४ राजा सुरथ का एक पुत्र ।
मोहनि (नी)-स्त्री० [सं० मोहिनी] १ विष्णु का एक रूप । मोहकम-देखो 'मुहकम'।
२ एक वेश्या । ३ वैशाख शुक्ला एकादशी । ४ सुन्दर स्त्री, मोहकार-पु० पीतल या तांबे के घड़े का ऊपरी भाग, मुख । सुदरी। ५ माया । ६ 'एक देवी विशेष । ७ प्रीति । मोहड़ो, मोहडो-देखो 'मूडौ ।
८ वशीकरण मंत्र । ९ मूच्छित करने की क्रिया । १० भ्रम मोहण-१ देखो 'मोहन'। २ देखो 'मोहनी'।
में डालने की क्रिया । ११ एक वर्ण वृत्त । १२ एक मात्रिक मोहणगति (गती)-पु. काजल ।
छन्द विशेष। १३ मोह का प्रभाव। -वि० १ मोहने
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मोहनीय
। ४२६ )
वाली, लुभाने वाली । २ भ्रमित करने वाली, प्रम में | मोहा-स्त्री० भूमि, जमीन ।-वि० मोहित, प्रमित । डालने वाली। ३ माकृष्ट करने वाली। ४ वश में करने
| मोहागनि मोहाग्नि-स्त्री. मोहरूपी माग । बाली। -मंत्र-स्त्री वशीकरण मंत्र ।
मोहाजाळ-पु०१ मोह का बंधन । २ सांसारिक प्रपंच । वि० [सं०] १ मोहने योग्य, मोहित करत योग्य, संसार को सत्य समझने का भ्रम । सुन्दर, पाकर्षक । २ मोह उत्पन्न करने वाला।
मोहायरण-पु० मोह का स्थान । मोहनीकप-पु. [सं०] विष्णु का एकप।
मोहि, मोहि-सर्व० [सं० मा १ मुझे, मुझको । २ मेरा, मोहनो-वि० (स्त्री. मोहनी) अत्यन्त सुम्बर, लुभावना । . मेरी। ३ मुझसे । ४ देखो 'मोह'। मोहपुर-पु. स्वर्ग, देवलोक ।
मोहिण-देखो 'मोहन'। मोहबत, मोहब्बत-देखो 'मुहम्मत।
मोहित-वि० [सं०] १ मोह में पड़ा हुमा । २ भ्रमित । मोहमी-देखो 'मोबी'।
३ लुब्ध, मुग्ध, मासक्त। मूञ्चित, बेहोश। मोहमवीव-वि. मुहम्मद का, मुहम्मद संबंधी।
मोहिनी-देखो 'मोहनी'। मोहम्मद-खो 'मुहम्मद'।
मोहिम-देखो 'मुहिम'। मोहर-स्त्री० [फा० मुह १ स्वर्ण मुद्रा, परफी । चातु कामो मोदीखो 'मोर'। ठप्पा या रम्बर सील । पद या विभाग की मुद्रा। इस
मोहीलो-वि०१ स्नेही, प्रेमी, प्यारा । २ देखो 'महल्ली'। ठप्पेरा अंकित चिह्न। ४ सेना का अग्रभाग, हरावल ।
मोहरत-देखो 'महरत'। ५ सिंधी मुसलमानों की एक शाबा । ६ पद्य की द्वितीय
मोहे-देखो 'मोहि। व चतुर्थ पंक्ति का मेल । -वि.१ प्रधान,मुखिया, अग्रणी।
मोहेर-देखो 'मोहर'। २ प्रथम, पहला । -क्रि०वि०३ पूर्व, पहले । ४ मागे,
मोहोबत, मोहोब्बत-देखो 'मुहम्ब'। प्रगाड़ी। सामने,माये ।
मोहोर-देखो 'मोहर'। मोहरत, मोहरत-खो 'महरत'। मोहरम-पु. [म. मुहरंम] १ इस्लामी वर्ष का प्रथम मास ।
मोहोल-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिला' । २ इस महिने में इमाम हुसैन बली का मनाया जाने
मोहोलो-१ देखो 'महल्लो' । २ देखो 'महोलो' । बाला जोक।
मोही-पु. [सं० मुख] १ कूए की जगत । २ कूए पर बड़ होकर मोहराण-पु. [सं.] मानव की पांच पत्तियों में से प्रमुख वृत्ति
पानी सीचने का स्थान । देखो 'मोह'। मोहराने-पी० तुकबंदी।
मोहोल-१ देखो 'महल'। २ देखो 'महिला'।
मोहोलो-१ देखो 'महल'। २ देखो 'महोली'। मोहरि-१ देखो 'मोरी' । २ देखो 'मोहर' । देखो 'मोहरी'। मोहरिया-वि० अग्रगामी, अग्रणी।
मौ-देखो 'मो'। मोहरी-स्त्री० १ किसी बर्तन मादि के मुंह का खुला माग ।
मोप्रो-देखो 'गे'। २ पेन्ट, पाजामें प्रादि का नीचे का खुला भाग।
मौज-पु० [सं०] १ भृगु कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । २ देखो देखो 'मोहर'। ४ देखो 'मोरी'।
'मौज'। मोहरे (2)-क्रि० वि० १ अगाड़ी, मागे । २ सामने, सम्मुख ।
| मोजकेस-पु० [सं० मोजकेश] अत्रि कुलोत्पन्न एक गोत्रकार। मोहरी-देखो मो'रो।
मौजस्टि-पु. [सं० मौजवृष्टि] अंगिरा कुलोत्पन्न एक गोत्रकार। मोहल-१देखो 'महल' । २देखो 'महिला'।
मौजा-देखो 'मांजा'। मोहलत-स्त्री० [40] १ अवकाश, छूटी। २ समय, वक्त, | मौजायन-पु० युधिष्ठिर की सभा का एक ऋषि ।
फुसंत। मयाब, प्रवधि। ढील, छूट, रियायतमी जायनि-पु० विश्वामित्र कुलोत्पन्न एक गोत्रकार। ५ विलम्ब, देर ।
मौजिवंधण (न)-पु० [सं० मौजीबंधन] यज्ञोपवीत संस्कार, मोहलाइस, मोहलायत-देखो 'महलायत'।
जनेऊ। मोहली-१ देखो 'महोलो' २ देखो 'महल्लो'। ३ देखो 'महल' | मौंजी-देखो 'मोजी' मोहल्ल-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिला' । ३ देखो मूल्य' ।
मौठोड़ी-स्त्री० १ मोठ नामक मन्न की फली । २ मोठ की बनी मोहल्लो-१ देखो 'महल्लों'। २ देखो 'महोलो' ।
बड़ी, वटिका। मोहामाहो-देखो 'माहीमाह।
माँगे-देखो 'मूडी। मोहाणी (बी)-देखो 'मोहणो' (ौ) ।
मौत-देखो 'मौत'।
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मोनाळ
( ४२७ )
मौद्गलायन
मोनाळ-देखो मुहनाळ'।
६ मन की उमंग, जोश । ७ लगन, धुन । ८ पावारागर्दी। मोसरा-स्त्री० [सं० मोसरी मूछे।
निकम्मापन । ९ पुरस्कार, इनाम । १० दान । मोहंगे, मो हो-देखो 'मूडो'।
मोजड़ी-१ देखो 'मोज' । २ देखो 'मोजड़ी'। मो-देखो 'मो'।
मौजड़ीयो-देखो 'मोपड़ी। मोकणी (बो)-देखो 'मूकणो' (बी)।
मौजवत-पु. १ प्रक्ष नामक वैदिक सूक्त द्रष्टा का पैतृक नाम । मोकळरणी (बो)-देखो 'मोकळणो' (बी)।
२ मूजवंत का नामान्तर । मोकळो-देखो 'मोकळो' । मौकावारदात-स्त्री० [म.] घटना-स्थम ।
मोजी-वि• १ स्वेच्छाचारी। २ उन्मत्त, मद मस्त ।
मानन्दित, प्रसन्नचित, खुश। ४ दयालु, कृपालु, दातार । मौकूफ-वि० [म.]१ रोका या स्थगित किया हुमा। २ बरख्वास्त।।
प्रशक्त, कमजोर। ६ कायर, डरपोक । ३ दूर किया हुमा, अलग । ४ मिटाया हमा।
| मौजीज-वि० [अ०] १ बुद्धिमान, समझदार। २ प्रतिष्ठित । मौकूफी-स्त्री० [अ०] १ स्थगन, रुकावट । २ बरखास्तगी
३ वृद्ध, दाना। ३ प्रलगाव । ४ मिटाना किया।
मौजूद-वि० [प०] १ उपस्थित, हाजर । २ तैयार, प्रस्तुत । मोफूब-देखो 'मौकूफ'। मोको-पु० [फा०] १ शुभ अवसर, पच्छा मौका । २ कुछ करने |
३ विद्यमान, वर्तमान । ४ यथार्थ, वास्तविक । या कहने का अवसर । ३ उचित समय । ४ शुभ संयोग । मोजूदगी-स्त्री० [अ०] १ मौजूद होने की दशा या भाव । ५ कठिन समय । ६ घटना का काल, वारदात का समय ।
| २ उपस्थिति, हाजरी। ३ तैयारी। ४ विद्यमानता । ७ स्थान, जगह । ८ अवधि, मोहलत, मवाद ।।पवकाश, | ५ यथार्थता, वास्तविकता। फुरसत।
मौजूबा-क्रि० वि० [म.] वर्तमान का, वर्तमान में । मौक्तिक-पु० [सं०] मोती।
मौजी-पु० [५० मौजा] १ प्राम, गांव । २ वह स्थान । मौक्तिकमंग-पु. एक प्रकार का प्राभूषण।
३ देखो 'मोजो'। मौक्तिकमाळा-स्त्री०१मोतियों की माला । २ एक वर्ण वृत्त । मौटमन-देखो 'मोटमन'। मौक्तिकसर-पु. एक प्राभूषण विशेष ।
मोटवी-स्त्री. देवी। मौक्तिकहार-पु० मोतियों का हार।
मोटिम-देखो 'मोटम'। मौख-१ देखो 'मोक्ष' । २ देखो 'मोख' ।
मोठ-देखो 'मोठ'। मोगा-देखो 'मोगो'।
मौर-देखो 'मोड़। -ध, बंधो 'मोहबंध' । मौर-पु० [सं० मुकुट] १ दूल्हे-दुल्हिन के कान पर व शिर के |
| मौत-स्त्री० [सं० मृत्यु] १ किसी प्राणी का निधन, पन्तकाल, बांधने का सेहरा । २ योतामों के बांधने का सेहरा ।
देहान्त, प्राणान्त । २ पाकस्मिक मृत्यु। ३ मृत्यु की सी ३ मुकुट । ४ स्त्रियों का एक माभूषण विशेष । -वि.
दशा, हालत । -पु. ४ यम, काल । ५ ब्रह्मा। ६ विष्णु । १ श्रेष्ठ, शिरोमणि । २ प्रधान, मुखिया । ३ सर्वमान्य ।
७ कामदेव । ८ अत्यन्त कष्ट, तकलीफ । मौड़ा-१ देखो 'मोड़ो' । २ देखो 'मौड़' । मौड़गो (ब)-देखो 'मोड़ो' (बी)।
मौतबिर-देखो 'मातबर'। मौड़बंध (बधी)-पु.१ वर, दूल्हा । २ राजा । -वि० जिसके | मौतल-देखो 'मुअत्तल'। सेहरा बंधा हो।
मोताज (क)-देखो 'मुहताज'। मौड़बंधी-स्त्री० १ वधू, दुल्हिन । २ सेहरा बंधी स्त्री या
मौताह-देखो 'मुक्ताफळ' । लड़की। ३ मोड़ बांधने की क्रिया या भाव ।
मौती-देखो 'मोती'। मोड़ो-देखो 'मोड़ो'।
मौदिक-पु. एक प्रकार की मिठाई, लड्डु । मोच-देखो 'मोच'। मौचरणौ (बो)-देखो 'मोचणी' (बो)।
मोदिता-स्त्री० १ एक देवी का नाम । २ देखो 'मुदिता'। मौष-स्त्री० बछड़ा मरने के बाद भी दूध देने वाली गाय । मौद्ग-पु. एक प्राचार्य (पौराणिक)। मौज-स्त्री० [अ०] १ पानन्द, खुशी, मस्ती । २ मस्ती, मजा। मौद्गल-पु. एक पाचायं विशेष ।
३ सुख, पाराम, चैन । ४ संतोष । ५ लहर, तरंग । मौद्गलायम-पु. भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार।
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मोरय
मौद्गल्य पु० १ कुछ प्राचायों का पैतृक नाम । २ मंत्रय प्राचार्य का समकालीन एक ब्रह्मचारी । ३ एक ब्राह्मण । ४ अंगिरा कुलोत्पन्न एक प्रवर ५ राम की सभा का एक मंत्री । ६ जनमेजय के मर्प सत्र का एक सदस्य ।
मौन पु० [सं०] १ प्रणीचित् नामक प्राचार्य का पंक नाम २ देखो 'मून'
मौनव्रत पु० न बोलने का व्रत संकल्प ।
मौनि मौनी-पु० [सं० मुनि] १ न बोलने के व्रत वाला सा या व्यक्ति, मुनि । २ मुनि, महात्मा । ३ देखो 'मून' । मौने, मौन-देखो 'मोने' ।
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मौबत-देखो 'मुहब्बत' ।
मौर, मोर- पु० १ शरीर का पृष्ठ भाग २ पीठ, पृष्ठ भाग ३ वृक्षों की मजरी । ४ देखो 'मोहर' । ५ देखो 'मोर' । मोरक, मोरख - १ देखो 'मोरख' । २ देखो 'मुरख' ।
मौरी-देखो 'मोरखों'।
( ४२८ )
मौरत-देखो 'महरत'। मौरम देखो 'मोहरम' ।
मोरली (बो)- क्रि० १ वृक्षों पर मंजरी माना, बौर थाना । २ बाजरी की बाल को सेक कर दाने निकालना ।
मौरय-देखो मोर्य' ।
मौरवी देखो 'मुरखी' । मौरीकामकंटका- स्त्री० घटोत्कच की पत्नी का नाम । मोरसली स्त्री० एक प्रकार का पुष्प ।
मोरखी-स्त्री० बंदूक की नाल का मुख ।
मोरखो - पु० १ ऊट, बैल प्रादि के मुख पर सौन्दर्य के लिये | मौलायो-वि० १ चटपटी वस्तु खाने का इच्छुक । २ कामेच्छा
से व्याकुल ।
लगाई जाने वाली जाली २ देखो 'मूरख'
मौलि पु० [सं०] १ एक गोत्रकार २ एक प्राचार्य देखो 'मोळी' ।
मोराटी-स्त्री० [पीठ
तुक
बंदी |
मोरामेळ - पु० पद्य या छद के चरणों की मोरित - वि० जिसमें मंजरी या बौर हो, मंजरी धाया हुप्रा । मोरियाळ - पु० जंगल में चरने जाने वाले पशु-समूह में से सबसे धागे चलने वाला पशु - वि० भग्रणी, भग्रगामी । मोरियो-देखो 'मोर'
मौसी - वि० जो बाप-दादा के समय का हो पैतृक । 'मौरो-देखो 'मोगे।
मौरी स्त्री० १ बैल की कुकुद से पिछले पैरों तक होने वाली बालों की पंक्ति । २ तलवार की ग्यान की डोरी । ३ प्याले का ऊपरी भाग ४ देखो 'मोरी' । ५ देखो 'मोर' । मौर्य, मौत मौक, मो-देखो 'मोर'
मोरच पु० [सं० मोठं मगध का शासक एक प्रसिद्ध राज मौरपो-देखो मोर' ।
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मौळ- स्त्री० १ सस्तापन, मंदी। २ प्रभाव कमी ३ उदासी, सुस्ती । ४ कांतिहीनता, मंदता । ५ चहल-पहल या रौनक का प्रभाव । ६ उत्साह या जोश को कमी । ७ हल्कापन, न्यूनता फीकापन, रूखापन ६ खटाई का प्रभाव । [१०] प्रभावीता। मौल-देखो 'मोल' ।
मौल- देखो 'महल' | मौलगत-देखो 'मोहलत
मोट पु० बड़ा पौड़ा' ।
मोळी (बी) देखो 'मोळखी' (दो) । मीलत-देखो 'मोहलत
मौसमो
मौलवी - पु० [ प्र०] १ इस्लाम धर्म का प्राचार्य २ रबी भाषा का विद्वान उर्दू फारसी घरबी पढ़ाने वाला
व्यापक ।
मौलसरी, मौलसिरी मौलखी-देखो बोलसरी ।
मौलिक वि० १ मूल्यवान कीमती २ मूल ३ स्वयं का मौळियां० [सं० मौलि-मंगल] जन्म कुण्डली का एक योग |
मौळियो - पु० [सं० मौलि] १ विविध रंगों का साफा । २ एक प्रकार की बच्चों के शिर पर धारण करने की छोटी पगड़ी।
मौळी स्त्री० १ सूत के कच्चे तंतुधों कर, लाल-पीले रंग का धागा। सूत्र । २ ईंधन की लकड़ियों का गट्ठर । ३ मस्तक; शिर । ४ देखो 'मोळो' ।
मोळी- वि० [सं० मलिन] (स्त्री० मोळी) १ मंद गति से कार्य
करने वाला । २ सुस्त, पालसी । ३ मंद, घीमा । ४ धुंधला, फीका, निस्तेज । ५ उदास, खिन । ६ शान्त, घीमा । ७ उत्साहहीन ठंडा । ८ निर्बल, कमजोर । ९ प्रभाव हीन, निष्फल १० शर्मिदा ११ नाम १२ हल्का म्यून १३ साधारण, ठीक-ठीक १४ सस्ता, पोचा । १५ जो अधिक खट्टा न हो। १६ चरित्र का पोचा। मौस्य देवो 'मूल्य' ।
मौसम- पु० [प्र० मौसिम] १ ऋतु । २ जलवायु, प्राबोहवा, वातावरण । ३ उचित समय या अवसर ।
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मौसमी - वि० १ मोसस का मौसम संबंधी । २ किसी ऋतु विशेष में होने वाला । ३ समयानुकूल । स्त्री० नारंगी जाति का एक फल ।
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मौसर
( ४२९ )
মাল
मौसर-पु. १ मृतक के पीछे किया जाने वाला भोज मृत्यु-भोज। कारण । ३ भेद, रहस्य । ४ खुमासा। ५ गूढार्य ।
२ धार्मिक या सामाजिक कार्य का विशेष अवसर । ३ देखो एक प्रकार की डोली, पालकी। 'मोसर'।
म्यांव-देखो 'म्यांऊ'। मौसाड़ी-पु० पशुपों का एक रोग।
म्याइ, म्याई-१ देखो 'माई' । २ देखो 'बाई'। मौसाळ, मौसाळी (लो)-देखो 'मोसाळ' ।
म्यावट-देखो 'मावट'। मौसी-देखो 'मासो'। -हाई 'मासीयाइ'।
म्याळ-पु०१ कच्चे मकान की छाजन के नीचे लगने का लकड़ी मौसी-१ देखो 'मोसो'। २ देखो 'मासो'।
का लट्ठा । २ टांड । ३ कूए से पानी निकालने के पक के मोह-देखो 'मोह'।
नीचे की पटरी । ४ कच्चे मकान की छाजन में लगने वाली मोहत-पु० [सं० महत्व महत्ता, बड़ाई।
धनुषाकार लकड़ी। मोहताव-देखो 'मोताद'।
म्यामिनी (मिन्नौ)-पु० जगलो बिलाव । मौहतो-देखो 'महता'।
म्याक्ट-स्त्री० [सं० मात्री-वृत्ति १ तुरत की ब्याई हुई गाय, भैस मोहबत, मोहबति-देखो 'मुहब्बत' ।
.. बकरी के दूध को प्रांच पर पकाने से बनने वाला गाढा मोहमंद-देखो 'मुहम्मद'।
पदार्थ । २ देखो 'मावठ'। मोहम-देखो 'मुहिम'।
म्यो-देखो 'म्यांउ'। मोहर-देखो 'मोहर'।
प्रकंतु-पु० [सं०] मार्कंडेय ऋषि के पिता का नाम । मोहरत-देखो 'महरत'।
नखा-देखो 'म्रसा'। मोहरलो-वि० (स्त्री० मोहरली) मागेवाला, अग्रणी, प्रथम ।
प्रखावाब-देखो 'निसावाद'। मोहरि-१ देखो 'मोहर' । २ देखो 'मोरी'।
गंगक-देखो 'मृगांक'। मोहरियाळ-देखो 'मोहरियाळ'।
म्रग-देखो 'म्रिग'। मोहरी-१ देखो 'मोरी' । २ देखो 'मोहर'।
ब्रगणक-देखो 'म्रगांक'। मोहक (0)-१ देखो 'मोहर' । २ देवो 'मोरी'।
अगमती-देखो ‘म्रपाक्षी'। मोहरे मोहरे-क्रि.वि. १ अग्रभाग में, आगे, मागाड़ी।
नगद (इंद्र)-देखो ‘म्रगेंद्र'। २ सम्मुख, सामने । ३ किनारे, तट पर।
नंगचरम (छाळ, छाळा)-पु० [सं० मग-धर्म] इरिम का बमड़ा, मोहरी-१ देखो 'मोरो'। २ देखो 'मोहरी'।
जो बिछाने के काम प्राता है। मोहल-१ देखो 'महल' । २ देखो 'महिला'।
नगछाव-देखो 'म्रगसावक'। मोहळियो-देखो 'मौळियो'।
ब्रगजळ-देखो म्रिगत्रसरणा'। मौहलो- देखो 'महोलो' । २ देखो 'महल'।
म्रगझप-पु. एक डिंगल गीत (छद) विशेष । मौहणी, मोहिणी, मोहीणी-देखो 'मोहनि'।
नगडवण-पु० सियार। मौहरत-देखो 'महुरत'।
ब्रगडाणी-वि० मृग के समान छलांग लगाने वाला। मोहरतिक-पु. एक देव, जो धर्म ऋषि एवं मूहुर्ता के पुत्रों में से
ब्रगणाळ-पु. [स० मार्गरण] तीर, बांग। एक था।
प्रगतरसरणा (तिसणा, तिस्रण, प्रसना, अस्णिका, पिसमा मोही-देखो 'मोसो'।
- त्रिसना)-देखो म्रिगत्रिसणा' । म्यत-देखो 'मित्र'।
म्रगस नगदंसक-पु० [सं० मृगदंशक] कुत्ता, श्वान । म्याउ (अ)-पु० बिल्ली की बोली।
मगधर-पु० [सं० मृगधर] चन्द्रमा, चांद। म्यान-स्त्री० [फा० मियान] १ तलवार या कटार का कोष ।
नगनयरणी (नी)-देखो 'प्रिगनमरणी। । खाना, कवर । २ शरीरस्थ पन्नमय कोश । ३ शरीर।।
ब्रगनाम (मि, मी)-देखो 'म्रिगनाभि'। म्यानमाई-पु.वे दो पुरुष जिनका एक ही स्त्री से मैथुन म्रनिताम्रगीर-स्त्री. नींद के समय बाद कुछ खुली रहने संबंध हो।
की अवस्था । म्यांनी-स्त्री० [फा०] पाजामा या कच्छ के दोनों भागों को पर गनेरणी-देखो 'निगनयणी'।
स्पर जोड़ते हुए बीच में लगने वाले कपड़े के टुकर। नगपत (पति, पती)-देखो म्रिगपति' । म्यांनी-पु. [फा०] १ अर्थ, मतलब, अभिप्राय, तात्पर्य । नगपाल-पु. तीर ।
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श्रगमंदा
राज (ब)-देव'राज'
गरिपु - पु० [सं० मग रिपु ] सिंह, शेर। गलउ - देखो 'निरा
गमंदा स्त्री० [सं० मृगमंदा] कश्यप ऋषि की दस कन्यायों
में से एक ।
अगमद, अगमदा-देखो 'निगमद' । अगमरव, अममार पु० सिंह, मेर मार्गशीर्ष मास ।
गमास - पु० स्रगमित्र - देखो 'म्रिगमित्र' ।
बंद-देखो 'अद'।
गया- देखो 'प्रिया' ।
गनोली, अलीबली गलोचना, अपलोवनी, प्रगलोयण, लोणी - स्त्री० [सं० मृगलोचना ] वह सुंदर स्त्री जिसके नेत्र मृग के नेत्रों के समान हों ।
साचादेखो 'विस'
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गली-देखो म्रिग' |
गवाह, गवाहरण (न) - पु० १ चन्द्रमा, शशि । २ पवन हवा । गवीथी- देखो 'म्रिगवीथी' ।
अगस देखो 'बिग' ।
अगसर - देखो 'मिगसर' ।
सावक - पु० [सं० मृग शावकः] हरिन का बच्चा । अगसिर १ देखी 'मिमसर' २ देखो 'गिरिरा' अगस्रावक देखो 'अगसाबक' ।
[ ४३० ]
गांक पु० [सं०] मृगा] १ चंद्रमा २ एक प्रकार की रस प्रोषधि ।
प्रगतिलेखा स्त्री० [सं०मृगालेखा] चंद्रलेखा नामक महासती । प्रयाग-देखो 'प्रिय' ।
गाधिप, अर्गाधिपति, प्रगटोस - पु० [सं०] सिंह, शेर गायनी, स्रणानेली, अगानंनी-- देखो 'म्रिगनेणी' । गाळ-देखो 'प्रिय' ।
प्रवास, प्रगाशी प्रगाखी स्त्री० [सं०] मृग-प्रक्षि] मृगनयनी, मृग के नेत्रों के समान सुन्दर नेत्रों वाली स्त्री । गाट- पु० १ हरिन । २ देखो 'म्रिगनेणी' । याद-पु० [सं०] मृगवन] चीता।
गास - पु० [सं० मृग-ग्रासन्] १ मृग चर्म का प्रासन । [सं० मग अशनम् २ सिंह शेर ३ बीता।
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पांच मात्रा का नाम । ३ दो जगा का एक छन्द विशेष । अस-पु० [सं० मुद्देश] सिंह, शेर
गाळा - देखो 'गखाळा' ।
- देखो 'म्रिग' |
प्रथमथम- पु० [वं मृग-अक्षराम्] हवा, पवन। अथवा पु० [सं०] मृग वाहन] हवा, पवन प्राय-देखो 'प्रिय' ।
अली, अड़ा-देखो 'डा
नजा देखो 'मरजाद' ।
लोकी
प्रजाब, म्रजावा, प्रजाबि देखो 'मरजाद' । जावागर० श्रीराम की एक उपाधि । अजादी-वि० [सं० मर्यादित] मर्यादा रखने या निभाने वाला।
२ मर्यादा में रहने वाला । अजाब- देखो 'मरजाद' | ड- देखो 'डि'। माळ-देखो ''डमाळ | डांगी, अनी - देखो 'मरण' ।
लाळ, प्रसाविनि स्त्री० [सं० मुणालं] १ कमलनाल, कमल का डण्ठल । २ कमल की जड़ । तंजय- देखो 'म्रित्युंजय' ।
स्त्री० [सं० मुहानी] पार्वती, दुर्गा
-
प्रत वि० [सं० मृत] १ मरा हुआ, निष्प्राण २ व्यर्थ निरर्थक । ३ देखो 'म्रित्यु' ।
व्रत- देखो 'म्रित्यु' ।
तक- देखो 'म्रितक ।
तककरम-पु.] [do मृतक कर्म] मृत व्यक्ति के पं से किये जाने वाले कार्य ।
अतकर १० [सं०] मृत्यु + कर] यम
देखो 'मितिका' ।
प्रतकि प्रत देखो 'कि'
,
ताछ- पु० [सं०] मृत्युकाल] मौत की घड़ी, मृत्यु का क्षण । तघात - पु० [सं० मृत्यु- प्राघात] मौत का संदेश, मृत्यु का
प्राघात ।
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arrant स्त्री० [सं० मृत जीवनी] संजीवनी विद्या । तातिथि स्त्री० [सं०] ज्योतिष में एक योग विशेष तबासर - पु० [सं०] मृत्यु-बासर ] मृत्यु दिवस, मौत का दिन । तभरण, मतभूवरण-पु० [सं० मृत्यु-भवन ] १ मृत्यु लोक । २ मौत का घर । तमो-देखो 'ब्रित्युलोक।
पिगी-देखो 'श्रिमी' ।
"
नगाली- देखो 'म्रिगी' ।
गीत - देखो 'गेस' ।
अणु-देखो 'निर'।
गॅब, द्र- पु० [सं० मृगेन्द्र ] १ सिंह शेर । २ मध्य लघु की | अतलोकी- पु० मृत्यु लोक का प्राणी, जीव ।
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অশ্রণী
नित्यु
नातलोक-देखो 'म्रित्युलोक' ।
की एक जाति । ६ मार्गशीर्ष मास । ७ मृगशिरा नक्षत्र । प्रतवान-पु० [सं० मरुत्वत्] इन्द्र।
८ एक मिल छंद विशेष। -छ, बाळा-स्त्री. मृग अति-देखो 'म्रित्यु' ।
का चर्म ।-ळ, तरसना, विरतला, तिसला, तिला, प्रतिका-देखो म्रितिका' ।
प्रसरणा, प्रणा-स्त्री. मृगतृष्णा, भ्रम, धोखा, असत्य बस्तु । प्रतिलोकी-देखो 'सतलोकी'।
-धर-पु. चन्द्रमा ।-गवरपी-स्त्री० सुन्दर स्त्री । अतु-देखो म्रित्यु।
-नाव-पु० सिंह, शेर ।-नाम, नाषि-स्त्री० कस्तूरी, चतुत-पु० [सं० प्रमाऽऽत्तर इन्द्र ।
| . मगनाभि ।-नेखी, नयी-स्त्री०सुन्दर स्त्री।-पत,पति,पतीप्रत , सत्य-देखो "म्रित्यु।
पु० सिंह, शेर, । चन्द्रमा । -मंद, मंड, मद-पु. कस्तूरी। प्रत्यका-देखो 'म्रितिका'।
पाभूषण विशेष ।-मित्र-पु. चन्द्रमा, शशि । प्रत्यलोक, प्रत्यलोकि-देखो 'मित्युलोक' ।
-राज, राड-पु० सिंह, मेर ।-रिपु-पु. शेर । प्रत्युजय-देखो 'म्रित्युजय' ।
-लोअरिण, लोचनी, लोचनी-स्त्री. सुन्दर स्त्री । प्रत्यु-देखो 'प्रित्यु' ।
निगया-स्त्री० [सं० मृगया] शिकार, पाबेट। प्रत्युलोक-देखो "म्रित्युलोक' ।
निगलो-देखो 'निग'। नवग, प्रबंगी, अबगौ-पु. [सं० मृदंग] ढोलक के प्राकार का | निगडीपी-स्त्री. शुक्रग्रह की नौ वीषियों में से एक। एक वाद।
निरसर-देखो 'मिगसर'। नव-स्त्री० [सं० मृद १ रज, मिट्टी। २ मिट्टी का ढेला। निगसाखा-पु० [सं० शाखा मृग] बानर, बंदर। मिट्टी का टीला । ४ एक प्रकार की गंधदार मिट्टी।।
निगसिरा-पु० [सं० मृगशिरा] एक नक्षत्र विशेष । ५ देखो 'मरव' । ६ देखो 'प्रदु' ।
| म्रिपानयरणी, म्रिगानेपी-बी० सुन्दर नेत्रों वाली स्त्री। अदु-वि० [सं० मृदु] १ प्रिय, सुहावना । २ सुकुमार, नाजुक । निगि, म्रिगी-पु० [सं० मुगी] १ मादा हिरन, मुगी। २ बचेतन
३ नरम, मुलायम, कोमल । मधुर, मीठा। मंद, का एक रोग । ३ एक प्रकार की स्त्री। धीमा, हल्का। ६ उग्र, प्रचंड भाषि का विपर्याय । निगड-देखो 'म्रगेंद' । ७ निर्बल, कमजोर । -त्री. १ घृतकुमारी। २ जूही। निगेस-देखो 'म्रगेस'।। ३ कोयल । ४ शनि ग्रह।
निगमब-देखो "म्रिगमद'। अदुका-स्त्री० [सं० मुहीका] दामा, दाख।
निग्ग, निध, मिघलौ-देखो 'निग'।-छाका 'निगछाला'। प्रदुगण-पु० [सं० मृदुगण] चित्रा मादि चार नक्षत्रों का समूह । निक, निड, म्रिद-पु० [सं० मुड] शिव, महादेव। अता-त्रिी० [सं० मदुता] १ कोमलता। २ मधुरता। म्रिपाल, म्रिणामणि, निखालखी, निजाती-खो 'प्रणाळ' । नबुधुनि-स्त्री० [सं० मध्वनि) कोयल ।
नित-देखो 'म्रत'/म्रित्यु। प्रदुळ-वि० [सं० मृदुल ] . कोमल, नाजुक, नरम । नितक, म्रितग-पु. [स. मृतक] १ मुर्दा, मरा हुमा। २ब,
२ सुकुमार । ३ दयालु, कृपालु। -पु०१ जल, पानी।। लाश । ३ पिशाच, प्रेत । ४ शैतान ।
२प्रगर नामक काष्ठ। अंजीर। ४ तकिया। नारिय| नितदिन-पु. मौत का दिन, मरने का दिन । ब्रहणी (बी)-देखो 'मरदरणी' (बी)।
प्रितमंदिर (मिवर)-पु. १ चिता । २ श्मशानबाट । प्रध-पु० [सं० मृध] युग, समर ।
नितलोक-देखो "म्रित्युलोक' । सम्म-देखो 'मरम'।
नितस्थान-पु० [सं० मृत्यु-स्थल मृत्यु की जगह । प्रयाब, प्रयावा-देखो 'मरजाद'।
निति-१ देखो 'म्रित्यु' । २ देखो 'म्रत'। प्रसा-स्त्री० [सं० मुषा] भूठ, प्रसत्य ।
नितिका-स्त्री० [सं० मृत्तिका] १ मोपीचंदन । २ मिट्टी। नसावाब-देखो 'मिरसावाद'।
नितु, निती-देखो 'म्रित्यु'। ग्रहण-देखो 'मरहण'।
नित्य-वि० मृत, मग हुमा । निंग-देखो "म्रिग'।
म्रित्युजय-पु० [सं० मृत्युजय] १ शिवजी का एक नाम ।२ अमर। निखा-देखो 'म्रसा'।
नित्यु-स्त्री० [सं० मृत्यु] १ प्राणी की प्राणहीन अवस्था, निग-पु० [सं० मृग] (स्त्री० म्रिगी) १ हरिन, मग । २ जीब प्राणांत, मौत, मृत्यु । २ अंतिम अवस्था, समाप्ति, अंत ।
प्राणी । ३ जंगली पशु । ४ हामी की एक जाति । ५ घोड़ों | माया । काली। -पु. ५ यम, काल। ६ ब्रह्मा ।
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म्रित्युयोग
पृथ्वी लोक २ यमलोक
1
रिंग- देवो''।
७ विष्णु । ८ कामदेव । ९ कलियुग । १० एक साम मंत्र | म्हारलो - सर्व० (स्त्री० म्हारली ) मेरे वाला । ११ ज्योतिष का एक योग ।
त्रियोग - पु० [सं०] एक प्रशुभ योग ।
म्हारा सर्व० मेरा, हमारा । म्हाराज देखो 'महाराज'
त्रियुलोक पु० [सं० मृत्युलोक ] १ संसार, मनुष्य लोक, सृष्टि,
म्हाराजा देखो 'महाराजा' ।
1
।
ग्लोन वि० [सं०] १ मुरझाया हुया २ उदास, खिन्न ३ का ४ मसिन, मैला । म्लेच्छ, लेख पु० [सं० म्लेच्छ ] १ वर्णाश्रम धर्म से च्युत जाति । २ अनार्य, जंगली व्यक्ति । ३ विदेशी । ४ यवन । ५ अनार्यो की भाषा । ६ तांबा । वि० १ नीच, पापी,
दुष्ट । २ जाति च्युत । -राय-पु० एक प्राचीन राजा । म्ह सर्व० मेरा ।
म्हने सर्व० मुझे, मुझको ।
महल देखी 'महल'।
म्हां सर्व० [१] २ हमारा ३ मेरे हमारे । म्हांकड, म्हांको सर्व० (स्त्री० महांकी) मेरा, हमारा
म्हांजळी, हांजीहांशी सर्व० हमारा मेरा।
म्हांली सर्व हमारी।
०
म्हांसे ( ) - सर्व० हमारे ।
म्हांसी सर्व हमारा।
म्हानु (नू, ने, नै) - सर्व ० हमें, हमको ।
म्हारी सर्व० हमारी । . म्हारे म्हारे सर्व हमारे
O
म्हारी सर्व० हमारा |
म्हासु (सू) - सर्व० हमसे मुझसे।
म्हांहरी सर्व० हमारी।
म्हहिरे (₹) - सर्व० हमारे ।
म्हांहरी म्हाड़ी सर्व० हमारा
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म्हा सर्व० हम । महाड (६) सर्व०
मी
महाइनु (नू ) - सर्व० हमको भी ।
महाचीन्ह पु० एक देश
म्हारा (न) देखो 'महावन'।
म्हारो देखो 'माटो'।
( ४१२ )
म्हार सर्व० मेरा।
म्हारयां सर्व० मेरी, हमारी ।
1
म्हारी सर्व० मेरी हमारी। म्हारुड़ी, म्हारूड़ी-देखो 'म्हारी' । म्हारे म्हारे सर्व मेरे हमारे म्हारे (४) सर्व० मेरे भी। म्हारोड़ा, म्हारोड़ौ- सर्व ० मेरे वाला । म्हारी सर्व०मेरा हमारा।
म्हाली (बो) - देखो 'माल्हणी' (बो)
म्हावत देखो 'महावत'।
म्हासती - देखो 'महासती' । सर्व० मैं।
1
म्हे म्हे देखो 'हे' ।
हेमान देखो 'मैं'मान'।
म्हेल देखो 'महल'।
हेलो (बौ) - देखो 'मेलणी' (बी) । म्हेसुरी - देखो 'माहेस्वरी' ।
म्हें, म्है - सर्व० हम मैं ।
म्हेड (ई) सर्व० हम भी मैं भी
म्हैमानो-देखो 'मैं' मानी' । म्हेर-देवो मह
महेरबानी देखो 'में' रवानी।
म्हेल १ देखो 'महल' २ देखो 'महिला' । हेलो (बी) देखो मेनसी' (बो)।
'म्होंड़ी-देखो 'मू'डी'
म्होड़ी-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र । म्होड़ी-देखो 'मोड़ी'
म्होटो-देखो 'मोटो' ।
महोबत - देखो 'मुहब्बत' ।
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'म्होर-१ देखो 'मोहर' २ देखो 'मोर'
म्होरी- देखो 'मोरौं' |
म्होडी देखो 'मोड़ो' ।
म्हौरी- देखो 'मोरी' ।
म्होरी-१ देखो 'मोरी' २ देखो 'म्हारी'
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म्हौरी
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( ४३३ )
( य )
य - देवनागरी वर्णमाला का २६ वां व्यंजन ।
यछा, यछा देखो 'इच्छा' ।
यत यता पु० [सं० पंतु] १ सारथी, गाड़ीवान २ चालक, परिचालक ।
-देखो 'एक'।
यी वि० [सं०] एक अंगी ] १ एक अंग वाला २ जिसके एक ही पति या पत्नी हो ।
कुंडल-पु० [सं०] एक कुंडस ] मेवनाग पता- देखो 'एकता'। पहलकदेयो 'एकल' यकलास देखो 'इकळास' ।
यत्र पु० [सं०] यंत्रम् ] १ कम मशीन २ धौजार, उपकरण। ३ श्रस्त्र, हथियार । ४ वाद्य, बाजा । ५ ताबीज, गंडा । ६ जादू टोना । —कार - पु० यंत्र निर्माता या यंत्र संचालक । -वाहक पु० यंत्र चलाने वाला। मशीनमेन । यंत्रणा स्त्री० [सं०] १ कष्ट, पीड़ा । २ कष्टदायक सजा । यत्रमात्रका स्त्री० [सं०] यंत्रमातृका] ६४ कलाधों में से एक । यंत्रमुक्त- पु० [सं०] एक प्रकार का प्रस्त्र विशेष । यंत्रराज - पु० [सं०] ज्योतिष संबंधी एक यंत्र ।
कवीस, पक्कवीस-देखो इक्कीस महतर देखो इफोर' ।
कांचन देखो 'इक्यावन'
कार ० [सं० य: कार ] १ छन्दशास्त्र में का नाम । २ 'य' वर्ण का नाम ।
यत्रवाद पु० [सं०] ७२ कलाओं में से एक।
यत्रवादी - वि० [सं०] यंत्रवाद का ज्ञाता ।
Darar - देखो 'इक्यावन' । यकीन पु० [०] विश्वास, प्रतीति
यंत्रविद्या स्त्री० [सं०] यंत्र या कल बनाने प्रथवा संचालन यक्ष-पु० [सं०] (स्त्री० यक्षणी, यक्षिणी, पक्षी) १ एक देव
करने की विद्या ।
जाति विशेष व इस जाति का देव । २ कुबेर का एक नाम । ३ इन्द्र के राजभवन का नाम । ४ भ्रात्मा विशेष ।
मंद, यंदर - देखो 'इंद्र' ।
बंदरा-१ देखो 'इंदिरा' २ देखो 'इंद्राणी'।
यंदु, यदू-देखो 'इंदु' |
=
मंद्र देखो इंद्रजीत 'इंद्रजीत 'पुर, पुरी 'इंद्रपुरी' यंद्रांण- देखो इंद्र' | पाली-देखो डाली' | चंद्रावर देखी 'इंद्रावरज' | यंद्रावरध - देखो 'इंद्रावध' ।
पास देखो 'इद्राखरण' यंद्रिय मंत्री-देखो 'इंद्रिय' यंनांमी - वि०
व० १ इनाम प्राप्त करने वाला २ जहां पर इनाम यक्षरूप - पु० [सं०] महादेव ।
का प्रावधान हो ।
यंबर देखो 'अंबर' ।
म पु० १ कपट, छल । २ देखो 'यम' ।
य - पु० [सं०] १ गाड़ी यान, सवारी। २ हवा, वायु । ३ कीर्ति, यश । ४ सम्मेलन । ५ यव, जो ६ बिजली, विधुत । ७ रोक, रुकावट । यमराज त्याग । १० योग । ११ संयम । १२ प्रकाश, रोशनी । १३ गणेश । १४ ईश्वर । १५ पुरुष १६ छन्द शास्त्र में यगण का संक्षिप्त रूप । - वि० जाने वाला - 1- क्रि०वि० पुनः
1
श्रीर I
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नायक, पति, पती- पु० कुबेर ।-पुर, पुरी-स्त्री० अलकापुरी । - राज-पु० कुबेर । —लोक- पु० अलकापुरी । यक्षकरम - पु० [सं० यक्षकर्दम ] एक प्रकार का लेपन । यक्षग्रह - पु० [सं०] १ एक कल्पित ग्रह विशेष । २ प्रेत-बाधा । यक्षतरु - पु० [सं०] वट वृक्ष, बड़ का पेड़ ।
पक्षधूप - पु० [सं०] गूग्गल धूप, लोबान ।
यक्षरात ( रात्रि) - स्त्री० [सं० यक्ष-रात्रि ] कात्तिक मास की अमावस्या या पूर्णिमा की रात ।
क्षति (विस) ० [सं०] यक्षवित] कजूस कृपण
यक्षस्थळ- पु० एक प्राचीन तीर्थं ।
पास
यक्ष केंद्र, यक्ष स्वर- पु० कुबेर ।
पु० [सं०] तीर, शं
आस पु० [सं० पास] धनुष
यक्षावास १० [सं०] वट वृक्ष
यक्षिणी, पक्षी स्त्री० [१] यक्ष की स्त्री २ कुबेर की पत्नी का नाम । ३ दुर्गा की एक धनुवरी । ४ एक अप्सरा ।
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यवधीयता
( ४३४ )
यदि
यखूधीयता-पु० तरकस ।
यज-पु० [सं०] १ विजय, जीत । २ वस्त्र विशेष । ३ यज्ञ । यगरणा-पु० छन्दशास्त्र में एक गरण ।
४ बलिदान । ५ नैवेद्य । ६ पूजन । यगताळीस-देखो 'इकताळोस' ।
यजदा-पु० ईश्वर का नाम (फारसी)। यग्य-पु० [सं० यज्ञ] १ वेद मंत्रों सहित हवन करते हुए किया |
यजन-देखो 'जजण'। जाने वाला पूजन । २ पूजन की क्रिया। ३ अग्नि का एक यजमान-देखो 'जजमान'। नाम। ४ विष्णु का एक नामान्तर । ५ अग्निहोत्र ।
यजमानी-देखो 'जजमानी'। -प्रधिपति प्रात्मा-पु० विष्णु ।-कारी-पु० यज्ञ करने | यजार-देखो इजारबंद'। वाला ।-ऋतु-पु. विष्णु का एक नामान्तर । --- क्रिया- यजुरवेद-पु० [सं० यजुर्वेद] एक प्रकार का वेद । स्त्री० यज्ञ कर्म । कर्म कांड ।-पति-पु० विष्णु भगवान । यजुरवेदियो, यजुरवेदीयो-पु० [सं० यजुर्वेदिन] यजुर्वेद का ज्ञाता । एक गोत्रकार ।-पसु-पु० यज्ञ का बलि पशु, घोडा, बकरा | यण-देखो 'पण' । प्रादि ।-पात्र-पु० यज्ञ के काम आने वाला पात्र । -पाळ- यणणो (बो)-देखो 'जणणो' (बी)। पु० यज्ञ का सरक्षक । --पुरुस-पु. विष्णु । -भाग-पु. यतन (न)-देखो 'जतन' । यज्ञ में किसी देवता का भाग । इन्द्रादि देवता ।-भाजन
यतमामी-पु. व्यवस्थापक। प० यश का पात्र ।-भूमि-स्त्री० यज्ञ करने का स्थान । | पतलाकनवेस-प. एक राज्य अधिकारी। -रप-१० यज्ञ के लिये निमित मडप-मंडळ-पु० यज्ञ काये | यतक्त-कि. वि. इधर-उधर । के लिये घेरा गया स्थान ।-मदिर-पु० यज्ञशाला । -मय- यति- देखो 'जती'। पू०विष्णु ।-यूप-पु० यज्ञ के बलि पशु को बाधने का खंभा। यतिवर-40 मि01 चहा। -वराह-पु० विष्णु एक का नामान्तर ।-वाह-पु० यज्ञ करने | यतिधरम-पु० [सं० यति-धर्म] १ संन्यास। २ यतियों के वाला । स्कंद का एक अनुचर । एक गोत्रकार ।-वाहन- प्राचरण । पु० विष्णु । ब्राह्मण । शिव । याज्ञिक । -वक्ष-पु० बट यतिभग (भ्रस्ट)-पु० [सं०] छन्द शास्त्र संबंधी एक दोष । वृक्ष ।--सरण-पु० यज्ञ मण्डप ।--साळा-स्त्री० यज्ञ करने | यतिसांतपन-पू० दिवसोय एक व्रत । का स्थान । कक्ष ।-सास्त्र-पु० यज्ञ की विधि एवं महत्व | यती-सर्व०१ इतना । २ देखो 'जतो'। बताने वाला ग्रंथ ।-सोल-पु० ब्राह्मण । यज्ञ करने वाला। यतीम-पू० [१०] १ बिना मां-बाप का बच्चा, अनाथ । २ एक -सूकर-पु० विष्णु । -सूत्र-पु. जनेऊ, यज्ञोपवीत ।
बड़ा मोती। ३ बहुमूल्य रत्ल । -खांनो-पु. अनाथालय । -स्तंभ-पु० बलिपशु बांधने का ख भा।-स्थळ-पु० यज्ञ
यतीस्वर-पु० [सं० यतीश्वर] योगीराज, यति राज । करने का स्थान ।-होता. होत्र-पु० यज्ञ कर्ता । देवता का
यतौ-सर्व०१ इतना । २ जहां । ३ देखो 'जती' । पाह वान करने वाला । मनु का एक पुत्र ।।
यान देखो 'जतन'। यग्य कोप-पु० [सं० यज्ञकोप ] विष्णु का एक नामान्तर । | यत्र-देखो 'जत्र'। यग्यवत्त-पु० [स० यज्ञदत्त] १ कापिल्य नगर का एक अग्निहोत्री
यत्र-तत्र-प्रव्य० [सं०] १ जहां-तहां, इधर-उधर । २ यहां-वहां । ब्राह्मण । २ भगदत्त राजा के पुत्र का नामान्तर । ३ यज्ञ
३ कुछ-कहां, कुछ-वहां । कर्म में निपुण एक ब्राह्मण । ४ एक प्राचीन राजा।
यथा--देखो 'जथा'। पग्यवाहु-पु० [सं०यज्ञ बाहु] १ अग्नि का एक नाम । २ शाल्मलि
यथाक्रम-देखो 'जथाक्रम'। द्वीप का एक राजा।
यथानियम-देखो 'जथानियम' । पग्य सेन-पु० [सं० यज्ञमेनः] १ पांचाल नरेश द पद का एक यथापूरव-प्रय० [सं० यथा-पूर्व] जैसा पहले था, पूर्ववत्, ज्यों एक नाम। २ विष्णु ।
___का त्यों। यग्यांग-पु० [सं० यज्ञ +अंग] १ यज्ञ की सामग्री। २ विष्णु । यथायोग्य-देखो 'जथाजोग' । ३ गूलर । ४ खदिर।
ग्याविधि-देखो 'जथाविधि'। यग्यारमा-देखो इगियारमौं'।
यथासक्ति (सगती)-देखो 'जथासकती' यग्यारि-पु० [सं० यज्ञारि| १ शिव महादेव । २ राक्षस । यथोगित-प्रव्य जो उचित हो, उपयुक्त । यछ-प्रव्य० चाहे भले। अगर, यदि ।
यपि-देखो 'जदपि'। यजंगम-देखो प्रजगप' ।
यदि-देखो 'जदी'।
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( ४३५ )
यसस्कर
यदु- देखो 'जदु'।
यमहर-देखो 'जमहर'। यदुनंदन-देखो 'जदुनदन'।
यमालय-पु० [सं०] यमपुर। यदुनाय-देखो 'अदुनाय' ।
यमि-वि० [सं०] इन्द्रियों को वश में रखने वाला। -स्त्री. यदुपति-देखो 'जदुपति'।
यमुना नदी। यदुभूप (रान)-पु० [सं०] श्रीकृष्ण ।
यमुना-देखो ‘जमना' । यदुवस-देखो 'जदुवंस'।
यमेस-पु० [सं० यमेश] भरणी नक्षत्र का एक नाम । . यदुवसमरिण-पु. श्रीकृष्ण।
ययाति-पु० [सं०] पुराण प्रसिद्ध एक राजा। यदुवसो-देखो ‘जदुवंसो'।
ययो-पु. १ शिव । २ बलि का घोड़ा। ३ कोई धोड़ा। यदुवा, यदुवीर-देखो 'जदुवर'।
. ४ मार्ग, रास्ता । ५ बादल । यम-देखो 'इभ'।
यरंद यर-देखो 'परि'। यम-पू० [सं० यमं] १ दमन, निग्रह । २ नियंत्रण । ३ प्रात्म | यरथाट-देखो 'परिथाट' ।
संयम । ४ चित्त को धर्म में स्थिर रखने का साधन । यरहर-देखो 'अरिहर'। ५ योग के पाठ अंगों में से एक । ६ युग्म, जोहा । ७ देखो परादो-देखो 'इरादो'।
जम'। -क्रि० वि० १ ऐसे. इस प्रकार । २ ज्यों, जैसे। यळ-देखो 'इळा'। पमक-पु० [सं०] एक शब्दालंकार विशेष ।
यळधीस, यळनाथ-पु० [सं० इल-धीश, नाथ] राजा, नप । यमककरिणिक-पु० सेना में व्यूह रचना का प्रबंधक । यळप्रभ-पु० [सं० इलाप्रभा] नगर, शहर । यमघंर-देखो 'जमघंट'।
यलम-देखो 'इलम'। यमचक्र-देखो 'जमचक्र' ।
यलल्लाह-देखो 'इलल्ला'। यमजातना-देखो 'जमयातना' ।
यळसुवन-पु० [सं० इला-शूनु] पृथ्वी पुत्र, मंगल । यमजित-वि० [सं०] मृत्युजय । -पु० शिव, महादेव ।
यळा-स्त्री० [सं० इला] १ इन्द्र की रानी, इंद्राणी। २ इला, यमणी (बी)-१देखो जीमणों' (बो)। २ देखो 'जमणो' (बी)।
पृथ्वी। यमदंड-देखो 'जमदंड'।
यळाइद-पु० [सं० इला-इन्द्र] राजा नृप । यमदग्नि-देखो 'जमदग्नि'।
यलापत (पति)-पु. [स० इला-पति] राजा, नृप । यमदूत-पु० [सं०] १ कोमा । २ नौ यज्ञ-समिधों में से एक। यव-देखो 'जब' ।
३ विश्वामित्र ऋषि का एक पुत्र । ४ एक प्रकार का घोड़ा। यवन-पू० [सं०] १ कालयवन राजा का एक नाम । २ हैहय ५ देखो 'जमदूत'।
राजा का एक साथी। ३ एक लोक समूह । ४ देखो 'जवन'। यमन-स्त्री० एक राग विशेष ।
यवमध्य-पु० [सं०] १ एक प्रकार का व्रत । २ पांच दिवसीय यमनाथ यमनाह-देखो 'जमनाह' ।
यज्ञ । ३ एक प्राचीन नाप । यमपद-पु० शाक विशेष ।
यवरोटिका-स्त्री. जव की रोटी। यमपुर, यमपुरी-देखो जमपुर'।
यवागू-पु० जव या चावल का मांड । यमभगनी, यमभगिनी-देखो 'जमभगनी'।
यविनर-पु० [सं०] १ द्रुह्य कुल का एक राजा । २ उत्तर यमया-देखो 'जमया'।
पांचाल का एक राजा। यमयातना-स्त्री० [सं०] यमपुरी में जीव को दी जाने वाली वियस-पु० [सं०] १ एक प्राचीन राजा । २ एक प्राचार्य । सजा।
यस-पु. १ भोजन, प्रन्न । २ सुतभ देवों में से एक । ३ विकूट यमराज-पु० [सं०] १ जानार्णवतंत्र के रचयिता एक ग्रंथकार । देवों में से एक । ४ देखो 'जस' । २ देखो 'जमराज'।
यसड़ो-देखो 'इसडो'। यमल-पु. १ एक प्रकार का वाद्य । २ देखो 'जमल'।
यसनामिक-वि० [सं० यशनामिक] यशस्वी। यमलोक-देखो 'जमलोक' ।
यस-पु० [अ० यश्ब] प्रोषध के काम पाने वाला एक पत्थर । यमवारी-देखो 'जमारौ'।
यसवंत-वि० यशस्वी।। यमबाहरण-देखो 'जमवाहन' ।
यसस्कर-पु० [सं० यशस्कर शिव देवों में से एक । यमहता-देखो 'जमहंता'।
- -वि. यशस्वी।
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पसस्त्री
पिन
यसस्वी-वि० [सं० यशस्वी] यश या ख्याति प्राप्त । याग्यिक-वि० यज्ञ करने या कराने वाला। यसारत-देखो 'इसारो'।
याचक-देखो जाचक'। यसु-पु० [सं० प्रयस्] लोहा ।
याचनी-वि० वस्तु विशेष की याचना करने वाला। यसुमति-देखो 'जसुमति'।
याजक-पु० [सं०] १ यज्ञ करने वाला । २ राजा का हाथी । यसू-वि० [सं० याहशकम्] जैसा ।
३ मस्त हाथी। पसोदा-देखो 'जसोदा'।-नंबन='जसोदानंदन'।
याजन-स्त्री० [सं०] यज्ञ की क्रिया । पसोदेवी-स्त्री० सम्राट बृहत्मनस की पत्नी।
याजि-वि० यज्ञ करने वाला। यसोधर-पु० [स. यशोधर] १ भूतकाल के १८ वें तथा भविष्य- यातना-स्त्री० [सं०] १ शारीरिक या मानसिक पीड़ा, कष्ट ।
तकाल के १९ वें तीर्थ कर का नाम । २ देखो 'जसोधरा २ असाध्य रोग। ३ यम द्वारा दी जाने वाली सजा । यसोधरा-देखो 'जसोधरा'।
यातायात-वि० [सं०] १ मावागमन का साधन, यात्रा की यस्टकुटी-स्त्री० पहाड़।
सवारी, वाहन मादि। २ यात्रा। पस्टि-स्त्री० लकड़ी का शस्त्र ।
यातुधान-देखो 'जातुधान'। पह-सर्व० [सं० इदं] निकट की वस्तु, व्यक्ति या संज्ञा के लिये
यात्र, यात्रा-देखो 'जातरा'। प्रयुक्त संबोधन । -वि० पास का, प्रत्यक्ष का।
यात्राळू-वि० यात्री। यहां-क्रि० वि० [स.ह] इस स्थान या क्षेत्र में।
यात्री-देखो जातरी'। यहि, यही-सर्व० 'यह' का निश्चयात्मक रूप।
याव-स्त्री० [फा०] १ स्मरण शक्ति, स्मृति । २ स्मरण किया। यहीं-क्रि० वि० इसी स्थान पर ।
यादगार यावगारी, यादगीर, यावगीरी-स्त्री० [फा. यादगार] पहु-देखो 'यही'।
१ स्मृति का चिह्न, स्मारक या वस्तु । २ स्मरण शक्ति । यहूद-पु० हजरत ईसा की जन्म भूमि का देश ।
याववास्त-स्त्री० [फा० याददाश्त] १ स्मरणशक्ति, स्मृति । यहूदी-पु० १ उक्त देश का निवासी। २ एक जाति विशेष ।
२ स्मरण के लिए लिखी हुई बात । -स्त्री० ३ उक्त देश की भाषा। -वि० यहूद देश का, यहूद
यादवगसी-पु० [फा०] राज्य का एक अधिकारी विशेष । देश संबंधो। यां-सर्व० १ इन। २ इन्होंने । ३ इस ।-क्रि० वि०-१ इस
यावम-पु० [अ० प्रादम] भादमी, पुरुष ।
यादव-देखो 'जादव' । -कुळ, कुळि 'बावनकुळ' ।-पति, प्रकार, इस तरह । २ इससे । ३ यहां।
पति = 'जादवपति' । -राई-पु. यादवों के राजा । यांन-पु. १ सवारी, वाहन । २ विमान । ३ गति, चाल ।
श्रीकृष्ण । -वंश = 'जादववंश' । -क्रि०वि० ऐमे, इस तरह। यांनी, यांने, यनि-प्रव्य. अर्थात्, मतलब कि ।
याबू-पु० [फा०] छोटा घोड़ा, टट्ट । योह-१ देखो यहां' । २ देखो 'यां'।
यायावर-पु० [सं०] १ इधर-उधर घूमने वाला प्राणी। २ एक या-सर्व० यह । -क्रि०वि० अथवा ।
ही स्थान पर न रहने वाला, जरत्कारु ऋषि । चारण। याक-पु० हिमालय क्षेत्र का एक पहाड़ी चौपाया जानवर । यार-पु० [फा०] १ मित्र, दोस्त । २ साथी, मददगार, सहायक । याकूत-पु. [१०] एक प्रकार का बहुमूल्य पत्थर ।
३ प्रेमो । ४ किसी स्त्री का उप पति । याग-देखो 'जाग'।
यारी-स्त्री० [फा०] १ मित्रता, दोस्ती। २ स्नेह संबंध । यागवलक-देखो जागलिक' ।
३ स्त्री-पुरुष का अनुचित संबंध । यागि-देखो 'जाग'।
याळ-स्त्री० [तु.] १ घोड़, सिंह प्रादि के गर्दन के बाल, याग्य-पु० भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार।
प्रयाल । २ गर्दन । याग्यतुर-पु. ऋषभ नामक प्रश्वमेध करने वाला राजा।
यालुक-वि० अनन्त, असीम । याग्यवत-पु. याज्ञवल्क्य नामक गोत्रकार का नामान्तर। यावनी-पु. करक शालिनामक ईख, रसाल । याग्यबल्क्य-पु०१ विश्वमित्र कुलोत्पन्न एक गोत्रकार। २ वशिष्ठ
| यास्क-पु० [सं०] निरुक्त नामक विख्यात प का कर्ता। कुलोत्पन्न एक गोत्रकार । ३ एक प्राचार्य । ४ विश्वामित्र | यि-सर्व० ये।-क्रि०वि० भी, अपि । का एक पुत्र । ५ एक ऋषि विशेष । ६ राजा जनक के | यिऊ-क्रि०वि० ऐसा, ऐसे, भी। दरबारी एक ऋषि । ७ एक स्मृतिकार ।
यित्र-देखो 'इत्र' । याग्यसेनी-पु. द्रौपदी का एक नामान्तर।
। यिम-देखो 'इम' :
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यिमरत
। ४३७ )
योगन
यिमरत-देखो 'प्रमरत' ।
-पाळ - 'जूथपाळ' । यिहाँ-क्रि०वि० यहां।
यूथप-देखो 'जूथप'। बी-सवं. यह ।
यूनान-पु. एशिया के पास का एक यूरोपीय देश । यु-देखो 'यू"।
यूनानी-वि० यूनान का; यूनान संबंधी, यूनान देश का बना । युमन-देखो 'जमल'।
-पु० १ यूनान का निवासी । २ इस देश की भाषा । युक्त-देखो 'जुगत'।
३ चिकित्सा की एक विधि । युक्ति-स्त्री० [सं०] १ साहित्य में एक प्रलंकार । २ देखो | पूराल-पु. १ एशिया व यूरोप महाद्वीपों के बीच स्थित एक • 'जुगती'।
पहाड़। २ इस पहाड़ के पास का प्रदेश । ३ इस पहाड़ से युक्तियुक्त-वि० [सं०] ठीक, वाजिब, उपयुक्त । युक्ति से पुष्ट ।
निकलने वाली नदी। युग-देखो 'जुग'।
ग्रह-देखो 'जूथ'। युगति-देखो 'जुगती'।
यूही-देखो 'यू'ही'। युगमंधर-देखो 'जुगमंधर'।
ये-सर्व० 'यह' का बहुवचन, ये। युगळ युगल-देखो 'जुगळ'।
येऊ-मध्य यह भी। युगलियो-वि० युग्म ।
येक-देखो 'एक'। युगवर-देखो 'जुगवर'।
येकरण-देखो 'एकरण। युगांतक-देखो 'जुगंतक'।
येकरिण-क्रि०वि० अकेले ही, अकेले में, एकान्त में । युगावि-देखो 'जुगादि'।
येकल-देखो 'एकल'। युगादिदेव-पु० [सं०] सृष्टि के प्रारंभ के देवता।
येकलो-देखो 'एकलौ'। युगेस-पु. १ बृहस्पति के साठ वर्षों के राशिचक्र में पांच-पांच
येटलो-वि० (स्त्री० येटली) जितना। ____ वर्षों के युगपति । २ देखो 'जुगेस' ।
येठीमधु-स्त्री० मुलैठी। युग्मपद-पु० [सं०] गगार में एक प्रासन विशेष ।
पेण-सर्व० इस । युतबेध-देखो 'जुतबेध'।
येता-क्रि०वि० जिस प्रकार, जैसे। युतिस्ट-पु. छप्पय छंद का एक भेद ।।
येतो-सर्व० (स्त्री० येती) इतना। युत्थ-देखो 'जूथ'।
येन-क्रि०वि० १ जिस प्रकार, जैसे । २ जिससे ।
येलम-देखो 'इलम'। युख-देखो 'जुध'। युद्धवाद-पु० [सं०] ७२ कलामों में से एक ।
येळा-देखो 'इळा'। युद्धसत्रि-पु० [सं० युद्धसत्र] युद्ध में बलिदान होने या करने | येळापत (पति, पती)-देखो 'इळापत' । का भाव।
येह-देखो 'यह'। युधिस्ठिर-देखो 'जुधिस्ठर'।
येहड़ो-सर्व० (स्त्री० येहड़ी) ऐसा । युवक-पु. [सं०] १.१६ से ३५ वर्ष की पायु का पुरुष, जवान |
येहां-प्रव्य०१ यहां । २ ऐसे। व्यक्ति । नोजवान ।-वि० युवा, जवान, वयस्क ।
यै-सर्व० इस, इन। युवति (ती)-स्त्री० [सं०] जवान स्त्री, युवा स्त्री या लड़की।
यसे-क्रि०वि० ऐसा, इस प्रकार । युवराज, युवराजकुमार-पु० [सं० युवराज] 1 बड़ा राजकुमार।
यों-क्रि०वि० [सं० एवमेव १ इस प्रकार, ऐसे । २ उसी तरह २ राजा का उत्तराधिकारी।
वैसे ही।-सर्व० इसके। युवरासी-स्त्री० एक तीर्थ का नाम ।
योंही-क्रि०वि०१ इसी प्रकार से, इसी तरह से । २ देखो 'यूही'। युवा-देखो 'जवारण'।
यो-देखो 'यो। युवावरणी-स्त्री० जवान स्त्री।
योई-देखो 'यहो'। युष्वनास-देखो 'जुवनासव' ।
योग-देखो 'जोग। यू-क्रि०वि० इस प्रकार, ऐसे ।
योगकन्या-स्त्री० [सं०] यशोदा के गर्भ से उत्पन्न कन्या रूप पूही-क्रि०वि० प्रकारण ही, वैसे ही।
में श्रीकृष्ण की माया। यूथ-देखो 'जूथ' ।-नाथ='जूधनाथ' ।-पति : 'जूथपति' । योगज-पु० [सं०] योगी को मिलने वाली एक प्रकार की सिद्धि।
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योगजात्रा
योगजात्रा - देखो 'योगयात्रा' ।
योगदंड - पु० [सं०] रोगी के हाथ में रहने वाला दंड ।
योगनिद्राळ - देखो 'जोगनिद्राळ' |
योगनी - देखो 'जोगरणी' ।
योगदरसन पु० [सं०] योगदन] महर्षि पतंजलि रचित योग सूत्र । योगनाथ- पु० [सं०] शिव
योगनिद्रा देखो जोगनिद्रा' ।
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( ४३० )
योगपीठ - स्त्री० [सं०] देवताओंों का योगासन । योगफळ - पु० अंकों की जोड़, जोड़ का परिणाम । योग-देखो जोगबळ' |
योगभ्रस्ट - देखो 'जोगभ्रस्ट' ।
योगमाता योगमाया देखो 'जोगमाया' ।
योग पु० [सं०] एक प्रकार का पहनावा (प्राचीन)।
योगपति पु० [सं०] १ विष्णु। २ शिव । योगपवक पु० [सं० योग-पदक] एक प्रकार का उत्तरीय वस्त्र । योगपाद० [सं०] अभीष्ट को प्राप्ति हेतु किया जाने वाला कर्म ।
योगपाळ स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक । योगमूरतिधर पु० [सं०] शिव, महादेव
योनी ग्यारस ( एकादसी) स्त्री० [सं० योगिनी एकादशी ] योगाभ्यास पु० [सं०] योग-साधना
प्राषाढ़ कृष्णा एकादशी ।
।
पुर'जोगीपुर'।
योगाभ्यासी - पु० [सं०] योग साधना करने वाला । योग पु० [सं०] योग साधना में निमग्न योगासन - पु० योग- पाधना का श्रासन | योगी (नो-देखो 'जोगणी' योगिनो-देखो 'जोगी'। योगिराज- देखो 'योगीराज' । योगपारंग-१० [सं०] शिव, महादेव वि० योग-साधना में योगींद्र देखो 'जोगी'। योगी- देखो 'जोगी' । प्रवीण ।
योगयात्रा - पु० [सं०] यात्रा के लिये उपयुक्त योग । योगराज गुग्गल पु० गुग्गल प्रधान एक धौषधि विशेष । योगरूढ़, योगरूढ़ि - पु० [सं० योगरूढ़] दो शब्दों के योग से बना विशेष प्रबोधक शब्द
योगरोचना- स्त्री० [सं० योग- रोचना ] एक प्रकार का लेपन । योगवाणी - स्त्री० [सं० योग वारणी] योग का उपदेश । योगदान - पु० [सं० योगवत् ] योगी । योगवासि० [सं०] योग वासिष्ठ] वशिष्ठ मुनि द्वारा रचित एक प्रसिद्ध
योगवाही - पु० [सं० योग-वाहिन्] दो भौषधियों के योग से बनी श्रौषधि विशेष |
योगसूत्र - पु० [सं०] योग संबंधी सूत्र । योगांगपु० [०] योग के घाटों में से कोई एक योगांत - पु० [स०] मंगलग्रह का कक्षा के सातवें भाग का एक
अंश ।
योगागम - पु० [सं०] योग-दर्शन ।
योगाचार - पु० [सं०] १ योग का प्राचरण, योग साधना । २ एक बौद्ध सम्प्रदाय विशेष ।
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7
योगीकुंड पु० [सं०] हिमालय के अन्तर्गत एक तोर्थ । नाथ पु० [सं०]] शिव, महादेव
योगीराज योगीस, योगीश्वर, योगेंद्र प्रोगेस वोगेश्वर पु०
,
[सं०] योगियों में बंष्ठ ।
योगीस्वरी योगेश्वरी स्त्री० [सं०] योगेश्वरी] दुर्गा, देवी योग्य वि० [सं०] १ उपयुक्त ठीक २ लायक, काबिल । ३ प्रवीण, चतुर । ४ अच्छे चरित्रवाला। ५ सुन्दर, दर्शनीय । ६ प्रादरणीय, सम्माननीय । ७ उचित, ठोक ।
योनि
योग्यता - स्त्री० [सं०] १ योग्य होने की अवस्था या भाव। २ क्षमता, सामर्थ्य । ३ लायकी काबलियत । ४ विद्वता, गुण । ५ उपयुक्तता ६ शक्ति, सामर्थ्य, प्रौकात । ७ बड़प्पन, महत्ता । इज्जत, प्रतिष्ठा ।
योजक वि० [सं०] जोड़ने या मिलाने वाला योजन पु० [सं०] दूरी का एक माप
गंध-स्त्री० [सं०] १ मत्स्यगंधा का नामान्तर २
३ मीता ।
योजना स्त्री० [सं०] १
प्रायोजन | ३ प्रस्ताव । ४ प्रयोग ।
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कार्य योजना २ व्यवस्था
योगति स्त्री० [सं०] योगवृत्ति ] योग के द्वारा प्राप्त होने वाली चित्त वृत्ति ।
योतिस देखो 'पोटिस'
योगसक्ति (सगति) - देखो 'जोगगति' ।
यत्राणी (बौ) - क्रि० [सं० युज् ] जुतवाना |
योगसास्तर (सास्त्र) ० [सं० योग शास्त्र] पतंजलि ऋषि का योनि स्त्री० [सं०] १स्त्र की जननेन्द्रिय भग २ उद्भव
- योग संबंधी ग्रंथ ।
योगसास्ती (सासी सास्त्री) वि० योग शास्त्र का ज्ञाता । योगसिद्ध (सिद्धि, सिघ, सिधी) स्त्री० [सं०] योग से प्राप्त सिद्धि
जन्म । ३ उद्भव स्थान । ४ खान ५ देह, शरीर । ६ प्राणियों का वर्ग या विभाग ७ जल, पानी ८ प्रन्तः करण । ९ पुराणानुसार कुश द्वोप की एक नदी ।
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योनिकंद
रग-रोळ
योनिकद-पु० [सं०] स्त्रियों का योनि संबंधी एक रोग। यो-सर्व० यह । -क्रि० वि० ऐमे । इस तरह। योनिफूल-पु० [सं०] स्त्रियों की योनि के अन्दर का एक भाग। यौगिक-पु० [सं०] १ एक प्रत्यय शब्द । २ अट्ठाईस मात्रा के छदों योनिसूल-पु० एक रोग विशेष ।
की संज्ञा ।-वि० १ मिश्रित, मिला हुमा। २ जोड़ से योन्यासन-पु. योग के ८४ पासनों में से एक ।
संबधित। योवन-पु० यथावस्था, जवानो।
यौध-देखो 'जोध'। योसा-स्त्री० [सं० योषा] युवतो, नारी ।
यौबनियो, पौवन, यौवण (न)-देखो 'जोबन' । योही-देखो 'यही'।
यौवना-वि० यौवन संबधी। यौं-कि० वि० ऐसे, इस प्रकार ।
योही-देखो 'यही ।
र-पु० [सं०] देवनागरी वर्णमाला का सत्ताईसवा व्यंजन-वर्ण । रक-वि० [सं०] १ निधन, गरीब। २ दरिद्र, कगाल ।
३ भिखारी, फकीर । ४ कायर, डरपोक । ५ कृपण, कजूस । ६ क्षुधित, भूखा । ७ नीच । ८ मालसी, सुस्त । ९ उदास,
खिन्न । रंकता-स्त्री० [सं०] १ गरीबी, निर्धनता। २ कृपणता, कंजूसी।
३ नीचता । ४ फकीरी । ५ प्रालस्य, सुस्ती । रंकार-देखो ‘ररंकार'। रकि-देखो 'रंक'। रंकु. रंकू, रंको-पु० [सं० रंकू] १ एक प्रकार का हरिन ।
२ मृग, हरिन । ३ देखो 'रंक' । रंग'गरण, रंगगणि (रणो)-पु० [सं० रंग-अंगणम्] १ रंगमच,
अभिनय स्थल । २ रणभूमि । रंग-पु० [सं०] १ किसी प्राणी या पदार्थ का काला, पीला, श्वेत
मादि वर्ण । २ रासायनिक क्रिया से बना पदार्थ, जिससे कोई वस्त्रादि रंगा जा सके। ३ रूप, स्वरूप । ४ शारीरिक बनावट । ५ छवि, नूर, सौंदर्य । ६ रौनक, शोभा, ठाट । ७ अनुराग, लगाव । ८ हर्ष, प्रानन्द, प्रसन्नता । ९ रति क्रीड़ा, मैथुन । १० सुख । ११ उत्सव । १२ नृत्य, गायन । १३ अभिनय । १४ खेल, तमाशा। १५ अभिनय स्थल, रंगमच । १६ सभा स्थान । १७ वेश्या, गणिका । १८ युवावस्था, यौवन । १९ मन की मर्जी, मन की मौज। २० नशा, मस्ती । २१ स्वभाव, प्रकृति । २२ दशा, हालत, ढंग। २३ चाल-ढाल, गति-विधि । २४ प्रासार, वातावरण। २५ व्यवहार। २६ प्रभाव, रोब। २७ मामोद-प्रमोद, |
मनोरंजन । २८ गौरव, प्रतिष्ठा, मान, इज्जत । २९ धन्यवाद, माधुवाद । ३० कृपा, अनुग्रह । ३१ जोश, प्रावेश । ३२ युद्धभूमि, रणांगन । ३३ पानी, जल । ३४ चौपड़ के खेल में गोटी की विजय-प्रवस्था । ३५ युद्ध, लड़ाई। ३६ तास के खेल में काट वाला पत्ता । ३७ एक प्रकार का घोड़ा । ३८ तरह, भांति, प्रकार । ३९ रांगा नामक धातु । ४० सुहागा । ४१ प्रमल प्रादि की महफिल में पढ़ा जाने वाला छंद विशेष । -प्रांमास-पु. केलिगृह, रंगमहल । -कार-पु. चित्रकार, रंगरेज । -केळ, केळि-स्त्री. रतिक्रीड़ा. मैथुन । प्रानन्द, मौज। -होत्र-पु० अभिनय स्थल । रगमंच । युद्ध भूमि। -जीव-पु० चित्रकार । -थळ == 'रगस्थळ' । -निवास, पुर, भवन-पु. अन्तः पुर, महल । केलिगह । -भू, भूमि, भोमि, भोमो, भौमि, भौमी-स्त्री० रंगमच, युद्ध स्थल । -महळ, महलि-पु० अन्तःपुर । केलिगृह । -माती-पु. प्रेम, अनुराग में उन्मत्त । रसिया, रसिक । -रळियात, रळी-स्त्री० रतिक्रीड़ा, मैथुन, संभोग। हर्ष खुशी । भामोद-प्रमोद, मनोरंजन, चैन, भाराम, सुख । प्रेम पनुराग । -रस-पु० प्रानन्द, हर्ष, पामोद-प्रमोद, मनोरंजन । रतिक्रिया। -रसियो-पु. प्रेमी, रसिक, भोग विलास में मस्त । -रातो-पु. प्रेम, अनुराग में मस्त । भोग विलास में रत । मौजी।-रास-पु० रतिक्रीड़ा, भोगविलास । प्रामोद-प्रमोद । हर्ष, मानन्द । नृत्य, गायन । खेल-तमाशा । -रेळ, रेळि, रेळी = 'रगरळी'। -रोळ, रोल, रोळि, रोळी, रोली रोलौ = 'रंगरळी' । -साळ,
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रगड़
( ४४० )
र गिरोळ
साळा-स्त्री० नाटयशाला, रंगमंच, महफिल । -स्थळ- रंगरातो-वि० [सं० रंगरत्त] (स्त्री० रंगराती) १ प्रेम या -पु० युद्धस्थल. रणभूमि। रंगमंच । क्रीडागृह ।
अनुराग में मग्न, प्रेमासक्त, अनुरक्त । २ भोग-विलास रंगड़ रघड़-पु० १ एक राजपूत वंश । -वि० १ वोर, बहादुर ।।
व रतिकोड़ा में रत, विलासी। ३ छल- छबीला, रसिक २ उद्दण्ड, उत्पाती।
प्रेमी। ४ किसी के प्रभाव में प्राया हुमा। रंगजणणी (जननी)-स्त्री० [सं० रंग-जननी] लाख, लाक्षा। | रंगरूट-पु० नया भर्ती किया गया सिपाही । रंगट-देखो रंघड़'।
रंगरेज (जो)-पु० [फा०] (स्त्री० रंगरेजण, रंगरेजणी) १ वस्त्र रगढग-पु० १ हाल-चाल, हालात । २ व्यवहार, बर्ताव ।। रंगाई का कार्य करने वाली एक जाति । २ इस जाति का
३ चाल-ढाल, गतिविधि । ४ सजावट । ५ लक्षण, गुण । व्यक्ति। रंगरणी (बो)-क्रि० १ लीन होना, तल्लीन होना, तन्मय होना। रगरेटा-स्त्री०सिक्ख सम्प्रदाय के अन्तर्गत एक जाति ।
२ पासक्त, अनुरक्त होना। ३ मोहित होना, मुग्ध होना। रंगरेलो-देखो 'रंगीलो' । ४ रंग से युक्त होना । ५ भीगना । ६ किसी रंग विशेष से | रंगली-देखो 'रंगीली'। रंगाजाना, रंगना । ७ अनुकूल करना । ८ प्रभाव में | रंगवाग-पु० जनाना बाग, महिला उद्यान । करना । ९ प्रेम में फंसान।। १० मधिक लिखना, विरुद्ध रंगविद्याधर-पु० ताल का एक भेद । लिखना।
रंगसाई-स्त्री० रंग से सज्जित करने की क्रिया । रंगत-स्त्री० [सं०] १ दशा, हालत, अवस्था, ढंग । २ प्रानन्द, | रंगसाज-पु० [फा०] १ वस्त्रों की रंगाई करने वाला व्यक्ति,
मौज । ३ रंग, वर्ण । ४ शोभा, छबि । ५ सूर्जी, प्राभा, रंगरेज । २ चित्रकार, चितेरा । ३ रंग बनाने वाला। कांति, झलक । ६ प्रभाव, छाप । ७ संतोष । ८ चन, रंगाई-स्त्री०१ रंगने का कार्य । २ इस कार्य का पारिश्रमिक । शांति, पाराम । ९ तृप्ति । १० गोष्ठी, महफिल । रगाउळि, रंगाउळिय, रंगाउळीय-देखो 'रंगावली'। ११ रंगमय होने की अवस्था । १२ रंगने का कार्य । | रंगाणी(बौ)-क्रि० १ लीन या तल्लीन कराना । २ अनुरक्त या १३ राग विशेष (मेवात)।
पासक्त कराना । ३ मोहित या मुग्ध कराना । ४ रंग से रंगना-स्त्री० १ स्त्री, औरत । २ रमणी, सुदरी।।
युक्त कराना। ५ भीगाना। ६ किसी रंग विशेष से रंग रंगनाथ-पु० १ विष्णु का एक नामान्तर । २ एक तीर्थस्थान ।। वाना । ७ अनुकूल कराना । ८ प्रभाव में कराना । ९ प्रेम रंगपंचमी (पांचम)-स्त्री० चैत्र कृष्णा पंचमी।
में फंसवाना । १० अधिक लिखवाना, विरुद्ध लिखवाना । रंगपोत-पु० [सं० पीतरंग] १ बृहस्पति का एक नाम । रंगाभरण-पु० ताल का एक भेद विशेष । (संगीत) २ ब्रह्मा।
| रगार-पु. १ मेवाड क्षेत्र की एक राजपूत जाति । २ रंग देने रंगबिरंगु (बिरंगो)-वि० (स्त्री० रंगबिरंगी) अनेक रंगों से देने वाला व्यक्ति । युक्त । विविध रंगी, बहुरंगी।
रगाळ, रगाल-वि० १ रंग का, रग सम्बंधी। २ रंगीन । रंगभीनी-स्त्री० १ वेश्या, रंडी । २ प्रेम आदि में निमग्न स्त्री ३ रंगोला ।
३ अनुरक्त, प्रासक्त। ४ किसी रंग में भीगी हुई, तर । रंगालय-पु० [स०] १ नाट्यशाला, रंगमंच । २ युद्ध भूमि, ५ सुन्दरी।
रणक्षत्र । रंगभीनी-वि० (स्त्री० रंगभीनी) १प्रेम या रतिक्रीड़ा में निमग्न रंगाळो-वि० (स्त्री० रंगाळी) १ रंग का, रंग सम्बन्धी । २ रंग
२ प्रेमी, रसिक । ३ रंग में रत्ता, रंग से सना, तर । वाला, रंग से युक्त। ३ देखो 'रंगीलो' । ४ रगवाला।
रंगावट-स्त्री० १ रंगने की क्रिया । २ रंगने की कला, रंगाई। रंगभूति-स्त्री० पाश्विन मास की पूर्णिमा की रात्रि । रंगावणो (बो)-देखो 'रंगाणो' (बो)। रंगमल्ली-स्त्री० [सं०] बीन, वीणा ।
रगावळ, रगावळि, रंगावळी-पु० १ एक प्रकार का कवच । रंगर्माण-पु० रतिक्रीड़ा, भोग विलास ।।
२ रान का कवच, ऊरुत्र । रंगमाळ-पु० १ एक मात्रिक छन्द विशेष । २ देखो 'रंगमहल'।
रंगि-१ देखो 'रंग' । २ 'रंगी'। रंगरंगीलो-वि० (स्त्री० रंगरंगीली) १ छल-छबीला, शौकीन ।
रंगिका-स्त्री० एक छन्द विशेष । २ प्रेमी, रसिक । ३ विभिन्न रंगों वाला। रंगरजबो-देखो 'रंगरेजो' ।
रंगिया-स्त्री० मत पशु की खाल को रंगने का कार्य करने वाली रंगराग-देखो 'रागरग।
____एक जाति । रंगराज-पु० ताल का एक भेद । (संगीत)
रंगिरोळ, रंगिरोळी, रंगिरोळ-देखो 'रंगरळो' ।
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रंगी
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( ४१ )
रंगी - स्त्री० १ शारदा सरस्वती । स शतमूली २ शमी छन्द विशेष । ४ कंवधि की लता । मिस्रांणी छंद का एक मेव वि० हंसमुख, विनोदशील २ मनमौजी, मस्त लीला शौकीन ४ सुन्दर, मनोहर
। ३ ।
५- देखो 'रंग' |
"
रंगीन - वि०
1
[फा०] १ रंग चढ़ा हुम्रा, रंगा हुआ । रंगदार । २ति शोभित ३ चमत्कार पूर्ण अद्भुत । ४ विनोदप्रिय ५ मस्त, मौजी ६ विलासप्रिय, विलासी रंगीली स्त्री०१ स्त्री, नारी २ प्रेमिका, प्यारी बि० १ हर्ष व मानन्द से भरी हुई २ विविध रंगों से युक्त ३ सुन्दर, खूबसूरत । ४ मजेदार बढ़िया । ५ छैल छबीली शौकीन । ६ छिनाल, प्रवारा।
,
या
३ एकरंजी- वि० स्त्री० रक्सी) १ न होने सुग करने वाला । ३ रंगने वाला । ४ तृप्त करने या होने वाला ५ दीप्तिमान करने वाला ।
रंगीलीटोड़ी [स्त्री० सम्पूर्ण जाति की एक राग रंगीली - वि० [स्त्री० रंगीली १ रंग से मरा रंगोंवाला । २ श्राकर्षक । ३ श्रानन्द व हर्ष से भरा ४ प्रेमासक्त, प्रेमी प्रिय ५ रंग से भीना, रंगयुक्त । रंगीचंगी वि० (स्त्री० रंगीचंगी ) १ बढ़िया, मजेदार २ हृषित प्रानन्दित । ३ मस्त, मौजी । ४ स्वस्थ ।
०१ राजपूत २ एक राजपूत जाति जो धय मुसलमान हो गई है। सैनिक, योद्धा, वि० १ वीर
३ वेद, संताप ।
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?
रंजणो (बो)- कि० [० नम्] होना, म होना । १ प्रसन्न खुश २ तृप्त होना, संतुष्ट होना । ३ मोहित, मुग्ध वा आकर्षित होना, रोकना । ४ शोभित होना ५ उलझना, फंसना । ६ प्रभावित होना, प्रभाव में ग्रान्ा । ७ रंगीजना, रंग में श्राना । ८ चमकना दीप्तिमान होना । ९ प्रसन्न करना, खुश करना, खुशी देना १० तृप्त करना, संतुष्ट करना । ११ निर्भय करना, भय मुक्त करना ।
रंजत स्त्री० [सं० रंज] १ तृप्ति, संतोष । २ हर्ष, खुशी । रंजन- देखो 'रंजण' ।
तक
रजवणी (बी) - देखो 'रंजणी' (बो) ।
रंजाट - वि० रंगा हुआ, लीन ।
रजाखौ (बौ) - क्रि० १ प्रसन्न या हर्षित करना, कराना। २ तृप्त या संतुष्ट करना, कराना । ३ सोहित या मुग्ध करना, कराना । ४ शोभित कराना । ५ उलझवाना, फंसवाना | ६ प्रभावित कराना । ७ चमकाना ६ रंगाना । ९ भय मुक्त कराना ।
रजि१ देखो रंज' २ देखो 'ए' ।
रंजित - वि० [सं० रज्ज] १ रंगयुक्त, रंगीन । २ भीगा हुमा, सना हुआ। ३ रज से भरा हुआ। ४ प्रेम में धनुरक्त । ५ लिप्त, संलग्न ।
रंजिस स्त्री० [फा०] रंजिश] १ किसी प्रकार की चिंता, फिक उदासी । २ प्रप्रमता, नाराजगी । ३ मन-मुटाव । ४ द्वेष । ५ शत्रुता ६ दुःख ।
रजी- देखो 'रंज', 'रज' ।
'जीदगी देखी 'रस' ।
जीवी वि० [फा० खीर) (स्त्री० रंजीवी) १ दु:खी, संतप्त गमगीन । २ नाराज, प्रसन्न । ३ पसंतुष्ट | देव भट राभी'।
रड-स्त्री० [सं० रंड] १ बिना फल की एक लता । २ देखो
1
बहादुर । २ अड़ियल, अक्खड़ ।
रंच, रंजक - वि० [सं० न्यंच] १ अत्यन्त थोड़ा, किचित, तनिक । यूनी० पार्वती, दुर्गा, देवी
२ तु
।
० [फा०] १ दु:ख, गम २ मृतक का शोक अफसोस । ४ चिता, फिक्र । ५ दर्द, पीड़ा, ६ नाराजगी । ७ विपत्ति, मुसीबत। ८ प्राघात, चोट । ९ परेशानी । - वि० [सं०] १ धनुरक्त, प्रासक्त । २ लिप्त, संलग्न । ३ रंगा हुआ । ४ प्रसन्न, खुश। ५ देखो 'रज' । रंजक पु० [सं०] चित्रकार, चिवेश २ मा चन्दन
'रांड' |
'रंडकारी पु० स्त्री के प्रति कहा जाने वाला एक अपशब्द | 'डनी देखी 'रंडी' /रांड' |
३ सिंदूर । ४ एक प्रकार का हरिन, मृग । ५ फिस के अंतर्गत पेट की एक अग्नि । [फा०] ६ रंगरेज, मसाज ७] अग्नि । ८ बंदूक या तोप की प्याली पर रखने का बारूद - वि०१ रंगने वाला, रंग चढाने वाला । २ रंज या 'उदासी मिटाने वाला । ३ हर्ष या खुशी देने वाला श्रानन्द, कारक । ४ उत्तेजना, प्रोत्साहन देने वाला ५ प्राकर्षित या मोहित करने वाला । + वेश्याओं रंजा चित्त पु० [० जन] १ को प्रसन्न करने की किया डपोखो पु० [सं० रंडा पोषकः] श्याम का पोषण करने वाला वेश्यागामी, व्यभिचारी या भाव। २ प्रानन्द, हर्षं । ३ पिस । ४ लालचंदन की लकड़ो। ५ मूंज । ६ सोना, स्वर्ण । ७ जायफल । ८ कमला नामक वृक्ष । ९ छप्पय छंद का एक भेद । - वि० १ उदासी मिटाने व खुशी देने वाला । २ पालनपोषण करने वाला । ३ शांति या संतोष देने वाला ।
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रंडमाळ (माळा, माला) - देखो 'रु' डमाळा' |
रंडवी - पु० [सं० रंड: ] १ विधुर व्यक्ति । २ प्रविवाहित व्यक्ति । रंडा - वि० १ मूर्ख, प्रज्ञानी । २ देखो रांड' । ३ 'देखो 'रंडी' । रंडातक - वि० विधवा स्त्री के समान ।
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रंडापरण
( ४४२ )
पण पिणी), रंडापी-पु. १ विधवापन, वैधव्य । २ दुःखी | रंध्र-पु. [सं०] १ छिद्र, छेद, सूराख । २ गह्वर, गुफा । जीवन ।
३ दीवार में बना छन, तीरकश । ४ तूणीर । ५ योनि, रंडाळ-१ देखो 'रांड' । २ देखो 'रदाळ' ।
भग । ६ त्रुटि, कमी, दोष । ७ दुर्बल या कमजोर स्थान । रंडाळी-वि०१ व्यभिचारी। २ देखो 'रताळ' ।
रंब-देखो 'रंभा'। रडि, रंडी-स्त्री० [सं० रंडा] १ पैसा लेकर नाच-गाना करने व
रंबी-पु.१ लोहे का मोटा छड़ विशेष । २ दीवार में छेद करने संभोग कराने वाली स्त्री। २ व्यभिचार से धन कमाने
का लोहे का मोटा डंडा। वाली स्त्री। ३ स्त्रियों की एक गाली। ४ देखो 'रोड'।
रंभ-पु० [सं० प्रारम्भ] १ शुरूपात, पारंभ, प्रारंभ । २ युद्ध, रंडीजणी (बी)-देखो 'रांडीजणी' (बी)।
समर । ३ एक प्रकार का तीर, बाण। ४ बांस । ५ जोर रंडीबाज-वि० वेश्यागामी, व्यभिचारी।
का शब्द या पावाज । ६ एक प्रकार का हरिन । ७ महिरडीबाजी-स्त्री. १ वेश्यामों के यहाँ नियमित जाने की क्रिया
षासुर का पिता । ८ मायु राजा का पुत्र एक राजा । __ या अवस्था । २ वेश्या के साथ किया जाने वाला व्यभिचार।
९ एक अन्य राजा। १० राम की सेना का एक वानर । रंतुनो (बो)-देखो 'रंडवो'।
११ एक दानव । १२ देखो 'रंभा'। रंपड़ो-देखो 'रंडापों'।
रंभगांरण-पु० [सं० रंभा-गायन] रंभा भादि अप्सरामों का रंढ-देखो 'रढ'। रंडरांण (रणो)-देखो 'रहरीण' ।
गायन । रंढाळ, ढाल, रंढाळी, रढालो-देखो 'रढाळ' ।
रंभा-स्त्री० [सं०] १ इन्द्र सभा को एक अप्सरा। २ परी, रंदु. रंदू-देखो 'रांद'।
अप्सरा । ३ पार्वती, गौरी। ४ मयदानव की पत्नी का रंत-देखो 'रत्त'।
नाम । ५ प्रेमिका। ६ वेश्या, रंडो। ७ उत्तर दिशा । रति-देखो 'रति'।
८ कदली. केला। -तर, तरु-पु. कदली वृक्ष, केला। रंद-देखो 'रंध्र'।
-पत, पति, पती-पु० इन्द्र । कुबेर का पुत्र, नलकूबर । रवणी (बी)-क्रि० १ 'रंदा' लगाकर लकड़ी साफ करना। | रंभारणो(बो)-क्रि० [सं० रवण] १ गाय का बोलना। २ ममत्व (बढ़ई) २ देखो 'रधरपो' (वी)।
भाव से दौड़ कर माना। रंबाई-स्त्री. १रंदे से लकड़ी साफ करने की क्रिया या भाव ।
रंभातीज-स्त्री० [सं० रंभा- तृतीया] ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया । २ देखो रंधाई।
रंभाळ-देखो 'रंभा'। रंवारणी (बी)-कि० १ लकड़ी पर 'रंदा' लगवाना। २ देखो
रभावणो (बी)-देखो 'रंभाणी' (बी)। 'रंधाणो' (बी)। रंदेज, रंदोज-देखो 'रंधोण' ।
रंमोल-वि० [सं० रंभा उरु] सुन्दर जंधोंवाली स्त्री। रंवी-पु.१ लकड़ी को साफ व चिकनी बनाने का एक उपकरण ।
रंमताराम-पु० भ्रमणशील साधु । २ कमान की डोरी, प्रत्यंचा । ३ ऊंटों का एक रोग।
रमानमा-देखो 'रिमझिम'। रंध-देखो 'रंध्र'।
रयरणी (बो)-देखो 'रहणो' (बी)। रधक-पु. [सं०] रसोइया, बावरची। -वि० प्रनिष्टकारक। ररकार-देखो 'ररंकार'। रघण, रधन-पु. भोजन बनने या पकने की क्रिया। २ स्त्रियों | र-पु० [सं०] १पावक, अग्नि, माग । २ कामाग्नि, काम की चौसठ कलामों में से एक ।
पिपासा । ३ जलन । ४ ताप, गर्मी ।५ प्रेम, स्नेह । रंधणी (बी)-क्रि० १ भोजन पकना । २ खिचड़ी भादि पकना। ६ गति, वेग, रफ्तार । ७ स्वर्ण। ८ रगण का संक्षिप्त रूप ३ देखो 'रंदणी' (नौ)।
-वि० प्रखर तीव्र, तेज। रंधर-देखो रंध्र।
रमय्यत-देखो 'रइयत'। रवाण-देखो 'रंधीरण'।
रई-देखो 'रई', 'रई', 'रति'। रंधाई-स्त्री० भोजन, खिचड़ी मादि का पकना, पकाना किया।
रण(रिण, पी)-देखो 'रयण' । रंधाणी (बी), रंधावरणी (बी)-क्रि० १ भोजन प्रादि बनवाना। २ खिचड़ी पकवाना। ३ कुछ पकाने के लिये प्रेरित करना।
ई-पु०१ धर्य, संतोष । २ देखो 'रति' । ३ देखो २', 'रई। रंधीण, रंधीन, रघेज-पु. १ खीच, खिचड़ी भादि पकवान । | रइप्रत-देखो 'रइयत'।
२ ठण्डी रोटियों को पकाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ ।। रहरण-देखो 'रयण'।
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रइणार - देखो 'रत्नाकरें ।
रहसि रहन- देखो 'रण' ।
रबारी- देखो 'रेबारी' ।
रयत (ति) श्री० [० रयत] प्रजा जनता ।
रवल्लहपु० [सं०] रति-बलभ] रति का पति कामदेव रहवास देखी 'रहवास
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( ४१ )
रईयत-देखो 'रइयत' ।
रन-देनो रेवत' ।
रईस - पु० [प्र०] १ अमीर, धनवान । २ नाजुक, कोमल ।
३ प्रतिष्ठित । ४ रियासत का स्वामी, भू-स्वामी, शासक
५ अध्यक्ष प्रधान ।
रउ - देखो 'स्व', 'रौ' ।
रउद, रउद्द, रउद्ध, रउद्र, रउद्रि-१ देखो रौद्र' । २ देखो 'रुद्र' रकतबर - देखो 'रक्तप्रबर' ।
रक्त-देखो 'रक्त' ।
रकतकंद - देखो 'रक्तकंद' ।
रक्तबीज - देखो 'रक्तबीज' ।
रकतोक रकलांग - देखो 'रक्तांग' ।
रकथ- देखो 'रिकथ' ।
रको पु० [० रकब] क्षेत्रफ
रकम ( रकमांणा ) - स्त्री० [अ० रकम ] १ धन, दौलत, सम्पत्ति । २ गहने, प्राभूषण । ३ व्यापारिक पूंजी ४ रुपया, पैसा 1 ५ पूंजी की निश्चित मात्रा ६ लगान कर राजस्व । ७ ग्रामदनी प्राय । ८ छाप मुहर । ९ लिखावट । १० जना व्यक्ति पूर्त, पानी व चंट व्यक्ति । रकin-go नियम, प्रथा, लाग दस्तुर । रकाब स्त्री० [फा०] १, पोहे घादि की जीन का पांवदान, पागड़ा । २ रकाबी ।
रब रकेबी-१ देखो 'रकार' २ देखो 'रकामी' रक्कम - देखो 'रकम' ।
रही रही (ग) वि० [सं० रति होन] १ रति विहीन, रक्खस देखो 'राक्षस'
-
,
कामे से विरक्त २ कान्तिहीन
रकाबदार १० [फा०] १ मिठाई बनाने का कारीगर हमवाई २ खानसामा ३ खाना लेकर चलने वाला नौकर । ४ रकाब पकड़ कर घोड़े पर चढ़ाने वाला, सईम । रकार - पु० [सं०] १ 'र' वर्ण । २ राम नाम का पूर्वाक्षर । ३ रगरण का संक्षिप्त रूप ।
रहाव-देखो 'राव' ।
1
रस्तेव-देखो 'रकाव
रक्खण- वि० १ रखने वाला । २ देखो 'रक्षण' । रक्खणी-देखो 'रखरणो' ।
रक्खपाळ - देखो 'रक्षपाळ' ।
रक्खसी स्त्री० १ एक प्रकार की लिपि । २ राक्षसी ।
1
,
रय देखो 'रचित' ।
रई स्त्री० १ दही बिसोने का दण्ड मय-दण्ड २ भूसी रक्खो १ देखो 'रखी' २ देखो 'रिमि' । चौकर । ३ देखो 'रति', 'रइ' । रक्त पु० [सं०] रक्त, रक्त] लहरि, मोहित २ लाख रंग । ३ केसर । ४ सिंदूर ५ लाल चंदन ६ कुसुंभ। ७ श्रविले का फल ८ कमल पुष्प, फूल १० ताम्र, तांबा ११ पतंग नामक वृक्ष की लकड़ी । १२ एक प्रकार की बेंत । १३ एक प्रकार की मछली १४ एक जहरीला मेंढक १५ एक बिच्छु विशेष । १६ प्रवाल। - वि० १ रंगा हुआ रंगीन । २ लाल, सुर्ख । ३ जिसका रंजन हुना हो । ४ अनुरक्त, आसक्त ५ प्रिय, प्यारा, माशूक ६ सुन्दर, मनोज्ञ मनोहर । ७ खिलाडी, विनोदप्रिय । ८ शुद्ध स्वच्छ ९ भक्ति में मस्त अंबर-पु० लाल वस्त्र । संन्यासी, परिव्राजक सूर्य रवि कठ-पु० कोयल बैंगन | वि० मधुरभाषी कद-० प्रवाल मूंगा लाल चंदन बेसर - कमळ- पु० लाल कमल । - कास्ट १० लाल चंदन पतंय की लकड़ी - प्रीव-पु० कबूतर राक्षस चचु पु० तोता । शुक्र - चंदन- पु० लाल चंदन । तुङ-पु० तोता, सुग्गा ।-नेत्र- पु० कोयल । चकोर कबूतर सारस पक्षी-पात-पु० खून गिरने या टपकने की स्थिति मारकाट ।-पिड पु० रक्त से सना कोई पि मोचन पु० शरीर से खून का निवारण - लोचन = 'रक्तनेत्र' । विदु-स्त्री० खून की बूंद । लाल चिह्न या दाग ।
1
f
1
रक्त कुछ पु० [सं०] रक्त-कुष्ठ] एक प्रकार का रोग | रक्तगभ (गरम) - पु० [सं० रक्त-गर्भा] मेंहदी । रक्तगुल्म - पु० [सं०] गर्भाशय का एक ग्रंथि रोग । रक्तता त्री० [सं०] सजाई जालिमा सुख
(ब) १देखो 'खो' (बो) २ देखो 'राणी' (बी)
देखो 'वाळी' |
-
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रक्तपित
रक्तनायक पु० एक ग्राभूषण विशेष ।
पक्ष (प) - पु० [सं०]
।
रक्तता ( दंतिका, दत्ता) - स्त्री० [सं०] दुर्गा का एक रूप । रक्तधरा - स्त्री० [सं०] मांस के भीतर की झिल्ली जिसमें रक्त रहता है ।
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रक्तपित (वित्त) रक्तपिती पु० [सं०] रक्तपित्त ] एक रोग विशेष |
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रक्तप्रवर
रखवाळी
रक्तप्रदर-पु. स्त्रियों का एक रोग।
भाई के हाथ के बांधी जाने वाली राखी, बंधन सूत्र । रक्तप्रमेह-पु० पुरुषों का एक रोग ।
२ इस दिन का त्योहार । रक्तबीज-पु० [सं०] १ शुभ-निशुभ का सेनापति एक असुर। रक्षाभूसरण-पु० [सं० रक्षाभूषण] प्रेत बाधा से बचने का यंत्र, २ अनार, दाडिम।
ताबीज। रक्तमंडळ-पु. एक प्रकार का साप ।
रक्षामगळ-पु० [सं०] एक प्रकार का तांत्रिक अनुष्ठान । रक्तलोचरण (न)-पु.१.रक्त नेत्र वाला। २ एक असुर का नाम । रक्षामण (मणि, मिण)-स्त्री० [सं० रक्षामणि] एक प्रकार रक्तवरण-पु० [सं० रक्तवर्ण] लाल रंग का एक बरसाती की मरिण। कीड़ा । वीर बहूटी।
रक्षारांम-देखो 'रामरक्षा'। रक्तवात-पु. [सं०] एक प्रकार का वात रोग ।
रक्षावत-वि० रक्षक, सहायक । रक्तबीज-देखो 'रक्तबीज'।
रक्षित-वि० [सं०] १ जिसकी सुरक्षा हो रही हो, सुरक्षित । रक्तवस्टि-स्त्री० [सं० रक्तवृष्टि ] लाल रंग के पानी की वर्षा । हिफाजत किया हुआ । २ पालित, पोषित । ३ जिसकी रक्त की वर्षा ।
रखवाली, चौकीदारी का प्रबंध हो। ४ व्यवस्थित, प्रब. रक्तस्राव-पु. [स.] १ रक्त का पतन, गिरना। २ घोड़ों का धित । ५ प्रारक्षित, रिजर्व । ६ संचित । एक रोग।
रख-देखो 'रिसि', 'रिख', 'रक्ष'। . रक्तांग-पु० [सं०] १ केसर । २ लाल चंदन । ३ मंगल ग्रह। रखड़णी (बौ)-क्रि० भटकना, मारा-मारा फिरना। __ ४ एक नाग विशेष । ५ प्रवाल, मूगा।
रखड़ी-१ देखो 'राखड़ी' । २ देखो 'राखी' । रक्ता-स्त्री० [सं०] १ संगीत में एक श्रुति । २ गुजा का पौधा रख-देखो 'रक्षण'। ३ लाख ।
रखरगपातप-पु० [सं० प्रातप-रक्षण] सूर्य, रवि । रक्ताकार-पु० [सं०] मूगा, प्रवाल ।
रखणी-स्त्री० १ रखने की क्रिया या भाव । २ रखने का ढंग। रक्ताचळ-पु० [सं० रक्ताचल] उदियाचल नामक पर्वत । रखणो-वि० १ रक्षा करने वाला । २ रखने वाला । रक्तातिसार-पु. [सं०] एक प्रकार का प्रतिसार रोग । रखरणी (बी)-देखो 'राखणों' (बी)। रफ्तोत्पळ-पु० [सं० रक्तोत्पल] लाल रंग का कमल ।
रखत (त)-पु० [सं० ऋथं] १ धन, द्रव्य । २ प्राभूषण,
गहना, जेवर,। ३ सामान । ४ सम्पत्ति, जायदाद । रक्ष, रक्स-पु० [सं० रक्ष] १ बचाव, रक्षा हिफाजत । २ रखवाली, चौकीदारी, चौकसी । ३ प्रशासन, शासन ।
५ स्वर्ण, सोना । ६ मोती । [सं० ऋक्षः] ७ नक्षत्र,
तारा । ८ रक्षित व्यक्ति। ९ रक्षित भूमि । १० रक्षा । ४ छप्पय छंद का एक भेद । ५ देवता । ६ एक संस्कृति विशेष ।-वि० रक्षा या बचाव करने वाला।
११ रखवाली। १२ पालन-पोषण । १३ परहेज ।
रखतंत-वि० रक्षक, रखवाला। रक्षक-वि० [सं०] १ रक्षा करने वाला। २ पालन-पोषण
रखपाळ-देखो 'रक्षपाळ'। करने वाला। ३ चौकसी या रखवाली करने वाला।
रखफळ-देखो 'रक्षफळ'। -पु० चौकीदार, पहरेदार।
रखभ (ब)-देखो 'रिसभ'। रक्षरण-पु० [सं०] १ रक्षा, बचाव । पालन-पोषण । २ चौकसी, | रखमंडळ-देखो 'रिखमंडळ' ।
देख-रेख । २ सहारा, माश्रय । -वि० रक्षक । रखवाई-स्त्री. १ रखने की क्रिया या भाव । २ रखने की रक्षपाळ-वि० [सं० रक्षपाल] रक्षा व पालन करने वाला । ___मजदूरी । ३ देखो ‘रखवाळी' । रक्षफळ-पु० [सं०] बेहड़ा।
रखवारणी (बी)-देखो 'रखाणो' (बो)।
रखवारू, रखवारी-वि० रक्षा करने वाला; रक्षक, रखवाला, रक्षस-देखो 'राक्षस' ।
चौकीदार। रक्षा-स्त्री० [स] सुरक्षा, हिफाजत, बचावार हा रखवाळ, रखवाल, रखवाळक, रखवालक, रखवाळण,रखवालण
प्राश्रय, शरण। ३ देख-रेख, निगरानी।४ गोद । ५ यत्र देखो'खाली'। ताबीज, सूत्र । ६ राखी का बंधन । ७ भस्म ।
रखवाळणी (बी)-देखो 'रुखाळणी' (बी)। रक्षाप्रदीप-पु० [सं०] प्रेत बाधा से बचाव के लिये जलाया | रखवाळी-स्त्री०१ रक्षा, हिफाजत, बचाव । २ निगरानी, जाने वाला दीपक।
चौकसी । ३ निरीक्षण, देख-रेख । ४ रखवाली की रक्षाबंधन-पु० [सं०] १ श्रावण की पूर्णिमा को बहनों द्वारा मजदूरी। ५ निगरानी का कार्य, चौकीदारी ।
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रखवाळू
( ४४५ )
रगतबंबाळी
रखबाळु (ळ, ळो)-देखो 'रुखाळो'।
रगड़, रगड़क, रगड़को-स्त्री० [सं० घर्षणम्] १ रगड़ने की रखस-देखो 'राक्षस' ।
क्रिया या भाव । २ किन्हीं दो वस्तु या अंगों में होने वाला रखाराज-देखो "रिसिराज'।
घर्षण । ३ उक्त घर्षण से होने वाला निशान, चिह्न । रखाई-स्त्री. १ रखने की क्रिया या भाव । २ हिफाजत, रक्षा। ४ उलझन, झगड़ा। ५ कठोर परिश्रम । ६ गतिमान ३ निगरानी, चौकसी।
वस्तु का किसी से होने वाला स्पर्श । ७ घिसाव । रखाणो (बो)-क्रि० १ किसी पाधार या तल पर ठहराना, रगड़णो (बो)-क्रि० [सं० घर्षणम्] १ घर्षण करना, घिसना ।
धरवाना, टिकवाना । २ रक्षा या बचाव कराना । ३ नष्ट २ किन्हीं दो वस्तुओं या अंगों का परस्पर स्पर्श कराना । होने या बिगड़ने से बचवाना । ४ पालन-पोषण कराना । | ३ पीसना, घोटना । ४ अभ्यास के लिये कोई कार्य बार५ एकत्र कराना, इकट्ठा कराना। ६ सुपुर्द कराना । बार करना । ५ श्रम करना । ६ व्यर्थ तंग करना, परेशान ७ अधिकार या कब्जे में कराना, अधीन कराना । ८ नियुक्त करना । ७ घसीट में लिखना । - घसीटना । मसलना । कराना । ९ रुकवाना । १० पकड़वाना । ११ चोट कराना। १. संभोग या मैथुन करना। ११ धोखना, रटना । १२ धारण कराना।१३ मागेपित कराना. माक्षेप लगवाना। बार-बार पढ़ना। १४ लदवाना। १५ प्रस्तुत कराना, सामने धराना । रगड़ासी (बौ), रगडावरणौ (बी)-क्रि० १ घर्षण कराना, १६ ठहराना, मावास कराना। १७ गिरवी या रेहन घिसवाना । २ किन्हीं दो वस्तु या अंगों का स्पर्श करवाना । धराना । १५ रखवाली, निगरानी या देख-रेख कराना। ३ पिसवाना, घुटवाना । ४ अभ्यास के लिये कोई कार्य बार१९ संबंध बनवाना । २० अवलंबित कराना । २१ भार- बार कराना। ५ परिश्रम कराना । ६ व्यर्थ तंग करवाना । क्षित कराना, सुरक्षित कराना।
परेशान करवाना। ७ घसीट में लिखवाना। मसलवाना । रखाळ ()-देखो 'रुखाळी'।
९ घसीटवाना । १० संभोग या मैथुन कराना। रखि-देखो रिसि'।
रगड़ी-वि• रगड़ा या झगड़ा करने वाला । झगड़ालू । रखित-देखो 'रखत'/'रक्षित' ।
रगडो-पू०१ झगड़ा, टंटा, फिसाद । २ उलझन, समस्या, रखिस-देखो 'रिखीस'।
झझट । ३ विपत्ति, संकट । ४ निरंतर किया जाने वाला रखी-स्त्री० [सं० रक्षी] १ कंधों पर लटकाने का थैला विशेष । श्रम । ५ रगड़ने की क्रिया या भाव । २ देखो 'रिसि'।
रगटळ, रगटाळ-पु. १ ऊंटों का एक रोग। २ ऊंटों का एक रखीकेस-देखो 'रिसिकेस'।
अवगुण । ३ देखो 'रुगटाळ' । रखीराज-देखो "रिसिराज'।
रगण-पु० १ छंदशास्त्र में एक गण। २ गजानन, गणेश । रखीसर (सुर, स्वर)-देखो 'रिसोस्वर'।
रगणो (बी)-क्रि० १ रेंगना, रेंगते हुए चलना । २ पशु का रखे-प्रव्य० १ कदाचित्, शायद, संभवतः । २ ऐसा न हो ।
रभाना।
रगत-देखो 'रक्त' । -कमळ = 'रक्तकमळ' । -कास्ठरखेड़ियो-पु० १ केवल राख लपेट कर घूमने वाला साधु ।
'रक्तकास्ठ' ।-कुस्ठ,कोढ='रक्तकुस्ठ'।-गुल्म-'रक्तगुल्म' । २ ढोंगी साधु ।
-चचु-'रक्तचंचु' ।-चंबण, चंदन='रक्तचंदरण' ।रखेल, रखेली-स्त्री० उप पत्नी, बिना विवाह के पत्नी के रूप
='रक्तचचु। -तु- 'रक्ततुड' ।-बंता, दतिका, बंती में रखी जाने वाली स्त्री।
== रक्तदता'।-घरा= 'रक्तधरा'-धारा = 'रक्तधारा' । रखेवाळ-देखो 'रखवाळ'।
-नेत्र- 'रक्तनैत्र'। -पक्ष, पख, पांख' = 'रक्तपक्ष' ।-पित, रख-देखो 'रखे'।
पित्त- रक्तपित्त'। -प्रदर='रक्तप्रदर'।-बिदू = 'रक्तबिंदू'। रखोपो-पु. रक्षा का स्थान ।
बीज = 'रक्तबीज' । -मंडळ = 'रक्तमंडळ' ।-मोचन : रखो-पु० [सं० रक्षा] १ परहेज । २ सुरक्षा, बचाव ।
'रक्तमोचन' ।-बरण = 'रक्तवरण' । विदु='रक्तबिंदू'। रख्ख-देखो 'रक्ष'।
-बीज = 'रक्तबीज' । -स्टि : 'रक्तवस्टि'। -स्राव रत्खरण-देखो 'रक्षण'।
='रक्तस्राव'। रख्या-देखो 'रक्षा'। रग-स्त्री० [फा०] १शरीर के अन्दर की नश, रक्त सिरा. रगतधातु-पु० [सं० रक्तधातु] १ लाल रंग का कोई बात,
तांबा । २ गेरू। नाड़ी, स्नायु । २ पत्ते की नश । ३ ऋग्वेद । ४ प्रोढ़ने का मोटा ऊनी वस्त्र ।
रगतबंबाळी-स्त्री. दुर्गा का एक नामान्तर ।
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रगतमव
रगतमव-पु० [सं० रक्तभव मांस, मामिष ।
रघुरांम-पु० श्रीरामचन्द्र । रगतमल-पु. [स० रक्त-मल्ल] भैरव ।
रघुराइ (ई), रघुराज (राजा, राय, राया)-पु० [सं० रघुराज] रगतलोयण-देखो 'रक्तलोचण' ।
श्रीरामचन्द्र । २ ईश्वर, परमेश्वर । ३ विष्णु का रगतवसी-पु० [सं० रक्तवंशी] एक प्रकार का विषेला सर्प। एक नाम । रगतसधक (सिंधक)-पु० [सं० रक्त-संध्यक] १ फूल, पुष्प । रघुवंस-पु० [सं० रघुवंश] . राजा रघु का वंश। २ श्री २ लाल कमल ।
रामचन्द्र । ३ ईश्वर, परमात्मा। ४ कालिदास द्वारा रचित रगतांग-देखो 'रक्तांग'।
एक महाकाव्य ।-कुमार-पु० श्रीरामचन्द्र । रघुवंश का रगता-देखो 'रक्ता' ।
कोई राजकुमार ।-मणि-पु. श्रीरामचन्द्र ।-रव, रवि-पु. रगताकार-देखो 'रक्ताकार'।
श्रीरामचन्द्र। रगतातिय (तिषि)-देखो "रिक्ता'।
रघुवंसी-पु० [सं० रघुवंशी] १ राजा रघु के वंशज । २ श्री रगतातिसार-देखो 'रक्तातिसार'।
रामचन्द्र। रगताळ-पु० [सं० रक्त+पालुच] रक्त प्रवाह, खून की धारा। रघुवर-पु० [सं०] १ रघु के वंश में श्रेष्ठ श्रीरामचन्द्र । रमतासुर-पु० [सं० रक्तासुर] एक मसुर ।
२ ईश्वर, परमात्मा । ३ विष्णु । रगति-देखो 'रक्त'।
रघुवीर-पु० [सं०] १ श्रीरामचन्द्र । २ लक्ष्मण । ३ विष्णु, रगतेस-देखो 'रगतासुर'।
ईश्वर । रगतोत्पळ-देखो 'रक्तोत्पळ' ।
घुवेदी-देखो 'रिगवेदी'। रगत, रगत्तर-देखो 'रक्त' ।
रघुपति, रघूपती-देवो 'रघुपति' । रगत्यौ-पु० १ बलि किया हुमा बकरा । २ चौसठ भैरवों में रह-स्त्री० १ करुण-क्रन्दन । २ रुदन । ३ चीख, पुकार, से एक।
चिल्लाहट । ४ देखो 'रड़ो' । ५ देखो 'रडी'। रगत्र-देखो रक्त'।
रड़क-स्त्री. १ प्राख में फूस पड़ने या कोई छोटा कांटा गड़ गरण-स्त्री०१ हृष्ट-पुष्ट व तगड़ी स्त्री। २ बेडौल व कुरूप स्त्री। जाने से अंग में होने वाली चुभन, पीड़ा । २ टक्कर । रगवळ-वि० कुबड़ा।
३ हमला । ४ कसक । ५ ध्वनि विशेष । ६ खरोंच । रगबाळणी (बो)-क्रि० १ वस्त्र प्रादि को मिट्टी-कीचड़ में पटक | ७ वर, बदला, दुश्मनी । ८ इच्छा (मेवात)। ९ देखो
देना, मसलना, रुलाना । २ रगड़ना, मसलना । ३ लापर- 'रिड़क । वाही से उपयोग करना । ४ पछाडना, झकझोरना।
रड़करणो (बो)-क्रि० १ प्रांख में कोई चीज खटकना, चुभना । रगबेद (देव)-देखो 'रिगवेद' ।
२ मन में कोई बात खटकना। ३ कांटा प्रादि चुभना । रगी-स्त्री० १ सरस्वती । २ देखो 'रग' ।
४ पीड़ा, दर्द होना। ५ टक्कर होना, लगना। ६ बुरा रगुवसी-देखो 'रघुवंसी'।
मालूम होना, बुरा लगना । ७ ध्वनि या प्रआवाज होना, रग्ग-1 देखो ‘रग' । २ देखो 'राग' ।
बजना । ८ लुढकना, घुड़कना । ९ परस्पर टकराना । रग्घुवीर-देखो 'रघुवीर'।
१० देखो 'रिड़करणी' (बौ)। रग्त-देखो 'रक्त'।
रकती-स्त्री० कोई छोटी पहाड़ी। रघुस-१ देखो 'रिगवेद' । २ देखो 'रघुवंस' ।
रडक्कणो (बो)-देखो 'रड़करणी' (बी)। रघु-पु० [सं०] १ सूर्यवंशी एक लब्ध प्रतिष्ठित राजा। २ श्री रडडाट-त्रिी० ध्वनि विशेष ।
राम । ३ 'रघु' राजा के वंशज । ४ देखो "रघुवंस'। राणी (बी)-क्रि० [सं० रद] १ रुदन करना; रोना । -- इंद्र-पु० श्रीरामचद्र । -ईस-पु० श्रीरामचन्द्र ।
२ चिल्लाना, चीखना । ३ क्रन्दन करना, करुणा करना। -कुळ-पु० रघु राजा का वंश ।-चंद, देव, नव, नवण,
४ कुचलना, रौंदना । ५ उथल-पुथल, अस्त-व्यस्त होना । नंदन, नाथ, नायक, पत, पति, भूप-पु० श्रीरामचन्द्र।
६ युद्ध करना । ७ प्रवाहित होना, बहना । ८ घुड़कना, रघुबर-देखो 'रघुवर'।
डोलना । ९ दूध का गर्म होना । १० लुढ़कना । रघुबीर-देखो 'रघुवीर'।
रड़द, रड़दौ-पु. प्रत्यधिक श्रम का कार्य । रघुराण-पु० [सं० रघुराज] श्रीरामचन्द्र ।
रबड़-स्त्री० १ लुढकने या घुड़कने की क्रिया या भाव । रधुरांणी-स्त्री० [सं० रघुराज्ञी] सीता, जानकी । । २ वस्तुओं की परस्पर टक्कर। ३ टक्कर से होने वाली
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रड़बड़ी
रज
ध्वनि । ४ कार्य । ५ प्रवारागर्दी । ६ कुचलने की क्रिया ४ उत्पादन, उत्पत्ति । ५ निर्मित या उत्पादित वस्तु । या भाव।
६ बनावट, स्वरूप। ७बनाने का ढंग | प्रकार। सजावट, रबड़णी (बी)-क्रि०१इधर-उधर लुढकना, पड़ना ।२ भटकना, शगार । ६ केश विन्यास । १० व्यूह, जाल, फंदा ।
ठोकरें खाना। ३ धावारागर्दी में फिरना। ४ ध्वनि होना, ११ कोई लेख, काव्य, कृति । ग्रंथ । १२ कल्पना । पावाज होना । ५ टकराना, भिड़ना।
१३ स्थापना । १४ कार्य, काम । १५ विश्वकर्मा की पत्नी रबड़ाट-स्त्री० ध्वनि विशेष ।
का नाम । -कार-वि० निर्माता । लेखक । रवी-पु० १ बूढ़ा व बदसूरत ऊंट । २ दूषित व विकृत तरबूज। रचयिता-वि० [सं० रचयित] निर्माता, सृष्टा, लेखक । रड़बड़-देखो 'रड़बड़।
रचांनी-देखो 'रछांनी'। रसम्बदरणी (0)-देखो 'रड़बड़णों' (बौ)।
रचादरणी (बी), रचाणी (बी), रवावरणी (बी)-क्रि० १ बनारममा-देखो 'रड़बड़।
कर तैयार करवाना, बनवाना । २ सृजन कराना, सृष्टि रसमड़पो (बी)-देखो 'रहबड़णो' (बी)।
कराना । ३ उत्पादन कराना, उत्पन्न कराना। ४गार रङमड़ाट-देखो 'रड़बड़ाट'।
कराना, सजवाना। ५ स्थापित कराना। ६ फैलवाना । रडमलपण (लो)-पु० वीरता, बहादुरी ।
७ कुछ करवाना। ८ लगवाना। १ लेख लिखवाना। रहमाल-देखो 'रिड़माल'।
१० निश्चित कराना। ११ एकत्र कराना। १२ जमवाना। रवड़णो,(बी)-देखो 'रड़बड़णी (बी)।
१३ प्रायोजन करना, कराना । १४ रंजित करना, रहवड़-देखो 'रड़बड़।
कराना। १५ अनुरक्त करना, कराना। १३ शोभित रही-स्त्री. १ टीला, मगरा । २ छोटी पहाड़ी। ३ कंकरीली |
करना, कराना । १७ प्रसन्न करना, कराना । पहाड़ी भूमि । ४ देखो 'रई'।
१८ प्रभावित करना, कराना। रखक-पु० [सं०] १ धोबी।र टक्कर, भिड़त । ३ चोट,
रचित, रचिय-वि० [सं० रचित] १ रचा हुमा, बनाया हुआ। माघात, प्रहार । ४ लड़ाई, युद्ध । -वि. रचयिता । रचना
२ निर्मित, सृजित । ३ उत्पादित । ४ सज्जित, शुगारित। करने वाला।
५ लिखित । ६ स्थापित । रचण-वि० रचने वाला, रचयिता।
रचण-देखो 'रचण'। रचणवजवासी-पु. परमात्मा, ईश्वर ।
रच्चणी-देखो 'रचणी'। रवणा-देखो 'रचना'।
रचणी (बी)-१ देखो'रचरणो' (बी)। २ देखो'राचरणो' (बी)। रचणी-स्त्री०१ रचने की क्रिया या भाव । २ रचने का ढंग ।| -देखो 'क्ष', ३ देखो 'रचना'।
रच्यक-देखो 'रक्षक'। रचणी-वि०(स्त्री०रचणी) १ बनाने वाला, तैयार करने वाला।| रम्छया, रच्छा, रच्छ्या -देखो 'रक्षा'।
२ निर्माण करने वाला, सृष्टा, निर्माता । ३ उत्पन्न करने रच्छिक-देखो 'रक्षक'। वाला, उत्पादक । ४ शगार करने वाला, सजाने वाला। रच्छित-देखो "रक्षित'। ५ स्थापित करने वाला । ६ फैलाने वाला । ७ कुछ करने | रच्छी-स्त्री० धूलि, रज । वाला । ८ लगाने वाला । लेख-लिखने वाला।| रछक-देखो 'रक्षक'।
१० निश्चित करने वाला। ११ एकत्र करने वाला। रछपाळ-देखो 'रक्षपाल'। रचरणौ (बो)-क्रि० [सं०रचन] १ बनाकर तैयार करना बनाना। रछस-देखो 'राक्षस' ।
२ सृजन करना, निर्माण करना, ३ उत्पादन करना।। रछांनी-स्त्री० नाइयों के पोजार रखने की सन्दूकची। ४ शुगार करना, सजाना । ५ स्थापित करना ।६ फैलाना ।
रछाकरण-स्त्री० माता, जननी ।-वि० रक्षक, पोषक । ७ कुछ करना । ८ लगाना ।९ लेख-लिखना, रचना ।
रछिपाळ-स्त्रो० १ रक्षा । २ देखो 'रिछपाळ'। करना । १० निश्चित करना । ११ एकत्र करना । १२ देखो | रचिया-देखो 'रक्षा'। 'राचणी' (बी)।
रज-स्त्री० [सं० रजस्] १ धूल, रेत । २ बालू रेत । ३ गर्द रचन-स्त्री. १ रचने की क्रिया या भाव । २ रचने का ढंग। रंजी। ४ पृथ्वी, भूमि । ५ रात, रात्रि । ६ गौरव, रचना-स्त्री० [सं०] १ रचने की क्रिया या भाव, सृष्टि, प्रतिष्ठा, इज्जत । ७ मर्यादा । ८ कीति, यश । | चांदी
निर्माण । २ लीला, माया । ३ निर्माण कला, कौशल ।। रजत ।-पु० १० जल, पानी । ११ बादल, मेघ ।
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१२ वाप, कोहरा । १३ मादा प्राणियों के ऋतुकाल में रजनीचर-पु० [सं०] १ चन्द्रमा, शशि । २ राक्षस, बसुर। बवित होने वाला रक्त । १४ पुष्प पराग, मकरंद । रजनीति-देखो 'राजनीति' । १५ केसर । १६ रजोगुण । १७ भाकाश, नभ । १८ घूल. रजनीपत (पति, पती)-पु० [सं० रजनी-पति] चन्द्रमा। का करण, जर्रा। १९ अंधकार । २० प्रज्ञान । २१ मेल, रजनीमुख-पु० [सं०] संध्या, सायंकाल । कीट । २२ पाप । २३ मुवन, लोक । २४ कीति, प्रामा।| रजनीस-पु० [सं० रजनीश चन्द्रमा । २५ शौर्य, पराक्रम । २६ रौब, प्रभाव । २७ क्षत्रित्व, | रजपती (पत्ती)-पु. भूमि पति. राजा । रजपूती २८ राजपूत, क्षत्रिय । २६ राज्य, सत्ता, शासन । रजपाट-देखो 'राजपाट'। ३० टुकड़ा, खण्ड । ३१ वीर्य को बूद। ३२ सप्त ऋषियों रजपूत-पु० [स० राज्य-पुत्र] (स्त्रो० रजपूतण) १ सिपाही, में से एक। ३३ घर ममक वसु का एक पुत्र । ३४ एक सैनिक । २ योद्धा, बोर, बट । ३ अनुचर, सेवक । ४ सजराजा ।३५ स्कद का एक सैनिक ।
पूत । -पण, पणी-पु० क्षत्रित्व, बीरत्व, रजपूती। रिजक, रजग-पु० (स्त्री० रजकी) १ धोबी। २ देखो 'रिजक' । -वट-पु. क्षत्रित्व का गौरव ।
रजपूतरण, रजपूतांणी-देखो 'राजपूताणी' । रजउंबर, रजडमर-पु० [सं० रजस्-माईबरधूल का बादल, गुब्बारा, प्रांधी।
रजपूताई, रजपूती-देखो 'राजपूती'।
रजबद, रजबंध-पु० [सं० रजबध] १ मासिक धर्म बद होने की रजढांणी-स्त्री. राजधानी।
अवस्था । २ देखो 'रजामंद' । रजणी-देखो 'रजनी'।-वर : 'रजनीचर'"
रजबट-देखो 'रजवट'। रजरणो (यो)-देखो "राजगो' (बी)।
रजमनामी-पु० [फा० रजम-नाम] फारसी भाषा में अनुदित रजतंत-पु० [सं० राज-तत्त्व) शूरता, वीरता।
महाभारत का प्रय। रजत-स्त्री० [सं० रजतम्] १ चांदी, रूपा । २ स्वर्ण, सोना ।।
। रजबळी, रजबनी-पु. १ राजा । २ वीर, बहादुर । ३ पृथ्वी, भूमि । ४ रक्त, रुधिर । ५ हाथी-दांत । ६ कंठ
रजबी-पु. १ साग में दी जाने वाली खटाई। २ देखो 'रजमौ' । हार । ७ शाकद्वीप के प्रस्ताचल का नाम । ८ नक्षत्र ।
रजमडळ-पु. धूल का बादल, गुब्बारा । -वि० १ लाल । २ शुभ्र, श्वेत । ३ चांदी का बना,
रजमो-स्त्री० एक प्रकार की मिट्टी। रूपाहेला । ४ उज्ज्वल ।
रजमो-पु. १ साहस, पुरुषार्थ, वीरत्व । २ शक्ति, बल । रजतकूट-पु० [सं०] मलय पर्वत की एक चोटी।
। ३ रजोगुण । रमतधात (धाता; धातु, पातू)-पु. [सं० रजतधातु] १ घणं,
रजरोगी-वि० राज्य प्राप्त करने का प्रति इच्छुक । सोना । २ चांदी।
रजवंती-स्त्री० [सं० ऋतुमति] रजस्वला स्त्री। रजताचळ-पु० [सं०रजताचल] १ कैलाश पर्वत । २ पस्ताचल । रजबड़-१ देखो 'राजवण' । २ देखो 'रजवाड़ो' । रजतात-पु० [सं० रजतातः) सूर्य, मानु ।
रजवट, रजवट्ट-पु० क्षत्रित्व, वीरत्व, रजपूती। रजताद्रि-पु० [सं०] कैलाश पर्वत ।
रजवण-देखो "राजवरण'। रजोन-देखो 'राजस्थांन'।
रजवाण-स्त्री० राजपूती, क्षत्रित्व । रजधर-देखो 'राजधर'।
रजवाइत-पु०१राज्यत्व, राजापन । २ राज्य करने की क्रिया रजधरम-पु० [सं० राजधर्म] १ क्षत्रित्व, रजपूती। २ वीरत्व, या भाव। पराक्रम, शौर्य । ३ राज्य धर्म । ४ रजोधर्म ।
रजवाड़, रजवाड़ो-पु० १ रियासत या राज्य । २ राजमहल । रजधारणी, रजधान, रजधांनी-देखो 'राजधानी'।
रमबाट-देखो 'रजवट'। रजधारी-देखो ‘राजधर'।
रजवाडी-देखो रजवाड़ो'।
रजबार-देखो 'राजकुमार'। रजन-पु० बादल ।
स्मध्वट-देखो 'रजवट'। रजना-स्त्री० संगीत की एक मूर्च्छना।
रजस्वळा-स्त्री० [सं० रजस्वला ऋतुमति स्त्री। रवनि, रजनी-त्री० [सं०] रात्रि, निशा । २ लाख, साक्षा। रजा-स्त्री० [अ०] १ इच्छा, मर्जी, मंसा । २ कृपा, दया, ३ हल्दी । ४ तुका नामक लता। ५ दारू हल्दी। ६ एक |
अनुग्रह । ३ पाशा, हुक्म । ४ अनुमति, स्वीकृति । ५ छुट्टी, पौराणिक नदी। हाथी । ८ गर्द।
रुखसत । ६ खुशी, प्रसन्नता । ७ प्राशा, उम्मीद, चाह । रजनीकर-पु० [सं०] चन्द्रमा।
८ राजा होने का भाव।
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( ४४९ ।
रजाइस स्त्री० १ प्राज्ञा, हुक्म । २ राज्यत्व ।
रजाई स्त्री० सर्दी से बचाव के लिये छोड़ने का रूई से भरा
बिस्तर लिहाफ
पल पल - ० १ हर्ष प्रसन्नता सुशी २ सहमति नमो-देखो 'रजूनांमी' | ३] देखो 'राजापणी'। रक् वि० १ प्रसन्न
जावर (बंध) - देखो 'श्वामंद'।
रजामंदी (बंधी) - देखो 'रजामदी' ।
रजामंद - वि० [फा० रिजामंद] १ प्रसन्न, खुश । २ संतुष्ट । ३ सहमत, रानी ।
रजामंदी स्त्री० [फा० रिजामंदी ] १ 'श्वानंद' होने की अवस्था या भाव। २ प्रसन्नता, खुशी । ३ सहमति, स्वीकृति । ४ इच्छा, मर्जी । जायस देखो 'राइस'
रजि देखो 'रज'।
रजिक-१ देखो 'रजक' । २ देखो 'रिजक' ।
रजित-देखो 'रजत' ।
रजितमई (मय) - वि० १ चांदी का, चांदी संबंधी । २ श्वेत । रवी -देखो 'रज' |
रजीवांनी स्त्री० बारीक रेत रखने का पात्र ।
रजनी-देखो 'रजनी' ।
र-१ देखी 'रज्जु' २ देखो 'रज्जू'
रजुप्रात स्त्री० [० रुजूम्रात] १ मित्रता, मेल-जोल । २ लगाव झुकाव।
रजुता स्त्री० १ रज्जू होने की अवस्था या भाव। २ सरलता, सीधापन । ३ सहमति ।
रज-१ देखो 'रज्जू' । २ देखो 'रज्जु' ।
जुनामी - पु० [प्र० ] स्वीकृति या सहमति पत्र । रजुवाकी स्त्री० ऋण की बकाया राशि ।
रजोवर (म) - ० हित्रयों की रजस्वला प्रवस्था । रजोधरम पु० स्त्रियों का मासिक धर्म । रजोमूरति (लो) पु० [सं० रजोमूर्ति ] ब्रह्म । रज्ज-१ देखो 'रज' । २ देखो 'राज्य' । रज्जरी (बो) - देखो 'राजणी' (बी) । रज्जसुळा-देखो 'रजस्वळा' ।
रज्जियो-देखो 'राजवी' ।
मी- देखो 'रज', 'रब्जु', 'रज्जु', 'राजा' ।
रजोगुणी पु० १ ब्रह्मा । २ रजोगुण युक्त दशा या भावना । -दि खोल बाला
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रज्जु - पु० [सं०] १ रस्सी, डोरी, रस्सा २ बागडोर । ३ स्त्रियों के शिर की चोटी । ४ शरीरस्थ रंग विशेष ५ एक प्रमाण विशेष । ६ देखो 'रज' । ७ देखो 'रज्जू' ।
रट्ठवड़
1
२ सहमत एकमत अनुकूल ४ प्रत्यक्ष, सामने, रुबरू । ५ देखो 'रज्जु' । रती - स्त्री० माघ कृष्णा चतुर्थी, एक पर्व दिवस । रट-स्त्री० १ ईश्वर नाम की माला, जप, उच्चारण । कीर्त्तन ।
२ किसी शब्द, बात, इच्छा, कार्य को बार-बार दोहराने की क्रिया । ३ पाठ याद करने की क्रिया ।
"
रटक स्त्री० १ भिड़ंत मुकाबला सामना कर२ तीव्र गति से प्राक्रमण । ३ युद्ध, लड़ाई झगड़ा । ४ चाव उत्साह । ५ दौड़, गति ।
रकरणी (बौ) - क्रि० १ दोड़ना, भागना । २ मुकाबला करना । सामना करना। टक्कर लेना । ३ प्राक्रमण, हमला करना । ४ युद्ध या लड़ाई करना ।
रटकी-देखो 'रटक' |
रटक्क देखो 'रटक' |
रटक्करणी (बी) देखो 'को' (बी)।
रटक्की - देखी 'रटक' ।
रटण, रटली-स्त्री० १ रटना क्रिया या भाव, रटाई, जाप । २ घोषणा जिला, जीम
रजोकुळ - पु० राज्य कुल ।
रजोगुण - पु० [सं०] सात्विक एवं तामसी गुणों के बीच का एक रटा स्त्री० टक्टर मुकाबला - वि० गानेवाला, गायक । गुण, वृत्ति, दक्षा
रटाका-देखो 'रटक' ।
रणी (बी) क्रि० [सं० रनम्] ईश्वर नाम का जाप करना;
रटना, ध्वनि लगाना । २ किसी कार्य, शब्द, इच्छा को बार-बार दोहराना । ३ यशगाना, गुणगान करना । ४ कहना, बोलना । ५ विलाप करना, रोना । ६ चिल्लाना, चीखना । ७ घोषणा करना ८ गर्जना । ९ भूकना । रटारण स्त्री० १ अनाज या फलादि की परिपक्वावस्था | २ रटने की ध्वनि ।
रटाणी (बो) - क्रि० १ ईश्वर नाम का जाप कराना, रटाना, ध्वनि, लगवाना २ किसी शब्द का बार-बार उच्चारण कराना । ३ यशोगान कराना, गुणगान कराना । ४ कहलाना, बोलाना । ५ विलाप कराना, रुलाना । ६ चीखाता । ७ घोषणा कराना ८ गर्जना कराना भूकाना । रावली (बो-देखो 'राणी' (बो ट्रक-देखो 'रटक'।
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रट्टणी (बी) - देखो 'रटणी' (बी) । रहु-स्त्री० १ कड़ाके की सर्दी, तेज सर्दी । २ देखो 'राष्ट्र' |
स्वर, रट्ठोड, रट्ठोर, रट्ठौड़, रट्टौर-देखो 'राठोड' ।
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रठ
रठा
रठणौ (बो) - देखो 'रटणी' (बो) ।
रबड़ देखो 'राठौड़।
रठावठ स्त्री० मारकाट, मारपीट । रठीठ-वि०
० दृढ़, मजबूत ।
रठौर-देखो 'राठौड़'
रङ-१ देखो 'ढ' । २ देखो 'रड़' । रडी-देखो 'रही'
रण (बी) देखो 'र' (बो पर देखो 'रवड'
रडवडरणौ (बौ)-देखो 'रड़बडणी' ( बौ) ।
रबड-देखो 'रब' ।
रखा रानी देखो 'ढाळ' |
रठ- वि० दृढ़, मजबूत ।
रठठ स्त्री० १ भारी बोझ से लदी गाड़ी के चलने से होने वाली ध्वनि विशेष । २ तलवार । ३ कसमसाहट । ठठलौ (ब)- क्रि० १ बोझ से लदी गाड़ी के चलने से ध्वनि होना । २ कसमसाना ।
(बो)- कि० घसीटना, घोसना ।
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( ४५० )
'रडी-देखो 'रस'
री-देखो 'रो'। रड्डु-देखो 'ढ' |
1
रढ़-स्त्री० १ हठ, जिद्द । २ गवं अभिमान । ३ कष्ट, संकट ४ बल, शक्ति, पौयवि० १ मान-बान बाला, स्याधि
3
मानी । २ महान, बड़ा । ३ वीर, बलवान । ४ दृढ़, मजबूत । रणी ( वो) - देखो 'रडणी' (बो) ।
रक्षण रख़रांमण रख़रायण, रहराय रखरावण वि०१ दृढ़, मजबूत, अडिग । २ दृढ प्रतिज्ञ ३ बलवान, शक्तिशाली। ४ ही निही वीर बहादुर ६ दुष्ट । देवो''।
ढाळ, रढ़ाळी- वि० १ हठी, जिद्दी । २ वीर, योद्धा । ३ शक्ति शाली, बलवान । ४ दृढ प्रतिज्ञ, मान-बान वाला । रवि-१ देखो 'रही' २ देखो 'र'
रढ़ियाळो-देखो 'रहाळो' ।
रोळी-देखो 'टाळी' (स्त्री० रढ़ीजी) |
. . हा 'र'
रकरणो (बो-देखो 'राकरण' (बी)।
|
रणको पु० किसी वाद्य, आभूषण प्रादि की भंकार, ध्वनि रणजय पु० सूर्यवंशी एक राजा वि० युद्ध विजयी रणताल देखी 'ताल'। र पु० [सं०] रम्) १ युद्ध, समर, जंग २ रणक्षेत्र समरभूमि, मैदान । ३ शोरगुल, श्रावाज, ध्वनि। ४ बीणा का स्वर । ५ गति, चाल । ६ स्वर का अल्पांश । ७ निर्जन वन ८ नमक की झील । ९ वीणा बजाने का गज ।
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1
१० ऋण कर्जा नविवृद्ध भूमि में रहने वाला। काली- वि० युद्धोन्मत्त । कोविद वि० युद्ध कला में प्रवीण । - क्षेत्र, खेत- पु० युद्ध का मैदान, रणभूमि । गहल पहल पहली वि० रोम्बसरोवि० कुशल -बकडी, बको, बांकुरो, बांकी-वि० युद्ध में प्रवीरण, कुशल वीर योद्धा | बुद्ध - वि० युद्ध में कुशल -भूमि, मोम, स्त्री० [लड़ाई का मैदान, बुद्धस्थल रिडळ, रिचळ - वि० युद्धोन्मत्त |
1-877-fa0 To युद्ध में
रणककरण - पु० राजा की सवारी के आगे बजने का एक बाजा । रक स्त्री० १ पायल की झकार नूपुर ध्वनि । २ शस्त्रों की खनक । ३ याद, स्मरण ।
रकरणी (बौ) - क्रि०१ किसी प्राभूषण या वाद्यों की खनक होना, बजना । २ शस्त्रों की छन-छनाहट होना । ३ रटने की ध्वनि होना । ४ घुंघरू बजना
राणी (ब) - क्रि० १ किसी वाद्य या प्राभूषण को बजाना, खनकाना । २ रट लगवाना । ३ शस्त्रों की प्रावाज करना । ४ घुंघरू बजवाना ।
रणकार-स्त्री० ० १ किसी वाद्य या प्राभूषरण की झन्कार, खनक । २ शस्त्रों की ध्वनि । ३ नाम जपने या रटने की ध्वनि । ४ घुंघरू की छमछम | ५ गुंजन ६ नगारे की भावाज । रणकारणी (बी) - देखो 'रणकारणो' (बो) । रकारी-देखो रणकार' |
रणकावरणौ (बी) देखो 'राणी' (ब)। ररणकाहल - पु० युद्ध का एक वाद्य विशेष । रकी-देखो 'रकार' |
रणत भंवर
राखण - प्रव्य० [सं० ररण क्षरण] युद्ध के समय । रविवार दि १ घायल २ श्लोम्मत । रखचाचरत्री० बुद्धभूमि युद्धस्थल । रणचरचा स्त्री० एक प्रकार की कला ।
रखछोड़ पु० १ श्रीकृष्ण । २ परमेश्वर । - वि० युद्ध से भागने
वाला, कायर ।
रणजीत वि० युद्ध में विजयी होने वाला ।
-
रगजेब-स्त्री० एक प्रकार की तलवार ।
"
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रणझण, रणझरण, रणझरणकार, रणझरणरण - स्त्री० भत्कार |
मधुर झन्कार ।
रणझणणी (बौ) - क्रि० मधुर ध्वनि होना ।
रणगो० भःकृत होने वाला खिलौना या प्राभूषण रणदेखी 'राकार' ।
(बी) देखो' (बो रणण- देखो 'रणक' |
रणी (बो-देखो 'को' (बी) ।
रणत भंवर - पु० [सं० रास्तम्भपुर ] १ राजस्थान का एक ऐति हासिक नगर । २ इस नगर में बना किला ३ इस किले में स्थित गणेश की मूर्ति । ४ एक लोक गीत विशेष ।
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रणताळ
रतजगी
रगताळ.रणताळि,ररणताळी-पु. १ रणभूमि, युद्धस्थल । २ युद्ध, रणबाट-देखो 'रणवट्ट'। संग्राम ।
रणवाद-देखो 'रणवाइ'। रणतुर (तूर, तूरच)-पु. एक समर वाद्य विशेष । रणवादी-वि० योद्धा, वीर। रणत्कार-स्त्री० शस्त्र की ध्वनि, झन्कार ।
रणवास-पु०१ अन्तःपुर, जनानखाना, रनिवास । २ प्रतःपुर रणथंब, रणथंबोर, रणथंभ, रणथंभोर-पु. [सं० रणस्तम्भपुर | का स्त्री समाज । ३ रानी।
१ राजस्थान का एक ऐतिहासिक नगर या प्रदेश । २ यहां रणवति, रणवती-पु० सैनिक, योद्धा । का गढ । ३ विजय स्मारक ।
रणसिग्गो, रणसिंधी, रणसींगो-पु० युद्ध के समय बजाया जाने रणथंभण-वि० [सं० रणस्तम्भन] योद्धा, वीर ।
वाला वाद्य। रणथट्ट-पु. १ युद्ध की स्थिति या दशा। २ सेना।
रसुणी, रणसूरणी-वि० युद्ध में जूझकर वीरगति पाने वाला। रणथळ-देखो 'रणस्थळ ।'
रणस्थळ-पु. [सं०] युद्ध का मैदान, रणक्षेत्र । रणधीर-पु०१ विष्णु. परमात्मा। २ श्रीकृष्ण ।३ योद्धा, वीर। रणांगण, रणांगन-पु० [सं०] रणभूमि, रणक्षेत्र । -वि० रण में धैर्य रखने वाला।
रणि-१ देखो 'रण'। २ देखो 'रिण' । रणनंदीतूरच-पु. एक समर वाद्य विशेष ।
रणियु-देखो "रिणी'। रजपखर-पु. एक प्रकार का कवच ।
रणिवाउल, रणिवाउलो-वि० [सं० रणवातुल] युद्धोन्मत्त, युट रणप्रिय-पु० [सं०] १ विष्णु । २ बाज पक्षी । ३ रणरत्त । के लिये पागल । रणभण (श, ए)-पु० ध्वनि विशेष ।
रणिवास-देखो 'रणवास'। रणभमर, रणभांवर-वि० [सं० रणभ्रमर] युद्धोन्मत्त युद्धप्रिय। रणी-वि० १ योद्धा, वीर । २ देखो 'रण' । ३ देखो 'रिणी' । रणमंडण-पु० [सं. रणमंडणम्] युद्ध का साज सामान ।। रणकार-देखो 'रणकार' । -वि० युद्ध की शोभा बढ़ाने वाले वीर ।
रख-देखो 'रण'। रणमंडप-पु० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ रणभूमि । रणेचर-पु० [सं० रणचर] १ विष्णु । २ शिव ।-वि० १ योद्धा रणमंडा-स्त्री० पृथ्वी, भूमि ।
वीर । २ मांसाहारी। रणमत्त-पु० [सं०] हाथी, गज ।-वि० युद्ध का मतवाला। रणेस-पु० [सं० रणेश] १ विष्णु । २ शिव ।-वि० योद्धा, वीर। रणमल्ल-पु० [सं०] योद्धा, वीर ।
रणोई-स्त्री० १ रणक्षेत्र, युद्धस्थल । २ निर्जन वन । ३ श्मशान रणमारण-देखो 'रणमंडण' ।
भूमि । रणमांनी वि० [सं० रणमानिन्] वीर, बहादुर, पराक्रमी। रणौ-देखो 'रण'। रणरक-पु० हाथी के दांतों के बीच वाला स्थान ।। रतंग-पु. रक्त, खून । -वि० [सं० रक्त-अंग] रक्तिम, लाल । रणरंग-पु० [सं०] १ युद्ध की उमंग । २ समर भूमि, युद्ध रतनागर-देखो 'रत्नाकर'। स्थल । ३ युद्ध, संग्राम।
रतंबर-वि० [सं० रक्ताम्बर] रक्त वर्ण, लाल । रणरणक-पु०१ कामदेव का एक नामान्तर । २ प्रबल या | रत-पु० [सं० रतम्] १ रतिक्रीडा, मैथुन, संभोग । २ प्रेम,
तीव्र इच्छा । ३ विकलता, घबराहट, त्वरा । ४ देखो | प्रीति, प्यार।-स्त्री० ३ कामदेव की स्त्री, रति । ४ गुप्तांग। 'रणकार'।
५ हर्ष, खुशी, प्रानन्द। [सं० रात्रि] ६ रात्रि, रात । रणरणाट (टि)-देखो 'रणकार' ।
[स० ऋतु] ७ ऋतु, मौसम। [सं० रक्तः ८ खून, रक्त, रणरसियो (रसु)-वि• युद्ध का रसिक, प्रिय ।
रुधिर । -वि० [सं० रत] १ अनुरक्त, प्रासक्त । २ मुग्ध, रणराग-स्त्री० युद्ध को राग, सिंधुराग, वीर राग ।
मोहित । ३ मस्त,मग्न । ४ लीन, तल्लोन,तन्मय । ५ प्रसन्न, रगरीढ़-वि० तलवार कला में प्रवीण।
खुश। ६ प्रिय । ७ युक्त, संयुक्त । [सं० रक्त] ८ लाल । रणरह. रणकह-वि० जिसे युद्ध की उमंग हो, उत्साह हो।
रतकील, रतकीलर-[सं० रतकील:] पु० श्वान, कुत्ता। रणरोहि (ही)-त्री० निर्जन वन, बीहड़ वन ।
रतखाळ, रतखाळी-पु० [सं० रक्त+रा. खाळा] रुधिर की रणलक्ष्मी (लखमी. लिखमी)-स्त्री. विजय लक्ष्मी।
नाली, खून की धारा। रणबंकी-देखो 'रणबंकी'।
रतग-स्त्री० कोयल । रणवट्ट-पु० १ क्षत्रित्व, वीरत्व । २ युद्ध का मार्ग ।
रतगुरु-पु० [सं०] पति, खाविंद । रणवणणो (बो)-देखो 'रणकरणों' (बो) ।
रतचंदण (न)-देखो 'रक्तचंदन' । रणबाइ-स्त्री० युद्ध की चुनौती।
रतजगौ-देखो 'रातीजोगी'।
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रतप
रतरण - देखो 'रत्न' ।
रतणाकर देखो 'रत्नाकर' ।
रतवान- देखो 'रतिदान' ।
रद्रय-देखो 'रतने
रतनकूट- देखो 'रनवूट' |
रतनगरभ- देखो 'रत्नगरभ' ।
रतन पु० १ सूर्य, रवि । २ चन्द्रमा, शशि । ३ उढगन, तारा ।
1
५ प्रमृत, सुधा ६ शंख ७ छप्पय एक डिगल छंद विशेष । ९ एक
४ हग नेत्र, भांख । छद का एक भेद । मात्रिक छद । १० देखो 'रत्न' । कर 'रत्नकर' । रतनकचोलियो (चोळी) -पु० रत्नों से बना प्याला, कटोरा । रतनकाळ (स) देखो 'नवळ'
रतनगरमा - देखो 'रत्नगरभा' ।
रतनगिरि (गिरी) - देखो 'रत्नागिरि' । रतनघर देखो 'रत्नघर' ।
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( ४५२ )
रतनचंद्र - देखो 'रत्नचंद्र' ।
रतनचोक पु० एक प्रावस विशेष
रतनजोत (जोतियों, जीत ) स्त्री० १ एक प्रकार की मणि पु० २ एक ग्रुप विशेष ३ पुनर्नवा नामक क्षुप विशेष ४ घाव ठीक करने की एक बूटी ।
1
रतनपारखी-देखो 'रत्नपरीक्षक' ।
रतनपेच पु० पगड़ी पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । रतनमरी-देखो 'रत्नभरिता' ।
रतनमालती स्त्री० १ एक प्रकार की लता । २ उक्त लता का
फूल ।
रतन वि० [सं० रत्नमन] रत्नों से युक्त ।
रतनराणी- पु० ऊमरकोट के राणा रतन की स्मृति में गाया जाने वाला एक लोक गीत ।
रतनरासि ( रासी) - देखो 'रत्नरासि' ।
रतनसान (सांनु) - देखो 'रत्नसानु' । रतनगरम- देखो 'रत्नवरभा' |
,
रतनळिय पु०१ एक मांसाहारी पक्षी विशेष । २ रुधिर की नाली । रतनाकर (पर, घर) - देखो 'राकर' |
रतनार - वि० १ लाल रंग का लाल । २ सुखं । पु० पुरुवंशीय राजा रंतिभार का नामान्तर ।
रतनारा, रतनारी स्त्री० १ वालिमा लाली २ सुर्वी रतनाळ, रतनाळिय रतनाळी, रतनानीय, रतनाळी- वि० बाल, सुर्ख २ देखो 'रतनांलिय
रतनावळी- देखो 'रत्नावळी' ।
रतन (त्रि, त्री) - १ देखो 'रतन' २ देखो 'रश्न' । - गरमा प्रभा 'रत्नगरभा' ।
रतनासबोध पु० सागर, समुद्र रतपंड- देखो 'रक्तपिंड' ।
रतपति तपती-देखो 'रतिपति'
रतपरस० [सं० ऋतु-स्पर्श] श्वान कुत्ता।। रपि-देखो 'रक्तपिट' ।
,
रतफळ - पु० वट वृक्ष । रतबंध - देखो 'रतिबंध' ।
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रतमु हो- वि० [सं०] रक्त-मुख] लाल मुंह वाला २ जिसका मुंह खून से भरा हो।
रतमेळ - देखो 'रतिमेळ' ।
रतरस - पु० [सं० रतिरस] शुगार रस प्रेम रस ।
रतराज- देखो 'रितुराज' ।
रतनु-देखो 'रखाळू'।
रति
रतयंती - स्त्री०
० १ गजल की तरह का गाना एक लोक गीत विशेष ( मेवात ) । २ देखो 'रतिवंती' ।
रतवा स्त्री० १ एक प्रकार की घास । २ गेहूं की फसल का
एक रोग । ३ बच्चों संबंधी एक रोग ।
की फुंसी ।
रतांनी वि० लाल मुंह वाली रता स्त्री० दक्ष प्रजापति की
श्रासक्त ।
रतवाह, रतवाही देखो 'रातीबाही' ।
रतसाई पु० [सं० फतुवामा
रतांजणि, रताजणी -स्त्री० १ वनस्पती । २ प्रांख की पलक पर
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(भेड़)
एक कन्या । - वि० धनुरक्त,
रताळ, रताळ, रताळू - पु० पिंडालू नामक कंद ।
रति स्त्री० [सं०] १ कामदेव की स्वी २ रतिक्रिया, संभोग, मैथुन । ३ कामेच्छा, वासना ४ प्रेम, अनुराग ५ श्रानन्द ६ तृप्ति संतुष्टि पासक्ति प्रेम भावना कांति
"
दीप्ति, श्राभा ९ सौभाग्य। १० गुप्त भेद, रहस्य । ११ शृंगार रस में स्थाई भाव १२ अलकापुरी की एक अप्सरा । १३ ऋषभदेव के वंशज बिभुराजा की पत्नी 1 १४ स्वर्ण आदि का एक तोल । १५ घुघवी चिरमी | १६ देखो 'रितु' । १७ देखो 'रात' । १८ देखो 'रत' । १९ देखो 'रती' । २० देखो 'रितु' ।-कर- वि० प्रानन्द, सुखप्रद कामी, विलासी कलह पु० रतिकोड़ा, मैथुन -कळा- स्त्री० संभोग कला 1-कांत - पु० कामदेव 1 - कुहर पु० योनि भक्रिया केळी संभोग
० योनि भन केलिगृह या किसा स्त्री की मांग या इच्छा करने पर किया जाने वाला मैथुन-नाथ, नायक, नाह-पु०कामदेव पति, पती-० कामदेव : प्रिय-पू० कामदेव विलासी प्राणी । प्रीता नवी
1
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रतिक
( ४५३ )
रत्ननाम
अधिक मैथुन कराने वाली, कामुक स्त्री।-भवन, मंदिर-पु० ४ देखो 'रातो'। योनि, भग केलिगृह ।-रमण, रयण-पु. कामदेव । रत्तक-पु. लाल रंग का पत्थर विशेष । रतिक्रीड़ा।-राज, राय-पु. कामदेव ।-रास-पु. रतिक्रीड़ा। रत्तड़ी-१ देखो 'रात' । २ देखो 'रक्त' । -लोला-स्त्री. रतिक्रीड़ा ।-वर-पु. कामदेव ।-वल्लभ-पु० रत्ती,रत्तडउ, रत्तो-देखो 'रातो'। कामदेव ।
रत्तर-देखो 'रक्त'। रतिक-देखो 'रतीक'।
रतळ, रत्तळो-देखो 'रक्त' । रतिका-स्त्री० [सं०] संगीत में एक श्रुति :
रत्ति, रत्ती-स्त्री० [सं० रक्तिका] १ स्वर्ण मादि का एक तौल रतिकील-पु० [सं०] कूकर, श्वान ।
२ इस तौल जितनी मात्रा। ३ इस तौल का बाट, तोला। रतिगुण-पु. [सं०] एक देव गंधर्व विशेष ।
४ चिरमी घुघची। [सं० रक्ती] ५ शोभा, छवि, रतिताल-स्त्री० संगीत में एक ताल विशेष ।
कांति । ६ प्रेम, अनुराग । वि० १ तनिक, रच । २ लाल, रतिनाग-पु० [सं०] रंतिभार राजा का नामान्तर ।
रक्ताभ । ३ अनुरक्त, मासक्त । ४ लीन । ५ देखो 'रात'।
६ देखो 'रति'। रतिपद-पु० एक वृत्त विशेष ।
रत्तीक-वि० रत्तिभर, थोड़ासा । रतिप्रिया-स्त्री० १ शक्ति की एक मूर्ति । २ प्रति कामुक स्त्री।
रत्तो-१ देखो 'रक्त' । २ देखो रातो। रतिबंध-पु० [सं०] मैथुन सम्बन्धी एक प्रासन ।
रस्थ-देखो 'रथ'। रतिबाह-देखो 'रातीवाहो'। रतिभाव-पु० [सं०] १ शृगार रस का स्थाई भाव । २ प्रेम,
रत्यी-देखो ‘रथी'।
रत्थौ-देखो 'रथ'। प्रीती । ३ स्त्री-पुरुष का परस्पर प्रेम । रतिमित्र-पु० मैथुन सम्बन्धी एक भासन ।
रत्थ्या -पु० [सं०] मार्ग। रतिमेळ-पु० मैथुन क्रिया ।
रत्न-पु० [सं०] १ हीरे, मोती, मरिणयां प्रादि कीमती पत्थर, रतिया-देखो 'रात'।
जवाहरात । २ आभूषणों में जड़े जाने वाले चमकीले
नगीने, नग। ३ कोई बहुमूल्य वस्तु । ४ विशिष्ट या श्रेष्ठ रतिलील-J० संगीत में ताल का एक भेद ।
गुणों वाली वस्तु । ५ बहत्तर कलामों में से एक । रतिवंत-वि० (स्त्री० रतिवती) १ सुन्दर, खूबसूरत, मनोरम ।
६ पांच, नो, चौदह की संख्या। -वि. जो अमूल्य हो २ प्रियतम प्रेमी । ३ रसिक । ४ बलवान, शक्तिशाली।
सर्वश्रेष्ठ । रतिवंती-वि० १ प्रेम से युक्त, प्रेममय । २ सुन्दरी, रूपसी।
रत्नकंबळ, रत्नकंवळ-पु० एक प्रकार का वस्त्र । ३ प्रियतमा, प्रेमिका।
रत्नकर-पु० [सं०] कुबेर । रतिवरबन (वरधन)-पु० [सं० रतिवद्धन] एक पौष्टिक औषधि
रत्नकूट-पु० [सं०] १ एक पर्वत का नाम । २ एक बोधिसत्व । विशेष ।
रत्नकूटा-स्त्री० [सं०] अत्रि ऋषि की पत्नियों में से एक । रतिवाउ, रतिवास(वासौ, वाह, वाही)-देखो 'रातीवाहो' ।
रत्नगरम-पु० [स० रत्नगर्भ] समुद्र, सागर । रतिसाधन-पु० [सं०] १ पुरुष का शिश्न । २ मैथुन सम्बन्धी
रत्नगरमा-पु० [सं० रत्नगर्भा] १ पृथ्वो, भूमि । २ रत्न उत्पन्न साधन ।
करने वाली खान । रतिसास्त्र-पु० [सं० रतिशास्त्र कामशास्त्र ।
रत्नगिरि--पु० [सं०] बिहार का एक पर्वत । रतिसुदर-पु० [सं०] एक प्रकार का रतिबध ।
रत्नग्रीव-पु० [सं०] एक प्राचीन राजा। रती-स्त्री. १ शक्ति, बल । २ देखो ‘रत्ति', रति', 'रात'।
रत्नघर-पु० [सं०] समुद्र, सागर । रतीपति, रतीयती-देखो 'रतिपति' ।
रत्नचंद्र-पु० [सं०] एक देवता । रतीयन, रतीयेक-देखो 'रत्तीक' ।
रत्नचूड-पु० [सं०] पाताल का एक राजा। रतीवांन-देखो ‘रतिवंत'।
रत्नजटित (जड़ित, जडित)-वि० [सं० रत्मजठित] जिसमें रतीवाही-देखो 'रातीवा हो' ।
रत्न जड़े हों। रतुप्री-पु. एक पौधा विशेष ।
रत्नजालक, रत्नजालि-पु. एक प्रकार का प्राभूषण । रतोर-पु. लाल मुंह का चूहा ।
रत्नदामा-स्त्री० सीता की माता व जनक राजा की रानी। रतो-देखो 'रातो'।
रत्नधेनु-स्त्री० [सं०] दान के लिये, रत्नों की बनी गाय । रत, रस,रसा-१ देखो :रक्त' । २ देखो 'रस' । ३ देखो 'रात' रत्ननाम-पु० [सं०] विष्णु का एक नामान्तर ।
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रत्ननिधान
থাগং
रत्ननिधान-वि० [सं०] रत्नों की निधि वाला । समुद्र । रत्र-देखो 'रक्त'। रत्ननिधि-पु. [सं०] १ समुद्र, सागर। २ सुमेरु पर्वत ।
पवत। | रथंतर-पु० [सं०] १ एक प्रग्नि । २ ब्रह्मा की समा का एक
तर ३ विष्णु का एक नामान्तर ।
साम। रत्नपरीक्षक-पु० जौहरी।
रयंतरी-स्त्री० [सं० रथन्तर्या] राजा दुष्यन्त की माता। रत्नपरीक्षा-स्त्री. १ रनों की जांच । २ पुरुषों की एक कला। रथ-पु. [स] १ प्राचीनकाल की एक घोड़ा गाड़ी, स्पंदन । रत्नपारक्षा रत्नपारख, रत्नपारखी-देखो 'रत्नपरीक्षक' ।
२ गाड़ी, बहल ।३ वाहन, सवारी। ४ सप्त राज्यलक्ष्मियों रत्नप्रदीप-पु० [सं०] १ दीपक की तरह चमकने वाला एक में से एक । ५ प्रात्मा का यान, शरीर । ६ सेना। ७ पर, रत्न विशेष । २ रत्न का दीपक ।
पग। ८ क्रीड़ा या विहारस्थल । ९ एक सामूद्रिक चिह्न रत्नप्रभा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ एक नरक ।
विशेष । १. किसी चट्टान का बना सिला मंदिर । रत्नबाह-पु० [सं०] विष्णु का एक नाम ।
११ इगण का द्वितीय भेद । -करता, कार, कारक-पु. रत्नमरिता. रत्नमारिता-वि० [सं०] रत्नों से परिपूर्ण ।
बढ़ई, कारीगर-कारतिक-पु. मोर, मयूर। -कुमार-पु. रत्नमाळया, रत्नमाळा, रत्नमाळिका-स्त्री० [सं० रत्नमाला]
मोर । -खांनो-पु. रथ खड़ा करने या रखने का कक्ष ।
-जातरा, जात्रा'रथयात्रा'।-पति, पती-पु० रथ का १ रत्नों का हार । २ राजा बलि की एक कन्या।
मालिक, रथी।-पात्रा-पु० एक पर्व विशेष । -बान-पु. रत्नमाळी-पु. एक प्रकार का देवता।
रथ का सारथी। रथवाला। -बाह-पु० घोड़ा, अश्व । रत्नरासि (रासी)-स्त्री० [सं०] १ रत्नों का ढेर, समूह ।
-वाहक-पु. रथ चालक। -साळ,साळा,साला-स्त्री. २ समुद्र, सागर।
रथ रखने का कक्ष। रत्नवसी-स्त्री० पृथ्वी, भूमि ।
रथऋत-पु० [सं० रथक्रत] एक यक्ष विशेष । रत्नसांनु-पु. [सं०] सुमेरू पर्वत का नाम । रत्नसागर-पु० [सं०] १ समुद्र, जिसमें रत्न निकलते है।
रथक्रांत-पु० संगीत में एक ताल । २ समुद्र, सागर ।
रबड़ो-देखो 'रथ'। रत्नसाळा-स्त्री० [सं० रत्नशाला] १ रत्न रखने का स्थान, रथचरण-पु० [सं०] चक्रवाक पक्षी। कक्ष । २ रत्न जड़ित भवन या कक्ष ।
रपचरघा-स्त्री० [सं० रथचर्या] एक प्रकार की विद्या । रत्नांगर-पु० [सं०] एक प्राचीन राजा।।
रषध्वज-पु० [सं०] राजा जनक के पिता का नाम । रत्ना-स्त्री० [सं०] राजा प्रकर को एक पत्नी।
रपध्वनि, रमप्रभु-पु०[सं०] १ वीर नामक पग्नि का नामांतर। रत्नाकर-पु० [सं०] १ समुद्र, सागर । २ रत्नों की खान ।
। २ रथ का मालिक । ३ गौतम बुद्ध का एक नाम । ४ बाल्मीकि ऋषि का
रयबाहरण-देखो 'रथवाहन'। प्रथम नाम ।
रथमोडण-वि० शत्रु के रथ को मोड़ देने वाला, वीर । रत्नागरि, रत्नागिरि-देखो 'रत्नगिरि।
रथ राजी-स्त्री. वसुदेव की एक पत्नी। रस्नाचळ-पु० [सं०] १ बिहार का एक पर्वत । २ पहाड़ की तरह रत्नों का ढेर ।
रथवर-पु० [सं०] एक यादव राजा । रत्नादि-पु. [सं०] एक पर्वत विशेष ।
रथवाहन-पु. [सं०] विराट राजा का भाई। रत्नाधिपति-पु. [सं०] १ धनपति, कुबेर । २ सेठ, जोहरी, | रथसप्तमी. रथसातम-स्त्री० [सं० रथसप्तमो] माघ शुक्ला प्रमीर।
सप्तमी तिथि। रत्नाभूसण-पु० [सं० रत्नाभूषण] रत्न जड़ित प्राभूषण। रथसेन-पु० [सं०] पाण्डव पक्ष का एक रयी। रत्नावळि (लि), रत्नावळी (ली)-स्त्री० [सं० रत्नावली]| रचस्वन-पु० [सं०] एक यक्ष विशेष ।
१ पुराण प्रसिद्ध एक राजकन्या । २ एक व्रत विशेष (जैन)। रांग-पु० [सं०] १ रथ या गाड़ी का कोई भाग, अंग । ३ एक राग विशेष । ४ एक अलंकार विशेष ।
२ रथ का पहिया । ३ सुदर्शन चक्र । चक्रवाक नामक रत्नोत्तमा-स्त्री० एक तांत्रिक देवी विशेष ।
पक्षी । ५ कुम्हार का चक्र । रत्याव-देखो 'रातीवाहो'।
| रामधर, रथांगपाणि-पु० [सं०] १ विष्णु। २ श्रीकृष्ण ।
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रयाक्ष
( ४५५ )
रफा
रथाक्ष-पु० [सं०] स्कन्द का एक सैनिक ।
रद्दौ-पु० १ ऊंची किनारों का लोहे या पीतल का बड़ा थाल । रथापणी-पु. [सं०] श्रीराम की सेना का एक योद्धा ।
२ दीवार में चुने पत्थरों की पंक्ति । ३ मिट्टी की रथाळि (ळी)-स्त्री. रथों की पंक्ति । कतार ।
दीवार का चारों ओर से उठा हुमा भाग। रथि, रथी-पु० [सं०] १ रथ में बैठकर लड़ने वाला योद्धा। रद्दोबदळ-स्त्री० [अ०] १ अदल-बदल, हेर-फेर । २ किन्हीं दो
२ रथ में बैठकर हजार योद्धामों से लड़ने वाला योद्धा। या अधिक वस्तुओं का परस्पर होने वाला स्थानान्तरण या ३ सारथी । ४ रथ की सवारी करने वाला । ५ शवयान । हस्तान्तरण । ६ चिता । ७ देखो 'रथ'।
रन-देखो 'रण'। रथीतर-पु० [सं ] १ एक राजा । २ एक माचार्य ।
रनक-पु० १ लोहा । २ लाश, शव । ३ देखो 'रणक'। रथु, रथ्थ-देखो 'रथ'।
रनधीस-पु० [सं० हिरण्याधीश] कुबेर । रव-पु० [सं०] १ दांत, दंत । २ हाथी दांत । ३ चीर फाड़ ।
रनबंको-देखो 'रणबको' । ४ खरोंच । ५ वस्त्र विशेष । ६ श्वेत । ७ देखो 'रद्द' ।
रनरोई (हि, ही)-देखो 'रणरोही'।
रनवा. रनवास-देखो 'रणवास'। रदएक-पु० गजानन, गणेश ।
रनाराणी, रनारांणी-स्त्री. १ युद्ध की देवी। २ दुर्गा का रवकार-स्त्री० पुरुषों की एक कला ।
एक नामान्तर । ३ वन देवी। रवघर (च्छद, छदन)-पु० प्रोष्ठ, होठ ।
रनिवास-देखो 'रणवास'। रदछदरमण--पु. पान, ताम्बूल।
रनेत-पु० भाला। रखदान-पु. रतिक्रिया में दांतों से अंग दबाने से होने वाला
रन (ए-देखो 'रण'। निशान ।
रपचूताणी-देखो 'राजपूतांणी' । रदधर-पु० [सं०] पोष्ठ, होठ ।
रपट-स्त्री० १ फिसलने की क्रिया या भाव । २ चिकना या रदन-पु० [सं०] दंत समूह, दंत पंक्ति ।
फिसलने योग्य स्थान । ३ ढाल, ढलान, उतार । ४ देखो रदनच्छद (छव, छदन)-पु० [सं० रदन छदः] भोष्ठ, होठ ।
कोरिया रवनवसन-पु० [सं०] प्रोष्ठ, होठ ।
रपटक-स्त्री. ऊट की एक चाल । रवनावळि, रतनावळी-स्त्री० [सं० रदनावलि] दंत पंक्ति।
रपटणी (नी)-वि० चिकनी, फिसलन वाली । ढालू । रबनोरी-स्त्री० १ लक्ष्मी, गृह लक्ष्मी । २ सुदन्ती, सुन्दरी।
रपटणौ (ब)-क्रि० १ फिसलना, फिसलकर गिरना । २ तीव्र रदपट-पु० [सं०] प्रोष्ठ, होठ।
चलना । ३ सरपट दौड़ना। ४ झपटना, छलांग लगाना । रदवव-पु० घुल-मिल जाने की अवस्था ।
५ घसीटना। रदबदळ, रवळबदळ-देखो 'रद्दोबदळ' ।
रपुर-पु० [सं० हरिपुर] स्वगं । रदलोही-पु. रक्तातिसार।
| रपोट-स्त्री० [अ० रिपोर्ट] १ सूचना, इत्तला। २ शिकायती रवि, रवी-पु० १ हाथी, गज । २ देखो हिरदौ। ३ देखो 'रद्दी' ।। पत्र. प्रतिवेदन | किसी धरता की लिखित योग। रदीफ-पु० [अ० १ घोड़े पर सवार के पीछे बैठने वाला व्यक्ति ।। ४ टिप्पणी।
२ गजल के कुछ शब्द विशेष । ३ पीछे वाली स्त्री। ४ पीछे रफ-वि० [अं०] १ जो चिकना या सफाई वाला न हो। २ जो वाली सेना।
विचारार्थ तैयार किया गया हो। ३ जो नाजुक या कोमल रदौ-१ देखो 'हिरदौ' । २ देखो रंदौ' । ३ देखो 'रद्दौ'. न हो। -पु० [अ०] १ मचान, मच । २ दरवाजे का बड़ा रद्द-वि० [अ०] १ निरस्त, खारिज । २ व्यर्थ, निष्प्रयोज्य ।। ताक । ३ स्वरणकारों का एक औजार।
३ परिवर्तित बदला हुआ। ४ नापसंद । ५ दूषित । ६ हीन, रफड़णी (बौ)-क्रि०१ रगड़ना, मलना ।२ देखो 'रपटणो'(बी)।
न्यून । ७ पराजित । ८ देखो ‘रद' । ६ देखो 'रुद्र'। रफतद-वि० दूर किया हुआ। रद्दी-वि० [अ० रदी] १ विकृत, दूषित। २ बेकार, खराब । रफता-रफता, रफते-रफते-क्रि० वि० [फा०] १ शनैः शनैः,
३ जो उपयोगी न हो । ४ निम्न कोटी का, न्यून । धीरे-धीरे। २ क्रमशः । ५ निकम्मा । -स्त्री० पुराने अखबार या ऐसे कागज जो रफनाळ-स्त्री० एक प्रकार की बन्दूक । लिखने-पढ़ने के काम के न हों। -खांनो-पु. फालतू या रफा- वि० [अ० रफस्] १ पौंछा हुआ, साफ किया हुमा। बेकार वस्तुएं रखने का कक्ष या स्थान
२ दूर किया हुआ, हटाया हुमा। ३ निवृत्त । ४ शांत । रद्दोबदळ-देखो रद्दोबदळ' ।
५ पूर्ण । ६ दबाया हुआ।
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रफादफा
( ४५६ )
रमती
रफादफा-वि० [4.] १ मिटाया हुमा, साफ किया हुमा। रमइयो-देखो 'रामइयो। २ निपटाया हमा, पूरा किया हुधा । ३ तय किया हुमा।| रमक-स्त्री० १ ध्वनि विशेष, झन्कार । २ एक चाल विशेष । शांत किया हुमा ।
३ लहर, तरंग। ४ प्रेमी, पाशिक । ५ प्रेम-पात्र । रक-१० [फा०] १ भागने की क्रिया का भाव । २ वस्त्र के रमको-देखो 'रमेकडो'।
छेद में डोरे भर कर ठीक करने की क्रिया ।-वि० कोटेखो मतियो' पम्पत, गायब, पलोप।
रमकीलो-वि० (स्त्री. रमकीली) छल-छबीला, शौकीन । रफ्फी -स्त्री० रज, गर्द।
रमड़ी (बो)-देखो 'रमणो' (बी)। रब-पु० [म.] १ परमात्मा, ब्रह्म । २ मालिक, पति । ३ बड़ा
रमजां-स्त्री० १ वधि, शोभा । २ हंसी, मुस्कराहट । ३ मजाक। भाई।-वि० अभिभावक । २ पालन-पोषण करने वाला।
रमजान-पु. एक परबी महीना अब रोजा रखा जाता है। रबकरणौ (बी)-कि० प्रवारा घूमना, भटकना।
रमझट-देखो 'रांझट'। रबको-पु० १ सकट, कष्ट । २ भटकन ।
रमझम-देखो "रिमझिम'। रबड़-पु. [मं०] १ वट जाति के एक वक्ष विशेष का सूखा
रमनमक-देखो 'रिमझिमक' । दूध जिसकी कई वस्तुएं बनती है। २ इस पदार्थ का
रमझोळ-देखो 'रिमझोळ'। कोई टुकड़ा या अंश ।
रमझोळी-पु० १ हमजोली, साथी । २ देखो 'रिमझोळ' । रबड़कणी (बो)-क्रि० भैंस का दौड़ना, दौड़ कर जाना ।
रमठ-पु. एक म्लेच्छ जाति व इस जाति का व्यक्ति । रबड़को-पु० भैस के दौड़ने की क्रिया।
रमडोळ-पु० [सं० रिपु+दल] शत्रु दल । रबड़णी (बी)-क्रि० १ किसी तरल पदार्थ को कलछी से हिलाना ।
रमढोळ-वि० सीधा-सादा, भोला-भाला । २ मारा-मारा फिरना। रबड़ी-स्त्री. दूध को गाढ़ा प्रौटाकर बनाया गया लच्छेदार | रमण-पु० [स०] १ हर्ष, मानन्द, पामोद-प्रमोद । २ रतिक्रीड़ा, मीठा पदार्थ ।
संभोग । ३ कामदेव । ४ पति, स्वामी । ५ सुख । ६ विहार रबद-देखो 'रुद'/'रौद्र'।
भ्रमण । ७ सूर्य का सारथी, परुरण । ८ अण्डकोश । रबाण, रबांणी-वि० [अ० रब] ईश्वर का, ईश्वरीय।
९ कूल्हा, कमर । १० एक वसु । ११ दो सगरण का एक रखाब-पु. १ एक प्रकार का वाद्य। २ रोब, प्रभाव । ३ भय,
छन्द । १२ एक अन्य छन्द विशेष । १३ योद्धा, वीर । मातंक।
-वि० १ सुन्दर, मनोहर, मनोज्ञ । २ मानन्ददायक । रबाबियो-पु० । 'रबाब' बजाने वाला व्यक्ति । २ ढोलियों की
३रतिक्रीड़ा, प्रामोद-प्रमोद करने वाला या करने योग्य ।
४ प्रिय, प्यारा । ५ देखो 'रमणो' । एक शाखा । रबारी-देखो 'रैबारी'।
रमणक-पु० [सं०] १ जम्बूद्वीप का एक खण्ड । २ इस बण्ड रबिधालमीना, रबिलपालमीन-पु० [अ० रन्धुलमालमीन] समस्त
का राजा ।-वि० रमणीक । __ ब्रह्माण्ड का नायक, ईश्वर ।।
रमणि-देखो 'रमणी'। रबो-स्त्री० [५० रबीभ १ वसंत ऋतु । २ इस ऋतु में पकने |
रमरिणयो-वि० १ रमण करने या खेलने वाला । २ भोगने ___ वाली फसल । ३ देखो 'रवि'।
वाला, भोक्ता। रख-देखो 'रब'।
रमणी-स्त्री० [सं०] १ स्त्री, मौरत, नारी। २ सुन्दर स्त्री, रस्खलपालमान-देखो 'रबिलग्रालमीन' ।
युवती । ३ पत्नी, प्रियतमा। ४ सुगन्ध बाला । ५ एक रम्बारी-देखो 'रैबारी'।
रागिनी । ६ यात्रा, भ्रमरण । रभस-स्त्री० शीघ्रता, जल्दी।
रमणीक, रमणीय-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर, मनोज । रमेणक-पु. एक नाग विशेष ।
२ रमण करने योग्य । ३ भ्रमण-बिहार करने योग्य । रमको-पु० [सं० रम्] प्राभूषण की ध्वनि ।-वि• खेलने का सुहावना ।-स्त्री० १ स्त्री, सुन्दरी । २ एक छन्द विशेष । प्रादी । (स्त्री० रमंकी)
रमणीयता-स्त्री० [सं०] सुन्दरता । पाकर्षण। रम-पु० [सं०] १ हर्ष, मानन्द । २ कामदेव। ३ पति । ४ प्रेमी, रमणी-पु०१ खिलोना । २ खेलने का उपकरण । ३ शिकार
पाशिक । ५ शत्रु, वैरी।-वि० १ सुन्दर, मनोहर । गाह । ४ भ्रमस योग्य स्थान ।। जंगल, बन, परम्म । २ प्रिय, प्यारा।३ प्रानन्ददायक।
-वि० खेलने वाला।
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रमणी
( ४५७ )
रयणीहत
रमणी (बी)-क्रि० [सं० रमणं] १ कोई खेल खेलना ।। रमापत, रमापति (ती)-पु० [सं० रमापति] विष्णु ।
२ आमोद-प्रमोद, क्रीड़ा करना । ३ नाटक, तमाशा करना। रमाबर-देखो 'रमावर'। ४ भोग-विलास करना। ५ मन लगना, बहलना, मग्न | रमाय-देखो 'रमा'। होना । ६ प्रानन्द करना, मौज करना । ७ शिकार करना। रमायण-देखो 'रामायण' । ८ भ्रमण व यात्रा करना, घूमना-फिरना, विचरना ।९ लुप्त रमारम, रमारमण-पु० [सं० रमा+रमण] लक्ष्मीपति, विष्णु । हो जाना, चला जाना । १० व्याप्त होना, फैलना । रमाराव-पु० [सं० रमाराज] विष्णु । ११ लिप्त होना, संलग्न होमा। १२ अनुरक्त होना, मासक्त रमावणी (बो)-देखो 'रमाणी' (बो। होना । १३ व्यापक होना, लोकप्रिय होना । १४ युद्ध | रमावर-पु० [सं०] लक्ष्मीपति विष्णु । करना, रणक्रीड़ा करना।
रमावीज-पु० [सं०] एक तांत्रिक मंत्र, थीं। रमत-देखो 'रांमत'।
रमीईयो-देखो 'रांमइयो। रमतारांम-वि० निरन्तर भ्रमण करते रहने वाला । रमीस-देखो 'रमेस' । -पु. १ ईश्वर, परमात्मा। २ साधु ।
रमूजां, रमूझा-देखो 'रमजां' । रमतियो-देखो 'रांमतियो' ।
रमेकड़ो-पु० [सं० रम्+प्रा.एकड़ो] १ खिलौना, खेलने का रमतू-पु. एक पक्षी विशेष ।
उपकरण। २ योनि, भग । रमल-पु० [अ०] ज्योतिष की एक विधि ।
रमेस-पु० [सं० रमेश विष्णु । रमलि, रमली-स्त्री० [सं० रमणिका] १ क्रीड़ा, खेल, विनोद ।
रमेस्वर-पु० [सं० रमेश्वर] १ विष्णु । २ देखो 'रांमसर' । २ रतिक्रीड़ा । ३ शिकार ।
रमनी-स्त्री० कबीर के बीजक का एक भाग।
रमेयौ-देखो 'रांमइयो। रमाइण,रमाइण-देखो 'रामायण' । रमा-स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी, कमला । २ सीता । ३ दुर्गा ।
रम्म-देखो 'रम्य' । ४ पत्नी । ५ स्वामिनी । ६ प्रजा। ७ सम्पत्ति, धन । रम्मणा (बा)-दखा 'रमणा (बा)। ८ चंचलता ।-कांत-पु० विष्णु, राम ।
रम्मत-देखो 'रांमत'।
रम्माल-पु. [4.] 'रमल' विद्या का ज्योतिषी। रमाएकादसी-स्त्रो० कात्तिक कृष्णा एकादशी।
रम्य-वि० [सं०] १ जिसमें मन रमे, रमणीक । २ मनोहर, रमाचोर-पु० [सं०] रावण ।
सुन्दर, मनोज्ञ । ३ प्रिय । ४ भाकर्षक ।-पु. १ वीर्य । रमाज-वि० [मरम्माज] १ भेद जानने वाला, भेदिया ।
२ चम्पा का पेड़ । ३ वायु का एक भेद।। २ गुप्तचर, जासूस ।
रम्या-स्त्री० [सं०] १ मेरु को नौ कन्यानों में से एक । २ संगीत रमाडणी (बी)-देखो 'रमाणी' (बी)।
में एक श्रुति । ३ महेन्द्र वारुणी । ४ लक्ष्मणा नामक छंद । रमाणो (बो)-कि० १ खिलाना, खेल खेलाना। २ नाटक या | ५ गंगा नदी। ६ रात, रात्रि । तमाशा कराना। ३ मौज या मानन्द कराना। ४ रति
रय-पु० [सं०] १ प्रवाह, धारा । २ वेग, गति । ३ उत्साह । क्रीड़ा कराना, संभोग कराना। ५ विलमा देना, बहला
४ लगन, धुन । ५ संतोष, सब्र । ६ एक प्रजापति । देना। ६ शिकार कराना । ७ भ्रमण व बिहार कराना।।
। ७ पुरुरवस राजा का पुत्र एक राजा । ८ देखो'रज'/'रव'। ८ गायब या लुप्त कराना। ९ लीन या मग्न कराना।
रयण-पु० [सं० रत्न, रजनी] १ रत्न । २ राजा, नृपति । १० आकर्षित करना, मोहित करना। ११ मनोविनोद
३ समुद्र ।-स्त्री० ४ रात, रात्रि, निशा । ५ पृथ्वी, भूमि । प्रामोद-प्रमोद कराना । १२ लेपन करना, वेष्ठन करना।
६ धूलि, रज। ७ मोतियों से की स्वस्तिक की रचना । १३ फुसलाना, भ्रमित करना।
-पत, पति, पती-पु. चन्द्रमा, शशि । राजा ।-मह, रमाद-पु० [सं० रमा+द] कुबेर ।
मई, मए, मय-वि० रत्नों से युक्त। रमाधव-पु० [सं०] विष्णु।
रयणा-स्त्री. १ गति, चाल । २ रचना ।। देखो रेणा' । रमानंद (नवरण, नंदन)-पु० [सं०] कामदेव ।
रयणागर (यर, यह)-देखो 'रत्नाकर'। रमानरेस-पु० [सं० रमानरेश] विष्णु ।
रयणावळी-देखो 'रत्नावळो'। रमानाथ-पु० [सं०] विष्णु ।
रयरिण, रयणीय-देखो 'रजनी' | रैणा' । रमानिवास-पु० [सं०] विष्णु ।
| रबजीहत-पु० [सं० रजनी-हत] सूर्य, रवि ।
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रमलौ
-
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रयणौ - देखो 'रण' ।
रयत देखो 'रयत' ।
रयतवोस (दोस ) - पु० दूषित प्राहार लेने का एक दोष (जैन) ।
रयनाक-पु० समुद्र, सागर । रयनि (नी) देखो 'रजनी' ।
रबारी देखो 'रैबारी ।
रवाड़ी देखो वाही' |
( ४५८ )
रवा - स्त्री० [प्र०रिश्राया] प्रजा, जनता ।
,
रविस्ट ० [सं० १०४ रजस्थ] १ कुबेर २ प्रणिधाग खो-देखो 'र'
१० बचा खुचा, शेष, प्रवशिष्ट ।
रयोसयो - वि० रम्यत स्त्री० [० रम्पत] प्रजा, जनता ।
ररंकार पु० [सं० रकार ] १ रामनाम की माला जाप । २ राम जप से होने वाली ध्वनि । ३ रामनाम । ४ 'र' का
उच्चारण ।
रर - स्त्री० [प्रा० रड] रट, रटन । ररणी बो)- क्रि० १ रटना, जपना । २ कहना, कथना । ३ बोलना ।
ररौ पु० १ 'राम' नाम का प्रथमाक्षर । २ 'र' वर्णं ।
"
रळ, रल- वि० १ तुच्छ, न्यून । २ नीच, जघन्य । ३ घृणा योग्य पूति । रळक रळकरण (न) - स्त्री० १ फिसलन । २ लफ्ट । ३ इच्छा । ४. अनाजादि पदार्थों का अच्छा भाग अलग या ऊपर करने की हाथों की क्रिया ।
रकरणौ (बी) - क्रि० १ फिसलना, सरकना, रपटना । २ प्रगट होना, निकलना। ३ टपकना, गिरना, ढुलकना । ४ उछलकर छंटना, अलग होना। ५ लटकना, लूमना । ६ हिलना-डुलना । ७ हिलने से मच्छी झलक दिखाई देना । ८ धीरे-धीरे बहना । ६ जाना, प्रस्थान करना । १० मिटना धूमिल होना ।
कालो बोका
बोकार
पटना। २ प्रगट करना, निकालना। ३ टपकाना, गिराना दुलकाना । ४ उछालकर छांटना | मलग करना । ५ लटकाना माना । ६ हिलाना-डुलाना । ७ हिलाकर झलक दिखाना । ८ धीरे-धीरे बहाना । ९ प्रस्थान कराना १० मिटाना धूमिल करना ।
रहको पु० १ ठण्डी हवा का भौंका २ वर्षा की हार
।
३ हल्का बहाव ४ सिचाई की एक क्रिया १ गोबर का पतला लेपन । ६ हल्कासा झटका |
होना, मिश्रित होना । ३ घुलना, मिलना, रमना । ४ समाना, मिलना, विलीन होना । ५ शोभित होना । ६ प्रवेश पाना, पैठना, घुसना । ७ फैलना, छितरना । उछलकर गिरना ९ लीन होना, मग्न होना । १० पड़ना । ११ लगना, स्पर्शं होना । १२ बरसना, वृष्टि होना १३ नष्ट होना, बरबाद होना १४ विरता, फटना । १५ ढलना । १६ देखो 'रळकरणी' (बो) । रळतळ-देखो 'रळतळ' |
रळतळणी (बी) - क्रि० १ फिसलना, ३ गिरना, पड़ना, धराशायी होना रळतळी, रळत्तळ स्त्री० १ 'गोगा'
राठोड़ की तलवार का
नाम । २ प्रसार, फैलाव । ३ प्रवाह । - क्रि०वि० तीव्र गति या वेग से ।
रळतळणी (बी) - देखो 'रळतळणी' (बो) । देखतळ
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रळपट - स्त्री० १ हंसी, दिल्लगी, मजाक, मखौल । २ उद्दण्डता, बदमाशी । वि० १ उद्दण्ड, बदमाश । २ व्यर्थ, फालतू । ३ अविश्वसनीय । ४ लम्पट बदचलन । ५ प्रवारा
·
रळिय
रळ मिळ- देखो 'रिळमिळ' ।
रळ मिळणो (बौ) - क्रि० १ हिलना मिलना, मिलना-जुलना । २ फंसना व्याप्त होना । ३ सम्मिलित होना, मिश्रित होना। ४ घुलना-मिलना । रळरळ - वि०
० सुन्दर, मनोहर ।
रपटना । २ फैलना । ४ बिखरना।
रळावढी - वि० मिश्रित, मिला हुआ । रळावणी-देखो 'रळियांमणी' ।
रळरळक, रळलळक-स्त्री० सुन्दरता, चमक, प्राभा, प्रकाश । वळण (बी) देखो 'रळमिळी' (गो)। रळा-स्त्री० याद |
रावणी (बी) - देखो 'रळाणी' ( बौ) । रळ-देखो 'री'
रळाणी (बौ) - क्रि० १ मिलाना। २ मिश्रित करना। ३ प्रात्मसात करना । ४ लीन करना, मग्न करना । ५ घुलाना, घोलना । ६ शोभित करना । ७ फैलाना, छितराना, बिखेरना ८ प्रवेश कराना, पैठाना । ९ गिराना, पटकना । १० बरसाना, वृष्टि करना । ११ नष्ट करना, वरबाद करना । १२ चीरना. फाड़ना। १३ रगड़ना । १४ टपकाना ।
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रहि रडियां रजियांमणी-देखो 'रक्रियांमणौ । रमिदेखो 'रिमळ
रळचळ पु० प्रवाह, बहाव ।
देखो 'म' (बो)।
रळणी (बी) - क्रि० १ मिलना, सम्मिलित होना। २ मिश्रण | रळिय, रलिय, रळियां देखो 'रळो' ।
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ळियामरणी
रवानी
रळियांमणी, रलियांमणो, रळियावणी, रलियावणी-वि० (स्त्री० तपा हुा । ४ तीक्ष्ण, उग्र । ५ चंचल, चपल ।
रळियांमणी, रळियावरणी) १ सुन्दर, मनोहर । २ आनन्द | रवणक-पु० [सं०] ऊंट। दायक, हर्षप्रद । ३ मौज व मस्ती देने वाला। ४ मोहक | रवणरेती-स्त्री०१ यमुना किनारे की रेतीली भूमि । २ गोकुल के माकर्षक । ५ मधुर, प्रिय । ६ सुखी। ७ श्रेष्ठ, उत्तम ।। पास की भूमि ।। ८ प्रसन्न, खुश।
रवणि-स्त्री० वनस्पती विशेष । रळियाति, रळियाइत. रळियात, रळियाति, रळियायत, | रबरो (बी)-क्रि० १ प्रावाज करना, बोलना । २ शब्दायमान रळियायित, रळियारत, रळियावत-स्त्री०१ प्रानन्द, खुशी। या ध्वनिमान होना।
२ लाड प्यार । -वि०१प्रसन्न, खुश, मुदित । २ उत्साहित, रवत-देखो 'रावत'। पाशान्वित । ३ प्रासक्त।
रवतांडव-पु० [सं० रवि-तांडव] १ सूर्य का नग्न व प्रलय नृत्य । रळियालउ, रळि याळी, रलियालो-वि. 'स्त्री० रलियाली' | २ नृत्य-गान ।
१ सुन्दर, मनोहर । २ प्रिय, प्यारा । ३ प्रसन्न, खुश. | रवतांणी-देखो 'रावतांणी'। मानन्दित । -पु० ईश्वर, परमात्मा ।
रवताई-देखो 'रावताई। रळी, रली-स्त्री० [सं० रति] १ चाह, इच्छा। २ उत्कंठा ।
रवताळ (ळो)-१ देखो 'रावताळो' । २ देखो 'रवत्ताळ' । ३ उमग, उत्साह । ४ उत्साह पूर्वक किया जाने वाला | रवतेस-देखो 'रावतेस'। कार्य । ५ प्रानन्द, हर्ष, खुशी। ६ खेल, क्रीड़ा, रास ।
रवतो-देखो 'रावत'। ७ रतिक्रीड़ा, विलास । ८ मनोरंजन, विनोद, मौज ।
रक्ताळ-पु० १ घोड़ा। २ घोड़े की टाप । ३ योद्धा, वीर । विहार। १० ठाट-बाट, वैभव ।।
रवद- १ देखो 'रुद्र' । २ देखो 'रौद्र' । रळीग्राम, रळीग्रामणी-देखो 'रळियांमणों'।
रवदाण-१ देखो 'रुद्र' । २ देखो 'रौद्र' । (स्त्री० रळिप्रांमणी)
रवदाराव-पु० यवन बादशाह । रळीपाइत, रळीमाईत, रळीमाईती, रळीयात, रळीयायत,
रवदाळ, रवद्द, रवद्दि-१ देखो 'रुद्र' । २ देखो रौद्र'। ३ देखो 'रव' रळीयाति-देखो 'ळियायत' ।
रवद्र-१ देखो 'रौद्र' ।२ देखो 'रुद्र'। रळीमरण-वि० प्रसन्न, खुश ।
रवन-देखो 'रमण'। रळीयांमण, रळीयांमणी, रलीयांमरण, रलीयांमणी, रळिया,
रवनांमौ-देखो 'रविनामो' । रळीयाइत (याईत, याईती, यात, यायत, यायित, यावत)
रवनि (नी)-देखो 'रमणी'। देखो 'रळियायत'।
रवन्नो-देखो 'रवांनी'। रळीरग-स्त्री॰खुशी व प्रानन्द के अवसर या कार्य।
रवमडळ-देखो 'रविमडळ' । रळी-वि० (स्त्री० रळी)१ कायर, डरपोक । २ अशक्त, कमजोर । | रवमुखी-देखो 'रविमुखी' । -पु. १ ऊंट की एक चाल । २ देखो 'रुळो' ।
रवरवी-पु० बोल-बाला, दबदबा, प्रभाव । रवंद-वि०१ तीव्र, तेज । २ कोलाहल युक्त।
रवराया-वि० दयालु, कृपालु । रव-पु० [सं०] १ शब्द, आवाज, ध्वनि । २ गुजार, चहचाहट, | रववंसी-देखो 'रविवंसी'।
कलरव। ३ शोरगुल, कोलाहल । ४ करुण क्रन्दन । चीख रवस-देखो 'रहस्य'। पकार । ५ गर्जना, नाद । ६ महीन धूल, रज, गर्दै । | रवसूत-देखो 'रविसुत' । ७ कण, जर्रा । ८ दो लघु रगण के भेद का नाम । | रवां-स्त्री० [फा०] १ प्राण । २ प्राण वायु । -वि. ९ देखो 'रवि'।
१ अभ्यस्त । २ प्रवाहित । ३ तीक्ष्ण, धारदार। रवक-स्त्री०१ प्रच्छी घास वाला स्थल या स्थान । २ एरंड वृक्ष । ४ बिना अटके काम पाने योग्य । ५ देखो 'रवा' । रवडताळ-पु. १ एक प्रकार का वाद्य । २ देखो 'रव'
रवानगी-स्त्री. प्रस्थान। रवजा-देखो 'रविजा'।
रवाना-वि० [फा० रवान:] १ प्रस्थान किया हुआ । २ विदा रवण-पु० [सं०] १ ऊंट । २ कोयल । ३ फूल । ४ कांसा नामक
हुवा हुमा । ३ प्रेषित । ४ चल पड़ने वाला। धातु। ५ शब्द, ध्वनि, आवाज, बोली। ६ पीतल ।
रवांनी-पु० [फा० रवानः १ प्रस्थान. कूच, प्रयाण । २ प्रस्थान ७ धूलि गर्द । ८ विदूषक |-वि० १ शब्दयुक्त, शब्दाय- का अनुमति पत्र । ३ प्रेषित वस्तु का विवरणमान । २ चिल्लाने वाला, पुकारने वाला। ३ उष्ण, गर्म | ४ चुगी की रसीद ।
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रवा
( ४६० )
रस
रवा-वि० [फा०] १ उचित, वाजिब । २ इच्छित, वांछित । रविबंसमनि-पु० सूर्य वंश का रत्न ।
३ जाहिर, प्रगट । ४ प्रसिद्ध, मशहूर ।-स्त्री० [फा०रवाई] रविमणि (गो)-स्त्री० [सं०] सूर्यकान्त मणि । १ रौनक, शोभा । २ परम्परा, रूढी, प्रथा । ३ इच्छा, रविमुखो-पु० सूर्यमुखी नामक फूल । मंशा, कामना । ४ दया, कृपा।
रवियोण-पु० सूर्य के सात घोड़ों में से एक, सप्ताश्व । रखाकातर-स्त्री० स्वर्णकारों का एक भौजार ।
रवियो-पु. सत्ताईश नक्षत्रों में से सूर्य के प्रभाव में रहने वाला रखाकी-वि० रहने वाला।
नक्षत्र और उक्त नक्षत्र के रहने का समय । रवाड़ी, रबाडी-देखो रेवाड़ी।
रविराई-पु० [सं० रविराज] सूर्य, रवि । रवाज-देखो 'रिवाज'।
रविसंक्राति, रविसक्रांति-स्त्री० [सं० | सूर्य का संक्रमण । रवादार-वि० करण या दानेदार ।
रविस-स्त्री० [फा० रविश] १ गति, चाल । २ तजं शैली। रवायत-देखो 'रियायत' ।
____३ व्यवहार, बर्ताव । ४ चाल-चलन, माचरण । रवाळ-देखो 'रेवाळ' ।
रवींदू-पु० [सं० रवि-इदु] सूर्य, चन्द्र । रवाळी, रवाळी-पु० स्वर्णकारों का एक मौजार ।
रवी-स्त्री० १ गेहूँ के प्राटे का एक तरल खाद्य पदार्थ । रवि-पु० [सं०] १ सूर्य, सूरज, प्रादित्य । २ अग्नि । ३ नायक । | २ रवि। ४ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । ५ ठगरण के द्वितीय भेद का
रवीपुत्र (पूत, सुत)-देखो 'रवितनय' । नाम । ६ बारह की संख्या । ७ प्रशोक वृक्ष । ८ पाक ।
रवेची-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी । -प्रस-पु. सूर्य का अश।-असिय, असो-'रविवंसी'।
रवेज-देखो 'रिवाज। -उ4, ऊगौ-प्रव्य. सूर्योदय के समय ।-कर-पु० सूर्य किरण ।-किरण-स्त्री० सूर्य की किरण, प्रकाश । रवेस-पृ० [सं० रवि-ईश] १ सूर्य, रवि । २ रहना क्रिया, -कुळ-पु० एक प्रसिद्ध क्षत्रिय वश, सूर्य वंश।-चक्र-पु०४ रहवास । सूर्य मंडल । सूर्य-रथ का चक्र । ज्योतिष में एक चक्र। रवै-स्त्री०१ गदा पशु की ऋतुमति की अवस्था । २ खेत या एक की सख्या ।-तनय, तणं-पु. शनिश्चर । यमराज भूमि की बुवाई योग्य अवस्था । कणं । बालि । सुग्रीव । अश्विनी कुमार । वैवस्वतमनु । | रवी-पू०[सं० रज] १ छोटा करण, दाना । २ घुघरुषों का छर्रा । ----तनया, तनुजा-स्त्री० यमुना नदी । सूर्य की पुत्री।
रस-पु० [सं०] १ किसी वस्तु का सार, तत्त्व, शोरबा, जूस । ---दिन, विव, दिवस-पु. रविवार, सप्ताह का प्रथम दिन ।
२ खाने को वस्तु का स्वाद, जायका, चस्का । ३ प्रानन्द -नव, नंदन= रवितनय' ।-नंदिनी 'रवितनया' ।
हर्ष, खुशी । ४ प्रेम, अनुराग, प्रोति । ५ रतिक्रिया, संभोग। पुत्र, पूत= रवितनय' ।--मंडळ-पु. सूर्य मंडल, सौर
संभोग सुख । ६ सुख, सुख की अनुभूति । ७ कामेच्छा । मडल, सूर्य की परिधि ।-बस-पु. सूर्यवश, क्षत्रिय वंश ।
८ मौज, मस्ती । ६ उमंग, जोश, मनोबल । १० अनुराग ---बसी-पु० सूर्यवंशी।-धार, वासर-पु. सप्ताह का
का संचार । ११ इन्द्रिय सुख । १२ मेल-जोल, प्रेम संबंध । प्रथम दिन ।-सारथी-पु० अरुण ।-सुमन, सुत, सुवन
१३ माधुर्य । १४ अनुराग, दया प्रादि कोमल वृत्तियों के 'रवितनय'।-सुता='रवितनया'।
वशोभूत रहने की अवस्था। १५ इच्छा, भावना, भाव । रविकांतमणि-पु० [सं०] सूर्यकान्त मणि विशेष ।
१६ साहित्य में प्रानन्दात्मक चित्त वृत्ति। १७ साहित्य में रविचंचळ-पु० [सं०] काशी का एक तीर्थ-स्थल ।
दश प्रकार के रस । १८ सुन्दरता; मनोहरता। १९ तौर रविचक्रतळ (ळि, ळी)-पु० [सं०] पृथ्वी मंडल । भू-मंडल । तरीका, ढंग । २० गुण, विशेषता, महत्व । २१ शरीरस्थ रविज-पु० [सं०] १ शनिश्चर । २ यम । ३ कर्ण। ४ बालि,
सप्तधातुओं में से प्रथम धातु । २२ रक्त, रुधिर । २३ शरीर सुग्रीव । ५ अश्विनी कुमार । ६ वैवस्वत मनु ।-केतु-पु.
से निकलने वाला तरल पदार्थ । २४ जल, पानो, द्रव । पुच्छल तारा।
२५ वनस्पती प्रादि औषधि का सार । २६ पासव, शराब। रविजा-स्त्री० [सं०] सूर्य पुत्री, यमुना ।
२७ विष. जहर । २८ अमृत । २९ बीर्य । ३० पारा । रविजात-स्त्री० [सं०] १ सूर्य की किरण । २ कर्ण, यम । ३१ मीठा पेय । ३२ गोरस । ३३ गंध रस । ३४ शिलारस । रविजोग-पु० [सं० रवियोग] सूर्य नक्षत्र से बनने वाला एक
३५ हिंगुल । ३६ मोती। ३७ कोई खनिज पदार्थ । योग (ज्योतिष)।
३८ कोई औषधि । ३९ घी, घृत । ४. उत्तम खाद्य । रविनाम (नामो)-पु. १ ऐश्वर्य, वैभव। २ प्रताप, शौर्य । ४१ गूदा, मींगी। ४२ वनस्पती। ४३ वृक्षों का मद । कोति, यश ।
४ हाथी प्रादि का मद। ४५ मीठा पानी, चासनी ।
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रसउगाळ
रसन
४६ स्वादिष्ट पदार्थ । ४७ चटनी, मसाला। ४८ तरह ४पारद के योग से प्रौषधियां बनाने वाला । ५ समाभांति । ४९ जीत, विजय । ५० हार, पराजय । ५१ वश | लोचक । ६ रसायनी । ७ कवि । ८ वैद्य। काबू । ५२ सबक । ५३ प्रानन्द स्वरूप ब्रह्म। ५४ फसल रसग्यता-स्त्री० [सं० रसज्ञता] १ रसज्ञ होने की अवस्था या की परिपक्वावस्था। ५५ पाताल । ५६ पृथ्वी, धरती। भाव । २ पंडिताई। ५७ डिंगल का एक छन्द । ५८ एक लघु व एक गुरु का रसग्या-स्त्री० [सं० रसज्ञा] १ जीम, जिह्वा । २ गंगा। नाम । ५९ तीन लघु के ढगण के तृतीय भेद का नाम। | रसमय-पु० [सं०] १ शगार रस का ग्रंथ या काव्य । २ वह ६० रगण या सगण की संज्ञा। ६१ छः की संख्या।। अथ जिसमें साहित्यिक रसों का विवेचन हो। ६२ नौ की संख्या ।-वि०१ उपयोगी, कामयाब । रसघण-स्त्री० [सं० धनरसा] इन्द्र की माया। २ अनुकूल, माफिक । ३ छः । ४ नो।-क्रि०वि० ५ वश रसघन-पु० श्रीकृष्ण ।-वि० १ रसदार, रसवाला । २ स्वादिष्ट । में, काबू में । ६ शीघ्र, जल्दी ।-दायक, वायनी, दायी-वि० रसड़ो-१ देखो 'रस' । २ देखो 'रसोड़ो' । प्रानन्ददायक, रमणीय । रसदार, स्वादिष्ट ।-वार-वि० | रसवारी-वि० रसज्ञ, रसों का ज्ञाता । रसयक्त. रसवाला । स्वादिष्ट, मजेदार ।-पति-पृ० रसजाणण-वि० [सं० रसज्ञा] रस या स्वाद का अनुभव करने
रमजांगमा-वि.मि. रमजा रस या म्वा चन्द्रमा, शशि । शृगार रस । -पूर-वि० वीररस पूर्ण । वाला । रसज्ञ ।-स्त्री० जिह्वा । रस से परिपूर्ण।-मय-वि० रसों से युक्त, प्रानन्ददायक ।
रसरण-पु० १ सूर्य, भानु । २ देखो 'रसना'। -लोभी, लोलुअ, लोलुप-वि० कामुक, कामी। प्रेम में
| रसरणारण रसणा, रसणि-स्त्री० [सं० रश्मि] १ किरण । मग्न । कवि । भ्रमर ।-बछक-वि० प्रेम का इच्छुक ।
| २ पृथ्वी। ३ क्षितिज । ४ देखो 'रसना'। कामी।
रसरणी (बो)-क्रि० [सं० रसनं] १ पानी प्रादि द्रव पदार्थ का रसउगाळ (मोगाळ)-पु०१ जुगाली के समय पशु के मुह से |
धीरे-धीरे बहना । रिसना । २ टपकना, चूना । ३ रसमय गिरने वाला द्रव, रस । २ देखो 'रसूगाळ' ।
होना, रसीजना, रस या स्वाद जमना। ४ वश में होना रसउत्तम-पु० [सं० उत्तम-रस] दूध ।
काबू में होना । ५ अनुरक्त या प्रासक्त होना । ६ प्रसन्न रसउद्भव-पु० [सं०] मोती।
या खुश होना । ७ स्वाद लेना, रस लेना, रसास्वादन सउल्लाला-पु० एक मात्रिक छन्द विशेष ।
करना । ८ चोखना, चिल्लाना । ९ दहाड़ना, गर्जना । रसक-देखो 'रसिक' ।
१० शोर-गुल करना, बोलना। ११ ध्वनि करना । रसकपूर-पु० [सं०] पारा के योग से बनी रसौषधि ।
रसत-पु० [स. रसित] १ शब्द, ध्वनि, अावाज । २ निर्घोष, रसकरम (करम्म)-पु० [सं० रसकमं] एक रसौषधि विशेष ।
| गर्जन । ३ एक प्रकार का सरकारी कर । ४ देखो 'रसद'। रसकळ-पु० एक मात्रिक छंद विशेष ।
रसतरंग-पु० १ एक प्रकार का वाद्य विशेष । -स्त्री० २ लहर, रसकस-स्त्री०१ स्वाभाविक स्थिति । २ सार, तत्त्व । ३ प्रानन्द
तरंग, हिलोर। मौज।
रसतळ (तल, तलि)-देखो 'रसातळ' । रसकार-पु० [सं०] शराब बमाने वाला।
रसता-पु० दुकानों पर लगने वाला टेक्स । रसकुड-पु० अमृत का कुड।
रसतारब-पु. मेघ गर्जन के समान शब्द । रसकुळणी-स्त्री० घोडों का एक रोग।
रसतो (त्तौ)-देखो 'रास्तो'। रसकूपका (कूपिका)-स्त्री० योनि, भग।
रसत्याग-पु० [सं०] स्वादिष्ट पदार्थों के त्याग का व्रत । रसकेळि (ळी)-स्त्री० [सं० रसकेलि] १ रतिक्रीड़ा, संभोग ।
रसद-स्त्री० [अ०] १ अनाज आदि खाद्य पदार्थ । २ खाद्य २ हंसो, दिल्लगी, मजाक ।
सामग्री । ३ सेना के प्रयाण के समय साथ लीजाने वाली रसकेसर, रसकेसरी-स्त्री० [सं० रसकेसर] १ कपूर । २ पारा, | सामग्री । ४ प्रश, हिस्सा, भाग । ५ बंटवारे का हिस्सा । गंधक मादि के योग से बनी एक औषधि ।
६ चिकित्सक । ७ एक प्रकार का गुप्तचर । (मध्ययुगीन) रसग, रसगना, रसगिना-स्त्री० [सं० रसज्ञा] जिह्वा, जीभ ।।
-वि. रसदायक, मजेदार, हर्षप्रद । प्रानन्दमय । रसगुलियो, रसगुल्लो-पु० दूध को फाड़कर बनाई जाने वाली | रसधातु-पु० [सं०] १ पारद, पारा । २ शरीरस्थ प्रथम धातु । एक रसदार मिठाई।
रसधेनु-स्त्री० [सं०] दान हेतु बनी गुड़ आदि की गाय । रसग्य-वि० [सं० रसज्ञ] १ काव्यरस का ज्ञाता । मर्मज्ञ । रसन, रसना-स्त्री० [सं० रसना] १ जिह्वा. जीभ । २ वाणी,
२ रसों को जानने वाला। ३ किसी विषय का पंडित। प्रावाज । ३ करधनी, मेखला, किकिरण । ४ चन्द्रहार,
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रसनेद्रिय
-रसव
माभूषण । ५ कमरबंद, कमर पेटी। ६ रस्सी, डोरी। तर । ४ मनोहर, सुन्दर, मनोज्ञ । ५ भाव पूर्ण । ६ प्रीति ७ रास, लगाम । ६ हठयोग में पिंगला नाड़ी। पूर्ण, प्रेममय । ७ प्रेमी, रसिक । ८ रसज्ञ । ९ दिलचस्प, ९ बल्गम, कफ। १० प्रथम गुरु के ठागरण का नाम । माकर्षक । -वि० रक्ताभ, लाल। -प्रह-पु० मुख, मुह। -लट;
| रसवतमन-पु० सुन्दर। लोह-पु. श्वान, कुत्ता।
रसवति, रसवती-स्त्री० [सं०] १ रसोईघर, पाकशाला । रसनेंद्रिय-स्त्री० [सं०] जिह्वा, जीभ ।
२ खाद्य सामग्री, भोजन । ३ पकाया हुप्रा भोजन । ४ शाक रसनोपमा-स्त्री० [सं०] साहित्य में एक प्रर्थालंकार।
सब्जी । ५ पृथ्वी, धरा, धरती । ६ रामवेलि नामक लता। रसन्न-देखो 'रसना'।
७ सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी। -वि०१ रस भरी, रस रसपति-पु० [सं०] १ चन्द्रमा, शशि । २ शृगार रस ।
पूर्ण । २ रसीली, रंगीली। ३ रमणी, सुन्दरी, प्रिया । रसपरपटी-स्त्री० [सं० रसपर्पटी] एक प्रौषधि विशेष ।
४ स्वादिष्ट, रुचिकर । ५ दिलचस्प । रसपोटली, रसपोटी-स्त्री. घोड़ों का एक रोग।
रसवतीकरम-पु० [सं० रसवतीकर्म] १ भोजन बनाने की क्रिया। रसबत्ती-पु. बन्दूक या तोप का पलीता (प्राचीन)।
२ बहत्तर कलाओं में से एक । रसबाय-पु. हाथियों का एक रोग।
रसवतीग्रह-पु० [सं० रसवतीगृह ] पाकशाला, रसोईघर । रसभरी-स्त्री० [अं० रेप्सबेरी] १ लाल-पीला एक स्वादिष्ट
रसवत्ता-स्त्री० १ रसीलापन, स्वाद । २ मीठास । ३ सुन्दरता । फल । २ इस फल का बना पेय पदार्थ । ३ रस से परिपूर्ण
४ प्रसन्नता। एक मिठाई।
रसवान-पु० [सं० रसवान् ] रस या स्वाद युक्त पदार्थ । रसमाव-पु. हाथियों का एक रोग।
-वि० रसदार, रसवाला। रसमंडूर-पु० [सं०] गंधक के योग से बनी एक पोषधि ।
| रसवाद-पु० [सं०] १ रस प्रधान काव्य या साहित्य । २ रस रसमंत्री-पु. संधि मादि का कार्य कराने वाला मंत्री।
की बात । ३ छेड-छाड़। ४ बहत्तर कलानों में से एक। रसम-स्त्री० [अ० रस्म] १ परंपरा, रीति-रिवाज। २ प्रथा रूढ़ि । ३ रीति-रिवाज के अनुसार दिया जाने वाला धन ।
रसवायो-वि० (स्त्री० रसवायी) १ उमंग या जोश युक्त,
उत्साहित । २ प्रसन्न, हर्षित। ४ कर, लगान । ५ वेतन, तनख्वाह । ६ न्यायालय शुल्क ।
रसवाळी-वि० [सं० रस-प्रात्म] (स्त्री० रसवाळी) १ रसों से ७ संस्कार । देखो 'रस्मि'।
पूर्ण । २ जायकेदार, स्वादिष्ट । ३ दिलचस्प । ४ मधुर । रसमय-वि० १ रस से परिपूर्ण । रस युक्त। २ मधुर, मीठा । |
रसवास-पु० ढगण के प्रथम भेद का नाम । -पु. मकरंद, पराग। रसाण-पु. [सं. रश्मि] १ सूर्य का प्रकाश, तेज । २ सूर्य की रसविरोध-पु० [सं० रसविरोध] वे विभिन्न रस जिनका मेल किरण, रश्मि ।
उचित नहीं माना जाता है। रसमाता-स्त्री० [सं०] जिह्वा, जीभ ।
रसविलास-पु० [सं०] रतिक्रीड़ा, मैथुन । रसमि, रसमी-देखो 'रस्मि'।
रसवीर-देखो वीररस'। रसमंत्री-स्त्री० [सं०] विभिन्न रसों का योग ।
रसवेता, रसवेत्ता-वि० [सं०] रस मर्मज्ञ, रसज्ञ । रसम्म-१ देखो 'रसम' । २ देखो 'रस्मि'।
रसवेलि-स्त्री० रस की वेल, लता। रसयो-पृ० रस से उत्पन्न होने वाला कीड़ा । कीटाणु। रससंस्कार-पु० पारे का संस्कार (वैद्यक)। रसरंग-पु. १ प्रानन्द, उत्साह, खुशो प्रादि । २ एक छन्द | रससागर-पु. १ सात समुद्रों में से एक । २ प्रेम का सागर । विशेष।
रससात-पु० दूध, दुग्ध । रसरसाटि-स्त्री. प्रावाज, ध्वनि ।
रससार-पु०१ शहद, मधु । २ विष, जहर । रसराज-पु. १ पारद, पारा । २ पारे के योग से बनी पौषधि । रससिंगार-पु० शृगार रस । -वि० मधुर ।
३ रसांजन, रसौत । ४ साहित्य में शृंगार रस । ५ रतिफल । | रससिदूर-पु० [सं०] पारे के योग से बनी पौषधि । (वैद्यक) रसरी-स्त्री० [सं० रसना] डोरी, रस्सी।
रससिधु-देखो 'रससागर'। रसळ-स्त्री.छत पर मुरड (चिकनी मिट्टी) जमाने की क्रिया। | रससिद्धि, रससिद्धी-स्त्री० [सं०] १ रसायन विद्या में कुशलता रसवंत, रसवत-वि० [सं० रसवत्] (स्त्री० रसवंती) १ रसदार, निपुणता। २ प्रौषधि बनाने की सफलता ।
रस से पूर्ण । २ स्वादिष्ट, जायकेदार । ३ भीगा हुमा, नम, | रससेव-पु. बलराम का एक नामान्तर ।
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रसारण
रसियापण
रसारण-क्रि०वि० १ उचित ढंग पर, उपयुक्त स्थिति में, सही विधियां बताने वाला शास्त्र । विज्ञान ।
रास्ते पर । २ देखो 'रसायण'। ३ ठीक ढंगसे,प्रच्छी तरह। रसायणी-वि० [सं०] १ कोई रासायनिक प्रौषधि । २ ऐसी रसांगी-स्त्री० रसायन विद्या । -वि. रसज्ञ ।
प्रौषधि बनाने की विद्या । ३ इस विद्या का जानकार वैद्य रसांमणा-स्त्री० [सं० रश्मि] सूर्य किरण, रश्मि ।
रसायन-देखो 'रसायण'। रसा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी,धरती, धग। २ दुनिया, जगत, रसायनचदणा (ना)-स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक ।
ससार । ३ जिह्वा, जीभ । ४ रसातल, पाताल । ५ नरक । रसायनसास्त्र-देखो 'रसायणसास्त्र' । ६ वेग, गति । ७ देखो 'रस' ।
रसायनी-देखो 'रसायरणी' । रसाइण (न)-देखो 'रसायण' ।
रसाळ, रसाल-वि० [सं०रस+प्रालय] १ रसयुक्त, रसमय । रसाई-स्त्री० [फा०] १ पहुंच, क्षमता । २ सुलह, संधि । २ मीठा, मधुर । ३ ठण्डा,शीतल । ४ सुन्दर,मनोहर, मोहक, रसाउलु-देखो 'रसवालो'।
५ प्रिय, प्यारा। ६ फलदायक । ७ शुद्ध, स्वच्छ, निर्मल । रसागर-पु० एक प्रकार का घोडा।
८ जोश पूर्ण । ९ रसिक, प्रेमा। १० प्रानन्ददायक । रसाणी (बी)-क्रि० १ पानी प्रादि द्रव को धीरे-धीरे बहाना । -पु० १ रसमय वस्तु पदार्थ । २ प्राम, सेव, प्रादि फल । २ टपकाना, चूनाना । ३ रसयुक्त करना, स्वादिष्ट बनाना
३ ऋतु फल । ४ गन्ना। ५ कटहल । ६ कंदुर, तण । ४ पासक्त, अनुरक्त करना । ५ प्रसन्न करना, खुश करना।
७ बोलसर नामक गंध द्रव्य । ८ अमलबेत। हल्दी। ६ वश में करना, अधिकार में करना। ७ रसास्वादन कराना,
१० गेहूं। ११ वनस्पती विशेष । १२ एक छन्द विशेष । चखाना । ८ शोरगुल कराना, बोलाना । ९ ध्वनि कराना ।
१३ एक वणिक छन्द विशेष । [अ० इसलि, इरसाल]
१४ भेंट, सौगात । १५ कर, महशूल, लगान ।-दाररसातळ, रसातळि-पु० [सं० रसातल] १ पृथ्वी के नीचे का
वि० रसयुक्त, रसदार । एक लोक । २ पाताल । ३ अधोलोक । ४ अधोगति, नाश,
रसाळ, रसालू, रसाळी, रसालो-१ देखो 'रिसालो' । २ देखो पतन । ५ पृथ्वो, भूमि, धरती।
'रसवाळी' । रसादार-वि० र पदार, रसवाला।
रसावळ-पु०१ एक मात्रिक छन्द विशेष । २ देखो 'रसाळ' । रसाधार-पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ शेषनाग ।
रसास्वादी-वि० [सं० रसास्वादिन] १ रस का स्वाद या मजा रसाधी-स्त्रो० पृथ्वी, धरती माता । मातृभूमि ।
लेने वाला। २ किसी विषय का प्रानन्द लेने वाला। रसापत, रसापति-पु० [सं० रसापति] राजा, नृप ।
३ रसिक, रसिया। रसामाव-पु० [सं०] १ ग्स का प्रभाव । २ मन-मुटाव ।
रसि-१ देखो 'रस' । २ देखो 'रसी' । ३ देखो 'रस्सी'। रसामास-पु० [सं०] किसी कविता या लेख में किसी रस की
रसिक-वि० [सं०] (स्त्री० रसिका) १ किसी विषय का होने वाली अनुभूति ।
मर्मज्ञ, काव्य मर्मज्ञ । २ गुणग्राहो । ३ रसपान करने वाला रसायक-देखो 'रसायण'।
४ विलास प्रिय। ५ मौजी, विनोदी। ६ रस लोलुप, रसायण-पु० [सं० रसायन] १ पारे के योग से बनी पौषधि ।
लपट । ७ भावुक, सहृदय । ८ रसयुक्त, रसमय । ६ स्वा२ तांबे से सोना बनाने की एक कल्पित विधि । ३ धातुपों की दिष्ट जायकेदार । १० सुन्दर, मनोहर । -पु. १ प्रेमी, प्रिय भस्म बनाने की विधि । ४ रस या प्रानन्ददायक बात या व्यक्ति । २ सारस पक्षा । ३ घोड़ा, अश्व । ४ हाथी, गज । विषय । ५ इच्छित सिद्धि, मनोकामना की पूर्ति । ६ परि
५ एक छन्द विशेष । पक्वावस्था। ७ रस काव्य । ८ मधुर पेय, रस । ९ उत्तम | रसिकता-स्त्री० [सं०] १ रसिक होने की अवस्था या भाव । खाद्य पदार्थ । १० कटि, कमर । ११ गरुड़ पक्षी। १२ बह । २ मौज, मस्ती। ३ परिहास, हंसी, प्रानन्द । ४ सुदरता, तर कलानों में से एक।
मनोहरता। रसायरणग्य-वि० [सं० रसायनयज्ञ] रसायन बनाने की विधि का | रसिकबिहारी-पु० [सं०] श्रीकष्ण का एक नाम । जानकार, वैद्य।
रसिका-स्त्री०१ एक छन्द विशेष । २ रमण करने योग्य स्त्री। रसायरएविग्यांन-पु० [सं०] विभिन्न पदार्थों के गुण-दोष बताने | रसिकेस्वर-पु० [सं० ऋषिकेश्वर] श्रीकृष्ण ।
तथा परस्पर सम्बन्ध प्रतिक्रियाएं आदि का विवेचन रसियापण (परणो)-पु. १ रसिक होने की अवस्था या भाव । करने वाला शास्त्र या सिद्धांत ।
२ रसिकता, विलासिता, मौज, मस्ती। ३ रसिक होने का रसायरणसात्र-पु० [सं०] विभिन्न प्रकार की रस भौषधियों की ।
गुरण।
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रसियो
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reat-go प्रेमी ।
रसीयो- देखो 'रसियो' ।
( ४६४ )
-
रसियो वि० [सं० रसिक] १ मानन्द या रस लेने वाला रसिक २ रसज्ञ, मर्मज्ञ । ३ शौकीन, किसी कार्य का विशेष शौकीन ४ रतिक्रीड़ा का सोलुप, कामी, विषयी वेश्यागामी प्रिय प्यारा
६ विनोदी, मनोरंजक । ७ मस्त, मौजी
1
1
- पु० १ पति प्रियतम। २ एक लोकगीत विशेष । रसी स्त्री० १ घाव या फोड़े में होने वाला मवाद । २ देखो 'रस्सी' रसीव स्त्री० [फा०] १ रुपये जमा कराने या देने के बदले में दी जाने वाली पर्ची, पहुंच, प्राप्ति, पावती २ इस पर्ची में
लिखी जाने वाली इबारत ।
रसील - वि० १ रसयुक्त, रसदार । २ मीठा, मधुर । रसीलो वि० [स्त्री० रसीनणी) प्रेम या मानन्द में मग्न रहने
रसूक- पु० संबंध, व्यवहार । सम्पर्क | रगाळ पु० १ पशुनों के जुगाली करते
समय खाद्य पदार्थ
का रस मुंह से बाहर गिरने का एक रोग । २ इस रोग से पीडित पशु 1
रसूल- पु० [अ०] १ ईश्वर का दूत । २ ईश्वर का अवतार । ३ पैगंबर । ४ ईश्वर ।
वाला ।
।
रसीला १०१ रसयुक्त होने की अवस्था २ रसि रसोवड़, रसोबड़ो-देखो रसोई' ( परणी) । कता । प्रियता । ३ विलासप्रिय या कामुक होने की अवस्था । ४ मीठास, मधुरता ।
रसोत देखो 'रसोत' ।
रसीलो - वि० (स्त्री० रसीली) १ रसयुक्त, रसमय । २ स्वादिष्ट जायकेदार । ३ मधुर । ४ दिलचस्प, मजेदार ५ श्रानन्ददायक। ६ विलास प्रिय कामुक । ७ बांका छबीला । सुन्दर मनोहर, कमनीय ९age कोमल नाजुक १० प्रियतम, प्रेमी रसिक । ११ रसज्ञ, रस १२ सारयुक्त
1
मर्मज्ञ ।
- पु० [सं०] पाग
रमेस्वर - पु० १ पारा, पारद । २ छः दर्शनों से मलग एक अन्य दर्शन ।
रसो-देखो 'रसोई' ।
रसोगाळ - देखो 'रसूगाळ' | रसोइवार देखो 'रसोईदार' | रसोड़ो-देखो 'रसोई'।
रसोई - स्त्री० [सं० रसवती ] १ भोजन के रूप में बनने वाली सामग्री, खाना, भोजन । २ नित्य भोजन बनाने व भोजन सामग्री रखने का स्थान कक्ष, पाकशाला । ३ देव मंदिर, ब्राह्मण पादि को दी जाने वाली सूखी भोजन सामग्री, घाटा, दाल मादि ४ रामद्वारा या मठ में रहने वाले साधुयों को दिया जाने वाला भोज यांनी घर
1
भोजन बनाने का कक्ष, पाकशाला - बार- पु० बावर्ची, पाकशास्त्री, रसोइया । - बारी स्त्री० भोजन बनाने का कार्य भोजन बनाने का व्यवसाय या वृत्ति । रसोईबरदार पु० [फा०] खाना लेजाने वाला व्यक्ति । रसोईयो देवां रसोइयो ।
रसीन पु० [सं०] लहसुन
रसोपल - पु० [सं०] मोती । रसोयीस० पाकशाला का अधिकारी रसोई दारोगा । रसोली- स्त्री० १ घोड़ों का एक रोग । २ कान में होने वाला एक फोड़ा । ३ आंख का एक रोग । ४ शरीर में होने वाली कोई ग्रंथि ।
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रस्य
रह
रसो- पु० [सं० रम] १ गुड प्रादि का मीठा पानी, रस २ जूस, शोरबा । ३ रस्सी । ४ देखो 'रसोई' । रसौड़ी देखो 'रसोई'। रसौली-देखो 'रसोली' ।
रस्त देखो 'रसद' |
रस्तागीर - देखो 'रास्तागीर' । रस्तो-देखो 'रास्तों'।
रस्म-१ देखो 'रसम' । २ देखो 'रस्मि' ।
1
रवि-स्त्री० [सं०] रश्मि १ किरण, रश्मि २ ग्रामा, कांति दीप्ति । ३ प्रकाश । ४ बागडोर, लगाम । ५ रस्सी, डोरी । ६ अंकुश | ७ चाबुक ।
-
वि० [सं०] १ रसवाला रसदार २ रसीला - पु० १ रक्त, खून। २ शरीर का मांस । ३ रहस्य |
रस्स- देखो 'रस' |
रस्सरण - देखो 'रसना' ।
-
रस्सी स्त्री० [सं० रसना] १ सूत, मूंज प्रादि की डोरी, रज्जू । २ घोड़ों की एक बीमारी । ३ देखो 'रसी' ।
।
रसोइयो पु० १ भोजन बनाने वाला, बावर्ची २ पाक शास्त्री रस्सी० [सं० रहना) १ मूत, मुंज, पशु वर्म यादि का मोटा व लम्बा डोरा, रस्सा, बंधन, पाण २ घोड़ों की एक बीमारी । ३ देखो 'रसी' ।
कंडोई |
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रहंचणी (बी) - देखो 'रहचरणी' (बौ) । रहंतणी (ब)- क्रि० संहार करना, मारना । रम देखो 'रहम' २ देखो 'रहीम' । रह-पु० [सं० रथ] १ रथ । २ एकान्त । ३ प्रेम, मेल । ४ देखो 'राहु'।
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रहकळी
रहस्स
रहकळो-देखो 'रकलौ' ।
१० सम्पर्क में पाना, साथ रहना। ११ जीवन यापन रहक्करणो (बो)-क्रि० गाया जाना, गाना ।
करना, जीवित रहना । १२ बचना, शेष रहना, अवशिष्ट रहहणो (बो)-क्रि० १ लूटमार करना, लूटना । २ जीतना रहना । १३ छूट जाना, पीछे रहना। १४ काम पर लगना, अधिकार में करना ।
नौकर रहना । १५ शांति से बैठना । १६ किसी कार्य में रहा -देखो 'रहस्'।
संलग्न होना । १७ होना। रहव-देखो 'रहचण'।
रहत-देखो 'रहित'। रहचक (क्क)-पु० युद्ध, लड़ाई।
रहतिका-स्त्री० प्रथा, परम्परा, रीति, रिवाज, पढ़ि। रहबर-स्त्री० तेज दौड़, गति ।
रहती-वि०१ रहने वाला, । २ ममिट, स्थाई। रहबरण-स्त्री. १ सहार, नाश । २ कष्ट, दुःख, विपत्ति ।-वि०
रहन, रहनी-देखो 'रहणी' । मारने वाला।
रहम-पु. [प्र.] कृपा, अनुग्रह, दया । खचणी (1)-क्रि० १ मार-काट करना, संहार करना ।| रमत समति-स्त्री. fu. बमनाया Dem.
२ मारना। ३ पराजित करना, हराना । ४ वीर गति | रहमदिल-वि० [अ०] दयालु, कृपालु। क्या करने वाला। प्राप्त होना, जूझकर मरना । ५ युद्ध करना ।
रहमदिली-वि० [अ०] १ कृपा या क्या करने की क्रिया या भाव। रहचाणी (बो), रहचावणो (बो)-क्रि० १ संहार कराना, मार- ___ २ दया तरस, करुणा। काट कराना, मरवाना। २ पराजित कराना, हराना ।
रहमाण, रहमान-वि० [अ० रहमान] दयालु, कृपालु. मेहरबान । ३ वीर गति दिलाना।
-पु. ईश्वर, परमात्मा, खुदा । रहच्चक, रहच्चक्क-देखो 'रहचक' ।
रहमाणग्रंस-पृ० ईश्वर का अंश । रहन्चरण-देखो 'रहचण'।
रह-रह-प्रव्य० रुक-रुक कर । रहच्चरणी (बो)-देखो ‘रहचणी' (बी)।
रहरू, रहरू-पु० रक्त, खून । रहछह-स्त्री. महफिल, गोष्ठी।
रहळ, रहल, रहळि, रहळी-स्त्री० [म.] १ पुस्तक रखने का रहट-देखो 'मस्ट'।
एक प्राधार या स्टेण्ड । २ मंद व ठण्डी हवा का झोंका, रहण-वि० रोकने वाला, प्रवरुद्ध करने वाला।
लहर । रहरणो (बो)-क्रि० १ रोकना, भवरुद्ध करना। २ तहस-नहस |
| रहळ, रहळ-वि० खाली, रिक्त। करना।
रहबई-पु० [सं० रथपति] रथ में बैठने वाला, रथ का पति । रहा. रहमो-पु० १ भार लादने की गाड़ी विशेष । शकट ।
रहवणी (बौ)-वेखो ‘रहणो' (बो)। २ बलों को प्रशिक्षित करने निमित्त बनाया गया वाहन
रहवर-पु० [सं० रथ वर] उत्तम रथ, सुन्दर रथ। विशेष । ३ छोटे बच्चों को पैरो से चलना सिखाने निमित
रहवाण-देखो 'रहाण'। बनाया गया तीन पहियों का खिलौना।
रहवाळ-स्त्री० [फा० रहवार घोडे की एक चाल विशेष । रहण-पू.१ घर, गृह प्रावास । २ निवास, रहना किया। रहवास-१०१ रहने की क्रिया या भाव, निवास । २ विधाम, .. -वि. १ रहने वाला । २ देखो 'रहणो'।
ठहराव । ३ मकान, घर । ४ रहने का स्थान, निवास स्थान । रहणाक-पु. गृह, सदन, घर।
५ निजी कक्ष । ६ अन्तः पुर, रनिवास । रहरिण, रहणी-स्त्री० [सं० रह] १ रहने की क्रिया या भाव ।
रहवासि, रहवासी-पु. १ रहने वाला, निवासी। २ देखो २ रहने का ढंग, तोर, तरीका । ३ जीवन निर्वाह, व्यवहार,
| रहवास। प्राचरण । ४ पाचरण के सिद्धान्त । ५ मावास, निवास, | जस-१ देखो 'रहसि' । २ देखो 'रहस्य । ठहराव । ६ निष्ठा, श्रद्धा ।
रहसणी (बौ)-देखो रहचणी' (बी)। रहणी (बो)-क्रि० १ एक ही स्थिति में प्रवस्थान होना, रहसि (सी)-पु० [सं० रहस्] १ संभोग, मथुन । २ रहस्य ।
रहना। स्थाई निवास करना । २ कहीं ठहरना, | रहस्य-पु० [सं०] १ गुप्त बात, भेद, गुप्त सूचना । २ छिपी टिकना, विश्राम करना। ३ चलते हुए रुकना, जाते हुए | हुई कोई गूढ या सूक्ष्म बात। ३ मर्म, तत्व । ४ गुप्त सिद्धांत ठहरना । ४ कम का रुकना, ठहरना। ५ बसना । या विषय । ५ ईश्वर संबंधी सूक्ष्म ज्ञान । ६ एक तांत्रिक ६ वर्तमान या मौजूद होना। ७ स्थित होना, स्थापित प्रयोग । ७ रति क्रीड़ा ।-मदिर-पु. केलिगृह, रंगमहल । होना। ८ भाधारित होना। ९ विशेष स्थिति में होना। रहस्स, रहस्सी-१ देखो 'रहस्य' । २ देखो 'रहसि ।
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रहां, रहाण-पु०१ गांव के बीच की चोपाल, बैठक, मोहल्ले | बनाने वाला सुनार । ३ देखो 'रंघड' । के बीच बैठने का स्थान २ देखो 'रहणी' ।
रांगड़पण (पणी)-पु. वीरत्व, योद्धापन । रहा-स्त्री० श्रवणेन्द्रिय कान ।
रांगजल-स्त्री० बेर वृक्ष को जड़। रहाइपो (बो)-देखो 'रहारपो' (बी)।
रांगणवाय-स्त्री० [सं० रिंग] शरीर के अधोभाग में होने वाला रहाणो (बो)-क्रि०१ एक ही स्थिति में प्रवस्थान कराना । स्थाई एक वात रोग।
निवास कराना । २ कहीं लहराना, टिकवाना, विधाम | रांगरंगीलो-देखो 'रंगरंगोलो' । (स्त्री० रांगरंगोली)। कराना। ३. चलते को रोकना, ठहराना। ४ क्रम रोकना । | रांगली-वि. रंगदार, रगीन । ५ बसाना स्थित या स्थापित करना । ७पाधारित | रांग-क्रि० वि०१ सही रास्ते पर, ठोक-ठिकाने। २ सामान्य करना । ८ किसी विशेष अवस्था में रखना । ९ सम्पक दशा में। कराना, साथ कराना। १० जीवन यापन कराना, जीवित | रांगी-पु०सं० रंग] एक धातु विशेष, जस्ता। रखना । ११बचाना, शेष रखना । १२ पीछे छोड़ देना। | रांघड. रांघडी-१ देखो "रंघर' । २ देखो 'रागडो'। १३ काम पर लगाना । १४ शांत बठाना। १५ कार्य में | रांधणी (वो)-क्रि. १ ख-खड़े तकना, लालायित होना, संलग्न करना । १६ कुछ करना।
ललचायी नजरों से देखना। २ ताक लगाना, धात लगाना। रहावरण-स्त्री०१ रहने की किया या भाव । २ रहने का ढंग, ३ ध्यान रखना, ध्यान देना। ४ देखो 'राचरणो' (बी)।
तरीका । ३ सभा. बैठक ।-वि.स रहने वाला, रहने योग्य। रांझट-पु. विवाद, सझट, तकरार । २ रखने वाला। ३ देखो 'रहाण' ।
रांझी-पु. १ विघ्न, व्यवधान । २ अड़चन, बाधा । ३ समस्या, रहावरणी-वि० रखने वाला।
उलझन । रहावणो (बी)-देखो 'रहाणो' (बी)।
रांटलो, रांटो-वि० (स्त्री० रांटो) १ मुड़ा हुमा, टेढ़ा । २ टंटा रहास-देखो 'रहवास'।
फिसाद करने वाला, मड़ियल । रहिचणी (बो)-देखो 'रहचणी' (बौ)।
राड-स्त्री० [सं० रण्डा] १ विधवा स्त्री, पति विहीना। रहिरिण, रहिणी-देखो 'रहणी'।
२ वेश्या, रण्डी । ३ व्यभिचारिणी, कुल्टा स्त्री। ४ गाली, रहित-वि० [सं०] १हीन, विहीन । २ बगैर, बिना। ३ अभाव
अपशब्द । ५ एक गाथा छन्द विशष । पूर्ण, अपूर्ण। ४ पृथक, अलग, मुक्त । ५ त्यागा हुमा, छोड़ा
रांडणी (बी), रांडावरणी (बो)-क्रि० [सं० रण्डा] किसी स्त्री के हुमा, त्यक्त। ६ निर्जन । ७ अकेला।
पति को मारना, विधवा करना। रहिमाण-देखो 'रहमाण'।
राडापो-देखो 'रडापो' । रहिय-देखो 'रहित।
रारियो-वि. १ विधुर, बिना स्त्री का । २ स्त्री-लोलुप । रहिळ-देखो 'रहळ'।
३ स्त्रियोचित स्वभाववाला । ४ कायर, नामद। रहिस-देखो 'रहस्य'।
राडी-देखो 'रांड'। रहीम-पु. [प०] १ परमात्मा, ईश्वर, खुदा। २ बादशाह | रोडोराड-स्त्री. विधवा स्त्री।
अकबर एक मंसबदार व कवि ।-वि० दयालु, कृपालु। रांडीरोणी (बी), राडीरोवरणों (बो)-क्रि. स्त्रियों की तरह रहोस-देखो 'रईस'।
हर छोटी-मोटी बात पर बकना, टोय-टोय करना । गाळ, रहोगाळ-देखो 'रसूगाळ' ।
रांडेपो-देखो 'रंडापौ'। रां-देखो 'रा'।
रांगेलियो, रांडोली, राडोल्यो-वि० १ स्त्रियों के से स्वभाव राइरिण (णी)-देखो शेयण'।
वाला । स्त्रियों के संग रहने वाला । २ विधुर, बिना रांक, रांकडो-वि० [सं० रक] १ कायर, डरपोक । २ रक। स्त्री का । राकावत-पु. वैष्णवी साधुनों की एक शाखा व इस शाखा | रांडोली-देखो 'रांड'। के साधु।
रांतु, संद-पु. मोटा रस्सा। रांग-स्त्री. १ मकान या इमारत पादि की नींव । २ दरार। | रांग-पु० [सं० राट] १ राजा, नप । २ रावण, दशानन । बबूल या बेर वृक्ष की छाल। ४ बेर का वृक्ष । ५ देखो। ३ स्वामी, मालिक । ४ देखो 'राणी'।
रांगखमाण, रांगखुमाण-पु० छोटे-बड़े जलाशय । रागड, रोगड़ियो,रांगडी-पु. १ पाड़ा, भैसा । २ रांगा के बर्तन | रांगो-स्त्री. सूर्य देव की स्त्री।
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रांणपर
रामखंड
रोणपर-पु. एक प्राचीन नगर विशेष ।
रोन-स्त्री० [फा० रान] १ जंघा, जांघ । [सं० परण्य] २ वन, रांगबाण-वि०१ निपुण, दक्ष । २ चतुर, बुद्धिमान । ३ दह, जंगल । ३ देखो राण'। पक्का । ४ पूर्ण स्वस्थ ।
रांनळ,रांना, निळ, रानिल्ळ-स्त्री०सूर्य की पत्नी।-पत, पति, राणवाळी-वि०१ महाराणा संबंधी, महाराणा के योग्य । पती-पु० सूर्य, भानु -बर, सुबर-पु० सूर्य, रवि । २ रावण का, रावण संबंधी।
रांनुडो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। राणा-स्त्री० [सं० राट] १ भिन्न-भिन्न राजवंशों का उपटक, संप-स्त्री० जल सखने पर जलाशय में दिखने वाली चिकनी
उपाधि । २ ढोलियों के लिए सम्मान सूचक शब्द ।। मिट्री की परत ।' ३ देखो 'रांना'।
रांपलो, रांपौ-वि० वात रोग से प्रशक्त पर वाला। राणाई-स्त्री. १ 'रांणा' की उपाधि । २ 'राणा' का पद, इस | पद पर होने की अवस्था। ३ इस पद का गौरव ।।
रांपी-स्त्री० मोचियों का एक प्रौजार विशेष । ४ राज्यत्व, शासन।
रांफळ-स्त्री०१लोगों की भगदड़ । २ लड़ाई, फिसाद । राणादे-देखो 'रांणदे'।
रांफळणी (बौ)-देखो 'माफळरणो' (गे)। रांगापण (परणो)-पु०१ वीरता, बहादुरी। २ राणा की पदवी, | रांभरणौ (बौ)-देखो 'रंभाणी' (बो)। उपाधि ।
रांभस-स्त्री. एक प्रकार की घास । रांगापति-पु० सूर्य का एक नाम । रांगाराव-पु. १ महाराणा । २ श्रेष्ठ पुरुष ।
राम-पु० [सं० राम] १ ईश्वर, परमात्मा । २ ब्रह्म । ३ विष्णु रांरिणम-स्त्री० राज्यत्व ।
का एक नामान्तर । ४ राजा दशरथ के पुत्र श्रीरामचन्द्र । रांणी-स्त्री० [सं० राज्ञी] १ किसी राजा की पत्नी, रानी ।
५ बलराम का एक नामान्तर । ६ परशुराम । ७ श्रीकृष्ण, २ स्त्री के चित्र वाला ताश का पत्ता। ३ स्वामिनी,
श्याम । ८ घोड़ा। ९ एक मृग विशेष । १० सार, तत्त्व । मालकिन । ४ वर्षा ऋतु में होने वाला एक कीड़ा विशेष ।
११ ईमान । १२ शक्ति, सामर्थ्य । १३ योग्यता । १४ खुद
के लिये एक सम्बोधन । १५ वरुण । १६ प्रशोक वृक्ष । -जणियो, जायो-पु० रानी का पुत्र, राजकुमार ।
१७ हरीतकी, हरड़े । १८ एक मात्रिक छन्द विशेष । क्षत्रिय । --पद, पदौ-पु० रानी होने की अवस्था, रानी
१६ देखो 'रामदेव' ।-वि० १ सुन्दर, मनोहर, अभिराम । का अधिकार।
२ हर्षप्रद, प्रानन्ददायक । ३ श्वेत, सफेद । ४ कृष्ण, राणीमगाभट-पु. केवल रानियों की नामावली लिखने वाले
श्याम । -कचेड़ी-स्त्री० ईश्वर का न्यायालय । -जन-पु. भाट, भाटों की एक शाखा ।
ईश्वर के भक्त, साधु, संत ।-जननी-स्त्री० माता राणेराव-पु. महारास्मा।
कौसल्या । -प्रिया-स्त्री. श्री, सीता ।-बांम-स्त्री० श्री, राणेस-पु. राजापों में श्रेष्ठ, राजेश, महाराणा ।
सीता ।- भक्त-पु० हनुमान, बजरंग ।-मीच-पु. हनुमान गणोरांग-पु. प्रमुख व प्रतिष्ठित व्यक्तियों का समूह ।
का एक नामान्तर ।-मंत्र-पु. रा रामाय: नमः' नामक __-वि० समस्त, सब । २ शुरु से अन्त तक।
मंत्र ।- राज, राज्य-पु. श्रीरामचन्द्र का शासन, राज्य । रांणी-पु० [सं० राट्] (स्त्री० रांणी) १ 'राणा' पदवी वाले
श्रीराम के शासन की अवधि । प्रादर्श व सुखदायी शासन । राजवंश का राजा। २ उदयपुर के राजा की उपिधि ।
-लीला-स्त्री. श्रीराम के चरित्र का अभिनय । रामायण ३ उदयपुर का राजवंश । ४ उदयपुर का राजा, महाराणा । संबंधी नाटक या खेल । ईश्वर की माया, लीला । ५ राजा, नृप । ६ रावण, दशानन । ७ नक्कारची, ढोली।
-सखा-पु० सुग्रीव । राणोरण-देखो 'रांगोरांण' ।
रामग्रजीर-पु. पाकर वृक्ष । रांती-वि० पतला-दुबला, क्षीण-काय, कुशतन ।
रामभजवाण-पु० प्रजवाण की गंध वाला एक पौधा विशेष । रांधण-पु०१ पकाने की क्रिया या विधि । २ पकाने का सामान।
रांमइयो (यो)-पु० १ रुणिचा का रामदेव पीर । २ देखो 'राम'। ३ पका हुमा खाना। ४ देखो 'रंधीण' ।
रामकळी-स्त्री० भैरव राग की स्त्री एक रागिनी । राधरणछठ-स्त्री० भादव शुक्ला षष्ठी ।
रामकी-स्त्री. किसी साधु की शिष्या । राधरणा-सीधणां-पु० भोजन सामग्री, भोज्य पदार्थ।
रोमकेळी-पु. १ एक प्रकार का केला । २ पाम की एक जाति । रांधणी (बो)-कि० [सं० रंधन] १ खिचड़ी, चावल मादि
रांमधोत्र-पु. दक्षिण का एक प्राचीन तीर्थ । पकाना । २ खाना पकाना। ३ कष्ट देना, तंग करना । | रामखंड-पु. एक तीर्थ विशेष ।
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रामगंगा
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( ४६८ )
रामजयंती स्त्री० [सं० रामनन्त्री) रामनवमी । रामजां पु० एक प्रकार का जामुन । रावजी - देखो 'राम' ।
रामगंगा - स्त्री० कन्नौज की एक नदी ।
रामतीरथ पु० [सं० रामतीर्थं ] रामगिरि नामक तीर्थं ।
गिरि पु० १ नागपुर के पास का एक पहाड़ । २ एक राग रामतोह (रू) - स्त्री० भिंडी नामक फलो जिसकी सब्जी विशेष | बनती है। रामगीता [१०] १ एक मात्रिक छन्द विशेष २ वेदान्त का रामवळ १० [सं० रामदन] १ श्रीराम की वानर सेना स्त्री० । पु० २ कोई विशाल सेना ।
।
एक ग्रंथ ।
रांमड़ो-देखो 'राम'
रामदवाई देखो 'रामदुधाई" ।
रामचंग, रामचंगा, रामचंगी (य) - स्त्री० १ एक प्रकार की रामदवारी- पु० [सं० राम द्वारा ] रामस्नेहो साधुत्रों का निवास बन्दूक । २ एक प्रकार की तोप ।
स्थान, मकान या श्राश्रम ।
रामचंद, रामचंद्र रविचंद्र स० [सं० रामचन्द्र
सूर्यवंशीय
रामदास पु० [सं० रामदास ] चीराम भक्त हनुमान । २ शिवाजी के गुरु समर्थ गुरु रामदास । ३ रामस्नेही सम्प्रदाय ( खेड़ापा) के प्रसिद्ध महात्मा ।
राजा दशरथ के बड़े पुत्र २ ईश्वर परमात्मा । विचरण ० शाहपुरा के रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामचरितमानस ० गोवामी तुलसीदास द्वारा रचित रामायण रामचिड़ी स्त्री० एक प्रकार का जल पक्षी ।
(मी) स्वी० १ हिन्दू वेश्या रंडी २ बहू स्त्री रामदुवारी देखो 'मागे'।
जिसके पति का पता न हो।
स्त्री० बीर बहूटी।
रामजोत, रामजोती- स्त्री० [सं० रामज्योति ] १ ब्रह्म की ज्योति, प्रकाश । २ मोक्ष, मुक्ति ।
मिझारी, रांमझारो- पु० लंबी टूटी का एक जल-पात्र विशेष । रामटेक, रामटेकरी-देखो 'रामगिरि' |
रांमरण - देखो 'रावण' ।
रांमरणखंड, रांम खंडौ- देखो 'रावणखंडी' ।
रामदेखी 'ब'
-
मरगांजी पु० एक प्रकार का भाला, शेल 1 रामरि (रिपु ) - देखो 'रावणरिपु' ।
महत्या (हथियौ, हथो ) - पु० [सं० रवण- हस्तं ] एक प्रकार
का तार वाद्य
रामसारि देखो 'संवरणार'।
रामसी (बी) देखो 'रमो' (बो)।
रांगत स्त्री० [सं०] रम्यति] १ कोडा खेल २ मनोविनोद
रामदुधाई, रामबाई (दुहाई) स्वी० १ राम या ईश्वर की शपथ, सौगध । २ राम-नाम की दुहाई ।
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रामदूत-पु० [सं० रामदूत] हनुमान बजरंग । रामदे, (ई) देखो 'रामदेव'
रामदेरी-देखी शंमदेवरों' ।
रामदेव पु० । पश्चिमी राजस्थान ( पोकरक्षा क्षेत्र) के बर क्षत्रीय वंशीय सिद्ध पुरुष जो पीर माने जाते हैं। रामदेव २ उक्त पुरुष को प्रशस्ति में गाया जाने वाला एक लोक गीत। ३ इस सिद्ध के नाम का सम्प्रदाय विशेष । ४ श्रीरामचन्द्र ।
रामपुरीकसी
रामदेवरी रामबे बरौ - ९०१ रामदेव सिद्ध की समाधि पर बना मंदिर, देवालय । समाधिस्थल २ रुणेचा गांव का नाम । रामद्वारी देखो 'रामदकारी' |
रोमनांनी स्त्री० १ रामनाम अंकित
1
२ गले का स्वर्णद्वार विशेष प्रौजार विशेष ।
रांमधरम ( धम) - पु० १ ईश्वर को साक्षी बनाने की क्रिया, अवस्था या भाव। २ मर्यादा में रहने की दशा ३ ईमान रामधाम पु० १ साकेतधाम, प्रयोध्या २ वैकुण्ठ । मनम (नमी, नवमी)त्री० [सं० राम नवमी] चैत्र शुक्ला नवमी तिथि पर्व दिन ।
1
रामनौमी, रामनामी, - देखो 'रामनवमी' | रामपच-पु० मोक्ष, मुक्ति ।
३ हसी, मजाक, ठिठोली ४ अभिनय, नाटक । ५ तमाशा खेल । ३ परिभ्रमण, देशाटन । ७ नौटंकी का खेल । ८ द्यूतक्रीड़ा, खेल ·
रामतरुणी स्त्री० [सं०] १ श्रीराम को पत्नी, सीता । २ सफेद रांमपुर- पु० १ प्रयोध्या नगरी २ स्वर्ग, वैकुण्ठ ।
गुलाब, सेवती।
वस्त्र, दुपट्टा या चादर ।
प्राभूषणों की सुदाई का
रामपयोध (धि ) - पु० [सं० रामपयोधि ] राम के यश का समुद्र ।
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रामपुरा स्त्री० एक प्रकार की तलवार ।
रामपुरी स्त्री० [१] प्रयोध्या नगरी २ स्वर्गलोक, वैकुण्ठ । ३ एक प्रकार की तलवार ।
मतारक- पु० [सं० रामतारक ] 'रां रामाय नमः' मंत्र | रांमति (ती) - देखो 'रांमत' । रामतियो - पु० १ खेलने का उपकरण, खिलोना । २ योनि, रामपुरीकत्ती स्त्रो० उक्त तलवार के प्राकार की एक कसी
विशेष |
भग ।
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रांमफळ
( ४६६ )
रविणगढ
रामफळ-पु० सीताफल, सरीफा ।
पत्नी, स्त्री। ८ सती-साध्वी स्त्री। ९ निपुण गायिका, स्त्री। रामफळी-स्त्री० ग्वार की सूखी फली।
१० नदी । ११ कात्तिक कृष्णा एकादशी । १२ मार्या छन्द रामबांस-पु. १ केवड़े की जाति का एक पौधा । २ एक प्रकार का एक भेव। का बांस ।
रांमाइण-देखो 'रामायण'। रांमभोग-पु० १ एक प्रकार का चावल । २ एक प्रकार का रांमातुळसी-स्त्री० तुलसी की एक जाति ।
पाम । ३ राम के भागे चढाया जाने वाला नैवेद्य । रांमादेवी-स्त्री० एक देवी विशेष । रांममन-पु० [सं० राममन] हनुमान ।
रांमानद-पु० १ रामावत सम्प्रदाय के प्रवर्तक एक प्रसिद्ध रांमयो-पु. १ काव्य छन्द का एक भेद विशेष । २ देखो 'राम'। वैष्णवी प्राचार्य । २ इस प्राचार्य का सम्प्रदाय । ३ देखो 'रामइयो।
| रांमानदी-पु० 'रामानंद' सम्प्रदाय का अनुयायी ।-विरामानंद रामरक्षा-स्त्री० [सं० रामरक्षा] श्रीराम का एक स्तोत्र।।
का, रामानन्द संबंधी। रांमरज-स्त्री०बैष्णव लोगों के तिलक लगाने की पीली मिट्टी | रामानुज-० [सं० राम-पनुज] १ श्रीराम के लघु भ्राता, विशेष ।
लक्ष्मण । भरत, शत्रुध्न । २ वैष्णवी सम्प्रदाय के एक रांमरमी-स्त्री० परस्पर रामा-सामा, मभिवादन ।
प्रसिद्ध प्राचार्य । ३ इस प्राचार्य का सम्प्रदाय । रांमरस-पृ० १ राम की भक्ति का प्रानन्द । राम की भक्ति माती-प. 'मानज' मम्प्रदाय का प्रनयायी । -वि. रूपी प्रमत । २ नमक।
'रामानुज' का, 'रामानुज' संबंधी। रांमरांम-पु० १ 'राम'मंत्र का जाप । २ राम शब्द से किया रामाभ्रत-पु० ईश्वर। जाने वाला अभिवादन ।
रामायण-स्त्री० [सं० रामायण] १ 'राम' के अवतार व जीवन रांमलवण-पु० सांभर का नमक ।
चरित्र संबधी, वाल्मोकि ऋषि द्वारा रचित प्रसिद्ध धार्मिक रामलाल-पु. एक लोक गीत ।
ग्रंथ । २ जोवन-गाथा। ३ व्यर्थ का प्रवचन । रामलि-देखो 'रामत'।
रामायणी-वि० १ रामायण का, रामायण संबंधी । २ रामायण रामलीला-स्त्री० १ एक मात्रिक छंद विशेष । २ राम के चरित्र |
का प्रध्ययन व उसकीव्याख्या, प्रवचन मादि करने वाला। पर किया जाने वाला नाटक ।
रांमावत-पु. एक वैष्णवीसम्प्रदाय इस संप्रदाय का अनुयायी । रामवाडी-पु० पश्चिमी भारत का एक तीर्थ ।
रांमा-सामा-पु. १ 'राम-राम' कहकर किया जाने वाला अभिरांमसगी-पु० १ राम के सखा । २ देखो 'रामचंगी'।
वादन । २ दीपावली या होली के दूसरे दिन किया जाने रांमसनेह-पु० [सं० रामस्नेही] राम से प्रीति, राम की भक्ति ।
वाला मिलना-भेंटना। रामसनेही-पु० [स. रामस्नेही] १ राजस्थान का एक प्रसिद्ध
रांमूडो-१ देखो 'राम'। ५ देखो 'गंमदेव'। निगुणो माधु सम्प्रदाय जिसके सिंहस्थल, खेड़ापा, रेण,
रामेस्वर-पु० [सं० रामेश्वर] १ राम के इष्ट शिव । २ दक्षिण शाहपुरा प्रादि प्रमुख केन्द्र हैं । २ उक्त सम्प्रदाय का अनु- |
____ में समुद्र तट पर राम द्वारा स्थापित शिव लिंग, जो प्रमुख यायी व साधु ।
तीर्थ माना जाता है। रांमसरण-पु० [सं० रामशरण] १ मोक्ष, मुक्ति । २ देहान्त, | रामो-१ देखो 'राम' । २ देखो 'रामदेव' । स्वर्गवास । -वि० स्वर्गवासी, मत ।
रांमोपीर-देखो 'रांमदेव' । रामसरी-त्रिी० एक प्रकार की चिड़िया।
रायकवरी-देखो 'राजकुमारी' । रांमसाख-पु० एक फल विशेष ।
रायण, रांपन-स्त्री० १ एक बड़ा वृक्षविशेष । २ इस वृक्ष का रांमसागर-पु. १ लबी टूटी का बड़ा जल-पात्र । २ तरल
पदार्थ परोसने का एक पात्र विशेष । ३ रामपयोधि। । रांवटी-देखो 'रावटो'। रामसापीर-पु० रामदेव ।
रावण-पु० [सं० रावण । पुलस्त्य ऋषि का पौत्र व विधवा रामसिला-पु० [स. रामशिला गया की एक पहाड़ी।
ऋषि का पुत्र प्रसिद्ध राक्षस राजा, दशानन। २ प्रोष्ठ, रांमसेतु-पु० [सं रामसेतु] लंका पर चढाई के समय श्रीराम प्रधर।-वि० १ दूसरों को रुलाने वाला। २ रोनेद्वारा बनाया गया सेतु।
चिल्लाने वाला। रामा-स्त्री० [सं० रामा] १ लक्ष्मी । २ स्क्मणी ।। सीता । संवरणखंड (खौ)-वि० जिसका प्रोष्ठ खंडित हो।
४ राधा । ५ सुन्दर स्त्री। ६ प्रेमिका, प्रेयसी । ७ भार्या, | रांवरणगढ़-पु. रावण की लंका।
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रांवरणपरण
। ४७० )
राक्षस
रोवरणपण (पो)-पु० दुराग्रह, हठ, जिद्द ।
राईतो-देखो 'रायतो। रावणरन-देखो 'रहरण'।
राईवर-देखो 'रायवर'। रावरिप (रिपु)-पु. [सं० रावण-रिपु] १ बोरामचन्द्र । राईबोर-पु० झड़बेरी के फल, छोटेहर। २ ईश्वर, परमात्मा ।
राई भोजण (भोयण)-पु. रात्रि भोजन । संवरणहयो-देखो 'रांमणहयो' ।
राईया-देखो 'राजा'। रोषणारि (री)-पु० [सं० रावण-परि] १ श्रीरामचन्द्र । राईलण-पृ० राई वलण का मिश्रण जो मंगल कामना के लिये २ ईश्वर, परमात्मा।
किसी के ऊपर से वारा जाता है। रांसीलो-वि० (स्त्री० रोसीली) १ रसपूर्ण, रसीला । २ रसिक
राईवर-देखो ‘रायवर'। रसिया। रा-वि०भ० १ षष्ठी विभक्ति चिह्न, के । २ देखो 'रे'। २ देखो
राईवाई-स्त्री० १ व्यवस्था, इतजाम ।-पु० २ कृषि कार्य में
अभ्यस्त बल । -वि. सीमा-सादा, सरल । 'राउ'। रा-देखो 'रास', 'राय', 'राह'।
राईसर-पु० राजेश्वर । राप्रठोड़-देखो "राठौड़'।
राउ-पु० [सं० राजा] राज, नप, राव । राई-देखो 'राई'।
राउत-देखो 'रावत'। राइंदिन (दिव)-देखो 'राइदिन' ।
राउतजाई, राउतधो-स्त्री. १ बीरांगना । २ राजकुमारी, रा-पु० [सं० राजा] १ राजा नृप । २ छोटा राजा, सामंत ।
राउतवट-देखो 'रावतवट' ।
राउति-१ देखो 'रावत' । २ देखो रावतो' । -स्त्री० [सं० राजिः] ३ पक्ति, कतार । ४ रात्रि, रात ।
राउत्त-देखो 'रावत'। -वि० श्रेष्ठ, उत्तम ।-अंगण, भांगण-पु० राजमहल,
राउळ (ल, ळो)-१ देखो 'रावळ' । २ देखो 'रावळो' । राजमहल का प्रांगन ।-कंवर, कुंपर, कुंबर-पु. राजा का पुत्र, राजकुमार ।-कंवरिपरि, कुवरि-पु० राजा
राउळी (लो)-देखो 'रावळी' ।
राऊ, राए-देखो 'राउ' । की पुत्री, राजकुमारी ।-जादी-स्त्री० दुल्हिन, राजा की
राकस-देखो 'राक्षस'। पुत्री। -मादी-पु० दुल्हा, राजकुमार ।-बिन, विवक्रि०वि० रात-दिन ।-धी, पुत्री-स्त्री० रामकुमारी।
राकसराय-पु० [सं० राक्षस-राजा रावण, दमानन । राइजी-देखो 'रायजी'।
राकसरोळण-पु० विष्णु, श्रीराम, श्रीकृष्ण। राठौड़-देखो 'राठौड़'।
राकसबाणी (वारणी)-स्त्री. पिशाची भाषा। राइण (रिण, णी)-देखो 'रायण' ।
राकसांभयंकर-पु. ईश्वर, विष्णु, श्रीराम, श्रीकृष्ण । राइबेल (लि. ली), राइवेल (लि, ली)-देखो 'रायल'। राकसि, राकसी, राकस्सी-देखो 'राक्षसी'। राहार - देखों 'रायहर' ।
राका, राका-स्त्री० [सं० राका] १ पूणिमा की रात्रि । राई-स्त्री० [सं० राजिका] १ सरसों की जाति का एक पदार्थ २ पूर्णिमा की तिथि । पर्व दिन । ३ पूर्णिमा की अधिष्ठात्री
जिसका दाना छोटा व काला तथा स्वाद चरपरा होता देवी। ४ रात, रात्रि । ५ प्रथम वार को रजस्वला युवती। है। २ एक प्रकार का शाक । ३ प्रत्यन्त थोड़ी मात्रा । ६ खुजली रोग । ७ सूर्पनखा की माता ।-पत, पति-पु. ४ एक लोक गीत विशेष । [सं० राधिका] ५ राधा। चन्द्रमा। ६ देखो 'राई'।
राकेस (सि)-पु० [सं० राकेश] १ पूर्णिमा का चन्द्रमा । राईमा-देखो 'राजा'।
२ चन्द्रमा । ३ श्रीकृष्ण । राईक-वि. १ अत्यन्त लघु. तुच्छ । २ राई के बराबर ।
राक्षस-पु० [सं०] (स्त्रो० राक्षसी) १ एक प्राचीन जाति जो राईका-स्त्री० भेड़-बकरी व ऊंटों का पालन तथा व्यवसाय
मनुष्यों व देवतामों की शत्रु रही थी। २ इस जाति का करने वाली एक जाति । ।
प्रारणी । ३ प्रत्यन्त क्रूर व दुष्ट व्यक्ति । ४ माठ प्रकार के राईको-पु० उक्त जाति का व्यक्ति।
विवाहों में से एक । ५ साठ संवत्सरों में से उन्चासवां राईगूदी-स्त्री० एक वृक्ष विशेष व इसके फल ।
संवत्सर । ६ वार व नक्षत्रों का एक योग । ७ वैद्यक में राणि-देखो 'रायण'।
एक रस । ८ एक देव जाति ।-पुर, पुरि, पुरी-त्री० राईतन-पु० [सं० राजा-तनय] राजबंश्च ।
राक्षसों का नगर, लंका।
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राक्षसकेबी
रागरण
राक्षसकेदी-पु. राक्षसों को कैद करने वाला, इंद्र।
या वर्ण का । श्याम । -पु. एक प्रकार का घोड़ा। राक्षसो-वि० १ राक्षस का, राक्षस संबंधी । २ राक्षसों के | राखस-देखो 'राक्षस'।-पुरि, पुरी= राक्षसपुरी'।
अनुरूप, प्रमानुषिक ।-स्त्री०१ राक्षस जाति की स्त्री। राखसि, राखसो-देखो 'राक्षसी' । २ कर या दुष्ट स्त्री।
राखसु-देखो 'राक्षस'। राक्षा-स्त्री० [सं० लाक्षा] लाख, लाह, जतु ।
राखी(पूनम)-स्त्री०१ श्रावण शुक्ला पूर्णिमा की तिथि जो रक्षा राक्षिसी-देखो 'राक्षसी'।
बंधन का पर्व दिन होता है । २ इस दिन बांधा जाने वाला राखंद, राखदौ-वि० रक्षण ।
मंगल सूत्र जो बहने भाइयों के तथा ब्राह्मण मादि यजमानों राख-स्त्री०१ पूर्ण जल जाने वाले पदार्थ का रहने वाला मिट्टी-| के हाथ के बांधते हैं । ३ गंडा-ताबीज ।
नुमा अंश, भस्म । २ धूल, खाख । ३ भूमि । -क्रि० वि० | राखीबध (बंधण, बंधन)-पु. [स. रक्षाबंधन] मंगलसूत्र, नहीं सो, ऐसा न हो।
रक्षा बंधन। राखाउडियो-वि० निर्लज्ज, बेशर्म । -स्त्री. एक गाली। राखीबंधमाई-पु० जिसको राखी बांध कर भाई बनाया गया हो। राखडी-स्त्री० [सं० राक्षिका] १ स्त्रियों के गिर का स्वर्णा- राखेड़ियो, राखोड़ियो, राखोड़ो-पु. १ राख का ढेर, राख ।
भूषण। २ शीशफूल। ३ रक्षा-सूत्र, गंडा, ताबीज । २ देखो 'रखड़ियो' । ४ ऊंट की गर्दन व बैलों के सींगों में बांधा जाने वाला राखो-प. रोग निवारणार्थ गर्म लोहे का किया जाने डोरा विशेष । ५ देखो राखी'।
- वाला दाग। राखडीडोरी (डोरो)-देखो 'राखी'।
रागंगी-वि० गायक, गवैया । राखडा-पु. १ शिरोभूषण, चूडामणि । २ देखो 'राख' ।
राग (गु)-पु० [सं०] १अनुराग, प्रेम, स्नेह। २ ममत्व, ममता, राखडी-देखो 'राखड़ी'।
मोह । ३ लगाव, संबंध । ४ भाकर्षण । ५ श्रद्धा, भक्ति, राखण-वि० रखने वाला, रक्षा करने वाला ।-स्त्री० रखने प्रास्था, विश्वास । ६ मैथुन की भावना । ७ इच्छा, को क्रिया या भाव।
अभिलाषा, कामना । ८ राग-रंग । ९ मन की सुखद अनुराखणभगत-पु. ईश्वर, विष्णु।
भूति । १० सुन्दरता, खूब सूरती। ११ पाभा, कांति, राखणीप्राण-पु० कवच, जाली।
शोभा। १२ हर्ष, खुशी, मानन्द । १३ मनोरंजन । राखणौ-वि० (स्त्री० राखणी) रखने वाला, रक्षा करने वाला। १४चुटकी, व्यंग । १५ भाव, प्राशय । १६ खेद, शोक । राखणौ (बी)-क्रि० [सं० रक्षरणं] १ किसी माधार पर किसी १७ ईष्या, द्वेष । १८ क्लेश, पीड़ा । १९ क्रोध, गुस्सा ।
वस्तु को टिकाना, धरना । २ रक्षा करना, बचाना, २० स्वर या ध्वनि की विशेष संरचना (संगीत) । उबारना । ३ पालन-पोषण करना । ४ अपने अधिकार, २१ सगीत की कोई राग-रागिनी । २२ वाद्य की धुन, कब्जे या देख-रेख में करना, रखना। ५ सुपूर्द करना, तान, लय । २३ मावाज, स्वर, ध्वनि । २४ मारमा की सौंपना । ६ एकत्र या संग्रहीत करना । ७ नियुक्त या तैनात मूर्छा अवस्था । २५ रंग । २६ लाल रंग । २७ ललाई, करना, काम पर लगाना । ८ रोकना प्रबरोध करना, लालिमा। २८ हाथ का कवच । २९ छोटा हरिण । वजन करना । ९ ठहराना, गतिरोध करना । १० माश्रय ३० घोड़ा । ३१ राजा । ३२ सूर्य। ३३ चन्द्रमा। २४ पैर देना, संरक्षण देना । ११ मावास कराना, बसाना । मरने में लगने वाला मलता। ३५ एक वर्ण वृत्त विशेष । पास रखना । १२ धारण करना, मानना, वहन करना, ३६ कवच । ३७ रान । -स्त्री० ३८ छ: की संख्या । स्वीकार करना । १३ चोट करना । १४ मारोपित करना, -वि० छः। मढना, थोपना, लादना। १५ रेहन या गिरवी रखना। रागकर-पू० एक प्रकार का रत्न । १६ सामने लाना, मागे रखना, प्रस्तुत करना । १७ पारि- रागड, रागड़ियो, रागड़ी-पु. १ मैसा । २ बड़ी उम्र का काला वारिक या सामाजिक संबंध बनाना, मेल-जोल करना। हरिण। १८ रखवाली करना, चौकसी करना । १६ प्रवलंबित | रागजांगड़ी-पु. वीररस पूर्ण राग । सिंधुराग । करना,माधारित करना । २० निभाना, पालन करना।रागजोगिया-स्त्री० एक राग विशेष ।
२१ कुछ तैयार करना । २२ करना । २३ रखना । रागण (रिण, रणी)-स्त्री० [सं० रागिणी] १ किसी राम की राखदुपी-पु. १ चीता, तेंदुप्रा । २ रखने का ढंग ।
स्त्रो, रागिनी । २ कोई राग । ३ चतुर स्त्री। ४ मेना की राणवरण (बरणी)-वि० (स्त्री० राखवरणी) राख जैसे रंग | बड़ी कन्या । ५ जयश्री नामक लक्ष्मी । ६ स्वेच्छाचारिणी
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रागरसो
( ४७२ )
राजसी
व छिनाल स्त्री । ७ छत्तीस की संख्या । -वि०१ प्रेम से | राघवेंद्र-पु० [सं०] रघवंशियों में इद्र, श्रीरामचन्द्र । मनुरक्त । २ छत्तीस।
राघवेस-पु० [सं० राघवेश] श्रीरामचन्द्र । रागणी (बो)-क्रि. १ कोई राग गाना, बलापना, साधना । | राघवो, राघव, राघो-देखो 'राघव' ।
२ अनुराग या प्रेम करना । ३ अनुरक्त होना । ४ लीन | राइ-स्त्री० [सं० रारि] १ युद्ध, झगड़ा, समर । २ कलह, या लिप्त होना।
गृह-कलह । ३ तकरार, हुज्जत । ४ दिक्कत, समस्या, रागवोख (रीसस)-पु० [सं० राग-द्वेष] १ प्रेम-ईया | रगड़ा । ५ दगर । ६ शाप, बदुप्रा।
प्रादि भाव, राग-द्वेष । २ छल, कपट, पक्ष-पात । राड़क-पु. योद्धा, वीर । -वि० कलह-प्रिय, झगड़ालू । रागनि-स्त्री०१ जांध, जंघा, रान । २ देखो 'रागरण'। रागारौ-देखो 'राड़ीगारी' (स्त्री० राडीगारी)। रागमाळा-स्त्री० १ समान रूप वाली विभिन्न रागों की शुखला। राडपंभ-पु. योद्धा, वीर।
२ रामों के देवमय स्वरूप का काव्यात्मक बशन एवं राधड़ा, राइधरा-स्त्री० बाडमेर जिलान्तर्गत एक क्षेत्र, जहां चित्रांकन।
के घोड़े उत्तम माने जाते थे। रागरग-. १ मानन्द, उत्साह प्रसन्नता । २ उत्सव, समारोह। राजधरी-वि. 'राडधरा' की, राइधरा संबंधी।
३ पामोद-प्रमोद, क्रीड़ा। ४ नृत्य-गायन । ५ हास-विलास, | राडाजीत, राडाजीत, राडाजीती-वि० (स्त्री० राहांजीतणी, मौज मस्ती। ६ प्रेम, प्रोति । ७ रति कोड़ा।
राडाजीती)वीर योद्धा, युद्ध में सफल रहने वाला। रागरज्जु-पु. कामदेव ।
राहि-१ देखो 'राड़' । २ देखो 'राड़ी'। रागरस-देखो 'रागरग'।
राड़िगार, राडिगारी-देखो 'राडीगारौ'। रागलता-स्त्री० कामदेव की स्त्री रति ।
राडी-वि० १ लड़ाई करने वाला, झगड़ने वाला । २ जबरदस्त रागळी-देखो 'राग'।
जोरदार । ३ योद्धा, वीर । ४ देखो 'राई'।-गार,गारी-वि. रागलो-वि० (स्त्री० रागली) राग-द्वेष वाला।
योद्धा, वीर । कलहप्रिय, झगड़ालू । रागवाळी-पु. वीररस पूर्ण राग, सिंधुराग।
| राडो-देखो 'राई। रागारळ. रागारळी-स्त्री० पामोद-प्रमोद, हंसी-खुशी से होने
रावणी-वि०१ जिसका रंग गहरा व अच्छा जमता हो, रंजित वाली तृप्ति ।
होने वाली । २ शोभा देने वाली, शोभित होने वाली। रागाउर, रागातुर-वि० [सं० राग-प्रातुर] प्रेम, मोह मादि के
३ अनुरजित होने वाली। -स्त्री० मेहंदी। लिये प्रातुर। व्याकुल ।
राधरणी-वि० (स्त्रो. राचरणी) रजित होने वाला शोभा रागि-देखो 'रागी'।
देने वाला। रागिरणी, रागिनी-देखो 'रामणी'।
रावणो (बो)-क्रि० [सं० रक्तिति] १ किसी वस्तु पर कोई रंग रागी-वि० [सं० रागिन् (स्त्री० रागणी, रागिणी) १ राग
मच्छा बैठना, जमना, खिलना । २ मेहंदी का रंग जमना, से युक्त रागमय । २ मोह-माया में फंसा हुपा । ३ ईर्ष्यालु
गहरा बैठना । ३ रंजित होना, रंगा जाना ।। अनुरक्त या द्वेष करने वाला । ४ अनुरक्त, मासक्त, मोहित। ५ विषयो,
प्रासक्त होना, प्रेम में फंसना। ५ लीन, मग्न या मस्त कामी, वासना में लीन । ६ प्रेमी, अनुरागी। ७ प्रेम-पूर्ण,
होना । ६ लिप्त होना उलझना, फसना । ७ प्रभावित प्रीति युक्त। ८ लाल रंग का, लाल। ९ रंगा हमा, रंजित ।
होना। ८ शोभित होना, फबना । ६ प्रसन्न या खुश -पु.१ अशोक वृक्ष । २ मंडवा या मकरा नामक कदन्न।
होना। १० फैलना, छा जाना। ३ छः मात्रा का एक छन्द । ४ भाभूषणों पर खुदाई करने का भौजार विशेष ।
राघोड़ी-स्त्री. १ बढई की प्रौजार रखने की पेटी, संदूक ।
२ देखो 'रछांनी'। रागु-देखो 'राग'। राघव-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर । २ विष्णु का एक |
राष-पु० [सं० रम] १ प्रोजार, उपकरण । २ अस्त्र-शस्त्र । नामान्तर । ३ दशरथ सुत श्रीरामचन्द्र । ४ रघु का
राछांनी, राछोडी-१ देखो 'रछांनी' । २ देखो 'राचोड़ी'। वंशधर । ५ मज । ६ एक प्रकार की बड़ी मछली।
राछपीछ, राछापूजी-स्त्रो०१अौजार या उपकरणों का समूह । राधवराई-पु. [सं० राघवराजा] १ श्रीरामचन्द्र ।२ ईश्वर ।
२ घर गृहस्थी का सामान । राघवानंदी-स्त्री० एक वैष्णवी सम्प्रदाय।।
राजद राजा-देखो 'राजेंद्र'। राधवि (बी)-देखो 'राधव' ।
राजसी-वि० [सं० राज-वंशी] राजा के वंश या बान-दान का ।
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राज
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( ४७३ )
1
राज पू० [सं० राज्य] १ राजा का शासन । २ किसी राजा के शासन का देश, राज्य, जनपद । ३ सत्ता ४ सरकार, प्रशासन करने वाली संस्था । ५ सामर्थ्य अधिकार । ६ शासन काल राज्य काल ७ एक रोग । ८ प्रभाव, नियंत्रण [सं० राज्, राजन् ] ६ राजा, नृप। १० प्रियतम पति । ११ स्वामी, मालिक । १२ प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिये श्रादरयुक्त संबोधन । १३ राजा द्वारा मनोनीत व्यक्तियों की उपाधि सूचक शब्द । १४ धर्मराज १५ कवि १६ मिस्त्री, शिल्पी | १७ दीपक बुझने की प्रवस्था । १८ अंश १९ गीत की लय [फा० राज] २० गुप्त बात भेद, रहस्य । सर्व० श्राप, श्रीमान । वि० १ प्रिय, प्यारा । २ प्रमुख, मुख्य - अंग- पु० मंत्री - इव= 'राजेंद्र' । - कथा - स्त्री० राजानों की कथा, तवारीख । राजनीतिक चर्चा – कन्या स्त्री० राजा की पुत्री । राजकुमारी । — कमला - स्त्री० राज्यलक्ष्मी । कर- पु० राज्य का कर । करता-वि० राज्य करने वाला। राजा ।
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-काज पु० राज्य या शासन संबंधी कार्य । —कार-पु० राज्य कर्मचारी कारिज १० राज्य संबंधी कार्य । - फिरिया स्त्री० राजनीति । कुपर, कुंबर-५० राज कुमार-कुरि, कुंकुधारी कुंवार, कुवारि कुंवारी कुपारि, कुमारी स्त्री० 'राज'बारी' - कुमार-१० राजा का पुत्र । कुमारी -स्त्री० राजा की पुत्री - कुळ, कुल-पु० राजा का वंश, राजवंश | राजा का दरबार, न्यायालय । कुळि, कुळी, कुलि, कुली-वि० राजा के वंश का राजा का वज। राजा के परिवार का सदस्य ।—त्रिया स्त्री० राजनीति राज्य का विधान-गद्दी, गादी, गोदी- स्त्री० राज्य सिंहासन । राज्याधिकार। गुर, गुरु-पु० राजा का गुरु । राजपुरोहित । - ग्रह - पु० राजमहल । राजगृह । - ठोड़-स्त्री० राजधानी ।-दंड-पु० राजा या राज्य की ओर से तय किया जाने वाला दड, सजा । राज्य का दण्ड विधान । - - दरबार पु० राजा, मंत्री व सामतों की सभा जिसमें राज्य संचालन के आदेश दिये जाते थे। वह कक्ष या स्थान जहां यह सभा होती थी। राजा की कचहरी, 'राजद्वार' । दुधार, दुबार='
1
-
राजकोलाहल पु० संगीत में एक ताल । राजखग- पु० [सं० खगराज ] गरुड़ । राजगत ( ति सिरी० [सं० राज्य गति]
राजनीति ।
२ राज्य या शासन की प्रणाली विधि। ३ भाग्य की अदृश्य गति ।
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राजी
राजग हैली - वि० प्रीत में बावली !
राजगीर (री) - पु० भवन बनाने वाला शिल्पी । राजघ्रनीका स्त्री० राम बेलि लता ।
राजड़-स्त्री० १ लंगा जाति विशेष । २ देखो 'रराजबाई' | राजचपक, राजचंपी पु० [सं० राजचपक] सुल्ताना चपा, एक
प्रकार का पूष्प ।
राजचील - पु० [सं०] शेष नाग | राजचूड़ामणि- स्त्री० [सं०] संगीत में एक ताल । राजजन पु० एक प्रकार के जामुन ।
राजली (बी)- कि० [सं० राज्] १ बासीन होना, बैठना।
२ शोभित होना, फबना । ३ सुन्दर लगना । ४ चमकना । ५ राज्य या शासन करना । राजत-देखो 'राजित'।
राजतरुणी - स्त्री० [सं०] सफेद गुलाब की लता, बड़ी सेवती । राजतिलक ( तीलक ) - पु० [सं०] १ राजा बनाने के लिये राज्य सिहासन पर बैठा कर किया जाने वाला तिलक, टीका राज्याभिषेक । २ राजा बनाने की विधि । ३ इस अवसर पर होने वाला उत्सव | राजतीमुद्रा - स्त्री० चांदी की मुद्रा, सिक्का । राजलेज-०१ मा या शासन की रक्ति, रौब, प्रभाव । २ राजा जैसा व्यक्तित्व, गुण । ३ राजसी ठाट,
चमक-दमक ।
राजथंभ - पु० [सं० राज्य-स्तंभ] १ राज्य के कार्यों का संचालन करने वाला प्रमुख व्यक्ति, मंत्री । २ राजा, नृप । राजयांग (न) - देखो 'राजस्थान' । राजघाट पु० राजसी ठाट-बाट । राजदुलारी - स्त्री० राजकुमारी । राजदूत - ० [सं०] १ किसी राज्य या राष्ट्र का धन्य राज्य या राष्ट्र में प्रतिनिधित्व करने वाला प्रधिकारी, व्यक्ति । २ राजा का दूत या संदेश वाहक ३ राजाज्ञा प्रसारित करने वाला कर्मचारी या व्यक्ति ।
1
प्रदालत |दवार,
राजकदंब १० [सं०] १ स्वादिष्ट फलों वाला एक कदम्ब राजद्रोही वि० [सं०] १ विद्रोही, बागी २ राज्य विरोधी कार्य
वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष का फल ।
करने वाला ।
राजद्वार (द्वारी ) - पु० [सं०] १ राजमहल या किले का द्वार । २ राज दरबार । ३ कचहरी, न्यायालय । राजद्वारिक, राजद्वारी पु० राज दरबार या राज्य के पदाधिकारी ।
राजद्रोह पु० [सं०] १ राज्य, राजा या शासन के प्रति प्रजा, सेना या व्यक्ति का विरोध, विद्रोह, बगावत । २ राज्य का ग्रहित करने वाला कार्यं ।
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राजधणी - पु० १ राजा नृप । २ राज्य का प्रधिपति ।
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राजधर
( ४७४ )
राजराजेसर
|
पाराध
राजधर-पु. राजा, नृप।
राजपूतांनौ-पु. राजस्थान प्रदेश का प्रारंभिक नाम। राजधरम (म्म)-पु० [सं० राज-धर्म] १ राजा का धर्म, कर्तव्य । राजपूताई, राजपूतो-स्त्री. १ राजपूत होने की अवस्था ग
२ राज्य द्वारा मान्य घोषित धर्म या मत । ३ महाभारत | भाव । २ क्षत्रियत्व । ३ शौर्य, पराक्रम, बहादुरी। का एक विभाग विशेष (अध्याय)।
राजवरण (रिण)-देखो 'राजवण' । राजधानी-स्त्री० [सं०] १ राज्य, राष्ट्र या देश के शासन का
| राजबळ-पु. सत्ता, शासन या राज्य की शक्ति । केन्द्र । २ वह नगर या स्थान जहां यह केन्द्र हो।
राजबाई-स्त्री. चारण कुलोत्पन्न एक देवी विशेष । राजन-पु० [सं०] १ राजा, नृप । २ पति, प्रियतम ।
राजबाड़ी-स्त्री० [सं० राज-वाटिका] किसी राजा का उखान । राजनीत (नीति)-स्त्री० [स० राजनीति] १ राज्य या राष्ट्र का |
राजमंडार-पु० [सं०] १ राज्य का खजाना, कोष । २ खाब शासन चलाने की विधि, नियम मादि । २ कूटनीति, भेद
सामग्री का कक्ष, भण्डार । नीति । ३ साम, दाम, दंड व भेद, नीतियां । ४ बहत्तर
राजभक्त (भगत)-पु० [सं०] राजा का स्वामी भक्त मनुचर । कलानों में से एक।
राजभक्ति (भगति)-पत्री० [सं०] राजा या राज्य के प्रति स्वामीराजनीतिक-वि० [सं०] १ राजनीति संबंधी। २ राजनीति का
भक्ति । जानकार।
राजभवन-पु० [सं०] १ राजमहल, राज प्रासाद । २ जन्म पत्री राजनील-पु. [सं०] १ मरकत मणि, पन्ना। २ सरदार, सामन्त । में दशवा स्थान। राजन्य-पु० [स०] १ क्षत्रिय । २ सामन्त, सरदार ।
राजभोग-पु० [सं०] १ मंदिरों में मध्याह्न के समय भगवान को राजपंख (पंछ)-पु० [सं० पक्षिराज] गरुड़।
चढ़ाया जाने वाला नैवेद्य, भोग । २ एक प्रकार की मिठाई। राजपंच-पु० [सं० राजपथ] शहर, राज्य या देश का प्रमुख ३ प्रसाद, नैवेद्य । ४ राजा को दिया जाने वाला कृषि राज मार्ग । मामरास्ता।
उपज का अंश। राजपट्ट-पु. १ एक प्रकार का वस्त्र । २ देखो 'राजपाट'। राजमडळ (ल)-पु. [सं०राजमंडल] १ राज्य का घेरा, वृत्त, राजपति-पु० [सं०] १ राजा, सम्राट, नपति । २ राज्य का परिधि । २ किसी राज्य की इकाइयों का समूह । अधिपति, शासक।
राजमंदिर-पु० [सं०] १ राजमहल, राज प्रासाद । २ राज राजपत्नी-स्त्री० [सं०] राजा की पत्नी, रानी, साम्राज्ञी। महलों में बना देव मंदिर । राजपद-पू० स०] १ राजा का पद या अधिकार । २ राजस्व। | राजमग-देखो 'राजमारग'। ३ कम कीमत का हीरा ।
राजमब-पु० [सं०] सत्ता का गर्व या नशा । राजपति-स्त्री० [सं०] १ शासन प्रणाली, विधि । २ गजनीति । राजमराळ (ल)-पु० राज हंस । ३ राजमार्ग, राजपथ।
राजमहल (लि), राजमल-पु० राजा का महल, राज प्रासाद। राजपाट-पु० [सं० राज्य+पट्ट] १ राजसिंहासन, राजगद्दी । | राजमारग (गि गी)-पु० राज्य, नगर या क्षेत्र का मुख्य मार्ग, २ राजा के अधिकार ।
सड़क । पाम रास्ता। राजपात्र-पु० [सं०] एक वर्ग विशेष ।
राजम्रिगांक-पु० [स.] एक रस-प्रौषधि विशेष । राजपाळ (ल)-पु० १ एक राजवंश । २ देखो 'राज्यपाल'। राजयोग-पु. (स०] १ अष्टांग-योग, मूल योग। २ जन्म राजपिड-पु. राजा द्वारा प्रदत्त पिंड, पाहार।
कुण्डली में ग्रहों का योग । राजपुत्र-पु. [सं०] (स्त्रो० राजपुत्री) १ राजा का पुत्र, राज
राजरथ-पु० [सं०] १ राजा का रथ । २ पालकी। कुमार । २ राजपूत, क्षत्रिय । ३ बुध ग्रह ।
राजरमणी-स्त्री० [सं०] १ राजरानी। २ राजमहलों को राजपुत्री-स्त्री० [सं०] १ राजकुमारी। २ क्षत्रिय कन्या।। स्त्रिया। राजपुरस, राजपुरुस-पु० [सं० राज पुरुष] १ गजा के परिवार | राजरसि--देखो 'राजरिसि' ।
या बंश का व्यक्ति। २ अमात्य, मंत्री। ३ राज्य कर्मचागे। राजरांणी -स्त्री० १ राजा की रानी । २ दुर्गा देवी। राजपुस्पी-पु. [सं० राजपुष्पी] वन मल्लिका, जाति पुरुप । राजराज, राजराजा-पु. १ कुबेर का एक नामान्तर । राजपूत-पु० [सं० राज-पुत्र] (स्त्री. राजपूतण, राजपूताणी)। २ राजेश्वर । ३ सम्राट । ४ चन्द्रमा ।
क्षत्रिय वर्ग या जाति । २ इस जाति का व्यक्ति । ३ राजा राजराजाखाखड़ी-स्त्री० बच्चों का एक खेल । का पुत्र । ४ योद्धा, वीर । ५ देखो 'रजपूत'।
राजराजेसर (राजेस्वर)-पु० [सं० राजराजेश्वर] (स्त्री० राज राजपूतारणी-स्त्री.क्षत्रिय जाति की स्त्री।
राजेसरी, राजराजेस्वरी) राजामों में श्रेष्ठ, सम्राट ।
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राजराजेश्वरी
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रावल की पारण कुलोत्पन्न एक देवी विशेष । राजल-स्त्री०
( ४७५ )
राजराजेस्वरी स्त्री० [सं०] पटरानी, महारानी । राजरिख राजरिखि-पु० राजबि ।
राज रिद्धि.
राजरिध स्त्री० [सं० राजऋद्धि] राज्य समृद्धि राज्य लक्ष्मी।
राजरसि राजरिसी० [सं० राजर्षि] १ राजकुल या क्षत्रिय वंश का ऋषि । २ ऋषियों की उपाधि विशेष । राजरीत राजरीति स्त्री० १ शासन की पद्धति, राजनीति । २ राजवंश की परंपरा । ३ शासक वर्ग का प्राचरण । व्यवहार |
राजरोग - पु० [सं०] १ क्षय रोग । २ कोई असाध्य रोग । राजरोगी- वि० उक्त रोग से पीड़ित ।
की
समृद्धि ।
राजलोक (लोग) पु० [सं०] १ राजमहल की स्त्रियों, रानियों का समूह २ मन्तःपुर, रनिवास परिजन, परिग्रह
राजवंस - पु० [सं० राजवंश ] राजा का वंश । राजवट पु० १ हुकूमत, सत्ता, शासन २ क्षत्रित्व, वीरत्व । ३ डिंगल का एक छन्द विशेष । २ रानी३ पत्नी, स्वी प्रियतमा ४ सुन्दर स्त्री । राजवनी-० (स्त्री० राजबनी) १ राजकुमार २ दूल्हा | ३ पति प्रियतम 1
राजवल स्त्री० १ राजकुमारी
1
राजवरग - पु० [सं० राज्यवर्ग] १ राजकुल, राजवंश । २ शासक वर्ग, समुदाय । ३ राज्य के पदाधिकारी वर्ग ४ राज्य का सुख, वैभव ।
राजधरणी वि० [सं० राज्य-व] १ शासक समुदाय का, शासक वर्ग सबंधी । २ राजकुल का, राजवंश का । ३ वंश परम्परानुसार राज्य में नौकरी पाने वाला । राजवाटिका - स्त्री० [सं०] राजा का निजी उद्यान । राजवाह० [सं०] पोड़ा, प्रश्व
राजविद्या - पु० [सं०] राजनीति |
राजविद्रोह - पु० [सं०] शासन का विरोध, विद्रोह बगावत । राजविद्रोही - वि० [सं०] बगी, विद्रोही । राजविहंग ( विहंगी ) - पु० राजहंस ।
राजवी, राजवीय पु० १ राजा नृपति । २ राज पुरुष । ३ राजा का पारिवारिक व्यक्ति ४ राजेश्वर सम्राट ५ राजा का छोटा भाई या छोटा भाई का वंशज ।
राजवेव पु० [सं० राज-वंद्य] राजा या राजघराने के लिये नियुक्त बंध, वैद्यराज
राजव्यास पु० [सं०] राजसंसद स्त्री० [सं०] राजस स्त्री० [सं०] १
दरबार का ज्योतिषी राज्य परिषद्, राज्य सभा । राज्य, हुकूमत मत्ता २ राजधानी
३ शासन-काल, राज्य-काल ४ राजसी वैभव, ठाट-बाट । ५ भोग विलास ६ काम-क्रीड़ा मैथुन ७ राज्य
1
राजसगुण - पु० रजोगुण :.
राजसठाट - पु० राजसी वैभव । राजसत्ता-स्त्री० शासन के अधिकार । राजथान पु० राजस्थान
राजांनी वि० राजस्थानी।
राजलक्षण - पु० बहत्तर कलाओं में से एक ।
राजलक्ष्मी (लक्ष्मी) स्त्री० [सं० राजलक्ष्मी] राज्य का वैभव | राजसधारी - वि० पौषय या वीरस्य वाला।
राजसनगर- पु० राजधानी का नगर ।
I
राजसभा स्त्री० [राजाधों की सभा राज्य परिषद् । राजसमाज - पु० [सं०] नृप मंडली, राजा लोग | शासक वर्ग राजसर- पु० उदयपुर के पास का एक बड़ा तालाब, राजसमंद। राजसरथ पु० [सं० राज सर्प) दो मुंह वाला सर्प । राजबकी वि० १ राजनीति में निपुरा राजा २ मा राज नीतिज्ञ ३ शासन में शक्तिशाली ।
राजसिंहासन (सपासस) १० राजा के बैठने का सिंहासन,
राजगद्दी
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,
८ राजा, नृप। ६ राज्यत्व । १० राज दरबार या सभा । ११ रजोगुण । १२ रजोगुरण संबंधी । १३ प्रवेश, जोश । १४ क्रोध ।
राजांन
राजसिरी स्त्री० [सं० राज्य श्री ] राज्य लक्ष्मी ।
राजसी वि० १ राजाम्रों के योग्य या समान २ राजसी वैभव या शान वाला । ३ रजोगुण की प्रधानता वाला । ४ रजोगुणी वृत्ति वाला।
राजसीसी स्वी० रजोगुणीति।
राजन० [सं० राजसूय यज्ञ] राजसूय यज्ञ । राज
-
राजसूय १० राजाओं द्वारा किया जाने वाला यह विशेष |
राजस्थान पु० [सं०] १ भारत का एक पश्चिमोत्तर प्रदेश या राज्य । राजपूताना । २ राजधानी । ३ राज्य । राजस्थांनी वि० 'राजस्थान' का, राजस्थान संबंधी । पु०१ इस प्रदेश का निवासी । स्त्री० २ इस प्रदेश की भाषा, बोली । राजस्स देखो राजस' ।
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राजस्सी देखो 'राजसी' / 'राजरिसि' ।
राजहंस पु० [सं०] १ बजे सरोवर झीलों, समुद्रों के किनारे रहने वाला प्राय सफेद पंखों वाला पक्षी विशेष । २ एक प्रकार की लता । ३ एक राग विशेष । राजांन-देखो 'राजा' ।
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राजांन सिलांमति
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( ४७६ )
राजनमिति-देखो 'हजुर-सलामत' | राजा - पु० [सं० राजन् ] १ किसी देश, राज्य या जनपद का राज्य करने का अधिकारी शासक, नृप । २ स्वामी, मालिक । ३ क्षत्रिय । ४ युधिष्ठिर का एक नाम। ५ इन्द्र का एक नामान्तर । ६ चन्द्रमा । ७ उल्लू पक्षी । ८ यज्ञ । ९ वीर्य, शुक्र १० पति या प्रियतम का एक प्रियवाची सम्बोधन । ११ ताश का एक पत्ता । १२ रईस, जमोदार या शासक की उपाधि । १३ धनवान या समृद्ध व्यक्ति । १४ जयपुर के राजा की उप पत्नी की संतान को दी जाने बाली पदवी । १५ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ८४ वां ग्रह वि० [१] उदार, दानी २ राजा के समान माना जाने बालापन, पति, पती-पू० राजेश्वर सम्राट । राजाई - स्त्री० १ राजा होने की अवस्था या भाव, राज्यत्व। २ राजा का पद या प्रधिकार। ३ सत्ता, हुकूमत । राजाधिकारी पु० [स०] १ राजा राज्य का अधिकारी २ न्यायाधीश ।
राजाधिराज पु० [४०] १ राजाओं का राजा, सम्राट २ मुगलकालीन एक पदवी ।
राजा
राजापलो पु० [सं० राजस्व १ राजा होने की अवस्था या भाव, राजत्व । २ राजा का पद या अधिकार । राजाराज-०१ चन्द्रमा, शशि २ कुबेर ३ सम्राट, राजेश्वर। राजाला पु० [सं०] एक प्रकार का कह
1
1
राजावटी +त्री० जयपुर राज्यामागं एक क्षेत्र - १० कछवाहा क्षत्रियों की एक शाखा व इस शोखा राजावत स्त्री० का व्यक्ति ।
० [सं० राजा वर्त] एक प्रकार का राजबर्द रामावीत्री० [सं० राजनुभवस] १ राजा के देश की विगत २ राजानों की पंक्ति ।
राजासन पु० [सं०] राजसिहासन
राजिद, राजिंदर राजियो, राजिंद्र, राजिंद्री-देखो 'राजेंद्र' । राजि-१ देखो 'राज', 'राजी' । २ देखो 'राज्य' ।
राजिउ-पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
राजिक- वि० [ श्र० ] पालन-पोषण करने वाला । ईश्वर
परमात्मा ।
राजिकापति- पु० एक प्रकार का रोग ।
राजित वि० [सं०] शोभित, सुशोभित राजिम देखो 'राजा' ।
राजिव देखो 'राजीव', 'राजवी' । राजद, राजेंद्र देखो राजेंद्र' ।
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राजी- वि० [अ०] १ प्रसन्न, खुश । २ उत्साहित, धानन्दित । ३ अनुकूल, धनुग्रहीत, मेहरबान | ४ सहमत, तैयार । ५ संतुष्ट | ६ तुष्टमान। ७ मस्त मग्न ८ निरोग, स्वस्थ । स्त्री० [सं०] १ पंक्ति, कतार । २ रेखा, लकीर । राजीखुसी - वि० [प्र०] प्रसन्न खुश । स्वस्थ । प्राराम में 1 सुखी । स्त्री० प्रसन्नता, खुशी स्वस्थता । सुख, चैन,
राटक
प्राराम ।
राजीड़ो पु० १ पति, प्रियतम । २ राजा, नृप । राजीनामी ०१ विवाद के प्रति दोनों पक्षों में होने वाली संधि
सुलह, सहमति । २ इस संधि का लिखित पत्र, सुलहनामा । राजीपौ-पु० १ खुशी, प्रसन्नता । २ विवाद पर संधि । सुलह । राजधी- देखो 'जियो' ।
राजीव- पु० [सं०] १ नील कमल, कमल । २ हाथी । ३ एक प्रकार का सारस । ४ एक प्रकार का मृग । ५ रैया मछली । - लोचन - पु० कमल के समान नेत्र । ऐसे नेत्रों वाला प्राणी । राहु-देखो 'राज'
राजधर देखो 'राजधर' । राज-देखो 'राजा'
राज्यं देखो 'राज्य' ।
राहुल देखो 'राज'
राजेंद्र - पु० [सं०] १ राजाओं का राजा, राजेश्वर सम्राट ।
२ इन्द्र । ३ प्रिय, प्रियतम । ४ किसी प्रिय व्यक्ति के लिये पादरयुक्त संबोधन ।
राजेस, राजेसर, राजेस्वर, राजेस्वर, राजेसर- पु० [सं० राजेश्वर ] १ राजानों का राजा, सम्राट २ इन्द्र ।
राजोई- देखो 'राजाई ।
राज्यद, राज्य- देखो 'राजेंद्र'
राज्य - पु० [सं०] १ किसी राजा या शासक के प्रधीन रहने वाला क्षेत्र या प्रदेश । २ शासन, हुकूमत । ३ शासन के प्रधिकार। -कळा स्त्री० राज्य करने की विधि, प्रणाली । राजनीति | - काळ - पु० राज्य या शासन की अवधि । -तिलक = राजतिलक' - लक्ष्मी, लिछमी = 'राजलक्ष्मी' ।
|
-व्यवस्था पु० शासन का प्रबंध । ढंग ।
राज्यसभा स्त्री० भारतीय संसद का एक अंग । एक सदन । राज्याभिसेक - पु० राज तिलक ।
राज्यवो, राज्येंद्रौ - देखो 'राजेंद्र' ।
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राजियउ राजियो- पु० [सं० राज्] १ राज्य का स्वामी, राजा
२ राजा के वंश का राजा का वंशज ३ कवि कृपाराम का प्रनुचर ।
राट पु० १ राजा, नृप । २ प्रधान या श्रेष्ठ पुरुष ३ देश, राष्ट्र राज्य ।
ध्वनि ।
राजिल - पु० [सं०] १ सर्पों की एक जाति । २ भयंकर विषैला |राटक- पु० १ शस्त्र प्रहार । २ शस्त्र प्रहार का शब्द,
सर्प
३ युद्ध के नगाड़े की ध्वनि
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रामली
राहणी - स्त्री० वाद्य की ध्वनि । राटपाट - वि० नष्ट-भ्रष्ट ।
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( ४७७ )
राटी-स्त्री० १० साधारण या सामान्य स्त्री ।
टेस्वरीत्री० राठौड़ों की कुल देवी राहु-देखो 'राष्ट्र' |
राठ पु० १ एक भाटी राजपूत वंश वो मुसलमान हो गया। २ इस वंश का व्यक्ति । ३ एक ग्रन्य प्राचीन राजवंश । ४ एक प्रकार का पौधा | [सं० विराट ५ विराट प्रदेश, जहां की गायें प्रसिद्ध है ६ देखो 'विराट'
राठौ पु० रीढ़ की हड्डी ।
राठौड़- पु० [सं० राष्ट्रवर ] १ भारत का एक प्रसिद्ध क्षत्रिय वर्ग एव राजवंश । २ इस वंश का व्यक्ति ।
राठौड़वे (वं ) - पु० [सं० राठौड़ी - वि० राठौड़ों का
राष्ट्रवर पति ] राठौड़ वंश का राजा । राठोड़ों जैसा राठौड़ संबंधी। स्त्री० १. राठोड़ों की हुकूमत । २ राठोड़ों की शासन पद्धति ।
३ जोर-जबरदस्ती । ४ साफा बांधने का एक ढंग ।
रातब, रातंबर- देखो 'रक्तांबर' ।
रातंबरी - वि० [सं०] रक्त-अंबर] रक्त व की, जाल
रातंमर - देखो 'रक्तांबर' ।
राठौर देखो 'राठौड़।
राढ, राढा स्त्री० १ जिद्द हठ । २ शोभा, छबि । राढांमणि (सी) - स्त्री० काच की मरिण । राहाळी- वि० हठीली, हिरोनी लड़ाई, भगवा
२ संकट ।
राहि-देखो 'राइ' ।
रातंक - देखो 'रातंग' |
रातखी-स्त्री० १ चील रूपधारी देवी । २ देखो 'रातंग' । रातंग पु० लोंच का एक मांसाहारी पक्षी २ गिद्ध ।
३ बोल ।
राठउड- देखो 'राठोड़' ।
शठरीठ- स्त्री० १ शस्त्र प्रहार । २ शस्त्र प्रहार की ध्वनि 1 राठवड ( ४ ) - देखो 'राठौड़' ।
राठारीठ, राहारीठो-देखो 'राठीठ' ।
रातली (बी) देखो 'रावण' (बी) ।
राठासल राठासेणी० [सं० राष्ट्र श्येना] राठौड़ों को रातदिन पु० [सं०] रात्रि-दिवं] १ चौबीस घंटे की अवधि राषि
-
-
कुलदेवी ।
व दिवस । २ नित्य व प्रतिदिन ।
राठोड़-देखो 'राठौड़' । राठोड़ी-देखो 'राठोडी' ।
रात स्त्री० [सं०] राशि ] सायंकाल से प्रातः तक का समय, निशा, रजनी । - जगण-पु० रात में जगने की क्रिया या भाव । स्वान, कुत्ता ।-मिल, रतन पु० चन्द्रमा | - राजा पु० उल्लू पक्षी 1- - बास-पु० रात्रि विश्राम ।
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- वासी- वि० रात्रि विश्राम करने वाला। केवल रात में ही रहने वाला। रात्रि विश्राम। —वासी, वाह वाही - पु० रात्रि विश्राम। रातीबाहो ।
रातउ पु०१ एक वस्त्र विशेष २ देखो 'रातो' ।
रातकडाहजं पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
रातड़, रातड़ली - स्त्री० १ ललाई, लालिमा । २ देखो 'रात' । रातड़ामुखी - वि० साल मुख का रक्त मुखी। रातड़ियौ- पु० १एक प्रसुर का नाम । २ गिद्ध । ३ देखो 'रातो' । रातड़ी- देखो 'रात' । रातड़ी-देखो 'रातो' ।
रातजगरण - पु० १ श्वान, कुत्ता । २ रात्रि जागरण । रातडि (डी) - देखो 'रात' ।
रातिय
रातब देखो 'रातिब' ।
रात मुख (मुख) - पु० [सं० रक्त मुख] मुसलमान, यवन । - वि० लाल मुख वाला, रक्त मुखी।
रातरळी - देखो 'रात' ।
रातरांची स्त्री० १ रात को सुगंध देने वाले फूलों का पौधा २ इन फूलों का इत्र ।
रातरी-देखो 'रात्रि' ।
रातरोळी १० रात का धाक्रमण भन्दा
,
रातळ, रातल, तिल्ल - स्त्री० १ मादा गिद्ध,
गिद्धनी ।
२ मादा ऊट ।
.
रातळी- वि० (स्त्री० [रातली ) १ लाल रंग का रक्त वर्ण का । २, क्रोधित० ॐट क्रुद्ध, ऊंट | रातविरात - क्रि० वि० रात के समय, रात में किसी समय । राताखियो वि० [सं०] रक्त-बलि] [स्त्री० राखी, रातांबी) १ प्रारक्त या लाल नेत्रों वाला । २ सिंह, शेर। रातादेई स्वी० माता के लिये प्रयुक्त होने वाला एक विशेषण शब्द |
रातापात स्त्री० [सं० रक्त पत्र] रंगशाल नामक पौधा । रातिदो-देखो 'रातीदी' ।
राति देखो 'रात' ।
शतिवर पु० निशाचर, राक्षस रातिजागर देखो 'राती जागर' |
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शतिन पु० [प्र०] १ घोड़े यादि जानवरों को खिलाने का पौष्टिक पदार्थ २ इस पदार्थ की नियमित दो जाने वाली खुराक ३ मांस। -बंध-पु० 'रातिव' की नियमित खुराक
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रातिवास
रातिवास (सौ) रातिवाहि (बाही) देखो 'रातीवासी'
रातिरिया - वि०
१० लाल, रक्ताभ ।
रातो (धो० [सं० रात्रि-बंध] १ एक प्रकार का नेत्र रोग रात में २ दिखने का रोग ।
रातीवादी स्त्री०] लाल रंग की एक प्रकार की मिट्टी ।
राती चोळ- वि० व० लाल सुर्ख ।
रातीजगा रातीजगी देखो 'रातीबाग।
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राती - वि० [सं० रक्तं ] १ लाल । २ रंगी हुई, रजित । ३ धनुरक्त ग्रासक्त । ४ मस्त, मग्न । ५ क्रोधित, क्रुद्ध ६ देखो 'शत' ।
( ४७८ )
रातीजवार स्त्री० लाल रंग की जवार । ज्वार । रातीजावर पु० [सं० रात्रि जागर: ] कुत्ता, श्वान। राजानी (जुगो, जोगी) पु० [सं० रात्रि जागरण] १ ईम्बर भजन या सत्संग करते हुए रात में जगना। २ मांगलिक प्रवसरों पर रात में देवी-देवताओंों के गीत गाते हुए जगना । रानीवास (बाहौ देखो 'रातोवासी' राती भाजी-स्त्रो० मांस ।
रातली - वि० (स्त्री० रातूली) रक्तवर्ण, लाल । रातेरींगं - वि०
To क्रुद्ध ।
रातोरात देखो 'रातोरात' ।
रालोकोट पु० पोकरण का कोट या गढ
रातोड़ स्त्री० १ ललाई, लालिमा । २ घाव, फोड़े या दर्द वाले स्थान पर पड़ने वाला दाग ।
रातो रंग- देखो 'रातोकोट' ।
रातोबंब - वि० ० गहरा लाल, रक्ताभ
रातोचदल पु० [सं० रचदन] लाल चंदन व रक्त वर्ण लाल ।
रातोमाती - वि० हृष्ट-पुष्ट, तदुरुस्त । मोटा-ताजा । रातोरात क्रि०वि० रात-रात में दिन होने से पहले-पहले राती - वि० [सं० रक्त: ] ( स्त्री० राती) १ रक्त वर्ण, लाल, सुखं । २ रंगा हुआ, रंजित ३ लाल रंग से रंजित । ४ प्रासक्त, अनुरक्त । ५ तल्लीन, मग्न ६ उन्मत्त, मदमस्त । ७ प्रसन्न, खुश ८ उलझा हुआ, फंसा हुआ, संलग्न ।
1
रातोदीह देखो 'रातदिन'
रात्य- देखो 'रात' ।
९ तमतमाया हुआ । १० अत्यधिक गर्म । पु० [सं० रक्त ] खून, रक्त ।
रात्पू- १ देखो 'रातू' । २ देखो 'रात' ।
रात् रात-देखो 'रातोरात' ।
रात्रिज - पु० [सं०] तारा, नक्षत्र ।
रात्रचर, रात्र वर-देखो 'रात्रिचर' |
-
रातीवाद, रातीवास, रालीवासी, रातीबाह (हि. हो) दु० राइ, राध-मास-१० [सं० राध:] १ वंशाख मास का नामान्तर । [सं० रात्रि-वस, रात्रि-वा] १ रात्रि विश्राम, राजिवास
२ ज्येष्ठ मास का नामान्तर ३ ग्राम ४ देखो 'राद' ।
२ रात में किया जाने वाला हमला, धाक्रमण । ३ रात में डाला जाने वाला डाका, लूट-पाट ।
1
रातु रातू वि० १ रात में रात के सम्य । २ देखो 'रातो' । ३ देखो 'रात' ।
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रात्रि-स्त्री० [सं०] १ रात रजनी निमा २ रात को ि ष्ठात्री एक देवी । ३ निराशापूर्ण स्थिति या दशा । ४ जैन मतानुसार एक सप्ताह का समय । —- कार - पु० चन्द्रमा | -चर- पु० निशाचर, राक्षस ।--बळ-पु० राक्षस, प्रसुर ।
राफ
'दारी-देखो 'राहदारी' । रादोड़ी, रादोड़ो-देखो 'राद' ।
मजाद
राव-पु० घाव या फोड़ में होने वाली पीच रावनी - स्त्री० [सं०] हादनी ] १ बिजलो, विद्यत । २ वज्र । शबरी-देखो 'राद' ।
।
राधा, राधाई - स्त्री० [सं०] १ श्रीकृष्ण की प्राण सखी एक गोपी । २ विष्णु की पांच शक्तियों में से एक । ३ करणं की धाय माता सूत-पत्नी ४ बिजली, विद्युत ५ वैशाख की पूर्णिया विशाखा नक्षत्र ७ समृद्धि, सफलता ६ । + ८ विष्णुकांता नामक एक लता । ६ भांवला १० एक वर्ण वृत्त विशेष । अस्टमी ग्राठम-स्त्री० भादव शुक्ला अष्टमी तिथि -कांत पु० श्रीकृष्ण-४० गोवर्धन के समीप का एक सरोवर । तनय पु० करणं । रमल - पु० श्रीकृष्ण । श्रीविष्णु । —बलम, बल्लभ-पु० श्रीकृष्ण । श्रीविष्णु।
राधावल्लभीपु० १ एक बैष्णवी, सम्प्रदाय। २ इस सम्प्रदाय का अनुगामी ।
राधि- देखो 'राधा' ।
राधिका स्त्री० [सं०] १ एक मात्रिक छन्द विशेष २ देवो
'राधा' ।
राधेय पु० [सं०] १ राजा कर्ण २ अंगद । राधौ, राज्य- देखो 'राद' ।
राप्ती, राप्तीनदी - स्त्री० धवलागिरि पर्वत से निकलने वालो एक नदी ।
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राफ-स्त्री० १ मुंह के दोनों होठों का संधि स्थान । २ फन । ३ यवन, मुसलमान ।
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राफटरोळ
( ४७९ )
रारंग
राफटरोळ, राफटरोळियो, राफटरोळीयो, राफटरोळी-पु. गड़ | रायप्पसेपइज्ज-पु. राज प्रश्नी नामक सूत्र । बड़ो, अव्यवस्था । रोला-दंगा । उपद्रव ।
रायफळ-देखो 'राइफळ' । राफसी-पु. एक मुसलमान या यवन जाति व इस जाति का | रायकूल-पु० हाथ का प्राभूषण विशेष । व्यक्ति।
रायब-स्त्री० बांसवाड़ा से पास बहने वाली एक नदी। राफी-पु. १ ऊंटों का एक रोग। २ इस रोग से पीडित ऊंट। | रायबर-देखो 'रायवर'। राब-स्त्री०१ बाजरा, ज्वार, मक्का प्रादि के माटे को छाछ रायबहादुर-पु. एक प्रकार की उपाधि । में पका कर बनाया जाने वाला तरल खाद्य-पदार्थ । २ गन्ने
रायवेल (बेली)-देखो 'रायवेल'। का गाढा रस । ३ रबड़ी। ४ कोई गाढा पेय पदार्थ ।
रायबोर-पु. झडबेर के प्राकार का बेर ।
रायभोग-देखो 'राजभोग'। रावड़यो, राबड़ियो-पु० मोटा कर गाढा किया हमा दूध ।
रायरसोई (यो)-स्त्री० पाकशाला, रसोई। राबड़ियो-दूध-पु. कढो नामक पेय पदार्थ ।
रायरांणा-देखो 'रावराणा' । राबड़ी-देखो 'राब'।
रायरातीशंबी-पु. एक प्रकार का लोक-गीत। रायंगण (णि, रणी)-देखो 'रायप्रगण' ।
रायरायांन-स्त्री० [सं० राज-राज] मुगलकालीन एक उपाधि राय-पु० [सं० राजा] १ राजा, नप। २ स्वामी, मालिक ।
विशेष । ३ धन, द्रव्य । ४ एक उपाधि विशेष । १ कायस्थों की |
रायरिख (रिसि, रिसी)-देखो 'राजरिसि'। उपाधि । ६ बंगाली कायस्थों का एक भेद । [म.राए]
रायरी-पु. गेहूं की फसल के साथ होने वाला राई जैसे बीजों ७ दरार । ८ सलाह, सुझाव, परामर्श । १० विचार,
का एक घास। खयाल ।-अंगण. अगणि, अंगरणी, प्रांगण-पु० राजमहल ।
रायलोप-देखो 'लोमंजदराव'। राजमहल का पांगन, चौक ।-कंबर-पु. राजकुमार ।
रायवनो-पु० १ दूल्हा, वर । २ राजा । दूल्हा ।-कवरी-स्त्री. राजकुमारी, दुल्हिन । -कन्या=
रायवर-पु० [सं० राज वर] १ बड़ा राजा, महाराजा।२ पति, 'राजकन्या' ।-कुवरी-स्त्री० राजकुमारी ।-कूपर,
खांविद । ३ दूल्हा, वर। कूयर, कूवर-पु. राजकुमार ।-खाती-पु० राजा का
रायविभाड़ ()-वि० राजामों को पराजित करने वाला। बढई।-गुर-पु० राजगुरु । राजामों में श्रेष्ठ ।-घर-पु०
रायवेल-स्त्री० सुगंधित फूलों वाली एक लता विशेष । राजगृह ।-जादी-स्त्री. राजकुमारी, दुल्हिन ।-जादी,
रायवैकुंठ-पु० [सं० वैकुठ-राज] श्रीविष्णु । जाधौ-पु० राजकुमार, दूल्हा । वर ।-पुत्त. पुत्र-पु.
रायसालि-पु० वृक्ष विशेष । राजपुत्र, राजकुमार । -पुतिय, पुत्री-स्त्री. राजकुमारी।
रायसाहब-पु. ब्रिटिशकाल में दी जाने वाली एक उपाधि । रायकेळ-पु. केले की एक जाति । इस जाति का केला.।
रायसेण-पु. एक प्रकार का वृक्ष । रायचंपेली-स्त्री० सुगंधित फूलों वाली एक लता।
रायहंस-देखो 'राजहंस'। रायचंपो-पु० एक वृक्ष विशेष ।
रापहर-पु. राजा का वंशज, राजा। रायचोक (चौक)-पु. राजमहल का चौक, राजमहल का प्रांगण । | रायहरणी-देखो 'राजधानी' । रायजरण (न)-पु. राजा। राजा लोग।
रायहींववौ-पु० हिन्दुस्तान या हिन्दुपों का राजा । रायजी-पु. कायस्थों का एक संबोधन ।
रायांकवर-देखो 'राजकुमार'। रायजीप-पु. राजाधिराज।
रायांगरण-देखो 'रायनांगरण' । रायडोडी-स्त्री० राजमहल का द्वार, ड्योढी ।
रायांगुर-पु० १ श्रेष्ठ राजा, सम्राट । २ राजगुरु । रायण (रिण, णी)-स्त्री० [सं० राजादनी] १ एक प्रकार का | रायांतिलक-पु०१ श्रेष्ठ राजा । २ राजतिलक । वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष का फल ।
रायांराव-पु. मुगलकाल में दी जाने वाली एक पदवी । रायतेली-पु. राजा का तेली।
राया-स्त्री०१ सोलंकीवंश की एक शाखां। २ देखो 'राजा'। रायती-पु० [सं० राजिकाक्त] दही, छाछ में मसाले डाल कर | रायातन-पु. राजा, नृप। बनाया जाने वाला पेय पदार्थ ।
रायि, रायी-१ देखो 'राइ' । २ देखो 'राय'। रायान-देखो राजस्थान'।
रायो-देखो 'राजा'। रायधर-देखो 'राजधर'।
रारंग, रार, रारि, रारी-स्त्री० [सं० राज] १ नेत्र, मांख । रायपसेणिय, रायपसेरिणयो,रायसेपरणी,रायपसेरखीह, रायपसेखीय, | २ वृद्ध मादा ऊंट । ३ देखो 'राड़।
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रारी
( ४८० )
रावळो
रारी-पु. राजा, नृप।
रावत-पु० [सं० राज-पुत्र] १ राजा, नृप । २ छोटा राजा। राळ, राल-स्त्री०१ एक सदाबहार वृक्ष । २ इस वृक्ष से निकलने ३ सामत, सरदार । ४ योद्धा, बीर, शूरवीर । ५ राजा
वाला रसदार पदार्थ । ३ बच्चों या बूढ़ों के मुह से गिरने महाराजामों द्वारा सामंतों को दी जाने वाली पदयो। वाली थूक की बूद। ४ एक रोग विशेष । ५ मावाज, ६ दौने-पत्तल बनाने वाली एक व्यावसायिक जाति । ७ इस ध्वनि । ६ पशुपों का एक रोग ।
जाति का व्यक्ति। ८ पति, प्रियतम । राळक-पु० वृक्ष, पेड।
रावतबट-देखो 'रावतवट'। राल-देखो 'रालो' ।
रावतरियां-देखो 'रावत्रियां ।
रावतरी-स्त्री. सोने-चांदी के प्राभूषणों में लगाया जाने राळणी (बी), रालो (बो)-क्रि. १ प्रोढना, ढकना । २ बिछाना, फैलाना, छितराना । ३ पहनना, धारण करना।
वाला जोड़। ४ ऊपर से गिराना, पटकना, डालना फैकना । ५ ढहाना ।
रावतबस-पु० क्षत्रियवंश । ६ चलाना, फैकना । ७ किसी के भागे या प्रास-पास
रावतवट-पु०१ क्षत्रियत्व, वीरव। २ सत्ता, हुकूमत ।
३ शौर्य, पराक्रम। रखना । ८ त्यागना । ९ लुढ काना, टपकाना, बहाना । १० लगाना, देना । ११ रखना, धरना ।
रावतारणी-स्त्री० १ राजपूतानी, क्षत्रिय स्त्री। २ 'रावत' जाति
की स्त्री। राळाबोळी-पु. १ उपद्रव, उत्पात, झगड़ा । २ शोरगुल,
रावताळो-पु. [सं० राजपुत्र योद्धा, वीर। हल्ला-गुल्ला। राली-स्त्री. बिछाने या प्रोढने की गुदड़ी । बिस्तर।
रावतियो-देखो रावत' ।
रावती-स्त्री. १ 'रावत' होने की अवस्था या भाव । २ रावत' राव-पु. [सं० राजा] १ राजा, नप, अधिपति । २ स्वामी,
की पदवी। मालिक । ३ मरदार, सामत। ४ राजस्थान के कुछ राजामों का उपटक । ५ रईस, अमीर । ६ बंदीजन,
रावतेस, रावतस-पु. १ राजा, नृप । २ श्रेष्ठ राजा ।
३ योद्धा, वीर । भाट । ७ शब्द, प्रावाज । ८ चीख, चीत्कार । ९ नाद, गर्जन । १० गुजार । ११ घोड़ों की एक चाल । १३ छोटे
रावत्त-देखो 'रावत'।
रावत्रियां-स्त्री० कुछ लोक देवियों का समूह ।-वि० वि० देखो प्राकार का एक वृक्ष ।
___ 'मावलियां'। रावउत (त)-पु० [स० राज-पुत्र] १ रामा का पुत्र, राजकुमार।
रावनागा-पु० [स० नाग-गज] शेष नाग। २ देखो राजपूत'।
रावमारू-पु. १ मा प्रदेश का राजा । गठौड़ राजा । २ प्रियराबड, रावड़ियो-पु० अनाज में होने वाला धूल का कण ।
तम, पति। राबजादो पु० राजकुमार। रावट-देखो रावत' ।
रावराजा-पु० १ कुछ राजानों की उपाधि । २ जोधपुर के
राजा की उप पत्नी की संतान की उपाधि । रावटी-त्रो० [म. राज-कुटो] । राजा-महाराजानों का एक
रावरी-देखो 'रावळो' । हवादार खुला महल । २ एक प्रकार का छोटा तंबू । ३ मकान । (मेवात)
रावळ, रावल-पु. [सं० लाकुलि] १ राजपुताना के कुछ रावडी-स्त्री० [स. राव+डी] १ फरियाद, पुकार । २ देखो राजापों की उपाधि । २ इस उपाधि वाला राजा। ३ माथ 'राबड़ी' ।
सम्प्रदाय की एक शास्वा व इस शाखा का नाथ । ४ भिक्षा रावण-देखो 'रावण'।
वृत्ति वाले जोगी। ५ चारणों के याचकों की एक जाति राबरणखंड (खंडो)-देखो 'रांवरणखंडो'।
ब इस जाति का व्यक्ति। ६ प्रधान, सरदार । ७ बद्रीनारारावणरिप (रिपु)-देखो 'रांवरिपु'।
यण के प्रधान पण्डे की उपाधि । ८ एक ब्राह्मण वश । राणसिर-पु. दश की संख्या ।
रावळइ-देखो ‘रावळी'। रावणा-स्त्री. राजमहलों में काम करने वाले नौकरों की | रावळगन-पु० [सं० राजकुल+गण] १ राज परिवार के लोग। एक जाति ।
२ राजा के भाई-बधो के निवास का मोहल्ला । रावणारि-देखो 'गंवरणारि'।
रावळांसा-पु. चारण, राजपूतों की स्त्रियों के प्रति, सगे संबंरावणि (णी)-पु. १ रावण का पुत्र, मेघनाद । २ देखो 'रावण' । धियों का संबोधन विशेष । रावणी-पु० 'रावणा' जाति का व्यक्ति ।
| रावळा रावळे-सर्व प्रापके ।
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रावळाई
( ४८१ )
रावळाई-स्त्री० रावल की पदवी।
रासना-देखो 'रास्ना'। रावळि (बी)-वि० राजा की, जगीरदार को । वि० मापकी। रासनत्य, रासन्नित्य-पु० [सं० रास-नृत्य] एक प्रकार का रावळियो, रावलियो-१ देखो 'रावळ' । २ देखो 'रावळो'। नृत्य विशेष । रावळे (के)-सवं. १ मध्यम पुरुष का संबोधन, प्राप । २ प्राप, रासपूनम (पूरणिमा)-स्त्री० [सं० रासपूणिमा] मार्गशीर्ष
श्रीमान ।-वि०१पापका। २ अन्तःपुर का ।-पु०१ जनानी । मास की पूर्णिमा। ड्योढी, अंत:पुर । २ राज दरबार ।
रासब रासा-पु० [सं० रासभ गधा, गर्दभ । रावळी (लो)-पु० [सं० राजकुल] १ राजमहल, राजगृह । | रासभूमि-स्त्री० [सं०] रासक्रीड़ा या रास नृत्य का स्थान ।
२ राजदरबार । ३ अन्तःपुर, रनिवास ।- सर्व | रासमंडळ-पु. १ रास नृत्य का घेरा या वृत्त । २ रास
पापका, श्रीमानका ।-वि० राजा का,राजा संबंधी। पापका।। | नत्य का स्थान । ३ रास क्रीड़ा करने वालों का समूह । रावाराव-पु. राजामों का राजा, राजेश ।
रासमंडळी-स्त्री. रास नृत्य या रास नृत्य का अभिनय करने रावा-स्त्री० गाय रंभाने की ध्वनि ।
वाले कलाकारों का दल, टोली। रावाई-स्त्री. १ 'राय' की पदवी या अधिकार। २ राव होने रासरमण (न)-पु. १ ईश्वर, परमात्मा। २ श्रीकृष्ण । की अवस्था। ३ सत्ता ।
रासलीला-स्त्री० [सं०] १ श्रीकृष्ण की रास कोड़ा का अभिनय । रावी-स्त्री० [सं० ऐरावती] पश्चिमी पंजाब में बहने वाली एक | २ श्रीकृष्ण व गोपियों का रास नृत्य । नदी।
रासव-देखो 'रासभ'। रावेटउं-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
रासविलास-पु० [सं०] रासक्रीड़ा। राबो-देखो 'राव'।
रासविहारी-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ ईश्वर, परमात्मा। रास-पु. [सं०] १ श्रीकृष्ण व गोपियों की नृत्य लीला। २ गोप
रासायण, रासायन-वि० [सं०] रसायन का, रसायन संबधी ।
रासायनिक-वि० [सं०] १ रसायन शास्त्र का, रसायन शास्त्र लोगों का एक प्रकार का नृत्य-गायन । ३ वृत्ताकार सामू
___ संबंधी । २ रसायन शास्त्र का ज्ञाता। हिक नत्य-कोड़ा। ४ नृत्य । ५ खेल, अभिनय। ६ हास
रासि-स्त्री० [सं० राशि १ किसी वस्तु का ढेर, समूह, पुज। विलास । ७ काव्य । कोलाहल, शोरगुल । १ जोर की
२ जोड़-बाकी प्रादि से निकलने वाली कोई संख्या। कोई ध्वनि, शब्द । १० वाणी। ११ तेरह मात्रामों की एक ताल ।
रकम (Amount) | ४ किसी का उत्तराधिकारी। ५क्रांति -स्त्री० [सं० रश्मि] १२ बागडोर, लगाम । १३ बैलों की रस्सी । १४ घोड़े की चाल विशेष । १५ रस्सी, डोरी।।
वृत्त के बारह तारों का समूह । ६ बारह की संख्या। ७ देखो १६ जंजीर, खला । १७ प्रत्यंचा, डोर। १८ तिलों से
'रास' । ८ देखो 'रस्मि'।-चक्र-पु. ज्योतिष की राशियों
का वृत्त या मंडल । ग्रहों के चलने का मार्ग।-नाम-पु. निकलने वाला भूसा। [सं० राशि] १९ खलिहान में
बच्चे के जन्म के समय होने वाली राशि के अनुसार नाम । अनाज का ढेर । २० बारह की संख्या । २१ देखो 'रासि'।
रासिप-पु० [सं० राशिप) किसी राशि का अधिपति देवता । रासडली-देखो 'रास'।
रासिबि-देखो 'रासभ'। रासचक-देखो 'रासिचक्र'।
रासिमाग-पु. [सं० राशि-भाग] ज्योतिष में राशि का भाग । रासट-पु० [सं० राष्ट्र] देश, मुल्क ।
रासी-देखो 'रासि'। रासत-स्त्री० रियासत, राज्य ।
रासीक-वि० साधारण, मामूली। रासती-स्त्री. मित्रता, दोस्ती।
रासु, रासू-देखो 'रासो'। रासतीक-वि० मित्रता करने वाला।
रासेस्वरी-स्त्री० [सं० रासेश्वरी] राधा । रासतौ-पु. रास्ता, पथ, मार्ग।
। रासो-पु० १ युद्ध संबंधी काव्य या पद्यमय रचना । २ ऐसे काव्य रासथळ-पु० [सं० रास-स्थल ] १ रंगशाला, नत्यशाला ।
की पुस्तक । ३ युद्ध, लड़ाई। ४ विवाद, झंझट, बखेड़ा। २ क्रीड़ा स्थल।
५ अव्यवस्था । ६ उलझन, समस्या। ७ तमाशा, खेल । रासधारी-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ रास क्रीड़ा करने वाला। ८ ढंग । ९ कार्यक्रम, ढांचा।। रासन-पु. १ खाद्य सामग्री की निश्चित मात्रा। २ सरकारी रास्ट, रास्ट्र-पु० [सं० राष्ट्र] १ राज्य, साम्राज्य । २ देश,
स्तर पर की जाने वाली खाद्य सामग्री की वितरण व्यवस्था। राष्ट्र, मुल्क । ३ एक ही शासन के अधीन पाने वाला क्षेत्र ३ इस व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक परिवार का बनाया जाने या जनता । ४ देशव्यापी बाधा, उपद्रव, इति । ५ पुरुरवा वाला प्रपत्र, काई । ४ खाद्य सामग्री।
का वंशज एक राजा।
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रास्ट्रकूट
(४२)
रिवायत
रास्टफूट-पु० [सं० राष्ट्रकूट] एक क्षत्रिय वंश, राठौड़। राहवेधी-देखो 'राहवेधी'। रास्ट्रपति-पु० [सं०राष्ट्रपति] किसी देश का संवैधानिक सर्वोच्च | राहत, राहरीति-स्त्री. १ परंपरा, प्रबा, रूढ़ि, रीति-रिवाज। शासक । राष्ट्राध्यक्ष। .
२माचार-व्यवहार, । ३ लेन-देन । ४ व्यवहार। रास्ट्रपाळ-पु. [सं० राष्ट्रपालक] १ राजा । २ कंस का एक
|राहरू-वि०१ रास्ता रोकने वाला । २ व्यवधान करने वाला। भाई।
राहस्त-वि० राहु ग्रह के समान । रास्ट भगी-पु० [सं० राष्ट्रभंगी] पीठ पर भवरी वाला एक
राहलणी (बो)-क्रि० राह पर लाना, सीधा करना, ठीक राह ___घोड़ा विशेष ।
बताना। रास्ट्रभेद-पु० [सं० राष्ट्र भेद] एक प्रकार की राजनीति। राहवलो (बी)-क्रि. १ राह पर चलना । २ परपरा निभाना, रास्ट्रवासी-पु० [सं० राष्ट्रवासिन्] देश का निवासी ।
प्रवा का अनुकरण करना । ३ रक्षा करना।
| राहवेधी-वि०१ लुटेरा डाकू। २ कूटनीतिज्ञ । राजनीतिज्ञ । रास्तागीर-पु. पथिक, राहगीर ।
३ दूरदर्शी । ४ नीति निपुण, नीतिश । ५ चतुर, प्रवीण। रास्तो-पु० [फा० रास्तः] १ मार्ग, पथ, राह, रास्ता। २ उपाय
बुद्धिमान । ६ बड़ा बीर, योगा। ७ राह रोकने वाला। तरीका, तरकीब । ३ परंपरा, रीति; प्रथा । ४ कार्य की
८ रास्ते का जानकार। विधि । ५ सिद्धान्त ।
राहा-पु. लड़ाई, झगड़ा। रास्ना-स्त्री० [सं०] १ गंधनाकुली नामक काष्ट प्रौषधि विशेष।
राहाचरक, राहाचरक्क-देखो 'राहचक'। २ रुद्र की प्रधान पत्नी।
राहाली-वि०१ युद्ध कराने वाली। २ राह वा मार्ग धारण राह-स्त्री० [फा०] १ मार्ग, रास्ता, पथ । २ परंपरा, प्रथा,
__करने वाली। रीति । ३ ठीक माचरण-व्यवहार। ४ धार्मिक मत,
| राहालो-वि० १ राह पर चलने वाला। २ रीति या परंपरा सिद्धान्त । ५ धर्म, कर्तव्य । ६ मर्यादा, गौरव । ७ कार्य,
निभाने वाला। ३ न्याय प्रिय। ४ चरित्रवान । कर्म । प्रतीक्षा, इंतजार । ९ प्राशा, उम्मीद । १० प्रयत्न,
राहावेधी-देखो 'राहवेधी'। कोशिश । ११ युक्ति, तरकीब, उपाय । १२ तरह, भांति,
राहावेहु-देखो 'राधावेध'। प्रकार । १३ ढंग, तरीका । १४ मस्तक, शिर। १५ घोड़े
राहि राही-पु० [फा०] राहगीर, पथिक, यात्री-वि. राह की एक चाल । १६ देखो 'राहु'।-पर-पु० यात्रा के
चलने वाला। २ अनुगामी । लिये होने वाला खर्च, यात्रा में साथ रखा जाने वाला
राहु-पु० [सं०] १ नव ग्रहों में से एक। २ इस नाम का दानक, द्रव्य ।
असुर । ३ ग्रहण । ४ गेहू नामक मछली। ५ जैनियों के राहगीर-पु. [फा०] पथिक, राही, बटाऊ।
८८ ग्रहों में से ४४ वा ग्रह ।-असण, प्रसन-पु. सूर्य या राहर-स्त्री. संध्या, शाम ।
चंद्र ग्रहण ।-प्रास-पु. ग्रहण ।-बरसण-पु. ग्रहण राहड़ी-स्त्री०१ रस्सी, डोरी, रज्जु । २ देखो 'राह'।
-सूतक-पु० ग्रहण । राहको-देखो 'राह'।
| राहुभेवी-पु० [सं० राहु-भेदिन] विष्णु। राहचक (चको, बक, चक्र)-पु. लड़ाई, युद्ध।
राहुरत्न-पु० [स०] गोमेद मणि । राहजनी-स्त्री० [फा०] यात्रियों की लूट-पाट, बटमारी।
| राह-वि. १ काला । २ श्वेत । ३ देखो 'राह'। राहणी-पु० परिग्रह, दरबारी।
राहूडो-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा।२ देखो 'राह' । राहणी (बौ)-क्रि० । युद्ध करना, लड़ाई करना । २ मारना,
| रिछ-पु. रीछ । ___ संहार करना । ३ उद्दण्ड पशु को ठीक करना।
रिछया-देखो 'रक्षा'। राहत-स्त्री० [.] चन, माराम, सुख।।
रिजक, रिजळो-देखो 'रिजालो'। राहदार-वि०१ राह चलने वामा। २ 'राह' चाल से चलने रिक्षण (बो)-देखो 'रौंझणी' (बो)। बाला। (घोड़ा) [फा०] १ चौकीदार, प्रहरी। २ रास्ते
रिक्षावन-स्त्री. मुग्ध करने की क्रिया । के यात्रियों से कर वसूल करने वाला कर्मचारी। पधिक। रिसरी-स्त्री० पीठ की मोर मुहुए सींगों वाली गाय । राहवारी-स्त्री०१ चौकीदारी। २ यात्रा। यात्रा कर वसूल रि-स्त्री०१चलने की क्रिया या भाव । २ देखो '१'। करने की क्रिया।
रिमायत-स्त्री. [म.] १ नियम, कातून या व्यवस्था में दी राहबंधी-स्त्री. सलाह, राय, मशविरा।
___ जाने वाली छूट, शिथिलता, ढील । २ सहूलियत, राहत,
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रिमाया
(४८३ )
रिखीराज
सुविधा । ३ अनुग्रह, नर्माई। ४ पक्षपात । ५ विशेष ध्यान, | रिखपति-स्त्री० [सं० ऋक्ष-पंक्ति] नक्षत्रों की पंक्ति या कतार ।
खयाल । ६ वस्तु के मूल्य में होने वाली कमी या छूट । रिखपत (पति)-पु० [सं० ऋषि-पति ऋषि पेष्ठ, ऋषिराज । रिमाया-स्त्री० [अ० रपाया] प्रजा, जनता।
रिखपांचम-देखो 'रिसिपांचम' । रिउ-पु. [सं० रिपु] १ शत्रु, दुश्मन । २ देखो 'गे'। रिखपूनम-देखो 'रिसिपूरणिमा' । रिक-देखो "रिख।
रिखब-पु० [सं० ऋष्वः ] १ इन्द्र । २ सयं । पग्नि । ४ देखो रिकता-१ देखो 'रिक्तता'। २ देखो 'रिक्ता'।
। रिसभ'। रिकव-देखो "रिक्थ'।
रिखबदेव-देखो 'रिसदेव' । रिकसौ-पु. तीन पहियों की एक साइकिल गाडी।
रिखम-देखो 'रिस'। रिकाब-पु. [प०] १ सवारी का ऊट । २ देखो 'रकाव'। रिखमदेव-देखो "रिसभदेव' । रिकारी-देखो रेकारी'।
रिखमधुज-पु० [सं० ऋषभध्वज] शिव, महादेव । रिक्ख-१ देखो "रिसि'। २ देखो "रिख।
रिखमानन-पु० [सं० ऋषभान] सातवें विहरमान का नामा रिक्खम-देखो 'रिसभ'।
रिखमंडळ-पु० [सं० ऋक्षः मण्डल] १ नक्षत्र मण्डल,तारामण्डल । रिक्खि-देखो 'रिसि'।
| २ प्राकाश, नभ । ३तारा, नक्षत्र । [सं० ऋषि मण्डल] रिक्त-वि० [सं०] १ खाली किया हुप्रा, रीता । २ रहित, । ४ ऋषि मंडली ।
विहीन । ३ शून्य । ४ खोखला, पोथा। ५ विभक्त, | रिखमंडळी (ली)-पु० [सं० ऋषि-मंडली] १ ऋषि समूह, वियुक्त, । ६ गरीब, निधन, मुहताज । -पु. १ खाली
। ऋषि समाज । २ हंस। जगह । २ वन, जंगल । ३ प्राकाश । ४ अवकाश । रिखमातंग-पु० मातंग ऋषि । रिक्तता-स्त्री० [सं०] १ खालीपन, रीता होने की अवस्था।| रिखमूक-देखो 'रिस्यमूक'
२ प्रभाव । ३ खोखलापन । ४ गुजाइश, अवकाश । रिखयद-पु० [सं० ऋषि-इन्द्र] मुनीश्वर, ऋषीश्वर ।
५ शून्यता। ६ गरीबी, निर्धनता । ७ विहीनता। रिखय-देखो 'रिसि' । रिक्ता-स्त्री० [सं०] सुभ कार्य के किये वजित तिथि। रिखपा-स्त्री० [स. ऋषि] रामदेवपीर की भक्त, एक मेघवाल -वि० विहीन ।
जाति । चमार । रिक्तारक-पु० सं० रिक्तार्क] रविवार को पड़ने वाली चतुथी, | रिखरण (राज)-देखो 'रिसिराज'। नवमी व चतुरदनी की तिथि।
स्त्री० [सं० ऋक्ष-राजि] तारों की पंक्ति । रिक्थ-स्त्री० [सं० ऋक्यम्] १ पूजी, धन, द्रव्य । २ उत्तरा- | रिखव-देखो 'रिसभ'। धिकार में मिली सम्पत्ति । ३ स्वर्ण, सोना। व्यापार
रिखवर-देखो रिसिवर'। या व्यवसाय में लगी पूजी।
रिखवरणी-देखो 'रिसिवरणी। रिक्ष-देखो 'रिसि', 'ग्खि'।
रिखवत-देखो 'रिसिव्रत'। रिक्षा-स्त्री० [सं० लिक्षा] १ जू का भंडा, लीख, लिक्षा । रिखसपत-देखो 'सप्तरिसि'। २ एक तौल विशेष । ३ रक्षा।
रिखसर-देखो 'रिसीस्वर'। रिक्षास्त्र-पु. एक प्रकार का प्रस्त्र ।
रिखसात-देखो 'सप्तरिसि'। रिखंभ-देखो 'रिसभ'।
रिखस्त-पु० [सं० ऋषि-अस्थि] वज । रिख-पु० [सं० ऋक्षः] १ तारे, नक्षत्र । २ सूर्य । ३ ऋषि, | रिखसरु-देखो 'रिसोस्वर'।
सप्तर्षि । ४ सात की संख्या। ५ वन, जंगल । ६ वट वृक्ष। रिखि-देखो रिसिदेखो 'रिख। ७ रामदेव के उपासक एक वर्ग का नाम। ८ देखो 'रिसि'।
रिखियो-पु. 'रिखया' जाति का चमार । रिखग्रंख-पु. तीन अथवा सात नेत्र ।
रिखिराज (राय)-देखो 'रिसिराज' । रिखग्ग-पु० [सं० ऋक्षः] तारा, उडगन ।
रिखो-देखो 'रिसी'। रिखड़उ, रिखड़ो-१ देखो 'रिसि' । २ देखो 'रिख । रिखोकेस (केस)-देखो रिसीकेस' । रिखय-देखो रिक्य'।
रिखीपंचमी (पांचम)-देखो रिसीपांचम' । रिखदेव-पु० महादेव, शिव ।
रिखीमूक-देखो 'रिस्यमूक'। रिखधुनि-स्त्री० [सं०ऋषि-ध्वनि गंगा नदी ।
रिखीराज (राय)-देखो 'रिसिराज' ।
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रिखीस
रि
रिखीस, रिखीसर, रिखीसुर, रिखीस्वर-देखो 'रिसीस्वर' रिमपाळ (लो)-देखो 'रक्षपाल'। रिख-देखो 'रिसी'।
रिछ्या-देखो 'रक्षा' । रिखंद्र-देखो रिसींद्र'।
रिजक-पु. [प्र. रिउक] १ आजीविका, रोजी, बत्ति । रिखेस, रिखेसर, रिखेसुर, रिखेस्वर-देखो रिसीस्वर'।
२ भामदनी, माय । ३ रोटी, भोजन । ४ प्रन, धनाज। रिख-देखो रिखी', 'रिख ।
५ सेवा-चाकरी में मिलने वाली जागीर । ६ प्रतिष्ठा । रिख्या-देखो 'रक्षा'।
७ धन, द्रव्य । अच्छी किस्म का बारूद। रिख्यावत-वि० [सं० रक्षा-वत्] रक्षा करने वाला। रिजकरणी (बो)-कि० लिखा होना, बदा होना, प्राप्य होना। रिंगटोळ-स्त्री० हसी, मजाक ।
रिजकदाणी (वांनी)-स्त्री० बन्दूक या तोप छोड़ने का बामद रिगणो(बी), रिगतपो(बौ)-क्रि० ललचाना, तकना, झींकना।
रखने की डिबिया। रिगतमिच्छा-स्त्री. तुच्छ वस्तुओं की भिक्षा ।
रिजकि, रिजक्क, रिजग-देखो 'रिजक' । रिगतियो, रिगयो-देखो “रगत्यौ' ।
रिजगो-पु. एक प्रकार का पत्तीदार पास । (घोड़ों का) रिगवोळणी (बी)-देखो 'रगदोळणों (बो)।
रिजवार-देखो "रिझवार'। रिगरिगाड-स्त्री. हिचकिचाहट ।
रिजाळी-स्त्री. बदमाश या बदचलन औरत । रिगल-स्त्री. दिल्लगी, हंसी-मजाक ।
रिजाळी-वि० (स्त्री० रिजाळी) १ बदचलन । २ नीच, दुष्ट । रिगवेद-पु० [सं० ऋग्वेद) चार वेदों में से एक । ऋग्वेद । ३ धूर्त, चालाक। रिगवेदी-वि० [सं० ऋग्वेदी] ऋग्वेद का ज्ञाता।
रिजिक-देखो 'रिजक'। रिगसणी (बो-क्रि० स० रिख] १शरीर या किसी प्रग कोरिज, रिख-देखो 'रज्जु'/'रज्जू'। घसीटते हए चलना।२ चलायमान या गतिमान होना । रिज्जणीबो)-
क्रिया उत्पन्न हो ऐसी बाखी । २ देखो ३ खिचना, तनना । ४ घूमना, टहलना ।
__ रीझरणो' (ब)। रिप-पु. १ मैंस के बोलने की क्रिया या ध्वनि । २ कंकरीली रिमकवार, रिक्षबार-वि०१ रौंझने बाला, मुग्ध होने वाला। भूमि । ३ भीड़, समूह । ४ युद्ध, झगड़ा।
२ प्रसन्न या खुश होने वाला। ३ मस्त, मतवाला । रिड़क-पु. भंस के बोलने का शब्द ।
४ रसिक । ५ उदारचित्त, दातार । ६ कृपा, अनुग्रह रिहको (बो)-क्रि० १ मैस का बोलना, बोलते रहना । ___ करने वाला। २ लुढकना, फिसलना।
रिक्षवाणी (बी)-देखो 'रीझारणो' (बी)। रिशकली (लो)-स्त्री० छोटी पहाडी।
रिमाणो (बी), रिक्षावणो (बो)-देखो रीझाणी' (बी)। रिहरणो (बो)-क्रि० १ नगाड़े या ढोल का बजना । २ युद्ध रिह-देखो रीठ'। करना, लड़ना। ३ देखो 'रिडणो' (गे)।
रिट्ठनेमि-पु० जैनियों के बाईसवें तीर्थ कर । रिड़मल-पु. [सं० रण-मल्ल] १ योद्धा, वीर । २ जोधपुर के रिट्ठा-स्त्री० धूम प्रभा नामक नर्क । (जैन)
संस्थापक राव जोधा के पिता । ३ राठोड़ क्षत्रियों की एक रिठ, रिठि-देखो 'रीठ' । उप शाखा व इसका व्यक्ति।
रिडपो (बी)-क्रि. १ बहना, गतिमान होना । २साला आना। रिड़मलवट-स्त्री० शूरता, बहादुरी।
रि-पु. कष्ट, दुःख। रिझमलोत-पु. राठोडों की रिडमल शाखा के व्यक्ति। रित-स्त्री. भेड। . रिड़मल्ल (माल)-देखो 'रिड़मल' ।
रिजंगण, रिणंगरिण-देखो 'रणांगण' । रिहारिड़, रिडोरिह-स्त्री. एक ध्वनि विशेष ।-कि. मि.रिण-पु० [सं० ऋख १ कर्जा, कर्ज, उधार । २ दुर्ग, किला । लगातार, क्रमशः ।
३ जल, पानी। ४ भूमि । ५ एक प्रकार का यज्ञ । रिड़पा-वि० पड़ा हुआ, गिरा हुमा।
६ वेदाध्ययन एवं संतानोत्पत्ति का कर्तव्य । ७ देखो 'रण'। रिचा-स्त्री० [सं० ऋचा] १ वेद मंत्र, वेद स्तोत्र । २ ऋग्वेद रिण-प्रठेल-वि० युद्ध में अडिग रहने वाला वीर।
की ऋचा । ३ ऋग्वेद । ४ चमक, कांति । प्रशंसा। रिउ-देखो 'रिण', 'रण'। रिच्छक-देखो 'रक्षक'।
रिखकालौ-देखो 'रणकालो' । रिन्छया, रिच्छा, रिछपा-देखो 'रक्षा'।
रिएकाहल-पु. युद्ध का एक बार। रिपक-देखो 'रक्षक'।
रिखम-देखो 'रणथंभ'।
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रिजवळी
रिणखळी -पु० युद्धस्थल, युद्ध भूमि ।
रिणिखेत, रिषिक्षेत्र-देखो 'रणक्षेत्र' । रिणखेत (खेति, खेत्रि)-नेखा 'रणक्षेत्र'।
रिणिताळ, रिणिताळी-देखो 'रणताळ'। रिणजगण-पु० घोड़ा, प्रश्न ।
रिणिरित-देखो 'रिणीरित' । रिणगहिलो-देखो 'गहिलर' ।
रिचिवट-देखो 'रणवट्ट'। रिणघटियो-पु. खरगोश ।
रिणी-वि० [सं० ऋणी] १ जिसने कर्ज लिया हो, कर्जदार । रिणधोर-पु० रणनाद, समरनाद ।
२ पहसानमंद । ३ उपकार मानने वाला, कृतज्ञ । रिणछोड़-देखो रणछोड़।
४देखो 'रण' रिणछोड़राय-पु० श्रीकृष्ण। ईश्वर ।
रिणीरित (रितु)-स्त्री० ग्रीष्म ऋतु । प्रत्यधिक गर्मी वाला रिजंग-पु० युद्ध।
मौसम । रिणडोहल-वि० युर में पानन्द लेने वाला वीर ।
रिपोर रिणोई. रिपोही-देखो 'रणोई','रिणाई। रिणढाण-पु. [म. रणस्थान] रणक्षेत्र, युद्धस्थल ।
रिपो-देखो 'रण', 'रिण' । रिणताळ (साळो)-देखो 'रणताळ' ।
रित-देखो 'रितु' । २ देखो 'रति'।-पत, पति, पती-'रितुपति'। रिणतूटो-वि० युद्ध में मरने वाला।
-परस='रितुपरस' ।-मान-'रितुमान' ।-रमणरिणतूर-देखो 'रणतूर' ।
"रितुरमण' 'रतिरमण'-राज, राव-'रितुराज'। रिणथम (थंभर, भोर)-देखो 'रणथंब' ।
रितवसंत-पू. वसंत ऋतु । रिणस्थल-देखो 'रणस्थल' ।
रितवियो-वि० निर्बल, अशक्त, कमजोर । रिणधीर-देखो 'रणधीर।
रितवीर-पु. [सं० रिक्तवीर तरकस, तूणीर । रिणबंध-पु० योद्धा, भट।
रितसाई-पु० [सं० ऋतुस्वामी] श्वान, कुत्ता। रिमिक्षण-पु० [सं० रण-भक्षण] लोहा ।
गितहेमत-स्त्री० हेमंत ऋतु । रिणभुइ (भूमि, भोम)-देखो 'रणभूमि' ।
|रितावणी (बो)-क्रि० खाली करना, रिक्त करना । रिणमाप-देखो 'रणमंडप' ।
रिति-१ देखो "रितु' । २ देखो 'रीति' । ३ देखो 'रति'। रिणमल (मल्ल)-पु. १ देवी, शक्ति, दुर्गा । २ देखो 'रणमल्ल'। रितिपालटि-पु० ऋतु परिवर्तन । रिणम्मल-देखो 'रणमल्ल','रिणमल'।
रितिफळ, रितिफल-पु० [सं० ऋतु-फलम्] ऋतु के अनुसार रियोडा--पु० वीर पुरुष ।
होने वाला फल । रिणराव-पु. महावीर।
रितिराइ (राउ, राज)-देखो 'रितुराज'। रिपरिण-स्त्री. दुःख भरी मावाज, कराहने का शब्द ।
रितु. रितू-स्त्री० [सं० ऋतु] १ ऋतु, मौसम । २ जलवायु, रिरिखळ, रिजरोंधळ (रीधळ)-वि० युद्धोन्मत्त योद्धा ।
माबोहवा । ३ प्रब्द प्रवर्तक काल । ४ उपयुक्त या निर्धारिणवट (बटि, बट्ट)-देखो 'रणवट्ट'।
रित समय । ५ रजोदर्शन । ६ रजोदर्शन के उपरांत रिणवत (वस, बत्ता)-स्त्री० [सं० रण-वार्ता] युद्ध संबंधी |
गर्भाधान का उपयुक्त समय । ७ प्रकाश, चमक । ८ सत्य वार्ता, विचार-विमर्श
व उच्च वृत्ति युक्त निर्वाह, व्यवहार। छः की संख्या। रिणवाउलो-देखो 'रणहिलउ' ।
-काळ-पु० राजस्वला होने का समय । रजोदर्शन के रिणबाट-देखो 'रणवट्ट'।
बाद का समय ।-गमन-पु. ऋतुकाल में किया जाने रिणवास-देखो 'रणवास'।
वाला मैथुन ।-गामी-वि० समयानुसार संभोग करने रिणसाल-पु० [सं० रणं शल्य] १ योद्धा, वीर । २ युद्ध, झगड़ा। वाला।-वरय्या-स्त्री. मौसम के अनुकूल पाहार-विहार। रिणींग-देखो 'रणसींगों'।
-दान-पु. संतान की इच्छा से किया जाने वाला संभोग। रिणसेन-स्त्री० युद्ध भूमि।
गर्भाधान की क्रिया ।-पति-पु. वसंत ।-परस-पु. रिणसोर-पु० युद्ध का कोलाहल, युद्ध का शोर ।
श्वान, कुत्ता ।-मतो-स्त्री. रजस्वला ।-मान-पु. रिणसोहौ-वि० युद्ध का इच्छुक ।
कामदेव । -रमण-पु. ऋतु के अनुरूप रमण करने वाला। रिणाई-वि० १ ऋणदाता, कर्ज देने वाला । २ देखो 'रणोई'। -राई, राउ, राज-पु. बसंतऋतु । -वंती, बती-स्त्री. रिणायर-देखो 'पलाकर।
रजस्वला। रिणि-देखो 'रिणी', 'र' ।
| रितेज-पु० [सं० रिक-तेज तारा।
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रित्र परण
( ४८६ )
रित्र पररण-पु० [सं० ऋतु-पर्ण] इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा ।। रिपुता-स्त्री० शत्रु होने की अवस्था या भाव, शत्रुता । रित्विज-पु० [सं० ऋत्विज] यज्ञ का पुरोहित ।। रिपुप्रताप-पु. शत्रु का प्रभाव, रोब। -वि. गर्म * रिव-पु. [सं० हृद] १ जलाशय, सरोवर, तालाब । २ झील । | रिपू-देखो 'रिपु' ।
३ ध्वनि, मावाज । ४ किरण । ५ देखो "हिरदो। रिबकरणो (बो)-क्रि० इधर-उधर भटकना, भटकते फिरना। रिव्य, रिवि, रिवी-देखो 'हिरदो'।
रिबको-पु. कष्ट, तकलीफ । रिख-पु. [सं० ऋद्ध] १ विष्णु का एक नामान्तर । २ देखो | रिवणी (बी)-कि० १ कष्ट या तकलीफ पाना । २ व्याकुल रिद्धि'।
होना. त्रस्त होना । ३ तड़फना, छटपटाना। रिद्वि-स्त्री० [सं० ऋद्धि] १ लक्ष्मी देवी । २ पार्वती देवी। रिभ. रिभू-पू० [सं० ऋभु देवता ।
३ कुबेर की पत्नी। ४ गणेश की अनुचरी एक देवी। रिभूको, रिभूखी-पु० [सं० ऋभुक्षिन] इन्द्र । ५ वरुण की पत्नी । ६ एक अलौकिक शक्ति । ७ धन, | रिमद, रिम-प० [स० परिम] शत्र, दुश्मन, रो। द्रव्य, पूंजी, निधि । ८ ऐश्वर्य, बंभव । ९ सफलता ।
रिमक-झिमक-देखो 'रिमझिम। १० वृद्धि, बढ़ोतरी। ११ पूर्णता । १२ एक लता विशेष ।
रिमजोळ देखो 'रिमझोळ' । १३ एक प्रौषधि विशेष । १४ मार्या छन्द का भेद विशेष । |
रिमझिम-स्त्री० [अनु०] १ छोटी-छोटी बूंदों की धीमी वर्षा, -बाता-वि० दानी । लक्ष्मी ।-नायक-पु. गणेश ।
वर्षा की फूहार । २ पायल या नूपुर की ध्वनि । ३ झन्कार गजानन ।-पत, बती-पु. धनवान, वैभवशाली ।-सार-वि.
ध्वनि, शब्द ।-क्रि० वि० धीरे-धीरे, हल्का शब्द धनवान ।
करते हुए। रिद्धि-सिद्धि-स्त्री० [सं० ऋद्धि-सिद्ध] १ गणेश की दो पत्नियां, | रिमनिमक-स्त्री० झन्कार, ध्वनि । देवियां । २ समृद्धि, वैभव, यश, प्रभाव । ३ द्रव्य, धन ।
धना रिमझोळ-स्त्री०१घुघरूदार, पैर की पूड़ी, नूपुर, पायल । रिशी, रिखो-देखो 'रिद्धि'।
२ मस्त घूमने की क्रिया। रिध-पु.१ तरह, भांति, प्रकार । २ घर, मकान । बरया विशेष भोज में, सर्वप्रथम अलग लेकर रखा जाने वाला
रिमथाटचूर-वि• शत्रुदल का संहारक । भोजन का प्रश। ४ देखो रिद्धि' ।-दाता='रिद्धि-दाता।
रिमपथल्ल-वि० शत्रुदल को मार कर भगाने वाला। -वत, बत-'रिद्धिवंत'।-सार='रिद्धिसार'।
रिमराह-वि० शत्रुषों के लिए राष्ट्र या काल रूप । वि-सिध-देखो 'रिद्ध-सिद्धि'।
रिमरेसौ-वि० शत्रुषों को पराजित करने वाल। रिधि, रिधी-देखो 'रिद्धि'।
रिमहर रिमहरि रिमहरी-वि० शा का वंशज, शत्र। रिधि-सिधि, रिधीसिधी-देखो 'रिद्धि-सिद्धि' ।-वाता
रिमांराह-देखो 'रिमराह'। रिद्धि-दाता'।
रिमांसाळ-वि० शत्रुषों के लिये शक्ष्म रूप । रिधु, रिध-वि० १ निश्चित, तय । २ अटल, कायम, स्थिर ।
रिमि-देखो "रिम'। समद्धिशाली, वैभवशाली । ४ उत्तम, श्रेष्ठ।-क्रि.वि. रिमिक-सिमक-क्रि०वि० छम-छम करती, छन-छन करती। १ नित्य, हमेशा, प्रतिदिन । २ देखो 'रिडि'।
रिमिजोळ-देखो "रिमझोळ' । रिधि-देखो "रिदि'।
रिमिझिम-स्त्री. १ वर्षा की हल्की फुहार । २ पावों की पायन, रिन-देखो 'रण'।
नूपुर । ३ शब्द, ध्वनि, झन्कार ।-क्रि.वि. १ नन्ही
मन्ही बूदों के रूप में, धीरे-धीरे । २ छम-छम करते हुए। रिप-देखो 'रिपु'। रिपइयो-देखो 'इपयो।
रिमिझिमि-देखो 'रिमझिम'। रिपनाट-वि० शत्रु के मागे न झुकने वाला।
रिमिझोळ-स्त्री. १ स्त्रियों के पैरों की घुघुब्वार पायल, रिपपतंग-पु० [सं० पतंम-रिपु] दीपक।
चूड़ी । २ नूपुर । ३ मस्ती में धूमने की क्रिया या भाव। रिपबळी-पु. इन्द्र।
रिमिथाटपुर-वि. शत्र दल का संहारक । रिपियो-देखो 'इपयो।
रिमिपथल्ल-वि० शत्र दल को पराजित करने वाला । रिपु, रिपुम्ग-पु० [सं० रिपुः] १ शत्रु, वैरी, दुश्मन । २ वह रिमिराह-पु० सत्रों के लिये राहू रूप। वस्तु जो किसी अन्य वस्तु के गुण या प्रभाव नष्ट करदे । रिमिरेसी-वि० शत्र घों को परास्त करने वाला। जन्म कुंडली में लग्न से छठा स्थान ।
| रिमिहर, रिमिहरि, रिमिहरी-वि.शत्र का वंशज, पत्र
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रिमीराह
( ४८७ )
रिसि
रिमीराह-देखो 'रिमराह'।
रिसवत-देखो 'रिस्वत' ।-बोर='रिस्वतखोर' ।-चोरीरिमांसाल-वि० शत्रमों के लिये शल्प रूप ।
'रिस्वतखोर'। रिमी-देखो "रिम'।
रिसम-पु० [सं० ऋषमः) १ एक प्राचीन राजा। २ विष्णु का रिमीभिमी-देखो 'रिमझिम'।
एक अवतार । ३ वाराह कल्प मे शिव का एक अवतार । रिमीराह-देखो "रिमराह'।
४ इन्द्र मादित्य का पुत्र । ५ सप्त ऋषियों में से एक। रिमुकत, रिमुक्त-पु० [सं० ऋमुक्त] ४९ क्षेत्रपालों में से पाठवा ६ इन्द्र का एक पुत्र । ७ एक चंद्रवंशी राजा। कुश क्षेत्रपाल ।
वंशीय एक राजा। ६ मेरु के पास का एक पर्वत । रिमेस-पु. शत्रुओं का प्रधिपति ।
[सं० ऋक्ष] १. तारा, नक्षत्र । ११ सप्तस्वरों में से रिम्म-देखो 'रिम'।
दूसरा स्वर । १२ पन्द्रहवां कल्प जहां से ऋषभ स्वर की रिम्मराह-देखो "रिमराह'।
उत्पत्ति हुई। १३ साड। १४ बैल । १५ राम की सेना रियाण-पु. १ सगाई (मगनी) की एक राम (बांभी) ।।
का एक वानर । १६ इन्न । १७ अग्नि ।-वि० १ उत्तम,
श्रेष्ठ । २ देखो 'रिसमदेव'। २ बैठक, चौपाल।
रिसमजिन, रिसभदेव, रिसभेसुर, रिसभेस्वर-पु. जैनियों के रिवावेल-स्त्री. एक लता विशेष ।
तीर्थ कर जो विष्णु के चौबीस अवतारों में से एक माने रियायत-देखो 'रिमायत'।
गये हैं। रियासत-स्त्री० [40] राज्य, जागीर । किसी राजा के अधीन
रिसम-धुज-पु० [सं० ऋषभ-ध्वज] शिव, महादेव । पाने वाला क्षेत्र।
रिसवत-देखो "रिस्वत' ।-खोर='रिस्वतखोर' ।-खोरीरिरावरणी (बो)-देखो 'रीराणों' (बी)।
'रिस्वतखोरी'। रिळ-पु० मिलने की या एक होने की अवस्था या भाव।
रिसह-१ देखो 'रिसभ' । २ देखो "रिसत्रदेव' । रिलकियो-पू० रूई बगह विथडे भरकर बनाई गई छोटी | रिसझेसर, रिसहेसह-१देखो 'रिसीस्वर'।२ देखो 'रिसभदेव' । गुदड़ी या गद्दी। .
रिसाण, रिसरणी-वि० [सं०रिष] (स्त्री.रिसारणी) १ नाराज, रिळणी (बो)-देखो 'रळणी' (बो)।
नाखुश, अप्रसन्न । २ क्रोधी स्वभाव का, रूठने वाला।-पु. रिळमिळ-क्रि०वि० हिल-मिल कर, साथ-साथ ।
१ गुस्सा करने, कठने या नाराज होने की क्रिया या भाव । रिमिळणी (बी)-देखो 'रळमिळणी' (बी)।
२ क्रोध, गुस्सा, नाराजगी। ३ मान, रूठन । रिळणी (बी)-देखो 'रळणी' (बी)।
रिसाघाती-पु० शत्रु, वैरी। रिव-१ देखो 'रवि' । २ देखो 'रब'।
रिसाणो (बो)-देखो 'रीसाणी' (बो)। रिवताळ, रिवताळो-देखो 'रावताळो' ।
रिसायल-वि० क्रोधी स्वभाव का, गुम्सैल । रिवमंडळ-देखो 'रविमंडळ'।
रिसालदार-पु० [अ० १ प्रश्वारोही सेना के एक दल का रिवदास-देखो 'रैदास'।
नायक । २ एक सैनिक पद। रिवबंसी-देखो 'रविवंसी'।
रिसालो-पु० [अ० रिसालः] १ अश्वारोही सेना । २ सैनिकों रिवाज-पु. [४०] प्रथा, रश्म ।
की टुकड़ी। ३ सेना, फौज । ४ रावणा राजपूतों के लिये रिवाड़ी-देखो रेवाड़ी'।
प्रयुक्त होने वाला एक सम्मान सूचक सन्द । -वि. रिस-स्त्री. १ क्रोध, गुस्सा । २ देखो 'रिसि' ।-गारी-वि०
गुस्सल, क्रोधी। क्रोधी, गुस्सैल ।
रिसि-पु० [सं० ऋषि] १ तपस्वी, मुनि, संन्यासी, ऋषि । रिसपो (बो -क्रि० [सं० रसनं] १ द्रव पदार्थ का धीरे-धीरे
२ श्रुति, सत्य घोर तप में पूर्ण निरत रहने वाला मंत्र बहना, रसना । २ टपकना, चूना, झरना। ३ समाना,
रष्टा, वेद मंत्रों का प्राचार्य । ३ अनुष्ठानादि कर्म बतलाने पास्मसात होना। ४ सोखा जाना।
वाले सूत्रों का रचयिता। ४ कोई सिद्ध पुरुष, महात्मा, रिसतेदार-देखो "रिस्तेदार'।
साधु । ५ नारद मुनि । ६ बृहस्पति । ७ एक देव जाति । रिसतो-देखो 'रिस्तो।
ऋषिकेश नामक तीर्थ । प्रकाश की किरण । १० मत्स्य रिसपत-देखो 'रिस्वत'।-बोर-'रिस्वतखोर'।
विशेष । ११ सात तारे, सप्तर्षि । १२ मात की संख्या । रिसपतियो, रिसपती-देखो 'रिस्वती' ।
-अस्त-पु. उत्तर व वायव्य के मध्य की दिशा।
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रिसिक
। ४८६ )
रीजणी
-राई, राज, राय-पु. नारदादि बड़े ऋषि ।-पर-पु. | ४ करुणा करना । ५ बड़बड़ाना । ऋषियों में श्रेष्ठ, ऋषि श्रेष्ठ ।-व्रत-पु. ऋषियों की रोंकाणी (बो)-क्रि. १ रुलाना विलाप कराना। २ दुःखी तपस्या, साधना, नियमादि ।
करना, दुःख देना। ३ रंज कराना, पश्चाताप कराना। रिसिक-स्त्री० [स० रिषीक] तलवार ।
४ करुणा कराना। रिसिबता-स्त्री० एक सती (जैन)।
रीखरण-स्त्री० टिड्डी का छोटा बच्चा। रिसिपूनम, रिसिपूररिणमा-स्त्री० श्रावण शुक्ला पूणिमा। रीगटियो, रौंगटो-वि. कृशकाय, पतला-दुबला । रिसिप्रतत्य-पु. ऋषियों द्वारा रचित शास्त्र ।
रोंगी-स्त्री. शिकार किये गये खरगोश का शिर। रिसिवरणी (नी)-स्त्री० [सं० ऋषि-वसिनी] गौतम ऋषि की | रौंगो-पु. द्रव पदार्थ की धारा । पत्नी महल्या।
रीछ-पु. [सं० ऋक्ष] (स्त्री० रीछड़ी, रीछी) १ समस्त शरीर रिसिसवन-पु० ४९ क्षेत्रपालों में से सातवां ।
पर लंबे काले बालों वाला एक चौपाया जंगली जानवर । रिसीव, रिसींद्र-पु० [सं० ऋषि-इन्द्र] ऋषियों में श्रेष्ठ।
भालू ऋक्ष । २ जाम्बुवान ।-वि. कृष्ण वणं, काला । रिसी-देखो "रिसि'।-अस्त='रिसिप्रस्त'।
-पत, पति, राज-पु० जाम्बवंत । रिसोकुल्या-स्त्री० एक पौराणिक नदी।
| रीछड़ी-स्त्री. १ मादा भालु, ऋक्षो। २ श्रीकृष्ण की पत्नो रिसीकेस-T० [सं० हृषीकेन] १ विष्णु का एक नाम, ईश्वर ।
जांबवंती। २ श्रीकृष्ण । ३ एक तीर्थ विशेष । रिसोपचमी (पांचम)-स्त्री० [सं० ऋषि-पंचमी] भादव शुक्ला
रौंछी, रौंछीट-स्त्री. १ ए का बादल, बुध, कोहरा । पचमी तिथि।
२ पशुषों की मस्ती। मस्त अवस्था। रिसीस, रिसीसर, रिसीस्वर-पु० [सं० ऋषीय ऋषियों में
रांची-पाखर-पु० घोड़े की गर्दन के बांधने का, चमड़े या कपा
छापाखर बेष्ठ, ऋषीश्वर।
का उपकरण विशेष । रिस्ट-पु० [सं० रिष्ट] १ सौभाग्य, समृद्धि, ऐश्वयं । २ अनिष्ट. | रीज-देखो 'रीझ' । हानि, नाश । ३ दुर्भाग्य, ममाग। ४ पाप । ५ उपद्रव ।
रीजणी (बो)-देखो "रीझणी' (गे)।
रीश-देखो 'रोझ'। रिस्टा, रिस्टि-स्त्री० [सं० रिष्टि:] तलवार ।
रीझरणी (बौ), रीक्षवली (बी)-देखो परीक्षणों (बी)। रिस्तेदार-पु० [फा० रिश्त:दार] | नातेदार, संबंधी ।
रौशवार-देखो 'रिझवार'। २ वंशज, बंधु, बांधव ।
रीशारणी (बी)-देखो रीझारणो' (बी)। रिस्तेवारी-पु० [फा०रिश्तादारी] नाता, रिपता, संबंध।
रीटो-पु. कच्ची ककड़ी। रिस्तेमंद-पु० [फा० रिपतेमंद) संबंधी, नातेदार।
री-स्त्री० [सं०] १ गति, चाल । २ बहाव, प्रवाह । ३ ध्वनि, रिस्तो-पु० [फा० रिश्त] १ नाता, संबंध, लगाव । २ किसी
शब्द । ४ बध, हत्या ।-विभ० की। प्रकार का सम्पर्क।
रोख-देखो 'रिसि'। रिस्यमूक-पु० [सं० ऋष्य-मूक] पंपापुरी के पास का एक पर्वत । |
रोखण-देखो 'रीखण'। रिस्वत-स्त्री० [फा० रिश्वत] १ घूस, उत्कोच । २ प्रधर्म
रीखाराज-देखो "रिसिराज'। करवाने का द्रव्य।-खोर-वि० घूस लेकर अधर्म करने
रोखोकेस-देखो 'रिसिकेस' । वाला।-बोरी-स्त्री० घूस लेने का कार्य ।
रोख्या-देखो 'रक्षा'। रिस्वतियो, रिस्वती-वि० रिश्वत लेने वाला, घूसखोर। गो-पयवा ति। रिहणी (बौ)-देखो 'रहणी' (बी)।
रीछ-देखो 'री'। रिद्वा-वि० [फा० रहा] १ बंधन मुक्त, कैद से छूटा हुमा । रोटी-देखो 'गैंग्रडी'। २ मुक्त।
रोचपत (पति, राज)-देखो 'रौंछपति'। रिहाई-स्त्री० मुक्ति, छुटकारा । कैद या अपराध से मुक्ति। रीछी-देखो 'रौंछी'। रिहाइ-स्त्री० जबरदस्ती (मेवात)।
रोछोमो-पु० १ एक प्रकार का मिह । २ देखो 'ख' । रिहेसर (क, 4)-देखो 'रिसीस्वर'।
रीज-देखो 'गेम'। रीकरणो (बो)-क्रि० १ रोना, विलाप करना। २ दुःखी होना| रीजक-देखो 'रिजक' ।
रंज करना पछताना । ३ तरसना, लालायित होना। रीजणी (बी), रोजवरणो (बो)-देखो 'रीझणी' (बी)।
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रोजवार
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( ४८९ )
रजवार - देखो 'रिभवार' ।
रीजाणी (बो), रीजावणी (बी) - देखो 'रीभारणी' (बी) । रोम (कु) स्त्री० [सं०] [ऋद्धि] १ प्रसन्न, खुश या मुग्ध होने की क्रिया या भाव। २ प्रसन्नता, खुशी ३ पुरस्कार, इनाम । ४ बख्शीश । ५ उदारता । ६ धनुग्रह, कृपा । रोझण, रोक्षणी - वि० (स्त्री० रीभरणी ) १ मोहित या मुग्ध ।
२ प्रसन्न, खुश । रीक्षण (ब) - क्रि० [सं० ऋध्] १ प्रसन्न होना, खुश होना । २ मोहित होना, मुग्ध होना । ३ मस्त होना मग्न होना । ४ तुष्टमान होना । ५ पुरस्कार देना, इनाम देना । ६ उमंगित होना, उत्साहित होना ७ पुलकित होना । रोझळ - वि० १ प्रसन्न होने वाला, खुश होने वाला २ मोहित या मुग्ध होने वाला । ३ जानने वाला । ४ दातार, दानी । रोजवणी (बी) देखो 'रीझणो' (बो)। रीझवार देखो 'रिभवार' ।
रोमवारगी - स्त्री० १ रिझवार होने की अवस्था या भाव। २ दान करने की प्रवृत्ति या स्वभाव ।
रीस विहायत वि० दातार, दानी
शाणी (बी) - क्रि० १ प्रसन्न करना, खुश करना। २ मोहित करना, मस्त करना । ३ मस्त करना, मग्न करना ४ तुष्ट होने को प्रेरित करना ५ उमंदित उत्साहित करना । ६ पुलकित करना ।
रावण (बी) देखो 'रीकाणी' (बी) ।
री-देखो 'राम'
रीझौ-वि० रोझने वाला ।
शाळा
शाली-विभाळी १
व
प्रसन्न करने वाला । २ मोहित या मुग्ध करने वाला । ३ उदार, दानी । ४ रसिक ।
रीठ- पु० [सं० रिष्ट- रिष्टि ] १ युद्ध, समर । २ तलवार । ३ शस्त्र । ४ शस्त्र प्रहार या प्राघात । ५ शस्त्र प्रहार की ध्वनि शासीत तीव्र सर्दी रीठरण- देखो 'रीठ' ।
रीठो-पु० १ एक बड़ा जंगली वृक्ष । २ इस वृक्ष का फल । ३ देखो 'रीठ' |
रीढ रोडक - पु० [सं० रीढ़क] १ मनुष्य प्रादि प्राणियों के पृष्ठ भाग की खड़ी हड्डी, मेरुदंड । २ किसी बात या विषय का मूल आधार । ३ नाश, संहार । ४ फूंक या वायु से बजने वाले वाद्यों का स्वर बनाने वाला उपकरण । tant (बी) - क्रि० मर्यादा भंग करना, अवज्ञा करना ।
रीठा स्त्री० १० हठ, जिद्द, दुराग्रह । रसवंबर देखो 'बोर'
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रोणवास देखो 'रावास' | रोणायर-देखो 'रत्नाकर ।
देखो 'रण'
1
रोमी वि० १ तथाय २ मीच दुख रीत स्त्री० [सं० रीति ] १ प्रथा, रस्म, परम्परा, रीति ।
२ तौर तरीका, ढंग, विधि । ३ नियम, कायदा | ४ स्वभाव, प्रादत, प्रकृति । ५ मर्यादा । ६ स्थिति । ७ धार्मिक विधान । ८ वर या वर पक्ष की घोर से कन्या के पिता का कन्या के बदले में दिया जाने वाला धन । मांत स्त्री०] तौर तरीका ढंग रिवाज पु० रस्मोरिवाज परम्परा ।
रीळ
-
तवणी (बी) - क्रि० खाली होना, रिक्त होना ।
रीतहड़, रीतहर, रीतहरी - स्त्री० शकुनशास्त्र में अंध दिशा
का नाम ।
रीति, रीती स्त्री० [सं० रीति] १ गीत या गायन की लय, तर्ज । २ संस्कृत साहित्य में प्रोज, माधुर्य या प्रसाद गुग्ग युक्त एक वर्णन शैली । ३ हिन्दी व राजस्थानी साहित्य में मध्ययुगीन काव्य रचना की शैली ४ देखो !रात' । ५ बहाव । ६ नदी । ७ स्रोत । ८ रेखा, सीमा । ९ ढग । १० शैली |
तोड़-पु० [सं० रिक्त] चरस वाले (झेलम) कुए पर बैलों के चलने व वापिस लोटने का रास्ता ।
रीती- वि० [सं० रिक्त] (स्त्री० रीती) १ रिक्त, बाली
२ प्रज्ञ, प्रज्ञानी । ३ परवश, पराधीन ४ मोहताज । ५ निर्धन, गरीब, बंगाल ६ हताश, निराश ७ रहित, विहीन |
रोध-देखो 'रिद्धि' ।
णी (बी) देखो 'झी' (बी) रोल-देखो 'रीत' ।
रोम-स्त्री० १ तलवार २ एक ही प्रकार व माप के ५०० कागजों की नहीं।
रीर, रीराटी-पु० १ प्रलाप २ दर्द भरी आवाज, करुण पुकार, कराहट ।
रणी (बी) ० १ गिड़गिड़ाना २ दन करना, रोना ३ दुःख गट करना ।
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रीराड़णी (बो), रीराणी (बी), रीरावणों (बौ) - क्रि० १ गिड़गिड़ाना । २ रुदन करना, रोना । ३ दुःख प्रगट करना । शेरी पु० [सं० रिरी] पीतल
रीवा स्त्री० गिगाहट बिलबिलाट
रोळ-स्त्री० १ शरीर में रह-रह कर या सहसा उठने वाला तीव्र दर्द । २ तीव्र शीत लहर ।
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रील
( ४९० )
रुकवाणी
रील-स्त्री. १ एक प्रकार का प्लास्टिक का फीता, जिस पर | सभड़ौं, रुपडी (डो)-देखो 'रूड़ो' । (स्त्री० रुपड़ी)
किसी चित्र या दृश्य की प्रतिछाया ली जाती है। सिनेमा रुग्रामळ-पु० रूमाल। को रील । २ बारीक व पक डोरे का गट्टा।
रुइ (ई)-देखो 'रुचि'। रीव-स्त्री० [सं० रवः] १ हाहाकार, करुण क्रन्दन । २ पीड़ा | सहर-देखो 'रुधिर'। कष्ट । ३ चिल्लाहट ।
रुक, रुकड़-देखो 'रूक' । रोवो (बो)-क्रि० रोना, रुदन करना।
रुकरणी-स्त्री० रुकावट, रोक, बंधन । रोषो-देखो 'रीव'।
रकरणो (बी)-क्रि० १ ठहरना, ठहर जाना, रुकना । प्रागे कदम रीस-स्त्री० [सं० रिष्] १ क्रोध, गुस्सा, कोप । २ डाह, ईया।। न बढ़ाना । २ थमना, रुकना । ३ गतिमान न रहना। रीसड़ली-देखो 'रीस'।
४ क्रम बद हो जाना । ५ अवरुद्ध होना बाधा पड़ना । रीसट, रीसटाळ, रीसटाळू, रोसटियो, रीसटी, रीसद-वि० ६ विकास या प्रगति न होना । ७ कार्य मागे न बढ़ना, कोप या क्रोध करने वाला, क्रोधो, गुस्सल ।
कार्यवाही रुक जाना । स्तंभन होना । रीसगी (बो)-क्रि० [सं० रिष] क्रुद्ध होना, खफा होना। रुकनावाव-पु. [फा० रुक्नावाद] १ मुसलमानों का एक तीर्थ । रोसवतो (वतो)-वि० (स्त्री० रीसबंती) क्रोधी, क्रुद्ध स्वभाव २ ईरान की एक नदी। वाला।
रकम पु० [सं० रुक्म] १ स्वर्ण, सोना। २ रुक्मणी के बड़े रीसवारणी (बी)-देखो ‘रीसाणो' (बी)।
___ भाई का नाम । ३ एक मात्रिक छंद विशेष । रीसांणउ, रीसांगी-देखो 'रिसाणो' ।
रुकमइयो-पु० [सं० रुक्मी] रुकमणी के बड़े भाई का नाम । रीसाणी (बी)-क्रि० क्रोध करना, कोप करना, रूठना, नाराज रुकमकर-पु० [सं० रुक्मकर पारम । होना, अप्रसन्न होना।
रुकमकारक-पु० सं० रुक्मकारक] सोना, स्वर्ण । रीसाळ, रीसाळू-वि० क्रोध करने वाला, गुस्सा करने वाला।
हकमकेस-पु० [सं० रुक्मकेश] रुक्मणी का एक भाई। रोसावणो (बी)-देखो 'रीसारणो' (बी)।
रुकमण-स्त्री० रुक्मणी । रीसोच-वि० क्रोध या कोप करने वाला।
रुकमणकत (कथ)-पु० [सं० रुक्मिणीकांत] १ श्रीकृष्ण । रीसो-देखो 'रीस'
२ ईश्वर। 5-देखो 'रोम'।
रुकमणवर, रुकमणवरण-पु० [स० रुक्मिणी+वरण] श्रीकृष्ण । आळी-देखो 'रोमावळी'।
रुकमरिण-देखो 'रुकमणी'। प्री-देखो 'रोम'।
रुकमरिणयौ-देखो 'हकम'। इंज-पु. एक प्रकार का वाद्य विशेष ।
| रुकमरिणरमण (वीव, हार )-पू. [सं० रुक्मिणी-रमण ] रंड-पु० [सं० रुण्ड] १ मस्तक रहित शरीर । धड़, कबंध ।।
१ श्रीकृष्ण । २ विष्णु । २ हाथ-पांव कटा हुमा शरीर । ३ शिर, मस्तक । ४ एक | कमणी-स्त्री० [सं० रुक्मिणी] विदर्भ की राजकुमारी व प्रकार का रण वाद्य ।-माळ. माळका, माळा-स्त्री० वीर
श्रीकृष्ण की पटरानी। गति प्राप्त वीरों के शिरों की माला।
रुकमबाह-पु० [सं० रुक्मबाह] विदर्भ का एक राजकुमार । इंडमाळी-वि० १ वीरों के शिर की माला पहनने वाला, रुकमपुर-पु० [सं० रुक्मपुर] गरुड़ के निवास स्थान का एक (महादेव, दुर्गा)। २ देखो 'रुडमाला'।
प्राचीन नगर। इंडमुड-वि० मुडे हुए शिर का या मुडित शिर ।
हकममाळी-पु० [सं० रुक्ममालिन] विदर्भ का एक अन्य इंडळ, रंडळो-देखो 'ड' ।
राजकुमार। इंडहार, रडावळ, हंडावळी-देखो 'डमाळा' ।
रुकमरथ-पु० [सं० रुक्मरथ] विदर्भ का एक राजकुमार । संडिका-स्त्री० रण-भूमि, युद्धस्थल ।।
रुकमांगद-देखो 'रुक्मांगद' । इंदणी (बी)-क्रि० १ पैरों तले रोंदा जाना, कुचलना । रुकमिणी-देखो 'रुकमणी'। २ रोंदना । ३ रुधना, रुकना।
रुकमियो, रुकमैयौ, रुकमो-देखो 'रुकम' । मडी-स्त्री. १ एक प्रकार की वनस्पती । २ फोड़ा, फुन्सी। रुकम्मरिण-देखो 'रुकमणी'। हवाळी-देखो 'रोमावळी' ।
हारुदंती-स्त्री० एक वृक्ष विशेष । साहरणो (बो)-क्रि० क्रुद्ध करना।
रुकवाणो (बो)-देखो 'रुकाणो' (बो)।
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संकसत
स्मसत, कस्त-देखो 'रुखसत' ।
रुखांनी-स्त्री. १ बढ़ई का एक प्रौबार विशेष रगतपसों काणी (गो)-क्रि.१ रुकवाना, रोकने का कार्य कराना। २ बंद | | को टांकी।
करवाना, चलने न देना, रोकने के लिये प्रेरित करना। हखाई-स्त्री. रस का प्रभाव, सरसता का अनाव, यापन। काय, हकावट-स्वी०१ बाधा, अड़चन, विघ्न, रोक । प्रवरोध | नीरसता, कठोरता ।
गतिरोध। २ अवरोधक तत्त्व, बाधक । । मलावरोध, | रखनळ-स्त्री० [सं० रोषानळ] क्रोधाग्नि, क्रोधानल । कम्न । ४ स्तंभन ।
रुखापरण, रुखापणो-देखो 'रुखाई। हुकुम, रुकुमी-देखो 'इकम'।
रुखाइखी-स्त्री० लिहाज। रुको, को-पु. [म. रुक्कण] १ छोटा पत्र या चिट्ठी, कागज उखाळखो (बो)-क्रि० [सं० रक्ष] १ रक्षा करना । २ निगरानी
का परचा । २ चिट्ठी, पत्र । ३ प्रमाण-पत्र, सनद । ४ प्रेम या चौकसी करना । ३ खेती की देखभाल करना । पत्र । ५ ऋण-पत्र ।
४ चौकीदारी करना। सक्ख-१ देखो 'ख'। २ देखो 'हख'।
रुखाळो-स्त्री० [सं० रक्षा] रखवाली, चौकसी, देख-रेख, रुक्मणी-देखो 'रुकमणी'।
निगरानी। चौकीदार का काम, चौकीदारी। कक्मांगद-पु. [सं०] इक्ष्वाकुवंशीय एक प्राचीन राजा।
-वि० रखवाली करने वाला। इक्मिणि (पी)-देखो रुकमणी' ।
रुखाळी-वि० [सं० रक्षक] (स्त्री० रुखाळी) १ रक्षा करने रुक्सत-देखो 'रुखसत'।
वाला, रक्षक । २ चौकसी करने वाला, चौकीदार । ख-स्त्री० [फा०] १ गाल, कपोल । २ क्रोध, कोप । ३ चहरे | रुखावट, रुखाहट-स्त्री० रूखाई, खापन ।
का हाव-भाव । ४ प्राशय, मतलब । ५ मनोभाव, इच्छा। हलिता-स्त्री० क्रोध करने वाली नायिका । ६ भावना। ७ इशारा । ८ कृपारष्टि, महरबानी। रुखी-देखो 'रिसी'। ९ सामने या भागे का भाग । १० साक्षात्कार । ११ शतरंज | रुखोसर, रुखोस्वर, खेस्वर-देखो 'रिसीस्वर'। का हाथी नामक मोहरा । १२ तरह, भाति, प्रकार । एखी-वि० (स्त्री० रुखी) १ बिना, रहित । २ देखो 'खो'। १३ पक्ष। १४ सापेक्ष रष्टिकोण । -वि. १ समान, | रुग-पु. [सं० रुग्ण] १ बीमार, रोगी। २रोग, बीमारी। सदृश, तुल्य । २ भोर, तरफ, सामने ।
३पीड़ा, दर्द । ४ तौर चलने या पक्षियों के उड़ने से रखभदेव-देखो "रिसभदेव'।
उत्पन्न ध्वति । खम, रुखमइयो. रखमईयो-देखो 'ककम'।
हगड़, रुगट-पु. खेल में किया जाने वाला यम । इखमणरमण, रुखमणिवर-देखो 'ककमणवर'।
रुगटाळ-वि० १ खेल में छल करने वाला, कपट से खेलने रुखमणि, रुखमणी (नी)-देखो 'कमणी'।
वाला । २ धूर्त, चालाक, दुष्ट । । कपटी। रुखमांगव-देखो 'रुक्मांगद' ।
रुगटी-वि० १ खेल में की जाने वाली बदमाशी, भूल, कपट । इखमी-देखो हकम'।
२ देखो ‘रुगटाळ'। इखमीणी, इसमीनी खम्ममी-देखो 'रुकमणी'।
हगड-वि० १ मूर्ख, नासमझ । २ दुष्ट, पतित नीच। रुखळलो (बो)-क्रि० १ रक्षा होना, रक्षित होना। २ किली रुगण-वि० [सं० रुग्ण] १ बीमार, अस्वस्थ । २ रोगग्रस्त, की निगरानी या चौकसी में होना।
__रोगी । ३ सुस्त, उदास । रुखवाळ-देखो 'रुखाळो', 'रखवाळी' ।
रुगबवंसी-पु. प्रति विर्षला एक सर्प विशेष । रुखबाळरणो (बो)-देखो 'रुखाळणी (ो)।
रुगनाव-देखो रघुनाथ'। स्खवाळी-देखो 'रखवाळी'।
रुगो-टुगौ-पु. काम चलाऊ पदार्थ । -वि. खिन्न, उदास । रुखसत-स्त्री० [म. रुख्सत] १ विदा होने की क्रिया, विदाई। हग्गी-युग्गी-वि० बचा हुमा, पवशिष्ट ।
२ कार्य से मुक्ति, छुट्टी। ३ सेवा निवृत्ति । ४ अनुमति, | रुघ-१ देखो 'रिगवेद' । २ देखो 'रघु'। इजाजत ।
रुपईमरुधकुळतिलक-देखो 'रघुकुलतिलक' । रुखसति, रुखसती-वि. १ विदा होने वाला। २ मियत्त या | रुघचंद, रुघदेव, रुघनंद (नंबरण, नवन)-देखो 'रघुनंदन' ।
मुक्त होने वाला । रुखसत, संबंधी।-स्त्री०१ विदाई। घनाथ, रुघनायु-देखो 'रघुनाथ' । २ कन्या की विदाई मौना। ३ मोने के समय दामाद को | धनायक-देखो 'रघुनायक' । दिया जाने वाला धन (मुसलमान)।
| रुधपत, धपति, रुधपत्ति-देखो 'रघुपति'।
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रुणझुगियो
रुघबर, भूप, घमंड, स्वयंवि-देखो 'रघुवर'।
चि-पु. [सं०] १ ब्रह्मा के मन से उत्पन्न एक प्रजापति । रुघरज, घण-देखो 'रघुराज'।
-स्त्री० २ किरण । ३ शोभा, सुन्दरता । ४ प्राचा, दीप्ति, इधरती-देखो रघुरांणी'।
प्रकाश । ५ अभिलाषा, इच्छा, कामना । ६ एक अप्सरा का रुघरांम-देखो 'रघुराम' ।
नाम । ७ कोई अप्सरा । ८ पसंदगी, अभिरुषि। ९ स्वाय, रुघरा (राई, रास, राज, राबा)-देखो 'रघुराज'।
जायका । -वि० सुन्दर, मनोहर ।-कर, कारक, कारीरुघवंस-देखो 'रघुवंस'।
वि० अभिरुचि जागृत करने वाला । स्वादिष्ट, जायकेदार । रुघवंसमरिण (पी)-देखो 'रघुवंसमरिण' ।
भूख बढ़ाने वाला। रुपसरण (रवि)-देखो 'रघुवसरवि' ।
रुविधांम-पु० [सं०] सूर्य, रवि । घबंसी-देखो 'रघुवंसी'।
रुचिमरता-पु. [सं० रुचि-भत] सूर्य, रवि । रुघबर-देखो 'रघुवर'।
रुचिर-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण का एक पौत्र । २ एक कुरुवंशीय रुषवीर-देखो 'रघुवीर' ।
राजा । ३ केसर ।-वि० १ सुन्दर, मनोहर । २ पश्चा, रुधवेब-देखो 'रिमवेद'।
भला। ३ मीठा, मधुर। रुघुनंदन-देखो 'रघुनंदन'।
हचिरा-स्त्री० । केसर । २ सुप्रिया छंद का नाम । ३ एवं वर्ण रघुनाप-देखो 'रघुनाथ'।
वृत्त विशेष। का नाक-स्त्री. १ नगारे की ध्वनि । २ तेज भागने की | रुचिरोमा-स्त्री० [सं०] स्कंद की अनुचरी एक मातका ।
क्रिया । । वीररस पूर्ण एक राग या लय । ४ देखो 'रड़क'। रुचिसती-स्त्री० [सं०] श्रीकृष्ण की नानी । काकरपी (बी)-क्रि० १ लुढकना, पड़ना । २ देखो 'रडकणो'(बी)| रुज-पु. [सं] १ रोग, बीमारी। २ पीड़ा, वेदना । ३ देखो 'रुड़णो' (बो)।
रुजक-देखो 'रिजक'। काकाणी (बो)-क्रि० १ लुढ़काना, पटकना । २ देखो रुजगार-देखो 'रोजगार'। 'रुडारणो' (बी)।
| हजा-स्त्री० [सं०] रोग, बीमारी। थकावट, पान्ति । करणो (बी)-क्रि० १ नगाड़े बजना । २ गुड़कना, लुढ़कना। रुम-देखो 'रोझ'।
३ धूमना, चक्कर काटना। ४ वीररस में गाना। ५ रोना। हमणी-स्त्री. एक प्रकार की चिड़िया। हापापो (बी)-देखो रुडाणी' (बी)।
| हमणो (ो)-क्रि० अवरुद्ध होना, रुकना । बामाणी (बी), रडारणी (को), कडावरणी (बो)-क्रि०क्ट ()-पु. [सं० रुष्ट] रूठने की क्रिया या भाव, क्रोध,
१नगाड़ादि बजाना, बजवाना। २ वीररस पूर्ण राग | कोप, गुस्सा । गाना । ३ गुहकाना, चक्कर कटाना । ४ रुलाना, | रुट्ठणो (बो)-देखो 'रूठणी' (बी)। रुदन कराना।
ठाणो (बी)-देखो 'रूठाणो' (बी)। कड़ो-देखो 'कड़ों' (स्त्री छड़ी) ।
करणी (बी)-देखो 'रुड़णो' (बी)। रुच-पु. [सं०] सूनीय राजा के पुत्र का नाम ।-वि० १ सुन्दर,
| रुडाणी (बी) रुडावरणो (बी)-देखो 'रुडाणो' (गे)। मनोहर । २ देखो 'रुचि' ।
| रुणउरगणो (बो)-कि० भौंरे का मंडरामा।
पक-स्त्री. १ याद, स्मृति । २ इच्छा। ३ वनि, झन्कार। पचक-पु० [सं० रुचका] १ सुमेरु पर्वत के निकट का एक
रुपकजुणक-स्त्री० नूपुर की ध्वनि, झन्कार । पर्वत । २ एक यादव राजा। ३ इक्ष्वाकुवंशीय मसक राजा
रुगजुण-देखो 'रुणझुरण।। का नाम । ४ वास्तुविद्या में भवन की एक बनावट विशेष । ५ घर, मकान । ६ घोड़े के प्राभूषण । ७ दक्षिण दिशा ।
रुणझणणो (ब)-देखो 'रुणझुरणरणो' (बी)।
रुणझुण-स्त्री०१ नूपुर की ध्वनि । २ पायल की झन्कार । कबूतर। [सं० रुचकम] ९ गले का हार मादि प्राभूषण। -वि० [सं० रुचक १ रुचिकर, रोचक, अच्छा, पसंद
२ झनझनाहट । ४ मधुर ध्वनि। लायक । २ स्वादिष्ट जायकेदार ।
रुणझुणकणी (बो)-देखो 'रुणझुणणी' (बी)।
रुणझुणणो (बो-क्रि० नूपुर, पायल मादि का बजना । झन्कत रुचरणी (बी)-क्रि० १त्रिय या प्यारा लगना, मच्छा लगना ।
होना । मधुर ध्वनि होना । छम-छम करना। २ रुचि के अनुसार लगना । ३ पसंद माना।
रुणझुषि-देखो 'रुणझुण'। इबर-देखो 'रुचिर', 'रुचिकर'।
रुणझुणियो-पु. १ छन-छन बोलने वाला बिलौना । २ एक एचप, चावप-पु० [सं० रुचवपु] रक्त, खून, रुधिर।
लोक-गीत विशेष ।
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रुणा
बद्रायण
करणा-स्त्री० सरस्वती नदी की एक सहायक नदी।
कळस-पु० [सं० रुद्रकलश ग्रहों की शांति के लिये स्थापित रुणावळी-देखो 'रोमाबली' ।
कलश । बली-स्त्री.घोड़ों की एक जाति ।
| रुद्रकाळी-स्त्री० [सं० रुद्रकाली] दुर्गा की एक मूर्ति । इत-स्त्री० १ रूई, कपास । २ ऋतु, मौसम । ऋतु के अनुसार | रुद्रकु-पु० [सं०] रूपकुंड का नामान्तर । बजका एष तीर्य। होने वाला कार्य या वस्तु । ४ समय, अवसर।
रुद्रकोट, कोटि-पु. एक प्राचीन तीर्थ । इतबो-पु. [म. रुत्वा] समाज, परिवार या किसी क्षेत्र में | रुद्गरम-पु० [स० रुद्रगर्भ] पग्नि, माग ।
किसी व्यक्ति का होने वाला प्रभाव, रोब। २ प्रतिष्ठा, रुपाण-पु. संहार, ध्वंस । गौरव, मर्यादा। ३ पद की गरिमा ।। उच्च पद। हज-पु० [सं०] पारा।-वि० रुद्र से उत्पन्न । ५ श्रेष्ठता, बड़ाई।
खजटा-स्त्री०१ शिवजी की जटा । २ एक प्रकार का भुप। कति, पति, कत्ती-देखो 'रितु'।-राज- रितुराज'।
३मौंप । ४ इसरोल। ती-देखो 'रुद्रवंती'।
रुद्रताळ-स्त्री० [सं० रुद्रताल] संगीत में एक ताल । रुवम-पु० [सं०] १ रोने की क्रिया या भाव । २ रोने का | रुद्रतेज-पु० [सं०] स्वामिकात्तिकेय । शब्द, मावाज।
छानक-पु० [सं० रुद्रस्थान] कैलाश पर्वत । बर-१ देखो 'रुद्र' । २ देखो 'रुधिर'।
रुद्रप्रयाग-पु० गढ़वाल जिले का एक ती। हारांणी-देखो 'रुद्राणी'।
हाबीसी-देखो 'रुद्रवीसी'। रुबराख, रुबराछ-देखो 'रुद्राक्ष' ।
रुद्धभू, मभूमि-स्त्री० [सं०] श्मशान, मरघट । रुक्ति-वि० [सं०] १ रोता हुमा । २ व्याकुल । ३ दुःखी।
भैरवी-स्त्री० [सं०] दुर्गा की एक मूर्ति । रवीण, रुधबोणा-देखो 'रुद्रवीणा' ।
समाळ, रुद्रमाळका-देखो 'रुद्रमाळा' । रहाणी-देखो 'रुद्राणी,
रुखमाळय-पु. एक तीर्थ का नाम । बड (३.)-वि० [सं०] १ जिसकी चाल या गति बंद हो गई
हनमाळा-स्त्री० [स. रुद्रमालिका] १ शिव के गले का हार।
२ मूडमाला। हो, बंद । २ रुका, हुमा, अवरुद्ध । ३ घिरा हुआ, घेरा | हुमा । ४ पकड़ा एमा।
हारस-देखो 'रौद्ररस'।
खरोखी-देखो रुद्राणी'। बडगी बो)-देखो 'रूपरणो' (बी)।
खरोवन-पु० [सं०] स्वर्ण, सोना। रुमा-वि०१ रोकने वाली। २ मिटाने वाली।
खरोमा-स्त्री० एक स्कन्द मातृका। हडि-देखो 'रिद्धि।
हालता-स्त्री० [सं०] रुद्रजटा । का-पु० [सं०] १ पुराण प्रसिद्ध ग्यारह देवताबों का एक |
सावंती-स्त्री० [सं०] एक प्रसिद्ध पौषधि । समूह या इस समूह का कोई देवता । २ शिव का एक नाम ।
हावाबा-स्त्री० [सं०] सर्वथा सत्य वचन । शिव का रौद्र रूप । ४ शनिश्चर । ५ घोड़े के कर्ण
सावीणा-स्त्री. नारद की वीणा, एक प्रकार की बीणा । मूल पर होने वाली भौंरी। वट वृक्ष । . ग्यारह की सख्या ।-वि० १ भयंकर, भयावह । २ देखो 'रौद्र' ।
| हबसावरणी-पु० [सं० रुद्रसारिण] बारहवें मन्वंतर का ३ देखो 'रुधिर'। -बातम-'रुद्रात्मज'।-कड़ी-पु.
। अधिपति मनु। भस्मासुर को मारने वाला शिव का कड़ा।-गरण-पु.] सुबरा-स्त्रा० [स०] दुगा का एक मूात ।। शिव के गण, पार्षद। -घरमीत्री पार्वती, दुर्गा । बामणी,वाणी-स्त्री० [सं०रुद्राणी] १ शिव की पत्नी पार्वती,
-तनय-पु. स्वामि कात्तिकय, गणेश। श्रीकृष्ण का एक शिवा । २ रुद्रजटा लता। ३ एक रागिनी । ४ ग्यारा नाम । -पत, पति-पु. शिव, महादेव । बादशाह।-पत्नी- वर्ष की कन्या । स्त्री पार्वती, दुर्गा का एक नाम ।-प्रिया-स्त्री. पार्वती, नाम, द्वाब, शाछ-पु. [सं० रुद्राक्ष] एक वृक्ष विशेष के हरीतकी, हरहे । -राय, राब-पु. महादेव, शिव, मोटे बीज जिसके मरिणये बना कर माला बनाई जाती है। बादशाह ।-लोक-पु. रुद्र गणों का निवास स्थान । -माळ, माळा-स्त्री० उक्त मणियों की माला। . -बान-पु. शिव के पांच मुख । पांच की संख्या।
रुद्रमातमज (मात्मज)-पु० [सं० रुद्रात्मज ] स्वामिकात्तिकय रुक-देखो 'रुद्राक्ष ।
गणेश । करण-पु. [सं० रुद्रकणे) एक तीर्थ विशेष ।
| रडायण-पु. मुसलमान ।
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द्वारि
(
४ )
कारि-पु० [सं०] कामदेव, मदन । .
रुरुप्री-पु. एक प्रकार का उल्लू । समाळ-वि० [सं० रुद्राल) रुद्र का, रुद्र सम्बन्धी ।-पु० रुरु-पु० [सं०] १ मृग, कस्तूरी मृग। २ एक राक्षस विशेष ।
१ महादेव, शिव । २ यवन, मुसलमान । ३ रुधिर। । ३ राम शब्द की ध्वनि । सा, साळू-वि. भयंकर, भयावह ।
हरुक-पु० एक सूर्यवंशी राजा । हद्वावास-पु० [सं० रुद्र-प्रावास] शिव का निवास स्थान, काशी, | रुरुभैरव-पु० दुर्गा के साथ पूजा जाने वाला भैरव विशेष । कैलाश, श्मशान ।
| हरियो-पु. मारवाड़ में चलने वाला एक प्राचीन सिक्का ।। खो-स्त्री० [सं०] १ रुद्र संबंधी वेद मंत्रों का लघु संग्रह। रुळकरणो, (बो)-देखो 'रळकणों (बी)। २ एक प्रकार की वीणा।
कळलो (ग), इलणी (बो)-क्रि० [सं० लुलनम्] १ बर्बाद होना द्रौ-देखो 'रुद्र'।
क्षतिग्रस्त होना, इतना नुकसान उठाना कि पूर्ति न हो रुधक्क, रुधर-देखो 'रुधिर'।
सके। २ दुरी दशा में पड़ना, बिगडना। ३ मन या विचारों रुधिर-पु० [सं०] १ प्राणियों का खून, रक्त । २ रक्तवर्ण । से भटकना। ४ फैलना, छितरना, बिखरना। भारी -वि० लाल।
अव्यवस्था होना, स्थिति बिगड़ना। ६ भ्रम में पड़ना, गुमरुधिरगुल्म-पु. [सं०] एक प्रकार का स्त्री रोग।
राह होना। ७ घुसना, प्रविष्ट होना। ८ चरित्रहीन रुधिरोध-पु. एक नरक का नाम। ।
होना । निरुद्देश्य भटकना। १. स्थिर न राना, स्थाई रुधिरांनन-पु० [सं०] मंगल ग्रह की वक्र मति ।
मावास का प्रभाव होना । ११ ठोकरें खाना, ठोंकरों में रुधिराळ-देखो 'रुधिर'।
पड़े रहना । १२ युद्ध के बाजे बजना। १३ विवशता में रुधिरासन-पु. [सं० रुधिराशन] १ श्रीराम द्वारा मारा गण मारा-मारा फिरना । १४ लटकना, लहराना ।
एक राक्षस । २ राक्षक, पसुर। ३ खटमल, बोक, मकर रुलपट-पु० १ पव्यवस्था, कुशासन । २ देखो 'रळपट' । प्रादि जोव।
रुळयो-देखो रुळो'। रुपावी-देखो रुपयौ।
रुळाई-स्त्री. १ रोने की क्रिया या भाव। २ अव्यवस्था । रुपट्टी-देखो रुपयौ'।
३ लटकना। उपरणो (बी)-क्रि० १ नुकीली वस्तु का किसी पदार्थ में धंसना, | रुळारणो' (बी)-क्रि० १ बिगाड़ा करना, बिगाड़ना, बर्बाद या
गड़ना । २ जमीन में धंस कर स्तंभ की तरह सीधा या खराब करना । २ अव्यवस्था, कुशासन, कुप्रबंध कराना । पाडा-टेढ़ा अवस्थित होना। ३ जमीन में फंस कर स्थिर ३ छितराना, फैलाना । ४ बिखेरना, तितर-बितर कराना। होना । ४ ठहरना, टिकना, रुकना। ५ निश्चल या स्थिर ५ घुसाना, प्रवेश कराना। ६ रणवाद्य बजवाना । होना । ६ मुकाबले में डटना, पड़ना, परिग होना।
७ रुलाना । ८ इधर-उधर फैलना, विखरना । ९ ध्वनिमान रुपयो-पु० [स० रूप्यक] १ चांदी का सिक्का, रुपया । होना।
२ पूर्व में सोलह माने तथा वर्तमान में सो पैसे के मान | लळिमाउति. सलिमाउति (ती), कळियाइत-देखो 'रळियाइत' । वाला धातु का सिक्का या कागज का नोट । ३ कागजी रळियामसो-देखो 'रळियामणी'। मुद्रा। ४ धन, दौलत।
रुळियार-वि० १ उद्दण्ड, बदमाश । २ लुच्चा, लफंगा, दुष्ट । रुपारेल-स्त्री. एक प्रकार की चिड़िया जिसके शकुन लिए . ३ दुष्ट, पाजी, नीच । ४ जिसका कोई ठोर-ठिकाना न जाते हैं।
हो। ५ निरुद्देश्य भटकने वाला। ६ चरित्रहीन, व्यभिचारी। पावमास-पु. जैनियों के ८८ ग्रहों में से २८ वा ग्रह।
'७ अनुशासनहीन, पाजाद, भवारा । ८ जिसका कोई रुपियो-देखो 'रुपयो।
महारा न हो, बेसहारा ।। रुपी-पु० जैनियों के ८८ ग्रहों में से २७ वा ग्रह।
| रुळियारगी-स्त्री. १ बदमाशी, लपटता, उद्दणता, अव्यवस्था । छपेली-वि.(स्त्री० रुपेली) १ श्वेत प्रकाश वाला। २ रुपहला। प्रबारागर्दी। २चरित्रहीनता । बाई-स्त्री० [40] १ उर्दू-फारसी की एक कविता विशेष ।
रुळियाररासो-पु० १ राजकता । २ भब्यवस्था । २ एक प्रकार का तराना, गाना।
रळियारी-स्त्री. लंपटता, बदमाशी, पवारापन । हमभुम-देखो 'रिमझिम'। स्महरी-पु. एक प्रकार का घोड़ा ।
रुळियारी-पु० गड़बड़ी, अव्यवस्था । भराजकता। इमा-स्त्री. सुग्रीव की पत्नी का नाम ।
रुळीयांमणो-देखो 'रळियांमणों'। इमापुर, दमापुरी-स्त्री० सांभर नगर का प्राचीन नाम । रुळी, रुली-देखो 'रळी' ।
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चोपायत
मान करना ।
रुस्ट - वि० [सं० रुष्ट ] नाराज, प्रसन्न । क्रुद्ध |
वस्टता स्त्री० [सं०] रुष्टता]] प्रसता नाराजगी को
1
पुस्ट वि० [सं०] हृष्ट-पुष्ट मोटा ताजा स्वस्य । रुस्टि स्त्री० [सं० रुष्टि ] कोप, नुस्खा, कोष । दस्तक - पु० एक प्रकार की मिठाई ।
दळी, रुल्यो-वि० (स्त्री० रुळी) १ बिना स्वामी या मालिक का अवारा २ बिना देखभाल का । ३ निर्जन । ४ प्रवारा । चरित्रहीन ६ व्यर्थ, फिजून
vat - देखो 'रूणी' ।
रुसवाई - स्त्री० [फा० रोशनाई] १ चमक-दमक । २ प्रकाश, रूखो-देखो 'रूख' । धानन्द, हर्ष, सुनो ४ स्याही
रोशनी इसा- देखो 'रसा' ।
सारणी (at) - क्रि० [सं० रुष्ट्] नाराज होना, क्रुद्ध होना ।
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रळीयायत देखो 'रळियाइत' ।
खड़ो, (ड़ौ) - देखो 'रूख' ।
क्रेट वि० १धवारा परिषहीन व्यभिचारी २ दुष्ट, नोच खरा (६) स्त्री० [सं०] दुख रात्रि) १ वृक्षों की कतार ।
,
उद्दण्ड
२ वनस्पती ।
सिगार पु० [सं०] वृक्ष-वार]] १ चंदन २ प फूल - फल
रूखावळि (ळी) - स्त्री० १ वृक्षों की कतार, श्रेणी । २ वनस्पती । वाळी पु० बंदर
( ४९५ )
-
रुहपत - स्त्री० [सं० पत्ररुह ] पृथ्वी, धरती ।
बहरा देखो 'रुधिर ।
रहिनाळ - पु० रक्त का नाला, धारा । रुहिर - देखो 'रुधिर' |
० एक प्रकार का कंटीला वृक्ष । झट पु० १ भंझट, झमेला । २ रुझ । रूठ-पु० १ लक्कड़, लकड़ा । २ सूखा पेड़ ।
रुस्तम - पु० १ फारस का एक इतिहास प्रसिद्ध पहलवान । २ कोई रूंड-पु० १ एक मात्रिक छंद विशेष । २ देखो 'रु'ड' | बड़ा वीर व्यक्ति ।
रुंडमाळ - देखो 'रु' डमाळ' |
रुस्तम-स्त्री० वीरता, बहादुरी
डळी-देखो 'रू'ड' |
रूण- देखो 'रूण' । रूणझूण- देखो 'रुणझुण' ।
हराळी स्त्री० [सं० रुधिर + प्रालुच] रक्त की, रक्त संबंधी रुगणी (बौ) - देखो 'रुणझुणी' (बी) । हा हाड़ी-स्त्री० मनोरथ, इच्छा।
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- केश, रोम, बाल ।
,
गटाळी - स्त्री० मेंड़ । वि० जिसके बाल अधिक हों । रूंगी-स्त्री० सनक । हंगोली - वि० स्त्री० गीली सनकी, तुनक मिजाज गू, गौ- पु० प्रश्र बूंद, मांसू । [वि० जिसके पांव तिरखे पढ़ते हो ।
रुहेलखंड - पु० श्रवध के उत्तर में, रुहेला पाठनों का एक क्षेत्र । रुहेला स्त्री० उक्त प्रदेश के पठानों की एक शाखा ।
रुहिराख - पु० [सं० रुधिराख्य ] एक प्रकार का रत्न या मणि । वारणी (बी), रुदावली (बी) - क्रि०
हिराळ-देखो 'हरि' ।
बहुला देखो 'रहेगा'।
रूपाळो - वि० (स्त्री० संग्राळी) १ रोमयुक्त, रोमवाला । २ सुन्दर, कांतिवान ।
रूख पु० [सं० रुक्ष ] १ पेड, वृक्ष । २ पौधा । ३ वंश वृक्ष । रूखड़, रूखलौ पु० १ दरियायी नारियल का खप्पर लेकर प्रलख जगाने वाला फक्कड़ । २ बंदर । ३ रूख, पेड खड़ियो वि० १ वृक्षों पर बसने वाला २ मूर्ख पु०
1
१ बंदर । २ पेड, रूख ।
बड़ी वी० जड़ी-बूटी वनस्पती
१ पैरों तले कुचलवाना, रुंदवाना | मसलाना । २ अधिकार में कराना ।
३ रुकवाना |
(ब) कि० [सं० नम्] १ रोकना २ करना । ३ प्राच्छादित करना। ४ विचारों में उलझाना, फंसाना । ५ घेरना, आवेष्टित करना । ६ रौंदना, मसलना ।
'देखो 'ई', 'रोम' |
बाली स्वी० कांति, दीप्ति २ रोमावली - वि० सुंदरानी (बी), धाणी (बी), धारणी (ब)-०१मनोहर । २ 'देखो 'वाली' ।
वाना। २ श्रवरुद्ध कराना। ३ प्राच्छादित कराना ।
४ विचारों में उलझाना। ५ घेराना, मावेष्टित कराना । ६ दाना, मसलाना ।
तोड़-० रोम के जड़ से उखड़ने से होने वाला फोड़ा। वणी (बौ), वळणो (बौ) - क्रि० १ पैरों से कुचलना, रोदना । मसलना । २ अधिकार में करना। ३ रोकना ।
རྩ་བ
1
रून स्त्री० रोने की अवस्था या भाव, रुलाई । बड़ी
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स्त्री० [१] विलून बाहर निकालने का उपकरण । २ फोड़ा, फुंसी
हंबरी पु० जाति विशेष का मोड़ा।
रूम देखो रोम' ।
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म
रूपक
हंस-स्त्री०१ तरह, भांति, प्रकार । २ शोभा, छबि, सुन्दरता। रूठणो (क)-क्रि० १ प्रसन्न होना, नाराज होना । २ कोप
३ इच्छा, चाह । ४ क्रोध, गुस्सा रोष। ५ खाद्य पदार्थ । करना, क्रोध करना । ३ मान करना, गुमान करना। -वि० समान, सदृश ।
रूठाणी (बो), रूठावणी (बी)-क्रि० १ अप्रसन्न करना, नाराज हंसगो-देखो 'रीसणो'।
करना।२ कोप कराना, क्रोध कराना। ३ मान कराना, रूसणी(नौ), सावनी (बी)-१ देखोरीसरणी' (बी)। २ देखो गुमान कराना। रीसारणो'(बी)।
रूठोड़ो, रूठौंउ, रूठो-वि० (स्त्री०रूठी,रूठोड़ी)प्रप्रसन्न, नाराज, सबार-वि० १ शानदार, सुन्दर । २ शान शौकत वाला।
| रूठा हुमा। मान किया हुमा । रूसाणी (बी), रूसावणी (बो)-देखो 'रीसाणी' (बी)।
रूडणी (बो)-देखो 'रुड़णों' (बी)। सियो-पु. १ खलिहान के चारों भोर खोदी जाने वाली।
रुडीयाळ-वि० बजने वाला । खाई। २ एक प्रकार का घास ।
हडू, रूडो-देखो 'रूड़ो'। हंसी-पु. १ प्रेत। २ राक्षस ।
रुदयौवना-स्त्री० पूर्ण युवा नायिका । ह-देखो 'रूह'।
रूढ़ा-स्त्री० लक्षणा शब्द शक्ति का एक भेद । -१ देखो रोम' । २ देखो 'गई।
रूढ़ि, रूढ़ी-स्त्री० [सं० रूकि] १ प्रथा, चाल, परम्परा । रूपाउ, रूपड़ो, अउत, रू, रूडो-देखो 'रूड़ो'।
२ विचार । ३ निश्चय । ४ साहित्य में रूढ अर्थ बोध -स्त्री० रूपड़ी, रूपडो) ।
करने वाला शब्द । हाई-स्त्री. कपास के डोडे से निकलने वाला घूमा, कोटन ।
रूणझण-देखो 'रणझण'। -दार-वि. जिसमें रूई भरी हो । जो कई जैसा नर्म हो।
रूण-स्त्री. १ मूल्य, भाव, कीमत । २ चेहरे पर लक्षित भाव । उ-पु० [सं० रूपकः, प्रा० रूपयो:] १ चांदी का एक सिक्का
३ इच्छा, भाव, रुख। विशेष । २ गायों का झुण्ड या समूह ।
रूणझुण, रूणझुणि-देखो 'रुणझुण'। बक, रूकड़-स्त्री. तलवार कृपाण। -बलाक, चालक-पु. | रूणावळी-देखो 'रोमावली'। योद्धा, वीर।-चाळी-पु. युद्ध। लड़ाई। -सड़ी-स्त्री.
रूणेची-पु. जैसलमेर जिलान्तर्गत राम्देव सिद्ध या रामापीर तलवारों के प्रहारों की झड़ी।
का स्थान, गांव या मंदिर। कमल-वि० खड्गधारी, तलवारधारी योद्धा।
रूणी-पु० १जीने या सीढी का सब से ऊपर का पत्थर या रुकमणी-देखो 'रुकमणी'।
__ चौकी । २ शतरंज का एक मोहरा। हकरस-पु० युद्ध, संग्राम । सकसम्रोधा-वि० तलवारधारी योद्धा का वंशज ।
रूपंतर-वि० [सं० रूप-अंतर] १ रूप या बनावट का भेद. इकहत्य (हत्थो, हय, हथो)-वि० [सं० रूक+हस्तं] जिसके अन्तर । २ दूसरा रूप, अन्य रूप, रूप भेद । ३ एक भूभाग हाथ में खड्ग या तलवार हो, तलवारधारी।
विशेष । रूक्मणी-देखो 'रुकमणी' ।
रूप (रूपु)-पु० [सं०] १ सौंदर्य, सुन्दरता । २ बनाक्ट, रूखा, रूखडो-१ देखो 'रुख', 'ख'।
रचना । ३ सूरत, शक्ल ४ प्रकार, भेद भांति । ५ दृश्य रूखी-वि० (स्त्री० रूखी) १ जिसमें चिकनाहट की कमी हो, । पदार्थ या वस्तु । ६ प्रकृति, स्वभाव, पादत । ७ शोभा ।
शुष्क । २ खुरदरा । ३ जिसमें रस या तरलता न हो। ८ विशेष प्राकृति का शरीर । ९ शरीर, देह । १० कार्य नीरस । ४ अप्रिय । ५ जिसके चरित्र में प्रात्मीयता या का ढंग, प्रणाली । ११ माकृति । १२ रचना । १३ गन्द कोमल भावों का प्रभाव हो। ६ उदासीन, विरक्त ।
या वर्ण का प्राकार । १४ वृक्ष । १५ रूपा, रौप्य, चांदी। रूपउ, रूडो-वि० (स्त्री० रूड़ी) १ सर्वोत्तम, सर्वोत्कृष्ट । १६ तुल्यता, बराबरी। १७ दो लघु मात्रा का नाम ।
२ बढ़िया, श्रष्ठ । ३ समर्थ, सक्षम । ४ माकर्षक, मोहक, | १८सादृश्यता, समानता, प्रतिकृति । १९माकार । २० लक्षण, सुन्दर । ५ श्रेष्ठ-कुलीन, चरित्रवान। ६ योग्य, चतुर, पहिचान । -वि०१ सुन्दर, मनोहर । २ समान, तुल्य, दक्ष । ७ पावन, पवित्र । ८ बल, पौरुष वाला । बराबर। ६ स्वादिष्ट, रुचिकर। १० सिद्धिदायक । ११ उत्कृष्ट,
रूपकंठीर-पु० नृसिंहावतार । बेहतर । १२ स्वस्थ, तंदुरुस्त । १३ शोभावान । १४ जबरदस्त । १५ प्रिय, प्यारा। १६ उपयुक्त, उचित । रूपक, रूपकउ-पु० [सं० रूपकम्] १ वह काव्य या रचना जिसमें १७ अद्भुत, विचित्र ।-क्रि०वि०१८ अच्छे ढंग से ।
किसी महान योद्धा या व्यक्तिका चरित्र-चित्रण हो। २ काब्ध, १९ बहादुरी से, वीरता से।
कविता । ३ डिंगल के गीत (छंद) विशेष जिसकी संख्या
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रूपकरण
( ४९७ )
रूबकार
चौरामी मानी जाती है। ४ वर्ण-वृत्त या मात्रिक छंद । ३ किसी चित्र का रेखांकन । ४ निर्माणाधीन वस्तु का ५ कीति, यश । ६ प्रशंसात्मक गीत या कविता । ७ दृश्य ढांचा, नमूना। काव्य, नाटक । ८ किसी रूप की मूर्ति, चित्र, प्रतिकृति । रूपळ-देखो 'रूपो'। ६ चांदी का बना कंठाभरण [सं० रूप्यक] १० रुपया रूपवंत-वि० [सं० रूपवत्] (स्त्री० रूपवती, रूपवती) १सुन्दर, नामक सिक्का । ११ चांदो। १२ साहित्य में एक प्रकार मनोहर, रूपवान । २ शरीर या रूपधारी। का अर्थालंकार । १३ एक शिव भक्त राक्षस ।
रूपवती, रूपवती-वि० [सं० रूपवती] सुन्दरी, सुन्दर । रूपकरण -पु. एक प्रकार का घोडा ।
रूपव-पु. सात मात्राओं को ताल विशेष । रूपकातिसयोक्ति, रूपकातियोक्ति-पु. [सं० रूपकातिश्योक्ति] रूपवन-पु० चंदन । एक अर्थालंकार विशेष ।
रूपवान-वि० सुन्दर । रूपकार-पु० शिल्पी ।
रूपस्री-स्त्री० [सं० रूपश्री] एक संकर रागिनी। रूपकीस-पु० [सं० कीसरूप] हनुमान ।
रूपहरी-वि० रूपे की बनी, चांदी जैसे वर्ण की। रूपकुड-पु० [सं०] हिमालय स्थित एक तीर्थ कुड। रूपाण-देखो 'रूप'। रूपक्क-देखो 'रूपक'।
रूपाजीवा-स्त्री० [सं०] वेश्या, रण्डी। रूपांता-स्त्री० सत्रह अक्षरों का एक बणं वृत्त ।
रूपामाखी-स्त्री० [सं. रूप्यमाक्षिका] औषधियों में काम प्राने रूपग-देखो 'रूपक'।
वाला एक खनिज पदार्थ । रूपगरविता-स्त्री० [सं० रूपगविता] अपने रूप पर गर्व करने रूपाराम-स्त्री० दक्षिण व आग्नेय के मध्य को दिशा । वाली नायिका।
रूपारेल-स्त्री०१ शकुन देने वाली एक चिड़िया विशेष । रूपग्रह-पु० [सं० रूपगृह] प्रांख, नेत्र ।
२ तेज हवा या प्रांधी से उड़ने वाली गर्द । ३ वात चक्र । रूपघर-पु० [स० रूपगृह] १ अांख. नेत्र । २ सुन्दरता का घर ।। ४ एक प्रकार का खेल ।
[सं० रौप्यगृह] ३ खजाना, कोष । ४ चांदी का खजाना। | रूपालहरी-स्त्री० स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । रूपजीवनी-स्त्री० [सं०] वेश्या, रंडी।
रूपाळ, रूपाळी-वि० [सं० रूप+पालुच] (स्त्री० रूपाळी) रूपटियो-देखो रूपयो।
__सुन्दर, मनोहर। रूपण-पु० [सं० रूपणम्] १ प्रालंकारिक वर्णन । २ शोध, | रूपिका-स्त्री० [स०] श्वेत पुष्प वाला मदार का पौधा । अनुसधान । ३ वर्णन, चित्रण।
रूपिणो-स्त्री. १ श्रीकृष्ण की पत्नी रक्मिणी । २ देखो रूपणी-वि० रूप की, रूपी, रूप धारण करने वाली।
_ 'रूपणी'। रूपदे-देखो 'रूपारेल'।
रूपी-वि० [सं०] १ रूप या प्राकार प्रकार वाला । २ रूपधारी, रूपधर-वि० १ स्वरूपवान । २ किसी का रूप या श्वांग स्वरूपधारी। ३ किसी के तुल्य, समान, सदृश्य । ४ सुन्दर, धरने वाला।
मनोहर। रूपनाथ-पु० पाबू राठोड के गुरु का नाम ।
रूपोयो-देखो रुपयो । रूपनिधान-वि० [सं०] प्रत्यन्त सुन्दर, रूप का भण्डार । रूप-१ देखो 'रूप' । २ देखो रूपो' । रूपफौज-पु० सेना का रूप, योद्धा, वीर ।
रूपेंद्रिय-पु० [सं०] नेत्र, नयन, प्रांख । रूपमान-वि० [सं० रूपवान] स्वरूपवान, सुन्दर ।
रूपेटौ-पु० [सं० रूप्य+रा०एटौ] चांदी का प्याला विशेष । रूपमाळा-स्त्री० एक मात्रिक छंद विशेष ।
रूपेरण-स्त्री० चांदी की मूठ वाली तलवार । रूपमाळा-निसणी-स्त्री० डिंगल का एक छंद ।
रूपेस्वर-पु० [सं० रूपेश्वर] एक शिव लिंग विशेष । रूपमाळी-स्त्री० एक वणिक छद ।
रूपेस्वरी-स्त्री० एक देवी का नाम । रूपमिण-पु० [सं० रूपमणि] तारा ।
रूपयो-देखो 'रूपयो' । रूपराय-पु० १ चांदी के रंग का घोड़ा । २ रूप का राजा। रूपोटौ-देखो 'रूपेटौ। रूपरासिक-पु० वह घोड़ा जिसका बायां पैर (पिछला) श्वेत हो। रूपौ-पू० [सं० रूप्यं] १ चांदी, रजत, रूपा । २ हंस । ३ श्वेत रूपरासी-वि० [सं०रूपराशि] रूप वान मनोहर, रूप का भण्डार। वर्ण का अश्व । ४ देखो 'रूप' । रूपरेखा, रूपरेह-स्त्री० [सं० रूपरेखा] १ मूल विषय की | रूबकार-पु० [फा०] १ प्रदालत में हाजिर होने का मादेश
प्रस्तावना, भूमिका, ढांचा । २ किसी लेख का डौल। पत्र । २ उपस्थिति ।
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रूबकारी
रेचक
रुखकारी-स्त्री० [फा०] १ मुकद्दमे को पेशी या कार्यवाही। रे-पु. १ निकृष्ट या नीच कार्य । २ खेद, कष्ट । ३ सूख । २ किसी के मागे उपस्थिति।
४ नभ । ५ काग, कोना । -प्रव्य. सम्बोधनात्मक रूबरू-क्रि० वि० [फा० प्रत्यक्ष, सामने सम्मुख । सशरीर। अव्यय, अरे। रूम-पु० [फा०] १ एक देश का नाम । २ देखो 'रोम'।
रेकारी-देखो रेकारौ'। रूमवंत-देखो 'रूपवंत'।
रेख-स्त्री० [सं० रेखा] १ लकीर रेखा। २ हाथों व पैरों में रूमा-स्त्री० नमक की खान ।
बनी लकीरें। ३ मूल्य, कीमत । ४ प्राय, प्रामदनी। रूमाल-पु० [फा०] १ हाथ-मुह पोंछने का छोटा वस्त्र, दस्ती। ५ जागीरदारों से लिया जाने वाला एक सैनिक कर २ पायजामें की मियानी।
विशेष । ६ प्रतिष्ठा, मान, इज्जत । ७ प्रांख का काजल । रूमाळी-स्त्री. १ एक प्रकार का छोटा रूमाल । २ लंगोट । ८ प्राकृति, सूरत, ढांचा। ९ सीमा, हृद। १० भाग्य, रूमी-स्त्री. १ एक प्रकार की छुरी। २ घोडा । ३ रोम देश
प्रारब्ध । का घोड़ा । ४ रोम देश का निवासी, व्यक्ति ।
रेखग-पु० शिर, मस्तक । रूमीसूरी-पु. एक प्रकार का खड्ग ।
रेखड़ी-देखो 'रेख'। रूप-देखो 'रूप' ।
रेखतौ-पु०[फा० रेखतः] एक प्रकार की कविता या छन्द विशेष । स्यडो, स्यडु, त्यही-देखो 'रूडो'। (स्त्री० स्यडी)
रेखळो-देखो 'रैकळो'। रुळपो ()-देखो 'रुळणों' (बी)।
रेखांकन-पु० [सं०] १ रेखाचित्र । २ रेखा खींचकर बनाई गई लोयारी-जोड-वि० भटकते को प्राश्रय देने व बिछुडों को सीमा। ३ रेखा चिह्न। मिलाने वाला।
| रेखांस-पृ० [सं० रेखांश १ भूगोल में देशान्तर । २ यामोत्तर हलो-१० (स्त्री० रुळी) १ छोटा वातचक्र, बगूला। २ कमर | वृत्त का कोई अंश । द्राधिभांश । ३ लबी रेखा का भाग।
र खराब होजाने के कारण ठीक से न चलने वाला। | रेखा-स्त्री० [सं०] १ लबी और पतली लकीर या धारनमा ३ पेट में होने वाला एक वातविकार ।
चिह्न लकीर । २ ज्योतिष के अनुसार अक्षांश सूचित रूव-देखो 'रूप'।
करने वाली लकीर । ३ सीमा रेखा। ४ गिनती, शुमार । रूवडउ रूवड़ो, स्वड हबडो-देखो 'रूड़ी'। (स्त्री० रूवड़ी)। ५ रेख । -गणित-स्त्री० गणित विद्या का एक विभाग । शिया के उत्तर में स्थित एक बड़ा देश । २ देखो रेखाभूमि-स्त्री० प्राचीन समय की, सुमेरू से लंका तक की एक
___कल्पित रेखा व इसके पास-पास की भूमि । रूसणी-देखो 'रिसाणों'।
| रेखो-स्त्री. भांबी जाति की स्त्री। रूसणी (बो)-देखोगेसाणो' (बी)।
रेग-स्त्री० [फा०] बालू रेत । रूसी-पू०१ रूस देश का निवासी । २ रूस देश की भाषा ।-वि. रेगर-पू० एक प्रनसचित जाति । रूस देश का, रूस देश संबंधी।
रेगिसतान, रेगिस्तान, रेगिस्थान -पु. १ मरुस्थल, मरुभूमि । बह-स्त्री० [अ०] १ प्रात्मा। २ प्राणवायु । ३ कई बार खींचा
२ मरूस्थल वाला क्षेत्र । हमा प्रक। ४ इत्र विशेष । ५ एक प्रकार की मच्छी।
रेगिस्तांनी, रेगिस्थांनी-वि० मरुस्थल का, रेगिस्तान संबंधो । रूहराळ-देखो 'रुधिर'।
रेणी (बौ)-क्रि० १ बहाना, टपकाना । २ गिराना, डालना, रूहाड़-देखो 'रुहाई।
उड़ेलना । ३ भगाना । ४ नगाड़ा मादि बजाना । ५ मवेहहि-देखो 'रुधिर'।
शियों को होकना। कहिवाळ, रूहीचाळ-पु. एक प्रकार का घोड़ा। रूहिर, रूही-देखो 'रुधिर'।
रेडाणी (बी), रेडावणी (गे)-क्रि० १ बवाना, टपकवाना रेंगणी (बो)-देखो 'रंगणी' (बी)।
२ गिरवाना, उड़ेलवाना डलवाना। ३ भगवाना । ४ नगाड़ा रंण-देखो 'रयरण'।
प्रादि बजवाना। ५ मवेशियों को हंकवाना । रेंणको-देखो रैणको'।
रेड बौ, रेडू बौ-पु० विकृत प्राकृति का मतीरा, तरबूज । --अनु० १ छोटे बच्चे का धीरे-धीरे रुदन। २ बकझक। रेचक-वि० [सं०] १ दस्तावर, दस्त लाने वाला । २ फेंफडों को वत-देखो 'रेवंत'।
साफ करने वाला ।-पु. १ प्रणायाम की तीसरी किया । वहर-वि०१ अधीन, मातहत । २ पराजित ।
२ जमालगोटा । ३ विरेचन प्रौषधि । ४ चित्त की रहबर-देखो रेवहर।
एकाग्रता । ५ ध्यान।
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रेवन
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( vee)
रेचन - पु० [सं०] १ मल साफ करने की क्रिया, विरेचन, जुलाब २ मल विष्टा । ३ दस्तावर प्रौषधि । ४ श्वास बाहर निकालने की क्रिया । रेच्य पु० [सं०]
रेणि, रेणी-देखो 'रेणु' ।
रेणु-पु० [सं० रेणुः ] १ इक्ष्वाकुवंशीय एक प्राचीन राजा । २ बालू रेत, धूल, रज। ३ पृथ्वी, भूमि ।
प्रणायाम से बाहर निकलने वाली वायुरेका स्त्री० [सं०] १ महर्षि जमदग्नि की पत्नी व परशुराम की माता । २ पृथ्वी ३ बालू रेत । ४ रज, गर्द । ५ सह्याद्रि पर्वत का एक तीर्थ ।
रेणू, रेा-१ देखो 'रेणु' । २ देखो ‘रेणव' । रेत स्त्री० १ धूल, रेत ।
२ रज, गर्द । ३ पृथ्वी, भूमि । ४ देखो 'रम्यत' । ५ देखो 'रेतस' । ६ देखो 'रेती' |
२ जुलाब । रेजकी, रेजगारी, रेजगी स्त्री० [फा०] १ पैसा दो पैसा पांच पैसा प्रादि सिक्कों का समूह। २ छोटे सिक्के । ३ चांदी सोने के तारों के छोटे टुकड़े।
रेजमालपु० ० काल का बुरादा लगा कागज । रेजली - पु० १ थकान, थकावट । २ घसर । रेवारंगाई - स्त्री० रंगरेजों से लिया जाने वाला कर विशेष रेजी - पु० [फा० रेज: ] १ बहुमूल्य कपड़े का थान, अंश
२ हाथ का बना मोटे सूत का वस्त्र ३ स्वर्णकारों का एक उपकरण ४ वेश्यावृति के लिये पाली पोसी लडकी। रेट-स्त्री० [सं०] १ वस्तु की दर, भाव, कीमत २ गति,
चाल । ३ एक प्रकार का वस्त्र ।
रेटली (ब)- कि० १ धारण करना पहनना २ मिटाना रद्द करना । ३ प्राज्ञा या नियम का उल्लंघन करना, विरोध
करना ।
रेटा (ब) रेटावो (बो-क्रि० १ धारण कराना, पहनाना। २ मिटवाना रद्द करवाना। ३ भाज्ञा या नियम का उल्लंधन कराना, विरोध करांना ।
रेटो - पु० १ पराजित करने की क्रिया या भाव। २ छोटी पगड़ी। रेड (बी) देखो' (मो)।
रेडा
(बो-देखो 'रेवाणी' (बो) ।
रेडो - वि० १ ठिगना, छोटे कद का । २ देखो 'रेढी' | रेडी० जि. ठ
रेडी-पु० सुधर का बच्चा।
स्त्री० [सं०] रेन] १ रात्रि, रात, निशा २ गिरवी रखने की क्रिया, रेहन ।
रंगका १ देखो 'रेणुका' २ देखो 'रण'
रेणवार पु० जायदाद या वस्तु गिरवी रख कर पैसा देने वाला । रेणनामी पु० रेहन की शर्तों वाला कागज ।
रेणवा स्त्री० झाला राजपूतों की एक शाखा ।
रंग रंगा देखो 'रेणुका' २ देखो 'रण' । रंगावे-देखो 'रांगदे ।
रेणाधर - पु० [सं० रत्नधर] समुद्र । रेगावर रेगर देखो'लाकर' रेणाविद्यमरी सेना, फौज ० ।
रेण बिल-पु० [फा०] गिरवी, बंधक, रेहन ।
रेणव- पु० [सं० रेणवह ] १ चारणों का पर्यायवाची संबोधन । २ कवि, काव्यकार |
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रेलल
रेतकुंड - पु० [सं०] १ एक नरक का नाम । २ कुमायूँ के पास का एक तीर्थ स्थान । रेतली - देखो 'रेत' ।
रेतणी (बो) क्रि० १ किसी वस्तु पर रेती (बोवार) फेरना, लगाना । २ किसी धारदार वस्तु से कोई चीज काटना। ३ घोड़े का स्वलित होना ४ कोमल रेत से सहलाने के कारण ऊंट का स्खलित होकर प्रशक्त होना । ५ ऊंट की मूत्र न्द्रिय पर शोध प्राना
रेतस - पु० [सं० रेतस्] वीर्य, शुक्र ।
रेसी स्त्री० १ एक धोबार विशेष २ नदी के बीच ऊमरी हुई जमीन, नदी के बीच का टापू
रेतीली - वि० (स्त्री० रेतीली) अधिक रेत वाला, रेत के टीबों
वाला ।
रेयण- देखो 'रण' ।
रेर स्त्री० राम शब्द की ध्वनि । ररंकार ।
रेस्रो (बी) - पु० बड़ा उल्लू, एक पक्षी ।
वेळ- पु० प्रातःकालीन गायन ।
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रेल-स्त्री०१ लोहे की पटरी पर भाप व डीजल के इंजन से चलने वाली लंबी गाड़ी, रेलगाड़ी २ बहाव, धारा ३ वर्षा के पानी से रबी की फसल होने वाला खेत । ४ वर्षा के पानी का नदी की तरह का बहाव । ५ प्रचुरता, प्राधिक्य | रेळचोळा स्त्री० १ रतिक्रीड़ा का प्रानन्द । २ संभोग के कारण नवोढा की योनि से रक्त प्राने की प्रवस्था ।
रेलटेल - देखो 'रेलपेल' ।
रेल
(यो)- क्रि० १ पृथ्वी पर जल का फैलाव, विस्तार 1 २ पानी से नम होना, भीगना । ३ जल से भरना, जल से प्लावित होना ४ प्रवाहित होना बहना ५ भीगना, भोगोना, तर करना ६ देना, ध करना देकर संतुष्ट करना । ७ तीव्र प्रवाह में बद्दा लेजाना । ८ चलना, बहना । ९ नष्ट होना, मिटना । १० बिखरना ।
।
रेवती० [अ०] रिल) मृत्यु
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रेळपेळ
( ५०० )
रंगरणी
रेळपेळ, रेलपेल-स्त्री. १ भीड़-भाड़ । २ धक्का-मुक्की । ६ क्षति, हानि । ७भय, अातंक । ८ कारण, निमित्त, ३ भरमार, अधिकता।
हेतु । ९ निर्धनता, कगाली। १० चाह, इच्छा । ११ तात्त्विक रळापेली-देखो 'रेलपेल'।
ज्ञान, रहस्य, मर्म । [अं०] १२ जाति, नस्ल । १३ घुड़ रेलि-स्त्री० धार, धारा, प्रवाह ।
दोड़।-वि० किचित, जरा ।-क्रि.वि.लिए । रेळी-स्त्री. १ शीतल वायु की लहर । २ बारीक धूल की तह रेसकोरस, रेसकोस-पु. [प्र. रेसकोर्स] १ धावन, पथ ।
कण । ३ गेहूँ के पौधों की जड़ों में होने वाला रोग। | २ अश्व धावन भूमि, धुर बोड़ का मैदान । ३ घुड दो। रेली- प पानी प्रादि तरल पदार्थ की जमीन पर बहने वाली रेसण-वि०१ मारने वाला, संहार करने वाला । २ पराजित छोटी धार । २ तबला बजाने का एक ढंग। ३ भीड़,
करने वाला, पराजय देने वाला। जम घट ।
रेसणी (यो)-क्रि०१ पराजित करना, हराना । २ मारना, रेवत-पु० १ अश्व के रूप में उत्पन्न सूर्य का एक पुत्र । २ अश्व,
संहार करना। ३ मिटाना, नष्ट करना । घोडा।
। रेसम-पु० [फा० रेशम] १ बारीक, मुलायम व चिकना रेशा रेव-स्त्री० [सं० रव] १ दर्द भरी आवाज, चीख, पुकार । |
जिसके कपड़े बुने जाते हैं । २ इन रेशों का बना वस्त्र । २अावाज, पुकार । ३ गिड़गिड़ाहट । ४ शर्याति वंशीय ३ इन रेशों की डोरी। ४ तलवार, खड्ग । एक राजा।
रेसमियो-पु. १ रोगी को दिया जाने वाला बाजरी के प्राटे रेवड़-पु० भेड़, बकरियों का झुंड या दल ।
का तरल खाद्य । २ एक प्रकार का घोड़ा । ३ शीतलकाल रेवड़ा-स्त्री० बड़ी रेवड़ी।
की तीक्ष्ण वायु । -वि. १ रेशम का, रेशम संबंधी । रेवड़ियो-देखो 'रेवड़'।
२ देखो 'रेसम'। रेवड़ी-स्त्री० सफेद तिलों की, गुड़ या शक्कर की चासनी मिला रेसमी-वि० [फा० रेशमी] १ रेशम का, रेशम संबंधी । ____ कर बनाई गई टिकिया।
२ रेशम का बना । ३ कोमल, मुलायम, चिकना । रेक्ट-पु० [सं०] १ दक्षिणावर्त शंख । २ शूकर, सूपर ।
रेसमीघाट-पु० एक प्रकार का वस्त्र । । रेवत-पु० [सं०] १ शयति वंशीय एक राजा । २ वायु पुराण | रेसमीभइरव-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
के अनुसार एक अन्य राजा । ३ एकादश रुद्रों में से एक। | रेसि-देखो 'रेस' । रेवतबीणी-स्त्री० पौषधि में काम पाने वाला एक प्रकार का क्षुप।
| रेसौ-पु० [फा० रेशः] १ पौधों की छाल के महीन तंतु । रेवति, रेवती-स्त्री० [सं० रेवती] १ रेवत मुनी की माता का २ शरीर के अंग बनाने वाले तंतु । ३ सूत प्रादि के बारीक
नाम । २ श्रीकृष्ण की भोजाई व बलराम की पत्नी। तंतु । ४ शरीरस्थ नश। ५ असर। ६ हिस्सा, भाग । ३ महषि भारद्वाज की बहन । ४ गोदावरी के समीप का ७ अत्यन्त सूक्ष्म अंश,प्रणु । ८ लहर, प्रवाह । ९ देखो रेस'। एक तीर्थ । ५ अश्विनी धादि २७ नक्षत्रों में से एक।| रेह-स्त्री० [सं० रेखा] १ कपट, धोखा । २ सन्देह, शक । ६ एक मातृका का नाम । ७ एक बाल ग्रह विशेष ।
३ कलंक, दाग । ४ धूल का कण । ५ परिखा, खाई । रेवतीभव-पु० [सं०] शनिश्चर।
-वि० १ किचित, थोड़ा, लेश मात्र । २ देखो 'रेख', रेवतीरमण, रेवतीरवण-पु० [सं० रेवतीरमण] बलराम । 'रिख'। रेवल-पु० दीवार की सतह नापने का लकड़ी का एक उपकरण। रेहड़ली-स्त्री० धूल । रेवा-स्त्री० नर्मदा नदी का एक नाम ।
रेहप-पु० मैल, मल कोट । रेवाउत्तन-पु० हाथी, गज।
रेहरणौ (बौ)-क्रि० १ शोभित होना । २ देखो 'रहणो' (बौ)। रेवाकंकर-पु० रेवा या नर्मदा नदी के कंकर, सब शंकर । रेहळणी (बौ)-क्रि० पराजित करना, हराना। रेवाड़ी-देखो 'रेवाड़ी'।
रेहा-देखो 'रेखा', 'रेह', 'रेख' । रेवाड़ी-पु. भेड़ या बकरियों को रखने का बाड़ा, पाहता
| रेहिणी-देखो 'रोहिणो'। या स्थान।
रे-देखो ''। रेवानव (नवी)-पु० रेवा नदी। नर्मदा नदी। रेवाळ-देखो 'रहवाळ', 'रैवाळ' ।
रैकरणौ (बी)-क्रि० गधे का बोलना । रेवास, रेवासौ-देखो 'रहवास' ।
रंग-स्त्री० रेंगने की क्रिया या भाव । रेस-स्त्री० [सं० रुक्ष या रिष] । पराजय, हार । २ नाश, | रंगणो (बो)-क्रि० भूमि या मांगन में पेट के बल सरक
संहार । ३ सजा, दण्ड । ४ दबाब । ५ शल्य, कसक ।। कर चलना ।
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रंडी
रंडी - स्त्री० गायों की एक नस्ल या इस नस्ल की गाय । रैंडी - पु० उक्त नस्ल का बैल ।
- देखो 'रण' |
रेकी - स्त्री० राजस्थानी का एक छंद । रेणायर - देखो 'रत्नाकर' ।
- देखो 'रेणु' |
रंगो (बौ) - देखो रहरणो' (बी) ।
रंदी स्त्री० खरबूजे की फांक ।
रंग देखो 'रमण' ।
w
tant (at) - देखो 'रहणी' (बी) ।
देखो 'रेवंत' ।
रेहट - देखो 'ट' |
1
- पू० [सं०] १ धन, द्रव्य २ राजा नृप । ३ सुखधर । ४ श्याम रंग । ५ धर्म, संतोष - अव्य० के । रंक - पु० [अ०] पुस्तकें, सामान प्रादि रखने की खुली घालमारी। कळियो, रंकळी- पु० [स० रेखागतो] १ वह छकड़ा जिस पर बहुतसी बंदूकें लगी हों। २ सवारी के काम की छोटी व हल्की बैलगाड़ी । ३ एक प्रकार की तोप । रंकारी पु० 'तू', 'तुम' यादि का छोटा हल्का संबोधन | रेड - देखो 'रहडू' । 'रहदुग्रो' ।
रंज-पु० वर्षा के पानी से रखो की फसल होने वाला देव । रेडी- पु० बड़ा पत्थर |
रंग-पु० १ राज्य । २ देखो 'रण' । ३ देखो 'रेणु' । ४ देखो 'रहरणी' ।
रंगका देखो 'रेणुका'।
रैणपत ( पति, पती) - देखो 'रयणपति' ।
- देखो 'रण' ।
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खापत (पति, पती) देखो 'पति' । रंणायर - देखो 'रत्नाकर' ।
रंगावर देखो रत्नाकर' ।
(४०१ )
रंगा स्त्री० [सं० रज, रजनी] १ पृथ्वी, भूमि । २ रत्न । ३ धूल, रेत, बालू । ४ रात, रात्रि । रेखाइर रेखायर देखो 'रस्नाकर' रंगावे - देखो 'रांगादें' ।
गावळि (लो) स्त्री० [सं० रजनी] रात, रात्रि । रैखि, रंखिका, रंगी-स्त्री० [सं० रजनी] रात, रात्रि । रे' गी- देखो 'रहणी' ।
रंगीचर - पु० [सं० रजनीचर] निशाचर, राक्षस । वि० रात
में खाने वाला, रात में चलने वाला, विचरण करने वाला । रेखीय (पति, पती) देखो'पति' ।
'गो, (बी) - देखो 'रहणी' (बी) ।
रंत, रंति, रैती-१ देखो 'रय्यत' । २ देखो रेत' । रैदास - पु० चमार जाति के एक प्रसिद्ध संत । रेवासी पु० 'दास' की सम्प्रदाय का प्रवायी। रंग नि रंगी-देखो''।
रैबारण स्त्री० रेबारी' जाति की स्त्री ।
रेवारी पु० (स्त्री० [वार) भेड़, भेड़, बकरी व ऊटों का पालनपोषरण तथा व्यवसाय करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति ।
रेबूद रंबूद्यो वि० [फा० रहबूत ] ( स्त्री० रंबूदरण) १ भोलाभाला, सीधा-सादा । २ जिसे सुबह-शाम का कोई ज्ञान न हो ।
₹ 'म - देखो 'रहम' ।-दिल = रहमदिल' |
रयत देखो 'रम्पत'।
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वणी (ब) - देखो 'रहरणो' (बी) । १ देखो 'रंवंत' २ देखो 'क'
I
या स्त्री० गांव की चौपाल, प्रथाई. बैठक 1
रेळ, रेळी - स्त्री० [अ०रहल] १ ठंडी हवा का झोंका । २ लहर । ३ देखो 'रहल' |
रेळौ - पु० कलंक, दोष । रंवंत-देखो 'रेवंत' ।
,
रोई
रेवतक पु० [सं०] १ गिरनार नामक पर्वत २ पांचवें मन्वन्तर के मनु का नाम ।
रेवतीरमण रेवतीरक्षण - देखो 'रेवतीरमण' ।
रेवणनद (नदी) - देखो 'रेवानदी' ।
देवा देवी 'देवा'।
रेवाड़ी - स्त्री० [सं० राजपाटिका, प्रा० रायवाडी ] १ देवतानों की सवारी निकालने का पालकीनुमा बाहुन २ राजा की सवारी का वैभव पूर्वक परिभ्रमण रेवाड़ीएकादसी स्त्री० भादव शुक्ला एकादशी, भूलनी ग्यारस । रवाळ पु० बनिहान में जागीरदार का हिस्सा देने के बाद रहने वाला अनाज |
रंवास, रंवासो-देखो 'रहवास'।
रहण (ब) - देखो 'रहणी' (बो) ।
हळ स्त्री० [१] शीतल वायु की लहर २ देखो 'रळ' |
रों - पु० एक प्रकार की घास ।
रोख, खड़ो-देखो 'हं''।
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रो पु० १ उदर, पेट २ बाल रोमावली
'
ऋषि, मुनि ४ तृष्णा । ५ त्रास । ६ रोग, बोमारी । ७ देखो 'रौ' । रोमणी (यो) देखो 'रोबो' बो
घाव (बी) देखो 'वाणी' (बो) | रोई- देखो 'रोही' ।
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रोईडी
रोड़ो
3
रोईडी-देखो 'रोहिड़ी।
रोखंगी-वि० [सं० रोष+अग] १ जोश बाला, जोशीला । रोक-स्त्री० १ रुकावट, प्रतिबंध । २ प्रतिबंध लगाने की क्रिया २ उत्साही।
या भाव। ३ रुकावट करने बाली वस्तु । ४ निषेध | रोख-देखो ‘रोस'। मनाही । ५ कैद । ६ देखो 'रोकड़' ।
रोखाणो(बो)-क्रि० कुपित होना, ऋद्ध होना। रोकर-स्त्री. १ नोट, सिक्कों के रूप में रुपया, पैसा, द्रव्य, रोखायत-वि० १ क्रोध करने वाला, कुपित । २ रोकने वाला।
नगदी। २ धन, पूजी, द्रव्य । ४ किसी वस्तु का नगद | रोखि, रोखी-वि० [सं० गेषिन्] १ क्रोधालु, क्रोधी। २ ईर्ष्या भुगतान । ५ व्यापारी की प्रमुख बही । ६ मूल धन । | करने वाला, ईष्र्यालु । पूजी ।
रोग-पु० [सं०] १ बीमारी। २ पीड़ा, कष्ट । ३ कलंक, रोकरबही-स्त्री. व्यापारी की रोज के हिसाब की मुख्य बही । दाग । ४ निरंतर कष्ट देने वाली मानसिक या रोकडबाकी-स्त्री. बाय में से व्यय को घटाने पर बचने वाला
शारीरिक पीडा । ५ व्यसन, पादत । ६ भेदभाव । ७ सात धन, नगदो।
प्रकार के चौघड़ियों में से एक। -कारक-वि. जो रोग रोकडविक्री-स्त्री० केवल नगद भुगतान पर की जाने वाली
पैदा करे या लगावे।-प्रस्त-वि० रोगी, बीमार, किसी
पीड़ा से दु:खी।-चाळी-पु० किसी रोग विशेष का बिक्री।
उपद्रव ।-मासक-वि० रोग या व्याधि नष्ट करने वाला। रोकसमंडार-पु. राज्य का कोषागार ।
रोगरण-स्त्री० [सं० रोगिनो] १ रोगग्रस्त स्त्री । २ देखो रोकड़भंडारी, रोकड़ियो-पु० खजांची।
'रोगन'। रोकड़ी-देखो 'रोकड़'।
रोगन-पु० [अ०] १ तेल प्रादि स्निग्ध पदार्थ। २ घी। रोकड़ो-पु० १ एक रुपये का सिक्का । २ देखो 'रोकड़'। ३ लकड़ी लोहे प्रादि की वस्तुमों व दीवारों प्रादि पर रोकरणी (बो)-क्रि० १ रोकना, रुकावट डालना।२ विघ्न या सौंदर्य या सफाई के लिये किया जाने वाला लेपन, वारनिश,
बाधा डालना । ३ क्रिया या गति को रोकना। ४ मार्ग पैंट। ४ मिट्टी के बर्तनों, पात्रों पर लेपने का मसाला । बंद करना, प्रवरुद्ध करना । ५ किसी कार्य के लिये मनाही ५ तेल । ६ बादाम का तेल। बार-वि० जिस पर रोगन करना, वर्जन करना । ६ किसी चालू क्रम को रोक देना।। चढ़ा हो। ७ कुरीति वाली रूढ़ियां मिटाना, बंद कराना । ८ पाषात | रोगनिदान-पु० रोग की चिकित्सा । या प्रहार को बीच में निष्फल कर देना। सामान्य रोगनिवारक-वि० रोग का निवारण करने वाला। कार्य प्रणाली को प्रतिबंधित करना। १० वश या काब में | रोगनी-वि० जिस पर रोगन चढा हो। करना । ११ कैद करना, नजरबंद करना। १२ श्वास रोगलौ-देखो 'रोगी' । (स्त्री० रोगली)। मादि रोकना । १३ ठहराना ।
रोगवाळ-वि० रोग को मिटाने वाला। रोकाई-स्त्री० १ रोकने की क्रिया या भाव। २ द्वार रोकने
रोगहर, रोगहारी-पु० १ चिकित्सक, वैद्य । २ एक रत्न विशेष । की भेंट (विवाह)।
रोगांनी-वि०१ घी या तेल में तला हुमा। २ 'रोगन' चढ़ा
हुप्रा । रोकाणी (गे)-क्रि० १ रुकवाना, रुकावट डलवाना । २ विघ्न
रोगातुर-वि० किसी रोग से व्याकुल । रोग से पीड़ित । या बाधा डलवाना। ३ क्रिया या गति को रुकवाना ।
रोगित-वि. रोगी, बीमार। ४ मार्ग बंद कराना, प्रवरुद्ध कराना। ५ किमी कार्य के
रोगियो, रोगिल, रोगी, रोगीयो, रोगीली-वि० [सं० रोगिन लिये मनाही कराना, वर्जन कराना। ६ किसी चालू क्रम
रुग्ण] (स्त्री० रोगीली) रोग से पीड़ित, व्याधिग्रस्त, बीमार । को रुकवाना। ७ कुरीतियां मिटवाना, बंद कराना।
रोड़-पु. १ नगाड़ा, नक्कारा । नक्कारा की ध्वनि । २ कैद, ८ प्राघात या प्रहार को बीच में ही निष्फल कराना।
दीखाना । ३ बाधा,रोड़ा। [अ०] ४ सड़क, पथ । ६ सामान्य कार्य प्रणाली को प्रतिबंधित कराना । १० वश
रोडक-स्त्री.धमकी, ललकार । दौड़-भाग। या काबू में कराना । ११ कैद कराना, नजर बंद कराना।
रोडणी-वि० (स्त्री० रोडणी) १ रोकने बामा, प्रवरुद्ध करने १२ श्वास पादि रुकवाना । १३ ठहरवाना ।
वाला। २ बजाने वाला।। रोकायत-वि०१ रोकने या रुकावट डालने वाला।२ कैद करने
रोड़पो (बो)-क्रि० १ नगाड़ा, ढोल प्रादि बनाना । २ रोकना, वाला।
अवरुद्ध करना । ३ घेरना, मावेष्टित करना। ४ बोलना, रोकावणी (बो)-देखो 'रोकाणी' (बो)।
कहना । ५ लोटना, लेटना ।
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रोड़ी
( ५०३ )
रोदगी
रोड़ी-स्त्री. १ फूस-कचरा प्रादि डालने की जगह । २ नगाड़े --वार-पु० जीविका के लिये कार्य करने वाला व्यक्ति । की ध्वनि । ३ एक प्रकार का वाद्य ।
दैनिक मजदूरी पर कार्य करने वाला व्यक्ति । नौकरीदार। रोड़ो-पु० १ पत्थर या ईट-मिट्टी का बड़ा खंड, ढेला । २ बाधा रोजीनवार-पु० रोजीदार । रुकावट, विघ्न । ३ देखो "रुड़ो' ।
रोजीना, रोजीनो-वि. नित्य का, रोज का ।-क्रि० वि० रोड़ी-झोड़ो-पु० लड़ाई, झगड़ा।
नित्य, प्रतिदिन, सदैव । रोचक-वि० [सं०] १ रुचिकर, प्रिय, अच्छा लगने वाला।। राजु-देखो 'रोजो'। २ मनोरजक ।
रोजेदार-देखो 'रोजायत'। रोचकता-स्त्री. मनोहरता अच्छाई।
रोजी-पु० १ व्रत, उपवास । २ रमजान के महीने में मुसलमानों रोचणी (बो)-क्रि० शोभित होना, फबना।
द्वारा किया जाने वाला उपवास । ३ देखो 'रोजो' । रोचन-वि० [सं०] १ शोभाप्रद, दीप्तिमान, मनोहर, सुन्दर, | रोश, रोझड़ो, रोझो-स्त्री० (स्त्री० रोझड़ी) १ नील गाय (नर)।
प्रिय । २ पाकस्थली संबंधी।-पु. १ 'काम' के पांच बाणों। २ नील गाय जैसा घोड़ा विशेष । में से एक । २ गोरोचन । ३ घोड़े की गर्दन के बालों का | रोट-पु० मोटी व बड़ी रोटी।
रोटाक-वि०१ अधिक रोटी खाने वाला। भोजन भट्ट। २ मुफ्त रोचना-स्त्री. १ गोरोचन । २ वसुदेव की एक पत्नी । ३ भनि- की खाने वाला।
रुद्ध को एक पत्नी। ४ लाल कमल । ५ सुन्दरी, स्त्री। रोटी-स्त्री० १ गेहूं या जो की चपाती । २ प्रतिदिन का भोजन, रोचमान-वि० [सं०] १ चमकता हुमा, चमकीला। -पु. खाना । ३ भोजन का निमंत्रण । ४ माजीविका, वृत्ति ।
२ मनोहर, सुन्दर । ३ प्रिय -स्त्री. १ घोड़े के गर्दन पर ५ संपत्ति, दौलत। ६ सिरोही की बनी एक प्रकार
होने वाली एक मंवरी।-पु० २ एक प्राचीन राजा। की तलवार । रोचि, रोची-स्त्री० [सं. रोचिस्] १ दीप्ति, काति, भाभा। रोटीराव, रोटेराव-वि० प्रातिथ्य सत्कार करने वाला । २ वैभव२ चारों भोर फैली हुई शोमा ।३ किरण, रश्मि ।
शाली, धनाढ्य । रोज-पू० [सं० रुदन] १रुदन, रोना-पीटना । २ शोक, कष्ट । रोटो, रोठ-पु. १ बड़ी व मोटी रोटी। २ गेहूँ के पाटे की [फा० रोज] ३ दिन, दिवस ।-प्रव्य० १ प्रतिदिन, नित्य
अंगारे पर सिकी प्रालू की तरह की बाटो। ३ सद्यप्रसूता हमेशा । २ देखो रोझ'।
गाय भैस या बकरी का दूध । ४ रहट के बीच लगने का रोजगार-पु. १ काम, धंधा । २ पेशा, वृत्ति । ३ प्राजीविका
लोहे का उपकरण ।-वि० टेढ़ा। का कार्य । ४ वाणिज्य, व्यवसाय । ५ वेतन, तनख्वाह ।
रोड-पु० १ बुवाई के बाद शीघ्र वर्षा होने से बनने वाली ६ पारिश्रमिक, मजदूरी । ७ रोजी।
फसल की पोची स्थिति । २ इस स्थिति से प्रधं विकसित रोजगारी-पु० [फा०] १ व्यापारी, सौदागर । २ माजीविका
रहने वाली फसल । ३ छोटा घोड़ा।-वि० १ वर्ण संकर. कमाने वाला । ३ पेशा, वृत्ति करने वाला। ४ देखो
दोगला । २ मूर्ख । ३ देखो 'रोड़'। 'रोजगार'।
रोडणी (बी)-१ देखो 'रोडणी' (बो) । २ देखो 'रोढणी' (गे)। रोजगारौ-पु० रोजगार पर कार्य करने वाला व्यक्ति, मजदूर ।
रोडलो-देखो 'रोड'। (स्त्री० रोडली)।
रोडियो-देखो 'रोड'। रोजनामची, रोजनांमौ-पु० [फा० रोजनामचः] १ प्रतिदिन के
रोडो-वि.१ छोटे कद का, ठिगना, नाटा । २ देखो 'रोड़ो'। कार्य का विवरण लिखने की पुस्तक, चौपड़ी। २ रोज का
रोट-देखो 'रोड'। प्राय-व्यय लिखने की चौपड़ी।
रोढरणी (बी)-क्रि० १ काटना । २ नष्ट करना, नाश करना । रोजमेळ-पू० १ रोकड़ बही। २ प्रतिदिन का लेखा-जोखा ।।
रोढलो-१ देखो 'रोड' । २ देखो 'रोडो'। (स्त्री० रोढली) रोजाना-क्रि० वि० [फा० रोजानः] नित्य, प्रतिदिन, हमेशा ।
रोढौ-१ देखो 'रोड़ो' । २ देखो 'रोड' । रोजायत-पु० 'रोजा' रखने वाला मुसलमान । कोई मुसलमान । रोण-स्त्री० [सं० रवण] ध्वनि, आवाज। (मेवात) रोजि-देखो 'रोजी'।
रोणो-देखो 'रोवरणो'। रोजिना-देखो 'रोजीना'।
रोपौ (बो)-देखो 'रोवणी' (बी)। रोजी-स्त्री० [फा०] १ प्राजीविका । २ जीविका का प्रवलंबन । | रोतासळो-पु० मोती जड़ित छत्र ।
३ तनख्वाह, वृत्ति । ४ प्रारब्ध, भाग्य । ५ देखो 'रोज'।। रोदगी-वि० १ जबरदस्त, भयंकर । २ क्रोधपूर्ण, क्रोधयुक्त ।
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रोद
( ५०४ )
रोरव
रोद-देखो रौद्र'।-कार='रौद्रकार'।
रोबीलो-वि० (स्त्री० रोबीलो) १ जिसका रोब हो । २ जिसको रोवन-पु० [सं० रोदनम्] १ रोने की क्रिया या भाव, रुदन, धाक हो । ३ जिसका चेहरा रोबदार हो। क्रन्दन, विलाप । २ मांसू ।
रोबो, रोमो-पु० प्रापत्ति, कष्ट, तकलीफ संकट । रोल्पत (पति)-१ देखो 'रोद्रपत' । २ देखो 'रुद्रपत' । रोमच-देखो रोमांच'। रोदराव-देखो 'रौद्रराव'।
रोमंचरणो (बी)-कि० रोमांचित होना, कंपकंपी होना, रोम रोदसी-वि० [सं०] स्वर्ग और पृथ्वी का ।
खड़े होना। रोदाळ, रोद्र-देखो 'रोद्र'।
रोम-पु० [सं० रोमन्] १ शरीर के महीन छोटे बाल, रोम, रोदरणी, रोद्राणी, रोवायरिण, रोद्रायणी, रोद्रायरिण, रोद्रायणी- लोम । २ छेद, छिद्र । ३ रोम के छिद्र । ४ जल, पानी ।
स्त्री० १ यवन या मुसलमानों की सेना । २ मुसलमान या ५ रूम देश । ६ रूम देश का घोड़ा। ७ घोड़ा, प्रश्व । यवन स्त्री। ३ असुर सेना। ४ देखो 'गद्राणी'।
८ हरड़, हरे, हरीतकी। एक द्वीप का नाम । रोध-स्त्री० [स०] १ रोक, रुकावट, अवरोध । २ बाधा, | रोमकद, रोमकदी-पु. एक राजस्थानी छंद विशेष । विघ्न, अड़चन । ३ प्रावेश, जोश । ४ क्रोध, गुस्सा। रोमक-पु० १ सांभर झील का नमक, नमक । २ 'रोम' का ५ किनारा, तट । ६ बांध सेतु ।
निवासी । ३ ज्योतिष का एक सिद्धान्त । रोधक-वि० रुकावट पैदा करने वाला, रोकने वाला, बाधक ।
रोमकूप-पु० रोम या लोम के छिद्र ।
रोमकेसर, रोमगुच्छ.-पु० चवर, चामर । रोधरणी (बो)-क्रि० १ रुकावट पैदा करना, रोकना । २ कंद
रोमचरमा-पु० ऊट की चमड़ी का बर्तन । करना, बदी बनाना।
रोमछर-पु. १ मूर्ति, प्रतिमा । २ शरीर की कांति, शोभा। रोधारण-पु. नाम, सहार ।
रोमणकाच-पु. एक प्रकार का प्राइना । रोप--पु० [सं०] १ बांरण, तीर । २ छेद, विवर । ३ प्याज,
रोमत-पु. लालायित होने की क्रिया या भाव । मिरच प्रादि के पौधों की रुपाई, फसल उगाने का एक |
रोमपट-पु० [सं०] ऊन का वस्त्र, ऊनी वस्त्र । ढंग । ४ इस तरह उगाये जाने वाले पौधे ।
रोमबद्ध-वि० १ ऊन का बुना या बना । २ ऊन के योग से बना। रोपणो (बी)-क्रि० १ स्थिर करना, जमाना। २ ठानना, | -पु० ऊन का वस्त्र । ऊनी वस्त्र ।
निश्चित करना। ३ किसी में कुछ फंसा कर स्थिर करना। रोमभूमि-स्त्री० चम, चमड़ी। ४ जमीन में गाडना, फंसाकर खड़ा करना। ५ टिकाना,
रोमराइ, रोमराजी, रोमलता-स्त्री० रोगों की पंक्ति, रोमावली। रोकना, ठहराना। ६ डटाना, अटल करना । ७ बीज
रोमांच-पु० [सं०] हर्ष, भय प्रादि के कारण शरीर के रोम
मन-lial भ निने बौना । ८ पौधों को पुन: उगाना । ९ सम्बन्ध करना ।
___ खड़े होने की अवस्था। १० धारण करना, पहनना ।
रोमांचित-वि० [सं०] भयभीत, हर्षित, जिसके रोम खड़े हों। रोपारणो (बो), रोपावणो (बी)-क्रि० १ स्थिर कराना,
रोमांत-पु० [सं०] हथेली की पीठ के बाल । जभवाना । २ ठनवाना, निश्चित कराना । ३ किमी में कुछ | रोमांतिक-स्त्री० बालकों का एक चर्मरोग। फसवाना. स्थिर कराना। ४ जमीन में गडवाना । फसा रोमाळी. रोमावळ, रोमावळि, रोमावळी-स्त्री० [सं० रोमन + कर खड़ा कराना । ५ टिकवाना, रुकवाना, ठहरवाना।
प्राली] १ रोगों की पंक्ति, कतार । २ नाभि पर होने ६ डटवाना, अटल कराना । ७ बीज बोबाना । ८ पौधों
__ वाली रोंघों की पंक्ति । ३ शरीर के बाल ।-वि० सुन्दर, को रुपाई कराना, उगवाना । ९ संबंध कराना ।
रूपवती। १० धारण कराना पहनाना ।
रोमि-देखो 'रोम'। रोब-पु० [फा०] १ अातंक, दाब । २ प्रताप, तेज । ३ धाक,
रोयण, रोयरिण (पी)-देखो 'रोहिणी'। डर । ४ प्रभाव ।
रोयणौ (बी)-देखो 'रोवणी' (बी)। रोबकार-पु० वह प्रादेश या पत्र जो शासक अपने अधीनस्थों रोर-पु० १ दुःख, कष्ट । २ कंगाली, निर्धनता । ३ काला रंग, के नाम प्रसारित करता है।
श्याम वर्ण । [सं० रवण] ४ तरल हलुवा । ४ कोलाहाल, रोबरणो (बौ)-देखो 'रोवरणो' (बी)।
शोरगुल । ६ कौतुहल । ७ देखो रोड़। रोबदार-वि० [फा०] १ मातंकित करने वाला । २ प्रतापी रोरप्रचार-पु० दुःख, कष्ट ।
तेजस्वी। ३ डराने वाला । ४ प्रभाव रखने वाला। | रोरव-पु० १ कंगाली, निर्धनता, गरीबी । २ देखो 'रौरव'।
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रोरहर
। ५०५ )
रोसानळ
रोरहर-पु० राजा, नृप ।
रोवरणधन-वि० डरपोक, कायर, बिना बात रोने वाला। रोरहरणाळ-वि०१ दुःखों को मेटने वाला । २ दातार, उदार। | रोबो-वि. रोने वाला #utमा ।
रोवणी-वि० रोने वाला, रुपांसा ।-पु० १ रुदन, रोना । रोरांकुर-पु० कष्ट, दु.ख ।
२ दुःख, कष्ट । रोरि, रोरी-देखो 'रोर', 'रोळी'।
रोवणी (बौ)-कि० [सं० रोदनम्] १ विलाप करना, रोना, रोलब-पु० [सं०] भ्रमर, भौंरा ।
रुदन करना । २ कष्ट के कारण करुण क्रंदन करना । रोळ, रोल-स्त्री० १ ध्वनि, मावाज । २ स्त्रियों के पैरों का
३ बुरा-भला कहते हुए बकना । ४ रुपांसा होना । एक घुघरूदार प्राभूषण । ३ दल, समूह । ४ उबटन, लेप ।
रोवा-कूको-पु० हाय-त्राय, चीख-चिल्लाहट । ५ युद्ध । ६ फसल को हानि पहुंचाने वाला उद्दण्ड पशु।
रोवारणी (बी), रोवाणी (बौ)-क्रि० १ विलाप कराना, ७ हल्ला,शोरगुल । ८ भय, मातंक,डर । ६ उपद्रव, उत्पात।
रुलाना, रुदन कराना। २ कष्ट देकर करुण क्रन्दन कराना। १० अव्यवस्था, गड़बडी।-वि० १ प्रवारा फिरने वाला।
३ बकवाना। ४ मांसा करना । २ बदचलन । ३ उत्पाती, उद्दण्ड । ४ देखो 'रोळ' ।
रोस, रोसंग-पु. १ वैभव, ऐश्वर्य । २ सुख, प्राराम । ३ रोष । रोळगिदोळ-स्त्री० बने कार्य को बिगाड़ने की क्रिया या भाव ।
रोसंगी-देखो 'रोखंगी'। रोला-पु. कृषि भूमि को कुछ समय पड़ा रखने की क्रिया।
रोस-पु० [सं० रोष] १ कोप, क्रोध, गुस्सा । २ पावेश, जोश । इजराम।
३ डाह, ईर्ष्या । ४ शत्रता, वैर, दुश्मनी। ५ जोश, रोळण, रोळणी-वि० विध्वंस, विनाश करने वाला, संहारक । ।
मावेश। ६ कष्ट, पीड़ा । ७ खुशी, हर्ष । ८ मकान में रोळरणो (बो), रोलणी (वो)-क्रि० १ बजाना, ध्वनियुक्त लगने का मोटा व लंबा-चौड़ा पत्थर विशेष । ९ प्रकाश, करना । २ प्रहार करना । ३ गवां देना। ४ मिटा देना।।
रोशनी। ५ मारना । ६ फेंकना। ७ गिराना, डालना। ८ बिखेरना।
रोसकसझाइपो-वि. क्रोधपूर्ण । ६पाच्छादित करना, ढकना । १० भयभीत होना, कांपना ।
रोसणौ-देखो "रिसाणो'। ११ लुढ़कना, ढुलकना । १२ पतन होना, गिरना ।।
रोसणौ (बो)-कि० १ कष्ट देना, परेशान करना । दुःखी १३ शस्त्र, घुमाना । १४ इधर-उधर करना या गिराना ।
करना । २ बांधना, कसना । ३ कोप करना, क्रोध करना । रोलवट, रोळवट, रोळवट-स्त्री० १ प्रव्यवस्था, गड़बड़ी।
४ मारना, काटना। २ गफलत, असावधानी । ३ जब उचित-अनुचित का रोसधर-वि० [सं० रुष-धर] १ कोप करने वाला, क्रोधो। विचार न हो । ४ खेल, तमाशा, मजाक । रोळरिगटोळ, रोळरिगटोळी-स्त्री० १ मखौल, हंसी । २ न्यून | रोसन-वि० [फा० रोशन] १ प्रदोप्त, प्रकाशित । २ चहलस्तर की हरकत ।
पहल व हंसी-खुशी वाला । ३ यशस्वी, कीर्तिवान । रोळवणी (बो)-देखो 'रोळणी' (बी)।
४ प्रसिद्ध, विख्यात । ५ प्रकट, जाहिर, विदित । रोळा, रोला-पु. स्त्रियों का एक प्राभूषण ।
रोसनचोकी-स्त्री० [फा० रोशन-चौकी] शहनाई या नफीरी रोळागार (गारी)-वि० (स्त्री० रोळागारी) झगड़ालू, कलह
नामक वाद्य । प्रिय ।
रोसनदान-पु० [फा० रोशन-दांन] कक्ष, कमरे या मकान में रोळाटो-पु० १ हुल्लड़, शोरगुल । २ उपद्रव ।
हवा व प्रकाश के लिये, ऊंची बनो जालीबंध छोटी खिड़की, रोळारोळ, रोळारोळि-स्त्री० खलबली, भगदड़ ।
बारी, वातायन । (वेंटीलेटर) रोळि, रोळी, रोलि, रोली-स्त्री० १ गेहूँ की फसल का एक रोसनी-स्त्री० [फा० रोशनी] १ उजाला, प्रकाश । २ मांगलिक
रोग । २ विघ्न, बाधा । ३ भ्रम, संभ्रम । ४ हल्दी और या खुशी के अवसर पर भवनों पर जलाई जाने वाली चूने के योग से बना पदार्थ जो मांगलिक अवसरों में काम दीप मालाएं, बत्तियां । ३ चिराग, दीपक । ४ एक प्रकार प्राता है।
का शहतूत । ५ देखो 'रोसनी'। रोळी (लो)-पु. १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'रोळी' । रोसांग-देखो 'रोस । रोवरण-पु० रोना क्रिया, रोने वाला।
रोसाग-वि० [स० रोष+अग्नि] १ जोशीला, प्रोजस्वी । रोयणकाळो, रोवरणकियो , रोवरणको-वि० (स्त्री० रोबरण काळी,
| २ क्रोधी । -स्त्री० क्रोधाग्नि। रोवरणकी) १ रुपांसा, रोने की स्थिति में, रोने वाला। रोसाजळ-वि० क्रोध से जला भुना । २ शीघ्र रोने वाला।
रोसानळ-स्त्री० [सं० रोष+मनल] क्रोधाग्नि ।
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रोसारी
रॉस
रोसारी-वि० [सं० रोष+परि] १ शत्रुनों पर क्रोध करने | रोहिणगिर-देखो 'रोहणगिरि' । वाला । २ जोशीला, क्रोधयुक्त ।
रोहिणी-स्त्री० [सं०] १ गो, गाय । २ बिजली, विद्युत । रोसारुण-वि० क्रोध से लाल ।
३ स्वचा की छठी परत । ४ बलदेव की माता । ५ चन्द्रमा रोसाळ, रोसाळी-वि० (स्त्री० रोसाळी) १ क्रोध करने वाला, की एक पत्नी। ६ श्रीकृष्ण की एक पत्नी । ७ हिरण्यक्रोधी । २ तेजस्वी, पराक्रमी।
कशिपु की स्त्री का नाम । ८ जैनियों की एक देवी। रोसावणी (बो)-क्रि० १ मरवाना, कटवाना । २ बंधवाना, ९ रजस्वला होने की अवस्था वाली एक कन्या । १० धैवत कसवाना । ३ क्रोध करवाना ।
स्वर की तीसरी श्रुति । ११ पांच तारों वाला, रथ की रोसीलो, रोसेल, रोसल-वि० (स्त्री० रोसीली, रोसेली) १ जोश प्राकृति का एक नक्षत्र । १२ एक प्रकार का संक्रामक रोग।
वाला, जोशीला । २ निर्भीक, निडर । ३ क्रोधी, कुट। रोहिणी-पाठम-स्त्री० [स. रोहिणी-अष्ठमी] भादव मास के ४ तेजस्वी, मोजस्वी।
कृष्ण पक्ष की अष्ठमी तिथि । रोसौ-देखो 'रोस'।
रोहिणीतप-पु. एक प्रकार का व्रत विशेष । रोह-पू० स० रोध] १ रास्ता, मागे । २ बाधा राक, रोहिणीतम-देखो 'रोहणद्र म'। रुकावट ।
रोहिणीपत (पति, पती)-पु० [सं० रोहिणी पति] १ चंद्रमा । रोहज-पु. नेत्र, नयन ।
२ बलराम के पिता । ३ साड । रोहड़-देखो 'रोहिड़ो'।
रोहिणीयोग-पु० [सं०] पाषाढ़ के कृष्ण पक्ष में होने वाला रोहरण-पु० [सं०] १ वीर्य, शुक्र। २ देखो 'रोहणगिरी' ।
एक चन्द्र योग। ३ देखो 'रोहिणी'।
रोहिणीरमण, रोहिणीवर, रोहिणीवलम (वल्लभ)-पु. रोहणगिर, रोहणगिरि, रोहणचल-पु० [सं० रोहण-गिरि] | स०] १ चन्द्रमा। २ वासुदेव । ३ सांड। ___ रत्नों की खान वाला एक पर्वत विशेष ।
रोहिणेय-पु० [सं० रोहिणय] रोहिणी के पुत्र बलराम । रोहरणदे-स्त्री० [सं० रोहणदेवी चन्द्रमा की पत्नी, रोहिणी। । रोहित-वि० [सं० रोहितम्, रोहितः] लाल रंग का।-पु. १ एक रोहणम-पु० [सं० रोहण-द्रमः] चंदन।
मग विशेष । २ एक प्रकार का वृक्ष विशेष । ३ मछली रोहणधव-पु० [सं० रोहिणधव] चन्द्रमा, चांद ।
विशेष । ४ लाल रंग । ५ लोमड़ी। ६ रोहितास । रोहणप-पु० [सं०] चन्दन ।
रोहितबाह (वाह)-पु० [सं०] अग्नि, भाग । रोहणाचळ-देखो 'रोहणगिरि'।
रोहितास-पु० [सं० रोहिताश्व] १ अग्नि, पाग। २ रोहिणी रोहरिण-देखो 'रोहिणी'।
का एक पुत्र । ३ सत्यवादी हरिश्चन्द्र का पुत्र । रोहणियाळ-वि० शत्रुदल को रोकने वाला।
रोहिलो-पु. एक प्रकार का वाद्य । रोहरणी-देखो 'रोहिणी'।
रोहिस-पु० [सं० रोहिष] १ एक प्रकार का मग । २ एक रोहणीजोग-देखो 'रोहिणीयोग'।
मछली विशेष । ३ एक प्रकार का घास । रोहणीवर-देखो 'रोहिणीवर'।
रोही-वि० [सं० रोहिन्] (स्त्री० रोहिणी) ऊपर की पोर जाने रोहरणीसिद्धयोग-देखो 'रोहिणीयोग' ।
वाला, उन्नतमुखी ।-पु. १ एक प्रकार का मृग । रोहणेय-देखो 'रोहिणेय'।
२ रोहिडा नामक वृक्ष । ३ रोहू नामक मछली। ४ रीढ़ रोहणी (बी)-क्रि० १ रोकना, प्रवरुद्ध करना । २ मारना,
हड्डी। ५ वन, जंगल।
रोही-पु० १ घेरा. वृत्त । २ माक्रमण । ३ क्रोध, गुस्सा । संहार करना । ३ घेरना, पावेष्टित करना।
४ वैमनस्य । ५ युद्ध ।-वि० रोकने वाला, थामने वाला। रोहतास-देखो 'रोहितास'।
रौझ-देखो रूझ'। रोहर-देखो 'रुधिर'।
रौलट-पु० १ युद्ध, लड़ाई। २ झंझट. बखेड़ा। रोहराळ-देखो 'रुधिर'।
रौंद, रौवग-देखो 'रौद्र'। रोहली-पु० रंग विशेष का घोड़ा।
रौदणी (बो)-देखो रूदणी' (बी)। रोहवाल-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
रौदाळ-देखो 'रोद्र'। रोहि-पू० [सं०] १ मृग विशेष । २ वृक्ष । ३ बीज । ४ रोही।
रौधरी (बी)-देखो 'रूदणी' (बी)।
गौरतो रोहिड़ी-पु. एक वृक्ष विशेष ।
रौस-पु०१ रहस्य, गुप्त बात । २ केलि, क्रीड़ा। ३ समानता, रोहिण-पु. । एक वृक्ष विशेष । २ रोहिणी।।
बराबरी । ४ देखो 'रोस ।
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( ५०७ )
लंकबहोस
रौ-पु० षष्टी विभक्ति का चिह्न।
रौद्री-स्त्री०१ शिव की पत्नी, पार्वती । २ संगीत में एक श्रुति । रोगन-देखो 'रोगन'।
रौनक-स्त्री० [अ० रोनक] १ सुदर वर्ण, प्राकृति या रूप । रौड़-पु. १ युद्ध, लड़ाई । २ देखो 'रोड़।
२ चमक-दमक, ठाट-बाट । ३ चहल-पहल । ४ हंसी-खुशी रोड़ो-पु० १ भैस । २ मादा ऊंट । ३ रोड़ा बाधा ।
का वातावरण। रोजी-पु० [अ० रोज:] १ उद्यान, बगीचा। २ हराभरा मैदान। रोर-स्त्री. १ मादा ऊंट, सांड । २ देखो 'रोर'। ३ पीर, बादशाह आदि की कब्र ।
रौरव-पु. [सं. रोरव] इक्कीस प्रकार के नरकों में से एक। रोरणी-पु० [सं० पारण्य ] वन, जंगल ।
-वि० घोर, भयंकर । रोव-देखो रौद्र'।
रोळ-स्त्री० १ हंसी, मजाक, दिल्लगी । २ देखो 'रोळ', रोवघड़, रोवघड़ा-स्त्री० मुसलमान सेना।
___'रोळी'। रौबाळ-देखो 'रौद्र'।
रौळणी (बौ), रोळवणौ (बौ)-क्रि० १ हजम करना, पचाना । रौद्ध-वि० [सं०] १ रुद्र संबंधी, रुद्र का । २ अत्यन्त उग्र, २ घोड़े की पीठ को खुरहरे से साफ करना। ३ मिश्रण
प्रचंड । भोषण ।-पु० [सं०] १ क्रोध, गुस्सा, रोष । करना। ४ अनाज के ढेर पर हाथ फेर कर अच्छा-अच्छा २ भयंकरता, भीषणता । ३ यमराज । ४ साहित्य में एक अनाज अलग करना। ५मालोड़ित करना, सानना । ६ देखो रस । ५ गर्मी, तेजी । ६ असुर, राक्षस । ७ म्लेच्छ जाति __'रोळणो' (बो)। का मनुष्य । ८ मुसलमान । ९ बादशाह ।
रौळि, रौळी, रोळी-पु० १ युद्ध, झगड़ा, जंग । २ उपद्रव, रौद्रकार-स्त्री० [सं०] भयानक ध्वनि या आवाज।
विद्रोह । ३ उत्पात, बखेड़ा । ४ शोर, हल्ला । ५ एक रोद्रकेतु-पु० [सं०] ज्योतिष के अनुसार एक केतु ।
छद विशेष । रोद्रपत (पति, पती) रौद्रराव-पु० बादशाह ।
रोस-स्त्रो०१ तरह, भांति, प्रकार । २ देखो 'रोस'। रौद्रव-देखो 'रौद्र'।
रोसन-देखो 'रोसन'। रौद्र संप्रदाय-पु. रुद्र को मनाने वाला संप्रदाय ।
रोसनदान-देखो ‘रोसनदान' । रौद्राण-देखो 'रोद्र'।
रौसनाई-देखो 'रुसनाई। रोदाइण, रौद्रायण, रौद्राळ-पु. १ बादशाह । २ देखो 'रौद्र'। रोसनी-स्त्री०१ सफेद रंग को मिठाई विशेष । २ देखो 'रोसनी'। रौद्राकार-देखो 'रोद्रकार' ।
रोसाळ -देखो 'रोसाळ'।
ल-नागरी लिपि का प्रवाईसा व्यंजन वर्ण ।
लंकवाह-पु. १ हनुमान । २ लंकादहन । ल-पु. १ लोक । २ वचन । ३ सुख ।
लकोप-पु. लंकाद्वीप। संक-स्त्री. १ कटि, कमर । २ राशि, ढेर, समूह । ३ कलह लंकनाथ, लंकनायक-देखो 'लकानाथ । ___लड़ाई। ४ लका।-वि०१ पतली, कश । २ अत्यधिक, बहुत । लकप, लंकपत (पति, पती)-पु० [स.लंकप] १ रावण । संकक-वि० लंका का, लंका संबंधी ।
२ विभीषण। लंक-टंकटा-स्त्री० १ सध्या की कन्या का नाम । २ एक राक्षसी। लंकपुरी-स्त्री० लंका नगरी। लकरणी-स्त्री० [सं० लकिनी] लका की पहरेदार एक राक्षसी। लकवरीस-देखो 'लंकावरीस' ।
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लंका
लंगोर
लंका-स्त्री० १ भारत के दक्षिण में स्थित एक बड़ा द्वीप । प्रकार का खेल । ३ घोड़े की एक चाल । ४ एक प्रकार का
२ इस द्वीप पर स्थित देश, राष्ट्र। ३ दक्षिण दिशा । छन्द । ५ देखो 'लंगरी'। ४ वेश्या।
लंगड़ो, लंगडो-पु. भामों की एक जाति ।-वि० [फा० लंग] लंकाऊ-वि० १ लंका की भोर का ।-क्रि० वि० २ दक्षिण की (स्त्री० लंगड़ी) १ जिसके पाव विकृत हों, जिसके पांव पूरे प्रोर ।
न हो, पंगु. पांगला। २ खड़ा रहने में असमर्थ, प्राधार लकाद-देखो 'लंका'।
हीन। लकादती-पु. लंका का दान करने वाले श्रीराम ।
लंगर-वि० १ प्रत्यधिक, बहुत। २ दुष्ट, निलंज्ज, ढीठ । संकावहण (न) लंकादाह. (दाही)-पु. १ लका का दहन । ३ भारी, वजनदार । ४ नटखट, शरारती । -स्त्री. २ ईश्वर, परमात्मा । ३ श्रीराम । ४ हनुमान ।
१ शृखला, सांकल, जंजीर । २ हाथी को बांधने की जंजीर। लंकादीप-देखो 'लंका'।
३ बधन । ४ पैरों का प्राभूषण विशेष । ५ पानी में जहाज लकादु, लकादू, लकाध लंकाधु (ध) -पु०[सं० लंका-ध्र व] को ठहराने के लिये लटकाये जाने वाले वजनदार उपकरण
दक्षिण दिशा । लंका की दिशा । २ दक्षिणी ध्रव । ६ कैदियों की बेडी। ७ जहाज पर काम पाने का मोटा -वि. दक्षिण दिशा संबंधी ।-क्रि०वि० दक्षिण की अोर । रस्सा। ८ सिलाई के कच्चे टांके। ६ कतार, पंक्ति। लकानगरी-स्त्री. रावण को राजधानी का नगर ।
१० समूह, झुंड । ११ फौज, सेना। १२ वीर, योद्धा। लंकामाथ, लंकानायक-पु० [सं०] १ लंका का मधिपति । १३ भोजन । १४ भिखारियों को बांटने का भोजन । २ रावण । ३ विभीषण।
१५ भोजनालय, भोजनशाला । १६ वीरघंट के बीच लंकानाह, लंकापत (पति, पती)-देखो 'लंकानाथ' ।
लटकने वाला गुटका ।-खांनो-पु० गरीबों को रोटी बांटने लंकापुरी-स्त्री० लंका नगरी।
का स्थान । -गाह-पु. समुद्र में जहाज ठहराने का स्थान। लंकारि (री)-पु० [सं०] श्रीराम ।
लंगरलार-क्रि० वि० पंक्तिबद्ध, पक्तियुक्त । क्रमशः, लगातार। लंकाळ-पु० [स. लका-पालुच] १ श्रीरामचन्द्र । २ रावण । | लंगराई-स्त्री० शैतानी, दुष्टता, ढीठाई ।
३ विभीषण । ४ सिंह, शेर। ५ राजा। ६ अगस्त्य तारा। लंगरी, लंगरीराव-पु. १ योद्धा, वीर । २ सेनापति । ७ ललाट, भाल । ८ राक्षस । -वि. १ वीर, योद्धा । लंगस-देखो 'लगस'। २ भयंकर, भयानक । ३ जबरदस्त, जोरदार । ४ लंका लंगा-स्त्री० मुसलमानों में एक गायक जाति ।
का, लंका संबधी । ५ दक्षिण का, दक्षिण संबंधी। लंगार-स्त्री० पक्ति, कतार । लंकालियरण-पु० १ परमेश्वर । २ श्रीरामचन्द्र ।
लंगी-स्त्री० [फा० लग] कुश्ती का एक दाव । लंकाळी, लकालो-देखो 'लंकाळ' ।
लंगूर, लंगूरियो-पु० [सं० लांगूलिन्] (स्त्री० लंगूरी) १ काले लकावरीस-पु. लंका का दान करने वाले, श्रीराम ।
मुंह व लंबी पूछ का बंदर। २ बंदर की लंबी पूछ । लकियो-पु० अगस्त्य तारा।
३ उद्दण्ड बच्चों के लिये एक उपाधि सूचक शब्द । ४ देखो लकी-वि. सिंह की कमर के समान पतली कमर वाली।-पु० | 'लांगूळो'।
१ कबूतर विशेष । २ कबूतरों को एक जाति । ३ सिंह । | लंगूरी-स्त्री० [सं० लंघन] १ घोड़े की एक चाल विशेष ।
४ योद्धा, बीर । ५ ताम्बूल की एक जाति । ६ देखो 'लंक' ।। २ चोरे हुए पशु को ढ़ढ कर लाने पर दिया जाने वाला लकोली-वि० सुन्दर व पतली कमर वाली।
पुरस्कार ३ मादा लगूर । -वि० लगूर संबधी। लंकेंद्र-पु० [सं०] रावण, विभीषण ।
लंगूळ-देखो 'लांगुळ' । लंकेस, लकेसर (रि,री), लंकेसुर (रि,री), लंकेस्वर (रि री) | लंगोचा-पु. एक प्रकार का मांस, कुलमा, गुलाम । -पू० [सं० लंका+ईश, ईश्वर] १ रावण । २ विभीषण । | लंगोट-स्त्री.मर
| लगोट-स्त्री० कमर व उपस्थ पर बांधने का पट्टीदार अधोवस्त्र । ३ अगस्त्य नामक तारा।
कोपीन ।-बद, बध-वि० सदैव लंगोट बांधे रहने वाला। लक्क, लक्कि-देखो 'लंक'| लंका'।
ब्रह्मचारी। लंख-स्त्री. नटों की एक जाति ।
लंगोटियोयार-पु. बचपन का मित्र, बालगोटिया । लंग-देखो 'लिंग' लांग'।
लंगोटी-स्त्रो० छोटी लंगोट, कोपीन । लंगडाणी (बो)-क्रि० पैरों से लड़खड़ाना, लड़खड़ा कर चलना। | लंगोटौ-देखो लंगोट'। लंगड़ी-वि० शक्तिशाली, बलवान ।-पु. १ हनुमान । २ एक | लंगोर-पु० योद्धा, बहादुर !
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लंगोलार
( ५०९ )
लउदो
लंगोलार-क्रि० वि० १ क्रमशः । २ पंक्ति बद्ध ।
लंब-कंचुक-स्त्री० [सं०] विधवा स्त्रियों की भंगिया विशेष । लंगो-पु. 'लंगा' जाति का पुरुष ।
लंबक-पु० १ फलित ज्योतिष का एक योग । २ देखो लंघक-वि० [सं० लंघ] १ लांघने वाला, उल्लंघन करने वाला। । 'लंब','लंबक'। २ नियम तोड़ने वाला।
लंबकन्न, लवकरण-वि० [सं० लंब-कर्ण] १ लंबे कानों वाला। लंघण-देखो 'लांघण' ।
२ मूर्ख ।-पु० १ गधा । २ बिलाव । ३ बकरा । ४ बरलंघरपीक-देखो 'लांघरणीक' ।
गोश । ५ हाथी । ६ राक्षस । लंघणो (बौ)-देखो 'लांधणी' (बी)।
लंबकराड़ियो, लंबग्रीव-वि० [सं० लंब+रा.कराड़ी] लंबी गर्दन लंघाणो (यो), लंघावणी (बी)-क्रि० लापने के लिये प्रेरित | वाला।-पु. ऊंट । करना, लंघन कराना ।
लबड़ाणी (बो)-क्रि० खेत में चराने के लिये मवेशी को लंबी लंघो-वि० [सं० लंघन भूखा, क्षधित ।
रस्सी से बांध देना। लंचणी (बो)-देखो 'ललचो ' (बी)।
लंबछड-देखो 'लांमछड़' । लंच्छण, लंच्छन, लंछन-१ देखो 'लक्षण', 'लांछन' । २ देखो | लंबजीभी-वि० [सं०लंब+जिह्वा] लंबी जबान वाला, वाचाल । 'लक्ष्मण'।
लंबत-देखो 'लंबित'। लंछरिण-देखो 'लक्षण'।
लंबतड़ग, लंबधड़ग-वि० अत्यधिक लंबा, ताड़ के समान । लंछो-पु० स्वभाव।
लंबपयोधरा-स्त्री० एक स्कंद मातृका। लंजा लझा-स्त्री०१ लक्ष्मी । २ धन, दौलत । ३ सीता। लंबाण-वि० [सं० लंबमान] दूर तक फैलाया हुमा । ४ वेश्या । ५ व्यभिचारिणी या कुटिनी स्त्री।
लंबराणी (बी)-देखो 'लंबडाणी' (बी)। लजी, लंझी-वि० (स्त्री० लंजा, लेझी) १ सुदर, सुकुमार । लंबहत (हथ), लंबहात (य)-वि. प्राजानुबाहु ।
२ शौकीन । मलबेला । ५ रसिक, रसिया। ४ लपट । लंबाई-स्त्री० सीधी या खड़ी स्थिति का माप, दूरी, मायाम, -पु० हंस।
वस्तु या क्षेत्र के मुख्य पक्ष का माप । लंठ-वि० १ दुष्ट, कृतघ्न । २ मूर्ख, उज्जड़ ।
लंबाणी (बो)-कि० १ लंबा करना, बढ़ाना । २ द्रत करना । लठइ (ई)-स्त्री०१ दुष्टता, कृतघ्नता । २ मूर्खता, उज्जड़पन ।
लंबायत-वि० [सं०] १ लबाय मान । २ लंबा । लंड-पु. पुरुषेन्द्रिय, शिश्न ।
लंबिका-स्त्री० [सं०] गले के अन्दर का टेंटुमा, कोमा। लंडी-स्त्री० कुलटा व दुश्चरित्रा स्त्री।
लंबित-वि० [सं०] १ लंबा किया हुना। २ निश्चित किया लहरो-वि. (स्त्री० लंडूरी) १ बिना पूछ का, जिसकी पूछ | हमा। ३ स्थगित किया गया । ४ लटका हुमा । ५ झूलता _कटी हुई हो । २ प्रग मंग।
हुचा। ६ लंब के रूप में पाया हा। ७ पाधारित, संतग-पु. देव लोक (जैन)।
प्राश्रित । लप-पु० १ मिट्टी का तेल । २ इस तेल का दीपक ।
लंबी-देखो 'लांबी'। लंपक-पु. लामघम देश ।
लंबोड़ो-देखो 'लांबो'। लंपट-वि० [सं०] १ व्यभिचारी, विषयी, कामी। २ ऐय्याश ।
लंबोतडंग, लंबोतडंग-वि० ताड़ के समान लंबा। ३ लालची। ४ अनुरक्त, लीन । ५ दुष्ट, नीच । ६ उप
लंबोदर, लंबोदरी, लंबोवर -पु० [सं० लब+उदर] १ जिसका पति, यार । लंपटता-स्त्री. १लंपट होने की अवस्था या भाव। २ कुकर्म,
पेट बड़ा हो । २ भोजनभट्ट । ३ गणेश, गजानन । व्यभिचार । ३ दुष्टता, नीचता ।
लंबौ-देखो 'लांबी'। लंपटी-देखो 'लंपट'।
लंबोस्ट-पु० [सं० लबोष्ठ] १ ऊंट । २ एक क्षेत्रपाल विशेष । लंपाक-वि० [सं०] लंपट, दुराचारी ।-पु. भारत के उत्तर लंभ-पु० [सं०लभस्] १ धन, दौलत । २ दान ।
पश्चिम में स्थित मुरड नामक एक देश । लंपी-स्त्री० वस्त्रों की किनार पर लगने की जरी-गोटे की पट्टी ।
लंहगौ-देखो 'लहंगों'। लंफरणो (बो)-क्रि० [सं० लंफ] कूदना, छलांग लगाना। ल-पु० [सं०] १ इंद्र। २ चिह्न। ३ पर।४ छंदों में लष लंब-पु० [सं०] १ प्रलंबासुर, राक्षस । २ खर नामक दैत्य का। मात्रा ।-स्त्री० ५ पृथ्वी।
भाई । ३ एक मुनि । ४ एक राग । ५ ग्रहों की गति विशेष । | लइ (ई)-स्त्री० १ लक्ष्मी। २ एक पौधा विशेष । ३ देखो
६ सीधी व खड़ी गिरने वाली रेखा । ७ दूरी, फासला। लंबउ-देखो 'लांबी'।
| लउडो-देखो 'लकड़ो'।
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लउस
लक्ष्मी
लउस-पु. एक देश विशेष ।
सक्षण-पु० [सं०] १ किसी जीव या वस्तु का गुण या विशेषता । लक-पु. १ पसलियों व कटि के मध्य का भाग । २ कटि ।
२ कोई अद्वितीय गुण । ३ रोगादि को लक्षित करने वाला लकड़-पु० लकड़ा, लकड़ी।
चिह्न। ४ सामुद्रिक चिह्न। ५ चाल-चलन, कर्म, चरित्र । लकड़ी-स्त्री० १ किसी पेड़ या झाड़ी के तने या शाखा का सूखा ६ स्वभाव, पादत । ७ मानव शरीर संबंधी शुभ चिह्न।
या गीला भाग, काष्ठ खड । २ ईधन का काष्ठ । ३ लाठी, | ८ बुद्धि, अक्ल । ९ करामात, चमत्कार । १० शब्द या पद डंडा, बेंत ।-कार-पु० सुधार, बढ़ई।
को परिभाषा या व्याख्या विशेष । ११ बत्तीस की संख्या । लकड़ो-पु. १ काष्ठ का लट्ठा, लक्कड़ । २ लकड़ी।
१२ देखो 'लक्ष्मण' ।-वंत, वत, वंती-वि० शुभ गुणों लकलक-पु. १ कुत्ता, सपं प्रादि प्राणियों की जीभ हिलाने की
वाला, बुद्धिमान, चतुर।-हीन-वि० गुणरहित, मूढ़,मूर्ख। क्रिया । २ व्यर्थ की बक-झक ।
लक्षरणा-स्त्री० एक प्रकार को शब्द शक्ति । लकलकरणो (बो), लकलक्करणो (बी)-क्रि० तलवार प्रादि शस्त्र
| लक्षणी-वि० [सं० लक्षणी] १ लक्षणों से युक्त. लक्षणों वाला। को घुमाना, फिराना।
२ समझदार। लकबो-पु० [अ० लकवा] एक प्रकार का पक्षाघात रोग, अदित। लकार-पु० [सं०] १ सस्कृत व्याकरण का काल । २'ल' वर्ण ।
लक्षवरीस-वि० लाख रुपयों का पुरस्कार देने वाला। लकारी-पु० सैय्यद मुसलमानों को एक शाखा।
लक्षिता-स्त्री० परकीया नायिका विशेष । लकीर-स्त्री० [सं० रेखा] १ रेखा, रेखा चिह्न, लाइन । धारी। लक्षेसरी (स्वरी)-पु० [सं० लक्ष+ईश्वरी] लखपति, धनवान । २ पंक्ति, कतार । ३ प्रथा, परम्परा, रूढ़ि।
लक्ष्मण-पु० [स०] १ अयोध्या के राजा दशरथ व सुमित्रा का लकीरिौ (यो)-पु० सिंह की जाति का एक हिंसक जानवर ।
पुत्र । २ दुर्योधन का एक पुत्र । ३ अंगिरसकुलोत्पन्न एक लकुट-पु. लकड़ी।
मत्रकार । ४ करणीदेवी का एक पुत्र । ५ सारस । ६ नाग । लकूबर-पु० १ बदर । २ बंदूक को दागने की क्रिया करने
-वि० भाग्यवान । _वाला पुर्जा, भाग । ३ बदमाश, लफंगा । लकोरणी (बी), लकोवरणौ (बी)-देखो 'लुकाणी' (बी)।
लक्ष्मणा-स्त्री० [सं०] १ श्रीकृष्ण की एक पटरानी। २ एक लक्क-स्त्री० ललकार, हाक ।
अप्परा। ३ राजा दुष्यन्त की प्रथम पत्नी। ४ पुत्रदा एक लक्का-वि०१बैठे-बैठे घर की खाने वाला, निकम्मा, निठल्ला।
वनस्पती। ५ दुर्योधन की एक पुत्री। २ देखो 'लकड़ी', 'लकड़ी।
लक्ष्मी-स्त्री० [सं०] १ भगवान विष्णु की पत्नी । २ धन की लक्कड़ी-देखो 'लकड़ी।
अधिष्ठात्री देवी, श्री। ३ सद्गृहिणी, वीर पत्नी। लक्ख-देखो 'लक्ष'।
४ विजय श्री। ५ सौभाग्य । ६ राज्य शक्ति । ७ धना लक्खरण-पु. १ लक्षण । २ लक्ष्मण ।
सम्पत्ति, वैभव । ८ शोभा। सीता का एक नाम । लक्खरिणरण-वि० लक्षणों का ज्ञाता।
१. दुर्गा का एक नाम । ११ रुक्मिणी का एक नाम । लक्खणी (बो)-देखो 'लखणो' (बो)।
१२ हल्दी। १३ समी वृक्ष । १४ राख, भस्मो। १५ मिट्टी, लक्खारी-देखो 'लखारों'।
धूल । १६ सफेद तुलसी । १७ ऋद्धि व वृद्धि नामक भौषलपिख लक्खी-१ देखो ‘लक्ष' । २ देखो 'लखो। ३ देखो
धियां । १८ प्रार्या का एक भेद । १९एक वर्ण वृत्त । २० मोती। 'लखपति' (मेवात)।
- कंत, कात-पु. विष्णु भगवान।-कारी-वि०धन-सपत्ति,
सौभाग्य देने वाला।-तात-पु०-समुद्र, सागर ।-धर-पु. लक्खोबाळदियो, लक्खीबिणजारौ-पु० [सं० लक्ष-वाणिज्यकर]
विणु, नारायण । धनवान, धनाढ्य । एक छद।-नाथ१ लाख बैलों पर सामान लादकर व्यापार करने वाला
पु० विष्णु भगवान । -नारायण-पु. लक्ष्मी सहित विष्णु। व्यापारी। २ लोक कथामों में वरिणत ऐसा ही कोई चरित्र
काल शालिग्राम । -निवास-पु. विष्णु, नारायण।-पतिनायक ।
पु० विष्णु, श्रीकृष्ण ।-पुत्र-पु. कामदेव, मनग । ममीर, लक्ष-वि० [सं०] शत-सहस्र, लाख ।-पु. १ लाख को सख्या। धनवान । अश्व ।-भरतार-पु० विष्णु ।-रमण-पु. २ देखो 'लक्ष्य'।
विष्णु । -वंत, वत्-पु० विष्णु, नारायण । अमीर, धनी। लक्षक-पु. [स०] १ संबंध या प्रयोजन से अर्थ सूचित करने -वर-पु. विष्णु, श्रीकृष्ण, परमेश्वर, ईश्वर ।-वांन
वाला शब्द ।-वि० १ दिखाने वाला, दर्शक । २ सचेत पु० विष्णु श्रीकृष्ण, धनवान, सुदर, मनोहर ।-वल्लभकरने वाला, सूचक।
पु० विष्णु।
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लक्ष्मीटोडी
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( ५११ )
लक्ष्मीटोडी-स्त्री० एक रागिनी ।
लक्ष्मीताळ (ताल) - स्त्री० १ प्रठारह मात्रा की एक ताल ।
२ श्रीताल वृक्ष ।
लक्ष्मीनिधि - पु० राजा जनक का एक पुत्र । लक्ष्मीनिवास ० एक प्रकार का घोड़ा।
क्ष्मीसह पु० दी पत्र व वनमाला वाली विष्णु की मूर्ति लक्ष्मीपति पु० [सं०] १ नारायण, श्रीकृष्ण । २ राजा । ३ सुपारी का पेड़ । ४ लवंग का वृक्ष । ५ धनाढ्य । लक्ष्मीवंत (बत ) - पु० [सं० लक्ष्मी वत] १ विष्णु, नारायण । २ धनी व्यक्ति । ३ पीपल का वृक्ष । ४ कटहल का वृक्ष । लक्ष्मीस पु० [सं०] लक्ष्मी-देश] १ विष्णु, नारायण २ श्री रामचन्द्र । ३ धनाढ्य व्यक्ति । लक्ष्मीसह पु० [सं०] १ समुद्र मंथन के निकला रत्न । २ चन्द्रमा ३ कपूर ५ शंख ।
समय लक्ष्मी के साथ इन्द्र का घोड़ा ।
४
लक्ष्य - पु० [सं०] १ निशान । २ उद्देश्य । ३ प्रस्त्र संहार । ४ प्राय-व्यय तथा कार्य का निर्धारित मान । ५ श्राशय, इशारा | ६ लक्षणा शक्ति से निकलने वाला किसी शब्द का अर्थ |
लख-१ देखो 'लक्ष' । २ देखो 'लाखपसाव' । लखचौरासी स्त्री० ८४ लाख जीव योनियां । लखरण-१ देखो 'लक्षण' । २ देखो 'लक्ष्मण' । (बंतो देखो 'नक्षवंत' ।
सखी- वि० लक्षणों वाला, गुणी लखणी । (ब)-s० [सं० लक्ष्] १ दिखना २ मालूम या प्रतीत होना । ३ देखना । ४ लक्ष्य करना, ध्यान करना । ५ समझना, ताड़ना । ६ अनुभव करना। ठीक समझना । ७ सावधान होना, सतर्क होना । लिखना, लेखनी बद्ध
करना ।
लखमीनाथ - देखो 'लक्ष्मीनाथ' । लखमीनारायण देखो 'लक्ष्मीनारायण' ।
देखो 'अक्षरा', 'लक्ष्मण' । लखपत ( पति, पती, पत्ती, व्पति), लखपति -पु० [सं० लक्ष-पति ] १ धनपति कुबेर २ लाख रुपये या मुद्रा रखने वाला व्यक्ति, लाखों की संपत्ति वाला व्यक्ति । ३ एक लोक गीत ।
7
बस देखो 'लक्षवरीस | लखम-देखो 'लक्ष्मण' ।
मला देखो लक्ष्मला'। सखी-देखो 'लक्ष्मी' ।
मीत (कांत) देखो 'लक्ष्मीकांत'।
लक्ष्यभेद, लक्ष्यवेध - पु० [सं०] निशान लगाने या मारने की लखारस- पु० वस्त्र विशेष । क्रिया विशेष ।
लखमीपत ( पति, पती) - देखो 'लक्ष्मीपति' ।
लखमीवर देखो 'लक्ष्मीवर' ।
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लखमीरमल देखी 'लक्ष्मीरमण' |
लखमीवर - देखो 'लक्ष्मीवर' ।
लखमीस देखो 'लक्ष्मीस' ।
लखमोला - वि० [सं० लक्ष - मूल्यं ] ( स्त्री० लखमोली) लाख रुपये के मूल्य वाला ।
लखम्मरण - देखो 'लक्ष्मण' । सम्मी देखो 'लक्ष्मी' । लवरीस-देखो 'साबरी'
लखवांन पु० सूर्य, भानु ।
सखाई स्वी० देखने जानने लक्ष्य करने की क्रिया या भाव। खाउ पु० [सं०] लक्ष] लक्षण पहचान।
लखारणौ (बी) - क्रि० १ दिखाना । २ समझाना, बताना ।
३ प्रभास या प्रतीत कराना । ४ लक्ष्य या ध्यान कराना । ५] अनुभव कराना । ६ सावधान करना, सतर्क करना । ७ लिखवाना ८ महसूस करना & भार समझना ।
लखारा स्त्री० लाख की चूड़ियां बनाकर बेचने वाली जाति ।
लखारौ पु० उक्त जाति का व्यक्ति ।
सखावनु० जानकारी अनुभव महसूसगी | लखावट देखो 'लिखावट' ।
लक्ष्म
लखावर (मो) - देखो 'लखाणी' (बी) |
लखण लखण १ देखी 'लक्ष्मण' २ देखो 'शक्षण' । लखित-देखो विचित' । लखन देखो 'लक्ष्मण लखमी देखो 'लक्ष्मी' ।
लखी-पु० १ एक रंग विशेष का घोड़ा । २ चुनाई का कार्य करने वाली एक मुसलमान जाति । ३ इस जाति का व्यक्ति । ४ देखो 'लक्खीबिणजारी' । ५ लाख जैसे रंग वाला ६ लक्ष रुपयों का स्वामी ।
लखीणौ- देखो 'लाखोखो' |
लखोबाळदियो, लखीबिणजारी- देखो 'लक्खीबिणजारों । लखु-१ देखो 'लक्ष्य' । २ देखो 'लक्ष्मी' |
लखेसरी लखेस्वरी- देखो 'लक्षेसरी' |
लख्ख - देखो 'लक्ष' ।
लख्खण- १ देखो 'लक्षण' । २ देखो 'लक्ष्मण' ।
लक्ष्मी देखो 'लक्ष्मी' ।
लख्य पु० १ कपट, छल । २ लक्ष्य ।
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लख्मरण
लगल पु० छतीस प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों में से एक । लगणी (ब) देखो 'लागणी' (ब)।
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लख्यरण- १ देखो 'लक्ष्मरण' । २ देखो 'लक्षण' । लख्रणो-देखो 'लक्षणो' ।
लग-स्त्री० १ लगे हुए होने की अवस्था या भाव। २ लग्न, लाग । ३ प्रेम, अनुराग । ४ मकान के ऊपर ऐसा स्थान जहां से कूद कर अन्य मकान में जाया जा सके। ५ दीवार की ऊंचाई । ६ जमीन से भारी पत्थर को अलग करने का लोहे का उपकररण । ७ कक्ष या कमरे के बीच की ऊंचाई । - भव्य ० १ तक, पर्यंन्त । २ लिए, वास्ते । ३ निकट पास । ४ साथ । ५ इसलिए, इस कारण से । लगइ (ई ) - प्रव्य० १ के कारण, से । २ से, द्वारा । ३ लगातार ४ देखो 'लग' ।
लगड़-पु०
गधे की पीठ पर रखकर पानी के पात्र ढोने का लकड़ी का ढांचा |
लगड़फोड़ीरो - वि० माता से कुकर्म करने वाला
लगड पु० एक प्रकार का शिकारी पक्षी । लगडी पु० पुरुषेन्द्रिय, शिश्न, लिंग 1
लगत- देखो 'लग' ।
लगतर देखो 'गित'।
( ५१२ )
लगतू, लगतू - देखो 'लगड' ।
लगती - वि० (स्त्री० लगती) १ लगा हुआ, संलग्न । २ निकट, पास । ३ पीछे लगा हुमा । ४ निरंतर, लगातार | ५ साथ ही साथ |
लगभग स्त्री० ० लचक, लचकनी, लोच । लगी (बी) - क्रि० १ लचकना, लोच खाना । झुकना । २ सुन्दर स्त्री का कमर लचकाते हुए चलना ।
लगन पु० [सं० लग्न] १ मन की एकाग्रता, ध्यान लगाने की क्रिया या भाव। २ लगने की क्रिया । ३ तल्लीनता, संलग्नता । ४ प्रेम, प्रीति । ५ चाह, इच्छा। ६ देखो 'लग्न' । लगनपत्रिका (पत्री) - देखो 'लग्नपत्र' | लगगवार पु० श्रीमाली ब्राह्मणों में विवाह की एक रश्म लगन, लगन्य- देखो 'लगन' ।
लगभग - प्रव्य० अनुमानतः, करीबन । निश्चित अंदाज के
ग्रास-पास ।
लगर- वि० फुर्तिला, चंचल ।
सगरी, लगरची ०१ फटा वस्त्र, चिचड़ा २ एक झाड़ी विशेष |
लगलगाट- स्त्री० लपलपाट, लप-चप ।
लगलगी स्त्री० झगड़ा या कलह के लिये उत्तेजित करने की क्रिया या भाव।
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लगवाड़ - स्त्री० १ प्रनुचित संबंध रखने वाला पुरुष या स्त्री । २ परस्त्री से लगा हुआा पुरुष । ३ सौंध ।
लगवाली (बी) क्रि० १ स्पर्श कराना वाना २ मिलवाना जुड़वाना, सटवाना । ३ खर्च कराना व्यय कराना । ४ नियोजित कराना। ५ प्रनुभव कराना । ६ प्रारंभ कराना शुरू कराना । ७ फैलवाना, पसरवाना, बिखरवाना ८ दो वस्तुनों का मेल कराना । ९ तरल पदार्थ का लेप कराना। १० एकत्र या सम्मिलित कराना । ११ भाघात या चोट दिराना । १२ पेड़-पौधे प्रादि प्रारोपित कराना । १३ स्थापित कराना । १४ प्रभाव डलवाना | १५ प्रारोपित कराना । १६ प्रज्वलित कराना । १७ किसी से संबंध करवाना । १८ कार्य में प्रवृत्त कराना । १९] चकवा पिटवाना २० पहुंचवाना, जाना। २१ व्यतीत कराना बितवाना । २२ प्रतीत या प्राभास कराना । २३ प्रेरित कराना, प्रोत्साहित कराना । २४ फैलवाना पसरवाना। २५ किसी में प्रविष्ट या प्रावेष्टित कराना । २६ बजवाना । २७ वृत्त, मंडल या क्षेत्र के धन्तर्गत कराना, प्रधीन या अनुगत कराना । २८ दुःखदायी या कष्टप्रद संबंध जुड़वाना । २६ प्रेम, भक्ति प्रादि से अनुरंजित कराना। ३० विशेष सामान या उपकरणों से युक्त कराना । ३१ अभ्यस्त कराना । ३२ बंद कराना। ३३ शस्त्रादि की चोट, प्राघात या खुरच लगवाना । ३४ मोका या अवसर देना । ३५ तनवाना, ऊपर छवा देना। ३६ प्रर्पित या प्रस्तुत कराना । ३७ उपयोग या प्रयोग में लिवाना। ३८ संबंध या रिश्ता स्थापित कराना । ३९ कुछ करवाना। ४० लागू कराना । ४१ यश, कीर्ति, निंदा प्रादि करवाना | ४२ क्रम पर करवाना, रखवाना ४३ अंकित कराना । ४४ अनैतिक संबंध करवाना । ४५ कष्टदायक वस्तु का स्पर्श कराना। ४६ मैथुन करवाना। ४७ पूर्णता की स्थिति में करवाना । ४८ घटित करवाना । ४९ टंकवाना, जुड़वाना । ५० प्रादी करवाना। ५१ धनुसरण के लिये प्रवृत्त करना ।
लगां
लगवाळ- पु० १२ धनुचित संबंध वाला, स्त्री-पुरुष । वि० १ लगा हुआ । २ पीछा करने वाला । ३ सहारा देने वाला, सहायक । ४ विलासी, कामुक । ang (at)-tut ''()
३ लबायमान |
लगो-देखो 'लग' ।
लगस, लगस्स - पु० १ झुंड, समूह । २ घटा समूह ३ फौज, सेनादल ४ अधिकता प्रचुरता ५ कतार पंक्ति 1 - वि० १ साथ-साथ एक साथ । २ पंक्तिबद्ध ।
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लगां
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(१३)
लगांण - १ देखो 'लगाम' । २ देखो 'लगान' ।
।
लगांन । वन ०१ भू-राजस्व २ कृषि भूमि पर लगने वाला कर मी स्त्री० [फा०] १ घोड़े की बाग, रास २ रोक, नियंत्ररण ।
सोम
लगांव ० १ लाने की क्रिया या भाव। २ रोटी के साथ खाने का पदार्थ, सब्जी आदि ।
लगा- क्रि० वि० १ तक पर्यन्त । २ अन्त तक ।
लगाड़णी (बी), लगाउलो (बो) - देखो लगाणी' (बो) । लगाणी (बो) - क्रि० १ स्पर्श करना, छूना। २ सम्पर्क में करना । ३ मिलाना, जोड़ना, सटाना । ४ शामिल करना, सम्मि लित करना । ५ तरल पदार्थ का लेप करना, मलना । ६ चिपकाना, लिपटाना । ७ पहुँचाना । ६ खर्च कराना, व्यय कराना । ९ दो वस्तुओंों को परस्पर मिलाना । १० प्रतीति या अनुभव कराना । ११ प्राघात या चोट पहुंचाना १२ कष्टप्रद वस्तु का स्पर्श कराना उगाना, अंकुरित करना । १४ प्रतीत करना । १५ नियोजित करना । १६ झुंड एकत्र करना । १७ प्रारोप या आक्षेप करना । १८ प्रज्वलित करना । १९ प्रभाव बताना, असर करना। २० कार्य में प्रवृत्त करना । २१ प्राफत या व्याधि लगाना । २२ वस्तु को यथा स्थान रखना । २३ प्रारंभ करना शुरू करना। २४ छिपवाना बंद कराना । २५ फैलाना, बिखेरना, पसारना । २६ शस्त्रादि चुभाना । २७ चिढ़ाना, कुढ़ाना। २८ ध्यान में बैठना । २९ करना । ३० जुड़ाना, जोड़ना । ३१ अनुगमन करना । ३२ अन्तगंत करना । ३३ आश्रित करना। ३४ शादी करना, अभ्यस्त करना । २५ प्रनिष्ट कर्म की जिम्मेदारी धाना । ३६ किसी प्रकार की सिद्धि या स्थापना करना । ३७ किसी प्रकार के उपयोग या व्यवहार के लिये श्रावश्यक करना । ३८ दातव्य राशि को निश्चित करना, हिस्से करना । ३९ किसी काम को घटित करना । ४० गणित क्रिया पूर्ण करना । ४१ क्रम पर रखना । ४२ मूल्यांकन करना । ४३ श्रकित या चिह्नित करना । ४४ स्त्री-प्रसंग या मंथुन करना । ४५ पीछा करना । ४६ नाजाइज संबंध बनाना ।
1
लगाय, लगायत प्रव्य० लगाकर, से। लगार - वि० किचित, थोड़ा, लेशमात्र । लगालगी - क्रि० वि० साथ-साथ, चलते कार्य में । क्रमशः । लगाव, लगावट पु० १ लगे होने की अवस्था या भाव। २ दीवार पर ग्रासानी से चढ़ने का स्थान । ३ संबंध । ४ दिलचस्पी शोक । ५ पक्षपात ।
लगावण पु० रोटी के साथ खाने का पदार्थ, सब्जी प्रादि । लगावरणी स्त्री० लड़ाने भिड़ाने की क्रिया या भाव।
लगावली (बी) देखो 'लगाणी' (दो)।
लगावू वि० लगाने वाला।
लगि ली-स्त्री० [ह लड़ाई २ लड़ाई के लिये एकाने
"
की क्रिया या भाव। ३ देखो 'लग' |
लगुड - पु० [सं०लगुड] छड़ी, लकड़ी, लाठी । लगुळ-देखो 'लो'।
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लगुवेस- देखो 'लघुवेस' ।
लगे लगे क्रि० वि० उत्तेजना या प्रोत्साहन के लिये प्रयुक्त किया
·
जाने वाला शब्द |
लगे-देखो 'लग' ।
लगेटगे क्रि० वि० १ निकट, पास २ लग भग । लगोबग - क्रि० वि० १ बराबर । २ लगभग । लगोलग लगोलग क्रि० वि० निरन्तर लगातार
-
लगी- वि० (स्त्री० लगी) लगा हुप्रा, संलग्न । १३ लगा-देखो 'लव' ।
|
लग्गणी (बौ) - देखो 'लागणी' (बौ) । लग्गन - १ देखो 'लगन' २ देखो 'लग्न' । लग्गारण- १ देखो 'लगान' । २ देखो 'लगाम' | लग्गारो (बी) देखो 'लगाणी' (बो)। लग्गाव-देखो 'लगाव' ।
(बी) देखो'लगाणी' (बी)। लग्गी-देखो 'ली' ।
लघमा
लग्गू - वि० १ लगने वाला २ लगा हुमा संलग्न ३ लीन, अनुरक्त । - क्रि०वि० ४ निरन्तर लगातार ।
3
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लग्न - पु० [सं० लग्नम् ] १ समय का वह भ्रंश जिसमें कोई राशि वर्तमान मानी जाती है। (ज्योतिष) २ मांगलिक कार्य का सर शुभ मुहूर्त ३ सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करने का समय । ४ पाणिग्रहण का समय । - कुंडळी - स्त्री० जन्म कुंडली राशियों की स्थिति जानने का चक्र । - दिन पु० पाणिग्रहण के मुहूर्त वाला दिन । -पत्र, पत्रिका पु० पाणिग्रहण के 'लग्न' की सूचना देने का पत्र |
-
लग्नदंड - पु० [सं०] वादन के समय स्वर के मुख्य अंश का सुंदरता से संयोग करने की क्रिया ।
लग्नायु- स्त्री० [० [सं०] लग्न कुंडली के अनुसार स्थिर होने वाली श्रायु । लग्नेस - पु० [सं० लग्न ईश ] लग्न का स्वामी ग्रह । लग्नोवय पु० [सं० लग्न उदय ] लग्न के उदय का समय । लघमा, लघिमा स्त्री० [स० लत्रिमन् ] १ एक प्रकार की सिद्धि । २ लघुता, हल्कापन ।
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लघु
( ५१४ )
लघु-वि० [सं०] १ उम्र या तुलना में छोटा । २ तुच्छ। लड़-स्त्री० [सं. लटिका] १ मणियों की माला। २ मोती
३ हल्का । ४ तनिक, थोड़ा। ५ दुबला, पतला । प्रादि की लटिका, हार । ३ फूलों का हार । ४ माला की ६ संक्षिप्त ।-क्रि०वि० ७ शीघ्र, सत्वर ।-पु० १ समय तरह बना एक ही तरह की वस्तुओं का झुड, समूह । का एक परिमाण । २ अश्विनी, हस्त व पुष्य नक्षत्रों का | ५ कतार, पंक्ति। ६ रेखा, लकीर । ७ रस्सी। ८ युद्ध, समूह । ३ एक प्रकार का प्रणायाम । ४ एक मात्रा का लड़ाई । ६ झड़ी या माला की तरह चलने वाला ह्रस्व स्वर । १ छोटा भाई।-अंक-पु० एक मात्रिक वर्ण । कोई क्रम । -गण-पु० अश्विनी, हस्त, पुष्य नक्षत्र ।
लड़कपण (पणो)-पु० १ बाल्यावस्था । २ बाल सुलभ नादान लघुअसण-पु. गरुड़।
चेष्टाएँ, कार्य । ३ चचलता, उद्दण्डता । लघुचंदन-पु० अगर की लकड़ी।
लड़कबुद्धि-स्त्री० बालकों जैसी बुद्धि, समझ । लघुचितविलास-पु० डिंगल का एक गीत या छंद ।
लड़काई-स्त्री. नादानी ।। लघुचित्त-वि० [सं० लघ-चित्त दुर्बल या चंचल मन वाला। | लड़को-पु. (स्त्री० लड़की) १ छोटी अवस्था का बालक, लघुचूड़क-पु. वस्त्र विशेष ।
__ लड़का । २ पुत्र, बेटा। लघुता, लघुताई-स्त्री. १ छोटापन, लघुत्व। २ तुच्छता, लड़क्करणो (बी)-क्रि० परस्पर टकराना, भिडना ।
न्यूनता । ३ हल्कापन । ४ नीचता। ५ दुर्बलता, कमजोरी। लड़खड़णी (बो), लड़खड़ारणी (बी), लड़खड़ावणी (बी)-कि. लघुतुपक-स्त्री० छोटी बन्दूक, तमंचा।
१ डगमगाना, डिगना । २ कांपना, धूजना, थर्शना । लघव-पु० [सं०] १ छोटापन, लघुता । २ हल्कापन । ३ दृढ़ व अडिग न रहना । ४ धमकाना. मातंकित करना। ३ तुच्छता।
लडड-क्रि.वि. निरंतर, लगातार ।-स्त्री. लगातार बढ़ने लघुदंती-पु० प्रथम लघु से पांच मात्रा का नाम ।-वि० छोटे
की क्रिया व इस क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । दांत वाला।
लड़झड़पो (बी)-क्रि० बकझक करना, बड़बड़ाना। लधुनजर-पु. हाथी, गज ।
लड़णी (बी)-कि० १ शस्त्रास्त्रों द्वारा युद्ध करना, लड़ना। लघुनाळीक-पु० छप्पय छंद का एक भेद ।
२ मल्लयुद्ध या वाकयुद्ध करना । परस्पर हाथापाई लघुनीत-पु० पेशाब, मूत्र ।
करना । ३ कलह करना, झगड़ा करना । ४ बहस करना, लघुपंचक लघुपंचमूळ-पु० पांच जड़ीय प्रौषधियों का समूह । हज्जत करना । ५ टकराना, भिड़ना । ६ विषले जानवरों लघुपण-पु० छोटापन, लघुता ।
का खाना, डक मारना । ७ नाराज होना। ८ कार्य सिद्धि लधुपाक-पु. सहज में पकने वाला खाद्य पदार्थ ।
के लिये जूझना । ९ अनुकूल स्थिति बनाने का बम लघुमति-वि• छोटी बुद्धि वाला, मूर्ख, नादान ।
करना । १० न्यायालय में कोई मामला पेश करना, लघुमारण, लघुमान-पु. १ लघुता का मान । २ नायक को विरोध करना।
अन्य स्त्री से बात करते देख नायिका के मन में होने | लडत्थडणी (बी). लड़पड़पो (बौ), लड़यडारणी (बी), वाला द्वेष ।
लडथड़ावणी (बौ)-क्रि० १ डगमगाना, स्थिर न रहना । लघुमा-देखो 'लघिमा'।
२ कोपना, थर्राना । ३ अडिग या बढ़ न रहना । लघुवय-स्त्री० [सं०] छोटी उम्र ।
४ डोलायमान होना। लधुवयस, लधुवेस-पु० [सं० लघु+वयस्] १ छोटी उम्र का। लड़दादी-पु० प्रपितामह का पिता । २ बालक।
लड़वी. लड़धी- वि० (स्त्री० लड़दो, लड़धी) १ हष्ट-पुष्ट, लघुसंका-स्त्री० पेशाब की हाजत, मूत्र त्याग ।
युवा । २ मस्त मौजी । ३ मुफ्त खोर । लघुसांमंत-पु. [सं०] छोटा राजा।
लड़पोतो-पु० (स्त्री० लड़पोती) पोत्र का पौत्र । लघुहस्त-वि० [सं०] १ छोटे हाथों वाला । २ द्रुतगति से लड़मूरत-पु० गले का प्राभूषण विशेष । बाण चलाने वाला।
लड़लूब (म, मौ)-देखो 'लड़ालूम' । लड़ग-वि० लम्बा, लम्बायमान ।-पु० १ घोड़ा, अश्व । | लड़ाई-स्त्री. १ युद्ध, संग्राम, संघर्ष । २ लड़ने की क्रिया ।
२ कतार, पंक्ति । ३ फौज की टुकड़ी, दल । ४ फैलाव, ३ मल्लयुद्ध या वाकयुद्ध । ४ मारपीट, हाथापाई । विस्तार । ५ झुड, समूह ।
५ कलह झगडा, विरोध । ६ बहस, हज्जत । ७ टक्कर, लड़त-स्त्री० लड़ाई, भिड़त, मुकाबला।
भिड़त । विर्षले जीवों के काटने वा डंक मारने को
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लड़ाक
( ५१५ )
लछमण
क्रिया । ९ नाराजगी। १० कार्य सिद्धि का प्रयत्न या | लचकावरणौ (बी)-देखो लचकाणी' (बी)। पारिश्रमिक । ११ शत्र ता, वैमनस्य । १२ प्रतिस्पर्धा । | लचकीलो-वि० (स्त्री० लचकीली) लोच, झटका या दाब सहने -खोर, खोरौ-वि० लडने वाला, कलहप्रिय ।
वाला, नम, कोमल । लड़ाक, लड़ाकी, लडाकू, लड़ाको-वि० १ प्रायः झगड़ते रहने | लचको-पु. १ लचकने की क्रिया या भाव, लोच । २ चोट, वाला । २ योद्धा, वीर । ३ कुश्ती लड़ने वाला।
झटका, दबाव । ३ लौंदा। लड़ामूब, लड़ामूम, लड़ाभूम-देखो 'लड़ालू ब' ।
लचक्क-देखो 'लचक'। लड़ाणौ (यो)-क्रि० १ शस्त्रास्त्रों से युद्ध कराना, झगड़ा कराना। लचक्करणो (बी)-देखो 'लचकणी' (बो)।,
लड़ाना। २ मल्ल युद्ध या वाक् युद्ध कराना। ३ परस्पर हाथा- | लचखारगो-देखो 'लचकाणों। पाई कराना। ४ कलह कराना,झगड़ा कराना। ५ बहस या लचरणो (बी)-देखो ‘लचकणी' (बी)। हज्जत कराना। ६ टकराने या भिड़ाने की प्रेरणा देना। लचपच, लचपचौ-वि० (स्त्री० लचपची) १ तर, तरीवाला, ७ नाराज कराना। ८ कार्य सिद्धि के लिये श्रम या प्रयत्न प्रार्द्रता वाला । २ पिलपिला ।
कराना । ९ मुकाबला कराना । १० इशारे करना। लचपच्च-क्रि० वि० १ लपकती हुई, लपलपाती हुई। २ देखो लड़ालब, लड़ालूब, लड़ालूम, लड़ालूव-वि० १ प्राभूषणों से _ 'लचपच'।
पूर्ण सुसज्जित । २ फल-फूलों से लदा हुघा, आच्छादित । लचरको-पु. १ हिलने डुलने या झुकने की क्रिया या भाव । ३ जिसके मालाऐं, लटिकाएं झूम रही हों।
२ फहराहट, लहराहट । लड़ावणी (बो)-देखो 'लड़ाणी' (बी)।
लचलचौ-वि० (स्त्री० लचलची) १ नर्म, कोमल । २ लोच लड़ियंग-स्त्री० पंक्ति, समूह ।
वाला । ३ लचपचा। लड़ियो-पु. १ 'खींप' नामक क्षुप के रेशों की रस्सी। २ भेड़ | लचाकेदार-वि० बढ़िया, उम्दा, श्रेष्ठ । ___ का बच्चा ।
लचाणो (बी), लचावरणी (बी)-देखो 'लचकाणी' (बी)। लड़ी-स्त्री. १ वेल, लता । २ लटिका, माला, लड़। ३ कड़ी, लचोळी-पु. लचकने की क्रिया या भाव । लचका । शुखला। ४ झड़ी, क्रम ।
लच्चर-क्रि० वि० झपक-झपक ।-वि० लचीला। ल'डी-स्त्री० भेड़, मादा मेष ।
लच्छ-देखो 'लक्षण'/'लक्ष लक्ष्मी/'लक्ष्मण'/'लक्ष्य' । लड़ीयाळ, लडेत, लड़ोकड़, लड़ोकड़ो-वि० (स्त्री० लड़ेतण, | लच्छण, लच्छन-देखो 'लक्षण' / 'लक्षणी' ।
लड़ोकड़ी) १ वीर, योद्धा, लड़ाकू । २ कलहप्रिय । ३ शीघ्र लच्छमरण-वि० १ धनवान, अमीर । २ देखो 'लक्ष्मण' । लड़ पड़ने वाला।
लच्छमी-देखो 'लक्ष्मी'। लच, लचक-स्त्री० १ लचकने की क्रिया या भाव, लोच ।। लच्छि-देखो 'लच्छी' । देखो 'लक्ष्मी' । २ दबने, झुकने, मुड-कर पुनः ठीक होने का गुण । ३
लच्छि भरतार (भ्रतार)-देखो 'लक्ष्मीभरतार' । शरीर के किसी भाग में झटके से होने वाला विकार, दर्द। लच्छिवर-देखो 'लक्ष्मीवर'। लचकरण-स्त्री० लचीलापन, नर्मी, कोमलता।
लच्छी-पु० १ सूत, रेशम, ऊन प्रादि के रेशों की लटिका, लचकरणो-वि० (स्त्री० लचकणी) लोच या लचकवाला, नर्म, गुच्छो । २ देखो 'लक्ष्मो' । कोमल ।
लच्छीवर-देखो 'लक्ष्मीवर'। लचकरणी (बो,-क्रि० १ झटके या दाब मे झुकना, झुक कर | लच्छीवालापूत-पु. घोड़ा, प्रश्व ।
पुनः सीधा हो जाना। २ दबना, झुकना। ३ मुडना। | लच्छेदार-वि० १ जिसमें लच्छे या गुच्छे बने हों। २ रुचिकर, ४ चाल के कारण अंग में लोच या थिरकन होना। स्वादिष्ट । ५ लहराना।
लच्छो-देखो 'लछौ' । लचकांणी-वि० (स्त्रो. लचकारणी) १ लज्जित, शमिन्दा। लछ-देखो 'लक्षण'/ लक्ष्मी'/'लक्ष्मण'/'लक्ष'/'लक्ष्य' । २ झेपा हुमा।
लछकारणो-देखो 'लचकांणो'। (स्त्री० लछकाणी) लचकारणी (बी)-क्रि० १ चलते समय अंगों को थिरकाना। लछण, लछन-१ देखो 'लक्षण' । २ देखो लक्ष्मण' ।
२ झुकाना, दबाना। ३ दाब या भार डालकर लोच लछणहीन-देखो 'लक्षणहीन'। पटकना।
लछबर-देखो 'लक्ष्मीवर'। लचकार-स्त्री. लचकने की क्रिया या भाव, झुकाव, लचक । | लछमरण (न)-देखो 'लक्ष्मण' ।
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लक्ष्मी
लछमीधर देखो 'लक्ष्मीधर' ।
समीप (पति, पती) देखो 'लक्ष्मीपति' । लक्ष्मीवर देखो 'बयोवर'
।
लक्ष्मीवाल पु० [सं०] लक्ष्मी बासुप] धनवान, धमीर खबर-देखो 'समीर'।
ललियो लखि- देखो 'लक्ष्मी', 'ल'।
लछिपती- देखो लक्ष्मीपति' ।
समिरतार देखो 'लक्ष्मीचरतार'।
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लक्ष्मी १० हृषिकेश व बद्रीनारायण के बीच का एक शाप नजानुपली पु० लज्जा की घोट में रहने की क्रिप तीर्थ स्थान ।
या भाव ।
लछमी- देखो 'लक्ष्मी'।
लछमीकंत ( कांत ) - देखो 'लक्ष्मीकांत' ।
( ५१६ )
लछिमन - देखो 'लक्ष्मण' ।
लखी- देखो 'लक्ष्मी' । देखो 'लच्छी' ।
महीधर पु० १ एक वणिक छंद विशेष २ देखो 'समीर'।
लहीनाथ- देखो 'क्ष्मीनाथ ।
सद्दीवर देखो 'लक्ष्मीवर'
लज - देखो 'लज्जा' ।
लजकांणी, लजखांगो-देखो 'लचकांरणी' | लजगी - स्त्री० एक पौधा विशेष ।
सजली (बी) देखो 'लाजलो' (बो) ।
सखीभरतार देखो 'लक्ष्मीमरतार' |
लछीवर - देखो 'लक्ष्मीवर' ।
सांग -देखो लक्ष्मीन
लछीम-देखो 'लक्ष्मीस' ।
लछो- पु० १ रेशम की डोरियों का रंगीन रस्सा । २ पके हुए खाद्य पदार्थ के रेशे । ३ चांदी के तारों का पांव का प्राभूधरण विशेष ४ हाथ को चूटियों का समूह ५ हाथी के गर्दन पर बांधने की रंगीन डोरी ।
लजदार - वि० लाज शर्म वाला, शर्मीला 1 लजरख - वि० [सं० लज रख ] इज्जत या लज्जा रखने वाला ।
- पु० वस्त्र |
लजाथंभ - वि० लाज या इज्जत का रक्षक ।
लजापुर- वि० समना ।
बराह पु० [सं०] लज्जा का मार्ग ।
वाळी वि० [स्त्री० मवाळी) जाशील, समला। लजाणी- वि० लज्जित करने वाला, इज्जत गंवाने वाला । लगाणी (बी) - क्रि० १ लज्जित करना, शर्मिंदा करना । २ संकोच करना ।
जावि० [सं० सा] मज्जाशील समला।
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लजावत लजावंती- देखो 'लज्जावत' । लजावल, लजावणी-देखो 'बो' | लजावणौ (बी) - देखो 'लजागो' (बी) । लजीज - वि० स्वादिष्ट, उत्तम । लजीली - वि० [स्त्री० जीसी) लावाला लज्ज - देखो 'लाज' ।
लटकन
मा शर्मीला ।
(बी) देखो 'लावणी' (बो)।
लज्जत स्त्री० १ खाद्य पदार्थ का जायका, स्वाद । २ प्रानन्द । -बार वि० जायकेदार । प्रानन्ददायक ।
लज्जा स्त्री० ० १ शर्म, लाज, संकोच । २ मान-मर्यादा ।
३ प्रतिष्ठा, इज्जत । ४ एक मात्रिक छंद विशेष ( गाथा ) । लज्जाखौ (बी) - देखो 'लजाणी' (बी)
लज्जाप्रद - वि० लज्जाजनक ।
लजालु (पू) देखो 'बजाळू'।
लावंत, लगायत वि० (स्त्री० लज्जावती) शर्मीला
लज्जाशील ।
लज्जावणी (बौ) - देखों 'लजारणी' (बौ) ।
लज्जावती, लज्जावान
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सज्जाशील शर्मीला ।
}
लज्जू - वि० लाज शर्म व इज्जतवाला ।
लज्ज्या, लज्या - देखो 'लाज' ।
लझिका स्त्री० १ वेश्या, गणिका । २ विपरीत लक्षणा व निर्लज्ज स्त्री ।
लट-स्त्री० [सं०] अवा] १ बालों की झलक, जुल्फ २ शिर के बालों का गुच्छा । ३ छोटा पर कुछ लंबा, रेंगने वाला कीड़ा । ४ कृशकाय, दुर्बल ५ देखो 'लठ' ६ देखो 'लट्टी' । लटक ( उ ) - १ देखो 'लटकरण' । २ देखो 'लटको' । लटकजुहारी शुककर किया जाने वाला अभिवादन। लटकरण - स्त्री० १ लटकने की क्रिया या भाव। २ लटकती हुई वस्तु । ३ वीरघट के बीच लटकने वाला उपकरण । ४ नरक का श्राभूषण । ५ माकर्षक चाल या गति । ६ आकर्षक भाव-भंगिमा । ७ कान का प्राभूषण । ८ सिन्दूर पुष्पी नामक ग्रुप ।
लटकण (ब) - क्रि० [सं० लडन् ] १ किसी वस्तु या प्राणी का, ऊपर कहीं घटक कर, झूलती हुई दशा में होना, झूल कर रह जाना, लटकना । २ झुकना । ३ बात या कार्य में कोई बाधा पड़ने पर अपूर्ण रहना । ४ वचित होना । ५ अनिश्चित स्थिति में होना
लटकवार वि० १ जो भूलता हुआ हो, लटकने वाला। २ जिसमें कुछ प्राकर्षरण या रोचकता हो ।
लटकन - देखो 'लटकरण' ।
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लटकाणी
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लड़काणी (बी) कि० १ किसी वस्तु या प्राणी को ऊपर कहीं लटका कर झूलती हुई दशा में करना, झुलाना, लटकाना । २ झुकाना । ३ बाधा डाल कर अपूर्ण रखना । ४ वंचित करना ६ प्रनिश्चित अवस्था में करना । लटकाळु (ळू छौ, लो) - वि० हुधा, लटकने वाला । २ भगिमा वाला ।
(स्त्री० लटकाळी ) १ झूलता सुन्दर । ३ प्राकर्षक भाव
( ५१७ )
लटकावणी (बी) - देखो 'लटकारणों' (बी) ।
सटकली वि० (स्त्री० लटकीली) १ लटक-मटक वाला नखरे बाज । २ सुन्दर, रोचक ।
रोचकता
।
लटको पु० १ गति या चाल में होने वाली लचक, २ मलाम, अभिवादन । ३ स्वोकृति में गर्दन हिलाने की क्रिया । ४ ग हिलाकर की जाने वाली क्रियाएं, भाव भंगिमा । ५ नखरा, चोंचला । ६ बात करने, बोलने का ढंग, तौर-तरीका । ७ हल्की नींद, झपकी ८ के लि-क्रीड़ाई ९ संगीत की ध्वनि से शरीरांगों पर होने वाली प्रतिक्रिया । १० मंत्र-तंत्र, चिकित्सा प्रादि में, प्रभीष्ट सिद्धि प्राप्त करने की कोई युक्ति । ११ चित्त प्रसन्न करने वाला कोई गायन । १२ देखो 'लटक' |
पटाहट ३ खुशामद । - वि० दृढ मजबूत ।
लटापुरी-देखो 'लटापोरी' ।
लटापोट-देखो 'लोट-पोट' ।
लटापोरी-स्त्री० [सुशामद, मनुहार, घाग्र
प्राग्रह
लहाळी-स्त्री० बालों वाली लटिया स्त्री० उलझे बालों की लट, बाल
लट्ट-१ देखो 'लट' । २ देखो 'लट्ठी' । लट्टांचट्टां देखो 'लटांचा' ।
लटिआळी, लटियाळ (ल), लटियाळी- पु० १ भैरव का एक नाम । २ पुष्प, फूल । ३ केशों की प्रयाल। ४ प्रावड़ देवी की छोटी बहन का नाम। ५ एक प्रकार की मंग । लटियाली- वि० [स्त्री० लटवाळी) जटाधारी, प्रालवाला लटी स्त्री० १ झूठी बात गप्प । २ वेश्या । ३ साधु स्त्री । ४ केश, सूत प्रादि की लटिका, लच्छी । ५ घोड़ े के गर्दन की प्रयाल :- वि० बलवान, जबरदस्त
ल बरणी (बौ) - क्रि० १ लटकना, भूमना । २ कोई चीज पकड़
कर लटकना ।
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लटक्करण (बो) - देखो लटकरणी' ( बौ) । लटणी (बो) - क्रि० १ दबना, झुकना, लचक खाना । २ शिथिल या क्षीण होना ।
लटपट लटपट लटपटी-स्त्री० १ खुशामदी की चिकनी चुपड़ी बातें खुशामद । २ तड़फना क्रिया । ३ लगातार हिलने-डुलने की क्रिया । ४ चाल का प्राकर्षण, रोचकता । ५ चलने से उत्पन्न ध्वनि । ६ लोट-पोट होने की क्रिया । लटपटारो (बी) - क्रि० १ तडफना, छटपटाना। २ खुशामद करना । ३ धनुरक्त करना, लुभाना ।
लटपटियो, लटपटी-वि० १ बेढगा, घटपट । २ खुशामदी । ३ अवलेह की तरह गाढ़ा । ४ लटकता व झूलता हुधा । लटवा स्त्री० १० खुशामद, चाटुकारिता । लटांagi - वि० o गुत्थमगुत्था । लाल पु० टोड
लटा-स्त्री० वालों की लट बालों का समूह ।
लटपट लटपटी-स्त्री० १ बंधने की क्रिया, बंधन २ छट लडथड़ी (भी) - देखो लडथड़णी' (बी) ।
लडल्लड़ - क्रि० वि० धडाधड़ ।
.
लहू - पु० फिरकी की तरह घूमने वाला लकड़ी का एक खिलोना | -वि० किसी पर मोहित फिदा ।
लडयित
सट्टा ५०१ कुत्ता, श्वान २ देखो 'लट्ठी' |
लट्ठ-पु० १ बड़ा डंडा, लकड़ी, लाठी । २ मोटी लकड़ी ।
३ देखो 'लठ' ।-बाज-वि० लाठी चलाने में दक्ष ।-बाजीस्त्री० लाठी चलाने की कला । लाठी से की जाने वाली लड़ाई । - भारती, मार- वि० लाठी से लड़ने वाला, उद्दण्ड, उत्पाती ।
-
लट्ठौ देखी 'लाठी' ।
लट्टी पु० १ मोटा मूती वस्त्र २ बड़ी व मोटी लड़ी लटु
३ भेडिया ।
-बाज=
- वि० १ हृष्ट-पुष्ट, बलिष्ठ २ मजबूत, जबरदस्त । ३ मूर्ख, बेवकूफ | पु० १ छकड़ा। २ भेड़िया । ३ लाठी 'लट्ठवाज' । - भारती, मार= लट्ठभारती' । लठावन - वि० लाठी चलाने में प्रवीण । मठोझल देखो 'लाठीझल' |
लठेत - वि० लट्ठधारी ।
लडो पु० १ इमारत में लगने वाला नही का पाठ, शहतीर ।
२ देखो 'लट्ठी' |
लडली (ब)- क्रि० १ प्यार किया जाना, प्यार में इतना २ देखी 'लो' (बी) ।
लडत्थड लडथड - वि० झूमता हुआ । - पु० लड़ने वालों का समूह ।
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लडबडणी (बी) - क्रि० लटकना ।
लडसडी (बी) - क्रि०१ मस्ती से झूमते हुए चलना । २ गवं व अभिमान में रहना ।
लटारां - देखो 'लटा' ।
लडहि ( ही ) - वि० [सं० लटम] सुन्दर ।
लटारी- पु० उपज का हिस्सा लेने वाला भूस्वामी या सामंत || लडहियतन (जि, णी) - स्त्री० [स० लटभिकत्वन | सौन्दर्य |
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लडाई
( ५१८ )
लदाणी
लडाई-देखो 'लड़ाई'।
लताड़णो (बी)-क्रि० १ लातों से कुचलना, रोंदना। २ लातों लडाड़णो (बौ), लडाणी (बी)-क्रि० १ लाड-प्यार करना। से मारना । ३ फटकारना, प्रताड़ना देना, भर्त्सना करना ।
दुलारना । २ इतारना, फुसलाना । ३ देखो 'लड़ाणी' (बो)। ४ डांटना, अपमान करना। ५ परेशान करना हैरान लडायत, लडायती, लडालो-वि० (स्त्री० लडायती, लडाळी) करना। प्रिय, प्यारा, लाडला ।
लतामणि-पु० [सं०] मूगा, प्रवाल । लडावणौ (बी)-देखो 'लहारणो' (बी)।
लतावेस्ठ, लतावेस्ठण-पु० [सं० लतावेष्ट] १ काम शास्त्रानुलडाविया-स्त्री० घोड़ों की एक जाति ।
सार एक रतिबंध । २ द्वारकापुरी के पास का एक पर्वत । लडीड़, लडीड़ो-पु० १ बड़े शस्त्र, लाठी या हाथ का भारी -वि० लतामों से वेष्टित । प्रहार । २ ऐसे प्रहार से उत्पन्न ध्वनि । ३ हानि, नुकसान।
लतासाधन-पु० [सं०] एक तांत्रिक साधना विशेष । ४ चोट।
लतिका-स्त्रो० छोटी लता। लडीयाळ-देखो 'लड़ीयाळ'।
लतियापण (पणौ)-पु० अप्राकृतिक मैथुन की प्रादत । लडूककार, लडूयार-पु० [सं०] लड्डू बनाने वाला, कंदोई।
लतियो-वि० अप्राकृतिक मैथुन करने, कराने वाला। लडेत-वि० लाड-प्यार से इतरा हुआ।
लतीफी-पु० [अ० लतीफो] हास्य व्यंग, चुटकला। लडोकड़ो-वि० १ प्रिय, प्यारा । २ देखो 'लड़ोकड़ो' ।
लतेड़-देखो 'लताड़। लडु-देखो 'लाड। .
लतेडणी, लतेडबौ-देखो 'लताड़णी' (बी)। लड्डु,-देखो 'लाडू'।
लत्त-१ देखो 'लत' । २ देखो 'लत्ती'। लढ़-क्रि० वि० १ लोट-पोट कर । २ लड्डु, की तरह गुडक कर ।
लत्ता-स्त्री०१ विवाह के मुहूर्त में होने वाला एक दोष । लढ़करणौ (बो)-देखो लुढकरणो' (बी)।
२ देखो 'लता'। लढकारणी (बो), लढकावरणौ (बो)-क्रि० १ बांधना । २ देखो
लत्ती-स्त्री. १ पशु द्वारा किया जाने वाला पैर का पाघात । 'लुढकाणी' (बी)।
२ चलने वाले या दौड़ने वाले के पांव में पांव प्रहाने की लढाक-पु. छद्म वेश में किसी समूह में भोजन करने वाला
क्रिया। व्यक्ति ।-क्रि० वि० सहसा, गुड़ककर, लुढककर । लढार-पु० कायस्थों की एक वैवाहिक रस्म ।
लत्ती-पु० [सं०लत्तक] १ फटा-पुराना वस्त्र । २ पहनने का वस्त्र । लढौ-पु० १ बैलगाड़ी । २ बैलगाड़ी में भरे सामान की सुरक्षा
लत्थबत्थ, लत्थोपत्थि, लत्योबाथ, लत्थोबथ, लत्योबथ्य, के लिये लगाया जाने वाला वस्त्र ।
लत्थोबत्थाणा-देखो 'लय-बथ'। लगणो (बो)-देखो 'लुणणो' (बो)।
लथपथ-वि० १ तरल पदार्थ में भीगा हुअा, तरबतर । २ मिट्टी लरिणयार, लणिहार-देखो 'लैणियार' ।
कीचड़ आदि से सना हुप्रा । लणीहार-देखो लैणिहार'।
लयबत्थ, लथबथ, लथुबत्थ, लथुबथ, लथोबत्थ, लथोबथ, लत-स्त्री० [अ० इल्लत] १ बुरी प्रादत, मादत । २ ऐव, | लथोबथ्थ-वि० १ गुत्थमगुत्था, उलझा हुपा, भिड़ा हुआ।
अवगुण । ३ देखो 'लात' ।- खोर खोरो-वि० बुरी प्राप्त २ आलिंगनबद्ध । या ऐब वाला । नीच।
लवणी (बी)-क्रि० १ भार, वजन से युक्त होना । २ वाहन या लता-स्त्री० [सं०] रस्सी या माला की तरह, किसी सहारे से पशु की पीठ पर वजनदार वस्तु या सामान रखा जाना ।
लिपट कर बढने वाली वनस्पती, बेल ।-प्रत-पु० पुष्प, ३ परिपूर्ण होना, पाच्छादित होना। ४ किसी पर अधिक फूल । --कु ज-पु. लता समूह ।- ग्रह, घर-पु. लताओं से समान या काम का बोझ पड़ना। ५ व्यतीत होना, कालाप्राच्छादित स्थान या मंडप । -भवन='लताग्रह' । तोत होना । ६ पलायन, प्रस्थान या गमन करना । ७ प्रत्य-मडप ----पु. लतामों से आच्छादित मंडप ।- मडळ-पु. धिक फल-फूल पाना। लतानों का समूह।
लदपड़ी-पु० लंबे कानों वाला। लताकर-स्त्री० नृत्य की एक मुद्रा या क्रिया।
लबाऊ-वि० लादने वाला ।-पु. लदाव, भराव । लतास्तूरिका, लताकस्तूरी स्त्री० एक वनस्पती विशेष ।
लदाणी (बी)-क्रि० १ भार, वजन से युक्त करना, कराना। लताड़-स्त्री० १ प्रताड़ना, डांट-फटकार । २ डराने, धमकाने २ वाहन या पशु की पीठ पर वजनदार वस्तु या सामान की क्रिया।
रखना, रखाना । ३ परिपूर्ण करना, माच्छादित करना
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लदारौ
लपेटको
कराना। ४ सामान या कार्य का अधिक बोझ डालना। कराना,संलग्न करना । २ स्पर्श कराना, छुवाना। ३ प्रावत ५ व्यतीत कराना । ६ पलायन या प्रस्थान कराना ।
करना, प्रावेष्टित करना । ४ लिप्त कराना। ५ प्रालिंगन लवारी-पु० गुदा द्वार ।-वि० लदने वाला।
कराना। लदाव-पु० १ लादने की क्रिया या भाव । २ बोझ, भार। | लपटो-पु.१ कम घो का, अवलेह की तरह का हलवा । २ इसी ३ छत पाटने की एक क्रिया विशेष ।
तरह का कोई पदार्थ । ३ गीली व नर्म वस्तु । लदावणी-वि० (स्त्री० लदावणी) लदाने वाला।
लपणी बो)-देखो लपकरणो' (बी)। सदावणी (बौ'-देखो 'लदाणी' (बी)।
लपतरो-पु. १ मांस सहित त्वचा का टुकडा । २ जूता । लद्दगो (बो)-देखो 'लदणी' (बो)।
लपता-छिपता-क्रि० वि० छिप-छिप कर। लद्द -पु० भार ढोने वाला पशु । बोझा उठाने वाला। लपतोळणी (बी)- क्रि०लथ-पथ करना । लथ-पथ होना। लख-वि० [सं० लब्ध] १ मुग्ध, मोहित । २ मिला हुमा, प्राप्त । लपत्तड़-वि० फटा हुआ जीर्ण-शीर्ण । लद्धणी (बी),लधरपो(बी),लध्धरणो(बी)-देखो 'लाभणी' (बी)। लपन-पु० [सं०] १ मुंह, मुख । २ भाषण, कथन । लप-स्त्री. १हाथ की अंगुलियों को परस्पर सटाकर पात्र की लपना-स्त्री. १ जीभ, जिह्वा । २ बोली।
तरह बनाई गई हाथ की मुद्रा, अंजली, पसर । २ वस्तु की लपर- वि० वाचाल, बातूनी। उतनी मात्रा जो उक्त स्थिति में हाथ में पाती हो । ३ बेंत
लपरक, लपरको-पु०१ सर्प की तरह बार-बार जीभ निकालने की पादि लचीली वस्तु को हिलाने से उत्पन्न ध्वनि । ४ बरछी,
क्रिया । २ बार-बार बीच में (बात के) बोलने की क्रिया । तलवार प्रादि की चमक या गति । ५ ध्वनि विशेष ।
३ निरर्थक बात करने की क्रिया । ४ जीभ से चाटने की -क्रि० वि० प्रति शीघ्र, लपक कर। तुरंत ।
ध्वनि। लपक-स्त्री०१ चमक, कांति, प्राभा । २ स्फूर्ति ।
| लपरणो (बो)-क्रि० १ जीभ से चाटना। २ बार-बार जीभ लपकरणो(बी)-क्रि० १ शीघ्रता से जाना, दौड कर जाना। २ तेजी |
निकालना। से पाना । ३ किसी पर झपटना। ४ लपक कर कोई चीज
| लपराइ (६)-स्त्रो० १ वाचालता, लबारपन । २ चापलूसी। लेना, झपटो मारना।
लपराणी (बो)-क्रि० १ बार-बार बीच में बोलना । २ बारलपकारणी (बी), लपकावरणौ (बौ)-क्रि० १ खाना । २ शीघ्रता
__ बार जीभ बाहर निकालना । ३ निरर्थक बात कहना। मे जाने, दौड़ने के लिये प्रेरित करना । ३ तेजी से प्राने की
लपरणो-देखो 'लपर। प्रेरणा देना। ४ किसी पर झपटाना । ५ झपटने, झपटी
लपळको-देखो 'लपरकों। मारने को कहना।
लपचप, लपलपाट-स्त्री० १ बार-बार बोलने की क्रिया । २ लप लपको-पु.१ किसी बात के बीच में बोलने या व्यर्थ बात
लप करने की क्रिया। ३ बकवास । ४ चमक, कौंध । करने की क्रिया । २ बड़ा ग्रास ।
५ जीभ निकालने की क्रिया विशेष । लपड़कनौ, लपडकन्नौ-वि० (स्त्री० लपड़कन्नी) लंबे कानों वाला।
लपसी देखो 'लापसी'। लपडो-देखो 'लफड़ों'।
लपाक-क्रि० वि० शीघ्रता से, तुरंत, तपाक । लपचप-स्त्री. १ किसी के बीच में अनावश्यक बात-चीत, व्यर्थ बाल । २ चंचलता । ३ प्रशिष्ट मानी जाने वाली बात ।
लपादार-पु० तार गोटे की लपी (पट्टी) लगा वस्त्र । लपचडो, लपचेड , लपचेडो-देखो लफड़ो'।
लपालप. लपालपी-क्रि० वि० झटपट, शीघ्रता से, तेजी से, लपचोळी, लपचोली-वि० लालची, लोभी।
फटाफट । लपलप। लपक्षप-क्रि० वि० १ दीपक की लौ की झपकी। २ देखो लप
लपेक-वि० करीब एक पसर में समाए जितना । 'लपचप' ।
लपेट, लपेटण-स्त्री. १ लिपटाने की क्रिया। २ पावरण । लपट-स्त्री. १ प्राग की लपट, पग्नि शिखा । २ दीप्ति, कांति, ३ प्रावृत्ति का क्रम, फेरा, बंधन । ४ सलवट । ५ ऐंठन शोभा । ३ प्रभाव, पसर । ४ तलवार । ५ वायु का झोंका ।
बल, मोड़। ६ घेरा, परिधि । ७ उलझन, फसाव, पकड़, ६ सुगधित वायु । ७ चमक । ८ वेष्टन ।
___ बंधन । चक्कर । ८ कुश्ती का दाव । लपटणी (बी)-क्रि.१ किसी चीज पर कोई अन्य चीज चिपकना, लपेटणी-स्त्री० जुलाहों के काम प्राने वाली एक प्रकार की संलग्न होना । २ स्पर्श करना छूना। ३ प्रावृत्त होना,
लकड़ी। मावेष्टित होना । लिप्त होना । ५ प्रालिंगन करना। लपेटणी (बौ)-क्रि० १ किसी वस्तु को अन्य बस्तु में समेटना, लपटापो (बो), लपटावरणो (बौ)-क्रि० १ चिपकाना, लेप बांधना, पारो भोर ढककर बांधना। २ प्रावेष्टित करना ।
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लपेटमा
( ५२० )
लष.
३ रस्सी, डोरी प्रादि से चारों ओर बंधन लागना । लबद-वि० मुलायम, कोमल, नर्म । ४ घेरना, प्रावृत्त करना। ५ बनाव शृगार करना। लबधणी (ौ)-क्रि० [सं० लब्ध प्राप्त करना, पाना, उपलब्ध ६ काबू या वश में करना। ७ उलझन में फंसाना।।
होना ।
योगा। ८ किसी लड़ाई में सम्मिलित करना। बहाव या झपट | लबगै-देखो 'लपर'। में माना। १० प्राच्छादित करना, ढकना । ११ लेप करना
लबलबो-स्त्री. १ बंदूक, पिस्तौल प्रादि का खटका । २ तरलता। पोतना।
लबलबी-वि० (स्त्री० लबलबी) तर, पाद्र, नम । लचीला । लपेटणी (बी)-वि०१ लिपटा कर रखा या बनाया गया, | लबांग्णा-प० मसलमान भाटों का एक जाति ।
सिमटवां । २ किसी की लपेट में पाया हपा । ३ लपेटने लबाडी, लबाड-देखो 'लबाळो' । योग्य । ४ चक्करदार, गूढ ।
लबादी-पु० [फा० लबादः] रूईदार चोगा । लपेटियो-देखो 'लपेटो'।
लबायची-पु० [फा० लबाच:] पहनने का वस्त्र विशेष । लपेटो-पु०१ दाम्पत्य बंधन । २ विवाह, विवाह में होने वाली लबार, लबारी, लबाळ, लबाल-वि. वाचाल, बातूनी ।
भांवर, फेरा । ३ शिर पर बांधने का वस्त्र, साफा, पगड़ी। बकवादी । ४ टोप के नीचे बांधने का वस्त्र । ५ षड़यंत्र, जाल । लबालब-वि. ऊपरी किनारे तक मरा हुप्रा, छलकने की ६ चक्कर, दाव ।-वि० लपेटा हुमा, बांधा हुमा ।
स्थिति में। लपवार-पु० तार गोटे की पट्टो लगा वस्त्र ।
लबाळी-वि० बातूनी, बकवादी, वाचाल लपोड, लपोडो, लगेडो, लपोळ-वि० मूर्ख, नासमझ ।
लबूकरणौ (बी)-क्रि० १ हरा-भरा होना, लहलहाना । २ फललपो-देखो 'लप्पो'।
फूलादि पाकर डालों पर झूलना। ३ लटकना । लपौलप-क्रि० वि० १ शीघ्रता से, जल्दी से तुरंत । २ फटाफट ।
लबूरणी (बौ)-क्रि० । नाखूनों से नोचना, खरोचना । ३ हाथोहाथ ।
२ छोनना, झपटना। लप्पड-स्त्री० थप्पड़, तमाचा, झापट ।
लबोळ (ल)-देखो 'लबाळो' । लप्पी-स्त्री०१ महीनतम रजकरण, मिट्टी। २ तार गोटे को पट्टी।
लब्ज-देखो 'लफ्ज'। लप्पो-पु० तार गोटे की पट्टी, मोटी किनारी। लफगो-वि० [फा० लफंग] (स्त्री० लफगी) १ चरित्रहीन,
लब्ध -वि० १ मिला हुषा, प्राप्त । २ कमाया हुआ, उपलब्ध ।
३ भाग फल । ४ स्मृति के अनुसार एक प्रकार का दास । दुश्चरित्र । २ लपट, व्यभिचारी। ३ लुच्चा, बदमाश, उद्दण्ड । ४ चोर, लुटेरा।
लब्धक-वि० प्राप्त करने वाला, पाने वाला, उपार्जन करने वाला।
लब्धवरण-पु० [सं० लब्धवर्ण] पंडित, ज्ञानी, कवि । लफ-देखो 'लप' ।
लब्धि-स्त्री. १ प्राप्ति उपलब्धि । २ लाभ, फायदा । ३ तप लफडी-पु० १ बंधन, झंझट । २ अनावश्यक कार्य, प्रपंच ।।
सयम प्रादि से प्राप्त प्रात्मिक शक्ति ।-बंत, वत-वि० ३ काम-धंधा । ४ भूत, प्रेत, शैतान । ५ प्राफत ।
प्राप्तकर्ता, जिसे प्राप्ति हुई हो। लफज-देखो 'लफ्ज'।
लन्भरणौ (बी), लमरणो (बी)-देखो 'लाभणो' (बो)। लफरो-देखो 'लफड़ो'। लफलफणी (बो)-देखो 'लपलपणो' (बी)।
लभस-स्त्री०१ घोड़े बांधने की रस्सी । २ धन, दौलत । लफ्ज-पु० प्र०] १ शब्न, बोल । २ बात । ३ वचन ।
वि० याचक । लबकणी (बी)-क्रि०१ भक्षण करना, खाना । २ हल्का दर्द या लो-पु.१ लाभ. फायदा। २ मिला हमा प्राप्त । चीस उठना । ३ झपट कर खाना ।
लम्भणौ बौ)-देखो 'लाभगो' (बी): लबको-पु०१ मोटा ग्रास, लौंदा। २ प्रानन्द, रस ।
लमछड़-पु० १ भाला, बरछा । २ सांग। ३ छड़ी के समान लबडकारणी (बो), लबड़कावरणौ (बौ)-क्रि० १ परेशान करना, लबा । ४ देखो लांमछड़' ।
तग करना । २ परिश्रम कराना। ३ फटकारना, दुतकारना। लमझम-देखो रिमझिम'। लवडणौ (बो)-कि० फटकारना, डांटना ।
लमटंगौ-वि० लबी व पतली टांगों वाला। लबडाक-वि. वाचाल, बकवादी।
लमतग-वि० छड़ी की तरह लम्बा । लबथब-देखो 'लबालब'।
लमेक-क्रि०वि० एक क्षण या क्षण भर के लिये। लबथबरणी (बो)-क्रि० १ पूर्ण भरा जाना, लबालब होना । लय-पु० [सं०] १ विनाश, समाप्ति । २ विलय, मिल जाना २ डगमगाना, लड़खड़ाना ।
क्रिया, विलीनीकरण । ३ एकाग्रता । ४ कार्य की कारण
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लयर
( १२१ )
लळवळी
में परिणति । ५ प्रलय विनाश । ६ लोप । ७ एक प्राचीन बहना । ४ युद्ध का उद्घोष करना। ५ हल्ला करना। नरेश - स्त्री. ८ संगीत एवं कविता में गति सामंजस्य ६ फटकारना, भत्र्सना करना । ७ ऊंची प्रावाज में गाना । रखने वाला तत्त्व । ६ गीत की धुन या गाने का स्वर । ८ जोशपूर्ण पावाज करना । ९ तेज हांकना, तिज १. संगीत में ताल की गति । ११ वार्तालाप का ढंग, चलाना। लहजा । १२ अवसर, मौका।
ललकारौ पु० । झूले को दिया जाने वाला धक्का । २ देखो लयण-स्त्री० [सं० लयन] १ लय होने की अवस्था या भाव।। 'ललकार' ।
२ प्राराम, विश्राम । ३ विश्राम गृह । ४ गुफा, कन्दरा। लळको-पु. १ झटका, धक्का । २ लचका, झुकाव नमन । लयता-स्त्री० लय होने की अवस्था या भाव ।
३ मस्ती में झूमने की क्रिया। ४ हाथ का झटका, इशारा। लयनपुन्न-पु० [सं० लयन-पुण्य] भूमि, स्थान मादि के दान का ललको-पु०१ गाने की तेज ध्वनि । २ लहर । पुण्य (जैन)।
ललक्क-देखो 'ललक'। लयलीन-वि० [सं०] १ ध्यान या प्रेम में मग्न, लीन । २ लिप्त. लळक्करणो (बी)-देखो 'लळकरणों' (बी)। लगा हुमा, फंसा हुमा, समाहित ।
ललक्कणी (बी)-देखो 'ललकरणो' (बी)। लया-देखो 'लता'।
ललक्को-देखो 'ललकी'। लरा-देखो लइड'।
ललचरणौ (बो-क्रि० १ लालच में पड़ना, लोभ करना । लहियो-पु. १ भेड़ का बच्चा । २ भेड़ ।
२ लालायित होना, अधीर होना, ललचाना। ३ मासक्त लरड़ी-स्त्री. १ मादा भेड । २ एक लाक्षणिक संबोधन ।
होना । लरही- पु० (स्त्री० लरड़ी) १नर भेड़, भेड़ा। २ एक लाक्षणिक |
- ललचाणो (बी)-क्रि० १ लालच करना, लोभ करना । २ लाला. संबोधन ।
यित होना, ललचाना। ३ पासक्त या मोहित होना । लग्ज स्त्री० सितार का पांचवां तार ।
४ उत्कण्ठा होना, प्रबल इच्छा होना। ५ उमंगित या
उन्माहित होना। लरियाळ-देखो लटियाळ' । लळ-स्त्री. उत्कंठा, प्राशा।
| ललचावरण णी)-स्त्री. १ ललचाने या लालायित करने की लल-स्त्री. १ शंतल वायु । २ ठंडी हवा का झोंका। ३ बुद्धि, |
क्रिया या भाव । २ आसक्ति का भाव । ३ उत्कण्ठा, तीव्र विच र । ४ शक्ति का अंश । ५ शुभ लक्षण, गुग।
इच्छा । ४ लालच या लालमा जगाने की क्रिया । लळक-स्त्री०१लचीलापन, लचक । २ मोच । ३ प्रकाव ललचावणों (बी)-देखो 'ललचाणो' (बी)।' ललक-स्त्री. १ गहरी अभिलाषा । २ उत्साहित करने की क्रिया,
ललच्चणी (बो)-देखो 'ललचरणो' (बी)। प्रोत्माइन । ३ गायन की तीखी व ऊंची धुन । ४ पक्षियों
ललणा-देखो 'ललना'।
लळणौ (बो)-देखो 'लुळणी' (बी)। का मधुर कलर । । ५ लोच, लचक, भुकाव ।
ललते-देखो 'ललित'। लळकरणो (बो)-क्रि० १ झुकना, लचकना, लोच खाना ।
ललतमुकट-पु० डिंगल का एक गीत । २ मुड़ जाना।
ललता-देखो 'ललिता'। ललकणी (बौ)-क्रि० १ ललचाना, लालायित होना। २ प्राक
ललना-स्त्री० [सं०] १ स्त्री, प्रौरत । २ रमणी, युवती। षित होना । ३ उत्साहित होकर भागना । ४ तीखी व
___३ जिह्वा । ४ एक वर्णवृत्त विशेष । उ.चो ध्वनि होना, बजना। ५ मधुर कलरव होना ।।..
ललपत-स्त्री० खुशामद, चाटुकारिता । ६ गर्जना, दहाड़ना । ७ ढीला पड़ना । ६ रक्षा करने के |
लळभख-पु. मांस। लिये भागना । ९ देखो 'लळकरणो' बो)।
ललयांगी-वि० ललितांगी। ललकार-पु० १ युद्ध प्रादि के लिये चुनौती, पाह वान ।।
| ललरणी (बी), ललराणी (बी), ललरावणी (बौ)-क्रि. २ मुकाबले के लिये उत्साहित करना आदि क्रिया । ३ युद्ध बोलते हुए अटकना, लड़खड़ाना । तुतलाना। का उदघोष । ४ हल्ला, कोलाहल । ५ गायन में ऊची व | लळवळ -स्त्री० मुड़ने की क्रिया। तीक्ष्ण ध्वनि । ६ जोश पूर्ण पावाज । ७ वायु का प्रवाह । लळवळणी (बी)-क्रि० १ कोमल व लचीली वस्तु का हितो ८ फटकार।
हुए मुड़ना । २ मस्ती में झूमना । ३ लचकना । ललकारणी (बौ)-क्रि० १ युद्ध या मुकाबले में आने की चुनौती | ललबलउ, लळवळी, ललवलौ, लळवळियौ-वि. १ कोमल,
देना । २ जोश दिलाना, उत्साहित करना। ३ तेज वायू | सुन्दर, मृदु । २ ५लबैला, शौकीन ।
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ललीम
। ५२२
लवरगाह
ललाम-पु० [सं० ललामः] १ घोड़ा। २ घोड़े का प्राभूषण | ललूना-देखो ललना'।
विशेष ।-वि. १ सुन्दर, रमणीय । २ श्रेष्ठ, सत्तम। | ललोचपी, ललोपो, ललोचप्पो, ललोपती-पु.१ चापलूसी, च टु.
३ प्रधान, मुख्य । ४ लाल रंग का। ५ देखो 'लीलाम'। कारिता, खुशामद । २ चिकनी-चुपड़ी व मीठी बातें। लला-पु. १ एक पौधा विशेष । २ देखो 'लालो'।
३ फुसलाने की बातें । ४ हाथाजोड़ी। ललाइ (ई)-स्त्री० लालिमा ।
ललोपतो-क्रि० वि० बिना पते, बेखबर ।-पु०मेल-जोल, संपर्क । लळाक-क्रि० वि० लचक के साथ, लचकता हुमा ।
ललो-पु.१'ल' वर्ण । २ लाली। ललाड़-देखो 'ललाट'।
लल्ल-देखो लल'। ललाट-पू० [सं०] १ माथा, मस्तक, भाल । २ भाग्य, तकदीर ।
लल्लउ-देखो 'ललो'। ३ भाग्य के लेख, तकदीर ।
लल्लवळ- देखो 'लळवळ'।
लल्लू-देखो 'लालो'। ललाट-पटळ-पु० [सं० ललाट+पटल] माथे का तल, भाल । ललाटरेखा-स्त्री० [सं०] भाग्य की रेखा, प्रारब्ध ।
लल्लूचप्पू-देखो 'ललोचपी'। ललाटाक्षि-स्त्री० रावण की अनुचरी एक राक्षसी।
लवंग-पु० [सं०] १ एक वृक्ष जिसकी कलियां व फूल औषधि, ललाटि-देखो 'ललाट'।
मसाला प्रादि में काम पाती हैं । २ इस वृक्ष के फूल व कलियां ललाणी (बो)-देखो 'ललावणो' (बो)।
३ स्त्रियों के नाक का प्राभूषरण विशेष। ४ कानों का लळावट-स्त्री० झुकाव, रुख ।
पाभूषण।
लवंगादिचूरण-पु० लवंग के योग से बना चूर्ण (पौषधि)। लळावरणौ (बी)-क्रि० मोड़ना, टेढ़ा करना, झुकाना ।
लवंगादिवटी-स्त्री. औषधि विशेष । ललावणी (बी)-क्रि० टिलाना, फुसलाना ।
लवंगि-देखो 'लवंग' । ललित-पु० [सं०] १ शृगार रस में शरीरांगों के सुन्दर हाव
लवड-पु. दीवारों से उतरने वाली चूने प्रादि की पपड़ी। भाव । २ एक विषम वर्ण-वत्त । ३ संगीत में एक राग । ४ एक गौण प्रलंकार । ५ एक वणिक छंद । ६ बालक ।
लब-स्त्री० [सं०] १ भेड़ की ऊन । २ ऊन उतारने का कार्य। ७ एक गंधर्व ।-वि०१ सुन्दर, कमनीय। २ कोमल, नाजुक
३ पल्प मात्रा, लेश मात्रा । ४ कवि, पंडित । ५ काल का
एक छोटा भाग । ६ श्रीराम का एक पुत्र । ७ लवा नामक ३ शुभ, कल्याणप्रद ।
एक चिडिया । ८ लवंग, लोंग । ९ सुरा गाय की पूछ का ललितकांता-स्त्री० [सं०] दुर्गा, देवी।।
बाल । १० जायफल । ११ देखो लिव' ।-वि.१ किंचित ललितकीसवर-पु० हनुमान, बजरंग।
सूक्ष्म । २ ममान, सदृश । ललितगरभेसर-पु० [सं० ललित गर्भेस्वर] एक प्रकार का द्रव्य ।
लवक्रव-वि० भयभीत, मातंकिंत । ललितलता-स्त्रो० माधवी लता।
लवण-पु० [सं० लवणं] १ नमक । २ क्षार । ३ एक राक्षस ललिता-स्त्री० [सं०] १ राधिका की मुख्य सखियों में से एक ।
लवणासुर । ४ समुद्र, सागर । ५ एक नरक का नाम । २ दक्ष सुता सती । ३ श्रीकृष्ण की एक पत्नी। ४ रमणी। --वि०१ नमकीन, खारा । २ लावण्य युक्त । ५ स्वेच्छाचारिणी स्त्री। ६ दुर्गा देवी का एक रूप । लवणत्र-० [सं० लवण-यत्र] प्रौषध बनाने का पात्र विशेष । ७ कस्तूरी, मुश्क । ८ एक वर्ण वृत्त विशेष ।
लवणत्रय-पु० [सं०] सेंधव, विट और संचल, तीनों लवणों ललिताई-स्त्री० सौन्दर्य, मनोहरता।
का समूह । ललितापंचमी-स्त्री० [सं०] पाश्विन शुक्ला पंचमी तिथि। लवणधनु-स्त्री० दान के लिये बनाई गई नमक की गाय । ललितासस्ठी-स्त्री० [सं० ललिता-षष्ठी] भादव कृष्णा षष्ठी लवणभास्कर-पू० [सं०] एक प्रकार का चूर्ण । तिथि।
लवणवरस-पु० [सं० लवणवर्ष] कुश द्वीप के अन्तर्गत एक ललितासप्तमी, ललितासातम-स्त्री० [सं०] भादव शुक्ला सप्तमी प्रदेश । तिथि।
लवणसमंद (समुद्र)-पु० विशेष खारे पानी का समुद्र। ललितोपमा-स्त्री० [सं०] उपमा अलंकार का एक भेद । लवणांतक-पु० [सं०] १ लवणासुर को मारने वाला, शत्रुध्न । ललिता-देखो 'ललिता'।
२ नींबू । ललित्थ-पु० [सं०] १ एक प्राचीन राजा । २ कौरव पक्षीय एक | लवणा-स्त्री. १ दीप्ति, प्रामा, कांति । २ देखो 'लवल्या'। राजा । ३ एक लोक समूह (प्राचीन)।
लवणाइ (ई)-स्त्री० [सं० लावण्य] १ सौन्दर्य, सुन्दरता । ललूडो-देखो 'लालो'।
. २ लूणी नदी का एक नाम ।
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लवरणाकार
। ५२३ )
लस्सी
लवणाकार-पु० [सं०] समुद्र, सागर ।
लवी-पु. १ भवन निर्माण में दीवार नापने का उपकरण लवरणाचळ-पु० [सं० लवणा-चल] नमक का पहाडनुमा ढेर। । विशेष । २ एक वृक्ष विशेष । ३ भुना व फूला हुपा अनाज लवणालय-पु० स०] १ मथुरा का एक नाम । २ नमक का दाना । ४ तीतर जाति का छोटा पक्षी। का घर।
लस-पु० [सं० लस्] १ चिपचिपाहट, चिपकने का गुण । लवणासुर पु० [सं०] मधु राक्षस व रावण की मौसी का पुत्र २ लबी लकीर ।-वि० पतला व लम्बा। एक राक्षस ।
लसकर, लसकरि-पु० [फा० लश्कर] १ सेना. फौज । २ समूह, लवरिणम, लवरिणमा-स्त्री० [सं० लवरिणमन्] १ सुन्दरता, ___झुण्ड । ३ फौज का सामान । ४ सेना का पड़ाव, छावनी। लावण्य । २ नाजुकता, कोमलता।
५ जहाज पर काम करने वालों का दल । ६ भाला, बरछा । लवणेस्वर-पू०म० लवगेश्वर] शिव का एक नाम ।
७ लुटेरा। लवणोद, लबरपोवक (दधि)-पु० [सं०] समुद्र, सागर । | लसकरी-पु० १ सेनापति । २ जहाज संबंधी। ३ देखो 'लसकर'। लवणी-पु. १ कनपटी । २ एक प्रकार की घास ।
लसक्कर-देखो 'लसकर'। लवणी (बो)-क्रि० [सं० लवनं] १ पक्षियों का बोलना, ध्वनि | लसड़को-पु० १ रगड़, खरोंच ' २ टक्कर, धक्का, झटका।
करना । २ गाय का रंभाना। ३ कुत्तों का भौंकना ।। ३ सिल पर कोई चीज पीसने की क्रिया। ४ सहारा, ४ मेढ़क का दर्शना । ५ भेड़ की ऊन कतरना ।
मदद । ५ खुशामद, चापलूसी। ६ फडकना।
| लसण-पु० १ प्याज जाति का एक अन्य पौधा व इस पौधे के लवधवरण-देखो 'लब्धवरण'।
नीचे को गांठ । २ जन्म से ही,शरीर पर अंकित कोई दाग । लवधुलउ. लवधुलो-वि० [सं० लुब्ध] प्रासक्त, लुब्ध।
३ मानक एक दोष । ४ एक रत्न विशेष । लवन-स्त्रो० १ घेदन क्रिया । २ लवण ।
लसरिण-स्त्री. १ भाव-भंगिमा। २ लसण । लवबांन-देखो लोबान'।
लसणियाहींग-स्त्री० एक प्रकार की हींग । लवरु (रू)-पु. एक पक्षी विशेष ।
लसणियो-देखो 'लसण'। लवल-स्त्री० अग्नि की ज्वाला, शिखा।
लसणी-स्त्री० १ एक प्रकार की गाय । २ घर, दर । लवलबी-देखो 'लबलबी' ।
लसणीग्रौ-देखो 'लसण'। लबळी-पु. १ हरफखोरी नामक वृक्ष व उसका फल। २ एक
लसणौ (बौ)-क्रि० १ शोभित होना, शोभा देना । २ लज्जित विषम वर्ण-वृत्त । ३ एक लता विशेष ।
या शर्मीन्दा होना । ३ युद्धस्थल से भागना । लवलीन-वि० [सं० लयलीन] १ तल्लीन, मग्न, तन्मय ।
लसन-देखो 'लसण'। २ लयलीन।
लसपस-देखो 'लचपच'। लवलेस-वि० [सं० लव-लेश] किंचित, लेशमात्र ।
लसरको-देखो 'लसड़को' । लवल्पा-स्त्री० १ लगन, सुधि । २ इच्छा, उत्कण्ठा । ३ एका
लसलसाट, लसलसाहर-स्त्री. चिपचिपाहट । ग्रता, तन्मयता।
लसलसागो (बी)-क्रि० चिपचिपाना, चिप-चिप करना । लवाजमो, लवाजीबो-पु० [अ० लवाजिम] १ राजा-बादशाह
लसलसौ-वि० (स्त्री० लसलसी) चिपचिपा । की सवारी के साथ चलने वाला साज-सामान, नौकरचाकर प्रादि । २ सामग्री, सामान ।
लसारणी (बो), लसावणो (बौ)-क्रि० १ शोभित करना।
२ पराजित कर भगाना। ३ शर्मीन्दा करना, फीका पटकना। लवार, लवारको-पु० १ पशु का छोटा बच्चा । २ देखो 'लुहार'। लवारणव-पु० [सं० लवाणेव] एक क्षेत्रपाल ।
लिप्त करना। लवारियो, लवारी-१ देखो 'लुहार' । २ देखो 'लवार'।
लसी-स्त्री. १ चिपचिपाहट, चेप । २ लस्सी। लवावसप्पो लवावसरपी-पु० जो कर्म बंधन वाले अनुष्ठानों से | लसोका-पु. [सं० लसिका थूक, लार। दूर रहता हो।
लसीलो-वि० (स्त्री० लसीली) १ चिपचिपा । २ सुन्दर । लविंग, लवोंग-देखो 'लवग'।
लसूबौ-पु. १ लालिमा। २ चमक । लवीरी-स्त्री० एक प्रकार की सब्जी। .
लसोड़ो-पु० गूदे का पेड़ व फल। लवेष-देखो 'लिबास'।
लस्कर-देखो 'लसकर'। लव-देखो 'लव'।
लस्सी-स्त्री० दही का गाढा मट्ठा, पेय पदार्थ ।
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लहंगो
लहिर
लहंगी-पु. स्त्रियों का घाघरा, अधोवस्त्र । गाउन ।
उठना, लपटें हिलना। शोभित होना, फबना । नशे लहरिमो, लहरीमो-देखो 'लहरियो' ।
का प्रभाव होना । १. मनुरक्त होना, मासक्त होना । लहरी-देखो 'लहर'।
११ मन में उमंगें उठना। लहक-स्त्री०१ शोभा, सुन्दरता । २ लहकने की क्रिया या भाव। लहरदार-वि. जिसमें लहरें या तरगें हों धारीदार ।
३ ढंग या तरीका । ४ गायन की लय । ५ देखो 'लहको'। लहरनिध (निधि)-पु० [सं० लहर-निधि] समुद्र, सागर । लहकडउ, लहकुडलउ-पु. [सं० लसत-कृत] कटाक्ष ।
लहरबमाळ-वि० बड़ा दाता, उदारचित्त । लहकणी (बी)-क्रि० १ उड़ना, फहरना, हवा में लहराना। | लहरसख-पु० पर्थ सिद्धि के लिये बोलने वाला शंख ।
२ लटकना झूलना। ३ झूमना । ४ झूमते हुए चलना । लहरांरण-स्त्री० लहरें, लहर। ५ प्राग दहकना, लपटें निकलना। ६ लंगड़ाते हुए चलना। | लहराज-पु० शेष नाग । ७ हवा का झोंका लगना । ८ लहलहाना । ९ इच्छा करना । लहरागो (बौ), लहरावरगो (बी)-क्रि० फहगना, हवा में १० कटाक्ष करना । ११ लपलपाना, लचकना ।
उडना, लहरें खाना । लहरें उठना । लहकाणी (बो), लहकावणो (बी)-क्रि० १ उड़ाना, फहराना,
लहरि-देखो 'लहर'। हवा में लहराना। २ लटकाना, झुलाना । ३ भूमाना । लह
माता लहरियादार-वि० लहरदार, तिरछी व रंग-बिरंगी रेखाओं ४ झूमाते हुए चलाना। ५ प्राग दहकाना। ६ लंगड़ाते
वाला। हुए चलाना । ७ हवा का झोंका लगाना । ८ लहलहाना ।
लहान्यो-पु०१ रंग-बिरंगी व तिरछी रेखामों का वस्त्र । २ एक ६ इच्छा जगाना। १० कटाक्ष कराना।
लोक गीत ।
लहरी-वि० १ लहरों वाला । २ मन मौजी । ३ दातार, दानी । लहकुडलणी (यो)-देखो 'लहकणो' (बी)।
जोशीला। ५ खुश-मिजाज ।-पु.१ समुद्र, सागर । लहको-पु. १ झनक, पाभास । २ ढंग, तरीका।
२ देखो 'लहर'। लहक्क-देखो 'लहक'। लहक्करणो (बी)-देखो 'लहकरणो' (बी)।
लहरीओ-देखो 'लहरियो'।
लहरी-देखो 'लहर'। लहवाळ-देखो 'लै'चाल'।
लहरीयो-देखो 'लहरियो । लहजो-पु. [प्र. लहज १ बात करने या बोलने का ढंग ।
लहरीरव, लहरीरवण-पु० [सं०] समुद्र, सागर ।-वि० १ लहरों २ स्वर, पावाज, लय । ३ पल्पकाल, क्षण।
वाला । २ उदार, दानी। लहण-वि०१ मेने वाला । २ देखो 'लसण'।
लहरीस-पु० [सं०] १ समुद्र, सागर । २ जोश व प्रावेश युक्त । लहरणापत-देखो लणायत'।
३ उमंगों वाला। लहणो-देखो 'ल'णो'।
लहरीसमव-वि. दानवीर, उदार ।-पु. समुद्र। लहणौ (बो)-देखो 'ल'णो' (बी)।
लहरो-देखो 'लहर'। लहण्यो-देखो 'ल'णो'।
पहरचौ-देखो 'लहरियो। लहर-स्त्री० [सं० लहरिरा] । तरंग, हिलोर। २ पौधों का | पहल-पु. एक प्रकार की राग।
हिलना-डुलना, कंपन । ३ मन की मौज । ४ मन की उमंग। लहलहणी (बो), लहलहाणी (बी), लहलहावरणी (बी)-त्रि.१ ५ प्रावेश, जोश। ६ क्षण, पल । ७ नशे का प्रभाव, हवा मे हिलना, झोंका खाना । २ हिलना, कांपना। तरंग। ८ अनुराग, प्रेम । ९ वायु का झोंका । १० महक, ३ फहगना, उड़ना। ४ पुष्पित,पल्लवित होना। ५ हगखुशबू । ११ कृपा, महर । १२ प्रानन्द, सुख का समय । भरा होना । ६ स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट होना । ७मान दित १३ वस्त्रादि की छपाई की तिरछी रेखाएँ। १४ स्त्रियों के होना, खुश होना। कान का एक प्राभूषण । १५ स्फुट गायन की क्रिया । १६ शंख लहल्लह-स्त्री० युद्ध में भैरव या युद्ध के देवता की प्रावाज। की बावाज।
लहवाणी (बी)-क्रि० छोटा होना, लघु होना । लहरकरणी (बो)-देखो 'लहरणी' (बी)।
लहसरण- देखो 'लसरण'। लहरको-देखो 'लहर'।
लहसणी (बी)-क्रि० प्राप्त होना, मिलना। लहरणौ (बी)-क्रि० १ बरसना, वर्षा होना। २ मंडराना, लहि-प्रव्य तक, पर्यन्त ।
झूमना । ३ तरगें उठना, तरंगित होना । ४ प्रसन्न होना। लहियो-पु. एक जाति विशेष का घोड़ा। ५ लहरें बनना । ६ वायु से हिलना, लहलहाना । ७ लपटें | लहिर, लहिरी-देखो 'लहर'।
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लहीखोळणी
। ५२५ )
लाठापण
लहीखोळणी-पु० प्रसव संबंधी एक संस्कार ।
लांगूळी-पु० [सं० लांगूलिन्] १ बंदर, वानर । २ लगूर । लहु-वि० १ शंघ्र कार्य करने वाला । २ हल्का । ३ निस्सार । ३ हनुमान, बजरंग।।
-प्रव्य तक, पर्यन्त । देखो 'लघु'।-पु०१ एक मात्रिक | लांगेरी-पु० झड़बेरी के सूखे कांटों का समूह । छन्द । २ खून ।
लांगोदर-पु. एक लोक गत। लहुडियो, लहुड़ो लहुडउ, लहुडो-देखो 'लघु'।
लांगो-पु० [सं० लांगूलिन्] १ बंदर, वानर । २ लंगूर । लहुरा-वि. लघु छोटा।
३ हनुमान, बजरंग । ४ भैरव । ५ वीर, बहादुर । लहुवय-देखो लघुवय'।
६ देखो लौंगड़ी। लहू -१ देखो 'लघु'। २ देखो 'लह'।
लांघड़ी-देखो 'लंगडो' । लहूप्रडउ. लहू-देखो 'लघु' । (स्त्री. लहुप्रडी)
लांघरण-पु० [सं० लधनम्] १ भोजन का त्याग। २ व्रत, लहेरी-पु. समुद्र, सागर । -वि. लहरों वाला, लहरदार । - उपवास । ३ कूद, फांद, उछल । ४ घोड़े की एक चाल । लहेरी-पु. एक छोटा पौधा ।
५ उल्लघन । ६ मीमा का उल्लंघन । लहोड़ा-पु. १ शस्त्र, प्रहार । २ देखो 'लोह' । ३ देखो 'लघु'। लांघरिणो लांघरिणयौ-वि. १ जिमने भोजन का त्याग किया लह य-पु. एक ऋषि ।
हो, लघन किया हो। २ व्रत रखने वाला। ३ कूद-फाद लह यणो (बौ)-देखो 'ले'णो' (बी)।
करने वाला । ४ देखो 'लांघरण'। लाई-वि० बाया, वाम।
लांघरणीक-वि० १ भूखा । २ कृशोदर । लांक. लांकड़ो-स्त्री०१ छवि, मंगिमा। २ देखो 'लंक'।
लांघणो-देखो 'लांघरिणयों'। लांकी-स्त्री० लोमड़ी।
लांघरणी (बी)-क्रि० [सं० लंघनम्] १ किसी चीज के ऊपर लोकोमूळो-पु. एक गंदा उमिद ।
होकर जाना, अल्लघन करना, पार करना। २ छलांग लांकोलो-वि० (स्त्री० लोकीली) १ सुन्दर । २ रंगीन ।
लगाकर किसी के ऊपर से जाना, कूदना । ३ पार करना, लांको-पु. नर लोमड़ी लूमड़ ।
तय करना । ४ किसी के ऊपर से गुजरना । ५ सीमा के लखिरणी (बी)-क्रिगिराना, डालना, फेंकना।
बाहर होमा । ६ व्यतीत होना, करना । ७ त्यागना, लांग-स्त्री. १मावड़ देवी की एक बहन । २ धोती या लंगोट
छोड़ना। ८ नियम भंग करना, तोड़ना। काव्ह छोर जो दोनों जांघों के बीच से कमर के दोनों प्रोर बंधा रहता है ।३ धोती की छोर,किनार । ४ देखो 'लवंग'।
लांघियो-देखो 'लांघरिणयो।
लांघो-देखो 'लांगो'। लांगर-पु० [सं० लांगलम] १ सूपर, वराह । २ देखो 'लांगळ' । ३ देखो 'लगड़ो'।
लांच-स्त्री० १ कमी, प्रभाव । २ दोष, फलक। ३ घूस, लांगडमसत्र-पु० सूपर, वराह ।
रिश्वत । ४ बाधा, कठिनाई । ५ झुकाव । ६ दंगा, फरेब । ' लांगड़ो-१ देखो 'लांगो' । २ देखो 'लगड़ो' । (स्त्री० लांगडी)
७ किंचित शंका। लांगटियो-पु० बाजरी के पाटे का बना खाद्य पदार्थ विशेष ।।
लांचरण (न)-देखो 'लांछन'।
लांची-स्त्री० विलंब, देरी। लांगडो-पु. चकमक के लगने वाली डोरी। लांगदार-वि० लांग वाली।-पु० धोती पहनने का एक ढंग ।
लांची-पु०१ भविष्य के लिये सुरक्षित कर रखने का अच्छा चारा, लांगळ-पु० [स० लांगल] १ खेत जोतने का हल । २ एक देश
घास । २ खर्च की पूर्ति के लिये लिया जाने वाला कर । का नाम ।-धुज, ज-पु० बलराम । हलधर ।
-वि० बुरा, अशुभ। लांगलचकर (चक्र)-पु० [सं० लांगलम् +चक्र] ज्योतिष में एक |
लांछरण (न)-पु० [सं० लक्षण] १ दाग, धब्बा । २ दोष या
। प्रारोप । ३ कलंक। चक्र विशेष। लांगळी-पु. [स० लांगलिन्] १ बलगम, हलधर । २ नारियल
लांजउ-पु० एक प्राचीन देश । का पेड़ । ३ सांग, सर्प । ४ एक पौराणिक नदी। ५ ऋष
लांजो-देखो 'लो'। भक नामक औषधि । ६ देखो 'लांगूली' ।
लांठ-पु. १ पशु या मवेशियों का समूह। २ देखो 'लांठी' । लांगळीस-पु० [सं० लांगलं-ईश] १ बलराम । २ शिव लिंग। । लांठाई-स्त्री. १ जोरावरी, जबरदस्ती । २ सीनाजोरी, लांगुळ, लांगुल, लांगूल-पु० [सं० लांगुलं, लांगल] १ पूंछ,
____ ज्यादती । ३ बड़प्पन। दुम । २ बन्दर, वानर । ३ शिश्न, पुरुषेन्द्रिय । ४ हल | लांठापण (परणो), लांठापो-पु. १ बड़प्पन । २ जोरावरी, की तरह का एक शस्त्र । ५ देखो 'लगूर'।
जबरदस्ती। ३ सीनाजोरी।
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लांठो
सांठी वि० [सं० लुठकः] (स्त्री० [लांठी) १ जबरदस्त जोरदार । २ शक्तिशाली, बलवान । ३ वीर। ४ बड़ा ५ हढ़, मजबूत । ६ विशाल, भारी । ७ प्रतिष्ठित, सम्माननीय । श्रायु में बड़ा, वयस्क । ९ दीर्घ, लंबा । १० अत्यधिक बहुत । ११ महान्, बड़ा । १२ समर्थ सक्षम । १३ महत्वपूर्ण । १४ श्रेष्ठ, उत्तम । १५ खराब, बदतर । १६ बड़ा भारी । १७ संख्या, मान, मात्रा में जो अधिक हो । १८ कठिन मुश्किल । १६ धनी, मोर |
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लांड - वि० १ जबरदस्त जोरदार । २ शक्तिशाली, बलवान । लांण-वि० बेचारी ।
लाखत (ति) स्वी० १ धिक्कार, फटकार, भर्त्सना । २ निवा अपकीति ।
लाखौ पु० एक प्रकार का पौधा ।
सांत (ती) देखो 'लागत' ।
लांप, लांपड़ी, लोपड़ी लांडियो, लांपो पु० अत्यन्त बारीक सींक वाला, छोटा घास विशेष ।
( ५२६ )
लापो पु० [सं० ज्वालाप] १ दाह क्रिया में रथि में भाग लगाने के लिये जलाया जाने वाला घास । २ शव दाह की अग्नि । ३ प्रग्नि, भाग ४ निर्लज्जता पूर्ण बात या काम । - वि० निर्लज्ज ।
लांब स्त्री० समय की लंबाई, दूरी ।
लांबक - बक- पु० गुच्छा । - वि० वस्त्र-गहनों से अलंकृत । लांबड़धर्क - क्रि०वि० फटकारने, डांटने, बुरा भला कहने के लिये । लांबछड़ देखो 'लांमछड' । लांबाहाथ-पु० १ प्राजानबाहु । २ अपना कार्य साधने की शक्ति । लाबीकांचळी, लांबाबायांरी स्त्री० विधवा स्त्रियों के पहनने की कचुकी । लांबेड़ौ - पु० उद्दण्ड पशु को बांधने लांबोड़ो, बोड़ी लांबी० [सं०] लंब] समानान्तर दूरी बहुत हो, हुप्रा । ३ समय या अवधि में
का लंबा रस्सा |
(स्त्री० [लांबी) १ जिस की लंबा । २ काफी ऊंचा उठा बड़ा, लंबा । ४ विस्तृत । ५ बहुत देर में पूरा होने वाला । ६ विशाल । लाम स्त्री० लड़ाई बुढ
लामख देखी 'सांवण' ।
-
मणी
लछिड़ स्त्री० एक प्रकार की बंदूक बि० घड़ी की तरह लंबा ।
छड़ी
(बी) देखो 'सांवणीजणी' ()
लांमी - वि० हल्की, प्रोछी ।
लामो पु० (स्त्री०लामी) १ बोद्धों के धर्माचार्यं । २ ऊंट की तरह पागुर करने वाला एक घास भनी जीव । ६ देखो 'साब' वि० का छोटा, तुच्छ देखो 'साइली' | लांवरण-स्त्री० १ स्त्रियों के लहंगे या घाघर का निचला किनारा । २ ऋतुमति स्त्रियों के ससर्ग से कुछ वस्तुओंों में होने वाला विकार ।
सांप
वही पु० एक प्रकार का घोड़ा
लोहण - देखो 'लाइण' ।
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लांवरणीजणी (बी) - क्रि० १ ऋतुमति स्त्रियों के संसगं से वस्तुनों मे विकार होना २ इसी तरह धन्वष कहीं प्रभाव होना । लावणी- पु० १ बांटी जाने वाली मिठाई का भाग । २ देखो 'लवणी' |
लाइणी- पु० प्रग्नि काण्ड, धाग
लां, लांकू, लांफी - वि० १ सीधा-सादा सरल । २ लुच्चा, लाइणी (बी) - क्रि०१ स्पर्श करना, लगाना। २प्रलिंगन में लेना ।
लफंगा ।
३ देखो 'लागो' (बो) ।
लाइन स्त्री० [सं०] १ पंकि, कतार,
२
-
लकीर । ३ रेल की पटरी ४ व्यवसाय, पेशा । ५ विषय | ६ स्वभाव, प्रकृति ।
लाइक देखो 'लायक' ।
लाइकी देखो 'लायकी' ।
साक्षकी
ला- पु० १ खून, रक्त । २ रंग । ३ नालिका । ४ स्त्री के बाल । ५ रति । ६ लक्ष्मी । ७ कुछ शब्दों के प्रागे लगने वाला एक उपसर्ग ८ देखो 'लाह' ।
लाइ देखो 'लाय'।
लाई - वि० (स्त्री०लांग, लायरण ) १ बेचारा, गरीब । २ दया का पात्र | [सं० लात] ३ अपनाया हुम्रा, ग्रहीत । लाईरांड - वि० १ कमजोर, डरपोक । २ बेचारा, प्रसहाय । ३ बिगड़ा हुमा, बेकार। ४ खेदजनक, लज्जाजनक । ५ मूर्ख । लाउबी-देखो 'लावी' ।
लाऊड़ो-देखो 'लासू' । लाउभयो, साशा स्त्री हर समय की हाय-तोबा, हाय-हाय
',
हा-हुल्लड़ |
लाकड़, लाकड़ पु० १ लकड़ी का कुंदा २ लकड़ी। लाकड़ियो - पु० खूबकला नामक घास या उसकी श्रोषधि । लाकड़ी (डि, डी) स्त्री० लकड़ी । लाकड, लाकडियो, लाकडी देखो 'लकड़ी। लाकिनी स्त्री० मांस योगिनी, एक देवो । लाको पु० प्राबादी के पास का ऊंचा स्थान । लाक्षकी स्त्री० [सं०] जानकीजी का एक नाम ।
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लाक्षणिक
( ५२७ )
लागणो
लाक्षणिक-पु० [सं०] १ लक्षण जानने वाला व्यक्ति । २ एक लाखेक-वि० लाख के लगभग ।
मात्रिक छंद । -वि. १. लक्षण जानने वाला । २ लक्षणों लाखेर, लाखेरी-स्त्री. हल्के लाल व श्याम वर्ण की गाय से युक्त । ३ जिससे लक्षण प्रगट हों। ४ गौणार्थवाची। | या बकरी। ५ लक्षणा-शक्ति पर माधारितः।
लाखेरी-पु० हल्के लाल व श्याम वर्ण का घोड़ा, बैल मादि। लाक्षा-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का लाल रंग, महावर । लाखेसरी, लाखेस्वरी-देखो 'लक्षेसरी'। २ लाख।
लाखोटो-पु० १ तालाब के मुख्य घाट के सामने बना मिट्टी का लाक्षाग्रह-पु० [सं०] कौरवों द्वारा पांडवों को जलाने के लिये | ऊंचा ढेर । २ लाख की मुद्रा (सील)। निमित लाख का घर।
लाखोकूलाणी-पु० एक यादव राजा जिसके नाम के लोक गीत लाक्षातेल, लाक्षादितेल-पु० [सं०] वैद्यक में एक प्रकार का तेल । गाये जाते हैं। लाखमरण-देखो 'लक्ष्मण'।
| लाखौ-पु. एक रंग विशेष । लाल-स्त्री० [सं० लाक्षा] १ राल, चपड़ी मादि की तरह का | लाग-स्त्री. १ लगने की क्रिया या भाव । २ अनुराग, प्रेम । एक लाल पदार्थ। २एक वृक्ष विशेष । -वि०१ एक
३ लगन, लो, धुन । ४ इच्छा, चाह । ५ ईर्ष्या । ६ संबंध, हजार का सौगुणा । २ इस परिमाण के समान ।-क्रि०वि०
सम्पर्क । ७ मौका, भवसर । ८ कुछ देने की रस्म । भनेक बार । देखो 'लक्ष'।-पत, पति, पती, पत्ति, पती
९दक्षिणा, भेट । १० लगान, कर । ११ पौषधि या खाद्य -वि० लाखों का स्वामी, धनी। -पसाउ, पसाब-पु. पदार्थ में दिया जाने वाला किसी अन्य वस्तु का पुट, चारणों मादि को दिया जाने वाला लाख रुपयों का
मिश्रण । १२ नशे का व्यसन । १३ किसी कार्य के प्रति पुरस्कार।
लगाव या उत्तरदायित्व । १४ एक प्रकार का नृत्य । लाख-देखो 'लक्षण।
१५ प्रतिस्पर्धा, हौड़ । १६ जागीरदारों द्वारा अपनी लाखउ-देखो 'लाखीणो'।
प्रजा से ली जाने वाली बेगार। -वि. योग्य, काबिल । लाखमण-देखो 'लक्ष्मण'।
-क्रि०वि०लिए, वास्ते । लाखर, लाखरी-देखो 'लाखेरी'।
| लागट-पु. ऊंट के पैर और 'ईडर' के रगड़ खाने से होने वाला लाखलाखिपी-स्त्री. स्त्रियों की एक कीमती मोढ़णी।
घाव तथा ऐसे घाव से पीड़ित ऊंट। लाखबरीस-देखो 'लक्षवरीस' ।
लागणियो-देखो 'लागणौ' । लाखहरइ (हरु, हरे)-देखो 'लाक्षाग्रह'।
लागणी-वि० (स्त्री० लागणी) १ मारने वाला, चोट या धात लाखांणी-स्त्री० 'लाखा-फूलाणी' के नाम का एक लोक गीत ।
करने वाला । २ हानि करने वाला । ३ पाकृष्ट या मोहित -वि० लाख से संबंधित ।
करने वाला। ४ लगने वाला । ५ देखो 'लागट'। लाखांपसाउ (पसाव)-देखो 'लाखपसाब' ।
लागणो (बो)-क्रि० १ स्पर्श होना, छूना । २ चिपकना, लाखाग्रह (घर)-देखो 'लाक्षाग्रह'।
लिपटना । ३ पहुँचना। ४ खर्च होना, व्यय होना । लाखारस-देखो 'लखारस'।
५ बीतना, व्यतीत होना । ६ नियोजित होना। ७ प्रस्फुलाखावट-पु० सिवाना के किले का नाम ।
टित होना, अंकुरित होना । ८ पुष्पित-पल्लवित होना। लाखिक-देखो लाखीक'।
६ अनुभूति होना, प्राभास होना । प्रतीत होना। मालूम लाखिराज-वि० कर मुक्त । लाखी लाखोक, लाखोकड, लाखोको-वि० (स्त्री० लाखीकी)
होना । १० प्रभाव या प्रसर होना । ११ चोट लगना ।
१२ लगना । १३ मन को भाना। १४ प्रवृत्त होना, संलग्न १ लाख रुपये मूल्य का। २ लाख का ।
होना । १५ करना। १६ होना। १७ प्रारंभ होना, शुरू लाखीरणी-स्त्री० दुल्हिन के पहनने की लाख की चूड़ी।-वि.
होना। १८ फैलना, पसरना । १९ छाना, माच्छादित . १ लाखों की । २ पति कीमती या महत्वपूर्ण ।
होना । २० प्रविष्ट होना । २१ प्रेरित होना । २२ अनुलाखीणो-वि० [सं० लक्षम्] (स्त्री० लाखीरणी) १ लाख रुपये गत होना, पीछे लगना । २३ पीछे पड़ना । २४ रंग,
मूल्य का । २ लाखों में एक । ३ उत्तम व श्रेष्ठ गुणों दाग प्रादि का लगना, पड़ना, चढ़ना । २५ किसी विशेष वाला । ४ पवित्र, पावन । ५ मूल्यवान, कीमती । ६ प्रति
स्थिति में होना। २६ जुड़ना, टंकना, जड़ा जाना । महत्वपूर्ण । ७ दुर्लभ्य । ८ अमूल्य ।
२७ प्रज्वलित होना । २८ नशे का प्रादी होना । २९ लेपन लाखूटो (खेटो)-देखो 'लाखोटो।
होना, पोता जाना । ३० जुडना, संलग्न होना ।
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लागत
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( ५२८ )
लागव-पु०बैरी ग शत्रु | सागवान देखो 'सागा'।
३१ अभ्यस्त होना । ३२ काम करने की दशा में होना । ३३ चुभना, गढना । ३४ उपयोग होना । ३५ मंडराना । ३६ लाक्षणिक अर्थ में कलंक, दोष प्रादि की दशा होना । ३७ खपत होना । ३८ संबंध होना, संबंधित होना। ३९ रगड़ खाना । ४० कर, लगान, भेंट, रस्म के रूप में कुछ दिया जाना । ४१ किसी पदार्थ को विकृत करने वाले कीड़े या जीव पैदा होना, लगना । ४२ पकाते समय बर्तन के पैदे में कुछ बैठ जाना चिपकना । ४३ टकराना । ४४ धच्छा-बुरा दिखना । ४५ क्रम पर माना । ४६ श्रकित होना । ४७ अनैतिक संबंध होना । ४८ मैथुन किया जाना । ४९ हर्ष, ईर्ष्या, क्रोध जैसी मानसिक स्थिति बनना । लागत - स्त्री० १ व्यय, खर्च । २ खपत । ३ देखो 'लागट' । लागतीरकम स्त्री० विविध करों, लागों आदि से मिलने लाजमी - पु०१ सभ्यता, शिष्टता । २ देखो 'लवाजमौ' ।
लाजम, लाजमी-देखो 'लाजिमी' ।
(३) देखो''
वाली रकम । लागदार - वि० ० १ नेग या दस्तूर लेने वाला, नेगदार । २ कर, लगान प्रादि लेने वाला । ३ करदाता |
लागबाग, लागभाग पु० १ लगान, कर। २ दक्षिणा । ३ भेंट | ४ दस्तूर, नेग ·
लागमो-देखो 'लाग' ।
लागलपेट - स्त्री० १ लुकाव छुपाव । २ छल, कपट ३ अस्पष्टता । ४ शका, लिहाज, शर्म । ५ संबंध, लगाव ।
लागु लागू वि० १ बॅरी, दुश्मन २ पोछे पढ़ने वाला हर समय पीछे-पीछे रहने वाला, पीछे लगा रहने वाला । ४ कायम, मुकर्रर । ५ लगने योग्य ६ प्रयुक्त होने योग्य
1
संबंध जुड़ा हुप्रा ।
लागोड़ी - वि० लगा हुप्रा लाघव पु० [सं० लाघवं ] १ लघुता छोटापन । २ कमी अल्पता । ३ हल्कापन । ४ प्रप्रतिष्ठा, निंदा, धपकीर्ति ५ शीघ्रता, तेजी, फुर्ती । ६ तत्परता । ७ वेग ८ हाथ की सफाई, चालाको, दक्षता ९ संक्षिप्तता । १० नपुंसकता । ११ प्रारोग्यता ।
लाड़वाड़ लाडवाड़ियो-देखो 'लावाळ' । लाड़ायौ, लाड़ बौ-पु० (स्त्री० लड़ायी) १ बुरी पादत वाला पशु । २ बिना निमंत्रण भोजन करने वाला व्यक्ति । लाड़ी वि० बुड, बूढ़ा।
लाचार - वि० [प्र०] १ विवश, मजबूर। २ दीन, दुःखी, बेवारा ३ समर्थ, सहाय
लाचारगी, साबारी स्त्री० [०] १ विवशता मजबूरी २ प्रसमर्थता, प्रसहायावस्था । ३ दीनावस्था ।
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लाच्छ, लाच्छो, लाठ देखो 'लक्ष्मी' र 'लक्ष्मीवर' । - वरलक्ष्मीवर' |
लाड
लाखरी स्त्री० एक वस्त्र विशेष
।
लाखि, लाछी-देखो 'लक्ष्मी' । -बर, वर= 'लक्ष्मीवर' । देवी 1 लाछुबाई - स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक लाज-स्त्री० [सं० लज्जा] १ लज्जा, शर्म । २ संकोच, झिझक । ३ मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । ४ मर्यादा, गौरव । ५ लगाम, बाग | नकेल । ६ रस्सी ।
लाजरणी ( बौ) - क्रि० १ लज्जित या शर्मिन्दा होता । २ संकोच
करना, भिकता ३ प्रतिष्ठा होना, निया, अपकीति होना । ४ सम्मान होना, अपमान होना । ५ हल्का या लघु महसूम करना ।
लाजवंत-देखो 'लज्जावंत' ।
-
लाजवती भवतीत्री० १ एक वनस्पती (सूप) विशेष | २ देखो 'लज्जावती' ।
लाजवरद-पु० [सं० राज] १ एक रत्न विशेष २वितायती नील ३ हल्का नीला रंग । लाजवरवी - वि० हल्के नीले रंग का ।
'लाजा- देखो लाज' । साजामुखस्त्री० वाली, लज्जाशील ।
लाजवाब - वि० [फा०] १ नीरुत्तर, जबाब देने में ममयं । २ जिसका जबाब न हो। ३ प्रद्वितीय, बेजोड़ ।
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की शर्म, लाज-सिरहने
लाजाळू (ळू) देखो नवाळू । लाजि - देखो 'लाज' ।
साजिम (मी) वि० [०] उचित मुनासिव २ जरूरो। ३ निभर ।
लाजी पु० १ एक प्राचीन प्रदेश २ देखो 'लाज' | लाजू-काजू-पु० बारात की सूचना कन्या पक्ष को देने वाले को
दिया जाने वाला एक पुरस्कार । लाजो देखा 'लाज' ।
लाट पु० १ एक देश का नाम । २ गुजरात के एक प्रदेश का नाम । [अंग्लोर्ड ] ३ ब्रिटिश शासन काल की एक उपाधि । ४ ब्रिटिश संसद के उच्च सदन के सदस्यों की उपाधि | ५ वस्तु का ढेर या समूह । ६ समूह, झुण्ड । ७ एक व्याव सायिक जाति व उसका व्यक्ति । ८ लाटानुप्रास, एक अलंकार । ९ कसक । १० लूटने की क्रिया । ११बड़ा सरदार । [सं० नाट] १२ पुराना कपड़ा, जी वस्त्र वि० १ शक्तिशाला, जबरदस्त । २ देखो 'लाठी' ३ देखो 'लाठ' ।
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लाटणी
(
५२९ )
लादक
लाटणी-स्त्री० १ खलिहान में काम प्राने वाला एक उपकरण । लाडणी (बी)-क्रि० लाड करना, प्यार करना ।
२ जागीरदार या भू-स्वामी द्वारा उपज का भाग लेने | लाडबाई-स्त्री० एक देवी का नाम । की क्रिया।
लाडल, लाडलडो-वि. (स्त्री० लाडली, लाडलड़ी) प्यारा, लाटणी (बो)-क्रि० [सं० लाटनम्] १ जागीरदार या भूस्वामी दुलारा। द्वारा कृषि उपज से अपना भाग लेना । २ ऋण के बदले
| लाडळदे (2)-देखो 'लाडली' । * में अनाज प्रादि वसूल करना ।
लाडलिपि-स्त्री० एक प्रकार की लिपि । लाटरी-स्त्री० [अं०] टिकट बेचकर या चंदा एकत्र कर संग्रहीत | लाडली-स्त्री० १ पत्नी, भार्या । २ दुल्हिन, नववधू । धन में से कुछ निश्चित राशि को चिट द्वारा या नंबरों
३ राधिका ।-वि० प्यारी, दुलारी। द्वारा सीमित लोगों में पुरस्कार की तरह बांटना किया। लाडलो-पु० १ पति । २ दूल्हा ।-वि० (स्त्री० लाडली) प्यारा, लाटानुप्रास-पु. एक प्रकार का अलंकार।
प्रिय, दुलारा। लाटियो-पु० चड़स निकालने के चक्र की धुरी।
लाडबी-देखो 'लाडू'। लाटपाटू-वि० १ डरपोक, कायर । २ कमजोर, अशक्त । | लाडिकू, लाडिको-देखो 'लाडको' । (स्त्री० लाडकी) ३ असाधारण । ४ तुच्छ, नगण्य ।
लाडिलउ, लाडिलौ-देखो 'लाडलो' । (स्त्री० लाडली) लाटौ-पू० १ खलिहान । २ खलिहान में पड़ा अनाज । लाडी-स्त्री० [सं० लालनी] १ पत्नी, स्त्री। २ सुदर नायिका । ३ हिस्सा, बंटवारा।
३ दुल्हिन, नव-वधू। ४ जागीरदार, सामंतों की स्त्रियों लाठ-स्त्री० १ काफी ऊचा व मोटा खंभा, स्तंभ । २. कोल्हू में के प्रति एक सम्मान सूचक संबोधन शब्द । ५ पुत्री, बेटी।
फिरने वाला लकड़ी का स्तंभ । ३ रहट में लगा मोटा लट्ठा ६ छोटों के प्रति प्रियवाचक संबोधन ।-वि० प्यारी, इसी तरह छाजन आदि में लगा लट्ठा, बल्ली । ४ देखो , दुलारी। 'लाट'। ५ कपास से रूई छांटने का उपकरण।
लाडु, लाडू, लाडूडो, लाडूव-पु० १ मिठाई या किसी वस्तु का लाठा-स्त्री० एक जाति विशेष ।
गेंद की तरह बनाया हुआ गोला । २ प्रिय वाचक संबोधन । लाठो-स्त्री० [सं० यष्ठी] १ पतली व लंबी लकडी। २ घोड़ों के | लाडेलड़ी लाडेलो-देखो 'लाडलो'।
सूम पर होने वाला एक रोग ।-झल, झल्ल-वि० हाथ में | लाडेसर-वि० १ अधिक प्यारा, प्रिय । २ प्यार में उद्दण्ड लाठी रखने वाला ।-बाज-वि० लट्ठ बाज ।
हुवा हुआ। लाठी-देखो 'लट्ठौं'।
लाडौ-पु० (स्त्री० लाडी) १ दूल्हा, वर । २ मालिक, पति, लाड-पु० [सं० लाड] १ बच्चों को किया जाने वाला प्यार, | स्वामी ।-वि० प्यारा ।
दुलार । २ प्यार, प्रेम । ३ एक देश का नाम । लाढ-पु० प्रासुक आहार-निर्वाह करने वाला। लाडउ, लाडकड़ो, लाडकलौ-देखो 'लाडको' । (स्त्री० लाडकी) | लाणो (बो)-क्रि० १ कुछ लेकर आना। २ लाकर रखना। लाडकवायो-वि० जिसका बहुत लाड या प्यार हो । लाडला । | ३ खरीदना । ४ दिखाना, प्रगट करना। ५ उत्पन्न करना । लाडकियौ-देखो 'लाडको' । (स्त्री० लाडकी)
लात-स्त्री० १ पांव, पर । २ पैर का प्राघात । लाडको-वि० प्यारी, दुलारी।
लातर-स्त्री० १ फटकार, प्रताड़ना । २ थकान । ३ परेशानी । लाडकोड-पु० १ हर्ष, खुशी। २ प्यार-दुलार संबंधी क्रियाएँ। |
लातरणौ-वि०१ थकने वाला, हैरान होने वाला । २ पथ लाडको-वि० (स्त्री० लाडकी) अधिक प्यारा, दुलारा, प्रिय । भ्रष्ट होने वाला। ३ शर्मिदा, लज्जित । ४ हारने वाला। लाडगहेलो, लाडगे लौ-वि० (स्त्री० लाडगहेली) अधिक प्यार ५ फटकारने वाला । - दुलार के कारण इतरा हुआ, उद्दण्ड ।
लातरणौ (बी)-क्रि० १ थकना, हैरान होना । २ पथ भ्रष्ट लाडडौ-देखो 'लाडलो'।
होना। ३ फटकारना । लाडण-पू० [सं० लालन] १ सुन्दर पति । २ दूल्हा या दुल्हिन । | लातरी-पू० ककड़ी प्रादि का सूखा छिनका । -स्त्रो० ३ पत्नी ।-वि० लाडला, प्यारा।
लाद-स्त्री० १ पशु की पीठ पर लादा जाने वाला बोझा । लाडणउ, लाडणौ-पु० १ ऊंट के तंग के साथ लटकने वाला फूलों २ ऊंट की पीठ पर लदा भूमे का बोरा या चारे का गढर ।
का गुच्छा । २ स्त्रियों के लहंगे के नाड़े के शिरों पर बने | ३ चमड़े का जल-पात्र । ४ देखो 'लीद'।। फू दे। ३ देखो 'लाइलो'।
लादक-स्त्री० लद्द पशु की पीठ ।-वि० सवारी करने या लादने लाडणी-देखो 'लाडी'।
योग्य।
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लावड़ी
( ५३० )
लालंखर
लादड़ी-देखो 'लाद' ।
लाभस्थान-पु० [सं० लभ्-स्थान] जन्म कुण्डली में एक स्थान । लावरणभार-पु. गधा, खर ।
लाभांतराय-पु० [सं०] लाम में विघ्न पड़ने का कर्म विशेष (जैन)। लादरणी (बी)-क्रि०१ बोझा लादना, पशु की पीठ या किसी वाहन | लाय-स्त्री० [सं० प्रलात] १ दावानल, अग्नि. प्राग । २ लपट,
पर बोझा रखना। २ भार से परिपूर्ण होना, प्राच्छादित | ज्वाला । ३ जलने की क्रिया या भाव । ४ प्रचंड गर्मी । करना। ३ अनिच्छित अधिक उत्तरदायित्व डालना। लायक-वि० [अ० लाइक] १ सुयोग्य, । २ उचित, ठीक । ४ कुश्ती में विपक्षी को पीठ पर उठाना ।
३ गुणवान, गुणी । ४ समर्थ ५ भला, सीधा । ६ किसी लादियो-पु० १ घोड़े की गुदा । २ देखो 'लादो' ।
कार्य के लिये उपयुक्त । ७ शिष्ट । -पु. मंत्री । लादी-स्त्री०१ चौडा, चौकोर पत्थर । २ घास मादि का | लायकी-स्त्री. सभ्यता, शराफत, बड़प्पन । शिष्टता। छोटा गट्टर।
लायक-देखो 'लायक'। लादो-पु. १ पशु पर लाद कर या शिर पर उठाकर लाने का।
लायझळ-स्त्री० भाग की ज्वाला, लपट । __ लकड़ियों का गट्ठर । २ वजन, बोझ । ३ प्रोस, शबनम ।
लायण-देखो 'लाण' । . लाधउ-देखो 'लाभ'।
लायगो-देखो 'लाइणो' । लाधरणी (बो)-देखो 'लाभरणी' (बी)।
लायपाय (लायफाय)-स्त्री० १ हाय-तोबा । २ बेचैनी, व्यग्रता, लापड़-देखो 'लापड़ो'। लापड़कनौ-पु. बड़े कानों वाला पशु ।
पातुराई । ३ अत्यन्त उत्कण्ठा । ४ प्राप्ति की लालसा । लापड़ो-वि० (स्त्री० लापड़ी) बड़ा और लंबा (कान)।-पु०
| लायपूळो-पु. १ प्रत्यन्त क्रोध पूर्ण अवस्था । २ क्रोध भड़कने १ बड़े कानों वाला पशु । २ मोट के साथ लगा रहने
की दशा । ३ भाग में पूमाल डालने जैसी स्थिति ।-वि० वाला चमड़े का टुकड़ा।
अत्यन्त क्रुद्ध, उग्र। लापता-वि. १ जिसका पता न हो, लुप्त । २ जो स्वोगया हो, लार-पु. किसान से खलिहान में उसके हिस्से से ली जाने वाली गायब । ३ छिपा हुमा, गुप्त । ४ बिना पता लिखा।
एक लाग ।-क्रि०वि० [सं० लहर] १ पीछे । २ साथ, लापर-देखो 'लोफर'।
संग । ३ लिए, कारण । ४ देखो 'लाळ' । लापरपण (पणी)-देखो 'लोफरपणी' ।।
लारणी-पु० ग्रामीण स्त्रियों के अधोवस्त्र पर बांधने का एक लापरवा (ह)-वि० १ जिसे चिन्ता, फिकर न हो, बेफिक्र, प्रकार का डोरा ।
निश्चिन्त । २ असावधान । ३ कार्य व उत्तरदायित्व के लारलडो-देखो 'लारलौ' । प्रति उदासीन ।
लारलो-वि० (स्त्री० लारली) १ पोछे का, पीछे वाला । लापरवाई (ही)-स्त्री. १ निश्चिन्तता, बेफिक्रो । २ असाव
२ भूतपूर्व, विगत । ३ बीता हुअा, गया हुमा । ४ बाद धानी । गफलत । ३ अनुत्तरदायित्व ।
वाला, अगला । ५ पहले वाला, पूर्व का : ७ पूर्व जन्म लापळो-देखो 'लांप'।
संबंधी। ८ नीचे का, निचला । अन्य, अतिरिक्त । लापसड़ी. लापसी, लापी, लाफसी-स्त्री० [सं० लप्सिका] गुड़ व |
व लारवाळ, लारवाळियो-पु० विधवा स्त्री की सतान, जो गेहूं के दलिये का बना भोज्य पदार्थ । लाबाळी-देखो 'लबाळी'।
पुनर्विवाह के समय उसके साथ रहे । लाभकर-देखो 'लाभकर'।
लारा लारा लारि, लारियां, लारी, लारीयां, लारे, लारंलाभ-पु० [सं० लभ्] १ प्राप्ति । २ हित । ३ सुअवसर ।
क्रि०वि० १ पीछे । २ बाद मे । ३ मरणोपरान्त, मृतक के ४ फल, नतीजा । ५ उपकार , भलाई। ६ ब्याज का धन ।
पीछे । ४ कुछ कर लेमे के बाद । ५ बढ़कर । ६ साथ में । ७ मुनाफा, फायदा । ८ व्यापार में कमाई । ९ मानन्द,
लार-लारं-क्रि०वि० पीछे-पीछे । मौज । १० सुधार, सुफल । ११ एक प्रकार का चौघड़िया।
| लाशेलार, लारोलारि-क्रि०वि०१ पीछे के पीछे । २ क्रमश: -कर, कारक, कारी-वि० फायदा या लाभ पहुंचाने
- एक के बाद एक । ३ निरंतर । ४ एक के साथ एक । वाला।
लारी-पु० १ पीछे पड़ने या पीछा करने की क्रिया, पीछा । लाभरणी (बी)-क्रि० [सं० लब्धं] १ प्राप्त करना, पाना,
२ साथ, लगाव । ३ पृष्ठ भाग, पीछे का भाग । मिलना। २ जानना, पहचानना । ३ प्राप्त होना । ४ देखो 'लार'। ४ अचानक उपलब्ध होना। ५ ढूढने, खोजने से मिलना, लार्या-देखो 'लारै'। पाजाना । ६ मन में सूझना, उपजना । ७ लाभ होना, लालखर, लालबर-वि. रक्तवर्ण युक्त, पूरा लाल '-पु. फायदा होना।
सूर्य, रवि।
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( ५३१ )
लालां
लाळ-स्त्री० [सं० लाला) १ मुह से निकलने वाली लार, लोलटेण (न)-स्त्री० मिट्टी के तेल से जलने वाला, काच के गोले
थूक । २ घंटे के बीच लटकने वाला धातु का गुटका, | वाला एक दीपक। लगर, लोलक । ३ पशुप्रों के मुह में होने वाला एक | लालण-पु० १ अत्यन्त स्नेह, प्यार, लाड । २ प्यारा बच्चा। रोग।
लाळणी (बी)-क्रि० मोड़ना, टेढ़ा करना, बल पटकना । लाल-पु. (स्त्री० लाली) १ पुत्र, वत्स, बेटा । २ लड़का,
लालणौ (बी)-क्रि० लाड-प्यार करना । बालक । ३ श्रीकृष्ण का एक नाम । ४ पुत्र के लिये
लालतातौ-वि० अत्यन्त क्रुद्ध । वात्सल्ययुक्त संबोधन । ५ एक जलचर पक्षी। ६ देखो लालधजा-स्त्री० [सं० लालध्वज लाल पताका, हनुमानजी के 'लालसा' । ७ ताश के पत्तों का एक रंग। ८ हरिजनों मंदिर की ध्वजा। का गुरु । ६ खेल में पहले जीता हुआ खिलाड़ी ।-स्त्री० , लालन-देखो 'लालण' । १० मानिक, रत्ल । ११ लाल रंग की छोटी चिड़िया । लालपाणी (नी)-पु० शराब, मदिरा। १२ श्रीकरनीदेवी की बहन का नाम । १३ बच्चों के लालपिलको-पु० सफेद रंग का एक कबूतर । खेल में प्रथम जीती हुई बाजी। १४ इच्छा, कामना, | लालपोस-पु० हरिजन, भंगी। लालसा ।-वि०१ रक्ताभ रक्तवर्ण युक्त । २ क्रुद्ध, प्राग लालफूल-स्त्री० अनार, दाड़म । बबला । ३ तपा हमा, प्रत्यन्त गमं । ४ लज्जा युक्त। | लालबंब-वि० गहरा लाल । ५ प्रिय, प्यारा । ६ खेल में प्रथम जोता हुआ।
| लालबजार, लालबाग, लालबाजार-पु० वेश्याओं का मुहल्ला। लालकरणेर (कनेर)-पु० गुलाब की तरह लाल फूलों वाला एक |
लालबुझक्कड़-पु० हर समस्या का समाधान करने या हर बात पौधा व इसके फूल।
का जवाब बताने वाला ज्ञानी व अनुभवी व्यक्ति । लालकबारण, लालकमारण-स्त्री० एक प्रकार का धनुष । लालबुरज-पु. कपड़ों पर लगाने की नील । लाळकी, लाल को-स्त्री०१ जिह्वा, जीभ । २ जबान, बोली। लालबैग-पु. १ लाल रंग का, परों वाला, कीड़ा विशेष । ३ देखो 'लालो'।
२ मुसलमान भंगो । ३ हरिजनों का एक पीर । लालकेसियो-पू० एक प्रकार का अश्लील लोक गीत ।-वि०
| लालमन-पु. १ श्रीकृष्ण । २ एक प्रकार का तोता । रसिक ।
लालामरच-स्त्री० पककर लाल हुई मिरच, जो भोजन में काम लालड़ी-देखो 'लाल'।
ली जाती है। लालड़ो-वि० (स्त्री० लालड़ी! लाल रंग का।
लालमी-वि० स्वाद के लिये लालायित, जिसके लार टपकती हो । लालचदन-पु. लाल रंग का चंदन, रक्तचदन ।
लालमुरगा-पु. १ मयूर शिखा नामक पोधा । २ एक प्रकार को लालच-पु० [सं० लालसा] १ किसी वस्तु या धन को प्राप्त पहाड़ी पक्षी।
करने की उत्कट इच्छा, लोभ,लालसा । २ कुछ व्यय करने लालमूली-स्त्रो० शलगम, शलजम । या देने में की जाने वाली कंजूसी, अनुदारता । ३ उत्कण्ठा,
लालमेह-पु० पुरुषों का रक्त प्रमेह रोग । तृष्णा ।
लालर-स्त्री० १ विधवा स्त्रियों को प्रोढ़नी । २ व्यर्थ बकवास । लालचक्ख, लालचख-पु० भैसा।
लालरणी (बौ)-देखो 'लल रणो' (बौ)। लालचट-देखो 'लालचुट'।
लालरियौ-पु० १ खुशामद, चापलूसी । २ लगाव । लालचांच-पु. तोता, सुग्गा ।
लालरी-स्त्री० चमड़ी। लालचियो-वि० १ लाल रंग वाला । २ देखो 'लालची' । लालसर-पु० लाल रंग की गर्दन वाला एक पक्षी । लालची-वि० लालच करने वाला, लोभी, कंजूस ।
लाळसा, लालसा-स्त्री० [सं० लालसा] १ कुछ प्राप्ति की प्रबल लालचीणी-पु. एक प्रकार का कबूतर ।
इच्छा, लिप्सा । २ प्रातुरता, व्यग्रता। ३ कामना, अभिलालचुट-वि० अत्यधिक लाल ।
लाषा । ४ गर्भवती स्त्री की कुछ विशेष इच्छा, साध । लालचोळ-वि० १ गहरा लाल । २ क द्ध, मावेशयुक्त । लालसाटी-पु. लाल रंग का पुनर्नवा, छितरने वाली वनस्पती । लालच्च-देखो 'लालच'।
लालसिखी-पु० मुर्गा। लालजटा-पु० मुर्गा ।
लालसी-वि० लालसा रखने वाला। लालजी-पु० १ एक सम्मान सूचक संबोधन । २ देवर के लिये | लालसुरग-वि० गहरा लाल।
संबोधन । ३ राजा की उपपत्नी के लिये संबोधन । (जयपुर) | लालां-स्त्री० श्रोकरनी देवो की एक बहन ।
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लाला
लाहरगो
लाला-पु. १ कायस्थों का एक संबोधन । २ बनिया, व्यापारी। लावणी-पु. पड़ोसियों एवं संबधियों में बांटा जाने वाला
३ छोटों के लिये स्नेह युक्त संबोधन । ४ प्रभाव, कमी । मिष्ठान्न ।
५ मुश्किल, मुसीबत । ६ ध्यान, समाधि । ७ देखो 'लालसा'। लावणो (बो)-देखो 'लाणो' (बी) लालाटि-पु० १ भृगु कुलोत्पन्न एक गोत्रकार। २ ललाट । लावण्ण, लावण्य लावण्यता-पु० [सं० लावण्यता] १ सुन्दरता, लालाटिक-पु० [सं०] १ सावधान अनुचर । २ निठल्ला। सौन्दर्य । २ मोहकता, मनोहरता । ३ चातुर्य, सुघड़ता ।
३ एक प्रकार का प्रालिंगन ।-वि० १ माल संबंधी। ४ नमकीन पना।
२ भाग्यवादी । ३ नीच, कमीना । ४ निरर्थक । | लावण्यवती-स्त्री. १ सुदर अंगों वाली स्त्री। २ रथंतर कल्प लालमिक-पु० एक नरक का नाम ।
के राजा पुष्पवाहन की पत्नी । लालाभक्ष-पु० एक नरक का नाम ।
लावन्न, लावन्य-देखो 'लावण्य' । लालासख, लालासव, लालास्रव, लालास्राव-स्त्री०१ मकड़ी। लावर-पु० कटु शब्द, क्रोधपूर्ण भाषा ।
२ मकड़ी का जाला। ३ मुह से लार गिरने की क्रिया। | लावरी-पु. कुत्ता, श्वान । लालिमा-स्त्री० ललाई सुर्थी, अरुणता।
लावल्द-वि० [अ०] नि: संतान । लाळियौ-पु०१ शिशुनों की छाती पर लटका रहने वाला एक | लावल्दी-स्त्री० [अ०] नि: संतान होने की दशा या अवस्था।
छोटा वस्त्र । २ ग्वार के डंठल व पत्तियां । ३ देखो 'लाळो'। लावा-वि० खराब, बुरा। ४ वह बच्चा जिसके लार टपकती हो।
लावारिस-वि० १ जिसका उत्तराधिकारी या वारिस न हो। लाळी-स्त्री. १ बाजरी या ज्वार की बालों पर पाने वाली बारीक २ जिसका स्वामी, मालिक न हो। फूबी, कपी । २ भूसे का बारीक भाग । ३ देखो 'ल्याळी'।
| लावाळी-स्त्री० 'रहट' का एक उपकरण । लाली-स्त्री० १ लाल रंग की झांई, ललाई, लालिमा; सुर्थी।
लावालूत्र-स्त्री० लबालीपन । २ प्रतिष्ठा, इज्जत । ३ जीभ, जबान । ४ रौनक, शोभा।
लावो-पु० [सं० लवा] १ एक पक्षी विशेष । [सं० लाभ] लालुरणो (बो)-देखो 'लालरणो' (बो)।
२ अानन्द,मौज । ४ लाभ । ४ नव-वधू या पुत्री को ससुराल लालु.लालू,लालूडो-प्रव्य०१ पादपूरक अव्यय । २ देखो 'लालो'।
से लाने वाला व्यक्ति । ५ ज्वालामुखी का लावा। ६ बुरा लालूवाड़-स्त्री० एक प्रकार की तलवार ।
शकुन । लाळो-पु० १ घोड़े की मोरी के नीचे लगने वाली कपड़े की पट्री |
लास-स्त्री० १ मृत शरीर, शव । २ पशुओं को भूसी चराने का ___ २ घोड़े के मुह का छोर।
काष्ठ का उपकरण। ३ दल, समूह । ४ देखो 'ल्हास' । लालो-पु० १ पुत्र, बेटा। २ लडका, बालक । ३ स्नेहयुक्त |
५ देखो 'लासू। संबोधन । ४ कायस्थ, बनिया प्रादि का संबोधन । लाल्हरणौ (बौ)-देखो 'ललरणो' (बो)।
लासक-पु० [सं०] (स्त्री० लासकी) १ मोर, मयूर । २ मटका,
घड़ा । ३ नाचने वाला । ४ पक्षाघात जैसा कोई रोग । लाल्हरियो-पु. ऊंटों के खाने का पौधा विशेष ।
लासरियेगाळी-पु० बिना मूछों वाला युवक । लाल्हरौ-पु० 'ल' वर्ण या प्रक्षर ।
लासरीक-वि० [अ०] जिसका सहायक न हो, नि: सहाय, लाव-स्त्री० १ कूए से मोट खींचने का मोटा रस्सा ।-पु० २ लाभ।
प्रसहाय । लावक (कि, की)-पु० [सं०] एक प्रकार का पक्षी।-वि० लासलूसणो-क्रि० वि० पोंछने की क्रिया, पोंछ । १ लाने वाला । २ काटने वाला । ३ योग्य, लायक ।
लासियो देखो 'ल्हासियो' । लावडो-पु. लोमड़ी। लूमड़।
लासू लासूड़ो-पु०१ फोग वृक्ष की पतली टहनी । २ वृक्ष के लावरण-पु०१ गायन विशेष । २ नमकीन पदार्थ। ३ रोटी से | तार ।
लगाकर खाने का पदार्थ । ४ देखो 'लावण' ।-वि० नमकीन। लास्य-पु० [सं०] एक प्रकार का नत्य । लावणता-देखो 'लावण्यता'।
लास्यप्रिया-स्त्री० एक देवी विशेष । लावरिणयो, लावणीयो-पु० बैरों की एक अवस्था या इस अवस्था लाह-पु० १ दौड़ में छ नांग लगाकर प्रागे निकल जाने वाला में गये हुए बैर।
घोड़ा ।-स्त्री० २ छलांग, कूद। ३ देखो 'लाख' । ४ देखो लावणी-स्त्री० १ एक चतुस्पदी छंद । २ गीत या ख्याल गायन 'लाभ' । ५ देखो 'ल्हास' ।
की एक शैली। ३ तारक छंद का एक भेद । [सं० लव] | लाहण-स्त्री० एक जाति विशेष । ४ फसल काटने की विधि विशेष ।
लाहणी (बो)-देखो 'लाभणो' (बी)।
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लाहरणी
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( ५३३ )
लाहरणो (बी) - देखो 'ललरणी' (बो) । लाहरा, लाहरे, लाहरं - देखो 'लारै' ।
लाहानु र वि० [फा० लाइ + घ० नूर] कच्चे रेशम का बना,
चमकदार ।
वस्त्र ।
साही देखो 'साहए'। लाहु- देखो 'लाभ' ।
लाड़ो लाड़ो देखो 'सामू'/'लघु'
लाहाली-देखो 'सिहानु
लाहि स्त्री० १ वनस्पती विशेष २ देखो 'लाही' | साहित्य- देखो 'लाहए ।
लाही स्त्री० [सं० लाक्षा] १ लाख, चपड़ी । २ एक प्रकार का
लाहोरणी स्त्री० एक प्रकार की बंदूक । लाहोरी पु. १ एक प्रकार का शिकारी कुत्ता २ लाहौर में निर्मित एक बंदूक विशेष । वि० लाहौर का, लाहौर संबधी | लाहौर में बना । —नमक - पु० सेंधा नमक । साहो-देखो 'साम', 'लाबी'।
माहोल - स्त्री० [अ०] घृणा व प्राश्चर्यं सूचक शब्द । अफसोस । लिंग - पु० [सं० लिंगम् ] १ चिह्न, निशान । २ नर-मादा के पहचान का चिह्न, लक्षण । ३ नर-मादा की पहचान सूचक शब्द ! ४] किसी बात, वस्तु की जानकारी का साधन हेतु (न्याय ५ प्रमाण, साक्षी । ६ रोग के लक्षण ७ शिव लिंग । ८ देव प्रतिमा । सूक्ष्म शरीर । १० मूल प्रकृति (सांख्य ) । ११ एक प्रकार का संबंध या सूचक । १२ जननेन्द्रिय शिश्न ( पुरुष ) । १३ प्रात्मा का सूक्ष्म रूप । १४ लिंगायतों द्वारा गले में लटकाई जाने वाली मूर्ति १५ स्याकरण में शब्दों का वर्गीकरण :
लिगटी- देखो 'लींगटी' । लिगतियो-देखो 'रिगतियों' । लिंगदेह - स्त्री० सूक्ष्म शरीर लिगनास पु० [सं०] एक प्रकार का नेत्ररोग
[सं०] स्थूल शरीर नष्ट होने पर मिलने वाला
।
लिंगपुराण - स्त्री० [सं०] शिव पूजा की विधि एवं माहात्म्य संबंधी एक पुराण ।
लिंगपूजा-स्त्री० शिव लिंग की पूजा । लिगसरीर देखो 'लिंगदेह' ।
लिंगायत - पु० १ एक शैव सम्प्रदाय विशेष । २ इस सम्प्रदाय का अनुयायी । लिगूर देखो 'लंगूर'।
लिगेंद्रिय, लिद्री- पु० [सं० लिगेन्द्रिय ] पुरुष जननेन्द्रिय शिश्न । लियो-५० वस्त्र विशेष ।
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लिखाण
लिया पु० लवर रियासत में बहने वाली एक नदी विशेष । लिपी (ब)- देखो 'लीपणो' (बो) ।
लि स्त्री० १ दासी । २ बिछी । ३ सखी सहेली । - पु० ४ सर्प, सांप ५ चूहा ।
- देखो 'लियण' ।
लिए - अव्य० व्याकरण में सम्प्रदान कारक में प्रयुक्त होने वाला शब्द हेतु निमित्त | वास्ते ।
निकली स्वी० १ मुहल्ले के बीच रखी रहने वाली जूठन प्रादि डालने की पत्थर की कूडी । २ लिक लिक करने की क्रिया या भाव। ३ खाते-पीते समय कुत्ते के मुंह से होने वाली प्रावाज ।
किरण (दो) क्रि० १ कुत्ता, सिवार धादि की कुछ पीने की क्रिया करना । २ देखो 'लिखरगो' (बो) । किलि देखो लकलक'
लिकारणी (बौ), लिकावरणौ (बो) - क्रि० १ कुत्ता, बिल्ली प्रादि का मुंह लगवा देना, पिला देना । २ देखो 'लिखाणी' ( बौ)। लिक्खर (ब) - देखो 'लिखणी' (बो) ।
(a) लिखाण (यो) देखो 'लिखाणी' (बी)। लिख- देखो 'लीख' । लिखरण- देखो 'ति ।
लिखलो पु० लिखने की क्रिया या भाव।
rant (1) ० १ कलम यादि से पट्टी या कागज पर कुछ
लिखना । २ अपने विचारों प्रादि को लेखबद्ध करना, लिपिबद्ध करना । ३ तीक्ष्ण या नुकीली वस्तु से कुछ अंकित करना । ४ लिखकर प्रेषित करना । ५ लेखन कार्य करना । ६ साहित्य सृजन करना । ७ कूंची, ब्रश प्रादि से चित्र बनाना । ८ भाग्यवश संयोग- कुयोग बनना ।
प्रारब्ध बनना ।
लिखत ० १ लिखने की क्रिया या भाव। २ विधामा लेख इबारत । ३ नियम । ४ लिखा हुधा प्रामाणिक दस्तावेज । ५ भाग्य का लेख ।
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देखो''।
-
-भरतार=
लिखमी, लिखम्मी- देखो 'लक्ष्मी' । - नारायण 'लक्ष्मीनारायण' । - नाह = 'लक्ष्मीनाथ' । बर' लक्ष्मीवर' - 'लक्ष्मीभरतार' । - वंत 'लक्ष्मीवंत' वर = लक्ष्मीवर ' । लिखाई (ई) - स्त्री० १ लिखने की क्रिया या भाव। २ लिखने का तरीका ढंग । ३ लिखने का पारिश्रमिक । ४ चित्रांकन । लिखाणौ ( बौ) - क्रि० १ कलम आदि से पट्टी या कागज पर लिखाना । २ लेखबद्ध कराना, लिपिबद्ध कराना । ३ तीक्ष्ण या नुकीली वस्तु से कुछ अंकित कराना । ४ लिखकर प्रेषित कराना । ५ लेखन कार्य कराना ।
कुछ
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निवाड़ी
बनवाना ।
लिखापढ़ी स्त्री० [१] लिखने-पढ़ने का कार्य २ पत्रव्यवहार
पत्राचार । ३ दो पक्षों का कोई लिखित अनुबंध, शर्तनामा, राजीनामा ।
1
६ साहित्य सृजन कराना। ७ कूची ब्रश प्रादि से चित्र लिच्छमी, लिछमी- देखो 'लक्ष्मी' । —कंत, 'कांत लक्ष्मीकांत' - नाथ, नाह= 'लक्ष्मीनाथ' । नारायण 'लक्ष्मीनारायण' । - पत, पति = 'लक्ष्मीपति' ।-बर, वर= 'लक्ष्मीवर' । लिच्छवी - पु० १ एक प्राचीन राजवंश । २ देखो 'लक्ष्मी' । पिचमी वि० कोमल, मुलायम नरम पिलपिली लिमरण, मिन देखो''।
1
लिछमीस- देखो 'लक्ष्मीस' ।
लिछम्मी- देखो 'लक्ष्मी' ।-- - कंत, कांत लक्ष्मीकांत' - नाथ, नाह'लक्ष्मीनाथ
लिटी (बी)
लोट-पोट होना, लुटना ।
लिता- देखो 'लता' । लित्त-पु० लित पु० चाहार लेने संबंधी एक दोष (जैन) । लिह- देखो 'सिद्ध' ।
बिट (टिटो देखो''। लिखारौ वि० लिखने वाला, लेखक ।
लिखावट-स्त्री० १ लिखने का ढंग, तरीका । २ लेखन शैली । ३ अक्षर लिपि । ४ हस्ताक्षर, खत । ५ किसी के हाथ का लिखा लेख । ६ लिखि जाने वाली इबारत | लिखावणी-स्त्री० १ लिखाने का कार्यं । २ लिखाने का पारिश्रमिक |
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(a) देखो 'तिचा' (बौ लिखावत (तु, तू) ० बादशाह एवं राजा-महाराजाओं द्वारा सम्मानित व्यक्तियों के लिये प्रयोग किया जाने वाला शब्द । लिखित वि० १ लिखित लिखा हुआ लिपिवद्ध २ प्रमाण के लिये लिख कर दिया हुआ । पु० १ एक प्राचीन मुनि । २ चंपापुरी के हंसध्वज राजा का एक दुष्ट कर्मा पुरोहित ।
1
लिखितकळा स्त्री० ७२ कलाधों में से एक ।
लिखु स्त्री० सप्तकोशी नदी की एक सहायक नदी । लिमीवंत-देखो 'लक्ष्मीवंत'।
( ५३४ )
लिग - वि० १ किचित, थोड़ा। २ रच मात्र ।
"
लिगतर लिगतरी पु० १ फटा-पूराना जूता २ चिया बिगतो पु० (स्त्री० लिगसी) कुत्ता, श्वान
बालापिल
वि० पीछे रहने
1
लिगद वि० [स्त्री० निगदी दुर्व-पु० लौदा, गोला लिगन, सिगग्न देखो 'लग्न', 'लगन'
1
लिगरियो पु० एक प्रकार का पौधा या घास ।
लिगलिगाट- पु० १ बिलखना क्रिया, बिलबिलाहट । २ बकझक । सिगार, सिगार, लिगार, तिवारी, लिगारे, बिगारेदेखो 'लगार' |
दागना ।
लिची स्त्री० पांव के घुटने के पीछे का भाग ।
विधी- देखो 'जय'।
लिम्लर, बिग्तरी-देखो 'गित' । लड़की-स्त्री० [उण्ड गाय के गले व सींगों के बांधी जाने बाली रस्सी बंधन
1
लिड़णों (बौ) - क्रि० १ बांधना, कसना । २ दग्ध करना,
लिचापिच्च-स्त्री० १ घबराहट, हड़बड़ी । २ चिता । ३ देखो
'लचचप' ।
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लिप-स्त्री० १ प्लीहा, तिल्ली । २ देखो 'लप' । लिपटी (बी) देखो 'सफ्ट' (बी)।
सिप्त
,
लिपटा (ख) लिपटावर (ब) देखो 'लिपटाणी' (बौ) । लिपी (ब) क्रि० लेपन किया जाना, पोता जामा, दुलाई
किया जाना । लियत देखो 'विप्त' ।
लिपरको पु० १ भय, चिंता यादि से शरीर के किसी अंग में होने वाली स्फुरन २ देखो 'परकी'
लिपळी - स्त्री० १ लार, थूक । २ व्यभिचारिणी, बाजारू स्त्री । - वि० १ जिसकी बात या चरित्र धच्छा न हो, हल्के स्तर की । २ चिपचिपी, चिकनी ।
पिळी वि० (स्त्री० लिपोमस्थिरचित्त एवं निम्न चरित्र वाला । २ मूर्ख । ३ व्यभिचारी, जार। ४ चिपचिपा, चिकना ।
लिपसा- देखो 'लिप्सा' ।
लिपाई - स्त्री० १ लेपन क्रिया या भाव, लेपन । २ इस कार्य की मजदूरी
लिपाणी (बो), लिपावरणौ (बी) - क्रि० १ लेपन कराना, पुतवाना ।
२ प्रांगन बनवाना ।
निपिवेद ०७२ कलाधों में से एक।
लिपोड़ वि० बकवादी
लिपि, लिपी स्त्री० [सं०] १ कोई भाषा या शब्द लिखने के वर्णाक्षर । रेखानों की वह बनावट जो अक्षर या शब्द बनाती हो । २ लेख, लेखन । ३ लेपन । ४ मालिश, उबटन । ५ लेपन के लिये तैयार किया गया पदार्थ । ६ चित्रण ७ हस्तलेख
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o
वि० [सं०] १ लिया हुधा, पुता हुआ, लेपित २ ढका हुम्रा, छिपा हुधा । ३ लगा हुमा, संलग्न । ४ फंसा हुआ । ५ व्यसनादि में बहु
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लिप्तर
लीची
लिप्तर-स्त्री. १ फटी-पुरानी जूती । २ चलते समय ऐसी जुती | लिहाणी (बी)-क्रि० १ चाटना । २ देखो लिखाणो' (बी)। से होने वाली मावाज ।
| लिहाफ-पु० [अ०] सर्दी से बचाव के लिये प्रोढ़ने का रूईदार लिप्ता-स्त्री० समय का बहुत छोटासा मान ।
मोटा वस्त्र। लिप्सा-स्त्री० [सं०] १ कुछ प्राप्त करने की प्रबल इच्छा, अभि-लिहालु-पु० कोयला, बुझा हुमा अंगारा। ___ लाषा । २ लालच, लोभ । ३ तृष्णा ।
लिहालू-पु० कोयला। अंगारा। लिप्सु-वि० [सं०] लालची, लोलुप।
लिहावरणौ (बी)-१ देखो 'लिहाणो' (बी)। २ देखो 'लिखाणी' लिकाको-पु० [अ० लिफाफः] १ पत्र मादि डालने की कागज
(बी)। की छोटी थैली । २ बाह्य प्राडंबर । ३ हल्की या नाजुक | लिहोजणी (बी)-क्रि० लिखा जाना। वस्तु ।
लींगटी-स्त्री० १ रेखा, लकीर । २ पंक्ति, लाइन । कतार । लियास-पु० वेश-भूषा, वस्त्रादि ।
३ परंपरा, प्रथा, रूढी । ४ रस्म, रिवाज । लियण-वि० लेने वाला।
लीड, लींडी, लींडो-पु० १ मल या विष्टे की, लकड़ी की तरह लियरपो (बौ)-देखो 'लगो' (बो)।
बंधी अवस्था, मल की मोटो मींगड़ी। २ हाथ का अंगूठा लियाकत-स्त्री० [अ०] १ योग्यता, काबलियत । २ सामर्थ्य, उठाकर चिढ़ाने की एक क्रिया।
शक्ति, उत्साह। ३ विद्वता । ४ शिष्टता, शालीनता। | लीण-देखो लीन'। ५ प्राचार-विचार या बोल-चाल की गंभीरता।
लीब-पु० १ नींबू । २ नीम । लिराणौ (बी), लिरावणो (बी)-क्रि० १ किसी पदार्थ या वस्तु | लोंबड़ी-पु० नीम ।
को लेने के लिए प्रेरित करना। २ किसी से किसी को कुछ लीवरु (रू)-पु. वृक्ष विशेष । दिलवाना, देन-लेन कराना। ३ खरीदवाना। ४ संग्रह लींबू-पु० नींबू ।
कराना । ५ मंगाना । ६ के श, नाखून प्रादि कटवाना। लीबोइ (ई)-स्त्री० वृक्ष विशेष । लिलड़ी-देखो 'लोलो'।
ली-पु० १ भौंरा, भ्रमर । २ ईश्वर । ३ मिलन, संगम, लिलवट-देखो निलं'।
साक्षात्कार ।-स्त्री० ४ सखी, सहेलो। ५ पृथ्वी । ६ घुलना लिलाम-देखो 'लीलांम'।
क्रिया। लिलाड़, लिलाड़ी लिलाट, लिलार-देखो 'ललाट'।
लोक, लोकटी-स्त्री० १ रेखा, लकीर । २ लकीर की तरह का लिल्ला-क्रि० वि० खुदा के नाम पर ।
चिह्न। ३ रास्ता, मार्ग। ४ पगडंडी। ५ परंपरा, प्रथा, लिवंग-देखो 'लवंग'।
रूढो । ६ रीति-रिवाज, रस्म । ७ सत्य वचन । ८ सीमा,
मर्यादा । ९ प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा। १० दोष, कलंक । लिव-स्त्री० लगन, ध्यान, चित्तवृत्ति । एकाग्रता ।
११ गणना, गिनती। १२ लंबी, संकरी जमीन, भू-खंड । लिवणी (बी)-१ देखो 'लणो' (बी) । २ देखो 'लीपणो'(बी)।
१३ मटियाले रंग की एक चिड़िया विशेष । १४ देखो 'लीख' । लिबाणी (ग)-देखो 'लिराणो' (बो)।
१५ देखो 'लीको'। लिबाळ-देखो 'लेवाळ। लिवावरणौ (बौ)-देखो लिराणी' (बो)।
लीकियो-पु. १ लकड़ी पर रेखा बनाने का उपकरण । २ देखो लिवास, लिवासड़ी-स्त्री० १ छिपकली । २ देखो 'लिबास' ।
'लीकी'।
लोको-स्त्री० १ कृषि योग्य लंबी एवं संकरी जमीन । २ ऐसी लिविंग-देखो 'लवंग'।
भूमि का स्वामी । ३ देखो 'लीक' । लिसद-स्त्री० यश, कीर्ति । लिसोड़ा-देखो 'लसोडा'।
लीख-स्त्री० [सं० लिक्षा] जू का अडा । लिह-वि० चाटने वाला।
लीखरणी (बो)-देखो "लिखणो' (बो)। लिहणो-देखो 'लै'णो'।
लोगटी-देखो 'लींगटो'। लिहणी (बी)-क्रि० १ चाटना । २ देखो 'लिखणी' (बी)।
| लीड़ी, लीडो-स्त्री० शरीर पर गर्म शलाका से दग्ध करने लिहाड़ी-स्त्री० मसाले पोसने की सिल ।
___का चिह्न, डाम, दग्ध रेखा । २ रेखा, लकीर । ३ मारने लिहाज-पु० [अ०] १ भादर, मान, मर्यादा। २ विरोध या के कारण शरीर पर उभरने वाले निशान ।
प्रतिवाद न करने की दशा या भाव । ३ संकोच । ४ शर्म, लीची-स्त्री. १ मोठे फलों वाला एक सदाबहार वृक्ष। २ इस लज्जा । ५ ध्यान । ६ पक्षपात; तरफदारी ।
| वृक्ष का फल ।
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लोछम्मि
( ५३६ )
लोलाधर
लोछम्मि (म्मी)-देखो 'लक्ष्मी'।
लीलगर-देखो 'नीलगर'। लीडीकट-पु० तलवार की बनावट विशेष।
लीलगरी-देखो 'नीलगरी' । लोण-पु० १ बरसात के समय धूए की तरह उड़ने वाले बादल ।
लीलगवाहणी-स्त्री० हंसवाहिनी, सरस्वती। लौर । २ बादल । ३ उचित, वाजिब । ४ देखो 'लीन' ।
लीलड़-पु० ऊटों का एक रोग। लोणता-देखो 'लीनता' ।
लीलड़ी-स्त्री० १ न्योहरा, खुशामद । २ गहरे बैंगनी रंग का लीट, लीदड़-स्त्री० हाथी, घोडे, गधे प्रादि का मल ।
एक बड़ा भ्रमर । ३ देखो 'लीला'। लोध, लोधु लोधु, लोध, लोधौ-देखो 'लीन्हो' ।
| लोलडो-पु० १ सब्जी के काम का एक प्रकार का मोटा पापड़ लोधड़-पु. छोटा बाज पक्षी ।
२ देखो 'नोलो'। लीमिरण-स्त्रो० [सं० ऋद्ध-मरिण] मूगा, प्रवाल । लीन-वि० [सं०] १ समाविष्ट, मिला हुमा । २ अनुरक्त,
लीलणी (बौ)-क्रि० १ नीला होना, हरा होना। २ निगलना। मासक्त । ३ लुप्त, गायब । ४ किमी ध्यान में निमग्न, |
लीलपत-देखो 'लीलापत' । तल्लीन । ५ किसी कार्य में पूर्ण मनोयोग से संलग्न ।। लोलभवाळ (भुपाल, भुवाळ)-पु० इन्द्र, सुरपति ।-वि० उदार, ६ चिपटा या सटा हुप्रा । ७ देखो 'लीन्हो' ।
दातार। लीनता-स्त्री० लीन हो जाने की अवस्था या भाव, तल्लीनता। लीलरी-स्त्री० शुरौं, सलवट । लीनोड़ो, लीनौ-देखो 'लीन्हो' ।
लीलवण-देखा 'नालवरण' । लीन्ह, लीन्हउ, लीन्होड़ो, लीन्ही-वि० (स्त्री० लीन्होड़ी) | लीलविलास-पु. १ इन्द्र, सुरपति । २ समुद्र, सागर । ३ प्रष्ट लिया हुआ।
वर्णी एक छन्द । ४ अानन्द, मगल ।-वि. १ लीला करने लीपणो (बी)-क्रि० १ लेपन करना, पोतना । २ लिप्त होना। वाला । २ दातार, उदार । ३ डूबना।
लीलारण-स्त्री० हरियाली। लीपारणी (बी), लीपाबरणौ (बो)-क्रि० १ लेपन कराना,
लोलाम -पु० [पुर्त० लेलम] १ किसी वस्तु या सामान को क्रय पुतवाना । २ लिप्त कराना । ३ डुबाना ।
करने के लिये तानों द्वारा कीमत बोलने की प्रक्रिया । लीपियोगृपियौ, लोपियोचूपियो-वि० लिपा हुपा, पुता हुमा, २ इस प्रक्रिया से की जाने वाली बिक्री ।-घर-पु० उक्त लिप्त. डूबा हुप्रा।
प्रकार का कार्य या व्यापार करने का स्थान कक्ष । लीपी-स्त्री. १ जलाशयों में पानी सूखने पर जमीन पर लीलामी-स्त्री. १ वस्तु या सामान के क्रय-विक्रय के लिये __ जमने वाली पपड़ी। २ चूने का प्रवलेह, भीगा हुप्रा चूना। लगाई जाने वाली खुली बोलो। २ नीलाम करने की क्रिया लीब-१ देखो 'नीम' । २ देखो 'नींबू' ।
या भाव। लोर-वि० १ फटा हुआ, जीण-शीण । २ देखो लोरो'।
| लीला-स्त्री० [सं०] १ प्रानन्द, मौज । २ मनोरंजन का कार्य, लीरडी, लीरडो-देखो 'लीडी' ।
खेल । ३ खेलने में की जाने वाली अद्भुत या विचित्र लोरी, लीरो-पु. १ वस्त्र, कागज पादि का लंग या छोटा
चेष्टाएँ। ४ ईश्वर द्वारा अपने विभिन्न अवतारों में किये टुकडा। २ धज्जी, पट्टो। ३ फल की लंबी फांक ।
गये अलौकिक कार्य। ५ ईश्वर की माया। ६ रचना, ४ देखो 'लीड़ो'।
बनावट । ७ चरित्रगान । ८ गुण । ६ नायिका का एक लोलंग-पु० १ हंस । २ डिंगल का एक छंद ।-वि० लीला
भाव, चेष्टा । १० विशेषक नामक छंद का दूसरा नाम । करने वाला।
११ एक छन्द विशेष । १२ एक अन्य वर्ण वृत्त । १३ हरी लीलगरित-पु० तोता. मूवा, शुक ।
घाम । १४ निसाणी छंद का एक भेद । १५ नाटक, लीलबर-पु० [सं० नील-अंबर] नीला प्राकाश, नील गगन । अभिनय । -करण-वि० लीला करने वाला ।-पु० ईश्वर । लील-पु० १ अानन्द-मंगल, परमसुख । २ पानो की काई । -स्त्री० स्त्रियों की ६४ कलाओं में से एक । ३ हरियाली । ४ प्रहार या चोट के कारण शरीर पर
| लीलाड़ी-देखो 'ललाट' । बनने वाला निशान, चिह्न । ५ श्याम स्तनों वाली गाय ।
लीलाती-स्त्री० [सं० लीलायत] मनोरंजन, प्रानन्द । ६ रंग विशेष को घोड़ी । ७ सारस्वत नगर के वीर-वर्मन राजा का पुत्र । ८ देखो 'लीला'।
लीलाधरण-पु० लीला के स्वामी, ईश्वर । लीलग-देखो 'लीलंग'।
लीलाधर-पु० [सं०] ईश्वर, परमात्मा।
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लीलापत
( ५३७ )
लुघ
लीलापत (पत्ति)-पु. १ ईश्वर, लीला का स्वामी । २ इन्द्र । लुबनी-स्त्री० [सं०] कपिलवस्तु के पास का एक वन । लीलापुरसोत्तम-पु० श्रीकृष्ण ।
लुबेक-पु. नक्षत्रों संबंधी एक योग । लीलाबर-पु० [सं० लीला-वर] ईश्वर ।
लुमणो (बो)-देखो 'लूबणो' (बौ)। लोलामवाळ (भुमाळ, भुवाळ)-पु० इन्द्र ।-वि० उदार, दाता लु-स्त्री०१ पृथ्वी।-पु. २ माली । ३ संसार । ४काटना क्रिया। लीलामय-वि० [सं०] क्रीड़ा युक्त, लीलामय ।
-वि० भक्षण करने वाला। लीलावंती-पु. एक वृक्ष विशेष।
लुप्राब-पु० [अ०] चिपचिपा पदार्थ । लीलावती-स्त्री०१ ज्योतिविद भास्कराचार्य की कन्या जोलमारियो. लग्रारो-पू० (स्त्री० लूमारी) १ गाय का छोटा गरिणतज्ञ थी। २ एक देवी । ३ एक रागिनी। ४ एक छन्द
बच्चा। २ देखो 'लुहार'। विशेष ।
लुआळ-स्त्री० ज्वाला, लपट । लीलावर-वि० लीला करने वाला । -पु० श्रीविष्णु, श्रीकृष्ण ।
लुकंजरण-पु. एक प्रकार का अंजन । लीलासंध-वि० अद्भुत क्रीड़ाएं करने वाला।
लुक-वि० १ तीव्र रूप से प्रज्वलित । २ लुप्त, छुपा हुमा । लीलासागर-पु. श्रीविष्णु, श्रीकृष्ण ।
लुकड़ी-स्त्री० लोमड़ी। लोलीसाड़ी-स्त्री० एक लोक गीत ।
लुकट-स्त्री० [सं० लकुट] १ लकड़ी । २ बांसुरी। लीलोती, लीलोतरी, लीलोत्री-स्त्री० १ हरी घास । २ वनस्पती।
लुकरणाडाइ (ई)-स्त्री० बच्चों का एक खेल । २ हरी सब्जी।
लुकरणौ (बो)-क्रि० [सं० लुक] १ छुपना, छुपजाना । २ भोट लीलो-पु. १ हरा घास, हरा चारा । २ हरा रंग ।-वि० १ हरे
या पाड़ लेना । ३ लुप्त होना। ४ गुप्त स्थान पर रहना। रंग का, हरा ! २ देखो 'नीलो'।।
५ अदृश्य होना । ६ प्रावरण या कृत्रिमता की मोट में लीलोचेर-वि० १ गहरा हरा । २ हरियाली युक्त।
रहना, छद्म रूप में होना। ७ दब जाना। ८ मिलना, लीवडो-पु. नीम।
झुकना (पलक)। लीवलीरण-देखो 'लयलीन' । लीह-देखो 'लीक'।
लुकमान-पु० [अ० लुक्मान] १ कुरान के अनुसार एक प्रसिद्ध लीहटी-देखो 'लोकटी'।
वैद्य, इकीम ।-स्त्री० २ तोप । ३ बंदूक । लोहवरणो (बो)-क्रि० झींगुरों का ध्वनि करना ।
लुकमीचणी-स्त्री० प्रांखमिचौनी का खेल। लुकड़ी, लुकडी-पु. १ एक वृक्ष विशेष । २ देखो 'लाकी'।
लुकमी-पु. [अ० लुक्म] ग्रास, निवाला । लुकारियो-देखो 'लूकार'।
लुकम्मीनाळ-स्त्री० १ तोप । २ बन्दूक । लुकालु-वि० कृश, पतला।
लुकलुकमीचणी-देखो 'लुकमीचणी' । लुगाड़, लुगाड़ो-वि० बदमाश, धूर्त, चालाक ।
लुकवेस-पु० कुंज। लुगी-देखो 'लूगी'।
लुकसाज-पु० तैयार किया हुआ चमड़ा विशेष । लुचन-स्त्री० [सं०] बाल मादि नोचना क्रिया।
लुकाणी (बौ), लुकावणो (बौ)-क्रि० १ किसी गुप्त स्थान में लचित-वि० १ नोचा हुमा । २ उखाड़ा हुमा । ३ काटा हुमा। रखना । २ छुपाना, छुपा देना। ३ मोट या पाड़ में रख लुछणो (बो)-देखो 'लूछणो' (बी)।
देना, करना । ४ लुप्त करना । ५ प्रहश्य करना । लुजी-देखो 'लूजी'।
६ छद्मता या कृत्रिमता की प्रोट में करना । ७ दबाना । लुठक-वि० लुटेरा।
८ मिलाना, झुकाना, झपकाना। लुठि, लुठी-स्त्री० १ छत्तीस प्रकार के दण्डायुधों में से एक। | लुक्करणो (बो)-देखो 'लुकरणो' (बो) । २ घोड़े या गधे का लौटना क्रिया ।
लुक्ख, लुक्खौ लुख, लुखो-देखो 'लूखौ' । लुगणी (बो)-देखो 'लूणणो' (बी)।
लुगयुगो-वि० (स्त्री० लुगधुगी) । कांतिहीन, शोभाहीन । लुगारणी (बी), लुणावरगो (बो)-देखो 'लूणाणो' (बी)। २ शुष्क, रूखा। लुपट-देखो 'लंपट'।
लगदी-स्त्री० किसी वस्तु को गीला करके कूट या पीस कर लुबक-पु० फलित ज्योतिष में एक योग ।
बनाया हुआ गोला। लौंदा । लुबगो (बो)-देखो 'लूबणो' (बो)।
लुगाई, लुगावड़ी-स्त्री. १ पौरत, स्त्री, नारी । २ पत्नी, जोरु, लुबाळी (लो)-वि०(स्त्री० लु'बाळी) १पारामदेह । २ झूमता | भार्या ।
हा। ३ जिसके लाल व मोतियों की लड़े लटक रही हों। लघ-देखो 'लघु'।
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लुघता
( ५३८)
लुघता-देखो 'लघुता'।
लुढग्गो (बी)-क्रि० १ लटकना, हिलना, भूलना । २ मस्ती में लुघवी-देखो 'लघु'।
झूमना । ३ उत्साहित होना । ४ नुकसान उठाना । लघसंधानिक-वि० तीर चलाने में दक्ष, चतुर ।
५ लुढकना, गिरना। लघु-देखो 'लघु'।
लुढ़ारणी (बौ), लुढ़ावणी (बौ)-क्रि० १ लटकाना, हिलाना, लुड़णी (बौ)-क्रि० मुड़ना, हटाना ।
झुलाना । २ मस्ती में झूमाना । ३ उत्साहित करना। लुड़करणौ (बो)-देखो 'लुढकणो' (बौ)।
४ नुकसान पहुंचाना । ५ लुढ़काना, गिराना। लुडकारणो (बो)-देखो 'लुढकाणी' (बी)।
लुगणो (बौ)-क्रि० [सं० लुचनम्] १ काटना, काटा जाना । लुको-स्त्री० दही में तैयार की हुई भंग ।
२ भेड़ों की ऊन कतरना। ३ नोंचना, लुचन करना । लड़खणी (बो)-देखो 'लुढकणो' (बौ)।
लुणाई-स्त्री० [सं० लुचन] १ भेड़ों के बालों की कटाई । लुइणो (बी)-देखो 'लुढणो' (बी)।
२ इस कार्य की मजदूरी । ३ इस कार्य का मौसम । लुडारणो (बो)-देखो लुढाणी' (बो)।
लुगारगो(बो), लुणावरणो (बी)-क्रि० १ कटवाना, कतरवाना। लुडोद-वि० प्रिय, प्यारा।
२ भेड़ों को ऊन कटवाना । ३ नोंचाना, लुचन कराना । लुचाई, लुच्चाई-स्त्री० १ धूर्तता, दुष्टता, नीचता। २ कमीना | लतफ-देखो 'लुत्फ' ।
पन । ३ चोरी, बदमाशी। ४ पाखंड, ढोंग। ५ बेईमानी। लत्तकेस-वि० केशों का लचन करने वाला, जिसके केशों का लुच्चौ-वि० [स० लुच] (स्त्री० लुच्ची) १ दुराचारी, दुष्ट, लुचन कर दिया गया हो। ।
नीच । २ कमीना । ३ चोर, बदमाश । ४ पाखंडी, ढोंगी। लुत्थबस्थ-देखो 'लथबथ'। ५ बेईमान ।
लुत्थि-देखो 'लोथ'। लुटकणियो-पु० किसी बकरी के गले के नीचे लटकने वाला
लुत्फ-पु० [अ०] १ प्रानन्द, मजा । २ स्वाद, रस, रोचकता । मांस।
लुथबत्थ, लुथवथ, लुथबुथ- देखो 'लथबथ' । लुटणौ (बौ)-क्रि० १ लुट जाना, लूट लिया जाना । २ चोरी
| लुदराक, लुदराक्ख, लुबराख-देखो 'रुद्राक्ष' । या डकैती होना । ३ महत्वपूर्ण वस्तु या सामान बलात् | लवरी-स्त्री. १ एक माभूषण विशेष । २ देखो 'रुद्रो' । चला जाना। ४ किसी की इज्जत लिया जाना या शील भग | लुद्ध-वि० [सं• लुब्ध] लोभी, लालची। किया जाना । ५ अभिवादन की दृष्टि से सोना। ६ मौज, | लुद्राक, लुद्राक्ख, लुद्राख-देखो 'रुद्राक्ष'।
मस्ती लेना, मानन्द लेना । ७ देखो 'लोटणी' (बो)। लध्ध, लुध्धी-वि० [सं० लुब्ध] १ लालची, लोभी। २ चाहने लुटाणो (बो), लुटावणी (बो)-क्रि० १ लूटने या लूट ले जाने वाला, इच्छुक, अभिलाषी।
के लिये छोड़ देना, रख देना । २ उदारता पूर्वक देना। लुप-देखो 'लप'। ३ चोरी या डकैती कराना। ४ लूटने के लिये प्रेरित करना। लुपके-छुपके, लपकै-छुपके-क्रि० वि० छुपे तौर से, गुप्त रूप से। ५ इज्जत लिराना या शील भग कराना। ६ दण्डवत | लुपरणो (बी)-देखो 'लुकणो' (बी)। कराना, चरणों में लोटाना । ७ मौज, मस्ती या प्रानन्द कराना । ८ अपव्यय करना । ९ लोट-पोट कराना । | लुपतोतमा-देखो 'लुप्तोपमा' । १० सस्ते मोल बेचना ।
लुप्त-वि० १ छुपा हुमा। २ गुप्त, गोपनीय । ३ नष्ट, भग्न । लटेरो-वि० लूटने या लूट-पाट करने वाला, डकैती करने | ४ अदृश्य, गायब । वाला डाकू।
लुप्तोतमा-स्त्री० उपमा अलंकार का एक भेद । लुटगो (बी)-देखो 'लुटगो' (बी)।
लुब-पु. १ चाह, इच्छा । २ लोभ, लालच । ३ स्त्रियों का एक लुडणी (बो)-देखो 'लुढणी' (बी)।
कर्णाभूषण विशेष । लुढकणी (बी)-क्रि० १ गिरना, गिरते जाना । २ गुड़कते हुए लुबको-पु. (स्त्री० लुबकी) गाय का नवजात बच्चा।
नीचे की पोर माना। ३ गिर पड़ना। ४ मर जाना । लुबध, लुबधक-देखो 'लुब्ध' । ५ परीक्षा में अनुत्तीर्ण होना ।
लुबधी, लुबधौ-वि० १ लोभी, लालची। २ इच्छुक। ३ रस लुढकाणी (बी), लुढकावणो (बो)-क्रि० १ मिराना, गिराते | लोलुप । ४ मोहित, प्रासक्त ।
जाना । २ गुड़काते हुए लाना, नीचे की मोर चलाना। लुबान-देखो 'लोबांन'। ३ धक्का या टक्कर से पटकना । ४ मार देना । लुबुद, लुबुध, लुब्ध-वि० [सं० लुब्ध] १ लोभ से ग्रसित, लोभी। ५ अनुत्तीर्ण करना।
२ मुग्ध, मोहित, मासक्त । ३ अभिलाषी, इच्छुक ।
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लुब्धक
लुब्धक-पु. [सं० लुब्ध] १ बहेलिया, ब्याघ्र, शिकारी। २ उत्तरी लुह-पु. १ शस्त्र प्रहार । २ लूखा, रुक्ष। ३ चूसना क्रिया। गोलाद्ध का एक तेजस्वी तारा। ३ देखो 'लुब्ध'।
शोषण। लुग्धणी (बौ)-क्रि० १ लोभ या लालच से ग्रसित होना। लुहण-वि० चूसने वाला, शोषक ।
२ मुग्ध होना, मोहित होना । ३ इच्छा करना, अभिलाषा | लुहरणो (बो)-क्रि० १ चूसना, शोषण करना । २ शस्त्र प्रहार करना।
___ करना। ३ देखो 'लवणो' (बी)। लुभारणी (बो), लुभावणी (बो)-क्रि० १ मोहना, मोहित करना। लुहार-पु० [सं० लोहा-कार] (स्त्री० लुहराण, लुहारी) १ लोहे
२ माकर्षित करना । ३ लोभ, लालच में पड़ना। ४ मोह का काम करने वाला वर्ग। जाति । २ इस वर्ग का व्यक्ति ।
माया में फंसाना । ५ लोभ-लालच जगाना। ६ लुब्ध होना।। ३ लोहे का कारीगर। ४ चौरासी प्रकार के चोहटों में से लुभावणी-वि० (स्त्री० लुभावणी) १ मोहित करने या मोहने एक ।-खाती-पु० बढ़ई जाति का लुहार । वाला । २ माकर्षक । सुन्दर । ३ लोभ जगाने वाला, लुब्ध
लुहास-पु. श्याम घटा के शिखर पर उठने वाला बादल । करने वाला।
लुही-देखो 'लोही'। लुरड़णो (बी)-क्रि० १ नोड़ना । २ रगड़ या खींचकर तोड़ना।
खूक-देखो 'लूग'/'लांकी'। लुरणो (बो)-देखो 'लुळणो' (बी)।
लूकड़ियो-पु० नर लोमड़ी, लूमड़। लुरियो-पु. ऊंट की एक चाल विशेष ।
लूकड़ी-देखो 'लांकी'। लुरी-स्त्री० १ लंबे कानों वाली बकरी । २ अत्यधिक
लूकार-पु० प्रोढने का छोटा ऊनी वस्त्र । शीतल वायु ।
लूकी-देखो 'लांकी'। तुळणी (बी)-क्रि० १ झुकना, नीचा होना। २ अभिवादन
लूकीमुळो-देखो 'लांकीमूळो' । करना, नम्रता दिखाना । ३ झुकना, बल खाना । ४ मोच लूको-देखो 'लांको'। खाना, मुचना। ५ भार, बोझ के कारण नीचे झुकना,
लूग-पु. १ शमी या बबूल वृक्ष के पत्ते जो ऊंट, बकरी पादि लचकना । ६ प्रवृत्त होना, उन्मुख होना। ७ टेढा होना।
का चारा होता है। २ बंदूक पर बारुद रखने का स्थान । ८ स्वभाव में लचीलापन लाना । ९ उमड़ कर पाना ।
३ एक पक्षी विशेष । ४ देखो 'लवंग'। १० घूम कर पाना, मुड़ना । ११ माघात या चोट से इधर
लूगाकरी-पु. एक लोक गीत ।। उधर होना, हिलना । १२ अंगों का हिलना-डुलना।
लूगी-स्त्री. १ एक प्रकार का अधोवस्त्र, तहमद । २ एक प्रकार १३ लथपथ होना । १४ देखो 'रळकरणो' (बी)।
___ का वस्त्र । ३ स्त्रियों की प्रोढनी विशेष । ४ एक लोक लुळताइ (६)-स्त्री. १ लचीलापन, लचक, कोमलता । २ विन- |
गीत । ५ बच्चे का शिश्न । म्रता, नम्रता। ३ व्यवहार में मधुरता। ४ शिष्टता,
चरणो (बो)-क्रि० हड़पना । लूटना। सभ्यता। लुळाणी (बी)-क्रि. १ झुकाना, नीचा करना। २ अभिवादन
लूचाणौ (बौ), लूचावणो (बी)-क्रि० हड़पवाना, लुटवाना।
लूछरण-स्त्री० १ शिर पर न्यौछावर करके दिया जाने वाला कराना। ३ झुकाना, बल देना, मोड़ना। ४ मोचना, मुचाना । ५ भार से झुकाना, लचकाना । ६ प्रवृत्त करना,
दान । २ वस्त्र विशेष । .
लूछरपो (बौ)-क्रि० १ न्यौछावर करना, वारना । २ देखो उन्मुख करना । ७ टेढ़ा करना। ८ स्वभाव में नरमी लाने
___'लू चरणो' (बी)। को कहना । ९ घुमाना, मोड़ना। १० इधर-उधर हिलाना।
कोहिलाका १२ लथपथ करना। ३ देखो। लूजी-स्त्री० भाचार या चटनी जैसा खाद्य पदार्थ । 'रळकाणी' (बी)।
लूटणी (बौ)-देखो 'लूटणी' (बी)। लुलाय-पु० [सं० लुलायः] मैसा ।
लूठाई-देखो 'लांठाई। लुळावरणो (बी)-देखो 'लुळाणी' (बी)।
लूटापरण, लूठापरणो, लूठापौ-देखो 'लाठापणो'। नुलूलिया, लुलूसाही-पु० मारवाड़ का एक प्राचीन सिका। लू ठो-देखो 'लाठी'। लुवरणो (बो)-क्रि. १ पोंछना । २ ढलकाना ।
लूड, लूडो-वि० (स्त्री० लूडी) १ मूर्ख, बेवकूफ । २ लुच्चा, लुवरको (अ)-पु. (स्त्री० लुवरड़ी) बेटा, पुत्र ।
लफंगा। ३ देखो 'लौंडो'। नुवार-देखो 'लुहार'।
लूण-देखो 'लूण' ।-हरांम='लूगहरांम'।-हरामी लूगहलुवारियो, लुवारी-पु. १ गाय का छोटा बच्चा। २ देखो | रांमी'। 'लुहार'।
। लूणी-देखो 'लुणी'।
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लूणी
( १४०।
लूणियो
लूणो (बो)-देखो 'लुवणो' (बो)।
लूगड़ी-स्त्री० स्त्रियों की ओढ़नी। लूथ-देखो 'लोथ'।
लगड़ (इ, डो) लगडू, लघडी-पु. १ मोढने का वस्त्र विशेष। लू दो-पु० गीली मिट्टी प्रादि का पिंड, लौंदा।
२ वस्त्र, कपड़ा। लूधियो-पु. सायंकाल का अंधरा।
लूघा-स्त्री० मुसलमानों की एक जाति ।-वि० ढीला-ढाला । लूब-स्त्री० [सं० लंबुक] १ माभूषण में लटकाई जाने वाली लूचारण-पु. एक प्रकार का कुत्ता।
छोटी लड़ी। २ ऊंट या घोड़े के चारजामें के लटकने वाला | लूट-स्त्री० १ बलपूर्वक कोई वस्तु या धन लेना क्रिया, डाका, कोड़ियों का गुच्छा, झूमका । ३ वस्तुओं का पुज। ४ वर्षा डकैती। २ चोरी, अपहरण । ३ इस प्रकार से लिया गया को फूहार। ५ दीपक रखने हेतु दीवार में लगाया हुमा सामान । ४ खुली वस्तु को अधिक से अधिक लेने की क्रिया। पत्थर । ६ छज्जे के नीचे के पत्थर में खोदे हुए गोले । ५ अधिक लाभ उठाने की प्रवृत्ति ।
७ झूले की प्रवरोह गति । ८ नारियल की जटा । चोटी। । लटक-वि० लूटने वाला, लुटेरा । लू बड़ी-पु० जटा या चोटी वाला नारियल ।
लूटखसोट-स्त्री० १ छीना-झपटी। २ लूटना क्रिया । खूबब-वि० १ सुसज्जित, शृंगारित, । २ पाच्छादित, प्रावे लटडू-पु. लुटेरा, डाकू।। ष्टित ।
लटणी (बो)-क्रि० [सं० लुट्] १ लूटना, डाका डालना । २ कोई लूबरणौ (बी)-क्रि० १ लटकना, झूमना । २ लटक कर झूलना।
वस्तु या धन बलात् लेना, छीनना । ३ बलपूर्वक चोरी ३ लिपटना, चिपटना। ४ आक्रमण या हमला करना।
करना। ४ धोखे या बईमानी से कोई वस्तु या धन लेना, ५ घेरना, पावेष्टित करना। ६ लूटना । ७ उमड़कर
कमाना । ५ छीनना, झपटना । ६ खुनी वस्तु को अधिक से पाना ।
अधिक लेना। ७ मजा, धानन्द या रसास्वादन करना । लू बल'बाळी-वि० जिसके किनारों में लूबें लगी हों।
८ किसी साधन या सुविधा का नाजायज उपयोग करना । लूबालूब-वि० 'लूबों' से परिपूर्ण ।
६ मोहित या प्राकर्षित करना। १० व्यापार में ठगी या लूबाळो-देखो 'लुबाळो' ।
चोर बाजारी करना । ११ नष्ट करना, बरबाद करना । लू बो-पु०१ धन, सम्पत्ति । २ लाभ ।
लूटमार-स्त्री० लूटने व मारने की क्रिया, तबाही। लूम-देखो 'लूम'।
लुटारणौ (बी), लूटावणो (बी)-देखो 'लुटारणो' (बो)। लूमभूम-देखो 'लूबझूम'।
लटी-स्त्री० चिपके या पिचके कानों वाली बकरी । लू मणौ (बो)-देखो 'लूबरणो' (बो)।
लुटेरो- देखो 'लुटेरों'। लूमी-देखो 'लूम'।
लूठानइ (ई)-देखो 'लाठी'। लू, लअ-पु. १ लोप । २ काल । ३ प्रलय । ४ छेदन । ५ गुदा।।
लड-वि० बदमाग, शैतान । ६ रुद्र ।-स्त्री०७ ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली प्रत्यन्त गर्म
लूडणी (बौ), लूडारणौ (बौ), लूडावरणी (बो)-क्रि० लड़खड़ाना । हवा । ८ पोंछना क्रिया।
डिगना। लूंअगो (बी)-क्रि० पोंछना ।
लूण-पु. नमक, क्षार। लूप्रर-देखो 'लूर'।
लगणौ (बो)-क्रि० १ भेड़ों की ऊन कतरना, काटना । २ फसल लूकड़ी-देखो 'लांकी'।
काटना। लूकमुख-पु० एक देश का नाम । लूको-पु. १ लुच्चा, बदमाश । २ लफंगा, चोर ।
लगपण (णो)-पु० स्वामी भक्ति । नमक हलाली ।
लगहरांम-वि० कृतघ्न, दुष्ट । बईमान । लूखट-पु० वृक्ष विशेष । लखाणो (बो)-क्रि० सूखना, रूखा होना, शुष्क होना ।
लूणहरांमी-स्त्री० कृतघ्नता, बईमानी। लखाणो, लखासरणी, लूखाहणी-वि० १ किसी परिवार में दूध |
लगाई-देखो 'लुणाई। " दही पादि का पूर्ण प्रभाव । २ ऐसे मवेशियों का पाभाव। लूणागर-पु० लूणी नदी का एक नाम । लखौ-वि. (स्त्री० लूखी) १ जिसमें चिकनाहट या स्निग्धता न लणाणी (बी), लूणावरणी (बी)-क्रि० १ भेड़ की ऊन कतर. हो। २ पौष्टिक तत्त्व की कमी वाला। ३ निस्सार ।
| वाना । २ फसल कटवाना । ४ नीरस, फोका । ५ शुष्क, रूखा । ६ अप्रिय, अरुचिकर । लरिण-पु० मांस, गोश्त । ७ बिना चुपड़ा। जो नम्र या शिष्ट न हो। ९ स्नेह, दया | लरिणयो-पु० । एक प्रकार का घास । २ मक्खन ' ३ वर्षा जैसी कोमल भावनामों के प्रभाव वाला । १० खुरदरा। । कालीन एक वनस्पती ।-वि० नमक का बना, नमकीन ।
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इसी
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( ५४१ )
लूणी - पु० १ बच्चों का एक खेल । २ लूणी नदी । (बी) देखो 'बी' (बी)
लूत, लूता, लूतार-स्त्री० [सं० लला ] १ मकड़ी, ऊर्णनाभ । २ चींटी ।
लतरी- वि० ढीट, निर्लज्ज
I
लूथ - स्त्री० कुंज ।
सूययस्य (बच बाथ ) देखो 'समय'
.
लूघड़ी - वि० [सं० लुब्ध ] (स्त्री० लूघड़ी) बासक्त । लूबड़ी-देखो 'लू'बड़ी' ।
|
लूम - स्त्री० १ पूंछ, दुम २ कपड़ा बुनने का करघा ३ एक
राग विशेष । ४ देखो 'लू'ब' । कमक, तुमभूम-देखो''' लूमड़ी-देखो 'लोमड़ो' ।
(बी) देखो ''बी' (पो लूमारणी (बी) - देखो लूंबाणी' (बो) । लूमाळी - देखो 'लू' बाळो' ।
लम्यांरीडोरी स्त्री० एक लोक गीत विशेष । लूप - देखो 'लू' ।
लूयर, लूर, लूरड़ी - स्त्री० १ एक प्रकार के लोकगीत जो फाल्गुन में स्त्रियों द्वारा गाये जाते हैं । २ इन गीतों के साथ किया जाने वाला वृत्ताकार नृत्य । ३ गणगौर के के अवसर पर वेश्यमों द्वारा नृत्य के साथ गाया जाने बाला लोक गीत (बीकानेर) ४ बावल की तीलियों
द्वारा गाया जाने वाला अन्य लोकगीत । ५ देखो 'लोर' । लख पु० शिग्न, मुत्रेन्द्रिय
लूली- देखो 'लूलो' (स्त्री० ) । लूलू - वि० ० मूख, बेवकूफ ।
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ले-पु० १ दान । २ वार
३ पुत्र सुत । ४ राम। ५ दक्षता ।
·
६ वस्तु । ७ मलिनता । ८ ढंग तरीका । ९ मेल, मित्रता । प्रव्य० तक, पर्यन्त 1
लेणी (बौ) - देखो 'लेणी' (बो) ।
लेह (ई) - स्वी० कागज बादि चिपकाने के लिये घाटे मेदे को पानी में घोलकर पकाया हुधा भवलेह या पदार्थं । लेकस देखो 'लेख' ।
लेखंगी - वि० लिखने वाला । लेखक I
लेखि
लेख पु० [सं०] १ लिखे हुए अवसरों का समूह २ लिखावट ३ पत्र, चिट्ठी । ४ निबंध, रचना । ५ कुशल समाचार । ६ हाथ से लिखी इबारत । ७ लिपिबद्ध किये हुए विचार । ८ देव, देवता । ९ प्रारब्ध, भाग्य १० भाग्य में लिखा शुभाशुभ फल ११ प्रतिज्ञा पत्र । १२ परस्पर लिखा इकरारनामा । १३ लिख कर दिया गया अधिकार | १४ पाप, कुकर्म ।
लेख - पु० हिसाब | लेव-देवो'यो ।
लेखक - पु० १ लेखन कार्य करने वाला व्यक्ति । २किसी लेख रचना प्रादि का रचयिता साहित्यकार ४ मुंशी
मादि कार्यकर्त्ता ।
लेख
- पु० १ लिखना क्रिया या भाव। २ लिखावट । ३ समझने या जानने की क्रिया । ४ लेखा-जोखा, हिसाब-किताब । ५ वमन, के । ६ खांसी रोग । ७ बहत्तर कलानों में से एक ८ देखो 'लेख रिण' ।
लेखरि ( णी) - स्त्री० १ लिखने की वस्तु, कलम, लेखनी । २ लिखावट ।
लेख
(बी) कि० १ बिना २ लिखकर भेजना ३ समझना लक्ष्य करना । ४ सोचना, विचारना । ५ मानना, स्वीकार करना । ६ देखना । ७ हिसाब लगाना, गिनती करना । लेखप्रपाळी- स्त्री० लिखने की शैली, ढंग, तरीका । लेखखिम पु० [सं०] इन्द्र, सुरपति
(बी) देखो 'खो' (बी)। लेखवळि - क्रि० वि० भाग्यवश, संयोग से । लेखवि स्त्री० १ लक्ष्मी । २ पुष्प, सुमन । लेखसाळ स्त्री० [सं० लेखशाला ] पाठशाला । लेखन कक्ष । लेखांतर १० [सं०] भाग्य, प्रारम्भ ।
बही ।
लेखारियम-देखो 'रियम'
लेखि- देखो 'लेख'।
लूलौ पु० शिश्न, मूत्रेन्द्रिय - वि० (स्त्री० लूली ) १ जिसके हाथ पांव कटे हों। २ कार्य करने में असमर्थं । लूबलो ( बो)- क्रि० 6० १ पोंछना, साफ करना । २ पेड़-पौधों के पत्ते व फल खींच कर ऐसे तोड़ना कि पीछे डंठल र जाय । सूत लेना । ३ कुत्तों का जोर से भौंकना । लूबर - देखो 'लूर' |
स-स्त्री० [सार, तस्व
लूसणी (बौ) - क्रि० १ लूटना । ३ छीना-झपटी करना ।
लूसाली (बो) क्रि० १ लुटाना लुटवाना ३ छीना-झपटी
करवाना ।
लेखापाले वि० [१] पार, घर देखो 'लेखपासो'।
लूणी (बौ) - क्रि० १ बाल नोंचना, उखेड़ना । २ देखो लेखाफाड़, लेखाबही - स्त्री० लेन-देन का हिसाब रखने की चौपड़ी 'लूवणी' (बो) ।
हर-देखो 'तुर'
ग- ० एकाकी व्यक्ति, बिना दीवी-बच्चों वाला व्यक्ति
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लेखिणि
( ५४२ )
लेखिणि (णी)-देखो 'लेखणी' ।
लेमटो-पु. बाजरी या ज्वार का दलिया। लेखिराति (ती)-पु०सं० लेख्यराति] कुत्ता, श्वान । लेरियो-पु० विभिन्न रंगों की धारियों वाला मोढने का वस्त्र,साफा। लेखू-देखो 'लेखो'।
लेलरी, लेलरी-स्त्री० १ दीवार या पत्थर पर लगने वाला लेखे, लेख-अव्य१ किसी के नाम। २ किसी के निमित्त । | रोग, कीटाणु । २ एक प्रकार की चिड़िया ।।
३ किसी के खाते में। ४ हिसाब में, गिनती में। ५ अनुसार। लेलरू-पु. एक प्रकार का घास । ६ काम में, उपयोग में।
| लेलहान, लेलिह, लेलिहान-पु० सर्प, सांप । लेखपासो-पु० बही का दाहिना भाग, नाम, खर्च या बकाया लेळो-वि० १ जिसके लार टपकती हो । २ भोला । लिखने वाला भाग।
लेव-पु. [सं० लेप] १ लप, लेपन । २ स्पर्श, प्रसर । लेखो-पु. १ हिसाब-किताब, पाय-व्यय विवरण। २ खाता।। । ३ पपड़ी।
३ गणना, हिसाब । ४ गिनती, गणना। ५ व्यवहार । | लेबड़, लेबड़ी-पु० चूने, रंग प्रादि की पपड़ी। ६ समता, बराबरी।।
लेबरणो (बो)-देखो 'लेणी' (बी)। लेडो-पु. ऊंट का पतला मल ।
लेबाड़, लेवाड़ी, लेवाळ-वि० १ लेने वाला। २ खरीददार, लेचि (छी)-देखो 'लची'।
ग्राहक। 'लेजम-स्त्री० फा० एक प्रकार का धनष। २ प्रनष | लेवी-स्त्री० सरकार द्वारा किसानों से की जाने वाली अनाज चलाने के प्रयास हेतु बनी लचकदार कमान ।
वसूली। लेट-स्त्री०१ लेटने की क्रिया या भाव, सोना।२ विलंब, देरी । लेवी-पु. ऊनी वस्त्रों में लगने वाला कीड़ा विशेष । लेटणो (बो)-क्रि० [सं० लेटनम्] १ सोना, सोजाना। २ जमीन | लेस-वि० [सं० ले श] १ प्रत्यल्प, घोड़ा, किंचित । २ सूक्ष्म । पर लौंबा पड़ जाना। ३ नींद में सो जाना। ४ पाराम
३ रंच मात्र । ४ तनिक । ५ प्रणुमात्र ।-पु०१ एक अलंकार करना।
विशेष । २ देखो 'लस' । लेटाणो (बो), लेटावरणौ (बी)-क्रि० १ सुलाना, सोने के लिये
लेसाळ, लेसाळा-देखो 'नेसाळ' । प्रेरित करना । २ लबा पटकना । ३ माराम कराना ।
लेसाळियो, लेसाळीयउ-देखो 'नेसाळियौ' । लेठी-पु. कमी।
लेस्या-स्त्री० जीव की प्रात्मा की, कर्मों से संबंध की एक लेड-पु० माभूषण विशेष ।
अवस्था । लेलेडो-वि० (स्त्री० लेडी) १ मूर्ख, बेवकूफ। २ कायर, डरपोक।
. लेहंगा-देखो 'लहंगो'। लेण-देण-देखो 'लेन-देन'।
लेह, लेहण-पु० [सं० ले ह्य] १ भोजन, पाहार । २ पानन्द,
मजा। ३ चाटकर खाने की वस्तु। ४ चटनी, चाट, लेणरित-पु० भिखारी, याचक ।
प्रवलेह । ५ ग्रहण का एक भेद । लेबहार-वि० लेने वाला।
लेहणी-देखो 'लेणी'। लेणी (बो)-देखो 'लेणी' (बो)।
लेहणी (बो)-कि० [सं० लेह] १ चाटना । २ स्वाद लेना । लेन-देन-पु. १ लेने-देने की क्रिया। २ गिरवी का धंधा।
३ चखना। ३ व्यापार ।
लेहल्ल-वि० पकड़ रखने वाला। लेप-पु० [सं०] १ दीवार या किसी वस्तु पर पोतने का गाढा
लेहासमा-स्त्री. लेखक सभा, लेखक मंडली। पदार्थ, लपन । २ लेपन या पुताई की क्रिया । ३ उबटन, लेह्य-वि० चाटने योग्य। मालिश। ४ उबटन का पदार्थ ।
लैंगिक-पु० [सं०] लिंग द्वारा प्राप्त ज्ञान या अनुमान ।-वि. लेपक-वि० लेप करने वाला।
१ लिंग संबंधी, लिंग का । २ चिह्न संबन्धी । लेपकरम (म्म)-पू०१ लेपन का कार्य । २ स्त्रियों की चौसठ ३ प्रनमानित । कलामों में से एक।
लैंगो-देखो 'लहंगों'। लेपणी (बी)-क्रि० [सं० लेपनम्] १ पोतना, पुताई करना। लैंसर-पु० [अं०] फोजी रिसाले का एक भेद । २ उबटन करना, मालिश करना। ३ कोई लेप बढाना।।
ल-पु. १ राम । २ प्रलय। ३ उमा। ४ रमा । लक्ष्मी । लेपन-स्त्री. चौसठ कलामों में से एक, लेप ।
५ करुणा, दया । ६ अवसर, मौका । ७ ध्यान, लगन । लेबो-वि. ढीला, थूकने की अवस्था जैसा, तीखा। लंबा ।
८वश, अधिकार।
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संहार
लेकार - स्त्री० १ लयपूर्ण ध्वनि । २ मधुर ध्वनि । पु० लों-देखो 'लौं' | [सं० लय-कार) २ विनाश, संहार
'को-देखो 'लकी' ।
संव-देखो 'लेख' ।
लेचाळ स्त्री० १ तलहटी । ३ डिंगल का एक छंद ( गीत ) । लंची स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी
जो-देखो 'लो' ।
लेखदार - वि०
लेण - स्त्री० १ तुरंत की ब्याई हुई गाय । २ मृत्युभोज के साथ सगे संबंधियों को दिया जाने वाला लोटा, बर्तन आदि । - वि० बेचारी ।
० ऋण वाला ।
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( १४३ )
गो-दंगो पु० १ तालुक, मतलब संबंध २ लेन-देन । संग-दंग-देखो ''न-देन'
संगार, लेखियार वि० लेने वाला।
लैगियो, लखौ - पु० १ लाभ, फायदा । २ कर्ज, ऋरण । ३ हित,
मलाई
लेगो (बौ) - क्रि० १ ल ेना, प्राप्त करना । पाना । २ खरीदना, मोल ल ेना । ३ हस्तगत करना, ग्रहण करना । ४ कहीं ले जाने के लिये साथ रखना । ५ अधिकार या कब्जे में करना । ६ सेवन करना, खाना । ७ पहुंचना करना । ९ पूछना, राय मांगना ।
उपयोग
लेरवार - देखो 'लहरदार' ।
- देखो 'तारे'
राणो (बो) - देखो 'लहराणी' (बो) ।
लैम-पु० थोड़ा समय, पल, किंचित समय । संरक्रि० वि० १ करते हुए २ पीछे ३ देखो 'बहर' । लरको, लेण्ड़ो-देखो 'लहर' ।
लेरिया - देखो 'लारै' ।
संरियो-देखो 'सहरियो ।
ले' रौ- देखो 'लहर', 'लहरियो' । देखो 'ना'।
- देखो 'लहरियो' ।
लोइयो - पु० कच्चा तरबूज, मतीरा ।
देश-देखो 'लेन-देन।
बाकी हो । २ मांगने वाला । ३ लेने वाला ।
लगायत लेखायती - वि० १ ऋणदाता । जिसका ऋण देना लोई - स्त्री० १ गंदे हुए घाटे की लंबी बेल, लोथ । २ स्त्रियों के प्रोढने का ऊनी वस्त्र विशेष । ३ प्रसव के बाद जच्चाबच्चा के की जाने वाली मालिश । ४ संत कबीर की पत्नी का नाम । ५ देखो 'बोबी' । ६ देखो 'बोही' | ७ देखी 'लोक'।
लहाणी (बी) - देखो 'लहलहाणी' (बो) । लेली स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया । लैस पु० १ लंबी नोक वाला एक बाग विशेष । २ भाला । ३ कपड़ों पर लगाने का बेल बूटेदार फीता । वि० पूर्ण सुसज्जित एवं तैयार ।
लोक-स्त्री० १ लचक । २ देखो 'लांक' । लोंगी- देखो 'लू'गी' | लॉबी-देखो 'सू'दी'।
लो पु० [१] मोह२प्रीति ४ मिला। लो' - देखो 'लोह' । लोथड़ी-देखो 'बोबी'।
लोधरण, लोधखडो-देखो 'लोचन' ।
लोइ-१ देखो 'लोक' । २ देखो 'लोई' । लोइरण- देखो 'लोचन' |
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लो-देखो 'लोहीभाण' ।
लोईयाळ-वि० रक्त से भरा हुमा, रक्तपूर्णं । लोकंजन पु० एक प्रकार का कल्पित अंजन ।
लोकलाज
लोक, लोकड़ौ पु० १ संसार, जगत । २ समाज । ३ मनुष्य, व्यक्ति । ४ प्रजा, जनता । ५ सेना, फौज । ६ वह स्थान जिसका बोध देखने से होता है । ७ मृत्युलोक, नागलोक प्रादि स्थान ८ पुराणानुसार जीव के मरणोपरान्त जाने का स्थान । ९ नागरिक । १० परिजन, परिग्रह । ११ दल, समूह | साथ । १२ कृषक, किसान। १३ पति, स्वामी । १४ बतख की तरह एक पक्षी विशेष । १५ सात व चौदह की संख्याई पु० ब्रह्मा धारणी, धारिणी स्त्री० पृथ्वी भूमि । नाथ पु० ईश्वर, राजा नृप। पत पता, पति, पती- पु० ब्रह्मा । ईश्वर, प्रभु नृप, राजा । पाळ, पाल पु० राजा नृप। ईश्वर, प्रभु ब्रह्मा । — बंधु, बंधू - पु० सूर्य, भानु शिव, महादेव । - बळ - पु० जन शक्ति । माता स्त्री० जगत्जननी, लक्ष्मी ।
-
पितामह - पु०
लोकचख पु० [सं० लोक -चक्षु] सूर्य, भानु । लोकधुन, लोकधुनि-स्त्री० जनश्रुति । धफवाह, जनरव । लोकनीत (नीति) - स्त्री० [सं० लोकनीति ] पुरुषों की ७२ कलाधों में से एक ।
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लोकलाज-स्त्री० लोक या समाज के प्रति लज्जा या सम्मान अथवा शिष्टता का भाव ।
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लोकलीक
( ५४४ )
लोटारगी
लोकलीक-स्त्री० लोक मर्यादा ।
लोड़वडाई-स्त्री० छोटे-बड़े का मन्तर । लोकवी-वि• लुप्त ।
लोड़ाऊ-वि० लुटाने वाला, उड़ाने वाला, खर्चने वाला। लोकव्यवहार-पु० १ लोगों का परस्पर शिष्ट व्यवहार, लौकिक लोड़ियो, लोड़ो-देखो 'लघु' । रीति । २ स्त्रियों की ६४ कलाओं में से एक ।
लोच-स्त्री० [सं०] १ लचक या लचीनेपन का गुण, अवस्था । लोकस-पु. एक प्रकार का वृक्ष ।
२ नरमी, कोमलता। ३ अभिलाषा, इच्छा । ४ सार; लोकांतर-पु० [सं०] मरणोपरांत मिलने वाला परलोक ।
तत्त्व । ५ गूदे हुए घाटे का एक गुण । ६ चाहे जैसे ऐंठने लोका-देखो 'लांकी'।
मरोड़ने पर न टूटने का गुण । ७ प्रांसू । लोकाई-स्त्री० प्रजा, जन-समूह ।
लोचक-पु० [सं०] १ मूर्ख व्यक्ति । २ प्रांख की पुतली लोकाचार (6)-पु० [सं०] १ समाज के प्राचार-व्यवहार ।
३ काजल, अंजन। २ मेल-जोल व शिष्ट व्यवहार । ३ मृतक के दाह संस्कार
| लोचण-देखो 'लोचन'। प्रादि की क्रिया । ४ पुरुषों की ७२ कलानों में से एक।
लोचरिणयो-पु०१ नाश्ता । २ लोचन । लोकाचारियो-वि० १ समाज के लोकिक व्यवहार का पालन
लोणी (बौ)-क्रि० १ सोचना, विचारना, कल्पना करना । करने वाला । २ दाह संस्कार में सम्मिलित होने वाला।
२ पक्षपात करना । ३ कोशिश करना, प्रयत्न करना । लोकाट-पु. एक प्रकार का पौधा ।
४ लचकाना, लचक पैदा करना । लोकाधिप, लोकाधिपति (ती)-पु. [स०] १ ईश्वर, परमात्मा। २ ईश्वर, प्रभु।
लोचन (न्न)-स्त्री० [सं०] १ प्रांख, नेत्र । २ दृष्टि, देखना लोकाध्यक्ष-पु० [सं०] १ ईश्वर । २ ऐसे किसी पद का
क्रिया । ३ खिड़की। अधिकारी।
लोचपलोच-पु० १ प्रावेष्टन करने या घेरने की क्रिया । २ पोतलोकाय, लोकायक-पु. १ संसार, जगत । २ प्रजा, जगत |
। प्रोब होने की अवस्था । के लोग।
लोचालाची-पु. १ अधिक खाने का प्रयास । २ शीघ्र पूरा लोकायत-पु० [सं०] १ समाज । २ भारतीय दर्शन में एक करने का यत्न ।
प्राचीन भूतवादी नास्तिक सम्प्रदाय । ३ चार्वाक दर्शन। लोचून-पु० [सं० लोह-चूर्ण] लोहे का चूर्ण, बुरादा। ४ दुर्मिल छद का एक नाम ।
लोट-स्त्री० १ लोटना क्रिया । २ कागजी मुद्रा।३ लट । लोकालाज-स्त्री. १ परिवार-समाज प्रादि के प्रति होने वाली
| ४ लुटना क्रिया । ५ वापसी । ___शर्म, शंका । २ लोक निदा का भय ।
लोटड़ी-स्त्री० मिट्टी का जलपात्र विशेष । लोकालोक-पु.१ संसार, जगत । २ एक प्राचीन पर्वत । लोटण-वि० लोटने वाला, लोट-पोट होने वाला ।-पु. १ लकी लोकीक-देखो 'लौकिक' ।
कबूतर । २ लोटना क्रिया। ३ वापसी। लोकेस, लोकेसवर, लोकेस्वर-पु० [सं० लोक-ईश, लोक-ईश्वर]
लोटणकरवो, लोटणकरियो-पू० एक लोक गीत विशेष । १ ब्रह्मा । २ राजा, नृप । ३ इन्द्र ।
लोटणी (बी)-क्रि० [स० लुट] १ सोते हुए इधर-उधर लोकसणा-स्त्री० [सं० लोक-एषणा] १ संसार में यश एवं
लुढकना । लुटना । २ शयन करना, सोना। ३ विधाम प्रतिष्ठा की कामना । २ स्वर्ग के सुख की कामना ।
करना । ४ खुशामद करना । ५ वापस पाना । लोकोकत,लोकोकती,लोकोक्ति, लोकोक्ती-स्त्री० [सं०लोक-उक्ति] |
लोटपोट-वि० प्रस्त-व्यस्त, विपर्यस्त ।-स्त्री० १ लुढ़कने की १ कहावत, जनश्रुति । २ एक अलकार विशेष ।
क्रिया, अवस्था या भाव । २ कुलाच खाने की क्रिया । लोकोत्तर-वि० [सं०] अलौकिक, विलक्षण ।
३ मस्त, उन्मत्त । ४ धुत, बेहोश, मूच्छित । ५ नष्ट । लोको-देखो 'लोक'।
ध्वस्त। लोग, लोगडो-पु. (स्त्री० लुगाई) १ प्रादमी। २ अपरिचित पुरुष । ३ पराया व्यक्ति । ४ समाज । ५ देखो 'लोक'।
लोटमाळी-स्त्री० कच्ची दीवार पर लगाया हुमा घास-फूस लोगाइ (ई)-देखो 'लुगाई'।
प्रादि का छप्पर । छाजन । लोड-स्त्री० १ बलात्कार । २ लूट । ३ लघूता। ४ इच्छा। लोटाणी (बो), लोटावरणौ (बो)-क्रि० १ सोते हुए या पड़े लोड़ो (बी)-क्रि० १ लूटना, खोसना । २ हड़पना, छीनना,
हुए लुढ़काना, घुड़काना, लुटाना । २ वापस भेजना, झपटना । ३ प्राप्त करना, लेना, पाना। ४ स्पर्श करना,
वापस देना । ३ सयन कराना । ४ विधाम कराना छना । ५ मस्ती में झूमना । ६ उमंगित होना । ७ जोड़ना।।
५ धराशायी करना, गिराना । ६ खुशामद कराना।
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लौटियो
( ५४५ )
लोभीडो
लोटियो-पु०१ मिट्टी का कुल्हड़ । २ देखो 'लोटों'।
५ मिटने की अवस्था । ६ व्याकरण में शब्द के साधन में लोटी, लोटीका-स्त्री० पीतल आदि धातु का छोटा लौटा, जल कोई वर्ण उड़ने या हटने की अवस्था । ७ लंघन । पात्र।
लोपणो (बी)-क्रि० [सं० लोपनं १ उल्लंघन करना । २ पार लोटीगरण-देखो 'लोटण'।
करना, लांघना । ३ जब्त करना । ४ क्षय करना, नाश लोटो, लोठी-पु० पीतल, तांबा, चांदी पादि धातु का जल पात्र, करना । ५ लुप्त या गायब करना । ६ साफ करना, लौटा, लुटिया।
मिटाना । ७ अन्तर्ध्यान करना । लोडरण-पु० 'कुळी' नामक कृषि उपकरण का लकड़ी मोटा | लोपन-पु० १ लुप्त करना या लोपना क्रिया । २ नाश, क्षय । तख्ता ।
३ लघन, उल्लघन । ४ अवहेलना, उपेक्षा । ५ मिटाना लोडणी (बो)-क्रि० १ साफ रूई की पूनियां बनाना । २ कपास |
क्रिया। ६ अन्तर्ध्यान । से रूई छांटना । ३ पत्थर पर मसाला पीसना। ४ मस्ती | लोपा-स्त्री० प्रयाग में एक देवी। में झूमना । ५ देखो 'लोड़णों' (बी)।
लोपारणी (बी)-क्रि० १ उल्लंघन कराना। २ पार कराना। लोडाउ, लोडाऊ-देखो 'लोड़ाऊ' ।
३ जब्त कराना । ४ क्षय कराना, नाश कराना । ५ लुप्त लोडी-१ देखो 'लघु'। २ देखो 'लोढी'।
या गायब कराना । ६ साफ कराना, मिटवाना । ७ अन्तलोढ-पु० १ झुण्ड, समूह । २ वजन, भार । ३ तरंग । ४ लोक ध्यान कराना। वाहन।
लोपामुद्रा-स्त्री० अगस्त्य ऋषि की पत्नी का नाम । लोढणो (बी)-देखो 'लोडणी' (बौ)।
लोपावणो (बो)-देखो 'लोपणो' (बी)। लोढियो-१ देखो 'लघु' । २ देखो 'लोढौं'।
लोफर-पु० [अ०] अवारा व्यक्ति ।-वि० १ धूर्त, कपटी । लोढी-स्त्री० १ चूड़ा उतारने लायक हाथी दांत का भाग । २ व्यभिचारी लपट । ३ बातूनी। ४ पवारा। ५ उचक्का । २ देखो 'लोढी'।
-पण, पणी-पु. पवारापन, धूर्तता, व्यभिचार । लोढी-पु० १ शिल-बट्टा । शिला पर मसाले पीसने का पत्थर । लम्पटता। २ मस्ती में झूमने की क्रिया।
लोबान-पु० [फा०] धूप करने के काम का एक प्रकार का गोंद, लोणी-स्त्रो० हरी सब्जी विशेष ।
गध द्रव्य । लोतर-पु० गुण, चतुराई । ज्ञान ।
लोबाणी (बो)-देखो 'लुभारणो' (बो)। लोतमाळ-पु० जंजाळ-चक्र ।
लोबियाकज-पु. एक प्रकार का गहरा रंग । लोथ, लोथड़ी, लोथड़ो-स्त्री० १ शरीर, तन, देह । २ निष्प्राण | लोबी-देखो 'लोभी'।
शरीर, शव, लाश । ३ किसी गीली वस्तु का लौंदा। | लोम-पू०१ लालच, लिप्सा । २ कृपणता, कंजूसी । ३ इच्छा, ४ गूदा हुमा पाटा । ५ ऐसे पाटे के बड़े-बड़े पिंड ।
चाह। लालसा । ४ ब्रह्मा का एक मानस पुत्र ।-वि. लोथबत्य-देखो 'लथवथ' ।
काला, श्याम । लोथि-देखो 'लोथ'।
लोभणी (बो)-कि० १ लोभ करना, लालच करना। २ कृपणता लोदंग-पु. शिव, महादेव ।
या कंजूसी करना । ३ इच्छा या प्रभिलाषा करना, लोव-देखो 'लोध', 'लोदी'।
चाहना । ४ देखो 'लुभारणो' (बी)। लोदरवी-पु० जैसलमेर राज्य का एक प्राचीन नगर । | लोभाऊ-देखो 'लोभी'। लोवी-स्त्री०१ मुसलमान पठानों की एक जाति । २ कपड़े | लोभारणी (चौ)-देखो 'लुभाणो' (बी)। की गठरी।
लोभाळ, लोभियो-देखो 'लोभी' । लोध-स्त्री० [सं० लोध्र] १ एक वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष की | लाभी-वि० [सं० लोभ-इन] (स्त्री० लोभण, लोमणी) १ किमी छाल जो प्रोषध में काम पाती है।
वस्तु को पाने की उत्कट इच्छा करने वाला।२ कामना, लोधा-स्त्री० एक राजपूत जाति ।
अभिलाषा करने वाला। ३ लालच या लोभ करने वाला, लोधी-देखो 'लोदी'।
लालची । ४ कृपण, कजूस । ५ याचक, भिखारी । लोधेस्वर-पु० [सं० लोधेश्वर] एक तीर्थ का नाम ।
६ प्रिय, प्यार:: लोप-पु०१ क्षय, नाश । २ लुप्त या गायब होने की अवस्था । | लोमोगुण-पु. कवि ।
३ व्यतीत होना, बीतना क्रिया । ४ प्रभाव, कमी। लोभीड़ो-देखो लोभी' ।
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लोम
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( ५४६ )
सोम पु० रोम, रोमावली शें
सोळावर स्त्री० मुड़ने या शुकने की क्रिया या गुण।
लोमकरणी - स्त्री० हिमालय में पाई जाने वाली एक सुगंधित लोळावणी (बौ) - देखो 'लोळाणी' (बो) । वनस्पती की जड़ । जटामासी । लोलासन पु० एक प्रकार का योगासन | सोली- स्त्री० मस्ती में सिर हिलाने की क्रिया । लोलु-वि० रस लोलुप ।
लोमड़ी स्त्री० कुत्ते की तरह का एक छोटा जंगली पशु । लोमविलोम पु० साहित्य में एक शब्दाल' कार विशेष । लोभस, लोमसरिख - पु० [सं० लोमश ऋषि ] पुराण प्रसिद्ध एक महर्षि ।
लोयल- देखो 'लोचरण' ।
लोलकमल पु० [सं० सोचनकमल] विष्णु
देखो'
लोनिलोयन देखो 'लोचन' |
लोमहरसण - पु० [सं० लोम-हर्षन] १ सूत कुलोत्पन्न एक मुनि । २ एक प्रकार की खुशी ।
लोय - स्त्री० [सं० लोक] १ स्त्री, प्रोरत । २ पत्नी । ३ लक्ष्मी । ४ लोकगीतों में एक संबोधन । ५ देखो 'लोक' | ६ देखो 'लो' ।
सोपी पु० घाटे का सौदा
लोर-पु० १ वर्षा की झड़ी। २ वर्षा की लहर । ३ टेर, रट, तेज ध्वनि समूह, मुण्ड ५ तरंग लहर ६ वृक्षों की
1
कतार ।
लोरियो पु० चुम्बक का टुकड़ा विशेष ।
लोरी स्त्री० [सं० लोल] बच्चे को सुलाने के लिये गाया जाने वाला गीत ।
लोळणी (बी) - क्रि० १ मिट्टो, कीचड़ आदि से लथपथ करना, सनाना । २ मोड़ना, मुड़ाना । बल देना । ३ ऐंठन देना ।
४ लिप्त करना, लिपटाना । ५ पकड़ना, उलझाना । लोलणी (बौ) - क्रि० १ तड़फना, पड़ना, लोट-पोट होना । २ देखो 'लोगो' (बी)।
लोळमी (ब)- वि० मुमने वाली मुड़ने योग्य
लोसा स्त्री० विलु, जीव
लोळाणी (बौ) - क्रि० १ मिट्टी, कीचड़ प्रादि से लथपथ कराना, सनाना । २ मुड़वाना । बल दिराना। ३ ऐंठन दिराना ४ लिप्त कराना, लिफ्टवाना । ५ पकड़वाना, उलभवाना। सोलापो (बी) क्रि० तड़फाना, लोट-पोट कराना ।
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पिंड ।
लोलुप - वि० लालची, लोभी, लालायित । लोळी- पु० १ बाण, शर। २ बुत्ता, झांसा । ३ मांस, लोलो- पु० १ पुरुषेन्द्रिय, शिश्न । स्त्री० २ योनि, भग। - वि० १ मूर्ख, प्रज्ञानी । २ भोला-भाला, सीधा-सादा । लोल्या स्त्री० वासना, इच्छा। लो-देखो 'लोह'।
लोवड़ - देखो 'लोई' | 'लोवड़ी' ।
लोळी) सोडियाळ (की) स्त्री० [देवी, दुर्गा, शक्ति लोवड़ी (डी) - स्त्री० १ देवी २ एक प्रकार का ऊनी वस्त्र ।
३ लूकार ।
लोवळवाळी- वि० 'लोवड़ी प्रोढ़ने वाली ।
लोयां पु० एक जाति विशेष का मुसलमान सोवा स्त्री० लोमड़ी।
लोहतम
लोसक - पु० ताना, व्यंग । लो' सार देखो 'लोहसार।
लोह - पु० [सं०] १ लोह नामक प्रसिद्ध धातु । २ शस्त्र प्रहार । ३ शस्त्र, हथियार । ४ तलवार ५ लगाम, वल्गा । - वि० १ शक्त, कठोर । २ काला, श्याम ।
लोळ-स्त्री० १ कान का निचला भाग । २ अग्नि की लपट । ३ झुण्ड समूह । ४ पतंग में धनुषाकार लगने वाली सीक
।
लो-देखो 'लो'।
"
लोहकरम्म पु० १ पुरुषों की बहत्तर कलाओं में से एक । २ लोहे
५ एक प्रकार का कर्णाभूषण । ६ एक प्रस्त्र विशेष । ७ वीरघंट के बीच लटकने वाला गुटका ८ ऐंठन । - वि० चचल, चपल ।
का काम ।
लोहकार - देखो लुहार' ।
लोल - वि० १ परिवर्तनशील । २ क्षणिक ३ मूर्ख, बेवकूफ । लोहड़, लोहड़ड- देखो 'लघु' | 'लोह' ।
- पु० किलोल, कल्लोल ।
लोहप्रमिसार - पु० १ दशहरे के दिन तलवार का पूजन । २ एक सामरिक रीति ।
लोहटिया स्त्री० एक जाति विशेष । लोहड- देखो 'लोह' ।
लोहड़ियाळ, लोहड़ियाळी- देखो 'लोवड़ियाळ' । लोहड़ी-देखो 'लोवड़ी' । लोहड़ी-देखो 'लोह' | 'लघु' ।
,
लोहरद्दक (छमक छाक ) वि० शस्त्र प्रहारों से पायल विक्षत ।
o
सोडियाळ वि० शस्त्रों से सुसज्जित । लोहडी देखो 'लोह' / 'लघु' ।
लोहण - देखो 'लोही', 'लघु', 'लोह' । लोहगो (बी) - क्रि० पोंछना ।
लोहतम - पु० [सं० लोह + उत्तम] सोना, स्वणं ।
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क्षत
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लोहतरंग
लोहतरंग - पु० लोहे का एक वाद्य विशेष । लोहतोड़ी-५० ऊंट
लोहधात स्त्री० तलवार ।
लोहबद्ध पु० हथियार विशेष
लोहमोगळ ( भोगल ) - पु० लोहे की धगंला । लोहमइआंगी - पु० कवच विशेष ।
लोहमराह देवो 'लोहमराट' ।
लोहमिपोलि - पु० लोहे के दरवाजे वाली पोल | लोहमिवाड़- वि० शस्त्रों से सुसज्जित ।
लोहमे लोहमे वि० [सं० लोहमय] लोहे का, लोह निर्मित लोहर पु० एक देश का नाम ।
"
लोहलंगर - पु० जहाज का लंगर - वि० दृढ़, मजबूत । लोहलटप पु० लोहे का टोप माथे का कवच
लोहसार-स्त्री० १ तलवार । २ लोह भस्म ।
लोहांग - देखो 'लोहाण' ।
लोहांबोह - पु० शस्त्र प्रहार ।
लोहाकार - देखो 'लुहार' ।
लोहागर पु० लोहे की बान
लोहागिरि स्त्री० [साव सम्प्रदाय की एक शाखा लोहायळ - पु० नाथ सम्प्रदाय का संन्यासी । लोहार-देखो 'लुहार' |
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लोहितक - पु० [सं०] १ लालमणि । २ मंगल ग्रह । लोहितचंदन पु० १ केसर २साल चंदन।
( ५४७ )
लोहाळ-पुत्र प्रहार
लोहित - पु० [सं०] १ रंगशाल, रंगशाला । २ शिव का त्रिशूल । [सं०] लोहित] ३ रक्त, खून । ४ मंगलग्रह । ५ सपं विशेष । वि० १ रक्त रंजित । २ लाल रंग का ।
एक ग्रड् ।
मोहित देवो 'लोहित' ।
-
लोहियो - पु० लोहे का व्यापारी ।
लोही लोहड़ी-पु० रक्त, खून।
लोहीशांण- वि० खून भरने की अवस्था में लहू-लुहान ।
लोहू - देखो 'लोही' |
1
लौं- प्रव्य० तक, पर्यन्त । लौंग - देखो 'लवंग' ।
लौठौ-देखो 'लांठो' ।
लौंड- देखो 'लौंडो' ।
लोहल (लठ्ठ, लाठ, लाठियांणी ) - पु० शेर सिंह - वि० दृढ़, लौंग-देखो लवण' ।
,
मजबूत ।
लोहवात पु० एक प्रकार का वात रोग ।
लोहसंकु पु० [सं०] लोशंकु] १ पुराणानुसार एक नरक
२ लोह का कांटा ।
लडबाजी देखी 'बाजी'।
सोडी-स्त्री० दासी सेविका।
लौंडावण (पणी) - पु० १ लड़कपन । २ लौंडेबाजी का काम । लीडाबाज-देखो 'लौरेबाज' |
लौंडेबाज ० १ लड़कों के साथ गुदा मैथुन करने/कराने वाला व्यक्ति । २ नव युवकों को फंसाने वाली स्त्री ।
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लौंडेबाजी - स्त्री० 'लौंडेबाज' का कार्य ।
लोडी-पू०] [स्त्री० [लोडी, सोडिया) १ लड़का, नवयुवe | २ प्रबोध बालक । ३ गुदा मैथुन करवाने वाला लड़का ।
लौहित
लौंदद-पु० अधिक मास, मलमास ।
लौबी देखो 'दी'
लौ - स्त्री० १दीप शिखा । २ ज्योति । ३ प्राग की लपट, ज्वाला । ४ इच्छा चाह । ५ लगन, चित्तवृत्ति । ६ ध्यान । ७ लय । देखो 'लौं' |
लोकेस देखो 'लोकेस'।
लोणी (बौ) - देखो 'लोडणी' (बो) । सोडी स्वी० १ द्वितीय पत्नी २ छोटी। सौड़ो-देखो 'लघु' ।
लौट - देखो 'लोट' |
लोटस - देखो 'सोरण'।
लौडौ - देखो 'लघु' ।
लौर-देवो 'बोर' ।
लोहितमाळ- पु० शिव, महादेव ।
लोहितांग-पु० [सं०] मंगल ग्रह ।
लौलोण- देखो 'लवलीन' ।
लोहिताक्ष- पु० १ एक प्रकार का रत्न २ जैनमतानुसार लौह देखो 'लोई'।
लौकिक, लोक-स्त्री० [सं० लौकिक] १ परम्परा २ लोक समाज की व्यवस्था, रीति । ३ समाज । ४ लोक दिखावे के लिये किया जाने वाला कार्य । ५ लोक वृत्तान्त । - वि० १ लोक का, समाज का व इससे संबंधित | २ लोक से संबंध व्यवहार करने वाला ।
लौहचारक- पु० एक नरक का नाम ।
लोहमराह वि० [१] [स्त्र चलाने में प्रवीण २०६ मजबूत
लोहसार देखो 'लोसार' |
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लौहाण पु० एक राजपूत वंश
लोहित, लोहित्य- पु० १ ब्रह्मपुत्र नदी का नाम । २ एक पर्वत
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लोहोडी
। ५४८ )
वंच, वच
का नाम । ३ बरमा की सीमा पर स्थित एक प्रदेश । ल्हसण-देखो 'लसण' । ४ लाल सागर का पुराना नाम ।
ल्हास-स्त्री. १ गोष्ठी की तरह किया जाने वाला फसल की लोहोडौ-देखो 'लघु'।
कटाई का कार्य । २ देखो 'लास' । ल्याकत-देखो "लियाकत'।
ल्हासक-वि० [सं० लासक] १ खिलाड़ी, क्रीड़ाप्रिय । २ इधरल्याणी (बी)-देखो 'लाणो' (बी)।
उधर हिलने वाला। ल्याळ-देखो 'लाळ'।
ल्हासणी (बो)-क्रि० भागना, दौड़ना। ल्याळी-पु० भेड़िया ।
ल्हासियो-वि० 'ल्हास' में काम करने वाला। ल्यावणी (बौ)-देखो 'लारणो' (बी)।
ल्हेस-देखो 'लस'। ल्यो-देखो 'लो'।
ल्हैसबौ-देखो 'लसोड़ो'। पक-पु० [सं० लपक] ४१ वां क्षेत्रपाल ।
ल्होड़-स्त्री० [सं० लघु] १ लघुता, छोटापन । २ छोटी प्रपतकेस-पु० [सं० लपतकेस] ४२ वा क्षेत्रपाल ।
पत्नी, द्वितीय पत्नी। ल्हसकर-देखो 'लसकर'।
ल्होड़ती-वि० छोटी वाली। ल्हसकरियो-देखो 'लसकरियो' ।
ल्होड़ियो, ल्होड़ो, ल्होड्यौ-देखो 'लघु' ।
[व]
ब, ब-देवनागरी वर्णमाला का उन्नीसवां व्यंजन वर्ण । अवसर, मौका । ९ चंद्रवंशी राजा। १० कपास ।
राजस्थानी में इसका उच्चारण भेद अंग्रेजी के W के ११ बैंगन । १२ देखो 'बंग' । समान भी मिलता है जो 'ब' तथा 'म' के बीच की वंगर-वि० एकाकी, अकेला । ध्वनि होती है।
वंगस, बंगसी, वंगस्स-देखो 'बंगस'। वंक, वक, वंकड़-पु. १ गवं, अभिमान, घमण्ड । २ देखो | वंगा-देखो 'बंगाळ' । ___'बोक' । ३ देखो 'बांको'। ४ देखो 'वक्र' । ५ देखो 'बंक'। बंगार, वगार-देखो बघार' । वंकड़ी, वकड़ी-देखो 'बांकी'।
वंगारणी (बो)-देखो 'बधारणी' (बी)। वंकड़ो, वकड़ो-देखो 'बांकी' (स्त्री० बंकड़ी)
वंगाळ (ल)-देखो 'बंगाळ' । वंकट-देखो 'बंकट'।
वंगाळी (ली)-देखो 'बंगाळो' । बकति-देखो 'वक्र'।
वंगास्टक-पु० [सं० वंगाष्टक] रांगा प्रादि धातुपों के योग से बकनाळ (ळि, ळो)-देखो 'बंकनाळ' ।
बना रसौषध। बंकि, वकि बंको-देखो 'बंक', 'बोको' ।
वंगेसरी-देखो 'वागीस्वरी'। बंकीनाळि (ळी)-देखो 'बंकनाळ' ।
वगेस्वर-पु० [सं० वगेश्वर] एक रसौषध । वंकेण, वकी, वक्रत-देखो 'बांकी', 'वक्र'।
वंगेस्वरी, व गेस्वरी-देखो 'वागीस्वरी'। गग-प० सं०जस्ता या रांगा नामक धात । २ इस वंगोवंग, व गोबंग-क्रि० वि० यथास्थान, उचित जगह । धातु की पोषधि, भस्म । ३ प्रेम, मुहब्बत । ४ अधिकार,
व्यवस्थानुसार। कब्जा । ५ वंश । ६ सीधापन, सरलता। . सुगम कार्य। च, वच-पु० [सं०] १ सूर्य । २ तोता । ३ ठगी, घोखा।
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चक
मंदारणी
बंचक, वचक-वि० [सं०] १ छल, प्रपंच से ठगने वाला, ठग, | वंटणी (बौ), वटणों (बौ)-देखो 'बंटणी' (बी)।
धोखेबाज । २ धूर्त, खल। ३ पढने वाला, पाठक । | वंटाणौ (बी), वंटावणी (बी)-देखो 'बंटाणो' (बी)। ४ सोंधियार, चोर ।
वटीलो, व/टोलो-वि० [सं० वट+मालुच] (स्त्री० वटीली) वंचकता, बचकता-स्त्री० [सं० वंचकता] १ छल, प्रपंच, धोखा, १ हिस्सेदार, भागीदार । २ साझीदार । ३ हक या भाग ठगी । २ चोरी । ३ धूर्तता।
| की अधिकारी। वंचणा-देखो 'वंचना'।
| वठ, वठो,वठ, वठो-वि० [स० वंठ] (स्त्री० वंठी) १ उद्दण्ड । वंचणी, बचणो (बो)-क्रि० [सं० वंचनम्] १ ठगना, धोखा २ अविवाहित, कुपारा। ३ बोना। ४ पंगु, अंगहीन ।
देना । २ चालबाजी करना, बईमानी करना। ३ देखो __-पु० १ अविवाहित व्यक्ति । २ नौकर, सेवक । ३ भाला, 'बांचणौ' (बौ) । ४ देखो 'बचणौ' (बो) ।
बरछा, शूल । वंचत, वचत-१ देखो वंचित' । २ देखो 'वांछित' ।
वठणी (बी) वठणी (बो)-क्रि० पीसना । वंचना, वचस-स्त्री० [सं०] ठगी, धोखा, जाल, फरेब, प्रपंच । | वंडो-वि० [सं० वण्ड] १ सुन्नी, बधिया या प्रास्ता किया वंचाणो (बौ), वंचावणी (बी)-क्रि० १ ठगवाना, धोखा हुमा । २ अंग-भंग, पंगु । ३ अविवाहित ।
दिराना । २ चालबाजी या बेईमानी करवाना। ३ देखो वरणरायो-पु० [सं० वनराजि] वनस्पती। 'बचाणो' (बी)।
वणी-देखो 'वणी'। वचित व चित-वि० [सं०वंचित) १ जो ठगा गया हो,धोखा खा वतळ-स्त्री० [सं० वर्तनम्] १ चित्त का किसी कार्य में लग
गया हो। २ जो कुछ उपलब्धि या प्राप्ति न कर सका हो। जाना, मन बहलाव । २ बातचीत, वार्तालाप। ३ अभीष्ट पाने से रहित । ४ विमुख । ५ हीन
वतळो, वनोळ, वतोल, वंतोळियौ, वतोलियो, वंतोलीयो, वंधक, व छक-वि० (स्त्री. वंछकी) १ चाहने वाला, इच्छा | वळियौ, वधूलो-देखो 'बथूळो' ।
करने वाला । २ कामना करने वाला । ३ देखो 'वंचक'। वद-१ देखो 'वंद्य' । २ देखो 'वंदन'। बंछनी (बो), व्रछणो(बो)-कि० [सं०वांछम्] १ चाहना, इच्छा | वंदगण-पु० १ पत्थर । २ बन्दीजन ।
करना । २ प्राशा, अभिलाषा रखना। ३ जिज्ञासा करना । वदगी देखो 'बंदगी' । ४ प्रेम करना।
वंदण-१ देखो वंदन' । २ देखो 'वंदिण' । बंछत, बंछती, वंछतो, व छत, वछती, वछतो-देखो 'वांछित' । | वंदणा-देखो 'वंदना': वंछना-देखो 'वांछना'।
वंदणी (बी)-क्रि० [सं० वंदनम्] १ नमस्कार, प्रणाम या वंछाणी (बो -कि०१ चाह कराना, इच्छा कराना । २ कामना अभिवादन करना । २ स्तुति या प्रार्थना करना । ३ पूजा या अभिलाषा करवाना ।
करना, अर्चना करना । ४ प्रशंसा करना। वंछासुर-देखो वस्सासुर'।
वंदन-पु० [सं०] १ नमस्कार, प्रणाम, अभिवादन । २ प्रार्थना वंछित, वछित-देखो 'वांछित'।
__ स्तुति । ३ पूजा, अर्चना । वंजण, वजण-पु० [देश॰] १ घास । २ शरीरांग अंग-उपांग । | वंदनमाळ (माळा, वार)-देखो 'बांदरमाळ' ।
३ शरीर की बनावट, शरीर का पहचान चिह्न। ४ देखो | वंदना स्त्री० [सं० वंदन] १ नमस्कार, अभिवादन, प्रणाम । 'व्यंजन'।
२ स्तुति, प्रार्थना । ३ पूजा, अर्चना । वंजणी (बी)-क्रि० [सं० वज्-गति] १ पराजित होना, भागना । | वंदनी-स्त्री० [सं० वन्दनी] १ एक औषधि विशेष । २ गोरोचन । २ चलना।
३ तिलक। ४ वटी । ५ याचना कर्म। ६ देखो 'वंदना'। वंजन, वजन-देखो 'बंजण', 'व्यंजन' ।
वंदनीक, वंदनीय-वि० [सं० वन्दनीय] १ प्रणाम या नमस्कार बंश, वझ-देखो 'बध्या'।
करने योग्य । २ स्तुति व प्रार्थना योग्य, प्रार्थनीय । ३ पूजा वझणौ (बौ)-देखो 'बंजणी' (बी)।
या अर्चना योग्य । वंशि-देखो 'बंध्या'।
वदर-देखो 'बंदर' | वानर' । वंट, वट-पु० [सं० वट] १ बंटवारा, विभाजन । २ विभाजन | वंदरमाळ (माळा, वाळ, वाल, वाळा)-देखो 'बोदरमाळ' ।
से होने वाला हिस्सा, भाग। ३ अंश, भाग । ४ पीसने की वंदरियो-१ देखो 'बंदर'। २ देखो 'बदरियो। क्रिया या भाव । ५ विधुर । ६ हसिया नामक उपकरण वंदाणी (बी), वंदावणी (बी)-क्रि० [सं० वंदनम] १ स्वागत का बेंट या दस्ता । ७ देखो 'वाट'।
करना, सम्मान करना, अगवानी करना। २ पभिवादन,
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पंक्ति
। ५५० )
नमस्कार कराना । ३ स्तुति या प्रार्थना कराना। ४ पूजा, २ ज्योतिष का एक विनाशकारी योग। ३ एक भयंकर अर्चना कराना।
विषेला सर्प। वरित-वि० [सं०] १ पूजित, प्राथित, अभिवादित । २ स्तुत्य । सपरिपाटी-स्त्री० [सं०] १ वंश परम्परा, पीढ़ी, शबला। वंदीजण (न)-देखो 'बंदीजन'।
२ वंशगौरव । वंदीदाब-स्त्री. फारसी लोगों की धार्मिक पुस्तक ।
वंसमाई-पु. [सं० वंश-भ्रातः] कुटुंबी बंधु । सगोत्री भाई । बंदुरवाळ, बंदुरबाळि-देखो 'बांदरमाळ' ।
वंसरी, सरी, वंसळी-देखो 'वंसी' | देखो 'बांसरी'। वंदेणौ (बो)-देखो 'बंदरणी' (बी)।
वंसलोचरण (न), वसलोचन-पु० [सं० वंश-लोचन] बांस की वंबोबस्त-देखो 'बंदोबस्त'।
गांठों से निकलने वाला सफेद पदार्थ, वंश कपूर । वदो-देखो 'बंदी'।
वंसवक्ष, वसवक्ष-पु० [सं० वंशवृक्ष] 1 किसी पुरुष की संतति, वद्य-वि० [सं०] १ नमस्कार या प्रणाम योग्य, वंदनीय ।
पीढ़ी । २ किसी पुरुष को संतान का वृक्ष की तरह तैयार २ पूज्य, स्तुत्य । ३ प्रार्थनीय ।
किया हुमा विवरण । वंद्रावनवासी-देखो 'दावनवासी'।
वंसस्थ-पु० [सं० वंशस्थ] एक वर्ण वृत्त विशेष । बंधव-देखो 'बंधु'।
सा-पु०१ शकरि प्रभा नर्क । २ देखो 'बोस'। वंध्या-देखो 'बंध्या'।
गंसावली, व सावली-स्त्री० [सं० वंशावली] १ किसी वंश का ध्याचळ (लि)-देखो 'विध्याचळ' ।
क्रम, सूची, विवरण । २ वंश, कुल । वंध्यापण (पणौ)-देखो बांझपणो' ।
सावळीयो-पु. वंश गुरु, कुल गुरु । बनरमाळ-देखो 'बांदरमाळ' ।
वंसि, वंसी-वि० [सं० वंशी] किसी वंश का, वंश संबंधी। वनोळी-देखो 'बंदोळी'।
-स्त्री० बांसुरी, मुरली । २ रक्तवाहिनी सिरा, नश । वंबि, बंबी-देखो 'बबी'।
३ तोले का एक मान। ४ वशलोचन। ५ घोड़े का नथुना। बम-१ देखो 'ब्रह्मा' । २ देखो 'ब्रह्म' ।
६ देखो 'बंसी। वंभर, वभार-देखो 'बंबार'।
वंसीधर (धरण,धारी) वसीधर (धरण,धारी)-पु० [सं०वंशीधर] वंस, बस-पु० [सं० वश] १ कुल, खानदान, गौत्र । संतान १ श्रीकृष्ण । २ ईश्वर । -वि० वंशी बजाने वाला। परम्परा । २ संतान, संतति, परिवार । ३ बेड़ा। ४ समुदाय
| वसोवट-पु० [सं० वंशीवट] वृदावन का एक वट वृक्ष । समूह। ५ खड्ग के बीच का चौड़ा भाग। ६ युद्ध की वसीवाळो, व सीवाळी-पु. १ श्रीकृष्ण । २ वशीवादक । सामग्री । ७ रीढ़ की हड्डी। ८ गांठ । ६ गन्ना ऊख ।
वसु वसू-देखो 'वसी'। १० साल वृक्ष । ११ शहतीर, बल्ला, लट्ठा । १२ पुष्प,
सोधर, वसोधर-देखो वंसधर । फूल । १३ विष्णु का एक नाम । १४ पुरुषों की बहत्तर
सौ-१ देखो 'वंस'। २ देखो 'बांस' । कलापों में से एक । १५ वंसलोचन । १६ बारह हाथ का | व (व)-पु० [सं०] १ वर्ण । २ वायु, पवन, हवा । ३ बाण, एक नाप । १७ देखो 'बांस' । १८ देखो 'वसी'।-कर-पु. तीर । ४ शिव । ५ उपमा । ६ सुख । ७ भव्यय । किसी वंश का मूल पुरुष ।
८मर्थ । ९ वरुणदेव । १० समुद्र । ११ राहु का नाम । वंसक-वि० [सं० वंशक] वंश का, वंश संबंधी ।-पु० १ बास
१२ कल्याण । १३ सांत्वना । १४ तुष्टि, साधन ।
१५ बस्ती। १६ वास,निवास । १७ सम्बोधन। १८ मंत्रणा। वृक्ष । २ बांस की गाठ । ३ प्रगर की लकड़ी। ४ मछली । वंसकार-पु. एक राजवर्ग विशेष ।
१९ बाहु । २० वस्त्र । २१ शार्दूल । २२ चीता। वंसछेतर-पु० [सं० वंशछेतृ] १ किसी वंश का अंतिम पुरुष ।
२३ कलस से उत्पन्न ध्वनि । २४ वंदथ । २५ वृक्ष । २ एक सर्प विशेष ।
२६ मूलता। २७ अस्त्र । २८ खड्गधारी । २६ सेरकी
कंद । ३० जल-कंद, शालक । ३१ मद्य । ३२ प्रचेता । वंसज, वसज-पु० [सं० वंशज] संतान, संतति, पोलाद, पुत्र,
-सर्व० 'वह' का संक्षिप्त रूप । -मध्य० [फा०] __ पौत्र-प्रपौत्र प्रादि ।-वि० बांस का बना ।
तथा, और। बंसजा-स्त्री० [सं० वंशजा] १ पुत्री, पौत्री। २ वंसलोचन।
वन-देखो 'वय' । वंसघर-पु० [सं० वंश-धर] १ वंशज, सन्तान, संतति । २ वंश ___ की मर्यादा या गौरव रखने वाला।
वइंगण, वइगरणीउ, वइंगण-पु. एक प्रकार का वस्त्र । वंसनास-पु० [सं०वंश-नाश] १ किसी वंश का विनाश । वा-देखो 'वय' ।
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वइंड
। ५५१ )
बइंड-देखो 'वितंड'।
बकतावर, वकतावर-देखो 'बखताबर' । वइअर-देखो 'वर'।
वकत्र-पु० [सं० वक्त्र] १ मुख, मुह, वदन । २ जानवरों की बइगरणा-पु. व्यय की देख-रेख करने वाला राज्य कर्मचारी वर्ग | थूथन । ३ पक्षियों की चोंच ४ अग्रभाग या नौक । वइठणौ (बो), वइट्ठणो (बो)-देखो 'बैठणो' (बी)।
५ प्रारम्भ । ६ अनुष्टप छंद । ७ जिह्वा, जीभ । बइण-देखो 'वचन'।
बकपंचक-देखा 'बकपंचक'। वइताळ-देखो 'वैताळ'।
वकफ-पु० [अ० वक्फ] १ देवी-देवतामों, मंदिरों मादि में भेंट वइदउं-देखो 'वैद्यक'।
या दान की जाने वाली सम्पत्ति । २ भेंट, उत्सर्ग । वइन-देखो 'वचन'।
३ दान । ४ वर्षा में छत के टपकने या चूने की अवस्था । वहर-१ देखो 'वर'। २ देखो 'बर' । ३ देखो 'वरो'।
५ विद्वानों, कलाकारों आदि को जीवन-यापन के लिये वइराग-देखो 'वैराग्य'।
दो जाने वाली जागीर ।-दार-वि० 'कफ' की जागीर वइरागर-पु० १ एक प्रकार का वस्त्र । २ देखो 'वैरागर'।
वाला ।-नामो-पु० दान पत्र । वइरागी-देखो 'वैरागी'।
वकर-पु. १ बलिदान, बध । २ देखो 'वक्र'।-गति, गती= वइराट-१ देखो 'विराट' । २ देखो 'वैराट' ।
'वक्रगति'।-गांमी='वक्रगामी'। वरिबइरी-१ देखो 'वैरी' । २ देखो 'वर'।
वकरणो (बो)-देखो 'बकरणो' (बो)। वइवस्तु-देखो 'वैवस्वत'।
वकराणौ (बी)-देखो 'बकराणो' (बी)। वइस-देखो 'वैस्य'।
वकळ-१ देखो 'विकल' । २ देखो 'बकळ' । वइसणी (बो)-देखो 'बैठणो' (बी)।
वकवाद-देखो 'बकवाद'। वइसनव-देखो 'वस्णव'।
बकाइण, वकाईण, वकायण, कायन-देखो 'बकायन'। वइसारणौ (बौ)-देखो 'बैठाणी' (बी)।
बकार-पु० १ 'व' अक्षर या वर्ण। २ देखो 'वाकार'। वइसाह-देखो 'वैसाख'।
वकारणी (बौ)-देखो 'बाकारणों' (बी)। वहहन, वाहनड़ी-देखो 'बहन' ।
वकाळ-देखो 'बक्काल'। वई, वई-देखो 'बेई' ।
वकालत वकालत-स्त्री० [फा०] १ न्यायालय में वादीबईअर-१ देखो 'वहीर' । २ देखो 'बर'।
प्रतिवादो के पक्षों को कानून के संदर्भ में प्रस्तुत करने को वईकुठ-देखो 'वैकुठ'।
क्रिया । २ अपने पक्ष पर की जाने वाली बहस । ३ वकीलों वईजयंती-देखो 'वैजयंती'।
का कार्य या पेशा ।-नामो-पु. पक्षकारों की भोर से वईवराज-देखो 'वैद्यराज'।
वकील को दिया जाने वाला अधिकार-पत्र । वइद्रभा-देखो 'विदरभा'।
बकासुर-देखो 'बकासुर'। वईयर-१ देखो 'बैर'। २ देखो वैर'।
वको-देखो 'बको'। बईर वईर-देखो 'वहीर'।
वकील बकाल-पु० [फा०] १ विधि अभिभाषक । २ कानून वउल-देखो 'बकुल', 'बोलसरी' ।
की योग्यता रखने व न्यायालयों में मुकदमें लड़ने वाला । वउळरणी (बी) बउलणी (बो)-१ देखो 'वोटणी' (बी) । ३ पक्षकार का प्रतिनिधि, हिमायती। ४ संदेश वाहक, दूत । २ देखो 'बोळणी' (बी)।
वकुल-देखो बकुल' बउळारणो(बी),बजलाणी (बी),वउळावरणी(बी),बउलावणो (बो)- | वक्री-पु. [प्र. वकूमा] १ प्रकटीकरण । २ देखो बाको' । १ देखो 'बोळाणी' (बो) । २ देखो 'बोळाणो' (बौ।।।
वकूफ-देखो वाकिफ'। वउळावू, बउळावो-देखो 'वोळाऊ'।
वक्कतण-देखो वक्रता' । बएसा-देखो 'वेस्या' ।
वक्कर-१ देखो 'वक्र' । २ देखो 'बकरों'। ३ देखो 'बकर'। वक-देखो 'बक'। वकट-देखो 'विकट'।
वक्करणो (बौ)-क्रि० विरुद्ध होना । २ कोप करना। ३ देखो बकरणी (बो)-देखो 'बकरणो' (बी)।
'बकरणो' (बी)। बकतर-१ देखो 'वकत्र'। २ देखो 'बखतर'।
वकाल-देखो 'बक्काल'। वकता-स्त्री० [सं० वक्तृ] १ जिह्वा, जीम, रसना वक्त, वक्त-पु. [प०] १ समय, काल, वेला। २ अवसर, २ देखो 'वक्ता'।
मौका । ३ किसी कार्य का निश्चित समय । ४ पल, घड़ी।
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वक्तव्य
। ५५२ )
वगतर
५ दिन । ६ विलंब, देरी। ७ अवकाश, फुरसत । ८ मौत | वक्रोदर-देखो 'वकोदर' ।
का क्षरण । ९ किसी कार्य में लगने वाला समय । वक्ष, वक्षस्थल, वक्षोज-पु० [सं० वक्षत] १ छाती, सीना । वक्तव्य-पु० [सं०] १ किसी बात, विषय मादि पर की जाने | २ स्त्रियों के कुच, स्तन ।
वाली टिप्पणी, कथन, स्पष्टीकरण । २ वक्ता की बात । वक्ष्मण-वि० [सं० वक्ष्यमाण] १ कथनीय, वर्णनीय । २ जो -वि० कहने, व्यक्त करने या निरूपण करने योग्य।
कहा जा रहा हो। वक्ता, वक्ता-पु० [सं० वक्तृ] १ कहने वाला व्यक्ति, बोलने वख-१ देखो 'विस' । २ देखो 'वक्ष', 'बख'।
वाला व्यक्ति । २ प्रवचन, भाषण या उपदेश करने वाला वखत, वखत-देखो 'वक्त' । 'वखत' ।-वंत = 'बखतवत' । व्यक्ति । ३ शिक्षक । ४ विद्वान, पंडित ।-वि० १ कहने -वडाल = बखतवडाल' ।-बायरो = 'बखतबायरी' । बोलने या प्रवचन करने वाला। २ बोलने में चतुर, | वखतसर-क्रि०वि० [म. वक्त+राज. सर] ठीक समय पर, वाक्पटु ।
उपयुक्त समय पर । वक्फ-देखो 'वकफ' ।-बार='वकफदार'।-नांमौ='कफनांमौ'। वखतावर (क, रू) बखतावर-देखो 'बखतावर' । वक्र-वि० [सं०] १ टेढ़ा, तिरछा, बांका । २ झुका हुआ मुड़ा वखतावरी-देखो 'बखतावरी' ।
हुमा, नत। ३ छल्लेदार, घुघराला। ४ कुटिल, धूर्त, | वखतो-देखो 'वगतो'। बेईमान। ५ निष्ठुर, निर्दयो। ६ दीर्घ ।-पु० १ मुख । वखत्त, वखत्त-देखो 'वकत्र', 'वक्त', 'बखत' २ रुद्र । ३ मंगल ग्रह । ४ शनि। ५ त्रिपुरासुर । ६ नदो | वखमी-देखो 'विसम'। का मोड़ । ७ प्रथम गुरु के गरण का नाम ।-गति-वि० | वखर-देखो 'भखारी। जिसकी गति टेढी हो, भाचार-विचार से कुटिल । विपरीत' वखसोस-देखो 'बकसीस' । दशा में चलने वाला ।-पु. सर्प, सांप, मंगल ग्रह । सूर्य वखाण, वखरण-देखो 'बखाण' । से पांचवें, छठे, सातवें तथा पाठवें ग्रह ।-गांमी-वि० वरणरणी (बौ)-देखो 'बखांणणों' (बौ)। टेढ़ी चाल व विपरीत पाचरण वाला, कुटिल।-प्रीव-पु. वाणिवू-वि० [सं० व्याख्यातव्य] व्याख्या करने योग्य । ऊंट ।-तु-पु. गणेश । तोता । वंस्ट-पु० सूपर, जिसकी व्याख्या प्रावश्यक हो। वराह । -पुच्छ-पु. कुत्ता, श्वान ।
वखांण (गो)-देखो 'बखाण'। बक्रकोटौ-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
बखात-देखो 'विखायत' । वक्रता-पृ० [सं०] १ टेढ़ा व तिरछापन। २ वक्र होने की | वखारी-देखो 'भखारी'। दशा । ३ साहित्य रचना की एक शैली।
बखिस्थळ-देखो वक्षस्थल'। बक्रति-देखो "विक्रति'।
वखे-देखो 'पखे'। बक्रस्टि-वि० [सं० वक्रदृष्टि] १ जिसकी नजर में क्रूरता भरी
वखेड़ी-देखो 'बखेड़ी'। हो, मंगलकारी दृष्टि वाला। २ क्रोधी। ३ ईर्ष्यालु,
बखेर-देखो 'बिखेर'। डाही । ४ मंद दृष्टि वाला ।-स्त्री. १ तिरछी नजर ।।
बखेरणी (बी)-देखो "बिखेरणो' (बी)।
| वखो-देखो "विखौ'। २ क्रोध पूर्ण प्रांखें। ३ मंद दृष्टि । ४ ऐंचाताना ।
वस्तर, वख्तर-देखो 'बखतर'। वक्रांग-वि० [सं०] १ जिसका अंग तिरछा या टेढ़ा हो ।
वग-१ देखो 'बाग' । २ देखो 'वरग' । २ कूबड़वाला ।-पु. १ हंस। २ चक्रवाक, चकवा । ३ सर्प, सांप।
वगड़, वगह-देखो 'बगड़। वक्री-वि० [स. वक्रिन्] १ विपरीत मार्ग पर जाने वाला।
बगड़ावत, बगड़ावत-पु० [सं० व्याघ्र-पुत्र] १ बाघ नामक क्षत्रिय २ टेढे अंगों वाला । ३ क्रोधी । ४ विपरीत, उल्टा।
के वंशज जो २४ विभिन्न जाति की लड़कियों से उत्पन्न ५ टेढा चलने वाला, विरुद्ध दिशा की ओर बढ़ने वाला।
हुए थे। २ एक प्रकार का लोक गीत ।-वि० बीर, -पु०ज्योतिष में वह ग्रह जो अपनी गति से टेढी
बहादुर। गति पर भागे बढता हो और कुछ समय उपरान्त पुनः | वगट-पु० [सं० भृकुट] शिर; मस्तक । अपनी पूर्व गति पर पाता हो। (मार्गी)
वगणो (बी)-१ देखो 'बजरणो' (बी)। २ देखो'बाजणी' (बी)। वक्रोक्ति-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का काव्यालंकार । वगत, वगत-1 देखो 'वक्त' । २ देखो 'बखत' । काकूक्ति । २ चमत्कारपूर्ण कथन ।
| वगतर, वगतरियो, वगतरो-देखो 'बखतर।
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बगता
( ५५३ )
बचनलक्षिता
वगता-देखो 'वकता'।
वड़छणो(बी)-क्रि०१ काटना, कतरना । २ देखो 'बुड़चरणो' (बी)। वगतावर, वगतावर-देखो 'बखतावर'।
बड़णो (बौ), वड़णी (बी)-देखो 'बड़णो' (बी)। वगतो-पु० लूट का माल या दौलत ।
वड़लो, वडलो-देखो 'वट'। वगर, वगर-पु० [देश॰] १ एक देश जहाँ के ऊंट पच्छे होते हैं। वड़बड़-देखो 'बड़बड़। २ देखो 'बगर' । ३ देखो 'बगड़' ।
बड़वड़णी (बौ)-देखो 'बड़बड़णो' (बो)। बगरु (रू)-पु. १ 'वगर' देश का ऊंट । २ देखो 'बगरू'। वड़वा-देखो 'बड़वा'। वगळ वगल-देखो 'बगल'।
वड़वागन (अनल),वड़वाग(गि,गी),बड़वाग्नि, बड़वानळ ()वगसणो(बी)-१देखो 'विकसरणी'(बी)। २ देखो 'बकसणी' (बौ)।। देखो वान'। बगसाणो (बो)-देखो 'बकसाणो' (बौ)।
वड़वामुख-देखो 'बड़वामुख'। वगसी-देखो 'बकसी'।
बड़वाय-स्त्री० वट वृक्ष को उप शाखा । बगहरा-देखो 'वगैरह।
वडसावत्रीवत, बड़सावित्रीव्रत-देखो वटसावित्रीव्रत' । वगाणो (बो), बगाणी (बो)-१ देखो 'बगाणो' (बो) । २ देखो वड़सी, बड़सी-स्त्री० [सं० वार्षिकी] १ मृतक का वार्षिक 'बजाणो' (बी)।
दिन । २ इस दिन किया जाने वाला भोजन प्रादि का बगार, वगार-देखो 'बघार'।
कार्यक्रम । ३ काम के बदले काम या वस्तु के बदले वस्तु बगारणो(बी), वगारणो-(बो) देखो 'बधारणौ (बी)।
ऐसा व्यवहार। वगावरणी (बो), वगावणो (बो)-१ देखो 'बगाणो' (बी)।
बड़ारण-देखो 'वडारण'। २ देखो 'बजावणो' (बी)।
वड़ि, वडि, वड़ी, बड़ी-१ देखो 'वट' । २ देखो 'बड़ी' । बगि-देखो 'वरग'।
३ देखो 'वड़सी'। बगीची, बगीची-देखो 'बगीची' ।
वड़ो, वड़ो-१ देखो 'बड़ो' । २ देखो 'बडी'। बगीचो, बगीचो-देखो 'बगीचो'।
वच-पु० [सं० वच्] १ वचन, वाक्य ।-स्त्री० [सं० वचा] वगृतणो (बौ)-देखो 'विगूतणो' (बौ) ।
२ सरस्वती, शारदा । ३ पौषधि विशेष । ४ देखो 'बीच'। वगेरे, वगेरे, वगेरे-देखो 'वगैरह।
वचकळा (ला)-स्त्री० [सं० वच:कला] १ पढ़ने की कला । बगेसरी, बगेस्वरी-देखो 'बागीस्वरी'।
२ उच्चारण की कला। वर्गह-प्रव्य० । फा. वगैर:] १ प्रादि, इत्यादि । २ इसी | बचख-देखो 'विचक्षण'।
प्रकार । ३ संबंधित । ४ शेष । ५ प्रभृति । ६ प्रमुख । वचरणौ (बी)-देखो 'बचणी' (बी)। बगोरो (बी)-क्रि० [सं० विकुर्वम्] १ प्रव्यंजन करना, व्यक्त
| वचत, वचत-१ देखो 'बचत' । २ देखो 'विचित्र'। करना । २ प्रगट करना, बताना । ३ शैतान बनाना,
वचत्र, वचत्र-देखो 'विचित्र'। प्राततायी बनाना।
वचन, वचन-पु० [सं०] १ बोलना क्रिया, उच्चारण । २ बोला वग्ग-१ देखो 'वरग' । २ देखो 'बाग'।
हुमा शब्द, वाक्य, वाणो। ३ कथन, बात, उक्ति । वग्गणो (बी)-१ देखो 'बजणो' (बो)। 'बाजणौ' (बो) ।
४ प्रण, संकल्प, वादा। ५ घोषणा । ६ उपदेश, मार्ग २ देखो 'भागणो' (बो)।
दर्शन, निर्देश । ७ प्राज्ञा, आदेश । ८ सलाह, परामर्श । वग्गय-देखो 'बाग'।
९ वर्णन, बयान, उल्लेख । १० अभिव्यक्ति । ११ पुनरावग्घ-देखो 'बाध', 'बाग'।
वृत्ति । १२ नियम । १३ शब्द का रूप विधान । वग्रहणो (बो)-देखो 'विग्रहणो' (बो)।
१४ सरस्वती। १५ भाषा, बोलो । कारी-वि० माज्ञावघंबर-देखो 'बाघबर'।
कारी, अनुयायी।-पाटव-स्त्री० वाक्पटुता । प्रतिस्ठा-स्त्री. वघबाव, वधवाय (वाव, वाह)-देखो 'बघवाव' ।
बचनों की मर्यादा ।-युद्ध-पु० वाग्युद्ध ।-सिध-वि० बधार, वधार-देखो 'बधार'।
जिससे वचनों में सिद्धि हो, सिद्ध महात्मा । बधारणी, बधारणा (बो)-देखो 'बधारणो' (बी)।
वचनका, वचनका-देखो 'बचनिका'।
वचनगुप्ति, वचन-गुप्ति स्त्री० वाणी का संयम । बघेरो-देखो 'बघेरी'।
वचनयोग, वचनयोग-पु. उच्चारण की क्रिया, भाषा, बघेल बघेल-देखो 'बघेल', 'बाघेल'।-खंड - 'बाघेलखंड' ।
बोली। वड़-देखो 'वट', 'बडो'।
| वचनलक्षिता-स्त्री० [सं०] परकीया नायिका विशेष ।
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बचनविक्षाधता
। ५५४ )
बजरदतो
वचनविदगधता (विदग्धता)-स्त्री० वाक्चातुर्य, बोलने की वछबारस, बछबारस-पु० [सं० वत्स द्वादशी] भादव कृष्णा चतुराई ।
द्वादशी। बचनविदग्धा-स्त्री० [सं०] १ परकीया नायिका । २ मधुरभाषी | वछर-देखो 'वत्सर'। स्त्रो, नायिका।
बछराज, बछराज-देखो 'वत्सराज'। वचनात-पु० [देश॰] राजा-महाराजा द्वारा अधीनस्थों को | बछरि-देखो 'वत्सर'। लिखा जाने वाला प्रादेशात्मक शब्द ।
वछळ-देखो 'वत्सळ'। वचनि-देखो 'वचन' ।
वछारणौ (बौ), वछावणी (बो)-देखो "बिछाणो' (बो)। वचनिका, वचनिका-स्त्री० १ गद्य-पद्य मय रचना की राजस्थानी वछी-स्त्री० [सं० वत्सा] बच्चो, लड़को।
साहित्य की एक विधि । २ गद्य रचना में छोटे-छोटे युग्म वछूटणी (बौ)-देखो 'बिटणी' (बी)। रूप । ३ कोई गद्य रचना । ४ चम्पूकाव्य । ५ वृत्त गंधा वछेक-देखो 'विसेस'। नामक काव्य रचना का एक विधान ।
वछेदणी (बौ)-देखो 'विच्छेदणी' (बी)। वचनीय-वि० [सं०] १ कहने योग्य । २ उल्लेखनीय । वछेर, वछेरियो, वछेरो-देखो 'बछेरौं' । ३ प्रशंसनीय ।
वछोडणी (बो), वछोडणी (बी)-देखो 'बिछोड़णी' (बी)। वचन्न, वचन्न-देखो 'वचन'।
वछोहणो (बौ)-देखो 'विछोहणो' (बौ)। वचा-देखो 'वाचा'।
वछौ-देखो 'वत्स', 'बच्चो' । वचारणी (बी), वचाणो (बो)-देखो 'बचाणो' (बी)। वजतरी, वजंत्री-देखो 'बजत्री'। वचार-देखो 'विचार'।
वजद्र-पु० [सं० वज्र] कुलिश, वज्र। वचाळे (के)-देखो "बिचै'।
वज-स्त्री० १ शरीर की बनावट, रचना, शरीर सौष्ठव । बचाव-देखो 'बचाव'।
२ बनावट का ढंग, रचना प्रणाली। ३ अवस्था, दशा, वचावणो, बचावरणी-वि० बचाने या रक्षा करने वाला।
हालत । ४ देखो 'बज' । ५ देखो 'वज्र'। वचावरणो (बो)-देखो 'बचारणो' (बी)।
वजह-देखो 'वज्र'। वचिक्षण-देखो 'विचक्षण' ।
वजरण-१ देखो 'बाजरण' । २ देखो 'वजन'। वचे (च)-देखो 'बिचं'।
वजरणौ (बौ)-१ देखो 'बाजणी' (बो)। २ देखो 'बजणी (बी)। वच्चसी-वि० [सं० वर्चेस्विन्] जिसके वचनों में प्रभाव वजन, वजन-पु० [फा०] १ बोझ, भार । २ भार का परिमाण हो। (जैन)
तौल । ३ भारीपन गुरुता । ४ महत्व या मान का सूचक । बच्चक-वि० [सं० वाचक] १ पढ़ने वाला, पढ़कर सुनाने ५ उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी । ६ दाब, दबाव । वाला । २ देखो 'वंचक'।
वजनदार, वजनदार-पु० १ वजन या तोल करने वाला। बच्चरणो (बो), वच्चरणो (बो)-क्रि० [सं० वज] १ जाना, गमन | २ देखो 'वजनी'।
करना । २ यात्रा करना। ३ निर्वासित करना, होना। वजनी, वजनी-वि० [फा० बज्नो] १ भारी, बोझिन । २ तौल ४ देखो 'बचणी' (बो)।
में अधिक । ३ जो हल्का न हो। ४ गुरुतर । ५ ठोस । वच्चन, वच्चन-देखो 'वचन'।
६ महत्वपूर्ण । ७ गंभीर महान् । बच्चाळइ-देखो "बिचं'।
बजरंग, बजरगी बजरंगी-वि० [सं० वज्रांग] १ वज्र के समान वच्छ-१ देखो 'वत्स' । २ देखो 'वक्ष'।
कठोर, सुदृढ़ । २ धूल से लथ-पथ ।-पु० [सं० बज्र-अंग] बच्छड़ो, वच्छड़ो-देखो 'वत्स' ।
१ पवनसुत हनुमान का एक नामान्तर ।२ वज्र के समान दृढ़ बच्छनाग, बच्छनाभ, वच्छनाभ-देखो 'वत्सनाम'।
शरीर। वच्छर, वच्छरी. वच्छरी-देखो 'वत्सर'।
वजर-पु० [फा० फजर] १ प्रातःकाल, प्रभात, सवेरा । वच्छळ, वच्छल-देखो 'वत्सळ' ।
२ देखो 'वच'।-आसण,आसन-'वज्रासन'।-प्रायुध= वच्छळता-देखो 'वत्सळता' ।
'बज्रायुध' ।-तु = 'वज्रतु'ड' ।-दंड = 'वज्रदड' । वच्छि, बछ-१ देखो 'व्रक्ष'। २ देखो 'वत्स'।
-दत = 'बज्रदंत'।-घर = 'वज्रधर' ।-पारण, पारिण, वछक-देखो 'वत्सक'।
पाणी = 'वज्रपाणि'।-बांह = 'वज्रबाहु'।-मूठ, मूठी = बछड़ो, वछड़ी-पु० [सं०वत्स] (स्त्री० वछड़ी) गाय का बच्चा।।
'वज्रमुस्टि'। सार'वज्रसार'। वछचोर-पु० [सं० वत्स-चोर] ब्रह्मा ।
| बजरदंती-देखो 'वज्रदती'।
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बजराक
( ५५५ )
वज्रमुस्ठि
वजराक (ग)-देखो 'बजराक' ।
१४ विश्वामित्र का एक पुत्र । १५ श्रीकृष्ण का एक प्रपौत्र । बजरेसुरी (स्वरी)-देखो 'वज्र स्वरी'।
१६ वार-नक्षत्रों का एक योग । १७ फलित ज्योतिष में वजवजणी (बी)-क्रि० [सं० भज्] १ प्रतिष्ठा पाना, प्रसिद्धि एक योग । १८ कोकिलाक्ष नामक वृक्ष । १९ सफेद कुश । पाना, प्रभाव रखना । २ वैभव प्राप्त करना।
२० सेहड़, सँहुड़ । २१ अकलबीर पौधा । २२ वज्र पुष्प । वजह-स्त्री० [अ० बजह] १ कारण, हेतु, निमित्त । २ उद्देश्य, २३ त्रिकोण । -वि० [सं०] १ प्रत्यधिक कठोर
अभिप्राय, प्रयोजन । ३ कोई असाधारण परिस्थिति । सख्त, कडा । २ दृढ़, मजबूत । ३ तीव्र,उग्र।-अंग,अंगी%3D ४ मुखाकृति, चेहरा । ५ प्रकृति ।
'बजरंगी।-ककट-पु. हनुमान । हीरकरणी। कोकिलाक्ष वजाडणी(बी),बजाणी(बौ। वजावणी(बी)-देखो 'बजाणी' (बो)। वृक्ष । थूहड़ ।-कपाट-पु० वज्र के बने अथवा दृढ़ व मजवजित्र, वजित्रि-देखो 'वाद्ययंत्र' ।
बूत कपाट ।-तुड-पु० गणेश । गरुड़ । गिद्ध। मच्छर । वजीफादार-वि० [फा०] वजीफा या सहायता पाने वाला। थूहड़ ।-दंड-पु० इन्द्र से प्राप्त अर्जुन का एक प्रस्त्र ।वजीफो-पु० [फा० वजीफः] १ प्रार्थिक सहायता, निर्वाह | दंत-पु० सूअर, शूकर, वराह । चूहा ।-धर-वि० शस्त्र
भत्ता । २ पेंशन । ३ छात्रवृत्ति । ४ मंत्र पाठ, जाप । । । धारी।-पु०-इन्द्र । प्रादि बुद्ध । -धार, धारिन, धारी-पु० वजीर, वजीर-पु० [फा०] १ बादशाह का प्रधान, सचिव, इन्द्र । विष्णु । -पारण, पाणि, पाणी-पु० इन्द्र विष्णु, शस्त्र
मंत्री, प्रमान्य । २ राजदूत । ३ रावणा राजपूतों का धारी। ब्राह्मण, एक देवयोनि ।-पात-पु. बिजली का एक संबोधन । ४ शतरंज का एक मोहरा।
गिरना । विनाशकारी प्रस्त्र का पात । इससे होने वाली वजीरात, वजीरात-स्त्री० [फा०] १ वजीर का कार्य या पद ।। क्षति । शस्त्र प्रहार । दुर्घटना । भयंकर विपत्ति ।-बाहु२ वजीर का कार्यालय, कचहरी।
पु० इन्द्र, विष्णु । रुद्र । अग्नि । -मय-वि० हढ़, मजबूत । वजीरी-स्त्री० [फा०] १ वजीर का कार्य, पद, नोकरी । प्रबल, शक्तिशाली। हीरे का,हीरे संबंधी। लोह संबंधी।-- २ बलूचिस्तान के घोड़ों की एक जाति ।
माग- पु०प्राकाश, व्योम । -सरीर-वि० बलवान ।--सार बजुपात, वनपात-स्त्री० [फा०]१ वजह का बहुवचन ।२ कारण -वि० अत्यन्त, कठोर । -पु. हीरा ।--सोह-पु० वन की
चोट, प्रहार । बजू-पु० [अ० वुजू] नमाज से पूर्व हाथ-पांव धोने की क्रिया। वज्रक वज्रक-पु० [सं०] १ हीरा । २व वक्षार । ३ सूर्य का एक वजूब-पु० [अ०J१शरीर, देह । २ सत्ता, अस्तित्व ।
उपग्रह । ४ चर्म रोग का एक तेल । बजे-स्त्री० १ तरह, भांति, प्रकार । २ देखो 'वजह'। वज्रकीट वज्रकीट-पु० [सं०] पत्थर में छेद करने वाला एक कीड़ा, वजोग-१ देखो 'बिजोग' । २ देखो 'वियोग' । वज्जो (बो)-देखो 'बजणो' (बी)।
वज्रकूट-पु० [सं०] हिमालय का एक शिखर, चोटी। वज्जपरिण (रणी) देखो 'वज्रपाणि' ।
वज्रक्षार-पु० [सं०] वैद्यक का एक रसायन योग। वज्जमओ-देखो 'वज्र मय'।
वज्रगोप-पु० [सं०] वीरबहूटी नाम कीट । वज्जया-देखो 'विजिया'।
वज्रघट-पु० [सं०] लंका का एक राक्षक । वज्जर, बज्जर-देखो 'वज'।
वज्रदंती, वज्रदंती-स्त्रो [सं०] १ प्रौषधि विशेष । २ इस प्रौषधि वज्जरणो (बो) क्रि० [सं० वज्जरं]-१ कहना, बोलता । २ क्रोध | का पौधा। में बड़बड़ाना।
वज्रनाभ (नाभ्र)-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण का एक चक्र । वज्र गो-देखो 'वजरंग'!
२ एक सूर्यवंशी राजा। ३ एक राक्षस विशेष । ४ स्कन्द वज्रद-वि० सं० वज + इंद्र] १ जबरदस्त, जोरदार। का एक सैनिक। ५ प्रद्युम्न का एक पुत्र। ६ विश्वामित्र २ प्रचंड, भयंकर । ३ महान् । -पु० इन्द्र का दज्र।
__ का एक पुत्र। वन, वज्र (वजउ)-पु० [सं०] १ इन्द्र का प्रधान शस्त्र। वज्रपोस-पु० कवचधारी योद्धा। २ सुदर्शन चक्र । ३ विनाशकारी शस्त्र-प्रस्त्र । ४ भाला
वज्रप्राणघातक-पु. एक प्रकार का शस्त्र विशेष । बरछा । ५ शिव का त्रिशूल । ६ तलवार । ७ विद्युत,
वज्रभाखी-वि० [सं० वज्रभाषिन् ] रढ़ प्रतिज्ञ । बिजली । ८ फौलाद धातु, स्टील । होरा । १० हीरा वज्रभास-वि० दृढ़, मजबूत । काटने का उपकरण ।११ एक प्रकार का खंभा (वास्तु विद्या), वज्रमुस्ठि-स्त्री० [सं० वज्र मुष्ठि] १ इन्द्र । २ तीर चलाने समय १२ चन्द्रमा की एक बनावट । १३ व्यूह रचना विशेष । की हाथ की मुद्रा।
बनरोहू ।
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वज्रवारक
( ५५६ )
बज्रवारक- वि० [सं०] बज्र प्रहार को रोकने वाला स्त्री० वटसावित्रीत पु० जेष्ठ मास में किया जाने वाला एक व्रत देवी दुर्गा
विशेष |
"
म पु० [सं० विष्णु बज्र] सुदर्शन प
वज्रसरीरू - पु० [सं० वज्र + शरीर ] दृढ़ शरीर ।
वांग वज्रांग- देखो 'बजरंग' ।
बांनी स्त्री० [सं०]] हदजोड़ पर लगाई जाने वाली लता। वज्राग वज्राग्नि- देखो 'बजराग' ।
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बागरा स्त्री० पृथ्यो, धरती, धरा बाध (घी) पु० [सं०] इन्द्र
२
वज्रासन - पु० [सं०] १ योग के चौरासी घासनों में से एक गया में बोधितरु के नीचे की शिला, जिस पर बुद्ध ने सिद्धि प्राप्त की थी। वज्री- पु० इंद्र |
वासरी (सुरी, स्वरी) -स्त्री० [सं० वज्र - ईश्वरी ] १ देवी, दुर्गा । २ एक तांत्रिक अनुष्ठान ।
बोळी स्त्री० [सं०] १ योग में हाथ की अंगुलियों की एक मुद्रा २ एक यौगिक क्रिया ।
+
वट पु० [सं० वट] १ बरगद का पेड़ वट [सं० वाक] २ प्रभिमान, गवं । २ मर्यादा गौरव । ३ परंपरा | ४ गुण, धर्मं । ५ ऐंठन, बल, मोड़ । ६ शृंखला, सांकल । ७ एक वर्ग । - वि० (सं० वट- शून्य ] १ भयानक, भयावह। २ देखो 'वाट' ।
arent (at), टक्करणों (बी) देखो 'बटकरण' (ौ) । वटको, वटक्की - १ देखो 'बटको' २ देखो 'बाटको' । घटबड़-पु० बेचनी में बड़बड़ाने की क्रिया व इसकी बाबाज वटणी (बी), वटणी (बो -१ देखो 'बटणी' (बो)। २ देखो 'बांटणी' (बो) ।
बहतर पु० र दुश्मनी ।
टपत्री स्त्री० [सं० वटपत्र, वटपत्रा] १ राम तुलसी २ चमेली । ३ एक वनस्पती विशेष ।
बटर पु० [सं०] १ चोर, डाकू ए बटेर पक्षी ३ बिस्तर चटाई । ४ पगड़ी । ५ मथाणी । ६ मुर्गा । ७ एक प्रकार
का घास ।
वळणी (बो-देखो 'वळण' (बो)। वटसावित्रीपूनम स्त्री० जेष्ठ मास की पूर्णिमा ।
झरो (बी) - क्रि० १ फैलना, विस्तृत होना । २ देखो 'बझणौ वट्ट, वट्टि १ देखो 'वाट' । २ देखो 'वट' ।
(बी)' । ३ देखो 'वजणी (बी) ' । वो-देखो 'बजो' ।
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टाउ (ड़ौ), बटाऊ, बटाऊ (ड़ौ) - देखो 'बटाऊ' । वाणी (ब) देखो 'बाण' (बौ
वटारक- स्त्री० [सं०] डोरी, रस्सी ।
वटाळ वटाळ - वि० (स्त्री० वटाळी) दुष्ट, नीच, घूर्त । वळण (बी) देखो 'विटाळ' (बी)
वटाव- देखो 'वाट' ।
arrant (बौ), बटावणी (बौ) - देखो 'बटारणी' (बी) । वटावू - देखो 'बटाऊ' ।
वजपफर
वटी पु० [सं०] १ रस्सी, डोरी । २ गोली या टिकिया । ३ उपवन, बगीचा, उद्यान ।
वटु, वटुक पु० [सं० वटुकः ] १ बालक, लड़का । २ ब्रह्मचारी । ३ धर्मशास्त्र का विद्यार्थी ४ एक भैरव । वि० मूर्ख, मूढ़ । यदूकणो (जी) देखो 'बटुको' (बी) वटुकररण- पु० उपनयन संस्कार, यज्ञोपवीत । बवाह पटेल देखो 'बटाऊ' ।
वट्टी - पु० [सं० वट] १ गोला, गोली । २ भार्यावर्त का एक प्राचीन जनपद । ३ देखो 'बट्टी' ।
-०१ अनुसार धनुरुप २ देखो 'ब' बल-पु० एक वृक्ष विशेष
-
वठांऊं क्रि० वि० वहां से, उधर से । बठी, वठे, वठे क्रि० वि० वहां, उधर ।
वह ० १ घट वाला घोडनी का छोर २ देखो 'ब'
३ देखो 'वट' ।
वडउ - देखो 'बडी' । वडवार (कुवार), कंवर देखो 'बडकुमारी' | वडकारण - वि० प्रशंसक, यश गाने वाला ।
वडयात वि० १ शक्तिशाली वीर २ बड़े शरीर वाला ।
1
२ बोर, साहसी ।
1
वटपाड़ो-देखो 'बटपाड़ो' ।
asata - वि० १ दानवीर, उदार । २ महान् श्रेष्ठ ३ वीर, साहसी ।
वटभरणी - पु० रस्सी बनाने का काष्ठ का, धनुषाकार एक बडजांनी- पु० वर के दादा, पिता, ताऊ, चाचा जो बरात में हों।
उपकरण ।
asit (at), वडगो (बो) - देखो 'बढणी' (बो) । बस्यागी वि० दानी, त्यागी, दानवीर
-
वडनाळ स्त्री० तोप ।
वडपरण (परणौ, प्परण, प्पणौ - देखो 'बडप्पण' ।
डफर, डर, वडपफर वि० [सं० व फलक] रक्षा करने
वाला, रक्षक 1-पु० ढाल ।
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वडगूजर, बडगूजर - पु० एक क्षत्रिय वंश व इसका व्यक्ति । वडगोळी, वडगोळी- वि० १ दानवीर, उदारचित्त, महान् ।
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बडबडगो
( ५५७ )
यण
बडबडणी (बी)-देखो 'बड़बड़णो' (बौ)।
बडीदेवी-स्त्री०१ श्रीकरणी देवी । २ भगवती दुर्गा । बडबेगि-स्त्री० शीघ्रता, त्वरा।
बडीनाळ-देखो 'वडनाळ' । वडबेहड़ो-देखो 'बडबेड़ो'।
वडीम-देखो 'वडम'। बडबोर (डी), बडबोर (की), वडखोरी-देखो 'बडबोर'। वडीमां, बडीमां-स्त्री० पिता की भोजाई, ताई। वडभाग, बडभागी-देखो 'बडभाग', 'बड़भागी'।
वडु-१ देखो 'बहौं' । २ देखो 'वट' । वडमन-वि० उदारचित्त, दयालु ।।
वडुपार-देखो 'बडी'। वडम-पु. १ यश, कीर्ति, प्रशंसा। २ महत्व विशेषता, गुण । वडुजा-देखो 'विडूजा'।
३ बुजुर्ग, पूर्वज । ४ बड़प्पन, महानता । ५ सज्जनता । वडेर, वडेर-पु० १ पूर्वजों का मकान, बड़ा घर। २ भनाज ६ देखो 'बडो'।
भरने की बड़ी कोठी। वडमन (नो, त्र)-देखो 'वडमन' ।
वडे रउ, वडेरी, वडेरी-१ देखो 'बडी' । २ देखो बडेरो'। बडमपण (पी)-पु. १ वृद्धपना, बुजुगियत । दानापन ।
वडे-वि० समान, बराबर । २ देखो 'बडप्पण' ।
वडेरी वडरो-देखो 'बडेरौ' । वडमि-देखो 'वडम'।
बडोड़ो, वडो, बडो-देखो 'बडी' । वडराग, वडराग-देखो 'बडोराग'।
वडोदही-पु० दूहा छंद का एक भेद । वडलाज-वि० अधिक लजालु ।
वडोभाव-पु. हाथी का एक रोग । बडबडाळी-वि० बड़ों में बड़ा।
वडौराग-देखो 'बडोराग'।
वडीराज-पु० [सं० वड-राज] बड़ा साम्राज्य । बडवांनळ-देखो 'बड़वानळ' ।
बडोरावळो, वडोरावळी-पु० बड़े ठाकुर या राजा का घर । वडवार-देखो 'बडवार'।
वडोसारणौर-पु. एक प्रकार का डिंगल गीत (छद)। वडवामुख -पु० [सं० बहवा-मुख पाताल ।
बडबड्डो-स्त्री० सर्व शक्तिमान देवी, दुर्गा । वडवालु (लो)-पु० वट वृक्ष का फल ।
बड्डाक, वड्डाख-देखो 'बडाक'। वडठवड-क्रि० वि० बढ़-बढ़ कर ।
वड्डो वड्डौ-देखो 'बडौ' / 'बढौ' । (स्त्री० वड्डो) वडस-देखो "विडस'।
बढणी (बी)-१ देखो बढणों' (बौ)। २ देखो 'बधरणो' (बी)। वडहठ-पु० युद्ध, लड़ाई, जंग।
वढ, वढ-पु० [सं० वधं] १ घाव । २ कटाव । ३ काट-छोट । वडहत (त्य, थ)-वि० [सं० व-हस्त] माजानबाहु ।
४ देखो 'बढ'/'बढौं'। वडहर. वडहार-वि० उच्चकुल का।
वढणी, वढरणी-स्त्री०१ पेट का दर्द, ऐंठन । २ काटना क्रिया। वडांबडी-वि० बड़ों में बड़ी। समर्थ ।
वढणो (बो), बढणी (बो)-१ देखो 'बढणी' (बो)। २ देखो वडाई, वडाई-देखो 'बडाई'।
___ वधणो' (बो)। वडाक पु० भेड़िया ।
बढवार-देखो 'वढवार'। बडापण (पौ), बडापण (गो)-देखो 'बडप्पण'।
बढारणो (बौ), वढाणी (बौ)-देखो 'बढाणो' (बी)। वडार, वडार-देखो 'बडहार'।
बढाळ (ळी, ली) बढ़ाळ-स्त्री० तलवार । वडारण, वडारण-स्त्री० [सं० प्रवदरिका] दासी, सेविका । | बढावणौ (बी), वढावणो (बो)-देखो 'बढाणी' (बी)। बांदी।
वढी-स्त्री० युद्ध, लड़ाई झगड़ा। वडाळ (at), वगळ (लो)-पु. १ रथ। २ देखो 'बडो'। बळियो-देखो 'बथूळो'। (स्त्री० वडाळी)
बढ्ढ-देखो 'वढ'। वडाळौराग-देखो 'बहोराग' ।
वढ्ढरणौ (बी), वढ्ढणो (बो)-१ देखो बढणी' (बो)। २ देखो वडावड, वडावडी-१ देखो 'बढाबढ़ी' । २ देखो 'बडांबडी'। 'बधणो' (बी)। वडिव, वडिम, वडिमि (मी)-देखो 'वडम' ।
वढेरउ-देखो 'बडेरौ'। वडियाससुर-पु. (स्त्री० वडियासासु) श्वसुर का बड़ा भाई।
वढी-पु० १ ऋण चुकाने के लिये दिया जाने वाला पशुधन या वडिस-पु० [सं० बडिश] मछली पकड़ने का कांटा, वंशी। सामान । २ बंधन का निशान । ३ देखो 'वढ'। वडी-देखो 'बडी'।
वरण-सर्व० १ उस, उन । २ देखो 'वणी'। ३ देखो 'बिना' । वडोतीज-देखो 'बडोतीज'।
४ देखो 'वन' । ५ देखो व्रण'।
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( ५५८ )
वती
वरणक-देखो 'वणिक'।
वरिणज-देखो 'वांरिणज्य' । वरणकर-देखो 'बुनकर'।
वणिजारो-देखो 'बिणजारौ' । (स्त्री० बरिणजारी) वणगत-स्त्री० १ मेलजोल, प्रेम । २ बुनाई।
वरिणज्ज-देखो 'वाणिज्य' । वरणचर, वरणचरि (री)-देखो 'वनचर'।
वरिणयांणी-स्त्री० १ एक बरसाती कीड़ा । २ एक पौधा विशेष । वरज-१ देखो 'विणज' । २ देखो 'वाणिज्य' ।
३ बणिक जाति को स्त्री।
वणियो-देखो 'वरिणक'। वरणजसो (बो)-देखो 'विणजणी' (बी)।
वणी-स्त्री० [सं० वनज] १ कपास का पौधा । २ कपास का वरणजार-१ देखो 'बिणजार' । २ देखो 'बिणजारों'।
डोडा। ३ करघा । ४ देखो 'वन'/'वरण'/'वह्न'/'वनी' । बजारड़ी-देखो 'बिणजारौं' (स्त्री०)।
५ देखो 'वनस्पति'। बणजारा-देखो 'बिणजारा'।
वरणोठरणी, वणीठणो-वि० १ बनठन कर तैयार । सुसज्जित । वरणजारौ-देखो 'बिणजारौ' ।
२ व्यवस्थित । ३ तयशुदा । वणी (बी)-देखो 'बरगणो' (बो)।
वरणीमग-पु० [सं० वनीपक] १ भिक्षुक, भिखारी। २ याचक । बरगता-देखो 'वनिता'।
वरणीमगछौ, वरणीमगदोस-पु. एक प्रकार का दोष (जैन)। वणराइ, वणराई (राज, राय)-देखो 'वनराज'।
वणस्सइ-देखो 'वनस्पति'। वरणराव-देखो 'वनराज'।
वरणीयरण-वि० १ प्रातक फैलाने वाला । २ बनाने वाला। वणरावमुनि-पु. नारदमुनि ।
वणेच-पु० प्राभूषण विशेष । वणवास (सु)-देखो 'वनवास' ।
वरणोखड़ी-देखो 'बगोखड़ी' । वणसणी (बौ)-देखो 'विणसरणी' (बी)।
वरणोड़ो-देखो 'बरणोड़ो'। वणस्टी-पु० [सं० वणयष्टि ] कपास के पौधे का डंठल । वरणोद-देखो 'विनोद'। वणस्सइ, वणस्सइ-देखो 'वनस्पति' ।
वण्यौ-वि० १ प्रचल, अटल, शाश्वत । २ बना हुपा । बणाक-१ देखो बणाक' । २ देखो 'विनायक' ।
वत-वि० [सं० वत्] १ संज्ञा शब्दों के भागे लगने वाला एक वणाणो (बो), वणाणी (बी)-देखो 'बणाणो' (बो)।
प्रत्यय । २ समान, तुल्य। ३ सुखी ।-पु. १ शरीर । वगायतो-वि० १ प्रभावपूर्ण व्यक्तित्व वाला । २ सुन्दर,
२ प्राकार, प्रकार । ३ कष्ट । ४ दया। ५ विस्मय। प्रोजस्वी।
६ ग्रामंत्रण । ७ देखो "वित्त' । ८ देखो 'बात'। वरणारसी-१ देखो 'बनारसी' । २ देखो बनारस' ।
वतक-देखो ‘बतक'। वरणारिस-पु० १ वाचनाचार्य । २ देखो बनारस'।
वतका, वतडी-देखो 'बात'। वणाव-देखो 'बरण'व'। वणावटी-देखो 'बनावटी'।
वतकाव, वतगाव-देखो 'बतळाव' । वरणवरणी-वि० १ बनाने वाला, बनाने योग्य । २ बनाने का | वतन-पु० [फा०] १ जन्म भूमि, स्वदेश । २ राष्ट्र, देश । साधन ।
बतळारणौ (बो)-क्रि० १ ललकारना । २ देखो 'बतळागो' (बी)। वरणावणो (बी), वणावणी (बी)-देखो 'बणाणी' (बी)।
३ देखो 'बताणी' (बी)। वरणावि-देखो 'बणाव।
वतळाव, वतळावरण (रणी)-देखो 'बतळावरण' । वरणास-१ देखो 'विनास' । २ देखो 'बनास'।
वतसर-देखो 'वत्सर'। वणासणी (बो)-देखो 'विनासणी' (बो)।
वतहा-पु. [फा०] मदीना शहर का नामान्तर । वणासपति-देखो 'वनस्पति' ।
वतागर-पु० सलाहकार, परामर्शदाता । वणिक-पु० [सं०] (स्त्री० वरिणयांणी) १ व्यापार करने वाला, वतारणो (बी), बतावणी (बी), बताणो(बी), बतावणी (यो)व्यापारी, बनिया । २ व्यापारी समुदाय । ३ वैश्य ।
देखो बताणी' (बो)। वरिणकपण-पु. १ व्यापारी होने का गुण, भाव। २ बनिये का | वती वती-वि० १ श्रेष्ठ, उत्तम बढिया । २ पधिक, ज्यादा। स्वभाव, नीति ।
३ पक्षय, स्थायो।-पु. १ प्रजा से लिया जाने वाला कर परिणग्यो-पु० सूत खोलने का डंडा विशेष।
विशेष । २ देखो 'बत्ती' । ३ देखो 'बात' ।
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वतीकर
। ५५६ )
वान्य
वतीकर-पु० कपट।
वद, वद-पु०१ धार्मिक व प्राध्यात्मिक विषय का वास्तविक बतीत-देखो 'व्यतीत'।
ज्ञान । २ वृत्त । ३ चारों वेद । ४ मास का पूर्व पक्ष, कृष्ण वतीतरणौ (बी)-देखो 'व्यतीतगो' (बी)।
पक्ष । ५ एक रोग विशेष । ६ वृद्धि को प्राप्त करने की बतूळियौ, बतूळो-देखो 'बथूळो' ।
क्रिया ।-वि० [सं० बद्] १ बोलने वाला । २ देखो 'बद'। बतेरौ-देखो 'बत्तेरी' (स्त्री० वतेरी।।
बदक-वि० [सं० वद्] १ बोलने वाला, वक्ता। २ कहने वत-पु० प्रकार ।
वाला, बनाने वाला । ३ देखो 'वध' । बतोकड़-वि० (स्त्री० बतोकड़ी) १ अधिक बोलने वाला, | वदको-वि० १ श्रेष्ठ, उत्तम, बढिया। २ सज्जन, भला। वाचाल । २ अधिक बातें करने वाला।
३ अधिक। बतौ-देखो ‘वत' | 'वत्तौ'।
वदखोर (रो)-देखो 'बदखोरों'। बत्त, वत्तड़ो-देखो 'बात'।
बदगढ-पु. दिल्ली का एक नामान्तर । वत्ति, वृत्ती-देखो 'बत्ती'।
वदणी (बौ), वदणी (बी)-क्रि० [सं० वद्] १ कहना। बत्तीस-देखो 'बत्तोस'।
२ उच्चारण करना, बोलना। ३ उल्लेख करना, निरूपण बत्ती, बत्ती-वि० (स्त्री० वत्ती) १ प्रधिक, बढकर । २ विशेष । करना। ४ बात-चीत करना। ५ सूचना देना, बताना । वत्थपुन-पु० वस्त्र दान का पुण्य । (जैन)
६ पुकारना, चिल्लाना । ७ महत्व देना, मान देना । वत्थिरि-क्रि० वि० विस्तार से।
८ गणना करना. मान्यता देना । ९ मानना, स्वीकार वत्यु-देखो 'वस्तु'।
करना। १० प्राज्ञा, निर्देश देना । ११ बाजी लगाना, दाव वत्री-देखो 'बात'।
लगाना । १२ प्रतिस्पर्धा करना । १३ डींग मारना। शेखी वत्रीस-देखो 'बत्तोस'।
बघारना । १४ बहस या जिद्द करना। १५ निश्चय, नियत वत्स-पु० [सं०] १ बेटा, पुत्र । २ गाय का बछड़ा । ३ जानवर या तय करना। १६ परिश्रम करना । उद्योग करना ।
का बच्चा । ४ छोटा बच्चा, बालक । ५ संतान, पोलाद । १७ देखो 'बधणी' (बी)।
६ इन्द्र । ७ कंस का एक अनुचर । ८ एक प्राचीन देश। | वदन, वदनि-पु० [सं०] १ मुख, मुह । २ चेहरा, शक्ल, सूरत । बत्सक-पु० [सं०] १ छोटा बछड़ा, बच्चा। २ कुटज का पौधा । ३ रूप. भाभा । ४ अग्रभाग, अगला हिस्सा । ५ प्रथम
३ इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा । ४ यादव वंशीय एक राजा। संख्या । ६ कहने या बोलने की क्रिया या भाव। ७ देखो ५ पुष्प कसोस । ६ कुटज । ७ निर्गुण्डी।
'बदन' । वत्सनाम-पु० [सं०] १ हिमालय की तराई में होने वाला एक | बदनीत, वदनीत-देखो 'बदनीयत'।
पौधा २ उक्त पौधे का मीठा विष । ३ एक महर्षि । ५ | वदन्न-देखो 'बदन'। व-सर-पु० [सं०] १ बारह मास की अवधि । वर्ष । २ विष्णु का ववपख-पु० [सं० वदि-पक्ष कृष्ण पक्ष ।
एक नामान्तर । ३ ध्र व राजा का छोटा पुत्र । ४ किशोर वदरंग, बदरंग-देखो 'बदरंग'। बछड़ा।
वदरंगी, बदरंगी-देखो 'बदरगो' । वत्सराज-पु० [सं०] १ गाय का बछड़ा । २ राजा उदयन का
वदरा-स्त्री० धन, दौलत, वित्त । नामान्तर । ३ कोशल देश का एक राजा। ४ अजमेर का
बदरीनाथ-देखो 'बदरीनाथ' । गौड़ वंशीय एक राजा।
बदळ-देखो 'बादळ'। वत्सळ (ल)-वि० (स्त्री० वत्सळा) १ संतान के प्रति अत्यन्त वदळणी (बी), बदळरणो (बी)-देखो 'बदळणो' (बी)।
दयालु । २ छोटों पर स्नेह, दया कृपा करने वाला। दयालू, | वदळाणी (बी), वदळावरणी (बी), वबळाणी (बी)-देखो
कृपालु ।-पु० १ अनुराग, प्रेम । २ वात्सल्य रस । ___'बदळाणी' (बो)। वत्सलता-स्त्री. दया, कृपा, ममता, वात्सल्य, प्रेम, अनुराग। | बदळायत, वबळायत-देखो 'बदळायत' । अनुग्रह ।
ववळी, वबळी-१ देखो 'बदळी' । २ देखो 'बादळ' । वत्सासुर-पु० [सं०] 'वत्स' नामक असुर ।
वदळे (के), वदळे (लो)-देखो 'बदळे' । वय-देखो 'बाथ' ।
वदळी, वदळो-देखो 'बदळी' । वथवी, वपूप्रउ-देखो 'बथवी'।
वदान्य-वि० [सं० वदान्य] १ मधुर या मृदुभाषी। २ दयालु, वळियौ, बधूळो-देखो 'बथूळो' ।
उदार चित्त । ३ बात-चीत में शालीन ।
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बान्यता
बनंबर
वान्यता-स्त्री० [सं० वदान्यता] १ मदुता, माधुर्य । २ उदारता मान-सम्मान । ३ मानन्द, उत्साह, खुशी। ४ स्वागत गीत । दयालुता । ३ शालीनता।
५ बधाई। बदारणी (बो), वदावणी (बो),वदावणी (बौ)-क्रि०१ कहलाना। | वधांमरणो (बो), वधामणो (बो)-देखो 'बधाणो' (बो)।
२ उच्चारण कराना, बोलना । ३ बात कराना। ४ उल्लेख वधाइ (६), वधाइ (ई)-देखो 'बधाई'। कराना । ५ सूचना दिलाना, बतलाना। ६ प्रावाज वधाइदार, वधाईदार-देखो 'बधाईदार' । दिराना । ७ मान-सम्मान कराना । ८ मान्यता दिराना। बधाऊ (डो), बधाऊ (डो)-देखो 'बधाऊ' । ९ स्वीकार कराना। १० माज्ञा या निर्देश दिलवाना।
वधाऊहार-देखो 'बधाईदार' । ११ बाजी या दाव लगवाना । १२ प्रतिस्पर्धा कराना ।
वधाणो (बी), वधारणी (बो)-देखो 'बधाणो' (बी)। १३ बढ-बढ कर बातें करवाना । १४ निश्चय, नियत या
वधापो, वधापो-देखो 'बधापो' । लय करवाना । १५ बहस या जिद्द कराना । १६ परिश्रम
वधायक-वि० [सं० वृध-वर्धयते] १ बढाने वाला, वृद्धि करने या उद्यम कराना । १७ देखो 'बधाणो' (बी)।
वाला । २ देखो "विधायक'। बदावरण, व वावरण-स्त्री. १ स्वागत, सत्कार । २ अगवानी। | वधारण-वि० [सं० वृद्धि-कार] १ बढाने वाला, वृद्धि करने वदि, वदी, वदी -स्त्री० कृष्णपक्ष, माह का पूर्वाद्ध
वाला । २ खीचने वाला, लबा करने वाला । ३ तोड़ने-प्रव्य० कृष्ण पक्ष में।
फोडने वाला। बदीत (3), बदीतु, वदीते (त)-१ देखो 'व्यतीत' । २ देखो
वधारणौ (बो), वधारणौ (बी)-क्रि० १ प्रागे बढाना , अग्रसर "विदित'।
करना। २ वृद्धि करना, बढाना। ३ विस्तार करना, बबीती-वि० [सं० विदित] १ प्रसिद्ध, विख्यात । २ देखो।
फैलाना। ४ लबा करना। ५ मान देना। ६ काटना'व्यतीत' । ३ देखो 'विदित' ।
टुकडे करना । ७ तोड़ना, फोड़ना। बदूळ-देखो 'बादळ'।
वधारी-देखो 'बधारो'। वदेस-देखो 'विदेस'।
वधाव-देखो 'बधाव'। बदोतर-वि० [सं० वृद्धोत्तर] १ बढा हमा, अधिक । २ बढ़ने ___ योग्य । ३ समाप्त प्रायः ।
वधावणो, वधावणो-देखो 'वधांमणों। वदोववि-स्त्री० बढा-बढी, होड, जिद्द, प्रतिस्पर्धा ।
वधावरणो (बी)-देखो 'बधारणो' (बी)। बद्दळ (ळी), बद्दळ (ळी)-देखो 'बादळ' ।
वधावधि (धी)-देखो 'बढाबढो' । वडणौ (बी), बद्धणो (बो)-देखो 'बघणो' (बौ)।
वधाबो-देखो 'बधावो'। बामणी-स्त्री० १ बधाई । २ देखो वदावण'।
वधिक-वि० [सं० वधकः] १ हत्या करने वाला, हत्यारा । वद्धाणो (बी), बद्धावरणी (बो)-देखो 'बधाणी' (बो)।
२ प्रहार व घात करने वाला । ३ जल्लाद । ४ शिकारी, वध-पु० [सं०] १ मारना क्रिया, हत्या । २ विध्वंस, विनाश । व्याध।
३ विरोध, वैमनस्य । ४ प्राघात, प्रहार । ५ युद्ध। बधिर-देखो 'बधिर'।। ६ देखो 'प्रध'।
वधु, वधू-स्त्री० [सं० वधू] १ नवविवाहिता लड़की, युवती। यधक-पु०१ मछली पकड़ने का कांटा । २ देखो 'वधिक'।
२ दुल्हिन । ३ नई बहू । ४ पुत्र की पत्नी । ५ छोटे की वधरण-स्त्री० [सं० वृद्धि] वृद्धि, बढोतरी ।
स्त्री। ६ पत्नी । ७ स्त्री, प्रोरत 1-वर-पु० दूल्हा, पति । वधरणी (बो), वधणो (बो)-देखो 'बधणो' (बौ)। वधतीवेस-देखो 'बघतीवेस' ।
वधेवधि-देखो 'बढ़ाबढी'। वधतेरो, वधती, वधतरी, वधतौ-देखो 'बघतो' ।
वधोतरी-देखो 'बढोतरी'। वधरणो (बौ),वधरणो(बी)-क्रि०[सं० वर्धनम्] १ मागे बढ़ना. | वधोवधू (धौ)-पू० मवेशी हांकने की पावाज विशेष ।
अग्रसर होना। २ वृद्धि होना। ३ टूटना, खडित होना | वधौ-देखो 'बाधौ' (स्त्री० वधी)। (चूडी)। ४ बुझना (दीप)। ५ नारियल फोडा जाना । | वधाई, बधाई-देखो 'बधाई । ६ विस्तृत या लंबा होना। ७ बोला जाना ।
वध्धाईदार-देखो 'बधाईदार' । वधरोम (मो)-पु० सूअर, वराह ।
वध्धाणो (बो), वध्धावरणी (बी)-देखो 'बधाणो' (1)। वधामण (उ), वांमणी (णो)-पु० [सं० वर्द्धमानकम् | वधारु (रू)-पु. शाक विशेष ।
व पनिका] १ स्वागत, अगवानी। २ प्रादर, सत्कार, | वनंचर-देखो 'वनचर'।
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बन
बनासपति
वन, वन-पु० [सं० वन] १ जंगल, विपिन, बन । २ जल, पानी। | गुरिल्ला व चिपांजी इसी वर्ग के प्राणी हैं।
३ जल स्रोत । ४ वाटिका, बगीचा । ५ कमल । ६ कमल वनमाळ (माळा), वनमाळ-स्त्री० [सं० वनमाला] कंठ से पांव के फूलों का दस्ता। ७ प्रावास, घर । ८ काष्ठ, लकड़ी। | तक लटकने वाली वन-पुष्पों की माला। ९ किरण, रश्मि । १० दशनामियों की एक शाखा । | वनमाळी, वनमाळी-पु० [सं० बन-मालिन].१ ईश्वर, विष्णु । -प्रगनि, अगनी, अग्नि-स्त्री० दावानल, जंगल की भाग। २ श्रीकृष्ण । ३ बागवान, माली। -उक, मोक-पु. वानर, बंदर। वन्य पशु । तपस्वी, वनमूत-पु० [सं०] बादल, मेघ । मुनि ।-वि० वन का निवासी वनवासी।-खंड-पु० वन | वनर-देखो 'वानर'। जंगल ।-खंडी-पु. साधु, संन्यासी। वनवासी ।-चर, वनराइ (राई, राज, राय, राव), वनराइ (राई, राज, राजा, चरी, चरु, चारी-वि० वन में रहने व विचरने वाला । राव)-पु० [सं० वनराज] १ सिंह, शेर । २ बड़ा जगल, विरक्त, उदासी ।-पु० जंगली प्राणी, पशु । वानर, बदर । विशाल वन । [सं० वनराजि] ३ वृक्ष समूह, पंक्ति । हरिण । बजरंगी । जंगली घास । शरभ नामक जीव । ४ वनस्पती। ५ जंगल, वन । ६ वन खंड। -झंगर-पु० वन का झाड़ी समूह ।-देव-पु० वन का | वनरवाळ (ळि)-देखो 'बांदरमाळ' । अधिष्ठाता देव विशेष ।-नाथ-पु०. मलय वन, समुद्र । वनरावन-देखो 'वदावन'। -निधि-पु. समुद्र ।-पत, पति, पती-पु. वन का वनह (रूह)-पु० [सं०] कमल का फूल । राजा सिंह, शेर ।-पाळ, पाळक-पु० वन या बाग का वनरोइ (ई. ही) वनरोइ (ई,ही)-पु.१ वन, जंगल । २ बीहड़ रक्षक, चौकीदार ।- फळ-पु० वन के फल-फूल । बन, दुरूह जंगल। .. -बिलाव-पु. जंगली बिल्ला व इसकी जाति ।-भ्रग- वनलो-देखो 'बनो'। पु० जंगली भ्रमर । --मय-वि० वनों से युक्त, परिपूर्ण। बनवारी, बनवारी-देखो 'वनमाळो'। -मुरगौ-पु० जंगली मुर्गा ।-लक्ष्मी-स्त्री० वनश्री, वन बनसण-स्त्री० [सं० वनशण] शस्त्र-पुष्पि नामक भौषधि । की शोभा, केला -वास-पु० जंगल, निर्जन वन में निवास,
वनसपति (पती), वनसपति-देखो 'वनस्पति'। नगर ग्राम से दूर विरक्त व उदासी जीवन । वासी-वि०
वनसी, वनसी-देखो 'बसी'। वन में रहने वाला, साधु, संन्यासी, उदासी।-वासु, वनस्थळि (ळी)-पु० [सं० वनस्थली] १ वन, जंगल, अरण्य वासौ वनवास।
देश । २ वन का कोई भाग। वनप्रमावस (स्या), वनअमावस-स्त्री० धावण की अमावस्या वनस्पति, वनस्पति-स्त्री० [सं० वनस्पती] १ पेड़, पौधे, लताएं तिथि। हरियाली अमावस्या।
प्रादि । २ बिना पुष्प के फल लगने वाला वृक्ष विशेष । बनकर-पु० [स० बन्य-कर] सूर्य, रवि ।
-सास्त्र-पु. पेड़-पौधों के गुण धर्म, उत्पत्ति प्रादि का बनगव (गाय, गाव)-स्त्री० १ नील गाय, एक वन्य पशु । ज्ञान कराने वाला शास्त्र, विज्ञान । २ एक प्रकार का तेंदू वृक्ष।
वनात-देखो बनात'। बनड़ो, बनड़ो-देखो 'बनौ' । (स्त्रो० वनड़ी)
बनाती-देखो 'बनाती' / 'बनात' । वनचर, वनचर, वन्नचर-पु० वन में परिभ्रमण करने वाला,
वनाधिप (धिपति)-पु० [सं० वनाधिपति] सिंह, शेर । वनचर, जंगली। वनज, वनज-वि० [सं०] वन में उत्पन्न ।-पु. १ कमल । २ वृक्ष ।
बनापार-वि० प्रत्यधिक, अपार ।। ३ वनस्पतो। ४ हाथी । ५ सुगंध युक्त तृण विशेष । ६ नील
वनायु-पु० [सं०] १ एक प्राचीन देश । २ इस देश का निवासी। कमल का पुष्प । ७ जंगली कपास।
३ उर्वशी का पुत्र एक राजा । ४ एक दानव । बनता-देखो 'वनिता'।
बनायुज-पु० [सं०] १ 'वनायु' देश का घोड़ा । २ घोड़ा। वनतुळसी-स्त्री० [सं०] तुलसी जाति का एक पौधा, बर्बरी।
बनारणी (बी)-क्रि० सब्जी आदि काटना, छोटे टुकड़े करना । बनव-पु० [सं० बनदः] मेघ, बादल ।।
वनाळ-स्त्री० [सं० वन भलिका] १ सूरजमुखी। २ देवदाली वनवरसाव-पु० [सं०] इन्द्र।
प्रोषध, बंदाल । वनदेव वनदेव-पु० [सं० वनदेवता] (स्त्री० वनदेवी) वन का अधिष्ठाता देव।
वनास-देखो 'बनास'। बनमानस (मांनुस), वनमानस-पु० [सं० वनमानुष]वानर और वनासपति (ती), वनासपति-१ देखो वनस्पति' । २ देखो
मनुष्य के प्राकार से मिलता-जुलता एक जंगली प्राणी। 'बनासपति' ।
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वनि
( ५६२ )
वभक
वनि, वनि-स्त्री० [सं० वह्नि, वनि] १ अग्नि, प्राग । २ अभि- | वन्या-स्त्री० [सं०] १ बड़ा वन, अनेक वन। २ बाढ़, जल
लाषा, कामना । ३ याचना । ४ देखो 'वनी'/'बनी'। . प्लावन । ३ अश्वगंध । ४ गोपाल ककड़ी। ५ मुद्गपर्णी। पनिप्रगनी-देखो 'वन-अग्नि' ।
६ गुजा। वनिता (ता)-स्त्री० [सं०] १ पत्नी, भार्या । २ प्रियतमा, | वनमाळ, वनमाल-देखो 'बाँदरमाळ' ।
प्रेयसी, प्रिया । ३ स्त्री, औरत, नारी। ४ स्वामिनी, माल- वह्नि, बह्री-१ देखो 'वनि । २ देखो 'बनी'। ३ देखो 'वन'। किन । ५ वेश्या । ६ एक वर्णवृत्त । ७ मादा पशु ।
४ देखो वरणी'। वनितामुख-पु. एक मानव जाति ।
बह्रौ-देखो 'वनो'। वनितासुत-पु. [सं० वैनतय गरुड़ ।
वप-देखो वपु'। वनिस्पत-देखो 'बनिस्पत' ।
वपरणी-स्त्री. १ नाइयों का, हजामत करने बैठने का स्थान । बनी. बनो-स्त्री० [सं० वनी] १ छोटा वन, वाटिका । २ बीहड़ २ विपरणी।
जगल । ३ बनस्थली। ४ झाड़ी, कुज । ५ देखो 'बनी। वपन-पु० [सं०] १ बीज बोने की क्रिया या भाव। २ शिर 'वनि'।
मुडाई, हजामत । ३ वीर्य। वनीता-देखो 'वनिता'।
वपराणी (बी),वपरासी (बौ)-क्रि० [सं० व्यापारणम्] १ किसी वनीपक, वनीयक-पु० भिखारी, भिक्षुक, याचक ।
वस्तु की व्यवस्था करना, प्राप्त व उपलब्ध करना । २ घर वनीसिख-स्त्री० [सं वह्नि-शिख] केसर ।
में कोई चीज लाना, खरीदना । ३ उपयोग करना, इस्तेमाल वनु-देखो 'वन'।
करना । ४ व्याप्त करना, संवार करना, फैलाना। वनोक-पु० [सं० वनौकस्] वानर ।
वपरीत-देखो 'विपरीत'। वनोड़ो-देखो 'बरणोड़ो'।
वपरुच-पु० [सं० वपु-रुचि] खून, रक्त । बनोत्सरग-पु० [सं० वन-उत्सर्ग] १ देव मंदिर, वापी प्रादि वषा-स्त्री० [सं०] १ चर्बी । २ मेद । ३ गुफा । ४ दीमक द्वारा
बनाकर उनका जन उपयोग के लिये दान, उत्सगं । २ उक्त बनाया मिट्टी का ढेर । ५ बांबी। प्रकार के दान की विधि ।
वपि-देखो 'वपु'। । वनोद-पु० [सं० बनोदय] १ कमल । २ देखो 'विनोद' -नेपी वपु-पु० [सं० वपुस्] १ शरीर, देह, अंग, काया। २ रूप, -स्त्री० कमलनयनी।. .
सौन्दर्य । ३ प्राकार-प्रकार । ४ प्राकृति, शक्ल । वनोळी, वनोळो-देखो 'बंबोळो' ।
वपुख, वपुस-पु० [सं० वपुषः] देवता। वनोवास-देखो 'वनवास'।
बप्प-देखो 'वपु'। वनो बनौ-देखो 'बनी'। (स्त्री० वनी)
वप्र-पु० [सं०] १ मिट्टी की दीवार । २ शहर पनाह । ३ मिट्टी बनौकस-पु० [सं०] १ बंदर, वानर । २ वनवासी।
का टीला । ४ चोटी या शिखर । ५ नदी तट । ६ भवन वनौखद, वनौसद-स्त्री० [सं० वन-औषधि जंगल में पैदा होने
की नीव । ७ पहाड़ की ढलान । ८ शहर पनाह का द्वार । __वाली औषधि, जड़ी, बूटी।
९ वृत्त, व्यास । १० खेत । ११ मिट्टी, धूल, रेणु । वन्न-देखो-'वन'।
[स० वप्रिन्] १२ प्रजापति । १३ द्वापर युग का व्यास । बन्नरणी (बी)-कि० वर्णन करना, चित्रण करना।
वप्रवरण-पु० [सं० वप्रावरण] गढ़, किला। बन्नमाळी, वनमाळी-देखो 'वनमाळी' ।
वप्रौढी-पु० [सं० विवोढ्ढ़] १ पति । २ दूल्हा, वर । वन्नर, बघर-देखो 'वानर'।
वका-स्त्री० [का०] १ निर्वाह, पालन, अमल । २ सद्व्यवहार, बनरमाळ (माळा बाळ), बन्नरमाळ-देखो 'बांदरमाळ'।
बर्ताव । ३ प्रेम, मुहब्बत। ४ निष्ठा, पास्था, भक्ति । वनि-देखो 'वन' /'वनि'।
५ सुशीलता, सभ्यता ।-दार-वि. स्वामीभक्त, नमक वन्निजरणौ (बो), वन्नीयणो (बो)-१ देखो 'बरणणो' (बो)। हलाल । कृतज्ञ। दृढप्रतिज्ञ, कर्तव्यनिष्ठ । सच्चा, ईमान२ देखो "विरजणी' (बी)।
दार। वादा निभाने वाला ।-दारी-स्त्री० स्वामीभक्ति, वन्य-वि० [सं०] १ वन का, वन संबंधी, जंगली। २ वन में कृतज्ञता । कर्त्तव्यनिष्ठा । सच्चाई वफादार होने की उत्पन्न । ३ बर्बर, हिंसक । ४ असभ्य, असिष्ट ।-पु० १
अवस्था या भाव । जगला सूरन । २ क्षीर विदारी। ३ वाराही कंद। ४ राख। वभीखण, वम्भीखरगो-देखो "विभीसण' । वन्यकर-देखो 'बनकर'।
| वमक-देखो 'भभक'।
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बभकरणी
T
वभकणी (बो), वभकरणो-देखो 'भभकणो' (बी)।
वयण, वयणडो-१ देखो 'वचन' । २ देखो 'वदन'। वभकाणी (बी), वमकावणो (बी), वभकापो (बो)-देखो | क्यण दूठ-वि० वचन पर दृढ़ रहने वाला। 'भमकाणो' (बो)।
वयणपुग्न-पु० [सं० वचन-पुण्य] शुभ बोलने का पुण्य । बमकार, बमकार-देखो 'भमकार' ।
वयणसगाई, बयगसगाई-स्त्री० डिंगल काव्य का एक शब्दावभकी, वमकी-देखो 'भभकी'।
लकार, वर्ण मैत्री। वभक्करणी (बी), वमक्कणो (बी)-देखो 'भभकरणो' (बी)। वयद-१ देखो "वियत' । २ देखो वैद्य'। वभक्काणी (बो), वभक्कावरणौ (बौ) वभक्कावरणो-देखो वरकरार-देखो 'बरकरार'। "भभकारणी' (बी)।
वयर-१ देखो 'वर' । २ देखो 'वैरी'। वमयंद्री-पु० [सं०] इन्द्रिय-विभु] इन्द्र ।
वयरपीप्री-पु. शत्रु, वरी। वभाड़-देखो 'विभाड़।
वयराग-देखो 'वैराग्य'। वभीखण, वभीसण. वभीसण-देखो 'विभीसण'।
वयरागर (री)-१ देखो 'वैरागर'। २ देखो 'वइरागर'। वभुत, वभूत, वभूति, बभुत, बभूति- देखो. 'विभूति'/]वरागियो-टेखोरागियोटेखो ', ___ "विभुता' । २ देखो 'भभूत'।
वयरागी-देखो 'वैरागी'। वम्भीखण, बाभीखण-देखो 'विभीसण' ।
वयराड़ो-स्त्री० एक प्रकार की रागिनी विशेष । वभ्र-देखो 'बभ्र।
वयराजी-देखो 'बेराजी' । बभ्र पिपळा-स्त्री० शनि ।
वयराजीउ-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।। वभ्र वाहन-देखो 'बभ्र वाहन' ।
वयराट-१ देखो 'वैराट'। २.देखो 'विराट' । बमणो (बो)-क्रि० [सं० वमनम्] १ उल्टी; वमन, कं करना ।
वयरि, वयरी-देखो 'वैरी'। .२ उगलना, उगल देना। ३ थूकना । ४ उड़ेलना ।
बाळ-देखो 'बयळ'। ५ प्रगट करना, भेद देना। ६ मसल बात कह देना। ७ फैकना । ८ त्यागना।
वयसधि-पु० [स०] दो अवस्थानों के बीच की स्थिति । बम (पू)-पु. [सं० वमधुः] १ हाथी की सूड द्वारा फेंका हुमा
वयस-पु० [सं० वयस्, वयस्य] १ उम्र । २ जवानी । ३ साथी, पानो । २ के, वमन ।
मित्र । ४ सहयोगी। ५ हमउम्र । वमन-पु० [सं०] १ उल्टो, के । २ थूक । ३ उगाल। ४ उड़ेलना
वयसाही-देखो 'वैसाखो'। प्रगट करना, भेद देना क्रिया । ५ त्याग ।
वयस्थविर-वि० साठ वर्ष की अवस्था का। बमर-देखो 'विवर'।
क्यस्य-देखो 'वयस'।
वयांणी-पु० [सं० विहान] १.विवाह के, प्रातःकालीन मांगलिक वमुख, वमुह-देखो 'विमुख' । वमेक-देखो 'विवेक'।
गीत । २ ऐसे गीत गाने वाली स्त्रियों को दी जाने वाली
मिठाई, वस्तु प्रादि । वम्मरो-देखो "विवर'। बयड-देखी 'विता'।
क्यार देखो 'बयार'। वयडकनी-स्त्री० [सं० वंड-करिणक] कटे कान वाली।
वयाळ-देखो 'व्याळ'। वयंडचर-पु० [सं० वितंड-चर] मनल पक्षी। .
वयोधर-वि० [सं० वयोधस्] [स्त्री० वयोधरी) युवा, तरुण ।
वयोम-देखो 'व्योम'। वयंडमुख-देखो 'वितंडमुख' । वयंव-देखो 'वियत'।
वयोवरध (वड, वध, विध)-वि० [सं० वयोवृद्ध] १ प्रायु से वय-स्त्री० [सं०] १ मायु, उम्र । २ गुजरा हा समय; जीवन |
.... वृद्ध, बूढा, बुजुर्ग । २ अवस्था, अनुभव व ज्ञान में बड़ा । काल । ३ समय, काल । ४ जवानी; युवावस्था । ५ क्रम।।
वरंग-पु० [सं० वर-अंगम्] १ शिर, मस्तक । २ उत्तम
शरीराग । ३ सुडौल शरीर । ४ देखो वरांग'। ५ देखो ६ विस्तार । ७ बल, शक्ति । ८ पक्षी, विहंग। [स० वच् ] ६ वचन, वाणी। १० स्वर, मावाज । ११ छप्पय छंद का
वरंग'। एक भेद । १२ जुलाहा । १३ वसिष्ठ कुलोत्पन्न एक गोत्र | वरंगन-देखो 'वारांगना'।
कार ।-वि० [सं० वयस्य] समान, तुल्य, बराबर । वरंगो-वि० वरंग का, वरंग संबंधी। वयअभीत-पु० [सं० प्रभीत-वय] युधिष्ठिर ।
| वरंच -व्य० [सं०] १ अपितु बल्कि । २ परन्तु किन्तु, लेकिन । वयगरणी, वयगरण (रणो)-देखो 'व्ययकरणिक'।
३ देखो विरंची'।
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वरंट
( ५६४ )
बरजत
वरंड-पु० [सं०] १ समूह, झुण्ड । २ समुदाय । ३ घास का ढेर, | वरखामापक-पु० वर्षा मापने का यंत्र ।
गदुर । ४ मुहासे । ५ जेब, खीसा । ६ वंशी की होर। | वरखारत (रित, रिति, रितु. रुत, रुति)-देखो 'बरसारितु'। [सं० वितंड] ७ हाथी व गज । ८ फोलखाने में हाथी | वरख्यात-पु० सरोवर, तालाब।
बांधने के स्थान पर बीच-बीच में बनी दीवार। वरग-पु. [स. वर्ग] १ श्रेणी, जमात । २ जाति, समुदाय, बरंउक-पु० [सं०] १ हाथी का होदा, अंबाड़ी। २ मिट्टी का | समाज । ३ प्राणी जाति, प्राणी समूह, झुड। ४ समान टीला। ३ दीवार ।
धर्मी व समानकर्मी प्राणी । ५ नस्ल । ६ भाग, विभाग। बरडा-स्त्री० [सं०] १ छुरी, खंजर । २ सारिका पक्षी। ७ उद्देश्य विशेष से बना व्यक्ति समूह, संघ । ८ किसी एक ३ दिये की बत्ती।
वण से उच्चरित प्राणी का नाम (ज्योतिष) ९ न्याय वरंडो, वरडो-पु० [सं० वरंड:] बरामदा ।
शास्त्र के नौ या सप्त पदार्थ विभाग। १० एक ही स्थान से वर, वर-पु० [सं०वर] १ पति, भरतार । २ वधू प्रार्थी, दूल्हा ।। उच्चरित होने वाला वर्ण समूह । ११ ग्रंथ का भाग, अध्याय,
३ स्वामी, मालिक । ४ दामाद. जमाता । ५ अभीष्ट वस्तु, परिच्छेद । १२ दो समान अकों या राशियों का गुणनफल । इच्छा या अवस्था जिसकी प्राप्ति के लिये देवी-देवताओं से १३ समकोण क्षेत्र । १४ समान लंबाई-चौड़ाई का माप । याचना की जाती है । ६ इस याचना से होने वाली प्रभीष्ट १५ शक्ति, ताकत । १६ शत्रु दल । १७ पत्र, पत्ता । की पूर्ति, तुष्टि । ७ देवता से प्राप्त सिद्धि. अनुग्रह । १८ पांच की संख्या* 1-वि० पांच । ८ इच्छा, अभिलाषा, कामना । ९ भेंट, पुरस्कार । १० पसं-वरगड़ो (ड)-पु० १ सिंह । २ देखो 'बरगड़ो'। दगी। ११ चुनाव, चण्न । १२ वरण, ग्रहण ! १३ दहेज । बरगफळ वरगफळ-पु० [सं० वर्गफल किसी अंक को उसी से १४ लंपट व्यक्ति । १५ गेरैया पक्षी। १६ केसर । गुणा करने का परिणाम। १७ हल्दी । १८ दाल चीनी । १६ अदरक । २० सुगंधित वरगमूळ वरगमूल-पु० [सं० वर्ग मूल] गुणन किया जाने वाला तुण । २१ मौलसिरी। २२ सेंधा नमक । २३ मधु मक्खी | वर्गीक । का छाता । २४ गुग्गुल ! २५ श्रीकृष्ण । २६ रहट की एक वरगळणो (बो)-क्रि० १ गुमराह होना, भ्रम में पड़ना । लकडी। २७ एक प्रत्यय (फा०)।-वि०१ श्रेष्ठ, सर्वोत्तम ।। २ उत्तेजित होना, भड़कना। २ बढकर। ३ चुनाव योग्य । ४ दानी। ५ सुदर। ६ भला। वरगळारणी (बो) -क्रि० १ गुमराह करना, भ्रम में डालना। -उमिया-पु० शिव, महादेव ।-दळ, दल, दळि, बळी- २ उत्तेजित करना, भड़काना । पु० वरपक्ष, बरात । दूल्हा । -माळ, माळा ,माला, माळ, वरगिरजा, वरगिरजा-पु० [सं० गिरिजा-वर शिव, महादेव । म्माळा-स्त्री० दूल्हे-दुल्हिन को विवाह के समय पहनाई जाने वरगोत्तम-पु० [सं० वर्गोत्तम] राशियों का श्रेष्ठ ग्रंश (ज्योतिष) वाली माला, हार, जयमाला ।-यात्रा-स्त्री. विवाह के | -वि० वर्गों में उत्तम । के लिये वर व बरात का प्रस्थान, प्रयाण ।
वरग्ग-देखो 'वरग'। वर'-देखो वरस' ।
वरघू-देखो 'बरघू'। वरकंठ-पु० [सं०] सुग्रीव। ..
वरडणी (बी)-देखो 'बरडणो' (बी)। वरक, वरक-पु० [फा०. सं० वरक] १ मिठाई प्रादि पर लगाने वरड़ी वरड़ी-स्त्री० १ लाल मिट्रो। २ देखो 'बरड़ी'।
की सोने या चांदी की, बारीक झिल्लो पत्र । २ पृष्ठ, पन्ना, वरचरणौ (बो)-देखो 'विरचरणौ' (बी)। पत्र । ३ पत्ता, दल । ४ टिकट, प्रवेश-पत्र । ५ इच्छा , चाह, वरचस-पु० [सं० वर्चस्] १ प्रकाश, उजाला, तेज । २ कान्ति, बर। ६ चुग्गा । ७ वन मूग। ८ कपड़ा, वस्त्र । ९ तौलिया, दीप्ति । ३ रूप, शक्ल । ४ शक्ति, पराक्रम । ५ विष्ठा ।
झाडन । १० नाव की छाजन । ११ देखो "विरक'। -६ वृक्ष, पेड़ । वरकरार-देखो 'बरकरार'।
वरचरणौ (बी)-क्रि० [सं० वश्चम्] १ घाव करना, काटना। बरक्ख-देखो 'वरस'।
२ चीरना, फाड़ना। ३ काट कर अलग-अलग करना । वरफ्रंतु, (त, ऋतू, क्रित)-पु० [सं० वरक्रतु] इन्द्र ।
४ देखो "विचरणों' (बौ)। वरख-देखो 'वरस'।
वरजण-देखो 'वरजन'। वरखरणी (बौ)-देखो 'वरसरणो' (बो)।
वरजणीक-देखो 'बरजनीक' । वरखम-पु० [सं० वष्मंन्] १ शरीर, देह । २ ऊंचाई, माप। वरजणी (बौ), वरजरणो (बो)-देखो 'वरजणी' (बी)। वरखा, वरखा-देखो 'वरसा'।
वरजत-वि० [सं० वयं] निषिद्ध, वजित ।-पु. १ निषेध । वरखाकरण-पु. {सं० वर्षाकरण] देवराज इन्द्र।
, २ निषिद्ध कार्य। ३ पाप ।
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बरजन
। ५६५ )
बरगा
बरजन-स्त्री० [सं० वर्जनम्] १ निषेध करने की क्रिया या वरणनस्ट, वरणनस्ट-पू० [सं० वर्णनष्ट] छन्द शास्त्र की एक भाव । २ रोक, मनाही, निषेध। ३ व्यवधान, बाधा,
क्रिया। अवरोध । ४ परित्याग, त्याग । ५ वैराग्य, विरक्ति।
वरगना-स्त्री० [सं० वर्णनम्] गुण कथन । वरजाग (गो)-देखो 'बजराक'।
वरणनास, वरणनास-पु० [सं० वर्णनाश] व्याकरण में उच्चारण वरजाणी (बौ)-देखो 'बरजाणी' (बो)।
संबधी दोष । वरजिस, वरजिस-स्त्री० [फा० वजिश] १ श्रमसाध्य कार्य, वरणपताका वरणपताका-स्त्री० [सं० वर्णपताका] छंदों के
कठिन श्रम । २ कसरत, व्यायाम । ३ अभ्यास, रियाज ।। लघु गुरु जानने की क्रिया। प्रयास।
वरणपात, वरणपात-पृ० [सं० वर्णपात ] शब्द से वर्ण का भय । वरजोर, वरजोर-देखो 'बरजोर'। .
वरणपाताळ, वरणपाताळ-पु० [सं० वर्ण-पाताल] छन्द शास्त्र वरट-पु० [सं० बरट] (स्त्री० वरटा) १ हंस। २ बरया।
की एक क्रिया। ३ विरों अनाज । ४ कुन्द का फल। -पति-पु० हंस। वरणपास, वरणपास-पु० [सं० वरण-पाश] १ वरुण देव, वरडो (ढौ), वरडो-देखो 'वढो'
वरुण । २ मामुद्रिक जंतु, शार्क। ३ वरुण का शस्त्र ।
४ कठिन पाश, बंधन। वरण, वरण-पु० [सं० वरणः] १ इच्छा व रुचि के अनुसार
वरणपुर, वरणपुर-पु. [सं०] १ वरुण लोक । २ शुद्ध राग का चयन । २ कन्या के योग्य वर का चयन। ३ पत्नी व पति के
एक भेद । रूप में परस्पर ग्रहण, स्वीकार, शादी, विवाह । ४ भादर,
वरणप्रत्यय, वरणप्रत्यय-पु० [सं० वर्ण-प्रत्यय छन्द शास्त्र की सत्कार। ५ याज्ञिक ब्राह्मण का चयन, उसका पादर ।
एक प्रक्रिया। ६ दान । ७ पूजन, अर्चना, धर्मानुष्ठान । ८ याचना । ९ ढकने-लपेटने की क्रिया या भाव। १० प्रावरण, पाच्छा
वरणप्रस्तार, वरणप्रस्तार-पु० [सं० वर्ण-प्रस्तार] छन्दों के भेद दन । ११पर्दा । १२चादर । १३परकोटा,प्राचीर । १४ खेरा।
जानने की क्रिया । १५ पुल, सेतु । १६ पार्या गीति या स्कंधांण का एक भेद ।। वरणमाता, वरणमाता-स्त्री० [सं० वर्ण-मातृका] १ सरस्वती। १७ गाने में स्वर विस्तार की क्रिया। [सं.प्रवरण-भागुरे
२ लेखनी। प्रलोप] १८ ऊंट । [सं० वरिपणी] १६ स्त्री पत्नी। वरणमाळा, वरणमाला-स्त्री० [सं० वर्णमाला] १ किसी [सं० वर्ण] २० रंग-रूप । २१ प्रक्षर, स्वर । २२ प्रका
__ भाषा या लिपि के प्रक्षर, वर्ण समूह। २तरेसठ की संख्या*। रादि क्रम । २३ प्रार्थना, स्तुति । २४ गुण । २५ हिन्दू वरणविपरज (विपरय्य)-पु० [सं० वर्णविपर्यय] वर्णों के समाज के चार विभाग। २६ भेद, किस्म । २७ यश | उलट-फेर की स्थिति । कीति । २८ देखो 'वरुण'। २९ देखो 'वण' ३० देखो | वरणव्यवस्था, वरणव्यवस्था-स्त्री० भारतीय हिन्दु समाज की 'वरणन'।
व्यवस्था या संगठन। वरणखडमेर, वरणखंडमेरु-पु. छन्द शास्त्र की एक क्रिया। | वरणवत, वरणवत-पु० [सं० वर्णवृत्त]एक वृत्त वर्ण विशेष । वरणजथा, वरणजथा-स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक विधि । | वरणसंकर, वरणसंकर-पु० [सं० वर्णसंकर] १ भिन्न-भिन्न जाति वरणज्येस्ठ-पु० [सं० ज्येष्ठ वर्ण] ब्राह्मण वर्ण ।
के स्त्री-पुरुषों से उत्पन्न संतान । २ रंगों का मिश्रण । वरण, वरणण-देखो 'वरणन'।
वरणसमाम्नाय, वरणसमाम्नाय-पु० [सं० वर्ण-समम्नाय] वर्ण वरणरणी (बौ), वरणणी (बी)-क्रि० [सं० वर्णनम्] १ वर्णन माला।
करना। २ उल्लेख करना। ३ रचना करना; लिखना । | वरणसरिक, वरणसरिक-पु० [सं० वर्ण+सरिक] एक प्राभूषण ४ व्याख्या करना : ५ प्रशंसा करना, सराहना । ६ निवेदन विशेष । करना । ७ चित्रण करना।
वरणसूची, वरणसूची-स्त्री० [सं० वर्ण-सूची] छन्द शास्त्र की वरणदूत-पु० १ पत्र । २ लिपि । ३ चिट्टो।
एक क्रिया। वरणन-पु. [सं० वर्णन] १ किसी घटना, विषय, बात प्रादि | वरणस्रस्ठ, वरणस्रष्ठ-पु० [सं० वर्ण-श्रेष्ठ] ब्राह्मण वर्ण।
का कथन । २ वृत्तान्त । ३ बयान, उल्लेख । ४ चित्रांकन, वरणा-स्त्री० [सं० वरुणा] १ काशी के उत्तर में बहने रंगाई। ५ व्याख्या। ६ निवेदन, स्तुति, प्रार्थना । ७ प्रशंसा, वाली एक नदी । २ पंजाब की वरुणा नदी । ३ एक मराहना । बखान । लेखन ।
प्राचीन मार्य जनपद।
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बरनानियो
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( ५६६ )
बरखायियों रागियो-१० [सं०] वरां] रूप-रंग व वराधिप, व्रणाधिप पु० [सं० वधि | ब्रह्मादि वर्णों के प्रधिपति ग्रह ।
वरणामद, वरणाद-पु० १ सूर्य । २ इन्द्र । ३ वरुण । ४ जल । वरणाव, वरणाव- देखो 'वरन' ।
वणास्रम, वरणास्रम - पु० [सं० वर्णाश्रम] १ प्रायं संस्कृति के अनुसार समाज की व्यवस्था । २ ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास प्राश्रम
वरणि, बरणि-देखो 'बरणी'।
वरणियो, बरणियो पु० डाभ का बना मोटा रस्सा |
बरणी, दरणी-वि० [सं० व
१ व का, वर्ग संबंधी। ३ रंग-रूप से युक्त । स्त्री०
२ किसी रंग से संबंधित
-
3
१ यज्ञ, अनुष्ठान श्रादि में नियोजित ब्राह्मण मडली । [सं०] बखिनी] २ अनुष्ठान विधि साधना ३ स्त्री मिनी पत्नी हल्दी ५ नियोजन की क्रिया। बरलोस्ट बरोहित पु० छंद शास्त्र की एक किया। वरणी, वरणी - वि० [सं० वणिन् ] ( स्त्री० वरणी) १ वर्ण का, वर्ण संबंधी । २ किसी वर्ण या जाति से संबंधित । ३ रंग संबंधी । ४ रूप-रंग से सम्पन्न ।
,
( क्रि० [सं० राम्] १ वरण करना, अंगीकार व स्वीकार करना, शादी करना २ चुनाव करना,
1
पसंद करना । ३ स्वीकार करना, मानना । ४ वरदान या प्राशीर्वाद देना । ५ निगलना, खाना । ६ मांगना, याचना
करना ।
(बी) (बी) देखो 'बरसण' (बी)। वरती से पानी की मोट निकालने हाथ बांधने का चमड़े का मोटा रस्सा । २ नट क्रीड़ा में काम आने वाली रस्सी या डोरा । ३ देखो 'विरंत' । ४ देखो 'व्रत' ५ देखो 'व्रती' |
वरतरण, वरतरण- १ देखो 'बरतरण' । २ देखरे 'बरतन' । वरण (सी), बरलि देखो 'बस्ती'।
वरती वरतलो-देखो 'बरतो'
वरती (बौ), वरतणो (बो) - क्रि० १ घूमना, फैलना २ विद्यमान होना, वर्तमान होना । ३ देखो 'बरतणी' (बी) वरतन तन १ देखो 'वेतन' २ देखो 'बरतन' । वरमाण - (मान), वरतमाण- वि० [सं०] वर्तमान ]
विद्यमान, मौजूद । २ जीवधारी, जिन्दा । ३ जो अपने पस्तित्व या सत्ता में हो। ४ घूमने-फिरने वाला। ५ प्रभावशील लागू । - पु० १ व्याकरण में क्रियामों के तीन कालों में से एक 1 २ मोजूदा समय । ३ समय, वक्त ।
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बरवाइ
'घरतमा देखो 'राम'
वरतर, वरता देखो 'वरत' वरताड़ली (बी) बरताली (बी) व्रतानी (बी) देखो 'बरता (बी)।
वरतार, वरतार-१ देखो 'भरतार' २ देखो 'बरतारी'। बरतारी-देखो 'प्रत्तोरि' -
बरतारी, ब्रतारी पु० [सं० बुराचार ] १ प्रयोग इस्तेमाल करने की क्रिया । २ समय, वक्त । ३ देव योनि या प्रेत योनि में गई महात्मा का किसी प्राणी के शरीर में प्रवेश एवं उसकी क्रियाएं । ४ छंद रचना संबंधी पद्य विशेष । ५ प्राधार, सहारा ।
वरताव, बरताव देखो 'बरताय'
-
।
वरतावणी (बी), वरतावणी (बी) - देखो 'बरताणी' (बो) । बरतियो, वरतीयों बरतियो, बरतियाँ देखो भरतियों'। वरतुळ, वरतूळ - पु० [सं० वतुल] १ चक्कर, गोला । २ चक्र । ३ वात चक्र । वि० चक्करदार, गोल ।
वरत, वरत-१ देखो 'वरत' । २ देखो 'व्रत' । ३ देखो 'व्रती' । वरसणी (बी) - देखो 'बरतणी' (बी) | वरत्तिकाविदु-पु० [सं० वर्तिकाविदु] हीरे का एक दोष । वर वर वरत की बरस को देखो 'वर'। । । वरश्म-पु० [सं०] बन्] [१] मार्ग, पच रास्ता, राह २ सड़क ३ पगडंडी । ४ पंथ । ५ स्थान। ६ लीक, रूढ़ि । ७ पद्धति परम्परा, चलन ८ किनारा, तट
वत्री स्त्री० [सं०] वर्तनि] मार्ग, रास्ता, सड़क
- वि० [सं०] १ वरदाता । वस्दान दाता । २ शुभ -पु० देवता २ देखो 'विरुद्ध' ।
रात स्त्री० [सं०] उदात्-परद ] सरस्वती, शारदा वरदपत (पति) - देखो 'विरुदपति' ।
वरवळ, वरबल (ळि, लि) बरबळ, वरवल--पु० १ दूल्हा, वर । २ वर पक्ष । ३ बारात ।
वरदांगी, वरवारणी-देखो 'वरदायिणी' ।
बरदान, वरदांन पु० [सं० वरदान ] १ प्रभीष्ट की पूर्ति हेतु इष्ट देव द्वारा प्राप्त सिद्धि । २ प्राशीर्वाद । ३ प्रभीष्ट वस्तु ।
वरांनी वरदांनी वि० १ वरदान देने वाला, मनोरथ सिद्ध करने वाला । २ सिद्धिधारी ।
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वरदा, वरदा स्त्री० १ कुंवारी कन्या, लड़की । २ प्रश्वगधा |
३ एक नदी का नाम । ४ मड़हुल ५ सरस्वती, शारदा । बरवाह, बरवा, बरदाई, बरबाद बाइक वाई वि० [सं०
वरदात] १ वर देने वाला, वरदाता । २ श्रेष्ठ, उत्तम ।
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वरवाचतुरयो
। ५६७ )
बरवती
३ यशस्वी । ४ वीर । ५ वरदान या सिद्धि । ६ वरदान से | बरनोळी (लो), वरनोळो-देखो 'बंदोळो' । उत्पन्न । ७ अनुकूल, लाभप्रद ।
वरनो, वरनौ-देखो 'वरणो'। वरदाचतुरथी, वरदाचौथ-स्त्री० [सं० वरदाचतुर्थी] माघ शुक्ला | वरन-देखो 'वरण' । . चतुर्थी ।
वरनी-देखो 'वरणी'। वरदात-वि० [सं० वरदात] वर देने वाला, वरदाता ।-स्त्री० | वरनौ-देखो 'वरणी'। [सं० वरदात्री सरस्वती, पार्वती, गिरिजा।
वरपूर-देखो 'भरपुर। .. वरदाता, बरवाता-वि० [सं० वरदातृवर देने वाला, वरदायक। वरम-पू० [सं० वमन्] १ कवच, बख्तर। २ घर, मकान । -पु० १ ब्रह्मा, विष्णु, महेश । २ कोई देव ।
३ छाल, गूदा । ४ पित्त पापड़ा। [फा० वरम] ५ सूजन, वरदाय, वरदायक, वरदायक, वरदायक-वि० १ वर देने वाला, शोथ । ६ धाव । ७ देखो 'ब्रह्म'।
वरदाता । २ सिद्धि देने वाला । ३ श्रेष्ठ। ४ यशस्वी वरमा,-स्त्री० [सं० वर्मन्] १ उपनाम । २ कुछ जातियों कीतिवान । ५ वीर । ६ सिद्धि प्राप्त । ७ वरदान प्राप्त । के लोगों के नाम के पीछे लगने वाली उपाधि । ३ देखो ८ फलदायक।
'ब्रह्मा'। वरदायण, वरदायणि वरवायणी, वरदायिणी, वरदायिणी | वरमाळ, वरमाल-देखो 'वरमाळा' ।।
-स्त्री० [सं० वर-दायिनी] सरस्वती।-वि० १ सिद्धि व | वरमाळपो (बी), वरमाळरणी (बी)-क्रि० १ दुल्हे-दुल्हिन द्वारा सफलता देने वाली । २ वर देने वाली।
परस्पर माला पहनाना, डालना। २ जयमाला डालना । बरदायी-देखो 'वरदाई'।
३ विवाह, शादी या वरण करना । ४ स्वीकार या अंगीकार . वरदाळ (को)-देखो 'विरुदाळो' ।
करना। वरवी-स्त्री० [अ० वर्दी] किसी विभाग या संस्था के कर्मचारियों | वरमाळा (ला), वरमाला-पु० [सं० वर+माला] १ दुल्हिन की निर्धारित पोशाक ।
द्वारा दूल्हे के गले में पहनाई जाने वाली माला, हार, वरदेत, वरवैत-देखो 'वरदाता' ।
पुष्पहार । २ जयमाला। वरखक-वि० [सं० वद्ध'क] १ वृद्धि करने वाला, बढाने वाला। | वरम्म-देखो 'वरम' ।
[सं० वर्धक] २ काटने वाला। ३ विभाजित करने वाला। वरम्मा-देखो 'ब्रह्मा' । वरखन-पु० [सं० बर्द्धन] १ वृद्धि, बढ़ोतरी। २ उन्नति । वरम्माळ, वरम्माळा(ला),वरम्माल,वरम्माळा-देखो 'बरमाळा । ३ बढ़ने की स्थिति।
वरय-देखो 'वरद'। वरद्धमाण, वरखमांन-वि० [सं० वर्द्धमान] १ जो बढ़ रहा हो,
वरयता-पु० [सं० वरियता] "स्त्री का पति, भर्ता, स्वामी । बढ़ने योग्य । २ बढने की प्रवृत्ति वाला। ३ उन्नति के
-वि० वरण करने वाला। लिये उन्मुख ।-पु० १ जैनियों के चौबीसवें तीर्थकर, महावीर
वरयात्रा-स्त्री० [सं०] १ विवाह के लिये दूल्हे का बारात सहित स्वामी। २ एक वर्णवृत्त। ३ वार-नक्षत्रों संबंधी एक
गमन, प्रस्थान । २ बारात । योग। ४ जैन मतानुसार एक ग्रह ।
वररमा, वररमा-पु० [सं० रमा-वर] विष्णु; श्रीराम । वरद्धमांनतप-पु. एक व्रत विशेष । (जैन)
वररुचि-पु० [सं०] १ सुविख्यात प्राकृत व्याकरणकार । वरधक, वरधक-पु० [सं० वधंक] १ बढई, तक्षक । २ देखो २ नाट्य शास्त्र के प्रणेता विशेष । 'वरद्धक'।
वरळ, वरळक-पु० [सं० वरलः] १ सूर्य, सूरज । २ हंस । बरधका-स्त्री० [सं० वृद्धा] १ गाथा छंद का एक भेद। २ देखो ३ बरया। ४ प्रकाश, उजाला, रोशनी। 'प्रद्धा' ।
वरलच्छि-पु० [सं० लक्ष्मी-वर] विष्णु। वरधापन-देखो 'वृद्धापन'।
वरळणी (बी)-देखो 'विरळणी' (बी)। वरन्-अव्य० [सं०] १ बल्कि । २ ऐसा नहीं।
वरला-स्त्री० [सं०] हंसनी, मादा हंस । वरन-देखो 'वरण'।
वरळु (लु)-देखो 'विरळो'। (स्त्री० वरळी) वरनसन-पु. कवि, पंडित ।
वरवंछक, वरवंछत-वि० बुरा चाहने वाला। वरना-प्रव्य० [फा० वर्ना] १ भन्यथा; नहीं तो। २ ऐसा न | वरवड़ी-स्त्री० चारण वंशोत्पन्न एक देवी। हमा तो।
.वरवती, वरवती-वि० १ सौभाग्यवती, सुहागन। २ जिसे वरवरनोळी (ली), वरनोळी-देखो 'बंदोळी'।
दान प्राप्त हो ।-स्त्री० सुहागन स्त्री।
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वरवरण
। ५६८ )
वरसाळी
वरवरण, वरवरण-पु० [सं० वर-वर्ण] १ स्वर्ण, सोना । | वरससत-पु० [सं० शत-वर्ष] सौ वर्ष । २ अच्छा व सुन्दर वर्ण ।
वरसा,वरसा-स्त्री० [सं० वर्षा] १ आकाश से मेघों से पानी की वरवरणी, वरवरणी-स्त्री० [सं० वरवरिणनी] १ लक्ष्मी ।। वर्षा, वृष्टि बारिस। २ बरसात का मौसम, वर्षा ऋतु ।
२ दुर्गा। ३ सरस्वती। ४ सुन्दर स्त्री। ५ उत्तम स्त्री।। ३ बरसने की क्रिया या भाव । ४ किसी वस्तु की वृष्टि, ६ लाख । ७ हल्दी। ८ प्रियंगुलता।
बौछार । ५ अधिक मात्रा में प्राय होने या देने की क्रिया वरवरणो (बौ)-देखो 'बड़बड़णी' (बी)। .
या भाव । ६ प्रहारों की झड़ी।-काळ-पु० वर्षा ऋतु । वरवासण (णी)-स्त्री० [सं० वरवासिनी] कछवाहों की -रित, रितु-स्त्री० वर्षा ऋतु, मौसम । कुल देवी।
वरसाउ (ऊ), वरसाऊ-वि० १ बरसने योग्य, बरसने वाला। वरवीर-पु. [सं० वर-वीर] १ श्रेष्ठ वीर । २ श्रेष्ठ विद्वान, | २ प्राभा, कांति वाला।
पंडित । ३ बुद्धिमान, विवेकी । ४ एक छन्द विशेष । बरसाकरण (न)-पु० इन्द्र । वरवेरण-पु० [सं० वडवा-रमण] घोड़ा।
वरसागम-पु० [सं० वर्षा भागम] वर्षा का पागमन, वर्षारंभ । वरसंत (ति)-पु० [सं० वर्ष+मंत] किसी वर्ष का अंत, साल
वरसारणो(बी),वरसाणो(चौ)-क्रि० १ पानी बरसाना,वर्षा करना की समाप्ति ।
२ प्रांसुषों को झड़ी लगाना। ३ फूल प्रादि वस्तुओं को वरस-पु० [सं० वर्ष] १ बारह मास की अवधि । २ संवत्सर,
उछाल कर वर्षा करना। ४ मधुर शब्द कहना, बोलना । साल, वर्ष। ३ भारतवर्ष । ४ सप्तद्वीपों का एक विभाग।
५ खूब प्राय कराना । ६ अत्यधिक देना । ७ क्रोध दिलाकर ५ बादल । ६ पाणिनी का गुरु । ७ वसुदेव व उपदेवी का
भला-बुरा कहाना। प्रहारों की झड़ी लगाना। ९तुष्ट
मान करना । १० दान दिलाना । एक पुत्र । ८ सहस्रार्जुन का एक पुत्र । वरसकटी-स्त्री० [सं० वर्ष + कट्य] १ भूमि पर ऋण देने पर,
.. बरसात. वरसात-देखो 'वरसा' । अमि के उपयोग संबंधी एक करार । २ ऋण के ब्याज पर
वरसाति, वरसाती, वरसाद-वि० १ वर्षा का, वर्षा सबंधी। भी ब्याज जोड़ने की एक विधि ।
२ वर्षा की सूचना या पाभास देने वाला । ३ वर्षा ऋतु में
होने वाला। वरसट, वरसठ-पु० [सं० वरिष्ठ] ताम्र, तांबा।
बरसाति, वरसातो-स्त्री० १ वर्षा ऋतु में पहनने का 'प्रोवर बरसण, वरसरण-पु० [सं० वष्णं बादल, मेघ ।-वि० १ बरसने
कोट' । २ घोड़ों का एक रोग । ३ देखो 'वरसा'। ___ वाला । २ दानी, दातार ।
वरसाभू-पु० [सं० वर्षाभू] १ मेंढक । २ इन्द्र गोप या वीर वरसणी, वरसणी-स्त्री० [सं० वर्षरिण] १ वृष्टि । २ व्यवहार,
___बहूटी नामक कीट । ३ लाल पुनर्नवा । बर्ताव । ३ यज्ञोय कर्म, यज्ञ। ४ क्रिया। ५ एक महाविद्या।
वरसायत-देखो 'वरसा'। बरसरणौ (बौ), वरसणौ (बी)-क्रि० [सं०वर्षणं]१ बदलों से पानी
वरसाळ (ल)-स्त्री. १ वर्षा, वष्टि, बारिस । २ वर्षा ऋतु । बरसना, वर्षा होना । २ प्रासुमों की झड़ी लगना । ३ फूल
वरसाळइ (उ)-देखो 'वरसाळो' । पादि कोई वस्तु ऐसे उछाला जाना कि वर्षा की तरह
वरसाळा (ला), वरसाळा-देखो 'वरसाळ' । गिरे। ४ लगातार मधुर वाणी बोलना। ५ अत्यधिक देना ।
वरसाळी (लो), वरसाली-वि०१ वर्षा का, वर्षा संबंधी । २ वर्षा ६ अनायास ही खूब आमदनी होना। ७ क्रोध या प्रावेश
ऋतु में होने वाला ।-स्त्री० १ वर्षा ऋतु की खरीफ की में फटकारना, भला-बुरा कहना। - लगातार शस्त्र प्रहार
फसल । २ इस फसल के मुप्रावजे का हिस्सा या अंश । होना । ६ चेहरे पर कांति झलकना । १० किसो पर तुष्ट
३ देखो 'वरसाळो'। मान होना।
वरसाळु (ळू), वरसालु-वि० १ बरसने की स्थिति में, बरसने वरसधर-पु० [सं० वर्ष-धर बादल, मेघ ।
योग्य । २ बरसने वाला। ३ वर्षा ऋतु संबंधी। ४ वर्षा बरसप, वरसपत (पति, पती)-पु० [सं० वर्षप, वर्षपति] किसी
ऋतु में चलने या होने वाला ।-स्त्री. १ वर्षा, बारिस । वर्ष या संवत्सर का अधिपति ग्रह ।
२ वर्षा ऋतु । ३ खरीफ की फसल । ४ इस मौसम होने वरसफळ, वरसफळ-पु० [सं० वर्ष-फल] १ वर्ष भर के शुभाशुभ वाला विषम ज्वर ।
कार्य या घटनाएं। २ इन बातों को प्रगट करने वाली वरसाळे (0) वरसाले-क्रि० वि० वर्षा ऋतु में। कुडलो।
वरसाळी (लो) वरसालो-पु० १ वर्षा या पावस ऋतु । २ इस बरसवियांणि, वरसवियावरिण वरसवियांरिण बरसव्यावणी, ऋतु की अवधि, चातुर्मास । ३ इस ऋतु का एक लोक गीत
वरसव्यावणी-वि० जिसके प्रति वर्ष प्रसव होता हो। । विशेष । देखो 'वरसाळु।।
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वरसावरस
। ५६९ )
____ वराह
वरसावरस (सी)-पव्य० प्रति वर्ष , हर साल।
वरांगना-देखो 'वारांगना'। वरसि वरसि, वरसि-१ देखो 'वरस'। २ देखो 'वरसी'। वरांगी-स्त्री० [सं० वर-अंगी| १ हल्दी। २ मजीठ । ३ देखो बरसिउ-क्रि० वि० वर्ष पर्यन्त ।
'वरांग'। वरसिण-देखो 'वरसण'।
वरांसइ (उ), बरासिउ-वि० [सं० विपर्यस्त] १ परिवर्तित, बरसी, वरसी-स्त्री० [सं० वार्षिकी] १ प्रति वर्ष भाने वाली बदला हुआ । २ भ्रामक । ३ प्रतिकूल. उल्टा ।
मृतक की मृत्यु तिथि । २ इस तिथि को किया जाने बाला वरामीयइ-पु० १ प्रभाव, मस्तिस्व का प्रभाव । २ उल्टापन, बाद, भोजन, दान-पुण्यादि । ३ द्वादशी तिथि ।
विरुद्धता । ३ अदला-बदली। वरसेस-पु० [सं० बर्ष-ईश] वर्ष का अधिपति ग्रह।
वरा-स्त्री० [सं०] १ पार्वती । २ लक्ष्मी । ३ हल्दी । बरसोत (ब)-स्त्री० [सं० वर्षोत्थ, वर्षोदय] १ वार्षिक वेतन, ___ ४ त्रिफला। ५ रेणुका नामक गंध द्रव्य । ६ ब्राह्मी बूटी।
सालभर की मजदूरी। २ वार्षिक लगान, कर। वार्षिक | ७ मजीठ । ८ मदिरा, शराब । ९ गुड़च । १० विडंग। . सहायता, अनुदान । ४ वार्षिक पुरस्कार।
११ चित्रकला। १२ मेदा। बरसोदण-वि० [सं० वर्षोक्यन] १ प्रति वर्ष फल देने वाली, बराक-वि० [सं०] १ तुच्छ, नगण्य । २ नीच, पामर, हीन ।
लाभकारिणी । २ वर्ष भर चलने वाली। ३ प्रति वर्ष ३ प्रभागा, बेचारा, दीन, गरीब ।-पु. १ शिव, महादेव । उत्थान या उन्नति करने वाली।
२ युद्ध, लड़ाई। ३ पापड़, पर्पट । ४ योनि । ५ बगला । वरसोषियो,वरसोबीयो-वि० [सं० वर्षोदयन] (स्त्री०वरसोदरण) ६ दूध भरने से उभरे हुए स्तन ।
प्रति वर्ष प्राप्त होने वाला। २ प्रति वर्ष उन्नति देने वराड़-पु० [सं० वरऽऽर] १ विचार । २ चंदा। ३ देखो 'बराड़। वाला। ३ वर्ष भर विद्यमान रहने वाला। ४ प्रति वर्ष | वराचक (चख, छक)-देखो 'बराछक'। माने वाला।
बराट, वराटक-पु० [सं०] १ कौड़ी । २ रस्सी, डोरी । वरसोदी-क्रि० वि० प्रति वर्ष ।
-३ कमलगट्टा। वरसोळी-पू. [सं० वर्षांपलः] १ वर्षा में गिरने वाला हिमकण, | पिका-स्त्री.. भोला । २ एक खाद्य पदार्थ विशेष । ३ बढ़ई का एक
बराणी (बो); वराणो(बी)-क्रि० १ वरण कराना, शादी कराना मोजार, उपकरण।
२ चुनाव कराना, पसंद कराना। ३ स्वीकार करवाना, बरसोह-पु० [सं० वर्मन] १ विवाह के समय दूल्हा-दुल्हिन के
मनवाना । ४ खिलाना, निगलाना। ५ वरदान, पाशीर्वाद चेहरे पर माने वाली कांति, प्राभा । २ अोज ।
दिलाना । ६ याचना कराना । वरस्ट-देखो 'वरसट'। वरस्वरग-पु. १ मुक्ति । २ जीना, सीढ़ी । ३ निश्रेणी ।
बरात, वरात-स्त्री० १ वर्षा । २ देखो 'बरात' ।
वराती, वराती-देखो 'बरातो'। वरस्स-देखो 'वरस'। वरस्सोह-देखो 'वरसोह' ।
वरापूर-देखो 'बरापूर'। वरह, बरहण-पु० [सं० वह] १ मोर को पूछ । २ मोर-पुच्छ
वरारक-पु० [सं०] हीरा। का चंदोवा । ३ पक्षी की पूछ । ४ पत्ता, पत्र । ५ अनुचर
वराळ, बराल-पु०१ पाग की लो, लपट । २ वाप। ३ तीव्र वर्ग । ६ देखो "विरह'।
उष्णता । [सं० वराल] ४ लौंग, लवंग। बरहमुख-पु० [सं० वहिमुख] देवता, देव । अग्नि मुख। वराळी-देखो 'वरसाळी'। वरहार-पु. एक प्राचीन देश ।
वराळ-देखो 'वरसाळु। बरहास-पु० [सं० वर+भास] १ घोड़ा, अश्व । २ ऊंट, उष्ट्र। वराळो-देखो 'वरसाळो'। वरहि (ही)-देखो 'बरही' ।
वरावणी (बी)-देखो 'वराणो' (बी)। वरहीवाह-पु० [सं० वी-वाह] स्वामिकात्तिकैप ।
वरास-देखो 'वरहास'। वरह-देखो विरह।
वरासन-पु० [सं० वर-पासन] १ उच्च व श्रेष्ठ भासन । वराग-पु० [सं० वर+अंग] १ हाथी । २ सिर, मस्तक ।
in] थी। २ सिर. मस्तक | २ वर के बैठने का प्रासन । ३ दरबान । ४ अड़हल । ३ सुडौल अंग, शरीर । ४ विष्णु । ५ ३२४ दिनों का ५ नपुंसक। एक नक्षत्र, वत्सर । ६ दालचीनी। ७ वृक्ष की शाखा, | वराह, वराहउ-पु० [सं० वराह] १ शूकर, सूपर । २ विष्णु का टहनी । ८ गुदा। योनि, भग ।-वि० [सं० वर+अंगी] | तीसरा अवतार। ३ मेढा । ४ सांड । ५ बादल । सुन्दर अंगों वाला।
। ६ युधिष्ठिर को सभा का एक ऋषि । ७ एक पुराण।
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बराहक
( ५७० )
बरोळ
८ शूकर के रूप में सैन्य व्यूह । ६ वाराही कंद । दुल्हिन की पोशाक । ५ कूए से पानी निकालने की १० घड़ियाल, नक। ११ एक प्राचीन पर्वत ।
छोटी रस्सी। वराहक-पु० [सं०] १ कुबेर सभा का एक यक्ष । २ धृतराष्ट्र | वरीप्राम-देखो 'वरियाम'। कुलोत्पन्न एक नाग ।
वरीयां-देखो 'वेळा' । वराहजयंती-स्त्री० [सं०] भादव सुदी तृतीया नियि । वरीयाण, वरीगन, वरीयांम-देखो 'वरियांम' । वराहजी-पु० [सं० वराह] १ वराह अवतार । २ देखो 'बाराही'। वरीस-पु० [सं० वारि-ईश] १ समुद्र, सामर । २ देखो 'वरीसण' । वराहदही-पु० दूहा छंद का एक भेद ।
३ देखो 'वरस'। बराहमिहिर-पु० ज्योतिष के एक प्रसिद्ध पाचार्य।
वरीसरण (पौ)-वि० [सं० वर्षणम्] दानदाता, उदारचित्त । वराहमोती-पु० [सं० बराह+मौक्तिक] सूअर के मस्तिष्क -पु० दान, उत्सगं । । से निकला मोती।
| बरु-देखो 'वर'। बराहसंहिता-पु० वराह मिहिर' द्वारा रचित ज्योतिष का वरुऔ-पु० [सं० वटुक] १ ब्रह्मचर्यावस्था का बटुक, ब्रह्मचारी। प्रसिद्ध ग्रंथ ।
२ उपनयन संस्कार, यज्ञोपवीत । ३ इस संस्कार के अवसर बराहावतार-पु० [सं०] 'वराह रूप में' विष्णु का तीसरा | पर गाया जाने वाला गीत । ४ ब्राह्मण बालक । ५ पुरोअवतार।
हित कर्म करने वाला विद्वान ब्राह्मण । वराही-देखो 'बाराही'।
| बरुण-पु० [सं०] १ जल का अधिष्ठाता एक वैदिक देवता। बरि-क्रि० वि० [सं० उपरि] १ ऊपर, पर। २. फिर, पुनः,
२ समुद्र, सामर । ३ जल, पानी, नीर । ४ पश्चिम दिशा । बाद में ।-वि० समान, अनुरूप ।-स्त्री० तरह, भांति,
५ पश्चिम दिशा का दिकपाल । ६ बारह प्रादित्यों में से प्रकार ।
नौवें प्रादित्य का नाम । ७ सूर्य। ८ माकाश । ९ सौर बरिभान, परिभाम-पु. १ एक वर्ण वृत्त । २ देखो 'वरियाण'। जगत का सबसे दूरस्थ ग्रह (नेपचून)। १० एक मरुत । ३ देखो 'वरियाम' ।
११ एक गंधर्व। परिक्खा, वरिखा-देखो 'बरसा।-रित, रितु, त, कति: | वरुणग्रह-पु० १ घोड़ों का एक रोग । २ देखो 'वरुण'। ___ 'बरसारितु' ।
वरुणदेव-देखो 'वरुण'। वरिठ-देखो 'बरिस्ठ'।
वरुणपुरी, वरुणलोक-पु० [सं०] वरुणदेव का निवास स्थान । बरियण-स्त्री० पृथ्वी, भूमि ।
वरुणालय-पु० [सं०] समुद्र, सागर । परियां-देखो 'वेळा' ।
वरुण, वरथी, वस्थ-पु० [सं० वरूथं] १ लोहे की चद्दर या . परियाण-पु० [सं० वरियाण] ज्योतिष में एक योग।
.....जाली का बना रथ का कवच । २ कवच, बख्तर । वरियांम-वि० [सं० वरेण्य] १ श्रेष्ठ, उत्तम । २ प्रवीण,
___३ ढाल । ४ सैन्य दल, सेना। ५ समूह, समृदाय । चतुर । ३ वरण करने योग्य । ४ सुन्दर, रूपवान ।
[सं० वरूथिन्] ६ रथ ।-वि० १ कवचधारी। २ रक्षक। ५ वीर, बहादुर, योद्धा । ६ जोरावर, जबरदस्त ।
२ रथारूढ़। ७ प्रमुख, मुख्य ।-पु९ मंत्री, बजीर ।
वरुथरणी (नी), वरूपाणी (नी), वरूथिनी-स्त्री० [सं० वरूपी] परिस-देखो 'वरस'।
सेना, फौज । वरिसरणी (बी)-१ देखो 'वरणी'(बी)। २ देखो 'वरसणी' (बी)। | वरूउ-वि० [सं० विरूप] भद्दा, पसुहावना, प्रसुदर। परिसि-देखो 'वरस'।
वरूथिनीएकादसी-स्त्री० वैशाख कृष्णा एकादशी। बरिस्ठ-वि० [सं० वरिष्ठ] १ घेष्ठ, उत्तम, उच्च । २ पूजनीय,
वरूथी-देखो वरूथ'। . पूज्य । ३ पूराना, बुजूर्ग। ४ तुलना में किसी से बढकर। | वरूयो-वि० [सं० वरूथिन्] १ प्रचंड, भयंकर, जबरदस्त । ५ सब से बड़ा। ६ सबसे लंबा । ७ सबसे भारी ।-पु.
२वीर, योद्धा । ३ कवचधारी ।-पु. १ सेनापति । [सं० वरिष्ठः, वरिष्ठ] १ तीतर पक्षी । २ नारंगी का
२ देखो 'वरूथ'। वृक्ष । ३ ताम्र, तांबा । ४ मिर्च।।
बरे, वर-क्रि. वि. अधिकार या कब्जे में ।-वि. माफिक, बरी, वरी-स्त्री० [सं० वरी] १ सूर्यपत्नी छाया का नाम । अनुकूल।
२ शतावरी का पौधा । ३ विवाह के समय वर पक्ष की बरोठी-पु० वर पक्ष द्वारा किया जाने वाला प्रीतिभोज । भोर से बधू के लिए भेजी जाने वाली पोशाक। ४ दुल्हे- रोल-पु० [सं० बह] १ बरं । २ देखो "विरोळ' ।
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बरोळरण
( ५७१ )
बलय
वरोळण (न)-वि० नाश या संहार करने वाला।
गमन करना । ३ लौटकर वापस पाना। ४ प्राप्त होना, वरोळणी (बो)-देखो 'विरोळणो' (बी)।
पाना । ५ घूमना फिरना । ६ मुड़ना, घूमना। ७ बल वरी-पु० [सं० वराटः] १ कूए-वापी प्रादि से पानी निकालने खाना । वक्र चाल चलना । ९ आगे बढ़ना । १० ढलना।
की रस्सी । २ हाथी को बांधने का मोटा रस्सा। ११ प्राप्त होना मिलना । १२ प्राकर्षित होना । १३ अंकन ३ पाश्रय।
होना, लिखा जाना। १४ पाना। १५ लगना, पड़ना । वळ, वळ-पु० [सं० बल] १ भोजन, खाना । २ भोज्य सामग्री। १६ प्रविष्ट होना, घुमना । १७ ढकना, लपेटना ।
३ बलि । ४ गोष्ठी । ५ भोज या बलि पर लिया जाने १८ लोटाना, देना। १९ भरपाई या चुकता करना। वाला कर। ६ शरीर के संधिस्थलों में होने वाली ग्रन्थि, २० देखो 'बळणो' (बी)। शोथ । ७ घुमाव, मोड़। ८ टेढापन, लचक । ६ ऐंठन, | वळतपूछ-पु० [सं० वलित-पुच्छ] श्वान, कुत्ता। मरोड़, बांक। १० दिशा। ११ मेघ, बादल । १२ एक वळतासख-पु. छप्पय छंद का एक भेद । मसुर । १३ पार्श्व, पहलू । १४ सिकुड़न । १५ झुकाव । | वळव-देखो 'बळद' । -सर्व० उन ।-क्रि० वि० [सं० वलन्] १ फिर, पौर । | वळदार, बळदार-वि० मुड़ा हुआ, ऐंठा हुआ, घुमावदार। २मोर, तरफ । ३ देखो 'बळ' ।
वळदियो-देखो 'बळद'। वलउ, बळक, वलक-स्त्री० [सं० वलक:] १ प्रकाश, चमक । वळदिख-पु० [सं० वलिहक] इन्द्र ।
२ भाभा, कांति, तेज। ३ किरण, रश्मि । ४ शत्र, वलन-देखो 'बळण'। दुश्मन । ५ मावेश, तेजी। ६ काष्ठ का लट्ठा । ७ तामस | वलनास-पु० [सं० वलनाशं] किसी ग्रह के चलने की दूरी मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । ८ कटि, कमर ।
. का अंश । वळकणी (बो)-क्रि० १ बादलों के बीच बिजली का बल खाते | वळपूरण-वि० [सं० बल-पूर्ण] भोजन देने वाला, अन्नदाता ।
हुए चमकना, दमकना।२ किसी वस्तु का चमकना । -स्त्री०१ अन्नपूर्णा । २ वरवड़ी देवी का नाम । ३ मामा, कांति या तेज का झलकना। ४ प्रकाशमान या | बळवंड-देखो 'बळबड' । प्रकाशित होना।
वलभ-देखो 'वल्लभ'। वळकतीकेळ-पु० यौ० माला, वल्लम ।
बलभज्जन (भज्यन)-पु० [सं० वल्लभ-जन । श्रीकृष्ण । . वळका-स्त्री० संजीवनी बूटी।
२ मित्र वर्ग, मित्रगण । ३ बंधव जन । वळको-देखो 'वल्लको'।
बलभतन-पु० [सं वल्लभ-तनु] मित्र । वळकरणी (बो)-देखो 'वळकणो' (बौ)।
वळ भद्र-देखो 'बळभद्र'। वळख-पु० [सं० प्रवलक्ष] १ उज्ज्व ल, शुभ्र । २ श्वेत, सफेद ।
वळभन-पु० [सं० वल्लभ भोजन ।
वळमा-देखो 'वल्लभा'। वलगणो (बो)-क्रि० [सं० वल्गनं] १ लूबना, लटकना, झूमना।
वळभाचारी-देखो 'वल्लभाचारी'। २ लिपटना । ३ उछलना, कूदना । ४ उछलकूद करना ।
वळभि, वळभी, वलभी-स्त्री० [सं० बलभिः] १ मकान के ऊपर ५ उछलते हुए चलना । ६ छलांग लगाना। ७ पकड़ना ।
बना मंडप, गुबज, गुमटी। २ छत । ३ छप्पर। ४ मकान ८ अवलंबन करना । ९ उलझना, फंसना ।
का ऊपरी भाग; हिस्सा। ५ शिखर । ६ झोंपड़ी। वळगत, वळगताऊ-क्रि० वि० [सं० वल्गितं] राह चलते हुए ।
७ काठियावाड़ की एक प्राचीन नगरी। बलगा-देखो 'वल्गा'।
वलमोउतग-पु. यौ० [सं० वलभी उतुग] ऐरावत, इन्द्र वलगार-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
का हाथी। बलग्गणी (बो)-देखो 'वलगणो' (बी)।
वनम-१ देखो 'बल्लम' । २ देखो 'वल्लभ'। वळण (णि, णी)-पु० [सं० बल] १ प्रस्थान, गमन । २ लौटना
वलय-पु० [सं० वलयः, वलयं] १ कंकण, कंगन । २ स्त्रियों क्रिया । ३ भागमन । ४ घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया
.. की चूड़ियां। ३ बाजूबंध । ४ कड़ा, छाला। ५ घेरा, कुज। या भाव । ५ घूमने या मुड़ने की क्रिया या भाव । ६ घूमने
६ वृत्त, परिधि । ७ व्यूह रचना विशेष । ८ वेष्ठन। या चक्कर लाने की क्रिया या भाव । ७ भुगतान । ८ ग्रहों ।
, ९ कमर पेटी इजारबंध । १. किनारा, छोर ११ गल की एक चाल ।
गंड नामक एक रोग । १२ ढगण के प्रथम भेड, प्रादि ह्रस्व वळणी (बी), वलणी (बो), वळणी (बी)-क्रि० [सं० बल्] | मात्रा का नाम । १३ गगरण के प्रथम भेद, दीर्घ मात्रा का
१ वापस लौटना, लौट कर जाना। २ प्रस्थान करना, । नाम।
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बलयावलि
। ५७२ ।
वलपावलि-पु० [सं० बलय-प्रवलि] कंगन ।
वळायत-देखो 'विलायत'। वळराव-देखो 'बळिराव' ।
बलारा-पु० अनाज सहित कुचले हुए भूसे के ढेर के दोनों . वळ बंड-देखो 'बळबड'।
किनारे। वळवत (ती)-देखो 'बळवंत'।
वलालौ-देखो 'विलालो'। वळवत्त-पु. १ एक देश का नाम । २ देखो 'बळवंत' । वळाव-पु. १ दिशा । २ खलिहान । ३ खलिहान स्थल । वळवळ-पु० [सं० वल] १ विलाप, रुदन । २ प्रकाश, चमक । वळावरणो (बो)-देखो 'वोळाणी' (बौ)।
३ झलक । ४ जलन, दाह । ५ कंपन ।-क्रि० वि० १ चारों वळावळ-देखो 'बळवळ' । मोर । २ फिर-फिर कर, रह-रह कर, पुन:-पुनः । वळाहक-देखो 'बळाहक' । ३ क्रमशः। ४ निरंतर ।
वळि बलि-क्रि० वि० [सं० वलित] १ फिर, पौर। २ पुन, बळवळरणो (बो), वळवलणी (बो), वलवलणी (बौ), वळवळणी दुबारा। ३ इस पर भी । ४ तब। ५ मोर, तरफ ।
(बी)-क्रि० १ चमकना, प्रकाशमान होना। २ धीरे-धीरे, बार, दफा, मर्तबा ।-स्त्री. १ रेखा, लकीर । २ झुरी, शनैः-शनै जलना । ३ जलन, दाह होना। ४ झिलमिलाना, सिकुड़न । ३ छप्पय छंद का एक भेद । ४ देखो 'बळि' । झलकना । ५ कम्पायमान होना । ६ रुदन करना, वलित-वि० [सं०] १ गतिशील । २ धूमा हुमा । मुड़ा हुमा। नीलाम करना । ७ सेक करना।
३ गुथा हमा। ४ लिपटा हुमा, वेष्टित । ५ झुरीं पड़ा बळवळा-देखो 'बळवळ'।
हुमा। वळवळाट, बलबळाट-पु०१ चमक, प्रकाश, रोशनी। २ झलक। | वळिभद्र-देखो 'बळभद्र' । ३ जलन, दाह । ४ कंपन । ५ व्यर्थ प्रलाप ।
वलिमधु-पु० मधुप। वळवारण-देखो 'बळवान'।
वळिमुख-पु० [सं०] वानर, बंदर । बलसणी (बौ)-देखो "विलसणो' (बो)।
बलिय-१ देखो 'वलि'। २ देखो 'दलित'। वळसवन-देखो 'बळसदन'।
बळियौभंवर-पु० रेगिस्तान का वह स्थल जहाँ चलते समय पांव वलसारणी (बी), वलसावणो (बो)-देखो "विलसाणी' (बी)।
अंदर धंसते जाते हैं।
वळियौ-पु.१ समय । २ अवसर । ३ बलों के सींगों पर बांधने वलसूदन-पु० [सं० बल-ल्यु-मन] इन्द्र । वलहंता-पु० इन्द्र।
की रंगीन डोरी। ४ बल खाई हुई कोई वस्तु। ५ देखो वळहट (8)-देखो बळहट'।
_ 'बळियो' । ६ देखो 'वळि' । ७ देखो 'बळी' ।
वळिराज (राजा, राव)-देखो 'बळिराज' । बळहटमल (मल्ल)-देखो 'बळहटमल्ल'। बळहळ-स्त्री० चमक-दमक, झलकन ।
वळिहारी, वलिहारी-देखो 'बलिहारी'। वळहण (दो)-कि० बढना ।
वळी, वली-स्त्री० [सं० वली] १ त्वचा की सिकुड़न । झुरीं । बलहौ-देखो 'वल्लभ'।
२पेट प्रादि पर सिकुड़न की रेखा । ३ रेखा,लकीर। ४ पंक्ति । वळां, वळां-क्रि० वि० १ पोर, तरफ । २ दफा, मतंबा, बार । | ५ पहाड की तलहटी को लंबी भूमि। ६ रेतीले टीबे पर वळांपो, वळाणी-देखो 'बळाणो'।
पड़ी लहरिया । ७ 'चकचूदियो' नामक उपकरण । वळांपूरण-देखो 'वळपूरण'।
८ रुपया-पैसा। १ रीढ़ की हड्डी, मेरुदंड। १० साधु वळामरण-पु० ढंग, तरीका, रीति ।
पुरुष । ११ हाकिम । १२ शासक, बादशाह । १३ उत्तरावळा, वळा-क्रि० वि० चारों भोर, चारों तरफ।
धिकारी, वारिस । १४ देखो 'वळि' । वळा, वळा-क्रि० वि०१ पोर, तरफ । २ बार, दफा, मरतबा। वलीप्रयव, वलीग्रहव-पु० [प० वलीप्रहद] १ शाहजादा,
-स्त्री० १ खलिहान । २ अफगानिस्तान का निवासी, युवराज, राजकुमार । २ उत्तराधिकारी, वारिस । ३ संतान । अफगान । [अ० वला] ३ लोभ, लालच । ४ प्रासक्ति, | वळीगण-पु० [सं० अवलिंगन] चूल्हे पर चढाये जाने वाले
मोह । ५ इश्क, प्रेम । ६ देखो 'वलय'। . बर्तनों के पैदे पर मिट्टी का लेपन । . वळाको, वळाको-पु० [सं० वल्ल-+रा. को] १ चक्कर, फेरा, | वळीट, वळीठ-देखो 'बलिस्ठ' ।
ट्रिप, माना-जाना। २ घुमाव, मोड़, टेढापन। ३ ऐठन, वलीय-देखो 'वळि'। मरोड़। ४ मोच । ५ कसक ।
| वळू, बळ-वि०१ मददगार, सहायक । २ रक्षक । ३तरफ का, वळाबंध-पु० भरावली पर्वत का एक नाम ।
पक्ष का। ४ अनुकूल।
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वळे
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( ५७३ )
वळे, वले-देखो 'वळे' ।
वल्लभा - वि० प्रिया, प्यारी । स्त्री० पत्नी, स्त्री, भार्या ।
बरण स्त्री० मकान की छाजन के नीचे लगायी जाने वाली बल्लभाचार्य पु० [स० वल्लभाचार्य ] वंध्याव संप्रदाय के प्रवक लंबायमान लकड़ी ।
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बड़ी० [देश०] १ चैत्र के सींगों पर बांधने को डोरी, रस्सी २ ऊंट या बैल को गर्दन पर बांधने का प्राभूषण विशेष |
वळो, बळौ - पु० १ भरावली पर्वत । २ पर्वत श्र ेणी । ३ स्तंभ, खंभा । ४ बांस । ५ मकान की छाजन के नीचे लगाई जाने वाली लकड़ी कड़ी । ६ हुक्के की 'नै' के ऊपरी भाग में लगाया जाने वाला सोने-चांदी श्रादि का छल्ला ।
-
वळं क्रि० वि० १ फिर, श्रौर। २ पुनः, दुबारा ३ पीछे, बाद में । - वि० ४ प्रतिरिक्त, धन्य । स्त्री० तरह, भांति, प्रकार ।
वळीव बळोवळी पु० भोजन। क्रि० बि० १ चारों पोर
!
१ ।
"
कस्लाह-अव्य० [०] १ ईश्वर की शपथ से २ सयमुच । चारों तरफ २ यत्र-तत्र इधर-उधर ३ पृथक्-पृथक् वाली स्त्री० [सं०] सता, वस्लरी, बेल२ पृथ्वी । । ४ अपने-अपने मन से । ५ पुनः पुनः, बार-बार । ६ निरन्तर, लगातार ।
५ अग्नि, दमयंती ६ केवटी
३ मिट्टी । ४ शाल वृक्ष मोथा । ७ काली अपराजिता ।
बल्ल पु० [सं०] १ गिलाफ, प्रावरण। २ चादर । ३ तीन
-
घू'चची के बराबर का तौल विशेष
४ वर्जन निषेध
५ गमन, चाल ।
बहलकी- स्त्री० [सं०] १ नारद को वीरणा का नाम । २ वीणा । ३ ई का पेड़
वली (बी) देखो 'बळी' (बो)।
एक प्रमुख प्राचार्यं । वस्लव देख] वलभ' ।
'वल्लभ'
बल्लवसिवा पु० [सं० शिवा वलभ ] चंदन
बल्ल (उ) देवो''
वळोवळ, वळोवळी-देखो 'वळोवळ' । वल्कल - पु० [सं० वल्कल ] १ वृक्ष की छाल । २ ऐसी छाल का वस्त्र । ३ ऋषि, मुनि, महात्मा के पहनने का वस्त्र । ४ छिलका । ५ ऋग्वेद की वाष्फल नामक शाखा । वल्गन स्त्री०
१० [सं० वल्ग-गतो, वल्गमं] १ घोड़े की एक चाल, दुलकी । २ छलांग, उछल-कूद
वा स्त्री० [सं०] लगाम, रास, बागडोर
गित स्त्री० [सं०] १ घोड़े की सरपट चाल । २ डींग, लेखी बल्ब पु० [०] पुत्र, तनय, सुत, बेटा 1
।
-
बस्थित श्री० [२०] १ पिता का नाम २ पिता का बवहार देखो 'व्यवहार'। नामोल्लेख । ३ पुत्र होने की अवस्था या भाव ।
वल्लभ, वल्लभ- वि० [सं० वल्लभ ] (स्त्री० वल्लभा ) १ प्रिय, प्यारा, स्नेही । २ सुखद, सुखप्रद । ३ वांछनीय १ ४ सर्वोपरि
ठ, उत्तम १ सुन्दर । पु० १ पति, स्वामी, प्रियतम २ प्रिय व्यक्ति, प्रेमी । ३ स्वामी, मालिक । ४ अध्यक्ष । ५ मित्र, दोस्त । ६ पर्यवेक्षक । ७ प्रधान या मुख्य ग्वाला, गोप । ८ वैष्णव सम्प्रदाय का एक प्राचार्य । ९ शुभ लक्षणों का घोड़ा, पश्विनी १० पांडव पुत्र भीम का एक नामान्तर ११ ज्योतिष में एक करणं ।
यही देखो 'बल्लभा ।
बल्लहु, बल्लहो-देखो 'वल्लभ' ।
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-
वर वर पु० [सं० वस्तु ] १ लता जलता मंडप । २ पवन । ३ मंजरी । ४ 'पड़त' रखा हुमा खेत । ५ रेगिस्तान । ६ वीरान जंगल, वन । ७ उपवन । ८ जंगली सूघर का मांस । ९ सूखा मांस ।
वाह, हम वो देखो 'यम'
वव- पु० [सं०] फलित ज्योतिष में एक करण ।
वसंततिलक
(बी) को (बो-देखो 'को' (बी)। बबड़ी-देखो 'वधू' ।
बब
ववज-पु० १ व्यवधान, बाधा । २ कारण ।
(ब) कि० [सं० वचनम् ] बोवाई होना, बोया जाना
-
aarण पु० [सं० वि + वचन ] यश, कीर्ति, प्रशंसा । (ब) देखो 'बोळा' (बी)।
बहाली (बी) देखो 'वाणी' (बी)।
यवहारसि० जीवाणु समूह का अंश (जैन)।
ववण- देखो 'विमान' |
बवासीर देखो 'बवासीर'।
वसंग, वसग- देखो 'वासुकि' ।
बसत वसंत पू० [सं० वसंत
-
परों में प्रथम प्रमुख ऋतु वसंत ऋतु । २ माघ शुक्ला पंचमी को होने वाला पर्व । ३ एक ताल । ४ फूलों का गुच्छा । ५ मूर्तिमान ऋतु जो कामदेव का सखा माना जाता है । ६ संगीत में एक राग । ७ एक वस्त्र विशेष । ८ प्रतिसार रोग । ६ शीतला या चेचक की बीमारी १० मसूरिका नामक रोग ११ पीला रंग ।
[सं-स्त्री० [सं०] १ वासंती या माधवी लता २ सफेद जूही । ३ वसंतोत्सव |
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वसंतड़ो-देखो 'वसंत' ।
वसंततिल पु० [सं०] वसंत का तिलक देखो 'वसंततिलका'।
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वसंततिलका
(१७४ )
वसीकरण
वसंततिलका-पू० [सं० वसंततिलकः] एक वणिक छन्द विशेष ।। ५ बंध्या स्त्री। ६ गो, गाय । ७ बांझ गौ। ८ हथिनी । वसंतदूत-पु० [सं०] १ कोयल । २ चैत्र मास । ३ भाम का | ९ मेद । १० चरबी, मांस । ११ मस्तिष्क । वृक्ष । ४ पंचम राम।
वसाकेतु-पु० [सं०] पश्चिम में उदय होने वाला एक तारक वसंतदूती-स्त्री० [सं०] १ कोयल । २ माधवीलता। वसतपचमी (पांचम, पांचिम)-स्त्री० [सं० वसंतपंचमी] १ माघ वसाड़णी (बौ), वसारणी (बो)-देखो 'बसाणो' (बी)। ___शुक्ला पंचमी । २ इस दिन मनाया जाने वाला पर्व । वसारेळ-पु० [सं० वसु+रा. रेळ] इन्द्र । वसंतबधु-पु० [सं०] कामदेव ।
वसाळ-पु. भेड़। वसंतभैरवी-स्त्री० [सं०] एक रागिनी का नाम ।
वसाव, वसावट-देखो 'बसाव' । वसंतमारू-पु. सम्पूर्ण जाति का एक राग।
वसावणो (बो), वसावणो (बी)-देखो 'बसाणी' (बो)। वसंतमालतीरस-पु० एक प्रसिद्ध रसौषधि, 'स्वर्ण-मालिनी-रस'। | वसाह-पु० नगर या शहर के चौहटे का नाम । वसंतरत-देखो 'वसंत'।
वसि-१ देखो 'वसी'। २ देखो 'वस'। वसंतरमण (णि, रणी)-पु. एक छंद विशेष ।
बसितव, वसिता-देखो 'वसित्व'। वसंतरित (रितु)-देखो 'वसंत'।
वसितागाधा-स्त्री० गाथा छंद का एक भेद । वसंतवाक-पु० [सं० वसतवाक्] संगीत दामोदर के चौदह । वसित्व-पु० [सं० वशित्व] १ वशता, अधीनता । २ एक प्रकार तालों में से एक।
___ की सिद्धि।
.. वसंतसख (सखा)-पु० [सं० वसंतसखः] कामदेव का एक नाम । | वसिमा-देखो 'वसी'। वसति (ती)-वि० [सं० वसंती] १ वसंत ऋतु का, वसंत ऋतु | बसियकरण-देखो 'वसीकरण' ।
सबधी । २ वसत में होने वाला, चलने वाला । ३ बसंती | वसिस्ट, वसिस्ठ-पु० [सं० वसिष्ठ[ १ ब्रह्मा का मानस पुत्र (पोले) रंग का ।-स्त्री. १ वसंत ऋतु की देवी, सरस्वती।
एक लब्ध प्रतिष्ठित ऋषि । २ अयोध्या के सूर्यवंशीय २ हल्का पीला रंग। ३ जूही।
नरेशों के प्रोहित की उपाधि । ३ एक स्मृतिकार ऋषि । वसख-देखो विसिख।
४ रैवत मन्वन्तर के एक ऋषि । ५ प्राठवां वेदव्यास बसणु-१ देखो 'व्यसन' । २ देखो 'बसण' ।
जिसे इन्द्र ने ब्रह्माण्ड पुराण सिखाया था। ६ एक शिल्प वसरणी (बो)-देखो 'बसणी' (बो)।
शास्त्रज्ञ । ७ विदेह-राज निमि का प्रोहित, पमस्त्य ऋषि वसतु, बसत्त-देखो 'वस्तु'।
का छोटा भाई। वसत्र-देखो 'वस्त्र'।
वसिस्ठपुरांण-पु० [सं० वसिष्ठ पुराण] लिंग पुराण नामक बसवे, वसदेव-१ देखो 'वसुदेव' । २ देखो 'वासुदेव' ।
| एक उप पुराण। वसधा-देखो वसुधा'।
| वसी-पु० स० वसि:] १ गृह, घर, निवास स्थान । २ वस्त्र । वसधापत (पति)-देवो 'वसुधापति' ।
[सं० वश्य:, वशिः] ३ नोकर, चाकर, दास, अनुचर। बसन-पु. [सं० वसनं] १ वस्त्र, कपड़ा, परिधान । २ कफन ।
४ जागीरदारों द्वारा लिया जाने वाला एक कर विणेष । ३ भावरण, गिलाफ, भाच्छादन ४ स्त्रियों के कमर का
५ जागीरदार का विशेष कृपापात्र व्यक्ति । ६ बसने के प्राभूषण, करधनी । ५ देखो 'विस्णु' । ६ देखो 'बसण' ।
लिये दी जाने वालो जागीरी, स्थान । ७ निवास । वसनस-पु० [सं० वस्नसा] स्नायु, रग, नाड़ी।
८ पधिकार, कब्जा। ९ अधीनता । १० मन मोहकता। वसना-देखो 'वसन'।
-वि० १ बसाया हुमा । २ पाकर बसा हुमा । ३ वश में वसन-देखो 'वसन'। वसमगत (गति)-देखो 'विसमगति'।
रहने वाला। वसरांमरणो (बी)-देखो "विसरांमणो' (बो)।
वसीकर, वसीकर-वि० [सं० वशीकर] १ वश में करने वाला। वसराळ-देखो 'विसराळ' ।
२ मोहित या मुग्ध करने वाला। वसव- देखो विस्व' । २ देखो विस'।
वसीकरण, वसीकरणि, वसीकरण, वसीकरणि-पु० [सं० वशीवसवान-देखो 'वसीवान'।
करण] १ वश में करने की क्रिया या भाव । २ किसी को वसांमध-पु. पाटल नामक वृक्ष ।
वश में करने संबंधी एक मंत्र । ३ अष्टसिद्धियों में से एक वसा-स्त्री० [सं० वशा, वसा] १ पौरत, नारी, स्त्री। २ पत्नीः सिद्धि । ४ कामदेव के पांच बाणों में से एक । ५ वश में
भार्या, जोरू । ३ लड़की, पुत्री । ४ पति की बहन, ननद । । करने का कोई साधन ।
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गसीका
वसूली
बसीका-स्त्री० [अ० वसिका] प्रगर की लकड़ी।
२५ पाभा, कांति, दीप्ति । २६ पग्नि, माग । २७ किरण, बसीको-वि० [अ० वसिक] १ शून्य, रहित। २ रौता, खाली । रश्मि । २८ पृथ्वी, धरती। २६ उषा। ३० प्रश्वी।
[प० बसीक:] ३ पेंचन पाने वाला ।-पु. १ ऋणपत्र । ३१ इन्द्रपुरी। ३२ स्वर्ग की एक नदी। ३३ पलकापुरी। २ दस्तावेज । ३ इकरारनामा। ४ सरकारी खजाने में जमा ३४ प्रजापति दक्ष की एक कन्या । ३५ मौलश्री। ३६ वृद्धि करवाया जाने वाला धन ।
नामक प्रौषधि । ३७ लगाम, रास, बागडोर । ३८ पाठ वसीक्रत-वि० [सं० वशीकृत] १ मोहित, मुग्ध । २ वश में की सख्या*।-वि०१ जो सब में निवास करता हो। किया हुमा।
२ जिस में सब का निवास हो। ३ अधीन, पवलम्वित । बसोटाळ-देखो "विस्टाळ।
-कि० वि० ४ अधिकार में, कब्जे में। वसोटाळो-देखो "विस्टाळी'।
वसुचरण-पु. डगरण के चौथे भेद का नाम । वसीट्ठी-पु. १ दूत । २ देखो 'वसीठी' ।
वसुद-पु० [सं० वसु+प्र० द०] १ विष्णु । २ कुबेर । बसीठ-पु०१ संदेशवाहक, दूत । २ राजदूत। ३ देखो 'वसिस्ठ'। वसुदरम (धरम)-पु० [सं० वसु धर्म] इन्द्र। बसीठी-स्त्री. १ वसीठ का कार्य । २ संदेश लेजाने का कार्य । | वसुदा-देखो 'वसुधा'। बसीता-देखो 'वसित्व।
वसुदेव-पु० [सं०] श्रीकृष्ण के पिता। वसीतुनीर-पु० तीर, बाण।
वसुधर, वसुधरा-देखो 'वसुधरा' । बसीभूत-वि० [सं० वशीभूत] १ वश में किया हमा। २ अधीन, | वसुधांन, वसुधा-स्त्री० [सं० वसुधा] पृथ्वी, धरती, भूमि । नियंत्रित । ३ मोहित, मुग्ध । ४ दूसरों की इच्छा के अधीन
-घर-पु. विष्णु । शेषनाग । पर्वत ।-धिप, धिपति-पु. राने वाला।
राजा, नृप ।-धोख-पु० पानी, जल । पति-पु. राजा, वसीयत-स्त्री० [4.] अपनी संपत्ति या जायदाद का उत्तरा- नृप । जागीरदार । जमीदार।
धिकार देने की एक प्रणाली। २ इस विधि से की गई | वसुधारा-स्त्री० [सं०] । कुबेर की राजधानी अलकापुरी। व्यवस्था । ३ उत्तराधिकार के लिये लिखा गया दस्तावेज। २ एक प्राचीन तीर्थ का नाम । ३ जैनों की देवी, शक्ति। ४ मरणासन्न व्यक्ति का अपनी जायदाद के प्रति अंतिम | - ४ प्राकाश से स्वर्णवृष्ठि । कथन या इच्छा।
| वसुधेस-पु० [सं० वसुधा-ईश] १ ईश्वर । २ राजा, नृप । सीयतनामी-पु० [अ० वसीयतनामः] १ अपनी जायदाद का वसुध्धा-देखो 'वसुधा'।
वारिस बनाने या उत्तराधिकार देने संबंधी कानूनी | वसुपय-पु० डगण के चतुर्थ भेद का नाम । दस्तावेज । २ इच्छा-पात्र।
वसुप्रसून-पु० [सं० विष-प्रसून] कमल, नील कमल । सीरी-पु० [सं० अवसिक्त] १ प्रजा। २ प्रजा का कोई वर्ग या| वसुमता (मति, मती, मत्ती)-स्त्री० [सं० वसुमति] पृथ्वी, परिवार जो जागीरदार का विशेष कृपा पात्र हो।
धरती। सीलो-पु० [फा०वसील:] १ माश्रम, सहारा । २ संबंध | वरेता-पु. [सं० वसुरेतस्] १ अग्नि । २ शिव ।
लगाव । ३ साधन, जरिया, माध्यम। ४ उपकरण । | वसुरोधो-पु. शिव। .. ५ विचौलिया।
वसुहा-देखो 'वसुधा'। बसीवान-वि० [सं० वसि-प्रा. बत् १ बसने, निवास करने | बसूलो-देखो 'वसूलो' ।
वामा। २ वंश परंपरा से रहने वाला, स्थाई निवासी। | वसू-देखो 'वसु' । ३ जो मकान मादि बनवा कर बस गया हो।
वसूधा-देखो 'वसुधा'। वसुंधरा-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि, धरती।
वसूप्रसून-देखो 'वसुप्रसून'। वसु-पु. [सं०] १ धन, दौलत, द्रव्य । २ प्रकाश, तेज। | वसूमती-देखो 'वसुमती'।
३ रत्न। ४ देवता, सुर । ५ स्वर्ण, सोना। पाठ देवगणों | वसूल-वि० [अ०] १ किसी में बकाया का प्राप्त । २ प्राप्त, का एक समूह । ७ कुबेर। ८ इंद्र। ६ मेघ, बादल ।। लब्ध । ३ बम के प्रतिफल में प्राप्त ।-पू०१पाय, प्राप्ति । १० सूर्य । ११ विष्णु । १२ शिव, रुद्र । १३ जल, पानी। | २ प्राप्त रकम। १४ वायु। १५ प्रजापति । १६ तालाब, सरोवर । १७ मा- | वसूली-स्त्री० [..] १ बकाया की उगाही। २ बकाया धन द्गण । १८ वस्तु, पदार्थ । १६ लवण विशेष । २० अगस्त्य एकत्र करने की क्रिया। का वृक्ष । २१ वक वृक्ष । २२ छप्पय छन्द का एक वसूलो-पु० [सं० वासिः] १ बढ़ई का एक पोचार । २ ईट भेद । २३ साधु पुरुष, सज्जन । २४ अधिकार, कब्जा, वश।। काटने का प्रोजार।
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बसेक
बहत्तर
वसेक, वसेख, बसेखो-देखो 'निसेस।
वहंग-देखो 'विहंग'।-पत, पति = 'विहंगपति'।-राज,राजा = वसेरो-देखो 'बसेरों'।
विहंगराज'। बसेस-देखो 'विसेस'।
वहंग्पो (बी)-देखो 'विहंडणी' (बौ)। वसोख-पु० [सं० विशिखा] राजमार्ग, प्राम रास्ता । वहत-पु० [सं० वहन्त] १ हवा, पवन । २ बच्चा। बसोलो-देखो 'वसूलो'।
बह-सर्व० [सं० वह,] कर्तृकारक प्रथम पुरुष सर्वनाम जो बसौ-क्रि० वि० १ वैसा-तं सा । २ लिये, निमित्त हेतु।
किसो संदर्भ का अनुमान देता है ।-पु०. [सं० वहः] वस्त-पु० [सं० वस्तु] १ वासा, डेरा । २ गमन । ३ मांगना १ परोक्ष वस्तु का संकेत कारक शब्द । २ समर्थन, क्रिया, याचना। ४ मार-पीट । ५ नाभि के नीचे का हिस्सा,
सहमति । ३ लेजाने की क्रिया । ४ वाइन, सवारी। मूत्राशय । ६ परवस्ती, कृपा। [सं० वस्तः] ७ बकरा। ५ घोड़ा। ६ हवा, पवन । ७ मार्ग सड़क। ८ नद । [प्र.] ८ बीच का भाग, मध्य भाग । ६ देखो 'वस्तु'।
९ बैल का कंधा। १० कंधा, स्कंध । ११ चार सौ द्रोण वस्तपांचम, वस्तपांचम-देखो 'वसंतपाचम'।
मर का एक नाप । १२ देखो 'वाह'। यस्तर, वस्तर-देखो 'वस्त्र' ।
वहकरणो (बो), बहकरणौ (बो)-देखो 'महकणो' (बी)। वस्तवंत-वि० [सं० वस्तु-वत् वस्तुओं से परिपूर्ण, वस्तु युक्त । वहचरा, वहचराय-देखो 'बहचराय'। वस्ति, स्ति-स्त्री० [सं० वस्तिः] १ निवास, ठहराव। २ नाभि | वहजावणी (बी), वहजावणी (बी)-देखो 'बजाणी' (बी)।
के नीचे का, पेट का भाग। ३ कोख। ४ मूत्राश। वहण-वि० १ वार करने वाला, मारने वाला । २ चलने वाला, ५ पिचकारी । ६ उदर शुद्धि हेतु एक यौगिक क्रिया ।।
गमन करने वाला। ३ धारण करने वाला ।-पु० [सं०वहन] ७ देखो 'बस्ती'।
१ वाहन, सवारी। २ रथ । ३ नाव, नौका। ४ नदी बस्तिकरम-पु० [सं० वस्तिकमं] १ पिचकारी देने की क्रिया । सरिता । समय ।६ वार,प्रहार ७ चाल,गति ।देखो'वहन'।
२'एनिमा' देने की क्रिया । ३ योग की एक क्रिया। वहणी-स्त्री० १ चलने की क्रिया या भाव । २ भाचारवस्तिमळ-पु० [सं० बस्ति-मल] पेशाब, मूत्र ।
व्यवहार, चाल-चलन । ३ बर्ताव । ४ तेज चलने वाली, बस्ती, वस्ती-१ देखो 'बस्ती' । २ देखो 'वस्ति' ।
शीघ्रगामी। ५ चाल, गति । ६ बहने की क्रिया या भाव । वस्तु,वस्तु-स्त्री० [सं०वस्तु] १ पदार्थ, चीज । निश्चित प्राकार- वहरणो, वहयो-वि० [सं० वह,] (स्त्री० बहणी) १ चलने गला; प्रकार वाला कोई तत्त्व । २ सारवान चीज, धन, दौलत ।
गतिशील । २ घूमने वाला, टहलने वाला। ३ तेज चाल ३ साधन-सामग्री, साज-सामान । ४ सार, तथ्य । ५ खाका; वाला। ४ बहने वाला। ढांचा । ६ श्रम से निर्मित कोई चीज। ७ विचार-विमर्श | वहणी (बी)-क्रि० [सं० वहन] १ चलकर कहीं जाना । योग्य विषय-वस्तु । ८ कथानक, कथावस्तु ।
२ गमन करना, चलना। ३ गतिशील होना। ४ पास से वस्तुनिरदेस-पु० [सं० वस्तु-निर्देश] नाटक में मंगलाचरण का | गुजरमा । ५ बहना, प्रवाहित होना । ६ भटकना । एक भेद ।
७ भ्रमण करना, घूमना । ८ माचरण करना । ९ चलना। वस्ती, वस्तौ-देखो 'बस्तो।
१० छूटना। ११ उत्तरदायित्व या जिम्मेदारी लेना। वस्य-पु० [सं० वश्य] १ अनुचर, नौकर, दास । २ देखो 'वस्या' । १२ कीति या विरुद धारण करना। १३ स्वाभिमान वस्यकरम-पु० [सं० बस्यकर्म] ७२ कलापों में से एक ।
रखना । १४ घुसना, धंसना । १५ कूए से पानी निकालने वस्या-स्त्री० [सं० वश्या भाज्ञाकारिणी स्त्री।
की क्रिया होना। [सं० वह) १६ प्रचलित होना, फैलना। वस्त्र, वस्त्र-पु० [सं० वस्त्र] १ कपड़ा। २ पोशाक, परिधान। १७ झरना, टपकना । १८ फसल की बुवाई होना । -गांठ, थि-स्त्री० वस्त्रों की पोट, गांठ, बंडल ।
१९ प्राघात या वार होना । २० वीरगति प्राप्त होना। वस्त्रकार-पु. [सं०] १ वस्त्र व्यवसायी, व्यापारी, बजाज।। २१ उछलना । २२ वध करना, मारना, समाप्त करना । २ वस्त्रागार का अधिकारी। ३ वस्त्र निर्माता ।
२३ लादकर लेजाना, ढोना । २४ धारण करना । वस्त्रगोपना-स्त्री. १ वस्त्रों की रक्षा । २ स्त्रियों को ६४ | वहत-पु० [सं० वहतः १ यात्री। २ बैल । कलामों में से एक।
वहतिक-१ देखो 'वहित्रिक' । २ देखो 'बोहित'। बस्त्रपरिधायक-वि० वस्त्र पहनाने वाला, शुगार कराने वाला। वहतीवाण-पु. १ सोमा में होकर पलने का महसूल । २ देखो बस्त्रागार-पु० [सं०] १ वस्त्र रखने का कक्ष, वस्त्र धारण | 'वैतियांण'। करने का कक्ष । २ वस्त्र-भण्डार ।
वहतर, वहत्तरि-देखो 'बमोतर'।
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(५७७ )
- बहीलो
बहर-देखो 'बेहद'।
वहालो-देखों 'बा'लो। वहन-पु० [सं०] १ ग्रहण या धारण करने की क्रिया या | बहाव-देखो 'बहाव' ।
भाव । २ उत्तरदायित्व या जिम्मेदारी लेने की क्रिया | वहावरणौ (बौ), वहावरणो (बौ)-देखो 'बहाणों' (बी)। या भाव। ३ बोझे को ढोवाई, लदाई। ४ सवारी। | वहिवगो (बो)-देखो 'बैंचरणो' (बो)। ५ नाव या बेड़ा। ६ ध्वजा। ७ खंभे के नौ भागों में से | बहि, वहि-देखो 'बही'।
सब से नीचे का भाग। ८ देखो 'बहन'। ९ देखो 'वह्नि'। वहिउ-वि० [सं० व्यूह १ फैला हपा, चौड़ा, प्रशस्त । २ वृद्धि वहनि (नी)-१ देखो 'वहणी' । २ देखो 'वहन्य"। ३ देखो 'बाह्न। को प्राप्त । ३ वृद्ध, बुढा । ४ दृढ़, सशक्त । ५ विवाहित । बहनीसिखा-देखो 'वह्निसिख'। ।
बहिचरणो (बौ)-देखो 'बैंचरणो' (बी)। वहन, वहनि-१ देखो 'वह्नि'। २ देखो 'बहन'।
वहिरण, वहिणि (रणी)-देखो 'बहन' । वहन्य-पु० एक सूर्यवंशी राजा। वहम, बहम-पु. [म.] १ संदेह, माशंका, भय की कल्पना ।
वहितिक, वहिन, बहित्रक, बहित्रिक-स्त्री० [सं० बहित्रक] २ संदेह, भ्रम । ३ शक-सुबा । ४ गलतफहमी। ५ अंध
१ नाव, जहाज । २ बेड़ा, पोत ।। - विश्वास । ६ अविश्वास ।
बहित्थ-पु० [सं० वाहित्थं] हाथी का मस्तक । बहमी, बहमी-वि० [40] बहम करने वाला, शक करने वहिनी-पु० नगर का चौहटा।
वाला। २ किसी पर प्रविश्वास करने वाला। ३ स्वभाव बहिन-१ देखो 'वह्नि' । २ देखो 'बहन'।-मुख- वह्निमुख' । से शक्की ।
वहिनी-स्त्री० [सं०] १ नाव, नौका । २ बेड़ा, पोत । ३ देखो बहरणो (बी)-देखो 'बैरणो' (बो)।
..'वाहनी'। ४ देखो 'बहन' । ५ देखो 'वह्नि'। वहरांमसद-वि० [फा० बहरामंद] सम्पन्न भाग्यशाली, बहिरंग-देखो 'बहिरंग'। धनाढ्य ।
वहिरउ-देखो 'बहरो'। वहराइणो (गे), बहराणी (बो), वहरावणो (बो)-देखो वहिरणौ (बो)-देखो 'बरणी' (बो)। ' 'बैराणो' (बो)।
वहिरलापिका-स्त्री० [सं० बहि पिका] पहेली, समस्या । वहळ, बहल, बहलि, बहली-१ देखो बहल'। २ देखो 'वेहळ'। वहिराणो (बो)-देखो 'राणी' (बो)। ३ देखो 'बळद' । ...
वहिरांमण-पु. महादि क्षेत्र के तीर्थकर । वहलियो-१ देखो 'बळद' । २ देखो 'बहलियो'।
वहिरौ-देखो 'बहरो'। वहली-स्त्री० [सं० बहला, बहल] १ बड़ी इलायची। २ ऊख
वहिल-१ देखो 'बहल'। २ देखो 'बैल'। विशेष ।
वरिलउ, वहिल-देखो 'वहिलो' ।
वहिनी (लो)-क्रि० वि० [सं० वहिल्ल] (स्त्री० वहिली) वहव, वहव-देखो 'बहू'।
१ शीघ्र, तुरंत, जल्दी । २ पहले, पूर्व । ३ बिरला। वहवारियो, वहवारिया-देखो 'व्यवहारियो'।
बहिरूल-१ देखो 'बैल' । २ देखो बहल'। वहाहरणो (बी), वहाणी (बी), बहारणी (बी)-क्रि० १ कहीं |
वहिस-अव्य० १ पच्छे समय पर । २ देखो 'बहिस' । जाने के लिये प्रेरित करना, चलाना, गमन कराना ।
वहीं-प्रव्य० १ उसी जगह, स्थान या क्षेत्र में। २ उसी समय, २ बहाना, प्रवाहित करना । ३ तिराना, बहाना । ४ भट
क्षरण या घटना के साथ । ३ उसी। काना, घुमाना । ५ गतिमान करना, गति देना, चलाना । |
वही, वही-प्रव्य व्यक्ति या वस्तु के प्रति संकेत देने वाला सर्व६ घमाना, टहलाना। ७ प्राचरण कराना । ८ अलग
नाम । उस ।-स्त्री० [सं० वयस ] । प्रायु उम्र । २ देखो हटाना, दूर कराना।६ प्रहार कराना, पाघात कराना।
'बहो'। १० वध कराना, मरवाना। ११ उछालना। १२ प्रचलित
वहीण-देखो "विहीन'। कगना । १३ टपकाना, झरवाना। १४ बोवाई कराना। १५. जिम्मेदारी डालना । १६ लदवाकर लेजाना ।
वहीणो (बो)-देखो 'वहणो' (बी)। १७ शपथ दिलवाना।
वहीर-पु०१ प्रस्थान, गमन, प्रयाण, कृच । २ सदा साथ रहने वहानो-देखो 'बहानौ'।
वाला नौकर, अनुचर, परिजन। ३ कुटुम्बी, नातेदार, वहार-देखो 'बहार'।
रिश्तेदार । ४ सेना। बहाळो-देखो 'बाळो'।
| बहोली -देखो 'बहिलो'।
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वहीवेस
वांडणी
'पहिला ।
वहीवेस-स्त्री० [सं० वय-वयस्] १ युवावस्था, जवानी । बांकी, बांकी-देखो 'बांकी' । २ बीतने योग्य उम्र। ३. अस्थाई व्यवस्था ।
बांकु, वांकी, वांको-देखो 'बोको'। बहु, बहु, बहुअड़, बहुअर, बहुअरी, बहुआरी, बहुआरी-देखो | वांग-देखो 'बांग'।
वांगड़, वांगड़-वि० वीर बहादुर । बहुरावणी (बी)-देखो 'बैरालो' (बी)।
वांगरण-पु० [सं० प्रवाअन१ चक्के की धुरी या मशीन प्रादि बहुव, बहू, बहूपड़, बहूअर, बहूवड़, वहूबर-देखो 'बहू'।
में लगाया जाने वाला स्निग्ध पदार्थ । २ ऐसा पदार्थ लगाने । बहूवासो-पु० [सं० वधू+वास] ससुराल में वधू को बधुपन के की क्रिया या भाव । कारण मिलने वाला कष्ट ।
बांगरणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रवाञ्जन] १ चक्के, मशीन प्रादि में वहदक-पु० [सं०] चार प्रकार के संन्यासियों में से एक। । तेल या स्निग्ध पदार्थ लगाना । २ पीटना, मारना। ३ संभोग बहेड़ो-देखो 'बे डो'।
- या मैथुन करना। ४ गमन करना। वहेणी (बो)-देखो 'वहणो' (बो)।
वांगरी, वांगरी-स्त्री० एक प्रकार की घास । वहेलो-देखो 'वहिलो'।
वांगळी-स्त्री० रेत या टीबों पर पड़ने वाली लहरियां । वही-देखो 'बहुत'।
वांगलौ-देखो 'बांधलौ'। वहीत-देखो 'बहुत'।
वांगारी-पु० तेज चाल वाला बैल। वहोत्तर-देखो 'बमोत्तर'।
वांगी, वांगी-पु. १ प्रवाह, गति, चाल । २ बहाव से पड़ा वह्नि-स्त्री० [सं०] १ अग्नि, प्राग। २ पाचन शक्ति। ३ भूख। निशान । ३ बहाव की गति । ४ प्रथा, परंपरा। ५ चक्कर।
४ जठाराग्नि । ५ सवारी। ६ राम की सेना का एक ६ लदाई की दर । वानर ।-कर-वि० जलाने वाला। भूख बढ़ाने वाला।| बांधलो-देखो 'बांधली'।
प्राग पैदा करने वाला।-स्त्री० बिजली। चकमक । पथरी। बांचणी (बी). वांचरणी (बी)-१ देखो 'बांचरणो' (बो)। २ देखो बह्रिबीज-पु० [सं०] १ सोना, स्वर्ण। २ नींबू ।
___ 'वांछरणो' (बी)। वह्निमुख-पु० [सं०] देवता।।
बांच्छित-देखो 'वांछित' । बहिसिख-स्त्री० [सं०] १ केसर । २कुमकूम । [सं० वह्निमख] बांछक-वि० [सं०] इच्छा, अभिलाषा, चाह करने वाला। ३.हवा, पवन।
वांछपो (बो)-क्रि० [सं० वांछनम्] १ चाहना, इच्छा करना; बह्व-देखो 'बहू'।
अभिलाषा करना । २ जिजामा करना । ३ प्रेम करना। वां-सर्व० १ उन, उन्होंने । २ वहां, उस जगह ।
बांछना-स्त्री० [सं० वांछा] १ चाहना, चाह। २ इच्छा वांइदो-पु० कूडा, कचरा।
अभिलाषा । ३ कामना । ४ जिज्ञासा । वांइटो, वांइटो-पु. [स. वात-घटो] १ वातविकार के कारण
वांछनीय-वि० १ इच्छित, अभिलषित । २ चाहने योग्य । शरीर या नस में होने वाली ऐंठन । २ सुन्नता । ३ पेट की
वांछा-स्त्री० [सं० वाञ्छा] १ इच्छा, चाह । २ प्रभिलाषा । मरोड़, ऐंठन।
३ कामना । ४ जिज्ञासा । वाई, वाई-स्त्री० [सं० वायी] १ सर्प का बिल । २ खाट की |
| वांछित-वि० [सं०] चाहा हुमा, इच्छित । मनचाहा । बुनाई के बीच लगाया जाने वाला माड़ा बंधन । ३ करधनी। वांझ, वांझ-देखो 'बध्या'। वाईटो-देखो 'वांइटौ'।
बांझगाई, बांझगाय-स्त्री० [सं० वंध्या-गौ] बंध्या गाय । वांक-देखो 'बांक'। .
वांसड़ी, वांझणो, वांग्लि, वांझिरणी-देखो 'बंध्या' । वांकउ, वांकड़, वांकडलो-देखो 'बांको' ।
वांझीयौ, बांझोयो-वि० [सं० वंड] १ विधुर, रंडुग्रा,विवाहित । वांकड़ी-१ देखो 'बांकी'। २ देखो 'बांकड़ी' । ३ देखो 'बांकली'। २ वह जिसके संतान न हो। वांकड़ो-१ देखो 'बांको'। २ देखो 'बांकड़ो' ।
वांट, वांट-देखो 'वंट'। वांकम (मि, मी)-देखो 'बोकम' ।
वाटणी-देखो 'बांटणो' । बांकल-१ देखो 'बांक' । २ देखो 'बांकल' ।
वाटणी (बौ), वांटणो (बी)-देखो 'बांटणो' (बी)। वोकस-देखो 'बांक'।
वाटो, वांठ, वांठो-१ देखो बांटो' । २ देखी 'वंट'। बांकिम (म्म)-देखो 'बांकम' ।
वांठि, बांठी-पु. अहंकार, गर्व । वांकियो, वाकियो-पु० १ रथांग विशेष । २ देखो 'बांकियो' । वांड, वांड-पु० खंड, टुकड़ा। ३ देखो 'बांक'।
वांडणौ (बी), वांडणी (बी)-देखो 'बाढणो' (बो)।
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वाडी
। ५७९ )
वानर
वांडो, बाढी, बांडी, बाढी-वि० [सं०] १ अविवाहित । वाणी, वाणी-स्त्री० [सं० वाणी] . सरस्वती, शारदा । २ मुह
२ रंडुपा, विधुर । ३ मूर्ख, मूढ़ । बेवकूफ ।-पु०१ अविवा. से उच्चारित शब्द, मावाज, भाषा। ३ निश्चित पर्थ बोधक हित व्यक्ति । २ एकाकी व्यक्ति।
शब्द, वचन वाक्य, भाषा । ४ वाक शक्ति । ५ स्वर, ध्वनि, बांण वारण-स्त्री० [सं० वाणि] १ बनावट, रचना । २ मूर्ति । नाद। ६ जिह्वा, जीभ । ७ बोली, बोलने की क्रिया ।
३पादत, स्वभाव ।-पु०१ पंडित, कवि । २ सिंह, शेर । ५ योग के अनुसार चार प्रकार की वाणियों में से एक । ३ बुनावट में काम पाने वाली रस्सी। [सं० यान] ४ गाड़ी। ९ संत-महात्माओं द्वारा लोकोपदेश के लिये रचे गये छन्द ५ विमान, वायुयान । ६ एक प्रकार का वातरोग । या पद्यों का संग्रह। १० निर्गुण भक्ति का कोई पद । ७ मादा पशुमों के ऋतुमति होकर गर्भ धारण की ११ साहित्यिक निबंध । १२ एक छंद। १३ केवट, नाविक । अवस्था । ८ देखो 'वाणी' । ९ देखो 'बांग'।
१४ प्रशंसा । १५ ध्रुपद की चार वाणियों में से कोई एक । बांणक, वारणक, वांणक, वारणक-स्त्री० [सं० वाणि] कांति, | वाणीमड-पु० [सं० वाणीमण्ड] दांत ।
शोभा, दीप्ति । २ सौन्दयं, रूप। ३ सूरत, शक्ल । वाणीरणजोधार-पु. पंडित, विद्वान, कवि । ४ प्राकृति, बनावट । ५ सजावट, ठाट-बाट । ६ रग-ढग । | वारणोतरी-पु० बनिक समाज ।
७ ढंग, प्रकार । ८ एक वर्ण वृत्त विशेष । ९ देखो 'वरणमत'। | वाणी, वाणी-पू० [सं० वाहन] १ पानी लाने के लिये गाड़ी पर वाणरण, वारणरणी-देखो 'वणियांणी' ।
रखे गये जल-पात्रों का समूह । २ उक्त प्रकार से पानी खाने वारणप्रस्थ-देखो 'वानप्रस्थ'।
का कार्य। वाणरस-देखो 'वाराणसी'।
वाण्यो, बायो-देखो 'वणिक' । बांणवहरण-पु. १ नाव, जहाज । २ एक प्रकार का देवी प्रकोप ।
वांति-स्त्री० [सं० वांतिः] १ वमन, के । २ उगाल । बांरगाहो-स्त्री० [सं० उपानह] जूती, पगरखी।
वांती-पु० मन्तर, फर्क। वांग्गा-देखो 'वाणी'।
बांय-देखो 'बाथ'। बाणारसी-देखो 'वाराणसी' ।
बांद, बांद-१ देखो 'बांदी' । २ देखो 'बांद'। वाणाळ-१ देखो 'बांण' । २ देखो 'बांणावळी' ।
वांदरणी (बो)-देखो 'बांदणी' (बी)। वारणावळी-पु० रथ।
वांवर, वांदर-देखो वानर'। बारिण-देखो 'वाणी'।
वांदरपगौ-पु. वह बल जिसके पिछले पैर के टखने जमीन पर बाणिक-१ देखो 'वारणक' । २ देखो 'वणिक' ।
टिकते हों। बांरिगज, वारिणत-1 देखो 'वाणिज्य' । २ देखो 'वरिणक' ।
वांदरमाळ, बांदरमाल-देखो 'बांदरमाळ' । वाणिज्य-पु० [सं० वाणिज्य] १ वस्तुओं का क्रय-विक्रय, व्यापार,
र, बांदरी, वांदरी-स्त्री० [देश॰] मोट की रस्सी में लगने वाला व्यवसाय । २ लेन-देन ।
लकड़ी का उपकरण। वाणिनी-स्त्री० [सं० वाणिनी] १ चालाक स्त्री, धृतं स्त्री,
| बांदरी, वांदरी-देखो 'वानर' । (स्त्री० वादरी) छिनाल । २ स्वेच्छाचारिणी व व्यभिचारिणी स्त्री।
बांदी-देखो 'बांदी'। ३ नतंकी, पभिनेत्री। ४ दूती । ५ मदोन्मत्त स्त्री। ६ एक
वांधण (बो)-देखो 'बांधणो' (बो)। वर्ग वृत्त विशेष । वाणिया-कूटावरिणयौ-पु. लुब्धक नामक तारा ।
वांन-पु० १ यश, कीति, शोभा । २ हौसला, साइस, जोश । वाणिया-रो-देवळ-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक उद्भिज
३ उत्साह, उमंग । ४ इज्जत, प्रतिष्ठा। ५ तेज, दीप्ति पदार्थ, 'लांको मूळो'।
कांति । ६ वचन । ७ स्वाद, जायका । ८ सम्पन्नता सूचक
प्रत्यय । ९ देखो 'बांद'। बारिणयावटी, बारिणयावाटी-स्त्री० [सं० वणिक-वृत्ति |
१ महाजनी गणित, देशी व्यापारियों द्वारा काम में ली जाने | वनइत-देखो 'बांनत'। वाली एक प्रकार की गणित विद्या। २ नियों की बही में | वानक-देखो 'वारणक' । लिखी जाने वाली लिपि विशेष । ३अनिये का कर्म ।-वि० | वानकी-देखो 'बानगी'। १ बनिये की, बनिक संबंधी । २ महाजनी।
वानप्रस्थ-पु० [सं० वानप्रस्थ जीवन की तीसरी अवस्था, वारिणयो-देखो 'वणिक'।
___ गृहस्थाश्वम के बाद की अवस्था । बा' वी-देखो 'वाहणी'।
| वानर-पु० [सं० वानर] १ मनुष्य से मिलता-जुलता एक प्राणी,
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बानरमाळ
बांसली
( १८०)
बंदर, कपि। २ दोहा छंद का एक भेद । ३ बढ़ई का एक वामदेव-पु० [सं० वामदेव शिव, महादेव ।। मोजार । ४ देखो 'बंदर'।
वामदेवी-स्त्री० [सं० वाम देवो] १ दुर्गा, पार्वती। २ सावित्री। यानरमाळ-देखो 'बांदरमाळ' ।
वांमन-पु० [सं० वामन] १ ईश्वर । २ विष्णु का एक प्रवतार ।
३ विष्णु । ४ शिव । ५ दक्षिणी दिग्गज का नाम। ६ बौना वानरमुख-पु. नारियळ। वानरी-वि० सदर की, बंदर संबंधी । २ बंदर के समान ।
. या ठिगना भादमी । ७ एक पुराण । ८ एक वृत्तिकार । ३ बंदरों की। -त्री०१ मादा बंदर । २ वाच, कौछ।। ९ अंकोट वृक्ष । -वि० १ ठिगना, बौना, नाटा। २ नम्र । वानरो-देखो 'वानर'।
३ नीच, कमीना, शठ। वांनवासिका-पु. एक छन्द विशेष ।
बांमनजयंती, वामनद्वादसी-स्त्री० भादव शुक्ला द्वादशी तिथि । बांना-स्त्री० [सं० वाना] बटेर, लवा।
वाममारग-पु० [सं० वाममार्ग] वेद विरुद्ध एक तांत्रिक मत । बानाबंध (बंधरण, बंधण)-देखो 'बांनाबंध'।
वांमलोचना-स्त्री० [सं० वाम लोचन] १ सुदर स्त्री। २ स्त्री, वांनायुज-देखो 'वनायुज'।
नारी। यांनी, बानी-स्त्री. राख, भस्मी।
बाम वक्रासन-पु० योग के चौरासी प्रासनों में से एक । बांनीर-पु० [सं० बानीर] १ बैत । २ पाकर का पेड़।
वामसर, वांमसुर-पु० [सं० वाम-सर] महादेव, शिव । वांने-क्रि०वि० पोर, तरफ।
वामहयो-पु०प्रयाल में प्रशुभ भौंरी वाला घोड़ा। वांनेत, बनित-देखो 'बांनत' ।
वामांग-वि० [सं० वाम-अंग] १ बायें अंग का, बायें अग संबधी वानौ-देखो 'बांनो'।
. २ बायीं भोर का। वांबासणी (बी)-कि. जोश दिलाना ।
वामगिनी, वामांगी-स्त्री० [सं० वाम-अंगी] पत्नी, स्त्री। वांभ-देखो 'भांब'।
बांमा-स्त्री० [सं० वामा] १धर्मपत्नी, स्त्री, भार्या । २ सरस्वती वांमण, वांभणी, बामण, भिणी-स्त्री. १ मेघवाल स्त्री। शारदा । ३ लक्ष्मी । ४ रमणी, युवती । ५ सुन्दरी, स्त्री। २ देखो 'ब्राह्मण'।
६ पृथ्वी । ७ एक वर्ण वृत्त विशेष । वांमी बांभी-देखो भांबी'।
वांमाचार-पु० [सं० वामाचार] तांत्रिक उपासना का एक भेद । बांमंग-देखो 'वामांग'।
वांमादेवी-स्त्री० [सं० वाम देवी] पारसनाथ की माता का वाम-पु. [सं० वाम.] १ शिव, महादेव । २ एक रुद्र । ३ काम
नाम। देव । ४ सूर्य । ५ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । ६ चन्द्रमा के रथ |
वांमासर-पु. पाडल नामक वृक्ष । ' का एक घोड़ा। ७ एक जंतु। ८ सर्प। ९ स्तन, कुच। वामी-क्रि० वि० [सं० वाम] १ बायीं भोर, बायीं तरफ। १० एक वर्ण वृत्त विशेष । ११ एक मात्रिक छद विशेष । -बि. २ वाममार्गी। -स्त्री० [सं० वामो] १ घोड़ी [सं० श्याम.] १२ समानान्तर फैली दोनों भुजाओं की। २ गधी । ३ हस्तिनी। ४ गीदड़ी। लंबाई का एक नाप । १३ धन । १४ एक प्रकार की मछली। वांमीबद (बध)-पु. १ राठौड़ों का विशेषरण सूचक शब्द १५ पृथ्वी, भूमि ।-वि० [सं० वाम] १ बायां, दाहिने का २ राठोड़ राजपूत । ३ गौड़ राजपूत । ४ बायीं तरफ खड्ग विपर्याय । २ बायीं मोर स्थित । ३ उल्टा, प्रौधा, विपरीत । | बांधने वाला योद्धा, वीर। ४ विरुद्ध । ५ कुटिल। ६ नीच, दुष्ट । ७ सुन्दर, मनोहर । वामे, वांम-क्रि० वि० [सं० वाम] बायीं पोर । देखो 'वामा।
वांमो-वि० [सं० वाम] (स्त्री० वामी) १ दायां का विपरीत वांमअरधपदासन, वांमजांन्वासन-पु. एक योगासन विशेष ।
बायाँ । २ प्रतिकूल, उल्टा, विरुद्ध । ३ दुष्ट, नीच, शठ । वांमरण, वामणदेव, वांमण, वांमणदेव-१ देखो 'वांमन' । २ देखो वायलो-वि० (स्त्री० वायली) पिछला, पीछे का, शेष । 'ब्राह्मण'।
बांरुबौ-पु० वात रोग की चिकित्सा। , बांमणबारस-देखो 'वामन द्वादसी' ।
बांस-वि० १ वंश का, वंश सबंधी । २ देखो 'वस'। ३ देखें बामणो-वि० [सं० वाम] (स्त्री० वामणी) १ विरुद्ध, प्रतिकूल ।
'बांस। २ तिरछा, टेढा।
वांसह-अव्य०१ पीछे । २ निकट, समीप, पास। ३ पीठ पीछे वांमणो (बी)-क्रि० पार निकालना, प्रसार करना, निकालना। | बासरी-देखो 'वसी'। बांमवक्षिणपादासन, वामदक्षिणस्वासगमनासन-पु. एक योगासन | वासली-वि० १ पिछली, पीछे की । २.देखो. 'वंसी'। ३ देख विशेष ।
'बांसरी'।
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बसिलो
वांसळी (लो) - वि० [सं० वंश-लो ] ( स्त्री० वांसळी) १ वंशज, वंश का । २ पीछे का पिछला । ३ शेष, प्रवशिष्ट । बांसा स्त्री० [देश०] १ घोड़े की बीन २ देखो''। वांसावळी - १ देखो 'वंसावळी' । २ देखो 'वासावळो' । वांसियो - पु० १ अनाज बोने का बांस का बना उपकरण । १२ पद्ध चंद्राकार घड़ा हुआ पत्थर वांसी- क्रि० वि० १ पीछे विकि० वि० १ पीछे ३ शेष, प्रवशिष्ट । ४ समीप, पास ५ साथ में । ६ मदद में इमदाद में विप्रधीन अन्तर्गत
। २ देखो 'वंसी' ।
पीछे से पीछे से
२ पश्चात बाद में
/
ain, wig-bat 'fg'
7
वांसौ-पु० १ पीछा । २ पिछला भाग, पीठ। ३ साथ । ४ मदद,
इमदाद । ५ बेंट, दस्ता, मूठ ।
वाणी-देखो 'वाणी'।
(सी) देखो 'वंसी' २ देखो 'बोली'।
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( १०१ )
वा, वा सर्व ० १ वह । २ उन, उस (स्त्री वाची सर्वनाम ) । - अव्य० १ प्रथवा, या । २ जैसा, सदृश ३ विकल्प, संदेहवाचक । ४ समाप्ति सूचक अव्यय इति बस । ५ तथा मोर भी। स्त्री० १ अंबा २ विकल्प । ३ प्रेम, स्नेह । ४ प्रति । ५ प्रहार, चोट । ६ देखो 'वायु' ।
.
वा' वा'-१ देखो 'वाह' । २ देखो 'वास' । ३ देखो 'वायु' । बाल वाली देखो 'बाहुन' २ देखो 'बागी'। वाग्नरणो (बौ), वाह्मरणो (बौ)-१ देखो 'बाजरणी' (बो)। २ देखो 'बा' (मी)।
बाघ, वाघ वाचवी बाघ देखो 'वासदे'।
बारी बारी देखो 'बोइटो' ।
बाइयो, वाइदौ पु० फूस, कचरा
वाइ, वाइ- स्त्री० [सं० वाद] १ धावाज ध्वनि । २ देखो 'वायु' देखो 'वापी' ४ देखो 'वादी' ५ देखो 'बाई'
1
वाइक पु० १ मित्र, दोस्त २ देखो 'वाक्य' । ३ देखो 'वायक' । वाइकचर पुं० [सं० वाक्य चर] श्रवण, कान ।
बाइड (ड) वाइड देखो''
वाइडियो बाडडियो देखो 'बाहियो'
बाइमल्ल पु० वादियों में मल्ल ।
बाहर देखो 'र'।
बाइरियो बाइ बाइरियो बाहरी देखो 'बारी' वाइस - १ देखो 'वायस' । २ देखो 'बाईस' । बाइसी-देखो 'बाईसी
[२] देखो 'बादी' ३ देखो 'वायु' ।
बाई, वाई- वि० कृषि कार्य में अभ्यस्त (बैल) । स्त्री० १ बैल को कृषि कार्य के लिये अभ्यस्त करने की क्रिया
बाईो वार्ड-देखो 'बायको' वाईसी देखो 'बाईसी
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बाउ-देवो 'वायु'
वाउकाई, वाउकाय पु० वायु के जीव, वायु में रहने वाले जीव । हवा के जीवाणु ।
वाउदेवता-देखो 'वायुदेवता'।
वाकळा
वाउ
वामंडळ - देखो 'वायुमंडळ' ।
वाउळ - १ देखो 'बधूळो' । २ देखो 'बावळ' । ३ देखो 'बांवळ' । वाउलउ - १ देखो 'बावळो' । २ देखो 'वावळ' ।
याउळ (छी) देखो 'बादल' २ देखो 'बावळो' देखो 'बांवळी' । ४ देखो 'वावळ' |
वाउलोउ - देखो 'बांवळ' |
वाउळी (लो) -१ देखो 'बावळो' । २ देखो 'वावळ' । वाउवौ वि० [सं० वातिक] वात रोग से ग्रस्त, वाचाल । बाउस देखो 'वावसू' ।
वाएक-१ देखो 'वाक्य' २ देखो 'वायक' । वाएरो, वायरी- देखो 'बायरों' ।
वाओको पु० [सं०] वायुस्थलम् ] १ हवादार व खुला स्थान । २ वायु के श्रागमन का स्थान, जहां वायु भ्राती हो
वाक-स्त्री० [सं० वाक्] १ सरस्वती, शारदा । २ जिह्वा, जीभ । ३ वाणी, वचन, वाक्य ४ sवनि, आवाज । ५ देखी 'बाको'
वाकई फि० वि० [अ० वाकई] यथार्थ में वाकचपळ - वि० [सं०] वाक् चपल] बातूनी, वाकप- देखो 'वाकिफ' ।
-
वाकपटु वि० [सं०] वाक्पटु बाठों में या बोली में चर । चतुर वाकपतित पु० [सं० वाक्पति ] १ बृहस्पति । २ विष्णु । ३ सत्य देवों में से एक।
परिज्ञान २ अनुभव ।
वाकब, वाकबी-देखो 'वाकिफ' । वाकयो-देखो 'वाकियो' ।
वाकपतिराज पुं० [सं०] वाक्पतिरज] १ मालवा का एक परमार राजा । २ राजा यशोवर्मा का प्राश्रित एक राजा । वाकफ देखो 'वाकिफ' ।
बाड़, बाइड़ी देखो 'बायडी'
बाइणी (बो), वाइली (बो) - १ देखो 'बावणी' (बो) । २ देखो | वाकफियत (बियत ) - स्त्री० [अ० वाकफीयत ] १ जानकारी, 'बाजी' (बी)।
वाकळा - देखो 'बाकळा' ।
वास्तव में वस्तुत: । बकवादी । लबार ।
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० [सं०] वाकन] १ कुए का पानी [सं०] वल्कल]
२ एक प्रकार का वस्त्र ।
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वामपकार
वाकवाको
वाकवारणी-स्त्री० [सं० वाकवाणी] १ सरस्वती, शारदा । २ वर्तमान हिसार का पुराना नाम । ३ एक वैश्य जाति । २ वागी।
४ खादर का विपर्याय एक प्रकार का भू-भाग । ५ कच्छ वाकस-देखो 'बाकस'।
राज के एक भू-भाग का नाम । ६ देखो 'बगड़' । बाकसाळी-स्त्री० [सं० वाक शालिन् ] एक देवी विशेष । -वि० वागड़पो (बो)-क्रि० चलना फिरना । बोलने में चतुर या दक्ष ।
वागड़ियो-वि० बागड़ का, वागड संबधी। -पु. १ वागड़ प्रदेश ताकानवीम-वि० [प्र. वाकिध-नवीस घटना का उल्लेख का निवासी । २ वागड़ जाति का वैश्य । ३ रहट की मान
करने वाला, वृत्तान्त लिखने वाला ।। इतिहासकार ।। में लगाने की कीली विशेष । ३ संवाददाता।
| वागड़ी-पु.१ खेतों की रखवाली करने वाली एक जंगली वाकार--स्त्री० १ ललकारने की क्रिया या भाव । २ ललकार, । जाति । २ इस जाति का व्यक्ति।
वीरहाक,। ३ संबोधन की क्रिया या भाव । ४ विरुदाने वागडोर-देखो 'बागडोर'।
को किया। ५ पुकार । ६ 'व' अक्षर य वर्ण । वागढाळ-पू० घोड़े की लगाम का ढीलापन, विश्राम । बाकारणो (बो)-क्रि० [सं० वक्र प्राकारा] १ युद्ध के लिये
वागणौ (बौ)-१ देखो 'बाजणी' (बो)। २ देखो 'भागगो (बो)। ललकारना। २ उत्तेजित करना, जोश दिलाना । ३ अाह्वान | वागमी-देखो 'वाग्मी'। करना, बुलाना । ४ पुकारना, । ५ संबोधित करना । वागर-पु० [सं०] १ विद्वान, पंडित गुणी । २ ऋषि, मुनि, ५ प्रशंमा करना।
महात्मा। ३ ग्वीर, योद्धा । ४ देखो 'वागड़' । ५ देखो वाकिफ-वि० [०] १ जानकार। २ अनुभवी, ज्ञाता।
'बागर'। -स्त्री. १ जानकारी, खबर, पता । २ ज्ञान, अनुभव ।
वागरवाळ-वि० [सं० वाग्वर-पालक] कवि, विद्वान, पंडित । वाकिफकार-दि० | ५० वाकिफकार] जानकारी रखने वाला,
वागरी-देखो 'बागरी'।
वागळ-देखो 'बागळ' । अनुभवी, ज्ञाता।
वागळी (ली)-१ देखो 'बागळी' । २ देखो 'बागळे'। वाकिमी-देखो 'बांकम'।
बागवारणी-स्त्री० [सं० वाग्वारणी] सरस्वती, शारदा । वाकियो-पु० [अ० वाकिम] १ कोई दुर्घटना, कोई घटना ।
वागसरणी (बौ)-देखो 'बकसरणो' (बी)। २ वृत्तान्त, हान, चर्चा । ३ समाचार, खबर ।
वागांसपुर-देखो 'बागांसपुर' । बाकी-देखो 'बाकी'।
वागी-देखो 'बागी'। चाक रिम-स्त्री० सर्प को कुडली।
वागीचौ-देखो 'बगीचो' । वाकु भ पु० ॥क वक्ष विशेष ।
वागीस-पृ० [सं० वागीश] १ ब्रह्मा । २ बृहस्पति । ३ कवि । वाकु भीय-पु. एक कंद विशेष ।
४ वक्ता । चाको-वि० [अ० वाविध १ जो घटित हो चूका है। २ घटित ।
वागीसा-स्त्री० [सं० वागीणा] सरस्वती । होने वाला । ३ देखो 'बाकियो । ४ देगो 'बाको।
वागीस्वर-पु० [सं० वागीश्वर १ ब्रह्मा। २ बृहस्पति । वालय--पु० [सं०] १ निश्चित विचार या कोई मंतव्य संगष्ट
३ कवि । करने वाला शब्द-समुह । २ कथन । ३ भापगा।
वागीम्बरी-बी० [सं० नागीश्वरी] १ मरम्बनी, शारदा । वावरकर-पु० दूत, मंदेश वाहक । --वि० बालें बनाने वाला।
२एक रागिनी विशेष । ३ एक महाविद्या। वाक्यानवीस-पु० मुगलकालीन एक शासकीय पद, यौहदा। यावर-देखो 'वाखर' ।
वागुर (रि, री) बागुरीय-स्त्री० [सं० वागुग:] फंदा, जाल । वाग्वळ-देखो 'बाखळ'।
___-पु० [सं० वागरिक बहेलिया, शिकारी। वावांरग-देखो 'बखांरण।
वाळि-स्त्री० [सं० वल्गुलिका] १ मंजुषा, गेटी । २ पिटारी । वाग्वांणगो (बो)-देखो 'बखांगरणी' (त्रो)।
३ एक प्रकार का कीट । वागबर-देखो 'बाघबर'।
वागेलो-पु० गायों का समुह । वाग - म्यो०१ मोट की गूट के नीचे का वा भाग जिम रस्मी | वागेसरी, वागेस्वरी-देखो 'बागीस्वरी' । बांधी जाती है । २ देखो 'परग' । ३ देखो 'बाज'। ४ देखो।
वागोलणी (बी), वागोलणी (बी)-देखो 'बागोलगो' (बी)। 'बाग।
वासो, वागौ-देखो 'बागी'। वागड़-पु०१२गरपुर-बांरावारा प्रदेश का एक प्राचीन नाम । वागेयकार-पु० संगीत एवं पद रचयिता ।
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वाग्देवी
वाग्देवी स्त्री० [सं०] वाक्-देवी ] १ सरस्वती, शारदा । २ वाणी ।
वाग्मी पु० [सं०] वाग्मिन) १ बृहस्पति
- वि० १ अच्छा वक्ता, वाक्पटु । ३ बहुवादी अधिक बोलने वाला ५ कवि ।
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वाग्दोस - पु० [सं० वाग्दोष ] बोली में व्याकरण संबंधी त्रुटि । वाग्मिता- स्त्री० वाक पटुता ।
(x2)
२ वाक्पटु व्यक्ति
२ बातूनी, वाचाल । ४ पंडित, कोबिद
देखो 'बाड़' |
बाघेरी बावरी देखो 'वागीश्वरी' बाड़ वाद-स्त्री० १ ग्राड़, प्रोट । वाड़ मेय-देखो 'वाड बेय' । यानियो बालियो-देखो 'बाली' | बाड़ली, वाढलो, बाटली, बाड़ली-देखो 'बाड़लो' ।
वाग्युद्ध - पु० [सं०] १ जबानी झगड़ा, बोली की लड़ाई । २ पुरुषों की बहुतर कक्षाओं में से एक।
वाघंबर - देखो 'बाघंबर' ।
बाघ - १ देखो 'बाघ' । २ देखो 'बाग' । (स्त्री० वाघणी, वाधिरिण) वाघचब, वाघचरम- देखो 'बाघचरम' वाघनखी, डो)-१ देखी 'वाचन' २ देखो 'वाघनखी'। मुख (ख)- देखो 'बाघमुखो' ।
वाघलउ - देखो 'बाघ' ।
बापूळ पु० [सं०] वाह-पूल) १ बादल बार मे २ वात चक्र ।
बाव बावा- देखो 'बाय' २ देखो 'बा' । बाड़बाग बाबागि बाड़वाग्नि देखो वाणि'।
वाडवामुख पु० पाताल |
वाडवेय, वाड़िमेय, वाडिवेय पु० [सं० वाडवेय ] १ बैल |
२ सांड |
वाह वाही वाहीदेखो 'बड़ी' ।
वाड़ोटियो, बाड़ी, बाड़ोटियाँ बाड़ो-देखो 'बाड़ो' ।
याच स्त्री० [सं०] वाक्] १ सरस्वती का एक नाम २ जिह्वा । ३ वाणी, शब्द, वचन । ४ ध्वनि । ५ वर्णन, उल्लेख, बयान । ६ वादा, कौल, बचन । ७ प्रतिज्ञा, प्ररण ८ यश, कीर्ति । प्रशंसा, स्तुति । १० मछली । ११ मदन नामक पौधा । १२ देखो 'वत्स' ।
वाचक, बाचक वि० [सं०] १ कहने वाला बोलने वाला।
२ बताने वाला, बोध कराने वाला । ३ वाचन करने वाला, पढ़कर सुनाने वाला । ४ साधक । ५ द्योतक, सूचक, प्रतीक । ६ वक्ता, व्याख्याता । ७ वाणी सबंधी । ८ शाब्दिक । मौखिक । पु० १ व्यंजक शब्द २ पाठक ।
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बाब्य
३ दूत, संदेशवाहक । ४ समाचार, संदेश, खबर ५ साक्षात् प्रर्थं बोधक शब्द, नाम, संज्ञा । वाचकधरमलुप्ता, वाचकलुप्ता स्त्री० [सं०] उपमा प्रलंकार का एक भेद ।
वाचकवरु पु० उपाध्याय वयं ।
वाचणौ (बी), वाचणो (बो) - देखो 'बांचरणी' (बो) ।
1
वाचन याचना पु० [सं० वाचनं] १ पढ़ने की क्रिया या भाव। २ पढने का ढंग । ३ पठन पाठ ४ कथन । ५ घोषणा ।
1
६ प्रतिपादन, व्याख्या । ७ बताना क्रिया ८ वाक्य, शब्द वाचनालय पु० [सं०] समाचार-पत्र पत्रिकाएं धादि पढ़ने का सार्वजनिक कक्ष या स्थान ।
वापनि० [सं० वाच निष्कलंक ] युधिष्ठिर का एक
नामान्तर ।
वाचain- देखो 'बांहबोल' ।
१ बृहस्पति की ४ कोई बहुत
वापली वि० [सं०] वात्सल्य ] प्रेम करने वाला । वासपति, वाचस्पति पु० [सं० वाचस्पति ] उपाधि २ प्रजापति ब्रह्मा ३ सोम बड़ा विद्वान | यात्रा स्त्री० [१] वाली बोली २ बिदा, जीभ ३ वाक्य वचन, शब्द । ४ बोलने की शक्ति । ५ दादा, कोल, इकरार | ६ प्रतिज्ञा प्रण । ७ उपदेश । सिद्धान्त श्रुति वाक्य |
,
वाचाइ स्त्री० चारण वंशोत्पन्न एक देवी ।
वाचाछळ - वि० वचनबद्ध होकर धोखा देने वाला । - स्त्री० चौहानों की एक देवी।
बाचाबंध-वि० [सं०] वाचान्यद] वचनबद्ध प्रतिशाबद वाचाबंधन - पु० [सं० वाचा - बधन] १ प्रतिज्ञा या वचनबद्ध होने की स्थिति । २ वचनबद्धता ।
वाचाळ वाचाल वि० [सं० वाचाल] १ जो बोलने में चतुर हो,
वाक्पटु । २ बात पर कायम रहने वाला, दृढ़प्रतिज्ञ । ३ बहुत बोलने वाला । ४ उद्दण्डता पूर्ण बातें करने वाला । - पु० बहुत बोलने का रोग विशेष ।
वाचाळता स्त्री० १ वाचाल होने की अवस्था या भाव । २ बकवास । ३ वाक्पटुता । वाणि, वाचिक, वाथी देखो 'वाचक'।
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वाच्य - वि० [सं०] १ जो पढने या बाचने योग्य हो । २ कहने योग्य जो कहा जा सके। ३ जिसका शाब्दिक संकेत द्वारा बोध हो । ४ जो श्रभिधा में जाना जाय, प्रभिषेय । ५ निदंनीय तिरस्करणीय १०१ कठोर शब्द २ कलंक, दोष ३ भर्त्सना, निंदा ४ क्रिया का वाचक |
1
बाच्छिदेखो 'वत्स' ।
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। ५८४ )
वाच्छिल, वाछिल्य-देखो 'वात्सल्य'।
बाजीकरण-देखो 'बाजीकरण' । वाच्यन-देखो 'वाचन'।
बाजीगर-देखो 'बाजीगर'। बाछ-१ देखो 'वत्स' । २ देखो 'बछड़ी।
वाजूपुरी-देखो 'बाजूपुरी'। वाछड़उ, बाछो, वाछा, वाथरो-देखो 'वत्स' ।
वाजूबद (बंध)-देखो 'बाजूबंध'। पाछळ, वाछल्य-देखो 'वात्सल्य'। .
वाजेंद्र-देखो 'बाज'। बाछोट-स्त्री. वायु के साथ भाने वाली वर्षा की छींटे, बौछार । बाजोट-देखो 'बाजोट'। बाछिल-देखो 'बत्सल'।
वाजो-देखो 'बाजी'। बायोड़-पु० [सं० वात्सकम्] गायों के बछड़ों का समूह। वाट, वाट-स्त्री० [सं० वाटः] १ मार्ग, रास्ता, राह । २ प्रतीक्षावाछोड़ियो, बाछोलियो, बाछोलो-पु० [सं० वात्सकम्] १ गाय
इतजार । ३ दीपक की लौ। ४ दीपक की बत्ती। ५ दिशा, भैस के मरे बच्चे का, मसाला भर कर रखा, शरीर ।।
कोरण । ६ चक्कर । ७ घेरा, पाहता। ८ बाग, उद्यान । २ गाय के बछड़े का चर्म। ३ देखो 'वत्स'। ४ देखो।
६ लता महप । १० समय, वक्त। १३ कमर, कटि, कूल्हा । 'बछड़ो।
१२ पेट में होने वाला मरोड़ा, ऐंठन । १३ बस्तु । १४ भन्न
विशेष । १५ इमारत । १६ घोड़े-घोड़ी का पेशाब । बाछो-देखो 'वत्स'।
१७ घोड़ो की योनि । १८ तोलने का प्राधान, तोल, बाट। वाजंत, वाजंत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'।
१६ विवाह मंडप में अग्नि परिक्रमा के बाद कन्या को पहवाजव, वाजंत-देखो 'बाज'।
नाई जानी वाली पोशाक । वाज-पु० [सं०, फा०] १ संग्राम, युद्ध । २ ध्वनि, नाद । ३ घृत,
धी। ४ यज्ञ । ५ अन्न। ६ जल । ७ बल । ८ पलक। बाट कड़ी, वाटकड़ी-देखो 'बाटकी'' ६ मुनि । १० धार्मिक उपदेश । ११ सीख, नसीहत । -वि०
वाटकियो, बाटकियो-देखो 'वाटको'।
वाटको, वाटकी-देखो 'बाटकी'। १ स्पष्ट, खुला। २ व्यक्त, प्रकट । ३ देखो 'बाज'।
वाटको, वाटको-देखो 'बाटको' । बाजरण, वाजणी, वाजण, वाजणी-देखो 'बाजणी' ।
बारड़, वाटड़ली-देखो 'बाट'। बाजरा, वाजरणो-देखो 'बाजणी'।
वाटड़ी-देखो 'बाट'। बाजणी बो), वाजणी (बी)-देखो 'बाजणी' (बी)।
वाटपाड़, वाटपाड़ो-देखो 'बटपाड़ो' । वाजत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'।
वाटभोजन-पु० [सं०] यात्रा में साथ लिया जाने वाला भाजन, वाजपत, वाजपति-पु० [सं० वाजपति] अग्नि, भाग ।
खाद्य सामग्री। वाजपेई, वाजपेय, वाजपेयी-पु० [स० वाजपेयी] १ कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की उपाधि । २ कुलीन पुरुष । ३ एक यज्ञ विशेष ।
वाटलउ-१ देखो 'वाट'। २ देखो बाटलो' ।
वाटली-स्त्री० [म. वत्तं लिका] १ अगूठी, मुद्रिका । २ देखो वाजब, बाजब-देखो 'वाजिब'।
'वाट' । ३ देखो 'वाटो'। ४ देखो 'बाटनी'। बाजबी-देखो 'वाजिबी'। बाजाळ-१ देखो 'बाज'। २ देखो 'बाज'।
बाटलीयो-पु० १ एक वस्त्र विशेष । २ देखो ‘बाटलो' वाजिन-देखो 'वाद्ययंत्र'।
वाट, वाटलौ-पु. [प्रा० वट्ट] प्याला, पात्र । -वि. वृत्ताकार, वाजिद, वाजिद्र, वाजिद्रक-देखो 'बाज'।
गोल। वाजिवी, वाजिबी-देखो 'बाजिदी।
वाटवड-देखो 'बाटबड़। बाजि-देखो 'बाज'
बाटवागो-पु. विवाह मंडप में पग्नि परिक्रमा के पश्चात कन्या बाजिन-देखो 'वाद्ययंत्र'।
___ को पहनाई जाने वाला पोशाक । वाजिनी-स्त्री० [सं०] घोड़ी।
वाटचालनु-पु० १ राह चलने की क्रिया, यात्रा। २ प्रतीक्षा । बाजिन्न-पु० [सं. वाजिन] १ घोड़ा, अश्व । [सं० वाद्य] वाटाउ (ऊ)-देखो 'बटाऊ'।
२ बाजा, बाद्य । [सं० बाज-दन] ३ शक्ति । ४ होर । बार्टि, वाटि-देखो 'वाट'। ५ सघर्ष ।
वाटिका-स्त्री० १ छोटा बगीचा, फूल बगिया, उपवन । वाजिब, वाजिबी, वाजिब-वि० [म.] १ ठीक, उचित, मुना- २ इमारत । ३ वह भू-खड जिस पर कोई इमारत खड़ी हो।
सिब । २ पावश्यक, जरूरी। ३ योग्य , लायक । | वाटी-स्त्री० [सं०] १ अनाज पीसने की घरेलू चक्की के चारों बाजी-देखो 'बाजी'।
तरफ लगा घेरा । २ घेरा, माहता । ३ कर, टेक्स । ४ कमर
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वाटी
( ५८५ )
वाति
कटि । ५ देखो 'बाटी'। ६ देखो 'वाट' । ७.देखो 'वाटिका'। वातकुम-पु० हाथी के मस्तक का भाग विशेष। हाथी की वाटीइ-देखो 'बाटी'।
ललाट के नीचे वाला का भाग ।
वातकोप-पु० [सं०] शरीरस्थ वात-तत्त्व का प्रकोप । बाटोकोळी-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला कुष्मांडु ।
वातगर-देखो 'बातकर' । वाटीपच-देखो 'पंचवटी' । बाटुली-देखो 'वाटली'।
वातगुल्म-पु० [सं०] १ वात विकार से होने वाला गुल्म रोग।
२ वातचक्र अंधड़। वाटुलो-पु. पात्र विशेष, कटोरा ।
बातडली, वातड़ी, बातड़ली, वातड़ी-देखो 'बात' । बाटो, बाटो-देखो 'बाटो'।
वातचक्र-पु० [सं०] १ प्राषाढ़ की पूर्णिमा को होने वाला वाड, वाड-१ देखो 'वाड़' । २ देखो 'वाट'। ३ देखो 'बाढ'।
एक ज्योतिष का योग । २ देखो 'बघूळी'। वाडगिरी-पु० पर्वतों में श्रेष्ठ, हिमालय पर्वत ।
वातचीत, वातचीत-देखो 'बातचीत' । वाउचर-पु० सूमर, वराह ।
वातज-वि० [स० वात-जायते] १ हनुमान । २ भीम । वाडपो, वाडरपो-देखो 'बाढणो'।
वातवर-पु० [सं०] वायु विकार से होने वाला ज्वर। वारणी (बो)-देखो 'बाढणो' (बौ) ।
वातप-पु० हरिण, मृग। वाडभेष-देखो 'वाडवेय' ।
वातपुत्र-पु० [सं०] १ हनुमान । २ भीम । बाडम-देखो 'वडम'।
वातपोत, वातपोथ-पु० [सं० वाजपोथः] पलास का वृक्ष । वारली-पु० १ ऊंट प्रादि पशु को खुला छोड़ते समय पांवों में
वातपोस-देखो 'बातपोस'। __ लगाया जाने वाला बंधन । २ देखो 'बाइलो' ।
वातप्रकृति (प्रगति)-स्त्री० [सं० वातप्रकृति] १ शरीर की वायु बाडव-पु० [सं० वाडव्यं] ब्राह्मण ।
प्रधान प्रकृति । २ वायुकारक पदार्थ। -वि० ऐसी प्रकृति वारवक-पु० शृगार में एक मासन विशेष ।
वाला, ऐसे गुण वाला। वाग्वेय-पु. १ सांड । २ बेल ।
वातरक्त, वातरगत-पु० [सं० वात-रक्त] वात विकार से होने बारहोळी-पु. भय, पातक ।
वाला रक्त दोष । बाडि-१ देखो 'वाटिका' । २ देखो 'वाटी' ।
वातरोहिणी-स्त्री. एक रोग विशेष । वाडिभेय-देखो 'वाडवेय' ।
बातळ (लो)-पु० [सं० वातालः] चना । -वि० १ वायु वर्दक। वाडिम-१ देखो 'वडम' । २ देखो 'बडो।
२ वातयुक्त, वायु प्रधान । ३ देखो 'वातोल'। वाडी-स्त्री० १ रथ। २ हाथी का होदा, अंबाड़ी। ३ देखो
वातलड़ो-देखो 'बात'। ___ 'वाटी' । ४ देखो 'वाटिका'।
वातरी-पु० बादाम । वाढ़. वाढ़-देखो 'बाढ़'।
वातव्याधि-स्त्री० गठिया रोग । वाढण-देखो 'बाढण' ।
वाताट-पु०१ सूर्य का घोड़ा।२ मृग या हरिण । वाढणी (बो), वाढणी (बी)-देखो 'बाढणी' (बी)।
वातात्मज-पु० [सं०] १ हनुमान । २ भीम । वाढाळ-देखो 'बाढाळी'.
वातापि, वातापी-पु० [सं० वातापि] १ एक पौराणिक राक्षस वाढाळो-देखो 'बाढाळो'।
विशेष । २ हरिण, मृग ।। बाढेल, वाढेलो-वि० वीर, योद्धा, बहादुर ।
वातायण (न)-पु० [सं० वात-प्रयन] १ खिड़की । २ झरोखा । बाढोवाढ-पु. १ प्रहार पर प्रहार । २ घाव पर घाव ।
३ रोशनदान । ४ गृहद्वार के मागे पटी हुई भूमि । वाणी (बी), वाणी (बौ)-देखो 'बावरणी' (बी)।
५ फर्श गच । ६ जाली । ७ घोड़ा, अश्व । वात, वात-पु० [सं० वात] १ वायु का अधिष्ठाता पवनदेव वातायनासम पु० योग के चौरासी प्रासनों में से एक।
२ पाठ दिग्पालों में से एक । -स्त्री० ३ वायु, हवा । वातायु (यू)-पु. [सं० वातायुः] १ हरिण । २ बारहसिंगा। ४ शरीरस्थ एक तत्त्व । ५ अपानवायु, अधोवायु । वातारि-पु० [सं] १ एरड । २ अजवायण । ३ वायडिंग । ६ देखो 'बात'।
४ सतावर । ५ बील का पौधा । वातकंटक-पु० [सं०] ग्रंथि-वायु रोग ।।
बाताळ, वाताळ-वि० बातें करने वाला, बातूनी । वातकार-वि० [सं०] वायुकारक, वायु उत्पन्न करने वाला। | वातालगो-पु. वार्तालाप, बात-चीत
-पु०१ वायुकारक खाद्य पदार्थ । २ देखो 'बातकार'। वाति-स्त्री० १ घोड़े का मूत्र । २ देखो 'वात' । ३ देखो 'बात'।
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वाती
। ५८६ )
बाधरी
भावना
बाती-स्त्री. १ कच्चे मकानों की छाजन में लगाया जाने वाला | वाबळी, वादळी-१ देखो 'बादळ' । २ देखो 'बादळी'।
पतली लकड़ियों का बंधन । २ देखा 'वात'। ३ देखी 'बात'। | वावविवाद-पु० १ तर्क-वितर्क, बहस । २ शास्त्रार्थ । वातुनी. वातूनी-देखो 'बातूनी' ।
वादवी-स्त्री० [सं०] सेना, फौज । बातुल, वातूल-वि० [सं० वातुल] १ उन्मत्त, मस्त । २ पागल ।
वादसाह-देखो 'बादसाह'। सनकी। ४ वात रोग से पीड़ित, गठिया का रोगी।
वावसाही-देखो 'बादसाही'। वातोवर-पु. एक प्रकार का वात रोग।।
वादानुवाद-देखो 'वादविवाद'।
वावाळ, वादाळक-पु० [सं० वादालः] सहस्त्र द्रष्ट्र नामक बतोरमी-स्त्री० [सं० बानोर्मी] एक वर्ण वृत्त विशेष ।
मछली। वातोळ. वातोल-स्त्री० रबी की फसल से पूर्व खेत की जुताई। वातारण-पु० बात-चीत ।
वादासिर-क्रि० वि० वादानुसार, प्रतिज्ञानुसार ।
वादि-वि० [सं०] १ विद्वान । २ निपुण, दक्ष । ३ देखो 'बादी'। वात्रक-स्त्री० ईडर राज्य की एक नदी।
४ देखो 'वाद'। वात्सल्य-पु० [सं० वात्सल्यं] १ माता का संतान के प्रति स्नेह, प्रेम । २ ममत्व, प्रेम।
वावित्र-स्त्री० १ चौसठ कलामों में से एक । २ देखो 'वाद्ययंत्र' ।
वादियो-पु. सोने-चांदी के पाभूषणों पर चमक करने का एक वात्सायन-पु० [सं०] १ काम-शास्त्र के रचयिता एक ऋषि ।
भोजार। । २ न्यात्र सूत्रों के भाष्यकार। -सास्त्र-पु. कामशास्त्र ।
| वावी-पु०१ पक्षकार, वाद प्रस्तुत करने वाला। २ बात वाव, बाव-पु० [सं० वाद] १ हट, जिद्द । २ वादा, कोल, वचन ।
_ विकार । ३ देखो 'बादी'। ३ प्रतिवाद, विवाद । ४ तर्क, दलील, बहस । ५ प्रण,
वावीकर-देखो 'बादीकर'। प्रतिज्ञा । ६ बात-चीत, कथन । ७ वाणी। ८ शब्द, वचन,
वादीगर-देखो 'बाजीगर'। वाक्य । ९ बयान, वर्णन, निरूपण। १० टीका, व्याख्या, भाष्य । ११ उत्तर। १२ अफवाह, किंवदंती। १३ तक
वादीलो, वादीलो-देखो 'बादीलो' । (स्त्रो. वादीली) शास्त्र । १४ शास्त्रार्थ । १५ तत्त्वज्ञों द्वारा निर्धारित कोई
| वादीवाय-पु. ऊंटों का एक रोग। सिद्धान्त । १६ अभियोग, मुकद्दमा । १७ दुराग्रह । १८ संज्ञा
वादीसर-वि० वाद या बहस करने में मुख्य । शब्दों के प्रागे लगने वाला एक प्रत्यय । १९ पुरुषों की ७२
वादे, वाद-क्रि० वि- [सं० वाद] शास्त्रार्थ में, वाद में । कलानों में से एक। २० मैंस के चर्म की पतली रस्सी।
• मैस के चर्म की पतली रस्सी। वादोधुनि-देखो 'वेदध्वनि'। २१ भैस का चमड़ा। २२ राजनीतिक मत । २३ एक | वादोवदि-देखो 'वदोवदि' । प्रकार का फूक वाद्य।
वादोवाद, बाबोवाद-देखो 'बादोबाद', वादक-पु० [सं०] १ गया, गायक । २ संगीतज्ञ। ३ बाजा | वादी, वादो-पु० [फा० बाद:] १ कोल, वचन, वादा। २ प्रण, बजाने वाला । ४ वक्ता । ५ तर्क या बहस करने वाला।
प्रतिज्ञा। ३ दृढ निश्चय, संकल्प । ४ कार्य के लिये निश्चित
किया गया समय। वावण-पु० [सं० वादनं १ वाघ बजाने की क्रिया । २ बोलना
क्रिया। ३ वाद्य, बाजा । ४ भैंस के चर्म की रस्सी। वाद्य-पु० [सं०] १ वाद्य यंत्र, बाजा । २ उक्त यंत्र की ध्वनि । ५ वादी जाति की स्त्री।
३ बहत्तर कलापों में से एक। ४ चौसठ कलामों में से एक। वावणी(बी), वादो (ग)-क्रि० [सं०वादन] १ वाद-विवाद या| वाधक-देखो 'वादक'। बहस करना । २ वादन करना, बजाना । ३ युद्ध करना।
वाद्यकला-स्त्री० [सं०] वाद्य बजाने की कला । ४ देखो 'बाजणी' (बी)।
वाद्ययंत्र-पु० [सं०] वाजा, वाद्य ।
वाध-वि० १ अधिक, विशेष । २ बढ़कर, बढ़ती हुई । ३ देखो वाव-प्रतिवाद-पु. १ तर्क-वितर्क, बहस । २ वाद-विवार ।
_ 'वाद'। वावरंग-पु० [सं०] १ वट वृक्ष । २ अश्वत्थ, पीपल का वृक्ष । बादरायण-पु. वेदव्यास का एक नाम ।
वाधक-वि० १ वृद्धि कर्ता । २ बढ़िया । ३ देखो 'बाधक' । वावरायणि-पु० व्यास पुत्र शुकदेव मुनि ।
वाधण-स्त्री. १ वृद्धि, बढ़ोतरी। २ बढ़ने की स्थिति या दशा । वापरी-स्त्री० घोड़े के चारजामे के साथ रकाब में कसा जाने ३ बढ़ने की क्रिया । वाला तस्मा।
वाधरणी(बी)-१ देखो 'बधणी'(बी)। २ देखो 'बांधणो'(बी)। वावळ, वाबळउ, चावळियो, वावळी, वाबळी, बावळ, वावलियो, | बाधरी-स्त्री० भैंस के चमड़े की डोरी।
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वाघमो
वामिणो (बी) देखो 'बधाणी' (बी) वाधाऊ - देखो 'बधाऊ' ।
वाधारणो (यो) देखो 'बधारणो' (बी)। बाधारी-देखो 'बधारों'
वाधाव (बी) देखो 'बधाणी' (वो ।
वाधि, वाधी - १ देखो 'बद्धी' | २ देखो 'व्याधि' । ३ देखो
'arat',
बाधौ - देखो 'बाधो' ।
वापक- देखो 'व्यापक' ।
वाणी - वि० [सं० व्यापनं] १ भीतर-बाहर सर्वत्र व्याप्त होने वाली शक्ति । २ व्यापने वाली ।
-
वापस वि० [फा०] २ मोटा हुधा, फेरा हुधा प्रतिदत्त ४ पुनः, दुबारा ।
1
वापसी (बी) - देखो 'व्यापणी' (बो) । यापरी (ब) वापरणी (बौ) - क्रि० [सं० व्यासतरणम् ] १ उपयोग में लाना, काम में लेना । २ खाना । ३ लेकर श्राना, लाना । ४ व्यास होना, फैलना । ५ जाना । ६ उदय होना, पैदा होना । ७ सुख - दुःख का संचार होता ८ शुरू होना प्रारंभ होना ।
वापार - देखो 'व्यापार' ।
वापारी- देखो 'व्यापारी' ।
बाप
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हुआ,
धा
"
( ५८७ )
वापसी स्त्री० [फा०] १ लौटने या वापस प्राने की क्रिया या भाव । २ लौटाने या फेरने की क्रिया या भाव ।
वाफरणी (बी) - देखो 'बाफरणी' (बौ) । वाकतो देखो बाफती'
-
वापीत्री० [सं० वापी] कृए वा कुनुमा जलाशय जिसमें सीढ़ियां बनी होती हैं ।
कुण्डमा
प्रत्यागत । २ लौटाया छिपा हुआ क्रि०वि०
वामराभूत-देखो आभराभूत'
वामी, वामी- देखो 'भाभी' ।
वामीजी, बामीसा, वामीजी, दामोसा देखो 'भाभीजी' यामो, वामीजी, वामी, वामीजी देवी 'भाभोसा' वायंगणनेत्र - पु० एक वस्त्र विशेष ।
बाय स्त्री० [फा०] वाय] १. मनोकामना, मुराद, इच्छा २ अफीम की खुराक, मात्रा [सं० वाय: ] ३ बुनावट बुनाई । ४ सिलाई। [सं० वायुः ] ५ पश्चिमोत्तर कोण, वायव्य कोरण, [सं० वचन] ६ वाणी, वचन । ७ देखो 'बापी' । ८ देखो 'वायु' ।
।
atus - पु० [सं० वातिः ] १ सूर्य, चन्द्रमा ३ देखो 'वात' । चायक पु० [सं०] बायक] १ जुलाहा २ देर संग्रह दाय । ४ संदेश, खबर, समाचार - वि० [स० बाचक]
1
१ संदेशा लाने वाला, सूचना देने वाला, दूत । २ कहने बाला, वक्ता, व्याख्याता । ३ पढ़ने वाला, पाठक । ४ देखो 'वाक्य' ।
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वायकचर - देखो 'वाइकचर' ।
बायकुड बाय डो पु० [सं०] वात-कुण्ट] १ चन्द्रमा के चारों २ इसी प्रकार सूर्य के
श्रोर दिखने वाला एक वृत्त विशेष चारों भोर दिखने वाला घेरा ।
-
बायसूळ
बाय बाय बाय बाय बायड़ियों, बावड़ी पु० [सं० वातकारक ] १ पागल कुत्ता । २ उक्त कुत्ते के काटने से उत्त्पन्न रोग । ३ पागल दिवाना । ४ वात विकार से पीड़ित । ५ ज्वर प्रलाप । ६ वात कारक ।
वारण (रि, पी ) - स्त्री० १ दुर्गा का एक नामांतर, देवी २ गहलोतों की कुल देवी । ३ वाद्य बजाने वाली । वायगो-देखो 'बाजणी' ।
वायणो (बौ) - १देखो 'बाजणी' (बो) । २ देखो 'बावणी' (बो) । वायदो-देखो 'वादी' ।
वायनद- पु० [सं०] वायु-नंदन] १ हनुमान । २ भीम । वायपुरी-स्त्री० [सं० वायु-पुरी] पवनदेव की पुरी । गायत्र देखो'वायस्य' ।
वायर-१ देखो 'बैर' । २ देखो 'वायु' । वा'वर देखो 'बाहर'
वायविडंग, वायविड़ स्त्री० [सं०] पौषधि में काम पाने वाली एक प्रकार की झाड़ी जो बहुत तेजी से फैलती है । यह हिमालय में भारत के पहाड़ी भागों में सर्वत्र पाई जाती है।
वायरियों, वायरो, वायरियो, वायरी- पु० १ एक लोक गीत विशेष | २ देखो 'बा'यरों' |
वायरी-देखो 'बा'यरों' |
वाल - स्त्री० १ स्त्रियों के पांवों की पायल २ बारीक सूती वस्त्र । ३ वह खेत जिसमें खेती की जाती है ।
वायव- देखो 'वायव्य' ।
वायवी स्त्री० १ एक महाविद्या । २ वायव्य कोण की । ३ देखो 'वायव्य' ।
वायव्य-पु० उत्तर-पश्चिम के मध्य की दिशा या कोण । - वि० वायु संबंधी।
वायस, वायसड़ी- पु० [सं० वायसः ] १ कौवा, काक । २ अगरू का वृक्ष । ३ तारपीन । ४ कौर, निवाला । ५ सूर्य या चंद्र ग्रहण । ६ पकड़, गिरफ्त |
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वायससात्रव - पु० [सं० वायसः शात्रत्र ] जल कोमा, जलकाक । सू० [सं०] वायु-न] १ घोड़ों का रोग विशेष २ बात विकार से उत्पन्न फोड़ा ।
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वाया
। ५८८ )
वारणी
वाया-१ देखो 'बाचा' । २ देखो 'वायु'।
एक चाल । ३ वह स्थान जहां पीड़ा होती है । ४ बालछड़, वायार-पु० [सं० वातार] वरण ।
ह्रोवेर । [सं० वारकिन्] ५ विरोधी, शत्रु। ६ समुद्र । वायु-पु. [सं०] १ वायु का अधिष्ठाता एक देव । २ पवन, । ७ शुभ लक्षणों वाला घोड़ा। ८ पत्ते खाकर रहने वाला
हवा, वात । ३ त्रिदोषों में से एक । ४ अपान वायु । तपस्वी । -वि० भड़चन डालने वाला, भवरोध करने वायुकाय-देखो 'वाउकाय'।
वाला। वायुकुमार-पु० [सं०] १ भुवन पति जाति के देव (जैन) । वारकन्या-स्त्री० [सं०] वेश्या, रण्डी। २ हनुमान । ३ भीम।
वारख-देखो 'वारिख। वायुएन-पु. [सं०] १ गुग्गल, गूगल । २ देखो 'वायुहन'।
वारगह, वारगाह-देखो 'बारिगह' । वायुदेवता-पु. पवन देव ।
वारगिरी, वारगीर-पु० १ किराये का सामान्य सिपाही । वायुमरळ (ल)-पु० [सं०] १ पृथ्वी के चारों भोर का वाष्पीय
| २ देखो 'बारगीर'। प्रावरण या घेरा। २ किसी क्षेत्र विशेष की जलवायु, बारह-देखो वारड' । मारोहवा, वातावरण।
बारड़ी-१ देखो 'बार' । २ देखो 'बारी' । वायुविरोधी-पु० गरुड़। .
वारचर-पु० [सं० वारिचर] १ जल में रहने वाला जंतु, वायुसखा-पु० [सं० वायुसखः] भग्नि, भाग।
। जल जंतु । २ मत्स्य, मछली । वायुसुत-पु० [सं०] हनुमान, भीम ।
वारज-देखो 'वारिज'। वायुहन-पु० [सं० वायुन] १ मंकण ऋषि के पुत्र एक ऋषि । | बारड-पु० १ रक्षा, हिफाजत । २ विभाग । ३ क्षेत्र । २ देखो 'वायुघ्न'।
वारण-स्त्री० [सं०] १ निषेध, मनाही। २ रोक, रुकावट, वायू-देखो 'वायु।
अवरोध । ३ बाधा। ४ सुरक्षा, सहायता। ५ न्यौछावर बायेरी, वायेरौ-देखो 'बा'येरो'।
होने या बलयां लेने की क्रिया या भाव। ६ हरताल । वायेलो, वायेलो-देखो 'भायेलो'। (स्त्री० वायेली)
७ सफेद, गोरया ।-पु०८ हाथी, गज । ९ हाथी का अंकुश । वायो-वि० [सं० वातल] १ उन्मत्त, मस्त । २ बावरा, पागल । १० सयम। ११ कवच, बख्तर। १२ भार्या गीति या वारग-स्त्री० [सं० वारंग] १ तलवार की मूठ। २ छुरी का
स्कंधारण का एक भेद । १३ एक मात्रिक छंद । १४ छप्पय दस्ता. ३ वारांगना । ४ एक वृक्ष विशेष ।
का एक भेद । -वि०१ मिटाने वाला, निवारण करने वाला। वारंगना, वारंगा-स्त्री० [सं० वारंगना] १ अप्सरा, परी । २ सामना या मुकाबला करने वाला । ३ मना करने वाला,
२ देव कन्या । ३ गणिका, नर्तकी। ४ नारी, स्त्री, प्रौरत।। रोकने वाला। ४ जबरदस्त । -क्रि० वि०५ रोकने हेतु । ५ वेश्या, रण्डी।
६ रक्षा करने हेतु । -पति-पु. महाबत, हाथी। वारबार-देखो 'बारंबार'।
वारणा, वारणा-पु० [ब.व.] १ न्यौछावर, बलिहारी। २ बलया बार-पु० [सं०] १ दिन,दिवस । २ सप्ताह के दिनों के अंत में लगने |
1 लेने की क्रिया या भाव । वाला समयावधि सूचक शब्द-ज्यों सोमवार, मंगलवार । वारणावत-पु० [सं०] गंगा किनारे का एक प्राचीन नगर । ३ समय, वक्त । ४ देर, विलंब । ५ काल, युग । ६ समय, वारणी, वारणी-पु. [स० वारण] १ नाचने वाली स्त्री पर अवसर, कार्यकाल । ७ ऋतु, मौसम । ८ माघात, प्रहार,
| से पैसे वारने की क्रिया या 'भाव । २ देखो वारुणी'। चोट । ६ युद्ध। १० तीर, बाण । ११ समुद्र, सागर। वारणीय-वि० १ न्यौछावर योग्य, उत्सर्ग योग्य । २ निषेध १२ नदी। १३ दशा, हालत, परिस्थिति । १४ किनारा; योग्य । तट । १५ मोट, आड़ । १६ अवरोध, रुकावट । १७ शिव, वारण वारणो, वारण, वारणो-पु० १ वारी जाना क्रिया। महादेव । १८ क्षण, पल । १९ कुज नामक वृक्ष । २० एक २ न्यौछावर किया जाने वाला पदार्थ । ३ देखो 'बारणो' । गज की लंबाई का नाप । २१ जल, पानी। २२ सात | ४ देखो 'वारण'। की संख्या । २३ एक मात्रिक छन्द विशेष । २४ काम, वारणी (बी),वारणी (बी)-क्रि०[सं० वारणं] १ बलिहारी जाना, काज । २५ दफा, मरतबा । -क्रि० वि० १ भोर, तरफ ।
बलैया लेना, वारी जाना। २. न्योछावर करना, उत्सर्ग २ किनारे । ३ क्रमशः ४ देखो 'बा'र' । ५ देखो 'बारी'।
करना। ३ दूल्हे-दुल्हिन के सामने नाचने वाली स्त्री पर वा'र-देखो 'बाहर । (१) से (६)
पैसे वारना । ४ सामना करना, रोकना । ५ रक्षा वारक-पु० [सं०] १ निषेध करने वाला घोड़ा। २ घोड़े की । करना, सहायता करना । उबारना। ६ इन्कार करना,
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वारता
( ५८६ )
वारिचर
मना करना । ७ निवारण करना, छोड़ना । ८ दूर करना, | वारवाह-देखो 'वारिवाह'। हटाना, मिटाना।
वारविलासणी, वारविलासनी वार विलासिनी-स्त्री० [सं० वार वारता-स्त्री० [सं० वार्ता] १ जनश्रुति, अफवाह. किंवदंति । विलासिनी] १ वेश्या, रण्डी। २ नर्तकी, गणिका, ।
२ बार्तालाप, कथोपकथन । ३ संवाद, संदेश । ४ सूचना, | वारविलोवरण - वि० [सं० वारि-विलोवन] समुद्र मंथन करने समाचार । ५ हाल-चाल, कुशल समाचार । ६ बात । वाला । -पु. विष्णु, हरि । ७ चर्चा, विचार-विमर्श । ८ मामला, विषय । ६ घटना, | वारस-१ देखो 'बारस' । २ देखो 'वारिस' । वृत्तान्त । १० कहानी, प्राख्यान । ११ क्रिया-कलाप । वारसार-देखी वारिसार'।
१२ राजस्थानी गद्य । १३ ऐतिहासिक भास्यान । वारसिक-वि० [सं० वार्षिक १ एक वर्ष भर या एक वर्ष तक वारतालाप-पु० [सं० वार्तालाप] परस्पर की जाने वाली रहने वाला। २ सालाना । ३ वर्षा ऋतु या वर्षा सबंधी। बातचीत, चर्चा, संवाद।
४ वर्ष में एक बार मिलने वाला। ५ वर्ष में एक बार वारतिक (क्क)-पु० [सं० वारतिकम्, वार्तिकः] १ किसी ग्रंथ |
दिया जाने वाला। ६ प्रति वर्ष का । -पु. वार्षिक कर, के उक्त, अनुक्त और दुरुक्त प्रर्थों को स्पष्ट करने वाला
वार्षिक लाभ । वाक्य, शब्द या व्याख्या। २ एक प्रकार का तुकांत गद्य ।
| वारसी-स्त्री. १ बाला, युवती। २ रक्षा, सहायता, मदद । ३ कात्यायन का एक प्रसिद्ध ग्रंथ । ४ वृत्तान्त, हाल ।
३ पक्षपात । ४ देखो 'वारस्त्री'। -वि० वर्ष की, वर्ष ५ जासूस । ६ दूत, चर । ७ किसान । -वि. १ वार्ता या
सबंधी। संवाद संबंधी । २ व्याख्याकारी । ३ खबर लाने वाला।
| वारसुवरी-स्त्री० [सं०] १ वेश्या, रंडी। २ नर्तकी, गणिका । वारतिय-स्त्री० [सं० वारस्त्री] वेश्या. रण्डी।
वारसूळ-पु० [सं० वारशूल] ज्योतिष में 'शूल' की विशेष
स्थिति । वारथा-देखो 'वारता।
वारस्त्री-स्त्री० [सं०] १ वेश्या, रंडी। २ नर्तकी, गणिका । वारव-देखो 'वारिद'।
वारहो-पु० यवन, मुसलमान । वारदद् -पु० [सं० वारिद-द्र] इन्द्र ।
वारांगना-देखो 'वारंगना'। वारदात-स्त्री० [फा० वारिदात] १ कोई सोचनीय काण्ड,
वाराणसी-स्त्री० [सं० वाराणसी] बनारस नगर का एक दुर्घटना । २ दंगा-फसाद, मारकाट । ३ चोरी, डकैती।
नामान्तर। ४ वृत्तांत, हाल, हकीकत । वारद्ध-१ देखो 'वारिद' । २ देखो 'वारिधि'।
वारांह-देखो 'वराह'।
वारा-स्त्री० [सं० वार] १ मदिरा, शराब । २ देखो 'वराह'। वारक-पु० [सं० वाई क्य] १ वृद्धावस्था, बुढापा । २ वृद्धि,
३ देखो 'बार'। बढ़ोतरी । ३ बुढ़ापे की शिथिलता ।
बाराधिप-पु. [सं० वारि-अधिप] समुद्र । वारध, वारधी, वारधीस, वारघेस-देखो 'वारिधि' ।
वारापार-देखो 'वारपार'। वारनारी-स्त्री० [सं०] बेश्या, रंडी।
वाराह, वाराहउ, वाराहर-देखो 'वराह । वारनिध, वारनिधि-देखो 'वारिनिधि'।
वाराहिकंद-देखो 'बाराहीकद'। वारनिसांणी-स्त्री० एक छन्द विशेष ।
वाराही-स्त्री० [सं०] १ ज्योतिष में एक देवी । २ पृथ्वी । वारपार-पु० [सं० प्रवर-पार] १ एक पाव से दूसरे तक की ३ सूपर के रूप में विष्णु की एक शक्ति । ४ सूमरी । . चौड़ाई, मोटाई । २ विस्तार । ३ सीमा, मर्यादा । -वि. ५ सप्त मातृकापों में से एक । ६ एक माप विशेष ।
१पारंगत दक्ष । २ इस छोर से उस छोर तक । वाराहीकंद-पु० [सं०] औषधियों में काम पाने वाला महाकंद । बारवधू-देखो 'वारवधू'।
वारि-पु० [सं०] १ पानो, जल । २ कोई तरल पदार्थ । वारबुद-वि० [सं० वारिबुद] तुच्छ, सूक्ष्म ।
३ सरस्वती वाणी । ४ निसानो छंद का एक भेद । ५ देखो वारमुखी-स्त्री० [सं०] रण्डी, वैश्या ।
'वारी' । ६ देखो वार'। वारमो-देखो 'बारमो'।
वारिईस-देखो 'वारीस'। वारली, वारलौ-देखो 'बाड़ली, बाड़लो'।
बारिख-पु० [सं० वार्शम्] वन, जंगल । वारवधु, वारवधू-स्त्री० [सं० वारवधू] १ वेश्या, रण्डी । वारिगह (ग्रह)-देखो बारिगह' । २ नतंकी, गणिका।
वारिचर-पु० [सं०] १ जल के प्राणी, जीव । २ मछली, मत्स्य वारवार-देखो 'बारंबार'।
३ शंख।
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वारिज
वारिज-पु० [सं०] १ कमल २३ पौष ४ मत्स्य, मछली ।
वारिज-पु० [सं०] श्वेत कमल वारिजलोण (न) १० [सं० वारिजलोपन] विष्णु, परमेश्वर वारिद, वारिद्द - पु० [सं० वारिद ] बादल, मेघ । बारि पु० [सं०] चातक पक्षी।
वारिध-देखो 'वारिधि ।
वारिधि - पु० [सं०] समुद्र, सागर ।
वारिनाथ पु० [सं०] १ समुद्र । २ वरुणदेव । ३ बादल । वारिनिधि पु० [सं०] समुद्र ।
वारियां पारिया देखो 'बेटा'।
वारिधर पु० [सं०] १ बादल मेघ २ समुद्र ३ नागर मोथा । ४ वणिक छन्द विशेष ।
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( ५९० )
वारिसार १० 'विदुसार का एक नामांतर वारिसास्व० [सं० बारिशारण) गर्म मुनि द्वारा रचित फलित
ज्योतिष का एक ग्रंथ ।
वारीवारी, वारीवारी- देखो 'बारीबारी' वारीस २० [सं० वारि-ईस] १ समुद्र वरुण देव ।
1
वारी वारी स्वी० [सं० वारी) १ अवसर मौका पारी
२ न्योछावर, उत्सर्ग । ३ निवारण, निवृत्ति । ४ धन्यवाद या साधुवाद देने क्रिया या भाव। [सं० वारि:] ५ हाथी बांधने की रस्सी या डोरी, जजीर आदि । ६ हाथी पकड़ने के लिए बनाया हुआ गड्डा [सं० वारी] ७ हाथी बांधने का स्थान ८ कैदी, बंदी ९ जल पात्र । १० तरल पदार्थ रखने का टोटीदार पात्रं । ११ सरस्वती का एक नाम । १२ देवो 'बारी'।
।
वा'रू - देखो 'वाहरू' ।
वारियो, वारियो-देखो 'बारियो' । धारिवह-१० [सं०] कमल
वारुगु, वारूगौ-पु० एक कारीगर, विशेष । वारूबार देखो 'बारंबार' ।
पारिवारि पारिवारि-१ देखो 'बारंबार' २ देखो 'बारी-बारी' वाहवाह क्रि० वि० ठीक उपयुक्त
वारिविरोळण- देखो 'वारविलोवरण' ।
वारेबी० स्थागने, निवारण करने की क्रिया या भाव।
वारिस - वि० [फा०] १ सम्पत्ति या जायदाद का हकदार, अधि- वारोवार, वारोवारी, वारोवारू- १ देखो 'बारंबार' । २ देखो कारी २ उत्तराधिकारी ।
'बारीबारी' ।
जल के प्रधिष्ठाता
वारंवार, वारंवार - देखो 'बारंबार' | वार, बापु० [सं० बाय १ वह हाथी जिस पर विजय का भंडा रहता है, विजय कुंजर । २ देखो 'वारू' । वारुरण - वि० [सं०] १ बरुण का, वरुण संबंधी । वरुण को समर्पित किया हुआ । पु० १ भारत के नौ खण्डों में से एक २ शतभिषा नक्षत्र । ३ देखो 'वरुण' । वाणास्त्र ० एक प्राचीन स्प वारुणी पु० [सं० वारुणी] १ पक्षिराज
गरुड़
वाय-देयो 'वारिधि ।
वारू बार, वारू बार देखो 'बारंबार' ।
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-स्त्री० २ एक विद्या । ३ उपनिषद विद्या । ४ पश्चिमी दिशा । ५ स्वायंभूव मनवन्तर के वरुण की पत्नी । ६ अरण्य प्रजापति की कन्या । ७ मदिरा, शराब । ८ चैत्रकृष्ण त्रयोदशी को पड़ने वाला शतभिषा नक्षत्र ६ इस दिन का पर्व । १० दूर्वा, दूब । ११ घोड़े की एक चाल । १२ हस्तिनी, हथनी ।
बलावोस
वाह वाह वि० [सं०] वर:] १ वर श्रेष्ठ, उत्तम २ सुन्दर, मनोहर ३ स्वादिष्ट पु० हाथी जिस पर विजय पताका रहती है ।
वारी वारी पु० १ कुए से पानी निकालने की चरम, मोट
२ एक लोक गीत ३ ( मारा ) ऊंटों के झुण्ड का रात्रि में बैठने का स्थान । ४ उजाड़, जगल । ५ लघु शंका करने की क्रिया ६ समय, काल । ७ क्रम पारी ८ चेचक । ९ रुग्ण बच्चे के शिर से वारा जाने वाला जल । १० तीज के पर्व पर लड़की के पिता द्वारा उसके ससुराल भेजी जाने बाली मिठाई (ऐसी मिठाई शादी से पहले पुत्र वधु के लिये भी भेजी जाती है) । ११ देखो 'वार' | वालंध-पु० ० एक जाति या वर्ग । बालभ- देखो 'वल्लभ' ।
२ पर्वत की
बाळ, वाल- पु० [सं० वल्ल] १ चादर, गिलाफ । तलहटी ३ पर्वत की तलहटी स्थित क्षेत्र । ४ घुड़साल, अस्तबल । ५ घोड़ों का समूह। ६ तीन घुंघची के बराबर का एक तौल । ७ निषेध, वर्जन । ८ जाली काटने का एक श्रीजार विशेष | ९ एक प्रत्यय १० देखो 'बाल' । ११ देखो 'बाबा'।
वालइ, वालई, वालउ - १ देखो 'वाल' । २ देखो 'बाला' । बाळक - पु० [देश० ] १ जंगल में स्वतंत्र फिरने व चरने वाला पशु । -स्त्री० ० २ नव प्रसूता मादा ऊंट ३ हाथ में पहनने का कंगन, बाल छड़ । - वि० स्वच्छन्द अवारा ।
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. वलट्टादोस- पु० बालक के खाने की वस्तु को लेने का दोष । (जैन)
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बाळरण
( ५६१ )
बवाळ
बाळण-वि० [सं० वलनं] १ रोकने वाला, सामना करने वाला। बालुकाप्रमा-पु० [सं०] एक नरक का नाम ।
२ लोटाने वाला। ३ मोड़ने वाला। ४ प्रतिशोध लेने | वाळुचो, वाळुछौ, वाळूची-पु. १ घोड़े को पूछ व पूंछ के वाला । ५ वापस लेने वाला । ६ प्राने वाला।
बाल । २ देखो 'बाळछो'। बाळणी (बी), वालणी (बी)-क्रि० [सं० वलनं] । वापस |
वालेय-देखो 'बालेय'। लौटाना, लौटा कर लाना । २ वापस लेना, प्राप्त करना
वालेसर-देखो 'वालो। अधिकार में करना। ३ प्रतिशोध लेना। ४ रोकना, | वालोच, वालोच-पु. प्रेम, प्यार । सामना करना। ५ वापस बुलाना। ६ घुमाना, फिराना, वालोळ, वालोळ-स्त्री० सेम की फली जिसकी तरकारी बनती है। चक्कर लगवाना । ७ विदा करना, लौटाना । ८ मोड़ना । वाळी, वाळी-पु०१ वर्षा भादि के पानी से गली-सड़कों पर बहने ९ खारिज करना, निरस्त करना । १० मिटाना । वाला पानी, बहाव । २ वर्षा के पानी का नाला ।३ नेहरुवा ११ झुकामा। १२ वसूल करना, लेना। १३ जेवरी
नामक रोग व इसका कोड़ा ।४ संज्ञा शब्दों के मागे गूचना । १४ हवा करना, पंखा डुलाना। १५ निपटाना.
लगकर विशेषण बनाने वाला प्रत्यय शब्द । ५ संबध-मर्थ चुकाना। १६ पशुओं को एक स्थान पर एकत्र करना । बोधक शब्द । ६ षष्ठी विभक्ति का चिह्न, का । १७ देखो 'बाळणी' (बी)।
७ देखो 'बाळो'। वाळध-पु० श्वान, कुत्ता।
बालो, वालो-पु० [सं० वल्लभ १ पति, खोविद । २ स्वामी, बालम, बालमियो-१ देखो 'बालम' । २ देखो 'वल्लभ' ।
मालिक। ३ चुंबन, बोसा ।-वि० (स्त्री०वाली) १ प्यारा, वालमकाकड़ी-स्त्री० लंबे प्राकार को ककड़ी विशेष ।
प्रिय, स्नेही । २ मनोहर, मोहक । ३ मीठा, मधुर । बालमिक, वालमीक-पु० [सं० वाल्मीक,वाल्मीकि प्रादि काव्य |
| वाल्मीक, वाल्मीकि-देखो 'बालमीक'। श्रीमद्रामायण के रचियता का नाम । प्रादिकवि।
वाल्हम-१ देखो 'वल्लभ' । २ देखो 'बालम'। वालर-पु. हरिण, मृग ।
वाल्हा-देखो 'वाला। बालरकाकड़ी-स्त्री० [सं० वल्लूर-कर्कटी) रेगिस्तान में होने
वाल्हीक-पु० [सं०] १ भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर वाली एक ककड़ी विशेष ।
स्थित एक प्राचीन जन-पद । २ माधुनिक बलख का पूर्व वाळलो, वाळलो-पु. स्त्रियों का एक प्राभूषण ।
नाम । ३ बलख देश का घोड़ा। ४ केसर । ५ हींग । ६ एक वाळव-पु० [सं० बालव] फलित ज्योतिष में दूसरा करण ।
गंधर्व। वालहउ-देखो 'वालो'। बालहली-स्त्री० [सं० वल्ल फल्लिका] लता की कली।
वाल्हू-देखो 'वाली'। बाळही-देखो 'वाळी'।
वाल्हेसर-देखो. 'वालो'। बालहो-देखो 'वालो'।
वाल्ही-देखो 'वालो' । वाला-स्त्री. १ वस्त्र विशेष । २ वधुनों के लिये एक संबोधन ।
बाव-स्त्री० [सं० वात] १ पवन, हवा । २ अपानवायु । ३ देखो 'बाला'।
३ पताका, ध्वजा । ४ देखो 'वापी' । वालिम, वालिमि-देखो 'वल्लभ' ।
वावड़णो (बो)-देखो 'बावड़णो' (बो)। वालि-१ देखो 'वाल' । २ देखो 'वाली' ।
वावड़ी, बावड़ी-देखो 'बावड़ी' । वालिद-पु. [म.] पिता, जनक ।
वावची-देखो 'बापची'। वालिदा-स्त्री० [म.] माता, जननी।
वावरणी(बी)-१ देखो 'बावरणी'(बी)। २ देखो 'बाजणी' (बी)। वालिबध-पु. एक प्रकार का घोड़ा, जो उत्तम गिना जाता है। वावदूक-वि० [सं०] १ बातूनी, बकवादी । २ वक्ता । वालिभ-देखो 'वल्लम'।
३ वाक्पटु। वाळी, बाळी-स्त्री० [सं० बाली] प्राभूषण विशेष, बाला। वावपोटी-स्त्री० घोड़ों का एक रोग। वाली वाली-वि०१ प्रिय, प्यारी। २ देखो 'वाल'। ३ देखो वावरणी (बो)-देखो 'वापरणो' (बी)। 'वाळी' । ४ देखो बाली' ।
वावरदी-वि० वरदी सहित । बालु-पु० एक शाक विशेष ।
वावरी-देखो 'बावरी'। . वालुका-स्त्री० [सं०] १ ककड़ी विशेष । २ देखो वालु। वावळ, वावल, वावळ-स्त्री० [सं० वायुगुल्म] १ प्रचण्ड हवा, बाळकाजंत्र-देखो 'बाळकाजंत्र'।
तूफान, झंझावात । २ प्राधी । ३ वायु. हवा, समीर ।
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बावळ
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3
( १९२ )
- वि० १ मस्त, मदोन्मत उन्मत्त क्रि०वि० २ घोर, बास (ई)- कि० वि० निकट, समीप, नजदीक, पास
वासड़ौ - देखो 'वास' ।
वासण- पु० [सं० वासन] १ सुगंध या दुर्गन्ध फैलने की अवस्था । २ बसावट, निवास । ३ घर, मकान। ४ कोई पात्र, टोकरी, पेटी प्रादि । ५ वस्त्र परिधान। ६ चादर, गिलाफ । ७ प्राच्छादन ८ ज्ञान ।
वास
(ब) ० १ सुगंध लेना, सूचना २ देखो 'मास' (बी) ३ देखो 'बासी' (बी) ४ देखो 'बसाली' (बो)। बासत पु० [सं०] गया।
वासतपत (पति) - पु० [सं० वास्तोपति ] १ इन्द्र । २ वास्तुपति । वासते (१) देखो 'वास्तु' ।
बावड़ी, वादी, वासवे वासदेव पु० का प्रधिष्ठाता प्रग्निदेव | २ 'वासुदेव' ।
तरफ ।
बाळ बाळी वावळी-१ देखो 'बावळ' २ देखो 'बावड़ी' ३ देखो 'बावळी' । ४ देखो 'बावळो' । वाळी, बावली १ देखो 'बावळो' (स्त्री० [बावळी) २ देखो 'बावळ' |
वावल्ल - पु० १ प्रायुध या शस्त्र विशेष । २ देखो 'वावळ' | वासू - पु० [सं० वाहवसु] १ द्रुत, चर, संदेश वाहक । २ जासूस । वाधार देखो व्यवहार' |
वावि, वाविय - देखो 'वापी' ।
बावी देखो 'बाप' ।
बाबु वायु-देखो 'बा'।
वावेळी वावेली - पु० [फा० वावैला ] १ कोलाहल, शोरगुल । २ दंगा फसाद २ रोना पीटना, चिल्लाना, शाहि वाहि ४ उपद्रव, विप्लव |
बायोकळी पु० [सं०] वाताय] हवादार स्थान बावी - g० [सं० वपनम् ] १ रबी फसल की बुवाई । २ इस फसल का बीज ।
वाव्य- देखो 'वाषी' ।
वासंत - स्त्री० [सं० वासंतः ] १ ऊंट । २ हाथी । ३ देखो 'वसंत' । वासंती - स्त्री० १ एक वर्ण वृत्त । २ देखो 'वसंती' । वासंदर- देखो 'वैस्वानर' ।
वास, वास-पु० [सं० वास] १ रहना क्रिया, निवास, आवास । २ विश्राम, प्राराम । ३ रहने का स्थान, डेरा । ४ घर, गृह । ५ मुहल्ला । ६ जगह, स्थान । ७ शरण, पनाह, प्रासरा ८ पास रखना या बसाना क्रिया । ९ गंध, बू । १० सुगंध महक ११ वरष परिधान, पोशाक । वस्त्र [सं०] बास] १२ जंगा, दहाड़ना किया। १३ चिल्लाहट
।
2
१४ भौंकना क्रिया । १५ गुंजन, गुंजार १६ बुलावा, पुकार। १७ वस्तु, पदार्थ । १८ जागीर ।
वासइ (ई, उ ) - देखो 'वास' ।
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बोसोवळी
[सं० दिग्वेदेव] १ यश श्रग्नि, श्राग ३ देखो
वामना स्त्री० [सं०] १ अभिलाषा, इच्छा, मनोकामना चाह । २ जन्मान्तर के जमे हुए संस्कारों से उत्पन्न सुख-दुःख के भाव, विचार । ३ भावना, खयाल, धारणा । ४ न्याय के धनुसार देहात्मक बुद्धिजन्य मिथ्या संस्कार, विचार ५ कल्पना । ६ स्मृति । ७ ज्ञान । ८ दुर्गा का एक नाम। ९ नामक बसु की पत्नी १० भोग विलास, विषय अर्क भोग की इच्छा । ११ गंध, बू । १२ सुगंध, महक | वासनी - स्त्री० शराब, मदिरा ।
।
वि० निवास करने वाली,
बसने वाली ।
वासन्न - वि० १ सुगंधित, सुवासित २ देखो 'वसन' । वासपुज्ज, वासपूज, वासपूज्य- देखो वासुपूज्य' । वासमती - पु० सफेद चावलों की एक जाति ।
वासर- पु० [सं० वासरः] १ दिन दिवस २ प्रातः काल, सवेरा |
वासरकर, वासरकिरण पु० [सं० वासर-कर ] सूर्य, भानु । वासरमणि - पु० [सं०] सूर्य, भानु ।
1
वासक - पुं० [सं० वासकं, वाशक] वस्त्र, कपड़ा । वि० १ बसने
वासव - पु० [सं० वासवः ] १ इन्द्र का एक नामान्तर । २ महादेव, शिव - वि० [सं० वसव ] इन्द्र का, इन्द्र संबंधो । पासवाली पु० [सं० वस] निवास स्थान, निवास । वासवि वासवी स्त्री० [सं० वासवी] मत्स्यगंधा व सत्यवती का एक नामान्तर । पु० १ जुन २ इन्द्र पुत्र जयन्त ।
वाला, निवास करने वाला । २ बसाने वाला, नाबाद करने वाला । ३ दहाड़ने वाला, गर्जने वाला । ४ ध्वनि करने वाला ५ देखो 'वासुकि' । वासकसज्जा ( सय्य ) - स्त्री० [सं०] नायक से मिलने के लिये वासवीविसा पु० [सं०] इन्द्र की दिशा, पूर्व दिशा । सजी-धजी बैठी नायिका । वासग, बास गनाग, वासगेस - देखो 'वासुकि' । यावली-देखो 'वास'।
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वाससुद्र म पु० चन्दन ।
वाससुमेर वास मे वि० [सं० वास सुमेर ] सुमेर पर्वत का
-
निवासी - पु० देवता ।
बाड़ियो १०१ गांव के एक मुहल्ले का जागीरदार २ देखो वासावळी स्त्री० [सं०वास मवळी]१ सुगंध महक २ सुगंधित
।
।
'वास' । ३ देखो 'वासी' ।
पदार्थों का समूह ।
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वासिंग
( ५९३ )
वाहण
वासिंग-देखो 'वासुकि' ।
५ गांव । ६ पड़ाव । ७ एक शिकारी पक्षी। ८ भोजन वासिदो-देखो 'बासिदो'।
करने की दुकान, भोजनालय । व सि-पु० [सं० वाशिः, वासि] १ पग्निदेव । २ वसूला। वास्तव-वि० [सं०] १ असली, मूल, सही, सच्चा । २ प्राकृतिक । ३ कुठार । ४ छनी । ५ देखो 'वास' ।
३ सारयुक्त, तथ्य युक्त । ४ निश्चित । वासिग-देखो 'वासुकि'।
वास्तवा-स्त्री० [सं०] उषाकाल, प्रात:काल । वासिद्द-पु. शिव, महादेव ।
वास्तविक-वि० [सं०] १ सत्य, यथार्थ प्राकृतिक, असली । वासियो-वि० निवास करने वाला, निवासी।
२ ठीक, उचित। . वासिव-देखो 'वासव'।
वास्तविकता-स्त्री० [सं०] १ सच्चाई, असलियत । २ भौचित्य । वासिस्टी, वासिस्ठ-स्त्री० [सं० वाशिष्ठी] राजस्थान की बनास |
वास्तुपूजा-स्त्री० [सं०] नवीन गृह प्रवेश पर की जाने वाली नदी का एक नाम ।-वि० १ वसिष्ठ का, वसिष्ठ, संबंधी।
एक पूजा विशेष। . . २ वसिष्ठ का वंशज ।
वास्तुविद्या-स्त्री० [सं०] १ भवन निर्माण कला, अभियान्त्रिकी।
२ शिल्प । ३ चौसठ या बहत्तर कलामों में से एक। वासींदो-देखो 'बासिदो'।
वास्तुसांति-स्त्री० [सं० वास्तु-शांति] नवीन गृह प्रवेश के समय वासी-वि० [सं० वामिन् ] १ निवास करने वाला, रहने वाला,
किया जाने वाला शांति कर्म । निवासी । २ मुहल्ले का, मुहल्ले संबंधो। ३ किसी मुहल्ले
वास्तुसास्त्र-पु० [सं० वास्तु शास्त्र] भवन निर्माण या शिल्प का जागीरदार । ४ देखो 'बासी' ।
__ संबंधी शास्त्र । वासोजवारी-स्त्री दूल्हे को सुसराल से दी जाने वाली एक भेंट।
वास्तुसिद्धि-स्त्री० [सं०] स्त्रियों की चौसठ कलामों में से एक । वासीब-पु. मृतक के बारहवें दिन स्त्रियों द्वारा प्रातःकाल
वास्ते, वास्त-अव्य०१ निमित्त, लिये । २ कारण से,प्रयोजन से। किया जाने वाला रुदन ।
वास्तौ-पु० [सं० वास्त:] १ संबध, लगाव । २ प्रयोजन, मतलब । वासु-पु० [सं०] १ जीव, प्रात्मा। २ विश्वात्मा, परमात्मा। - ३ माध्यम, जरिया। ४ कारण । ५ शक्ति, बल । ३ विष्णु का एक नामान्तर।
६ पुरुषार्थ । वासुकि (की, गि, गी)-पु० [सं० वासुकिः] १ पाठ नाग | वास्प-स्त्री० [सं० वाष्पा] १ प्रांसू । २ भाप । कोहरा ।
राजामों में से एक । २ शेषनाग। ३ एक प्राचीन देवता। ४ लोहा। ४ सर्प सांप।
वाह-स्त्री० [सं०] १ शस्त्र प्रहार, चोट । २ माक्रमण, हमला। वासुदे वासुदेव-पु० [सं० वासुदेव] १ श्रीकृष्ण। २ परमेश्वर, ३ युद्ध । ४ प्रवाह । ५ प्रहार की सीमा, परिधि, क्षेत्र । ईश्वर । ३ वासुदेव के वंशज ।
६ शस्त्र, प्रायुध । ७ धनुष । ८ गति, चाल । ९ वाहन, वासुदेवक-पु० श्रीकृष्ण का उपासक ।
सवारी। १० घोड़ा, अश्व । ११ बैल । १२ बोझा लादने वासुदेवा-पु० भाटों की एक शाखा ।
वाला पशु। १३ नदी। १४ मदद । १५ वायु, हवा । वासदेवो-पु० उक्त शाखा का भाट ।
१६ सुगंध, महक । १७ बदबू, दुर्गन्ध । १८ खेत में हल
चलाने की अवस्था, दशा, मौसम । -प्रव्य. १ धन्य, वासुपुज्य, वासुपूज्य-पु० [सं० वासुपूज्य] जैनियों के बारहवें तीर्थकर।
शाबास । २ पाश्चर्य, हर्ष, घृणा सूचक ध्वनि । ३ खूब,
प्रत्यन्त । ४ बस। वासुभद्र-पु० [सं०] श्रीकृष्ण ।
वाहक-वि० [सं०] १ लेजाने वाला, ढोने वाला । २ वहन करने वासुर-देखो 'वासर'।
वाला । -पु.१ कुली,हमाल । २ गाड़ीवान । ३ घुड़सवार । वासरा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती । २ रात्रि, रात।। ४ एक विला कीड़ा। __३ स्त्री, नारी । ४ हथिनी।
| वाहण-देखो 'वाहन'। वासू-स्त्री० [सं०] १ जवान लड़की । २ कुवारी लड़की। वाहणगरुड़-पु. विष्णु । कन्या।
वाहणवखम-देखो 'वाहनवखम' । वासूळो-देखो 'वसूलो'।
वाहरणसंभु-पु०१ नन्दी बैल । २ वृषभ, बल । वासे, वास-देखो 'वांस'।
वाहणसिखी-पु० स्वामिकात्तिकेय का एक नाम । वासो-पु० [सं० वास:] १ रहने की क्रिया या भाव, निवास । वाहण, वाहणी-स्त्री. १ एक प्रकार की, खेत की जुताई।
२ निवास स्थान । विश्राम । ४ विधामस्थल, डेरा: २ देखो 'वाहन' । ३ देखो 'वाहनी'।
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वाहणी
( ५९४ )
विदुतीरथ
बाहरणो-देखो 'वाहन'।
विजणौ (बो), विजणी (बी)-देखो 'बीजों' (बो)। वाहणी (बी)-कि० १ ठगना, धोखा देना, छलना। २ देखो विजन-देखो 'व्यंजन'। 'बावरणों' (बौ)।
विजाहरि-देखो "विजयहरी'। वाहन-पु० [सं०] १ वहन करने या ढोने की क्रिया या भाव । विजुल-सीत-स्त्री० [सं० वजुल-शीतः] १ कुज, कुज गली।
२ सवारी, सवारी करने का साधन । ३ घोड़ा । ४ हाथी। | २ अशोक वृक्ष। ५ रथ । ६ नाव, जहाज । ७ सवार। ८ लक्कड़बग्घा । विझगिरी-देखो "विध्यागिरि'। ९ उद्योग, प्रयत्न । १० सेना । ११ नदी।
विंझलो-पु० [सं० वोजन:] चक्रवाक नामक पक्षी। वाहनवखभ-पु० [सं० वाहन-वृषभ, शिव, महादेव । विंझाचळ-देखो विध्याचळ' । वाहनी-स्त्री० [सं० वाहिनी] १.सेना, फौज । २ सेना का एक विंट-देखो 'वींट'।
दल । ३ सेना का एक विभाग । -वि० चलाने वाली। विटणी (बी), विठ्ठरणी (बो)-देखो 'वींटणी' (बी)। वाहपत्री-स्त्री० [सं० पत्रवाह] शर, बाण, तीर।
विटाणी (बी), विट्ठाणौ (बो)-देखो 'वीटाणो' (बी)। वाहर, वाहरि-देखो 'बाहर'। (३ से ६)
विठणी (बी)-क्रि० [स० विनष्टनम्] १ नष्ट होना, बरबाद वाहरू, वाहनो, वाहरू-देखो 'बाहरु'।
होना । २ भ्रष्ट होना, बिगड़ना। ३ प्रहश्य होना, बाहळ-पु. १ घी परोसने का टोंटीदार पात्र । २ बैल के पिछले
गायब होना। पैरों में होने वाली रोमावली विशेष । ३ देखो 'बहल'।
विठोरी, विठोरी-देखो 'भौंठोरी'।
विंण-देखो 'बिना। वाहलउ-1 देखो 'वालो'। २ देखो 'वाळी'।
विरणपो (बी), विणणो(बो)-१ देखो "विणणो' (बी)। २ देखो बाहलका (डी), वाहळि, वाहळी-देखो वाळो'।
___'बुणणो' (बी)। वाहलीकजा-देखो 'वाल्हीक'।
वितर-देखो 'व्यंतर'। वाहल, वाहतु, वाहळू. बाहलू, वाहळो, बाहलो, वाहल्यो
वित्तरणो (बी)-देखो 'बींतरणो' (बी)। १ देखो 'बाळो'। २ देखो 'वालो'। ३ देखो 'वल्लभ'।
विद-पु० [सं०] १ धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक । (स्त्री० वाहळी)
२ भारतीय युद्ध में कौरव पक्ष का एक योद्धा। ३ प्रवती वा'वा'-देखो 'वाहवाह'।
देश का एक राजकुमार । ४ देखो 'बींद'। ५ देखो 'बूद'। वाहवाह-प्रव्य० [फा०] धन्य-धन्य, साधु-साधु।
६ देखो 'बि'। ७ देखो "बिंदी'। देखो ''। वाहवाही-स्त्री० [फा०] १ प्रशंसा, साधुवाद, धन्यवाद ।विंदक-वि०१ जानने वाला, ज्ञाता। २ जन्म देने वाला। २ पाश्चर्य।
३ देखो "बिंदक'। बाहाऊ-देखो 'बधाऊ'।
विंदगी-देखो 'बदगी'। बाहावर-देखो 'बहादुर' ।
विदणी (बी), विदरणौ (बो)-देखो 'बंदणौ (र)। बाहार-१ देखो 'वार'। २ देखो 'बाहर'।
विदली-देखो "बिदी। वाहाळी, वाहालो-१ देखो 'वा'को' । २ देखो 'वालो' । विंदवी-देखो "विदवीं'। बाहि-क्रि० वि० मार्ग में, रास्ते में।
विदसरोबर-पु. गुजरात का एक तीर्थ विशेष । बाहिरण-देखो 'वाहन'।
विदांवन-देखो 'दावन' । वाहिरिण, वाहिणी-देखो 'वाहनी' ।
विवी-देखो "विदी। वाहित्य-पु० [सं० बाहित्य] हाथी के ललाट के नीचे का भाग। विदु-१ देखो "बिंदु'। २ देखो ''द' । ३ देखो बिदी'। वाहियात-वि० व्यर्थ, निरर्थक ।
४ देखो 'वंद। वाहिर-देखो 'बाहर'।
विदुपांगिरस-पु. वेदों के एक सूक्त द्रष्टा का नाम । बाही-१ देखो 'वहीं'। २ देखो 'व्याधि' ।
विदुचित्रक-पु. [स०] सारे शरीर पर गोल चित्तियों वाला वाणी (बो)-देखो 'बावड़णी' (बी)।
एक मृग। बाहुतु (लो)-१ देखो 'वा'लो' । २ देखो 'वालो।
विदुजाळ, विदुजाळक-पु० [सं० विदुजाल] १ हाथी के मस्तक पर विचियो, विछियो-देखो 'विछियो' ।
बनाई गई बिंदियों का समूह । २ हाथियों का एक रोग । विछुड़ी-देखो "बिच्छुड़ी'।
विदुतीरप-पु. [सं० विदुतीर्थ काशी के पंचनद तीर्थ का एक विछ्या-देखो 'बांछा'।
नाम ।
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विदुत्रिवेणी
( १९५ )
विकटारगण
विदुत्रिवेणी-स्त्री० [सं०] स्वर साधन की एक प्रणाला । विअक्खरण (णि, सु)-देखो "विचक्षण' । विदुमति (ती)-स्त्री० अयोध्या के राजा मान्धाता की पत्नी। विप्रखरी, विमख्यरी-देखो 'बेप्रखरी' । बिंदुमाधव-पु० [सं०] काशी में स्थित विष्णु की मूर्ति का नाम।। विप्रद-पु० [सं० वियत् प्राकाश, नभ । विंदुळरथी-स्त्री० [सं० विदुल-रथ्या] कुंज गली। | विद्यापरणो (बी)-देखो 'व्यापरणों' (बी)। विदुली-देखो "बिंदी'।
विआपी- देखो 'व्यापी' । २ देखो 'वापी'। विंदुसर-पु० [सं०] १ कैलाश पर्वत स्थित एक सरोवर । २ एक | विधारणम-स्त्री० [सं० वि-प्रतारणम्] मार-पीट । प्रताड़ना। - प्राचीन नदी।
विआस-देखो 'व्यास'। विंबी-१ देखो 'बींद'। २ देखो 'बंदी'।
विइगिच्छा-स्त्री. विचिकित्सा। विंध-देखो 'विध्य'।
विइत्त-वि० [सं० विदित्वा] जानकार। विंधणो (बो), विधणी (बौ)-देखो :बिंधणी' (बी)।
विइय-वि० [सं० द्वितीय] १ दूसरा । २ विदित। विंधर-वि० प्रशब्दावी।
विउड-देखो विकट'। विधांचळ-देखो 'विध्याचळ' ।
विउरण-देखो "विवरण'। विंध्य-पु० [सं०] १ उत्तर भारत के दक्षिण में स्थित एक | विउल-देखो 'विपुल'।
प्रसिद्ध पर्वत, विध्याचळ । २२वत मुनि के पुत्रों में से एक। | विउलप्रसणपाण-पु० [सं० विपुलामसनपान] विपुल खानविष्यकूट-पु. [सं० विध्यकूटनं] १ अगस्त्य मुनि की एक उपाधि।
| पान, पुष्कल भोज्य-पदार्थ । २ विंध्य पर्वत।
विउलतव-पु० [सं० विपुलतप] विपुल या कठोर तप । विंध्यगिरि-पु० [सं०] विध्य पर्वत, विध्याचल । -पावमूळ-पु० | विउलधरण-पु० [सं० विपुलधन विपुल या पर्याप्त धन । ___ इस पर्वत की तलहटी।
विउलसग्ग-पु० [सं० विपुल सर्ग] व्युत्सर्ग, कायोत्सर्ग, एक तप विंध्यवासिणी (मी)-स्त्री० [सं० विध्य वासिनी] १ मिर्जापुर | विशेष।
जिले में विद्य पर्वत के एक टीले पर स्थित देवी मूर्ति | विउलसिरी-देखो 'मौलसिरी। विशेष । २ दुर्गा की एक उपाधि ।
विऊ-वि० [सं० विद्] जानकार, वेत्ता। विंध्यवासी, विध्यस्थ-पु० [सं०] संस्कृत के व्याडि मुनि की | विनोग, वियोग-देखो 'वियोग'। उपाधि ।
विकंपन-पु० [सं०] १ रावण पक्ष के एक राक्षस का नाम । विंध्याचळ-पु० [सं०] भारत के मध्य में पूर्व से पश्चिम तक २ रुद्रगणों में से एक ।
फैली हुई एक पर्वत श्रेणी, विध्यगिरि, बिध्यादि । | विकंपुर-देखो 'विक्रमपुर'। विंध्यावळि (ळी)-स्त्री० [सं० विध्यावलि] दैत्यराज बलि की विकच-पु. [सं०] १ एक प्रकार के धूमकेतु जिनकी संख्या ६५ -पत्नी का नाम ।
है। २ बौद्ध भिक्षुक । ३ केतु का नामान्तर ।-वि० १ खिला विंबार, विंभार-देखो 'बंबार।
हुमा, फैला हुमा । २ बिखरा हुमा । ३ बाल या केश धिभौ-देखो 'वैभव'।
रहित । बिंयासियो-देखो 'बयासियो।
विकचा-स्त्री० [सं०] विरूपक नामक नैऋत्त राक्षस की पत्नी। विंस-वि० [सं० विश] बीसवां। -पु. १ एक प्राचीन राजा। विकट-वि० [सं०] १ भयंकर, भीषण, विकराल । २ चौड़ा, २ देखो 'बीस'।
प्रशस्त । ३ विशाल, बड़ा। ४ जबरदस्त । ५ बलवान, विसतिबाहु-पु० [सं० विशतिबाह] रावण का एक नामान्तर।। शक्तिशाली। ६ दुर्गम, दुरूह, दुस्साध्य । ७ कठिन, विसोत्तरी-स्त्री० [सं० विशोत्तरी] शुभाशुभ फल जानने की मुश्किल । ८ बदशक्ल, कुरूप, भौंडा, भद्दा । ९ उग्र, तीव्र । एक रीति।
१० टेढ़ा, वक्र । ११ महंकारी, अभिमानी । १२ जंगली, विहचरणौ (बो)-देखो 'बैंचरणो' (बी)।
अभद्र । -पु०१ विस्फोट । २ बाल-तोड़, फोड़ा। ३ सेना, वि-अध्य० [सं०] १ किसी शब्द के पूर्व लगकर विशेष अर्थ |
फौज । ४ सोमलता । ५ एक डिंगल गीत । ६ धृतराष्ट्र का उत्पन्न करने वाला एक उपसर्ग । २ भी । ही। -पु० एक पुत्र । ७ रावण पक्ष का एक राक्षस । ८ रुद्र गणों मैं [सं० वि.] १ रवि ।२ शशि। ३ दधि । ४ पक्षी।। से एक । ९ सिंह, शेर । १० जैनियों के ८८ ग्रहों में से ५ गरुड़ । ६ लवा । ७ घोड़ा। पांख । ६ आकाश ।। ५० वां ग्रह। १०पन्न । ११ देखो 'बी'।
विकटांणण (नन)-देखो "विकटानन' ।
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विकटा
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( ५९६ )
विकटा - स्त्री० [सं०] १ बुद्धदेव की माता का नाम । २ रावण की धनुवरी एक राक्षसी । विकटानन० प्रतराष्ट्र का एक पुत्र । विकटी, विक्टविस्ट्टी- देखो 'विकट' विकरणो (बौ) - देखो 'बिकणी' (बौ) ।
विकपणा - स्त्री० [सं० विकल्पना ] संदेह, भ्रम । (जैन)
विक्रम- देखो 'विक्रम' |
1
विकत्ता- वि० [सं० विकर्ता ] नहीं करने वाला प्रकर्ता । विकत्थन ० ०] १ शेखी डीग २ व्यंग ३ झूठी प्रशंसा। विकत्था, विकथा - स्त्री० [सं०] १ अफवाह, जनश्रुति । २ झूठी | प्रशंसा । ३ व्यंग । ४ शेखी, डींग । ५ निरर्थक या बेहूदी बात | ६ चुगली ।
विकमाईत देखो विक्रमादित्य'।
विकमायत - स्त्री० [सं० विक्रम + आदित्य ] १ राठौड़ों की एक उप शाखा । २ देखो 'विक्रमादित्य' ।
विकरम पु० [सं० विकर्म ] १ वेद विरुद्ध कर्म, दुष्कर्म, पाप । २ विरुद्धाचार । ३ देखो 'विक्रम' |
विकरमादित्य, विकरमादीत देखो 'विक्रमादित्य' ।
विकरम वि० [सं० विकर्मन्] १ निषिद्ध कर्म करने वाला, कुकर्मी । २ देखो 'विक्रमी' ।
विकरसण - पु० [सं० विकर्षणं] १ प्रकर्षरण, खिचाव । २ कामदेव के पांच बारणों में से एक ।
विकरात- देखो 'विक्रांत' ।
विकरार, विकराळ विकराळ (ल, छो) - वि० [सं० विकराल ] ( स्त्री० विकराळी) १ भयंकर, भयावह, डरावना । २ भाषण प्राकृति या डील डोल वाला । ३ जबरदस्त, जोरदार । ४ प्रचंड, तीव्र, तेज । ५ व्याकुल । ६ क्रुद्ध, क्रोधित ।
७ विशाल, दीर्घ, बड़ा, जगी । पु० १ सिंह शेर । २ युद्ध ।
विकरी - देखो 'विकरो' ।
विकळ, विकल, विकल - वि० १ व्याकुल, बेचैन, दुःखी ३ भयभीत, डरा हुआ । ५ क्षुब्ध । ६ खंडित भग
"
विकरुल्यो, विकरोळ-देखो 'विकराळ' |
देना
विक, विक-पु० [सं०] १ द्रव्य कर बेचना, मोल के हिसाब से देते का कायें । २ दुकान पर वस्तुओं की बिक्री । ३ व्यापार । ४ बेचने से प्राप्त धन ।
विकर स्त्री० [सं० विकर-गध]] बदबू दुगंध
.
विकर - पु० [सं०] १ रोग, बीमारी । २ तलवार चलाने का एक ढंग । ३ राक्षस । ४ देखो 'विकार' ।
।
विकरण - पु० [सं० विकर्ण] १ धातु व प्रत्यय के बीच में होने वाला वर्णागम। २ एक शिवभक्त ३ घुतराष्ट्र विकल्प विकलप पृ० [सं० विकल्पः] १ म चान्ति महषि । भ्रम का एक पुत्र । ४ कर्ण का एक पुत्र 1 ५ एक प्रकार का २ धोखा । ३ विरुद्ध कल्पना । ४ मन की दुविधा । सर्प । ६ एक प्रकार का तीर - वि० [सं० वि + करणम् ] ५ योग में पंच विधि चित्त वृत्तियों में से एक । ६ मन की १ इन्द्रिय रहित । [सं० वि + कर्ण] २ जिसके कान न कल्पना या थाने जाने वाले भाव । ७ निर्धारण ८ संदेह, हो, क रहित । ३ जो सुन न सके बहरा । हिचकिचाहट, संकोच । ९ इच्छा, श्रभिरुचि । १० भूलविकरतन, विकरत्तन- पु० [सं० विकर्तन ] १ सूर्यं । २ प्राक, चुक | ११ अज्ञानता । १२ उपाय । १३ स्थानापन्न रूप से मंदार । ३ पिता से राज्य छीनने वाला राजकुमार । ४ एक काम लिया जाने वाला साधन १४ वस्तु रहित केवल सूर्यवंशी राजा। मन की कल्पना ।
विकर पु० [सं० विक] १ लाख, सीर २ धनुष की प्रत्यंचा विकलिदी-देखो 'विकलेद्रिय' |
स- विकर्ष]
।
खींचने का कार्य । ३ श्रन्तर, दूरी, फासला ।
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मुरकाया
हुधा, कुम्हलाया हुया । ६ सड़ा हुआ । १० शक्ति रहित, ११ कोधित १२ १३ ठ असत्य, मिथ्या । १४ चंचल, अस्थिर । १५ कल या कला से रहित । पु० १ कपट, छल । २ देखो 'बेनकल' । -अंग वि० जिसका कोई अंग टूटा हो, अंग-भंग । - कांमी - वि० काम वासना से व्याकुल - पु० नारद । -चित्त-वि० चंचल । अस्थिर चित्त । ताई-स्त्री० व्याकुल, बेचैनी, धातुराई ।
ता,
विकस
[सं० विकल ] ( स्त्री० विकळा ) २ उदास, खिन्नपि । ४ भावविभोर वि
"
"
चलन दुश्चरित्र
"
विकला, विकळा स्त्री० [सं० विकला ] १ वह स्त्री जिसका मासिक धर्म बन्द हो गया हो । २ कला का सातवां अंश । ३ उपद्रव । ४ कलह । ५ बुध ग्रह की गति । ६ दुर्गा देवी का नामान्तर । ७ कला का ६०वा अंश - वि० चंचल, ग्रस्थिर ।
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विकली - वि० १ चिरस्थाई, भ्रमिट । २ देखो 'विकी' । विकळेंद्रि, विकळेंद्रिय - वि० [सं० विकलेंद्रिय ] १ जिसकी इंद्रियां वश में न हो । २ जिसकी इंद्रियों में दोष हो । -पु० इन्द्रिय, श्रींद्रिय व चतुरेंद्रिय जीव समूह । (जैन) बिकलो- वि० स्वी०
१विश्वासपात्र २ द
देखो''।
विकल्प देखो 'विक
विकस पु० [सं० विकस ] चन्द्रमा, चांद ।
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विकसको
( ५९७ )
विक्खहर
विकसणी (बी)-क्रि० [सं० विकाशनम्] १ विकसित होना। विकिर-पु० [सं० विकिरः] १ पूजा के समय विघ्न निवारणार्थ
२ खिलना, फूलना। ३ वृद्धिमान होना, बढ़ना। ४ भागे । चारों भोर फेंके जाने वाले अभिमंत्रित चावल । २ पक्षी । बढ़ना, प्रगति करना। ५ हर्षित होना, प्रफुल्लित होना। ३ कूप, कूमा । ४ पेड़, वृक्ष । ६ प्रकाशित होना।
विकीरण-वि० [सं० विकौर्ण] १ चारों मोर फैला हुमा । विकसारणी (बी), विकसावरो (बी)-क्रि. १ विकसित करना, २ प्रसिद्ध, मशहूर।।
कराना। २ बढ़ाना, वृद्धि कराना। ३ प्रगति कराना। विकुठ-वि० [सं०] १ अत्यधिक तीक्ष्ण, नुकीला, २ जो कुठित ४ प्रफुल्लित करना, हर्षित करना।
| न हो। ३ जो रोका न जा सके। -पु. १ रैवत मन्वन्तर विकसावरण (पी)-वि०१ विकसित करने वाला। २ वद्धि करने का एक देव-समूह । २ देखो 'वैकुंठ'।
वाला, बढ़ाने वाला। ३ खिलाने वाला, प्रस्फुटित करने | विकुठा-स्त्री० [सं०] १ मन का केन्द्रीकरण । २ विष्णु की वाला । ४ पागे बढ़ाने वाला । ५ हर्षित करने वाला। | माता।
विकुडमांड-पु० [सं०] एक दानव का नाम । विकस्सरणी (बी)-देखो 'विकसणो' (बी)।
|विकुक्ख, विकुक्खी, विकुक्षि, विकुख, विकुखी-पु० [सं. विकुक्षी] विकस्साणी (बी), विकस्सावरणो (बो)-देखो 'विकसाणो' (बी)। विकहा-देखो 'विकस्था'।
सूर्यवंशी इक्ष्वाकु का ज्येष्ठतम पुत्र, अयोध्या का प्रसिद्ध
राजा। -वि० बड़ी तोंद वाला, नोंदी। विकारणो (बो)-देखो 'बिकाणी' (बी)। विकाथिनी-स्त्री० [सं०] स्कन्द की एक अनुचरी, एक मातका । विकुट-पु. एक डिगल छद
विकुट-पु. एक डिंगल छंद विशेष । विकार-पु० [सं०] १ रूप, गुण, स्थिति भादि में होने वाला विकूरबी, विकूरवी-वि० कृत्रिम, बनावटी। परिवर्तन, रूपान्तरण । २ रूप, गुण प्रादि में प्राने वाला
विकेस-वि० [सं० विकेश] १ केश रहित, गंजा।२ जिसके दोष, विकृति । ३ विकृत करने वाला तत्त्व । ४ क्रोध
शिर के बाल खुले हों। -पु. १ पुच्छल तारा। २ एक लोभादि भाव, हीन मनोभाव । ५ बीमारी, रोग । प्रकार का प्रेत। ६ वेदान्त व सांख्य दर्शनानुसार पदार्थ का रूपान्तरण । विकेसी-स्त्री० [सं० विकेशी] १ शिर के खुले बालों वाली ७ भाव परिवर्तन । ८ मनोवेग । ९ उद्वेग, विकलता। स्त्री। २ गंजे शिर वाली स्त्री गंजी। ३ शिव की पत्नी का १० दोष । ११ वासना। १२ अवगुण, ऐब, बुराई।
नाम। ४ अग्नि को एक पत्नी का नाम । ५ पूतना राक्षसी १३ वैमनस्य, शत्रु ता । १४ परिवर्तन, बदलाव । का एक नाम । ६ बालों की लटों की चोटी, वेणी। १५ बदहजमी । १६ स्वाद, जायका।
विकोक-पु० [सं०] बकासुर का पुत्र । विकारि, विकारी-वि० [सं० विकारिन्] १ जिसमें कुछ विकार विकोवर-देखो 'वकोदर'। .
होता हो, विकृत होने लायक । २ परिवर्तनीय, विकोस-वि० [सं० विकोश] १ म्यान से निकला (शस्त्र) । परिवर्तनशील । ३ विकार उत्पन्न करने वाला । २ बिना भूसे का । ३ खुला, अनाच्छादित । ४ रूपान्तरित होने वाला। -पु०१ साठ संवत्सरों में से विक्क-पु. [सं० विक्क] १ हाथी का बच्चा । २ देखो 'बिक्क'।
तेतीसवां संवत्सर । २ रूपान्तरित होने वाला शब्द। । विक्कटा-देखो 'विकटा'। विकार-देखो 'विकार'।
विक्कमपुर (रि, री-देखो 'विक्रमपुर'। 'विकाळ-पु० [सं० विकालः] १ शुभ कार्यों के लिये प्रसमय । विक्कय-देखो 'विक्रय'। २ देर, विलंब । । संध्या का समय, शाम ।
विक्कराळ (ल), विक्करू-देखो 'विकराळ'। विकावणी (बी), विकावणी (बी)-देखो "बिकाणी' (बो)। । विक्कसणी (बो)-देखो 'विकसणो' (ग)। . विकास-पु० [सं०] १ प्रदर्शन, प्रगटन । २ प्रकाश । ३ विस्तार | विक्कासी (बो)-देखो "विकासणो' (बी)। .
फैलाव । ४ प्रसार । ५ माकाश । ६ प्रस्फुटन, खिलाव ।। विक्खं विक्ख-१ देखो 'विस' ।२ देखो 'वितम'। ३ देखो ७ उन्नति, बढोतरी, वृद्धि । ८ हर्ष, मानन्द ।
'वीख'। विकासपो (बी)-क्रि. १ प्रगट होना, प्रकाश में प्राना, प्रदर्शित विक्खणी-स्त्री० घोड़ों को खुरताल की टक्कर से उठने वाली
होना । २ रोशन होना, प्रकाशित होना । ३ विस्तृत होना, चिनगारी। फैलना । ४ प्रसारित होना । ५ प्रस्फुटित होना, खिलना। विक्खधर-देखो विसधर'। ६ उन्नति करना, बढना, वृद्धि होना। ७ हर्षित या. विक्खम (मी, म्म, म्मी)-देखो "विसम'। मानन्दित होना।
| विक्खहर-१ देखो 'विसधर' । २ देखो 'विसहर'।
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वितंड
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( ५९८ )
वितंड - देखो 'वक्रतु'ड' |
वित - वि० [सं० विकृत ] १ विकार युक्त, विकृत । २ कुरूप मंदा ३ स्वाभाविक ४ पूरा, पूर्ण ५ बोमारी रोग ग्रस्त । ६ अंगहीन, विकलांग । ७ उद्विग्न ८ घृणास्पद । ९ श्ररुचिकर । १० साधारण । पु० १ दूसरे प्रजापति का नाम । २ एक संवत्सर । ३ एक राक्षस । ४ कामदेव का एक वेश ।
विश्ता स्त्री० [सं० विकृता] एक योगिनी का नाम । विति स्त्री० [सं० विकृतिः] विकृत होने की अवस्था या भाव । २ विकार या खराबी । ३ विकार से बना रूप
४ बीमारी, रोग । ५ परिवर्तन । ६ परिणाम । ७ मानसिक
। । क्षोभ ८ एक छन्द विशेष ९ विकार पाने पर होने वाला प्रकृति का मूल रूप । १० मूल धातु से विकृत होने पर बनने वाला शब्द का रूप । ११ एक यादव राजा ।
विक्रमशील पु० एक राजा विशेष विक्रमांत पु० [सं० विक्रम-यंत] योद्धा वीर
विक्रतु ंड - देखो 'वऋतु'ड' |
विक्रम पु० [सं० विक्रमः] १ विपरीत गति । २ कदम, डग । ३ पराक्रम, बज्र, शौर्य ४ बहादुरी, वीरता
चाल,
। ८
गति । ६ विष्णु ७ एक संवत्सर धृतराष्ट्र का एक पुत्र । ९ योद्धा, वीर। [सं० विकर्म] १० दुष्कर्म, पाप । ११ तीन की संख्या। वि० १ बिना क्रम का क्रम रहित । २ देखो 'विक्रमादित्य' । ३ देखो 'विक्रम संवत' । -अन्य-पु० विक्रम संवत् ।
"
विक्रमक पु० स्वामिकार्तिकेय का एक धनुचर । विक्रमगढ़, विक्रमनगर, ( नगरि नगरी, ( नगरि नगरी, पुर
१ बीकानेर शहर का एक नाम । २ जैसलमेर एक प्राचीन नगर ।
पुरी)- १० राज्यान्तर्गत
विक्रमाजीत, विक्रमादित (दित्य, बीत) पु० [सं० विक्रमादित्य] उज्जयिनी के प्रसिद्ध राजा जिनके नाम से विक्रमी संवत् चलती है।
विशमि विक्रमी वि० [सं०] [विक्रमिन्] १ बीर बहादुर,
,
1
शूरवीर । २ पराक्रम वाला, साहसी । ३ विक्रम संबंधी; विक्रम का पु० १ सिंह शेर २ विष्णु का एक नामान्तर । ३ विक्रमादित्य के नाम से चलने वाला संवत् । विक्रय-पु० [सं०] बेचना क्रिया, बिक्री ।
सरपट चाल । ३ वीरता, बहादुरी ।
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विक्री- देखो 'विक्रय' ।
विस्ट स्त्री० [सं० विश्रुष्ट] १ बुलाने की क्रिया, पुकार २ माली ३ धावाज ४ चिल्लाहट ५ संगीत में एक
far-fro flege, dega i
1
०
विकता वि० [सं०] बेचने वाला विक्रय करने वाला ।
व्यापारी ।
विषक
विक्रेप - वि० बेचने योग्य, बिकाऊ ।
विकोस स्त्री० [सं० विक्रोशन] १ गाली २ चिल्लाहट ३ चीत्कार ।
विक्रो-देखो विक्रय' ।
विश्लय ( ब ) - वि० [सं० विक्लव] १ भीरु, डरपोक । २ डरा हुमा भीत ३ पीड़ित दुःखी ४ बेचैन, बिह्वल ५ उद्विग्न, व्याकुल
विक्षत - वि० [सं०] घायल, ग्राहत ।
विषय- पु० अधिक मद्यपान से होने वाला एक रोग। । विवर-पु० १ भगवान विष्णु २ कश्यप पुत्र एक देश्य 1 विज्ञान, विज्ञाति (मान) - वि० प्रसिद्ध मशहूर ब्याति प्राप्त । । । विक्षिप्त - वि० [सं०] १ व्याकुल, बेचैन । २ घबराया हुमा, भीत। ३ खारिज किया हुआ, त्यक्त । ४ भेजा हुधा । ५ खण्डन किया हुआ । ६ बिखरा या फैला हुधा ।
७ पागल ।
विक्षिप्तता स्त्री० १ विक्षिप्त होने की अवस्था या भाव ।
२ पागलपन |
विक्ष ेप-पु० [सं० विक्षेप: ] १ ऊपर या इधर-उधर फेंकना क्रिया । २ बिखेरना, छितराना क्रिया । ३ झटका, खटका । ४ भटकाव । ५ विघ्न, बाधा ६ खण्डन । ७ प्रसंयम । ८ सेना का पड़ाव । ९ एक प्रकार का प्रस्त्रं । विक्षोभ पु० [सं०] १ मानसिक कष्ट, शोष, दुःख, उद्विग्नता २ झगड़ा, टंटा ।
विक्रांत (विक्रा अंत ) - वि० [सं० विक्रान्तः ] १ शूरवीर बहादुर ।
२ विजयी, प्रतापी । - पु० १ सिंह, शेर। २ विष्णु का एक नामान्तर । ३ एक प्रजापति । ४ हिरण्याक्ष राजा का एक पुत्र ५ वैकान्तमणि । विक्रांत स्त्री० [सं० विक्रान्तिः ] १ गति, बाल । २ घोड़ों की विखक- पु० सर्प, सांप |
विखंड वि० [सं० विखण्डित] १ खण्ड-खण्ड टुकड़ों में खण्डित । २ विघटित । ३ खण्डित करने वाला। -पु० १ खण्ड, टुकड़ा । २ नाश, संहार । विखंडरण - वि० खण्डन या नाश करने वाला ।
डिपो (ब) - क्रि० १ खण्ड-खण्ड करना, टुकड़े करना ।
२ खण्डित होना । ३ मिटना । ४ नाश-संहार करना । ५ तोड़ना, मिटाना ।
विखंडा- वि० नाश करने वाली ।
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,
विख- वि० [सं० बिख, विख्य] १ कटी नाक वाला, नक्कटा । २ देखो 'विस' |
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विखइ
( ५९९ )
विख्याति
विखइ (ई)-स्त्री. १ इन्द्रिय । २ देखो "विसयी'।
विखोरण-देखो 'बखांण'। विखउ-देखो 'विखो'।
विखांतक-पु० [सं० विष-अन्तका] शिव, महादेव । विखकन्या-देखो 'विसकन्या'।
विखांन-देखो 'विसांण' । विखकर-पु० [सं० विकिरि] मयूर, मोर।
विखाइत, विखातो-देखो 'विखायत'। विखकसेन-पू० [सं० विष्वक्सेन|१ईश्वर, विष्णु। २वीकृष्ण विखाद-देखो 'विसाद'। विखगांमी-वि० [सं० विषमगामी] (स्त्री० विषगांमण) विषम विखावी-देखो "विसादी'। गति से चलने वाला।
विखायत (ती, तो)-वि० १ राज द्रोही, बागी। २ संकटावस्था विखणी (बो)-देखो 'वीखणी' (बी) ।
में, संकट से पीड़ित, दुःखी। ३ लुटेरा, डाकू।-पु. १ विखबाती-पु० [सं० विषदान्त] १ नाखून । २ सर्प, सांप ।
संकट से घिरा व्यक्ति, भाफत में फंसा व्यक्ति। २ संकट विखधर (धार, धारी)-देखो 'विसघर'।
पूर्ण स्थिति, पापात् काल । विखनग-पु० १ एक स्थावर विष । २ बछनाग नामक विष ।
विखारी-देखो 'भिखारी'। विखनजर-स्त्री. १ कुटिल दृष्टि, बुरी निगाह, कुदृष्टि ।
विखावरण-वि० [सं० विष्वाण:] । कष्ट से पीड़ित, पापात -पु० २ शिव, महादेव ।
गस्त । २ भूखा क्षुधा पीड़ित ।-पु. भोजन । विखम (भ्र)-देखो 'विखभ'। -धुज : 'विखभधुज' ।
विखासइ-पु. दृढ़ विश्वास । विखम-देखो 'विसम'।-गत, गति, गती='विसमगति'।-जुर,
विखिक-देखो 'विसख'। ज्वर ='विसमज्वर'।-नयण, नेण, नेत्र, नरण='विसम
विखिया-देखो 'विसय'। नयण'। -बाण, वारण = "विसमबाण'।
विखियात-देखो 'विख्यात'। विखमता-देखो 'विसमता'।
विखीया-देखो "विसय'। विखमाजुध (जुध्ध युद्ध, युध)-देखो 'विसमायुध'।
विखुकसेन-देखो 'विखकसेन' । विखमारिख-पु० [स० विषम-ऋक्ष] छोटे नक्षत्र ।
विखुटरणी (बी)-देखो "विक्षेप'। विखमावरण-पु० [सं० विषम-वणं] १ दग्धाक्षर। २ विषम
विखेर, विखेर-स्त्री० बिखेरने की क्रिया या भाव, बिखराव । __ वर्ण ।
विखेरागो (बी), विखेररावणी (बो)-देखो "बिखराणो' (बी)। विखमी-देखो 'विसम'। -बार, वार = "विसमवार'। विखेरी, विखेरी-पु० [सं० विकीरणं] १ बिखरे होने की अवस्था विखमेखु-पु० [सं० विषम-ईषु] कामदेव ।
या स्थिति। २ बिखरी हुई सामग्री।३ बिखरा सामान विखम्मी-देखो "विसम'। -बार, वार='विसमवार' ।
या कचरा ।-वि० फैला हुमा, व्याप्त । विखयंतक्रत-पु० [स० विषयान्तकृत] शिव, महादेव ।
विखे-क्रि० वि० १ समय में । २ देखो 'विसय' । विखय-१ देखो 'विक्षय' । २ देखो 'विसय' ।
विखैमागळ-वि० [सं० विष्-प्रगला] विपत्ति में साथ देने वाला, विखयारस-पु० [सं० विषयरस] विषय भोग, विलासिता ।
दुःख का साथी, मददगार । विखरणो (बी)-देखो 'बिखरणी (बो)।..
विखोड़-स्त्री० मप्रशंसा, निन्दा, हंसी। विखरतन-पु० [सं० विकर्तन] सूरज, सूर्य, रवि ।
विखोड़णी (बी)-क्रि० १ अप्रशंसा करना, निंदा करना। विखराणी (बी), विखरावणी (बो)-देखो 'बिखराणो' (बी)। सी करना। विखवान-वि० [सं० विषबान्] विष युक्त, जहरीला।
विखोरणो (बी), विखोरणी (बी)-देखो 'बखेरणी' (बी)। विखवाव-वि० [सं० विषवाद] विषके समान, तुल्य । -पु० १ | विखोरो, विखोरो-देखो 'विखेरी'। दुःख, पश्चाताप । २ कलह, झगड़ा । ३ विरोध ।
विखो, विखौ-पु० [सं० विष्] १ किसी भी प्रकार का संकट या विखसुधार-पु० घृत, घी।
दुःख । २ राजद्रोह, बगावत । ३ कष्ट, दुःख, विपत्ति, विखहर-वि. विष का प्रभाव मिटाने वाला, विष नाशक । |
सकट । ४ प्रशांति, क्षोभ । ५ संकट का समय, कष्ट का -पु. १ गरुड़ । २ विष नाशक प्रौषधि । ३ विष निवारण
समय । ६ उपद्रव । ७ निर्धनता । ८ विछोह, वियोग । मंत्र । ४ देखो 'विसघर'।
विरुख-देखो 'विस'। विखहा-पु० [सं० विषहा] गरुड़।
विख्यात-वि० [सं०] प्रसिद्ध, मशहूर ।-(स्त्री० विख्याता) विखारण-1 देखो 'विसरण'। २ देखो 'बखांण' ।
१ कवि । २ एक राक्षस । विखांणण-पु० [सं० विष+मानन] विषधर सर्प ।
विख्याति-स्त्री० [सं०] १ प्रसिद्धि, शौहरत । २ कीति, यश ।
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विगंछावात
। ६०० )
विगी
विगंछावात-पु. एक प्रकार का वात रोग ।
विगसणी (बो)-देखो 'विकसणी' (बी)। विगंध-वि० [सं० वि+गन्ध] १ जिसमें किसी प्रकार की विगसाइपो (बी), विगसारणी (बी), विगसावरणौ (बो)-देखो कोई गंध न हो। गंध रहित । २ सुगंधदार ।
____ 'विकसाणो' (बो)। विगड़णी (नौ)-देखो 'बिगहरणो' (बी)।
विगहा-देखो "विकत्था'। विगहाणी (बी)-देखो 'बिगड़ाणो' (बी)। .
विगांनो-देखो 'बेगांनो'। विगढ़ायळ-देखो 'बिगड़ायल' ।
विगाड़-देखो 'बिगाड़'। । विगड़ी-देखो 'विकट'।
विगाड़णो (बो)-देखो 'बिगाड़णो' (बी)। विगट-देखो 'विकट'।
विगाड़ -वि० १ हानिकारक । २ नुकसान करने वाला । विगड-वि० दृढ़।
३ विध्वंसक। विगत-वि. प्रतीत, बीता हमा, वर्तमान से पूर्व का। | विगाड़ो-देखो 'बिगाड़' ।
२ अंतिम या बीते हुए से पूर्व का। ३ इधर-उधर गया | विगाथा-देखो 'विगाहा' । हुधा। ४ निष्प्रभ, कान्तिहीन । ५ रहित, विहीन । विगारणौ (बो)-देखो 'बिगाड़णों' (बी)। -वि० १ विवरण, व्योरा । २ वृत्तान्त, हाल । ३ इतिहास । विगारु (रू)-देखो 'विगाड़। ४ हिसाब । ५ परिचय, जानकारी। ६ सूची, नामावली।। विगास-देखो 'विकास'। ७ घटना । ८ वर्णन सूची, तफसील । ९ संख्या, गिनती। विगाह-देखो 'विगाहा'। १. विशेष मुक्ति, मोक्ष । ११ अधोगति गया हुमा प्राणी।
| विगाहन-पु० एक प्राचीन राजा। विगतवार-क्रि० वि. १ ब्योरे वार, क्रमशः । २ विस्तार
| विगाहा-पु० [सं० विगाथा] प्रार्या छन्द का एक भेद । सहित । ३ विस्तार के साथ ।
विनिति-देखो 'विगत'। विगतारणो (बो)-क्रि. १ सूचित करना, सूचना देना । २ साव
विगुण-वि० गुण रहित, निर्गुण । धान करना, सतर्क करना । ३ समझाना, समझाकर
विगुल-देखो 'बिगुण'। कहना।
विगूचरणौ (बो), विगूचरणो(बी), विगूधणी (बो), विगूषणो(बी) विगताळ (ळ, ळो, लौ)-वि० (स्त्री० विगताळी) १ चरित्र
| -देखो 'बिगूधणी' (बो)।
-देखो 'बिग वाला, लीलाधारी। २ सुन्दर, मनोहर । ३ अपवित्र । विगृत-वि० [सं० विगुप्त छुपा हुमा, गुप्त । (स्त्री० विगूती) ४ सुरुचि पूर्ण। ५ शौर्य पूर्ण, वीरता युक्त। ६ प्रिय, विगृतरणो (बी), विगूतणौ (बी)-क्रि० १ कष्टमय होना, दु:खित प्यारा । ७ बहादुर, वीर।
होना । २ निन्दित होना । ३ बरबाद होना, नष्ट होना। विगतावरणो (बो)-देखो 'विमताणी' (बी)।
४ छुपना, लुकना । ५ व्याकुल होना । ६ कोसना । ७ ठका विगतावळी-स्त्री० सूची, विवरणिका।
हमा होना, प्रावेष्टित होना। विगति (ती)-स्त्री०१ पवस्था व हालत । २ फर्क, अन्तर। विगूवरणी (बी)-देखो विगोणी' (बी)। ___ ३ देखो "विगत'।
विगे (ग)-पु० १ दूध, दही, घृत पादि छ: खाद्य पदार्थ । विगत्त, बिगत्ति (ती)-वि० [सं० वि-गति] १ तेज गति वाला, ____२ इन पदर्थों का परहेज । (जैन) तीव्रगामी। २ देखो 'विगत' ।
विगोचरणौ (बौ)-देखो विगोचणो' (बी)। विगन-देखो 'विघ्न' ।
विगोणी (बी), विगोरो (बी)-क्रि० १ नष्ट करना, बरबाद विगनान, विगन्यांन-देखो 'विग्यान'।
करना । २ नाश करना,विध्वंस करना । ३ दुख देना, कष्ट विगपति-देखो 'विग्यप्ति' ।
देना । ४ बदनाम करना, निंदा करना । ५ दुर्दशा करना। विगय-देखो "विगत'।
६ छिपाना । ७ लज्जित करना, शमिन्दा करना । ८ खराब विगर-देखो 'बगर'।
करना, गन्दा करना । ९ भिगोना, गीला करना। विलिदिय, विलिद्रिय-देखो विकलेंद्रिय'।
विगोणी विगोनो-पु. १ झगड़ा, कलह । २ विवाद, समस्या, विगलित-वि० [सं०] १ टपक कर या 'चू कर निकला हुमा। टंटा। ३ देखो 'बेगांनो'।
२ पिघला हुमा । ३ शिथिल । ४ बिगड़ा हुमा । ५ म्लान । विगोरणी (बी)-देखो 'वगोरणी' (बी)। ६ विसर्जित । ७ पस्त-व्यस्त, बिखरा हुमा ।
विगोवरणो (बो)-देखो 'विगोणो' (बी)। विगवत-वि० लम्बी यात्रा करने में समर्थ ।
विगो-देखो 'बिगी'।
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विग्गाहा
'विगाहा- देखो 'विगाहा' ।
विग्ध - देखो 'विघ्न' ।
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( ६०१ )
विग्य पु० [सं० विश] ब्रह्मा । वि० १ बुद्धिमान, समझदार । २ विद्वान पंडित । ३ विशेष जानकार विग्यता - स्त्री० [सं० विज्ञता ] १ बुद्धिमत्ता, समझदारी । २ पांडित्य विद्वता ३ विशेष जानकारी। विग्यप्त - वि० [सं० विज्ञप्त ] बतलाया हुम्रा, सूचित । विग्यप्ति (प्सी) स्त्री० [सं० विज्ञप्ति ] १ बतलाने या सूचित करने की क्रिया या भाव। २ इश्तिहार, विज्ञापन । विग्यान- पु० [सं० विज्ञान] १ जानकारी, ज्ञान । २ प्राविष्कृत सत्य व प्राकृतिक नियमों पर धाधारित क्रमबद्ध व्यवस्थित ज्ञान । ३ भौतिक जगत् से संबंधित उक्त प्रकार का ज्ञान । ४ मात्मा के स्वरूप का ज्ञान। ५ प्रात्मा । ६ स्त्रियों की चौसठ कलामों में से एक। ७ कर्म । ८ कला । ९ ब्रह्म साक्षात्कार का ज्ञान । १० निश्चयात्मक बुद्धि । ११ एक शास्त्र विशेष ।
-
विपदपु० [सं०] विज्ञान पाद] वेदव्यास का एक नाम। विग्यानवाद - पु० [सं० विज्ञानवाद] १ ब्रह्म व प्रात्मा की एकता प्रतिपादित करने वाला सिद्धान्त । २ विज्ञान संबंधी सिद्धान्त । विग्यानवादी पु० [सं० विज्ञानबादिन] १ विज्ञान शास्त्र का समर्थक । २ योग मार्ग का अनुसरण करने वाला योगी । विम्यांनी वि० [सं० विज्ञानिन् ] विज्ञान शास्त्र का पंडित, वैज्ञानिक । २ ज्ञानी, पंडित । स्त्री० १ एक देवी विशेष । २ देखो !विग्यान' |
विध्यापक वि० [सं० विज्ञापक] १ दूसरों को जानकारी कराने
वाला । २ किसी प्रकार का ज्ञापन या प्रचार कराने वाला । विग्यापरौ (at) - क्रि० [सं० विज्ञापनम् ] १ सब को बताना,
जानकारी देना । २ प्रचार करना। ३ प्रकाशित करना । विग्यापन - पु० [सं० विज्ञापन] १ जानकारी देने, सूचना देने
की क्रिया । २ प्रचार करने की क्रिया । ३ प्रचार के लिये प्रकाशित की गई सूचना, इश्तिहार
विग्रह - पु० [सं० विग्रहः ] १ पृथक करने की क्रिया, विच्छेद ।
२ वैर, विरोध। ३ कलह-झगड़ा । | ४ युद्ध, समर । ५ नीति के छः गुणों में से एक ६ सेना, फौज ७ धोखा, छल । ८ शिव का एक नाम। 8 प्रतिमा, मूर्ति १०] कोई तत्त्व विशेष । ११ शृंगार, सजावट । १२ कष्ट, पीड़ा, दुःख १३ फैलाव, प्रसार १४ रूप, प्राकृति । पारो० लड़ाई टा विग्रहणी (बी) १ युद्ध पा सढ़ाई करना। २ संहार करना, मारना । ३ नाश या नष्ट करना । ४ षड्यन्त्र
विघनेस देखो 'विघ्नेस' ।
-
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घेरना ।
करना । ५ शृंगारना, सजाना । ६ घेरा डालना,
७ दूर करना, हटाना । ९ कलह करना । १० वीरगति प्राप्त होना ।
विग्रहो - वि० [सं० विग्रहित्] लड़ाई-झगड़ा करने वाला, युद्ध करने वाला । २ संहार करने वाला, मारने वाला । ३ नष्ट करने वाला । ४ षड़यंत्रकारी । ५ शृंगारने वाला; सजाने वाला ६ घेरा डालने वाला । ७ दूर करने या हटाने वाला ।
विधटरण (न) - पु० [सं० विघटनम् ] १ संयोजक अंगों को लग अलग करने की क्रिया । २ बिखराव गठन का प्रभाव । ३ तोड़-फोड़ ४ गठन का निरस्तीकरण । विघटिका स्त्री० [सं०] घड़ी का ६० वां ग्रंथ, २४ सैकण्ड विघटित वि० [सं०] १ जिसके संयोजक अंग बिखर गये हों ।
२ बिखरा हुआ, जो गठित न हो ३ तोड़ा-फोड़ा, निरस्त किया हुआ ।
विधन, विधन - पु० [सं० विधन] १ घन, हथोड़ा । २ देखो 'विघ्न' । -- क, करण, कारी = 'विघ्नकारी' । -जीत = 'विघ्नजीत' ।-नायक == 'विघ्ननायक' |--नासक 'विघ्ननासक' । - पत, पति, पती विघ्नपति' । - प्रांण'विघ्नप्रांरण' 1- राज='विघ्नराज' 1-विनायक'विघ्नविनायक' । - हरण = "विघ्नहरण' ।
विघ्नेस
,
विपन देखो 'विष्य'
विपणौ (बी) क्रि० नष्ट होना, मिटना | विधी-वि० विघ्नकारक, बाक विधात-पु० [सं० विधाय] १ नाम २ बाघात, प्रहार, चोट ३ विघ्न, बाधा ।
विघातक (ती) - वि० १ विघ्न डालने वाला, बाघक । २ प्राघात करने वाला, प्रहार करने वाला । ३ नाश करने वाला । विघातकारिणी स्त्री० [सं०] एक प्रकार की विद्या विशेष । विघातन स्त्री० [सं०] १ नाश करने की क्रिया या भाव।
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२ हत्या करने की क्रिया या भाव। ३ बाधा डालने की क्रिया । ४ प्रहार की क्रिया ।
विघ्न दु० [सं०] १ विघ्न, बाधा व्यवधान २ रोक, रुकावट
३ समर । ४ अमंगल, प्रशुभ । ५ एक राक्षस विशेष । -क, करण, कारी-वि० बाधा, व्यवधान डालने वाला । शत्रु वैरी । —जित, जीत- पु० गणेश । नायक, नासक, पत, पति, पती- पु० गणेश, गजानन - प्रांरण-पु० बलराम, हलधर । हरल० गणेश, गजानन विघ्नसंतुस्ट पु० [सं० विघ्नसंतुष्ट] चौसठ भैरवों में से एक। विघ्नेस - पु० [सं० विघ्न ईश ] गणेश, गजानन ।
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। ६०२ )
विसवाळी
विडंग (गि, गी)-देखो "विडंग'।
विचड़ण-देखो "बिछुड़ण'। विड़-पु०१ बीहड़ वन, जंगल । २ विषयभोग, काम कड़ा। विचरणौ (बी)-देखो "बिछुड़णी' (बी)।
३ शत्रु, दुश्मन ।-वि० [स० विट] विषयी, कामी। विचच्छरण विचछण, विषछणी, विचछन-देखो 'विचक्षण'। विड़ओजा-देखो 'विडूजा'।-वाह'विजावाह'।
विचन-देखो "विचित्र'। विड़णी (बी)-देखो 'विठणी' (बी)।
विचारण-देखो "विचित्र'। विड़द-१ देखो 'विरुद' । २ देखो 'बिहद' ।
विचबिंबभू-पु. चांद, चद्रमा । विडदड़ी-स्त्री. १ वृद्धि, बढ़ोतरी। २ विवाहादि के मांगलिक
विचमां-देखो 'बीच। कार्य या अवसर।
विचरण-पु. १ पैर, चरण । -श्री० २ चलना क्रिया ।
३ यात्रा, पर्यटन । भ्रमण । विश्वबड़ी-स्त्री० [सं० वृद्धि वटी] विवाहारंभ में मातृका पूजन |
| विचरणो (बो)-क्रि० १ . व्यापक होना । व्याप्त होना । के लिये बनाई जाने वाली बड़ी. मूगोड़ी।
२ गमन करना घूमना। ३ गुजरना, जाना। ४ देखना, विड़वविनापक-पु. [सं० वृद्धि विनायक] मांगलिक कार्यारंभ के |.
- अवलोकन करना । ५ भिक्षाटन करना । समय प्रथम पूजे जाने या स्थापित किये जाने वाले विनायक,
विचरन-देखो 'विचरणा'। गणेश।
विचरवरी (बी)-देखो 'विचरणो' बो)। विडवाणो (बो), विड़दावणो (बो)-देखो विरुदाणो' (बी)।
"' | विचळ (ल)-वि० [सं० विचल] १ जो स्थिर न हो, डिगा विड़वाव-देखो 'विरुद'।
हा, अस्थिर । २ प्रतिज्ञाच्युत । विडलो-पु० १ ढेर, समूह । २ देखो 'बिड़लौ'।
विचळको-वि० बीच का। -क्रि० वि०बीच में। विडारणो-देखो "विडाणो' ।
विचळणौ (बौ), विचलणी (बो)-क्रि० १ विचलित होना । विजा-देखो "विडजा'।-वाह : "विडूजावाह' ।
२ पदच्युत होना । ३ हिम्मत हारना । निरुत्साहित होना। विडोजा-देखो "विडूजा'।
४ वादे से मुकरना, बात से पीछे हटना। ५ प्रतिज्ञाच्युत विडो-पु० थूहर के नीचे का भाग।
होना । ६ विकृत, खराब होना । ७ बिखरना, तितर-बितर विचमा-क्रि० वि० बीच में, मध्य में ।
होना । ८ भाग जाना, मैदान छोड़ देना। ९पस्थिर विच, विवइ-देखो बीच'।
होना, चंचल होना । १० घबराना, भयभीत होना । विचकरणो (बो)-देखो 'भिचकणो' (बी)।
विचळता, विचलता-स्त्री. १ चंचलता । २ अस्थिरता । विचकाक्ष-पु. एक प्राचीन राजा।
. ३ घबराहट । ४ भयभीत होने की अवस्था या भाव । विचकारणो (बो, विचकावणो (बी)-क्रि० १ चौंकाना ।
विचळाणी (बो), विचलाणी (बी), विचळावणी (बी), २ बिगाड़ना, विकृत करना। विवकिल-पु. १ कुसुम विशेष । २ एक सुगन्धित वृक्ष।
विचलावणी (बी)-क्रि० १ विचलित करना । २ पदच्युत
करना । ३ हिम्मत हराना । निरुत्साहित करना । ४ वादे विचक्खरण, विचखणि-देखो 'विचक्षण' ।
से मुकराना, बात से पीछे हटाना । ५ प्रतिज्ञाच्युत विचक्र-पु० एक दानव विशेष ।
करना । ६ विकृत या खराब करना। ७ बिखराना, विचक्षण-वि० [सं० विचक्षण] (स्त्री० विचक्षणा) १ पारदर्शी।
तितर-बितर करना। ८ मैदान से भगाना। अस्थिर २ सतर्क, सावधान । ३ बुद्धिमान, चतुर। ४ पंडित, कवि ।
करना । १० भयभीत करना। ११ परस्पर भिड़ाना, ५ निपुण, योग्य, काबिल । ६ विचित्र, अद्भुत ।
टक्कर दिराना । १२ ध्वनि करना । १३ बीच में माना । ७ शुभ।
| विळित, विचलित-वि० [सं० विचलित] १ घबराया हमा, विचक्षणा-स्त्री०१ चतुर स्त्री । २ कुभा नामक पोषधि ।
भयभीत । २ पदच्युत । ३ हिम्मत हारा हुमा, निरुत्साहित । विचक्षिण-देखो विचक्षण'।
४ वादे से मुकरा हुमा, प्रतिज्ञाच्युत । ५ अस्थिर, चचल । विचक्ष -वि० [सं० विचक्षुस्] १ दृष्टिहीन, अंधा। २ उदास,
६ विकृत । ७ बिखरा हमा। मैदान से भागा हुमा। परेशान । -पु० एक पौराणिक राजा।
विचलो-वि. (स्त्री० विचली) मध्य का, बीच का। विचखरण-देखो 'विचक्षण'।
विचलो-वासो-देखो 'बिचलो-वासो'। विचक्षणी-१ देखो 'विचक्षणा' । २ देखो "विचक्षण'। विचवला (ल्ला)-स्त्री० मध्यस्थता, बीच-बचाव । विचल्खरण-देखो :विचक्षण'।
विधवाळी-वि० १ बीच-बचाव करने वाला, मध्यस्थ । २ बीच विचस्नु, विचल्याण-देखो "विचक्षण'।
का, बीच वाला। -पु० मध्यस्थता, बीच-बचाव ।
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frut
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( ६०१ )
दिवा-देखो 'बीच' । विचार पु० [सं० [विचार] १ किसी बात या विषय पर किया जाने वाला विचार-विमर्श । २ मनोभाव, खयाल, इरादा । ३ किसी मुकदमें का फैसला, निर्णय । ४ विश्वरने, घूमने-फिरने की क्रिया या भाव। ५ ज्ञान । ६ ध्यान, गौर । ७ निर्माण, बनावट, रचना । निर्णय फैसला । फैसला । ९ निश्चय १० संदेह, मंडा, भ्रम धामका विचारक (करता) - वि० [सं० [विचारकः] १ विचार करने वाला। २ तत्वचितक मीमांसक ३ न्यायकर्त्ता, न्यायाधीश । ४] निर्माण कर्ता रचयिता ५ विद्वान, बुद्धिमान ध्यान करने, गौर करने वाला। ७ संकल्प कर्त्ता । ८ सन्देह कर्ता । विचारग्य वि० [सं० विचारज्ञ] १ विचारक, मीमांसक । २ न्यायकर्ता
4
विचारचतुर - वि० बुद्धिमान, विद्वान, समझदार | विचारलीय वि० १ विचार करने योग्य २ जिस पर विचार किया जाना है ।
विचारणी (बी) कि० १ किसी बात या विषय पर विचार करना, सोचना विचार-विमर्श करना। २ मुकदमे की सुनवाई करना। ३ सोचना-समझना। ४ ध्यान देना । ५ निर्माण करना, रचना करना। ६ निश्चय या संकल्प करना । ७ संदेह, शंका करना । ८ चिन्तन-मनन करना । ९ धनुसंधान या शोध करना । १० सोचना । ११ योजना
बनाना ।
विचारमांन (दोन) वि० [सं० विचारवान् ] विचार करने वाला, मीमांसक, समझदार
विचारसकति (सकती, सक्ति, संगति, समती) स्त्री० विचारशकि] सोचने-विचारने की शक्ति, बुद्धि । विचारसीस वि० [सं० विचारशील विचारवान, समझदार सोचविचार कर काम करने वाला ।
विचार सीलता - स्त्री० सोचने-विचारने की भावना, बुद्धिमत्ता । विचारस्थल, विचारालय पु० १ विचार-विमर्श करने का स्थान । २ न्यायालय । विचार-देखो 'विचार' ।
विचार- देखो 'विचार' ।
विचारों-देखो 'बेचारों' ।
far, few (at, fi, a, a, à, )-''
[सं० विवे
विचाळी- वि० बीच का, मध्यस्थ । विधि-स्त्री० [सं०] १ लहर, तरंग २ कटि कमर ३ देखो 'बीच' ।
विखित ( स ) - वि० [सं०] १ प्रचेत, बेहोश । २ प्रानन्द, मग्न । ३ देखो 'विचित्र' ।
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विचित्र - वि० [सं०] १ अद्भुत, अनोखा, विलक्षण, विस्मयकारी २ सुन्दर, मनोहर ३ कई प्रकार के रंग एवं वर्णों वाला । ४ चतुर, होशियार, बुद्धिमान ५ चित्रित ६ मनोरंजक | पु० १ रौच्य मुनि का एक पुत्र । २ प्रशोक वृक्ष । ३ तिलक वृक्ष । ४ भोज पत्र वृक्ष । ५ धर्मराज का एक लेखक । ६ मुसलमान, यवन ।
विचित्रता स्त्री० १ विचित्र होने की अवस्था या भाव। २ अनोखापन, मनोहरता, सुन्दरता
विचित्रविरज (प. पू. पू.) विचित्रवीर (पू. पू. प्य) १०
[सं०] विचित्रवीर्य ] १ कुरुवंशीय राजा शान्तनु व सत्यवती के द्वितीय पुत्र का नाम । २ एक शिव भक्त विशेष । ३ वीरभद्र नामक शिव का गए। विचित्राला स्वी० [सं० विचित्रशाला] विचित्र वस्तुओं का संग्रहालय |
विचित्रांग - देखो 'विचित्र' | विधिशास्त्री० एक रागिनी ।
विचित्रित - वि० [सं०] १ अनेक रगों से चित्रित, रंग-विरंगा । २ नादमुत
विचो - १ देखो 'विचि' । २ देखो 'बीच' ।
विचेटियो, विचेटियो - पु० (स्त्री० विचेटकी) मंझला पुत्र या भाई - वि० मध्य का, बीच का, मझोला।
विचारिका - स्त्री० दासी, नौकरानी ।
विचक्षण- देखो 'विचक्षण' ।
विचारित - वि० १ जिस पर विचार हो चुका हो। २ सोचा विचार - देखो 'विचार' ।
विवि
विचेतन - वि० [सं०] १ प्रचेत, संज्ञाहीन । बेहोश । २ जीव रहित, मृत। ३ जड़ ।
विचेतस पु० [सं०] भव्य देवों में से एक । वि० १ विवेकहीन । २ दुष्ट । ३ विकल, परेशान ।
विवेरण - क्रि० वि० मध्य में, बीच में ।
-
विवेस्ट वि० [सं० विचेष्ट] चेष्टाद्दीन, विश्वेष्ट । विर्च देखो 'वि'।
हुआ ३ पूर्व निश्चित
विच्छांन देखो 'बिछियों
विचारी - स्त्री० [सं०] विचारिन्] १ पृथ्वी, धरती । २ बेचारी विच्छाय, विच्छाया पु० [सं० वि + छाया] १ पक्षियों की - पु० कबंध नामक राक्षस का एक पुत्र ।
छाया । २ भूत, प्रेतादि, जिनकी छाया नहीं पड़ती। विच्मि पु० [सं० वृश्चिक ] बिच्छू ।
विच्छिरण (ण) - वि० [सं० विस्तीर्णं ] १ फैला हुआ, विस्तीर्ण । २ देखो ! विच्छिन्न' |
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विच्छिति
( ६०४ )
विछोवो
विच्छिति, विच्छित्ति-स्त्री० [संविच्छिति: १ काटना, टुकड़ा बिछवाना । बिछाने का कार्य कराना।
करना क्रिया । २ विच्छेदन । ३ अलगाव । ४ लापरवाही, विछवो (ही)-१ देखो "बिछवी' । २ देखो "विछोह'। बेढंगापन । ५ स्त्रियों की एक शृगारिक चेष्टा। ६ साहित्य | विछोणी (नौ), विछारणो-देखो "बिछांणो' ।
का चमत्कार । ७ एक स्वाभाविक प्रलंकार विशेष । विछाइत, विछाइत-देखो 'बिछायत' । विच्छिन (न्न)-वि० [सं० विछिन्न] १ जुदा, पृथक, अलग। | विछाणो (बो), विछाणी (बौ)-देखो 'बिछाणी' (बी)।
२ जिसका विच्छेद हुमा हो। ३ समाप्त किया हुआ । विछात, विछाति, विछायत-देखो "बिछायत' । विच्छु-देखो 'बिच्छु'।
विछायतु-पु० बिछाने का वस्त्र । विन्छुदरणी (बी)-देखो "बिछूटणी' (बी)।
विछाळ ल)-देखो 'विसाल'। विच्छुड़ी-देखो "बिच्छुड़ी'।
विछावण (णो नौ), विछावरण-देखो बिछोणो'। विच्छड़ो, विन्डू (दो)-देखो "बिच्छु'।
विछावणी (बी), विछावणी (बो)-देखो 'बिछारणो' (बी)। विच्छेद-पु० [सं० १ छेद कर या काट कर अलग करने की विछिनौ, विछियो, विछीयो-देखो 'बिछियो ।
क्रिया। २ क्रम भंग की स्थिति । ३ नाते-रिश्ते टूटने की | विछुड़णी (बी), विछुड़णो (बो)-देखो "बिछुड़णी' (बी)। दशा । ४ निषेध । ५ परिच्छेद, अध्याय । ६ बीच का खाली | बिछुडाणी (बौ), विछड़ावरणो (बी), विछडाणी (बी),
स्थान, अवकाश । ७ विभाग या टुकड़े करने की क्रिया। विछुड़ावणी (बो)-देखो "बिछुडारणो' (बी) । विच्छेवक-वि० [सं०] १ काटने वाला, अलग करने वाला। विछुटगो (बौ), विछुट्टो (बो)-देखो "बिछूटणी' (बी)।
२ नाते-रिश्ते तोड़ने वाला । ३ विभाग करने वाला। विछुटाणो (बी). बिछुट्टाणी (बौ)-देखो 'बिछूटाणो' (बी)। विच्छेदण (न)-पु० [सं०] काट-छांट, अलगाव ।
विछुळरणी (बो)-क्रि० धुलाई करना, धोना । विच्छेवणी (बौ)-पु० १ छेद कर या काट कर अलग करना । | विछुळाणी (बी), विधुळावरणो (बो)-क्रि० धुलाई कराना,
२ नाते-रिश्ते तोड़ना । ३ टुकड़े करना, अलग करना। धुलवाना । ४ छोड़ना, मुक्त करना। ५ खोलना। ६ बीच में क्रम | बिछवी (ही)-देखो 'विछोह' । तोड़ना।
| विछू, वि-पु. १ विशाखा नक्षत्र का एक नाम । २ एक प्रकार विच्छेवी-वि० [सं० विच्छेदिन] विच्छेद करने वाला । ___ का घोड़ा जिसकी पूछ का पन भाग वक्र होता है। विच्छोड़णी (बौ), विच्छोटणी (बी)-देखो 'बिछोड़णी' (बो)। ३ देखो 'बिच्छू'। विच्छोह. विच्छोह-देखो 'विछोह' ।
विछूट-स्त्री० छुटने की क्रिया या भाव । विच्छोहणी (बी)-देखो "विछोहरणों' (बो)।
विछूटणी (बी)-१देखो 'बिछुटणों (बो)। २ देखो बिछुड़णो' (बो)। विच्यत्रि-देखो 'विचित्र'।
विस्टारगो (बी), विछूट्टरपो (बो)-१ देखो 'विछूटाणी' (बी)। विछंडणी (बी), विछडणी (बो)-क्रि० १ मारना, संहार करना।।
२ देखो बिछूडाणो' (बो)। २ देखो "बिछोड़ो' (बो)।
विछेड़ो-पु० विछोह, वियोग जुदाई । विछड़णी (ो), विछाणी (गे)-देखो 'बिछुडो' (बौ)।
विछेद-पु० १ वियोग, विछोह. जुदाई । २ देखो विच्छेव' । विछड़ाणी (बी), विछड़ावणो (बो), विछड़ाणी (बी)
विछेदौ-पु. मंग होने की क्रिया, नाश । विछडावणी (बो)-देखो 'बिछुड़ाणो' (बो)।
विछेरियो, बिछेरो-देखो 'बछेरौ' । विछटणी (बी), विछट्टणी (बी)-देखो "बिछुटगो' (बौ)। विछोई-वि० वियोगी। विछण, विष्ण-पु. गाय के स्तन धोने का पानी ।
विछोड़णी (बी), विछोड़णी (बो)-क्रि० १ साथ-साथ रहने विछणी (बी), विछणो (बी)-देखो 'बिछरणी' (बी)।
वालों को पृथक करना, जुदा करना । २ वियोग में डालना। विचरणौ (बी), विचरणो (बी)-१ देखो 'विचारणो' (बी)। ३ साथी से अलग कर देना। ४ काटना । २ देखो 'बिछुड़णों' (बौ)।
विछोटो, विछोटौ-पु० छुटकारा, मुक्ति । विछळणी (बी)-क्रि० १ साफ करना, धोना । २ देखो विछोडणी (बी)-देखो 'बिछोड़णो' (बी)। ___ विचळणी' (बो)।
विछोरणी, विछोणी-देखो 'बिछोणो' । विछळाणी (बी), विछळावणी (बो)-१देखो "विचलाणी' (बी)। विछोणी (बी)-देखो 'बिछाणो' (बी)। २ देखो 'विचळणी' (बी)।
विछोव-देखो 'विछोह'। विछवाणी (बो), विधवावणी (बो)-क्रि० बिछायत कराना, | विछोवो, विछोवो-देखो "विछोह' ।
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विछोह
विजया
विछोह, विछोह-पु० १ जुदाई, वियोग, विरह । २ वियोग काल । विजयखार-देखो "विजयसार। विछोहणी (बो), विछोहणी (बो)-क्रि० बिछुड़ना, जुदा होना, विजयघंट-पु०१ मंदिरों का वीरघंट। २ हाथी की झूल में बंधा अलग होना । वियोग होना।
रहने वाला घंटा। विछोही-वि० वियोगी, विरही।
विजयछंद-पु० [सं० विजय.छंद] पांच सो लटिकामों का हार । विछोही, विछोही-देखो 'विछोह' ।
विजयडिडिभि-पु० [सं०] एक प्रकार का युद्ध वाद्य । बिछौनों, बिछौनौ-देखो 'बिछारणों'।
विजयतीरथ-पु० [सं० विजयतीर्थ] एक तीर्थ विशेष । विज-१ देखो 'बीजळी' । २ देखो ‘बीजळा'।
विजयवइ-पु० [सं० विजयदण्ड] सैनिकों का एक विभाग । विजई-देखो 'विजयी ।
विजयवसम (बसमी)-देखो "विजयादसमी'। विजउरौ-देखो 'बिजोरों'।
विजयदुदुम (मि)-पु० युद्ध का विजय-वाद्य । विजकणी (यो), विजकणी (बो)-देखो 'भिचकरणो' (बी)।
विजयपंजर-पु० [सं० विजयः-पञ्जर] विजय प्राप्ति के लिये विजकाणी(बी),विजकावणो(बी),विजकाणी(बी), विजकावणी
पढ़ा जाने वाला स्तोत्र । (बो)देखो "भिचकारणो' (बी)।
विजयपताका-स्त्री० [सं०] विजय का सूचक-ध्वज, चिह्न, पताका ।
विजयपरपटी-स्त्री० [सं० विजय पर्पटी] संग्रही रोग की एक विजड़ (लो)-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळो'।
पौषधि । विजड़हत (ति, ती, तो, स्थ, स्थी, त्यौ, थ, थी, यौ), विजाहत विजयपूनम (पूणिमा)-स्त्री० [सं० विजयपूणिमा] विजय (ति, ती, तो, स्थ, स्थी, स्यो, य, थी, यो, ज्यो)-देखो
दशमी के बाद की पूणिमा । 'बीजळाहय'।
विजयभैरव-पु. वैद्यक में एक रसौषधि । विजड़ी-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी' ।
विजयमरबळ-पु० [सं० विजय-मईल] एक प्रकार का ढोल । विजड़ोहथ-देखो 'बोजळाहय' ।
विजयमाळा (ला)-स्त्री० [सं० विजय माला] विजय के लिये विजड, विजडी-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी'। ___ पहनाई जाने वाला माला। विति-वि० जीतने वाला, विजय प्राप्त करने वाला।
विजयमेर-पु० [सं०] सुमेरु पर्वत का एक नाम । विजन-वि० [सं०] एकान्त, जन शून्य । -पु० [सं० व्यजनम्] | विजययात्रा-स्त्री० [सं०] विजय प्राप्त करने का प्रयाण, यात्रा।
१हवा करने का पंखा, वीजन । २ देखो 'व्यनन' । विजयरस-पु० [सं०] वैद्यक में एक रस । विजनस-वि० १ दृढ़, पक्का । २ वास्तविक, बिल्कुल ।-क्रि०वि० | विजयरूपपदम-पु० [स० विजय रूप पन] एक प्रकार का घोड़ा।
१ निश्चित ही, अवश्य ही। २ जब, जिस समय। | विजयलक्ष्मी (लखमी, लसभी, लिखमी, लिख्मी)-स्त्री० [सं० बिजनौळियो-पु. एक प्रकार का नकुल, नेवला ।
विजयलक्ष्मी] विजय की अधिष्ठात्री एक देवी। विजनिस, विजनेस-देखो "विजनस'।
विजयवसंत, विजयसरसती (सरस्वती)-स्त्री. एक रागिनी। विजपंजर-देखो 'विजयपंजर'।
विजयसामंत, विजयसारंग-पु. [सं०] एक राग विशेष । विजय(यु), विजय-पु० [सं० विजयः] १ जील, पराजय का विजयसार-पु. [सं०] १ उत्तम श्रेणी का लोहा, जिसके शस्त्र विपर्याय । २ विवाद या लड़ाई में सफलता, जीत । बनते थे । २ एक प्रकार का वृक्ष, जिसकी लकड़ी इमारती
विष्णु का एक पार्षद। ४ अर्जुन का एक नाम । सामान के काम पाती है। ५ यमराज । ६ विष्णु का एक नामान्तर । ७ बृहस्पति की | विजयसाही-पु० मारवाड़ का एक प्राचीन सिक्का । दशा का प्रथम वर्ष। ८ शिव के त्रिशूल का नाम । विजयसिद्धि-स्त्री० [सं० विजयः+सिद्धि विजय, जीत, ६ परशुरामजी द्वारा प्राप्त कर्ण के धनुष का नाम ।। सफलता । १० राजा दशरथ का एक मंत्री। ११ धृतराष्ट्र का एक विजयसील-वि० सदा विजयी या सफल रहने वाला । पुत्र । १२ छप्पय छंद का एक भेद ।
विजयसूर-पु. [सं०] एक सूर्यवंशी राजा। विजयक-वि० [सं०.विजय-क्कन] सदा विजयी रहने वाला। विजयस्री-स्त्री० [सं० विजयश्री] १ एक रागिनी विशेष । विजयकुजर-पु. १ राजा की सवारी का हाथी। २ युद्ध के | २ विजयलक्ष्मी।
काम का हाथी; जिस पर विजय पताका रहती है। विजयहरि (हरी, हारी)-पु० सुदृढ़ मोर्चा । विजयकेतु-पु० [सं०] विजयपताका, ध्वज ।
विजया-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा, देवी । २ दुर्गा की एक सहचरी । विजयखंभ-पु० [सं० विजयस्तम्भ] कीर्तिस्तंभ, विजयस्तम्भ । ३ गौतम की एक पुत्री। ४ यम की पत्नी। ५ वर्तमान
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विजयाएकादसी
विज्जूमाळी
अवसर्पिणी के दूसरे महंत की माता का नाम । ६ विश्वा- विजियामखी-पु. शिव, महादेव । मित्र द्वारा श्रीराम को सिखाई गई एक विद्या ७ श्रीकृष्ण की | विजुजल, विजुजला, विजुमल, बिजुमला-१ देखो 'बीजूझळ' । एक पत्नी। ८ हरड़े, हरीतकी । ६ भंग, भांग । १० काश्मीर २ देखो बिजळी' । स्थित एक पवित्र तीर्थ। ११ एक प्रकार का शमी वृक्ष। विजुला-देखो 'बीजळा' । १२ एक शुभ मुहूर्त । १३ एक वर्ण वृत्त । १४ एक मात्रिक | विजुली-स्त्री० १ एक देवी का नाम । २ देखो 'बीजळा'। छन्द विशेष । १५ देखो 'विजयादसमी' ।
३ देखो 'बीजळी'। विजयाएकादसी-स्त्री० [सं० विजया एकादशी] १ माश्विन मास | विज-देखो 'बिज्जु' ।
के शुक्ल पक्ष की एकादशी। २ फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष विजूजळ, विजुजला, विजूमल-देखो 'बीजूझळ' । की एकादशी।
| विजवूही-पु. दूहा छन्द का एक भेद । विजयाणंद-पु० [सं० विजयानन्द] संगीत में एक ताल । | विजेत, विजेता वि० १ विजय प्राप्त करने वाला, जीतने वाला। विजयावसम (मी)-स्त्री० [सं० विजयादशमी] १ आश्विन मास २ सफल रहने वाला।
के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि । २ इस तिथि का पर्व या विज-देखो 'विजय'। त्योहार।
विजउच्छव (उच्छव, उछब, उछव)-देखो 'विजयोत्सव' । विजयासप्तमी (सातम)-स्त्री० [सं० विजयासप्तमी] रविवार को | विकारी-वि. विजय करा
विजंकारी-वि. विजय कराने वाला। माने वाली सप्तमी, इस दिन श्रीराम की पूजा का विकारी-वि. विजय कराने वाला। विधान है।
| विखार-पु० [सं० विजय-क्षार] १ विजयसार लोह के क्षार विजयी, विजयु-वि० १ जीतने वाला । २ देखो 'विजय'।।
से बनी भौषधि । २ देखो 'विजयसार'। विजयेस-पु० [सं० विजय-ईश] १ शिव, महादेव । २ विजय का
विजजात्रा-देखो 'विजययात्रा'। अधिष्ठाता देव:
विजंदसम (मी, म्मी) विजंदसम-देखो 'विजयादसमो' । विजयोत्सव-पु० [सं० विजय-उत्सव] विजयदशमी का उत्सव ।
विजैमर-स्त्री० [स० विजयमंड] विजय की शोभा । विजर-पु० एक राक्षस।
विजमाळा-देखो 'विजयमाळ' । विजरा-स्त्री० [सं०] ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मलोक की
विजयात्रा-देखो 'विजययात्रा'। एक नदी।
विजलक्ष्मी (लखमी, लक्ष्मी, लिखमी, लिखमी)-देखो विजराज-देखो 'व्रजराज'।
___ "विजयलक्ष्मी'। विजळ (ड़ी), विजळी-१ देखो 'बीजळा' ।२ देखो 'बीजळी'।
विजैसाई (साही)-देखो 'विजयसाही' । विजहारी-देखो "विजयहारी' ।
विजोग विजोग-पु०१ वियोग । २ बिजोग । -वि० तप्त गर्म । विजांनु-पु० [सं० विजानु] तलवार चलाने का एक हाथ ।
विजोगड़े (1), विजोगड़े-क्रि० वि० निमित्त हेतु, लिये। विजा-स्त्री. विद्या।
विजोगिण (गिरणी, गिन, गिनी)-देखो 'वियोगणो' । विजाइ (ई)-वि० [सं० विजात] १ वंशज । २ विजय प्राप्त
विजोरी-स्त्री० खजूर का वृक्ष या पेड़। करने वाला, जीतने वाला।
विजोरो-देखो 'विजोरौ'। विजात-वि० [सं०] १ वर्ण संकर, दोगला । २ जन्म लिया
विजोहा-पु० [सं० विमोहा] एक वणिक छंद विशेष । हुमा।-पु० सखी छन्द का एक भेद ।
विज्ज, विज्जड़-१ देखो 'बीजळी' । २ देखो 'बीजळा'। विजाता-स्त्री० [सं०] १ सद्य प्रसूता स्त्री। २ वर्ण संकर स्त्री। | विज्जमाळ (माळा, मालि, माळी)-१ देखो "विद्य माळ' । विजाति-स्त्री० [सं०] १ भिन्न या दूसरो जाति । २ भिन्न |
| २ देखो "विजय माळ' ।
| विज्जल (ल)-१ देखो 'बोजळी' । २ देखो 'बीजळा' । विजातीय-वि० [सं०] १ अन्य जाति का, भिन्न जाति का।। विज्जा-देखो 'विद्या'। २ चर्बीदार।
विज्जावोस-पु०१ विद्या या सिद्धि के बल पर माहार प्राप्त विजावत-पु० राठौड़ों की एक उपशाखा ।
करने का दोष । २ विद्या या सिद्धि से बदला लेने का दोष । विजासण (पी)-देखो 'मावलिया।
विज्जाहार-देखो "विद्याधर'। विजितास्व-पु. [सं० विजिताश्व] राजा पृथु का एक पुत्र । | विज्जु (ज्जू)-१ देखो 'बिज्जु । २ देखो 'बीजळी' । विजित्वरा-स्त्री० [सं०] भगवती का एक नाम ।
विज्जुमाळी-पु० [सं० विद्युन्माली) पश्चिम स्थित एक पर्वत ।
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विज्जर
विडणी
विज्जर-पु० खजूर का पेड़ विसर्व ।
विटाळण, विटाळणी-वि० १ लज्जित करने वाला, कलंकित विज-देखो 'विजय'।
करने वाला । २ भ्रष्ट करने वाला। विज्जैदसम (मी, म्मी)-देखो 'विजयादसमी'।
विटाळणौ (बी), विटालणी (वी)-क्रि० विचलित करना, विज्या-स्त्री० प्रार्या या गाहा छन्द का एक भेद विशेष ।
अस्थिर करना। २ पथ भ्रष्ट करना, धर्मच्युत करना। विक्षगरि (गिरि, गिरी)-पु० विध्याचल पर्वत ।
३ कलंकित करना। ४ बदनाम करना। विझासरिण (पी)-देखो 'मावलियां'।
विटाळी-देखो 'वटाळी' । (स्त्री० विटाळी). विनोहा-देखो "विजोहा'।
विटोप-पु. लोह का टोप। विटंब-देखो "विटंब'।
विट्ठळ (ल), विठ्ठळी (लो), विठळ (ल)-पु. [सं० विट्ठल] विटंबण, विटंबणा (न, ना)-स्त्री० १ दुःख, कष्ट, पीड़ा। १ विष्णु का एक नाम । २ ईश्वर, परमेश्वर । ३ श्रीकृष्ण। २ देखो 'विडंबना।
४ विष्णु की एक प्रसिद्ध मूर्ति। ५ पुष्टि मार्ग के प्रथम विटंबी-वि० १ दुःखी, पीड़ित । २ लंपट ।
उत्तराधिकारी एवं वल्लभाचार्य के पुत्र । -नाथ-पु. विट-वि० [सं० विट] १ काम वासना अधिक रखने वाला, भगवान विष्णु । पुष्टिमार्गी विट्ठलनाथ।
कामी । कामुक । २ धूर्त, चालाक । ३ मैथुन करवाने का विठलेसवर (स्वर)-देखो 'विदुळ'। मादी । ४ विषधी, ऐयाश। -पु०. १ साहित्य में एक प्रकार | विठायत-पु० बैठने का स्थान, बैठक । का नायक । २ नारंगी का पेड़। ३ मल, विष्ठा। ४ एक | विठोरो-देखो 'भीठोरो'। प्रकार का वर्ग ।
विडंग-पु० [सं० वितुण्ड] (स्त्री० विडंगी) १ प्रश्व, घोड़ा। विटक-पु० [सं०] १ पार्यावर्त के दक्षिण में नर्मदा के किनारे का। २ ऊंट । ३ वायवडिंग नामक झाड़ी । -वि० १मस्त,
एक प्राचीन प्रदेश । २ उक्त प्रदेश की एक प्राचीन जाति । उन्मत्त । २ बेपरवाह, निःशंक । ३ माजाद, स्वतंत्र । विटचर-पु० [सं०] प्राम्य शूकर, गडसूपर।
४ उदासीन । ५ वीर, बहादुर । विटणी (बो)-क्रि० [सं० वेष्टन्] मावेष्टित होना।
| विडंगळी-स्त्री. बैलगाड़ी के अग्र भाग में बंधी रहने वाली दो विटप-पु० [सं० विटप.] १ वृक्ष, पेड़। २ पेड़ या लता की लंबी लकड़ियां (डाई)। ___शाखा । ३ अण्डकोशों के बीच का परदा ।
विडंगाळ-स्त्री. १ घोड़ी। २ देखो "विडग' । विटपतटी-स्त्री० कुज गली।
विडंगि (गी, गो)-देखो विडंग' । (स्त्री० विडंगी)। "विटपी-पु० [सं० विटपिन्] १ जिस वृक्ष में नई शाखाएं या विडंब-पु० [सं० विडव] १ नकल । २ कष्ट, पीड़ा, सन्ताप ।
कोंपलें निकली हों। २ वृक्ष, पेड़। ३ वन, जंगल। ४ वट | ३ हंसी, मखोल, उपहास । ४ चाल-ढाल का अनुकरण। वृक्ष । ५ अंजीर का वृक्ष।
विडंबक-वि० [सं०] १ नकल, अनुकरण करने वाला । २ अपविटब-पु. प्रपंच, प्रफंडा।
मान, तिरस्कार करने वाला। ३ हंसी, उपहास करने विटभूत--पु० [सं०] वरुण की सभा में उपासना करने वाला । वाला । ४ कष्ट, संताप देने वाला। . .. एक मसुर।
विडंबरणी (बी)-क्रि० १ नकल या अनुकरण करना । २ अपमान विटळ, विटल, विटळ-वि० (स्त्री० विटली) १ बिगड़ा हुपा,
तिरस्कार करना । ३ हंसी, उपहास करना। ४ प्रपंच या विकार युक्त । २ पतित, पथभ्रष्ट, भ्रष्ट ३ व्यभिचारी।
जाल फैलाना । ५ उद्वेग या दुःख उत्पन्न करना। ६ वेश ४ दुष्ट । ५ बिगड़ा हुमा, बिगडल ।
बदलना। विटळणी (बी), विटलणी(बी), विटळणी(बी)-क्रि० १ विचलित | विडंबन, विडंबना-स्त्री० [सं० विडंबन] १ किसी की चाल-ढाल होना, अस्थिर होना । २ मर्यादा रहित होना, कुनीति पूर्ण
की नकल, अनुकरण । २ अपमान, तिरस्कार।३ चिढ़ाना होना । ३ पथ भ्रष्ट होना, धर्मच्युत होना।
क्रिया । ४ उपहास, हंसी मजाक। ५ हास्यास्पद स्थिति । विटळाणी (बी), विटलाणी (बी), विटळाणी (गे), विटळावणी ६ प्रपंच, जजाल । ७ उद्वेग, दुःख। (बौ), विटलावणी(बी)-क्रि०१ विचलित करना, अस्थिर करना। विडंबी-देखो 'विडंबक'।
२ मर्यादा रहित करना । ३ भ्रष्ट या धर्मच्युत करना। विश-वि. १ प्रज्ञानी, अनजान । २ शत्रु, दुश्मन। ३ देखो विळियो, विटळो, विटाळियो, विटळो-देखो 'विटळ' ।। बिड़' । ४ देखो 'विट'। (स्त्री० विटळी)
विडोजा-देखो "विडूजा'। विटाणो (बी)-क्रि० सिकुड़ना।
| विष्णो (बी)-देखो 'विढणी' (बी)
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विजय
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( ६०५ )
भयभीत करना ।
fat - वि० १ कायर, डरपोक । २ दुःखी, व्याकुल ।
faree (पी), विरूप- वि० १ कुरूप, बदसूरत। २ भयंकर,
डरावना ।
विडव देखो 'बिरुद |
farent (बी), रणी (बी) कि० १ कोध करना, गुस्सा होना २ नष्ट होना । ३ डरना ।
विरथ पु० १ एक यादव २ लव का एक भाई । ३ एक पुरावशीय राजा विडोजा-देखो 'विडूजा' ।
विराणी (बी), विडवणी (बो), बिडरावजी (बो)- क्रि० डराना, विडोळ, विडोळ-वि० धाकार रहित, बिना धाकार का । वोळखी (बी), विडोल (बी) कि० कम्पाना, कम्पित करना। विडारी (बी) - देखो 'विडारणी' (बी) । विश्रण (बो) - देखो 'विढ़रणी' (बो) ।
वि. विक, बिन, विखि देखो बेड़'
विण, विडलूण- पु० [सं० विडलवरण] एक प्रकार का नमक,
सोचर नामक ।
विरूपता, विरूपता - स्त्री०१ कुरूपता, बदसूरती २ भयानकता, विदुरो (बी) - क्रि० १ युद्ध करना संग्राम करना। २ लड़ना, भयंकरता । झगड़ना । ३ भिड़ना, टक्कर लेना । ४ वीरगति प्राप्त करना । ५ फटना । ६ कटना ।
विढाळ - पु० योद्धा ।
विग देखी विडव ।
विवस पु० [सं० डिस] मछली फंसाने का एक यन्त्र विशेष विण-देखो 'वि' ।
विडणी - वि० (स्त्री० विडांरणी) १ भयंकर, भयावह । २ पराया, दूसरों का । ३ नाशवान ४ अन्य ५ दुश्मन का, शत्रु का
विण वि० भयंकर भयावह
विहार-० नाथ, संहार विनाश करने वाला, सहार करने
वाला ।
विहारक- पु० [सं०] बिल्ली, विडाल ।-वि० नाश, संहार
करने वाला ।
विहार, विहारणो-वि० नाश करने वाला मिटाने वाला, संहारक, विध्वंसक
विहारो (बी) कि० १ चीरना, फाड़ना २ नाश करना, ध्वंस करना। मिटाना। ३ निवारण करना, मिटाना ४ बिगाड़ना, बरबाद करना । ५ मारना । ६ तोड़ना । ७ पृथक करना, दूर हटाना, भगाना ८ चीरना, विभक्त करना । ६ कुपित करना, क्रुद्ध करना। १० बिखेरना । ११ तोड़ना । १२ त्याग करना, छोड़ना । १३ उजाड़ करना, उजाड़ना ।
वाळ (स) देखो 'बाळ'
विवि० बिल्ली के समान भांखों वाला पु०यवन,
मुसलमान ।
विडालव्रत्तिक- वि० बिल्ली के समान वृत्ति वाला । बिडालाक्ष - पु० [सं०] युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उपस्थित
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एक राजा ।
faura- go विशेष प्रकार का दाव
विडावो - वि० जो सुहावना न हो, पप्रिय, अरुचिकर विजा - पु० [सं० विडोजस्] इन्द्र । - वाज-पु० इन्द्र का बाहन,
हाथी, ऐरावत।
विदुर-देखो 'विरुद्ध'
विलबाट
विठरणी (बी) - देखो 'बलठ्ठणी' (बी) विस-१ देखो बिना' । २ देखो 'वण' विराग देवो'वाय'।
विज विलन० [सं० व्यंजन] १ पकाए हुए मीठे चावल | २ मिष्ठा मिठाई देखो''। विजयी (ब)-०१ व्यापार करना, व्यवसाय करना। २ रुपये कर्ज देना, उधार देना । ३ पूंजी का विनियोग करना । बिलजार, बिजरो विरुवारी-१ देखो 'दिवार' २ देखो बिणजारी' (स्त्री० [विवारी) ।
विरगजार, दिलजारण-स्त्री० १ एक प्रकार की भैंस २ बनजारिन स्त्री ।
विखजारा, विणजारा देखो 'बिणजारा' । बिजारियो-१ देखी 'बिजारों' २ देखो 'विजारी' । विरजारौ पु० १ कमजोर जीवात्मा । २ देखो 'बिणजारों' । विज-१ देखो'विाज' २ देखो 'बाज्यि' । विट्ठलौ (बो) - देखो 'बिराट्ठणी' (बो) । चिट्ठी देखो 'विठी'
वणी (बी) देखो 'बि' (बी)। बिठौ वि० (स्त्री० विराठी) १ खराब बुरा २ विनष्ट, नाश हवा हुआ ।
विणणो (बो) - १ देखो 'बिराणी' (बौ)। २ देखो 'बुगी' (बो) । ३. देखो 'बरगणी' (बी) ।
2
विखति (सी), दिति-देखो 'बीती' विपस्य - पु० [सं० वेणू-पक्ष] बाण, तीर । विगमणा-वि० कमी रहित पूर्ण विषय- देखो 'विनय' । विली-देखो 'बरियांणी'। विवाट (5)- वि० मूर्ख
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विरणसखकाळ
वितिपात
विणसरकाळ-देखो 'विणसिकाळ'।
ढमाका । ३ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ७४ वां बह । -वि० विणसणी (बो)-क्रि० १ नाश होना, मिटना । २ बिगड़ना, . विस्तृत, फैला हुमा; लंबा-चौड़ा।
खराब होना। ३ मरना, खत्म होना। ४ नाश करना | विततपक्ष (पख)-पु. एक पक्षी विशेष । मिटाना। ५ मारना, संहार करना । ६ बिगाड़ना, खराब | वितत्य-पु० [सं०] एक प्राचीन ऋषि । करना।
| वितष (न्य)-पु. [सं०] १ झूठ, असत्य । २ भरद्वाज ऋषि का विरणसाडणी (बी), विरणसाणी (बो)-देखो "विणासणी' (बो)। एक नाम । -वि० प्रसत्य, झूठा । विणसिगकाळ-पु० [सं० विनाशकाल] १ बुरा समय, विनाश- | वितदाता-पु० पिता। -वि० धन देने वाला, दातार । काल । २ पापात काल ।
वित-पु० [सं०] १ पंजाब की झेलम नदी का नाम । २ एक विणा-देखो "बिना'।
यादव । विणाठरणो (बो)-देखो ' बिट्ठणी (बी)।
वितपन्न-वि० [सं० व्युत्पन्न] शास्त्र मादिका पूर्ण ज्ञाता। विणायक-देखो "विनायक'।
वितरक-वि० [सं०] वितरण करने वाला। -पु० [सं० वितर्क] विरणावट, विसावटी-देखो 'बनावटी'।
| १ तर्क के जवाब में तकं, विवाद । २ संदेह, शक । विरणास-देखो "विनास'।
३ अनुमान । ४ धृतराष्ट्र का पुत्र एक राजा। विणासणी (बी)-क्रि० १ नष्ट करना, नाश करना, मिटाना । | वितरण (न)-पु० [सं०] १ दान । २ अर्पण, समर्पण। ३ देना
२ मारना, संहार करना। ३ बिगाड़ करना, नुकसान या बांटना क्रिया। करना। ४ बुरा करना।
वितरणदान (दांनी)-पु० दातार, दानी। विणासी, विणासु (स)-१ देखो 'विनास' । २ देखो "विनासी' वितरणी (बो)-क्रि० १ अर्पण करना। २ बाटना, वितरण विरिण (पी)-१ देखो 'बिना'। २ देखो वणी'। ३ देखो 'बीपी'। करना । ३ दान देना। ४ पुण्य करना। विरियाणी, विरणीयारणी, विरिणयारणी, विणीयांणी-देखो वितरां-क्रि० वि० इतने में। 'वरिणयाणी'।
वितरित-वि० [सं०] १ बांटा हुमा। २ दान दिया हुमा । विशु, (ए)-देखो 'बिना'।
३ अर्पण किया हुमा, अर्पित। विणोकड़ी, विणोखड़ी विणोकड़ी, विणोखड़ी-स्त्री० [सं०वाणि वितरेक-पु० एक उपमालंकार विशेष । -क्रि० वि० [सं० यष्टि] कपास का पौधा ।
___ व्यतिरिक्त] छोड़कर, सिवा, अतिरिक्त। विरोव (वि)-पु. १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'विनोद'। वितरेकजथा-स्त्री. डिंगल-गीत रचना का एक प्रलंकार। वितंड, वितंड-पु० [सं०] १ हस्ती, हाथी। २ घोड़ा, अश्व । वितल (ल)-पु० [सं० वितल] १ सात पातालों में से तीसरा
३ सूरज, सूर्य । ४ चटखनी। -वि०१ जबरदस्त, जोरावर । पाताल । २ पाताल । -वि. नीच, अधम, पतित । २ मनमोजो, मस्त । ३ मूर्ख । ४ पागल । ५ उद्दण्ड, वितसार (6)-प्रव्य० यथा शक्ति । झगड़ालू। -मुख-पु० गजानन, विनायक।
वितस्ता-स्त्री० पंजाब को झेलम नदी का नाम । वितंडा-स्त्री० [सं० वितण्डा] १ कुतर्क, अपनी बात पर किया | वितांन (क)-पु० [सं० वितान:] १ विस्तार, फैलाव । २ बड़ा जाने वाला जिद्द । २ व्यर्थ का झगड़ा, कहा-सुनी।
चंदोवा । ३ सूर्य, रवि । ४ यज्ञ, हवन ।-वि० १ रीता, वितंशवाद-पु. [सं. वितण्डावाद] १ स्त्रियों की चौसठ कलामों खाली। २ उदास, खिन्न । ३ मूढ़ । ४ पतित ।
में से एक । २ अपना मत स्थापन करने की क्रिया। ३ व्यर्थ | वितांना-स्त्री० [सं०विताना] भौत्य मनवन्तर के वहमान की का झगड़ा या कहा सुनी।
_माता का नाम । वितंती-देखो "वितत'।
विताणी (बौ), विताणो (बो)-देखो "बिताणों (बी)। वित, वित-वि० [सं०] १ चतुर, निपुण । २ ज्ञाता । -पु० [सं० विताव-वि० [सं० वि-ताव] १ मंद, ठंडा । २ नम्र । ३ जोश
वित्त] १ पशु धन, मवेशी। २ धन दौलत. द्रव्य, सम्पत्ति । या क्रोध रहित । ४ ताप रहित । वितकर-पु० धोखा, कपट ।
वितावरणो (बी), वितावणी (बी)-देखो "बिताणो' (बी)। वितड़णी (बी), वितड़णो (बो)-क्रि० बिगड़ना, विकृत होना । | विति-पु० [सं०] तुषित तथा साध्य देवों में से एक। वितड़ी (को)-देखो 'वित' ।
वितिक्रम-देखो 'व्यतिक्रम' । वितणी (बी)-देखो 'बीतणी' (बी)।
वितिक्रमी-देखो 'व्यतिक्रमो'। वितत-पु० [सं०] १ तंतु या तारवाद्य । २ वाद्य ध्वनि । | वितिपात-देखो 'व्यतिपात' ।
का नाम।
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वितीत
( ६१० )
विदवेसणी
बितीत (ति, ती)-देखो 'व्यतीत' ।
विथक-वि० थका हुमा। वितीपात-देखो 'व्यतिपात'।
विथकणी (बो)-क्रि० थकना, थकावट महसूस करना । वितीपाती-देखो 'व्यतिपाती'।
वियत-देखो 'वितथ'। वितुड-देखो "वितंड'।-वाव: "वितंडावाद।
विधरणी (बी)-देखो "विस्तरणो' (बौ)।। वितु-वि० [सं० वतुल] १ गोलाकार, वतुंलाकार । ३ देखो| विथराणो (बो)-देखो 'विस्तारणो' (बी)। 'वित'।
विथा-देखो 'गथा'। वितोड़णो (बी)-क्रि. तोड़ना ।
वियार-देखो 'विस्तार'। वितोल-वि० [सं० वितुल्य मतुल्य बलशाली।
विधारण-वि. विस्तार करने या फैलाने वाला। वित्त-पु० [सं०] १ धन, सम्पत्ति, द्रव्य । २ एक प्राचार्य । | विचारणी (बो)-देखो "विस्तारणों' (बी)। ३ एक देव । ४ देखी 'वित'।
वियित-देखो 'व्यथित'। वित्तगोप्ता-पु० [सं०] कुबेर के भण्डारी का नाम ।
वियुरणौ (बो)-देखो "विस्तरणो' (बी)। वित्तग्यांन-पु० [सं० वित्त-ज्ञान] ७२ कलाभों में से एक । विथ्य-पु० [सं० वीथि] पथ, मार्ग, रास्ता । वितरणौ (बो)-देखो 'बीतणी' (बी)।
विवंड-पु० [सं०] द्रोपदी के स्वयंबर में उपस्थित एक राजा। वित्तदा-स्त्री० [सं०] एक स्कन्द मात्रिका विशेष।
विव-वि० [सं०] १ जानकार, ज्ञाता। २ पंडित, कवि । वित्तनाप-पु० [सं० वित्त-नाथं] । कुबेर २ कोषाधिकारी।। -पु० १ एक प्राचीन ऋषि । २ देखो "विध' । वित्तप (पत, पति, पती)-पु० [सं० वित्तप, वित्तपति) १ धन | विदकरणों (बो), विक्करणो (बौ)-क्रि० चौंकना, चमकना । पति, कुबेर । २ कोषाध्यक्ष ।
विदकाउ-देखो 'विदको'। वित्तपाळ (ल)-पु० कुबेर का एक नाम ।
विदग-देखो 'वीदग'। वित्तपुर (पुरी)-स्त्री० कुबेर की अलकापुरी।
विदर-१ देखो 'विदरी'। २ देखो 'विदुर'। वित्तरणी (बी)-१ देखो "विस्तरणो' (बी) । २ देखो "वितरणी' | विवरण-देखो 'विदीरण' । (बो)।
विदरणी (बी)-देखो 'विदीरणो' (बी)। वित्तहीण (न)-वि० [सं० वित्त-हीन] १ धन के प्रभाव वाला।
विदरम-पु० [सं० विदर्भ] १ नौखण्डाधिपति ऋषभदेव के नौ
पुत्रों में से एक । २ माधुनिक बरार प्रदेश का प्राचीन नाम । २ गरीब निर्धन । ३ दरिद्र ।
३ एक यदुवंशी राजा । ४ एक ऋषि । वित्ति-देखो 'बीति'।
विवरमजा-स्त्री० [सं. विदर्भजा] १ अगस्त्य ऋषि की वित्तिकरु (रू)-वि० [सं०] वृत्तिकर्ता।
पल्ली लोपामुद्रा का एक नाम । २ राजा नल की पत्नी वित्तेस-पु. [सं. वित्त-ईश] धनपति कुबेर । वित्तेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० वित्त-ईश्वर] धनपति कुबेर।
दमयन्ती का एक नाम । ३ श्रीकृष्ण की रानी रुक्मिणी वित्ती-सर्व० उतना।
___ का एक नाम । वित्थर (रि, री)-देलो 'विस्तार'।
विदरभा-स्त्री० [सं० विदर्भा] विदर्भ देश की राजधानी । वित्थरणो (बी)-देखो "विस्तरणो' (बी)।
विदरभि-स्त्री० [सं० विभि] एक प्राचीन ऋषि का नाम । वित्यार-देखो "विस्तार'।
विदरांणी-स्त्री० दासी, सेविका । वित्यारणो (ग)-देखो "विस्तारणों' (बो)।
विदरी-स्त्री०१ हुक्का । २ देखो 'विदुर'। वित्युरो (बी)-देखो 'विस्तरणों' (बो)।
विदळ (ल)-पु० [सं० वि-दल] १ हीजड़ा, जनखा। २ शत्रु वित्रप्त-वि० [सं० वितृप्त] १ जो तृप्त न हो, पतृप्त ।
| सेना । ३ एक राक्षस । ४ लाल रंग का सोना । २ असंतुष्ट ।
विदळणी (बी)-क्रि० दलित करना, नष्ट करना। वित्रभव-स्त्री० पूर्व व ईशान दिशा के मध्य की दिशा, कोण। विदल्ल-पु. ध्र व संधि नामक राजा का मंत्री। वित्रस-वि० [सं० वितृष] तृषा रहित, संतुष्ट ।
विदवान-देखो 'विद्वान' । चित्रण-वि० [सं० वितृष्ण] तृष्णा रहित. निस्पह. उदासीन। विदवीं-वि० सुन्दर, मनोहर । वित्रहोत (होत्र)-देखो 'वीतिहोत्र'।
विदवेस-देखो '
विस'। वित्रा, वित्रासुर-देखो त्रासुर'।
विदवेसक-देखो 'विद्व सक'। विष-देखो 'व्यथा'।
विदवेसणी, विदवेसिणी-देखो "विद्व सिणी'।
वित्रप्त-का) देखो विस्तारको (क)।
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विदवेसी
( ६११ )
विवोखणी
विदवेसी-देखो विद्वेसी'।
विदुख-देखो "विदुस'। विदांत, विदांतो-देखो 'वेदांत'।
| विद्युत, विदुति-देखो "विद्यत' । विदाम-पु. १ एक छोटा सिक्का (महाजनी) । २ देखो विदुसम-पु० भगवान विष्णु का एक नाम । 'बिदाम' । ३ देखो 'बादाम'।
विदुर (क)-पु. [सं. विदुर] १ पांडु के छोटे भाई जो अर्थ, विदामी-देखो 'बादामी'।
धर्म व राजनीति में निपुण थे। २ पंडित व ज्ञानी पुरुष । विवा, विदाई, विवायी, विवा-स्त्री० [अ० वदाम] १ प्रस्थान,
३ दासी पुत्र, सेवक । ४ विदूषक, मसखरा। रवानगी । रुखसत । २ प्रस्थान की अनुमति । ३ प्रयाण या| विदुला-स्त्री० [सं०] सावार देश की राजरानी व संजय पलायन की क्रिया। ४ प्रस्थान के समय दी जाने वाली | विदुस-वि० [सं० विदुष] (स्त्री० विदुसी) । विद्वान, पंडित, भेंट । ५ कार्य मुक्त करने की क्रिया।
___ज्ञानी । २ कवि । ३ चतुर, होशियार । ४ ज्योतिषी। विवारक-वि० [सं०] १ चीरने वाला, फाड़ने वाला, विदीर्ण | विदुसरणी (बो)-देखो "विदूसरणो' (बी)।
बालाबार करने वाला नदी की पहाडी विदूरण-पु० विभीषण का एक मंत्री। या वृक्ष ।
विदूर-वि० [सं०] बदुत, दूर। -पु० १ एक पर्वत जहा वैदूर्घ्य विदारण-पु० [सं० विदारणः] १ अमियों का नाश करने | मरिण मिलती है । २ पुरु राजा विदूरथ का एक नामान्तर ।
वाले भगवान विष्णु । २ युद्ध, संग्राम । ३ नदी के बीच का विदूरप-पु० [सं०] १ पुरुवंश का एक राजा। २ एक यदु
वृक्ष । ४ चीर-फाड़। १ मारना, हत्या करना क्रिया। वंशीय राजा। ३ सावणि मनु के पुत्रों में से एक । विवारणी (बी)-क्रि० [सं० विदारणम्] १ चीरना, फाड़ना;
४ वृष्णिवंशीय एक क्षत्रिय । ५ श्रीराम को सेना का एक विदीर्ण करना।२ मारना, हत्या करना, संहारना । ३ नाश
वानर । करना, मिटाना।
विसक-पु० [सं० विदूषक] (स्त्री० विदूसिका) १ दूसरे के दोष विवारिकव-देखो विदारीकंद'।
बताकर हंसी करने वाला व्यक्ति । २ हास्यास्पद चेष्टाएं विवारिक-पु. शरीर के संधि स्थलों में होने वाला एक फोड़ा।।
करने वाला व्यक्ति, हास्य अभिनेता, मसखरा । ३ एक विवारीकंव-पु० [सं०] एक प्रकार की लता व उसका कंद।
प्रकार का नायक । ४ कामुक या विषयी व्यक्ति। विवारीगंधा-स्त्री० [सं०] शालपर्णी नामक झाड़ी विशेष ।
विदूसण-पु० [सं० विदूषण] किसी पर विशेष रूप से दोष विदारुण-पु. एक प्राचीन राजा।
लगाने की क्रिया या भाव । विदावत-पु० १ कुटिल युक्ति, छल, प्रपंच । २ गुप्त रहस्य । विदूसणा (बा)-क्रि० १ कलाकत करना, दोष लगाना । २ कष्ट विवाह-पु० [सं०] १ पित्त प्रकोप भादि से होने वाली शरीर होनेवाली
देना दुःख देना, सताना । में जलन । २ उत्सर्ग, दान ।
विदे'-पु० [सं० विदेश] अन्य देश, पराया देश।
विवेसि, विदेसी (को)-वि० [सं० विदेशी] परदेश का, परदेश विवाहक-वि० [सं०] विदाह से उत्पन्न ।
संबंधी ।-पु. १ परदेश का निवासी । २ परदेश की वस्तु । विवाही-पु० [सं० विदाहिन] जलन उत्पन्न करने वाला पदार्थ । विदित-वि० [सं०] १ अवगत, ज्ञात । २ सूचित किया हुमा ।
या विवेह-पु० [सं०] १ मिथिला नरेश निमि तथा सीरध्वज जनक प्रसिद्ध, विख्यात । ४ इकरार किया हुमा ।
का एक नाम । २ मिथिला नगर। ३ मिथिला का
निवासी । ४ अन्य देह, देह परिवर्तन । ५ कामदेव ।-वि० विरिया-देखो "विद्या'।-घर: "विद्याधर'।
.१ देह रहित, निराकार । २ देह को चिंता से मुक्त । विविस, विविसा, विविसि, विविसी-स्त्री० [सं० विदिशा]
३ मृत ।-कुमारी-स्त्री० सीता, जानकी ।-पुर, पुरी१ मालवा की एक पौराणिक नदी। २ एक प्राचीन राज
स्त्री० मिथिला नगरी। घानी।
विदेहक-पु० [सं०] एक पर्वत का नाम । विदीया-देखो 'विद्या'।
विवेहधी-स्त्री० [सं० विदेह-धीता] जनक सुता, जानकी, सीता। विदीरण-वि० [सं० विदीर्ण] १ बीच से चिरा हुपा । विदेहपुर (पुरी)-स्त्री० [सं० विदेह-पुर] मिथिला पुरी।
फाड़ा हमा। २.टित, नष्ट । ३ संहार किया हुमा, मृत। विदेहा, विदेही-स्त्री० [सं०] १ जनक पुरी, मिथिला । विगेरणी (बी)-क्रि० [सं० विदीर्णम] १ फाड़ना, चीरना। २ जानकी, सीता । -पु. १ ब्रह्म ।
२ मारना, संहार करना । ३ नाश करना । ४ मिटाना। | विदेहेस-पू० [सं० विदेह-ईश] राजा जनक । विदु-पु. [सं०] १ घोड़े के कान के नीचे का हिस्सा । २ हाथी विदोखरणों (बौ)-क्रि० १ अवलोकन करना, देखना। २ देख
के मस्तक के बीच का भाग ।-वि० विद्वान, पंडित । विदूसो ' (बो)।
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विदोगत
वियोगत (ति) - देखो 'वेदाक्त' । वियोली (बी) देखो 'विस' (बी) विद्द-१ देखो 'विदा' । २ देखो 'विद्ध' ।
विद्दत - पु० [० वदत ] प्रद्वैत भाव । विमान देखो 'विद्यमान बिट्स वि० बिहा देखो 'विदा' |
दुस्सह, प्रसार देखो 'विदुस'
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( ६१२ )
युद्ध, समर। - वि० [सं०] २ जिसमें बाधा पड़ी हो,
विस ( ख ) - देखो 'विध्वंस' । विद्ध-०१ कलह, झगड़ा २ १ बीच में छेद किया हुधा बाधाग्रस्त । ३ चोट ग्रस्त । ४ देखो 'विध' । विद्धि- १ देखो 'विघ' । २ देखो 'विधि' ।
विद्य० [सं०] १ विश्वामित्र के कुल का एक गोत्रकार विद्याराज पु० [सं०] भगवान विष्णु की एक मूर्ति ।
२ देखो 'विद्या' ।
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विद्याधिदेवता स्त्री० [सं०] विद्या की देवी, सरस्वती । विद्यानुवाद-स्त्री० [सं०] ७२ कलाधों में से एक । विद्यापति - पु० गुरु, शिक्षक ।
विद्यापात्र वि० विद्वान पंडित
विद्याांन० पढ़ाने का कार्य
विद्यादाता १० पढ़ाने वाला, धध्यापक
विद्याधन - पु० [सं०] १ ज्ञान का संग्रह, विद्या रूपी धन । २ विद्या से उपार्जित धन ।
विद्याधर (रु) - पु० [सं०] १ एक देवयोनि विशेष । २ कवि, पंडित । ३ एक रसौषधि विशेष । ४ एक रतिबंध । ५ एक वर्ण वृत्त । - रस - पु० वैद्यक में एक रस ।
विद्यापीठ - पु० [सं०] १ शिक्षा का प्रमुख केन्द्र । २ महाविद्यालय । विद्यापुरी - पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।
विद्यामंदिर पु० [सं०] विद्यालय, पाठशाला | विद्यामय - वि० विद्वान पंडित ।
विद्य ुति
विद्यारासि पु० [सं० विद्याराशि] शिव, महादेव ।
विद्यमान वि० [सं० विद्यमान ] उपस्थित मौजूद विद्यालय पु० [सं०] पाठशाला, स्कूल विद्याध्ययन का स्थान । विद्यमानता स्त्री० [सं० विद्यमानता ] विद्यमान होने की अवस्था विद्यावान - वि० [सं० विद्यावान] १ विद्वान पंडित । २ ज्ञानी ।
या भाव मौजूदगी ।
१३ बुद्धि सागर । विद्याविलास - वि० विद्या रसिक ।
विद्या स्त्री० [सं०] १ बिलाचादि से मिलने वाला ज्ञान।
२ मोक्ष प्राप्ति या सिद्धि दिलाने वाला ज्ञान । ३ दुर्गा देवी का नामान्तर । ४ दुर्गा देवी का मंत्र । ५ सीता की एक सखी ६ चौदह की संख्या । ७ इल्म, हुनर, कला ८ जादू मंत्र । ९ किसी विशेष विषय की शाखा । १० किसी विषय का व्यवस्थित ज्ञान । ११ प्रायं छन्द का एक भेद विशेष । १२ निसांरगी छन्द का एक भेद १३ देखो 'विदा' । विद्याधर - पु० [सं० विद्या-गृह] विद्या पढ़ाने का स्थान,
पाठशाला |
.
विद्यामहेतुर (महेस्वर ) पु० [सं० विद्यामद्देश्वर ] शिव, महादेव विचारंभ पु० [सं० विद्यारंभ] विद्या प्रारंभ का संस्कार । विधारथी पु० [सं० विद्यार्थिन् ] विद्या-अध्ययन करने वाला छात्र, विद्यार्थी, शिष्य ।
विद्यावेता- वि० [सं० विद्या-वेता ] विद्वान पंडित । विद्याव्रत पु० [सं०] विद्याध्ययन के लिये गरु गृह में रह कर किया जाने वाला व्रत ।
विद्यासंजीवन - पु० [सं० विद्या संजीवन] दैत्य-गुरु, शुक्र । विद्यासिद्धि (डी) - स्त्री० [सं०] विद्या का निष्पादन करने की क्रिया ।
विद्य च्छत्रु-पु० मार्गशीर्ष मास में सूर्य के साथ भ्रमण करने
वाला एक राक्षस ।
विद्याचार - स्त्री० २८ प्रकार की लब्धियों में से दसवीं लब्धी । विद्य जिव्ह, विद्य जिव्हा, विद्युज्जिह, विद्युज्जिन्हा- पु० [सं० विद्याता, विद्यातानाच देवो 'विधाता' |
विद्युत बिह्ना] १ रावण की बहन सूर्पनखा का पति एक
I
राक्षस । २ एक यक्ष का नाम । ३ घटोत्कच का मित्र एक राक्षस । ४ विद्युत के समान जिल्ह्वा वाले दो सर्प जो प्रमृत की रक्षा करते थे । ५ स्कद की अनुचरी एक मातृका । विद्यतस्त्री० [सं० विद्युत] १ बिजली २ एक प्रकार की बीणा । ३ वज्र । ४ एक राक्षस विशेष । ५ एक छन्द विशेष । - वि० जिसमें अधिक कांति या दीप्ति हो । विद्य ुतकुमार पु० दश भुवन पतियों में से एक। (जैन) विद्य ुतजिव्ह (ज्जिह) विद्य. तजिव्हा
(जिल्हा) - देखो
विद्याधरराज - वि० विद्वान, पंडित, चतुर । विद्याधरे ५० [सं० विद्याधरेन्द्र] शैक्षपति, जाम्बयंत । विद्याधरेर विद्याधरेस्वर -१० [सं० विद्याधरेश्वर शिव की विछता स्त्री० [सं०] १ कुबेर की सभा की एक प्रचारा
'विद्युजिव्हा' ।
एक मूर्ति का नाम ।
२ देखो 'विद्युत' ।
विद्याधर- देखो 'विद्याधर' । विद्याधारी-देखो 'विद्याधर'।
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विद्याक्ष - पु० [सं०] स्वामी कार्तिकेय का एक अनुचर । विद्यति-देखो 'विद्युत' ।
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विद्यत्केस
विधवा
विद्युत्केस-पु० [सं० विद्युत्केश] १ हेति नामक राक्षस । विद्रोही-वि. विद्रोह करने वाला, बागी, क्रान्तिकारी, सपद्रवी, २ सुकेशी नामक राक्षस ।
विरोधी। विद्युत्पताक-स्त्री० [सं० विद्युत्पर्णा] एक अप्सरा ।
विद्वता (ता)-स्त्री० [सं०] १ विद्वान या पंडित होने की स्थिति विद्य त्पात-पु० [सं०] बिजली गिरने की क्रिया। वज्रपात। या भाव । २ जानकारी, ज्ञान । ३ पांडित्य । विद्युत्प्रम-पु. [सं०] १ एक दानव विशेष । २ एक ऋषि विशेष। विद्वति-देखो 'विद्युत'। विद्य स्त्रिय-पु० [सं०] १ कांसा नामक धातु। २ इस धातु का | विद्वस-वि० [सं०] १ पंडित, विद्वान । २ कवि। ३ चतुर, बना पात्र ।
बुद्धिमान । विद्य लता-स्त्री० [सं० विद्युत्लता] बिजली की चमक या कौंध । | विद्वान, विद्वांस-पु० [सं० विद्वान, विद्वस] १ अपनी प्रात्मा का विद्यु बगौरी-स्त्री० [सं० विद्युद् गौरी] शक्ति की एक मूर्ति। | स्वरूप जानने वाला । २ सर्वज्ञ, ज्ञाता। ३ पंडित । विद्युदध्वज-पु० एक असुर।
विद्विस-पु. शत्रु, रिपु। विद्युबक्ष-पु. स्कंद का एक सैनिक ।
विद्वस-पु० [सं० विद्वेष] १ शत्रुता, दुस्मनी, वर । २ विरोध । विद्युत प; विद्युत् प-पु० [सं० विद्युद्र प] १ लंका का एक | विद्वेसक (विसो)-वि० शत्रु, वैरी, विरोधी । राक्षस । २ कुबेर का सेवक एक यक्ष ।
विद्वसणी (सिपी)-स्त्री० [सं० विद्वेषिणी] एक यक्ष कन्या विधम्माल (माला)-स्त्री० १ एक छन्द विशेष । २ बिजली की विशेष । -वि० द्वष रखने वाली। चमक या कौंध । ३ एक राजा का नाम ।
विद्व सी-वि० [सं० विद्वेषिन्] विद्वेष करने वाला शत्रु । विद्युन्मालि (लो)-पु० [सं० विद्युन्मालिन] १ तारकासुर का | विधंस-देखो 'विध्वंस'।
एक पुत्र । २ रावण का मनुचर एक राक्षस । ३ एक नृप | विधंसक-देखो 'विध्वंसक । विशेष । ४ रावण का मित्र, एक राक्षस।
विधसण-वि० १ नाश होने वाला, नाशवान् । २ देखो विद्योत-स्त्री. १ अप्सरा। २ विद्युत, बिजली । -पु० ३ एक | 'विधू सण'। ऋषि।
विधंसपो-वि० नाश करने वाला, विध्वंस करने वाला। विद्योतन-पु० [सं०] सूर्य, भानु ।
विधंसरणी (बो)-देखो "विधूसों ' (बो)। विद्योता-१ देखो 'विद्युत' । २ देखो 'विद्य ता'।
विध-पु० [स० विध] १ तरह, भ्रांति, प्रकार । २ ढंग, तरीका विधि (धी)-पु० [सं०] एक प्रकार का फोड़ा जो पेट के भीतर
प्रकार । ३ वृत्तान्त, हकीकत। ४ कारण। ५ शंख । होता है।
६ समूह. व्यूह । ७ देखो 'विधि'। ८ देखो: विधु'। विद्रम-देखो 'विद्रम'।
विधानक-देखो 'विधिमंक'। विद्रव-देखो 'विदरभ'।
विधकर-देखो "विधिकर'। विवरण-वि० देने वाला।
विधचूड़ (ड)-पु० [सं० विधाचुण्ट] कपट, धोखा। विद्रवणी (बो)-कि० १ दान देना, धन लुटाना। २ बांटना, |
विधत-देखो "विधाता'। देना। ३ द्रविभूत होना । ४ दोड़ना, भागना। ५ विदीयं
विधनयण-देखो विधिनयण' । करना।
| विधना-पु० [सं० विधि] ब्रह्मा, विधाता । विद्रावी-वि० [सं० विद्राविन्] १ भागने वाला। २ फाड़ने | विधरम (म्म)-पु० [सं० विधर्म पराया या दूसरा धर्म, अन्य वाला।
धर्म । अधर्म । -वि०१ जो धर्मशास्त्र में निदित हो। विद्म-पु० [सं०] १ मूंगा, प्रवाल नामक रत्न । २ इसका २ जिसका कोई धर्म न हो अधर्मी । ३ दूसरे धर्म का
वृक्ष । ३ मुक्ताफल का वृक्ष। ४ कोंपल । ५ एक प्रकार विधर्मी। का गंध द्रव्य ।
विधरमि (मी, म्मी)-वि० [सं० विम्मिन् ] १ धर्म के विरुद्ध वित्र मलता-स्त्री० [सं०] १ नलिका नामक गंध द्रव्य ।। माचरण करने वाला, विधर्मी, अधर्मी। २ पराये धर्म को २ मूगा।
मानने वाला। विद्रोह-पु० [सं०] १ राज्य या शासन का विरोध, विरोध में | विधरेख (खा)-स्त्री० [सं० विधि-रेखा] भाग्य का लेख. कर्म किया जाने वाला कार्य । २ बगावत, क्रांति, मांदोलन ।
रेखा। ३ शत्रु को हानि पहुंचाने के उद्देश्य में किया जाने वाला | विधवत-देखो 'विधिवत' । कार्य । ४ कोई उपद्रव ।
विधवा, विधवा-स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसका पति मर चुका
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विधवाविया
विधुवदनी
हो, पतिहीना, सौभाग्यहीना स्त्री। -पण, पशु, पए, विधारा-स्त्री. एक प्रकार की लता व उसके बीज। पणी-पु०-वैधव्य, विधवापन, स्त्री की विधवा होने की विधि, विधि-पु० [सं०. विधिः] १ कार्य करने की रीति, प्रक्रिया, . दशा, अवस्था।
प्रणाली । २ तरह, मांति, प्रकार । ३ नियम, कायदा । विधवाविया, विधवाविवाह-पु० विधवा स्त्री का पुनर्विवाह । परिपाटी । ४ पाज्ञा, मादेश । ५ धर्मशास्त्र की प्राज्ञा । विधवासरम, विधवास्रम-पु० [सं० विधवा-पाश्रम] विधवा व ६ ढंग, तरीका। ७धार्मिक विधान । ८ भेद, रहस्य ।
निराश्रय स्त्रियों को रखने तथा उनकी उचित व्यवस्था ६ सृष्टि, रचना । १० विधाता, ब्रह्मा । ११ भाग्य, प्रारब्ध। करने का स्थान, पाश्रम
१२ विष्णु का एक नामान्तर। १३ विधान, कानून । विधविधान-क्रि० वि० विधि पूर्वक, विधिवत् ।
१४ बैद्य, हकीम। १५ साहित्य में एक अर्थालंकार । विधवख-पु० [सं० विधि-वृक्ष] पलास नामक वृक्ष ।
१६ व्याकरण में प्राज्ञा का स्वरूप । -वि०१ पीला, पीत । विधसरवा, विधस्रवा-पु० [सं० वृद्धश्रवा] इन्द्र ।
२ श्वेत । ३ देखो "विध'। ४ देखो "विधु'। -अंकविधांण (न)-पु० [सं० विधान] १ किसी कार्य का प्रायोजन । पु० प्रारब्ध, भाग्य । -पुत्र-पु० ब्रह्मा पुत्र नारद । २ कार्य करने की रीति, व्यवस्था व सम्पादन, नियम ।
-पुर, पुरी- स्त्री० ब्रह्मलोक । -पूजा-स्त्री० ब्रह्मा की ३ ढंग, तरीका । ४ तरकीब, उपाय। ५ धर्मशास्त्र की
पूजा। -रांगी, रानी-स्त्री० सरस्वती, शारदा।-लोक माज्ञा । ६ हाथी को मस्ती में लाने के लिये खिलाया जाने -पु० ब्रह्मलोक । -वदन-पु० ब्रह्मा का मुख। चार की वाला पदार्थ। ७ धन, सम्पत्ति । ८ पूजा, अर्चना ।
संख्या। -वधू-स्त्री० सरस्वती, शारदा । -वाहन-पु. ९ माज्ञा, आदेश। १० किसी देश के कानूनों का संग्रह।।
ब्रह्मा की सवारी, हंस। ११ रचना, बनावट । १२ नियम, परिपाटी, कानून । विधिकर-पु० चाकर, नौकर, सेवक । १३ वाद्य । १४ कारण। १५ एक प्रकार का शस्त्र । विधिग (ग्य)-पु० [सं० विधिज्ञ] शास्त्रोक्त एवं विधि के विधान १६ सृष्टि, सर्जन ।-वि०१ समान, तुल्य । २ रचना कर्ता, का ज्ञाता, पडित। रचयिता।
विधिनयण (न)-पु० [सं० विधिनयन] सूरज, सूर्य । विधानसपतमि (मी, सप्तमी, सातम)-स्त्री० [सं० विधान | विधिपाट-पु० [स०] मृदंग के चार वर्षों में से एक ।
सप्तमि] माघ शुक्ला सप्तमी से शुरू करके पूरे वर्ष किया | विधिपाठक-पु० [सं०] शास्त्र रीति का पाठ करने वाला या जाने वाला व्रत विशेष ।
बताने वाला। विधांनीक-पु० डिंगल गीत-रचना का एक ढंग ।
विधिभेद-पु० [सं० विधिभेद] साहित्य में उपमा अलंकार का विधांसरो (बी)-देखो 'विधू सणो' (बी)।
एक दोष। विधा-स्त्री० [सं०] १ ढंग, तरीका । २ तरह, भांति, प्रकार। विधी-१ देखो 'विधि'। २ देखो 'विधु'।
३ किस्म, जाति । ४ धन, सम्पत्ति । ५ हाथी या घोड़े का | विधुसम्पो (बी)-देखो 'विधूसो ' (बी)। चारा। ६ किराया, भाड़ा। ७ मजदूरी। ८ रचना। विध-पू० [सं०] १ चन्द्रमा, शशि । २ ब्रह्मा । ३ विष्णु । ९ देखो 'विद्या' । १० देखो 'विदा'।
४ ब्राह्मण । ५ एक राक्षस का नाम ।-स्त्री० [सं० वधू] विधातनताका-पु० [सं० विद्योतन-ताका] चन्द्रमा, शशि।
६ नव-विवाहिता दुल्हन । ७ कपूर । विधाता (नाय)-वि० [सं० विधात] १ रचना करने वाला, विधुक्रांत-पु० [सं०] संगीत का एक ताल ।
सृष्टि कर्ता । २ देने वाला, दाता । ३ प्रबंध या व्यवस्था | विधत-देखो 'विद्यत'। करने वाला ।-पु. १ 'ब्रह्मा। २ विष्णु। ३ महेश । विधत'द-प० स० राह का एक नामान्तर । ४ विश्वकर्मा । ५ कामदेव। ६ भगु एवं ख्याति का एक
कामदेव। ६ भृगु एवं ख्याति का एक विधुप्रिया-स्त्री० [सं०] चन्द्रमा की पत्नी रोहिणी। पुत्र । ७ प्रारब्ध, भाग्य । ८ एक प्रादित्य विशेष । -स्त्री०
विधुम-पु० [सं०] पाठ वसुमों में से एक । ९ मदिरा शराब । १० ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती, रूपा।
| विधुर-वि० [सं०] १ दुःखी, व्याकुल । २ जिसकी पत्नी मर विधात्र, विधात्रा (त्रि, त्री)-पु० [सं० विधात] १ ब्रह्मा, विधि ।
। चुकी हो, पत्नी रहित । रंडुवा ।-पु. १ कष्ट, दुःख । २ देखो 'विधाता'।।
२ विरह, वियोग । ३ भय, डर । मोक्ष । विधायक-वि० [सं०] १ विधान निर्माता, कानून बनाने वाला। विधुरा-स्त्री० [सं०] कान के पीछे की एक स्नायु ग्रन्थि ।
२ रचना, सृष्टि करने वाला। ३ व्यवस्था करने वाला, | विधुवदनी-स्त्री० [सं० विधुवदनी] चन्द्रमुखी, सुन्दर-मुख प्रबंधक । ४ उत्पादक ।-पु० विधान सभा सदस्य । - वाली स्त्री।
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विधूस
बिनस्वरता
विधूस-देखो "विध्वंस'।
विध्वस्त-वि० [सं०] १ नष्ट,बरबाद । २ संहारित, मारा हमा। विध सण-पु० [सं० विध्वंसन] नाथ, संहार।. . विनंत-देखो 'वनिता। विधूसरणी (बी)-क्रि० [सं० विध्वंसनम्] १ नाश करना, | विन-देखो 'बिना'।
विध्वंस करना । २मारना, संहार करना । ३ तोड़ना, भंग | विनउ-देखो 'विनय'। करना। ४ लूट-खसोट करमा । १ बर्बाद, तहस-नहस | विनड़रणो(बी)-क्रि.1 विनम्र होना । २ देखो 'विन्नभणी (बी)। करना । ६ रति क्रीड़ा करना, मैथुन करना ।
बिनडो (बो)-क्रि० १ दुःख देना,कष्ट देना । २ वेष बदलना । विधू-१ देखो विधु' । २ देखो 'वधु'।
३ देखो 'विनड़णों' (बी)। ४ देखो 'विनखणी' (बी)। विधसणी (बी)-देखो 'विधूसरणों' (बी)।
विनत-पु. [सं०] १ राम की सेना का एक वानर जो साठ विधेय-वि० [सं०] १ जिसका करना उचित हो, करणीय । लाख वानरों का सेनापति था। २ एक दिग्गज। ३ देखो
विधान के योग्य । २ जिसे जानने का विधान हो। ३ माज्ञा विनीत'। के वशीभूत, माज्ञापालक । ४ जिसके द्वारा कुछ कहा | विनतक-पु० [सं०] एक पर्वत का नाम । जाय, कथ्य । ५ योग्य । -पु. १ कर्तव्य । २ नायिका की | विनता-स्त्री० [सं०] १ कश्यप ऋषि की एक पत्नी और पक्षियों एक चेष्टा विशेष ।
की माता। २ एक राक्षसी । [सं० वनिता] ३ स्त्री, विधयक-पु० [सं० विधेयकन्] किसी कानून या विधान का | भौरत । ४ स्त्री, पत्नी । ५ प्रेमिका स्त्री।
प्रारूप जो विधान सभा के विचारार्थ रखा जाय । विनताक (ग)-पु० [सं० वृन्ताकि बेंगन नामक शाक । विषयकरम-पु० [सं० विधेय-कर्म] १ उचित कार्य, कर्तव्य । | विनतासुत (सुनु)-पु. [सं०] गरुड, अरुण।
२ नियमानुसार, वैधानिक कार्य । ३ शास्त्रोक्त कर्म। | विनति (ती)-स्त्री० [सं० विनतिः] १ अनुनय, विनय, प्रार्थना। विधेयाविमरस-पु० [सं० विधेय-प्रविमर्श] साहित्य में होने | २ नम्रता, विनय । ३ प्रावेदन ।। वाला एक वाक्य दोष।।
विनम्र-वि० [सं०] विनयशील, नम्र, विनीत । विधोगत (ति. ती)-क्रि० वि० १ विधिवत्, यथाविधि । विनय-स्त्री० [सं० विनय] १ नम्रता, विनम्रता । २ अनुनय, - २ ढगसे, नियमानुसार । ३ यथायोग्य ।
। प्रार्थना। ३ शील, सतीत्व । ४ शिष्ट व्यवहार। ५ बात्तर विधोरणी (को)-क्रि० मिटजाना, मिटना ।
कलामों में से एक । ६ जितेन्द्रिय पुरुष । विधोविध, विधौविध-क्रि० वि० १ विविध प्रकार से भिन्न |
विनयवंत-वि० [सं०] विनम्रता से युक्त, विनयशील, विनीत । __ भिन्न प्रकार से । २ यथाविधि, विधिवत् । ३ यथार्थ में ।
विनयवान-वि० [सं० विनयवान] विनयशील, विनीत । विध्य-देखो 'विधि'।
विनयसील-वि० [स० विनयशील] विनम्रता से युक्त । विध्यांन-देखो 'विधांन'।
विनवणी (बी)-क्रि० विनय करना, प्रार्थना करना। विष्या-देखो विद्या।
विनस-पु० सरस्वती नदी के प्रदृश्य रहने का स्थान । विध्याता-देखो "विधाता'।
विनसरण-पु० [सं०] १ विनाश, बरबादी । २ संहार । विघ्रत. विप्रति (तो)-पु० [सं० विधुति] १ एक सूर्य वशा| विनसरणी-वि० विनष्ट होने वाला, नाशवान । राजा । २ प्रभूतरजस् देवों से एक देव ।-स्त्री०२ वैधृति
विनसणौ (बो)-क्रि० १ नष्ट होना, मिटना । २ संहार होना, नामक देवतामों की माता।
__ मरना । ३ तहस-नहस होना, बरबाद होना। विध्रम (म्म)-देखो "विधरम'।
विनसति (ती)-देखो वनस्पति'। विमी (म्मी)-देखो "विधरमी'।
विनसाणी (बो), विनसावणी (बो)-क्रि० १ नाश करना, नष्ट विध्वंस-पु०[सं०] १ विनाश । २ तहस-नहस, बरबाद ।
करना । २ संहार करना, मारना । ३ तहस-नहस करना । ३ विनाश, सहार। विध्वंसक-वि० [सं०] १ विनाश करने वाला। २ बरबाद ।।
बिनस्ट-वि० [सं० विनष्ट] १ जो नष्ट हो चुका हो। २ तहसकरने वाला। ३ संहारक ।
नहस व बरबाद । ३ मरा हमा, मृत । ४ बिगड़ा हुमा, विध्वंसण-पु. [सं० विध्वंसन्] माश, संहार ।
विकृत। विध्वंसरणी-वि० (स्त्री० विध्वंसणी) १ नाश होने वाला, नाश-विनस्वर-वि० [सं० विनश्वर] १ नष्ट होने वाला, नाशवान् ।
वान् । २ मरने वाला । ३ तहस-नहस, बरबाद होने वाला। २ जो बहुत दिनों तक न रह सके, अनित्य ।
४ नाश, संहार करने वाला । ५ बरबाद करने वाला। बिनस्वरता-स्त्री० [सं० विनश्वरता) १ नाशवान् होने की विध्वंसपो (बो)-देखो 'विधू सणो' (बौ)।.
अवस्था । २ अनित्यता।
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विना
विन
विना-देखो 'बिना।
विनासतो (बो)-क्रि० [सं० विनाशनम्] १ नष्ट करना, ध्वंस विनारण (रिण, रणी)-पु. १ विचार । २ तरकीब, उपाव ।। करना । २ मारना, संहार करना ।, ३ बिगाड़ना, खराव
३ चिह्न, लक्षण । ४ रूपक । ५ व्याख्या, विवेचन। करना। ४ प्रहित करना, बुरा करना । ५ बरबाद करना। ६ विध्वंस, नाश । ७ रहस्य, भेद । [सं० विज्ञान] ८ ज्ञान, विनासी-वि० [सं० विनाशिन] १ नष्ट होने वाला, नाशवान । जानकारी। ९ भेद प्रकार । १० तरह, प्रकार । -वि० २ मरने वाला, मिटने वाला। ३ देखो 'विनासक' । १ समान, तुल्य । २ अद्भुत, अनोखा । ३ ज्ञानी, जान-बिनाह-पु० [सं०] कुए के मुख का ढक्कन । कार । ४ देखो 'बैनाणी'।।
विनिग्रह-पु० [सं०] १ सयम, दमन, प्रतिबंध । २ बाधा, विनांणगार, विनांणगारु-वि० धूर्त, कपटी।'
अवरोध । ३ ईर्ष्या, द्वेष । विनाणणी (बो)-क्रि० धोखा देना, छल करना ।
विनिता-देखो 'विनता' ।-सुत = "विनतासुत'। विनांन-देखो 'विनाण'।
विनिद्र-पु० [सं०] १पनिद्रा के रोग वाला प्राणी। २ जागृत विनानी-देखो 'विन्यांनी'।
व्यक्ति । ३ एक मस्त्र विशेष ।-वि. १ निद्वारहित, जागा विनाम-वि० जिसका कोई नाम न हो, बिना नाम का।।
हमा । २ खिला हुमा, फूला हुआ। विना-1 देखो 'बिना' । २ देखो 'विनय' ।
विनिपात-पु० [सं०] १ विनाश, ध्वंस । २ अपमान, अनादर । विनाइक-देखो 'विनायक'।
३ मृत्यु, नाश । ४ बरबादी। ५ नरक । ६ कष्ट, पीड़ा। विनाई-देखो 'बिना'।
७ संकट पूर्ण स्थिति । ८ गर्भपात । विनाथ-वि० [सं०] जिसका कोई रक्षक न हो, अनाथ ।। विनिपातक-वि० [सं०] १ विनाश करने वाला, ध्वंस करने -पु. वह बैल जिसके नाथ न डाली गई हो।
वाला। २ अपमान या अनादर करने वाला। ३ कष्ट
उत्पन्न करने वाला। विनाबी-क्रि० वि० मादि काल से।
विनिमय-पु० [सं०] १ वस्तुमों का परस्पर मादान-प्रदान । विनायक-पु० [सं० विनायक] १ गणों के ईश, गजानन, गणेश ।
२ लेन-देन । ३ बंधक, गिरवी। २ गरुड़ । ३ शिवगणों का एक समूह । ४ कपड़ा बुनने का
विनियां-देखो 'विनता'। मौजार विशेष । ५ सुथार, बढ़ई। ६ विवाहादि अवसरों
विनियुक्त-वि० [सं०] १ नगा हमा, नियुक्त। २ प्रादेशित। पर बनाई जाने वाली गणेश की मूर्ति । ७ मांगलिक कार्यों के
'विनियोग-पु० [सं०] १ किसी वैदिक कर्म में मंत्र का प्रयोग । प्रारंभ में गणेश स्थापना, यज्ञ एवं भोज । ८ गणेश के नाम
२ व्यापार में पूजी का निवेश। ३ त्याग । ४ इष्ट देव के के लोकगीत । ९ बौद्ध प्राचार्य विशेष ।-चतुरथी, चौथ
ध्यान की एक प्रक्रिया । स्त्री० प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, विशेष कर
| विनियोजन-पु० [सं०] १ विनियोग करने की क्रिया, भाव । माघ व भादव मास की चतुर्थी।
२ अर्पण । ३ नियुक्ति । विनायकखूटी-देखो 'गणेसखूटी' ।
विनिहत, विनिहीत-पु० [सं० विनिहतः] १ दैविक प्रकोप का विनायकण-स्त्री० बढई जाति की स्त्री।
सकट । २ अपशकुन, बुरा शकुन । ३ धूम्रकेतु, पुच्छलतारा। विनायकहेतु-पु० [सं०] गरुड़ध्वज, श्रीकृष्ण ।
-वि०माहत, घायल । वशवर्ती। विनायकियो, विनायकियो-पु०१ विवाह के समय दूल्हे के साथ | विनीत-वि० [सं०] १ विनयशील, नम्र । २ शिष्ट, सभ्य ।
रहने वाला छोटा बालक जिसे विनायक के रूप में संस्का- ३ जितेन्द्रिय, संयमी। ४ प्रिय, मनोहर । ५ ग्रहण किया रित किया गया हो। २ देखो 'विनायक'।
हुमा ।-पु. १ उत्तम मनु का एक पुत्र । २ पुलस्स्थ व प्रीति विनायका-स्त्री० [सं०] १ विनायक की पत्नी। २ गरुड़ की का एक पुत्र । .. पत्नी का नामान्तर।
विनीतता-स्त्री. १ विनय, नम्रता । २ शिष्टता। पिनास-पु० [सं० विनाश १ नाश, ध्वंस । २ बिगाड़ने का भाव, | विनीता-देखो 'विनता'।
बिगाड़। ३ हानि, नुकसान । ४ कलह, झगड़ा । ५ कश्यप | विनु-देखो "विनय'। .. एवं काला से उत्पन्न एक असुर। .
विनूर-वि० कायर, भीरू, डरपोक । विनासक, विनासकारी, विनासपी-वि० [सं० विनाशक] १ | विनेत-पु० [सं० विनेत्] १ माशा, मादेश, हुक्म । २ शिक्षक ।
विनाश करने वाला, ध्वंस करने वाला। २ मिटाने वाला, ३ दण्ड विधान बनाने वाला। [सं० विज्ञप्ति] ४ सूचना। हटाने वाला। ३ तहस-नहस करने वाला, बरबाद करने | विनं-स्त्री० [सं० विनयः] १. कृपा, महरबानी। २ विनय । वाला। ४ बिगाड़ने वाला । ५ सहारने, मारने वाला। ___३ देखो 'बिना' । ४ देखो 'बिन' ।
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विपरित
विननी-स्त्री० नम्रता, विनम्रता ।
विपक्खी-१ देखो विपक्षी'। २ देखो 'विपखी'। विनोक्त, विनोक्ति-पु० [सं० विनोक्ति] एक अलंकार विशेष | विपक्व-वि० [सं०] १ पच्छी तरह व पूर्ण रूप से पका हुमा ।
जिसमें किसी वस्तु की हीनता या श्रेष्ठता का वर्णन किया | २ प्रधपका या कच्चा ।-पु. एक देव विशेष । जाय ।
विपक्ष (ख)-वि० [सं०] १ विरुद्ध, खिलाफ, प्रतिकूल । विनोद-पु० [सं० विनोद] १ ऐसा कार्य जो मन बहलाव करता
२ उलटा, विपरीत ।-पु. १ विरोधी पक्ष, शत्रु पक्ष । हो । २ मनोरंजन, मन बहलाव । ३ हंसी-मजाक ।
२ दूसरा पक्ष, अन्य पक्ष । ३ विपरीत पक्ष । ४ मानन्द, हर्ष, प्रसन्नता । ५ उत्सुकता, उत्कण्ठा । ६ खेल विधी-Groin मंत्र विरोधी पका व्यक्ति । क्रीड़ा, पामोद-प्रमोद । ७ सोलह प्रकार के शगारों में से
-वि० दूसरे पक्ष का, विरोधी पक्ष का । एक । गायन, संगीत । ९ एक राग विशेष । १० राति- | विपखी-पु०१ प्रश्व, घोड़ा। २ देखो 'विपक्षी'। क्रिया का एक प्रालिंगन ।
विपख्खरणी-स्त्री. विरोधी की स्त्री।-वि. विरोधी पक्ष की, विनोदक-वि० [सं०] १ विनोद करने वाला, खेल-क्रीड़ा करने
प्रतिद्वंदिनी। वाला । २ मजाकिया, विदूषक।
विपच्छ-१ देखो 'विपक्ष'। २ देखो 'विपक्षी' । विनोबन-देखो बिनोद'।
विपच्छी-देखो 'विपक्षी'। विनोवित-वि० [सं०] १ हर्षित, खुश, माह लाद युक्त । २ हंसी
विपरण-पु० [सं०] १ छोटा व्यापार । २ बिक्री । मजाक किया हुआ। ३ भानन्द दायक कार्य किया हुमा।|
विपरणक-वि० [सं०] व्यापारी, व्यवसायी। ४ विनोद शगार से युक्त ।
विपणन-स्त्री० [सं० विपणनम्] व्यापार, व्यवसाय, क्रयविनोबी-वि० [सं० विनोदिन] १ खुद का व दूसरों का मन
| विक्रय । बहलाने वाला । २ हंसी-मजाक करने वाला। ३ विनोद संबंधी । ४ प्रानन्द व हर्ष उत्पन्न करने वाला। ५ खेल-क्रीड़ा | विपणा-स्त्रा० [स० विपणा] १ बाजार। २ दुकान, हाट । करने वाला। ६ विनोद शगार करने वाला। ७ गाने
३ व्यापार का स्थान । ४ बाजार ।-पु० [सं० विपरिणन]
५ व्यापारी। वाला, गायक। विनोदीयौ-देखो "विनोदी'।
विपत (ता, ति, तो), विपत्त (ति, ती)-स्त्री० [सं० विपत्तिः]
१ संकट, विपत्ति, पापाद् स्थिति। २ कष्ट, पीड़ा । विन्नक-पु० [सं० विन्नकः] अगस्त्य ऋषि का एक नामान्तर ।
३ परेशानी, झंझट । ४ बुरे दिन, बुरा समय । ५ मृत्यु, विन्नवरण-पु. कामी पुरुष । विन्नवरणा-पु० [सं० विज्ञापना] कामी पुरुष के पागे रति क्रिया |
__ मौत । ६ थकान, सुस्ती। का प्रस्ताव करने वाली स्त्री।
विपस्थ, विपथ-पु० १ भयंकर मार्ग । २ कुमार्ग, बुरा रास्ता। विन्नांण, विन्नारिण, विन्नाणी-देखो विनाण' ।
विपद (वा, वि, दी)-देखो 'विपत' । विनोद-देखो 'विनोद'।
विपदेस-पु० [स० व्यपदेश] कपट, छच, धोखा। विन्यांनी-वि० [सं० वैज्ञानिक] जानकार, ज्ञानी।।
विपनबिहारी (विहारी)-वि० वन-विहार करने वाला, वन में विन्यायक (को)-देखो "विनायक' ।
विचरण करने वाला।
विपर-देखो विप्र'। विन्यास-पु० [सं०] १ स्थापित करने की क्रिया या भाव । २ समूह, संग्रह। ३ यथास्थान रखने की क्रिया, सजावट ।
विपरजय-देखो 'विपरय्य'। ४ जड़ने की क्रिया ।
विपरत-देखो 'विपरीत'। विन्योक्ति-देखो "विनोक्ति'।
विपरब-पु० [सं० विपर्व] बुरा दिन, असमय । विन्ह, विन्हइ, विन्है-१ देखो 'बिन' । २ देखो 'बिना'। विपरयय (ग्य, व्यय)-पु० [सं० विपर्यय] । व्यतिक्रम ।
२ उलट-फेर, हेर-फेर । ३ विरोध, प्रतिकूलता। ४ अशुद्धि, विपंचिका, विपंचो-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का वाद्य। २ मामोद-प्रमोद, खेल, क्रीड़ा।
भूल । ५ अव्यवस्था, गड़बड़ी । ६ वैमनस्य, शत्रता। विप-१ देखो 'वपु' । २ देखो 'वित्र।
७ भ्रम, सन्देह । ८ विचारान्तर। विपक्क-वि० [सं०] १ पूर्ण रूप से पका हुमा, परिपक्व । विपराणो (बी), विपरावणो (बी)-देखो 'वपराण' (बी)।
२ पूर्ण उबला हुमा, सीजा या पका हुमा । ३ उन्नति की | विपरित, विपरिती, विपरीत, विपरित-वि० [सं० विपरीत] चरम सीमा तक पहुँचा हुमा । ४ देखो 'विपक्ष'।
१ प्रतिकूल, विरुद्ध, खिलाफ । २ उल्टा, विलोम । विपक्ख-देखो "विपक्ष'।
J ३ अनिष्ट साधन में तत्पर । ४ रुष्ट, ऋ । ५ अनुपयुक्त ।
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विपरीतरति
( ६१८ )
विप्रबंधु
६ कुटिल । ७ झूठा, मिथ्ण। ८ अप्रिय । ९ अशुभ। विपिनतिलका-पु. १ एक वर्ण वृत्त । २ एक मात्रिक छन्द । १० भयंकर, भयावह । ११ नियम विरुद्ध। १२ सीधा, | विपिनबिहारी (विहारी)-देखो 'विपनबिहारी'। चित ।
विपुळे (ल)-वि० [सं० विपुल] १ प्रचुर, पर्याप्त । २ अधिक विपरीतरति-स्त्री० [सं०] रतिक्रिया का एक ढंग ।
बहुत । ३ विशाल, बड़ा। ४ गहरा, अगाध । १ रोमांचित । विपरीतलक्षण-पु० १ प्रशुभ संकेत, चिह्न। २ व्यंगात्मक
६ विस्तृत । पु०-१ सुमेरु पर्वत का पश्चिमी भाग । अभिव्यक्ति।
२ वासुदेव व रोहिणी का एक अन्य पुत्र । ३ एक पर्वत विपरीता-स्त्री० [सं०] दुश्चरित्रा स्त्री, बदचलन पौरत । । जिसकी अधिष्ठात्री देवी विपुला है। ४ हिमालय पर्वत । विपरीति (ती)-स्त्री०१ विपरीत होने की अवस्था या भाव, विपुळता, विपुलता-स्त्री. १ प्रचुरता, बहुतायत । २ महानता; वैमनस्यता। २ देखो "विपरीत' ।
विशालता। विपक्षत, विपस्त-देखो 'विपरीत' ।
विपळमति, विपुलमती-स्त्री० २८ प्रकार की लब्धियों में से विपळ (ल)-पु० [सं० विपल] १ समय का एक छोटा विभाग, नवमी लब्धि। पल का पाठवां अश। २ काल गणना को एक इकाई ।
पाठवां अशा २काल गणना को एक कार्ड विपुळस्वांन-पु० सुकृष के पिता एक ऋषि । . ३ देखो 'विपुळ'।
विपुळा (ला)-स्त्री० [सं० विपुला] १ पृथ्वी, भूमि, धरती।
२ एक देवी । ३ बहुला सती का नामान्तर । ४ विपुला विपळव, विपलव, विपळव-देखो 'विप्लव'।
देवी का पीठस्थान । ५ एक प्रकार का छन्द । ६ पार्या विपला, विपला, विपला-देखो 'विपुला' ।
छन्द का एक भेद । विपली (लो), विपलो-वि० (स्त्री० विपळी) १ अविश्वसनीय ।। २ संदेहास्पद ।-पु. १ भूत, प्रेत । २ प्रेत बाधा ।
| विपोहरणो (बी)-क्रि० [सं० वि+पोषण] १ मिटाना, नाश विपसंचित, विपसचित्त, विपसंची-पु० [सं० विपश्चित] कवि
करना, समाप्त करना । २ दूर करना, हटाना। जन, पंडित ।-वि. पंडित बुद्धिमान, सूक्ष्मदर्शी।
विप्त-१ देखो 'विप्र'। २ देखो 'विप्पला'। विपाड, विदुर-वि० [सं०] पीला, पीत।
विप्पोसहि (ही)-स्त्री० एक प्रकार की लम्धि । विपाक-पु० [सं० विपाक:] १ कर्मों का फल, परिणाम ।
विष्फरपो (बी), विप्फुरणी (बी), विष्फुरणो (बी)-देखो २ स्वाद, जायका । ३ कठिनाई, लकलोफ। ४ परिपक्व
___विफरणी' (बी)। व पका होने की अवस्था। ५ पूर्ण दशा में पहुंचने की विप्र-पु० [सं०] १ ब्राह्मण। २ ब्राह्मण या पुरोहित जाति । दशा चरमोत्कर्ष।
३ इस जाति का व्यक्ति । ४ विद्वान ब्राह्मण । ५ परब्रह्म । विपाकसूत्र-पु० एक सूत्र पथ का नाम ।
६ कर्म निष्ठ पुरुष । ७ पीपल, सिरस प्रादि पेड़ों विपाट (8)-पु० [सं०] १ एक प्रकार का तीर; बाण ।। के नामान्तर । ८ ध्र ववंशीय एक राजा। गण के २ कर्ण का एक भाई।
पांचवें भेद का नाम । १० विद्वान या मेधावी व्यक्ति । विपाटल-वि० गहरा लाल।
|-विप्रक-पु० [सं०] नीच या धर्मभ्रष्ट ब्राह्मण। विपाठा-स्त्री० [सं०] दुर्गम राजा की एक पत्नी ।
विप्रकार-पु० [सं०] १ हार, पराजय । २ अनादर, तिरस्कार । विपाप-पु० [सं०] १ कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक ।
३ अपकार। २ एक पिशाचगण समूह ।
| विप्रचरण-पु० [स०] भगवान विष्णु के हृदय पर अंकित भृगु विपादिका-स्त्री० [सं०] एक प्रकार का कुष्ठ रोग ।
ऋषि के चरण प्रहार का चिह्न। विपाप-पु. शिवावतार के एक शिष्य का नाम ।
विप्रचित्त (ति), विप्रजित्त (ति)-पु० [सं० विप्रचित्ति] १ राहु विपापमन, विपाप्मन-पु० [सं० विपाप्मनः] १ अग्नि का एक ग्रह । २ एक दानव राजा । ३ व्यष्टि नामक प्राचार्य का पुत्र । २ मत्स्यानुसार मायु राजा का एक पुत्र ।
शिष्य। ४ हिरण्यकशिपु का सेवक एक राक्षस । विपास, विपासा-स्त्री० [सं० विपाश] पंजाब की शतलज नदी | विप्रपो-देखो 'विप्रो'। . का एक नाम।
विप्रता-स्त्री. ब्राह्मण होने की अवस्था, ब्राह्मणत्व । विपिन (विपुन)-पु० [सं० विपिन] १ वन, जंगल । २ उपवन, | विप्रतिसार, विप्रतीसार-पु० [सं०] १ रोष, क्रोध; गुस्सा ।
वाटिका । -घर-पु० जंगल में रहने या विचरण करने २ दुष्टता। वाला प्राणी। -पत, पति, पती-पु. वन का राजा विप्रबंधु-पु० [सं०] १ धर्मभ्रष्ट ब्राह्मण, नीच ब्राह्मण । शेर, सिंह।
२ मंत्र द्रष्टा मुनि ।
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विप्रबुद्ध
विबुधेस
विप्रबुद्ध (बुध)-वि० [सं०] ज्ञानी, जानकार ।
विबध-पु० [सं०] १ कब्जी होने की अवस्था, मलावरोध, विप्ररांम-पु० [सं०] परशुराम का एक नामान्तर । ____ कब्जी । २ भवरोध, रुकावट । ३ बंधन, हथकड़ी। विप्रलंभ-पु० [सं० विप्रलम्म] १ धोखा, कपट । २ विछोह, | विबंधवरत्ति-स्त्री० [सं० विबंधवत्ति] घोड़ों का पेशाब रुकने
वियोग। ३ प्रेमी-प्रेमिका का विच्छेद, वियोग। ४ एक का एक रोग। अलंकार विशेष । १ झगड़ा विवाद ।
विबरण-देखो 'विवरण'। विप्रलब्ध-वि० [सं०] १ छला हुमा, धोखा दिया हुमा।| विबळ, विबल-वि० [सं०विबल] प्रशक्त, शक्तिहीन, बलहीन । २ हताश, निराश।
२ विशेष बलवान, शक्तिशाली। विप्रलम्धा-पु० [सं०] संकेत स्थान पर प्रेमी के न मिलने पर विवरणोरक
प्रमो क न मिलने पर विबहयरणी (बी)-क्रि० लहराना, फहराना। निराश होने वाली नायिका !
विविखण, विविसरण, विवीसण, विबीसण-देखो :विभीसण'। विप्रलाप, विप्रवाव-पु० [सं०] १ व्यर्थ बकवास । २ विवाद
विबुद्ध-वि० [सं० विबुद्ध] 1 जागृत, सचेत । २ ज्ञान प्राप्त . झगड़ा। विप्रस्ट-पु० [सं० विप्रष्ट] बलराम का एक छोटा भाई।
जानकार। ३ चतुर, होशियार। ४ खिला हुमा, फूला
हुप्रा। विप्रस्न-पु० [सं० विप्रश्न] ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर फलित - ज्योतिष से दिया जाय ।
विबुध-पु० [सं० विबुध] १ चन्द्रमा, चांद । २ देवता । ३ विद्वान विप्रि, विप्री-स्त्री० पार्या छन्द में एक गाथा ।
पुरुष, पंडित, कवि । ४ शिव, महादेव । ५ एक पौराणिक विप्लव, विप्लव-पु० [सं०] १ उपद्रव, बलवा, हंगामा, विद्रोह।
राजा । -प्राचारय, प्राचारिय-पु. बृहस्पति -तटरपी ...२ युद्ध से उत्पन्न अव्यवस्था, प्रशांति । ३ भापत्ति,
(नी), तटिणी (नी)-स्त्री० माकाश गंगा, गंगा नदी। विपत्ति । ४ क्रांति, बगावत । ५ नाश, बरबादी। ६ युद्ध
-- तर, (रु, रू)-पु. कल्पतरु। -कैन (नु)-स्त्री. काम के समय को लूट-पाट । ७ अत्याचार, उत्पीड़न । ८ शत्रु
धेनु । -नद, नदी-स्त्री. पाकाश नदी, गंगा। -पत, भय। ६ सीमोल्लंघन, भतिक्रमण । १० घोड़े की तेज
पति. पती,पत्त, पत्ति, पत्ती-पु. देवराज इन्द्र । -वैद्य-पु. चाल ।
अश्विनी कुमार। विप्लुत-वि० [सं०] १ बिखरा हुमा, छितराया हुमा। २ डूबा
| विबुधप्रिय(प्रिया)-स्त्री० [सं० विबुध प्रिया] चर्चरी नामक हुमा । ३ पाकुल, भयभीत । ४ नष्ट, बरबाद । ५ तिरस्कृत ।
छन्द । ६ उलटा । ७ झूठा। जिसके उच्चारण में प्लुत से अधिक विबुधलता-स्त्री० [सं०] कल्पलता । समय लगे।
विबुधबेल (लि, ली)-देखो "विबुधवेलि'। विफंद, विफवी-पु. जाल, पाश, फंदा।।
विबुधवन-पु० [सं०] इन्द्र का नन्दन वन । विफरणी (बी), विफरणो(बो)-क्रि० [सं० विस्फुरणम्] १ क्रुद्ध विबुधविलासण (रिण, सी), विबुधविलासिरिण (णी)-स्त्री. होना, बिगड़ना। २ गरजना, दहाड़ना । ३ फैलना,
[सं० विवुध विलासिनी] १ देवबाला, देवांगना । २ परी बिखरना । ४ प्रगट होना, स्फुटित होना।
प्रप्सरा। विकरेल, विफरल-वि० क्रोधित, क्रुद्ध ।
विबुधवेल (लि)-स्त्री० [सं० विबुधवेलि] कल्पलता। विफळ, विफल, विफळ-वि० [सं० विफल (स्त्री० विफळा) | विबुधान-पु० [सं० विबुधान] १ देवता । २ पंडित, विद्वान ।
१ जिसके फल न हो, फल रहित । २ व्यर्थ, निरर्थक ।। विबुधाधिप (पत, पति, पती)-पु० [सं० विबुध-मधिपति देवराज ३ असफल । ४ हताश, निराश । ५ परिणाम रहित । इन्द्र ।
६ अप्रभावी। -पु०-१ पान, ताम्बूल । २ बांझ ककड़ी। विबुधापगा-स्त्री० [सं०] १ माकाश गंगा। २ गंगा नदी। विफळणी (बी), विफळणी (बी)-क्रि० १ हताश होना, निराश | विबुधालय-पु० [सं० विबुध-मालय] १ देवता का मन्दिर । होना । २ घबराना, भयभीत होना।
२ स्वर्ग । विफळता, विफलता-स्त्री० [सं० विफलता] १ असफलता, विबुधावास-पु० [सं० विबुध-मावास] १ देवता का भावास ।
नाकामयाबी। २ व्यर्थता, निरर्थकता। ३ हताश या | २ मदिर। ३ स्वर्ग। 'निराश होने की अवस्था या भाव।
विबुधैव-पु० [सं०] देवराज इन्द्र । विवंक-पु. १ वीरता, बहादुरी। २ बांकापन, कुटिलता। विबुधेस-पु० [सं० विबुधेश] १ भगवान विष्णु। २ देवराज
३ टेढापन, वक्रता । -वि० वीर, बहादुर ।
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विबोध
विभागो
विबोध-पु० [सं० विबोध] १ जागृति, जागरण । २ चेतना, | विभाग-पु० [सं० विभागः] १ बंटवारा, अंश, हिस्सा । २ अंश,
होश। ३ साहित्य में व्यभिचारी भाव । ४ निर्वहसंधि के प्रकरण । ३ कार्य क्षेत्र। ४ कार्यालय । ५ परिच्छेद, चौदह अंगों में से एक । ५ चैतन्य लाम। ६ कार्य का खण्ड । अन्वेषण।
विभागी-वि० [सं० विभागिन्] १ हिस्सेदार, भागीदार । विबोधन-स्त्री० [सं० विबोधन्] १ जागृति पैदा करने की
२ विभाग करने वाला। क्रिया। २ होश में लाना क्रिया। ३ व्यभिचार । विभाड़-पु. १ नाश, ध्वंस । २ बिगाड़, हानि । ३ कलह, विभाइरणो (बी), विन्भारणी (बी)-देखो "विभाहणी' (बो)। झगड़ा । ४ मारना क्रिया, संहार । ५ विनाश, बरबादी । विम्भाणो (बो)-देखो 'विभाणो' (बो)।
-वि० १ बीर, बहादुर । २ विनाश करने वाला। ३ विमंग-पु० [सं०] १ भौंहों से होने वाली चेष्टा, भ्र-भ्रग।।
चीरने-फाड़ने वाला। ४ मारने वाला। ५ हानिकारक । २ वस्तु विन्यास, रखाव : ३ खण्डन, खण्डितावस्था ।।
६ कलह प्रिय। ७ बरबाद करने वाला। ८ हरानेविभंज, विमजण (न)-पु० [सं० वि+भंज] १ नाश, विनाश । पराजित करने वाला। ९ वध करने वाला। १० बिखेरने २ संहार, नाश।
वाला । ११ त्यागने वाला, छोड़ने वाला। विभंजणी (बी)-क्रि० [सं० विभंजनम्] १ नाश करना, विनाश | विमाड़ण (पण, सा, णा)
| विमाण (रिण, सी, पो)-वि०. विनाश करने वाला, ध्वस करना । २ संहार करना। ३ मारना, वध करना
करने वाला। २ हानि करने वाला, बिगाड़ने वाला। ४ मिटाना।
३ कलह करने बाला, झगड़ा करने वाला। ४ तहस-महस विभ-देखो 'वैभव'।
करने वाला, बरबाद करने वाला । ५ संहार करने
वाला, मारने वाला। ६ चीरने वाला, फाड़ने वाला। विभकर-पु. एक प्रकार का रत्न विशेष ।
७ पराजित करने वाला, लूटने वाला। ८ बिखेरने वाला। विभक्त-वि० [सं०] बांटा इमा, विभक्त, पृथक किया हुआ।
९ त्यागने वाला, छोड़ने वाला। -पु. स्वामि कात्तिकेय का नामान्तर । विभक्ति-स्त्री० [सं०] १ बांटना, विभक्त करना क्रिया या | विभाड़णी (बो)-क्रि० १ नाश करना, ध्वंस करना, नष्ट भाव, पार्थक्य, अलगाव। २ शब्द के भागे लगने वाला
करना। २ संहार करना, मारना । ३ तहस-नहस, बरबाद का, के, की, ने, से प्रादि प्रत्यय ।
करना। ४ हानि करना, बिगाड़ना। ५ चीरना, विदीरणं विभगन, विभग्न-वि० [सं० विभग्न] टूटा-फूटा, भग्न, खण्डित।
करना । ६ टुकड़े-टुकड़े करना। ७ तिसर-बितर करना,
बिखेरना । ८ हत्या करना, वध करना। ९.युद्ध में जीत विभचार-देखो 'व्यभिचार'।
कर कब्जे में करना। १० मिटाना। ११ विजय करना, विमच्छ, विमछ, विभत्स-पु० [सं० विभाऽच्छ] १ वीर अर्जुन ।
जीतना । १२ त्यागना, छोड़ना । १३ सजा देना, दण्डित २ देखो 'वीभत्स'। -रस='वीभत्सरस'।
करना । १४ पराजित करना, हराना । विमनी, विमन्नौ-वि० [सं०वि-भंज] मरा हुमा, मृत। विमरणो (बी)-क्रि० १ चमकना, चौंकना। २ ऋद्ध होना,
विभाडो-देखो 'विभाड'.।
|विभाजक-वि. विभाजन करने वाला, बांटने वाला । -पु० क्रोधित होना, बिगड़ना। ३ भ्रम में पड़ना, भ्रमित होना।
गणित में भाजक प्रक। विभळ, विभळी-स्त्री. १ बिल, गुफा । २ पाख, नयन, नेत्र । -वि० १ निर्मल, साफ, स्वच्छ । २ सुन्दर, मनोहर।।
विभाजण--देखो "विभाजन'।
| विभाजणी (बौ)-क्रि० १ अलग-अलग करना, विभाजन करना। विभव-पु० [सं०] १ छत्तीसवें संवत्सर का नामान्तर । २ देखो
२ बाटना, बटवारा करना, हिस्से करना । 'वैभव'।
विभाजन-पु० [सं०] १ विभाग या हिस्से करने की क्रिया या विभवान-देखो 'वैभववांन'।
भाव । २ बंटवारा । ३ पात्र, बर्तन । विमांत (ति,ती)-स्त्री० [सं० विभांति] प्रकार, भेद, किस्म । विभाजित-वि० [सं०] हिस्सों में बंटा हुमा, विभक्त । -वि० विविधरूपेण।
विभाज्य-वि० [सं०] १ विभाजन करने योग्य । २ जो विभक्त विमा-स्त्री० [सं०] १ कांति, दीप्ति, प्राभा, प्रमा। २ छवि, | किया जा सके।
शोभा, सौंदर्य। ३ किरण, रश्मि। ४ प्रग्नि, माग । | विभाडण (णि, णी, पो)-देखो 'विभाड़ण'। -कर-पु. सूर्य । चाद, चन्द्रमा । राजा । प्राक, मदार । विमाडणी (बी)-देखो 'विभाड़णी' (बी)। अग्नि, प्राग। -वि०-प्रकाश करने व अंधेरा मिटाने विभारणी (बी)-क्रि० १ चमकना, झलकना। २ शोमा युक्त वाला।
होना, शोभा पाना।
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विभानु
( ६२१ )
विभेदक
विमामांनु (न)-पु. [सं. विभा-भानु] अग्नि, प्राग।
४ शिव, महादेव । ५ प्रभु, ईश्वर, स्वामी। ६ उद्वायी विभाव-स्त्री० [सं० विभाव:] १ रति या रस विधान संबंधी तरल पदार्थ विशेष । ७ नौकर, सेवक। काल, समय । साहित्य में एक अवस्था । २ देखो 'वैभव'।
९ सौवीर देश का एक राजा। १० रैवत मन्वन्तर का विमावन-पु० [सं०] १ विवेक, विचार । २ वाद-विवाद । इन्द्र । ११ विष्णु का एक अवतार । १२ देव विशेष । ३ साहित्य में एक अवस्था विशेष ।
१३ राजा, नृप। विभावना-स्त्री० [सं०] साहित्य में एक अर्थालंकार । | विभूख-देखो 'विभूसण'। विभावरि (री)-स्त्री० [सं० विभावरी] १ रात, रात्रि । | विभूखणी (बी)-देखो 'विभूसों' (बी)।
२ वेश्या।। चतुर स्त्री। ४ दूती, कुटनी। ५ वरुण की | विभूखा-देखो 'विभूसा' । नगरी का नाम। ६ भ्रष्ट एवं पतिता स्त्री। ७ व्यभि | विभूखित-देखो 'विभूसित'। चारिणी। ८ दूसरी पत्नी, रखेल।
विभूत-देखो 'विभूति'। विभावरिस, विभावरीस-पु० [सं० विभावरी-ईश] १ चन्द्रमा, | विभूतसिड (सिध), विभूतासिड (घ)-पु० [सं० विभूति-सिद्ध] चांद । २ उल्लू, घुग्घू।
१ शिव, महादेव । २ सिद्धि प्राप्त महात्मा। ३ एक लोक विमावसु (सू)-पु० [सं० विभा+वसु] १ अधिक प्रकाशमय | देवता विशेष ।
वस्तु । २ सूरज, सूर्य । ३ चांद, चन्द्रमा। ४ अग्नि, | विभूति (ती)-स्त्री० [सं० विभूति] १ बड़ा होने की अवस्था, प्राग। ५ गले का प्राभूषण, हार। ६ पाठ वसुनों में बड़प्पन । २ स्वस्थता। ३ वृद्धि, बढोतरी। ४ वैभव, से एक।
ऐश्वर्य । ५ धन, दौलत, सम्पत्ति । ६ मधिकार, प्रभुत्व । विभास-पु० [सं०] १ चमक, तेज, प्रकाश, कांति । २ एक
७ कान्ति, दीप्ति । ५ श्री विष्णु का नित्य व स्थाई ऐश्वर्य। 'राग विशेष । ३ एक देव योनि विशेष ।
९ दिव्य शक्तियां । १० भस्मी, राख, भभूत । ११ यज्ञ या
पग्नि कुण्ड की भस्म, धुनी की भस्म । १२ श्रीराम का विभासक-वि० [सं०] १ चमकने वाला, प्रकाश युक्त, प्रकाश
एक दिव्यास्त्र । १३ सिद्ध पुरुष। १४ मूखों के लिये एक वान् । २ चमकाने वाला, प्रकाश युक्त करने वाला।
व्यंगात्मक सम्बोधन । १५ एक चर्म रोग। १६ विश्वामित्र विभासणो (बो)-क्रि० १ चमकना, झलकना । २ चमकाना,
का एक पुत्र ।-द्वावस, द्वादसी-स्त्री. शुक्ल पक्ष की झलकाना।
द्वादसी का व्रत ।-मांन, वान-वि० शक्तिशाली, बलवान, विभासा-स्त्री० [सं०] चमक, प्राभा, कांति, दीप्ति ।
वैभवशाली, ऐश्वर्य युक्त । कान्ति युक्त, चमकीला । विभिदु, विभिनुक-पु० [सं०] एक दानवीर राजा।
-सिद्ध, सिध='विभूतासिद्ध'। विभिखण-देखो 'विभीसण'।
| विभूती-वि० भस्म या राख लगाया हुमा। विभिन्न-वि० [सं०] १ अनेक, कई प्रकार के, भिन्न-भिन्न । | PAN
। विभूबस (सु)-पु. एक ऋषि विशेष। २ तोड़ा या छेदा हुपा। ३ पृथक, जुदा । ४ विड, घायल । |
विभूसरण-पु० [सं० विभूषणम्] १ प्रलंकार, भाभूषण, जेवर । ५ उद्विग्न, विकल।
२ अलंकृत या माभूषित करने की क्रिया ।-करता, कारविभिसरण,विभीखण-देखो "विभोसण'।
पु० स्वर्णकार ।-वि० अलंकृत करने वाला। विभीत, विभीतक-वि० [सं० विभीतकी, विभीता] (स्त्री० |
विभूसरणी (बी)-क्रि० [सं० विभूषणम्] १ पलकृत होना विभीता) डरा हुमा, भयभीत ।-पु. बहेड़ा व इसका वृक्ष ।
प्राभूषण पहनना । २ शोभित होना। विभीसण-पु. [सं० विभीषण) १ लंका पति रावण का छोटा
विभूसा-पु० [सं० विभूषा] १ सुन्दरता, शोभा । २ सुन्दरी, भाई जो राम का भक्त था। २ विभीषण वंशीय एक
| मोहिनी। अन्य लंका नरेश । ३ एक यक्ष । -वि० भयंकर, डरावना ।
'विभूसित-वि० [सं० विभूषित] (स्त्री० विभूसिता] १ प्रलंकृत, विमोसणा-स्त्री० [सं० विभीषणा] एक स्कन्द मातृका।
शोभित । २ सुसज्जित । ३ कान्तिवान, मामायुक्त । विभीसिका-स्त्री० [सं० विभीषिका] १ भय प्रदर्शन, पातंक। गगों से यता २ डर, खोफ । ३ भयानक स्थिति, भयानकता ।
विभेद-पु० [सं०] १ भिन्नता प्रकट करने वाला तत्त्व, अन्तर, विभु, विभू-वि० [सं० विभु] १ जो सर्वगत एवं सर्व व्यापक | फर्क । २ अनेक भेद-प्रभेद। ३ अश, खण्ड, विभाग।
हो। २ बहुत बड़ा, महान् । ३ दृढ़, भटल । ४ बलवान, | ४ काटने-छेदने की क्रिया। शक्तिशाली। ५ जितेन्द्रिय, संयमी।-पु० [सं० विभुः] विभेदक-वि० [सं०] १ खण्डन, छेदन या भेद करने वाला। १माकाश, व्योम । २ ब्रह्मा। ३ भगवान श्रीविष्णु। २ अन्तर, फर्क व भिन्नता प्रकट करने वाला तत्व।
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विभेवण
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( ६२२ )
1
विभेवण - पु० [सं० विभेदनम् ] १ विभेद बताना क्रिया, भिन्नता २ प्रनेक भेद-प्रभेद करना क्रिया । ३ अंश - खंड या विभाग करना क्रिया, बंटवारा ४ काटना या छेदना क्रिया । - वि० (स्त्री० विभेदी, विभेदिशी) १ घर फर्क या भिता अन्तर प्रकट करने वाला । २ भेद-प्रभेद करने वाला । ३ खण्ड या विभाजन करने वाला । ४ काटने तोड़ने या छेदने
विमोस (सु) देखो 'विभावसु' विमी-देखो 'वैभव' ।
वाला ।
विभेदणी (बौ) - क्रि० [सं० विभेदनम् ] १ अन्तर, फर्क या भिन्नता प्रकट करना । २ अनेक भेद-प्रभेद करना । ३ खण्डन या विभाजन करना । ४ काटना, छेदना, तोड़ना । ५ घुसाना, धसाना ६ ईर्ष्या उत्पन्न करना । विभोग (यौ) - पु० १ राज्य कर । २ कृषि उपज में जागीरदार का अंश । ३ ग्रामोद-प्रमोद, विलास ।
"
विभोर - वि० [सं०] १ धानन्य, मस्त मगन, लीन। २ मद विमची स्त्री० रक्त विकार संबंधी एक रोग ।
1
मस्त ३ विकल बिहुल व्याकुल
3
वि० [सं० विभ्रंश ] १ प्रवनति, पतन । २ विनाश, विध्वंस । ३ हामि, नुकसान । ४ ऊंचा कगार । ५ पहाड़ के शिखर का चौरस मैदान ।
विश्व सण पु० [सं० विभ्रंशम् ]
i
१ विनाश करना क्रिया, विध्वंस । २ हानि, नुकसान ३ बरबाद, तहस-नहस । विसी (बी) ०ि [सं० विभ्र ंशम् ] १ विनाश, विश्वंस - क्रि० विभ्रंशम् करना । २ हानि, नुकसान करना। ३ बरबाद करना । ४ सहार करना, मारना ।
विभ्रम- पु० [सं० विभ्रमः] १ घूमने की क्रिया, भ्रमण, चक्कर।
२ भूल, गलती । ३ उतावलापन, उद्विग्नता । ४ भ्रम, प्रान्ति, एक सन्देह ५ एक वारिक पेष्टा विशेष ६ चकित । ७ संयोग शृंगार में नायिका की एक अवस्था विशेषं ।
विभ्रमण (at) - क्रि० [सं० विभ्रमणम् ] १ घूमना, चक्कर लाना २ बितार या चिठित होना है भूल या गमती में होना । ४ भ्रमित होना, शंकायुक्त होना। ५ प्राश्चर्य चकित होना । ६ काम क्रिया के लिये उत्प्रेरित होना । ७ उतावला या उद्विग्न होना । ८ गलती करना, भूल
करना ।
विभ्रमा स्त्रो० १ पाथी, कांति, शोभा २ सुन्दरता ३ बुद्धा वस्था, बुढापा ।
विभ्रम-देखो 'विभ्रम' ।
विभ्रमण (at) - देखो 'विभ्रमणौ' (बो) । विभ्रस्ट - वि० [सं० विभ्रष्ट ] १ पथ भ्रष्ट, पतित । २ नष्ट,
ध्वस्त ।
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विभ्रांत - वि० [सं०] १ घूमा हुधा, चक्कर खाया हुधा । २ चितित । ३ प्राश्चर्य चकित । ४ भ्रमित, शंकायुक्त | ५ उद्विग्न ।
विद्यांतील वि० [सं० विभ्रान्त-शील) १ बन्दर वानर ।
२ सूर्य मंडल | ३ चन्द्र मण्डल । वि० १ व्याकुल, चिंतातुर । २ नशे में चूर ।
विभ्रांति स्त्री० [सं० विभ्रान्ति] १ भ्रमण, चक्कर २ धूल; गलती ३ सौन्दर्य शोभा ४ शंका शक, संदे ५ भ्रान्ति, धोखा । ६ घबराहट, उद्विग्नता । विभ्राज-पु० [सं०] १ ययाति वंश का एक राजा । २ एक अन्य प्राचीन राजा ।
विमंत्री स्त्री० प्रार्या गोति का एक भेद ।
विमगौ-वि० १ धद्भुत धनोखा २ बिना मांगा था।
।
विमरवक
विमरगड (खो) १०१ एक प्रकार का सुगंधित वृक्ष २ देखो 'दू'खो' ३ देखो 'विमन'
विमता स्त्री० १ प्रापत्ति, विपत्ति । २ नम्रता, धेयं । ३ गरीबी, निर्धनता।
विमति- वि० [सं०] १ विपरीत बुद्धि वाला, मूर्ख, मूढ । २ बुद्धिहीन । ३ विरोधि मत का । स्त्री० १ भिन्न मति, मतान्तर । २ मूर्खता । ३ नापसंदगी ।
।
मदवि० [सं०] मद रहित पु० सत्य संघ राजा । विमधु पु० [सं०] प्रमृत पीयूष वि० १ विशेष मीठा । २ कड़वा । ३ प्रज्ञानी, मूखं । ४ विशेष मोहित, उन्मत्त । ५. विकल ब्याकुल ६ उदासीन वि विमन - वि० १ उदासीन, खिन्न चित्त । २ व्याकुल, उद्विग्न । ३ चितित, दुःखी । ४ क्रूर, क्रुद्ध, निर्दयी । स्त्री० वमन, के, उल्टी ।
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विमनुस्या स्त्री० [सं० विमनुष्या] एक प्रचारा विमन (न. नौ) - देखो 'विमन' । विपर-१ देखो 'विवर' २ देखो 'विमल' विमरद-पु० [सं० विमर्दः ] १, मसलने, मलने या उबटन करने
। ८
।
की क्रिया । २ स्पर्श । ३ रगड़, रौंदना क्रिया । ४ युद्ध, संग्राम । ५ नाश, बरबादी ६ संहार, विनाश। ७ कष्ट, दुःख देना किंवा खग्रास ग्रहण ९ सूर्य चन्द्रमा का समागम । १० एक किरात राजा ११ नपुंसक व्यक्ति । १२ कमजोर या सामध्यहीन व्यक्ति । विमरदक वि० [सं० विमर्दकः] १ मर्दन करने वाला, मसलने वाला, उबटन करने वाला । २ रगड़ने, रौंदने वाला, कुचलने वाला । ३ नाश, बरबाद करने वाला । ४ मारने वाला संहार करने वाला ५ युद्ध करने वाला ।
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विमरवण
। ६२३ )
विमूहो
विमरवण-देखो 'विमरद'।
विमारणवी-स्त्री० देवी प्रकोप से होने वाला एक वात रोग । विमरवित-वि० विमरद किया हुमा, मसला हुमा, रौंदा हमा। विमारिणक, विमारणी, विमाणीक, विमरणीय-देखो 'बमांनिक' । विमरस-पु० [सं० विमशं] + नाटक की पांच संधियों में से | विमारणी, विमान-देखो 'विमाण'।
एक । २ वासना। ३ विचार, समीक्षा । ४ बहस । विमांस-पु० [सं०] मशुद्ध या पवित्र मांस। ५ शंका, संदेह।
विमाह-देखो 'विवाह। विमरीर-वि० जबरदस्त, महान्, शक्तिशाली।
विमात विमाता (त्र, त्री)-बी० [सं० विमात] सौतेली मां। विमळ, विमल-वि० [सं० विमल] १ मल रहित, निर्मल, पिता की अन्य पत्नी। .
उज्जवल । २ सफेद, स्वच्छ, साफ। ३ पार दर्शक। विमार, विमार-वि.अस्वस्थ, रोगग्रस्त । ४ दोष रहित, निर्दोष । ५ सुन्दर, मनोहर, शोभायुक्त। विमारग-पु० [सं० विमार्ग] .दुरा रास्ता, कुमार्ग। २ बुरा ६ पावन, पवित्र शुद्ध । (वाणी)-पु. १ चांदी। २ सेंधा
प्राचरण । नमक । ३ एक प्राचीन राजा। ४ एक यक्ष । ५ एक विमाळ. विमान-स्त्री. १ देरी, विलंब। २ विचार। -वि. मात्रिक छन्द विशेष । ६ देखो 'विमलनाथ' ।
चुप, शांत । विमलक-पु. एक बहुमूल्य पत्थर ।
विमाळरणो (बो)-क्रि० विचार करना। विमलकथ-वि. कीर्तिवान, यशस्वी। -स्त्री० कीति, यश ।
विमाळो-देखो 'विमाळ'। विमलगिरिव (गिरि)-पु० शत्रुबय पर्वत का एक नाम ।
विमास, विमासण-पु० विचार। विमलजिन-पु. एक तीर्थकर ।
विमासणी (बौ)-क्रि० १ विचार करना । २ समझाना। विमळता, विमलता-स्त्री० [सं० विमल+प्र. ता] १ स्वच्छता,
विमाह (हो)-देखो 'विवाह'। निर्मलता। २ पावनता, पवित्रता । ३ सुन्दरता, मनोहरता।
विमाहणी (बो)-देखो 'विवाहणों (बो)। ४ मधुरता, मीठापन ।
विमुक्त-वि० [सं०] १ छूटा हुमा, मुक्त। २ माजाद, स्वतंत्र । विमळवान-पु० [सं० विमल-दान] १ देवतामों को मेंट,
३ त्यागा हुमा; छोड़ा हुमा। ४ फेंका हमा, छोड़ा हमा। चढ़ावा । २ केवल ईश्वर के प्रीत्यर्थ दिया जाने वाला
५ दायित्व प्रादि से मुक्त। दान। विमळध्वनि-पु. एक छन्द विशेष ।
विमुक्ति-स्त्री० [सं०] १ छूटने या मुक्त होने की अवस्था, विमलनाथ-पु. एक तीर्थंकर ।
छुटकारा। २ पाजादी, स्वतंत्रता। ३ अलगाव, बिछोह । विमळरूप-पु० हंस।
४ मुक्ति, मोक्ष । विमळा, विमला-स्त्री० [सं० विमला] १ सरस्वती का | विमुख (खो)-वि० [सं०] १ जो किसी कार्य, विषय या बात
नामान्तर । २ एक देवी विशेष । ३ सुरभि की एक पुत्री, पर एकाग्रचित न हो। २ खिलाफ, प्रतिकूल, विरुद्ध । गाय । ४ वासुदेव की नायिका । -वि. निर्मल, स्वच्छ,
३ उल्टा, विपरीत। ४ पुनरावर्तन, प्रत्यावर्तन । ५ पौंधा, साफ।-प्रातमा, प्रात्मा-वि० शुद्धात्मा, सहज स्वभाव । | उल्टा । ६ बिना, रहित, हीन । ७ उल्टे मुख । ८ मुख -पु०-चांद, चन्द्रमा।
रहिन। विमळाचळ (स), विमलावरी (दि. बी)-पु० [सं० विमलाचल] | विमुखता-स्त्री० [सं०] १ विरोध, प्रतिकूलता । २ अप्रसन्नता। शत्रुजय पर्वत का एक नाम ।
३ विरति । विमळापत (पति, पती), विमलापत (पति, पती)-पु० [सं० विमुग्ध-वि० [सं०] १ मोहित, मुग्ध, मासक्त। २ भ्रमित,
विमलापति] १ ब्रह्मा । २ स्वायंभूमनु । ३ दधीचि ऋषि । भ्रान्त । ३ उन्मत्त, मस्त । ४ विकल, परेशान । ५ पायल, - ४ मादित्य । ५ रंति राजा।
बावला । विमलेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० विमलेश्वर एक तीर्थ विशेष । विमुग्धकारी-वि० [सं०] १ मोहित करने वाला। २ मस्त । विमाण (ग), विमाण-पु. [सं० विमान] १ वायुयान, विमान,| ३ भ्रमित करने वाला।
उड़न खटोला। २ शव को प्रर्थी । ३ भगवान की सवारी विमुदर, विमुद्र-वि० [सं० विमुद्र] खिला हमा, विकसित । निकालने का पालकीनुमा वाहन। ४ देव मंदिर का | विमुह (हि, हो)-देखो 'विमुख'। ऊपरी भाग। ५ वाहन, सवारी। ६ सात खंडों वाला | विमुहाळ-वि० भोंधा, उल्टे मुख । मकान ।
विमूहो-देखो 'विमुख'।
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विमूढ
वियोजण
विमूढ-वि० [सं० विमूढ] १ मूर्ख, नासमझ । २ विशेष मोहित; | विमोहा-पु. छः वर्ण का एक छन्द विशेष ।
मुग्ध । ३ भ्रमित । ४ चेतना रहित, चेतना शून्य। विमोहित-वि० [सं०] १ मोहित, माकर्षित । २ लालायित । -गरम-पु० मृत गर्भ ।
३ भ्रमित, भ्रान्त । ४ अचेत, बेसुध । विमूळ-वि० [सं० विमूल] १ मूल रहित, निमूल । २ नष्ट, | विमोही-वि० [सं० विमोहिन] मोहित, भ्रमित या प्रचेत बरबाद।
करने वाला। विमूळरण-पु. [सं० विमूलन] १ उन्मूलन, उखाड़ फेंकने की | विम्मर-देखो 'विवर'। क्रिया या भाव । २ नाश करना क्रिया ।
विम्मळ (ल)-देखो 'विमळ' । विमेक (ख)-देखो 'विवेक'।
विय-देखो 'बियः । विमोक्ख, विमोक्ष, विमोख-पु० [सं० विमोक्ष] १ बंधन मुक्त | वियग्मणि-पु० [सं० वियद्मणि] सूरज, सूर्य ।
करने या मुक्ति देना क्रिया। २ मोक्ष, मुक्ति। ३ ग्रहण से | वियटळ-देखो 'विटळ'। मुक्ति । ४ सुमेरु पर्वत।
वियत-पु० [सं० वियत्] माकाश, व्योम, गगन । विमोखरण-स्त्री०१बंधन मुक्त या रिहा करना क्रिया। २ तीर | वियतमरिण (रणी)-पु० [सं० वियत्-मणि] १ सूरज, सूर्य ।
प्रादि छोड़ना क्रिया ।-वि० १ मुक्त या रिहा करने वाला। २ चांद, चन्द्रमा । . २ छोड़ने, चलाने वाला । ३ मुक्ति दिलाने वाला। वियदगंगा-स्त्री० [सं०] माकाश गंगा। विमोखणो (बौ)-क्रि० [सं० विमोक्षणम्] १ बंधन मुक्त करना, | वियांणी-वि. जन्म देने वाली।
रिहा करना । २ तीर, गोली प्रादि छोड़ना। ३ जन्म-मरण | वियान-१ देखो 'ब्यान' । २ देखो 'बियांन' । से मुक्ति दिलाना।
वियाज, विधाज-देखो 'व्याज। . विमोचक-वि० मुक्ति दाता, बंधन मुक्त या रिहा करने वाला।
वियाणी (बो), वियाणी (बौ)-देखो 'ब्याणी' (बो)। विमोचरण (न)-पु० [सं० विमोचन] १ मुक्त करना क्रिया, विद्यापीबी). बियापणी (बी)-देखो व्यापणों (बी)। मुक्ति । २ मोक्ष, निर्वाण। ३ कुरुक्षेत्र स्थित एक तीर्थ ।
वियापि (पी)-देखो 'व्यापी'। ४ नाश करना क्रिया।
वियार-१ देखो "विकार' । २ देखो 'विचार'। विमोचरणौ (बौ)-क्रि० १ बंधन से मुक्त करना, रिहा करना।
वियाळु (ळू), वियाळ-देखो 'व्याळ । २ मावागमन मिटाना, मुक्त करना ।
वियास-देखो 'व्यास'। विमोद-पु० [सं०] अत्यन्त हर्ष, मोद, प्रसन्नता ।-वि० मोद या
वियासियो-देखो 'बंयासियो' । हर्ष रहित।
वियोग, वियोग-पु० [सं०] १ संयोग का अभाव । २ विच्छेद, 'विमोह-पु० [सं०] १ प्रत्यन्त मोह। २ प्रज्ञान, भ्रम। ३ एक
अलगाव । ३ भवसर, मौका । ४ विरह, जुदाई । नरक का नाम ।-वि०१ मोह रहित । २ बेसुध, प्रचेत।
५ साहित्य में एक प्रलंकार विशेष ।-वि० रहित, बिना। विमोहक-वि० [सं०] १ मोह उत्पन्न करने वाला, लुभाने |
-क्रि० वि० वियोग में, अलग । वाला, माकर्षित करने वाला । २ लोभ उत्पन्न करने वाला,
वियोगरण (रणी)-स्त्री० [स० वियोगिनी] वह स्त्री जिसका ललचाने वाला। ३ अचेत या बेसुध करने वाला।
पति से वियोग हो गया हो, विरहिणी। विमोहण (णो)-पु० [सं०] १ मोहित करने की क्रिया, प्राक
वियोगांत-वि० [सं०] दुःखमय अत वाला ।-स्त्री. दु:खांत षित करने की क्रिया । २ लुभाने या ललचाने की क्रिया।
कथा । ३ अचेत या बेसुध करने की क्रिया। ४ कामदेव के पांच बाणों में से एक । ५ एक नरक का नाम। ६ मोह रहित
वियोगिण (णि, रणी), वियोगिण-देखो 'वियोगण' । करने की क्रिया।-वि० १ मोहित करने वाला, आकर्षित
वियोगी, वियोगी-वि० [सं०] १ जो अपनी पत्नी या प्रिया से करने वाला । २ लोभ उत्पन्न करने वाला। ३ प्रचेत या
दूर हो, विरही। २ विरह से दुःखी । बेसुध करने वाला । ४ मोह रहित करने वाला। वियोगी-पु० १ वियोग । २ देखो "वियोगी'। विमोहरणो (बो)-क्रि० [सं० विमोहनम, मोहित होना, वियोजक-वि० [सं०] १ वियोग उत्पन्न करने वाला । २ अलग
मुग्ध होना। २ प्राकर्षित होना। ३ लालायित होना, या विलग करने वाला। ललचाना । ४ भ्रमित या भ्रान्त होना। ५ अचेत होना, वियोजरण-पु० [सं० वियोजन] १ वियोग कराने की क्रिया या बेसुध होना। ६ मोह रहित होना। ७ मोहित, अचेत या प्रयास । २ अलग या पृथक करने की क्रिया, भाव या बेसुध करना।८ मोह रहित करना।
तत्त्व । ३ गणित में घटाने की क्रिया, बाकी।
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वियो
। ६२५ )
विरत्तरी
वियो-देखो 'दूजो'।
विरचरणी(बी), विरचणी(बी)-क्रि० १ पलटना, बदलना, विमुख वियौवन-पु०१ युवावस्था के बीच का समय । २ युवावस्था होना। २ पीछे हटना । ३ विरुद्ध होना, प्रतिकूल होना। के बाद का समय।
४ ऋद्ध या कुपित होना। ५ रचना, बनाना । ६ प्रायोजन विरंग (गु, गू, गौ)-वि० [सं० विरंग] (स्त्री० विरंगी) करना, मनाना। ७ विरक्त, उदासीन या तटस्थ होना ।
१ अप्रिय, पसुहावना । २ जो समय के प्रतिकूल हो। ८ कम होना, घटना । ९ त्यागना, छोड़ना । १० धोखा ३ कड़वा, बेस्वाद । ४ बदशक्ल, बदरूप, कुरूप ।। देना, छलना। ५ बदरंग । ६ बहुरंगी । ७ भयंकर, डरावना । ८ उदासीन, विरचयिता-वि० [सं०] बनाने वाला, रचना करने वाला। खिन्न । ६ अशुभ (रंग)। १० फीका, नीरस । ११ अनुराग विरचित-वि० [सं०] रचित, निर्मित । या इश्क रहित । १२ दुःख पूर्ण, पीड़ा युक्त, सन्ताप युक्त। विरछ-देखो 'वक्ष'। १३ प्रभाव रहित, रोब रहित । १४ जोश रहित। विरछी-पु. बबूल की फली। १५ भद्दा, बुरा। १६ शुष्क, सूखा, निर्जल । १७ कड़वा, विरज-पु० [सं० विरजः] १ भगवान् विष्णु का नामान्तर । कणं कटु । १८ विकट।
२ शिव, महादेव । ३ वीर्य, बीज । [सं० विरजस्]४ नाराविरंच-स्त्री. १ एक पौषधि विशेष । २ देखो 'विरंचि'। यण का एक मानस पुत्र । ५ एक प्रजापति ।-वि० १ धूल, विरंचनाथ-देखो विरंचि'।
रज रहित, निर्मल, स्वच्छ । २ जिसका रजोधर्म बन्द हो विरंचि (ची), विरंचिनाथ-पु० [सं० विरिञ्च, विरिञ्चि] गया हो (स्त्री)। ३ सुख व वासना से मुक्त, अनुराग रहित ।
१ ब्रह्मा। २ विष्णु। ३ शिव । -सुत-पु० ब्रह्मा के पुत्र विरजा-पू० [सं० वीर्य+ज] १ पिता । २ ब्रह्मा का एक मानस नारद।
पुत्र । ३ शिव का एक नामान्तर । ४ वसिष्ठ ऋषि का विरंज (जो)-पु. १ चावल के साथ पकाया जाने वाला मांस । |
एक पुत्र । ५ भगवान नारायण का एक पुत्र ।-स्त्री. ' २ चावल का मीठा व्यंजन । ३ देखो "विरंचि'।
६ विरजस नामक प्रजापति की कन्या । ७बीकृष्ण की विरंटी-देखो 'भिंडी'।
एक सखी। ८. राजा नहष की पत्नी। विरउ-वि० हल्का, तुच्छ ।
विरजाक्ष-पु० [सं०] मेरु पर्वत के पास उत्तर में स्थित एक विरक-पु० [सं० वृक] भेड़िया।
पर्वत । विरकत-देखो 'विरक्त'।
विरजाक्षेत्र (खेत, खेत्र)-पु० [सं०] उड़ीसा का एक पवित्र विरक्ख-देखो 'क्ष' ।
तीथं । विरक्त-पु० [सं०] १ रामस्नेही साधुमों का एक वर्ग । २ एक
विरडणौ (बो)-देखो "विरड़णो' (बी)। । प्रकार का बाजा ।-वि० १ अनुराग या प्रासक्ति रहित ।
विरणियो-वि० वीर, बहादुर, योद्धा । २ सांसारिक बंधन या प्रपंच से अलग, तटस्थ उदासीन । ३ अत्यन्त लाल, गहरा लाल । ४ भोग व वासना से |
विरतंत (ति)-देखो 'व्रतांत'। उदासीन । ५ बदरंग । ६ त्यागी । ७ खिन्न, उदास ।
| विरत-पु० १ झूठ, ममत्य । २ यति, विश्राम । ३ देखो 'व्रती'। विरक्तता, विरक्ति-स्त्री० [सं० विरक्ति] १ अनुराग या आसक्ति
४ देखो 'विरक्त'। ५ देखो 'व्रत'। का प्रभाव विमुखता । २ उत्तेजना । ३ खिन्नता, उदासी।
विरतांत-देखो व्रतांत'। ४ संसार से उदासीनता । ५ तटस्थता । ६ त्याग।
विरता-५ देखो "विरक्त'। २ देखो "विरक्तता'। विरख-देखो 'बम'। .
विरति (ती)-स्त्री० [स. विरतिः] १ अन्तिम अवस्था । विरखमांण (शु न, नु, मू)-देखो 'वसभानु' ।
२ अवसान, समाप्ति । ३ अन्तिम छोर, शिरा । ४ देखो विरखा-देखो 'वरसा'।
'विरक्ति' । ५ देखो 'अति' । ६ विपरीत रति । विरखाकरण-देखो 'वरखाकरण' ।
विरतिचक्ष (चक्ष , चख)-पु० मंत्री ।-वि० [स० विरत्त-चक्षु] विरगावणी (बी)-क्रि० दोन वचन कहना, गिड़गिड़ाना ।
१ लाल प्रांखों वाला । २ क्रोष पूर्ण माखों वाला। विरहक, विरड़क-पु. १ बाधा, विघ्न । २ रोक, रुकावट । विरतेसर (सरी, सुर, सुरी, स्वर, स्वरी)-देखो 'व्रतेस्वरी'। ३ प्रतिबंध ।
विरतो-देखो "विरत्तो'। . विरदणी (बी), विरहणी (बी)-क्रि० १ घुसना,धंसना । २ कूपित | विरत्त-१ देखो "विरक्त'। २ देखो 'ति'।
या क्रुट होना। ३ लड़ना, झगड़ना। ४ राजसत्ता के विरत्तउ-वि० [सं० विरक्त] पराङ मुख । विरुद्ध विद्रोह करना।
विरतणी (बी)-क्रि. १ कुपित होना, ऋद होना। २ पीड़ित
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विरत्ति
विरहानळ
या दु:खी होना। ३ उदासीन या खिन्न होना। ४ तटस्थ २ प्राकर्षित करना । ३ पथ भ्रष्ट करना, गुमराह करना । होना।
४ वस्तु को उलट-पुलट कर देखना। ५ चीरना, फाड़ना। विरत्ति-१ देखो "विरक्ति'। २ देखो "विरति' । ३ देखो 'वति'। ६ ऊपर नीचे करना । ७ बिखेरना, पस्त-व्यस्त करना । ४ देखो 'वीरता'।
८ तहस-नहस या नष्ट होना प्राकर्षित या मोहित विरसौ-वि० [सं० विरक्त] (स्त्री० विरत्ती) १ पीड़ित, . होना। १० पथ भ्रष्ट या गुमराह होना। ,
दुःखी, कष्टमय । २ कुपित, क्रुद्ध । ३ उदासीन, खिन्न | विरळारणो (बी), विरळावणी (बो)-क्रि० दिखाना । चित्त।
विरळ, विरलु, विरळी (लो)-वि० [सं० विरलं] (स्त्री० विरळी) विरथ-वि० [सं०] १ बिना रथ का, रथहीन । २ नपंजय के १ विशेषता रखने वाला, विशिष्ट । २ दुर्लभ्य, पलभ्य । पुत्र बहुरथ का नाम । ३ देखो 'व्य रथ'।
३ लाखों में एक, पद्वितीय। ४ थोड़ा, कम। ५ निर्जन, विरथा, विरथा-देखो 'वथा'। . .
शून्य । ६ सघन का विपर्याय । ७ गाढा का विपर्याय, विरत, विरद-१ देखो बिड़द' । २ देखो 'विरुद' ।
पतला । ८ खाली रिक्त । ९ छितराया हुआ । विरवघरण (मल, झलू), विरदधर (धार, धारी, धारु)-वि० १० नाजुक ।
१ विरुदधारी, यशस्वी । २ बीर, बहादुर, योद्धा । विरवड़, विरवड़ी- देखो 'वरवडी'। विरवपगार-वि० विरुष की रक्षा करने वाला।
विरस-वि० [स०] १ जिसमें रस न हो, नीरस । २ जिसमें विरवपत (पति, पती)-देखो विरुदपति' ।
स्वाद या जायके का प्रभाव हो, बेस्वाद, फौका । ३ प्रेम विरवाणी (बो)-देखो "विरुदागो' (बी)।
या प्रीति से रहित, रूखा, विरक्त, उदासीन । ४ रतिक्रीड़ा विरदाधिप (पत, पति, पती)-देखो 'विरुदपति' ।
या हास-विलास से विरक्त । ५ उमग-जोश रहित, विरदायक-१ देखो 'वरदायक' । २ देखो 'विरुदायक' ।
निरुत्साहू । ६ तरलता या प्रार्द्रता रहित, शुष्क । ७ तत्त्वविरवाळ (लो)-देखो 'विरुदाळो' ।
सार रहित, निस्सार। ८ नाराज। १ दुश्मन, शत्रु । विरवावरणो (बो)-देखो "विरुदाणी' (बौ)।
१० चिन्तातुर, उदास । ११ अरुचिकर। १२ दया रहित, विर-देखो "विरुद'।
निर्दयो । १३ निष्ठुर । १४ कष्टदायी, दुःखदायी । विरदेत-देखो 'विरुदैत' ।
-दु. १ क्रोध, गुस्सा । २ कलह, झगड़ा । ३ कड़वाहट । विरद-देखो 'विरुद'।
विरसाळी (लो), विरसाळो-वि० (स्त्री० विरसाली) १ श्रेष्ठ, विरदत-देखो विरुदैत'।
उत्तम । २ देखो 'विरस'। विरह-देखो 'विरुद'।
विरह, विरह-पु० [सं०) १ संयोग का प्रभाव, वियोग । विरघ, विरघ-१ देखो 'बिड़द' । २ देखो "विरुद' । ३ देखो। २ वियोग जनित दुःख । पीड़ा। ३ नायक-नायिका की 'विरुद्ध'। ४ देखो 'ब्रद्ध'।
जुदाई, अलगाव । ४ विच्छेद, पार्थक्य । ५ गैर हाजरी, विरधा, विरधा-१ देखो 'वद्ध' । २ देखो 'वधा' ।
अनुपस्थिति । ६ छोड़ने की क्रिया, त्याग ।-वि० १ रहित, विरधापण (परणो)-देखो 'बद्धना' ।
हीन । २ तप्त, गर्म । ३ देखो 'विरही'। ' विरधि (घो)-देखो ‘द्धि'।
विरहण (णि, णी), विरहण-स्त्री० स्त्री या नायिका जो अपने विरम-देखो 'ब्रह्म'।
प्रियतम से विलग हो, वियोगिनी स्त्री । विरमचारी-देखो 'ब्रह्मचारी'।
विरहगो (बो)-क्रि० [सं०] १ चीरा जाना, विदीर्ण किया विरमांणी, विरमाणी-देखो 'ब्रह्माणी'।
जाना। २ संयोग का प्रभाव होना। ३ विच्छेद होना, विरमा, विरमा-देखो 'ब्रह्मा' ।
अलग होना। ४ दो प्रेमियों का अलग-अलग होना । विरमारणी (बी), विरमाणौ (बौ), विरमावरणो (यो)
५ प्रेमियों की जुदाई का कष्ट होना । ६ छोड़ना, त्यागना । विरमावणो (बी)-देखो "विलमाणों' (बी)।
विरहन (नि,नी)-देखो 'विरहरण'। विरमो-पु० दुसाला, वस्त्र, चद्दर ।
विरहमण, विरहामण-देखो 'ब्राह्मण'। विरम्म-१ देखो 'वरम' । २ देखो 'ब्रह्म'।
विरहाग, विरहागन (नि, नी, ग्नि)-स्त्री० [सं० विरह-अग्नि] विरयां-१ देखो 'वेळा' । २ देखो 'बिरियां' ।
विरहानल, विरह की भाग, व्यथा । विरळ, विरल, विरलउ-पु० सूर्य, सूरज ।
| विरहानळ (ल, लि, ळी)-स्त्री० [सं० विरह-अनल] विरह की विरळणी (बी)-क्रि० १ तहस-नहस करना, नष्ट करना । प्राग, विरह-व्यथा।
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विरहाळी
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पुष्पा, सौंफ २ देखो 'विरही' |
बिरहाळी (सी) स्त्री० विरहि १ देखो 'बिरद्द' विरहिण ( रिण, णी) - देखो विरहणी' । विरही - वि० [सं०] (स्त्री० विरहिणी) १ जो अपनी पत्नी या प्रिया से अलग या दूर हो। २ प्रिया वियोग से दुःखी । ३ कठोर । पु० १ वियोगी पुरुष या नायक । २ देखो 'बरही' ।
विरहोवर - वि० महावीर, वीरों में श्रेष्ठ । पु० बलराम का एक
विरहो-देखो 'विरछ' ।
विरांण, विरांण- १ देखो 'विरांग' । २ देखो 'वीरांन' । बिरांतीविरांगी देखो 'बयांणी' २ 'बिडोली'। दिलो-देखो 'विदांगो' |
विरांत - १ देखो 'वीरांन' २ देखो 'वीरांण' ।
( ६२७ )
नामान्तर ।
विरहुरण (रिप णी) -- देखो 'विरहणी' । विरहोत्कंठिता- स्त्री० [सं० विरह- उत्कंठिता] विरह में व्याकुल नायिका जिसे नायक के आने का विश्वास हो ।
विराम-स्त्री० [सं० विराम] १ क्रिया, गति या चाल में ठहराव, अटकाव, रुकने का भाव । २ धाराम, विश्राम । ३ कार्य से श्रवकाश, निवृत्ति । ४ वाक्य छन्द में यति । ५ यति का चिह्न । ६ चिह्न, लक्षण । ७ अंतिम अवस्था समाप्ति ।
भ्रम भ्रांति सन्देह ९ घबराहट, बेचैनी १० उत्पात उपद्रव । ११ कष्ट, पीड़ा, संकट । १२ निवास स्थान । १३ अज्ञान ।
बिरामी विराणी-देखो 'बंदी'।
विरागीय विरागो-देखो 'वैराग्य' ।
विगत विदे
विरामी नवी० १ ब्रह्मचारिणी देवी २ ब्राह्मणी । विरामी (बी) क्रि० १ शर्मिन्दा करना, लज्जित करना। २ कष्ट देना, दुःख देना, पीड़ित करना । ३ रोकना, ठहराना । ४ मरना । ५ हटना । वि० [सं० विरामब्रह्म] ब्रह्मताल का एक भेद । विरामी वि० [सं० विराम ] १ विधाम या धाराम करने वाला । २ व्याकुल, बेचैन । ३ शर्मिन्दा करने या होने वाला ४ पीड़ादायक ५ रोकने वाला । ६ मरने वाला । ७ हटने वाला । विराग विराग-पु० १ मिबराग विराग (ब), विरायण (बो)
होना । २ संन्यास लेना । ३ त्यागना, छोड़ना ।
२ वैराग्य ।
० १ बराम्य लेना विरक्त
विराट, विराड़पु० १ हिस्सा भाग बंट २ देखो 'बरा' विराज- स्त्री० १ शोभा, सुन्दरता, सौन्दयं । २ बैठना क्रिया
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३ राजा, नृप। ४ ब्रह्मा की प्रथम संतान । ५ क्षत्रिय जाति का व्यक्ति । ६ स्वयंभू मनु का नामान्तर । ७ एक वैदिक छन्द विशेष ।
विराजणी (बो), विराजणी (बौ) - क्रि० [सं० विराजनम् ] १ शोभित होना, शोभायमान होना २ निवास करना, रहना ३ बैठना । ४ होना । ५ उमड़ना, छाना, श्राच्छादित होना । ६ रहना । ७ जीवित रहना । ठहरना, रुकता । ९निवास करना १० स्थित होना ११ उपस्थित होना, विद्यमान होना ।
विराजमान विराजमान - वि० [सं० विराजमान ] १ शोभायमान, शोभित २ उपस्थित विद्यमान । 1 ३ बैठा हुधा ।
४ स्थित । ५ कोई स्थान विशेष का स्थान विशेष ग्रहण किये हुए। पु० १ बैठना क्रिया । २ बैठाना क्रिया । ३ पत्रलेखन में एक संबोधन ।
विराजित - वि० १ बैठे हुए, शोभित । २ विद्यमान । विराजी देखो 'बेराजी' ।
विराळी
विराट पु० [ नं० विराट] १ महाभारत के एक पर्व का नाम
२ जयपुर, अलवर व भरतपुर के बीच का एक प्रदेश ३ इस प्रदेश का राजा । ४ स्वयंभूमनु का एक नाम । ५ भगवान विष्णु का विश्व रूप । ६ बलि छलने के लिये विष्णु द्वारा धारित त्रिविक्रम रूप। ७ विश्व शरीरमयी अन्त: पुरुष ब्रह्मा की प्रथम संतान । ६ एक देवयोनि । १० एक प्रकार का छद । ११ देखो 'वैराट' । विराटक- पु० [सं०] एक प्रकार का हीरा या नग । विराटरूप पु० [सं०]] विष्णु का विश्व रूप विराट-देखो 'विराट' ।
विराडी (बौ) --क्रि० डरना, भयभीत होना । - पु० विराप ० रा कुलोत्पन्न एक गोषकार बिरादर-देखो 'विरादर'
विराधी- देखो 'बिराधक' |
विराळ (ल) - स्त्री० उष्णता वाष्प । विराळी, विराली-देखो 'बिराळी' ।
बिरादरी, विशहरी-देखो 'बिरादरी'
विराध-पु० [सं० विराध] १ निरोध, प्रतिकूलता २ धनादर अपमान । ३ कष्ट, पीड़ा । ४ रामायणकालीन एक राक्षस वि० [सं० विराद्ध] १ विरोधी, प्रतिपक्षी । २पमानित तिरस्कृत ३ पीड़ित दुःख विराधी (बी) ० १ विरोध करना, विरुद्ध कार्यवाही
करना । २ अनादर या अपमान करना। ३ रोकना, अवरुद्ध करना । ४ कष्ट देना, दुःख देना । ५ नष्ट
करना ।
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विराव
( ६२८ )
विरूपाक्ष
विराव-पु० [सं०] १ हल्ला-गुल्ला, शोरगुल । २ ध्वनि, शब्द ।
वाला। ३ एक देव योनि विशेष ।
विरुद्द-१ देखो 'विरुद' । २ देखो विरुद्ध'। विरावणो (बौ)-क्रि० १ हल्ला-गुल्ला करना, शोर करना । | विरुद्ध-वि० [सं०] १ जो विरोध करता हो, विरोधो। २ शत्र , २ ध्वनि या शब्द करना, बोलना ।
दुश्मन । ३ विपरीत, उल्टा । प्रतिकूल । ४ अवरुद्ध, अटका विराह-पु० [सं० वि+-फा० राह] १ कुमार्ग, बुरा रास्ता ।। हुमा। ५ घेरा बन्दी किण हा । ६ बेमेल, असगत ।
२ बिना रास्ता, रास्ता विहीन । ३ उल्टा रास्ता ४ देखो ७ अशुभ, बुरा। ८ अनुचित । ६ वजित, निषिद्ध ।-पु. 'वराह'।
१ दसवें मन्वन्तर ब्रह्मसारिण का एक देवगण । २ युद्ध । विरिच, चिरिचन, विरिचि-पु० [सं० विरच] १ ब्रह्मा । -करमा-वि० विपरीत प्राचरण या बुरे चाल-चलन २ विष्णु । ३ महेश ।
वाला ।-पु० उक्त प्रकार का व्यक्ति । विरिकत, विरिक्त-देखो "विरक्त' ।
विरुद्धता-स्त्री० प्रतिकूलता, विरोध । विरिक्ष (ख, खि, खी)-१ देखो 'वृक्ष' । २ देखो 'वरस'। | विरुध (धि, धी)-देखो 'विरुद्ध' । विरित-पु० [सं० वतिन्, व्रत्ति] १ श्वान, कुत्ता। २ देखो विरुपाक्ष (ख, खि, खी)-देखो 'विरूपाक्ष'। 'विरक्त'।
विरुयउ विरुयो-देखो 'विरूप्रौ' । विग्दि, विरिदि-देखो "विरुद' ।
विरुहरण (णि, णी)-देखो विरहणी'। विरिध-देखो 'वद्ध'।
विरूपउ विरूउ, विरूपौ-वि० [सं० विरूपक] (स्त्री० विरूद) विरिधि-देखो 'द्धि'।
१ बुरा, खराब, भद्दा। २ बदशक्ल, कुरूप। ३ बदजबान । विरियां-देखो ‘वेळा'।
४ बुरा, अशुभ। विरिस (सि, सी)-१ देखो 'वरीस' । २ देखो 'वरस' । | विरूठक-पु० [स०] १ इववाकुवंशीय एक राजा। २ एक लोक विरी-१ देखो 'बिना' । २ देखो 'बैरी' । ३ देखो 'बोड़ो'। पाल । विरुयो-देखो "विरूपों'।
विरूड-देखो 'विरुद्ध'। विरुझणी (बी)-क्रि० उलझना, फंसना ।
विरूणां-वि० वीरों का, वीरों से संबंधित । विरुत्त (तो)-देखो "विरत्तो'।
बिरूथरणी, (नी, थिनी)-स्त्री० १ वैशाखमास के कृष्ण पक्ष विरुत्थ (त्यौ), विरुथ-१ देखो 'वरूथ' । २ देखो 'विरत्तो'। की एकादशी। २ देखो 'वरूथरणी'। विरुथण, विरुयणी, विरुथनी-देखो 'बरूथरणो' ।
| विरूयो-१ देखो 'वरूथौ' । २ देखी 'वरूथ' । विरुद, विरुव-पू० [स०] १ किसी के गुण, यश, प्रताप प्रादि | विरूद-देखो विरुद'।
का वरणन। २ राजा की एक प्राचीन पदवी। ३ यश, | विरूध-देखो 'विरुद्ध'। कीति । ४ यशस्वी बात या यश का कार्य । ५ कर्तव्य । विरूप, विरूप-वि० [सं०] १ बदशक्ल, कुरूप, महा। २ बहुरू६ देखो बिड़द'।-धार, धारी-वि० यशस्वी, कीतिवान । पिया, अनेक रूपी। ३ अप्राकृतिक, अद्भुत। ४ प्राभा, -पत. पति, पती-वि० विरूदधारी, यशस्वी।
कांति से हीन, मंद, फोका। ५ परिवर्तित रूप में, बदला विरुदाणो(बी), विरुदाणा(बी)-कि० १ जोश दिलाना, उत्साहित हुया। ६ भिन्न प्रकार का। ७ भयंकर, भयावह ।-पु०
करना । २ कीति गाना, यशोगान, करना। ३ ललकारना ।। १ श्रीकृष्ण के द्वारा मारा गया एक असुर । २ क्रोध का घिरदायक-वि० १ कीर्तिगान या यशोगान करने वाला । २ जोश मानवी रूप । ३ शिव का एक नाम। ४ बदली या बिगड़ी दिलाने वाला।
सूत ।-चक्ष, चक्ष , चख-पु० शिव का एक नाम । विरुदाळी-स्त्री० १ देवी, दुर्गा । २ देखो विरुदावळी'।
विरूपता-स्त्री. १ विरूप होने की दशा । २ भव करता। विरुदाळो--वि० (स्त्री० विरुदाळी) १ विरुदधारी, यशस्वी। विरूपपरिणाम-पु० एक रूपता से अनेक रूपता की ओर परि२ वीर, बहादुर । ३ श्रेष्ठ, उत्तम ।
वर्तन (दर्शन)। विरुवावरणौ (बौ), विरुदावणी (बी)-देखो 'विरुदाणी' (बी)। विरूपरूप-वि० [सं०] भद्दा, बेडौल, बदसूरत । विरुदावळी (लो), विरुदावळी-स्त्री. १ कीर्तिगान, यशवर्णन, विरूपा-वि० [सं०] बदसूरत, बेडौल, भद्दी ।-स्त्री० यम की
प्रशसा । २ यश वर्णन वालो कविता या पुस्तक । ३ देखो एक पत्नी। 'विरुदाळो'।
विरूपाक्ष (ख, खि)-वि० [सं० विरूप+अक्ष] बेढगे या डगवने विरुदेत, विरुदैत-वि० १ विरुदधारी, यशस्वी। २ यश गाने नेत्र वाला ।-पु० १ शिव, शंकर । २ शिव का एक गण ।
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विरूपाक्षपूजन
( ६२९ )
विलउ
३ एकादश रुद्रों में से एक । ४ एक भैरव का नाम । ५ एक डालने वाला, बाधक, अवरोधक। ६ खिलाफ, प्रतिकूल । दिग्गज । ६ एक नाग । ७ एक देवी।
-पु. साठ संवत्सरों में से २३ वा संवत्सर । विरूपाक्षपूजन-पु० [सं० विरूपाक्ष-पूजन] पौष शुक्ला १४ को विरोळ-पु. १ भ्रम, भ्रान्ति । २ नाश, समाप्ति । ३ विघ्न, किया जाने वाला विरूपाक्ष देवी का पूजन ।
बाधा । ४ अव्यवस्था, गड़बड़ी। ६ युद्ध, झगड़ा । ७ मथने विरूपिक, विरूपी-वि० (स्त्री० विरूपिका) बदसूरत, बदशक्ल । |
की क्रिया, मंथन ।-वि० नाश करने वाला, ध्वंस करने
वाला। -पु० कुरूप व्यक्ति।
विरोळण-वि० १ तहस-नहस करने वाला। २ अस्त-व्यस्त विरूहरण (रिण, रणी)-देखो 'विरहणी'।
करने वाला। ३ मारने वाला, संहार करने वाला। ४ मथने विरेच, विरेचक, विरेचरण (न)-पु. दस्त लाने वाली प्रौषधि, |
वाला, विलोड़ित करने वाला। जुलाब।
विरोळपो (बी)-क्रि० [सं० विलोडन] १ तहस-नहस करना, विरेफ-पु० [सं०] १ जल की धारा या जल स्रोत ।।
बरबाद करना। २ ध्वंस या नाश करना। ३ प्रस्त-व्यस्त २'र' वर्ण।
पा अव्यवस्थित करना। ४ संहार या नाश करना । विरोगी-वि० रुग्ण, बीमार।
५ मंथन करना, मथना, विलोड़ित करना। ६ उपभोग विरोचरण (न)-पु. [सं० विरोचन] १ सूरज, सूर्य । २ चन्द्रमा, करना । ७ बिखेरना, छितराना। ८ समाप्त करना; चांद। ३ प्राग, अग्नि । '४ पाक, मवार। ५ प्रह्लाद
मिटाना । ९ गुजरना, पार करना। १० पराजित करना, का पुत्र व बलि का पिता।-सुत-पु० राजा बलि । हराना। ११ रस लेना। राजा कर्ण।
विरोहण-पु० १ एक नाग विशेष । २ वह संतान जिसकी विरोचना-स्त्री० [सं०] १ भक्त प्रह्लाद की पुत्री। २ स्कन्द माता का वर्ण पिता के वर्ण से ऊंचा हो। की अनुचरी एक मातृका।
विलंद-पु. १ बालिश्त । २ देखो 'बुलब'। विरोणी (बी)-क्रि० पिरोना, पोना, गूंथना ।
विलब-पु० [सं० विलम्ब] १ देरी, प्रतिकाल । २ निर्धारित विरोख, विरोध-पु० [सं० विरोध] १ लड़ाई, झगड़ा। २ वर, | समय या अवधि से अधिक समय । ३ मालस्य । दृश्मनी । ३ विपरीत, विपक्ष मत । ४ मतभेद, मतान्तर । त्रिी
विलंबण (न)-स्त्री० [सं० विलम्बन] १ देर करने की क्रिया
[.विल ५ विरुद्ध होने की दशा या भाव । ६ अनबन, वैमनस्य । या भाव, विलम्ब की स्थिति । २ लटकने की क्रिया। ७ बाधा, रुकावट । ८ परस्पर विपरीत गुणों वाला तत्व ।
३ प्राश्रित या प्राधारित होने की अवस्था। ६ उल्टी दशा । १० नियत्रण, दमन । ११ प्रतिकूलता।
। विलंबरपो (बौ)-क्रि० [सं० विलम्बनम्] १ देर करना, विलम्ब १२ सामना, मुकाबला, चुनौती। १३ खण्डन, काट ।
करना। २ अधिक समय लगाना। ३ प्रालिंगन करना। १४ एक अर्थालंकार।
४ स्पर्श करना, छुना। ५ पकड़ना, ग्रहण करना । विरोधक-वि० १ विरोध करने वाला, विपक्षी। २ शत्र,
६ फंसना, धसना । ७ देर होना, विलंब होना । ८ महारा दुश्मन । -पु. भवरोधक तत्त्व ।
लेना। ९ मग्न होना, लीन होना। १० पासक्त होना, विरोधणी (बी-क्रि० [सं० विरोधनम्] १ विरोध करना ।
रत्त होना। ११ लगना, लिपटना। १२ उलझना, २ बेमेल कार्य करना। ३ वैर करना। ४ लड़ाई, झगड़ा
फंसना । १३ लटकना। १४ रुकना, अवरुद्ध होना। करना। ५ कार्य को रोकने का प्रयास करना। ६ बाधा
१५ चिपकना । १६ हर्षित या खुश होना। १४ भ्रमित या रुकावट डालना। ७ मुकाबला या सामना करना । होना, भूलना। १८ किसी की भोर उन्मुख या प्रवृत्त ८ खण्डन करना।
करना । १९ देखो "विलूबणी (बो)। विरोधाचरण-पू० [सं० विरुद्ध-पाचरण] १ प्रतिकूल प्राचरण। | विलंबिका-पु० अजीर्ण का एक रोग।
२ शत्रता का व्यवहार। ३ सामान्य से विरुद्ध प्राचरण। विलंबित-वि० [सं० विलम्बित १ लटका हुघा, झूला हुमा। विरोधिता-स्त्री. १ नक्षत्रों की प्रतिकूल दृष्टि । २ शत्रुता, २ जिसमें देर हो गई हो। ३ देर करने वाला । ४ सुस्त या दुश्मनी।
धीरे चलने वाला। विरोधी-वि० [सं० विरोधिन] १ विरोध करने या विरोध में | विलंभ-देखो 'विलंब' ।
रहने वाला। २ विपक्षी, प्रतिद्वन्द्वी। ३ शत्रु, दुश्मन, विळ, विल, विळ-१ देखो 'बिल' । २ देखो 'वल'। वरी। ४ सामना मा मुकाबला करने वाला। ५ बाधा विलउ-देखो 'विलय' ।
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बिलकरणी
विलम्मारणी
विलकरणी (बी), विलकरणी (बी)-देखो "बिलखणो' (बी)। ६ लगना, होना । ७ पावेष्टित होना, लिपटना । ८ कार्याविळकळरणी (बो)-देखो 'विळकुळणो' (बो)।
रंभ होना । ९ पकड़ना, ग्रहण करना । १० मालिंगन बद्ध विलकुल-देखो 'बिलकुल'।
होना लिपटना । ११ कष्टदायक बात होना। विळकुळणी (बो)-क्रि० १ व्याकुल या विह्वल होना। २ प्रसन्न | विलगाणी (बी), विलगाणी (बो)-क्रि० १ लगाना, लिपटाना।
या खुश होना । ३ उतावला या प्रातुर होना। ४ प्रफुल्लित २ अलग करना, पृथक करना। ३ छूमाना, स्पर्श कराना । या विकसित होना, फूलना । ५ देदिप्यमान होना, ४ किसी स्त्री से अनैतिक संबंध कराना। ५ चिपकाना, चमकना । ६ चुनौती देना, ललकारना । ७ उत्साहित लगाना, जोड़ना । ६ प्रावेष्टित कराना, लिपटाना । होना, जोश में माना। ८ चंचलता के साथ हिलना- ७ लगवाना,कराना। कार्यारंभ कराना ।९ पकड़ाना, ग्रहण डुलना । निकलना।
कराना। १० देखो 'विलगणो' (बी)। विलक्खणी (को), विलक्खणी (बी)-देखो "बिलखणों' (बो)। विलगाव, विलगाव-पु. १ लगाव, लिपटाव । २ अलगाव, विलक्खो, विलक्खो-देखो "बिलखो।
पृथकता ३ किसी स्त्री से अनैतिक संबंध। ४ घेराव । विलक्ष-वि० [सं०] १ लक्षणहीन । २ लक्ष्यहीन, निरुद्देश्य । । ५ कायारम्भ । ६ पकड़ ।
३ विकल, व्याकुल । ४ अद्भुत, धनोखा। अनूठा, विशेष। विलगावणो (बी), विलगावणी (बी)-देखो 'बिलगाणी' (बो)। ५ लज्जायुक्त। ६ माश्चर्य चकित ।
विलच्छरण (न)-देखो "विलक्षण' । विलक्षण-वि० [सं.] १ अद्भुत, अनोखा, विचित्र । २ विशेष | विलछणी (बी)-देखो "विलसणो' (बी)।
लक्षणों वाला। ३ अशुभ लक्षणों वाला। ४ लक्षणों या| विलासिता . प्रिना चिह्नों से रहित, लक्षणहीन ।
विलधणी (बो)-देखो 'विलूधणी' (बी)। विलक्षणता-स्त्री० १ विचित्रता, अनोखापन । २ विलक्षण होने विलपरणो(बी), विलपणी(बो)-क्रि० १ उदास होना खिन्न होना। की अवस्था या भाव । ३ अधीरता ।
२ व्याकुल या दुःखी होना । ३ विलाप करना, रोना । विलक्षि-देखो "विलक्ष'।
विलपाणी(बी), विलपावणो(बी), विलपाणी (बी), विलपावरणी विलख, विलखण-वि० १ खिन्न, विकल, उदास । २ व्याकुल ।
(बो)-क्रि० १ व्याकुल करना, दुःखी करना । २ रुलाना । ३ अधीर, विह्वल ।
विलब्ध-वि० [सं०] १ पाया हुमा, प्राप्त किया हुमा । २ अलग विलखउ-वि० १ सलज्ज । २ खिन्नचित, उदाप्तीन ।
किया हुमा, पृथक किया हुमा । विलखणी-वि० (स्त्री. विलखणी) १ व्याकूल, बेचैन । २ रोने बिलब्धपो (बी), विलमणी (बो)-क्रि० [सं० विलब्धनम्] वाला । ३ व्यथित, दुःखी । ४ मुरझाने वाला । ५ भयभीत,
| १ प्राप्त करना, पाना । २ अलग करना, पृथक करना। घबराया हमा।
विलम, विलम-पु० १ मन बहलाव की क्रियाएँ। २ विलब ।
३ देखो 'वल्लभ' । ४ देखो 'विलोम'। विलखणी (बी), विलखाणो(बी), विलखरणी (बी), विलखाणी विलखावरणी (बी), विलखावणो (बो)-क्रि० १ व्याकुल होना, ।
विलमरणी-वि० १ प्रेमासक्त। २ भोगविलास में रत्त । ३ कार्य बेचैन होना । २ व्यथित होना, दुःखी होना। ३ रोना, में लगकर भूलने वाला । ४ मग्न, लीन । ५ ठहरा हुमा, विलाप करना । ४ अधीर, विह्वल होना । ५ मुरझाना,
रुका हुमा। कुम्हलाना । ६ भयभीत होना, घबराना।
विलमरणो(बी),विलमणी (बो)-क्रि० १ प्रेमासक्त होना। २ भोगों विलखू, विलखोड़ी-देखो "विलखो'।
में रत होना । ३ कार्य में लीन होना। ४ किसी कार्य में विलखो, विलल्यो, विलखौ-वि० (स्त्री० विलखी) १ उदास, बहलना, उलझना । ५ ठहरना, रुकना । ६ देखो खिन्नचित, व्याकुल । २ दुःखी, व्यथित । ३ अधीर, विह्वल।
"विलूबणी' (बी)। ४ मुरझाया हुमा, कुम्हलाया हुमा। ५ भयभीत, घबराया | विलमारो (बी) विलमावणी (बी) विलमाणी (बी)-क्रि. हुमा । ६ वीरान, रिक्त, शून्य । ७ कान्तिहीन, तेज या १ बातें करने हेतु प्रवृत्त करना, बातों में लगाना। २ मोहित चमक रहित । निराश, उदास । ६ रुपांसा ।
करना, लुभाना, मोहना। ३ धैर्य देना, धीरज बंधाना । विलग-वि० अलग, पृथक ।
४ फुसलाना, बहकाना । ५ विलंब या देरी करना । विलगरणी (बी),विलगरणी/बी)-क्रि०१ लगना.लिपटना। २ पलग ६ रोकना, ठहराना।
होना, पृथक होना । ३ छूना, स्पर्श करना। ४ किसी स्त्री विलम्मरणी (बी)-देखो "विलमणी' (बी)। से अनैतिक संबंध जुड़ना । ५ चिपकना, लगना, जुड़ना। | विलम्माणी (बी), विलम्मावग्पो (बी)-देखो "विलमाणी' (बो)।
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विलय
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( ६३१ )
दिस (न) पु० [सं० विसयनम् ] १ पानी में कोई पदार्थ घुलने की क्रिया या अवस्था । २ दो या अधिक वस्तुओंों का परस्पर मिल कर एकाकार होने की क्रिया या भाव ३ किन्हीं दो या अधिक इकाइयों का एक होना । ४ मिलन ५ श्रात्मा तथा परमात्मा का एकत्व । ६ सृष्टि का अन्त लय, प्रलय । ७ मौत, मृत्यु ८ नाश, समाप्ति । विलो(बी) दिसबी), बिसालौ (यो) क्रि० [सं० विलपनम् ] १ उदास होना, खिन्न होना, बेचैन होना। २ व्याकुल होना दुःखी होना ३ विलाप करना रोना ४ समाप्त होना, मिटना, नाश होना ।
विलाप देखो 'बिलाप'।
विळपणी (ब)- देखो 'दिलासा' (बौ) ।
amarent (at), सिलावणी (बी) देखो 'बिलळाणी' (बी) ।
बिलली बिली-देखो 'बिजली' (स्त्री० विसळी) विलवण (ब)- क्रि० १ उदास होना, खिन्न चित्त होना । बेचैन होना । २ व्याकुल, दुःखी होना, व्यथित होना । ३ विलाप करना, रोना । ४ निर्भर या प्राश्रित होना । ५ पकड़ना, ग्रहण करना ।
विळविणो (बौ) - देखो 'बिलबिली' (बी) । दिलवावी - स्वी० छिपकली की जति का एक जानवर। विलविल- देखो 'बिलबिल' । विवि
(ब)-देखो 'बिलबिली' (बो)।
विलविला (at), बिलबिलावरी (बौ), विलविलाणी (बौ), विसावलो(बी) देखो 'बा' (बी) । विलसरण, विलसखौ - वि० १ उपभोग करने वाला, उपभोक्ता । २ ग्रामोद-प्रमोद करने वाला । ३ भोग विलास करने वाला ४ दान देने वाला, दातार । पु० दान । fament (at) - क्रि० १ शोभा पाना, शोभित होना । २ कलंकित होना, कलंक लगना । ३ भोग विलास करना, प्रानन्द करना । ४ उपभोग करना, भोगना । ५ ग्रामोद-प्रमोद करना। ६ दान देना । ७ संभोग या मैथुन करना ।
८ उत्सव मनाना ।
विसाल (बी) क्रि०१ मोतिया शोभायमान करना। २ कलंकित करना, कलंक लगाना। ३ विलास करना। * उपभोग कराना। ५ ग्रामोद-प्रमोद के लिए प्रेरित करना । ६ दान दिलाना ७ संभोग या मैथुन के लिये प्रेरित करना ।
विला प्रव्य० बिना ।
विताइति (सी) देखो'विनायती' विलाउ देखो बिडाळ' |
बिलाग वि० १ पृथक, मिश्र, लग २ संलग्न लया हुद्या विलागणी (ब)- क्रि० १ चिपकना, लिपटना २] पहुंचना ।
३ स्पर्श करना, छूना। ४ देखो 'लागणी' (बो) । विलाखौ (बो) - क्रि० १ विलीन होना, विलय होना, मिल जाना । २ लुप्त या लोप होना । ३ नाश होना, मिटना । ४ व्यतीत होना, बीतना । विलास देखो 'विलायत'। विलाति विलाती- देखो 'विलायती' ।
विलाप पु० [सं०] १ उदास, खिन्न या व्याकुल होने की क्रिया या भाव। २ कष्ट, पीड़ा, दुःख । ३ रुदन, क्रन्दन । - वि० तप्त, गर्म ।
बिलाप (बौ) ० १ उदास होना, बचन होना, चित होना २ व्याकुल या दुःखी होना ३ रदन करना, रोना, विलाप करना ।
+
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विलापात, विलापातौ-देखो 'विलाप' |
विलायत - पु० १ विदेश, पराया देश । २ इंग्लैण्ड । ३ युरोपीय
५ जन्म भूमि के अतिरिक्त
|
देश ४ ईरान, तुकिस्तान अन्य देश, दूसरा देश | बिलायति (ती) - वि० १ दूसरे देश का विदेशी २ इंग्लैण्ड या युरोप का । ३ ईरानी ।
विलासणौ
1
विलायन - पु० [सं०] एक प्रकार का प्राचीन प्रस्त्र ।
विलाल बिलाली वि० (स्त्री० विलासी) १ रसिक, रसिया ।
२ प्रद्भुत, विचित्र ३ छैल-छबीला । ४ युद्धोन्मत्त । ५ उदार, दातार । ६ विशेष ।
विवाब देखो 'वि
विलावणी (बौ), बिलावणी (बी) - देखो 'बिलाणी' (बो) । विलावळ (ळि, ळी) - पु० एक राग विशेष । विलाविद्या, विलाविया पु० एक प्रकार का वस्त्र । विलास - पु० [सं०] १ क्रीड़ा, खेल । ३ धनु
२ ग्रामोद-प्रमोद
प्रेम
४ शोभा, सुन्दरता, मनोहरता।
५ चमक, कान्ति । ६ मनोरंजन । ७ विषय-भोग, मैथुन । ८ संयोग श्रृंगार का एक भाव । ९ सुख, प्रानन्द । १० सुगंध, महक । ११ प्रिय वस्तु के दर्शन से होने वाली विशेष चेष्टा ।
विलासह वि०
१ इधर-उधर घूमने वाला, भ्रमणशील । २ दातार, दानी । ३ भोग विलास करने वाला ४ मानन्द, मौज करने वाला। ५ खेलने वाला । ६ धनुराग करने वाला ।
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विलाससी (बो)- कि० कीड़ा करना, डेला २ मनोरंजन, प्रमोद-प्रमोद करना । ३ स्त्रियोचित हाव-माव, नाजनखरे करना । ४ विषय-भोग या मैथुन करना । ५ प्रानन्द
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विलासनी
। ६३२ )
विलोपरणो
करना, मस्ती करना। ६ अनुराग दिखाना, प्रेम करना। विलूबणी(बी),विलूबणो(बौ), विलूमणी(बी), विलूमणो(बो)७ शोभित होना।
क्रि० १ लटकना । २ मंडराना, छाना, झुकना। ३ समृद्धि विलासनी-देखो 'विलासिणी' ।
या विशालता से शोभा पाना। ४ छूना, स्पर्श करना । विलासा-स्त्री० [सं० अभिलाषा] १ इच्छा, कामना । २ देखो | '५ लिपटना, चिपकना । ६ लत्योबत्थ होना। ७ मालिंगन "विलास'।
बद्ध होना । ८ रोकना, अवरुद्ध करना । विलासि-देखो 'विलासी।
विळू-देखो 'वळ विलासिरणी (नी)-स्त्री० [सं० विलासिनी] १ अधिक भोग | विलूधणी (बो)-देखो "विलू घणो' (बी)।
विलास करने वाली स्त्री, विलासी प्रकृति की कामुक | बिलूरणो (बी)-कि० १ नोचना । २ छीनना, झपटना । स्त्री। २ वेश्या, गणिका । ३ सुन्दर व युवा स्त्री। ४ देवी | विळे-देखो 'वळे'।
का विशेषण। ५ विक्षेप शक्ति से युक्त । ६ एक वर्ण वृत्त | विलेच्छ (च्छु)-देखो 'म्लेच्छ' । विलासी-वि० [सं० विलासिन] (स्त्री० विलासण) १ दानी, विलेप (ण, न)-पु० [सं० विलेपः] १ लेप मादि करने की
दातार । २ मानन्द, सुख भोग करने वाला । ३ खेल, क्रीड़ा क्रिया। २ उबटन, लेपन । ३ केसर, चंदन प्रादि । करने वाला। ४ भोग विलास में रत, कामी. विषयी, | -ग्रह-पु० लेपन, उबटन मादि करने का कक्ष । रसिक । -पु. १ प्राग, अग्नि । २ श्रीकृष्ण का एक | विलेसय-देखो 'बलेसय'। नामान्तर । ३ भगवान श्रीविष्णु । ४ चांद, चन्द्रमा। विळे (ले)-१ देखो 'वळ' । २ देखो "विलय' । -५ सांप, सर्प। ६ शिव-शंकर, महादेव । ७ कामदेव । विलोक-वि०१ जन रहित, निर्जन, शून्य । २ देखो 'विलोकरण'। ____८ वरुण वृक्ष । ९ एक वणिक छन्द विशेष ।
| विलोकण (गि, णी, न)-स्त्री० [सं० विलोकन] १ देखने की विलासु (सू, सौ)-१ देखो "विलास' । २ देखो "विलासी'। क्रिया या भाव । २ जांचने की क्रिया, परीक्षण । ३ तलाश विलास्य-पु० एक तार-वाद्य विशेष ।
करने की क्रिया, तलाशी। ४ नजर, दृष्टि । । । विलि (ली)-देखो 'वळे'।
विलोकणी (बौ), विलोकणी (बो)-क्रि० १ देखना, अवलोकन विलिखित-वि० [सं०] १ लिखा हमा।. २ खोदकर अंकित करना। २ निरीक्षण या परीक्षण करना, जांच करना । किया हुमा।
३ ढूंढ़ना, तलाश करना । ४ विचार करना, सोचना । विलित-वि० लिपा हुमा, पुता हुआ।
विलोकन-देखो "विलोकण' ।
विलोकवणी (बी)-देखो 'विलोकणो' (बौ)। विलियां-देखो 'वेळा'।
विलोड़ण (न)-स्त्री० मंथन, मथना क्रिया । विलिविलियो-पु. एक प्रकार का वस्त्र । विलोजरणो (बी)-क्रि० क्षरवाले पशूमों का रोगग्रस्त होना।
विलोड़णी (बो), विलोड़णो(बौ)-क्रि० मंथन करना, मथना ।
विलोचण (न)-पु० [सं० विलोचनम्] १ प्रांख, नेत्र । २ इष्टि, विलीन-वि० [सं०] १ घुल-मिल कर एकाकार । २ गायब.
... नजर । ३ एक नरक विशेष ।-वि० [सं० वि-लोचन] लुप्त । ३ नष्ट । ४ मृत । ५ गुप्त, छुपा हुमा। ६ एक ही | इकाई या घटक के रूप में बना हुमा।
__बिना आंख या दृष्टि का, अंधा। ...
विलोडण-देखो 'विलोड़ण'। विलुद्ध-वि० [सं० विलुब्ध] १ मोहित, माकर्षित । २ लालायित ।
| विलोडणी (बो)-देखो 'विलोड़ो' (बी)। ३ उलझा या फसा हुमा।
विलोणी, विलोणी-देखो 'विलोवो' । विलुखणो (बी)-देखो 'विलंधणो' (बी)।
विलोणी (बो)-देखो "विलोड़णी' (बो)। विलव-वि० [सं०] १ जिसका नाश हो गया हो, नष्ट । | विलोप-० [सं०1१मधा. रोक. रुकावट
२ जो लुप्त या अदृश्य हो। ३ जो टूट-फूट गया हो, या समाप्त करने की क्रिया। ३ बलात कोई चीज लेकर बरबाद। ४ अपहृत । -योनि-स्त्री० स्त्रियों का एक
भागना क्रिया। ४ हानि, नुकसान । ५ नाश, संहार । रोग।
६ उल्लंघन करना क्रिया । ७ अदृश्य या लुप्त होना क्रिया। बिलू धणी (बौ)-क्रि० १ झंझटों में उलझना, फसना। २ मोह -वि० गंवाने वाला, खोने वाला।
में फंसना, मोहित या प्राकर्षित होना। ३ लालायित विलोपक-वि०१बाधा डालने वाला, रुकावट डालने वाला।. होना, लालच में माना।
२ चोर । ३ हानिकारक । ४ नाश करने वाला । ५ विलोप विलूधौ-वि० (स्त्री० विलूधी) १ झंझटों व तकनीकों में फंसा | करने वाला।
हुमा । २ मोह में फंसा हुमा, मोहित । ३ लालची। विलोपरणो(बी), विलोपरयो (बो)-क्रि०१ बाधा या रुकावट डालने
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विलोपात
विवरि
वाला कार्य करना । २ बलात् कोई चीज लेकर भागना, | विल्व, विल्वपत्र-पु० [सं०] एक वृक्ष जिसके पत्तों से शिव की चोरी करना।३ हानि, नुकसान या क्षति करना। ४ उल्लंघन | पूजा की जाती है। करना। ५ हटाना, मिटाना, समाप्त करना। ६ अदृश्य | विवंत-पु. दशा, हालत, स्थिति। या लुप्त होना या करना। ७ गंवाना, खोना।८ विमुख विवत्स-वि० [सं०] जिसके पुत्र या सन्तान न हो । निःसन्तान । होना, पलटना।
विवध-१ देखो 'विबुध' । २ देखो 'विविध' । विमोपात-देखो विलाप'।
विवधा-देखो 'विविधता'। विलोपी-वि. विलोप करने वाला।
विवधि-देखो 'विविध'। विलोम (न)-वि० [सं०] १ लोभ रहित । २ मोहित, माकर्षित,
विवनउ-देखो "विवनो। ___लालायित । ३ ललचाने वाला । -पु. १ लालच ।
लन || विवनणी (बौ)-क्रि० मरना, अवसान होना।
विवनौ, विवनौ-वि० (स्त्री० विवनी) १ मरा हुमा, मृत । २ बहकावा, फुसलाहट । ३ प्राकर्षण । ४ गुण कथन ।।
२ उदास खिन्न चित्त । ३ विपत्तिग्रस्त, संटकासन्न । विलोम-वि० [सं०] १लोम या बाल रहित । २ विपरीत या
विवन्नउ-देखो 'विवनी'। उल्टा। ३ विपरीत क्रम या गति वाला। ४ दुश्मन,
विवनणी (बी)-देखो 'विवनणों' (बी)। विरोधी ।-पु. १ श्वान, कुत्ता । २ सर्प, सांप । ३ वरुण
विवन्नौ-देखो 'विवनो। का एक नामान्तर । ४ रहट । ५ संगीत में अवरोह । ६ सितार मादि का मीड़।
विवर-पु० [सं०] १ सर्प, चूहों व चींटियों मादि के रहने का
बिल, छेद । २ कन्दरा, गुफा । ३ छेद, गड्ढा । ४ गते । विलोमसोमायन-पु. एक प्रकार का व्रत ।
५ दरार, खाई । ६ पाताल । ७ त्रुटि, गलती। ८ किसी विलोळ, विलोल-वि० [सं० विलोल] १ हिलने-डुलने या लहराने
ठोस पदार्थ में होने वाला खोखला स्थान । ९ घाव । वाला। २ चंचल, सुन्दर । ३ ढीला, शिथिल । ४ प्रस्त
१० मूर्ख, नासमझ, विवेकहीन व्यक्ति। ११ भू-गर्भ गृह, व्यस्त. बिखरा हुमा ।-पु. ऐश-पाराम।
तहखाना। १२ समुद्र, सागर । १३ व्योरा, हाल, वृत्तान्त । विलोळणी (बी)-क्रि. १ ऐश-भाराम करना। २ हिलाना
१४ कपटी व्यक्ति । १५ दूर सन्देश वाहक । १६ नो की डुलाना । ३ हवा करना।
संख्या । विलोवणउ-देखो 'विलोवो'। विलोवणी, विलोवणी-स्त्री. १ दही मथने का मिट्टी का पात्र ।
विवरजत (जित, जिति)-वि० [सं० विजित] १ वजित, २ दही मथने वाली स्त्री।
निषिद्ध । २ उपेक्षित, वंचित । ३ रहित, बिना। ४ रुका
हुमा । ५ वर्णन किया हुअा, कहा हुमा । विलोवरण (जौ)-पु. १ वही मथने का मिट्टी का बड़ा पात्र ।
विवरजितदे (देह)-पु० [सं० विजित-देह] निराकार, ईश्वर, २ दही मथने का कार्य।
परमेश्वर। विलोवणी (बी), विलोवणी (बो)-देखो "विलोड़णी' (बी)।
विवरण-पु० [स० विवरणं] १ प्रकट करना क्रिया, प्रकटन । विलोहणौ-देखो 'विलोवणू'।
. २ विस्तृत विवरण, विवेचन, भाषा, टीका । ३ छेदने की विलोहित-पु० [सं०] १ तीन सिर, पर व हाथों वाला एक |
क्रिया, छेदन । ४ मन्तव्य, स्पष्टीकरण। [सं० विवर्ण] राक्षस । २ कश्यप के पुत्रों में से एक ।
५ जातिच्युत, जाति बहिष्कृत । ६ साहित्य में नायक, विलो-पु० १ वर्षा ऋतु में हरे घास या पानी में होने वाला नायिका संबंधी एक भाव ।-वि० [सं० विवर्ण:] १ नीच,
एक कीड़ा । २ घास या पानी के साथ उक्त कीड़ा खा | कमीना, निम्न जाति या कुनाति का। २ बुरे या बेमेल जाने से पशु के होने वाला रोग।
रंग का । बदरंग। ३ कांति या चमक रहित शोमा रहित । विल्या-देखो 'वेळा'।
४ मूर्ख, नासमझ । ५ अनेक रंगों का, रंग-विरंगा । विल्यो-देखो "बिल्यो।
विवरत-पु० [सं० विवतं] १ चक्कर, फेरा, घुमाव । २ प्रत्याविल्लगणी (बी), विल्लगणी (बी)-देखो "विलगणो' (बी)।
वर्तन, लौटना क्रिया । ३ भ्रम, भ्रांति । ४ नृत्य, नाच । विल्लभ, विल्लम-देखो 'वल्लभ'।
५ परिवर्तन । ६ समुदाय, समूह । -कलप, कल्प-पृ० जैन विल्लल-पु. एक देश का नाम ।
मतानुसार एक लोक । विल्लायत-देखो 'विलायत'।।
विवराणी (बो)-क्रि० उच्चारित कराना। विल्लो-देखो 'बिल्लौ'।
विवरि (री)-पु० सन्देश वाहक, दूत ।-वि० वर्णन करने वाला।
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विवरो
। ६३४ ।
विवोगिण
विवरी-पु० १ भेद, रहस्य । २ कारण । ३ विवरण, व्योरा, वाला धार्मिक कर्म । ४ ब्रह्मा का एक रक्त नामक पुत्र ।
वृत्तान्त ४ ज्ञान, बुद्धि, विचार । ५ अन्तर, फर्क। विवाहणी (बो)-क्रि० [सं० विवाहनम्] १ विधि-विधान से ६ व्याख्या, टीका । ७ संक्षिप्त जानकारी, परिचय । शादी करना, पति-पत्नी बनना। २ स्त्री-पुरुष का दाम्पत्य ८ बयान।
सूत्र में बंधना। ३ विवाह का कार्य करना, प्रायोजन विवस-वि० [सं० विवश] १ बेबस, मजबूर, लाचार। २ जो करना ।
काबू में न हो, बेकाबू । ३ बेहोश। ४ मरा हुमा, मृत। विवाहलु, विवाहली-पु० [सं० विवाह-लाप] १ विवाह संबंधी ५ कारण। ६ असमर्थ ।-ता-स्त्री० विवश होने की कोई काव्य । २ विवाह। अवस्था या भाव । बेबसी, मजबूरी।
विवाहित-वि० [सं० विवाहिताशादीशुदा । विवसान, विवसाण (न)-पु. [स० विवश्वत्] १ सूरज, विवाहिलु (लो)-देखो 'विवाहलो' ।
सूर्य । २ अरुण । ३ अर्क, मदार । ४ पन्द्रहवां प्रजापति । विवित्त-पू० [सं०] वह स्थान जहा स्त्री, पुरुष पौर नपुसंक न विवसाइ (ई)-१ देखो 'व्यवसाय' । २ देखो 'व्यवसायो' ।
हो। विवसाइयो, विवसाईयो-देखो 'व्यवसायी' ।
विविद, विविध-वि० [सं० विविध] तरह-तरह का, अनेक विवसाय-देखो 'व्यवसाय'।
प्रकार का विवसायो (यो)-देखो 'व्यवसायी' ।
विविधजाण (न)-वि० [सं० विविध-ज्ञान] १ कवि, पंडित । विवसि (सी)-देखो 'विवस'।
२ बहुत बातें जानने वाला, बहुश्रुत। विवस्था-देखो व्यवस्था'।
विविधता-स्त्री० विविध होने की अवस्था या भाव, अनेक विवह-पु. १ देवराज, इन्द्र। २ तेज वायु. तूफान । ३ देखो | रूपता। . विवुध' । ४ देखो विविध' ।
विविधविश्राम-पु० [सं० विवुधन-विश्राम] स्वर्ग वैकुण्ठ । विवहपरि (परी, परि)-क्रि० वि० विविध प्रकार से । विविधि-देखो 'विविध' । विवहल-देखो "विह्वल'।
विविषेस. विविषेसर (सुर, स्वर)-पु. १ ईश्वर । २ कवि, विवहार-देखो 'व्यवहार'।
___पंडित। विवहारित (श्री, यौ), विवहारी-देखो 'व्यवहारियो ।
विविनणी (बी), विविन्नणी (बो)-देखो "विवनणो' (बी)। विवहालु (प्रो)-१ देखो 'विवाह' । २ देखो विवाहलो'।
विविनों (न)-देखो "विवनो' । विवहु-देखो विवध'।
विविह-देखो 'विविध'। विवाण, विवाण-देखो "विमाण' ।
विवुध-पु० [सं० विबुध] १ देवता। २ चन्द्रमा। ३ विद्वान विवांणणो (बी)-क्रि० प्रसव करना ।
पुरुष ।-पुर-पु० स्वर्ग । -बन, वन-पु० नन्दनवन । विवांणि (पी)-स्त्री०१ अप्सरा, परी । २ जैनियों के ग्रहों
-प्रिय, प्रिया-स्त्री० अप्सरा, देवांगना । -बैद्य, वैद्य-पु. ____ में से ७५ वां ग्रह । ३ देखो 'विमाण'।
देवताओं के वैद्य, अश्विनीकुमार । विधाई, विवाई-देखो 'बिदाई'।
विवेक-पु० [सं०] १ ज्ञान, बुद्धि, समझ। २ अच्छे-बुरे का विवाद-पु०स०] १ लड़ाई, झगड़ा । २ मतभेद। ३ तर्क-वितक जाना पचानने की शक्ति। ४ nHTS
बहस । ४ शास्त्राथ। ५ विचार-विमर्श, सोच-विचार। विवेकजोग (ग)-१० मनमें विकार पैदा करने वाले तत्व के ६ जिद्द, माग्रह, दुराग्रह । ७ न्यायालय में प्रस्तुत वाद, | संसर्ग का प्रभाव ।। मुकदमा। ८ प्रतिस्पर्धा, होड़।
विवेकनारायण, विवेकवान, विवेकी-वि० [सं० विवेकिन] विवादक, विवादी-वि० [सं० विवादिन] १ झगड़ा. लड़ाई १ विवेकशील । विचारवान । २ बुद्धिमान, ज्ञानी ।
करने वाला । २ बहस करने वाला, विवाद करने वाला। ३ न्याय प्रिय, न्यायशील । ३ दुराग्रही। ४ शास्त्रार्थ करने वाला ।-पु. राग में विवेचक-वि. विवेचना करने वाला, समीक्षक । . वजित स्वर।
विवेचन, विवेचना-स्त्री० [सं०] १ भला-बुरा, सत-प्रसत प्रादि विवादु, विवादो-१ देखो 'विवाद' । २ देखो "विवादी'।
का ज्ञान । २ किसी विषय की मीमांसा, समीक्षा । विवार-देखो 'व्यवहार'।
३ शोध, अनुसंधान । ४ निरीक्षण, परीक्षण । ५ निर्णय, विवाह-पु० [सं०] १ पाणिग्रहण संस्कार, शादी । २ शादी फैसला । ६ तर्क-वितर्क, वाद-विवाद ।
का उत्सव या मायोजन । ३ इस अवसर पर किया जाने | विवोगण (गि, णी), विशेगिण (णि, गी)-देखो "वियोगण' ।
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विवोड
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( ६३५ )
विवोध - पु० [सं० विवोदु] १ पति, खाविंद, भरतार । २ दूल्हा । विवांण (णी) - देखो 'विमांण' ।
विध्योक पु० [सं०] स्थियों का संयोग शृंगार संबंधी एक हाथ विव्हार - देखो 'व्यवहार' ।
विसदु वि० [सं० विदुल] १ चंचल विसंड-पु० गरणों के ईश, गणेश, गजानन । विसंदरी - देखो 'वसू 'दरौ । विधिकल्प ० जैनियों का एक प्रह
विसं १ देखो 'विस्णु' । २ देखो 'व्यसन' |
विसम- पु० १ ईश्वर, परमेश्वर । २ श्रीकृष्ण । ३ ऋषभावतार। विसतारण विसतारण- देखो 'विस्तारण' ।
- वि० भयंकर, डरावना ।
२ विषम विकट
विसंभर-देखो 'विश्वंभर' । मिरा देखो 'विश्वंभरा'
|
1
विसंवाद पु० [सं०] वाद-विवाद, बहस विस-१० [सं० विष] १ जहर, गरल विष २ सुख, शांति में बाधा पहुंचाने वाला तत्त्व । ३ कुटिलता । ४ जहरीला या अत्यन्त कड़वा पदार्थं । बात । ५ वेश्य, बनिया ६ कमल नाल । ७ जल, पानी ८ घी, घृत सर्प, सांप १० मृत १२ हा उपधातुधों में से एक १२ एक देवगण १३ एक धर कठपु० शिव. महादेव एक पक्षी विशेष कन्या, कामणि ( थी ) - स्त्री० यह स्त्री या युवती जिससे संभोग करने से मृत्यु हो
|
जाती है । नाग कन्या । -घाती - वि० विष का नाश करने वाला ।
विस, विसई- देखो 'विख्य' २ देखो 'विसयी'। बिसक-देखो 'विसिख' ।
विसरमा - देखो 'विस्वकरमा' ।
विसकुंभ पु० [सं० दिपकुम्भ] फलित ज्योतिष में एक योग । विसक्ख - १ देखो 'विसिख' । २ देखो 'विसेस' । विक्रम्मा पु० [सं० विश्व कर्मिनी ] १ सूर्य, रवि । २ देखो "विश्वकरमा' |
विसख- देखो 'विसिख' ।
inपु० [सं० विशिखधांम] तरकस, दूसर विखपर, बिसखपरी (खप्पर) - पु० [सं० विवकपरा ] १ कोचक के लिये प्रयुक्त विशेषख २ देखो 'बिसवपरी' विटाळ ( लुळी) - देखो 'विस्टाळी' । विडियो देखो'बिटी
विसटी - पु० [सं० विष्टि ] १ ज्योतिष में एक करण २ बेगार, मुफ्त का कार्य, श्रम - वि० १ दुष्ट, प्राततायी। २ देश डोड़ी उपद्रवी ३ डाकू, लुटेरा
विसटी- देखो 'विस्ठो' ।
विसठ-पु० [ स० विशठ ] बलराम का एक पुत्र ।
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विसनुकवच
विसठी- देखो 'विस्ठौ' ।
दिसण (प.) - देखो 'विस्णु'। वाणी (देवो 'विसारो' (बो)।
विस्तत्र पु० [सं० विषतंत्र] विष दूर करने की विधि। विसत-देखो 'बहिस्य' ।
विस्तर, विसतर-१ देखो बिस्तर' । २ देखो 'विस्तार' | वितरण (ब), विस्तरणी (बो) - देखो 'विस्तरणी' (बो) । विस्तरियों, विसतरी- देखो 'विस्तर' ।
विसतार दिसतार पु० १ समूह, सुण्ड २ देखो 'विस्तार'
1
विस्तारण (बो), विसतारणी (बी) - देखो 'विस्तारणी' (बो) । दिसतारी, बिसतारी-देखो 'विस्तार'।
वित्तरणी (बो), विसत्तरणी, विसथररणी (बौ) - देखो 'विस्तरणी' (7)
विसयार, विसचार देखो 'विस्तार' । विसथारगो (बी) - देखो ‘विस्तारणौ’ (बौ) ।
विसद वि० [सं० विशद] १ स्वच्छ, निर्मल, साफ। २ पवित्र शुद्ध ३ उज्ज्वल, श्वेत । ४ सुन्दर । ५ चमकदार । ६ स्पष्ट । ७ स्थिर, निश्चल, शान्त। -पु० १ सफेद रंग । २ शख । ३ एक प्राचीन राजा । -ता- स्त्री० स्पष्टता, स्वच्छता । सुन्दरता ।
+
।
विसदसरीर पु० [सं० विशद शरीर] चन्द्रमा, चांद बिसधर पु० [सं० विषधर ] १ सर्प सोप ३ शेषनाग ४ महादेव, शिव
1
विसधात्री स्त्री० मनसादेवी ।
बिसधारी पु० [सं० विषधारिन्] १ सर्प, सांप, मो
२ शेषनाग | ३ महादेव, रुद्र ।
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२ गोह
विसन, विसन पु० [सं० वैश्वानर ] १ भाग, प्रग्नि । २ देखो 'वि' । ३ देखो 'व्यसन' ।
विसनदेव, विसननाथ- पु० भगवान विष्णु । विसनपथ - देखो 'विस्णुपथ' । विपद-देखो 'विस्णुपद
विसनपरी (पुर, पुरी, री) देखो 'विस्णुपुरी' । विसर (९)-१ देखो 'स्थान' २ देखो 'विस्णु' विसनसांमी पु० एक वैष्णव सम्प्रदाय या उसका धनुयायी । विसनासन-पु० [सं० विष्णु प्रासन] १ गरुड़ । २ शेषनाग [सं० विष-नाशन् ] ३ विष नष्ट करने वाला तत्त्व । विसनिर (रु, रू) - देखो 'वंस्वानर' ।
किसनी (उ) देखो 'व्यसनी'
विसनु- देखो 'विस्णु' ।
विसनुकवच, विसनुपंजन (पंजर ) - पु० [सं० विष्णु-पंजर] १
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विसनोई
विसर
१ विष्णुस्तोत्र जो रक्षार्थ पढ़ा जाता है । २ विष्णु स्तोत्र का भाव । असमानता। ताबीज।
विसमबाण-पु० [सं० विषम-बाण] कामदेव के पांच बाणों में विसनो, विसनोई-पु०१'जांभोजी' द्वारा चलाया एक सम्प्रदाय । से एक। २ इस सम्प्रदाय का अनुयायी।
विसममत-देखो 'विसमत'। विसनी-१ देखो विस्णु' । २ देखो 'व्यसन' ।
विसमय-पु० [सं० वि-समय] १ बुरा समय, खराब समय। विसन्नर-१ देखो "विस्णु' । २ देखो 'वैस्वानर'।
२ विस्मय, पाश्चर्य !-वि० [स० विष-मय) विषयुक्त, विसन्नु-देखो "विस्णु'।
जहरीला। विसपत (पति पती)-१ देखो विस्वपति' । २ देखो 'ब्रहस्पति'। विसमरण (न)-देखो 'विस्मरण' । विसपाळ-देखो "विस्वपाळ' ।
विसमरणी (बी)-देखो 'विस्मरणों' (बो)। वसप्रसून-पु० [सं० विष-प्रसून] कमल ।
विसमरौ, विसमरी-पु. [सं. विषमर छिपकली, विषैला जीव । विसप्रस्थ-पु० [सं० विषप्रस्थ] एक पर्वत का नाम । विसमल (मला, मल्ला, मल्लाह)-देखो विस्मिल्लाह' । विसफळ-पु० [स० विष-फल] कोई जहरीला फल ।
विसमविसिख-पु० [सं० विषम-विशिख] कामदेव का एक नाम । विसब (ब)-देखो "विस्व' ।
विसमव्रत-पु० [सं० विषम-वृत्त] एक प्रकार का वृत्त या छन्द । विसबावीस-देखो "विसवाबोस' ।
विसमसि-पु० [सं०] पालम्बन, सहारा । विसमत्र-पु० [स० विष-मंत्र] १ विष उतारने का मंत्र । २ उक्त | विसमागनि (नी, ग्नि-स्त्री० [स० विषम-अग्नि चार प्रकार ___ मंत्र जानने वाला व्यक्ति ।
___ को जठराग्नियों में से एक । विसम-वि० [सं० विषम, विषमः] १ जो समान न हो, असमान ।
विसमाशुद्ध (बुध, जुब्ध, युद्ध, युध)-पु० [सं० विषमायुद्ध] २ जिसका विभाजन बराबर न हो सके। ३ जो सरल न
कामदेव का एक नाम । हो, कठिन, रहस्यमय । ४ दुर्गम्य ! अगम्य । ५ अव्यवस्थित। | विसमासन -पु० [सं० विषमाशन] असमय थोड़ा-थोड़ा भोजन ६ भयंकर, भीषण। ७ कष्टदायक, कष्टप्रद । ८ टेढ़ा, करने की क्रिया।। तिरछा, बांका । ९ प्रतिकूल, विरुद्ध, विपरीत । १० भद-विसमिउ-१ देखो "विसम' । २ देखो 'विस्मय' । भुत, विचित्र, मनोखा । ११ बुद्धिमान, चतुर, चालाक । | विसमिल (मिला, मिल्ला, मिल्लाह)-देखो 'विस्मिल्लाह' । १२ तीव्र, तेज । १३ वीर, बहादुर । १४ जबरदस्त,जोरदार। विसमी (मु. मू)-देखो 'विसम' । १५ ऊबड़-खाबड़, असमतल । १६ दृढ़, मजबूत । १७ उल्टा | विसमे (म मौ)-१ देखो 'विस्मय' । २ देखो 'विस्मित' । विपरीत । १८ टेढा, बुरा, कर्ण कटु ।-पु. १ बराबर ३ देखो "विसम'। विभाजित न होने वाली संख्या २ विपत्ति, सकट ।विसम्म (म्मी) विसम्य-१ देखो 'विसम'। २ देखो 'विस्मय' । ३ फौज, सेना । ४ अग्नि, पाग। ५ वायु, पवन, हवा ।
विसय पु० [सं० विषय १ विचारणीय या विवेचनीय विषय ६ शिव, महादेव । ७ एक वर्ण वृत्त । ८ एक प्रकार का या तत्त्व । २ स्त्री प्रसंग, संभोग, मथुन । ३ मथुन या भोग अर्थालंकार । ९ सगील में एक ताल । १० चार प्रकार की
से प्राप्त प्रानन्द । ४ बड़ा प्रदेश, राज्य । ५ पचज्ञानेन्द्रिय जठराग्नियों में से एक । ११ भगवान विष्णु का एक से प्राप्त सुख । ६ जगह, स्थान। ७ वीयं, बीज । नामान्तर । -गत, गति, गती, गत्त, गति, गत्ती-स्त्री.
८ प्रियतम, पति । ९ सम्पत्ति। १० सपं, सांप । विपरीत, उल्टी गति, विकटस्थिति। -नयण, नयन, नेतर,
११ सल्तनत. बादशाहत । १२ सांसारिक पदार्य । नेत्र,नण-पु० शिव, महादेव । -पण,परणो-पु. विषमता।
-क्रि० वि० १ लिए, वास्ते । २ मध्य, अन्दर, में। .. -बार, वार-स्त्री० बुरा समय । संकटपूर्ण दशा।
विसयक-वि० [सं० विषयक] विषय से संबंधित, विषय का। विसमउं-१ देखो "विस्मय' । २ देखो 'विसम'।
विसयो-पु० [सं० विषयिन] । कामदेव । २ भोग विलास में विसमजुर (ज्वर)-पु० [सं० विषम-ज्वर] प्रायः वर्षा ऋतु में रत्त व्यक्ति, कामी पुरुष । ३ धन, द्रव्य या विलासी सामान होने वाला एक प्रकार का ज्वर।
वाला व्यक्ति। विसमत-स्त्री० [सं० विष-मति] खराब बुद्धि, दुर्बुद्धि ।-वि० | विसर-पु. १ अपशब्द, कटु शब्द। २ अपमान सूचक शब्द । १ ऊबड़-खाबड़, असमतल । २ कठिन. दुर्गम्य । ३ विस्मित ।
३ निन्दा सूचक कविता । ४ एक प्रकार का विषेला जीव । .४ संकुचित, सिकुड़ा हुमा । ५ दुर्बुदि।
४ युद्ध, समर । ६ घोड़े का, एक प्रकार का पारजामा । विसमता-स्त्री० [सं० विषम+ता] विषम होने की दशा या ७ समूह, झुण्ड । -वि० भयंकर, भयावह ।
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विसरग
विसहरा
विसरग-पु० [सं० विसर्गः] १ दान, प्रदान, मेंट । २ छोड़ देना, नीरस । ४ जोश पूर्ण, जोश युक्त। ५ भयंकर, भयावह ।।
त्याग देना । ३ विसर्जन । ४ मोक्ष, मुक्ति। ५ व्याकरण के ६ निन्दाजनक काव्य रचना करने वाला। ७ कर्णकट,
अनुसार संस्कृत में एक वरणं जिसका चिह्न खड़े दो बिदू(:)। कड़वा । -पु० निन्दा युक्त कविता । विसरजरण-पु० [सं० विसर्जन] १ दान, प्रदान मेंट । २ परित्याग, | विसरावणो (बो), विसराणी (बो), विसराहणो (बो)-देखो त्याग ।
विसराणो' (बी)। विसरण (न), विसरण-पु. [सं० विसर्जन] १ परित्याग, विसलूमो-पु. एक प्रकार का कड़वा फल ।
त्याग । २ दान या भेंट । ३ प्रस्थान, विदा । ४ मल त्यागने | विसल्या-पु० [सं० विशल्या] १ रामानुज लक्ष्मण को पत्नी, की क्रिया। ५ पूजन में अंतिम उपचार, षोडशोपचार। उमिला। २ वरुण की सभा में रहने वाली एक नदी। ६ सभा विसर्जन । ७ पूजनोपरांत मूर्ति का जल में| ३ एक प्रौषधि विशेष । विसर्जन । ८ विस्मरण, भूल । ६ समूह, व्यूह । -वि० | विसव-पु० [सं० विश्व] १ पृथ्वी, धरती, भूमि । २ स्वभाव, [सं० विशरण माश्रयहीन, अनाथ ।
प्रकृति, भादत । ३ देखो "विस्व' । विसरणी(बी), विसरणो(बी)-क्रि०१ गलती होना । २ फैलना।
विसवक्रमा-देखो "विस्वकरमा'। ३ कुपित या क्रुद्ध होना । ४ विस्मरण होना, भूलना।
विसवतरेखा-स्त्री० [सं० विषुवरेखा] पृथ्वी के ठीक मध्य में विसरप-पु० [सं० विमपं] १ रेंगने या फिसलने की क्रिया या
पूर्व से पश्चिम चारों पोर होने वाली रेखा । भाव । २ भनिष्टकारी प्रारब्ध । ३ शीतला या चेचक
विसवनाथ-देखो "विस्वनाथ' । रोग:
विसवयोनि-देखो 'विश्वयोनि'। विसरमो, विसरमो-वि० [सं० वि-शर्म] जिसे शर्म नहीं पाती, |
| विसवाद-पु० [सं० विषवाद] १ बहत्तर कलापों में से एक । निर्लज्ज ।
२ देखो 'विखवाद'। विसरांत-पु० मधुरा का विश्राम घाट।
विसवाबीस, विसवाबीस-देखो "विसवावीस'। विसरांम-पु० [सं० विधाम] १ सहारा, माश्रय, पनाह ।
विसवामंत्र (मित,मितर,मिति, मित्र, मित्रि)-देखो 'विस्वामित्र'। २ माराम, चैन । ३ सुख शांति, प्रानन्द । ४ प्राश्रम विसवावीस-प्रव्य. १ निश्चय ही, जरूर । २ ठीक, सही, व्यवस्था में संन्यास माश्रम। ५ अवसान, मौत, मृत्यु ।
सत्य । ३ निस्सन्देह । ४ वस्तुतः यकीनन । ५ पूर्णरूप से। ६ कार्य के बीच का अवकाश। ७ ठहरने का स्थान। विसवास, विसवास-देखो "विस्वास'।-घात-"विस्वासघात' । विधाम स्थल । ८ ठहराव । ९ अध्याय, प्रकाश । | विमवासणीबोर.विसवामणौ ।
| बिसवासणी (बो), विसवासणी (बो)-देखो विस्वासणी' (बी)। १. वाक्य के पन्त का बिराम। ११ पद्य या छन्द प्रादि विसवासिआ-स्त्री.मार्या या गाहा छन्द का एक भेद । में यति ।
विसवासी, विसवासी-पु० [सं० विश्वाची] १ एक प्रकार का विसरांमरणो-वि० १ विश्राम करने वाला। २ प्राराम देने | वात रोग । २ देखो 'विस्वासो'। वाला । ३ सहारा देने वाला, सहायक ।
विसवाहीवीस-देखो 'विसवावीस'। विसरामणी (1)-क्रि० [सं० विश्रमण] १ पाराम करना, विवि-देखो 'विस्व'। विश्राम करमा। २ मरना, अवसान होना। ३ युद्ध में
विसबेस-देखो 'विस्वेस'। वीरगति प्राप्त होना। ४ ठहरना, रुकना। ५ सहारा या |
विसवी-पु. १ कृषि भूमि का एक नाप, एकड़ का पचासवा पाश्रय देना।
भाग । २ अंगुलियों के संधिस्थल । ३ मंगुलियों के संधिस्थलों विसरांमी-वि० १ विश्राम करने वाला । २ विधाम देने वाला। की रेखा । ४ वस्तु का भाग या अंश । ५ एक वणिक छन्द ३ देखो "विसर्गम'।
विशेष । ६ सांड या भैसे के लिये लाया जाने वाला हरि विसरांमो-देखो "विसरांम' ।
फसल का भाग। विसराणो(बी),विसराणो(बो)-क्रि० १ विस्मरण करना,भूलना।
विसवावीस-देखो "विसवावीस' । २ गलती करना। ३ त्यागना, छोडना। ४ भुला देना
विससन-पु० [सं० विशसन] एक नरक का नाम । स्मृति से निकाल देना।
विसहर-पु. [सं० विषधर] सर्प, सांप । -वि. विष का प्रभाव विसरायण, विसरायण, विसरारण-पु० दान ।
मिटाने वाला। विसराळ (ळी. ळो)-वि० [स० विष+रा.प्र. राळी] १ दिषला, विसहरतिय (तिथि)-स्त्री. नागपंचमी।
जहरीला। २ क्रोधी, क्रोध युक्त । ३ रसहीन, कड़वा, विसहरा-स्त्री० [सं० विषहरा] मनसादेवी का नामान्तर ।
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विसहरि
( ६३८ )
विसास्त्र
ग्रह।
•विसहरि (हरो)-देखो 'विसहर'।
विसारणी (बी), विसारणी (बौ)-क्रि० १ भूलना, स्मति से विसाई-देखो "विस्रांति'। .
'निकालना । २ त्यागना, परित्याग करना । ३ गलती विसांगणा (ना)-स्त्री० [सं० विष+अंगना] १ विष कन्या ।। करना । ४ प्रारंभ करना, शुरू करना। २ नाग कन्या।
विसारद-वि० [सं० विशारद] १ किसी विषय का अच्छा विसरण-पु० [सं० विषाण] १ हाथी दांत । २ पशु का सींग । ज्ञाता, विशेषज्ञ । २ विद्वान, पंडित, कवि । ३ चतुर, ३ सूअर का दांत ।
कुशल, निपुण। ४ प्रसिद्ध, प्रख्यात, मशहूर। ५ श्रेष्ठ,
उत्तम । विसरणरण (न)-पु० [सं० विष+मानन] सर्प, सांप।
विसारी-पु०१ विस्मति, भुलावा । २ परित्याग । विसारिण, विसरणी-स्त्री० विश्रान्ति ।
विसाळ, विसाल, विसाळ-वि० [सं० विशाल] १ दीर्घ, बड़ा, विसाणी-पु० [सं०.विषाण] हाथी दांत का चूड़ा। विसांतक-वि० [सं० विष+अंतक] विष को नष्ट करने वाला।
विशाल । २ विस्तृत, लंबा-चौड़ा। ३ ऊंचा। ४ प्रसिद्ध,
मशहूर । ५ महान । ६ सीमा से अधिक लम्बा। बहुत -पु० शिव, महादेव ।
अधिक । ८ लम्बा । ९ मात्रा में अधिक ।-पु० १ एक विसांन-पु. एक प्रकार का शुगी वाद्य। .
पर्वत का नाम । २ राजा इक्ष्वाकु का एक पुत्र । ३ एक विसांनी-स्त्री० शर पुखा।
प्रकार का हिरन । ४ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ७६ वां विसाइत, विसाइत-देखो 'बिसात'। विसाइति (ती), विसाइति-देखो 'बिसातो' ।
विसालता-स्त्री० [सं. विशालता] १ विशाल होने की अवस्था विसाऊ-वि० खरीदने वाला, ऋता, खरीददार ।
या भाव । २ विस्तार, भव्यता । ३ बड़प्पन । विसाख-पु० [सं० विशाख:] १ स्वामिकातिकेय । २ शिव,
शिव, विसालद्रग (नेत, नेतर, नेत्र)-पु० [सं० विशाल-दृग] शिव, महादेव । ३ स्वामिकात्तिकेय का छोटा भाई। ४ एक
__ महादेव । महषि ।
विसाळा-स्त्री० [सं० विशाला] १ पुराणानुसार एक तीर्थ । विसाखा-पु० [सं० विशाखा] सत्ताईश नक्षत्रों में से सोलहवां
२ उज्जैन नगर का नाम । ३ प्रजापति दक्ष की एक पुत्री। नक्षत्र।
४ एक नदी। विसाग-१ देखो 'विसाद' । २ देखो "विसाख'।।
| विसालाक्ष-पु० [सं० विशाल-पक्ष] (स्त्री० विसालाक्षी) १ शिव विसापो (बो)-क्रि० १ छितराना, फैलाना, बिखेरना ।
का एक नामान्तर । २ वास्तु शास्त्र का एक ग्रंथकार । २ खरीदना, मोल लेना। ३ बेचना, विक्रय करना ।
३ भगवान विष्णु का एक नाम । ४ गरुड़ का एक पुत्र । ४ निवास कराना, ठहराना। ५ स्थापित करना।
५ गरुड़ । ६ चौसठ भैरवों में से एक ।-वि० बड़ी व सुन्दर विसात-१ देखो 'बिसात' । २ देखो "विसाती'।
मांखों वाला। विसाति, विसाती-पु०१ व्यापार करने वाला, व्यापारी ।।
विसालाक्षी-स्त्री० [सं० विशालाक्षी] १ सुन्दर व बड़ी मांखों २ देखो "बिसाती'।
वाली स्त्री। २ पार्वती का एक नाम ३ चौसठ योगिनियों विसाव-पु० [सं० विषाद] १ दुःख, शोक । २ निराशा,
में से एक ।-जात्रा, यात्रा-स्त्री० भादव कृष्णा तृतीया का हतोत्साह । ३ दुर्बलता, कमजोरी। ४ मूर्खता, प्रज्ञानता ।
व्रत व गौरी पूजन। ५ उपायों के प्रभाव में पुरुषार्थहीनता। ..
विसाळापुरी-स्त्री० उज्जैन नगरी । विसावी-वि० [सं. विषादिन] जिसे विषाद हो, विषाद युक्त। | बिसाळ (ळ)-देखो 'विसाळ'। विसायत-१ देखो "विसाती'। २ देखो "बिसात'। ३ देखो।
विसावणी (बी)-क्रि० १ उपार्जन करना, कमाना। २ उत्पन्न 'बिछायत'।
करना, पंदा करना। ३ प्राप्त करना, पाना। ४ एकत्र विसायति (तो), विसायति-१ देखो "बिसाति' । २ देखो एवं इकट्ठा करना । ५ संग्रह करना । ६ देखो 'विसाती।
'विसाणो' (बी)। विसायुद्ध (युध)-पु० [सं० विषायुद्ध] १ सर्प, सांप। २ विष | विसावीस (स)-देखो 'विसवावीस'।
में बुझाया हुमा शस्त्र ।-वि० विष में बुझा, विषैला। | विसास-देखो "विस्वास'।-घात=="विस्वासघात' । विसार-स्त्री० [सं०] १ मछली । २ देखो "विस्तार'। विसासणी (बी)-देखो 'विस्वासरणी' (बी). विसारण (लो), विसारण-वि० (स्त्री० विसारणी) विस्मरण विसास्त्र-पु. [सं. विष-मस्त्र] १ विष युक्त प्रस्त्र, विष बुझा करने वाला, भुलाने वाला।
अस्त्र । २ सांप, सर्प।
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विसाहणी
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( ६३९ )
विसिसथल, विसिस्थल - पु० [सं० विशिस्थल ] कटिस्थल । विसिक्ख विसिख पु० [सं० विशिखः] १ बाण तीर २ पक्षिराज गरुड़ का एक पुत्र ।
·
विसिखा-पु० [सं० विशिखा ] १ फावड़ा २ कुधा ३ बाण,
। ।
तीर । ४ सुई, पिन । ५ राज मार्ग, ग्राम रास्ता ।
बिसाही (ब)- क्रि० १ स्वीकार करना। २ ग्रहण करना, विसुद्धि स्त्री० [सं० विशुद्धि] शुद्ध या स्वच्छ होने की अवस्था पकड़ना [३] देखो 'विसाखी' (बो) ।
या भाव, शुद्धता ।
विसिखि विसिख देखो !दिसिख' ।
विसिन ( नि, नी) - १ देखो 'विस्णु' । २ देखो 'व्यसन' । ३ देखो 'व्यसनी' ।
विसिमि पु० [सं०] १ प्रतिस्पर्द्धा, ईर्ष्या, होड़ । २ गर्व, श्रहंकार ।
विसिया १ देखी 'दिसिया' २ देखो 'विषय' । विसियारस - पु० [सं० विषय रस] १ कामवासना, कामेच्छा । २ भोगविलासमैथुन
विसिरस्क पु० [सं० विशिरस्क] सुने पर्वत के पास का एक पर्वत ।
विसरा स्त्री० [० विशिर]] स्कंद की धनुचरी एक मातृका । विसिस्ट पु० [सं० विशिष्ट ] वस्तु या प्राणी जिसमें विशेष गुण हो, साधारण से विशेष हो । वि० १ प्रसिद्ध मशहूर कीर्तिवान । २ शिष्ट, सभ्य । ३ देखो 'वसिस्ठ' । विसिस्टो, विसिस्ठी, विसोठ- पु० [सं० विशिष्टी ] १ संदेशवाहक । खबर नवीस, दूत । स्त्री० २ शंकराचार्य की माता का नाम । ३ देखो 'वसीठ' । - गारी - स्त्री० दूत का कार्यं । प्रपशब्द, गाली ।
विसीसमूरति पु० [सं० विशीषमूर्ति ] कामदेव का नामान्तर विसुंडी - पु० [सं० विशु' डो] कश्यप ऋषि का पुत्र एक नाग । विसुंबरी-देखो 'विसूदरों'
विसुंधरा- देखो 'वसुंधरा' ।
।
।
विसु१ देखो 'सु' २ देखो 'विस' विसुप्रावोस देखो 'विसवावीस' ।
-
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विबुध- १ देखो 'विसुद्ध' । २ देखो 'बेसुध' । बिसुनपुर (पुरी पुरी) देखो 'विस्णुपुरी'। विसरण (सौ) - देखो 'बिरलों'।
-.
विसेरियो
विसुरो (बी), विसुरली (बी) देखो 'बसूरणी' (ब)। विसुव० [सं० विधुव] दित धौर रात बराबर होने का समय जब सूर्य विषुवत् रेखा पर पहुंचता है ।
विवामित (मितर, मिति, मित्र) - देखो 'विस्वामित्र' । विरिण (सी) देखो 'विस्रांति'।
विसू दरौ पु० (स्त्री० विसू ंदरी) छिपकली, विषैला जन्तु विशेष |
विसू - देखो 'वसु' |
विसूइया - देखो 'विसूचिका' ।
विकली (बी), वियुगली (बी) कि० १ रसहीन होना, सूचना, शुष्क होना। २ नष्ट होना। ३ सुन्न होना । ४ दुर्बल या कमजोर होना । ५ दूधारू पशु का दूध सूखना । विसूचिका - स्त्री० [सं०] हैजा नामक रोग | विसूची स्त्री० [सं० विषूची ] १ विरजू नामक राक्षस की पत्नी । २ देखो 'विसूचिका' ।
विसूलि (भी) देखो 'वस्त्रांति' ।
बिसूर पु० रुदन करने या सुबकने की क्रिया या भाव विसरण ( णो ) - पु० [सं० विसूरणं] १ दुःख, शोक, रंज, पश्चाताप । २ चिन्ता । ३ रुदन। ४ मरसिया, शोक काव्य । विसूरणी (बो)- पु० [सं० विसूरणं] १ सुबकना, रोना । २ दुःख, शोक, पश्चाताप करना । ३ चिन्ता करना । ४ विल होना ।
विसेक ( ख ) - स्त्री० यश, कीर्ति, प्रसिद्धि । वि० १ भयंकर, भयावह २ दुःखी, विन चित्त ३ पीड़ित ४ देखो 'विधि' ५ देखो 'विसेस'
विसेखच्छेद्य पु० ६४ कलानों में से एक ।
"
वणी (ब) ० १ देखना करना। २वलोकन करना । ३ समझना, विचार करना। ४ कहना, पुकारना । ७ गौर से देखना, निरखना ।
विसुक पु० [सं० विशुष] भण्डासुर नामक एक राक्षस
विसुखी - देखो 'विस्रांति' ।
विसुद्ध - वि० [सं० विशुद्ध] १ बिलकुल खरा, शुद्ध २ बिना पाप का पाप रहित ३ कलंक रहित, पाप रहित । [४] सच्चा ठीक ५ पवित्र :-० योग या वंशानुसार शरीरस्थ प्राठ चक्रों में से पांचवां । चारी- वि० शुद्ध चरित्र या विशुद्ध आचरण करने वाला । विसुद्धता स्त्री० शुद्धता, स्वच्छता
विसुद्धात्मा पु० परम निर्मल प्रात्म स्वरूप भगवान - वि० शद्ध विसेरियो पु० १ अनुशासन एवं स्वामिभक्ति में रहने वाला
भावना वाला
व्यक्ति । २ देखो 'बसीरो' ।
3
विसेखापुद्गल पु० [सं० विशेषापुद्गल ] वे पुदगल जिनका
श्रात्म संबंध नहीं हुआ हो ।
विसेति पृ० १ कारण २ देखो 'विखेख' ३ देखो 'विसेस' बिसेखियो, विसेखी, विसेखी-१ देखो 'विसेख' । २ देखो 'विसेस' 1 विसे विसेठ-देखो 'बसीठ' |
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विसेस
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( ६४० )
विसेस वि० [सं० विशेष ] १ साधारण से अधिक परे या प्रतिरिक्त, असाधारण । २ अधिक, ज्यादा । ३ मुख्य, खास, प्रधान । ४ विलक्षण, अनोखा । पु० १ अन्तर, भेद । २ हर्ष, खुशी । ३ पदार्थ, वस्तु । ४ अधिकता, उत्तमता । ५ विचित्रता अद्भुदता । ६ सार तत्त्व । ७ प्रकार, किस्म । ८ दमन नामक शिवावतार का शिष्य । ९ सात प्रकार के पदार्थों में से एक (वैशेषिक दर्शन ) ।
११ एक प्रकार का अर्थालंकार । विशेषता उत्पन्न करने वाला । समवृत्त वणिक छन्द । २ एक
१० एक प्रकार का पद्य विसेसक - वि० [सं० विशेषक] - पु० १ एक प्रकार का प्रकार का अर्थालंकार | विसेसग्य - वि० [सं० विशेषज्ञ ] किसी विषय या शास्त्र का विशेष ज्ञाता, पंडित ।
विसेसण - पु० [सं० विशेषरण ] व्याकरण में एक प्रकार का विकारी शब्द- वि० विशेषता या विशेष गुण बताने
विसेसन्नु - वि० विशेषज्ञ ।
विसेसि देखो 'विसेस' ।
विसेसोक्ति - स्त्री० [सं० विशेषोक्ति] एक प्रकार का अलंकार । विसेसी देखो 'विसेस'
विसेस्य पु० [सं० विशेष्य) वह संज्ञा जिसके साथ विशेष लगा हो । वि० गरण श्रादि द्वारा भेद बतलाने योग्य । मुख्य, प्रधान । विसं - देखो 'विसय' ।
विसोक - पु० [सं० विशोक ] १ अशोक नामक वृक्ष । २ ईश्वर
परमात्मा । ३ भीमसेन का सारथि । ४ पाण्डव पक्षीय एक राजा । ५ ब्रह्मा का एक मानस पुत्र ६ श्रीकृष्ण का एक पुत्र, नारद का शिष्य । वि० १ जिसे शोक न हो, शोक रहित । २ शोक युक्त, शोकग्रस्त । ३ सुखी । - द्वादसी स्त्री० पाश्विन कृष्णा द्वादशी की तिथि । इस तिथि का व्रत व लक्ष्मीपूजन
-
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एक मातृका
विसोग देखो 'विमोक
विसोतर (रि, री) विसोत्तर ० एक सौ बीसको संख्या विसोधन पु० [सं० विशोधन ] पापों का नाश करने वाला ईश्वर । विसोधनी - स्त्री० [सं० विशोधनी] ब्रह्मपुरी का नाम ।. विसोनी - स्त्री० शरपुखा नामक पौधा ।
विसोबा देखो 'विसवो' ।
विसोभित - वि० [सं० विशोभित] १ शोभा रहित, भद्दा । २ विशेष सोचा बुख
विसोबम - वि० [सं० विषोपम] विष के समान, जहर सदृश । विसोवावीस, विसोहावोस देखो 'विसवावीस' ।
वाला ।
बिसेसता स्त्री० [सं० विशेषता ] विशेष दुरा, खासियत, विचित्रता, विस्क पु० [सं० विष्क] बीस वर्ष का हाथी अनोखापन ।
बिस्ल
विसोही - वि० [सं० विशोही ] श्रात्मा का विशेष शोधन करने वाला । स्त्री० विशुद्धि ।
1
विसौ वि० [स्त्री० विसी) वैसा जैसा समान विस्कम, विरकमक पु० [सं० विष्कंभ, विष्कमक] १ ज्योतिष के २७ योगों में से एक २ योगियों का एक बध । ३ नाटक का एक अंक जो प्राय: वर्मा के निकट होता है । ४ वृत्त का व्यास । ५ प्रसार, लंबाई । ६ रोक, घड़चन । ७ स्तंभ, खंभा । ८ वृक्ष । धर्गला । १० इमारत में लगने वाला शहतीर ।
विस्तंभी पु० [सं० [विण्डम्भिन् १ शिव का एक नामान्तर
२ देखो 'विस्कभ' |
विस्कर पु० [सं० विष्कर ] १ पक्षी चिडिया । २ पूर्व कालिक
एक राक्षस ।
विकल पु० [सं०] विकल] सूपर कर
3
विस्कर ० [सं० विष्किर १ पक्षी चिड़िया २ विस्टड पु० [सं० विष्टि ] संदेशवाहक दूत । विस्टकार पु० १ दूत संदेशवाहक
',
गाली ।
व्यक्ति । विस्टकारी - स्त्री० १ दूत का कार्य २ अपशब्द, विस्टप - पु० [सं० विष्टप] ससार, जगत । विस्टर - पु० [सं० विष्टर ] १ प्रासन, बैठक । २ यज्ञ में ब्रह्मासन पेड़ वृक्ष ४ देखो 'विस्तर' ।
2
2
२ अपशब्द कहने वाला
"
विस्टरास (स्व) - पु० [ स० विष्टराश्व ] एक सूर्यवंशी राजा. विस्टाकारी- देखो 'विस्टकारी' ।
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विस्टाळ (ळु, लु. ळू, लू, कौ, लौ)- वि० [सं० विष-टालनम् ] बीच-बचाव या मध्यस्थता करने वाला । - पु० १ मध्यस्थता करने वाला व्यक्ति । २ सुलह समझौता ।
विसोका - स्त्री० १ श्रीकृष्ण की एक पश्नी । २ स्कंद की धनुचरी विस्टि - पु० [सं० विष्टि: ] १ ज्योतिष में एक करण । २ जीव
का नरकवास । ३ धर्म सावरण मन्वन्तर का एक ऋषि । विस्टिव्रत पु० [सं० विष्टिव्रत] एक प्रकार का व्रत । विस्टी (ठौ), विस्टी-पु० [सं० विष्ठा] मस, टट्टी, पाखाना,
,
मेला |
विस्ठाघर, विस्ठाघर पु० [सं० विष्ठा गृह] शौचालय, तारत विस्ठामुक (मुख) - पु० [सं० विष्ठामुख ] सूपर शूकर । विरम देखो 'विष्णु'
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विस्तर
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( ६४१ )
विस्तर - go सुदर्शनचक्र | विस्णु - पु० [सं० विष्णु ]
१ परब्रह्म एवं ईश्वर का नामान्तर । सर्व प्रधान देव जो सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं । २ अग्निदेव । ३ श्रीकृष्ण का नामान्तर । ४ तपस्वीजन । ५ बारह प्रादित्यों में से एक । ६ विष्णू स्मृति की रक्षा करने वाले एक ऋषि ७ चौसठ भैरबों में से एक। मृगुवंश में उत्पन्न एक गोत्रकार कालिक मास में अश्वतर नाग, रंभा अप्सरा, गंधर्व एवं यक्षों के साथ घूमने वाला सूर्य १० बठारह पुराणों में से एक।
।
श्रीशंकराचार्य श्रीशंकराचार्य द्वारा
द्वारा
विस्णुचकर (चक्र ) - पु० [सं० विष्णुचक्र ] भगवान विष्णु का
सुदर्शन चक्र ।
विस्तरपण - पु० [सं० विष्णुतर्पण] किसी बालक के मरने के तीसरे दिन दूध, जल, तिल आदि से किया जाने वाला सर्पस विस्णुतिय तिथि पी० [सं० विष्णुतिथि एकादशी घोर ( ) - स्त्री० द्वादशी दोनों तिथियों का नामान्तर ।
विस्णुतेल - पु० [सं० विष्णुर्नल ] वात रोगों में काम घाने वाला वैद्यक में एक तेल |
विकांची० [सं० विष्णुकांची]
स्थापित दक्षिण का एक तीर्थं । विस्णुकांता स्त्री० प्रोषध में काम आनेवाली एक जड़ी विशेष विक्रम १० [सं० विष्णुक्रम] भगवान विष्णु का पाद या पद विक्रांत पु० [सं० विष्णुक्रांत] संगीत में एक ताल विशेष । विक्रांता स्त्री० [सं०] [विष्णुक्रांता] श्वेत कोयल नामक एक
लता ।
विस्य विस्णुगंगा स्त्री० [सं० विष्णुगंगा ] एक प्राचीन नदी विस्णुगुपत ( स ) १० [सं० विष्णु गुप्त ] चाणक्य का एक विस्णुवाहण (न)-१० [सं० विष्णु वाहन] ग गुप्त - पु०
नामान्तर ।
विस्वत, विस्वत्या पु० [सं० विष्णुदेवत्या] १ श्रवण नामक नक्षत्र जिसके स्वामी विष्णु माने जाते हैं। २ चन्द्र मास के दोनों पक्षों की एकादशी एवं द्वादशी तिथियां विस्णुद्वीप पु० [सं० विष्णुद्वीप ] पुराणानुसार एक द्वीप । विष्णुधरमा स्त्री० [सं० विष्णुधर्मा] गरड़ को प्रमुख संतान गरुड़ बिस्णुधरमोत्तर ० [सं० विष्णुधर्मोत्तर] विष्णुपुराण का एक अंग ।
।
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विष्णुधारा स्त्री० [सं० विष्णुधारा] १ एक पौराणिक नदी २ एक प्राचीन तीर्थं ।
विस्णुपथ - पु० [सं० विष्णुपथ ] प्राकाश, व्योम | विष्णुपद पु० [सं० विष्णुपद] १ प्राकाम, व्योम २ स्वर्ग,
1
वैकुण्ठ । ३ क्षीरसागर । ४ कमल । ५ विष्णु के पैर । ६ एक प्रकार का मात्रिक छन्द । ७ विपाशा नदी के समीपस्थ एक तीर्थं ।
विस्णुपदी-स्त्री० [सं० विष्णुपदी ] १ भागीरथी, गंगा । २ द्वारिकापुरी ३ बुध, वृश्चिक, कुंभ व सिंह यादि की संत्रांति
।
विस्तरता
बिस्णुपुरी (पुरी)- १० [सं० विष्णुपुर ] स्वर्गलोक, बैकुण्ठ । विस्णुप्रयाग-पु० [सं० विष्णु प्रयाग ] विष्णु गंगा व अलकनंदा के समीप हाथी पर्वत के पास का तीर्थ स्थान । विस्णुप्रिया - स्त्री० [सं० विष्णु प्रिया ] १ भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी । २ तुलसी का पौधा ।
विस्णुप्रीति रुषी० [सं० विष्णुप्रीति] १ भगवान विष्णु की पूजा या भक्ति । २ पुजारी को दी जाने वाली बिना लगान की भूमि ।
विस्मुरच पु० [सं० विष्णुरथ] विष्णु का वाइन ग विस्णुलोक - पु० [सं० विष्णुलोक ] स्वर्ग, वैकुण्ठ । विस्णुवल्लभा - देखो 'विस्णुप्रिया' ।
विस्णुजुर (ज्वर ) - पु० [सं० विष्णुज्वर ] एक प्रकार का ज्वर विस्णुव्रत - पु० [सं० विष्णुव्रत ] पौष शुक्ला द्वितीया से चार जो शत्रुनों का नाशक माना जाता है । दिन तक किया जाने वाला व्रत ।
।
विष्णु विवाह पु० [सं० विष्णुविवाह ] एक प्रकार का वैधव्यहर जिसमें कन्या का विवाह पहले विष्णु से कर दिया जाता है।
विस्णुसकति ( सक्ति, सगति) - स्त्री० [सं० विष्णुशक्ति ] लक्ष्मी । विस्णुसप्तमी - स्त्री० [सं० विष्णु सप्तमी] मार्गशीर्ष मार्गशीर्ष शुक्ला
सप्तमी की विष्णु की पूजा
विस्णुसिल (सिला) स्त्री० [सं० विष्णु शिला] सालिग्राम विखळ (ळा ) - स्त्री० [सं० विष्णु व खला] अवरण नक्षत्र में पाने वाली द्वादशी ।
विस्णुस्वामी - पु० [सं० विष्णुस्वामी] वैष्णव सम्प्रदाय वा रामावत साधुयों की एक शाखा । विष्णु-देखो 'विष्णु'
विस्तर विस्तर- देखो 'बिस्तर' ।
विस्तरण - वि० विस्तार करने वाला, फैलाने वाला ।
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विस्तरणौ (at) - क्रि० १ उच्चरित होना, ध्वनित होना; गूंजना | २ विस्तार पाना, व्याप्त होना। फैलना । ३ प्रफुल्लित होना, धानन्दित होना ४ बिखरना, छितरना, फैलना । ५ हरा-भरा होना, लहलहाना । ६ गमन करना, जाना । ७ तितर-बितर होना, फैलना ।
विस्तरता - स्त्री० [सं०] बहुत या अधिक होने की अवस्था
या भाव ।
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विस्तरियो
( ६४२ )
विसति
विस्तरियो-देखो "बिस्तर'।
स्थाई भाव । ३ अभिमान, गर्व । ४ शक, संदेह । -कारी विस्तार, विस्तार-पु० [सं०] १ प्रसार, फैलाव। २ वृक्ष की | -वि० माश्चर्यान्वित करने वाला, ताज्जुब में डालने , शाखाएं। ३ अधिकता, बाहुल्य । ४ वृत्तान्त, विवरण।
वाला। विस्तारक-वि० विस्तार करने वाला।
विस्मरण-पु० [सं०] स्मृति से निकलने या भूलने की अवस्था । विस्तारण-स्त्री. विस्तार या प्रसार की क्रिया या भाव । विस्मरणी, विस्मरणो-वि० भूलने वाला, भुलक्कड़ । विस्तारणी (बो)-क्रि० १ विस्तार करना, फैलाना। २ बिखेरना | विस्मरणी (बी)-क्रि० भूलना, स्मृति में न रहना ।
छितराना। ३ ध्वनित करना, उच्चरित करना। ४ बढोतरी विस्मारक-वि. भुलाने वाला, विस्मरण कराने वाला। करना । ५ हिलाना-डुलाना। ६ प्रचार करना।
विस्मि, विस्मिय-देखो 'विस्मय' । विस्तारि-देखो 'विस्तार'।
विस्मित-वि० माश्चर्य युक्त, चकित । विस्तारी-वि० [सं० विस्तारिन्] जिसका विस्तार अधिक हो। | विस्मिता-पु. एक प्रकार का वणिक छन्द । विस्तीरण-वि० [सं० विस्तीर्ण] १ विस्तृत फैला हुमा । विस्मिय-देखो विस्मय'। __ २ बहुत लम्बा चौड़ा।
विस्र खल (ला)-वि० [सं० विशृखल] १ जिसमें कोई विस्त्रत, विस्त्रित-वि० [सं० विस्तृत] १ फैला हुपा, विस्तरित, शृखला न हो, सिलसिला विहीन । २ उद्दण्ड, उत्पाती। व्याप्त । २ लम्बा चौड़ा। ३ विपुल, परिव्याप्त ।
___ ३ दुराचारी लंपट । विस्न, विस्न-१ देखो 'विस्णु'। २ देखो 'व्यसन'।
विस्र भ-पु० [सं० विश्वम्भ] १ दृढ़ विश्वास । २ प्यार, प्रेम, विस्नी, विस्नी-देखो 'व्यसनी' ।
मुहब्बत । ३ विधाम । ४ संभोग के समय प्रेमी-प्रेमिका का विस्फार-पु० [सं०] १ धनुष की टंकार । २ धनुष की डोरी। होने वाला झगड़ा । ५ गुप्त बात । ६ हत्या।
३ कम्पन, सिसकन । ४ स्फूति, तेजो। ५ विस्तार, विकास। विस्र भी-वि० [सं० विश्रम्भी] १ विश्वास करने वाला । ६ खिचाव, तनाव।
२ प्रेम या मुहब्बत संबंधी। विस्फारित-वि० [सं०] १ टंकारा हुमा । खेंचा हपा । २ कपिल, विस्र-पु० खून रक्त ।
थरथराता हुमा। ३ खींचा हमा, ताना हमा। ४ स्फूति- विस्रब्ध-वि० [सं० विश्रब्ध] १ जिसका विश्वास किया जाय । युक्त । ५ विस्तृत, फैला हुआ।
२ जो विश्वास करता हो। ३ निर्भय, निडर । ४ जो विस्फुरणी (बी)-क्रि० १ कांपना, कंपित होना। २ डरना, उद्धत न हो सुशील ।
भयभीत होना । ३ हिलना-डुलना । ४ थरथराना, | विस्रव, विस्रवा-पु० [सं० विश्रवस्] १ पुलस्त्य ऋषि का पुत्र फरकना।
एवं रावण का पिता। २ लंकापति रावण । ३ पुलस्त्य विस्फुराणो (बो)-क्रि० १ कम्पित करना, कंपाना । २ डराना,
ऋषि के वंशज । ४ ख्याति, प्रसिद्धि, कीर्ति। [सं० विधव:] भयभीत करना । ३ हिलाना-डुलाना ।
५ प्राश्रय, सहारा। विस्फोट-पु० [सं०] १ भूमिगत पाग, गैस प्रादि का जोर की विस्रांत-वि० [सं० विश्रान्त] १ जिसने पाराम किया हो ।
भावाज के साथ फूट कर निकलने की क्रिया । २ इस २ शान्त, सुशील । ३ प्रवशिष्ट । क्रिया से होने वाला जोर का शब्द । ३ कोई गोला या विस्रांति (ती)-स्त्री० [सं० विश्रान्ति] १ विधाम, पाराम । वस्तु जोर की पावाज के साथ फटना, फूटना। ४ जहरीला | २ अवसान, मौत, मृत्यु । ३ एक तीर्थ का नाम । फोड़ा। ५ एक प्रकार का कुष्ठ रोग । ६ चेचक की विस्रांम-देखो 'विसरांम' । बीमारी।
विस्रांमणो (बी)-देखो "विसरांमणो' (बी)। विस्फोटक-पु० [सं०] १ बारूद मादि शीघ्र प्राग पकड़ने वाला विस्रांमी-देखो 'विसरामी'।
पदार्थ, विस्फोट करने का सामान । २ धमाके के साथ विस्रांमु (मू)-देखो 'विसरांम'।। फटने वाली वस्तु । ३ जहरीला फोड़ा। ४ शीतला रोग, विस्राळ (ल,ळी, ळो, लौ)-वि० १ शान्त । २ देखो "विसराळ' ।
चेचक । ५ छत्तीस प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों में से एक । | विस्र त-वि० [सं० विश्रुत] १ जाना हुमा, सुना हुप्रा । विस्फोटणी (बो)-क्रि० १ धमाके के साथ फूटना, फूटकर | २ प्रसिद्ध विख्यात । ३ प्रसन्न, खुश ।-पु. १ वसुदेव का
निकलना । २ विस्फोट होना । ३ जहरीला फोड़ा होना ।। | पुत्र एक राजकुमार । २ पमिताभ देवों में से एक । विस्फोटता-स्त्री० पालस्य में अंग मोड़ने की क्रिया। विस्र तात्मा-पु० [सं० विश्रुतात्मन्] भगवान विष्णु । विस्मय-पु० [सं०] १ प्राश्चर्य, ताज्जुब । २ अद्भुत रस का | विस्र ति-स्त्री० [सं० विश्रुति] प्रसिद्धि, ख्याति ।
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विस्रय
( ६४३ )
विस्ववत्त
विस्रय-वि० [सं० वि-श्रेयस्] १ विशेष श्रेष्ठता वाला, उत्तम, नामान्तर । २ ईश्वर, परमात्मा । ३ इंद्र सभा के एक श्रेष्ठ । २ श्रेष्ठता रहित, बुरा।
ऋषि । ४ नारद के शिष्य एक प्राचार्य । ५ चौदहवें मनु का विस्लय-वि० [सं० विश्लथ] १ शिथिल, ढीला। २ सुस्त, थका नामान्तर। हुप्रा।
विस्वकाय-पु० [सं० विश्वकाय] भगवान् श्रीविष्णु । विस्लेस-पु० [सं० विश्लेष] १ अलग या पृथक होने की क्रिया विस्वकाया-स्त्री० [सं० विश्वकाया] दुर्गा का एक नामान्तर ।
या भाव । २ वियोग, विछोह । ३ थकावट, सुस्ती। विस्वकारक-पु० [सं० विश्वकारक] विष्णु । ब्रह्मा । शिव । ४ शिथिलता, ढोलापन।
विस्वकारज (कार्य)-पु० [सं० विश्वकार्य] सूर्य की सप्तरंगी विस्लेसण-पु० [सं० विश्लेषण] १ किसी पदार्थ के संयोजक | प्रमुख सात ज्योतियां।
तत्वों को पृथक करने की क्रिया या भाव। २ विषय या विस्वकारणी, विस्वकारिणी-स्त्री० [सं० विश्वकारिणी] विश्व पदार्थ के तत्त्वों की पृथक-पृथक जांच या अध्ययन ।। को कारण रूपा शक्ति, देवी। ३ अध्ययन या विवेचन की विधि । ४ वायु प्रकोप से बने
| विस्वकूट-पु० [सं० विश्वकूट] हिमालय की एक चोटी का नाम । फोड़े में होने वाला दर्द । ५ भंग करना क्रिया ।
विस्वकेतु-पु० [सं० विश्वकेतु] १ अनिरुद्ध का एक नामान्तर । विस्लेसणात्मक-वि० [सं० विश्लेषणात्मक] १ जिसका विश्लेषण
कवि० [सं० विश्लेषणात्मक] १ जिसका विश्लेषण | २एक पर्वत का नाम । किया गया हो। २ विश्लेषण कर तैयार किया गया। विस्वकोस-पु० [सं० विश्वकोश] , संसार के समस्त पदार्थ ३ विश्लेषण करने योग्य ।
प्रादि का संग्रह, कोश या भण्डार। २ संसार के समस्त विस्लोक-पु० [सं० विश्लोक] एक मात्रिक छंद विशेष ।
विषयों के विस्तृत विवेचन का ग्रंथ । विस्वंतर-पु० [सं० विश्वंतर] भगवान बुद्ध ।
विस्वक्रत-पु० [सं० विश्वकृत] १ संसार का सृष्टि कर्ता, विस्वभर-पु० [सं० विश्वंभर] १ समस्त संसार का भरण-पोषण
ब्रह्मा । २ विश्व का पालनहार, विष्ण । ३ शिव, करने वाला, ईश्वर, श्रीविष्णु । २.देवराज इन्द्र । ३ अग्नि
महादेव । देवता। ४ एक उपनिषद् ।
विस्वगंध-पु० [सं० विश्वगंध] १ लहसुन । २ लोबान । विस्वंभरा (री)-स्त्री० [सं० विश्वंभरा] १ पृथ्वी, भूमि ।
| विस्वगंधा-स्त्री० [सं० विश्वगंधा] पथ्वी, भूमि । २ एक रागिनी विशेष ।
विस्वगधि (घी)-पु० [सं० विश्वगंधि] पृथु नामक राजा के विस्वंभरेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० विश्वंभरेश्वर] १ हिमालय
पुत्र का नाम। स्थित एक शिव लिंग का नाम। २ शिव, महादेव ।
विस्वगरम-पु० [सं० विश्वगर्भ] १ भगवान विष्ण । २ शिव। ३ ईश्वर ।
विस्वगस्व-पु० [सं० विश्वगश्व राजा पृथु के पुत्रों में से एक । विस्व-पु० [सं० विश्व] १ संसार, जगत, दुनिया। २ ममस्त
विस्वगोला-पु० [सं० विश्वगोप्ता] १ विष्ण । २ देवराज इन्द्र । ब्रह्माण्ड । ३ विष्ण का एक नामान्तर । ४ शिव, महादेव ।
३ विश्वंभर । ५ दश देवों का एक गण विशेष । ६ फाल्गुन मास में सूर्य के साथ भ्रमण करने वाला गंधर्व । ७ प्रात्मा, जीव ।
विस्वचक्ख (चक्ष, पक्ष, चख)-पु० [सं० विश्वचक्षुस्] १ ईश्वर ८ नगर निवासी।-वि० १ समस्त, समग्र। २ प्रत्येक,
परमात्मा । २ सूर्य, रवि । हरेक ।
विस्वचक्र-पु० [सं० विश्वचक्र] बारह प्रकार के महादानों में विस्वईस-देखो "विस्वेस'।
- से एक। विस्वईसर (सुर, स्वर)-देखो "विस्वेस्वर'।
विस्वजीत-पु० [सं० विश्वजित्] १ एक प्रकार का यज्ञ । विस्वकरण-देखो "विस्वकरमा' ।
__ २ वरुण का पाश । ३ अग्नि, माग। ४ बृहस्पति के एक विस्वकरमजा-स्त्री० [सं० विश्वकर्मजा] सूर्य की पत्नी संज्ञा पुत्र का नाम । ५ विष्ण। का एक नाम ।
विस्वजीव-पु० [सं० विश्वजीव] ईश्वर, परमात्मा । विस्वकरमा (म्मा)-पु० [सं० विश्वकर्मन्] १ विश्व की सृष्टि | विस्वजण (जोनि, जोनी)-देखो 'विस्वयोनि'।
करने वाला ब्रह्मा, विधि । २ ईश्वर, विष्णु । ३ शिव, विस्वजोतिस-पु० [सं० विश्वज्योतिष] एक ऋषि विशेष । महादेव । ४ सूर्य, रवि । ५ शिल्प शास्त्र के अधिष्ठाता एक विस्वतन (तनु)-पु० [सं० विश्वतनु] भगवान विष्ण। देव । ६ बढ़ई, लुहार प्रादि शिल्पी।
विस्वतोया-स्त्री० [सं० विश्वतोया] गंगा नदी । विस्वकसेन-पु० [सं० विश्वक्सेनः] १ भगवान विष्णु का एक ! विस्वदत्त-पु० [सं० विश्वदत्त] सोमवंशीय एक राजा ।
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विस्ववासा
( ६४४ )
विस्वा
विस्ववासा-स्त्री० [सं० विश्वदासा] अग्नि की सात जिह्वानों | विस्वभूखण (भूसण)-पु० [सं० विश्व भूषण] एक सूर्यवंशी .. का नाम ।
राजा। विस्वदेव (देव)-पु० [सं० विश्वदेव] १ ईश्वर, परमात्मा । विस्वमया-स्त्री० [सं० विश्वमया] अग्नि की सात जिह्वानों - २ श्राद्ध संबंधो देवता विशेष।
में से एक। विस्वदेवत-पु० [सं० विश्वदेवत्] उत्तराषाढा नक्षत्र । विस्वमहेस्वर-पु० [सं० विश्व महेश्वर शिव महादेव ।। विस्वधर-पु० [सं० विश्वधर भगवान श्रीविष्णु ।
विस्वमाता-स्त्री० [सं० विश्वमाता] दुर्गा, विश्व की माता। विस्वधांम-पु० [सं० विश्वधामन् | ईश्वर, परमात्मा । विस्वमित (मितर, मित्र, मित)-देखो 'विस्वामित्र' । विस्वधा-पु० [सं० विश्वधा] एक प्रकार के देवता । | विस्वमुखी-स्त्री० [सं० विश्वमुखी] पार्वती। विस्वधार-पु० [स० विश्व-धारी] (स्त्री० विश्वधारिणी)१ शिवः |
13 विस्वमूरति (मूरती, मूरत्ति)-स्त्री० [सं० विश्वमूर्ति] सर्व ___ महादेव । २ एक तीर्थ का नाम ।
___ व्यापी भगवान विष्णु । विस्वधारणी (धारिणी)-स्त्री० [सं० विश्वधारिणी] १ भूमि,
| विस्वमोहन-पु० [सं० विश्व मोहनम्] विष्णु का नामान्तर । ___ पृथ्वी । २ दुर्गा, देवी, शक्ति ।
विस्वयोनि (नी)-पु० [सं० विश्वयोनि] १ संसार के सृष्टि विस्वनंत-पु० [सं० विश्वनंत] जनकवंशीय एक राजा।
__कर्ता, ब्रह्मा । २ विष्णु । विस्वनाथ-पु० [सं० विश्वनाथ] १ काशी का एक ज्योतिलिंग ।
विस्वर-देखो 'विसर'।। २ शिव, महादेव । ३ श्रीकृष्ण का एक नामान्तर ।
विस्वरुचि (ची)-पु० [सं० विश्वरुचि १ एक देव योनि । ४ ईश्वर, परमात्मा। ५ विश्व का स्वामी ।
२ अग्नि की सात जिह्वामों में से एक ।
विस्वरूप-पु० [सं० विश्वरूप] १ श्रीकृष्ण । २ श्रीविष्णु । विस्वनाम (भि, भी)-पु० [सं० विश्वनाभ] १ भगवान श्री
३ शिव, महादेव। ४ चौसठ भैरवों में से एक भैरव का विष्णु । २ विष्णु का सुदर्शन चक्र ।
नाम । ५ शिव कल्प के पश्चात् प्रारंभ हुए एक कल्प का विस्वपत (पति, पती)-पु. [सं० विश्वपति] १ ईश्वर,
नाम । ६ श्रीकृष्ण का विराटरूप । ७ एक प्राचीन तीर्थ । परमात्मा । २ श्रीकृष्ण का एक नामान्तर। ३ मनु नामक
८ बृहस्पति के साथ होने वाले देव गुरु का नाम । पग्नि के एक पुत्र का नाम । ४ विश्व के स्वामी, ईश्वर ।
विस्वरूप-विस्तार-पु. श्रीकृष्ण । विस्वपा-पु० [सं० विश्वपा] १ ईश्वर, परमात्मा। २ सूर्य, |
विस्वरूपा-स्त्री० [सं० विश्वरूपा] १ एक देवी। २ धर्म ऋषि सूरज । ३ चन्द्रमा, चांद । ४ अग्नि, भाग ।
___की पत्नी। विस्वपातरी (पात्री)-पु० [सं० विश्वपात] पितर विशेष ।
| विस्वरूपी-पु० [सं० विश्वरूपिन्] भगवान श्रीविष्णु । विस्वपाळ-पु० [सं० विश्वपाल] १ संसार का भरण-पोषण | विस्वलोचरण (न)-पु० [सं० विश्वलोचन] १ सूरज, सूर्य । कर्ता, ईश्वर, परमात्मा । २ एक राजा।
२ चन्द्रमा। विस्वपावन (पावनी, पाविनी)-स्त्री० [सं० विश्वपावन | विस्वविद्यालय-पू० [सं० विश्व विद्यालय] सभी विषयों की १ तुलसी। २ सूर्य, सूरज। ३ चांद, चन्द्रमा । ४ प्राग,
उच्च शिक्षा देने तथा उच्च शिक्षा की विश्व मान्य उपाधियां अग्नि ।
प्रदान करने वाला शिक्षा केन्द्र, विद्यापीठ । विस्वपूजिता-स्त्री० [सं० विश्वपूजिता] तुलसी।
| विस्वसहा-स्त्री० [सं० विश्वसहा] १ भूमि, पृथ्वी। २ अग्नि विस्वप्रकास (क)-पु० [सं० विश्व प्रकाशक] सूर्य, रवि।
की सात जिह्वानों में से एक। विस्वप्रबोध-पु. [सं० विश्वप्रबोध] भगवान विष्णु। | विस्वसाक्षी (साखी)-पु० [सं० विश्वसाक्षी] ईश्वर परमात्मा । विस्वबंधु-पु. [सं० विश्वबंधु] शिव, महादेव ।
विस्वस्त-वि० [स० विश्वस्त] विश्वसनीय, विश्वास करने विस्वबाहु-पु० [सं० विश्वबाहु] १ विष्णु । २ शिव, महादेव । योग्य। विस्वमरता (सा)-पु० [सं० विश्वभर्तृ] ईश्वर, परमात्मा। विस्वस्ता-स्त्री० [सं० विश्वस्ता] विधवा स्त्री। विस्वभावन-पु० [सं० . विश्वमावन] १ ईश्वर, परमात्मा । विस्वस्रवा-पु० [सं० विश्रवस्] कुबेर एवं रावण के पिता २ ब्रह्मा का एक मानस पुत्र।
| एक ऋषि । विस्वभुज, विस्वभुजा-स्त्री. [सं० विश्वभुज] १ एक देवी का विस्वहरता (त्ता)-पु. [सं० विश्वहत ] शिव, महादेव ।
नाम । २ ईश्वर, परमात्मा । ३ देवराज इन्द्र । ४ बहस्पति विस्वहेतु-पु० [सं० विश्वहेतु] भगवान श्रीविष्णु । का चौथा पुत्र व गोमती का पति एक अग्निदेव। -वि. सर्व विस्वा-स्त्री० [सं० विश्वा] । धर्म की पत्नी । २ भारत की भक्षी।
.एक महानदी । ३ सोंठ।
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विस्वागाथा
। ६४५ )
विस्वागाथा-स्त्री० [सं० विश्व-गाथा] गाहा छन्द का एक भेद ।। | विस्वकसार-पु० [सं० विश्वेकसार] काश्मीर स्थित एक प्राचीन विस्वाधात-देखो "विश्वासघात' ।
| तीर्थ। विस्वाची-स्त्री० [सं० विश्वाची] १ एक अप्सरा। २ एक विस्वं क्रमा-देखो "विस्वकरमा'। प्रकार का वात रोग।
| विस्वी-देखो 'विसवो'। विस्वात्मा-पु० [सं० विश्वात्मा] १ भगवान विष्णु । २ सृष्टि | विस्सराम (मो)-देखो 'विसरांम' ।
के कर्ता, ब्रह्मा । ३ शिव, महादेव । ४ ईश्वर, परमात्मा । | विस्सम-देखो "विसम'। विस्वाधार-पु. [सं. विश्वाधार] १ ईश्वर, परमात्मा । | विस्सहरपुर-पु० [सं० विषधरपुर नागौर नगर का एक नाम । २ मेधातिथि के पुत्र का नाम ।
विस्सा-पु० [सं० विश्रसा] पुद्गल, धूप, छाया मादि। विस्वाधारी-देखों "विस्वाधार'।
विहंग (डो)-पु० [सं०] १ पक्षी, चिडिया । २ मांसाहारी विस्वाधिप (पत, पति, पती)-पु० [सं० विश्वाधिपति] विश्व का पक्षी । ३ सूर्य, रवि। ४ चन्द्रमा, चाद। ५बादल, मेष । मधिपति, ईश्वर, परमेश्वर ।
६ बाण, तीर । ७ घोड़ा, अश्व । - प्राकाश, गगन । विस्वानर-देखो 'वस्वानर'।
सत्ताईश नक्षत्रों में से एक नक्षत्र । १० ऐरावत कुलोत्पन्न विस्वावीस-देखो "बिसवावीस' ।
एक नाग। ११ हंस । १२ विहंग मार्ग। १३ देखो 'बिहाम'। विस्वामित (मितर, मित, मितर, मित्र, मित्रेस, मीत)-पु० [सं० -जेठी-पु० सूर्य, सूरज । गरुड़।-नाथ,पत,पति,पती-पु.
विश्वामित्र] १ महाराज गाधि के पुत्र एक महर्षि जिन्होंने पक्षिराज गरुड़। सूर्य । चन्द्रमा। इन्द्र ।-पच, मग; तप-बल से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया था। २ फाल्गुन मास में मारग-पु. भाकाश, गगन । योग साधना का एक मार्ग ।
सूर्य के साथ रहने वाला एक ऋषि । ३ एक राक्षस समूह । -राज, राजा-पु. गरुड़, इन्द्र ।-राह-'विहंगमारग' । विस्वामित्रा-स्त्री० [सं० विश्वामित्रा] एक नदी विशेष । विहंगम-वि० [सं०] भाकाश में गमन या विचरण करने वाला। विस्वावसु-पु० [सं० विश्वावसु] १ एक. गंधर्व का नाम | | -पु. १ सूर्य, सूरज । २ पश्व, घोड़ा । ३ माकाश, नगन ।
२ विष्णु का एक नामान्तर । ३ साठ संवत्सरों में से ३९ वां ४ मांसाहारी पक्षी। ५ कोई पक्षी । ६ धर्म सारिण मन्वन्तर संवत्सर । ४ धर्म का पुत्र एक वसु ।
का एक देवगण। ७ खर राक्षस का एक अमात्य । विस्वावीस, विस्वावीस-देखो "विसवावीस' ।
७ देखो 'विहंगमारग' । विस्वास, विस्वास-पु० [सं० विश्वास] १ किसी व्यक्ति, बात या | विहंगमा-स्त्री० [सं०] सूर्य की किरण ।
वस्तु का भरोसा,यकीन,ऐतबार । तसल्ली । २ दृढ़ निश्चय, | विहगानाथ-देखो 'विहंगनाथ' । निश्चित धारणा । ३ तक या अनुमान के प्राधार पर तय की | विहंगेस-पु० [सं० विहंग-ईश] १ गरुड़ । २ इन्द्र । गई मान्यता, धारणा। ४ शक, संदेह व माशंका का पूर्ण विहंगो-देखो 'विहंग' । प्रभाव । ५ प्रात्मबल । ६ साहस । ७ धैर्य, तसल्ली।८ | विहंड-पु० १ टुकड़ा, खण्ड । २ नाश, संहार। मारने की सन्तोष, सब्र । ९ गुप्त बात ।-कारक-वि. विश्वास करने | क्रिया । योग्य । विश्वास करने वाला।-घात-पु. धोखा, छल, विहंडखंड-देखो 'खडविहंड' । कपट ।-घातक, धाती-वि० धोखेबाज, छलिया, कपटी। विहरण (लो)-पु.१ नाश, संहार । २ मारने की क्रिया ।
-पातर, पात्र-वि० विश्वसनीय, विश्वास करने योग्य । -वि० १ नाश करने वाला, संहार करने वाला। २ मारने विस्वासणी (बी)-क्रि० १ सन्तोष करना, सब करना। वाला । ३ नाश करने या मिटाने वाला।
२ विश्वास या भरोसा करना । ३ दृढ़ निश्चय करना। विहंडणी (बी)-कि० १ नाश करना । २ मिटाना । ३ मारना। विस्वासा-पु० [सं० विश्वासा) एक सूर्यवंशी राजा, विश्रु तवान ।। ४ टुकड़े करना, खंड करना। छेदना। ६मरना। विस्वासी-वि० [सं० विश्वासी] १ जिसका विश्वास किया जा ७ घटना । ८ मिटना, खत्म होना। ___ सके विश्वसनीय । २ विश्वास करने वाला।
विहंडाणी (बी)-क्रि० १ संहार कराना। २ नाश करवाना, विस्वेदेव-पु० [सं० विश्वेदेव १ नो देवों का एक समूह (वेद)। मिटवाना । ३ टुकड़े करवाना, कटवाना । ४ छिदवाना । २ दस की संख्या*।
विहसक-देखो 'विध्वंसक'। विस्वेस, विस्वेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० विश्वेस, विश्वेश्वर] विहसणी (बी)-देखो 'विहसणी' (बी)।
१थिव, महादेव । २ शिव की एक मूर्ति । ३ भगवान विह-देखो विधि'। विष्णु । ४ ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म । ५ ब्रह्मा । ६ ग्यारह | विहग-देखो "विहग'। रुद्रों में से एक । ७ सत्ताईश नक्षत्रों में से एक। | विहड़ (ो)-पु० बीहड़, जंगल, वन ।
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विहड़णो
विहारणी
विहाणी (बी)-देखो 'विहंडणों' (बो)।
खिलखिलाना। २ हर्षित होना, खुश होना। ३ खिलना, विहचणी (बौ)-देखो 'बचणी' (बो)।
विकसित होना। ४ फूलना। ५ लहलहाना, लहराना । विहर (डो)-देखो "विहड़' ।
६ प्रभात होना। विहा-१ देखो 'बेहद' । २ देखो 'विहा'।
विहां-देखो 'विवाह'। विहण-वि० [सं०] १ नाश करने वाला, संहार करने वाला। विहांग, विहांगड़ो-देखो 'विहंग'। . २ देखो 'बहन'।
विहांण, विहांणइ-पु० [सं० विभानु] १ प्रातः काल, सवेरा। विहत, विहति-क्रि० वि० [सं० विहीतम्] १ निवारण करने | २ प्रातःकाल गाये जाने वाले लोक गीत । ३ देखो के लिये । २ देखो 'बेहद'
'विधान'। विहत्तर-देखो 'बेहतर'।
| विहांणी-वि० १ नष्ट । २ हीन, तुच्छ निम्न । ३ बीती हुई, बिहपी-वि० दो हाथ के बराबर नाप का।
गत, विगत । ४ बिना, रहित ।-स्त्री. १ वृद्धावस्था । विहब (ह)-पु. १ ध्वनि, पावाज । २ परमात्मा, ईश्वर। २ विध्वंस, नाश ।३ वार्ता, बात-चीत । ४ देखो "विस्रांति'। ३ एक मात्रिक छन्द विशेष । ४ देखो 'बेहद' ।
विहांणु (ग)-वि० १ रहित, विहीन, बिना । २ देखो 'विहांण' विहबमानु (नू)-पु० [सं० वृहद्भानु] । अग्नि, पाग । ३ देखो 'विहांणों'। २ देखो 'बेहद' ।
विहांणी-पव्य०१ कल । २ पाने वाले समय में ।-वि०१बीता विहन-१ देखो 'बहन' । २ देखो 'विहण'।
हुमा, विगत। २ बिना, रहित, हीन । ३ नष्ट । ४ देखो बिहबळ-देखो "विह्वल'।
'विहांगण' । ५ देखो बिहाणा'। विहमंड-देखो 'ब्रह्मांड'।
विहान-देखो "विहाण' । विहर-पु. १ संहार, नाश। २ घोड़ा, प्रश्व । ३ विचरने की विहा-देखो 'विवाह' ।
क्रिया । ४ साधुषों को दिया जाने वाला माहार या भिक्षा। विहाइ-देखो 'विहायस'। ५ तरह, भांति, प्रकार ।-वि० । बहुत, अपार । २ बड़ा,
विहाइति-पु० [सं० विहापति] दान । विशाल । ३ बड़ा, महान ।
विहाई-१ देखो 'विहायस' । २ देखो 'वे'माता'। विहरखो-पु. एक प्रकार का अशुभ घोड़ा।
विहाईमाता-देखो 'वे'माता'। विहरण-पु० [सं०] १ विहार करने की क्रिया । २ विछोह, विहाग-देखो "बिहाग'। वियोग । ३ विस्तार, फैलाव ।
बिहाड़ (डो)-वि० भयंकर, भयानक, डरावना । विहरणी (बो)-क्रि० १ विहार करना, घूमना, टहलना ।
बिहाणी (बी)-क्रि० १ व्यतीत होना, गुजरना । २ बीतना। २ अलग-अलग या जुदा होना। ३ बिखरना, तितर-बितर |
... ३ छोड़ना, त्यागना, गंवाना। ४ रवाना होना। ५ प्रातः होना । ४ भिक्षा देना। ५ गमन करना, जाना । ६ भिक्षा काल या सुबह होना । ६ देखो 'विवाहणो' (बी)। मांगना, भिक्षा लेना । ७ संहार करना, मारना । विहापन-पु० [सं०] दातार, दानी। ८ काटना। ९ टुकड़े करना। १० विच्छेदन करना । विहायस-पु० [सं०] १ माकाश, गगन । २ पक्षी। ११ चीरना, विदीर्ण करना। १२ तोड़ना । १३ इंतजारी विहार-पु० [सं०] १ मथुन, रति-क्रीड़ा । २ रति-क्रीड़ा या करना, प्रतीक्षा करना। १४ युद्ध क्रीड़ा करना ।
मैथुन करने का स्थान । ३ बौद्धों का मठ । ४ देवालय, विहरमाण (न)-पु० पांचों विदेह क्षेत्रों में विचरण करने वाले | मंदिर । ५ गति, चाल । वेग। ६ प्रस्थान, गमन । ७ जैन तीर्थ कर।
साधुनों का भिक्षार्थ गमन । -स्त्री० पंक्ति, कतार । बिहराणी (बो), विहरावणो (बो)-देखो 'बैराणो' (बी)। बिहारजत्र पु० विहार यात्रा।. . विहर-वि० अंतर, दूरो, पृथकता।
विहारण-पु० [सं० विहारनम्] १ संहार, नाश । २ घूमने या विहलंघल (ला)-देखो 'विह्वल' ।
टहलने की क्रिया । ३ प्रस्थान, गमन । -वि० १ संहार विहलो-देखो 'वडिलो'।
या नाश करने वाला । २ गमन करने वाला। विहव-देखो 'वैभव'।
विहारणी (बौ)-क्रि० । चहल-कदमी करना, घूममा, फिरना विहवल-देखो "विह्वल'।
टहलना । २ मंडराना, उड़ना। ३ संहार करना, मारना । विहव्य-पु० [सं०] वितथ्य का पिता एक ऋषि ।
४ चीरना, विदीर्ण करना। ५ तहस-नहस करना नष्ट विहसणी (बी), विहसरणी (बी)-क्रि० १ हंसना, प्रसन्न होना, करना। ६ क्रीडा करना, खेल करना। ७ गमन करना,
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बिहारियो
वोटो
प्रस्थान करना । ८ उपभोग करना, खाना । ९ रति-क्रीड़ा | बिहू, बिहूण, विहूपड़ो (ो), बिहूणो-देखो'बिहूणो'।
मैथुन या संभोग करना। ९ देखो 'बैराणो' (बी)। विहूवल-देखो 'विह्वल'। विहारियो-देखो 'व्यवहारियो ।
विहेठ (ड)-पु. विनाश, संहार । विहारी-वि. १ विहार या विचरण करने वाला। २ गमन | विहूत-पु० [सं० विहृतम्] स्त्रियों के दस अलंकारिक गुणों
या प्रस्थान करने वाला। ३ नाश करने वाला। ४ रति | में से एक। क्रीड़ा या मथुन करने वाला। ५ संहार करने, मारने | विहति-स्त्री० [सं० विहति १ विहार, मामोद-प्रमोद,
-पु० [सं०] १ धाकृष्ण का एक नाम । २ शिव, क्रीड़ा । २ हटाने या छीनने की क्रिया । महादेव। ३ ईश्वर, परमेश्वर । ४ एक प्रकार का नीबू।विहल-वि० [सं०] १व्याकूल, बेचैन, भयभीत, डरा हुमा। ५ देखो 'व्यवहारी'। ६ एक मुसलमान वंश ।
-२ खराब, विकृत । ३ चकित, विस्मित । ४ स्तब्ध, विहारीकंद-पु. [सं०] एक प्रकार का जमीकंद ।
भौंचक्का। ५ पीड़ित, संतप्त । ६ कुटिल । ७ चिन्तित, विहाल (लो)-देखो 'बेहाल'।
उदास । विहाव-देखो 'विवाह'।
विहलता-स्त्री० विह्वल होने की अवस्था या भाव । विहावणी (बी)-१ देखो "विवाहणी' (बी)। २ देखो "विहाणी' | वीं-१ देखो 'बी' । २ देखो 'भी' । ३ देखो 'वी'। (बी)।
वीकरणौ (बी)-क्रि० [सं० वीक्षणम्] १ ऊन, रूई मादि को विहिसिक, विहिसिग-वि० अनेक प्रकार की हिंसाएं करने | हाथ से साफ करना । २ देखो 'वीखणों' (बी)। __ वाला, हिंसक (जैन)।
बौख-देखो दीख'। विहि-१ देखो 'विधि' । २ देखो 'वे'माता'।
बीखणी(बो)-१ देखो 'बींकणी' (बी)।२ देखो 'वीखणी' (ग)। विहिचरणी (बी)-क्रि० १ विभक्त करना, तोड़ना। २ देखो |
वींची-स्त्री. १ विवचिका नामक कुष्ठ रोग। २ एक प्रकार 'बांटो ' (बो)।
___का रक्त विकार रोग। विहित, विहिति-वि० [सं० विहित] १ बनाया हुआ । वौंछयौ, बीछानो, वीछियो, वीछोयो, बौछयो, वींछियो-देखो
२ अनुष्ठान किया हुधा । ३ निमित, रचित । ४ स्थापित । 'बिछियो । ५ बांटा हमा, विभक्त। ६ शास्त्र सम्मत, ठीक, उचित, वीजण-१ देखो बीजण' । २ देखो 'बौंजणी'। उपयुक्त । -पु. १ विधि-विधान, कानून । २ प्रादेश,
वीजरिण !णी)-१ देखो 'बींजणो' । २ देखो 'बीजणी'। प्राज्ञा । ३ कृति, रचना ।
वीजरणो देखो 'बी जणो'। विहिमग्ग, विहिमारग-पु० [सं० विधि मार्ग] बिधिमार्ग।
बीजरो बो)-देखो 'बींजणी' (बो)। विहिरु-पु० १ दूषित, प्राचार । २ व्यभिचार। ३ अपराध, दोष
वीजाचळ (लो), वीजाचाळ ळो)-देखो 'विध्याचळ' । गल्ती । ४ फर्क, अन्तर, भेद ।
वीजारो (बी)-देखो 'बीजाणों' (बी)। विहिल (ली, ल. लो, ल्ल, ल्लो, ल्य)-वि. १ काफी, बहुत, बजामणियां-स्त्री. लोगोवियों। अधिक, पर्याप्त । २ दुःखी, पीड़ित । ३ देखो 'वहिलो' ।
वीजीणो-देखो 'बींजरणो' । विहिवा-देखो "विवाह।
बोझ-देखो विध्य'।-गिर, गिरी="विध्यागिरी' । विहिवार-देखो 'व्यवहार'।
वींझणी बो)-देखो 'बींजणी' (बो) । विहिस्त-पु० [फा० बिहिश्त] स्वर्ग।
बींशवन-पु० हाथियों की बहुतायत वाला वन, सुन्दर वन । विहीण (णो), विहीन-वि० [सं० विहोन] १ बिना, रहित | वींझाचळ, वोझाचल, वींझाजळ (ल, मळ, मल)-देखो
बर्गर । २ त्यागा हुमा, छोड़ा हुमा । ३ नीच कमीना । विध्याचळ' . वि-पू० [सं०] हण्ड नामक राक्षस का पुत्र, एक राक्षस । वीट वीट-पु० [सं० विष्टा] १ पक्षियों की वीट या विष्टा । विहुडन-पु० [सं०] शिव का एक अनुचर विशेष ।
२मावेष्टन, घेरा । ३ टापू द्वीप । ४ देखो वीटो'। विडण (लो), विहुण (गो)-वि० १ तुच्छ, न्यून । २ निर्बल, | वीटण, वीटरण-पु० [सं० वेष्टन] १ पुस्तक प्रादि लपेटने का ___कमजोर । ३ देखो 'बिहूणो' ।
वस्त्र । २ बिस्तर प्रादि बांधने की रस्सी। विहुव-क्रि० वि० चारों भोर, चारों तरफ ।
वीटणी, वीटरपो-देखो 'वींटो'। विहु-देखो 'बेऊ'।
वोटणी (बी) वींटणी (बो)-क्रि० १ किसी शहर या दुर्ग को घेर विडंण (णो)-देखो "बिहूणो' ।
लेना, घेरा लगाना । २ समेटना, गोल करना । ३ चारों
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वटळी
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ओर से प्राक्रमण करना । ४ प्राच्छादित करना, ढकना । ५ लपेटना । ६ बाहुपाश में लेना, अंकमाल में लेना । ७ वस्त्र, कवच आदि पहनना, धारण करना । ८ मंडना, माच्छादित करना। चारों ओर फैलना १० प्रावेष्टित
होना, घिरना । ११ जड़ना । वींमळ (ळी) - देखो 'विभळ' । वटळी, वींटली स्त्री० १ पगड़ी, साफा । २ देखो 'बीटळो' । वींही - सर्व० उस उसी । वी - पु० १ शास्त्र ।
२ देखो 'वीटी' ४ देखो 'बॉडी' |
वीटी, वोंटी- देखो 'बीटी' ।
वटोरी, टोरो-देखो 'मोटोरी' ।
( ६४८ )
1
टासी (बी), वटाणी (बी)- कि० १ दुर्ग शहर बाद के घेरा लगवाना, घेराना । २ सिमटवाना, गोल कराना । ३ चारों भोर से प्राक्रमण कराना । ४ प्राच्छादित करवाना, ढकवाना । ५ लिपटवाना । ६ बाहुपाश में लेने को प्रेरित करना । ७ वस्त्रादि धारण कराना, पहनाना 1 ८ मंडवाना प्राच्छादित कराना । ९ प्रावेष्टित कराना। १० चारों घोर कराना, फैलवाना ।
वींटो, वोंटौ-पु० १ दरी, बिस्तर आदि की गोल बंधी गठरी । २ देखो 'बीटी' ।
वींठी, वींठी-देखो 'बींटी' ।
वींडी- पु० १ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । २ देखो 'भिंडी' । ग, वीस-१ देखो 'बीणा' २ देखो 'बिना" ।
बीलौ (बौ) - वि० १ छांटना, टालना । २ देखो 'बिरणरणी' (बी) । ३ देखो 'बुगी' (बी) ।
यदळ - ० नपुंसक, हिजड़ा दळी
वीरगती, वीखती- देखो 'विनती' । जींद (क), (वींबराजा बींद-देखो 'बींद'
aisड़ी - स्त्री० १ विवाहादि मांगलिक कार्यों का निमंत्रण-पत्र, कुमुकुम पत्रिका २ देखो 'बींदड़ी' । ३ देखो 'बींदणी'। बदरी बोंदणी-देखो 'बींदणी'।
aart (at), ववरण (बो) -१ देखो 'बींधरणी' (बो) । २ देखो '' (बो)।
'बंदोळो' ।
वध-देखो 'बींद'।
ant (बो), पोंचणी (बो)- शि० १ धारपार होना, पार निकलना । २ दबना, विवश होना। ३ दबोचना । ४ देखो 'बधणी' (ब) १ देखो 'विधी' (ब)। घाणी (यो), धारणी (बी) क्रि० १ धार-पार कराना। २ दवाना, विवश कराना ३ दबोचवाना 'बाण' (बौ) ५ देखो 'विधाणी' (वी)।
४ देखो
दोन-१ देखो 'वीणा' २ देखो बींद' वरण (बौ), वींकरणी (बो) - देखो 'विफरणी' (बो) । वचरणी (बी) १ देखो 'श्रीभरणी' (बो) २ देखो 'विमरणों' (at) I
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२ विष्णु । ३ योद्धा, सुभट । ४ गंगा । ५ देखो 'बी' ६ देखो 'मी'
वीश्राळ (ल) - देखो 'व्याळ' ।
वीक - १ देखो 'वीख' । २ देखो 'विक्रमादित्य' ।
वीकधर पु० बीकानेर का एक नाम ।
-
arent (बी), बो (बी) क्रि० १ बेचना, विक्रय करना। २ देखो 'किरण' (बो) ।
बीप
बीकनेर (पुर, पुरी) देखो 'विक्रमपुर' ।
वीकम (म्म) १ देखो 'विक्रम' २ देखो 'विक्रमादित्य' ।
वकराळ (ल), वकराळ - देखो 'विकराळ' |
वीकारण, बीकांरगढ़ बीकांगो-देखो 'बीकानेर | वीका स्त्री० राठौड़ों की एक उपशाखा । वीकोदर - देखो 'व्रकोदर' ।
(लो-५०१ हे दुल्हन की जूती २ देखो बीगड़ (डी)
वीक्रम १ देखो 'विक्रम' २ देखो 'विक्रमादित्य' । वीक्षण - पु० [सं०] देखने की क्रिया, अवलोकन, निरीक्षण । वीख (डी) - पु० [सं० वीख] १ कदम, डग, पैंड । २ चाल, गति; वेग । ३ ऊंट था घोड़े की चाल विशेष । ४ देखो 'विस' । ५ देखो 'वीक्षण' ।
बोली- देखो 'विश्व'।
वणी (बी), वणी ( वो) क्रि० १ न करना, रोना ।
२ लिखना, व्याकुल होना ३ तरसना लालायित होना। ४] तड़का ५ दुःखी या पीड़ित होना ६ देवो 'बेबो' (बी)।
वखरण (ब)- देखो 'बिखरणी' (बी) ।
दीखरालो (बी), बीवी (बी) देखो 'विखरा' (बी)। योखो, बोखो-देखो 'वियो'
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(बी) देखो 'बिगड़ी' (बी)
वीगड़ालो (बौ), बीगड़ारणो (बो), वीगड़ावणो (बौ), वोगावी (बो) - देखो 'बिगड़ाणी' (बो) । बीसी (बी) देखो 'विस' (दो) | वीगाड़, बीगाड़ देखो 'बिगाड़' |
गाड़ी (बौ), बीगाड़गी (बो) - देखो 'बिगाड़रणों (बो) । बीगाड वाडदेखो 'बिगाड़'
वीगाड
(बी), बीगाडणी (यो) देखो 'बिगाड़ी' (बो)। बीड़ देखो 'वि'।
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बीग्रहणौ
( ६४९ )
वीझरणी
वीग्रहणौ (बो)-देखो 'विग्रहणी' (बी)।
वीजह (६)-१ देखो 'दुजो'। २ देखो 'बीजली'। ३ देखो वीधौ, वोघो-देखो 'बोधों'।
विजय'। वीडंग, वीडंगांण, वीडगि (गी)-देखो "विडंग'।
वीजइथंभ-पु० [सं० विजयस्तम्भ] कोतिस्तम्भ, विजयस्तंभ । वीडो-पु० मोट (चरस) की रस्सी का एक शिरा।
वोजउ (ऊ)-१ देखो 'दूजो' । २ देखो 'बीज'। वीच, बीच-पु. १ राह, मार्ग। २ देखो 'बीच'। ३ देखो
३ देखो | वीजक-१ देखो 'बीजक' । २ देखो 'बीजळी' । "बिछियो।
वीजकरणो (बौ), वीजखरगो (बौ), वीजकरणों (बी)-देखो वीचरणौ (बी), वीचरणी (बो)-कि. १ नाश करना, मिटाना। 'भिचकरणो' (बो)।
२ संहार करना, मारना। ३ अलग करना, पृथक करना । | वीजड़हत (ती, तो, थ, थी, पो)-देखो 'बीजळहथ' । ४ त्यागना छोड़ना, बहिष्कार करना। ५ बीतना, गुजरना, | वीजड़ी, वीजड़ी-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी' । घटित होना। ६ व्यतीत होना।
वीजजळ वीजजुळ, वीजजूळ, बीजझळ,वीजमूळ-देखो 'बीजूझळ। वोचलो (लो), वीचलो-देखो "बिचलो'। (स्त्री० वीचली)
वोजा-देखो 'बीजळा'। वीचारणो (बी), वीचारणी (बी)-देखो 'विचारणो' (बो)। ।
वीजण (णी), वीजरग (गो)-देखो 'बींजणों'। वीचाळ (ळि, ळी, , ळे), वीचाळ-क्रि० वि० बीच में, |
वीजणी(बो)-१देखो 'बींजणी' (बो)। २ देखो 'बीजणी' (बो)। दरम्यान ।
वीजन-पु० [सं० बीजन:] १ चक्रवाक, चकोर पक्षी। २ पंखे वीचि-स्त्री० [सं० वीचिः] १ विवेकहीनता, चंचलता ।
से हवा डालने की क्रिया। २ लहर, तरंग। ३ हर्ष, खुशी, पाह लाद। ४ किरन,
वीजपुरख (पुरस, पुरुख, पुरुस)-पु. वंश का प्रादि या मूल रश्मि । ५ देखो 'बीच' । ६ देखो 'विचि'। वीचिमाळी-पु. [सं० वीचिमालिन्] समुद्र, सागर ।
पुरुष । बीचो-१ देखो 'बीच' । २ देखो "विचि'। ३ देखो 'वीचि'। | वीजमंत्र-देखो 'बीजमंत्र'। वीचेतस-स्त्री० दुचित ।
वीजळ (ल)-पु०१पंखा । २ देखो 'बीजळ' । ३ देखो 'बीजळा'। बीछहरणो (बी), वीछब्रगो (बो), वीछड़णी (बौ)-१ देखो
४ देखो 'बीजळी'। ____ "बिछुड़णो' (बो)। २ देखो 'विछूटणो' (बी)। बीजळड़ी, बीजलड़ी-१ देखो 'बीजल'। २ देखो 'बीजळा' । बीछरण (णी), वीषण-देखो 'बीछण'। . .
३ देखो 'बीजळी'। वीछळ, बीछळण-पु०१ नहाने-धोने का पानी। २ प्रहार । वीजळसार-देखो 'बिजळसार'। बीछळणी (बो)-क्रि० धोना, धुलाई करना।
वीजळहत (ती, त्य, स्थी, थ, थी)-देखो 'बीजळाहय' । बीछारणी. वोछामरणो-देखो "बिछाणो' ।
वीजळा (ला)-१ देखो 'बोजळा' । २ देखो 'बीजळी' । बीछाणी (बी), वीछावणी (बी)-देखो "बिछाणो' (बो)। बीजळि, वीजलि (ळी, ली)-स्त्री० १ वह मैंस जिसके स्तनों बीछुड़णी (बी)-क्रि० १ विमुक्त होना, अलग होना । २ देखो।
में सफेद रेखा या धारी हो। २ देखो 'बीजळा' । ३ देखो बिछुड़णो' (बो)। ३ देखो 'बिछुटणो' (बी)।
'बीजळी'। वी-देखो "बिच्छू' ।
वीजाजळ, वीजाजुळ, वीजाझळ (ल)-१ देखो 'बीजूझळ' । वीड़ी, वीड़ी-१ देखो 'बिच्छुड़ो' । २ देखो 'बीछण'।
२ देखो 'विंध्याचल'। .. बीटणी (बी)-1 देखो 'बिछूटणो' (बी) । २ देखो "बिछुड़णी'
वीजाविक-पु० [सं०] ऊट। . बी)।
वीजुळ, वीजुल, वीजुळी (लो)-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो वीछोड़णी (बो)-देखो 'बिछोड़णो' (बो)।
बीजळी'। बीछोटणी (बी)-क्रि० १ बहना, निकलना। २ देखो 'बिछुटणों' (बो)।
बीजूजळ (ल), वीजूमळ (ल)-देखो 'बीजूझळ' । बौछोव, वीछोव-देखो 'विछोह' ।
वीजोग, वीजोग-देखो "बिजोग', विजोग', 'वियोग' । वीछोवरणी (बी)-देखो 'विछोहणों' (बो)।
वीजोरड़ी (डी)-देखो 'बोजोरी' । वीछोयो, वोछोह (ही), बीछोवो, वीछोह-देखो "विछोह। । | वोजी, वीजो-देखो 'दूजो'। वीन, वीज-१ देखो 'बीज' । २ देखो 'बीजळा'। ३ देखो वोझण, वीझणउ, वीझणी, वोझण, वीशणो-देखो 'वीजणी'. . 'बीजली' । ४ देखो 'दूज' ।
| वोझरणो (बो), वीझरणी (ब)-देखो 'बींजरणौ' (बो)।
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वीमाणमाता
( ६५० )
वीतराग
वीझांणमात -स्त्री. एक देवी का नाम ।
वीरगणो (बौ), बोरवणो (बो)-१ देखो 'बणणो' (बी)। बीझाजळ (स), वीझाझळ (ल)-१ देखो 'बीजूझळ' । २ देखो २ देखो 'बिणणो' (बी)। 'विध्याचळ' ।
| वीणत (ति, ती)-स्त्री० [सं० विनतिः] १ अनुनय-विनय, बीझावण ()-देखो 'वींझवन' ।
प्रार्थना । २ नम्रता, विनम्रता। वीझामणि, वीमासणी-१ देखो 'मावलियां'। २ देखो 'पावड' ।वीणां-पु. १ कपास का पौधा व डोडा । २ देखो 'वीणा' । वीमोडणी, बीझोड़बो-क्रि० काटना ।
वीणा-स्त्री० [सं०] १ एक प्रसिद्ध तार वाद्य । २ बीन। वोटक-पु० [सं०] पान का बीड़ा।
३ बिजली, विद्युत । ४ निसाणी छन्द का एक भेद । वीटरपो (बो), वीटयो (बी)-देखो 'वीटणों' (बी)।
५ बहत्तर कलामों में से एक ।-कच्छणी-स्त्री० सरस्वती की वीटली (लो), वीटली-१ देखो 'बीटळी' । २ देखो 'वींटली'।। वीणा का नाम ।-कार-पु० वीणा बजाने वाला, गवैयों वोटवी-वि० घुमावदार, लपेटदार ।
का एक भेद ।-धर, धरि, धार, धारी-पु. नारद, वोटिका-स्त्री० [स० वोटि] १ पान की बेल । २ पान बीड़ा सरस्वती, वीणाधारी।
तैयार करने की क्रिया। ३ चोली की गांठ। ४ पान का वीगार-पु० १ अश्वारोही, घुड़सवार । २ एक वर्ण वृत्त बीड़ा।
विशेष । वोटो, वीटी-१ देखो 'बींटो' । २ देखो 'वीटिका'।
वीणावंस-पु. एक प्रकार का वाद्य । बीटीजरणी (बौ),वीटीजरणो(बौ)-क्रि० टिड्डी का ऋतुमति होकर |
वीणावती-स्त्री० [सं०] सरस्वती। गर्भ धारण करना ।
वीणावाद (क)-पु. वीणा बजाने वाला।
वीणावादणी (नी)-स्त्री० [सं० वीणावादिनी] सरस्वती। बोटीवार-पु० विशेष खुदाई वाला अधमंडलाकार पत्थर।
वीरगासर (सुर)-पु० वीणा का स्वर । वीटीवी-देखो वीटवी'।
वीणास्य-पु. नारद । वोटुळी (ली), वीटळी-१ देखो 'बीटली'। २ देखो 'बीटणी'।
वीरगाहस्त-पु. शिव, महादेव । ३ देखो 'वींटली',
वोरिण-१ देखो 'बिना' । २ देखो वीणी"। ३ देखो 'वेणी'। वीटोरी, वीटोरौ-देखो 'भीटोरों'।
वीरिणकार-देखो 'वीणकार'। वोटो, वीटो-पु० [सं० वीटा] १ एक प्रकार का खेल । २ देखो | वीणी-स्त्री. १ कपाटों के पल्लों में लगने वाली पाडी-सीधी 'वींटो' । ३ देखो 'बींटो'।
लकड़ियां। २ छेद करने की कील । ३ हाथ की कलाई। वीठ, वीठ-देखो 'विम्ठी'।
४ 'देखो 'वेणी'। वीठनि-क्रि०वि० बन्दर, में।
बोणी-पु० १ बड़ी वीणा । २ स्त्रियों के टीके का एक नाम । बीठळ (ल)-देखो 'विट्ठळ'।-नाय="विट्ठळनाथ'।
३ स्त्रियों की चूड़ामरिण के नीचे लगने वाला प्लास्टिक वोठली-१ देखो 'बीटणी'। २ देखो 'वींटली' । ३ देखो | का टुकड़ा । ४ स्त्रियों के केशों की एक सजावत । 'वींटली'।
वीत-स्त्री० [सं० वीतं] १ हाथी को अंकुश से हांकने की एक वीठळी (लो),वोठुळ(ल)-देखो 'विठ्ठळ'।-नाथ विद्वळनाथ'।
क्रिया : २ युद्ध के लिये अयोग्य हाथी, घोड़ा या सैनिक । वीठी-वि०१मावेष्टित, घिरा हुमा । २ खराब ।
-वि० १ स्वतंत्र, मुक्त। २ गया हुपा। ३ पसंद, स्वीकृत । वीडरणो (बो)-क्रि० क्रोध करना, गुस्सा करना, क्रोध में
४ देखो 'वित'। . विकराल रूप धारण करना।
वीतक (ग)-वि० बीता हुपा, गुजरा हुमा । वीडवसदेस-पु. एक प्रदेश विशेष ।
वीतगराग (गी)-देखो 'वीतराग' । वीढ़-१ देखो 'भीड़' । २ देखो 'वेढ़' ।
वीतरणौ (बौ)-देखो 'बीतणी' (बी)। बीढणी (ब)-क्रि० १ लपेटना, लिपटाना। २ देखो "विढणों' | वीतख (स)-वि० [सं० वीतष] द्वेष रहित, बिना द्वेष (बी) । ३ देखो 'वेढणी' (बी)।
का। वीण-स्त्री० [सं० वीणा] १ संपेरों का एक वाद्य विशेष, बीतभय-पु. १ भगवान विष्णु का एक विशेषण । २ एक प्राचीन
नगरी । ३ भयहीन । ... महुवरि । २ बांसुरी, मुरली । ३ देखो 'वीणा'।
वीतराग (गी, गौ)-वि० [सं०] १ पासक्ति रहित, कामना, बीउसिउ-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।
इच्छा रहित । २ जितेन्द्रिय । -पु०१बुद्ध का एक नाम । वोगकार-पु० गर्वयों के अन्तर्गत एक वर्ग ।
२ जिन भगवान ।
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वीतसूत्र
। ६५१ )
बीतसूत्र-पु० यज्ञोपवीत, जनेऊ ।
बीयरपो (बो)-देखो 'भीमरणो' (बो)। बीतसोक-वि० [सं० वीत-शोक शोक रहित । -पु. १ अशोक वीमचार-देखो 'व्यभिचार'। ___ वृक्ष । २ जैनियों का एक ग्रह ।
वीभस्स-पु० [सं०] साहित्य में एक रस । -वि० परिणत वीतहोत, वीतहोतर, बोतहोत्र-देखो 'वीतिहोत्र' । वीतारणो (बी), वीतावरणो (बो), वीतापो (बौ)-देखो | वीमरणो (वो)-क्रि० गर्जना करना, बहाड़ना। ___ "बिताणों' (बो)।
बीभळियो, वीभलियो-वि. १ रसिक । २ थकित, श्रांत, वीति, बीती-पु० [सं० वी तिः] १ घोड़ा, अश्व । २ खाद्य क्लांत । ३ देखो 'विमळ' ।
पदार्थ, भोजन । ३ यज्ञ, हवन । ४ एक गोत्रकार।वीमली. बीमली-स्त्री०. एक देवी का नाम । २ देखो ५ चमक, दीप्ति कांति । ६ अग्नि, माग । ७ गति, चाल। विमान ८ पैदावार, उपज । ९ खाना-पीना क्रिया, उपभोग।
वीभव-पु० १ अर्जुन का एक नाम । २ देखो 'विभव' । वीतिहोत, वीतिहोतर (होत्र) बीतीहोत (होतर, होत्र)
वीभाइणो (बो)-देखो 'विभाड़णो' (बी)। बीत्रहोत (त्र)-पु० [सं० वीतिः+होत्रः] १ अग्नि, माग ।
वीभारणी (बौ), वीभ वरणो (बो)-देखो 'विभारणों' (बी)। २सूर्य, सूरज । ३ एक ऋषि । ४ एक प्राचीन राजा।
वीभौ-देखो 'वैभव'। वोत्रोट-पु० मन-मुटाव, वर ।
बीमांह-देखो 'विवाह'। वीथरणो (बी)-देखो "विस्तरणो' (बी)।
वीमाहणौ (बो)-देखो 'विवाहणी' (बो)। वीथि, विथिका, वीपी-स्त्री. १ मार्ग, रास्ता, गली। २ पंक्ति, | कतार । ३ हाट, दुकान । ४ चित्रशाला। ५ भीतिचित्र ।
वीमासणी (बो)-देखो 'विमासणी' (बी)। ६ सूर्य का भ्रमण-मार्ग। ७ एक प्रकार का काव्य ।
वीमाह-देखो 'विवाह'। . वीवंस-पु. श्येन, बाज भादि शिकारी पक्षी।
वीमाहणौ (बो)-देखो विवाहणो' (बी)। वीव-पु०१ हाल, वृत्तान्त, विगत । २ देखो 'बींद'।
वीमुह, वीमुही, वीमूह (हो)-देखो 'विमुख' । वीरग, (ग्ध)-पु० [सं० विदग्ध] १ कवि, पंडित । २ चारणों
वीम्हर-पु० झींगुर। का एक संबोधन ।
बीयराग (गी, राय)-देखो 'वीतराग'। वीवळ, वीवल-देखो "विदळ' ।
वीयांण, बीयाण-पु. भाकाय, नभ । बोधणी (बी), वीधरणी (बो)-१ देखो 'बौंधणी' (बो)। २ देखो
वीयाज, वीयाज-पु. व्याज । "बिधरणी' (बी)।
वीयाज. वीयाज-देखो 'ब्याजू'। वीधि-देखो 'विधि'।
बीयास-देखो 'व्यास'। वीन-१ देखो 'बींद' । २ देखो वीण' । ३ देखो 'वीणा'। बीयोगण (णी), बीयोगिण (णी)-स्त्री० वह स्त्री जिसका पति वीनउली-देखो 'बंदोळी'। ..
___ या प्रियतम दूर हो या विदेश में हो, विरहणी। चीनड़ी, बीनणी, वीनणी-देखो 'बींदणी'।
वीर-पु० [सं०] १ बहादुर, शूरवीर । २ सुभट, योद्धा। बीनणी (बो), वीनमणी (बी)-देखो "विनवणो' (बी)।
३ पुत्र, बेटा । ४ पति खाविंद । ५ भाई, भ्राता । ६ मित्र, वीनतड़ी, बीनति (तो)-देखो 'वीणती ।
साथी। ७ सखी, सहेली। ८ दूल्हा, वर । ९ महिला, बीनमणो (बो)-देखो 'विनवणी' (बो)।
स्त्री। १० जैनियों के चौबीसवें तीर्थकर, महावीर । बीनांण-स्त्री० १ रचना, कृति, सृजन । २ देखो 'विनाण'। .
११ विष्णु । १२ पर्जुन। १३ कामदेव । १४ हनुमान, वीनारणी-वि० १ रचना कर्ता, सृजन कर्ता, कृतिकार ।
बजरंग। १५ गणेश । १६ भूत, प्रेत । १७ एक भैरव । २ देखो 'बैनाणी'। ..
१८ शिव के गण । १९ एक प्रकार का छंद । २० ठगण बीनी-पु. १ संकट, कष्ट, तकलीफ । २ विनय ।
के द्वितीय भेद का नाम। २१ प्रारंभ । २२ रवानगी । बीपनी-स्त्री० शरपुंखा नामक पौधा ।
२३ नये बैल का कृषि कार्य का प्रशिक्षण । २४ यज्ञ की वीपसा, वीप्सा-स्त्री० [सं० वीप्सा] १ प्रकार का शब्दालंकार ।।
मग्नि । २५ काली मिर्च । २६ पालु बुखारा । २७ बावन २ अधिकता, बाहुल्य । ३ व्यापकता । ४ पुनरावृत्ति ।
की संख्या *। २८ वाराही कंद । २९ सिंदूर । ३० लोहा । वोफरणी-स्त्री० शरपुखा नामक पौधा विशेष। .
३१ कनेर । ३२ तुराई नामक सब्जी । ३३ कुश । पोफरणी (बो), वीफरणो (बो)-देखो 'विफरणो' (बो)। । ३४ भिलावा । -वि० १कठिन एवं साहसिक कार्य करने
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वीरकंठ
( ६५२ )
वीरय
वाला। २ शक्तिशाली, साहसी। ३ विशिष्ट कार्यों में | वीरतराय-पु० विजयाधिपति, श्रेष्ठ वीर।
अन्यों से बढ़कर । ४ कर्मठ, कर्मशील । ५ वाक्पटु चतुर। | वीरतवंत-वि. १ बहादुर वीर, साहसी । २ शक्तिशाली, वीरकंठ-पु०१ वीरध्वनि । २ डिगल का एक गीत ।
बलवान । वीरक-पु० [सं०] १ चाक्षुक मन्वन्तर के सप्तऋषियों में से | वीरता, वीरताई-स्त्री० वीर होने की अवस्था या भाव ।
एक। २ राजा शिबि का एक पुत्र । ३ देखो 'वीर'। २ साहसिक कार्य । ३ बल, पराक्रम । ४ जोश। ४ देखो 'व'।
वीरति, वीरती (त, ति, ती)-१ देखो 'वीर' । २ देखो वीरकळहळ-स्त्री० वीर ध्वनि ।
'वीरता'। वीरकांम-वि० [सं० वीर-कार्य] १ वीरोचित कार्य करने वाला। | वीरयाट-पू० सेना, कोज । २ पुत्र की कामना करने वाला ।
वीरवाण-देखो विरुद'। वीरकाव्य-पु० [सं० वीर-काव्य] वीर रस की कविता, | वीरदेत (दैत)-देखो "विरुदैत । काव्य।
बीरनंद (६)-पु. वीरों की सन्तान, वीर पुत्र । वीरकुक्षि-स्त्री० [सं०] १ वीर पुत्र की माता। २ वीरों की | वीरनाव-स्त्री० [सं०] वीरध्वनि, वीर गर्जना । भूमि, वीरों का क्षेत्र।
वीरपउतार-वि० वीरों को उत्साहित करने या प्रेरणा देने . वीरक्क-१ देखो 'वीर' । २ देखो 'वीरक' ।
वाला। बोरखेत-पु० [सं० वीर-क्षेत्र १ युद्ध स्थल । २ वोरों की भूमि | वीरपण (पणी)-पु. वीरत्व, वीरता । बहादुरी, साहस । या क्षेत्र । ३ वीर पुत्र की माता ।
वीरपारण (न)-पु. वीरों के पीने का एक मादक पेय । वीरखेती-स्त्री० युद्ध, लड़ाई।
वीरपाटी-पु० वीर रस की शिक्षा । वीरगत (ति, ती)-स्त्री० [सं० वीरगति] रणक्षेत्र में वीरों | वीरपुरी (रो)-स्त्री० १ वीरों की नगरी। २ श्रावण शुक्ला . को प्राप्त होने वाली मृत्यु गति, मुक्ति ।
तृतीया का एक पर्व। वीरगाथा (गाहा)-स्त्री० [सं० वीरगाथा] वीर रसात्मक | वीरप्रसु (सू)-स्त्री०१ वीर संतान की माता । २ वीरों की काध्य।
- भूमि । वीरघंट (टु, टो)-पु० [सं० वीर-घंट] देवालयों या हाथियों | वीरबहूटी (बहोड़ी)-स्त्री० वर्षा ऋतु में होने वाला एक लाल के लटकाया जाने वाला बड़ा घंटा।
कीड़ा, इन्द्रवधू। वीरचक्र-पु० [सं०] साहसिक कार्यों के बदले सैनिकों को दिया | वीरबाहु-पु० [सं०] १ भगवान विष्णु का एक नाम । २ रावण जाने वाला पदक । -
का एक पुत्र । वीरचाळी-पु. १ युद्ध, झगड़ा। २ भूत-प्रेतादि का उपद्रव । | वीरभवर (भद्द, भद्र)-पु. [सं० वीरभद्र] १ भगवान शंकर ३ वीरों का कार्य या चरित्र ।।
का प्रसिद्ध गण । २ श्रेष्ठ योद्धा, वीर। ३ पश्वमेध के वीरचाव-पु० युद्ध. झगड़ा।
लिये उपयुक्त घोड़ा । ४ सुगंधित घास, खसः । वीरज (जु)-पु० [सं० वीर्य] १ शरीरस्थ सप्त धातुपों में से | वीरभाव-पु. वीरत्व, बहादुरी, शौर्य । बल, पराक्रम ।
एक धातु, शुक्र, रज । २ किसी पदार्थ का सार भाग । | वीरभूम (भूमि, भोम)-स्त्री० [सं० वीरभूमि] १ युद्धस्थल, ३ पराक्रम, तेज । ४ बल, सामर्थ्य, वीरता। ५ अन्नादि रणांगन । २ वीरों को जन्म देने वाली भूमि । ३ श्मशान । का बीज । ६ पुसत्व । ७ प्रजनन शक्ति । ८ साहस, हड़ता।। वीरमंत्र-पु० [सं०] श्मशान में भूत-प्रेतादि को जगाने का ९ मामा, कांति, चमक । १० फुतिलापन, स्फूति। ११ पुत्र, मंत्र । बेटा । -वि. निर्मल, स्वच्छ ।
वीरमरिण-पु० वीरों में श्रेष्ठ। वीरजा-स्त्री० वीरांगना, वीर स्त्री।
वीरमति (पी)-स्त्री० भारत में बहने वाली एक प्राचीन नदी। वीरडो-देखो 'वीर'।
वीरमात (माता)-स्त्री० १ वीर पुत्रों की माता । २ पृथ्वी। वीरण-पु. १ कांस नामक तृण । २ एक प्रजापति ।
३ एक देवी विशेष । वी'रणी (बी)-क्रि० १ विस्मरण होना, भूलना। २ देखो | वीरमारग-पु. वीरों का मार्ग, स्वर्ग, वैकुण्ठ।। __ 'विहरणों' (बी)।
वीरमुठ (मूठ)-पु. राजा द्वारा कवि को दिया जाने वाला वीरत-स्त्री० [सं० वीरत्व] १वीरता, बहादुरी, शौर्य, बल । एक नगद पुरस्कार । २ देखो वति'।
| वीरय (व्य)-देखो वीर'।
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वीररस
वीररस ( स ) - पु० १ साहित्य में एक रस । २ वीरों का मानन्द - वि० पीत, पीला ।
वीरलोक - पु० [सं०] १ स्वर्ग, वैकुण्ठ । २ वीरों को प्राप्त होने वाला लोक ।
वीरवरमन पु० एक प्राचीन राजा ।
वीरांची (पानी) स्त्री० वीर ध्वनि वीर गर्जना ।
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वीरवंत ( ब ) - वि० वीरों से युक्त । पु० मनु का एक पुत्र । वीरवर - वि० श्रेष्ठ वीर, योद्धा, बलवान -पु० बीरबल । वीरवरद-पु० शिव, महादेव, शंकर
(६५५)
वीरसंग पु० ४९ क्षेत्रपालों में एक
बीरस-देखो 'विरस' ।
वीरवांनी स्त्री० स्त्री, नारी, घोरत
वीरविद्या स्त्री० १ तांत्रिक विद्या । २ युद्ध विद्या । वीरबीराव (धि, धी)- देखो 'विराधिवीर' ।
बोरवंताळ वि० उत्पात करने वाला, बदमाश, शैतान, उद्दण्ड
वीरव्रक्ष (ख) - पु० [सं० बीरवृक्ष] एक प्रकार का वृक्ष। वीरव्रत (सी) - वि० संकल्प निष्ठावान । दृढ़ वीरव्वर-देखो 'वीरवर' |
वीरस्थान पु० कुष्ठ रक्षेत्र बोर, वीर देखो 'बिर'
संबंधी, वीरता सूचक । १ युद्ध, समर । २ देखो
वीरसयन (सय्या) – पु० [सं० वीरशयन] वीरों के सोने का वीरि-स्त्री० १ बहन, लगनी । २ वीर स्त्री । स्थान, रणक्षेत्र वीरता, वीरसुवा स्त्री० १ वीर पुत्रों को जन्म देने वाली
।
स्त्री । २ वीर स्त्री, वीर बाला । ३ वीर भूमि ।
I
२ भयानक, भयावह । पु० 'वीर' । ३ देखो 'वीरान' । वीरांनी स्वी० वीरता, बहादुरी दि० १ वीर रस पूर्ण
२ भयानक, भयावह । ३ वीरों का, वीरता सूचक । ४ देखो 'वीरानी' ।
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४] वीर पत्नी, वीर स्त्री ५ बढ्न ६ पुत्री, बेटी ७ स्त्रियों के लिए एक प्रियवाची संबोधनमुरा, मुरा मासी । ९ केला । १० ऐलुवा ।
-
बीराचारि (री) पु० [सं० वीराचारिन्] १ एक प्रकार के वाम मार्गी या शाक्त । २ वीरों का प्राचार, कर्तव्य । वीराजमान, बीराजमान देखो 'विराजमान' । वीरातन पु० १ बहादुरी, वीरता । २ बहादुर, वीर, योद्धा । वीराधपत ( पति, पती) - पु० वीरों में श्रेष्ठ, वीर शिरोमणि । बीराधवीर, पौराणि वीराधिवीर १० वीर बहादुर, वीर शिरोमणि, श्रेष्ठ वीर ।
वीरापांचम स्त्री० भादव शुक्ला पंचमी । वीरावारस स्त्री० कार्तिक कृष्णा द्वादशी । बीबीज स्त्री० कार्तिक शुक्ला द्वितीया । वीरावी क्रि० वि० वीरों में ।
वीरांनी स्त्री० उजड़ा होने की अवस्था या भाव । बीरा - स्त्री० [सं०] १ पत्नी, रुषी २ वधू ३ माता
वीरासरण (न) - पु० १ निगाह करने की क्रिया, चौकसी । २ युद्ध
में अधिक जोखिम वाला पद । ३ वीर, सिपाही । ४ वीरों के बैठने का ढंग । ५ पहरे का स्थान । ६ एक प्रकार का योगासन |
बीलालो
बीरी पु० बैरी, शत्रु, दुश्मन ।
वीरीया- देखो 'वेला' ।
बीड-देखो 'वीर'।
वीरहक (बक, बो)- देखो 'वीरहाक'
वीरप (चो, ध्य, व्यो-१० वीर बहादुर । वीरहाक (हाको ) - ५०
वीरों
ध्वनि ।
वीरुज (ज्झ झ ) - पु० प्रग्निहोत्र न करमे वाला ब्राह्मण । की ललकार २ जोशपूर्ण बीया स्त्री० [सं०] सुरक्षा की तीन कन्याओं में से एक बीप-वि० [सं०]] भयंकर भयावह डरावना । वीरहोतर (होत्र ) - पु० [सं० वीर होत्र ] ९ विन्ध्याचल पर्वत पर वीरेस, वीरेसर (सुर, स्वर ) - पु० १ शिव, महादेव । २ वीर स्थित एक स्थान । २ एक प्राचीन सम्राट । वीरांगला (ना) - स्त्री० वीर स्त्री बहादुर स्त्री । वीरांस - वि० १ वीरों का, वीरों
पुरुष । ३ हनुमान ।
वीरिखी स्त्री० [सं०] १ वह स्त्री जिसका पति एवं पुत्र जीवित
•
एवं सुखी हो २ शुक्र की पत्नी का नाम ३ एक प्राचीन नदी ।
वीरोबंद, वीरोचन-देखो 'विरोधन'। वीरोट (सी) स्त्री० जादू-टोना करने वाली स्त्री, - जादूगरनी । वीरोटियो- पु० १ श्मशान में भूत, प्रेतावि जगाने वाला पुरुष, जादूगर २ देखो 'वीर'।
वीरोध-देखो 'विरोध' ।
बीरोळी (बो-देखो 'विरोही' (बी)।
वीरांन - वि० [फा० वीरान] १ उजाड़, जनशून्य । २ उजड़ा वीरौ वीरौ पु० १ भाई, भ्राता । २ एक लोक गीत विशेष । हुमा, श्रीहीन ।
बील स्त्री० १ सामान रखने के लिये कमरे के प्रदर, ऊंचा लगा लंबा पत्थर, टांड २ देखो 'बोलो' । ३ देखो 'बील' ।
(ब) बोली (बी) देखो 'विलासी' (यो) ।
3
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वोल्हणवटी
। ६५४ )
वीहर
वोल्हणवटो, वीलहणवाटी-स्त्री० मारवाड़ का एक प्रदेश। वीसांभुजाळी-देखो 'बीस भुजाळी'। वील्हौ-पु. एक प्रकार का पक्षी।
वीसांम (उ, मौ)-देखो 'विसरांम' । बीवरणोटो-देखो बेमणोटो' ।
वीसार, वीसार-स्त्री. १ विस्मरण, भूल । २ देखो विस्तार'। बीवनी (न्नो)-देखो 'विकतो' (स्त्री० बीवनी)।
वीसारण (गो)-देखो 'विसारणो'। वीवरौ-पु. १ मालंबन, सहारा। २ लीन या मग्न होने की | वीसास-देखो "विस्वास'। स्थिति । ३ देखो 'विवरौं'।
वीसासघात-देखो 'विस्वासघात'। बीवसाळ-वि. विशाल ।
बीसासणी (बी)-देखो "विस्वासणी' (बी)। बीवाण, वीवारण-देखो 'विमाण' ।
वीसासौ-देखो 'विस्वास'। वीवाह-देखो "विवाह'।
वीसियो-पु. एक प्रकार का घास । वीवाहलो, बीवाहिलु, बोवाहिलो-देखो 'विवाहलो' । वीसी-स्त्री० १ समय, प्रवधि । २ बीसमी, शताब्दी । बीवाहु-देखो 'विवाह'।
३ भोजनालय। ४ बीस वर्ष का समय । ५ बीस वस्तुओं बीस-वि० दश का दुगुना, 'उन्नीस व एक ।-स्त्री० बीस की गड्डी, कोड़ी। ६ बीस की इकाई से की जाने वाली ___संख्या, २०।
गणना । ७ ज्योतिष में संवत्सरों का एक विभाग । वीसण, वीसन (श, नु)-पु० विष्णु ।
वीसूरणौ (बो), बीसूरणी (बी)-१ देखो "विसरणी' (बी)। वीसभुज, बीसभुजाण, वीसभुजा-पु० [सं० वीस-भुजा ]
२ देखो 'विसूरणी (बी)। १ लंकापति रावण । २ दुर्गा, महामाया। -वि० जिसके
बीसूविसा (वीसा)-देखो 'विसवावीस' । बीस भुजाएं हों।
वीसेक-वि० बीस के लगभग । वीसभुजाळी-स्त्री. देवी, दुर्गा, महामाया ।
वीसविसा, वीसेवीसा-देखो "विसवावीस'।
बीसोतर-वि० एक सौ बीस । -पू० चारणों के एक सौ बीस बीसम (उ)-देखो'विसम' (उ.र.) ।
गौत्र । वीसमणी (बी)-क्रि० १ माराम करना, ठहरना । २ शयन
वीसो (बीस्यौ)-पु०१ बीस का वर्ष । २ बीस का संवत् । . करना, सोना । ३ अवसान होना, मरना ।
वीहंग (डो)-देखो विहग'। वीसमी (मै), वीसमो-१ देखो 'विसम' । २ देखो 'वीसवी' ।
वीह-देखो 'बी'। बीसम्मणो (बो)-देखो 'बीसमणो' (बी)। वीसर, वीसर-स्त्री. १ भूल, विस्मरण । २ देखो विसर'।
वीहरणौ (बो)-देखो 'बीहणी' (बी)।
वीहरणो (बो)-देखो "विहरणो' (बो)। वीसरणी, वीसरणी-वि० भूलने वाला, विस्मरण होने वाला।
वीहळ (ल)-१ देखो 'विह्वल'। २ देखो 'वेहल'। बीसरणी (बी)-देखो विसरणी' (बो)। वीसराणी (बी), वीसरावरणौ (बी), बीसराणी (बी)-देखो |
बोहळा (ला)-स्त्री० देवी, दुर्गा । ___ "विसराणी' (बौ)। .
पोहळी, वोहली-स्त्री० वियोगिनी स्त्री, विरहिणी। वीसवळी-पु० कलेजे पर पानी से भरी एक थैली ।
वीहलो-वि० प्रत्यधिक, बेहद । पीसविसवा, वीसविसा, वीसवीसा, वीसवीसवा-देखो 'विसवा- वीहसणी (बो)-क्रि० १ हसना, खुश होना । २ हिनहिनाना । . वीस'।
वीहाण (रणी, , पो)-देखो 'विहाण' । वीसों, वीसौं-वि० जिसका स्थान उन्नीस के बाद हो, वीहारणी-स्त्री० शरपुखा नामक पौधा विशेष, इसे सरफोंका भी इक्कीस से पहले वाला
__ कहते हैं। धीससणी (बी)-क्रि० १ विश्वास या एतबार करना । वोहा-देखो 'विवाह' । २ विश्वास होना।
वीहाइपो (बी), वोहारणी (बी)-१ देखो 'बीहाणी' (बी)। वीसहत (तो, त्य, त्यो)-स्त्री. १ देवी, दुर्गा, महामाया। २ देखो 'वीहावरणों' (बी)। ३ देखो 'विवाहो ' (बी)। २ सरस्वती, भारती।
बीहार-देखो विहार'। वीसहत्थो (हथौ, हग्यौ)-पु० रावण। -वि० बीस भुजामों | बीहाव-देखो 'विवाह'। वाला।
वीहावणी (बी)-क्रि० १ व्यतीत या समाप्त करना। २ देखो वीसहे'क-वि० बीस के करीब, लगभग बीस ।
विवाहणो' (बी)। पीसाणी-स्त्री० शरपुंखा नामक पौधा विशेष ।
बोहूर-पु. वात चक्र, वतुल ।
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बु
। ६५५ )
वु-पु. १ प्रात:काल, सवेरा । २ रात्रि का प्रथम प्रहर, प्रदोष । | बुवोतरौ-देखो 'बमोत्तरी'। ३ घन पटल।
वुसत-स्त्री०१धन, दौलत । २ देखो 'वस्तु'। वुमणी (बी)-१ देखो 'वहणो' (बी) । २ देखो 'बोणी' (बी)। | वुसताज (द)-देखो 'उसताद'। वुमारणी (बो)-१ देखो 'वहाणी'(बी)।२ देखो 'बोवाणी' (बो)। वुसतु, वुसुत-देखो 'वस्तु'। वुधारणी (बो)-देखो 'बुहारणो' (बी)।
वुहरणो (बो)-१ देखो 'वहणी (बी)। २ देखो 'बोवणो' (बी)। वुआरी-१ देखो 'बुहारी' । २ देखो 'बहू'।
वुहरणौ (बी)-क्रि० १ खरीदना, क्रय करना । २ व्यवहार वुधावणो (बो)-१ देखो यहाणो'(बी)। २ देखो'बोवाणी (बी)।
करना। वुक-१ देखो 'बक' । २ देखो 'बुग' ।
बुहरागो (बी), वुहरावणी (बो)-देखो 'बुहराणो' (बी)। बुकठो (बी)-क्रि० निकालना।
बुहारणौ (बो)-१ देखो वहाणी' (बी)। २ देखो 'बोवाणी' (बो)। वुकढ़णो (बो)-देखो 'वुकठणी' (बी)। दुकांनी-देखो 'बुकांनी'।
बुहार-देखो 'व्यवहार'। बुग-देखो 'बुग'।
वुहारड़ी-१ देखो 'बुहारी' । २ देखो 'बहू'। गचियो, युगचौ-देखो 'बुगचौ' ।
वुहारणौ (बो), -देखो 'बुहारणो' (बौं)। बुगती-देखो 'बुगती'।
वुहारी-१ देखो 'बुहारी' । २ देखो 'बहू' । बुगलियो, गली-१ देखो 'बुगलौ' । २ देखो 'बक' । बुहावरणी(बो)-१ देखो 'वहाणों' बो) । २ देखो 'बोवाणी' (बी)। बुडचणी (बो)-देखो 'बुड़चणौ' (बो)।
वूग-१ देखो 'बूग' । २ देखो 'बूझ' । युट्ठणो(बी), वठणी(बी). वठणी (बी)-देखो 'बूठणो' (बी)।| गौ-देखो 'बूगों'। खुडणी (बी), बुजवणी (बी)-१ देखो 'धूडगो' (बी)। २ देखो |
घरो-देखो 'बूघरौं'। ___'उडणों' (बी)।
वूम-देखो 'बूझ'। बुढ्ढौ-देखो 'बूढी'।
वूट-देखो 'बूट'। खुणणो(बौ)-१ देखो 'बुणणों (बो) । २ देखो 'बणणो' (बी)।
बूटी-देखो बूटी'। बुगवाणी (बी), वाणी बो)-१ देखो 'बुणाणो' (बी)। __२ देखो 'बणाणो' (बी)।
वूटौ-देखो 'बूटौ। बुघर-१ देखो 'भूधर' । २ देखो 'उधर'।
तणी (बौ)-देखो 'बूतरणी' (बो)। बुपर-देखो 'ऊपर'।
ब. बड़, बड़ो-देखो 'बूद' । बुराई-देखो 'बुराई' ।
दो-देखो 'बू'दो'। वुराणी (बी), रावणी (बो) -देखो 'बुरावणी' (बो)। बूब-देखो 'बूब'। बुरी-देखो 'बुरी'।
वूमड़ा-देखो 'बूमड़ा'। वुरौ-देखो 'बुरौं'।
बू-पु० १ सूर्य, अर्क। २ यम । ३ कबूतर । ४ प्रधिक, बहुत । वुलगणी (बी)-क्रि० प्रारंभ या शुरू करना।
५ सब, समस्त । ६ देखो 'बू'। ७ देखो 'बहू'। वुलगार-देखो 'बुलगार'।
प्रणो (बो)-१ देखो 'वहणो' (बौ)। २ देखो 'बोवो' (बौ)। वुलसरी, बुलसिरी-देखो 'बोलसरी'। बुलाणी (बौ), बुलावणी (बो)-१ देखो 'बुलाणो' (बो)।
वूमणी (बी), प्रावणो (बो)-१ देखो वहाणी' (बी) । २ देखो 'बौळाणी' (बी)।
२ देखो 'बोवाणी' (बी)। बलावो-देखो 'बुलावो'।
ई-देखो 'बुई'। बुवारणी (बो)-देखो 'बुहारणो' (ओ)।
बूक-देखो 'बूक' । बुवारी-१ देखो 'बुहारी' । २ देखो 'बहू'।
वूग-देखो 'बूग'। खुवाह-पु० वाह-वाह, धन्यवाद, साधुवाद ।
वूजी, वूजीसा-स्त्री० [सं० वधू+रा. जीसा] १ वृद्ध स्त्री। वोतर-देखो 'बमोत्तर।
२ माता। ३ दादी । ४ सास । ५ दादी सास ।
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बूझ
बूझ-१ देखो 'बूझ' । २ देखो 'पूछ' ।
वैचाणौ (बो), वचाणो (बौ), बचावरणी (बो)-देखो 'बंटाणी' वूमरणो (बो)-देखो 'पूछणो' (बो)।
. (बी)। वूमवार-वि० बुद्धिमान।
वेटणी (बो)-देखो 'बांटणी' (बी)। झवणो (बो)-१ देखो 'बझणी' (बी)। २ देखो 'पूछणो' | टारगो (बो), वेटावणी (बी)-देखो 'बंटासो' (बी)। (बी)।
वेंडो-देखो 'बैंडो'। माणी (बो), वृक्षावरणी (बो)-१ देखो 'बूझाणी' (बी
वेंण, वण-१ देखो 'बहन' । २ देखो 'वचन'। २ देखो 'पूछाणी' (बो)।
वैत, वत- देखो 'बेंत'। २ देखो 'वैत'। बूटणी (बो)-देखो 'बूठणो' (बौ)।
वैतारणी (बी), व ताणो (बो)-देखो 'बेतारणो' (बी)। वूठ-स्त्री० वर्षा, वर्षा का प्रारंभ, बरसना क्रिया।
वेतियो, ३ .तियो-वि० एक बालिश्त का, एक बालिश्त लंबा। बूठणी (बो)-देखो 'बूठणी' (बी)।
-पु. एक बालिश्त लंबा कल्पित व्यक्ति। वूठाळु (ळू)-वि० बरसने वाला, वर्षा करने वाला। ३हरी-पु० विवाद। बूढ़-देखो 'बूढ'।
वे-पु०१ काम, कार्य । २ वैद्य, कोम। ३ पल्लव, पत्ता। बूढ़लो-देखो 'बूढी'।
४ कल्प वृक्ष । ५ पीपर । ६ वेग, गति । ७ स्वरूप, पाकार । बूढ़वाळ, बूढवावळ-स्त्री० वृद्धावस्था, बुढ़ापा ।
पोशाक ।-सवं० १ वह का बहु वचन । २ उस, उन, के, बूढ़सुवागरण, बूढ़सुहागरण-स्त्री० सुहागन वृद्धा स्त्री।
वह । ३ देखो 'बे'। बूढ़ापण (परणो)-पु० बुढ़ापा, वृद्धपना।
वेनद-वि० प्रतिष्ठा रहित, बेइज्जत । बूढि, बूढी-देखो 'बूढी'।
वेअदब-देखो 'बेअदब'। बूढेवारै-देखो 'बूढ़ेवारै'।
वेअदबी-देखो 'बेअदबी'। बूढी-देखो 'बूढौ'।
वेप्राबरू-देखो 'बेमाबरू'। बूढ़ौठाडो (दो), बूढ़ौठेरौ, बूढ़ौमीड-(स्त्री० बूढीठाडी, वूढीठेरी वेइंसाफ-देखो 'बेइंसाफ' । बूढोढेरी) अतिवृद्ध पुरुष ।
वेइ, वेई-देखो 'बेई। चूतणो (बो)-देखो 'बूतणी' (बी)।
वेईठणो (बी)-देखो 'बैठणी' (बी)। तेलो-पु० वात चक्र।
वेईठाणी (बी), बेईठावणी (बो)-देखो 'बैठाणी' (बी)। बूस्कार-देखो 'बूत्कार'।
वेईमान, वे ईमान-देखो 'बेईमान'। खूथेळियो, थेळो-देखो 'बथूळो'।
वेउल-स्त्री० एक प्रकार की चमेली। वूमा-स्त्री० [सं० वधू+मातृ] पिता की चाची के लिए वेऊ-पु० १ एक प्रकार का शाक । २ देखो 'बेऊ'। प्रयुक्त शब्द ।
वेकट-पु० १ हंसी-मजाक करने वाला, मसखरा । २ जौहरी। वूर-१ देखो 'बूर' । २ देखो 'बूरी'।
३ युवा पुरुष । ववरणी (बी)-१ देखो 'बहणों (बी)। २ देखो 'बोवणी' (बौ)|| वेकटी (ढी)-देखो 'विकट'। बूसट-पु. चपेटा। .
वेकरणी (बौ)-देखो 'वेखणौ' (बी)। दूसर-१ देखो 'प्रसुर'। २ देखो 'ऊसर'।
वेकर (डी, डो)-पु. १ एक प्रकार का घास । २ देखो 'बेकर'। बूहरलो (बौ)-देखो 'वहणो' (बी)।
वेकळ, वे कळ (ळी,ळ)-१ देखो 'बेकळू' । २.देखो "विकळ' । वहारसो (बी), व्हावरणौ (बो)-देखो 'बहाणो' (बी)। वेकाम, वे काम (मौ)-देखो 'बेकाम'। वू.हारो (बी)-देखो 'बुहारणो' (बी)।
वेकाज, वे काज-देखो 'बेकाज'। वूहारी-देखो 'बुहारी'।
बेकाबू, वे काबू-देखो 'बेकाबू। वही-वि० १ पागलपन युक्त । २ अजीब, विचित्र ।
वेकार, वे कार-देखो 'बेकार'। बैं-देखो 'बैं'।
वेकुथहस्थिराज (राय), वेकुथहथिराज (राय)-पु० हस्ती सेना वेंगळा (ळा) वेगळा-स्त्री० मूर्ख स्त्री, मूर्खा ।
नायक । वचरणो (बी), वेंचरणो (बो)-देखो 'बैंचरणों (बी)। | वेख-१ देखो 'विस' । २ देखो 'ख' ।
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वेखणी
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( ६५७ )
dant (at) - क्रि० [सं० वि + ईक्षणम् ] १ देखना, अवलोकन करना। २ जांचना, निरीक्षण करना। ३ जानना, समझना । येवरच-देखो 'बेखरच' ।
देखातर देखातरी-देखो वेखातर खातिर।
खास-पु० १ प्रयत्न, प्रयास, कौशिश । २ विश्वास, एतबार ।
३ विलाप, रुदन ।
वेग वेग पु० [सं० वेग] १ प्रवाह, बहाव । २ दबाव। ३ वायु विकार । ४ गति, चाल । ५ श्रावेश, जोश ६ ढ प्रतिज्ञा । ७ प्रेमानुराग । ८ वीयं शुक्र ९ स्खलन १० शक्ति, बल, सामर्थ्य ११ शीघ्रता १२ खुशी हर्ष वेगहरउ ( 1 ) - क्रि० वि० अपेक्षाकृत जल्दी, शीघ्र । वेगउ-देखो 'वेग' ।
बेगड़ १ देखो 'बिगड़' २ देखो बेगड़ी ३ देखो 'दोगली' ।
वेगड़गड़ी स्वी० एक प्रकार की बन्दूक
बेड़ियो पु० १ चोहटे का नाम २ देखो 'देवी'।
-
वेगावेगि क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी । वेगिनी स्त्री० [सं०] एक नदी का नाम 'वेवेरी-देखो 'वेग'।
वेध (घी) - १ देखो 'वेग' । २ देखो 'वेगो' ।
बेखुदी [वि० [फा० बेखुदी ] जिसमें चेतना न हो, बेखबर, बेड़-१ देखो 'बीहड़' २ देखो 'वेट' ३ देखो 'बेद'।
लापरवाह, बेहोश |
४ देखो''।
वेखून - वि० निरपराध ।
वेगसर पु० १ तेज गति से चलने वाला घोड़ा २ देखो 'बेगसर'। वेगाळ (1) पु. १ घोड़े के गले में बांधने का चमड़े या सूत का तस्मा, रस्सा । २ घोड़ा, प्रश्व-वि० तेजी वाला, प्रति चचल । क्रि० वि० तेजी से ।
यो गौ-वि० [स्त्री० बेगी) १ शीघ्र, बल्दी, विलम्ब - क्रि० वि० २ निर्धारित समय से पूर्व, पहले ।
वेगार वेगार - देखो 'बेगार' | वेगाळ (ळी) - वि० १ तेज गति से चलने वाला तीव्रगामी, शीघ्र गामी २ जल्दबाज उतावला ३ तेजस्वी, प्रोजस्वी - क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी देखो 'बगागळ' ।
1
बेड़ाफोड़ - देखो 'बेड़ाफोड़' ।
(ख)- देखो 'बेडू' को, बेडू'खो' ।
वेचणी (बो) - क्रि० १ खर्च करना, व्यय करना। २ बांटना । ३ देखो 'बेचणी' (बो) । ४ देखो 'बेचणी' (बो) । बेबरा (राम, राजि, राब) देखो 'बवराय । (न) देखो बेचांण'।
पंचाक (ख) देखो 'बेचाक' ।
वेगड़ी स्त्री० [सं० विकट श्रृंगी] सीधे व तीखे सींगों वाली वेचारणी (बौ), वेचावरणौ (ब) - देखो 'बेचारणी' (बो) । गाय या भैंस |
वेणी (बौ) - १ देखो 'वेडणी' (बो)। २ 'वेढणी' (बौ) । बेड़लो - पु० स्त्रियों के कान में धारण करने का चांदी का आभूषण। पीपलपत्ता ।
१ देखी 'वेगड़ो' २ देखो 'दोगली' येन-देन' वेगत क्रि० वि० तत्काल शीघ्र, तुरंत वेगम - पु० १ अगम्य स्थान, दुर्गम स्थान । २ देखो 'बेगम' । वेगरणी वरणी वि० मध्यस्व
वचाळ, वेचाल वि० जिसका चरित्र ठीक न हो, बदचलन ।
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वेळ (ल)- पु० एक प्रकार का कंद वेछाड़ - देखो 'बेछाड़' ।
देवी पु० सय प्रसूता माय-मेस का प्रारंभिक पाठ-दस दिनों
का दूध ।
वेगरणी वेगरणी - वि० मध्यस्थ - पु० मध्यस्थता का कार्य वेगळ, वेगळि वेगलि वेगळी, वेगळु वेगळी (लो)- क्रि० वि० १ शीघ्र जल्दी दूर पु० सिसिंह वेगवत, वेगवान - वि० [सं० वेगवान् ] १ वेग पूर्वक या तेज बसने वाला २ जिसकी गति तीव्र हो जो या वाला । पु० १ श्रीविष्णु । २ एक नाग । बेगवाहिनी - स्त्री० [सं०] १ गंगा नदी का एक नाम। २ एक वेजातांखा (ना) - पु० ताना-बाना, भूमिका ।
राविनी । ३ एक प्राचीन नदी ।
नारी वि० १ चतुर होशियार २ देखो 'बेजारी' । बेण्यास देखो 'बेण्यास'।
बेठकड़ी
खेजड़, वे अड़ देखो 'बेजड़' । बेजवान देखो 'जवान'
वेजवाल- वि० जिसका पतन या नाश न हो । बेजान देखो 'बेमान'।
वेस, बेंझ, वेसकी देखो 'बे'ज'
वेझड़, वे झड़- देखो 'बेजड़' ।
वेजा वेजा - पु० १ घोड़ों का एक रोग । २ देखो 'बेजा' ।
वे- देखो 'बेझ' |
ट
१ देखी 'बेठ' २ देवो बेट
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वेटीजणी (बौ), वे टीजरणौ (बौ) - क्रि० बकरी का गर्भवती होना । पेठ, पं. स्त्री० [सं० वेष्ठि: वेष्ट लपेटना क्रिया, लपेटन बेठऊड़ौ - वि० बेगार का कार्य करने वाला ।
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बैठणी
वेतन
काच
बैठणी (बौ)-क्रि० १ लपेटना। २ घेरा डालना, घेरना | बेढ़मल (मल्ल)-वि० युद्ध का उस्ताद, युद्ध में निपुण योद्धा
३ निभाना। ४ सहन करना, महना। ५ बेगार का कार्य | बेढ़मी-स्त्रो० एक प्रकार को रोटी विशेष । कनरा । ६ पालन-पोषण करना।
वेढलो-पु० स्त्रियों के कान का माभूषण विशेष । बेठन-स्त्री० [सं० वेष्टन] १ लपेटने की क्रिया, वेष्टन । वेढमांणो-देखो 'वेढीमणो'। २ लपेटने का वस्त्र ।
वेढारोटी-स्त्री० एक प्रकार की रोटी। वेठियों-[सं० वेष्टिक] बेगार में कार्य करने वाला, बिना | वैढिंगर, वेडिंगरी-वि० १ वीर, बहादुर । २ जबरदस्त, पारिश्रमिक लिए कार्य करने वाला।
जोरदार। वेड-पु. १ वन, जंगल । २ सोमा, छोर, हृद । ३ एक प्रकार वेढि-देखो 'वेढ़।
का चन्दन । ४ कंटीली झाड़ियों का घेरा, माहता, बाड़ा। वेढिमी-देखो 'वेढमी'। ५ देखो वेढ'।
वेढीगार (री, रो)-पु० युद्ध करने वाला, योढा । -वि०१ वेडण-वि० १ संहार करने वाला, नाश करने वाला। २ तोड़ने वीर, बहादुर । २ शक्तिशाली, बलशाली। वाला, काटने वाला।
वेढीमग्ण, वेढीमणो, वेढेमणो-वि० १ वीर, बहादुर । २ बेडगो (बी)-क्रि० १ सहार करना, नष्ट करना। २ तोड़ना, जबरदस्त । ३ शक्तिशाली, बलशाली । ४ युद्ध प्रिय काटना । ३ झगड़ना।
योद्धा। वेडर-वि० निःशंक, निर्भय ।
वेण-पु० १ बांस का वृक्ष, बांस । २ एक सूर्यवंशी राजा । वेडाणी-वि. १ दुष्ट, नीच । २ देखो 'विडांणो'।
३ सेना, सैन्यदल । ४ नाक का प्राभूषण विशेष। ५ देखो वेडाक-१ देखो 'बैडाक' । २ देखो 'बैडो'।
_ 'वचन'। ६ देखो 'वीण'। वेडाय-पु० १ सूपर, शूकर । २ वीर, योद्धा।
वेणका-१ देखो 'वीण' । २ देखो 'वीणा'। वेडावती-वि०१ जबरदस्त, जोरदार । २ वीर, बहादुर। वेणरावमुनि-पु. नारद मुनि । वेडाहल-पु० मुसलमान, यवन ।
वेणा-स्त्री. १ भारत में बहने वाली एक नदी। २ देखो वेडि, वेडिइ-पु० १ बाग, बगीचा। २ वन, जंगल । -वि० १ 'वीण' । ३ देखो 'वीणा'। जंगल का, जंगली । २ देखो 'वेडी'।
वेणाट-पु० दक्षिण भारत का एक प्राचीन प्रदेश। वेडियो-पु० ऊंट को जट या बकरी के बालों की गेंडुरी। वेणि, वेणिका, वेणी-स्त्री० १ स्त्रियों की चोटी। २ कलाई, पूनी।
मणिबंध । ३ नदी का प्रवाह । ४ गंगा नदी का एक वेडी-वि० १ मस्त । २ कलहप्रिय, झगड़ालु । ३ बीर, नाम । ५ शाकद्वीप में एक नदी। ६ देखो 'वीण' ।
बहादुर । ४ जबददस्त, जोरदार । ५ देखो 'वेडि', 'वेडी' । | ७ देखो 'वीणा'। ६ देखो 'वेडियो।
वेणीडंड (बैंड)-स्त्री० स्त्रियों के बालों की गुथी हुई चोटी। वेडीमरणो-देखो 'वेढीपणो'।
वेणो फूल-पु. स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । वेडूर-पु० [सं० वैदूर्य ] एक प्रकार का रत्न या बहुमूल्य पत्थर । वेणीमाधव-पु. प्रयाग स्थित विष्णु की एक मूर्ति । वेडौं-पु. खड्डा, गड्ढ़ा । -वि. मस्त ।
वेशु-पु. १ एक प्राचीन राजा। २ देखो 'वीण'। ३ देखो वेढग-देखो 'बेढंग' :
___ 'गणा'। ४ देखो 'वेणी'। वेढ-स्त्री० [सं० वेध] १ युद्ध, संग्राम, लड़ाई। २ घर, गृह, | वेनदारितक-पु. शृगार में एक प्रासन विशेष ।
धाम । ३ युद्धस्थल, रणभूमि। ४ योद्धा, वीर। ५ एक वेणुमती-स्त्री० पश्चिमोत्तर प्रदेश की एक नदी। प्रकार का प्राभूषण । ६ देखो 'वेड'। .
वेणुमान-पु० १ एक पर्वत विशेष । २ एक प्राचीन वंश । वेढक-पु० योद्धा, वीर । -वि० १ वीर, बहादुर । २ निर्भय, | वेणी-पु. १ स्वर्णकारों का एक प्रौजार विशेष । २ बढई निःशंक । ३ जबरदस्त, जोरदार ।
___का एक प्रोजार । ३ देखो 'वहणो' । ४ देखो 'वीणो' । वेढगरी, वेढगारौ-देखो 'वेढीगरौं ।
वेणो (बो)-देखो 'वहणो' (बी)। वेदडी, वेदरण-देखो 'वेढ'।
वेण्या, वेवा-स्त्री० [सं०] विन्ध्य पर्वत से निकली एक नदी। वेदरणवाई-स्त्री० व्यर्थ बातें करने वाली स्त्री।
वेतड-देखो 'वितंड'। बेदरणी (बी)-क्रि. १ युद्ध करना, संग्राम करना। २ संहार | वेत-स्त्री. १ बूदी एवं चित्तौड़ के पठार में बहने वाली एक
करना, नाश करना । ३ काटना, विच्छेदन करना। ४ युद्ध| नदी। २ देखो 'बेंत'। ३ देखो 'वेत'। में मरना, वीरगति प्राप्त करना।
| वेतन-पु० [सं०] कार्य या नौकरी के बदले साप्ताहिक, मासिक
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बेतर
( ६५६ )
वंदवंत
या वार्षिक मिलने वाला निश्चित धन, पारिश्रमिक, | वेदगंगा-स्त्री० दक्षिण भारत की एक नदी । तनख्वाह। -भोगी-पु. वेतन के बदले काम करने बेवगरम-पु० [सं० वेदगर्भ] १ ब्रह्मा । २ ब्राह्मण। वाला व्यक्ति, कर्मचारी।
वेदगरमा-स्त्री० [सं० वेदगर्भा] १ सरस्वती नदी। २ रेवा वेतर-१ देखो 'वेवरु' । २ देखो 'व्यंतर'।
नदी। वेतरणी-स्त्री. १ दजियों द्वारा कपड़ा मापने की क्रिया।
| वेदगी-स्त्री० १ होशियारी, चतुराई। २ दक्षता, निपुणता । २ देखो 'वैतरणी'।
. ३ देखो वैद्यगी। वेता (रू)-स्त्री० शीघ्र प्रसव करने की स्थिति वाली मादा । वेदगुप्त-पु० [सं०] १ भगवान श्रीकृष्ण। २ पाराशर ऋषि • पशु।
का एक पुत्र ।
वेदग्य-वि० [सं० वेदज्ञ] १ वेदों का ज्ञाता, जानकार । वेतसिनी-स्त्री० एक प्राचीन नदी।
२ ब्रह्मज्ञानी । -पु. ब्रह्मा । वेताळ (ल)-पु० [सं०] १. भूत-प्रेतादि की योनि विशेष ।
वेदजगणी-स्त्री० वेदों की माता सावित्री। २ भूत-प्रेत के अधिकार में पाया शव। ३ भाट, बंदीजन ।
वेदजा-स्त्री०१ अग्नि, माग । २ द्रौपदी । ४ देव विशेष ! ५ द्वारपाल, दरबान । ६ युद्ध प्रिय देव ।
वेदण-देखो 'वेदना'। ७ छप्पय छन्द का एक भेद । ८ देखो 'बेताळ' ।
वेवणो (बो)-देखो 'वेधणो' (बी) वेतालजननी-स्त्री० एक स्कन्द मातृका विशेष ।
वेदतीरथ-पु. एक प्राचीन तीर्थ । वेताळभट (भट्ट)-पु. एक प्रसिद्ध ब्राह्मण पंडित ।
वेबधकी-पु० युद्ध करने वाला, योद्धा, वीर । वेत्ता-वि. ज्ञाता, पंडित ।
वेवधरम-पु० वैदिक धर्म । वेत्रकूट-पु० [सं०] हिमालय की एक चोटी का नाम ।
वेदधुनि (ध्वनि)-स्त्री. वेद मत्री का उच्चारण, मत्रा की वेत्रगंगा-स्त्री. हिमालय से निकलने वाली एक नदी।
ध्वनि। वेत्रवती-स्त्री० [सं०] परियात्र नामक पर्वत से निकलने वाली वेदन, वेदना-स्त्री० [सं० वेदना] १ पीड़ा, कष्ट, व्यथा । चौदह नदियों में से वेतवा नामक नदी।
२ तकलीफ। ३ प्रसव के समय होने वाली पीड़ा। ४ रोग, वत्रासन-पु. बेंत का बना प्रासन ।
बीमारी। ५ भय एवं हिंसा की पुत्री। वेधिक-पू०.१ भारत का एक प्राचीन जनपद । २ इस जनपद
वेदनाय-पु. शिव, महादेव । का निवासी।
वेवनिवक-वि० १ वेदों की निंदा करने वाला, नास्तिक । बेथी-देखो 'बेथी।
२ बौद्ध धर्म का अनुयायी। वेद-पू० [सं०] १ धर्म व अध्यात्म का पास्ता ज्ञान । | वेबनि-देखो 'वेदना'।
२ भारतीय संस्कृति एवं धर्म के मूल स्रोत प्रसिद्ध चार | वेदपित-पु० अग्नि, प्राग । ग्रंथ, ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद तथा यजुर्वेद। ३ भगवान
वेबफळ-पु. वैदिक कर्म करने से प्राप्त होने वाला फल । विष्णु का एक नाम । ४ ईश्वर, परमेश्वर । ५ जयकार
वेदवाह (बाहु)-पु० [सं० वेदबाह] १ श्रीकृष्ण का एक ध्वनि । ६ ज्ञान । ७ चार की संख्या। ८ तीन की सख्या ।
। नाम । २ पुलस्त्य ऋषि का एक नाम । ६ छन्द । १० एक प्रकार का वाद्य विशेष । ११ योग,
| बेवभू (भूम भूमि, भूमी)-स्त्री० [सं०] १ वेदनाध्ययन का जोड़। १२ वैद्य । १३ मांगणियार मुसलमानों की एक |
स्थान । २ भारत, पावित । ३ देवताओं का एक गण। शाखा। १४ नाइयों की एक शाखा। १५ भृगु के वंश
| वेदमत-पु. वेदों का मत, सिद्धान्त, नियम । का एक मंत्रकार। १६ विवाह वेदी पर बोले जाने वाले
वेदमाता-स्त्री० [सं० वेदमातृ] १ सावित्री, गायत्री। २ दुर्गा, मंत्र । १७ देखो 'वेध'।
शक्ति । ३ सरस्वती शारदा । ४ गायत्री मंत्र । वेवउदय-पु०सं० उदयवेद) सूरज, सूर्य।
वेदमूरत (मूरति, मूरती)-वि० [सं० वेदमूर्ति) वेदों का पूर्ण बंदक-१ देखो 'वैदिक' । २ देखो 'वैद्यक' ।
ज्ञाता, वेदज्ञ। बंधकरता (कार)-पु० [सं० वेदकर्तृ] १ वेदों के रचयिता | वेवरक (बी)-देखो 'बेदरदी'।
२ विष्णु का एक नाम । ३ शिव, शंकर। ४ सूर्य | वेदरस-पु० [सं०] बृहस्पति का एक नाम । । रवि। ५ वर-वधू को प्राशीर्वाद देने वाले व्यक्ति।
वेवरह वेबराह-पु० वेदमार्ग, वेद मत। . वैवकल्प-पु० [सं०] अथर्ववेद का एक भाग ।
वेदल-देखो 'बेदिल'। वेदका-स्त्री० विवाह वेदी, चंवरी।
वेदवंत-वि. १ वेदों का ज्ञाता, वेदज्ञ । २ ब्रह्मज्ञानी ।
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वेदवचन
। ६६० )
वेधी
वेदवचन-पु० [सं०] वेदों का मूल पाठ ।
वेदु वेदू-वि० १ वेदों का जानकार, वेदज्ञ । २ विद्वान, पडित । वेदवती-स्त्री० [सं०] १ सीता, जानकी। २ द्रौपदी। ३ एक | -पु. १ ब्रह्मा. विधि । २ वेद । अप्सरा । ४ एक प्राचीन नदी।
वेदेह वेदेही-देखो 'विदेही'। वेदवदन-पु० [सं०] १ ब्रह्मा । २ व्याकरण ।
वेदोकत, वेदोकति. वेदोकती, वेदोकित, वेदोक्त (क्ति, क्ती) वेदवा-देखो 'बेदवा'।
वेदोगत (ति, ती)-पु० [सं० वेदोक्त] १ वेदवाक्य, वेद वेदवाहन-पु० सूरज, सूर्य, रवि।
वचन । २ वेदों के मंत्र। ३ शास्त्रोक्त वचन । ४ वैदिक वेबवित, वेदविद, वेदविदुख, वेदविदुस-वि० [सं० वेदवित्]
विधि । १ वेदों का ज्ञाता, वेदज्ञ ।२ वेद विशारद ।-पु०१ ब्राह्मण। वेदोधर-पु० [सं०] ब्रह्मा, विरंचि, विधि । २ भगवान विष्णु।
वेदोधम-पु० वैदिक धर्म । वेदव्यास-पु. १ एक प्राचीन ऋषि, कृष्णद्वैपायन । २ वेद वेदो-देखो 'बेधौ'। व्यास समूह।
बंध-वि० [सं०] १ जानने योग्य । २ सिखाने योग्य। ३ विवाह वेदसिनी-स्त्री० एक पौराणिक नदी।
योग्य । ४ ग्रहों संबधी। -पु० १ ग्रह-नक्षत्रों के सामने होने वेदांग-पु० [सं० वेदप्रङ्ग] १ वेदों के छः अंग । २ एक कीस्थिति, सूर्यादि नक्षत्र एवं ग्रहों की एक रेखा पर होने की मादित्य । ३ सूरज, रवि। ४ छः की संख्या *
स्थिति । २ ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति एवं अध्ययन करने की वेदारणी-स्त्री. १ दाख, द्राक्षा । २ देखो 'बनाणी'। ३ देखो। यंत्रशाला, वेधशाला। ३ तीव्र प्यास। ४ छेदना क्रिया, ___ विनांणी'।
छेदन । ५ घाव । ६ छेद, छिद्र ।[सं०वेधस्] ७ ब्रह्मा, सृष्टि वेदांत-पु० [स०] १ उपनिषद एवं प्रारण्यक प्रादि वेद के कर्ता। ८ विष्णु, शिव । ९ सूर्य ।१० विद्वान ।११ प्रजापति
प्रतिम भाग । ३ षट् दर्शनों में से प्रमुख दर्शन । ३ वैदिक दक्ष । १२ पाक, मदार । १३ माकर्षण । १४ कलह, सिद्धान्तों का विवेचनात्मक शास्त्र । ४ बहत्तर कलाओं में झगड़ा । १५ शत्रुता, वैमनस्य । १६ देखो 'बेध' । से एक।
वेधक-वि० १ भेदन, छेदन करने वाला। २ जानकार पंडित । वेदांती-वि० [सं० वेदांतिन्] वेदों का श्रेष्ठ ज्ञाता, ब्रह्मवादी। ___-पु०१ धनिया । २ कपूर । ३ एक नरक का नाम । वेदांनो-पु. १ एक प्रकार का अमरूद । २ एक प्रकार का | वेधकारी, बंधणी-वि० १ युद्ध करने वाला योद्धा। २ मारने अनार ।
व नाश करने वाला। वेदात्मा-पु० [सं०] १ सूरज, रवि । २ भगवान विष्णु ।
वेधणी (बी) वे धरणी (बी)-क्रि० १ नाश करना, संहार करना । वेदाधिदेव-पु० [सं०] ब्राह्मण
२ मारना। ३ चीरना, फाड़ना। ४ छेदना, भेदना । वेदार-पु० [स०] गिरगिट ।
५ युद्ध करना, संग्राम करना । ६ तोड़ना । ७ ग्रहों का वेदारण-पु० [सं०] दक्षिण में स्थित एक तोर्थ ।
विशेष स्थिति में माना । ८ ग्रह-नक्षत्रों की गति व स्थिति वेदासवा, वेवास्वा-स्त्री० [सं० वेदाश्वा] एक प्राचीन नदी।
का अध्ययन करना। वेवि-देखो 'वेदी'।
वेधनी-स्त्री० [सं०] १ हाथी के कान वेधने का मौजार । वेदिउ, वेदिओ-देखो 'वेदियो' ।
२ मोती प्रादि वेधने का उपकरण । ३ अंकुश। विन-वि० [सं० वेदिन्] १ जानने वाला ज्ञाता। २ दूल्हा। वेधस-पू० [सं०] १ हथेली का, अंगुष्ठ की जड़ के पास का ३ विद्वान, पंडित । ४ शिक्षक ।-पु० ब्राह्मण ।।
स्थान जिसे ब्रह्मतीर्थ कहते हैं । २ एक मंत्रकार । वेदियो-वि० १ वेदों का पंडित । २ ज्योतिषी। ३ कर्मकाण्डी ।
३ देखो 'वेध'। ४ देखो 'वैद्य'।
वेधांगी-पु० [सं०] योद्धा, वीर । बेबिल-देखो 'बेबिल'।
वेधणो-देखो 'वेध'। वेदो-स्त्री० [सं०] १ विवाह के लिये बनाई गई चंवरी, यज्ञ की | वेधा-देखो 'वेध' ।
चौकी, विवाहवेदी । २ नाम से अंकित अगूठी । वेधातिथ (तिथि)-स्त्री. वह तिथि जब सूर्णदि नक्षत्र एवं ३ सरस्वती । ४ एक प्राचीन तीर्थ । ५ चोकी, चबूतरा। लग्न नक्षत्र एक ही रेखा पर हों। ६ ब्रह्मा का एक नाम । ७ गुप्त बात, रहस्य । ८ ब्रह्मा की | वेधाधि, वेधाधी-स्त्री० सरस्वती, भारती। पत्नी। -वि० १ जानने वाला, ज्ञाता । २ विद्वान पंडित । वेधि-१ देखो 'वेध' । २ देखो 'वेधी' । ३ वेदों से संबंधित।
वेधी-वि० [सं० वेधस्] १ पंडित, विद्वान् । २ शत्रु, दुश्मन ।
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वेधीलो
वेपुड़ि (डी) - देखो 'बेपुड़ी' ।
वेपूठ - वि० विमुख, विपरीत ।
करवण (बाली) - कि० वि० बिना माशा, बिना प्रादेश वेफाड़ (ड) - देखो 'बेक' |
बेफिकर देखो 'बेफिक' ।
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( ६६१ )
३ सहयोगी जन । ४ युद्ध करने वाला
२ देखो 'वैयावच्च' ।
1
1
वेधीलौ - वि० (स्त्री० वेधीली ) १ युद्ध करने वाला, बहादुर । वेर, वेर स्त्री० [सं० वेर: ] १ शरीर, बदन, देह । २ शत्रु, २ द्वेष रखने वाला, द्वेषी । दुश्मन ३ विलम्ब देर ४ देखो 'वेळ' tures ( सब्द ) पु० [सं० शब्द-बेधी ] १ धन २ दशरथ atr, druण, वेघेयरण - वि० [सं० वेघेय ] मूर्ख, नासमझ, बेवकूफ |
बेरक-१ देखो 'बेक' २ देखो 'क'
बेरजा वि० बिना इच्छा एवं बिना स्वीकृतिका, स्वीकृति रहित । बेरजी - ० चीड़ वृक्ष का गोंद गंध विरोजा ।
1
वेधी पु० १ शंका, संदेह, संजय २ देखो 'बेदी' २ देखो बेरणी, वं रथी पु० १ बढ़ई का एक बोजार विशेष २ चीरने का कार्य । वि० १ चीरने वाला, काटने वाला । २ देखो 'वारणा' ।
'वेध' ।
वेच्या पु० [सं० विद्याता] ब्रह्मा, विधाता।
वेन वेनड़, बेनड़ी-देखो 'बहन'
वेरो (ब) - देखो 'बेरणी' (बो) ।
वेनतनय - पु० [सं० वैनतेय] १ पक्षिराज गरुड़ । २ सूर्यवंशी वेरतन- पु० [सं० वैरीतनय] वैरी, दुश्मन, शत्रु ।
राजा पृथु ।
वेरप्रलय (प्र) पु० प्रकाशकल्पांत
खेती- देखो 'विनती' ।
वेनसीब देखो 'बेनसीब' ।
देनांखी-१ देखो 'बैनाणी' २ देखो 'विनांणी' । afat-go बबूल की टहनियों की छाल ।
परवा (ह) वे परवा-देखो 'बेपरवाह' । बेपरवाई (ही) वे परवाई देखी 'रवाई'। बेपार, वे पार-१ देखो 'व्यापार' । २ देखो 'बेपार' । पीड, बेपीर-देखो 'बेपी'।
-
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वेरमरण - पु० त्यागने की क्रिया, त्याग । वेरह- देखो 'विरह' |
बेरहवी स्त्रो०] एक प्रकार का पोड़ों का रोग।
वेरहर (रि, री) - देखो 'रहर' ।
वेरांग (न) - १ देखो 'वीरांण' । २ देखो 'वीरांन' । वेराग, वं राग-देखो 'वंशग्य' ।
बेरागढ़, बेशगर-देखो 'राग'। बेरागी. वं. रागी-देखो 'वंरागी'। बेराग्य-देखो 'वैराज्य' राजी
1
राजी-देखो 'राजी'
वेराणी (मी), वेरावली (बो)-देखो 'वैराणी' (यो) । वेरासती स्त्री० वैमनस्य, मनोमालिन्य |
वेराह देखो वेराह' | बेरि बेरी बेर
बेलग
१ देखी
वेफिकरी- देखो 'बेफिक्री' । वेम-पु० [सं०] १ वेग, जोश । २ बार, दफा ३ देखो 'बेम' | बेरौ - पु० १ बड़ा कूप, कूश्रा । २ देखो 'बेरौं' । चैम-देखो 'हम'
वेळ
-
समान तुल्य २ प्रत्यधिक ज्यादा
मन- देखो 'बेमन' ।
·
बेमाता, वे माता, वे माता स्त्री० [सं० विधातां] १ विधाता, ब्रह्मा २ बच्चों के भाग्य का लेख लिखने वाली एक काल्पनिक देवी ।
पु० १ समुद्र, सागर । २ तरंग लहर, हिलोर ३ गले का प्राभूषरण विशेष । ४ विशेष प्रकार की अंगूठी । ५ पागलपन । ६ आग, अग्नि । ७ तरंग, उमंग । ८ देखो 'बेल' । ६ देखो 'वेळा' । १० देखो 'वेल' |
बेमार, बेसार देखो 'बीमार'
बेमुख - १ देखो 'बेमुख' । २ देखो 'विमुख' ।
स्त्री० प्रसव देने की स्थिति वाली मादा पशु । वय - १ देखो 'वेद' । २ देखो बेय' ।
वेदकाल पु० [सं० वेदकाल ] भोगने का समय डूबे ० एक पर्वत का नाम
वेण ( णा णि णी) -१ देखो 'वचन' २ देखो 'वेदना' । वेयहद ( दी ) - १ देखो 'बेहद' । २ देखो 'बेहद' । arraa (ख) - वि० [सं० वैयावृत्य ] १ वयोवृद्ध, गुणवृद्ध ।
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२ देखो 'वेळा' |
बेल ५० १ फूए के पानी का खेत में जाने वाला बहाव २ एक प्रकार का लघुकाव्य । ३ रेखा, लकीर । ४ चैत्र कृष्णा द्वादशी का व्रत विशेष । ५ देखो 'बेल' । ६ देखो 'बहल' | ७ देखो 'वेळ' ।
वेल (की) स्त्री० मिट्टी का एक बर्तन विशेष ।
(ख) पु० [सं० बेल] बारा का फर, दुखस्थान वेलड़, वेलड़ली, वेलड़ि (डी), वेलडली, वेलडि, वेलडी - स्त्री० १ मिट्टी का एक पात्र विशेष । २ लता, बेल !
वेलण स्त्री० १ नींद में, स्वप्न में या प्रचेतावस्था में बकने की
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बेलिय
क्रिया या भाव। २ देखो 'बेला' ।
बेलगियो - वि० नींद में बड़बड़ाने वाला। -पु० १ रहट के चक्र के लट्ठ े में लगने वाला डंडा २ देखो 'बेलण' । वेल (बी) - क्रि० १ तड़फना, छटपटाना। २ नींद में बड़बड़ाना। ३ अनर्गल प्रलाप करना । ४ देखो 'बेलरणी' (बो)। वेलदार देखो 'बेलदार' ।
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( ६६२ )
वेळा वेळा स्त्री० [सं० वेला ]
२ सीमा, हद। ३ रात व दिन का चोबीसवां भाग । ४ समय, वक्त, काल । ५ पल । ६ अवकाश, फुर्सत । ७ अवसर, मौका बार दफा, मर्तबा ९ देर सिंग १० देखो
,
'वेळ' |
१ समुद्र तट या किनारा
वेळा फूळ. वेलाकूल, वे लाकूल पु० बंदर, वानर । बेलालुवर (स्वर) - पु० मृत्युकालीन वर
वेला स्त्री० १ जन्म, जीवन २ कष्ट, संकट ३ देखो 'वेळ' | ४ देखो 'वेळ' |
"
वेवणी व वरणी-देखो 'बेवणी' ।
dant (ब) - देखो 'वहणी' (बो) । बेबना-देयो 'वेदना' ।
वेळा
वेळात, बेलाइत - पु० समुद्र, सागर । क्रि० वि० उचित वेवलियों, वेवली, वेबल्यो-देखो 'बेवली' । समय पर । देवाण - देखो 'विमान' | वेला देखो 'विसावळ' २ देखो 'वेळावळ वार्ड व वार्ड-१ देखी 'बेबाई २ देखो 'थाई' ३] देखो 'वेळापूळ' | वाणी (बी), वाणी (बी) देखो 'पहाणी' (बी) संभाळ - वि० प्रचेत, असावधान, बेसुध लापरवाह ।
1
वेस वे स० [सं०] [वेश] १ पहनने के वस्थ, पोशाक, देश
२ विशेष प्रकार का पहनावा । ३ रंगमंच के पीछे का स्थान । ४ भीतर जाने का रास्ता, प्रवेश द्वार ५ वेश्याओं का मुहल्ला । ६ वेश्या का घर । ७ शरीर. देह ८ स्थिति, हालत अवस्था । ९ रूप, सौंदर्यं । १० रूप, स्वरूप । - वि० १ श्रेष्ठ, बढिया । २ देखो 'बेसर' । ३ देखो 'येस्पा' ४ देखो 'देस्य' ५ देखो 'वयस बेसकार पु० [सं० देवकार] वस्तु पर सुरक्षार्थ लपेटा हुधा
वेळवळ, बेलापु० १ समुद्र सागर २ देखो 'बिळावछ'।
वस्त्र ।
वेळावळधी, वेलावलधी-स्त्री० लक्ष्मी, कमला ।
बेस (न), पेस-देखो 'दसरा'।
1
वेळावसेक वेळा विसेक (ग) वे. लावसेक, वे. लाविसेक - पु० एक बेसरिणयो, वे सणियों पु० बेसन का बना खाद्य पदार्थ विशेष । -शिशु रोग विशेष
(बी) देखो बैठणी' (बी)
बेसनर, वेसम्मर - देखो 'वैस्वानर' । बेसबार देखो'सार'।
वेलातर (तरु) - पु० एक प्रकार का शाक | वेळाधिप वेळाधिपत ( पति, पती) - पु० दिनमान के पाठवें भाग का अधिपति देव ।
वेळापत-देखो 'विलायत' ।
वेळापुळ (पूळ) - पु० धच्छा मुहूर्त' शुभ समय ।
वेसाळ लाल पु० १ पवन हवा २ समुद्र सागर ।
वेळाहरण बेलाहरण-० समुद्र, सागर ।
वेलि - १ देखो 'बेल' । २ देखो 'बेली' । ३ देखो 'वेळा ' बेलियो-१ देखो 'बेलियो' देखो'बलियो' । येली-१ देखो 'बेसी' २ देखो''
(सु)-१ देखी 'बाळू' २ देखो 'वेळू' ३ देखी 'व्याळू'। वेळका, वेलुका- देखो 'बाळू' ।
बेळू, वेलू. वेळू - वि० १ व्याकुल, बेचैन, विह्वल । २ सहायक, मददगार । ३ देखो 'बाळू' । ४ देखो 'व्याळू' । ५ देखो 'वेळा' | वेळो । । वेल-०१ कोच पक्षी २ एक अन्य पक्षी विशेष ३ कष्ट, विपत्ति, संकट । ४ वंश। ५ प्राकार, बनावट,
प्रकृति । ६ पूजा पात्र, पूजा पात्र पर बांधने का कपड़ा । ७ देखो 'वेळा' । ८ देखो 'बेळो' ।
वस्या १ देखो 'बैन' २ देखो 'वेळ' वेल्हणौ (बो) - क्रि० १ चीरना, फाड़ना। २ दल के विभाग करना । ३ पृथक करना, दूर करना । ४ हटाना । 'बेली' (यो) । ६ देखो 'वेली' (बी) ।
५ देखो
वेल्हा-१ देखो 'बेळा' । २ देखो 'वेला' । वेव-देखो 'वेग' |
वेवक्त बेवगत - देखो 'बेवक्त' ।
वेबड़ी पु० १ एक प्रकार का बर्तन २ देखी 'बेवड़ी' २ देखो "बेडौँ' ।
,
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वेसम- देखो 'वेस्म' ।
वेसयुवति (ती) - स्त्री०
बेसर
(रु, रू) - स्त्री०
बेसलूक
वेसभूसा - स्त्री० [सं० वेशभूषा ] १ पहनने के वस्त्र पहनावा विशेष पोशाक २ सजावट व सज्जा के लिये पहनने के वस्त्र ।
,
'बेसर' ।
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[सं० वेश युवती ] वेश्या, रण्डी । [सं० वेश्वर ] १ खच्चर । २ देखो
बेसरम देखो 'बेसरम ।
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वेसलूक ( ग ) - वि० [फा० बे सलूक ] १ बिना ढंग का, तौर
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सवनिता
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( ६६३ )
बेसवारी देखो 'बेसवार' ।
बेसवास, बेसी० देश्या, रण्डी
वेसांमी, वेसांमी-देखो 'विस्रांति' ।
बेक देखो 'बहरू, बेहक' ।
बेसाली (पी), बेसावरी (मी) क्रि० १ उत्पन्न करना, व्याप्त बेहकरणी (बी) देखो 'बहकणी' (बी)।
करना । २ देखो 'बैठाणी' (बो) ।
तरीका रहित । २ बिना, संबंध या रिश्ते का । ३ अव्यबहारी । ४ बेचैन, उद्विग्न ।
बेलवनिता स्त्री० या रण्डी ।
स्यांगना, स्था- स्त्री० [सं० वेश्या ] १ वह स्त्री या स्त्री समुदाय जो धन लेकर संभोग कराती हो, रण्डी, वेश्या, पातर । २ परी, अप्सरा । - गांमी, रत-पु० वेश्या के यहां जाने वाला, वेश्या से प्रेम करने वाला हटो पु० वेश्याओं का मुहल्ला ।
बेसवार १० १ पिसे हुए नमक, मिर्च, धनिया प्रादि मसाले ।
२ एक प्रकार का पकाया हुधा मांस ।
बेसारखीच पु० मोठ का मिरा एवं नमक, मसाले यादि बेह- पु० [सं० वृद्धि] १ विवाह बेदी के चारों पर रखे जाने डाल कर बनाया बाजरी का खीच ।
वाले पात्र, पात्र समूह । २ विवाह वेदी । ३ मंगल कलश । ४ विधाता सर्व० १ वह, वे । २ देखो 'वयस' । ३ देखो 'वे माता' । ४ देखो 'वेध' ।
बेसार - पु० विश्वास, भरोसा एतबार । वि० १ बिना सार का तत्त्वहीन, निस्सार २ तलवार रहित
३प
रहित ।
वेसास - १ देखो 'विस्वास' । २ देखो 'बेसास' । -घात= 'विश्वासघात'।
-
सुब- देखो 'बेसुध' | सुद्धि, सुधी- देखो 'बेसुध'
बेसुमार देखो बेसुमार' ।
बेसास बेसासड़ो-देखो 'विश्वास'।
सासरण (बी) देखो 'विश्वास' (बी)
बेसास (सौ) देखो 'विश्वास'
।
।
बेसि, बेसि १ देखो 'वयस' २ देखो 'बेस' ३ देखी 'वेस्पा' ४ देखो 'वेय'।
,
वेसी वेसी वि० १ येश धारण करने वाला, वेश धारित २ देखो 'बेसी' |
बेसूर - देखो 'बेसऊर' ।
वेल (लो) वि० १ निष्कंटक २ बिना दर्द ३ पार असीम । ४ प्रमर्यादित ।
बेस्टर (न) - पु० [सं० वेष्टनं ] १ कोई वस्तु प्रादि लपेटने का कपड़ा । २ लपेटने की क्रिया या भाव। ३ घेरने की क्रिया या भाव। ४ पगड़ी, साफा । ५ नृत्य का एक भाव । ६ घेरा पाहता ।
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वेब, बेहड़, बेहड़ी, बेहडउ, बेहडु, बेहड्डू, बेहडी - १ देखो 'वे'डो' २ देखो 'देसी'
बेहण० [सं० विद्याला] ब्रह्मा, विधि
बेहरा, बेहली वि० [सं० वेधनकम्] घेवन करने वाला, बेधने
वाला ।
नेहाल
ही (बी) कि० १ चालू होना चालू रहना २ डरना, भयभीत होना । ३ चलना । ४ देखो 'बहणी' (बी) । ५ देखो 'वेधणी' (बो) |
वेहन, वहनड़ी- देखो 'बहन' ।
बेहमाता बेहमाता देवो'माता'।
बेहत ५० एक पौष्टिक पदार्थ विशेष
बेहब, बेहदो (६) पु० १ सर्वशक्तिमान ईश्वर, परब्रह्म । २ स्वर्ग बैकुण्ठ ३ ब्रह्मपद निर्वाण ४ ब्रह्म से । । साक्षात्कार का प्रानन्द । ५ संत भक्त । ६ धनहद नाद | ७ योग, समाधि, सत्य ६ ज्ञान। वि० १ ज्ञानी, पंडित २ इच्छुक, जिज्ञासु । ३ प्रसीम, प्रपार, बेहद ।
बेहर स्त्री० [१] काटना या चोरना किया, कतरन २ भोजन, खाना क्रिया ।
बेहरणी (ब)- देखो 'बेरणी' (बो) । बहराणी (बी) देखो बेरा' (बी)।
वेसो-देखो 'सौ' ।
वेस्टक - वि० [सं० वेष्टक] १ चारों धोर से ढकने या प्रवृत्त वेहळ (ल-स्त्री० १ ढोलियों की एक शाखा । २ देखो 'बेहल' । करने वाला । २ घेरा डालने वाला ।
३ देखी 'बहल' |
वेहलि (लो) - क्रि० वि० १ शीघ्र, जल्दी । २ देखो 'वेहल' । वेहलियौ देखी बैल' ।
वहां स्त्री० १ वृद्धावस्था, बुढापा । २ देखो 'विहांण' । वेहा- देखो 'विधाता' ।
बेस्म पु० [सं० वेश्म | घर, गृह, मकान ।
वेहार-स्त्री० १ काटना क्रिया, कटाई । २ बिहार ।
बेस्य - पु० [सं० वैश्य ] १ व्यापारी, बनिया । २ व्यापारी वर्ग । वेहारी - १ देखो 'विहारी' । २ देखो 'व्यवहारी' ।
३ वैश्य जाति ४ कोई वंश्य
बेहाल - देखो 'बेहाल' ।
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बेहो
देही- पु० बदला, प्रतिकार, प्रतिशोध ।
- देखो 'ब' ।
गावित्री, कार्यकुशल स्त्री, मूर्खा ।
गळ-देखो''
बेकेंड कुठ देखो कुट
.
कति पंती ० १ रिक्त, बासी २ विकार, विकृति
बेंग - स्त्री० १ चाल, गति । २ पानी का बहाव । ३ पानी का रास्ता - वि० पागल ।
छो- पु० बंटवारा, हिस्सा
डाक- देखो 'बैंडाक' ।
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(a), (बो), वं चरणो (बौ) - देखो 'बेंचणी' (बो) । बँचालो (बो), पंचावणो (बो), पाणी, पं. चावणी-देखो
'बा' (बी)।
(१४)
3
।
वि० [सं० वितुष्ड] (स्त्री० बैंडी) १ दातार, उदारचित २ मौजी मस्त भूत, विचित्र । प्रद्भुत, ।
अनोखा ४ देखी
'बंडो' ।
बैठा-१ देखो 'बहन' २ देखो 'वचन' ।
। ६
०१ रोडिंग उपाय २ प्रकार ३ हिसाय किताब । ४ माप-नाप । ५ बनाबट रचना व काबू नियंत्रण ७ चिन्ता, दुःख । ८ तरह, भांति । ९ देखो 'बेंत' । १० देखो 'वैत' ।
1
ant (at), वैतरणी (बो) - देखो 'बेंतणी' (बी) । बेताली (बो), बतावणी (बी),
तावणी (ब) - देखो
'ताण' (बो)।
बेन न देखो 'बहन' २ देखो 'वचन'।
वैम, वै'म देखो 'वहम' ।
मी, मी, मीसो-देखो 'हमी' (स्वी० मीली) ह - देखो 'वे' ।
चरणौ (बी) - देखो 'बैंचणी' (बी) ।
।
बेचारी (बौ), हचावरणी (बौ) - देखो 'बंटारणी' (बो) । बै० १ श्रीकृष्ण का एक नाम। २ स्वर्गलोक ३ पति खाविद । ४ मालिक, स्वामी । ५ स्वीकृति सूचक अव्यय safa - क्रि०वि० १ निश्चय ही २ हो । ३ भी । ४ देखो 'वयस' । ५ देखो 'वे' । देखो 'वेस्य' ।
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कटिक० जोहरी
'की (ब) देखो 'बहकरणी' (बौ
वैकररण- पु० [सं० वैकर्ण] १ वात्स्यमुनि । २ एक प्राचीन
जनपद ।
देखो 'विकल' बैंकल्प देखो 'विकल्प' ।
वैकल्पिक वि० [सं०] १ ऐहिक २ संदिग्ध कल् पु० [सं०] १ म्यूनता, कमी
वैकल्य
३ व्याकुलता ।
काळ- पु० प्रपराह्न या संध्याकाल । बँकुडनाथ (नायक) देखो 'कु'नाथ' ।
कुपु० [०] १ भगवान श्रीविष्णु २ स्वर्ग ३ देवराज इन्द्र का एक नाम। ४ तुलसी का नाम । ५ एक देवगण विशेष । नाथ, नायक, पत, पति, पती- पु० भगवान श्री विष्णु लोक पु० स्वर्गलोक, गोलोकवासी पु० विष्णु । स्वर्ग के निवासी ।
कुटवास-पु० [सं०] १ श्रीविष्णु का एक नाम । २. स्वर्ग ।
।
३ स्वर्ग में निवास । ४ निर्वाण पद ।
बंगो
२ विकलांग, लंगड़ापन
पंकु विलासी पु० [सं०] विष्णु, ईश्वर
कुठि, बंकुडी-स्त्री० १ पालकीनुमा शवयान रथी, घ
।
२ कुठ ।
कूट, बैठ-देखो 'वैकु ंठ' । नाथ' वैकु ंठनाथ' । वैऋत-देखा 'विऋत' ।
क्रांतमणि (मरणी, मिरण) - स्त्री० [सं० वेक्रान्त मरिण ] एक
प्रकार का रत्न ।
यंग - देखो 'वेग' | बंगरणी - वि०
कंड-देखो 'बँकुठ' - नाथ'वैकुडनाथ' पत, पति बंगलेव पु० भूतों का एक गा वासी 'वं कुठवासी' । वंगण देखो 'वेग' ।
'वैकु ंठपति' पंकज, वैकक्षक, वैकक्षिक-स्त्री० जनेऊ की तरह पहनी जाने बंगाळ, बंगागळी-देखो'गळ' वंगी, वंगी - देखो 'बंगो' (स्त्री० [वंगी)
वाली माला ।
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क्रिय - वि० जिसमें छोटे-बड़े धनेक रूप बनाने की क्षमता हो । त्रियलब्धि-स्त्री० छोटे-बड़े अनेक रूप बनाने की सिद्धि । यसरी पु० [सं० वैशरीर १ देव और नारकी जीवों का शरीर । २ हाड-मांस से रहित शरीर । खरी स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का नाद (स्वर) | २ बाशक्ति ३ वाग्देवी सरस्वती ४ बोलने की शक्ति । प्राश्रम पंखांनस (सि, सी) पु० [सं० वंधानः] १ वानप्रस्थ an में पहुंचा व्यक्ति । २ भगवान वराह का एक नाम। ३ एक प्राचीन राजा । ४ एक प्रकार के ब्रह्मचारी या तपस्वी ।
1
प्रबंधक, व्यवस्थापक २ देखो 'बेगरणी'
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( ६६५ )
बड़-देखो 'बे'ई'।
बरगवी-स्त्री० [सं०] १बंशलोचन । २ वंशीवादक । ३ शिव बड़ो'बड़ो-१ देखो ब'हो' । २ देखो 'सो' ।
महादेव । वंचरणी (बी), चरणी (बी)-१ देखो 'बैचरणो' (बो) । २ देखो | वैरणसगाई-देखो 'वयणसगाई'। 'बेचणी' (बी)।
वैणा-देखो वीणा'। वैचाणो (बो) वैचावणो (बो)-१ देखो 'बचाणो' (बो) ।
वैणावरणी-स्त्री० बोलचाल, वालिप । २ देखो 'बेचाणो ()।
वैणि, वणी-१ देखो 'वेणी' । २ देखो वहणी' ।
वैणी-पु० बढ़ई का एक मौजार विशेष । वछंग-वि० चपल, चंचल, उच्छखल ।
वै'णो (बो), वेणी (बी)-१ देखो 'वहणों (बी) । २ देखो वैछारणो (बो!,वछावणी (बी)-देखो 'बिछाणी' (बी)। वैजतीमाळ (माळा)-देखो 'वैजयंतीमाळा' ।
___'होणो' (बी)। वैजनाथ-देखो 'वैद्यनाथ'।
वैत, वैत-पु० १ वाहन, सवारी । २ ऊंट । ३ समास व वैजभ्रत-पु० [सं० वैजभत] भगुकलोत्पन्न एक गोत्रकार । अनुप्रासों से युक्त गद्य-पद्य की रचना । ४ नियम । ५ प्रण, वैजयंत-पु. [सं०] १ देवराज इन्द्र । २ इन्द्र का राजभवन ।
प्रतिज्ञा। ६ दांव, पेच । ७ गुरुमंत्र । ८. लता, बेल । ३ इन्द्र का ध्वज । ४ झंडा, पताका । ५ घर, मकान ।
९ देखो 'वैत' । १० देखो 'बेत' । ६ क्षीरसागर के मध्य का एक पर्वत ।
वैतणौ (बी), वै.तणी (बी)-देखो 'बेतणो' (बी)। वैजयतिक-पु० [सं०] ध्वज उठाकर चलने वाला।
वैतर-१ देखो वेतरु' । २ देखो 'व्यंतर'।
वैतरणि, वैतरणी-स्त्री. १ उड़ीसा प्रान्त में बहने वाली एक वैजयंती-स्त्री० [सं०] १ वजा, पताका, झण्डा। २ चिह्न
नदी। २ गंगा का एक नाम । ३ नरक की एक नदी। लक्षण । ३ एक प्रकार का पौधा।
४ दान की जाने वाली वस्तु । -इग्यारस, एकादशी, वैजयंतीमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० वैजयंतीमाळा] १ मोती ग्यारस-स्त्री. मार्गशीर्ष कृष्णा एकादशी। मादि का हार । २ गले से घुटनों तक लंबी पचरंगी माला
वैतरणी (बी), वंतरणो (बो)-देखो 'बेतणी' (बो)।.. ३ भगवान विष्णु की विजय माला ।
वंतवार-वि० मूर्ख, नासमझ । बैंजो-पु. घोड़ों का एक रोग विशेष ।
वैतांडारूपा-स्त्री० विकृतरूप धारण करने वाली देवी। वंश-देखो 'वेढ'।
बैताढ्य, वैतादयगिरी-पु० एक पर्वत का नाम । वैडणी (बो)-देखो 'बढणी' (बी)।
वैताणो (बी)-देखो 'बेंताणो' (बी)। वैडूबो-पु. खराब कलिन्दा।
बैताळ (ल)-देखो 'वेताळ' । बंडूर्य, वैदूर्यमरिण (मण)-देखो 'वैदूरचमणि' ।
वैताळरस, बैतालरस-पु. एक प्रकार की रसौषधि । बैडोच्योड़ी-वि० विचलित, अधीर ।
वैताळिक, वैतालिक-पु० [सं० वैतालिक] . भाट, बंदोजन । बड़-देखो 'वेद'।
२ मदारी । ३ ऐन्द्रजालिक, मायावी । ४ वेताल के बढ़क-देखो 'वेढक'।
उपासक। वंदगरौ (गारी)-देखो 'वेढीगारों'।
बताळी-पु० [सं० वैताली] १ स्कन्द का एक अनुचर। २ देखो वंदणीबी)-देखो 'वेढणो' (बी)।
'ताल'। बढीमरण (मणो)-देखो 'वेढीमरणो'।
वैताळीस-देखो 'बयाळीस'। वैरण-पु० सं० वचन] १ स्तुति, वन्दना । २ देखो 'बेण'। वैलियांण-वि० समर्थ, शक्तिशाली । _३ देखो वीण' । ४ 'वीणा' । ५ देखो 'वचन'। वैतुल-पु० घोड़ा, प्रश्व। वणउंड, बरगदंड-पु० [सं० वेणीदंड] १ एक प्रकार का सर्प । | वैत्रासुरतंडळ (ल)-पु० [सं० वृत्र+रा० तंडल] इन्द्र का एक २ देखो 'वेणीदंड'।
नाम । वैरणन-पु. [सं० बैणनः] श्वान, कुत्ता ।
वैथी-देखो 'बेथो'। वैरणव-वि० [सं०] बांस का, बांस संबंधी। -पु० १ बाम का | वैदंग (गी)-पु० १ वैद्यक, चिकित्सा । २ देखो 'वेदग्य' ।
बीज या फल । २ विश्वामित्र के वशज एक गोत्रकार । वैदगर-१ देखो 'वैद्य' । २ देखो 'वेदग्य' । ३ यज्ञोपवीत के समय धारण किया जाने वाला बांस | वैव, वैद-पु० [सं०] १ विद ऋषि के एक पुत्र का नाम । का दण्ड ।
२ देखो 'वैद्य'।
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ववक
वरंग
वैदक-वि० १ जानकर, ज्ञाता। २ देखो वैदिक' । ३ देखो गण । ३ एक इन्द्र । .. __वद्य'।
वन, वनड़, वनस्ली बनड़ी-१ देखो 'बहन' । २ देखो 'वचन'। बैदथिन-पु० [सं०] एक प्राचीन ऋषि ।
वैनतीय, वैनतअ, बैनतेय-पु० [सं० वैनतेय] १ विनता पुत्र वैवरम (म)-पु० [सं० वैदर्भ] १ रुक्मिणी के पिता का नाम । | गरुड । २ गरुड़ की एक संतान । . २ दमयंती के पिता। ३ विदर्भ नामक प्रदेश । ४ विदर्भ | वनहोत (होतर, होत्र)-पु० एक राजा का नाम । के राजा भीम।
वैनासिक-पु. फलित ज्योतिष में नक्षत्र विशेष । वैवराज-देखो 'वंद्यराज'।
वनीत-१ देखो 'बेनीत' । २ देखो 'विनीत' । वैवल-पु० १ परांठा । २ द्विदल अन्न । ३ भिखारी का पात्र। | वैन्य-पु० [सं०] १ भृगुकुलोत्पन्न एक मंत्रकार । २ राजा पृथु । वैदही-देखो 'वैदेही।
३ अत्रि ऋषि का एक नाम । वैदाणी (नी)-देखो 'बनाणी'।
वैपार, वै.पार-देखो 'व्यापार' । वैदिक-वि० [सं०] १ वेदों में वरिणत, वेदोक्त। २ वेदोक्त कार्य | पारी, वै पारी-देखो व्यापारी' । ___ करने वाला । ३ वेदज्ञ । ४ वेदों से सबंधित।
वैफुल, वैफुली-देखो बहफुली' । वैदूरच, वैदूरघमणि (मणी)-स्त्री० [सं० वंदूर्यमणि] १ हरे रंग | वैभव-पू० [सं०] १ ऐश्वर्य, सम्पत्ति । २ धन, द्रव्य । ३ महिमा, का एक रत्न विशेष । २ लहसुनिया नामक रत्न विशेष। ।
महत्व । ४ सामर्थ्य, शक्ति। ५ कार्य, धंधा, व्यवसाय । वैदेह-पु० [सं०] १ विदेहराज जनक । २.वैश्य या व्यापारी।
६ प्राधिक्य, बहुतायत । -बान-वि० ऐश्वर्यवान, सम्पत्ति३ ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न वैश्यपुत्र ।
शाली, शक्तिशाली, व्यवसायो । साळी, साली-वि० वैदेही-स्त्री० [सं०] १ जानकी, सीता। २ विदेह कुलोत्पन्न ऐश्वर्यवान, धनवान , सम्पन्न । कोई कन्या । ३ पिप्पली।
वैभवता-पु०१ सम्पन्नता, समृद्धि । २ सम्पत्ति या धन की वैध-वि० [सं०] १ वेद का, वेद संबंधी । २ चिकित्सा संबंधी ।
अधिकता। ३ चिकित्सक । ४ विद्वान, । शास्त्राचार्य। ५ सब विद्यानों
वैमाखण (वैमीखण)-देखो 'विभोसण' । का ज्ञाता। -पु. १ विद्वान, व्यक्ति । २ प्रायुर्वेद शास्त्र के
वैभार-१०वहार नामक पवत । अनुसार चिकित्सा करने वाला व्यक्ति । ३ एक जाति या
वैभीसणि, वैभीसरिण (रणी)-पु० १ विभीषण को एक पुत्र । वर्ग विशेष । ४ भगवान विष्णु। ५ एक देव । ६ वरुण |
म २ देखो "विभीसण'। . . का एक पुत्र ।
व'म.वैम-पु. १ संबंध, लगाव, गरज । २ देखो 'वहम'। वैद्यक-पू. १ चिकित्सा शास्त्र । २ बहत्तर कलाओं में से एक ।'
वैमनस्य-पु० [सं०] १ शत्रुता, वैर, दुश्मनी । २ उदासी, ३ देखो 'वेदग्य'। ..
शिथिलता। वैद्यकक्रिया-स्त्री. १ स्त्रियों की चौसठ कलामों में से एक ।
| मांणी. माणीक, वैमांणीय, वैमानिक-वि० [सं० वैमानिक] २ चिकित्सा । ।
१ विमान संबंधी, विमान का। २ पाकाशचारी । -पु०१ वैद्यगी-स्त्री० वद्य का कार्य, चिकित्सा ।
विमान चालक । २ विमान का यात्री । ३ एक प्राचीन वैद्यनाप-पु० [सं०] १ बंगाल का एक प्रसिद्ध तीर्थ । २ धन्वन्तरी।
तीर्थ । ४ वैमानिक देव । ३ शिव का एक प्रवतार । ४ शिव के द्वादश ज्योतिलिगों
वैमार, वैमार-देखो 'बीमार'। - में से एक ।
वैमितरा, वैमित्रा-पु. [सं० वैमित्रा] १ स्कन्द की अनुचरी वैद्यराज-पु० [सं०] अच्छा वंद्य, राज्य वंद्य।
एक मातृका । २ सात शिशु मातामों में से एक। वैधिक-देखो 'वैद्यक'।
वैमुख-देखो 'विमुख'। वैद्रमा, वैद्रवा-देखो 'विदरभा'।
वैयर-१ देखो 'बैर' । २ देखो 'वर'। वैधव वैधव्य-पु० [सं० बंधव्य] विधवा होने की अवस्था,
वयस्व-पु० [सं० वयश्व] एक चायं । । विधवापन ।
वैयायिक-पु० [सं०] १ दर्शन, सिद्धान्त । २.एक क्रूर देव। बंधी-पु० [सं० वेधिन्] शत्रु, दुश्मन ।
वैयार-देखो 'व्यवहार'। वैधीकरण-पु० कुन्ती पुत्र अर्जुन।
वैयावच, यावच्च (वत, वत्य)-० [सं० वैयावृत्य] एक प्रकार वंत, वैधति, बघती, वैघ्रित (ति, सी)-पु० [सं० वैधृति] | का व्रत या तप विशेष ।।
१ फलित ज्योतिष के २७ योगों में से एक । २ एक देव । वैरंग (गो) वैरंग-१ देखो 'विरंग' । २ देखो 'बैरंग' ।
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बरंडेय
। ६६७ )
वैसपा
वरंडेय पु० [सं०] एक प्राचीन ऋषि ।
वैराडी-स्त्री. एक प्रकार की रागिनी। धर, वै.र-पु० [सं०] १बदला, प्रतिकार । २ विरोध, शत्रता, | वैराजी-देखो 'बेराजी'।
दुश्मनी। ३ फसल । ४ शत्रु, दुश्मन । ५ देखो 'बैर'। वैराट-वि० [सं०] १ विराट का, विराट संबधी। २ लंबा
-भाव-पु. शत्रुता, विरोध, मनमुटाव।-वैत्रासुर-पु० इन्द्र । चौड़ा, विस्तृत । ३ महान, विशाल । ४ भयंकर, भयावह । वरक, वैरक्क, वरख-पु० [सं० बेरम्] १ शरीर, बदन । २ हाथी, पु. १ इन्द्रगोप कीट, वीरबहूटी। २ विराट राजा का हस्ती । ३ शत्रु, दुश्मन, वैरी । ४ देखो 'बैरक' ।।
पुत्र, उत्तर । ३ धतराष्ट्र का एक पुत्र । ४ देखो 'विराट' । बरड़ी-वि०१ दोगला, वर्ण संकर । २ वर लेने वाला, बदला
५ देखो 'ब्रह्मरंध्र' । -रूप-पु० विष्णु या ब्रह्म का लेने वाला । ३ देखो 'वर' । ४ देखो 'बैरडो'।
विश्व रूप।
वैराणौ (बी)-देखो बैराणो' (बी)। वैरण (णि, णी)-वि० शत्रु दुश्मन, वैरी।
वैरात-देखो 'बरात'। वैरणी (बो)-देखो 'बैरणो' (बी)। बरता-देखो 'वैर'।
वैराय, वैरायत-पु० शत्रु, दुश्मन, वरी।
वैरि, वैरी-देखो 'वैरी'। वैरवाढ़ पु० विरोध शत्रुता ।
वरिण, वरिणि, वैरिणी-देखो 'वैरण'। वैरस-वि० बिना रस का, नीरस, सारहीन ।
वरिय वैरी, वैरीडी-पु० [सं० वैरिन्] (स्त्री०वैरण) शत्रु, दुश्मन । बरसुध-स्त्री० बदला, प्रतिकार ।
वैरीवाड़ो, वैरीवारी-पु० [सं० वैरी-पाटक:] १ शत्रुओं का वैरहर (हरण, हरि)-पु. शत्रु का वंशज, शत्रु। .
मुहल्ला, देश, निवास स्थान । २ शत्रुता । वैराण (न)-देखो 'वीरांन' । वैराई, राई-देखो 'बैगई'।
वैरीसाल-वि० शत्रु के लिए शल्य रूप । बराक-पु० चौथी बार निकाला हुमा तेज व बढ़िया शराब ।
वैरीहर-देखो 'वरहर'। वैराग, वैराग-देखो 'वैराग्य' ।
वैरोचन-पु. [स०] १ राजा बलि का एक नाम । २ सूर्य का वैरागढ-देखो 'वैरागर'। -
एक पुत्र । ३ अग्नि का एक पुत्र । ४ देखो 'विरोचन'। वैरागरण-स्त्री. १ विरक्त स्त्री। २ वैराग्य लिये हा या लेने | रोट-१ देखो "विराट' । २ देखो 'वैराट'।
वाली स्त्री। ३ सन्यासियों का एक काष्ठ का उपकरण । वैरी-१ देखो 'बेरौ' । २ देखो 'वरी' । ३ देखो 'वर'। वैरागणी (बी)-क्रि० । संसार से विरक्त होना । २ संन्यास
वल, वैल-१ देखो 'बहल' । २ देखो 'बैल'। लेना, साधु हो जाना। ३ ईश्वर भजन में लीन होना । | वैलडली, वैलड़ी बलड़ी-१ देखो 'बेल' । २ देखो 'बहल'। ४ किसी कार्य या वस्तु के प्रति विरक्त या उदास होना। वैलणी (बी), वलणी (बो)-१ देखो 'बेलणो' (बी)। २ देखो ५ त्यागना।
- 'वेलणों' (बी) । ३ देखो 'बैलणो' (बी)। वैरागर (गिर, गिरि, गिरी)-वि०१बहत गहरा । २ रिक्त, वैलवान-पु० महांकने वाला, रथचालक, सारथी।
खाली। -पु. १ खाली भूमि । २ गहरा कूमा। ३ हीरों बली-क्रि० वि० १ उस पोर, उस तरफ । २ देखो 'बहल'। की खान। ४ हीरों को खान वाला पर्वत। ५ एक देश | वैले, बैल-देखो वेल' । का नाम । ६ एक प्रकार का वस्त्र । ७ हीरा। ८ एक | वैल्व-पु० [सं०] बिल्व नामक वृक्ष, पत्ता या फल । अन्य प्रकार का रत्न ।
वैवतन-देखो बेवतन'। वैरागियो-१ देखो 'वैरागी' । २ देखो 'वैराग्य' ।
वैवस-देखो "विवस'। वैरागी, वैरागीयो-पु० [सं०] (स्त्री. वैरागण) १ संसार से | वैवस्त, वैवस्वत-पु० [सं०] १ सूर्य का एक पुत्र । २ एक रुद्र
विरक्त व्यक्ति। २ साधु, संन्यासी, महात्मा। ३ त्यागी का नाम । ३ शनि । ४ यम । पुरुष । ४ एक वैष्णव सम्प्रदाय । -वि० १ विरक्त, उदास वैवस्वती-स्त्री यमुना नदी का नाम । २ त्यागी।
वैवार, वै बार-१ देखो 'व्यवहार' ।२ दखो 'व्यापार'। वैराग्य-पु० [सं०] १ संसार, विषय वासना तथा भौतिक तत्वों | वैसंदर-देखो 'वैस्वानर'। . के प्रति विरक्ति, उदासीनता, घणा। २ संसार का त्याग
| वैसंधि (घो)-देखो 'वयसंधि'। एवं ईश्वर के प्रति तीव्र प्रासक्ति । ३ प्रसंतोष, अप्रसन्नता।
वसनर-देखो वैस्वानर'। ४ अरुचि, घृणा। ५ किसी के प्रति रागात्मक भावना का | वैसपा, बसपायन-पु० [सं० वैशंपायन] वेदव्यास के शिष्य एक प्रभाव ।
प्रसिद्ध ऋषि।
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स
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,
स स १ देखो वेस' २ देखो 'बेसर' ३ देखी 'वेस्या'। ४ देखो 'वैस्य' ५ देखो'
( ६६८ )
सास (सि) - देखो 'विस्वास' ।
सासणी (बी) - देखो 'विस्वासणी' (बी) | बेसिक पु० [सं० वैशिक] वैश्यागामी एक नायक । वैसी - स्त्री० १ वंश्य की स्त्री । २ एक प्रकार की गाथा । सणी - स्त्री० १ चार प्रकार की गाथानों में से एक। २ वैश्य वैसौ वि० १ जैसा कोई पहले था वैसा, उसके अनुरूप । २ उस की स्त्री ।
-
प्रकार का ।
वणव (बु.) [वि० [सं० वंध्य] विष्णु का, विष्णु संबंधी - पु० १ विष्णु का उपासक या भक्त । २ विष्णु का उपासक
बेसक -स्त्री० [सं० वेशक ] १ वेश्या, रंडी । २ देखो 'बेसक' | ३ देखो 'बैठक' |
सणी (बी) - देखो 'बैठणी' (बो) ।
सन- देखो विस्णु'
सनर देखो 'स्वानर
बेसन
१ देखो 'स्व' २ देखो 'विष्णु' ३ देखो' बैसो' सण- देखो बेसरणौ ।
सनो-देखो''।
सर दो'स्थान' ।
वैसयिक - वि०
[सं० वैषयिक] १ किसी पदार्थ का, पदार्थ संबंधी । २ लपट विषयो ।
लोण (न) - पु० [अ० बेस्जिन] मल्हम की तरह का एक स्निग्ध पदार्थ जो शीतकाल में त्वचा की सुरक्षार्थ काम में लिया जाता है ।
(ब) ० १ दफनाना गाड़ना २ देखो 'बैठाणी' (47) I साख-पु० [सं० वैशाख ] १ चैत्र के बाद माने वाला मास, महीना । २ बाण चलाने की एक मुद्रा । ३ घोड़ों का एक रोग । ४ मथ दंड । —नंदण, नंदन- पु० गर्दभ, गधा । वैसाखा - देखो 'विसाखा' ।
साख (खी) वि० [सं० वंशाखी] 'वैशाख मास का, वैशाख
राजा
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बेहवार
एक सम्प्रदाय । चाप-पु० सारंग नामक धनुष ।
-
स्त्री० [सं० वंशावी ] १ विष्णु को शक्ति २ देवी
दुर्गा । ३ गंगा । ४ लक्ष्मी । ५ तुलसी । ६ वैष्णव सम्प्रदाय की स्त्री ।
वैस्य
य-पु० १ व्यवसाय एवं उद्योग करने वाला एक वर्ग । २ बनिया, वनिक |
स्था देखो 'देस्या' ।
यंत्रण १० [सं०] वैधवस] १ शिव, महादेव २ धनपति, कुबेर । ३ लंकापति रावण ।
वैस्रवणाय, वैस्रवणालय - पु० १ कुबेर की अलकापुरी । २ वट
वृक्ष
स्वयुग १० विश्वासु धौर पराभाव नामक पांच संवत्सरों का युग ।
वैस्यानर पु० [सं० वंश्वानरः]
अग्नि की उपाधि २ इन्द्र सभा का एक महर्षि । ३ श्रग्नि का एक पुत्र । ४ जठाराग्नि । पाचन शक्ति । ५ वेदांत में चेतना शक्ति । ६ परमात्मा, ईश्वर । ७ प्राग, प्रथिन ।
स्वामित्र - पु० विश्वामित्र । वहंग देखो 'विहंग'।
वैचणी (बौ) - देखो 'बेंचरणों' (बो) ।
वैहंडणौ (बो) - देखो विडणी' (बो) ।
वह १ देखो 'यस' २ देखो 'विधाता' ३ देखो 'वे'माता' वणी (बौ)- देखो 'वही' (बो)।
वहतोवांण - १ देखो 'वंतियांरण' । २ देखो 'वहतीवांण' । हरणों (बी-देखो'री' (बी)
वैहराणी (बी), वंहरावणो (बी) - देखो 'बंराणी' (बी) । वैहळ, वैहल - वि० १ बिना हल का उपाय रहित । २ देखो 'बद्दल' ।
2
मास संबंधी स्वी० १ वंशाख मास की पूर्णिमा, एक पर्व दिन | २ वैशाख शुक्ला तृतीया, अक्षय तृतीया । ३ सौर मास की संक्रांति का उत्सव । पत्नी । ५ लंगड़े आदमी द्वारा बगल में लकड़ी को घोड़ी।
४
वसुदेव की एक
लेकर चलने की
साखो-देखो 'साथ'
साड़ी (ब), साणौ (बौ) - देखो 'बैठाणी' (बो) ।
बंसार देखो वानर'।
वैसारण - देखो 'सारिए' ।
सारणी (बी) देखो बैठा (बो
सारिणस्त्री० [सं०] वारिणः] मी
वैसाल-पु० [सं० वैशाल] १ राजा विशाल द्वारा बसाया हुधा वैहलणी (ब) - क्रि० बुझना । एक नगर । २ एक प्राचीन ऋषि ।
बहल, बैहली-देखो 'बहुत'।
-
सालिनी स्त्री० [सं० वंशाविनी] विशाल
"
राजकुमारी ।
कोहळा, हलौ वि० (स्त्री० [ळी हसी) १ दुःखी, व्यथित, व्याकुल । २ मत, उन्मत्त । ३ शीघ्र, तुरंत । हवार देखो 'व्यवहार' |
सावण (ब) - देखो 'बैठाणी' (बी) ।
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वहांयस
वहायस - वि० ग्राकाश का, आकाश संबंधी ।
हार देखो 'व्यवहार' |
हिली-देखो 'हलो' ।
हूँ हूँ, बैहू- देखो 'बेऊ' ।
,
बंकणी, (बी) pun (बी) देखो 'विसुको' (बी) |
बोंकार- देखो 'बोंकार' |
बोयें देखो 'वर्सि'।
वसूली-देखो 'वसूली'।
वैहासक, वैहासिक - वि० [सं० वंहासिक ] हंसी-मजाक करने बोम - देखो 'व्योम' ।
बाला, मसखरा, विदूषक
वो पु० १ विनय, प्रार्थना
२ सप्तस्वर ।
देवो 'बोबी' (दो)।
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३ समय, काल,
वक्त ४ पेड़, वृक्ष । ५ रथ का सारथी । ६ देखी 'वो' ।
वो
बोई- देखो 'वही' |
बोक-१ देखो 'वो' २ देवो''
( ६६९ )
योकणी (बी) देखो 'बोको' (बी)।
बोकारो (बी) - देखो 'वाकारणी' (बो) ।
बोकियो बोकी बोखी देखो 'बोधी' (स्त्री० [पोखी । वोखद, वोखदि, वौखदी, वोखध- देखो 'प्रोखध' |
बोड़रणी (बी) देखो 'बो' (बौ
वाणी (बी), वोडावणो (बो) - देखो 'बोड़ाणी' (बी) । बोचणी (बौ) - देखो 'बोचरणी' (बी) ।
बोछो-देखो 'घोडौं।
दोमर- देखो 'बोर' २ देखो 'भोर'। बोरियों, वोभरो देखो 'बोभरी' |
1
बोट-१ देखो 'घोट' २ देखो 'बोट'। वोटण (बौ) - देखो 'बोटगी' (बो) ।
बोड़-१ देखो 'वेट' २ देखो 'मोद'
air - स्त्री० १ सर्प को केंचुली । २ घोढ़ने का वस्त्र, चद्दर ।
बोरी (ब)- देखो 'बोटणी' (बो) |
बोड़ो वि० छोटा, कनिष्ठ
बोदो-देखो 'बोबी'।
वोपण (व) - देखो 'प्रोपणी' (बी) । वोपार, वोपार - देखो 'व्यापार' ।
बोपारी, दोपारी-देखो 'व्यापारी'।
यापारी देखो 'व्यापारी' |
बोबार पु० १ कन्या का संबंध करते समय वर पक्ष की घोर
से कन्यापक्ष को दिया जाने वाला धन । २ देखो 'व्यवहार'
1
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वोमकेस (केसी ) - देखो 'व्योमकेस' । वोमगंगा- देखो 'व्योमगगा' । दोमल
योतिलक देख बोतलक'। महादेव
दोपदेव
बोपट
पाठ० [सं० स्योम-पट] पाकाश मार्ग
वोमवार (वांगी) - स्त्री० [सं० व्योम-वारणी ] आकाशवाणी,
देव वाणी ।
श्रोमि देखो 'व्योम' ।
'वोर देखो 'प्रोर' |
वोरणी (ब) ० १ दाना तरबतर करना २ प्रोत-प्रोत
करना । ३ देखो 'बुहारणी' (बो) ।
बोराखौ (बी), बोरावणों (यो)- क्रि० १ डुबाना, तरन्यतर कराना । २ श्रोत-प्रोत कराना। ३ देखो 'बुहराणी' (बो) ।
वोरो, वो रो, वोरो-देखो 'बो'री' । बोळी (ब) १ देखी 'बोळी' (बी) २ देखो 'बोली' (बौ बोललो(ब) १ देखो 'बोनस' (यो) २ देखो 'बोळा' (बो)। वोळाऊ वोलाऊ - देखो 'वोळावी' ।
वोज - स्त्री० १ खाट की बुनावट २ देखो 'बोझ' । योजनीलो पु० एक विशेष रंग का घोड़ा।
घोजलखी - पु० शुभ रंग का एक घोड़ा ।
योमाड़ी पु० १ भटका २ प्रहार चोट दि० प्रहार करने बोबो बो कि० बरसना
वाला ।
बोहरी
बोळाणी (बो), बोळावली (बी) देखो 'बोळाणी' (बी)। वोलार (ब), बोलावणी (बी) - १ देखो 'बुलाणी' (बी) । २ देखो 'वळण' (बी)।
शेळी बोळळावी देखो 'बोळायो । बोळी-बोळी, वोल्वो देखो 'घोळी-दोळी' । वोल्लाह - देखो 'बोल्लाह' ।
वोवार १ देखो 'व्यापार' । २ देखो 'व्यवहार' ।
-
दोदो पु० करये का एक उपकरण विशेष । -go
वोसर (बौ) - क्रि० १ छोड़ना, त्यागना । २ देखो 'बिसरणी'
(at) 1
बोराणी (बौ), बोसरावणो (बी) क्रि० १ स्थाग कराना, छुड़वाना । २ देखो 'विसराणी' (बी) ।
वोसरु ( रू ) - पु० [सं० व्युत् संसगं] त्याग, परित्याग । वोह देखो 'मोह'।
वोहणी (बौ) - देखो 'बहोडणी' (बी) । (बो) - देखो 'बहोड़ाणी' (बो) ।
वोहड़ा
बोहत देखो 'बहुत'।
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वोहतपत ( पति, पती) - पु० पाण्डु पुत्र अर्जुन का नाम । दोहनाभी देखा 'बहुनामी'
वोहरौ-देखो 'बौ'रौ' ।
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वोहळणी
( ६७० )
व्यंजनहारिका
वोहळणी (बी)-१ देखो 'बोळणो' (बी) । २ देखो बोहळणी' मरवाना । ११ खर्च करना, कराना । १२ ठगाना । १३ (बी)।
लौटाना। १४ देखो 'बोळारणो' (बी)। बोहळाणो (बी)-१ देखो 'बोहळाणों' (बी)। २ देखो | वोलाणी (बी), बोलावणी (बी)-देखो 'बुलाणो' (बी)। 'वोळाणी' (बो)।
बोळावरणी-स्त्री० १ विदा करना क्रिया । विदाई। २ गणगौर घोहळो-देखो 'बो'को'।
__की विदाई का दिन । ३ मृतक की अंत्येष्टि । बोहार-देखो 'व्यवहार'।
वोळावी बौळावू. बोळावी-पु. १ विश्राम स्थल । ठहरने की बोहि, वोहित, वोहिति (ती) बोहित्य, बोहिथ-१ देखो
__ जगह । २ ससम्मान विदाई। ३ सुरक्षार्थ यात्रा में साथ ___ 'बोहित्य' । २ देखो 'बहुत'।
रहने वाला व्यक्ति, राह-रक्षक । ४ देखो 'बुलावो' । वोही-देखो वहीं'।
| बोळहाणी (बी), वौळहावरणौः (बी)-देखो 'वोळाणो' (बी)। वोहोत, वोहो-देखो 'बहुत'।
२ देखो 'बोळाणो' (बी) । वौ-पु. १ पत्ता, पान । २ तलवार, खड्ग । ३ पुत्र, बेटा। वोल्हाणो (बो), वोल्हावणो (बौ)-देखो 'बुलाणो' (बी)।
४ जुलाहों का एक प्रोजार ।-सर्व० १ वह । २ उस । वोल्हावी-१ देखो 'वोळावो' । २ देखो 'बुलावो' । बोगर, बौधर-पु० बाघ के शरीर की गध।
बौवारियो-देखो 'व्यवहारी'। बोरो (बो)-क्रि० १ निवृत्त होना । २ देखो 'बोडणी' (बो)। वोह-१ देखो 'बोह' । २ देखो 'बोध' । ३ देखो 'बहोडणो' (बो)।
वोहत-देखो 'बहुत'। बौडाणी (बी), वौड़ावरणो(बी)-क्रि० १ निवृत्त करना/कराना।
वाहनांमी-देखो 'बहुनामी' २ देखो 'बोड़ाणी' (बी) । ३ देखो 'बहोड़ाणी' (बो)।
वोहरणो (बो)-क्रि० १ घूमना, फिरना । २ बुहारना ।
३ व्यवहार करना। बौछाड़, बौछार, बौछाळ-देखो 'बौछाड़'।
. वोहराणी (बो), बौहरावणी (बो)-क्रि० १ घुमाना, फिराना। वोढ़उर, वौदपुर, बौदपुरी-पु० नल राजा द्वारा विजित एक | नगर ।
२ बुहराना । ३ व्यवहार कराना । वीपार-देखो 'व्यापार'।
| वोहरो-देखो 'बो'रो', वोपारी-देखो 'व्यापारी'।
वोहळारणो (बी), वोहळावरणो (बो)-१ देखो 'वौळाणो' (बी)। बोम-देखो व्योम'।
२ देखो 'बोळारणो' (बो)। बोर-स्त्री. बिल्ली या बकरी की ऋतुमति की अवस्था ।
वोहळो-देखो 'बोळी' (स्त्री० वोहळी)। वोरणी (बी)-देखो 'बुहारणो' (बो)। .
वौहवार-देखो 'व्यवहार'। बोराणो (बी), वोरावरणौ (बी)-क्रि. १ बिल्ली या बकरी का | बोहवारियो, वौहवारी, वौहारी-देखो 'व्यवहारो'।
ऋतुमति होना। २ देखो 'बुहराणी' (बी)। ३ देखो वोहि, वोहित, वोहिति (ती) वोहित्थ, वोहिथ-देखो 'बोहित'। 'बोराणो' (बी)।
वौहोवार-देखो व्यवहार'। बौळणो (बी), बोळवणो (बो)-क्रि० १ पहुंचना । २ भेजना।
व्यग, व्यग्य-पु० [सं० व्यग्य] १ ताना, चुभती बात । २ चुटकी ३ उस पार जाना। ४ लांघना, पार करना। ५ विदा
| भरी बात । ३ व्यंजना शब्द-शक्ति से युक्त बात । होना। ६ व्यतीत होना, बीतना। ७ खोना, गंवाना । व्यंगुळ (ल)-पु० [सं० व्य गुल] एक अंगुल का साठवा भाग। ८ ठगा जाना। 6 उपभोग करना, सुख प्राप्त करना । व्यंजक-वि० [सं०] प्रकट करने वाला, बोध कराने वाला ।-पु. १० सहार करना, मारना। ११ नाश करना, मिटाना ।
१ नाटकीय हाव-भाव से मनोगत भावों का प्रकटन । १२ दफनाना। १३ रक्षा करना, हिफाजत करना । १४ देखो
२ संकेत चिह्न, निशान । 'बोळणो' (बी)।
| व्यजण (न)-पु० [सं० व्यंजन] १ व्यक्त या प्रकट होने की बौळाणी (बो), बोळावणो (बो), वोलावणो (बो)-क्रि० क्रिया या भाव । २ विशिष्ट प्रकार के खाद्य पदार्थ, भोजन ।
१ बिताना, गुजारना । २ पहुचाना । ३ विदा होना, विदा ३ मिष्ठान्न, पकवान । ४ वर्ण, प्रक्षर जो स्वरों की करना । ४ भिजवाना, भेजना । ५ पीछा करना, अनुगमन
सहायता से बोले जाते हैं । ५ अंग, अवयव । कराना । ६ खोना, गुमाना । ७ पार कराना। प्रत्येष्टि व्यंजनहारिका-स्त्री० [सं०] एक प्रमंगलकारी शक्ति जो नव कराना । ६ उपभोग कराना । १० संहार कराना | वधुनों द्वारा बनाये गये भोजन को उठा कर ले जाती है।
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व्यंजना
व्यवहार
व्यंजना-स्त्री० [सं०] १ प्रकट करने की क्रिया या भाव । २ एक | व्यधाधर व्यधाधारी -देखो 'विद्याधर' । प्रकार की शब्द शक्ति ।
व्यभचार, व्यभिचार व्यमीचार-पु० [सं० व्यभिचार] 1 दुराव्यंतर, व्यंतरियो-पु० [सं० व्यंतर] १ भुत-प्रेतादिक योनि व चरण, बदचलनी। २ रतिक्रीड़ा, संभोग । ३ प्रसतीत्व । ___इस योनि के भूत । २ एक देव योनि ।
४ स्त्री-पुरुष का प्रबंध संबध । ५ अनियमित कार्य । व्यंद-पु० [सं० बिंदु] १ वीर्य, बीज । २ देखो 'वींद'। . ६ अपराध दोष । ७ असत्य, झुठ । व्यंध-देखो 'विध्य'।
व्यभिचारी-वि० [सं० व्यभिचारिन्] (स्त्री० व्यभिचारण, व्यंब-देखो 'बिंब'।
व्यभिचारिणी) १ व्यभिचार करने वाला, पतित, दुराचारी। व्यउ-देखो 'बिवाई'।
२ पथ भ्रष्ट । ३ दोषी, अपराधो। ४ पर-स्त्री गामी । ५ व्यक्त-वि. १ प्रकट, जाहिर, प्रकट किया हुपा । २ स्पष्ट साफ। संभोगरत, भोगी। ६ झूठा, प्रसत्य । व्यक्ति, व्यक्ती-पु०. [सं० व्यक्ति] १ प्रादमी, मनुष्य । २ देह, व्यभ्यास-पु. विशेष अभ्यास ।
तन, शरीर । ३ प्रकट करने को क्रिया या भाव। व्यय-पु० [सं०] १ खर्चा । २ कमी, ह्रास, घटत । ३ लागत । व्या-वि० [सं०] १ व्याकुल, उद्विग्न । २ परेशान दुःखी। ४ नाश, बर्बादी । ५ लग्न से ग्यारहवां स्थान (ज्योतिष)। ३ भयभीत, डरा हुमा । ४ काम में लीन, मासक्त ।
६ बृहस्पति की गति के अनुसार वर्ष या संवत्सर । ७ एक व्यजण, व्यजणक, व्यजन-पु० [सं० व्य जन] १पंखा। २ पखे से ।
नाग। - हवा करने की क्रिया।
व्ययकरण, व्ययकरणि (क), व्ययकारण, व्ययकरिणिक-पु०,
[स० व्ययकरिणक] १ व्यय करने या खर्च करने वाला व्यक्ति, व्यतिकर, व्यतिकार-पु० [सं०] १ सम्मिश्रण, मिलावट । २ संबंध, संसर्ग, लगाव । ३ प्राघात, चोट । ४ घटना, प्रव
अधिकारी। २ भुगतान करने वाला अधिकारी। सर, मौका । ५ पारस्परिक सबध । ६ प्रापसी लेन-देन । व्यरय-वि० [सं० व्यर्थ] १ फालतू, निरर्थक । २ अर्थ रहित । व्यतिक्रम, व्यतिक्रमण-पु० [सं० व्यतिक्रम] १ क्रम भंग, क्रम का | ३ लाभ हीन ।
उल्टा । २ व्रत भंग । ३ व्रत भंग की इच्छा । ४ पापत्ति. व्यरयता- स्त्री० [सं० व्यर्थता] १ फालतू होने की अवस्था या संकट, तकलीफ। ५ पाप कर्म । ६ अपराध । ७ उल्लघन, स्थिति । २ निरर्थकता । ३ लाभहीनता।
अवहेलना। ८ लापरवाही । ९ विपरोत होने की अवस्था। व्यळीक, व्यलोक-वि० [सं० व्यलोक] १ झूठा, मिथ्यावादो। व्यतिक्रमणो (बो)-क्रि० व्यतिक्रमण करना ।
२ पप्रिय । ३ दुःखदायी। ४ कामी, लंपट ।-पु. १ दुःख व्यतिपात-पु० [सं० व्यतिपात) १ सम्पूर्ण रीति से प्रस्थान या | का मूल । २ जुर्म, अपराधं । ३ कपट, धोखा । ४ प्रसत्यता।
पूर्णतया विच्छेद । २ बड़ा भारी प्राकृतिक उत्पात । ३ प्रस- व्यवधांन-पू० [सं०] १ बाधा, विघ्न, रोड़ा, रोक । २ पाड, म्मान, अपमान। ४ भारी अपशकून। ५ ज्योतिष में
मोट । ३ भेद, रहस्य । ४ छिपाव । एक योग।
व्यवसाइयो, व्यवसाईयो-देखो 'व्यवसायी'। व्यतिरेक-पु० अन्तर, फर्क, भेद । २ एक प्रकार का अर्थालंकार | व्यवसाय-पु० [सं०] १ भाजीविका, पेशा, वृत्ति। २ उद्योग, विशेष ।
धंधा, कार्य। ३ व्यापार , ४ प्रयत्न, कोशिश । ५ पाशय, व्यतीत-वि० [सं०] १ मरा हुमा, मृत । २ त्यागा हुआ, मतलब। ६ कार्य का संपादन । ७ शिव व विष्णु का परित्यक्त । ३ तिरस्कृत, उपेक्षित । ४ गुजरा हुपा, समाप्त
नामान्तर । व्यतीतणी, (बी)-क्रि० १ मरना, मृत्यु को प्राप्त होना । व्यवसायि, व्यवसायी-पु० [सं०] १ व्यवसाय करने वाला, २ त्यागना. छोड़ना । ३ तिरस्कृत होना, उपेक्षित होना।
व्यापारी। २ उद्योगशील परिश्रमी, कार्यकर्ता । ३ मनु४ गुजरना, समाप्त होना।
ष्ठान कर्ता व्यक्ति । ४ कोई पेशेवर व्यक्ति । व्यतीपात-देखो व्यतिपात'।
व्यवस्था-स्त्री० [सं०] १ किसी कार्य की निर्धारित विधि । व्यतीपाति (ती)-वि० १ उपद्रव करने वाला । २ प्रस्थान किया २ प्रबंध, इंतजाम । ३ स्थिति, हालत, दशा । ४ निर्धारित - हुमा । ३ अपमान किया हुप्रा।
योजना । ५ रखने का ढंग । व्यथा-स्त्री० [सं०] १ रोग, बीमारी। २ डर, भय । ३ दुःख, व्यवहरिक-देखो व्यवहारिक' । कष्ट । ४ विकलता व्याकुलता । ५ दर्द पीड़ा।
व्यवहार-पु० [सं०] १.चाल-चलन, प्रावरण । २ पेशा, धंधा । व्यथित-वि० [सं०] १ विकल, व्याकुल, परेशान । २ डरा हुमा, ३ व्याज, गिरवी पादि लेन-देन का धंधा। ४ व्यापार,
भयभीत । ३ दुःखी, पीड़ित । ४ रोगी, बीमार। . . व्यवसाय । ५ रीति, रस्म, रिवाज । ६ संबंध, रिश्ता ।
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व्यवहारणी
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( ६७२ )
७ मुकद्दमा । 5 अधिकार, हक । ९ शास्त्रोक्त विधि | १० बरताव सलूक । ११ भेद, अन्तर, फर्क । १२ एक सूत्र (जैन)
1
व्यवहारणी (बो) - क्रि० १ प्राचरण करना । २ पेशा या धंधा करना । ३ गिरवी का लेन-देन करना । ४ व्यापार करना, व्यवसाय करना । ५ बरताव या सलूक करना । हरियो व्यवहारिक व्यवहारियो, व्यवहारी (उ) व्यवहारीधो व्यवहारू व्यवारियो, व्यवारी- वि० [सं० व्यवहारिन् ] १ व्यवहार से संबंधित २ बरताव या सलूक करने वाला । ३ व्यापार करने वाला । ४ संबंध रखने वाला । ५ उत्तम प्राचरण वाला । पु० १ व्यापारी, बनिया । २ वैश्य ३ संबंधी रिश्तेदार
व्यसन - पु० [सं०] १ प्राटत, एब, लत । २ नियम ३ निरर्थक बात । कार्यं । ४ प्रशुभ बात । ५ श्रसमर्थता, असामर्थ्यं । ६ कष्ट, दुःख । ७ वित्ति, संकट ।
व्यसनी वि० [सं०] [यसनिन] १ किसी प्रकार के व्यसन बाला । २ ऐबी, लत खोश । ३ बुरी प्रादतों वाला । व्यस्टि, व्यस्टी - पु० [सं० व्यष्टि ] समष्टि का उल्टा पृथक एव विशिष्ट अंश, इकाई कप व्यस्त - वि० [सं० व्यस्त ] १ कार्य में संलग्न, लीन । २ जिसे अवकाश यो फुर्सत न हो। ३ प्राकुल, विकल, घबराया हुधा । ४ फैला हुधा, व्याप्त। ५ बिखरा हुमा । व्यस्तार पु० [सं०] १ हाथी की कनपट्टियों से मद चुने को किया या स्थिति । २ देखो 'विस्तार' |
या सर्व वह का बहुवचन, वे उन । क्रि० वि० १ ऐसे, इस
,
तरह । २ से, उस तरह ।
व्यारण स्त्री० १ समधी की स्त्री, समधिन । २ दहेज में साथ माने वाली दासी ।
१०० विणु] णु से बड़ा विशेष ध व्यनिपु० [सं० स्थान] शरीरस्थ एक वायु विशेष । व्यांना स्त्री० [सं० व्यानदा] व्यान वायु देने वाली शारीरिक शक्ति विशेष ।
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व्याजु
+
व्याकरणी पु० [सं० व्याकरणिक] व्याकरण का ज्ञाता पंडित व्याळ व्याकुळ (ल) वि० [सं० व्याकुल] १ धातुर
विकल, दुःखी । २ घबराया हुम्रा, भयभीत । ३ उदास, वित्तविह्वल भावुक, द्रवित ५ युक्त ६ उत्सुक, उत्कंठित | पु० समुद्र, सागर ।
व्याकुळ
(बी) क्रि० १ घराना, व्याकुल होना बेचैन होता। २ उदास होना, खिन्न होना । ३ भयभीत होना, घबराना । ४ धातुर होना । ५ कांपना, चना । व्याकुळता व्याकुलता स्त्री० [सं० व्याकुलता ] १ व्याकुल होने की अवस्था या भाव, उदासी, खिन्नता १२ डर, भय, घातक । व्याकुळी- वि० भयभीत, बेचैन, व्याकुल । व्याकोस वि० [सं० व्याकोष] १ बढाया हुआ फुलाया हुआ। २ खिला हुआ, विकसित ३ वृद्धि को प्राप्त वृद्धिमान । व्याति देखो 'विऋति' ।
-
व्याखान व्याख्यान० [सं० व्यास्थान] १ व्याख्यान करने की क्रिया या भाव। २ भाषण, प्रवचन। -सद-पु० टीकाकार व्याख्याता । प्रबक्ता ।
व्याख्या - स्त्री० [सं०] १ किसी बात या विषय को समझाने के लिये किया गया विवेचन, स्पष्टीकरण, टीका । २ पर्थ, भावार्थ ।
व्याघात पु० [सं०] १ प्राघात, चोट प्रहार । २ विघ्न, बाधा । ३ घोर संकट, विपत्ति । ४ ज्योतिष में एक योग । ५ एक विशेष
1
व्याघ्र पु० [सं०] १ सिंह शेर २ भादव मास में सूर्य के साथ घूमने वाला यक्ष । वि० १ सर्वोत्तम श्रेष्ठ । २ मुख्य, प्रधान । चरम, चरम, चांम स्त्री० शेर की खाल, बाघंबर ।
व्याघ्रनाइक व्याघ्रनायक - पु० [सं० व्याघ्रनायक ] गीदड़ शृगाल । व्याघ्रमुख पु० [सं०] १ एक देश का नाम । २ एक पर्वत का
नाम ।
व्याघ्राक्ष - पु० [सं०] १ कार्तिकेय का एक अनुचर । २ एक
राक्षस का नाम ।
व्याज पु० [सं०] १ कपट छल घोषा २ बाधा, विघ्न, अड़चन ३ विलम्ब, देरी । ४ बहाना, मिस । ५ ऋण का सूद ६ ऋण की राशि
व्यमि पु० [सं० व्याम] लंबाई का एक नाप विशेष व्याव्या (हो)पु० (स्त्री० [व्यांण, व्यावस) सगा समधी रिश्तेदार |
व्याकरण-पु० [सं०] १ किसी माया के रचना विधान सुद्धा व्याजदियो १० १ व्याज पर ऋण देने वाला व्यक्ति
दाता । २ देखो 'व्याज' ।
शुद्ध का ज्ञान व संस्कार करने वाली विद्या । २ इसी विद्या से संबंधित शास्त्र विशेष । ३ किसी भाषा की ३ किसी भाषा को । ४ । व्याकरण संबंधी पुस्तक व्याख्या विवेचन ५ निर्माण, रचना । ६ बहत्तर कलाधों मे से एक । ७ स्त्रियों की चौसठ कलाभों में से एक । ८ आठ की संख्या
।
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ऋण
व्याजवटी पु० देने व व्याज लेने का व्यवसाय | ऋण व्याजस्तुति स्त्री० [सं०] निन्दा के बहाने स्तुति, स्तुति के बहाने निन्दा २ एक प्रकार विशेष ।
-
१
व्याज-पु० व्याज पर देने की रकम ।
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व्याजोक्ति
ब्याड पु० [सं०] १ सर्प सोप
·
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व्याजोक्ति स्त्री० [सं०] १ कपट युक्त बात २ बहाना एक प्रकार का अर्थालंकार ।
( ६७३ )
४ मांस भक्षी जीव । ५ गुण्डा, दुष्ट । व्यारणी स्त्री० प्रसव करने वाली मादा पशु । पाणी - पु० जन्म देने की क्रिया । प्रसव ध्यान (बी) १ देखो व्यालो'
।
(बो) ।
२ इन्द्र ३ दुष्ट हाथी
(बी) २ देखो 'विवाह' व्यायसा देखो 'व्याण' ।
।
व्याति पु० लुब्धक नामक तारा । व्याध १० [सं०] १ शिकारी बलिया २ किरात जाति ३ दुष्ट या नीच व्यक्ति । ४ देखो 'व्याधि' । व्याधि व्याधिय, व्याधी-स्त्री० [सं० व्याधि] १ रोग, बीमारी । २ कष्ट, दुःख, पीड़ा । ३ कुष्ठ रोग, कोढ़। ४ झगड़ा, टंटा । ५ साहित्य में एक संचारी भाव । ६ मृत्यु की पुत्री । व्याप-१ देखो 'म्याप्य' । २ देखो 'व्यापक' । व्यापक - वि० [सं०] १ सर्वत्र व्याप्त या विद्यमान, चारों घोर फैला हुआ । २ छाया हुआ। ३ ढकने या घेरने वाला । ४ विस्तृत । ५ सामान्य, साधारण । व्यापम) स्त्री० [सं० व्यापन] फैलाव, विस्तार व्यापणी (बी) - क्रि० १ चारों ओर फैलना, व्यापक होना, व्याप्त होना । सर्वत्र विद्यमान होना । २ सर्वत्र अस्तित्व रखना, प्रभाव रखना। ३ समाना, प्रविष्ट होना । ४ छाना, फैलना । ५ घेरना, ढकना । ६ उत्पन्न या पंदा होना । ७ होना, प्राना लगना । ८ विचार उत्पन्न होना । ९ प्रसर होना, प्रभाव पड़ना १० उत्पन्न होना ११ पहुंचना
व्यापति व्यापती- देखो 'क्यामि'।
"
व्यापार पु० [सं०] १ वस्तुओं का
विषय यवसाय २ उद्योग धंधा । ३ कार्य, कर्म, काम । ४ व्यवहार, संबंध । ५ आचरण, व्यवहार। ६ किसी विषय या क्रिया के साथ इन्द्रियों का संयोग । व्यापारिक - वि० [सं०] व्यापार संबंधी । व्यापारी पु० [सं० व्यापारिन् ] १ वस्तुनों का क्रय-विक्रय या व्यापार करने वाला, सौदागर । २ बनिया, बनिक, वैश्य । ३ व्यवसाय या उद्योग करने वाला ।
व्यापी - वि० [सं०] स्थापित] १ व्याप्त या व्यापक होने वाला, फैला हुप्रा । २ श्राच्छादित । पु० भगवान विष्णु का नाम ।
।
प्राप्त वि० [सं०] १ फैला हुआ
-
1
२ भरा हुया परिपूर्ण ५ श्राच्छादित ।
३ शामिल । ४ समाया हुपा व्याप्ति, व्याप्ती स्त्री० [सं०] १ व्याप्त होने की क्रिया या
भाव । २ म्राठ प्रकार के ऐश्वर्यों में से एक । ३ सर्वमान्य सिद्धान्त ४ फैलाव विस्तार ५ पूर्णता ।
1
व्याप्रत पु० [सं० व्यापृत] १ सचित्र मंत्री । २ कामदार | ३ नौका, नाव - वि० किसी कार्य में लीन व्यस्त । व्याप्रति पु० [सं० व्यापृतिः ] १ कार्य, धंधा । २ कार्य, कर्म । ३ उद्योग, परिश्रम । ४ पेशा, धंधा । व्यामोह - पु० [सं० व्यामोह ] १ परेशानी ।
मोह, भज्ञान । २ व्याकुलता,
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-
व्यायाम पु० [सं० व्यायाम ] १ स्वास्थ्य एवं शरीर की पुष्टि के लिये किया जाने वाला श्रम कसरत । २ परिश्रम, मेहनत । ३ थकावट ४ रतिक्रिया के बाद की थकावट | ४ कोशिश, प्रयास ।-साळ, साल, साळा, साला स्त्री० नित्य व्यायाम करने का स्थान ।
व्यायांमी वि० व्यायाम करने वाला । व्यायोग- पु० [सं०] एक प्रकार का रूपक । स्वापोडी-स्त्री० प्रसूता मादा पशु व्यारण- देखो 'वारण' ।
ब्यारी ब्यारी देखो 'व्यवहारी'।
9
वाळव्या० [० व्याल] १ दुष्ट व्यक्ति निर्दयी व्यक्ति २ मोत का दिन । मृत्यु काल । ३ सर्प, सांप ४ हस्ती, हाथी । ५ शेषनाग ६ दुष्ट हाथी ७ पवन, हवा, वायु । ८ हिंसक जीव । ६ शेर सिह । १० बाघ, चीता । ११ राजा नृप । १२ विष्णु का एक नाम । १३ दण्डक छंद का नाम । व्यावळ १० [सं०] स्वायल १ मोर मयूर २ पक्षिराज गरुड़ । ३ सिंह, शेर
-
व्याळाही पु० [सं० [स्थालग्राहिन्] सपेरा गाडिक
पाळीव व्याली पु० [सं० व्यालग्रोव] एक देश का नाम । व्याळधीश पु० [सं० व्याधीम] १ शेषनाग २ ऐरावत
हाथी ।
"
ब्यावलो
व्याळपाळ-पु० [सं० व्यालपाल ] चन्दन । ब्यालरेस पु० सर्पों का समूह।
व्याळसूदन, व्यालारि १० १ पक्षिराज गरुड़ २ मोर मयूर ३ सिह, शेर 1
.
व्यानिक
क- पु० [सं०] संपेरा ।
व्याळी वाली पु० [सं० व्याली ] १ शिव शंकर महादेव । २ मोर । ३ शेर ।
घ्याव्या० [सं० विकालिक] १ सायंकाल या रात्रि का
भोजन । २ देखो 'व्याळ' |
व्याय व्यावड़ी देखो 'विवाह'
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व्यावट पु० [सं०] ध्यायतं ] दोष, महादोष
व्यावली (बी) - १ देखो 'ब्याणी' (बो) । २ देखो 'विवाइणौ' (at) I
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व्यावर
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व्यावर स्त्री० १ गाय, भैंस धादि की जननेन्द्रिय, योनि । २ प्रसव देने की क्रिया ।
व्यावली - पु० १ विवाह । २ श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के विवाह संबंधी
काव्य ।
व्यास, ध्यासी देखो 'व्यास' ।
व्याह- देखो 'विवाह' ।
या वि० विवाह करने वाला दूल्हा
( ६७४ )
व्या० कुते के भौंकने की ध्वनि ।
व्यास पु० [अ०] १ वेदों के रचयिता ऋषि बंदव्यास, कृष्ण द्वैपायन । २ कथावाचक ब्राह्मण। ३ फैलाव, विस्तार । व्यासपूनम, ( पूरणमा ) - स्त्री० [सं० व्यास पूर्णिमा ] घासाढ़ की पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा ।
ब्याह (बो)- १ देखी 'व्याणी' (बो) २ देखो 'विवाहसी' (बो) ।
1
ध्यानापौ ०१ विवाह संबंधी सरकारी कर २ देखो 'दापों' व्याहली - पु० १ डिंगल का एक छन्द या गीत २ देखो 'ब्यावली' । ३ देखो 'विवाहलो' ।
व्याहार पु० [सं०] १ भाषण प्रवचन २ ध्वनि नाद
उच्चारण । ३ व्यवहार ।
माहूति (ती) स्त्री० [सं० व्याहृति] १ भाषण वस्तुता। २यान स्पष्टीकरण ३ गायत्री मावि मंत्र, भू, भुवः स्वः ।
(स्त्री० [सं० बीजन] १ हवा, वायु २ देखो 'व्यंजन' । व्युत्पत्ति स्त्री० [सं०] १ उत्पति, उद्गम । २ उद्गम स्थान | ३ शब्द का मूल रूप । ४ विज्ञान या शास्त्र का अच्छा
ज्ञान ।
व्यू वर-पु० [सं० व्योमवर ] देवराज इन्द्र ।
ब्यूढ़ - वि० [सं०] १ पूर्ण भरा हुधा । २ विवाहित । ३ सेना
2
की प्राकृति संबंधी ।
व्यूह - पु० [सं०] १ झुण्ड, समूह । २ सेना, फौज । ३ सैन्य विन्यास या संगठन ४ शरीर, देहू ५ तर्क-वितर्क निर्माण,
रचना | ७ चक्र ८ भ्रमरजाल । ९ शोभा, छवि । यूहन १० [सं० व्यूहनं] १ सेना की व्यूह रचना २ निर्माण व्यापार - देखो 'व्यापार' ।
व्यापारी-देखो 'व्यापारी' ।
५
1
व्योम, व्योमाळ- पु० [सं० व्योमन् ] १ ब्राकाश, भासमान । २ जल पानी ३ क मोडल ४ सूर्य का मंदिर बादल, मेघ । ६ शून्य । ७ विष्णु का एक नाम। ८ पवन, हवा वायु । ग्रासमानी, नीला । १० एक यदुवंशीय राजा । - केस, केसी पु० शिव, महादेव गंगा स्वी० प्राकाश
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गंगा :- गमन-१० प्राकाश में विचरण, उड़ान । - गमनी-स्त्री० प्राकाश में उड़ना क्रिया, उड़ान उड़मे संबंधी विद्या । चर, चारी- पु० उड़ने वाले पक्षी, देवता, यक्ष, किधर गंध सूर्य चन्द्रमा वायुयान मंडळपु० नभमंडल प्राकाश । - सरिता स्त्री० प्राकाश गंगा । थ्योरी ० १ भेद रहस्य २ कारण ३ विवरण, वृत्तान्त,
"
•
हाल । ४ ज्ञान, समझ, बुद्धि । ५ व्याख्या, टीका ।
६ संक्षिप्त परिचय । ७ बयान ।
व्योहार देखो 'व्यवहार व्यौची-स्त्री० १० एक प्रकार का रक्त विकार । व्यापार देखो 'व्यापार' ।
पु० [सं० [द] [१] समूह भुण्ड २ ढेर, समूह ग का प्रर्बुद । ४ शुभ मुहूर्त ५ एक प्रसिद्ध कवि ।
'दा स्त्री० [सं०] वृन्दा] १ तुलसी । २ गोकुल के समीपस्थ वन । ३ राधा का एक नाम ४ कालनेमि की कन्या का
नाम ।
वदारक पु० [सं०] वृग्दारक] देवता। वि० [१] मनोहर सुदर २ उत्तम श्रेष्ठ । ४ प्रत्यधिक बहुत देव वृक्ष, कल्पवृक्ष |
-तरय, तरु-पु०
भचार देखो ब्रह्मचर्य' वभचारी- देखो 'ब्रह्मचारी' । 'भा-देखो 'ब्रह्मा'।
व्र म - १ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'भ्रम' । मग्यानदेवो ब्रह्मस्थान'
कोदर
1
दारका, दारिका-स्त्री० प्रप्सरा, देवांगना | वदावन पु० [सं०] वृंदावन] १ मथुरा के पास का एक प्रसिद्ध तीर्थ २ तुलसी के पौधे वाला चबूतरा पत, पति, पती राज राम, रायपु० श्रीकृष्णा ईश्वरवासि वासी
पु० वृन्दावन का निवासी ।
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मध्य-पू० [सं० [रूप] १ वेद २ ब्रह्म का कोई रूप व्रमवरधन पु० [सं० भर्मन् वर्द्धनं] ताम्बा, ताम्र । हम वह्म १ देखो 'ब्रह्म' २ देखो 'ब्रह्मा' । वक पु० [सं० [क] १ भेड़िया सियार । ४ कौवा, काक विशेष । ७ डाकू, लुटेरा पुष । वि० क्रूर गुस्सैल ।
पुत्र
२ श्वान कुला ३ गाल ५ उल्लू । ६ उदरस्थ एक अग्नि ८ सूर्यवंशीय राजा रूरूक का एक
वककरमा पु० [सं० वृककर्मा] एक असुर का नाम । वदं० [सं० [कदन्त] कुम्भकरण का श्वसुर एक राक्षस । व्रकदंस- पु० [सं० वृकदंश ] कुत्ता, श्वान ।
व्रकोवर, व्रकीवर पु० [सं० वृकोदर ] १ भेड़िया । २ भीमसेन का नामान्तर । ३ ब्रह्म ।
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कोदरी
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( ६७५ )
कोदरी स्त्री० पूतना राक्षसी की बहन । व्रक्क पु० [सं० वृक्क : ] १ हृदय, दिल । २ गुर्दा । ३ देखो
-वाली-पु० एक यक्ष
व्रक्ष चिकित्सा - पु० बहत्तर कलामों में से एक ।
वृक्षासरण (न) - पु० योग का एक प्रासन |
व्रक्षि- देखो 'वृक्ष' ।
'व्रक' | व्रण, व्रक्ष - पु० [सं० वृक्ष ] १ पेड़ रूख, वृक्ष । २ धर्मं । ३ दक्ष पुत्री धनला एवं कश्यप की संतान । - राज - पु० पारिजात वृक्ष कल्पवृक्ष पीपलक वृक्ष ।
1
क० [स] वृषभांड] शिव, महादेव
व्रख पु० [सं० वृष] १ भगवान विष्णु का एक नाम। २ कल्प वृक्ष । ३ इन्द्र । ४ धर्म । ५ इच्छा, अभिलाषा । ६ श्री कृष्ण । ७ पति, स्वामी ८ कामदेव । ९ कामुक व्यक्ति । १० बलिष्ठ व्यक्ति । ११ शत्र, दुश्मन । १२ न्याय । १३ शिव का नंदी १४ मूसा, चूहा । १५ दया । १६ स्कद का एक अनुचर । १७ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । १८ क का खभरण (भांणु, भांन, भानु) - देखो 'व्रसभांनु' । एक नाम। १९ देखो 'क' २० देखी 'वृक्ष' २१ देवी० राधा, राधिका । स्त्री० 'वरस' । २२ देखो 'व्रखभ' । २३ देखो 'विस' । व्रखक- पु० [सं० वृषक] १ सांड, बैल | ३ कलिंग का एक प्राचीन राजा । खरमा पु० [सं० वृषकर्मा] भगवान विष्णु का एक नाम । व्रखकेतु - पु० [सं० वृषकेतु] १ शिव, महादेव । २ कलिंग का एक राजकुमार । ३ कामदेव |
।
२ मोर, मयूर २ मोर, मयूर ।
व० [सं०] वृषण] १ देवराज इन्द्र २ दानवीर क व्रखरण-पु०
f
३ घोड़ा, धश्व । ४ भगवान श्रीकृष्ण । ५ साण्ड बेल ।
[६] वृक्ष पेड़ ७ बुधम राशि जुन राजा का एक पुत्र ।
२ गणेश, गजानन । ३ एक पर्वत का नाम । ४ करणं का एक पुत्र । ५ जनकवंशीय एक राजा ।
3
खघुजा ( ध्वजा ) - स्त्री० [सं० वृषध्वजा] देवी, दुर्गा । खपत पति खपती पु० [सं०] वृषपति] शिव, महादेव व्रखपरवा पु० १ शिव का एक नाम। २ कश्यप एव दनु के पुत्रों में से एक । ३ एक महर्षि । ४ एक पसुर विशेष । व्रखभ - पु० [सं० वृषभ ] १ साण्ड, बैल। २ चार प्रकार के पुरुषों में से श्रेष्ठ पुरुष (काम शास्त्र ) ३ एक प्राचीन तीर्थं । ४ सूर्य वीथी का एक नाम। ५ एक प्रौषधि विशेष । ६ चौबीस अवतारों में से एक । ७ ज्योतिष में एक राशि । फलित ज्योतिष में एक सम्मत केतु-पु० शिव हादेव। ग्रत गति गती- पु० शिव, महादेव धन, ज धुजी ध्वजी पु० शिव, महादेव, यम, धर्मराज 1
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-
बाल बानपु० शिव, महादेव
खरकच्छ (कच्छ) - पु० एक प्रकार का चर्म रोग । व्रणस्य प्रखर पु० [सं० वृषण-प्रश्व] इन्द्र के घोड़े का
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का एक नाम ।
-
खभेक्षण पु० [सं०] वृषभेक्षण ] श्रीकृष्ण का एक नाम । खराज राव राव ) पु० [सं० राज] १ शिव, महादेव
२ सर्पसच[सं०] वृक्षराज] ३ कल्पवृक्ष, वट वृक्ष
खचक (चकर, चक्र) - पु० [सं० वृषचक्र ] मुहूर्त शास्त्र संबंधी | व्रखरासि, व्रखरासी- स्त्री० वृषभ राशि (ज्योतिष) । एक योग ।
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ग्रण्ट कोश ९साल
उपसेन
व्रखभा स्त्री० [सं० वृषभा] भारत की एक नदी । व्रखभासा स्त्री० भासा स्त्री० [सं०] वृषभाषा ] इन्द्र की पुरी भ्रमरावती
खरूढ़ - पु० [सं० वृषरूढ़ ] रथ ।
व्रखल - पु० [सं० वृषल ] १ शूद्र । २ घोड़ा, प्रश्व । ३ जाति च्युत व्यक्ति ।
(म)-० [सं०] [न] शिव, महादेव स्त्री० [सं०] वृषली] विवाह से पूर्व रजस्वला हुई कन्या । २ रजस्वला स्त्री । ३ बांझ स्त्री । ४ पर पुरुष से प्रेम करने वाली स्त्री । ५ मृत बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री । पतिपती) स्त्री० 'बबली कन्या या स्त्री का
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नाम ।
पति
व्रखदंस- पु० [सं० वृषदंश ] मंदराचल के निकट का एक पर्वत । व्रखदरभ - पु० [सं० वृषदर्भ ] १ श्रीकृष्ण का एक नाम। २ राजा शिवि ३ भगवान विष्णु ।
वखव- देखो 'व्रखभ' |
खवात पु० [सं० वृषवात ] वन, जंगल ।
व्रखदेवा पु० [सं० वृषदेवा ] १ भगवान विष्णु। स्त्री० २ वसुदेव व्रखवाहण (न) - पु० [सं० वृष वाहन] १ शिव, महादेव । की एक स्त्री । व्रखद्वीप पु० एक द्वीप
२ ग्यारह रुद्रों में से एक ।
व्रखधर, ( धारिण, धारी) - पु० [सं० विष धारित] १ सर्प, सांप। २विता जंतु ३ शिव, महादेव
प्रखघुज ( ध्वज) पु० [सं० वृषध्वज) १ शिव, महादेव ।
सकरांत (ति, ती वसंत (ति, ती स्त्री० [सं० संक्रांति ] वृषभ राशि में पड़ने वाली संक्रांति । खसार पु० [सं०] वृषसार ] श्रेष्ठ बैल सांड । खसेन - पु० [सं० वृखसुत्] अर्जुन, धनंजय ।
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वखस्कंध
( ६७६ )
वति
व्रखस्कध-पु० [सं० वृषस्कंध] शिव, महादेव ।
१ अस्त्र-शस्त्र । २ देखो 'बजरंग' । ३ देखो 'बजराक' । वखांक-पु० [सं० वृषांक] शिव, महादेव ।
|जिन-पु० [सं० वजिनं] १ कुकर्म, पाप। २ कष्ट, पीडा, बखांणगुण-पु० [सं० वृषारण गुण] भोजन । वखा-पु० [सं० वृषा] १ इन्द्र का एक नाम । २ देखो 'वरसा। व्रजेंद्र, व्रजेस्वर-पु० [सं० ब्रज-इन्द्र] श्रीकृष्ण । व्रखाकपाई (पायी)-स्त्री० [सं० वृषाकपागे] १ लक्ष्मी । व्रज्ज-देखो 'व्रज'।-वासो-'व्रजवासी' ।
२ गोरी। ३ इन्द्र पत्नी शची। ४ अग्नि-पत्नी स्वाहा । व्रज्या-स्त्री० [सं०] रीति, वेदोक्त विधान । ५ सूर्य की पत्नी।
वरण-पु० १ घाव, जरूम ।२ फोड़ा, फुसी।३ चेचक का दाग । वखाकपि, प्रखाकपी, खाक्रति, वखाक्रती-पु० [सं० वृषाकपिः]
४ देखो 'वरण' । ५ देखो 'वरणन'।-सोष, सोस-स्त्री. १ सूरज, सूर्य । २ शिव, महादेव । ३ एक रुद्र का नाम ।
फोड़े के कारण होने वाली सूजन। . ४ इन्द्र । ५ विष्णु। ६ अग्नि, प्राग। ७ श्रीकृष्ण । वतंत (ति, ती, तु, तू)-देखो 'व्रतात' । ८ ईश्वर, परमात्मा।
व्रत-पु० [सं०] १ संकल्प, प्रतिज्ञा। २ नियम । ३ उपवास, खासण (न)-स्त्री० [सं० वृषासन] शिव, महादेव ।
लंघन । ४ धर्म, कर्तव्य । ५ माराधना, भक्ति। ६ अनुष्ठान वखासुर-पु० [सं० वृषासुर भस्मासुर दैत्य ।
की विधि । ७ यज्ञ, हवन, होम। ८ देश, राष्ट्र । ९ कूए अखि, अखी-पु० [सं० वृषिन्] १ इन्द्र, देवराज। २ मंगल ग्रह ।
से मोट खींचने का मोटा रस्सा। १० देखो 'वत्त'। ३ वृक्ष, पेड़ । ४ वृषभ राशि।
११ देखो 'व्रतांत'। वस्ख-१ देखो 'वक' । २ देखो 'वक्ष' । ३ देखो 'खभ'। व्रतधरण-पु० [सं० वृत्रधन | इन्द्र का एक नाम । बगुट (टि, टी, दृट्टी)-देखो 'भ्रकुट' ।
व्रतणी (बी)-देखो 'वरतणो' (बी)। बच्छ, अछ-देखो 'वक्ष'।
व्रतधार (धारी)-वि० [सं० व्रतधारिन्] व्रत रखने वाला, बछिक-देखो 'ब्रस्चिक'।
संकल्प करने वाला। वज (देस)-पु० [स०] १ मथुरा एवं वृन्दावन के चारों भोर व्रतभग, व्रतभंगी-पु० [सं० व्रतभंग] १ व्रत भंग होने या
का क्षेत्र । २ समूह, झुण्ड । ३ व्रज भाषा। ४ देखो 'वज्र'। संकल्प टूटने की दशा या भाव। २ व्रत भंग करने वाला -पत, पति, पती (त्ति, ती)-पु० श्रीकृष्ण ।-वासी-पु. व्यक्ति । ३ काव्य रचना का एक दोष । इस प्रदेश का निवासी।
व्रतमारण (न)-देखो 'वरतमाण'। व्रजच-पु० [सं० व्रजचन्द्र] १ श्रीकृष्ण । २ ईश्वर । व्रतवैरी-पु० [सं० वृत्र-वरी] इन्द्र, सुरपति । वजणौ (बी)-क्रि० १ जाना, गमन करना। २ रोकना, मना व्रतहा-देखो 'वत्रहा'। करना । ३ टालना।
व्रतांत, व्रताति-पु० [सं० वृत्तान्त] १ किसी घटना का विवरण, प्रजदेव, व्रजनंद-पु. श्रीकृष्ण ।
ब्योरा । २ समाचार, खबर । ३ विषय, प्रसंग । ४ दशा, ब्रजनाइक, व्रजनाथ, वजनायक-पु. १ श्रीकृष्ण। २ भगवान हालत । विष्णु ।
तासुर-देखो 'वत्रासुर'। व्रजमाखा (भासा)-स्त्री० [सं० व्रजभाषा] व्रज प्रदेश की बोली। व्रति-स्त्री० [सं० वृत्ति] १ चक्कर, घुमाव । २ परिधि, व्याम । ब्रजभूखण (भूसरण)-पु० [सं० व्रजभूषण] श्रीकृष्ण. ईश्वर ।।
३ वृत्त. चक्र का घेरा । ४ चित्त की दशाएं, क्रियायें । व्रजभूप-पु० [सं०] श्रीकृष्ण ।
५ इच्छा, चाह, अभिलाषा । ६ क्रिया, कर्म व्यापार, कर्म वनमंडळ-पु० [सं० व्रजमंडल] व्रज के पास-पास का प्रदेश ।
विधान । ७ प्रकृति, स्वभाव, मादत । ८ वर्तमान होने व्रजमोहन-पु. [सं०] श्रीकृष्ण ।
वाला अस्तित्व । ९ दशा परिस्थिति । १. याचना, भिक्षा वजयंद-पु० [सं० व्रजेंद्र] श्रीकृष्ण ।
वृत्ति । ११ गति । १२ तौर, तरीका, ढंग । १३ प्राचरण, व्रजराज (राय, राव)-पु० [सं० ब्रजराज] १ श्रीकृष्ण ।
चरित्र । १४ धधा, पेशा । १५ जीविका, रोजी । २ वसुदेव ।
१६ सेवा कार्य । १७ मजदूरी, पारिश्रमिक । १८ नीयत । व्रजरेग-स्त्री० [सं०] व्रज भूमि की घूलि ।
१९ मेहत्तर, नाई प्रादि का कुछ निश्चित लोगों के घरों पर व्रजविलास-पु० [सं०] श्रीकृष्ण का एक नाम ।
किया जाने वाला कार्य । २० उक्त कार्य के उपलक्ष में व्रजांगना-स्त्री. व्रज की स्त्री, गोपिका।
सहायतार्थ दिया जाने वाला धन । २१ व्याख्या । २२ शब्द बजाक, वजाग, वजागनि (नी), वजागि, वजागी, ब्रजाग्नि-स्त्री० । शक्ति । २३ छात्रवृत्ति प्रादि ।-वि० गोलाकार, गोल ।
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तिन
। ६७७ )
वसभाण
व्रतिन-पु० [सं०] एक व्यास ।
होने की अवस्था, बुढापा । ३ ब्याज, सूद । ४ लाभ । बती, प्रतीक-पु० [सं० वतिन्] १ व्रत धारण करने वाला ५ प्रगति, विकास । ६ सूतक । ७ वद्धियोग। व्यक्ति। २ देखो 'अति'।
वद्धिका-स्त्री० [सं० वृद्धिका] मानव मांस भक्षी स्त्रियों का तु-देखो 'व्रत'।
एक वर्ग। व्रतेसर, अतेसरी, धतेसुर (री), अतेस्वर, अतेस्वरी-पु० वत्ति के वद्धितिथ (तिथि, तिथि)-स्त्री० [सं० वृद्धितिथि] वह तिथि जो
लिये घरों पर कार्य करने वाला व्यक्ति या वर्ग, याचक । । दो दिन के सूर्योदय तक चालू रहे। वस-पु० [सं० वृत्त] १ जीविका का साधन । २ चरित्र, पाच
वध-१ देखो 'वृद्ध' । २ देखो 'वध' । रण । ३ गोला, गोल रेखा। ४ मंडल। ५ मंडलाकार
वधपण (णो)-देखो 'बद्धता'। क्षेत्र । ६ एक प्रकार का छन्द ।-वि०१ जीवित, जिन्दा।
वधांराज, अधाराय (राव)-पु० [सं० वृद्धराज] ब्रह्मा। २ घटित हुवा, हुमा । ३ मृत, मरा हुप्रा । ४ बीता या
बधा-देखो व्रद्ध'। गुजरा हुमा । ५ दृढ़, मजबूत । ६ देखो 'व्रत'। ७ देखो
वधि, अधी-१ देखो 'वध' । २ देखो 'द्धि'। 'व्रतांत'।
वधु-वि० [सं० वृद्ध] १ दीर्घ, बृहद, विशाल । २ देखो 'वर'। व्रतांत-देखो 'व्रतांत'।
व्रध्ध-पु. १ एक सूर्य वंशी राजा । २ देखो 'ब्रद्ध'। अत्तिकार-वि० [सं० वृत्तिकार] १ वृत्ति करने वाला । २ टीका
वध्धपण (परणो)-देखो 'बद्धता'। करने वाला, टीकाकार।
वन (न)-१ देखो 'वण' । २ देखो 'वरण' । वृत्ती-देखो 'वति'।
वनअढ़ार-पु०१ प्रति उदार या दातार व्यक्ति । २ प्रजा ममूह । वत्यानुप्रास-पु. एक प्रकार का अनुप्रास ।
वनरणौ (बो)-देखो 'वरणपो (बी) बत्र-पु० [सं० वृत्रः] १ अंधेरा, अंधकार । २ पर्वत, पहाड़ । अप-देखो 'विप्र'। ३ बादल । ४ शत्रु, दुश्मन । ५ देखो 'वत्रासुर'।
व्रमंड-देखो 'ब्रह्मांड'। अत्रपरि (री) अत्रघन, अत्रघ्न, धत्रहा-पु० इन्द्र का एक बम-१ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा' । नाम।
अमसूत । सूत्र)-देखो 'ब्रह्मसूत' । वत्रारि (री)-पु० [सं० वृत्रारि] इन्द्र ।
वमहत्या-देखो 'ब्रह्महत्या'। त्रासुर-पु० [सं० वृत्रासुर] एक राक्षस जिसे इन्द्र ने दधीचि मांगी-देखो ‘ब्रह्माणी'। की हड्डियों से बने वन से मारा था।
अम्म-१ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा'। वय, प्रथा-वि० [सं० था] १ व्यर्थ, फिजूल, फालतू, बेकार ।
व्रम्मधिया, अम्मधी, धम्मधीया-देखो 'ब्रह्मधीया' । २ निरर्थक । ३ असत्य, झूठ।
वम्मा-देखो 'ब्रह्मा'। खब(ह)-देखो विरुद' ।-धारी= विरुदधारी' ।-पूर= ब्रम्ह-१ देखो 'ब्रह्म'। २ देखो ‘ब्रह्मा' । 'विरुदधारी'।-राज='विरुदधारी'।
वरख, घरस-१ देखो वरस' । २ देखो 'वृक्ष' । बर-पु० [सं० वृद्ध] १ बुढ़ापा, चौथापन । २ बूढा प्राणी।
वव-देखो ब्रव। -वि० (स्त्री० ब्रद्धा) १ वृद्ध, बूढ़ा। २ पूर्ण रूपेण वृद्धि
प्रवण-पु० दान, पुण्य । प्राप्त । ३ बुद्धिमान, पंडित । ४ बड़ी उम्र का, बुजूर्ग,
ववरणलोकेस (सु सू)-पु० ईश्वर, परमात्मा ।
व्रवणो (बो)-क्रि० १ दान देना । २ देना। ३ वितरण करना, दाना।
बांटना । ४ त्यागना, छोड़ना। ५ अर्पण करना। ६ बोलना बद्धकेसव-पु० [सं० वृद्धकेसव] सूर्य की एक मूर्ति ।
कहना। बद्धता-स्त्री० [सं०] १ बुढ़ापा, वृद्धावस्था । २ बुजूगियत
वस-१ देखो 'ख' । २ देखो 'वखम' । ३ देखो 'विस' । ४ देखो दानापन । ३ दुःख, कष्ट
'वक्ष'। बद्धवयस (वेस)-स्त्री० वृद्धावस्था, बुढ़ापा । बद्धसरवा, अद्धलवा-पु० [सं० वृद्धश्रवस्] देवराज इन्द्र
वसचक (चकर, चक्र)-पु० [सं० वृश्चिक] १ वृश्चिक राशि । वडाचल-पु० दक्षिण स्थित एक तीर्थस्थान ।
२ देखो 'व्रखचक्र'। वयापरण (न)-पु. वृद्धावस्था, बुढ़ापा ।
वसदरभ-देखो 'वखदरभ' । बद्धास्रम-पु० [सं० वृद्धाश्रम] वृद्धावस्था, बुढापा । [ सभांण (य, न, नु)-पु० [सं० वर्षभानु] श्रीकृष्ण की प्रेमिका अति-स्त्री० [सं० वृद्धि] १ बढ़ने की स्थिति, बतढोरी। २ वद्ध राधा के पिता का नाम ।
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( ६७८ )
ब्राहमण
तो
व्रस्चक-देखो 'वस्विक'।
व्रहमग्यांन-देखो 'ब्रह्मग्यांन'। वाचकसंकरांत (ति, ती) प्रस्चकसंकरायंत (संक्रांत, ति, वहमग्यांनी-देखो 'ब्रह्मग्यांनी' । ब्रस्चकसंकायत (संक्रांति)-देखो 'ब्रस्चिकसंक्रांति' ।
बहमघातिक, प्रामघातिकी (पी)-देखो 'ब्रह्मघातक' । अस्चिक-पु० [सं० वृश्चिक (स्त्री० द्रस्चिकरणी, नी)१ बिस्छ । व्रहबरज, प्रहमचरज्ज, प्रहमचरप-देखो 'ब्रह्मचरय'।
२ बारह राशियों में से पाठवीं राशि । ३ एक लग्न । ब्रहमपुराण-देखो 'ब्रह्मपुराण'। अस्विकपत्रिका (प्रिया)-पु० पाई नामक शाक ।
ब्रहमळा-वि०१ विमल, पवित्र । २ ब्राह्मण । अस्विकसकरांत (ति, ती), अस्विकसकरायंत (सक्रांत, ति, ती) | वहमवाचा-देखो 'ब्रह्मवाचा' । वस्चिकसंकायत-स्त्री० [स. वृश्चिकसंक्रांति] वश्चिक राशि में | व्रहमांड-देखो 'ब्रह्मांड सूर्य का प्रवेश, इस दिन का पर्व ।
ब्रहमाण-१देखो 'ब्रह्मा' २ देखो 'ब्रह्माणी'। ३ देखो 'ब्राह्मण'। बस्टर-देखो "विस्टर'।
ब्रहमाणी-१ देखो 'ब्रह्माणी' । २ देखो 'ब्राह्मणी'। वस्टरसव, ध्रस्टरसवा (स्रव, स्रवा)-पु० [सं० विस्टरस्रवा]
ब्रहमान-१ देशो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा'। १ ईश्वर, परमात्मा । २ विष्णु । ३ श्रीकृष्ण ।
वहमा (मि)-देखो ब्रह्मा'।
वहमिण-देखो 'ब्राह्मण'। स्टि, अस्टी-स्त्री० [सं० वृष्टि] १ वर्षा, मेह । २ एक साथ
वहम्मंड-देखो ब्रह्मांड'। कई वस्तुएं ऊपर से गिरना या गिरामा क्रिया । ३ बहुता
वहम्मा-देखो 'ब्रह्मा'। यत में देना या लगातार कुछ करना । झड़ी।
वहवह, वहबह-स्त्री. वीरों की हुंकार । प्रणि, प्रस्णी-पु० [सं० वृष्णि] १ बादल, मेघ । २ श्रीकृष्ण।
बहसपत (ति, ती), ब्रहस्पत (ति, ती)-पु० [सं० बृहस्पति] ३ इन्द्र । ४ एक यादववंश । -गरम, प्रभ-पु०-श्रीकृष्ण ।
१ प्रसिद्ध वैदिक देवता जो देवों के गुरु माने गये हैं। वहंमंड-देखो 'ब्रह्मांड'।
२ विद्वान या पंडित व्यक्ति। ३ सप्ताह का एक बार । वहम-१ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा' ।
४ सौर जगत का पांचवां ग्रह । ५ जैनियों का एक ग्रह । ब्रहमण, ग्रहमाण, प्रहमाणय-१ देखो 'ब्राह्मण'। २ देखो
६ शास्त्रों के रचयिता ऋषि । ७ बुद्धि या यज्ञ का अधि'ब्रह्मा'।
ष्ठाता देव । ८ चौथे द्वापर के एक वेदव्यास का नाम । वहमांणी-देखो 'ब्रह्माणी' ।
-वार-पु० बृहस्पतिवार । ब्रह, वहत, बहती-वि० [सं० वृहत्] भाकार में बड़ा, विशाल ।
वहांमण-देखो 'ब्राह्मण'। २ विस्तार से लंबा-चौड़ा, विस्तृत । ३ प्रपार, बहुत ।
वहास (सि. सी)-पु. अश्व, घोड़ा। -पु. १ वेद । २ ब्रह्म। ३ एक वर्ण वृत्त ।
ब्रह्मांड-देखो 'ब्रह्मांड'। वहरकलप (कल्प)-पु. एक सूत्र विशेष ।
ब्रह्म-१ देखो 'ब्रह्म'। २ देखो 'ब्रह्मा'। ३ देखो। ब्रह्मांड'। वहदग-पु० [सं० वृहत-अंग] हाथी, गज ।
४ देखो 'ब्राह्मण'। ब्रहबबळ-पु० एक सूर्यवंशी राजा।
ब्रह्मगिनान (ग्यांन)-देखो 'ब्रह्मग्यांम' । वहवभवन (भारण, भासु भान, भानु)-पु० [सं० वृहद भानु]
ब्रह्मग्यांनी-देखो 'ब्रह्मग्यांनी' । १भाग, पग्नि । २ चित्रक। ३ सूरज, सूर्य । ४ सत्यभामा
ब्रह्मचरज (चरज्ज, चरय्य, चर्य)-देखो 'ब्रह्मचर्य' । के पुत्रों में से एक।
ब्रह्मदेव-१ देखो 'ब्रह्मा'। २ देखो 'ब्रह्मदेव'। बहब भोज-पु. एक सूर्यवंशी राजा।
ब्रह्मरूप-देखो 'ब्रह्मरूप' । बहबळ (इल)-वि० [सं० वृहदल ] अत्यधिक बड़ा, विशाल ।
ब्रह्मसू-देखो 'ब्रह्मसू'। वहवस्व-पु० एक सूर्यवंशी राजा।
ब्रह्मा-देखो 'ब्रह्मा'। बहनट, अहन्नर (8) अहन्नळा-पु० [सं० वृहन्नट, बृहन्नला]
ब्रह्माव-१ देखो 'ब्रह्माव' । २ देखो 'ब्रह्मा'। १ अर्जुन । २ अज्ञातवास में अर्जुन का वेश ।
ब्रह्मावरत-देखो 'ब्रह्माबरत' । ब्रहमंड अहमंडक-देखो 'ब्रह्मांड'।
व्रांमरण-देखो 'ब्राह्मण'। ब्रहमंडो, ग्रहमांडी-१ देखो 'ब्रह्म डो' । २ देखो 'ब्रह्मांडी'।
बांळ-देखो 'वराळ'। ब्रहम-पु. १ एक प्रकार का मात्रिक छंद । २ देखो 'ब्रह्म'।
बांस, वांसि, वांसु-१ देखो 'बांस' । २ देखो 'भरोसो'। ब्रहमग्य-देखो 'ब्रह्मग्य'।
ब्राहमण-देखो 'ब्राह्मण'।
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যায়
संकट
वाच-स्त्री. एक भाषा जो अपभ्रश का भेद मानी गई है। | बिही-स्त्री० पष्टवर्ग की पौषधियों में गिनी जाने वाली एक वाजणी (नौ)-देखो "विराजणी' (बी)।
लता। बात-स्त्री० [सं० व्रातः] समूह, झुण्ड ।।
| विध-देखो 'व्रद्ध'। व्रात्य-वि० [सं० व्रात्य] १ व्रत का, व्रत संबंधी । २ नीच, दुष्ट । | विधप (पण, परो।-पु. बद्धावस्था, बुढ़ापा ।
-पु. १ नीच या कमीना व्यक्ति । २ क्षत्रिय स्त्री एवं शूद्र विधि (धी)-देखो 'वृद्धि' । पुरुष की संतान। ३ यज्ञोपवीत संस्कार से पतित ब्राह्मण । विप, विप्प विप्र-देखो ‘विप्र'। ४ सनिक।
विप्पि, विप्पी, विनि, विप्री-देखो 'विप्रो' । वाळ-स्त्री०१पग्नि शिखा, पाग की लपट । २ वाष्प, भाप । विसपत (पात पता)-दखा ग्रहस्पात ब्राहम-देखो 'ब्रह्म'।
विस्टि, विस्टी-देखो 'वस्टी'।
विह-देखो "विरह'। ब्राहमण ब्राहमण, वाहम्मण ब्राह्मण-देखो 'ब्राह्मण'। ब्राह्मणी-देखो 'ब्राह्मणी'।
वीख-देखो वीख'। विव-देखो 'वद'।
वीखणी (बी)-१ देखो 'वीखरणों' (बी)। २ देखो वेखणी' (बी)। विकोपर-देखो वकोदर'।
वीड़ बीड़ा-स्त्री० [सं०] शर्म, लज्जा। विक्ख , विख-पु. १ जल, वारि । २ देखो 'वक' । ३ देखो वीड़ित-वि० शमिन्दा, लज्जित, सकुचित । 'वक्ष'। ४ देखो 'ख'।
वीवणी(बी)-देखो 'ब्रीवणी' (बी)। विखम-देखो 'ख'।
वीद, बोध-देखो 'विरोध'। विखवात-देखो 'वखवात'।
बोहाळ-देखो 'भ्र। विखसेरण (न)-देखो 'वख सेण' ।
व्हां-देखो 'वा' । विज, विज्ज-देखो 'ब्रज'।
व्हा-१ देखो 'वा' । २ देखो 'वाह' । विति, विती, वित्ति, वित्ती-देखो 'वति'।
व्हार-१ देखो बहार' । २ देखो 'बाहर' । विषा-देखो 'वषा'।
व्हालो-देखो 'वालो'। विक, विवि, विनी, बिह-१ देखो 'विरुद' । २ देखो 'ब्रद्ध'। व्हेणी (बी)-देखो 'होणो' (बी)।
स-देवनागरी वर्णमाला का बत्तीसवां व्यंजन ।
| संकड़ाई, संकड़ेलो-देखो 'सांकड़ोलो'। सं-पु० [सं०शं] .पानन्द, हर्ष, सुख । २ कल्याण, मंगल । संकड़े (1)-देखो 'सांकड़े।
३ वैराग्य । ४ शांति । ५ शिव, महादेव । ६ विष्णु। संकड़ो-देखो 'सांकड़ो'। ७ प्राकाश। इन्द्रिय । ६ कारण। १० पक्षी। ११ मधु। संकज-स्त्री केसर। १२ रक्षक । १३ रोग। १४ शनिश्चर । १५ शरण । १६ शरीर। १७ सर्प, सांप। १८ पवन हवा। १९प्रकाश। संकट-पु० [सं०] १ दुःख, मुसीबत । २ पीड़ा, कष्ट, तकलीफ । -वि० शुभ, सर्वोत्तम ।-प्रव्य० [सं० सम] समता. निरंतरता ३ बाधा, अड़चन, रोड़ा। ४ माफत, विपत्ति। ५ रोग; सूचक अव्यय ध्वनि ।
बीमारी । ६ एक भैरव । ७ झंझट । -गीर-वि० दुःखी, सई-१ देखो 'सखी' । २ देखो 'सांमी' । ३ देखो 'साई।
पीड़ित, बीमार ।-हर-वि. दुःखों का नाश करने वाला। सक-देखो 'संका'।
-पु० ईश्वर।
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संकटचाय
।६८०
संकु
सकटचौथ-स्त्री० [स० संकट-चतुर्थी] प्रति माह के कृष्ण पक्ष ।। [सं० शंकराचार्य] एक प्रसिद्ध शेव प्राचार्य जो अद्वैत वाद की चतुर्थी तिथि।
के प्रवर्तक थे। संकटरगो (बी)-क्रि० दुःख या विपत्ति पाना, माफत में फंसना। संकरालय-पु० [सं० शंकरालय] कैलाश पर्वत । संकटा-स्त्री० [सं०] १ एक देवी विशेष । २ एक योगिनी | संकरवास-पु० [सं० शंकर-प्रावास] १ कैलाश पर्वत । २ श्मशान विशेष ।
भूमि। संकणी (बी)-क्रि० [सं० शंकनम्] १ शंका या संदेह करना।। संकरियो-पु. १ एक प्रकार का हाथी । २ देखो 'संकर'। २ डरना, भयभीत होना। घबराना। ३ लज्जित या
संकरी-स्त्री० [सं० शंकरी] १ पार्वती, गिरिजा। २ दुर्गा, शमिन्दा होना।
भवानी । ३ एक महाविद्या । ४ मजीठ । ५ शमी वृक्ष । संकद-देखो 'स्कद'।-जगणी='स्कंदजननी'।
संकळ -देखो 'सांकळ' ।
संकळजथा-स्त्री. डिंगल गीत रचना की एक विधि । संकपाळिका-स्त्री० एक प्रकार का प्राभूषण विशेष । संकप्प-देखो 'संकल्प'।
संकलणी (बो)-क्रि० १ एकत्र करना, संग्रह करना । २ एकत्री संकमान-पु० [सं० शंकमान नागवंशीय एक राजा।
करण करना। ३ चुन कर एकत्र करना। ४ शस्त्र संकर-पु० [सं० शंकर] १ शिव, महादेव । २ शंकराचार्य ।
सज्जित होना। ३ सूर्य, रवि । ४ एक छंद विशेष । ५ एक राग विशेष । संकळप-देखो 'संकल्प'। ६ भीम सेनी कपूर । [सं०संकर]७ भिन्न-भिन्न वणं के माता- संकळपणो (बी), संकळप्पणी (बो)-क्रि० [सं० संकल्पनं] १ पिता से उत्पन्न संतान, वर्ण संकर। ८ विभिन्न वस्तुगों
| किसी कार्य का दृढ़ निश्चय करना, पक्का विचार करना। का मिश्रण। एक ही पाश्रय से अनेक प्रभि-प्राय देने
२ दान करना । ३ इरादा करना। ४ समर्पण करना । वाली ध्वनि । १० साहित्य में दो मलकारों का मिश्रण। संकळि, संकळिक, संकलित-देखो 'मांकळ' । -वि०१ कल्याण एवं मंगलकारी। २ प्रानन्ददायक ।
संकळो-देखो 'सांकळो' । -पास-पु० धनुष । -धरणि, धरणी-स्त्री० शिव की संकल्प-पु० [सं० संकल्प] १ दृढ़ निश्चय या विचार । २ इच्छा, पत्नी, पार्वती।-प्रिय-पु० भाक, भांग, धतूरा ।-संल- | अभिलाषा । ३ इरादा, विचार । ४ दान । ५ दान देते पु० कैलाश पर्वत ।
समय का मंत्र । ६ मन, चित्त । ७ समर्पण । ८ इंद्रियों के संकरखण-पु० [सं० संकर्षण] १ बलराम । २ श्रीकृष्ण ।।
साथ मन की क्रीड़ा। ३ अपनी भोर खींचना क्रिया। ४ हल को जुताई। संकल्पणी (बी)-देखो 'संक्ळपणो' (बी)। ५ संघर्षण । ६ ग्यारह रुद्रों में से एक। ७ एक वैष्णव सकारण, संका, सका-स्त्री० [सं० शंका] १ सदेह, डर, भ्रम, सम्प्रदाय ।
पाशंका, बहम । २ प्रविश्वास । ३ विचार, परवाह । संकरजटा-स्त्री० [सं० शंकरजटा] १ रुद्रजटा । २ सागुदाना, ४ पशोपेश, हिचकिचाहट । ५ उलझन, भ्रम । ६ हाजत, साबूदाना।
अपेक्षा । ७ प्राशा, विश्वास । ८ लज्जा, शर्म । संकरण-पू० [सं०] मिश्रण ।-वि. शिव का. शिव सबंधी। संकारणी (बी), संकावरणी(बी)-क्रि० १ शंकित करना, कराना। सकरणी-स्त्री० १ पार्वती, दुर्गा, शिवा । २ हरीतकी, हरहे।
२ भयभीत करना, कराना । ३ परवाह करना, कराना । संकरता-स्त्री०१ मिश्रित होने की अवस्था या स्थिति ।
४ लज्जित करना, कराना। २ दोगलापन, वर्णसकरता।
| संकाळ, संकाळू-वि० १ शंकित रहने वाला, शंका करने वाला। संकरवाणी-स्त्री० [सं० शंकरवाणी] १ सत्य बात, सत्य वचन । २ भयभीत करने वाला। ३ लज्जित या शमिन्दा होने २ ब्रह्म वाक्य ।
वाला। संकरस्वामी-देखो 'संकराचार्य।
संकित, संकोलो-वि० [सं० शंकित] (स्त्री० संकोली) सकरांत संकरांति, सकरायन (ति)-स्त्री० [सं० संक्रांति] १ १ भयभीत, खौफजदा । २ जिसके मन में शंका हो।
सूर्यादि ग्रहों का एक राशि से दूसरी में जाने का समय या ___३ संदेह करने वाला।
क्रिया । २ मकर संक्रांति का पर्व । ३ संक्रमण । संकु-पु० [सं० शंकु] १ कोई नुकीली वस्तु । २ कील, मेख । संकरा-स्त्री० [स० शंकरा] १ पार्वती, भवानी। २ मजीठ ।। ३ भाला, बरछा । ४ दस लाख कोटि के बराबर की ३ शमी वृक्ष । ४ शंकर राग ।-वि० मंगलदायिनी।
___मंख्या । ५ एक मछली। ६ कामदेव । ७ शिव, महादेव । संकराचारज (चार्य), संकराचारिज, संकराचारी-पु० |
राक्षस, दैत्य । ९ हंस। १० बगुला। ११ लिंग।
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संकुकरण
सक्षेप
१२ वस्तु को तीखी नोक । १३ विष, जहर । १४ बारह | ६एक प्रकार की मछली। ७ केसर। ८ एक प्रकार का अगुल के बराबर का माप । १५ घड़ी की सुई। १६ पाप, अलंकार । कलुष ।
संकोचणी (बी)-क्रि० १ संकुचित होमा, भयातुर होना । संकुकरण-पु० [सं० शंकु+कर्ण] १ शंकु के समान लंबे कान २ असमंजस या झिझक होना । ३ कम होना, घटना । ___वाला गधा । २ शिव का एक पार्षद। ३ स्वामिकात्तिकेय । ४ लज्जित होना, शमिन्दा होना। ५ सिकुड़ना। संकुडणी (बी)-देखो 'सिकुड़णो' (बी)।
संकोचित-वि० [सं० संकुचित] १ सिकुड़ा हुअा, तंग । संकुड़ित-वि० [सं० संकुचित] १ सिकुड़ा हुप्रा, संकुचित ।
२ लज्जित, शमिन्दा । ३ अनुदार, रूखा। ४ जिसमें २ लज्जित, शमिन्दा । ३ तंग, सकड़ा।
संकोच हो। संकुचण-स्त्री० [सं० संकुचन] संकुचित होने की क्रिया या | संकोची-देखो 'सेळो' । भाव । संकोच ।
संकोज-देखो 'संकोच'। संकुचणि-स्त्री० संकोच, लज्जा ।-वि. संकोच करने वाली, | संकोडणी (बी)-देखो 'संकोड़णों' (बी)। लज्जावान ।
संको, सको-पु० [सं० शका] १ सन्देह, शक, भ्रम। २ डर, संकुचरणी (बी), संकुचारपो (बी)-क्रि० १मिन्दा या लज्जित भय, पातंक । ३ लज्जा, शर्म। ४ दुराव, छिपाव । होना । २ सिमटना, छोटा होना, सिकुड़ना। ३ सलवटें
५ खयाल, विचार। ६ चिंता, परवाह। ७ लिहाज । पड़ना, झुरिया पड़ना। ४ बन्द होना ।
८ संकोच, झिझक । संकुचित-वि. १ सिकुड़ा हुया, सिमटा हुप्रा । २ लज्जित, संक्रवन-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण का एक नाम । २ इन्द्र।
मिन्दा । ३ सलवर्ट या झुर्रियां पड़ा हमा। ४ बन्द । | संक्रांत (ती)-पु० [सं० संकृती] १ यम। २ रंतिदेव के पिता -स्त्री० कली।
एक प्राचीन राजा। संकुडपो (बो)-देखो 'सिकुड़णो' (बी))।
संक्रम-पु० [सं० संक्रम] १ दुःख, कष्ट या कठिनाई बढ़ने की संकुळ-वि० [सं० संकुल] १ भरा हुअा, परिपूर्ण । २ घना ।
स्थिति । २ पुल, सेतु । ३ किसी ग्रह का एक राशि से ३ पूर्ण, पूरा। ४ अस्त-व्यस्त ।-पु. १ झुड, समूह । |
दूसरी राशि में प्रवेश । ४ चलने या गमन करने की क्रिया। २ भीड़ । ३ जनता । ४ तुमुल युद्ध । ५ वाद-विवाद ।।
५ स्थिति का बदलाव । ६ दुर्गम या संकरा रास्ता । संकुळणी (बी)-क्रि० [सं० संकुलन] १ पूर्ण भरना । २ घना
७प्राप्ति का साधन । ८ स्कन्द का एक मनुचर। होना। ३ प्रस्त-व्यस्त होना। ४ तुमुल युद्ध होना। संक्रमण-पु० [सं०] १ चलने की क्रिया, गमन । २ प्रतिक्रमण । ५ वाद-विवाद होना।
३ सूर्य का किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश । संकुळि, संकुळित-वि० [सं० संकुलित] १ परिपूर्ण, भरा हुग। ४ सूर्य का उत्तरायण या दक्षिणायण में होने का दिन । ___ २ एकत्र, इकट्ठा । ३ अस्त-व्यस्त ।
५ घुमाव, चक्कर। ६ परिवर्तन ।--काळ-पु. बदलाव संकुळी-स्त्री० [सं० संकुली] रीढ़ की हड्डी ।-वि० संकुलित। का समय । परिवर्तन काल । संकुळी, संकुनी-पु० [सं० शकुला] १ सुपारी काटने का संक्रमणो (बी)-क्रि. १ गमन करना, जाना, मागे की भोर
सरौता । २ नश्तर या छुरी विशेष । ३ सुपारी का बढ़ना । २ प्रतिक्रमण करना। ३ घूमना, फिरना । टुकड़ा।
४ रोग का फैलना। ५ प्रवेश करना, पहुंचना । ६ एक संकेत-पु० [सं० संकेतः] १ घर, भवन । २ नाम । ३ इशारा स्थिति से दूसरी स्थिति में होना। ७ बदलाव माना ।
४ चिह्न, निशान । ५ निशानी या पहचान के तौर पर ८ परिवर्तन होना। दी जाने वाली वस्तु । ६ भाव प्रगट करने की चेष्टा । | सक्रांत (ति, ती)-देखो 'संकरांत'। ७ प्रासंगिक बात । ८ शृगारिक चेष्टा । ९ प्रेमी-प्रेमिका संक्रामण-देखो 'संक्रमण' । के मिलने का सांकेतिक स्थान ।
संक्रांमि, सक्रांमी-पु० [सं० संक्रामिन] सक्रमण कराने वाला। संकोड़णो (बो)-क्रि० १ सकुचित या लज्जित होना। २ भय
संक्रांयत-देखो 'संकरात'। भीत होना, डरना। ३ सिकुड़ना, बद होना। ४ सलवटें | सक्षिप्त-वि० [सं०] १ सूक्ष्म रूप में। २ लघु। ३ घटा कर पड़ना । ५ दबाना, मजबूर करना ।
या काट कर छोटा किया हुआ। संकोच-पु० [सं०] १ लज्जा, शर्म । २ सकुचाहट । ३ झिझक, | संक्षिप्ता-स्त्री० [सं०] बुध ग्रह की एक गति ।
असमंजस । ४ सिकुड़न, सलवट । ५ लिहाज, प्रभाव । | सक्षेप-पु० [सं०] १ थोड़े में कही हुई बात, सारबात ।
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सख
( ६८२ )
संख्याति
२सकोचन । ३ समास । ४ सार-संग्रह।
२ शिर की पीड़ा। संख-पु० [सं० शंख । मत घोंघे का मोटा कलेवर जो देव | संखसबदी (सब्दी)-पु० गधा, गर्दभ ।
पूजन में जल रखने या फूक कर बजाने के काम प्राता। | सखा-देखो 'संख्या'। २ एक सौ खरब की संख्या। ३ शंख की प्राकृति का कोई | सखाई-स्त्री०१ धूर्तता । २ कपट । ३ माडंबर । सामुद्रिक चिह्न। ४ कनपटी की हड्डी। ५ एक प्रकार | संखात-पु० [सं० संख्यं] युद्ध। का शिर दर्द । ६ हाथी का गडस्थल । ७ पुराण प्रसिद्ध | संखाळ-पु० [सं० शख-मालुच] १ शंखाकृति के दांत वाला एक राक्षस । ८ कुबेर की निधि के देवता। १ कुबेर की बड़ा सूपर । २ विष्णु ।। नवनिधियों में से एक। १० नर सूपर के मुह का एक | संखावळी (सखाहुळी हळी होळी)-स्त्री०१ ऊमर भूमि में छितर भाग। ११ एक प्रकार का शस्त्र । १२ विष्णु का एक शस्त्र । कर होने वाली एक वनस्पती, शखपुष्पी । २ सफेद कोयल । १३ छप्पय छन्द का भेद । १४ 'ण' गण का द्वितीय भेद । संखासुर-पु० शख नामक राक्षस । १५ एक वर्ण वृत्त विशेष । १६ कपाल । १७ राजा विराट | संखि-देखो 'सखात'। का पुत्र । १८ चरण-चिह्न। १९ ललाट । २० वायु के | संखिणी (नी)-देखो ‘संखणी'। वेग से उत्पन्न ध्वनि । २१ जैनियों का एक ग्रह ।-वि० | संखिनीडकिणी-स्त्री० [सं० शंखिनी डंकिनी] एक प्रकार का १ मुर्ख । २ पाखंडी । ३ रूखा-सूखा। ४ कठोर । उन्माद रोग। ५ उदासीन । ६ श्वेत, मफेद । ७ देखो 'संख्या' ।-धर, | संखियो-पु० [स० शक] १ श्वेत पत्थर को तरह का एक उपधार, धारी-पु. शंख रखने वाला, विष्णु भगवान् ।
धातु जो प्रत्यन्त विर्षला होता है। सोमल । २ इस धातु की श्रीकृष्ण |--नाद-पु० शंख बजने की ध्वनि ।-परबत-पु०
भस्म, मल्ल भस्म । ३ एक प्रकार का छोटा घोंघा। ४ देखो मेरु पर्वत के पास का एक पर्वत ।-पांण, परिण, पाणी
'संख'। पृ० जिसके हाथ में शंख हो, विष्णु, श्रीकृष्ण, योढा, संखी-० [सं० शंखिन]१विष्णू । २ समुद्र । ३ शंख ।-स्त्री. पुजारी।
४ एक लता विशेष । संखकूट-पु० [सं० शंखकूट] एक पर्वत ।
संखु-देखो 'संख'। संखचूर-पु० [सं० शंखचूड] १ श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया एक | संखेप (व)-देखो 'संक्षेप' ।
राक्षस । २ एक यक्ष । ३ एक प्रकार का भयंकर विषाल सर्प। | संखेवि-क्रि० वि० [सं० संक्षेप] संक्षेप में, संक्षेप से। शंख चूर । ४ राम की सेना का एक वानर । ५ एक प्राचीन | सखेसर, सखेसरउ (स्वर)-पु० [स. शंखेश्वर] १ पार्श्वनाथ तीर्थ। ६ प्रजापति दक्ष का वशज एक नाग ।
का एक नाम । २ जैनियों के एक तीर्थ स्थान का नाम । संखणी-स्त्री० [सं० शंखिनी] १ एक बनौषधि विशेष । २ चार संखोढाळ-पु. दूध, तिल, जो प्रादि मिला जल ताबे के पात्र से
प्रकार की स्त्रियों में से एक। ३ गुदा द्वार की एक नस । शख में लेकर की जाने वाली पित तपण विधि । ४ एक देवी। ५ एक अप्सरा। ६ मुह की एक नाड़ी। संखोदक-पु० [सं० शख-उदक] विष्णु पूजन में शंख में रखा ७ सीप । ८ कलहप्रिय नारी। ९ बौद्ध लोगों द्वारा पूज्य
| जाने वाला जल । एक शक्ति । १० घोड़े की ललाट पर होने वाली भंवरी | संखोद्धार (धार)-पु. १ नाघों द्वारा मृतक के मोक्ष के लिये विशेष । ११ गाथा छद का एक भेद ।
किया जाने वाला योगमाया का पूजन । २ द्वारिका के पास संखतीरथ-पु. [सं० शंखतीर्थ ] सरस्वती नदी के निकट स्थित - का तीर्थ। ३ श्रीकृष्ण । ४ संन्यासी। ५ विष्णु का पुजारी। एक तीर्थ ।
| संखोलियो, संखो-देखो 'संख' । संखद्राव-पु० [सं० शंखद्राव] प्रति तीव्र एक प्रकार का प्रर्क। सख्या-स्त्री० [सं०] १ गणना, गिनती, तादाद । २ उपाय, सखनारी-स्त्री० [सं० शखनारी] १ सोमराजी नामक वनस्पती ।
युक्ति । ३ कारण, निमित्त । ४ अंक, हिंदता । ५ समझ २ एक छंद विशेष ,
बुद्धि । ६ विचार, खयाल । ७ ढग, तौर-तरीका । संखनी-देखो 'संखणी'।
| संख्यांत-वि० [सं०] १ जिसकी गणना या गिनती की जाय । संखपाखाण (पासारण)-पु. [सं० शंख पाषाण] संखिया, सोमल । २ गिना हुमा, गणित ।-पु० संख्या, अक । संखप्रक्षालन-पु. योग की एक क्रिया विशेष ।
संख्याता-स्त्री० [सं०] १ पहेलो विशेष । २ देखो संख्यात' । संखघ्रत-पु० [सं० शंखभत विष्णु।
संख्याति-वि. १ मूर्तिमान, साकार । २ असंख्य, अपार । संखबात-पु० [सं० शंखवात] १ कनपटी संबंधी एक रोग। -पु० मुलाकात, भेंट ।-क्रि० वि० सामने, सम्मुख ।
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संख्यातिथि
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( ६०३ )
संख्या लिपि-स्त्री० शब्दों के स्थान पर अंकों की भाषा । संग - पु० [सं०] १ संगम, मिलन, मेल । २ स्पर्श, संसर्ग । ३ संगत, सोहबत, साथ । ४ संयोग । ५ सहवास । ६ प्रासक्ति, वासना । ७ साथ-साथ होने की अवस्था । [फा०] ८ पत्थर, पाषाण । ६ देखो 'संघ' । १० देखो 'सांग' ।
संगuna (aeम, सबर)-पु० [० समेधरवड]
१ मक्का स्थित वह काला पत्थर जिसके दर्शन किये जाते हैं। २ एक प्रकार का रश्न ।
संगट देखो 'संकट' ।
संगटीयो - वि० दु:खी, पीड़ित, संकटग्रस्त ।
संगट्टरण- देखो 'संघटरण' ।
संगठ- १ देखो 'संकट' । २ देखो 'संघटण' ।
संगवारी - पु० [सं०] संवारा] एक प्रकार का पत्थर संगजराहत - पु० [अ० संगेजराहत ] प्रौषधि में काम पाने वाला संगवी-पु० साथी, सहयोगी, सहगामी ।
एक सफेद कोमल पत्थर ।
संगठण - देखो 'संघटण' ।
संघ
संगठणी (ब)- कि० [सं०] संघटनम् ] १ संगठन बनाना, बनाना, एकमत होना । २ देखो 'संकटणी' (बो) । संगठासुर-देखो 'सकटासुर संगठित - वि० [सं० संघटित ] १ एकत्र, मिला हुप्रा, संगृहीत । २ एकमत या एक गुट के रूप में बना हुआ, एक जुट । पडी-देखो 'ग' ।
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समयसव (सम, स्व, स्म) पु० [फा० संग-यमय] घोषधि में कामाने वाले कुछ (पत्थर) रत्न विशेष
संगर (रि, री० [सं० सम्] १ युद्ध, समर संग्राम
२ सोदा, व्यवहार । ३ भोजन, खाना । ४ विष, जहर । ५ चारों श्रोर बनी खाई या दीवार । ६ संगठन । ७ विपत्ति, संकट । ८ प्रण, प्रतिज्ञा । संगम- देखो 'संयम
संग्रह
संगरोध पु० [सं०] संक्रामक रोग की रोकथाम की व्यवस्था । संगल-पुं० [सं०] १ रेशम विशेष । २ लोह शृंखला | ३ बेड़ी | संगध पु० [सं०] प्रातःकालीन समय
संगसार पु० [सं०] अपराधी को दीवार में बनने का दण्ड संगसुरमा पु० [फा०] संदेसुमं] सुरमा बनाने का उपधातु संगह देखो 'संग्रह' ।
संगहिया - वि० संग्रहीत
संगा - वि० साथ रहने वाली साथिन, सहचारिणी ।
1
संगति, संगाली (थि थी) १० १ संगी, साथी, सहयोगी २ सहायक, मददगार । ३ मित्र. दोस्त । ४ प्रेमी । संगार - देखो 'गार' ।
1
संगि, संगियो, स्रगी- पु० [सं० संग + रा. ई ] ( स्त्री० संगिनी) १ हरदम साथ रहने वाला, साथी, मित्र, दोस्त । २ साथ चलने वाला, सहगामी सहबर ३ सहायक, मददगार । ४ संरक्षक । ५ साथ । ६ संक्रामक रोग । ७ धनुरक्त, प्रासक्त | [सं० संज्ञी ] ८ संज्ञा वाले जीव ।
संगीत स्त्री० [सं० संगीत ] १ गायन, वादन व नृत्य । २ समूह
संगत स्त्री० [सं०] १ साथ सोबत २ एकता, मेल-जोल । ३ मित्रता, मंत्री । ४ सहयोग । ५ प्रासंगिक या उचित बात या व्यवस्था । ६ साहचर्य, संसगं । ७ सहवास, संभोग ८ सामूहिक संकीर्तन, भजन । वि० १ जुड़ा हुधा, मिला हुमा । २ एकत्र, संगृहीत। ३ उचित, मुनासिब । ४ संकुचित, सिकुड़ा हुआ । ५ समान वर्ग का जाति का ।
गान । ३ गायन-वादन की कला या शास्त्र । ४ वाद्यों के साथ कोई वर्गीकृत गायन । विद्या स्त्री० गायन-वादन की कला या शास्त्र ।
संगीति (ती) स्त्री० [सं० संगीत] १ संगीत विद्या । २ संगीतज्ञ, संगीत का पंडित । ३ देखो 'संगति' ।
संगति - स्त्री० १ तालमेल, सामंजस्य । २ सयोग, इत्तफाक । संगीन स्त्री० [फा०] बन्दूक ( राइफल ) के शिरे पर लगने वाला एक तीक्ष्ण शस्त्र । वि० १ विकट, मजबूत | ३ मेल-जोल । ४ ज्ञान । ५ समाज । ६ संगत । २ असाधारण । ३ पत्थर का बना ।
संगतियाँ ० १ नाचने-गाने वाले का साथ देने वाला, सहयोगी , ।
२ साथ रहने वाला व्यक्ति ।
संगम पु० [सं०] १ दो वस्तुओं का परस्पर मिलन, मिश्रण २ मिलनस्थल । ३ संग, साथ। ४ संसर्ग संस्पर्श । ५ सम्पर्क | ६ मैथुन, संभोग । ७ ग्रहों का सयोग । संगमरमर, संगमरवर पु० [फा० संगमरमर ] श्वेत या चिकना पत्थर विशेष ।
संगमूसो - पु० [फा० संगे मूसा ] काले रंग का एक बहुमूल्य पत्थर विशेष ।
संग्या - स्त्री० [सं० संज्ञा ] १ होश - हवास, सुध, चेतना । २ अवस्था, दशा, हालत । ३ ध्यान, खयाल । ४ बुद्धि, भक्ल, ज्ञान । ५ किसी वस्तु या प्रारणी का नाम जाति या कोई भावबोधक शब्द । ६ गायत्री मंत्र । ७ सूर्य की पत्नी
का नाम ।
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संग्याही - वि० [सं० संज्ञाहीन] १ चेतना रहित, बेहोश । २ मैला, कुचेला, गदा । ३ घृणित । ४ मूर्ख ।
संग्रह - पु० [सं०] १ एकत्र करने की क्रिया या भाव। २ संगृहीत
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( ६८४ )
संग्रहणी (बो) - क्रि० [सं० संग्रहणम् ] १ संग्रह या संचय करना । २ लेना, ग्रहण करना। ३ पहनना, धारण करना । ४ लाभ प्राप्त करना। ५ रक्षा करना, हिफाजत करना । ६ स्थापित करना । ७ कैद करना । ८ मिलना । ९ युद्ध । करना । १० रोकना, थामना । संग्रह पहली देखी 'ही' सही - वि० 10 संग्रह करने वाला, एकत्र करने वाला । ग्राम- पु० [सं० ग्राम ] युद्ध, समर, लड़ाई । संग्रामसाही पु० महाराणा संग्रामसिंह द्वारा प्रचलित मेवाड़ राज्य का एक सिक्का ।
संग्रामांगण-पु० [सं० संग्राम अंगरण] युद्धभूमि, रणक्षेत्र ।
रणस्थल ।
संग्राह पु० [सं०] १ बोजार या किसी हथियार का दस्ता २ ढाल का हत्था विशेष । ३ मुक्का, मुष्ठिका | संग्राहक - वि० [सं०] संग्रह करने वाला । सग्राही पु० [सं० संग्राहिन् ] १ कफादि दोष, धातु, मल तथा तरल पदार्थों को खींचने वाला तत्व । २ कब्जकारी वस्तु । संघ पु० [सं०] १ लोगों का समुदाय या समूह २ धावक समुदाय । ३ समूह, झुण्ड । ४ तीर्थाटन को जाने वाला यात्री दल । ५ साधुनों का मठ ६ संगठित होने की अवस्था या भाव। ७ कुछ निश्चित उद्देश्य से बना समुदाय, सगठन । ८ एक लोक तांत्रिक शासन व्यवस्था । ९ राष्ट्रों का संगठन । १० देखो 'संग' |
भाव ।
संघ पु० [सं०] १ समूह, समुदाय । २ देखो 'संकट' । संघहरण ० १ संगठित होने की अवस्था या २ इकाइयों का समूह । ३ बिखरी हुई शक्तियों को एक जुट करने की क्रिया । ४ किसी निश्चित लक्ष्य से बनाया गया समुदाय, संस्था ५ रचना, संरचना, बनावट । ६ स्वरों का शब्दों से सयोग ।
वस्तुओं का ढेर ३ भोजन, पान, घोषध खाने की क्रिया ४ मंत्र बल । ५ ग्रहण ६ समूह, जमघट । ७ धारण करना क्रिया । ८ विवाह शादी । ९ मैथुन, संभोग । १० स्वागत सम्मान ११ निग्रह, संयम १२ २१, हिफाजत १३ तालिका सूची १४ योग जोड़ १५ शिवजी का एक नाम । १६ स्कंद का एक अनुचर । संग्रहण १० [सं०] १ लेना क्रिया प्रहरा २ प्राप्ति लाभ ३ गहनों की जड़ाई । ४ अपहरण ५ व्यभिचार, संभोग, मैथुन । ६ संहार, नाश । ७ युद्ध ।
·
संग्रह (1) ० [सं०] संपली] पाचन क्रिया का विहार, संघरली (बी) कि० १ संहार करना, मारना २ युद्ध करना। एक रोग 1
३ देखी 'संग्रह' (बो) ।
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संपता-संसर्ग संपतं ।
संघट्टचक्र - पु० [सं०] फलित ज्योतिष में युद्ध फल विचारने का नक्षत्रों संबंधी एक चक्र ।
संघाळौ
संघट्ट देखो 'संघटण' ।
संपत (ति, सी) पु० [सं०] किसी संघ या समूह का मध्यस प्रधान, दलपति, नायक ।
संघर - १ देखो 'संगर' । २ देखो 'संग्रह' ।
संघरण - वि० १ संहार करने वाला, नाश करने वाला
'संग्रहण' ।
संघवाही देखो 'सिंहवाही' । संघवी-देखो 'सिंघवी' ।
संघाट- देखो 'संघात' ।
संघरस, संघरसल पु० [सं० संघर्ष संघर्षण] १ रगड़ने, चिसने या घोटने की क्रिया । २ किन्हीं दो विरोधी दलों या पक्षों में एक दूसरे का दबाने के लिये चलने वाला झगड़ा । ३ कष्ट या प्रभाव से बचने का प्रयाम । ४ प्रतियोगिता, स्पर्धा । ५ द्वेष, वैर । ६ टक्कर, भिड़ंत । ७ डाट, ढक्कन । ८ बाधा, रुकावट ।
संघरसी० [सं० संबंधित] संघर्ष करने वाला, संघर्षरत । संघल (दीप, द्वीप), संघलि (लो), संघलिदीप (द्वीप) - देखो 'सिंहलद्वीप' ।
२ देखो
संघाड - पु० १ दो की जोड़ी, युग्म । २ समूह ।
संघाडि (डी) - स्त्री० [सं० सघाटिका ] १ वस्त्र के टुकड़ों का बना चोगा, कथा । २ प्रोढ़ने का वस्त्र । ३ जैन साध्वियों के वस्त्र |
संघात ( इ ई ) - पु० [सं० संघात ] १ साथ २ ऐक्य, संयोग,
मिलाप । ३ समुदाय, समूह । ४ हत्या, वध । ५ नाश, ध्वंस । ६ कफ, श्लेष्म । ७ एक नरक विशेष । ८ शरीर । - वि० साथ, सहित
संघार- देखो 'संहार' । संधारक देखी 'संहारक' ।
संघारकर - पु० [सं० संहारकर ] सुदर्शनचक्र ।
संघातक - वि० [सं०] १ घात करने या प्राण लेने वाला, मारने वाला । २ नाश या ध्वस करने वाला ।
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संधारण - पु० [सं० सहारा ] १ सुदर्शन चक्र । २ बलराम का एक नाम । - वि० संहार या नाश करने वाला । संधारण (बी) देखो 'संहार' (बी) | संघाळो-देखो 'सिंघाळो' ।
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संघासरण
( ६८५ )
संजमरणो
संघासण-देखो 'सिंहासन'।
दूसरी में गमन । ३ पावागमन । ४ मार्ग, पथ, रास्ता । संच-वेखो 'संचय'।
५ कठिन कार्य या पथ। ६ मार्ग दर्शन । ७ सांप के फन संचक, संचकर-पु. वह जो संचय करे, कृपण, कंजूस'।
की मणि संबकार-पु० [सं० सत्यकार] १ सौदा तय होने पर दी जाने
१ सादा तय हान पर दी जान | संचारक-वि० (स्त्री० संचारिका) १ संचार करने या संचरित वाली पेशगी, साई । २ खुला स्थान ।
होने वाला । २ नेता, मुखिया, प्रधान । ३ चलाने वाला। संचग, संचगर-देखो 'संचकर' ।
४ अन्वेषक, शोधक ।-पु० स्वामिकार्तिकेय का एक संचणलूण-पु. एक प्रकार का लवण ।
अनुचर। संचरणौ (बी)-क्रि०१ संचय करना, एकत्र करना। २ देखभाल सचारणी (बो)-क्रि०१ संचार करना । २ फैलाना । ३ चलाना ।
करना। ३ प्रविष्ट होना। ४ तैयार, कटिबद्ध होना। संचारि, संचारिक-१ देखो 'संचार' । २ देखो 'सचारी'। ५ सुरक्षित रखना।
संचारिका-स्त्री० [सं०] १ दूती, कुटनी। २ नाक । ३ बू, गंध । संचतकरम-देखो 'संचितकरम' ।
संचारी-पु० [सं० संचारिन्] १ साहित्य के अन्तर्गत भाव । संचय-पु० [सं०] १ समूह, झुण्ड । २ धन या वस्तुमों का संग्रह, २ पद या गीत का तीसरा भाग। ३ हवा, वायु ।-वि०
संरक्षण । एकत्रीकरण । ३ संकलन । ४ पदर्थों का संचरण या संचार करने वाला। २ पाया हुमा, ढेर, राशि। ५ अधिकता, बाहुल्य । ६ दाह संस्कार के | भागन्तुक । बाद प्रस्थिय बीनने की क्रिया।
संचाळ (ल)-पु० कंपन, चलन, गमन । संचर-पु० [सं०] १ गमन, चलन। २ एक राशि से दूसरी में | संचावरणौ (बो-देखो 'संचाणी' (बो)।
ग्रह का गमन । ३ मार्ग पथ, रास्ता। ४ शरीर, देह । संचित (ब)-वि० [सं०] १ संचय या एकत्र किया हुमा । ५ संचित कर्म । ६ संचार या प्रवेश का मार्ग । ७ देखो २ संचित कर्म। 'संचळ' ।
संधियार-देखो 'सचियार' संचरण-पु० [सं०] १ संचार करने की क्रिया या भाव, | संची-देखो ‘साची'।
चलन, गमन । २ पसरने, फैलने की क्रिया । ३ कांपने की संचीत-वि. चितित, दुःखी। क्रिया या भाव। ४ मार्ग, रास्ता, पथ। ५ पैर, चरण, संचीताई-स्त्री० [सं० स+चिन्ता] चिन्ता, दुःख ।
सचे-देखो ‘संचय' । संचरणी (बी)-क्रि० [सं० सम् चर] १ गमन करना, जाना संचौ-पु. १ तरल या गीला पदार्थ डालकर विशेष प्राकृति
२ घूमना, विचरण करना, परिभ्रमण करना। ३ प्राना, में ढालने का उपकरण, फरमा, ढांचा। २ संग्रह, संचय, पागमन करना। ४ अनुसरण करना। ५ प्रविष्ट होना, । जमा । ३ तरह, प्रकार । पहुंचना । ६ अंकुरित होना, उभरना । ७ उत्पन्न होना, पैदा संछरद्दण-पु० [सं० संछदन] ग्रहण का मोक्ष विशेष । होना। ८ जाना, पलायन करना, भागना। ६ फैलना, | संज-पु० [फा०] १ झांझ, मजीरा । २ शिव । ३ ब्रह्मा । प्रसारित होना। १० चलन में या व्यवहार में प्राना । ४ यत्र या वाहन से सबंधित उपकरण । ५ साज-सामान । ११ प्राक्रमण करना। १२ होना। १३ उच्चरित होना। ६ एक देश का नाम । ७ देखो 'सध्या' । १४ मिलना, प्राप्त होना।
संजड़ी-देखो 'सुजड़ी'। संचरलूण-पु० एक प्रकार का नमक ।
संजण-देखो 'सज्जण' । संचळ, संचल-पु. १ कंपन, पाहट । २ स्पर्श. छूना क्रिया। संजणो (बो)-क्रि० १ सकुचाना, शर्माना । २ ईायुक्त होना । ३ टटोलना क्रिया । ४ एक प्रकार का नमक ।
३ प्रभावित होना । ४ देखो 'सजणी' (बी)। संचवरणी (बी)-क्रि० १ बन्द करना, जड़ना । २ लगाना, | संजत-पु० १ सामान, सामग्री । २ सजावट । ३ प्रबंध, सटाना । ३ देखो 'संचरणो' (बी)।
व्यवस्था । ४ देखो 'सजुत' । ५ देखो 'संयुक्त' । संचाण (लो), संचान-देखो "सिंचारण' ।
संजनि-स्त्री० [सं०शिजनी] प्रत्यंचा । संचाणो (बो)-क्रि १ संचय कराना, एकत्र कराना । २ देख संजब-देखो 'सजाफो' ।
भाल कराना । ३ प्रवेश कराना। ४ तैयार करना, कराना। संजम-वि० १ अंधा । २ देखो 'सयम' । ५ कटिबद्ध करना ।
संजमरपो-वि० संयम धारण करने वाला। संचार-पु० [सं०] १ गमन, चलन । २ ग्रह का एक राशि से | सजमणी (बौ)-क्रि० संयम रखना, संयम से रहना ।
पग।
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संजमनी
( ६८६ )
संजमनी-स्त्री० [सं० संयमनी] यमराज की नगरी। -पत, | संजोग-देखो 'संयोग'। · पति, पती-पु० यमराज ।
संजोगि, संजोगी-वि० १ मिला हमा, संयुक्त, दीर्घ । २ देखो संजमभार-पु. दीक्षा।
___'संयोगी'। संजमि (मी)-१ देखो 'संजम'। २ देखो 'संयम'। ३ देखो संजोगे (गे)-क्रि० वि० संयोग से, देवयोग से। 'संयमी'।
संजोगौ-१ देखो 'संयोग' । २ देखो संयोगी'। संजय-पु० [सं०] १ धृतराष्ट्र का एक मंत्री। २ एक सूर्यवंशी | संजोडणौ (बौ)-क्रि० १ मिलाना, संयुक्त करना। २ तैयार राजा । ३ ब्रह्मा। ४ शिव-वि० सुसज्जित, तैयार ।
करना। संजरांमो-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
संजोगो (बो)-क्रि० [सं० संयोजनम्] १ जलाना, प्रज्वलित सजरी-पु. संज देश का निवासी।
करना । २ सजाना, सुसज्जित करना। ३ तैयार करना, संजवारी-स्त्री० झाड़, बुहारी।
बनाना । ४ इकट्ठा करना, एकत्र करना। ५ पिरोना । संजाफ-स्त्री० [फा०] १ गोट, झालर, किनारा, हाशिया ।। ६ लगाना, करना । ७ देखना, निहारना । ५ सजीवित २ देखो 'संजाफी'।
करना, हरा भरा करना, पल्लवित करना। संजाफी-पु. पाधा लाल व प्राधा हरे रंग का घोड़ा । | संजोत (ति, ती)-स्त्री० १ ज्योति, लो। २ चमक ।
। संजाब-पु० [फा०] १ चूहे के प्राकार का एक जीव । २ देखो संजोयणादोस-पु० भोजन संबंधी एक दोष । - संजाफ' । ३ देखो 'संजाफी'। .
सजोवरणौ (बो)-देखो 'संजोणी' (बी)। संजावणो (बो)-देखो 'संजोणो' (बो)।
संजोह-पु० १ कवच । २ जुलाहे के काम का लकड़ी का संजिगत-वि० [सं० संयुक्त] सहित, संयुक्त ।
चोखटा। संजिम-पु० १ दीक्षा । २ देखो 'संजम' ।
संज्या-देखो 'सध्या'। सजीदगी-स्त्री० [फा०] १ माचरण, विचार, व्यवहार प्रादि संज्वर-पु० [सं०] १ तीव्र बुखार । २ क्रोध, भावेग । में गंभीरता । २ शिष्टता, सौम्यता।
सझ-१ देखो 'साज' । २ देखो 'संध्या' । ३ देखो 'संज'। संजीदी-वि० [फा० संजीदः] स्वभाव से गंभीर, सौम्य, शिष्ट । संझया, संझा-देखो 'संध्या'। संजीरी-पु. १ रसोई या भोजन की सामग्री। २ रसोई का कार्य। संझावळ-पु० [स० संध्यावल] राक्षस, निशाचर । संजीव-पु० [सं०] १ मृतक को पुन: जिलाने की क्रिया । संझारावउं-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष ।
२ पुनर्जीवित करने वाला । ३ एक नरक का नाम । | संझि, सश्या-देखो 'संध्या' । सजीवण-देखो 'संजीवन' ।
संठ-देखो 'सठ'। सजीवणी-देखो 'संजीवनी' ।- विद्या='संजीवनी विद्या'।
संठणी (बी)-क्रि० १ घनी, सम्पन्न या वैभवयुक्त होना । संजीवन-पु० [सं०] १ पुनर्जीवित करने की क्रिया । २ एक | २ जुड़ना, संयुक्त होना । ३ संस्थापित होना।
प्रकार की जड़ी । ३ एक प्रकार की विद्या ।-वि० जीवित, | संठवणो (बी)-देखो 'सठणो' (बी)। जिन्दा ।-विद्या-स्त्री० मृतक को पुनः जीवित करने की | संठवाडी-पु. १ खेत में होने वाला घास-फूस या छोटी झाड़ियां। विद्या या मंत्र।
२ घास-फूस या झाड़ियों वाला खेत । ३ छोटी-छोटी बूंदों संजीवनि, संजीवनी-स्त्री० [सं० संजीवनी] १ पुनर्जीवित से होने वाली वर्षा की झड़ी।
करने वाली जड़ी। २ एक मंत्र या विद्या विशेष । ३ वैद्यक संठारो (बी)-क्रि० १ संस्थापित करना/कराना । २ जुड़ाना या में एक भौषधि । -विद्या-स्त्री. एक प्रकार की विद्या या जोड़ना।
मंत्र जिससे मृतक को पुनर्जीवित किया जा सकता हो। | संठाव-पु० पड़त की कृषि भूमि । संजुक्त-देखो 'संयुक्त'।
संठावणी (बी)-देखो 'सठाणो' (बौ)। संजुग-पु० [सं० संयुग:] १ युद्ध, लड़ाई । २ देखो 'संयुक्त'। संठीर-वि० दढ़, मजबूत । संजुगम, संजुग्म-वि० [सं० स+युग्म] सहित ।
संठोळी-स्त्री० १ गन्ने की छोटी पेरी। २ शक्कर की बनी संजुत-पु० [सं० संयुक्त] युद्ध, लड़ाई ।-वि० सुसज्जित, युक्त । ___ चौकनुमा वस्तु । देखो 'संयुक्त'।
संठो-देखो 'सोठो'। संजुति, संजुत्त (ता, त) संजूत-१ देखो 'संजुत'। २ देखो संड-पृ० [सं० शंड] १ नपुसक, हिजड़ा। २ वह पुरुष जो 'संयुक्त' ।
निस्संतान हो। ३ देखो 'सांड' । ४ देखो 'सूड' ।
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संडता
(६८७ )
संतोखो
संडता-स्त्री० [सं० षंडता] १ नपुसकता, हिजड़ापन । संतान-पु० [सं० संतान] १ वश । २ प्रौलाद । [सं० संतान:] २ मूर्खता ।
३ कल्प वक्ष । ४ एक प्रकार का प्रस्त्र। संडयोनि-स्त्री० [सं० षंड-योनि] वह स्त्री जिसके स्तन न हो | संतांनक-पु० [सं० संतानक] १ कल्पवृक्ष । २ ब्रह्मलोक से
और मासिक धर्म न होता हो । पुरुष के लिये प्रयोग्य। | परे एक लोक। संडाई-स्त्री० १ मशक की तरह फूला हुमा भैस का चमड़ा जो | संतांनिका-स्त्री० [सं० संतानिका] १ फेन, झाग । २ मलाई । तरने के काम प्राता है। २ देखो 'संडासी'।
३ एक प्रकार का घास, मर्कटजाल । ४ छुरी या शस्त्र की संडास-पु. शौच-कूप, पखाना ।
धार । ५ एक स्कन्द मातृका विशेष । संडासी-स्त्री० १ लुहार व सूनारों मादि के काम पाने वाला | संतापाळ-पु० [सं० संतपालक] परमेश्वर, ईश्वर ।
एक उपकरण । २ इसी तरह सपंपादि पकड़ने का लकड़ी संताड़णो (बी), संतारणी (बौ)-देखो 'सतापणो' (बी)। का उपकरण।
संताप-पु० [सं०] १ अग्नि, धूप प्रादि तीव्र ताप या पांच । संडिल (हल)-पु० पार्यों का एक जनपद :
२ तीव्र मानसिक क्लेश । ३ चिन्ता, दुःख। ४ शरीर में संडेव-पु० १ नदी। २ वृषभ ।
होने वाली दाह, जलन । पीड़ा । ५ मन का अनुताप, परसंडी-पु. १ असुरों के एक पुरोहित । २ ऊंट । ३ देखो 'ल्हास' । चाताप। ६ कष्ट, विपत्ति ७ ज्वर, बुखार । ८ शत्रु, ४ देखो 'सांडो'।
दुश्मन । ६ रोग, बीमारी ।-वि० तप्त । संणकरणी (बी), संणक्कणी (बी)-क्रि० १ तीर, गोली प्रादि | संतापण (न)-पु० [सं० संतापन] , संताप देने की क्रिया या
का तीव्र गति से चलना। २ तेज गति से सन-सन् ध्वनि भाव । २ कामदेव का एक बाण । ३ एक प्रकार का प्रस्त्र । उत्पन्न होना। ३ देखो 'सिणकणो' (बी)।
-वि० सतप्त करने वाला। संणको (क्को)-पु० तीर, गोली मादि की तीव्र गति से उत्पन्न | संतापणी (बो)-क्रि० १ दुःख देना, सताना, कष्ट देना। ध्वनि ।
२ दु:खी होना। संणगार-देखो "सिणगार'।
संतापित -वि० [सं०] पीड़ित, संतप्त । संणगारो (बी)-देखो "सिणगारणो' (बी)।
संतापु. संताव-देखो 'संताप'। संत-पु० [सं० मत्] १ साधु, सन्यासी या कोई मुनि-महात्मा । सतावणी (बो)-देखो 'संतापणो' (बी)।
२ साधु की तरह ही कोई त्यागी पुरुष। ३ सज्जन । | संति (ती)-पु. १ सोलहवें तीर्थकर शांतिनाय । २ देखो ४ भक्त। ५ एक मात्रिक छंद विशेष ।-वि० निर्मल, पवित्र । 'सांति'। -मन-वि० श्वेत, सफेद * । पटल, दृढ़।
संतिकरउ-वि० शांति करने वाला। संतण (प)-१ देखो 'सत' । २ देखो 'सांतनु' ।
संतीसर-पु० शांतिनाथ स्वामी। संतत-वि० [स०] १ निरन्तर, लगातार । २ विस्तृत, फला संतु-वि० १ अच्छा । २ शान्त । ३ देखो 'संत'।
हुमा । ३ अत्यधिक । ४ सदा बना रहने वाला। सतुख-स्त्री. १ सिंह के अगले कंधे के पास की एक हड्डी। संतति-स्त्री० [सं०] १ संतान, पोलाद । २ प्रजा, रिपाया ।। २ देखो 'संतोस'। ३ प्रवली, पंक्ति । ४ वंश, कुल ।-पथ-पु० योनि ।
| संतुस्ट (स्ठ)-वि० [सं० संतुष्ट] १ जिसे संतोष हो, तुष्ट, संतवासोत-पु. रामावत साधुनों की एक शाखा ।
तृप्त । २ महरबान, तुष्ट मान । ३ राजी, रजामद । संतन (नु)-१ देखो 'संत' । २ देखो 'सांतनु' ।-सुत, सुतन= | ४ प्रसन्न, खश । ५ प्राश्वस्त । 'सांतनुसुत'।
संतुस्टि (स्टी)-स्त्री०१ संतोष, तृप्ति । २ प्रसन्नता । ३ सब्र । संतप, संतप्त-वि० [सं० संतप्त] १ अधिक तपा हुमा, गर्म। सतू-१ देखो संत' । २ देखो 'संतु'। २ जला हुघा, दग्ध । ३ दुःखी, पीडित ।
संतोक (ख)-देखो 'संतोस' । संतमस- पु० [स० संतमस] प्रधकार, अधेरा ।
संतोखड़ो-देखो 'संतोस'। संतर-वि० शत्रु. दुश्मन ।
संतोखरणो (बी)-क्रि० [सं० संतोषनम्] १ संतोष दिलाना; संतरजण (न)-पु० [सं० संतर्जन] स्कन्द का एक अनुचर ।
संतुष्ट करना, तृप्त या पाश्वस्त करना। २ राजी करना, संतरवा संतरिवा-स्त्री० [स० शत ह्रदा] विद्युत, बिजली ।
खुश करना । ३ संतुष्ट होना । ४ राजी होना, खुश होना । संतरी-पु० [अं० सेंटरी] पहरेदार, द्वारपाल, सिपाही । सतोखी-देखो 'संतोसी'। संतरौ-पु० [पुर्त० सगतरा] नारंगी नामक फल ।
संतोखो-देखो 'संतोस'।
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संतोपरणी
(
६८८
)
सबब
संतोपणो (बो)-क्रि० संतुष्ट करना ।
संदरणी (बी)-क्रि० १ मकान या दीवार प्रादि में नमी या संतोल-देखो 'सतोल।
प्राता पाना । २ गीलापन होना। संतोळियौ-देखो 'सतोळियौं'।
संवन-देखो 'स्यंदन'। संतोस-पु० [सं० संतोष] १ वह मानसिक अवस्था जब व्यक्ति संदरभ-पु० [सं० सन्दर्भ] १ पूर्व वणित विषय । २ बनावट,
किसी दशा या पदार्थ के प्रति प्राश्वस्त हो जाता है, संतोष, | रचना । ३ ग्रंथ रचना । ४ निबन्ध, लेख । ५ विवेचन । सब, तुष्टि । २ इच्छा पूर्ति की अवस्था । ३ हर्ष, प्रसन्नता । ६ अध्याय । ७ पूर्व बात का उल्लेख, प्रसंग । ४ धैर्य, शांति । ५ भरोसा, विश्वास । ६ प्रेम, प्यार। संदरी-१ देखो 'सुदरी' । २ देखो 'सदरी' ७ स्नेह ।
संबळ (ल)-पु. [फा० संदल] चन्दन । संतोसणी-वि. १ संतुष्ट होने वाला । २ संतुष्ट करने वाला।
संबळी, संबली-वि० चन्दन का, चन्दन के रंग का ।-पु. संतोसरणौ (बो)-देखो संतोखणौ' (बी)
१ चन्दनी रंग का घोड़ा। २ चंदन की गंध का शराब । संतोसन-पु. संतोष, संतुष्टि तृप्ति ।
३ वह हाथी जिसके बाहरी दांत न हो। ४ मकान या संतोसी-वि० (स्त्री० संतोसण) १ संतोष करने वाला, संतोषी।
कक्ष में लगाया गया टांड। २ संतोष संबंधी।
संबळी-पु० छत या प्रांगन में चूना-मसाला भादि जमा कर की
जाने वाली घिसाई। संतोसीमाता-स्त्री० एक देवी विशेष ।
संदाणी (बो)-देखो 'संधाणो' (बी)। संत्य-पु० [सं०] अग्निदेव का एक नाम ।
संवानित-वि० [सं०] बधा हुग्रा । संथ-क्रि० वि० [सं० सति] हैं, हुए हैं ।
संदावरणौ (बौ)-देखो सधारणो' (बी), संथइ (उ)-पु० [स० सीमंतक] स्त्रियों का प्राभूषण विशेष ।
संदावेस-पु० [स० सन्देश] समाचार, सन्देश । संथगर-वि० [स० सस्त्यानं] संग्रह करने वाला, संग्रह कर्ता।
संदिगध-वि० [सं० सदिग्ध] जो सदेह योग्य हैं, जिस पर संपणो (बी)-क्रि० [म. सस्त्यानम] संचय करना, संग्रह करना।
विश्वास करना सभव न हो। संथरइ-स्त्री. १ बिछौना । २ सोने की क्रिया ।
संदिपति (पती)-पु० [स० स्पंदन-पति] रथ हांकने वाला, रथी। संघव-पु० [सं० संस्तव] स्तुति, गुणगान ।
संवी-देखी 'हंदी'। संथा-स्त्री० [सं० संहिता] १ गुरु के द्वारा पढ़ाया गया पाठ, संदोरणी, सदोलो (नौ)-पु० [सं० संधान] दवामों के साथ
, पाठ का अंश । २ विद्या, ज्ञान । ३ वेदों का मंत्र बनाया हुमा पौष्टिक खाद्य पदार्थ । भाग। ४ धर्मशास्त्र । ५ शिक्षा, उपदेश । ६ ईश्वर। संदूक (डी, डो),संदूकची, संदूख-स्त्री० [अ०] वस्त्र, आभूषण ७ इतिहास, वृत्तान्त।
प्रादि रखने की पेटो। संथार, संथारउ, संचारड़उ-देखो 'संथारौ' ।
संदूर-देखो "सिंदूर'। संपारणो (बो)-क्रि० बिछाना, फैलाना।
संदे, संदे-देखो 'सदेह'। संथारपयन्न-पु० संथारे की विधि सबधी ग्रंथ ।
संदेडो-पु. एक प्रकार का वृक्ष । संघारौ-पु० [सं० सस्तारक] १ जनमत में शरीर त्याग हेतु | संदेस, संदेसउ (उ हौ)-पु. [सं० सन्देश] १ खबर, समाचार,
किया जाने वाला अन्न-जल मादि का त्याग। [सं० संस्तरः] सूचना । २ प्रेम । ३ एक प्रकार की मिठाई।
२ तण, डाभ प्रादि का बिछौना । ३ बिस्तर । ४ शयन। संदेसी-वि० [सं० सदेशिन] (स्त्री० सदेसणा) सदेश वाहक । संपुरणपो (बो), संपूणणो (बौ)-क्रि० [सं० संस्तुनोति] गुण संदेसो-देखो ‘स देस'।। ___गाना, स्तुति करना।
संदेह-पु० [सं०] १ मन की अनिश्चित अवस्था, सशय, शंका, संव-स्त्री० [सं० स्यन्द] १ वर्षा या बरसाती हवा से उत्पन्न भ्रम । २ खतरा, भय । ३ अविश्वास । ४ साहित्य में एक नमी, पाता। २ धूलि, रेत ।
प्रलकार । संबइ, संदउ-वि० १ भाद्र, नम । २ देखो 'हदै'।
संदेहाल-पु० १ सदेहशील, भ्रम में पड़ा हुमा। २ शकी, वहमी। संवक-स्त्री० १ गहरी निद्रा। २ नमी, पाता।
संदेही-देखो 'संदेह। संबग्ध-पु० [सं० संदिग्धत्व] १ काव्य का एक दोष विशेष । | संदोल-पु. एक प्रकार का कान का पाभूषण। २ संदिग्ध ।
संदोह-पु० [सं०] १ समूह, झुण्ड । २ दोहन, दुहना क्रिया । संवरण-देखो 'स्यंदन'।
संदब. संक्रम-देखो 'सदरभ' ।
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संद्राब
संद्राय पु० [सं०] युद्ध से भागने की क्रिया या भाव। संघ-०१ दूरी २ घलगाव पृथकता
४ देखो 'संघा'।
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( ६०९ )
३ देखो 'सिंधु'।
संधा - स्त्री० [सं०] १ प्रतिज्ञा, प्ररण । २ सीमा, हद, मर्यादा । ३ घनिष्ठ संबंध । ४ दृढ़ता, मजबूती । ५ स्वीकार; अंगीकार । ६ देखो 'संधि' ।
संधिक १० [सं०] एक प्रकार का वात रोग । संघियोर (चौर)-पु० सेंध लगाकर चोरी करने वाला पोर संधिणी - स्त्री० वह गाय या भैंस जिसका दूध न निकाला
गया हो । संधिणी-देखो 'गंदीरणी' । संधिपास देखो 'संध्या' ।
संधिरेहु (रेही) पु० संक्षिपत्र लिखने वाला। संधिला - स्त्री० [सं०] १ शराब, मदिरा २ दीवार में लगाई गई संघ ३ नदी ४ सुरंग
संधक- पु० [सं० संध्यक] पुष्प, फूल । संघणी (बी) - क्रि० १ जुड़ना, बंधना । २ संयुक्त होना, मिलना । ३ धारण करना, साधना । ४ ठानना तय करना ५ करना । ६ देखो 'सांधणी' (बो) ।
संघ (बी) - वि० संबंध रखने वाला संबंधी । १०१ भाई-बंधु संधी देखो 'संधि' ।
संधु-देखो 'सिंध' ।
संघेसरा- पु० एक प्रकार का वृक्ष ।
संधोळी - स्त्री० [सं०] संधितूलिका ] कपड़ा बुनने का एक उपकरण
रिश्तेदार । २ देखो 'सिंधु' । ३ देखो 'संधव' | संधारण (, न ) - पु० [सं० संघानं ] १ धनुष पर बाण चढाने को क्रिया । २ लक्ष्य साधन । ३ शरीर के जोड़, संधिस्थल । ४ चिकित्सा उपचार। ५ अन्वेषण, खोज । ६ सीमा, हद । ७ संधि मैत्री एकाग्रता । ९ समर्थन । १० शराब यादि मादक वस्तु ११ कोई व्यंजन विशेष १२ मुख्या बनाने की विधि। १३ गांठ, ग्रंथि १५ जोड़ संधिस्थल संघांणी-देखो 'संदीणों' |
"
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संधिवात (वाय) - पु० [सं० संधिवात ] शरीर का ग्रंथि रोग, गठियावात ।
संन्यासी
विशेष | संधी - देखो 'सांधी' ।
संधिविग्रह (विग्रहिक, विग्रही) - पु० प्राचीन भारत में राज्य का एक जो वृद्ध या संधि संबंधी कार्य करता था।
संध्या - स्त्री० [सं०] १ दिन व रात का संधिकाल सायंकाल, शाम २ प्रातः का समय । ३ तड़का, भोर। ४ शाम की लालिमा, श्राभा । ५ प्रातः, मध्याह्न व अपराह्न में की जाने वाली उपासना, त्रिकाल सध्या । ६ एक नदी । ७ एक वर्षीय बालिका ८ मेल, जोड़, संधि । ९ संध्या रूपिणी देवी । १० युग संधि । ११ ब्राह्मणी । १२ सीमा, हृद । १३ ध्यान, विचार। १४ इकरार ।-वि० लाल, रक्त । - उपासना - स्त्री० त्रिकाल संध्या । पत, पति, पती-पु० शिव, महादेव एक देव जाति । राग स्त्री० की लालिमा
घढ पु० शिव, महादेव
सामकल्याण राग । शाम
संधारण (at) - क्रि० [सं० संधानम् ] १ धनुष पर बाण चढ़ाना । २ निशाना या लक्ष्य साधना ३ जोड़ना, संयुक्त करना । ४ चिकित्सा या उपचार करना । ५ संयुक्त करना, मिलाना । ६ प्रतिज्ञा या प्ररण करना । ७ जोड़ना, बनाना ८ संधि करना । ९ धारण करना । १० नमी लाना, श्रार्द्रा करना । संधाता पु० [सं] भगवान विष्णु संधारण - वि० [सं०] १ धारण करने वाला २ पार लगाने वाला । ३ सुधार करने वाला । - पु०१ धाचरण । २ उपयोग । ३ किसी चीज को नियमित तैयार करते रहना किया। संधि [स्त्री० [सं०] [१] जोड़, मिलाप, संयोग मेल २ मिलने
संधी पु० [सं०] संयंत्र ] १ सय मि २ पति खाविंद संनबंध - देखो 'संबंध' ।
संनाह (हु)-देखो 'सग्नाह' ।
संनिचय- पु० [सं०] संग्रह ।
संनिधांन क्रि० वि० पास, निकट, नजदीक ।
-
संनिपात पु०सन्निपातज्वर
- ।
का स्थान जोड़जोड़ का स्थान ४ गांठ-जोड़ संनिवेस ० [सं०] सन्निवेशः] निवास स्थान रहने का स्थान । । ५ शरीर के संधिस्थल ६ वयसंधि, संक्रमण की प्रवपि । ७ देशों राज्यों व्यक्तियों, संस्थाओं के बीच होने वाला करार, सुलहनामा समझौता ८ दोस्ती । ६ दिन व देखो
११
|
रात का मिलन काल । १० युगान्तकाल । 'संधि' १२ देवो'संघ'
संसड़ी-देखो 'संदेह' । संनेसी देवो 'संदेह' ।
संनेह देखो 'सनेह' ।
संनेही- देखो 'सनेही' ।
संन्नांन - देखो 'स्नांन' |
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संन्नाही - पु० वीर, योद्धा ।
संन्यास - पु० [सं०] १ प्रार्य संस्कृति के अनुसार मानव जीवन का चौथा प्राश्रम । २ वैराग्य, विरक्ति, त्याग । ३ मूर्च्छा रोग का एक भेद ४ शरीर त्याग, मृत्यु । ५ जटामासी । ६ धरोहर, थाती ।
संन्यासी पु० [सं०] १ 'संभ्यासधारी' साधु या व्यक्ति
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( ६६० )
संपुरण
२ दंडी या अवधूत कहलाने वाले साधु । -वि० त्यागी, प्राप्त । ६ जो हो गया। वैरागी।
संपय-कि०वि० [सं० संप्रति प्रभी, इसी समय । संप-पु० १ मेल, एकता, संगठन । २ स्नेह, प्रेम । [सं० सर्प] संपराय (क)-पु० [सं० संपराय] १ लड़ाई, युद्ध । २ मुठभेड़। ३ शेषनाग । ४ सर्प, सांप । ५ देखो 'संपा।
३ संकट, विपत्ति । ४ भावी दशा। संपड़-पु०१ कोई प्राप्य वस्तु । २ देखो 'सपाडो'। -वि.संभव । संपतरणो (बी)-देखो 'पहुंचणो' (बौ)। संपड़रगो (बी)-क्रि० [सं० सम्प्रापरणम्] १ प्राप्त होना, मिलना। | संपलारणी (बी)-देखो 'संपड़ाणो' (बो)।
२ सम्भव होना । ३ सम्भव करना। ४ स्नान करना । | संपसुज-पु० [सं० संपसृज युद्ध । संपड़ाणी (बी), संपड़ावणी (बी)-क्रि० स्नान कराना, संपा-स्त्री० [सं०] विद्य त, बिजली। नहलाना।
संपाक-पु० [सं० शम्पाक] भीष्म के लिये गुरु तुल्य, एक त्यागी संपचूद-पु० सर्प के फन के माकार का शस्त्र विशेष ।
ब्राह्मण। संपजणी (बी)-कि० [सं० संपदनम्] १ उत्पन्न होना, पैदा | संपाडणी (बी)-क्रि० स्नान कराना।
होना । २ होना । ३ संचित होना, एकत्र होना। ४ प्राप्त । | संपाडो-पु० [सं० संप्लावनम्] स्नान, मज्जन । होना, मिलना।
संपाट-पु० संहार, नाश । संपजाणी (बी), संपजावणी (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न करना/कराना।। संपाठच-पु० चौसठ कलानों में से एक।
२ संचित करना/कराना। ३ प्राप्त करना/कराना । ४ कुछ संपाडणी (बो)-देखो ‘संपाड़णो' (बी)। करना/कराना।
संपात-पु० [सं० सम्पातः] १ एक साथ प्रहार, बौछार । २ वार संपट-वि० १ समाप्त, लुप्त । २ मूर्ख, पज्ञानी। ३ देखो 'संपुट'। प्रहार, प्राघात । ३ मुठभेड़ । ४ युद्ध, समर । ५ संगम, -पु. १ अवसर, मौका । २ संयोग, मिलन ।
समागम । ६ मेल, संसर्ग । ७ एकता । ८ देखो 'संपाति' । संपटपाट-पू०१ सीधा एवं खुला मैदान । २ बरबादी, नाश; संपाति (ती)-पु० [सं० सम्पातिः] १ जटायु का बड़ा भाई एक हवंस ।
गिद्ध जो गरुड़ का ज्येष्ठ पुत्र था । २ विभीषण का मंत्री एक संपडणो (बो)-देखो 'संपड़णो' (बी)।
राक्षस । ३ राम की सेना का एक बंदर। ४ देखो 'संपात' । संपणी (बी)-क्रि०.१ एकता रखना या करना, मेल रखना। संपादक-वि० [सं०] काम को सम्पन्न करने या सम्पन्न करने की २ प्रेम या प्यार करना । ३ देखो 'सूपों ' (बो)।
व्यवस्था करने वाला। -पु. किसी पुस्तक, पत्र या पत्रिका संपत-स्त्री० [सं० संपद्] १ धन, दौलत । २ संपन्नता, समद्धि,
की प्रकाशन योग्य सामग्री को संकलित कर व्यवस्थित खुशहाली। ३ अंकता, मेल । ४ प्रेम, स्नेह । ५ वैभव, करने वाला, एडिटर। ऐश्वर्य । ६ लाभ, फायदा।
संपादन-पु० [सं०] १ ठीक करने या दुरुस्त करने की क्रिया । संपतों (बौ)-क्रि० [सं० संपदनम्] १ पहुंचना। २ उत्पन्न २ पूर्ण करने की क्रिया। ३ तैयार करने की क्रिया। होना । ३ सम्पन्न होना, फलीभूत होता।
४ प्रकाशन योग्य पुस्तक या लेख प्रादि की देख-रेख, पाठ संपति (तो)-स्त्री० [सं० संपत्ति] १ धन, दौलत । २ वैभव, मिलान मादि कार्य । ५ प्राप्ति, उपलब्धि ।
ऐश्वर्य । ३ जमीन-जायदाद । ४ खुशहाली, सम्पन्नता। संपादित--वि० [सं०] १ जिसका संपादन हो चुका हो । २ पूर्ण । .५ लक्ष्मी । ६ लाभ, सिद्धि । ७ प्रेम-स्नेह । ८ ग्रेकता।
तयार । संपत्त-वि० [सं० संप्राप्त] १ समस्त कर्मों का क्षय करके जो संपीड़ण (न)-स्त्री० [सं० सम्पीड्डनम्] १ दबाने की क्रिया। सिद्धि को प्राप्त हुपा हो। २ देखो 'संपति'।
२ निचोड़ना क्रिया । ३ दुःख देने की क्रिया या भाव । संपत्तणो (बो)-देखो 'संपतणी' (बो)।
संपुट-पु०१ पत्तों का बना दोना । २ विचारधारा, भावना, संपत्ति (ती)-देखो 'संपति' ।
नियत । ३ मुलम्मा, कलई। ४ गोद, अंक। ५ औषध संपर, संपदा-स्त्री० [सं० संपद्] १ सुख । २ देखो 'संपत'। । बनाने की एक विधि । ६ अंजलि । ७ कपाल, खोपड़ी। संपनरपो (बी)-क्रि० [सं० सम्पन्नः] १ जन्म लेना, उत्पन्न होना। ८ खडडा, गर्त । ९ संदूक, पेटी। १० उधार दिया
२ प्राप्त होना। ३ पूर्ण होना, सिद्ध होना। ४ समृद्ध गया धन ।
होना, समृद्धिवान होना । ५ कुछ होना । ६ युक्त होना। | संपटी-स्त्री० [सं० संपूट] कोई छोटी कटोरी या तश्तरी । संपन्न, संपन्नउ-वि० १ समृद्धिशाली, समृद्ध । २ भरापूरा, संपुत्त (त.)-वि० [सं० सम्प्राप्त] प्राप्त, लब्ध ।
परिपुरणं । ३ पूर्ण, पूरा। ४ युक्त, सहित । ५ पाया हुमा, संपूरण-वि० [सं० सम्पूर्ण] १ समस्त, सब। २ अन्त तक पूरा।
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संपूरित
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( १९१ )
३ समाप्त, पूर्णं । ४ सम्पन्न । ५ सहित, युक्त । ६ व्यतीत । ७ विसंजित । - पु० १ भगवान विष्णु । २ सात स्वरों का एक राग विशेष ।
संपूरित ( 4 ) - वि० [सं० संपूरित ] १ पूर्ण भरा हुआ । २ ग्रसित । ३ सम्पन्न ।
-
-
संपेल (बी) कि० [सं० सं प्र ईक्षणम् ] १ देखना । २ विचारना, सोचना । ३ स्वागत या प्रगवानी करना, प्रादर करना । ४ दर्शन करना । ५ समझना, जानना ६ ढूंढना, खोजना । ७ दिखाई देना, दिखना ।
संप्रत, संप्रति संप्रती देवो'सांप्रत'
संप्रदान- पु० [सं०] सम्प्रदान] १ दान देने की क्रिया या भाव। २ उपहार भेंट कीक्षा के समय शिष्य को गुरु मंत्र देना ४ कोई वस्तु देना या पहुंचाना एक कारक । ६ विवाह, शादी । ७ एक रश्म ।
#
५ व्याकरण में विवाह संबंधी
।
संप्रदा, संप्रदाय - वि० [सं० सम्प्रदाय ] देने वाला पु० १ कोई धार्मिक मत या सिद्धान्त विशेष २ feet uामिक मत विशेष के धनुयायियों का समाज । ३ परिपाटी, प्रथा । ४ समान धर्मावलंबियों का समूह। ५ गुरुमंत्र । संप्रदायी वि० [सं०] सम्प्रदायिन्] १ देने वाला २ किसी धर्म या मत विशेष का धनुयायी ।
,
संबं, संबंध पु० [सं० सम्बन्ध] १ रिश्ता नाता । २ घनिष्ठ मित्रता, दोस्ती ३ विवाह, शादी ४ लगाव, सम्पर्क
[सं-पु० [सं०] नंब] इन्द्र का व संबर देखो 'संवत्सर । संबत - देखो 'संवत' ।
५ सगाई । ६ व्याकरण में एक कारक । ७ बंधने या जुड़ने की क्रिया, भाव। ८ विवरण, विवरण वृत्ताख ९ हवाला उल्लेख संदर्भ ।
1
संप्रहार - पु० [सं० सम्प्रहार] संग्राम, युद्ध ।
संप्राप्त, संप्राप्त वि० [सं० संप्राप्त] प्राप्त किया हुआ संप्रापति (सी प्ती) स्त्री० [सं०] [राप्राप्ति ] उपलब्धि १ - प्राप्ति २ पटित होने की क्रिया या भाव। ३ उपस्थित होने की क्रिया ४ पूर्णता, समाप्ति
संप्रेक्षण - पु० [सं०] १ अनुसंधान, खोज । २ अवलोकन । संप्रेसर - पु० [सं०] १ भेजने की क्रिया या भाव। २ सुरक्षित पहुंचाने की क्रिया । ३ सेवाच्युत करने की क्रिया ।
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1
पानी । ३ मेघ, बादल ४ एक प्रकार की बड़ी मछली, मच्छी ५ शिव द्वारा वधित एक राक्षस । ६ मृग, हिरन । ७ अर्जुन नामक वृक्ष । ८ एक पर्वत का नाम । ९ कामदेव । १० पशु चौपाया । ११ देखी 'सांबर' | संबरकंद - पु० एक प्रकार का कंद गेंठी । संबरत, संबर तक पु० [सं० संवत्तंक ] प्रलय | संबरनास - पु० [सं०] शंबरनाश ] कामदेव | संबरमाया स्त्री० [सं० शंबरमाया ] इन्द्रजाल, जादू । संघरसूदन- पु० [सं० शंबरसूदन] १ कामदेव २ प्रद्युम्न की उपाधि विशेष ।
संबरारि पु० [सं० शंबर- प्ररि] कामदेव | संबरी- पु० [सं०] स्वयम्बर ] स्वयम्बर संबळ (ल)-१० [सं० संबल ]
सामग्री । २ भोजन । फसल में होने वाला एक बलवान्, शक्तिशाली ।
। ।
संबळी-वि० १ वान् शक्तिशाली २ देखी 'बळी' धार्मिक संबाध - पु० [सं०] १ बाधा, अड़चन । २ भीड़, समूह । ३ संघर्ष, झगड़ा ४ योनि, भग ५ कष्ट, पोड़ा। ६ नरक का मार्ग |
संम्बाही
यात्रा में साथ रहने वाली बाद ३ श्राश्रय, सहारा ४ गेहूं की रोग । ५ सेमल का वृक्ष । वि०
संचार स्त्री० स्मरण, वाद, सुधि
।
संवारणी (बो) - क्रि० १ स्मरण करना, याद करना । २ भजन करना। ३ स्तुति करना ।
संग्राहणो (बी) देखो 'संभाणी' (बी)। संबी स्त्री० [सं० [शिवा] फली
संबुक - पु० [सं० शंबुक:] १ घोंघा । २ शंख । ३ हाथी की सूंड की नोक । ४ हाथी का कुंभस्थल ।
संबुकावरत पु० [सं० शंकाव] एक प्रकार का भगंदर रोग । संबुद्ध - वि० [सं०] १ जागृत, चैतन्य । २ प्रबुद्ध, ज्ञानी 1-पु०
गौतम बुद्ध जिनदेव
। ।
संबुद्धि स्त्री० [सं०] १ समझदारी, बुद्धिमता २ ब्राह्वान,
पुकार
संदूक देखो 'संदूक' ।
संबेसर पु० [सं० संवेसरू] नींद, निद्रा, शयन
संबंधी - वि० सम्बन्ध रखने वाला, लगाव रखने वाला ।-पु० संबोध - पु० [सं०] १ पूर्ण बोध । २ सांत्वना, ढाढ़स । ३ पूर्ण
१ रिश्तेदार, नातेदार । २ भाई-बंधु ।
जानकारी ।
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संबोधन० [सं०] १ कहना, बातचीत शुरू करना किया।
२ श्रोतानों को सुनाना, ज्ञान देना, प्रवचन करना यादि क्रिया । ३ सभा धादि में प्रस्तुत किया जाने वाला अपना वक्तव्य । ४ व्याकरण में एक कारक ।
संवाद-पु० मार्गशीर्ष मास
संबर- पु० [सं० शंबर ] १ युद्ध, संग्राम [सं० शवरम् ] २ जल, संब्बाहणी (बी) - देखो 'संभारणी' (बौ) ।
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संभ
संभावना
संभ-पु० [सं० शंभ] १ प्रसन्न एवं हंसमुख पुरुष । २ इन्द्र का हो, शक्य । २ संमावित ।
वज्र । ३ शंभासुर दैत्य । ४ सृष्टि, ससार ।-वि० १ महान् | संभवणो (बो)-क्रि० संभव होना, मुमकिन होना। जबरदस्त. प्रचंड । २ देखो 'संभु।
संभवनाथ-पु. जैन धर्म में एक तीर्थकर । संभग्न-पु० [सं०] शिव, महादेव ।-वि० १ खंडित, टूटा हुपा। संमा-स्त्री. शिवा, पार्वती। . २ पराजित ।
संभाऊ-वि० स्वाभाविक । संभजीवत-देखो 'जीवतसंम'।
संभाखर-देखो 'संभासण' । संभड़-वि० नगण्य, तुच्छ ।
संभाग (गि)-पु० [सं० सम्भाग] दान । संभणी (बी)-क्रि० १ कटिबद्ध या तैयार होना । २ छाना, संभाणी (बी)-क्रि० १ कत्तव्य, उत्तरदायित्व प्रादि लेना,
उमडना । ३ सुसज्जित होना। ४ देखो 'संभळणी' (बी)। पालन करना, कार्य करना । २ लेना, उठाना। ३ संभासंभनाथ-देखो 'संभूनाथ' ।
लना। ४ धारण करना। ५ गिरते-पड़ते को रोकना । • संभम-पु० [सं० संभव] १ संतति, सन्तान । २ देखी 'संभ्रम'। ६ सुसज्जित करना । ७ सन्नद्ध करना, तैयार करना । ३ देखो 'सभव' ।
संभार-पु० [सं०] १ भार, वजन । २ लालन-पालन, पोषण । संभर-पु. १ महादेव, शिव । २ देखो 'सांभर' । ३ देखो ३ संचय, संग्रह । ४ सामग्री, सामान । ५ धन, सम्पत्ति । 'सांभरियो।
६ अधिकता, बाहुल्य । ७ समूह, देर । ८ देखो 'संभाळ' । संभरण-पु० १ पालण-पोषण । २ संचय, परिग्रह । ३ तैयारी। संभारणी (बी)-क्रि० १ प्रांखें-पलकें मंदना, झपकाना । ४ सामान।
२ देखो 'समरणो' (बी)। ३ देखो 'संभाळणी' (बी)। संमरणो (बो)-१देखो 'समरणो'(बो)। २ देखो 'सांभळणो' (बो)। संभाळ-स्त्री० १ रिश्तेदारों-मित्रों घादि के घर भेजी जाने संभरथळ-पु. वह स्थान जहां जाम्भोजी ने विश्नोई संप्रदाय का वाली भेट, खाद्य-सामग्री मादि। २ देखभाल, हिफाजत ।
प्रवर्तन किया था।-सांमी-पु० जाम्भोजी के लिये एक ३ सुपुर्दगी । ४ जांच । सबोधन ।
संभाळणी (बो)-क्रि० १ हिफाजत या देखभाल करना। २ सुर. संभरपुर-पु० सांभर नगर ।
क्षित रखना, बनाये रखना । ३ लेना, ले रखना। ४ अपने संभरा-स्त्री० शाकम्भरी देवी।
जिम्मे करना। ५ जांच करना, निरीक्षण करना । ६ सुधि संभराणिवत-पु० एक व्रत विशेष ।
लेना, खबर लेना । ७ प्रबंध या व्यवस्था करना। ५ पालनसंभराथळ-देखो 'संभरथळ' ।-सांमी-'संभरथळसांमी'। पोषण करना । ९ तलाश करना, ढूढना। १० गिरते-पड़ते संभरिप, संभरियो, संभरी, संभरीक, संभरीनरेस-पु० चौहान को बीच में रोकना ।११माश्रय देना,सहारा देना ।१२ चलाना, क्षत्रियों का एक विशेषण ।
संचालन करना । १३ उत्तरदायित्व लेना। १४ वृद्धि प्राप्त संभळणी (बो)-क्रि० १ सचेत होना, सावधान होना । २ ठीक
करना । स्वतः खड़ा होना, संभलना । १५ रक्षित या सुरस्थिति या हालत में माना। ३ सुधरना, सुधार होना।।
क्षित करना । १६ अपने अधिकार या वश में करना । ४ देखो 'सांभळगो' (बी)।
१७ रोकना, थामना । १८ इज्जत, प्रतिष्ठा प्रादि बचाना । संभळाणी (बी)-क्रि० १ सौंपना, देना। २ प्राप्त कराना।
१९ ठीक करना, व्यवस्थित करना। २० देखो 'समरणो' ३ सुनाना । ४ कहना । ५ चोट या हानि से बचाव कराना।
(बो)। ६ हालत सुधारना । ७ कार्यभार देना । सौंपना ।। संभळाय-स्त्री. नदी, सरिता। ८बताना, समझाना।
संभाळी-पु० [सं० संभाल] १ तलाशी, खोज, जांच । २ चेतनता। संभळावरण (णि, रगी)-१ देखो 'भोळावण' (णी)। २ देखो ३ संभालना क्रिया। ४ जांच-पड़ताल । 'पुरणावरपी' ।
संभाव-पु० चिह्न, निशान । संभळावरणौ (बो)-देखो 'संभळाणो' (बो)।
संभावरण (गो)-वि. १ संभालने वाला, लेने वाला । जिम्मेदार संळि (ळी)-देखो 'संवळी' ।
- २ सहायक, रक्षक । ३ तैयार या उद्यत करने वाला। संभव-पु० [सं०] १ उत्पत्ति, प्राविर्भाव । २ मुमकिन । संभावरणौ (बो)-देखो 'संभाणो' (बी)।
३ संयोग। ४ प्रमाण। ५ स्त्री प्रसंग, सहवास, मधुन । संभावन-स्त्री० [सं० संभावनम्] 1 कल्पना, अनुमान । २ पावर ६ कारण, हेतु। ७ किसी काम या बात के होने की सम्मान । ३ मुमकिन । स्थिति । ५ गणेश का एक नाम ।-वि० १ जो करने योग्य | संभावना-स्त्री० [सं०] १ विचार-मनन । २ कल्पना। ३ प्राशा।
नापा (बा)।
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संभा
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४] सम्मान प्रतिष्ठा ५ मुमकिन संभावना ६ संदेह ७ साहित्य में एक अलंकार
( ६९३ )
संभास (m) - पु० [सं० सम्भाषणं] १ बातचीत, संभाषण । २ कथन, वार्तालाप ।
संभार पु० एक देश्य का नाम ।
संभाहणी (बौ) - देखो 'संभारणी' (बो) ।
संभु- पु० [सं०] शंभु ] १ शिव, महादेव २ एक रुद्र का नाम ३ भैरव । ४ एक दैत्य । ५ब्रह्मा, विधाता । ६ सिद्ध या पूज्य पुरुष ७ ऋषि, मुनि ८ अंबरीष राजा का पुत्र । ९ अग्नि का तप नामक पुत्र । १० श्रीकृष्ण का एक पुत्र । ११ सगरण, तगरण, यगरण, भगरण धौर सात गुरु वर्गों के क्रम से बनने वाला एक व वृत्त। वि० १धानन्ददायी प्रद२ प्रवे ३ पीला । - गिरि, गिरी- पु० कैलाश पर्वत ।
·
–पु० सर्प, चन्द्रमा । —लोक - पु० - पु० स्कन्द, गणेश ।
कैलाश पर्वत ।
संभूमन (नु ) - देखो 'स्वयंभुव' ।
संभेदतीरथ पु० [० संमेदतीचं] एक तीर्थ विशेष संभवन- पु० जुटाने, भिड़ाने या मिलाने की क्रिया । संमेरी पु० एक प्राचीन राजा भेळी देवो'
संभुतेज, संभुबीज-पु० पारद, पारा। संभू-देखो 'संभु'
संभूत- वि० (स्त्री० संभूता) १ एक साथ उत्पन्न । २ उत्पन्न |
-पु० एक प्राचीन राजा ।
भूसरण
सुत
संभोग - पु० [सं०] सम्भोग ] १. किसी वस्तु का भली प्रकार प्रयोग २ रतिक्रीड़ा, मंबून ३ साहित्य में श्रृंगार रस का एक भेद । ४ व्यवहार । ५ हाथी के मस्तिष्क का एक
1
संभोज - पु० [सं०] १ भोजन, खाना । २ खाद्य सामग्री । भोजक वि० [सं०] भोजन करने या खाने वाला। संभोजन- पु० [सं०] १ भोज, दावत । २ भोजन सामग्री । संभोज्य-वि० [सं०] खाने योग्य, खाने की ।
संत वि० [सं०] पाश्चर्यचकित भ
-
संभ्रम पु० [सं०] सम-भ्रम] १पुत्र बड़का २ पौष पोता।
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संभूनाथ पु० [सं० शंभूनाथ ] शिव, महादेव ।
संभूख (भेस ) - पु० [सं० शंभुभेष ] संन्यासियों या साधूम्रों द्वारा संमद-स्त्री० [सं० सम्मद] १ खुशी, प्रसन्नता । २ देखो 'समुद्र' । किया जाने वाला एक वृहद् भोज ।
धरणी (बी) - देखो 'समझणी' (बो) ।
संमधि - वि० ० १ सम्बन्धित । २ देखो 'समधी' | मणी (बौ देखी 'समपण' (बी) संमपूरण- देखो 'संपूरण' । संमर - देखो 'समर' ।
३ युद्ध, संग्राम । ४ धातुरता, घबराहट । ५ गलती, भूल । ६ मान, आदर, सम्मान। ७ चारों पोर घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया । ८ भ्रम भ्रांति । ९ शिव का एक गरण। -वि० अमित २ प्रतिष्ठित सम्मानित तुम, समान बराबर ।
संमिरणौ
संभ्रमरो (बी) - क्रि० १ प्राश्चर्य करना, अचम्भा करना । २ गलती करना, भूल करना । ३ भ्रम करना, शंका करना । ४ युद्ध करना, संग्राम करना । ५ प्राश्चर्य चकित या अचंभित होना । ६ गलती या भूल होना । ७ भ्रमित होना, मंकित होना युद्ध होना, संग्राम होना १ धातुर होना
घबराना ।
संभ्रमी - देखो 'संभ्रम' ।
संभ्रांणी - स्त्री० घोड़ों की एक जाति । पु० इस जाति का घोड़ा । संभ्रांत - वि० [सं० सम्भ्रान्त ] १ चारों धोर घुमाया हुद्रा । २३ सम्मानित प्रतिष्ठित ।
,
संभ्रांति स्त्री० १ 'संभ्रांत' होने की दशा अवस्था या भाव। २ प्रातुरता, घबराहट ।
संम- देखो 'सम' ।
संमत, संगति, समत्त १ देखो 'संवत' २ देखो 'समिति' । ३ देखो 'सम्मत' ।
संमळी-देखो 'संबळी' ।
भाग ।
संगळ-१ देखो 'संबळी' २ देखी 'सांवळी' संभोगी [वि० [सं०] संभोगिन् ] १ संभोग करने वाला २ उपयोग संमहणौ (बौ) - देखो 'संभरणों' (बो) । संभाव देखो 'समाधि' ।
करने वाला ।
संभोग्य - वि० १ जो उपयोग या उपभोग के लिए हो । २ जो संमाणी (बो) - देखो 'समारणो' (बो) । उपयोग के योग्य हो, भोगने योग्य हो।
संमरणी (बी) देखो 'समरण' (बौ
संमळ १ देखो 'सम' २ देखो 'बळी' ३ देखो 'शिव'। - । 'संवळो' ।
४ देखो 'सवाळो' ।
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1
संमापित, संमापिता (पीत, पीता) - देखो 'समाप्त' । संमार-१ देखो 'संवार' २ देखो 'संभाळ । संमारजणी (नी ) - स्त्री० [सं० संमार्जनी] बुहारी, झाड़ ू संमारणों (बी) - १देखो 'संवारणी (बी) २ देखो' संभाळणी' (बो) | संमावलो(बी) - देखो 'संभावली' (बो) २ देखो' समाणी' (बो)। संमिरणी (बो) - क्रि० १ परस्पर टकराना, भिड़ना । २ देखो 'समरणो' (बौ) ।
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संमिळरणो
( ६९४ )
संलय
'संमिळणी (बौ)-क्रि० सम्मिलित होना, मिलना। २ मिलाप २ धैर्यवान । ३ जितेन्द्रिय ।-पु० तपस्वी, ऋषि, साधु । होना । ३ सम्मिश्रण होना।
संयार, संयारड़ी-स्त्री० बढ़ई के कार्य का एक उपकरण । संमीपत्य-देखो 'सांमीपत्य' ।
संयु-पु. [स० शंयु] १ बृहस्पति का एक पुत्र । २ एक प्राचार्य । संमुखी-पु० [सं० सम्मुखिन्] शीशा, दर्पण ।
संयुक्त-वि० [सं०] १ सहित । २ बराबर । ३ सम्मिलित, संमुखीन-वि० [सं० सम्मुखीन] १ सामने का, सम्मुख का। शामिल । ४ जुड़ा हुअा, सलग्न । ५ जिसका विघटन न २ मामने-सामने। -क्रि०वि० सामने, सम्मुख ।
हुमा हो । ६ मिलकर काम करने वाला। संमुद्राव-पु० [सं०] युद्ध में भागने की क्रिया।
संयुक्ता-स्त्री० [सं०] एक छन्द विशेष । संमुह, संमुहउ-देखो 'समुह ।
संयुग-पु० [सं०] १ मिलाप, संयोग। २ भिड़न्त, टक्कर । संमुहा-देखो 'समुहा'।
३ युद्ध, लडाई। संमूह-देखो 'समूह'।
संयुगत, संयुत-देखो 'संयुक्त' । संमेहळो-देखो 'सामेळो' ।
'संयुप-पु० [सं०] सूर राजा का पुत्र एक यादव ।
संयोग-पु० [सं०] १ मिलन, मेल । २ समागम । ३ वैशेषिक दर्शन संमोय-पु० संयम।
का एक गुण। ४ बराबर, समान । ५ समान उद्देश्यों की पूर्ति संमोवरणो (बी)-१ देखो 'संवारणो' (बी) । २ देखो
संबंधी संधि । ६ प्रेमी-प्रेमिका का मिलन । ७ व्याकरण 'समोहणो' (बी)।
में व्यंजनों का मेल । ८ रति-क्रीड़ा, मैथुन । ६ दो ग्रहों संमोहरण-पु० [स० सम्मोहनः] १ कामदेव के पांच बाणों में
का समागम । १० किसी कार्य या घटना का योग, से एक । २ वशीकरण, सम्मोहन । '
इत्तफाक । ११ शिव, महादेव । १२ योग, जोड़ । संमोहरणो (बो)-क्रि० १ भाकर्षित होना, करना । २ मोहित होना,
१३ वैवाहिक संबंध। मुग्ध करना ।
संयोगी-वि० [सं० संयोगिन] .(स्त्री० संयोगण, संयोगणी) संम्य-देखो 'सम'।
१ जिसका मिलन या संयोग हुप्रा हो। २ विवाहित । संम्रत-वि० १ स्मरण किया हुआ, याद किया हुमा। २ देखो
. ३ सयोग के फलस्वरूप होने वाला। ___'स्म्रति' । ३ देखो 'समरथ' ।
संयोजन-पु० [सं०] १ मेल-मिलाप । २ सम्मिश्रण। ३ मैथुन, संम्रति (ती), संम्रित-देखो 'स्म्रति' ।
रतिक्रीड़ा । ४ कार्य-व्यवस्था । संम्रय-देखो 'समरथ'।
संयोजित-वि० जिसका संयोजन किया गया हो । संम्हा-स्त्री० [सं० संमहाः] अग्नि ज्वाला ।
संरंभ-पु० [सं०] १ क्रोध, गुस्सा । २ प्रारंभ, शुरूपात । संयत-वि० [सं०] १ कैद किया हुअा। २ बांधा हुमा, जकड़ा ३ उत्पात, हगामा। ४ गर्व, घमण्ड । ५ उत्साह, उमग। हुपा । ३ रोका हुप्रा । ४ मर्यादित । ५ व्यवस्थित, नियम
संरक्षक-वि० [सं०] १ प्राश्रयदाता । २ पालन-पोषण करने बद्ध । ६ हद या सीमा में रखा हुप्रा । ७ वह जिसने पंचें
वाला । ३ रक्षक । ४ अभिभावक । द्रिय पर काबू पा लिया हो ।-पु० १ कैद । २ युद्ध, संग्राम।
संरक्षण-पु० [सं०] १ देख-रेख, निगरानी । २ हिफाजत । ३ योगी, संन्यासी। ४ शिव, महादेव ।
३ सुरक्षा । ४ अधिकार, कब्जा। संयद्वसी-स्त्री० [सं०] सूर्य की सात किरणों में से एक।
संरक्षी-वि० [सं० संरक्षिन् ] देख-रेख करने वाला । संयम-पु० [सं० सयमः] १ रोक, दमन । २ मन के विकारों
संराधन-पु० [सं०] १ जय-जयकार । २ ध्यान मग्नता । का निरोध, इन्द्रिय निग्रह । ३ धैर्य, शांति । ४ धार्मिक
__३ पूजा, पर्चना। व्रत । ५ स्वास्थ्य के लिये किया जाने वाला परहेज ।
संरूढ़-वि० [स०] १ अच्छी तरह चढ़ा या जमा हुप्रा। ६ अनुचित कामों से बचाव । ७ मन की एकाग्रता, ध्यान,
२ साथ-साथ उत्पन्न । ३ धृष्ट । समाधि । ८ व्यवस्थित बंधन ।
| संरोध-पु० [सं०] १ रोक, रुकावट । २ बाधा, अड़चन । संयमन-पु० १ संयम करने की क्रिया या भाव। २ अनुचित
३ नाका बंधी । ४ घेरा। कार्यों की रोक। ३ प्रात्म-निग्रह । ४ शगार में एक संलग्न-वि० [सं०] १ सटा हमा, जुड़ा हुपा। २ निकटस्थ। पासन।
३ भिड़ा हुमा । ४ लीन, मग्न । संयमनी, संयिमनी-स्त्री० [सं० संयमिनी] यमपुरी।
संलपन-पु. १ प्रलाप, बकवाद । २ गपशप, बातचीत । संयमी-वि० [सं० संयमिन] १ संवम-नियम से रहने वाला। संलय-पु० [सं०] १ नींद, निद्रा । २ घुलन, लीनता ।
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संलाप
। ६९५ )
संवाहक
संलाप-पु० [सं०] बाचचीत, वार्तालाप ।
संबराणी (बी), संवरावणी (बी)-क्रि० १ जीर्णोद्धार कराना, संलापक-पु० [सं०] १ नाटक में एक प्रकार का संवाद । २ एक मरम्मत कराना । २ साफ कराना, समतल कराना। प्रकार का उप रूपक ।-वि० वार्तालाप करने वाला।
३ सजाना, अलंकृत कराना। ४ किसी को सुन्दर बनाना। संलिप्त-वि० [सं०] १ लीन, लमा हुमा । २ घुला-मिला हुप्रा ।। ५ कार्यादि सुधराना। संलीण (न)-वि० [सं०] १ आच्छादित, ढका हुपा । २ अच्छी संवळ-स्त्री० १ एक प्रकार की मछली। २ देखो 'सापळो' ।
तरह लगा हुमा, संलग्न । ३ संकुचित, सिकुड़ा हुमा। । ३ देखो 'संबळ' । संलेखणा, संलेहण (णा)-स्त्री. १ संथारा से पूर्व अनशन की | संवळी-स्त्री० १ चील पक्षी । २ देखो 'संवळी' (स्त्री०)। . क्रिया । २ एक प्रकार की तपस्चर्या ।
संवळी-पु० (स्त्री० संवळो) मांसाहारी एक काला पक्षी ।-वि० संलोडरणो (बो)-क्रि० १ झकझोरना, हिलाना। २ मथना, | १ अमुकूल । २ सीधा, सरल। ३ उत्तम, श्रेष्ठ, बढ़िया। इधर-उधर करना । ३ उथल-पुथल करना ।
४ सम्मुख, सामने । ५ देखो 'सांवळी' । संवच्छर-देखो 'संवत्सर'।
संवह-पु० [सं०] १ एक वायु मार्ग । २ देवतामों का विमान संवच्छरदाण-पु. एक वर्ष तक किया जाने वाला दान । __ चालक । ३ अग्नि की एक जिह्वा । संवच्छरी-देखो 'संवत्सरी' ।
संवाद-पु० [सं०] १ वार्तालाप, बात-चीत । २ खबर, संवटरणौ (बी)-देखो 'सिमटणो' (बो)।
समाचार । ३ प्रसंग । ४ सहमति, अनुमति । ५ बहस, संवत-प्रव्य० [सं० संवत्] १ ईसा से ५६ वर्ष पूर्व प्रारंभ किया वाद-विवाद।
गया विक्रमादित्य वर्ष, विक्रमी वर्ष । २ वर्ष, साल। संवादक-वि० [सं०] १ संवाद करने वाला, बातचीत करने ३ किसी विशिष्ट गणनाक्रम वाला काल । समय ।
वाला । २ बोलने वाला । ३ समाचार देने वाला। संवतसर-देखो 'संवत्सर' ।
| संवादन-पु० [सं०] १ भाषण । २ बातचीत, संवाद । संवत्सर-पू० १ वर्ष, साल । २ फलित ज्योतिष में वर्ष । संवादी-वि० [सं०] १ सहमत होने वाला। २ बातचीत करने ३ शिव, महादेव । ४ विष्णु। ५ विक्रमी संवत । ६ वर्ष
वाला । ३ बराबर, साहश ।-पु० संगीत का एक स्वर। . का अधिष्ठाता ।-दांग, दान-पु. एक वर्ष तक किया
संवादौ-पु० १ लघ काव्य । २ देखो 'संवाद'। जाने वाला दान ।
संवार-स्त्री० १ खेत में पड़े मिट्टी के ढेले तोड़ने व भूमि को संवत्सरी-स्त्री० [सं०] १ भाषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी से भादव
समतल व नरम करने का कृषि उपकरण । २ सुधारने व शुक्ला चतुर्दशी तक किया जाने वाला व्रत (जैन) २ बरसी।
सजाने की क्रिया। ३ हजामत। ४ बचत। ५ सवेरा, ३ पयूषण के बाद का दिन (जैन) ।
प्रात:काल । संवदण (न)-पु० [सं० संवदन] १ बातचीत, वार्तालाप । २ वशीकरण, सम्मोहन । ३ परीक्षा । ४ मंत्र ।
| संवारण-स्त्री० १ सजाने, सुधारने की क्रिया या भाव । २ निषेध, संवर-पु० [सं०] १ दुराव, छिपाव । २ सहनशील होने की |
| विरोध । ३ हटाना क्रिया । -वि० सुधारने वाला ।
| संवारणी (बौ)-क्रि० १ अलंकृत करना, सजाना । २ कोई वस्तु दशा । ३ जल, पानी। [सं० संवरः] ४ सिकुड़न । ५ पुल, सेतु । ६ एक प्रकार का हरिन । ७ एक दैत्य का नाम ।
सुधारना, सुदर बनाना। ३ रचना, निर्मित करना। ८ जैन मतानुसार इन्द्रिय और योगों की प्रशुभ प्रवृत्तियों
४ व्यवस्थित करना। ५ सुसज्जित करना, सजाना ।
६ संभालना, ठीक करना । ७ गुणों में वृद्धि करना। से पाते हुए कर्मों को रोकने की क्रिया या ढंग । संवरण-पु० [सं०] १ रोक । २ चुनाव । ३ पाच्छादन ।।
८ साफ करना, बुहारना। ९ अन्तिम रूप देना। १० तेज
करना, तीक्षण करना । ११ ठीक करना, जीर्णोद्धार करना। ४ बहाना, मिस । संवरत-पु० [सं० संवत्तं] १ वर्ष । २ संसार का नैमित्तिक
१२ ठीक काम चलाना। प्रलय । ३ अंगिरा ऋषि के पाठ पुत्रों में से एक ।
संवार-प्रव्य० [सं० श्वः] १ माने, वाला दिन । २ प्रातः काल, संवरतक-पु० [सं० संवर्तक] १ प्रलयाग्नि। २ प्रलयकालीन । तड़का।
बादल । ३ बलराम का एक नाम। ४ बलराम के हल | संवाळा--देखो 'सुवाळी'। का नाम ।
संवास-पु० [सं०] १ साथ' बसना या रहमा, सहवास । २ पारसंवरत्तकास्य-पु० एक शास्त्र विशेष ।
स्परिक संबंध । ३ सभा, समाज। ४ घर, मकान । ५ सावं. संवरणो (बो)-क्रि० १ संवारा जाना । २ देखो 'संवराणो'(बौ)। जनिक खुला स्थान । ६ स्त्री प्रसंग, मैथुन । ३ देखो 'समरणो' (बो)।
| संवाहक-वि० [सं०] १ ले जाने वाला । २ पहुंचाने वाला।
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संवाहन
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( १९६ )
भार वहन ।
संविग्य - वि० [सं० संविज्ञ ] पूर्ण जानकार |
संविग्यान पु० [सं०] संविज्ञान] १ पूर्ण ज्ञान २ सहमति सम संसफोट-देखो 'संस्फोट' ।
"
यंन३ स्वीकृति, मंजूरी।
संवित - स्त्री० [सं० संविद्] अंगीकार, स्वीकृति । संयो-देखो 'समी'।
संवाहन - वि० [सं०] १ चलाने की क्रिया, परिचालन । २ ढोवाई संसप्तक - पु० [सं० संशप्तकः] १ रणक्षेत्र में विमुख न होने वाला योद्धा । २ शत्र ु को मारने में दृढ संकल्प किया हुआ योद्धा । ३ किसी कार्य का बीड़ा उठाने वाला व्यक्ति ।
संवेग - पु० [सं० संवेग] १ पूर्व वेग, तीव्रता, तेजी । २ उत्तेजना, धावेश । ३ क्षोभ । ४ मोक्ष की इच्छा ५ त्याग, विरक्ति संयम । ६ वैराग्य भाव । ७ सम्यकत्व के पांच अंगों में से एक अंग ।
संबेगी - वि० १ त्यागी, वैरागी २' चरत्रिवान । ३ निष्ठावान । ४ सम्यकत्व को धारण करने वाला। -पु० जैन साधुनों
का एक भेद ।
सवेटो (बो-देखो 'मेटो' (बो)। संवेद (न) - पु० [सं०] १ सुख-दुःख का बोध २ ज्ञान संवेवित-वि० [सं०] अनुभव कराया हुना, बोध कराया हुमा,
बताया हुआ ।
बेस - पु० [सं० संवेश] १ पहुँचने की क्रिया । २ घुसना क्रिया, प्रवेश । ३ बैठना क्रिया । ४ निद्रा, नींद । ५ पहुंच । ६ स्वप्न ।
संतरण स्त्री० [सं० संवेशन] शय्या
संवेस्टर स्त्री० [सं० संवेष्टन] १ घेरने, लपेटने की क्रिया । २ ढकना क्रिया । संबी-देखो 'समौ' ।
संव्रत - पु० [सं० संवृत्तः ] १ वरुण का एक नाम। २ भगवान विष्णु का एक नाम ।
संसति पु० १ संस्कार विधि २ देखो 'संस्थत'
संसत पु० १ समाज । २ संसद ।
संसत पु० शिथिल पाचार
संतर पु० [सं०] संस्तरः ] यज्ञ, हवन |
,
संस पु० [सं० संशय ] १ प्राशंका शक । २ शपथ । संसकार - देखो 'संस्कार' |
1
1
संकिरत संसकत देखो 'संस्थत' देखो''। - १ संसकती पु० [सं०] संस्कृत] १ संस्कृत भाषा का पंडित
२ देखो 'संस्क्रति' ।
संसतवन- पु० [सं० संस्तवन ] यज्ञ, हवन ।
o
संसद स्त्री० [सं०] १ राजसभा सभा २ प्रजातांत्रिक शासन पद्धति के अनुसार जनप्रतिनिधियों की संस्था जो देश का शासन संभालती है । ३ मंडली ।
संतप्त - वि० [ संशप्त ] १ शापग्रस्त । २ वचनबद्ध ।
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संसमन पु० [सं० संशमन] १ शांत करने की क्रिया । २ नाश, दमन, शमन । ३ दोषों का शोधन करने वाली प्रौषधि । संसय पु० [सं०] संशय] १ संदेह शक २ भ्रम ३ अनिश्व यात्मक ज्ञान । ४ दुविधा ५ खतरा, संकट । संसयात्मा - स्त्री० [सं० संशयात्मा] संदेहवादी ।
संसरग - पु० [सं० संसगं ] १ सम्पर्क, लगाव । २ मेल-मिलाप । ३ मैथुन, संभोग । ४ सहवास । ५ निकटतम संबंध । संसरगदोस- पु० [सं० संसर्गदोष ] साथ रहने से उत्पन्न होने वाले
दोष, अवगुण ।
संसरणी- वि० साथ रहने वाला, साथी सम्पर्क में रहने वाला । संसरण (खौ) - पु० [सं० संसरणं] १ संसार । २ राजपथ, राज मार्ग ३ नगर के समीपस्थ धर्मशाला ४ पुनर्जन्म संसरप - पु० [सं० संसर्पः ] १ क्षय मास वाले वर्ष में लाने वाला अधिक मास । २ रेंगना क्रिया ।
-
संसिद्ध
संसलभ पु० छप्पय छंद का एक भेद ।
संसाऋित स्त्री०
संसाधक - वि० [सं०] १ सम्पन्न करने या पूर्ण करने वाला । २ जीतने वाला ।
० संस्कृत भाषा ।
संसाधन - पु० [सं०] १ तैयारी, प्रायोजन । २ दमन, विजय ।
३ उपकरण ।
संसाधिनी स्त्री० एक प्रकार की विद्या ।
संसार पु० [सं०] १ दुनिया, जगत विश्व मृत्युलोक
२ मानव सृष्टि । ३ मानव समाज । ४ दुनियादारी का काम । ५ भवचक्र, पुनर्जन्म । ६ मार्ग, रास्ता । ७ घर, गृहस्थी पकर, पत्र-० जगत के प्रपंच भट
आवागमन | भवचक्र ।
संसारगुर (गुरु) - पु० [सं० संसारगुरु ] १ जगद्गुरु शंकराचार्यं । २ कामदेव ।
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संसार संसारी (क) वि० [सं० संसारिन्] १ संसार का संसार संबंधी । २ संसार में रहने वाला । ३ दुनियादार, गृहस्थ-पु० १ जीवधारी प्राणी २ दुनिया का कार्य संसारी- देखो 'संसार' ।
संसालण - स्त्री० एक प्रकार का तरल खाद्य पदार्थ । संसि वि० [सं० शसि ] घोषणाकर्त्ता ।
संसिद्ध, संसिद्धि, संधि, संसिधि ( धी) - स्त्री० [सं० संसिद्धि] १ स्वभाव । २ लक्षण । ३ प्रकृति । ४ मदमस्त स्त्री ।
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संसीत
संहार
५ योग सिद्धि। ६ मोक्ष, मुक्ति -वि० पूर्ण सम्पन्न । ४ व्यवस्था, मर्यादा । ५ विधि. तरीका। ६ रहन-सहन योग सिद्ध ।
का नियमित ढंग । ७ ठहराव, विश्राम । ८ अभिव्यक्ति । संसीत-वि० ठंड से जमा, ठंडा।
६ मृत्यु । १० शव का सस्कार । संसे, संस-देखो 'संसय' ।
संस्थापक-वि० [स०] १ स्थापित करने वाला। २ शुरूपात संसोभित-वि० सुशोभित ।
या प्रारंभ करने वाला। ३ निर्माण करने या बनाने संसोसण : पु० [सं० संशोषण] शोषण, सोखना क्रिया।
वाला । संसो-देखो 'सांसो'।
संस्परता-स्त्री० [सं० संस्पर्धा] १ ईर्ष्या, द्वष। २ किसी के संस्करण-पु० [सं०] १ दुरुस्त या ठीक करने की क्रिया ।
बराबर या समान होने की इच्छा । २ संस्कार करना क्रिया। ३ पुस्तक, पत्रिका प्रादि की एक | HA-GO म संम्पयंप्रचछी तरह से स्पर्श होने का बार की छपाई, प्रकाशन, प्रावृत्ति।
भाव । २ संगम, संयोग । ३ संसर्ग, मथुन । संस्कार-पु० [सं०] १ सुधार, दुरुस्ती। २ संशोधन, शुद्धि । संस्फोट सस्फोट-पु० [सं० संस्फोटः] युद्ध, समर ।
३ शिक्षा, उपदेश । ४ पूर्व जन्म की वासना। ५ धार्मिक संस्मरण-पु० [सं०] १ अच्छी तरह या पूरी तरह याद, दृष्टि से शुद्धिकरण । ६ द्विजातियों में होने वाले जन्म से ____ स्मरण । २ संस्कारजन्य ज्ञान । मृत्यु तक के कार्य । ७ मृतक क्रिया । ८ धार्मिक अनुष्ठान । संस्रत, संस्रति-स्त्री० [सं० संसृतिः] १ जन्म ! २ अावागमन, ९ शारीरिक व मानसिक शुद्धि । १० विचारधारा, | भवचक्र । ३ पाने-जाने का मार्ग। ४ संसार, जगत । सिद्धान्तों के अनुसार मन पर जमने वाला प्रभाव । ५ याददाश्त । ११ परिशोधन । -हीण-वि० जिसका संस्कार या शुद्धि | संस्त्रय-पु० [सं० संश्रय] १ शरण, प्राश्रय । २ अभिसंधि, मेल,
सुलह । ३ शरणस्थल, घर। संस्क्रत-स्त्री० [सं० संस्कृत] १ भारत की प्राचीन साहित्यिक | संस्रस्ट-पु० [सं० संसृष्ट] एक पर्वत का नाम ।।
भाषा जो वैदिक भाषा के बाद प्रचलित हई । देववाणी।। संत्रस्टि-स्त्री० [सं० संसृष्टि] १ मिलावट, मिश्रण । २ परस्पर २ व्याकरण के नियम से बना शब्द । ३ धार्मिक प्रथा ।
सम्बन्ध लगाव । ३ घनिष्ठता । ४ काव्यालंकारों का ४ सस्कारित व्यक्ति या वस्तु । ५ पुरुषों की बहत्तर कलामों
| समन्वय । (साहित्य) में से एक ।-वि० १ जिसका संस्कार कर दिया गया हो, संस्त्र त-वि० [सं० संवत] स्वीकृत, अंगीकृत । परिष्कृत, शोधित । २ सुधारा हुमा, दुरुस्त । ३ पकाया | संहंसकर-देखो 'सहस्रकर'। हुप्रा ।
सहसदोयचख-पु० [सं० द्विसहस्रचक्षु] शेषनाग । संस्क्रतजल्प-स्त्री० स्त्रियों की ६४ कलामों में से एक । संहसदोयस्रवण-पु० [सं० द्विसहस्रश्रवणः] शेषनाग । संस्कृति, संस्क्रती-पु० [सं० संस्कृति] १ संस्कार करने की | संहट-पु० [सं० सघट] बैठक ।
क्रिया । २ किसी समाज या राष्ट्र की माचरणगत परंपरा, संहति-पु० [सं०] समूह । सभ्यता व रहन-सहन सम्बन्धी बातें । ३ दार्शनिक, | संहरण-पु० [सं०] १ पूर्णता । २ एकत्रीकरण, संग्रह । ३ नाश, साहित्यिक व नैतिक चिन्तन, प्रादर्श। ४ समाज विशेष | संहार । के व्यक्तियों के दैनिक जीवन सम्बन्धी बातें।
संहरणो (बो)-देखो 'संघरणो' (बी)। संस्तव-पु० [सं०] १ प्रशंसा, तारीफ । २ स्तुति । ३ परिचय। | संहरत्ता-वि० [सं० संहर्ता] नाश करने वाला, संहार कर्ता। संस्तवरणो (बो)-क्रि० [सं० संस्तवम् गुणगान करना, कीति- | संहरस-पु० [सं० संहर्ष] १ रोमांच । २ पुलक । ३ प्रतिस्पर्धा । . गान करना, स्तुति करना।
४ प्रानन्द, हर्ष। संस्तूत-देखो 'संस्तव'।
संहळाद-पु. [स०] भक्त प्रहलाद के बड़े भाई का नाम । एक संस्थल-पु० एक प्रकार का शस्त्र ।
असुर । संस्थान-पु० [सं० संस्थान] १ ठहरने की क्रिया या भाव । | संहसपात-पु० [सं० सहस्र-पत्र] कमल ।
२ ठहरने का स्थान । ३ शिक्षा प्रादि का कोई छोटा केन्द्र। | संहसफरण-पु० [सं० सहस्र-फण] शेषनाग ।
शाला । ४ किसी विशेष कार्य से बना विभाग । ५ सभा। | संहार-पु० [सं०] १ नाश, ध्वंस । २ प्रलय। ३ संहार, विनाश । संस्था-स्त्री० [सं०] १ ठहरने की क्रिया या भाव । २ सभा, ४ एक नरक का नाम । ५ एक भैरव का नाम । ६ संचय,
मंडल । ३ कार्य या उद्देश्य विशेष से गठित समिति ।। संग्रह ।-वि० नाश करने वाला, विध्वंसक ।
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संहारक
सब
संहारक, संहारकारी-वि० [सं०] विध्वंस या सहार करने वाला, | सइथउ-पु० [सं० सीमन्तक] १ जैन मतानुसार एक नरक । विनाशक ।
२ सिन्दूर। संहारण-पु० सिंह, शेर ।
सइयु-पु० स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । संहारकाळ-पु० [सं० संहारकाल] प्रलय, सृष्टि का विनाश ।
सइमुक्ख, सइमुखि-क्रि०वि० सामने, प्रत्यक्ष ।
सइयरण (रिण, पी)-स्त्री० १ दर्जी जाति की स्त्री, दर्जन संहारणौ (बौ)-क्रि० [सं० संहारण] १ मारना, संहार करना।
२ देखो 'सरण। २ नाश करना, ध्वम करना ।
| सइयव (६)-देखो 'संयद' । संहारभैरव-पु० [सं०] चौसठ भैरवों के अन्तर्गत एक ।
सइयर-देखो 'सखी' । संहारू-देखो 'संहार'।
सहर (रि, री, रु, रू)-देखो 'सरीर'। संहिता-स्त्री० [सं०] १ एक प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ । २ शासन
सइस-देखो 'सईस'। सम्बन्धी नियम या विधान । ३ वेदों का एक विभाग, मत्र
सई-१ देखो 'सखी' । २ देखो 'मती'। भाग । ४ संयोग, मेल । ५ विश्व को संगठित रखने वाली
सईक-वि० सो के लगभन । -स्त्री० सौ की संख्या । शक्ति । ६ कार्य प्रणाली।
सईकडो-देखो 'सेकड़ो'। संहीयर-स्त्री० सहचरी, सखी।
सईको-पू० सौवां वर्ष । स-पु० [सं० श,शः] १ भोजन, खाना । २ शिव, महादेव। सईद, सईयत, सईयद-पु. १ चाकर, टहलुमा । २ देखो 'सैयद'।
३ हिमालय पर्वत । ४ रंग। ५ संदेह, शक । ६ कल्याण- सईल-देखो 'संल'। मगल । ७ तालाब, सगेवर। ८ तीर, बारण । ९ सूर्य, वि। सईस-पु० [अ० साईस] घोड़े की देखभाल करने वाला व्यक्ति । १० पैर, पद । [सं०] ११ नाश, संहार । १२ मोक्ष सईह-देखो 'सही'। मुक्ति। १३ अवसान। १४ प्राकाश, नभ । १५ विष्णु का | सउ, सउ-सर्व० १ वह । २ देखो सहित'। ३ देखो 'सो'। एक नाम । १६ इन्द्र । सं० स] १७ सर्प, सांप। ४ देखो 'मरब' । १८ पक्षी। १९ पवन, वायु। २. सगण का सूचक शब्द । सउकि, सउकी-देखो 'सौक' । -स्त्री० २१ पावती, दुर्गा । २२ सरस्वनी। २३ लक्ष्मी।। सउच-देखो 'सोच'। २४ शिक्षा । २५ वाणी। २६ वनि, शब्द । २७ शिखा । सउरण-देखो 'सुगन' । २८ दौप्ति, चमक । २९ ओवात्मा। -सर्व० १ उस । | सउरणो (बो)-देखो 'सोवणी' (बो)। २ वह। ३ सब । -वि० श्रेष्ठ, उत्तम, अदृश्य । -अन्य० / सउयक-पु. स्वस्तिक । १ पादपूरक अव्यय शब्द । २ तक, पर्यन्त । ३ एक प्रकार | सउदागर-देखो 'सौदागर'। का उपसर्ग।
| सउरी-पु० [स० शौरी] यमराज । सइ-पु० [सं० शन] दश की दश गुनी व निन्यारवें के बाद सउहापो (बी)-देखो 'सुहागगों' (बो। वाली संख्या, सो, शत । -सर्व ० १ सब, समस्त । २ स्वयं,
सऊ-देखो 'साऊ'। खुद ।
सऊकार-देखो ‘साहकार' ।
सऊर-पु० [अ० शऊर] १ योग्यता । २ ढंग, शिष्टता । ३ बुद्धि, सईण-देखो 'सैण'।
__ अक्ल ।-दार-वि० योग्य शिष्ट, बुद्धिमान। सइंयु-पु० शिर का प्राभूषण विशेष । सइभरि-१ देखो 'संभरी' । २ देखो 'सांभर'।
सौध (धौ)-वि० १ कुलीन, उच्च कुल का। २ खानदानी ।
३ पद के अनुरूप। सईवर, सइवरि (री)-देखो 'स्वयवर'।
सकंद (घ)-देखो 'स्कंद' ।-जगणी, माता='स्कंदजणणी' । सईवळ-पु० एक प्रकार का वृक्ष ।
सक-पु० [सं० शक] १ एक प्राचीन राजवंश । २ राजा सइहणौ (बो)-देखो 'सहणो' (बी)।
शालिवाहन । ३ शालिवाहन द्वारा चलाया गया शक संवत । सइ-वि० [सं० शत] १ सो, दश का दश गुना। २ देखो 'सती'।
४ संवत । ५ वर्ष । ६ वोर, योद्धा । ७ देवता । ८ तातार -सवं. १ स्वयं, खुद । २ सब ।
देश का प्राचीन नाम । ९ मुसलमान, यवन । १० तातार सइको-देखो 'सईको'।
देश की एक प्राचीन जाति । ११ भय, डर। [प्र. शक] सइड़-पु० १ सांड, नन्दी। २ बल । ३ चोट, प्रहार ।
१२ भ्रम, संदेह ।-वि० १ समर्थ, सामर्थ्यवान । २ साफ, सइण-देखो 'सर'।
निर्मल ।-सर्व० सब, समस्त।
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सकड़
सकळात
सकड़-वि० जबरदस्त, शक्तिशाली।
सकमळकर-पु० सं० स कमल-कर] विष्णु । सकज (जो)-देखो 'सकज्ज'।
सकयत्थो-वि० [सं० सकृतार्थ] कृतार्थ निहाल । सकजापरण (को)-पु० शक्ति, पराक्रम, शोर्य ।
सकर-१ देखो 'सक्र' । २ देखो 'सक्कर' । सकज्ज-पु० हाथी, गज ।-वि० १ समर्थ, शक्तिशाली। २ कार्य | सकरकंद (वी)-पु० [सं० शर्करा कंद] एक प्रकार का प्रसिद्ध कर्ता । ३ कुशल कार्यकर्ता । ४ योग्य, लायक, काम का। कंद। ५ अत्तम, बोष्ठ। ६ वीर, बहादुर ।-क्रि० वि० लिए, | सकर (को)-वि० जबरदस्त, बलवान, शक्तिशाली। वास्ते, हेतु ।
सकरण-पु० संहार, नाश ।-वि० [सं० सकर्ण] १ जिसके कान सकज्जाई-स्त्री० बहादुरी, वीरता।
हो । २ जो सुनने में समर्थ हो। सकट-पु० [सं० शकट] १ गाड़ी, छकड़ा । २ रथ । ३ शकटासुर | सकरणी (बी)-क्रि० १ स्वीकार होना, मंजूर होना । २ भुनना,
दैत्य । ४ एक प्रकार का सैनिक म्यूह। ५ एक तोल भुगतान होना। विशेष । -वि० बुरा, कुत्सित, पापी।
सकरपारी-पु० [सं० शकरा-पार] १ एक प्रकार का व्यंजन, सकट भेद-पु० [सं०] जन्म पत्री में एक लग्न ।
विशेष । २ नींबू से कुछ बड़ा एक फल । ३ स्त्रियों के शिर सकटहा-पु० [सं० शकटहा] श्रीकृष्ण ।
पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । ४ एक प्रकार का सकटार-पु० [सं० शकटार] चाणक्य का सहयोगी व महानंद | प्राम । ५ चतुष्कोणीय प्राकृति जिसकी लंबाई अधिक व का प्रधान ।
चौड़ाई कम होती है। सकटारि-पु० [सं० शकटारि] श्रीकृष्ण ।
सकरांणी-पु० १ शक्कर मिला भात या पदार्थ । २ देखो सकटासुर-पु० [सं० शकटासुर] एक दैत्य जिसे श्रीकृष्ण ने | 'सुकराणो'। मारा था।
सकराणी (बौ)-क्रि० १ भुनवाना, भुगतान लेना। २ स्वीकृत सकटिका, सकटी-स्त्री० [सं० शकटिका] १ छोटी गाड़ी।। कराना। २ बग्घी। ३ गाड़ी।
सकरायंत-देखो 'संकरांत'। सकट्ठ (6)-देखो 'सकट'।
सकरायतमाता-स्त्री० एक देवी विशेष । सकठस्थ-वि० [सं० शकटस्थ] रथ या गाड़ी में बैठा हुआ। सकरियो-पु. स्वर्णकारों का एक प्रौजार विशेष । सकपो (बो-क्रि० १ कार्य करने योग्य, समर्थ या सक्षम होना। सकरोड़ो-देखो 'सखसे'। (स्त्री० सकरोड़ी) २ संभव होना, करने की स्थिति में प्राना।
सकरी-१ देखो 'सखरो' । २ देखो 'सिकरो' । (स्त्री० सिकरी) सकत-१ देखो 'शक्ति' । २ देखो 'सख्त' ।
सकळक, सकलंकी-पु० [सं० सकलंकित्] चंद्रमा, चांद ।-वि. सकतमंत्र-देखो 'सक्तिमंत्र' ।
जिसके कलंक या दोष लग गया हो। सकति-देखो 'सक्ति'।
| सकलंकित-वि० कलंक सहित, कलंकित । सकतिभू-पु० [सं० शक्ति-भू] कात्तिकेय, षडानन ।
सकळ-पु० [सं० सकल] १ निर्गुण, ब्रह्म । २ प्रकृति । ३ घास सकतिवंत-वि० शक्तिशाली, बलवान ।
या तृण । ४ सेना, फौज। [सं० शकल:] ५ खण्ड, भाग, सकतिहथी-वि० शक्ति या शस्त्र रखने वाला।
टुकड़ा ।-वि० १ सब, समस्त पोर सम्पूर्ण। २ जिसमें सकती-देखो 'सक्ति' ।
कला हो।-क्रि० वि० सब जगह, सर्वत्र। सकतीधरण (धारण, धारी)-पु० [सं० शक्तिधारिन] गरुड़।
सकल-स्त्री० [फा० शक्ल] चेहरे की बनावट, पाकृति । सकतीपुर (पुरी)-देखो 'सक्तिपुर'।
सकळपातमा (आत्मा)-पु० [सं० सकल-मात्मा] कामदेव । सकत्त-१ देखो 'सक्ति' । २ देखो 'सस्त' ।
सकळकळ-वि० सोलह कला युक्त । सकत्ति (ती)-देखो 'सक्ति' ।
सकळजगपाळक-पु० [सं० सकलजगपालक] ईश्वर, परमेश्वर । सकन-देखो 'सुगन'।
सकळजगणी (जननी)-स्त्री० १ दुर्गा, देवी, जगदम्बा । सकनकूर-पु० [अ० सकन्कूर) गोह की तरह का एक जीव,
२ प्रकृति । रेत को मछली।
सकळा, सकला-वि० कला सहित, कलायुक्त । सकपकाणी (बी)-क्रि० पाश्चर्य चकित होना।२ हिचकिचाना। सकळाई-स्त्री. १ चमत्कार, करामात । २ बल, शक्ति । ३ शर्माना । ४ असंतुलित, चंचल होना ।
३ सिद्धि। सकबंध (धी)-देखो 'साकाबंध' ।
| सकळात,सकलात-पु० १ एक वस्त्र विशेष । २ देखो 'सकळायत'।
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सकलाय
।
७०० )
सक्कणो
घला।
सकलाय-वि० कलापूर्ण, कलायुक्त ।
सकुचणी (बौ)-देखो 'संकुचणों (बी)। सकळायत-पु. १ एक प्रकार का बढिया लोह । २ देखो'सकळाई'। सकुचाई-स्त्री० संकोच ।। सकळाव्रत-पु० चंद्र, चांद, चंद्रमा।
सकुचाणो (बो)-देखो 'संकुचरणो' (बो)। सकळी-स्त्री० [सं० शकलिन] १ मछली । २ पूर्णमासी। सकुटंब-क्रि० वि० परिवार के साथ, सपरिवार । सकळीगर, सकलीगर, सकळीघर, सकलीघर-देखो 'सिकळीघर'। सकुन-पु० [सं० शकुन] १ पक्षी । २ एक दानव । ३ एक देव । सकळीव्रत-पु० [सं० सकली-व्रत] चन्द्रमा, चांद ।
४ देखो 'सकुनि' । ५ देखो 'सुगन' । सकव (वि, वी)-देखो 'सुकवि' ।
सकुनद्वार-पु० [सं० शकुनद्वार] शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के सकस-पु० १ वीर पुरुष । २ पति । ३ देखो 'सरस' ।
एक साथ होने वाले शकुन । सकसस्त्र-पु० [सं० शक्यशस्त्र] लोहा ।
सकुनसार-पु० स्त्रियों को ६४ कलाओं में से एक । सकस्सा-वि० मजबूत, दृढ़।
सकुनसुद्धि-पु. (स० शकुनशुद्धि] पुरुषों को ७२ कलामों सकस्सी-स्त्री० एक प्रकार का हथियार ।
में से एक। सकाम-वि० [सं० सकाम] १ सफल मनोरथ । २ कामनायुक्त । ३ मथुन की इच्छा वाला व्यक्ति । ४ स्वार्थ । ५ इच्छित,
सकुनावळ (ळी)-पु. शकुन शास्त्र की पुस्तक । प्रभीष्ट ।
सकुनि-पु० [सं० शकुनि] १ हिरण्याक्ष का पुत्र एक दैत्य ।
२ कौरवों का मामा । ३ पक्षी । ४ गिद्ध पक्षी। ५ चील सकामी (मौ)-पु० [सं० सकामिन् ] १ विषयी व्यक्ति । २ देखो
पक्षी । ६ मुर्गा । ७ एक नाग का नाम । ६ एक महर्षि । 'सकांम'।
६ देखो 'सुगनी'। सका-पु० [सं० शका] १ एक देश का नाम । २ एक जाति विशेष ।
सकुनिका-स्त्री० [सं० शकुनिका:] एक स्कन्द मातृका । सकाकुळ-पु. १ शतावर जाति का एक कंद विशेष । -स्त्री० | सकुळ-पु० [सं० सकुल अच्छा व ऊंचा कुल । २ एक प्रकार की मछली।
सकुली-स्त्री० पुराणानुसार एक नदी। सकाकोल-पु० [सं० सकाकोलः] एक नरक का नाम ।
सकुलोण (गो), सकुलीन-देखो 'सुकुली' । सकाज (जो)-देखो 'सकज्ज'।
सकुसळ-क्रि० वि० कुशलता पूर्वक, राजी-खुशी। सकान्द-पु० [सं० शकान्द] शक संवत ।।
सकूनत-स्त्री० [अ० शकूनत] निवास स्थान । सकार-पु. १ 'स' अक्षर, वरणं। २ 'स' की ध्वनि । [सं०
सकूल-देखो 'स्कूल'। शकार:] ३ पत्नी का भाई, साला। ४ प्रयोजन, स्वार्थ । | सके-प्रव्य० जाने, जैसे। -स्त्रो० ५ सार्थकता । ६ देखो 'सिकार'।
सकेलणी-स्त्री. एक प्रकार की तलवार । सकारि (री)-पु० [सं०] १ विक्रमादित्य को एक उपाधि । सकेळो-पु० एक प्रकार का लोहा । २ शिकारी।
सकेक-क्रि०वि० संभवतः, शायद । सकारे (२), सकाळ, सकालि-क्रि० वि० [सं० सकाल] प्रातः
सकोई-वि० समस्त, सब । सब कोई। ___ काल, सवेरे।
सकोड़ो-वि० १ उत्साह व उमंग युक्त । २ प्रसन्नता सहित ।
सकोतरी-देखो 'सिकोतरी'। सकियक-देखो ‘सकेक'। सकी-वि० [फा० शकी] संदेह करने वाला, संदेहशील ।
सकोप-वि० क्रोध सहित, क्रोध के साथ, क्रोध में। -पु. क्रोध, सकुच-वि० संकुचित ।
कोप । सकुत-पु० [सं० शकुत] १ विश्वामित्र ऋषि के ब्रह्मवादी सकोमळ (ल)-वि० १ कोमल, नाजुक, मुलायम । २ विनम्र ।
पुत्रों में से एक । २ एक प्रकार का पक्षी। ३ एक प्रकार | सकोय-देखो ‘सकोई'। का कीड़ा।
सकोरणी (बी)-देखो 'मिकोड़णो' (बी)। सकुतक-पु० [सं०] एक प्रकार की छोटी चिड़िया।
सको-पु० पानी भरने वाला, भिस्ती। -वि० सबं, समस्त । सकुतला-स्त्री० [सं० शकुंतला] विश्वामित्र ऋषि व मेनका -सर्व० वह, वही, उसे, उसको । की पुत्री तथा राजा दुष्यन्त की पत्नी ।
सक्क-१ देखो 'सक' । २ देखो 'सक्र' । सकुच-देखो 'संकोच'।
सक्कणी-देखो 'साकरणी' । सकुचरण (न)-स्त्री० लज्जा, शमं ।
सक्करणो (बो)-देखो 'सकणो' (बी)।
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सक्कर
( ७०१ )
सक्रद्ध
सक्कर-स्त्री० [सं० शर्करा] शक्कर, चीनी, खांड ।
सवंत (ति, ती)-देखो 'सकरात' । सक्करखोर (खोरो)-पु० एक प्रकार का कोटाणु ।-वि० शक्कर सक्रतिमेख (मेखि, मेखो)-देखो 'मेखसंक्रांति'। खाने का शौकीन ।
सकंदन-पु० [सं० संक्रंदन] १ इन्द्र । २ श्रीकृष्ण । सक्करपारौ-देखो 'सकरपारौ' ।
सक-पु० [सं० शक] १ इन्द्र। २ अर्जुन वृक्ष। ३ ज्येष्ठा सक्कळ-देखो 'सकळ' ।
नक्षत्र । ४ उलूक, उल्लू । ५ एक मादित्य का नाम । सक्कळा-देखो 'सकळा' ।
६ टगरण के चौथे भेद का नाम (sms)। ७ चौदह की सक्कवे (4)-पू० १ स्वर्ग, देवलोक । २ समर्थ व्यक्ति ।
संख्या *। ८ देखो 'सुक्र'। सक्कस-वि० [फा० सरकश] १ जबरदस्त, जोरदार । सकउत्सव-पु० [सं० शक-उत्सव भादव शुक्ला द्वादशी का एक २ घमण्डी, गविला । ३ देखो 'सको'।
पर्वोत्सव । सक्कार-१ देखो ‘सत्कार' । २ देखो 'सकार"।
सक्रक्रोडाचळ-पु० [सं० शक्र-क्रीड़ाचल] सुमेरु पर्वत । सक्ख-देखो 'साखा'।
सक्रकेत (केतु)-पु० [सं० शक्र-केतु] इन्द्र का ध्वज । सक्खर (रौ)-देखो 'सखरौ' । (स्त्री० सक्खरो)
सक्रकोस, सक्रकोसाधिक्ष-पु० [सं० शक्र-कोशाधिक्ष] कुबेर । सक्खि-स्त्री. मित्रता, दोस्ती।
सक्रगोप-पु० [सं० शक्र-गोप] वीर-बहूटी नामक कोड़ा। सक्त-पु० [सं० शक्त] पुरुवंशीय मनस्वी के पुत्र ।-वि. सक्रधरण-पु० [सं० शक्र-घण] इन्द्र का वज्र । [सं० पासक्त] १ पासक्त । २ देखो 'सख्त'।
सक्रचाप-पु० [सं० शऋचाप] इन्द्र धनुष । सक्ति-स्त्री० [सं० शक्ति] १ दुर्गा, भवानी, देवी। २ सरस्वती, | सक्रजांन (जानु, जान)-पु० [सं० शक्रजानु श्रीराम की सेना
शारदा । ३ पार्वती, गिरिजा । ४ देवतामों की विभिन्न | का एक वानर। शक्तियों में से कोई एक । ५ बल, ताकत, जोर। ६ दक्ष | सऋजित-पु० [सं० शजित] इन्द्र को जीतने वाला, मेघनाद । की पुत्री सती का नामान्तर। ७ लक्ष्मी। ८ बरछी या | सकतकर (करज)-पु० [सं० शक्रत्करि बछड़ा, गो-वत्स । सांग नामक शस्त्र। ९ तलवार । १० स्त्री की योनि । | सऋतू-पु० [सं० शक] इन्द्र, पुरंदर । ११ शक्तिशाली राज्य में शासन । १२ शाक्तपीठ की | सक्रविस (दिसा)-स्त्री० [सं० शक्रदिश] पूर्व दिशा जिसका अधिष्ठात्री देवी। १३ किसी देवता का बल या पराक्रम । | स्वामी इन्द्र माना जाता है। १४ तंत्र के अनुसार सुन्दर एव सौभाग्यवती युवती विशेष । सक्रदेव-पु० [सं० शक्रदेव] देवराज इन्द्र । १५ किसी पदार्थ एवं उसका बोध कराने वाले शब्दों के | सक्रदेवत-पु. [सं० शक्रदैवत] ज्येष्ठा नक्षत्र । बीच संबंध । (न्याय) १६ प्रभाव डालने वाली बात या | सधनख (धनु, धनुख, धनुस)-पु. [सं० शक्रधनुस् ] इन्द्र धनुष । बल । १७ हथेली में होने वाला सामुद्रिक चिह्न । १८ एक | सक्रनंद (नंदण, नदन)-पु० [सं० शक्रनंद] १ मजून। २ जयंत । प्रकार का शस्त्र । १९ क्षमता, सामथ्र्य । २० भवन की। ३ बालि । संख्या* । २१ देखो 'सख्ती'।-ग्रह-पु. शिव, महादेव । सनदा (न्नंदा)-स्त्री• एक प्राचीन नदी। कात्तिकेय ।-वि० शक्ति को ग्रहण करने वाला । सक्रपत (पति, पती)-पु० [सं० शक्रपति] विष्णु । भालाधारी। -घर, धरण, धारी-पु० स्वामिकात्तिकेय । सक्रपुर (पुरी, पुरी)-पु० [सं० शक्रपुर प्रमरावती, इन्द्रपुरी। शिव, महादेव । गरुड़ ।-पूजक-पु. शाक्त ।-बोध-पु. सक्रप्रस्थ-पु० [सं० शक्रप्रस्थ] पांडवों का इन्द्रप्रस्थ । शब्द शक्ति का बोध या ज्ञान ।-मत्र-पु० युद्ध में विजय | सक्रप्रिया-स्त्री० [सं० शक्र-प्रिया] इंद्राणी, शची। . के लिये साधा जाने वाला शक्ति का मंत्र ।-मान-वि० सक्रय-स्त्री० इन्द्राणी। पराक्रमी, शक्तिशाली। समर्थ ।- वादी-पु० शक्ति का | सक्रवाह (वाहण, वाहन)-पु० [सं० शक्रवाहन] १ इन्द्र का उपासक । -वीर-पु० वाममार्गी, शाक्त ।-होन-वि० हाथो, ऐरावत । २ हाथी, गज। ३ बादल । निर्बल, कमजोर, असमर्थ, नामदं ।
सक्रसरोवर-पु० [सं० शक्र-सरोवर] बज्र में स्थित इन्द्रकुड सक्तिपुर-पु० १ दिल्ली का एक नाम । २ सिरोही नगर का | नामक स्थान । एक नाम।
सक्रसुत-पु० [सं० शक्रसुत] १ अर्जुन। २ जयंत । ३ बालि । सक्तिपुरियो (पुरी)-पु. १ दिल्ली का बादशाह । २ चौहान ।
सक्रारि, सक्रारी-पु० [सं० शक्रपरि] मेघनाद । ___ ३ मुसलमान । ४ सिरोही या दिल्ली का निवासी। सक्ती-पु. १ एक मात्रिक छंद विशेष । २ देखो 'सक्ति' ।। सक्रीत-वि० कोर्ति सहित, प्रसिद्धि के साथ । -धर='सक्तिधर'।
| सक्रुद्ध, सक्रोध-वि० क्रोध पूर्ण, क्रोध युक्त ।
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सक्र निज
सघळ
NOT
सक निज-देखो 'सकुनि'।
सख्स-पु० [अ० शख्श] १ व्यक्ति, पादमी । २ वीर, बहादुर । सख-पु० [सं० सखि] १ मित्र, सखा। [सं० शिष्य] २ शिष्य, सगंध-वि० १ गंध युक्त । २ देखो 'सुगंध' । चेला, । ३ देखो 'साखा' ।
सग-पु. [फा०] कुत्ता। सखरगो (बौ)-कि० १ साक्षी या गवाही देना। २ कहना । सगग-पु० [अनु॰] १ध्वनि विशेष । २ तरल पदार्थ का बहाव । सखत-देखो 'सखत'।
सगगणो (बी)-क्रि० पानी प्रादि तरल पदार्थ का सग-सग सति (तो)-१ देखो 'सख्ती' । २ देखो 'सक्ति'।
कर बहना । सखमदरा-पु० [सं० मदारसखा] मंदार का सखा, प्राम । सगगाट-स्त्री० १ पक्षियों के एक साथ उड़मे से उत्पन्न ध्वनि । सखर (उ)-१ देखो 'सखरौ' । २ देखो "सिखर'।
२ तरल पदार्थ के उमडने या जोर से बहने की ध्वनि । सखराळ (को)-देखो 'सिखराळो'।
'३ शरीर में कपन की अवस्था । सखरी-वि० १ प्रच्छो, स्वच्छ, शुद्ध । २ अच्छे कार्य के लिये | सगजवान-पु० [फा०] कुत्ते के समान पतली व लंबी जीभ तैयार।
वाला घोड़ा।
सगट-देखो 'सकट'। सखरु, सखरी-वि० (स्त्री० सखरी) १ सुन्दर, मनोहर। सगडी-देखो 'सिगड़ी'।. - २ बलवान, वीर, बहादुर । ३ उपजाऊ । ४ अच्छा, बढ़िया । सगण-Y० प्रथम दो लघु और अंत में एक गुरु प्रक्षर का
५ उत्तम, श्रेष्ठ । ६ पक्ष वाला, अनुकूल । ७ स्वादिष्ट । एक गरा। सखस-देखो 'सख्स'।
सगणो (बो)-देखो 'सकरणो' बो)। सखा-पु० [सं० सखिन्] मित्र, साथी।
सगत-देखो 'सक्ति'। सखाइ-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
सगतपण (परणो)-पु० शक्ति, सामर्थ्य । सखाईउ-पु० [सं० सख्य] सखा, मित्र ।
सगतपुर-देखो 'सक्तिपुर'। सखाक्रस्न-पु० [सं० कृष्ण सखा] अर्जुन ।
सगतपुरो-देखो 'सक्तिपुरौ'। सखायो-पु० [सं० सखा] विवाह के समय दूल्हे के साथ रहने सगतभूत (भ्रति)-पु० [सं० शक्तिभूत] स्वामिकात्तिकेय । . वाला सखा।
सगति-देखो 'सक्ति'। सखावत-स्त्री० [अ०] उदारता, दानशीलता।
सगतिविलंद-पु० अर्जुन । सखावख-पु० [सं० शाखा-वृक्ष] बरगद, वट वृक्ष ।
सगती-देखो 'सक्ति'। सखासमीर-स्त्री० भग्नि, भाग।
सगतीपुरौ-देखो 'सक्तिपुरो' । सखाहर-पु० [सं० हरि सखा] इंद्र।
सगत्त, सगत्ति, सगत्ती-देखो 'सक्ति'। सखि, सखिए, सखी, सखीय-स्त्री० १ सहेली, सहचरी । सगन-देखो 'सघन'।
२ नायिका की अन्तरंग सखी। ३ एक मात्रिक छन्द विशेष। सगपरण-पु० १ रिश्ता, संबंध, नाता। २ लगाव, संबंध । [सं० शिखिन्] ४ पग्नि, प्राग ।-वि० [फा०] दानी, ३ विवाह, शादी। ४ देखो 'सगाई'। दाता, उदार।
सगबग-वि० १ लथ-पथ, सराबोर । २ भरा हुमा, परिपूर्ण । सखीभाव-पु०१ अपने इष्ट की सखी या पत्नी बन कर की -क्रि० वि० १ तेजी से, फुति से । २ तुरन्त, शीघ्र । जाने वाली भक्ति । २ वदान्यता।
सगर-वि० मब, समस्त ।-पु० १ एक सूर्य वंशी राजा । २ एक सखेद-पु० कष्ट, दुःख, पीड़ा।-वि० दुःख व खेद सहित।
चन्द्रवंशी राजा । ३ राठौड़ों की एक उपशाखा । सख्ख-१ देखो 'साखा' । २ देखो 'साक्षी' ।
सगरब, सगरभ-वि० [सं० सगर्म] १ सहोदर, सगा भाई। सख्खर (रो)-१ देखो 'संखरौ' । २ देखो "सिखर'।
२ देखो 'सगरभा'। सख्त-वि० [फा०] १ कठोर, कड़ा, ठोस । २ मजबूत, दृढ़ ।
सगरमा-स्त्री० [सं० सगर्भा] १ गर्भवती स्त्री। २ सहोदरा।। ३ कठिन, दुस्तर । ४ दया, ममता प्रादि कोमल भावों से रहित । ५ पक्का ।
सगरव-वि० [सं० सगवं] १ गर्व युक्त, गविला । २ देखो सख्ती-स्त्री० [फा०] १ कड़ापन, कठोरता । २ दृढ़ता, मजबूती।
___'सगरम'। ३ कठिनता । ४ क्रूरता, ज्यादती।
सगरांम-देखो 'संग्राम'। सख्यं-पु० [सं० शख्यं] १ मित्रता, दोस्ती। २ मित्र, दोस्त । | सगरि-पु० राजा सगर के पुत्र । सख्यात-देखो 'साक्षात'।
| सगळा, सगळाई-वि० सब, समस्त।
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सगळीगर
( ७०३ )
सड़रणी
सगळीगर-देखो 'सिकळीगर' ।
सगौ-पु. (स्त्री० सगी) १ बेटी या बेटे के ससुराल का व्यक्ति । सगळे, सगळे-क्रि० वि० सर्वत्र, सब जगह ।-वि० [सं० सकल २ सम्बन्धी, रिश्तेदार । ३ सहोदर, भाई। ४ निकटतम सब, समस्त ।
संबंधी या रिश्तेदार । ५ पिता, पितामह या नाना के वंश सगळी-वि० [सं० सकलं] (स्त्री० सगळी) पूरा, समस्त , सब का सदस्य । ६ प्रिय व्यक्ति। का सब।
सम्ग-१ देखो 'सुक' । २ देखो स्वर्ग'। सगस-पु० १ भूत-प्रेत । २ देखो 'सगाह' । ३ देखो 'सख्त' । सग्गपण-देखो सगपण'। सगह-पु. १ सिंह, शेर । २ देखो 'सगाह'।
सगर-१ देखो 'सागर' । २ देखो 'सगर' । सगांन-वि०१ गायन सहित । २ ज्ञान सहित ।
। सग्गह-देखो 'सगाह' । सगा-वि० स्वयं के,खद के।
सग्यांन-पु० [सं० सज्ञान] १ ज्ञानी व्यक्ति । २ बुद्धिमान पुरुष । सगाई-स्त्री० १ संबंध, रिश्ता । २ मंगनी, रिश्ता । ३ रिश्ते- ३ प्रौढ़ व वयस्क व्यक्ति ।-वि० १ चतुर । २ सावधान,
दारी की स्थिति । ४ विधवा का किसी पुरुष से होशियार। संबंध, नाता।
सन-देखो 'सगर'। सगाचार-पु० १ बेटे या बेटी के ससुराल वाला, संबंधी। सनांम-देखो 'संग्राम'। २ रिश्ता, संबंध ।
सघट-वि० दृढ़, मजबूत । सगाढ़ी-वि० १ मजबूत, दृढ़ । २ वीर, बहादुर ।
सघण-पु० १ पहाड़, पर्वत । २ वर्षा । ३ मेघ, बादल । सगातरौ-वि० निकट, पास ।
४ समूह, झुण्ड । ५ घन घटा, बादल ।-वि० १ अधिक, सगातेडो-पु० मृतक के पीछे किया जाने वाला भोज, मोसर । बहुत । २ घना, गहरा । ३ स्थूल, मोटा। सगापण (गो)-पु० सम्बन्धी होने का भाव, प्रात्मीयता। सघरपगाज-पु० पाण्डव पुत्र भीम का एक नाम । सगारत (थ)-पु० १ सगा होने का भाव । २ रिश्तेदारी, सघणवाह-पु० इन्द्र। संबंध । ३ संबंधी, रिश्तेदार।
सघणापी-पु० १ अधिकता, बाहुल्य । २ घना होने की अवस्था सगाळो-पु० निटकतम रिश्तेदार, संबंधी।
या भाव । सगावट-पु. संबंध, रिश्ता, नाता।
सघणो बो)-देखो 'सकणो' (बो)। सगावळ-पु० संबंध, रिश्ता।
सघन-देखो 'सघण'। सगाविध-पु० १ रिश्तेदार, संबंधी । २ धात्मीयता। सघरौ-वि० सपरिवार, कुटुम्ब सहित । सगाह (हो)-वि० १-मजबूत, दृढ़ । २ जबरदस्त, बलबान । सघळउ, सघलउ, सघळू, सघलू, सघळो, सघलौ-देखो 'सगळो' ।
३ गर्व, सहित, सगर्व । ४ सादर, प्रतिष्ठा सहित । ५ क्रोध सघाळो-देखो 'सिंघाळो'। पूर्वक, सक्रोध ।
सङग-पु० [स० षडंग] वेद के छः अंग । सगुड-पु० कवचधारी (हाथी)।
सड़-क्रि० वि० १ शीघ्र, जल्दो । वि० २ छः । सगुण-पु० [सं०] १ सत्व, रज और तम से युक्त साकार ब्रह्म ।
सड़क-स्त्री० ६ यातायात के लिये बना मार्ग, राज्यपथ । २ ईश्वर, परमात्मा। ३ ईश्वर के सगुण रूप का उपासक
२ बोवाई से होने वाला अनाज या अन्य पदार्थ ।-वि० सम्प्रदाय व व्यक्ति । ४ धार्मिक व साधु पुरुष । ५ अच्छा
१ नशे में धुत, तृप्त । २ असली, वास्तविक ।-क्रि० वि० व श्रेष्ठ गुण । ६ डोर चढ़ा धनुष ।-वि० (स्त्री० स गुरणी)
सपाट से। १ गुणवान, चतुर । २ परोपकारी। ३ कृतज्ञ । ४ अच्छी सड़कारण (बो), सड़कावणी (बो)-कि० चाबुक या छड़ी से
प्रादत व व्यवहार वाला । ५ सांसारिक । ६ देखो 'सुगन' । मारना, पीटना । सगुन -१ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सगुण' ।
| सड़गुण-पु० [सं० षडगुण] १ छः गुणों का समूह । २ राजनीति सगुर-वि० [सं० सगुरू] महान् , जबरदस्त।
की छः बातें। सगोड़ी, सगोडो (ढो)-पु० [सं० सम्-गोत्र] (स्त्री० सगोड़ी, सड़ज पु० [सं० षड्ज ] संगीत में किसी सप्तक का प्रथम स्वर । ___सगोढ़ी) १ निकटतम रिश्तेदार । २ घनिष्ठ मित्र । सड़रण-स्त्री० सड़ने की क्रिया या भाव।-वि० सड़ने वाला। सगोत, सगीतरी, सगोती, सगोत्र (श्री)-वि० [स० सगोत्रः] | सड़णी (बो)-क्रि० १ किसी वस्तु या शरीर के अंगादि में
१ एक ही जाति का, सजातोय । २ अपने वंश का, कुल विकार उत्पन्न होना। २ विकृत होकर दुर्गन्ध देना । का। ३ सम्बन्धो। ४ कुल, वंश । ५ दूर का नातेदार। | ३ विकृत होने से कीड़े पड़ जाना। ४ द्रव पदार्थों में
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सहयो
( ७०४ )
सचियार
खमीर उठना। ५ दीन-हीन अवस्था में पड़े रहना। | , झोंपड़ी। ३ अधिक पकने से बेकार हुई मूली। ४ श्मशान ६ कष्टमय या बुरी दशा होना। ७ व्यथं पड़ा खराब | भूमि में दाह किए गये शव की ताजी राख का ढेर । होना ।
सचंग-देखो 'सुचग' । सड़बो-देखो 'सड़वो'।
सच-देखो 'सत्य'। सड़वड़णी (बी)-क्रि० १ तेज गति से चलना। २ भागना, सचकार-देखो 'सचकार'। दौड़ना।
सचकित-वि० [सं०] १ भड़का हुआ। २ डरपोक, कायर । सड़बड़ियो-पु. १ कायर । २ गरीब, दीन ।
३ कांपता हुमा । ४ पाश्चर्य युक्त । सड़ववन-पु० [सं० षड्वदनः] स्वामिकात्तिकेय ।
सचरणो (बो)-देखो 'सचरणो' (बी)। सड़वरग-पु० [सं० षड्वर्ग] १ छः वस्तुत्रों का समूह या वर्ग। | सचबोलो-वि० (स्त्री० सचबोली) सत्य बोलने वाला, सत्यवादी।
२ ज्योतिष में क्षेत्र, होरा, प्रेष्काण, नवमांश, द्वादशांश सचराचर (रि, री)-वि० [सं० सचराचर] चर-अचर मब; पोर त्रिशांश का समूह । ३ काम, क्रोध, मोह, मद और स्थावर व जगम समस्त ।-पु० १ ससार के जड़ व चेतन मत्सर का समूह । ४ समग्र ऐश्वर्य, समग्र धर्म, समग्र यश, सभी तत्त्व । २ चौसठ भैरवों में से एक ।
समग्र श्री, समग्र ज्ञान, समग्र ज्ञान वैराग्य ये छः तत्त्व। । सचळ-वि०१ चलायमान अस्थाई । २ गतिशील । ३ प्रटल, सविदुतेल-पु० [सं० षड्विंदुतल] सिर दर्द से संबधित वैद्यक पक्का । में एक तेल ।
सळियो, सचळो, सचल्यो-वि० (स्त्री० सचळी) १ नट-खट सड़विकार-पु० [सं० षड्विकार] १ प्राणियों की छः अवस्थाएँ। और चचल । २ चुप, शांत ।
उत्पत्ति, वृद्धि, बालापन, प्रौढ़ता, वृद्धत्व तथा मृत्यु । सचवारणी (बी)-क्रि० १ जड़वाना, लगवाना। २ जांच कराना। २ काम, क्रोधादि छः मनोविकार ।
सचवादी-देखो 'मत्यवादी' । सड़वी-पु० फसल की, पशु-पक्षियों से रक्षार्थ, खेत में खड़ा किया सांण (न)-१ देखो 'साचौ' । २ देखो "सिंचाण' । जाने पाला पुतला।
सचांणी-देखो ‘साचांणी'। सड़सठ-१ देखो 'सतसठ' । २ देखो 'छासठ' ।
सचाई-स्त्री० सत्यता, सच्चापन । सहारण, सड़ांध-स्त्री० १ सड़ने की क्रिया या अवस्था ।। सचाडो-वि० १ श्रेष्ठ । २ जबरदस्त । . २ दुर्गन्ध, बदबू ।
सचाडपो (बी)-क्रि० सहायता लेना। सड़ाक (को)-पु० कोड़े या चाबुक में प्रहार की ध्वनि ।-क्रि०वि० सचाळ-देखो 'सचाळो' । शीघ्र, तुरन्त ।
सचाळी-स्त्री० क्रीड़ा करने वाली देवी। सहाणी (बी)-क्रि० किसी वस्तु को सड़ने या विकृत होने के सचाळी-वि० (स्त्री० सचाळी) १ वीर, योद्धा । २ तेजस्वी। लिये छोड़ देना, विकृत करना, खमीर उठवाना।
३ गतिमान, चलने वाला । ४ खुशी व उमंग सहित । -पु. सड़ानन-पु० [सं० षडानन] १ स्वामिकात्तिकेय, स्कन्द । युद्ध, संग्राम । २ संगीत में स्वर साधन की एक विधि।
सचावट-स्त्री० सच्चापन, सत्यता। सड़ायध-स्त्री० वस्तु के सड़ने से उत्पन्न दुर्गन्ध, बदबू । सचाह-वि० इच्छा सहित, इच्छुक । सड़ाव-स्त्री० सड़ने की क्रिया या अवस्था ।
सचित-वि० १ जिसे चिता हो, चिन्तातुर । २ देखो 'सचीत' । सड़ासह-क्रि० वि० १ सड़-सड़ शब्द या ध्वनि करते हुए। सचि-पु० [सं०] १ मित्र, दोस्त । २ मित्रता, दोस्ती। ३ देखो
२ शीघ्र, तेज गति से । ३ बिना रुके, निरन्तर लगातार । | 'सत्य' । ४ देखो 'सची'। .. सडिद (दो)-पु० [अनु०] १ छड़ी, चाबुक प्रादि के प्रहार से सचिक्करण (न)-वि० [सं०] अत्यन्त चिकमा, स्निग्ध । उत्पन्न ध्वनि । २ प्रहार, चोट।
सचित-वि० [सं० सचित्] जिसे ज्ञान या चेतना हो। सड़ियळ-वि० १ सड़ा हुमा। २ रद्दी, निकम्मा । ३ नीच
सचितानंद-देखो 'सच्चिदानंद' । पतित।
सचित्त-स्त्री० [सं०] जिसे चेतना व ज्ञान हो, चैतन्य, सावधान । सड़ियो-पु. १ घास-फूस से बुनी मोटी रस्सी । २ ऊंट के अगले । पैर बांधने का, चमड़े का बधन ।
सचित्राळी-स्त्री० दुर्गा, देवी । सड़ी, सड़ी-स्त्री. १ भैस के चमड़े की रस्सी । २ टहनी। सचियादे (२), सचियाय-स्त्री. १ चारण कुलोत्पन्न एक देवी । सड़ो, सड़ी-पु. १ वह बड़ा चौक या भू-भाग जिसके चारों ओर २ प्रोसियां (जोधपुर) में स्थित एक प्रसिद्ध देवी।
काटों की बाड़ हो, बाड़ा। २ कूए के पास बनी कच्ची सचियार-पु० [सं० सत्य] सच्चा, सत्य ।
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सचिव
( ४०५ )
सजनता
सचिव, सचिवाळ -पु० [सं० सचिव] १ मंत्री, वजीर । २ मित्र | सच्च-देखो 'मत्य'।
दोस्त । ३ मददगार सहायक । ४ प्रशासनिक अधिकारी सच्चरित, सच्चरितर (चरित्र)-वि० [सं० सच्चरित्र] १ जिसका सचिवालय-पु० [सं०] सचिवों के बैठने का स्थान, कार्यालय । चरित्र अच्छा हो, शुद्ध चरित्र वाला । २ सदाचारी। सचीत (सचीत)-स्त्री० १ चिंता, क्लेश । २ देखो सचित'। सच्चव-देखो 'सचिन'। सची-स्त्री० [सं० शची] १ देवराज इन्द्र की पत्नी. शची
सच्चवह-देखो 'मत्यवती'। इन्द्राणी । २ अप्सरा ।-पत, पति, पती-पु० इन्द्र,
सच्चाई -स्त्री० सत्यता, हकीकत, वास्तविकता । अश्विनी कुमार ।-सुत--पु० जयन्त । चैतन्यदेव ।।
सच्चित-पु० [सं०] सत् और चित् से युक्त ब्रह्म । सचीतीरथ-पु० [सं० सत्यतीर्थ ] एक प्राचीन तीर्थ का नाम ।
सच्चितानंद सच्चिदानंद-पु० [सं०] परमेश्वर, ब्रह्म । सचीती-वि० (स्त्री० सचीती) १ चिंतातुर, चिंताग्रस्त। २ तर्क
सच्ची-१ देखो 'सवी' । २ देखो 'साची'। सवाधान ।
सच्चु-१ देखो 'सत्य' । २ देखो 'साची'। सचीयार (रो)-देखो 'सचियार' ।
सच्छंद-देखो 'स्वच्छंद' । सचीराट-पु. [सं० शची-राट] इन्द्र ।
सजतौ-वि० (स्त्री० सजंतो) सुरक्षित । सचीस-पु० [सं० शचीश] देवराज इन्द्र ।
सज-देखो 'सज्ज'। सचीसुखदायक-पु० इन्द्र । सचीरयांप-पु० [सं० शचीस्वामी] इन्द्र ।
सजको-वि० (स्त्री० सजकी) १ सावधान, सतर्क। '२ चंचल । सचूप-वि०१ चतुराई पूर्वक। २ सुन्दर । ३ कुशल, चतुर।
|
२५
३ सुरक्षित। ४ हास्य रसयुक्त ।-स्त्री० सुन्दरता ।
सजग-वि० १ सचेत, चेतनायुक्त । जाग्रत । २ सतर्क, सावधान सचूपौ, सचूप (पो)-वि० (स्त्री० सचूपी) १ कुशल, निपुण । होशियार । ३ शीघ्र जागने वाला : ४ चालाक, होशियार। २ सुन्दर, मनोहर।
सजगीर-वि. बलवान, शक्तिशालो। सवेत-वि० [सं० सचेतन] १ सावधान, सतर्क । २ मूर्छा रहित, | सजगीस-देखो 'जग्गीस'।
जागरुक । [सं० सचेतस्] ३ बुद्धिमान, चतुर, दक्ष । सजड़-वि० १ सुदृढ़, मजबूत । २ घना, सघन । ३ जड़ सहित, ४ सवेदनापूर्ण, दयालु।
__ समूल। सचेतन (नि, नी)-पु. [स० सचेतन्] १ चेतना या विवेकयुक्त | सजड़ी-देखो 'सुजड़ी' । प्राणी। २ चैतन्य पदार्थ या तत्त्व ।-वि० १ चैतन्य ।
सजण-पु० १ सेना की चढ़ाई, प्रयाण । २ सजने की क्रिया या २ सावधान, सतक । ३ बुद्धिमान, चतुर ।
भाव । ३ देखो 'सज्जण' । सचेति, सचेती-स्त्री० १ सावधानी, समझदारी। २ चेतना ।।
सजो (बी)-क्रि० १ मिलना, प्राप्त होना। २ संभव होना, ३ बुद्धिमानी, चतुराई। ४ देखो सचेत।
बन पड़ना । ३ तैयार होना। ४ असर होना। ५ होना । सचेळ, सचेळो-वि० १ शक्तिशाली, बलवान । २ गभीर ।
.६ चलना, निभना। ७ पर्याप्त होना, चलना; उपयुक्त ३ उत्तम, श्रेष्ठ। ४ समर्थ, सामर्थ्यवान। ५ अद्भुत, अनोखा । ६ संख्या को दृष्टि से अधिक बड़ा । ७ खुश,
होना । ८ कटिबद्ध या सुसज्जित होना। ९ तेज करना,
तीक्ष्ण करना । १० प्रत्यंचा पर तीर चढ़ाना । ११ प्रयोग प्रसन्न । ८ गुणों से बड़ा, महान् । ६ वस्त्र धारण
करना, काम में लेना । १२ चारजामा या अबारी कसना । किये हुए।
१३ धारण करना, पहनना। १४ विविध रूप या शरीर सचेस्ट-वि० [सं० सचेष्ट] चेष्टावान, क्रियाशील, सावधान ।
बनाना, माया रचना। १५ रूप परिवर्तित करना । सचैत-स्त्री० १ सखी, सहेली 1-पु० २ पाम का वृक्ष ।-वि०
१६ सुरक्षार्थ पहनना। १७ करना। १८ युद्धार्थ सजाना, प्रयत्नशील ।
तैयार करना। १९. वश चलना । २० सफल होना । सचोक-पु० [सं० सत्यौक] सत्य, सच्चाई।
२१ शोभित होना । २२ पूरा होना, पूर्ण होना । सचोज-वि० उत्साही, उत्साहयुक्त।
२३ जाना, गमन करना । २४ देखो 'साजणी' (बी)। सचोप-पु. १ वस्त्र विशेष । २ देखो 'सचूप'। सचोपकाजी-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
सनतनो-वि० [सं० स+यत्न] (स्त्री० सजतनी) सुरक्षित । सचोळ-पु. १ झोंका । २ तरंग, लहर ।-वि० लाल । सजधज-स्त्री० सजावट । सचोळी-पु० सुसज्जित योद्धा ।-वि० प्रसन्नचित्त ।
सजन-१ देखो 'सज्जण' । २ देखो 'स्वजन' । (स्त्री० सजनी) सची-देखो 'साचौ'।
सजनता-स्त्री. सज्जन होने की अवस्था या भाव ।
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सजनी
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( ७०६ )
सजनी - स्त्री० [सं०] सखी, सहेली । जय (बी) देखी जपली' (बी) सजरा ( रौ ) - पु० [फा० शजर ] १ वंश वृक्ष । २ वृक्ष, पेड़ । ३ खेतों का नक्शा । जसको) वि० स० स+ज्वलनम् १ प्रकाशयुक्त २ जाज्वल्यमान तेजपूर्ण [सं० जन] ३ जल युक्त । ४ प्रश्रुपूर्ण ५ तरल, द्रव । ६ इज्जतदार | ७ पानी की बहुतायत वाला । ८ देखो 'सुजळ' ९ देखो
( ज्योतियुक्त
1
'सज्जळ' ।
सजळाई-स्त्री० १ नमी, प्रार्द्रता, तरी २ जल की प्रचुरता । सजव वि० [सं०] सजय) वेगवान, गतिमान, तीव्र गति वाला। - पु० १ गरुड़ । २ पक्षी । ३ देखो 'सजीव' ।
सजवना स्त्री० सजने की क्रिया या भाव, तैयारी । सजवाई स्त्री० सुसज्जित करने की किया। सजवाण (बी) देखो बो
सजाख (न) वि० [सं० स+फा०जान] १ जिसमें प्रारण हो, जान हो, प्राणवान । २ ज्ञानवान, अनुभवी । ३ देखो 'सुजान' । सजा स्त्री० ० [फा० सजा ] १ किसी मपराध के बदले मिलने वाला दण्ड, जुर्माना । २ कारावास, कैद। ३ यातना,
कष्ट ।
सजाइ, सजाई - स्त्री० १ सजावट ।
3
२ सजावट की सामग्री । ३ तैयारी । ४ चारजामा कसने की क्रिया । ५ चारजामा के उपकरण प्रादि- वि० सुसज्जित तैयार। सजाणी (ब)- जि० १ किसी वस्तु को व्यवस्थित कर सुन्दर लगने लायक रखना । २ कक्ष या स्थान को साफ-सुथरा कर सुन्दर चित्र या वस्तुओं से सज्जित करना, सजाना । ३ जमाना, यथाक्रम रखना । ४ शस्त्रादि धारण कराना, सुसज्जित या तैयार करना ५ संवारना, सुधारना। ६ धारण करना, पहनना । ७ चारजामा प्रादि बांधना । सजाती, सजातीय वि० [सं०] सजाति) १ एक ही जाति या गोत्र का भाई-बंधु संबंधी । २ एक ही किस्म या
प्रकार का ।
सावन (बी) देखी 'माण' (दो)।
सजायन स्त्री० [सुरक्षित करने को किया या भाव।
सजावार - वि० १ दण्ड का भागी । २ दण्डनीय ।
सजाव
सजावट-स्त्री० १ सजाने की क्रिया या भाव। २ शृंगार । ३ तैयारी । ४ सजा हुप्रा होने की अवस्था या भाव ।
सजीत क्रि०वि० १ विजय के साथ विजयी होकर - वि० २ विजयदायक |
।
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सजीप, सजीपी- वि० १ जीतने वाला विजयी । २ जिताने वाला, विजयदायक |
सजीलो - वि० (स्त्री० सजीली) १ चंचल, फुर्तीला । २ विलासप्रिय, कामुक ३ सुन्दर, सुडौल । ४ धारण करने वाला । ५ छैल छबीला शौकीन, रसिक ६ सुन्दर, माकपक मनोहर ।
सजीव - वि० [०] १ जिसमें जीवन हो, प्राणयुक्त
,
फुर्तीला । ३ प्रोजस्वी । ४ चेतना या सज्ञा युक्त व्यक्ति प्राणी २ चेतन वस्तु [ज] अश्व । ४ देखो 'संजीव' ।
सज्ज
२ चंचल,
पु० १ ३ घोड़ा,
सजीवरण - वि० [सं० संजीवन] १ जीवित प्राणयुक्त । २ देखो 'संजीवन' ।
सजीवणमंत्र - पु० [सं० सजीवन-मंत्र ] १ मृत व्यक्ति या जीव को पुनर्जीवित करने का मंत्र साधना । २ मोक्ष दिलाने वाला शब्द या मंत्र ।
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सभोवत वि० जीवित
-
सजीवन - वि०१ न मरने वाला, भ्रमर । २ जीवित करने वाला । ३ जीवित, जिन्दा १० मुक्ति, मोक्ष देखो 'संजीवण' । सजीवनबटी, सजीवनमूळ, सजीवनमूळी, सजीवनी स्त्री० एक प्रकार की प्रौषधि । सजीवन्न-देखो 'सजीवन' । सजुओ, सझौ - वि० वाला । २ वीर योद्धा ।
[सं० स + युद्ध ] १ लड़ने वाला, जूझने
1
(बी) देखो ''बी
सजूद स्त्री० [फा०]] विनय, प्रार्थना । सजेत - वि० १ जीवित । २ विजय पूर्वक ।
सजोड़, सजोड़ी - वि० १ सदृश, समान २ प्रबल ३ साथ, पास । ४ जोड़ साथ । ५ हम उम्र, समवयस्क । - पु० दम्पत्ति ।
के
सजोड़णी (बौ) - देखो 'जोड़ो' (बो) । सजोगी (बी) देखी 'संजोग' (बो) | सजोत-देखो 'साजोत' ।
सोम वि० जोशपूर्ण, जोश युक्त
सजोर (रौ ) - वि० (स्त्री० सजोरी ) १ बलवान, शक्तिशाली । २ जबरदस्त जोरदार । ३ प्रसर डालने वाला, प्रभावशाली ।
सोवणी (ब) देखो 'जो' बो
सजोस (सौ) वि० जोश युक्त, जोशीला - सजोसनियो-वि० कवचधारी ।
सज्ज वि० [सं०] १ तैयार २ सम्भाला हुया ३ संवारा हुमा । ४ शस्त्रसज्जित । ५ कटिबद्ध, सन्नद्ध ।
I
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सज्जरण
सज्जनौ पु० किसी नायक या सरदार के चढ़ने का हाथी । सजळ-१० १ हाथी हस्ती २ देखो''।
,
सज्जा-१ देखो 'सय्या' । २ देखो 'सजा'
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सज्जरण, सज्जनियो- पु० [सं० सज्जन] १ भला व सरीफ मनुष्य, सज्जन पुरुष, सभ्य । २ कुलीन व्यक्ति । ३ स्वजन, बंधु । । ४ पति प्रियतम ५ मित्र, दोस्त, प्रेमी । ६ शुभ चिंतक । ७ देखो 'सजग' ।
सज्जरगो (बी) - १ देखो 'सजणी' (बो)। २ देखो' साजणी' (बो) । सज्जन - देखो 'सज्जरण' ।
सम्यास पु० विश्वास, भरोसा ।
सज्यासेसू - पु० २ विष्णु ।
सझंड- पु० झुंड, समूह |
सझ - वि० सज्जिभूत, कटिबद्ध ।
(
सज्जादो, सज्जादी-पु० [प्र० सज्जादः ] १ नमाज पढ़ते समय बिछाने का वस्त्र, मुसल्ला । २किसो पीर या फकीर की बड़ी
सज्जित पु० युद्ध के लिये सजा हाथी
वि० १ सुशोभित
२ श्रावश्यक वस्तुद्मों या उपकरणों से युक्त । ३ प्रलंकृत । ४ तैयार । ५ कटिबद्ध ।
सज्जीखार पु० एक प्रकार का क्षार, सज्जी । सज्जीभूत - वि० [सं०] १ कटिबद्ध, तैयार । २ शस्त्र सज्जित | समो(बी)- १ देखो 'सी' (बी) २ देखो साजणी' (बी) सज्य - वि० सह्य, सहनीय |
सज्या १ देखो 'सय्या' । २ देखो 'सजा' ।.
[सं० शेष- शय्या ] १ ईश्वर, परमात्मा
1909)
सझावट देखो 'सजावट' ।
झरपू स्त्री० [सं०] [ज] सेना को तैयार करने की क्रिया ।
सणी (ब)- १ देखो 'सजणी' (बी) । २ देखो 'साजणी' (बो) । सता देखो 'सजा' । सझाड़ी - पु० वह स्थान जहां घने वृक्ष हों । - वि० घना गहरा, अधिकं ।
सझावार, सवार - देखो 'सजावार' ।
समोळी वि० बहुत अधिक
सझड़ा-देखो 'सह' ।
सध्या १ देखो 'सजा' । २ देखो 'सय्या' ।
सहाणी (बी) देखो 'मजाणी' (बी) सशास्त्री० [सं० स्वाध्याय] १. स्वाध्याय
पठन-पाठन
अध्ययन । २ वेद व शास्त्रों का अध्ययन । ३ शास्त्र या
धार्मिक पुस्तक का नियमित पाठ ।
सट पु० [सं०] १ साधु की जटा २ सिंह की गर्दन के बाल, प्रयाल । ३ शूकर के बाल । [सं० शट ] ४ खटाई । ५ तेजाब | [सं० षट् ] ६ छः की संख्या । ७ एक राग
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सटवटियो
का खनदार पात्र । [सं० शठ] २ मुखं ।
विशेष [ श्रं० शट ] ८ खाना डालने - वि [सं० शट] १ खट्टा प्रम्ल [सं० पट ] ३ छः । - क्रि०वि० ४ शीघ्र जल्दो तुरंत । ५ देखो 'मटा'
सटक-स्त्री० [सं० पटक ] १ छ: की संख्या । २ छ: वस्तुपों का समूह । ३ मटकने की क्रिया या भाव। ४ पतली छड़ी, कोड़ा - क्रि० वि० शीघ्र, तुरन्त ।
सटको बन जाना चंपत होता हटना ।
२ कायरता दिखाकर भाग जाना । ३ साथ छोड़ देना । सटकरम- देखो 'खटकरम'।
सटकळ- पु० एक प्रकार का छोटा सर्प । सटकळा स्त्री० [सं० पटकला] संगीत में ब्रह्मताल का एक भेद । सटकमपत्ति स्त्री० छः प्रकार के कर्म शम, दम, उपरति, तितिक्षा, श्रद्धा और समाधान । सठकाणी (बो), सरकारी (मी) - कि० १ही या कोई से भट भट प्राघात करना । २ ऐसे भाघात से सट सट ध्वनि होना ।
सटके (के), सटके (के, क्के) - क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी,
फटाफट ।
सटकोण (न) - पु० [सं० षटकोण ] छः कोने वाला कक्ष स्थान, रेखाचित्र या वस्तु ।
सटी पु० १ इसके की निगाली के स्थान पर लगाई जाने वाली नलिका । २ प्रवसर, मौका ३ चाबियों का गुच्छा । ४ स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । ५ कमीज श्रादि में लगाने का बटन विशेष ।
सट
-
पु० [सं० षट्चक्र ] १ योग के छः चक २ यंत्र । सटवर १०१ भोरा, भ्रमर २ छ: पैरों वाला जीव । सही (बी) १ एक दूसरे का दन्त पास-पास होना, मिलना जुड़ना, सटना। २ चिपकना, लगना । ३ मैथुन करना । ४ लिपटना । ५ मारपीट होना ।
तिला गिवारस (ग्यारस ), सटतिला एकादस (एकादसी) स्त्री० माघ कृष्णा एकादशी ।
सटपट - स्वी० १ गुप्त मंत्रणा
विचार २ कानाफूसी ३ सहवास, प्रसंग - क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी । सटपवप्रिय पु० [सं० षट्पदप्रिय ] १ कमल । २ नाग केसर का पोधा ।
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सटमुख - पु० [सं० षटमुख ] कार्तिकेय - वि० छ मुखों वाला । सटरिपु- पु० [सं० षड्रिज ] मन के छः विकार - काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर ।
सटयटियो - वि० १ निर्लज्ज, बेशर्म । २ कायर डरपोक 1
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सटामरण
। ७०८ )
सटामण, सटांवरण-पु० रोटी की लोई पर लगाने का सूखा हैं। २ इस पौधे के रेशों का समूह । ३ सन की डोरी, माटा, पलोथण ।
सूतली। ४ सन का बना जाल । सटा-स्त्री० [सं० शटा] १ सिंह, सूपर तथा घोड़े की गर्दन के | सणक-स्त्री. १ सहसा मन में उत्पन्न होने वाली कोई भावना,
बाल, प्रयाल । २ साधु-संन्यासियों के शिर के बाल, जटा। उमंग । २ देखो मणंक' । ३ बालों की चोटी। ४ देखो 'छटा'।
सरकणी बो)-१ देखो'सरगकरणी'(बो)।२ देखो सिणकरणो'(ब) सटाक-क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी।-पु० छड़ी या चाबुक से सरकार (री), सणकार (रो)-स्त्री० [देश०] १ इशारा, उत्पन्न ध्वनि, शब्द ।
संकेत । २ घोडे, बैल आदि को अभीष्ट दिशा में चलाने सटाणो (बौ)-क्रि० १ एक दूसरे को अत्यन्त पास-णस करना, के लिये, राश में दिया जाने वाला झटका । ३ बैल, घोड़े
मिलाना, जुड़ाना, सटाना । २ चिपकाना, लगाना । पादि की सांस से उत्पन्न ध्वनि ।
३ मैथुन कराना। ४ लिपटाना । ५ मारपीट करना । सणकारणौ (बौ), सणकारणो (बी)-क्रि० १ इशारा या सकेत सटीड़, सटीड़ी-पु० १ चोट, प्रहार । २ प्रहार की ध्वनि । करना । २ नाक से ध्वनि करना । (बैल पादि) ३ बंल; सटे, सटे-देखो 'साटै'।
घोड़े आदि की राश में झटका देकर अभीष्ट दिशा सटेबाज, सटेबाज, सटोरियो-वि० सट्टा करने वाला, सटोरिया। मे चलाना। सटो, सट्टो-पु० १ किसी कार्य के संबंध में दो पक्षों में किया जाने सकावणी (बी)-क्रि० सांस लेना । उसांस लेना।
वाला अनुबंध । २ एक प्रकार का मौखिक व्यापार जिसमें | सणकी-पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष । -वि० १ मन की वस्तु के भाव में उतार-चढ़ाव से ही हानि-लाभ होता है। सरग या मौज के अनुसार कार्य करने वाला। २ तुनक३ सौदा।
मिजाज। सट्ठ, सठ-वि० [सं० षठ] १ मूर्ख, बेबकूफ । २ पागल । सरणगार-देखो 'स्रगार'।
३ पालसी। ४ धृतं, चालाक । ५ कपटी। ६ लुनचा, सणगारज-पु० कामदेव । बदमाश । ७ दुष्ट ।-पु० १ साहित्य में एक प्रकार का सरणगारणो (बो)-देखो 'मिणगारणो' (बो)। नायक । २ वसुदेव व रोहिणी का एक पुत्र । ३ राम की सणगारहाट-स्त्री० १ शृगार का बाजार । २ शृगार प्रसाधन सेना का एक वानर। ४ श्वान, कुत्ता। ५ पंच, मध्यस्थ । की दुकान । ३ वेश्याओं का मुहल्ला।
६ कलई, रांगा । ७ निस्तब्धता, मौन, शांति। | सणणंकरणौ (बो)-क्रि० सन-सन की ध्वनि होना। सठता-स्त्री० १ धूर्तता, चालाको। २ बदमाशी, लुच्चाई। | सणण-स्त्री. १ तेज हवा की ध्वनि । २ लंबे तारों या रस्सी से
३ मूखंता । ४ पागलपन । ५ प्रालस्य ।-वि० दुःखद *। उत्पन्न ध्वनि । सठमठ-वि० कृपण, कंजूस ।।
सणणाट, सणणाटो-१ देखो 'सणसणाहट' । २ देखो सठवा-स्त्री० एक प्रकार की सोंठ।
'सन्नाटौ'। सठिक-देखो 'स्वस्तिक'।
सणगाणी (बी)-क्रि० १ ध्वनि विशेष होना। २ सनसनाना । सठियाणी (बो)-क्रि० १ साठ वर्ष की उम्र प्राप्त होना । | सरणाहट-स्त्री० सन-सन ध्वनि, सन्नाटा। २ इस उम्र के बाद मानसिक कमजोरी पाना ।
सरणपद-पु. पंजे वाले जानवर । सठो-देखो 'सेठो'।
सरगफ-स्त्री० वात विकार से उत्पन्न दर्द । सडंबर-देखो 'डंबर'।
सणमणु, सणमरणी-पु. १ रुग्ण, बीमार । २ शून्य, जड़वत । सडणी (बी)-देखो 'सड़णो' (बो)।
सरगमारण-देखो 'सनमांन' । सडदरसन-देखो 'खटदरसरण'
सणसणाणो (बी)-क्रि० ध्वनि उत्पन्न होना। सडवदन-देखो 'सड़बदन'।
सणसर-स्त्री० कानाफूसी। सडुक-पु० श्वान, कुत्ता ।
सणसूत्र-पु० [स० शणसूत्र] श्राद्ध, तर्पण प्रादि करते समय सढ़ारण-वि० सन्नद्ध, कटिबद्ध, तैयार ।
अनामिका में पहनने को कुश को पवित्री। सढ़ी, सढ़ौ (ढ्ढ़ौ)-पु. १ ऊंट । २ देखो 'सड़ो' । सणंक-वि० १ स्पष्ट, साफ । २ निश्चित । ३ बिल्कुल ।-स्त्री.
सणांइ (ई)-देखो ‘सहनाई। १ एक प्रकार की ध्वनि । २ देखो 'सणक'।
सणियो-१ देखो सीणो' । २ देखो 'सिणतरो'। सणंकणी (बी)-१देखो 'संरणकणो' (बो)। २ देखोसिणकणो' (बो)। सरगोजा-वि० स्नेही, प्रमो। सरण-पु. १ एक प्रसिद्ध पौधा जिसके रेशों से रस्सियां बनती | सणु-पु० [सं०] भारत का एक प्राचीन जनपद ।
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सतंग
( ७०६ )
सतद्र
सतंग-पु. शरीर के सात अग ।
सतक-पु० [सं० शतक] १ सौ का समूह । शतक । २ शताब्दी। सत-पु० [सं० सत्] १ ब्रह्मा, विरंचि । २ सत्य । ३ सतीत्व, | ३ सौ छंदों का समूह या रचना ।
पातिव्रत्य । ४ सतीत्त्व का जोश, उमंग या बल । ५ सती | सतकार-देखो 'सत्कार' । होने की क्रिया । ६ वात्सल्य, स्नेह । ७ उदारता, सतकारणौ (बो)-क्रि० [सं० सत्कारणम] १ मादर करना । दयालुता। ८ चरित्रबल । ६ धैर्य, साहस, हिम्मत। २ स्वीकार करना, मंजूर करना। ३ अगवानी करना, १० सार, तत्त्व । ११ नदी। १२ धर्म। १३ सतयुग । सत्कार करना । १४ मार्ग, रास्ता । १५ सात्त्विक भाव । १६ प्रकृति का | सतकुभ-पू० [सं० शतकुम्भम्] १ स्वर्ण, सोना । २ एक पर्वत सर्वोच्च गुण, सतोगुण । १७ शक्ति, बल । १८ पर ब्रह्म। विशेष जहां मोना पाया जाता है। १६ संवत् । २० शौर्य, पराक्रम । २१ बीरता । २२ धर्मात्मा , सतकेतु-पु० [सं० शतक्रतु] देवराज इन्द्र । पुरुष । -वि० १ ठीक, सही, उचित । २ दृढ़ अटल । सतकेमर-पु० [स० शत-केसर] शाकद्वीप के एक पर्वत का नाम । ३ सज्जन, साधु, पुण्यात्मा । ४ विद्यमान, उपस्थित । | सतक्रत-पु० [सं० सत्कृतम्, शतक्रतुः] १ शिव, महादेव । २ धर्म, ५ असल, मूल, वास्तविक । ६ प्रतिष्ठित, सम्मानित । पुण्य । ३ उत्तम कार्य । ४ इन्द्र । ५ ध्वजा, पताका ।-वि० ७ सन्दर, मनोहर । ८ श्रेष्ठ, उत्तम । ९ प्रमिट, स्थाई। सम्मानित सत्कारित । १० विद्वान, पंडित । ११ बुद्धिमान, चतुर। १२ धैर्यवान । | सततचहन-स्त्री० ध्वजा, पताका । १३ स्थिर, अचल, स्थाई। १४ पवित्र, शुद्ध । [सं० शत्] | सतऋति, सतक्रती-पु० १ ऋषि, मुनि। २ यम, धर्मराज । १५ सौ। [सं० सप्त] १६ सप्त, सात । १७ संख्या से | | ३ देखो 'सतऋत'। बड़ा, अधिक। १८ देखो 'सत्य' । १९ देखो 'सत्रु' । सतऋतु-पु० [सं० शत-क्रतुः] १ इन्द्र । २ सौ अश्वमेध यज्ञ -अंगो-वि० सौ या मात अंगों वाला ।-पु० रथ ।-करम । करने वाला। -पु.पुण्य कार्य श्रेष्ठ कार्य। -करमी-वि० श्रेष्ठ कार्य करने | सतक्रित-देखो 'सतक्रत'। . वाला। -कोट, कोटि, कोटी-पु० सौ करोड़ की संख्या । | मतक्रिया-स्त्री० [सं०] १ पुण्य या धर्म का कार्य। २ सम्मान बन्द का च। -वि.मौ करोड। सौ धार वाला करने की क्रिया। ३ नमस्कार, प्रणाम। ४ अन्त्येष्टि - खंड-पु. सौ खण्ड । साल खण्ड । स्वर्ग, वैकुण्ठ । स्वर्ण क्रिया : ५ प्रायश्चित । निमित कोई वस्तु । -खंडियो. खंडो-वि० सात खण्ड या | सतगुर, सतगुरु-पु० [स० सत्-गुरु] १ सच्चे व श्रेष्ठ गुरु । मंजिल वाला। -खरिणयौ, खणी-वि. सात भाग या २ ईश्वर, परमात्मा। मजिल वाला। -गु-वि० सौ गायें रखने वाला ।-गुणो सतजुग-पु० [सं० सत्ययुग] १ पुराण के अनुसार चार युगों -वि० सौ गुना । सात गुना ।—जिन्ह, जिव्हा, जिह, जिहा में से प्रथम युग जो १७२८००० वर्ष का माना गया है। -पु० शिव, महादेव । -स्त्री० भाग, अग्नि । तत्री-पु. २ श्वेत, सफेद*। सौ तारों की वीणा। -दळ-पु० कमल । -धरम-पु० | सतजुगी-वि० [सं० सत-युगी] १ सतयुग का, सतयुन संबधी । स्वामिभक्ति। -धारी-वि० वीर, बहादुर । शक्तिशाली। | २ सज्जन, भला। उदार, दातार । सत्य का पालन करने वाला । सच्चरित, | सतगधय-पु० [सं० स्तनधय] दूध पीता बच्चा। सुशील । सत्ताधारी । -पु० इन्द्र - पण, पणी-पु० | सतत-पु० [सं०] कुशल क्षेम ।-क्रि० वि० १ सदा, हमेशा, सतीत्त्व, सत्यव्रत। -पत, पत्र, पत्रक-पु० कमल । -पथ | सदैव । २ निरन्तर । ३ अविच्छिन्न, अट । - ज्वर-१० अच्छा मागं, अच्छा प्राचरण । उत्तम सम्प्रदाय । -पद निरन्तर रहने वाला ज्वर । -पु० कनखजूरा, चिउंटी । -वि० सौ या सात पावों सततगति-स्त्री० [सं०] हवा, पवन । वाला । -पुतर, पुत्र-पु० सपूत, सुपात्र संतान । सततरूप-पु० स्वभाव, पादत ।
-पुरस, पुरुस-पु० साधु या सज्जन पुरुष, सभ्य पुरुष । सततारका-स्त्री० [सं० शत-तारका] १ सोम की सताईश श्रेष्ठ चरित्रवाला व्यक्ति। --मंजळी, मंजळी-पु. सात पत्नियों में से एक । २ सताईश नक्षत्रों में से चौबीसवां मंजिल का भवन । -मायो, मासियो, माहियो-पु० सात नक्षत्र। मास गर्भ में रह कर जन्मा शिशु । --वाची, वादि, बादी सततो-वि. तेज, शीघ्रगामी ।
-वि० सत्य बोलने वाला, सत्य वक्ता । -पु० युधिष्ठिर। सतदेव-पु० [सं० सत्यदेव) सूर्य, सूरज । सतअंगो-पु० [सं० शत-अंग] १ रथ । २ युद्ध का रथ। सतद्र-स्त्री० [सं० शतद्र] १ सतलज नदी का नाम । २ गंगा सतपक्षी-स्त्री० [सं० शताक्षी] १ देवी, दुर्गा । २ रात, रात्रि।। नदी का एक नाम ।
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सतधांमा
( ७१० )
सतरूप
संतधांमा--पु० [सं० शतधामा] भगवान विष्णु का एक नाम। | सतम-पु० [फा० सितम] अनर्थ , गजब । सतधा-क्रि० वि० [सं० शतधा] १ सौ प्रकार से । २ सौ बार । | संतमख-पु० [सं० शतमख] १ वह व्यक्ति जिसने सौ यज्ञ किये
-वि० ३ सौ गुणा । ४ सौ तरह का । ५ सो भागों में। हों। २ इन्द्र । ३ उल्लू । ४ कौशिक । सतधार-पु० [सं० शतधार] १ वज्र । २ इन्द्र का वज्र ।-वि० सतमत-पु० सतीत्व का भाव । ___ सो धारों वाला।
सतमन, सतमनू, सतमन्यु-पु. [सं० शतमन्यु] १ इन्द्र । २ उल्लू । सतधारवन-पु० [सं० शतधारवन] एक तीर्थ का नाम । सतभयुख (मयूख)-पु० [स० शतमयूख] चांद, चन्द्रमा । सतध्रत (ति, ती)--पु० [स० शतध्रति] १ इन्द्र। २ ब्रह्मा। सतमाय-स्त्री० सोतेली मां ।
३ ब्राह्मण । ४ सत्य को धारण करने वाला पुरुष । सतमिण-स्त्री. १ वेश्या, रंडी। २ व्यभिचारिणी स्त्री। ५ स्वर्ग, वैकुण्ठ ।-सुत-पु. नारद । जयंत ।
सतमेव-क्रि० वि० निश्चय ही, जरूर ही। सतन-पु० [सं० स्तन्य] १ दुग्ध, दूध । [सं० स्तन] २ कुच, | सतरग-पु० [सं० सप्तरंग] प्राकाश, गगन ।-वि० जिसमें सात स्तन ।
| रग हों, सप्तरगी। सतनी-पु० [सं० स-स्तन्य] स्तन में उत्पन्न होने वाला पदार्थ, सतरंगी-स्त्री० [सं० श्वेतरंगी) यश, कीर्ति ।-वि० सात रंगों दूध ।
वाला, सप्तरगी। सतप-पु० [सं०] १ गर्मी, उष्णता। २ तीक्षण प्रकाश ।-वि० | सतरज-स्त्री० [फा० शत्रंज] चौसठ खानों की बिसात पर खेला
१ तापवाला, उष्णता वाला । २ प्रकाशमान, तेजोमय । । जाने वाला प्रसिद्ध भारतीय खेल । शतरंज । चतुरंग। सतपत (पत्र)-पु० [सं० शतपत्र] १ कमल । २ सेवती। सतरंजी-स्त्री० १ विभिन्न रंगों की दरी। २ शतरंज खेलने की ३ मोर पक्षी । ४ सारस पक्षी । ५ तोता ।
बिसात । सतपवम-पु० [सं० शत-पद्म] एक प्रकार का श्वेत कमल । सतर-स्त्री० [अ० सत्र] १ पक्ति, कतार । २ रेखा, लकीर । सतपरब-पु० [सं० शत पर्वन् ] बांस ।
३ देखो 'सतरन'। ४ देखो 'सत्रु'। ५ देखो 'सतरै'। सतपरबीका-स्त्री० [सं० शतपरविका दूब, दूर्वा ।।
६ देखो 'सितर'। सतपरव, सतपरवा-स्त्री० १ दूब, दूर्वा । २ प्राश्विन मास को सतरक-वि० [सं० सतर्क] १ सावधान, सचेत, होशियार ।
पूणिमा । ३ शुक्राचार्य की एक पत्नी का नाम । ४ गन्ना, २ तर्क शील, तकसहित । ईख । ५ बांस ।
सतरकता-स्त्री० [सं० सतर्कता] सावधानी, होशियारी। सतपुडो-पु०१ एक पर्वत का नाम । २ हथेली में होने वाला | सतरदा-देखो 'सत ह्रदा।।
एक फोड़ा । ३ वृक्षों में रस-विकार से उत्पन्न होने वाला | सनरन-पु० गुजरात प्रदेश का एक नाम । पदार्थ । ४ एक प्रकार का व्यंजन ।।
सतरमाळियौ-पु. प्राकस्मिक मृत्यु या वीरगति प्राप्त व्यक्ति सतपुठो-पु० छकड़े के नीचे लगा लकड़ी का डंडा ।
का, अाश्विन कृष्णा चतुर्थदशी को किया जाने वाला श्रद्ध। सतपुरी-स्त्री. सतियों को प्राप्त होने वाला लोक, सत्य लोक, सतरमी (वीं)-स्त्री० १ किसी सम्प्रदाय विशेष के साधु की वैकुण्ठ । ।
मृत्यु पर सत्रहवें दिन का संस्कार। २ इस दिन किया जाने सतपोतक-पु. भगंदर रोग का एक भेद ।
वाला भोज। सतबळ (बळि, बळी)-पु० [सं० शतबलि] १ श्रीराम की सेना सतामो (वौं)-वि० सोलह के बाद वाला । सत्रह के स्थान वाला।
का एक मुख्प वानर । २ सात जगह से बलखाई हुई। | सतरांम-पु० १ शव को प्रमशान भूमि लेजाले समय सतभइयो-वि० जिसके सात भाई हों।
वाली ध्वनि, राम-नाम सत । २ दादूपंथियों का परस्पर सतभाम (भामा)-स्त्री० [सं० सत्यभामा] श्रीकृष्ण की पाठ ।
अभिवादन, रामा-सामा। पटरानियों में से एक।
सतरात्र (त्रि, त्री)-पु० [सं० शतरात्रि] सो रात्रियों में पूर्ण
होने वाला यज्ञ विशेष । सतभाव-पु० [सं० सद्भाव] १ सद् विचार अच्छे विचार ।
सतरि-१ देखो 'सित्तर' । २ देखी 'सतरन' । २ सच्ची धारणा । ३ विद्यमानता।
सतरुद्र-पु० [सं० शतरुद्र] १ इच्छित रूप बनाने वाले एक सतभिख, सतभिखा, सतभिस, सतभिसा, सतभीखा-स्त्री०
प्राचीन ऋषि । २ सो मुख वाला एक रुद्र । ३ वेद का [स० शतभिषा] सताईश नक्षत्रों में से चौबीसवां नक्षत्र।
एक प्रकरण । ४ एक शक्ति । सतभूमियो (भोमियो)-पु० सात मंजिल का ।
सतरूपा-स्त्री० [सं० शतरूपा ब्रह्मा की मानस कन्या व सतमंडळ-पु० सूर्य, भानु।
स्वायंभुव मनु की पत्नी।
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सतरे'क
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सतरे' क- वि० सत्रह के लगभग, सत्रह के करीब 1
"
सतरं वि० [सं० सामन्] १ सोलह और एक का योग सत्रह - पु० दश व सात की संख्या, १७ । सतरी पु० समह की संख्या का वर्ष
1
सतलड़ौ - वि० (स्त्री० सतलड़ी) १ सात तह या परत का । २ सात लड़ों का । - पु० एक प्रकार का हार । सतलज (अज) - स्त्री० पंजाब की पांच नदियों में से एक । सतलस ( एस ) - पु० एक प्रकार का हिंसक जानवर । [स] बी सती-स्त्री.] सतलुज नदी का एक नाम । सतलोक-१ देखो 'सतीलोक' । २ देखा 'सत्यलोक' । सतलोचरण (न) - पु० [सं० शतलोचन] १ स्कन्द का एक
( ७११ )
अनुचर । २ एक असुर ।
सतवंती - वि० पतिव्रता, सतीत्व वाली । स्त्री० जानकी, सीता । सतवन- देखो 'स्तवन' ।
,
सतवार - देखो 'सत्वर' ।
सतबर - देखो 'सत्वर' ।
सताड़णी (बौ) - देखो 'संतापणी' (ब)।
सतबाड़ौ पु० [स० सप्त-वाटक] १ सप्ताह । २ प्रसव के सातवें सताजोग - पु० इत्तिफाक, संयोग 1
दिन का प्रसूता का स्नान या संस्कार |
सतासी (बी) देखो 'संत' (बो
सतव्रत- देखो 'सत्यव्रत' ।
सतसग, सतसंगत (ति) - देखो 'सत्संग' ।
सतसंगो-देखो 'सरसगी' ।
सतयो त्री० 'ड
सबंध पु० [सं०] धि ] १२ एक प्रकार की
सब्जी ।
1
सतवाची - वि० सत्य बोलने वाला, सत्यभाषी पु० युधिष्ठिर। सतानंद पु० [सं० शतानंद: ] १ ब्रह्मा । २ विष्णु । ३ श्रीकृष्ण सतवादि सतवादी देखो 'सत्यवादी' ।
का एक नाम । ४ राजा जनक के पुरोहित । ५ विष्णु के रथ का नाम । ६ सप्त ऋषियों में से एक ।
सतसंध - वि० [सं० सत्यसंध ] सत्य प्रतिज्ञ, वचन पर दृढ़ - पु० १ श्रीरामचन्द्र । २ जनमेजय । ३ धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक । सतसई - स्त्री० [सं० सप्तशती] सात सौ छन्द या पद्यों की रचना
या ग्रन्थ ।
सतसठ- वि० सात और साठ । सडसठ । सतसठी पु० [सड़सठ की संख्या का वर्ष सतसत (त) - पु० [सं० शतसप्त ] इन्द्र | सतहर पु० [सं०] शत्रु-हर का सतहीण ( णो ) - वि० दुर्बल, कमजोर । सतहवा पु० [सं० शतह्रदा] १ इन्द्र का वज्र । स्त्री० २ बिजली, विद्युत ३ दक्ष की एक कन्या । ४ विराध नामक राक्षस की माता ।
सतांगत(ति,ती)-पु० [सं० सतांगति] सत्पुरुषों को प्राप्त मुक्ति,
,
सांगू - वि० नब्बे व सात सौ से तीन कम । सतांम-देखो 'मिताब' |
मोक्ष | सांमी (ब) - पु० सतानवे की संख्या का वर्ष । - वि० सतानवे के स्थान वाला छियानवे के बाद वाला ।
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सांस पु० [सं०] सो वो अंग
1
सता पु० १ सत्य । २ कला । ३ भक्ति ४ चमत्कार पूर्ण कार्य, सिद्धि ५ प्रकृति । ६ माया, लीला | ७ प्रस्तित्व । ८ मूलभूत स्थिति । ९ संयोग, इत्तफाक । १० बम, शक्ति । ११ भगवान् विष्णु ।
सताईस वि० [सं०] सप्तविंशति] बीस पोर सात-पु० बीस व सात का अंक, २७ ।
सताईसौ - पु० १ सताईस का वर्ष २. सताईस सो की संख्या,
२७०० ।
सतार (रौ) देखो 'साबर'।
सताक्षी स्त्री० [सं० शत-प्रक्षी ] १ रात, रात्रि । २ सौंफ । ३ दुर्गा, देवी । ४ पार्वती ।
सतावन
सतानन - पु० [सं० शतानन] शिव का एक नाम । सताना स्त्री० [सं०] एक देवी विशेष
सतानीक - पु० [सं०] १ द्रौपदी के गर्भ से उत्पन्न नकुल का
[सं० शतानीक] ३ बूढ़ा
पुत्र । २ जनमेजय का एक पुत्र व्यक्ति । सताब (बी) - देखो 'सिताब' ।
1
सतान्त्र- पु० [सं० शताब्दी] सौ वर्ष प्रति सौ वर्ष का समय । वि० [सं० शताब्द] मोव
का
सताब्दी स्त्री० [सं० शताब्दी ] १ सो वर्ष की अवधि । २ इस अवधि का सूचक अंक |
साभिधानवि० [सं० शतावधान] सो बातों का ध्यान रख कर एक साथ तथा यथार्थ उत्तर देने वाला । सतासतास वि० [सं० शतायुस] सौ वर्ष का।
सतार - पु० [सं०] १ ग्यारहवां स्वग । २ देखो 'सितार' |
-
|
सतार वि० [सं०] सत्यार्थ] १ सरप यथार्थ २ देखो' सत्यारय' सतारा. सतारा-प० सप्त ऋषि तारे ।
सतारौ - पु० १ दो बांसुरियों वाला, अलगोजे से भिन्न, एक वाद्य । २ देखो 'सितारों' ।
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सतालंक - पु० [सं० शताऽऽलक ] बलराम | सतावणी - वि० (स्त्री० सतावणी) सताने वाला, कष्ट देने वाला । सतावणी (बौ) - देखो 'संतापणी' (बो) ।
सतावन - वि० [सं० सप्तपचाशत ] पचास व सात का योग ।
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सतावनी
-
सतावो- पु० गर्भवती गाय के स्तनों का उभार ।
सति महा०० १ है
२ देखो 'तो'
,
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( ७१२ )
सतुरात्री० [सं०] सत्यरण] मीघ्रता - वि०
सतावनी - पु० सतावन का वर्ष । वि० छप्पन के बाद वाला । सतावर (री) स्त्री० [सं० शतावरी ] १ एक प्रकार की प्रौषधि मूली, सफेद मूसलो २ इन्द्राणी।
तुरंत ।
सते
क्रि० वि० प्रकृति से कुदरतन
सतावरत पु० [सं० शतावर्त ] १ शंकर महादेव । २एक सतेज (जौ) - पु० [स०] १ वेग, गति । २ भाग, अग्नि ।
पवित्र वन का नाम
- क्रि० वि० वेगवान, तेजोमय, शक्तिशाली, बलवान । सतोखरणी (बौ) - देखो 'संतोखरगो' (बो) |
सतावी- देखो 'सिताब' ।
सतावीस देखी 'सताईस'
सतोगुण - पु० [सं० सत्वगुण] मनुष्य को अच्छे कामों की ओर प्रेरित करने वाला गुणावृत्ति
सतोतरी पु० सतहत्तर की संख्या का बद
सतोदर - पु० [सं० शतोदर ] १ शिव का एक नाम। २ शिव
1
सतिवख वि० प्रति तीक्ष्ण ।
-
सतिधारी- देखो 'सतधारी' |
सतिवास सतिवासी- देखो 'सिवियासी ।
सती पृ० १ कुबेर २ सौ का समूह। स्त्री० ३ प्रजापति द की पुत्री व भगवान शंकर की पत्नी । ४ पार्वती । ५ सीता । ६ द्रौपदी | [सं० क्षिति] ७ पृथ्वी, भूमि । ८. पतिव्रता व साध्वी स्त्री । ९ मृत पति के शव के साथ जल कर भस्म होने वाली स्त्री । १० स्त्री, महिला, श्रौरत ११ जैन साध्वी । - वि० [सं० सत्] १ सत्य यथार्थ । २ सत्यवादी । ३ वीर, बहादुर ४ दाता, दानी ५ दृढ़, भ्रटल ।
सतीश सती-वि० [सं० सतोषण] १ सीट तेज
7
२ नुकीला
सतीखो वि० विशेष अधिक २ देखो 'सती'। सतीचोरी- पु० किसी सती का चबूतरा या स्मारक । सती पु० [सं०] सती होने को अवस्था या भाव। सतीपुर - पु० सतीलोक, स्वर्गं ।
सतीय- देखो 'सती' । सतीरांगी
-पु० एक लोक गीत विशेष ।
सतलोक पु० सती स्त्री को मिलने वाला लोक स्वयं सतोवरि पु० [सं०] सीतम्बर सीतापति श्रीरामचन्द्र सतीयांची० [सं० [सतोवामा] सीता, जानकी सतुआ संकरांत, सतुप्रासंकरांति, सतुद्मासंकरायत (ति) (संक्रांति ) - स्त्री० [सं० सक्तुकसंक्रांति ] वैशाख मास में छाने वाली मेघ की सक्रांति ।
सासू' (सोंड) - स्वी० सोंठ को एक किस्म ।
सतुक-पु० अवसर, मौका ।
सतुतकीरत स्त्री० [सं० श्रुतकीर्ति ] दशरथ सुत पात्रुध्न
की स्त्री ।
सतुर - देखो 'सत्वर' ।
सतुको पु० एक प्रकार का ि
सतुद्वारा पु० बड़ई सुवार
सतुति, सतुती - देखो 'स्तुति'
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सत्तार
का एक गण । ३ रामायण के अनुसार एक प्राचीन प्रस्त्र । ४ देखो 'सितोदर' ।
सतोदरी - स्त्री० [सं० प्रतोदरी ] एक स्कन्द मातृका ।
सतोम (मी) देखो 'स्तोम' |
मनोरी-वि०० मतोरी) पराक्रमी बलानी, शक्तिशाली। सतोष वि० (स्त्रो० मतोली) १ असर करने वाला, प्रभाव शाली । २ दृढ़, पक्का ३ भारी, वजनी । ४ बहुत, अधिक ५ बगबर, समान ।
तोकियो सतोलियो, सतायो, सतोत्यो १० १ एक प्रकार का बच्चों का खेल । २ देखो 'भडभोल्यो' ।
सत्करता - वि० [सं० सत्कर्त्ता ] १ सत्कर्म करने वाला । २ प्रादर सत्कार करने वाला ।
सत्करम १० [सं०] सत्कर्म] अच्छा कार्य पृथ्य कार्य २ अच्छा संस्कार ।
सत्कार पु० [सं०] श्रादर, सम्मान । सत्कीरति स्त्री० [सं०] सरकीति] उत्तम कीर्ति यश
सः ऋत- पु० १ आदर, सत्कार । २ सत्कर्म अच्छे कार्य - वि० [सं०] सत्कृत] १ च्छी तरह किया हुआ । २ सत्कारित । सत्त पु० [सं० सत्व ] १ किसी पदार्थ का सार तत्व । २ देखो 'सत' । ३ देखो 'साथ' । ४ देखो 'सात' । ५ देखो सत्य' । [६] देखो'
सत्तम वि० १ उत्तम, श्रेष्ठ । २ देखो 'सप्तम'
सतवती देखो 'सत्यवती'
समा स्त्री० १ शासन चलाने वाली शक्ति, राज्य शासन । २ प्रभुत्व । ३ देखो 'सता' ।
सलाईस देखो 'सताईस' | सत्तावन - देखो 'सतावन' |
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सती-स्त्री० १ सात बूटियों वाला
२ देखो 'सती' 1
सत्त, सत्तू - १ देखो 'सातु' । २ देखो 'सत्रु' |
सतकार, सकार० [सं०] धागार] यह स्थान जो निःशुल्क भोजन व ब्रावास की व्यवस्था हो ।
ताश का पत्ता ।
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सत्तो
सत्र
सत्ती-पु०. स्त्री के विरह में मरने वाला या स्त्री के शव के | सत्या-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा का एक नाम। २ सीता । साथ जलने वाला व्यक्ति । २ देखो 'सातो' ।
३ द्रौपदी। ४ सत्यभामा । ५ व्यास की माता का नाम । सत्तौल-देखो 'सतोल'।
६ भगवद्गीता का एक नाम । ७ शक्ति । सत्य-देखो 'साथ'।
सत्यानंद-देखो ‘सतानद'। सत्थर-पु० १ बारूद बिछी सुरंग । २ देखो 'साथरवाड़ो' । सत्यानास-पु० १६वंस, मटियामेट, तहस-नहस । २ सर्वनाश । सत्थरो-देखो 'साथ'।
सत्यानासी-स्त्री. १ पीले रंग के फूलों वाला एक पौधा । सम्पळ, साथल-पु०१ वस्त्र विशेष । २ देखो 'साथळ'।
(वैद्यक) २ देखो 'सत्यानास' । सत्थवाह (हो)-देखो 'सारथवाह' ।
सत्यारथ पु० १ स्वामी दयानन्द विरचित सत्यार्थ प्रकाश । सत्थि, सस्थी, सत्पु, सस्थ, सभ्य, सम्यो-१ देखो 'साथ'। २ सही अर्थ। २ देखो 'साथळ' । ३ देखो 'साथी'।
सत्यासियो-पु. सत्यासी का वर्ष । सत्पथ-पु०१ सदाचार । २ उत्तम सम्प्रदाय। ३ श्रेष्ठ सिद्धान्त। सत्यासी-वि. अस्सी व सात ।-स्त्री. अस्सी व सात की ४ उचित मार्ग।
संख्या, ८७। सत्पुरस, सत्पुरुस-देखो 'सतपुरस'।
सत्यासीयो-देखो 'सत्यासियों'। सत्यंभरा-पु० [सं०] प्लक्षद्वीप की एक नदी।
सत्योत्तर (क)-१ देखो "सितंतर' । २ देखो 'सितंतरी'। सत्यभूति-पु० [सं०] भगवान् विष्णु ।
सघण-पु० शत्रुघ्न । सत्य-वि० [सं०] १ ठीक, यथार्थ, वास्तविक । २ पसल, शुद्ध, | सत्र-पु० [सं० सत्त्र, सत्र] १ यज्ञ, हवन । २ घर, मकान ।
खरा । ३ सच्चा, ईमानदार । ४ पुण्यात्मा, धर्मात्मा । ३ गरीबों को मुफ्त भोजन बांटने का स्थान । ४ पुण्य, ५ सत् का या सत संबंधी। ६ झूठ से परे । ७ दढ, घटल। धर्म । ५ सोम यज्ञ। ६ भेंट, नैवेद्य । ७ पर्दा, चादर। ८ अमिट । ९ अजर-अमर । [सं० शत्य] १० सौ से बना ८ सम्पत्ति, धन, दौलत । ९ माश्रय स्थान। १० धर्म हुमा। ११ मो से संबंधित। १२ सौ का सूचक ।-पु. शाला । ११ जंगल, वन । १२ विष्णु भगवान् । १३ देखो [सं० सत्यं] १ वास्तविक बात, यथार्थ तत्त्व । २ न्याय या
'सत्रु'। धर्म का पक्ष । ३ सात लोकों में से एक । ४ भगवान् विष्णु सत्रधरण, सत्रघन, सत्रघन्न, सत्रघ्न, सत्रनु-देखो 'सत्रघण' । का एक नाम । ५ श्रीराम का एक नाम । ६ परमार्थिक सत्रब, सत्रब-देखो सात्रव' । सत्ता जो सदा विकारी रहती है। ७ बल, भक्ति । | सत्रहरस-वि० सत्रह सौ। ८ सच्चाई । ९ भलाई। १० शपथ । ११ जल, पानी। सत्रांजीत-पु० [सं० शत्रुजीत] भीम । -वि. शत्रुधों को १२ चार युगों में से प्रथम युग, स्वर्णयुग।
जीतने वाला। सत्यभामा-श्री० [सं० सत्यभामा] श्रीकृष्ण की एक पटरानी। सत्राण-देखो 'सत्रु'। सत्यरूपा-स्त्री० [सं०] एक देवी का नाम ।
सत्रांम-देखो 'सुत्रांमा'। सत्यलोक-पु० [सं०] सात लोकों में से सब से ऊपर का लोक सत्रांसंधार-पु. १ लोह । २ तलवार । जहां ब्रह्मा का निवास माना जाता है ।
सत्राकार, सत्रागार-पु० गरीब व असहायों को मुफ्त भोजन सत्यलोकईस सत्यलोकेस-पु० ब्रह्मा।
बांटने का स्थान। सत्यवत-वि० सत्य को धारण करने वाला।
सत्राट-देखो 'सत्रु'। सत्यवचन-पु. १ यथार्थ कथन, सही बात । २ प्रतिज्ञा, प्रण। सत्राटांकरणीसरद-स्त्री० यौ० तलवार । सत्यवती-स्त्री० [सं०] १ पतिव्रता, सती। २ करुवंशीय राजा सत्रास-वि० [सं०] १ भयभीत, डरा हुषा । २ संकटग्रस्त, दुःखी। . शांतनु की पत्नी । ३ अगस्त्य ऋषि की पत्नी। ४ एक । सत्रि, सत्री-पु० [सं० सत्रि] १ राजदूत । २ हस्ती, हाथी। प्राचीन नदी।
| -वि० [सं० सत्रिन्] यज्ञ करने वाला। सत्यवादी-वि० [सं० सत्यवादिन] १ सत्य वक्ता, सही बात सत्र जय-पु० [सं० शत्रुजय] १ काठियावाड़ का एक पर्वत । कहने वाला । २ धर्म परायण, धर्म पर दृढ़ ।
२ हाथी, हस्ती । ३ परमेश्वर । ४ भगवान् विष्णु ।-वि० सत्यवत-पु. १ एक देव गण। २ सत्य बोलने का संकल्प ।
___ शत्रु को जीतने वाला। -वि. दृढ़ प्रतिज्ञ।
सत्र जया-स्त्री० [सं० शत्रु जण] एक स्कन्द मातृका : सत्यसंधा-स्त्री० [सं०] १ द्रौपदी। २ देवी का एक विशेषण। सत्र-पु० [सं० शत्र] १ वैरी, दुश्मन । २ राजनैतिक प्रतिद्वन्दी। सत्यसिंधु-पु० [सं०] ईश्वर, परमात्मा ।
__ ३ विजयी। ४ नाशकर्ता, संहारकर्ता ।
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सत्र कार
सदर
वाला।
सत्र कार-पु० [सं० सक्त कपागार] प्रश्न दानशाला। सपी-१ देखो 'साथ' । २ देखो 'साथी' । सत्र घण-पु० [सं० शत्र हन] राजा दशरथ का सब से छोटा पुत्र । सपूळ-देखो 'स्थूळ' । सत्रट-वि० कम, थोड़ा।
सथ्य-देखो 'साथ'। सत्र ता, सत्र ताइ (ई)-स्त्री० [सं० शव ता] वैर भाव, शत्रुता। सध्यल-क्रि० वि०१ साथ में । २ देखो 'साथळ' । सत्र दमण (न)-वि० [सं० शत्र दमन] शत्र मों का नाश करने सथ्थी-१ देखो 'साथी' । २ देखो 'साथ' ।
सदंका-वि० सरल, प्रासान। सत्रुमरवण (न)-वि० [सं० शत्र मदन] शत्र पों का नाश करने सवंत-वि. दांत युक्त, दांतों वाला। वाला।
सदंभ-वि० [सं०] १ कपटयुक्त, कपटपूर्ण । २ महंकार युक्त। सत्र हरण-देखो 'सत्र घण' ।
सद-पु० [सं० सदस्] १ सभा। २ चन्द्रमा, चांद । ३ दान, सत्र-देखो 'सत्र'।
पुण्य । ४ परमेश्वर । ५ ज्ञानी । ६ ब्रह्म । ७ माधु, संत। सत्रकार-१ देखो 'सत्र कार' । २ देखो 'सत्राकार'।
८ सत्य, सच ।-स्त्री० ९ प्रकृति । १० रुकावट, बाधा। सत्रपा-देखो 'सतरूपा'।
-वि० १ ताजा । २ श्रेष्ठ, उत्तम, बढ़िया । ३ शुभ, मंगलसख-क्रि० वि० तीक्ष्णता से, तीक्ष्णता के साथ ।
मय । ४ सही, सत्य या पूण । ५ ठंडा, शीतल । ६ सुन्दर सत्रौ-देखो 'सत्र',
मनोहर । ७ प्रमिट, स्थाई। ८ देखो 'साद'। देखो सत्व-पु० १ सत्ता । २ सार, मूल, तत्त्व। ३ वास्तविकता।। 'सदा'।--गत, गति-स्त्री. मुक्ति, मोक्ष । प्रच्छी गति ।
४ चित्त की प्रवृत्ति । ५ प्रकृति के तीन गुणों में से एक । -गुण-पु० अच्छा गुण, अच्छा माचरण । उत्तम लक्षण । ६ प्रकृति । ७ जीवन शक्ति । ८ मन, ज्ञान । ९ अधुरा गर्भ । -गुरणी-पु. अच्छे गुण या पाचरण वाला । उत्तम १० भूत-प्रेत । ११ सात्विक भाव ।
लक्षणों वाला ।-गुरु-पु. मच्छा गुरु या शिक्षक । सत्वगुण-देखो 'सतोगुण' ।
धर्मगुरु। सत्वगुणी-वि० [सं० सत्वगुणिन्] १ जिसमें सतोगुण हो। सबक-पु० पानी, जल । २ साधु, विवेकी।
सदको-पु० [म. सदक:] १ दान, खैरात । २ न्यौछावर, सत्वर-क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी।
बलिहारी। ३ खुशामद, चापलूसी। ४ मान, प्रतिष्ठा । सत्वसील-वि० [सं० सत्वशील] १. सदाचारी। २ सात्विक -वि. उत्तम, श्रेष्ठ । प्रकृति का । ३ धर्मात्मा, पुण्यात्मा ।
सदगत्नाथ-पु० १ विष्णु । २ ईश्वर, परमात्मा । सत्वाधिक-वि० बढ़कर, श्रेष्ठ ।
सदघटा-स्त्री० सभा। सत्संग, सत्सगति-स्त्री. १ मच्छी संगती। प्रच्छी सोहबत । सदरणी (बो)-क्रि० १ अनुकूल या माफिक पडना, होना।
२ साधु-संतों का साथ । ३ धार्मिक चर्चा, कीर्तन, भजन । २ सहन होना, बर्दाश्त होना। ३ शब्द या ध्वनि होना। सत्संगी-वि० सत्संग करने वाला, भजन करने वाला।
४ जिम्मेदार होना। सब-१ देखो 'साथ' । २ देखो 'सत' ।
सवन-पु० [स०] १ घर, मकान । २ प्रावास । ३ जल, पानी। सयप्पणी (बी)-क्रि० १ नियुक्त करना । २ स्थापित करना। ४ खान । ५ यज्ञ मण्डप । ६ यम का निवासस्थान । सपर-स्त्री० [सं० स्थरा] १ पृथ्वी, भूमि । २ देखो 'स्थिर'।
सहनामो-स्त्री० यश, कीर्ति । सथळ-स्त्री. १ रोमावली। २ देखो 'साथळ'। ३ देखो
सवम-पु० [सं० सद्मन् घर, मकान, मदिर। सिथिळ'। सांन-देखो 'स्थान'।
सदमौ-पु० [म. सद्म] १ मानसिक प्राघात । २ धक्का, चोट, सथानक, सांथनिक-देखो 'सुथानक'।
प्राघात । ३ हानि, नुकसान । सथाप-स्त्री० तमाचा, थप्पड़, चांटा।
सदय-वि० [सं०] दयामय, दालु । सथापणो (बो)-देखो 'स्थापणी' (बी)।
सदर-वि० [अ० सद्र] १ मुख्य, खास । २ बड़ा, महान् । सथिति-स्त्री० [सं० सिथित] १ धरती, पुथ्वी, भूमि । २ देखो
३ भीत, डरा हुधा ।-पु. १ छाती, वक्षस्थल, बीना । 'स्थिति।
२ सभापति, प्रध्यक्ष । ३ सभापति का स्थान। ४ किसी सथियारो-वि० साथ रहने वाला।
विभाग का केन्द्रीय कार्यालय । ५ केन्द्रीय स्थान । ६ मुगल सपियो-देखो 'स्वस्तिक' ।
कालीन शासन व्यवस्था में एक पद या पदाधिकारी। सपिर-पु० १ हाथी। २ देखो 'स्थिर'।
[प्र. सदर७ प्रोखों की धुध । ८ देखो 'सघर'।
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सबरी
सद्दोमत
सदरी-स्त्री० [अ०] बिना पास्तीन का एक पहनावा, जाकिट - सावरत व्रत)-पू० [सं० सदाव्रत] १ गरोगों को नित्य भोजन सदरुससदर (सुदर), सबस्ससबर (सुदर)-पु० [प्र. सगुस्सुदूर] देने का कार्य संकल्प । २ इस प्रकार हमेशा दिया जाने
१ शाही हर मसरा का संरक्षक, प्रतः पुरिक । २ मुख्य वाला भोजन या सामना । ३ दान ।
न्यायाधिपति । ३ मुगल शासन में एक मंत्री विशेष । | सदावरती (व्रती)-वि० सदाव्रत बांटने वाला,दानी। सवरूप-देखो 'संदरूप'।
सदाप्तिव-पु. [सं० सदाशिव महादेव, शिव । सबळ, सवल-पु० [सं० सदल] वृक्ष, पेड़ ।-वि० १ दलदार, | सदासुख-पु० एक प्रकार का घोडा।
मोटा, पुष्ट । २ अत्यधिक, बहुत । ३ सेना सहित। सदासुखी-स्त्री० जाति विशेष । सदवरत (वत)-पु० [सं० सदवत्त] १ चरित्रवान, शीलवान । सदासुवागरण (सहागण)-स्त्री. वेश्या, रंडी।-वि० जिमका २ देखो 'सदावरत'।।
सुहाग अमर हो। सवस्य-पु० [सं०] सभासद, कार्यकर्ता (मेम्बर)।
सदि-१ देखो 'सबद' । २. देखो 'सदी'। सानो-देखो 'सांदियांनो' ।
सदिये (ये), सदिये (य)-क्रि० वि० [सं० सद्य] १ सूर्यास्त या सदामो-देखो 'सुदामो'।
सूर्योदय से पूर्व : २ शीघ्र, तुरंत, बिना देर किये ।-पु. सदा (सबाई)-क्रि० वि० [सं०] १ सदेव, नित्य, हमेशा । २ हर | १ प्रात: काल, सबेरा । २ संध्या पूर्व का समय । वक्त, हर समय । ३ निरन्तर, लगातार ।
| सदो-स्त्री. १ शताब्दी । २ सो वर्षों का समूह । ३ सौ की संख्या, सवागत, सदागति-पु० [सं० सदागति] १ पवन, हवा । १००। ४ अच्छाई ।-वि० सौ २ ब्रह्म । ३ सूरज, सूर्य ।
सदीठ-स्त्री० [सं० सुदृष्टि] प्रच्छो नजर, सुरष्टि । सदाचरण-देखो 'सदाचार'।
सदीनो-वि० सैकड़ों वर्षों का समाचार-पु. [सं०] १ नीति और धर्म के अनुसार अच्छा | सदीव, सदोवत-देखो 'मदैव' ।
प्राचरण, व्यवहार । २ सज्जनता का बर्ताव । ३ शिष्ट | सदुपदेस-पु० [सं० सदुपदेश) १ उत्तम उपदेश, कल्याणकारी प्राचार, भोपचारिकता।
उपदेश । २ प्रच्छो सलाह । सदाचारि,सदाचारी-वि० [सं० सदाचारिन्] जिसका पाचरण सदू-देखो 'सधू' ।
धर्म परायण हो, सज्जन, शिष्ट, चरित्रवान । | सदृतरु-पु० [सं० सद्योत्तर] हाजर जबाबी। मच्छा उत्तर । सवाणी (बी)-कि० १ सत्तरदायित्व या जिम्मेदारी देना। सदर-क्रि० वि० जो नजदीक न हो. दूर। .२ अपने कर्ज की जिम्मेदारी उस व्यक्ति पर डालना सदेव सदेवत-वि० १ देव तुल्य, देव समान । २ देखो 'सदैव'। जिसमें पापका कर्ज बकाया हो ।
सदेह-वि० [सं०] सशरीर, देह सहित । सवादान-पु० [सं० सदादान] १ ऐसा हाथी जिसका मद हमेशा सद-देखो 'सबद'। बहता हो। २ ऐरावत । ३ गणेश।
सदैव-प्रव्य. १ नित्य, हमेशा, सर्वदा । २ निरन्तर, लगातार । सदानंद-पु० [स०] १ शिव, महादेव । २ श्रीविष्णु। ३ ईश्वर।। सदोख-वि० [सं० सदोष] दोष पूर्ण, दोष युक्त। सदानीरा-स्त्री. १ करतोया या कर्मनाशा नदी का एक नाम । सदोमत (त्त)-वि० १ मस्त, प्रसन्नचित्त । २ उन्मत्त । २ सदा बहती रहने वाली नदी।
सदोरी-वि० मदोन्मत्त, मदमस्त, नशे में उन्मत्त । सवापुसप, सापुस्प-पु० [सं० सदापुष्प] १ माक, मदार । | सद्द-१ देखो 'सबद'। २ देखो 'सद'। ३ देखो 'स्वाद' । २ कपास । ३ रोहितक वृक्ष।।
४देखो 'साद'। सदाफळ-पु० [सं० सदाफल १ नारियल । २ एक प्रकार का | सद्दशौ (बो)-क्रि० १ बोलना, दहाड़ना, गर्जन करना । २ देखो
नींबू । ३ बेल का वृक्ष । ४ गूलर। ५ वट ।-वि० सदा सदरणो' (बी)। फलने वाला।
सद्दय-१ देखो 'सदय' । २ देखो ‘सबद'। सदाबरत-देखो 'सदावरत' ।
सद्दळ-देखो 'सदळ' । सदामद, सवामद-क्रि० वि० १ परम्परागत, परमरा से। २पहले से, हमेशा से । ३ रोजाना, हमेशा ।
सद्दहणा-देखो 'स्रद्धा'। सदारमंस-पु० [सं० सदामर्ष ] भगवान् विष्णु ।
सद्दा-पु० [अ० शद्दः] मुहर्रम से तीन दिन पहले का पर्व सदावंत-देखो 'सदामंद'।
व उस पर्व का उत्सव । सदावरणौ (बो)-देखो 'सदाणी' (बी)।
सद्द ल-देखो 'सारदूळ' । सवावयच-पु० दोस्त, मित्र ।
| सद्दोमत-देखो 'सदोमत' ।
कारी देना । सदेव सदेव सं०] सण
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सद्धर
। ७१६ )
सनडोरयो
सखर-देखो 'सधर'।
सधार-पु० [सं० स-प्राधार, सद्धार] १ प्राधार, भाषय । ससरो-देखो 'सघरौ'।
२ सहायता, मदद । ३ भरोसा, विश्वास । ४ घी, घृत । सब-पु० [सं० समन्] १ घर, मकान । २ स्थान, जगह । ५ देखो 'साधार'। ३ युद्ध।
सधारण-वि० उद्धार करने वाला, उद्धारक । सधिनी-स्त्री० [सं०] १ बड़ा मकान । २ प्रासाद, महल । सधारणौ (बी) १ देखो “सिधाणी' (बी)। २ देखो सद्य-क्रि० वि० [सं० सद्यस] १ प्राज ही, पब हो । २ तुरंत, 'धारणो' (बौ)। शीघ्र ।
सधवार-स्त्री० गर्भवती स्त्री को गभ के सातवें मास में दिया सद्र-देखो 'सदर'।
जाने वाला उपहार । सरड्ढ. सगड्ढौ, सद्रढ़ (ढो)-वि० [सं० सुदृढ़] १ सुदृढ़, मजबूत। सधिये (ये), सधिये (2)-देखो 'सदिये। २ अविचल, अटल, स्थिर ।
| सोंग-वि० १ प्रबल, जबरदस्त । २ वीर, साहसी। सद्रव-पु. [सं० सद्रव्य] १ धनाढ्य व पूजीपति । २धन, दौलत। सधीर-पु. १ सिंह, शेर । २ ईश्वर, परमेश्वर । ३ पृथ्वी, भूमि। सद्रस-वि० [सं० सदृश] समान, तुल्य, बराबर ।
४ घोड़ा, अश्व । ५ लक्ष्मण ।-वि०१ बीर, बहादुर । सद्रससबर, सदससुदूर, सबस्सबर, सदस्सदुर, (दूर)-देखो २ जिसकी थाह न मिले गंभीर, गहरा। ३ धैर्ययुक्त, धैर्यवान। 'सदरुससदर'।
४ स्थिर, अटल । ५ व्यग्र, उतावला । ६ सुन्दर, मनोहर । सद्रि, सद्री-पु० [सं० शद्रि] १ हाथी, हस्ती। २ बादल, मेघ । ७ दक्ष, चतुर । ८ उतम, बेष्ठ । ९ निरोग, स्वस्थ । ३ अर्जुन का एक नाम । ४ बिजली ।
१० दाता, दानी। सद्रीची-देखो 'सध्रीची'।
सधीरांधीर-वि० महावीर । सती-स्त्री० [सं०] पुलस्त्य ऋषि की एक पुत्री का नाम जो | | सधु-स्त्री० पुत्री, बेटी। अग्निदेव को ब्याही गई थी।
सधुरधर-पु० बैल। सधरण-वि० पत्नी सहित, सपत्नीक ।
सधू-देखो 'सधु'। सधणो (बी)-क्रि० १ सिद्ध होना । २ सफल होना । सधूमवरणा-स्त्री० [सं० सधूमवर्णा] अग्नि की सात जिह्वानों
३ काम चलना । ४ अभ्यस्त होना, मंजना । ५ निशाना; में से एक । ठीक होना । ६ पूर्ण हाना । ७ पालन होना।
सधेस-पु० १ सिद्ध, महामा। २ शिव, महादेव, शंकर । सधप-वि० तृप्त ।
सध्धर-देखो 'सधर'। सधर-वि०१ श्रेष्ठ, बढ़िया, उत्तम । २ मजबूत । ३ प्रबल, सशक्त। | सधीच-पु० [सं०] मित्र, सखा ।
४ दयालु, कृपालु । ५ दृढ़, मजबूत । ६ सख्त, कठोर । | सधीवी-स्त्री० [सं०] सखी, सहेली। ७माश्रयदाता। ८ जबरदस्त, शक्तिशालो। ६ प्रभाव | सनकणी (बौ)-१ देखो 'संणक्करणो' (बी) २ देखो "सिणकरणो' शाली, गहरा । १० तेज और जोश पूण। ११ धैर्यवान, (बो)। धैर्यशाली । १२ प्रटल, स्थिर । १३ दृढ़. अडिग । सनंद, सनंदण (न)-पु० [सं० सनंदन] ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों १४ तैयार, सावधान । १५ माघार व सहारे सहित ।। में से एक । -पु. १ वाद्य । २ ऊपर का मोंठ । ३ धीरज, धर्य । सन-पु० १ संवत, शताब्द। २ एक पौधा विशेष जिसके ४ एक छन्द विशेष । .
रेशों से रस्सी बनाई जाती है, सण । ३ देखो 'सनि'। सधरम (मी)-वि० [सं० सधर्मन्] १ समान धर्म का, समान -प्रव्य तृतीया भोर पंचमी विभक्ति का चिह्न, से।
गुणों वाला । २ समान जाति या सम्प्रदाय का । ३ समान। सनक-पु० [सं० शनक] १ ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों में से सधरी-वि० (स्त्री० सधरी) १ अटल, अडिग । २ दृढ़, मजबूत ।
एक । २ शंबर के एक पुत्र का नाम । ३ देखो 'सरणक'। ३ वीर, बहादुर । ४ प्राधार या सहारे सहित ।
सनकरणो (बो)-१ देखो 'सिणकरणो' (बी) । २ देखो
'सणक्कणों' (बी)। . सधव, सधवा-स्त्री० [सं० सधवा] सुहागिन पोरत ।
सनकादक, सनकादि (क)-पु० (ब. व.) ब्रह्मा के चार मानस सधवाव-पु० [सं० साधुवाद] १ यश कीति । २ शाबासी,
पुत्र-सनक, सनंदन, सनातन और सनत्कुमार । धन्यवाद ।
सनकारी-देखो 'सणकारी' । सधारणी (बी)-क्रि० १ निभाना, बनाये रखना। २ देखो सनडोरचौ-पु. वह रस्सी जिससे चरस की 'सूड' व 'पंजाळी' 'सिधारणों' (बी)।
बंधो रहती है।
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सनढ़
सनीतात
सनढ़-वि० १ वीर, योद्धा, बहादुर । २ सुसज्जित, कटिबद्ध सनातनधरम-पु० [सं० सनातन-धर्म] १ पनादिकाल या
तैयार । ३ दृढ़, मजबूत । ४ बलवान, शक्तिशाली । ५ शुभ, | परम्परा मे चला प्रारहा धर्म । २ वैदिक धर्म। ३ हिन्दू धर्म । मंगलमय ।
सनातनी-वि० [सं०] १ सनातन धर्म का, सनातन धर्म संबंधी। सनणो (बी)-क्रि० १ लथपथ होना, युक्त होना। २ भीगना, २ प्राचीन काल से प्रचलित ।-पृ० १ सनातन धर्म का तर होना।
अनुयायी ।-स्त्री० २ दुर्गा, पार्वती । ३ सरस्वती। सनत-पु० [सं० सनत् ] ब्रह्मा।
४ लक्ष्मी । सनत्सुजात, सनत्सुजान-पु० ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक। | सनाती-वि० १ संबंधी, रिश्तेदार । २ स्वजातीय । सनद-स्त्री० [अ०] १ प्रमाण, सबूत । २ विश्वास । सनाथ-वि० [सं०] १ जिसका कोई मालिक या स्वामी हो। ३. प्रमाण-पत्र ।
२ जिसका कोई रक्षक हा। ३ प्राश्रय पाया हुमा । सनह-वि० १ ध्वनि सहित । २ देखो 'सनद' ।
४ कृत-कृत्य । सनद्वाज-पु० [सं०] एक प्राचीन राजा।
सनाद-वि० कुल, वंश । सनध, सनब्ध-वि० [सं० सन्नद्ध] . तयार, सन्नद्ध । २ देखो | सनाभ (भि, भी)-वि० [सं०] १ एक ही गर्भ से उत्पन्न, सहोदर। 'सनद'।
२ सजातीय । ३ स्नेही -पु. १ भाई, सहोदर । सनबंध, संनमंद (मंध)-देखो 'संबंध'।
२ नजदीकी रिश्तेदार । सनबंधी, सनमंधी-देखो संबंधी'।
सनाय-स्त्री० [अ० सना] १ सोनामुखी-पौधा व पत्तियो । २ देखो सनम-स्त्री०१ इज्जत, मर्यादा । २ लाज । ३ प्रेम पात्र । 'सहनाई। सनमन, सनमन-देखो 'संबंध' ।
सनासन-क्रि० वि० १ निरन्तर लगातार । २ वेग से, तेजी से । सनमान, सनमानउ-पु० [सं० सम्मान] १ प्रादर, सत्कार । ३ सन्-सन् शब्द करते हुए। २ इज्जत, प्रतिष्ठा ।
सनाह-१ देखो 'सन्नाह' । २ देखो 'सनाथ' । सनमानणी (बो)-क्रि० १ सम्मान करना, आदर करना। प्रतिष्ठा | सनाहवांन सनाहियो, सनाही, सनाहीयो, सनाहै-वि०कवचधारो। बढ़ाना । २ कीर्ति या गुण वर्णन करना ।
सनाह,य-पु० [स०] युद्ध के योग्य हाथी। सनमुक्ख, सनमुख-क्रि० वि० [सं० सम्मुख सम्मुख, सामने। सनि-पु० [सं० शनि ] १ सोर जगत का सातवां ग्रह । २ सूर्य सनमुख-भाला-सहरण-पु०१ वीर, योद्धा । २ सिंह, शेर। . बछाया का पुत्र, शनिदेव । ३ शनिवार । ४ शिव, महादेव । सनमुधि-देखो 'संबंध'।
-पित, पिता-पु. सूर्य । सनवार-देखो 'सनिवार'।
सनिगध-वि० [सं० स्निग्ध] चिकना, स्निग्ध ।-पु० मित्र, दोस्त । सनस-पु० १ लिहाज, खयाल । २ चीज, वस्तु । ३ शंका, | सनिचर-देखो 'खनेसर'।
लज्जा । ४ सनद, साक्षी । ५ इज्जत, मर्यादा । ६ कीर्ति, सनिचरया (चरिया, चर्या)-स्त्री० डंक ऋषि की संतान एक यश । -वि० समान, तुल्य ।
। जाति, डाकोत । सनसणो (बी), सनस्सरणी (बी)-क्रि० जोश में होना, जोश | सनिद्धि सनिध, सनिधि-देखो 'सनिद्धि'। पाना।
सनिबाबी सनिम'राज, सनिमा राज-पु० शनिदेव । सनसनी-स्त्री. १ सन्नाटा, स्तब्धता । २ घबराहट, खलबली। सनिवार-पु० [सं० शनिवार] सप्ताह का अन्तिम दिन ३ उत्तेजना।
सनिसर-देखो 'सनेसर'। सनारण (न)-१ देखो 'सेनाण' । २ देखो 'स्नान'।
सनिस्चर-पृ० [स० शनिश्चर] १ जैनियों के ८८ ग्रहों में से सनाकत (खत, गत)-देखो 'सिनाख्त' ।
चौथा ग्रह । २ शनिदेव । ३ शनिवार । सनाढ़-१ देखो 'सनढ़' । २ देखो ‘सनाढ्य' ।
सनी-वि० १ लथपथ, सराबोर, तर । २ परिपूर्ण, भरा सनाढ्य-पु० गौड़ ब्राह्मणों की एक शाखा । -
हुमा । ३ देखो 'सनि' ।
सनीड़-क्रि० वि० पास समीप । सनातन-पु० [सं०] १ प्राचीन काल । २ परम्परा । ३ धार्मिक
सनीचर-देखो 'सनेसर'। रूढ़ि। ४ संबंध, रिश्ता। [सं० सनातनः] ५ ब्रह्मा । ६ विष्णु । ७ शिव । ८ ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक । सनीचरी-स्त्री० शनि ग्रह की किसी एक राशि पर रहने को -वि० १ प्रादि काल का, प्राचीन । २ निरन्तर, बराबर ।
अवधि । ३ स्थाई, दृढ़ । ४ अनंत । ५ नित्य, शाश्वत । ६ परम्परागत।
सनीचरौ-वि० बदकिस्मत, हतभाग्य । -पुरस, पुरुस-पु० विष्णु ।
सनीतात-पु० सूर्य ।
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सनीपत
( ७१८ )
सपट
सनीपात-देखो 'सन्निपात'।
सन्ना-देखो 'सन्नाह'। सनोम-पु० [सं० स+नियम] नियमानुसार ।
सन्नाटो-पु. १ निस्तब्धता, नीरवता । २ निर्जनता । सनीयासी-देखो 'संन्यासी'।
सन्नावी-पु० [सं०] म्वर की सहायता से बोला जाने वाला वर्ण । सनीवार-देखो 'सनिवार'।
सन्नाह-पु. १ जिरह, बख्तर, कवच । २ अस्त्र-शस्त्र । ३ वीर सनीसर-देखो 'सनेसर'।
योद्धा । ४ स्वामी, मालिक । ५ युद्ध में जाने की तैयारी। सनीसरवार-देखो 'सनिवार'।
-वि० १ सहायक, मददगार । २ रक्षक । ३ कवचधारी। सनूरौ-वि० (स्त्री० सनूरी) १ सुन्दर, खूबसूरत । २ पधिक, | सन्नि-देखो 'सनि'।
बहुत । ३ प्रकाशपूर्ण, ज्योति सहित । ४ तेजस्वी, | सन्निद्धि, सन्निधि-क्रि० वि० समीप, निकट, पास । प्रोजस्वी । ५ जोश व उमंग पूर्ण।
सन्निनारण-स्त्री० [सं० संज्ञिज्ञान] पूर्व जन्म की स्मृति (जैन)। सनेगद-पु० [सं० स्निग्ध] मित्र, दोस्त ।
सन्निपात-पु० [सं० सन्निपात] १ वात, पित्त व कफ के विकार सनेपत-पु. खड़ी फसल वाला खेत ।
से उत्पन्न रोग, जिसमें रोगी विक्षिप्त हो जाता है। २ वात सनेपातवाय-पु० घोड़ों का एक रोग।
पित्त, कफ का त्रिदोष । ३ प्रहार, चोट । ४ एक प्रकार सनेपी-वि. हितैषी, शुचितक ।
का ज्वर । सनेम-वि० नियमानुसार। ..
सन्निपातजुर (जुवर, ज्वर)-पु० [सं० सन्निपात+ज्वरः] बात, सनेस, सनेसड़ौ-१ देखो 'संदेस' । २ देखो 'स्नेह' ।
पित्त, कफ के त्रिदोष से होने वाला ज्वर । सनेसर-पु० [सं० शनस्-चर] १ शनिग्रह । २ शनिवार । सन्नी-वि० [सं० संज्ञी] भविष्य के हित-हित को समझने सनेसरियो-पु० शनिदेव की पूजा करके उनके नाम पर दान वाला, पचेन्द्रिय। लेने वाला व्यक्ति।
सन्लेस-देखो 'संदेस'। सनेसो-देखो 'सनेहो।
सन्नेह-देखो 'सनेह'। सनेसो-देखो ‘संदेस'।
सन्माण (न)-देखो 'सनमान' । सनेह, सनेहको-पु० [सं० स्नेह] १ प्रेम, प्यार। २ प्रास्था,
पु° [स० स्नह] १ प्रम, प्यार। २ प्रास्था, सन्मुख-देखो 'सनमुख' । श्रद्धा। ३ दर्शन । ४ कृपा, दया। ५ देखो 'स्नेह'। सन्यास-देखो 'संन्यास'। ६ देखो 'स्नेहीं'।
सन्यासी-देखो 'संन्यासी'। सनेही-पु० [सं० स्नेहिन] १ प्रेमी, प्रिय। २ मित्र, दोस्त । सत्रत-पु० [सं० ऋतु सत्य ।
३ भक्त । ४ चित्रकार । ५ चिकित्सक ।-वि० प्रेम व स्नेह | सन्हद्द-वि० [सं० सन्नद्ध] बंधा हुमा (घोड़े मादि की पीठ पर)। करने वाला।
सपंखरौ-देखो 'सुपंखगे'। सनेही-वि०१ सावधान, सतर्क । २ प्यारा, प्रिय । ३ संदेश। सपाट-वि० नष्ट-भ्रष्ट, तहस-नहस ।
सप-स्त्री. १ शपथ, दुहाई। २ तेज गति से उत्पन्न ध्वनि । सन-क्रि० वि० [सं० शन:] १ धीरे-धीरे । २ घोड़ा-थोड़ा। -क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी। ३ सिल-सिलेवार, क्रमशः ।
सपक-क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत । सनह (६)-देखो 'सनेही' ।
सपक्खर-वि० कवच सहित, 'पावर' सहित । सनवार, सनसरवार, सनस्चरवार-देखो 'सनिवार' ।
सपखाळ, सपखाळो-वि० [सं० स्व-पक्ष] १ अपने पक्ष का, सन्न-देखो 'सुन्न'
तरफदार । २ वीर, बहादुर । श्रेष्ठ एव कुलीन । सन्नक-देखो 'सनक' ।
सपाखर-देखो 'सपक्खर'। सन्नड़, सन्नड़-देखो 'सनढ़' ।
सपगाई-स्त्री० सावधानी, सतर्कता। सन्नत-वि० १ उदास, खिन्न । २ सिकुडा हुमा । ३ झुका हुपा। -पु. राम की सेना का एक वानर ।
सपगो (ग्गी)-वि० (स्त्री० सपगी) १ अटल: मडिग । २ ढ़, सन्नव-वि० [सं०] १ तैयार कटिबद्ध । २ कवचधारी।
मजबूत । ३ विश्वास पात्र । ४ होश में, सावधान । ३ गुरसादि से परिपूर्ण । ४ व्याप्त ।
सपढ़ाणी (बी), सपड़ावणी (बी)-क्रि० स्नान कराना, मज्जन सन्नखबर-वि० [सं०] १ शस्त्रास्त्र से सज्जित । २ वीर कराना। बहादुर । ३ कवचयुक्त ।
सपट-स्त्री० १ अवसर, मौका । २ झपट, टक्कर । ३ नाश, सन्ना-देखो 'स्नान'।
ध्वम्।
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सपरिण
( ७१९ )
सपूनी
सपरिण (णी), सपरिण (रणी)-स्त्री० [सं० सर्पिणी] १ नागिन, | सपरसन-पु० [सं० स्पर्शन:] वायु. हवा । __ मादा सर्प । २ पीठ या गर्दन पर होने वाली रोमावलो। | सपरसमरिण-स्त्री० [सं० स्पर्श-मणि] पारस पत्थर । सपरणो-देखो 'सपनौ'।
सपरस्स-देखो 'स्परस'। सफ्तंग-पु० १ राज्य के सात अंग । २ इज्जत, प्रतिष्ठा । सपरांणी-स्त्री० [सं० स्पर्शनम्] लेपन । ३ कीति, यश ।
सपरोण (णो)-वि० [सं० सप्रारप-क] वीर, योद्धा । सपत-१ देखो 'सप्त' । २ देखो 'सपथ' । ३ देखो 'सपदी'। सपरि-बि०१ शुभ मांगलिक । २ देखो 'सिपर'। सपततंतू-देखो 'सप्ततंतु'।
सपलांरिणयो, सपलायो-वि० चारजामा या पलारण कसा हुप्रा । सपततुरंग-देखो 'सप्तास्व'।
सपलारणो (बी), सपलावणो (बो)-क्रि० [सं० सप्लावनम्] सपतदीप-देखो 'सप्तदीप' ।
१ स्नान करना, नहाना । २ देखो 'संपड़ाणी' (बौ)। सपतन-पु० [सं० सपत्नः] शत्रु ।
सपळोटियो-पु० १ छोटा सर्प । २ सर्प का बच्चा। सपतम-देखो 'सप्तम'।
सपसप-स्त्री० १ गुपचुप, कानाफूसी । २ चलने से होने वाली सपतमी (म्मी)-देखो 'सप्तमी'।
वनि बिशेष । सपतमो (म्मों)-वि० (स्त्री० सपतमी) छः के बाद वाला, | सपस्ट-वि० [सं० स्पष्ट] १ बिल्कुल स्पष्ट, साफ । २ साफ सातवां ।
__ दिखने वाला। ३ प्रयट । सपतरिख (रिखि, रिखी, रिसी)-देखो 'सप्तरिसी' ।
सपारण (गो)-वि. १ प्राणवान । २ सबल, शक्तिशाली। सपतवौं-देखो 'सपतमौं'।
सपाक-क्रि०वि० जल्दी से, शीघ्र ही। -स्त्री. तीव्र प्रहार की सपतसपती-पु० [सं० सप्त-सप्ती:] सूर्य, रवि ।
. ध्वनि। सपतसुर-देखो 'सप्तस्वर' ।
सपाट-वि० पाट की तरह समतल, सीधा। सपतहर (हरि)-पु० [सं० सप्त-हरि] सूर्य, रवि ।
सपाटी-पु० [स० सर्पण] १ चलने, उड़ने प्रादि का वेग, गति । सपतारचि (ची)-स्त्री० [सं० सप्ताचि] अग्नि, माग ।
२ चाल या गति से उत्पन्न ध्वनि । स्वपताळू-पु. एक प्रकार का रंग ।
सपात-वि०१ पत्र या पत्तों सहित । २ सुपात्र । सपतास, सपतास्व-देखो 'सप्तास्व'।
सपातो-वि. १ अधिकारी व्यक्ति । २ रक्षा करने वाला, सपती, सपती-स्त्री० १ अग्नि, भाग । -पु० [सं. सप्ति] रक्षक। घोड़ा, अश्व।
सपावलक्ष-देखो ‘सवालक' । सपती, सपती-पु० [स० सप्ताह] १ सात दिनों का समूह । | सपापो-वि० पापी, दोषी।
२ रविवार से शनिवार तक का समय । ३ सात दिन तक | सपाल्य (ल्यो)-वि० [सं० स+पालन] १ सुरक्षा सहित, होने वाली कथा या सत्संग।
सुरक्षित । २ बेरोकटोक स्वतत्र । सपत्त-देखो 'सप्त'।
सपाह-पु० [सं० सुपभु] राजा, नृप । सपत्ती-देखो 'सपती'।
सपिंड-पु० शास्त्रानुसार एक ही कुल का। सपत्ती-वि० १ सफल, कामयाब । २ देखो 'सप्ताह' ।
सपिडी-स्त्री. मृतक के पीछे किया जाने वाला कर्म या सपत्नी-स्त्री० सौतिन, सौत। -वि. पत्नी के साथ या सहित।। संस्कार विशेष ।। सपथ-पु० [सं० शपथ] १ कसम, सौगंध । २ वचन, कोल । .
सपीड़ (डो)-पु. १ दौड़ने से उत्पन्न ध्वनि । २ पीटने की सपथततु (तंतू)-देखो 'सप्ततंतु'।
आवाज । -वि० दर्द सहित, दर्द पूर्ण । सपद, सपदि-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत ।
सपीटी (ठी)-वि० चिकनी, मुलायम । सपनंतर-पु. स्वप्न । -क्रि०वि० स्वप्न में ।
सपीठ-वि०१ मजबूत । २ समतल । सपनो, सपनो-देखो 'स्वप्न'।
मपुत, सपुतर, सपुत्र, सपूत-पु० [सं० सुपुत्र] १ माता-पिता का
प्रज्ञाकारी एव भक्त पुत्र । २ भला एवं सरीफ। व्यक्ति सपमपाट-वि० १ समतल, सपाट । २ नाश, संहार ।
--वि० १ वीर, योद्धा । २ योग्य, समझदार । सपरस-देखो 'स्परस'।
सपूतपरण (पणौ)-पु० सुपुत्र एव भले प्रादमी के कार्य । गुग । सपरसणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्पर्श] छुना, स्पर्श करना। सपूताचार, सपूताचारो (सपूताचार)-पु. श्रेष्ठ, कार्य, कर्तव्य । सपरसदिसा-स्त्री० [सं० स्पर्श-दिशा] सूर्य या चन्द्र ग्रहण के | सपूती-स्त्री. १ सपूत होने की अवस्था या भाव । २ पाजाकारी प्रारंभ की दिशा।
पुत्रों वाली माता या स्त्री।
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सपूर
( ७२०
)
सप्तमों
सपूर-क्रि०वि० बल पूर्वक । -वि० पूर्ण, पूरा, समस्त । सपूरण-देखो 'सपुरण' । सपेखरगो (बो)-देखो 'सप्रेखणो' (बो)। सपेत (ब)-देखो 'सफेद' । सपेती (दो)-देखो 'सफेदी' । सपेतो (दो)-देखो 'सफेदो' । सपेलड़ो, सपेलो-वि० (स्त्री० सपेलड़ी, सपेली) सर्व प्रथम । ___सब से पहला। सपोतरी-पु० १ सुपुत्र । २ वंशज । सपोसय-वि० पुष्ट । सपौड़ी-पु० १ घोड़ा, पश्व । २ गधा । ३ खच्चर, टटू। सपोचो-वि० (स्त्री० सपोची) १ शक्तिशाली । २ साहसी ।
३.हिम्मत वाला, सामर्थ्यवान ।। सप्त-वि० [सं०] सात ।-पु० सात की संख्या व अंक, ७ ॥
-तत्री-स्त्री० सात तारों की वीणा ।-दीधिति-स्त्री. अग्नि, प्राग ।-दीप-पु० जबू, प्लक्ष, शाल भक्ति, कुस, क्रौंच, शाक तथा पृष्कर द्वीप ।--दीपा, द्वीपा-स्त्री० पृथ्वी, भूमि ।-धातु-पु. शरीरस्थ-रक्त, पित्त, मांस, वसा, मज्जा, अस्थिं और वीर्य ये सप्त द्रव्य । सोना, चांदी, तांबा, लोहा, सीसा, वग और जस्ता-सप्त खनिज पदार्थ ।-नागपु० अनंत, कर्क, महापद्म, पदम, शख, कुलिक प्रादि सात प्रमुख नाग । -- पाताळ-पु० प्रतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल ।-पुरी-स्त्री. अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन और द्वारकापुरी। --- भुवन 'सप्तलोक' ।-भोमियो-वि० सात मंजिल या खड वाला।-रसि,रिसी-पु० गौतम, भरद्वाज, विश्वामित्र, जमदग्नि, वसिष्ठ, कश्यप और प्रत्रि । उत्तरी ध्र व के सात तारों का समूह ।-वाहण, वाहन-पु० सात घोड़े या सात मुख के घोड़े वाले सूर्य देव ।-सती-स्त्रा० सात सौ
पदों का समूह। सप्तक-पू० [सं०] १ संगीत के अन्तर्गत सात स्वरों का समूह ।
२ मात वस्तुओं का समूह । सप्तकी-स्त्री० [सं०] १ स्त्री की करधनी। २ सात लड़ की
माला या करधनी। सप्तकोसी-स्त्री० [सं० सप्तकोशी] नेपाल की एक नदी। सतगंगा-स्त्री० [सं०] एक पुण्य स्थल ।। सप्तजिह्व (जिह्वा)-स्त्री० [सं०] १ अग्नि की सात जिह्वाएँ ।
२ पग्नि, प्राग। सततंतु-पु० [सं०] यज्ञ, हवन । सप्तपदी-स्त्री० १ विवाह में चतुर्थ फेरे के बाद वर द्वारा वधू के
दाहिने कन्धे पर हाथ रख कर वेदी के उत्तर की तरफ ईशान कोण में एक-एक पद आगे बढ़ाने की क्रिया । यह मित्रता बढ़ाने के लिये सात पावड़े भरता है, जो विश्व की सात परिधियां हैं । इसके प्रागे परम तत्त्व प्राप्त होता है। सप्तपदी के बाद वधू को वामांग में लाने के लिये उत्तर प्रत्युत्तर व स्वीकृति के बाद वामांग दिया जाता है। वैदिक मतानुमार सप्तपदी के निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया हैं। यह क्रिया गृहस्थ जीवन में कत्र्तव्य बोध की भावना से की जाती है।-प्रथम कर्तव्य (पग)-घर में प्रश्न भोजनादि की व्यवस्था रखना ।-दूसरा पग-भोजन को रुचिपूर्ण व बल वर्धक बनाना ।-तीसरा पग-रायस्योषाय-गृहस्थ में अन्न व बल के साथ धन की व्यवस्था एवं ज्ञान होना चाहिये ।
-चौथा पग-पन्न-बलादि के सदुपयोग का ज्ञान हो ताकि जीवन सुखमय हो -पांचवांपग-संतान प्राप्ति व उसके भरण -पोषरण की समुचित व्यवस्था ।-छठा पग-ऋतुओं के अनुसार रहन-सहन व खान-पान ।- सातवां पग-घर में परस्पर प्रेम एवं मित्रता की भावना हो। इससे पूर्व नव वर-वध से सात प्रकार के होम (संकल्प) करवाये जाते हैं, जो अग्नि की साक्षी में "वसुधैव कुटम्बकम्" की भावना के लिये होते हैं । (१) राष्ट्रभृत होम-राष्ट्र के भरण-पोषण की भावना । (व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज, समाज से राष्ट्र) प्रतः गृहस्थ' राष्ट्रीय जीवन में इकाई रूप है ।(२)जयाहोमजीवन के प्रति माशावान होना । (३) अभ्यातन होम-सतत उन्नति की भावना । महत्वाकांक्षा (४) अरिष्टनाशन होमजीवन मे पाने वाली अपघातिनी व विघ्नकारक शक्तियों को दूर करने की भावना । (५) व्याहृति होम-मन, कर्म व वचन से विश्व कल्याण का संकल्प रखना । (६) लाजा होम-स्त्रो के लिये पति के वश की वृद्धि, घर में समद्धि के लिए कामना करना व कभी पृथक न होने की भावना रखना । (७) प्राजापत्य होम-प्रजापति के प्रति कृतज्ञता की भावना । २ वर-वधू द्वारा विवाह वेदो के की जाने
वाली सात परिक्रमा, भांवरी। सप्तपदीपूजन, सप्तपदीपूजा-पु० १ विवाह के समय का एक
पूजन । २ बास । सप्तपरव, सप्तपाव-पु० [सं० सप्तपर्वन् ] बांस । सप्तम-वि० सातवां । सप्तमात्रका (मात्रिका)-१ देखो 'मात्रका'। २ देखो 'माया'। सप्तमी-स्त्री० [सं०] मास के किसी पक्ष की सातवीं तिथि। सप्तमुख -पु० [सं०] यज्ञ, हवन । सप्तमी-वि० [सं० सप्तम्] (स्त्री० सातवीं) छः के बाद वाला,
सातवां ।
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सप्तराव
। ७२१ )
सफेदी
सप्तराव-पु. [सं०] गरुड़ की प्रमुख सन्तानों में से एक। सफळ (ल)-पु० शस्त्र । -वि० [सं० सफल] १ सार्थक, सप्तसागरदान-पु. सात पात्रों मे घी, दूध, मधु, दही आदि कामयाब । २ उत्तीर्ण । ३ पूर्ण । ४ फलयुक्त, फलवाला। रखकर ब्राह्मणों को देने का एक दान।
५ फैलने वाला, बढ़ने वाला । ६ धारदार, नुकीला । सप्तसूरघ-पु० [सं० सप्तसूर्य] सात ग्रहों का एक समूह विशेष । ७ पानंदपूर्वक । . सप्तसुर, सप्तस्वर-पु० [सं० सप्तस्वर] संगीत में सरगम के | सफळरणो (बो), सफलणी (बी)-क्रि० सफल होना, सफलीभूत सात स्वर।
होना। सप्तात्मा-पु० [सं०] ब्रह्मा का एक नाम ।
सफळता-स्त्री० १ कामयाबी, उद्देश्य सिद्धि । २ पूर्णता । सप्ताळू-पु. एक रंग विशेष।
सफळाइग्यारस (एकादसी)-स्त्री० [सं० सफलाएकादशी] पौष सप्तास. सप्तासव, सप्तास्व-पु० [सं० सप्ताश्व] १ सूर्य, रवि । कृष्णा एकादशी।
२ रैवत मन्वन्तर के एक सप्तर्षि । ३ सूर्य के रथ के सात | सफळी (लो)-देखो 'सफळ' । घोड़े या सात मुख वाला घोड़ा।
सका-वि० १ बिल्कुल, कतई । २ साफ, स्पष्ट । ३ निर्मल, सप्ताह-पु० [सं० सप्त-महन्] १ सात दिनों का समूह या | पवित्र । ४ स्वच्छ । ५ चिकना, बराबर । ६ खाली, रिक्त ।
अवधि । २ रविवार से शनिवार तक का समय । ३ सात ७ स्वास्थ्य, तन्दुरुस्ती। ८ मिटा हुआ, लुप्त । दिनों का अनुष्ठान, कीर्तन या कथा ।
सफाई-स्त्री. १ स्वच्छता, निर्मलता । २ बिल्कुल, कतई। सप्तधा-पु० [सं०] भगवान् विष्णु का एक नाम ।
३ मैला या कूड़ा हटाने की क्रिया । ४ कुटिलता का सप्पणी-देखो 'सरपणी' ।
। प्रभाव । ५ स्पष्टता । ६ साफ होने की अवस्था सप्पनपाट सप्पमपाट-वि० १ साफ, समतल । २ नाश, संहार। , या भाव। । ३ दरिद्र, निर्धन । ४ मूर्ख, अज्ञानी।
सफाखांनो, सफाखांनो-पु० [अ० शफा+फा० खाना] चिकित्सा'सप्रद-पु० [सं० क्षिप्र] वेग ।-क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी।
लय, अस्पताल । सप्रवीत-वि०१पवित्र, उत्तम । २ श्रेष्ठ ।-पु० एक वरिषक छद सफाचट-वि० १एकदम स्वच्छ, बिल्कुल साफ । २ बिल्कुल विशेष ।
खाली, रिक्त । ३ स्निग्ध, चिकना । ४ समतल, सपाट । सप्रस-पु० सूर्य, सूरज ।
५ जिसका कोई अंश शेष न हो। सप्रसम-वि० खुश, प्रसन्न ।
सफायो-पु० १ नाश, सहाए । २ खत्म, समाप्त । सारण (गो)-वि० [सं० सप्राण] बलवान, शक्तिशाली।
सफीट (8)-वि० साफ, चिकना। सप्रीत-वि०१ सस्नेह, प्रेम सहित, सप्रेम । २ हर्ष, प्रानन्द, खुशी।
सफील-स्त्री० १ परकोटा, प्राचीर । २ दीवार । सप्रेखणी (बी)-क्रि० [सं० संप्रेक्षणम्] १ देखना। २ निरीक्षण
सफुब्बी-स्त्री० बादशाह की पुत्री, शाहजादी। करना। सफ-पु० १ पंक्ति, कतार । [स० सफः] २ क्षुर, टाप ।
सफेत, सफेद-वि० [फा० सफेद] १ श्वेत, धवल । २ स्वच्छ, सफक-स्त्री० [अ० शफक] सूर्योदय या सूर्यास्त के समय की
साफ । ३ निष्प्रभ, निस्तेज, कांतिहीन । ४ जिस पर कुछ लालिमा।
न लिखा हो, कोरा । सफकत-स्त्री० [मशफकत] १ अनुग्रह, मेहरबानी । २ प्रेम, सफेदयजनो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। मुहब्बत।
सफेदपोस-वि० [फा० सफेद-पोश] स्वच्छ कपड़े पहनने वाला। सफर-वि० भयंकर, घोर ।-पु० [अ०] १ इस्लामी सन् का सफेदहाथी-पु० भद्र जाति का एक हाथी विशेष ।
दूसरा महीना । २ यात्रा, प्रवास । ३ देखो 'सफरी'। । सफेदाई-स्त्री. श्वेतता, सफेदो । सफरजंग-पु० १ भयकर युद्ध, घोर संग्राम। २ शतरंज से सफेदी-स्त्री० १ वृद्धावस्था, बुढ़ापा । २ श्वेतता, धवलता। मिलता-जुलता एक खेल ।
३ भय, भातक या चिन्ता के कारण चेहरे या शरीर पर सफरा-देखो "सिप्रा'।
पानेवाली निस्तेजता । ४ मकान प्रादि की चूने स पुताई। सफरारो-पु० बलि के लिये खिला-पिला कर तैयार किया गया |
सफेदी-पु. १ श्वेत-प्रदर नामक एक स्त्री-रोग विशेष । २ इसके बकरा।
कारण योनि से गिरने वाला द्रव । ३ जस्ते का,पूर्ण जो सफरिम-वि० वीर, बहादुर ।
प्रौषधि प्रादि में काम पाता है । ४ मकान की पुताई में सफरी-स्त्री० मछली।
काम पाने वाली सफेद मिट्टी । ५ जूते प्रादि बनाने का सफरीपति-पु० मगरमच्छ ।
सफेद चमड़ा । ६ सफेद तने का वृक्ष विशेष ।
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सफे
सर्फ - स्त्री० १ सफलता वृद्धि, सम्पन्नता । २ तन्दुरुस्ती । सपफळिची पृ० हिन्दवानी नामक फल का छोटा खण्ड । सर्वग्रह देखो 'सरबंगो' ।
सबध-देखो 'संबंध'
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( ७२२ )
सब - वि० १ समस्त, कुल २ अवधि, मात्रा, विस्तार प्रादि के विचार से कुल सर्व सम्पूर्ण स्त्री० [फा० सब] रात रात्रि ।
से पशु का बीमार होना ।
सखी, सबखो-वि० ( स्त्रो० सबखी ) १ सरल, आसान
२ छोटा ३ उपयुक्त धनुकूल । ४ सुगम । ५ पाचरण शील ६ बुद्धिमान, समझदार ।
समक० [फा०] [१] वह अंग जो एक बार में पढ़ाया जा सके, सबधी पु० १ कवि २ यश कीर्ति निर्गुण भक्ति सबंधी पाठ २ नसीहत, शिक्षा पद, भजन । ४ राजस्थानी के गेयात्मक छन्द
Hasit - (ब) कि० धूप या गर्म जगह पर अधिक बंधा रहने सब देखो 'बद'।
सबड़, सबड़, सबहक, सबड़क सबड़को, सबड़को- पु० [ चतु० ] १ किसी गाढ़े या द्रव पदार्थ को हाथ से खाने या चाटने से उत्पन्न सड-सड़ ध्वनि । २ इस तरह खाने की क्रिया । ३ इस तरह से एक बार में खाये जाने वाले पदार्थ की मात्रा । सबछी - वि० [सं० स वत्सा ] बछड़े या बछिया सहित । समज - वि० [० [फा० सब्ज] १ हरा । २ उत्तम श्रेष्ठ । स्त्री० भांग, भंग ।-पु० एक रंग विशेष का घोड़ा ।
सबजी-देखो 'सब्जी |
समज, सबजज-देखो 'सबज' ।
शबति, सबती-देखो 'सक्ती' ।
समय पु० [सं० शब्द ] १ भावाज ध्वनि २ बोली
के संयोग से कठ व तालू प्रादि मे उच्चरित होने वाली सार्थक sवनि, शब्द | ४ लिखे जाने वाला वर या वर्ण समूह जिसका कोई निश्चित धर्थ हो । ५ वचन । ६ उपदेश । ७ सुषश, कीर्ति । निर्गुण भक्ति संबंधी कोई पद । ९ छप्पय छन्द का एक भेद । १० दो लघु के गरण के दूसरे भेद का नाम । -गुर, गुरु, गुरु-पु० उपदेश देकर शिष्य या धनुवायी बनाने वाला साधु व्यक्ति १० कान । - - बेध, बेधी पु० मर्जुन । राजा दशरथ । सम्राट पृथ्वी राज चौहान - वि० ध्वनि पर सही निशाना मारने वाला । - बोध-पु० प्रक्षर ज्ञान, सुनने से प्राप्त होने वाला ज्ञान । -भेद, भेवी 'सबदबेध' ।- वेध, वेधी 'सबदबेध' | स० [सं०] १ वेद २ सृष्टिको रचना करने वाला, ब्रह्मा । ३ धोंकार, प्रणव । ४ कुंडलिनी से ऊपर उठने वाले नाद का वह रूप जो निरुपाधि दशा में रहता है। (योग) सबदकत ( सकति, सकती, सक्ति सगत, सगति, सगती-स्त्री०
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[सं० शब्द-शक्ति ] शब्द की प्रर्थ बोधक शक्ति जो तीन प्रकार की मानी गई है-प्रभिधा, लक्षरणा, व्यंजना ।
सबदसाधन पु० [सं० शब्द साधन] व्याकरण का वह अंग जिसमें शब्दों की व्युत्पत्ति, रूपान्तरण प्रादि का विवेचन हो ।
सबदाडंबर-पुं० [सं० शब्दावर] साधारण बात कहने के लिये जटिल एवं निरर्थक शब्दों का प्रयोग शब्द जाल
सवनीपर पु० साबुन बनाने वाला।
सबाब
सबब १० [०] १ कारण वह हेतु २ द्वार३ साधन । सरात पु० [०] मुसलमानों का एक पवित्र त्यौहार समय पु० [सं० सबवस] १ मित्र दोस्त सखा २ शिव ३ हाथ । ४ जल । ५ पतिव्रता स्त्री । सबर - देखो 'सब' ।
1
सरित पु० [सं०] सर्वतः] श्रीकृष्ण।
सबरी स्त्री० [सं०] शबरी ] १ श्रवरणा नामक शबर जानि की स्त्री जो श्रीराम की भक्त थी, भोलनी । २ शबर जाति की कोई स्त्री ।
सबळ पु० [सं०] शवस] १ सुमेरु पर्वत
२ वायु, पवन
३ घोड़ा, प्रश्व । ४ बलराम, बलभद्र । ५ भीम. वृकोदर । ६ एक नाग का नाम। ७ घी, घृत । ८ सप्त ऋषियों में से एक । वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ पराक्रमी, वीर । ३ बड़ा, विशाल 1 ४ भयकर, भीषण, जोरदार ।
५ प्रचड ६ गहरा, घना । ७ सब समस्त । महान्, बडा । ९ गूढ, जटिल, दुरूह । १० चितकबरा । ११ ज्यादा, अत्यधिक । १२ कठिन, मुश्किल १३ दृढ़, मजबूत । १४ तेज प्रकाश युक्त १५ बच्छा, बढ़िया । सबळवळगाहणी - पु० योद्धा, सिपाहो । सबळवाय पु० नेत्रों का एक रोग विशेष ।
सबळा, सबद्धि, सबळी -स्त्री० [सं० शबल. शबली, सबलि: ]
१ सायंकाल संध्या । २ कामधेनु गाय ३ चितकबरी गाय । ४ एक प्रकार का धन्न । ५ वसिष्ठ की गाय का नाम । ६ देखो 'सबळ' |
सबळी- देखो 'सबळ' |
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सबळ
समाज पु० [प० सवाब, असबाब, शबाब ] १ सत्कर्म करने पर परलोक में मिलने वाला पुण्यफल। २ सामान, सामग्री । ३ युद्ध, सामग्री । ४ युवावस्था, योवन । 2 सौन्दर्य । ६ हकीकत वास्तविकता वि० १ श्रेष्ठ उत्तम ।
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सबाव
( ७२३ )
सभ्य
२ पवित्र । ३ सुन्दर । ४ यथार्थ, सत्य। ५ वास्तविक । | सब्बाल-देखो 'सव्वाल' । ६ दुरुस्त, ठीक ।
सम्बी-देखो 'सब'। सबाव-१ देखो 'स्वभाव' । २ देखो 'सबाब'।
सब्बु, सब्बुन-देखो 'साबुन' । सबासन-पु० डिंगल का एक छन्द विशेष ।
सब्बू-पु० रजनीगंधा नामक पौधा या उसका फल । सबाहुत्र-पु० [सं०] भुजा का कवच ।
सब्ब, सम्भ, सब्भ-देखो 'सब'। सबिका-देखो 'सिविका।
सब-स्त्रो० [अ०] १ धैर्य, धोरज । २ संतोष । सबी-स्त्री० [प्र. तसबीह] १ माला, हार । २ शक्ल, माकृति । सभ-१ देखो 'सभ्य' । २ देखो 'सब' ।।
३ शोभा, सुन्दरता । ४ वक्षस्थल पर धारण करने का | सभद्र-पु० १ एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा ।
पाभूषण विशेष । ५ तस्वीर, मूर्ति । ६ देखो 'सिबि' । २ देखो 'सुभद्रा'। सबील-स्त्री. १ प्याऊ, जल गृह । २ रास्ता, उपाय । सभर-वि० १ भारी। २ अत्यधिक । ३ श्रेष्ठ, बढ़िया । सबुज्ज-स्त्री० बुओं सहित ।
सभा-स्त्री० [सं०] १ किसी बात या विषय पर विचार करने सबुध-वि० बुद्धिमान, विद्वान ।
निमित्त कई व्यक्तियों का एकत्र होकर बैठना, एकत्र होना। सबूत-पु० [अ० सुबूत] प्रमाण । -वि० पूर्ण, पूरा, अखण्ड । २ खाश मुद्दों पर विचार करने तथा निर्णय करने हेतु गठित सबूब, सबूबौ-वि० सुन्दर, श्रेष्ठ ।
समिति, परिषद् । ३ परिषद या समिति के बैठने का सबूरी-देखो 'सन'।
स्थान । ४ दरबार : ५ धमशाला। ६ मजलिश, गोष्ठी, सबूरी-पु० [फा० सन] विधवा स्त्रियों की कामपिपासा | प्रथाई चौपाल । ७ द्यूतगृह, जूमा खाना । ८ न्यायालय । तृप्त करने का चमड़े या काठ का लंबा उपकरण ।
६ घर, मकान ।-पति-पु. किसी सभा या परिषद का सब-देखो 'सब'।
अध्यक्ष ।-मंडप-पु० सभास्थल । मंदिर में दर्शनाथियों सबोडणी (बौ)-क्रि० [सं० सम्पुटतम्] १ किसी गाढ़े द्रव | के बैठने का स्थान।
पदार्थ को सबड़-सबड़ ध्वनि करते हुए खाना, चाटना । | समाइ (ई)-देखो 'स्वभाव' २ खाना । ३ जानवरों की तरह खाना या पीना।
सभाकार-पु० [सं०] १ सभा करने वाला। २ सभा का सदस्य। सबोझ, सबोझौ-वि० गौरवयुक्त ।
समाग-देखो 'सौभाग्य' । सबोध (धी)--पू० [सं०] १ जानकारी । २ बुद्धि । ३ उत्तम सभागियो, सभागी, सभागो-पु० [सं० सभाग्य] (स्त्री० सभागण) ज्ञान । ४ अनुभव । -वि. ज्ञानवान, बुद्धिमान ।
१ भाग्यशाली व्यक्ति । २ सम्पन्न, धनवान व्यक्ति । सबोल-पु० बोलबाला, दबदबा ।
-वि० १ भाग्यशाली, खुश किस्मत । २ उत्तम, श्रेष्ठ । सबोळी-वि० (स्त्री० सबोळी) १ खुश, प्रसन्न । २ बहुत, अधिक; | सभाय-देखो 'स्वभाव' ।
ज्यादा । ३ सराबोर, गरक । ४ महान, श्रेष्ठ। सभाव, सभावि-पु. १ चिह्न, खोज । २ देखो 'स्वभाव'। ५ जबरदस्त, जोरदार । ६ प्रमिट, पक्का।
सभिन्न-वि० भीगा हुअा। सब्जी-स्त्री० [फा०] १ हरी वनस्पती या तरकारी। २ पका सभी-देखो 'सब' ।
हप्रा शाक. साग । ३ हरियाली। -मंडी-स्त्री. हरी| सभीड़ो-वि० १ दुष्कर, कठिन । २ दृढ़ मजबूत ।-पु० समह, सब्जी के क्रय-विक्रय का केन्द्र, सब्जी बाजार ।
__ झुण्ड, भीड़। सब्द-देखो 'सबद'।
सभीत-वि० भयग्रस्त, भयभीय । सब्दलक्खरण (लक्षरण, लखरण, लख्खरण)-पु० [सं० शब्द-लक्षण] सभूमो, सभोमो-वि० (स्त्री० सभूमी, सभौमी) कार्य कुशल, बहत्तर कलानों में से एक ।
__ चतुर। सब्दवेधी. सम्बदवेधी, सम्बदावेध-देखो 'मबदबेधी' ।
सभोभरम, सभोभ्रम-देखो संभ्रम' । सवारथ-पु० [सं० शब्दार्थ] शब्द का अर्थ, मतलब या माने। सभौ-वि० भय युक्त, डर सहित । सब्दु-देखो 'सबद'।
सभ्भ-देखो 'सब'। सब्ब-देखो 'सब'।
सभ्य-वि० [सं०] १ उत्तम पाचार-विचार वाला, सज्जन । सम्बदयं-देखो 'सबद'।
२ सभा से संबंधित, सभा का। ३ सभा के योग्य । सम्बळ (ळी)-देखो 'सबळ' ।
४ सामाजिक । ५ कुलीन । ६ विनम्र । ७ विश्वसनीय । सब्बा-देखो 'सब'।
-पु०१ सभासद । २ कुलीन व्यक्ति। ३ पच। ४ जप्राड सब्बाब-देखो 'सबाब'।
खाना चलाने वाला व्यक्ति । ६ पंचाग्नियों में से एक ।
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सभ्यता
( ७२४ )
समाहरण
सभ्यता-स्त्री० [सं०] १ सभ्य होने का भाव, शिष्टता। समकत-देखो 'सम्यकन्व' ।
२ सज्जनतापूर्ण व्यवहार । ३ नम्रता, भद्रता । ४ किसी समकारणी (बो)-क्रि० बजाना । राष्ट्र या समाज में प्रचलित वे विचारधाराएँ या प्राचार | समकाळ -पु० [सं० समकाल] एक ही समय या क्षरण ।
संहिता जो शिक्षित एवं सामाजिक होने को सूचक होती हैं। समकालीन-वि० [सं०] १ एक ही समय से संबंधित। २ एक सभ्रम-देखो 'संभ्रम'।
ही समय होने वाला। समंक-पु० १ चन्द्रमा, सोम । २ मांकड़ों का समूह ।
समकित-देखो 'सम्यकत्व' । समचार-देखो 'समाचार' ।
समकिती-बि. श्रद्धान की क्रिया करने वाला, सम्यकत्व का समछर-देखो 'संवत्सर'।
पालन करने वाला। समंजरण-पु. स्नान, मज्जन ।
समकोस-पु० [सं० समकोष] एक प्राचीन देश । समंजणौ (बी)-क्रि० [स० संमार्जनम्] १ स्नान करना, नहाना।
समकौर-वि० एक समान, बराबर । ___२ देखो 'समझो ' (बी)।
समखरणी (बौ)-देखो 'चमकरणों (बो) । समंजर-वि० मंजरी युक्त।
समखी-स्त्री० बात, तर्क-वितर्क । समंडळ-पु० [सं० समण्डल] सूर्य, भानु ।
समग-देखो 'समिग'। समंत-देखो 'सामंत'।
समगत-देखो 'सम्यकत्व' । समंद-पु. १ एक प्रकार का फूल । २ हर्ष, प्रानन्द । ३ बेष्ठ |
समगना (समगिना)-स्त्री० [सं० समज्ञा] यश, कीति । घोड़ा, अश्व । ४ बादामी रंग का वह घोड़ा जिसके कुछ
समषि-पु० [सं० सम्यक] सत्य, सांच । अंग काले होते हैं । ५ समुद्र, सागर ।-करण-पु० मोती,
| समग्ग, समग्र, समनि-वि० [सं० समग्र] तमाम, सब, समूचा,
सम्पूर्ण । मुक्ता ।-फेण-पु. समुद्रफेन ।-मेखळा-स्त्री. पृथ्वी,
समडणी (बौ)-क्रि० चलना। धरती ।-व्यूह-पु० समुद्र व्यूह। -सुत, सुतन-पु. चन्द्रमा,
समडारणी (बो), समडावरणौ (बो)-क्रि० चलाना । चांद । अमृत । चौदह रत्नों में से एक ।
समचई-देखो 'समचेई'। समंदर-पु० समुद्र।
समचार-देखो 'समाचार' समंदरी-स्त्री. १ नंऋत्य कोण से बहने वाली हवा । २ एक
समचेइ. समच-वि० सब, समस्त ।-क्रि०वि० १ ठीक उसी विशेष रंग का घोड़ा।
समय तत्काल । २ एक ही साथ। ३ साथ लगकर । समंबहुलास-पु० हर्ष, मानन्द ।
४होते ही। समंदी, समंद्र-देखो 'समुद्र'।
समचौ-पु० १ सूचना, संदेश, खबर । २ अवसर, मौका, समय । समंध-देखो 'सबंध'।
समज-देखो 'समझ'। समसणो (बी)-क्रि०१ चिन्ता करना । २ पश्चाताप करना। समजण-पू० समझना या मानना क्रिया। सम-वि० [सं०] १ समान, सदृश । २ बराबर, तुल्य । ३ एकसा, समजणौ (यो)-देखो 'समझरणो' (बो)।
समरन । ४ जिसका तल बराबर हो, ऊचा-नीचा न हो। समजत, समजतियो, समजती (सी)-वि० १ समान शक्ति या ५ उतार-चढ़ाव या तेजी-मढी रहित ।-पु० [सं० शम] बल वाला । २ हर तरह से समता कर सकने वाला। १ शांति । २. मोक्ष । ३ शमन निवृत्ति। ४ ठीक-ठीक ३ पंडित, विद्वान । ४ उदार, दातार । विभाजित होने वाली संख्या । ५ तीन प्रकार की वयण समजथा-स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक विधि । शैली। सगाई में से एक । ६ वर्गमूल संबधी सीधी रेखा । ७ ताल समजारणौ (बी)-देखो 'समझारणों (बो)। का निश्चित स्थान या ताल को निश्चित भावृत्ति का प्रथम समजायता-स्त्री० [सं० समज्या] सभा। माप । ५ हाथ को छड़ी या हाथी के दांत मादि पर लगने समजोत-स्त्री० [सं०सज्योति] पांच प्रकार की मुक्तियों में से एक । वाला हल्ला । ९ वर्ष, साल । १० भगवान् विष्णु का एक समज्जणी (बो)-देखो 'समझणो' (बी)। नाम ।
समन्जि. समज्या-देखो 'समिजा' । समअर-देखो 'समर'।
सपश, समझरण-स्त्री० [सं० सबुद्धि] १ प्रक्ल, बुद्धि, विवेक । समइ, समइये, समइयो, समईयो-देखो 'समय'।
२ बुद्धिपानी चतुराई । -पृ. ३ बुद्धिमान, चतुर व्यक्ति । समउ-वि० सम, समान।
४ होश-हवाम । -वार-वि० बुद्धिमान, अक्लमंद । समउरण-पु० [सं० समन] ब्रह्मा ।
-दारी-स्त्री. बुद्धिमानी, चतुराई । -वांन, वार-वि. समकरणो (बो)-देखो 'चमकरणो' (बी)।
बुद्धिमान, चतुर, कुशल । विवेकशील । धंयवान ।
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समझरिणयो
( ७२५ )
समरपरिण
समझरिणयौ, सममणी-वि० १ समझने वाला, मानने वाला, समद-देखो 'समुद्र'।
जानने वाला। २ बुद्धिमान । ३ दाना,सयाना । ४ शरीफ, समदकप (कफ)-पु. समुद्र फेन । सज्जन।
समदम-पु० [सं० शमदम | ऋषि । सममणी (बो)-क्रि० १ जानना। २ ध्यान में लाना, ध्यान | समदर-देखो 'समुद्र' । करना । ३ सीखना।
समदरसुत (सुतन)-पु० [सं० समुद्र सुत] १ चन्द्रमा, चांद । सममाण-स्त्री. १ जानकारी। २ सकेत, इशारा । -वि० २ मद्य, शराब। बुद्धिमान ।
समदरियो-पु० १ स्त्रियों के पोढ़ने का वस्त्र विशेष । २ पुरुषों समझाइस-देखो 'समझायस' ।
के शिर की पगडी विशेष । ३ देखो 'समुद्र'। ४ नैऋत्य समझारणी (बो)-क्रि० १ शिक्षा, देना, उपदेश देना। कोण से पाने वाली हवा ।।
२ सिखाना, बताना। ३ बोध कराना, ज्ञान कराना। | समवसुत (सुतन)-देखो 'समदरसुत'। ४ किसी के मन में कोई बात बैठाना।
समवाभवर-पु० एक प्रकार का घोड़ा। समझायत, समझायस-स्त्री.। बुद्धि। २ समझाने की क्रिया समदाव-पु० समृद्धि, वैभवता। या भाव।
समविस्टि, समद्रसटो, समद्रस्टी-वि० [सं० समदृष्टिन] सब पर समझावरणी (बो)-देखो 'समझाणो' (बौ)।
समान दृष्टि रखने वाला, सम भाव से देखने वाला ।-स्त्री. समझास-देखो 'समझायस' ।
सब के प्रति एकसा भाव । सममि-देखो 'समझ'।
समद्द, समद्र-देखो 'समुद्र'। समझीयांण, सममू-वि० १ बुद्धिमान । २ समझदार ।
समध-देखो 'संबंध'। समझोतरी-स्त्री. १ इशारा, संकेत । २ बुद्धि, समझ ।
समधरणी (बो)-देखो 'समझणी' (बो)। समझोतो-पु. १ राजीनामा, सुलह । २ संधि ।
समधरणी (बो)-क्रि० १ मानना। २ धारण करना, स्मरण समझ-देखो 'समझ'।
करना। समटणी (बो)-१ देखो सिमटणो' (बो)। २ देखो
| समधी-स्त्री० [सं० समिध] १ जलाने की लकड़ी, ईधन । 'समेटणी' (बी)।
२ लड़के-लड़की के ससुराल वाले, सगे-संबंधी । समटाणी, समटावरणी-देखो 'समठावरणी'।
समधो-वि० १ साधारण, मामूलो। २ सरल, प्रासान । समठाणी, समठावरणी. समठुणी, समठूणी-स्त्री० [सं० समु
समन-पु. [सं० शमन] १ शांति । २ दमन, शमन । ३ काल, स्थानम] दहेज, दहेज मादि विदाई का सामान ।
मृत्यु। ४ यमराज। ५ दाम, कीमत। ६ चमेली का
फूल। ७ यज्ञ में पशु बलि। ८ सुमन । -वि० शान्त, समडी-स्त्री. शमी वृक्ष ।।
जितेन्द्रिय। समरण-पु० [सं० श्रमण] १ जोश, उमंग, उत्साह । २ श्रद्धा- |
समनौ-वि० १ उत्साह वाला, जोशोला। २ अनुकूल, पक्षधर । भक्ति सहित दान। ३ स्वप्न । -वि० [सं० सहमन]
समपण (ण), समप्पण-पु० दान। -वि० १ दानी, उदार । १ समान, बराबर । २ देखो 'सुमन' ।
२ देने वाला समर्पित करने वाला । समणडउ, समउ, समरणो-देखो 'सपनो' ।
समपरणो (बौ), समप्पणौ (बो)-क्रि० १ देना, प्रदान करना । समत-स्त्री० [सं० सम्मति] राय, सलाह, सम्मति । -वि० |
२ अपित करना । ३ सौंपना। ४ दान देना । [सं० सम्मत समथित, प्रमाणित, अनुकूल । देखो 'सवत' || मरती ममबती मममी. समतळ-वि० [सं० ममतल] जिसका तल या सतह बराबर हो। धर्मराज। समतसर-देखो 'संवत्सर'।
समय-पु० [सं०] १ वक्त, काल, सम्य । २ अवसर मौका । समता-स्त्री० [सं०] १ समानता, बराबरी, तुल्यता । २ एक ३ फुर्सत । ४ गवं, मान, अभिमान । ५ हृदयाकाश में
रूपता । ३ निष्पक्षता । ४ मनःस्थिरता। ५ साधारणत्व । चक्रों का ध्यान । समति-स्त्री० [सं० समिति] १ सभा। २ देखो 'सम्मति'। | समयति, समयती-वि० [सं०] सुन्दर, मनमोहक । -स्त्री. समतूळ-वि० [स० समतुल्य] समकक्ष, समान, बराबर । सदृश । साध्वी स्त्री। समस्य-१ देखो 'समरथ'। २ देखो 'समस्त' ।
समयानंद-पु० [सं०] भैरव को एक मुति । समत्सर-देखो 'संवत्सर'।
समयो-१ देखो 'समय'। २ देखो 'समो' । समथ, समस्य-१ देखो 'समरथ' । २ देखो 'समस्त' । | समरंगण, समरंगरिण-देखो 'समरांगण'।
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समर.
( ७२६ )
समवायु
भाव ।
समर-पु० [सं० समरः] १ युद्ध, संग्राम । २ लौहार शाला। हुमा, अर्पित, भेंट। ३ धारण किया हुमा । ४ समर्पण
३ बेहड़ा । ४ युद्धस्थल, रणभूमि। ५ शक्ति, बल, किया हुप्रा । सामर्थ्य । ६ वैभव, धन, दौलत । [प्र०] ७ कथा, समरम-पु० [सं० सम-रमण] सम रूप से क्रीड़ा करने का कहानी, किस्सा । ८ फल, मेव।। ९ बदला, प्रतिकार । १० परिणाम, नतीजा। ११ देखो 'स्मर'। -भूमि-स्त्री० समरव (वी)-स्त्री० [सं० रव-सम] बिजली। युद्धस्थल ।
समरस (सि, सी)-पु० [सं० शमरस] शान्त मनोभाव । -वि० समरअभंग (मी)-पु० बलराम ।
समान रस या स्वभाव वाला। समरइ-देखो 'स्म्रति'।
समरांग (न)-पु. [सं० समर-अंगण] १ युद्ध, लड़ाई। समरक-देखो 'समर'।
२ युद्ध स्थल, रणक्षेत्र । समरकूप-स्त्री० [सं० स्मरकूप] योनि, भग।
समराट-पु. १ राजा, नप । २ वीर पुरुष । ३ देखो 'सम्राट'। समरट-वि० योद्धा, वीर।
समराणी (बौ)-देखो 'संवराणो' (बी) । समरण-देखो 'स्मरण'।
समराथ-देखो 'समरथ' । समरणा, समरणी-स्त्री० [सं० स्मरण] जपमाला, माला । समरार-देखो 'सबरारि'। समरणौ (बो)-क्रि० [सं० स्मरणम्] १ स्मरण करना, याद | समरारि-पु० [सं० स्मरारि] शिव, महादेव ।
करना । २ भजन करना। ३ युद्ध करना, लड़ाई करना। समरिव-देखो ‘समरव'। . समरत-पु० १ एक प्रकार का रतिबंध । २ देखो 'समरथ' समरु (रू)-देखो 'समर'। समरति, समरती-देखो 'स्म्रति' ।
समरूप-वि० १ समान, तुल्य । २ समान रूप या चेहरे वाला। समरस्थ-देखो 'समरथ'।
समळ-पु० [सं० श्यामल:] १ कृष्ण हरिण। [सं० शमलं] समरथंभ-वि० [सं० समरस्तम्भ योद्धा, वीर ।
२ मल, विष्टा। -वि० [स० समल) १ खराब । समरथ-पु० शिव, महादेव । -वि० [सं० समर्थ] १ शारीरिक, - २ गंदा, मैला, अपवित्र । ३ पापी, दुष्ट । ४ दोष पूर्ण ।
मानसिक व माथिक बल पर कुछ कर सकने योग्य, समर्थ ।। ५ देखो ‘सांमिल' । ६ देखो 'संवळी'। ७ देखो २ बलवान, शक्तिशाली। ३ योग्य, समक्ष । ४ योग्य, 'सांवळी'। ठोक, उचित .. ५ गूढार्थ प्रकाशक । ६ जबरदस्त, समळा-देखो 'सम्मळा' । जोरदार । ७ दृढ़, मजबूत । ८ बीर,बहादुर। ९ निष्णात, । समळी-देखो 'संवळो'। योग्यता-सम्पन्न । १० समृद्ध, धनाढय। ११ बड़ा, समळो-१ देखो 'संवळो' । २ देखो 'सांवळो'।
विशाल । १२ सामर्थ्यवान, सक्षम । -पु० शक्ति, बल । समवंता-वि० समान, बराबर, तुल्य । समरथक-वि० [सं० समर्थक] समर्थन करने वाला।
समवड़ (हि, डी)-वि० [सं० समवत्ति] समान, बराबर । समरथन-पु० [सं० समर्थन] अनुमोदन करने की क्रिया ।
-स्त्रो० समानता, बराबरी । देखो 'समोवडियो' । समरथा-देखो 'सामरथ्य'।
समवड़णौ (बी)-क्रि० सामना करना, मुकाबला करना । समरथीक, समरथ्य-देखो 'समरथ'।
समवड़ियो-वि० बराबर का, बराबर वाला। समरद-पु० [सं० समद युद्ध ।
समवड (डि, डी), समवण-देखो 'समवड़' । समरधुका-स्त्री० [सं० समधिका] बेटी, पुत्री।
समवती स्त्री० एक प्रकार की घोड़ी। समरपण-पु० [सं० समर्पण] १ श्रद्धा पूर्वक अर्पण करने की | समवरती-पु० यमराज । क्रिया या भाव। २ आदर पूर्वक को जाने वाली भेंट, | समवळ-देखो'समवड़' । नजराना। ३ किसी के प्रागे हार मानने या वशीभूत हो | समवसरण (न)-पु० जिनेश्वर के उपदेश देने का स्थान, उपदेश जाने की क्रिया, अवस्था या भाव । ५ भगवान के विग्रह के शाला । (जैन) मागे खड़ा करके भक्त को प्राचारवान् वैष्णव बनाने की | समवाद-देखो 'संवाद'। क्रिया।
समवादी-देखो 'संवादी' । समरपरणी (बी)-क्रि० १ श्रद्धा पूर्वक अर्पित करना, सादर भेंट
समवायंग, समवायांग-पु. जैन धर्म के ३२ सूत्रों में से चौथे करना । २ सौंपना, देना। ३ हार मानना, वशवती
सूत्र का नाम। होना । ४ धारण करना।
समवायु-पु० [सं० समवायः] १ समूह, समुदाय । २ घनिष्ठ समरपित-वि० [सं० समर्पित] १ दिया हुआ, दत्त । २ सौंपा। सबंध ।
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समवेग
। ७२७ )
समाद
समवेग-पु० श्रीकृष्ण के एक घोर का नाम ।
एक शाखा । ३ भाटियों की एक शाखा (यादव)। -पु. समवेत-वि. १ अटूट व निरन्तर गने वाला। २बहु संख्यक । [म.] ४ प्राकाश, गगन । ५ दृश्य, नजारा ।-क्रि०वि० ३ एकत्र, मिला हुमा ।
१ हो । २ देखो 'समय' । समसत, समसत्त, समसष-देखो 'समस्त' ।
समाइई)-वि० [सं० समाधि] समाधिस्थ, ध्यान मग्न । समसमा, समसमी-वि० बराबर, समान ।
(जैन)-स्त्री. १ समाधिस्थ या ध्यानमग्न होने की समसर, समसरि-पु० महादेव, शिव ।
क्रिया या भाव। २ प्रात्मा में समभाव रखने की क्रिया समसाण-पु० [सं० श्मशान] १ जहां शव दाह किया जाय, अवस्था या भाव । ३ क्षमा करने की क्रिया । ४ माला
मरघट । २ कब्रिस्तान । -काळिका-स्त्री० देवी का एक जपने या ध्यान लगाकर बैठने को क्रिया। रूप विशेष । -पति-पु. शिव, महादेव । -पाळ-पु. समाक-पु० [40] अत्यन्त कठोर पत्थर । श्मशान का चौकीदार, चांडाल । -भैरवी. वासणी-स्त्री० | समाऋत-वि० [स० समाकृति) १ समान प्राकृति का । २ एक श्मशानवासी एक देवी। -वासी-पु० शिव, महादेव । समान अनुरूप। चांडाल ।
समागम-पु० [सं०] १ प्रागमन, मिलन । २ भिड़त, मुठभेड़ । समसिउ-पु० समस्या।
३ मथुन, संभोग। ४ पवमर, संयोग। ५ मिलन । समसेर-स्त्री० [फा० शमशेर] तलवार, खङ्ग ।
६ सत्संग । ७ बहुत लोगों के एकत्र होने की स्थिति या समसेरी-पु० खङ्गधारी।
क्रिया। समस्टी-स्त्री० [सं० समष्टि] सब का समूह, एक साथ । समाचरण, समाचार-पु० [सं० समाचार:] १ भली प्रकार समस्त-वि० [सं०] १ सब, कुल, समग्र । २ समास द्वारा पाचरण । २ सदेश, खबर। ३ सामान्य बात। ४ हाल, मिलाया हुमा, संयुक्त ।।
ब्योरा। समस्नु-स्त्री० [सं० शमस्नु मूछ।
समाज (जि, जी)-पु० [सं० समाजः] १ बहुत से लोगों का समस्या-स्त्री० [सं०] १ सलाह, मशविरा, विचार । समूह । २ समान धर्म एव पाचरण वाले लोगों का वर्ग,
२ उलझन, परेशानी। ३ कठिन प्रसंग । ४ संकेत, समुदाय । ३ समूह, दल । ४ साथी, सगी। ५ सभा । इशारा। ५ प्रश्न ।
६ सामान, सामग्री। ७ हस्ती, हाथी। ८ परिग्रह । समस्सेर-देखो 'समसेर'।
समाजोग-पु. १ मेल, मिलाप । २ संसर्ग, सम्बन्ध । ३ शुभ समहती-वि० सीमा का, शरहद का।
योग। ४ कोई प्राकस्मिक घटना। ५ कई लोगों का मिलन, समहर (रि, री)-पु. १ तलवार । २ देखो 'समर'
सम्मेलन । ६ संयोग, इत्तिफाक । ७ भीड़, जनसमूह । समहो-देखो 'साम्हों।
८ देवयोग। ९ दोस्ती, मैत्रो । १० कारण, हेतु । समां-देखो 'समय'।
११ सम्भावना। १२ अवसर, मौका । १३ भाग्य, समारण-१ देखो 'समान' । २ देखो 'सम्मान'।
तकदोर। समारणी-वि० १ समवयस्का, हम उम्र की । २ समान, समारणौ (बी)-क्रि० १ अवसान या मृत्यु होना। १ व्याप्त बराबर, तुल्य । ३ पूरा, सम्पूर्ण ।
होना, फैलना। ३ विद्यमान होना। ४ फैलना । '५ एक समान-पु० [सं० समानः] शरीर में नाभि स्थित दश वायुषों में रूप होना । ६ मिलना, विलीन होना। ७ विलीन होना।
से एक । -वि० १ बराबर, तुल्य । २ अनुसार, मुनाबिक । ८ समाहित होना। ९ धंसना, गढ़ना। १० मिल जाना। ३ एक जैसा, अनुरूप। -क्रि०वि० ४ ही। ५ देखो ११ परश्य होना, मोझल होना, लुप्त होना। १२ लीन 'सम्मान'। ६ देखो 'सामान'।
होना । १३ समाधिस्थ होना, अंतर्धान होना । समानिका-स्त्री० एक प्रकार का वर्णवृत्त ।
१४ स्थित होना । १५ धारण करना। १६ मिटना, समानोवरज-पु० [सं० समान:-उदयं] सगा भाई, सहोदर । अंत होना। १७ स्थिर होना। १८ निवास होना। समाम-स्त्री० [अ० शमाम] सुगंध, महक ।
१९ प्रविष्ट होना। २० कुछ होना। २१ अनुरक्त समर्मामी-स्त्री० [सं० सामान्य वैभव, ऐश्वर्य ।
होना । २२ देखो 'मावणो' (बी) । २३ देखो समामी-वि० (स्त्री० समांमी) १ वोर, बहादुर। २ बढ़िया, 'संभाणी' (बी)।
उत्तम । ३ अनुकूल, पक्षीय । ४ मिलनसार । ५ अनुरूप, | समातार-पु० सदस्य, सभासद । समान । ६ बराबरी का, जोड़ का।
समाय-वि० १ कार किए हुर, आये हुए । २ देखो 'समरथ' । समा-स्त्री० [फा० शमा] १ मोमबत्तो। २ लहंगा जाति की समाव-देखो 'समाधि'।
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समादांन
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समादांन पु० [फा० शमादान ] १ धातु या शीशे का उपकरण जिसमें मोमय जल जाती है। (स० शमदान] २ जैनियों का प्राह्निक कृत्य विशेष । ३ क्षमादान | समादियो-देखो 'समाधियो' ।
( ७२८ )
समाध- वि०
o स्वस्थ तन्दुरुस्त । स्त्री० १ तन्दुरुस्ती, स्वस्थता । २ देखो समाधियों' । ३ देखो 'समाधि' | समाधान- पु० [सं० [समाधान] १ लगाने की क्रिया या भाव। निवारण सूचक बात। ३ ४ संतोष धेयं । ५ संयोग । समाधायो-देखो 'समाधियों'। समाधि स्त्री० [सं० समाधिः ]
१ योग के भाठ अंगों में से एक मुख्य अंग । २ वह स्थान जहां शव या अस्थियां दफनाई गई हो साधु-संन्यासियों आदि का जीवित अवस्था में ध्यानावस्थित होकर दफन होने की क्रिया । ४ चित्त को एकाग्र करने की क्रिया । ५ कुशलक्षेम पूछने की क्रिया । ६ पूर्णता चारित्ररूप धर्म स्वस्थ, ठीक | देखो
७ ध्यान ।
९ शांति, धाराम । - वि० 'समाधिजिन' |
समाधियो - वि० १ संबंधी रिश्तेदार । २ स्वस्थ, तन्दुरुस्त । समाधी देखी 'समाधि' ।
समाप- पु० [सं० समर्पण ] १ उत्सर्ग, दान | २ समर्पण । समापक - वि० [सं०] ( स्त्री० [समापिका) १ समाप्त करने वाला । २ पूर्ण करने वाला । ३ समर्पण करने वाला । समापण - देखो 'समर्पण' ।
समापणी (बी) - देखो 'समपणी' (बी) ।
समापत वि० [सं० [समाप्त] समाप्त पूर्ण सम्पूर्ण
-
पिस को एकाग्र कर ब्रह्म में समाहणी (बी) देखो 'सभा' (दो)।
२ प्रश्न का उत्तर, घाशका
समस्या हल करने की युक्ति ।
समास - पु० [सं० समास: ] १ धेयं । २ कम या थोड़ा होने का भाव [सं० समाऽश ] ३ वर्षाकाल । ४ संक्षिप्त । ५ व्याकरण के कुछ विशिष्ट नियमों के अनुसार दो या अधिक शब्दों का योग ।
समासम - वि० ० समान बराबर का
समाखित वि० [सं०] समाधित] भली प्रकार प्राति
-
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समाहार - पु० [सं०] १ संग्रह । २ समूह राशि । ३ मिलाप, मिलन ।
समोधीन
समाहित वि० [सं०] १ समाधिस्थ
-
o
३ शांत । ४ सावधान, निरुपाधिध्येय | समाही - देखो 'समाइ' ।
समाह्वा स्त्री० वनगोभी नामक घास विशेष । समि पु० समय
समिओ ( ) - देखो 'समय' । समिउ-वि० शांत ।
1
सामग वि० [सं०] सम्यक] सत्य असल समिजा- स्त्री० [सं० समज्या ] सभा | समि० स्वप्न
समित - पु० [सं० समित् ] युद्ध, लड़ाई । समिति स्त्री० [सं०] १ सभा । २ मजलिस। ३ युद्ध, समर । समिद्धउ, समिद्धह, समिद्धो- वि० [सं० समृद्ध ] समृद्धिशाली,
ऐश्वर्यशाली ।
समिध, समिधा, समिधि-स्त्री० [सं० समिध्] १ यज्ञ कुण्ड में की लकड़ी [सं० समीधः ] २ धाम, अग्नि समिय- देखो 'समय' ।
समियांरण समियांणौ समियांन समियांनी १० १ सिवाना ( मारवाड़) के किले का नाम । २ देखो'माण' । समियो-१ देखो 'समय' । २ देखो 'समो' |
समापिका स्त्री० व्याकरण में एक प्रकार की क्रिया । समापित समाप्त-देखो 'समाप्त' । समाप्ति स्त्री० [सं०] कार्य की पूर्णता, सम्पन्न होने की क्रिया समक पु० [सं० समिकं ] १ भाला, बरखा, बल्लम । २ देखो या स्थिति ।
'समीक' ।
समायोग- देखो 'समाजोग' ।
समी-स्त्री० [सं० शमि, शमी ] १ राजस्थान, गुजरात, पंजाब समार - पु० अधिकार कब्जा दि० घावों से परिपूर्ण । में पाया जाने वाला एक वृक्ष विशेष २ फली क्रि०वि० समारो (बी) देखा 'संवारणी (बो होते ही, ही देखो 'मम' । देखो 'समोवड़ियो' । समावंत - वि० [सं०] समा-वत् । समयानुसार यथासमय ठीक समीक- पु० [सं० समीक ] युद्ध, सग्राम ।
समीक्षक वि० [सं०] समीक्षा करने वाला, समालोचक
-
।
समय पर होने वाला । समावड़ देखो 'समय' । समावरण-पु० १ प. त्यु नाश । समाव (ब)-१ देखो 'सभा' (बी)।
समीक्षा - स्त्री० [सं०] १ समालोचना, समीक्षा २ दर्शन शास्त्र की मीमांसां पद्धति ।
समाव्रत - पु० [सं० समावर्त ] भगवान विष्णु का एक नामान्तर । - वि० प्रवृत्त घिरा हुआ,
श्रावेष्टित ।
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२ स्थिर, घटल ।
२ मृत्यु संदेश ।
'समाणों' (बो) । २ देखो समीगरम, समीग्रब, समोप्रध, समीग्रभव, समोग्रभवा - स्त्री० [स० शमीगर्भ ] १ श्रग्नि, प्राग २ श्रग्निहोत्री ब्राह्मण । समीचीन वि० [सं० समीचीनः] १ उचित ठीक। २ न्याय संगत - पु० [सं० समीचीनम् ] सत्य व सच्ची बात ।
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समीत
( ७२६ )
समोसरणि
समीत-पु० [सं० समित] १ युद्ध, दंगल । २ सभा, गोष्ठी। समूरत, समूरतो समूरथ (थो)-पु. श्रेष्ठ मुहूर्त, अच्छा समय । समीप-क्रि०वि० [सं०] १ निकट, नजदीक, पास-पास । समूळ, समूल-वि० [सं० समूल] १ सब, समस्त । २ पूरा, २ सम्मुख, सामने। ३ पास, बगल में ।
प्रखंड । ३ जड़ सहित, जड़ मूल सहित । ४ सकारण । समीपमुफत्ति-देखो 'सामीपमुकत्ति' ।
५ सबका, सभी का। समिपि, समीपी-पु० [सं० समीप-ई] निकटवर्ती, नजदीकी। समूळो-देखो 'समूळ' । -वि० समीपवर्ती, निकट का, पास का ।
समूह, समूहु-पु० [सं० समूह] १ सेना, फौज, दल। २ ढेर, समीम-पु० [म० शमीम] सुगन्धित पदार्थ ।
राशि । ३ झुड। ४ बाहुल्य, माधिक्य । ५ सनातन विश्वसमीय, समीयो-देखो 'समय' ।
देव का नाम । समीर, समीरण, समीरल-पु० [सं० समीरः, समीरणः] । वायु, | समें, समे-देखो 'समय' । हवा। २ भगवान विष्णु ।
समेगी-देखो 'संवेगी। समीवड़, समीवड-देखो 'समवड़ ।
समेजोग-देखो 'समाजोग' । समीसर-स्त्री० बराबरी, समानता। -वि० समान, तुल्य । समेटणी (बौ)-क्रि० १ मारना, संहार करना। २ कम समीह-स्त्री० [स० समीहा] श्रेष्ठ अभिलाषा, सुकामना । करना, थोड़ा करना। ३ बिखरी हुई चीजों को इकट्ठा समुद, समुदर, समुद्र-देखो 'समुद्र' ।
करना । ४ क्रमशः या तरतीब से लगाना । ५ काम पूरा समुदौ-वि० समूचा, समस्त, पूरा ।
करना या समाप्त करना । समु-देखो 'समो'।
समेडी-स्त्री० स्कंद की अनुचरी एक मातृका का नाम । समुक्ख, समुख, समुखी-क्रि० वि० सामने, सम्मुख । -पु. एक | समेत, समेति, समेती-पु० [सं० समेत] एक पर्वत का नाम । प्रकार का वणिक छन्द ।
-वि० १ सयुक्त । २ साथ, सहित । समुचित-वि० [सं०] १ वाजिब, उचित। २ उपयुक्त, | समेर-देखो 'सुमेर'। वाजिब ।
समेळ-वि० १ मिश्रित । २ सहित, युक्त । ३ साथ। ४ एकत्रित । समच्चय-पु० [सं०] १ समूह, राशि, ढेर । २ साहित्य में एक ५ देखो 'सिंबळ"। मलकार विशेष ।
समेळी-वि०१ साथ, शामिल । २ एकत्रित, इकटठा। ३ मेल समुझणो (बो)-देखो 'समझाणो' (बी)।
___ या मित्रता रखने वाला। ४ युक्त, सहित । ५ बराबर, समझाणी (बौ), समुन्नवणी (बी)-देखो 'समझाणी' (बो)। तुल्य । ६ देखो ‘सामेळो'। समुदय, समुदाय-पु० [सं० समुदयः, समुदायः] १ समुइ, झुण्ड । समै-१ देखो 'समय'। २ देखो 'सम'। २ युद्ध, संग्राम ।
समकत-वि० एकत्रित, संकलित । समुद्द समुद्र-पु० [सं० समुद्र] १ पृथ्वी पर स्थल भाग को | समैयौ-देखो 'समय' ।
घेरने वाली विशाल जल राशि, सागर, समुद्र । २ शुभ रंग | समीद-वि० गर्व सहित । का एक प्रकार का घोड़ा। -कांता-स्त्री० नदी, सरिता। समोदनी-स्त्री० [सं० समुदायिनी] सेना, फौज । -जा-स्त्री. लक्ष्मी । -नेमि-स्त्री० पृथ्वी। -फोरण, समोपणौ (बौ)-देखो ‘समपणो' (बो)। फेण, फेन-पु. समुद्र की लहरों के झाग जो प्रोषधि में | समोबड़, समोबायो, समोभर-१ देखो 'समवई'। २ देखो - काम माते हैं। -मेखळा-स्त्री. पृथ्वी, भूमि । -सुत, 'समोवड़ियो' ।
सुतन-पु. चन्द्रमा, चांद । अमृत । मोती मौक्तिक । समोभरम, समोभ्रम, समोभ्रमी-देखो 'संभ्रम' । समुद्रक-पु० शृंगार में एक प्रासन विशेष ।
समोवड-१ देखो 'समवड़'। २ देखो 'समोवड़ियो। समुल्ललन-पु. [सं०] समस्त शारीरिक क्रियानों से हर्ष प्रगट | समोवड़ियो-वि० १ समानता वाला, बराबर का। २ देखो करने की क्रिया, अवस्था या भाव ।
'समवड़' । समुह, समुहा, समुहै-क्रि०वि० [सं० सम्मुख] १ सामने, सम्मुख । | समोवरण, समोवर-देखो 'समवड़। २ देखो 'समूह' ।
समोवरणी (बौ)-देखो 'समोहणो' (बी)। समूची, समूधी-वि० (स्त्री० समूची, समूधी) पूरा;
समोवसरण-देखो 'समवसरण' । ___समस्त, कुल।
समोसर, समोसरि-पु० १ श्रेष्ठ या मांगलिक अवसर । समूह-देखो 'समूह।
२ देखो 'समीसर'। समूतनी-स्त्री० [सं० सीमन्तिनी] स्त्री
| समोसरणि-स्त्री० [सं० समवसरण] सभा ।
चाहता
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समोसरणी
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समोसरणो. (ब)- कि० पाना पधारना ।
समोसी- वि० बलवती ।
समोसौ-पु० १ मैदे की रोटी में मांस-मसाले डाल कर तल कर बनाया जाने वाला खाद्य पदार्थ । २ इसी तरह घालू-प्याज आदि मसाले मंदे की रोटी के सम्पुट में तल कर बनाया जाने वाला नमकीन ।
( ७३० )
समोह - पु० [सं०] युद्ध, संग्राम । वि० १ मोहित । २ मूच्छित । समोहणी ( वो) देखो 'मोहली (बो) |
समोहा-पु० एक बलिक वृत्त विशेष ।
।
समौ- पु० [सं० समा] १ वर्ष, साल । २ अध्याय प्रकरण ३ समय । ४ अवसर मौका - वि० (स्त्री० समी)
१ समान, तुल्य, बराबर । या घुमाव रहित, सीधा । ५ जैसा । ६ ऊपर, पर । ७ ही, सामने सम्मुख १० ज्योंहि । सम्म वि० [स० श्याम ] काला, श्याम । सम्मत पु० [सं०] १ इकरारनामा करार कोल सम्मति । ३ विचार ।
د.
२ सोधा, सरल । ३ चक्कर - क्रि०वि० ४ होते ही । पर । ८ तक, पर्यन्त । ११ देखो 'समय' ।
। २ राय,
सम्म सम्मानपु० [सं०] सम्मान] चादर, प्रतिष्ठा सम्मा-वि० १समान, तुल्य । २ देखो 'समा' | सम्पास वि० [० मास] सूर्य के पुजारी, सूर्यपूजक सम्मुख, सम्मुह - वि० [सं० सम्मुख ] सम्मुख, समक्ष । सम्मूढ़ - वि० [सं०] १ मोह युक्त । २ टूटा हुआ, भग्न ।
३ ढेर लगा हुमा ।
समूह - देखो 'समूह' ।
सम्मेटणी (बी) - देखो 'समेटणी' (बो) ।
सम्मेलन - पु० [सं०] १. किसी कार्य या उद्देश्य विशेष से एकत्र मानव समाज, समूह । २ बहुत बड़ा प्रायोजन। ३ मिलाप, सगम । ४ जमाव, जमघट ५ कोई बहुत बड़ी संख्या । सम्मे-देखो 'समय' ।
सम्मोह (न) पु० [सं०] सम्मोहन ] कामदेव के पांच बाणों
में से एक ।
सम्मोही (बौ) - देखो 'समोहणी' (बो) ।
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सम्मो देखो 'समो' ।
सम्यक - वि० [सं०] १ पूरा समस्त । २ यथेष्ट । ३ यथार्थ, विशुद्ध ।
सम्यकचरित्र - पु० [सं०] विशुद्ध धार्मिक धाचरण । (जैन) सम्यकत्व - पु० [सं०] नव तत्व एवं छः द्रव्यों में दृढ़ श्रद्धा होने का भाव (जैन) ।
सभ्यो- देखो 'समय' ।
सम्रत- । १ देखी अति' २ देखो 'समरथ' ।
देवस्तता' ।
सम्रतीपद पु० कवि ।
सस्रत्थ, साथ देखो 'समरथ' ।
सम्मति स्त्री० १ सलाह, राय । २ अनुमति । ३ भिप्राय | सम्मद-देखो 'समुद्र' |
सम्मन पु० [अ० समन ] न्यायालय में उपस्थित होने के लिये सम्हाळणी (बौ) - देखो 'सभाळणी' (बो) ।
जारी किया गया प्रादेश, , सूचना सम्मर पु० १ वैभव, ऐश्वयं २ देखो 'समर' ३ देखो 'स्मर' संम्मळा स्त्री० १ एक देवी विशेष । २ चील । ३ यमुना । - वि श्याम वर का ।
सम्मयों (बौ)-देखी 'समाणी' (बी)। सम्मसेर देखो 'समसेर'।
सयन
सम्रद्ध - पु० [सं० समृद्ध ] घृतराष्ट्र कुल में उत्पन्न एक नाग । - वि० सम्पन्न वैभवशाली ।
सम्रद्धि, सम्रद्धी- स्त्री० [सं० समृद्धि] अत्यधिक सम्पन्नता । सधीक - वि० समृद्धिशाली वैभवशाली । सम्रागी सी स्त्री० [सं० सम्राज्ञी ] सम्राट की पत्नी, पटरानी ।
सम्राट पु० [सं०] सम्राट] १ राजाओं का राजा, राजाधिराज, बादशाह । २ वह राजा जिसने राजसूय यज्ञ किया हो । सम्स - पु० [सं० शम्स] १ रोशनदान । २ सूरज, सूर्यं ।
सकळ - देखो 'सांकळ' ।
सयगार - देखो 'सिणगार'
सयत - वि० [सं० सचितक] उतावला, उत्तेजक, व्याकुल । सयद पु० १ स्वर्ण, सोना । २ शयन । सयबर, सयंवर, सयंवरु- देखो 'स्वयंबर' । सय पु० [सं० प्रायः ] १ हाथ । २ निद्रा, नींद । ३ शय्या, सेज, खाट ४ सर्प विशेष - वि० १ समस्त, सब । २ देखो 'सौ' । ३ देखो 'सं' । ४ देखो 'स्वयं' । सयगहोबोस पु० गृहस्थी के यहां से स्वयमेव चाहार लेने पर
लगने वाला दोष ।
सयण स्त्री० १ सखी सहेली । २ देखो 'सयन' । ३ देखो
''। सयणाचार पु० [सं० स्वजनाचार ] १ अपनों का सा व्यवहार । २ सज्जनता का व्यवहार ।
सयरणी- देखो 'संरणी' ।
सयब - देखो 'संयद' ।
सयन पु० [सं० शयनं ]
२ निद्रा, नींद। ३
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१ सोना क्रिया, विश्राम, धाराम । शय्या, सेज । ४ संभोग, मैथुन
- प्रारती स्त्री० देव मंदिरों में होने वाली रात्रि की अंतिम भारती पर मंदिर होने का स्थान, - पु० । शयनागार, शयनकक्ष ।
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समनपुन
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सारण, सांरगड - देखो 'सांगो' । सपरिणय- देखो 'संप' सवारी वि० (स्त्री० सी
( ७३१ )
सवनपुन पु० [सं० शयनं पुष्यं] पलंग आदि के दान से मिलने वाला पुण्य ।
सयनबोधिनी स्त्री० [सं० शयन बोधिनी] मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी |
सपना स्त्री० प्रग्नि, प्राग । सपनीय स्त्री० ० शय्या, सेज ।
सारसी स्त्री० [सं० सयकादशी] धाबाद मास के शुक्ल -पक्ष की एकादशी ।
समंत पु० [सं०] स्यमंतक] पुराणोक्त एक प्रसिद्ध मणि ।
सयमुखि क्रि०वि० सम्मुख, प्रत्यक्ष ।
सयर, सयर, सरि, सयद- १ देखो 'सिर' । २ देखो 'सरीर' । सयळ- वि० [सं० सकल ] १ सब समस्त । २ ससार । ३ देखो 'सेल' ।
सयवर - देखो 'स्वयंबर' ।
१ तत्वज्ञानी ब्रह्मज्ञानी २ समझदार, बुद्धिमान । ३ चतुर, होशियार । ४ सरल स्वभाव वाला, सीधा 1 ५. ची पूर्त ६ पूर्ण युवा वयस्क । ७ जानकार, विज्ञ । ८ जादू-टोने जानने वाला 8 चिकित्सक, वैद्य १० वृद्ध, बूढ़ा । सयानक पु० गिरगिट । -go
सयानप - देखो 'संरा' ।
सयानी देखो 'वाणी' ।
सयी-देखो 'सखी' ।
सध्या स्त्री० [सं० शय्या] १ पलंग यादि पर विद्या विस्तर, बिछोना। २ सोने लायक पलंग, चारपाई ।
। -
सम्पातर पु० [सं०] जैन साधुओं को ठहरने का स्थान देने बाला व्यक्ति पिड० इस प्रकार से ठहरे साधु को दिया जाने वाला भोजन । सय्यापाळ- पु० [सं० शय्यापाल ] राजा के शयनागार का
प्रबन्धक ।
सरंगौ-१ देखो 'सुरंगों' । २ देखो 'सारंग' |
सरंजाम देखी 'सरावाम'
सरभर - वि० सराबोर, तरबतर । संर- पु० [सं० शरः] १ बाण, तीर । २ दुग्ध, दूध । ३ दूध की मलाई । ४ लडियों का हार, कंठा । ५ गति, गमन । ६ जुलाब की धोषधि । ७ छोर, सिरा ८ हथेली में रेखानों से बना तीर का निशान । ९ सागर, समुद्र । १० तालाब, जलाशय । ११ पानी, जल । १२ कूप, कूप्रा । १३ जल प्रपात करना । १४ बांध की बनी नीची भूमि जिसमें वर्षा के पानी से फसल होती है । १५ पक्ष ।
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सरकी
१६ सरपत जाति का एक पौधा, सरकंडा । १७ दो मात्रा क दो लघु का नाम । १८ छप्पय छन्द का एक भेद । १६ प्रशंसात्मक काव्य । [फा० सर] २० सिर, मस्तक । २१ एक प्रकार का वस्त्र । २२ हिमपात, पाला । २३ ताश के खेल में जोत वाली वाल । २४ रस्सी, डोरी । २५ जीत, विजय । २६ पांच की संख्या । २७ सात की सख्या । वि० १ दबाया हुआ । २ हराया हुवा | ३ जीता हुप्रा विजित । ४ प्रमुख प्रधान । ५ उत्तम, श्रेष्ठ । ६ तीक्ष्ण, तीखा ७ समाप्त किया हुप्रा ।
- प्रत्य० १ शब्दों के अन्त में लगकर जो धनुसार व मुताबिक आदि बनाता है। २ पूर्वकालिक क्रिया के साथ
जुड़ने वाला शब्द ।
३ देखो 'स्वर' |
सरगना स्त्री० द्रौपदी । सरनजीतत-पु० प्रर्जुन । सरक पु० १ सरकंडा । २ शराब की प्याली चुस्की ३ मस्तक का कवच, टोप सरकड, सरकडि (डी) - पु०
२ बारण की लकड़ी ! ३ सरकंडा । सरकरणी (बी) - देखो 'सिरकणी' (बी) । सरकर, सरकरा - स्त्री० [सं० शर्करा ] २ शक्कर । ३ सूर्य, भानु ।
सरकराचळ - पु० [सं० शर्कराचल ] दान के लिये बनाया गया
शक्कर का पहाड़, ढेर |
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[सं० शर:- काण्ड ] १ नरकुल ।
१ बालू रेत ।
सरकरानु-स्त्री० शक्कर की गाय जो दान की जाती है। सरकस - वि० [फा० सरकश] १ विद्रोही, बागी । २ स्वेच्छाचारी, निरंकुश । ३ उद्दण्ड प्रशिष्ट । [४]कारी। कृतघ्न । ५ मुंहफट । ६ देखो 'सिरकस' । - पु० [अ०] १ कलाबाजियां दिखाने वाले स्त्री-पुरुषों का समूह, मंडली जिसमें जानवरों के करतब भी दिखाये जाते हैं । २ इस प्रकार किये जाने वाले खेल-तमाशे ।
सरकसी स्त्री० [फा० सरकशी ] १ उद्दण्डता, बदमाशी | २ विद्रोह, बगावत ।
सरकाली (बी) - देखो 'सिरकाणी' (बी) ।
सरकायल - वि० प्रवारा घूमने वाला । निठल्ला ।
सरकार स्त्री० [फा०] १ राज्यसत्ता, शासन । २ राज्य सभा, दरबार । ३ रियासत । - पु० ४ ईश्वर, प्रभु । ५ स्वामी, मालिक । ६ प्रादर सूचक एक सबोधन विशेष । सरकारी- वि० सरकार का, सरकार सबधी । राजकीय । सरकावणी (बी) - देखो 'सिरकारणों' (बो) । सरकेल - वि० १ खिसकने वाला । २ डरपोक, कायर । ३] सनकी, तुनक मिजाज ४ठी विद्द ५ उद्दण्ड सरकौ - पु० लज्जाजनक बात ।
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सरक्करणो
। ७३२ .
सरजोव
सरपकरणो (बो)-देखो 'सिरकणी' (ग)।
सरघा-स्त्री० [सं०] १ मधुमक्खी। २ भ्रमर । सरखड-पु० [सं० श्रीखण्ड एक प्रकार का कीमती वस्त्र । सरघात-स्त्री० [सं०] तीरदाजी। सरख, सरखाउ-देखो 'सारीखो' ।
सरड़-क्रि०वि० शीघ्र, झट । २ बँत प्रादि के प्रहार की ध्वनि । सरखरु(क)-क्रि०वि० सामने, सम्मुख ।
सरड़को-पु० १ वस्तु या अगों का परस्पर घर्षण, स्पर्श । सरखू, सरखो-देखो 'सारीखो'। (स्त्री. सरीखी)
२ऐसी घर्षण से पड़ने वाला निशान, चिह्न। ३ ऊंट की सरग-पु० [म. सगं] १ स्वभाव, प्रकृति । २ किसी ग्रंथ का चाल विशेष । ४ छड़ी या बेंत के प्राघात की ध्वनि ।
अध्याय, सर्ग। ३ शिव का एक नाम। ४ बाण, तीर । सरडाट, सरकाटो-पु. १ तेजी से दौड़ने या गतिमान होने से ५ देखो 'स्वरग'।
उत्पन्न ध्वनि। २ मुख या नाक से श्वास खींचने से उत्पन्न सरगट, सरगटो-पु. [देश॰] धूघट ।
ध्वनि । सरगरणी-पु० [फा० सर्गन] १ अगुवा, नेता, सरदार । २ डींग सरचरणौ (बो)-क्रि० १ किसी मूल्य पर विक्रय के लिये राजी हांकने या शेखी बघारने की क्रिया।
होना, सौदा पटना। २ जचना । -क्रि०वि० पीटना, सरगतरग, सरगतरगख (जी)-स्त्री० [सं० स्वर्ग-तरंगिणी] गंगा सजा देना। नदी, सुरसरी।
सरचाणो (बौ)-क्रि० १ किसी मूल्य पर विक्रय के लिये सहसरगदुवार (दुवारी)-देखो 'स्वरगद्वारी' ।
मत करना, सौदा पटाना । २ जंचाना, निपटाना । सरगनवी-स्त्री० [सं० स्वर्ग-नदी] गंगा ।
३ पिटवाना, सजा दिलवाना। सरगपत (ति, ती)-देखो 'स्वरगपति' ।
सरच्चंद्र, सरच्चंद्रमा-पृ० [सं० शरच्चन्द्र] शरत् ऋतु या शरत सरगपुर (पुरी)-देखो 'स्वरगपुरी'। .
पूर्णिमा का चन्द्रमा । सरगपूज-पु० [सं० स्वर्गपूज्य बृहस्पति ।
सरज-पु० १ एक प्रकार का ऊनी वस्त्र । [सं०सजं] २ मक्खन, सरगम-पु० [सं०] संगीत में सात स्वरों का समूह जो प्रत्येक | नवनीत। ३ शाल नामक वृक्ष। -स्त्री० ४ माला। राग के लिए अलग-अलग होता है।
-वि० सुजन करने वाला। सरगरा-स्त्री० एक अनुसूचित जाति विशेष ।
सरजक-पु० [सं० सर्जक] मट्ठा डाल कर फाड़ा हुमा दूध । सरग-रामान-पु. [स० स्वर्ग-राज] स्वर्ग का राजा, इन्द्र । सरजण-पु० [सं० सजन] १ सृष्टि, रचना, निर्माण। २ शल्य सरगरौ-पु० (स्त्री० सरगरी) 'सरगरा' जाति का व्यक्ति । चिकित्सक। सरगळ-वि० तरबतर, सराबोर ।
सरजणहार-वि० [सं० सृजणम्] १ सृजन करने वाला । सरगलोक (लोम)-देखो ‘स्वर लोक' ।
२ ईश्वर, विधाता । सरगवट-पु. [स० स्वर्ग-वाट:] स्वर्ग का मार्ग ।
सरजणी (बी)-क्रि० [सं० सुज] १ सृष्टि करना, सृजन सरगाजळ-पु. स्वर्ग।
करना। २ तय करना, निश्चित करना । ३ उत्पन्न या सरगापर (पुर, पुरि, पुरी)-देखो 'स्वरगपुरी'।
पैदा करना । ४ बनाना। सरगि-देखो 'स्वरग'।
सरजया-त्रिी हिंगल गीत (छन्द) रचना की एक विधि । सरगिका-स्त्री० एक वणिक वत्त विशेष ।
सरजनमा, सरजम्न-पु० [सं० सरजन्म] १ कमल । [स० शरसरगुजस्त (जस्थ)-स्त्री० [फा० सर+गुजश्त] १ स्वयं पर | जन्मन् ] २ स्वामि कात्तिकेय । स्कन्द ।
बीती बात । २ जीवन चरित्र । ३ वर्णन, बखान । | सरजळ-पु. १ तीरों का जाल । २ माया जाल। ३ देखो सरगुरण-देखो 'सगुरण'।
'सजळ'। सरगुरिणयो, सरगुणो-वि० १ सगुण ब्रह्म का उपासक । सरजळाइग्यारस-स्त्री० भाषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की २ देखो 'सगुण'।
एकादशी। सरगूडो-पु. एक वृक्ष विशेष ।
सरजस. सरजसका-स्त्री० [सं० सरजस्] रजस्वला स्त्री। सरगोसी-स्त्री० [फा० सरगोशी] १ कानाफूसी, गुफ्तगू । सरजाम-देखो 'सराजाम'। २ पीठ पीछे की जाने वाली मालोचना, निंदा ।
सरजा-पु० [फा.रजाह] १ श्रेष्ठ व्यक्ति। २ सरदार । सरगौ-पु० शुभ रग का घोड़ा।
३ सिंह, शेर । ४ देखो 'सरजस' । सरग (ग्गो)-देखो 'स्वरग' ।
सरजित, सरजित्त, सरजीत-बि० । हरा-भरा, सरस, सजळ. सरग्रह, सरघर-पु० [सं० सर-गह] १ जल, पानी। [सं० शर-| २ पानन्दित, हर्षित, खुश। ३ सजीव । ४ रचित । - गृह] २ तूणीर, तरकस ।
५ विजयी। ६ सचेतन ।
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सरजीवरण
सरतन
सरजीवण-देखो 'सजीवण'।
सरगाणो (बौ)-कि० तेज ध्वनि व मावाज करना । सरजीवत-देखो 'सजीव'।
सरणाय, सरणायत-१ देखो 'सरस्सागत'। २ देखो 'सहनाई। सरजु सरजू, सरज्यु-देखो 'सरयू' ।
सरणायांसाधार, सरणायांसोहड़(ड), सरणासधार, सरणासाधार सरनोड, सरजोर-देखो "सिरजोर'।
-वि० शरणागत वत्सन, शरणागत को रक्षा करने वाला। सरज्जणी (बो)-देखो 'सरजणी' (बी)।
सरणारथी-वि० [सं० शरणार्थिन] शरण या अभय चाहने सरत-पु० [सं० शरटः] १ गिरगिट । २ कुसुम । ३ पवन, वाला, शरण में पाया हुमा ।
वायु। ४ धागा । -स्त्री० ५ निशाना लगाने की क्रिया। सरणि, सरणी-वि. १ शरणार्थी । २ शरण देने वाला, ६ देखो 'सरठ'।
पाश्रयदाता। -स्त्री० [सं० सरणि, सरणी] १ दो सरटि, सरटो-पु० [सं० सरटिः] १ पवन, हवा। २ बादल, पर्वत श्रेणियों के बीच का तंग संकरा मार्ग, घाटी। मेघ । ३ छिपकली। ४ लाजवती स्त्री।
२ मार्ग, रास्ता। ३ सीधी रेखा। ४ गले का रोग सरठ-पु. १ सरकार द्वारा निश्चित अनाज का भाव । _ विशेष । ५ ढग, तोर, तरीका। ६ भूमि, जमीन ।
२माल क्रय-विक्रय का एक नियम विशेष। ३ निशाना, ७ देखो 'सरण'। लक्ष्य । -बंदियो, बंधियो-पु. सरकार द्वारा निर्धारित सरणी-पु० प्राश्रय, शरण । कीमत पर बिकने वाला सामान । माल ।
सरणी (बी), सरणी (बी)-क्रि० [सं० सृ] १ सिद, होना, सरग, सरदो-पु. (स्त्री० सरडी, सरढ़ी) ऊंट ।
सफल होना । २ बनना, पूर्ण होना। ३ पार पड़ना । सरण-स्त्री० [स० शरण] १मात्रय, पनाह । २ प्रोट, पाड़। ४ शक्ति या सामर्थ्य के प्रमुखार होना । ५ कार्य का निर्वाह
३ सहास । ४ वात-विकार के कारण होने वाला रोग होना, पूरा होना । ६ लक्ष्य सिद्ध होना। ७ परिपूर्ण होना, विशेष । ५घर, मकान। ६ रास्ता, पथ। ७मात्रय पर्याप्त होना । ८ संभव होना । ९ होना। १.रूप, गुण स्थल, बचाव स्थान । ८ विधाम, प्रवास। १ कोठरी, मादि का किसी से मेल खाना । ११ चमना, निमना । कमरा । १० भगवान विष्णु का एक नाम । ११ मागे ममन १२ घूमना, फिरना, विचस्ति होना । १३ व्यतीत होना, करने की क्रिया या भाव। १२ लोहे का जंग। -वि. बीतना । १४ पड़ना, विवश होना । १५ रहना, परना । १ शरण में पाया हुमा, शरणामत । २ गतिशील । ३ | सरोदेवो-स्त्री० चौहानों की कुल देवी का नाम। पश्चिमी राजस्थान का एक क्षेत्र विशेष ।
सरण्य-वि० [स.] १ शरणागत की रक्षा करने वाला। सरणईसातार, सरणसधार (साधार)-देखो 'सरणायांसाचार'। । २ जिसका भाग्य खराब हो। -पु. [सं० शरण्यं] १ माश्रय सरगांव-देखो 'सरलाट'।
स्थल, पाश्रय स्थान । २ रक्षा करने वाला व्यक्ति । सरलाई-वि० १ शरणागत, शरण में पाने वाला। २ देखो ३ रक्षा, सुरक्षा । ४ अनिष्ट, अपकार। ५ शिव, महादेव । ___'सहनाई।
सरण्या-स्त्री० [सं० शरण्या] दुर्गा का एक नाम । सरणाईराय-वि० राजा-महाराजामों को शरण देने वाला। सरण्यु-पु० [सं० शरण्युः, सरण्यु] १ रक्षा करने वाला व्यक्ति । सरणाईसधार, सरणाईसधोर, सरणाईसाधार, सरणाई- २ मेघ, बादल । ३ हवा, पवन । ४ वसन्त ऋतु । ५ यमसोहा (ड)-देखो 'सरणायांसाधार'।
राज, धर्मराज । ६ प्राग, अग्नि । ७ जल, पानी।-स्त्री. सरणागत-पु० [सं० शरणागत] शरण में पाया हमा जीव या ८ सूर्य की पत्नी का नाम । व्यक्ति ।
सरतग, सरतत-देखो 'सरतन'। सरणागति (ती)-स्त्री० [सं० शरणागति] १ शरणामत होने | सस्त-पु० [सं० शरद] १ संवत्, वर्ष। [सं० शर] २ तीर, की क्रिया या भाव । २ देखो 'सरणामत'। .
बाण । ३ सरोवर, तालाब। -स्त्री० [म. शतं] ४ किसी सरणाट-पु. १ फूक वाद्यों(शुषिर) से उत्पन्न ध्वनि; मावाज । कार्य या बात की सिद्धि के लिए जरूरी बातें, शर्त, कोम
२ तीव्र गति से उत्पन्न ध्वनि, सनसनाहट । ३ छकी या बेंत | वचन । ५ दाव, पेच, बाजी। ६ दाव पर लगाने का धन । के प्रहार की ध्वनि । ४ प्रस्त्र की गति। ५ पक्षी ७ कत्र्तव्यः । ८ देखो 'सरिता'।
मादि के उड़ने की बनि । -क्रि०वि० तीव्रता से तेजी से। सरलमधीस-पु० [स० सरिता-प्रधीश] समुद्र। सरणाटे (है)-क्रि०वि० तेजी से, वेग से।
सरतकाळ-देखो 'सरदकाळ' । सरणाटो-पु० [सं० सनष्ट] १ निस्तब्धता, सुनसान व शान्त | सरतन, सरतन-पु० १ इंतजाम, बदोबस्त, प्रबन्ध । २ सामान,
वातावरण, सन्नाटा। २ पवनाघात । ३ मामसिक उत्त- सामग्री।३ साधन, उपाय । ४ वैभव. माथिक स्थिति। जना या चित्त की व्यग्रता, जोश । ४ तेज वायु की ध्वनि ।। ५ पाचरण, बर्ताव, व्यवहार ।
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सरतनाह
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( ७३४ )
सरतनाह, सरतपत (पति, पती) - पु० [सं० सरिता-पति] समुद्र,
सागर ।
सरतपूनम, सरतपुरणिमा- देखो 'सरदपूरमा'। सरतर-१० [सं०] सुरतम] १ कल्पवृक्ष २ सरोवर, तालाब सरतवरा देखो सरितिवरां' ।
सरतात ( पति, पती) - देखो 'सरतपति' ।
सरता पु० [सं०] [स] १ घोड़ा अभ्यस्त्री० [सं० शरता] २ बारण विद्या । ३ देखो 'सरिता' ।
-
।
सरताज वि० [फा०] सर० राज] १ श्रेष्ठ शिरोमणि । २ मुकूट छत्र ।
सरति-देखो 'सरिता' । सरतिया - क्रि०वि० मुताबिक सरतिवरा देखो 'सरितवरा'
-
सरत्काळ - देखो 'सरदकाळ' ।
,
सरथ पु० [सं०] एक ही रथ पर सवार योद्धा । सरखंड पु० [सं० शरदंड] १२ सरकंडा सरद स्त्री० [सं० शरद ] १ शरद ऋतु, शरद का २ तलवार । ३ तालाब, जलाशय । ४ वर्ष [सं०] सद] ५ पवन बाबु मेघ, बादल कली । ८ मधुमक्खी । ९ छोटा तंबू । वि० १ प्रधीन, विजित, अधिकार में । २ शीतल, ठंडा । ३ नपुंसक, नामदं । ४ धीमा, मंद । ५ सुस्त । ६ देखो 'सरहद' ।
७ खिप
सरवकांमी पु० [सं०] शरद् कामिन्] कुत्ता, श्वान
·
[प्र० शर्तिया ] अवश्य ही, जरूर । शतं के
मौसम |
संवत् ।
सरबकाळ- पु० [सं० शरद् कालः ] १ शरद ऋतु। २ शरतकालीन वातावरण ।
सरवणी (बी) -०१ ठंडा होना २ माई या नम होना । देखो 'सरी' (बी)।
सरवपदम (पद्म) - पु० [सं० शरद् - पद्म ] सफेद कमल । सरदपूनम ( पूरणिमा) - स्त्री० [सं० शरद पूर्णिमा] प्राश्विन मास की पूर्णिमा ।
सरवळ, सरबल - पु० मकानों के दरवाजे पर घाड़ा लगा पत्थर । सरवा, सरदवाई - स्त्री० १ एक प्रकार का वात रोग । २ हाथी का एक रोग विशेष ।
सरदा स्त्री० १ शरद ऋतु । २ वर्ष साल । ३ देखो 'सरधा'। सरदाह (ई) - स्त्री० १ शीतलता, ठंडक । २ प्रार्द्रता, नमी । सरबाबो- पु० [फा०सर्दाब] १ शीतल जल का स्थान । २ शीतल
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जल से स्नान । ३ तहखाना । ४ समाधिस्थल । सरदार- वि० उदार, दातार, दयालु -पु० [फा०] १ किसी मंडली का मुखिया, नायक । २ पति स्वामी । ३ प्रियतम । ४ प्रमीर, उमराव । ५ राजपूत जाति का व्यक्ति । ६ वीर पुरुष । ७ सिक्खों का एक संबोधन ।
सरप
सरदारी - स्त्री० [फा०] १ अध्यक्षता नेतृत्व । २ स्वामित्व । ३ सरदार होने का भाव या अवस्था ।
सरबि सरवी वी० [फा० सर्दी] १ शरद ऋतु २ ठंडक ३ जुखाम नामक रोग ।
सर देखो 'सरदो'।
सरदेसमुखी - पु० एक कर जो देश के उन प्रमुख इलाकों से वसूल किया जाता था जो मुसलमानों के माधिपत्य से हों के अधिकार में छाए हों ।
सरवाहीण (न) - वि० [प्रशनित कमजोर
सश्वमिजाज - वि० [फा० सर्दमिजाज ] १ शोल, संकोच रहित सरधि-पु० [सं० शरधि ] माथा, तरकस ।
२ ठंडे स्वभाव का।
सरध्धर देखो 'सरधर' ।
सरवरित रितु ) - स्त्री० [सं० शरद ऋतु] प्राश्विन व कार्तिक सरनंद-पु० [सं०] कमल ।
मास की ऋतु शीतकाल ।
सरांगत - देखो 'सरणागत' ।
समय सरनामी वि० १ प्रसिद्ध विख्यात २ श्रेष्ठ, मुरुष - पु० पत्र के ऊपरी भाग का लेख, शीर्षक, पता । सरपंच, (पंखी)- पु० [सं० मरा] एक प्रकार का प सरपंच पु० [सं० शर-पंच] १ कामदेव २ ग्राम पंचायत का
अध्यक्ष या पंचों का मुखिया ।
सरप पु० [सं० सर्प ] १ सांप, नाग । २ शेषनाग । ३ ज्योतिष
सरबौ- पु० [फा० सर्द : ] १ एक जलचर पक्षी विशेष । २ एक प्रकार का खरबूजा जो अधिकतर काबुल में होता है। ३ राजपूत व चारण स्त्रियों द्वारा पति को किया जाने वाला सम्मान सूचक प्रभिवादन । ४ नमस्कार, प्रणाम । सरद्द ० १ एक वृक्ष विशेष २ देखो 'सरद' देखो 'सरहद' । सरहणादेखो 'सरल'।
सरध-पु० [सं० शर्ध] १ दल, समूह २ बल, ताकत । ३ प्रपान वायु का त्याग |
सरधना पु० [सं० ] मान्यता दृष्टिकोण। सरधरणी (बी) - क्रि० १ मानना स्वीकार करना। २ विश्वास करना । ३ पूजना, प्राराधना करना । ४ मान्यता देना । सरधनुधार, सरधनुधारी- पु० [सं० शर-धनुषधारी ] प्रर्जुन । देखो सरपर वि० धनुरी २३ तरकस
'सिरधर' । सरधा - स्त्री
कार्य सम्पादन की योग्यता, क्षमता शक्ति । २ बल, शक्ति । ३ हैसियत, बिसात, प्रौकात ४ हिम्मत, साहस । ५ देखो 'श्रद्धा' ।
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सरपक
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५ नाग
का एक प्रशुभ योग । ४ ग्यारह रुद्रों में से एक । केसर । ६ पृथ्वी, भूमि । ७ पक्षी ८ गमन । मध्य लघु की पांच मात्रा का नाम ।.१० देखो 'सरवि' । - अरि-पु० गरुड़, मयूर, मोर, नेवला।-काळ, काल-पु० गरुड़ नेवला मोर - स्टू-पु० सांप का विष दंत, विष देत का घाव । - पति-पु० शेषनाग - प्रिय-पु० चंदन :- भुज-पु० मयूर, मोर, सारस, बडा सर्प-माळी-पु० शिव, महादेव । - राज-पु० शेषनाग । विद्या स्त्री० सर्प को वश में करने की विद्या ।
( vix )
सरपक ( ख ) - १ देखो 'सरप' । २ देखो 'सरपिख' । सरपगंधा स्त्री० [सं० सर्पगंधा ] नागदवन नामक एक जड़ी सरपगत, ( गति, गती ) - स्त्री० [सं० सपंगति ] १ सर्प के समान चाल, कपट चाल, वक्रगति । २ कुटिल प्रकृति वि० कुटिल, वगति वाला। सरपड़ो-देखो 'सरप' ।
सरपतीह-स्त्री० [सं० सर्प जिला] १ एक प्रकार की बटार
२ कोई कटार ।
सरपट - स्त्री० १ घोड़े की एक तेज चाल । २ दौड़ते हुए चलना । - क्रि० वि० तेजी से शीघ्रता से ।
सरपणी - स्त्री० [सं० सर्पिणी] नागिन, सांपिन ।
सरगड़ तेज पु०चिपटे सरपारि सरपारी- पु० [सं० सर्पारि ] नेवला ।
मयूर
सरपास देखो 'सिरपाव' ।
१
का पोड़ा जो शुभ माना जाता है।
गरुड़ । २ मोर,
सरफ पु० [० शरफ] १ बड़ाई २ सोभाग्य ३ महत्व | सरकणी (बी) कि० हवा में फरना, हवा के झोंके खाना, हिलना-डुलना
सरफल १० [सं०] शर-फलम् ] तीर की नोक ।
सरफास - स्त्री० घास-फूस आदि का नुकीला भाग । सरकी - पु० १ प्रौषधि में काम पाने वाला एक पौधा विशेष । [फा० सर्फ | २ खच, व्यय । ३ फिजूल खर्च, अपव्यय । ४ मितव्ययता । ५ गुजर-बसर । सरबंग-पु० [म० सर्वाग] १ सब देह सब अंग २ एक सय । विशेष । ३ दवा बांटने (पीसने ) का संगमरमर का घोटा
,
|
४ देखो 'सरभंग' क्रि०वि० पूर्ण रूप से, सर्वथा 1 सरबंगी- वि० १ साम-दाम प्रादि नीतियां जानने वाला, नीतिज्ञ । २ देखो 'सरभंगी' ।
सरब १ देखो 'सरभ' २ सरबगळ-वि० १ सबको
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सरबंद (ध) - पु० [सं० शरबंध] १ शिर पर बांधा जाने वाला वस्त्र पड़ी साफा २ स्थियों के शिर का प्राभूषण विशेष |
३ एक प्रकार का यज्ञ ।
सरबजी० [सं०] सर्वजीव] ब्रह्मा का एक नाम। सरबत - पु० [प्र० शवंत] १ फल, मेवे शादि का, शक्कर की चासनी के साथ बना रस २ गुड़ चीनी प्रादि का पोने लायक रस । ३ मुसलमानों में सगाई की एक रश्म । ४ इस रश्म के अनुसार कन्या पक्ष की घोर से वर पक्ष को दिया जाने वाला घन ।
सरबती पु० [० मरवती ] कुछ पीलापन लिए लाल रंग का एक नगीना । २ एक प्रकार का वस्त्र । ३ नींबू की एक जाति । ४ एक प्रकार का ग्राम। वि० १ शरबत का, शरबत संबंधो। २ रसदार, सरस । ३ हल्का पीला व सुखं ।
सरपासण (न) - पु० [सं० सर्प-प्राशन् ] १ गरुड़ । २ मोर, मयूर । ३ नेवला । ४ भगवान विष्णु ।
सरबाटो 'सर सरवदा-देखो 'सरवदा'।
।
।
सरपाहार पु० [सं०] सर्व चाहार) १ नेवला २ मोर, मयुर सरबमंगळा स्त्री० [सं०] सर्वमंगला] तांत्रिकों को एक देवी ] । १३ गरुड़ [सं० सर्प द्वारं] ४ शिव, महादेव ।
[सं० सर्पिष ] घृत, घी ।
सरपि, सरपिख, सरपिखि (खी ) - पु० सरपेच- देखो 'सिरपेच' । सरपोस पु० [फा०] सरपोश] बाल यादि ढकने का वस्त्र
सरपो, सरप्प-देखो 'सरप' ।
करने वाला । ३ देखो 'सरवग्रास' ।
सरबसुख
देखो 'सरव' |
हजम करने वाला । २ सबको स्वाहा
सरग्यांनी सरजांस देखो 'सरवानी।
सरबजीत - वि० [सं० सर्वजित्] सबको जीतने वाला, सर्वोत्तम, ० १ काल या मृत्यु २ इक्कीसवां संवत्सर ।
सर्वश्रेष्ठ
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सरमुख- देखो 'सरखमुख' ।
सरबर-१ देखो 'सरोवर' । २ देखो 'सराबोर' । सरबरस पु० [सं० सवरसं] ज्ञान वि० बारा सरबरा, सरबराह - स्त्री० [फा० सरबराह ] १ खातिर, भाव
भगत । २ प्रावभगत करने की सामग्री । ३ प्रबन्ध, व्यवस्था - वि० १ प्रबंधक, व्यवस्थापक । २ स्वागतकर्त्ता । ३ मजदूरों का मुखिया ।
सरबराकार पु० [फा०] सरवराह] व्यवस्थापक, प्रबंधकर्ता सरबरित पु० [सं० सर्वरत] १ शिव, महादेव । २ श्रीकृष्ण । ३ ईश्वर । सरबरी-देखो 'सरवरी' ।
सरबलील- वि० सब पदार्थ खाते वाला, सर्वभक्षी । सरबस - देखो 'सरवस्व' ।
सरबसहा देखो 'सरवसहा' ।
सरबसुख- पु० [सं० सर्व सुखम् ] पानी, जल ।
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सरबसुहागरण
सरळा
सरबसुहागरण-स्त्री. सधवा, सौभाग्यवती ।
मिन्दा । सरवस्व-देखो 'सरवस्व'।
सरमांन-पु० मान सरोवर । सरबांणी-देखो 'सरवाणी'।
सरमा-स्त्री० [सं० शर्मन्] १ ब्राह्मणों की एक उपाधि, उपनाम । सरबूद-पु० खेमा, तम्बू ।
[सं० सरमा] २ कश्यप ऋषि की पत्नी का नाम । सरबेण, सरबेत-वि० [सं० सव] मब, सम्पूर्ण, समस्त ।
३ विभीषण को पत्नी का नाम । ४ देवतामों की एक सरबेस. सरबेसर, सरबेस्वर-देखो 'सरवेस्वर'।
कुतिया। ५ कोई कुतिया ।। सरब्ब-देखो 'सरव'।
सरमारणो (बो)-क्रि० १ लज्जित होना, शर्माना । २ सकोच सरभंग-पु० [सं० शरभग] १ श्रीराम के अनन्य भक्त एक करना । ३ खिसियाना। ४ लज्जित करना, शमिन्दा
महर्षि । २ एक परिगणित जाति । [सं० सरभग] ३ अघोर करना। पथ का नाम ।
सरमाळ, सरमालू-वि० लज्जा व शमं रखने वाला। सरमंगी-पु० [सं०] १ अघोर पंथ का अनुयायी व्यक्ति । सरमावरको (गे।-देखो 'सरमारणो' (बी)। २ सरभंग जाति का व्यक्ति ।
सरमासरमो-स्त्री० परस्पर लज्जा करने का भाव । सरभ-पु० [सं० शरभः] १ भगवान विष्णु का एक नाम । सरमाहरणो (बो)-देखो ‘सरमाणो' (बो)।
२ श्रीराम की सेना का एक बन्दर । ३ श्रीकृष्ण सरमिदी-स्त्री. १ निन्दा, बदनामी । २ लज्जा, शमं ।
के एक पुत्र का नाम । ४ हाथी का बच्चा। ५ ऊट। सरमिदगी-वि० (स्त्री सरमिदी) जिसे शमं पाती हो, लज्जित । ६ एक प्रकार का मग। ७ सिंह, शेर। ८ माठ | सरमोलो-वि० (स्त्रो० सरमोली) स्वभाव से लज्जाशील । पैरों वाला एक प्रति बलवान जीव । ९ टिड्डी। | सरमु-पु० [सं० श्रम] १ युद्ध, लड़ाई। २ वाद-विवाद, बहस । १० पतंगा, शलभ । ११ एक प्रकार का वर्ण वृत्त । ३ प्रतियोगिता । ४ प्रयत्न, कोशिश । १२ दोहे का एक भेद विशेष । १३ 'स्कधाण' नामक गाथा सरम्म-देखो 'सरम'। का एक भेद । १४ छप्पय छन्द का ३१वां भेद ।-वि० सरया-स्त्री० [सं० शर्या] १ रात्रि, रात । २ अगुली। पोत, पीला।
सरयु, सरयू-स्त्री० [सं० सरयुः, सरयू] १ अयोध्या के निकट सरभखड़ो-पु० अघोरी, मोघड़।
बहने वाली, पुराण प्रसिद्ध नदी । २ पवन, वायु, हवा । सरभर-स्त्री० बराबरी, समानता।
सरर-स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ जुलाहों के काम पाने वाली सरभरा, सरभरि, सरभरी-१ देखो 'सरबरा'। २ देखो बांस की छड़ी। 'सरवरी'।
सरराज-पु० [सं०] समुद्र, सागर । सरभि-देखो 'सुरभि'।
सरराटो-पु० हवा प्रादि तेज गति से चलने से उत्पन्न ध्वनि । 'सरभू-पु० [सं० शरभूः] स्वामि कात्तिकेय ।
सरराणो (बो)-क्रि० १ हवा का तेज गति से सर-सर करते सरभेस, सरभेसर, सरभेस्वर-पु० [सं० शरभेस्वर] एक शिव बहना । २ तीर गोला शंदि तेज गति से चलना। लिंग विशेष ।
सरळ, सरल-पु० [सं० सरल].१ बाल, केश। २ चीड़ का सरमंदगी-स्त्री० [फा० शर्मन्दगी] १ लज्जा, शर्म । २ पश्चा- वृक्ष । ३ एक प्रकार का पक्षी । ४ अग्नि । ५ भाला । ताप, पछतावा।
६ बिजली, विद्युत ।-वि० १ सीधा, सरल, प्रबक्र। २ तेज, सरमंदो-वि० लज्जित, शमिन्दा ।
तीव्र । ३ सहज, मासान । ४ छल-कपट रहित, भला । सरम-स्त्री० [फा० शमं] १ लज्जा, शर्म । २ इज्जत, प्रतिष्ठा। ५ ईमानदार।
३ संकोच । [सं० शर्मन] ४ हर्ष, मानन्द । ५ घर, | सरलउ-वि० दीर्घ, प्रलंब। मकान । ६ सुख । ७ विष्णु । ८ देखो 'सम'।
सरळक-पु० [सं० शरलकम] १ जल, पानी। २ एक प्रकार सरमणो (बो)-क्रि० १ युद्ध करना, झगड़ा करना। २ प्रति- का सर्प।
योगिता करना । ३ बहस करना। ४ प्रयत्न या कोशिश सरलगतजथा-स्त्री. डिंगल गीत रचना का एक विधान जिसमें करना ।
दृष्टान्त अलंकार युक्त मालोपमा होती है। सरमधारी-वि० शर्म को धारण करने वाला, शमिला। . सरळता, सरलता-स्त्री. १ सोधापन, सहजता । २ निष्कपटता, सरमल्ल-पु० [सं० शरमल्ल] १ सारिका पक्षी, मैना । २ तीर भलाई। ३ सुगमता, सुविधा। ४ ईमानदारी, सच्चाई। चलाने में दक्ष, धनुर्धर ।
सरळधर, सरलधर-पु० [सं० सरलधर] बादल । सरमसार-वि० [फा०] १ लज्जाशील, शमिला। २ लज्जित, सरळा, सरला-स्त्री० [सं० सरला] १ काली तुलसी। २ चीड़
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सरली
सरव - पु० [सं० शर्वः, सर्व ]
का वृक्ष । ३ घोड़ों की एक नस्ल । वि० १ एकदम सीधा । २ सहज, सुगम । ३ निष्कपट, निश्छल । ४ त्राहिमाह की पुकार
सरली- स्त्री० एक प्रकार का प्राभूषण विशेष । सरलोक-१ देखी 'स्लोक' २ देखो 'सिलोक' |
विष्णु । ३ श्रीकृष्ण ।
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( ७३७
१ शिव, महादेव । २ भगवान ४ ग्यारह रुद्रों में से एक। - वि०
सरबग - वि० जिसकी गति सर्वत्र हो ।
सरवगति - वि० जो सबको शरण व माश्रय देता हो । सरगळ ० पास वि० पूर्ण रूप से प्रस्त ।
सब समस्त |
1
सरयकरणी स्त्री० पुरुषों की बहुतर कलाओं में से एक सरवकरता पु० [सं० सर्वकर्ता] ब्रह्मा । सरयकरमा पु० एक सूर्यवंशी राजा का नाम सरवकांमवी० [सं० [सर्वकामद] भगवान विष्णु सरaniमका स्त्री० [सं० सर्वकामदुक" ] कामधेनु । सरवकाळ पु० [सं०] सर्वा] यमराज
सरबगंध- पु० [सं० सर्वगंध ] १ इलायची २ कपूर । ३ केसर ४ दालचीनो । ५ अगर ६ नाग केसर । ७ लौंग । ८ शिलारस ।
सरबड़ - पु० [सं० सर्व चूड] महादेव का चूड़, चंद्रमा ।
सरबजित पु० [सं० सर्वजित] १ इक्कीसवें संवत्सर का नाम । २ कश्यप ऋषि के एक पुत्र का नाम ।
सरवण पु० [सं०] सरवस] १ यह स्थान जहाँ स्कन्द का जम्म दुधा । २ एक प्रकार की घास ३ देखो 'स्रवण' | सरवरपति - स्त्री० सास श्वसुर की सेवा करने वाली स्त्री । सरवरण (ब)- क्रि० [सं० अबति, सरापयति ] १ टपकना, चूमना । २ तेज गति से दौड़ना, भागना । ३ शाप देता । सरवतापन- पु० [सं० सर्वतायन] १ सूर्य, सूरज । २ कामदेव । सरवतोभद्र - पु० [सं० सर्वतोभद्र ] १ विष्णु के रथ का नाम । २ पारों बोर से खुला भवन, प्रासाद ३ एक प्रकार का सैनिक म्यूह ४ योग का एक घासन या मुद्रा ५ एक
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प्रकार का चित्रकाव्य । ६ नीम का पेड़ ७ बांस । ८ जल के अधिष्ठाता वरुण देव का निवास स्थान सरवतोमुख पु० [सं० सतोमुख] १ शिव, महादेव २ चग्नि
श्राग । ३ जल, पानी । ४ ब्रह्मा । ५ स्वगं । ६ प्राकाश । ७ एक प्रकार का सैनिक व्यूह ।
सरवत्र क्रि० वि० [सं० सर्वत्र] हर जगह प्रत्येक स्थान पर २ हर समय ।
सरवत्रय पु० [सं०] सर्वजन] १ वायु, पवन २ मनु के एक पुत्र का नाम । भीम का एक पुत्र ।
सरवत्रगांमी पु० [सं० सर्वत्रगामिन् ] वायु, पवन ।
सरवया कि० वि० [सं०]
बंधा] १ सब प्रकार से हर तरह से २ बिल्कुल निरा ३ सर्वत्र ।
सरवदेवमयर पु० [सं० सर्वदेवमयस्थ] त्रिपुर नाश के लिये, विश्वकर्मा द्वारा रचित शिव का दिव्य रथ
सरवरीपत
सरववेवेस - पु०चौसठ भैरवों में से एक । सरदधारी० [सं०] सर्वधारिन्] १ शिव, महादेव २ साठ संवत्सरों में से बाईसवां संवत्सर ।
सरवनांम पु० [सं०] सर्वनाम ] व्याकरण में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाला शब्द ।
सरवनास - पु० [सं० सर्वनाश ] विध्वंस, सत्यानाश ।
सरवग्य - वि० [सं० सवंश ] सर्वज्ञ । पु० १ ईश्वर २ शिव, सरवप पु० [सं० सर्वप] १ राई । २ सरसों । ३ एक तोल
महादेव । ३ पोसठ भैरवों में से एक । ४ देवता ।
सरवण्यांनी पु० [सं० [सर्वज्ञानी] सब कुछ जानने वाला, सर्वज्ञाया।
पत्नी ] १ लक्ष्मी २ पाती। पर्वत] कैलास पर्वत
सरवण्याता पु० [सं०] सर्वशाता]] १ सब कुछ जानने वाला। सर्वज्ञाता । २ ईश्वर । ३ शिव, महादेव ।
विशेष । ४ एक प्रकार का विष सरबपत्नी स्त्री० [सं०] सरपरबत पु० [सं०] सरवपरि- अव्य० १ सब तरह से । २ बिल्कुल । ३ पूर्णतया । ४ सर्वत्र, सब जगह । सरवमक्षा, सरवमखा स्त्री० [सं० सर्वपक्षिका ] १ बकरी । २ प्रग्नि, भाग ।
सरवास १० [सं०] सर्वग्रास] सूर्य या चांद का पूर्ण पहरा सरवड़ी - वि० मूसलाधार ।
सरवचारी- वि० [सं० सर्वचारिन् ] सब में विचरण करने या सरवमंगळा- स्त्री० [सं० सर्वमंगला ] १ चौसठ योगिनियों में से रमने वाला पु० शिव, महादेव
एक २ पार्वती । - वि० सबका कल्याण करने वाली । सरबमुख पु० [सं०] सर्वतोमुखम् ] पानी, जस ।
सरवर पु० [सं० शर्वर ] १ अधकार, अंधेरा २ कामदेव, मनोज । ३ देखो 'सरोवर' ।
सरवरा देखो 'सरबरा' ।
सरवरि-१ देखो सरवरी' । २ देखो 'सरोवर' ।
सरवरियो - देखो 'सरोवर' ।
सरवरी - स्त्री० [सं० शर्वरी ] १ रात्रि, निशा । २ स्त्री, भोरत । ३ हल्दी । ४ बृहस्पति के साठ संवत्सरों में से चोलीसवां संवत्सर ।
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सरवरीकर - पु० [सं० शर्वरीकर ] विष्णु ।
सरवरीदीप, सरबरीदीपक पुं० [सं० शव दीपक [] चन्द्रमा, पांद सरबरीपत (पति, पती) पु० [सं० शवशेषति] १ शिव, महादेव
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सरवरूप
।
७३८ )
सरसको
२ चन्द्रमा, चांद।
सरवात्मा-पु० [सं० सर्वात्मा] १ सब को पात्मा । २ परमात्मा, सरवरूप-वि० [सं० सर्वरूप] सर्व स्वरूप ।
ईश्वर । ३ शिव । सरवलोकेस-पु० [सं० सवलोकेश] १ ब्रह्मा । २ शिव । ३ विष्णु। सरवानुभूति-पु. भूतकाल के छठे तीर्थंकर का नाम । (जैन) ४ कृष्ण।
सरवानुवाद-पु० [सं० सर्वानुवाद] सम्पूर्ण अनुवाद । सरवलौह-पु० [सं० सर्वलोह, तांबा, ताम्र ।
सरवारण-स्त्री० [सं० शरवारण] तोरों की बोछार रोकने की सरववरति-स्त्री० [सं० सवविरति] हिंसा मादि का सम्पूर्ण ढाल । त्याग।
सरवारथसिद्धि-पु० [सं० सर्वार्थ सिद्धि] १ सबसे ऊपर का लोक, सरववलमा (बल्लमा)-स्त्री० [सं० सर्ववल्लभा] १ वेश्या ।। सर्वोच्च देवस्थान । २ गौतम बुद्ध।.३ समस्त पयों की २ कुल्टा स्त्री।
सिद्धि । ४ तत्त्वार्थ सूत्र की टोका का नाम । सरवविद-पु० [सं० सर्वविद्] १ शिव, महादेव । २ बुद्ध देव । सरवारा, सरवारी-स्त्री. हरड़े, हरीतकी। -वि० सब जानने वाला, सर्वज्ञ ।
सरवालि-पु. बाण, तीर । सरवव्यापक, सरवव्यापी-पु० [सं० सर्वव्यापिन्] १ सर्वव्यापी | सरवाळे सरवाल -क्रि. वि. अंत में, प्राखिर में ।
परब्रह्म, ईश्वर । २ शिव, महादेव । ३ विष्णु ।-वि० जो सरवावसु-पु० [सं० सर्वावसु] सूर्य की एक किरण का नाम । सर्वत्र व्याप्त है।
सरवि-वि० [सं० सर्व] सब, समस्त।, - सरवसहार-पु० [सं० सर्व-संहार काल, मृत्यु ।
सरविद्या-स्त्री० [सं० शर-विाद्य] धनुविद्या। सरवस-१ देखो 'सरवस्व' । २ देखो 'सरवसहा'।
सरवेत-वि० [सं० सर्व:] १ सब, समस्त । २ सर्वस्व । सरवसह, सरवसहा-स्त्री० [सं० सर्वसहा] भूमि, धरा । सरवेस, सरवेस्वर-पु० [सं० सर्वेश्वर] १ ब्रह्मा। २ ईश्वर । सरवसाक्षी, सरवसाखो-पु० [सं० सर्वसाक्षिन्] १ ईश्वर, | ३ शिव, महादेव । ४ विष्णु । ५ जो सब का स्वामी है।
परमात्मा। २ अग्नि, प्राग । ३ वायु, पवन, हवा। | सरवोड़ो-वि० प्रतिध्वनि करने वाला । पावाज वापस देने वाला। सरवसाधन-पु० [सं० सवं साधन] १ सोना, स्वर्ण। २ शिव, | सरवी, सरवी-पु० [सं० सवा] १ हवनादि में घी की प्राहुति महादेव । ३ धन, दौलत ।
देने की लकड़ी की छोटी करछी। २ जल पात्र से पानी सरवस्रो-पु० [सं० सर्वश्री] कई व्यक्तियों का एक साथ नाम होने लेने का छोटा लौटा या पात्र ।-वि. (स्त्री० सरवी) शीघ्र पर सर्व प्रथम लगने वाला विशेषण, सर्वश्री।
सुनने वाला। सरवस्व-वि० [सं० सर्वस्व] १ सब कुछ। २ पूर्ण, पूरा। सरव्य-पु० [सं० शरव्य] १ लक्ष्य, निशाना । २ तीरंदाज ।
३ सार । ४ प्रमूल्य, महत्वपूर्ण ।-पु० समस्त धन-सम्पत्ति | सरवरी-देखो 'सरवरी'। प्रादि।
सरस पु० [सं०] १ तालाब, जलाशय । २ सिरस का वृक्ष । सरवहर-वि० [सं० सर्वहर] सर्वस्व हरण करने वाला ।-पु० [देश॰] ३ रीति, रश्म । ४ छप्पय छंद का ३५ वां भेद ।
१ शिव, महादेव । २ अग्नि, प्राग। ३ काल, मृत्यु । ५ एक वर्ण वृत्त । ६ "मोहणी" नामक छन्द ।-वि० ४ धर्मराज, यमराज।
१ रसपूर्ण, रसीला । २ समान, तुल्य । ३ जोश पूर्ण, सरवहार-पु. एक प्रकार का प्राभूषण विशेष।
जोशीला । ४ प्रीति सहित, प्रेम पूर्ण । ५ पल्लवित, हग सरवांग-पु० [सं० सांग] १ सम्पूर्ण शरीर, सब अवयव । भरा । ६ अपेक्षाकृत प्रच्छा। ७ सुन्दर, मनोहर । सजल, - २ शिव, महादेव।
माई, नम । ६ स्वादिष्ट, जायकेदार । १० उत्तम, पवित्र । सरवांगासन-पु० [सं० सर्वाङ्गासन] योग के चौरासी प्रासनों ११ मधुर, मीठा । १२ भाव पूर्ण। १३ श्रेष्ठ, उत्कृष्ट । में से एक।
१४ गुणकारी, लाभप्रद । १५ ताजा । १६ मानन्द पूर्वक, सरवांगीण-वि० [सं० सर्वाङ्गीण] १ सभी अंगों या अंशों से प्रेम सहित । १७ सुखप्रद । १८ प्रत्यधिक, बहुत ।
युक्त । २ सम्पूर्ण, पूरा । ३ सभी अंगों या भागों से संबंधित। १६ देखो 'सरस्वती'। सरवाणी-पु० [स० शरः+वाणि] १ तीर का सिरा। २ धनु- सरसइ, सरसई, सरस उ-देखो 'सरस्वती'। .. घर, तीरंदाज । ३ तीर बनाने वाला । ४ पैदल सिपाही।
सरसज्या-स्त्री० [सं० शर-शय्या] तीरों की सेज। -स्त्री० [सं० शर्वाणी] ५ पार्वती, उमा। ६ दुर्गा, देवी। | सरसणी (बी)-क्रि० १ होना। २ हराभरा होना। ३ रसपूर्ण . सरवाक-पु० [सं० शरावक] १ प्याला । २ दीपक।
होना, रसयुक्त होना। ४ प्रवाहित होना। ५ बरसना । सरक्षाक्ष-पु० [सं० शर्वाक्ष] १ रुद्राक्ष । २ शिव ।
६ मानन्दित होना, प्रफुल्लित होना । ७ गुणकारी या सरवातीत-वि० [सं० सर्व प्रतीत] सब से परे, दूर, बाहर।। लाभदायक होना।
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सरसत
(
७३९ )
सरहरति
सरसत (ति, ती, ति, ती)-देखो 'सरस्वती'।
सरसूषण-देखो 'सूथण'। सरसतीसयन-पु० पाश्विन मास.के प्रारंभ में मूल नक्षत्र व सरसेज्या, सरसंजा-देखो 'सरसज्या' श्रवण नक्षत्र पर्यन्त का समय ।
सरसेरो-वि० अधिक, ज्यादा। सरसर, सरसराट-पु. [मनु.] १ वायु की मंदगति से उत्पन्न सरस-वि० समान, तुल्य, सहश ।
ध्वनि । २ सपं प्रादि के रेंगने से उत्पन्न ध्वनि ।-क्रि० वि० सरसयो-पु. ऊट । धीरे-धीरे ।
सरसो-वि० [सं० सदृश्] समान, तुल्य । सरसराणी (बी)-क्रि. १ सर-सर ध्वनि होना । २ सनसनाना। सरस्यू-देखो 'सरसू'। सरसरी-क्रि०वि० [फा० सरासरी] १ जल्दी। २ साधारणतया, | सरस्वत-वि० [सं० सरस्वत्] १ रसदार, रसीला। २ सुन्दर, मोटे तौर पर । -स्त्री० [सं० सुरसरी] गंगा।
, मनोहर । ३ भाव पूर्ण । -पु. १ समुद्र, सागर । २ नदी, सरसव (वि, वी)-देखो 'सरसू।
सरिता ।३ झील । ४ वायु पवन। सरसवणी (बो)-देखो 'सरसों ' (बी)।
सरस्वती-स्त्री० [सं०] १ सत्वगुणों से सम्पन्न वाणी एव ज्ञान सरसवान-पु० समुद्र, सागर ।
की अधिष्ठात्री एक देवी, शारदा। २ वाणी, गिरा। सरसवेल-पु० [सं० सपतैलम्] सरसों का तेल ।
३ भाषा। ४ भारत में बहने वाली एक प्रति प्राचीन नदी। सरसांणो-देखो 'सरसावणों'।
५ कोटेश्वर के पर्वत से निकल कर कच्छ की खाड़ी में सरसा-वि० १ स्वादिष्ट, रसपूर्ण । २ श्रेष्ठ, उत्तम ।
गिरने वाली एक नदी। ६ गिरनार के जगलों में बहने वाली सरसाणी (बी)-क्रि० हराभरा होना। २ शोभित होना । एक अन्य नदी। ७ लूनी नदी की पूर्वोत्तर नदी का
३ मालूम होना, प्रतीत होना । ४ खुश होना, प्रफुल्लित नाम । 5 साबरमती नदी का एक नाम । ९ गंगा-यमुना होना। ५ बढ़ना, फैलना । ६होना । ७ फैलाना, बढ़ाना। के संगम के समय मिलने वाली नदी। १० गौ, गाय। ८ दिखाना, प्रकट करना, बतलाना । ९ बजाना, ध्वनि ११ दशनामी संन्यासियों की एक शाखा । १२ इस करना।
शाखा का कोई व्यक्ति । १३ चौसठ योगिनियों में से एक। सरसायन-पु. भक्तिरस ।
१४ हठ योग की सुषुम्ना नाड़ी। १५ सोमलता। १६ दुर्गा सरसाळ-वि०१ महत्वपूर्ण, महत्व की। २ फायदे की, फायदे का एक नाम । १७ नदी, सरिता। १८ उत्तमा स्त्री।
मन्द, लाभप्रद । ३ रसपूर्ण, रसयुक्त।४मानन्द दायक। १९ बौद्धों की एक देवी । २० कर्नाटक पद्धति की एक सरसावखो-वि० (स्त्री० सरसावणी) १ रसिक, रसीला । रागिनी।
२ प्रकटित । ३ शोभित । ४ मानन्ददायक। ५ मधुर, | सरस्वतीकंठाभरण-पु० [सं०] १ ताल के साठ भेदों में से एक । मीठा । ६ प्रकट करने वाला।
२ एक प्राचीन पाठशाला जो धारनरेश भोज द्वारा स्थापित सरसावरण (बो)-देखो 'सरसाणी' (गे)।
की हुई थी। सरसि-वि०१ मोठा, मधुर, रसपूर्ण । २ सुसज्जित । सरस्स-देखो 'सरस'। सरसिज-वि०१ललाई लिये हुए श्वेत रंग का। २ जो ताल | सरहंग-पु० [फा०] १ सेनापति । २ पैदल सिपाही।३ चौबदार।
में होता हो। ३ काला, श्याम। ४ लाल, रक्त ४ कोतवाल । ५ पहलवान, मल्ल । -पु. कमल ।
सरह-स्त्री० [५० शरह] १ किसी विषय को टीका, व्याख्या । सरसिजजीनि (योनि)-पु. [सं० सरसिजगोनि] कमल से उत्पन्न २ दर; भाव। ३ ऋतु विशेष में होने वाला, फल तथा फल - होने वाले, ब्रह्मा:
विशेष की ऋतु । ४ ऋतु फल का मास्वादन ।-वि०स्थिर, मसिब-देखो 'सरसू"।।
प्रचल । २ देखो 'सरभ' । ३ देखो 'सरहद'। ४ देखो सरसी, सरसीऊ-स्यो० [सं० सरसी] १ तालाब, जलाशय । ___'सुरभि'। २ बांध । -वि० बराबर, समान ।
सरहद-स्त्री० [म.] १ किसी देश, राज्य या प्रदेश की सीमा। सरसीय-वि०१ समान, सहश । २ देखो 'सरसिज'।
हद । २ सीमान्त प्रदेश । सरसीरह, सरसीरह-पु० [सं० सरसीकह] १ कमल । २ कर्नाटक | सरहदी-वि० [म.] १ सीमा का, सीमा संबंधी। २ सीमा पद्धति का एक राग।
रक्षक। सरसुति, सरसुती (त्ति,ती)-देखो 'सरस्वती'।
सरहर, सरहरउ-देखो 'मिरहर'। सरसू-स्त्री० [सं०सर्षप] राई से कुछ बड़े दानों वाला एक | सरहरति, सरहरी-स्त्री० लगातार सीधी व समान रूप से बहने प्रसिद्ध तिलहन।
| वाली नदी।
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सरहा
सरहा स्त्री० [सं० सुरभि ] १ गाय, गो । २ पृथ्वी । सरही - ५० एक वर्ण वृत्त विशेष |
सरांई-स्त्री० ० एक प्रकार का, मिट्टी का पात्र ।
सरांगो-देखो 'सिरहाणी' ।
सरांपती पु० [सं०] सरन्पति] समुद्र सागर तालाब सरोवर ।
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सरांराज पु० महास
सरा- स्त्री० १ प्रशंसा, प्रानन्द । २ फल-फूल या फसल विशेष का मौसम, ऋतु । ३ ऋतुफलों का प्रास्वादन । ४ भूभाग ५ किला, दुर्गं । ६ महल, प्रासाद । ७ सराय । सराइ (ई, ही ) - स्त्री० १ 'बलोच' के अन्तर्गत एक मुसलमान कौम । २ देखो 'सराय' ।
( ७४० )
7
सराम (ग, मी) - वि० १ राम सहित ३ रसपूर्ण, प्रेम सहित सप्रेम प्रेमी ५ प्रासक्त । सराड़ (ड़ौ ) - पु० १ तीव्र भागने की क्रिया या भाव। २ तेज, दौड़ । ३ घोड़े की तेज भागने की चाल । ४ तेज गति से उत्पन्न ध्वनि । सराजांम पु० [फा० सरंजाम ] १ व्यवस्था, प्रबन्ध २ तैयारी । ३ सामान, सामग्री । ४ वंभव ।
'खादपूनम' । सरावंज-पु० १ तीरों का पेरा, सरकोटा २
२ मधुर भावाज में । ४ स्नेह करने वाला,
निंदा या भर्त्सना करना ।
सरापू-देखो 'सराप'।
सराप पु० [सं० शाप: ] १ महित सूचक शब्द, बदुधा, शाप २ शपथ । ३ गाली । ४ निंदा, भर्त्सना । ५ दोष, कलंक ६ देखो 'सराफ' |
=
सराफ - पु० [प्र०सर्राफ ] स्वर्ण-चांदी के प्राभूषणों का व्यापारी । सराफा (बाजार ) - पु० १ सोने-चांदी का व्यापार, व्यवसाय । २ वह स्थान जहां सोने-चांदी का व्यवसाय होता है । सराफी - वि० १ सोना-चांदी या प्राभूषणों का व्यवसाय । २ सर्राफ ।
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शाला, मुसाफिर खाना २ ठहरने का स्थान | सरायचो-देखो "सिरायची'
सराब पु० [अ०शराय ] मद्य मदिरा यांनी १० मदिरालय | - खोरों, वार- वि० शराब पीने का प्रादी, शराबी । सराबी - वि० [० [अ० शराबी ] शराब पीने वाला, मद्यप । सराबोर - वि० १ तरबतर, लथपथ । २ व्याप्त । सराय - स्त्री० [फा०] १ यात्रियों के ठहरने का स्थान. धर्म
सराणी (बो)- क्रि० १ प्रशंसा
।
करना, सराहना करना । २ सम्पादित करना । ३ भोजन करना । ४ तीर्थस्थानों में प्रस्थि विसर्जन करना । सराहली (बी) देखो 'राणी' (बी)। सराव सराध-देखो बाढ'पस, पच वाढपक्ष'।-पूनम- सरि-स्त्री० [सं०सरि ] १ नदी सरिता [सं० सर] २ माला 'स्राद्ध'-पक्ष, = ३ भार्या गीति (खंधारण) नामक गाथा का एक भेद । ४ ललाट पर बनाई जाने वाली खड़ी रेखा, तिलक । - वि० १ समान, तुल्य २ देखो 'सरीर' । ३ देखो 'सर' । सरिका - स्त्री० [सं०] १ मुक्ता, मोती । २ मोतियों की माला । ३ ताल-तलैया । ४ रत्न ।
सरायत - पु० [अ०] १ प्रवेश । २ प्रधान । ३ देखो 'सिरायत' । सरारि, सरारी स्त्री० १ टिटहरी नामक बड़ी चिड़िया - पु० २ श्रीराम की सेना का एक यूथपति ।
सरारोप- पु० धनुष, कमान ।
सरारो- वि० १ श्रेष्ठ, उत्तम । २ समान बराबर ।
सरियत
सरालउ - वि० पूर्ण, पूरा, सम्पूर्ण ।
सराव पु० [सं०] शराब ] १ कटोरा २ दीपक । ३ मिट्टी का
बना मद्य पात्र ।
-
सरावगी पु० [सं० धावक] १ जैन धर्मावलंबी एक जाति विशेष । २ इस जाति का व्यक्ति ।
सरावली (बी) देखो 'राणी' (बो)।
सरावर सरावरण- पु० [सं० शरावर ] १ ढाल । २ कवच । सरावाप - स्त्री० [सं०] शर-आवाप ] धनुष, कमान । सरास, सरासर सरासन पु० [सं० शरासन) १ धनुष, कमान २ धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम ।
सरासर - प्रव्य० [फा०] १ पूर्णतया, बिल्कुल । २ साक्षात प्रत्यक्ष । ३ सर्वत्र ।
सराय (बी० [१] शाप देना, बद्दुद्मा देना २ धिवकारना, सरिखउ सरि सरिखो-देखो 'सारीखों'
- क्रि०१ ।
सरिर देखो 'सरल' ।
सरित-देखो 'सरिता पत, पति, पती 'सरितापति' । । सरितव (वरा) देखो 'सरितिवरा'।
परिता स्त्री० [सं०] सरित्] १ नदी २ धारापत, पति, पती, पत्त, पत्ति, पसी - पु० समुद्र, सागर । सरिति-देखो 'सरिता' ।
सरासरी - स्त्री० १ शीघ्रता, तीव्रता । २ स्थूलरूप से धनुमानतः । ३ देखो 'सरासर' ।
सराह [स्त्री० [१] प्रशंसा, सराहना, तारीफ २ कीर्ती, यक्ष ३ धर्मशाला, सराय ।
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सरितिवरा ( सरिद्वरा ) स्त्री० [सं० सरतवरा ] गंगा नदी सरियं पु० [सं०] सुरेन्द्र ] इन्द्र
सरियउ देखो 'सरियों
सरियत ( स ) - पु० [ प्र०] १ धार्मिक कानून । २ धर्मशास्त्र । ३ मार्ग, रास्ता । ४ एवज, बदोलत ५ वफादारी, स्वामी धर्म ६ चोटा रास्ता, राजमार्ग |
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सरियाई
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( ७४१ )
सरियाद - स्त्री० राम की प्रनम्य भक्त एक कुम्हारी, स्त्री । सरियो - पु० १ सरकंडों का पूधाल । २ लोहे की लंबी छड़ । ३ देखो 'सर' ।
सरिवरि स्त्री० र समानता, बराबरी । २ पक्ष, विपक्ष । सरिस, सरिसउ, सरिसि- क्रि०वि० १ साथ में, साथ । २ देखो
'सारियो' ।
सरिसव - देखो 'सरस्" ।
सरितु, सरिसो-देखो 'सारिखी'
सरिस्ता पु० [फा०] किसी विभाग का कार्यालय, महकमा सरी - स्त्री० १ क्यारियें सींचने के पानी की नाली । २ एक व्यय जो पनी बात पर जोर देने के लिये प्रयुक्त होता है । ३ देखो 'स्त्री' । ४ देखो 'सरि' । ५ देखो 'सिरी' | सरीकंठ पु० [सं० श्रीकंठ] गले का एक प्राभूषण, कंठी । सरीक- वि० [० शरीक] १ सम्मिलित, शामिल । २ सहायक, मददगार, साथी ३ हिस्सेदार, भागीदार। ४ देखो "सारीखो" ।
सरीकी - वि० १ साथ रहने वाला, साथी । २ रिश्तेदार, संबंधी । सरीको, सरीख, सरीखी-१ देखो 'सारीखों' । २ देखो 'सरीक' । सरीवर सरीवर सरी, सरीखो-देखो 'सारीखों' । सरगत देखो 'सरीकत' ।
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सरोबर
सरी सरी - स्त्री० संगीत के सात स्वरों का प्रालाप, रागालाप | सरीसौ-देखो 'सारीखो' |
सरु - क्रि०वि० [प्र० शुरूम] प्रारम्भ, प्रारम्भ, प्रादि । -पु० [सं० शरु ] १ वज्र २ तीर, बाण । ३ प्रस्त्र-शस्त्र । ४ क्रोध, गुस्सा । ५ एक गंधर्व का नाम । ६ तलवार की मूठ । वि० १ वास्तविक, सही । ३ देखो 'सरी' | ३ देखो 'सार' |
सहठ वि० कोष पूर्ण, सक्रोध।
सरूप पु० [सं० स्वरूप ] १ नाथ सम्प्रदाय के योगियों का कुण्डल विशेष । २ हाल, वृत्तान्त । ३ तरह, भांति, प्रकार । ४ देखो 'स्वरूप' । वि० १ सुन्दर, मनोहर । २ समान, तुल्य । ३ समरूप हमशक्ल । सरूपमान (न) देखो 'स्वरूपवान' सरूपसाही - पु० मेवाड का एक प्राचीन सिक्का । सरूपांत सरूपात देखो 'सरूपोत' ।
सरुपियाँ सपी-देखो 'सरूप, स्वरूपी' ।
सरकत सरकता स्त्री० [अ०] शरीकत] १ शरीक होने की सरूपोत क्रि०वि० १ प्रारंभ में २ पहले-पहल ३ सर्वप्रथम भवस्था या भाव। २ साझा, हिस्सा ।
४ शुरुवात, पहल ।
सरूपौ पु० १ नजारा, प्राश्चर्यजनक बात । २ देखो 'सरूप' । समो-देखो 'सलूभी' ।
सरेज - वि० श्रेष्ठ, उत्तम । पु० [सं० शरेज] स्वामिकात्तिकेय । सरेव स्त्री० रीति-रिवाज, प्रथा
[सरेस पु० [सं० शिरीष] १ एक वृक्ष विशेष २ एक लसदार
पदार्थ ।
"
सतनामी पु० साझे संबंधी शर्तों वाला पत्र | सरीत सरीती कि०वि० १ रीति से उम से नियमानुसार २ देखो 'सरीयत' । सरोपाळ- पु० चंदन |
सरीफ - पु० [ध० शरीफ] १ भला व शिष्ट व्यक्ति । २ कुलीन व्यक्ति । - वि० उत्तम, पवित्र ।
सरीयत - देखो 'सरियत' ।
सरोड़- वि० सीधा-सादा, भला ।
सरीर - पु० [सं० शरीर ] १ किसी प्राणी की देह, काया, तन । २ मृत शरीर, शव ३ शारीरिक शक्ति ४ मस्तिष्क -- पु० कामदेव, रोग, बीमारी, पुत्र, बेटा, काम वासना । - प्रति स्त्री० पानीवि -संस्कार, संस्कार पु० गर्भाधान से अन्येष्टि तक के शरीर के जह सस्कार । शरीर को स्वस्थ रखने की क्रिया ।
सरोज पु० [सं०] १ कमल २ श्वेत, सफेद ३ लाल रक्त सरोजिनी स्त्री० [सं०] १ कमल वाला तालाब २ कमल का पोधा । ३ ब्रह्मा । ४ गौतम बुद्ध । वि० कमल का, कमल संबंधी ।
सरोतर, सरोतरि, सरोतरी - वि० समान बराबर ।
सरीरक पु० [सं० शरीरक] १ सन, देह, शरीर २ छोटा सरोती पु० सुपारी मादि काटने का उपकरण - वि० समान
शरीर [सं० शरीरक] ३ जीवारमा
बराबर ।
सरीत पु० [सं०] शरीरात] १ शरीर का अंत, मृत्यु, मौत ।
२ अंत्येष्टि ।
सरीस - १ देखो 'सरेस' । २ देखो 'सरी'। ३ देखो 'स्रीकंठ' । ४ देखो 'मारीखो' । ५ देखो 'सरि' | सरोसप पु० [सं० सरीसृप ] सांप, सर्प ।
सरे- १ देखो 'सिरे' । २ देखो 'सरह' ।
सरोकार - पु० [फा०] १ लगाव, मतलब, संबंध । २ मेलमुलाकात ।
सरोकारी - वि० सरोकार रखने वाला । सरोल-देखो 'सरोव' ।
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सरोद स्त्री० १ एक प्रकार का तार वाद्य । २ देखो 'सरोवो' । सरोबो, सरोधी पु० [स० स्वरोदय ] नासास्वर ( नाक का श्वास) से शुभाशुभ फल बताने की विद्या, सगुन सरोबर, सरोबार - वि० १ तरबतर । २ समान, सदरा | ३ देखो 'सरोवर' |
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सरोभर
। ७४२ )
सलहटी
सरोमर-वि० समान, तुल्य ।
छुटकारा दिलाना। सरोरुह-पु० [सं० सरोरुह] कमल ।
सळणी (बौ)-देखो 'सुळणी' (बी)। सरोली-पु. एक प्रकार का प्राम ।
सळत, सलता-देखो 'सरिता'। सगेवर-पु० [सं सर-वर] १ सागर, समुद्र । २ तालाब, | सलतनत-स्त्री० [५०] १ शासन, हुकूमत । २ राज्य, बादशाहत ।
जलाशय । ३ झील। -वि० समान, तुल्य, बराबर । | सळताळ-स्त्री० चमक-दमक । -क्रि०वि० साथ-साथ, परस्पर ।
सळदी (द्दी)-देखो 'सरहदी' । सरोस-पु० [सं०- सरोष] १ जोश, उमंग। २ प्रावेग। ३ तेज। सलप-वि० प्रल्प, थोड़ा। -वि०१ जोशपूर्ण । २ नाराज, क्रोधित ।
सळपळाट, सळपळाट (हट), सळफळाट सळफळाट (हट)-स्त्री. सरोसरि, सरोसरी-वि० १ एक समान, बराबर । २ ठीक-ठीक, १हवा के झोंके से पौधे प्रादि में होने वाली हल-चल, साधारण रूप में।
कम्पन । २ बल खाते हुए हिलने-डुलने की क्रिया। सरी, सरी-पु. १ कंधे की तरह दांतों वाला एक कृषि उपकरण, ३ फुसफुसाहट । ४ अधिक चुस्ती या फुर्ती दिखाने की दंताली । २ प्रथा, परिपाटी।-वि० सही, सत्य ।
स्थिति । ५ चचलता । ६ चित्त की खिन्नता । सरोवर-देखो 'सरोवर'।
सलब-क्रि०वि० पास, निकट । सलंझ-पु० शामियाने का खंभा।
सलबो (भी)-वि० (स्त्री० सलबी) १ पास, करीब । सलम-वि० [सं० सुलभ] सहज, सुलभ ।
२ लाभान्वित सळ, सल, सळ-पु. १ समतल या सपाट वस्तु में पड़ने वाले | सलम-पु०[सं० शलभ:]१ टिड्डी । २ पतंगा। ३ देखो 'सुलभ'।
मोड़, सलवटें, सिकुड़न, शिकन । २ वृद्धावस्था, क्रोधादि सलभी-१ देखो 'सलबौ' । २ देखो 'सलम' । के कारण चमड़ी में पड़ने वाली, रेखाएँ, झरौं। ३ प्रपंच, सलल-देखो 'सलिल'। बंधन । ४ नाश, संहार । ५ खलिहान में पड़ी गेहू' की सलळणी (बी), सललो (बो-देखो 'सालुळणी' (बी)। कटी फसल का ढेर । ६ दुश्मनी, शत्रुता। ७ ऊंट। सळवट-स्त्री०१ शिकन, सिकुड़न, सिलबट । २ चाबुक, कोड़ा। ८ भाला, बरछी। ९ कष्ट, पीड़ा। १० ब्रह्मा। -वि. सळवळ-स्त्री. १ रेंगकर चलने को किया । २ सर्प मादि जीवों १ सीधा, सरल । २ नोकदार, नुकीला । ३ मारने वाला, के शरीर से होने वाली हरकत, हलचल । ३ ऐसी हरकत बध करने वाला।
से उत्पन्न ध्वनि । ४ जनरव. कोलाहल । ५ अफवाह, चर्चा, सळइ-पु० [सं० शल्लको] एक प्रकार का वृक्ष ।
कानाफुसी। ६ हलचल, स्फुरन । ७ स्वागत, बंदगी, सेवा। सलकजा-देखो 'सलकीजा'।
८बिजली की चमक । सळकरणो (बो)-क्रि० १ खिसकना, भागना, चुपके से भाग | सळवळणो (बो), सळवळरणो (बो)-क्रि० १ रेंगना, रेंग कर
जाना । २ चमकना, दमकना। ३ हिलना, चल-विचल चलना । २ पंदा या उत्पन्न होना। ३ कांपना, धूजना । होना । ४ वक्र गति से चलना।
४ गतिमान होना, हिलना-डुलना । ५ सर्प भादि जीवों के सळकी, सळकीजा-स्त्री० मछली।
शरीर में हलचल या हाकत होना। सळक्करणौ (बो)-देखो 'सळकणो' (ग)।
सळवळाट-देखो 'सळबळ' । सळक्षरण, सलक्षण-देखो 'सुलक्षण।
सळवाट-देखो 'सिलावट'। सळगणे (बी)-देखो 'सिळगणो' (बी)।
सलवार, सलवार-स्त्री. १ पजामें की तरह का एक अधोवस्त्र । सळगारगो (बो)-देखो 'सिळगारणो' (बी)।
२ वह मादा ऊंट जिसके साथ उसका बच्चा भी हो। सळग्गरणी (बी)-देखो "सिळगणो' (बी)।
सलवी-स्त्री० वह भेड़ जिसकी ऊन काटी नहीं गई हो। सलज (ज्ज)-वि० लज्जाशील, सुशील।
सळवी-पु. १ संशय, शक, सदेह । २ कपट, धोखा । ३ देखो सलजणी (बी)-क्रि०१ लज्जित होना,शर्माना । २ संकोच करना। 'सलबौ। सलज्जणी (बी)-देखो 'सलजणी' (बी)।
सळसळणी (बौ), सलसलणी (बो)-क्रि० १ हिलना-डुलना, सलटणौ (बो)-क्रि० १ किसी समस्या का मिटना, कठिन कार्य हरकत करना। २ लचकना, डोलना। ३ तरंगित होना ।
से निपटना । २ कार्य पूर्ण होना । ३ काम सधना, सफलता | ४ ढीला या खोखला होना । मिलना । ४ छुटकारा पाना, मुक्त होना ।
सलसूत्र-पु० सलाह सूत्र । सलटारपो(बी), सलटाबरणो (बो)-क्रि० १ निपटाना । २ सुल- | सलह-देखो "सिलह' ।
झाना। ३ सुधारना । ४ करना, साधना । ५ मुक्ति या | सलहटी-देखो सिलहटी'।
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सलहदार
( ७४३ )
- सलूक
सलहदार, सलहिवार, सलहीदार-देखो 'सिलहदार'।
३ प्रशंसा, सराहना । ४ स्वाभिमान । ५ चापलूसी । सलाम, सलामठी-पु. [म. सलाम] १ नमस्कार, अभिवादन । | ६ इच्छा, अभिलाषा ७ सेवा, परिचर्या ।-वि०१ लाभयुक्त । २ वदना, स्तुति।
२ सुन्दर, अच्छा। सलामत-वि० [५० सलामत] १ एक मांगलिक सम्बोधन । | सलाहसूत-पु० विचार-विमर्श ।
२ जो सकुशल हो। ३ सुरक्षित । ४ पूर्ण, पूरा । ५ जीवित, | सलिद्री-स्त्री० द्रौपदी का एक नाम ।
जिन्दा । ६ स्वस्थ, तन्दुरुस्त । ७ मौजूद, उपस्थित। सलिता-देखो 'सरिता'। सलामति (ती)-स्त्री० [अ० सलामती] १ सलामत होने की सलिताकत-पु. समुद्र ।
अवस्था या भाव । २ अमन, चैन, शांति । ३ स्वस्थता, | सळियळ-ति १ सम्पूर्ण, पूर्ण रूपेण । २ देखो 'सलिल'। तन्दुरुस्ती। ४ देखो 'सलामत'।
सळियौ, सळियौ वि० (स्त्री० सळो) १ घास-फूस, ककर-पत्थर सलामी-स्त्री० [अ० सलमई] १ प्रणाम, नमस्कार, अभिवादन | से रहित । २ स्वच्छ, साफ । ३ सीधा, सरल ।
की क्रिया । २किसी उच्चाधिकारी का सैनिक दल द्वारा | सिलल, सलिलि-पु० [सं०] जल, पानी -चर-पु. जलचर किया जाने वाला स्वागत । ३ किसी के स्वागत में किया प्राणी ।-ज-पु. कमल ।-जन्मा-पु. कमल । कीचड़ । गया कार्य, तोप, मतिशबाजी धादि । ४ नित्य सेवा चाकरी ___ सिंघाड़ा । जल-चर ।-निध, पत, पति, पती, राज-पु. करने वाला । ५ एक निश्चित रकम जो अधीनस्थ जमींदार | समुद्र, सागर, वरुणदेव ।
अपने सार्वभौम शासक को कर के रूप में देता था। सलिलेंदर, सलिलेंद्र, सलिलेस, सलिलेसर (सुर, स्वर)-पु० १ जल सला'-देखो 'सलाह।
का देव, वरुण । २ समुद्र । सलाई, सळाई-स्त्री० [सं०शलाका] १ किसी धातु की बनी पतली | सळी, सळी-स्त्री०१ साही नामक, कांटेदार जीव । २ घास या
छड़ । २ कपड़ा, जरसो प्रादि बुनने का उपकरण, सूमा। बांस की नुकीली फांस । ३ देखो "सिळी' । ३ तीली, काड़ी।४ सालने' की मजदूरो। ५ पत्नी की सलीकाबंद, सलीकामंद-वि० शिष्ट, सभ्य । '
बहन, साली। ६ स्वर्णकारों का एक प्रोजार विशेष । सळीको-पु० रह-रह होने वाली पोड़ा, चीस, टीस । सलाक, सलाक (ख)-पु० [फा० सलाख] १ बाण, तीर। सलोको-पु०प्र० सलीक:] १ शिष्टता, सभ्यता। २ हुनर,
२ सर्प गति से बिजली की चमक । ३ मांस युक्त हड्डी का लियाकत । ३ योग्यता, तमीज । ४ प्रबंध, व्यवस्था । टुकड़ा जो साथ में पकता है । ४ सुरमा डालने की तीली।। ५ संधि, सुलह, समझोता। ६ सुघड़ापा । ५ तृण, तिनका । ६ रेखा, लकीर।
सळीटी, सळीटी-पु. रेंग कर चलने वाला जीव । सलाको-पु० [सं० शलाका] १ लोह या लकड़ी की सलाका।। सलोण-वि० मुग्ध, मोहित । . .
२ सुरमा लगाने की तीली।३ तीर, बाण। ४ भाला, सलीता-देखो 'सरिता'। बरछी । ५ छाते की तीली, ताडी। ६ पांव की नली को सलीती-पु० सामान डाल कर ऊंट पर लादने का जूट का हड्डा । ७ कोयल । ८ दांत साफ करने की कूची। ९ जूपा लम्बा थैला। द्यूत का एक पासा। १० पीडा, दर्द, चीस ।
सलीम-वि० [अ०] १ शांत, गम्भीर। २ शांतिप्रिय, सलाहणी(बी)-क्रि०१ मारना, पीटना । २ देखो 'सिलाड़णों (बौ) | सहनशील । सलाज-वि० लज्जावान, लज्जालु ।
सलीमकोट-पु० बह स्थान जहां प्रतिष्ठित सामन्तों को नजरसलाजीत-देखो 'सिलाजीत'।
बन्द रखा जाता था । (जोधपुर) सलाट, सलाटु, सलाटू-पु० [सं० शिलाघटक] १ दफन या | सलील-वि० [सं०] १ खिलाड़ी । २ लंपट; कामुक ।
अन्त्येष्टि के स्थान पर बनाया जाने वाला चबूतरा।। सलुक-देखो 'सलूक' । इमारत, स्मारक । २ सिलावट । ३ बीस तुला के वजन सलुणो-देखो ‘सलूगों'। का नाम । ४ कच्चा फल ।
सलू भरणी (बी)-क्रि० लूमना, लटकना। सलात-स्त्री० बिजली की चमक ।
सलूभौ-वि० लाभयुक्त, सलाम । सलाबति, सलाबती-१ देखो 'सलामत' । २ देखो 'सलामति' । सळू-पु० १ गेहूं, जो मादि की बाली पर होने वाले तीक्ष्ण रेशे, सलामोलि-पु० [सं० शलाभोलि] ऊंट ।
___ बाल । २ कांटा। ३ देखो 'साळू'। सलाव-देखो "सिळाव' ।
सलूक-पु० [प०] १ व्यवहार, बर्ताव । २ मेल-जोल, मेल सलासूत-पु०१ राय, सलाह । २ विचार-विमर्श ।
मिलाप । ३ शिष्टता, सभ्यता; अदब । ४ विचार । सलाह-स्त्री० [अ०] १ राय, सम्मति । २ विचार-विमर्श। ५ निर्वाह । ६ प्रबन्ध, व्यवस्था । ७ ढंग, तौर-तरीका ।
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सखी
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( ७४४ )
(बी) देखो 'सुला' (बी)।
सलूणी - वि० (स्त्री० सलूणी ) १ नमक सहित २ सुन्दर, मनोहर, सलोना अधिक ज्यादा ४ कान्ति युक्त, द्याभा युक्त । ५ स्वादिष्ट, जायकेदार । ७ मोहक, प्राकर्षक ८ प्रासक्त, लीन ।
६ प्यार भरा । ६ पवित्र
सलेसी स्त्री० ० एक प्रकार का घास
सलं'-१ देखो 'सिलह' । २ देखो 'सुलह' ।
सलोक - देखो 'स्लोक' ।
सळणी (बी) - देखो 'सुळभरणी' (बो) । साणी (बी) सड़ी-देखो''।
सत्यमुद्धि स्त्री० पुरुषों की बहत्तर कलाधों में से एक।
सरूपण (पणी) -१० १ सोन्दर्य, लावण्य २ नाजुकता, सहह पु० १ धाय जखम २ पोट प्रहार पु० । । ३ फोड़े-फुंसी पर कोमलता । जमने वाली पपड़ी, खुरंट ४ दुर्विचार, दुष्ट विचार । ५ छप्पय छन्द का एक भेद । ६ एक प्रकार का तीर । ७ कांटा ८ पीड़ा, कसक, टीस । ९ छाल । १० मेंढक । - वि० १ क्षत-विक्षत । २ देखो 'सल' ।
१० समस्त पूरा ।
सलूरो (बौ) - क्रि० समझना । समूची - वि० समभवान, ज्ञानी सलुनो-देखो 'सलूणी' । सभी वि० लालायित इच्छुक सलूर - पु० [सं० सालूर ] मेंढक । ससेक १० [सं०] एक य
सहलय - पु० एक वृक्ष विशेष । सत्ता'- देखो 'बलाह' ।
सलेट देखो 'स्सेट'।
सहलीची पु० सैनिक, सवार
-
सलेदार देखो 'सिलहदार' । सलेस
।
- पु० [सं० श्लेष ] १ मिलन, आलिंगन । २ साहित्य का सहलील- देखो 'सलिल' । एक शब्दालंकार |
सलोकता [स्त्री० [सं०] एक प्रकार की मुक्ति
सलोकी - वि० श्लोक युक्त, श्लोक संबंधी । सलोको-देखो 'सिलोको'
सलोधी - वि०१ कोमल, लचीला २ लोचदार ३ सुन्दर, मनोहर | पु० घोड़े के चारजामे का एक उपकरण । लोणी समीनी पु० १ बावरा की पूर्णिमा का पर्व रक्षा बंधन २ देखो 'सो' ।
सलोतर पु० [सं० शालिहोत्री] पश्य-चिकित्सक सोमी दि० १ लालची, लोभी २ इच्छुक, लालायित ३ सरल, सुलभ ।
सल्क, सहकल पु० [सं० शल्कं शल्कलम् ] १ मछली का कांटा । २ छाल। ३ भाग, हिस्सा
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सहतनत-देखो 'गत' । सत्य सत्युपु० [सं०] सत्य] १ माद्री का भाई व नकुल का माद्री का भाई व नकुल का मामा । २ कंटीली झाड़ी। ३ शल्य चिकित्सा । ४ सीमा । ५ एक प्रकार की मछली । ६ कांटा । ७ कील, खूंटी । हड्डो प्रस्थि । ९ संकट, विपत्ति । १० पाप, जुमं । ११ विष, जहर । १२ छप्पय छंद का ५८ वां भेद । १३ छप्पय छन्द का एक अन्य भेद ।
सत्यधरी- पु० [सं० शल्य परि ] १ युधिष्ठिर । २ भीम । सत्यकी स्त्री० [वृक्ष-लतावि
सल्लकी- पु० [सं०] एक प्रकार का वृक्ष विशेष ।
सवयी (बी) क्रि० १ क्षत-विक्षत होना । २ देखो '' (बो)।
सल्लळणी (बी) - क्रि० १ सालना, खटकना, दर्द होना, कस
कना । २ निकलना । ३ लूटना, उजाड़ना । ४ चलना, प्रस्थान करना । ५ फैलना, व्याप्त होना । ६ छाना, मंडराना ।
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ल्हो (बी) देखो 'नो' (दो)। सर्व-देखो 'स्वयं'।
समदिर
ससुद्धा पु० [सं० शहयोद्धार ] दुःखों से मुक्ति, उद्धार । सल्ले - देखो 'सिलह' ।
सवकति वि० वक्रतायुक्त, टेढ़ी।
सब पु० [सं०] सव: ] १ धन, द्रव [सं० शव ] २ मृत देह, लाश । ३ कफन | [सं० शत्] ४ सो की संख्या। [सं० सव. सबः ] ५ फूलों का शहद ६ यज्ञ, हवन ७ चन्द्रमा, चांद जल, पानी । ९ सूर्य, सूरज । १० नंवेद्य, भेंट | ११ सन्तान, धौलाद वि० [सं० गत] १ सौ, मत २ निर्मल, स्वच्छ । ३ देखो 'सरव' | सवइवार, सवईबार क्रि०वि० [सन, सर्वदा, हमेशा सवक्क - वि० टेढ़ा, वक्र ।
-
सवचक- पु० [सं० सूचिकः] दरजी । सब देखो 'सावक' ।
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सबर-१ देखो 'सुमन' २ देखो 'व' सवली-देखो 'सुगनी' । सवरणीगर - देखो 'सबनीगर' ।
।
सवली (बो) - क्रि० जन्म देना, उत्पन्न करना । सवती श्री० [सं०] सवित्री] माता, अनमी सवरस - वि० बच्चे वाली, जिसके साथ बच्चा हो . सवद - देखो 'सबद' ।
सवमंदिर पु० [सं० शव मंदिर ] १ श्मशान । २ समाधि ।
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सवय
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( ७४५ )
देखो 'सियमंदिर'।
सवय पु० [सं०] समयस्] साथी मित्र वि० हमउम्र,
समवयस्क |
सवयती-देखो 'सवती' ।
१ सखा, मित्र ।
सवयस सवयस्क, सवयस्य - पु० [सं० समयस् ] २ सहयोगो । वि० हमउम्र, समवयस्क । सवांन पु० [सं० शवयान] शव लेजाने वाली अर्थी, टिकटी । सवर पु० [सं०] १ दानवीर राजा शिवि । २ धन, दौलत ।
[सं० सवर: ] ३ शिव, महादेव । ४ जल, पानी । ५ देखो
'सबर' ।
सवरण- वि० [सं० सवर्ण] १ समान वर या जाति का । २ समान रंग का । ३ समान रूप का ।
सवरणा स्त्री० १ सूर्य की पत्नी का नाम । २ इन्द्रिय योगों की अशुभ प्रवृत्तियों से प्राते हुए कर्मों को रोकने की क्रिया । सवरालो (बी) देखो 'संदराणो' (दो)।
सवरी - पु० [सं० सोरि ] १ शनिग्रह । २ नीलम । ३ देखो 'सबरी' ।
सवळ - पु० [सं० श्यामल ] अंधेरा, अन्धकार । वि० १ सबल, जबरदस्त जोरदार । २ भयंकर । ३ बहुत प्रधिक । सवळी- देखो 'सवळी' ।
"
सी- वि० (स्त्री० [सवळी) १ पूर्ण समस्त पूरा २ देखो 'संबळी' ।
सवसनि पु० [सं० शवसान:] १ यात्री, पथिक । २ मार्ग, रास्ता ।
३ श्मशान ।
सवसाची- देखो 'सव्यसाची' ।
सवसाधन पु० [सं० शवसाधन] श्मशान में किसी पर बैठ कर की जाने वाली तांत्रिक साधना |
सवहरण - पु० [सं० श्रवण ] कान । सहेक वि० सौ के करीब लगभग सौ स० [सं०]] सोना, स्वर्ण
सर्वारण सर्वाण स्त्री० वह गाय या भैंस जिसे घासानी से दूहा जा सके । वि० भला, सोधा । सर्वाणी, सूर्याणी-देखो 'सवासखी' |
सवा, स्वा- पु०१ डिंगल का एक छन्द ( गीत ) विशेष । २ एक व इकाई के चतुर्थाश का योग । वि० एक व एक चौथाई । सवाई, वाई-०१ पुत्र, बेटा २जयपुर के महाराजाधों की उपाधि ३ किसान से सवाया अनाज वापस लेने की शर्त पर बोवाई के लिये अनाज देने की रीति । वि० १ एक से चतुर्थाश अधिक, सवाया । २ बढ़कर, विशेष, अधिक । सवाए - देखो 'सवायो' ।
सवाय साग देखो 'सुहाम'
सवागा. सवागरण- देवो'सुहाग'
।
सवागथाळ सत्रागथाळ- देखो 'सुहागथाळ' |
सवागी, सागो-देखो 'सुहानी'
सवाड़, स्वाड़ देखो 'सुवाव'।
1
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सवाड़ी, सवाद, सवादी वि० [सं०] सानुकूल] १ धनुकुल २ देखो 'सवायो' |
सवाजक- देखो 'सवाळक' ।
सवारणी - स्त्री० स्वर्णकारों का एक उपकरण । सवाल (बी) देखो 'सुहाणी' (बो)
सवाद, स्वाद देखो 'स्वाद'
सवाल
सवावक पु० [सं०] स्वादक] १ दूध । २ प्रमृत । वि० १ स्वाद लेने वाला । २ स्वाद युक्त ।
सवादी देखो 'स्वादी' ।
सवादी देखो 'स्वाद' | सवाब- देखो 'सबाब' ।
सवामोतीयांम पु० लखपत गिल के अनुसार एक इन्द सवाय १ देखो 'सवायो' । २ देखो 'सिवाय' ।
सदायक पु० सखा, मित्र वि० अधिक बढ़कर
सवाय वि० १ अधिक विशेष २ एक घोर चर्या के योग के बराबर । ३ विशेष, बढ़कर । पु० १ सवाये का पहाड़ा । २ एक व चतुर्थांश के योग की संख्या व अंक ।
सवारी (बी) देखो 'वार' (बी)।
सवारथ- देखो 'स्वारथ' ।
सवारथी- देखो 'स्वारथी' ।
सवार सवार पु० १ वह व्यक्ति जो सवारी करने में दक्ष हो २ बचत । ३ संनिक, घुड़सवार ४ वह जो किसी वस्तु पर बैठा हो। [सं० श्वः ] ५ प्रातः, सुबह । ६ डिंगल का एक गीत (ख) ७ हेगा, पटेला
सवारी, सवारी स्त्री० १ सवार होने का साधन या पशु । २ तांगा, गाड़ी, यान, पशु आदि पर सवार होने वाला व्यक्ति । ३ किसी पर बैठने या सवार होने की प्रवस्था या भाव। ४ यात्री, मुसाफिर ५ देव प्रतिमा, ग्रन्थ या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को यान पर बैठा कर निकाला जाने वाला जुलूस । ६ कुश्ती का एक दांव । ७ देखो 'सवारे' । सदारं सारं कि०वि० [सं० [व] २ प्रातः, सवेरे 1
१ धगले दिन कल
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सवाल- पु० [०] १ कुछ पूछने की बात प्रश्न २ पूछने की क्रिया । ३ दरख्वास्त मांग | ४ प्रार्थना निवेदन ५ गणित का कोई हिसाब ।
"
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समाळक
( ७४६ )
ससक
सवाळक, सवालख, सवाळख-पु० १ चौहानों के शासनाधीन | सवेगो-वि० (स्त्री० सवेगी) १ जल्दी. शीध्र । २ तेज गति या
रहने वाले प्रदेश का नाम । (प्राचीन) २ नागौर प्रदेश। स्फूर्ती वाला 1-क्रि० वि० शीघ्रता से, जल्दी से । ३ सवालाख की सख्या।
सवेध-देखो 'सुवेध'। सवाळख-पट्टी-स्त्री० [सं०सपाद लक्ष पाटक] १ प्राचीनकाल का | सवेर, सवेर-प्रव्य० प्रातःकाल, सवेरे।
प्रसिद्ध चौहान राज्य । २ अर्वाचीन नागौर प्रदेश । सवेरियां-क्रि० वि० १ ठीक समय पर, यथासमय । २ प्रात:सवालाख, सबालाख-देखो 'सवालख' ।
काल या सवेरे ही। . सवावड़-देखो 'सुवाबड'।
| सवेरी-स्त्री० [सं० स्वयं वता] अपने पति को छोड़कर अन्य सवास-वि०१ शिर से पांव तक, शिरोपाव । २ सुवास । - पुरुष के साथ जाने वाली स्त्री। सवासक-पु० एक छन्द विशेष ।
सवेरै-क्रि० वि०१प्रातः काल । २ देखो 'सवार'। सवासण (न)-पु० [स. शवासन] योग के चौरासी भासनों में | मरोग-a
सवेरोराग-पु० [सं०सवीरोराग] सिंधु राग। __से एक।
सवेरौ-पु० १ प्रात:काल, सवेरा। २ उषाकाल । सवासरणी-स्त्री० [सं० स्व-वासिनी] १ किसी परिवार में बहन, | सवेळा-कि० वि० ठीक समय पर, . उचित समय पर । पुत्री, बूमा, भतीजी, भाणजी पादि के रूप में मानी जाने |
सवेळू (को)-वि० (स्त्री० सवेळी) १ यथा समय पाने वाला। वाली कन्या, स्त्री, युवती। २ दश-ग्यारह वर्ष की कुमारी
२ देखो 'सवेरौं'। कन्या । ३ पुत्री, बेटो। ४ दोहित्री, नवासी।
सवेव-क्रि० वि० तेजी से, वेग से । सवासरणी-पु० बहन, बेटी, बूमा, भतीजी प्रादि का पति या पुत्र ।
सर्व-देखो 'सब'। सवासौ-वि० एक सौ व पच्चीस के बराबर ।-पु. एक सौ
'| सर्वइयो, सवैयौ-पु. १ एक छन्द विशेष। २ डिगल का एक पच्चीस का अंक या संख्या।।
गीत । ३ पिंगल का एक वर्णवृत्त । ४ गणित में सवा का सवि-१ देखो 'सब'। २ देखो 'सव' ।
पहाड़ा। सविकल्प-पु० १ एक प्रकार की समाधि । २ ज्ञाता और ज्ञेय के भेद का ज्ञान ।-वि०१ऐच्छिक, पसंद का । २ संदिग्ध । |
सबोळी-वि० श्रेष्ठ, उत्तम । ३ वैकल्पिक ।
सव्य-वि० [सं०] १ बायां, वाम । २ प्रतिकूल, उल्टा। सविकार-वि० [सं० स-विकार] विकार सहित, दोष पूर्ण। ।
. ३ दक्षिण का, दक्षिणी ।-पु. १ भगवान विष्णु । सविचार-वि० विचार युक्त, विचार सहित। ..
२ यज्ञोपवीत । ३ ग्रहण के दश ग्रासों में से एक । सवित-देखो 'सविता'।
सव्यचारी, सव्यसाची-पु० [सं०] अर्जुन का एक नाम । सविता, सविताब, सवित्ता-पु० [सं० सवित] १ सूर्य, सूरज ।
| सव्याज-वि० [सं०] चालाक, धूर्त । २ एक मादित्य । ३ पिता । ४ भगवान विष्णु । ५ बारह | सव्यासव्य-वि० दायें-बायें। को संख्या: ।-वि० उत्पन्न करने वाला।-पुत, पुतर, पुत्र,
सव्येस्ट-पु० [सं० सव्येष्ट] सारथी। सुत-पृ० सूर्य पुत्र शनि, यम, कर्ण।
सम्व-देखो 'सरव'। सवित्रि, सवित्री-स्त्री० [सं० सवित्री] १ मा, माता । २ गो,
सम्वरिय, सटवरी-देखो 'सरवरी' । गाय ।-पु० [सं० सवित] ३ सूर्य, सूरज । ४ शिव, महादेव। ससंक-पु. रोग, बीमारी। -वि० [सं० सशंक] १ भयकारी। ५ इन्द्रदेव। ६ प्रक, मदार ।
भयावह, डरावना । २ देखो 'ससांक'. सविध-वि० [सं०] १ पास, समीप । २ एक जैसा, समान। ससंकणी (बो)-क्रि० शंकित होना, भयभीत होना, डरना। सविमास-पु० [सं०] सूर्य , सूरज ।
| सस, ससउ-पु० [सं० शशः] १ खरगोश। २ कामशास्त्र के सवियोड़ी-वि० जिसने बच्चे को जन्म दिया हो।
अनुमार मनुष्य के चार भेदों में से एक। ३ कुशल क्षेम । सविवार, सविवारु (रू)-क्रि० वि० [सं० सर्व+वार] हर दिन, ४ चन्द्रकलंक । ५ लोध्र वृक्ष। ६ गन्ध रस । ७ छः की हर समय।
संख्या, ६ । -वि.१ अनुकूल, पक्षधर । २ छः। ३ देखो सविस्तर, सविस्तार-क्रि० वि० [सं० सविस्तार विस्तार पूर्वक 'सस्य'। ४ देखो 'ससि'। ५ देखो 'सोसौ'। ६ देखो
विस्तार से। सविहुं-अव्य० [सं० सर्वतस्] १ सब भोर से, सब तरफ से। ससइ-स्त्री० [सं० श्वसिति १ श्वास लेने की क्रिया या भाव । २ सर्वत्र, चागे मोर । ३ सम्पूर्णतः ।
२ माह भरने की क्रिया। सपोर-देखो 'वीर'।
ससक-पु० [सं० शशक] खरगोश ।
शित
.
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ससकणो
( ७४७ )
ससिधर
ससकणी-वि० [सं० श्वासक्रांत] (स्त्री० ससकणी) श्वास रोग | भाभा । २ स्वस्थता । ३ वैभवता । से पीड़ित ।
सविद सविदु-पु० [सं० शश:-बिन्दु ] १ चन्द्रमा, चांद । ससकरणो (यो)-क्रि० १ तेज गति से सांस लेना, हांफना । | २ विष्णु ।
२ तरसना, माह भरना, सिसकना। ३ कराहना, प्राहे ससवो, ससवो-वि. (स्त्री. ससवी) १ स्वस्थ, निरोग । भग्ना। ४ रोग के कारण तेज श्वास लेना। ५ हांफना | २ वैभवशाली, भाग्यवान ।
(पशु)। ६ रतिक्रीडा प्रादि के समय सीत्कार करना। सससाजा-पु. चन्द्रमा, शशि । समकांनी-स्त्री० एक प्रकार की बंदूक ।
सससिखर-देखो 'ससिसेखर' । ससकारी-देखो 'सिसकारी'।
सससुर-पु० जीव, प्राण । ससककरणी (बो)-देखो 'सस कणो' (बो)।
ससस्थली-स्त्री० [सं० शश:-स्थली] गंगा और यमुना के मध्य ससगाणी-पु० [फा० शश] फिरोजशाह के समय प्रचलित एक | का प्रदेश। चांदी का सिक्का।
ससहर-१ देखो 'ससिघर' , २ देखो 'ससम्रर'। ससगीत, ससगीति (ती, तो)-देखो 'ससिगोति'।
ससांक-पु० [सं० शशांक] १ चन्द्रमा । २ कपूर । ससटम, ससटमो-वि० [सं० षष्ठम्] छठा ।
ससांकज-पु० [सं० शशांकुज] चन्द्रमा का पुत्र, बुध । ससणी पु० [सं० श्वास प्रांत] (स्त्री० ससणी) श्वास रोग से ससांकसेखर-पु० [सं० शशांक शेखर] शिव. महादेव । पीड़ित।
ससांकसुप्त-पु० [सं० शशांक सूत] चन्द्रमा का पुत्र, बुध । ससरणी ()-कि० [सं० श्वसिति] १ श्वास लेना। २ पाह | ससांम्हौ-क्रि०वि० सम्मुख, सामने । भरना।
ससा-स्त्री० [स० श्वसा] १ बहन, भगिनी । २ देखो 'सस' । ससत-क्रि०वि० वास्तव में, सत्य ही। -स्त्री० कुशल, खैरियत । ससात-पु० दुग्ध, दूध।। ससतर-देखो 'सस्त्र'।
ससाब-पु० [सं० शशः+पदः] १ श्येन पक्षी, बाज । २ इक्ष्वाकु ससतो-देखो 'सस्तो'। (स्त्री० सरसी)
राजा के ज्येष्ठ पुत्र का नाम । ससत्र-देखो 'सस्त्र'।
ससि-पु० [सं० शशिन] १ चन्द्रमा, चांद । २ कपूर । । झरना, ससत्रमतोल-पु० वज।
स्रोत । ४ मोती। ५ पंथी, राहगीर। ६ टगण की छ: ससत्रक-देखो 'सस्त्रक'।
मात्रामों के दूसरे व दशवें भेग का नाम । ७चार्यागीति ससदळ-पु० पद्धं चन्द्रमा।
(गाया) का एक भेद । ८ छप्पय छन्द का एक भेद । ससघर-पू० [सं० शशधर] १ चन्द्रमा, चांद । २ कपूर।
९ एफ को सख्या । -वि०१ शीतल, ठंडा । २ देखो ससनूर ससनरौ-देखो 'सनूरी'। (स्त्री० समनूरी)
'सिसु' । ३ देखो 'सस'। -कंत='ससिकांत'। -कर-पु. ससनेह-वि० स्नेह पूर्वक, प्रेम पूर्वक ।
चन्द्रमा, चांद। -कळा-स्त्री० चन्द्रमा की कला। एक ससने हो-देखो 'सनेही।
वर्ण वत्त विशेष । -कांत-पु. चन्द्रकान्त मरिण । -खाससप्रिग-देखो 'ससिप्रिया'।
पु० चन्द्र किरण। शिव। -गोत, गोति, गोती-पु० ससबिद, ससबिंदु-पु० [सं० शशबिन्दु] भगवान विष्णु ।
मोती, मुक्तक । -ज-पु० बुधग्रह । -तिष, तिथि-स्त्री. ससभ्रत पु० [सं० शशभ्रत] १ चन्द्रमा, चांद । २ कपूर ।
पूरिणमा। -धर-पू० शिव। -नंदण (न)-पु० बुध । ससमस्थ ससमाय-१ देखो 'ससिमाथ' । २ देखो 'समरथ'।
-पक्ष, पख-पु० शुक्ल पक्ष । -पुत, पुतर, पुत्र-पु० बुध । ससमारचक्र-देखो 'सिसुमारपक्र' ।
माळ, भूसण, भ्रत-पु. शिव, महादेव । -मंडळ-पु० ससमो-वि० (स्त्री० सस) १ कटिबद्ध, सन्नद्ध, तयार । चन्द्रमण्डल, चन्द्रमा का घेरा। -मरण, मरिण, मणी, २ सहानुभूति युक्त। -पु० ऐनक ।
मिण-पु. चन्द्रकान्त मणि। -मस्थ, मय, माथ-पु० ससमौलि-पु० [सं० शशिमोलि] शिव, महादेव ।
महादेव, शिव । -रस-पु० अमृत । -रेखा, लेखा-स्त्री. ससरंग-पु० डिंगल का एक गीत (छन्द)।
चन्द्रकला । -वदना-स्त्री० सुन्दर मुख वाली स्त्री, चन्द्र ससर, ससरत, ससरित-१ देखो 'सिसिर'। २ देखो 'ससि'. मुखी। -वदनी, वयनी-स्त्री. चन्द्रमुखी। -सुत-पु. ससरम, ससरमा-देखो 'सुसरमा'।
बुध । -सेखर-पु. शिव, महादेव । -सोसक-पु. चन्द्रमा ससरो-देखो 'सुसरौं'।
को क्षीरण करने वाला कृष्ण पक्ष । ससलो-देखो 'सम'।
ससिदैव-पु० [स० शशिदेव मृगशिरा नक्षत्र । ससवापरण (परणो), ससवापणी-पु० । पोज, तेज, कान्ति, | ससिधर-देखो 'ससघर'।
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ससिनांम
ससियर, ससियळ - पु० चन्द्रमा । ससियो, ससिल देखो 'स'
ससिर देखो 'मिसिर' ।
ससिनांम पु० यश कीि
ससिपोसक पु० शुक्ल पक्ष । समिप्रभ - पु०
स० शशिप्रभ] १ जिसकी प्रभा चन्द्रमा के समान हो, मोती, मुक्ता २ कुमुद ।
समिप्रभा स्त्री० [सं० शशिप्रभा ] चांदनी, ज्योत्स्ना । ससित्रिय पु० [सं०] प्रिय] मोती। ससिप्रिया स्त्री० [सं० शशिप्रिया] रात्रि निशा I
ससियां (यम) स्त्री० [सं० शशिवाम] निशा, राषि
।
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ससिवेस - पु० [सं० शिशुवयस् ] बाल्यावस्था ।
ससिहर देखो 'सर'
ससी- पु० १ एक वर्ण वृत्त विशेष । २ एक अन्य वृत्त । ३ देखो
( ७४८ )
'ससि' ।
ससीकर - स्त्री० [सं० शशिकर ] चन्द्रकिरण ।
ससीबार ससीवार पु० [सं० शशिवार ] सोमबार ।
-
ससीस पु० [सं० शशीश ] कार्तिकेय । ससे हर - १ देखो 'ससघर' । २ देखो 'समिधर' । ससुर ( 1 ) - पु० [सं० श्वसुर ] १ पति या पत्नी का पिता । २ देखो 'सुसिर' - वि० [सं० सुस्वर] मधुर स्वर वाला । ससुवाद - वि० स्वादिष्ट, मोठा ।
समूह समूग वि० [सं० मधूकः] वीणता सहित तीक्ष्ण सतवत्यधिक बहुत
ससूदित वि० १ मारा हुबा । २ काटा हुधा । ससोकित - वि० शोकाकुल, शोक पूर्ण ।
ससोम वि० शोभनीय, सुम्दर
सोभित - देखो 'सुसोभित' । ससोह- देखो 'ससोभ' ।
सस्ट, सस्ठ, सस्ठम - वि० [सं० षष्ठ ] पांच के बाद वाला छठा । सस्त वि० [सं०] सस्यम्) १ प्रशंसित सराहा हुधा २ मंगलकारी । ३ घायल । पु० १ प्रसन्नता, खुशी २ शरीर । सस्तर - देखो 'सस्त्र' ।
सस्तौ वि० (स्त्री० सस्ती ) १ जो महंगा न हो, सस्ता, कम मूल्य का २ जिसका निपटारा घासानी से हो। ३ जो सहज में उपलब्ध हो । ४ घटिया किस्म का साधारण सस्त्र पु० [सं० शस्त्र ] १ हाथ से चलाने का तलवार यादि हथियार, शस्त्र । २ लोहा । ३ फोलाद । ४ चिकित्सा । धर, धारी- वि० शस्त्र रखने वाला - पु० बंध-वि० शस्त्रों से सज्जित योद्धा, वीर ।
शल्य
सिपाही
- भ्रत-वि० शस्त्रधारी । -विद्या स्त्री० की विद्या युद्ध विद्या । - साळा,
शस्त्रागार |
सस्त्रअज-पु० तीर, बारा ।
सम्यक पु० [सं०] शस्त्रक] १ लोहा २
उपकरण; श्रीजार ।
सस्तीबाड़ी पु० १ सस्तापन । २ बाजार भावों में मंदी को
स्थिति ।
सस्तं वि० १समान तुल्य - क्रि०वि० २ लिए, तरफ मे ।
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सस्त्राजीव- पु० [सं० शस्त्राजीव] योद्धा, संनिक |
१ शिव, महादेव । २ स्वामी सस्त्रायस - पु० [स० शस्त्रायस ] शस्त्र बनाने का लोहा । सस्त्री- पु० [सं०] शस्त्री] छोटा शस्त्र वि० [मस्त्रधारी शस्त्र बनाने में निपुण ।
1
सस्त्रीकरण ० शस्त्रों से सुसज्जित करने की अवस्था या भाव। सम्म पु० रथ ।
सस्यंकी, सस्यंगी पु० लोहा
सस्य पु० [सं०] सस्यम् ] १ सद्गुण २ अनाज ३ किसी वृक्ष का फल । ४ शस्त्र, हथियार । ५ नई घास, कोमल तृण 1 क - वि० [सं०] १ सद्गुणी । २ सम्पन्न - पु० [स० सस्यक: ] १ एक प्रकार का रत्न । २ हथियार । ३ तलवार । सस्स देखो 'स्वास' ।
सत्सु सस्सू देखो 'सानु' ।
ससो- पु० १'स' वरणं । २ देखो 'सस' ।
सस्सौ पु० १ 'स' वरणं । २ देखो 'सस' । सहंटो सही देखो सेठी।
सस्कुली - स्त्री० [सं० शष्कुली ] १ कान का छेद २ पुरी यादि सहडक पु० एक प्रकार का मांस का शोरबा |
पकवान ३ कान का एक रोग ।
सह
सस्त्रपर पु० [० शस्त्रगृह] १ शस्त्रागार, सिमाना २ तलवार की म्यान ।
सस्त्रागार - पु० [सं० शस्त्रागर [ १ शस्त्रशाला, सिलहखाना । २ शस्त्र प्रदर्शित करने का स्थान ।
सस्तरपाटी, सस्तरपाती स्त्री० १ २ काम करने के सहंसाबस देखो इसस
शस्त्र चलाने
साला - स्त्री०
सहंस देखो सहस्र' कर 'सहस्रकर' करण'सहस्रकिरण' -फिर 'सहस्रकर' । पतर, पत्र, पात = सहस्रपत्र' । - फल, फुरष सहस्रफल सहसकार देखो 'संस्कार'
=
सहंसबळ (बळी) - वि० बलवान, पराक्रमी ।
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सह - वि० १ सब समस्त । २ पूर्वक, सहित । ३ पूर्ण पूरा ।
1
४ युक्त, साथ पु० [सं० सहः ] १ मार्गशीर्ष का महीना । २ भाई । ३ लक्ष्मण के एक पुत्र का नाम । ४ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । ५ घन । ६ शतरंज में बादशाह पर घात होने
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सहकार
(
७४९ )
सहनसील
की दशा। ७ ताकत, शक्ति । ८ उत्तेजित करने की क्रिया । रास्ता । २ घासान तरीका । ३ वैष्णव सम्प्रदाय की एक ९ इन्द्रिय बल या शक्ति ।-क्रि० वि० १ साथ । २ देखो शाखा। 'माह।
सहनिई-क्रि०वि० सहज में। सहकार - पू०१ ग्राम । २माम का वक्ष । ३ महयोग । ४ गायन सहटो-१ देखो 'सँठो' । २ देखो 'सांठी । का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति ।
सहट्टणी (बौ)-कि० एकत्र होना, जुडना, सम्मिलित होना। सहकारि, सहकारी-वि० [सं० सहकारिन्] १ साथ कार्य करने | सहड-पु० १ हाथी । २ देखो 'सुभट'।।
वाला, महयोगी । २ सहायक, मददगार । -पु० १ मित्र, सहण-पु० १ मिट्टी का बना भोजन का पात्र, सिंहनक । दोस्त, साथी । २ देखो 'सहकार' ।
२ एक प्रकार का शस्त्र, परशु । ३ अस्त्र-शस्त्र । ४ सहनसहतव-पु० [सं० सहकृत्वन्] सखा, मित्र ।
शीलता । ५ देखो 'सहन' । ६ देखो 'सण'। सहक्रमण, सहगति-पु० सहगमन ।
सहरणी-स्त्री० १ सहन करने की क्रिया। २ सहन करने की सहगमरण (न)-पृ० [सं० महगमन] १ साथ-साथ गमन, पला- शक्ति । -वि० सहनीय ।
यन । २ पति के साथ सती होने की क्रिया या भाव। सहरणो-वि० (स्त्री० सहणी) १ सहन करने वाला, सहनशील । ३ संभोग, मथुन।
२ सहनीय । सहगांमणी, सहगांभिरणी-स्त्री० १ पति के साथ सती होने वाली सहरणो (बी)-क्रि० १ बरदास्त करना, सहन करना । २ परि
स्त्री। २ सहगमन करने वाली स्त्री। ३ सहचरी, साथिन । रणाम या फल भोगना । भुगतना । ३ वहन करना, झेलना । सहगामी-पु. १ जो साथ चले, साथी। २ अनुयायी।
४ उत्तरदायित्व लेना। ५ सज्जीभूत होना, सजना, सहगुरु (रू)-देखो 'सदगुरु' ।।
तैयारी करना। सहड़-पु० १ हाथो। २ देखो 'सुभट'।।
सहत-१ देखो ‘सहित'। २ देखो 'सहद' । सहचर-पु. १ मित्र, दोस्त, सखा । २ सहायक, मददगार । सहता-स्त्री० [सं.] एकता, ऐक्य, मेल-जोल ।
३ सेवक, नौकर । ४ सलाह देने वाला। -वि० (स्त्री० सहतार-पु. एक प्रकार का तार वाद्य । सहचरी) १ साथ-साथ चलने वाला। २ हर समय साथ सहति, सहती-१ देखो 'सहित'। २ देखो 'सहद'। रहने वाला, साथी । ३ देखो 'सहचरी'।
सहतीर-पृ० [फा० शहतीर]१ लकड़ी का बड़ा व लम्बा लट्ठा । सहचरि, सहचरी, सहचरी-स्त्री०१ सखी, सहेली। २ पत्नी, २ छत के नीचे लगने का बड़ा पत्थर, लोह की बड़ी पटी भार्या।
या मोटी लकड़ी। सहज-पु० [सं०] १ भाई, भ्राता, सहोदर । २ प्रकृति, स्वभाव । सहतूत-पु० [फा० शहतूत] १ एक प्रकार का वृक्ष जिसके फल
३ फलित ज्योतिष में जन्म लग्न से तृतीय स्थान । | लटिका की तरह के व खट्टे मीठे होते हैं। २ इस पेड़ का ४ तत्त्व। ५ ज्ञान । ६ ब्रह्मतत्त्व । ७ स्मरण याद । फल । ३ एक देव वृक्ष। ८ परब्रह्म, ब्रह्म । ६ ईश्वर, परमात्मा । १० प्रनानीद । सहतो-देखो 'सहित' ।। ११ ब्रह्मसुख । १२ अजपाजाप । १३ स्वर्गलोक, बैकुठ। सहद-पु० [अ० शहद] मधु मक्खियों द्वारा संगहीन, पुष्परस से १४ मोक्ष, मुक्ति । १५ कैवल्य ज्ञान । १६ ध्यानावस्था, | ____ रूपान्तरित होकर बनने वाला एक गाढा व मीठा तरल समाधि । १७ वास्तविकता। -सर्व० अपने-माप, स्वतः। पदार्थ, मधु। -वि० १ प्रखण्ड । २ स्वत: सिद्ध । ३ सरल, सुगम, सहदार-वि० [सं०] १ सपत्नीक । २ विवाहित । मासान । ४ परिपूर्ण । ५ प्रव्यक्त, अस्पष्ट । ६ वास्तविक । | सहदेई-स्त्री० [सं० सहदेवा] एक प्रकार की वनौषधि । ७ अनौखा, प्रद्भुत । ८ व्यर्थ, बेकार । ९ सरल, सीध।। | सहदे, सहदेव-पु० [सं०] १ पांडु पत्नी माद्री व अश्विनी कुमारों १० बिना यत्न या श्रम से । ११ प्राकृतिक, स्वाभाविक । | के संयोग से उत्पन्न सबसे छोटा पांडव । २ वचन सिद्ध १२ जो हर दृष्टि से ठीक व उपयुक्त हो। १३ यथार्थ, | महात्मा। -वि० भविष्यवक्ता । सत्य । १४ जन्म से प्रकृति के साथ उत्पन्न होने वाला। सहन-पु० १ क्षमा । २ शांति । ३ प्राज्ञापालन । ४ सहन१५ मामूली, माधारण । १६ परम्परागत । -क्रि०वि० शोलता । ५ देखो 'सहनक' १ धीरे-धीरे। २ स्वभावतः। ३ अनायास, शीघ्र । सहनक-पु० मिट्टी की बनी एक तश्तरी ।
४ सरलता ने, प्रासानी से । ५ निरन्तर, लगातार । सहनता-स्त्री० सहनशीलता।। सहजगो-पु० एक प्रकार का वृक्ष ।।
सहनसील-वि० [सं० सहनशील] १ सहनेवाला, बरदास्त करने सहजपंथ (पथ)-पु० [सं० सहजपथ] १ प्रासान या सुगम | वाला । २ संतोषी।
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महनाई
( ७५० )
सहस्रबाहु
सहनाई-स्त्री० [सं० शहनाई] एक वाद्य विशेष ।
सहसपत्र-पु. कमल। सहनो-पु० खेत में खड़ी फसल की रखवाली करने वाला। सहसफरण (फरिण, फरणी). सहसफरणधर, (धार, धारी), सहम-स्त्री. १ कटार । २ परशु। ३ एक शस्त्र विशेष । सहसफिरणधर, धार, (धारी)-पु० [सं० सहस्रफरण] शेषनाग । सहरवाद-पु० कैदी।
सहसकूल-देखो 'सीस फूल'। सहरि, सहरी-वि. १. शहर का, शहर संबंधी। २ सहश, | सहसबदन-पु. शेषनाग । समान । ३ देखो 'सरग्रही'।
सहसबळ-पु. [स० सहस्रबलम्] १ सूर्य । २ सहस्र व्यक्तियों या सहरण-पु० [सं०] चन्द्रमा के एक घोड़े का नाम ।
हाथियों के बल वाला। सहरी-वि० (स्त्री० सहरी) शीघ्र सुनने वाला।
सहसवाण-पु. [स० सहस्राभ्रवन] वह स्थान जहां नेमिनाथ ने सहल-पु.१ घूमने-फिरने की क्रिया या भाव, परिभ्रमण।। दीक्षा ली थी।
२ क्रीड़ा, खेल । ३ प्रानन्द, मस्ती, मौज। ४ काम | सहसभग-पु० इन्द्र । क्रीड़ा । ५ चूड़ियों प्रादि के लिये काम पाने वाली लकड़ी सहसभाव-स्त्री. १ सहिष्णुता । २ क्षमा । को एक मोगरी। -वि०१ सरल, प्रासान, सुगम, सहज, | सहसमुख (मुखौ)-पु. शेषनाग ।
सीधा । २ साधारण, मामूली । ३ साक्षात्, प्रत्यक्ष । सहसमुखी-स्त्री०१ गंगा। २ एक प्रकार का कद । .. सहली-१ देखो 'सेलड़ी' । २ देखो 'सहल' ।
सहसान-पु० [सं० सहसानः] १ मोर, मयूर । २ नैवेद्य भेंट । सहलगो (बी)-क्रि० १ सहलाना। २ परिभ्रमण करना, ३ यज्ञ, हवन ।
घूमना । ३ देखो 'सेलणो'(बी)। ४ देखो 'सालणों' (बी)। सहसा-मव्य० [सं०] १ अकस्मात, अचानक । २ जबरदस्ती, सहलसौ-वि० साधारण मामूली।
बलात् । ३ विचार पूर्वक । सहळाणी-देखो 'सैनांणी'।।
सहसाग्रजण (प्रजणि, परजण, परजन, अरजुरण, अरजुन)-देखो सहलाणी (बी)-क्रि० १ सहलाना। २ धीरे-धीरे हाथ फेरना ।। 'सहस्रारजुन'। ३ परिभ्रमण कराना, घुमाना ।
सहसातकार-प्रव्य० १ सम्मुख, सामने, समक्ष । २ देखो सहलोट-देखो 'सैलोट'।
'साक्षात्कार' । महळी (लो)-वि० (स्त्री० सहली) १ भासान, सरल। सहमो-देखो 'सहसा' २ देखो 'सळो' ।
महसेई-पु० शेषनाग । सहल्प-देखो 'महल'।
सहस्य-पु० [सं० सहस्य:] पौष मास का नाम । सहल्ले (ल्लं)-क्रि०वि० पासानी से, सरलता से ।
सहस्र-पु० [सं०] १ हजार की संख्या। २ इस संख्या का अंक, सहवय, सहवयस-पु० [सं० सहवयस्] सखा, मित्र ।
१००० ।-वि० हजार। -कर किर, किरण गु, गौ-पु. सहवर-पु. १ वीर, योद्धा । २ सगा भाई।
सूर्य, सूरज। -चक्ष, चक्ष , चख-पु. इन्द्र । -चरण-पु० सहवान-पु० सौभाग्य, सुहाग ।
णु -नयरण, नेण, नेत-पु. इन्द्र, विष्णु। -नांम सहवास-पु० [स०] १ साथ-साथ रहने की क्रिया या भाव ।। नांव-पु. कोई स्तुति या कविता जिसमें किसी २ संभोग मैथुन 1 ३ मित्र, दोस्त ।
देवता के हजार नामों का वर्णन हो ।-पत्र-पु. कमल, सहवासो-वि० साथ रहने वाला।
पंकज ।-पाद-पु० विष्णु । शिव । सूर्य ।-फरण फिण, सहवता-स्त्री० [सं०] पत्नी, भार्या ।
फुण -पु. शेषनाग। महस-पु. [सं० सहस्] १ मार्गशीर्ष मास । २ शरद ऋतु । सहस्रजित-पु० [सं०] १ विष्णु । २ कस्तूरी। ३ श्रीकृष्ण व
३ शक्ति, ताकत । ४ प्रचण्डता, उग्रता। ५ विजय, जीत। जाम्बवनी का एक पुत्र । ६ चमक, कांति । ७ देखो 'सहस्र'।
पहरणी-पु० [सं० सहस्रिन] हजार रथियों का नायक, भीष्म । सहसकर (किर, कर विकर)-देखो 'सहस्रकर' ।
| सहस्रत-वि० हजारों, हजार के लगभग । सहकरण (किरण)-देखो 'सहस्रकिरण' ।
सहस्रदखण (दखिण, बवरण, वल्खिण)-पु. वह यज्ञ जिसमें सहसकार-देखो 'संस्कार'।
एक हजार गायों का दान करने का विधान हो। सहसचा (चक्ष , चख)-पु० [सं० सहस्र-चक्षु] देवराज इन्द्र ।। | सहस्रधार (धारा)-स्त्री० [सं०] १ भगवान् विष्णु का सहसजीभ (दुजोह)-पु० [सं० सहस्र-जिह्व] शेषनाग ।
चक्र । २ अयोध्या के समीपस्थ एक तीर्थ । ३ हजार छिद्रों सहसळ-पु. [सं० सहस्रदल] कमल ।।
वाला एक जलपात्र विशेष । सहसवग (नयण, नेत, नेत्र, नरण)-देखो 'सहसचा' । | सहस्रबाह (बाह, बाहू)-पु० [सं०सहस्रबाह] १ विष्णु । २ शिव ।
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सहस्र भुजा
( ७५ ।
३ बाणासुर । ४ राजा बलि का ज्येष्ठ पुत्र । ५ स्कन्द का ३ देखो 'सावी।
एक अनुचर । ६ कृतबीर्य । ७ कृतवीर्य का पुत्र हैहय । सहास-वि० साहस पूर्वक । -क्रि०वि० खुशी से, हंसकर, हर्ष सहस्रभुजा-स्त्री० देवी का एक नाम ।
पूवक। सहस्ररस्मि-पु० [सं० सहस्ररश्मि] सूरज, सूर्य ।
सहि-वि० सब, समस्त । -स्त्री० सखी, साथिन । देखो 'सही' सहस्ररोमा-स्त्री० [सं० सहस्र-रोमन] कम्बल ।
सहिउ-वि० सं० सोढः] सहन किया हुमा । सहस्रबीरया-स्त्री० [सं० सहस्र-वीर्या] हींग।.
सहिकार-देखो 'सहकार'। सहस्रसिखर-पु० [सं० सहस्र-शिखर] विध्याचल पर्वत । सहिगुरु-पु० सदगुरु । सहस्रांक-पु० [सं०] सूर्य, सूरज ।
सहिज-देखो 'सहज' सहस्राक्ष-वि० [सं० सहस्र-पक्ष] जिसके हजार प्रांखें हों।। सहि जन-पु० [सं० शोभाजन] भारत में प्रायः सर्वत्र पाया जाने
-पु. १ इन्द्र । २ विष्णु । ३ पुरुष । ४ देवी भागवत के | वाला वृक्ष। अनुसार एक पीठ, स्थान ।
सहि जावी-देखो 'साहजादी'। सहस्रास्मा-पु० [सं०] ब्रह्मा।
सहिगो (बो)-देखो 'सहो' (बी)। सहस्रारजुरण(न)-पु० [सं० सहस्रार्जुन] १ सहस्रबाहु, हैहय । | सहित-अव्य० साथ, समेत, युक्त। साथ-साथ, साथ में । २ बलि राजा का पुत्र ।
-पु. नियों के ८८ ग्रहों में से तेरहवां ग्रह । सहस्लिन-वि० [सं०] १ हजार पति । २ हजार के लगभग । सहिनांण-देखो 'सनांण' । .
-पु०१ हजार व्यक्तियों का समूह । २ सहस्र सैनिकों का समूह। सहियर-देखो 'सखी' । सहस्स-देखो 'सहस्र'। -कर- सहस्रकर'।
सहिलाळी-देखो 'सोलाळो' । सहाणी-देखो 'साहणी'।
सहिसकिरण-देखो 'सहस्रकिरण'। सहा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी भूमि । २ मेंहदी । ३ अगहन मास । सहिसभुज (भुजा), सहिस्रभुज (भुजा), सहिनाभुज-देखो
४ हेमन्त ऋतु। ५ सपिणी । ६ ग्वार पाठा । ७ सत्यनाशी।। 'सहस्रबाहु'। ८ एक अप्सरा का नाम ।
सही-वि० [अ० सहीह] १ जिसमें त्रुटि, दोष या कमी न हो; सहाइ, सहाई-देखो 'सहाय'।
बिल्कुल ठीक । २ यथार्थ, वास्तविक । ३ सत्य, सच्च । सहाज-देखो 'साज'।
४ सब, समस्त । -पु. १ साक्षी के हस्ताक्षर, हस्ताक्षर । सहादत-स्त्री० [अ० शहादत] गवाह, साक्षी।
२ प्रामाणिकता या मान्यता का शब्द । -क्रि०वि० १ सहाब-पु० [फा० शहाब] १ एक प्रकार का गहरा लाल रंग । अवश्य ही, निश्चय ही। २ वास्तव में । ३ देखो 'सखी' । २ प्रादर सूचक एक संबोधन ।
सहीमड-स्त्री० सहेली या सखी मानने की स्थिति । सहाबी-वि० [फा० शहाबी] लाल रंग का।
सहीक-प्रव्य० अवश्य ही, निश्चय ही। सहाय-पु० [सं० सहायः] १ सेना, फौज । २ रक्षा। सहीत (तो)-देखो 'सहित'।
३ सहायता, मदद । ४ बल, शक्ति । -वि०१ सहायता करने | सहतीड़ोतरी-पु. एक प्रकार का कर विशेष । वाला, मददगार । २ मित्र । ३ रक्षक ।
सहीद-वि० [प० शहीद] देश; धर्म या लोक हित में बलिदान सहायक (त)-पु० [सं०] १ मददगार, सहायक । २ साथी ।। या उत्सर्ग होने वाला।
मित्र । ३ रक्षा करने वाला, रक्षक । ४ अनुयायी। ५ नौकर, सहीदी-स्त्री० शहीद होने की क्रिया या भाव, शहीद होने पर पाकर । ६ शिव ।
मिलने वाली अमरता, कीति, प्रसिद्धि ।-वि० शहीद होने सहायता-स्त्री० [सं०] किसी तरह की मदद, सहयोग, योगदान । |
को तैयार। सहारण-वि०१ सहायता करने वाला। २ उद्धार करने वाला।। सहीनांण-देखो 'सैनाण' । सहारी-पु. १ मदद, सहायता । २ प्राश्रय, अवलम्ब । | सहीप-देखो 'सही'। सहालग-पु०१ ज्योतिष के अनुसार कोई शुभ वर्ष । २ मांगलिक | सहीली-देखो 'सहेली' । ___ मुहूर्त वाला दिन या मास ।
सहुंगो-वि० १ सस्ता । २ कम मोल का। ३ बिना श्रम या सहाव-पु० [सं० स्वभाव] पादत, स्वभाव, प्राकृतिक गुण । मेहनत का। -वि० १ समान, तुल्य । २ देखो 'सहाय' ।
सहु, सहुप्रां, सहुए-वि० सब, समस्त, सभी। सहावरणो (बो)-क्रि० पकड़ाना।
सहुर-देखो सऊर'। सहावी-वि० १ धारण करने वाला । २ सहन करने वाला । | सहू-देखो 'सहु' ।
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सहूर
( ७५२ )
सांकळी
सहूर-देखो 'सऊर' । दार= सऊरदार'।
प्रादर सूचक संबोधन। सहूलियत-स्त्री० [फा०] १ मासानी, सुगमता २ सुविधा। सांई पार, साईप्रार-पृ० १ बधिया या खसी किया हुमा पशु । ३ कायदा, अदब ।
२ बधिया करने की क्रिया। सहवर-देखो 'सहवर'।
सांईणी, सांईणौ (नौ)-देखो 'साइंणो' । (स्त्री० साइंणी) सहेज- देखो 'सहज'।
साई यार, साईयार (वार, सार)-देखो 'साईमार' । सहेट-स्त्री० संकेत स्थल ।
सांउ सऊ-पु० चने की जाति का एक घटिया अन्न । सहेत, सहेती, सहेतो-देखो 'सहित ।
सांक, सांक-१ देखो ‘संका' । २ देखो 'सको'। सहेरउ, सहेरौ-देखो 'सेवरो'।
सांकड़-पु० [सं० संकट] १ संकट, विपत्ति । २ पसुविधा। सहेल-पु० चौक ।
-वि० संकीर्ण, तंग, कष्टप्रद । सहेलडी सहेली-स्त्री. १ सखी, संगिनी । २ अनुचरी, दासी। सांकडणी (बी)-क्रि० १ संकुचित होना करना। २ बंद करना। सहेलो-देखो 'सहल'।
३ प्राक्रमण करना, हमला करना। स हैंभर-देखो 'सांभर'।
सांकड़भीड़ (डो), सांकड़ाई-स्त्री० १ संकरापन, तंगी । सहैर-देखो 'सहर'। .
२ प्राधिक प्रभाव । सहोकति, सहोक्ति-स्त्री० [सं० सहोक्ति] एक प्रकार का | सांकड़ालो (बी)-क्रि० १ संकुचित करवाना, संकीर्ण करवाना। काव्यालंकार विशेष।
२ बंद करवाना। ३ अाक्रमण या हमला करवाना । सहोद-पु० [सं०] अविवाहिता युवति के गर्भ से उत्पन्न पुत्र । सांकडीलो, सांकड़ोलो-पु. १ संकरापन, तंगी, स्थानाभाव । सहोदर-वि० [सं०] (स्त्री० सहोदरा) जो एक ही माता के उदर २ कमी, प्रभाव । ३ संकट, विपत्ति। ४ दबाव, प्रभाव । से उत्पन्न हुप्रा हो । सगा भाई, भाई ।
लिहाज। सहोदरलखरण (लखन, लखमण)-पु० [सं० सहोदर-लक्ष्मण] सांकड़े-क्रि० वि० १ संकट में, विपत्ति में। २ पचानक, १ श्रीराम, भगवान । २ ईश्वर, परमेश्वर ।
अकस्मात । ३ पास में, नजदीक, समीप । सहोधौ-वि०१ कुलीन, मच्छे कुल का। २ मोहदेधारी, | सांकडंल-वि० जबरदस्त, जोरदार, शक्तिशाली, बलवान् । पदाधिकारी।
साकड़ी-वि० [सं० संकट] (स्त्री० सांकड़ी) १ निकट, पास सहोर-वि० [सं०] श्रेष्ठ, उत्तम । -पु० [सं० सहोरा] ऋषि, समीप । २ सकरा तग आवश्यकता मे कम । ३ संकुचित । ... मुनि ।
४ कठिन, दुस्तर । ५ भय भीत, डरा हुप्रा । ६ विकट, सह्य-पु० [स०] १ तंदुरुस्ती, स्वास्थ्य । २ सहायता, मदद । विषम । ७ संक्षिप्त, छोटा। ८ कमी व प्रभाव युक्त ।
३ योग्यता । ४ महयाद्रि नामक पर्वत । -वि०१ सहन करने -पु. १ कष्ट, विपत्ति, सकट। २ भय । योग्य, सहनीय । २ मजबूत, ताकतवर ।
सांकडउ, सांकडो-देखो 'सांकड़ो'। सह्यालु-पु० एक पौधा विशेष, निरगुडी।
सांकणी (बो)-देखो 'संकरणों' (बी)। सह्याद्रि-पु० बम्बई प्रांत का एक प्रसिद्ध पर्वत ।
सांकर-वि० सं० शांकर शंकर से संबंधित । -पु. १ स्कन्द । सह्रदय-वि० [सं० सहृदयः] १ कुपालु, दयालु, सहृदय । | २ अग्नि । ३ शमी वृक्ष । ४ शिव सूत्र ।
२ सच्चा। ३ विद्वान । ४ गुणग्राही। ५ सज्जन । | सांकरच-स्त्री० [स० सांकयं] मिश्रण, मिलावट । ६ रसिक।
सांकळ सांकळ, सांकल-स्त्री० [सं० शखला] १ स्वर्ण, चांदी सां-स्त्री० शपथ, सौगन्ध ।-सव० क्यों
लोह मादि किसी धातु की जंजीर, शखला । २ शरीर के सांइड-देखो 'साढ़।
हड्डियों का ढांचा, अस्थिपंजर। ३ द्वार पर लगने की साइंगियो-वि० [सं० शाकुनिक] १ शकुनशास्त्र का जानकार | मिकड़ी, कुदी । ४ एक प्रकार का पाभूषण । ५ फोग की
व शकुन बताने वाला व्यक्ति । २ शकुन बताने वाला पशु गंठीली लकड़ी। ६ छप्पय छन्द का एक भेद । या पक्षी।
सांकळउ-देखो 'सांकळो' । साइंगो, सहिंगो (नौ)-वि० [सं० सहायन] (स्त्री० साइंणी, सांकळणौ (बौ)-क्रि० [सं० शखलनम्] सांकल से बांधना।
साइंणी) १ समवयस्क, इम उम्र । २ साथी, मित्र, दोस्त। सांकळियो-पु. १ दोहे का एक भेद । अंत मेल । २ देखो ३ सयाना, दाना।
'संखियो'। साह, सांई-स्त्री० [मं० स्वागतम्] १ मिलने-भेंटने की क्रिया। सांकळी, सांकळी (लो)-स्त्री० [स० शृखला] १ कान का एक
-पु० [सं० स्वामी] २ मुसलमान या सूफी फकीर । ३ एक प्राभूषण विशेष । २ स्त्रियों का अन्य शिरोभूषण। ३ हाथ
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सांकळु
( ७५३ )
सात
का पाभूषण विशेष ! ४ शृखलानुमा कोई भी पाभूषण । सांगळणी (बी)-क्रि० [सं० साकल्यम्] १ जख्म भरना, ठीक ५ स्त्रियों द्वारा कात्तिक मास में किया जाने वाला व्रत | होना। २ कूए में पानी पाना । ३ प्राय होना । विशेष । [सं. संकलिका] ६ सग्रह । ७ जोड़, योग । ८ देखो | संगवरणो-देखो 'सांगणो'। साकळी । [सं० शकुलि] ९ खाद्य पदार्थ विशेष । १० देखो | सांगवी-पु० रथ, तांगे आदि पर रखे मसनद की रोक के लिये 'सांकळ' । १५ देखो साकळी' ।
लगाया जाने वाला उपकरण । साकळू, सांकळी (तु, लौ) सांकल्यौ-पु. १ पैरों में पहनने का | सांगि, सांगी-वि०१ स्वांग लाने वाला, स्वांगी। २ ढोंगी, प्राभूषण विशेष । २ गले का प्राभूषण विशेष ।
पाखण्डी। ३ बैलगाड़ी मादि में लगने पाला छींका विशेष । सांकोचर-पु. विषपान करने वाला, शिव ।
४ गाडीवान के बैठने का स्थान । ५ देखो 'सांग' । सांकुड़णों (बी)-देखो 'संकुड़णी' (बी)।
| सांगीत-देखो 'संगीत'। सांकुल्यो, सांकुल्यो, सांकूल्यो, सांकूल्यो-१ देखो 'संख' । २ देखो | सांगीयाई-स्त्री. १ मावड़ देवी का एक नाम । २ प्रावड़ देवी 'सखियो।
की, छः बहनें व एक भाई सहित, धातु पत्र पर बनी मूर्ति । सांकेळी, सांकेलो-स्त्री. १ सिरोही की बनी, एक प्रकार की
सांगुस्ट (स्ठ)-पु. [स० सांगुष्ठ] अगूठे सहित हाथ का पंजा। तलवार । २ देखो 'संकेळो' । सांको-देखो 'संको'।
सांगुणी-१ देखो 'सांगणो'। २ देखो 'सांधणो'। सांखड़, साखडी-वि० [सं० संस्कृति] परिमाजित, साफ, शुद्ध ।
सांगेळ, सांवेळो-पु० [सं० साकल्यम्] बाहुल्य, अधिकता।
सांगोपांग-वि० [सं० साङ्गोपाङ्ग] १ समस्त अंगों सहित, पूर्ण, सांखहड़ी-पु० चौहटा। . सांखिक-वि० [सं० शांखिक] १ शंख संबंधी। २ शंख का बना |
पूरा । २ सुन्दर, मनोहर । ३ उत्तम, श्रेष्ठ। ४ भीड़हुधा । ३ शख बजाने वाला । ४ शख बेचने वाला।
भड़ाके सहित ।
| सांगो-देखो 'सागौं'। सांखूल्यो सांखूल्यो-१ देखो 'सख' । २ देखो 'संखियो। सांखो-पु० चारपाई की बुनावट का एक भाग। .
सांधणी-देखो 'सांगणी'।
| सांघरणी-वि० [सं० सघन] (स्त्री० सांधणी) १ घना, गहरा, सांख्य-पु० [सं०] १ महर्षि कपिल द्वारा रचित दर्शन का एक | ग्रंथ । २ संख्याएँ प्रादि गिनने की क्रिया ।-वि० १ संख्याओं
सघन । २ समीप, पास । ३ प्रधिक, ज्यादा । ४ एक साथ, से संबंधित । २ शंख का, शंख सम्बन्धी।
इकट्ठा । ५ जबरदस्त, जोरदार ।-क्रि० वि०६ सादर,
ससम्मान । ७ देखो 'सांगणी'। सांख्यजोग (योग)-पु० [सं० सांख्ययोग] शुद्ध चित्त एव सच्चे त्याग से ग्रहण किया जाने वाला योग, दशन ।
साधुलो-१ देखो 'सांघणों'। २ देखो 'सांगणों'। सांग-वि० [सं०] १ अंगों वाला, अवयव सहित । २ परिपूर्ण । |
सांच-देखो 'सत्य'। -पु० [सं० शक्ति) १ भाले से मिलता-जुलता एक शस्त्र,
सांचझूठकर, सांचमूठकर-पु० व्यापार, वाणिज्य । शक्ति। २ एक प्रकार का भाला । ३ लोहे की मोटी छड़
सांचरणी (बी)-क्रि० १ सांचा बनाना। २ सांचे में ढालना। जो भार उठाने में काम आती है। ४ एक प्रकार का
. ३ देखो 'संचणो' (बो)।
सांचियो-पु० १ संचा बनाने वाला कारीगर । २ सांचे में वस्तुएँ शस्त्र । ५ देखो 'स्वांग' । ६ देखो 'सांगडो'।
ढालने वाला। सांगड़ी-स्त्री० १ बड़े पत्थर या पट्टियां उठाने वाले मजदूरों का
सांचिली, सांचेलो-देखो 'साची' । (स्त्री० सांचेली) मोटा डंडा, बल्ली। २ लोहे के बड़े खम्भों को खड़ा करने
सांचोट-स्त्री० सच्चाई, सत्यता । में काम पाने वाला एक निसंडीनुमा उपकरण ।
सांचौ-१ देखो 'साची' । २ देखो 'संचो' । सांगड़ी-पु० १ बैलगाड़ी या शकट पादि को चक्कों सहित अधर सठाये रखने के लिये लगाया जाने वाला मोटा डंडा
सांज, सांजड़ली-देखो 'संध्या'।
सांज उ-वि० संयत । (देशी जैक)। २ देखो 'सांग'।
सांजणी-स्त्री० [सं० सांग्रही] दूध देने वाली गाय या मैस जो सांगणी-स्त्री० तिलहन के पौधों की फली या डोडी।
बिना दूही रह जाय। सांगणी-पु०१ शकुन के लिये दाहिनी पोर बोलने या दिखाई
देने वाला पशु या पक्षी। २ दाहिना । ३ देखो सांघणो' ।। सांजत, सांजति, सांजती-देखो 'साजत' । सांगतिक-वि०१ संगति का, संगति सबंधी। २ सामाजिक । | सांजवरण-स्त्री० [सं० संयवन] १ परिवार, कुटुम्ब । २ रसोईघर । ३ अजनबी।४ प्रतिथि, मेहमान ।
सांझ, सांडली, सांझड़ी-देखो 'संध्या'। सांगर-पु० १ शमी वृक्ष । २ देखो 'सांगरी'।
सांझनट-पु० [सं० सध्यानटी] शिव, महादेव । सांगरी-स्त्री० शमी वृक्ष की फली।
सांशि, सांझी-स्त्री. १ विवाह के समय संध्या को गाये जाने
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सां
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( ७५४ )
वाले लोकगीत । २ पर्व दिन की संध्या को गाये जाने वाले लोकगीत । ३ देखो 'सध्या' । ४ देखो 'साझी' ।
३ संधि ।
सांझं देखो 'सध्या' - सांशी-देखो 'साझी' ।
सांट- देखो 'साट'
सार-देखो 'पार्ट'।
सांठगांठ स्त्री० किसी कार्य की सिद्धि या योजना की पूर्ति के लिये की जाने वाली साझेदारी समझौता मेल-जोल 1
।
।
सांठि, सांठी स्त्री० १ तीर की डंडी । २ खान सांठी, साठी - पु० [सं० साष्टिक ] १ ईख, गन्ना
।
२ ज्वार के
पौधे का हरा डंठल । ३ ईख का डंठल ४ देखो 'सठौ' । सांड, सांड - पु० [सं०षण्ड ] १ गायों के संसर्ग के लिये छोडा हुआ, बछड़ा या बैल जिसे बिना खसी किये चिह्नित कर स्वतन्त्र छोड़ा जाता है ताकि घड़ी नस्ल के बढ़ते हों २ शिव का वाहन नंदी । ३ नर घोड़ा । वि० १ हृष्ट-पुष्ट, मोटाताजा । २ वीर बहादुर । ३ उन्मत्त, पागल । ४ बलवान, शक्तिशाली । ५ उद्दण्ड, उच्छ खल । ६ देखो 'सांढ' | सांड-देखो 'साई'।
साकसी स्त्री० [लड़की को दहेज में दिया जाने वाला एक सांड व बीस गायें ।
सांडाई
सांडियो - पु० १ संदेशवाहक, हरकारा २ मादा ऊट का सवार । ३] देखो 'साब'
सांडिल्य - पु० [सं० शांडिल्य ] धग्नि का एक नाम । साक्षी पु० [सं०] मांटिक १ गोधा की प्राकृति का एक जंगलो जानवर, जिसकी चर्बी एवं तेल घौषधि में काम माता है। २ कृषि कार्य में सामूहिक रूप से कार्य करने वाले मजदूरों ( किसानों) को खिलाया जाने वाला भोजन । ३ संग, साथ ४ देखो 'सांड' ।
सांडी- देखो 'सांडियो' ।
स्वी० मादा ऊंटनी
,
सांसद सांढ़ियो, सांढ़ियों, सांढ़ीउ (यो) -१ देखो 'संढ़ी' । २ देखो 'सांड' । ३ देखो 'सांडियो' ।
सांड • सांड के चरने के लिये खेत में छोड़ा जाने वाला
फसल का भाग । सांडो-देखो''।
सांडसउ - पु० [सं० सन्दशः] १ चिमटा, संडासी । २ जर्राही का सांतकुंभ - देखो 'सातकु'भ' । एक प्रौजार । ३ एक नरक का नाम ।
बाई-स्त्री० [पड़पन जबरदस्ती जोरावरी
का पत्थर या उपकरण । ८ चार माशे का एक तोल विशेष | 8 उत्तेजित करने वाले शब्द । १० गर्जन, ध्वनि । ११ देखो 'सांन' - वि० सन या पटसन का ।
ग्रह (घर)-५० [सं० शान गृह
शस्त्रपैने करने का
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स्थान । २ स्नानघर ।
सांजी, सांणजीब-पु० [सं० शान-जीव] सिकलीघर । सांणि-पु० [सं० शाणि] सन या पटसन ।
सोनो, साली पु० [सं० साधनिक १ घोड़ों के तबेलों का प्रत्यक्ष २ घोड़ों को शिक्षित करने वाला [सं०] ३ कसोटी । ४ पटसन का वस्त्र । ५ छोटी कनात या तम्बू । ६ फटा वस्त्र । ७ सान का पत्थर-वि० [सं० श्लक्ष्णक] कोमल नाजुक
सांगोर-पु० डिगल का एक छंद ( गीत ) विशेष । सांखो, सोलो पु० १ अनाज की कोठी के नीचे बनी मोरी। २ इस मोरी को बन्द कर रखने का उपकरण ।
सांत वि० [सं० शांत] १ दबाया हुआ । २ मरा हुधा, मृत । ३ पूर्णतः समाप्त ४ सतुष्ट, पधाया हुंघ्रा । ५ प्रावेग, चंचलता रहित, स्थिर । ६ सान्त्वना पाया हुप्रा । ७ शिथिल, ढीला । ८ प्रभावित । ९ शुभ मंगलकारी । १० चुप, मौन ११ जितेन्द्रिय १२ निस्तब्ध, नीग्न १३ सौम्य, गंभीर [सं० बान्त] १४ महाप्रा, स्वान्त १५. उष्णता रहित -पु० १ सुख, हर्ष, प्रानन्द । २ प्लक्ष
।
द्वीप का एक वर्ष ३ साहित्य में एक रस 1
सांताचारी
"
सांत तो ० चिता, जाति, फिक
।
सतन पु० [सं०] शांतनय] भीष्म पितामह का एक नाम। सांतनु - पु० [सं० शान्तनु] कौरव पाण्डवों के प्रपितामह। राजा शान्तनु । -- सुत- पु० भीष्म । शांतनु का पुत्र । सतिपन वि० [सं०] दो दिन में पूर्ण होने वाला ० १ छः रात्रि तक किया जाने वाला एक उपवास । २ प्रथम दिन केवल पचगव्य पीकर दूसरे दिन रखा जाने वाला उपवास । सांतपनकच्छ ( ऋछ ) - पु० एक प्रकार का व्रत ।
सांतर, सांतर स्त्री० सामग्री सामान । वि० जिसके बीच में अवकाश हो ।
सप्तरी, सांतरी - वि० [सं० सत्तरम् ] ( स्त्री० सांतरी) १ उत्तम श्रेष्ठ बढ़िया । २ अच्छा, ठीक ३ स्वादिष्ट, जायकेदार । ४ स्वस्थ, तदुरुस्थ । ५ हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा । ६ उचित, वाजिब, उपयुक्त । ७ उपयुक्त, बढ़िया । ८ तेज, तीक्ष्ण । ९ ठीक स्थित १० सुन्दर खूबसूरत । सांता - स्त्री० [सं०] शान्ता] १ देवी का एक नाम । २ दूर्वा, दूब । ३ शमी । ४ एक श्रुति । ५ रेणुका ।
सांठी, सांढो-देखो 'सांडो' |
सांख पु० [सं० बाला भोजन २ कमल धनुष ४ सन का बना मोटा वस्त्र |
[सं० शारणं, शारण ]
५ कसौटी का पत्थर । ६ श्रारा । ७ शस्त्रों के धार लगाने | सांताकारी- वि० [सं० शान्तिकारिन् ] शांतिदायक ।
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सांति
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सांति स्त्री० [सं० शान्ति] १ वेग. क्षोभ दुःख प्रादि से रहित स्थिति, प्रवस्था या भाव। २ स्थिरता । ३ प्राराम, चंन I ४ समाज की लड़ाई-झगड़ा व उत्पात से मुक्त प्रवस्था । ५ नीरवता निस्तब्धता मृत्यु मौत ७ धीरज, धेयं ८ निष्कलंक होने की अवस्था वासनाओं से मुक्ति, विराग । १० सोभाग्य । ११ बचाव १२ अनिष्ट निवारण। १३ रोगादि से मुक्ति । १४ युद्ध की समाप्ति । १५ मेल, मिलाप । १६ संतुष्टि । १७ दुर्गा देवी का नाम सांतिक वि० [सं० शान्तिक] का परिणाम |
।
( ७५५)
सांथो-देखो 'सांठी ।
सांतिकुंभ- देखो 'सातकुंभ' |
सांति, सतिदाता (दायक, दायी) - वि० [सं० शांतिदातृ ] शान्ति देने वाला पु० भवान् विष्णु सांतिपंचमी (पांच) स्त्री० शुक्ला पचमी ।
सांध्यौ पु० स्वस्तिक |
सोबी-१ देखो 'सी' २ देखो 'सौंधी'।
1
१० निर्मित करना, बनाना । सांधाखांनी- देखो 'सौंधाखांनो' ।
सांधणी स्वी० कपडे को बुनाई की एक विधि, प्रक्रिया सांधि-स्त्री० [सं०] १ सय २ संधि । सांधिक वि० [सं०] १ संधि कराने वाला । २ शराब बनाने वाला । सांधिकै सांधिको, सांधे-पु० १ संधिस्थान, जोड़ । २ सीध । सांधी पु० १ परस्पर लगाव, वास्ता, संसर्ग व सम्पर्क । २ जोड़, संधि । ३ वश, उपाय । ४ सहारा ५ देखो 'सौंधी' । शान्ति से संबंधित । पु० शांति सांन स्त्री० [अ० शान] १ इज्जत,
२ ठाट-बाट, तड़क-भड़क ४ श्रेष्ठता । ५ प्रताप, प्रभाव बावलापन । ७ निशान, झण्डा से बना वस्त्र । वि० १ तीक्ष्ण, तेज । २ देखो 'सांग' । [सं० शातिपंचमो] प्राश्विन सांगली (बो० भियना गीला करना २ पागल करना,
प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा । ३ वात रोग, लकवा | [सं० संज्ञा ] ६ पागलपन, बुद्धि । ९ सन के रे
1
बावला करना ।
सांतियात ( पातर पात्र) पु० [सं० शान्तिपात्र] क्रूर ग्रह वा सोनपत्र (पाद)- पु० [सं० शानपाद] चन्दन घिसने का पत्थर पापों की शान्ति के लिये जल रखने का पात्र ।
सांती देवो'सांति' ।
सांतीर देखो 'सहतोर'।
सांतीम सतोम (मी) देखो 'स्टोम' |
सांती, सांतो- पु० १ चोरी के उद्देश्य से दीवार में किया जाने बाला छेद, सेंध २ नुकसान, हानि ३ मोट की सिचाई के उपकरणों का समूह
तुल्य
सांथरवाड़ी-देखो 'साथरवाड़ी' । सांघरी-देखो 'साबरी'
सानु - पु० [सं० सानु ] १ पर्वत की चोटी, शिखर । २ जगल, वन । ३ पर्वत के ऊपर को चौरस भूमि । सांज-पु० [सं०] सहानुज] स्वभाव धादत प्रकृति
सोच देखो 'साथ' ।
सांची स्त्री० १ करघे के ऊपर लगी एक लकड़ी विशेष सांनुमान, सानूमान पु० [सं० सानुमम् ] पर्वत, पहाड़
२ बुनाई की एक प्रक्रिया
सोनू देखो 'सानु' ।
सांद्र - वि० [सं०] १ गंभीर, गहरा २ घना, सघन । ३ स्निग्ध, चिकना । ४ मृदु, मधुर । ५ सुन्दर, मनोहर । ६ विपुल, पर्याप्त ७ गुच्छा, समूह ।
1
सांद्रप्रसाद पु० [सं०] मूत्र संबंधी एक रोग सोध- देखो 'सोधी' २ देखो 'संधि' सांधण स्त्री० [सं०]धि] जोड़ योग सांधणी (at) - क्रि० [सं०] साधन] १ निशाना साधना, प्रत्यंचा पर तीर चढ़ाना। २ कपड़े आदि के जोड़ या टांका लगाना । ३ मेल-जोल करना । ४ संधि-समझोता करना । ५ पिंडाकार या गोलाकार करना ६ जोड़ना । ७ सम्मिलित करना विलीन करना । ८ तैयार करना । ९ बनाना, गढ़ना ।
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सांवराय
सनियाफ पु० एक प्रकार का बहुमूल्य वस् सांनिज- देखो 'सांनुज' ।
सांनिद्ध, सांनिध, सांनिधि, सांनिध्य पु० [सं० सानिध्य] १ सामीप्य । २ मंगल, अमन-चैन । सांनियो-वि० १ पागल, बावला । २ चित्तभ्रम ।
सांगी, सांनी स्त्री० इशारा संकेतवि० [० बानी] समान,
सानूबाळ - पु० [सं० सानु प्रालुच ] पर्वत, पहाड़ । सांप, सांप-पु० [सं० सर्प ] सर्प, नाग ।
०१ स्नान, मज्जन २ भोपड़ियों मादि में लगाया जाने वाला एक प्रकार का बंधन | सांपडणौ (बी) - देखो 'संपड़णी' (बो) ।
पाणी (बी) पाली (बो-देखो 'पाणी' (बी)। सांप (ब)- देखो 'संपजणी' (बी)।
सांप (पी) देखो 'साली' ।
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सोल (बो-देखो ''पी' (बो)।
सांपनणी (बौ), सांपन्नणी (नौ) - क्रि० [सं० संपदनम् ] १ प्राप्त होना, मिलना २ उपस होना, पैदा होना ३ पूरा होगा, सम्पन्न होना ।
सांपरत
1
परत परत सरिक सांपरब- देखो 'सांप्रत' । सांप राय- पु० [सं० साम्परायम् ] युद्ध ।
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सांपरायक
सांमठी
सांपरायक, सांपरायिक, सांपरायिकी-वि० [सं० साम्परायिक] | पानी से बनाया गया नमक ।
१ युद्ध में काम पाने वाला। २ परलोक सम्बन्धी, सांभरणौ (बौ)-१ देखो 'समरणो' (बी) । २ देखो पारलौकिक । ३ विपत्तिजनक ।-पु. १ युद्ध, समर । 'सांभळणो' ()। २ युद्ध का रथ।
सांभरमति (at-देखो 'साबरमती'। सांपरीछतरी-स्त्री. वर्षा ऋतु में होने वाला छातानुमा एक सांभरियो, सांभरी-पु. १ सांभर झील का नमक । २ चौहान छोटासा पौधा।
शाखा का राजपूत । ३ 'सांभर' मृग ।-वि० साभर का, सांपरीमासी-स्त्री० एक जंतु विशेष ।
सांभर सबंधी। सांपाडो-देखो 'सपाही'।
सांभळण-पु. कान, श्रवण । सांपोळी-पु० नशे में मस्त होकर झूमने या डगमगाने की क्रिया।। सांभळरणो (बो)-क्रि० १ सुनना । २ ध्यान देना । ३ समझना, सांपो, सांपो-पु० जगल में चरने के लिये जाने वाली गायों, | जानना। भैसों मादि का समूह।
सांभव-वि० [सं० शांभव] शिव का, शिव से संबंधित । शव । सांप्रत, सांप्रत, (ति, तो)-प्रव्य० १ प्रत्यक्ष, सामने । २ हूबहू, -पु० १ देवदारू का वृक्ष । २ शिव उपासक, शिव भक्त ।
साक्षात् । ३ सचमुच । ४ इसी समय, प्रभी । ५ फिर, ३ शिव पुत्र । ४ कपूर । ५ विष, जहर।। पूनः । ६ उचित, मुनासिब । ७ वास्तव में, हकीकत में। सांभवी-स्त्री० [सं० शांभवी] १ पावती, दुर्गा । २ दूब, दूर्वा । ८ उस समय।
सांभेळो-देखो 'सांमेळो'। सांफळ-पु० युद्ध, लड़ाई, झगहा।
सांम्हळणी (बो)-देखो 'सांभळणी' (बो)। सांफळउ -देखो 'सांफळी'।
सामंत-पु० [सं० सामंत] १ योद्धा। २ बड़ा सरदार, बड़ा सांफळणी (बी)-क्रि०१ युद्ध करना, लड़ाई करना, संग्राम अमीर। ३ छोटा राजा जो कर देता है। ४ वीर या करना । २ टक्कर, लेना, भिड़ना ।
बहादुर व्यक्ति । ५ देवराज इन्द्र । ६ समीपवर्ती, पड़ोसी। सोफळी-पु. १ युद्ध, लड़ाई, संग्राम । २ मोर्चा । ३ टक्कर, मुठ- ७ पड़ोस । ८ देखो 'संवत' । ६ हाथी, गज ।
भेड, झड़प ।-वि. १ कटिबद्ध, तैयार। २ अस्त्र-शस्त्र सामंद-पु० १ बैलों की जोड़ी । २ देखो 'समुद्र'। सहित।
| सामंदर, सांमद्र-देखो 'समुद्र' । सांब-० [स० साम्ब१ शिव का एक नामान्तर । २ श्रीकृष्ण साम-पु. [स० सामन्] १ यज्ञ के समय पढ़े जाने वाले मंत्र । का एक पुत्र। ३ देखो 'साम' ।
२ सामवेद । ३ राजनीति का एक अग, साम नीति । साबरण-देखो ‘साबण'।
४ प्रशंप्तात्मक गान या छन्द । ५ कोमलता, मृदुता। सांबर-देखो 'सांभर'।
६ मैत्री, दोस्तो। [फा० शाम] ७ सायकाल, सध्या । सांबरणी-स्त्री० अधिकार, कब्जा।
८ डंडे, लाठी या हथियारों के दस्ते के बीच लगने वाला सांबरी-स्त्री० [सं० शाम्बरी] १ माया, इन्द्रजाल, बाजीगर । धातु का बंद । [फा० साम] ९ मरहा, मृत्यु। १० दर्द,
२ मायाविनी । ३ मूषाकानी लता। ४ देखो 'सांबरों'। पोड़ा । ११ देखो 'सामी' । १२ देखो 'स्याम'। १३ देखो सांबरोट-पु० सांभर प्रदेश का भू-भाग या भूमि।।
'स्यामक'। सांबरो-वि० सांभर पशु संबंधी, सांभर पशु के चर्म संबंधी। सांमक-वि० [सं० सामक] १ सामवेद संबंधी। २ साम वेद -पु. एक प्रकार का हिरन, सांभर ।
का पंडित । सांबळ, सांबळउ-देखो 'सांवळी' ।
सांमख-वि०१ पूरा, पूर्ण । २ लम्बा, बड़ा। सांबळणी (बी)-देखो 'सांभळणी' (बी)।
सांमखोर, सामखोरी-वि० स्वामी भक्त । सांबविक-पु० [सं० शाम्बविकः] शंख बेचने वाला व्यक्ति। सामग-पु० [सं० सामन-ग] १ सामवेद का गान करने वाला सांबहणी (गे)-देखो 'संभाणो' (बी)।
ब्राह्मण । २ भगवान विष्णु। सांबीलो-पु० [सं० शंबज] १धानादि कूटने का एक उपकरण, सामगरी, सामगिरी, सामग्री-स्त्री० [सं० सामग्री] १ किसी मूसल। २ एक प्रकार का हथियार ।
कार्य में प्रयोग ली जाने वाली वस्तु, वस्तु समूह । सांभरणो (यो)-देखो 'संभाणी' (बी)।
२ सामान, साधन । ३ गृहस्थी का सामान । ४ असबाब । सांभर-पु. १ मृगों को एक जाति व इस जाति का मृग। सांमज-देखो 'स्यामज'।
२ इस मृग का सींग। ३ राजस्थान का एक प्रदेश । ४ इस | सांमटयो (बो)-देखो 'समेटणी' (बी)। प्रदेश के पास को, नमक की एक झील । ५ इस झील के | समिठो-देखो 'सांवठौ'।
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समि
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सांमण स्त्री० १ देवी का एक नाम। २ दशनामी संन्यासियों की कोई गृहस्थ स्त्री । ३ स्वामिनी, मालकिन । ४ देखो ''।
समद्रोह देखी 'स्वॉमीद्रोह' ।
सांमधरम, सांमधरमी (म्म) - देखो 'स्वांमीधरम' । समिरमी (मी) देखो 'स्वामीधरमी' । देखो 'स्वामीधरम'
सांमधी देवो'संबंध' ।
( ७७)
।
सांमणि, सांमणी-स्त्री० [सं० स्वामिनी ] १ स्वामिनी मालकिन २ श्रावण मास की तृतीया । ३ फकीरन, संन्यासिनी । - वि० १ आवरण मास की, धावण मास संबंधी । २ भयंकर विनाशकारी ।
1
समिम, समिधम्म- देखो 'स्वामीधरम' । सोममी, समम्मी-देखो 'स्वामी' | सामने - क्रि० वि० १ सम्मुख, प्रगाडी । २ प्रत्यक्ष । ३ विरुद्ध । सांमनी, सांमनी-पु० १ मुकाबला, भिड़ंत । २ विरुद्ध या विपक्ष
में होने की अवस्था या भाव। ३ किसी पदार्थ के भागे का भाग । ४ भेंट मुलाकात । ५ प्रतियोगिता ।
सोमण, सोमपाल- पु० स्वामित्व सांभर-देखो 'सांभर' ।
२ प्रबन्ध व्यवस्था । ३ साज-सामग्री ४ युद्ध का सामान । ५ घर-गृहस्थी का सामान । ६ धन, द्रव्य, दौलत |
सांमांन्या स्त्री० १ धन के बदले प्रेम करने वाली नायिका ।
२ सर्व साधारण को उपलब्ध स्त्री । समाचार, सांबाचारी-देखो 'समाचार' । सांमाज-१ देखो 'समाज' । २ देखो 'स्यांमज' | सांमाजि० [सं०] सामाजिक सभा का सदस्य सभासद
२ तमाशे करने वाला व्यक्ति । ३ तमाशा देखने वाला जन समूह । ४ काव्य एवं संगीत का ज्ञाता । वि० १ समाज • का, समाज संबंधी । २ सुहृदय ।
सामाजिका - पु० १ समाज में रहने वाले सदस्य । २ सभा के
सदस्य, सभासद । सांमाथ- देखो 'समरथ' ।
सांमरत, समिरत्थ, सांमरथ, सांमरथि - १ देखो 'सांमरथ्य' । सांमाधि, सांमाधी - देखो 'समाधि' ।
२ देखो 'समरथ' |
सांमरथीक देखो 'समस्थ' ।
सांमरथ्य- १ देखो 'सांमरथ्य' । २ देखो 'समरथ' ।
सांमरथ्य - पु० [सं० सामर्थ्यं ]
१ समर्थ होने की स्थिति या भाव २ कार्य संपादन की शक्ति या योग्यता । ३ शब्दों की व्यंजना शक्ति । ४ शब्दों का पारस्परिक संबंध । ५ धन, दौलत । ६ शक्ति, बल ।
सांमराट- देखो 'सम्राट' ।
सांमरात - पु० युद्ध, संग्राम ।
सांमराथ- देखो 'समरथ' ।
सांमरियो-देखो 'सांभरियो ।
सांमरी स्त्री० ० एक प्रकार की लता ।
साम-देखो 'सांभर' ।
सामरोह पु० उमरकोट के दक्षिण की घोर का भू-भाग । सामरी-देखो 'सांभर ।
समरची-देखो 'सांभरियों' समस(१० १ सूर्य, सूरख २ घोड़ों को एक जाति । ३ देखो 'सांवळो' । ४ देखो 'सांमिळ' |
समला (ति) व शामिल सम्मिलित । सांमळियो-देखो 'सांवळी'
सांभळी-देखो 'सवळी'।
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सांमी
सांमळू सांगळो-देखो 'सांवळी' |
सामली - वि० ( स्त्री० सांगली) १ भागे का, सामने का। २ प्रतिद्वन्द्वी प्रतियोगी । ३ प्राने वाला ।
।
सांमहतो (बी) देखो'' (बी) सांमहलो- देखो 'सांगली' ।
सांमही-१ देखो 'सांम्ही' । २ देखो 'समिलो' ।
सांमान - पु० [फा० सामान] १ कार्य साधन की प्रावश्यक वस्तुऐं ।
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सांमायक, सामायिक स्वी० समस्त सांसारिक क्रिया-कलापों को छोड कर प्रभु-ममरण करने की घड़ी (जैन)
सांमि देखो 'सांमी
सांमिण, सांमिली-१ देखो 'साइली' । २ देखो 'सांमणी' ।
३ देखो 'समांणी' ।
सांमिधरम, सांमिधरम्म- देखो 'स्वामीधरम' ।
सांमिधरमी, सांमिधरम्मी - देखो 'स्वांमीधरमी' ।
सांमिश्रम, सांमिधम्म- देखो 'स्वांमीधरम' । सांमिय- देखो 'सांमी' ।
सांमियां (नौ) - पु० [फा०] साभियान: ] तम्बू, हामियाना सांमियो-देखो 'सामी' ।
सांमिळ, सांमिल- वि० [फा० शामिल] साथ, शामिल सम्मिलित ।
सांमिलि- देखो 'सांमिल' |
सांमिसाल - पु० [सं० स्वामिन् सार] अधिपति । सांमी, मी० [सं०] स्वामी ] १ ईश्वर, परमात्मा भगवान
२ भगवान विष्णु । ३ शिव, महादेव ४ स्वामि कार्तिकेय । ५ पक्षिराज गरुड़ ६ राजा न ७ स्वामी मालिक
पति स्वामी ९ पर का प्रधान व्यक्ति १० सेनापति, सेना नायक । ११ दशनामी संन्यासी । १२ नाथ सम्प्रदाय के धनुयायी । १३ साधु, सन्यासी । १४ देखो 'सांम्ही' |
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सामोधरम
( ७५८ )
सांवत
१५ देखो 'साम'।
प्रतिकूल दशा में । ३ सामने । ४ पोर, तरफ। ५ अनुकूल मामोधरम (धरम्म, भ्रम, धम्म)-देखो 'स्वामीधरम'।. पक्ष में । ६ तुलना में अपेक्षाकृत । ७ समक्ष, प्रगाड़ी। सांमीनौ-देखो 'सांइणो' ।
८ देखो 'सामी'। सांमीप-१ देखो 'समीप' । २ देखो 'सामीप्य'।
साम्हु-देखो 'साम्हो' । सामीपत्य, सामीपमुकति मुकत्ति, मुक्ति) सामीप्य, सामीप्यमुक्ति-सांम्हेई-स्त्री० एक देवी विशेष ।
स्त्री० [सं० सामीप्य| १ निकटता, समोपता । २ मुक्ति के | सांम्हेळी (लो)-देखो 'सांमेळो' । पांच भेदों में से एक जिसमें भगवान की नित्य समीपता | सांम्है-क्रि० वि० १ सामने, सम्मुख । २ मोर, तरफ । प्राप्त हो जाती है।
सांम्हौ-वि० (स्त्री० सांम्ही) १ सामने, सम्मुख । २ तरफ, भोर। सांमीर-देखो 'समीर'।
३ उल्टा, विपरोत । ४ अनुकूल, पक्ष में । सांमीरजायो-पु. १ पवनसुत, हनुमान । २ भीम, वृकोदर। | साम्होसांम-क्रि० वि० बिल्कुल सामने, मामने-सामने । सांमीवच्छल, सांमीवछल-पु० [स० साधर्म्यवात्सल्य जैन सम्प्रदाय | सांयकाळ-देखो 'सायंकाळ'। ___ में समान मियों का भोजनादि से किया जाने वाला सत्कार । सांयंड (ड), सायंड (8)-देखो 'सांढ' । सांमुब, सांमुबर, सामुद्र-वि० [सं० सामुद्र] १ समुद्र का, समुद्र | सांय-स्त्री० १ तीर, गोली चलने या पक्षियों के उड़ने से उत्पन्न
संबंधी। २ समुद्र में उत्पन्न ।-पु. १ समुद्री नमक । ध्वनि । २ सुनसान जगह में वायु से उत्पन्न सन्-सन् ध्वनि ।
२ समुद्री फेन । ३ शारीरिक दाग, चिह्न। ४ हर्ष, प्रानन्द । सांयत-स्त्री० १ समय, वक्त । २ देखो 'सांति' । सामुद्रक, सामुद्रिक-पु० [सं० सामुद्रिक] १ मनुष्य के शरीर के सांयति, सोयती-देखो 'सोति।
चिह्न जिनसे शुभाशुभ फल ज्ञात होते हैं। २ शारीरिक सांयरो-पु०किसी रास्ते पर लगाया जाने वाला झाड़ी का भवरोध । चिह्नों से शुभाशुभ फल बताने वाला ज्योतिष का ग्रंथ । सांयो-१ देखो 'सांमी' । २ देखो 'साई'।
-वि०१ समुद्र का, समुद्र संबंधी । २ समुद्र से उत्पन्न । | सांयोनी, सांयीनो-देखो 'साहरणो'। (स्त्री० सायोनी, सांयीनी) सांमुह, सामुहउ, सांमह, सांमुही, सांमू-देखो 'साम्हो' । सार, सार-पु० गाय, बैल, भैस आदि पशु । सांमूसाम-देखो 'सांम्हीसांम' ।
सांव-देखो 'सामंत'। सांमेळो-स्त्री० [सं० सामेयी] १ कन्या पक्ष वालों की मोर से, | सांवटणी (बो)-देखो ‘समेटणो' (बो)।
नगर या गांव के प्रांगण में दूल्हे व बरातियों का, तोरन | सांवटो, सांवटी(ठी)-पु० ऊंचा स्थान, चबूतरा । -वि. पर जाने से पूर्व किया जाने वाला स्वागत । २ सौभाग्यवती १ जबरदस्त, शक्तिशाली । २ अधिक, पर्याप्त ।
स्त्रियों द्वारा मगल कलश लेकर की जाने वाली अगुवानी। सांवरण, सांवरिणयौ-पु० [स० श्रावण] १ विक्रमी या शक संवत सांमेव-पु० [सं० सायुज्य] मुक्ति के पांच भेदों में से एक । के अनुसार प्रतिवर्ष का पांचवां मास, श्रावण । २ वर्षा सामेहळो-देखो 'सांमेळो'
___ ऋतु संबंधी या इस ऋतु में गाया जाने वाला लोक गीत । साम-देखो ‘साम्है'।
३ देखो 'सुगन' । ४ देखो 'सुगरणी' । सामरी-स्त्री० एक प्रकार की रागिनी।
सांवरगडाढ़ (दाढ़)-पु. भाला। सोमोद-वि० हर्ष, प्रसन्नता युक्त, मानन्ददायक ।
सांबणीहोकरी-स्त्री० वीर बहूटी नामक कीड़ा । सामो, सामो-देखो 'सांम्ही'।
सांवरिग, सांवरिणक-१ देखो 'सांवरण' । २ देखो 'सांवणी'। सामोसाम-देखो 'साम्होसाम' ।
सांवणी-वि० [सं० धावणी] १ श्रावण मास का, श्रावण मास साम्य-पु० [सं० साम्य] १ समानता। २ देखो 'स्याम'। संबंधी । २ देखो 'स्रावरणी'। -पु. पहले श्रावण में वधू के ३ देखो 'सामी' ।
लिये भेजे जाने वाले वस्त्र या खाद्य पदार्थ पादि । तीजसांम्रत, साम्रथ-१ देखो 'समरथ'। २ देखो 'सामरथ्य'। स्त्री० श्रावण शुक्ला ततीया, स्त्रियों के व्रत एवं उत्सव का दिन । साम्राज्य-पु० [सं० साम्राज्य] १ एक ही सम्राट के अधीन रहने -पूनम-स्त्री. श्रावण की पूणिमा, रक्षा बधन पर्व । वाला राष्ट्र, देश । २ शासन, सत्ता। .
सावरण, सावरण-स्त्री. खरीफ की फसल । -वि० धावण मास सांम्हउ-देखो 'सांम्हो' ।
___का, श्रावण मास संबंधी। साम्हन-देखो 'सामने'।
सांवरणबाव, सावरगसाण-पु. खरीफ की फसल पर कृषकों से साम्हळणी (बी)-देखो 'सांभळणी' (बी)।
लिया जाने वाला कर। सांम्हलो-देखो 'सांमलो'।
सवित-स्त्री. १ एक प्रकार की मुसलमान वेश्या, रंडी । २ देखो सांम्ही-क्रि० वि०१ सम्मुख, सामने। २ उल्टा, विपरीत या 'सोमत'।
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सांबतदे
साउबाणी
सांवतदे, सांवत-पु. एक लोक गीत विशेष ।
सोहगणौ, सांहगरणी-वि०१ अनुकूल । २ देखो 'सांगणो' । सांवन-पु०१ एक प्रकार की राग विशेष । २ देखो 'सांवण' साहरण-देखो 'साहण' । सांवरगो (बो)-देखो 'संवारणो' (बो)।
साहसी-देखो 'सा'णी'। सांवरियो, सांवरो, सांवळ, सांवळडो-देखो 'सावळो' । साहणी-१ देखो 'सांगणी' । २ देखो 'साहो' । सांवळताई-स्त्री० श्याम वर्ण होने का भाव, श्यामलता। । । सोहणी (बो)-देखो 'साहो' (बी)। सांवळपक्ख, सांवळपख, सांवलपख-पु० [स. श्यामल-पक्ष) सांहमो-देखो ‘साहो' । प्रत्येक मास का कृष्णपक्ष ।
साहस, सांहस्स-देखो 'साहस'। सांवळियो-देखो 'सांवळो'।
सांहांमो-देखो 'सांम्हो'। सांवळी-देखो 'संवळी',
सा, सा-पु० १ ईश्वर, परमात्मा । २ मित्र, दोस्त । ३ वर्ष, सांवळीसाड़ी-स्त्री० एक प्रकार का लोक गीत ।
साल । ४ स्वाद, जायका । ५ संगीत में एक स्वर ।-स्त्री. सांवळी (लो)-पु० [सं० श्यामल] १ श्रीकृष्ण । २ अर्जुन । ६ स्त्री, नारी। ७ रज, धूल । ८ साली। ९ लक्ष्मी
३ श्रीराम । ४ परमेश्वर, ईश्वर । ५ भगवान विष्णु। रमा। १० गुफा । ११ टिड्डी। १२ रेखा, पंक्ति। ६ बादल, मेघ । ७ काला रंग। ८ एक मांसाहारी पक्षी। १३ पावती । १४ मात्रा या तुलना सूचक प्रत्यय शब्द । ६ भील । १० शिकारी। ११ कृष्ण मृग। १२ अफीम, -वि०१ समान, तुल्य । २ अच्छा, भला। ३ साथ, सहित। अमल । १३ मंवर, भ्रमर । -वि० (स्त्री० सांबळी) ४ देखो साह'।-सर्व०वह (स्त्री)।
१ श्याम रग का, कृष्ण, काला । २ नीला, काला * सा-१ देखो मास'। २ देखो 'हा'। सांवीणो-देखो 'साईणौ।
साग्रता-देखो सांता' सांवो, सांवो-पु० [सं० श्यामक] १ चने की जाति एक अनाज | साइ-सर्व०१ वह (स्त्री)। २ देखो 'साई' । २ देखो 'सांमी'
जिसे उबाल कर खाया जाता है, एक प्रकार का कदन्न । साइउ-पु० [सं० स्वागत] मिलन ।
२ घुटनों तक लंबा एक घास विशेष । ३ देखो 'संवो' । साइक (क्क)-देखो 'सायक'। सांस-१ देखो 'सास' । २ देखो 'सूस' ।
साइरिण (णी)-१ देखो 'साकणी'। २ देखो 'साहो' (स्त्री०) सांसउ-देखो 'सांसो'।।
साइत-१ देखो 'सायत' । २ देखो 'सायद'। सांसण-१ देखो 'सासन'। २ देखो 'सांसी'।
साइधरण-देखो 'सायधण' । सांसपी. सांसपीक-पु. १ वह व्यक्ति जिसको शासन की मोर | साइनो, साइनो-देखो 'साहो' ।
से दान में भूमि मिली हुई हो। -स्त्री० २ मांट जाति की साइर-१ देखो ‘सागर । २ देखो 'सायर'। एक शाखा।
साइवांण (न)-१ देखो 'सांमियांनो' । २ देखो 'साईवान'। सांसणी-पु. दमा रोग से पीड़ित पशु।
साई, साई-स्त्री. १ खरीद की जाने वाली जमीन, वस्तु मादि सांसग्गी (बी)-क्रि० १ प्रभिलाषा करना, इच्छा करना। की कीमत का वह अंश जो सौदा तय हो जाने पर पग्रिम
२ शासन करना, हुकूमत करना। ३ तरसना, बिलखना। दिया जाता है, पेशगी। २ रुदन, चीत्कार। ३ साक्षी। ४ सहना, सहा जाना । ५ ठहरना, रुकना।
४ इशारा, सकेत । ५ देखो 'सांमी'। सांसता-वि० [सं० श्वसत्] स्वस्थ ।
साईदार, साईदार-पु. साक्षी, गवाही । -वि. १ साक्षी देने सांसर-पु० पशुधन।
वाला, गवाह । २ पेशगी देने वाला। सांसारिक, सांसारी-वि० [सं० सांसारिक] १ संसार का, संसार | साईनो, साईनो-वि० [सं० समवयस्क] (स्त्री० साईनी,
संबंधी। २ संसार के कार्य संबंधी, लोकिक । ३ जिसका | साईनी) बराबरी का, हम उम्र ।
संबंध जीवन की प्रावश्यकतामों या विषय भोगों से हो। | साईवाण (न)-पु. १ छज्जा, छाजन । २ देखो 'सामियांनो'। सांसि, सांसी-पु. (स्त्री० सांसरण) १ राजस्थान की एक साउ-पु. १ स्वाद, जायका। २ देखो 'साऊ'।
घुमक्कड़ जाति व इस जाति का व्यक्ति । २ संशय। । साउचेती-देखो 'सावचेतो'। सांसु-१ देखो 'सासू' । २ देखो 'सास' । ३ देखो 'संसय'। साउळ, साउल-पु. १ बढ़ई का एक मौजार विशेष । २ एक सांसौ-पु० [सं० संशय] १ सदेह, शक, भ्रम । २ सोच, फिक्र, प्रकार का वस्त्र विशेष। ३ एक प्रकार की साडी।
चिन्ता । ३ दुःख । ४ डर, भय । ५ सम्भावना, पाशका। । ४ देखो 'सावळ' । ६ चक्कर। ७ कमी, अभाव । ८ रोब, पातंक | साउवाणी-स्त्री. १ महारानी, रानी। २ ठकुरानी, सामंत की ९ धारणा । १० संकट, विपत्ति । ११ झझट, उलझन । | पत्नी । ३ बेटी, पुत्री। ४ देखो 'सवासणी'।
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साऊ
(
७६० )
साहा
साऊ, साऊ-पु. १ सुभट, सामंत, योद्धा। २ देखो 'सासु' । | साकारता-स्त्री० साकार होने की अवस्था या भाव । -वि० १ सुन्दर, मनोहर । २ उत्तम, श्रेष्ठ ।
साकिरिण, साकिरणी-देखो साकरणों'। साऊजम-वि० कार्यरत, उद्यमशील ।
स किनी-स्त्री० [सं० शाकिनी] १ दुर्गा देवी की एक साऊवारणी-देखो 'साउवाणो'।
परिचारिका । २ शाक-सब्जा का खेत। ३ देखो 'साकणी' । साकप-वि० कम्पन सहित, कम्पनयुक्त।
साकी-पु० [म.] १ शराब पिलाने वाला । २ प्रेमी, माशूक । साकब, साकंबरी, साकंम, सामरी-स्त्री० [सं० शाकभरी] | ३ शिकायत करने वाला । ४ चुगलखोर । ५ शत्रु. दुश्मन ।
१ देवी का एक रूप। २ अपने शरीर से उत्पन्न शाकों से | साकुन-वि० [सं० शाकुन] १ शकुन संबंधी । २ शुम । समस्त संसार का भरण-पोषण करने वाली देवी। ३ देखो 'सुगन'। ३ चौसठ योगिनियों में से तीसरी योगिनी। ४ सांभर साकुर-पु० घोड़ा, अश्व। झील के पास-पास का प्रदेश । ५ साभर का एक नाम । साकुळी, साकुली-स्त्री० [सं० शष्कुली] पूरी, पकवान भादि । -पूनम-स्त्री० पौष शुक्ला पूणिमा ।
साकूतरी, साकूतो-पु. संपत्नी-पुत्र । साक-पु० [सं० शाक] १ शाकद्वीप का एक प्रसिद्ध वृक्ष । साकेत-पु० अयोध्या नगरी का एक नाम । २ देखो 'साग' । ३ देखो 'सक' ।
साकेती-वि० अयोध्या संबंधी।-पु. अयोध्यावासो। साकट-पु० [सं०. शाक्त] । शाक्त मत का अनुयायो । २ रथ, | साको-पु०१ महायुद्ध। २ यश, कीर्ति, प्रसिद्धि । ३ अवसर,
शकट । [सं० शाकट:] ३ बल। -वि० १ दुष्ट, पाजी। | मौका । ४ धाक, रौब । ५ संवत, शाका। ६ यश का कार्य २ विधर्मी। ३ मूर्ख, नासमझ ।
करने वाला। साकरिण, साकरणी-स्त्री० [सं० शाकिनी] १ दुर्गा देवी की एक | साक्त-पु० [सं० शाक्त शक्ति का उपासक ।-वि०१ शक्ति या
सहचरी का नाम । २ युद्धप्रिय चंडी। ३ चौसठ योगिनियों | बल संबंधी। २ दुर्गा संबधी। में से एक । ४ पिशाचिनी । ५ प्रेतिनी ।
साक्तिक, साक्त य-वि० [स० शाक्तिक] १ शाक्त मत का साकत, साकति, सात्ति-१ देखो 'साखत' । २ देखो 'साकट'। अनुयायी। २ भालाधारी। साकतिक-पु० [सं० शाक्तिक] शाक्त मत का अनुगयी, शाक्त। | साक्र-वि० [सं० शाक्र] इन्द्र का, इन्द्र संबंधी ।-५० ज्येष्ठा
नक्षत्र। साकदीप-पु० [सं० शाकद्वीप) १ पुराणानुसार सात द्वीपों में से एक । २ ईरान व तुर्किस्तान के बीच का प्रदेश ।
साक्री-स्त्री० [सं० शाक्री] १ शची, इन्द्राणी । २ दुर्गा देवी। साकबीपी, साकदीपीय-पु० [सं० शाकद्वीपीय] १ शाकद्वीप
साक्वर-पु० [सं० शाक्वर] १ इन्द्र, देवराज । २ इन्द्र का का निवासी । २ ब्राह्मणों का एक वर्ग । -वि० शाकद्वीप
वज ।.३ सांड, बैन । से संबंधित।
साक्सर, साक्षर-वि० १ अक्षर ज्ञान वाला, शिक्षित । साकर-1 देखो 'सक्कर' । २ देखो 'साकार' । ३ देखो 'साकूर'।
२ पंडित, ज्ञाता।
साक्षात-वि० साकार, मूर्तिमान ।-मध्य० १ सामने प्रत्यक्ष । साकरखोर (खोरो)-देखो 'सक्करखोरो', साकरलिंगा-स्त्री० शक्कर की बनी लिंगाकर मिठाई, वस्तु ।
साक्षातकार, साक्षात्कार-पु० [सं० साक्षात्कार] १ भेंट, साकरियो-पु. १ घोड़ों का एक रोग । २ दानेदार शक्कर ।
मुलाकात । २ इन्द्रियों द्वारा पदार्थों का प्रत्यक्ष ज्ञान । ३ एक प्रकार का सूत या डोर।
साक्षि, साक्षी-वि० [सं० साक्षिन] १ जिसने किसी कार्य या साकरियोडोरी-पु. एक प्रकार का मजबूत धागा।
घटना को पाखों से देखा हो, चश्मदीद गवाह । २ जो साकळी-स्त्री० [सं० शाकली, शकुलि] छोटी रोटी या खाजे
विवादास्पद विषय की सही जानकारी रखता हो ।-पु. __ की तरह बना मीठा या नमकीन खाद्य पदार्थ ।
ईश्वर, परमेश्वर । साकळे, साकळ-प्रव्य माने वाले प्रात:काल को, सवेरे।
सास-स्त्री० [सं० साक्ष्य] १ साक्षी, गवाही, गवाह का वक्तव्य । साकवर-पु० [सं० शाक्कर] बैल, वृषभ ।
२ गवाह या साक्षी के तौर पर किये गये हस्ताक्षर । साकाबंद; साकाबंध, साकाबंधी-पु० युद्ध प्रिय योद्धा, बोर ।
३ व्यापार या लेन-देन में होने वाली पैठ; विश्वास, -वि० १ यशस्वी, प्रतापी । २ ऐतिहासिक ।
प्रतिष्ठा। ४ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । ५ यश, कीर्ति । साकामिस-पु०कई प्रकार की शाक-सब्जियों का मिश्रण (मेवाड़)
६ भाग, हिस्सा। ७ रश्मि, किरण । ८ नाता, रिश्ता, साकायत-वि. १ युद्ध करने वाला। २ प्रसिद्धि पाने वाला । |
संबंध । ६ शिक्षा, उपदेश । १० फसल, उपज, पैदावार । __३ भयावह, डरावना।
११ विवाह, शादी । १२ सगाई, मंगनी। १३ दूकान साकारसो (बो)-कि० दाह-संस्कार करना ।
को पगड़ी, पढ़ी।
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साखइत
सागरवासी
[सं० शाखा] १४ वंश, गौत्र, शाखा । १५ द्वार के कपाटों| घोड़ा, प्रश्व । में लगाई जाने वाली सीधी लकड़ी। १६ एक साल की साखोचार, साखोचारन, साखोच्चार, साखोच्चारन-पृ० [स. पायु वाला बैल । १७ बड़ी जलधारा की शाखा। १८ अग्नि शाखोच्चार) १ विवाहादि मांगलिक कार्य करते समय शिखा । १९ घोड़े के चारजामे का एक भाग । २० प्रमाण, | वंश, गोत्रादि का उच्चारण । २ वंश के नाम का ताना या सबूत । २१ देखो 'साखा'।
तारीफ। साखइत-वि० उच्च कुल का, कुलीन ।
साखोट-पु. एक प्रकार का वृक्ष । साखड़ी-देखो 'साख'।
साख्यात-देखो 'साक्षात'। साखरणी (बी)-क्रि०१ साक्षी देना, गवाही देना । २ प्रमाण या | साग-पु० [स०शाक] १ कोई पोधा विशेष व उसके पत्ते, कद मूल
सबूत देना । ३ शिक्षा या उपदेश देना। ४ नाता-रिश्ता या फल प्रादि की सब्जी, शाक । २ नमक, मिचं, मसाले के करना । ।
साथ पकाया हुमा दाल, कड़ी प्रादि पदार्थ । ३ सागवान साखत, साखति, साखती-स्त्री. १ घोड़े का चारजामा व
का पेड़ । ४ एक देव वृक्ष । उसकी सजावट की सामग्री। २ सजावट। ३ पूर्ण सजा सागउटो-पु० कुटिया या मण्डप बनाने वाला व्यक्ति । हुमा घोड़ा। ४ चाबुक । ५ शिष्य या अनुयायी वर्ग ।
सागड़द-देखो 'सागिरद'। -वि०१ सजावट युक्त। २ बढ़िया, बहुमूल्य ।
सागडदपसौ-देखो 'सागिरदपंसो' । साखदार-वि० [फा० शाखदार] १ जिसकी अनेक शाखायें हों। सागड़ी-पु० [सं० शाकटिक] १ हल, गाड़ो, रथ पादि हाँकने २ साक्षी, गवाह । ३ श्रेष्ठ वंश का।
वाला, गाड़ीवान । २ कृषक के पास कृषि कार्य करने वाला साखर-देखो 'साक्षर'।
· नौकर । ३ पति, स्वामी। (किसान) साखसिणगार-पु. वंश में श्रेष्ठ, कुल में श्रेष्ठ ।
सागड़ी-पु० एक ही फाल वाला हल । साखसीर-पु. रिश्ता, संबंध।
सागरण-वि० १ वास्तविक, असली । २ वही । ३ पंच भौतिक । साखा-स्त्री० [सं० शाखा] १ वृक्ष की टहनी, डाल-डाली। ४ अपरिवर्तनीय । ५ ऊपर वणित, उक्त। -क्रि०वि०
२ बाह, बाजू । ३ विभाग। ४ हाथ-पर। ५ हाय-परों को एक ही। अंगुलियां। ६ वंश, कुल । ७ वट वृक्ष की झखड़ा, जड़, सागर-पु० सं० सागरः] १ समुद्र, सरोवर । २ झील, जलाशाखा, शिफा । ८ किसी मूल वस्तु से निकले हुए हिस्से, |
शय । ३ एक प्रकार का मग। ४ दशनामी संन्यासियों की ग्रंश । ६ सम्प्रदाय, एक ही धर्मावलंबियों का वर्ग। . एक शाखा व इसका व्यक्ति । ५ प्रतीतकाल के तृतीय साखात-देखो 'साक्षात'।।
तीर्थ कर का नाम । ६ डिंगल का एक गीत, छन्द विशेष । साखाम्रग (म्रिग)-पु० [सं० शाखामग] बंदर, वानर ।
७ चार की संख्या*। सात की संख्या*। ९ देखो सायावत-पु० [सं० शाखावत] एक प्रकार का वात रोग । 'सागरी' । १० देखो 'सागरोपम'। साखि, साखिइं-१ देखो 'साक्षी' । २ देखो 'साख' ।
सागरबेर-देखो 'सागरांवरा'। साखिआत, साखियात-१ देखो 'साक्षात' । २ देखो साक्षी' सागरगामिण (गामिणी, गांमिन, गांमिनी)-स्त्री० [सं० सागरसाखित-देखो साखत'।
गामिनी] १ गंगा नदी । २ नदी, सरिता । साखिया-देखो 'साक्षा'।
सागरगा-स्त्री० १ गंगा नदी । २ नदी, सरिता । साखियो-५ देखो 'स्वस्तिक' । २ देखो 'साक्षी' ।
सागरव-देखो 'सागिरद'। साखी-पु० [सं० शाखिन] १ वृक्ष, पेड़। २ वेद । -स्त्री० सागरनीमी (नेमि, नेमी)-स्त्री० [स० सागरनेमि] धरती,
३ संतों द्वारा रचित भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का कोई पद या| पृथ्वी ।। छन्द । -वि. १ शाखाघों सहित । २ शाखा से संबंधी।
| सागरमति (मती)-स्त्री० [सं० सागरमती] लूनी नदी का ३ देखो 'साक्षी'।
एक नाम। साखीचर-पु० [सं० शाखिन्-चर] बन्दर, वानर ।
सागरमुदरा (मुद्रा)-स्त्री० [सं० सागरमुद्रा] ध्यान या पारासाखीजणी (बो)-क्रि० गाय का गर्भवती होना ।
धना करते समय धारण करने की एक मुद्रा । साखीणी-पु. (स्त्री० साखीणी] सम्बन्धी, रिश्तेदार । सागरमेखळा-स्त्री० [सं० सागरमेखला] भूमि, पृथ्वी। साखीय-वि० [स० शाखीय] शाखा का शाखा संबंधी। सागरवासी-वि० [सं० सागरवासिन्] समुद्र तट पर या समुद्र साखीव्रख साखीवखी-पु. [सं० शाखीवृक्ष] वट वृक्ष ।
में रहने वाला। -पु. १ भगवान् विष्णु। २ जलचर । साखेत, साखेतो, साखंतो-वि० कुलीन, श्रेष्ठवंश का। -पु० | ३ वरुणदेव ।
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सागरांवरा
। ७६२ )
साजो
सागरांबरा-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि, धरती ।
साचरण-पु० सत्य । सागरालय-पु० [सं०] वरुणदेव का नामान्तर ।
साचमई-वि० सत्यमयी। सागरी-पु० [सं० सागरः] बहुत गहरा कूपा।
साचमाच-क्रि०वि० सचमुच, वास्तव में। सागरु, सागरू-देखो 'सागर'।
साचरी-स्त्री० भैरव राग की पत्नी एक रागिनी । सागरोदक-पु० [सं०] समुद्र का जल ।
साचलो (ल्लो)-देखो 'साचौ' । (स्त्री० साचली, साचल्ली) सागरोपम-पु० दश क्रोड़ा-क्रोडी पल्योपम काल का प्रमाण। | साचवणौ (बौ)-क्रि० १ मारना, पीटना, प्रहार करना। सागवान-पु० मच्छी किस्म की एक लकड़ी व इसका वृक्ष । २ धारण करना । ३ सुरक्षित रखना। ४ करना, प्रदा सागारवयगादोख (दोस)-पु० गृहस्थ से माहार लेने संबंधी एक | करना । ५ पालन करना, मानना । दोष (जैन)।
साचारणी, साचारणी-क्रि०वि० सचमुच, वास्तव में। सागारीसंथारो-पु० छूट सहित संथारा, रियायती संथारा। साचो, साची-वि० १ शुद्ध, विशुद्ध । २ पवित्र, निष्कपट । सागि-देखो 'साग'।
. ३ पतिव्रता, सती । ४ बढ़िया, श्रेष्ठ । सागिरद-पु० [फा० शागिद] १ शिष्य, विद्यार्थी । २ वेश्याओं| साचू-देखो 'साचौ'। व रंडियों के साथ रहने वाला वाद्यवादक ।
साचेलो, साचेलो, साचोड़ो-देखो ‘साची'। सागिरदपैसौ-पु० [फा० शागिर्दपेशः] सेवक, टहलुवा। साचोरा-पु० १ ब्राह्मणों को एक जाति । २ चौहान राजपूतों सागी-देखो 'सागै'।
___को एक शाखा। सागीड़ो-देखो 'सागेड़ो।
साचोरी-वि० सांचोर प्रदेश का, सांचोर संबंधी। -स्त्री. सागेड़ो, सागेड़ो-वि० (स्त्री० सागेड़ी) १ उत्तम, श्रेष्ठ। सांचोर प्रदेश की गाय। ।
२ अपार, अत्यधिक । ३ अच्छा, बढ़िया, ठाटदार। साचौ, साची-वि० [सं० सत्य] (स्त्री० साची) १ सच्चा; ४ मनोरंजक, रोचक । ५ लाभप्रद, हितकर । ६ स्वादिष्ट, वास्तविक । २ सत्यवादी। ३ कत्तव्य परायण । ४ दृढ़, जायकेदार । ७ मजबूत, दृढ़ । ८ सुन्दर, आकर्षक । ६ खूब, पक्का, अटल । ५ विश्वसनीय । ६ असली । ७ घनिष्ठ । अच्छी तरह।
८ मौलिक । ६ निष्कपट पवित्र । १० खूब, अधिक । साग-वि० (स्त्री० सागरण) १ वास्तविक, असली । २ उत्तम, ११ तेज, तीव्र। १२ बढ़िया, श्रेष्ठ, सुन्दर । १३ शुद्ध,
श्रेष्ठ । ३ पूर्ववत्, वही। ४ साक्षात्. हूबहू । ५ साथ । खरा । १४ कुशल निपुण । १५ सही, ठीक । १६ साक्षात् । -क्रि०वि०१ साथ में, संग-सग। २ वास्तव में । साचौट--स्त्री० दक्षता, निपुणता । ३ मार्फत ।
साच्छर, साछर-देखो 'साक्षर'। सागौ-पु० 'साथ, संग।
साज, साज-पु० [फा० साज] १ उपकरण, सामान । २ किसी सागौसाग-वि० वास्तविक हूबहू ।
वस्तु को पूर्णता देने में काम आने वाली सामग्री, सामान । साघणौ-देखो 'सांघणों'।
३ साधन । ४ हाथी की अंबारी व ऊंट या घोड़े के साड-पु० सड़ा हुमा पदार्थ, गंदगी।
चारजामें का सामान । ५ अस्त्र-शस्त्र । ६ युद्ध सामग्री। साड़ियो साड़ियो-पु० एक प्रकार का वस्त्र ।
७ घोड़े की काठी, जीन । ८ सजावट का सामान, उपसाड़ी, साड़ी-स्त्री० [सं० शटिका] १ स्त्रियों के पहनने-पीढ़ने करण । ६ शृगार, साधन । १० वेशभूषा, पहनावा ।
की धोती, साड़ी। २ स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र विशेष । ११ ग्राभूषण, गहने । १२ चमड़ा, चर्म । १३ वाद्य यन्त्र, ३ ताकले (सलाकों) के मध्य भाग में लपेटे हुए सूत के बाजा । १४ व्यवस्था, प्रबन्ध । १५ माधार, अवलम्ब । धागे। ४ शासकों द्वारा विवाह के समय प्रजा से लिया १६ कार्य, काम । १७ तैयारी। -वि० बनाने वाला, ठीक जाने वाला एक लगान । ५ जैन साध्वियों के पहनने का करने वाला वस्त्र, संघाटिका।
साजज-देखो 'मायुज्य'। साड़ो, साडौ-पु०१ जाट, कुम्हार प्रादि जातियों की स्त्रियों साजरण सारिणयो-१ देखो 'सज्जन' । २ देखो 'साजन' ।
का घाघरा, लहंगा विशेष । २ पहनने का एक वस्त्र | साजग्गी-स्त्री. १ बढ़ई का एक पौजार विशेष । २ दीवार विशेष । ३ पुकार, अावाज ।
बनाते समय सोध देखने का उपकरण । साच, साचइ-पु० सारवान या पौष्टिक वस्तु ।-क्रि०वि० | साजणी-वि० १ मारने, सहार करने वाला। २ देने वाला, १ सचमुच । २ देखो 'सत्य'।
प्रदान करने वाला। साचउ-देखो 'साचौ'।
| साजणी (बौ)-क्रि० १ मारना संहार करना । २ तैयार करना,
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साजत
( ७६३ )
साठमो
संवारना। ३ परिवर्तित करना। ४ धारण करना, अच्छा । ६ साधारण, सामान्य। ७ प्रखण्ड, पूर्ण। शस्त्रादि सजना । ५ व्यवस्था करना, देना। ६ देना। ८प्रबल, शक्तिशाली। ९ स्वादिष्ट । ७ निकालना । ८ कुछ करना । ६ विचार बनाना, विचार | साझरणो-देखो 'साजस्पो'। करना। १० मारना, पीटना । ११ सजा देना, दण्डित | साझरणी (बो)-देखो 'साजणी' (बी)। करना । १२ प्राप्त करना । १३ बदला लेना प्रतिशोध | साझी साझेदार-वि० हिस्सेदार, भागीदार। लेना। १४ दम या सांस रोकने का अभ्यास करना। | साझेदारी-स्त्री० हिस्सेदार होने की अवस्था या भाव, १५ बनाना, निकालना । १६ साधना, लगाना । १७ तैयार | भागीदारी। करना । १८ हाजर होना। १६ होना । २० सुसज्जित | साझौ-पु० १ हिस्सा, भाग । २ मिल-जुल कर कोई कार्य करने होना।
का समझौता । ३ हिस्सेदारी, भागीदारी। साजत, साजति, साजति-स्त्री०१ सजावट, सज्जा । २ तैयारी। साट, साट-स्त्री०१ सूपर की दलदार च:। २ स्त्रियों के पैर साजन, सानियो-पु. १ पति, प्रियतम । २ देखो 'सज्जन'। का एक आभूषण विशेष । ३ चाबुक । ४ छिलका, भूसा । साजबाज-पु० १ अस्त्र-शस्त्र । २ सगीत संबधी वाद्य । ३ सजा- ५ स्वर्णकारों का एक प्रोजार विशेष । ६ झुण्ड, समूह ।
वट की सामग्री। ४ हाथी की अंवारी तथा घोड़े, ऊट। ७ खेत में चीड़ी आदि पक्षी उड़ाने के काम की रस्सी
प्रादि के चाग्जामे के उपकरण । ५ ठाट-बाट, वैभव । (शेखावाटी)। ८ अपेक्षा, वास्ता । ९ एवज, बदला । साजवरणौ (बो)-देखो 'साजणी' (बो)।
१० पाभूषण विशेष । ११ घोड़े के कान के बालों की एक साजस-देखो 'साजिस।
प्राकृति विशेष । १२ संबंध । १३ ज्ञान, व्यवहार । साजसींग-पु० बन्दूक चलाने में काम पाने वाली सामग्री। १४ खेती, कृषि । १५ प्रभाव, कमी। १६ ब्यापार । साजांणी, साजांणी, साजांनी-पु० बादशाह द्वारा चलाया गया १७ विक्रय, बिक्री । १८ देखो 'साटो'। ___ एक तौल विशेष ।
साटई-क्रि०वि० बदले में, एवज में । साजा-पु० चांद, चन्द्र।
साटक-पु० १ एक प्रकार का छंद विशेष । २ पुरुषों की बहत्तर साजादी, सा'जादौ-देखो 'साहजादौ'।
कलानों में से एक । ३ भूसी, छिलका। ४ प्राकृत भाषा में साजाबोल-पु. अपने वचन का सच्चा, सत्यवादी।
रचित छोटा नाटक । साजारी-स्त्री० रहट के पानी की रोक के लिए लगाई जाने | साटको-स्त्री० छड़ी, बेंत। वाली माड़।
साटको-०१ चाबुक । २ प्रहार, चोट । ३ एक छन्द विशेष । साजि-देखो 'साज'।
साटण-स्त्री. १ एक प्रकार का बढ़िया रेशमी वस्त्र । २ साटिया साजिस--स्त्री० [फा० साजिश] १ षड़यन्त्र, कुचक्र । २ विचार- जाति की औरत । ३ प्राक्रमण, हमला। विमर्श। ३ मेल-मिलाप ।
| साटमार-पु. (यो०) मस्त हाथी के चारों तरफ भाले लेकर साजी, साजी-स्त्री० [सं० सजिका] १ जबासे से मिलता- | चलने वाले व्यक्ति । -वि. चाबुकधारी।
जुलता कुछ बड़ा, कांटेदार अप। २ एक प्रकार का क्षार | साटवरणो (बौ)-क्रि० १ विनिमय करना। २ खरीदना, क्रय जो पापड़ बनाने या प्रौषधि में काम पाता है।
करना। साजोखार-पु० [स० सज्जीक्षार] सज्जी के पौधे से निकला साटिका-स्त्री० [सं०] साड़ी। क्षार।
साटिया-स्त्री० एक जाति विशेष । साजी,यो साजीयो-पु० साजो मिलाकर बनाया हुआ खाद्य | साटी, साटी-स्त्री० १ जमीन पर छितराने वाली गोल-गोल पदार्थ दलिया।
| पत्तों को एक वनस्पति विशेष । २ एक प्रकार का वृक्ष। साजुज्य, साजोजमुकत (मुकति, मुक्त, मुक्ति), साजोजमुगत | साटुक-पु. एक प्रकार का मोटा कपड़ा। (मुगति)-देखो 'सायुज्य'।
साटे, साट-क्रि०वि० १ बदले में, एवज में । २ साथ । साजोत, साजोति, साजोती-वि० [स० स+ज्योतिः] ज्योति | साटो, साटो-पु. १ पुनर्नवा से मिलता-जुलता एक प्रकार का ____ सहित, देदीप्यमान । -पु. १ ईश्वर, परमात्मा। २ पर- क्षुप । २ सुगंधित फूलों वाला एक पौधा विशेष । ३ पदलाब्रह्म । ३ पांच प्रकार की मुक्तियों में से एक।
बदली, परस्पर लेन-देन । ४ विवाह की एक प्रथा । साजोम-देखो 'सजोम'।
| साठ, साठ-वि० [सं० षष्ठि] पचास व दश, साठ । -पु. साजो-वि० (स्त्री० साजी) १ स्वस्थ निरोग । २ पक्का, दृढ़। पचास व दश के योग की संख्या तथा इसका अंक, ६० ।
३ मच्छा, श्रेष्ठ । ४ अनुकूल, लाभदायक । ५ ठीक, कुशल, | साठमो (वौं)-वि० साठ के स्थान वाला, उनसठ के बाद वाला।
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साठि
साथ
साठि साठी, साठी-पु. १ चावलों की एक किस्म । २ साठ | सातवौं-वि० छः के बाद वाला, सात के स्थान वाला। ___की सख्या । ३ साठ वर्ष की प्रायु का व्यक्ति । | सातसती-स्त्री० सीता, कुती, द्रोपदी, अनुसूया, अहिल्या, तारा साठीको साठीको-पु० साठ पुरुष (एक नाप) गहरा कूमा।
और मंदोदरी-सात सतियां । साठेक, साठे'क, साठक -वि० साठ के लगभग ।
सातहजारी-देखो 'सप्तहजारी' । साठौ-पु. १ साठ का अक । २ साठ का वर्ष ।-वि०१ साठवां ।।
साता-स्त्री. १ परिस्थिति, दशा, स्थिति । २ पाराम, सुख २ साठगूना।
प्रानन्द । ३ रक्षा, सुरक्षा। ४ दिनदशा, दिनमान । साड-स्त्री०१ शब्द, ध्वनि, प्रावाज । २ प्रासाढ़।
५ भलाई, कल्याण । ६ कुशल क्षेम । ७ धन, दौलत, साडलउ, साडलो-१ देखो 'साड़ी' । २ देखो साड़ी'।
वैभव । ८ विवाह में सगुन के रूप में दी जाने वाली सात साडी-स्त्री. १ रबी की फसल । २ देखो 'साड़ी'। .
सुपारी या सिंघाड़ा। साडे, साडे-देखो 'साढ़ी।
सातादूतौ-वि० (स्त्री० सातादूती) चुगलखोर । साडौ-देखो ‘साड़ी'।
सातिक सातिग-देखो 'सात्विक'। साढ़-१ देखो 'प्रासाढ़' । २ देखो 'साद' । ३ देखो 'साढ़ी'।
सातिम-देखो 'सातम'। साढ़सती, साढ़ासाती-स्त्री०१ किसी प्राणी पर शनि ग्रह की होने
साती, साती-स्त्री० सात बूटी वाला ताश का पत्ता । वाली साढ़े सात वर्ष की दशा । २ शनि ग्रह की एक अनिष्टकारी दशा जिसका व्याप्तिकाल साढ़े सात वर्ष का होता है।
सातू सातू-पु० [मं० सक्तुक] १ गेहूँ, चना, चावल प्रादि के साढाचिमोतर, साढायोतर, साढायोमोत्तर, साढाचोहसर,
पाटे की बनाई जाने वाली मिठाई जो भादव कृष्णा साढाचोहोत्तर-देखो 'साढेचोमोत्तर'।
तृतीया पर बनाई जाती है । २ जौ, चावल, चने प्रादि का साढ़ाळी-स्त्री० देवी।
भुना हुप्रा चूर्ण, प्राटा। साढी-स्त्री० १ दूध के ऊपर जमने वाली मलाई । २ सख्यानों | साते'क. साते'क-वि० सात के लगभग । ___ के साथ लगने वाली प्राधी संख्या।
सातौ, सातौ-१०१ सात का अंक । २ सात की संख्या का साढू-पु० [सं० सह-ऊद] पत्नी का बहनोई, साली का वर्ष । ३ ताश का एक पत्ता। पति ।
सात्यौ-पु० ससुराल से पीहर या पीहर से ससुराल पाते-जाते साढचो'तर, साढचोमोतर, साढंचोहतर-पु०१ चौहत्तर व प्राधा का समय बहन-बेटी द्वारा घर की देहलीज पर अंकित की जाने अंक या संख्या ७४ । २ किसी पत्र या ग्रालेख पर लगाया
वाली कुम-कुम की सात बिंदियां या चिह्न । जाने वाला अंक जो उसकी गोपनीयता का सूचक होता है।
सात्रव, सावन, सात्रुहर-पु० [सं० शात्रव] शत्रु, दुश्मन । साढ़ौ-पु. सत्तर पांजे सूत के धागों का समूह । (एक पांजासूत में
सात्वक-१ देखो 'सात्विक' । २ देखो 'सात्यकि' । पांच धागे) (बुनकर)।
सात्वत-पु० [सं०] १ भगवान् विष्णु का एक पार्षद । २ भगवान सात-० [सं० सप्त] १ पांच और दो का योग । २ पांच और
श्रीकृष्ण । ३ बलराम । ४ यादवकुलोत्पन्न एक राजा। दो के योग को संख्या, ७। -वि. १ पांच और दो।
५ यादव कुल की एक शाखा। २ मत्य, सच्च।
सात्विक, सात्विक-वि० [सं० सात्त्विक:] १ सतोगुणी, सत्वसातकाळी-स्त्री० निरन्तर दुर्भिक्ष वाले सात वर्ष, सात प्रकाल ।। सातकुभ-पु० [सं० शात-कुभ] स्वर्ण, सोना ।
गुगी । २ सत्वगुगण से संबंध रखने वाला। ३ प्राकृतिक, सातकुळ-पु० पवतों के सात कुल ।
स्वाभाविक । -पु० १ सात्विक भावों को प्रदर्शित करने सातणो (बी)-क्रि० १ स्वीकार करना, लेना । २ पादर करना,
को क्रिया। २ भगवान् विष्णु। ३ ब्रह्मा। सत्कार करना ।
सात्विकभाव-पु. १ शुद्ध व पवित्र भाव । २ तीन लघु के सातरवाड़ो-देखो 'साथरवाडौ' ।
ढगण के तृतीय भेद का नाम । सातळमेर-पु० पोकरण नगर का एक प्राचीन गढ़। | साथ-पु० [स. मार्थ] १ संग रहने का भाव, सहचार, संगत। सातळियो-पु० सात दांतों वाला बैल ।
२ संग रहने वाला साथी। ३ यात्रा या प्रवास में साथ सातळो-पु० [सं० सप्तला] एक प्रकार की थूहर ।
रहमे वाला, महयात्री। ४ परिग्रह। ५ सेना, फौज। सातवन-पु. बलराम का एक नाम ।
६ समूह, झुण्ड । ७ संग, साथ। ८ संक्षिाकता, मदद । सातवाहरण (न)-पु. (स० शातवाहन] शालिवाहन के राजा ९ घनिष्ठता, मेल-मिलाप। १० वंश, जाति । -वि०१ का एक नाम ।
सहित, युक्त, पूर्वक। २ शामिल, सम्मिलित, शरीक ।
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साथ
साधरणी
साथइ-क्रि०वि० साथ में, संग में ।
सादर-वि० मादर सहित, सम्मान पूर्वक । साथगत (गति, गती)-देखो 'सहगमन' ।
सादळ, सावल-वि०१ वीरहाक करने वाला। २ दल सहित । साथडली-देखो 'साथळ'।
३ देखो 'सारदूळ'। साथरण (रिण, पो)-स्त्री० १ सखी, सहेली। २ साथ-साथ रहने | सादवरणो (बी)-देखो 'सादणी' (बौ)। वाली।
सादापण (रणो)-पु० सादगी, सरलता। साषणकिरोध (क्रोध), सायणसमीर-स्त्री. अग्नि, पाग। सादाळी-पु० [सं० स्यंदन] रथ । साथरउ-देखो 'साथरों'।
सादिन-पु० [फा० शादिन] १ पशु, जानवर । २ मृग-शावका साधरवाड़ो-पु० [सं० संस्तर-वंत] १ किसी की मत्यु के उपरांत | हिरन का बच्चा।
परिवार वालों के पास संवेदना प्रगट करने का स्थान व सावियांण (रणो, नौ)-पु० [फा० शादियानः] मांगलिक अवसरों उस पर बिछाने का वस्त्र, बिछौना । २ ऐसे स्थान पर । पर बजने वाला वाद्य, बाजा। बैठने की क्रिया। ३ ऐसे स्थान पर बारह दिनों तक किया | सादी-स्त्री. १ एक प्रकार की छोटी चिड़िया का नाम । जाने वाला धरती पर शयन ।
२ ब्याह, विवाह । ३ घोड़ा। ४ शिकारी। ५ सवारी साथरि, साथरी-स्त्री० १ घास का छोटा या छिछला ढेर। करने वाला व्यक्ति, सवार । ६ देखो 'सादी'।
२ विश्नोई सम्प्रदाय की पीठ । ३ देखो 'साथरौ'। सादीत-पु० विकसित । साथरी-पु० [सं० संस्तरः, स्रस्तर] १ बिस्तर, बिछौना। सादुळ, सादुळ 3, सादूर, सादूळ, सादूळउ, सादूळो-देखो
२ घास का बिछौना। ३ कुश की चटाई, तृण शय्या। 'सारदूळ'। ४ नाश, संहार, खातमा। ५ ढेर, राशि, समूह। ६ घास, | सादौ-वि० [फा० सादः] (स्त्री० सादी) १ जिसमें एक ही मोठ, मूग, ग्वार पादि के कटे पौधों का ढेर। ७ देखो प्रकार के तत्त्व हों। २ घुमाव-फिराव या उलझन से रहित; 'संथारौ'। ८ देखो 'साथ रवाडौं'।
सीधा-सादा, सरल । ३ जिस पर कुछ अंकित न हो। साथळ, साथळड़ी-स्त्री० [सं० सक्थि] जांघ, ऊरू ।
४ छल-कपट से रहित, सरल, सीधा, भला। ५ मूर्ख, साथली-वि० (स्त्री० साथली) साथ में रहने वाला, साथी। बेवकूफ। ६ निर्मल, बेदाग । ७ बिना मिलावट या मिश्रण साथि-१ देखो 'साथी'। २ देखो 'साथ' ।
का। समझने में प्रासान, सूबोध गम्य । ९ सफेद, श्वेत । साथियो-१ देखो 'स्वस्तिक' । २ देखो 'साथी'।
१० जिसकी बनावट में कोई विशेष कौशल न हो। साथी साथीड़ौ-पु० [सं० सार्थी] (स्त्री० साथण) १ मित्र, ११ तड़क-भड़क रहित । -पु. १ एक प्रकार का हाथी।
दोस्त । २ साथ रहने वाला, संगी। ३ हम उम्र, हमजोली। २ बस्त्र या कागज जिस पर कुछ अंकित या चित्रित न हो। ४ सहायक, मददगार। ५ प्रेमी।।
सादौसरोपाव-पु. एक प्रकार का पुरस्कार । साथीपो, साथीपो-पु० मित्रता, दोस्तो।
| साध-स्त्री० [सं० श्रद्धा] १ इच्छा, अभिलाषा। २ देखो साथै-क्रि०वि० १ साथ-साथ, संग में। २ किसी के प्रति । ___'साधु'। ३ सहयोग में ।
| साधक-पू० १ साधना करने वाला योगी, तपस्वी । २ भूतसाथी-देखो 'साथ'।
प्रेत पावि को वश में करने वाला व्यक्ति । ३ पाच प्रकार साव, साव-पु० [सं० शब्द] १ त्राहि-त्राहि की पुकार। २ शब्द।। के पित्तों में से एक । ४ सहयोगी व्यक्ति ।
३ धावाज, पुकार । ४ बोली, प्रावाज । ५ ध्वनि । ६ बात | साधका-स्त्रो० दुर्गा देवी का एक नाम । यश, कीर्ति । ७ प्राज्ञा, अादेश, हुक्म । ८ देखो 'स्वाद'। साधरणी (बी)-क्रि० १ ठीक एवं निश्चित समय पर कार्य को ९ देखो 'साध'।
पूर्ण करना, पूरा करना । २ करना । ३ दम भरना, दम सादगी-त्री०१ सीधापन, सरलता, सहजता । २पाडंबर या साधना । ४ किसी कार्य को सिद्ध करने का प्रयास करना, दिखाने का प्रभाव।
अभ्यास करना, दक्षता प्राप्त करना। ५ किसी चीज को सादरणी (बी)-क्रि० १ उत्तरदायित्व या जिम्मेदारी लेना। उपयुक्त स्थिति में लाना । ६ निशाना लगाना, संधान
२ पुकार करना, मार्तनाद करना। ३ शब्द करना, ध्वनि करना । ७ मारना, वध करना । ८ उपासना करना, करना। ४ अावाज देना, पुकारना। ५ प्राज्ञा देना, साधना करना । भरना, मारना। १० शिक्षित करना, पादेश देना।
मोखाना । ११ सोखना, अभ्यास करना । १२ पूर्ण करना, साढत-देखो 'सहादत'।
पूरा करना । १३ व्यवस्थित करना, सुधारना । १४ निकसादपख-देखो 'स्राद्धपख'।
लना, भाग जाना।
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साधदेव
( ७६६ )
साफ
साधदेव-देखो 'स्राद्धदेव'।
साधुमति (ती)-स्त्री० तांत्रिकों की एक देवी। साधन-पु० [सं०] १ किसी कार्य को पूरा करने को क्रिया या | साधुव-देखो 'साधु'।
भाव । २ कार्य को पूरा करने का माध्यम, सहायक उप- साधुवाद-पु० [सं०] १ अच्छे कार्य के प्रति धन्यवाद । २ प्रशंसा, करण । ३ किसी कार्य को सम्पादित करने में प्रयुक्त होने | तारीफ । ३ यश। वाला सामान. सामग्री। ४ कोई चीज बनाने का साधू, साधौ-देखो साधु'। सामान, कच्चा माल । ५ क्षति पूर्ति या त्रुटि सुधार का | साध्य-पु० [सं०] १ बारह देव गणों का एक समूह विशेष । उपाय । ६ युद्ध सामग्री। ७ सेना, फोज। ८ उपाय, २ ज्योतिष शास्त्र के २७ योगों में से एक । ३ गुरु से लिए तरकीब । ९ साधना, उपासना। १० मदद, सहायता ।। जाने वाले चार प्रकार के मंत्रों में से एक (तंत्र)।
११ धन-दौलत । १२ संधान । -वि० धनाढ्य, मालदार । ४ देवता । ५ चाक्षुक मनु के पुत्रों में से एक । -वि. साधना-स्त्री० [सं०] १ कार्य सम्पन्न करने की क्रिया । १ सिद्ध करने योग्य । २ जिसकी चिकित्सा की जा सके। २ पारधना, उपासना।
३ सहज, सरल । साधनी-देखो 'साजणी'।
साध्यता-स्त्री० [सं०] साध्य होने की अवस्था या भाव । साधम्मिय-वि० समान धर्मी।
साध्र-देखो 'साध'। साधवी-स्त्री० [सं० साध्वी] १ भली तथा शुद्ध आचरण वाली साध्वी-देखो 'साधवी'।
स्त्री। २ पतिव्रता, सती स्त्री। ३ जैन साध्वी, मार्या। सानंद-वि० प्रानन्द पूर्वक, प्रानन्द सहित । साधस-पु० [सं० साध्वस] भय, डर।
साप-पु० [सं० सपं] (स्त्री० सापण, मापणी) १ एक प्रसिद्ध साधार-वि० १ रक्षा करने वाला, रक्षक। २ पनाह व प्राश्रय रेंगने वाला विषंला जन्तु, नाग, सर्प । [सं० शाप] २ दुरा
देने वाला। ३ प्राधार, सहारा । ४ भरण-पोषण करने शीष, बद्द प्रा। -वि०१ काला, श्याम ४ । २ क्रूर । वाला, पालन-पोषण कर्ता। ५ सहायक, मददगार । ३ देखो 'सराप'। ६ करने वाला, देने वाला।
सापनसत, साफ्नस्त-वि० [सं० शापग्रस्त] १ शाप से पीड़ित या साधारण-वि० [सं०] १ जिसमें कोई विशेषता न हो, जिसे शाप दिया गया हो, शापित । [सं० सर्पग्रस्त] २ सर्प
सामान्य । २ जो सर्व-साधारण के समझने योग्य हो, सरल, का काटा हुप्रा, सर्प दंशित । सहज । ३ रक्षक, प्राश्रयदाता। -पु. रुद्रवीसी का चौथा | सापचेत-देखो 'सावचेत' । वर्ष (ज्योतिषी)।
सापण, सापणी, सापिण, सापिणी-स्त्री० १ पाग, अग्नि । साधारणधरम-पु० [सं० साधारण धर्म] १ वह धर्म (गुण) जो २ नागिन, सपिनी। ३ बरछी, भाला । ४ देखो 'नागण' ।
एक ही प्रकार से सब पदार्थों में पाया जाय । २ सार्वजनिक सापणो (बो)-क्रि० शाप देना बद्द.पा देना। धर्म।
सापतेयक-पु० [सं० स्वापतेयक] धन-दौलत । साधारणी (बो)-क्रि० [सं० साऽऽधारम्] १ बचाना, रक्षा |
करना । २ पाश्रय देना शरण देना। ३ सहायता करना, | सापरीछतरी, सापरीढाळ-स्त्री० वर्षा ऋतु में होने वाला एक
मदद करना। ४ भरण-पोषण या पालन-पोषण करना । छातानुमा छोटा पौधा ।। साधि-देखो 'साध्य'।
सापरोमासी-स्त्री. एक प्रकार का जन्तु विशेष । साधिक-देखो 'साधक'।
| सापुरख, सापुरस-पु० [सं० सत्पुरुष] १ सत्पुरुष, सज्जन । साधिका-स्त्री० [सं०] दुर्गा देवी का एक नाम ।
२ वीर एवं बहादुर पुरुष । ३ भला, सज्जन । साधित-वि० [सं० साधित] १ सिद्ध किया हुमा । २ तैयार | सापुरसाई-स्त्री. १ सज्जनता, भलमनसाहत । २ वीरता, किया हुमा । ३ प्राप्त किया हुप्रा । ४ धुला हुपा।
बहादुरी। साधु (डो)-पु० [सं०] १ श्रेष्ठ कुल का व्यक्ति, कुलीन व्यक्ति। सापूर-देखो 'सेंपूर'।
२ सज्जन व्यक्ति । ३ संत-महात्मा। ४ धार्मिक व परोप- सापो, सापी-पु. १ मृतक के पीछे बारह दिनों तक भूमि पर कारी पुरुष । ५ सांसारिक बंधनों से मुक्त, विरक्त या | सोने की एक रश्म । २ देखो 'साफो' । वैरागी प्राणी । ६ व्यापारी, वणिक । ७ जैन यति, साधु । साफ-वि० [अ०] १ गन्दगी रहित, स्वच्छ, निर्मल । २ दोष, ८ भक्त । ९ जिसको साधना पूरी हो गई हो। १० एक | विकार प्रादि से रहित । ३ शुद्ध, खालिस । ४ जिसका जाति या वर्ग विशेष । -वि० १ सुन्दर, मनोहर । २ श्रेष्ठ | तल सपाट हो। ५ जिसकी रचना में दोष, श्रुटि प्रादि न कुल का, कुलीन। ३ सज्जन ।
हो। ६ छल, कपट रहित । ७ स्वच्छ, निर्मल । ८ स्पष्ट ।
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साफचर
( ७६७ )
सायधरण
६ समाप्त, खत्म । १० चुकाया हुमा, चुकता किया हुमा। साबिण-देखो 'साबुभ' । ११ जो मनुचित या नियम विरुद्ध न हो। १२ जिसके | साबित-देखो 'साबत' । सुनने या समझने में कठिनाई न हो। १३ दूर हुमा हुवा। | साबियाणी-देखो 'साबुन' ।
मिटा हुमा । १४ कोरा, अछूता । १५ बिल्कुल, पूरा । साबो-स्त्री०१ मनोहरपुर की पहाड़ियों से निकलकर नामा साफचट-वि० बिल्कुल साफ, पूर्ण साफ ।
की तरफ बहने वाली एक नदी। २ पलवर की एक साफळ-देखो 'सफल'।
प्रसिद्ध नदी। साफल्य-स्त्री० सफलता।
साबु, साबु, साबुण (न), साबू, साबू-पु. १ सोडे व तेल मादि साफी-स्त्री०१"चिलम' से धूम्रपान करते समय मुह के मागे के योग से बनी वस्त जो कपड़ों का मैल साफ करने या
लगाया जाने वाला वस्त्र खण्ड । २ भंग छानने का कपड़ा। नहाने मादि के काम पाती है। -गर, घर-पु० साबुन ३ मुह का स्वाद, जायका। ४ सफाई का भाव, सफाई। बनाने का स्थान, कारखाना । साबुन रखने को डिबिया। -पु. ५ सफेद जीभ वाला बल ।
साबूणी-देखो 'साबूनी'। साफीरंदौ-पु. लकड़ी को साफ कर चिकनी बनाने का प्रौजार साबूत-१ देखो 'सावत' । २ देखो 'सबूत'। विशेष ।
साबूदाणी (नौ)-पु० सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा। साफौ-पु. प्रादमी के शिर पर लपेटकर बांधने का लम्बा | सागूदाना। वस्त्र । साफा।
साबूनी-स्त्री० एक प्रकार को मिठाई। सा'ब, साब-देखो 'साहिब'
साबती, सामरमती-देखो 'साबरमती'। साबक-वि० सब, समस्त ।
साभाय, सामाव-देखो 'स्वभाव' । साबके (क)-वि० साधारण, मामूली।
सायंकाळ-पु० [सं० सायंकाल] संध्या, शाम । साब-पु० चाबुक, कोड़ा।
सायंत-देखो 'सांयत'। सावरण, साबण (न)-देखो 'साबुन' ।
सायसंध्यादेवता-स्त्री० [सं०] सरस्वती देवी का नाम । साबत, साबती-वि० [फा० माबित] (स्त्री० साबती) १ स्थिर, साय-पु० [सं० साय:] १ दिन का अन्त, संध्याकाल । २ वक्त;
कायम । २ सही सलामत, अखण्डित । ३ निरन्तर चलने समय । ३ देखो 'सहाय' । ४ देखो 'साह। वाला'। ४ पूर्ण एक, इकाई। ५ पूरा, समस्त, सब। सायक, सायक-पु० [सं० सायकः] १ बाण, तीर । २ डिंगल ६. दुरुस्त, ठीक । ७ प्रमाण द्वारा सिद्ध, प्रमाणित । जो का एक गीत विशेष । ३ देखो 'सहायक'। टुकड़े-टुकड़े न हुमा हो, पूरा, पूर्ण, समूचा । ९ स्वस्थ, | सायगवेसण-वि० सुख की गवेषणा करने वाला। कुशल.।
सायजद्दौ-देखो 'साहजादी'। साबतपग-वि० [अ० साबित+सं० पदक] दृढ़ निश्चयी, दृढ़ | सायजादी-स्त्री० [फा० शाहजादो] १ बादशाह को पुत्री। प्रतिज्ञ।
२ शाहजादे को बेगम। साबर, साबरमंत्र-पु० [सं० शाबर मंत्र] शिव कृत एक | सायजादों; सायज्यादौ-पु० [फा० शाहजादो] बादशाह का पुत्र, प्रसिद्ध मंत्र।
राजकुमार। साबरमती-स्त्री० इडर की एक नदी का नाम ।
सायडू-क्रि०वि० बायीं भोर । साबळ-स्त्री. १ एक प्रकार का भाला। २ देखो 'सांग'। सायण-पू० १ वेदों का भाष्य लिखने वाले एक प्रसिद्ध प्राचार्य । साबळी-देखो 'सबळी'।
२ देखो 'सैरण'। साबाण-पु०१ छोटा तम्बू, खेमा। २ देखो 'साबान'।
सायरणवाद-पु० सायरण का सिद्धान्त या मत । साबाणी-वि० साबुन का, साबुन संबंधी।
सायत-स्त्री. १ समय, वक्त । २ थोड़ा समय, क्षण, पल । साबांन-पु० [अ० शाबान] १ पाठवा इस्लामी मास । २ देखो ३ देखो 'सायद'। . 'साबाग।
सायता-देखो 'सहायता। साबात-स्त्री. १ बारूद की सुरंग। २ बारुद का भण्डार । | सायतो-देखो 'सासतो' ।
३ शत्रु द्वारा किले की दीवार तक पहुँचने के लिए बनाया सायब-स्त्री० साक्षी, सबूत । -प्रव्य. कदाचित, संभवतः । जाने वाला ऊंचा व ढका हुमा मार्ग विशेष ।
सायदाणी (गो)-देखो 'सादियांणो' । साबासणी (बौ)-क्रि० शाबासी देना । सराहना ।
सायदी-वि० साक्षी देने वाला, साक्षी। साबासी-स्त्री० [फा० शाबासी] वाह-वाही, शाबासी। सायधण-स्त्री० १ पत्नी, सहधर्मिणी । २ प्रेयसी, प्रेमिका ।
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सायब
। ७६८ )
सार
सायब-देखो 'साहिब'।
४४ शिव, महादेव । ४५ बीकृष्ण का एक नाम । सायबरणी, सायवाणी-स्त्री० पत्नी।
४६ विद्युत, बिजली। ४७ समुद्र, सागर। ४८ भूमि, सायबी-देखो 'साहिबी'।
जमीन । ४९ कबूतर । ५० तालाब, जलाशय । ५१ बाज, सायबो-देखो 'साहिब'।
श्येन । ५२ कोवा, काग । ५३ मेंढ़क । ५४ प्राभूषण, सायर-पु० [अ० शायर] १ कविता रचने वाला, कवि । गहना । ५५ दिन, दिवस । ५६ रात, रात्रि । ५७ कपूर । . [म० सायर] २ चुंगीकर, उत्पादन कर तथा राहदारी की | ५८ हाथ, हस्त । ५९ स्तन, कुच । ६० हल । ६१ काजल ।
देखभाल करने वाला विभाग । ३ कर मुक्त भूमि । -वि० | ६२ छाता। ६३ शिर के बाल । ६४ नक्षत्र, ग्रह । १ सज्जन, मला, सीधा। २ समझदार, बुद्धिमान । ६५ लवा । ६६ शोभा, सुन्दरता। ६७ चीतल, हिरन । ३ गम्भीर। ४ उत्तम, बेष्ठ। ५ पचंचल, ६ देखो ६८ बारहसिंगा। ६९ बगुल, बक। ७० तिनका, फूस । 'सागर'।
७१ सारंगो नामक वाद्य । ७२ एक प्रकार की मधु मक्खी। सायरकण-पु० [सं० सागर-करण] मुक्ता, मोती।
७३ चितकबरा रंग। ७४ कान्ति, दीप्ति । ७५ ईश्वर, सायरसोढ़ौ-पु. दामाद को गाया जाने वाला एक लोक गीत । भगवान् । ७६ परब्रह्म। ७७ घड़ा, कुम्भ। ७८ वायु, सायरौ-देखो 'सहारौ'।
पवन । ७९ वस्त्र, कपड़ा। ८० सोनचिड़ी, खजन । सायळ, सायल-वि० [म. सायल] १ प्रश्नकर्ता । २ भिखारी, ८१ स्त्री, औरत । ८२ लक्ष्मी, रमा । ८३ शुद्ध स्वर एवं
याचक । ३ प्रार्थी प्रावेदक । ४ प्राशार्थी, उम्मीदवार । सम्पूर्ण जाति की एक राग । ८४ दर्पण, काच । ५५ पुष्प,
-पु० चुनाई की सीध देखने का एक उपकरण विशेष । फूल । ८६ प्रार्या या गीतिका का एक भेद । ८७ एक छन्द साया-वि० [अ० शाया] १ प्रक्ट, जाहिर । २ प्रकाशित । विशेष । ८८ एक अन्य वर्ण वृत्त । ८६ छप्पय छन्द का -स्त्री० छाया, प्रतिबिम्ब ।
एक भेद ।-वि०१ रगीन, चमकदार। २ सुन्दर, सुहावना। सायासंदी-स्वी विवाह मण्डप बनाने की क्रिया ।
३ रसीला, सरस। सायीवांन-देखो 'सांमियांनी'।
सारंगक-पु० [सं०] दर्पण, शीशा । सायीसेख, सायोसेस -पु० [सं० शय्याशेष] भगवान् विष्णु । सारंगका-पु० एक वणिक वृत्त विशेष । सायुज, सायुज्य-पु० [सं० सायुज्यम्] १ पांच प्रकार की मुक्तियों | सारंगधर (धरण)-पु० [सं०] १ भगवान विष्णु। २ ईश्वर;
में से एक जिसमें साधक भगवान के विग्रह में समा जाता परमात्मा । ३ श्रीकृष्ण ।-वि० सारंगधारो। है । २ किसी से भिन्न रूप से मिलने की क्रिया या भाव । सारंगनट-पु. एक प्रकार की संकर राग। "३ समानता, सादृश्यता ।
सारंगपांण (पाणि, पाणी, पानि-वि० [सं० सारंगपारिण] सायुज्यता-स्त्री० सायुज्य का गुण या भाव ।
जिसके हाथ में शख पा धनुष हो ।-पु. १ भगवान् विष्णु। सायो-पु० [फा० सायः] १. प्रभाव, असर । २ सहारा, मदद।। २ श्रीराम । ३ श्रीकृष्ण । ३ प्रतिबिम्ब, छाया । ४ माश्रय, शरण।
| सारगभरत (भ्रत)-पु० [सं० सारंगभूत] विष्णु भगवान् का सारंग (सारंगो)-पु० [सं०] १ हस । २ सर्प, सांप । एक नाम।
३वीणा । ४ हरिन, मग । ५ मुक्ता, मोती। ६ मयूर, सारंगभ्रमरी-स्त्री० कर्नाटक पद्धति की एक रागिनी विशेष । मोर । ७ बन्दर, वानर । ८ शीशा। ९ नाद ध्वनि । सारंगा-स्त्री० १ अप्सरा । २ एक प्रकार की रागिनी । १० माकाश, गगन । ११ तोता, शुक। १२ कोयल, | सारंगिक-पु० [सं० सारंगिक] १ बहेलिया, चिड़ीमार । २ एक कोकिल । १३ कमल, वारिज । १४ बज्र । १५ वृक्ष, पेड़। प्रकार का वृत्त। १६ नारियल । १७ केसर । १८ मेह, वर्षा । १९ सिंह, | सारंगिया-स्त्री. एक जाति विशेष । शेर । २० चांद, शशि । २१ रवि सूर्य । २२ तलवार । सारंगियो-पु०१ उक्त जाति का व्यक्ति। २ सारंगी बजाने वाला। २३ दीप, दीया । २४ पर्वत, पहाड़। २५ हाथी, गज। सारंगी-स्त्री० [स० सारंग] १ एक प्रकार का प्रसिद्ध तार २६ पक्षी । २७ चन्दन । २८ निशान, चिह्न । २६ अग्नि, वाद्य । -पु०२ ईश्वर, परमेश्वर। ३ विष्णु। ४ धनुष । भाग । ३० जल, पानी। ३१ बादल, मेघ, ३२ भ्रमर, ५ पांच भगरण से बनने वाला एक छन्द विशेष । भौरा । ३३ धनुष । ३४ प्रकाश, ज्योति । ३५ स्वर्ण, | सार-पु• [सं० सारः] १ तत्व, सत, मुख्य तत्त्व । २ महत्व, सोना । ३६ गरुड़। ३७ शंख। ३८ चातक, पपीहा । महत्ता। ३ पावश्यकता, जरूरत। ४ तथ्य, सच्चाई, ३९ घोड़ा, अश्व । ४० एक प्रकार का घोड़ा । ४१ विष्णु | यथार्थ । ५ कीमत, मूल्य । ६ हिफाजत, देखभाल । देखरेख । के धनुष का नाम । ४२ कामदेव । ४३ भगवान् विष्णु । । ७ पालन-पोषण, भरण-पोषण। ८ सुख-चन, कुशलता।
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सार
सारदूळ
९ सेवा, सत्कार । १० सुधि, खबर । ११ रक्षा, सहायता। शिव की एक मूर्ति, मन्दिर। २ सिरोहो नगर में स्थित १२ . निर्यास । १३ जल पानी । १४ गूदा । १५ फल, एक शिव मन्दिर । ३ शिव, महादेव । नतीजा, परिणाम । १६ मक्खम। १७ मज्जा । १८ हड्डी। सारणी-पु० १ मांस, सब्जी मादि । २ व्यंजन, पकवान । १९ अमत । २० शक्ति. पौरुष । २१ चन्दन । २२ बीये, -वि०१ सफल करने वाला । २ कुछ करने वाला । बीज । २३ धेयं, धीरज । २४ धर्म । २५ सत्य । २६ जूधा | सारणी (बी)-क्रि० १ पूर्ण करना, पूरा करना । २ सिद्ध करना, खेलने का पासा । २७ धन, दौलत। २८ लोहभस्म ।। सफल करना ! ३ खींचना, कसना । ४ खींचना । ५ लगाना, २९ घो। ३० युद्ध, संग्राम । ३१ पीपम का वृक्ष ।। डालना । ६ करना, पार पटकना । ७ करना । ८ बनाना, ३२ संजीवनी बूटी। ३३ कटार। ३४ भूमि, जमीन । निकालना । ६ सुन्दर बनाना, सजाना, सुशोभित करना । ३५ वरुणदेव । ३६ तलवार, खड्ग । ३७ अस्त्र-शस्त्र, १० भेजना, प्रेषित करना । ११ पिरोना । १२ शतरंज या हथियार । ३८ भाषा या वाणी के चार भेदों में से एक चोसर में गोटी रखना। १३ सुधारना, पार लगाना । (पाध्यात्म) । ३९ प्रनार का वृक्ष । ४० लोह । ४१ अन्तर, १४ देख-रेख करना। १५ तांत्रिक क्रिया से लेना, प्राप्त भेद । १२ वीरता, बहादुरी। ४३ बढ़ई का एक औजार, करना । १८ साफ करना, निर्मल करना । १७ चलाना, बर्मी । ४४ बैल हांकने की लकड़ी की नोक में लगी कील । फिराना । १८ सहायता या मदद करना । १९ धारण ४५ पिंगल का एक मातक छंद । ४६ एक वर्ण वत्त विशेष । करना २० अनुभव करना । २१ उत्पन्न करना, पैदा ४७ शतरंज प्रादि का मोहरा। ४८ लाभ, फायदा । करना । २२ प्रशिक्षित या अभ्यस्त करना । २३ काटना । ४९ मतलब । ५० सार्थकता। ५१ निष्कर्ष परिणाम । २४ ध्यान देना, सुनना । २५ मिलाना । २६ छेदना, छेदन -वि०१ मुख्य, प्रधान । २ सुन्दर, मनोहर । ३ सब, करना । २७ मारना, सहार करना । २८ छोड़ना । समस्त, समग्र । ४ उत्तम, बढ़िया ।
सारत, सारत-स्त्री० १ किसी कार्य के प्रति की जाने वाली सार-देखो 'सहारै'।
गुप्त बात-चीत, समझोता। २ घोड़े को एक तेज चाल । सारउ-देखो 'सागै'।
-वि० रक्तवर्ण, लाल । सारको, सारखो-देखो 'सारीखा।
सारत्ति, सारत्ती-स्त्री० प्रासक्ति । सारगध-पु. १ चन्दन । २ डिगल का एक गीत ।
सारत्रण, सारत्रिण-पु० [सं० सार-तरण] बांस । सारगत स्त्री० घोड़े की एक चाल विशेष ।
सारथक-वि० [सं० सार्थ-कन्] १ सफल, सिद्ध । २ लाभदायक, सारघण-पु. कपूर।
उपयोगी। सारडि, सारड़ी- देखो 'सारी'।
सारथकता-स्त्री० [सं० सार्थकता] १ सार्थक होने की सारहो-पु० लट्ट ।
अवस्था या भाव । २ उपयोगिता सारज-पु. १ मक्खन । [स. सर] २ सुदर्शन चक्र । सारथवाह (हि, हो)-पु. १ कुबेर । २ धनाढ्य व्यक्ति । सारजग-पु. चांदी, गैप्य।
३ व्यापारी, साहूकार। . . सारजाळी सारजाली -स्त्री. कवच ।
सारथि, सारथी पु० [सं० सारथि रथ चालक, रथवान । सारज-देखो 'सरजू'।
सारद-वि० [सं० शारदः] १ शरद ऋतु का, शरद ऋतु सारसकोळ, सारनकोळी-पु० युद्ध, संग्राम ।
सबधी। २ ठंडा, शीतल। -पु. १ चन्द्रमा, चांद । सारण-पु० [सं० सारण] १ रावण का एक अमात्य ।। २ देखो 'सारदा' । ३ छप्पय छन्द का एक भेद।
२ झेलमे कूए पर चरस खींचने वाले बलों के चलने का सारदा-स्त्री० [सं० शारदा] १ सरस्वती। २ एक नदी का मार्ग । ३ चरखे के नीचे लगी लकड़ी विशेष । ४ पारा नाम । ३ देवी का एक नाम । ४ पार्वती । ५ प्राचीन समय प्रादि रसों का संस्कार । ५ रोग, बीमारी । ६ एक प्रकार की एक लिपि। ६ श्वेत रंग ॐ। -वि० १ अभीष्ट फल का सुगन्धित द्रव्य । ७ तालाब से निकली छोटी नहर । देने वाली: २ श्वेत, सफेद। ८ क्यारियों में पानी देने की नाली । -वि०१ पूर्ण करने | सारदातीरथ-पु० एक प्राचीन तीर्थ ।
वाला. पूरा करने वाला । २ सफलता प्राप्त सफल ३ सिद्ध । साराभरण-पु० [सं० शारदा भरण] कर्नाटकी पद्धति का सारणि, सारणी-स्त्री० [सं०] १ नाला या छोटी नहर । एक राग।
२ नदी । ३ तलहटी। ४ बड़ा भोज । ५ तत्र-मत्र जानने | सारदासुदरो-स्त्री० दुर्गा का एक नाम । वाली स्त्री। ६ संताप ।
| सारवूळ-पु. [सं० शार्दूल] १ सिंह, शेर । २ बब्बर या केसरी सारणेसर, सारणेसुर, सारणेस्वर-पु० १ बाबू पर्वत पर स्थित | सिंह । ३ बाघ । ४ दोहे का एक भेद । ५ छप्पय छन्द का
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सारदूळललित
( ७७० )
सारित
... एक भेद । -वि० श्रेष्ठ, उत्तम ।
सारस, सारसड़ौ-पु. (स्त्री० सारसणी, सारसी) १ क्रौंच से सारदूळललित-पु० [सं० शार्दूलललित] एक प्रकार का | कुछ बड़ा एक सुन्दर पकी जो सदा जोड़े से रहता है। ___णवत्त।
२ चन्द्रमा, चांद । ३ छप्पय छन्द का एक भेद । ४ एक सारदूळवाहण (न)-पु० [स० शार्दूलवाहन] १ जनमतानुसार __ मात्रिक छन्द विशेष ।
पच्चीस पूर्व के जिनों में से एक । २ देवी, दुर्गा । सारसत (त्त)-१ देखो 'सरस्वती' । २ देखो 'सारस्वत'। सारदूळसटा-पु० एक वणिक वृत्त ।
सारसप्रिय-पु. कर्नाटकी पद्धति को एक राग। सारदूळो-देखो 'सारदूळ' ।
सारससीस-वि० रक्तवर्ण, लालक। सारधार-पु० १ खड्गधारी, व्यक्ति । २ तलवार ।
सारसियाळ-पु० सिंह, शेर । सारधू-स्त्री० लड़की पुत्री।
सारसी-स्त्री. १ शेर, हाथी, ऊंट प्रादि की मस्ती। २ हाथी सारनाल (लो)-पु० बिना सिला वस्त्र ।
की, मस्ती में होने की अवस्था। ३ एक मात्रिक छन्द सारनी-स्त्री० गायिका।
विशेष । ४ ग्रार्या या गाहा छन्द का एक भेद । सारबाड-स्त्री० १ तलवार । २ देखो 'सारभांड' ।
सारसौ-देखो 'सारीखो। सारबारण (न)-देखो 'सारवान'।
सारस्टि-स्त्री० [सं० साष्टि] एक प्रकार की मुक्ति जिसमें सारबायरी-वि० तत्त्व रहित, निरर्थक ।
भगवान के समान ऐश्वयं भोग मिलता है। सारमांड-पु.१ व्यापारिक दृष्टि से कीमती वस्तु । २ तलवार। सारस्वत-वि० [सं०] १ सरस्वती का, सरस्वती संबंधी। सारभाटी-पु. ज्वार भाटा के बाद की स्थिति ।
२ सरस्वती नदी सबंधी। ३ सास्वत देश सबंधी।-पु. सारमरणी-स्त्री० बुहारी।
१ सरस्वती नदी के तट पर बसा देश, प्रदेश । २ दधिचि सारमणो-पु. झाड़।
ऋषि के पुत्र एक ऋषि । ३ पंचविध गौड़ ब्राह्मण । सारमरण-पु० तलवार के पाघात से होने वाली वीरगति । ४ एक व्याकरण । ५ रविवार या प्रत्येक पंचमी को किया सारमेय-पु० [सं० सारमेय] श्वान, कुत्ता।
जाने वाला एक प्रत । सारमेयावन-पु० [सं०] एक प्रकार का नरक ।
सारस्वती-स्त्री० [सं०] वीर विनोद के अनुसार लूनी नदी का सारमोजा-पु० लोहे के दास्ताने ।
एक नाम । सारवंग-पु० घोड़ा, अश्व ।
सारहटा-पु० शस्त्र प्रहार । सारवट-पु. १ लोह की जाली का बना दास्ताना। २ लोह की सारहलो-स्त्री. १ बढ़ई का एक प्रौजार विशेष । २ मादा ऊंट । जाली का पजामा।
। ३ देखो 'सार'। सारवणी (बो)-देखो 'सारणो' (बी)।
| सारही-देखो 'सारथो'। सारवभू. सारवभूम-वि० समस्त भूमि सम्बन्धी।
सारहीयदोख (बोस)-पु. जैन मतानुसार सचित वस्तुओं के सारवभोम, मारवमोम-पु० [सं० सावभीम] १ चक्रवर्ती गजा, बीच रखी प्रचित वस्तु को लेने से होने वाला दोष ।
सम्राट । २ राजा, नप। -वि० समस्त भूमि संबंधी, | सारांस-पु० [स० सारांश] १ सार, निचोड़। २ संक्षेप । सम्पूर्ण भूमि को।
३ अभिप्राय, तात्पर्य । ४ परिणाम, नतीजा। ५ उपसंहार। सारवभौतिक-वि० [सं० सार्वभौतिक] जो सब भूतों से सारावती-स्त्री० एक प्रकार का छन्द विशेष । संबंधित हो ।
| सारासार-पु० १ सत्यासत्य का विवेचन । २ सार-पसार की सारवभौमवत-पु० [सं० सार्वभौमदत] कात्तिक शुक्ला दशमी व्याख्या । को किया जाने वाला एक व्रत। .
साराह-देवो 'सरह। सारवरी-स्त्री० [सं० शारी] १ रात, रात्रि । २ विष्णु वीसी साराहणी (बी) -देखो 'सराणो' (बा)। का चौदहवां वर्ष ।
| सारि-१ देखो 'सारी' । २ देखो 'सार'। सारवाण, सारवांन-पु. ऊंट सवार, सुतर सवार। -वि० सारिका-स्त्री० [सं० शारिका] १ मैना पक्षी। २ अप्सरा. रंभा।
१ जिसमें कुछ सार या तत्त्व हो। २ ऊंट रखने वाला। ३ शतरंज की गोटो। ३ ऊंटों को चराने या सवारी कराने वाला।
सारिकाकवच-पु० [सं० शारिका कवच] दुर्गा का एक कवच । सारविद-पु० [सं०] शिव महादेव ।
(स्तोत्र) सारविद्या-स्त्री० [सं०] अस्त्र-शस्त्र चलाने की विद्या। | सारिख, सारिखउ, सारिखो-देखो 'सारीखो' । 'सारसंगीत-देखो 'वडोसांणोर'।
सारित-पु. शगार में एक प्रकार का प्रासन विशेष ।
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सारिवा
सारीस - वि० १ क्रोध पूर्ण, क्रुद्ध । २ देखो 'सारीखो' । सारीसो-देखो 'सारीखो' ।
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सारिवा स्त्री० एक प्रकार की घास या पौधा ।
सारियो-देखो सारीखों
1
सारी, सारी स्त्री० १ रहट के चक्र को खड़ा रखने के लिये लगाई जानी वाली बड़ी लकड़ी २ मैना पक्षी ३ चौसर आदि खेल की गोटी । ४ खेल की बाजी । वि० १ प्रत्येक, हरेक । २ सम्पूर्ण, सब तमाम ३ देखो 'स्यारी' । सारीक, सारीख, सारीखउ, सारीखौ - वि० [सं० सदृश ] ( स्त्री० सारखी) १ समान, सदृश । २ बराबरी या समता वाला । ३, जो प्राकार, तौल प्रादि में बराबर हो । ४ निरन्तर चलने वाला । ५ जैसा । सारीवारी फि० वि० पारी के अनुसार सारीमेर- क्रि० वि० चारों घोर, सर्वत्र ।
( ७७१ )
सारू, सारू-स्त्री० मैना पक्षी । क्रि० वि० १ लिए, वास्ते । २ मुताबिक अनुसार ३ काबू में पकड़ में ४ किसी के ऊपर, हाथ में ।
सारूवार, साहद्वार, साख्यार, साख्यारू - वि० बढ़िया, श्रेष्ठ, सुन्दर ।
सारूप - १ देखो 'सरूप' । २ देखो 'सारूप्य' । ३ देखो 'स्वरूप' । सारूपता - स्त्री० सारूप्य होने की अवस्था या भाव। सारूप्य पु० [सं० सारूप्यं ] पांच प्रकार की मुक्तियों में से एक जिसमें भगवान का सा रूप मिलता है ।
सारं सारं - क्रि० वि० अधिकार में, वश में, काबू में ।
सारोट पु० कवच, बख्तर |
सारोपास्त्री० साहित्य में एक लक्षण ।
सारे सारं देखो 'हा'
सारोखली (बी) - क्रि० [सं० स+रोष ] क्रुद्ध होना, कुपित होना ।
सारोड़ो देखो 'हायें।
सारी, स, रौ- पु० १ हुक्म प्राज्ञा । २ वश, काबू । ३ शक्ति, जोर । ४ अधिकार, प्राधिपत्य - वि० (स्त्री० सारी )
1
१ समस्त सब । २ कुल, तमाम, पूरा ३ पूर्ण, सम्पूर्ण । सारी, सारी-१ देखो 'सहारो' । २ देखो सासरी' | सारी-बारी ०१ वश चलन २ प्राथमिकता। सालंक- पु० एक प्रकार की राग ।
साळ - स्त्री० [सं० शाला] १ मकान के घन्दर का कक्ष जिसमें प्रायः खिड़की, रोशन दान प्रादि न हो। २ वह कक्ष जिसके दरवाजे एक से अधिक दिशाओंों में खुलते हों । ३ चडस खींचते समय बैलों के चलने का मार्ग । ४ कपड़ा बुनते समय बैठने के लिये बना खड्डा । ५ मुख्य दरवाजे के पास बना खुला कमरा । साल (साल) पु० [फा० शाल] १ बारह महीनों का समय
साल- देखो 'सवाल' । साळउ-देखो 'साळो' ।
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वर्ष । २ एक प्रकार का वृक्ष व उसकी लकड़ी । ३ वृक्ष, पेड़ । ४ अश्वकर्ण वृक्ष । ५ एक प्रकार का पुष्प । ६ वह स्थान जहां सिक्के ढाले जाते हैं, टकसाल । [स० शस्य ] ७ दुख दर्द । ८ शल्य, कोटा । ९ प्रहार, घाव । १० घाटा, हानि, नुकसान। ११ पलंग, खाट आदि के पायों के छेद जिनमें पार्टियों के सिरे फसाये जाते है । इस प्रकार फसाने के लिए तैयार किए गए पार्टियों के शिरे १२ सोना स्वर्ण । [सं० शाल ] १३ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ७७ वां ग्रह | १४ एक प्राचीन नदी । १५ प्रस्त्र चिकित्सा | [फा० शाल ] १६ एक प्रकार की ऊनी या रेशमी चादर । १७ देखो 'स्रगाळ' । १६ देखो 'साली' । १९ देखो 'साळ' | २० देखो 'स्याल' |
साळबाद
सालक - पु० १ तालाब की मिट्टी में होने वाला एक मेवा विशेष । २ देखो 'स्यालक' |
साळकार ( कटारी ) - स्त्री० चारण- राजपूतों में विवाह संबंधी एक रश्म ।
साळकी देखो 'साळ' ।
साळगणी (बी), सालगरणी (बो)- क्रि० १ अंकुरित होना; पल्लवित होना । २ सुलगना, जलना । साळगरांम, सालगरांम पु० [सं० शालग्राम ] १ विष्णु (शालग्राम) की एक प्रतिमा या रूप । २ गंडक नदी के किनारे
का वन
सालगाली (बौ) - क्रि० १ अंकुरित करना । २ सुलगाना । सासाराम (सालग्राम) देखो 'सागरांम' ।
सालगिरह (गिरे - ० [फा० सालगिरह ] वर्षगांठ जन्म दिन सालग्रांमि (मी) - स्त्री० १ गंडक नदी का एक नाम। २ इस नदी के उद्गम स्थान पर स्थित पुण्य स्थल ।
सालरण स्त्री० १ पंवारों की एक देवी विशेष । २ एक प्रकार का तरल पदार्थ । ३ मसालेदार साग सब्जी, नमकीन आदि खाद्य पदार्थ ।
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सालखि (सी) स्त्री०एक वणिक वृत्त विशेष विचावल का सालखी (बो) - क्रि० १ खटकना, कसकना । २ दुःखदायी या दर्द युक्त होना ३ पसंग बाट बादि पायों में छेदकर पाटी फंसाना । ४ तपना । ५ प्राकर्षित करना । सालपरण (गि, पी) - स्त्री० [सं० शालपर्णी ] १ साल विन वृक्ष । २ एक क्षुप विशेष । सालवाफ-पु० [फा० शालबाक ] १ कपड़ा बुनने वाला व्यक्ति । २ एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । साळबाव, सालबाव-पु० कपड़ा बुनने वालों से लिया जाने वाला कर विशेष ।
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सालमलो
( ७७२ ।
साल्हा
सालमली-पु० [सं०शालमलीस्थ] १ गरुड़ । २ देखो 'साल्मली'। वाला प्रसिद्ध राजा। सालमुख-पु० [सं० शल्यमुख युद्ध, सग्राम ।
| सालिहोतर (होत्र)-पु० [सं० शालिहोत्र] १ प्रश्व चिकित्सा सालर-पु० [सं० शल्लकी) १ एक वृक्ष विशेष । २ उक्त पेड़ संबंधी ग्रन्थ या शास्त्र । २ इस ग्रन्थ के रचयिता ऋषि । की लकड़ी या जड़।
३ घोड़ा, अश्व । सालरचर-पु. हाथी, हस्ती।
सालिहोतरी (होत्रि, होत्रो)-पु० [सं० शालिहोत्री] १ घोड़ों के सालळणी (बो)-देखो 'सालुळणो' (बी)।
गुणावगुण व चिकित्सा के संबंध में पूर्ण जानकार व्यक्ति। साळवरणी (बी)-क्रि० शस्त्र चलाना, प्रहार करना।
२ देखो 'सालिहोत्र'। सालवणो (बो)-देखो 'सालणो' (बी)।
साळी, साळी (साली)-स्त्री० [सं० श्यालो] १ पत्नी की बहन । सालवाखर-पु० घोड़े का एक पाखर विशेष ।
[सं० शालि] २ चावल । साळवी, सालवी-पु. कपड़ा बुनने का व्यवसाय करने वाली
| सालोणी-वि० (स्त्री० मालिपी) वार्षिक । एक जाति।
सालुळपो (बी)-क्रि० १ दिनय, प्रार्थना या स्तुति करना।
२ युद्धार्थ प्रस्थान करना, प्रयाण करना । ३ प्राक्रमण या साळस सालस-वि० १ सज्जन, भला । २ सुशील। ३ होशियार,
हमला करना। ४ प्रारम्भ या शुरू होना। ५ चलना । बुद्धिमान, चतुर।
६ उमड़ना । ७ प्रज्वलित होना, जलना। ५ झकना । सालसि, सालसी-स्त्री० साले को स्त्री, सलहज ।
९ वाद्य यंत्रों का बजना। १० उलटना । ११ होना। सालहि-स्त्री० मंना पक्षी।
१२ गाया जाना। सालहोतर (होत्र)-देखो 'सालिहोत्र'।
साळू-पु. १ मांगलिक लाल वस्त्र । २ सधवा स्त्रियों के प्रोढ़ने साला-स्त्री० [सं० शाला] १ गह, मकान । २ बड़ा कक्ष,
का सुन्दर व कीमती वस्त्र, साड़ी। विवाह के समय कमरा । ३ वृक्ष का तना। -वि० साल का, वर्ष सबंधी।
धारण करने की लाल पोढ़नी। ४ किसान स्त्रियों की साळाकटार (कटारी, कटारी)-देखो 'साळकटारी'।
मोढ़नी । ५ रहट के चक्र के साथ खड़े लट्ठे का शिरा । सालाना-वि० वार्षिक ।
६ शीतकाल में ऊट के मुंह से निकलने वाली गलसूडी। सालाबाज-पु. सिंचाई संबंधो कर विशेष ।
सालूकिनी-पृ० [सं० शालूकिनी] कुरुक्षेत्र का तीर्थस्थान । सालाखक-देखो 'साळावख'।
सालूडो-देखो 'साळू'। सालाळो-स्त्री० कटार; कटारी।
सालूर-पु० [सं० शालूर] १ मेंढ़क । २ डिंगल का एक मात्रिक साळावक, साळावख-पु० [सं० शालावृक] १ कुत्ता; श्वान ।
छन्द । ३ डिंगल का एक वणिक छन्द । २ भेड़िया । ३ शृगाल । ४ बंदर । ५ बिल्ली।।
| साळवड़ो, सालेबड़ो साळेवड़ो-पु. चावल के पाटे का बना साळासेली, साळाहेली-स्त्री० साले की पत्नी, पत्नी की भाभी।
पापडनुमा पदार्थ । साळि, सालि-देखो 'साळो।
साळे साल-क्रि०वि० पास, निकट या समीप से। सालिक-देखो 'स्यालक'।
साळेडी सालड़ी-स्त्री. साले की पत्नी, पत्नी की भाभी। सालिकर-पु० छन्द शास्त्र में टगरण के तेरहवें भेद का नाम ।
सालोक, सालोक्य-पु० [सं० सालोक्य] पांच प्रकार की मुक्तियों सालिगराम, सालिग्राम-पु० [स० शालग्राम] गंडक नदी में | में से एक, जिसमें भगवान के नित्यधाम में निवास
पाया जाने वाला गोल गोल व काला छोटा पत्थर जिस | मिलता है। पर चक्रायुध अंक्ति होने से विष्णु के रूप में पूजन में रखा सालोतर- देखो 'सालिहोत्र' ।
जाता है । तुलसी का विवाह इसी से करने की परम्परा है। सालोसाल-क्रि०वि० प्रति वर्ष, हर साल । सालिपी, सालिनी-स्त्री० [सं० शालिनी] १ ग्यारह प्रमरों का | साळी साळी (लो)-पु० [सं० श्यालक पत्नी का भाई। एक वृत्त विशेष । २ वार्षिकी ।
साल्मलि, साल्मळी-पु० [सं० शाल्मलि] १ सेमल का वृक्ष । साळिम, सानिम-वि० [म.] १ पूर्ण, पूरा । २ स्वस्थ, निरोग। २ क्रौंच द्वीप से दुगुना एक द्वीप । ३ गरुड़ । ४ एक चन्द्र३ सज्जन, सभ्य ।
वंशी राजा । ५ एक प्रकार का नरक । सालियोपो (नौ)-वि. वार्षिक, सालाना।
साल्मलीकंव-पु० सेमल वृक्ष की जड़ । साळियो, साळियो, सालियो-पु. १ बलगाड़ो के पन भाग में | साल्यम-देखो 'सालिम'। लटकने वाली लकड़ियों का युग्म । २ शुगाल ।
साळयौ, साळयो-देखो 'सगाळ' । सालिवाहरण (न)-पु० [सं० शालिवाहन शक संवत् चलाने | साहा, साल्हउ, साल्हु-देखो 'साळो' ।
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सावंत
( ७७३ )
सावित्री
सावत-स्त्री. १ मुसलमान वेश्या। २ देखो 'सामंत'। सावत्रीईस (ईसर, ईसुर. ईस्वर)-पु० [सं० सावित्री+ईश्वर] सावतरी, सावत्री-स्त्री० [सं० सावित्री] १ माता, जननी। । ब्रह्मा, विरंची। २ गाय, गो। ३ देखो 'सावित्री' ।
सावद्य-पु० [सं०] योग में एक प्रकार की सिद्धि का नाम । साव साव-पु० [सं० शाव:] १ बच्चा (पशु का)। २ बालक । ___-वि० पाप या दोषपूर्ण। -अनुकंपा, दया-स्त्री० पाप
३ पुत्र, बेटा। -स्त्री० [सं० स्राव] ४ नदी, सरिता। युक्त दया, दोष पूर्ण कृपा ।
-क्रि०वि०१ नितान्त, बिल्कुल । २ देखो 'स्वाद'। सावधक्रिया-स्त्रो० पाप कर्म। सावक-पु० [सं० शावक] १ बच्चा, बालक। २ हंस । | सावधवांन-पु. पापमय दान । ३ देखो 'सावक'।
सावधान-वि० १ खबरदार, चौकन्ना । २ सचेत, सतकं, होशिसावकडळ (ल)-पु० डिंगल का एक छन्द ।
यार। ३ चतुर, बुद्धिमान । ४ जागरुक, सचेत। सावकरण-पु० [स० श्यामकर्ण] १ घोड़ा, अश्व । २ देखो सावधांनी-स्त्री० सावधान होने की अवस्था या भाव, होशियारी। . 'स्यांमकरण'।
___चतुगई। सावकी, सावकी-स्त्री० सौतेली।
सावर-पु० [सं०शावर] १ तांबा, ताम्र । -स्त्री० [सं०सा+वर] सावकु. सावकुत. सावको, सावको-पु० (स्त्री०सावकी) सौतेला । २ सुन्दर स्त्री। ३ देखो 'साबरमंत्र'। सावग-१ देखो 'स्रावक' । २ देखो 'सावक' ।
| सावरणि (पी)-स्त्री० [सं० सम्मानी] १ झाड़। सावचेत, सावचेत-वि०१ सतर्क, सावधान । २ होश में, सचेत, २ जैन यतियों के पास रहने वाला झाड़ नुमा उपकरण । सजग । ३ होशियार, चतुर ।
[सं० सावरिण] ३ पाठवें मनु का नाम । ४ एक प्राचीन सावचेतगी, सावचेती, सावचेती-स्त्री० १ चतुराई, होशियारी।
ऋषि । २ सावधानी, सतर्कता।
| सावरत (स)-वि. लाल, रक्तवर्ण, रक्त रंजित । -पु. शंख, सावज-पु० १ सिंह, शेर। २ बाष, बघेरा.। ३ शेर का बच्चा । कम्बु । -क्रि०वि० दोनों पोर ।
४ खरगोश, हिरन प्रादि वन्य पशु । मांसाहारी पक्षी। सावळ सावळ (ल)-स्त्री. १दुःख के समय श्विर से की ६ योद्धा, वीर । ७ देखो 'स्यामज'।
जाने वाली प्रार्थना । २ कीर जाति में, खेत से सर्वप्रथम सावजन-वि० [सं० सावज्ञ] परिणत, निंद्य, तिरस्करणीय । तोड़ कर बहन-बेटी को दी जाने वाली वस्तु । ३ शिल्पसावजळ (सावळ)-पु० भाला।
कारों का एक पोजार । -वि. १ उचित, ठीक । २ पूर्ण, सावज्ज-वि० [सं० सावद्य] पाप युक्त ।
पूरा। ३ ध्यानपूर्वक । ४ स्पष्ट, साफ। ५ पच्छा, सावनडो-पु. डिंगल का एक गीत या छन्द ।
अनुकूल । ६ बढ़कर, बहत्तर । ७ लाभप्रद, हितकर । सावटू-पु०१ सूर्योदय के समय भेड़िये का बायें से दायें पाने से ८ स्वस्थ, तंदुरुस्त । ९ सीधा । -क्रि०वि० १ अच्छी तरह,
होने वाला अपशकुन । २ श्रेष्ठ कपड़ों की पोशाक । भली प्रकार से। २ पाराम से, चंन से। ३ सीधे तरीके । ३ एक प्रकार का वस्त्र । ४ तोता, शुक । [सं० स्वापतेय] से, शिष्ट व्यवहार से।
५ धन, द्रव्य । -वि० १ नया, नवीन । २ श्रेष्ठ, उत्तम। सावळायार, सावळियार-वि. १ भला, सज्जन । २ सीधा, सावडदी-पु. एक प्रकार का खाद्य पदार्थ ।
सरल । सावडू-देखो 'सावटू' ।
सावळियारी-स्त्री०१ भल मनसाहत, शराफत । २ सज्जनता। सावढ़-स्त्री. १ कृषि की अधिष्ठात्री एक देवी। २ फसल | सावसावीश्रमावस-स्त्री. पाश्विन मास की अमावस्या ।
काटते समय सांड पादि के लिए छोड़ा जाने वाला फसल | सावस्त-पु० [सं० शावस्त] इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा । का भाग । ३ मातृभूमि ।
सावित्र-पु० [सं० सावित्र:] १ शिव, महादेव । २ सूरज, सूर्य । सावण-पु० श्रावण मास ।
३ यज्ञोपवीत संस्कार । ४ एकादश रुद्रों में से एक । सावरिणक-वि० [सं० बावरिणक] श्रावण मास का, श्रावण ५ करणं का एक नामान्तर । ६ सुमेरु पर्वत के एक शिखर सबधी। -पु. श्रावण मास ।
का नाम । ७ गर्भ। ८ यज्ञोपवीत सूत्र । सावरिणयो-देखो सावरण'।
सावित्री-स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मा को स्त्री जो सूर्य की पुत्री थी। सावण-पु. खरीफ की फसल ।
२ सूर्य की किरण । ३ ऋग्वेद का गायत्री मंत्र । ४ उपसावतरी-देखो 'सावित्री'। .
नयन के समय का एक संस्कार । ५ सत्यवान की पत्नी एक सावतो-देखो 'साबौ।
पुराण प्रसिद्ध पतिव्रता । ६ पार्वती, उमा । ७ सरस्वती। सावत्री-देखो 'सावित्री'।
८ सरस्वती नदी। ९ पुष्कर तीनं की अधिष्ठात्री देवी ।
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सावित्रीवरत
२ देखो 'साथी'।
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व्रत ।
सावित्रीसूत्र - पु० [सं०] यज्ञोपवीत, जनेऊ ।
-
सायुपु० १ एक प्रकार का पास सावो १० १ विवाह का शुभ मुहूर्त २ पाणिग्रहण संस्कार की तिथि व समय निश्चित कर, कन्या पक्ष की प्रोर से वर पक्ष को भेजा जाने वाला निमन्त्रण । ३ पोशाक,
( ७७४ )
१० यमुना । ११ सधवा स्त्री । १२ प्लक्ष द्वीप को एक सासनीय - वि० [सं० शासनीय] १ जो शासन करने योग्य हो । नदी १३ चौसठ योगिनियों में से एक। २ जिस पर शासन करना उचित हो । सावित्री वरत (व्रत) - पु० [स० सावित्री व्रत ] ज्येष्ठ कृष्णा सासय- देखो 'सासत' । चतुर्दशी या भ्रमावस्या को स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला
सासर, सासरउ, सासरवाड, सासरवाडी- देखो 'सासरी' | सासरियो १० १ ससुराल का ससुराल का निवासी २ देखी 'सासरी' |
सासघर- पु० सासू का घर, ससुराल । सास (डी) देखो 'साबू' । सासर-देवो''।
वस्त्र ।
साव्यकार - पु० शव से संबंधित कार्य करने वाला व्यक्ति । सास- पु० [सं० श्वास] १ प्राणियों के मुंह व नाक के अन्दर से बाहर व बाहर से अन्दर होने वाली वायु प्राण वायु, श्वास, दम । २ प्राण, जीब। ३ देखो 'सासू' । सासक पु० [सं० शासक ] १ शासन करने वाला व्यक्ति । २ स्वामी, पति । ३ प्रशासक ।
सासत - वि० [सं० शाश्वत ] हमेशा रहने वाला, भ्रमर । सदा स्थाई बनादि ५० १, विष्णु, महेश २ देखो 'सास्त्र' ।
1
सासतर - पु० [सं० शास्त्र ] १ रश्म, रीति । २ देखो 'सास्त्र' । सासती - वि० प्रावश्यकतानुसार ।
सासतीक ( कौ) - वि० (स्त्री० सासती की ) १ शास्त्र का, शास्त्र संबंधी । २ स्थाई ।
- वि० १ स्थाई । २ प्रक्षय, अटल ।
सासतो - क्रि० वि० १ नित्य हमेशा । २ निरन्तर, लगातार ।
1
स. सत्र - देखो 'सास्त्र' ।
सासनीक - देखो 'सासतीक' ।
शासन पु० [सं० शासन] १ धाता, प्रदेश २ दाना पुरस्कार में प्राप्त भूमि या जागीर । ३ लिखित प्रतिज्ञापत्र, पट्टा । ४ कुछ अधिकार देने संबंधी फरमान, परवाना । ५ प्रबलता ।
सासनधर पु० [सं० शासनपर ] १ शासक २ राजदूत सासनपतर ( पत्र ) - पु० [सं० शासन पत्र] राज्यादेश संबंधी ताम्रपत्र या शिलालेख ।
सासनम स्त्री० [सं० नमश्वास] वायू हवा सासविल (सिला ) - स्त्री० [सं० शासन शिला] शासकीय घोषणा या राजाज्ञा संबंधी शिलालेख | सासना स्त्री० [सं० शासना ] सजा, दण्ड ।
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सास्वती
सासरी २० [सं० श्वसुरालय] १ श्वसुर का घर ससुराल २ ससुराल वाला गांव या नगर ।
सासाहिबि (बी) - पु० एक प्रकार का वस्त्र । सासित्र (त्रि, त्री) - देखो 'सास्त्र' ।
सासिव पु० [सं० साशिव] एक प्राचीन देश । सासीढ़ी (दाढ़ी) - स्त्री० युवावस्था की दाढ़ी मूछ के मुलायम व घने बाल ।
"
सासु सासु- स्त्री० [सं० स्वश्रु] पति या पत्नी की माता, सास । सासुरी-देखो 'सासरी
सासू सासूड़ी-देखो 'सासु' ।
साखाबड़ साबाड़ी पु० १ दहेज के समय कन्या पक्ष की भोर से वर की माता को दी जाने वाली पोशाक । २ ऐसी पोशाक रखने की टोकरी ।
सासूसी (बी), मुळी ० एक प्रकार का प्राभूषण । साष्टांग - वि० [सं० साष्टांग ] हाथ पांव, वक्षस्थल, शिर, नेत्र, मन व वाणी सहित | पु० इन सभी प्रगों व मन को केन्द्रित कर किया गया अभिवादन, प्रणाम ।
सास्तर - देखो 'सास्त्र' ।
सास्तिक- देखो 'सासतीक' ।
सास्ती- देखो 'सासतो' ।
सास्त्र पु० [सं० शास्त्र] धर्म धाचार, दर्शन नीति यादि के नियमों के विवेचन वाला ग्रंथ २ कला, विद्या या विषय विशेष के विश्लेषण वाला ग्रंथ । ३ नियमानुसार भाचरण के निर्देश । ४ किसी गंभीर विषय संबंधी सिद्धान्त । ५ पुस्तक - कार - पु० शास्त्र का रचयिता पंडित, विद्वान, ऋषि, मुनि । वकता, वक्ता- पु० शास्त्रों की बातों का उपदेश देने वाला व्यक्ति ।
सास्त्र सास्त्रग्य - पु० [सं० शास्त्रज्ञ ] १ शास्त्रों का जानकार । २ धर्म शास्त्रों का प्राचार्य ।
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सास्त्रसारा स्त्री० [सं० शास्त्र-सारा]१ शास्त्रों की साररूपा देवी । सास्त्री- पु० [सं० शास्त्री ] १ शास्त्रों का ज्ञाता । २ धर्मशास्त्र
का पंडित । ३ विश्व विद्यालयों की एक उपाधि । सास्यत वि० [सं० शाश्वत] १ नित्य हमेशा २ मिट स्थाई | ३ अनादि, सनातन पु० १ शिव, महादेव । २ स्वर्ग, वैकु ंठ । ३ वेदव्यास
सारवती स्त्री० [० शाश्वती ] १ पृथ्वी, भूमि २ सनातन देवी
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सास्वादन
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सास्वादन ० [सं०] निर्माण प्राप्ति की चौदह अवस्थाओं में से एक । (जैन)
( ७७१)
सास्वादन गुणस्थांन पु० चौदह गुण स्थानों में से दूसरा गुणस्थान (जैन) साहस- देखो 'साइस'
साहसाह पु० [फा० शाहंशाह ] सम्राट, बादशाह | साहसाही स्त्री० [फा० शाहंशाही] बादशाह का कार्य या पद - बि० बादशाह संबंधी, बादशाह जैसा । साहसी, साहसीक देखो 'साहसी' । साह पु० [फा०] शाह] १ वादनाह सम्राट ( स्त्री० सारणी)। २ सेठ साहूकार । ३ राजा नृप। ४ शाहजादा [४] माहजादा ५ मुसलमान फकीर की एक उपाधि । ६ धनी व प्रतिष्ठित व्यक्ति । [फा०] स्याह ] ७ काले रंग का घोड़ा ८ बादशाह या राजा द्वारा किसी वरिएक को दो जाने वाली उपाधि | - वि० १ सज्जन, मला । २ उदार, दानी ३ महान्, श्रेष्ठ सारणी (बी) - देखो 'साइली' (बी) । साहनांनी -१ देखो 'सा'जानी' । २ देखो 'साहंसाही' । सादी० [फा०] साहजादा] (स्त्री० [साहजादो) बादशाह
"
ना करने वाला २ सेना, फौन
का लड़का, राजकुमार । साहत्य वि० संहार करने वाला [सं०] साधन] [१] पोडा सगी । ४ देखो 'साधन' । साहब पु० सेनापति ।
-
साहसी स्त्री० १ शाह की स्त्री, सेठानी। २ देखो 'साथी' । साहयौ वि० [स्त्री० साहसी धारण करने वाला। साखी (बी) क्रि० १ करना सन २ करना शस्त्र प्रादि का उठाना लेना ४ सहन करना, भेलना ५ वामना रोकना ६ उद्धार करना, मोल करना । ७ रखना, धरना ८ सभालना मारना, वध करना । १० लेना । ११ सहन करना । १२ धारण करना, झेलना । १३ रक्षा करना १४ सधान करना, चढ़ाना। १५ युद्ध करना ।
|
०
साथी
साहनिजार पु० एक महात्मा का नाम, निजारशाह । साप सापलो पु० १
होने का भाव ।
साहब देखो साहिब। साहबजारी-देखो 'साहजादी' ।
साहबाज पु० [फा० शाहबाज ] एक प्रकार का शिकारी पक्षी । साहबी देखो साहिब'
साहयो देखो 'साहिब' ।
को उपाधि २ साहूकार
साहमणि, साहमणी- देखो 'समठावणी' । सामी वि० [सं० साधमिन्] १समानधर्मी, स्वधर्मी २ देखो
1
'सांनी ३ देखो साम्ही' ।
,
सामील सामी सावि० [सं० कि + वात्सल्य ] समान धर्म का प्रेम ।
साह सामो देखो सोही साहब देखो सहाय
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साहरिय. साहरियोख (दोस ) - पु० [सं० संहृत] एषण समिति
के ४७ दोषों में से ३७ व दोष (जैन) साहरू- १ देखो 'सारू' । २ देखो सारों' । साहरी १ देखो 'सहारी' २ देखो 'सारी'। साल ०१२ विनय पातं पुकार। साहबी-देखो 'साथी'।
साहिब
साहस- पु० [सं०] १ हिम्मत, जरूरत । २ हठ, छाग्रह | ३ जबरदस्ती बरजोरी । ४ बेरहमी, नृशंसता । ५ जोश, उमंग | ६ देखो 'साहसी' |
साहसगो (बो - क्रि० साहस करना, हिम्मत करना । साहसबंध देखो 'साहसी'
साहांणी - वि० [फा०] राजसी, शाही ।
सहां मौ) देखो 'सांम्ही' ।
साहसवंत वि० हिम्मतवर परा
साहस, साहसिक देखो 'साहसी'।
साहसी, साहसीक वि० [सं० साहसि] १ साहस सम्बन्धी साहस का । २ निडर, निर्भीक ३ हिम्मतवर, पराक्रमी । सम्हांरगी (नि) देखो सां'सी'।
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साहसाह देखो 'साहंसाह' ।
साहाय साहि- १ देखो 'सहाय' । २ देखो 'साह' । ३ देखी
साही' |
साहिक देखो 'सहायक
साहिजादी देखो 'साहजादी' ।
साहित- देखो 'साहित्य' ।
साहितकार- देखो 'साहित्यकार' । साहितिक- देखो 'साहित्यिक' ।
साहित्य पु० [सं०] १ शब्द और धर्म का यथावत् सहभाव सार्थक शब्द मात्र २ ज्ञान राशि का सचित कोश । ३ किसी भाषा या विषय के गद्य-पद्य के समस्त ग्रंथों व लेखों का समूह जिनमें सार्वजनीन हित संबंधी स्थायी विचार रक्षित रहते हैं. बामय
साहित्यकार पु० [सं०] साहित्य-सृजन करने वाला ग्रंथ रचयिता लेखक 1
साहिब पु० [फा०] १ भगवान, ईश्वर । २ स्वामी, मासिक । ३ पति, खाविंद । ४ प्रेमी, यार । ५ बादशाह, शासक ६ किसी का सम्मानपूर्वक नाम लेने के साथ प्रयोग किया जाने वाला शब्द । ७ अंग्रेजों या अधिकारियों के लिये संबोधन ।
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साहिबजादो
। ७७६ )
सिंघार
साहिबजादी देखो 'साहजादो' ।
सिंगसट (सठ, सत, सत्य, सप)-पु० [सं० सिंहस्थ] सिंह राशि साहिबियो देखो 'साहब'।
में स्थित गुरु का बारह मास का समय, इस अवधि में साहिबी-स्त्री० [फा०] १ हुकूमत, शासन । २ वैभव, ठाट-बाट, विवाह संस्कार वजित हैं।
ऐश्वयं । ३ दरबार। ४ राज्य । ५ दल, साथ । ६ साहब | सिंगाड़ी, सिंगाड़ो-देखो सिंगोटी'।
होने की अवस्था या भाव । ७मानन्द हर्ष, मौज। । सिंगार-पु. १ एक प्रकार का घोड़ा। २ देखो 'न'गार'। साहियो, साहिब-देखो 'साहिब'।
सिंगारक-पु० [सं० शृंगारक] कामदेव, मदन। साहिय, साहियो-देखो 'साह'।
सिंगारचौकी-देखो 'सिणगारचौकी' । साही-स्त्री० [फा० शाही १ बादशाह का शासन या राज्य । सिंगारणी (बी)-देखो 'सिणगारणो' (बी)।
२ शासन या अधिकारों का अनुचित दबाव, प्रयोग • सिंगासण-देखो 'सिंहासण'। -वि० १ राजसी, बादशाही। २ शाह का, शाह सबंधी। सिंगियो-पु० [सं० शृगिक] एक प्रकार का स्थावर विष । ३ शाहों जैसा । ४ देखो 'सेही'।
सिंगी-स्त्री० [सं० शृगो] १ तुरही नामक बाजा । २ योगियों साहीवान-पु० शामियाना, तम्बू।
के बजाने का सींग का बाजा। ३ घोड़ों का एक प्रशुभ साहु-१ देखो 'साह' । २ देखो ‘साहू'। (स्त्री० साहुणी) लक्षण । ४ देखो 'संगी'। ५ देखो "सिंघवी' । साहुकार-देखो 'साहूकार'।
सिंगीमलकाछबी-पु. एक प्रकार का कछुपा । साहुरिग, साहरणी-१ देखो 'साधवी' । २ देखो 'साउवाणी'। सिंगीमूरो, सिंगीमूहरो (मोहरौ)-पु. एक प्रकार का पत्थर । साहुळि, साहुलि-देखो ‘साहल'।
सिंगीय, सिगीया, सिंगीव-स्त्री० [सं० शृगिका] पिचकारी। साहू-पु०१ साधु, मुनि । २ देखो 'साह'।
सिंगोटी-स्त्री. १ बलों के सींगों पर पहनाया जानेवाला एक साहूकार-पु. १ कोई बड़ा व्यापारी, महाजन, सेठ, वैश्य । प्राभूषण । २ सींगों की प्राकृति या बनावट । ३ एक प्रकार
२ वह व्यक्ति जो रुपये-पैसे का लेन-देन करता हो। -वि० का कर । ईमानदार।
| सिंगो पु० [सं० शृग] १ फूक कर बजाया जाने वाला बाजा साहकारी (रो)-स्त्री. १ साहूकार होने की अवस्था या भाव । । विशेष, नरसिंहा । २ देखो 'सींगी'। ३ देखो 'सींग' । २ ईमानदारी।
सिग्या-देखो 'संग्या'। साहेत-देखो 'सहित'।
सिग्याहीण-देखो 'संग्याहीण'। साहेब-देखो 'साहिब'।
सिंघ-पु० [सं० सिंह] (स्त्री० सिघण, सिंघणी] १ सिंह शेर । साहेबी-देखो 'साहिबी'।
२ वीरता या बेष्ठता सूचक प्रत्यय शब्द । ३ वास्तुविद्या साहेली-देखो 'सहेलो'।
में प्रासाद का एक भेद। ४ एक राग का नाम । साहोगम-पु. ब्रह्मा, विधाता।
५ ज्योतिष में बारह राशियों में से पांचवीं राशि । साहौ-देखो 'सावों'।
६ छप्पय छन्द का एक भेद। सिंकुल-देखो ‘सांकळ' ।
सिंघनाव-देखो 'सिंहनाद'। सिंख्या-देखो 'सख्या'।
सिंघपोळ-पु०वह मुख्य द्वार जिस पर सिंह की मूर्ति स्थापित हो। सिंग, सिगड़ी-पु० [सं० शुग] १ शिखर, चोटी। २ देखो | सिंघरास सिंघरासी-देखो "सिंहरासि' । 'संग' । ३ देखो ‘सींग'।
सिंधळ. सिंधळदीप-देखो 'सिंहलदीप'। सिंगरणी-देखो 'सींगण'।
सिंधळी-पु०१ हाथी। २ सिंह । ३ पुत्र, लड़का, भोलाद । सिंगरफ-पु० [फा० शिगरफ] ईगुर, हिंगुल ।
-वि० १ वीर, बहादुर । २ वशज। ३ जबरदस्त । सिंगरफी-वि० [फा० शिगरफी] १ हिंगुल के समान रंग का, | सिंघवाऊ पु. १ घोड़े का एक रोग जिससे घोड़े के पेट में हिंगुल जैसा । २ लाल ।
कीड़े पड़ जाते हैं । २ सिंह के शरीर से उत्पन्न होने सिंगराज-पु० [देश॰] एक प्रकार का चिकना सफेद पत्थर। | वाली गंध । सिंगरौर-पु० [सं० शगवेर] प्रयाग के पश्चिमोत्तर में स्थित सिंघवाहणी (मी)-स्त्री० [सं सिंह-वाहिनी] १ गिरिजा, एक तीर्थ ।
पार्वती । २ दुर्गा, भवानी । ३ रणचण्डी। सिंगल-पु.१ रेल्वे स्टेशन पर ऊंचे खंभे पर लगा उपकरण जो | सिंघवी-स्त्री० पोसवालों की एक प्रमुख शाखा ।
रेल के माने-जाने का संकेत करता है । २ देखो 'सिंहन। | सिंघसेन-पु० [सं० सिंहसेन] एक सूर्यवंशी राजा । सिंगलदीप (द्वीप)-देखो "सिंहलदीप' ।
सिघार-१ देखो 'संहार ।' २ देखो 'सस्त्र'।
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सिंधारणा
( ७७७ )
सिंधु
सिधारणों (बो)-१ देखो "सिणगारणो' (बी)। २ देखो सिरणतरी, सितरो-देखो 'सिणियो' । ___ सहारणी' (बौ)।
सिंदड़ी-देखो 'सींदड़ो'। सिंघाळ-देखो 'सिंघाळौं।
सिंबण, सिदन-१ देखो 'स्यदन'। २ देखो 'संधव'। ३ देखो सिंघाळी-स्त्री० सिंह को सवारी करने वाली दुर्गा ।
__सिंधो' । (स्त्री) सिंघाळी-वि० १ योद्धा, वीर । २ पराक्रमी, बलवान । सिटळी-पु० शुभ रंग का घोडा।
३ सींगोंवाला । ४ श्रेष्ठ, प्राणी । -पु.हाथी, गज। सिववी-स्त्री. एक रागिनी विशेष । सिंघावलोकरण (न)-देखो "सिंहावलोकन'।
सिदारो-देखो 'सिंझारों'। सिंघासण-देखो "सिंहासन'।
सिविया-पु० १ सिंधिया । २ देखो 'संध्या' । सिंघी-१ देखो सिंगी। २ देखो 'सिंघवो'। ३ देखो "सिंहो'। सिरिया-वि० सिंदूर के रंग जैसा । ४ देखो सिंगियो' ।
सिंदुरियो-पु० सिंदूरी रंग का पौधा या वस्तु । -वि. सिंदूर सिंघेस्वरी-स्त्री० [सं० सिंहेश्वरी] १ दुर्गा, देवो । २ पार्वती। का, सिंदूर सबंधो। सिघोड़ी-पु. १ पानी पर तैरने वाली एक लता विशेष का सिंदूर-पु० [सं०] १ सौभाग्यवती स्त्रियों के मांग में भरने का
तिकोना फल । २ सिंघाड़े की तरह तिकोना बना कोई | लाल रंग का एक चूर्ण विशेष । २ देखो 'सिधुर'। पदार्थ या चित्र, सिलाई प्रादि । ३ ऊंट के चारजामे के सिंदूरतिलक, सिंदूरतिलका-स्त्री. १ सुहागिन स्त्री, सधवा। नीचे लगाई जाने वाली गद्दी ।
__-पु० २ हाथी। सिंघोदरी-वि० [सं० सिंहोदरी] १ जिसका पेट या उदर सिंह सिदूरिया, सिंदूरी-स्त्री० । सिंदूर रखने की डिबिया ।
के समान हो। २ सिंह के समान पतली कमर वालो। २ सिंदूर के रंग की चिऊठो। -वि. सिंदूर के रंग का। सिंचरणी (बो)-देखो 'सींचणी' (बी)।
सिंदूवार-पु० वृक्ष विशेष । सिंचन-स्त्री० सिंचाई।
सिंध-पु० [सं० सिंधु] १ पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का सिंचय-पु० [सं०] १ बस्त्र, कपड़ा। २ भावरण । ३ देखो एक प्रदेश । २ पाकिस्तान की एक प्रमुख नदी। ३ मालवा संचय'।
की एक नदी । ४ देखो 'सिंधु। सिंचाण, सिारणी-पु. १ ज मे कुछ छोटा एक शिकारी, सिंधक-पु० [सं० संध्यक] पुष्प, फूल । पक्षी । २ दोहा छन्द का चौथा भेद ।
सिंधचारी, सिंधचीरी-देखो 'सिंधुचरी' । सिंचाई-स्त्री. १ फसल, पोधे प्रादि को पानी देने की क्रिया, | सिंधन-१ देखी 'सनद'। २ देखो "सिंधी'। (स्त्री०)
सिंचन । २ सिंचन संबंधी कर। ३ सिंचन कार्य का सिंधपीरण (पीयण)-पु० अगस्त्य ऋषि । पारिश्रमिक।
सिंधभैरव-स्त्री० एक राग विशेष । सिंचाणो (बी), सिंचावणी (बी)-देखो 'सीचमणो' (बी)। सिंधच-१ देखो 'सैधव' । २ देखो सिंधु' । सिजनो-स्त्री० [सं० शिजनी] १पैरों का प्राभूधरण, पैंजनी, सिधवराग, सिधवा-देखो 'सिधुराग'।।
पायजेब। २ धनुष की डोर, प्रत्यंचा। ३ कटिमेखला के सिंघवी-स्त्री० एक रागिनी विशेष. संकरराग। -वि० सागर का, नपुर, घुघरू।
सागर सम्बन्धी। सिंजरी, सिजारी-देखो 'सिंझारौ'।
सिंधवीराग-देखो 'सिंधुराम' । सिंज्या, सिंज्या-देखो 'संध्या'।
सिंधसागरी-पु० एक प्रकार का घोड़ा, सिज्यारो, सिज्यारो-१ देखो 'सिझारौ' । २ देखो 'संजीरो'। सिंधी-पु. (स्त्री० सिंधण) १ सिंध प्रदेश का निवासी । २ सिंध सिझ, सिंशया, सिना, सिझ्या, सिष्या-देखो 'संध्या' ।
प्रदेश से प्राकर भारत में बसा व्यक्ति। ३ मुसलमानों का सिंझारौ-पु. १ श्रावण कृष्णा ततीया का पर्व दिन । २ इस एक बर्ग। ४ सिंध का घोड़ा। ५ सिंध की भाषा या बोली।
अवसर पर कन्या या वधू के लिए भेजा जाने वाला। ६ शीतकाल में पश्चिमोत्तर से चलने वाली हवा जो फसल सामान ।
के लिये हानिकारक होती है। ७ एक प्रकार की बन्दूक । सिरण-देखो 'सरण'।
८ तलवार को एक मूठ विशेष ।। सिणगार-देखो 'नगार'।
सिधु-पु० [सं० सिंधुः] १ समुद्र, सागर । २ पजाब के पश्चिम सिणगारचौकी-देखो 'मिणगारचौकी'।
में बहने वाला सिंधु नद। ३ इस नद के पास-पास का सिणगारणी-स्त्री० शुगार की सामग्री। -वि० शृगार कराने प्रदेश । ४ हाथी की सूड से निकला पानी। ५ हाथी का वाली।
मद। ६ हाथी। ७ ऊंट। ८ वरुणदेव । ६ मंधों के
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सिधुश्री
सिंधु- देखो 'सिंधु' ।
सिंधूप्रसूत-देखो 'सिंधुजात' ।
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राजा का नाम १० एक प्राचीन देश एक राग । १२ श्वेत सुहागा। १३ १४ नदी सरिता । १५ सात की संख्या । - वि० सिंधुप्रो - ०१ सिंधुदेशोत्पन्न घोड़ा । २ देखो 'सिंधु' । सिधुकन्या स्त्री० [सं०] लक्ष्मी
सिंधुकुला ( कुल्या) - स्त्री० [सं० सिधुकुल्या ] नदी । सड़क, सिपुड़ी-१ देखो 'सिंधु' २ देखो 'सिधी' । सिंधुचरी - स्त्री० [सं०] मछली, मीन । सिंधुज, सिंधुजन्मौ-पु० [सं० सिन्धुज, सिंधुजन्मा] १ चन्द्रमा, शशि । २ सेंधा नमक । वि० १ समुद्र या सिंधु से उत्पन्न । देश से उप ।
२
सिंधुजा स्त्री० [सं०] लक्ष्मी
सिधुजात - पु० [सं०] १ प्रश्व, घोड़ा । २ समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में से एक । ३ शराब, मदिरा । सिंधुदेस- देखो 'सिंधु' |
सिंधुवेभव पु० [सं० सिंधुदेशभव ] सेंधा नमक ।
सिंधुव० [सं०]] धगस्त्य ऋषि का एक नाम। सिंधुपुत्र सिधुसुत-देखो 'सिंधुजात' ।
सिंधुर - पु० [सं०] १ हाथी, गज २ नदी । ३ पाठ की संख्या सिवाड़, सिवाड़ी-देखो 'सीमाड़ी' । सिधुरवर पु० ष्ठ नर
श्रेष्ठ ।
( ७७८ )
११ वीररस पूर्ण कोई बड़ी नदी ।
सिंधूराग- पु० वीररस पूर्ण राग । सिंधूरी स्त्री० एक रागिनी विशेष ।
सिंधुरमणि पु० [सं०] गज मुक्ता ।
सिंधुरवचन पु० [सं०] गणेश गजानन
·
सिंधुराग पु० वीररस पूर्ण राग ।
सिंधुवी- पु० युद्ध का वाद्य, वीररस का वाद्य
सिधुसुत पु० [सं०] १ चौदह रत्नों में से कोई एक । २ चन्द्रमा । ३ जलंधर नामक राक्षस जिसे शिव ने मारा था । सिंधुसुता स्त्री० १ लक्ष्मी । २ सीप ।
१०. सुन्दर ।
सिधूमव पु० [सं० सिधुव] १ सेंधा नमक २ समुद्र से उत्पन्न होने वाले चौदह रत्नों में से एक ।
सिध्या- देखो 'संध्या'
सिनेह देखी 'सनेह'
सिन्यास देखो संग्यास' |
सिपा- देखो 'संपा' |
सिवनी. फसी ।
सिबी स्त्री० [सं० शिम्बा या शिम्बिका ] फली । सिम देखो 'संधु'
सिमजियत, सिमीत (जीवत) - देखो 'जीयततंभ' | सिंभरि पु० सांभर ।
सिभु, सि. सिमी १ देखो 'भु' २ देखो 'संब' । सित-१ देखो 'समर' २ देवो 'स्म्रति'। सिति-देखो 'ति' ।
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वासर स्वी० कृषकों की इष्ट देवी। सियारी- पु० एक प्रकार की लोहे की छड़ ।
सिपाह पु० १ पारी के पानी की रोक लिये बनो मेड़ २ देखो 'स्रगाळ' |
सिंहनाव
सिटणी (बो) - देखो 'सिमटणी' (बो) । सवर (बी) देखो 'सुमरणी' (वो) |
सिबरी स्त्री० [भड़बेरी के काटों का बैलगाड़ी में भरने लायक ढेर, गोला ।
विल स्त्री० गाड़ी प्रादि के जुए के छोर में फंसाई जाने वाली खूंटी या छोटी लकड़ी । सिसो० थोड़े की गर्दन के दाहिनी घोर पीठ पर बनी भंवरो ।
सिवाई [स्त्री० १ कपड़े की सिलाई २ सिलाई का पारिश्रमिक
सिवाळ पुं० [सं० शैवाल] १ पानी पर फैलने वाला एक प्रकार का बारीक घास । २ फफूंदी।
सिपी - पु० [सं० शिशपा] १ शीशम का वृक्ष । २ प्रशोक वृक्ष । सिसार देखी 'ससार'।
सिंहगृहास्पी० सिंह की गुफा
-
सिंधुसुधन पु० [सं० सिंधु सूनुः] १ चन्द्रमा, चांद २ समुद्र से सिहगोस पु० एक जानवर विशेष ।
निकलने वाले चौदह रत्नों में से कोई एक
सिसुमा स्त्री० [सं० शिशुमा ] श्रीकृष्ण की रानी सुकेशी का एक नामान्तर ।
सिसुपार पु० [सं० शिशुमार ] एक प्रकार का जल जंतु । सिंह- देखो 'सिहंड' ।
सिंह - पु० [सं०] १ राजा । २ हवा, पवन । ३ सिंह, मेर, बाघ । - वि० १ योद्धा, वीर । २ श्वेत । ३ श्याम ४ धु ंधला । ५ श्रेष्ठ, शिरोमणि । ६ देखो 'सिंध' । सिंहकेतु-पु० [सं०] वेदि देश का एक राजकुमार सिंहकेसर पु० सिंह की गर्दन के बाल
सिहच निसांसी स्त्री० निसाली इन्द का एक भेद विशेष सिंहचलो, सिहचाली-पु० डिंगल का एक गीत विशेष । सिहड - देखो 'सिड' |
सिंहली स्त्री० १ प्रार्या या गाथा छन्द का एक भेद २ सिंह की मादा, शेरनी
1
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सिंहदवार (दुवार, द्वार) - पु० [सं० सिंहद्वार ] मुख्य द्वार, तोरणद्वार । सिह्नाव स्त्री० [सं०] १ सिंह की दहाड़, गर्जना २ वीरों की हुंकार -पु० ३ रावण का एक पुत्र ।
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सिंहनिकोलिऊ
( ७७६ )
सिकारबंद
सिंहनिकोलिऊ-स्त्री० एक प्रकार की तपस्या या प्रायश्चित । २ महान् । ३ प्रच्छा, श्रेष्ठ । सिंहफलंग-पृ० डिंगल का एक गीत विशेष ।
सिक-देखो 'सिख'। सिंहरासि (रासी)-स्त्री० [स०सिंहराशि] ज्योतिष की एक राशि । | सिकटासुर-देखो 'सकटासुर'। सिंहल(दिव, बीप, द्वीप)-पु० [सं० सिंहलद्वोप] भारत के दक्षिण | सिकरणो (बो)-क्रि० १ रोटी पादि का पाग पर पकना, में स्थित एक प्राचीन जनपद, द्वीप, लंका।
सेका जाना । २ भुना जाना, तला जाना। ३ तेज धूप में सिंहळी-पु. १ शृगाल । २ सिंहलद्वीप का निवासी।
या अंगीठी प्रादि स ताप लेना, तापना, गर्म होना। सिंहलोक-पु० सिंह समुदाय ।
सिकता-स्त्री० [सं०] १ बालू रेत, धूलि। २ रेतीली भूमि । सिंहबाहरणी-देखो 'सिंघवाहणी' ।
सिकताव-पु. अंगीठी धूप प्रादि से शरीर या अंग को दिया सिंहविक्रम, सिंहविक्रमांक-पु० [सं० सिंहविक्रम] घोड़ा, प्रश्व । | जाने वाला ताप । सिंहविक्रांत-पु० १ सिंह की चाल । २ घोड़ा, अश्व ।
सिकदार-पु० [फा० शिकदार] १ किसो क्षेत्र का पदाधिकारी। सिंहसत, सिंहस्थ-देखो "सिंगसट'।
(मध्य काल) । २ टकसाल का अधिकारी। सिंहांण-देखो 'सिंह'।
सिकवारी-स्त्री. १ सिकदार का पद या कार्य । २ एक सिंहार-देखो 'संहार'।
प्रकार का कर। सिंहारो (बी)-देखो 'संहारणो' (बो)।
सिकम-पु० [फा० शिकम] उदर, पेट । सिंहालय-पु० [सं० सिह-पालय] सिंह की मांद, गुफा । सिकमी-वि० १ पेट सम्बन्धी। २ जन्म सम्बन्धी, पैदाईशी। सिंहावलोकरण (न)-पु. १ सिंह की तरह देखना क्रिया।। ३ भीतरी, प्रांतरिक ।
२ सिंह की तरह रष्टिपात । ३ एक मात्रिक छन्द विशेष । सिकमीकास्तकार-पु० [फा० शिकमीकाश्तकार] अन्य काश्तकार सिंहासण (न)-पु. [सं. सिंहासन] १ कुर्सी की तरह बना एक | का खेत जोतने वाला कृषक।
पासन जिसके दोनों पोर सिंह की प्राकृतियां बनी हों। मिकर-देखो 'सिखर'। राजसिंहासन । २ योग के चौरासी पासनों में से एक। सिकरवार-पु. क्षत्रियों की एक शाखा । ३ कामशास्त्र में एक रतिबंध ।
सिकल-देखो 'सकल'। सिंहासनचक्र-पु. मानव प्राकृति का, ज्योतिष का एक चक्र। सिकलात-पु० बहुमूल्य ऊनी वस्त्र की बनी बनात । सिंहिका-स्त्री० संका के समीप समुद्र में रहने वाली एक | सिकळी-स्त्री० [म. संकल] धारदार हथियारों को मांजने राक्षसी।
और उन पर शान चढ़ाने की क्रिया। -गर, घर-पु० हथियारों सिंही-स्त्री०१पार्या नामक छन्द, गाथा। २ देखो 'सिंहणी'। पर शान चढ़ाने वाला कारीगर, हिन्दू लुहारों का एक भेद। सि-पु० [सं०शि] १ शिव, महादेव । २ शिखर, चोटी। ३ शुक, | सिकसा-देखो 'सिक्षा' ।
तोता। ४ सुख। शुभ-लाभ। ६ सौभाग्य । ७ शील। | सिकस्त-स्त्री० [फा० शिकस्त] हार, पराजय । -स्त्री०८ शिखा । ९पग्नि । १० माशीष । ११ स्वस्थता। सिकायत-स्त्री० [अ० शिकायत] १ अपराधपूर्ण या पनियमित
१२ शान्ति । -वि०१ हितैषी, शुभेच्छु । २ सब, समस्त । कार्यों के प्रति शासन को दी जाने वाली सूचना । २ उद्दण्डता सिआर-स्त्री. १ लड़की में छेद करने का उपकरण, वर्मी। या प्रन्याय के विरुद्ध उठाई जाने वाली मावाज । ३ चुगली। २ देखो 'स्याळ'।
४ निदा, बुराई। ५ उपालंभ, उलाहना । ६ शरीर में सिमाल, सिमालक-देखो 'स्याल, स्यालक' ।
उत्पन्न होने वाला रोग का उठान, प्रभाव । सिमाळी-देखो 'सियाळो' ।
सिकार-पू० [फा० शिकार) १किसी पशु-पक्षी को तीर-गोली सिउं-देखो 'स्यू'।
प्रादि से मारना क्रिया, पाखेट । २ पाखेट में मारा जाने सिकंजी-पु० [फा० शिकंजः] १किसी को कसकर दबाने का वाला जीव । ३ मांस का पाहार । -खांनो-पु. शिकार
एक यंत्र, उपकरण । २ ऐसा ही एक अन्य उपकरण को संबंधी कार्य की देखभाल करने वाला विभाग । -गाह-स्त्री. पुस्तकों की जिल्दबंधी में काम पाता है। अपराधियों का शिकार खेलने का स्थान ।। पांव फंसाकर यंत्रणा देने का एक उपकरण। ४ वह तागा | सिकारणी (बो)- कि० स्वीकार करना । जिससे जुलाहे घुमावदार बन्द बनाते हैं। ५ ऊख, तेल | सिकारपुरी-पु. १ घोडों की एक जाति विशेष । २ इस प्रादि पैरने का कोल्हू ।
जाति या नस्ल का घोड़ा। सिकंदर-पु० [फा०] विश्व प्रसिद्ध एक यूनानी सम्राट जो सिकारबंद-पु० [फा० शिकारबंद] घोड़े की दुम के पास
दार्शनिक अरस्तू का शिष्य था। -वि० १ तीव्र, लेज. चारजामे के लगाया जाने वाला एक तस्मा विशेष ।
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सिकारी
। ७८० )
सिखगळ
-
सिकारी-पु० [फा० शिकारी] १ शिकार करने वाला, पाहेरी, किलंगीदार। २. नपुंसक । ३ कायर, डरपोक ।
माखेटक । २ बधिक, बहेलिया । ३ शिकार करने वाला | सिख-पु० [सं० शिष्य] १ गुरु नानक व गोविन्दसिंह मादि कोई व्यक्ति । ४ एक प्रकार की तलवार ।
दश गुरुषों द्वारा प्रचलित एक सम्प्रदाय । २ इस सम्प्रदाय सिकाल-पु. एक प्रकार का अशुभ रंग का घोड़ा।
का अनुयायी पंजाबी सरदार । एक वर्ग । [सं० शिखिन्] सिकिरि-देखो 'सिखर'।
३ शिर, मस्तक । ४ सिंह, शेर। ५ पतंगा। ६ देखो सिकुड़रण-स्त्री. १ संकोच, माकुचन । २ खिन्नचित्त या ___सिखा'। ७ देखो 'सीख' । ८ देखो 'सिस्य' ।
उदास होने की क्रिया या भाव । ३ संकुचन । ४ शिकन, . सिखखडी-पु. एक जाति विशेष का घोड़ा। सिलवट । ५ एकत्रीकरण।
सिखजनम-पु० [सं० शिखा-जन्म] १ दीपक । २ ज्योति-प्रकाश। सिकुडपो (बो)-क्रि० १ संकुचित होना तंग होना, छोटा होना । | सिखदीपन-पु. केसर ।
२ कम होना, घटना ३ सकोचयुक्त होना शर्माना।। सिखनख-देखो नखसिख'। ४ खिन्नचित्त या उदास होना। ५ शिकन, सलबट या सिखर-पु० [सं० शिखर] १ पहाड़ की चोटी या सबसे ऊपर झुरियां पड़ना । ६ एकत्र होना । ७ सिमटना :
का भाग । २ ऊचा स्थान, ऊपरी हिम्सा । ३ मन्दिर का सिकोड़गो (बौ)- क्रि० १ संकुचित करना, तंग या छोटा गुम्बद या कलश । ४ मण्डप, गुम्बद । ५ कगुरा, कलश ।
करना । २ कम करना, घटाना । ३ संकोच करना, शर्माना। ६ वृक्ष की फुनगी । ७ शिखा, चोटी । ८ तलवार की धार, ४ खिन्न या उदास करना । ५ सलबट या शिकन पटकना। बाढ़। ९ शिरा, नोक । १० रोमांच । ११ बगल । ६ एकत्र करना। ७ समेटना ।
१२ चुन्नी की तरह का एक रन । १३ ध्वजा या छत्र । सिकोतरी-स्त्री. १ पिशाचिनी, चुडंल। २ दूती। ३ दुर्गा| १४ एक स्त्र विशेष । १५ जैनियों का एक प्रसिद्ध तीर्थ । का एक नामान्तर।
१६ तांत्रिक पूजा में बनाई जाने वाली, हाथ की अंगुलियों सिकोरी-पु० मिट्टी का कटोरा या प्याला ।
की, एक मुद्रा। १७ गौत्र । -वि. ऊंचा, ऊपर, चोटी तक सिको-पु० [अ० सक्का| १ मश्क मे पानी ढोने का कार्य | ऊंचा।
करने वाला मजदूर, बिहिस्ती, भिश्ती । २ देखो 'सिक्को' • सिखरण (णी)-स्त्री० [सं० शिखरिणी] १ दही में चीनी, ३ देखो 'सको'।
केसर, मेव प्रादि डाल कर तैयार किया गाढ़ा पेय पदाथ । सिक्कादवात-स्त्री० पट्टो, परवानों पादि पर लगाई जाने वाली २ देखो सिखरिणी'। मुद्रा, मुहर।
| सिखरबंद (बंध)-पु० स० शिखरबंध] शिखर वाला मन्दिर सिक्को-पु० [५० सिक्क:] १ निर्दिष्ट मूल्य की कोई धातु | या देवालय । -वि० शिखर वाला। __मुद्रा । २ प्रभात्र, रौब । ३ मुहर, छाप । ४ देखो 'सिको'। सिखरवासरणी (वासिणी)-स्त्री० [सं० शिखरवासिनी] पर्वत सिक्ख-१ देखो "सिख' । २ देखो 'सिस्य' । ३ देखो सोख'। वासिनी दुर्गा या पार्वती। सिक्षक-पु० [सं० शिक्षक) १ अध्यापक, गुरु, शिक्षा देनेवाला। सिखरा-स्त्री० [स० शिखरा] १ विश्वामित्र से प्राप्त राम की २ स्कन्द का एक अनुचर।
एक गदा। २ मरोडाफली। सिक्षा-स्त्री० [सं० शिक्षा] १ विद्या अध्ययन, पढ़ाई, पढ़ने | सिख राउळ सिखराळ (ळो)-वि० [सं० शिखरिन्] १ शिखर.
का कार्य । २ कुछ सीखना क्रिया, अभ्यास । ३ उपदेश, दार, शिखर वाला । २ चोटी, किलंगी या शिखा वाला। मलाह। ४ दण्ड, सबक । ५ छः वेदांगों में से एक जिसमें ३ नोकदार, नुकीला, पणीदार । ४ उच्च, ऊचा । ५ वीर, वेदों के वर्ण, स्वर, मात्रा प्रादि का निरूपण है।
___ बहादुर। ६ अग्रणी, अगुवा । ७ श्रेष्ठ । ८ बड़ा, दीर्घ । सिक्षित-वि० [सं० शिक्षित] १ विद्वान्, पंडित । २ चतुर, -पृ० १ गढ़, दुर्ग। २ पहाड, पर्वत । ३ वृक्ष, पेड़ । दक्ष । ३ सामर, पढ़ा-लिखा।
४ मयूर, मोर । ५ मुर्गा। ६ शिखरी नामक पक्षी। सिखड-पु० [सं० शिखंड] १ मोर की पूछ। २ चोटी, शिखा। सिखरिणी-स्त्री० [सं० शिखरिणी] १ उत्तम स्त्री। २ रोमा३ मुकुट । ४ देखो 'सिखंडी' ।
बली । ३ सत्रह प्रक्षरों का एक वर्ण वृत्त । सिखरणी (नो), सिखंडिनी, सिखंडी- पु० [सं० शिखडिन्] सिखरी-पु. [सं० शिखरिन्] १ पर्वत, पहाइ । २ वृक्ष, पेड़।
१ मोर, मयूर । २ मुर्गा । ३ बाण, तीर । ४ पांचाल | ३ दुर्ग, किला । ४ एक राग विशेष। देश के राजा द्रुपद का पुत्र । ५ विष्णु । ६ शिव । ७ कृष्ण | सिखरीस-पु० [सं० शिखर-ईश] पर्वत, पहार। का एक नामान्तर । ८ स्वामिकात्तिकेय । -स्त्री०६ मयूर | सिखान-स्त्री० [सं० शिखावती] १ द्रौपदी । २ अग्नि, माग । की पूछ । १० पीली जूही । -वि० । शिखा वाला, | सिखवाळ-पु० एक ब्राह्मण वर्ग ।
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सिखसार
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सिवसार स्त्री० [सं० शिखासार] नाग सिखा- स्त्री० [सं० शिखा ] १ दीपक की लो, ज्योति । २] प्रकाश की किरण द्वा४शिरको पोटी, शिखा । ५ किलंगी । ६ वेरणी । ७ डाली, टहनी, शाखा । ८ शस्त्र की धार, बाढ़ । ९ वस्त्र की किनार । १० केसर । ११ तुलसी १२ सूर्या, मोहाली १३ जटामासी । १४ बालछड । १५ वच । १६ शिफा -पु० १७ दीपक । १८ मोर मयूर १९ शिखर २० मित्र, दोस्त २१ अंगारा २२ किसी वस्तु का नुकीला शिरा नोक २३ एक वर्ण वृत्त । - वि० १ प्रधान, मुख्य । २ रक्त वर्ण,
लाल ।
सिखाई-स्त्री० १ शिक्षा देने की क्रिया या भाव। २ शिक्षक का परियनिक
(DEP)
सिखायोजस पु० [सं० शिखा उज्ज्वल दीपक ।
सिखाजोत - स्त्री० [सं० शिखा ज्योति ] १ दीपक । २ ज्योति, लौ । सखा (ब) कि० १ कोई विद्या, शिक्षा, कला या कार्य को शिक्षा देना, सिखाना, प्रशिक्षित करना। २ नियमित
टाना ।
वाला पक्षी २ हिन्दू । ३ ब्राह्मण ।
सिखाबळ - पु० [सं० शिखावलः ] मोर, मयूर । सिखानां पु० विरोचन ।
सिखामरण, सिखावरण-स्त्री० शिक्षा, उपदेश ।
1
अभ्यास कराना । ३ कठस्थ या याद कराना। ४ किसी बात पर कायम करना, अपने पक्ष में करना । ५ विरोध के लिये तैयार करना ।
सिख्खर - देखो 'सिखर' । सिख्या देखो 'सिक्षा' ।
सिग पु० [सं० शिखर]
ऊपर तक भरने की
विधान पु० हरिए । वि० तेज धावक
सिखाधर - पु० [सं० शिखाधर ] १ मोर, मुर्गा मादि किलंगी सिड़-स्त्री० १ सनक, पागलपन । २ घुन, लगन । ३ सड़ने की
क्रिया या भाव।
० [सं०] १. धूम्र २ काति केय । ३ मयूरध्वज राजा का नामान्तर । ४ एक प्राचीन तीर्थं ।
सिखिर (रि. ) ० [सं० शिखरिन्] पर्वत पहाड़ शिखिवाह (वाहण न ) - पु० [सं० शिखिवाहन]
कात्तिकेय ।
(ब) देखो 'सौ' (गे)।
सिसट ( 3 ) वि० [सं० सतवष्टि] साठ व सातपु० साठ व सात की संख्या ६७ ।
खाली (बी) देखो'
बो
सिसटी (ठौ) - पु० ६७ की संख्या का वर्ष ।
सिखावन स्वी० [सं० शिखाब] १ ग्राम प्रग्नि २ शिक्षा, सिड़ी वि० [सनकी, तुनक मिजाज २ पागल ३ दीवाना |
To
उपदेश ।
सिचांरण (न) - देखो 'सिचांण' ।
सावळी देखो 'सिखाबळ' | सिखावांन स्त्री० [सं० शिखिन् ] १ भाग, अग्नि २ द्रौपदी। सिचियामाता स्त्री० पंवारों की इष्ट देवी सिच्छ, सिच्छा देखो 'सिक्षा' ।
- वि० शिखा या चोटी वाला ।
सिखिपु० [सं० शिखिन् १ मोर, मपूर २ बग्न धारा सतिदेखो सिक्षित'।
३ कामदेव । ४ तीन की संख्या ।
किसी पात्र में कोई वस्तु किनारों के अवस्था या क्रिया । २ इस प्रकार का भराव । ३ ऊपर उठने की क्रिया या भाव। ४ शिखर । - वि० पूर्ण भरा हुधा -
सिगड़ि, सिगड़ी स्त्री० [सं० शकटी] मिट्टी या लोहे का चूल्हा, अंगीठो ।
सिगरत, सिगरी वि० [सं० [सकल या समूह]] सब समस्त । २ कुटुम्ब सहित सपरिवार ।
सगळ ( ई उ ) सिगलउ क्रि० वि० १ सर्वत्र सब जगह २ देखो सगळी' |
fem, fan
''
सिली-देखो 'सगळी' (स्त्री०मिली
सिग्ग- देखो 'सिग' ।
सिग्ध, सिधर देखो 'सीघ्र' । सिघळौ - देखो 'सगळी' । सिवान (छो-देखो'पाळी' सिन देखो 'सीघ्र'।
सिखी - पु० [सं० शिम्बिन्] १ मोर, मयूर २ अग्नि ३ जटा धारी साधु ४ बाण । ५ वृक्ष । ६ पर्वत । ७ दीपक । ८ मुर्गा ६ ब्राह्मण । १० घोड़ा, प्रश्व
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(ब) देखो सिचाणी' (बो
सियातर
सिजदा स्त्री० [प्र० सिज्दः] १ नमाज पढ़ते समय या ईश्वर के लिये शिर झुकाने की क्रिया या भाव। २ प्रार्थना, वंदना सिजळज-देखो 'सतलज' । सिजवाली-देखो 'सेजवाळी' ।
सिजाली (बी), सिजावली (बी) देखो 'सीझालो' (बी) स्वामि सिनिया देखो 'सा'।
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सिणी (ब)- १ देखो 'सजणी' (बो) । २ देखो 'सीझरणी' (बी) । सिज्झाय - पु० स्वाध्याय । (जैन)
सिज्या देखा 'सय्या' ।
सिज्यावर सिम्पातरी-देखो 'सम्यावर'
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सिटरो
( ७८२ )
सितिरि
सिटगो (बी)-क्रि. १ निर्बल होना, कमजोर होना । २ हताश | सित-वि० [सं० सित] १ श्वेत, सफेद । २ निर्मल, स्वच्छ । या निराश होना । ३ लज्जित या शर्मिन्दा होना।
३ बंधा हुपा । ४ सम्पूर्ण, पूर्ण। [सं० शित] ५ तीक्ष्ण, सिटपिटारणी (बी)-क्रि० किंकर्तव्य विमूढ़ होना। २ असमंजस | तेज। -पु० [सं० सितः] १ शुक्ल पक्ष । २ शुक्र ग्रह । में पड़ना । ३ घबराजाना। ४ दब जाना ।
३ शुक्राचार्य । ४ वासुकी। ५ किरण। ६ रजत, चांदी। सिटळ (लो)-वि. (स्त्री० सिटळी) १ पथ भ्रष्ट, पतित। ७ पंडित ।
२अविश्वसनीय । ३ निर्लज्ज । ४ जो बात पर कायम न रहे। सितकठ-पु० [सं० शितिकंठ] शिव, महादेव । -वि. सफेद सिहाणी (बी), सिटावणो (बी)-१ क्रि० पराजित करना। कंठ या गर्दन वाला ।
२ लज्जित या शमिन्दा करना । ३ दबाव डालना, दबाना। | सितछद-पु० [स० सितम्छद] हंस ।
४ देखो 'सिटणो' (बो)। ५ देखो 'सटाणी' (बो)। सिततुरंग-पु० [सं० श्वेततुरंग] अर्जुन । सिटी-१ देखो 'सीटी' । २ देखो 'सिटौ ।
सितपक्ख सितपक्खि, सितपक्ष, सितपख-पु० [सं० सितपक्ष] सिटेबाज-वि० १ धोखेबाज, कपटी। २ व्यर्थ मोटी-मोटी बातें | शुक्ल पक्ष। ___ करने वाला।
सितपत्र-पु० [सं० श्वेतपत्र] श्वेत कमल । सिटो, सिट्रो-पु० [सं० षष्टिक] १ बाजरी, ज्वार भादि का सितम-वि० [फा०] जोरदार, गजब, प्रभुत। -पु० प्रत्याचार, भुट्टा । २ धोखा, झांसा।
अनीति, जुल्म, हठ। -गर-वि० जालिम, अत्याचारी। सिडवाणी-स्त्री. लकडी का डंडा जो बैलगाड़ी या छकड़े में | सितमणि-स्त्री० [सं०] स्फटिक मणि, बिल्लौर । 'जंक' की तरह काम माता है।
सितरग-स्त्री. रामबेलि नामक लता । सिणंकरणी (बी), सिरणकरणी (बी)-क्रि० नाक से गंदा पानी सितर, सितर-देखो "सित्तर'। . निकालना, नाक साफ करना ।
सितांबर-देखो 'स्वेतांबर'। सिण-स्त्री० एक प्रकार की घास।
सितांसु-पु० [सं० सिताशु] १ चन्द्रमा। २ कपूर । सिणगार-पु० [सं० शृगार] १ वस्त्र, कपड़ा । २ भाभूषण, सिता-स्त्री० [सं०] १ मिश्री। २ चीनी, शक्कर । ३ शराब, - गहना । ३ एक छन्द विशेष । ४ देखो 'नगार'।
मदिरा । ४ सफेद दूब । ५ प्रकाश, रोशनी । ६ सुन्दर स्त्री। सिणगारचौको-स्त्री०१ राज्याभिषेक से पूर्व राजा के शगार के | सिनाब, सिताबी-वि० तीव्र, तेज। -क्रि०वि० [फा० शिताब]
लिये बैठने की चौकी । २ राजदरबार के समय राजा के | शीघ्र जल्दी।
बैठने का प्रासन । ३ शृगार करने का स्थान । सितार-पु० [फा० सेहतार] एक प्रसिद्ध तार वाद्य ।-बाज, सिणगारण-वि० शृगार करने या कराने वालो।
वादक -वि० सितार बजाने वाला, सितार बजाने में दक्ष । सिणगारणो (बो)-क्रि० [सं० श गारणम्] १ सुशोभित करना, | सितारपेसांणो-पु० [फा० सितार: पेशानी] प्रशुभ चिह्न वाला
सजाना । २ अस्त्र-शस्त्रों से सज्जित करना। ३ शगार| एक घोड़ा। करना, शृगारना।
सितारियो-पु० सितार बजाने वाला व्यक्ति। सिणगारपटी-स्त्री० [स० श गारपट्टिका] स्त्रियों के शिर का | सितारो-पु० [फा० सितारः] १ तारा, नक्षत्र । २ भाग्य, एक प्राभूषण विशेष ।
किस्मत । सिरणतर, सिरणतरी-स्त्री. धरती पर छितरने वाली एक घास सितावडी-स्त्री०. एक प्रकार का पौधा विशेष ।। विशेष । शखपुष्पी।
सितासित-पु० [सं० मित-प्रसित] बलराम । सिणतरी-पु. राजस्थान में पाया जाने वाला एक संतुदार क्षुप । सितास्व-पु० [सं० सिताश्व] . १ अर्जुन का एक नाम । सिरफिरण-स्त्री० धीरे-धीरे निरन्तर होने वाली वर्षा, झडी।। २ चन्द्रमा। सिरणमिणी, सिरणमिणो-वि० (स्त्री० सिणमिणी) उदास, | सिति-देखो "सित'। खिन्न चित्त । रूग्ण।
सितिकंठ-देखो "सितकंठ' । सिरिणयो-देखो 'सिपतरौं' ।
सितियासिमौ (यो), सितियासियो-वि० छियासी के बाद वाला। सित-देखो "सित'।
-पु० सत्तासी का वर्ष । सितंग-वि०१ पागल, मूर्ख । २ सनको ।
सितियासी, सितियासी-वि० [सं० सप्ताशीति] पस्सी भोर सितंतर-वि० [सं० सप्तसप्तति] सत्तर व सात, सतहत्तर ।-पु० | सात के योग के समान । -पु. ८७ का अंक सत्तर व सात को संख्या, ७७ ।
सितियासोक-वि० सत्तासी के लगभग । सितंतरी-पु० सतहत्तर की संख्या का वर्ष ।
सितिरि-देखो 'सत्तर'।
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सिलोबर
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(3)
सितोवर पु० कुबेर का एक नाम। वि० जिसका पेट सफेद हो सितोपलारी० [सं० सितोपला] मिश्री
सिलर, सित्तर- वि० [सं० सप्तति] साठ घोर दश का योग । -दु० सत्तर की सख्या, ७० ॥
सिसरमौ- वि० सत्तर के स्थान वाला, सत्तरवां -पु० सत्तर का वर्ष ।
सितरेक- वि० सत्तर के लगभग ।
सित्तरी- पु० सत्तर की संख्या का वर्ष ।
सिरया - स्त्री० १ बल, शक्ति २ बुद्धि, प्रक्ल । सित्यानास देखो 'सत्यानास' ।
facemarat - देखो 'सत्यानासी' ।
सियासी देखो 'सितियासी' । सिथर- देखो 'स्थिर' ।
- -
सियल सिपल, शिथिल पु० [सं० शिथिल एक प्राचीन राजा वि० [१] जिसमें तनाव या विचाव न हो २ मद धीमा सुस्त, भाली। ४ क्लति, थकित 1 २. कमजोर, निबल ६ जो सख्त न हो, ढीला, प्रदृढ़ । सिद्धिती० [सं० शिथिलता) १ बालस्य,
सुस्ती । २ ढीलापन । ३ थकावट ४ मंदता, धीमापन । ५. कम जोरी, निर्बलता
सिवक स्त्री० [० सिद्क] १ सच्चाई, सत्यता २ निश्छलता। ३ शुद्धता, निर्मलता वास्तविकता यथार्थता वि० ४ । 1 सच्चा, वास्तविक ।
सियरी जी० [फा०] सेदरी] तीन ओर से खुला या तीन
दरवाजों का कक्ष | सिद्धदेव सिद्धांत' ।
सिद्ध पु० [सं०] १ वायु पुराणानुसार ६८००० देव गरणों का एक समूह । २ तपस्या, त्याग या साधना से अलौकिक शक्ति प्राप्त कोई महापुरुष, योगी, ऋषि, साधु ३ वेद, पुराण आदि का मर्मज्ञ पुरुष या साधु ४ नाथ सम्प्रदाय का योगी । ५ नाथ सम्प्रदाय एव हिन्दू योगियों से भिन्न, बौद्धयोगी । ६ देवदूत, फरिश्ता ७ ऐन्द्रजालिक, जादूगर । ८भियोग मुकद्दमा २ गुड़ १० समुद्री नमक ११ ज्योतिष शास्त्र के २७ योगों में से एक। १२ फलित ज्योतिष के २८ योगों में से एक । १३ युद्धप्रिय एक देवता । १४ शिव, महादेव १५ ऐसा पुरुष या महात्मा जिसका वचन सत्य हो । १६ पूजनीय व्यक्ति, महापुरुष । १७ जाटों का एक सम्प्रदाय या इस सम्प्रदाय का जाट १८ सार्थकता । १९ सूचना, सन्देश । २० मार्या गीति या स्कधारण का एक भेद । २१ छप्पय छन्द का एक भेद विशेष - वि० १ साधना से सफल किया हुआ, साधा हुप्रा २ सफल, पूर्ण । ३ प्राप्त उपलब्ध । ४ पूर्णतया
3
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सम्पादित, पूर्ण । ५ स्थापित, बसा हुधा । ६ दृढ, पक्का | ७ सत्य माना हुआ, प्रमाणित ८ निर्णीत, निर्धारित । पकाया हुधा १० ग्रदा क्रिया हुधा, चुकाया हुषा । ११वी का किया हुआ १२ निपुरा, दक्ष १३ तैयार। १४ दमनित । १५ मुक्त, स्वतन्त्र १६ प्रायश्चित से पवित्र १७ प्रलोकिक शक्ति सम्पन्न । १८ पवित्र, शुद्ध, निष्पाप १६ ठीक, उचित । २० मुक्ति या निर्वाण प्राप्त २१ दैविक २२ प्रनादि, सनातन २३ प्रसिद्ध, विख्यात । २४ चमकीला, प्रकाशमान । २५ स्थापित, बसा हुआ । २६ मीठा । २७ सर्व कर्मों का क्षय करके ससार से मुक्त (जैन) [०वि० 'जालो' किया के पूर्व लगने वाला शब्द जो शुभ माना जाता है क्यूसिद्ध जावो हो । साना स्त्री० [सं०] गंगा नदी
सिद्धरुणेरी ५० प्रसिद्ध नो नावों में से एक, कृष्णपाद सिटकांमेस्वरी स्त्री० [सं० सिद्धकामेश्वरी] दुर्गा की पांच मूर्तियों में से प्रथम, कामाख्या । सिद्धकारी वि० [सं०] सिद्धकारिन्] १ जो धर्मशास्त्र का धनुसरण करता हो । २ सिद्ध करने वाला । सिद्धक्षेत्र पु० दण्डक वन का एक नाम। सिद्धयोगदेखो 'सिद्धयोग'
सिद्धांत
"
सिद्धजोगी- पु० [सं० सिद्धयोगी ] १ शिव, महादेव । २ कोई सिद्ध पुरुष, योगी
।
सिद्धता स्त्री० १ सिद्धि प्राप्त कर लेने की अवस्था क्रिया या
1
भाव, सिद्धि, सिद्धित्व २ तपस्या व साधना से प्राप्त की हुई अलोकिक शक्ति । ३ सफलता, पूर्णता । ४ दृढ़ता। ५ प्रसिद्धि । ६ मुक्ति ।
सिद्धदेव, सिद्धनाथ पु० [सं०] शिव, महादेव ।
सिद्धपक्ख ( पक्ष, पख) - पु० [सं० सिद्धपक्ष ] प्रामाणिक वात । सिद्धमात्र स्त्री० [सं० सिद्धमातृका] एक प्रकार की लिपि । सिद्धयोग पु० [सं०] बार व तिथियों के संयोग से बनने वाला शुभ योग शुभ मुहूर्त
सिद्धरसायण (न) एक रसौषधि विशेष
सिद्धराज (राव) - ० [ ६० सिद्धराज ] १ शिवं महादेव । २ गोरखनाथ ।
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सिद्धविचारनाथ- पु० राजा भर्तृहरि का एक नाम । मिसाधक पु० १ सब इच्छाएँ पूर्ण करने वाला २ सिद्ध
तथा साधक |
सिद्धस्री-स्त्री० [सं०] सिद्ध-श्री] २ प्रारंभ, शुभारम्भ । २ पत्रादि लिखते समय सर्व प्रथम लिखा जाने वाला शब्द | सिद्धांजन पु० [सं०] एक प्रकार का अंजन जिसे प्रांख में लगाने पर अदृश्य वस्तुएं दिखाई देती हैं। (कल्पित) सिद्धांत - पु० [सं०] १ कला, विज्ञान, शास्त्र धादि के संबंध में
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सिद्धा
( ७८४ )
सिध्धि
संबंमान्य मत, प्रामाणिक रूप में मानी जाने वाली बात । | सिद्ध स्वर-पू० [सं. सिद्धेस्वर १ कोई बड़ा योमी, सिद्ध। २ उसूल, मत। ३ विद्वानों द्वारा सत्य मानी जाने वाली २ जलधरनाथ का एक नाम । ३ शिव, महादेव ।-नारीबात । ४ तत्त्व की बात । ५ शास्त्र । ६ पुरुषों को बहत्तर | स्त्री० उमा, पार्वती। कलापों में से एक।
सिद्धोदक-पु० [सं०] १ एक समुद्र विशेष । २ एक प्राचीन सिद्धा-स्त्री. प्रार्या छन्द का एक भेद।।
। तीर्थ । सिद्धाई-स्त्री. १ सिद्ध होने की अवस्था या भाव, सिद्धि। सिद्धौ-पु० [सं० सिद्धः] १ वर्णों का अभ्यास कराने की,
२ चतुराई। ३ पांडित्य, विद्वता । ४ सिद्ध करने की शक्ति। व्याकरण युक्त एक पद्धति । २ देखो सीधौ' । ५ सिद्धत्व । ६ विशेषता, खासियत । . . .
सिधंत-पु०१ यमराज । २ देखो 'सिद्धाम'। सिद्धाचळ (चल)-पु० [सं० सिद्धाचलः] काठियावाड़ में स्थित | सिध-स्त्री० १ सफलता, बिजय । २ संकेत । ३ लक्षण, चिह्न। नियों का एक तीर्थस्थान ।
-वि. १ उपयुक्त। २ सफल । ३ देवी शक्ति वाली, सिद्धारथ-पु० [सं० सिद्धार्थ] १ गौतम बुद्ध का नाम । २ राजा चमत्कार पूर्ण, चमत्कारिक । -प्रव्य० १ कहा, किधर ।
दशरथ के एक मत्री का नाम । ३ स्कन्द का एक अनुचर । २ देखो 'सिद्ध'। ३ देखो ‘सीध' । ४ देखो "सिद्धि। .४ रुद्रवीसी का चौदहवां वर्ष । (ज्योतिष)
सिधक-पु० सिद्ध पुरुष । सिद्धासण-पु. योग के चौरासी पासनों में से एक ।
सिधकर-पु० एक देव आति । सिद्धि-स्त्री० [सं०] १ पाठ प्रकार की अलौकिक शक्तियों मिशEHTo fr
(सिद्धियों) में से कोई एक। २ ऐन्द्रजालिक विद्या से सिधगुटको-देखो "सिद्धगुटको । चमत्कारिक कार्य करने की क्षमता । ३ साधना या तपस्या
सिधजोग-देखो 'सिद्धजोग' । के परिणाम स्वरूप अजित देवी शक्ति। ४ परिश्रम का फल, सिधदेव-१० प्रतिज्ञावीर पाबू राठौड़ का एक नाम । सफलता। ५ मुक्ति, मोक्ष । ६ निपुणता, दक्षता । सिधनायक-वि० [स० सिद्धिमायक] सिद्धि देने वाला । ७ स्थापना, प्रतिष्ठा । ८ शुद्धता, पवित्रता । ९ वास्त- -पू० गजानन, गणेश ।। विकता. सच्चाई।१० खाद्य पदार्थ के पकने की स्थिति, सिधपुर-देखो 'सिद्धपूर'। अवस्था, पकावट । ११ तत्परता, सावधानी । १२ बुद्धि। सिधबुधवायक-पु. [सं. सिद्धि-बुध-वाक्य] गणेश, गजानन । १३ अन्तर्धान होने की क्रिया । १४ समृद्धि, सुख। | सिधमल (मल्ल)-पू० महादेव, शिव । १५ विजय, सफलता । १६ विजिया भांग। १७ दुर्गा का सिधराज-देखो 'सिद्धराज' । एक नाम । १८ गणेश की दो पत्नियों में से एक का नाम । सिधवा-१ देखो 'सधवा' । २ देखो "सिद्ध'। १६ एक देवी जो कुन्ती के रूप में प्रकट हुई। २० जनक
सिधवाह-पु०वह शस्त्र को अपने लक्ष्य से चूकता.न हो, अचूक शस्त्र । को पुत्र वधू का नाम ।-पु० २१ वीर नामक अग्नि का
सिधांत-देखो 'सिद्धांत'। . एक माम। २२ अच्छा फल सुफल । २३ निवास, पावस। मित्रानो
सिधाई-स्त्रो० १ सरलता, सोधापन । २ देखो 'सिद्धाई'।
, मम २४ निर्विवाद परिणाम, निर्णय । २५ निणय, निश्चय, सिधाणी (बी)-क्रि० स० सिद्धः] प्रस्थान करना, गमन निपटाग । २६ भुगतान, चुकारा । २७ प्रभाव । २८ वार ____ करना, जाना, रवाना होना। .
नक्षत्र संबंधी एक योग। २९ प्रार्या छन्द का एक भेद। | सिधार-१० प्रस्थान या गमन करने का भाव। ३० देखो 'सुधि' ।
| सिधारसो (बी)-देखो सिधाणो' (बी)। सिद्धिवाता-पु० गणेश, गजानन । -वि० सिद्धि प्रदान करने | सिधारू-देखो 'सिद्ध' । बाला।
सिधावरणौ (बी)-देखो "सिधाणो' (बी)। सिद्धिवातिषि-स्त्री० फलित ज्योतिष में बार व तिथि संबंधी | सिधि, सिधी-देखो "सिद्धि' . एक योग।
सिधेसर(सुर, स्वर)-देखो 'सिद्ध स्वर'।-नारी: 'सिद्धस्वरनारी। मिद्धिदात्री-स्त्री. नव दुर्गा के अन्तर्गत एक देवी।
सिंधौ-१ देखो 'सिद्धी'। २ देखो सीधो' । सिद्धिनायक-पु० [सं०] गणेश, गजानन ।
सिध्ध, सिध्धु-देखो 'सिद्ध'। सिद्धिप्रव-वि० सिद्धि देने वाला।
सिन्धसिला-स्त्री० [सं. सिद्ध-शिला] १ वह स्थान या लोक सिविभू (भूमि)-स्त्री० तपोभूमि, सिद्धि प्राप्त कराने वाला जहां मृतात्मायें मोक्ष प्राप्त कर अपने वास्तविक स्वरूप में स्थान ।
रहती हैं । (जैन) २ पथ्वी विशेष । (जैन) । सिदो-देखो 'सिद्धि'।
| सिध्धि-देखो "सिद्धि'।
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सिध्म
। ७८५ )
सियारी
सिध्म-पु० [सं० सिध्मं] १ एक प्रकार का कुष्ठ रोग । २ कोढ़ । किसी अन्य को कही जाने वाली बात । २ नौकरी दिलाने, का दाग।
काम दिलाने या काम करवाने के लिये किया जाने वाला सिध्याइ-पु० स्वाध्याय ।
प्रवास । ३ समर्थन । ४ प्रशंसा, तारोफ। ५ खुशामद । सिन-पु० जाल नामक वृक्ष का फल, पीलू ।
सिब-१ देखो 'सबी'। २ देखो 'सिबी'। सिनक-देखो 'सणक'।
सिबका, सिबिका-देखो 'सिविका' । सिमकाविक-देखो 'सनकादिक'।
सिबिर-देखो "सिविर'। सिनाण (न)-पु. १ मस्तक, शिर । २ स्नान, मज्जन । -घर- | सिबी-स्त्री० [सं० शिबा] १ मूग आदि की फली। २ देखो पु० स्नानाघर, नहाने का स्थान ।
'सबी'। सिनाणी (नी)-पु.१ विश्नोई जाति के लिये एक सम्बोधन । | सिमंट-देखो 'सीमेंट'। २ इस जाति का व्यक्ति।
सिमक-स्त्री० ऊट का एक रोग । सिनाख्त-स्त्री० [फा० शिनाख्त] १ पहचान । २ पहचान | सिमटरपो (बो)-क्रि० १ बिखरे सामान या प्राणियों का एकत्र
होना, सीमित होना । २ वस्त्र, पत्रादि का सिमटना, तह सिनावडी-स्त्री० छितराकर होने वाली एक वनस्पती।
या परतों में जुड़ना । ३ क्रमशः होना, तरतीबवार किया सिनिया-देखो 'सेना'।
जाना । ४ कार्य प्रादि का निपटना, पूर्ण होना । ५ सिकुसिनियास-देखो 'संन्यास'।
इना, सलवट पड़ना। ६ संकोच या लज्जा में पड़ना । सिनियासी-देखो 'सन्यासी'।
७ कार्य क्षेत्र या शासन क्षेत्र का कम होना, सीमित होना । सिनेह-देखो 'स्नेह'।
८ देखो 'समेटणों' (बो)। सिन्नान-देखो 'सिनांण' ।
सिमटारणी (बी)-देखो 'समेटणी' (बी)। सिन्यास-देखो 'संन्यास'।
सिमणो (बो)-देखो 'सींवणी' (बो)। सिन्यासी-देखो 'सन्यासी' ।
सिमरण-देखो 'स्मरण'। सिपत-देखो 'सिफत' ।
सिमरणो (बो)-देखो 'समरणो' (बो)। सिपर-स्त्री० [फा०] १ ढाल । २ कवच ।
सिमरत्थ, सिमरथ, सिमरथ्य-देखो ‘समरथ' । सिपहसालार-पु० सेनापति, सेनानायक ।
सिमरि-देखो 'समीर'। सिपाई-देखो "सिपाही'। -गिरी, गोरी = 'सिपाहीगिरी' । सिमरि-देखो 'समीर'। सिपारो-पु० [फा० सिपारा] कुरान के तीस भागों में से एक । | सिमरिव-स्त्री० बिजली, विद्युत । सिपाह-स्त्री० [फा०] १ सेना, फौज । २ देखो सिपाही । सिमानौ-देखो 'सांमियांनो' । सिपाही-पु० [फा०] १ सैनिक, योद्धा। २ पुलिस का सबसे | सिमाड़-देखो सीमाड़' ।
छोटा कर्मचारी। -गिरी, गौरी-स्त्री० सिपाही का कार्य | सिमारणी (बी), सिमावरषौ (बो)-देखो 'सौंवारणो' (बी)। या पद।
सिमिटी (बी)-देखो 'सिमटणी' (बी)। सिप्पाह-देखो 'सिपाह'।
सिमेटणी (बो)-देखो 'समेटणो' (बौ)। सिप्पो-पु० १ निशान, चिह्न। २ रोब, प्रभाव । ३ संयोग। सिय-१ देखो 'सीता'। २ देखो 'सीत'। सिप्रा-स्त्री० उज्जैन के पास बहने वाली एक नदी।
सियरी-वि० शोतल, ठंडा । सिफत-स्त्री० [अ० सिफत] १ हस्तलाघवता, निपुणता। सियल-देखी 'सील' ।
२ कोई विशिष्ट गुण, विशेषता । ३ श्रेष्ठता । ४ प्रशंसा, सिपली-वि. ठण्डी, शीतल । तारीफ।
सियांन-देखो 'सांन'। सिफर-पु० [अ० साइफर] १ बिन्दी, शून्य । २ देखो 'सिपर'। सिया-पु० [अ० शीया] १ मुसलमानों का एक धार्मिक सम्प्रदाय सिफा-स्त्री० [सं० शिफा] १ जा २ वक्ष विशेष की रेशेदार जड़। २ ढोलियों को एक शाखा । ३ देखो 'सीता'। सिफाइडो-देखो 'सिपाही'।
सियाइ-वि० शीलवती। सिफारस-देखो सिफारिस' ।
सियापत (पति, पती)-देखो 'सीतापति' । सिफारसो-वि० [फा० सिफारिशी] जिसकी सिफारिश की गई | सियार-स्त्री. १ बढ़ई का एक प्रौजार विशेष । २ देखो 'स्रगाळ' । हो। किसी की सिफारिश से बना हुप्रा।
सियारो-पु० १ मूत्रेन्द्रिय पर भौंरी वाला बैल । २ देखो सिफारिस-स्त्री. [फा० सिफारिश] १ किसी के हित के लिये | 'सोरावो'।
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सियाळ
। ७८६ )
सिरपंच
सियाल, सियाल, सियालक-देखो 'स्वाल, स्यालक' । देखो 'स्रगाळ' सिरखुलोनिसाणी-स्त्री० निसानी नामक छन्द का एक भेद । सियालियो-देखो 'स्रगाल।
सिरखो-देखो 'सारीखो'। सियालो-स्त्री. १ एक प्रकार का कन्द । २ मादा शगाल । सिरग-देखो 'स्रग'। सियाळू-देखो 'सीयाळ'।
सिरगा-पु० घोडों की एक जाति । सियाळो-देखो 'तीयाळो' ।
सिरगिर, सिरगिरि (री)-देखो 'स्रोगिरि'। सियाल्यो-देखो 'स्रगाळ' ।
सिरह-स्त्री. १ सनक । २ क्रोध, प्रावेश। ३ धुन, लगन । सियावर-पु० [सं० सीतावर] श्रीरामचन्द्र।
४ कुटेव। सियासांमी-देखो 'सीतास्वामी' ।
सिरडि, सिरड़ी-स्त्री० तीव, पावाज। -वि० १ सनकी, तुनक सियाहगोस-पु० वन बिलाव ।
मिजाज । २ पागल, बेवकूफ । ३ हठी, जिद्दी। सियो-पु० १ सीसा नामक धातु । २ काच, दर्पण । ३ बोतल । सिरचद-पु० हाथी के मम्तक का एक पाभूषण । ४ देखो 'सीत'। ५ देखो 'सीतजुर' ।
सिरजंदी, सिरजन, सिरजक (रण, न)-वि. १ सजन करने सिय्या-स्त्री० शय्या, सेज ।
वाला, बनाने वाला । २ ईश्वर, परमेश्वर । सिरंग, सिरंगो-देखो 'ग'।
सिरजरणहार (रो)-देखो 'सरजरणहार'। सिरम-देखो 'सीरम'।
सिरजणी (बौ)-देखो 'सरजणी' (बो)। सिर-पु० [सं० शिरस) १ शरीर के ऊपर का गोल भाग,
सिरजथा-स्त्री. हिंगल गीत रचना की एक विधि तथा इस मस्तिष्क, कपाल । २ शरीर की गर्दन के ऊपर या मागे
विधि से बनाया गया गीत । का अंग। ३ विचार शक्ति, बुद्धि । ४ शिरा, नस ।
सिरजित, सिरजीत-पु. १ भाग्य का लेख, प्रारब्ध । २ देखो ५ सेना का अग्रभाग। ६ किसी वस्तु का सब से ऊंचा
'सरजीत'। भाग, शग। ७ धान की बाल । ८ ललाट, भाल ।
सिरजीलो-वि० सृजन करने वाला, बनाने वाला, निर्माता। -क्रि० वि० १ पर, ऊपर । २ प्रतिनिकट, नजदीक ।
सिरजोर-वि० [फा० सरजोर] १ जबरदस्त, प्रचण्ड । २ प्रबल। ३ देखो 'सर'।
३ बलवान, शक्तिशाली। ४ बागी, विद्रोही। ५ उद्दण्ड,
बदमाश। सिरक-स्त्री० [सं० शीत-रक्षक] सर्दी से बचने के लिये पोढ़ने |
न सिरजोरी-स्त्री० [फा० सरजीरी] १ जबरदस्ती। २ उद्दडता, का लिहाफ, रजाई।
सरकशी, बदमाशी। सिरकरण-स्त्री० १ खिसकने, हटने या जाने की क्रिया या
सिरज्जण-देखो 'सरजण' । भाव । २ देखो 'सिरको'।
सिरटो, सिरटौ-देखो 'सिटो'। सिरकरणी (बी)-क्रि० १ बीतमा, व्यतीत होना, गुजरना ।
सिरताज-देखो 'सरताज'। . २ हटना, खिसकना । ३ चलना, जाना। ४ किसी की
सिरत्राण-पु० [स० शिरत्राणम्] शिर का कवच, झिलमटोप। तरफ बढ़ना, पास पाना । ५ इधर-उधर खिसकना ।
सिरथम-पु० [सं० शिर-स्तंभ] गर्दन । चुपचाप कहीं चले जाना। ६ मिटना, नाश होना । ७ रेंगना,
सिरदार-देखो 'सरदार'। सरकना । ८ काम बनना । ६ स्थगित होना, मागे के
सिरदारगी, सिरदारि (री)-स्त्री० १ सरदार होने की अवस्था लिये तय होना।
या भाव । २ सम्पन्नता । ३ अमीरी। सिरकस-प०१ श्रेष्ठ, शिरमोर, बढ़िया । २ देखो 'सरकस'। मिरपाली-श्री. घोडे सिरकाणौ (बी)-क्रि० १ रखना, धरना । २ खिसकाना ।
सिरदो-देखो 'सरदौ'। ३ धकेलना। ४ हटाना, दूर करना । ५ मिटाना, खत्म | सिरधणी-पू० मालिक, स्वामी। -वि. सिरमोर, बेष्ठ । करना। ६ बढ़ाना । ७ व्यतीत करना, गुजारना । ८ कायं सिरधर-पू०१ मकानों के स्तम्भ के ऊपर का पत्थर । २ मकान पूरा करना । ९ स्थगित करना, अवधि बढ़ाना ।
___के द्वार पर लगने वाला एक पत्थर। सिरकापासी-स्त्री० रस्सी से लगाई जाने वाली एक गांठ विशेष। सिरधा-देखो 'सद्धा'। सिरकार-देखो 'सरकार'।
सिरधारि, सिरधारी-पु. १ मस्तकों की मालाधारी शिव, सिरको-स्त्री. पतली तीलियां या सरकंडे की बनी टट्टी। । महादेव । २ स्वामी, मालिक। सिरख-देखो 'सिरक' ।
सिरनामी (मो)-पु० १ स्वामी, मालिक । २ देखो 'सरनामो'। सिरख-सोडियो-पु० शीतकाल में मोढ़ने का वस्त्र, लिहाफ, चादर। सिरपंच-देखो 'सरपंच'।
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सिरपार
( ७८७ ।
सिरीसौ
सिरपाउ, सिरपाव-पु० १ शिर से पर तक पहनने के वस्त्रादि | सिरहार-पु० मुडमाल ।
जो राजा, बादशाह द्वारा सम्मान में दिये जाते थे। २ पहनने | सिरांगो, सिरांतियो, सिरांती-देखो सिरहाणो' । के वस्त्र, वेशभूषा । ३ विवाहादि पवसरों पर भेंट किये | सिरांमण, सिरावण-पु. [सं० शीतलासन, शिशिराऽसन] जाने वाले वस्त्रादि ।
१ नाश्ता, कलेवा । २ संबल, पाथेय । ३ स्वल्पाहार । सिरपेच-पु० [सं० शिर-रा० पेच पगड़ी पा साफे पर बांधा जाने | सिरांमरणी, सिरोवणी-स्त्री. १ यात्रा में साथ लिया जाने वाला वाला भाभूषण विशेष ।
भोजन या खाद्य सामग्री। २ देखो 'सिरामण' । सिरपोस-पु० १ दीपक की लो के धूए की रोक के लिये लगाया सिरा-स्त्री० [सं. शिरा] १ रक्तवाहिनी माड़ी, धमनी, रग ।
जाने वाला टोप । २ बंदूक के ऊपर का गिलाफ । ३ शिर २ नलिका, नाली। का पावरण । -वि. १ शिरोमणि, श्रेष्ठ । २ देखो | सिराइचो, सिराईचौ-देखो 'सिरायची'। "सिरत्रांण'।
सिराई-देखो 'सराई' (ही) सिरफ-वि० [सं० सिर्फ] १ केवल, मात्र । २ एकाकी, अकेला । सिराका-स्त्री० [सं० शंका भ्रम, संदेह, शंका । सिरबद (बध)-देखो 'सरबंद, सरबंध' ।
सिराज-वि० श्रेष्ठ। सिरबंधी-पु. १ मोर्चाबंधी। २ किराये के सैनिकों का दल । | सिराजी-पु० रंग विशेष का घोड़ा। सिरमंड-पु० [सं०शिरमंड] १ बाल, केश । २ शिर का प्राभूषण । सिराणौ (बौ) देखो 'सराणो' (बो)। . सिरमणि, सिरमणी-पु. [सं. शिरमणि] १ शेषनाग । २ शिर सिरायची-पु० छोटा तंबू, खेमा।
में मरिण वाला सर्प ३ सांप, सर्प । -वि. शिरोमरिण। | सिरायत-पु. १ राजवंश का बड़ा जागीरदार । २ प्रथम श्रेणी सिरमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० शिरमाला] मुडमाला ।
___का राजदबारी ।-वि०१ हिस्सादार, भागीदार, सहभागी।
२ देखो 'सरायत'। सिरमुगाई-स्त्री. १ शिर मूडने की क्रिया या भाव । २ मुण्डन
सिरारो-क्रि० वि० तरफ का, पोर का। संस्कार। ३ शिर मुंडवाने का पारिश्रमिक।
सिरावरण-देखो "सिरोमण"। सिरमौड़ (मौर)-पु. १ सर्वश्रेष्ठ अंग, सर्वोत्तम भाग । २ शिरो
सिरावी-देखो 'सीरावों'। भूषण, मुकुट । ३ पति, खाविट। ४ स्वामी, मालिक । -वि०१ सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम । २ प्रधान, मुख्य ।
सिरावत-पु० [सं० सिरानत] सीसा नामक बातु, रांगा। सिरलोक, सिरलोको-1 देखो 'सिलोको' । २ देखो 'स्लोक'।
| सिराह-देखो 'सराह'। सिरलो-वि० १ समान, बगबर । २ देखो "सिलो।'
सिराहणी (बो)-देखो 'सराणो' (बो)। सिरवरी-स्त्री० कहीं-कहीं दिखने वाले छोटे-छोटे बादल ।
सिराही-पु० सिंध प्रदेश की एक प्राचीन जाति , इस जाति
का व्यक्ति । सिरवाळे-क्रि०वि०मन्त में, पाखिर में।।
सिरि-१ देखो 'सिरी'। २ देखो "सिर'। । देखो 'सी'। सिरवाह-स्त्री. शिर पर किया जाने वाला प्रहार ।
४ देखो 'स्वर'। ५ देखो 'सरी'। सिरस-देखो 'रेस'।
सिरिमंड-देखो "सिरमंड' । सिरसतो-पु० सलाह, मशविरा ।
सिरिया-पु० [सं० शिरस्] शिर, मस्तक । सिरसद-वि० घायल।
सिरियाव-स्त्री० कुम्भकार जाति की एक भक्त स्त्री जो प्रहलाद सिरसव-देखो 'सरसू"।
की गुरु थी। सिरसाली-वि० बढ़िया, उत्तम ।
सिरियारी-स्त्री. प्रौषधि में काम पाने वाली एक बूटी। सिरसिज-पु० १ बाल, केश । २ देखो 'सरसिज'।
सिरियो-देखो 'मरियो। सिरसू-देखो 'सरसू'।
सिरी-स्त्री० [सं०शिरम्] १ बकरे के शिर का पोस्त । [सं०शिरिः] सिरसूत-पु० पगड़ी साफा।
२ तलवार, खड्ग । [सं० शिरः] एक प्रकार का बड़ा सिरसो-देखो 'सारीखो।
सर्प । ४ सर्प, नाग। ५ शिकार किये गये पशु का शिर । सिरस्यू-देखो 'सरसू'।
६ देखो 'स्रो' । ७ देखो 'सीरी'। ८ देखो 'सरि'। सिरहर-पु० [सं० सरोवर] १ तालाब । २ शिखर, शृंग। | सिरीकिसन-पू. श्रीकृष्ण ।
-वि०१ श्रेष्ठ, शिरोमणि, सरताज । २ समान, तुल्य । | सिरीख, सिरीखउ, सिरीखो-देखो सारीखो'। (स्त्री• सिरीबी) सिरहाणे (0)-प्रव्य. सोते समय, शिर,की तरफ ।
सिरीभरण-पु० [सं० श्रीमरण] श्रीविष्णु । सिरहाणी-पु. १ पलंग, खाट प्रादि का शिर की तरफ रहनेवाला | सिरीसाप-देखो 'स्रीसाप' ।
भाग । २ सोते समय शिर के नीचे लगाने का किया प्रादि ।| सिरीसौ-देखो 'सारीखो' ।
हे बादल । सिराही-शक्ति
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सिरीत्रप
।७८ )
सिलहपोस
सिरीत्रप-पु० [सं० सरीसृपः] १ सर्प, नाग। २ रेंगने वाला
पा] १ सप, नाग। २ रंगने वाला पौधों का अंकुरित होना। जानवर ।
| सिळगाणी (बौ), सिळगावरणौ (बौ)-क्रि० १ जलाना, प्रज्वलित सिरू, सिरू-वि० १ शीघ्र स्वाहा न होने वाला। २ पर्याप्त, करना, भस्म करना । २ धुकाना, धूए के रूप में जलाना ।
पूर्ण । ३ बरकत । ४ देखो 'सरसू'। ५ देखो 'सरू"। ३ भाग में पटकना, भाग लगाना। ४ प्रकाशमान करना, सिरे, सिर-वि. १ श्रेष्ठ, बढ़िया । २ मुख्य, प्रधान, खास । | चमकाना । ५ उत्तेजित करना, भड़काना । ६ ईर्ष्या, ___३ सिद्ध, सफल ।-क्रि० वि० पर, ऊपर, सर्वोपर ।
क्रोध प्रादि में कुढ़ाना । ७ असह्य कष्ट देना । ८ झुलसाना सिरपोत-देखो 'सरूपोत'।
१ पेड़ पौधों मादि को अंकुरित करना । सिररोकुरब-पु० जोधपुर महाराजा द्वारा अपने सामंतों को | सिलड़ी-देखो 'सिला'। दिया जाने वाला सम्मान, ताजीम ।
सिलड़ौ-पु. बड़ी शिला, चट्टान । बड़ा पत्थर । सिरैरो साट-पृ० सूभर के कान के पास से पूछ तक की गाढ़ी| सिलट-देखो 'सिलहट' । दलदार चर्बी जो पकाकर खाई जाती है।
सिळणौ (बी), सिळरणी (बी)-क्रि० छुपना । सिरोगुहा-स्त्री० [सं० शिरोगुहा] १ शिर का एक वात रोग । सिलणौ (बौ)-क्रि० मिला जाना, सिलाई किया जाना । २ सबसे ऊपर वाला कमरा, कक्ष ।
सिलता-देखो 'सरिता'। सिरोतर-वि० समान, तुल्य ।
| सिलदर, सिलधर-स्त्री० दरवाजे पर लगाई जाने वाली पत्थर सिरोधर, सिरोधरि-स्त्री० [सं० शिरोधर गला, गर्दन । | की पड़ी। सिरोबर-वि० बराबर, समान ।
सिलप-देखो 'सिल्प'। सिरोमण, सिरोमणि, सिरोमणी-वि० [स० शिरोमणि] १ सर्व- | सिलपट सिलपट्टी-स्त्री. १ रबर की, जमानी चप्पल विशेष । श्रेष्ठ, सर्व प्रमुख । २ जिसके शिर पर मरिण हो।
२ ऐड़ी की तरफ से खुली एक प्रकार की जूती । ३ रेल सिरोमणराय-पु० [सं० शिरोमरिण-राज] १ परमेश्वर, ईश्वर ।। लाइन के नीचे बिछाने का लट्ठा। ४ एक प्रकार का पत्थर २ चक्रवर्ती, सम्राट ।
जिसकी, सलेट पर लिखने की, कलम बनती है। सिरोमणि, सिरोमणी-वि० [सं० शिरोमरिण] १ सर्वश्रेष्ठ, | सिलपकर. सिलपकार-देखो 'सिल्पकार'। सर्व प्रमुख । २ जिसके शिर पर मरिण हो।
सिलपसासतरी, सिलपसास्त्री-पु. [सं. शिल्पशास्त्री] कुशल सिरोमरमा-पु० [सं० शिरोमर्मन] सूकर, सूपर ।
शिल्पकार, शिल्पकला में निपुण । सिरोमाळी-पु० [सं० शिरोमालिन् शिव, महादेव । सिलपी, सिलप्पी-देखो 'सिल्पी'। सिरोरुह, सिरोरुह-पु० [सं० शिरोरुह] १ शिर के बाल, केश। सिलल-देखो 'सलिल'। २ देखो 'सरोरुह'।
सिळवट-देखो 'सळवट'। सिरोलो, सिरोलो-वि० (स्त्री० सिरोली) साझेदारी वाला, सिलवाड़-स्त्री० रहट में लगने वाला लकड़ी का टुकड़ा, गुटका । सामूहिक ।
सिलवारणों (बो)-क्रि० सिलाई कराना, सिलाना। सिरोही-पु० १ एक अच्छी किस्म का लोह। २ इस लोह की | सिलसिलाबदी-स्त्री० कतार बदी क्रम। . बनी तलवार । ३ राजस्थान का एक कस्बा।
| सिलसिलेवार-वि० यथाक्रम. क्रमशः। सिरौ-पु.१ लम्बाई का अन्त, लम्बाई का छोर, शिरा। सिलह सिलहक्क-पु० [अ० सिलह] १ कवच, बस्तर । २ प्रम्त्र
२ ऊपर का या शीर्ष भाग । ३ नोक, प्रणी । ४ अग्रभाग। शस्त्र, हथियार । ३ युद्ध सामग्री। ५ पक्ति, कतार । ६ शुरू का भाग । ७ एक प्रकार का सिलहखांनो-पु०.१ अस्त्र-शस्त्र रखने का कक्ष, शस्त्रागार । पौधा । ८ देखो 'सिरटो' । ९ देखो 'सिरी'।
२ अस्त्र-शस्त्र। सिलंग-पु० रहट में लगने वाला एक पाटिया विशेष । सिलहट-पु. १ ईरान का बना एक मोटा व मजबूत वस्त्र सिल-देखो 'सिला'।
विशेष । २ कवच, बख्तर । ३ देखो सिलहटी' । सिळकरणो (बो)-देखो 'सळकणो' (बो)।
सिलहटी-वि० सिलहट के कपड़े का बना हुमा । सिळगणी (बी), सिळग्गरणी (बो)-क्रि० १ जलना, प्रज्वलित | सिलहडगळी-स्त्री० धड़ का कवच ।
होना, भस्म होना । २ धुकना, धूपा निकलना । ३ प्राग | सिलहदार-वि० [अ०] १ अस्त्र-शस्त्रधारी। २ योद्धा, बीर । में पड़ना, प्राग लगना । ४ प्रकाशमान होना, चमकना । | ३ शस्त्रागार का अधिकारी । ४ अस्त्र-शस्त्रों का व्यापारी। ५ उत्तेजित होना, भड़कना। ६ ईर्ष्या, क्रोध प्रादि में | सिलहपूर-वि. १ कवचधारी, बख्तरबंद । २ शस्त्रधारी। कुढ़ना । ७ असह्य वेदना होना । ८ झुलसना । ९ पेड़- सिलहपोस-वि० १ कवचधारी, बस्तरबंद । २ शस्त्रधारी।
२ ऊप'
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सिलबंद
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( ७८९ )
-
सिलहबंध - वि० १ कवच, शस्त्र प्रादि धारण करने वाला योद्धा वीर २ कवच-हस्त्रादि से सुसजित व्यक्ति ।
•
2
सिसत सिलवि० १ स्वस्थ युक्त २ कवचधारी सिम-देखो 'te'
सिलांमत, सिलांमति-१ देखो 'सलामत' । २ देखो 'सलांमति सिकीमुख, सिलीमुख- पु० [सं० शिलीमुख] १ भ्रमर, भौंरा । सिमी देवो''।
२ एक प्रकार का तीर ।
हिला स्त्री० [सं०] बिला] पाषाण, प्रस्तर बंद २ चट्टान
३ प्रस्तर पट्टिका । ४ भंग मादि घोटने की शिला ५ मैनसिल । सिलाई - स्त्री० १ सीने का कार्य । २ सीने का ढंग । ३ सिलाई सिलेटियो- पु० एक प्रकार का रंग ।
सळाव, सिलाव-०१ चाधार, साधन स्रोत २ देखो 'सळा सिलावट, सिलावटियो, सिलावटी-स्त्री० १ भवन निर्माण ब
सिळियार पु० [सं० शीलचार] युधिष्ठिर का एक नाम । सिळी स्त्री० १ बाण या भाले की नोक । २ शलाका, सलाई ।
३ शारण का पत्थर । ४ छोटा तृरण, फांस । ५ बंदूक के कान में फेरने की लोहे की कील ।
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मिळू ० ट के मुंह का एक रोम सिलूप पु० नारियल ।
सिलेटिया स्त्री० रामावत साधुनों की एक शाखा ।
की मजदूरी ।
सिलाउ, सिलाउ, सिलाक, सिलाक-स्त्री० १ बिजली, विद्युत
२ बिजलो की चमक। ३ तोप की प्रावाज । ४ शलाका, सलाई
1
मिलोक-१ देखो स्लोक' २ देखो 'सिलोको' । सिलोकौ पु० एक प्रकार की पद्य बंध वचनिका । सिलोच, सिलोचय, सिलोनं पु० [सं० शिलोचय: ] पहाड़, पर्वत ।
सिलाड़- पु० १ दो पशुओंों की गर्दन एक साथ बांधने की रस्सी । २ इस प्रकार एक ही रस्सी से बंधे पशु । ३ समान जाति के पशुयों का जोड़ा । ४ युग्म, जोड़ा । सिलाड़ी थी) क्रि० १ दो पशुओं को पर्दन से परस्पर एक ही सिलोटी-स्त्री० पथरीली धौर समचौरस भूमि का मार्ग रस्सी से बांधना २ देखो 'सिला' (बौ सिळी वि० [स्त्री० सिळी) शीतल ठण्डा सिलाड़ी देखो 'हिला' । सिलाड़ीबाब० जूते बनाने वालों से लिया जाने वाला एक कर सिलाजतु, सिलाजीत पु० [सं० शिलाजतु] पहाड़ों या चट्टानों से निकलने वाला लसदार एक पौष्टिक पदार्थ, शलाजीत । सिलाट- देखो 'सिलावट' । सिलाणी (बी) - क्रि० १ ठण्डा करना । २ क्षति पूर्ति करना । ३ देखो 'सींवाणी' (बो) ।
१
सिलाांन० ब्राह्मण की शालिग्राम की मूर्ति का दान सिलामयी स्त्री० एक देवी का नाम । हिसार पु० मुसलमान २ देखो 'सवारी' सिलारस-०१ पेड़ का गोंद २ देखो 'बिलाजीत' । सिलारी - पु० घोड़े की रकाब का एक भाग । सिलाल - पु० पाबू राठौड़ का एक नाम । - वि० भाला धारण करने वाला ।
सिलेहट देखो 'सिलहट' ।
सिलेहटी- देखो 'सिलहटी' ।
सिले देखो 'सिल'
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9
सिलौ, सिलो- पु० १ बाजरी की पकी बालें काटने के बाद दुबारा धाने वाली बालें । २ गेहूँ, चावल प्रादि की फसल काटने के बाद बिखरा रह जाने वाला अनाज ३ फसल की कटाई के बाद दुबारा फूटने वाली फसल
सिल्प स्त्री० [सं०] शिल्पम्] १ हाथ से कोई चीज बनाकर
तैयार करने की कला, दस्तकारी, कारीगरी । २ पत्थर पादि पर पढ़ाई करने की कला कला स्त्री० [स्तकला, पत्थर पर घड़ाई की कला । -- कार - पु० कारीगर, शिल्पी, पत्थर का कारीगर ।-कारी - स्त्री० शिल्पकार का कार्य, कारीगरी, पत्थर पर की गई पड़ाई ग्रह-पु० शिल्पी कार्य करने का स्थान या घर । कारखाना लिप, लिपि - पु० पत्थर या धातु पर प्रक्षर खोदने की विद्या या कला । पत्थर पर खुदी इबारत । - विद्या स्त्री० हाथ से सुन्दर वस्तुऐं बनाने की विद्या -साळा-स्त्री० शिल्पियों के काम करने का स्थान, कारखाना । —सास्त्रgo शिल्प विद्या संबंधी शास्त्र या ग्रन्थ, वास्तुशास्त्र । सिल्पप्रजापत (ति. ती ) - पु० [सं० शिल्पप्रजापति ] विश्वकर्मा का
एक नाम ।
पत्थर घड़ने का कार्य करने वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति २ संगतराश, शिल्पी सिलावरणौ (बो) - १ देखो 'सिलासी' (बो)। २ देखो 'सींबाणी' (बो)। सिल्पमत- प्रव्य० कारीगरी से व्यवस्थित ढंग से । सिलासार १० [सं० शिलासार] लो
•
सिलास्वेव स्त्री० [सं०] शिलाजीत । सिलाह- देखो 'सिल' सिडिया-वि०ली बेहूदा
,
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सिल्पयत कि० वि० [सं० स्वित्] शिल्पशास्त्र के अनुसार
-
सिल्पी - पु० [सं० शिल्पिन्] शिल्पकार, कारीगर । सिलगी (बी) देखो'' (बो सिल्लह- देखो 'सिनह।
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सिल्लांम
( ७६० )
सिवाराति
का नाम । (जन)
सिल्लांम-देखो 'सलाम' ।
कुबेर। -सुबरी-स्त्री. दुर्गा। -सुत-पु. गणेश, सिलावटी-१ देखो 'सिलावटी'। २ देखो सिलावट'।
स्कन्द।-सेखर-पु० चन्द्रमा । धतूरा । शिव का मस्तक । सिल्ली-स्त्री० शस्त्र, चाकू मादि की धार तेज करने का पत्थर, सिवकर-पु० [सं० शिवकर] प्रतीतकाल के चौबीस जिनों में से सारण का पत्थर।
एक । (जैन) सिल्हाड़-देखो 'सिलाई।
सिवकरणी-स्त्री० [सं० शिवकर्णी] स्कन्द की अनुचरी एक सिल्है-देखो "सिल्ह।
- मातृका। सिल्हैखांनौ-देखो 'मिलहखांनो' ।
सिधका-देखो 'सिविका'। सिल्हेबंध-देखो 'सिलहबंध' ।
सिवकाई-स्त्री० सेवा का कार्य या भाव, सेवकाई । सिव-पु० [सं० शिवः] १ सनातन धर्म के मुख्य तीन देवों में से सिवकीरतरण (न)-पु० [सं० शिवकोतंन] भंगी का नाम ।
अन्तिम देव, महेश, शिव । २ सत्य, सांच। ३ वेद । सिबगत (गति, गती)-पु० [सं० शिवगति] भूतकाल के चौदहवें ४ वसु, देव । ५ मोक्ष । ६ सियार, गीदड़ । ७ खूटा। तीर्थ कर का नाम । (जैन) ८ परमेश्वर, ब्रह्म । पारा। १. लोहा। ११ समुद्री सिवगांमी-वि० [सं० शिवगामिन् ] मोक्ष को प्राप्त होने वाला। नमक । १२ लिंग, जननेन्द्रिय । १३ जल, पानी। सिवड़-पु० १ श्वेताम्बर जैन । २ देखो 'सेवड़' । १४ कुशल. मंगल । १५ विष्कंभादि सत्ताईस योगों में से सिवण-स्त्री० १ एक प्रकार का पौष्टिक घास । २ शिव, बीमा योग । १६ मार्या-गोति या खंधारण का भेद विशेष महादेव । १७ टगण के प्रथम भेद का नाम 555 । १८ शुद्ध सुहागा। सितिलक-पु० [सं० शिवतिलक] १ स्त्रियों के ललाट का एक १९ गले में भौंरी वाला एक घोड़ा विशेष (प्रशुभ)। स्वर्णाभूषण । २ चन्द्रमा, चांद। . २० एक छंद विशेष ।-वि० १ श्वेत, उज्जवल * । २ श्वेत सिवदेवी-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी। . पीत*। ३ ग्यारह । ४ मंगलमय, कल्याणकारी। सिवनाथ-पु. शिव, महादेव। ५ स्वस्थ, सुखो । ६ भाग्यवान ।-कर, कारी-वि० मंगल | सिरनाम (नामि)-पु० [सं० शिवनाभि] एक प्रसिद्ध शिव लिम । कारी, मानन्ददायी ।-कवच-पु० शिव का एक स्तोत्र | सिवनारायणी-पु० [सं० शिवनारायणी] एक सम्प्रदाय विशेष । विशेष ।-कांता-स्त्री. शिव पत्नी उमा. दुर्गा ।-कुमार-सिबमडळी-स्त्री. नाथ सम्प्रदाय के संन्यासियों का एक समूह । पु० स्वामि कात्तिकेय, गजानन । - गत, गति, गती-स्त्री० सिवरण-देखो 'सुमरण' । मोक्ष, मुक्ति ।-वि० समृद्ध, सुखी, खुश।-गिर, गिरि, सिवरणो (बो)-देखो 'सुमरणो' (बी)। गिरी-पु. कैलाश पर्वत ।-ढाण-पु. श्मशान भूमि, सिलिगी-स्त्री० वर्षा ऋतु में झाड़ियों के बीच होने वाली एक कन्दरा, गुफा ।-तीरथ-पु० काशी।-वृतिका, दूती-स्त्री.] लता विशेष । स्कन्द की एक मातृका। दुर्गा । एक योगिनी विशेष । सिबलोकवासी-पु० [सं० शिवलोकबासी] १ कैलाश का निवासी । -घाम-पु० कैलाश पर्वत । श्मशान भूमि । सिरोही नगर २ स्वर्गवासी । ३ परम पद मोक्ष को प्राप्त । ४ शिव, का एक नाम ।-नंद, नंवरण (न)-पु. स्कन्द, गजानन । महादेव । -पद-पु. मोक्ष, मुक्ति ।-पुर-पु० स्वर्ग, मुक्ति स्थान । सिववाड़ियो-पु. एक प्रकार का ऊंट। कैलाश । काशी। -पुराण-पु० अठारह पुराणों में से एक सिवसकरी-स्त्री० [सं०शिवशंकरो] देवी को एक मूर्ति का नाम ।
-पुरि, पुरी-स्त्री० काशी, स्वर्ग परम पद, मोक्ष । सिवसंगिया-स्त्री०घोड़े के गले के दाहिनी पोर होने वाली भौंरी। सिरोही का एक नाम। -प्रिय-पु० रुद्राक्ष, धतूरा, सिवाणची-पु० सिवाना नगर के मासपास का भू-भाग। स्फटिक, मंग। -प्रिया-स्त्री० भंग, पार्वती, दुर्गा सिवा-स्त्री० [सं० शिवा] १ पार्वती, गिरिजा । २ दुर्गा ।
-भंडारी-पु० कुबेर । -भाळी-पु० चन्द्रमा ।-मंदिर- ३ हरीतकी, हरें। ४ मादा सियारी, शुगाली । -प्रव्य. पु० शिवालय, श्मशान घाट, मरघट । -माळ, माळा- अतिरिक्त, अलावा । स्त्री० शिव के गले की मुडमाला। -राणी, रानी-स्त्री० | सिवाई-देखो 'सवाई'। उमा, पार्वती। -रात, रातरी, रात्रि, रात्री-स्त्री० फाल्गुन | सिवारणी (बी)-देखो 'सीवाण' (बौ)। मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी या त्रयोदशी। -लोक-सिवाळि-पु० [सं० शिवबलि] तत्रोक्त देवी का एक नैवेद्य पु. कैलाश, स्वर्ग । -वल्लमा-स्त्री. पार्वती, दुर्या। विशेष। -वाहण (न), वसम-पु. शिव का वाहन नंदी। बैल, वृषभ। | सिवाय-वि. विशेष । अधिक । --प्रव्य अलावा । -संभव-पु. शिव पुत्र गजानन, स्कन्द ।- सखा, सिख-पु० सिबाराति-पु० [सं० शिवाराति] सियारिन का शत्रु , कुत्ता ।
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सिवाळ
। ७९१ )
सिस्त
सिवाळ-देखो 'सिंवाळ'।
मण्डल सहित, सौर जगत । सिवालय, सिवाळी-पु० [सं० शिवालय] शिव का मन्दिर। सिसवदनी-देखो 'ससिवदनी' । सिवाळी-पु० [सं० शैवाल] कुछ हल्के रंग वाला एक प्रकार का | सिसर-१ देखो 'सुसिर'। २ देखो "सिसिर'। मरकत या पन्ना।
सिसलो-पु. खरगोश । सिवि-पु० [सं० शिबि] राजा उशीनर का पुत्र का एक राजा। सिसहर (हरि, हरी)-१ देखो 'ससधर'। २ देखो "सिसिर । -वि० [सं० सर्व] सब, समस्त ।
सिसहुर-पु. शंख, कबु । सिविका-स्त्री० [सं० शिविका] पालकी, डोली।
सिसि-देखो 'ससि। सिविता-देखो 'सविता'।
सिसिगोत (गोति, गोती)-देखो 'ससिगोती'। सिविर-पु० [सं० शिविर] १ डेरा, खेमा । २ सेना का पड़ाव, | सिसियो-देखो 'सस' । छावनी । ३ किला, कोट ।
सिसिर-स्त्री० [सं० शिशिर] १ माघ व फाल्गुन मास की ऋतु, सिविहि, सिवी-देखो 'सिवि' ।
षड्ऋतुप्रों में से एक । २ शीतकाल, जाड़ा । सिसंक-देखो 'ससांक'।
सिसिवदनी-देखो 'ससिवदनी'। सिस-१ देखो 'ससि'। २ देखो "सिसु' । ३ देखो 'ससा'। सिसिवौं-वि० १ धनाढ्य, पैसे वाला, अमीर, सम्पन्न । २ हृष्ट४ देखो 'सोसा'। ५ देखो "सिस्य' ।
पुष्ट, मोटा-ताजा। सिसकणो (ग)-देखो 'ससकरणो' (बी)।
सिसिसहोदर, सिसिसहोवर-पु० [सं० शशि-सहोदर] शंख । सिसकांनो-स्त्रो. एक प्रकार की बन्दूक ।
सिसिहर-देखो 'ससघर'। सिसकार-देखो "सिसकारी' ।
सिसी-देखो 'ससि। सिसकारणो (बी)-क्रि०१ सर्दी या पीड़ा के कारण मुह से सिसीहर-१ देखो 'ससधर' । २ देखो 'सिसिर' ।
सी-सी शब्द करना, सीत्कार करना। २ रतिक्रिया में | सिसु-पु० [सं० शिशु] छोटा बच्चा । नायिका का सीत्कार करना। ३ मुह से निश्वास छोड़ना। सिसुचांद्रायण-पु० [स• शिशुचांद्रायण] एक प्रकार का व्रत ।
४ ताड़ना या संकेत देने के लिये सी-सी करना। सिसुता, सिसुताई-स्त्री० बचपन । सिसकारी, सिसकारी-स्त्री. १ रतिक्रिया के समय, नायिका का सिसुनामो--पु. ऊंट।
सीत्कार । २ सर्दी, पीड़ा मादि के कारण मुंह से निकलने | सिसुनाग-पु. एक राक्षस का नाम । वाला 'सी-सी' शब्द । ३ विश्वास, सीत्कार । ४ ताड़ना या सिसुपाल-पु० [सं० शिलुपाल] चेदि का एक राजा, जो श्रीकृष्ण बुलावे प्रादि का एक संकेत ।
द्वारा मारा गया। सिसको-स्त्री०१ रुक-रुक कर रोने की क्रिया या भाव। सिसुमार-पु० १ जल मानस । २ मकर की प्राकृति वाला २ रोने स बंधने वाली गिग्गी। ३ सिसकारी।
नक्षत्र समूह। सिसट-१ देखो 'स्रस्टि'। २ देखो सिस्ट'।
सिसुमारचक्र-पु० सौर जगत । सब ग्रहों सहित सूर्य । सिसटाचार-देखो “सिस्टाचार' ।
सिसुमारमुखी-स्त्री० [सं० शिशुमारमुखी] स्वामि कार्तिकेय की सिसटी-देखो 'सस्टि'।
___ एक मातृका। सिसदा-पु. पक्षो विशेष ।
सिसू-पु. १ पौत । २ देखो 'सिसु' । सिसधर पु० [सं० शशधरः] १ चन्द्रमा । २ कर्पूर । सिस्ट-वि० [सं० शिष्ट] १ वह जो सभ्यता पूर्ण रहता हो या सिसपत (पति,पती)-पु० [सं० शशिपति] शिव, महादेव । व्यवहार करता हो, सभ्य, सज्जन । २ शिक्षित, बुद्धिमान । सिसपाळ-देखो 'सिसुपाळ' ।
३ देखो 'सस्टि'। सिसप्रिया-देखो 'ससिप्रिया' ।
सिस्टसभा-स्त्री० [सं० शिष्ट-सभा] राजसभा, शिष्ट सभा । सिसबीज-पु० शुक्ल पक्ष की द्वितीया का चन्द्रमा ।
सिस्टा-पु० [सं० सुष्टा] ब्रह्मा । सिसमत्य (मथ, माथ)-देखो 'ससिमाथ' ।
सिस्टाचार-पु० [सं० शिष्टाचार] १ सभ्य या शिष्ट पुरुषों सिसमाव, सिसमावचक, सिसमाध, सिसमाधचक्र-देखो 'सिख- का पाचरण, व्यवहार । २ सभ्यता, सज्जनता। नम्रता मारचक्र'।
४ प्रादर, सम्मान। सिसमार-पु० [सं० शिशुमार) १ सूस नामक एक जल जन्तु । | सिस्टी-देखो 'सस्टि'।' २ श्रीकृष्ण। ३ शिशुमारचक्र ।
सिस्त, सिस्ति-स्त्री० [फा० शिस्त लक्ष्य, निशाना। -बाजसिसमारचक्र-पु० [सं० शिशुमारचक्र] समस्त ग्रह, नक्षत्र, तारा पु० निशानेबाज, लक्ष्य साधने वाला ।
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सिग्न
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( ७६२ )
सिन, सिस्नु पु० [सं०] शिश्न ] पुरुष का लिग, जननेंद्रिय सिस्य - पु० [सं० शिष्य ] १ शिष्य, शागिर्द, चेला । २ विद्यार्थी ३ क्रोध, रोष ।
सिस्समम्य (मय मध्य) - देखो 'ससिमाथ' ।
सिस्सिहर-१ देखो 'ससधर' २ देखो 'ससिधर' । सिहंड पु० [सं०] मोर, मयूर
।
सिहड पु० मल्हार नामक एक राग ।
-
सिसिलाव स्त्री० बिजली की चमक ।
सिहसान - पु० [सं० सिहसान ] एक सूर्यवंशी राजा ।
सिहाई देखो 'सहाय'।
सिहावरी पु० मस्तक, शिर
।
सिहाय देखी 'सहाय
सिहायक देखो 'सहायक' । सिहायता देखो सहायता । सिहारी- देखो 'सहारों' ।
सिहि - वि० सब समस्त ।
सिहिकार स्त्री० [सं० सहकार] बाय, ग्रामदती 1 सिहोर - १ देखो मिखर । २ देखो सिहर' | सोक देखो 'सी'
सकळी, सखलो पु० दही मथने को मथानी के साथ लगने
वाला एक उपकरण ।
सींग, सगड़ी, सींगड़ी, सोंगटी पु० [सं० श्रृंग] १ खुर वाले पशुनों के शिर पर होने वाले लकड़ीनुमा, नोकदार अवयव, पशु शृंग २ फूंक से बजाने का एक वाद्य विशेष । १३ सींग से बनी एक नली । ४ बन्दूक का बारूद रखने का उपकरण विशेष |
सीगण (रि, खी) - पु० [सं० श्रृंग] १ सींग का बना हुधा धनुष विशेष २ धनुष । ३ प्रशुभ लक्षणों वाला घोड़ा । गोपदेवी 'दीप'
सोंगळी- देखो 'सिंघली' ।
सगसाज-पु० १० सींग का बना, बारूद रखने का पात्र । सोंगाड़ी, सोंगाड़ो-देखो 'सिगोटी' ।
सौगायल - वि० प्रवारा
गाळ साठी वि० [सं०] [स्त्री० सींगाळी) १ जिसके सींग हो, सींग वाला २ बीर बहादुर १०१ सींगवाला । । पशु । २ बैल वृषभ ।
सोंगी-१ देखो 'तिमी' २ देखो 'सिंगल' । सगीबंद (बंध) - वि० चूने पत्थर की पक्की चुनाई से बांधा हुमा ।
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1
सींधळी - देखो 'सिंघळी' ।
सिहण स्त्री० १ मादा शेर, शेरनी, सिंहनी । – पु०२ स्तन, कुच सिहर पु० [सं० शिर ] १ शिर, मस्तक [सं० शिखर ]
|
सोंघसट ( सठ, सप्त, सथ ) - देखो 'सिंगसठ' ।
२ हाथी, गज । ३ पर्वत, पहाड़ । ४ पर्वत चोटी, शृंग ।। सींघाळो-१ देखो 'सिघाळो' । २ देखो 'सींगाळी' ।
५ बादल, मेघ । ६ श्रेष्ठ वीर । ७ देखो 'सहर' ।
सघोडो-देखो 'सिघोड़ो' ।
सौंवरियो पु० १ कुए से पानी निकालने के पात्र से बांधा जाने वाला रस्सा | २ कूए से पानी निकालने का पात्र ३ पानी निकालने वाला व्यक्ति ।
सॉवड़ी
सींगी मुहरो देखो 'सिगी मुहरों' ।
सोंगीरिख, सोंगोरिखी (रिसी) - देखो 'त्र' गीरिसी' | सोंगौ- पु० सौंग के धाकार की तीखी लकड़ी जो "आई" या "चौसंगी" के धागे जुड़ी रहती है।
सोंधरा (पि, सी) १० १ घोड़े के शिर पर होने वाला एक टोका जिसमें भौंरियां होती हैं। २ देखो 'सींगण' । सौंपल- १ देखो 'सिहल' २ देखो 'सिंगल'
(यो क्रि० [सं० सिंचन] १ पेड़-पौधों का फसल में पानी देना, सिचाई करना। २ पानी छिड़कना, नमी देना । ३ उड़ेलना, डालना । ४ यज्ञ में घी की प्राहुति देना । ५ कुए से पानी निकालना । ६ चींटियों प्रादि के लिए खाद्य पदार्थ डालना, बिखेरना, छितराना । सांस देखो 'सियांस'
सचारी स्त्री० [सं० शची] इन्द्रारणी, शची । सांगू, सांगो-देखो 'सिचांरण' ।
क
सोचारणौ (बौ) - क्रि० १ कुए से पानी निकलवाकर फसल अथवा पेड़ पौधों को पिलवाना सिचाई कराना २ पानी दाना, तरी दिशना । ३ डलवाना, उंडेलवाना * कुए से पानी निकलवाना ५ कोई पदार्थ टिकवाना सींचारी- पु० १ कुए से पानी निकालने या कुए के पानी से सिचाई करने वाला व्यक्ति । २ सिचाई का कार्य करने वाला व्यक्ति ।
सीं
सोचो निवृत्ति के बाद मलद्वार स्वच्छ करते की क्रिया या भाव, प्रावदस्त २ जल का छींटा लगाकर शुद्धिकरण को किया या भाव।
सोंठ, सोंठ ० १ गुप्तेन्द्रिय के बाल, उपस्थ के बाल। २ गुप्तेन्द्रिय, जननेंद्रिय ।
सोडाणी (बो) बहामा फुसलाना। सणगार-देखो 'संगार' |
डोसियो, सोली- वि० [इएका कालापन लिए सफेद सोतरी छतरी स्वी० एक प्रकार का घास विशेष ।
सौचाल जलाशय के किनारे रखा नहाने धोने का बड़ा पत्थर - - ।
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सोंबड़ी, सौंदरी - स्त्री० १ ससुराल जाते समय कन्या के सामान के साथ दी जाने वाली तेल, इत्र की शीशी । २ कुए से पानी निकालने की रस्सी । ३ पतली रस्सो का टुकड़ा ।
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सोदवी
धूर - देखो 'सिंधु' ।
सींधू- देखो 'राग' २ देखो 'सिंधु'
सीधूराग - देखो 'सिधुराग' ।
सौंप देखो 'सीप' ।
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( ७९३ )
सदियों-देखो 'सध सबुर-देखो 'सिंधुर' | सदूर - देखो 'सिंदूर' | सीरियो ०१ उपाल
२ देखी 'सिंदुरियो'।
घड़ी पु० १ ऊंट के चमड़े का बना तेल या घी रखने का सीकरड़-वि० जबरदस्त, शक्तिशाली, महान् ।
पात्र । २ ऊंट ।
सौंधळावटी-देखो 'सिलावटी'
संघवी, सीधबीनाव, सधयों, सौंधवोराम देखो 'सिंधुराम'
सींव - १ देखो 'सीमा' । २ देखो 'सीम' ।
सॉन्ग, सॉवली स्त्री० [सं० सीवनी १ को
मध्य
--
को रेखा जो सिली हुई लगती है। २ सिलाई की क्रिया या भाव । ३ सुई ।
मरण - पु० [सं० सीवनम् ] १ सिलाई करने की क्रिया या भाव। २ सिलाई का व्यवसाय या कार्यं । ३ सिलाई के वस्त्र | (ब) क्रि० [सं० सीवनम] सिलाई करना, कपड़े सोना ।
सोवाणी (बी) - क्रि० सिलाई कराना या सिलाई के लिये !
प्रवृत्त
करना ।
सीकंठ - पु० [सं० शितिकंठ ] शिव, महादेव ।
सोकंत-देखो 'स्त्रीकंत' ।
सवाल- देखो 'विवाल' ।
सींह - १ देखो 'सिंह' । २ देखो 'सिंघ' ।
सी- पु० [सं० शीत ] १ सर्दी, ठंड, शीत । २ सिंह, शेर। ३ डर, भय । ४ जल, पानी । ५ शंका। ६ सीत्कार । ७ शोभा 1 ८ समता सूचक प्रत्यय । - वि० समान, तुल्य । - सर्व० क्या, कैसी । - क्रि०वि० १ करीब, लगभग । २ को समय में देखो 'सीता' ४ देखो 'खी' ५ देखो 'ही' | सीधा सीधाक देखो 'स्याल, स्थानक' | सीए- पु० ठंड, सर्दी ।
3
।.
सोप्रोबग पु० [सं० शीतोदक] कच्चा पानी । (जैन)
सीधी, सीधीताव- पु० [सं० शीत ताप] शीत लगकर घा वासा विषमज्वर, मलेरिया ।
कंपन । सीक-स्त्री० [सं० इषीका] १ द्रव पदार्थ की पतली व तीक्ष्ण धार। २ लोहे की सलाई पर लपेट कर पकाया जाने वाला मांस । ३ पतली सलाई, तूलिका ४ जलकरण, बूंद ५ इत्र लगाने के लिये तिनके या सलाई पर लपेटी जाने
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वाली रूई । - क्रि०वि० तक, पर्यन्त । देखो 'सी' | सीकर - पु० [सं०] शीकर]] १ अलका पानी की बूंद २ वायु द्वारा उत्क्षिप्त जलबिन्दु, वर्षा की फूप्रार । ३ पसीना, स्वेद |
सीकल पु० [० संकल] १ हथियार पर लगे जंग को घुड़ाने की क्रिया । २ देखो 'सक्ल' |
सोकाळ १० शीतकाल
सीfer - पु० एक विशेष प्रकार का छाता ।
सीकिरण (न) - देखो 'स्त्रोकिसन' ।
सीकंपी, सीकंपोस्त्रो० सर्दी के कारण होने वाली कपकपी, सीखा - देखो 'सिखा' ।
सीधाऊ
सीकोट पु० १ शीत ऋतु में पश्चिमी क्षितिज पर कभी-कभी, नगर, भवन, आदि का होने वाला मिथ्या प्राभास, गंधर्व
नगर । २ वायु के कारण बाष्प, मिट्टी या धूए का उठने वाला समूह ३ तेज गति से उत्पन्न ध्वनि । सोकोतर सोकोटरि सोकोत्तरी स्त्री० १ दुर्गा का एक नाम। २ युद्ध प्रिय एक देवी, रणचंडी । ३ प्रेतिनी । ४ कलह प्रिय स्त्री । ५ पिशाचिनी ।
सवड-देखो 'सो'।
1.
सीख सोखड़ली - पु० १ शिक्षा, उपदेश । २ युक्ति, उपाय। ३ परामर्श, सलाह, राय। ४ कार्य विशेष पर नियुक्त व्यक्ति को कार्य पूरा होने पर विदाई के समय दिया जाने वाला पुरस्कार, इनाम । ५ याचकों को दिया जाने वाला द्रव्य । ६ एक लोक गीत विशेष। ७ रिश्तेदार या प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भेंट स्वरूप दी जाने वाली वस्तु बन बेटी या दामाद को विदाई के समय दिया जाने वाला द्रव्यादि । ९ अनुमति, इजाजत, प्राज्ञा । १० प्रस्थान, रवानगी । ११ विदाई |
सीखचो- पु० [० सीखच ] लोहे की सलाखा, विशेष कर मांस भुनने को सलाखा ।
सखी (1) क्रि० [सं०] शिक्षणम्] १ किसी से कोई कला, विद्यादि की शिक्षा लेना, कुछ सोचना २
नसीहत प्रादि लेना । ३ याद करना, कंठस्थ करना । ४ ग्रहण करना, स्वीकार करना । ५ किसी बात पर एक मत होना ।
सीखत स्त्री० १ सिखाने की क्रिया या भाव। २ शिक्षा, नसीहत | ३ सलाह, राय ।
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"
सीख्या स्त्री० १० १ एक वर्ण वृत्त विशेष । २ देखो 'सिक्षा' । सीगणि, सीगणी-देखो 'सींगण' । सीगो-देखो 'सिगी' 1
सीधाऊ-पु० १ देवी-देवता संबंधी गायन या चरचा विशेष । २ मांगलिक वाद्य ध्वनि । ३ मांगलिक ढोल वाद्य ।
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सीघ्र
। ७६४ )
सीतलास्टमी
सीघ्र-वि० [सं० शीघ्र] १ पविलम्ब, तुरन्त, शीघ्र। २ फटाफट, ३ सर्दी, शीत । ४ शरद ऋतु। ५ लताओं का कुज।
चटपट । -क्रि०वि० तेजी से। -पु० १ पृथ्वी के दो भिन्न- -वि. १ ठंडा, शीतल । २ मुफ्त, निःशुल्क । ३ देखो भिन्न स्थानों से ग्रहों को देखने में भाने वाला अन्तर । 'सीता' । ४ देखो 'सीतजुर'।' २ एक सूर्यवंशी राजा।
सीतअंसु-देखो 'सीतांसु' । सीघ्रकारी-वि० [सं० शीघ्रकारिन] १ शीघ्रता करने वाला। सीतकटिबंध-पु० [सं० शोतकटिबंध] पृथ्वी के उत्तर व दक्षिण २ फुर्तीला । ३ शीघ्र प्रभाव करने वाला।
के भूखण्ड विशेष (भूगोल)। सीप्रकोपी-वि० [सं० शीघ्रकोपिन] १ शीघ्र क्रोधित होने | सीतकर-पु० [सं० शीतकर] शीतल किरणों वाला, चन्द्रमा । वाला । २ चिड़चिड़े स्वभाव वाला।
. -वि० १ ठंडा करने वाला । २ ठंडदायक, शीतल । सीघ्रता, सीघ्रताई-स्त्री० [सं० शीघ्रता] जल्दबाजी, उतावली, सीतकाळ-पु० [सं० शीतकाल] शीतकाल, हेमत ऋतु। शीघ्रता ।
सीतजुर (जुबर, ज्वर)-पु० [सं० शीतज्वर] जूड़ी लगकर पाने सौघ्रपान-पु० [स० शीघ्रपतन शीघ्र स्खलित होने की अवस्था, वाला बुखार, ठंडा ज्वर, मलेरिया। म्तभनशक्ति का प्रभाव ।।
सीतता-स्त्री० शीतलता, ठंडक । सोड-स्त्री० १ बकरी के बालों को बनो पतलो डोरी। -पु० सीतनाथ-देखो 'सोतानाथ' । २ सांड, बल।
सीतपत (पति, पतो)-१ देखो 'सीतापति' । २ देखो 'सीतपित्त'। सोचारण (न)-देखो "सिंचांणो'।
सीतक्ति, सीतपित्त-पु० [सं० शीतपित्त] एक प्रकार का सीचारणी-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा। २ देखो 'सिचाणो'। भयंकर रोग । सीजणी (बी), सीझरणी (बी)-क्रि० [सं० सिद्ध] १ प्राग की । सीतप्रसाद-पु० किमी साधु भादि के भोजन का उच्छिष्ट भाग ।
प्रांच पर पकना, परिपक्व होना। २ तपस्या करना, सीतभारण (भान, भानु)-पु० [सं० शीतभानु] चन्द्रमा का तपना। ३ सिद्ध होना, सकल होना। ४ जलना, भस्म | एक नाम। होना। ५ कमजोर होना, बलहीन होना। ६ कष्ट, दु:ख सीतरित, सीतरितु-स्त्री० [सं० शीत ऋतु] हेमन्त ऋतु । प्रादि सहन किया जाना । ७ झुलसना ।
सीतरू ख. सीतरूख-पु० चन्दन । सोमाणी (बो)-क्रि० १ पकाना, परिपक्व करना, कराना। सीतळ, सीतल-पु० [सं० शीतल] १ चन्दन । २ मोती।
२ तपस्या करने के लिये प्रेरित करना । ३ सिद्ध करना, ३ चन्द्रमा । ४ कपूर। ५ पदकाठ। ६ बर्फ। ७पीत सफल करना। ४ जलाना, भस्म करना । ५ कष्ट देना। चंदन । ८ एक प्रकार का व्रत। -वि० १ ठंडा, शीतल । झलसाना।
२ जिसमें जोश का प्रभाव हो । ३ प्रसन्न, खुण । ४ संतुष्ट । सीमातर-देखो 'सम्यातर'।
५ देखो 'सीतलनाथ'। सीट-स्त्री० [अ०] १ बैठने का स्थान, जगह । २ प्रासन, मद्दी। सीतळचोरणी-स्त्री० कबाब चीनी। सोटकी-स्त्री० पतली, टहनी ।
सीतळता, सीतळताई-स्त्री० [सं० शीतलता] १ ठंडक, तरी, सोटी-स्त्री० [सं० शीत] १ जीभ को सिकोड़ कर मुह से हवा नमी । २ शांति, संतोष । ३ जड़ता।
फेंकने पर उत्पन्न महीन तेज ध्वनि । २ इसी तरह की | सोतळनाथ-पु० [सं० शीतलनाथ] जैनियों के वर्तमानकालीन प्रावाज से बजने वाला खिलौना या बाजा। ३ किसी दश तीथ कर।। विशिष्ट क्रिया से उत्पन्न होने वाली ऐसी ही ध्वनि । सोतळपुहरण-पु० [सं० शीतला-प्रवहण] रासभ, गधा । ४ निर्धारित समय पर नियमित रूप से बजने वाला भोंपू । सीतळप्रसाद-देखो 'सीतप्रसाद' । [अ०] ५ नगर, शहर ।
| सीतळप्रहण-देखो 'सीतळपुहण' । सीडी, सोढ़ी-स्त्री० [सं० निश्रेणी] १ जीना, सोपान, निसनी, सीतळरूख-पु० चदन वृक्ष ।
पेडियां। २ जीने की तरह बना लकड़ी प्रादि का उप- सीतळा-स्त्री० [सं० शीतला] १ विस्फोटक रोग विशेष, चेचक । करण। ३ बास ब खपचियों की बनी अर्थी, शवयान । २ उक्त रोग की अधिष्ठात्री देवी। ३ नीली दूब ।
४ क्रमशः विकास या उन्नति की अवस्थाएँ (लाक्षरिणक)। सीतळावाह, सीतळावाहरण-पु. [स. शीतला-वाहनं] शीतला सीणो-पु० १ सीने का कार्य, सिलाई। २ देखो 'सीरणो'। देवी का वाहन, गधा। (स्त्री० सीणी)
| सीतलास्टमी-स्त्री० [सं० शीतलाष्टमी] चैत्र मास के कृष्ण पक्ष सोतंसु, सीतंसू-देखो "सितासू' ।
की अष्टमी तिथि, जिस दिन शीतला देवी की पूजा की सीत, सीत-पु. १ पागलपन, सनक । २ सन्नोपात रोग।। जाती है।।
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सीतवीरज
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( ७६५ )
सीता - स्त्री० [सं०] १ विदेहराज जनक की पुत्री तथा श्रीराम दाशरथी की धर्मपत्नी । २ खेत या जमीन में हल से बनने वाली रेखा । ३ जोती हुई जमीन। ४ एक देवो विशेष । ५ लक्ष्मी का एक नामान्तर ६ उमा का एक नाम। ७ प्राकाश गंगा की चार धाराधों में से एक ८ मदिरा, शराब । नम, नमी-स्त्री० वैशाख शुक्ला नवमी तिथि । - नाथ, पत, पति, पती, बर, रमण, वर पु० श्रीरामचन्द्र बोविष्णु सुतपु०जब शस्वामी पु० श्रीरामचन्द्र
tant (at) - क्रि० विरह में भुरना, रोना ।
सोबत वि० सिद्धियुक्त।
शराब |
सतबीर पु० [सं० शीतवीं ] १ पाषाण भेद । २ पित्त सीधु सीधू- पु० [सं० शोधु ] गुड़ या ईख के रस से बनो मदिरा । पापड़ा। ३ नीली दूब । ४ वह पदार्थ जो खाने में ठण्डा हो । सोतसिव पु० [सं० शीतशिव] सेंधा नमक । सोतहर पु० [सं०] मौतधर]] १ चन्द्रमा चांद २ सूर्य, सूरज [सं० सीताहरण ] ३ रावण । सीतहरस पु० गरु ।
[सं०] मीतइर]
सीतांसु - देखो 'सितासु' ।
सीताफळ - पु० [सं० सीताफल ] १ कुम्हड़े का वृक्ष । २ उक्त वृक्ष का फल । ३ सुरवृक्ष ।
सीताराम पु० हीता व राम की युग्म छबि ।
सीतारामी - पु० स्त्रियों के कंठ का एक स्वर्णाभूषण, हार । सीतावट- पु० चित्रकूट पोर प्रयाग के बीच का एक स्थान जहाँ वनवास काल में श्रीराम ने सीता के साथ निवास किया था।
सीतासित-देखो 'सितासित' । सीताहरण - पु० [सं०] रावण ।
सोतोबक पु० [सं० शीतोदक] १ एक नरक का नाम । २ ठंडा जल ।
सीबी पु० [प्र० शोदी ] हबश देश की हब्शी जाति या इस जाति का व्यक्ति ।
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सीमंग
सोधोड़ो सोधोरी- पु० श्रीमाली ब्राह्मणों में विवाह से संबंधित एक रश्म ।
सोधी - पु० १ साधु ब्राह्मणों को भोजन के लिये दी जाने वाली, घाटा-दाल प्रादि सामग्री । २ भोजन सामग्री, खाद्य पदार्थ । ३ देवतानों का नैवेद्य । ४ रसोई, भोजन प्रादि का कार्य । वि० (स्त्री० सीधी ) १ जिसमें वक्रता या घुमाव न हो, समानान्तर, समतल । २ जो किसी की ओर ठीक प्रवृत्त हो, लक्ष्य के अनुसार ठीक । ३ जो कपटी या कुटिल न हो, सरल, सहज । ४ शांत, सुशील, शिष्ट । ५ सामान्य, सुगम । ६ धनुकूल । ७ बनावट में सादगी वाला । ८ ऊपर मुंह किये, चित्त । ९ सुबोधगम्य । १० स्पष्ट, सही, सत्य । ११ चुप, शान्त । १२ उचित, ठीक। - क्रि०वि० १३ बिना रुके या इधर-उधर मुखे । १४ बेरोक-टोक बेहिचक १५ शांति से सभ्यता से । १६ प्रत्यक्ष में । १७ देखो 'संधी' । १८ देखो 'सिद्ध' । १९ देखी 'सि' २० देखो 'सूधौ'
सीनांन देखो 'स्नान' ।
-
सीनाजोरी स्त्री० [फा० सीनः जोरी] ९ उद्दण्डता, जबरदस्ती । २ चोरी या कसूर करके ऊपर से की जाने वाली बहस । सीनाबंद - पु० १ अगले पैर से लंगड़ाने वाला घोड़ा । २ घोड़ का एक रोग । ३ अंगिया, चोली । सोनावड़ी स्त्री० जमीन पर खतरने वाला एक पौधा सोनो- पु० [फा० सीन: ] १ खातो, वक्षस्थल । २ कुच, स्तन । सीप, सोपड़ी स्त्री० [सं० शुक्ति] १ कठोर घावरण बाला एक छोटा जल जन्तु। मुक्तागृह । २ इसका प्रावरण । ३ हाथ की प्रगुलियों पर होने वाला सामुद्रिक चिह्न ४ तर्पण आदि का जल रखने का पात्र विशेष । - वि० श्वेत, सफेद
सीपन ० [सं०] तिज मुक्ता, मोती सीपत, सीपति, सीपती- देखो 'स्रोपति' ।
सीवो-१ देखो 'सीधो' । २ देखो 'सिद्धों ।
सीध - स्त्री० १ किसी निश्चित लक्ष्य की दिशा । २ ठीक सामने की दिशा, जिसमें कोई घुमाव फिराव न हो। ३ समानान्तर दिशा या स्थान ४ पंक्तिबद्ध, शृंखलाबद्ध । ५ प्रस्थान रवानगी । ६ देखो 'सिद्ध' ।
सीपसुत, सीपसुतरण (न) - पु० [स० शुक्ति-सुतन] मुक्ता, मोतो ।
सीघ्रा देखो 'सिया' ।
सीधाई - स्त्री० १ सीधा, सरल या सहज होने की अवस्था या सोपारी- पु० [फा० सिपार] कुरान का एक अध्याय । भाव । २ समानान्तर या सपाट होने की दशा । सोधापण (गो) - पु०१ सीधा होने का भाव, सरलता । सोबध सोबंधव सीबंधु - देखो 'स्त्रीबंधु' । २ भोलापन । ३ सादगी । ४ छल, कपट से रहित । सीबी देखो 'सबी' । सीधी स्त्री० ऊंट की एक चाल विशेष वि० [सीधी-सादी, सीख, सोबल, सीख देखो 'सोय' । - सोब्रक्ष, | सीमंग पू० चन्द्रमा ।
सरल ।
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सोपनी - स्त्री० [सं० शिप्र ] १ दरियाई नारीयल का संपुटनुमा भिक्षा पात्र । २ सीप का, चम्मचनुमा संपुट । सीपर - देखो 'सिपर ' ।
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सोमंत
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सीमत - पु० [सं०] १ शिर के बालों की मांग । २ सीमा रेखा सीयाळ (ल) - देखो 'गळ' |
या चिह्न । ३ देखो 'सीमन्तोन्नयन' ।
सोमंतक - पु० [सं०] १ स्त्रियों के शिर में मांग निकालने की क्रिया । २ मांग में भरने का सिन्दूर । ३ एक नरक का नाम । ४ जैनियों के सात नरकों में से एक नरक का श्रधिपति । ५ नरक विशेष का रहने वाला । सीमंतनी स्त्री० [सं०] सीमंतिनी] महिला स्त्रो, नारी सीमंतोन्नयन - पु० [सं०] हिन्दुनों के दश संस्कारों में से तृतीय संस्कार जो गर्भाधान के चौथे, छठे, घाठवें मास में होता है। सीमंधर - पु० प्रथम विमान जिनेश्वर का नाम । (जैन) सीम स्त्री० [सं०] १ जंगल, वन । २ समय, वेला । ३ देखो 'सीमा' । क्रि० वि० तक, पर्यन्त । सीमरण-स्त्री० एक प्रकार की घास । सीमत, सीमती देखी 'श्रीमति'
सीमांत पु० जहां सीमा का धन्त होता हो, सरहद सीमा स्त्री० [सं०] १ किसी प्रदेश या स्थान के विस्तार का अन्तिम छोर किनारा । २ सरहद का पत्थर, सीमा चिह्न । ३ मर्यादा ४ तट, किनारा। ५ जोड़। ६ अन्तरिक्ष ।
1
( ७२६ )
७ खेत क्षेत्र ८ गर्दन का पिछला भाग । ९ विभाजक
,
रेखा । १० प्रण्डकोश |
सीमाड़ पु० सीमावर्ती राज्य, पड़ोसी राज्य क्रि० वि० १ सीमा पर । २ देखो 'सीमा' |
सीमाडी- वि० सीमा का सीमा सम्बन्धी ।
सीमाड़ी देखो 'सीमा
सीमाडउ (डी) - वि० सीमा पर या पडोस में रहने वाला । सीमाणी (बो) - देखो 'सींवाणी (बी) ।
सीमार पु० बढ़ई का एक प्रोजार ।
सीमावरोध- पु० १ सीमा निरधारण, हदबंदी । होने वाला अवरोध |
सोयापक देखो 'सहायक
सीमार देखो 'सियार, सगाळ, सार'।
सीमका स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी । सोमीतमुख पु० [सं० [सीमितमुख] नासमझ, मुर्ख ।
सीमेण स्त्री० १ सीमा, सरहद । २ मर्यादां । ३ वन, जंगल । सीय पु० [सं० शीत ] १ शीत, सर्दी, जाड़ा । २ देखो 'सीता' । सोब-देखो 'सीधी।
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सीमाळ, सीयाली क्रि० वि० शीतकाल में सर्दी में - वि० शीतल, ठंडी |
सोयाल, सीयालक - देखो 'स्यालक' |
सीयाळ, सीयाळू पु० १ खरीफ की फसल । २ शीतकाल में
उत्तर की प्रोर से चलने वाली ठंडी हवा ।-वि०१ शीतकाल सम्बन्धी | हेमंत ऋतु का । २ शीतकाल में पकने वाली । सीयाली - पु० [सं० शीतकाल] १ शीतकाल, शरदऋतु । २ ठंडक ३ प्रत्यन्त ठंडा मौसम |
सीयो-देखो 'सीघ्रो' ।
सीयौदाउ - पु०पहले जाड़ा लगकर बाद में उष्णता देने वाला ज्वर । सोर पु० १ साझा हिस्सा, भागीदारी २ भाग हिस्सा। ३ लाभ । ४ स्रोत, धारा, प्रवाह ६ फब्बार, धारा ७ नश, शिरा सगत, सोहबत । १० संबंध, मेल-मिलाप । ११ समागम, सगम । १२ स्तनों में दूध वाली नशें ।
५ हल, लांगुल । साथ, संग। ९
सीरसक
सीरख (रूप, रथी) १० [सं० शीत-रक्षक] १ सूर्य, रवि [सं० शीष ] २ शिर, मस्तक । ३ देखो 'सिरक' । सीरखो-देखो 'सारीखो' ।
,
२ सीमा पर | सीरधर पु० [सं०] हल धारण करने वाले बलराम ।
सीस वि० [सं०] शोर्स] १ फटा-पुराना, जीर्ण २ मुरकाया हुषा ३ देखो 'सोरो'।
सौरणकम, सीरम पु० [सं० शीक्रम] यमराज
सीरणी स्त्री० १ किसी को गुरु या इष्ट मानकर चढ़ाया जाने वाला प्रसाद, नैवेद्य [सं० शीतलिनी] २ मिठाई । ३ मनौती, संकल्प । ४ नजराना ।
सोरदार वि० १ साझेदार हिस्सेदार २ देखो 'सरदार'
सीरध्वज पु० [सं०] १ बलराम का एक नाम। २ सीता के पिता जनक का नाम ।
1
सीरवी सीरपो पु० १ भागीदारी, हिस्सेदारी । २ लाभ । ३ भाग्य का लेख |
सीरवी (धी) स्त्री० [हिस्सादारी साझेदारी
सीरमा स्त्री० वर्षा के पानी से ही रबी की फसल देने वाली कृषि भूमि ।
सीमाळ १० भुगाल, स्थाल
सीयल - पु० १ शीतलनाथ स्वामी का एक नाम। २ देखो 'सील' सीरवाळ, सीरवाळी - पु० (स्त्री० सीरवाला, सीरवाणी) ३. देखो 'सीतल' । ४ देखो 'सोतला' | हिस्सादार, भागीदार |
सीमसौ वि० [स्त्री० [सोयली) १ शीतल, ठंडा २ देखो
'सीयालो' ।
सोया- देखो 'सीता' ।
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सीरवीरं स्त्री० [सं० शीवि] एक प्रकार की खोर सीरवी - पु० १ एक कृषक जाति विशेष । २ देखो 'सीरी' । सीरस १० [सं० शीर्ष ] १ सिर, मस्तक २ एक प्रकार का वृक्ष । ३ काला धजगर । ४ शिर का रोग | सीरसक - पु० [सं० शीर्षक] १ किसी लेख या कविता प्रादि के
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सीरसोदय
( ७६७ )
सोल्हखानो
ऊपर लिखा रहने वाला उसका परिचायक नाम, बदला । ४ क्षतिपूर्ति हरजाना। हेडिंग। २ सिरा, बोटी ।। खोपड़ी । ४ मस्तक, शिर । सोलणौ (बो)-क्रि० [सं० शोल, सोलनम्] १ वस्तु के एवज में ५ युद्ध के समय शिर पर रखने का टोप । ६ पगड़ी, माफा । वस्तु देना, प्रति उपकार करना। २ चुकाना, देना। ७ फैसला, परिणाम । ८ राहु ।
३ लेना, वसूल करना। ४ मा करना, नमी युक्त करना, सीरसोक्य-पु० [सं० शीर्षोदय] शिर से उदय होने वाली मिथुन, ठंडा करना । ५ बन्द करना, मुहरबन्द करना ।
सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुभ पौर मीन राशियों का सीळता-स्त्री० [सं० शीलत्व] शील धारण करने की अवस्था सामूहिक नाम । (ज्योतिष)
या भाव। सीरांमण, सीरांमणी, सीराबरण (णी)-देखो 'सिरांमण'। सोळबरत, सीलव्रत-देखो 'सीळवत'। सीराज-पु० [फा० शीराजः] १ पुस्तक की सिलाई के छोर पर | सीलवंत-देखो सीलवान' ।
सुन्दरता के लिए लगाया जाने वाला फीता । २ प्रबध, | सीलवंती, सीलवती-वि० [सं० शीलवती] | पतिव्रता । २ ब्रह्म इन्तजाम । ३ क्रम, सिलसिला । ४ ईरान का एक प्राचीन चारिणी। ३ अच्छे प्राचरण वाली। ४ शोल धारण नगर ।
करने वाली। सौराफिरणी-स्त्री. शिर का एक प्राभूषण विशेष ।
सीलवरणो-देखो 'सोलणों'। सीराबरणो (बो)-देखो ‘सराणो' (बी)।
सोलवणी (बो)-देखो 'सोलणी' (बी) सीरावा-स्त्री. कूमों की खुदाई का काम करने वाली एक | सीलवान-वि० (स्त्री० सीलवंती) १ सदाचारी । २ ब्रह्मचारी। जाति विशेष ।
३ अच्छे स्वभाव या पाचरण वाला। ४ शील धारण सौरावाविद्या-स्त्री. भू-गर्भ में पानी का पता लगाने की करने वाला। विद्या, कला।
सोळवत, सीलव्रत-पु० [सं० शील-व्रत] १ जैन धर्म के पांच सीरावी-पु० [सं० शिरावाह] १ भू-गर्भ से पानी का पता | अणुव्रतों में से एक । २ ब्रह्मचर्य व्रत । ३ पतिव्रत धर्म ।
लगाने वाला व खारा-मीठा होने की पूर्व सूचना देने वाला | सीलसमजथा-स्त्री. डिंपल काव्य में गीत रचना का एक व्यक्ति । २ 'सीरावा' जाति का व्यक्ति।
नियम। सीरी-वि० (स्त्री० सीरण, सारणी) १ हिस्सेदार, साझेदार, | सोळसातम-स्त्री० [सं० शीतलासप्तमी] चैत्र मास के कृष्ण पक्ष
भागीदार । २ उत्तराधिकारी ३ साथी, सगाती । ४ हक की सप्तमी, जिस दिन शीतला देवी की पूजा होती है। पाने का अधिकारी। ५ सहायक, मददगार ।-पु०१ | सीलांगो-वि०पालसी सुस्त । बलराम। २ देखो 'सिरी'। ३ देखो 'नी'।
सीलांगो, सीलांमणो-देखो 'सोलो' । सीरूखो-देखो 'सारोबो'।
सीलाम-देखो 'सलाम'। सीरोळी-वि० (स्त्री सोरोळो) १ साझेदारी का, सामूहिक । | सोला-स्त्रो० वालु प्रभा नामक नरक (जैन)। २ जिसके कई हकदार हों।
सोलाणो (बो)-क्रि० १ हरजाना वसूल कराना । २ प्रतिकार सीरोही-देखो "सिरोही'। .
- करवाना। ३ ठंडा करना। सीरी, मोरो-पु० [फा० शीर] १ मैदे, पाटे, बेसन, सूजो, दाल | सोलाधु-स्त्री० एक काल्पनिक पाषाण शिला जिस पर मौ लाख
पादि का हलुवा । २ हलवे की तरह बना कोई पदार्थ । । देवियां एकत्र होकर नृत्य करती हैं । सोळ, सील-पु [म० शील] १ सप्राचरण, सदाचार । सीताबरणो (बो)-देखो 'सीलाणो' (बी)
२ नैष्टिक-ब्रह्मचर्य । ३ संयम । ४ प्रतिव्रत धर्म, पातिव्रत्य। सोळी, सीली-स्त्रो० १ लकडी, बास, घास पादि का बारीक ५ लज्जा, संकोच शर्म । ६ चरित्र, पाचरण, चाल-चलन, | जुगा, फराण । २ उस्तरा तेज करने का पत्थर का टुकड़ा। नैतिकस्तर । ७ गुण, लक्षण । ८ स्वभाव, पादत, टेव । ३ भूमि की नमी, पाता। विवाह संबंधी एक रश्म । ९ सम्मान, पादर । १० अनुशासन ।-स्त्री० [सं० शीतल] -वि० १ ठंडी, शीतल । २ देखो 'सीलवती' । ११ भाद्रता, नमी। १२ गाय की, ऋतुमति की अवस्था। सीलंखांनो-देखो 'सिलहखांनी'। १३ प्रतिज्ञा, वादा, वचन । १४ देखो 'सीतळा' । -वि० | सोलोनो-स्त्री० एक प्रकार की तलवार जिसको मूठ पर सिंह १ प्रवृत्त, तत्पर । २ स्वभावयुक्त। ३ धैर्य। ४ विनम्र, की प्राकृति बनी होती है। शिष्ट । ५ पवित्र, निर्मल ।
सीळी, सोलो-वि० (स्त्री० सीळी) १ ठंडा, शीतल । २ कायर, सीळमाठम-देखो 'सीतळास्टमी' ।
- कातर । ३ भाद्र, नम । सीलगो-पु.१ एवज, बबला। २ प्रति-उपकार । ३ प्रतिकार, / सोल्हैखांनो-देखो 'सिलहखांनो'।
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सीव
( ७६८ )
सीव-पु० [सं० सीमा] १ ईश्वर । २ परब्रह्म । ३ देखो सीमा'। सीसी, सीसी-स्त्री० [फा० शीशी] तेल, इत्र, दवा भादि रखने ४ देखो "सिव'।
के काम पाने वाला शीशे का पात्र । सोवरण-1 देखो 'सेंवरण'। २ देखो 'सींवरण' । ३ देखो ‘सीवन'। सोसो-पु० [सं० सीसक] १ नीलापन लिए काले रंग का एक सीवरगो-देखो 'सींवरणो'।
मूल धातु जो तोल में भारी होता है। २ बालू या खारी सीवणी (बौ)-देखो 'सींवरणी' (बो)।
मिट्टी को भाग में गलाने से बनने वाला एक पारदर्शक सीवन-स्त्री. १ सिलाई का कार्य, सिलाई। २ सिलाई का मिश्र धातु । ३ दर्पण, माईना। ४ तेल मादि डालने का ___ जोड़ । ३ सीमा, मर्यादा । ४ देखो 'सीवनी' ।
संकरे मुह का लम्बा पात्र, बोतल । सोवनी-स्त्री० [सं०] लिंग के नीचे से गुदा द्वार तक बनी रेखा। सीह-१ देखो "सिंघ' । २ देखो 'सीत'। सीवर-देखो 'स्रीवर'।
सोहदुमार, सीहदुवार, सीहद्वार-देखो 'सिंहद्वार' । सोवळ-पु० [सं० शीतला] चेचक का रोग, शीतला रोग । सीहरू-पृ० शेर, सिंह। सीबाड़ो-देखो 'सीमाड़ो'।
सोहलोर-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष । सीविका-देखो 'सिविका'।
मोहली-पु०१ एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा । २ देखो सिंह' । सीवक्ख, सीव्रक्ष, सीव्रख-देखो 'स्रोतक्ष'।
सोहवणी-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष । सीस-पु० [सं० शीर्षम्] १ मस्तक, शिर । २ ललाट, भाल । | सीहवाग-पु. १० क्षत्रिय वंश विशेष ।
३ खोपडी, कपाल । [सं०शिष्य ४ शिष्य, चेला, शागिर्द। सोहाणी (बी)-क्रि० प्रशंसा करना, सराहना । -कि०वि० पर, ऊपर।
सीह, सोहू-देखो 'सिंध' । सीसकरणौ (बो)-देखो "सिसकणो' (बी)।
सोहो-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा। सीसहलो, सोसडो-देखो 'सोस'।. .
सु-सर्व. १ उसका । २ क्या । ३ करण व अपादान का चिह्न। सीसढ़ाळ-स्त्री. एक वाद्य यंत्र विशेष ।
-क्रि०वि०१ से। २ द्वारा, मार्फत । ३ अपेक्षा में। सीसतारण-पु० फारस और अफगानिस्तान के बीच का प्रदेश, ४ प्रारंभ से । ५ पर। ६ से, को। ७ के द्वारा। ८ के सीस्तांन ।
साथ, सहित । ६ क्यों, क्योंकर । -वि०१ पूर्वक, सहित । सोसत्रांरण-पु० [सं० शीर्ष त्राण] १ शिर का कवच, टोप । २ देखो 'सु'। २ टोपी, पगड़ी, साफा ।
सुमाळ-स्त्री. १ चिकना होने की अवस्था, चिकनाहट, सीसपत्र-पु० [सं०] १ सीसा नामक धातु । २ इस धातु का | स्निग्धता । २ देखो 'सुबाळी'। पत्तर, चद्दर।
. | सुखड़ो-पु० बादाम, दाख पादि स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ । सीसकूल-पु. औरतों के शिर का एक स्वर्णाभूषण। सुखणी, सुखनी, सुखिली (नी)-देखो 'संखणी'। सीसम-पु० [फा० शीशम] १ एक प्रकार का वृक्ष । २ इस सुग-पु० [सं० शुग] १ मगध पर शासन करने वाला एक
वक्ष की लकड़ी जो इमारती सामान में काम पाती है। क्षत्रिय वंश । २ प्रावला। ३ वटवृक्ष, बरगद । ४ गेहं, सीसमेहल, सीसमै'ल-पु० [फा० शीश-प्र० महल] वह कमरा चावल प्रादि के पौधे पर पाने वाली बाल । ५ पाकड़ वक्ष। .. ___ या मकान जिसकी दीवारों में शीशे जड़े हों।
सुगण-१ देखो 'सुगंध' । २ देखो 'सकुन' । सीसय-देखो "सिस्य'।
सुगवस -पु० [सं० शुगवश] एक क्षत्रिय वश । सीसवद-पु० सीसोदिया वंश का व्यक्ति ।
सुघणी (नी)-१ देखो 'सूघणी' । २ देखो 'सांगणो' । सीसवि-पु० [सं० शिशपा] एक वृक्ष विशेष, सीसम ।
सुधारणा (बो)-क्रि० सूचने के लिये प्रेरित करना, सुघाना । सीसांणी-स्त्री० तोप।
सुज-स्त्री० तयारी। सीसागर-पु. १ काच की चूडियां बनाने वाला कारीगर। सुठ, सुठि, सुठो-देखो 'सूठ' । २ शीशा बनाने वाला कारीगर ।
सुड-पु० [सं० शुण्ड] १ हाथी को कनपटी से बहने वाला मद । सीसागरी-स्त्री. १ मांस खाने के उद्देश्य से मारे गये बकरे के २ देखो 'सूड'। . शिर का मांस । २ सीसागर का कार्य या हूनर ।
सुडडंड, सुडबंड-देखो 'सूडादंड'। सीसाड़णो (बी), सीसाणी (बी), सीसावणो (बो)-क्रि० मुंह सुभुसंड (भुसडि, भुसंडी, भुसुड, डि, डो)-पु० [सं० शुड से सी-सी की ध्वनि करना, सीत्कार करना ।
भुशडि] हाथी, गज। -वि० मस्त, उन्मत्त । सीसिक-पु. १ काच, दर्पण। [सं० सीसक] २ रांगा नामक सुडा-स्त्री० [सं० शुण्डा] १ हाथी की सूड । २ वेश्या, रण्डी। धातु । ३ शिर, मस्तक ।
३ मदिरा, शराब । ४ कुटनी स्त्री।
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सुबाउंड
( ७६६ )
सुडाउंड (ङ)-देखो 'सूडादंड' ।
सुबुक-स्त्री० [फा०] बड़ी नाव के साथ रहने वाली छोटी सुडाउंबर-पु. १ हाथी, गज । २ गणेश, गजानन ।
__नाव, किश्तो। सुहावंड-देखो 'सूडादंड' ।
सुबुल-स्त्री. १ गेहूं, जो प्रादि को बाल । २ एक प्रकार की सुडार-पु० [सं० शुण्डार] १ हाथी को सूड । २ माठ वर्ष की सुगधित औषधि । ३ बारह राशियों में से कन्या राशि । प्रायु का हाथो । ३ देखो 'मूडाळ' ।
४ बालों की लट, मलक। सुडाळ, सुडाळको, सुडाळी (लो), सुडाहळ (लो)-देखो सुबौ-पु० [देश॰] १ तोप की नाल साफ करने का गज । _ 'सूडाळ'।
२ तोप की नाल ठंडी करने का गीला वस्त्र । ३ लोहे में सुडि, सुटी-स्त्री० [सं० शौंडिन्] १ पिप्पलो नामक लता या छेद करने का घौजार विशेष । उसका फल । २ देखो 'सूडी' ।
| सुभ-पु० [सं० शुम्म एक असुर जो दुर्गा के हाथों मारा गया। सुगरणी (बो)-देखो 'सुणणो' (बो)।
-घातरण, घानणी (नो), घातिण (णी, नी) -स्त्री० सुदर-वि० [सं०] १ जो दिखने में अच्छा लगता हो, मनमोहक, देवी. दुर्गा ।
मित्ताकर्षक । २ खूबसूरत, म्वरूपवान । ३ अच्छा, भला, सुभनिस भ-भांजणी-स्त्री० [सं० शुभ-निस भ-भत्रो] १ दुर्गा, बढ़िया । ४ ठीक, सही । ५ सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम । ६ सुधट. देवी। २ पार्वती। सुड़ित। ७ पवित्र, स्वच्छ । ८ सौन्दय के मानदण्ड के सुभपुरो-स्त्री० [सं० शुभ-पुरो] शुभ नामक राक्षस का नगर । अनुसार, श्रेष्ठ । ९ कला व रचना की दृष्टि से उच्च । सुममांजणी, सुभमरदणी (नी), सुभमरविणी (नी)-स्त्रो० -पु०१ ईश्वर, परमात्मा । २ बालक, बच्चा । ३ कामदेव, शुभ राक्षस को मारने वाली देवी। मदन । ४ लंका स्थित एक पवंत। ५ एक प्रकार का सुमड़ो- १ देखो 'सुम'। २ देखो 'सूम'। वृक्ष । ६ लडकी या स्त्री के लिये प्रयुक्त संबोधन । ७ एक सु मरणो (बो), सुबरणो (बो)-१ देखो 'समरणो' (बो)। प्रकार का मात्रिक छन्द । ८ डिंगल के वेलियो सारणोरे २ देखो 'संवरणों' (बी)।
छन्द का एक भेद । --स्त्री०९ पृथ्वी । १० देखो 'सुदरी'। सुवराणो (बौ), सुवरावणो (बो)-क्रि. १ बाल कटवाना, सुदरता, सुदरताई, सुदराई-स्त्री० १ सुन्दर होने की अवस्था हजामत या दाढ़ी बनवाना। २ देखो 'संवराणी' (बी)। या भाव । २ नौन्दर्य , शोभा, झलक ।
सुवार-देखो 'सबार'। सुदरबाई-स्त्री० बेला चारण की पुत्री एक देवी। | सुवारण-देखो ‘संवारण' । सुबरि, सुबरी-वि० [सं० सुन्दरी] १ सुन्दर, रूपवती। | सुवारणी (बो)-देखो 'संवारणो' (बो)।
२ प्यारी, प्रियतमा, वल्लमा । -स्त्री० १ पत्नी, स्त्री। सुवार, सुबारी-देखो 'सवारै'। २ दुर्गा, पार्वती! ३ सुन्दर स्त्री । ४ रुक्मिणो। ५ त्रिपुर सु वाळ-१ देखो 'सु'वाळो' । २ देखो 'सुपाळ' । सुन्दरी देवो। ६ एक योगिनी । ७ इलदो । ८ नाव बनाने | सु वाळी-स्त्री० [सं० सुकमारिका] तेल में तली खाद्य वस्तु की लकड़ी। ९ एक प्रकार का वाद्य । १. एक प्रकार का विशेष । वर्ण वृत्त ।
सुवाळी-वि० (स्त्री० सुवाळी) १ कोमल, मुलायम । २ चिकना सुदरु सुबरू - देखो 'सुदर'।
स्निग्ध । -पु० जुलाहों का एक प्रोजार विशेष । सुबळी-पु. १ मकान की छत पर किया जाने वाला चूने-मसाले सुवी-वि० (स्त्री० सुवी) १ सीधा, सही स्थिति में । २ देखो ____ का लेपन । २ चूना। ३ देखो 'संदळो।
। 'समौ'। सुदुस-पु० [सं०] अत्यन्त महीन व बहुमूल्य रेशमी वस्त्र । सुस-देखो 'सूस'। सुधाखांणी (नौ)-देखो 'सौंधाखानी'।
| सुसाड़ो-देखो 'सूसाड़ो' । सुधौ-देखो सौधो'।
सुह-देखो 'सूस'। सुन, सुन्य-१ देखो 'सुन्न' । २ देखो 'सून्य' ।
सुहगो-देखो 'सूगो'। (स्त्रो० सुहगो)। सुपणो (बी)-देखो 'सूपणो' (बी)।
सुहाळ-१ देखो 'सुपाळ'। २ देखो 'सुवाको' । सुब-पु० [फा० सुब] १ लोहे में छेद करने का उपकरण । | सुहाळी-स्त्री० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ विशेष ।
२ लकड़ी में छेद करने का उपकरण । ३ जमीन खोदने का | सुहाळो-देखो 'सु'बाळो' । उपकरण । -स्त्री० [सं० शुब्ब] ४ होरी, रस्सो। ५ देखो | सुहिणी, सुहीणो-देखो 'सुहिणो' । 'सुम'। ६ देखो 'सूम'।
सु-पु० [स० शु] १ पल। २ पलास । ३ चौद, चन्द्रमा । सुबड़ो-१ देखो 'सुम'। २ देखो सूम' ।
४ शुक, तोता। ५ पत्थर, पाषाण । ६ कैलाश पर्वत ।
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सुप्रटो
( ८०० )
सुपिच्छक
-पु०७ घोड़ा, अश्व । ८ नख, नाखून। ९ गधा । 'सूचि'। ४ देखो 'म.ति' । १० समूह, झुण्ड । ११ मोर की तेज आवाज, कुहुक । | सुए-देखो 'सो'। [सं० सु] १२ रवि, सूर्य । १३ ध्वनि, पावाज । सुऍन-पु० सूर्य, रवि । १४ कुल्हाड़ी, कुठार । १५ परशु । १६ तीर । १७ छेदन । सुऔ-देखो 'सूवो' । १८ सुथार, बढ़ई । १९ सुन्दरता । २० उन्नति, प्रगति । सुग्रीरोग-पु० सूतिका रोग। २१ मानन्द, प्रसन्नता । २२ समृद्धि । २३ पूजा, पर्चना। सुकट, सुकंठ-पु. [सं० सुकण्ठ] १ बाली के भाई सुग्रीव वानर २४ कष्ट, तकलीफ । २५ अनुमति, माज्ञा, सहमति । का एक नाम । २ सुरीली या मीठी पावाज । -वि० १ मच्छा, भला । २ अच्छा, बढ़िया । ३ श्रेष्ठ, सुकंठी-वि०१ सुरीली व मीठी मावाज वाला । २ देखो 'सुकंठ'। सर्वश्रेष्ठ। ४ उत्तम, पवित्र । ५ सुन्दर, खूबसूरत । सुक-पु० [सं० शुक:] (स्त्री० सुकी) १ तोता, कीर, सुग्गा । ६ सहज, सरल, पासान । ७ उचित, उपयुक्त । ८ अधिक, २ रावण का एक अमात्य । ३ सोच, फिक्र । ४ कई प्रत्यधिक, खूब । -सव० १ स्व, अपना । २ उन, उन्हें, सुगधित पदार्थो का मिश्रण । ५ फलित ज्योतिष का एक उन्होंने। ३ वह, वे, सो। -क्रि० वि० १ संज्ञावाची योग। ६ देखो 'सक्र' । ७ देखो 'सुखदेव' । ८ देखो सुक्र' शब्दों के साथ कर्मधारय भोर बहुव्रीहि समासों में एवं | देखो 'सुख'। विशेषणों के साथ काम में लिया जाने वाला एक प्रव्यय | सुकड़णी (बी), सुकड़ाणी (बी), सुकड़ावणी (बी)-देखो शब्द । २ भली भांति, अच्छी तरह। ३ सरलतापूर्वक, _ 'सिकुड़णों' (बो)। सहज ही। ४ इसलिये । ५ ही। ६ पादपूरक वर्ण। | सुकचरण-देखो 'संकुचरण' । ७ देखो 'सु' । ८ देखो 'इसु'।
सुकचाणो (बो)-देखो 'संकुचणो' (बी)। सुप्रटो-देखो 'सूबटो।
सुकच्छ, सुकछ-वि० [सं० सु+कच] १ पच्छे केशों वाली। सुपरसो (बो)-देखो 'सूवणों' (बौ)।
. [स० सु-कक्ष] २ सुन्दर कक्ष वाली । ३ सुन्दर वस्त्रों वाली। सुप्रन-पू० [सं० सूनु] पुत्र, बेटा।
सुकजारणी (बो)-देखो 'संकुचणी' (बी)। सुपर (ो)-देखो 'सूवर'।
सुकटि-वि० [सं०] जिसको कमर सुन्दर हो, पच्छी कमर वाली। सुपरवंती-पु. एक प्रकार का हाथी जिसके दांत नीचे की ओर -स्त्री० १ अच्छो कमर, सुन्दर कमर । २ सुन्दर कमर ___झुके रहते हैं।
वाली स्त्री। सुनामी-देखो 'सामी'।
सुकतज, सुकतिज-देखो 'सुक्तिज' । सुपागत-देखो 'स्वागत'।
सुकतड, सुकतुंड-पु० [सं० शुक्रतु'ड] । तोते की चोंच । सुपाड़ी-देखो 'सुवाड़ी'।
२ तांत्रिक पूजा में हाथ की एक मुद्रा। -वि० सुन्दर नाक सुमार-पु० १ नापित, नाई, हज्जाम । २ देखो 'संवार'। वाला। सुमारथ-देखो 'स्वारथ'।
सुकथ, सुकथन-पु. [सं० सुकथन] १ गुण-कथन, कीर्तिगान । सुप्रारथी-देखो 'स्वारथी'।
२ कीति, यश । ३ अच्छी बात, चर्चा । ४ कहने का सुधारव-वि० मधुर बोलने वाला।
सुन्दर ढंग। सुमाल-पु. [40] १ खांसी। २ देखो 'सवाल'। | सुकवायक-देखो 'सुखदायक' । सुप्रासन-पु० [सं०] १ बैठने का अच्छा प्रासन । २ बैठने का सुकदेव-पु० कृष्ण द्वैपायन व्यास के पुत्र, एक मुनि । पच्छा ढंग।
सुकन-वि० [म. सु+कर्ण] जिसके कान सुन्दर हों। -पु. सुमाहित-पू० [सं०] तलवार के बत्तीस हाथों में से एक हाथ। १ सन्दर कर्ण, कान । २ देखो 'सुगन'। तलवार का एक दाव ।
सुकनाई-देखो 'सृगन'. सह-१ देखो 'सूई'। २ देखो 'सुचि'। ३ देखो 'सति'। सुकनाधिप, सुकनाधिपत, सुकनाधिपति, सुकनाधिपती-पु. ४ देखो 'सो'।
. [सं० शकुन-अधिपति] पक्षिराज गरुड़ । सुइच्छा-स्त्री० [सं०] १ पच्छी भावना, सद्भावना । सुकनी-स्त्री० [सं० सुकन्या] १ पुत्री, कन्या । २ देखो सकुनि' । २ स्वेच्छा, अपनी इच्छा।
३ देखो 'सुगनी'। सुइणी (बी)-देखो 'सूवणो' (गे)।
सुकन्या-स्त्री० [स.] 1 राजा ययाति की पुत्री जो च्यवन सुइयो-देखो 'सूवौ' ।
ऋषि की पत्नी थी। २ शुभ गुणों वाली कन्या। सुई-पु० [सं० सूचिक] १ दर्जी। २ देखो 'सूई'। ३ देखो | सुकपिच्छक-पु० [सं० शुकपिच्छक] गन्धक ।
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सुकविय
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( ८०१ )
सुकप्रिय सुकप्रिया स्त्री० [सं० शुकप्रिय ] धनार, दाम । सुळाकारी पु० एक प्रकार का शुभ हों वाला घोड़ा सुकमार - देखो 'सुकुमार' ।
1
सुकमारता- देखो 'सुकुमारता' ।
सुकाळ (१) रुपाली (बी) देखो 'कोम' सुकमुख - वि० [सं० शुक्र-मुख] १ जिसका मुख तोते के समान हो । २ टेढ़ा, वन, कुटिल । पु० तोते का मुख । सुकर पु० १ दरी माला २ हाथ कर वि० १ सहन सरल । २ सहज, साध्य । ३ देखो 'सु' । ४ देखो 'सूवर' सुकरणी पु० [सं० सु-कर्मन् ] अच्छा कार्य शुभ कार्य सुरत देखो 'सूत'।
1
1
-
सुकरतळ - पु० छप छन्द का ३५ वां भेद ।
सुति सुकरी-देखो 'क'
सुकरन - पु० [सं० सुकर्मन् ] अच्छा कार्य, सत्कर्म ।
सुरमा वि० [सं०] सुकमित्] प्रच्छा कार्य करने वाला कर्ता ०१ विष्कंभ यादि २७ योगों में से सातवां
1
योग (ज्योतिष) २ विश्वकर्मा ३ विश्वामि । सुकरमी वि० [सं० सुकर्मी ] १ अच्छा कार्य करने वाला । २ जिसका कर्म या भाग्य अच्छा हो । ३ पुण्यात्मा, सदाचारी ।
देवो''।
सुकरवार पु० [सं० शुक्रवार]] शुक्रवार सुकरांणी- पु० १ किसी कार्य में सहयोग करने वाले के प्रति कृतज्ञता प्रगट करने का भाव या शब्द । २ कृतज्ञता के रूप में दिया जाने वाला धन ३ राजा मा जागीरदारों द्वारा लिया जाने वाला कर विशेष । ४ मकान की खिड़की या दरवाजे सबंधी कर विशेष ।
सुरि०वि० [१] शीघ्र जल्दी २ देखो 'कर' |
सुरिस्ट - go सूर्य, भानु ।
नंबर
सुकळ, सुकल- वि० [सं० सकल] १ कोमल, मधुर व प्रस्फुट शब्द करने वाला । २ प्रपने धन का सदुपयोग करने वाला। [सं० शुक्ल ] ३ साफ, स्वच्छ, उज्ज्वल । ४ श्वेत, सफेद, धवल । ५ चमकीला, चमकयुक्त । ६ पवित्र, उत्तम । ७ सत्त्व गुणों से संबंधित, सात्विक ८ दोष रहित, निर्दोष 8 शुभ लाभकर १० प्रकाशवान, प्रकाशयुक्त। - पू० १ ब्राह्मणों का एक वर्ग या पदवी । २ देखो 'कळप' । ३ घोड़े के तालू व कण्ठ में होने वाली भंवरी जो शुभ मानी जाती है।
1
पांगदेखी 'सुयोग'
सुकळपक्ष (पख, पण ) - पु० [सं० शुक्ल पक्ष ] प्रत्येक मास का भ्रमावस्या के पश्चात् से पूर्णिमा तक का समय मास का उत्तराद्धं ।
सुकळांग, सुकलांग वि० [सं० शुक्ल अंग] १ गौर वर्ण ।
२ देखो 'सक्लांग' ।
सुळांवर कांदेवो''
सुळी सुकलो-देखो 'सुकुली' । कब देखो [कवि
देखो''।
सुकी स्त्री० [सं०] मी मीन
1
सुकळी, सुकलीए, सुकळीणी, सुकळीणौ, सुकलीरणो सुकलीन देखो 'सुकुलीण' । को देख सुक्लाब
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सुकवाह, सुकवाहरण. सुकवाहन - पु० [सं० शुकवाहन ] तोते पर सवारी करने वाला, कामदेव |
सुखमा
सुकवि, सुकवी - पु० [सं० सुकवि] १ उत्तम काव्यकर्त्ता, प्रच्छा
कवि । २ चारण । ३ पण्डित |
अच्छा समय । ३ प्रचुरता, बहुतायत । सुकावरणी (बो) - देखो 'सुखाणी' (बो) । सुकित्ति - देखो 'सुकीरति' । सुकिय- देखो 'स्वकीय' । सुकिया - देखो स्वकीया' ।
।
सुकसार स्त्री० महतो, मोन ससारिका स्त्री०यौ० तोता-मैना । सुकसारंकाप्रलापण, सुकसारिकाप्रलापण (न) - पु० [सं० शुकसारिका प्रलापन] १ तोता-मैना को पढ़ाने की क्रिमा | २ स्त्रियों की ६४ कलानों में से एक । सुकाअ - पु० [सं० सुकार्य ] १ भलाई, उपकार । २ यश, कीर्ति । ३ अच्छा कार्य । - क्रि०वि० लिए हेतु । सुकाणी (दो) देखो 'खाणी' (बो)। सुकात वि० नष्ट होने वाला, नश्वर ।
कालिज पु० [सं०] शुक्ति) मोती ।
का सुकाय-वि० १ बड़े धाकार का, दीर्घकाय । २ सुन्दर व श्रेष्ठ शरीर वाला । ३ दृढ़, मजबूत, सशक्त ।
सुकाळ, सुकाल-पु० [सं० मुकाल] १ दुष्काल का उल्टा, सुभिक्ष, प्रकाल का प्रभाव। २ कृषि उपज की दृष्टि से
सुकियाअरथ, सुकियारथ, सुकियारथी- देखो 'सुक्यारथ' । सुकिरत, सुकिरति, सुकिरिति-देखो 'सुकीरति' । सुकिल - पु० शुक्ल पक्ष । सुकीया- देखो 'स्वकीया' ।
"forget" () सकुन - देखो 'सकुन' |
सुकीरत, सुकीरति, सुकीरती स्त्री० [सं० सुकीर्ति ] १ मच्छी ति, सुयश, कीर्ति । २ सराहना बड़ाई । सुकुड़गो (बो), सुकुड़ाणों (बो), सुकुड़ावरणो (बो)- देखो
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सुकुनभेंट
( ८०२ )
सुक्लांबर
सकुनभेंट-पु. १ एक प्रकार की सरकारी भेंट । २ रस्मीतौर | सुक्र-पु० [सं० शुक्र] . अग्नि देव का एक नाम । २ भाग, पर शकुन के रूप में दी जाने वाली वस्तु या धन ।
अग्नि । ३ सौर मण्डल के नवग्रहों में से एक, शुक्रग्रह । सुकुनि, सकुनी-१ देखो 'सकुनि' । २ देखो 'सगनी'।
४ दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य । ५ सप्ताह का छठा दिन, सकुमार-वि० [सं०] १ कोमल, नाजुक । २ सुन्दर । ३ शुक्रवार । ६ नियों के ८८ ग्रहों में से बयालीसवां ग्रह ।
चिकना, स्निग्ध ।-पु. १ नाजुक लड़का या बालिका । ७ ज्येष्ठ मास का एक नाम । [सं० शुक्रम्] ८ पुरुष का २ युवा पुरुष, जवान । ३ ईख । ४ स्वामि कात्तिकेय । वीर्य, धातु । ६ किसी वस्तु का सार, तत्त्व, सत । ५ मेरु पर्वत के नीचे का वन । ६ काव्य का एक गुण । १० रस । ११ निष्कर्ष, परिणाम । [५०] १२ धन्यवाद, ७ चम्पा का वृक्ष या फूल ।
शुक्रिया। -वि० [सं० शुक्र:] १ चमकीला चमकदार । सकुमारता-स्त्री० १ सुकुमार होने का गुण, अवस्था या भाव । । २ उज्ज्वल, स्वच्छ । ३ एकाक्षी, काना । ४ श्वेत। २ कोमलता. नाजुकता ।
सुक्रकर-पु० [सं० शुक्रकर:] मज्जा। सुकुमारवन-पु० [सं०] समेरू के निकट का एक बन । सुक्रत (ति, ती)-पु० [सं० सु-कृतम्] १ दान, पुण्य, धर्म धादि सुकुमारी-स्त्री० [सं०] १ पुत्री, बेटी। २ सुन्दर कन्या, सत्कर्म, पुण्य का कार्य । [सं० सुकृत] २ परोपकार,
सुन्दर लड़की। ३ कुमारी कन्या। ४ कोमल या नाजुक भलाई। ३ इन्द्रासन। -वि० [सं० सकृत्] १ भाग्यवान् । अंगों वाली स्त्री, युवती । ५ चमेली। ६ ईख । ७ शखिनी २ धर्मात्मा, पुण्यात्मा। ३ परोपकारी। ४ दाता, दानी। नामक भौषधि । -वि. जिसके अंग-प्रत्यग कोमल हों, ५ अच्छी तरह किया या बनाया हुपा । -करम-पु. कोमलांगी।
दान, पुण्य, परोपकार मादि सत्कर्म, शुभकार्य । सकुमाल-देखो 'सुकुमार'।
सुक्रतु-पु० [सं० सुक्रतुः] १ मग्नि, भाग। २ शिव, महादेव । सकुळ-पु० [सं० सुकुल] १ उत्तम कुल, श्रेष्ठ वंश । २ अच्छा | ३ इन्द्र । ४ मित्र, वरुण, सूर्य ।
घराना, प्रतिष्ठित परिवार । ३ उत्तम जाति, उच्च वर्ण। | सुक्रत्य-पु. १ ऋषि, तपस्वी, मुनि । २ देखो 'सुक्रत' । सकुलीण, सकुळीरसौ(न)-वि० [सं० सुकुलीन] (स्त्री० सुकुलीण, | सुक्रमण-पु० दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ।
सकुळीणी) १ श्रेष्ठ कुल या उत्तम वंश में जन्मा, उच्च सक्रवार-पु० [सं० शुक्रवार] प्रत्येक सप्ताह का छठा दिन । कुम का, कुलीन । २ मच्छी नस्ल का, नस्ली।
सुक्रसिख (सिस)-पु० [सं० शुक्रशिष्य] शुक्राचार्य के शिष्य, सकुसमा-स्त्री० [सं०] स्कंद को एक मातृका।
दैत्य, असुर । सुकुसुमाकर-पु. छप्पय छंद का ६७ वा भेद ।
सुक्राम-पु० इन्द्र सकोमळ (ल)-वि० [सं० सुकोमल] १ अत्यन्त सुन्दर नाजुक, | सुक्राचारज, सुक्राचारी, सुक्राचारग्य, सुक्राचारच-पु० [सं०
मनोहर । २ मुलायम, नरम । ३ धीमा, मन्द । ४ प्रिय, ___शुक्राचार्य] भृगु ऋषि के पुत्र व दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य । मधुर।
सुक्रित, सुक्रिय-देखो 'सुक्रत'। सक्क-१ देखो 'सुक' । २ देखो 'सुक' ।
सुक्रियथ-देखो 'सुक्यारथ'। सुक्कर-१ देखो 'सक्र' । २ देखो 'सुकर' ।
सुक्रिया-पु० [अ० शुक्रिया पाभार प्रदर्शन, कृतज्ञता ज्ञापन । सुक्करवार -देखो 'सुक्रवार'।
सुक्रीड़ा-स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा का नाम । २ अच्छा सुक्किया-देखो 'स्वकीया।
· खेल। सुक्ख-देखो 'सुख'।
सक्रीत-वि० [सं० सुकीति] जिसका सुयश हो, वीर, बहादुर । सुक्खम-देखो 'सुझम'।
सुक्रोध-देखो 'सकोध' । सुक्खेरण-देखो 'सखेण'।
सुक्ल -पु० [सं० शुक्ल] १ ब्रह्मावीसी का तीसरा वर्ष । (ज्योतिष) सुक्खो-देखो 'सुख'।
२ शुक्ल पक्ष । ३ देखो 'सुकल' । सुक्त, सुक्तिज-पु० [सं० शुक्तिज] मोती । मुक्ता।
सुक्लता-स्त्री० [सं० शुक्ल-ता] १ शुक्ल होने की अवस्था या सुक्यारथ-क्रि०वि० [सं० सु-कार्यार्थ] १ किसी उत्तम कार्य के भाव । २ सफेदी, श्वेतता । ३ चमक. प्राभा । ४ उज्ज्व
लिए, सद् उद्देश्य से । -वि० २ सार्थक, सफल । ३ सद्- लता, स्वच्छता। उपयोग।
सुक्लपक्ख (पक्ष, पख)-देखो 'सुकळपख'। सुक्यारथी-वि० [सं० सु-कार्यार्थी) (स्त्री० सुक्यारथी) १ जो सक्लमास-पु० ज्योतिष के २७ योगों में से एक योग ।
सद् उद्देश्य से कोई कार्य करता हो, शुभ कार्य करने वाला। | सुक्लांग-पु० [सं० शुक्लांग] मोर, मयूर। २ सार्थक, सफल। ३ सद् उपयोग करने वाला। सुक्लांबर, सुक्लांबरा-स्त्री० [सं० शुक्लांबरा] सरस्वती, शारदा ।
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सुक्लापांग
( ८०३ )
सुखमा
सुक्लापांग-देखो 'सुक्लाग'।
-पु. १ विष्णु का प्रासन । २ विष्णु । ३ मित्र, दोस्त । सुखंकरी-स्त्री० जीवंती, डोडो ।
४ भोजन, खाना। सुखंडज-पु० [सं० शिखंडज] बृहस्पति ।
सुखदा-स्त्री० [सं०] १ इन्द्र की एक पप्सरा । २ एक स्कन्द सुख-पु० [सं०] १ मन की वह उत्तम तथा प्रिय अनुभूति जब मातृका का नाम । ३ गंगा नदी। लक्ष्मी । ५ हरीतकी,
वह मुक्त रहकर संतुष्ट व सत्साहित रहता है । शान्ति, हरड़ । -वि० सुखदायक। पाराम । [सं० सुखम्] २ हर्ष, खुशी, पानन्द । ३ भय, | सुखदाप्राण-पु० मित्र, दोस्त। -वि० प्राणों को सुख देने चिन्ता या कष्टों से स्वतन्त्रता। ४ प्रेम, प्रीति, स्नेह ।। .. बाला । ५ दोस्ती, मित्रता। ६ सुविधा, माराम । ७ समृद्धि, | सुखदे, सुखदेव-देखो 'सुकदेव' । सम्पन्नता । ८ कल्याण, मङ्गल । ६ तसल्ली, ढाढ़स । | सुखनबाण-पु० [फा० सुखन-बारण] शब्द बाण, शब्द, ध्वनि । १.सन्तोष, सन। ११ समग, उत्साह । १२ निरोगता; सुखपत (पति, पती)-देखो 'सुसुप्ति' । स्वस्थता । १३ खामोशी, शांति । १४ सरलता, प्रासानी। सुखपात-पु० सुख के पात्र । १५ संधि, सुलह । १६ उपयुक्तता। १७ जल, पानी। सुखपाळ (ल)-स्त्री० १ एक प्रकार का वाहन, पालकी, डाली। १८ स्वर्ग । -वि०१ प्रिय, मधुर, मनोहर । २ धर्मात्मा, २ एक प्रकार का स्वर्ण निमित पलंग। पुण्यात्मा । ३ सरल, सहज । ४ पारामदायक । ५ पच्छा, सुखपोस-वि. जिसका पालन-पोषण सुखमय स्थिति में भला। -अव्य. १ सहर्ष, मानन्द से । २ माराम या हा हो। मासानी से। ३ सहमति से। ४ चुपचाप, शान्ति से। सुखबासं-पु. १ सुख पूर्वक रहने की जगह । २ दुःख के दिन -कंव-वि० सुख देने वाला, भानन्ददायक, सुख का मूल । टालने के लिए किसी स्थान पर किया जाने वाला निवास । -कर, करण, कार, कारी (रो)-वि० मानन्ददायक, ३ माराम से निर्वाह के लिये जन्म स्थान से अन्यत्र हर्षप्रद, सुखी करने वाला। -पु. स्वर्ग। -जनक-वि० निवास। सुखप्रद, सुखदायी। -जननी-स्त्री. सुख की मूल। सुखबासी-वि० १ 'सुखवास' करने वाला। २ मानन्द एवं सुख -दान, दांनो, बाइ, बाइक-वि० सुख देने वाला। से रहने वाला। ३ जन्म स्थान से अन्यत्र सुख से रहने -बात, दाता-वि० सुख देने वाला। -दाय, दायक, | वाला। दायी, बायो-वि० सुखदाई, पाराम या प्रानन्ददायक, सुखम-देखो 'सूक्षम। संतुष्ट, हितैषी। -धाम-पु० स्वर्ग, वैकुण्ठ । सुख का सुखममां-क्रि०वि० सीधे रास्ते से, सुगमता से । स्थान, सुविधाजनक स्थान । -धामी-पु. विष्णु । इन्द्र । सुखमण, सुखमणा (रिण, पी)-स्त्री० [सं० सुषुम्ना] १शरीरस्थ स्वर्गवासी। -वि० सुखवास करने वाला, सुखी।
तीन प्रमुख नाड़ियों में से एक । (योग)। २ वंद्यक के सुखासन-देखो 'सुखासण'।
अनुसार चौदह प्रधान नाड़ियों में से एक। [सं० सुषुम्णः] सुखगंध-वि० सुगंध, महक ।
३ सूर्य की एक मुख्य किरण । सुखग-वि० माराम से चलने वाला, जाने वाला।
सुखम-दुखम-पुल्यो० [सं० सुख-दुःख जैन मतानुसार काल के सुखड़ी-स्त्री. १ एक प्रकार का मीठा खाद्य पदार्थ । २ मिठाई। प्रमुख छः भागों में से एक उप-विभाग। ३ दस्तूरी, हक।
सुखमन, सुखमना (नि, नी)-देखो 'सुखमणा' । सुखड़ो-पु. १ एक प्रकार का खाद्य पदार्थ । २ देखो 'सुख'। सुखममारग-देखो 'सूखममारग' । सुखचतुरषी (चौथ)-स्त्री० [सं० सुख चतुर्थी] वैशाख, भादव, सुखमय-क्रि०वि० [सं०] १ सुख पूर्वक, भानन्द पूर्वक । -वि. पौष व माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि।
२ सुखी। सुखचार-पु० बढ़िया घोड़ा।
सुखमल-देखो 'सुखमल'। सुखी-देखो 'सुखड़ी'।
सुखमसुख-पु०यौ० [स० सखम्] जैन मतानुसार काल का एक सुखण-पु०१ परशु, फरसा । २ मंडासा।
विभाग। सुखरणी-स्त्री० सुखी।
सुखमा-स्त्री० [सं० सुषमा] १ प्रामा, कान्ति, दीप्ति, शोभा, सुलत्रिय-पु. काजल।
छबि । २ सुन्दरता। [सं० शुष्मा] ३ ज्योति, प्रकाश । सुखत्री-पु० [सं० सुक्षत्रिय] श्रेष्ठ क्षत्रिय ।
४ शक्ति, पराक्रम । ५ तेज। ६ सूर्य, रवि । ७ महिमा । सुखद-वि० [सं०] । भारामदायक, सुविधाजनक । २ घानन्द ८ एक वर्ण वृत्त । ९ पक्षी। १० देखो 'सुसमा'।
दायक, हर्षप्रद। ३ सुन्दर, मनोहर । ४ प्रिय मधुर । ११ देखो 'सुखमया'।
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सुखमावसब
सुगंधधर
सुखमातसद-पु० [सं० सुषमाऽऽदर्शद] परम शोभा का दर्पण सुखावणी (बो)-देखो 'सुखाणों' (बी)। चन्द्रमा।
सुखावेस सुखावेसु (सू)-क्रि० वि० सुख पूर्वक । सुखमिण-देखो सुखमणा'।
सुखासण (न,नि)-पु०१ पालकी, डोली, सुखपाल । २ पारामसुखरम-पु० सं० सु-ख-रम] सूर्य, भानु ।
दायक पासन । ३ पालथी, कमलासन । सखरात (राति, रात्रि)-स्त्री० [सं० सुखरात्रि] कात्तिक मास | सुखि-क्रि० वि०१ सुख पूर्वक, पाराम से। २ देखो 'सखी'। की अमावस्या की रात्रि।
सुखिऊ-वि० सुखी। सुखरास (रासि, रासी)-वि० [सं० सुख राशि] सर्वथा सुखमय, | सुखिणी-देखो 'सुखी' । सखों का समूह। .
सुखिम-देखो 'सूक्ष्म'। सुखलापांग-देखो 'सुक्लांग'।
सुखियारो-वि० (स्त्री सखियारी) सुखी। सुखलिरणी-देखो 'सुकुलोणी'।
सुखियो-वि० १ सखी। -कि० वि० सुखपूर्वक, पाराम से। सुखलोया-पु० घोड़ों का एक रोग ।
सुखी-वि० [सं० सुंखिन्] १ जिसे किसी प्रकार का दु:ख, सुखवंत, सुखवत-वि० [सं० मुख वत्] सुखी, प्रसन्न ।
कष्ट या परेशानी न हो, दुःखों से पूर्णतया मुक्त । २ हर्षित सखवास-देखो 'सुखबास'।
खुश । ३ संतुष्ट। सुखवासी-देखो 'सुखबासो' ।
सुखीपो, सुखीयो-देखो 'सुखियो। सुखसज्या-देखो 'सुखसेज्या'।
सुखुपती सुखुप्ती-देखो ससृप्ती' । सुखसागर-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर। २ भागवत के | सुखेड़ी (गो)-स्त्री. हरी सब्जी जिसे सुखाकर साक बनाया - एक अनुवाद का नाम ।
जाता है। सुखसाजा-पु० सुख का सामान ।
| सुखेरण (न)-पु० [सं० सुषेण:] १ बालो का श्वसुर व धर्म सुखसाता-स्त्री० [सं० सुख-शांति] १ सुख की उपलब्धि, नामक वानर का पुत्र, एक वानर जो युद्ध-विशारद व वैद्यक
प्राप्ति, पानन्द, कुशल-क्षेम। २ प्रारोग्यता, स्वस्थता। का अच्छा ज्ञाता था।२ विष्णु का एक नामान्तर । सुखसार-पु.१ सुख का सार । २ पटारी, पट्टालिका ।
३ जमदग्नि एवं रेणु के पुत्रों में से एक । कर्ण का एक सखसिज्जा सुखसेज. (सेउजा, सेण्या) सुखसेझ-स्त्री० [सं० सुख- पुत्र । ५ श्रीकृष्ण का एक पुत्र ।
शय्या] १ किसी मृतक के पीछे ब्राह्मण को दिया जाने | सुखोपति-देखो 'सुसुप्ती' । वाला शय्या दान । २ पारामदायक शम्या ।
सुरुख-देखो 'सुख' । सुखसोरठ-पु. एक राग विशेष ।
सुख्खवाई-देखो ‘सुखदाई'। सुखस्यायक-पु. कल्प वृक्ष।
सुख्खम-देखो 'सूक्ष्म'। सुखहारी-वि० सुख का हरण करनेवाला, दुःखदायी । सुख्याति-स्त्री० [सं०] १ कीति, यश, प्रशंसा । २ प्रतिष्ठा । सुखांछक-पु० चन्द्रमा, चांद ।।
सख्यारत, सुख्यारथ-देखो 'सुक्यारथ'। सुखांत-वि. जिसका भन्त सुखमय हो।
सुगव, सगंध, सुगंधउ-स्त्री० [सं० सुगंध] १ मच्छी व प्रिय सुखाकर-वि० सुखदायक, सुखकर ।
गंध । महक । खुशबू । २ गंधक । ३ चंदन । ४ जीरा । सुखाणी (बो)-कि० १ किसी गीले वस्त्र, कागज या वस्तु को ५ नीलकमल । ६ गंधेज नामक घास, गंध तृण ।
धूप या हवा में फैलाकर रखना, सुखाना । २ पाद्रता दूर | ७ खुशबूदार चीज । ८ बना। मरुवा । १० माधवीलता करना। ३ सूखने के लिये डाल देना। ४ पानी सोखने के ११ सफेद ज्वार । १२ केवड़ा । १३ राल । १४ व्यापारी। लिये प्रेरित करना । ५ दुर्बल या क्षीण करना ।
१५ रुसा घास । १६ शिलारस । १७ देखो 'सगंधित' । सुखायत-पु० [सं०] प्रशिक्षित, सधा हुमाव शीघ्र वश में पाने | सुगधउर-पु०१ हिरण, मृग। २ कस्तूरिया हिरण । वाला घोड़ा।
सुगंधक-पु० [सं० सुगंधक:] १ चन्दन । २ लाल तुलसो । सुखारथी-वि० [सं० सुखार्थी] सुख की इच्छा या कामना ३ पुष्प, फूल। ४ नारंगी। ५गन्धक । -वि. जिसमें करने वाला।
खुशबू हो । खुशबूदार । सुखाळा-वि० १ प्रसन्न चित्त, खुश मिजाज । २ सखी। | सुगंधका-स्त्री० सोन जुही; कस्तूरी। सुखाळी-स्त्री०१ सुख की अवस्था या भाव । २ प्राराम, चैन, | सगंधता-स्त्री० फूल प्रादि खुशबूदार वस्तुमों का गुण-धर्म, महक । . खैरियत ।
| सुगंधधर-पु० केसर । -वि• सुगंध को धारण करने वाला, सुखाळो-वि० (स्त्री० सुखाळी) प्रसन्न, खुश, सुखी।
महकदार ।
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सुगंधमल्यका
सुगाळ
सुगंधमल्यका-स्त्री० [सं० सुगंधमल्लिका] मालती।
सुगनावळी-स्त्री. १ शकुन शास्त्र को पुस्तक । -पु. २ शकुन सुगंधा-स्त्री० [सं०] १ तुलसी। २ सौंफ। ३ रुद्रजटा। शास्त्री।
४ बिजौरा नींबू । ५ काला जीरा । ६ माधवी लता। सुगनियो-देखो ‘सुगनी' । सुगंधाई-स्त्री० सुगध, महक, खुशबू ।
सुगनी-वि० [सं० शकुन+ई] शकुन शास्त्र का ज्ञाता, शकुन सुगंधाकर सुगंधाकार-वि० सुगंध से भरपूर, अत्यन्त सुमंधित ।। बताने वाला । -स्त्री. १ श्यामा पक्षी। २ मोरया पक्षी । सुगधि-वि० [सं०] १ धर्मात्मा, पुण्यात्मा। २ खुशबूदार । ३ शुश्रु त के अनुसार एक बालबह का नाम । ४ अर्जुन।'
महकदार । ३ मधुर। -पु. १ परब्रह्म, परमात्मा।। ५ गाडी के प्रगाड़ी का नोकदार भाग जिस पर जुषा कसा २ सुगंधयुक्त मधुर प्राम। ३ पिपरामूल। ४ बनतुलसी। जाता है (अलवर) । ६ देखो 'सुगरणी। ५ चन्दन । ६ देखो 'सुगंध'।
सुगनो-देखो 'सुगुगो'। सुगंधिक-पु० [सं० सुगंधिकः] १ चन्दन । २ धूप। ३ गन्धक । | संगम-वि० [सं०] १ जहां पर जाना या पहुंचना प्रासान हो,
४ चाबल विशेष । [सं० सुगंधिकम्] ५ सफेद कमल । सहजगम्य। २ सहज, सरल, प्रासान । ३ बोधगम्य । ६ देखो 'सुगंधका' ।
४ जो सहज ही प्राप्त किया जा सके। -क्रि०वि० सरलता सुगंधिका-देखो 'सुगंधका'।
से, प्रासानी से। सुगंधित-वि० सं०] सगध फैलाने वाला, खुशबूदार । महकदार, | सुगमता-स्त्री० १ सुगम होने की स्थिति या भाव। २ सरलता सुवासित।
प्रासानी । ३ स्पष्टता। सुगंधी-१ देखो 'सुगंधि' । २ देखो 'सुगंध' ।
सुगर-१ देखो सुघर'। २ देखो 'सुगुरु'। ३ देखो 'सघई। सुगधीक-देखो सुगंधक'।
___४ देखो सुगरो'। सगड़ (ो), सुगठ-देखो सुघड़।
सुगरथ-वि० १ सद्गुणी, गुणवान । २ उत्तम, श्रेष्ठ । सगढ़-पु० अच्छा गढ़, मजबूत व दृढ़ किला । -वि० बढ़, पक्का ।। सुगरापणी-पु. १ 'सुगरा' होने की अवस्था या भाव । सुगरण-पु. १ इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा, शंखण या शंखनाभ। २ कृतज्ञता ३ कृतज्ञता मानने का गुण। ४ लिहाज,
२ देखो 'सुगन' । ३ देखो 'मुगुणो' । ४ देखो 'सगुण'। | मुलाहिजा ।. . सुगरणी-वि० १ शुभ लक्षणा, गुणवती, गुणवान । २ सुन्दरी, | सुगरीव--देखो 'सुग्रीव'।
रूपसी । ३ देखो 'सुगुणो'। -स्त्री. १ शुभ लक्षणों वाली सुगरो-वि० [सं० स-गुरु] १ एहसान मानने वाला, कृतज्ञ । मुन्दर स्त्री। २ पुत्री।
२ श्रद्धा रखने वाला, भास्था रखने वाला, विश्वास रखने सुगणो-देखो 'सुगुणी' (स्त्री० सुगणी)।
वाला। ३ विनम्र, विनीत । ४ भला । ५ जिसके गुरु हो । सुगत-पु० [स० सुगतः] १ बुद्धदेव का एक नाम । २ पांडु-पुत्र -पु० १ किसी चीज को मजबूती से पकड़ने का लोहे का
अर्जुन । ३ हंस । -वि० १ प्रच्छी तरह गुजरा या बीता मोजार। २ एक उपकरण विशेष जो मीनाकारी प्रादि में
हुमा । २ भली-भांति दिया हुमा । ३ देखो 'सुगति'। . काम प्राता है। सुगति, सुगती-स्त्री० [सं० सुगति] १ किसी प्राणी को मरणो- | सुगळ-पु० पवन, वायु ।
परान्त मिलने वाली उत्तम गति या मोक्ष । २ अच्छी दशा | सुगह-पु०१ प्रच्छी तरह कुचलने, पछाड़ने, झकझोरने की या हालव । ३ चलने का सुन्दर ढग या चाल । ४ अपेक्षित क्रिया या भाव, रोदन, मथन, गाहटन । २ भूसे से कूट कर गति या रफ्तार। ५ सदाचार । ६ शक्ति। ७ सीप । निकाला हुमा अनाज । -वि. १ धुना हुमा । २ मया । ८ एक प्रकार का मात्रिक छन्द ।
हना। सुगन-पु० [सं०शकुन] १ यात्रा की शुरूमात या कार्यारंभ में दिखने | सगांन-पु० [सं० सुगान] प्रच्छा गीत या गायन।
या लक्षित होने वाले चिह्न जो शुभ या अशुभ के सूचक सुगाणी (बी)-क्रि० १ नफरत करना, घृणा करना । २.किसी होते हैं । सगुन, शकुन । २ विभिन्न अवसरों पर शुभ मानी के केवल प्रवगुण जताना। ३ न्यून या हेय समझना।.. जाने वाली वस्तुयें। ३ विवाह का दस्तूर । ४ शुभ मुहूर्त । | सुगात, सुगात्र, सुगाथ-पु० [सं० सुगात्र] १ सुन्दर, शरीर । ५ शुभ मुहूर्त में सम्पादित कार्य। ६ शकुन के लिये किया २ चरित्र या गुणकथन । -वि० सुन्दर, सुकुमार। जाने वाला मांगलिक कार्य । ७ मंगलगीत । ८ गिद्ध पक्षासगार-पू० गीत, गायन । ९ चील ।
सुगारि, सुगारी-स्त्री० कच्चे मांगन पादि के लेपन के लिए सुगनग्य-पु. [सं० शकुनज्ञ] शकुन का जानकार, शकुन शास्त्री बनाया मिट्टी व गोबर का गारा। सुगनचिड़ो-स्त्री० कुछ-कुछ श्याम परों वाली सफेद चिड़िया। | सुगाळ, सुगाल-देखो सकाळ' ।
जान बाला
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सुगाड़ी
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15041
सुगाळी- वि० अच्छे समय में जीवन बिताने वाला । स्त्री० एक
देवी का नाम ।
सुगावणी (बी) - देखो सुगाणी' (बो) ।
सुगिरी - देखो 'सुग्रीव' |
सुगीखो-देखो 'सोगरणी' ।
1
सुगुण- पु० [सं०] १ धच्छा गुण श्रेष्ठ गुण । २ प्रच्छा व्यवहार या प्रदत | ३ देखो 'सुगुणी' । सुखी-१ देखो 'सुख' २ देखो 'सुगी'। सुगुणी - वि० (स्त्री० सुगुणी ) १ श्रेष्ठ एवं उत्तम गुणों बाला, गुणवान गुग्गी । २ शुभ लक्षणा । ३ भाग्यशाली । ४ जो किसी विशेष कला में प्रवीण हो ।
सुगुन- १ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सुगुण' । ३ देखो 'सुगुणों' । सुगुर सुगुरु, सुगुरु-पु० [सं० सुगुरु ] ऐसा गुरु जो अपने शिष्यों को उत्तम ज्ञान देकर उनके चरित्र का निर्माण करे । सुगुरौ - वि० १ अच्छे गुरु से मंत्र लेने वाला । २ देखी 'सुगरी' । सुग्गीब- देखो 'सुग्रीव' ।
सुम्पड़ी देखो 'सुघड़ी'। देखो''।
सुग्यांन - वि० [सं० सुज्ञान] १ उच्च कोटि का ज्ञान, श्रेष्ठ ज्ञान । २ अच्छी बुद्धि, श्रेष्ठ बुद्धि । ३ चतुराई, बुद्धिमानी । ४ सब प्रकार की अच्छी जानकारी । ५ एक प्रकार का साम । ६ देखो 'सुग्यांनी' ।
सुग्यांनी वि० [सं० सुशानी] विद्वान पण्डित शामी १ ज्ञानी, शास्त्रश । । ३ मा २ समझदार, ज्ञानवान विवेकी र दक्ष, निपुण
- पु० [सं०] १ फलित ज्योतिष के अनुसार शुभ ग्रह [[सं० [सुगृह] [२] प्रच्छा पर सुन्दर ग्रह [सं० स्वगृह]
३ अपना घर, स्व-गृह ।
सुग्रही - पु० [सं० सुगृह ] घर ।
सुप्री, सुग्रीव- पु० [सं० सुग्रीव ] १ वानर, राज बालि का छोटा भाई
जो श्रीराम का मित्र था । २ हंस । ३ एक हथियार विशेष । ४ शिव ५ इन्द्र - वि अच्छी गर्दन वाला । सुग्रीवसेन पु० श्रीकृष्ण के रथ का एक घोड़ा | सुग्रीवा स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा का नाम । २ सुन्दर गर्दन सुग्रीवी - स्त्री० [सं०] दक्ष की एक पुत्री जो घोड़े, ऊंट, गधों की जननी मानी जाती है ।
सुग्रीवेस- देखो 'सुग्रीव' ।
सुघड़ वि० [सं० सुघट] १ चतुर, निपुण, होशियार २] समझदार, विचारवान, विवेकी ३ च्छा, बढ़िया
।
४ बनावट से सुन्दर, कलात्मक, सुनिर्मित । ५ मधुर, प्रिय । ६ स्वरूपवान, सुन्दर । ७ जिसकी स्मरण शक्ति तीव्र
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हो । ८ सुशिक्षित -पु० राजस्थानी का एक छन्द विशेष । सुघड़ (ई) - देखो 'सुघड़ाई' । सुघड़ता देखो 'सुघड़ाई।
1
सुघड़पण ( जो ) - पु० १ 'सुघड़' होने की अवस्था या भाव। २ चतुराई, निपुणता, बुद्धिमानी ३ सुन्दरता, खूबसूरती । दुशिता निर्माण कला को विशेषता ६ माधुर्य सुघड़ाई (ई ) - स्त्री० १ चतुराई, निपुणता, होशियारी । २ बुद्धिमत्ता, विवेक दूरदशिता ४ सुन्दरता सूब सूरती ५ सुघड़ होने की अवस्था या भाव। ६ निर्माण कला की विशेषता । ७ माधुर्य । ८ वयं विषय | सुधा पण (ग्गो), सुधापी देखो 'सुपर'। सुपड़ी जी० [सं०] सुघटिका] १ अच्छा समय अच्छी घड़ी, शुभवेला । २ वह समय जब कोई अच्छा कार्य हो । वि० [१ चतुर, दक्ष, प्रयोग २ बुद्धिमान, विवेकी ३ सुन्दर मनोरम । ४ श्रेष्ठ उत्तम ।
सुघड़ी देखो 'सुपड़'
-
सुघट (ड) वि० [सं०] १ सुन्दर
२ सहज प्रासान
1
३ मजबूत दृढ़ ४ अच्छी तरह बना ।-पु० १ सुन्दर, शरीर २ अच्छा पात्र ।
सुघटित वि० [सं०] १ सुन्दर, सुडोल २ सुगठित मजबूत |
सुघड़ देखो 'सुपद'
सचग
सुधर० [सं०] सुह] १ष्ठ पर २
नामक पक्षी ३ देखो 'सु' सुपराह (ई) देखो 'सुपड़ाई'। सुघाट (टो) - देखो 'सुघट' ।
-
सुघोर पु० तीव्र धावाज, ओर का शब्द |
१ ।
सुधोस पु० [सं०] सुपोष] नकुल के संथ का नाम २ एक बुद्ध का नाम :-वि० १ जिसका स्वर सुन्दर हो । २ घच्छी बावाज, स्वर या शब्द
सुड़लो (बी) - क्रि० १ मानन्द के नगाड़े बजाना । २ बेंत या छड़ी से बुरी तरह पीटना | ३ चाटकर खा जाना । ४ रगड़कर इकट्टा करना । सुरथ-देखो 'मुड'
सुडपी - पु० स्वर्ण या चांदी का एक प्राभूषण विशेष सुफ स्त्री० बात विकार के कारण शरीर में रह-रहकर होने वाला दर्द ।
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स्त्री० फुसफुसाहट, कानाफूसी । सुचंग (गौ ) - वि० [सं० सुबङ्ग] १ सुडौल, सुगठित । २ प्रत्यन्त सुन्दर, मनोहर । ३ उत्तम श्रेष्ठ । ४ शक्तिशाली,
बलवान बलिष्ठ ५ शुद्ध, पवित्र, निर्मल ६ मोज व कान्तियुक्त | ७ स्वस्थ, चंगा । पू० १ घोडा, भश्व | २ एक छन्द विशेष ।
1
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( ८०७ )
सुजस
सुष-वि० [स. शुचि] १ स्वच्छ, साफ। २ पवित्र, उत्तम ।। -वि० [स० शुचि] १ शुद्ध, पवित्र । २ उज्ज्वल, स्वच्छ ।
३ धर्मात्मा, पुण्यात्मा । ४ निष्कपट सच्चा, ईमानदार । ३ श्वेत, सफेद । ५ चमकीला। ६वेत, सफेद। ७ ठीक, सही, वाजिब। | सुचित-पु० [सं०] १च्छी बुद्धि, अच्छा ज्ञान । २ शुद्ध मन, -पु० [सं० शुच] १ दुःख, शोक, संताप । २ पीड़ा, दर्द ।। पवित्र मन । ३ निश्चितता, बेफिक्री, मस्ती। ४ मन की ३ खेद, अफसोस । ४ देखो 'सुचि'।
स्थिरता, एकाग्रता। -वि० १ स्थिर मन, एकाग्रचित्त । सुचकर पु० [सं० सुचक्र] सुदर्शन चक्र ।
२ प्रसन्न, खुश। सुचत-पु० कवि ।
सुचितई, सुचिता, सुचिताई-स्त्री० १ सुचित होने की अवस्था सुचतो-वि० प्रसन्न, सन्तुष्ट ।
___ या भाव । २ एकाग्रता, स्थिरता । ३ शुद्धता, पवित्रता । सुचमुखो-देखो 'सूचिमुख'।
सुचितो, सुचित्त-वि. १ प्रसन्न, खुश । २ जिसका चित्त स्थिर सुचरित (तो, त्र)-वि० [सं० सुचरित्र] १ जिसका चरित्र प्रच्छा | व शान्त हो । ३ देखो 'सुचित' ।
हो, चरित्रवान । २ जिसका प्राचरण' व व्यवहार उत्तम सुत्री-देखो 'सुचि'। हो। -पु.१ प्रच्छा व शुद्ध चरित्र । २ अच्छा प्राचरण सुचीत-वि० १ सुन्दर, सुहावना, मनोहर । २ शुद्ध, निर्मल । या व्यवहार ।
- ३ देखो 'सुचित'। सुवरच, सुपरूप-स्त्री० पतिव्रता, सती।
सुचीमुख-देखो 'सूचिमुख'। सुचळ (कि, ळी)-वि० १ स्थिर, चंचल। २ भस्थायी। सुचील-देखो 'सुचित' । -पु. हंस।
सुचेतन-पु० १ विष्णु । २ देखो 'सचेतन'। सुचवणो (बो)-क्रि० कहना, बोलना ।
सुच्छंव-देखो 'स्वच्छंद'। सुचवन-स्त्री० [सं० सुच्यवन] पग्नि, माग ।
सुच्छ-देखो 'स्वच्छ । सुचहिय-वि. [स० शुचि हृदय] शुद्ध हृदय बाला । -स्त्री० सुच्छम-देखो 'सूक्ष्म'। सती स्त्री।
सुच्छमता-देखो 'सूक्ष्मता'। सुचाणक-देखो 'सिंचाण'।
मछंद-देखो 'स्वछंद'। सुचार-वि०१ शुद्ध, पवित्र । २ उत्तम, श्रेष्ठ । ३ सदाचारी, सछम-देखो 'सूक्ष्म' ।
चरित्रवान । -स्त्री. १ प्रच्छी चाल-चलन, भाचरण।। सुछळ (ळि, ळी)-देखो 'छळ' । २ देखो 'सुचारु'।
सृछान-पु० शिव, महादेव । सुचारा-वि० १ शुद्ध, पवित्र । २ उत्तम, श्रेष्ठ ।
सुछिम-देखो 'सूक्ष्म'। सुचार, सुचारू-पु० [सं० सुचारु] श्रीकृष्ण व रुक्मिणी का | सुजग-पु० युद्ध ।
एक पुत्र । -वि० १ अत्यन्त, सुन्दर, खूबसूरत, पतिशय | सुज-सबं० १ वह, वे । २ उसके। ३ उस । ४ वही । -पु. मनोहर । २ उत्तम, श्रेष्ठ । ३ ठीक, सचित ।
| मस्तिष्क, शिर। -वि. शुभ । शुद्ध। -कि०वि० पुनः, सुचाल-स्त्री०१ मच्छी चाल, मच्छी गति । २ उत्तम पाचरण, फिर । पौर। सदाचार । ३ अच्छा रहन-सहन ।
सुजगोस-क्रि०वि० शुद्ध भावना से । सुचाळी-स्त्री० पृथ्वी, धरती। -वि०१ सदाचारी, चरित्रवान ।
सुजड़ (सुजड़ा, सुजयी)-स्त्री. १ तलवार। २ कटार । २ पच्छे रहन-सहन वाला । ३ सुशील । ४ अच्छी चाल
|. ३ भाला। -हत, हय, हपो-वि० जिसके हाथ में तलवार, या गति वाला।
भाला पादि शम्त्र हो। सुधि-स्त्री० [सं० शुचिः] १ पवित्रता, विशुद्धता, स्वच्छता,
| सुजन-१ देखो 'स्वजन' । २ देखो 'सज्जण'। सफाई । २ ईमानदारी, सच्चाई। ३ भलाई, सज्जनता।
सुजनता-देखो 'सज्जनता'। ४ अग्नि, भाग। ५ ग्रीष्म ऋतु, गरमी। ६ पासाढ़ मास
सुजनी-स्त्री०जरी व कारचोब का काम किया हुमा बहुमूल्य वस्त्र की बायु । ७ कश्यप की एक पुत्री। [सं• शुचिस्] | ८ किरण, रश्मि । ९ काति, चमक, पाभा। १० पुण्य, | सुजळ-पु० [सं० सुजल] १ स्वच्छ व पवित्र जल । २ यश, धर्म। ११ ब्रह्मचर्य । १२ पवित्र जन । १३ ब्राह्मण ।
| कीति, बड़ाई। मामा, कान्ति, दीप्ति । ४ देखो 'सजळ' । १४ ईमानदार व सच्चा मित्र । १५ सूर्य, रवि । १६ चन्द्रमा, | सुजस-पु० [सं० सुयश] १ यश, कीर्ति । २ प्रशंसा, तारीफ। शशि । १७ शुक्रग्रह। १८ शगार-रस । १६ चित्रक वृक्ष। ३ ख्याति, बड़ाई। २०मासाढ़ मास का नाम । २१ ज्येष्ठ मास- का नाम। सुजस उ-१ देखो 'सुजस'। २ देखो 'सुजसो' ।
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सुजसान
( ८.८ .)
सुणांमणी
सुजसवान-वि० को तिमान, यशस्वी।
सुझाव-पु. १ प्रस्ताव । २ सलाह, राय, मशविरा । ३ तजबीज सुजसा-स्त्री० [सं० सुयशा] १ एक अप्सरा का नाम । २ राजा । तरकीब । परीक्षित की एक रानी का नाम ।
| सुट्ट -वि० [सं० शुष] १ स्तम्भित, हत-प्रभ भौचक्का । सुजसो-वि० यशस्वी।
२. निश्चल, स्थिर। ३ विमूढ़, जा बुद्धि। ४ प्रचेत, सुजाण (न), सुजाणी-वि० [सं० सज्ञान] १ चतुर, बुद्धिमान । बेहोश । ५ एकाग्रचित्त, तल्लीन ।
२ दक्ष, निपुण। ३ विवेकशील समझदार । ४ विद्वान, सुठांम-पु० [सं० सुस्थान] १ अच्छा स्थान, उत्तम जगह । पंडित। ५ प्रियतम, प्रेमी। ६ सज्जन । ७ ज्ञानी। -पु. २ उत्तम एवं सुन्दर पात्र ।
१पति, खांविद । २ परमात्मा । ३ राजा, नप। सुठि, सुठो-वि० [सं० सुष्टु] (स्त्री० सुठि) १ सुन्दर, मनोहर । सुजाक-देखो 'सूजाक'।
२ उत्तम, श्रेष्ठ। सुजाको-वि० भोर का प्रकाश, रोशनी ।
सुड-वि० प्रच्छा, बढ़िया। सुजाग-वि० १ सावधान, चौकन्ना। २ चैतन्य । ३ सजग। सुडभक-क्रि०वि० अच्छे ढंग से। ४ देखो 'सूजाक'।
| सुडोळ-वि. १. जिसके अंग-प्रत्यंग सुन्दर हों, खूबसूरत । सुजागर-वि० १ जो देखने में अत्यन्त सुन्दर लगे, मनोहर ।। २ पच्छे डील-डौल वाला । ३ कलात्मक बनावट वाला । २ प्रकाशमान ।
सुढंग-पु. १ पच्छा ढंग, अच्छा तरीका । २ अच्छा व्यवहार, सुजाणो (बो)-देखो 'सूजाणों' (बो)।
. अच्छा माचरण । --क्रि०वि० अच्छे ढंग से। सुजात-वि० [सं०] १ विधिवत विवाहित स्त्री-पुरुष से उत्पन्न | सुढाळ, सुढाल-स्त्री० १ अच्छी ढाल उत्तम ढाल । २ सुन्दर
संतान । २ अच्छी जाति या वणं में जन्मा ।-पू० जैनियों। लय या तजं। --वि० १ रक्षक, सहायक । २ सुन्दर । के पांच विहरमानों में से पांचवां विहरमान ।
सुढाळी, सुढालो-वि० १ रक्षक, सहायक । २ सुन्दर, सुडौल । सुजाति-स्त्री. उत्तम जाति या कुल ।-वि० १ उत्तम कुल या सुणप्र-पु० [सं० शुनक] श्वान, कुत्ता। जाति का, कुलीन । २ उत्तम, श्रेष्ठ ।
सुरणपियो-पु० स्वर्णकार, सुनार। सुजाब-देखो 'सुजाव'।
सुणण-स्त्री० सुनने की क्रिया या भाव । सुजायत-वि० जो अच्छो सलाह दे, उत्तम सलाहकार । -स्त्री. सुणणो (बी)-पु० सुनने का कार्य, श्रोता का कार्य । - [म. शुजान+रा. प्र. प्रायत] वीरत्व, शौर्य ।
सुणणो (बो)-क्रि० [सं० श्रवण] १ श्रवणेन्द्रिय द्वारा किसी मन्द, सृजाळ-पु० बलों के 'जूपा' बांधने को रस्सी या तस्मा।
ध्वनि या बात का ज्ञान करना, सुनना । २ प्रवचन, चर्चा सुजाव-पु० [सं० सुजात] १ पुत्र, बेटा । २ शत्रुध्न का एक प्रादि नियमित सुनना, ध्यान देना। ३ किसी चर्चा, बात __ नाम । ३ देखो 'सुझाव' ।
या घटना की जानकारी लेना, मिलना । ४ गौर करना, सुजावणी (बो)-१ देखो 'सुजाणी' (बो) । २ देखो विशेष ध्यान देना । ५ कही हुई बात ठीक समझ लेना । ___ 'सझाणी' (बो)।
६ कोई घटना या बात पूरी जान लेना, प्राद्योपान्त सुजि-देखो 'सुज'।
सुनना । ७ विनती पादि स्वीकार कर लेना। ८ फटकार सजीव-पु० [सं० सुजव] घोड़ा, अश्व ।
या क्टु शब्द सहना, बर्दाश्त करना । सुजीवण-देखो 'सजीवण'।
सुणवाई-स्त्री० १ सुनने की क्रिया या भाव । २ कथन या सुजोग-पु० [सं० सुयोग] १ अच्छा योग, सुयोग । २ संयोगः | प्रवचन के प्रति होने वाला ध्यान । ३ न्यायालय में किसी
मुकद्दमें की सुनवाई। ४ विनती की पोर दिया जाने वाला सुजोधन-पु० [सं० सुयोजन] दुर्योधन का एक नाम ।
ध्यान, स्वीकृति । सुजोर-वि० १ पक्का, दृढ़, मजबूत । २ बलवान, शक्तिशाली। सुणांमणो-स्त्री० मृत्यु संदेश । समरणो (क)-देखो 'सूझणौ' (बो) ।
सुणांमणी (बो), सुगाणो (बौ)-क्रि० १ किसी शब्द, ध्वनि या सुमतौ-देखो 'सूझतो'।
बात का श्रवणेन्द्रिय द्वारा ज्ञान कराना । २ कुछ सुनाकर, सुझाड़-पु० १ चंदन । २ वृक्ष ।
कहना, सुनाने के लिये बोलना । ३ प्रवचन पादि प्रसग सुशाणो (बी)-क्रि. १ सुझाव देना, प्रस्ताव करना । नियमपूर्वक कहना, सुनाना। ४ उपदेश के रूप में कहना ।
२ दिखलाना, ध्यान दिलाना । ३ मार्ग-दर्शन करना, रास्ता ५ कोई बात या घटना विस्तार से कहना । ६ ग्रंथ, बताना । ४ देखने के लिए प्रेरित करना । ५ युक्तियां कथादि पढ़कर समझाना, सुनाना । ७ किसी बात की प्रस्तुत करना ।
पूर्व सूचना देना, मागाह करना । ८ गाकर सुनाना,
अवसर।
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सुनावण
सुहिर - पु० शयनगृह ।
सुखी - क्रि०वि० १ पर्यन्त तक । २ देखो 'सुनी' । सुखी पु० सुनना का निश्चयार्थक रूप
सुणैर- पु० शयनागार, शयन कक्ष ।
सुतंसर देखो 'स्वतंत्र'।
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( ८०९ )
गाना । ९ व्याख्या करना, वर्णन करना । १० प्रार्थना | सुतवावाहण (न) - पु० [सं० सुतपावाहन ] गरुड़, खगराज । या विनती करना । ११ प्रताड़ना देना, कटु शब्द कहना । सुतर पु० [फा० तुर] अंट, उष्ट्र । सुनावण वि० १ सुनाने वाला २ देखो 'सुखांमणी' । सुनावणी (बी) देखो 'सुणाही' (बौ
सुतंतरता देखो 'स्वतंत्रता' ।
सुतंतरी वि० [सं०] स्वतंत्रन्] १ स्वाधीन, मुक्त, जाद २ देखो'तंत्र'
यमराज ।
सुतकासन - पु० [सं० कश्यप सुत] कश्यप ऋषि का पुत्र, सूर्य । सुतकीरति, सुतक्रित्या स्त्री० [सं० श्रुतकीर्ति ] दशरथ सुत शत्रुघ्न की पत्नी, अतकीति । सुतविला स्त्री० [शानिया की मूर्ति । सुत, सुपु० [सं० स्व-तनय) पुत्र बेटा। सुदीप पु० काजल |
सुदेवकी १० श्रीकृष्ण। सुतधर
:- स्त्री० १० रज, धूलि ।
सुतन पु० [सं० सुतनु] १ स्वस्थ व सुन्दर तन, हरीर २ देखो 'मृत' ।
सुतपंड पु० राजा पाण्डु का कोई पुत्र । सुतपवण (न) - पु० [सं० पवन सुत ] २ पाण्डु पुत्र भीमं ।
सुतंत्र - देखो 'स्वतंत्र' |
तंत्र- पु० [सं०] तार वाद्य बजाने में प्रवीण व्यक्ति, वादक । सुत पु० [सं० सुतः ] १ पुत्र बेटा २ राजा, नृप । ३ जन्म कुंडली में लग्न से पांचवां घर (ज्योतिष) ३ देखी 'सुत' । सुतारक पृ० [सं०] धर्क) १२यम सुति-देखो 'भुत'।
-
सुखनउमा पु० [सं० उमासुत ] पार्वती के पुत्र कार्तिकेय, गजानन, गणेश ।
सुतनी - वि० सुन्दर शरीर वाली' सुन्दरी । सुतनु- देखो 'सुतन' ।
सुने पु० [सं०] सुत मेहन ' सतन देखी 'सुतरा, सुतन' ।
बड़ा । सुतपस्वी पु० [सं० सुतपस्विन्] कोई बड़ा तपस्वी तपधारी सुतपा - पु० [सं० सुतपस् ] १ विष्णु । २ सूर्यं । ३ एक मुनि का नाम । ४ एक सूर्यवंशी राजा । सुपागत० [सं० सुतपाभक्त ] इन्द्र
सुतरखानी पु० [फा०] शुदुर-खान:] उष्ट्र शाला । सुतरनाळ (नाळी) - स्त्री० [फा० शुतुर+सं० नाली: ] एक प्रकार की छोटी तोप जो ऊंट पर रखकर चलाई जाती थी ।
। सुतरमुरग- पु० [फा० शुतुरमुगं] एक बहुत बड़ा पक्षी जिसकी गर्दन ऊंट के समान लम्बी होती है ।
सुतराकस - पु० [सं० राक्षस सुत] ऊंट ।
सुतः पु० [सं०] १ प्रत्यन्त सघन एवं सुन्दर बृक्ष । २ श्रेष्ठ एव उत्तम वृक्ष ।
सुम - पु० [स० ब्रह्मसुत ] कामदेव ।
सुतळ - पु० [सं० सुतल ] सप्त प्रधो-लोकों में से एक । सुतस्थान - पु० जन्म कुण्डली में लग्न से पांचवां स्थान | सुतां (न) - देखो 'सुतरण' ।
1
सुता पु० [सं०] १ पुत्री, बेटी लड़की । २ कुदरत, प्रकृति । ३ देखो 'सत्ता' । ४ देखो 'स्वत:'
सुतार देखो 'सुधार' (स्त्री० [सुधारी)
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सुध्याग
सुतियाग - देखो 'सुत्यागी ।
सुतीक्षण - देखो 'सुतीक्ष्ण' ।
सुतीक्षरण खड़गपु० एक प्रकार की तलबार जिसके नीचे का भाग पैना एवं चन्द्राकार होता है ।
सुतीकरण - पु० [सं०] प्रगस्त्य ऋषि के शिष्य एक ऋषि । - वि० जो बहुत तीक्ष्ण या पना हो ।
सुतीरथ पु० [सं० सु-तीर्थ] उत्तम या पावन तीर्थं । सुतुरंग - पु० [सं०] ग्रहों का उच्चांश (ज्योतिष) । सतुरगांव पु० [फा०] जिराफा नामक जतु । सुतेई देखो 'स्वत:'
१ पवन पुत्र हनुमान सुप्त-देखो 'सुत' ।
1
सुतेज - पु० [सं०] १ तीव्र प्रकाश, अच्छा प्रकाश । २ प्राभा, ३ जैनियों के प्रतीतकालीन दसवें तीर्थंकर का
नाम ।
सुते सुभाव कि०वि० [सं० स्वतः स्वभाव ] १. कुदरतन, संयोग से, स्वयमेव । २ अचानक, अकस्मात् ।
सुर्त देखो 'स्वतः'।
सुसिद्ध-वि० [सं०] स्वतस्-सिद्ध] जो अपने बाप सिद्ध हो, स्वयं सिद्ध ।
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H
सुतग- पु० [सं० सूत्रक] कटिसूत्र, मेखला ।
- ।
सुसर देखो 'सुतर' यानी 'सुतरखानी' सुतराइ स्त्री० सूत्र सुनने की रुचि (जैन) ।
सुखसंपात्रो० १ सूत्र संपदा (जैन) २ शास्त्रज्ञ (जैन) । सुत्याग - पु० [सं०] बच्छा त्याग, श्रेष्ठ त्याग ।
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सुमागी
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नाम । २ इन्द्र
( ८१० )
त्यागी दि० बेष्ठ त्यागी, पूर्ण त्यानी विरक्त सूत्र - देखो 'सूत्र
सुना देखो 'सुतरना ।
सुत्रमा पु० [सं० सुत्रामन्] : पुराणानुसार एक मनु का
५ उज्ज्वल, शुभ्र । ६ सुन्दर । ७ सुगंधित ८ स्वादिष्ट । ० छोटा घासन, बिछोना
सुबळ - पु० [सं० सुस्थल ] १ अच्छा स्थान, शुभ स्थान । २ कोई, श्र ेष्ठ भाव -क्रि०वि० उचित ढंग से ।
पु० एक प्रकार का यश
सूरत देखो 'दत्त' ।
सुषम सुश्री - स्त्री०
[सं० सुता] १ पुत्री, बेटी [सं० सु-स्त्री] सुदतपरण (पणो ) - पु० दानशीलता, दानवीरता । २ सुन्दर स्त्री।
सुवता-वि० दातार, दानी । सुवतार देखो 'सुदातार'।
सुभो (बी) क्रि० [सं० स्तम्भनम् ] १ रोकना, ठहराना, थामना । २ पकड़कर रखना, पकड़ना। ३ देखभाल करना, सम्हालना ।
सुबती- देखो 'सुदंती' ।
सुबती- वि०श्र ेष्ठदानी, दानवीर । सुदत्तपु०ष्ठ व उत्तम
सुरण - देखो 'सूर' |
सुधर वि० [सं०] सुस्थिर] १. अडिग घटल २ मजबूत सुदन ० १ दानी दाहार २ देखो 'सुदिन'
पक्का ० १ पृथ्वी, भूमि २ सुधार
सुदपक्ष (ख) ५० (स० सुदिपक्ष] किसी मास का शुक्ल पक्ष । सुबक कि०वि० [अच्छी तरह ढककर या सुरक्षित करके
सुपरसाही- देखो 'सुथरे साही' |
सुथराई स्त्री १ सफाई, स्वच्छता २ चतुराई, निपुणता सुभाव० [सं० शुद्ध भाव] १ मन की पवित्र विचारधारा, - ३] पवित्रता, शुद्धता मच्छी मनोदशा २ निष्कपट, निस्वार्थ व सरवृत्ति । सुथरापर (खौ) - पु० १ सफाई, स्वच्छता २ पवित्रता, शुद्धता, सुवया, सुदयाल (लो, लो) - वि० दयावान, दयालु ।
३] दक्षता, निपुणता ।
सुदर देखो 'मूड'
सुधरासाही, सुथरेमाही - पु० १ गुरु नानक के पुत्र सुथराशाह द्वारा प्रचलित एक सम्प्रदाय । २ उक्त सम्प्रदाय का धनुयायी।
सुबरी वि० [सं० सुस्तर] (स्त्री० [सुची) १ उत्तम श्रेष्ठ। २ बढ़िया उम्दा ३ पवित्र, शुद्ध, स्वच्छ । ४ निष्कंटक |
.
सुथिर - पु० १ एक मात्रिक छन्द विशेष । २ देखो 'सुधर' । सुचिरवास पु० किसी मच्छे व रमणीक स्थान पर निवास । सुवंत, सुवंती पु० [सं० सुदंती ] हाथी, गज । दांत सुन्दर हो ।
वि० जिसके
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सुब० [सं० बुद्धि] १ मास का शुक्ल पक्ष, जब चन्द्रमा की कलाएँ बढ़ती रहती है २ देखो 'ध' ३ देखो 'सुद्ध' । सुबक्खणा, सुवविखरणा, सुवक्षला, सुदक्षिणा - स्त्री० [सं० सुदक्षिणा ] १ राजा दिलीप की एक पत्नी २ श्रीकृष्ण की एक पत्नी । ३ अच्छी दक्षिणा ।
सुदरांणी, सुदरांनी- देखो 'सूद्रणी' ।
सुखी पु० [सं० संस्थान] १ श्रेष्ठ व उत्तम स्थान, जगह सुदरसे - देखो 'सुदरसण' । २ उपयुक्त स्थान । सुयांनक, सुथांनिक- पु० [सं० सुरस्यांन] १ सुमेरु पर्वत । सुबस्सरण - देखो 'सुदरसण' । २ गृह, घर
सुथनौ-देखो 'सुथांन' |
सुधार - पु० [सं० सूत्रकार ] ( स्त्री० सुधारण, सुधारी) १ लकड़ी का इमारती सामान प्रादि बनाने वाली बढ़ई जाति । २ इस जातिका व्यक्ति, बढ़ई । ३ एक प्रकार की चिड़िया -- खानी पु० सुधार का कारखाना । चादेख
सुदामी
सुवरस, सुवरसरण पु० [सं० सुदर्शन] १ विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र २ शिव का एक नाम। ३ गोध, गिद्ध । ४ जम्बूद्वीप । ५ सुमेरु पर्वत का नाम । ६ शुभ दर्शन, महापुरुषों का साक्षात्कार | ७ एक सूर्यवंशी राजा । ८ ज्वर की एक पोषधि । वि० १ सुन्दर, खूबसूरत । २ जो सहज में देखा जा सके। चक्र-पु० भगवान विष्णु के हाथ में रहने वाला चक्र, एक प्रस्त्र - वि० श्वेत, सफेद । -रण-पु०र को एक प्रसिद्ध घोषधि । द्वीप-पु० जम्बू द्वीप ।
सुबन पु० [सं० सुदान ] प्रच्छा व श्र ेष्ठ दान । सुदांनी- देखो 'सादियांणी' ।
सुवम पु० [सं० सुदामन् ] १ श्रीकृष्ण का सखा एक गोप । २ सुदामापुरी या नगर
सुदामा-स्त्री० [सं० सुदामा ] १ स्कंद की एक मातृका । २ एक पौराणिक नदी
सुदामानव, सुवमापुरी स्त्री० श्रीकृष्ण के सखा सुदामा की नगरी ।
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सुमी - पु० [सं० सुदामन] १ श्रीकृष्ण का बहपाठी व सखा एक ब्राह्मण । २ इन्द्र का हाथी ऐरावत। ३ बादल । ४ समुद्र । ५ पहाड़ |
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सुवात
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( ११ )
सुवाल, सुवातार वि० १ दातार दानी २ उदार सुदातारी - स्त्री० दातारी, उदारता । सुवाय स्त्री० [सं० सुदाय] १ पशोपवीत संस्कार के लिये प्रस्तुत ब्रह्मचारी को दी जाने वाली मिला २ किसी पर्व विशेष पर दिया जाने वाला दान । ३ दहेज । ४ शुभ भेंट | सुदास - पु० [सं०] १ ऋतुपर्ण राजा का पौत्र प्रयोध्या का एक राजा । २ एक कुरुवंशीय राजा । सुदि-१ देखो 'सुद' । २ देखो 'सुध' ।
सुविन, सुविन्न पु० [सं० सुदिन] १ कोई पर्व का दिन शुभ दिन । २ खुशी या मानन्द का दिन । ३ शुभ अवसर ।
सुदुर, सुदूर- वि० [सं० सुदूर ] बहुत दूर | सुदेव पु० [सं०] १ उत्तम देवता
एवं सुरब के पिता विदर्भ नरेश । ३ इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा जो चंचुराय का पुत्र था । ४ देवक राजा का पुत्र एक राजा । ५ एक वैदिक यज्ञकर्त्ता ।
सुदेह - स्त्री० [सं०] सुन्दर शरीर ।
सुदंब - पु० [सं०] १ शुभ संयोग, अच्छा अवसर । २ सौभाग्य, प्रच्छा भाग्य |
या भाव २ पवित्रता, निर्मलता । ३ सफाई, स्वच्छता। ४ सही होने की प्रवस्था या भाव। ५ निर्दोषिता । ६ खालिसपना । ७ उज्ज्वलता, चमक । ८ सफेदी । ९ सादगी, सरलता ।
सुद्धसांजोर (संसोर) - देखो
साणोर
सुदी - देखो 'सुद' । सुवीठ - स्त्री० [सं० सु-दृष्टि ] १ शुभ दृष्टि, दमा दृष्टि सुद्धांत - पु० [सं० शुद्धांत: ] श्रन्तः पुर, रनिवास । २ अच्छी तरह से देखने की क्रिया या भाव । सुबोस - पु० [सं० सु-दिवस] शुभ दिवस। सुमन- पु० [सं० सुदुम्न ] वेवस्त मनु का पुत्र जो इड़ नाम से सुद्धि, सुद्धी - स्त्री० [सं० प्रसिद्ध था । होने की क्रिया या ३ पवित्र करने
सुद्धन - पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा ।
सुद्धनिसांरगी ( नीसांरगी ) - स्त्री० एक प्रकार का "निसरणी"
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छन्द ।
सुनीर पु० सात प्रकार के समुद्रों में से एक।
सुद्धमति, सुमन, सुद्धमन्न- वि० जिसका मन व भावनाऐं शुद्ध हों । निष्कपट ।
सुधबुध
सुद्धाद्वैत सुद्धाधीतं पु० [सं० शुद्धाद्वत] वल्लभाचार्य द्वारा चलाया हुआ एक वैदिक सम्प्रदाय ।
शुद्धिः ] १ शुद्ध या पवित्र करने या भाव २ शुद्धता, सफाई, स्वच्छत की किया था संस्कार क्रि० वि० १ शुद्धता से । २ देखो 'सुध' । ३ देखो 'सुद्ध' । सुद्र-देखो 'सूद्र' ।
सुद्रणी, सुद्रणी-देखो 'सूद्रणी, सूद्रा' ।
सुद्रव, सुद्र०० पु० [सं० सद्रभ्य] शुभ सम्पत्ति, मच्छा द्रव्य ।
सुदेस - पु० [सं० स्वदेश] १ अपना देश, स्वदेश [सं० सुदेश ] सुद्रसरण - देखो 'सुदरसरण' - चक्र = 'सुदरसरणचक्र' । सुस्ट वि० [सं०] कृपालु, दयालु
२ प्रच्छा देश ।
सुदेसी - वि० [सं० स्वदेशी] २ अपने देश का स्वदेशी २ अपने देश का बना ।
।
छन्द विशेष । १० देखो 'सुद्ध' ।
सुध स्त्री० [सं० शुद्ध ] १ चेतना, संज्ञा, होश । २ बुद्धि, ज्ञान ।
३] ध्यान, प्रयाल, विचार ४ खवर, पता, जानकारी। ५ याददाश्त, स्मृति, स्मरण । ६ देख-भाल, सार सम्हाल, खोज-खबर । ७ नीयत । ८ राहू, मागूं । डिंगल का
।
।
सुयो सुद्दों-वि० (स्त्री० सुबी) सहित साथ - वि० तक, पर्यन्त । सुद्ध-वि० [सं० ड] १ जो भाषा व्याकरण, उच्चारण व लिखावट को दृष्टि से सही हो २ त्रुटि या दोषरहित ३ पवित्र, शुद्ध विशुद्ध ४ युक्तियुक्त, सही, ठीक ५ निर्दोष बेदाग, दोष रहित ६ निर्मल, साफ, स्वच्छ ७ बिना किसी मिलावट का, शुद्ध, खालिस ८ श्रद्वितीय, अतुल्य । ९ चमकीला, उज्ज्वल । १० सफेद, श्वेत ११ सीधा-सादा । १२ केवल, सिर्फ मात्र । - पु० [सं० गुड] शुद्ध १ शिव, महादेव । २ सेंधा नमक । ३ काली मिर्च । ४ शुद्ध वस्तु । ५ संगीत में राग का एक भेद | ६ चौदहव मन्वन्तर के सप्तऋषियों में से एक। ७ देखो 'सुध' । सुकुडी पु० कुलिया'छन्द का एक भेद सुद्धता - स्त्री० [सं० शुद्ध + ता प्र० ] १ शुद्ध होने की अवस्था सुधबुध - स्त्रो०
,
सुधर देखो 'सूधी' ।
सुकरी० [सं० शुद्ध कर] काली मिर्च
सुप्रजा ० १ मिल गीत रचना की एक परिपाटी २ इस प्रकार से रचा हुप्रा गीत 1
सुधनु- पु० [सं० सुधनुस् ] राजा कुरु का एक पुत्र |
|
सुधन्न, सुधन्वा वि० [सं० सुधन्वन्] अच्छा धनुर्धर, तीरअदाज पु० १ विष्णु । २ एक पौराणिक राजा । सुपिड पु० बहेड़ा ।
सुधबायरो - वि० (स्त्री० सुधबाकरी) १ जिसके होस हवास ठिकाने न हो, बदहवास, घबराया हुधा । २ बेहोश । ३ विक्षिप्त, पागल ४ मदहोश, मदमत्त, नशे में चूर ।
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सुधबुधस्व० [सं० शुद्धि-बुद्धि] १ होश- हवास, सावधानी,
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सुक्माव
। ८१२ )
विवेक। २ चेतना, संज्ञा, होश। ३ ध्यान, खयाल, सुधातमा-वि० [स० शुद्ध-प्रात्मा] जिसकी पात्मा शुद्ध हो, विचार । ४ बुद्धि, ज्ञान । ५ पता, खबर, जानकारी पवित्र व निष्कपट विचारो वाला। -पु. ईश्वर, परमात्मा। ६ स्मृति, याददाश्त ।
सघाघर, सुधाधरण, सुधाधाम, सुधाधार-पु. चन्द्रमा । सुधभाव-पु० [सं० शुद्ध-भाव] शुद्ध विचार, प्रच्छी मनोदशा। सुधाभुज, सधाभुजीस, सुधाभुज-पु० देवता, सुर। सुधमन, सुधमनी-वि० [सं० शुद्धमन] १ जिसका मन शुद्ध सुधामद-देखो 'सुधारस' । ___ हो, निष्कपट वत्ति वाला। २ होण-इवास वाला, सचेत। | सुधार-पु० १ सुधरने की क्रिया या भाव । २ उन्नति, तरक्की, सुधमांण-वि० [सं० शुद्धिमान्] बुद्धिमान ।
मच्छी स्थिति। ३ बुराई, विकार, दोष प्रादि दूर करने सुधरणो (बी)-क्रि० [सं० सुध् या शोधनम्] १ किसी कार्य ____ को क्रिया। ४ संशोधन, संस्कार। ५ पच्छाई । ६ उप
या बात का बिगड़ने से रहना, बनना, ठीक होना। पुतता, उपादेयता। ७ परिवर्तन । ८ फायदा, लाभ। २ बिगड़े कार्य की स्थिति या दशा प्रादि ठीक होना, घृत, घो। ३ बीमारी में कमी पाना, स्वस्थता या पाराम की स्थिति | सुधारक-वि०१ सुधार करने वाला। २ समाज सेवी । ३ धर्म, माना। ४ पाथिक स्थिति ठीक या अच्छी होना।। समाज व राजनीति में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के ५ तरक्की या उन्नति होना । ६ बिगड़े पाचरण का लिए प्रान्दोलन करने वाला, क्रांतिकारी । ४ सशोधन या सुधरना । ७ सफल होना, सद्गति पाना । ८ वातावरण संस्कार करने वाला। ५ परोपकारी। में तनाव कम होना।
सुधारण-वि० सुधारने वाला। -क्रि०वि० सुधारने के लिए। सुधरम-पु० [सं०सुधर्म] १ उत्तम व श्रेष्ठ धर्म । २ पुण्य, दान ।। -स्त्री० सुधारने की क्रिया या भाव । -३ परोपकार । ४ पच्छा प्राचरण । ५ महावीर स्वामी सुधारणा (बो)-क्रि० १ किसी कार्य या बात को बिगड़ते हुए का एक शिष्य । ६ देखो 'सुधरमा ।
से बचाना, बात बनाना, कार्य सुधारना। २ व्यवस्थित सुघरमा-स्त्री० [सं० सुधर्मन] १ इन्द्र की सभा, देव सभा। करना जमाना, बैठाना, सुधारना । ३ बिगहे हए को ठीक
२ इन्द्र के सभा भवन का नाम । ३ जैनियों के एक गणाधि- करना, कमी, दोष विकार प्रादि दूर करना। ४ लक्ष्य
पति । -वि० अपने धर्म पर अटल रहने वाला, स्वधर्मी। सिटि करना, उद्देश्य पूरा करना, पूर्ण करना । तरक्की सुधराई-स्त्री०१ सुधरने की क्रिया या भाव । २ किसी कार्य कराना। ६ प्रादतें ठीक करना, भाचरण ठीक करना।
में किया जाने वाला सुधार ।.३ सुधार कार्य की मजदूरी।। ७ सफल बनाना, सद्गति प्राप्त कराना। काम में लेने सुधरी-स्त्री० १ अच्छी हालत, सम्पन्नता । २ स्वस्थता। लायक बनाना, साफ करना। ९ सजाना, संवारना । सुधवटी, सुधवट्टी-स्त्री. तलवार।
१० तनावपूर्ण स्थिति को बदलना, सामान्य करना । सुधसागोर-पु. डिंगल का एक गीत (छन्द) विशेष । .
११ सफाई करना, साफ करना। सघहोण-वि० १ चेतना, संज्ञा व होश-हवास से रहित, अचेत, | सुधारस-पु० १ प्रमत । २ कमल ।
बेहोश । २ जिसको अपने भले-बुरे का ज्ञान न हो। सुधारसम-पु० [सं० सुधारश्मि] चन्द्रमा । सुधांग-पु० [सं०] चन्द्रमा, शशि ।
सुधार, सुधार-वि० सुधार करने वाला, सुधारक । सुधाम-पु. [सं० सुधामन्] १ कोई श्रेष्ठ या उत्तम धाम, तीर्थ। सुधारौ-पु.१ मतक के पीछे किये जाने वाले संस्कार, श्राद्ध, २ घर। ३ चन्द्रमा ।
पितृतपण मादि । २ देखो 'सुधार'। सुधासु-पु. [सं० सुधा-मंशु] १ चन्द्रमा, शशि । २ कपूर। । सुधासार-पु० [सं०] अमृत । सुधा-स्त्री० [सं०] १ अमृत । २ पुष्प रस, पुष्पों का शहद । सुधासुत-पु० [सं०] १ चन्द्रमा । २ इन्द्र ।
३ मदिरा, पाराब । ४ जल, पानी । ५ गंगा का एक नाम। सुधासुती-पु० [सं० सुधासूती] चन्द्रमा। ६ पृथ्वी, धरती। ७ पुत्री, बेटी। ८ बिजली। ९ ईट। सुधारव-पु० [सं० सुधाव] चन्द्रमा । १० सफेवी । ११ थूहर । १२ दूध । १३ जहर । -वि०१ श्वेत, सुधि-१ देखो 'सुध' । २ देखो 'सुधी'। ३ देखो 'सुद्धि'।
सफेद। -क्रि०वि० २ तक, पर्यन्त। ३ सहित, युक्त। ४ देखो 'सुद'। सुधाई-स्त्री० सीधापन, सरलता।
सुधिक-स्त्री० फटकार, धिक्कार । सुधाकर-पु. [सं०] चन्द्रमा, शशि ।
सुधी-वि० [सं० सुधी:] १ पण्डित, विद्वान् । २ बुद्धिमान, सुधाकुडळी-स्त्री० एक वाद्य विशेष ।
चतुर । ३ धार्मिक । -पु. १ शिक्षक । २ कवि। -क्रि.वि. सुधागेह-पु० [सं० सुधागृह] चन्द्रमा, शशि ।
१ सहित, युक्त, साथ । २ तक, पर्यन्त । ३ देखो 'सुद'। सुधाचरण-पु. गरुड़।
४ देखो 'सुद्धि'। ५ देखो 'सुध' ।
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सुधोव
स्त्री० [सं०] स्कन्द की एक मातृका । सुनखी-स्त्री० चील ।
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सुधीव, सुधू सुधूया स्त्री० सुन्दर कन्या, सुपुत्रो ।
सुनातन- देखो 'सनातन'-धरम 'सनातनधरम' । सुनाथ - देखो 'सनाथ' । (स्त्री० सुनाथग )
सुधोदक- पु० सप्त समुद्रों में से एक ।
सुधो - पु० (स्त्री० सुधी ) १ सीधा-सादा, सरल, भला, शरीफ, सुनाद - पु० [सं०] १ शङ्ख । २ देखो 'सनाद' | सज्जन । २ देखो 'सुदी' । ३ देखो 'सू'धो' । सुनायक- वि० [सं०] [ठ नायक नेता ०१ सुनंग - देखो 'सुनग' | का एक धनुचर । २ एक दैत्य का नाम । सुनार - पु० [सं० स्वर्णकार ] ( स्त्री० सुनारी) १ सोने-चांदी के माभूषरण बनाने वाली एक जाति या वर्ग २ इस जाति का व्यक्ति ।.
1
सुनंद - पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण का एक पार्षद २ एक देव पुत्र । ३ बलराम के मूसल का नाम वि० प्रानन्ददायक सुनंदन १० श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम
सुनंदा - स्त्री० [सं०] १ उमा, गौरी । २ श्रीकृष्ण की एक पत्नी ३ दुष्यन्त के पुत्र भरत की पत्नी ४ ऋषभदेव की एक पत्नी का नाम । ५ स्त्री, नारी । ६ सुबुद्धि ।
सुन- १ देखो 'सून्य' । २ देखो 'सुनक' । सुनक-स्त्री० [सं०] शुनक] १ कुत्ता, श्वान २ दोहा छन्द का सुनिजर देखो 'नजर'
एक भेद ३ वंशीय एक ऋषि का नाम ।
1
सुनिभ-स्त्री० प्राभा, कान्ति, प्रभा । सुनक्षत्र - पु० [सं०] १ उत्तम, नक्षत्र २ मरुदेव राजा का सुनिमंडळ - देखो 'सून्य मंडळ' । उत्तराधिकारी एक राजा ।
सुमिहार सुनिहाल स्वी०
नम्भीरता से देखने, समझते या विचार करने की क्रिया या भाव। २ अच्छी तरह देखने की क्रिया या भाव ।
सुनी-स्त्री० [सं० स्रवरणी ] नदी ।
सुनीत, सुनीति, सुनीती स्त्री० [सं० सु-नीति] १ वह श्रेष्ठ एवं उत्तम नीति जिसके माध्यम से देश व राज्य का हित हो ।
२ अच्छा व्यवहार, आचरण । ३ बुद्धिमानी, समझदारी । ४] अच्छी नीयत अच्छा उद्देश्य ५ बच्छी युक्ति, उपाय। ६ ध्रुव की माता का नाम ।
नसीर देखो 'सुनासीर' ।
,
( -१३ )
सुना- पु० फूल, सुमन ।
सुनाच - पु० [सं० सुनृत्य ] नाच | सुनात देखो 'नाथ' ।
7
सुनर-पु० [सं० सु-नर ] १ जुन २ सुन्दर एवं वीरपुरुष । सुनसान - वि० [सं० शून्य स्थान] १ निर्जन, वीरान शून्य । २ जहां कोई न हो, एकान्त । ३ उजाड़, उजड़ा हुप्रा । सुनहराली पु० एक प्रकार का घोड़ा । सुनहरी, सुनहरी, सुनही - वि० [सं० स्वरंगम] १ स्वर्ण का स्वर्ण सम्बन्धी स्वर्णिम २ जिसमें स्वर्ण का काम किया हुधा स्वर्ण-जड़ित । ३ स्वर्ण के समान, स्वर्ण जैसा, सोने के रंग का । सुनम पु० [सं० सुनाम] १, कीर्ति, रूपात २ शुभ नाम सुम्भाळ-देखो 'मुन्याद' सुनमा ०४३ क्षेत्रपालों में से ४८ वो क्षेत्रपाल
1
सुनग - पु० [सं०] चन्दन |
सुनजर स्त्री० [कृपा दृष्टि, दया दृष्टिवि० दयालु कृपालु सुमखो (बो-देखो 'सुराणी' (बी) सुनत देखो 'सुत'।
सुनका स्त्री० की स्थिति से लक्षित होनेवाला एक शुभ योग (ज्योतिष)
सुनमान - देखो 'सनमांन' ।
सुनमित वि० विनम्र, नमस्त
सुनयना (ना० [सं० सुना] १ राजा जनककी पत्नी व सोता की माता २ नारी, स्त्री । ३ अच्छे नेत्रों वाली स्त्री ।
|
सुनूर पु० [स०स + फा० तूर ] सौंदर्य :- वि० सुन्दर । सुनेर, सुनेरी पु० १ बंगाली शेर २ देखो 'सुनहरी' सुनोची - पु० एक प्रकार का घोड़ा ।
सुन्न पु० [ स० शून्य ] १ शरीर के किसी अग में रक्त संचार बद हो जाने की अवस्था । २ स्तब्ध या किकर्त्तव्यावस्था । - वि० १ जिसमें स्पंदन या हलचल न हो, चेतना शून्य | निर्जीव ४ देखो 'सु'
स्वस्थ
सुनु पु० मत पुत्र
देवो''।
सुनासीर ( री) - पु० [सं० शुनाशीरः ] १ इन्द्र । २ देवता । ३ उल्लू ।
सुनि- १ देखो 'सून्य' । २ देखो 'सून' । ३ देखो 'सुनी' । सुनिख - देखो 'सुनक्षत्र' ।
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=
सुन्ही
सन्यदेवो 'मुन्य' । सुन्हली- देखो 'सुनहरी' ।
२]
सुन्नगार-देखो 'सुन्यामार सुन्नत स्त्री० [अ०] मुसलमानों में बच्चे के खतना करने की क्रिया ।
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सुन्नी पु० [२०] १ सुन्नत किये हुए मुसलमानों का२ वर्ग का व्यक्ति ।
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सुपंख
(८१४ )
सुपियारी
सपंख-वि० १ सुन्दर तीरों वाला । २ सुन्दर परों वाला । विशेष । ६ सूर्य की किरण । ७ मुर्मा । ८ एक सूर्यवंशी -पु० प्रच्छे पंख ।
राजा ।-वि० सुन्दर पत्तों वाला। सुपंखरौ-पु० डिंगल का एक गीत (छन्द)।
सुपरणा, सुपरणी-स्त्री० [सं० सुपर्णा, सुपर्णी' १ गरुड़ की सुपथ-पु. [सं० सु-पथ] १ अच्छा रहन-सहन, अच्छा चाल- माता का नाम । २ पद्मनी । ३ कमल समूह । ४ ऐसा
चलन, पच्छा प्राचरण या व्यवहार । २ श्रेष्ठ मार्ग । तालाब जिसमें कमलों की बहुतायत हो। ३ उत्तम या प्रतिष्ठित सम्प्रदाय ।
सुपरणेय-पु० [सं० सुपर्णेय] बस। सुपेन-देखो 'स्वप्न'।
सुपरबांस (वारण)-पु० [सं० सुपर्वाण] १ देवता, सुर । सुपक-वि. जो अच्छी तरह पका हुप्रा हो।
२ बांस । ३ तीर । ४ घूम्र, धूपा । सुपक्ख, सुपक्ष-पु० [सं० सुपक्ष] १अच्छा पक्ष. दृढ़ व प्रभाव- सुपरस (न)-देखो 'स्परस' ।
शाली पक्ष । २ श्रेष्ठकुल या वश । ३ सुन्दर पंख । -वि० सुपरि (री)-वि० [स० सु-परि] १ श्रेष्ठ, उत्तम। २ बड़ी। सुन्दर पखों वाला।
-क्रि० वि० अच्छी तरह से, चतुराई से । सपखाळ, सुपखाळी-पु० श्रेष्ठ या उत्तम वंश का, कुलीन सुपरी-वि० शुभ। सुपड़कना-वि० बड़े-बड़े कानों वाला।
सुपवित्त-वि० [सं० सु-पवित्र] विशुद्ध, पवित्र । सपश्च-वि. जो पाचक हो, मासानी से पचने वाला, सुपाच्य । सुपवी-वि० दृढ मजबूत। . पु०१ सुपथ्य, पथ्य । [सं० श्वपच] २ भंगी, डोम।
सुपवीत-वि० विशुद्ध, पवित्र । सुपट्ठ-वि०१ सुपाठय, सुवाच्च । २ स्पष्ट, साफ।
सुपसाइ. सुपसाउ, सुपसाउलु सुपसाय-पु० [सं० सुप्रसाद] पूर्ण,
कृपा अनुग्रह ।-वि० अत्यन्त शुम अच्छा, ठीक । सुपरण, सुपरणो-देखो 'स्वप्न'।
सुपह, सुपहि, सुपहु-पु० [सं० सुप्रमु] १ श्रेष्ठ नप, उत्तम सपतळ, सुपत्तळ-वि० पतला, मीण । सुपतास, सुपतासव-पु. [सं० सप्ताश्व] सात घोड़ों के रथ |
राजा। २ बड़ा राजा। ३ दातार, दानवीर । ४ कोई राजा।
५ स्वामी, मालिक । ६ पति, स्वामी । ७ योद्धा, सुभट । वाला, सूर्य।
८ ईश्वर, प्रभु । ९ देखो 'सुपंथ'। . सुपतिक-पु. रात को डाला जाने वाला सका।
सुपाण-पु० [सं० सुपाणि] वरद हस्त । सुपतिठ्ठ-वि० प्रतिष्ठित, सुप्रसिद्ध ।
सुपाच्य-वि० [सं०] जो पासानी से पच जाय, पाचक, पथ्य । सपत्र-वि० १ सुन्दर पत्तों से युक्त, सुन्दर पत्तों वाला । २ सुन्दर
-पु० नरम व सुपाच्य भोजन । पंखों वाला । -पु० सुन्दर पत्ता।
सुपात सुपातर, सुपात्र-पु० [सं० सुपात्र] १ कवि । २ चारण सपत्रो-स्त्री० [सं०] एक प्रकार का पौधा, गङ्गापत्री।
कवि । ३ पच्छा पात्र, उत्तम एव सुन्दर बतंन । -वि. सुपथ-१ देखो 'सपंथ' । २ देखो 'सुपथ्य' ।
१ योग्य, सुयोग्य । २ सज्जन, भला सुपात्र *। सुपथ्य-पु० [सं०] ऐसा माहार या खाद्य पदार्थ जो स्वादिष्ट
सुपारस (सि, सी) सुपारिस--स्त्री. १ यश, कीति, प्रशंसा । सुपाच्य एवं स्वास्थ्यवर्धक हो । पथ्य ।
२ देखो सिफारिस'। सुपनंतर (रि, री)-क्रि० वि० [सं० स्वप्म-पनन्तर १ स्वप्न
| सुपारसव सुपारस्व. सुपारस्वनाथ-पु० [सं० सुपार्श्वनाथ] जैनियों के समय, स्वप्न के दौरान । २ स्वप्न के बाद, स्वप्न के * के एक तीर्थ कर विशेष । अनन्तर।
सुपारी-स्त्री० [स० सुप्रिय] १ नारियल की जाति का एक सुपन (उ)-१ देखो 'स्वप्न' । २ देखो 'सुपनक'।
वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष का गोलाकार छोटा फल जो सुपनक--वि० [सं०स्वप्नक] १ निद्राशील, उनिंदा । २ देखो 'सपनो।। पान में डाल कर खाया जाता है पुगीफल ।। चिकनो सपनखा-स्त्री० [सं० शूर्पणखा] रावण की बहन एक र क्षसी। सुपारी। ४ पुरुषेन्द्रिय का अग्र भाग। -वि० जिसके नाखून सूप जैसे हों।
सुपारीपाक-पु. चिकनी सुपारी व घी-शक्कर के योग से बनाया
जाने वाला एक पौष्टिक पदार्थ। सुपनू, सुपन-देखो 'स्वप्न'।
सुपालन, सुपालक-वि० [सं० सुपालक] अच्छी तरह पालनसुपने, सुपन-क्रि० वि० स्वप्न में। .
पोषण करने वाला। सुपनौ-देखो 'स्वप्न'।
सुपास-देखो 'सुपारस्वनाथ'। सुपबीत-देखो 'सुपवीत'।
सुपियार-पु. १ स्नेह, प्रेम, अनुराग । २ भादर्श प्रेम । ३ लार. सुपरकास-पु० सूर्य की रोशनी, धूप ।
दुलार । ३ देखो 'सुपियारी'। सुपरण, सुपरणक-पु. (सं० सुपर्णकः] १ गरुड़, खगराज । | सुपियारी (सुपीयारो)-वि० (स्त्री० सुपियारी) १ अत्यन्त प्रिय,
२ पक्षी । ३ विष्णु । ४ घोड़ा, अश्व । ५ एक देवयोनि | वल्लभ । २ प्रेमी, प्रियतम ।-पु० पति ।
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सुपीत
।। ८१५ )
सुबाह
सुपीत-पु० [सं०] १ ज्योतिष में पांचव मुहूर्त का नाम । | सुप्रसिद्ध-वि० [सं०] बहुत प्रसिद्ध या विख्यात ।
२ पीला वस्त्र, पीताम्बर । -वि० बिल्कुल पीला, पीत। सप्री-स्त्री० [सं० सुप्रिया] १ श्रेष्ठ व उत्तम स्त्री, सुन्दर सुपीहरी-वि. जिसके पीहर सम्पन्न एवं प्रतिष्ठित हो ।
स्त्री। २ प्रेयसी, प्रेमिका, प्रिया । सुपुष्ण-पु० [सं० सुपण्य] शुभ कार्य, पुनीत कर्म, दान। सुफर-देखो 'सफरी'। सुपुत्र-पु० [सं०] (स्त्री० सुपुत्री) योग्य, सुशील, सुन्दर एवं सुफळ, सुफल-पु० [सं० सुपलम्] १ ऐसा अस्त्र-शस्त्र या कार्य गुणवान पुत्र ।
जिसका फल प्रच्छा हो। २ अच्छा परिणाम या इच्छासुपुर-पु० सुन्दर नगर ।
नुसार नतीजा। [सं० सुफल] ३ अनार का वृक्ष । ४ बेरी सुपुरस (सुपुरस)-पु० [सं० सु-पुरुष] भला, सज्जन एवं साधु का पेड़ । ५ मूग। -वि० १ बहुत फलने वामा । २ बहुत पुरुष । मच्छे गुणों वाला व्यक्ति ।
उपजाऊ । ३ देखो 'सफळ' । सुपुरि-देखो 'सपुर'।
सुफला-स्त्री० [सं०] १ मुनक्कादास, दाक्षा। २ तलवार सुपुहुप-पु० [सं० सुपुष्प] १ सुन्दर, पुष्प । २ लवंग, लौंग। जिसका फल सुन्दर हो। ३ स्त्रियों का रज।
सुफाळो-पु० तीर का अवयव विशेष । सुपूत देखो ‘सपूत'।
सुफोल-पु. [सं० सुपोल] श्रेष्ठ एवं बड़ा हाथी। सुपूती-देखो 'सपूतो'।
सुफेर-वि० १ बुद्धिमान, समझदार । २ सुशील, सज्जन । सुपेखरगो (बो)-क्रि० देखना ।
सफ्फी स्त्री० छोटी कोठड़ी। सुपेत (द)-देखो 'सफेद'।
सुबत्त-देखो 'सोबत'। सुपेती-देखो 'सफेदी'।
सुबध-देखो 'सुबुद्धि'। सुपेस-स्त्री० सुन्दर भेंट।
सुबधी-पु० १ कवि । २ देखो 'सुबुद्धि' । सुपेहा-स्त्री० राठौड़ों की एक उपशाखा ।
सुबनजर-देखो 'सभनजर'। सुध्यार (री)-१ देखो 'सुपियार'। २ देखो 'सुपियारी'। सबर-स्त्री०१ गर्भवती घोड़ी। २ गर्भवती ऊंटनी । । देखो सुप्रग्य-वि० [सं० सुप्रज्ञ] १ बुद्धिमान, चतुर। २ पंडित, 'सुवर'। विद्वान ।
| सुबरण (न)-देखो 'सुवरण'। सुप्रतिस्ठ-वि० [सं० सुप्रतिष्ठित] जिसकी प्रतिष्ठा हो, सुबरणरासि (रासी)-पु० सोने का ढेर, स्वर्ण राशि । सुविख्यात, मशहूर।
| सुबह-पु० [अ० सबूब] १ प्रातःकाल, सवेरा। २ ईश्वर का सुप्रतिस्ठा-स्त्री० [सं० सप्रतिष्ठा] १ कीति, यश, तारीफ। एक नाम । -वि० अत्यन्त पाक, पवित्र । -क्रि०वि० प्रातः,
२ स्कन्द को एक मातृका का नाम । ३ किसी प्रतिमा, सवेरे। मन्दिर, मकान मादि का स्थापना समारोह, उत्सव। सुबहान-पु० [अ० सुबह पान] १ उषा वेला, प्रातःकालीन ४ एक वर्ण वृत्त विशेष ।
समय, सवेरा। २ ईश्वर-भजन का समय । ३ ईश्वर, सुप्रतीक-वि० [सं०] सुन्दर, मनोहर । -पु. १ ईशान कोण | परमात्मा। -वि. १ पवित्र, पाक, शुद्ध। २ महान्,
का दिग्गज । २ इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा। ३ कामदेव श्रेष्ठ। -क्रि.वि. वाह-वाह, धन्य-धन्य । का नाम । ४ शिव, महादेव ।
सुबह-स्त्री० [सं० स-वधू] १ सुन्दर व शुभ लक्षणों वाली सुप्रभ-वि. मामा, कान्ति या प्रभा से युक्त। -पु. शाल्मली | वधू । २ देखो 'सुबह' । द्वीप के अन्तर्गत एक वर्ष ।
सुखांण, सुर्वाणी-देखो 'सुवाणी' । सुप्रभा-स्त्री० [सं०] १ अग्नि को सात जिह्वानों में से एक । सुबायत-पु. सूबेदार ।
२ स्कंद की एक मातृका । ३ सात सरस्वतियों में से एक । | सुबाळ, सुबाल-स्त्री. १ सुन्दर बाला, युवती। -पु० २ सन्दर ४प्राभा चमक, कान्ति ।
बालक। सुप्रभात-पु० [सं०] १ शुभ या मंगलमय प्रभात । २ बड़ा | सुवास, सुबासना-देखो 'सुवास' । सवेरा, तरका।
सुबाह, सुबाहु-पु० [सं० सुबाहु] १ ताड़का का पुत्र व मारीच सुप्रवीण-वि० [सं०] बहुत ही चतुर या दक्ष ।
का भाई एक राक्षस । २ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । ३ राम सुप्रवीत-वि० अत्यन्त पवित्र एवं शुद्ध।
की सेना का एक वानर । ४ जैनियों के एक तीर्थ कर । सुप्रसरण, सुप्रसन, सुप्रसन्न-वि० [सं० सुप्रसन्न] बहुत खुश, ५ कश्यप की पुत्री एक अप्सरा । -वि० १ सुन्दर एवं ढ़ माह लादित । -पु० गड़, खगराज ।
बाहों वाला। २ प्राजानबाहु ।
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मुबियाण
सुमट
सुबिधारण-देखो 'सुभियोरण'।
चमकदार । ८ सुखी । पवित्र, शुद्ध। -क्रि०वि०पच्छी सुग्रीती-देखो 'सुभीती'।
तरह, भली प्रकार से। -पु.१ बिन्दू, शून्य, सिफर । सुबीर-पु. १ रबड़ी। २ छाछ की बनी रबड़ी, राबड़ी। २ सात प्रकार के चौघड़ियों में से पांचवां चौघड़िया । ३ देखो 'सुवीर'।
(ज्योतिष)। ३ विष्कभादि सत्ताईस योगों में से तेईसवा सुबुकरंदी-पु.१ बर्तन बनाने का एक औजार । २ लकड़ी को योग (ज्योतिष)। ४र व नक्षत्रों-संबंधी बनने वाले छील कर साफ करने का एक भौजार।
२८ योगों में से बीसा योग। ५ एक राग विशेष । सुबुवी, सुबुद्दी, सुबुद्ध, सुबुद्धि-वि० [सं० सुबुद्धि] १ उत्तम व - वयणी-वि० मधुरभाषिनी ।
श्रेष्ठ बुद्धि वाला, बुद्धिमान, दूरदर्शी। २ चतुर, निपुण, | सुभकंद-पु० गणेश, गजानन । दक्ष । ३ जिसकी प्रवृत्ति हमेशा अच्छे कामों में हो, सुभकर-वि० [सं० शुभकर] कल्याणकारी, मंगलमय । सुमति । ४ कवि, पण्डित, विद्वान् । ५ प्रत्युत्पन्न मतिवाला, सुभकरी-स्त्री पार्वती। हाजर-जवाब । -स्त्री. १ मच्छी बुद्धि, विचाराधारा। सुभकाम-पु० [सं० शुभ कर्मन्] प्रछा , बट कार्य, पुण्य २ बुद्धि, मक्ल, समझ, होश ।
कार्य। सुबुध-वि० [सं०] १ बुद्धिमान । २ सतर्क, सावधान । | सुभकार-पु० [सं० शुभकार्य] मांगलिक कार्य । देखो 'सुबुद्धि'।
सुभकारक, सुभकारि, सुभकारी-वि० [सं० शुभ-कारिन्] सुबुधि, सुबुधी-देखो 'सुबुद्धि' ।
१ कल्याण करने वाला, मांगलिक । २ पवित्र, शुद्ध । सुबुधिनाथ -पु० [सं० सुबुद्धिनाथ] जैनियों के वर्तमान काल के __ ३ शुभकामना करने वाला, शुभेच्छु । ४ शुभ वाणी बोलने नौवें तीर्थ कर।
बाला । ५ उत्तम व श्रेष्ठ फलदायक । सुबेस-वि० १ वयस्क, बालिग । २ देखो 'सुवेस'।
सुमत, सुभक्रित-पु० [सं० शुभकृत] विष्णुवीसी का सोलहवां
वर्ष। सुबेसारणी-कि०वि० सवेरे, तड़के। ऐन सबह, प्रातः काल
सुभग-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर । २ मधुर, प्रिय । के समय ।
३ भाग्यवान्, समृद्धिशाली। ४ प्रेम-पात्र, प्यारा। सुबे-देखो 'सुबह।
५ प्रसिद्ध। -पु०१ चन्दन । २ सुहागा । ३ प्रशोक का सुबैरण-पु० [सं० सु-वचन] १ अच्छे एवं शुभ वचन । २ मित्रता,
वृक्ष । ४ चम्पक वृक्ष । ५ लाल कट सरैया। -स्त्री. दोस्ती। -त्री० [सं० सु-बेणि] ३ स्त्रियों की सुन्दर
६ सुन्दर योनि। वेणी, पोटी।
सुभगा-स्त्री० [सं०] १ वह स्त्री जिसको उसका पति बहुत सुबोध-पु. [सं०] १ अच्छा ज्ञान, पच्छा बोध, मच्छी
प्यार करता हो, प्रियतमा स्त्री। २ पूज्या माता। जानकारी। २ अच्छी सलाह, राय। ३ श्रेष्ठ ज्ञान । ३ हल्दी। ४ तुलसी। ५ पांच वर्ष की कन्या । ६ स्कन्द -वि. १ जिसे बोध या ज्ञान हो, जो प्रबोध न हो। को एक मातृका। -वि० १ सुन्दरी, मनोहारी। २ जो सहज ही जाना जा सके।
२ सौभाग्यवती, सुहागन । सुबोल-पु० [सं०] १ सुन्दर बचन, उत्तम एवं मधुर वचन ।
सुभग्ग-वि०१ सौभाग्यशाली। २ देखो 'सुभग' । २ यश, कीर्ति ।
सुभड़-देखो 'सुभट'। सुब्म-देखो 'सुभ'।
सुमचरित-पु० [सं० शुभ-चरित्र १ पच्छा चरित्र, शुद्ध चरित्र । सुन्भजोग-देखो 'सुभयोग'।
२ अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति । सुम्भव-देखो 'सुभट'।
सुभचरिता-वि० [सं० शुभ-चरित्रा] १ शुद्ध चरित्रवाली, सुब-देखो 'सुभ्र'।
चरित्रवान । २ साध्वी पतिव्रता । -स्त्री. १ परित्रवान व सुबीड़ित-वि० [सं० सुब्रीडित] लज्जित, संकोचयुक्त ।
साध्वी स्त्री। २ पतिव्रता स्त्री। सुमंकर-पु. १ बप्पम छन्द का चौदहवां भेद । २ देखो | | सुचित, सुचितक-वि० [सं० शुभ-चिंतक] भलाई या मंगल _ 'सुभकारी'।
की कामना करने वाला, हितैषी।। सुमंग-पु. [सं० सुभा] १ देव वृक्ष। २ नारियल का वृक्ष । सुमट (सुभट्ट)-पु० [सं०] १ योद्धा, भट, बीर । २ सैनिक, -वि०१ सुन्दर बखूबसूरत । २ योद्धा, वीर ।
सिपाही। ३ अर्जुन। -वि०१ पराक्रमी, बहादुर । सुभ-वि० [सं० शुभ] १ कल्याणकारी, मंगलमय । २ उत्तम २ रक्षा करने वाला, रक्षक। ३ चतुर, दक्ष । ४ सुगम,
बेष्ठ । मन पसंद, सुखप्रद । ४ भाग्यवान, भाग्यशाली। सरल, सहज । १ स्पष्ट, साफ । -क्रि०वि०१ ठीक तरह ५ नेक, धर्मात्मा । ६ सुन्दर, खूबसूरत । ७ चमकीला, से, मच्छी तरह । २ प्रगट चौड़े। ३ पूर्णतया, पूर्ण रूप से।
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सुमती
(
८१७ )
सुभत्तो-वि० शुभ, पच्चो।
सुभायक-वि० रुचिकर, सुहावना, मन को भाने वाला। सभवता-स्त्री० पुष्यदंत नामक हाथी की हथिनी।
सुभारजा, सुभारिजा, सुभारिया-स्त्री० [सं० सुभार्या] श्रेष्ठ सुभवरसग (न)-वि० [सं० शुभ-दर्शन] १ जिसके दर्शन से स्त्री, श्रेष्ठ पत्नी।
शुभ या मंगलकारी कार्य होता हो। २ सुन्दर, खूब सूरत। | सुभाव-देखो 'स्वभाव' । सुमन-पु० [सं०] १ कुशलक्षेम, खुशहाली। २ विष्णु का | सुभावत-वि० प्यारा लगने वाला, मन चाहा, सुहावना ।
एक नाम । -वि० १ भाग्यवान, भाग्यशाली। २ अत्यन्त सुभाविक-देखो 'स्वाभाविक' । प्रसन्न, खुश।
| सभालण-पु० [सं० सु-भाषण] १ सुन्दर भाषण, कर्णप्रिय सुमद्रा, सुभद्रिका-स्त्री० [सं०] १ श्रीकृष्ण की बहन व अर्जुन भाषण। [सं० शुभ-प्रासन] २ सुन्दर पासन । की पत्नी । २ दुर्गा का एक नाम ।
सुभासित-वि० [सं० सुभाषित] सुन्दर ढंग से या अच्छी तरह सुभद्रेस-पु० [सं० सुभद्रेश सभद्रा का पति, अर्जुन ।
कहा हुआ। सुमनजर-स्त्री० शुभ दृष्टि, कृपा दृष्टि ।
सुभिक्ष, सुभिख-पु० [सं० सुभिक्ष] दुभिक्ष का विपर्याय, सुकाल, सुभनामा-त्री० [सं० शुभनामा] १ शुक्ल पक्ष की पचमी। मन प्रादि की अच्छी पैदावार । २ दशमी या पूरिणमा की तिथि ।।
| सुभियांण, सुभियान-वि० [सं० शुभ+रा०प्र० यांण] सुभप्रब-पु० [सं० शुभप्रद] शुभ या मङ्गल करने वाला, १ सर्वोत्तम, श्रेष्ठ । उत्तम। २ प्रमुख, खास, मुख्य । शुभकारी।
_३ योद्धा । ४ शुभ, मांगलिक । सुभम-पु० [सं० शुभं] १ फूल, पुष्प । २ जल, पानी। सभीती-पु. सुविधा, भासानी, पाराम । सुभमोहरत, सुममौरत-पु० [सं० शुभ-मुहूर्त) विवाहादि | सभीयांण, सुभीयाणी, सुभीयांन-देखो 'सुभियाण' ।
मांगलिक कार्यों के लिये शुभ घडी, शुभ लग्न । सभीयागत-देखो 'सुभ्यागत' । सुभयोग-पु० [सं० शुभयोग] अच्छा संयोग, शुभ घड़ी। सुभूखण, सुभूसण-पु० [सं० स-भूषण] सुन्दर, पाभूषण। सुमर-पु. १ ब्रह्माण्ड । २ देखो 'सुबर' ।
___ -वि० पच्छे प्राभूषणों से अलंकृत । सुभराज (३)-पु. १ प्रभिवादन, शुभराज । २ माशीर्वचन | सुनेह-वि० रहस्य जानने वाला, भेदिया। पादि शब्द।
सुभेय-पु० चम्पा का वृक्ष । सुभरासी-पु० [सं० शुभ राशि चन्द्रमा, पशि।
सुभेवो-वि० रहम्बपूर्ण। ममवत-पु० [सं० शुभवत) कात्तिक शुक्ला पंचमी का व्रत । सुभै-वि० सुन्दर। सुमसात-पु. शान्त वातावरण, अनुकूल परिस्थिति।
सुमोम, सुभोमि, सुभौम-स्त्री० [सं० सु-भूमि ११च्छी भूमि, सुभसूचक-वि० [सं० शुभसूचक] माङ्गलिक ।
उपजाऊ भूमि । -पु० २ जैनियों का एक चक्रवर्ती राजा। सुभांगी-पु० [सं० शुभ-प्रगी] १ कामदेव की पत्नी, रति । मुम-१ देखो 'सभ्र' । २ देखो 'सुभ'।
२ कुबेर की पत्नी का नाम । ३ सुन्दर स्त्री। -वि० शुभ सम्भागियो-वि० सौभाग्यशाली, भाग्यशाली। अंगों वाली, सुन्दरी।
सुभ्यागत-वि० सौभाग्यशाली, भाग्यवान । सुभान-पु० [सं० शुभान] १ ब्रह्मवीसी का सत्रहवां वर्ष । । सुभ्र वि० [सं० शुभ्र] १ श्वेत, सफेद । २ उज्वल, साफ, (ज्योतिष)। २ देखो 'सुबहान' ।
... शुभ्र । ३ कान्तियुक्त, पाभा युक्त। ४ स्वच्छ, निर्मल, समा-स्त्री० [सं० शुभा] १ पाभा, कान्ति । २ सौन्दर्य, शोभा पवित्र । -पु.१ चन्दन । २ सफेद रंग। ५ चावी, रजत ।
३ कामना, पभिलाषा। ४ दूर्वा, दूब । ५ प्रिय गुलता। ४ सेंधा नमक । ५ पभ्रक । ६ तूतिया।
६ देवताओं की सभा । ७ शमी वृक्ष । ८ गोरोचन। | सुनकर, सुभ्रकरण, सुप्रकिरण-पु. [सं.शुभ्र-कर, किरण] सुभाइ, सुमाई, सुभाउ, सुभाऊ-देखो 'स्वभाव'।
चन्द्रमा, राशि। सुभाग-पु० [सं० सौभाग्य] पच्छा भाग्य, सौभाग्य । सुभ्रतटी-पु० क्षीर सागर । -वि० १ भाग्यशाली । २ देखो 'सुहाग' ।
सभ्रति-पु० [सं० शुभ्र-धुति] इन का हाथी । सुभागरण-देखो 'सुहागरण'।
सुम्रम-पु० पुत्र, बेटा ।-क्रि.वि. जैसा । सुभागी-वि० सौभाग्यशाली, भाग्यवान ।
सुभ्रा-स्त्री० [सं० शुभ्रा] १ गंगा, सुरसरि । २ वंशलोचन । सुभाग्य-पु० [सं०] पच्छा भाग्य, सौभाग्य । -वि. भाग्यशाली | ३ स्फटिक, फिटकरी। भाग्यवान।
सुध्रि-पु. [सं० शुभ्र] ब्रह्मा, विरंची। सुभाय-देखो 'स्वभाव'।
| सुभ्र, सुध्र-देखो 'सुभ्र'।
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सुमंगल
(८१८ )
समित
समगळ-पृ० [सं० समगल] कुशल क्षेम, खुशहाली, खुशी ।-वि० ३ सुन्दर, खूब सूरत। ४ देखो 'समन'। १ अत्यन्त शुभ । २ कल्याणकारी।
सुमनचाप-पु० [सं०] १ फूलों का धनुष । २ उक्त धनुष को समगळा-स्त्री० [सं० सुमंगला] १ स्कन्द की एक मातृका । धारण करने वाला, कामदेव । २ एक अप्सरा का नाम ।
सुमनस-पु० [स० सुमनस्] १ गेहूँ। २ नीम का पेड़ । सुमंगळी-स्त्री० [सं० सुमंगल] विवाह में सप्तपदी पूजा के बाद ३ देवता । ४ पण्डितजन । ५ कवि । ६ वेदपाठी ब्रह्मचारी। पुरोहित को दी जाने वाली दक्षिणा ।
| ७ फूल पुष्प । ८ प्रच्छा या शुद्ध मन । समंत-पु० [सं० सुमित्र] १ मूर्य, भानु, रवि । २ देखो 'समंत्र' । सुमनसधुज-पु० [सं० सुमनस्-ध्वज] कामदेव । -वि० प्रत्यन्त बुद्धिमान ।
सुमना-स्त्री० [सं०] १ चमेली, जाती पुष्प । २ सेवती, शत. समंत्र-पु० [सं०] १ गजा दशरथ का मंत्री, सुमंत । २ देखो पत्रो। ३ कैकयी का एक नाम। ४ पुष्प, फूल । ___ 'सुमित्रा'।
५ मालतो, मधुमयो। -वि० प्रसन्न, खुश । सुमंत्रक-पु० [सं०] कल्कि का बड़ा भाई।
सुमनौकस-पु० [सं०] स्वर्ग, वैकुण्ठ । समत्रसुत-पु० [सं० सुमित्रासुत] सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण व सुमन्न-देखो 'मुमन'। ___शत्रुध्न ।
सुमफटौ-पु० घोड़े के क्षुर में होने वाला एक रोग सुम-पु. [फा०] १ घोड़े, गधे प्रादि पशुनों के पैरों के बिना | सुमरण-देखो 'स्मरण' ।
फटे क्षुर, टाप । [सं० सुम, सुमः] २ सुमन, पुष्ष, फूल । सुमरणी-स्त्री० १ नाम जपने की माला जिसमें १०८ मणिये ३ चन्द्रमा । ४ कपूर । ५ प्राकाश । ६ देवता । ७ पण्डित । होते हैं । २ सत्ताईस वानों की एक अन्य माला ८ देखो 'सूम' । ६ देखो 'सून्य' ।
सुमरणो (गे)-क्रि० [सं० म्मरणम् | १ ईश्वर या अपने इष्ट सुमखारी-पु. वह घोड़ा जिसकी एक मांख की पुतली बेकार हो का नाम जप करना, माला जपना, भजन करना । २ प्रस्थान गई हो।
के समय या कार्यारभ में ईश्वर का स्मरण करना। ३ रटना । सुमजा (सुमध्य)-क्रि० वि० मध्य में, मध्य ।
४ याद करना स्मरण करना। ५ सोचना, विचारना । समण-पु. १ कौस्तुभमणि । २ छप्पय छन्द का एक भेद । | सुमरन-देखो 'स्मरण' । ३ देखो 'सुमन'।
समरिणी (नी)-देखो 'सुमरणो' । सुमत-स्त्री० १ इन्द्र को सभा । २ देखो 'समति' ।
समसायक-पु० [सं० सुमन-सायक] रति-पति कामदेव । सुमतरास-पु० घोड़े के क्षुर या सुम काटने का प्रौजार । सुमसखड़ी-पु० घोड़ों का एक रोग जिसमें उनके सुम सूखकर समतिजय-पु० [सं०] विष्णु ।
सिकुड़ जाते हैं। सुमति-वि० [सं०] १ श्रेष्ठ बुद्धिवाला, बुद्धिमान । २ अच्छी सुमारण, सुमारणस-पु० [सं० सु-मानम] भला एवं सज्जन पुरुष ।
भावना, सद्भावना। ३ कृपा, करुणा, दयालुता। सुमांनी-वि० [सं० सुमानिन] स्वाभिमानी। ४ पाणीर्वाद, वरदहस्त । ५ देवता का अनुग्रह । ६ प्रार्थना । | सुमाग-देखो 'सुमारग'। ७ अभिलाषा, इच्छा । ८ मंत्री, दोस्ती। ९ सगर राजा सुमात-स्त्री० श्रेष्ठ माता, पार्वती। की पत्नी जो ६० हजार पुत्रों की माता थी। (सुमति सुमार-पु. [फा० शुमार] १ गणना, गिनती, संख्या। २ शैव्या) १० विष्णुपश को पली जो कल्कि की माता लेखा-जोखा, हिसाब-किताब, नाप तौल । ३ सीमा, हद, थो। ११ देखो 'सुमतिजिन'।
पार, पारावार । ४ प्रदद, नग। ५ चोट, प्रहार । ६ नाश, सुमतिजिन, सुमतिनाथ-पु. १ जैनियों के वर्तमान काल के | संहार।
पांचवें तीर्थंकर का नाम । २ जैनियों के भूतकाल के तेरहवें | सुमारग-पु० [सं० सुमार्ग] श्रेष्ठ व उत्तम मार्ग. सन्मार्ग । तीर्थकर का नाम ।
सुमारणो (नौ)-क्रि० १ गणना या गिनती करना, गिनना । सुमती, सुमत्ति सुमत्ती-१ देखो 'सुमति'। २ देखो 'सुमतिजिन'। २ लेखा-जोखा करना, हिसाब करना। ३ वर्गीकरण सुमती, सुपत्ती-पु० नेक इरादा, इच्छा, इरादा।
करना, श्रेणी बनाना । ४ सीमा या हद निर्धारित करना। सुमन-पु० [स० सुमन:] १ पुष्प, फूल । २ गेहूँ। ३ धतुरा ।
५ चोट या प्रहार करना । [सं० सुमनस] ४ देवता। ५ पण्डित, विद्वान् व्यक्ति। सुमाळी सुमाली-पु. [सं० अंशुमाली] १ सूर्य, रवि । [सं० ६ मित्र, दोस्त । [सं० शमनः] ७ यमराज। ८ एक सुमाली] २ एक गक्षस जो सुकेश सक्षस का पुत्र तथा दानव । -वि० [सं० सुमनस्] १ दयालु, कृपालु । रावस्त्र का नाना था। ३ एक वानर का नाम । २ मच्छे मन वाला, सहृदय, भावुक । [सं० समन] | सुमित, सुमित्र-देखो 'सुमित्र ।
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सुमिठ
( ८१६ )
सुरंगीयो
सुमिठा-वि० [सं० सुमिष्ठम्] मधुर ।
सुयक्खंध सुयखंध-पु० [सं० श्रुति-स्कंद] वेदों का एक विभाग । सुमिरण-पु. स्वप्न ।
सुयगडांग-पु० 'कृताङ्ग नामक सूत्र । सुमिणा, सुमिरणो-पु० [सं० स्वप्न] स्वप्न, सपना । सुयण-देखो 'सैरण' । सुमितरा-देखो सुमित्रा'।
सुयस-पु० [सं० सुयश] कीति, यश, बड़ाई, तारीफ, सुख्याति । सुमित्त-देखो 'सुमित्र'।
सुयसा-स्त्री० [सं सुयशा] १ राजा परीक्षित की एक पल्ली। सुमित्र-पु० [सं०] १ श्रेष्ठ व मच्छा मित्र । २ श्रीकृष्ण का एक |
२ एक अप्सरा। पुत्र। ३ अभिमन्यु के सारथी का नाम । ४ इक्ष्व कुवंशीय
सुपारण-देखो 'सुजाण'। एक राजा । ५ देखो 'सुमित्रा'।
सुयुद्ध-पु० [सं०] न्याय-सम्मत-युद्ध, धर्म युद्ध ।
सुपोग-पु० [सं०] १ पच्छा योग, शुभ संयोग, शुभ अवसर या सुमित्रा-स्त्री० [सं०] १ अयोध्या के राजा दशरथ की एक
___ मौका । २ देखो 'सुयोग्य' रानी तथा लक्ष्मण व शत्रुघ्न की माता । २ श्रीकृष्ण की एक
सुयोगता-स्त्री० [सं० सु-योग्यता] योग्यता, सुयोग्यता । रानी। ३ मार्कण्डेय ऋषि की माता। -नंदन सुत,
सुयोग्य पु० [सं०] बहुत योग्य, काबिल, लायक । सुतन -पु० लक्ष्मण, शत्रुघ्न ।
सुयोधन (नि, नी)-पु० [सं० सुयोधनः] दुर्योधन का एक सुमियारणी-पु० मारवाड़ राज्यान्तर्गत सिवाणा कस्बे के गढ़ का
नामान्तर। नाम।
सुयो-१ देखो 'सुवो' । २ देखो 'सूत्रो'। सुमिरण-देखो 'स्मरण'।
सुर-१ देखो 'स्वर'। २ देखो 'सुर'। सुमिरणी-देखो 'समरणी'।
सुरंग-स्त्री० [स०] १ किसी मकान, किले, गढ़ या दीवार के मुमिरणो (बी)-देखो 'सुमरणो' (बी)।
अन्दर से होता हुमा भूमितल में बना तंग रास्ता जो सुमिरन- देखो 'स्मरण' ।
पापात् स्थिति में किसी सुरक्षित स्थान में पहुंचने के काम सुमुख-पु० (स०] १ गणेश, गजानन । २ शिव, महादेव ।
प्राता है, गुप्त मार्ग । २ किले की दीवार पादि को उड़ाने ३ गरुड़ । ४ पंडितजन । ५ नाखून की खगेंच । -वि.
के लिये बनाया गड्ढा या छेद जिसमें बारूद भरकर पलीता [सं० सुमुख) (स्त्री० सुमुखा, समुखी) १ मनोहर, सुन्दर।
लगाया जाता है । ३ चोरी के उद्देश्य से दीवार में किया २ भानन्दकर, सुखप्रद । ३ पातुर, उत्सुक। ४ सुन्दर जाने वाला छेद । ४ विस्फोट के लिये बारुद भरने का मुख वाला।
गड्ढा । ५ पहारको गुफा, गिरि-कन्दरा । ६ पहाड़ में समुखा, सुमुखी-वि० [सं०] सुन्दर मुख वाली, सुन्दरी ।-स्त्री.
पड़ा छेद कर, बनाया गया रेल मार्ग या सड़क ।-पु. १ सुन्दर स्त्री । २ एक अप्सरा । ३ संगीत में एक मूच्छंना । ७अच्छा रंग या वर्ण । ८ सूर्य के रथ का सारथी, अरुण । सुमुखो-वि० [सं० सुमुख) (स्त्री० सुमुखी) सुन्दर मुख वाला ।- 8 लाल रंग का घोड़ा। १० घोड़ा, अश्व . ११ मानन्द, - पु० प्राइना, काच, शीशा।
सुख । १२ अट्ठाईस मात्रा का छन्द विशेष ।-वि० (स्त्री० सुमेधा-पु० [सं० सुमेधस्] १ पितरों का एक गण या भेद । सुरंगी) १ उत्तम, श्रेष्ठ । २ अच्छा, बढ़िया । ३ सुन्दर, -स्त्री० २ माल कंगनी ।
सुडौल । ४ अच्छे रंग का, सुन्दर रंग का । ५ लाल । सुमेर, सुमेरगिर, सुमेरु सुमेह-पु. [सं०सुमेकः] १ पुराणानुसार ६ जोश पूर्ण, जोशीला । ७ सुन्दर, सुहावना । ८ स्वच्छ,
एक पर्वत जो स्वर्ण का माना गया है। २ नाम जपने की साफ । ९ अनूठी उक्तिवाला । १० शुभ । ११ मधुर, मीठा । . माला के मध्य का बड़ा मनका । ३ शिवजो का एक नाम। सुरंगी वि० १ हंसी-खुशी, उत्साह-उमंग से भरपूर, मानन्दमय । सुमोज-पु० उत्सर्ग दान ।
२ हरी-भरी। ३ सुन्दर, प्राकर्षक । ४ पारामदायक, सुमोर-पु० [सं० सु+मोदः] हर्ष, प्रसन्नता, खुशी।
सुखदायक । ५ अच्छे रंग वाली, सुन्दर रग की। ६ देखो सुमौरत-पु. [सं० सु+मुहूर्त ] श्रेष्ठ व उत्तम मुहूर्त ।
'सुरगो'। सुयं-देखो 'स्वयं'।
सुरंगीयो, सुरंगौ-वि० [स० सुरंग] (स्त्री. सुरंगी) १ सुन्दर, सुपंबर (वर)-देखो 'स्वयंवर'।
मनोहर । २ पानन्दमय, सुखमय । ३ उत्साह, जोश व सुप-पु० [सं० सूत्र] १ जिनेन्द्र की वाणी या सूत्र । २ देखो। उमंग से पूणं । ४ रक्ताभ, लाल । ५ अच्छे रंगों का,
सुन्दर रगों का। ६ प्रफुल्लित, प्रसन्न । ७ शुभ । ८ बेष्ठ, सुपकरण-पु. [सं० श्रुतकरण] व्याकरण, दूसर। कलामो प्रादि उत्तम । ९ अच्छा, बढ़िया । १. स्वच्छ, साफ । ११ मधुर, की ज्ञानरूप, अवस्था विशेष ।
प्रिय । १२ रसिक । १३ सुशोभित । १४ हरा भरा।
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।
२०
)
सुरकरणो
सुरंब-देखो 'सुरेंद्र'।
देवबाला, अप्सरा । -नाह- 'सुरनाथ'। -प, पत, पति, सुरपत (पति, पती)-देखो 'सुरपति'।
पती -पु. देवतामों का राजा इन्द्र, सुरराज । विष्णु । सुरंभ-देखो 'सौरम'।
-पथ -पु. प्राकाश. प्रासमान । -परवत -पु० सुमेरु सुरंभी-देखो 'सुरभि'।
पर्वत । -पाळ, पाळक, पालक -पु. इन्द्र । विष्णु । सुर-पु० [सं०] १ देवता, देवगण । २ ऋषि, मुनि, महात्मा।
-वि० देवतापों का रक्षक । पीतवर्ण। -पुर, पुरी-पु. ३ सूर्य, रवि । ४ भाकाश । ५ विद्वद्जन, पंडित । ६ हिन्दू,
अमरावती, स्वर्ग, वैकुण्ठ। -प्रिय- पु. इन्द्र का एक पायं । ७ परमार राजपूतों की एक शाखा । ८ ठगण की नामान्तर। बृहस्पति का एक नामान्तर। -वि० जो देवों प्रथम लघु मात्रा का नाम । ६ टगण के चतुर्थ भेव का
को प्रिय हो। -बंधु-पु. दैत्य, दानव । -बाणी-स्त्री. नाम । १० तेतीस की संख्या २ । ११ राग, धुन ।
देव भाषा, संस्कृत । -बाळ, बाळा, बाळी-स्त्री. देवांगना; १२ देखो 'स्वर' । -अंगना-स्त्री० अप्सरा। -माळ, अप्सरा । पृथ्वी। भमण, भवन-पु. स्वर्ग वैकुन्ठ । माळय-पु. देवताओं का निवासस्थान, स्वर्ग । -इंद, ईस
देवस्थान, मंदिर, देवालय । -माका, भात, भाखा-स्त्री० पु० इन्द्र, सुरेश । -प्रोक-पु. वैकुण्ठ । -कंत-पु० इन्द्र ।
संस्कृत भाषा देववाणी। -भूप-पु० इन्द्र, सुरेश, विष्णु । -कन्या-स्त्री० देवबाला, अप्सरा । -कानन-पु० देवतामों -मंत्री-पु० बृहस्पति । -मंदिर-पु० देवालय, देवस्थान । का वन, नन्दनवन । -कांमणी, कामिणी-स्त्री० अप्सरा।
-माग-पु० प्राकाश, पासमान । --माता, माता-स्त्री. -कुंभ-पु० देवतामों का कलश, देवघट। -केतु-स्त्री.
सरस्वती, शारदा। -मारग='सुरमाग' । -मुक्ख, मुख, इन्द्र । देव प्रतिमा या देवालयों पर लगा ध्वज । -गज- मूख-पु० पग्नि, प्राग । -यांन-पु. देव रथ । -राण, पु० इन्द्र का हाथी, ऐरावत । -गण-पु. देवगण, देवता
रांगी-स्त्री. पार्वती, गिरिजा । दुर्गा, देवी। इन्द्राणी, लोग। -गति- स्त्री० देवयोनि, देवोगति । भावी ।
शची । अप्सरा । -राइ. राई, राज, राजा, राय, राव-गय- 'सुरगज' । -गायक-पु. गंधर्व। -माह
पु. देवराज इन्द्र. ईश्वर, विष्णु। -रिप, रिपु-पु. स्त्री० देवताओं की कथा। -गिर, गिरि, गिरी-पु. सुमेरु देवताओं का शत्रु, दैत्य, दानव, राक्षस । -ख-पु. पर्वत। -गुर, गुरु, गुरू -पु. देवताओं के गुरु बृहस्पति ।
कल्पवृक्ष । -लोक, लोकि-पु. स्वर्ग. वैकुण्ठ । -बधूबृहस्पति नामक ग्रह । बृहस्पतिवार, गुरुवार । -वि.
स्त्री. देवांगना, अप्सरा। -वल्लभा-स्वी० अप्सरा, पीला, पीतवर्ण। -धाती-पु० दैत्य, मसुर, राक्षस ।
देवांगना । सफेद दूब । -वांगी-स्त्री० देववाणी, संस्कृत -वि० देवतामों का नाश करने वाला। -चाप- पु.
भाषा । -वांम, वांमा-स्त्री. देवांगना, अमरा।-बासइन्द्र धनुष । -जण, जन-पु. देवगण, देवता लोग । पु० स्वर्ग, वैकुण्ठ । -विटप-पु० कल्पतरु । -वेस्म-पु. सज्जन, भला । चतुर बुद्धिमान । -जेठ, जेठि, जेठी,
स्वर्ग, देवलोक । -वेस्या-मी. अप्सरा। -बरी-पु. जेठो, ज्येस्ट, ज्येस्ठ -पु० ब्रह्मा विधाता, श्रीविष्णु,
दैत्य, दानव, राक्षस । -वक्ष, वख, विभ, विख, विछ-पु. श्रीकृष्ण, इन्द्र। -जण, उजन= सरजण' । -तटी कल्पतरु। --सख,सखा-पु. देवताधों का सखा इन्द्र । -सत्र-स्त्री० गंगा नदी । -तर, तक-पु० देव वृक्ष, कल्प वृक्ष ।
पु० दैत्य, दानव, राक्षस । - सबन-पु. स्वर्ग, वैकुण्ठ । -तात-पु० देवतामों के पिता कश्यप। -तिय-स्त्री०
-साम, सांमी-पु० इन्द्र, विष्णु शिव. ईश्वर । -साह, अप्सरा । -विय, त्रिया, त्री-स्त्री० अप्सरा, देवांगना, परी। साई-पु० इन्द्र। -साल. सालु. सालू-वि० देवों को -यांण, थान-पु. देवालय, देव मन्दिर, स्वर्ग, वैकुण्ठ । सताने वाला, देवों का शत्रु । -सुबरी-स्त्री० देवांगना, -देस- पु० स्वर्ग, वैकुण्ठ । -म, द्रुमी -पु० देववृक्ष,
अप्सरा । दुर्गा, पावंतो। -सुरभि, सुरमी-स्त्री० कामधेनु । कल्पवृक्ष । -द्रोही-पु० असुर, दानव, दैत्य । रावण, दशानन
-स्थान-पु० स्वर्ग, वैकुण्ठ । देवालय, मंदिर। -क्याम, यवन, मुसलमान । -द्वार -पु. स्वर्गद्वार। -हिप- स्थामी, स्वामी-पु० विष्णु । इन्द्र । ईश्वर । -पु० इन्द्र का हाथी, ऐरावत । देवताओं का हाथी । | सुरइंव-देखो 'सूरेंद्र'। -धनुख, धनुस-पु० इन्द्र धनुष । -धाम-पु. स्वर्ग, | सुस-देखो 'सुरेस' । वैकुण्ठ । -धेन, धेनु-स्त्री. इच्छित फल देने वाली सुरक-पु० [सं० स्वर्ग] १ स्वर्ग, बैकुण्ठ । २ घबराहट, डर, कामधेनु । वसिष्ठ मुनि की नंदिनी गाय । -प्रोही-'सुर- भय । ३ चिता, फिक्र । ४ भय से धड़कन बढ़ने की स्थिति । द्रोही' । -नगर-पु० स्वर्ग। -नद, नदि, नदी-स्त्री० | ५पानी प्रादि पदार्थ की सुड़की। ६ देखो 'सुरख' । गगा नदी, भाकाश गंगा। -नाप-पु. इन्द्र, सुरपति । सुरकणो (बो)-क्रि० १ डरना, घबराना । २ धड़कना, फड़कना । -नायक-पु० ईश्वर, परमात्मा । विष्णु । -नारी -स्त्री० ३चिता होना, सोच करना। ४ सुड़क-सुरक कर धीरे-धीरे
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सुरकरिप्रसठ
( ८२१ )
पीना । ५ ऊपर की भोर दवा के साथ धीरे-धीरे खिचना ।। सुग्गादि-पु० [सं० स्वर्ग-पादि] स्वर्ग-लोक-समूह । सुरकरिप्रसठ-पु. [सं० सुरकरिप्रष्ठ] सूर्य, भानु ।
सुरगापगा-स्त्री० [सं० स्वर्गापगा] स्वर्ग गंगा, मंदाकिनी, सुरकरी-पु० [सं० सुरकरिन्] १ इन्द्र का हाथी । २ दिग्गज । गंगा नदी। सुरकली-स्त्री० एक रागिनी विशेष ।
सुरगापुर पुरि)-पु० [सं० स्वर्ग-पुर] स्वर्ग धाम, वैकुण्ठ । सुरकादुरकी-स्त्री. किसी बात को इधर-उधर करने की क्रिया, | सुरगायत-पु० स्वर्ग वैकुण्ठ । दौत्य कर्म, चुगली।
सुरगारोहण-पु० [सं० स्वर्गारोहण] स्वर्ग की पोरगमन । सुरक्ष-पु० [सं०] १ इन्द्र। २ एक पौराणिक पर्वत । -वि. सुरगि-देखो 'स्वरग'। रक्षित, सुरक्षित ।
सुरगी-वि० [सं. स्वर्गीय] स्वर्ग का, स्वर्ग संबंधी। -पु. सुरक्षा-स्त्री० [सं०] १ रक्षा, हिफाजत । २ देखभाल, संभाल। १ स्वर्ग का निवासी. देवता । २ देखो 'स्वरग'। सुरखंडनिका-त्री० [सं०] एक प्रकार की बीणा ।
सरगीनदी-देखो 'स्वरगनदी'। सुरख-वि० [फा० सुर्ख] १ लाल, रक्ताभ, २ क्रोध पूर्ण, रोश | सुरगुण (न)-देखो 'सगुण' ।
पूर्ण। -पु० १ तांबा । २ एक प्रकार का शुभ रंग। सुरग्यांन (ग्यांनी)-देखो 'मुग्यांनी' । सुरखरू-वि० [फा०] १ सफल, कामयाब । २ सम्मानित । सुरग्रह सुरग्राह-पु० [सं० स्वर-गृह] १ वीणा । २थयणेन्द्रिय सुरखानी-वि० रक्ताभ, लाल ।
कान । सुरखाव-पु. [फा० सुर्खाब) १ चकवा नामक पक्षी । २ लाल | सुरघंट-पु. वीरघंट।।
परों वाला पक्षी विशेष ब्राह्मणी बतख । -वि. लाल । सुरघण-पु. मेघनाद, इन्द्रजित । सुरखियाबगलो (बुगलो)-पु. बुगले का एक भेद विशेष। सुरह-देखो 'सरड़। सुरखी-स्त्री० [फा० सुखी] १ अरुणिमा, लालिमा । २ नारा- सुरड़णी (बी)-क्रि० १ कांटेदार छड़ी, बेंत या चाबुक से पूरी
जगी, गुस्सा । ३ इमारत पादि बनाने में काम पाने वाला। तरह पीटना। २ किसी पौधे या पेड़ की टहनी के पत्ते ईटों का महीन चूरा। -पु० [फा० सुर्ख] १ वह घोड़ा पादि खींच कर पूरे तोर देना। ३ अनर्गल बकना, जिसको दुम लाल हो । २ वह घोड़ा जिसका रंग सफेदी या बोलना। ४ चाटकर खाना। ५ संचय करना।।खरोंच भूरापन लिये काला हो।
लगाना, खरोंचना। सुरखो-पु० [फा० सुर्खा] १ लाल रंग का कबूतर । २ देखो सुरड़ी-वि. नाक कटी हुई। 'सुरख'।
सुरड़ी बुरड़ी-वि० नाक-कान कटी हुई, बूची। सुरग-देखो 'स्वरग'।
सुरड़ी-वि० (स्त्री० सुरड़ी) १ नाक कान कटा, बू'चा । सुरगण-पु० [सं०] १ देवगण । २ देखो 'सगुण' ।
२ निर्लज्ज, बेशर्म । सुरगनवी-देखो 'स्वरगनदी'।
सुरचक्र पु० सुदर्शन चक्र। सुरगपत (पति, पती)-देखो 'स्वरगपति'।
सुरचाह-स्त्री० अग्नि, माग । सुरगपहाइ-पु० [सं० स्वर्गपहाड़] सुमेरु पर्वत ।
सुरच्छा-देखो 'मुरक्षा'। सुरगपाताळी-पु. ऐसा पशु जिसका एक सींग पाकाश की भोर | सुरज-पु० १ एक देव जाति । २ देखो 'सूरज'। खड़ा हो तथा दूसरा बिलकुल नीचे झुका हो ।
सुरजणी-पु० [सं० सुरञ्जन] सुपारी का पेड़ । सुरगपुर (पुरी)-देखो 'स्वरगपुरी'।
सुरजमुखी-देखो सूरजमुखी'। सुरगवाळी-स्त्री० कान का एक बाभूषण ।
सुरजांण-पु. १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ इन्द्र । सुरगबेसा, सुरगबेस्या-स्त्री० [सं० स्वर्गवेश्या] प्रप्तरा। सुरजा-स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा । २ पुराणोक्त एक नदी। सुरगरव-पु० [सं० सुरगिरि] सुमेरु पर्वत । -माळा, माला- सुरझरणी (बो)-देखो 'सुळमणों' (बी)। स्त्री० सुमेरु पर्वत श्रेणी।
सुरमाणी (बी), सुरझावणी (बो)-देखो 'सुलझाणी' (बी)। सुरगलोक-देखो 'स्वरगलोक' ।
सुग्टीप-स्त्री० [सं० स्वर-रा० टीप] गायन में स्वरालाप, टीप । सुरगवास-देखो 'स्वरगवास।
सुरण-स्त्री० १ वह रम्सी जो कूए से पानी खींचने वाले पात्र सुरगसार-पु० [सं० स्वर्गसार] चतुर्दश ताल के चौदह भेदों में | के साथ बधी रहती है, 'लाव' । २ देखो 'सूरण' । से एक।
सुरणा, सुरणाइ (ई), सुरणाय, सुरणो-देखो 'सहनाई। सुरगह-पु० तोता, कीर।
सुरणी (बो)-क्रि० अपान वायु निकलना । सुरगाम-पु० [सं० स्वर बाम] स्वर ग्राम ।
| सुरत-स्त्री० [सं० सु-रत] १ स्त्री-संभोग, रति-क्रीडा, मधुन ।
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सुरतग्रही
(८२२ )
सुरभि
२ लहर, ऊर्मी, तरंग । ३ अत्यन्त हर्ष, प्रानन्द, भाहलाद । का नाम। ४ न्याय दर्शन के अनुसार चित्त व शरीर के छः प्रकार के सुरदेवि, सुरदेवी-स्त्री० [सं० सुरदेवी] यशोदा के गर्भ से प्रवक्लेश, भूख प्यास प्रादि। ५ पुष्प गुच्छ जो शिर पर तार लेने वाली योगमाया। धारण किया जाय। [सं० सुरत] ६ प्रच्छा खिलाड़ी। सरदोखी-पु० [सं० सुर-द्वेषिन् ] देवों का दुश्मन, दैत्य, दानव, ७ देखो 'सूरत'। ८ देखो स्रति' । ९ देखो ‘सुरति ।
राक्षस । सुरतपही-पु० [सं०] नाक ।
| सुरघरम-पु० [सं० सुर-धर्मी] बृहस्पति । सुरतजंग-पु. रतिक्रिया में होने वाला संघर्ष, रतिक्रिड़ा। सुरधि-स्त्री० १ सफाई, स्वच्छता, शुद्धि। २ शोधन, परिसुरतपाक-वि० जिसका चेहरा पवित्र व शुद्ध हो।
शोधन । सुरतरण-स्त्री० [स. सुर-तरुणी] अप्सरा।
सुरधुनी-स्त्री० [सं० सुर-ध्वनि] गंगा नदी । सुरताण (लो)-देखो 'सुलतारण' ।
सुरभ्रमरिप-पु० [सं० सुरधर्म-रिपु] दैत्य, दानव राक्षस । सुरतांणी-देखो 'सुलताणी' ।
सुरनयर-देखो 'सुग्नगर'। सुरतांत-क्रि०वि० [स० सुरत-मन्त] सम्भोग के पश्चात्, सुरनरजयकारी-पु. वह घोड़ा जिसका सब शरीर श्वेत तथा __ मैथुन के बाद।
एक कान श्याम वर्ण का हो । सुरता-स्त्री० १ चित्तवृत्ति, बुद्धि । २ प्रात्मा । ३ लगन, ध्यान । सुरनाथरथ-पु० [सं०] इन्द्र का हाथी, ऐगवत ।
४ याद, स्मृति । ५ देखो 'स्रोता'। ६ देखो 'सुरत' ।। सुरनैज-पु० [सं० सुर-नदी-ज] भीम, गार्गय । ७ देखो 'सुरति'।
सुरप, (पत, पति, पती-पु. [म०] १ देवराज इन्द्र । सुरतामोलणी-स्त्री० एक राजस्थानी लोक गीत।
२ विष्णु । ३ दुर्गा देवो। ४ टगरण के चतर्थ भेद का नाम । सुरति-स्त्री० [सं० सु+रति] १ जमकर किया जाने वाला ५ पार्वती। ६ प्रादि गुरु त्रिकल मात्रा का नाम ।
उपभोग, पच्छा भोग । २ तसल्ली, सन्तोष । ३ प्रप्सरा ७ ढंगण के द्वितीय भेद का नाम । देवांगना । ४ याद, स्मरण । ५ ध्यान, लगन । ६ चित्त | सुरपतगुरु, सुरपतिगुरु-पु० [सं० सुरपतिगुरु बृहस्पति । वृत्ति, बुद्धि। ७ पात्मा । ८ मोक्ष, मुक्ति। ९ ज्ञान । | सुरपतिचाप-पु० [सं०] इन्द्र धनुष । १० भावना। ११ शन्द, ध्वनि, स्वर । १२ परमपद, सुरपतितनय-पु० [सं०] १ इन्द्र का पुत्र जयंत । २ अर्जुन। परमधाम । १३ प्राण या प्राण वायु । १४ देखो 'सति'। सुरपतिपाट-पु० इन्द्रासन । १५ देखो 'सूरत'। १६ देखो 'सुरत'।
सरपती(ती)-देखो 'सुरपति' । सरतिगोपणा (ना)-स्त्री० [सं० सुरितगोपना] एक प्रकार की | सुरपाज, सुरपाजा-पु० बोरामचन्द, श्रीराम । नायिका ।
सुरपादप-पु० [स०] कल्पवृक्ष देववृक्ष । सुरतिवत-वि० [सं० सुरतिवत] कामातुर ।
सरपोर-पु० १ देवताओं के पूज्य । २ देखो 'सुरूपी' । सुरतो-स्त्री० १ तम्बाखू के पत्तों का चूरा । २ देखो 'सुरत'। सुरपुर-पु० [सं०] १ अमरावती, स्वर्ग, बैकुण्ठ । २ किसी
३ देखो 'सूरत'। ४ देखो 'सुरति' । ५ देखो 'सुरता'। विषय या बात की गुप्त चर्चा। जिक्र । ३ गुप्त मंत्रणा। सुरतुर-पु. सुरतरु, कल्पवृक्ष ।
४ फुसफुसाहट, अस्पष्ट पावाज । ५ भनक । ६ खबर। मुरत-१ देखो 'सूरत' । २ देखो 'सुरति' । ३ देखो 'सरत'। ७ उड़ती खबर, अफवाह। चक-चक चर्चा, बात, सुरत्य, सुरत्थी-देखो 'सुरथ' ।
जिक्र । १० विचार-विमर्श, सलाह। सुरत्रिय, सुरत्रिया, सुरत्री-स्त्री० [सं०] प्रप्सरा, परी, देवांगना। सरपुरनाय, सुरपुरनाह-पु. [सं० सुरपुरनाथ] इन्द्र । सुरष-पु० [सं०] १ पुराणानुसार स्वारोचिष मनवन्तर का एक सुरपोढ़ग्गी-बी० पाषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी।
राजा। २ राजा द्रुपद का एक पुत्र । । जनमेजय का एक | सरकांकताल-स्त्री० मृदंग की एक ताल । पुत्र । ४ एक द्वीप का एक नाम । ५ एक सूर्यवंशी राजा। सुरवांग-स्त्री० [सं० स्वर + फा० बांग] प्रजान की पावाज । ६ शस्त्रों से सज्जित सुन्दर रथ व इस रथ पर चढ़ने वाला
सरभंग-पु० [सं० स्वरमंग] १ पावाज खराब हो जाने का एक योद्धा।
रोग । २ उच्चारण में होने वाली बाधा । साहित्य में सुरयांनक-पु० १ सुमेरु पर्वत । २ देखो 'सुरयाण' ।
एक सात्विक अनुभाव । सुरवाह-पु. [सं०] देवदारू का वृक्ष ।।
सुरमख-देखो 'सुरभिक्ष'। सुग्दुभि-स्त्री० [सं०] देवतामों का नगाड़ा।
| सुरभि-स्त्री० [सं० सुरभि] १ वसंत ऋतु । २ महक, सुगंध, सुरदेव-पु० [सं०] जैनियों के भविष्यत्काल के दूसरे तीर्थ कर खशबू । ३ गो, गाय। ४ पृथ्वी, धरती। ५ शराब,
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सुरभिक्ष
( ८२३ )
सुरसांमणी
मदिरा । ६ प्रष्ट मातृकामों में से एक । ७ वन तुलसी। सुररांग. सुररांणी-स्त्री० [सं० सुर-राज्ञी] १ पार्वती, गिरिजा। ८ एक प्रकार की सुगंधित घास । ६ साल वृक्ष की राल ।। | २ दुर्गा, देवी । ३ इन्द्राणी, शची। . १० गंधक। ११ कस्तूरी। १२ हरीतकी, हरें। -पु. सुरराइ. सुरराई, सुरराज-पु० [सं० सुर-राजा] १ इन्द्र । १३ चैत्र मास, मधु मास । १४ चंदन । १५ पुष्पहार। २ परमात्मा। -स्त्री० ३ देवी, दुर्गा, पार्वती। ४ पूर्व १६ नारियल । १७ चंपक वृक्ष। १८ समी बक्ष । दिशा । ५ श्यामा पक्षी। ६ भैरवी । -वि. १ श्वेत । १९ कदंब वृक्ष । २० जातिफल, जायफल । २१ मोतिया, २ श्याम । -गज-पु० इन्द्र का हाथी ऐरावत । बेला। २२ सुवर्ण। -वि. १ महकदार, खुशबूदार -वि० श्वत* । श्याम । --गुरु, गुरु-पु० बृहस्पति । सुगंधित । २ मनोहर, सन्दर। ३ प्रानन्ददायक, प्रिय। -वि० पीत, पीला। ४ चमकदार, चमकीला। ५ प्रेमपात्र । ६ प्रसिद्ध | सुररास-पु० [सं० स्वरराशि] मुख, मुंह। प्रतिष्ठित । ७ बुद्धिमान, पंडित, विद्वान । ८ पुण्यात्मा, सुररिखभ-देखो 'सुरररूखव' । नेक । ९ जवान, युवा ।
सुररिखभवन-पु० [सं० सुरर्षभवनं] स्वर्ग । सुरभिक्ष सुरभिख-पु० सं० सुरभिक्ष) १ वह समय जब वर्षा | सरिख भवन-पु० [सं० सुर-ऋषभ-वन] १ स्वर्ग, वैकुण्ठ ।
व प्रनादि की फसलें अच्छी हों, दुरभिक्ष का उल्टा। २ नन्दनवन । २ अधिक वर्षा ।
सुररिखव-देखो 'सुरररुखव' । सुरभिगंध-स्त्री० [सं०] सुगंध खुशबू ।
सुररिसी-पु० [सं० सुर-ऋषि] देवर्षि । सुरभितनय-पु० [सं०] १ बैल । २ सांड । ३ बछडा । सुरळक-देखो 'सीवल'। सरभितन्या-स्त्री० [सं०] १ गाय, गौ। २ गाय की बछिया । सरललिता-वि० श्वेत, सफेद । सुरभिमास-पु० [सं०] चैत्रमास, मधुमास ।
सुरळा-पु० यूक। सुरभी-देखो 'सुरभि'
सुरळियांमरणा-वि० [सं० सुर+रा० रलियांमणा] १ कर्ण सुरभुयण, सुरभुवण (न)-देखो 'सुरभवन' ।
प्रिय, मधुर, मीठा । २ मनोहर, सुन्दर । सुरभूखण, सुरभूसण-पु० [सं० सुर-भूषण] देवतानों के पहनने | सुरळियौ-पु० १ एक प्राभूषण विशेष । २ कान का प्राभूषण
का मोतियों का हार जो एक हजार दानों का व चार हाथ विशेष । लम्बा होता है।
सुरवइ-पु० [सं० सुरपति] १ इन्द्र । २ देवता। सुरभेई, सुरम्मी-देखो 'रभि' ।
सुरवर सुरवरि-पु० [सं० सुरवर देवतानों में श्रेष्ठ इन्द्र । सुरमंडप-पु० [सं०] देवालय, मंदिर।
सुरवल्ली-स्त्री० तुलसी। सुरमंडळ-पु० [सं० सुरमंडल] १ देव समाज, देवगण । | सुरवां-पु० [सं० स्वर] पावाज, कोलाहल शोर ।
२ देवतामों की सभा, मण्डली या गोष्ठी । ३ मिजराव से | सुरवीण, सुरवीण-स्त्री० [सं० स्वर-वीणा] एक प्रकार का बजाया जाने वाला एक तार वाद्य ।
तार वाद्य । सुरम-स्त्री० १ घोडे की ललाट पर होने वाली एक भंवरी। सुरवी यी-स्त्री० [सं०] नक्षत्रों का मार्ग । (शुभ) । २ देखो 'सरम्य' ।
सुरवीर-पु० [सं०] १ इन्द्र । २ देखो 'सूरवीर'। सुरमण-स्त्री० [सं० सुरमणम् ] रतिक्रीड़ा ।
सुरव्रतक-स्त्री० [सं० सुग्वतक] अग्नि, प्राग । सुरमणि (सी)-स्त्री० [सं०] चिंतामणि ।
सुरविति-स्त्री० [सं० सुर-वत्ति] देवपूजन, गणेश-पूजा । सुरमानी-वि० [सं० सुरमानिन्] अपने को देवता समझने सुरसंत-देखो 'सरस्वती'। वाला।
| सुरसंपति, सुरसंपती-स्त्री० [सं० सुर सम्पति] कल्पवृक्ष । सुरमादांनी-स्त्री० सुरमे की शीशी या डिबिया ।
सुरस-वि० [सं०] १ रसीला, रसदार। २ मधुर, मीठा सुरमी-पु० [फा० सुमः] एक प्रकार का खनिज जिसका महीन __ ३ सुदर, मनोहर । ४ स्वादिष्ट, सरस । चूर्ण प्रोख में अंजन की तरह डाला जाता है।
सुरसत (ती)-देखो 'सरस्वती' । सुरम्य-वि० [सं०] प्रत्यन्त मनोरम, सन्दर, रमणीक । सुरसतजनक-पु० ब्रह्मा। सुरयंव, सुरयंद्र, सुरयिंद-देखो 'सुरेंद्र' ।
सुरसर, सुरसरि, सुरसरित, सुरसरिता, सुरसरी-स्त्री० [सं. सुरयौ-पु. बछड़ा, बच्छ ।
सुरसरित्] गंगा नदी। सुररंग-पु० फूल, पुष्प।
सुरसामरणी, सुरसामिणी-स्त्री० [सं० सुर-स्वामिनी] पार्वती सुररखव-पु. [सं० सुरर्षभ] इन्द्र ।
दुर्गा।
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सुरसा
। ८२४ )
सुरायण
सुरसा-स्त्री० [सं०] १ नागों की माता जिसने समुद्र पार जाते | सुरागाय-स्त्री०१ गायों की एक नस्ल । २ इस नस्ल की गाय
हनुमान का रास्ता रोका था। २ एक अप्सरा । ३ तुलसी। जिसकी पूछ के बाल सफेद होते हैं। ४ ब्राह्मी। ५ दुर्गा।
सुरागार-पु० [स. सुरा-धागार] जहा मद्य बिकता हो, शराब सुरसाइ, सुरसाई-पु. [सं० सुर-स्वामिन्] १ इन्द्र । २ एक | खाना। प्रकार का दान । ३ देखो 'सूरसाही'।
सुरागी-वि० अनुरक्त, भासक्त । सुरसाखी-पु० [सं० सुर-शाखिन् ] कल्पवृक्ष ।
सुराड़ो-वि. (स्त्री० सरासी) वह व्यक्ति या प्राणी जो भोजन सुरसाज-पु० बहस्पति ।
या खाना जैसा मिले वसा खा लेता हो व उसमें कमी नहीं सुरसाल-पु० [सं० स-रसाल) १ अच्छे व मोठे पामों का वृक्ष ] बताता हो। व फल । २ स्वादिष्ट ऋतु फल ।
सुराचार-पु० [सं० सुर-प्राचार] १ देवतामों के प्राचार-विचार । सुरसिंधु-पु० [सं०] गंगा नदी।
२ रीति, ढग। सुरसुर (री)-स्त्री०१ फुसफुसाहट, सुरसुराहट । २ देखो। सुराचारज-पु० [सं० सुर+प्राचार्य देवतापों के गुरु 'सुरसरी'।
बहस्पति । सुरसुराट, सुरसुराहट-स्त्री. १ खुजलाहट । २ गूदगूदी। सुराज-पु० [सं०] १ष्ठ राजा का ऐसा शासन जिसमें प्रजा ३ फुसफुसाहट।
अमन चैन से रहती हो । २ देखो 'सु राज्य' । सुरसेनप-पु० [सं० सुरसेनप:] देवतामों का सेनापति, स्वामि | सुराजा-पु० [सं०] बेष्ठ राजा प्रजापालन में उत्तम शासक। कात्तिकेय।.
सुराजीव-पु० [सं०] विष्णु ।
सुराज्य-पु. [सं०] अच्छा राज्य या शासन जिसमें प्रजा सुख से सुरस्यायण सुरस्यामणी-देखो सुरसामणी'। सुरस्सती-देखो 'सरस्वती'।
__रहती हो। सुरस्सा-देखो 'सरसा।
सुराट-पु. [सं०] सुरराज, इन्द्र सूरपति ।
सुराडो, सुराहो-पु० [देश॰] (स्त्री० सुराडी, सुरारी) खाद्य सुरह, सुरहज, सुरहर, सुरहरि, सुरहरी, सुरहळ -देखो 'सुरभि' ।
पदार्थ का स्वाद लिये बिना उदरपूर्णार्थ खाने वाला व्यक्ति सुरहि, सुरही-स्त्री. १ बैलगाड़ी। २ देखो सुरभि'।
या पशु। सुरहो-वि० [सं० सुरभि + रा.प्रौ] १ गाय का, गाय
सुराति-देखो ‘सूरता'। संबंधी । २ सुरभि संबंधी।
| सराव-पु० [सं० सुराध्य ] सूर्य, रवि । सुरांचर-पु० [सं० सुर-चरणम्] भाकाश, नभ ।
सुरादि-पु. [सं०] सुमेरु पर्वत । सुराण-पु० [सं० सुर] । देवगण, मुरगण । २ देखो 'सररोण'।
सुराधिप-पु० [सं० सर-अधिप] इन्द्र, सुरराज । सुरांतर-देखो 'सुरतर'।
सुराधीस-पु० [सं० सुर-धीश्वर] इन्द्र, सुरपति । सुरायाण (पाणी यांन, चांनि)-देखो 'सुरयान'
सुरानक-पु० [सं०] देवतापों का नगाड़ा। सुरांपत, सुरांपति, सुरांपती-दखो 'सुरपति'
सुरानोक-स्त्री० [सं०] देवतामों की सेना । सुरामुख-देखो 'सुरमुख'।
सुरापगा-स्त्री० [सं०] गंगा नदी। सुराराण, सुरांराज (राय, राव)- देखो 'सरराज' । २ देखो। | सुरापत (पति, पती)-देखो 'सुरपति' । 'सुलतार' (न)।
सुरापान-पु० [सं० सरापान] १ शराब पीने की क्रिया या भाव; सुरीलोक-देखो 'सुरलोक'।
मद्यपान । २ शराब, मदिरा। शराब के साथ बाये जाने सुरा-स्त्री० [सं०] १ शराब, मदिरा। २ अंगूरी शराब ।। वाले चटपटे पदार्थ।
३ अप्सरा, देवांगना । ४ पानी, जल । ५ सपं । सुरापात्र-पु० । मदिरा रखने का पात्र । २ मदिरा पीने का सुराई-१ देखो 'सुराही' । २ देखो 'सूराई।
पात्र। सुराक, मुराख-देखो 'सूराख'।
सुराधि-पु० [सं०] सुरा का समुद्र, मदिरा का सागर । सुराग-पु० [सं० सु-राग १ अत्यन्त गाढ़ा प्रेम (तु० सुराग) | सुरामुख-देखो 'सुरमुख'।
२ किसी गुप्त बात, रहस्य धादि जानने का सूत्र, इशारा, | सरायण-पु० बहादुर दल, योडा-समूह । संकेत । ३ गूढ़ विषय को समझने की विधि । ४ पांव का | सुरार, सरारि, सुरारी-पु० [सं० सुर+परि १ देवतामों का चिह्न, बोज, निशान । ५ पता, खबर, ठिकाना । ६ तलाश, शत्र, असुर, दैत्य, दानव, राक्षस । २ एक प्रकार की अनुसंधान । ७ जिज्ञासा। देखो 'सूराख'।
बरसाती घास।
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सुराळ
।
२५ )
सुलक्ष
मुराळ-पु० देवता।
वाला । २ स्वाधीन, स्वतंत्र । सुरालय-पु० [सं०] १ देवतामों के रहने का स्थान, मंदिर, | सुरुताम-पु० समस्त देवगण ।
देवालय। २ स्वर्ग, बैकुण्ठ । ३ सुमेरु पर्वत । ४ शराब- | सुरुद-पु० [सं० सुहृद] मित्र, दोस्त । खाना।
सुरू-देखो 'सरु'। सुराळी-देखो 'सुरावळी'।
सुरूप-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर, खूब सूरत । २ समान, सराव-पु० [सं०] १ एक प्रकार का घोडा । २ उत्तम नि । सदृश्य । ३ पण्डित, विद्वान, बुद्धिमान । ४ कवि । -पु० सुरावट-स्त्री० [सं० शूरत्व] बहादुरी, शूरता ।
१ अच्छा रूप, सुन्दर रूप । २ प्रकृति, स्वभाव । ३ ढांचा, सुरावळि (ळी)-स्त्री० [सं० म्वरावली] १ गायन में स्वर्ण का डोल । ४ शिव । ५ कामदेव । ६ तरह, प्रकार, किस्म ।
थाट, स्वर पंक्ति। [सं० सर-प्रवलि] २ देवताओं की ७ देखो 'स्वरूप' । पंक्ति।
सुरूपा-स्त्री० पुराणानुसार एक गाय ।-वि० रूपवती, सुन्दरी । सुरावास-पु० समेरु पर्वत ।
सुरेंगलो-देखो 'सुरंगली'। सुरावाहि-पु० [सं०] शराब का समुद्र ।
सुरेंद्र-पु० [सं०] १ सुरराज, इन्द्र । २ विष्णु । ३ सूर्य, रवि । सुरासरण-पु० इन्द्रासण।
४ देवगण, देवता । -चाप-पु. इन्द्रधनुष ।-लोक-पु. सुरासमुद्र-पु० [सं०] मदिरा सागर ।
इन्द्रलोक । सराही-स्त्री० [अ०] 1 मिट्टी या धातु का बना एक जल पात्र | सुरे-पु. १ स्वरवाला वाद्य । २ देखो 'सरै'।
विशेष जिसका मुह छोटा व पेट गोलाकार बड़ा होता है। सरेगाय-स्त्री० १ गायों की एक नस्ल । २ इस नस्ल की गाय
२ अच्छ' राहगीर ।-दार-वि० सुराई की तरह बना।। जिसकी पूछ के बालों का चंवर बनता है। सुरिंद-देखो 'सुरेंद्र'।
सरेली-स्त्री० एक प्रकार की घास । सरिदी-पु. सारंगी जाति का एक तार वाद्य (गज)। सुरेस-पु० [सं० सुरेश] १ सुरराज इन्द्र । २ विष्णु, ईश्वर । सुरिख, सरिइंद, सुरिइंद्र-देखो 'सुरेंद्र'।
३ कृष्ण । ४ शिव । ५ लोकपाल । सरिज, सुरिजि, सुरिजी-देखो 'सूरज' ।
सुरेसी-स्त्री० [सं० सुरेशी] दुर्गा, देवी। सुरित-स्त्री० [सं० सु-ऋतु] १ अच्छी ऋतु । २ देखो 'सुरति' । | सुरेसुर, सुरेस्वर-पु० [सं० सुरेश्वर] १ देवतामों का स्वामी, __३ देखो 'सूरत' ।
___इन्द्र । २ विष्णु, ईश्वर । ३ गजानन, गणेश । सरितारण (रिण)-देखो 'सुलताण' ।
सुरेश्वरी-स्त्री० [सं० सुरेश्वरी] १ देवतामों की स्वामिनी, सुरियं, सुरियंद-पु० । वीर, योद्धा । २ देखो 'सुरेंद्र ।
दुर्गा । २ लक्ष्मी। सुरियण-देखो 'सुरगण'।
सुरे-देखो 'सुरै'। सुरिहि-देखो 'सुरभि'।
सरगळी-पु० लोकगीतों में लय का शब्द ।-वि० सुन्दर, खूब सुरीर, सुरींद्र-देखो 'सुरेंद्र'।
सूरत । सरी-स्त्री० [सं० सुरभिः] १ सीमा या सरहद का पत्थर । सुरै-स्त्री० [सं० सुरभि] १ गाय, गौ । २ ब्राह्मणों, पुजारियों
२ गोचर भूमि की सीमा का पत्थर । ३ देवी, दुर्गा । प्रादि को दान में दी गई भूमि । ३ उक्त भूमि की सीमा ४ देवांगना, अप्सरा।
पर रौपा गया पत्थर जिस पर गाय को प्राकृति अंकित सुरीत, सुरीति, सुरीती-स्त्री० [सं० सुरीति] प्रच्छी रीति, ढंग हो। ४ गोचर भूमि । [सं० सुर] ५ देवता, सुर । या तरीका ।
सुरोतरि-देखो 'सुरतरु'। सुरीयाण-वि० शूरवीर, बहादुर ।
सुरोदय-पु० [सं० सूर्योदय] १ सूर्योदय । २ स्वरोदय । सुरीली-वि० [सं०] कर्णप्रिय, मधुर, मीठी ।-स्त्री० मधुर सुरोमा-वि० जिसकी रोमावली सुन्दर हो । प्रावाज, ध्वनि ।
सयद-देखो 'सुरेंद्र'। सरोली-वि० स्त्री. सुरीली) १ कर्णप्रिय, मधुर, मोठा। सुलंक-स्त्री० सुन्दर कटि, श्रेष्ठ कटि ।-वि० सुन्दर कटिवाली। __ २ मधुर या मीठे स्वर वाला।
मुलकी-वि• सुन्दर कटिवाली, सुन्दरी। सुरीस-पु० [सं० सुर+ईश] इन्द्र सुरेन्द्र ।
सुलंब-देखो 'सुलव'। सुरु-देखो 'सरु' ।-गुरु, गुरू='सरगुरु' ।
सुलभ-देखो 'सुलभ' । सुरुचि-स्त्री० [सं०] १ सदइच्छा, उत्तम रुचि । २ ध्रव की | सुलक्ष सुलक्षण-पु० [सं० सुलक्षणं] १ किसी के शरीर पर होने
सौतेली माता का नाम ।-वि० १ श्रेष्ठ विचार या रुचि वाले शुभ चिह्न या लक्षण । २ अच्छा गुण, पादत,
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सुलक्षणी
( ८२६ )
सुलेख
व्यवहार । -वि०१ विद्वान, पंडित, कवि । २ सुन्दर, मनोहर। ४ प्रत्यक्ष । ५ जिसमें कोई घेराव न हो, जो टेढा-मेढ़ा न हो। सुलक्षणी-वि० [सं० सुलक्षणं] (स्त्री० सुलक्षणी) १ भाग्य सुळणौ (बो), सुलगी (बी)-क्रि० १ लकड़ी या अनाज प्रादि
संबंधी पच्छे लक्षणों वाला, शुभ लक्षणा, भाग्यशाली । में कीड़े पड़ना, कीड़ों द्वारा खाया जाना । २ अधिक दिन २ अच्छे स्वभाव व गुण वाला। ३ चतुर, निपुण व तक पड़ी वस्तु का खराब होना, बेकार होना । ३ कमजोर व्यवहार कुशल । ४ सुन्दर, मनोहर । ५ विद्वान, पंडित ।। होना । ६ कवि । ७ सीधा, सरल ।
सुळताण सुलताण-पु० [फा० सुल्तान] १ बादशाह, सम्राट । सुलखण-देखो 'सुलक्षण'।
२ शासक। सुळखणु, सुलखरणो-देखो 'सुलक्षणों' । (स्त्री० सुलखणी) सुळतांणी, सुलतांणी-स्त्री० [फा० सुल्तानी] बादशाहत, सुलख्खण, सुलख्यण-देखो 'सुलक्षण'।
शासन । सलगणो-वि० (स्त्री० सुलगणी) १ शीघ्र जलने वाला, ज्वलन- | सुलता-देखो सलिता'। शील । २ भली प्रकार प्रकुरित होने वाला।
सुलप-वि० [सं० स्वल्प] सूक्ष्म, छोटा । सळगणी (बौ)-देखो 'सिळगणी' (ग)।
| सुळफ, सुलफ-वि० १ श्वेत, सफेद । २ साफ, सुन्दर । ३ देखो सुळगाणी (बो), सुळगावरणी (बो)-देखो "सिळगाणो' (बी)। | 'सुलफो' । सुलान, सुलग्नी-पु० [सं० सुलग्न] ज्योतिष के अनुसार श्रेष्ठ | सुळफसिला-स्त्री० स्फटिकशिला। ____ लग्न ।-वि० बेष्ठ लग्न वाला।
सुलफी-स्त्री० अर्दा या तम्बाखु पीने की चिलम । सुलच्छरण-देखो 'सुलक्षण'
सुलफेबाज-वि० [फा० सुल्फ-बाज] गाजा या चरस पीने का सुलच्छणो-देखो 'सुलक्षणो' ।
पादी। सुलछ, सलछण-देखो 'सुलक्षरम'।
सुलफो-पु० [फा० सुल्फ] तम्बाखू या गांजे की तरह चिलम में सुळस, सुळमण-स्त्री०१ सुलझने की क्रिया या भाव । २ उल. | भर कर पीने का एक नशीला पदार्थ । झन का विपर्याय ।
सुलभ, सुलभ-वि० [सं० सुलभ] १ ओ सहज ही उपलब्ध सळारणी (बी)-क्रि० १ किसी प्रकार की उलझन से मुक्त होना, हो, जो प्रासानी से मिल सके । २ सहज, पासान, सुगम ।
छुटकारा पाना । २ किसी प्रकार की गुत्थी, जटिलता या | ३ उपयोगी, लाभकारी। ४ सीधा, सयाना। पेचीदगी मिटना, समस्या का समाधान होना । ३ किसी | सुलभता-स्त्री० [सं०] १ सरलता, पासानी, सुगमता। गूढ़ विषय का प्राशय समझ में पाना, समझना । ४ भ्रम | २ उपयोगिता। का निवारण होना, भ्रम मिटना। ५ रस्सी डोरे, तार | सुलभौ-देखो 'सुलभ'। प्रादि की गुत्थियां मिटना, गुत्थी खुलना । ६ झगडे का | सुललित-वि० [सं०] अत्यन्त सुन्दर । निपटारा होना, फैसला होना। ७ किसी प्रकार के बधन सुललोतर-पु० शुभ लक्षण । से मुक्त होना ।
सुलव-पु० [सं० शुल्व] तांबा, ताम्र। -वि० सूक्ष्म, बारीक । सुळझाड़, सुळझाडी-पु. १ जब किसी प्रकार की उलझन न | सुळसुळ, सुळसुळाहट-स्त्री. १ कानाफूसी, फुसफुसाहट ।
हो, सुलझी हुई स्थिति । २ साफ-सफाई, स्पष्टता, २ अफवाह, जनश्रुति।।
३ फंसला, निपटारा । ४ किसी समस्या का समाधान । | सुलह-स्त्री० [फा०] १ संधि, समझौता। २ मेल-मिलाप । सळमाणी (बी), सुलझावणो (बी)-क्रि० १ किसी प्रकार की -नामो-पु. संधिपत्र ।
उलझन दूर करना, उलझन मिटाना। २ किसी प्रकार | सुलाणो (बो), सुलावरणौ (बो)-क्रि० १ शयन कराना, मुलाना, की गुत्थी, जटिलता या पेचीदगी मिटाना, समस्या का सोने के लिये प्रेरित करना। २ मधुन या संभोग के लिये समाधान करना । ३ किसी गूढ़ विषय के पाशय को साथ में लिटाना। समझाना, स्पष्ट करना, व्याख्या करना । ४ भ्रम निवारण | सुळावख-देखो 'साळाबक' । करना, दूर करना । ५ किसी तार, डोरे, रस्सी प्रादि में सुलितांण (न)-देखो 'सुळताण' । पड़ी गुत्थियों को निकालना, गुत्थियां खोलना, सुलझाना । | सुळियोड़ो-वि० १ जिसमें कीड़े पड़ गये हों, कीड़ों द्वारा खाकर ६ किसी प्रकार के बंधन से मुक्त करना । ७ झगड़ा निप- खोखला किया । २ निरर्थक, बेकार । टाना, फैसला करना।
सुलूक-देखो 'सलूक'। सुलटो, सुलट्टी-वि० (स्त्री० सुलटी) १ सीधा, सौंधा, भौंधे का सुलेक-पु० [सं०] एक मादित्य का नाम ।
विपर्याय । २ उचित, सीधा, ठीक । ३ उल्टे का विपरीत । | सुलेख-पु० [सं०] सुन्दर लिखावट, अच्छे प्रक्षर ।
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सुलेनामो
( ८२७ )
जा।
सुलेनांमो-देखो 'सुलहनामों।
सुवदना-स्त्री० [सं०] सुन्दर मुख वाली, सुन्दरी। सुलेमानी-पु. १ सफेद पांखों वाला घोड़ा। २ एक प्रकार का सुबद्द-पु० तीर, बारण । पत्थर । ३ एक प्रकार का नमक विशेष ।
सुवधि-स्त्री० अच्छा समय या अवधि । सुले-देखो 'सुलाई।
सुवन-पु. १ सूर्य, रवि । २ चन्द्रमा, शशि । ३ पग्नि, माग । सुलोक-पु० [सं०] १ स्वर्ग या वैकुण्ठ । २ अच्छा व भला | ४ पुत्र, बेटा, मुत। प्रादमी।
सुक्न -१ देखो 'सुवरण' । २ देखो 'सुवन'। सुलोचण, सुलोचन-पु. [सं० सुलोचन] १ मग, हरिन । | सुवप, सुवपि, सुवपी सुबपु-पु० [स० सुवपु] सुन्दर शरीर ।
२ रुक्मिणी के पिता का नाम । ३ अच्छे व सुग्दर मेत्र ।। -वि० सुन्दर शरीर वाला। -वि० पच्छे नेत्रों वाला।
सुववण-पु० [सं० सुवचन] १ उत्तम व बेष्ठ वचन । २ मधुर सुलोचना (ना)-स्त्री० [सं० सुलोचना] १ एक अप्सरा का | व मीठे वचन ।।
नाम । २ रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी । ३ अच्छे नेत्रों सुवर-वि० [सं०] सुन्दर व श्रेष्ठ। -पु. १ पति, खाविंद । वाली स्त्री।
२ बेष्ठवर, उत्तम वरदान । ३ सम्मुख या सामने करने सुलोमा-वि० [सं०] जिसकी रोमावली सुन्दर हो।
की क्रिया । ४ देखो 'सूवर' । सुलोह. सुलोहक, सुलोहित-पु० [सं० सुलोहकं] पीतल। सुवरजित-पु० ऐसा घोड़ा जिसके तीन पर सफेद व शिर में सुलोहिता-स्त्री० [सं०] अग्नि की सात जिह्वानों में से एक । तिलक हो। सुलोही-पु. एक ऋषि का नाम ।
सुवरण-पु० [सं० सु-वर्ण] १ प्रच्छा रंग-रूप । २ अच्छा कुल सुळी-पु. १ किसी लकही या अनाज में लगने वाला कीड़ा, या जाति । ३ काव्य में शुभ माने-जाने वाले वर्ण, पक्षर ।
घुन । २ इस प्रकार का धुन लगने की अवस्था । ३ शूल, ४ सुन्दर प्रक्षर । ५ राजा दशरथ का एक मत्री। ददं। ४ बीमारी, रोग। ।
६ कंचन, सोना । ७ एक वृक्ष विशेष । ८ धन, सम्पत्ति । सुल्तान-देखो 'सुल्ताण'।
सुवरणक-पु. एक प्रकार का भाला या सांग। सुल्लम (को)-देखो 'मुलभ'।
सुवरणकार-पु० [सं० स्वर्णकार] सुनार, स्वर्णकार । सुल्लह-देखो 'मुलह'।
सबरुणकेतकी-स्त्री० लाल केतकी। सुल्लो-पु. १ मास के योग से बना व्यंजन, विशेष। २ देखो सुवरणगिर (गिरि, गिरी)-पु० [सं० स्वर्णगिरि १ सुमेरु ___ 'सूळो'
पवत । २ लंका का पर्वत । जालौर के पर्वत का नाम । सुवक-वि० सुन्दर व मनोहर ।
सुवरणधेन, सुबरणधेनु-स्त्री० [सं० स्वर्णधेमु] दान के लिये सुवंछक-स्त्री० सखी, सहेली। -वि० शुक्तिक, शुभेच्छु । । बनवाई गई मोने की गाय ।। सुबंस-पु० [स० सुवंश] १ पच्छा व भेष्ठ वंश, उच्च कुल । सुवरणचूड (चूडक)-पु० सोने का एक पाभूषण विशेष । २ बसूदेव का एक पुत्र ।
सुवरणपंख-पु० [सं० स्वर्णपक्ष] गरुड़ । सुव-देखो 'सुत'।
सुवरणवार (वन)-पु. एक प्रकार का भाला, सांग । सुवक्ता-वि० [सं०] व्याख्यान देने में चतुर, वाक्पटु, अच्छा वक्ता। सुवरणा-स्त्री० [सं० सु+वर्णा] अग्नि की सात जिह्वानों सुवक्षा-स्त्री. १ विभीषण की माता का नाम । २ सुन्दर वक्ष- में से एक । स्थल वाली स्त्री।
सुरण्ण-देखो 'सुवरण'। सुवखस-स्त्री०च्छा समय शुभ अक्सर ।
सुवरणचूड (चूषक)-देखो 'सुवरणचूडक' । सुवग-पु० डिंगल का एक मोत (छंद) विशेष ।
सुबरन-देखो 'सुवरण। सुबह-पु० [स० सुवड़ क्ट वृक्ष ।
सुवराड़णो (बो), सुवराणी (बौ), सुवरावणी (बो)-क्रि० १ सुवच, सुवचन-पु. [सं० सुवचन, सुवचस्] अच्छा पचन, सत्य सुधरवाना, ठीक करवाना । २ बालों को कटाकर ठीक वचन ।
कराना या कंघी करके संवराना। ३ सजवामा, सज्जित सुवचनी-वि० १ अच्छा वक्ता, वाक्पटु । २ मृदुभाषी ।
कराना। ४ दाढ़ी बनवाना। ५ देखो 'संबराणो' (बी)। सुवष्टियो, सुवटी-देखो 'सूवो'।
सुवरिया-देखो 'सूधर'। सुवरण-देखो 'स्वर्ण'।
सुवस-पु० [सं०] अच्छा या बेष्ठ निवास, पावास । -वि० सुवरणी (बी)-देखो 'सूवणो' (बो)।
१ उत्तम, श्रेष्ठ । २ सीधा, सरल । ३ सुव्यवस्थित । सुवदन-वि० [सं०] जिसका मुख सुन्दर हो, सुमुख । | सुबह-वि० योद्धा, वीर।
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सुबहू
(
९२८ ।
सुवेता
सुबह-स्त्री० [सं० सुवधू] पुत्र वधू ।
सवाल-देखो 'सवाल'। सुवा-क्रि० वि० तक, पर्यन्त ।
सुवालख-देखो 'सवालख'। सुवागणी (बी)-देखो ‘सुवागो' (बो)।
सुवाव-वि० उत्तम श्रेष्ठ । सुवारणी-स्त्री० [सं० स+वाणी] १ सरस्वती, शारदा । | | सुवावड़-पु. १ प्रसव के बाद खाये जाने वाले पौष्टिक पदार्थ । २ श्रेष्ठ व उत्तम वाणी। .
२ प्रसव के बाद म्नान-शुद्धि तक का समय । सुवाणी-वि. (स्त्री. सुवाणी) १ सुवक्ता, अच्छा वक्ता। सुवावरणो-देखो ‘सहाणी'।
२ मधुर भाषी, मदुभाषी। ३ देखो 'सुहाणों'। सुवावरणो (बी)-देखो 'सहारणो' (बी)। सुवान-पु० [स० श्वान] कुत्ता।
सुवास-स्त्री० [सं० स-वास] १ सुगध, महक, खुशबू । २ पोशाक, सुवाई-स्त्री० [सं० सु+वायु] १ शुद्ध एवं शीतल हवा, मच्छी वेशभूषा । ३ निवास, पावास । ४ डेरा, पड़ाव । ५ स्थान, हवा । २ सुलाने की क्रिया या भाव ।
| जगह । ६ घर, मकान । ७अच्छा पड़ोस । ८ शिवजी का सुवाक्य-पु० [सं०] सुन्दर वाक्य । -वि० सुन्दर वाक्य बोलने एक नामान्तर । ९ श्वास सांस । वाला, सुवक्ता।
सुवासरणी, सुवासणी-देखो 'सवासणी' (णो) सुवाग-देखो 'सुहाग'।
सुवासमंद-पु० कदम। सुवागरण-देखो 'सुहागरण' ।
सुवासव-पु. चंदन । सुवागयाळ-देखो 'सुहागथाळ' ।
सुवासि-देखो सुवास'। सुवागो-पु. १ सुन्दर पहनावा, सुन्दर वेश । २ देखो 'सुहागौ। | सुवासिण-देखो 'सवासणी'। सुवाइणो (बो)-देखो 'सवारणो' (बो)।
सुवासिणि (णी)-वि० १ खुशबूदार, सुगंधित । २ देखो सुवाड़ी-स्त्री० [सं० सूता] सद्य प्रसूता गाय, भैस मादि ।
'सवासणी'। सुबाड़ीजान-स्त्री. दूध-पीते बच्चे की बारात ।
सुवासी-वि० [सं० सुवासिन] १ किसी अच्छे मकान या स्थान सुवाट-स्त्री. प्रच्छी राह, अच्छा मार्ग ।
| में रहने वाला । २ देखो 'सुवास' । सुवाणो-देखो 'सुहाणो'।
सुवाह-पु० [सं०] अच्छा घोड़ा, मच्छो नस्ल का अश्व । सुवारणी (बो)-क्रि० १ सोने के लिये प्रेरित करना, सुलाना। सुवि-भब्य सभी, सब, समस्त ।
२ सुलाना, लिटाना। ३ बच्चे को धपकी देकर सुलाना। सुविख्यात-वि० [सं०] जो मच्छे गुण, योग्यता व चरित्र के ४ अपने साथ लिटाना, पास में लिटाना, हमबिस्तर | लिये प्रसिद्ध हो, प्रतिष्ठित । करना। ५ मार गिराना । ६ विश्राम या पाराम कराना। सुविग्य-वि० [स० सुविज्ञ] १ पंडित, विद्वान । २ अच्छा ७ पटकना। ८ देखो 'सुहाणी' (बी)।
अनुभवो। ३ बुद्धिमान, चतुर । सुवाब-देखो 'स्वाद।
सुविचार-पु० अच्छा व उत्तम विचार, नेक इरादा। सुवाद्य-पु. श्रेष्ठ व उत्तम वाद्य ।
सुविधा-स्त्री० [सं०] १ पाराम, सुख । २ काम करने या रहने सुवापी-स्त्री० जर्दे के साथ चूना मिला कर खाने योग्य बनाने | की ऐसी व्यवस्था जिसमें कोई कष्ट या दिक्कत मालूम न की क्रिया।
पड़े। सुवायंत-स्त्री० शान्ति, तसल्ली।
सुविनीत-वि० [सं०] १ विनम्र, बहुत ही नम्र । २ सुशिक्षित । सुवाय, सुवायो-देखो 'सवायो' ।
सुविसाल-वि० [सं० सुविशाल] जो प्रत्यन्त बड़ा तथा भव्य हो। सुवार-क्रि०वि० [सं० श्वः] १ पाने वाला कल, भागामी सुविसाला-स्त्री० [सं० सुविशाला] स्कन्द की अनुचरी एक
दिवस । २ प्रातःकाल, सवेरा। ३ देखो 'संवार'। मातृका।। ४ देखो 'सवार'।
सुविहारण-पु० शुभ सबेरा, उत्सम दिन । सुवारणो(बो)-क्रि. १ तराशना । २ देखो 'संवारणों' (बो)। सुविहि-स्त्री० [सं० सुविधि] अच्छी विधि, सुविधि । सुवारच-देखो 'स्वारथ' ।
सुविहित-वि० सुव्यवस्थित । सवारपी-देखो 'स्वारथी'।
सुवीर-पु० [सं०] १ स्कन्द का एक नाम । २ शिव का एक सवारां, सुवारि, सुवारी, सुवारे, सुवारे-क्रि०वि० [सं० श्वः]
नामान्तर । ३ उत्तम व श्रेष्ठ योदा । ४ देखो सौवीर' । कल । -पु. १ पाने वाला अगला दिन, कल । २ प्रातः सुवीरक-देखो 'सौवीरक' । काल ।
सुवेण-पु० सुन्दर व मृदु वचन । सुवाळ-स्त्री० सुन्दरबाला, सुबाला ।
| सुवेता-पु० [सं० सवित] सूर्य, सूरज ।
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सुवेध
( ८२६
सुसीर
स वेध-वि० १ पंडित, विदग्ध । २ सिक । [सं० शान्त] | सुसब-स्त्री० [सं० सु-छवि] सन्दरता, छबि । विनीत।
सुसबद, सुसबद्द-पु० [सं० सु+शब्द] १ कीति, यश, बड़ाई, सवेल-पु० [सं० सुवेलः] १ लंका के पास का एक पर्वत जिस २ पच्छा व शुभ शब्द । ३ मधुर वचन ।
पर श्रीराम ने सैन्य शिविर लगाया था। -स्त्री० २ सुन्दर ससमय-पु. अच्छा समय या अवसर । लता।
सुसमा-स्त्री० [सं० सुषमा] १ सुन्दरता, शोभा, छवि । २ सुवेलड़ी-स्त्री० सुन्दर लता, वल्लरी।
___मंद मुस्कराहट, मृदु हास्य । [सं० सुष्म] ३ पग्नि । सुवेळा-स्त्रो० शुभ वेला, अच्छा समय ।
| सुसमाथ-वि० सामर्थ्यवान, समर्थ । सवेस-पु० [सं० सुवेश] सुन्दर वेश। -वि० स्वरूपवान, सन्दर । | सुसमित-वि० [सं० सुस्मित] १ मुदित, मुस्कराता हुमा सुवै-क्रि०वि० तक, पर्यन्त ।
२ प्रफुल्लित। सुवरण-स्त्री० [सं० सुवेणि] १ किसी स्त्री को सुन्दर चोटी, | ससमो-देखो 'ससमो'।
सुन्दर वेणी । २ मित्रता, दोस्ती। ३ देखो 'सुवेण' । सुसर-पु० [सं० सु-स्वर] १ मधुर स्वर । २ छप्पय छन्द का सुवैन -पु० सूरज ।
___३६वां भेद। ३ देखो 'ससुर'। ४ देखो 'सुसरि' ५ देखो सुवोरोग-पु० सूतिका रोग।
| 'सुसिर'। सुवो-पु० [सं० शुक] १ तोता, कीर, सुग्गा, शुक । २ प्रसव | सुसरनंद-पु० हनुमान । ___कालीन समय, सूतक । ३ देखो 'म्र वो' । ४ देखो 'सूवौं'। | सुसरम, सुसरमा-पु० [सं० सुशर्मा] महाभारत युद्ध में कौरव सुव्रख-पु० [सं० सु-वृक्ष] पीपल का वृक्ष ।
पक्षीय एक राजा। सुव्रत-पु० [सं०] १ उत्तम व श्रेष्ठ व्रत । २ जैनियों के ८८ सुसराळ-पु० [सं० श्वशुर-पालय] श्वशुर का घर, ससुराल ।
ग्रहों में से ७८ वां ग्रह। ३ जैनियों के भविष्यत् काल के सुसरि-स्त्री० [सं० सु+ सरित्] १ सुन्दर हार, सुन्दर लडी ग्यारहवें तीर्थ कर का नाम ।
या माला। [सं० सुरसरो] २ गंगा नदी। ३ तालाब, सुखन-देखो 'सुवरण'।
सर । -क्रि०वि०१ मधुर व मीठे स्वर में। २ देखो सुविव-पु० [सं० सुर-वन्द] १ इन्द्र । २ देवगण।
। 'सुमिर'। सुबीड़णी (बी)-क्रि० लज्जित होना, संकुचित होना । सुसरौ-देखो 'ससुर'। सुटिवसाल-देखो 'सुविसाल'।
सुसलो, सुसल्यो-देखो 'सस'। सुसंग-पु. १ अच्छा संग, उत्तम संगति । २ सत्संग ।
ससवट-पु. कीति, यश। .. सुसगत-वि० [सं०] युक्तियुक्त, उचित; ठीक । -स्त्री० प्रच्छी | सुसवद, सुसवाद-वि० [सं० स-स्वाद] स्वादिष्ट, जायकेदार । ___सोहबत या संगति ।
सुसात-वि० [सं० सु-शांत प्रत्यन्त शान्त, स्थिर, गंभीर । सुसंगति-स्त्री. अच्छी संगत, सत्संग ।
सुसा-देखो 'ससा'। सुसंधि-पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा ।
सुसाध्य-वि० [सं०] जिसे सरलता से पूर्ण किया जा सके। सुस-१ देखो 'ससा'। २ देखो 'सूस'।
सुखसाध्य । सुसकणी (बो)-देखो 'ससकणों' (बी)।
ससार-पु० कमल। ससकार (रो)-स्त्री० । मुंह से निकलने वाली सी-सी ध्वनि । सुसागो (बी), सुसावणी (बो)-क्रि० संकुचित करना, सिको२ ध्वनि, पावाज । ३ देखो "सिसकारी'।
- इना, सिकुडाना। सुसणी (बो)-क्रि० १ सिकुड़ना, संकुचित होना। २ सूखकर ' सुसिख-स्त्री० [सं० सुशिख] १ अग्नि का एक नाम । [सं० कम होना, सोखा बाना।
सुशिखा] २ सुन्दर वेणी, चोटी। [सं० सुशिष्य] ३ प्रच्छा सुसत-पु. १ सुख, शांति, कुशल-मंगल । २ सत्य, सच्च । व गुणी शिष्य । ३ देखो 'सुस्त'।
सुसियो-देखो 'सस'। ससता, ससताई, ससती-स्त्री० [फा० सुस्ती] शांति, तसल्ली। समिर-वि० [मं. मशिर जिE for: २ उदासी, खिन्नता । ३ प्रालस्य, प्रमाद ।
सुषिर] १ बेंत। २ बांस । ३ मग्नि । ४ एक प्रकार का सुसते. सुसत-क्रि० वि० धीरे, शनः।
वाद्य । सुसतो-देखो 'सुस्त'।
सुसीतळ-वि० [सं० सु-शीतल] प्रत्यन्त ठंडा, शीतल । सुसद्द-देखो 'सुसबद'।
सुसीम-स्त्री० सरदी, शीत । सुसनंव-पु० [सं० श्वसन्-नंदन] हनुमान ।
| सुसीर-पु. चन्द्रमा, चांद ।
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सुसोळ
। ८३० )
सुहाग
ससीळ, सुसील-वि० [सं० सुशील] १ उत्तम स्वभाव वाला, बुद्धि तीव्र न हो, मंद बुद्धि । ७ भाभा या कांति से रहित,
सज्जन, भला। २ उत्तम चरित्रवाला, चरित्रवान, निस्तेज। रोगी। सच्चरित्र । ३ सरलचित्त, सीधा-सादा, भोला-भाला। सुस्ताई-देखो 'सुस्ती' । ४ विनीत, नम्र।
सुस्ताणी (बी) सुस्तावणी (an)-क्रि० १ थकावट मिटाने के सुसीलता-स्त्री सुशील होने की अवस्था या भाव, सज्जनता । लिये विश्राम करना, श्रम दूर करना । २ किमी कार्य को सुसोला-स्त्री० [सं० सुशीला] १ श्रीकृष्ण की पाठ पटरानियों करन के लिए कुछ रुकना ठहरना। ३ धंय म्सना,
में से एक । २ यमराज की पन्नी का नाम । ३ सुदामा की | धीरज धरना । ४ प्रतीक्षा या इतजार करना । मालस्य
पत्नी का नाम । ४ देको, दुर्गा । ५ एक नदी का नाम । या सुस्ती फैलाना । ६ नींद लेना । सुसुक्षा-स्त्री. प्राग।
| सुस्ती-स्त्री० [फा०] १ भालस्य, प्रमाद । २ शिथिलता, सुसुपत-वि० [स० सुषुप्त] १ प्रगाढ़ निद्रा में सोया हुमा, ढीलापन । ३ दुर्बलता, कमजोरी । ४ ममिमता, उदासो ।
निद्रित । २ अचेतन, बेहोश ३ लकवा मारा हुमा, सुन्न । ५ गति मांद्य, दीर्घसूत्रता। ६ बुद्धि माद्य। ७ काम शक्ति सुसुपति, सुसुपती, सुसुप्ति, सुसुप्ती-स्त्री० [स.. सुषुप्ति] १ गहरी का प्रभाव । ८ निम्तेजावस्था। ९ रुग्णावस्था ।
नींद, प्रगाढ़ निद्रा। २ प्रचेतनता, जडता, अज्ञानता। सुस्थित-पु० घोड़े का एक ग्रह या रोग विशेष । ३ पातंजल दर्शन के अनुसार चित्त को एक अनुभूति। सुस्वाम-वि० [सं० सुम्याम सुन्दर एवं श्याम । ४ वेदान्त के अनुसार जीव की प्रज्ञानावस्था ।
सुलो-मो. [सं० सुश्री] १ सन्दर-शोभा। २ कुमारी, मिम । सुसुमण-स्त्री० [स० सुषुम्णः] १ सूर्य की मुख्य किरणों में से सुन सा-स्त्री० [सं शुश्रूषा] १ सेवा-चाकरी, टहल बदगी। एक । २ देखो सुखुमणा'।
२ देखभाल, संभाल, सुरक्षा। सुसुमणा-स्त्री० [स० सुषुम्पा] १शरीर को नौ प्रमुख नाड़ियों सुस्रय-पु० [सं० सुखेय] १ कुशल-क्षेम । २ यश, प्रशसा । में से एक । २ देखो 'सुस मणा' ।
सुस्वधा-स्त्री० [सं०] कल्याण, मगल, सौभाग्य । सुसुरुत-वि० [सं० सुश्रुत] १ प्रच्छी तरह सुना हुपा । २ वेद सुस्वप्न-पु० [स०] अच्छा सपना, शुभ सपना । विद्या में निपुण । ३ प्रसिद्ध ।
सुस्वर-पु० मधुर व मीठा स्वर, मीठी मावाज । वि०-जिसका सुसेण-पु० [सं० सुषेण] १ भगवान विष्णु का एक नाम । स्वर मधुर हो सुरीला। २ सुग्रीव का वंद्य एक वानर।
सुहंगो -देखो 'सू गो'। (स्त्री० सुहंगी) सुसेत-वि० [सं० सु-श्वेत] श्वेत, उज्ज्वल, शुभ्र, चमकीला। सुह-१ देखो 'सुख' । २ देखो 'सुम' । सुसंघको-स्त्री० [सं०] सिंध देश को मच्छो छोड़ी।
सुहगुरु-पु. सद्गुरु । सुसोभित-वि० [स० सुशोभित] १ शोभायमान, शोभित । सुहम्गा-देखो 'सुहागरण' । २ सुन्दर, मनोहर।
सुहड़ (डी), सुहट-देखो 'सुभट' । सुसोहणी (बी)-कि० शोभायमान होला, मोभित होना । सुहटौ-देखो 'सूर्यो। सुसोहत, सुसोहित-देखो 'सुसोभित' ।
सुहरणउ, सुहगो-पु० स्वप्न । सुसो-पु. शशक, खरगोश।
सुहबोलु (लो'-पु० मधुर भाषी। सुसोम-स्त्री० [सं० मुशोमा शोभा, मामा, कास्ति, छवि। सुहा-पु० यम । सुस्क-वि० [सं० शुष्क] १ जिसमें किसी प्रकार की नमी न सुहद्रागिर-पु० [सं० सुभद्रागिरी] भाद्राजून (जाधपुर म) नामक
हो, तरसता न हो, खुश्क, सूखा। २ जिसमें कोई रस न गांव के पास की पहाड़ी। हो. नीरस । । विरक्त, उदास । ४ भुना हुमा। सुहर-पु० सूपर, वराह। ५ कृश, दुबला । ६ झूठा, बनावटी। ७ रीता, खाली। सुहाणी-क्री०१ लोहे का नुकीला मोजार विशेष । १ देखो ८ व्यर्थ, निरर्थक । ९ कटु, कर्कश । १० जीर्ण-शीर्ण सुहावणी'। पुराना ।
सुहागो-देखो 'सुहायो' । सुस्कार, सुस्कारो-देखो 'सुसकार'।
सुहामणउ, सुहामरणो-देखो 'सुहावणो'। (स्त्री० सुहामणी) सुस्त-वि० [फा० सुस्त] जिसमें तत्परता या स्फूति न हो, सुहा, सुहाग-पु० [सं० सौभाग्य] १. किसी स्त्री के मयका सने
पालसो, प्रमादो। २. दुर्बल, कमजोर, अशक्त, शिथिल । की पवस्था। सौभाग्य । २ स्त्री के शरीर पर धारित ३ खिन्न, मलिन, उदास । ४ मंद गति वाला, धीमा, सौभाग्य सूचक चिह्न । ३ पति को भायु । ४ पति का दीर्घसूत्री। ५ जिसमें कार्य शक्ति कम हो। ६ जिसकी। संसर्ग, सौभाग्य सुख, पति का प्रेम । ५ यश, प्रशसा ।
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मुँहागरण
६ विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले मंगल-गीत । | सुहेल-पु० [अ०] यमन देश में दिखने या उदय होने वाला। सुहागण (णि, रणी)-स्त्री. १ वह स्त्री जिसका पति जीवित |
| तारा विशेष । हो, सधवा, सुहागन, सौभाग्यवती । २ पति की प्रिया स्त्री, | सुहेलु, सुहेलू (लो)-देखो 'सोहिलो' । मानेती स्त्री।
सुहृत-पु० [सं० सुहृत्] १ मित्र, दोस्त, सखा । २ राज्य के सुहागथाळ-पु. भोजन का थाल जिसमें कुछ सुहागिनो स्त्रियां | सात अगों में से एक ।। नवागंतुक वधू के साथ भोजन करती हैं।
सुह्नद-वि० [सं०] प्रिय, प्यारा, मित्र । सुहागदार-बिड़लो (बीड़ो) -पु० दूल्हे के स्वागत के समय वधू-सू-क्रि० वि० १ही । २ क्या । ३ सहित । ४ देखो 'स"।
पक्ष की स्त्रियों द्वारा दी जाने वाली पान की गिलोरी। ५ देखो स्यू' सुहागि-देखो 'सुहाग'।
सूई-क्रि० वि० से, ही ।-वि० १ उल्टी का विपर्याय, सीधी, सुहागिण, सुहागिन, सुहागिनी-देखो 'सुहागन' ।
सुलटो । २ चित्त, सोधी । ३ देखो 'सूई'। सुहागौ-पु. १ एक प्रकार का क्षार जिससे स्वर्ण के प्राभूषण सूक सूक-स्त्री. रिश्वत, घूस ।
साफ किये जाते हैं । २ सुन्दर वेश-भूषा, पोशाक । सूकखोर, सूकखोर-वि० रिश्वत लेने वाला, रिश्वतखोर । सुहाणी-वि० (स्त्रो० सुहाणी) १ शोभा देने वाला, शोभायमान, सूकड़ो-१ देखो 'सुकड़ी' २ देखो 'सूक' ।
शोभित । २ सुवासित । ३ अच्छा, बढ़िया । ४ सन्दर, | सू केड़ी-वि. रिश्वतखोर ।
मनोहर । ५ स्वादिष्ट । ६ सुरुचिकर, मनभावन प्रिय।। सूखड़ी-स्त्री० १ एक प्रकार का प्राचीन कर । २ खलिहान से सहाणी (बी)-क्रि० १ अच्छा लगना मन भाना, रुचिकर ब्राह्मण, साधु मादि को दिया जाने वाला अनाज । ३ देखो
लगना, प्रीतिकर लगना । २ बरदाश्त होना, सहन होना। सूकडी' । ३ शोभायमान होना, शोभित होना ।
सूखलो-पु० गेहूँ या जो की भूषी (खाखला) । सुहाय-देखो 'सहाय' ।
तूंगरणी-देखो 'सांगणी'। सुहार-देखो 'सुवार'।
सूगा, सू गाकलाल-पु. एक वैश्य जाति जो धाराब बनाने व सुहारे, सुहार -देखो 'सुवारै'।
बेचने का व्यवसाय करती थी। सहाली-वि० सुन्दर, सुहावनी । -सेज-स्त्री० सुन्दर व मन | सूगी-वि० सस्ती, कम मूल्य की।-स्त्री० 'सूगा' जाति की स्त्री। भावती शय्या।
सूगीवाड़ी-पु. सस्तीवाड़ा, सस्तापन, व्यापारिक मंदी। सहावरण (पी)-वि० १ सन्दर, मनोहर । २ जो रुचिकर लगे, सू गौ सू'गौ-वि० [स० समर्घ] (स्त्री० सूगो) १ कम दामों मन भावन । ३ शोभित, शोभायमान ।
में प्राप्त होने वाला, सस्ता, । २ महत्वहीन, जिसकी सुहावरो (बो)-देखो 'सुहाणी' (बी)।
तबज्जा कम हो । ३ कम खर्च या सहज में पूर्ण होने वाला। सुहावी-वि० सुहावना, सुन्दर ।
४ सुलभ, मामान । सुहासरणी-देखो 'सवासणों'
सूध-स्त्री० रोचक वचन कहने की क्रिया । सुहाहीणी-वि० मूर्ख, नासमझ ।
सुघरणी-स्त्री. १ नाक में सूघने की तम्बाखू । २ देखो सुहिणइ, सहिरणउ, सुहिणी-पु. स्वप्न, सपना । -वि० प्रिय | सांगणी'। वल्लभ ।
| सूघणो (बो) -क्रि० [सं० शिधनम्] १ नाक (धारणेन्द्रिय) सुहित-पु० [सं० स्वहित] अपना हित या भला । स्वार्थ । द्वारा किसी गंध का अनुभव करना । सूचना । २ कोई
-वि०१ हितैषी, हितु । २ लाभदायक शुभ । ३ देखो गंध लेने का प्रयास करना। ३ कोई वस्तु सूधने के लिये 'सहित'।
नाक के समीप लाना । ४ गंध लेकर खोज लेना, 'ढना । सुहितो-देखो 'सोहितो'।
५ ध्यान या तवज्जाह देना, देखना। सुहित्त-देखो 'सुहित'।
| सघौ-वि० १ रोचक वचन कहने वाला । २ देखो 'सगो' । सहिद्रा-स्त्री० सुभद्रा।
सूज, सूझ-पु० विवाह के समय दहेज के रूप में तथा प्रथम सुहिलो-वि० सुलभ ।
प्रसव के बाद विदाई के समय, लड़की को दिया जाने वाला सुही-सर्व० १ वही, वह । २ देखो 'सुखी'।
वस्त्राभूषण पादि। सहुइ-देखो 'सुभट'।
सूट-पु. १ एक प्रकार का कीड़ा, कीट । २ देखो 'स'ठ' । सुहलू-वि० सुलभ ।
सू टी-स्त्री० [सं० सूस्थिता] नाभि । सुहेतल, सुहेल-वि० शुभ, मांगलिक सहज ।
| सूटो-पु० वर्षा के साथ चलने वाली तेज हवा ।
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( ८३२ )
सूठ सूठ-स्त्री० [सं० शुण्ठी] सूखी पद्रक, सोंठ ।
दिया जाने वाला बिचाव, मरोड़ । ३ पतंग की डोर पर सूठि. सठी-१ देखो 'सटी' । २ देखो 'सूठ'।
किया गया मेदे आदि का लेपन । ४ तीक्ष्ण या पैनी वस्तु सू-स्त्री० [सं० शुण्डा] १ हाथी की नाक जो शिर से जमीन की रगड।
तक लटकती रहती है । २ कूए से पानी निकालने की मोट सूत्ररणौ (यो)-१ देखो 'सूतणी' (बो' । २ देखो 'सूत्रो' (बो)। जो हाथी की सूड के प्राकार की होती है । ३ हरे रंग का सूयण (णि खी)-देखो 'सूथण' । एक कीडा, कीट विशेष ।।
सूद-देखो सूद्र'। सडकियो, सूडक्यो-देखो 'सूडौं।
सू दरि, सूदरी-देखो 'सुदरी' । सूड डड (दंड'-देखो 'सूडाडंड' ।
सूदाराय-स्त्री० सूधा पर्वत पर निवास करने वाली देवी। सूडधर-पु० [सं० शुण्ड-घर] १ हाण, गज । २ गणेश, गजानन । | सूदो-पु० १ जालौर जिले में जसवंतपुरा के पास वाला पर्वत । सडर-पू० राठोड राजपूतों की एक शाखा व इसका व्यक्ति।। २ देखो 'सधौ'। सूळो, सूडलो-देखो 'सडो'।
सूधा, सूधा-क्रि० वि० १ सहित समेत । २ देखो 'सौंधौ' । सूडहळ-पु० [सं० शुण्डा-धर] हाथी, गज ।
सूधावास-स्त्री० सुवास, सुगंध, खुशबू । सुड डंड, सूडादंड (डो)-पुं० [सं० शुडादण्ड] १ गणेश, सूध-क्रि० वि० सुगंध से, खुशबू से । गजानन । २ हाथी, गज । ३ हाथी की सूड ।-वि०जिसके सूड सूधो-वि० १ उलटा या प्रौंधा का विपर्याय, सुलटा, सीधा । हो, सूडधारी।
२ देखो 'सूधौ' । ३ देखो 'सौंधौ'। ४ देखो 'स'दो' । सूडाळ (को)-पृ० [सं० सुण्डार] १ गजानन, गणेश । २ हाथी सन-देखो 'सून्य' गज । -वि० जिसके सूड हो. सूडवाला ।
सूनउ-देखो 'मूनो'। सूडाहळ, सूडाहळा-स्त्री० १ हाथी की सूड । २ देखी 'सूडाळ'। सूनत, सूनित-देखो 'सुन्नत' । सूडियो-पु. १ वह कूड़ा जिसमें से हाथी की सूड जैसी मोट से सूनी-देखो 'सन्नो'।
पानी निकाला जाता है। २ सूडदार चरस (मोट।। सूनो-देखो 'सनो' । ३ हाथी, गज । ४ देखो 'सूडो' ।
सून्य देखो 'सून्य'। सडी-स्त्री०१ ऊंट की मुखाकृति । २ हाथी, गज । ३ नाभि । सूप-स्त्र सौंपने की क्रिया या भाव । सडीर-पु० [सं० शुण्डीर] १ हाथी की सूड । २ हाथो । सूपणो (बी)-क्रि० १ किसी कार्य का उत्तरदायित्व किसी को सूडो-पु. खपचियों का बना एक टोकरा विशेष ।
देना. सुपुर्द करना । २ कुछ देना, हस्तान्तरण करना । सुडगालो-देखो 'सूडाळ' ।
३ भेंट करना, इनायत करना । ४ किसी की देख-रेख में सूड्यो-देखो 'मडियो'।
रखना, चोकसी में रखना । ५ सिखाना, बताना, शिक्षा, सूढि-१ देखो 'सूड' । २ देखो 'सटी' ।
ज्ञान प्रादि देना। सूण-देखो 'सगन'।
सूफ-स्त्री० [सं० शतपुष्पा] १ भारत में प्राय: सर्वत्र पाया सूरणावरणी (बौ)-देखो 'सुरगाणो' (at)
जाने वाला पांच या छः फुट का एक पौधा । २ इस पौधे सणी, सणी-स्त्री०१ छोटी चिमटो। २ शकुन शास्त्र का के बीज जो जीरे की तरह-कुछ बड़े होते हैं। ज्ञाता, शकुनो।
। सूब, सूबड़ो-देखो 'सूम' । सूणो (बो)-देखो 'सवणो' (बी)
सम-पु०१ डाब के समान पत्तों वाला एक पौधा जिसकी रस्सी सतलो (बी)-क्रि० [सं० सुथूर्वणं] १ तीक्ष्ण धार वाले शस्त्र बनती है । २ देखो 'सूम' । ३ देखो 'सम' ।
से शरीर का कोई अंग काटना, विच्छेद करना । २ गीली सूमरा-स्त्री० यादव वंश की एक शाखा जो बाद में मुसलमान रस्सी प्रादि को गाढ़ा भींचकर खींचना। ३ रसदार वस्तु हो गये। को पींचकर रस निकालना। ४ ताकत या सत्व निकाल सूमरी-पु. उक्त जाति का व्यक्ति । देना । ५ खींचकर एकत्र करना, इक्ट्ठा करना । ६ पतंग सू मेर-देखो 'सुमेरु' ।। की डोर में सूती देना। ७ पौधे या पेड़ की टहनी को सू'रौ-वि० (स्त्री० स"री) सीधा, सामने की दिशा में, पका कर ऐसे खींचना कि पत्ते टूट जायं । ८ उजाड़ना। प्रार-पार । ९ दूसरे का धन धीरे-धीरे अपने अधीन करना, हड़पना | सूलियो-पु० खरहा, खरगोस । १० छड़ी मादि से पीटना।
| सूवों, सूवी-वि० (स्त्री० सूवी)१ सीधा, सुलटा, सौंधा । २ ऊपर संती-स्त्री०१ सूतने की क्रिया या भाव । २ मुट्ठी में भींचकर मुह किए हुए, चित्त-क्रि० वि० १ तक, पर्यन्त ।२ ठीक ऊपर।
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सूस पु० १ शपथ, सौगन्ध, कसम । २ संकल्प, प्रेरण । ३ त्याग । ४ वादा, कौल । ५ एक जानवर जिसके चमड़े की ढाल | बनती है । ६ व्हेल मछली ।
सती [वि० (बी० [सूसी) समर्थ, शक्तिमा
सूसर - पु० मगर विशेष ।
सू' हरी-देखो 'सू'री' (स्त्री० सू हरी) हाळी- पु० एक प्रकार का व्यंजन । सू-देखो 'मू'
( ५३३ )
सरसरी-देखो 'सुरों'।
सू साड़ सूसाड़ी - पु० १ तीव्र गति से चलने या फेंके जाने के कारण होने वाली सू सू की प्रावाज । २ क्रोधावस्था या तेज़ चलने-दौड़ने के कारण श्वास की तेज श्रावान। शब्द । ३ तेज हवा या प्रांधी की ध्वनि । ४ फुफकार । सीबी) नौ (बी) क्रि० १ पत्यन्त ती गति से फेंकना या चलना जिससे सू सू ध्वनि हो । २ सू सू की
प्र'वाज करना ।
सू' सो-देखो 'सुसी' |
सुहगो-देखो 'सु'बी' (स्त्री० 'डमी) सुहणौ- पु० सोहणी नामक गीत (छन्द) ।
सूअ. सुप्रउ, सूटो- पु० [सं० शुक] तोता, कीर, सुग्गा । सूण ( ब ) - देखो 'सूवरणी' (बी) ।
सूबर, सूअरड़ो-देखो 'सूर'
सूरवंत - देखो 'सुधरदंती' ।
चूड़ी स्त्री० स्त्रियों के हाथ के कंगन, सौभाग्यचिह्न । सूत्राणो (बी) - देखो 'सुहाणी' (बौ)। सूधार - पु० रसोईया ।
सूधारोग पु० मूर्तिका रोग।
सुप्रावडि, सूनावड़ी - १ देखी 'सुवाड़ी' । २ देखो सुवावड़' । सूद सूई [स्त्री० [सं० [सूची] १ पक्के लोहे के पहले तार का नोकदार उपकरण जिसमें होश पिरोने का छेद होता है डोरा और कपड़े सिलने बाद के काम आता है। २ परके तार का नोकदार खण्ड जो ग्रामोफोन बजाने के काम घाता है।
३ सूई की तरह बनी सोह की नलिका जो रोगी के शरीर में (नाही या मांत में दया पहुंचाने के काम प्राती है ) इंजक्शन |
।
- देखो 'वो' ।
सुकंड़ि, सूकड़ी, सूकड़ी (डि. डो) - पु० १ चंदन । २ एक पौधा । विशेष । ३ एक खाद्य पदार्थं विशेष स्त्री० ४ मारवाड़ की एक नदी - वि० शुष्क, सूखा । सूकरणी (बी) - देखो 'सूखणी' (बो) । सुकनं व पु० [सं० शूकनंद ] ४९ क्षेत्रपालों में से ४६ वा क्षेत्रपाल ।
सूकर - १ देखो 'सूत्र' । २ देखो 'सूवर' सूकरक्षेत्र (खेत) - पु० [सं० सूकरक्षेत्र ] एक प्रार्थन तीर्थ !
सूकरी - स्त्री०
० मादा सूवर 'भू डग' ।
सूकरमुखी स्त्री० सूंवर के मुख के प्राकार की बनी एक तोप विशेष |
सूकरो- पु० [सं० शूकर ] सूअर, वराह 1 सूकळ - पु० प्रशिक्षित घोड़ा ।
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सूखी
(स्त्री० सूकरी ) मथुरा जिले में स्थित
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सूकविक पु० एक प्रकार का पक्षी ।
(स्त्री० सूकी)
कालो (बो), कावली (बी) देखो 'खाणी' (दो) सूकोड़ो-वि० (स्त्री० [कोड़ो शुल्क, सूखा धा को देखो 'सूखी' सूक्षम, सूक्ष्म वि० [सं० सूक्ष्म] १ प्रत्यन्त लघु बहुत छोटा । २ बहुत कम प्रत्यन्त पोहा ३ बहुत बारीक महोन ४] पतला, शीख ५ तोह नुकीला ६ नाजुक, कोमल । ७ विलक्षण, प्रद्भुत । ८ उत्तम श्रेष्ठ । ९ ठीक, सही। १० गूढ, गहरा । ११ चालाक, धूर्त पु० [सं० सूक्ष्म ] १ सर्वव्यापी परमात्मा ब्रह्मा २ प्रात्मा । ३ अणु परमाणु । ४ शिव का एक नामान्तर । ५ सूक्ष्मता I ६ केतक वृक्ष । ७ शिल्प कौशल ८ धूर्तता, कपट, फरेब । ९ महीनडोरा, धागा । १०. लिंग, शरीर । ११ योग द्वारा प्राप्त एक शक्ति । १२ एक काव्यालंकार विशेष । १३ देखो 'सूक्ष्मभूत' ।
सूक्ष्मद्रस्टि श्री० [सं०] सूक्ष्म दृष्टि ] १ स्यन्त सूक्ष्म वस्तु देखने
की ज्योति । २ विषय की गूढ़ता या सूक्ष्मता को समझने की बुद्धि । - वि० जिसकी ऐसी दृष्टि या बुद्धि हो । सूक्ष्मभूत पु० [सं०] पंच तन्मात्रा का नाम । सूक्ष्मसरीर - पु० [सं०
सूक्ष्मशरीर ] पांच प्रारण, पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच सूक्ष्मभूत, मन और बुद्धि इन सत्रह तत्त्वों का समूह । सूक्ष्मा स्त्री० [सं०] विष्णु को नौ शक्तियों में से एक। बड़िया ० एक वर्ग विशेष सूखड़िया - खड़ी देखो 'मी' । -
।
"
सूखड़ी (डी. डी) देखो - 'सूखड़ी' ।
सूची (बी)-क्रि० [सं०] शुष्क] १ किसी पदार्थ का गीलापन, भद्रता या तरावट समाप्त होना, सूकना । २ वृक्ष, पौधों आदि का जल के प्रभाव में नष्ट हो जाना, जीवन शक्ति न रहना। ३ नदी, जलाशयों का जलहीन होना । ४ रस विहीन होना, नीरस होना ५ दुर्बल होना, सीए होना । सूखन देखी 'सूक्ष्म' सरीर सरीर' सुखमा स्त्री० [सं० सुषमा] १ शोमा छवि धामा, कांति २ एक प्रकार की वृक्ष । ३ देखो 'सूक्ष्मा' । सूखाणी (बी), सूखावलो (बो) - देखो 'सुखाणी' (बौ),
=
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सुखिम
सूखिम-देखो 'सूक्ष्म'।
सूचिका-स्त्री० १ सूई । २ हाथी की सूड । सूखेड़ो-पु. १ शुष्क वातावरण या प्रांगन । २ घाईताहीन | सूचिमुख -पु. मूसा, चूहा । -वि. जिसका मुह तेज व मौसम ।
तीक्ष्ण हो। सखो-वि० [स० शुरुक] (स्त्री० सूखी) १ माता, नमी या सूचियो-देखो 'सूचक'
तगवट से रहित, शुष्क । २ चिकनाई से रहित, फरका । सूची-पु० [सं० सूचि] १ सैन्य व्यूह रचना । २ इशारा, सैन । ३ उदास, विरक्त । ४ कोमल, भावो से रहित कठोर हृदय । ३ भेदन । ४ हावभाव । ५ छेदन । ६ नृत्य विशेष । ७ गुप्त .५ कोरा, केवल, निरा -पु. १ अनावृष्टि, अकाल, वर्षा का दूत, भेदिया । ८ चुगलखोर । ९ दुष्ट खल । १० कपड़ा सोने प्रभाव । २ पानी के प्रभाव वाला क्षेत्र । ३ तम्बाखू का की सूई । ११ किरण, प्रामा। १२ दृष्टि । १३ अप्सरा। सूखा पत्ता।
१४ विगत, तालिका, फहरिश्त । १५ सूई की नोक । सूखोडा-वि० शुष्क, सूखा हुप्रा।
१६ विषयानुक्रमणिका। १७ माठ प्रत्ययों में से एक सूखौसपाक-वि० बिल्कुल सूखा, शुष्क ।
(पिंगल शास्त्र) ।-वि० [सं० शुचि] १ उजला, शुभ्र । सूग-स्त्री० घृणा, नफरत ।
२ सफेद, श्वेत, । ३ पवित्र, शुद्ध । सगरणी-वि० शुभ लक्षण।
सूचीकरम-पु० [सं० सूचि-कर्म] सूई पिरोने व सीने की कला । सुगती-स्त्री० [स० शूक्तिः] सीप, शुक्ति ।
सूचीमुख-देखो 'सूचिमुख'। सगतीज-पु० [सं० शूक्तिज मौक्तिक, मोती।
सूची-वि० [सं० शूचि स्वच्छ, निर्मल, शुद्ध, पवित्र । सूगलवाड़ो-पु० गंदगी।
सुछम-देखो सूक्ष्म'। सुगलियो-पु० १ वर्षा ऋतु में मवेशियों के मुह में होने वाला सूजणी (बो)-क्रि० १ किसी चोट या विकार के कारण किसी एक रोग विशेष । २ देखो 'सूगलो' ।
अंग पर शोथ माना, सोजन प्राना, फूलना । २ देखो सूगलो-वि० (स्त्री० सूगली) १ गंदा, घरिणत, घिनौना । सूझणो' (बी)। २ बुरा, खराब । ३ भद्दा, कुरूप ।
सूजन-स्त्री० १ चोट, प्राघात या रोग के कारण किसी अंग पर सूगावणो (बी)-देखो 'सुगारणो' (बी)।
पाने वाली शोथ । फुलाव । २ सोजन प्राने की अवस्था या सई-पु. १ खेत में होने वाली कंटीली झाड़ी या घास के | भाव।
पौधे । २ ऐसे पौधों को काटकर सफाई करने की क्रिया । सूजनम-स्त्री० [सं० सूर्यनवमी] आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की
३ नाश, ध्वंस । ४ सफाई। सूउ-देखो 'सूर्ती' ।
सूजाण-देखो 'सुजाण'। सडि-देखो 'सूड' ।
सूजाउ-देखो 'सुजाव' । सड़ी-१ देखो 'सूवी । २ देखो 'सूड' । ३ देखो 'सूवर'। सूजाक, सूजाग-पु० [फा० सूजाक] मूत्रेन्द्रिय का प्रदाह युक्त रोग सूचक-वि० [सं०] १ सूचना देने वाला, सूचित करने वाला, । विशेष । बताने वाला । २ बोधक, ज्ञापक । ३ दिखलाने वाला,
वाला, सजाणो (बी)-क्रि० १ मार-मार कर या पीट कर शरीर या बतलाने वाला, मुखबिर । ४ सिद्ध करने वाला। ५ छेद
अंग को सुजा देना, फुला देना । २ रो-रो कर प्रांखे फूला करने वाला ।-पु. १ शिक्षक । २ किसी नाटक का प्रधान
लेना। ३ रूठ कर मुंह फुला लेना। नट, सूत्रधार । ३ दर्जी। ४ कुत्ता, श्वान । ५ काग, कोना
सूजाव-पु. १ शोथ, सूजन । २ देखो 'सुजाव' । ६ सिद्ध । ७ दुष्ट, गुण्डा । ८ राक्षस, शैतान । ९ सई।
| सूजावणी (बो)-१ देखो 'सूजाणो' (बी) । २ देखो सूझा१० बिल्ली। . सूचना-स्त्री० [सं०] १ किसी घटना की जानकारी, बात का
___ वो ' (बी)। परिचय । २ किसी योजना, अभियान, षड़यंत्र का सूजी-सर्व० वह, वही ।-पु० [सं०सूचिक] १ दर्जी।-स्त्री० पूर्वाभास, जानकारी । ३ संदेश, समाचार । ४ विज्ञापन,
२ सूजन, शोथ । ३ दानेदार मेदा जिसका हलवा बनाया विज्ञप्ति, इश्तिहार । ५ राजाज्ञा का प्रसारण । ६ दुर्घटना जाता है। प्रादि का विवरण । ७ टोह
सूझ-स्त्री०१ सोचने-समझने की क्रिया या भाव । २ दृष्टि, सूचनिका-स्त्री० १ सूची, विगत, विवरणिका । २ एक प्रकार नजर । ३ बुद्धि, समझ, पक्ल । ४ वह बौद्धिक-शक्ति जिसके का छन्द ।
द्वारा कोई अद्भुत बात, नई उद्भावना जागृत होती है, सूचि-स्त्री० किरण।
समस्या सुनझाने की शक्ति। ५ समझदारी, दूरशिता।।
नवमी।
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सूझरणो
( ८३५ )
सूत्रकरम
सूमणो (बो)-क्रि० १ दिखाई देना, दृष्टिगत होना, दिखना । | सूतकाळी-पु० किसी को मृत्यु के नौवें दिन परिवार एवं
२ समझ में पाना ध्यान में प्राना, मन में माना । ३ बुद्धि सम्बन्धियों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक स्नान । से उपजना, ज्ञान चक्षुषों से समझना । ४ याद रहना, | सूतकी-वि० [सं० सूतकिन् ] जिसके घर या परिवार में स्मरण रहना । ५ प्रवृत्ति होना, मन में माना । ६ योग | 'सूतक' हो। बनना, संयोग होना । ७ चलना । ८ उत्पन्न होना, उठना। सूतगड-पु. [सं० सूतकृत] तीर्थ करों द्वारा पर्थ रूप में उत्पन्न ९ अनुभव होना, समझ में पाना ।
- कर गणधरों द्वारा ग्रन्थ रूप दिया साहित्य । (जैन) सूझतउ, सुझती-वि० (स्त्री० सूझती) १ प्रांखों वाला, दृष्टि सूतडाचींटूडी-स्त्री० पैर का प्राभूषण विशेष ।
वाला । २ विशुद्ध, निर्दोष -क्रि० वि०१ देखते व समझते | सूतड़ो-पु० हाथ का प्राभूषण विशेष । हुए। २ दिखते, दिखाई देते हुए।
सूतज-पु० [सं०] दानवीर राजा कर्ण। सूझबूझ-स्त्री० सोचने-समझने की बुद्धि, सूक्ष्म दृष्टि । सूतण-देखो 'सूथण' । सूमारणौ (बो), सूझावरणो (क)-देखो 'सझाणी' (बो)। सूततनय-पु० [सं०] राजा कर्ण। सूटो-देखो सूवौ' ।
सूतनंदन-पु० [सं०] राजा कर्ण । सूठ-वि० [सं० सुष्ठ] उत्तम, श्रेष्ठ ।
सूतनउमा-पु० [सं० उमा-सुत] १ स्वामिकात्तिकेय । २ गणेश, सूण-१ देखो 'सगुन' । २ देखो 'सकुन'।
गजानन । सूरणघर, सूणहर-पु० [सं० शयन-गृह] सोने का कमरा, | सूतपाळ-पु० [सं० सूतपाल] कर्ण । शयनकक्ष ।
सूतबंधी-स्त्री० सीध, सोधाई । -क्रि०वि० सीधे लक्ष्य की पोर । सूणांपो, सूणापो -पु० सौन्दर्य ।
सूतर-१ देखो 'सूत्र' । २ देखो 'सूत' । सूरणी-वि० (स्त्री० सूरणी) १ सुहावना, सुन्दर, मनोहर । २ युक्त | सूतक
सूतळ-वि० सूत का, सूत संबंधी। -क्रि० वि०.१ तक, पर्यन्त । २ सहित, साथ ।-पु. लोहे
| सूतळी-स्त्री०१ जूट के बारीक रेशों की बनी पतली डोरी जो का मोटा चिमटा विशेष ।
बोरे सिलने के काम माती है । २ सत की पतली डोरी।
स्तहार, सूतार-देखो 'सूथार'। सूणौ (बौ)-देखो 'सूवरो' (बी)।
सूतिका-देखो 'सूतका'। सूत, स त-पु० [सं० सूत्र] १ धुनी हुई रूई को कात कर तैयार |
यार | सतिकारोग-पु. प्रसव के कुछ समय बाद स्त्री के होने वाला किया हमा बारीक कच्चा धागा, तंतु या रेशा । २ कच्चे रोग विशेष । रेशों का बना बारीक डोरा । ३ ऐसे डोरों या कच्चे तागों|तियो-देखो 'सत'। का बना वस्त्र, सूती वस्त्र । ४ साफा, पगड़ी। ५ रूई।
६। | सूती-वि० १ सूत का, सूत सबंधी । २ सूत का बना हुमा । ६ रस्सी, डोरी। ७ चुनाई, दीवार की सीध नापने का
| -पु. सूत का वस्त्र।। डोरा। सूत का ढेर। ९ द्विज का जनेऊ । १० प्राभूषण, | सतोडो, सती-वि० [सं० सुप्त] (स्त्री० सूतोड़ी, सूती) १ सोया गहना । ११ संपत्ति, धन पूजो । १२ संचय, संग्रह।
हुमा, सुप्त । २ बेहोश, गाफिल । ३ निद्रित । १३ संबंध। १४ विधान, नियम, कायदा । १५ विधि, | सत्र-पू० [सं० सूत्र] १ थोड़े से शब्दों में कही जाने वाली तरीका । १६ ढंग, हालत । १७ कार्य, काम । १८ उपक्रम । सार्थक बात, सारगभित एवं गूढार्थी पद, वाक्य । २ कटि १६ प्रभाव, प्रताप । २० मार्ग। २१ रूप, सौंदर्य ।
सूत्र, करधनी की तरह बांधा जाने वाला डोरा । ३ यज्ञो२२ बंदीजन, भाट । २३ रथ हांकने वाला सारथी।
पवीत, जनेऊ । ४ जैन शास्त्र, नागम । ५ संक्षेप में जीव २४ वेदव्यास का शिष्य एक ऋषि । २५ बढ़ई । २६ एक
अजीव प्रादि पदार्थों की सूचना करने वाला पद या वाक्य । प्राचीन वर्णसंकर जाति । २७ इस जाति का व्यक्ति ।
(जैन) ६ किसी प्रकार की व्यवस्था करने का नियम । २८ व्यवस्था, प्रबन्ध । २९ सीध, सीधाई । ३० घोड़ी या
.७ किसो समस्या का हल निकालने की युक्ति या उपाय । ऊंटनी की योनि । -वि०१ सीधा । २ श्रेष्ठ, उत्तम ।
८ काष्ठ, लकड़ी। ९ देखो 'सूत' । सूतक-पु० [सं०] १ संतान के जन्म पर गृह परिवार में होने | सूत्रकठ-पु० [सं०] १ ब्राह्मण, द्विज । २ कबूतर . ३ खंजन ।
वाला प्रशौच, प्रसूतिका अवधि, जन्म सूतक । २ सूर्य-चन्द्र सूत्रक-पु० [सं०] लोहे के तारों का बना कवच । का ग्रहण काल, ग्रहण प्रशौच । ३ मत्यु के कारण होने
सूत्रकरम-पु० [सं० सूत्रकर्मन्] १ बढ़ई का कार्य या कर्म । पशौच । ४ पारा, पारद ।
२ बेल-बूटे कसीदा निकालने की क्रिया । ३ चौसठ कलामों सूतका-स्त्री० [स०] सद्यः प्रसूता स्त्री, प्रसूता स्त्री।
में से एक।
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सून्य
सूत्रकार-पु० [सं०] १ सूत्र का रचयिता, सूत्र बनाने वाला। शूद्र । २ इस वर्ण का कोई व्यक्ति । ३ सेवक, अनुचर, २ बढ़ई, सूथार । ३ जुलाहा । मकड़ी।
दास । ४ नैऋत्यकोण स्थित एक देश । सूत्रकोड़ा-स्त्री० [सं०] चौसठ कलामों में से एक, सूत का खेल। सूबणी. सूद्राणी, सूबा, सूद्री-स्त्री० [सं० शुद्रा, शूद्राणी] १ शूद्र सूत्रमंच-पु० [सं०] सूत्र के रूप में रचा हा ग्रंथ ।
जाति की स्त्री । २ गाथा छंद का एक. भेद । सूत्रो (बी)-क्रि० [सं० मूत्रणम्] १ मारंभ करना, रचना। सूध-पु. १ शुल्क पक्ष । २ देखो 'सद्ध' । ३ देखो 'सद' । २ गूधना, गुत्थियां डालना।
| सूधउ-वि० १ सहज, सरल, प्रासान । २ शुद्ध । ३ देखो सूधौ' । सूत्रधार-पु० [सं०] १ नाटयशाला का व्यवस्थापक या प्रधान | सूघणो (बो)-क्रि० [सं० शोधनम्] १ खोजना, ढूढना, पता
नट । २ बढ़ई, सथार। ३ भवन निर्माण करने वाल लगाना । २ शुद्ध करना, निर्मल करना ।
शिल्पी। ४ सूत्रों को बनाने वाला । ५ जुलाहा । ६ इन्द्र । सूधर-स्त्री० [सं० सु+धग] पच्छो भूमि । सूत्रसंपदा-स्त्री० [सं०] मूत्र ग्रथों का संग्रह ।-वि० शास्त्र के सूधरणो (बो)-देखो 'सुधरणो' (बी)। अर्थ-परमार्थ का ज्ञाता।
सूधलो-देखो 'सूर्यो। सूत्रावर-वि० स्थानांगसूत्र, समवामांगसूत्र के सार या पर्थं सूधां, सूधा-वि० १ महिन, युक्त। २ सहज, सरल, मामान । . को जानने वाला। (जैन),
-कि० वि०१ रहते हुए, होते हुए। २ लक्ष्य की भोर, सूत्राम, सत्रामा-पु० इन्द्र।
सीधा। सूत्रा-स्त्रो० मकड़ी।
सधारणों (ब)-देखो ‘सुधारणो' (बो)। सूपण, सूपरिण, सूबली-स्त्री. १ जजीरनुमा कवच विशेष जो सधी क्रि०वि० १ तक, पर्यन्त । ए सीधी लक्ष्य को पोर ।
शरीर के अधोभाग में धारण किया जाता है । २ पजामा ३ सहित युक्त। मादि अधोवस्त्र ।
मधू, सूधौ-वि० [सं० शुद] (स्त्री० सूधी) १ सीधा-सादा, सूनिक-पु० [सं० सुस्थानक] मुमेरु पर्वत ।
भोला-भाला, मरल, शान्त । २ शुद्ध, निर्मल। ३ उचित, सूब-पु० [फा०] १ ऋण पर होने वाला व्याज । २ लाभ, नफा । यथोचित, उपयुक्त। ४ सहित, युक्त। -क्रि०वि० १ तक,
वृद्धि । ४ शूद्र । [सं० सूदः) ५ नाश, वध । ६ कूप। पर्यन्त । २ से । ३ की ओर, को। ७ सोता। ८ चश्मा । ९ रसोईया । १० पकवान । सून-पु. १ पुष्प, फूल । २ देखो सून्य' ।
११ चटनी, बढ़ी। १२ दली हुई मटर । १२ पाप, दोष । सून उ-देखो 'सुनो। सूबकसाला-स्त्री० [सं सूदः शाला] पाकशाला, रसोईघर ।। सूनम-देखो 'सजनम'। सबखोर-वि० [फा०] १.अधिक सूद कमाने वाला । २ अधिक । सूनसांन-देखो 'सुनसान' ।
ब्याज लेने वाला, व्याज पर व्याज लगाने वाला निर्मम | मनसायर-पु० [सं० सुनु-सागर] समुद्र पुत्र, कामदेव । ऋण दाता।
सूनाबोख-पु० [सं० सूनादोष] चूल्हे, चक्की, मोखली पादि । सूबरणो (बो)-क्रि० [सं० सूद्] १ काटना, काटकर अलग | सूनी-वि० [सं० शून्य] १ निर्जन, शून्य । २ खाला, रिक्त ।
करना। २ मर्दन करना, हनन करना । ३ घायल या चोटिल ३ देखो 'सुनी' । ४ देखो 'सुन्नी' । करना। ४ वध, संहार या नाश करना । ५ निकलना । | सनु स सूतू-पु० [सं० सनु] १ पुत्र, बेटा, लड़का। २ देखो ६ जमा करना । ७ स्वीकार करना, मानना । ८ पकाना, सूनी'। पकाकर तैयार करना।
सूनोडी-देखो सूनी'। सूबन-पु० [सं०] १ काटने, नष्ट करने या वध करने की सूनोपण (पणी)-पु० निर्जनता. शून्यता।
क्रिया या भाव । २ विनाश, नाश । ३ वध, कत्ल । सूनो-वि० [सं० शून्य] (स्त्री० सूनी) १ जन रहित, निर्जन, ४ निष्कासन, निकास । ५ पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र । एकान्त, उजाइ । २ रिक्त. खाली, शून्य । ३ बन्धन मुक्त, -वि०१ विनाश करने वाला, नाशक । २ वधिक । ३ प्रेम- खुना, स्वतन्त्र । ४ प्रारक्षित । पात्र, प्यारा। ४ माशूक, पाशिक ।
सून्य-पु० [सं० शून्य] १ खाली स्थान, रिक्त स्थान । २ जिसका सूबनकिरमर, सूचनकिरमिर-पु० [सं० सूदन-किर्मीर] भीम।
कोई पाकार या रूप न हो। ३ अभय स्थान । ४ परमधाम सूबर-देखो 'सूद्र' ।
५ पाकाश । ६ एकान्त स्थान । ७ गणित में प्रभाव सूचक सूची-१ देखो 'सुदी' । २ देखो 'सीधी'।
चिह्न । ८ बिन्दी, बिन्दू । ९ भंव गुफा। १०.सहस्राधार सा-पु. [सं० शूद] (स्त्री० मुद्रणी, सूद्रा, सूद्री) १ हिन्दू धर्म | चक्र । ११ त्रिकुटि। १२ विष्णु। १३ ईश्वर परमात्मा।
पास्त्रानुसार मानव-समाज के चार वर्गों में से चौथा वर्ण, | १४ स्वर्ग। -वि. १ कुछ नहीं, निरर्थक। २ गुणातात ।
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सून्यवाद
। ८३७ )
सरज
३ जिसका अस्तित्व न हो। ४ जो वास्तविक न हो, सूभग-वि• सुन्दर । असत् । ५ जो खाली हो, रीता, रिक्त । ६ निजन एकान्त । सभमद्र-पु० कुशल मंगल, खैरियत । ७ अनासक्त, विरक्त, निर्विकल्प । ८ उदास रंजीदा सूभर-वि० १.सुन्दर । २ सुख, मय सुखरूप । -पु० १ पुष्कर । ९ सीधा सादा, सरल । १० अर्थ शून्य । ११ नगा, नग्न । | २ छोटा तालाब । ३ देखो. 'सूबर'। १२ प्रचेत, बेहोश, विमूढ़। -मंडळ --पु० सौर मण्डल, समरा-वि० सुन्दर ।। माकाश । मस्तक ।
सभाव -देखो 'स्वभाव'। सन्यवाब-पु० [सं० शून्यबाद] बौद्धों का एक सिद्धान्त । सूम-वि० [अ० शूम] (स्त्री० मूमरण) कृपण, कंजूस । -पु. सन्या-स्त्री० [सं० शून्या] १ बध्या स्त्रो। २ नलिका नामक १ पुष्प, फूल । २ देखो 'सुम'। गध द्रव्य ।
सूमड़ापरण-पु. कमी, कृपणता । सून्यागार-पु. [सं० शून्यागार १ पाकाश , नभ । २ सूना घर या | सूमड़ो-देखो 'सूम'। मकान । ३ सूना कक्ष ।
सूमपण सूमपणी-पु. कृपणता, कंजूसी। सन्याइ-स्त्री०१ सुनसान जगह, एकान्न स्थान, निर्जन स्थान । सममन-वि० कठोर *। २ खाली या रिक्त होने की प्रवस्था, रिक्तता।
सूमि-देखो 'सुम'। सूपंखो-वि० सूत्रा पंखो रंग का, हरे रंग का ।
मूमो-पु. १ प्राकाश । २ दूध । ३ जन । ४ देखो 'सूम' सूप-पु० [सं०] १ पकी हुई दाल, भाजो । २ रमदार, सब्जी। सूयंभू -देखो 'स्वयंभुव' । ३ सब्जी का रस, शोरबा। ४ कढ़ी। ५ चटनी। ६ तीर. |
।। ५ चटनी। ६ तीर. | सूपटौ-देखो 'सूो। पाण। [सं० शूर्प, सू:] ७ अनाज को फटक कर साफ | सूयर-देखो 'सूवर'। करने का उपकरण विशेष । [सं० सूप ] ८ रसोईया। | सूयावड़ि-देखो 'सुवाड़ी'। ९ करुणरस पूर्ण राग विशेष । १० एक नायिका विशेष । | सूर-पु० [सं० शूर, सूर] १ शूरवार, बहादुर, याद्वा । २ मय, ११ एक प्रकार का वस्त्र । १२ देखो 'सुपनखा।
रवि, सूरज । ३ सिंह शेर । ४ चीता । ५ श्रीकृष्ण के सूपकनौ-वि० [मं• सूर्प-कणं] १ सूप के समान बड़े-बड़े कानों पितामह का नाम । ६ विष्णु का एक नाम । ७ सूरदास, वाला । -पु. हाथी।
अधा । ८ नाक का दाहिना छिद्र । ६ भूरे रंग का घोड़ा । सूपकार -पु० सं० सूपकार] भोजन बनाने वाला, रसोईया। १० पठानों को एक जाति । ११ उत्तर पोर वायव्य के सूपड़ो-देखो 'सूप'।
मध्य. सप्तर्षि के प्रस्त होने की दिशा (ऊंध)। १२ पाक, सूपनखा सूपनिखा. सानेखा-देखो 'सुपनखा'।
मदार । १३ साल वक्ष । १४ छप्पय छन्द का एक भेद । मपरसन-श्रो० मि० स्पर्शन] वायु, हवा ।
१५ देखो 'सरि'। -वि. १ तप्त ।२ देखो 'सूवर'। सूफजर-पु० वह ऊनी वस्त्र जिस पर स्वर्ण का काम किया ३ देखो 'सुर। . हुप्रा हो।
सू किरण -पु० छाते के पाकार का राज चिह्न। सूफी-पु० [अ० सूफी] १ संसार से अनासक्त, ब्रह्मजानी व सरखनोलो-पु. एक प्रकार का शुभ रग का घोड़ा।
सभी धर्मों के प्रति प्रास्था रखने वाला एक मुसलमान | सुरगुर -वि० [सं० शूर गुरु] १ श्रेष्ठ वीर २ देखो सागुरु । सम्प्रदाय । २ इस सम्प्रदाय का फकीर । ३ इस सम्प्रदाय सूरगुलू-पु. एक प्रकार का पुष्प । का अनुयायी मुसलमान ।
सूरडो-देखो 'सूवर' । (स्त्री० सूरड़ी) सूब-देखो 'सूम'।
सूरज-पु० [सं० सूर्य: १ सर्य, रवि, दिनकर । २ नाक का . सूबर-त्री गर्भवती घोडी या मादा ऊंट।
दाहिना स्वर स्थान । ३ प्राक का पौधा । ४ टगण के सूबादार. सूबायत, सूबेदार-पु० [फा० सूत्रः दार] १ किमी |
तृतीय भेद की छः मात्रा का नाम । ५ बारह की प्रान्त या सूबे का अधिपति, अधिकारी। २ कोज या
मख्या * । -वि०१ श्वेत, सफेद ४ । २ रक्त वणं । -काळ सेना में एक प्रोहदा या पद। ३ इस पद पर कार्य करने
-पु० दिन का समय फलित ज्योतिष का एक चक । वाला व्यक्ति।
-कुळ-पु. एक प्रमित क्षत्रिय वग, सूर्य वश। -ग्रह-पु० सूबेदारी-स्त्र' [फा०] १ सूबेदार का कार्य । २ सूबेदार का पद ।
सूर्य, रवि । सूर्य का ग्रहण । -ग्रहल-पु. सूर्य ग्रहगा। इठ सूब-देखो 'सुबह' ।
योग की एक प्रक्रिया । -नारायण-पू० सूर्य देव । ---पख सूची-पु० [फा० सबः] १ किमी राम का कोई प्रान्त. जिला -स्त्री० सूर्य किरगा सूर्य प्रभा। -पुत्र-पु० यम । शनि । ___ या मूज्ञा । [५० शुबहा].२ शक, संदेह ।
कर्ण । सुग्रीव । -पुत्री-स्त्री• यमुना । विद्युत, बिजली ।
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सूरजकांतमारण
( ८३८ )
सूरवीरता
-पुराण-पु० एक अन्य जिसमें सूर्य की महिमा का वर्णन मरतन-देखो 'सूरातन' । है। -प्रकास-पु. सूर्य का प्रकाश, उजाला। धूप। सूरता, सूरताई-स्त्री० [सं० शूरना] १ शूरवीर होने की दशा, --मंडळ -पु. सौर मंडल । सूर्य की परिधि । ----मणि- अवस्था या भाव। २ शोर्य, पराक्रम । स्त्रो० सूर्य कान्त मणि । - लोक-पु० सूर्य लोक ।-वस- | सूरति, सूरती-देखो सूरत'।। पु० मूर्यवंश- (भत्रिय)। -वसी-पु० सूर्यवंशी क्षत्रिय । सूरद-पु० [सं० सुहृद] १ मित्र सखा । २ वोर, बहादुर । -सुत='सूरजपुत्र'। - सुता= 'सूरजपुत्रो' ।
सूरदांत -पु० सूपर या वराह का वह दांत जो पोठों से बाहर सूरजकांतमरिण स्त्रो० सूर्यकान्त मणि । -वि० श्वेत, सफेद ।। रहता है। -वि० कुटिल, टेढ़ा *। सरजक-पू०१ धाबू का एक तीष स्थान । २ श्मशान भूमिका | सूरदास पु० १ मंधे व्यक्ति का एक प्रादरयुक्त संबोधन । २ ब्रज जलाशय या तालाब।
____ भाषा के प्रसिद्ध कवि । सूरजग्रह-पु० सं० सूर्य-ग्रह] १ सूर्य, रवि । २ सूर्य का ग्रहण । | सरपंच-पु० [सं० सर्य-पथ] प्राकाश, नभ । ३ राहु व केतु । ४ जल घट की तली।
सूरपकार-पु० कामदेव, मदन । सूरज छट--स्त्री० कात्तिक शुक्ला षष्टी।
सूरपरण, सूरपणी-पु. शूरत्व, शौर्य, पराक्रम, पौरुष । सूरजपुर-पु० [सं० सूर्य पुर] काश्मीर का एक प्राचीन नगर । . सूरपत सूरपति (पती)-पु० राजा नप । सूरजमंडळभिव-पु. वीर, योद्धा।
सूरपथ-देखो "सूरपंथ'। सूरजमथबा-पु० सूर्यावर्त नामक शिर शून जो सूर्योदय से सूर्यास्त | सरप्रभ-पु० जैनियों के नौवें विहरमान का नाम । तक रहता है।
सूरबीरतन-वि० कठोर * । सूरजमल-पु. १ लोक गीतों में दूल्हे के प्रति संबोधन । २ पति । सूरभि, सूरभी-देखो 'सुरभि'। ३ राजस्थानी के प्रसिद्ध कवि सूर्य मल्ल मिश्रण।
सूरभूमि-स्त्री० [सं० शूरभूमि] १ उग्रसेन की एक कन्या का सूरजमाल-पु० [सं० सूर्यमाल] शिव का एक नामान्तर।
नाम । २ वीर भूमि । सूरजमुखी-पु. [स० सूर्यमुखी] १ पीले रंग के पुष्पों वाला | सूरमंडळ-पु० [स० सूर्य-मण्डल] १ सूर्य का वृत्त, घेरा या
एक प्रसिद्ध पौधा । २ इस पौधे का पुष्प जिसका मुख हर परिधि । २ सूर्य व उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रह-उपग्रहों समय सूर्य की तरफ ही रहता हैं। ३ राजा-बादशाह का | का समूह ।
राजछत्र, राज्य चिह्न। ४ एक प्रकार का रोग । | सूरमंडळ भिव-वि० युद्ध में पदभुत वीरता दिखाकर वीरगति सूरजमुखौ-पु. स्वर्णकारों का एक प्रौजार विशेष ।
प्राप्त करने वाला जो सूर्यमंडल को भेदकर उच्चलोक में सूरजरोटो-पु०१ चैत्रमास के रविवार को किया जाने वाला जाता है।
एक व्रत विशेष । २ इस व्रत के दिन सूर्य को चढ़ाया जाने सूरम-देखो 'सरमो'। वाला नैवेद्य ।
सूरमटो (ठो)-वि. कायर, डरपोक । सूरजा-स्त्री० [स० सूर्य-जा] १ यमुना । २ विद्युत, बिजली।। सूरमण-देखो 'सूरपरम' । सूरजालोक-पु० [सं० सूर्यालोक] १ सूर्य का तेज, प्रकाश । सूरमांनी-वि० [सं० शूरमानिन्] अपने शौर्य पर गर्व करने वाला। २ देखो 'सूरजलोक'।
सूरमाई, सूरमापण (परणो)-स्त्री० वीरता, बहादुरी । सूराज, सूरज्ज, सूरज्जि-देखो 'सूरज' ।
सूरमू, सूरमो-वि० वीर, बहादुर, पराक्रमी।। सूरज्या-स्त्री० [स. सूर्या] १ सूर्य की पत्नी संज्ञा। २ देखो सूरय-देखो 'सूरज'। . 'सूरजा'।
सरयौ-पु० सप्तर्षि के अस्त स्थान से चलने वाला पवन जो सूरझटकाकरण-स्त्री० तलवार, खङ्ग ।
श्रावण मास में वर्षा का सूचक माना जाता है। सूरण-पु० [स० शूरण] जमीकंद, सूरन, मोल ।
| सूरलोक-पु० [सं० सूर्यलोक] १ सूर्यलोक, सौरजगत । २ वीर सूरत, सूरतड़ी-स्त्री० [फा०] १ मुखाकृति, चेहरा, शक्ल । गति प्राप्त योद्धापों को मिलने वाला लोक, सुरलोक ।
२ रूप सौन्दर्य । ३ दशा, हालत, स्थिति । ४ चित्र, तश्वीर, | सूरवादी-पु. योद्धा, सुभट, वीर, बहादुर। फोटो। ५ उपाय, युक्ति, तरकीब । ६ रूपरेखा, डोल । सूरवाळी-पु. एक प्रकार का घास । ७ इच्छा, विचार । ८ शोभा, छबि, पाभा । ९ चित्त वृत्ति सूरविद्या-स्त्री० युद्ध विद्या।। बुद्धि ।-वि० [स. सूरत] १ सुहृदय, दयालु, कृपालु । सूरवीर-वि० [सं० शूर-वीर] १ वीर, बहादुर, योद्धा । २ कोमल, नाजुक । ३ शान्त, स्थिर । ४ अनुकूल । ५ देखो २ ताकतवर,बलवान । ३ साहसी,हिम्मतवार । ४ पुरुषार्थी । 'सुरत'।
| सूरवीरता-स्त्री. वीरता, शूरत्व, बहादुरी।
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सूरवो
। ८३९ )
सूळधारणी
सूरवी-देखो 'सूरमा'।
सूरीस, सूरीसर, सूरीसरु (रू) सूरीसरी, सूरीस्वर-पु. सूरसज्जा-स्त्री० [सं० शूर-शय्या] वीरों की शय्या, रणक्षेत्र।। [सं० सूरि-ईश, ईश्वर] १ पाच यं (जैन) । २ महासूरसरौ-पु० बहादुरों, वीरों की परिपाटी।
पंडित । सूरसांमत-पु०१ युद्ध मंत्री। २ सेनानायक, सरदार । सूरू-१ देखो 'सूर' । २ देखो 'सरु' । सूरसाही-पु. शेरशाह सूरी द्वारा चलाया गया सिक्का। | सूरेह-देखो 'सुरभि'। सूरसुत-पु० [स० सूर्य-सुत] १ शनि ।. २ यम । ३ कर्ण। सूरी-पु० १ छन्द शास्त्र में ठगण का दूसरा भेद 5 । २ देखो ४ सुग्रीव ।
'सूर' । ३ देखो 'सूबर'। सूरसुता-स्त्री० [सं० सूर्य-सुता] १ यमुना । २२ बिजली, विद्युत । | सूरयधज-पु० [सं०सूर्यवध्ज] कायस्थ जाति का एक भेद विशेष । सूरसेत-पु० सिंह, शेर।
___-वि० जिसके रथ की ध्वजा में सूर्य का चित्र हो। सूरसेनप-पु० [सं० शूरसेनप] १ शूरवीरों की सेना का पालन | सूरघाम-वि० [सं० सूर्याभ] जिसकी भाभा सूर्य के समान हो। करने वाला । २ स्वामिकात्तिकेय ।
सूरचावरतपु० [सं० सूर्यावर्त] सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहने सूरसेनी-पु. शौरसेनी भाषा।
___वाला शिर-दर्द का रोग । सूरस्वारथी-पु० वह घोड़ा जिसके चारों पैरों के बाल पीले एवं | सूरथावली-पु. एक प्रकार का प्राभूषण । नेत्र काले होते हैं ।
सूलंधरा स्त्री० शूल नामक शस्त्र को धारण करने वाली देवी, सूरांगुर-पु. वीरों में श्रेष्ठ, वीर शिरोमणि ।
___दुर्गा। सूरांण-पु० (ब. व.) शूरवीर व बहादुर लोग ।
सूळ-पु० [सं० शूल] १ बरछे के पाकार का प्राचीन काल का सूरांगो-वि० शूरवीर, बहादुर ।
शस्त्र, बरछा, भाला। २ त्रिशूल। ३ प्राण-दण्ड देने की सूरांतण-देखो 'सूरातन'।
प्राचीन काल की सूली । ४ बबूल प्रादि वृक्षों का लम्बा सूरांयर-वि० वीर, बहादुर।
कांटा । ५ तीक्ष्ण या नुकीला कोई पदार्थ। ६ काटे प्रादि सूराई-स्त्री. १ वीरता, बहादुरी । -पु० [सं० सुरराज] | के चुभने का दर्द। ७ वात-विकार के कारण होने वाला २ इन्द्र।
तीव्र दर्द । ८ भय, हर। ६ टीस, कसक, दर्द । १० मृत्यु, सूराख-पु० [फा०] १ छिद्र, छेद । २ रास्ता, मार्ग।
मौत । ११ दुःख, पाप । -वि० नुकीला, तीक्ष्ण। सूराचंव-पु० मारवाड़ का एक प्रदेश ।
। सूल-पु० १ रक्षा, बचाव । २ हाल-चाल, रंग-ढंग। ३ दशा, सूरातन-पु०१ वीरता, शौर्य, पराक्रम । २ शौर्य, पराक्रम । हालत, अवस्था । ४ प्रबन्ध, व्यवस्था। ५ संस्कार, सुधार । सूरापरण (पो), सूरापौ-देखो 'सरपणो' ।
६ उपाय, युक्ति, तरकीब । ७ प्रयास, प्रयत्न । ८ उद्देश्य, सूराभिमुह-क्रि० वि० [सं० सूर्याभिमुख] सूर्य के सम्मुख, सूर्य के | इरादा। ९ कारण, वजह । १० तरह, मांति, प्रकार । सामने।
११ पाराम, चैन । १२ ज्योतिष का एक योग । सूरामंडळ-देखो 'सूरमंडळ' ।
१३ वस्तु, पदार्थ। -वि. १ कुशल, प्रवीण । २ ठीक, सूरावत-वि० वीर, बहादुर, पराक्रमी।
दुरुस्त । -क्रि०वि० ३ दशा, हालत या स्थिति में। सूरि-पु० [सं०] १ पंडित, विद्वान । २ सूर्य, रवि । ३ जैन | । ४ उपाय या तरकीब से, ढंग से। ५ देखो 'सूळ' । । .. प्राचार्यों के नाम के पीछे उपाधि स्वरूप प्रयुक्त होने
सूळक-पु० [सं० शूलक] १ दुष्ट और उद्दण्ड घोड़ा। २ बिदकने वाला शब्द।
वाला घोड़ा। सूरिज-देखो 'सूरज'।
सूळग्रह-वि० [सं० शूलग्रह] शूल या त्रिशूलधारी। -पु० शिव सूरिजन-पु० (ब. व.) विद्वान लोग, विद्वद्जन ।
___या महादेव का एक नामान्तर । सूरिजि-देखो 'सूरज'।
सूळझणौ (बो)-देखो ‘सुळझणौ' (बो)। सूरिजिजा-देखो 'सूरजा'।
सळटंकेस्वर-पु० [सं० शूलटंकेश्वर] प्रयाग वट के पास शिव की सूरमो-देखो 'सूरमो'। सूरियौवायरो-देखो 'सूरयौ' ।
एक मूर्ति। सूरिवौ-स्त्री० १ शूल । २ देखो 'सूरमो' ।
सूलधन्वो, सूलधर-पु. शिव, महादेव । सूरिस, सूरिसर, सूरिसरू (सरी, स्वर)-देखो 'सूरीसर'। | सूळधरा-स्त्री० [सं० शूलधरा] दुर्गा, पार्वती । सूरी-स्त्री०१ स्वर्णकारों का एक प्रौजार । २ एक प्रकार का सूळधारणी, सूळधारा, सूळधारिणी-स्त्री० [सं० शूलधारा] . शस्त्र विशेष । ३ वीर स्त्री, सती । ४ देखो 'सूरि'। . दुर्गा, पार्वती।
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सूळधारी
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सूळवारी वि० [सं०] हारी] त्रिशूलधारी, मूल धारण करने शूलधारी] बाबा ० १ शिव, महादेव स्त्री० २ देवी, दु सूळनासी स्त्री० [सं० शूलनाशिन् ] हींग | सूळपण सूळणि सूलपाणि ( णो ) - वि० जिसके हाथ में त्रिशूल रहता हो। २ पार्वती, दुर्गा ।
[सं० शूलपाणिन् ] पु० १ शिव, महादेव ।
सूलसामान पु० साज-सामान, साधन-सामग्री सूळहती - पु० [सं० शूल हस्त] दुर्गा, पार्वती ।
सूळ सूळही पु० [सं० शूलहस्त] १ शिव, महादेव
स्त्री० २ दुर्गा, पार्वती
धारी, त्रिधारी
मूलहरी पु० एक एक विशेष का पोटा सूळांगारियो. सूळागारी- पु० 'सूला' (मांस) बनाने वाला । सूळायक सूळातच देवळ
१
२
सूचि क्रि०वि० छो तरह भलो प्रकार सूचिक- पु० [सं० शूलिक] १ खरगोश । नामान्तर - वि० १ त्रिशूलधारी । २ वाला । ३ वात विकार से पीड़ित ।
·
( ८४० )
२ देखो 'मूळ'
शिवजी का एक शिवजी का एक
फांसी पर चढ़ाने
टी-२० [१०] दुर्ग पाती।
सूटियां सूलिया क्रि०वि० ठीक तरह अच्छी तरह से १ । वि० ३ स्वस्थ । पू० १ प्राराम
२ ढंग से तरीके से
7
चैन सुख । २ सुविधा । सूळियौ पु० भैंस, गाय आदि के बछड़े के मुंह पर बांधा जाने वाला कांटेदार उपकरण ।
सूळी, स्त्री० [सं०] १ प्राचीन समय में प्राण दण्ड देने का एक उपकरणं । २ इस उपकरण से दी जाने वाली सजा । ३ कांटे के समान चुमने वाली कोई चीज । ४ कष्ट या दुःख भरा जीवन ५ दर्द पीड़ा, वेदना ६ देखो 'सूळो' [सं० शूलिन् ] ७ शिव का एक नामान्तर - वि० १ कृश, दुर्बल २ संद्धान्तिक, उसूल वाला । देखो 'सूळो'।
1
वाला एक बना देता है । की छड़ से
सूळो, सूली पु० [स० शूलः] १ लकड़ी के लगने प्रकार का कीड़ा जो लकड़ी का घाटा २ क्षय रोग जैसा कोई रोग विशेष । ३ लोहे सेका हुप्रा एक प्रकार का मांस ।
- ।
सूजी, सूरहो कि०वि० (स्त्री०मूली) १ सीधे हाथों से
२ दाहिनी
ओर वि० ३ श्रेष्ठ, उत्तम । ४ सीधा, शरीफ, सज्जनं । ५ कुशल, प्रवीण ।
सूब सूबड़ी सूवडियो सूरी-देखो 'बो' सूरो (बी) - क्रि० [सं० शयनम् ] १ नींद लेने के लिये सोना; शयन करना, नींद लेना । २ विश्राम करना, भाराम करना, लेटना । ३ रूठकर सोना । सूबर - पु० [सं० शूकर] वराह, सूर। -
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सूर्याणी (बी-देखो 'वाणी' (बी)।
सूबाड़ - पु० [सं० सुतिछ-वृत्ति ] १ प्रत्र सौरी। २ देखो 'सुवावड़' । सुबाड़ी-देखो 'सुबाड़ी' ।
सुवालको पु० स्त्रियों के कारण विशेष सूवारथ- देखो. 'स्वाग्थ' । सूबारे देखो 'सुबारा'।
सूबो - पु० [सं० शुक] १ कीर, तोता, सुग्गा । २ शिशु के जन्म पर गृह परिवार में रहने वाला ग्रशौच, प्रसूति का काल । ३ बोरा श्रादि सीने की बड़ी सूई, सूत्रा ४ एक लोक गीत विशेष ।
सूस - पु० १ मगर की तरह का एक बड़ा जल जंतु । २ देखो 'सुस' ३ देखो 'सिसु । सूमसम-देखो सुखमदुव सूसमसूसम- देखो 'सुखमसुख' । सूसमार - देखो 'सिसमार' ।
सूसो - देखो 'सु' | सूटो-देखो सू
सॅठाई
सूखी-पो० १ ऊंट के 'वारनामे' के नीचे लगाई जाने वाली गद्दी । २ एक प्रकार की धारीदार चारखानों की चादर । सुसीम स्त्री० शीत, सर्दी ठंड
।
सूहलो १ देखो 'बोली' २ देवो 'स्वप्न'
हर-१ देखी 'सूर' २ देखो सुबर'।
-
।
व स्त्री० सौभाग्यवती या सुहागन स्त्री संघवा सुहाकांन्हड़ा - पु० सब शुद्ध स्वरों का सम्पूर्ण जाति का एक राग । सूहाटोडी-स्त्री० एक राग विशेष ।
सुहाली स्त्री० एक खाद्य पदार्थ विशेष । (मि० सुश्र 'ळी ) सू० स्त्रियों के छोड़ने का एक वस्त्र विशेष संग देवो'ग'।
पापी० में पकाई हुई बाजरे की
घाट ।
संगत - वि० [सं० सम- गति ] १ जिसका वातावरण के साथ तारतम्य बैठ रहा हो, किसी परिस्थिति या वातावरण का प्रादी, अनुकूल । २ इमसफर हमराही ।
सेंगर पु० [देश०] एक राजपूत वंश - सेंचळ पु० एक प्रकार का नमक ।
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संजयौ पु० एक प्रकार का वृक्ष जिसके फूल लाल, नीले व श्वेत रंग के होते हैं, फूलों का रायता व फलियों का शाक बनता है ।
सेंजोड़ें - क्रि०वि० १ साथ-साथ, एक साथ । २ युग्म से । सेंटो १ देखो 'सोठी' २ देखो''। सेंठाइ, सॅठाई-देखो 'संठाई' |
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सेठी
( ८४१ )
सेखसनो
सेठी-१ देखो 'सँठो' । २ देखो 'सांठी'।
११ नभ, माकाश । १२ पाताल लोक। १३ देखो सेरण-देखो 'सण'।
'सेह. सेहो' । सेंणप-देखो 'सरणप'।
से'-१ देखो 'सेही' । २ देखो 'सेह' ३ देखो 'सेस' सेताळीसौ, संतालीसौ, संताळी (लो)-देखो 'सैताळीसौ'। सेइंद्री-स्त्री० दासो। सतीर, संहतीर-देखो 'सहतीर' ।
सेइया-देखो 'सय्या'। संतीस-देखो 'संतीस।
| सेई-सर्व० १ वे ही। २ वही ।-स्त्री. १ अनाज मापने का सेतोसो-देखो 'संतीसो'।
..एक पात्र विशेष । २ पाधा मन अनाज । ३ देखो 'सेहो' । सेंद-१ देखो 'सैद'। २ देखो सेंध'। .
सेक-पु० १ भाग, गर्म पानी मादि से गर्मी पहुँचाने या ताप सेंदरूप-देखो 'संदरूप'।
देने की क्रिया । २ भुनाई, सिकाई। सेंदो-स्त्री० १ खजूर का पासव । २ देखो 'सैदी' (स्त्री०) संकरणो (बो)-क्रि० १ भाग या गर्म पानी पादि मे गर्मी सेदेमुरे (मूडे)-क्रि०वि० १ जान-पहचान का होते हुए। पहुंचाना या ताप देना, गर्म करना । २ रोटी प्रादि अंगारों २ परिचित होने से।
पर रख कर पकाना, सेकना । ३ दग्ध करना, जलाना । सेंदेस, सेंदेह-देखो 'संदेह'।
४ पकाना, भुनना। सेवी, संदौ-१ देखो 'सैदी' । 'सेंधौ' ।
सेकारणो(बी), सेकावणौ (बी)-क्रि० १ भाग या गर्म पानी प्रावि सेंध-स्त्री० [स० संधि] १ चोरी करने के उद्देश्य से मकान की | से गर्मी पहुँचवाना, ताप दिराना, गर्म कराना। २ रोटी । दीवार में किया जाने वाला बड़ा छेद, सूराख । २ बड़ा प्रादि अंगारों पर रखवाना, पकवाना, सिकाना । - छेद, सुरंग, नकब । ३ देखो 'सैद' ।
३ पकवाना, भुनवाना। ४ दग्ध करवाना, जलवाना । सेंधव, सेंधवो-देखो 'संघव' ।
सेकिम-पु० [सं० सेकिम] १ मूली । २ शलजम । सेंधियो-वि० सेंध' लगाने वाला, सूराख करने वाला। सेक्रस्पा-पु० तीन घोड़ों का वेतन पाने वाला सवार । ___-पु. १ चोर । २. देखो 'सँदो' । ३ देखो 'संधी'। | सेख-पु. [प० शंख १ मुहम्मद साहब के वंशजों की उपाधि । सेंधों-पु० [सं० सैधव] १ एक प्रकार का खनिज नमक । २ मुसलमानों का एक वर्ग । ३ उक्त वर्ग का मुसलमान । २ देखो 'सैदो'।
४ धर्मोपदेशक, पीर, फकीर। ५ बड़ा-बूढ़ा, वृद्ध, बुजुर्ग । सेन-पु० १ संकेत, इशारा । २ शयन, विश्राम । ३ 'सैण' । ६ कुल का नायक । ७ प्रतिष्ठित या श्रेष्ठ व्यक्ति । ८ नामदं, सनप-देखो 'सैणप'।
शिखंडी ।-स्त्री० ९ पाग की लपट, अग्निशिखा । सेनो-देखो 'सेन'।
१० देखो 'सेस'। सेंभा-पु० घोड़ों का एक वात रोग ।
संखइकाळ (ल)-पु. १ चातुर्मास के उपरान्त का काल । सेंमुख-देखो 'सनमुख'।
| २ शैशव-काल, बाल्यकाल । सेंव-स्त्री० १ गॅदनुमा एक प्रसिद्ध फल । २ इस फल का वृक्ष.।'
कक्षा सेखचिल्ली-पु. १ झूठ-मूठ के मंसूबे बांधने वाला व्यक्ति । सेवज-स्त्री० १ वर्षा के पानी से होने वाली रबी आदि की
२ एक काल्पनिक मूर्ख व्यक्ति विदूषक ।
सेखनाग-देखो 'सेसनाग'। फसल जिसमें सिंचाई की मावश्यकता नहीं रहती।
सेखज्वाळ, सेखज्वाळा-स्त्री० [सं० शेष-ज्वाला] शेषनाग या २ वह जमीन या खेत जिसमें बिना सिंचाई किये वर्षा के
| सर्प को फुफकार, फूत्कार । पानो से फसल होती है।
सेखर-पु. [सं० शेखर] १ शिखर, चोटी, ग। २ माथा संस-१ देखो 'सहस्र'। २ देखो 'सेस' ।
मस्तक, सिर । ३ मुकुट, किरीट । ४ शिर पर धारण करने सेंसपा-देखो 'सेक्रस्पा' ।
का पाभूषण । ५ शिर पर धारण करने की पुष्प माला। सेंहतीर-देखो 'सहतीर'।
६ श्रेष्ठतावाचक शब्द । ७ संगीत में ध्रव या स्थाई पद से-वि० [सं० सह] सब, समस्त ।-सवं० १ वे, वह । २ जो।- का एक भेद। ८ लौंग । ६ मार्यागीत या खधाण का एक
स्त्री० १ तृतीया और पंचमी की विभक्ति जो-द्वारा; भेद विशेष । १० ठगण की पांच मात्रामों के पांचवें भेद अपेक्षा में, भारंभ में, पर, को प्रादि पर्थों में प्रयुक्त होती का नाम, 151/११ छप्पय छन्द का ६६ वा भेद। है। २ करण और अपादान कारक का चिह्न ।-पु० सेखरापीड़योजन-स्त्री. स्त्रियों की चौसठ कलामों में से एक। ३ शेष । ४ शिखर । ५ गिरि, पर्वत । ६ सरस, मीठा । सेखल-पु. नागदेवता । ७ पेड़, वृक्ष । ८ तोता, कोर । पक्षी। १० बकरी। संखसली-देखो 'सेखचिल्ली' ।
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सेखासाय
सावट
सेखासाय (यो)-पु० [सं० शेष-शायी] १ श्रीकृष्ण । २ विष्णु। सेज्जा-देखो 'सेज'। सेखा-स्त्री० दो भगण या छः गुरु का एक वर्णवृत्त । सेज्जासरण-पु० [सं० शय्यासन] शय्या का पासन । सेखामवतार (री)-पु० [सं० शेषावतार] १ दशरथ सुत लक्ष्मण। | सेझ-१ देखो ‘सेज' । २ देखो 'सहज'। २ बलराम ।
| सेझखांनो-देखो 'सेजखांनो' । सेखाक्षर-पु० सं० शेषाक्षर] परब्रह्म, ईश्वर ।
सेझड़ली, सेझड़ी-देखो 'सेज' । सखाटी, सेखावटी-स्त्री.राजस्थान के पूर्व का एक प्रदेश विशेष। सेमण-स्त्री. तलाश, खोज, शोध । सेखावत (त)-पु. १ कच्छवाहा क्षत्रियों की एक शाखा व | संझरी-देखो 'सेज'।
इसका व्यक्ति। २ भाटो वंश की एक शाखा विशेष । सेझवट-स्त्री० शय्या, बिस्तर, बिछावन । सेखी-स्त्री० [तु० शेखी] १ महकार, गवं, हेकड़ी, पक्कड़।। सेझवाळी (लो)-देखो 'सेजवाळी' ।
२ प्रहंकारमरी बात, डोंग। ३ प्रतिशयोक्ति । ४ झूठी- | सेझो-देखो 'सेजो'। शान-शौकत । ५ तारीफ, बड़ाई।
सेटो-पु. अच्छी नस्ल का सांड। सेखीबाज-वि०१ अहंकारी, घमंडी, अभिमानी। २ शेखी | संठ्ठि, सेठ,. सेठडो-पु. [सं० बेष्ठिन्] (स्त्री० सेठाणी) बगारने वाला, डींगबाज ।
| १ प्रतिष्ठित व श्रेष्ठ व्यक्ति। २ धनी व्यक्ति । ३ साहूकार, सेखू-पु. बादशाह ।
वणिक, व्यापारी। ४ व्यापारियों के लिये एक संबोधन । सेखो-पु. एक प्रकार का मांसाहारी पक्षी।
५ पोसवाल, माहेश्वरी, अग्रवाल जाति के लिये सामान्य सई-क्रि० वि०१ एक तरफ, एक भोर, परे । २ किनारे ।। संबोधनः। ६ दलाल । ७ व्यापारियों की पंचायत का ३ एकान्त में। ४ दूर ।
मुखिया। सेडो-पू० [फा० सरहद] १ सीमा, हद । २ किनारा, छोर। | सेठांसी-स्त्री० १ किसी व्यापारी या बरिणये की स्त्री। २ धनी सेवरलूण-पु० [सं० सोवर्चल-लवणं] एक प्रकार का नमक। | पौरत । सेज, सेजड़ली, सेजड़ी, सेजडी-स्त्री० [सं० शय्या-सज्जा] सेठाई, सेठायो-स्त्री. १ धनाढ्यता, मालदारी। २ सेठ होने
१ वह चारपाई या खाट जिस पर बिस्तर बिछा कर सोने की अवस्था या भाव । योग्य बनाया गया हो, शय्या, पलंग । २ बिस्तर, बिछावन । | सेठि, सेठियो, सेठो-देखो 'सेठ' । ३ देखो 'सहज'।
सेड-वि० [सं० शोण्ड] १ मदोन्मत्त, मस्त, नशे में चूर । सेजखांनो-पु. वह कक्ष जहां शय्या लगी हो, शयनकक्ष ।
२ निपुण, दक्ष । ३ अभिमानो, घमंडी। ४ शराबी, मद्यप । सेजड़ी-पु. १ विश्राम स्थल । २ देखो 'सेज'।
५ देखो 'सेठ'। सेजपंथ, सेजपथ-देखो 'सहजपथ' ।
सेडळ, सेडल (माइ, माता, माय)-स्त्री० चेचक रोग की सेजपाळ-पू० [सं० शय्या पालक] शयनागार का पहरेदार। | अधिष्ठात्री देवो विशेष । शीतला माता। से जबध-पु० [सं० शय्या-बन्धन] शय्या का बन्धन ।
सेडाउ, सेडाऊ, सेडावू-देखो 'सेढावू' । सेजबरवार-पु० शय्या बिछाने वाला कर्मचारी।
सेडा-स्त्री० [सं० चेटि] सखी, सहेली। सेजरी-देखो 'सेज'।
सेडो-पु० १ प्रायः जुखाम के कारण नाक से निकलने वाला सेजरीग्रोवरी-स्त्री. महाराणा के शयनकक्ष की व्यवस्था या | गाढ़ा मल, बलगम, श्लेष्मा युक्त मल, रेट । २ देखो सेहो। देख-रेख करने वाला महकमा ।
सेढ़ -स्त्री० । गाय, भैंस प्रादि का दूध दूहने की क्रिया। सेजलदेवी-स्त्री० एक देवी विशेष ।
२ दूध दुहते समय निकलने वाली धार । ३ स्तन । सेजवाळी, सेजवालो-पु०.१ परदानशीन स्त्रियों के बैठने की सेकढ़ियोड़ो सेढ़कढ़ियो-वि० तुरन्त का दूहा, धारोष्ण । (दूध)
परदादार गाड़ी, रथ, बग्घी आदि । २ पालकी होली। सेढाउ, सेढाऊ, सेढ़ावू -वि० तुरन्त दूहा, धारोष्ण । -पु. तुरन्त ३ परदा करने का वस्त्र विशेष ।
___ का दूहा हुवा दूध जो फैनिल व पौष्टिक होता है। सेजवदार-देखो 'सेजबरदार'।
सेढ़ितव पु० णितप (जैन)। सेजों-पु. हृदय ।
सेढी-स्त्री० सीढी, जोना। सेजो-पु० [सं०स्रोत] १ कूए का जल स्रोत । २ स्रोत या उद्गम । सेगारी-स्त्री० [सं० सेधकारी] १ तंत्र-मंत्र या. तांत्रिक ३ भूमिगत जल प्रवाह ।
विद्यामों से दूध-दही-धी प्रादि की चोरी करने वाली स्त्री। सेज्जातरदोख-पु० [सं० शय्यान्तरदोष] जिसके मकान में ठहरे २ इस प्रकार की चोरी।
उसक’ भोजन लेने पर लगने वाला दोष (जैन)। | सेढे, सेढे-क्रि०वि० १ समीप, निकट, पास । २ पापर्व में। .
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सेती
सेढो-देखो 'सेड़ो', 'सेडो'।
सेतळ-१ देखो 'सैतळ' । २ देखो 'सैतळ' । सेण-स्त्री० १ प्रौजारों की धार पंनी करने वाला पत्थर या | सेतले-पु० श्वेत रंग का घोड़ा। - काच, सिल्ली । २ देखो 'सैरण'। ३ देखो 'स्येन'। सेतवाजी-पु० सिद्ध पुरुषों के पास रहने वाला एक अद्भुत सेग्गतियो-पु.१ वह कूमा जिसमें से सिंचाई के लिए रात-दिन
पानी निकाला जाता हो । २ उक्त कूए से निरन्तर पानी सेतवाह-देखो 'सेतबाह'। निकालने वाला व्यक्ति ।
सेतांबर-देखो 'स्वेतांबर'। सेरणप-देखो 'सैरणप'।
सेतिखांनो-देखो. 'सेतखांनो'। सेणावइ-देखो 'सेनापति' ।
सेतिलो-देखो 'सेतली'। सेरिण-१ देखो 'सि'। २ देखो 'सैरणो'।
सेती-क्रि०वि०१ से। २ सहित, पूर्वक । ३ को। ४ लिए, सेरिणयौ-पु. एक गुरु, एक लघु के क्रम से ग्यारह वर्ण का एक | वास्ते, प्रति । ५ मार्फत, द्वारा। ६ में। ७ संग, साथ,
निकट । ८ पर। ९ नीचे। सेणी-१ देखो 'सैरणी' । २ देखो 'स्रणी'।
सेतोर, सेतोर-देखो 'सहतोर'। सेणी-वि० [सं० सज्ञान] (स्त्री० सेणी) १ समझदार, योग्य, | सेतु, सेतुक-पु० [सं०] १किसी नदी, जलाशय, समुद्र मादि के
व्यवहार कुशल । २ सीधा-सादा. सरल, विनम्र। ऊपर एक किनारे से दूसरे किनारे तक बना पुल, रास्ता ३ अनुभवी। दूरदर्शी। ४ विवेकश ल, विचारवान । जो माने जाने के काम पाता है। पानी की रोक के ५ वयस्क, बालिग । ६ चालाक, धूर्त, कपटी। ७ सज्जन, लिये बनाया गया बांध, रोक । ३ घाटो, दर्रा । ४ बंधन, शरीफ । ८ बुद्धिमान, चतुर ।
'प्रतिबंध । ५ टोला ।.६ खेत की मेड़ । ७ भू-सीमा, हद । सेणो (बो)-१ देखो 'सेवणो' (बी)। २ देखो 'सहणो' (बी)। ८ सोमा-मर्यादा । ९ किसी कार्य की कोई निर्धारित विधि, सतंबर-देखो 'स्वेतांबर'।
प्रणाली, नियम १०मोंकार, प्रणव । सेत बळ-पु० पानी, जल।
सेतुज-देखो 'सेत्रज'। . सेत-क्रिवि. प्रत्यक्ष । -वि० सहित, साथ । -पु. १ प्राकाश, सेतुबंध (बंधन)-पु० [सं०] १ दक्षिण भारत में रामेश्वरम् के नभ । २ देखो 'सहद' । ३ देखो 'सेतुबंध'। ४ देखो 'सेतु'।
मागे लंका की अोर समुद्र में बना पथरीला मार्ग या पुल । ५ देखो 'स्वेत'। ६ सॉं का एक कुल ।
२ रामेश्वर, महादेव । ३ द्वादश शिवलिंगों में से एक । सेतप्रस, सेतप्रसव, सेतप्रस्व-पु० [सं० श्वेताश्व] अर्जुन। ४ ईश्वर, परमेश्वर । ५ पुल की बनावट । ६ पुल बनाने सेतकरण-पु० [सं० श्वेत-किरण] चन्द्रमा ।
की क्रिया या भाव। सेतकुळी-पु० [सं० श्वेत कुलीन] सर्पो के पाठ कुलों में से 'सेत'
सेतुबंध-रामेसर, सेतुबंध-रामेस्वर-पु० [सं० सेतुबंध-रामेश्वर] कुल का सर्प । सफेद सर्प ।
भारत की दक्षिणी सीमा पर स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान 'सेत्रखांनी-पु. [फ. मेहतखान:] शौचालय, पाखाना ।
जहां शिव का विशाल मंदिर है। सेततरंग-स्त्रो० [सं० श्वेत-तरंग] गगा नदी।
सेती-वि० सहित, पूर्वक । सेतवती-पु० [सं० श्वेत दंतिन् ] मफेद हाथो।
सेतु जि, सेत्रज-देखो 'सेत्र ज'। . सेनदुत-पु० [सं० श्वेत-द्युति] चन्द्रमा।
| सेत्र-पु० [सं० श्वेत] १ श्वेत, सफेद । २ देखो 'खेत'। सेतधज-पु० [सं० श्वेत-ध्वज] , श्वेत ध्वजा । २ श्वेत ध्वजा ३ देखो 'खेत्र' । वाले रथ वाला।
सेज, सेत्र जय, सेत्र जि, सेत्र जो-पु० [सं० शत्रुजय] जैनियों सेतपिंग-पु० [सं० श्वेत-पिंग] शेर, सिंह ।
का एक प्रमुख तीर्थ स्थान । शत्र जय । सेतबंद (बंध)-देखो 'सेतुबंध' ।
सैथर-वि० [सं० स्थिर] १ स्थिर, प्रचंचल। २ दृढ़, मजबूत । सेतबंध-रोमेस (रामेसर, रामेस्वर)-देखो 'सेतुबंध-रामेसर'। सेथी-देखो 'सेती'। सेतबळ-पु० जल, पानी।
सेद-क्रि०वि० ठीक निकट । -पु० तरह, प्रकार । सेतबाह-पु० [सं० श्वेत-वाहन] १ पर्जुन । २ चन्द्रमा । सेदखांनौ-देखो 'सेतखांनो'। सेतरंग-पु० [सं० श्वेत-रग सफेद रंग।
सेवज-देखो 'स्वेदज'। 'सेतरंगी-स्त्री० कीति, यश। .
सेदेव, से देव, सदेव-देखो 'सहदेव'। सेतरूख-पु० [सं० श्वेत-रुक्ष] चन्दन का कृक्ष ।
। सेध-पु. १ काम, कार्य । २ सिद्धि।
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सेधरणो
( ८४४ )
सेराह
सेबलो (बो)-क्रि० कार्य साधना, कार्य सिद्ध करना, उद्देश्य सेबळी-पु० रास्ते का खर्च, संबल । - पूर्ति करना।
सेबू-देखो 'सेव'। संधाळ-वि० कार्य सिद्धि करने वाला, यशस्वी।
सेमंती-पु० [सं०] सफेद गुलाब ।। सेन-पु० [सं०] १नाई जाति का एक भक्त । २ बंगाल का एक | सेमळ, सेमल-पु० एक बहुत बड़ा वक्ष विशेष जिसके फूल लाल . राजवंश । ३ नाई जाति । ४ बगाल की वैद्य जाति का होते हैं । फूलों में केवल रूई होती है। खिताब । ५ दिगंबर जैन साधुनों का एक भेद । ६ तन, | सेमांन-देखो 'मांगन' शरीर । ७ जीवन । ८ शयन, बिछौना, शय्या। -वि० सेमुदो-देखो 'सेमूदी' १ जिसका कोई प्रभु हो, सनाथ । २ प्राश्रित, अधीन । सेमूडे, सेमूडे-क्रि०वि० १ प्रत्यक्ष, सामने, मुंह के प्रागे। ३ देखो 'सेना'। ४ देखो 'सैन'। ५ देखो 'सैरण'। २ रुबरू रज्जू । ३ प्रामने-सामने । ४ मौजूदगी में, ६ देखो 'स्येन'।
उपस्थिति में। सेनप-पु० [सं० सेनापति] १ सेनापति । २ देखो 'संरणप'। सेमूदौ-वि० [स० समुदित] (स्त्रो० सेमूदी) समस्त, सम्पूर्ण, सेनपत (पति, पती)-देखो 'सेनापति' ।
समूच', सब का सब। सेनाण, सेनाण-देखो 'सैनाण, सनांण' ।
संमूळो-वि० [सं० समूल] (स्त्री० सेमूळी) १ मूल या जड़ सेनाणी, सनाणी-१ देखो 'सैनाणी' । २ देखो 'सं'नाग'।
सहित । २ सम्पूर्ण, सब, समस्त । सेना-देखो 'सैनाण'।
सेयं, सेय-देखो 'स्रय'। सेनानी-पु० [सं० सेनानी] १ स्वामिकात्तिकेय, स्कंद । २ सेना- | सयली-देखो 'सेही' । पति, सेनाध्यक्ष । -रथ-पु० मोर, मयूर । सेनापति
में का रथ ।
सेय्या-देखो 'सेज'। सेना-स्त्री० [सं०] १ शस्त्रास्त्रों से युक्त, युद्ध के लिये प्रशिक्षित सेर-पू० [स० सेर:] १ सोलह छटांक का एक तोल जो मन का मनुष्यों का दल, फौज, कटक, वाहिनो। २ फौज की
चालीसवां भाग माना जाता है। २ इस मान का तोल, पंधिष्ठात्री देवी, स्कन्द की पत्नी। ३ जैनियों की एक देवी
बाट ग पात्र । ३ इस तौल के बराबर किसी वस्तु की विशेष ।
मात्रा। [फा० शे'र] (स्त्री० सेरणी, सेरनी) ४ सिंह, सेनालि-स्त्री० [सं० सेना-प्रवलि] १ फौज की कतार, सेना की | शेर, व्याघ्र । ५ उर्दू-फारसी में दो चरण का एक छन्द, ___पंक्ति । २ सेना, फौज।
कविता के दो चरण । -वि० वोर, बहादुर, पराक्रमी, सेनाद, सेनादार-पु० फौज का अफसर, सेनानायक, सेनापति। | योद्धा। सेनाधपत, सेनाधपति, सेनाधिप. सेनाधिपत, सेनाधिपति-पु० सेरगीर-पु० [सं० शेरगीर] एक प्रकार का हाथी।
[सं० सेना-अधिपति सेना का अधिपाते. सेनापति । सेरडो-पु. एक प्रकार का कर । सेनानायक-पु. [सं०] सेना का अधिकारी, सेनापति ।
सेरण-स्त्री० एक प्रकार को घास । सेनापत (पति, पती, पाल)-पु० [सं० सेनापति] १ सेना का | सेरणी-१ देखो 'सीरणी' । २ देखो सेर' (स्त्री०)। प्रधान अधिकारी, सेनाध्यक्ष । २ सेना के किसी एक
सेरणी-देखो 'सेरीणी'। . विभाग का अधिकारी। ३ शिव । ४ हिन्दी साहित्य का
सेरवहां, सेरदा-स्त्री० [फा०] १ पुगने ढंग की एक बन्दूक । एक कवि ।
२ एक प्रकार की तोप । -वि० शेर के समान मुख वाला। सेनाबेध-पु. सुभट, वीर, योद्धा।
सेरपंजौ-पु. १ सिंह का पंजा । २ सिंह के पंजे के प्राकार का सेनामुख-पु० सना का अग्रभाग, हरावल । सेनावास-पु० सैन्य शिविर, छावनी, सेना का पड़ाव। .
एक अस्त्र, बघनखा। सेनियो-पु० सिपाही, सैनिक ।
सेरबच्चो-पु. १ शेर का बच्चा, सिंह शावक । २ वीर पुरुष । सेनी-पु० सहदेव का एक नाम ।
३ एक प्रकार की छ'टी बन्दूक, जो विशेष रूप से शेर की सेनेस-पु० [सं० सेना-ईश] १ सेना का मालिक । २ सेनापति ।
शिकार में काम पाती थी। सन्य, सेन्या-देखो 'सना' ।
सेरवानी-स्त्री० एक प्रकार का घुटनों तक लम्बा कोट, चोगा, सेफ-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । सेब-स्त्री. १ शीत लहर । २ देखो 'सेव'।
सेराह, सेराही-पु० [सं० सेराहः] दूध के समान सफेद रंग का सेवक-देखो 'सेवक'।
| घोड़ा।
अंगा।
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सेरि
संव
सेरि-देखो 'सेरी'।
सेलार, सेलारी-पु. १ पहाड़ी घोड़ा। २ भाला, बरछा । सेरियो-पु० खेतों की मेंढ के बीच का तंग रास्ता।
३ डिंगल का एक मात्रिक छन्द विशेष । ४ तीन संगण सेरी-स्त्री०१ वीथिका, गली, तंग रास्ता । २ मार्ग, रास्ता ।। और अन्त में लघु वर्ण का एक अन्य छन्द विशेष ।
३ गुप्त रूप से भागने का छोटा मार्ग। ४ कंटीली बाड़ या ५ प्रत्येक चरण में चौदह मात्रा का एक छन्द । दीवार को तोड़कर बनाया छोटा रास्ता । ५ छेद, सूराख, सेलारसी-पु. एक भक्त का नाम । दरार । ६ मुख्य द्वार के बगल में बना छोटा फाटक। सेलारियो-पु० बबूल वृक्ष की फली।
७ स्थिति । दो अंगों के बीच का अवकाश, अंतर। सेलाळ-वि० माला धारी वीर, योद्धा । सेरीणी-पु. एक प्रकार का कर ।
सेलि-देखो 'सैली'। सेरुराह, सेहराह-देखो 'सेगह।
सेलिया-स्त्री० १ घोड़ों की एक जाति । २ पीलू नामक लाल सरे'क-वि० एक सेर के लगभग ।
रंग का एक फल विशेष । सेरो-पु. १ खेत का किनारा । २ सूराख । ३ बाड़ या दीवार | सेली-स्त्री० घोड़े की बागडोर में कान के पास लगाया जाने ___ के बीच बना छोटा मार्ग।
वाला एक उपकरण। सेलंग-पु० रहट के खड़े चक्र के गड्ढे के किनारे पर लगी लकड़ी | सेली-स्त्री० १ ऊन, सूत, रेशम या बालों की बनी एक मोटी
या पत्थर जो उसमें खाद पादि गिरने से रोकता है। डोरी जिसे नाथ योगी गले में डालते हैं । २ स्त्रियों के शिर -क्रि०वि० १ लगातार, एक साथ, निरंतर । २ शृखला- का एक प्राभूषण । ३ पगड़ी पर बांधने का एक प्राभूषण । बद्ध । ३ देखो 'संलग्न'।
४ छोटा भाला, बरछो। ५ देखो 'सर'। सेल-पु० [स. शल:] १ भाला, बरछा, सांग। [५० शेल] सेलीसंद, सेलोसमंद (ध)-पु. एक प्रकार का उत्तम जाति का .२ तोप का वह गोला जिस में गोलियां प्रादि भरी रहती घोहा । हैं । ३ बज्र। ४ छिद्र, सूराख, बिल । ५ दर्द, टीस, सेलीहालो-वि० जिसको पगड़ी पर सेली बंधी हो । पोड़ा । ६ देखो 'सर'।
सेलुत-पु. एक वर्ग विशेष । । सेलक, सेलक्क-पु० भाला, बरछा।
सेलुस-पु० [सं० शेलुष] एक प्रकार का लिसोड़ा। सेलखड़ी-स्त्री. १ खरिया मिट्टी। ९ एक प्रकार का चिकना व सेट-क्रि०वि० चिता में।
मुलायम पत्थर जो बरतन बनाने के काम प्राता है। सेलोट-देखो 'सलोट'। सेलड़ी-स्त्री. १ ईख, गन्ना । २ बांस के शिरे पर लगा लोह | सेलोत-पु० गरासिया जाति का मुखिया या प्रधान । ___ का हासिया जिससे वृक्ष की टहनियां काटी जाती हैं। | सेळो-पु. १ कांटेदार रोमावली वाला एक छोटा जीव जो सेलड़ी-पु० १ स्त्रियों की वेणी में गुथा जाने वाला एक रोप्य | अपना मुख व पांव छुपाकर गेंदनुमा बन जाता है। २ गाय प्राभूषण । २ देखो 'सेल'।
दूहते समय उसके पिछले पैरों में बांधने की रस्सी।। सेलणी (बी)-क्रि० १ चुभाना, घुसेड़ना। २ भाले, बरछे या सेलो-पु० १ एक उत्तम कोटी का वस्त्र । २ लाल रंग का
तीक्ष्ण शस्त्र से प्रहार करना। ३ कष्ट देना, दुःख देना । साफा । ३ अश्लेषा नक्षत्र का एक नाम । ४ सीधा-सादा ४ देखो 'सालणो' (बी)।
व्यक्ति । ५ देखो 'सेल'। सेलपी-स्त्री. बनस्पति विशेष ।
सेल्लि-स्त्री. प्रस्तर पट्टिका, सिल्ली । सेळमेळ, सेळमेळ पु. १ मिश्रण । २ गिल-मिल ।
सेल्ह-देखा 'सेल'। सेलवण-स्त्री० एक प्रकार का क्षुप विशेष ।
सेल्हय-देखो 'सेलहय'। सेलवरणी-स्त्री० नदी, सरिता ।
सेल्हा-स्त्री० चावलों की एक किस्म । सैलसुत-देखो ‘सैलसुत' ।
सेल्हारस-स्त्री० केसर या चंदन ।
सेल्ही-देखो 'सेली'। सेलहत्य, सेलहय-वि० १ योद्धा, वीर। २ जिसके हाथ में
सेल्ही-१ देखो 'सेलो'। २.देखो 'सेळो' । ___ भाला हो।
सेवति, सेवंती, सेवत्री-देखो 'सेवतो'। सलाणी-स्त्री. १ कोल्हू में पिले हुए प्रध-कचरे तिल, कच्चर । सेव-स्त्री० [सं० सेविका] १ बेसन में मिर्च-मसाले मिलाकर, तिल का दलिया । २ देखो 'सेनापी' । .
घाटे की तरह गूद कर, झारे के माध्यम से गर्म तेल में सेला-वि० शीतल, ठण्डा ।
तलकर तैयार किया नमकीन विशेष । २ प्राटे या मैदे को सेलाक-वि० भाला धारण करने वाला योद्धा, वीर!
गूद कर डोरों की तरह बनाया पदार्थ जिसको पानी में
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सेवक
सेवार
उबाल कर खाया जाता है (रक्षाबंधन, ईद)। ३ कुशल संवति सेवती-स्त्री० [सं० सेमती] १ एक प्रकार का सफेद क्षेम, सुख-शांति, खुशहाली। ४ एक प्रकार का वृक्ष । गुलाब का फूल । २ इस फूल का पौधा । ५ देखो 'सेव'।
सेवन-पु० [सं०] १ सेवा करने की क्रिया या भाव । २ उपासना, सेवक (सेवकर)-पु० [सं०] (स्त्री० सेवकरण, सेवकांरणी) १ सेवा प्राराधना, भक्ति । ३ उपभोग, भोग, इस्तेमाल । ४ स्त्री
उपासना, माराधना करने वाला भक्त, दास व्यक्ति । संभोग, मैथुन क्रिया । ५ टहल, चाकरी, ६ सानिध्य, २ नौकर, चाकर, अनुचर । ३ पुजारी। ४ सिलाई करने संसर्ग । ७ संरक्षण, रक्षा। ८ मादा पक्षियों द्वारा प्रण्डों वाला दर्जी। ५ बोरा। -वि० १ सेवा शुश्रूषा करने वाला। का पोषण । ९ पौषधि प्रादि का खान-पान । १ २ पूजा, उपासना करने वाला, अनुयायी। ३ नोकरी- सेवनी-स्त्री. १ सिलाई, सोवन । २ टांका। ३ सूई । ४ संधिचाकरी करने वाला। ४ पगधीन । ५ सेवन करने वाला, स्थान । ५ दासी, सेविका । उपभोक्ता । ६ सहायक, मददगार।
सेवभद्र-पु० कुशलता। सेवकरण, सेवकरणी-स्त्री० दासी, नौकरानी, सेविका ।
सेवमाण-वि० सेवन करने योग्य । सेवकाइ, सेवकाई-स्त्री० १ सेवक का कार्य, सेवा, चाकरी सेवर, सेवरडो, सेवरियौ, सेवरी-पु० [सं० शिखर] १ विवाह शुश्रूषा । २ धाव भगत । ३ नौकरी। ४ भक्ति ।
की एक रश्म जो विवाह मण्डप में कन्या के भाई या मामा .सेवक-देखो 'सेवक'।
द्वारा वर के सामने 'सरवा' घुमाकर अदा की जाती है। सेवग-पु० [सं० सेवक] (स्त्री० सेवगण, सेवगरणी, सेवाणी) २ विवाह में भोवर के समय गाया जाने वाला मांगलिक
१ ब्राह्मणों का एक वर्ग, शाकद्वीपी ब्राह्मणा । २ इस वर्ग | लोक गीत । ३ विवाह के समय शिर पर बांधा जाने वाला का व्यक्ति। ३ देखो 'सेवक' ।
सेहरा, शिर मौर। ४ पगड़ो में बांधकर मोर के नीचे दूल्हे सेवगर-देखो 'सेवक'।
के मुह के धागे लटकाई जाने वाली फूल मालायें । सेंवगसाधार-पु. १ भक्तों का परिपालक ईश्वर, विष्णु | (मुसलमान) ५ माला, हार, विशेषकर रेशमी माला ।
श्रीकृष्ण । २ अपने चाकर या अनुयायियों का रक्षक । ६ द्वार के ऊपर लगाया जाने वाला एक कलात्मक पत्थर । स्वामी।
-वि०१ उत्तम, श्रेष्ठ । २ शिरोमरिण। सेवगी, संवग्ग-देखो 'सेवक' ।
सेवलण (नी)-स्त्री० [सं० शैवलिनी] नदी, सरिता, तठनी। सेवग्रह-स्त्री० मेवा चाकरी, टहल बंदगो।
सेवळो-देखो 'सेही'। सेवड़-पु. १ राजगुरु पुरोहितों का एक गोत्र । २ इस गोत्र का सेवळी-पु० १ सेमल वृक्ष । २ कलई पर धारण करने की एक - पुरोहित । ३ देखो 'सेवड़ो'।
प्रकार की बलदार चूड़ी। ३ देखो 'सेळो'। सेवड़ा-स्त्री० दशनामी संन्यासियों की एक शाखा ।
सेवांजळि (ळी)-स्त्री० [सं० सेवा जलि] १ दोनों हथेलियों को
जोड़कर प्यालानुमा बनाई एक मुद्रा । २ ऐमी मुद्रा बना सेवड़ो-पु० [सं० श्वेत-पट] १ जैन साधुनों का एक वर्ग व इस |
कर अपने उपास्य को कुछ अर्पण करने की क्रिया। वर्ग का साधु । २ एक ग्राम्य देवता ।
सेवा-स्त्री० [सं०] १ देवतानों की पूजा, अर्चना । २ सेवासे वज-देखो 'सेवज'।
शुभषा, तीमारदारी, टहल । ३ नौकरी। ४ प्रादरसेवट-क्रि०वि० [सं० सीमट्ट] अन्त में, प्राखिर, अन्ततोगत्वा : | सत्कार, प्रावभगत । ५ उपासना, माराधना, भक्ति । सेवरण-स्त्री० १ एक प्रकार की घास । २ उपासना, भक्ति या ६ प्रेम, प्रासक्ति । ७ माश्रय, शरण। ८ उपभोग, भोग । माराधना करने की क्रिया । ३ सेवा-चाकरी या टहल करने
९ श्रम, परिश्रम । १० समाज सुधार का कार्य, समाज को क्रिया । ४ मादा पक्षियों की प्रण्डे पकाने की क्रिया या
सेवा । ११ चापलूसी, जी-हजूरी। भाव । ५ सेवन ।
सेवागर-देखो 'सेवक'। सेबग्गी (बी)-क्रि० [सं० सेवनं] १ पूजा करना, अर्चना करना ।
सेवाधरम-पु० [सं० सेवा-धर्म] सैवक का धर्म या कर्तव्य । २ वंदना करना, नमस्कार करना। ३ उपासना या भक्ति ।
संवाधारी-पु० [सं० सेवा-धारिन् पुजारी, सेवक । -वि० जिसके करना । ४ सेवा-शुश्रूषा करना, चाकरी करना। ५ उपभोग
1. मूर्ति पूजा या माला का नियम हो। करना, भोगना । ६ सानिध्य करना, संसर्ग करना । ७ मादा सेवापण (पणी)-पु. १ मेता वत्ति, टहल-बंदगी। २ नोकरीपक्षी का अण्डे पकाने के लिये बैठना। पोषण करना। चाकरी। ८ रहना, बसना । ९ कोई औषधि या पथ्य लेना। सवार, सेवाळ, सेवाल-स्त्री० [सं० शैवाल] १ पानी पर जमने १० लिप्त होना । ११ पालन करना ।
वाली चील, काई। २ जलाशयों के पानी पर जाल को
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सेवावरतो
(
८४७ )
संचलन
तरह बिछने वाला घास विशेष । ३ द्रव पदार्थ पर जमने | सेसल-पु० [सं० शेषल] नाग देवता। पालो मैल की परत । ४ प्रावरण परदा । -वि०मासमानी, | सेससायंत, सेससायी-पु० [सं० शेष-शायिन्] शेषनाग पर शयन नोला।
| करने वाले विष्णु। सेवावरती-वि० [सं० सेवा-वृत्तिः] जिसके सेवा करने का | सेसु सेसू-पु० जासूस, गुप्त वर। व्रत हो।
सेसूळियौ-देखो 'सेळो। सेविका-स्त्री.दासी, नौकरानी। २ परिचारिका। सेह-१ देखो 'सेस', सह' । २ देखो ‘सेही' । सेवी-वि० सं० सेविन] १ सेवन करने वाला, खाने व पीने | सेहज-देखो 'सहज' 'सेज'।
वाला। २ उपासना; भाराधना या भक्ति करने वाला, सेहजे. सहजे-क्रि०वि०१पपने-पाप, स्वतः । २ सुगमता से, भक्त। ३ सेवा करने वाला, चाकरी करने वाला।
मासानी से। ३ बातों-बातों में। सेवो, से वी-पु. १ पानी का सोता, स्रोत । २ नीचा मस्तक | सेहट-पु. कमरा, कक्ष, कोठरी।
करके चलने वाला प्राणी। ३ अपेक्षाकृत कम गहराई पर | सेहत, सेहति (तो)-स्त्री० [अ०] १ स्वास्थ्य, तन्दुरुस्ती। मिलने वाला भूगर्भीय जल । ४ कम ऊंचाई-नीचाई वाला २ शरीर । ३ शुद्धि । स्थान जो सीधा सपाट हो।
| सेहथ, सेहपि, सेहथी-क्रि०वि० १ अपने हाथों से, स्वात्य। सेन्य-वि. १ जिसकी भाराधना या उपासना करना उपयुक्त २ देखो 'सेहत'। हो। २ जिसकी सेवा बंदमी करना उचित हो।
सेहर, सेहरउ-पु० [सं० शेखर:] १ पर्वत-शिखर, गिरि-शग। सेस-पु० [सं० शेष] १. पाताल में रहने वाला सहस्र फनों | २ कोई शिखर । ३ मेघ, बादल, मेघमाला। ४ प्राकाश,
वाला सर्प, शेषनाग । २ लक्ष्मण । ३ बलराम, बलभद्र । | नभ। ५ मंडप । ६ कंगूरा। ७ शिखर स्थित कलश । ४ ईश्वर, परमेश्वर । ५ एक प्रजापति । ६ एक दिग्गज। ८ देखो 'सहर'। ९ पुष्प। १० प्रलंकार । ७ हाथी, गज। ८ पक्षीराज गरुड़। ६ देवतामों की सेहरि. सेहरी, सेहरियो, सेहरो-१ देखो 'सेहर'। २ देखो मनौती मनाने के लिये चढ़ाया जाने वाला प्रसाद। | 'सेवरों' । ३ देखो 'सेहरी'। १० जनेऊ के स्थान पर धारण किया जाने वाला एक | सेहलो-देखो 'सेळो'। स्वर्णाभूषण विशेष । ११ बड़ी संख्या में से छोटो सख्या सेहवीरो-स्त्री० लज्जाजनक, शर्मनाक । घटाने पर बचने वाली संख्या । १२ बाकी बचा भाग या | सेहसूळियौ-देखो 'सेळो'। . अंश । १३ मुक्ति, छुटकारा । १४ परिणाम, नतीजा। सेहहजारी-पु०[फा०] मुगल शासन में दरबारियों व सरदारों को १५ समाप्ति, अंत । १६ मत्यु, मौत । १७ नाश, विनाश। दी जाने वाली एक उपाधि जो तीन हजार की सेना का १५ स्मति चिह्न । १९ छप्पय छन्द का एक भेद । २० टगण | अधिष्ठाता होने पर मिलती थी। का पांचवां भेद। २१ टगण के छठे भेद का नाम । | सेहाई-देखो 'सहाय'। -वि० १ बाकी बचा, अवशिष्ट शेष । २ उच्छिष्ट, छूटा सेही-स्त्रो० [सं० सेधा] एक प्रकार का रेगिस्तानी जानवर हुमा । ३ अन्य, भौर । ४ सफंद, श्वेत।
| जिसका शरीर नुकीली सूलों से ढका रहता है। सेसजी-पु. १ शेषनाग । २ लक्ष्मण । ३ बलराम।
सेहुंरो, सेहुरो-१ देखो 'सेवरी'। २ देखो 'सेहर'। सेसट-पु० १ बारह मेघमालानों में से एक । २ एक सूर्यवंशी | मैं-क्रि०वि० १ ठीक, एकदम। २ प्रत्यक्ष । -वि० खास । राजा
.२ सौ । ३ सब, समस्त । -पु० खास दिन, विशेष दिन । सेसधर-पु० [सं० शेष-धर] शिव, महादेव ।
| -सर्व० हम। सेसनाग-पु० [सं० शेषनाग] सहस्र फनों वाला पातालवासी | सैकड़ी, सैकड़ो-देखो 'सेकड़ो'।
एक पुराण प्रसिद्ध नाग जो पृथ्वी का प्राधार व विष्णु संग-वि० [सं० सकल] १ सब, समस्त, सभी, तमाम । २ पूर्ण, भगवान की शय्या माना गया हैं । शेषनाग ।
पूरा, सम्पूर्ण । सेसनाथ-पु० शेषनाग के स्वामी, विष्णु । .
संगत-देखो संगत'। सेसभखण-पु० पवन, हवा ।
संगमैग-वि० हतप्रभ । सेसरंग-पु० श्वेतरंग।
संगू-वि० १ संग-साथ वाला, साथी । २ देखो 'सैग' । सेसर-पु० [सं० शेखर] ब्रह्मा ।
संचनण संवनण सै वन्नरण-पु. १ तीव्र प्रकाश, चकाचौंध करने सेसराज-० [सं० शेषराज] १ प्रत्येक चरण में दो मगण वाला वाला उजाला । २ ऐसा तीव्र उजाला करने वाली किररः । एक वरणं वृत्त । २ शेषनाग ।
-वि० प्रकाशित, ज्योतिर्मय ।
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सैंजोड़
सेंसकार
सेंजोड़-पु०.दम्पति । -वि० १ जोड़ सहित । २ समान, सदृश। संव-स्त्री. १ जान-पहचान, परिचय । २ जानकारी। संजोड़े, संजोई-क्रि०वि० पति या पत्नी के साथ, युग्म से। संदरूप-वि० १ साक्षात्, प्रत्यक्ष, सम्मुख । २ वास्तविक, संजोत, सैजोती-स्त्री० [सं. स-ज्योति] १ जीवात्मा का असली ।-पु. नारियल, श्रीफल ।
परमात्मा से मिलन, ज्योति में ज्योति का मिलना, मोक्ष । | सेवाणी-देखो 'सेनाणी' । २ ज्योतिर्मय, ज्योतियुक्त, प्रकाशमान ।
सैदाणो. सैदान, संवांनो-देखो 'सादियांणो' । संजोर-वि० [फा० शहजोर] बलवान, ताकतवर ।
संदेस-पु० [सं० स्व-देश] १ पपना देश, अपना वतन, स्वदेश । सेंट-पु. सुगंधित द्रव्य, इत्र । ।
२ देखो 'संदेह' । । सैठाइ (6)-स्त्री० १ बलवान व ताकतवर होने की अवस्था या संदेह, संदेही, संदेहे, संदेह-वि० देह के साथ सशरीर, जीवित । __भाव । २ जोरावरी, जबरदस्ती । ३ बल, शक्ति, ताकत। | संदै-देखो 'संदेह' । सैठो, संठो-वि० [सं० साधीष्ठ] (स्त्री० सैठी) १ किसी प्रकार | संदोई-पु. सहदोई नामक एक क्षुप विशेष ।
के भय, त्रास, चिता प्रादि हीन भावनामों से मुक्त, साहस | सेबी-वि० [सं० सधित] (स्त्री० संदी) १ जान-पहचान का, युक्त । २ घाटा, नुकसान प्रादि सहन करने की क्षमता परिचित । २ मेल-मुलाकात व सम्पर्क वाला। वाला । ३ जोश, माक्रोश पादि पर काबू रखने वाला, दृढ़ | संघ-१ देखो 'संद' । २ देखो 'सैध' । विचार वाला, धैर्यवान । ४ सहनशील, सहिष्णु। ५ अपनी सैधरणी-वि० स्वामी, मालिक । -क०वि०१ प्रत्यक्ष, सामने। बात या लक्ष्य पर दृढ़, अडिग । ६ स्वस्थ, तरोताजा।। २ देखो 'संधीणी' । ७ बलवान, शक्तिशाली। ८ मजबूत, पक्का । सावधान, | सैंधव-पु० [सं० सैधवः] १ सिंधु देश का एक घोड़ा विशेष, सचेत । १० सख्त, ठोस । ११ देखो 'सांठी'।
-प्रश्व । २ कोई घोड़ा, अश्व । ३ सेंधा नमक । ४ सिंधु सैरण-देखो 'सैरण।
देश । ५ इस देश का निवासी। ६ वीररस पूर्ण सिंधुराम। सेंणको-देखो 'सैरणी।
-वि० [सं० सैधव] १ सिंधु देश का, सिंधु देश संबंधी। संगप-देखो 'संणप'।
२ समुद्र सम्बन्धी, सामुद्रिक । ३ सिंधु नदी सम्बन्धी। सैणला-स्त्री. वेदा की पुत्री, सैणीदेवी।
सैंधवी-स्त्री०१ सिंधु राग। २ भैरव राग का एक भेद । सैंणाई-स्त्री० १ शहनाई। २ देखो 'सैणप'।
-वि० मिधु देश की। सैंणी-देखो 'संणी'।
संधामुहां-देखो 'सेंदेमूडे'। संगो-देखो 'सैरणो' । (स्त्री० सैणी)
संधौ-मैधौ-वि० परिचित । सैतळ-स्त्री० १ हलवा बनाने के लिए घी में भुना जाने वाला सैध-देखो 'संधव'। __पाटा, मैदा प्रादि । २ देखो 'संतळ'।
| संधी-१ देखो 'सैंदो' । २ देखो 'सेंधो' । (स्त्री० संधी) संताळिस, सैताळी, सैताळीस-वि० [सं० सप्तचत्वारिंशत् | सेंधपणउ-पु. शीघ्रता, स्वरा । • चालीस व सात का योग, छियालीस से एक अधिक । सन-१ देखो संरण' । २ देखो 'सेन'। -पु० चालीस व सात को संख्या, ४७ ।
सैनिका-पु. एक वर्ण वृत्त विशेष । सैताळीसमौ (वौं)-शि० छियालीस के बाद वाला, संतालीस के सैफळ, सैफळियौ, सैफळी-पु० युद्ध, समर। -वि० अस्त्र-शस्त्रों स्थान वाला। -पु० सेंतालीस का वर्ष ।
से सज्जित, योद्धा, वीर । संताळीसेक-वि० सेंतालीम के लगभग ।
सैबळ-देखो 'सेमळ'। सैताळीस-क्रि.वि. सेंतालीस के वर्ष में ।
संभर-१ देखो 'साभर' । २ देखो 'सामरियो'। संताळीसी, सैताळी-पु० सेंतालीस का वर्ष ।
सैंभरियो-देखो 'सांभरियो'। सैतीर, सतीर-देखो 'सहतीर'।
सैभरी-स्त्री०१ सांभर नगर के समीप पहाड़ी पर स्थित देवी संतीस (संत्रीस)-वि० [सं० सप्तत्रिंशत्] तीस और सात का | की मूर्ति, शाकंभरी देवी । २ देखो 'सांभरियो ।
योग, छत्तीस से एक अधिक । -पु. तीस व सात के योग | संमुख, समुखि, सैमुखी-देखो 'सनमुख'। की सख्या, ३७।
संलोट-देखो 'सलोट'। संतीसमों (वौ)-वि० सेंतीस के स्थान वाला, छतीस के बाद | संबो (बो)-देखो 'सेवणो' (बो)। वाला । सेंतीसा।
सैवज-देखो 'सेवा'। सैंती-क्रि०वि० धीरे-धीरे।
संस-१ देखो 'सेस' । २ देखो 'सहस्र' । - संतोसो, संत्रीसो-पु० सेंतीस का वर्ष ।
संसकार-देखो 'संस्कार'।
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समूरणी
( ८४९ )
नाण
सँसमूळी-स्त्री० एक प्रकार की जड़ी।
सगाई-१ देखो 'सैणाई'। २ देखो 'सैरणप' । संसार-देखो 'संसार'।
सणाचार-पु. १ सज्जनता पूर्ण भाचरण, सौगता पूर्ण संसारी-देखो 'संसारी'।
व्यवहार ! २ मित्रता, दोस्ती, प्रेम। ३ मेल-जोल । सँसी-देखो 'सांसी'।
४ भलाई। संहते (ते)-क्रि०वि० धीरे-धीरे ।
सैणी-स्थी. वेदा चारण की पुत्री जो देवी का अवतार मानी संहदो-देखो सैदो' । (स्त्री० सेंहदी)
गई है। -विं० १ सीधी-सादी, भोली-भाली। २ भली, संहस देखो 'सहस्र'।
सज्जन, शरीफ। संहसकिरण-देखो 'सहस्रकिरण' ।
सैण, सैरणो-देखो 'सेरणों'। संहात, संहाथ-देखो 'सेहथ'।
मंत, संत-१ देखो 'सेत' । २ देखी 'सहद' । सै-वि० १.समान, अनुरूप, बराबर । २ सब, समस्त। संतळ-वि० १ नाश, नष्ट, ध्वस्त । २ समतल, बराबर ।
-क्रि०वि० ३ में । ४ से । -पु० [फा० शह] १शह, किस्त। ३ देखो 'सैतळ' । २ पक्षपात, तरफदारी। ३ बल, शक्ति । ४ सहारा। संतान-पु० [अ० शैतान] १ ईश्वर विरोधी एक अदृश्य शक्ति ५ बचत। ६ देखो 'सै'। ७ देखो 'सौ'। ८ देखो 'है'। जो अमानवीय एवं क्रूर भावनामों की प्रतीक मानी जाती ९ देखो 'सह।
है। २ भूत-प्रेत मादि प्रधम योनी। ३ दुष्ट, अत्याचारी, सह-स्त्री. सखी, सहेली।
ऋर व्यक्ति। -वि० १ कर, दुष्ट, दुराचारी, पाततायी। सैकड़-वि० कई सो, संकड़ों।
२ उद्दण्ड, बदमाश, शरारती। ३ प्रचण्ड, रौद्र । सैकड़े-क्रि०वि० प्रतिशत, फीसदी।
४ शक्तिशाली प्रबल । ५ विशाल, भीमकाय । ६ धर्म, सैकड़ो-वि० [सं० शतकाण्ड] सो, पूर्ण सौ, शत । -पु. सौ की विरोधी, विधर्मी। संख्या. १००।
सैतानी-स्त्री० [अ० शैतानी] १ शैतान का कार्य । २ अत्याचार, सैकळ-पु. [म.] हथियारों को साफ कर शान चढ़ाने का दुष्टता । ३ उद्दण्डता, शरारत । ४ शक्ति, बल, पराक्रम । कायं।
सैता-वि० १ सब, समस्त । २ सहित । सैकळगर-१० [अ०] तलवार, छुरो, चाकू पादि के धार लमान । सैतार-देखो "सितार। वाला।
संत्रज, संत्रुजी-देखो 'सेत्रुज'। संघ्रपणउ-पु० शीघ्रता, स्वरा।
सैव-क्रि०वि० १ लिये, वास्ते, निमित्त । २ देखो 'संयद'। सैन्न-देखो 'संचन्नए'।
सैदजादौ-देखो 'सयदजादी'। संचाल-स्त्री० शतरंज की एक चाल ।
संवरूप-देखो 'संदरूप, संचेत-देखो 'सावचेत'।
संवाण-१ देखो 'सैयद' । २ देखो 'सादियांणो' । सेज सै'जे से 'जै-देखो 'सहज'।
सैदाणी, संवान, सदांनी संबांनो-क्रि.वि. १ साक्षात्, प्रत्यक्ष । संजोरी-स्त्रा० [फा० शहजोरी] १ जबरदस्ती, जोरावरी। २ देखो 'सादियांणो'। २ शक्ति, बल, ताकत ।
संदेव सं'देव-देखो 'सहदेव' । संझ-देखो 'सेज'।
संदेह-देखो संदेह'। संश-देखो सहज'।
संधव-पु० १ द्रव्य, धन, वित्त । २ देखो संधव' । संसड़ी-पु. लगातार एक सी होने वाली वर्षा ।
संधौ-पु० सुरग। सझो-देखो 'सेजो"।
सैन-त्री० [सं० संज्ञपन] १ इशारा, सकेत । २ निशान, सैरण-पु० १ पति, खाविंद । २ मित्र। ३ रिश्तेदार । -वि० चिह्न, यादगार । ३ ज्ञान, शिक्षा । ४ मार्ग दर्शन ।
सं० सज्जन] १ शरीफ, भला। सज्जन । २ प्रियतम, ५ लेटना, शयन । ६ कामदेव, मदन । ७ देखो 'सेन'।
भी । ३ सहायक, मददगार । ४ हितैषी, शुभेच्छु ।। ८ देखो 'सैरण'। ९ देखो सेना'। ५ मेल-जोल वाला, मुलाकाती। ६ संरक्षक । ७ सोधा- सैनक-पु० सर्प। सादा, भोला-भाला। ८ चतुर, होशियार।
सैनपति (पती)-देखो 'सेनापति' । संरणप-स्त्री० १ भल मनसाहत, सज्जनता। २ सीधापन, संनभोग-पु० [सं० शयन-भाग] शयन भारती के समय चढ़ाया
सरलता । ३ प्रेम, स्नेह । ४ होशियारी, चतुराई । । जाने वाला भोग। सैरणल-देखो 'सैणी'।
| संनाण, सनाण पु. १ निशान, चिह्न । २ पहचान चिह्न ।
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सैनाणी
( ८५० )
संलोट
३ स्मृति चिह्न । ४ धब्बा, दाग खराच । ५ प्रतीक। स'रपना, सरपनाह, सै'रपनी, सरपनाह, सरपनो-देखो ६ संकेत । ७ झण्डा, पताका । .
। 'सहरपनाह'। सनांगी. सैनांगी-स्त्री. १ यादगार के रूप में मानी जाने वाली सैरसपाटा-पु० भ्रमण पर्यटन ।
वस्तु, स्मृति चिह्न। २ पहचान, शिनाख्त । ३ लक्षण से'रसारणी-स्त्री० [फा० शहर+सं० सारणी] शहर के गुण । ४ नमूना।
समस्त व्यक्तियों को दिया जाने वाला सामूहिक भोज । सनाई, सैनाय-स्त्री० [फा० शहनाई) शहनाई, नफीरी, बाजा। सैरि-स्त्री० [सं०] १ कात्तिक मास । २ एक प्राचीन जनपद । सैनिक-पु०स०] १ सेना या फोज का प्रादमी, सिपाही। ३ देखो 'सेरी'। २ सुभट, योद्धा । ३ प्रहरी, संतरो।
सरियो, सरी-देखो 'सहरी'। सनी-पु. १ नाई, हज्जाम । २ देखो 'सन' ।
सैलग-देखो 'सलग' सनीचर-देखो 'सनिस्चर'।
सल (सैलड़ौ)-पु० [स० शैल] १ पहाड़, पर्वत । २ कोई बड़ा संन्या-देखो 'सेना'।
पत्थर, चट्टान। ३ हिमाचल का राजा व पार्वती का सैपाठी-पु० सहपाठी, साथ पढ़ने वाला, साथी।
पिता ।-वि०१ पत्थर का, पत्थर संबंधी। २ कड़ा, कठोर । संपोड़ो-वि० निरन्तर दर्द या पीड़ा बना रहने वाला, कष्टमय । ३ देखो 'सर । ४ देखो 'सेल'। -कन्या, कुमारी -स्त्री. संप्रत, सैप्रत्त-देखो 'सांप्रत' ।
उमा, पार्वती । -गुर, गुरु-पु०बड़ा पर्वत, हिमालय या सुमेरु संफळ, सैफळो-देखो 'संफळो' ।
पर्वत। -जा-स्त्रो० उमा, पार्वती।-धन्वा-पु. शिव, सैफौ-पु० [अ० सैफा] जिल्दसाजी में काम पाने वाला एक महादेव । -धर-पु. श्रीकृष्ण, बजरग । --नदनी; नदिनी प्रौजार विशेष ।
-स्त्री० पार्वती। --पत, पति, पती-पु. हिमालय या सेबास-देखो 'साबास'।
सुमेरु पर्वत । -पुती, पुती, पुत्री-स्त्री. पार्वती, दुर्गा संबुलबुल-स्त्री. 'श: बुलबुल नामक पक्षी।
पाठ विशिष्ट देवियों में से एक । -राज--पु. सैमळ, समल-१ देखो 'सेमळ' । २ देखो 'सामल'।
हिमालय, सुमेह । -सुत-पु० स्वर्ण, सोना । -सुता-स्त्री. समान-देखो 'सामान'।
पावती, उमा। समात-स्त्री० शतरंज के खेल में एक प्रकार की शिकस्त । सेल-देखो 'सहल' । सम्वो,समूदो, सैमूदो-देख। 'सेमूदी'। (स्त्री० समुदी, समूदी) | सैलगंगा-स्त्री० [सं० शैल-गंगा] गोवर्द्धन पर्वत से निकलने सम-देखो 'समय'।
_ वाली एक नदी। संय-पु० पक्ष ।
सैलसपाटा, सैलसिकार-पु. पामोद-प्रमोद व मनोरजन के संयव-पु० १ मुगलमानों के चार वर्गों में से एक वर्ग।।
यजमानों के चार वर्षों में से एक वर्ग के लिये किया जाने वाला भ्रमण, सैर। २ मुसनमान । -जादौ-पु. 'सैयद' वर्ग का मुसलमान। | सैलाण-वि०१ सैर करने वाला,भ्रमणशील । २ देखो सेनांणी'। सैयां-स्त्रो० (च.व.)१ सखियां सहेलियां। -पु० २ प्रियतम, पति । ३ देखो 'सलाणी'। सय्यद-देखो संयद'।
सैलान-पु०१ नग, नगीना । २ देखो 'सेनांण' । संय्यां-देखो 'सैयां'।
सलाइ-पु० १ एक साथ, परस्पर गर्दन से बंध हुए दो बैल पादि सरधिका, सरधी-स्त्री० [सं० सैन्ध्री] १ द्रौपदी का वह चौपाये । २ इस प्रकार बाधने को रस्सी या किया ।
नाम जो उसने अज्ञातवास के समय रखा था। २ दूसरे के घर ३ दो पशुषों का जोहा।देवी को चढ़ाये जाने वाले में रहने वाली स्वाधीन शिल्पकारिणी स्त्री । ३ अन्तःपुर दो बकरे, बकरों का युग्म । में काम करने वाली दासी, विशेष । ४ दासी, सविका, सैलाड़णी (बो)-क्रि० बैल, बकरे प्रादि के युग्म को एक ही परिचारिका । ५ नीच जाति की चाकरानी । ६ वर्ण रस्सी से परस्पर गर्दन से बांधना ।। संकर जाति ।
सैलात्मजा-स्त्री० [सं० शैलात्मजा] पावती। सैर, सैर-स्त्री० [४०] १ मनोरंजन के लिये की जाने वाली सळी-देखो 'सेही' ।
यात्रा, पर्यटन, भ्रमण। २ मौज, मस्ती, मनोविनोद। पेली-स्त्री० [सं० शैली] १ वाक्य-रचना का हंग, लिखने का ३ शिकार मृगया। ४ देखो 'सहर'।
ढग । २ चाल, ढंग, तरीका। ३ परिपाटी, प्रणाली। सैरगाह-स्त्री० [अ०] पर्यटन-स्थल, सैर करने का स्व न ।
रीति, रिवाज, प्रथा । ५ पाचरण, चाल-चलन । सैरडो-देखो 'सहर'।
| सैलोट-पु. १ ध्वंस, नाश, विनाश । २ समतल ।
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सैलो
सोखायत
सळो, सलो-पु. १ मट-मैले रंग का ऊंट या कुत्ता । २ देखो | सोस-देखो 'सूस'। _ 'सळो'।
| सोहगौ-देखो 'सूगो'। सैव-वि० [सं० शैव] १ शिव का, शिव संबंधो। २ शैव | सो-पु० १शोक । २ दुःख । ३ मनुष्य । ४ शरीर । ५ पण्डित ।
सम्प्रदायी। ३ जिसकी सेवा करना उचित हो, संव्य । | ६ चन्द्रमा । ७ मंत्र। ८ शुक्रवार ।--स्त्री० ९पार्वती।-पु० १ शैव सम्प्रदाय या उसका धनुयायो । २ शिव का वि० १ शुद्ध, पवित्र । २ मलीन, म्लान । ३ स्थिर ।
भक्त या उपासक । ३ अष्टादश पुराणों में से एक । ४ सब, समस्त । ५ समान तुल्य । -प्रव्य. १ मात्रा या संवण-देखो 'सेवण' ।
मान सूचक अव्यय शब्द । -क्रि० वि० २ तक, पर्यन्त । संवणी (बी)-देखो 'सेवरणो' (बी)
३ इस प्रकार, ऐसा । ४ प्रतः, इसलिये।-सर्व०१ वह, वे। सैवपुराण-पु. [सं० शैवपुराण] शिव पुराण ।
२ वही। ३ उस, उसके । ४ उन । ५ जो। संवळी-देखो 'सेही'।
सोमणी-देखो 'सोवो'। सैवान-देखो 'सादियांणो' ।
सोअहम-प्रव्य० [सं० सोऽहम्] वही मैं हूँ। मैं ही ब्रह्म हूँ। सैवाळ-देखो 'सेवाळ'।
सोइ-देखो 'सोई। संवालमालना-पु. एक प्रकार का भाला या सोग ।।
सोइतो-देखो 'सोहितो। सैवी-स्त्री० [सं० शैवी] १ पार्वती, दुर्गा । २ मनसादेवी। सोई-स्त्री० एक जाति विशेष । -सर्व० वही, वह। -वि. ३ कल्याणी।
१ शुभ चिंतक, हितैषो। २ सभी, सब । ३ देखो 'मोजो। संस-१ देखो मेस' । २ देखो 'सहस्र'।
सोउं-देखो 'सोपहम्'। से'सकिरण-देखो 'सहस्रकिरण' ।
सोऊ-सर्व वह। संसरनाम (नाव)-देखो 'सहसनाम' ।
सोक-पु० [सं० शोकः] १ परिवार में किसी को मृत्यु के कारण सव-स्त्री० [सं० शैशव] बाल्यकाल, बचपन, लड़कपन । होने वाला शोक, दुःख । २ कष्ट, दुख, रज । ३ पीड़ा, -वि० शिशु संबंधी।
दर्द । ४ विपत्ति, संकट । ५ संताप, पश्चाताप । ६ साहित्य सैसवदन-पु० [सं० सहस्र-वदन] शेषनाग ।
में ३३ प्रकार के संचारी भावों में से एक । ७ देखो संसाजळ-पु० लक्ष्मण।
'मोक'। संसार-देखो 'ससार।
सोकड़, सोकड़ ली. सोकरण- देखो 'सौक' । २ देखो 'सोक' । संसारजुन-देखो 'सहस्रारजुन' ।
सोकणी बो)-देखो 'मोखणी' (बो)। संह-देखो से',
सोकरडो-देखो 'सीकग्डो'। संहड़ी-पु० [सं० सुभट] १ योद्धा, सुभट । २ देखो 'सेड़ो'। सोकळ-पु०१ शुष्क, साधारण । २ पौष्टिक । संहत, संहती-१ देखो 'सेहत' । २ देखो सहित' ।
सोकह-पु० शोक, रंज। सहनाई-देखो 'सहनाई'। .
सोकाकुळ-वि० [सं० शोकाकुल] शोक से व्याकुल, दुःखी, सहर-१ देखो 'सहर' । २ देखो 'सर'।
- चितित । संहल-देखो 'सर'।
सोकातिसार-पु० शोक व चिता से होने वाला प्रतिसार रोग। संहे, हेत-१ देखो 'स। २ देखो सहित'।
सोख-पु० १ बकरी के समान 'गलथने' वाला घोड़ा । सों-१ देखो 'सु' । २ देखो 'सोगन' ।
२ देखो 'सौख'। । सोंक-देखो 'सूक' ।
सोखण-देखो 'सोसण'। सोंगणी-देखो 'सांगणो' ।
सोखरणी-वि० संहार करने वाली, शोषण करने वाली। सोंगसी-स्त्री० घोड़े के कान के नीचे व प्रांख के ऊपर होने सोखणो (बी)-क्रि० [सं० शोषणम] १ पीना । २ पाचमन ___ वाली मवरी।
करना । ३ सुखाना। ४ शोषण करना, चूसना । ५ मारना, सोंगाड़ो-पु. बढ़ई का पोजार विशेष ।
सहार करना । ६ नष्ट करना, मिटाना । ७ विष पादि सोंझ-देखो 'सौज'।
उतारना । सोंधो-देखो 'सौंधो'।
सोखता-स्त्री० [सं० शुष] एक प्रकार की पिशाचिनी जिसके सोपड़-देखो 'सोपड़'।
संसर्ग से मनुष्य कृशकाय होकर धीरे-धीरे मृत्यु को प्राप्त सोंपरणी (बी)-देखो 'सूपणी' (बी)।
हो जाता है। सोवो-पु. एक प्रकार का घास ।
| सोखायत-देखो 'सौगात'।
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सोखी
। ८५२ )
सोणी
सोखी-वि० १ मित्र, दोस्त, हितैषी । २ शोकीन ।
सोमण-स्त्री० शुद्ध करने या संशोधन करने की क्रिया। सोखीन-देखो 'सौखीन'।
सोमणी (बी)-देखो 'सोधणों' (बो)। सोखीनाई-देखो 'सौखीनाई।
सोट, सोट-पु० १ गोडवाड़ में, बच्चे के जन्म के बाद प्रथम होली सोगंध-स्त्री० शपथ ।
.पर बांटा जाने वाला एक प्रकार का खाजा । २ देखो सोग-देखो 'सोक'।
'सोटो'। सोगटाबानी-स्त्री. शतरंज यो चौसर का खेल ।
सोटण, सोटी-स्त्री० लंबी लाही या लाठी, तड़ी। सोगटी, सोगट्ठी-देखो ‘सोगटी'।
सोटो-पु. १ मोटी लकड़ी का मजबूत डंडा, लाठी, लट्ठ । सोगटो, सोगठौ-पु० शतरंज या चौसर की गोट, गोटी।
२ भैसा सांड । ३ देखो 'सोठी'। सोगन-१ देखो 'सोगंध' । २ देखो 'सुगनी' ।
| सोठागारो-वि० (स्त्री० सोठागारी) १ मितव्यया । २ कृपण, सोगरी, सोगरौ-पु० बाजरे की मोटो रोटी।
कजूस ।। सोगात-देखो 'सौगात'।
सोठो, सोठी पु० १ तंगी प्रभाव । २ मितव्ययता। कृपणता । सोगियो-वि०१ भेद लेने वाला । २ देखो 'सोगी' ।
४ देखो सोटो। सोगी-वि० [सं० शोक+रा प्र.ई.] १ शोकसंतप्त, दुःखी, | सोडस-वि सोलह । -पु. सोलह की संख्या। ___ चितित । २ देखो 'सुहागो' । ३ देखो सोखी'।
सोडसाळा-स्त्री० [सं० षोड्श-कला] चन्द्रमा की सोलह सोड़-स्त्री. १ रजाई, सिरख । २ देखो 'मसोड़।
कलाएं जिससे वह क्रमशः घटता-बढ़ता है । सोड़क-पु. ल.व के साथ घूमने वाले चक्र में लगने वाला लोहे | सोडसगरण-पु० [सं० षोडश-गण] पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच का डंडा।
कर्मेन्द्रियां, पांच भूत व एक मन का समूह । सोड़स-देखो 'सोडस'।
सोडसमात्रका-स्त्री० [सं० षोडश्-मातृका] सोलह मातृकापों सोच-पु. १ चिता, फिक। २ पश्चाताप, पछतावा । ३ दुःख | का समूह । _ रंज । ४ प्राश्चर्य, विस्मय । ५ देखो 'सोच' ।
सोडसबारखी-वि० [सं० षोडश्-वार्षिका] सोलह वर्ष की, सोचक-पु० [स० सूचिक] दरजी ।
षोडशी। सोचकेस-देखो सोचीकोस' ।
सोडसी-वि० [सं० षोडशी] १ सोलह वर्ष की वायु वाली। सोचरणो (बी)-कि० १ चिता या फिक्र में पड़ना, चितित होना । २ युवा, युवती -स्त्री० १ सोलह वर्ष की युवती ।
२ किसी बात या विषय पर विचार करना, मनन करना, २ दश महाविद्यानों में से एक । ३ सोलह तत्त्वों का कल्पना करना। ३ निश्चय करना, इरादा करना, विचार | समूह। करना । ४ विशेषतः किसी कार्य के परिणाम या प्रणाली सोडो-पु. एक प्रकार का क्षार । पर विचार-विमर्श करना। ५ किसी कार्य में उचित- | सोढांए, सोढायण -पु. ऊमरकोट प्रदेश का प्राचीन नाम । अनुचित का विचार करना । ६ अनुमान या अंदाज करना । | सोरण-पु० [सं० शोण] १ प्रत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । ७ असमंजस में पड़ना, पशोपेश में पड़ना ।
२ देखो मोरिणत' । ३ देखो 'सुगन' । ४ देखो 'सोग भद्रा' । सोचिकेस-देखो 'सोचीकेस' ।
सोरणक-वि. लाल । सोची-स्त्री० [स. शोचिस्] १ प्रकाश, ज्योति । २ प्राभा, सोणगिर (गिरि, गिरी)-देखो 'स्वरणगिर'। ___कांति, चमक । ३ अग्नि, प्राग।
सोणत-देखो 'सोणित' । सोचीकेस-पु० [सं० शोचिष्केशः अग्नि, माग ।
सोणभद्रनव-पु. [सं० शोभदनद] विध्याचल से निकल कर साज-स्त्री० १ तैयारी। २ देखो 'सोच'।
पटना के पास गंगा में गिरने वाला एक नद । सोजणी (बी)-देखो 'सोधणी' (बी)।
सोरणभद्रा-स्त्री० [सं० शोरण भद्रा] पंजाब को सोन नदी। सोजतियो, सोजती-वि० सोजत का, सोजत संबंधी । -पु० सोजत सोपहर-पु० शयनघर शयनकक्ष । ___ की भूमि में उत्पन्न प्रजवायन विशेष ।
सोरिणत-पु० [सं० शोणित) १ रुधिर, खून, रक्त। २ सिंदूर । सोजाक-देखो 'सूजाग'।
___३ केसर । ४ तोबा । -वि० लाल, रक्त वसे। सोजि, सोजी, सोजी स्त्री० १ विवेक शक्ति, बुद्धि, ज्ञान । सोणितचंदण (न) पु० [सं० शोणितचंदन | लाल चंदन ।
२ ध्यान, पक्षा, जानकारी । ३ अक्ल, बुद्धि, विचार शक्ति। सोणितपुर-पु० [सं० शोणितपुर] १, सोजत नगर का प्राचीन ४ देखो 'सोजो।
नाम । २ वाणासुर की राजधानी का नाम । सोजो, सोजो-पु. सजन शोथ ।
| सोरणी-१ देखो सोरिणत'। २ देखो 'साणी'।
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सो
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( ८५३ )
सो-देखो 'सोहणी' |
सोधी देखो 'सौटी।
सोणी (बी) १ देखो 'वो' (बो) २ देखो 'सोहणी' (बो) सोनंग. सोनंगर, सोनंगरी-देखो 'मोन । । सोत- स्त्री० १ जयपुर रियासत में बहने वाली एक नदी । २ देखो 'स्रोत' । ३ देशो 'सौत' ।
सोलपत (पति, पती) देखो स्रोतपति' ।
o
सोदागर - देखो 'सौदागर' ।
सोबी-देखो 'सोदी' ।
सोध स्त्री० [सं० शोध] १ खोज तलाश और खबर । २ बुद्धि, संस्कार
धन्वगवेषणा दुवस्ती ५ छिपी हुई व रहस्यपूर्ण बातों की खोज -पु० ६ घर, मकान । ७ महल, प्रासाद ८ विचार । ९ देखो 'सोध' । सोपवि० [सं०]
1
करने वाला २ नेपा तलाश करने वाला । ३ शोध करने वाला । ४ सुधार करने वाला । सोधी० [सं०] शोधनी] बुहारी झार सोधौ (ब) - क्रि० [सं० शोधनं] १ खोजना, ढूंढना, तलाश करना । २ साफ करना, शुद्ध करना । ३ ठोक घोर दुरुस्त करना, सुधारना । ४ विचार करना, सोचना । ५ प्रौषधियों का शुद्धिकरण करना। ६ छान-बीन या जांच करना । ६ गवेषणा, प्रन्वेषण करना ।
सोधन पु० [सं०] शोधन] १ शुद्ध या साफ करने को किया या भाव । २ दोष, भूल प्रादि का सुधार । ३ रहस्यमय नई बातों की खोज, प्रन्वेषणु । ४ प्रायश्चित ५ सजा, दंड । ६ जुलाब को किया विरेचन ७ नींबू घोषधियों का शुद्धिकरण ।
सोधागो (बी) - क्रि० १ खोज या तलाश करना, ढूंढाना । २ शुद्ध कराना, साफ कराना। ३ ठीक या दुरुस्त कराना, सुधराना । ४ विचार करने के लिये प्रेरित करना । ५ वैद्यक में का शोधन कक्षना छान-बीन कराना, जांच पड़ताल कराना । ७ प्रन्वेषण कराना, गवेषणा कराना
सोधी देखो 'सोबो' ।
।
सोन स्त्री० [सं० स्रोस] १ एक नदी जो मध्य प्रदेश के अमरकंटक की प्रधित्यका से निकलती है तथा अंत में गंगा में मिलती है । २ एक सदाबहार पौधा ।
सोतो-देखो 'स्रोत' ।
सोनी पु० १ स्वर्णमुद्रा २ एक प्रकार की घास । सोनउ-देखो 'सोनो' ।
सोच स्त्री० [सं०] [को] सूजन
सोबच पु० पितरों के उद्देश्य से किया जाने वाला एक सोनगढ़-पु० १ जार का दुर्ग २ देखो 'स्वरागिरि'
संस्कार |
सोनगर- पु० जालोर नगर का प्राचीन नाम । सोनगरी पु० चोहान क्षत्रियों को सोन
सोवरी (बी) देखो ''बो
सोबर, सोबरज-पु० [सं० स उदर] एक हो माँ की कोख से सोनविर (गिरि गिरी ) देखो 'स्वरागिरि'
जन्मा भाई, भ्राता ।
1
सोदरा, सोबरी स्त्री० [सं० सहोदरा ] १ सगी बहन, भगिनी । [सं०] सुभद्रा ] २ श्रीकृष्ण की बहन व अर्जुन की पहली
३ दुर्गा देवी का एक नाम ।
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सोनिक
शाखा
सोनचिड़ी स्त्री० [सफेद व काले रंग की एक चिड़िया जिसका शकुन देखा जाता है । सोनजर पु० पीली जुही।
सोनजाय, सोनजुही-स्त्री० [सं० स्वर्णयुधिका] पीले रंग के फूलों वाली जूही
सोनड़ी पु० एक प्रकार का घोड़ा।
सोनभद्र सोनभद्रा देखो 'सोन' ।
-
+
सोनल वि० [१] खोने का स्वर्णमय सुनहरा २ गौर वर्ण ।
३ चमकदार, चमकीला ।
सोनम (ग) स्त्री० १ गति का एक कोट २ एक राजस्थानी लोक गीत ।
सोनळवौ, सोनळहलवी ( हलुवो) -देखो 'सोहनइलवो' । सोनलिया स्त्री० मार जाति का एक भेद विशेष । सोनवांगी - पु० वह पानी जिसमें सोना डुबोया गया हो । सोनहरी - पु० (स्त्री० सोनहरी ) ऐसा घोड़ा जिसके काले सुमों पर सफेद रेखा या सफेद सुमों पर काली रेखा हो । सोनागर, सोनागिर (गिरि) - देखो 'स्वरागिरि' ।
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सोभागेरू पु० [स० स्वर्णगैरिक] एक प्रकार की लाल एवं मुलायम मिट्टी विशेष ।
सोनानांमी पु०का भाई
मि
सोनामछी - स्त्रो० रेतीले मंशन में पाया जाने वाला एक विषैला जंतु
सोनामुखी स्त्री० [सं० स्वर्ण मक्षिका] १ एक प्रकार का खनिज पत्थर जो सोने के प्रभाव में भौषधियों में काम लिया जात है । २ एक पौधा विशेष जिसकी पत्तियां विरेचन के काम श्राती है, सनाय । ३ एक प्रकार का रेशम का कीड़ा । सोनार देखो 'सुनार'।
सोनारूपी पु० एक मारवाड़ी लोक गीत । सोनावेल स्त्री० एक लता विशेष । सोनाहरणी - स्त्री० वेश्या । सोनिक
क- पु० १ खटीक । २ कसाई ।
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सोनिडो
सोम
सोनिडो, सोनी, सोनीड़ो-देखो 'सुनार'।
सोभरणी (बी)-क्रि० १ शोभित होना, शोमायमान होना। सोनेरण-स्त्री० सोने की मूठ वाली तलवार या कटार ।
२ जंचना, कवना शोभा देना । ३ सज्जित होना, सजना । सोनेरी-पु. एक प्रकार का घोड़ा। -वि० १ स्वर्ण संबंधी, | सोभन-पु० [सं० शोभन] १ शिव, महादेव । २ सुर्य । सोने का । २ देखो 'सोनहरी'।
३ मालकोश राग का एक भेद । ४ अग्निदेव । ५ प्राग, सोनेली (लो)-स्त्री० वर्षा ऋतु में होने वाला एक पौधा विशेष । अग्नि । ६ ग्रह । ७ ज्योतिष के २७ योगों में से पांचवां -वि० सोने के समान रंग वाली।
योग। ८ चौबीस मात्रामों का एक छन्द विशेष । सोनेयो-पु० [सं० स्वर्ण] सोने का सिक्का विशेष ।
९ विष्णुवीसी का सत्रहवां बर्ष । -वि०१ मंगल, कल्याण । सोनो-पु० [सं० स्वर्ण] १ एक प्रसिद्ध बहुमूल्य धातु जिसके | २ सुन्दर, मनोहर । ३ देखो ‘सोभण'।
प्राभूषण प्रादि बनते हैं, कंचन । २ बहुमूल्य पदार्थ, वस्तु । | सोमना-स्त्री० [सं० शोभना] स्कद की अनुचरी एक मातृका । -वि० पीत।
सोमनी-स्त्री. १ एक प्रकार की रामिनी । २ देवी दुर्गा का सोन्हैरी-देखो 'सोनेरी'।
__नाम । -वि० सोभा देने वाली । सोपट-क्रि०वि० प्रत्यक्ष. खुल्लमखुल्ला, चौडे में।
सोभय-स्त्री० सुख देने वाली देवी विशेष । सोपान-पु० [सं० सोपान] १ जीना, सीढ़ी । २ किसी पुस्तक | सोभरधाम-पु. सोभर ऋषि का धाम या यमुना नदी का हृद। का अध्याय, पाठ । ३ मोक्ष का उपाय । (जैन)
सोभवती-वि० सुन्दर, प्राकर्षक। सोपारी-देखो 'सुपारी'।
सोभा-स्त्री० [सं० शोभा] १ दीप्ति, प्राभा, कांति, चमक । सौपारी सोपारी-पु. १ प्रलगोजे से मिलता-जुलता एक वाद्य ___२ सुन्दरता, छबि, रूप । ३ रग वर्ण । ४ सौन्दर्य को ____ विशेष । २ पुरुष चिह्न, लिं गेंद्रिय का प्रग्र भाग, मणि। | बढ़ाने वाला तत्त्व । ५ प्रशसा, बड़ाई, कीर्ति । ६ अच्छा सोपो, सोपी-पु० [सं० स्वाप:] १ रात्रि का सन्नाटा, शान्ति । गुण । ७ हल्दी। ८ गोरोचन। ६ बीस प्रक्षरों का वर्ण
रात के सन्नाटे वाला समय । २ स्तब्धता, सुनसान, वृत्त । १० मार्या या गाहा छन्द का एक भेद ।। सूनापन । ३ शांति ।
| सोभाउ (ऊ)-स्त्री. वह स्त्री या कन्या जिसे, विवाहित कन्या के सोफियांनी (नौ)-वि० [4. सूफी-इयाना] १ सूफियों का, सूफी प्रथम बार ससुराल जाते समय साथ भेजा जाता है । सम्बन्धी । २ हल्का-फुल्का, साधारण ।
-वि० शोभा बढ़ाने वाला। सोफियो-पु० सूफी सम्प्रदाय का व्यक्ति ।
सोभाग-देखो 'सौभाग्य' । सोफी-पु० नशा करने वाला व्यक्ति, नशाबाज ।
सोभागियो, सोभागी-वि० (स्त्री० सोभागण, सोभागणी) सोफोदर-पु० [सं० शोफः-उदर] उदर पर सूजन माने का एक | सौभाग्यशाली, भाग्यवान । - रोग विशेष ।
सोभायमान-वि० शोभायुक्त, शोभित, शोभा देने वाला। सोब-पु. १ पोशाक, पहनावा । २ देखो 'सोभा'।
सोभाळू-वि० सुन्दर, बढ़िया, प्रशंसनीय । सोबरण-पु. लकड़ी घिसने का मौजार ।
सोमाळी-वि० (स्त्री० सौभाळी) १ यशस्वी, कीर्तिबान । सोबत-पु०१ व्यापारियों का काफिला, समूह । २ घोड़ों का २ सुन्दर, मनोहर । ___झुण्ड, समूह । ३ देखो 'सोहंबत' ।
सोभाव-देखो 'स्वभाव' । सोबा-देखो 'सोभा'।
[सीभावटी-वि० [सं० शोभा-वती] एक प्रकार की पत्थर की सोबाग-देखो 'सौभाग्य'।
पट्टी या लकड़ी का मोटा तख्ता जो खिड़की या दरवाजे सोबादार, सोबायत-देखो 'सूबेदार' ।
के ऊपरी भाग पर पाटन के रूप में लगाया जाता है, सोबो-१ देखो 'सूबो' । २ देखो 'सूबेदार'।
करगहना। मोबरण (न)-देखो 'सुवरण' ।
सोभावांन-वि० १ सौभाग्यवान, सौभाग्यशाली । २ शोभावाला। सोभ-देखो 'सोभा'।
३ भाभा व कांति वाला । ४ कीर्तिवान । सोभक-वि• सुन्दर, सजीला।
सोभित-वि० [सं०शोभित] १ सुन्दर, मनोहर । २ शोभायमान । सोभनीवा-स्त्री० १ गले में धारण करने का प्राभूषण विशेष । ३ शोभा युक्त, सजा हुमा, गारित। ___२ कण्ठ की शोभा।
सोम-पु० [सं०] १ चन्द्रमा, शशि । २ अमृत । ३ यम । सोभण-पु. १ वस्त्र, कपड़ा । २ एक वर्ण वृत्त विशेष ।
४ सोमवार । ५ स्वर्ग । ६ किरण । ७ एक प्रकार की सोभणी-१ देखो 'सोभा' । २ देखो 'सोभनी' ।
लता जिसका रस यज्ञ में काम प्राता था। ८ सोमवल्ली
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सोमइयो
। ८५५ )
सौरजत्र
का रस । १ कपूर । १० जल, पानी। ११ पवन, वायु । सोमवरचा-पु० [स० सोमवर्चा] १ एक सनातन विश्वदेव का १२ कुबेर । १३ शिव का एक नाम । १४ मन । १५ एक नाम । २ एक गन्धव का नाम । प्रकार की प्रौषधि । १६ पाठ वसुप्रों में से एक । १७ पितर सोमवार-पु० [स०] प्रत्येक सप्ताह में रविवार के बाद पाने गणों का एक समूह । १८ मांड। १९ स्त्रियों का एक प्रदर वाला दिन ।
रोग । २० मालकोश राग का भेद २१ एक प्रकार का सोमवारी-वि०१ सोमकार का, सोमवार सबधी। २ सोमवार वक्ष । २२ मेवाड़ की एक नदी। २३ देवता । २४ यज्ञ को को पड़ने वाला या प्राने वाला। सामग्री। २५ एक प्रकार का यज्ञ। २६ प्राकाश' | सोमा-स्त्री० [सं०] १ एक प्राचीन नदी। २ एक अप्सरा २७ काजी २८ जैनियों के ८८ ग्रहों में से बारहवां ग्रह । का नाम । २६ एक अन्य ग्रह। -वि. १ श्वेत । २ लाल । ३ शांत, सोमायन-पृ० एक माह तक चलने वाला एक व्रत विशेष । निर्मल। -कर-वि० मधुर । -पुत्र-पु० चन्द्रमा का पुत्र बुध | सोमावती-स्त्री० [स] चन्द्रमा की माता का नाम । -पूर-पू० चन्द्रलोक । -प्रिया-स्त्री. रात्रि, चांदनी। | सोमिज-देखो 'सोमज'। -बधु-पु० बुध ग्रह । सूर्य । कुमुद । -भू-पु० बुध का | सोमोईयो-देखो 'सोमइयो'। एक नाम । चन्द्रवंशी। -राज-पु० चन्द्रमा। -राज्य- सोमेसर (सूर, स्वर)-पु० [सं० सोमेश्वर].१ महादेव, शिव । चन्द्रलोक । -वस-पु० चन्द्रवंश । युधिष्ठिर । -वसी-पु० २ काशी में स्थित एक प्रसिद्ध शिव लिंग।।
चन्द्रव शीय क्षत्रिय या व्यक्ति । --सुत= 'सोमपुत्र'। सोम्य-वि० [सं०] १ सोम-सम्बन्धी सोम, का। २ सुन्दर सोमइयो, सोमईउ, सोमईयो-पु० सोमनाथ नामक प्रसिद्ध शिव मनोहर । ३ सोम पान करने का अधिकारी । ४ यज्ञ में लिंग। . .
सोम की पाहति देने वाला । ५ पच्छा, सुन्दर । ६ शत.. सोमक-पु० [सं०] १ स्त्रियों का एक रोग । २ श्रीकृष्ण का एक गंभोर । पुत्र । ३ एक प्राचीन ऋषि ।'
सोयप्रभा-देखो 'स्वयंप्रभा'। सोमकांत-स्त्री० [सं०] १ चन्द्रकांत मणि । २ सौराष्ट्र देश का | सोय-स्त्री. १ जानकारी, ध्यान, समझ । २ ठीक सामने की एक प्राचीन राजा।
दिशा, सीध । ३ टोह,प्रदाज, पता। ४ रुख, इरादा ध्यान । सोमग्रह-पु० घोड़ों का एक रोग विशेष ।
-सर्व० १ वह, वे । २ उसे । ३ जो। ४ वही। ५ 'सो' । सोमज-पु. [सं०] दूध ।
सोयण-पु० [स० जन] चारण कवि। सोमधात-पु. सूर्य भानु ।
सोयम-वि. तीसरा, तृतीय। सोमनाथ-पु. १ काठियावाड़ में स्थित एक प्रसिद्ध शिव लिंग । | सोयली-स्त्री० साड़ी। २ वह स्थान जहां यह शिव लिंग स्थित है।
सोयली-पु० (स्त्री० सोयली) १ एक प्रकार का घास । सोमप-पु० [सं०] | पितरों का एक समूह विशेष । २ स्कन्द | २ देखो 'सोहिलो'।
का एक सैनिक । -वि० जिसने यज्ञ में सोमरस का पान | सोयसी-स्त्री० [सं०श्रेयसी हरीतकी, हर। किया हो।
सोरम-देखो 'सौरभ'। सोमपुरा-स्त्री० एक जाति विशेष जो स्थापत्य कला या शिल्प
सोरंभणी (बो)-क्रि० सुगंध युक्त होना, महकना । का कार्य करती थी।
सोरभमूळ-देखो 'सौरभमूळ' । सोमबल्लि-स्त्री० सोमलता ।
सोरंभी-देखो 'सौरभ'। सोमरोग-पु. स्त्रियों का एक रोग।
सोर-पु० [फा० शोर] १ कोलाहल, हल्ला-गुल्ला । ३ बारूद । सोमल-पु. १ शंखिया नामक विष का एक भेद । २ एक वृक्ष ।
३ तीखी व ऊंची पावाज, चीख । ४ मधुर या मोहक • -वि० कड़वा, खारा।
ध्वनि । ५ प्रातिशबाजी, पटाखा। सोमलखार-पु० मल्ल नामक विष ।
सोरको-पु० १ डर, भय, प्रातक । २ चिता, फिक्र । सोमलता-स्त्री० १ गिलोय । २ ब्राह्मी । ३ एक लता विशेष । सोमवंसपत-पु० [सं० सोमवश पति] १ युधिष्ठिर का एक
| सोरखांनो-पु० [फा० शोरखाना] बारूद बनाने या रखने का नाम । २ कोई चन्द्रवंशीय राजा।
स्थान बारूद कक्ष । सोमवसराजा-पु० युधिष्ठिर।।
सोरगर पु० [फा० शोरगर] बारूद व प्रातिशबाजी बनाने व सोमवतीपमावस (प्रमावस्या)-स्त्री० सोमवार को पाने वाली
बेचने वाला। अमावस्या तिथि जो पुण्य तिथि मानी जाती है। | सोरजंत्र-पु० [फा० शोर+सं० यंत्र] १ बन्दूक । २ तोप ।
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सौरट
( ८५६ )
सौवनदे
सोरट, सोरठ-स्त्री०१ राजस्थान के दक्षिण पश्चिम में स्थित | सोळह-वि० [सं० षोडस् ] दश व छः का योग। -पु० दश व सौराष्ट्र प्रदेश । २ मोड़व जाति का एक राग ।
छः की संख्या व अंक, १६ । सोरठगेड़-स्त्री० शकुनशास्त्र के अनुसार दूल्हा-दुल्हिन के | सोळहकळस्वामी-पु० [सं० षोडशकलास्वामी] चन्द्रमा . परिभ्रमण की गति का नाम ।
सोळहसिंगार (सिणगार, नगार)-पु० [सं० षोडश-गार] सोरठड़ी-वि० १ सौराष्ट्र देश की। २ अच्छी लगने वाली।। स्त्रियों की वे सोलह प्रसाधन-क्रियायें जो उन्हें अधिक ३ देखो 'सोरठ।
चित्ताकर्षक व सुन्दर बनाती है । सोरठमलार-पु० सब शुद्ध स्वरों का, सम्पूर्ण जाति का एक राग। | सोलही-देखो 'सोळो'। . सोरठियो-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष ।
सोळा-देखो 'सोळई'। सोरठी-स्त्री० एक रागिनी विशेष ।
सोलाळी, सोलालो-स्त्री. धरती, पृथ्वी। सोरठी-पु० एक छन्द विशेष ।
सोळासणगार, सोळासिणगार (संगार)-देखो 'सोळह सिंगार' । सोरदाणी-स्त्री० [फा० शोरदानी] बारूद रखने का एक पात्र | सोलियाळ-वि० [सं० सुखलन् + रा.प्र. ईयार] १ कार्य से विशेष ।
निवृत्त, उत्तरदायित्व से मुक्त । २ जो किसी प्रकार का सोरप-देखो 'सोरापो'।
शारीरिक श्रम न कर सकता हो, नाजुक । ३ प्रालसी, सोरभ-देखो 'सौरभ'।
निकम्मा । ४ सुखी। सोरभखी सोरभ्रखो-स्त्री० [फा० शोर + सं० भक्षी] तोप, सोळियो-पु० क्सिी लकड़ी में अन्य लकड़ी फंसाने के लिये किया ___बन्दूक ।
गया छेद । सोरम-देखो 'सौरभ'।
सोळी, सोलो-स्त्री० रहट के चक्र में लगने वाली लकड़ी सोरमदे-स्त्री० एक देवी का नाम ।
__विशेष। सोरमौ, सोरवी-पु० १ पके हुए मांस का रस । २ सब्जी का | सोळे, सोळे, सोळे-देखो 'सोळह' । ___ झोल रस, वसा ।
सोळे क-वि० सोलह के लगभग । सोराई, सोराई-स्त्री. १ पाराम, शांति, तसल्ली । २ सुख । सोळंकांकरी सोळेसारी-स्त्री० सोलह-सोलह छोटे कंकरों से सोरापो, सोरापो-पु० पाराम, सुख, शांति, चैन ।
खेला जाने वाला एक देहाती खेल । . सोरीघर-पु. प्रसूतीग्रह ।
सोळी सोळी-पु० १ एक प्रकार का लोक गीत । २ इस लोक गीत सोरो, सोरो-वि० [स्त्री० सोरी) १ पारामदायक, सुखप्रद ।।
के प्रभाव से होने वाला उत्साह, आवेग, जोश । ३ काति, . २ सहज सरल पोर प्रासान । ३ सम्पन्न, समृद्ध । ४ प्रसन्न,
दीप्ति, तेज । ४ खुशी के गीत । ५ अंगारा । ६ सोलह का खुश । ५ सुखी। -क्रि०वि० प्रासानी से. माराम से ।
वर्ष, सोलहवां वष। -पु० १ बारूद । २ एक प्रकार का क्षार। ३ देखो
सोवन, सोवन-देखो 'स्वरण'। 'ससरो'।
सोवड़ सोड़ि-स्त्री० १ रजाई के नीचे प्रोढ़ने का वस्त्र या
___कम्बल । २ प्रोढ़ने का बिस्तर, रजाई। सोळ सोल-स्त्री० १ वह गाय जिसके स्तन बड़े हों किन्तु दूध , कम देती हो। २ पीतल या लोहे का बना छोटा लटटू
सोवड़ौ-पु० मुह, मुख। जिसको रस्सी के एक छोर पर बांध कर दीवार को सोध
सोवरणग्रह सोवणघर-पु० शयनगृह, शयन कक्ष । देखने के काम लिया जाता है । ३ देखो 'सोळह' ।
सोवरणो-देखो मोहरणो'।
सोवरणो(बो)-१ देखो 'सूबो (बो) । २ देखो 'सोहणों (बी)। सोळपग्गी-पु० १ कनखजूरा । २ सोलह पांव का, रेंगने वाला। एक जीव ।
सोवन-देखो 'स्वररण'। सोलमा (ई, उ). सोळमौं (वौ)-वि० (स्त्री. सोळवीं) पन्द्रह के सोवनकार-देखो स्वरण कार' । बाद वाला, सोलह के स्थान वाला।
सोवनगर, सोनमगिर (निरि, गिरी)-देखो 'स्व रणगिरी'। सोळवी-वि० १ एक मन में सोलह सेर घी वाली । २ सोलह के
| सोवनचिड़ी-देखो ‘सोनचिड़ी'। स्थान वाली।
सोवन जाई, सोवनजुही-देखो 'सोनजुही' । सोळासोनो-पु० १ सोलह बार तपा कर शुद्ध किया हुपा सोना.
सोवनथांभ-पु० स्वण स्तंभ । उत्तम श्रेणी का स्वर्ण। २ अच्छे गुणों वाला ईमानदार
सोवनथाळ-पु० [सं० स्वर्णथाल] सोने की थाली । व्यक्ति (लाक्षणिक)।
सोवनदे-स्त्री० [सं० सुवर्ण-देह वधू के लिये प्रयुक्त होने वाला
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सोवनमाखी
।
८५७ )
सौज
सम्मान सूचक शब्द । -वि० स्वणं के समान देह वाली। सोहणी-वि० (स्त्री० सोहणी) १ सुहावना, सुन्दर, मनोहर । सोवनमाखी-स्त्री० [सं० स्वर्ण-मक्षिका] १ सुनहरे शरीर वाली २ प्रिय, मधुर । ३ शोभा देने वाला । ४ देखो 'स्वप्न' ।
एक प्रकार की बड़ी मक्खी। २ देखो 'सोनामक्खी'। | सोहणी (बो)-क्रि० १ शोभा देना, शोभित होना । २ जचना, सोवनींगी-स्त्री० [सं० स्वर्णगी] सोने से मंडित सींगों फबना, सुन्दर लगना । ३ कीति, यश मादि फैलना, प्रसिद्ध बाली, सोने के सींगों वाली।
| होना । ४ सूप से अनाज साफ करना । गोवनो-वि० (स्त्री० सोवनी) १ स्वर्ण का, सोने का । २ सुन्दर,
सोहतो-देखो 'सोहितो'। सुनहला, सुनहरा।
सोहनचिड़ी-देखो 'सोनचिड़ी'। सोवरण-देखो 'स्वरण।
सोहनहलवी-पु० जमे हुए कतरों के रूप में घी से तर एक गोवरणगिर (गिरि, गिरी)-देखो 'स्वरणगिरि। ___ मिठाई विशेष । सोवन, सोवन (न्न)-देखो 'स्वरण' ।
| सोहबत-स्त्री० [५० सोहबत] १ संग, साथ । २ दोस्ती, मेल । सोवनौ-वि० स्वर्ण का, स्वणं युक्त।
___३ देखो 'सोबत'। सोस-पु० [सं० शोषः] १ अफसोस, खेद । २ जिसमें मन न सोहबरदिया-पु० सूफी मुसलमानों का एक सम्प्रदाय विशेष ।
लगता हो, अरुचिकर । ३ चिता, फिक्र, सोच । ४ सूजन । | सोहरौ-देखो 'सोरों'। (स्त्रो० सोहरी) ५ दबने का भाव या क्रिया। ६ देखो 'सूस'।
| सोहलाली-देखो 'सोलाळो'। सोसक-वि० [सं० शोषक] १ शोषण करने वाला, चूसने | साहला-स्त्र
| सोहली-स्त्री० ललाट पर धारण करने का, स्त्रियों का एक वाला। २ सुखाने वाला। ३ नाश करने वाला। ४ क्षीण पाभूषण विशेष । करने वाला । ५ दूसरे का धन हरने वाला । -पगरीबों | सोहळो-देखो 'सोळो । का शोषण करने वाला समाज का धनी वगं ।
सोहोन-देखो 'सारण' । सोसण-पु० [सं० शोषणं] १ सुखाने या शुष्क करने की क्रिया | सोहामणो-देखो 'सुहाणी'। (स्त्री० सोहामणी) या भाव । २ शोषण। ३ सोखने की क्रिया । ४ कामदेव
| सोहा-१ देखो 'सोभा' । २ देखो 'स्वाहा' । के पांच बाणों में से एक बाण।
सोहाग-पु०१ वृक्ष विशेष । २ देखो 'सुहाग' । सोसणकनी-स्त्री० एक प्रकार की, सिरोही की बनी तलवार। . सोहागण, सोहागणी, सोहागवति (ती) सोहागिरण-देखो सोसणी (बी)-क्रि० १ सुखाना, शुष्क करना । २ चूसना ।। 'सौभाग्यवती'।
३ किसी के धन या श्रम का शोषण करना। ४ किसी की | सोहागौ-देखो 'सुहागो' । पाता या नमी दूर करना, सोखना।
| सोहापति-पु० [सं० स्वाहापति] पग्नि, माग । सोसन-पु० १ वस्त्र । २ देखो 'सोसण' ।
सोहारद-पु० [सं० सौहाद] १ सहृदय होने की अवस्था या सोसनग्रह-पु. पारसी मतानुसार रात के १२ बजे से प्रात: तक भाव । २ सहानुभूति। ३ कृपा, अनुग्रह । ४ मित्रता, का समय।
दोस्ती। ५ मित्र, दोस्त । सोसनपता-स्त्री० एक प्रकार की तलवार, कृपाण । सोहावरसो (बी)-देखो 'सोहणो' (बी)। सोसनिया, सोसनी-वि० [फा० सौसनी] पासमानी, नीला। सोहितो-पू. बाजरी के खीच व गोश्त को एक साथ पकाकर -पु०.१ पासमानी रंग । २ प्रासमानी रंग का घोड़ा।
बनाया जाने वाला नमकीन, मांसोदन । सोह, सोहंग, सोहंगम-देखो 'सोपहम्'।
सोहिलउ-वि० सहज, शुभ। सोह-वि. १ सब, समस्त । २ सहित, युक्त । -पु० १ जोश, सोहिलो-वि० (स्त्री० सोहली) १ पासान, सुगम, सरल । उत्साह । २ कीति, यश । ३ तेज । ४ इज्जत, प्रतिष्ठा।।
२ सुखी । ३ सम्पन्न । -पु० पाराम, सुख। ५ शोभा। ६ सिंह, शेर।
सोही-वि० शुभचिंतक, हितैषी। -सर्व० वही, सो। सोहग-१ देखो 'सुभग'। २ देखो 'सोहाग' ।
सोहोड़-देखो 'सुभट' । सोहगी-१ देखो 'सुहागो' । २ देखो 'सोगी'।
सोह्रद, सोहिद-वि० [सं० सहृदय] १ मित्र, हितैषी । सोहड़, सोहर-देखो 'सुभट'।
| २ दयावान, कृपालु । सोहण-पु. १ डिंगल का एक गीत या छंद विशेष । २ देखो | सौ-स्त्री० शपथ, सौगंध । 'स्वप्न'।
सौज-पु० १ साज-सामान, साधन, सामग्री। २ भाला चलाने सोहणोनिसांणी-स्त्री० डिंगल का एक मात्रिक छन्द विशेष। की विद्या या खेल । ३ खेती, फसल । ४ राह, मार्ग ।
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सौडिक
( ८५८ )
सोनचिड़ी
५ खाना, भण्डार। ६ विशिष्ट कार्य या क्रिया । ७ कोई सौखी-१ देखो 'सोखी' । २. देखो 'सौखीन'। पूजनीय चित्र या वस्त्र । -वि० सब, समस्त ।
सौखीन-वि. [५० शौकीन] १ किसी वस्तु, कार्य, कला, खेल सौडिक-पु० [सं०] शराब बनाकर बेचने वाली एक जाति व इस धादि का विशेष चाव या रुचि रखने वाला । २ हर समय जाति का व्यक्ति।
बना-ठना रहने व सैर-सपाटे करने वाला। ३ अय्याश, सौंण-१ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सयन' ।
रंडीबाज । ४ नशाबाज । सौगहर-पु० [सं० शयनगृह] शयनागार ।
सौखीनाई-स्त्री. १ शौकीन होने की अवस्था या भाव । सौणी-देखो 'सुगनी'।
२ सजने-संवरने व सैर-सपाटे की प्रवृत्ति । ३ रंडीबाजी, सौधाखानी-पु० इत्र, तेल प्रादि सुगंधित द्रव्य रखने का कक्ष । मथ्याशी। सौंधौ-पु. १ राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में पाया जाने वाला | सौखीनी-१ देखो 'सौखीनाई'। २ देखो 'सौखीन'। ३ देखो
एक पौधा या घास जिससे सुगंधित तेल या इत्र धादि | सोखी'। निकलता है, रोहिष । २ इस घास से निकला सुगंधित तेल | सोगंव, सौगंध, सौगन-देखो सोगंध' । या इत्र । ३ इत्र मादि सुगंधित द्रव्य ।
सौगात-स्त्री० [तु.] किसी के यहां उपहार या भेट-स्वरूप भेजी सॉन-देखो 'सुगन'।
___जाने वाली वस्तु विशेष । सौंपणो (बी)-देखो 'सूपणो' (बी)।..
| सौगाळो-पु० [सं० शोक-मालुच] मृतक के पीछे की जाने वाली सौंफ-स्त्री०१ पांच छः फुट ऊंचा एक पौधा । २ इस पौधे के एक रश्म (मेवाड़)।
बीज जो पान मसाला या औषधि में काम पाते हैं। सौड़-देखो 'मोड़। सौंलो-देखो.'संवळी'।
सौच-पु० [सं० शौच] १ प्रात: उठते ही की जाने वाली मल सास-देखो 'सूस'।
त्याग प्रादि नित्य क्रिया । २ शारीरिक शुद्धिकरण, सौ-पु० १ शंख । २ बालक । ३ शनि । ४ सूर्य । ५ बुध ।। शुचिता ।
६ भाई। ७ मित्र । ८ जप। अच्छा वाक्य । -स्त्री० सोरण, सौणी-१ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सोणित' । १० धरती पृथ्वो। ११ क्षुधा, भूख । १२ उपासना, | सौतेली-पु० (स्त्री० सौतेली) विमाता का पुत्र । -वि० सपत्नी पाराधना । १३ सो की संख्या, १००। -वि० १ बलवान, | या सौत का। पराक्रमी। २ शुद्ध, पवित्र । ३ सब, समस्त, सम्पूर्ण। | सौदरा-१ देखो 'सुभद्रा' । २ देखो 'मोदरा'। [सं० शत] ४ नब्बे और दश, पचास का दुगुना। सौदामपी, सौदामनी, सौदामिणो-स्त्री० [सं० सौदामिनी ५ देखो 'सो'।
विद्युत, बिजली। २ एक अप्सरी। ३ कश्यप ऋषि को सौक, सोकर, सौकड़ली, सोकरण-स्त्री. १ सौत । २ पक्षियों की एक पुत्री।
तेज उड़ान या विमान प्रादि की तेज गति से उत्पन्न ध्वनि | सौदागर-पु० [फा०] १ व्यापारी, व्यवसायी २ घोड़ों का विशेष । ३ तीव्र गति, रफ्तार। ४ तेज भागने की क्रिया। व्यापारी। ५ देखो सौख'।
सौदागरी-स्त्री० सौदागर का कार्य, व्यापार, व्यवसाय । सौकरड़, सोकरड़ी-पु०१ तेज वर्षा की ध्वनि । २ तेज व शीघ्र सौदो, सौदी-पु० [अ० सौदा] १ क्रय-विक्रय का कार्य, व्यापार, प्रहार की ध्वनि ।
लेन-देन । २ क्रय-विक्रय की वस्तु, व्यावसायिक सामान । सौकलटी-स्त्री० स्त्रियों के शिर के बाल जो लट के रूप में प्रागे ३ शरीर को एक धातु । ४ कार्य। ५ मस्तिष्क-विकार, निकले रहते हैं।
पागलपन । ६ प्रेम, इश्क । ७ वस्तु-विनिमय । ८ पशुपों सौकातिसार-देखो 'सोकातिसार।
का क्रय-विक्रय, प्रादान-प्रदान, सट्टा । -वि० चालाक । सौकिया-क्रि०वि० शौक या मनोरजन के लिये । -पु० शौक | .. पूरा करने या दिल बहलाने के लिये किया गया कार्य। सौध-पु. भवन, महल, अट्टालिका। सौकीन-देखो 'सौखीन'।
सोनंद, सौनंद-पु. १ बलराम का एक नाम । २ बलराम का सौतरौ, सौफूतो-देखो 'साकूतरों'।
मूसल । सौख-पु. [पशोक] १ किसी पदार्थ की प्राप्ति या निरन्तर | सौनइयो-देखो 'सोनइयो'।
भोग या मन की इच्छा पूर्ति के लिये लगातार किया जाने | सौनक-पु० [सं० शौनक] एक प्रसिद्ध वैदिक प्राचार्य ऋषि । वाला कार्य। २ इच्छा, प्राकांक्षा, लालसा। ३ व्यसन, | सौनचिड़ी-स्त्री०१ कलाबाजी दिखाने में प्रत्यन्त निपगा नटी। चसका । ४ प्रवृत्ति, झुकाव । ५ देखो 'सोक' ।
२ देखो 'सोनचिड़ी।
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- सौनहरी
( ८५९ )
सौहरी
सौनहरी, सोनेरी-पु. १ सिंह की एक जाति व इस जाति का
२ चन्द्रमा का पुत्र बुध । ३ साठ संवत्सरों में से एक । सिंह । २ देखो 'सोनेरी'।
४ फलित ज्योतिष के २८ योगों में से एक । ५ वार व सौपरण-पु० [सं० सौपर्ण] विष्णु के वाहन गरुड़ के प्रस्त्र
नक्षत्र संबंधी एक योग। का नाम।
सौम्यगिरि-पु० एक प्राचीन पर्वत। सौपाक-पु. एक प्राचीन वर्ण संकरजाति ।
सौम्या-स्त्री० दुर्गा। सौबत-१ देखो 'सोहबत' । २ देखो 'सोबत' ।
सोयंबर-देखो 'स्वयंबर'। सौबल्प-पु० एक प्राचीन जनपद का नाम ।
सौरभ, सौरम-देखो 'सौरभ' । -चर-'सौरभचर'। सौबायत, सौबाही-देखो 'सूबेदार'।
| सौर-पु० [सं०] १ सूर्य का पुत्र, शनि । २ यमराज । ३ दाहिनी सौम-स्त्री० १ शाल्वों का नगर । २ प्राकाश में स्थित एक प्राख । ४ तुबरु । -वि० १ सूर्य का, सूर्य संबंधी । २ सूर्य - काल्पनिक नगरी।
से उत्पन्न । ३ देखो 'सोर'। सौभद्र-पु० [सं०] एक प्राचीन तीर्थ ।
सौरको-देखो 'सोरको। सौमाग-देखो 'सौभाग्य' ।
सौरत-देखो ‘सोहरत': सौभागरिण, सौभागणी, सौभागिरणी-देखो 'सौभाग्यवती'। | सौरभ-स्त्री० [सं०] १
सौरभ-स्त्री० [सं०] १ सुगन्ध, खुशबू, महक । २ केसर। सौभागिनेव-पु० [सं०] वह स्त्री जिसका पुत्र उसके पति को | ३ सूरभि, गाय । ४ तुबरु । ५ धनिया। ६ बोल नामक अधिक प्रिय हो।
___ गंध-द्रव्य । ७ माम -चर-पु. भौंरा, भ्रमर सौभागियो-देखो 'सोभागियो'।
| सौरभमूळ-पु० [सं० सौरभ-मूल] चंदन । सौभाग्य-पु. १ प्रच्छा भाग्य या अच्छी किस्मत । २ यश, | सौरभेई-स्त्री० [सं० सौरभेयी] गाय ।
कोति । ३ शुभत्व । ४ धन, सम्पत्ति, वैभव । ५ सुन्दरता, | सौरभेष-स्त्री० [स० सौरभेय] बैल । मनोहरता । ६ स्त्री के सधवा रहने की अवस्था, सुहाग । सौरभेयी-स्त्री० [सं०] एक अप्सरा का नाम । ७ शुभ-सन्देश, मंगल-कामना । ८ ज्योतिष के २७ योगों में | सोरम-देखो 'सौरभ' । से चौथा योग ९ एक छन्द विशेष ।
सौरमास-पु० एक सूर्य संक्रान्ति से दूसरी सूर्य संक्रान्ति तक का सौभाग्यतीज (प्रतीया)-स्त्री० [सं० सौभाग्यतृतीया] भादव समय। ___ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया।
सौरसेन-पु० [सं० शौरसेन] १ वर्तमान ब्रज मण्डल का प्राचीन सौभाग्यवती-स्त्री० १ सधवा या सुहागिन स्त्री। २ सुन्दर स्त्री। नाम । २. उक्त जनपद का निवासी।
-वि०१ मच्छी किस्मत वाली । २ शुभ लक्षणों वाली। सौरसेनी-स्त्री० [सं० शौरसेनी] एक प्राचीन भाषा, सौरसेनी सौभाग्यवान-वि० १ खुश किस्मत, अच्छे भाग्यवाला । २ वैभव- अपभ्रश । शाली, सम्पन्न ।
सौरसेय-पु० [सं०] स्वामिकात्तिकेय का एक नाम । सौभाग्यवत-पु० [फा०] फाल्गुन शुक्ला तृतीया को किया जाने | सौरास्ट-पु० [सं० सौराष्ट्र] गुजरात-काठियावाड़ प्रदेश का वाला व्रत।
एक प्राचीन नाम। सौभाग्यसूठी-स्त्री० सूतिका रोग में उपयोगी एक पायर्वेदिक | सोरि-पु० [सं० शोरि] १ विष्णु। २ वसुदेव । ३ कृष्ण ___ प्रौषधि, पाक ।
४ बलदेव । ५ शनि ग्रह । सोमंत्रेय-पु. १ लक्ष्मण । २ शत्रुधन।
सोरी सोरो-१ देखो 'मोरी' । २ देखो 'सुसरौं'। सौमन -पु० [सं०] प्राचीन समय का एक प्रस्त्र ।
सौरच-पु० [स० शौयं] १ वीरता, साहस । २ पराक्रम, सौमनस-स्त्री० [सं०] १ पश्चिमी दिशा का एक दिगज । पौरुष । ३ शक्ति, बल । २ उदयगिरि पर्वत के एक शिखर का नाम ।
सौळ-देखो 'सोलह' । सौमनसा-स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी।
सौवस्तिक-पु० [सं०] जैनियों के ८८ ग्रहों में से ५९ वां ग्रह । सौमनस्य-पु. [सं०] १ प्रानन्द, खुशी । २ पारम्परिक सद्भाव। | सौवीर-पु० सिंधु नदी के पास-पास स्थित एक प्राचीन प्रदेश ३ श्राद्ध में पुरोहित के हाथ में फूल देने का कार्य ।
का नाम । सौम्य-वि०१ शांत, गंभीर । २ नरम, कोमल । ३ ठंडा, शीतल, |
शीतल सोस-देखो 'सूस' । स्निग्ध । ४ स्वच्छ, निर्मल । ५ सुदर, मनोहर । ६ प्रसन्न, | सासना-दखा 'सासना । खुश । ७ उज्ज्वल, चमकीला।८ चन्द्रमा संबंधी। शुभ, | सोह-देखो 'सोह' । मंगलमय । -पु. १ पुराणानुसार एक द्वीप का नाम । | सोहगी-देखो 'सुहागो' ।
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सौहड़
सोहड़ - देखो 'सुभट' | सोहतो-देखो 'सोहितो' ।
सौहर ०१ प्रसिद्धि स्वाति र कीर्ति य
सोहागरण - देखो 'सुहागरण' ।
कव पु० [सं०] १ स्वामिकार्तिकेय
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( ८६०
२ शिव, महादेव
३ राजा, नृप । ४ विद्वान पंडित । ५ शरीर । ६ बालकों के नौ प्राणपातक यहाँ वा रोगों में से एक।
जननी,
जननी, मात, मातरी, माता, मात्री स्त्री० पार्वती, उमा नव दुर्गानों में से एक ।
स्कंदजित ( जीत ) - पु० [सं०] भगवान विष्णु । स्कंदधर - पु० [सं०] भगवान विष्णु । स्कंध १० [सं०] स्कन्धः] १२ शरीर बदना ४ राजा नृप । ५ नारियल । ६ शाखा, डाल । ७ पार्या छन्द का एक भेद ८ एक नाग विशेष । ९ राम की सेना का एक वानर ।
वृक्ष 1
स्कंधतर (तरु) - पु० [सं० स्कन्ध + तरु ] नारियल का पेड़ । फळ, धफल पु० [सं० स्कन्ध + फल] १ नारियल का पेड़ या नारियल । २ बिल्व स्कंधम स्कंधमणि (मल)- पु० [सं० [म] एक प्रकार का मंत्र या ताबीज । स्कंधार, स्कंधाक्ष, स्कंधाख पु० [सं० स्कंधाक्ष ] देवताओंों के एक गरण का नाम ।
स्कंधावार - पु० [सं० स्कंधावार ] १ सेना, फौज २ सेना का पड़ाव | ३ शिविर ।
स्कूल पु० [सं० स्थल ] पतन
स्तंब पु० [सं०] १. भुट्टा, बाल । २ झाड़ी । ३ गुच्छा ४ स्वरोचिष मन्वन्तर के सप्त ऋषियों में से एक। स्तंबतरण, स्तंयंत्रण स्तंत्रि-पु० [सं०] स्तंव-तुरा ] पास झाड़ी।
स्तंबबन - पु० [सं०] १ खुरपी । २ इंसिया । स्तंभ - ० [सं० स्तम्भ: ] १ खम्मा २ मूर्खता । ३ रोग यादि के कारण होने वाली मूर्च्छा । ४ गतिहीनता । ५ सुन्नता, संज्ञाहीनता न ७ प्रतिबंध, रुकावट साहित्य में एक सात्विक भाव । ९ स्वरोचिष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ।
तं वि० [सं०] रोकने वाला, वीर्य का स्तंभन करने
वाला ।
स्तंभी त्री० [सं०] स्तंभकिन एक देवी स्तंभण पु० [सं० तंमनम्] १ रुकावट, अवरोध २ काम के पांच बारणों में से एक। ३ वीर्यपात रोकने वाली दवा । ४ संभोग के समय वीर्य को रोक रखने की क्रिया, धवस्था या क्षमता ५ देखो 'थंभण' ।
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स्त्रीधन
स्वम पु० [सं०] स्वन] १ किसी स्त्री का उरोज, कुप, चूंची। २ मादा पशु या जानवरों के थन ।
स्तनय पु० [सं०] स्तनद्ययः] बालक, शिशु
स्तनांतर - पु० [सं०] १ हृदय, दिल । २ स्त्रियों के स्तन पर होने वाला एक प्रकार का सामुद्रिक चिह्न ।
स्तव, स्तवण, स्तवन- पु० [सं० स्तवः स्तवनम् ] १ स्तोत्र, स्तव । २ प्रशंसा, स्तुति, गुणगान ।
स्तुति, स्तुती - स्त्री० [सं० स्तुति स्तोत्री० [सं० स्तुति:] १ प्रशंसा, तारीफ |
२ विरुदावली । ३ चापलूसी । ४ देवी-देवताओंों के गुणों का सादर पाठ, जाप प्रार्थना । ५ देवी का एक नाम । - पु० ६ शिव का एक नामः ।
स्लोक-वि० [सं०] स्तोe] १ तनिक, थोड़ा। २
३ कुछ । ४ निम्न ।
1
स्तोतर, स्तोत्र स्त्री० [सं० स्तोत्र ] १ प्रशंसा, तारीफ २ विह दावली । ३ प्रशंसा या विनय संबंधी श्लोक, छंद या कविता |
[सं० तृण-सस्तर]
[सं० स्त्रींद्रिय ] योनि, भग
1
स्तोम पु० [सं० स्तोमः] १ यश इथन होम २ संग्रह ३ विश्वावली प्रशंसा ४ धन दौलत | स्त्रणतर स्त्रराण, स्वस्तर, स्वस्त्र पु० तृरण शय्या । स्त्रींद्रिय, स्त्रींद्री - स्त्री० स्त्री - स्त्री० [सं०] १ नारी, धौरत । २ पत्नी, भार्या, जोरू । ३ व्याकरण में स्त्रीलिंग का संक्षिप्तरूप ४ मादा जन्तु या प्राणी । करण पु० संभोग, मैथुनकांम-स्त्री० स्त्री या भार्या की कामना, काम वासना मरण, गमन - पु० स्त्री से संभोग, मैथुन - चिन चिह्न पु० स्त्री के लक्षण; स्त्रियोचित चिह्न निशान। योनि । धरम- पु० स्त्रियों का कर्त्तव्य, पत्नीव्रत । स्त्री का मासिक धर्म, राजस्वला प्रवधि। मैथुन संभोग - घरपणी, घरमिणी-स्त्री० रजस्वला स्त्री । — परसंग, प्रसंग, भोग-पु० स्त्री के साथ संभोग, मैथुन । - लवखण, लक्षण, लखण पु० पुरुषों की ७२ कलाओं में से एक स्त्रियोचित छ।पु० व्याकरण में एक लिंग योनि, भग। - बास-पु० स्त्री संभोग के समय उपयुक्त वस्त्र । स्त्री संभोग का उचित स्थान | स्त्री के साथ सहवास । विसय, विर्स - पु० संभोग-संग संभोग समागम पु० संभोग मैथुन
सुख
पु० बृहस्थाश्रम का सुख, स्त्री के मिलन का सुख, संभोग - सेवरण, सेवन - पु० संभोग, मंथुन ।
स्वीप
० श्योतिष में बुध, चन्द्र और शुक्र ग्रह जो स्त्री जाति के माने जाते हैं।
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स्त्रीधन- पु० स्त्रियों के छः प्रकार के धन, जिन पर स्त्रियों का पूर्ण अधिकार हो ।
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स्त्रीरासि
स्निग्धता
मारपद
स्त्रीरासि, स्त्रीरासी-स्त्री० [सं० स्त्रीराशि] ज्योतिष में, वृषभ, | स्थावरता-स्त्री० स्थावर होने की अवस्था या भाव ..
कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर प्रौर मीन राशियां। स्थित-पु० [सं०] १ निकास, अवस्थान । २ चल । ३ उपस्थित, स्त्रीवार-पु० [सं०] ज्योतिष में चन्द्र, बुधः मोर शुक्रवार जो मौजूद। ४ दृढ़, पक्का । ५ बसा हुमा । ६ वर्तमान । स्त्री जाति के माने जाते हैं।
७ तैयार। स्त्रीवत-पु० [सं०] १ अपनी पत्नी के अलावा अन्य स्त्रा का स्थिति-स्त्री० [सं०] १ स्थित होने की अवस्था या भाव ।
इच्छा न रखने का भाव, व्रत या संकल्प । २ ऐसा संकल्प २ टिकाव, ठहराव । ३ हालत दशा । ४ पद, मर्यादा धादि रखने वाला पुरुष।
के अनुसार मिलने वाला स्थान । ५ ढंग, तरीका । स्थंभ-पु० [सं० स्तम्भ खंभा, स्तंभ ।
६ सीमा, हदः।। स्वंमणी-पु० पाश्वनाथ का एक नाम ।
। स्थिर-वि० [सं०] १ स्थायी। २ सदा एकसी दशा में रहने स्थग-वि० [सं०] १ तं, कपटी। २. ढीठ, लापरवाह । ३ गुण्डा,
वाला, निश्चल । ३ शान्त, प्रचंचल । ४ निश्चित, पक्का । बदमाश ।
५ बढ़, मजबूत । ६ निर्दय, निष्ठुर । -पु०[सं०] १ ज्योतिष स्पपत, स्थपति, स्थपती-पु० [सं० स्थपति] १ राजा, शासक ।
के २८ योगों में से एक । २ फलित ज्योतिष में तिथि व २ कारीगर । ३ रथ होकने वाला, सारथी। ४ कुबेर ।
नक्षत्रों संबंधी तृतीय योग । ३ वृष, सिंह, वृश्चिक पौर ५ बहस्पति । ६ अन्तःपुर का रक्षक।
कुभ राशियो । ४ एक क्षेत्रपाल । ५ शनिग्रह । ६ देवता। स्थळ-पु० [सं० स्थल] १ भूमि, जमीन। २ भू-भाग । ३ जल
७ पर्वत, पहाड़। ८ वृक्ष, पेड़। ९ शिव, महादेव । रहित भूमि वा वह भू-भाग जहां पानी की कमी हो। १० स्थामिकात्तिकेय। ११वष, सोड १२ देखो "थिर। ४ मरुभूमि । ५ पुस्तक का अध्याय या परिच्छेद ।
स्थिरता-स्त्री० [सं०] १ स्थिर होने की अवस्था, भाव या स्थळकाळी-स्त्री० [सं० स्थलकाली] दुर्गा की एक सहचरी
स्थिति । २ दृढ़ता। का नाम।
स्थिरासण (न)-पु०. [सं० स्थिरासन] योग के चौरासी प्रासनों स्थांण-पू० [सं० स्थाणु] १ शिव, महादेव । २ ग्यारह रुद्रों में से में से एक
एक एक प्रजापति का नाम । ४ घोड़ों का एक रोग स्थल स्थल-देखो 'थळ' । विशेष । ५ एक प्राचीन तीर्थ । ६ एक प्राचीन ऋषि ।
स्मूळपाद -पु० [सं० स्थूलपाद] हाथी, गज । स्थान-पु० [सं० स्थान] १ जगह, स्थान । २ भू-भाग, जमीन ।
स्थळहसत (हस्त)-स्त्री० [सं० स्थूलहस्त] हाथो की सूड । ३ घर, मकान; रहने का स्थान । ४ किसी के लिये प्रतिदिन
| मूळा-स्त्री० [सं०स्थूला] १ सौंक । २ इलायची । ३ मुनक्का। या प्रायः बैठने का स्थान। ५ कार्य स्थल । ६ मंदिर,
४ कपास । ५ ककड़ी।। . देवालय । ७ पद, मोहदा ! ८ महत्व, मान्यता या गणना की स्थिति । ९ उदासीन हो बैठने की क्रिया या भाव।
स्पूळाक्ख, स्पूळाक्ष, स्मूळाख-पु० [सं० स्थूलाम] १ एक महर्षि
का नाम । २ एक राक्षस । स्थानक-देखो यांनक' ।
स्नान-पु० [सं० मान] । पानी से शरीर को धोने की क्रिया, स्पांनजफ-पु० मुपलमानों का एक तीर्थ स्थल ।
पानी में शरीर डुबा कर नहाना क्रिया, मज्जन । २ धूप, स्थापन-देखो 'थापन'।
वायु प्रादि के सामने बैठना क्रिया ३ पानी या तरल स्थापननिक्षेप-पु० महत् की मूर्ति का पूजन । (जैन)
पदार्थ में भिगोना क्रिया। -प्रागार-पु. गुसलखाना। स्थापना-देखो 'थापना'।
-ग्रह, घर-पु० गुसलखाना, नहाने का कक्ष । -जातरा, स्थायी-वि० [सं०] १ हमेशा बना रहने वाला. नित्य । २ दृढ़,
जात्रा, यात्रा-स्त्री० ज्येष्ठ की पूर्णिमा को विष्णु की मूर्ति मजबूत, पक्का । ३ नोकरी या पद पर पक्का । -पु० गीत को स्नान कराने का एक उत्सव विशेष । -साळ, साळाका पहला चरण, पंक्ति, टेक।
स्त्री० स्नानघर। स्थायीभाव-पु० [सं०] मनुष्य के मन में सदा रहने वाले मूल
स्नायु-पु. नहरुमा। भाव । (साहित्य)
स्नायुवरम-पु. [स० स्नायुवर्मन् ] पोख का एक रोग विशेष । स्थाळ-देखो 'याळ'।
स्निग्ध-वि० [सं०] १ चिकनाहर युक्त, चिकना । २ कोमल, स्थावर-पु. [स०] १ प्रचेतन पदार्थ। २ पहाड़, पर्वत। मुलायम । ३ प्रिय, प्यारा। ४ तर, नम । -पु० १ तेल ।
३ स्थूल शरीर । ४ अचल सम्पत्ति । -वि०१ स्थिर, २ मोम । ३ मित्र, दोस्त । पचल । २ जंगम का विलोम ।
स्निग्धता-स्त्री० [सं०] स्निग्ध की अवस्था या भाव ।
मुलायम
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स्नेह
।
८६२ )
स्यांमकरण
fun
स्नेह-पु० [सं०] १ चिकना पदार्थ । २ दूध, दही आदि पर | स्मररिप, स्मररिपु-पु० [सं० स्मररिपु] १ शिव, महादेव
पाने वाली मलाई। ३ किसी के प्रति होने वाला प्रेम भाव, | २ संयमी, संयमधारी। प्रेम, ममत्व, नेह । ४ एक राग विशेष । ५ सरसों। ६ नमी, | स्मरारि-पु० [सं० स्मर-परि] शिव, महादेव । तरी। ७ चरबी। ८ तेल । ९ वीर्य, शुक्र । १० कोमलता, | स्मसारण-देखो 'समसारण' । मुलायमी। ११ चिकनाई। -वि. १ चिकना, स्निग्ध । स्म्रति, स्म्रती-स्त्री० [सं० स्मृति धर्म संहिता । २ याददाश्त, २ नमी से युक्त नम । ३ देखो 'सनेह' ।
| स्मरण शक्ति। ३ एक प्रकार का छन्द । ४ अठारह की स्नेहपातर (पात्र)-वि० [सं० स्नेहपात्र] जिसके प्रति स्नेह हो, . संख्या सूचक शब्द । --कार--पु० धर्म संहिता बनाने प्रिय।
वाला, धर्माचार्य । -वेता-पु० स्मृतियों का जानकार । स्नेही-देखो ‘सनेहो'। .
स्यंगार-देखो स्रगार'। स्पवण, स्पंदन-पु० [सं० स्पंदन] १ धड़कन । २ कंपन । स्यंगासण (न); स्यंघासण (न)-देखो 'सिंघासन' । ... ३.फुदकन।
स्यंघल स्वयंलदीप-देखो सिंहल' । स्पंदरणी, स्पंदिरणी-स्त्री० [सं० स्पंदिनी] १ रजस्वला स्त्री। | स्पद-पु० [सं० स्यन्द] रथ, गाड़ी। . २ कामधेनु ।
स्यंदरण, स्यंदन-पु० [सं० स्यंदन] १ रथ, विशेषकर युद्ध स्परधा-स्त्री० [सं० स्पर्धा] १ बराबरी, समता। २ ईर्ष्या,
के लिये सुसज्जित रथ: २ गाड़ी। ३ बहाव, कटाव । डाह । ३ प्रतियोगिता, होड़। .
४ वायु हवा, पवन । ५ जल, पानी। ६ चन्द्रमा, चांद । स्परस-स्त्री० [सं० स्पर्श] १ सटने, छूने या हल्के से लग जाने ७ घोड़ा, अश्व । ८ जैनियों के एक तीर्थ कर क'
की क्रिया, अवस्था या भाव। २ एक प्रकार का रतिबंध। स्यंदर-देखो "सिंदूर'। ३ हवा, पवन, वायु। ४ ज्योतिष में ग्रहों का समागम ।
स्यध-१ देखो 'स्यंद' । २ देखो 'सिंधु'। ५ रोग, बीमारी।
स्यंभ-देखो 'स्वयंभू'। स्पस्ट-वि० [सं० स्पष्ट] १ साफ, प्रगट । २ बिना छुपाव या | दुराव का, खुलां। ३ वास्तविक, सही, खुलाशा।
स्यंमतकमण, स्यंमतकमरिण, स्यंमतकमणी, स्यंमतकमिणि, स्पस्टता-स्त्री० [सं० स्पष्टता] स्पष्ट होने की स्थिति, सफाई,
स्यममिरिण (पो), स्यतमंकमण (मरिण, मणी, मिण, वास्तविकता।
... मिणी) -स्त्री० [सं० स्यमंतकमणि] श्रीकृष्ण की पटरानी स्फटिक-पु० [सं० स्फाटिका] १ सूर्यकान्तमणि । २ एक प्रकार
. सत्यभामा के पास रहने वाली एक बहुमूल्य मारण। का बहुमूल्य पत्थर । ३ कपूर। ४ फिटकरी। -मरिण,
स्यांणप-देखो 'सैणप'। मणी-स्त्री० सूर्य - कान्त मरिण ।
स्यारणो-देखो सैणो' । (स्त्री स्याणी) स्फटिकी, स्फटी-स्त्री० [सं स्फटिका] फिटकरी।
स्यांन-देखो 'सांन'। स्फरण, स्फुरण-पु० [सं० स्फुरणम्] अंग फड़कने की क्रिया या
स्थानमठ-वि० मूर्ख, बेवकूफ । अवस्था । तनिक हरकत। कोई भाव विशेष ।।
स्यांने, स्यांन-क्रि०वि० किसलिए, क्यों। स्फूरति, स्कूरती-स्त्री० [सं० स्फूति] १ चंचलता, फुर्ती। | स्यांम-पु० [सं० श्याम] १ श्रीकृष्ण का एक नाम । २ श्रीराम २ तेजी । ३ ताजगी। ४ दिलचस्पी।
का एक नाम । ३ ईश्वर, परमात्मा । ४ एक प्राचीन देश । स्मर-पु० [सं० स्मरः] १ कामदेव, मनोज । २ यादगार,
५ प्रयाग का अक्षयवट । ६ श्रीराग का पुत्र एक राग । स्मृति । ३ प्रेम, प्यार।
[सं० श्यामक] ७ सांबा नामक एक प्रकार का कदन्न ।
[सं० श्यामा] ८ रात, रात्रि । ९ कृष्ण पक्ष । १० स्वामिस्मरकूप, स्मरप्रह-पु. योनि, भग।
कात्तिकेय । ११ बादल, मेघ । १२ समय, वक्त । १३ छप्पय स्मरण-पु० [सं०] १ याद पाने की क्रिया या भाव, यादी।।
छन्द का एक भेद। -वि. १ कृष्ण, काला। २ देखो २ नो प्रकार की भक्तियों में से एक ।
'सामी' । ३ देखो 'साम' । ४ देखो 'स्थामा'। मरवसा-स्त्री० [सं० स्मरदशा] प्रेमी-प्रेमिका के मिलन पर । होने वाली दशा या भाव।
स्यांमकंठ-पु० [सं० श्यामकंठ] १ शिव, महादेव । २ मोर,
मयूर । स्मरदहण (न)-पु० [सं० स्मरदहन[ शिव, महादेव ।
स्थामक-पु० [सं०यामक] १ एक देश का नाम । २ राम कपूर । स्मरवधु (वधू)-स्त्री० [सं०मर-बधू] कामदेव की पत्नी, रति। स्यांमकरण-पू० [सं० श्याम कणं] ऐसा घोड़ा जिसका शरीर हमरसख (सखा)-पु० [सं० स्मर-सखा] चांद, चन्द्रमा ।
सफेद लेकिन नाक, कान व नेत्र श्याम हों।
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स्यांमकल्याण
( ८६३ )
स्यांमकल्याण-स्त्री० [सं० श्यामकल्याण] एक प्रकार की राग। स्थाई -देखो 'स्याही'। स्थांमकारतिक (केय)-देखो 'स्वामिकारतिकेय' ।
स्याजस स्याजिस-देखो 'साजिस'। स्यांमग्रीव-पु० [सं० श्यामग्रीव] काली गर्दन वाला एक सारस स्थात, स्याति, स्याती-वि० पूर्ण, पूरा । -पु० १ समय, वक्त । विशेष ।
२ देखो 'सायद'। स्यांमचिड़ी-स्त्री० काली चिड़िया।
स्यातेक, स्याते'क-वि० करीब, लगभग । -पु०.१क्षणेक का स्यांमज-पु० [सं० शामज] १ हाथी, गज, हस्ती । २ श्याम देश समय, तनिक समय । २ देखो 'साते'क' ।। का निवासी।
स्यादवाद, स्याद्वाद-पु. एक प्रकार का जैन दर्शन । स्यांमजोरौ-देखो 'स्याहजीरो' ।
स्यापो-देखो 'सोपो'। स्यांमतमाळ (वाळ)-पु० [सं० श्याम तमाल] एक वृक्ष विशेष । | स्याबास-देखो 'स बास'। स्यामतर (तरु)-वि० [सं० श्यामतर] १ श्याम वर्ण का, | स्याबासगो (बो)-देखो 'साबासरणो' (बी)। - सांवला । २ श्याम जैसा।
स्याबासी-देखो साबासी'। स्यांमता-स्त्री० [सं० श्या मता] कालापन, सांवलापन । स्याय-देखो 'सहाय'। स्यांमताळ (छ.ळू)-पु० [सं० श्यामतालु] एक प्रकार का घोड़ा | स्यार-देखो 'सार' । - विशेष जिसका तालू श्याम वर्ण का होता है।
स्यारी-स्त्री०१ डायन । २ तंत्र विद्या से घी, दूध प्रादि की स्यांमतीतर-पु० [सं० श्याम-तित्तर] एक प्रकार का तीतर चोरी करने वाली स्त्री। पक्षी।
स्याळ-देखो 'स्रगाळ'। स्यांमधरम (घरम्म ध्रम)-देखी 'स्वामीधरम'।
स्थाल, स्यालक-पु. [सं० श्यालः, श्यालक] पत्नी का भाई, स्यांमधरमाई स्यांमधरमी (ध्रमी, धम्मी)-देखो 'स्वांम धरमी'। साला। स्थामनद (नदी)-स्त्री० [स० श्याम-नदी] यमुना नदी। स्याळकियो, स्याळकी, स्याळक्यौ-देखी 'स्रगाळ' । (स्त्री० स्याममंजरी-स्त्रो० जगन्नाथ के घास-पास की भूमि की पवित्र . स्याळ की) ___मिट्रो।
स्याळभुम्रा, स्याळभुवा; स्थाळभूमा (भूवा)-स्त्री० लोमड़ी। स्यामळ -पु. काला रंग । -वि० श्याम, काला।
स्याळसींगी, स्याळियासींगो-स्त्री. एक भलौकिक बूटी जिसके स्यांमला-स्त्री० [सं० श्यामला] १ एक देवी । २ पार्वती। प्रभाव से किसी को वश में किया जा सकता है। ३ कस्तूरी।
स्याळियौ-देखो 'गाळ' । स्यांमवायक-पु० [सं० सामवाक्य] मित्र, दोस्त।
स्याळू-१ देखो 'सीयाळ । २ देखो 'साळ। स्यांमसुदर-पु० [सं० श्याम सुन्दर] श्रीकृष्ण का एक नाम । | स्थावड़-१ देखो 'सावढ़' । २ देखो 'सुवावड़'। -मातास्यांमांग-पु० [सं० श्यामांग] बुध ग्रह। -वि० जिसका रंग
'सायद'। श्याम हो।
स्यावज-१ देखो 'सावज' । २ देखो 'स्यां मज'। रयांमा-स्त्री० [सं० श्यामा] १ राधिका का एक नाम ।
स्थावळ, स्यावल-पु० [सं० स्थावल] १ सूत की डोर में बंधा २ लक्ष्मी, रमा। ३ पृथ्वी, भूमि । ४ रात, रात्रि ।
• लोह प्रादि का लट्ट जैसा उपकरण जो दीवार की चुनाई के ५ कोयल पक्षी। ६ छाया । ७ प्रतिबि, परछाई ।
समय काम पाता है। २ देखो सावळ'। ८ रुक्मिणी का एक नाम । ९ कालिका। १० कस्तूरी।
स्याह-वि० [फा०] कृष्ण, काला । -पु. १ काला रंग । २ देखो ११ यमुना नदी । १२ सोलह वर्ष की युवती। १३ सुन्दर स्त्री। १४ श्याम वर्ण की गाय, गो। १५ हल्दी ।
| स्याहगोस-वि० [फा०] काले कानों वाला।-पृ० वन बिलाव । १६ तुलसी। १७ गुग्गुल । १८ शीशम । १६ नील ।। २० हरड़, हरीतकी। २१ गोरोचन । २२ हरी दूब ।।
| स्याह जबांन-पु. काली जीभ बाला हाथी, घोड़ा या बैल । २३ पीपल, पिप्पलिका । २४ मेरु को नौ पुत्रियों में से | स्याहजादो (ज्यावी)-देखो 'साहजादौ'। एक । २५ एक पक्षी विशेष । -वि. काले रंग की, श्यामा, | स्थाहाय-देखो 'सहाय'। सांवली। -धार-पु. पीपल, पिप्पल ।
स्याही-स्त्री० [फा०] १ पेन में भर कर या कलम डुबा कर स्यांमी-देखो 'सामी'। -धरम, धरम्म, प्रम, धम्म= लिखने का द्रव पदार्थ, जो काला, नीला ग्रादि कई रंगों में 'सांमीधरम'।
होता है । मसि । इंक। २ इसी तरह छपाई में काम पाने स्या-देखो 'सा'।
वाला विभिन्न रंग का तरल, गाढा पदार्थ । ३ देखो'साही'।
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(
९."
बाकरण
-स, चूस, सोख, सोखती-पु० स्याही सोखने का मोटा शरीर, मूर्ति पादि की सजावट । ३ सजावट करने का कागज । उपकरण।
सामान, प्रसाधन । ४ शोमा, सौंदर्य । ५ स्त्रियों का सौभाग्य स्यु, स्यू-सर्व० [गु०] १ क्या । २ क्यों। -क्रि०वि० १ कैसे, सूचक. सामान, प्राभूषण प्रादि। ६ मैथुन, संभोग । किस तरह । २ से, साय ।
-वि १ श्याम, कृष्ण । २ देखो 'सिणगार'। स्यूल-वि० सं० समूढ] दीर्घ, बड़ा ।
संगारजनमा, गारजन्मा-पु० [सं० शृगारजन्मा] कामदेव, स्येन-पु० [सं० श्येन] १ बाज नामक पक्षी। २ एक महर्षि । मनोज। ३ दोहे का एक भेद ।
लं गारजोनि (जोनी)-देखो नंगारयोनि' । स्यों, स्यो-सर्व क्या, कैसा ।
स्र'गारणी (बी)-देखो 'सिणगारणो' (बी)। संखळ-देखो 'नखळा' ।
नगारभूखरण (भूसण)-पु० [सं० शृगार भूषण] सिदूर । खळक-पु० [स० शखलक] ऊंट ।
नगारमंडळ (मंडल)-पु० [सं० शगार मण्डल] १ वह स्थान बखळा, न खला-स्त्री० [सं० शखला] १ जंजीर, साकल। जहाँ प्रेमी-प्रेमिका क्रीड़ा करते हैं। २ ब्रज का वह स्थान
२ हाथो के पैरों में बांधने की जंजीर । ३ हथकड़ी, बेड़ी। जहां श्रीकृष्ण ने राधिका का शगार किया था। ४ क्रम, सिलसिला। ५ सिक्कड़। ६ साहित्य में एक प्रकार संगारयोनि, लंगारयोनी-पु० [सं० शुगारयोनि] कामदेव, का प्रलंकार । -बद्ध, बध-वि० जजीर से बंधा या जकड़ा | मनोज । हुमा। क्रमबद्ध।
नगारवेख, नगारवेस-पु० [सं० शुगारवेश] प्रेमिका से मिलने नंग-पु० [सं० शुग] १ शिखर, चोटो। २ गाय, बैल, भैंस जाते समय प्रेमी द्वारा पहनी जाने वाली पोशाक, वेश ।
मादि पशुभों के सींग । ३ मकान, दुर्ग प्रादि का ऊंचा भाग, गारहाट-स्त्री० [सं० शगारहाट] १ वेश्यामों का बाजार कंगूरा। ४ वृक्ष, विटप । ५ ऊंचाई । ६ सींगी नामक वाद्य या चकला। २ वहां स्थान जहाँ सौन्दर्य प्रसाधन वा ऐसा जो फूंककर बजाया जाता है। ७ निशान, चिह्न। सामान मिलता हो।।
कमल । ९ अदरक । १० सोंठ। ११ स्तन, कुच। नगारिण, वंगारिणी-स्त्री० [सं० शूगारिणी] १ गार १२ पानी का फुहारा, पिचकारी। १३ काम-वासना। करने वाली स्त्री। २ एक प्रकार की रागिनी विशेष । १४ प्रमुखता, प्रधानता। १५ एक मौषधि विशेष । ३ वस्त्राभूषणों से सज्जित स्त्री, शृगार की हुई स्त्री। १६ एक प्राचीन ऋषि का नाम । १७ शिव का एक पार्षद। संगारियो-पु. १ वह व्यक्ति जो शगार कला में दक्ष हो। [सं० शक] १८ माला। १९ देखो 'स्रगी'।
२ देव मूर्तियों का शृगार करने वाला व्यक्ति। बंगक-पु० [सं० शगक १ सींग। २ कोई नोकदार पोज । ३ बहुरूपिया। ३ शिखर, चोटी।
संगारी-वि० [सं० शृगारिन्] पगार सबंधी शगार का। नगणि, नगणी-स्त्री० [सं० शृगणी] १ गाय, गौ। २ देखो
नंगी, लंगु-पु० [सं० शुगी] (स्त्री० स्रगणी) १ बैल, - 'सौंगण'। .
वषम । २ सींगवाला पशु । ३ पर्वत, पहाड़। ४ कान के नंगधर-पु० [सं० शगधर] १ पर्वत. पहाड़। २ वृषभ, बैल ।
पास भौंरियों वाला घोड़ा। हाथी, हस्ती। ६ पेड़, ३ सींगधारी पशु।
वृक्ष । ७ महादेव, शिव । ८ सिगिया नामक जहर, विष । वंगबेर-देखो 'नगवेर'।
९ एक प्राचीन देश का नाम । १० पविला । ११ बरगद, नगरिख (रिखि, रिखी, रिस, रिसि. रिसी)-पु० [सं०बगी.
वट । १२ सोना, स्वर्ण। १३ शमीक ऋषि के पुत्र एक ऋषि] शमीक ऋषि के पुत्र एक ऋषि
ऋषि। १४ देखो सिंगी'। १५ सींग का बना वाद्य, संगवरण-पु. शृगार, बनाव ।
शगी नाद। -गिर, गिरि, गिरी-पु. वह पर्वत जिस न गवांण (न)-पु० [सं० शृगवान्] एक ऋषि ।
पर लगी ऋषि ने तपस्या की थी। -रिख, रिखो, संगवेर-स्त्री० [सं० शगवेर] १ प्रदरक । २ सोंठ।। गंगा तट पर बसा एक प्राचीन नगर।।
रिसी-पु० शुगी ऋषि । न गाटक-पु० [सं० शुगाटक] १ सिंघाड़ा । २ दरवाजा, द्वार ।
स्त्रक-स्त्री० [सं० सक] १ माला, पुष्पहार । २ पवन, हवा । ३ चौराहा । ४ मांस के योग से बनने वाला एक खाद्य ३ कमल । ४ बाण, तीर। ५ भाला । ६ ज्योतिष में एक पदार्थ । ५ मस्तिष्क में एक स्थान ।
प्रकार का योग। नगार, नगारइ-पु० [सं० शृगार] १ साहित्य के नौ रसों | सकवण-पु. [सं० सक्क, सक्करणी] १ कपोल, गाल । २ मुख
में से एक प्रमुख रस । २ वस्त्राभूषण व अन्य सामान से दोनों भोर के कोने ।
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स्त्रगा
( ८६५ ।
स्त्रवणपीठ
रंग-१ देखो स्वरग' । २ देखो सके।
स्रबथा-क्रि०वि० सर्वथा। लगववार (दुवार, द्वार)-पु० [सं० स्वर्ग-द्वार] सूरज, सूर्य । स्रबदायक-पु० [स० सर्वदायक) कल्पवृक्ष । स्रगम-पु० जल, पानी।
सबसेव-पु० सूर्य, सूरज। स्रगलोक (लोग)-देखो 'स्वरगलोक' ।
स्रब्ब-देखो 'सरव'। लगवाट-पु० स्वर्ग का रास्ता ।
सम्बबियाप (बियापी, विद्याप, वियापी)-वि० [सं० सर्वव्यापिन] स्रगविहारी-देखो 'स्वरगविहारो' ।
जो सर्वत्र तथा सब वस्तुप्रों में व्याप्त है, जिसकी उपलब्धि स्रगसुखवा-पु० [स० स्वर्ग सुखदाः] कल्पवृक्ष ।
सर्वत्र व सब समय मानी जाती है। -पु०१ ईश्वर,परब्रह्म । नगाळ, नगाल-पु. [सं० शृगाल] (स्त्री० स्रगाळी) १ गीदड़, | २ शिव, महादेव ।
सियार । २ कायर, दरपोक व्यक्ति। ३ निर्दयी व्यक्ति । | सम्बेस-म०१ सर्व सब समस्त । देखो 'माते'। , ४ धूर्त चालाक व्यक्ति।
त्रम पु० [सं० श्रम] १ परिश्रम, मेहनत । २ दौड़-धूप, प्रयास, स्रग्गा-देखो 'स्वरग'।
प्रयत्न । ३ थकावट, थकान । ४ व्यायाम, कसरत । स्रज-पु० १ एक विश्वदेव का नाम । २ देखो 'स्रक' ।
५ अभ्यास । ६ खेद, रंज । ७ तपस्या। ८ कष्ट, तकलीफ । सजणी (बो)-क्रि० १ प्राप्त करना । २ देखो 'सरजणी' (बो)।। साहित्य में एक संचारी भाव । सरिणका-स्त्री० [सं० हरिणका] लार ।
बमकरण-पु० [सं०श्रमकण परिश्रम करने पर शरीर से निकलने स्रणी-पु० [सं०अणि] १ अंकुश । [सं०सणी] २ चन्द्रमा, चांद । वाली पसीने की बूदें। स्रणीक-पु० [सं० सगीक] १ वायु, हवा । २ भाग, अग्नि ।
समजळ (ल)-पु० [सं० श्रमजल] पसीना, स्वेद। वत, सति स्रती-पु० [सं० सृति] मार्ग, रास्ता।
स्त्रमण-पु० [सं० श्रमण] १ पाप, दोषादि से रहित साधु । स्रवणो (बो)-देखो 'सरधणो' (बौ)। .
मुनि । २ भगवान महावीर का उपनाम । ३ बौद्ध भिक्षुक । स्रद्धांजळि, स्रद्धांजळी-स्त्री० [सं० श्रद्धांजलि] १ किसी बड़े या -वि०१ परिश्रमी, मेहनती। २ तपस्या में तत्पर तपस्थी। पूज्य व्यक्ति के प्रति श्रद्धा पूर्वक कही जाने वाली बात।
३ दुष्ट, पतित । ४ पाखंडी, ढोंगी। ५ देखो 'स्रवण'। २ किसी मृत व्यक्ति की पात्मा की शांति के लिए श्रद्धा
समबिंदु-पु० [सं० श्रमबिन्दु पसीना, स्वेद। पूर्वक की जाने वाली प्रार्थना। ३ श्रद्धापूर्वक दी जाने
स्रमसीकर-पु० [सं० श्रम शीकर] श्रमबिंदु, पसीना। . वालो अंजलि.।
सम्म-देखो 'सम'। स्रद्धा-स्त्री० [सं० शद्धा] १ ईश्वर, धर्म, किसी पूज्य पुरुष के प्रति होने वाली भादर की भावना, प्रास्था । २ किसी
स्राणी-स्त्री० स्त्री, पौरत। कार्य या बात की प्रबल इच्छा, वासना । ३ गर्भवती स्त्री
सरक-पु० [सं० सरक] घोड़ा, प्रश्व । के मन की इच्छा, दोहद । ४ धनिष्ठ परिचय । ५ सम्मान,
स्रलोक (को)-१ देखो 'स्लोक' । २ देखो "सिनोको'। प्रतिष्ठा । ६ चित्त की प्रसन्नता। ७ विश्वास । वेद
स्रवंति (ती)-स्त्री० नदी, सरिता। शास्त्र और प्राप्त वाक्यों में विश्वास । ९ सूर्य को एक | लव-पु. [सं० श्रव] १ कान, कर्ण। २ झरना, सोता ।
कन्या का नाम । १० अंगिरा ऋषि की पत्नी का नाम । ३ मूत, मूत्र, पेशाब । ४ देखो 'सरव' । स्रद्धाळु, स्रद्धालु, स्त्रद्धाळू (लू)-वि० [सं० श्रद्धालु] १ बद्धा स्रवण-पु० [सं० स्रवनं] १ चुनाव, टकराव । २ पसीना, स्वेद ।
रखने वाला, श्रद्धावान । २ अभिलाषी, इच्छावान । . ३ मूत्र, पेशाब । [सं० श्रवणं] ४ कान, कर्ण । ५ गर्भपात ।
-स्त्री० कई प्रकार की अभिलाषामों वाली गर्भवती स्त्री। ६ स्तन । ७ सत्ताईश नक्षत्रों में से बाईसा नक्षत्र । स्रधा-देखो 'स्रद्धा'।
८ नवधा भक्ति में से एक । ९ माता-पिता, का भक्त एक स्रप (सप्प)-देखो 'सरप'।
पुराण प्रसिद्ध तपस्वी। सपाटी-स्त्री० चोंच,
स्रवणद्वादसो-स्त्री० [सं० श्रवणद्वादशी] भादव शुक्ला द्वादशी अपी-वि० तृप्त, संतुष्ट ।
जो श्रवण नक्षत्र में हो। स्रब-देखो 'सरव' ।
स्रवणपथ-पु० शब्द, ध्वनि का ज्ञान कराने वाली इन्द्री, कान । सबकांमधुन, सबकांमधुनि-पु. वेद ।
स्रवणपाळ (पाळि, पाळी)-स्त्री० [सं० श्रवण-पालि:] १ कान सबकारण-पु० [सं० सर्व कारण] ईश्वर, प्रभु ।
. की नोक । २ कान का एक प्राभूषण विशेष । खबजांण सब्जांणग-वि० [सं० सर्वज्ञ] सब कुछ जानने वाला। स्रवणपीठ-पु० [सं० श्रवणपुष्ठः] कान में धारण करने का सर्वज्ञ ।
प्राभूषण विशेष ।
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स्रबरणो
( ८६६ )
नवणी (बी)-क्रि० [सं० श्रवणम् | १ बहना । २ बरसना । श्रद्धा के पति मनु का नाम । २ यमराज, धर्मराज ।
३ झरना, रिसना, चूना । ४ टपकना, गिरना। ५ सुनना। ३ ब्राह्मण। स्रवत-पु० [सं० स्रष्ट] ईश्वर, परमात्मा।
स्राध-देखो 'स्राद्ध'। स्रवता-पु० [सं० सविता] सूर्य, सूरज ।
नाप-देखो 'सराप' । स्रवती-स्त्री० नदो।
सापणौ (बो)-देखो 'सरापणी' (बी)। स्रवतायक-पु. [स० सर्वदायक] कल्पवृक्ष ।
स्रायक-वि० [सं० श्र] बरसाने वाला देने वाला । स्रवमंगळा (मंगला)-देखो 'सरवमंगळा'।
स्राव-पु० [सं०] १. बहाव, रिसाव, टपकाव । २ गर्भपात, नवसार-पु० शब्द, ध्वनि ।
गर्भस्राव । ३ पेड़-पौधों व जीव-जन्तुषों के भीतरी अंगों सवाड़ा-पु. कथा, बात, वृत्तान्त ।
से निकलने वाला तरल पदार्थ, रस । ४ युवनाश्व प्रथम सविस्टा, सविस्ठा-पु० [स० अविष्ठा] १ धनिष्ठा नक्षत्र । का पुत्र, शावस्त । . २ श्रवण नक्षत्र।
स्रावक, स्रावग-पु० [सं श्रावक] (स्त्री० स्रविदा) १ शिष्य, स्रवेति, स्त्रवेती-स्त्री. नदी, सरिता ।
अनुयायो । २ बारह सूत्रों का पालन करनेवाला, जैन सव्व-देखो 'सरव'।
धर्मानुयायी, जैनी। ३ बौद्ध संन्यासी। ४ जैन साधु । स्रसतर-देखो 'नस्तर'।
५ बौद्ध भक्त । -वि० १ बहाने, रिसाने, चुमाने वाला। सस्ट, स्रस्टा-पु० [सं० स्रष्टा] १ ब्रह्मा। २ विष्णु । ३ शिव, २ सुनने वाला।
महादेव । ४ ईश्वर । -वि. १ सृष्टि का निर्माता, कर्ता। स्रावगी-पु० [सं० धावगी] जैन 'धावक, जैनी। २ देखो 'सस्टि'।
खावण-वि०१ देने वाला, चुमाने वाला, बरसाने वाला। सस्टि-स्त्री० [स० सृष्टिः] १ संसार, विश्व । २ संसार के २ सावण संबंधी, सावण मास का ३ देखो 'सांवण'।।
चराचर प्राणी व पदार्थ । ३ पृथ्वी, जमीन । ४ निर्माण, ४ देखो 'सांवण' । रचना। ५ कंस के एक भाई का नाम । ६ एक देवी का | स्राणि, स्रावणी-स्त्री० [सं० श्रावणी] १ श्रावण मास की
पूर्णिमा, रक्षा बंधन पर्व । २ देखो 'सांवणी'। . लस्टिकरता-पु० [सं० सृष्टिकर्त] १ ब्रह्मा । २ सृष्टि की रचना नावणी (बो)-क्रि० १ बरसना । २ गिराना, टपकाना ।
करने वाला ईश्वर । सस्टिवेल (वेलि, वेली)-स्त्री० एक प्रकार की लता बिशेष ।
सिंग-देखो 'स्रग'। स्रस्टी-देखो 'स्रस्टि'।
लिंगक-देखो स्रगक' । स्रस्टीवार-क्रि० वि० सृष्टि के क्रमानुसार
सिंगार-देखो 'सगार'।
लिंगी-देखो स्रग'। स्रस्तर-पु० [सं० संस्तरः] १ शय्या, बिस्तर । २ घास-फूस
त्रि-देखो स्रो'। मादि का प्रासन ।
निक-देखो 'स्रक'। नांत-वि० [सं० श्रांत) १ परिश्रम से थका हुमा । २ दुःखी,
त्रिखड-देखो 'स्रोखड'। खिन्न । ३ जितेन्द्रिय । ४ जो सुख भोगकर तृप्त हो चुका निज-देखो 'नक' । हो।-पु० साधु, तपस्वी।
त्रिय-देखो 'सी'। त्राद्ध-पु० [सं० बाबम्] १ श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाला स्रियखंड-देखो 'स्रीखंड' ।
कार्य । २ वह कृत्य जो सनातनी हिन्दुनों में पितरों के स्त्रिया-देखो 'स्रो' । २ देखो 'सीता'। . लिये तीर्थस्थलों पर किया जाता है। ३ प्राश्विन मास का खियाबर, स्त्रियावर-देखो 'सीतावर'। कृष्ण पक्ष व इस पक्ष का कोई दिन । ४ इन दिनों में, मृत | त्रिलोक स्रिलोकू-देखो 'स्लोक' । २ देखो सिलोको'। व्यक्ति या पितरों के उद्देश्य से किया जाने वाला कार्य त्रिस्ट, त्रिस्टि, स्रिस्टी-देखो 'सस्टि'। या ब्राह्मण भोजन प्रादिन- पक्ख, पक्ष, पख-पु० आश्विन स्त्रीगी-देखो 'स्र गी'। मास का कृष्ण पक्ष । -पूनम, पूरणिमा-पु० भादो मास |
स्त्री-स्त्री० [स० श्री] १ लक्ष्मी, रमा। २ पृथ्वी, भूमि, धरती। की पूणिमा ।
सम्पत्ति के रूप में भू-माग । ४ धन, दौलत, सम्पत्ति । साबकरता-पु० [सं० बाद्ध कर्ता] श्राद्ध करने वाला व्यक्ति । । ५ कीति, यश । ६ कांति, चमक । ७ मर्यादा, सीमा। बाडदेव (देवता)-पु० [साधाद्धदेव] १ मार्कण्डेय पुराणानुसार ८ इज्जत, प्रतिष्ठा । । कुशल, क्षेम । १. प्रकाश ।
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स्त्रीकंठ
( ८६७ )
स्त्रीपत
११ शोभा; सौन्दर्य । १२ सरस्वती । १३ सिद्धि। स्त्रीखंडसेल-पु० [सं० श्रीखंडशैल] मलयगिरि पर्वत । १४ गिरिजा, पार्वती। १५ सोता। १६ धूप। १७ हाथी | स्त्रीखांवर, स्त्रीखांविद, स्त्रीखावंद, स्रोखाविद-पु० [सं०श्री+फा. के मस्तक का प्राभूषण विशेष । १८ त्रिवर्ग-धर्म, अर्थ और खांविद] १ विष्णु । २ श्रीरामचन्द्र। काम । १९ साल वृक्ष । २० पैर के तलुए की एक रेखा | स्त्रीगरणेस-पु० [सं० श्रीगण-ईश] १ किसी ग्रंथ, पत्र प्रादि के (सामुद्रिक)। २१ एक राग। २२ स्त्रियों के मस्तक का | प्रारंभ में लिखा जाने वाला मांगलिक शब्द । २ प्रारंभ प्राभूषण विशेष । २३ बुद्धि, प्रतिभा । २४ स्त्री, पत्नी।। शुरूपात । २५ अलौकिक शक्ति । २६ सजावट। २७ बेल का वक्ष। स्रोगरण, स्रीगरणा, स्त्रीगरणिक, स्रोगरणीक, स्रोगरिणिक२८ कमल । २९ सफेद चंदन । ३० एक प्रौषधि विशेष । देखो 'सीकरणिक' । ३१ अधिकार । ३२ उच्च पद । ३३ किसी के नाम के प्रागे | स्त्रीगिर, स्त्रीगिरि स्त्रीगिरी-पु० [सं० श्रीगिरि] हिमालय पर्वत (पूर्व) लगने वाला प्रादर सूचक शब्द । ३४ धर्म ऋषि की एक चोटो का नाम । को पत्नी का नाम । -पु० ३५ ब्रह्मा । ३६ विष्णु। श्रीचकर, स्त्रीचक्कर, स्रोचक्र-पु० [सं० श्रीचक्र] भगवान विष्णु ३७ कुबेर । ३८ सम्पूर्ण जाति का एक राग । ३९ एक का दिव्य प्रायुध सुदर्शन चक्र । वैष्णव सम्प्रदाय विशेष । ४० मंगल सूचक शब्द । -वि० स्रीजी-पु० प्रतिष्ठित व्यक्तियों के प्रति एक सम्मान सूचक १ बुद्धिमान । २ श्रेष्ठ, सुन्दर । ३ शुभ, उत्तम । सम्बोधन । -मर्व अपने स्वयं के।
स्त्रीजुकत, स्रीजुक्त, स्त्रीजुप्त-वि० [सं० श्रीयुक्त श्री से युक्त, स्रोकंठ-पु० [सं० श्रीकष्ठ] शिव, महादेव । -सखा-पु. श्री सहित । कुबेर।
स्रोतळ, स्त्रीतल-पु० [सं० बोतल] एक नरक का नाम । स्त्रीकठो-स्त्री० [सं० श्रीकण्ठी] कर्नाटक पद्धति की एक स्त्रीतीरथ-पु० [सं० श्रीतीर्थ ] एक तीर्थ का नाम । रागिनी ।
स्रोद-पु० [सं० श्रीदः] १ कुबेर । २ विष्णु । स्त्रीकंत-पु. [सं० श्रीकांत] लक्ष्मीपति विष्णु ।
स्रोवत-पु० [सं० श्रीदत] १ कुबेर । २ पृथ्वी, जमीन । स्त्रीकमळ-पु० [सं० श्रीकमल] मुख ।
स्रीवांम, स्त्रीदांमरण, स्त्रीवांमन-देखो 'सुदामो'। स्त्रीकर-पु० [सं० श्रीकर] १ विष्णु। २ लाल कमल । -वि० स्त्रीदेवियांण, स्रीदेवीयारण-स्त्री० १ बीज मंत्राक्षरों में से एक । शोभा बढ़ाने वाला।
२ बीजाक्षर । ३ ईश्वरदास बारहठ कृत देवी की स्तुति स्रोकरण, स्रीकरणा स्रोकरणिक, स्रीकरणीक, स्त्रीकरिणिक-वि० का छोटा ग्रंथ ।
[सं० श्रीकरण] १ खजाने की देख-रेख करने वाला, स्रीधर-पु. १ भगवान विष्णु, ईश्वर, परमेश्वर । २ श्रीराम । कोषाध्यक्ष । २ वैभव की वृद्धि करने वाला। ३ धन एकत्र
| ३ श्रीकृष्ण । ४ जैनियों के एक तीर्थकर का नाम । करने वाला।
५वेता युग का एक राजा विशेष । स्रोकरी-स्त्री० [स० पीकरी] कर्नाटक पद्धति की एक रागिनी। स्त्रीधांम-पु० [सं० श्रीधाम] १ लक्ष्मी का निवास स्थान । स्रीकांत-पु० [सं० श्रीकांत] १ विष्णु । २ श्रीरामचंद्र भगवान । । २ स्वर्ग, वंकुण्ठ । ३ श्रीकृष्णा । ४ महादेव, शिव ।
स्त्रीनंवरण, स्त्रीनंदन-पु० [सं० श्रीनंदन] १ कामदेव, मनोज । स्रोकार-वि० [सं० श्रीकार] १ श्रेष्ठ उत्तम, कल्याणकारी। २ श्रीराम । ३ विष्णु । ४ श्रीकृष्ण।
२ श्री प्रक्षर का प्राकार, बनावट । ३ एक छन्द विशेष । सोनाथ-पु० [सं० श्रीनाथ] । लक्ष्मीपति विष्णु । २ श्रीकृष्ण । नीकास्ट, स्त्रीकास्ठ-पु० [स० श्रीकाष्ठ] नल राजा द्वारा विजित ३ श्रीराम । ४ शिव, महादेव । एक प्रदेश
स्रोनितंबा-स्त्री० [सं० श्रोनितम्बा] राधिका । नीकिसण (न)-देखो 'सीक्ररण'। .
स्त्रीनिध, स्त्रीनिधि, स्रीनिधी-पु० [सं० श्रीनिधि] भगवान विष्णु स्त्रीकोरत, स्रोकीरति (ती)-पु० ताल के पाठ भेदों में से का नाम। एक। ..
स्त्रीनिवास-पु० [सं० धोनिवास] विष्ण, का एक नामांतर। सीक्रसण, स्त्रीकरण, स्रीक्रिसरण, ब्रीक्रिस्ण-पु० [सं० श्रीकृष्ण] | स्त्रीपंचमी-स्त्री० [सं० श्रीपंचमी] माघशुक्ला पंचमी तिथि। भगवान कृष्ण, वासुदेव, नंद नन्दन ।
बसंत पंचमी। स्रीखंड श्रीखंडस-पु० [सं० श्रीखण्ड:] १ चन्दन । २ दही, स्रीपत, स्त्रीपति, स्त्रीपती-पु० [सं० श्रीपति] १ विष्ण ।
चीनी, केसर, मेवे पादि के मिश्रण से तैयार किया एक २ श्रीकृष्ण । ३ ईश्वर, परमेश्वर । ४ श्रीरामचन्द्र । पेय पदार्थ ।
__ ५ कुबेर ।
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-स्त्रीपाळी
। ८६८ )
बत
स्रोपाळी-स्त्री० सोंठ
स्त्रीराज, नीराज्य-पु० [सं० श्रीराज्य] वह प्रदेश जिसे राजा स्त्रीपूज, स्त्रीपूजनीय, स्रीपूज्य-पु. १ जैन धर्मानुसार सम्प्रदाय के | नल ने विजय किया था।
अधिपति, संघनायक, प्राचार्य । २ यतियों के प्राचार्य। स्रीवंति, स्रीवंती-स्त्री० नदी, सरिता । स्रीफळ, स्त्रीफल-पु० [सं० श्रीफल १ नारियल । २ प्रांवला। स्रीवक्खस्थळ, स्त्रीवक्षस्थळ, स्रीवखस्थळ-पु० [सं० श्रीवक्षस्थल] ३ बेल का वृक्ष।
१ श्रीकृष्ण । २ श्रीविष्णु । ३ ईश्वर, परमात्मा । स्रीबंध, स्रीबंधव, स्त्रीबंधु-पु० [सं० श्रीबंधु १ चंद्रमा, चांद। स्त्रीवच्छ, त्रीवछ स्रीवत्स-पु० [सं० श्रीवत्स] १ भगवान विष्णु २ अमृत ।
का एक नाम। २ विष्णु की छाती पर लगा भृगु ऋषि का स्रीभरतार-पु. [सं० श्रीभर्तृ'] १ विष्णु । २ श्रीरामचन्द्र । चरण चिह्न। ३ श्रीकृष्णा ।
। स्रीवर, स्रीवलभ, स्रीवल्लभ-पु० [सं० श्रीवर, श्रीवल्लभ] स्रीभारण, स्त्रीभांशु, स्त्रीभानु-पु० [सं० श्रीभानु] श्रीकृष्ण व १ भगवान-विष्णु। २ श्रीरामचन्द्र । ३ परमेश्वर, ईश्वर । सत्यभामा के एक पुत्र का नाम।
४ श्रीकृष्ण । स्त्रीभ्रात, स्त्रीभ्राता-पु० [सं० श्रीभात] १ चन्द्रमा, चांद । स्रीवास-पु.[सं० श्रीवास:] १ श्रीविष्णु भगवान। २ शिव, २ घोड़ा. प्रश्व । ३ अमृत, सुधा।
महादेव · ३ कमल। स्रोमंडळ स्त्रीमंडळ-पु० [सं० श्रीमंडल] १ एक वाद्य विशेष । स्रोतक्ख, स्रोतक्ष, स्त्रीव्रख-पु० [सं० श्रीवृक्ष] १ पीपल का वृक्ष । २एक राग विशेष ।
- २ बेल का वृक्ष । ३ घोड़े के माथे या छाती पर होने स्रीमत-पु० [सं० श्रीमंत] १ एक प्रकार का शिरोभूषण । वाली भवरी। २ किसी के प्रति सम्मान सूचक संबोधन ।
स्रोतखक-पु० [स० श्रीवत्सकिन्] छाती पर भौंरी वाला घोड़ा। स्रीमति, स्त्रीमती-स्त्री० [स० श्रीमती) १ परिणिता स्त्रियों के | स्त्रीव्रत-पु० [स० श्रीव्रत। चैत्र शुक्ला पचमी को किया जाने
नाम से पूर्व लगने वाला सम्मान सूचक शब्द । २ सुन्दर | वाला व्रत। स्त्री। ३ एक गंधर्व कन्या। ४ सजय राजा की कन्या स्रीसंग-पु० [सं० श्रीसंज्ञ] लौंग, लवग। दमयन्ती का नामान्तर।
स्त्रीसंघ-पु० [स० श्रीसंघ] १ जैन धर्मानुसार-श्रावक, श्राविका, स्रोमांण, स्त्रीमान-पु० [सं० श्रीमान] १ प्रादरणीय व्यक्तियों के |
साधु व साध्वियों का समूह । २ ऐसा स्थान जहां उक्त नाम के पहले लगाया जाने वाला प्रादर सूचक शब्द ।
चारों का मिलन या सगम हो। २ श्रीकृष्ण व सत्यभामा का एक पुत्र । -वि० १ धनाढ्य,
स्त्रीसंप्रदाय-पु० वैरागी साधुनों का एक सम्प्रदाय विशेष ।। वैभवशाली । २धी से युक्त ।
स्त्रीसंभूता-स्त्री० ज्योतिष में कर्ममास श्रावण) की छठी रात्रि ।
स्रीसमाध (धि, धी)-पु० [स० श्रीसमाधि) १ भविष्यत् काल के स्रोमात, स्त्रीमाता--स्त्री० [सं० श्रीमाता] एक देवी विशेष ।
सत्रहवें तीर्थ कर का नाम । २ एक राग विशेष । स्रीमाळ-पु० [सं० श्रीमाल] १ भीनमाल कस्बे का एक प्राचीन
स्रीसहोदर-पु० [सं० श्रीसहोदरः] १ चन्द्रमा, चांद । २ मोती। ____ नाम । २ जनमतावलम्बी एक वैश्य जाति। .
३ समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में से एक । स्रीमाळी-पू० (स्त्री० स्रीमाळण) १ एक प्रसिद्ध ब्राह्मण वर्ग । त्रीसाप, स्रीसाफ-१० एक प्रकार का बहमूल्य कपड़ा। २ इस वग का ब्राह्मण। .
स्रीसुत, स्त्रीसुतण-पु० [सं० श्रीसृतः] कामदेव, मनोज । स्रीमुख-पु०१ विष्णु का मुख वेद । २ सन्त-महात्मा, राजा- | स्रीसुपास-५० [स. श्रीपाश्र्वनाथ] पार्श्वनाथ का एक नाम ।
महाराजा तथा प्रतिष्ठित व्यक्ति के 'स्वयं' के लिये प्रयुक्त खीस्थांम-प० [स. श्रीश्याम] १ विष्णु भगवान । २ षीराम । किया जाने वाला शब्द। ३ ब्रह्मवीसो का सातवां वर्ष ।
___ ३ श्रीकृष्ण । ४ शिव, महादेव । ५ ईश्वर, परमेश्वर । -सर्व० अपने, स्वयं के ।
स्रीहजूर-पु. एक प्रकार का प्राचीन कर। स्त्रीय, स्रीया-देखो 'सी'।
स्रीहर, नोहरि-पु० [स० श्रीहरि] १ विष्णु । २ शिव, महादेव । स्रीयुत-देखो 'स्रीजुत'।
क-देखो 'सुक' । सारग-पु० [सं० धीरंग] १ भगवान विष्णु का एक नामान्तर । | स्त्र ग, न गि, सगी-देखो 'स्वरग'। २ श्रीकृष्ण । ३ ईश्वर, परमेश्वर । ४ श्रीरामचन्द्र ।
खरण, स्त्रणि, स्रणी-१ देखो 'सोणित' । २ देखो 'स्रोण' । सौरमण, स्त्रीरवण-पु० [स० श्रीरमण] १ एक संकर राग ३ देखो 'स्रोणि' । .
विशेष । २ भगवान विष्णु । ३ श्रीकृष्ण । ४ श्रीराम। | सत-पु० [सं० श्रुत] १ राजा भगीरथ के एक पुत्र का नाम । खोरांमालय-पु० हनुमान, पवनसुत । । ।
। २ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । ३ वेद, श्रुति ।
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बतकीरत
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स्र ुतकीरत, स्रुतकीरति स्रुतकीरती - पु० [सं० श्रुतकीर्ति ] १०जुन व द्रौपदी का एक पुत्र । २ दशरथ सुत शत्रुघ्न की पत्नी का नाम ३ वसुदेव की बहन का नाम । ग्यान पु० [सं०] तज्ञान] शास्त्रों को पढ़ने-सुनने से प्राप्त होने वाला ज्ञान ।
(are)
तदेव - पु० [सं० श्रुतदेव ] १ श्रीकृष्ण के महारथी पुत्रों में से एक । २ एक कृष्ण भक्त वैरागी ब्राह्मण । ३ विष्ण का एक पार्षद ।
तदेवा, स्रुतदेवी स्त्री० [सं० श्रुतदेवी ] १ वसुदेव की बहन । २ सरस्वती देवी |
नर० [सं०
न
लघु तध्वज पु० [सं०] विराट के राजा का एक भाई ।
त्र से स्त्रतसेन - पू० [सं० श्रतसेन] १ भीमसेन व द्रौपदी का एक पुत्र । २ एक नाग ३ परीक्षित का पुत्र, एक राजा । [सं० । स० [० चवा] १ सूर्य पुत्र शनि का एक नाम
२ सावरण मनु का नामान्तर ३ एक महर्षि । ४ वसुदेव की बहन व शिशुपाल की माता ।
त्र ुति स्त्री० [सं० श्रुति] १ सुनने की क्रिया या भाव, श्रवण । २ शब्द, ध्वनि । ३ कान, कर्णं । ४ वेद । ५ एक योगिनी । ६ युक्ति, कथन । ७ जन श्रुति ८ प्रनुप्रास का एक भेद । ९ कदम ऋषि की पत्नी । १० संगीत में स्वर का अन्तराल ११ श्रवण नक्षत्र । १२ चार की संख्या सूचक शब्द ।
स्र ुतिधर - वि० [सं० श्रतिधर] जिसकी स्मरण शक्ति प्रत्यन्त तीव्र हो ।
त्रत पु० कान, कर्णं ।
किला ।
तिवांग तिवांगी, स तिवान स्त्री० [सं० ति-वाणी ] १ वेद वाक्य, वेदों की वाशी । २ वेदों में प्रास्था रखने वाला । a. तिविदा स्त्री० [सं० तिविदा] कुश द्वीप की एक नदी ।
- पु० [सं० स्रवा ] यज्ञाग्नि में घी इत्यादि की प्राहुति देने का लकड़ी का चम्मच ।
तूल-पु० गढ़,
स्रोता स्त्री० पंक्ति ।
·
खि सी० [सं० पंखा, पंकि २ समूह १ । दल ३ कारीगरों का संघ, व्यापारियों का संगठन । ४ शृंखला, सिलसिला ५ सेना, फौज ६ जना, सोढी ।
७ वर्ग, विभाग, दर्जा । बद्ध क्रि०वि० कतार में, पक्ति से ।
त्रय - वि० [सं० श्रं यस्] १ उत्कृष्ट, बेहतर । २ उत्तम श्रेष्ठ । १३ मंगलमय, कल्याणकारी शुभ । ५ यशदाता, कीर्तिकर । स्त्री० १ उत्तमता। अच्छापन। २ शुभ आचरण । ३ भलाई, कल्याण ।
तमुख- पु० [सं० तिमुख] ब्रह्मा चतुरानन । सिरंजण. तिरंगी (मी)- स्त्री० [सं०] तिरंजनी] कर्नाटक मोति देवो 'मोखित' । पद्धति की एक रागिनी ।
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-
त्रयसी - स्त्री० [सं० श्र ेयसी ] हरडे, हरीतकी ।
पस्कर पु० [सं०] [पस्कर जैनियों के ग्रहों में से ६६ व ग्रह - वि० अपेक्षाकृत उत्तम ।
स्रोतस्वी
यांस यांसनाथ पु० [सं० श्रयासनाथ ] जैनियों के एक तीर्थ ंकर का नाम ।
बड़ा ० १ जैन साधु साधु संन्यासी।
त्रस्ट देखो स्ठ' ।
त्रस्टता देखो स्र ेस्ठता' । स्टो-देखो स्टी' ।
- ेष्ठ] । । खेस्ट पु० [सं०] १ विष्णु २ कुबेर ३ व
1
४ राजा नृप । ५ सुधामन देवों में से एक ६ गाय का दूध सर्वोतम सर्वोत्कृष्ट २ मुख्य प्रधान - वि० ३ वृद्ध, बूढा ।
1
स्त्री० [सं०] प्रधानता २ खासियत विशेषता
पु० [स०] [ष्ठ प्रथम स्वाम त्रस्ठी- पु० [सं० श्रष्ठिन् ] प्रतिष्ठित व्यवसायी, सेठ । श्रोण पु० [सं० श्रोण ] एक प्रक प्रकार का रोग - वि० १ लंगडा, लूना । २ लाल, रक्त वर्ण । ३ देखो 'सोणित' । ४ देखो स्रोणि' ।
श्रोणि पु० [सं० श्रोणि श्रोणी ] १ चूतड़, नितम्ब । २ कटि कमर । ३. मार्ग, रास्ता ।
खो
लोणी-स्त्री० [सं०क्षोणी ] १ भूमि, पृथ्वी । २ देखो 'सोणित' । ३ देखो 'स्रोणि' ।
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तर बोलीसूत्र पु० [सं० बोलि + सूत्र ] एक प्रकार का प्राभूषण विशेष, कटिमेखला ।
स्रोत पु० [सं०] घोत] १ क कान २ हाथी की सूंड [सं० स्रोतं] १ चश्मा, सोता, धार २ जलप्रवाह, तेज प्रवाह वाली नदी । ३ वह आधार या साधन जिसमें से कोई वस्तु बराबर निकलती या प्राती रहे । ४ वंशपरम्परा ५ कुए आदि में जमीन के अन्दर से आने वाली जल धारा ६ लहर, तरंग ७ जल, पानी । ८ इन्द्रिय | खोस० [सं०] स्रोत[]]] नदियों का स्वामी मुद्र खोयत (पति, पती) - ० [सं० बोत पति] समुद्रसागर त्रातस्वी. स्रोतस्विनी स्त्री० [सं० स्रोतस्विनी] नही सरिता ।
।
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स्रोता
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स्रोता - वि० [सं० श्रोता ] सुनने वाला। -पु० १ सुनने वाला व्यक्ति [सं०] यो] २ नदी सरिता ३ जल पानी ४ चश्मा, सोता, जल प्रवाह ।
1
खोज पु० [सं० खोज] १ कान, क २ वेदों का ज्ञान
( ८७० )
३ वेद । ४ तुषित देवों में से एक। त्रोत्र - पु० सोता 1
खो-देखो 'खोति ।
स्नेह-स्त्री० [१] चिडने पत्थर, लोह व गत्ते की बनी चौकोर तखती या पटरी जिस पर बच्चे लिखने का अभ्यास करते हैं । २ मलमल में तहें डालकर बनाई जाने वाली ढाल, ईरानी ढाल ।
स् पु० [सं० श्] १ ऐसा शब्द जिसके दो भिन्न प्रकार के २ साहित्य में एक प्रकार का अलंकार, जिसमें एक शब्द के दो या अधिक धयं हों ३ पालियन 1 मिलन |
स्लेसम- पु० [सं० श्लेष्म] १ लिसोड़े का वृक्ष । २ देखो 'स्लेस्म' |
स्व- सर्व० [सं०] स्वयं का अपना निजी जाति का सजातीय। २ स्वाभाविक १ नातेदार, रिश्तेदार २ जीवात्मा सम्पत्ति ।
स्लोक-पु० [सं० श्लोक] १ प्रशंसा, तारीफ २ यश, कीर्ति । ३ पुकार, ग्राहवान । ४ प्रशंसात्मक छंद, कथन ५ संस्कृत का पद्य, जो धनुष्टुप छंद में हो । ६ ध्वनि, ७ लोकोक्ति, कहावत ।
भावाज ।
1
प्रकृतिगत
वि० १ प्रपनी पु० धन-दौलत
2
।
स्वकीय पु० [सं०] १ स्वजन कुटुम्बी २ प्रपना निजी स्वकीया स्त्री० [सं०] ऐसी स्त्री या नायिका जो केवल अपने पति से ही धनुराम करती हो।
स्वगत- वि० [सं०] १ मन में आया हुआ । प्रव्य० २ स्वतः अपने आप
स्वच्छ स्व० [सं० स्वछंद] १ कार्तिकेय या स्कन्द का एक नाम। स्त्री० २ अपनी इच्छा या मर्जी। - वि० १ मनमौजी, स्वेच्छाचारी २ परम स्वतंत्र निरंकुश, नियत्रण या मर्यादा से मुक्त। ३ भय रहित । - क्रि०वि० १ अपनी इच्छानुसार, अपनी मर्जी से २ बिना किसी भय या संकोच के । स्वछवचारण, स्वछवचारणी, स्वछंदचारिण,
1
स्वछंदचारिणीस्त्री० १ वेश्या, रडी । २ बदचलन स्त्री । ३ अपनी मर्जी मुताबिक चलने वाली ।
स्वछंदचारी- वि० स्वेच्छाचारी मनोनी
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स्वछंदता स्त्री० स्वछंद होने का गुण अवस्था या भाव। स्वच्छ वि० [सं०] १ जिसमें किसी प्रकार का मेल या गंदगी न हो, साफ, निर्मल । २ जिसमें कोई उलझन न हो, स्पष्ट । ३ सुन्दर मोहक ४ स्वस्थ तन्दुवस्त ५ पवित्र, शुद्ध ६ निष्कपट । ७ स्पष्ट ।
स्वजन पु० [सं०] १ प्राश्मोयजन २ रिश्तेदार, संबंधी।
स्वच्छता स्वी० [सं०] १ स्वच्छ होने की अवस्था या भाव। २ निर्मलता, सफाई । ३ स्पष्टता ।
परिवार के अपने लोग ।
• स्वजनता - स्त्री० [सं०] १ प्रात्मीयता । २ रिश्तेदारी । स्वजात-पु० [स०] पुत्र, बेटा वि० घपने से उत्पन्न । स्वजाति स्त्री०पनी जाति फोम या वर्ग
स्वपथ
स्वतंत्र वि० [सं०] १ जो किसी के नियंत्रण, दबाव या शासन में न हो स्वाधीन २ जो किसी प्रकार के बन्धन में न हो, प्राजाद । ३ जिसमें किसी अन्य का सहारा न लिया गया हो । ४ अलग, जुदा, भिन्न ५ नियम प्रादि के बंधन से रहित । ६ निरंकुश, स्वेच्छाचारी । ७ वयस्क, बालिग । - पु० अपना तन्त्र, शासन या राज्य |
स्वतंत्रता स्त्री० १ स्वतंत्र रहने या होने का भाव । २ प्राजादो । ३ स्वाधीनता ।
स्वतः प्रव्य० [सं०] स्वतस् ] अपने ग्राप स्वयमेव । स्वतिस्त्री- देखो 'स्वस्तिस्री' |
स्वधरम - पु० [सं० स्वधर्म ] प्रपना धर्म कत्तं व्य ।
"स्वकरमी वि० [सं० [स्वकमित्] १ स्वार्थी, मतलबी २ अपने स्वधा स्त्री० [सं०] १ पितरों के निमित्त दिया जाने वाला कर्त्तव्य या धर्म का पालन करने वाला ।
भोजन, पितृ श्रन्न । २ दक्ष की एक कन्या जो पितरों की पत्नी मानी जाती है। ३ अंगिरा ऋषि की पत्नी का नाम । ४ देवता या पितरों को हवि देते समय उच्चारण किया जाने वाला शब्द |
स्वत्व पु० [सं० स्वश्य] १ अधिकार, हक २ अपनापन । स्वदेस पु० [सं० स्वदेश] धरना देश, वतन
स्वध धिप, स्वधाधिपत ( पति, पती) - पु० [सं० स्वधा - अधिपति ] प्रग्नि, प्राग ।
स्वधानिय पु० स०] धाग, मग्नि
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स्वधोद पु० 'सूरज प्रकास' के धनुसार एक प्राचीन राजा । स्वनंवा स्त्री० दुर्गा ।
saनि ।
स्वन- पु० १ संस्य के एक पुत्र का नाम । २ शब्द, [सं०] श्वन्] कुत्ता, श्वान । स्वनचकर, स्वनचक्र - पु० [सं० स्वनचक्र ] एक प्रकार का रति बंध या संभोग का प्रासन स्वपच - पु० [स० श्वपचः] १ श्वान का मांस पकाकर खाने वाला व्यक्ति, चांडाल । २ पतित जाति का व्यक्ति ।
स्ववथ पु० स्वयं का मार्ग या रास्ता ।
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स्वप्न
( ८७१ )
स्थरणचूत
स्वपन, स्वपनौ-देखो 'स्वप्न' ।
मावाज । बोल। ७ वेद पाठ में शब्दों का उतार चढ़ाव स्वपाळ (ल)-पु० [सं० स्वपाल] स्वर्ग का रक्षक ।
जो उदात्त, अनुदात्त पोर स्वरित तीन प्रकार का होता है। स्वप्न-पु० [सं०] १ सोना क्रिया या अवस्था, नींद । २ निद्रावस्था ८ नथूने से निकलने वाला पवन । ६ निद्रावस्था या सोते
में किसी घटना, विचार, चित्र प्रादि मस्तिष्क में प्राने समय नाक से निकलने वाला श्वास, खर्राटा । १० सात की स्थिति, झंझाल । ख्वाब । ३ निद्रा या तंद्रावस्था में की सख्या । [सं. स्वर] ११ स्वर्ग । १२ प्राकाश, सहसा पाने वाला विचार जो कभी सत्य व प्रायः असत्य अन्तरिक्ष । १३ सूर्य और ध्रव के बीच का स्थान । होता है । ४ कल्पना, मन की उड़ान । ५ एक लोक गीत । १४ एक व्याहृति । -बि०१क्षण भंगुर, नाशवान । २ मिथ्या ।
स्वरकळानिध (निधि, निधी)-स्त्री० [सं० स्वर+कला निधि] स्वप्नदोस-पु० [सं० स्वप्नदोष] निद्रावस्था में काम वासना | कर्नाटक पद्धति की एक राग। जागृत होने से होने वाला वीर्यपात, स्खलन ।
स्वरगगा-स्त्री० [सं० स्वर-गंगा] प्राकाश गंगा । स्वभाउ, स्वभाव-पु० [सं० स्वभाव १ अपना या निजी भाव, स्वरग-पु० [सं० स्वर्ग] १ अन्तरिक्ष में स्थित सात लोकों में
विचार । २ ऐसी क्रिया जो बार-बार स्वतः होती रहती, हैं, से तीसरा लोक, जहां देवता, पुण्यात्मा, सत्कर्मी निवास पादत, बान । ३ मूल भूत गुण, प्रकृति । ४ खासियत, करते हैं, देवलोक, वैकुठ । २ अन्य धर्मों के अनुसार विशेषता । ५ मनुष्य के मन का वह पक्ष जो बहुत कुछ पाकाश स्थित एक अन्य स्थान । ३ ऐसा कोई स्थान जहां जन्म जात होता है तथा सदैव देखने में प्राता है।
सर्वसुख की प्राप्ति होती हो । ४ प्राकाश, प्रासमान । स्वयं-वि० [सं० स्वयम् ] अपने-प्राप कार्य करने वाला। -सर्व ५ ईश्वर । ६ सुख । ७ देखो 'सरग'। -गमण, गमन-पु. माप, खद। -प्रव्य अपने प्राप।
स्वर्ग को जाने की क्रिया या भाव, मृत्यु । -गांभी-वि. स्वयं जोत (जोति, ज्योत, ज्योति, ज्योती)-पु० [सं०स्वयंज्योति] स्वर्ग को जाने वाला, मृत्यु को प्राप्त, मृत । -तरगिरण, परमेश्वर, ईश्वर, परब्रह्म।
तरंगिणी-स्त्री० प्राकाश गंगा । -तर, तरु-पु० कल्प स्वयंदूत-पु० एक प्रकार का नायक । (साहित्य)
वक्ष । परिजात । -----धेन, धेनु-स्त्री० कामधेनु । -नद, स्वयंदूती-स्त्री० एक प्रकार की नायिका । (साहित्य)
नदी-स्त्री० प्राकाश गंगा । -पत, पति, पती-पु० स्वर्ग स्वयंप्रम-पु० [सं०] १ जैनियों के एक तीर्थ कर । २ जैनियों का मालिक, इन्द्र । -पुर, पुरी-स्त्री. अमरावती, ८८ ग्रहों में से ६४वां ग्रह।
वैकुण्ठपुरी। -मंदाकनी, मंदाकिनी-स्त्री० पाकाश गगा । स्वयंप्रभा-स्त्री० [सं०] १ इन्द्र की अप्सरा व मंदोदरी की -लोक-पु० देवलोक, वैकुण्ठ । प्राकाश । -लोकेस,
माता। २ अर्जुन के स्वागत में इन्द्र सभा में नत्य करने लोकेसर, लोकेसु, लोकेसुर-पु. इन्द्र । तन शरीर । वाली अप्सरा।
-वधु, वधू-स्त्री. अप्सरा । -वास-पु. स्वर्ग या स्वयंभुव, स्वयंभू-पु० [सं० स्वयंमः] १ ब्रह्मा, विरंची ।। वैकुण्ठ में निवास । देवलोक, स्वर्ग । देहावसान, मृत्यु ।
२ शिव, महादेव । ३ विष्ण । ४ कामदेव, मनोज ।। -वासी-वि० स्वर्ग में रहने वाला । मृत्यु को प्राप्त, ५प्रथम मनु का नाम । ६ काल जो मूर्तिमान हो। स्वर्गीय । -विहारी-पु. देव, देवता। -गात्री-स्त्रो० ७ जैनियों के नौ बासुदेवों में से एक । -वि० अपने पाप अप्सरा । स्वतः उत्पन्न होने वाला।
स्वरगद-वि० [सं० स्वर्गद] स्वर्ग देने वाला। स्वयंवर-पु० [सं०] १ स्वयं वरण करने की क्रिया, स्वयंवरण । स्वरण-पु० [सं० स्वर्ण] १ सुवर्ण, सोना, कनक । २ धतूरा ।
२ ऐसा उत्सव या समारोह जिसमें उपस्थित होने वाले ३ कामरूप देश को एक नदी। व्यक्तियों में से कन्ग वर का चयन कर वरण करती है। स्वरगणकाय-पु० [सं० स्वर्णकाय गरुड़ का एक नाम।
३ इस तरह वरण करने का विधान । ४ विवाह, शादी। स्वरणकार-पु० [सं० स्वर्णकार] स्वर्ण के प्राभूषण बनाने व स्वर-पु० [सं० स्वरः] १ किसी प्रकार के प्राघात, गति,
व्यवसाय करने वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । संघर्षण या अन्य क्रिया से उत्पन्न ध्वनि, शब्द । २ किसी । सुनार । प्राणी की बोली, बोलने का शब्द, पावाज । ३ प्राकृतिक
| स्वरणगिर (गिरि, गिरी)-पु० [सं० स्वर्णगिरि] १ सुमेरु क्रिया से स्वत: उत्पन्न होने वाला घोष, गूज । ४ संगीत
पर्वत । २ लंका का दुर्ग। ३ जालौर का दुर्ग । ४ मगध में सप्तस्वरों में से कोई ध्वनि, सरगम की कोई ध्वनि ।
की प्राचीन राजधानी। ५ व्याकरण में 'अ' से 'म:' तक ध्वनियां जिनके योग से स्वरणचूड़-पु० [सं० स्वर्ण चूड़] १ नीलकंठ नामक पक्षी। व्यंजनों का उच्चारण होता है । ६ किसी वाद्य की | २ महादेव. शिव ।
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स्वररणजात
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( ८७२ )
स्वरणपत्र ( पक्ष, पख ) - पु० [सं० स्वर्णपक्ष ] गरुड़ । स्वरभूख (भूषण) - पु० [सं० स्वर्णं भूषण] १ सोनागेरु । २ सोने के प्राभूषरण 1
स्वरस्था स्त्री० [सं०] स्वश्या] प्रा
स्वरसंक्रम पु० [सं०] संगीत में स्वरों का उतार-चढ़ाव । स्वरसंधि - स्त्री० [सं०] व्याकरण में दो या अधिक स्वरों का एक साथ मिलन, योग ।
स्वरगजात ( जाति, जाती) - स्त्री० [सं० स्वर्णजाति] पीली, स्वस्ति स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मा की तीन पत्नियों में से एक । चमेली । २ पत्र या किसी लेख के प्रारम्भ में लिखा जाने वाला मंगलकामना सूचक शब्द । प्रव्य० १ मंगल हो, भला हो । २ ठीक है, मान्य है । ३ कुशल है, क्षेम है, कल्याण है ४ देखो 'स्वस्तिe' । स्वरमाण (भांगु, भांतु भांतू) - पु० [सं० स्वरभानु] १ श्रीकृष्ण स्वस्तिक - १० स्वस्तिक १० [सं०] १ एक प्रकार का मांगलिक चिह्न, व सत्यभामा का एक पुत्र । २ राहु नामक ग्रह । साखिया २ साखिया जैसा सामुद्रिक चित्र ३ भीगे हुए स्वरमंडळ-१० [सं०] स्वरमंडल] एक प्रकार का बाह्य विशेष चावलों को पीसकर, विवाहादि के अवसर पर बनाया जाने स्वरलोक देखो 'स्वगजोक' वाला मांगलिक द्रव्य । ४ सथिया जैसा चिह्न । ५ एक विशेष प्रकार का राजप्रासाद । ६ चौराहा । ७ एक प्रकार का पकवान ८ एक प्रकार का प्राचीन यंत्र जो शरीर में गड़ शत्यादि निकालने के काम प्राता था । ९ सांप के फन पर की नीली रेखा । १० एक विशेष प्रकार का मकान जिसके पश्चिम व पूर्व में दालान हो । ११ लहसुन १२ मूली । १३ रतालू । १४ रसिया, लंपट । १५ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ५८ वां ग्रह । १६ एक प्रकार का योगासन |
स्वरस - पु० प्रौषधि का रस । स्वरा - स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मा की पत्नी, गायत्री की सपत्नी । २ राजा उत्तानपाद की एक कन्या । स्वराज्य पु० [सं०] १ अपना राज्य या शासन । २ अपना देश या वतन । ३ विदेशी शासन से किसी देश या राज्य की मुक्ति
स्वस्तिका - स्त्री० घमेली ।
स्वस्तिकासा (न) - ० योग के चौरासी ब्रासनों में से एक स्वराट-पु० [सं०] १ इन्द्र, देवराज । २ ब्रह्मा । ३ परमेश्वर, स्वस्तिमत (ति, ती ) - स्त्री० [सं० स्वस्तिमति ] स्वामिकार्तिकेय ईश्वर |
की एक मातृका का नाम ।
स्वास्तिस्री- पु० पत्र प्रादि के प्रारम्भ में लिखा जाने वाला मांगलिक शब्द |
स्वांग-पु० [सं०] १ किसी का नकली वेश । २ बहाना, झूठा नाटक | ३ मनोरंजन या किसी को डराने के लिये बनाया गया हास्यास्पद या भय नक वेश । ४ ख्याल या नाटक के पात्र के रूप में धारण की जाने वाली वेशभूषा विशेष । ५ ढोंग, प्राडंवर । ६ देखो 'सांग' ।
स्वरूप-पु० [सं०] १ प्राकार, बनावट, श्राकृति । २रूप, शक्ल सूरत । ३ सौन्दयं, सुन्दरता । ४ मूर्ति या चित्र । ५ किसी चीज का ढंग या पद्धति ६ स्वभाव, प्रादत, प्रकृति । ७ आत्मा । ८ विद्वान पंडित । ईश्वर, भगवान् । १० पांच प्रकार की मुक्तियों में से सारूप्य नामक मुक्ति । वि० १ मनोहर, सुन्दर, रूपवान । २ तुल्य, समान । ३ देखो 'सरूप' । मांन, वान- वि० सुन्दर, खूबसूरत ।
स्वरूपी - वि० स्वरूप वाला, स्वरूपवान । स्वरे (सु) स्त्री० सूर्य की पत्नी संज्ञा का नामान्तर स्वरोदय पु० [सं०] दायें-बायें नथूने से निकलने वाली श्वास विशेष से शुभाशुभ फल जानने का ज्ञान या विधि । स्ववस - वि० [सं० स्ववश ] अपने वश या काबू में, अपने नियंत्रण में ।
स्वसरिता स्त्री० [सं०] स्वः सरित्] गंगा स्वसा स्त्री० [सं०] स्वसू] बहन
स्वसाव- पु० एक सूर्यवंशी राजा शशाद । स्वसुंदरी स्त्री० [सं० स्व: सुन्दरी] प्रप्सरा ।
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स्वामी
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1
स्वांगी- वि० ० १ ढोंगो । २ नकल करने वाला, नकलची । ३ बहुरूपिया ।
स्वांत, स्वाति पु० १ अपना अंत, मृत्यु । २ मन, धन्तःकरण | ३] देखो 'स्वाति' ।
1
स्वान पु० [सं०] श्वान] १ कुत्ता । २ दोहा नामक छन्द का एक भेद । ३ छपय छन्द का एक भेद [सं० स्वान] ४ शब्द, ध्वनि, आवाज । - वि० क्रूर ।
स्वसन - पु० [सं०] श्वसन] १ हवा, पवन । २ धृतराष्ट्र कुली स्वाननिद्रा-स्त्री० मामूली ग्राहट से खुल जाने वाली हल्की निद्रा,
त्पन्न एक नाग का नाम ।
अल्प निद्रा ।
स्वांग स्वामि-देखो 'सांमी'
स्वमिधरम ( धरम्म म प्रम्म) देखो 'स्वामीधरम' | स्वामिधरमी ( धरम्मी, धमी, धम्मी) - देखो 'स्वांमीधरमी' । स्वामी-देखो 'सामी' |
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स्वामीकारतिक
। ८७३ )
स्वीकारणो
स्वामीकारतिक, स्वामीकारतिकैय-पु० [सं० स्वामिकात्तिकेय] | स्वाधिस्ठाण-पु० [सं० स्व + अधिष्ठान कुंडली के ऊपर
शिव व पार्वती का बड़ा पुत्र जो देव सेना का सेनापति था | पड़ने वाला एक चक्र। .. पौर तारकासुर का वध करने के लिये अवतरित हुमा था, | स्वाधीन-वि० [सं०] १ जो पराधीन न हो. मात्मनिर्भर, षडानन, स्कन्द ।
____ स्वतंत्र मुक्त । २ किसी नियंत्रण से परे, निरंकुश । स्वामीद्रोह-पु० [सं० स्वामिन-द्रोह अपने मालिक का विरोध, | स्वाधीनपतिका-स्त्री० [सं०] वह नायिका जिसका पति उसके स्वामी के प्रति विद्रोह, बलवा ।
• वश में हो। स्वामीद्रोही-वि० अपने मालिक का विरोध या विद्रोह करने । स्वाध्याय-पु० [सं०] वेदों का निरंतर अभ्यास करने की क्रिया वाला।
| या ढंग। २ किसी गंभीर विषय का भली प्रकार अध्ययन । स्वामीधरम (घरम्म, ध्रम, प्रम्म)-पु० [सं० स्वामिन-धर्म] | स्वापतेय, स्वापतेयक-पु० [सं० स्वापतेय] धन, दौलत। स्वामी के प्रति वफादारी, स्वामीभक्ति ।
स्वापद-पु० [सं० श्वापदः] १ हिंसक पशु । २ चीता। -वि. स्वामीधरमी (धरम्मी, प्रमो, प्रम्पो)-पु. अपने मालिक का ' हिंसक, भयंकर। वफादार, स्वाभीभक्त ।
स्वाभाविक-वि० [सं०] जो स्वभाव से उत्पन्न हुमा हो, स्वागत-पु० [सं० स्वागत] १ अगुवानी, अभिनंदन । २ उक्त प्राकृतिक । संभावित, जिसका होना माम बात हो। .
अवसर पर पूछा जाने वाला कुशल मंगल । ३ भागंतुक की | स्वायंत-पु०१ संतोष, शांति । २ देखो 'स्वाति'। खातिरदारो, भावभगत । ४ किसी प्रस्ताव, बात, विचार | स्वायंभु, स्वायंभुव, स्वायंभू-पु० [सं० स्वायंभुव मनुस्मृति प्रादि के प्रति प्रगट की जाने वाली खुशी, प्रास्था। नामक धर्म शास्त्र का कर्ता तथा प्रथम मन्वन्तर का ५ एक प्राचीन राजा।
अधिपति मनु । स्वात-पू० [सं०१ कश्यप एवं ब्रह्मधना के पुत्रों में से एक । | स्वार-देखो 'सूवारै'। २ देखो 'स्वाति'।
स्वारथ-पु० [सं० स्वार्थ] १ स्वयं का भला या हित सोचने की स्वातग-पु. १ चातक, पपीहा । २ देखो 'स्वाति'। .
क्रिया या भाव, मतलब। २ केवल अपना ही हित या स्वातज-पु० मोती, मुक्ता।
लाम । ३ उद्देश्य, प्रयोजन । स्वाति-पु० [सं०] १ मोती, मुक्ति । २ सत्ताईश नक्षत्रों में से | स्वारथता-स्त्री० खुदगर्जी, स्वार्थपरता।
पन्द्रहवां नक्षत्र । ३ सूर्य की एक पत्नी का नाम। स्वारथत्याग-पु. दूसरों के हित के लिये अपना हित या लाभ स्वातिसुत (सुतण, सुतन)-पु. मोती मुक्ता ।
- त्यागना। स्वाद-पु० [सं०] १ किसी वस्तु को खाने-पीने से रसनेन्द्रिय को
| स्वारथी-वि० [सं० स्वाथिन् । अपना मतलब सिद्ध करने माने वाला प्रानन्द,प्रनुभव जायका । २ किसी वस्तु का खट्टा,
वाला, खुद गर्ज, मतलबी। २ अपने हित या लाभ को मोठा, खारा प्रादि गुण, रस । ३ भोजन । ४ किसी बात
सर्वोपरि समझने वाला। ३ देखो 'सारथी'। का मानन्द, मजा । ५ संभोग। ६ प्राराम, सुख, प्रानंद ।
स्वाल-देखो 'सवाल'। ७ रस, भानंद। ८ इच्छा, कामना । ९ प्रादत, ऐब ।।
स्वास-पु० [सं० श्वासा] 1 तीव्र सांस चलने का रोग, दमा। १० मीठापन । ११ तत्त्व, सार। -वि. जायकेदार,
२ सांस । स्वादिष्ट ।
स्वासणि, स्वासणी-देखो 'सवासणी' ।
स्वासा-स्त्री० [सं० श्वासा] दक्ष प्रजापति की एक कन्या । स्वादिस्ट, स्वादिस्ठ-वि० [सं० स्वादिष्ठ] जिसका स्वाद प्रच्छा
स्वास्थ्य-पु० तंदुरुस्ती, निरोगता। हो. जायकेदार।
स्वाहा-स्त्री० पग्नि की पत्नी । -वि० १ जिसे जला कर नष्ट स्वावी-स्त्री० दाख, द्राक्ष । -वि० १ स्वाद वाला, स्वाद पूर्ण । __कर दिया गया हो, भस्म । २ पूर्णतया नष्ट । -प्रव्य० एक
२ स्वाद लेने वाला । ३ रसिक, रसिया। ४ हठी, जिद्दी। । शब्द जिसका उच्चारण यज्ञ में प्राहुति देते समय किया स्वादीलो-वि० (स्त्री. स्वादीली) १ स्वादयुक्त, स्वादिष्ट, जाता है। -पत, पति, पती-पु० अग्नि।
जायकेदार । २ स्वाद लेने वाला, स्वाद-रसिक। | स्वाहाग्रसरण, स्वाहाग्रहरण-पु० [सं० स्वाहा-ग्रसन्] देवता। स्वादु-पु० [सं० स्वादु] १ मधुर रस । २ गुड । ३ मीठास। स्वीकार-वि० [सं०] १ माना हुपा, मंजूर या न किया
४ महमा । ५ बेर । ६ दुग्ध, दूध । -वि०१ स्वादिष्ट, हुपा, अंगीकृत । २ जिस पर सहमति हो। जायकेदार। २ मधुर, मीठा। ३ मनोहर, प्रिय। स्वीकारणो (बी)-क्रि० १ अंगीकार करना, कबूल या मंजूर ४ स्वादिष्ट पदार्थ खाने का प्रादी, चट्ट।
करना । २ सहमति या अनुमति देना।
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स्वीकृति
। ८७४ )
हंगामा
स्वीकृति-स्त्री० [सं० स्वीकृति] मंजूरी, रजामंदी।
स्वेतम्रग, स्वेतम्रिग-पु० [सं० श्वेत-मग] एक प्रकार का मृग । स्वेच्छा-स्त्री० [सं०] अपनी इच्छा।
स्वेतरंगी-स्त्री० यश, कीर्ति । स्बेत-वि० [सं० श्वेत] १ धवल, सफेद । २ निर्मल, साफ । स्वेतवाहण(न)-पु० [सं० श्वेतवाहन] १ अर्जुन का एक नाम ।
३ उज्ज्वल, उजला। ४ स्पष्ट, साफ । ५ मंद, कांतिहीन, | २ चद्रमा का एक नाम । उदास । ६ कमजोर । ७ निर्दोष, निष्कलंक । -पु० १ सफेद | स्वेतांबर-पु० [सं० श्वेताम्बर] १ जैन धर्म की एक शाखा । रंग । २ चांदी, रजत । ३ शंख । ४ कोड़ी। ५ शिव का | | २ इस शाखा के साधु जो श्वेत वस्त्र धारण करते हैं । एक अवतार । ६ पुराणानुसार एक द्वीप। ७ शुक ग्रह का स्वेतांबरी-पु० [सं० श्वेताम्बरी] जैन धर्म की श्वेतांबर शाखा एक नाम । ८ स्कन्द का एक पनुचर । ९ सर्पो के पाठ का साधु या अनुयायी। कुलों में से एक। १० सफेद घोड़ा। ११ पुच्छल तारा। स्वेता-स्त्री० [सं० श्वेता] १ अग्नि को सात जिह्वानों में से १२ नील व शगवान पर्वत के पास का एक पर्वत ।।
एक । २ स्कंद को अनुचरी, एक मातृका । ३ कश्यप एवं ___ १३ श्रीराम की सेना का एक वानर । १४ एक यक्ष । क्रोधा की एक पुत्री।। स्वेतगंजणी (नी)-पु० [सं० श्वेत-अंजनो] वह घोड़ा जिसकी स्वेतोबर-पु० [सं० श्वेतोदर] १ कुबेर का एक नाम । २ एक पसलियां श्वेत हों।
पर्वत विशेष । स्वेतकुंजर, स्वेतगज-पु० [सं० श्वेत-कुंजर, गज] ऐरावत हाथी स्वेद-पू० [सं०] पसीना। -ज, उज-पु० पसोने से उत्पन्न जीव,
का एक नाम। स्वेतगंडक (को)-स्त्री० [सं० श्वेत गंडकी] गंडक नदी की एक | स्वेदण, स्वेदन-पु० पसीना, स्वेद । - सहायक नदी।
स्व-वि० प्रपना, निज का। स्वेतनायक-पु० [सं० श्वेत-नायक एक प्रकार का प्राभूषण । स्वरी-वि० [सं० स्वरिन्] (स्त्री० स्वैरिणी) १ व्यभिचारी, स्वेतपिंगळ-पु० [सं० श्वेत-पिंगल] शिव, महादेव ।
दुराचारी, बदचलन । २ स्वेच्छाचारी।
( ह )
है-देवनागरी वर्णमाला का तेतीसवां (अंतिम वर्ण) व्यंजन ।
मानने के लिये मजबूर होना। ४ मन में छिपी बात हंऊडो-पु. पत्थर तोड़ने का लोहे का एक भारी उपकरण ।
उगलना। हकरणी (बी)-देखो 'हकरणो' (बो)।
हंकारी-१ देखो 'हुंकारी'। २ देखो 'हुंकार' । हकरणी (बी)-देखो 'हॉकरणो' (बो)।
हंगणो (बो)-क्रि० मल त्याग या टट्टो करना । हंकराणी (बो)-क्रि० १ स्वीकार कराना, स्वीकृत कराना।
हंगांम-देखो 'हंगामी'। २ मनवाना; कबूल कराना । ३ किसी कार्य या बात के
हंगांमी-वि० [फा० हंगाम + रा.प्र.ई.] १ क्रान्तिकारी,
उपद्रवी । २ हुल्लड़ या थोर करने वाला। ३ उत्साही, लिये राजी या सहमत कर लेना। ४ मन की बात उगल
साहसी । ४ योबा, वीर। ... वाना।
हंगांमी-पु० [फा० हंगाम] १ युद्ध, जंग, लड़ाई । २ क्रान्ति, हंकारणी (बी)-देखो 'हकाणी' (बी)।
विप्लव, विद्रोह, उपद्रव । ३ कोलाहल, शोरगुल, हुल्लड़ । हंकार-१ देखो 'महंकार'। २ देखो 'हुंकार'।
४ दंगा फसाद, मारपीट, छीना-झपटी। ५ सेना, सैन्य कारणो (बो)-क्रि. १ स्वीकार करना, स्वीकृत करना। दल । ६ जन-समूह, भीड़, मेला। ७धूम-धाम । ५ हर्ष,
२ किसी कार्य के करने के लिये राजी होना, सहमत होना ।। खुशी, भानन्द। ।
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हंगागौ
हंसपी
हंगाणी (बी). हंगावणी (वी)-क्रि० मल त्याग के लिये प्रेरित हंदी-प्रव्य० षष्टी विभक्ति के सम्बन्ध सूचक शब्द का स्त्री रूप । करना, टट्टी कराना।
हंदौ-पव्य. षष्टी विभक्ति का चिह्न का। हंगोड़ी, हंगोगे, गोरी-वि० (स्त्री० हंगोरी) बार-बार मल | हंफणी-देखो 'हांफणी'। त्याग करने वाला या शौच जाने वाला रोगी।
हंबाह-अध्य० हाँ, स्वीकृति सूचक ध्वनि या संकेत । हंचरणी (बी)-देखो 'हिचरणों' (बी)।
हम-देखो 'हम'। हंज-देखो 'हंस'।
हंयुक-पु. ४६ क्षेत्रपालों में से अन्तिम क्षेत्रपाल । हंजर-वि० सुन्दर, खुब सूरत ।
हंस-पु० [सं०] (स्त्री० हंसणी, हंसी) १बई-बड़े सरोवर या हंजरणी ()-देखो 'हिजरणो' (बी)।
झीलों के किनारे रहने वाला, बतख के पाकार का एक हंपलोमा-पु० । एक राजस्थानी लोक गीत । २ देखो। सफेद जल पक्षी। २ सूर्य, भानु, रवि । ३ शिव, महादेव । 'हंजामारू'।
४ ब्रह्मा। ५ विष्णु के चौबीस अवतारों में से एक। हंजा-स्त्री० [सं० हजे] । दासी, चेरी। २ पति, प्रियतम । ६ परमात्मा, परब्रह्म, ईश्वर । ७ विष्णु का एक नामान्तर।
३ प्रेमी। ४ लोक गीतों में एक लय । ५ ऊट का सीना। ८ मन । ९ जीवात्मा, प्राण। १. शरीरस्थ प्राण वायु । -क्रि०वि० ढंग से, उचित तरीके से।
११ ब्रह्मा का एक मानस पुत्र। १२ रजत, चांदो। हंजामाह-पु०१ पति, प्रियतम । २ रसिक, प्रेमी ।
१३ पर्वत, पहाड । १४ घोड़ा, प्रश्व । १५ कामदेव, प्रनंग। हंजीरी-पु० नाश, विध्वंस, विनाश ।
१६ सन्यासियों का एक भेद, एक सम्प्रदाय विशेष । हंजो-पु.१ पति, प्रियतम, प्रेमी। २ देखो 'हंस'।
१७ अनिरुद्ध का एक नाम । १८ ज्ञानी भक्त पुरुष । हंस, हंनि, हंझौ-१ देखो 'हंस' । २ देखो 'हजा' ।
१९ दाहा छंद का एक भेद । २० एक वणिक छन्द विशेष । हंडक-१ देखो 'हाडक' । २ देखो 'हंडियो।
२१ हस के पाकार का बनाया जाने वाला प्रासाद जिस हंब्वाई-देखो 'हांडी'।
पर शुग बना हो । २२ एक मंत्र विशेष । २३ ध्वनि रव । हरिजरपी (बी)-क्रि० भ्रमण करना, घूमना ।
२४ सफेद रंग * -वि० सफेद, श्वेत । हंडियो-पु. १ लकडी, धातु या हाथी दांत की बनी प्रफीम | हंसक-पु० [सं०] १ पैर की अंगुली का बिछुवा । २ नूपुर । रखने की डिबिया । २ देखो 'हांडी'।
३ देखो 'हिसक'। . हंडो-देखो 'हांडी'।
हंसग-पु० [स०] ब्रह्मा, विधाता। हळाहट-देखो "हिंडळाट'।
हसगत, हसगति (ती)-स्त्री. १ ब्रह्मत्व की प्राप्ति, सायुज्य की हंडो-पु०१ मिट्टी या धातु का बना जल पात्र । २ देखो
प्राप्ति । २ हंस के समान सुन्दर ब धीमी चाल, गति । 'हांडो' । ३ देखो 'हांडी'।
३ एक प्रकार का मात्रिक छंद । ४ हस की चाल । हंग-पु. हनुमान।
हंसगमण (गमणा, गमणि. गमणी), हंसगवरणी (गोमणि, हणे, हणे-देखो हरणां'।
गांमणी, गामिणी, गोणी)-स्त्री० [सं० हंसगामिनी] हंस हंत-प्रव्य. १दु:ख या खेद में बोला जाने वाला पोह, हाय ।
के समान धीमी चाल वाली सुन्दर स्त्री। २ उत्तेजना सूचक अव्यय शब्द । २ इसी तरह की ध्वनि | हंस हंसड़ी-१ देखो 'हंसी' । २ देखो 'हंस' । जो प्राश्चर्य, दया, रहम, सौभाग्य का सकेत देती है। हंसबर-वि. मांसाहारी, मांस भक्षो। -पु. मोती। ४ देखो 'हूं'।
| हंसजा-स्त्री० [सं०] १ सूर्य की पुत्री, यमुना। २ हंस की हतकार-स्त्री० पितरों के उद्देश्य से ब्राह्मण मादि को दी जाने
पुत्री। वाली रोठी।
हंसण (न)-स्त्री० हंसने की क्रिया या भाव, हंसी । हंता-देखो 'इंत'।
हंसणी-पु. हसना क्रिया, हंसी। हंती-१ देखो 'हूंतो'। २ देखो 'हांती'।
हंसरो (बी)-क्रि० [सं० हसें] १ खुशी, पानन्द प्रादि के पावेग हंतीया-देखो 'हता।
से चेहरा खिलना व मुह से 'इ-ह' की ध्वनि फूटना, हंसना, हंतोगत, हंतोगति-स्त्री० कृपा, दया, अनुग्रह।
खिलखिलाना । २ मुस्कराना, मुस्कान दिखाना। प्रसन्न, हंती-वि० [सं० हत] (स्त्री० हती) १ मारने, वध करने वाला। खुश होना। ४ खिलना; शोभा देना। ५ परिहास या २ देखो 'हूंतों।
मजाक करना । ६ व्यंग करना: खुशी में ताना देना। हंद-देखो 'हृद'।
हंसपदी, हसपादी-स्त्री० [सं० हंसपदिका] एक प्रकार की हंदह, हंबा-प्रव्य० षष्टी विभक्ति का सम्बन्ध सचक चिह्न। । पौषधि।
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हंसवाहण
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समाहरण- देखो 'हंसवाहण' । हंसवाही देखो 'हंसवाहली'
हंसमख पु० [सं० हंसभक्षणम् ] मौक्तिक, मोती । हं समंगळा- स्त्री० एक प्रकार की संकर रागिनी । हसमाळा- पु० एक छन्द विशेष । हंसमुख - वि० १ प्रसनं वदन, प्रसवदन विनोदसील विनोदशील, हास्यप्रिय २ जिसका चेहरा प्रायः प्रसन्न रहता हो ।
हसमोती- पु० शुभ रंग का घोड़ा ।
हंसरब १० [सं०] ब्रह्मा
हंसराज ० १ स्वर्णकारों का एक बीजार २ देखो 'हंसपदी'।
हंसराजा पु० प्राण, जीव ।
हसल देखो 'हंस'।
हंससब देखो 'हंस' ।
*सलिपि, हंसलिवी - स्त्री० [सं० हंसलिपि ] एक प्राचीन लिपि
विशेष | हंसली-देखो 'हांसली
हसनो-देखो 'हंस'
हंसस - पु० [सं० हंस- वंश ] सूर्य वंश |
हंसडि पु० वस्त्र विशेष
-
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f OE).
हंसवाहरण (न) - ०१ ब्रह्मा २ देखो 'हंसवाहणी' । हंसवाहणी वाहिणी, वाहिनी) - स्त्री० [सं० हंस वाहिनी]
सरस्वती शारदा ।
हंससुता - स्त्री० [सं०] सूर्य की पुत्री, यमुना । हंसाई - देखो 'हंसी' |
हंसगति, सागमण (खि) वि० हंस के समान मंद व सुन्दर चाल वालो । स्त्री० हंस की चाल । हंसागमणि (ली ) - देखो 'हंसगामिणी'
सानो (बी) १ हंसने के लिये प्रेरित करना, हंसाना, हंसी को बात करना । २ खुश करना। ३ शोभित करना, सुसज्जित करना । ४ मजाक, चुहल या व्यंग करना । ५. किसी की दिल्लगी कराना, मजाक बनवाना ।
हंसावली (बी) देखो 'बाली' (बी) ।
हंसाळ, हंसाळ - वि० १ हंसी करने वाला, विनोदप्रिय ।
२ खुश मिजाज । पु० १ किसी खेल या नाटक का हास्य अभिनेता । २ विनोद प्रिय व्यक्ति !
हंसासरणी - स्त्री० सरस्वती, शारदा । 'सि देखो 'हंसी'
सावळी- पु० डिगल का यह गीत जिसमें बेलिया' नामक छंद में 'रा' 'रा' शब्द रीति सहित प्राकर, उल्लेखालंकार का प्रयोग होता है।
हंसासन-पु० योग के चौरासी प्रासनों में से एक।'
- वि० हंस पर सवार, प्रारूढ़ 1
हसाळ - पु० १ छंद विशेष । २ घोड़ा, घश्व । ३ देखो 'हंसाळ' । हइवर - देखो 'हयवर' ।
४ देखो 'हंस'
हइ प्रव्य० १ हे, घरे, प्रो । २ देखो 'है'। १ देखो हृदय' । हडकप-देखो 'कंप
इमर देखो 'वर' |
हंसारी पु० एक प्रकार का घोड़ा
हइरान देखो 'हैरान' ।
हंसा-पु० [सं०] सा१ब्रह्मस्त्री० २ सरस्वती हव० [सं०] हयन्यति] १ राजा नृप। २ देखो 'है'।
३ देखी 'वर' |
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हंसियो पु० १ लोहे की पतली पत्ती का चन्द्राकार बना एक कृषि उपकरण । २ हाथी के अंकुश का चन्द्राकार भाग । हंसी - स्त्री० १ ( राजस्थान में ) दूध देने वाली गायों की अच्छी नस्ल व इस नस्ल की गाय । २ हंसने की क्रिया या भाव, ffइट ३ मुस्कान, मृदुहास्य ४ मजाक, परिहास, दिल्लगी । ५ मजाक के तौर पर की जाने वाली बात । ६ जगहंसाई, निदा ७ मजाक या उलाहने के रूप में दिया जाने वाला ताना, व्यंग
मादा हंस । ९ प्रार्या
या गाहा छंद का एक भेव । १० एक वणिक छन्द विशेष । हंसी- १. देखो 'हंस' २ देखी 'हंस' 'हकार - देखो 'हाहाकार' ।
ह-पुं० १ हर्ष । २ चोर ३ शिव । ४ काष्ठ ।
५ निरवेधा । ६ मृगाक्ष । ७ शून्य ८ प्राकाश । ९ जल, पानी । १० ध्यान ११ चन्द्रमा, शशि । १२ स्वर्गं । १३ ज्ञान । १४ कल्याण, मंगल । १५ खून, रस्ता १६ डर, भय । १७ कारण, सबब । १८ भगवान विष्णु । १९ वैद्य, चिकित्सक। २० घोड़ा, प्रश्व । २१ लड़ाई, युद्ध | २२ अभिमान गर्व २३ एक प्रकार का योगासन २४ हास्य, हंसी । २५ राजस्थानी कविता में एक पाद पूर्ति सूचक वर्ण । २६ एक प्रकार का प्रव्यय । - देखो 'हां' |
हदंवर देखो 'यवर'।
हउंस
हई १ देखो 'हब' २ देखो 'है'। हईअगवीन- देखो 'हयअंगवीन' ।
हईद, हईडद्द, हईडो-देखो 'हिन्दी' । हळदेसी 'ळ' ।
हईवर पु० १ योद्धा वीर । २ देखो 'हयवर' ।
सावळी स्त्री० १ निसारणी छन्द का एक भेद २ हंसो की देखो ''
अवली पंक्ति ।
हस देखो 'हंस'
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(
८७७ )
हउ-प्रव्य० परे।
हकालणों (बो-क्रि० १ बल पूर्वक अथवा डरा-धमका कर हउणो (बी), हऊणो (बो)-देखो 'होणो' (बी)।
कहीं से भगाना खदेड़ना। २ चलाना हाकना । ३ उत्तेजित हकड-देखो 'हेकड'।
करमा, ललकारना। ४ विरुदाना, वकारना । ५ उत्साहहक-पु० [4. हक] , स्वत्व, अधिकार, दावा । २ न्याय, जन्य वाक्य बोलना, पावाज करना । ६ पुकारना, पावाज
प्रथा, प्रादि से प्राप्त अधिकार । ३ कुछ करने का लगाना । ७ ललकारना। अधिकार । ४ सत्य, यथार्थ । ५ ईश्वर, परमात्मा । हकालो-देखो 'हाको'। ६ ठीक या सोधा कार्य । ७ पक्ष, हिस्सा, भाग । ८ पारि-, हकावणो (बो)-देखो 'हकाणी' (बी) श्रमिक, मेहनताना। -वि०.१ मत । २ जायज, ठीक, हकीकत-स्त्री० [अ०] १ वृत्तान्त, हाल, विवरण । २.सच्चाई,
वाजिब । ३ युक्ति संगत, युक्ति-युक्त । ४ देखो 'हाक' । . वास्तविकता, यथार्थ । ३ सूचना, खबर, । समाचार । हकड़ी-स्त्री० हकलाहट, तुतलाहट ।
४ घटना + ५ मन्तव्यः । ६ इतिहास। हकड़ो-देखो 'हाकड़ो' ।
हकोको-वि० [म०] १. सच्चा, असली ।। २ पात्मीय । हकडक-स्त्री. १ हसने की ध्वनि, खिलखिलाहट । २ देखो | ३ वास्तविक, यथार्थ ।।। 'छकबक'।
हकीगत-देखो 'हकीकत।। हकरणो (बी)-क्रि० १ गतिमान होना, चलना, रवाना होना । हकीम-पु० [] १ यूनानी पद्धति से चिकित्सा करने वाला
२ जुतना, चलना. ३ युद्ध करना, भिड़ना । ४ गर्मी प्रादि - चिकित्सक । २ मीमांस का पंडित, मोमासक।। से पानो या द्रव पदार्थ का भाप बनकर उड़ना । ५ कम हकीमो-स्त्री० [40].१ यूनानी चिकित्साशास्त्र । २.यूनानी. होना. घटना । ६ देखो 'हाकरणो' (बी):
चिकित्मा का कार्य । -वि० यूनानी चिकित्सा से संबंधित । हकदार-वि० [अ०] १. स्वत्व या अधिकार रखने वाला, हकीयत-पु. हक होने का भाव, स्वत्व, अधिकार । अधिकारी । २ दावेदार । ३ पात्र ।।
हकूक-पु० [अ०] हक का बहुवचन, अधिकार प्रादि ।' हकनाक, हकनाहक-प्रव्य० [अ०] १ प्रकारण । २. बेकार में, हकूमत-स्त्री० [अ०] १ राज्य, सरकार । २ शासन, प्रशासन । . व्यथ में .३ अनुचित ढंग से ।
३ सत्ता, अधिकार । ४ हाकिम का कार्यालय या जिला हकबक-वि० हक्का-का, भौंचक्का, स्तंभित । . मुख्यालय । हकबकरणो (बो), हकबकाणी (बी)-क्रि० १ हक्का-बक्का हको-देखो 'हाको' । भौचक्का या स्तंभित होना, करना। २ प्राश्चर्य चकित
हक्क-१ देखो 'हक' । २ देखो 'हाक' होना, करना।
हक्कणो (बो)-क्रि० १ कमजोर होना, निर्बल होना । २ देखो हकबाऊ-देखो हकबक' ।।
, 'हकरणो' (बो)। हकमौरूसी-पु [प्र०] पैतृक अधिकार, उत्तराधिकार। .
हक्कल-वि० १ तौल या माप से कुछ अधिक । २ देखो 'हेकल' ।
हक्काबुक्को-देखो 'हक्कोबक्को'। हकळाणी (बी). हकळावणो (बी)-क्रि० १ बोलले बक्त अटकना,
हक्कारणी (बो)-देखो 'हकारणो' (बी)। पटक-पटक कर बोलना।। २ तुतलाता ।
हक्कोबक्को-वि०. (स्त्री० -हक्कोबक्की) १ पाश्चर्य चकित हका-देखो 'हाक'।
- विस्मित । २ स्तंभित, भौंचक्का । ३ किंकर्तव्यविमूढ़। . हकारपो (बी)-क्रि० १ गतिमान कराना, चलाना, रवाना |
हक्कोहक्क-वि० १ ठीक, उचित । २ देखो 'हाक'। : कराना । २ जुताना, चलाना । ३ युद्ध के लिये प्रेरित
हक्को-पु. १ एक प्रकार का फूक वाच । २ यश, कीति, करना, भिड़ाना । ४ द्रव पदार्थ को प्राग पर गर्म करके
| प्रशंसा । ३ ललकार, हाक । ४ देखो 'हाको' । भाप बना कर उड़ाना।।
हगमगी-वि० (स्त्रो० हगमगी) प्रसन्नचित्त, प्रफुल्लित हकार-पु. १ प्रक्षर या वर्ण। २ शब्द, ध्वनि, पुकार ।
हगांम, हगांमी, हमामी-देखो 'हंगामी' । .. ३ ललकार, हुंकार । ४ देखो 'अहंकार।
हगीगत-देखो 'हकीकत'। हकारणी (बी)-कि० १ बोलना, -कहना। २ जोश 'दिलाना। हड़-क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी।
उत्साहित करना । ३ बुलाना। ४ चलाना । ५ ललकारना। हड़कायो-देखो हिड़कियो। ६ सचेत करना । ७ चलना। ।
हडड, हडडाट-स्त्री०१ दीवार प्रादि के गिरने की ध्वनि । हकारवाडा-पु. १. ध्वनि, पावाज । २ हुंकार।
२ कई पक्षियों के एक साथ उड़ने की ध्वनि । ३ देखो हकारी-पु. १ मावाज, ध्वनि । २ देखो 'हकारी'।
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हड़ताळ
। ८७८ )
जिम
हड़ताळ-स्त्री० [सं०ट्ट-ताला] १ किसी बात के विरोध में या हलमान, हलमांनो-देखो 'हनुमान'।
किसी मांग के संबंध में कर्मचारी समूह द्वारा कार्य रोकने, हड़वा-देखो 'हड़बड़ी'। व्यापारियों द्वारा दुकानें बन्द करने तथा विद्यार्थियों द्वारा हड़वड़णी (बी)-देखो 'हड़बड़णों' (बी)। पढ़ाई बन्द कर देने की स्थिति या भाव। सामूहिक कार्य | | हड़बड़ागो (बो)-देखो 'हड़बड़ाणो' (बी)।
स्थगन । २ पभाव, अकाल । ३ देखो 'हरताळ'। हड़वा-स्त्री. भाटी राजपूतों की एक शाखा । हड़ताळतीज-स्त्री.हरियाली तृतीया।
हसम्बड़-देखो 'हड़बड़ी'।.. हरदे-क्रि०वि० १ शीघ्रता से, जल्दी से। २ देखो 'हिरदो। हड़हा-स्त्री० १ बोर से हंसने वा पट्टहास करने की ध्वनि, हरवी-पु० । अधिक परिश्रम का घरेलू कार्य। २ देखो। खिलखिलाहट । २ ध्वनि विशेष । . हिरदो'। .
हजहाणी (बौ)-क्रि. १ जोर से हंसना, खिलखिलाना। हरूप-वि०पनुचित रीति से प्राप्त कर अपने अधिकार में २ पट्टहास करना ।
किया हुमा। २ गले में उतारा हुमा । निगला हुमा। हहडाट-स्त्री. १ जोर से हंसने की ध्वनि । २ हाहर की ३ गायब, मलोप, पार।
..
मावाज। हड़पणी (बी), हरप्पणी (बी),हरूफणी (बी), हरपफणी (क)-हाहा-अव्य० १ दबादव तुरन्त, शीघ्र । २ देखो 'हाहड़' ।
क्रि. १ अनुचित रूप से किसी की वस्तु प्राप्त कर अधिकार हमींदो-पु. ऊंचाई से किसी भारी वस्तु के गिरने की ध्वनि, कर लेना, दवा लेना। २ गायब करना, उड़ाकर लेना, पार धमाका। कर देना । ३ पेट में उतार लेना, निगल जाना । ४ पटना हड़ीप-वि०१ साहसी वीर । २ शक्तिशाली, बलवान । २ दृढ़, छीनना।
मजबूत । हरबा-देखो हड़बड़ी'।
हड़ मान-देखो 'हनुमान'। हड़बड़लो (बो)-देखो हड़बड़ाणी' (बो)।
हांडो-पु० [देश॰] परस्पर मस्तक मिड़ा कर खेला जाने वाला हरबाट-स्त्री. १ हड़बड़ की ध्वनि, कोलाहल, शोरगुल । एक खेल।
२ शीघ्रता, जल्दबाजी। ३ देखो 'हड़बड़ी'। . हुए मान-देखो 'हनुमान'। हड़बड़ाणी (वौ), हावड़ावणी (बो)-क्रि० १ बहुत जल्दी हडो-पु. १ वायु का बवडर, वातचक्र, बथूला, वतुल । करना, प्रत्यन्त शीघ्रता करना। २ अधिक जल्दी के
२ देखो 'हडो'। कारण घबड़ाहट उत्पन्न होना, भातुर या अधीन होना, इच-देखो'हिचण'। संतुलन खो देना। ३ भय या खुशी के मारे इधर-उधर
हचकणी (बो)-देखो 'हिचकणो' (ग)। ... भागना। ४ बल्दी या शीघ्रता करने के लिये प्रेरित
हबकाणी (बी), हपकावरणौ (बो)-देखो 'हिवकारणो' (गे)। करना।
हचको-देखो 'हिचकी'। .. हावड़ियो-वि० (स्त्री०बड़ी) जल्दबाज, उतावला, पातुर ।
हचक्करपो (बो)-देखो 'हिचकणो' (बी) हड़बड़ी-स्त्री. १ सेना की हलचल का शोर । २ जनरव,
हचरण-देखो 'हिचण'। कोलाहन।३ व्याकुलता, मातुराई । ४ जल्दबाजी,
हचरणी (बी)-देखो 'हिचरणो' (बी)। उतावली।
हा-क्रि०वि० शीघ्रता से, जल्दी है। हावच-त्री. मुंह से सहसा काटने की क्रिया या भाव। हरवी-देखो हिडंबी'। .
हवीडो हच्चीड़ी-पु. १ जोर का धक्का, जोर का झटका। हरव-पु० [देश॰] १ राव जोधाजी का समकालीन एक पंवार
२ जोर की टक्कर। वंशीय क्षत्रिय जो सिद्ध पुरुष माना गया है। २ भट्री से हचोळणी (बी)-देखो 'हिचोळणी' (बी)। गर्म कोयले निकालने का एक उपकरण।
हचोळी-पु. १ वाहनों के चलने से लगने वाला हिलोला, हस्बोची-पु० मुह से सहसा काटने की क्रिया या भाव ।
झटका, धक्का । २ धक्का, टक्कर। ३ लहर, हिलोर, हरबोलो-वि० काम से जी चुराने वाला, कामचोर ।
तरग। हडम्बा-देखो 'हड़बड़ी'।
हष-देखो 'हज्ज'। हमव-देखो 'सच'।
हजम-वि० [५०] १ जिसे खाकर पचा लिया गया हो, पचा हामंत, हामत-देखो 'हनुमान'।
हमा । २ जो लेकर बान किया हो, हल्प लिया हरूमल-स्त्री. कुल्टा, छिनाल स्त्री।
गया हो । ३ पूर्ण रूप से अधिकृत त्रिी . १ खाया हुमा
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हजरत
(
८७९ )
हटायो
जार
पच जाने की स्थिति, हड़प लेने की अवस्था या भाव । हटक, हटकण-पु०१ भय, डर । २ प्राज्ञा, अनुशासन । ३ रोब, २ सिंह के अगले कंधे के पास की हड्डी जिसे चाट कर वह प्रभाव, धाक । ४ मर्यादा, सीमा। ५ बंधन । ६ वर्जन, खाना 'इजम' करता है।
मनाही। ७ हांकना किया। ८ नियंत्रण। हजरत. हजरति (त्ति) हजरथ, हजरिति (थी)-पु० [अ० हज्रत] हटकणी (बो)-क्रि० १ मना करना, वर्जन करना, रोकना।
पादर या सम्मान सूचक शब्द, श्रीमान । २ बादशाह । २ डांटना, धमकाना, फटकारना। ३ पीछे हटाना, परास्त
३ महात्मा, महापुरुष । ४ चालाक दुष्ट या लुच्चा व्यक्ति। करना । ४ प्रतिबंध लगाना, रोक लगाना । ५ हटाना, दूर हजाम-पु० [अ० हज्जाम] हजामत बनाने वाला, नाई । __ करना। ६ नियंत्रण करना। हजाज-स्त्री० [अ० हजाज] बफा ।
हटकारणी (बी)-देखो 'हटकरणो' (बी)। हजामत (ति)-स्त्री० [अ०] १ सिर या दाढ़ी के बाल कटाने हटकार-स्त्री० लानत, फटकार ।
की क्रिया, क्षोर कर्म। २ बढ़े हुए बाल । ३ किसी को हटकारी-वि० १ वर्जन, निषेध । २ डोट, फटकार । ३ हटने बेवकूफ बनाकर खर्चा कराना या ठगना (व्यंग)।
की क्रिया या भाव । ४ मूछों पर ताव देने का भाव । हजार-वि० [फा०] सो का दश गुणा, सहस्र । -पु० सौ के दश हटकी-हटकी-मध्य पटक-पटक कर । रुक-रुक कर ।
गुणा की संख्या, १०००। -मेखो, मैखी-वि० जिसमें | हटक्क-देखो 'हटक'।
हजार कोलें लगी हों। -पु. एक प्रकार का कवच । | हरड़ी-स्त्री. १ काष्ठ या धातु निमित पात्र जिसमें मिर्च मसाले हजारवौं वि० हजार के स्थान वाला, ६६६ के बाद वाला।
रखने के खाने बने होते हैं । २ दीवार में 'पाळे' (ताक) की -पु. किसी इकाई का हजारवां अंश या भाग ।
तरह रखी जाने वाली जगह, जिसके कपाट भी लगते हैं। हजारी-पु. १ एक हजार मुद्रा के मूल्य का घोड़ा । २ हजार ३ देखो 'हाट'। के मूल्य का कोई पदार्थ । ३ एक हजार सिपाहियों का |
हटड़ी-पु० १ एक हो व्यवसाय की दुकानों वाला स्थान या सरदार, सेनानायक । -वि० १ हजार के मूल्य का।
क्षेत्र । २ वस्तु विशेष का उत्पादन या व्यावसायिक केन्द्र । २ हजार का, हजार से संबंधित । ३ हजार की गणना मैं,
३ देखो 'हाट'। तादाद में । ४ हजार वर्षों की। ५ वर्णसंकर, दोगला । ६ हजारे का।
हटणी (बौ)-क्रि० । किसी स्थान को छोड़कर इधर-उधर होना, हजारीगुल-पु० एक प्रकार का पुष्प ।
सिरकना, खिसकना । २ टलना, हटना । ३ किसी बात या हजारीघास-स्त्री० एक प्रकार को घास जो औषधि में काम
'कार्यक्रम का निश्चित समय से पागे सरकना, स्थगित माती है।
होना। ४ दूर होना, मिटना। ५ कायम या दृढ़ न रहना, हजारीसद्दी-पु० [फा० हजारी-सद्दी] हजारवा महोत्सव ।
विचलित होना । ६ दूर रहना, अलग रहना, अन्यत्र रहना। हजारीहफत-देखो 'हफत हजारी'।
७ सामने से दूर करना। हजारू-वि० [फा० हजर + रा.प्र.ऊ] १ कई हजार, सहस्रों। हटवारिणयो-पु. व्यापारी, दुकानदार। २ अत्यधिक, बहुत ।। ३ हजारों की तादाद में।
हटवाड़ी (डो)-पु. १ सप्ताह में किसी नियत दिन को लगने हजारेक-वि० एक हजार के लगभग।
वाला बाजार या हाट । २ हाट, समूह, बाजार लगने का हजारौ-पु. पीले और लाल रंग का, छोटो पंखुड़ियों का | केन्द्र स्थल । ३ बाजार। गुच्छादार फूल व इसका पौधा।
हटवाणी (बौ)-क्रि० १ किसी स्थान को छुड़ाकर इधर-उधर - हजुरि (री)-देखो 'हुजुरी'।
करवाना, टलवाना, खिसकवाना । २ किसी बात या कार्यक्रम हजूमी-वि० प्राकृतिक, नैसगिक ।
को नियत समय से भागे सरकवाना, स्थगित कराना । हजूर-देखो हुजूर।
३ सामने से दूर करवाना, विमुख कराना । ४ मिटवाना, हरि (री)-देखो 'हुजूरी'।
दूर कराना। ५ कायम या दृढ़ न रहने देना, विचलित हजूरिय, हजुरियो-देखो 'हुजूर'।
करवाना । ६ दूर, अन्यत्र या अलग रहने के लिये प्रेरित हजूरीवांन-देखो 'हुजूरीवान' ।
कराना। हज्ज-पु० [१०] १ मुसलमानों द्वारा की जाने वाली मक्का-हटवी-पु० दुकानदार, व्यापारी ।
मदीना की यात्रा, तीर्थयात्रा। २ संकल्प । ३ आनन्द, | हटाणों (बी)-क्रि० १ किसी स्थान से इधर-उधर करना, सुख। .
सिरकाना, खिसकाना, स्थान से टालना, हटाना । २ सामने । हट-१ देखो 'हाट' । २ देखो 'हठ'।
से दूर करना, विमुख करना। ३ नियत समय से पागे
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हटारड़ी
(८८० ।
हगगाट
सरकाना, स्थगित करना। ४ दूर करना, मिटाना, न | हठाळ, हठाळो-देखो 'हठी'। रखना । ५ किसी बात वचन या प्रतिज्ञा प्रादि से डिगाना, | हठावणी (बो)-देखो 'हटाणो' (बी)।। विचलित करना । ६ दूर करना, अन्यत्र रखना।
हठी, हठीलो, हठेल-वि० [सं० हठिन्] १ हठ करने वाला; हटारड़ी-देखो 'हाट'।
जिद्दो, दुराग्रही । २ योद्धा, वीर । ३ दुश्मन को जीतने हटाळ, हटाळो-देखो 'हटी'।
वाला, परिमर्दन । ४ दृढ़ प्रतिज्ञ । हटावरणो (बी)-देखो 'हटाणों' (बी)।
हड-देखो हाड'। हटि-स्त्री. १शरीर की बनावट । २ शक्ति, बल, ताकत। हडजोड़, हडजोड़ा-स्त्री० एक प्रौषधि विशेष ।
३ देखो 'हठ' । ४ देखो 'हाट'। ५ देखो 'हठी'। हडताल-देखो 'हड़ताल'। हटियाळ-देखो 'हठी'।
हडकूटण, हडकूटणी-स्त्री. १ एक प्रकार का रोग। हटोलो-देखो 'हठी'।
२ चमगादड़। हटल-वि० हठी, जिद्दी।
हडफोड़-स्त्री. १ एक प्रकार को चिड़िया । २ देखो 'हडफूटण'। हटोटी-स्त्री० कला, बुद्धि, चतुराई ।
हडब-देखो 'हाड'। हट्ट, हट्टण, हट्टन-देखो 'हाट'।
हडबडी-स्त्री. १ एक वनस्पति विशेष । २ देखो 'हड़बड़ी' । हट्टसोभा-स्त्री० दुकानों की सजावट, शोभा ।
हडमंत, हडमत-देखो हनुमान' । हट्टने रिण-स्त्री० दुकानों की कतार, पंक्ति ।
हडवड-देखो 'हड़बड़ो'। हट्टांत-प्रव्य० दुकानों से, दुकान से ।
हडसंहारी, हडसेलि-स्त्री० [सं० हड्डशकरी] एक प्रकार की लता हट्टि-१ देखो 'हट' । २ देखो 'हठी' ।
व उसका डंठल । हट्टीका-देखो 'हट'।
हडहड-देखो 'हडहड'। हट्टोकट्टी-वि० [सं० हृष्ट-काष्ठ] (स्त्री० हट्टीकट्टी) हृष्ट-पुष्ट | हडहडणौ बो)-देखो 'हड़हड़णो' (बी)। मोटा ताजा।
हडाराहा-स्त्री० घोड़ों की एक जाति विशेष । हट्ठ-देखो 'हठ'।
हडूमान-देखो 'हनुमान'। हठ्ठतुट्ठ-वि० हृष्ट-पुष्ट ।
हडोई-स्त्री० १ वक्षस्थल की हड्डो। २ मांस रहित अस्थि हठ-पु. [सं०] १ जिद्द, दुराग्रह । २ श्रद्धा, भक्ति या स्नेह से समूह ।
किया गया प्राग्रह, सत्याग्रह । ३ योग के दो भेद राजयोग | हडोती-देखो 'हाडोती' । व हठयोग में से एक । ४ दृढ संकल्प, प्रतिज्ञा । ५ दुश्मन
हडो-देखो 'हाडो'। के पीछे से किया जाने वाला आक्रमण । ६ मर्यादा, टेक । हड्ड-देखो 'हड्डी' । ७ जबरदस्ती। ८ मनिवार्यता ।
हड्डा-पु० १ घोड़ों का एक रोग विशेष । २ देखो 'हाडा'। हठजोग-पु० [सं० हठः-योग] योग का वह भेद, जिसमें प्रासन. हड्डी हढढ़-स्त्री० [सं० अस्थि शरीर के भीतर सफेद रंग का
सिद्धि, प्राणायाम, नैति, धोति प्रादि कठिन मुद्रामों पौर ___ कठोर अंग ग तत्त्व जो रीढ़ वाले प्रायः सभी प्राणियों के पासनों द्वारा चित्तवृत्ति को हठात् बाह्य विषयों से हटाकर होता है अस्थि । अन्तमुख किया जाता है।
हण-१ देखो 'हनुमान' । २ देखो ‘हण' । हठरणो (बो)-क्रि० १ हठ, दुराग्रह या जिद्द करना । २ देखो
हणकस-देखो 'हिरणकस्यप' । _ 'हटणो' (बी)।
हणकरणो (बौ), हणक्करलो (बो)-क्रि० हाक करना, हुंकार हठधरत-पु. १ उचित-अनुचित का विचार किये बिना किया
करना। जाने वाला हठ, दुराग्रह । २ धर्म या सम्प्रदाय संबंधी कट्टरपन ।
हणणंक-स्त्री० घोड़ों को हिनहिनाहट की ध्वनि ।। हठधारी-वि० [सं० हठ-धारिन्] १ हठ को धारण करने वाला,
हणणकरणो (२)-क्रि० घोड़ों का हिनहिनाना, बोलना । हठी, जिद्दी, दुराग्रही। २ दृढ़ प्रतिज्ञ । ३ हठयोग की | हणण-पु० [सं० हन्] १ मार डालने या वध करने की क्रिया, साधना करने वाला।
बध, हत्या । २ नष्ट करने या मिटाने की क्रिया या भाव । हठनाळ-स्त्री. दुकानों की पंक्ति।
३ माघात, प्रहार । ४ गणित में गुग्णन या गुणा करने की हठमल, हठमल्ल-पु. १ योद्धा, वीर । २ दृढ़ प्रतिज्ञ।
क्रिया। हठाणो (बो)-देखो 'हटाणो' (बी)।
|हणणाट, हणणाहट-देखो "हिणहिणाट'।,
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एलो
हराणी (ब) क्रि० [सं० इन्] १ वध करना, संहार करना, मारना । २ प्राघात या प्रहार करना । ३ मारना पीटना ४ कष्ट देना, सताना । ५ इराना, परास्त करना । हणमंत हणमंत हणमंती, हणमंत ( ति तौ), हणमान
,
देवो हनुमान'।
हणमान चाळीसी - पु० १ हनुमानजी की महिमा व स्तुति वाला चालीस छदों का एक काव्य । २ इस काव्य की पुस्तक । हसवत हलवत देखो 'हनुमान'
-
सह-देखो 'हिराहिणाद
हलो (बी) देखो 'हिरो' (बौ) ।
हमसला स्वी० पोड़ों की हिनहिनाट बोली। हां हणा क्रि०वि० [सं० धना] इसी समय
ह ह मान हल, हणुअंगी, हनुमंत ( मत, मांन) - देखो
1
हणू, हणून, हणू-देखी 'हनुमान' ।
सूची देखों 'हनुमान' |
ठ-देखो 'हनुफाळ' ।
ह फाळ -
'हनुमान' ।
हणुमा १०१ भारी दाद या जबड़े वाला २ देखो 'हनुमान' हणुरतम पु० एक प्रकार की वात व्याधि ।
नही देखो 'हनुमान'।
हम
हरोहण स्त्री० मार-काट की ध्वनि
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( 558 )
भी
।
हंतक - स्त्री०
१ मारा हुवा, हृत । २ घायल । हलकड़ी-देखो 'हथकड़ी'
हरी, हर्णे- देखो 'हां' ।
वि० [सं०] १ मरा हुधा मृत २ घाइत घायल, जसमी
३ पीड़ित प्रस्त४ रहित विहोन, वंचित ५ बिगड़ा
2
हतबाह देखो 'इबाइ' |
-
·
हुमा ६ ध्वस्त, नष्ट ७ परेशान, दुःखी, त्रस्त । निर्बल, कमजोर ९ हताश निराश १ रिपु, बेरी । २ देखो 'हाथ' ।
पु०
तपासा वि० निराशा ।
हतकार - देखो 'हंतकार' ।
हती (ब) क्रि० [सं०] हन्] १ मारना, वध करना, संहार करना । २ प्राघात करना, पीटना ३ पीड़ित करना । ४ घायल, जख्मी मी या प्राहृत करना। हराना, परास्त करना । ६ हटाना, ले जाना । ७ वंचित करना । ८ परेशान करना, दुःखी करना । ९ नाश करना, ध्वस्त करना, मिटाना । १० इताश करना, निराश करना ।
तो देखी हंतों
हत्त-१ देखो 'हाथ' २ देखो 'हृत' । हत्तीबीस- देखो 'वीसती' |
हत्य, हस्थ-देखो 'हाय' । हत्यड़ी-देखो 'हाथ' हत्थळ - देखो 'हाथळ' |
१ बेइज्जती; तोहीन । २ हत्या संहार वि० हत्या - देखो 'हाथ' । हरिय-देखो 'हाथी'
हतरस वि० इस्तमैथुन करने का धभ्यस्त । हतळेवौ-देखो 'हथळेवी' ।
हतया देखो 'दुवा'
हतवाओ हनवास देखो 'हववाहो' । हता हता वि थे।
,
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हतायळी, हतायली-देलो 'हथायळो' ।
हतास [वि० [सं० प्राथा] १ जिसकी प्राशा टूट चुकी हो, निराश २ साधनहीन ३ मजबूर विवश हतियारी- देखो 'हत्यारों' (स्त्री० हतियारण, इतियारी) हतीक - क्रि०वि० निश्चय ही ।
हतीकी - वि० [सं० हस्तकृत ] ( स्त्रो० हतीकी) १ ठीक स्थान पर । २ प्रत्यक्ष, हाथोंहाथ। ३ विश्वास पात्र । ४ हाथ का राहु ५ प्रसिद्ध मशहूर
हत डिया-पु० राठौड़ वंश की एक उप शाखा ।
हरण पु० [सं०] हस्तकरण] १ लेख या साक्षी-पत्र, दस्तावेज,
-
सन २ रुपयों के लिये गिरवी रखी जाने वाली वस्तु, प्राभूषण ।
तेरी देखी 'वेळ'
हतोड़ी - देखो 'हथोड़ो' ।
हतोटी देखो 'हपोटी' ।
तोकियो पु० १ सामान भरकर हाथ से ढकेल कर चलाने
की गाड़ी, ठेला २ एक प्रकार का इन
हरिचय पु० [सं० हस्तिप] १ हाथी का अंकुम
,
हत्थी- क्रि०वि० [सं० हस्त ] हाथ से हाथ पर के माप वाली २ हाथों वाली हाथों की 'हाथी' ४ देखो 'हाथ' ।
1
हत्या
हतभाग ( भागी, भारय) - वि० [सं० इत भाग्य ] भाग्यहीन, हस्थौहस्थ- देखो 'हाथोहाथ' ।
भागा, बदकिस्मत |
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२ महावत
हत्पू, हरवी पु०१ किसी प्रौजार या मशीन का भाग जिसे पकड़ कर उसका संचालन किया जाता है, दस्ता, मूठ २ हाथ की तरह काम देने वाला उपकरण विशेष । ३ दण्ड बैठक लगाते समय हाथ के नीचे रखने का पत्थर या ईंट । ४ पाहता, चार दीवारी । ५ देखो 'हाथ' ।
वि० हाथ देखो
हत्या स्त्री० [सं०] किसी प्राणी का वध, कत्ल, हिसा ।
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हत्यारौ
( ८८२ )
हथेरण
हत्यारी-वि. (स्त्री० हत्यारण, हत्यारणी, हत्यारी) किसी | हयमेळी-देखो हथळेवो'।
प्राणी का बध या हत्या करने वाला, वधिक । २ क्रूर, | हथयार-देखो 'हथियार'। निर्दयी, हिंसक । ३ सताने वाला।
हथळ-१ देखो 'हाथ' । २ देखो 'हाथळ' । हथ-देखो 'हाथ'।
हवळेबो, हबलेव, हयळेवड़ो, हयलेबो-पु० [सं० हस्त-लग्न हथकंडो-पु.१ किसी कार्य में दिखाई जाने वालो कुशलता, १ विवाह में वधू का हाथ वर के हाथ में पकड़ाने की
हस्त कौशल । २ साधन, स्रोत : ३ कार्य साधन में की जाने | क्रिया, रश्म, पाणिग्रहण संस्कार । २ इस अवसर पर वाली चालाकी, धूर्तता, तरकीब ।
'गाया जाने वाला लोकगीत । ३ इस अवसर पर वधु पक्ष हथकड़ी-स्त्री० [सं० हस्तबट्टक] पुलिस या प्रशासन द्वारा की पोर से वधू को दी जाने वाली मेंट । ४ हाथ पकड़ने
किसी अपराधी के हाथ मे पहनाई जाने वाली कड़ी या की क्रिया या भाव । जंजीर।
हथवडो-देखो 'हथोडो'। हथकती-स्त्री० [सं० हस्तकृति] १ हाथ की बनाई वस्तु, दस्त- हथवा-देखो 'हथवाह'। कारी । २ हाथ को लिखी पुस्तक या प्रति ।
हथवार, हयवार (रू, रौ)-वि० [सं० हस्तवारः] किसी के हथखंडो-देखो 'हथकंडो'।
हाथ की अभ्यस्त या मादी। -स्त्री० किसी व्यक्ति विशेष हथखरच -देखो 'हायचरच'।
के हाथ से दुहाने की प्रभ्यस्त गाय, भैंस या मादा पशु । हषखारी-वि० १ कुपित झल्लाया हुमा, क्रुद्ध । २ जिसके हाथ | हयवावी-वि० १ घात करने वाला, प्रहार करने वाला, घातक । ___ की चोट भारी पड़ती हो।
२ मारने वाला वधिक । हथड़ी (डौ)-देखो 'हाथ'। .
हयवासी-वि० [सं० हस्तवाह] ढाल पकड़ने का हत्था। हथजोड़ो-वि० सदा हाथ जोड़ कर खड़ा रहने वाला, खुशामदी, | हथवाह-देखो 'हथबाह' । चाटुकार ।
हथवाही-स्त्रो० प्रहार करने की क्रिया या भाव । प्रषणापर. हथणाउर-पू०१ दिल्ली नगर का एक नाम । २ देखो हथवाही-वि० १ मारने वाला, शत्रु । २ देखो 'हथवासो'। हस्तिनापुर'।
हथसंकळ (संकळी, सांकाळ, सांकळी)-स्त्री० [सं० हस्त-शखला] हथणी-स्त्री० [सं० हस्तिनी] १सरोवर या जलाशय के घाट की हाथ का प्राभूषण विशेष ।
सीढ़ियों के प्रगल-बगल बना चबूतरा। २ ताल ब के बीच हथसाळा-स्त्री० [सं० हस्ती-शाला] हाथियों को रखने का
बना चौकोर स्तम्भ । ३ मादा हाथी । ४ हरिजन स्त्री। स्थान । हयणी (बौ)-क्रि० [सं० हस्त-रा.प्र.णो] १ हाथ में पकड़ना, | हथाई-स्त्री० [सं० प्रस्थाई] १ गांव की चौपाल, बैठक . हाथ में लेना। २ हस्तगत करना, अधिकार में करना।। . २ वार्तालाप, बातचीत, गपशप ।
३ किसी वस्तु पर बलात् अधिकार करना, हथिया लेना । | हथायलो-स्त्री० [सं० प्रस्थाई]१ हल के ऊपरी छोर की लकडी। ४ देखो 'हतो ' (बो)। .
. २ कुम्हार का चाक घुमाने का काष्ठ का डंडा। इयनाळ ल), हथनाळि (ळी, ली)-स्त्री० १ हाथ की बन्दूक । | हथाळि, हथाळिय-देखो 'हथेळो' । २ देखो गजनाळ'।
हयाळियो-वि. १ हथेली जैसा । २ हथेली के प्राकार का। हथपाह-देखो 'हथबाह' ।
३ हथेली में समाने योग्य । हथ कूल-पु० [सं० इस्त-पुष्प] स्त्रियों के हाथ- का एक
हथाळा-देखो 'हथेळो'। पुष्पाकार प्राभूषण विशेष ।
हयाळी-पु० [सं० हस्त-मालुच्] १ वीर पुरुष, योद्धा। हयफेरी-स्त्री० हाथ की सफाई, एक तांत्रिक क्रिया।
२दानी, दातार।। हथबाह-पु० शस्त्र प्रहार की कला।
हथि-देखो 'हाथ'। हयबोलणी-पु० १ नवागन्तुक वधू के प्रथम परिचय संबंधी एक
हथियार-देखो हथियार'। राम जिसमें घर की सब स्त्रियां नव वधू के साथ भोजन करती हैं। २ इस अवसर के लिये बनाया जाने वाला खाद्य हथिणाउर, हयिणापुरि पूर)-देखो 'हस्तिनापुर'। पदार्थ।
हथीयार-देखो 'हथियार'।
| हडिया-स्त्री० राठौड़ वंश को एक उपशाखा। हथमार (रो)-वि० १ अपने हाथ से दूसरों का शिर काटने | वाला, सहारक । २ प्राणघातक चोट या प्राघात करने
| पंडियौ-पु० राठौड़ वंश की हडिया' शाखा का व्यक्ति । वाला । -पु० जल्लाद।
'हयेरण-देखो 'हतेरण'।
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हवेली
हथेली - स्त्री० [सं०] हस्ततल ] कलाई घोर अंगुलियों के मध्य हद्दं विहद्द - वि० प्रसीम, अपार । का आगे वाला भाग, हस्ततल, करतल । हद्द, हद्दि- देखो 'हद' | येळी ० १ हल का वह भाग जो कृषक (चालक) के हाथ में हथूल पु० प्राधामन बीस सेर |
.
पकड़ा रहता है। २ देखो 'हवेळी' ।
हथोहत्थ - देखो 'हाथोहाथ' ।
मोसी देखो 'पवास' ।
हथोड़ी, हथोड़ी- पु० [सं० हस्त-घोट: ] स्वर्णकार, लोहार, सुधार आदि के काम घाने वाला लोह का मुष्ठिकाकार उपकरण जिसके बीच में लकड़ी का दस्ता फंसा रहता है। पोटी स्त्री० [सं०] इस्तकृति] १ किसी काम में हाथ डालने की क्रिया या भाव। २ हस्तकौशल, दक्षता ।
यह
(1) देखो 'हाथ'
हय-१ देखो 'हाथ' २ देवो 'हाथ' ।
हम्यहे स्वी० कटारी ।
हयां कि०वि० हाथों से हाथ से
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(ब)
हम्बार देखो 'हथियार' ।
हथ्थी - वि० हाथों वाली ।
हव स्त्री० [५० ] १ धाखिरी किनारा, सीमा, छोर । २ मर्यादा, सीमा ३ तारीफ, साधुवाद। ४ तह, परत । ५ प्रौकात । - वि० १ प्रत्यन्त, बहुत खूब । २ साधारण, विशेष । ३ भयंकर, भीषण । ४ पूर्ण पूरा
हक्की स्त्री० कंपन, थरथराहट । हदगा स्त्री० एक घोषधि विशेष ० मन्दिर, देवालय हवनीरोगर समुद्र सागर
हबफ - पु० [प्र०] १ लक्ष्य, निशाना । २ चांदमारी करने का निशान ।
हदभराई पु० माली या बागवानों से लिया जाने वाला एक कंर ।
हृदयंत पु० देश, मुल्क
हदबाट क्रि०वि० सीमा की घोर, सीमा पर दवाळी वि० मर्यादा या सीमा वाला।
हवेश - देखो 'हद' | हवोह वि०
हृदवि (वी, वे) - क्रि०वि० धीरे-धीरे, शनैः-शनैः । हवसाही स्त्री० वादशाहूत, राज्य शासन ।
हवि पु० १ संसार २ अज्ञान ३ असत्य, झूठ । ४ मृत्युलोक । ० १ सांसारिक, लोकिक । २ अज्ञानी । ३ देखो 'हद' । - वि० हदियो- पु० १ सीमा पर गड़ा पत्थर । २ एक प्रकार का दान । (मुसलमान) - लौकिक । हबीस - स्त्री० [प्र०] १ नई बात या खबर । २ मुहम्मद साहब के उपदेशों का संग्रह |
पूर्वक ।
हधूर-स्त्री० हुत्कार ।
हनकरणी (बो) - देखो 'हिरा हिराणी' (बो) । हो (बी) देखो 'लो' (बी)।
हनुमंत देखो 'हनुमान
हनुमंती-स्त्री० हनुमंती स्त्री० एक वनस्पती विशेष ।
हनफी - वि० [प्र० ] इमाम अबू हनीफा के धनुयायी (मुसलमान) । हनुग्रह-पु० [सं०] जब बैठने का एक रोग विशेष हनुफाळ- पु० एक मात्रिक छन्द विशेष ।
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हनुमत, हनुमानपु० [सं० हनुमत् ] श्रीराम का अनन्य भक्त एक पुराण प्रसिद्ध वानर । वि० १ वीर बहादुर । २ भारी दाढ़ व जबड़ों वाला ।
हनुमान बैठक स्त्री० एक प्रकार की कसरत |
हनु हनुमंत हनुमत देखो 'हनुमान' हनोज, हन्नोज, हलोज - क्रि०वि०
१ अब तक, अभी तक । २ नित्य, हमेशा ३ नहीं तो । ४ अन्यथा, वरना । हप हप्प- पु० मुंह से की जाने वाली एक ध्वनि विशेष । हफत पु० [फा० हपस] १ सात की संख्या २ सात दिन की घवधि सप्ताह । - वि० सात ।
हफत हजारी - पु० [फा० इफ्त - हजारी] मुगलशासन में एक पदवी - वि० सात हजार का, सात हजार वाला । हफती, हफ्तो पु० [फा० हफ्तः ] १ सात दिन की अवधि, सात दिन का समूह। २ रविवार से शनिवार तक का समय, सप्ताह ।
हब- क्रि०वि० [प्रनु०] १ शीघ्र, तुरन्त । २ प्रासानी से । ३ अब । ४ मुंह से की जाने वाली ध्वनि विशेष । arit (at) - क्रि० १ छलकना, उछलना । २ फिरना, घूमना । १३ निरुद्देश्य या प्रवारा फिरना । ४ काटने के लिए झटके से मुंह खोलना । ५ द्रव पदार्थ का तेज गति से ध्वनि करते हुए बहना, उछलना ।
Territ (बी) - देखो 'हरकणी' (बी) । हमको
हबवाहण
हबको पु० १ मृत्यु के समय का अन्तिम श्वास । २ ऐसा श्वास प्राने की क्रिया या अवस्था ।
हवालदेखो 'हव्यवाहन । हवर-देखो 'घर'। हबवाहरण
- देखो 'हव्यवाहन' |
बड़-बड़ कि०वि०१ शीघ्रतापूर्वक शीघ्रता से, तेज गति से २ "बड़का " मारते हुए ।
हबद - देखो 'होदो' ।
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हबस
( १९४ )
हमां
हवस-पु० [अ० हबस] १ मिश्र के दक्षिण में स्थित एक अफ्रीकी | हमकोम-वि० [फा०हमः + म.कोम] अपनी जाति का, देश । २ देखो 'हविस' । ३ देखो 'हबसो' ।
स्वजातीय । हबसनफस-पु० प्राणायाम ।
हमगीर-वि० [फा० हमः गीर] १ समस्त, समग्र, पूर्ण, कुल । हबसाणी (नी)-स्त्री० १ घोड़ों की एक जाति विशेष । २ इस
२ विस्तार पूर्वक, विस्तृत । ३ अग्रगण्य, प्रगुणा। ४ वीर, जाति का घोड़ा। ३ एक प्रकार की तलवार ।
बहादुर, योद्धा । ५ मारने या नष्ट करने वाला । ६ नियम
मंग करने वाला। ७ उत्पाती, उद्दण्ड । ८ अनुगामी। हबसी-पु० [अ० हबशी] १ उत्तरी अफ्रीका के 'हबश' देश का निवासी । २ इस देश के मुसलमान । ३ एक प्रकार का
- उत्तेजित । १० मस्त । ११ मित्र, दोस्त, साथी । काला अंगूर । -बि. हबश देश का, हबश देश सबंधी।
१२ प्रसन्न, खुश । -क्रि०वि० साथ। हबास-देखो हवास'।
हमगीरता-स्त्री. १ मित्रता, दोस्तो। २ नंतृत्व ।
हमची-पु. १ नौबतखाने में शहनाई के साथ नगारे प्रादि का हबिंब, हविदो, हबीब, हबींदौ-पु० किसी भारी वस्तु के गिरने,
वादन । २ ऐसे वादन के साथ किया जाने वाला नृत्य । टकराने या पानी में डूबने का भारी शब्द । धमाका ।
.३ रावल लोगों द्वारा रात में खेल करने के बाद प्रात: देवी हबीड़-पु० जोर की.टक्कर या झटका.।।
के सम्मुख किया जाने वाला नुत्य । हबीडरणी (बौ)-क्रि० १ गिगना, पटकना । २ मारना, पीटना ।।
हमची-पु. १ प्राक्रमण । २ तैयारी । ३ वीर-ध्वनि । ३ संदेश, हबीड़ी-पु०१ जोर की टक्कर या झटका । २ भारी वस्तु के
समाचार। गिरने-पड़ने का धमाका । ३ चोट, प्रहार।
हमजोळी, हमझोळी-पु. साथी, सखा, मित्र। हबीब-पु.[म.] १ मित्र, दोस्त । २ प्रेम पात्र, माशूक। हमणो-सर्व० हमारा। -क्रि०वि० मब । हबूब-पु० [५०] १ मांधी, तूफान । २ पानी का बुलबुला ।
हमतम, हमतमो, हमतम्म-पु० वाग्युद्ध, तू-तू, मैं-मैं । ३ असार या व्यर्थ बात ।
हमदरव-वि० [फा०हमददं] सुख-दुःख का साथी, सहायक । हब-देखो 'हवं'।
हमदरदी-स्त्री० [फा०] महानुभूति।। हबोयब, हबोथबी-वि० १ गुत्थम-गुत्था। २ पूर्ण भरा हुप्रा, हमपेसा-वि० [फा० हमपेशः) सह-व्यवसायी, एक ही तरह का लबालब । -पु. लिंगल का एक छन्द ।
कार्य करने वाला। हबोळी-पु. १ पानी की लहर, तरंग, हिलोरा। २ उमंग, | हममजहब-वि० [फा०] एक धर्म के अनुयायो, सहधर्मी ।
उत्साह । ३ झूमते हुए चलने की क्रिया। ४ समूह, झुण्ड । हमरंग-वि० समान रंग वाला, रागरंग में सहयोगी। ५ चमक । ६ मन की इच्छा, मौज। ७ जलसा। हमरके-देखो 'हमकै'। ८ टक्कर, भिडंत ।
हमराह-पु० [फा०] १ साथी, मित्र । २ सग, सार्थ । -वि० हबंद-देखो हबिंद'।
१ एक मत । २ सह-पथिक । हम्बोड़, हम्बोड़ो-देखो हबीड़ो।
हमरोट-देखो 'अमरकोट । हब्बोडब्बो-पु० बच्चों का श्वसन रोग, नमूनिया।
हमरोटी-स्त्री. ऊमरकोट की स्त्री। हब्बो-देखो 'हब'।
हमल-पु०१ समुद्र, सागर। २ समूह, झुण्ड, दल । ३गर्भ । हमसेबेजा-स्त्री० [४०] अवैध ढंग से रोकने की क्रिया। हमलकै-देखो'हमरक'। .
हमलो हमल्ल हमल्लो-पु० [अ० हम्लः] १ पाक्रमण, हमंचौ-पु० १ संदेश, समाचार, सूचना । २ थम साध्य कार्य | .
हमला। २ माघात, चोर, प्रहार । ३ चढाई, युद्ध के करते समय मुह से की जाने वाली ध्वनि ।
लिये प्रयाण। ४ झटका। ५ टक्कर, भिड़त । ६ दावहमंस-पु. शोरगुल, कोलाहल ।
पंच। हम-सर्व० [स० अस्मत् ] 'मैं' का बहुवचन, हम । -वि० [फा०
हमस-पु०१ सेना, फोज । २ गर्व, पमिमान । ३ पृथ्वी, भूमि । हमः] सर्व, सब, समस्त । -पु० प्रहम्, घमण्ड ।
४ कोई बड़ा कार्य । ५ इच्छा, अभिलाषा । हमनसर-वि० [फा० हमः +1० सर] एक ही समय में होने
हमसर-पु० बराबर के दरजे का व्यक्ति । वाला। एक समान प्रभावशाली।
हमसरी-स्त्री० बराबरी, समानता । हमकर-पु० १ गवं, अभिमान । २ देखो 'हिमकर'।
हमसाया-पु० [फा०] पड़ोसी। हमकली, हमकल, हमके-क्रि०वि० । इस बार, अब की बार हमस्स-देखो "हमस' । २ अगलीवार ।
|हमां-सर्व० हम।
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हमाम
( ८८५ )
हाम-पु० [म. हम्माम] १ स्नानघर, स्नानागार, नहाने | हयथट्ट-पु. १ अश्व, समूह, प्रश्वदल । २ अश्व सेना। .
का कक्ष । २ अंधेरा तल गृह जहाँ अपराधियों को रखा | हयबळ-पु. [सं. हयदलः] प्रश्वदल, अश्वसेना । जाता था। ३ कोई कक्ष विशेष । [अ०हमामः] ४ कपोत, हयनाळ-स्त्री० [सं० इय-नालः] १ घोड़ों द्वारा खींची जाने
कबूतर । ५ गले पर बनी कण्ठी वाला पक्षी। | वाली या पीठपर लादी जाने वाली तोप । २ घोड़ों की हमामवस्ती-पु० [फा० हावनदस्त] लोहे की पोखलोच मूसली।। ____टाप, खुरताल। हमाऊ-पु. सुरखाव नामक पक्षी विशेष ।
हयवर-पु० [सं०] १ बेष्ठ घोड़ा, उत्तम जाति का घोड़ा। हमार-स्त्री. ध्वनि विशेष ।
. २ कोई घोड़ा, प्रश्व । हमायचो-पु. एक माप या परिमाण विशेष ।
हयतरि-पु० पीले रंग का घोड़ा। हमायु,हमायू-देखो 'हमाऊ' ।
हपाणी, हयांणीमा-स्त्री० [सं० हय-प्रनीक:] पश्व सेना, हमार-क्रि० वि० अभी, इसी समय । तत्काल ।
घुड़ सेना। हमारउ-देखो 'हमारी'।
हयारणो-पु. एक जाति विशेष का घोड़ा। हमारू, हमारू-देखो हमार'।
हयाराज-पु. [सं० हयराज] १ बड़ा घोड़ा, हयेन्द्र । हमारी-सर्व० (स्त्री० हमारी) हमारा, मेरा।
२ घोड़ा। हमाल-पु. [म.] १ बोझा ढोने वाला मजदूर, भारवाहक, | हया-स्त्री० [प्र०] १ मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । २ शर्म, लग्जा।
कुली । २ संभालने वाला रक्षक -वि० समान, सदृश । ३ दया, करुणा । ४ भावुकता। हमासत- सहमारे अंसा।
हयाऊत-पु. एक पक्षी विशेष । हमीरणी-सर्व हमारा।
हयात-स्त्री० [अ०] जीवन, जिन्दगी । हमेल, हमेलबेग-पु० [५० हमाइल] १ बगल में लटकाने
हयावार-वि० [अ० हया+फा० दार] १ लज्जालु, शर्मीला । की वस्तु । २ गले में लटकाने का छोटा कुरान । ३ घोड़े के २ दयावान, करुणाशील । ३ भावुक । ४ मान, प्रतिष्ठा गले का प्राभूषण । ४ स्त्रियों के गले का पाभूषण विशेष ।
व इज्जत वाला। हमेलिया-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती ।
हयानन-पु० [सं० हय-प्रानन] विष्णु का एक अवतार; हयग्रीव । हमेळो-देखो 'हमिळौं'।
हय्येक-स्त्री० [सं०] एक ही बात। हमेस, हमेसा-क्रि० वि० [फा. हमेशः] १ सदा, सर्वदा । २ प्रतिदिन, नित्य । ३ र समय, हरवक्त । ४ प्राय:
हर-पु० [सं० हरः] १ शिव, महादेव । २ पग्नि, पाग । अधिकतर।
३ सूर्य, भानु । ४ एक दानव । ५ विभीषण का अमात्य हमैं, हम, हमो-क्रि० वि०१ पब । २ इस बार, इस समय ।
एक असुर । ६ राम की सेना का एक वानर । गणित हम्म-देखो 'इम'.
' में कोई भाजक संख्या । ८ छप्पय छन्द का एक भेद । हम्मर-पु० [सं० हयवर] घोड़ा।
९ तीन दीर्घवाले टगण के प्रथम भेद का नाम । १० पौत्र हम्माल-देखो 'हमाल'।
वंशज । ११ पानी, जल । १२ गधा, गर्दभ । -त्री० [सं० हम्मीर-पु० १ रणथम्भोगढ़ का प्रसिद्ध चौहान राजा।
स्मर] १२ उत्कृष्ट प्राकांक्षा, प्रबल इच्छा । १४ इच्छा, . २ योद्धा, वीर । ३ सम्पूर्ण जाति का एक राग ।
चाह । १५ माशा, उम्मीद। १६ ध्यान । १७ स्मरण, हम्मीरनट-पु० एक प्रकार की सकर राग ।
याद, स्मृति । १८ जिद्द, दुराग्रह, हठ । १९ ऊंट पर लदे हयं, हयंव, हयं-पु. [प्स० हय] १ प्रश्व, घोड़ा। २ तुषित एवं
हुए बोझे का एक तरफ अधिक झुकाव । २० हरियाली । साध्य देवों में से एक। -क्रि० वि० हा । -साळा-स्त्री०
-प्रव्य०१ एक विशेषण प्रत्यय । २ प्रत्येक, हरेक, एक-एक । अश्वशाला ।
३ श्वेत, सफेद । ४ पूर्वकालिक क्रिया सूचक पव्यय । हयग्रंगीन-पु० [सं० हैयङ्गवीनम्] १ मक्खन, नवनीत ।
५ देखो हरि' । ६ देखो 'हरी'। २पी. घृत ।
हरई-पु. एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा। हयग्रीव-पु. १ विष्णु का एक अवतार । २ एक असुर जो |
कश्यप एवं दिति के पुत्रों में से एक था । ३ एक दानव जो हरक-वि० [सं०] १ हरण करने वाला । २ ले जाने वाला; कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से था।
पहुंचाने वाला । "पु०१ गणित में भाजक । २ प्रलयंकर हयग्रीवा-स्त्री० दुर्गा देवी का एक नामान्तर ।
रूप में शिव का एक नाम । ३ देखो 'हरस'। हयण-देखो 'हय'।
हरकरण-देवो 'हरख'।
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हरकणी
हरकणी (बो-देखो 'हरसी' (बी)
हरकत ( ति, ती ) - स्त्री० ३. स्पंदन
[अ०] १ गति, चाल
।
४ उदण्डता पूर्ण कार्य
2
शैतानी । ५ खुशी, उत्साह ।
हरकबनोळी - पु० [देश०] विवाह संबंधी एक रश्म । हरकोकण महादेव का कल
।
हरकारचंद्रा स्वी० एक प्रकार की धौषधि हरकारी-देखो 'हलकारों ।
-
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(६)
हरकर रख देखो 'हरस'
हरवखणी (बी) हरखरणी (बो) - देखो हरसणी' (बो) । हरकत देखो 'हरसित' २ देखो 'हरकत
हरखमां वि० [सं०] हर्षमान] इषित, प्रसन्न, सुश
हरखवत वि० प्रसन्न, हर्षित,
हरखारणी (बौ), हरखावणो (बी) - देखो 'हरसाणी' (बो) । हरचित देखो 'इति' ।
हरखिलो, हरखोलो - वि० स्त्री० हरखोली ) हर्षित, प्रसन्न । हर-देखो 'इस'
हरगौरीरस पु० एक धायुर्वेदिक रोषधि विशेष
हरग्गिर - देखो 'हरगिर' ।
हरड़ देखो 'ह'।
२ चेष्टा ।
बदमाशी,
हरगज, हरगिज - धव्य० [फा० हरगिज ] कदापि, कभी भी । हरगिर (गिरि, गिरी ) - पु० [सं० हरगिरि] कैलाश पर्वत । हरगीता स्वी० एक मात्रिक छन्द विशेष
हरड़कौ - पु० १ भैंस पादि के दौड़ने की क्रिया । २ दोड़ते समय भैंस के मुंह से निकलने वाली ध्वनि विशेष ।
हरड़ी पु० रंग विशेष का घोड़ा
हरचंद - भ्रव्य० [फा०] १ कितना ही, कितना भी २ यद्यपि, धगरचे । ३ जितना कुछ, जिस कदर । ४ देखो 'हरिश्चंद्र' । हरचंदवारा पु० १ राजा हरिश्चन्द्र का शासन काल । २ धानन्द या सुख का समय । हरचंवि- देखो 'हरिश्चंद्र' ।
हर पु० [०] १ हानि, नुकसान २ उपद्रव, गड़बड़ । । ३ अड़चन, बाधा, रुकावट । ४ प्रापति, विरोध, ऐतराज हरजट वि० पीला पीत
हरजस पु० [सं० हरि+बश] १ ईश्वर की महिमा या स्तुति
हरड़ाट (टो) -पु० १ तीव्र प्रांधी या वर्षा से उत्पन्न ध्वनि । हरणांखु - देखो 'हिरण्याक्ष' | २] किसी भारी वस्तु के जोर से गिरने की ध्वनि ।' हरड़ी, हरड - स्त्री० [सं० हरीतकी ] १ एक पेड़ विशेष २ इस पेड़ का सूखा फल जो घोषध में काम आता है। शक्ति सामर्थ्य, प्रौकात । ४ गुदा के भीतर का एक अवयव विशेष |
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का पद, गीत गायन, भजन, हरियश २ ईश्वर का यश या कीर्ति ।
हरजांशी (नौ)- १० १ क्षतिपूर्ति के लिये निर्धारित धन या वस्तु । २ नुकसान, हानि
हरजाई ०१ उजाड़ करने वाली धारा २ व्यभिचारिणी स्त्री, वेश्या ।
हरजी पु० १ संगराह के काम का उपकरण, टांडी २ देखो
।
'हरज' । 'हरज्ज-देखो 'हरज' ।
हरड, हरड, हरडि, हरडू- देखो 'हरड़' ।
हरणंक, हरणंक्ख, (ख, खुर) - १ देखो 'हिरण्याक्ष' । २ देखो 'हिरण्यकस्यप'
हरण पु० [सं० हरणं] १ दूसरे की वस्तु की चोरी। २किसी
का अपहरण ३ हटाने, मिटाने या दूर करने की क्रिया या भाव। ४ वंचित करने की क्रिया या भाव। ५ प्रपनी ओर खींचने की क्रिया या भाव। ६ पकड़ने की क्रिया । ७ संहार, नाश ८ विभाजन ९ वहन । १० विद्यार्थी के लिये दिया जाने वाला दान ११ यज्ञोपवीत के समय ब्रह्मचारी को दी जाने वाली भिक्षा १२ बाहु | १३ वीर्य १४ स्वर्ण, सोना । वि० १ चुराने वाला, चोरी करने वाला । २ मिटाने वाला दूर करने वाला । [२] देखो 'हिरा' |
हरणकस्यप, हिराकुस ( कुस) - देखो 'हिराकस्यप ' हरसक्ख, हरणख- देखो 'हिरण्याक्ष' । हरमगरम देखी 'हिरण्यगर
,
हरणी
हरलास, हरणास देखो 'हिस्स'
हरण क्ष, हरणाक्ष्य, हरणाख - देखो 'हिरण्याक्ष' । हरणाची देवो'हरिणाक्षी'
हरणट - स्त्री० १ नगाड़े की ध्वनि । २ कोई ध्वनि विशेष । २ देवो 'हिराहिणाट' |
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हरणामछ - पु० १ एक रंग विशेष का घोड़ा । २ एक अन्य प्रकार का घोड़ा ।
हरा
देखो 'हिरण्यास २ देखो 'हिरण' हरणी - वि० १ हरण करने वाली । २ देखो 'हरिणी' । हरणीयम वि० मन को हरने वालो, सुन्दर कति २ देखो 'मनहरण' |
हरखौ वि० [सं०] हर] (स्त्रो० हरणी) १ हरण करने वाला चुराने वाला । २ छोनने या लूटने वाला । ३ मिटाने वाला, दूर करने वाला, इंटाने वाला । ४ नष्ट करने वाला । ५' खींचने वाला । ६ प्राकुष्ट करने वाला ।
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हरणी
। ८८७ )
हरलोयण
हरणो (बो)-क्रि० [सं० हरणम्] १ दूसरे की वस्तु को उसकी हरफ-पु० [अ०६६] १ प्रक्षर, वर्ण। २ शब्द, भावाज । . इच्छा के विपरीत या उसको जानकारी के बिना ले लेना, ३ दोष, ऐब, बुराई । ४ लक्ष्य, निशान ।
कब्जे में कर लेना, चोरी करना । २ हटाना, दूर करना, हरफनीर-वि० [प्र. हर्फ गीर] १ बहुत बारीकी से प्रक्षर, मिटाना। ३ किसी को बलपूर्वक, चोरी या धोखे से उड़ा अक्षर का गुण दोष निकालने वाला। २ ऐब या गलती लेना, अपहरण करना । ४ अपनी पोर खींचना, प्राकर्षित निकालने वाला, छिद्रान्वेषी। ३ मालोचक, निंदक । करना । ५ पकड़ना । ६ पूर्ण करना, पूर्ति करना। हरफगोरो-स्त्री० [अ० हफंगीरी] १ हरफमोर का कार्य या ७ संहार या नाश करना। ८ विभाजन करना । ९ वहन । धर्म । २ छिद्रान्वेषण । ३ पालोचना, निदा।। करना।
हरफोवड़ी-स्त्री० कमरख की जाति का एक सुन्दर वृक्ष । । हरत-देखो 'हरित' ।
हरफी-पु० कटा हुमा चारा या भूसा रखने का घर या कक्ष हरतणु-(रा. नु, नू)-पु० [सं० हरतनुः] प्रोस-कण।
जिसके चारों ओर लकड़ी का घेरा बना होता है। हरता-वि० [सं० हा, हत] १ हरण करने वाला, चोर। हरबड़ाहट-पु. १ ध्वनि विशेष । २ भूचाल ।
२ जबरदस्ती छीनने वाला, डाकू, लुटेग। ३ संहार व | हरबळ-देखो 'हरावळ' । . नाश करने वाला। मारने वाला । ४ दुख, शोक, पीड़ा हरबांम, हरबांमा-१ देखो 'हरवांम' । २ देखो 'हरिवांमा' । प्रादि मिटाने वाला, दूर करने वाला। ५ प्राकर्षित करने | हरबी-पु. एक वृक्ष विशेष । वाला । ६ उड़ाकर ले जाने वाला। ७ विभाजक। हरय-देखो 'डबू'। -पु० सूर्य।
हरभात (भांति)-क्रि०वि० हर तरह से, हर प्रकार से, तरहहरतार-वि० [सं० हत्तरि] हरण करने वाला, हर्ता ।
तरह से, येन-केन-प्रकारेण । हरताळ, हरताल-स्त्री० [सं० हरिताल] १ संखिया व गंधक हरभू (भौ)-देखो 'हडबू'।
के योग से बना एक खनिज पदार्थ । २ एक उप धातु, हरम-पु० [अ०] १ राज प्रासाद का रनिवास, अन्त:पुर,
गोदंत । -वि० १ पीला, पीत से । २ देखो 'हाताल'। जनानखाना । २ अन्तःपुर में रहने वाला स्त्री समाज । हरतेज-पु० [सं० हरतेजस्] पारद, पारा :
[सं० हh] ३ बड़ा महल, अट्टालिका । ४ जीव हिंसा के हरत्ता-देखो 'हरता'।
लिये सर्वथा वजित मक्के के पास-पास का क्षेत्र । ५ गुबद । हरयानक-पु० [सं० हर-स्थान] १ शिव मन्दिर, शिवालय। ६ बुढ़ापा । -स्त्री०७ पत्नी, स्त्री। ८ बादशाह की बेगम ।
२ हिमालय पर्वत। [सं० हरि-स्थान] ३ विष्णु का ९ उप पत्नी रखैल । १० दासी, चेरी-खांनो-पु. अन्त:मन्दिर।
पुर, जनान खाना । हरद-देखो 'हल्दी'।
हरमजदगी-देखो 'हरामजादगी'। हरदम-क्रि०वि० [फा०] १ प्रतिक्षण, हरक्षण, हर समय ।
हरमजादो-देखो 'हरामजादौ'। (स्त्री हरमजादी) २ निरन्तर, लगातार। ३ सदा, सर्वदा ।
हरमज्जि-पु० एक प्रकार का प्रनार । हरदास, हरदासियो-देखो 'हरिदास'।
हरमल-स्त्रो० एक प्रकार की झाड़ी। हरवासी-देखो 'हरिदासी'। ..
हरमीखजूर-पु० एक प्रकार का खजूर, छुहारा । हरवी-देखो"हळदी'।
हरमीजीसीरू-पु. एक प्रकार का फल ।
हरमेखलिक-वि. जिसके पास कोई सिद्धि हो, सिद्ध । हरदोखी, हरदोसी-पु० [सं० हर-दोषी] कामदेव, मदन।
हरम्म (म्य)-पु० [सं० हयं] १ राजभवन, महल । २ बड़ा हरदो-देखो 'हिरदो'।
भवन, हवेली । ३ देखो 'हरम'। हरद्वांन-पु० एक स्थान विशेष जहां की तलवारें प्रसिद्ध हैं।
हरयंदुदर-देखो 'हरियंदुदर'। हरधम-देखो 'हरदम'। .
हररथ-पु० १ शिव का नन्दी । २ वल । ३ देखो 'हरिरथ' । हरन-१ देखो 'हिरण्य' । २ देखो 'हरण'।
हररांणी-स्त्री० [सं० हर+राज्ञी] १ मा, पार्वती । २ देखो हरपुर-पु० [सं०] १ शिवधाम, कैलाश । २ देखो 'हरिपुर'। ___'हरिराणी' । हरप्रि, हरप्रिय-पु० [सं०. हर-प्रियः] १ धनपति, कुबेर । | हरराया-पु. विष्ण । २ देखो 'हरिप्रिय' ।
हररोज-क्रि० वि० प्रतिदिन, रोजाना, नित्य । हरप्रिया-स्त्री० [सं०] १ उमा, पार्वती। २ दुर्गा, भवानी। हरलोयरण-पु० [सं० हर+लोचनम्] १ शिव का नेत्र । ३ देखो 'हरिप्रिया'।
तिकोनो वस्तु ।-वि० त्रिकोण *।
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( ८८८ )
हरवकत
हरवकत (बक्त, वखत)-क्रि० वि० [अ० हरवक्त] हर क्षण, हर | हरांन-देखो 'हैरान' । समय, हरदम।
हरांम-वि० [अ० हराम) १ इस्लाम धर्म के अनुसार हलाल हरवळ (ल्ल)-देखो 'हरावळ'।
का विपर्याय । पाप युक्त । २ धर्म विरुद्ध, वजित, हरवांम (वांमा)-स्त्री० [सं० हर-वामा] १ उमा, पार्वती। निषिद्ध । ३ प्रभक्ष्य । ४ अनुचित, नाजायज । ५ दोषयुक्त, २ गंगा । ३ देखो 'हरिवामा' ।
बुरा । ६ अप्रिय, कटु । ७ कठिन, दूभर । ८ बेकार; हरवाइ, हरवाई-स्त्री० नोचता, कुकर्म, दुष्टता ।
व्यर्थ । -पु. १ अर्घ, पाप । २ बुराई। ३ स्त्री-पुरुष का हरवाहण (न)-पु० [सं० हर-वाहन] १ शिव की सवारी, | नाजायज संबंध, व्यभिचार । ४ निषिद्ध की हुई वस्तु । नन्दी । २ बैल । ३ देखो 'हरिवाहण'।
-कारी-स्त्री० परस्त्री गमन, व्यभिचार । -खोर-वि० हर-संकरी-पु० एक प्रकार का मादक पदार्थ, विशेष । .
कृतघ्न, नमक हराम । अनुचित कमाई करने वाला । हरस-पु० [सं० ] १ प्रानन्द, खुशी, प्रसन्नता । २ उत्फु- कामचोर, निकम्मा। दंगाबाज धोखेबाज ।-खोरी-स्त्री.
ल्लता, प्रफुल्लता, रोमांच । ३ संयोग शृंगार के अन्तर्गत हरामखोर का कार्य । कृतघ्नता, नमक हरामी । कामचोरी, एक संचारी भाव (साहित्य)। ४ धर्म के तीन पुत्रों में से निकम्मापन । पाप की कमाई, चोरी । धृष्टता, बदमाशी । एक । ५ देखो 'हरसवरदन'।
-खोरी='हरामखोर'।-जावगी-हरामखोरी'।-जावी हरसक, हरसकर-वि० [सं० हर्षक, हर्ष-कर] मानन्ददायक, -वि० हराम की प्रौलाद, दोगला, जारज । धूर्त, दुष्ट, “प्रसन्न करने वाला।
पाजी । निकम्मा, हरामखोर ।। इरसकोलक-पु० [सं० हर्ष-कीलक] कामशास्त्र के अनुसार एक | हरामी-वि० [अ० हरामी] १ हराम की पैदाइस, व्यभिचार प्रासन।
से उत्पन्न, दोगला । २ दुष्ट, धूर्त, पाजी । ३ कृतघ्न, नमक हरसखा-पु० [सं०] धनपति, कुबेर ।
हराम । ४ मुफ्तखोर। -खोर'हरामखोर'।. रसण-पू० [सं० हरण] १ कामदेव के पांच बाणों में से एक। हरा-स्त्री० १ उमा, पार्वती, गिरिजा। २ हरीतकी, हरें,
२ काम वासना की तीव्रता से पुरुष को इन्द्रिय का हरड़। तनाव । ३ एक नेत्र रोग विशेष । ४ श्राद्ध कर्म का | हराउळ-देखो 'हरावळ' । अधिष्ठाता एक देव । ५ फलित ज्योतिष के २७ योगों में
हराड-स्त्री० हार, पराजय । से एक । ६ प्रसन्न या खुश होने की अवस्था या भाव ।
हराणी (बी)-कि० [सं० ह] १ युद्ध, द्वन्द्व या प्रतियोगिता में
परास्त करना, पछाड़ना। २ शिथिल करना, थकाना; ७ प्रसन्नता, खुशी । एक प्रकार का श्राद्ध ।-वि०१
नाकामयाब करना। ३ तर्क या युक्ति द्वारा निरुत्तर कर मानन्ददायक, प्रसन्नताकारक । २ हर्ष-उत्पादक। ,
देना। ४ अपहरण कराना। हरसणाकल-स्त्रो०६षं ध्वनि ।
हराद-पु० [सं० ह्रादः] ध्वनि, प्रावाज । हरसरणी (बी)-क्रि०० [सं० हर्षणं] १ खुश होना, प्रसन्न
हरायण (पी)-पु. १ हरे होने की अवस्था या भाव हरितता। होना । २ हंसना, खिलखिलाना ।
२ हरे रंग या वर्ण की झलक । हरसत-देखो 'हरसित'।
हरायत-पु० १ संदेशवाहक, खबरनवीश । २ देखो 'हेरायत'। हरसवरद्धन, हरसवरधन-पु० [सं० हर्षवर्धनः] भारत का एक
हरारत-स्त्री० [अ०] १ मंद उधर, हल्का ज्वर । २ गर्मी, प्रसिद्ध सम्राट जो विक्रम की सातवीं शताब्दी में हुआ था।
उष्णता। हरसाणो (बी)-क्रि० [सं० हर्षणं] १ खुश होना, प्रसन्न होना
हरालउ-वि० हर्षित। ___या करना । २ हंसना, हंसाना। हरसित-वि० [सं० हर्षित] प्रसन्न, खुश, मानन्दित ।
हरावणी-वि० (स्त्री० हरावणी, हरावनी) १ हार या पराजय
दिलाने वाला । २ हराने वाला, पराजय करने वाला हरसिरा-स्त्री० [सं०] गंगा नदी। हरसुत-पु. [सं०] १ शिव के पुत्र स्वामिकात्तिकय । २ गणेश,
३ हरण कराने वाला । गजानन ।
हरावणो (बौ)-देखो 'हराणो' (बी)। हरसेखरा-स्त्री० [सं० हरशेखरा] गंगानदी।
हरावळ (ल)-पु० [फा०] १ सेना का अग्रभाग । २ मागे का हरसेन-पु० [सं० हरिसेना] श्रीराम की वानर सेना।
हिस्सा या भाग। हरस्वांत-पु. पपीहा।
हरास-१ देखो 'ह्रास' । २ देखो 'हरारत' । हरहंस-पु० सूर्य ।
हरि-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर, परमात्मा । २ विष्णु । हरहार-पु. शिव के गले का हार, सपं ।
३ श्रीकृष्ण । ४ श्रीराम, श्रीरामचन्द्र । ५ ब्रह्मा ।
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हरिक
हरितालिका
प्रह
६ इन्द्र । ७ सूर्य, रवि । ८ शिव, महादेव । ९ चन्द्रमा, हरिजस-पु० [सं० हयं श्व] १ एक सूर्यवंशी प्राचीन राजा । वांद । १० वायु, हवा । ११ अग्नि, भाग । १२ कामदेव, [सं० हरियश] २ ईश्वर का गुणगान, भक्ति संबंधी पद, मदन । १३ मानव, मनुष्य । १४ यमराज । १५ शुक्रग्रह । भजन । ३ देखो 'हरिकीत्त'न' । १६ सिंह, शेर । १७ हाथी, गज । १८ वानर, बंदर । हरिण-पू० [सं० हरिणः] (स्त्री० हरिणी) १ एक प्रसिद्ध १६ अश्व, घोड़ा । २० इन्द्र का घोड़ा । २१ हिरन, मृग ।
चौपाया जंगली जानवर, मृग, हिरन । २ हंस । ३ सूर्य । २२ भ्रमर, भौंरा । २३ मयूर, मोर । २४ तोता, कीर। ४ विष्णु । ५ शिव । ६. सफेद रंग। ७ ब्रह्मा। -वि० २५ गीदड़ । २६ हंस । २७ जल, पानी । २८ सर्प साप ।।
१ श्वेत । २ पीला । ३ देखो 'हिरण्य' । २९ मेंढक । ३० एक प्राचीन पर्वत । ३१ एक देश या हरिणईख, हरिणख-१ देखो 'हिरणकस्यप' । २ देखो भू-भाग विशेष । ३२ भर्तृहरि का नामान्तर । ३३ गरुड़ के हिरण्याक्ष'। पुत्रों में से एक । ३४ भूरा या पीला रंग। ३५ जैनियों के | हरिगनयणा (नयणी)-स्त्रो० मग के नेत्रों के समान सुन्दर ८८ ग्रहों में से उन्चासवी ग्रह । ३६ छप्पय छन्द का नो नेत्रों वाली स्त्री, मृगनयनी। . वां भेद। ३७ छप्पय छन्द का एक अन्य भेद। -स्त्री०
| हरिनाम-पु. १ मग को नाभि जिसमें कस्तूरी होती है । ३८ किरण, रश्मि । ३९ सिंह राशि । ४० इच्छा, । २ हरण्यनाभ नामक एक सूर्यवंशी राजा । कामना । ४१ कोयल । ४२ घोड़ों की एक जाति । -वि० हरिणली-देखो 'हरिणी'। १ भूरा, कपिल, बादामी । २ पीला। ३ हरा, घानी।
पाला। ३ हरा, घाना । | हरिणांकुस-१ देखो 'हिरणकस्यप' । २ देखो 'हिरण्याक्ष'। ४ काला-श्वेत।
हरिणांखी-देखो 'हरिणाक्षी'। हरिक-पु. [सं०] पीले या भूरे रंग का घोड़ा । २ जुमारी।
हरिणाकस, हरिरणाकुस-१ देखो "हिरणकस्यप' । २ देखो ३ चोर । -वि० पीला, हरा।
। 'हिरण्याक्ष' । . . हरिकथा-स्त्री० [सं० हरि-कथा] १ ईश्वर के अवतारों एवं
| हरिणाक्षी (खो)-स्त्री० [सं० हरिणाक्षी] मृग के नेत्रों के चरित्रों का वर्णन, कथानक । २ ऐसे कथानकों की पुस्तक । हरिकाय-पु० [सं० हरितकम्] शाकाहार, फलाहर। ।
___समान सुन्दर नेत्रों वाली स्त्री, मृगनयनी । हरिकीरतन (कीरतन)-पु० [सं० हरिकीत्तं नं] भगवान के नाम | हरिण, हरिणी-स्त्री० [सं० हरिणी] १ मादा हिरन, मृगी। का कीर्तन, भजन, गायन ।
२ कामशास्त्र के अनुसार चित्रणी जाति को स्त्री का हरिकेत-पु. एक तीर्थ का नाम ।
नाम । ३ प्रार्या छन्द का एक भेद । ४ सुन्दर स्वर्ण हरिकेस-पु० [सं० हरिकेश] १ शिव, महादेव । २ सूर्य की |
प्रतिमा। ५ सोनजुही नामक लता। एक कला।
| हरिणेगमेखी-पु. जैन मतानुसार शकेन्द्र की पैदल सेना के हरिकेसि (सी)-पु० [सं० हृषिकेश] १ श्रीकृष्ण । २ चांडाल | सेनापति देव का एक नाम । कुलोत्पन्न एक ऋषि ।
हरित-पु० [सं०] १ विष्णु का एक नामान्तर । २ सूर्य । हरिक्षेत्र-पु० [सं०] पटना के पास का एक तीर्थ स्थान ।
३ सूर्य का एक घोड़ा, कुम्मेद । ४ सिंह, शेर । ५ हरा, हरिख (खि)-पु. १ एक वर्ण वृत्त । २ देखो 'हरस'। . पीला या धानी रंग। ६ घास, तृण । ७ दिशा । हरिखेत (खेतर)-देखो 'हरिक्षेत्र'।
८ द्वादश मन्वन्तर का एक देव । ९ मान्धाता के पौत्र व हरिगीतिका-स्त्री० एक मात्रिक छन्द विशेष ।
युवनाश्व के पुत्र का नाम । -वि० १ हरे रंग का, हरा। हरिचव-देखो 'हरिस्चंद'।
२ पीला । ३ धानी। हरिचंदण (न)-पु० [सं०] १ एक प्रकार का चन्दन । २ स्वर्ग | हरितकाय-पु० शाक-सब्जी। का एक वृक्ष।
हरितमणि-स्त्री० [सं०] पन्ना, मरकत । हरिचरित (त्र)-पु० ईश्वर का चरित्र व गुणगान ।
हरिताळ, हरिताल-पुं० [सं० हरिताल:] १ पीले रंग का हरिचाप-पु० [स०] इन्द्र धनुष ।
कबूतर । २ देखो 'हरताळ'। सरिजख-पु० [सं० हयंक्ष] सिंह, शेर ।
हरितालिका (तालिका)-पु० [सं० हरितालिका] १ भादव हरिजटा-स्त्री० [सं०] रावण की अनुचरी एक राक्षसी जो शुक्ला चतुर्थी । २ दूर्वा, दूब। अशोक वाटिका में सीता के पास नियुक्त थी।
हरितालिका-वन-पु० [सं०] भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी को किया हरिजण (न)-पु० [सं०हरि-जन] १ ईश्वर का भक्त । २ भंगी ।। जाने वाला व्रत ।
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हरिताळी
हरियो
हरिताळी, हरिताली-स्त्री. १ तलवार की धार, तलवार का | हरिबोधनी, हरिबोधिनी-स्त्री० [सं० हरिबोधिनी] कात्तिक अग्रभाग । २ देखो 'हरितालिका'।
मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। हरितिय-स्त्री० [सं० हरि-तिय] १ सरस्वती, शारदा । २ लक्ष्मी । हरिभक्त (भगत)-पु० [सं०] ईश्वर में श्रद्धा-भक्ति रखने वाला हरिवरभ-पु. [सं० हरिदर्भ] हरे घोड़े वाला सूर्य।
साधु । हरिदास-पु० [सं०] (स्त्री० हरिदासी) १ ईश्वर का भक्त । हरिभक्ति (भगति)-स्त्री० [सं०] ईश्वर के प्रति श्रद्धा, मास्था
२ विष्णु भक्त। ३ रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रसिद्ध महात्मा।| या प्रेम । हरिबासी-पु० [सं० हरिद्रासिन्] १ ईश्वर की भक्त या साध्वीर
भक्त या साध्वा हरिमंथक-पु० [सं० हरि-मन्थक:] १ छोटा मटर । २ चना । स्त्री। २ लक्ष्मी, रमा । ३ पार्वती। ४ रिद्धि-सिद्धि ।रिवंत
हरियंदुदर-पु० [सं० हरितेन्दुदर] भ्रमर, भौंरा । ५ दौलत, माया।
हरिय-पु० [सं० हरित] १ वनस्पती । २ पीत वर्ण का घोड़ा। हरिदिन, हरिविवस-पु० [सं०] विष्णु की उपासना का दिन,
हरियर-पु० एक प्राचीन राजकुल । . एकादशी।
हरियळ (ल)-वि० १ हरे रंग का हरा । २ जो सूखा न हो; हरिदिसा-स्त्री० [सं० हरि-दिशा] पूर्व दिशा।
हरा, गीला, नम । (पोधा पादि) ३ हरा-भरा, प्रफुल्लित. हरिदेव-पु० [सं०] १ विष्णु । २ श्रवण नक्षत्र ।
पल्लवित-पुष्पित। ४ फलने-फूलने लायक, विकासशील । हरिद्वार-पु० [सं०] उत्तर भारत में स्थित वह तीर्थ स्थान -पु. एक प्रकार का पक्षी जिसका मांस पच्छा होता है।
जहां पर 'गंगा' नदी पहाड़ों को छोड़कर मैदान में प्रवेश हरियाणउ, हरियाणा (नौ)-वि० (स्त्री० हरियाणी) १ हराकरती है।
भरा, सर-सब्ज । २ प्रसन्न, हर्षित । ३ पुष्पित, पल्लवित । हरिधनुख (धनुस)-पु० [सं० हरिधनुष] इन्द्र धनुष ।
-पु. राजस्थान का सीमावर्ती, भारत का एक प्रान्त । हरिधाम-पु० [सं० हरि-धाम] विष्णुलोक, स्वर्ग ।
हरियामूळ-पु० वर्षा ऋतु में गाय, भैंस धादि पशुपों के होने हरिप्रम-पु० [सं० हरि-धर्म] १ ईश्वर का भजन । २ विष्णु वाला एक रोग। . धर्म।
हरियाळ (ल)-पु० [सं० हरिचाल] १ वक्त, समय । २ देखो हरिनख-पु०१ बाघ का नाखून लगा ताबीज । २ एक प्रकार 'हरताळ'। का शस्त्र विशेष । -वि० कुटिल, टेढ़ा।
| हरियाळी (लो)-स्त्री. १ हरे-भरे वृक्ष, पौधों या वनस्पतियो हरिननैरणी-स्त्री० मृगनयनी ।
का समूह । २ हरी घास, दूब। ३ पेड़-पौधों मादि के हरिनाम-पु० ईश्वर का नाम, स्मरण ।
पल्लवित होने की अवस्था या स्थिति । ४ मार्द्रता, गीलाहरिनामी-पु० अशुभ रंग का एक प्रकार का घोड़ा।
पन, नमी, सूखेपन का विपर्यायः । ५हरापन । ६ पावस, इरिनाथ-पु० [सं०] हनुमान का एक नामान्तर ।
वर्षा । ७ प्रानन्द, खुशहाली । (लाक्षणिक)। हरिन्मरिण-स्त्री० [सं०] हरे रंग की मरिण, पन्ना।
हरियाळी अमावस-स्त्री० श्रावण मास की अमावस्या । हरिपत्र-पु० [सं०] १ स्वर्ग, वैकुण्ठ । २ मोश, मुक्ति। | हरियाळीटाली-स्त्री० एक लोक गीत विशेष । . ३ वसंत का वह दिन जब रात व दिन का समय बराबर हरियालीतीज-स्त्री० श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया । होता है।
हरियाळो वनड़ो-पु०१ नया दूल्हा । २ एक लोकगीत । हरिपति (पदी)-स्त्री० [सं०] गंगा नदी का एक नाम, विष्णु हरियाळी (लो)-पु०१ हरे-भरे पौधों का समूह, विस्तार । पदी।
२ किसान स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला एक लोकगीत हरिपुर-पु० [सं०] स्वर्ग, वैकुण्ठ ।
विशेष । ३ हरा घास । ४ हरा-भरा वातावरण । ५ एक हरिपेड़ी-स्त्री. १ हरिद्वार में गंगा का प्रसिद्ध घाट, तीर्थ | जाति विशेष का घोड़ा । -वि० १ जो सूखा न हो, पाद्र, स्थान । २ इस घाट पर बनी सीढ़ियां ।
ताजा, हरा । २ हरे रंग का, हरा । ३ हरा-भरा । हरिप्रिय-पु० [सं०] एक प्रकार का चन्दन ।
हरियो-मरियो-वि० १ हरा-भरा। २ पुष्पित-पल्लवित । हरिप्रिया-स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी, कमला । २ पृथ्वी, धरती। सुखी, प्रसन्न, प्रफुल्लित, सम्पन्न । ४ पर्याप्त, पूर्ण ।
३ तुलसी। ४ द्वादशी तिथि । ५ शराब, मदिरा । ६ शहद, हरियो-पू० [सं० हरित] १ हरा घास, चारा, बनस्पती। मधु । ७ एक प्रकार का मात्रिक छन्द ।
२ हरे रंग का विस्तार । ३ एक प्रकार का घोड़ा। -वि. हरिप्रीता-स्त्री० ज्योतिष के अनुसार एक मुहूर्त ।।
१ हरे रंग का, हरा । २ प्रादें, नम, तर, सूखे का हरिबल्लमा-देखो 'हरिवल्लभा'।।
विपर्याय । पुष्पित, पल्लवित । ४ हरियाली से भरा हरिबाहण (न)-देखो 'हरिवाहन' ।
हुपा । ५ प्रसस, प्रफुल्लित । ६ देखो 'हरि'। .
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हरिरक्षा
हलंत .
हरिरक्षा-पु० राम रक्षा नामक स्तोत्र ।
हरीमाळी (ली)-देखो 'हरियाळी'। हरिरथ-पु० [सं०] विष्णु का वाहन गरुड़
हरीख-क्रि०वि० १ हर्षित होकर । २ देखो 'हरस'। हरिरस-देखो 'रामरस' ।
हरीखणी (बी)-देखो 'हरसरणी' (बी)। हरिरांणी-स्त्री. १ लक्ष्मी । २ पार्वती । ३ सरस्वती। हरीखौ-देखो 'हरसित'। हरिराय-पु० ईश्वर, परमात्मा ।
हरीचंदण (न)-देखो 'हरिचंदण' । हरिरूपा-स्त्री० [सं०] विष्णु रूपा, गंगा। .
हरीचरित (चिरत)-देखो 'हरिचरित' । हरिलंकी-वि० [सं० हरि-लंक] सिंह की कमर के समान पतली हरीजख-देखो 'हरिजख'। कमर वाली, सुन्दरी।. .
हरीतकी-स्त्री० [सं०] १ हरड़, हरं । २ हरं का पेड़ । हरिलीला-स्त्री० [सं०] १ ईश्वर की माया या लीला। हरीतगोपिलंग-पु. १ शेषनाग की शैया । २ शेषनाग । २ चौदह प्रक्षरों का एक वर्ण वृत्त । ।
हरीतन-पु. हरियाली। हरिलोक-पु० [सं०] विष्णु लोक, स्वर्ग, वैकुण्ठ ।
| हरीपड़ो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। हरिवंस-पु० [सं० हरिवंश] १ सूर्य वंश । २ कृष्ण वंश । हरिपदि (वी)-देखो 'हरिपदि'।
३ श्रीकृष्ण के वंश के वर्णन वाला महाभारत का | हरीपुर-देखो 'हरिपुर'। परिशिष्ट ।
हरीफ-वि० [फा०] प्रतिद्वन्द्वी, शत्रु, दुश्मन । -पु. एक प्रकार हरिवंसपुराण (न)-पु. एक पुराण विशेष ।
का वस्त्र। हरिबल्लमा-देखो 'हरिप्रिया' ।
हरीभरीवाड़ी-स्त्री. १ पेड़-पौधों, लतानों व पुष्पों से भरा हरिवसु-वि० [सं० हरि-वश] ईश्वर के अधीन ।। | बगोचा । २ हरा-भरा खेत । ३ सुखी व सम्पन्न परिवार । हरिवाम (वामा)-स्त्री० [सं० हरि-वामा] १ लक्ष्मी, कमला। हरीयड़-पु०१ एक क्षत्रिय वंश विशेष । २ घोड़ों की एक जाति । २ सरस्वती। ३ पार्वती। ४ सीता ।
हरीयड़ी (डौ)-पु० एक प्रकार का घोड़ा। हरिवास र-देखो 'हरिदिन' ।
हरीयळ, हरीयाळ-देखो 'हरियळ' । हरिवाहण (न)-पु० [सं० हरि-वाहन] विष्णु का वाहन, गरुड़। हरीयोनीलो-पु. एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा। . -वि० पीला, पीत।
हरीस-पु० [सं० हरीश] १ वानरों का राजा । २ हनुमान । हरिविक्रम-पु० शुगार का एक पासन ।
हरोसरी-स्त्री० गंगा नदी। हरिव्रत-पु० [सं०] ईश्वर की भक्ति, पाराधना।
हरीसौ-पु० मांस के योग से बनने वाला एक खाद्य पदार्थ हरिखती-वि० [सं० हरिवतिन] १ ईश्वर भक्त, हरिभक्त । विशेष ।
२ धर्मात्मा, व्रतधारी, भक्त । -पु० [सं० हरिवर्ती] पवन- हरोहय-पु. देवराज इन्द्र । चारी पक्षी विशेष ।
हरीहोरणी-स्त्रो० गाय, भैस प्रादि की गर्भवती होने की स्थिति । हरिसंकर-पु. (स० हरि-शंकर १ विष्णु का एक नामान्तर ।
हरेई-पु० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा। २ विष्णु व शिव की जोड़ी।
हरेक-वि० [फा० हर+स० एक] प्रत्येक, हरेक ।।
हरेबी-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ देखो 'हरेवी'। हरिस-पु० [स० ह्रस| १ अर्श रोग । २ देखो 'हरस'।।
हरेवा-स्त्री० १ हरे रंग की बुल-बुल । २ छोटा मकान । हरिसखा-पु० [स० हरिसखः] १ अर्जुन का एक नामान्तर ।
हरेवो-स्त्री० १ एक प्रकार का खाद्य पदार्थ, एक प्रकार की २ गंधर्व ।
- दाल । २ देखो 'हरेबी' । हरिसेण (न)-पु० १ एक चक्रवर्ती राजा । (जैन) २ ब्रह्म
हरोळ (ळ), हरोळाई, हरोलिय, हरोळी-देखो 'हरावळ' । . सावणि मनु का एक पुत्र।
हरी-पु० १ पौत्र, वंशज । २ ताजी धास या पत्ती का सा रंग। हरिस्चंद्र-पु० [सं० हरिश्चन्द्र] .त्रिशंकु के पुत्र एक सूर्यवंशी
३ उक्त प्रकार के रंग का घोड़ा। -वि० [सं० हरित] ___राजा जो विख्यात सत्यवादी एवं दानी थे।
| (स्त्री० हरी) १ हरे रंग का, हरा। २ जो सूखा या हरिहस, हरिहसल-देखो 'हरहंस' ।
मुरझाया हुअा न हो। ३ गोला, पाद्र । ४ खुश, प्रसन्न हरिहर-पु० [सं०] विष्णु व शिव ।
हरौळ, हरोळी-देखो 'हरावळ' । हरी-पु० १ एक वृक्ष विशेष । २ भलाई, हित । ३ देखो 'हरो'। हर्यो-देखो 'हरियो'। .. ___४ देखो 'हरि'।
हलंत-वि० जिसके अंत में स्वर रहित व्यंजन हो । -पु० स्वर हरीअडो-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
रहित व्यंजन या वर्ण । प्राधा वर्ण ।
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हळ
हळदीघाटी
-
हळ-पु० [सं०हलं] १ अनाज प्रादि की बोवाई करने का प्रमुख | हलक्क-देखो' हलक' ।
कृषि यंत्र, उपकरण । २ श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम हलक्कणो (बो-देखो 'हलकणों' (बी)। के हाथ में रहने वाला प्रायुध विशेष । ३ एक हल द्वारा हलक्को-देखो 'इलको। एक दिन में बोवाई करने लायक भूमि का हिस्सा। | हलख-देखो 'हलक'। ४ सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार पैर का एक रेखा चिह्न। हलखड (डो)-प
| हलखड़ (डो)-पु०कृषि करके जीवनयापन करने वाला, व्यक्ति । ५ अस्त्र-शस्त्रों पर बनी स्वणिम रेखा विशेष ।
हळगणत-पु० मुफ्त में काम पाने वाला हल । हल-पु० [अ०] १ किसी समस्या का समाधान, निराकरण ।
हळगत-पु. खेत जोतने पर हलों के अनुसार लिया जाने वाला २ गणित में किसी सवाल का उत्तर या गुणनफल प्रादि ।
कर। [सं० हल] ३ स्वर रहित शुद्ध व्यंजन। [देश॰] ४ गति,
| हलगल-स्त्री. १ अफवाह, गप्प । २ समाचार । ३ चर्चा । चाल । ५ हिलने-डलने की अवस्था या भाव, झटका,
हलचल-स्त्री० १ घबराहट, बेचैनी, हड़बड़ाहट । २ शोरगुल, कम्पन । ६ देखो 'हलो'।
- हल्ला-गुल्ला । ३ भगदड़, अव्यवस्था । ४ कंपन, प्रातंक, हलक-पु० [सं० हल्क] १ गले की नली; कंठ। २ गला ।
भय । ५ युद्ध, लड़ाई। ६ धूमधाम, रौनक, चहलपहल । ३ मण्डली। ४ मण्डल, घेरा, वृत्त । ५ क्षेत्र, इलाका ।
७ गतिशीलता। ८ असर, प्रतिक्रिया। ९ स्वागत, सत्कार। ६ चहल-पहल ।
१० कोई क्रियां, हरकत । हलकरणों (बी)-क्रि० १ भरे हुए पात्र में द्रव पदार्थ का हिलना डुलना । २ हिलना-डुलना । हिलोरे खाना। ३ ललकारना,
हलचलणौ (बो)-क्रि०१ घबराहट, होना, बेचैनी होना, हड़बड़ाहट
होना, खलबली मचना । २ शोरगुल या हल्ला-गुल्ला होना। उकसाना । हलका-स्त्री० एक प्रकार की कमान ।
३ भगदड़ मचना, पव्यवस्था होना । ४ प्रातकित होना,
भयभीत होना । ५ युद्ध होना, लड़ाई होना । ६ धूमधाम हळकाई-स्त्री०१ हल्कापन । २ विनम्रता । ३ लघुता, तुच्छता।
होना, रोनक होना, चहल-पहल होना । ७ गतिशील हलकारणी (बी)-क्रि० १ हिलाना-डुलाना, हिलोरे देना।
होना । ८ असर होना, प्रभाव होना, प्रतिक्रिया होना । २ ललकारन।।
९ स्वागत-सत्कार होना । १० कोई क्रिया या हरकत हळकापरण, हलकापण (णो)-पु. १ वजन या भार की दृष्टि से
होना। .हल्का होने की अवस्था, गुण, हल्कापन । २ तुच्छता,
हलचली, हलचलो, हलचल्ल-देखो 'हलचल' । प्रोछापन । ३ लघुता, छोटापन ।
हलचल्लरपो (बी)-देखो 'हलचलरणों' (बौ)। हलकार-स्त्री० ललकार ।
हळचौ-पु. मेला। हलकारणौ (बौ)-क्रि० १ ललकारना, चुनौती देना, उकसाना, हळछठ-स्त्री० भादव मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि । जोश, दिलाना । २ हांकना, प्रेरित करना। ३ बुलाना,
हळणौ-देखो 'हलाणो'। पुकारना।
हलणौ (बौ)-१ देखो 'हालगो' (बो)। २ देखो 'हिलणो'(बी)। हलकार, हलकारू (रो)-पु. १ दूत, सदेशवाहक, पत्रवाहक । हळत-पळत, हळति-पळति-पु. लालन-पोषण, भरण-पोषण । २ ध्वनि, अावाज ।
हळति (ती)-स्त्री० मर्यादा, सीमा । हळको-वि० (स्त्री० हळकी) १ जो वजनी न हो गुरुता या हळद, हलव-देखो 'हळदी'। .
भार रहित । २ कम, थोड़ा, अल्प । ३ तुच्छ, पोछा, न्यून | हळदियो-पु० १ एक रोग विशेष जो कामला रोग का ही एक स्तर का। ४ अशिष्ट, असभ्य, बुरा । ५अपमानित । ६ मंद, भेद है। २ गेहूं की फसल पकते समय दानों में होने वाला धीमा । ७ पतला, महीन, बारीक । ८ सस्ता या कमजोर। विकार । ३ एक वृक्ष विशेष । -वि० हल्दी जैसे रंग का, ९ महत्वहीन । १० सुख साध्य, पासान । ११ भार या
पीला, पीत। उत्तरदायित्व से मुक्त । १२ जिसमें कुछ भरा न हो। हळदी-स्त्री० [सं० हरिद्रा] । हल्दी नामक पौधे की जड़ जो १३ ताजा प्रफुल्ल ।
मिरच मसालों में काम प्राती है । २ एक लोकगीत हलको-पु० [अ० हल्का] १ प्रशासनिक दृष्टि से कोई विशिष्ट | विशेष।
क्षेत्र या भू-खण्ड । २ परिधि, वृत्त, घेरा । ३ दल, समूह, हळदीघाटी-स्त्री० मेवाड़ स्थित, 'अरावली पर्वत श्रेणियों के झुण्ड । ४ सौ हाथियों का समूह या दल । ५ देखो बीच का एक दर्रा, जहाँ पर महाराणा प्रताप व अकबर की
सेना के बीच इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुआ था। .
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हळव
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हळद-वि० १ पीला, पीत २ देखो 'हळदी। हळद्दरजोड़. हळद्धरजोड़ पु० बलराम के भाई श्रीकृष्ण । हळघर, हलधर - पु० [सं० हलधर ] १ श्रीकृष्ण के भाई बलराम । २ हल चलाने वाला व्यक्ति, कृषक । हळधर बंधवव-पु० ० श्रीकृष्ण । हळधरनांगळ-पु० हल से संबंधित उपकरण, हल की सामग्री । हळनाड़ियों, हळनाड़ी-पु० हल के साथ जूता बांधने का चमड़े
का रस्सा |
हळवळणी (बौ) - देखो 'हळवळणी' (बो).1.
हळबळारणी (बी) - देखो 'हळवळाणी' (बी) ।
( ८९३ )
g) (4))-te'' (at)
हळपाणि-पु० [सं० इलपाणि] हल जैसा प्रायुध रखने वाले,
बलराम का एक नाम ।
हळक-स्त्री० [अ०] शपथ, सौगंध | हलफनामो० [० इल-नामा]] शपथ-पत्र हळफळ-स्त्री० १ व्याकुलता, घबराहट, बेचैनी २ शीघ्रता, ताकीद, उतावली । ३ परेशानी, हैरानी । ४ बातचीत, विचार-विमर्श हलचल । हळफळणी (बौ), हलफलगी (बी), हळफळारणौ (बौ) - क्रि० १ व्याकुल, बेचैन या प्रधीर होना । २ घबराना, डरना । ३ च चकित होना, विस्मित होना, चौबना ४ दौड़ना, भागना । ५ परेशान होना, हैरान होना । ६ शीघ्रता करना, ताकीद करना । हळफळी वि० (स्त्री० हळफळी) १ जिसका संतुलन खो गया हो, प्रसतुलित । २ व्यग्र धातुर । ३ शीघ्रता करने वाला । हलब - पु० [फा०] फारस की तरफ का एक प्राचीन देश । देखो''।
"
हळवा स्त्री० [१] भय, घबराहट आदि के कारण होने वाली स्थिति । २ शीघ्रता । ३ भगदड़ ।
हळवाणं - देखो 'हलमांणं' । हलवा देखो 'हलवा'। हळवी वि०
हळबळी (लौ) - पु० १ भय, घातक । २ शोर-गुल, हल्ला । ३ भगदड़, अव्यवस्था । ४ शीघ्रता, ताकीद 1 हळवांणी स्त्रो० लोहे की लम्बी छड़ जिसका एक शिरा नुकीला होता है ।
[देश की जब देश संबंधी स्त्री० १ एक प्रकार की तलवार । २ एक प्रकार का माईना, शीशा । ३] देखो 'हळवी' |
हळबेडर - स्त्री० हल के पीछे बंधी रहने वाली, बांस प्रादि से बनी बीज बोने की नलिका । हळबोळ, हलबोल-पु० कोलाहल, शोरगुल ।
देखो
इळभळी स्त्री० १ खलबली; भगदड़ । २ घबराहट, ३ हलचल ।
हल० [सं०] इतभूत] बलराम का एक नामान्तर । हलमा क्रि०वि० साथ-साथ |
हलमा रो० १ हल जोतने वालों से लीजाने वाली बेगार | २ इस बेगार से बचने संबंधी कर ।
हळमुख, मुखी पु० पिंगल में एक इन्द विशेष
हसरावली (ब)- कि० १ छोटे बच्चे को गोद में उठाकर भुलाना, थपकी देकर चुप करना। २ इसी तरह कुछ गुनगुनाना । ३ पलने में भुलाना, लोरी गाना ।
हलव-पु० १ अनुगमन । २ चलन, प्रचलन । हळवइ, हलवड (ई) - देखो 'हळवी' । हलवणो (बी) देखी 'हामी' (ब)। हळवद ( ६ ) - पु० एक प्रदेश का नाम । हळवळ स्त्री० १ चिंघाड़, चिघाड़ने की प्रावांज । २ प्रावाज, कोलाहल । ३ शीघ्रता, ताकीद । ४ हलचल । ५ कोई शब्द, ध्वनि ६ भगदड़ । ७ घबराहट, भय ८ परेशानी, हैरानी । ९ चकाचौंध कौंध १० घादर-सत्कार, स्वागत । हळवळणो (बी) - क्रि०
१ हल्ला-गुल्ला, शोरगुल होना । २ शीघ्रता या ताकीद करना । ३ उत्सुक होना, व्यग्र होना । ४ तेज चलना, द्रुतगति से जाना । ५ चहल-पहल होना, हलचल होना द्यावान होना, बोलना, शब्द होना।
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देखोवळ
हळवा
६ भगदड़ मचना । ७ घबराना, डरना ८ परेशान होना, हैरान होना । ६ बादर-सत्कार होना, स्वागत होना । १० चकाचौंध होना, कौंधना ।
हळवळाणौ (बौ) - क्रि० १ हल्लागुल्ला, शोरगुल कराना
कोलाहल कराना । २ शीघ्रता कराना ताकीद कराना, त्वरा कराना। ३ उत्सुकता, व्यग्रता, मातुरता जागृत कराना । ४ तेज या द्रुत गति से चलाना । ५ चहल-पहल कराना, हलचल कराना, आवाज कराना, बोलाना शब्द कराना । ६ भगदड़ मचवाना । ७ डराना । ८ परेशान करना, हैरान करना। 8 प्रादर-सत्कार कराना, स्वागत
कराना ।
,
बेचनी ।
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वि० धीरे-धीरे
हळवाणी हलवली (मी) देखणी' ।
हळवा स्त्री १ उतनी कृषि भूमि जो १०० हलों से ( मतान्तर से ४० हल ) एक दिन में जोती जा सके । २ फसल के बीच खाली रही जमीन में दुबारा की जाने वाली बोवाई ३ ऐसी वर्षा जिससे बोवाई के लिये हल चल सके ।
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हलवाइ
।९४ )
हळाहळ
हलवाइ, हलवाई, हलवायो-पु० मिठाई बनाने व इसका व्यवसाय २ इस इकाई वाला खेत का भाग। ३ हल जोतने का
करने वाला व्यक्ति, कंदोई । -वि० बातूनी, वाचाल, समय । (शेखावाटी) वाक्पटु।
हलाक-वि० [फा०] १ मरा हुपा, मृत, वध किया हुमा । हळवाह-पु. १ श्रीकृष्ण के भाई बलराम । २ देखो 'हळवा'। २ नष्ट । हळवाहरण-पु० बैल।
हलाकत-स्त्री० [फा०] हत्या, वध, नाश । हळवी, हलवी-वि० १ तुच्छ, पोछी। २ छोटी, लघु, पतली। हलाकुएल-पु० [फा०] सेना का भयंकर पाक्रमण ।
३ निर्बल, अशक्त । ४ भारमुक्त. हल्की। ५ सुख साध्य । हलाकू-वि० [फा०] मारने वाला, वधिक, हत्यारा। -कि० वि० धीरे-धीरे, श:मै-श:ने ।
हलाणी (बी)-क्रि. १ चलाना, चलायमान करना । चलने के हळवे-हळवे, हलवे-हलवे-क्रि० वि० धीरे-धीरे, शनैः शनैः। ।
लिये प्रेरित करना । २ गतिमान करना। ३ मागे बढ़ाना, हळवं, हलव-क्रि०वि० धीरे ।
अग्रसर करना, भेजना। ४ रवाना करना सीख देना। हळवी-वि० १ छोटा, लघु । २.अल्प, थोड़ा । ३ तुच्छ, प्रोछा।। ५ घुमाना, फिराना । ६ देखो "हिलारणो' (बी)। .४हल्का, भार मुक्त । ५ग्राघात या प्रभाव की दृष्टि से | हलारणो-चलारणो-देखो 'हलावो-चलावी। हल्का ।
हळाबोळ-वि. १ बिल्कुल, नितान्त, सरासर। २ प्रचंड । हलवी-पु. १ मेदा, सूजी, पाटा प्रादि को घी में भुनकर, गर्म ३ ऊपर तक भरा हुप्रा । लबालब। ४ समुद्र की तरह
पानी व शक्कर मिलाकर बनाया जाने वाला एक पकवान लहरें देता हुना। ५ अत्यधिक, बहुत । ६ तेज । ७ बुरा, विशेष । २ मोहन भोग । ३ देखो 'हळवी'।
खराब। हलसारी-पु० हल की बेगार के बदले दिया जाने वाला कर। हळाभ-पु. एक प्रकार का घोड़ा। हलसोटो, हळसोतियो-देखो 'हळोतियो' ।
हलायुध हलायूध-पु० १ हल के प्राकार का एक प्रायुध विशेष, हळतळ, हलहल-स्त्रो० १ शीघ्रता, ताकीद । २ भगदड़, बलराम का प्रायुध । २ बलराम का एक नामान्तर ।
खलबली. हडबडाहट । ३ धूम-धाम, चहल-पहल ।। हलारकी-पु० [देश॰] इलार देश में उत्पन्न एक प्रकार का ४ कोलाहल-शोरगुल । ५ घबराहट, बेचैनी। -क्रि० वि० घोड़ा। धोरे-धीरे, शनैः-शनैः।
हलारियो-पु० [देश॰] कुभट व बबूल की फली। हलहलणी (बो)-क्रि०१ कांपना । २ डरना, घबराना । ३ अधीर | हलाल-वि० [अ०] १ उचित, वाजिब । २ जिसका खाना
होना. विचलित होना । ४ भगदड़ मचना, खलबली पीना धर्म में वजित न हो। ३ मुसलमानी शरम के अनसार मचना । ५ कोलाहल होना, शोरगुल होना। ६ हिलना- गर्दन पर धीरे-धीरे छुरी चला कर मारा हुमा (बकरा)। डुलना । ७ शीघ्रता करना, ताकीद करना ।
हलालखोर-पु० [अ०] १ मेहतर, भंगी। २ मुसलमान । -वि. हलहलाणी (बी)-क्रि० १ कंपायमान करना । २ डराना । मेहनत या श्रम की कमाई खाने वाला।
३ अधीर करना, विचलित करना। ४ भगदड़ मचवाना । हलालखोरी-पु. [५०] १ 'हलालखोर' का कार्य । २ मेहनत. ५ खलबली मचवाना । ६ कोलाहल कराना, शोरगुल परिश्रम । ३ परिश्रम की कमाई । कराना । ७हिलवाना, डुलवाना । ८ शीघ्रता कराना, | हलालियो-वि. कृतज्ञ ।
ताकीद कराना । ९ सलाह करवाना, विचार करवाना। हलाली-वि० [फा०] १ जिसका कत्ल किया जाय, जिसका हलहलो-वि० सजी हुई।
हलाल किया जाय। २ हलाल करने वाला। ३ उत्तम, हलहल्ल-देखो 'हळहळ' ।
| अच्छा । -पु० हलाल करने की क्रिया या भाव । हलहल्लरणी (बी)-देखो 'हलहलणी' (बी)।
हळाव-देखो 'हळाई'। हलांण-स्त्री० गति, चाल ।
हलावरणौ-देखो 'हलांणो'। हलांणी-पू० १ कन्या की विदाई, गौना। २ दहेज का सामान, | हलावरणौ (बौ)-१ देखो 'हलाणी' (बी)। २ देखो
द्रव्य । ३ प्रथम प्रसव के बाद कन्या को दिया जाने वाला | "हिलाणो' (बी)। - सामान व विदाई । ४ प्रस्थान, गमन ।
हलावी-चलावी-पु० मृतक का शव श्मशान ले जाने की प्रक्रिया। हलाम-पु० सेना, फौज।
हळासीक-वि० विष युक्त । हला-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती। २ सखी। ३ शराब । हळाह-पु० कबरे रंग का घोड़ा। ४ पानी, जल।
हळाहळ, हळाहळि-पु० [सं० हलाहल] १ प्रचंड विष, महाविष । हळाई-स्त्री० १ हल की बारह रेखा (सीता) को इकाई।। २ हलाहल योग । (फलित ज्योतिष) -वि०१ प्रचंड, वेज ।
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हलाहिंव
( ८९५ )
२कुपित, नाराज । ३ बिल्कुल, कतई । - सरासर, साफ, | हलूपण-पु० [सं० लधुत्वन] हल्कापन । स्पष्ट ।
हबूर-स्त्री० तरंग, लहर। हलाहिव-प्रव्य भी, तुरन्त ।
हलूस-पु० उत्साह, उमंग। हळि-पु० [सं० हलिन्] १ बलराम का एक नामान्तर । हलूसरणी (बो)-क्रि० १ उत्साहित होना, प्रसन्न होना । २ हल चलाने वाला कृषक । ३ देखो 'हळ'।
२ एकाएक झपटना, उचकना। हळित-देखो 'हळी'।
हळोचळ-वि० विचलित, व्याकुल । हळिधर, हळिधरि-देखो 'हळधर'।
हळोटो-पु. जैसलमेर राज्य का एक प्राचीन कर । हळिप्रिय-पु० [सं० हलिन्-प्रियः] १ कदंब का वृक्ष । २ मद ।। हळोतियो-पु. १ मौसम की प्रथम वर्षा के बाद की जाने वाली बलराम का एक नामान्तर ।
प्रथम बोवाई। २ बुवाई का मुहूर्त। हळिप्रिया-स्त्री० [सं० हलिन्-प्रिया] १ शराब, मदिरा । हळोद, हळोदपुर-पु० एक प्राचीन शहर का नाम । २ बलराम की प्रिय वस्तु ।
हलोर-देखो 'हिलोर'। हलिमा-स्त्री० स्कन्द की अनुचरी, एक मातृका ।
हलोरणी (बी)-देखो 'हिलोणी' (बी)। हळियो-पू० [सं० हलिन्] १ हल चलाने वाला, कृषक । हलोळो-देखो 'हिलोळो' । २ छोटा हल, खिलोना । ३ हल ।
हळोवळ, हळोवळां, हळोवळी-क्रि०वि० १ चारों पोर, चौहळिवह (६)-देखो 'हळवं'।
- तरफ । २ शीघ्र, जल्दी, तुरन्त । हळी-१ देखो 'हळि'। २ देखो 'हळ'।
हलो-पु. १ प्राक्रमण, हमला । २ हल्ला-गुल्ला, शोर-गुल । हळीपरण (रिण, रणी)-पु० [सं० हल-पाणि] बलराम का एक हळोतरी, हळोतियो-देखो 'हळोतियो' । नामान्तर।
हळ्को-देखो 'हळको'। हळीम, हलीम-पु० [सं० हलीम] १ केतकी। [अ० हलीम हल्द-देखो 'हळदी'। .
२ मुहर्रम में बनने वाला एक प्रकार का खाना । ३ इसन हल्दहात (थ)-पु० विवाह के समय वर-वधू के हल्दी लगाने व हुसैन के निमित्त बनने वाला मांस । ४ मांस के योग से | की प्रथा। बनने वाला एक व्यंजन विशेष । ५ खिचड़ी। ६ गंभीर हल्दियो-वि० हल्दी के रंग का, पीला। -पु० १ एक शुभ रंग स्त्री। -वि. १ सहनशील, गंभीर । २ सीधा-सादा, | का घोड़ा। २ एक प्रकार का कामला रोग । शान्त ।
हल्ल-स्त्री. १ प्रावाज, शब्द । २ सेना. फौज । ३ देखो हल'। हलीमक-पु० [स०] पाण्डु रोग का एक भेद ।
४ देखो 'हळ'। हलील-पु० समुद्र, सागर।
हल्लणी (बो)-देखो 'हालणो' (बो)। हलोलो-पु. [देश॰] साधारण गृह कार्य ।
हल्लर-फल्लर-पु० १ टालमटोल, उपेक्षा । २ पतिथि सत्कार । हलीसक-पु. एक प्रकार का नृत्य विशेष ।
___३ खुशामद । हलुअउ-१. देखो 'हळवो' । २ देखो 'हलवो'।
हल्लारणउ-देखो 'हलांणो'। हलुमापण (ए. णो)-पु०१हल्कापन । २ लघुता । ३ भोछापन, हल्लाणी (बौ)-देखो ‘हलाणो' (बो)। तुच्छता।
हसलीसक-पु० १ वतुलाकार नृत्य । २ वर्तुलाकार सामूहिक हलुइ (8)-क्रि०वि० [सं० लघुकेन धीरे-धीरे ।
नृत्य । . हळुनौ-देखो 'हळवौ'।
हल्लो-पु. १ हमला, धावा; भाक्रमण । २ शोरगुल; हल्ला, हनुमो-देखो 'हलवो'।
कोलाहल । ३ पावाज, पुकार, शब्द । ४ युद्ध की ललकार, हलुकरम-पु० हल्का कार्य ।
चुनौती । ५ काम-काज, घंधा, कार्य। हलुकरमी (हलूकरमी)-वि० १ हल्के कर्मों वाला, जिसके कर्म | हव-पु० [सं०] १ यज्ञ में दी जाने वाली पाहुति; बलि, चढ़ावा। न्यून हो । २ शीघ्र मुक्तिगामी।
२ अग्नि, माग । ३ यज्ञ । -क्रि०वि० १ अभी इसी समय । हलुहार-पु. एक प्रकार का घोड़ा जिसके अंडकोश काले होते | २ प्रब। हैं पोर माथे पर दाग होते हैं।
हवह (ई)-क्रि०वि० अब, प्रभी, इसी समय । हलू हलूइ-वि० हल्का, धोमा, मन्द ।
हवख (खि, खी)-पु. १ वह द्रव्य जिसकी पाहुति दी जाय, हलूक्राउ-देखो 'हलुकरम' ।
हवि । २ घृत, घो। हलूकमी-देखो 'हलकरमी'।
। हवट-पु० घोड़ा, प्रश्व ।
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हसतरणी
हवड-पु० समय, वेला । -क्रि०वि० प्रब, अभी।
हवालगी-स्त्री० खर्च के लिये दी गई कुछ अग्रिम राशि। हवडा, हवडा-क्रि०वि० [सं० अधुना] १ अब, प्रभी। २ इधर । हवालगीर-पु० [फा०] राज दरबार का एक पदाधिकारी। ३ कभी भी।
हवालदार-देखो 'हवलदार'। हवडो-क्रि०वि० [सं० अधुना] १ मब, अभी। २.देखो 'हिवड़ो'।
हवालात-स्त्री. १ कारागृह, कैद खाना, जेल । २ नजरबंदी। हवणार-देखो 'होणहार'।
हवालीमुवाली-पु० परिग्रह। हवरणो-क्रि०वि० इस समय, पब ।
हवाले, हवाल-वि० [अ० हवाल:] १ सुपुर्द । २ वश में; हवरणी (बी)-देखो 'होणों (बौ).
न काबू में। हवद (६)-१ देखो 'होज' । २ देखो 'होदो'।
हवालो-पु० [अ० हवालः १ उल्लेख, वर्णन । २ उदाहरण, हवदौ (द्दो)-देखो 'होदी'।
मिसाल, दृष्टान्त । ३ प्रमाण। ४ संदर्भ, प्रसंग। हवदाळी-वि० अंबारी युक्त, चारंजामा सहित ।
५ हवलदार का कार्यालय। ६ अधिकार, कब्जा। हवन-पुं० १ यज्ञ होम । २ चढ़ावा, बलि, नैवेद्य । ३ माह्वान, ७ हस्तान्तरण, सुपुर्दगी। ८ खालसे का गांव । ९ कर, प्रामन्त्रण, प्रार्थना । ४ ललकार ।
लगान । १० भूमि का लगान वसूल करने वाला विभाग । हवनिया-स्त्री० चार मास की अवधि ।
हवास-पु० १ पुष्प, फूल । २ घोड़ा, अश्व । हवनीय-वि० हवन करने योग्य । -पु० घी, घृत।
हवि, हवि-क्रि०वि० [सं० प्रथवा, प्रा० अहवा] प्रब, प्रभी। हवरु (रू)-क्रि०वि० अभी, इस समय ।
-स्त्री०१ अग्नि, प्राग। २ हवन सामग्री । ३ घृत, घी। हवलदार-पू०१ सेना या पुलिस का एक छोटा अधिकारी। हविख (स)-पु० [सं० हविष] १ घी, घृत । २ हवन करने योग्य
२कर बसूली व फसल की निगयनी के लिये नियुक्त पदार्थ । अधिकारी।
हविवाह हविवाहण (न)-देखो 'हव्यवाहन'। हवळे, हवल-देखो 'हळवं'।
हविस्मती-स्त्री० [सं० हविष्मती] कामधेनु । हवल-हवल-देखो'हळवै-हळवं'।
हविस्मान-पु० [सं० हविष्मन् यज्ञ कर्ता । हवल्ल-देखो 'हवाल'।
हविस्यव-पु० [सं० हविष्यंद] विश्वामित्र के पुत्र का नाम । हवां-देखो 'हों'।
हविस्य-वि० [सं० हविष्य१ हवन करने योग्य । २ जिसकी हवाभाव-देखो 'हावभाव'।
माइति दी जाने वाली हो, बलि, हवि।। हवा-स्त्री० [४०] १ पंचभौतिक पदार्थों में से एक, वायु, | हविस्यांन्न-पु० [सं० हविष्यान] व्रत में खाने योग्य पदार्थ,
पवन । २ झपट, झौंका। ३ वातावरण । ४ धुन, सनक । फलाहार, शाकाहार। ५ भूत, प्रेत । ६ मातृका का प्रभाव ।
हवी-देखो 'हवि'। हवाइ (ई)-पु. १ एक प्रकार का प्राग्नेयास्त्र । २ एक प्रकार | हवु-क्रि०वि० घब।
की प्रातिशबाजी । ३ चार मास या दो ऋतुषों का समय । | हवे-देखो 'हव' । __ -वि० हवा का, हवा संबंधी। २ हवा में चलने वाला। हवेजो-स्त्री० चने की दाल डाल कर बनाई गई कढी।
३ हवा में छोड़ा जाने वाला। ४ व्यर्थ, निर्मूल, निरर्थक । हवेली-स्त्री० [अ०] दो मंजिला भवन, महल, प्रासाद। . . ५ असत्य ।
हवं-क्रि०वि० प्रब, अभी। -पु. १ स्वीकृति सूचक शब्द, हां। हवाई-जंत्र-पु० तोप।
२ होना क्रिया। हवाईम'ल-पु. १ काल्पनिक महल । २ हवामहल ।
हव्य-पु० [सं०] १ घृत, घो। २ चढ़ावा, नैवेद्य । ३ हवन हवाचक्की-स्त्री०अनाज मादि पीसने की चक्की जो हवा के प्रभाव सामग्री। -वि० हवन करने योग्यः । से चलती है।
हव्यवाह (वाहण, वाहन-स्त्री० [सं० हव्यवाहन] पग्नि, भाग। हवादार-वि० [40] जिसमें हवा के पावागमन की पर्याप्त हसंब, हसभ-देखो 'हसम'। गुजाइश हो, वातायनों से युक्त।
हस-पु० [सं० हास्य] हंसी, विनोद, परिहास । हवामहल, हवामेल-पु. ऐसा महल या भवन जिसमें हवा के | हसरिण (पी)-स्त्री० हंसने की क्रिया या भाव, हंसी, मुस्कान । लिये खिड़की, झरोखे या वातायन अधिक हों।
हसरणी-पु० हंसने की क्रिया या भाव, हँसो। हवाल-पु० [अ० हाल] १ दशा, अवस्था, हालत । २ दुर्दशा, | हसणी (बो)-देखो 'हंसणो'- (बी)।
बुरा हाल, शोचनीय दशा । ३ हाल-चाल, हालात । | हसत-१ देखो 'हस्त'। २ देखो 'हस्ति'। ४ समाचार, खबर । ५ विवरण, विगत । ६ परिणाम । । हसतणी-देखो 'हस्तिनी' ।
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हसतनखतर
( ८९७ )
हस्तिनागपुर
हसतनखतर (नखत्र, नखित्र)-पु० [सं० हस्त-नक्षत्र] खुले हाथ | हस्तकोसळ-पु० [सं० हस्तकौशल] हस्त-लाघव, हाथ की सफाई, की प्राकृति वाला एक नक्षत्र विशेष ।
हस्तकला। हसतबंध-देखो गजबंध'।
हस्तक्रिया-स्त्री० [सं०] १ हाथ के कार्य को निपुणता । २ हाथ हसति हसती-देखो 'हस्ति'।
से इन्द्रिय संचालन । हसतीबंद, हसतीबंध-देखो 'गजबंध' ।
हस्तक्षेप-पु० [सं०] किसी कार्य में या बात में किया जाने हसतेजोमां-पु. एक प्रकार का सरकारी कर ।
वाला दखल । हसत्ति, हसत्ती-देखो 'हस्ति'।
हस्तगत-वि० जो हाथ में प्रागया हो। -वि० प्रधिकार में, हसन-स्त्री० [सं०] १ हंसने की क्रिया या भाव. हंसी। काब में। २ मजाक, दिल्लगी, विनोद हास-परिहास । -पु० ३ अली.
हस्तग्रह-पु० [सं०] पाणिग्रहण, विवाह संस्कार । के दो पुत्रों में से एक।
हस्तरणी-देखो 'हस्तिनी'। हसव-प्रव्य० [अ०] अनुसार, सुताबिक ।
हस्तत्राण-पु० [सं० हस्तत्राण] अस्त्र-शस्त्रों से रक्षा के लिये हसम-पु० [अ०] १ सेना, फौज । २ अश्व, घोड़ा । ३ लश्कर, हाथ में पहना जाने वाला दस्ताना या कवच ।
समूह । ४ नौकर, सेवक । ५ भाग्य । ६ वैभव। -पत, हम्तनक्षत्र (नखत्र)-पु० [सं० हस्तनक्षत्र] पांच तारों वाला, पति, पती-पु० सेनापति ।
हाथ के प्राकार का नक्षत्र । हसमस-पु. १ धक्का, प्रहार । २ उत्साह जोश।
हस्तनी-देखो 'हस्तिनी' । हसमसणी (नौ)-क्रि० १ धक्का देना, ढकेलना। २ उत्साह हस्तपुर-देखो 'हस्तिनापुर'। दिखाना, जोश दिखाना ।
हस्तपुरपत (पति)-पु० [सं० हस्तिनापुर-पति] युधिष्ठिर का हसम्म (म्मि, म्मी)-देखो 'हसम'।
एक नामान्तर । हसर-पु० रिसाले के सवारों का एक भेद ।
हस्तबंध-देखो 'गजबंध'। हसाइ, हसाई-स्त्री० १ हंसी, मजाक । २ अपकीति ।
हस्तभुजासरण (न)-पु० योग के चौरासी प्रासनों में से एक हसारणी (बो)-देखो 'हंसाणी' (बी)।
प्रासन । हसाब-वि. १ उचित, वाजिब, ठीक। २ घेष्ठ, उत्तम । हस्तरेखा-स्त्री० [सं०] हाथों की रेखा । ३ देखो 'हिसाब'।
हस्तलक्षण-पु० [सं०] हथेली में बनी रेखामों के अनुसार हसारथ-स्त्री० हसी।
... शुभाशुभ भाग्य का निर्णय । हसावणो (बौ!-देखो 'हसाणी' (बी)।
हस्तलाघव-पु० [सं०] १ चौसठ कलानों में से एक । २ हस्त हसि-देखो 'हसो' ।.
कौशल। हसित-पु० पुरुषों को बहत्तर कलाओं में से एक । -वि० हंसा |
हस्तलिखित-वि० [सं०] किसी लेखक, पंडित या रचयिता के हुघा, खुश, प्रसन्न, हर्षित। -मुखा-वि० हर्षित या हंसते
हाथ का लिखा हुपा। - मुह वाला।
हस्तवक्षासन, हस्तव्रखासण (न), हस्तविक्षासरण (न)-पु. हसियसद्द-पु० हास्य शब्द ।
[सं० हस्त वृक्षासन] योग के चौरासी प्रासनों में से एक । हसी-देखो 'हो'। हसीम-देखो 'हसम'।
हस्तसंकलिका-त्री० [सं०] हाथ का एक प्राभूषण विशेष । हसैर-पु. एक वृक्ष विशेष ।
हस्तसूत्र-पु० [सं०] रक्षा बन्धन । हसौ-पु० हंसने की क्रिया या भाव, हसी, विनोद, हास्य ।
हस्तांगुलक-पु० एक प्रकार का वस्त्र । हस्त-पु० [सं०] १ कुहनी से अंगुलियों तक का भाग, कर, हाथ । हस्ताक्षर-पु० [सं०] किसी लिखावट के नीचे या कहीं अन्यत्र, २ हाथ की लंबाई का माप, परिमागा । ३ हाथ के प्राकार
अपनी सहमति के रूप में अपने हाथ से लिखा जाने वाला का एक नक्षत्र जो पांच तारों का होता है । ४ हस्तलिपि ।
अपना नाम, दस्तखत । ५प्रमाण, सवून । ६ सहायता, मदद । ७नत्य का एकह स्त-पु० [सं०] १ हाथी, गज। २ऐरावत । ३ हाथी की भाव। ८ देखो 'हस्ति'।
सूड । ४ बरछी। हस्तउड-पु० [स० हस्त-उडू] पांच तारों वाला, हाथ क ाकार हस्तिणि (णी)-देखो 'हस्तिनि' । का एक नक्षत्र ।
हस्तिनागपुर (पुरु), हस्तिनापुर-पु० [स० हस्तिनापुर कुरु हस्तक-पु० [सं०] १ हाथ, हस्त । २ संगीत की एक ताल । । प्रदेश की राजधानी जो गंगा तट पर मेरठ जिले में थी। यह
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हस्तिनी
( ८९८ )
हाणीकर
मेरठ से २२ मील उत्तर पूर्व में थी जो . गंगा के प्रवाह में | हांकांधाका-देखो 'हाकांधाका'। डूबकर नष्ट हो गई।
हांकार-पु. १ हां, स्वीकृति । २ देखो 'हुंकार' । मादा हाथी। २ चार प्रकार की हांकारणी (बो)-क्रि० १स्वीकार करना, अगीकार करना। स्त्रियों में से स्थूल अंगों वाली स्त्री। ३ एक सुगंध द्रव्य, २ मनवाना, कबूल कराना । रूखरी। ४ प्रार्या (गाथा) छन्द का एक भेद ।
हांकारौ-देखो 'हुकारो'। हस्तिमुख-पु० गणेश का एक नामान्तर ।
हांचळ-पु० [स० मञ्चल] १ किसी स्त्री के उरोज, स्तन । हस्तिनाळ, हस्तिसाल, हस्तिसाळा, हस्तिसाला-स्त्री० [सं० २ मादा पशु या जानवरों के स्तन । हस्ति-शाला] हाथियों को बांध कर रखने का स्थान ।
हाजी-पु. १ 'हां' करने की क्रिया या भाव, स्वीकृति सूचक हस्ती-पु० [फा०] १ कोई अस्तित्ववान ण प्रभावशाली व्यक्ति ।
शब्द । २ हां में हां मिलाने की क्रिया या भाव । ३ बड़े २ अस्तित्व, सामर्थ्य, शक्ति। [सं०] ३ एक चन्द्रवंशी व्यक्ति के पुकारने पर 'प्रत्युत्तर में कहा जाने वाला पादर राजा जिसने हस्तिनापुर बसाया था। ४ धृतराष्ट्र का एक युक्त शब्द । ४ . लोकगीतों में प्रयुक्त किया जाने वाला पुत्र । ५ देखी 'हस्ति'।
सम्मान सूचक सम्बोधन । हस्तीबंद (बंध)-देखो 'गजबंध' ।
हांजीड़ो-वि० हां में हां मिलाने वाला, चापलूस । रस्ते. इस्त-क्रि०वि० [सं० हत्य] १ हाथ से, माफत, द्वारा। हांडणी-वि० [स० हिण्ड] १ वारा घूमने वाला. पवारा। - २-हाथ में, हाथ पर । ३ तालके, हवाले।
२ भटकने वाला। हस्म, हस्म्म-देखो हसम।
हांडणी (बो)-देखो 'हांढरणो' (बी)। हहंकार, हहकार (रौ)-देखो 'हाहाकार' ।
हांडलउ. हांडली -देखो 'हांडो' । हयाधीस-पु० [सं० हहयाधीश] सहस्रार्जुन ।
हांडाडोयो-पु० रसोईघर या पाकशाला संबंधी कार्य । हहरणौ (बी)-क्रि० १ कांपना, थर्शना, धूजना। २ डरना, हांडी-स्त्री० [सं० हण्डिका] १ मिट्टी का बना, बटलोई के भयभीत होना।
प्राकार का, मझोला बर्तन । २ पात्र। हहराणी (बी)-क्रि.१ कंपाना, धूजाना। २ डरवाना, भयभीत हाता-पु०१ बड़े पेट का मिट्टी का बर्तन, बडीयिा । करवाना।
२ कोई बड़ा पात्र । ३ बड़े पेट वाला व्यक्ति । ४ मोटाहहलांणउ, हहलांणो-देखो 'हलो '।
ताजा प्रादमी। हहा-स्त्री. १ हंसने की ध्वनि । २ हंसी, मजाक, ठट्ठा। हांढणी (बो)-क्रि० [सं० हिण्ड] १ भटकते हुए फिरना,
३ दुःख या पश्चाताप सूचक ध्वनि 'हहा'। ४ विनती। भटकना । दर-दर की ठोकरें खाना । २ अवारा घूमना, ५ गिड़गिड़ाहट । ६ एक गंधर्व ।।
प्रवास फिरना। हही-१०१ हंसी, मजाक, परिहास, विनोद । २ देवनागरी हरण-स्त्री० १ ऊंट के, जवानी के दांत । २ दांतों के अनुसार वर्ण पाला का अन्तिम वर्ण 'ह'।
ऊंट की प्रायु का निर्णय। ३ प्रायु। ४ शत्रु.। ५ देखो , हां-प्रव्य ० [सं० पाम्] १ स्वीकृति या सम्मति सूचक अव्यय : 'हारिण'।
२ किसी प्रश्न, प्रावाज या सम्बोधन के उत्तर में बोला हांगक-पु. [सं० हानिक] दुश्मन, शत्र, वैरी। -वि०१ हानि - जाने वाला शब्द । ३ होने की अवस्था या दशा ।
___ या नुकसान पहुंचाने वाला । २ चोट करने वाला। हांक-देखो 'हाक'।
हांगकारण-स्त्री. १ किसी कार्य या चलले समय की जाने वाली होकरणी (बी)-क्रि० १ रथ में जुते घोड़ों या गाड़ी में जूते बैलों
स्वरा, पातुराई । २ श्वास की तीव्र गति । -वि० १ पव्यको चलाना, चलाने की क्रिया करना, हांकना । २ प्रोत्साहन
वस्थित, अस्त-व्यस्त । २ भयभीत, डरा हा । ३ विकल, देना, उत्साहित करना । ३ बढ़-बढ़ कर बातें करना, शेखी
व्याकुल, बदहवास । बघारना, गप्पें मारना । ४ चलाना। ५पावाज देना, Iiinो-स्त्री० [#शनि, मान हानि पुकारना । ६ चिल्लाना ।
२ नाश, संहार, बरबादी। ३ ह्रास, क्षय । ४ प्रभाव, होकरणौ (बी)-क्रि० १हो करना, स्वीकार करना । २ मानना,
कमी। ५ बुराई, अपकार, अनिष्ट । ६ घाटा। ७ छूट, कबूल करना।
त्याग । ८ असफलता। ६ अनुपस्थिति । १० कष्ट, दु:ख, हांकल-स्त्री० १ जोर को पुकार, श्रावाज । २ ललकार ।
तकलीफ । ३ देखो 'हाक'।
होणीकर (कारक)-वि० [सं० हानिकारक] १ नुकसानदायक, होकळणौ (बो)-देखो 'हाकलणौ' (बो)।
हानिकारक, हानिप्रद । २ कष्ट-प्रद, दु:खदायो।
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हाए
हाण-वि० १ हनन करने वाला, नाश करने वाला, मारने हामी-स्त्री० १ हां करने या स्वीकारने की क्रिया या भाव, ____ वाला। २ हानि पहुंचाने वाला, नुकसानदायक ।
स्वीकृति । २ सहमति। -वि० शुभचिंतक, हितषी, हाणे. हांण-१ देखो 'हणां' । २ देखो हाने ।
मददगार। हांती-स्त्री० [सं. हिन्त + प्रण -हान्तो] विवाहादि विशिष्ट हामू-देखो 'हाम'।
अवसरों पर बने भोजन विशेष का अंश, जो सबंधियों व | हायली-देखो 'हासली' । मिलने वालों के घर बांटा जाता है।
हांस-पु० १ स्त्रियों के गले में पहनने का प्राभूषण विशेष । हांती-पू०१ नवरात्र स्थापना पर देवी के निमित्त दीवार पर | २ देखो हंस'। __ चिपकाये जाने वाले रंग-बिरंगे कागजों के चिह्न। हांसउ-देखो 'हांसो' । २ नुकसान ।
हांसड़ी-पु. १ एक प्रकार का घोड़ा । २ देखो 'हांसो' । हान-१ देखो 'हाण' । २ देखो 'हाणि'।
हांसल-पु. १ एक प्रकार का घोड़ा । २ देखो 'हासिल' । हांनि, हांनी-देखो 'हारिण'।
हांसली-स्त्री. १ मनुष्य की छाती के ऊपर की धनुषाकार हाने, हॉन-क्रि०वि०१ यथास्थान। २ अधिकार में, कब्जे में, | हड्डी। २ गले में पहनने का एक चन्द्राकार प्राभूषण । वश में।
हांसलीयो, हांसलीयो-पु. एक प्रकार का वस्त्र । हानी-पु० ऊंट के चारजामे का पगला भाग, जीन का अगला
हांसलो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। भाग।
हांसिल-देखो 'हासिल'। हांपणो (बी)-देखो 'हांफणो' (बो)। हांफ-स्त्री० उमंग, इच्छा, ख्वाहिश ।
हांसी-स्त्री. १ श्वास रोग से पीड़ित एक प्रकार की गाय । हांफणी-स्त्री० १ तीव्र गति से श्वास पाने की दशा या भाव ।
२ देखो हंसी'। २ श्वास रोग, दमा को बीमारी।
होसी-पु० [सं० हास्य] १ हंसने की क्रिया या भाव । २ हंसी, होफणी (बी)-क्रि० [सं० उष्मायते] तीव्र गति से श्वास लेना,
विनोद, मजाक, परिहास । ३ किसी की उपेक्षा करने या - उसांसें भामा, हाफना।
अपमान करने के लिये किया जाने वाला व्यंग, उपहास, हांफर-क्रि०वि० हांफते हुए।
दिल्लगी, खिल्ली। ४ हंसने की ध्वनि । ५ सफेद जीभ
वाला बैल '६ देखो 'हसो' । ७ देखो 'हंस' । हांकळणो (बौ)-क्रि० उतावला होना, मातुर होना।
हा-हां-प्रव्य० मुह से, कहा जाने वाला शब्द जिसके उच्चारण हांफी-देखो 'हांफरणी'।
भेद से स्वीकृति या निषेधात्मक पर्थ प्रकट होता है। हांभाइ-स्त्री० गाय के रंभाने से उत्पन्न ध्वनि ।
हा-प्रव्य० [सं०] १ दुःख, उदासी, पीड़ा के अर्थ में मुंह से हाम-स्त्री. १ मन की इच्छा, कामना, अभिलाषा, चाह; की जाने वाली ध्वनि । २ प्राश्चर्य या प्राहलाद सूचक
मनोरथ । २ उत्कण्ठा, लालसा। ३ उत्साह, उमंग, जोश । शब्द । ३ क्रोध या भर्त्सना सूचक ध्वनि । ४ है का भूत४ क्षमता, योग्यता। ५ धैर्य, धीरज। [५. हाम:] | कालिक रूप था, थे। ५ एवम्, अथ । ६ कपाल, खोपड़ी, मस्तक । ७ अपने गोत्र या जाति का नाम ।
हाइभाइ, हाउभाउ-देखो हावभाव' ।। होमकांम-पु० मन का प्रावेग।
हाऊ-पु. बच्चों को डराने-धमकाने के उद्देश्य से बताया जाने हामसमलोचनी-स्त्री०१ कामुक नेत्रों वालो स्त्री, मदिरेक्षणा। __वाला एक काल्पनिक जंतु, हौवा। २ अत्यन्त सुन्दर ।
हाऊबोर-पु० बेरों को एक जाति व इस जाति का बेर । होमकामा-स्त्री० १ अत्यन्त सुन्दर नेत्रों वाली स्त्री । २ इच्छाहाक-स्त्री० [स. हक्क] १ जोर से पुकारने का शब्द, पावाज, पूर्ण करने वाली स्त्री। ३ रति की इच्छा करने वाली
पुकार । २ हल्ला गुल्ला, शोरगुल । ३ हुकार, वीर स्वनि । स्त्री।
४ ललकार । ५ प्रेरित या उत्साहित करने संबंधो शब्द । हामगीर-देखो 'हमगोर'।
६ चिल्लाहट । ७ ऊंची धावाज या जोर का शब्द । हामळ-स्त्री० स्वीकृति, स्वीकारोक्ति, सहमति ।
८ समूह का सम्मिलित स्वर । ९ डांट-फटकार, प्रताड़ना। हामली-वि० (स्त्री० हामली) १ प्रसन्नचित्त, खुश । २ सौहार्द | १० डर, भय, मातंक । पूर्ण । ३ विनम्र।
हाकड़णी (बी)-कि० [सं० हिक्कितिम्] अटकते-प्रटकते बोलना, हामस-स्त्री० इच्छा, कामना।
हकलाना।
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हाकड़ियो
हाजरियो
हाकड़ियो-वि० १ तेज चाल से चलने वाला । २ देखो 'हाकडौ'। हाकालरणो (बो)-देखो 'हाकलणी' (बो)। हाकडी-० [देश॰] १ सतलज नदी से संबंधित एक नद। हाकाहाक-स्त्री० १ बहुत से व्यक्तियों के सम्मिलित स्वर से
(स्त्री० हाकडी) २ हकलाते हुए बोलने वाला व्यक्ति । होने वाली तेज प्रावाज शोरगुल, हल्ला-गुल्ला । २ हुँकार, हाकडाक-स्त्री० [सं० हक्क-डांकृति] १ रणभैरी, रणवाद्य । वीर हाक, वीर ध्वनि। वीरों की हुंकार।
हाकि-देखो 'हाक'। हाकरणी-वि० १ ललकारने वाली, हांकने वाली। २ देखो | हाकिनी-स्त्री० तंत्र को एक प्रकार को घोर देवी ।
हाकिम-पृ० [अ०] १ राजा, नरेश, बादशाह । २ स्वामी, हाकरणौ (बो)-देखो 'हांकरणों' (बो)।
मालिक । ३ शासक । ४ अध्यक्ष, सरदार, नेता । ५ किसी हाकबंबाळ-वि० बहादुर, वीर, पराक्रमी।
प्रान्त या जिले का सबसे बड़ा अधिकारी, हुकूमत करने हाकबक. हाकबाक-देखो 'हाकियो-बाकियों'।
वाला, शासन करने वाला हुक्म चलाने वाला। हाकम-देखो 'हाकिम'।
हाकिमी-स्त्री० [अ०] १ हाकिम का कार्य या पद । २ शासन, हाकमारीघरुलाग-स्त्री० प्रजा से वसूल किया जाने वाला एक हुकूमत । ३ स्वामित्व । कर विशेष ।
हाकियो-बाकियो-वि० (स्त्री० हाकीबा को) हक्का-बक्का, हाकमी-देखो 'हाकिमी'।
भौंचक्का, हतप्रभ । स्तब्ध । हाकर-डाकर-स्त्री० वीरों की हुंकार ।
हाकोटरगो (बो)-क्रि० हांकना। हाकरणो (बी)-क्रि०१गरजना, दहाड़ना। २ ललकारना, | हाकाटा-वि० १ प्रसन्न, खुश । २ स्वस्थ, स्वच्छ ।
चुनौती देना। ३ चिल्लाना। ४ देखो 'होकरणो' (बी)। हाकोबेदी-पु० शोरगुल, हल्ला-गुल्ला, कोलाहल । ५ देखो 'हॉकरणो' (बी)।
हाको-पु. १ जोर का शब्द या अावाज । २ पुकार, प्रावाज । हाकळ-पु० १ चोदह मात्रा का एक छन्द विशेष । २ एक ३ शोर, हल्ला-गुल्ला । ४ ललकार, चुनौती । ५ किसी को वणिक छन्द विशेष ।
बुलाने या लोगों को एकत्र करने के लिए किया जाने वाला हाकल-देखो 'हाक'।
हल्ला । ६ चर्चा, खबर, अफवाह । ७ धिक्कार, फटकार;
डांट। ८ चिल्लाहट, हायत्राय । ९ गर्जना, हुंकार । हाकलणी (बो)-क्रि० १ चलाना, हांकना। २ ललकारना चुनौती देना। ३ प्रोत्साहित करना, उत्साह देना।
१० बहुत से लोगों या प्राणियों का समवेत स्वर, शोर ।
हाक्यौ-बाक्यो-देखो हाकियो-बाकियो । ४ डांटना, फटकारना, दुत्कारना। ५ जोश दिलाना, उत्तेजित करना । ६ जोर से पुकारना, प्रावाज देना ।। हागड़थाट-पु. १ प्रामोद-प्रमोद, क्रीड़ा, विनोद । २ वैभव,
७ हुंकार भरना, परजना । ८ डराना, भयभीत करना। ठाट-बाट । हाकळि-१ देखो 'हाकळ' । २ देखो 'हाकळी'।
ह गड़दि हाग्गड़दि-स्त्रो० हाहाकार, त्राहि-त्राहि । हाकळिका-स्त्री० पन्द्रह प्रक्षों का एक वर्ण वृत्त ।
हागडाथाट-देखो 'हागडयाट' । हाळियौ-वि० हकलाकर बोलने वाला, हकलाने वाला। हाड़ी-स्त्री० रबी की फसल । डाकळो-स्त्री० १ दश प्रक्षरों वाला एक वर्ण वृत्त । २ देखो | हाजत-स्त्री० [अ०] १ इच्छा, कामना, अभिलाषा, ख्वाहिश ।
| २ मलत्याम को इच्छा. टट्टी की शंका । ३ शंका, सदेह । डाकल्ल-पू०१ फौज, सेना । २ घोड़ा, अश्व । ३ सिपाही, हाजमो-पु० [अ० हाजिम] पाचन शक्ति, पाचन क्रिया।
सैनिक । -वि. १ हांका जाने वाला । २ देखो 'हाकल'। हाजर-देखो हाजिर' । हाकहोक हाकहूक-देखो 'हाकाहाक'।
हाजरजबाब-देखो 'हाजिर-जबाब' । हाकांणी-पू० दुभिक्ष के समय मवेशी को पानी व घास वाले हाजरनाजिर-पु० वह नौकर या सेवक जो हर समय सेवा में - प्रदेश में ले जाना क्रिया।
उपस्थित रहे। -वि० तैयार, उपस्थित । -क्रि०वि० खुले हाकांताका हाकांधाकां-क्रि०वि० १ देखते देखते, खुले प्राम । पाम, दिन दहाड़े। २ बलात्, हठात् ।
हाजरि-देखा 'हाजिर'। हाकादड़बड़-पु० शोरगुल, हल्ला-गुल्ला ।
हाजरियो-पु० १ सेवक, अनुचर, नौकर । २ संदेश बाहक । हाकार, हाकारो-देखो 'हाहाकार'।
३ हाथ में रखने का डंडा ।
'हाकल'।
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हाजरी
हाडोहाड
हाजरी-स्त्री० [५. हाजिरी] १ उपस्थिति, मौजूदगी या| गौरव, वंश की मर्यादा, कुलीनता । -वि० सफेद, श्वेत ।
वर्तमान होने की अवस्था । २ विशेष कार्य या अवसर पर | हाडकाडो (हाडकौड़)-पु. वह स्थान जहां मृत पशुषों की उपस्थिति । ३ नौकरी, स्कूल या कार्य पर उपस्थित होने के | हड्डियां पड़ी रहती हैं। हस्ताक्षर, उपस्थिति । ४ कार्य, कर्तव्य । ५ सेवा, चाकरी, हाडको, हाडको, हाडख-देखो 'हाड'। टहल । ६ प्रपन काय या स्वाथ सिाद के लिये बार-बार [हाडजळ-पू० प्रग्नि, धाग। जाने की क्रिया या भाव । ७ देखो हाजिर'।
हाडजुर-पु. एक प्रकार का ज्वर । हाजित-देखो 'हाजत'।
हाडफूटणी, हाडकूटि, हाडकूटी-स्त्री० [सं० हड्डस्फूटि] हड्डियों हाजिर-वि० [अ०] १ उपस्थित, मौजूद, विद्यमान । २ प्रस्तुत । ____ में होने वाली पीड़ा, दर्द । ३ सन्नद्ध, सावधान । ४ उपलब्ध। .
हाडफोड़-वि० १ बलवान । २ मांसाहारी । हाजिर-जबाब-वि० [अ०] १ किसी बात का तत्काल उत्तर | हाडबरड़-वि० जबरदस्त । • देने वाला । २ प्रत्युत्पन्न मति या कुशाग्र बुद्धि वाला। | हाडवेर, हाडबैर-पु० [सं० हहु-वर] पारिवारिक सदस्य या हाजिरजबाबी-स्त्री० [प०] १ 'हाजिर-जबाब' होने की अवस्था संबंधी को मारने के बदले में बंधने वाली शत्रुता, ___या भाव । २ तुरन्त जबाब देने की क्षमता।
दुश्मनी, वैर। हाजिरात-स्त्री० [अ०] भूत-प्रेत प्रादि को बुलाने की क्रिया। हाडवड़ियो-पु० कृषि कार्य में खेत में काम कराने के बदले काम हाजिरि-पु० १ छडीदार, प्रतिहार । २ देखो 'हाजरी' ।
करने वाला व्यक्ति। हाजिरियौ-देखो 'हाजरियो।
हाडवड़ी-स्त्री० काम के बदले काम करने की क्रिया (कृषि)। हाजिरी-१ देखो 'हाजरी'। २ देखो 'हाजिरी'।
हाउसंकलि-स्त्री० [सं० हड + शखला] मस्थि-पंजर, अस्थिहाजी-पू० [१०] वह व्यक्ति जिससे हज की यात्रा करली हो, समूह । हज किया हुमा।
हाडहोड, हाडहीड-स्त्रो० १ प्रतिस्पर्धा । २ बहस, तर्क, दलील । हाजी-विट्ठल-पु. मुसलमान हिजड़ों का एक पीर।।
३ शोरगुल, हल्ला'। हाट-स्त्री० [सं० हट्ट] १ वह स्थान, मकान या कक्ष जहाँ हाडा-पु० १ चौहान क्षत्रियों की एक शाखा। २ राठौड़ों की वस्तुपों का क्रय-विक्रय होता है, दुकान । २ बाजार ।
एक उपशाखा। ३ सुनार लोहार प्रादि के कार्य करने का स्थान या कक्ष । | हाडारौखेत-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक प्रकार का अप । हाटक-पु० [सं०] १ स्वर्ण, सोना । २ देखो 'हाट' । हाडारोतिल-पु. एक प्रकार का तिलहन जो बिना बोये उत्पन्न हाटककोट, हाटकपुर-पु० [सं०] स्वर्ण निर्मित नगर लंका। होता है। हाटकलोचरण (न -पु० [सं० हाटक-लोचन) हिरण्याक्ष नामक | हाडि-१ देखो 'हाड' । २ देखो 'हाडी' । दत्य ।
हाडी-स्त्री. १ 'हाडा' राजपूतों को पुत्री; हाडा' जाति की हाटकेस-पु० [सं० हाटकेश] शिव की एक मूर्ति जिसकी क्षत्राणी। २ मादा कोना। ३ ऊंटों का एक रोग जिससे उपासना गोदावरी के तट पर होती है ।
उसके पिछले पैर की हड्डी बाहर निकल पाती है। हाटडि, हाटडि, हाटडी-१ देखो 'हाट'। २ देखो 'हटडी'।
४ देखो 'हाड'। हाटी-पु० [सं० हाट्रिक] १ हाट लगाने वाला बरिणक, | हाडेराव-देखो 'हाडोराव'। - व्यापारी। २ देखो 'हाट'।
हाडोघास पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक प्रकार का घास । हाटेडी-पु० [सं० हाटिका] हाट पर सामान बेचने वाला;
हाडोतण-स्त्री०१ हाडौती प्रदेश की वस्तु । २ हाडौती प्रदेश में . दुकानदार। .
उत्पन्न तमाखू । ३ देखो 'हाडी'। हाटोहाट-क्रि०वि० एक दुकान से दूसरी दुकान,दुकान-दुकान पर। हाडोती-स्त्री. १ "हाडा" चौहानों के राज्य वाला क्षेत्र, हाठ-देखो 'हाट'।
बतपान में कोटा-बूदी वाला राजस्थान का क्षेत्र। २ इस हाछु, हाठू-देखो 'प्रांठू'।
क्षत्र की बोलो। हाड, हाडक-पु० [सं० हड] १ किसी प्राणी के शरीर का | हाडोराव-पु०१ हाडा शास्त्रा का क्षत्रिय राजा । २ एक लोक
पस्थि समूह, हड्डी, अस्थि । २ मृत प्राणी के शरीर को गीत विशेष। हड्डो का टुकड़ा, अश, हड्डी। ३ शरीर, पिंड । ४ वंश का हाडोहाड-देखो 'हाडोहाड' ।
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( ९०२ )
हाथी
हाडी-पु. (स्त्री० हाडी) १ हाडा जाति का क्षत्रिय । २ कोवा। जागीर के बदले में दिया जाने वाला धन जिससे वे अपना हाडौहार-क्रि० वि० १ अंग-प्रत्यंग में, सम्पूर्ण अंग में।। निर्वाह करते थे। . २ यथोचित, ठीक।
हाथगरौ-वि० प्राधित।। हात-देखो 'हाथ'।
हाथड़, हाथड़ी-1 देखो 'हाथ' । २ देखो 'हाथळ' । हातकमाई-स्त्री०१ स्वयं का उपाजित धन, खुद की कमाई। हाथफूल-देखो 'इथफूल'। २ अपने हाथ या परिश्रम से बनी वस्तु ।
हायबाथ-स्त्री० इच्छानुसार तेज चलने वाली ऊंटनी। हातळ-देखो 'हाथळ'।
हाथरू-पु० हाथी, गजराज । हातळियौ-देखो 'हाथ'।
हाथरौकूरब-पु० देशी राजामों को दिया जाने वाला सम्मान या हातळी-स्त्री० पारा की मूठ या बेंट । छोटा हत्था ।
ताजीम । हातवीसाळी-देखो 'वीसहती'।
हाथळ-स्त्री० [सं० हस्त-तल] १ सिंह का अगला पंजा। हाता-वि० संहार या हनन करने वाली।
२ हाथ का पंजा, हथेली, करतल । ३ बांह, भुजा। हातापाई-स्त्री०१ द्वन्द्व युद्ध, झगड़ा। २ हाथ-पांव मार कर
४ शस्त्र प्रहार । ५ हाथ का कवच । ६ देखो 'हाथ' । की जाने वाली छोटी-मोटी लड़ाई। ३ मस्ती।
हायळचेरी-स्त्री० हर समय उपस्थित रहने वाली दासी। हातिम-वि० [.] १ दानी, उदार। २ निपुण, चतुर ।
हाथळणी(बौ)-क्रि० हाथ के पंजे से प्रहार करना । ___ -पु. १ न्यायाधीश, जज । २ काजी। ३ एक बड़ा कौमा। हालियो-पु० हल के ऊपर बना हत्था, दस्ता। हाती-देखो 'हाथी'।
हाथलूहांण-पु० हाथ पोछने का वस्त्र । हाते, हात-क्रि०वि० १ हाथ से। २ स्वयमेव, स्वतः ।
हाथलो-पु. बैलगाड़ी का एक उपकरण विशेष ।
हाथसाडइ-पु० हाथ पोंछरो का वस्त्र । ३ हाथ में।
हाथां-क्रि०वि० [सं० हस्त] १ हाथों में, हाथ में । २ अपने हातोताळी-क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी।
___ हाथ से, स्वयं द्वारा। हातोपाईं-स्त्री. १ हस्त प्रक्षालन, हाथों को धोना क्रिया।
हाथांहेल-वि० बड़ा दानी, बड़ा त्यागी, उदारचित्त । २ देखो 'हातापाई।
हाथाछूट, हाथायटो-क्रि०वि० तीव्र गति से, तेजो से । हातोहाथ (हाथ)-देखो 'हाथोहाथ'। ..
हाथाजोड़ी, हाथाजोडी-स्त्री० १ खुशामद, पाजीजी, नम्रता । हाती-पु. १ घेरा हुमा स्थान, पहाता। २ सीमा, हद। २ भौषधि में काम प्राने वाला पौधा विशेष ।
३ रोक, निषेध । ४ नवरात्र स्थापना पर देवी के निमित्त, हायांताळी-स्त्री० [सं० हस्त-ताल] १ दोनों हाथों से बजाई दीवार पर चिपकाये जाने वाले रंग-बिरंगे कागजों के
जाने वाली ताली। २ दोनों हाथों से ताली बजाने में चिह्न। ५ देखो 'हाथों'।
लगने वाला समय। हास्थियो, हात्योयो-देखो 'हाथी'।
हाथापाई-स्त्री०१ हाथ-पांव मारकर की जाने वाली लड़ाई। हाप-पु० [सं० हस्त] १ मनुष्य जाति के प्राणियों के शरीर का २ हाथ-पांवों से की जाने वाली मस्ती । ३ हाथ-पांव धोने
प्रमुख अंग जिससे समस्त क्रियायें सम्पादित की जाती हैं, I. की क्रिया। कर, हस्त । २ मनुष्य के हाथ की कुहनी से पंजे तक की हाथाळ-वि० १ शक्तिशाली, बलवान । २ प्राजानबाह । लम्बाई का एक नाप । ३ हाथ के पंजे का चिह्न। ४ ताश
३ शस्त्र चलाने में प्रवीण, चतुर । ४ हाथल वाला। के खेल में बनने वाला सर । ५ चौसर के खेल में एक
५ योद्धा, वीर । -पु० सिंह, शेर। पासा । ६ पारी। -क्रि०वि० १ वश या काबू में, अधिकार
हाथालगि-वि० हस्तगत किया हुषा, प्राप्त । में। २ देखो 'हासिल' .
हाथाळी-देखो 'हथेळो'। हाथकड़ो-देखो 'हथकड़ी'।
हाथाळी-देखो 'हाथाळ'। हायकांम-पु० यज्ञोपवीत, विवाहादि मांगलिक कार्य का प्रारंभ एवं गणेश पूजन।
हाथि-१ देखो 'हाथ' । २ देखो हाथो' । हायखरच-पु० [सं० हस्त + फा० खचं] १ भोजन-वस्त्रादि के हाथिणी-देखो 'हथणी'।
अतिरिक्त व्यसन, शौक- संबंधी निजी खर्च । २ ऐसे खर्च | हाथियो-१ देखो 'हाथी' । २ देखो 'हाथी'। की निर्धारित राशि । ३ राजामों द्वारा सामन्तों को उनकी | हाथी, हाथोड़ो-पु० [सं० हस्तिन्] १ विशाल एवं स्थूल शरीर,
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हाथोनाळ
-
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गज,
लंबी 'ड वाला प्रसिद्ध स्तनपाई चौपाया जानवर ज इस्ती । २ हरिजन, मेहत्तर, भंगी । ३ शतरंज का एक मोहरा । ४ एक प्रकार का कीड़ा - खांनी पु० हाथियों को बांध कर रखने का स्थान इस्तिशालायांत ५० हाथी के मुंह से बाहर निकले दांत बंध १० ऐसा व्यक्ति या -यांनपुं०] महावत
घराना जहाँ हाथी रखने की क्षमता हो ।
डायोनाळ स्त्री० एक प्रकार की तोप हाथीपगी- पु० १ एक प्रकार का रोग । २ हाथी जैसे पांवों
वाला ।
( ९०३ )
हाथीवच स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती, तरकारी हाथोमती स्त्री० [साबरमती में गिरने वाली एक नदी । हाथी मूळ पु० एक प्रकार का ग्राम व इसका वृक्ष । हाथीमोगरी - पु० मोगरे की जाति का पौधा विशेष । हाथी हाथोयो-देखो 'हाथी'।
हाथी- सिवाय १० राजान्यादबाहों द्वारा दिया जान बाला
पुरस्कार, सिरोपाव ।
हापुड़ी (डी) - स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती ।
हाथोहाथ कि०वि० १. एक हाथ से दूसरे हाथ प्रतिहस्त
२ लगेहाथ तुरन्त शीघ्र - वि०३ प्रत्यक्ष ४ खुद स्वय । - पु० मिल-जुल कर काम को शीघ्र निपटाने की क्रिया । हाथी-पु० [सं० इस्तक] १ किमी घोज़ार या उपकरण का दस्ता, मूठ, बेंट । २ जुलाहों का एक उपकरण । ३ हाथ का चिह्न, निशान ४ देखो 'हात'
हाथोहाथ देखो 'हाथोहाथ' ।
- ।
हावर वि० सुन्दर, मनोहर ।
हाबी स्त्री० जबड़ा ।
हाय स्त्री० [सं० हा ] १ जोर से रोने, चिल्लाने की क्रिया या भाव जाहि-त्राहि २ दुराशीष शाप व पाह हाथी - स्त्री० १ घृणित वस्तु, मल, विष्टा । २ घृणित वस्तु के प्रति बोला जाने वाला शब्द ।
हायणी - स्त्री० पचास से साठ वर्ष तक की प्रायु । (जैन) हायतराय, हापत्राय स्त्री० १ करुण क्रन्दन, विलाप । २ व्यग्रता, धातुराई ३ स्वधिक परिश्रम दौड़-भाग हायधाय स्वी० दु:कमरी मावाज |
हायन पु० १ वर्ष, साल, संवत्सर । २ शोला, अंगारा । ३ एक प्रकार का चावल । वि० १ गुजरा हुआ, बीता हुप्रा, विगत २ छोड़ा हुम्रा, त्यागा हुधा, परित्यक्त ।
हालि हाली स्त्री० [सं० इस्त+लि] हाथ का एक प्राभूषण हाययोव स्त्री० १ फूकने की भावाज शोरगुल इला
विशेष | हा वालइ
२ विलाप, क्रन्दन । ३ प्रलाप, बकवास । हायहाय देखो 'हायत्राय' - ।
इ-देखो 'इथले वो' । हाये हाथ में २ में काबू में ३ हाथ से । ४ स्वत:, अपने प्राप । हाथोगळ - स्त्री० गले पर हाथ रख कर ली जाने वाली सौगंध, शपथ ।
हाथोड़ी-देखो 'थोड़ी। हाथोड़ी देखो 'हथोड़ी
हार-स्त्री० [सं०] हार, हारि १ बुद्ध, बड़ाई खेल घादि में होने वाली पराजय शिकस्त, जीत का विपर्याय। २किसी कार्य या प्रयास में मिलने वाली एसफलता । ३ माला, स्वर्ण, चांदी आदि का माला जैसा प्राभूषरण । ४ लड़ाई, संग्राम । ५ एक दीर्घ या गुरु मात्रा का नाम । ६ प्रथम गुरु के गगरण का नाम ७ छन्द शास्त्र में ठगरण का चौथा भेद ८ अंक गणित का भाजक, विभाजन । ९ वन, जंगल । १० खेत । ११ राज्य द्वारा किया जाने वाला हरण, जन्ती । १२ पंक्ति । १३ देखो 'हारों' ।
हाफ हाफिजपु० [० हाफिज] वह ममान जिसे कुरान कंठस्य हो वि० [० मुधाजि] रक्षक
1
हापूस पु० एक प्रकार का श्राम।
हाके, हाफ चि०वि० अपने धाप स्वयं सर्व० स्वयं युद हाव-गाव-वि० जिसका संतुलन बिगड़ गया हो, परिचर पित्त, उद्विग्न व्यय २ स्तभित, भयभीत
1
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हारणी
हाबू - पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक प्रकार का कीड़ा । हायूब पु० रंग विशेष का घोड़ा
हाबी पु० १ शोरगुल, हल्ला-गुल्या २ रोने की भावान चिल्लाहट । ३ करुण पुकार ।
हारक - पु० [सं०] १ चोर । २ हरण करने वाला, लुटेरा । धूर्त, कपटो ४ मुक्ताहार । ५ विभाजक - वि० हारने
वाला ।
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हारणी - वि० (स्त्री० हारणी) १ हरण करने, नष्ट करने वाला । पापा। २ हारने वाला, पराजित होने वाला । १३ निराश होने या थकने वाला ।
हारणी (बी) कि० [सं० हु हारयति] १ बुद्ध लाई मुक
दमा, खेल प्रादि में पराजित होना, शिकश्त खाना । २ प्रपना दांव गंवा देना, खो देना। ३ कार्य में असफल होना । ४] इतोत्साहित होना हारबान लेना ५ मूल्य
1
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हारद
( ९०४ )
हालर-हूलर
वस्तु का सदुपयोग न होना, व्यर्थ खोदेना। ६ जबान
वृत्तान्त, बयान । ५माख्यान, कथा। ६ व्यवस्था । ७ चलने खाली जाना।
का ढंग, गति, चाल । ८ सुख, चैन । ९ वर्तमान काल । हारव-पु० [सं० हादं] १ प्रेम, स्नेह प्यार । २ कृपालुता, १० वर्तमान से कुछ पहले का समय । [सं० हाल:]
दयालुता । ३ कोमलता, नाजुकता। ४ अभिप्राय, इरादा, ११ हल। १२ हल का हरिसा। १३ बलराम का एक मन की बात । ५ दृढ़ संकल्प । ६ प्रेमी, मित्र ।
नाम । १४ शालिवाहन का एक नाम । १५ एक प्रकार का हारदा-पु० [सं० हृदय] हृदय, दिल, मन।।
पक्षी। -प्रव्य० [फा०] १ अभी, इसी समय । २ तुरन्त, हारविक-वि० [सं० हार्दिक] १ हृदय का, हृदय से संबंधित, तत्काल । ३ अभी तक, अब तक। ४ शीघ्र, जल्दी। हृदय से निकला हुआ। २ सच्च, वास्तविक ।
५ फिलहाल। हारबंद, हारबंध-पु० [सं० हार-बंध] एक प्रकार का हारनुमा हालक-पृ० [सं०] बादामी या भूरे रंग का घोड़ा। -वि. चित्र काव्य ।
पीला, हरा। हारमेल-देखो 'हमेल'।
हालड़ौ-पु० [देश॰] हेंगा नामक एक कृषि उपकरण । हारमोनियम-पु० [अ०] सन्दूक से प्राकार का एक प्रसिद्ध
हाल-चाल-पु० १ दशा, हालत, अवस्था, स्थिति । २ रंग-ढंग, स्वर वाद्य।
३ समाचार, खबर। ४ विवरण, वृत्तान्त । ५ रहन-सहन हारमोर-वि० १ गायब, प्रलोप, लुप्त । २ अदृश्य, मोझल ।
का ढंग। ३ नष्ट ।
हालण-स्त्री० १ चलने की क्रिया या भाव । २ गतिमान होने हारल-स्त्रो० एक प्रकार की चिड़िया ।
की क्रिया या भाव। हारवणी (बौ)-देखो 'हराणी' (बी)।
हालग-डोलण-स्त्री० १ हिलने-डुलने की क्रिया या भाव । हारवल्ली-स्त्री० माला।
२ साधारण या फुटकर कार्य । हारसणगार (सिंपार, सिंगार)-पु० [सं० हार + शृगार] | १ एक प्रकार का वृक्ष, पारिजातक वृक्ष । २ वस्त्राभूषणों
हालणसींगौ-पु० (स्त्री. हालणपींगो) वह बैल (पशु) जिसके
सींग हिलते हों। से किया जाने वाला शृगार।
हालगो (बी)-क्रि० [सं० हल्लनं] १ गतिमान होना, चलना । हारहूर-पु० [सं०] एक प्रकार का मद्य।
२ रास्ते चलना, आगे बढ़ना, जाना। ३ कहीं जाना; हारहूरा-स्त्री. १ मुनक्का दाख, द्राक्षा । २ अंगूर ।
चलना। ४ प्रस्थान करना, रवाना होना । ५ घूपनाहाराड़-रत्री० १ लड़ाई, झगड़ा । २ युद्ध, जंग ।
फिरना, टहलना, विचरण करना । ६ हिलना-डुलना, हारावरणों (बो)-देखो 'हराणी' (बौ)।
झोले खाना । ७ कांपना, धूजन।। ८ उड़ना । ९ होना, हारि-देखो 'हार'।
चलना । १० पाना, चलना । ११ व्यभिचार की दृष्टि से
किसी से लगना । १२ प्रचलन, व्यवहार या जारी रहना। हारिक-देखो 'हारक' ।
१३ ठीक उपयोग होते रहना । १४ चलना । हारिख-पु. एक प्रकार का रोग।
हालत-स्त्री० [अं०] १ दशा, अवस्था । २ घर की अवस्था हारित-पु० [सं०] १.एक प्रकार का कबूतर । २ हरा रंग ।
माथिक स्थिति। ३ वातावरण, स्थिति । ४ वृत्तान्त, -वि० १ हारा हुअा, पराजित । २ भेंट किया हुआ।
हाल । ५ समाचार, खबर । हारीत-पु० [सं० हारीतः] १ एक कबूतर विशेष । २ धूर्त या ।
हालतसींगौ-पु. (स्त्री० हालतसींगी) वह बैल जिसके सींग झुके कपटी व्यक्ति। ३ जाबाल ऋषि के पुत्र का नाम ।।
हुए तण हिलते हुए हों। ४ विश्वामित्र ऋषि का एक पुत्र । ५ देखो 'हारित' ।
हलताई-क्रि०वि० अभी तक, अब तक । हारु, हारू-वि० १ कायर, डायोक । २ कमजोर, अशक्त ।
३ हार मानने वाला । ४ देखो 'हार'। ५ देखो 'हारोहाळबोळ-देखो 'हळा बोळ' । हारी-प्रत्य० क्रिया शब्दों के पीछे लगकर विशेषण बनाने वाला
हालमकर-पु० अनार, दाडिम । एक प्रत्यय । -पु० १ चूहा । २ देखो 'हार'।
हालर-देखो 'हालरियो'। हालदियो, हालंदौ-वि० (स्त्री० हाल दी) चलने वाला। हालस्कालर-पु. चापलूसी, खुशामद । हाल-पृ० [१०] १ दशा अवस्था, हालत । २ रंग-ढंग, हालर-हूलर-पु. १ व्यर्थ का प्रलाप । २ व्यर्थ कार्य. अंझट ।
स्थिति । ३ समाचार, खबर, संवाद । ४ ब्यौरा, विवरण, ३व्यर्थ का हंसी-ठट्ठा
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हालरि
हासक
हालरि, हालरियु, हालरियो-पु. १ बच्चा, पुत्र, बेटा। हाळी-चिट्ठी, हाळीचीट्ठी-स्त्री० जागीरदार द्वारा किसान
२ बच्चों को सुनाई जाने वाली लोरी । ३ बच्चे का पलना, को, कूमा या खेत जोतने की स्वीकृति के रूप में लिखा झूला । ४ बच्चे को पलने में झुलाने की क्रिया । ५ बच्चे जाने वाला खत। के जन्मोत्सव पर गाया जाने वाला लोकगीत विशेष । हाळीपण (पणी, पौ)-पु० १ 'हाळो' का कार्य, 'हाळो' के रूप ६ एक अन्य लोकगीत । ७ गले में धारण करने का । में नौकरी । २ इस कार्य का पारिश्रमिक । पाभूषण विशेष ।
हाळी-बाळदी-पु. नौकर-चाकर । हालरी-पु० १ वीररस पूर्ण गायन । २ घोडे के गले का हाळोबोज-स्त्री० वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया जो
प्राभूषण विशेष । ३ हाथ के इशारे से बुलाने की क्रिया या किसानों के लिये शुभ दिन माना जाता है । भाव । ४ देखो 'हालरियो।
हाळेड, हालेड़-वि० १ गंदे स्थान पर जाने या गंदी चीज खाने हालवद-पु० तंग, तस्मा।
का प्रादी (पशु)। २ पवारा, बंधन रहित ।-पु. ऐसा हालवी-पु. रतिक्रीड़ा प्रादि के लिये पाने-जाने की क्रिया पशु जो वस्तु विशेष को खाने के लिये स्थान विशेष पर या भाव।
जाने का प्रादी हो। हालहवाल-पु. १ दशा, अवस्था, हाल-चाल । २ समाचार, हाळेती-देखो 'हाळी' । खबर, वृत्तान्त ।
हालोचालो-पु. हो-हल्ला, शोरगुल, हलचल । हालहुकम (हुकम्म, हुक्म)-पु० हुकूमत, शासन ।
हालोर-देखो 'हालार'। हाला-स्त्री० [सं०] १ शराब, मदिरा । २ भाटी वंश की एक | हालोहळ, हालोहाल-पु०१ शोरगुल । २ देखो 'हळाहळ' । शाखा । ३ पर, चरण।
हाळो, (लो)-प्रत्य० वाला।। हालाइलो (डोई. डोली, डोलो)-पु. १ छोटा-मोटा घरेलू हालौ-पु. १ चलने का संकेत, हाथ का इशारा। २ चाल-चलन कार्य । २ व्यथं का गोरखधधा ।
व पाचरण-व्यवहार । ३ भाटी वंश की 'हाला' शाखा का हालादोळी-स्त्री० १ प्रार्थना, बंदगी, स्तुति । २ देखो व्यक्ति । 'हालाडोई'।
हालौचळ, हालौहळ (हाल)-स्त्री० हलचल । हालार-पु० 'हाला' भाटियों के शासन वाला गुजरात का एक
हाल्यो-मोल्यो-वि० तुच्छ, पौछा । प्राचीन प्रदेश।
हाव-पु० [सं०] १ संयोग शृगार में नायिका की चेष्टाएँ जो हालाहर-पू०१ यादव या भाटी वंश की 'हाला' शाखा का
नायक को प्राकर्षित करती हैं, नाज, नखरा । २ साहित्य ध्यक्ति । २ देखो 'हालार'।
में होने वाले ग्यारह हाव । ३ बुलावा, पुकार। ४ प्रेमालाप। हाळाहळ, हालाहल-देखो 'हळाहळ' ।
हावउ-क्रि० वि० १ ऐसे, इसी तरह। २ जैसे, जिस तरह । हाळि हाळी, हाळीड़ो-देखो 'हाळो' ।
हावनगह-पु० [फा०] फारसियों के अनुसार प्रात:काल से दोपहालिद्दौ-वि० [सं० हारिद्र] पीत, पोला । -पु० १ पीला रंग। हर तक का पहली नमाज का समय। २ कदंब का वृक्ष, क्षुप।
हावभाव-पु० [सं०] १ प्रेमी को आकर्षित करने की, प्रेमिका की हाळियो-देखो हाळी'।
चेष्टाएँ, नाज, नखरा। २ नृत्य की मुद्राऐं, चटक-मटक । हाळी (हाली)-पु० [सं० हलिन] १ हल चलाने वाला किसान, ३ प्रभाव । ४ संकेत, भाव ।
कृषक । २ हल चलाने व कृषि कार्य के लिये रखा जाने हावर-पु. एक प्रकार का वृक्ष । वाला व्यक्ति, नौकर । ३ कृषि कार्य करने वाला मजदूर, हावे, हाव-वि० १ भयभीत, स्तंभित । २ हर्षित, प्रसन्न । श्रमिक । ४ पति, खांविद। (किसान) -वि० १ हांकने | ३ आश्चर्य चकित । ४ किंकर्तव्यविमूढ़, हतप्रभ ।
वाला, चलाने वाला, चालक । २ लोभी। ३ पापो। हावी-पु० १ भय, प्रातक । २ प्राश्चर्य, अचम्भा । हाली-स्त्री० १ चलने का ढंग, गति, चाल । २ प्राचरण, | हास-पु० [स० हास:] १ हंसने की क्रिया या भाव । २ हंसी,
व्यवहार । ३ रहन-सहन का ढंग, चाल-चलन । ४ बूदी मुस्कान । ३ मजाक, विनोद, दिल्लगी, व्यंग। ४ हर्ष, राज्य का प्राचीन सिक्का । -वि० असभ्य, गंवार ।
खुशी, उल्लास । ५ निदा, अपकीति । ६ किसी का उपहास । हाळीग्रमावस-स्त्री० वैशाख मास की प्रमावस्या।
७ साहित्य में एक रस । -वि. श्वेत । हालीडो-देखो 'हाळो' ।
हासउ-देखो 'हांसो'। हालीचाली-स्त्री० चाल-चलन, भाचार-व्यवहार, रहन-सहन | हासक-पु० [सं०] १ हंसी-मजाक, विनोद। २ विनोदी व्यक्ति, का ढग।
मजाकिया। ३ देखो 'हास'।
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हासकारी
हिाणी
हासकारी-वि० [सं० ह्रास-कारक] १ ह्रास करने वाला, क्षीण हाहाठीठी-स्त्री० [पनु०] हंसी की पावाज ।
या कम करने वाला। [सं० हास्य-कारक] २ हंसी-मजाक हाहाहह-पु. १ व्यर्थ का हल्ला, शोर । २ व्यर्थ की हंसी । करने वाला, बिनोदी। ३ हंसने योग्य, हास्यास्पद ।
३ जोर को हसो। हासकोड़ा,-स्त्री० [सं० हास्य-क्रीड़ा मजाक, दिल्लगी, हंसी । हाइळि, हाहुळी-पु० [देश॰] १ उदार, दातार । २ योद्धा, हासणी (बो)-देखो 'हंस' (बी)।
। शूरवीर । हासपरिहास-पु० परस्पर की जाने वाली विनोद की बातें, | हाहूं, हाहू-पु० [अनु॰] शोर, हल्ला, हलचल, चिल्लाहट । मजाक ।
हाहूबोर-देखो 'हाऊबोर'। हासम-पु० [प. हाशिम] १ रोटी बनाने वाला, बावर्ची । | हि-देखो 'ही' ।
२ मुहम्मद साहब के वंशज, मुसलमान । ३ देखो 'हसम'। हिमोड़ी-स्त्री० [देश॰] एक प्रकार का कृषि उपकरण जो हासरस-पु० [सं०हास्य-रस] साहित्य में नौ रसों में से एक रस। अंग्रेजी के (V) प्राकार में, दो लकड़ियों से बनता है। हासल-देखो 'हासिल' ।
हिरोड़ो-पु० [देश॰] काष्ठ के मोटे डंडों का कैचीनुमा बना हासलीक-वि०१ हासिल का, हासिल संबंधी। २ हासिल के उपकरण जो बढ़इयों के मोटे लठे चीरने के काम पाता है। रूप में प्राप्त होने वाला। ३ हासिल देने वाला।
हिंगरड़ी-स्त्री० किसी बात या कार्य के लिये लगातार ताकीद हासविलास-पु. प्रामोद-प्रमोद, हंसी मजाक, मनोविनोद। | करने की क्रिया या भाव । हासा-देखो 'हसी'।
हिंगळाज-स्त्रो. सिंध व बलूचिस्तान की पहाड़ियों में स्थित दुर्गा हासारस-देखो 'हासरस'।
। की एक मूर्ति । हासियो-पु० १ फैली हुई वस्तु का किनारा, गोट, मगजी। हिंगळू-पु० [सं० हिंगलू] इंपुर ।
२ लेखन के समय कागज के दायें-बायें छोडा जाने वाला हिंगळूढोलियो-पु० लाल रंग के पायों वाली चारपाई या पलंग। स्थान। ३ इस प्रकार छोड़े हुए भाग में लिखी जाने
| हिंगाढेल-वि० प्रचुर, पर्याप्त । वाली टिप्पणी।
हिंगुळा-स्त्री० वह प्रदेश जहाँ हिंगलाज' देवी की मूर्ति स्थित है। हासिल-पु० [अ०] १ राजा, सामंत, जमींदार, भू-स्वामियों | हिंगुलेस्वर-पु. ज्वर सम्बन्धी एक पायुर्वेदिक औषधि ।
द्वारा किसानों से वसूल किया जाने वाला कृषि उपज का हिंगू-देखो 'हींग'। कुछ निश्चित भाग । २ कृषि-भूमि से होने वाली प्राय । हिंगूण-पु० इंगूदी का वृक्ष । ३ उपज, पैदावार । ४ लाभ, जमा, फायदा। ५ लगान. | हिगूरिणयो-स्त्री. इगूदी वृक्ष का फल । कर । ६ नतीजा, परिणाम: ७ गरिणत में किसी संख्या हिगोट-पु० [सं० हिगुपत्र] मंझोले कद का, कंटीली झाडीदार का गुणफल या योग करते समय बचने वाला भाग जो| वृक्ष । इकाई मे दहाई व दहाई से सैकड़े प्रादि के अंकों में जुड़ता | हिंगोटियो, हिंगोटौ-पु० हिंगोट' वृक्ष का फल ।
जाता है। -वि० १ प्राप्त, उपलब्ध । २ वसूल किया हुमा।| हिंगोळ-देखो 'हिंगळ ज' । हासो-देखो 'हंसी'।
हिचणी (बौ)-देखो 'हिचणी' (बी)। हासू. हासो-देखो 'हासो'।
हिंचोळणौ (बो)-देखो 'हिचोळणो' (बी)। हास्य-वि० [सं० हास्यः] १ हंसने योग्य, उपहास करने योग्य । | हिजड़ो-देखो 'हीजड़ो' । २ देखो 'हास'।
| हिजरणौ (बो)-क्रि० १ वियोग, विरह या किसी की याद में हास्यकथा-स्त्री० [सं०] हंसी की बात, मनोरंजक कहानी। निरन्तर रोना, करुण विलाप करना, शिर धुनना, झरना । हास्यकर-वि० [सं०] १ हंसी पाने लायक, हास्यास्पद । २ हंसाने २ वात्सल्य, प्रेम में विलाप करना। ३ किसी को भोर वाला ।
टकटकी लगाकर देखना। ४ किसी की शरण या पाश्रय हाहत-प्रव्य. प्रत्यन्त शोक सूचक शब्द ।
लेना। ५ घोड़ों का हिनहिनाना। हाहा-स्त्री० [धनु०] १ हंसी की प्रावाज । २ रोने की आवाज, | हिजीर-स्त्री० हाथी के पैर में बांधने की रस्सी या जंजीर ।
रुदन । ३ त्राहि-त्राहि । ४ अत्यन्त दु:खी होने पर मुह हिजोळियो-पु० हलवे के ऊपर तैरकर पाने वाला घी, घृत । से निकलने वाला शब्द हा, प्राह ।।
| हिंडणी (बौ)-देखो 'होडणी' (बो)। हाहाकार (कारो)-पु० [सं०] १ करुण पुकार, क्रन्दन, त्राहि- | हिंडळणी (बी)-देखो 'हिंडळणो' (बो)।
त्राहि. कुहराम, रुदन । २ किसी बात का तहलका, हो- हिंडळाट-देखो 'हिंडोळाट'। हल्ला, बड़ो गड़बड़ी।
| हिडाणी (बी)-देखो 'हींडारणो' (बी)।
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हिंडायलो
। ९०७)
हिंसा
हिंडायलो-पु. कूए के अन्दर लटकने वाली लकड़ी को बांधे २ तरबूज नामक देशी फल । रखने वाली रस्सी।
हिंदुप्रान-पु. १ हिन्दू-गण, प्रार्य । २ देखो 'हिंदवारण' । हिंडो-स्त्री० [स०] दुर्गा का एक नाम ।
हिंदुकर, हिंदुकार-देखो 'हिंदूकार' । हिंडुक-पु० [सं०] शिव का एक नाम ।
हिंदुग-वि० हिन्दुओं का, हिन्दू राजानों द्वारा शासित । हिंडळणी (बौ)-क्रि० १ हिलना-डुलना, झोले खाना, लटकना। हिंदुपति, हिंदुपती-देखो 'हिंदूपति' । .. २ झूला-भूलना। ३ मस्त चाल से झूमते हुए चलना ।| हिंदुयछात-पु० हिन्दुषों का राजा । ४ मस्ती में घूमना ।
हिंदुवारण-देखो 'हिंदवारण' । हिंडोरी-देखो "हिंडोळी'।
हिंदुवाणी-देखो 'हिंदवाणो' । हिंडोळ-पु० [सं०हिन्दोल] १. एक राग विशेष । २ देखो 'हिंडोळी'।। हिंदुसथान, हिंदुस्तान (स्यांन)-पु० [फा० हिंदुस्तान भारतवर्ष, हिंडोळणी (बी)-क्रि० [सं० हिण्डनम्] १ किसो झूले या पालने | पार्यावर्त ।
में झुलाना। २ हिलाना, झकझोरना। ३ लटकना, | हिंदुस्तांनी-पु. १ भारत का नागरिक, भारत का निवासी।
लटकते हुए झोले खाना। ४ पानी में लहर या भांवर उठना | -स्त्री० २ भारत को भाषा। -वि. भारत का, भारत हिंडोळाट-पु० एक पलंग विशेष ।
संबंधी। हिंडोळि, हिंडोळी-स्त्री०१ एक राग विशेष । २ देखो 'हिंडोळो'। हिंद-पू० [फा०] १ भारत में रहने वाला वह मानव वर्ग जो हिंडोळो-पु० [सं० हिंदोलकः] १ झूला, बड़ा झूला । २ पलना । वैदिक धर्म एवं संस्कृति का अनुयायी है, पायं, भारतीय ।
३ एक लोक गीत विशेष । ४ वह बणिक जो व्यवसाय न २ वैदिक या प्रार्य सस्कृति का अनुयायी।
करके मांग कर खाता है। -वि० मूर्ख, प्रज्ञानी। हिंदूकार-पु०१ हिन्दू होने की अवस्था या भाव, हिन्दुत्व । हिंडो-देखो 'हीडो' ।
२ हिन्दू लोग। हिताळ-पु० [सं० हिंताल] एक प्रकार का जंगली खजूर हिंदुकुस-पु० [फा० हिन्दू कुश] अफगानिस्तान के उत्तर में स्थित, (वृक्ष व फल)।
हिमालय से मिली एक पर्वत श्रेणी। हिंद-पु० [फा०] भारतवर्ष, हिन्दुस्तान, पार्यावर्त ।
हिंदूधरम, हिंदूभ्रम-पु० [फा० हिन्दू + सं० धर्म] १ वेद एवं हिंदगो-स्त्री० हिन्दी भाषा ।
पुराण सम्मत, हिन्दुओं का धर्म, प्राय संस्कृति । हिंदब, हिंदव-देखो 'हिंदू'।
२ हिन्दुषों के प्राचार-विचार, सिद्धान्त । ३ हिन्दुप्रों के हिंदबाण (गो)-देखो 'हिंदवाण' ।
रीति-रिवाज । हिंदवसाण (न)-देखो 'हिंदुस्तान'।
हिंदूपत (पति, पती)-पु० [फा० हिन्दू + सं० पति] हिन्दुनों हिंदवाण (न)-पु. १ भारतवर्ष, हिन्दुस्तान । २ हिन्दू-समाज, का राजा, ऐसा राजा जो हिन्दू समाज, सस्कृति एवं धर्म हिन्दू. भार्य। ३ हिन्दू धर्म, हिन्दुत्
का रक्षक हो। हिंदवाणी (नो)-स्त्री० हिन्दू जाति की स्त्री, हिन्दू-स्त्री। हिंदूवाण-देखो 'हिंदवाण' । हिदवाणी-वि० १ हिन्दुओं का, हिन्दू सम्बन्धी। २ देखो | हिंदोरणौ (बी)-क्रि० इधर-उधर घुमाना, हिलाना, मथना । ___हिंदवाण'।
हिवाळो-पु. एक मारवाड़ी लोक गीत । हिरवाद-पु० हिन्दुस्तान, भारतवर्ष ।
हियो-देखो "हियो'। हिंववासूरज-पु. उदयपुर के महाराणामों की उपाधि । हिव-१ देखो 'हिम' । २ देखो 'हव' । हिदवी-स्त्री० १ हिन्दू स्त्रो। २ देखो 'हिंदो।
हिंबणां, हिवणा-क्रि०वि० अभी, तत्काल । हिंदवीराय-पु० हिन्दु राजा। ...
हिवळास-पु० धीरज, धैर्य', ढाढ़स । हिंदसारण (न)-देखी हिंदुस्तान' ।
हिबारू-क्रि०वि० अभी, इसी समय, तत्काल । हिवाळसाही-पु. एक प्राचीन सिक्का ।
हिस-देखो 'हीस'। हिंदी-स्त्री० १ देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली | हिंसक-वि० [स०] १ हिंसा करने या मारने वाला । वधिक ।
भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा। २ किसी का उपहास, हसी, २ प्राय: जीव मारकर खाजाने की प्रादत वाला । ३ हानि दिल्लगी।
या अनिष्टकारक। ४ दूसरों को कष्ट या पीड़ा पहुँचाने हिंदु-देखो 'हिंदू'। ...
वाला । -पु. १ शत्र, वैरी, दुश्मन । २ जगली जानवर । हिंदुआरण-देखो हिंदवाण'।
हिंसा-स्त्री० [सं०] १ किसी जीव को मारने की क्रिया या हिंदुप्राणी-स्त्री. १ हिन्दू स्त्री । ...पु. [फा० हिंदुप्रान] | भाव, जीव हत्या, शिकार, वध । २ पहिसा का विपर्याय ।
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हिचरणो
हिंसाकरम
( ९०८ )
३कियो के लिये कष्ट या पीडादायक कार्य । ४ कष्ट ३ परस्पर, प्रापस में । पीड़ा। ५ विनाश। ६ अनिष्ट, बुराई। ७ उत्पात, हिक्कली-वि० अकेली। लूट-पाट ।
हिगमत-देखो 'हिकमत'। हिसाकरम-पु० [सं० हिंसा-कर्म] १ ऐसे कार्य जो हिंसा की | हिगुळ प्रो-वि० 'हिंगलाज' देवी का दर्शनार्थी।
घेणी या संज्ञा में पाते हैं। २ वध, हत्या। ३ कष्ट, हिगैमिग-पु० हर्षोल्लास । पीड़ा।
हिड़कणो-वि० पागल । --पु० पागलपन के रोग वाला कुत्ता, हिंसात्मक-वि० [सं०] १ जिसमें हिंसा निहित हो, हिसायुक्त । पशु या मनुष्य। २ हिंसा संबंधी।
हिडकरणो (बो)-क्रि० १ काटखाने के लिये दौड़ना, दौड़ कर हिसाधरमी-वि० [सं० हिंसा-धर्मी] हिंसात्मक कार्य करने वाला भाना, टूट पड़ना । २ पागल होना । ३ किसी पर प्रकारण या ऐसे कामों में विश्वास करने वाला।
चॅटना, नाराज होना, लडाई करना । हिसावांन-वि० हिंसा की भावना रखने वाला, हिंसक, हत्यारा । हिडकवा, हिडकाव, हिडकियाबाव-स्त्री. १ पागल कुत्ते, पशु हिस्या-देखो "हिंसा'।
या गीदड़ प्रादि के काटने से होने वाला रोग । २ पागलहिस्र-वि० [सं०] १ हिंसात्मक प्रवृत्ति वाला, हिंसालु । पन का रोग । ३ शैतानी।
२ खूखार, खतरनाक, भयानक । ३ अनिष्टकर, घातक । हिडकियो, हिडक्यौ-पू० १ पागलपन के रोग वाला कुत्ता। ४ निष्ठुर । ५ उपद्रवी, उत्पाती। -पु. १ हिंसक पशु या| २ पागल ।
प्राणी । २ शिव । ३ भीम (पांडव) का एक नामान्तर । हिडदौ-देखो हिरदो'। हि-स्त्री० [सं०] १ एक प्राचीन विभक्ति। २ टिटहरी । -पु० हिडमच-स्त्री० [अ० हिरमिजी] १ एक प्रकार की लाल मिट्टी।
[सं० हव] ३ अश्व, घोड़ा। ४ खेद, अफसोस । ५ सर्प, २ इस मिट्टी को पानी में घोलने से बनने वाला रंग । सांप । ६ मोर, मयूर। ७ हाथ, पाणि। -वि० १ हरा। हिउमची-वि० उक्त मिट्टो के अनुरूप लाल रंग का । -पु. इसी २ देखो 'ही'।
रंग का घोड़ा। हिन (प्रो)-देखो 'हिरदौ' ।
हिचक-स्त्री. १ मन को झिझक, संकोच । २ असमजम । ३ भय, हिसकाम-देखो हितकाम'।
डर । ४ लचक । ५ धक्का । ६ अनिच्छा, उदासीनता। हिमाउ, हिआव-पु० [स० हृद] साहस, हिम्मत ।
हिचकणो (बो), हिचकिचाणो (बो)-कि० १ कोई काम करते हिएसी, हितेसो-देखो 'हितैसी' ।
समय मन में झिझक होना, सकोच करना, पागा-पीछा हिक-वि० [स० एक] एक ।
सोचना । २ अनिच्छा या उदासीनता दिखाना। ३ पीछेहिकमत-स्त्री० [अ० हिकमत] १ बुद्धि, अक्ल, बुद्धिमानी। पीछे हटना । मुह मोडना । कतराना। ४ डरना, भय
२ उपाय, तरकीब, युक्ति। ३ विद्या, ज्ञान । ४ कला, खाना । ५ लचकना । ६ हिलना-दुनना । कारीगरी, कौशल । ५ चतुराई, चालाकी । ६ नीति, चाल। हिचकिचाट, हिचकिचाहट-देखो 'हिचक' । ७ यूनानी चिकित्सा । ८ चिकित्सा शास्त्र, प्रायुर्वेद । हिचकी-स्त्री० [स० हिक्का | १ उदरस्थित एक प्रकार की ६ विज्ञान।
वायु जो गले में झटका मार कर निकलती है, इमसे 'हुक्क' हिकमति, हिकमती-वि० [अ० हिक्मत] १ अपने काम में की प्रावाज होती है । २ एक प्रकार का वात रोग जिससे
कुशल, चतुर, बुद्धिमान । २ सभ्य, व्यवहार कुशल । उक्त क्रिया बार-बार होती है। ३ सिसकने का शब्द, ३ ज्ञानवान, पंडित। ४ चालाक । ५ नीतिज्ञ । -पु. सिसकी। ४ चिबुक, ठोडी। ५ रहट को उल्टा धूमने से १ वैद्य हकीम । २ देखो 'हिकमत'।
रोकने के लिये लगाई जाने वाली लकड़ी। ६ ऊट का हिकमन्न-पू० १ एकता, एकमत होने की अवस्था या भाव।। एक रोग । २ एक मन । -वि० एकाग्रचित्त, दत्तचित्त ।
हिचको-पु. १ धक्का। २ लचका । ३ कष्ट, पीड़ा। हिकरंगी-वि० १ जिसका रंग कभी बदलता नहीं, एक ही रंग ४ परिश्रम, जोर ।
में रहने वाला । २ पाचरण एवं विचार से दृढ़ । ३ मिलते-हिचडगौ-पु. बडो-बडी टांगों वाला एक प्रकार का कीड़ा । जुलते रग का । ४ समान दशा वाला।
हिवण-पु० १ युद्ध, लड़ाई । २ देखो 'हीचरण' । हिकरदन-पु० [स० एक-रदन:] गणेश, गजानन ।
हिचणी (बौ)-कि० १ युद्ध करना, लड़ाई करना । २ टक्कर हिके-क्रि०वि० पास में । अधिकार में ।
लेना, मामना करना, भिड़ना। ३ युद्ध में वीरगति प्राप्त हि कोहिक-क्रि०वि० १ सब के सब, सभी। २ एक-एक करके ।। करना।
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हिचकिचाट
हिफाजत
हिचर-मिचर-पु. १ किसी काम में पागा-पीछा सोचने की
.२ लाभप्रद, फायदेमंद । ३ अनुकूल, उपयोगी। ४ स्वास्थ्य अवस्था या भाव। झिझक, हिचकिचाहट । २ टालमटूल । के लिये माफिक । असमंजस ।
हितकांम-पु. १ भलाई की इच्छा या भाव । २ भलाई का हिचावरण-देखो 'हिचण' ।
कार्य । -वि० १ भलाई करने वाला । २ शुभेच्छु, हिचोळणी (बी)-क्रि० १ झूला-झुलाना, झूले में धक्का देना।। हितेच्छु । २ हिलाना-झकझोरना ।
हितकांमी-वि० १ भलाई करने वाला, हितैषी । २ देखो हिचोळी-पु. १ धक्का, झौंका । २ झटका ।
'हितकांम'। हिज-देखो 'हीज'।
हितकार, हितकारक, हितकारी-वि० [सं० हित-कारक] हिजारौ-पु. कमर तक की ऊंचाई में, दीवार में लगाया जाने १ हित करने वाला, उपकारी हितैषी । २ लाभदायक, बाला पत्थर विशेष ।
फायदेमद । ३ गुणकारी, स्वास्थ्यवर्धक । ४ मंगलमय, हिजुर-देखो 'हुजूर'।
कल्णणकारी। ५ प्रेमी, स्नेही । ६ क्या करने वाला हिज्ज-पु० [अ० हिज्ज] सार्थक शब्द का वर्ण समूह, वर्तनी, कृपालु । ७ प्रानन्ददायक, सुखप्रद । स्पेलिंग।
हितकारी-देखो 'हितकारी'। हिठाकर-वि० युद्ध करने वाला योद्धा, वीर ।
हितचकोर -पु० [सं० चकोर+हित] चन्द्रमा, चांद । । हिडंब-देखो 'हिडिब'।
हितचिंतक-वि० [सं०] शुभेच्छु, हितैषी । हिडंबा-देखो 'हिडिया'।
हितचिंतन-पु० [सं०] १ हित करने की इच्छा, भलाई करने हिरवी-पु. १ एक प्रकार का काच । २ देखो 'हिडिंबा'। ___का विचार । २ हित, भलाई । हिडंबु-देखो 'हिडिब'।
हितव-पु० चारण कवि । हिडायलो-पु० कूए के उपकरण को बांधे रखने वाली एक | हितवादी-वि० हित की बात कहने वाला। रस्सो विशेष ।
हितवारज-पु० [सं० वारज+हित] सूर्य, रवि । हिडिब-पु. स.] १ भीम (पांडव) द्वारा वधित एक राक्षस । हितापन-वि• जिससे अपना हित हो। २ भैमा, महिष ।
हितारय-क्रि०वि० [सं० हितार्थ] हित के लिये, भलाई हेतु । हिडिवा-स्त्री० [सं०] १ भीम (पांडव) को पत्नी एक राक्षसी । -पु. प्रेम, स्नेह। २ भैस, महिधी।
हिति-१ देखो 'हित'। २ देखो हितू' । हिडोक-क्रि०वि० इस बार, पब की।
हितिकारी-देखो हितकारी'। हिण-देखो 'इण' ।
हितिया-देखो 'हत्या'। हिणणाट, हिणणाहट-देखो 'हिणहिणाट'।
हितियारौ-देखो 'हत्यारों'। हिणणो (बो)-देखो 'हणणो' (बी)।
हितु, हितू-वि० १ हित करने वाला, भला करने वाला, हिणहिणणो (बो)-क्रि० १ घोड़े का बोलना, हिनहिनाना । हितेच्छु, शुभेच्छु । २ काम में प्राने वाला, उपयोगी । २ जोर-जोर से हंसना।
३ अपने पक्ष वाला, पक्षधर । ४ दयालु, कृपालु, खैरख्वाह । हिणहिणाट, हिणहिणाहट-स्त्री० घोड़े के बोलने की प्रावाज, ५ प्रेमो, प्रिय । -पु० १ मित्र, दोस्त, प्रेमी । २ भाई बोली।
सहोदर । ३ रिश्तेदार, संबंधी। हिहिणारणी (बो)-क्रि० १ घोड़े का बोलना, हिनहिनाना । हितेच्छु, (हितैसी)-वि० [सं०] १ हित चाहने वाला, भला २ हसना।
चाहने वाला, शुभचितक । २ कृपालु, दयालु । हिणा-क्रि०वि० [सं० प्रधुना] इस समय, इस वक्त ।
३ सहयोगी। हिरणोड़ो-स्त्री. वह गाय या भैंस जो दूध देने की स्थिति में | हित्या-देखो 'हत्या' ।
हित्यारो-देखो 'हत्यारौ' । (स्त्रो हित्यारण, हित्यारी) हित-पु० [सं० हित १ लाभ, फायदा, मुनाफा । २ भला, हिदायत-स्त्री० [४०] १ प्रादेश, हुक्म, निर्देश । २ पथ
कल्याण, मंगल। ३ उपकार, भलाई। ४ पानन्द, सुख । प्रदर्शन । ३ गुरुमंत्र । ३ चेतावनी। ५ शुभ कार्य, उपयुक्त कार्य । ६ शुभ कामना । ७ तदुरुस्ती, | हिद, हिदो-देखो 'हिरदो'।
स्वस्थता । ८ देखो 'हेत' । ९ देखो 'हेतु' । १० देखो "हितु'। हिना-स्त्री० [40] मेंहदी, रक्तगर्भा । हितकर-वि० [सं०] १ हित करने वाला, हितकारी । । हिफाजत-स्त्री० [अ०] १ सुरक्षा, बचाव । २ उचित व्यवस्था,
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हिबोळी
हियाखाई
माकूल इंतजाम । ३ देख-रेख, देखभाल । ४ निरीक्षण, जैसा। २ शीतल, ठंडा । -पु० हिमालय । जांच । ५ होशियारी, सावधानी ।
हिमवंतपरवति-पु० [सं० हिमवत-पर्वत हिमालय पर्वत । हिबोळी, हिबोळो-देखो 'हबोळी'।
हिमवान-पु० [सं० हिमवत्] १ हिमालय पर्वत । २ चन्द्रमा । हिमंचळ-देखो 'हिमाचळ' ।
। -वि०१ जिसमें हिम हो, बर्फीला । २ शीतल, ठंडा। हिमंत-देखो 'हेमंत'।
हिमवार-स्त्रो० हेमन्त ऋतु का समय, शीतकाल । हिम-पु० [सं० हिमम्] १ बर्फ, पाला, तुषार [सं० हिम:] हिमसंलजा-स्त्री० [सं० हिमशैलजा] पार्वती, उमा।
२ ठंडक, जाड़ा, शीत, सर्दी । ३ शीतकाल, सर्दी का | हिमस्र त-पु० [सं०] चन्द्रमा । मौसम । ४ हिमालय पर्वत । ५ चन्द्रमा, चांद । ६ चंदन । | हिमांचळ-देखो 'हिमाचल' । ७ मोती। ८ कमल । ६ कपूर। १० मक्खन । ११ औषध | हिमांणी (नी)-देखो 'हेमाणी' । बनाने की एक प्रक्रिया। १२ ठंडा, क्वाथ । -वि० १ श्वेत, | हिमांसु, हिमांसू, हिमां-पु० [सं० हिमांशुः] १ चन्द्रमा । सफेद । २ शीतल, ठण्डा । ३ देखो 'हेम' ।
२ कपूर । ३ रजत, रूपा, चांदी। हिमउपल-पु० [सं०] वर्षा की बूदों के साथ गिरने वाले | हिमाइत-देखो हिमायत'। हिम खण्ड प्रोले।
हिमाकत-स्त्री० [अ०] मूर्खता, बेवकूफी। हिमकरण-पु० [सं०] १ बर्फ का छोटा टुकड़ा। २ प्रोस की | हिमाचळ, हिमाजळ-पु० [स० हिम पचल] १ हिमालय, पर्वत। बूंद । ३ पोला।
___ २ शिव के श्वसुर व पार्वती के पिता। हिमकर (रि, री)-पु० [स० हिमकरः] १ चन्द्रमा, शशि ।
शशि । हिमाद्रि-पु० [सं०] हिमालय पर्वत ।
माथि २ कपूर।
हिमायत-स्त्री० [अ०] १ पक्षपात, तरफदारी, समर्थन । हिमकिर (किरण)-पु० [सं०] चन्द्रमा, चोद ।
२ सहायता, मदद । ३ संरक्षण, रक्षा । ४ दोस्ती, मित्रता। हिमखड-पु० [सं०] १ बर्फ का टुकड़ा । २ हिमालय पर्वत । ५ प्रोत्साहन । हिमगर (गिर, गिरि)-देखो 'हिमगिरि'।
हिमायती-वि० १ हिमायत करने वाला । २ सहायक, मददगार । हिमगिरसुता-स्त्री० [सं० हिमगिरि सुता] पार्वती, उमा। - ३ पक्षपाती, अपने पक्ष' का । समर्थक । ४ रक्षक, सरक्षक । हिमगिरि, हिमगिरी-पु० [सं० हिमगिरि हिमालय पर्वत । | ५ मित्र, दोस्त । -वि० श्वेत. सफेद *।
हिमार-देखो हमार। हिमगु-पु० [स०] चन्द्रमा, शशि ।
हिमाराति-स्त्री० [सं० हिम-प्रराति] १ अग्नि, पाग। २ सूर्य, हिमचळ-देखो 'हिमाचळ' ।
सूरज। हिमजा-स्त्री० [सं०] १ पार्वती, उमा। २ गंमा नदी। हिमारू, हिमारू-देखो 'हमार'। ३ हरड, हरीतकी। ४ प्रांबा हल्दी।
हिमाळय, हिमालय, हिमाळिय, हिमाळे (ळे, ळो)-पु० [सं० हिमतरण-वि० निर्भीक साहसी (स्त्री०)।
हिमालय] भारत की उत्तरी मोमा पर स्थित विशाल. पर्वत - हिमतभरियो-वि०१ साहसी, निर्भीक । २ बहादुर, पराक्रमी। . श्रेणी जिस पर प्रायः बर्फ जमा रहता है। हिमताळू-वि० साहसी, हिम्मतवान ।
हिमें, हिमे-देखो 'हमैं'। हिवद्रजा-स्त्री० [सं० हिम-अद्रि-जा] पार्वती, उमा। |हिमेण-पु० प्रथम गुरु के रणगरण का नाम । हिमप्रकास-पु० [सं० हिमप्रकाश] १ शीतल प्रकाश । २ चांदनी । | हिमेस-पु० [सं० हिमेश] १ हिमालय पर्वत । २ देखो 'हमेस'। हिमभान (भानु)-पु० [सं० हिमभानु] चन्द्रमा, चांद । हिमैं हिम-देखो 'हमैं'। हिममयूख-पु० [सं०] चन्द्रमा, चांद ।
हिम्मत-स्त्री० [अ०] १ साहस, हौसला, उत्साह, जोश । हिमरके (के)-क्रि० वि० इस बार, प्रब की। ..
२ बल, शौयं, पराक्रम । ३ धर्य, दृढ़ विश्वास । हिमरस्मि-पु० [स. हिमाश्मि] चन्द्रमा, शशि ।
हिम्मति (तो)-देखो 'होमती' । हिमरा-स्त्री० तरफदारी, पक्षपात ।
हिय, हियालु हियडलो, हियडी, हियड, हिपडउ, हियडलाइ, हिमरित (रितु)-स्त्री० [सं० हिम-ऋतु] १ हेमन्त ऋतु । हियडलउ, हियडलो. हियडौ-देखो हिरदौ'। २ शीतकाल ।
हियाथ-पु० हितार्थ, मोक्ष । (जैन) हिमरुचि-पु० [सं०] चन्द्रमा, चांद ।
हियरो-देखो 'हिरदो'। हिमरुत-देखो 'हिमग्तुि'।
| हियां-प्रव्य० यहां, इस जगह । हिमवत (बत)-पु० [स० हिमवत्] १ हिम के समान, बर्फ | हियाखाई-स्त्री० [सं० हृदय-खाति] १.किसी काम के प्रति
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हियाफूट
हिरण्याक्ष
झिझक, संकोच; हतोत्साह। २ डर, भय । ३ शंका, के चारों प्रोर लगाई जाने वाली लकड़ी। संदेह ।
| हिरणियो-पु. १ गरीब व्यक्ति । २ देखो 'हरिण'। हियाकूट, हियाकूटोड़ो, हियाकूटो-वि० (स्त्री. हियाफूटी, हिरणी-स्त्री० १ मादा हरिन, मगी। २ सोन जुही। ३ स्वर्ण की
हिया फूटोड़ी) १ मूर्ख, नासमझ, बेवकूफ, शिर-फिरा। | चमक । ४ मृगशिरा नक्षत्र । ५ देखो 'हिरणीखूटो'। २ खिन्नचित्त, उदास ।
हिरणोखू टो-पु० गाड़ी में लगाया जाने वाला लकड़ी का डंडा हियाळी, हियाली-स्त्री० [सं० हृदय+प्राली] १ वात्सल्य, विशेष ।
प्रेम, स्नेह । २ तसल्ली, धैर्य, ढाढस । ३ हंसी, मजाक । हिरण्ण-देखो "हिरण्य' । ४ बदतमीजी, अभद्र व्यवहार ।
हिरण्मय-पु० [सं०] १ ब्रह्मा । २ जंबू द्वीप के नौ खण्डों में से हियाव-पु. लगाव ।
एक । ३ एक प्राचीन ऋषि । -वि. १ स्वर्ण का। हियाहीण (न)-वि० [सं० हृदयहीन] १ मूर्ख, प्रज्ञानी। २ सुनहरा। २ कायर, डरपोक । ३ क्रूर, दयाहीन, हृदयहीन ।
| हिरण्य-पु० [सं०] १ ब्रह्मा । २ एक प्राचीन ऋषि । ३ जम्बू हियु', हियु, हियू, हियो-देखो 'हिरदो' ।
द्वीप के नौ खण्डों में से एक । ४ सोना, स्वर्ण । ५ ज्योति, हिरणंखी-देखो 'हरिणाक्षी'।
प्रकाश । ६ वीर्य, शुक्र । ७ अमृत । ८ धतूरा । हिरण-पु. [सं०हिरण्य] १ स्वर्ण, सोना। २ द्रव्य, धन, हिरण्यकसिप, हिरण्यकसिपु, हिरण्यकस्यप-देखो 'हिरणकसिपु'। सम्पत्ति । ३ देखो 'हरिण' । ४ देखो 'हरण' ।
हिरण्यकामधेन, हिरण्यकामधेनु-स्त्री० [सं० हिरण्यकामधेनु] हिरणउपवन-पु० ब्रह्मा ।
दान के निमित्त बनाई स्वर्ण की कामधेनु । हिरणक, हिरणकस-१ देखो 'हिरण्याक्ष'। २ देखो 'हिरण- | हिरण्यकार-पू० [सं० हिरण्यं+कृ] स्वर्णकार, सुनार । कस्यप'।
हिरण्यकेस-पु० [सं० हिरण्यकेश] भगवान् विष्णु का एक नाम । हिरणकसप (कसिपु, कस्यप)-पु० [सं० हिरण्यकशिपु] १ एक हिरण्यगरम-पु० [सं० हिरण्यगर्म] १ वह ज्योतिर्मय अंड जिससे
दानव राजा जिसने शिव के वरदान से एक प्रबुद वर्षों के ब्रह्मा एवं सृष्टि की उत्पत्ति हुई। २ ब्रह्मा, विरंची। लिये सारे देवतापों का ऐश्वयं प्राप्त किया। २ कश्यप ३ विष्णु । ४ प्रात्मा, जीव । ५ ईश्वर । ६ शुक्र ग्रह । एवं दिति का पुत्र एक सुविख्यात दैत्य जो प्रहलाद का ७ शुक्राचार्य। पिता था।
हिरण्यनाभ (नाभि)-पु० [सं०] १ भगवान विष्णु । २ मेनाक हिरणखुरी-स्त्री० १ वर्षा ऋतु में उगने वाली एक लता जिसके पर्वत का एक नाम ।
पत्ते हिरन के क्षुर की तरह होते हैं। २ रात्रि में हिरन के हिरण्यपुर (पुरो, पुरी)-पु० [सं०] समुद्र पार वायुमण्डल में बैठने का स्थान ।
स्थित असुरों का एक नगर । हिरणसिख-देखो 'हरिणाक्षी'।
हिरण्यवाह (बाहु)-पु० [सं० हिरण्यबाह] १ शिव का एक हिरणगरम-देखो 'हिरण्यगरभ' ।
नाम । २ सोन नदी का एक नाम । ३ वासुकी के वंश का हिरणचबी-पु. एक प्रकार का घास ।
एक नाग। हिरणजंप (झंप)-पु. १ डिंगल का एक छंद (गीत) विशेष । हिरण्यबिंद (बिंदु)-पु० [सं० हिरण्य-बिन्दु] एक तीर्थ विशेष । २ मृग की छलांग।
हिरण्यव-पु० [सं०] १ देव मंदिर या देव प्रतिमा के भागे हिरणदा-स्त्री० [सं० हिरण्यदा] पृथ्वी, धरती।
___ चढ़ाया जाने वाला द्रव्य । २ स्वर्ण का गहना । हिरणरेत-पु० [सं० हिरण्यरेतस्] १ अग्नि, प्राग। २ शिव, हिरण्यवती-स्त्री० [सं०] कुरुक्षेत्र की एक नदी।
महादेव । ३ सूर्य, रवि । ४ बारह पावित्यों में से एक । हिरण्यवसतर (वस्तर, वस्त्र)-पु० [सं० हिरण्यवस्त्र] सुनहरे हिरणलो-देखो 'हिरण' ।
तारों का बना एक प्रकार का कपड़ा। हिरणाक, हिरणाकस (कुस)-१ देखो "हिरण्याक्ष' । २ देखो हिरण्यवीरथ-पु० [सं० हिरण्यवीय] १ प्रग्नि, प्राग । २ सूर्य',
___ हिरणकस्यप'। हिरणाख-देखो 'हिरण्याक्ष' ।
| हिरण्यनग-पु० [सं० हिरण्यग] कैलाश के समीप एक पर्वत हिरणाखि, हिरणाखी-१ देखो हरिणाक्षी'। २ देखो | जिसमें रत्न की खाने हैं । हिरण्याक्ष'।
हिरण्याक्ष, हिरण्याख-पु० [सं० हिरण्याक्ष] १ हिरण्यकश्यप का हिरणायख-देखो "हिरण्याक्ष'।
भाई एक दानव जो वराह अवतार (विष्णु) द्वारा मार हिरणावटियो-पु० झोंपड़े के मध्य बड़े स्तम्भ के ऊपरी शिरे | गया। २ एक यादव ।
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हिरण्यासव
( ९१२ )
हिलारी
हिरण्यासव, हिरण्यास्व-पु० [सं० हिरण्याश्व] दान के लिये स्थिर न रहना, हिलना, डुलना। ३ चलना, जाना, बनाई गई घोड़े की स्वर्ण प्रतिमा।
सरकना, अपने स्थान से टलना, इधर-उधर होना, हिरद, हिरदय-देखो 'हिरदो'।
खिसकना। ४ कांपना, धूजना। ५ झूमना, लहराना । हिरवावळ-पु० [सं० हृदावर्त] घोड़े की छाती पर होने वाली ६ जमकर न रहना, विचलित होना, डिगना, चंचल होना। भौंरी।
७ कोई हरकत होना। ८ चंचल होना । ६ फिरना, हिरदेगंम-पु० [सं० हृदयंगम] १ किसी विषय या बात को घूमना।
चित्त में अच्छी तरह बैठा लेने की अवस्था या भाव ।। हिलब-स्त्री. एक गुफा विशेष । २ कोई शिक्षा या विद्या कंठस्थ हो जाने की स्थिति । | हिलम-स्त्री० [सं० हिल्म] १ भल मनसाहत, भलाई। -वि० हृदय या चित्त में समाहित ।
२ गभीरता, धीरता, शान्ति । ३ सहिष्णुता, सहनशीलता।
४ विवेक। हिरदे, हिरदो-पु० [सं० हृदय] १ प्राणियों के वक्षस्थल में
हिळमिळ-स्त्री०१ मिलने-जुलने की अवस्था या भाव । २ परस्थित प्रमुख प्रवयव जिससे शरीर में रक्त संचालन एवं
स्पर सहयोग के उद्देश्य से साथ होने की दशा । ३ प्रेम या श्वास क्रिया होती है। दिल । २ चेतना शक्ति, अन्त:करण,
मित्रता से रहने की दशा । ४ स्नेह, प्रेम । ५ घुल-मिल चित्त, मन । ३ ज्ञानेन्द्रिय । ४ वक्षस्थल, छाती, सोना ।
जाने की अवस्था या भाव । ५ मुख, जबान । ६ किसी वस्तु का सार, मर्म, मूल तत्त्व । |
हिळमिळणी (बी)-क्रि० १ प्रेम से हिलमिल जाना, भेद भाव ७ अत्यन्त प्रिय वस्तु या प्राणी। ८ जीवन, प्राण ।
रहित प्रेम होना, एकाकार होना। २ मित्रता या दोस्ती ६ प्रेम, प्यार । १० स्मरण शक्ति ।
होना। ३ परस्पर सहयोग के लिये एकत्र होना। ४ मिलहिरन-१ देखो 'हरिण' । २ देखो 'हिरण्य' ।
जुल कर चलना। हिरनकस्यप-देखो 'हिरणकस्यप' ।
हिलमोचिका, हिलमोची-पु० [सं० हिलमोचिका] १ एक प्रकार हिरनहीरनाछी-पु. वह घोड़ा जिसका प्राधा शरीर हरे रंग का का पौधा । २ एक प्रकार का शाक । तथा प्राधा श्वेत हो।
हिनराणो (बी)-देखो 'हुलराणो' (बौ)। हिरनाख्य-देखो 'हिरण्याक्ष' ।
हिळवळणी (बो)-देखो 'हळवळणी' (बी)। हिरमच, हिरमची-देखो 'हिड़मच।
हिलवारण-स्त्री० एक प्रकार की बन्दुक । हिरळवत-पु० [सं० हिरण्यवत् ] सूर्य, रवि ।
हिळवाळियौ-वि०१ उत्तेजित, उतावला। २ घबड़ाया हुमा,
भयभीत । ३ त्वरा युक्त । हिरस-स्त्री० [स० हिस] १ तृष्णा, वासना, लोभ, लालच । २ ईर्ष्या, द्वेष, विद्वेष । ३ डर, भय, खतरा। ४ हविस,
हिलवी-पु० १ हलब जाति का मुसलमान । २ हलब देश का ख्वाहिस । ५ कार्य करने की स्पर्धा ।
निवासी । ३ एक प्रकार का दर्पण विशेष । -वि० १ हलब
देश का, हलब देश संबधी। २ हलब का। हिराती-पु. एक जाति विशेष का घोड़ा।
हिळा-देखो 'इळा' । हिराबोल-पु. एक प्रकार का पौधा ।
हिळाणी (बो)-क्रि० १ चस्का लगाना, लगाव पैदा करना, हिराळी-देखो 'हरियाळो'।
लगाना । २ प्रादी करना, वशीभूत करना । ३ अनुरक्त या हिरावळ-देखो 'हरावळ'।
प्राशक्त करना । ४ घुसाना, पंठाना । हिरासत-स्त्री० [म.] १ कैद, हवालात, कारावास । हिलाणी (बी)-क्रि०१ चलायमान करना, चलाना । २ स्थिर २ निगरानी, पहरा, चौकीदारी । ३ नजरबंदी, नजर कैद ।
न रहने देना, हिलाना-डुलाना। ३ चलाना, भेजना, हिरिण-१ देखो 'हरण्य' । २ देखो 'हिरण'। ३ देखो 'हरिण' ।।
सरकाना, इधर-उधर करना, खिसकाना। ४ कपाना, हिरिदो-देखो 'हिरदो'।
धूजाना । ५ झूमने या लहराने के लिये प्रेरित करना । हिरिम-वि० [स० ह्रीमान्] १ लज्जावान, लज्जाशील ।
६ जमकर न रहने देना, विचलित करना, डिगाना, उद्विग्न २ शिष्ट, सभ्य ।
करना । ७ कोई हरकत करना, हिलाना । ८ चचल करना। हिळणी (बो)-क्रि० [स० हिल] १ चस्का लगना, लगाव होना, ६ फिराना, घुमाना।
लगना । २ प्रादी होना, निर्भर होना। ३ एक ही तरफ | हिनारियो (हिलारी)-पु० बबूल की फनो । झुकाव होना। ४ अनुरक्त या प्राणक्त होना: ५ घुसना, हिलारी-पु० १ किसी वस्तु को एक बार में ढोई जाने वाली पैठना ।
मात्रा । २ ढोवाई का क्रम । ३ ढोवाई के प्रत्येक क्रम का हिलणी (बी)-क्रि० [सं० हिल्] १ चलायमान होना, चलना।। पारिश्रमिक।
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हिळवारणी
( ९१३ )
होग
हिळावरणी (बी)-देखो 'हिळाणी' (बी)।
हिवा, हिवि, हिवें, हिवे, हिवै, हिव-देखो 'हिव' । हिलावणी (बो)-देखो "हिलाणो' (बो)।
हिस-स्त्री० [सं०हिस] १ पशु-पक्षी प्रादि जानवरों को ताड़ने की हिळियो-मिळियौ-वि० घनिष्ठ परिचित ।
क्रिया या भाव । २ इस क्रिया के समय मुह से निकलने हिळीमिळी, हिळीमीळी-वि० घनिष्ठ प्रेम में बंधी हुई, स्नेह वाली ध्वनि । [अ० हिस] ३ संवेदन, एहसास, अनुभव ।
युक्त, प्रम युक्त । -स्त्री. धनिष्ठ प्रेम मय होने की अवस्था ४ संवेदन शक्ति। वा भाव।
हिसाट, हिसाटि-देखो 'हीस'। हिलूर-देखो 'हिलोर'।
हिसाब-पु० [अ०] १ संख्यामों का गुणाभाग करने या हल हिलूसणी (बो)-देखो 'हुलसणी' (बी)।
निकालने की क्रिया या विद्या, गणित विद्या । २ इस विद्या हिलोडणी (बी)-क्रि० [सं० उल्लोलनम्] १ जल या किसी से कीमत प्रादि का निर्धारण। ३ व्यापार या लेन-देन में
द्रव पदार्थ को हाथ, लकड़ी प्रादि से हिलाना, तरंगित पाय-व्यय का ब्योरा, विवरण। ४ लेन-देन का विवरण, करना । २ द्रव पदार्थ को मथना, विलोड़ित करना । खाता । ५ बकाया देनदारी। ६ गणना, शुमार. गिनती। ३ लहराना, डुलाना। ४ विचलित करना, तितर-बितर ७ वस्तु का मान या मात्रा का निर्धारण । ८दर, मूल्य,
करना। ५ तरंगित करना । ६ चलायमान करना, चलाना। भाव । ९ नियम, परिपाटी। १० रीति, युक्ति, तरीका । हिलोड़ो-देखो पहिलोळी'।
११ व्यवस्था, प्रबन्ध । १२ हृदय की प्रकृति की परस्पर अनुहिलोर-स्त्री. १ उमंग, प्रानन्द की लहर । २ तरंग, लहर।। कूलता । १३ मितव्ययता। १४ सम्मति, विचार। १५ पाय३ झौंका, झोला । ४ प्रवाह । ५ कल्लोल, क्रीड़ा ।
व्यय को जांच । १६ मूल्यांकन। -बही-स्त्री० ऐसी पुस्तक, हिलोरणो (बो)-देखो 'हिलोड़णो' (बी)।
बही, पंजिका या चौपड़ी जिस में लेन-देन का विवरण हो। हिलोरव-पु० १ डोलने, झूलने या झौंका खाने की क्रिया । | हिसार-पु. एक प्रदेश का नाम ।
२ चक्कर, भांवर। ३ तरंग, लहर । ४ समुद्र । | हिस्ट-वि० [सं० हृष्ट] हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा, स्वस्थ । हिलोळ, हिलोल-देखो 'हिलोर'।
-प्रव्य ० इट, धत् । हिलोळणी (बो)-देखो पहिलोडणी' (बो)।
हिस्ठ-पुस्ट-वि० [सं० हृष्ट-पुष्ट] स्वस्थ, मोटा-ताजा। हिलोळो-पु० [सं० हिल्लोल] १ प्रानन्द की लहर, उमंग। हिस्सावार, हिस्सेदार-वि• किसी काम, व्यापार, सम्पत्ति पादि
२ लहर, तरग। ३ उमग, जोश, उत्साह । ४ झौंका, में हक, अधिकार या दायित्व रखने वाला, भागीदार । झोला । ५ गति, चाल, प्रवाह । ६ प्राक्रमण के लिये | हिस्सादारी, हिस्सेदारी-स्त्री० किसो कार्य, व्यापार, सम्पत्ति बताई जाने वाली तैयारी। ७ घबराहट या भय का दोरा, प्रादि में हक, अधिकार या दायित्व होने की अवस्था, संचार । ८ धक्का, प्राघात । ६ प्रहार, चोट ।
भागीदारी, साझेदारी। हिळोहणो (बो)-देखो पहिलोडणी' (बो)।
हिस्सो-पु० [अ० हिस्सः] १ सम्पूर्ण कार्य, वस्तु या सम्पत्ति हिलोहळ, हिलोहिळ-पु० [सं० हल्लोघर] १ समुद्र स गर । मादि का कुछ अंश, भाग या हिस्सा । २ खण्ड, टुकडा, ___ २ मथन, विलोडन । ३ लहर, तरंग । -वि० पूर्ण, परिपूर्ण । अश। ३ विभाजन या बंटवारे के कारण बनने वाली हिल्लोळ-देखो 'हिलोर'।
इकाई। ४ छोर, अंश, भाग। ५ कार्य में योगदान । हिवं, हिब, हिवइ-क्रि०वि० [सं० अधुना] १ अब, प्रभी। ६ व्यापार में साझेदारी। ७ किसी कार्य में विशेषता २ इसके बाद, तदनन्तर ।
रखने का गुण। ८ मिश्रित वस्तुप्रों में प्रत्येक वस्तु का हिवके, हिवक-क्रि०वि० इस बार, अबकी।
एक निश्चित अंश । ९ कोई उप विभाग, शाखा। १० कृषि हिवड़उ, हिवड़लो-देखो "हिवडो'।
उपज में जागीरदार या भू-स्वामी का भाग। हिवड़ा, हिवड़ा, हिवडं-क्रि०वि० अभी, इसी समय ।
होकरणी-स्त्री० एक वनस्पती विशेष । हिवड़ो-पु० [सं० हृदय] १ मन चित्त, दिल, अन्त:करण । | हीकार, हींकारी-स्त्री० [स० ह्रीं कार] उपासना संबंधी किसो
२ वक्षस्थल, छाती, सीना। ३ वक्षस्थल के नीचे स्थित | बीज मत्र को ध्वान । अवयव जो शरीर में रक्त संचार करता है।
हींग-पु. [स० हिंगु] १ अफगानिस्तान व फारस में स्वा: होने हिवडा, हिवडा-देखो "हिवड़ा' ।
वाला एक पौधा । २ इस पौधे से निकलने वाला गोंद या हिवडो-देखो 'हिवड़ो'।
दूध जो सूखने के बाद शाक, पौषधि प्रादि में काम प्राता हिवार, हिवार, हिवारु, हिवारू, हिवारू-क्रि०वि० प्रभी, इसी | है। ३ पतंग में सीधो लगने वाली तोली, खपची। समय, प्रब।
४ देखो 'सींग'।
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हींगण
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( ९१४ )
होंगी (बी) क्रि० १ लालायित होना, ललचाना २ दोनता दिखलाना |
हळू ही पु० [सं० हिंगुल] एक प्रकार का खनिज जो उपधातु माना जाता है, इसे स्त्रियां मांग भरने के काम लेती है, ईंगुर, सिंदूर
होंगळूढोलियो पु० सिंदूर से रंगे पायों वाला पलंग या चारपाई । हींगवधार - पु० १ पुष्करणा ब्राह्मणों की विवाह संबंधी एक प्रथा । २ हींग का छौंका । हींगवरण - देखो 'हींगोट' ।
होंगटेल वि० बहुत काफी पर्याप्त
1
होगा पाई स्त्री० खलबली, हलचल, परेशानी | हींगु - देखो 'हींग' |
होंगोट, होंगोटी, होंगोरी- पु० [सं० इंगुदी] एक प्रकार का वृक्ष । हींच स्त्री० [१] हाई ड २ पोट प्रहार | हाँको पु०, हिडौला २ देखो 'हिचकी'
1
"
हरण - स्त्री० १ मकड़ी जाति का एक जंतु जो केंकड़े की तरह होता है । २ देखो 'हिचरण' ।
भाव २ लम्बे पैरों का एक जन्तु विशेष वि० भूलने
I
वाला ।
होंडगियो-वि० १ भूलने वाला २ लटकने वाला। होंडली (दो) क्रि० [सं० द्दिण्डनम् ] १ भूला भूलना, डना २ बच्चे का पलने में भूलना। ३ मस्ती में भूलना । ४ लहरें लेना, हिलौरे खाना । ५ लटकना । ६ दिचरण या भ्रमण करना ७ भटकना, भटकते हुए फिरना ८ जाना, गमन करना । चलना, दौड़ना । हडळ - पु० झूला, पलना ।
होळी (बी) - देखो 'होंडरणी' (बो) । होंडा (दो) कि० १
जाना हीडाना २ बच्चे को
पचना भुलाना । ३ मस्ती में झुमाना । ४ लहरें खिलाना, हिलोरे खिलाना । ५ लटकाना । ६ विचरण कराना, भ्रमरण कराना । ७ भटकाना, भटकते हुए फिराना ।
८ जाने या गमन करने के लिये प्रेरित करना । ९ चलाना, दौडाना 1
होंड-स्त्री० बच्चों का पनना ।
होळ हडोल होडोळली-देखो 'हिंदोळी' । होळी (बी) होम (देखो डोळ' (बो)। होंडोळाखाट-स्त्री० चारपाईनुमा झूला, पालना ।
होंडोलाट (टि, टी) - पु० १ झूला, धक्का । २ देखो 'हिडोळौ' । हींडोळि, होंडोळी, होंडोळी, होंडोळो-देखो 'हिडोळी' । होडी पु० [सं०] निम, हिंदोल] १ किसी पेड़ की मोटी डाल या ऊचे स्थान के बड़ी रस्सी बांधकर बनाया जाने वाला भूला । २ पालना । ३ पालने में भुलाने की क्रिया । भूमामा बनी चारपाई
हो
देखो 'हीरा'
देखो 'हिंद'।
होंदव-देखो 'हिंदू' ।
होंचणी - पु० एक प्रकार का अशुभ घोड़ा । हृींचर, हींचणी - पु० भूला, हिंडोला, पालना । होचणी (बौ) - क्रि० १ भूला भूलना। २ हिलना-डुलना, लटकना, लटकते हुए भूलना। ३ भ्रमण करना, विचरण करना । ४ बछड़े प्रादि जानवर का प्रातुर होना, तड़फना ५ भुरट नामक घास की बालें काटकर एकत्र करना । ६ उपलब्ध होना, मिलना ७ देखो 'हिपणो (बी)। हींचाहींच स्त्री० खींचातान, लूट-खसोट । होंचोल, होंचोळी (लो) - पु० भूले या पालने के दिया जाने
वाला धक्का |
होंचो -१ देखो 'हृींचकी' २ देखो 'हिचकी' |
-
हॉजड़ौ न० १ मानव जाति का विकृत प्राणी जो न पुरुष होता हैन स्त्री, नपुंसक । २ पुंसत्व खोया हुम्रा व्यक्ति, नामर्द ।
दवस देखो दिया।
३ प्रत्यन्त कायर या डरपोक व्यक्ति । वि० १ नपुंसक, होंववाछात होंदवोछात-पु० हिंदू राजा, हिंदुनों का राजा । नामर्द । २ कायर, डरपोक ' ३ शक्त, कमजोरी वो देखो हिलो' (बी) ४ उत्साहहीन । – पण, पणी- पु० नपुंसकता, नामर्दगी, क्लीवता, कायरता, कमजोरी ।
हींदु- देखो 'हिंदू' ।
हजरणो (बी) - देखो 'हिरो' (बो) ।
-
हींदुसयान हींदुस्तान देखो'हिंदुस्तान' होंटू- देखो 'हिंदू' ।
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होजरी - पु० १ वियोग जनित दुःख, विछोह की पीड़ा होकार देखो 'हिंदूकार' ।
२ 'हजड़ो' ।
होंट, होंठ पु० १ अंगूठा २ गुप्तांगों के बाल, उपस्थ के केश । हॉट-स्त्री० १भूषे मे भूनने को क्रिया या भाव २ वीर गति प्राप्त योद्धा द्वारा मशाल लेकर रात में की जाने वाली गश्त (जनश्रुति) ३ देखो 'ही' । ४ देखो 'होडो' । होंडा - स्त्री० [सं० हिण्डनम् ] १ झूला झूलने की क्रिया या
हींदी
पति पत) 'हिंदूपति' नहींथांन देखो 'हिंदुस्तान' । होदोल होदोल हिडोळो'। हींदोळाट-देखो 'हिडळाट' | हींदोलि होलु-देखो 'हिडोळो' । हींदो-देखो 'हीडो' !
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हीप
। ९५ )
हीरणता
हौंप, हींफ-स्त्री. शीतल वायु ।
बेगारी लोग। हीबाण-पु. एक जाति विशेष का घोड़ा।
होड़ो-पु. १ सेवा, सुश्रुषा, बंदगी। २ चाकरी, नौकरी। हीमजी-पु. एक वृक्ष विशेष ।
३ रोगी की सेवा या चिकित्सा । ४ पादर, सत्कार; हीमत-देखो 'हिम्मत'।
स्वागत । ५ इज्जत, सम्मान । ६ मनोविनोद, क्रीड़ा । हीमती-देखो 'हीमती'।
७ बेगार में किया जाने वाला काम । ८ काम-काज, कार्य । हीयोड़ी, हीयोड़ो-देखो हिपोड़ी'।
हीच-देखो 'हीच'। हीयो-देखो 'हिरदो। हीस-स्त्री० [सं० हेष:]१ घोड़े के बोलने का शब्द । हिनहिनाट ।
हीचड़णी (गे), होचणी (वी), होचवणी (बो)-देखो
| 'हिचणी' (बौ)। २ देखो 'हूस'। होसरणी-पु० [सं० हेषण] घोड़े के बोलने का शब्द. हिनहिनाने | हीचाहीच-देखो 'हींचाहींच'। की क्रिया।
हीज-प्रव्य. १ केवल, मात्र । २ तैयार, तत्पर, सन्नद्ध । हींसरणी (बौ)-क्रि० [सं० हेषणं] १ घोड़े का बोलना, | ३ करीब, प्रायः, लगभग । ४ किसी बात पर जोर देने के
हिनहिनाना। २ उमंगित होना, उत्साहित होना, प्रसन्न पभिप्राय से बोला जाने वाला प्रत्यय शब्द । ५ निश्चय या होना। ३ तरसना, लालायित होना।
दृढ़ता सूचक पव्यय ध्वनि । ६ मन्ततोगत्वा, पाखिरकार । होसळ, हीसल-पु० [सं० हेषिन् ] घोड़ा, अश्व ।
७ अनन्यता सूचक अव्यय । ८ प्रल्पता या परिमितता हीसवणो (बो)-देखो 'होसणी' (बो)।
सूचक अध्यय। ९ देखो 'हो'। होसारण, हींसार, हींसारव-स्त्री० घोड़े की बोली, हिनहिनाट। | होजर-पु. [ हिजार:] पाषाण, प्रस्तर, पत्थर । हीसी-पु० घोडा, प्रश्व।
होजरणो (बो)-देखो 'हिजरणो' (बी)। हीस-पु. जमीन खोदने का प्रोजार विशेष ।
हीजरी-पु० वियोग जनित दुःख। हींसोड़ी-स्त्री. १ जुलाहों का एक उपकरण । २ देखो | होटो-वि० १ बंधन मुक्त, स्वतन्त्र, प्राजाद । २ रहित बिना। ___हिमोड़ी'।
३ ढीठ, धृष्ट । ही-हीं-स्त्री. १ हंसने की क्रिया, हंसी। २ हंसने की ध्वनि । होड-प० समह. भोर हो-अव्य० [सं०] १ भी। २ एक मात्र, केवल । ३ शोक, होडणी (बी)-देखो होंडणी' (बी)।
विस्मय, निराशा सूचक ध्वनि। -भू.का.कृ० थी। -पु. होडवण-स्त्री० एक प्रकार को मिश्री। [सं० हृदय] दिल, हृदय, मन ।
होडोलणी (बी)-देखो "हिंडोळणो' (बी)। होम, होसउ-देखो 'हिरदो'।
हीडोलाखाट (खाटणी)-स्त्री० झले की तरह बनी खाट, खाट हीमाहोण, हीमाहीन-देखो 'हियाहीण' ।
का झूला।. . होइ, हीमो-देखो 'हिरदौ ।
होडोलाट-देखो 'हीडोलाट'। होक-स्त्री० [सं० हिक्क] १ क्रोध की ज्वाला, क्रोध का प्रावेग।हीण-वि० [सं० हीन] १ निम्नस्तरीय, न्यून, घटकर, घटिया, २ तीव्र मानसिक व्यथा, कसक । ३ तीक्ष्ण दर्द, चीस,
हल्का, पोछा । २ कायरतापूर्ण । ३ रहित; दिशाहीन, टीस । ४ कोई तीव्र गंध । ५ दाह, जलन ।
अभावग्रस्त । ४ प्रशक्त, कमजोर, क्षीण। ५ पतलाहोकरणो (बो)-क्रि० [सं० हिक्क] १ छाती ठोककर ललकारना, दुबला, क्षीणकाय । ६ तुच्छ, नगण्य, निरर्थक, महत्वहीन ।
चुनौती देना । २ मारना, वध करना। ३ चोट करना, ७ लघु, छोटा । ८ रिक्त, खाली। ९ छोड़ा हुमा, त्यागा प्राघात या प्रहार करना ।
हुप्रा । त्यक्त। १० दोषयुक्त, त्रुटियुक्त, पशुद्ध । ११ पल्पहोगमत-देखो 'हिकमत'।
तर, कम । १२ वजित । १३ नष्ट । १४ कायर, डरपोक । होड़-पु० दीगवली की सध्या को बच्चों द्वारा मनाया जाने १५ साहित्य में खलनायक, अधम नायक । १६ धर्मशास्त्र वाला उत्सव ।
के अनुसार अविश्वसनीय साथी। १७ काव्य संबधी एक होड़कियो-देखो 'हिड़कियो' ।
दोष । १८ मूख। १९ नीच, पामर । -करम-पु. नीच होड़ाऊ-देखो 'हेड़ाऊ' ।
कार्य, बुरा भाग्य। -करमी-वि० कुकर्मी, भाग्यहीन, हीड़ाकढ़, होडागर-पु०१ चाकरी करने वाला, सेवा करने दुष्ट । -चरित-वि० दुश्चरित्र, चरित्रहीन ।
वाला, सेवक । २ बेगार का काम करने वाला वर्ग, ' होणता-स्त्री० [सं० होनता] १ होन होने की दशा या भाव ।
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हीरगदंत
। ९१६ )
हीरो
२ प्रभाव, कमी। ३ तुच्छता, पोछापन। ४ बुराई, पीटना, कूटना । ३ संहार करना, वध करना । ४ पछाड़ना, नीचता। ५ कमजोरी, दुर्बलता। ६ बुरा कर्म, कार्य। पटकना। ७ लघुता, अल्पता । कायरता । ६ मूर्खता।
होबर-देखो 'यवर'। हीणवंत (दंती, दंतो)-पु. पशुभ चिह्नों वाला एक प्रकार
होमंसु-पु० [सं० हिमांशु] १ चन्द्रमा, शशि । २ रूपा, चांदी । का घोड़ा।
हीमत-देखो 'हिम्मत'। हीरणदोस-पु० डिंगल साहित्य में नायक संबंधी एक दोष ।।
होमतण-वि० साहसी, हिम्मत वाली। होणपक्ख (पक्ष, पख)-पु० [सं० हीनपक्ष] १ कमजोर या । श्रीमतभरियो-वि. जिममें हिम दुर्बल पक्ष । २ वह बात जो तर्क सम्मत न हो, प्रामा
वाला। गिक हो। ३ किसी विषय का कमजोर पक्ष ।
होमतवर-वि० हिम्मतो, साहसी । हीरपण (परणी)-पु. १ हीन होने की दशा या भाव । २ लघुता, हीमति होमती-वि०(स्त्री० होमतण) साहसी, निडर, बहादुर । अल्पता । ३ दुर्बलता, कमजोरी। ४ कायरता । ५ नीचता,
होमत्त-देखो 'हिम्मत'। धृष्टता।
हीमाचळ-देखो 'हिमाचळ' । होणपद-वि० पदच्युत, पद से हटा हुमा, पद से गिरा हुआ।
हीमायत-देखो 'हिमायत' । होगपुण्ण (पुण्या, पुण्यो, पुन्या)-वि० भाग्यहीन, हतभाग्य ।
हीमाळ, होमाल-स्त्री. १ ठण्डी लहर, शीत लहर । २ देखो २ जिसके पुण्य क्षीण हो।
हिमालय'। होणमारण (न)-वि० [सं० मान-हीन] १ जिसका मान घट गया
हीमाळइ होमाळउ, हीमाळे होमाळो-देखो 'हिमालय' । हो, अप्रतिष्ठित, हतबीय्ये । २ हताश, निराश ।
होय, होय होयह, हीय उ, होयऊ, होयड़इ, होयालो, होयड़ी, होणमेध-वि० [सं० मेधा-हीन] १ मूर्ख, बेवकूफ, अज्ञानी ।
होयडु, होयडई' होयडउ, होयडलू. होयडलो, होयडी,
होयरो-देखो हिदो' । २ जिसको बुद्धि कमजोर हो, अल्पबुद्धि , होणी-वि० १ पोछी, हल्की, न्यून। २ छोटी, लघु । ३ हीन,
होयणइ-क्रि०वि० [सं० प्रधुना] भी, पब । निम्न।
हीयतल-पु. [सहृदय तल:] अन्तःस्थल, हृदयतल ।
हीयागम-देखो हिरदेगम' । हीशु. होरपो-देखो 'होण'।
हीयाफूट (फूटोडो, फूटौ)-देखो 'हिवाफूटो'। हीगोदाव-पु० १ कापरता, भीरुता। २ कमजोर पक्ष ।।
होयालि, होयाली-देखो 'हियाळो' । ३ दीन वचन ।
हीयाळ-देखो 'हिमालय'। होतळ, होतल-पु० [सं० हृदयतल] अन्त:करण, अन्त-स्थल
होयो-देखो 'हिरदो। हीन-देखो हीण'। हीनक्रम-पु. काव्य में होने वाला एक दोष ।
होर-पु० [सं०] १ हीरा नामक रत्न । २ मोतियों की माला, हीनता-देखो 'होणता'।
हार। ३ सूर्य, रवि। ४ विद्युत, बिजलो। ५ इन्द्र का हीनपक्ख (पक्ष, पख)-देखो 'होणपख' ।
वज्र : ६ शक्ति, बल । ७ सर्प, सांप। ८ सिंह, शेर ।
९ कोई प्रमूल्य वस्तु । १० वस्तु का सार भाग, गूदा, सत । हीनयोन, होनयोनि (नी)-स्त्री० [सं०] १ नीच जाति, नीच
११ धातु, वीयं । १२ रेशम । १३ शिव का एक नामान्तर। कुल । २ नोच या अधम योनि । -वि. नीच योनि का,
१४ छप्पय छन्द का एक भेद । १५ एक मात्रिक छंद नीच कुल का।
विशेष । १६ ठगण को पांच मात्रामों में से चौथे भेद का हीनदाद-पु० [सं०] १ मिथ्या तर्क, झूठा वाद। २ झूठी
नाम। १७ एक प्रकार की लता । गवाह।
हीरइ, हीरउ-देखो 'हीरो'। हीनवीरज (वीर्य)-वि० [स० हीन-वीय्यं] १ कमजोर, अशक्त,
हीरक, हीरकरण (कणी)-पु० [सं०] १ हीरा नामक रत्न । दुर्बल । २ कायर, डरपोक । ३ निस्तेज, मद ।
२ काच काटने का वह प्रौजार जिस में हीरे का करण लगा हीनांग-वि० [सं० प्रग-हीन] १ जिसका कोई अंग खण्डित हो. दो। वज । ४ करे। अग-भग । २ अधूरा, अपूर्ण । ३ कमी वाला।
होरकि, हीरकी-देखो 'हीरक' । होनोपमा-स्त्री० [सं०] उपमा अलकार का एक भेद ।
होरडु, होरडो-१ देखो 'हिरदो' । २ देखो 'हीरो'। हीबणो (बी)-कि० १ युद्ध करना, लड़ाई करना । २ मारना, | हीरणी (बो-देखो 'हेरणी' (बी)।
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हीरद्द
(६१७ )
हीरद्द, होरद्दौ-देखो 'हिरदो'।
हीलोळ-१ देखो 'हिलोर' । २ देखो 'हिलोळो' । होरपट, होरपट्ट-पु. रेशमी वस्त्र ।
होलोळरणी (बो)-देखो 'हिलोड़णों' (बी)। होरबुद (ध)-पु० फारसी धर्म का पुजारी।
होलोळो-देखो 'हिलोळो' । हीरवडि-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
होलोहळ-देखो "हिलोहळ' । हीरवणी-स्त्री० कपास का पौधा ।
होली-पु. १ किसी कार्य की सिद्धि के लिये सोचा हमा मार्ग । हीरांकणी-देखो 'हीरकशी' ।।
उपाय, रास्ता। २ काम, कार्य। ३ व्यवसाय, रोजी । होराउली-स्त्री. एक प्रकार की वनस्पती ।
४ द्वार, दरवाजा । ५ ब्याज। ६ बच्चे के लिए गाई जाने हीराकसी, हीराकसीस-पु० १ गधक के रासायनिक योग से | वाली लोरी गीत । -क्रि०वि० मिलजुल कर, शामिल ।
बनने वाला एक पदार्थ । २ वस्त्र रंगने का रंग विशेष। होलोळ-देखो हिलोर'। हीरागर, हीरागरउ-पु. १ एक वस्त्र विशेष । २ एक जाति | होलौळणी (बी)-देखो 'हिलोड़ो' (बी)। विशेष । ३ इस जाति का व्यक्ति ।
| होव-देखो 'हिरदो। हीरानांनीचोपण-स्त्री० स्वर्णकारों का एक पोजार विशेष । हीवर-देखो 'हयवर'। हीरानांमी-स्त्री. १ स्त्रियों के पैर का, चांदी का पाभूषण | हीस-देखो 'हीस'।
विशेष । २ स्वर्णकारों का एक भौजार । ३ प्राभूषणों पर | होसणी (गे)-देखो 'हीसणी' (बो)। की गई खुदाई।
होसाळ-पु० १ घोड़ा, अश्व । २ देखो 'हींसार' । हीराबेधी-पु. छप्पय छन्द का एक भेद विशेष ।
हीसू-स्त्री० हंमने की क्रिया, हंसी। हीरामण (२-पु. एक जाति विशेष का तोता जिसका वर्ण हु-प्रव्य० [सं० हु, हुम्] १ स्वीकृति सूचक अव्यय, हां । सुनहरा माना जाता है।
२ किसी बात, पावाज प्रादि के प्रत्युत्तर में कड़ा जाने हीराळ-पु. तेज चाल वाला एक प्रकार का घोड़ा।
वाला शब्द हो, जी, प्रश्नोद्योतक अव्यय । ३ स्मृति, याद । हीरालूलि-पु० एक प्रदेश का नाम ।
४ संदेह शक । ५ क्रोध, गुस्सा। ६ घृणा, अरुचि । हीरावरणी-स्त्री. १ ससुराल में नव वधू को दिया जाने ७ भत्संना. निंदा । ८ देखो 'हूं'। वाला कलेवा, नाश्ता । २ देखो 'सिरावण'।
हुकळ -देखो हूकळ' । हीरावळ (ळी)-पु०१ प्रोढने का एक बहुमूल्य वस्त्र विशेष । हुकार-स्त्री० [सं० हुंकार] १ सिंह, वीर पुरुष प्रादि की जोश
२ एक प्रकार का ऊनी कम्बल । -स्त्री० ३ हीरों की पंक्ति, पूर्ण प्रावाज, गर्जना । २ जोर का शब्द, ध्वनि, घोष, कतार, माला।
टंकार । ३ लड़ने-भिडने, ललकारने या चुनौती सूचक शब्द । हीरू-स्त्री० बापंद की पुत्री एक देवी।
४ डाट-फटकार का शब्द । ५ चीत्कार, चिधाड़ । ६ करुण हीरो-पु० [सं० हीर] १ एक प्रकार का बहुमूल्य पत्थर या | क्रन्दन, हाहाकार ।
रत्न, हीरा । २ महत्वपूर्ण वस्तु । ३ बहुत अच्छा व्यक्ति। हुकार उ-देखो 'हुंकारी' । -वि० कठोर।
हु कारणो (बो -क्रि० [सं० हुंकार] १ हुंकार करना, गर्जना, होळ, होल-स्त्री. १ बंधन । २ रोक, निषेध, प्रतिबन्ध । गुर्राना, जोश पूर्ण प्रावाज करना। २ जोश पूर्ण शब्द,
३ डर, भय, पातक । ४ शंका, संदेह । ५ शीतल वायु, घोष या टंकार करना । ३ चिल्लाना, चीत्कार करना, ठण्डी हवा । ६ वात रोग, वायु । ७ वृत्तान्त, हाल ।
चिघाड़ना। ४ ललकारना, चुनौती देना। ५ डांटना, होलणी (बो)-क्रि० १ बंधन में लेना, बांधना । २ बन्द करना फटकारना । ६ बुलाना, पुकारना । ७ रोना, करुण क्रन्दन
रोक या प्रतिबन्ध लगाना। ३ मुहरबन्द या सीलबन्द करना, हा-हाकार करना । ८ 'हुँ' शब्द से बात का करना । ४ ठण्डो हवा खाना, ठण्डो हवा लगाना । प्रत्युत्तर करते रहना।
५ ठण्डा या शोतल होना। ६ भय खाना, डरना । हहकारियो-पु. बात के साथ 'हुंकारा' देने वाला । होलहुज्जत-स्त्री० पाना-कानी, बहस, प्रतिवाद ।
हकारी-पु. १ कही जाने वाली बात के प्रत्युत्तर में बोला जाने होलारणो (बी), होलावणो (बो)-क्रि० १ बंधन में लिवाना, वाला 'हाँ' हुँ', 'जी' शब्द। २ स्वीकृति, सहमति ।
बंधवाना । २ बन्द कराना, रोक लगवाना, प्रतिबन्ध । ३ कही जाने वाली बात के साथ हा-हा करते रहने की लगवाना । ३ ठण्डी हवा लगवाना । ४ डराना, भय पैदा क्रिया। करना । ५ ठण्डा या शोतल करना । ६ देखो 'हिलागो'(बो) |
हु काळ-देवो 'हुंकळ' । होलेड़ो-देखो हिलोळो' ।
हुछ, हुंछ उ-देखो 'हूंछ'।
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(११
)
हुडन-पु० [सं०] शिव के एक गण का नाम ।
हुकमखरच-पु० महाराणा के निजी खर्च का हिसाब रखने वाला हुडी-स्त्री०१ सेठ-माहूकार या व्यापारियों द्वारा लिखा जाने | महकमा ।
वाला भुगतान पत्र । २ वह ऋण-पत्र जिसमें ऋण की हुकमणी-वि० माज्ञा या हकम देने वाला।
रकम, भवधि व व्याज लिखा होता है । ३ हुक । हुकमवार-वि० १ अधिकार रखने वाला । २ हुकम देने वाला। हडीबही-स्त्री. ऐसो बही या किताब जिसमें हुंडी की नकल | हुकमनामी (नांवो)-पु० [अ० हुकमनामः] १ राज्य, शासन का रखी जाती है।
माज्ञा पत्र, पादेश पत्र । २ प्रादेश, प्राज्ञा । ३ उत्तराहुडीवाळ-पु. वह व्यक्ति या व्यापारी जिसकी हुँडो की साख । धिकार कर जो जागीर की कुल वार्षिक पाय अथवा रेख प्रच्छी हो।
की तीन चौथाई राशि के रूप में होती थी। हुणहार-देखो 'होणहार'।
हुकममय-पु. नौकर, चाकर । हुतउ-देखो 'हूँतो'।
हुकमी-वि० [अ० हुक्मी] हुकम मानने वाला, अनुयायी, हुतासण (न)-देखो 'हुतासन' ।
ताबेदार। हुति, हुतो-देखो 'हती'।
हुकमेण, हुकमो, हुकम्म, हुकम्मा-देखो हकम'। हुतु, हु तो, हुदउ-देखो 'हूँतो' ।
हुकहुको-स्त्री० बोलने की उत्कण्ठा । हुफर-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती।
हुकाधारी-देखो 'होकाधारी'। हुबड़-पु. पंवार राजपूतों की एक शाखा ।
हुको-स्त्री० शृगाल को बोलो या प्रावाज । हुस-देखो 'इंस'।
हुकुम-देखो 'हुक्म'। हुसरड़ी-पु. पड़ियल ऊंट।
हुकूमत-देखो हकूमत'। हसि-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती ।
हुको-देखो 'होको' । हसियार-देखो 'होसियार'।
हुक्कांम-पु० [५० हुक्काम] हाकिम मादि उच्च पदाधिकारी हुँ सियारी-देखो 'होसियारी'।
वर्ग। हुसेर-स्त्री० उत्कण्ठा, अभिलाषा।
हुक्को-देखो 'होको'। हु स्यार, हुस्वार-देखो 'होसियार'।
हुक्म-देखो 'हुकम'। हुस्यारी-देखो 'होसियारी'।
हुक्मनामो (नांवो)-देखो 'हुकमनांमौ' । हु-पु० [सं०] १ नप, राना। २ मालोचना, निदा । ३ निश्चय, हुक्मबरदार-पु० [अ० हुकम+फा० वरदार] १हुकम मानने
निर्णय । ४ सभारण । ५ अतिरेक । ६ निवेदन । ७ भेंट । वाला अनुचर, कर्मचारी, अनुयायी। २ शासन या हुकम ८ यज्ञ । ९ खाना।
चलाने वाला । ३ शासक । ४ हाकिम ।। हुअरणहार-देखो 'होणहार'।
हुक्मबरदारो-स्त्री० [अ०] १ 'हुक्मबरदार' होने की अवस्था हुमणी-१ देखो 'होणी' । २ देखो 'हुवा' ।
या भाव । २ प्राज्ञा का अनुपालना, सेवा, चाकरी। हुमा-वि० पर्याप्त, बहुत ।
३ शासन या हुक्म चलाने की क्रिया । ४ शालन, हकूमत ।
हुक्मो-देखो 'हुकमी'। हुउ-प्रव्य० नहीं, न, इन्कार ।
हर-स्त्री. १ पाशा, अभिलाषा, इच्छा । २ जोश, पावेश । हक-पु० १ अकुश की तरह पागे से मुड़ी हुई बड़ी कील या| ३ उमम, उत्साह । ४ देखो 'ड' ।। उपकरण । २ देखो 'हूक'।
हुड़क-पु० [स० हुडुक्क] एक प्रकार का छोटा ढोल । एकम-पू० [प्र.हम] १ राज्य या शासन द्वारा जारी किया | हङकणी (बी)-क्रि० उमग, साहस के साथ उछलना कूदना। गया प्रादेश, राजाज्ञा, फरमान । २ सामान्यतया किसी
२ जाश में भाग कर प्राना । ३ हमला करना । कार्य के लिये की जाने वाली प्राज्ञा। ३ मार्ग-दर्शन,
हुड़कळ-स्त्री० १ एक प्रकार की चिड़िया । २ भीलों की एक निर्देश । ४ प्रधिकार. शासन । ५ स्वीकृति, अनुमति.
___याचक जाति। इजाजत । ६ प्रभुत्व, प्रभाव । ७ नियम. विधान, विधि । ८ शिक्षा । ९ व्यवस्था, प्रबन्ध । १० बड़ों व गुरुजनों का
हुड़कळी-स्त्री० एक चिड़िया विशेष । वचन । ११ बड़ों की बात का प्रादर वृक्त प्रत्युत्तर । हुड़का-पु. १ 'हुडकल' जाति का व्यक्ति। २ पश का प्राक्रामक १२ जरूरत से ज्यादा जताया जाने वाला प्रभाव, रौब ।। भाव । १३ ताश का काला रंग।
Jहुडक-देखो 'हुड़क'।
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हुड़क्कणौ
हुणों
हुड़ककरणी (बौ)-देखो 'हुड़करणो' (बी)।
३ दरबार, कचहरी, सभा। ४ ईश्वर, मालिक । ५ सेवा, हुड़खो-पु० १ सोच-विचार, चिन्ता, फिक्र । २ सूर्य की किरणें टहल, बंदगी, नौकरी। ६ उपस्थिति, हाजिरी । ७ मौजूसीधी पड़ने से होने वाली गर्मी या उमस ।
दगी। ८ राज्य, शासन । ९ बड़े लोगों के प्रति सम्बोधन । हुड़दंग-वि० १ मजबूत, दृढ़ । २ मस्त, मोटा-ताजा। ३ देखो -क्रि०वि०१ सेवा, चाकरी या नौकरी में। २ सामने, 'हुडदंगी'।
सम्मुख । ३ दरबार में। हुड़दंगी-स्त्री० १ मजबूत, मोटी-ताजी या हृष्ट-पुष्ट स्त्री। हुजूरण-स्त्री० अन्तःपुर की खास दासी। २ छिनाल स्त्री।
हुजूरी-स्त्री० [अ०] १ नौकरी, चाकरी, सेवा, टहल । २ किसी हुड़दंगौ-पु. (स्त्री हुडदंगी) १ उत्पात, उपद्रव । २ मस्त, बडे प्रादमी का सामीप्य । ३ किसी को हाजरी में रहने की
प्रादमी। -वि० १ उपद्रवी, उत्पाती। २ मस्त, मतवाला, ___ अवस्था या भाव । ४ खुशामद । -वि० १ हुजूर में रहने मोजो। ३ हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा ।
वाला । २ खास सेवा में रहने वाला । हुड़दानिगम (बेगण, बेगम, वेगम)-स्त्री० [उ०] १ मर्दानी हुजूरीवान-पु० प्रर्दली, सेवक, चाकर ।
पोशाक एवं शस्त्रों से सुसज्जित स्त्री जो बादशाहों के | हुज्जत-स्त्री० [अ०] १ तक, प्रतिवाद, दलील । २ विवाद, जनानखानों की रक्षार्थ नियुक्त रहती थी। २ शैतान या बहस, वाद-विवाद, तकरार । ३ प्रमाण, सबूत । ४ कलह, उद्दण्ड स्त्री।
झगड़ा, बखेड़ा। ५ तू-तू, मैं-मैं । ६ जिद्द, हठधर्मी। हड़बो-पु. धारणी (कोल्ह) की लाठ को रोक रखने के लिये | हुज्जती-वि० [अ०] १ हुज्जत करने वाला। २ बहस करने लगाई जाने वाली लकड़ी।
वाला, प्रतिवाद करने वाला। ३ हर गत में तकरार या हुडियार-पु० [सं० हुड] नर मेष, भेड़ा ।
हज्जत करने वाला। ४ तर्क या दलील देने वाला। हुड़ियो-देखो 'हुड'।
५ प्रमाण पेश करने वाला। हड़ी-स्त्री. १ तेज गति, तीव्रता । २ शीघ्रता। ३ दौड़। हटकारणी (बी)-क्रि० फटकारना, दुत्कारना । ४ प्राक्रमण, हमला। ५ देखो 'हुडो' ।
हुटणी (बी-क्रि० १ रुकना, ठहरना । २ दम घुटना, घबराहट । हुचकणी (बी)-क्रि० [सं० उच्चकनम्] १ युद्ध करना, लड़ाई होना ।
करना। २ भिड़ना टक्कर लेना। ३ वीरगति, प्राप्त हुहु डाट-देखो 'हड़बड़ाट'। करना ।
हुडंबी-पु० गणेश, गजानन । हुचकारणो (बो)-क्रि०१ युद्ध कराना, लड़ाई कराना । २ भिड़ाना | हडबेस-पु० [सं० हिडिबा-ईश] भीम पांडव ।
टककर लिराना। ३ वीरगति प्राप्त करने के लिये प्रेरित | हुड-पु० [सं०] (स्त्री० हुडी) १ नर मेष, भेड़ा। २ ग्राम करना । ४ पीटना, मारना । ५ धक्का देना । ६ धमकाना, शूकर । ३ एक अस्त्र विशेष । ४ लोहे का डंडा या गदा । डराना।
५ लोहे का खम्भा या मेख जो चोरों से बचने के काम हुचको-पु. १ झटका धक्का । २ रोने का भाव, सुबकना | प्राती हैं । ६ एक प्रकार का हाता । ७ मूढ़, मूर्ख । ८ दैत्य, क्रिया । ३ रुक-रुक कर श्वास प्राने की अवस्था । ४ पतग
राक्षस । की डोर लपेटने को गिडगिडी। ५ ग्राघात, चोट ।
हुडक, हुडको-स्त्री० शब्द, प्रावाज, शोरगुल । हुचक्क-स्त्री० १ चोट, प्राघात, प्रहार। २ धक्का, झटका ।
हुडक्करणो (बौ)-देखो 'हुड़करणो' (बी)। ३ युद्ध, लड़ाई।
हुडरको-पु० चिता, फिक्र । हुचक्कणी (बो)-देखो 'हुचकणो' (बो)।
हुडियार-पु० नर मेष, भेड़ा। हुचरणी (बो।-क्रि० १ खदेडना, ताड़ना या प्रताडना देकर भगा हुडी-स्त्री० भेड़, मेषी।
देना । २ भुरट नामक पौधे का बीज निकालना । हडीजणी (बी)-क्रि० भेड़ का गर्भवती होना । हुचरियो, चरच, हुत्रियो, हुच्यो-पु० कुत्ते का छोटा बच्चा। हडीजियोड़ी-वि० गर्भवती (भेड़)। हुजवार-पु. १ हाथी का महावत, फोलबान । २ नौकर, हुडक, हुडुक्क-पु० [सं० हडुक्कः] १ एक विशेष प्रकार का
अनुचर, कर्मचारी । ३ प्रमुख कर्मचारी, अधिकारी। ढोल । २ किवाड़ों में लगी चटखनी। ३ नशे में चूर ४ सामंत । ५ प्रतिनिधि । ६ सेना का व्यवस्थापक ।
व्यक्ति । ४ दात्यूह पक्षी। हुजदारो-पु० १ "हुनदार" होने की अवस्था या भाव । २ प्रमुख हुण-क्रि०वि० प्रब । पद, प्रोहदा, अधिकार । ३ देखो 'हमदार' ।
हबहार-देखो 'होणहार' । हजर-पू० [५०] १ बादशाह सम्राट । २ हाकिम, न्यायाधीश । हुणो (बौ)-देखो 'होणो' (बी)।
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हुसंकर
.
( ९२० )
हतंकर-देखो 'हुतासन'।
हुबोहुब, हुबोहूब-देखो हूबहू' । हुत-पु० [सं०] १ शिव का एक नामान्तर । २ नैवेद्य, प्रसाद । हुब्बकरणो (बौ)-देखो 'ऊबकणों' (बो)।
३ हवन, सामग्री। -वि० १ हवन किया हुमा। होमा | हुब्बणी (बो)-देखो 'हुबणों' (बो)। हुपा । २ पीड़ित, त्रस्त । ३ नष्ट किया हुआ, हत । हुमकरणौ (बो)-क्रि० १ उछलना, कूदना । २पैरों से धक्के ४ ध्वस्त ।
___लगाना, ठेला मारना। २ जोर से दबाना, दबाव डालना। हुतब-देखो 'होतब'।
हुमगणो (बो-देखो 'हुमकणो' (बो)। हृतमक्ख (भक्ष, भख, भुक, भुख, भुज)-पु० [सं० हुतभक्ष, हुत | हुमणी-सर्व० प्रपनी, हमारी। भुज् पग्नि, भाग।
हुमणी-देखो 'हमणों' । (स्त्री० हुमणी) हुतळ-स्त्रो० पृथ्वी, धरती, भूमि ।
हुमा-स्त्री० [फा०] एक प्रकार का कल्पित पक्षी। हुतवह-स्त्री० [सं०] अग्नि, प्राग ।
हुमाऊ, हुमायु (यू)-पु० [फा० हुमायू] बादशाह अकबर का हुतसेस-स्त्री० [स. हुतशेष] हवन की अवशिष्ट बची सामग्री।
पिता। हुतां, हता-क्रि०वि० १ 'होना' का भूतकालिक रूप, था, थे।
हुमेल-देखो 'हमेल'। २ होते हुए, होकर के । ३ से ।
हुरम-देखो हरम'। हुताग्नि-स्त्री० [सं०] १ यज्ञ या हवन की अग्नि । २ जिसने
हुरकरिणयो-पु० वेश्यानों का दलाल । हवन किया हो, पग्निहोत्री। हुतास, हुतासरण (णि, णी)-स्त्री० [सं० हुत-प्रशन:] १ अग्नि,
हुरकणी (नी)-स्त्री० [सं० हुडुकिनी] हिन्दू वेश्यामों का एक भाग । २ तीन प्रकार की अग्नियों में से एक । ३ शिव की
वगं व इस वर्ग की वेश्या । एक उपाधि । ४ फलित ज्योतिष में वार व तिथि संबंधी |
हरकिया-स्त्रो० गाने-बजाने का व्यवसाय करने वाली एक योगों में से पांचवां योग ।
जाति । हुतासणी-पूनम-स्त्री० फाल्गुन मास की पूणिमा ।
हरकियो-पु० उक्त जाति का व्यक्ति। हुतासन, हुतासनि (नी)-देखो 'हतासरण'।
हुरखणों (बो)-देखो 'हरसणो' (बो)। हुती-क्रि०वि० १ थी। २ से । ३ होते हुए।
हुरड़ा-पु. चौहान क्षत्रियों को एक शाखा । हुतोज, हुतो-क्रि०वि० 'है' का भूतकालिक रूप था।
हुरड़ाई-स्त्री० उत्कण्ठा, लालसा । हुदहुव-स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया।
हुरड़ी-स्त्री० टक्कर, धक्का । हुवावरत-पु. एक प्रकार का प्रशुभ घोड़ा।
हुरदगो-देखो 'मुडदंगो'। हुदो, हुद्दो-देखो 'होदों'।
हुरभुज-पु. एक प्राचीन देश का नाम । हुनर (हुन्नर)-पु० [फा०] १ कारीगरी, दस्तकारी, निर्माण
हुरम-देखो 'हरम'। -खांनौ= हरमखांनो'। कला, फन । २ विद्या, इल्म । ३ हस्तकौशल । ४ विशेषता,
हुरमटो-स्त्री. गाय की छोटा बछिया । खूबी, गुण । ५ चालाकी, चतुराई। ६ युक्ति, सूझ-बूझ ।
हुरमत (ति, ती)-स्त्री० [अ० हुमंत] १ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । -बध, मंद-वि. 'हुनर' जानने वाला, कारीगर, शिल्पी।
२ ईमान, धर्म। ३ सतीत्व, प्रस्मत। ४ परहेज, मनाही ।
५ स्त्री, पत्नी। चतुर, चालाक । हुब-पु० [म.] १ प्रेम, अनुराग, स्नेह । २ शोरगुल, हल्ला । हुररा, हुरर-स्त्री० [अ० हुर्रा] १ एक प्रकार को हर्ष ध्वनि । . मुसलमान ।
२ बेइज्जती, हसी। हुबकरणौ (बो). हुसक्करणो (बी)-देखो 'ऊबकरणो' (बी) । हुरळ-स्त्री० किसी पैनी वस्तु या शस्त्र का प्रहार । हुबचळ-पु० समर, युद्ध ।
हुरळणी (बी)-क्रि० किसी पैनो वस्तु या शस्त्र का प्रहार हुचरणी (बो)-क्रि० [सं० उभ्] १ क्रोधित होना गुस्सा करना। करना।
२ जोर से बोलना, जोश में बोलना: ३ युद्ध करना, लड़ाई | हुएट्टक-पु. हाथी का अंकुश । करना। ४ मावेश में प्राना, जोश खाना। ५ जलना हरुमयी-स्त्री० एक प्रकार का नत्य । प्रज्वलित होना । ६ प्रकाशित होना, जगमगाना । ७ मारना, हुलंब-वि० लम्बा चोडा, विस्तृत । वध करना । ८ भिड़ना, टक्कर लेना । ९ कुढ़ना, जलना। हुळ हुल-पु०१ एक प्रकार की दुधारी कटार, छुरी। २ सीसोदिया १० उत्साहित होना।
राजपतों की एक शाखा। ३ किसा पने शस्त्र का प्रहार । हुवास, हुबासि (सी)-देखो ‘होवास' ।
प्राघात।
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हुसैनी
हुळको, हुलकी-स्त्री० मन्द ज्वर, हल्का बुखार। -वि. मन्द, २ उपद्रव दंगा । ३ विद्रोह । ४ हलचल । हल्की ।
हुल्लराणी (बी)-देखो 'हुलराणों' (बी)। हुला-देखो 'हुल्लड़।
हुल्लास-देखो 'हुलास'। हुलणी-स्त्री० सीसोदिया क्षत्रियों की एक शाखा।
हुवरणी (बौ)-देखो 'होणो' (बौ) । हळपो (बो)-क्रि० [सं० हुल] १ उत्पन्न होना, पैदा होना । | हुवरणहार-देखो 'होणहार'। २ उमंगित होना, उत्साहित होना।
हुवर-देखो 'हर'। हुलणौ (बी)-क्रि० छोटे बच्चे को हुलराना।
हुवा-वि० १ बस, काफी। २ अलभ्य, दुर्लभ्य । ३ समाप्त, हुलबग-स्त्री. चर्चा, खबर ।
खत्म । ४ पर्याप्त । ५ अधिक, बहुत। हुळम, हुलम-पु. एक प्रकार का शीशा ।
हुवारियो-पु०१ अावाज देने की क्रिया या भाव । २ लम्बी हलरणी (बो)-क्रि० [सं० उल्ललनम्] इलराया जाना, लोरी | प्रावाज । गाया जाना।
हुवाल-देखो 'हवाल'। हुलराणी (बो), हुलरावणो (बो)-क्रि० [सं० उल्ललनम्] | हुवाले, हुबाल-देखो 'हवाले'।
१ बच्चे को हुल राना, लोरी गाना। २ बच्चों को प्यार हुवास-देखो 'होबास'। करना, स्नेह या ममत्व दिखाना । ३ गायन करना, गाना । हुविए, हुविऐ-क्रि०वि० अब, प्रभो। ४ लोरी गाते हुए झूला झुलाना । ५ रेंगना ।
हुवी-पु० कूए से मोट खाली करते समय बोला जाने वाला शब्द हुलस-देखो 'हुलास'।
___विशेष । -क्रि०वि० पर्याप्त । इळसरण, हलसण (न)-स्त्री० [सं० उल्लास] प्रसन्नता, उमग, संड-वि०१ मोटा-ताजा, हृष्ट-पुष्ट । २ शक्तिशाली, बलवान। उत्साह ।
३ स्वस्थ । -पु० घोड़ा, अश्व । हळसरपो (बी), हुलसणी (बी)-क्रि० [सं० उल्लसनम्] १ प्रसन्न | हुस-प्रव्य निषेध या भत्संना सूचक ध्वनि ।
होना, मानन्दित होना, खुश होना। २ उमंगित होना । हुसन-पु० (प० हुस्न] १ सुन्दरता, खूबसूरती। २ भाभा, ३ उमड़ कर पाना। ४ उत्सुक, लालायित या उत्कण्ठित
कान्ति, लावण्य । ३ शोभा, छटा, रौनक । ४ यौवन का होना। ५ चमकना, जगमगाना । ६ मंडराना, फैलना,
उभार । ५ सतीत्व । ६ भलाई, अच्छाई। ७ उत्तमता, छाना। ७ झुकना । ८ उतावला होना, प्राकुल होना । श्रेष्ठता। -वि० उत्तम, श्रेष्ठ, भला ।
६ प्रवृत्त होना, झुकना । १० टूट पड़ना, झपटना। हुसनाक, हुसनायक-वि० १ जिसमें हुस्न हो, सौन्दर्य हो, सुन्दर; हुळसाणौ (बो), हुलसारणी (बो)-क्रि० १ प्रसन्न करना, खूबसूरत । २ कान्तिवान, दीप्तिवान, प्रोजम्बी । ३ प्रभाव
मानन्दित करना, खुश करना। २ उमड़ाना, उमड़ा कर शाली, प्रतिभाशाली । ४ अच्छा, भला। ५ उत्तम, श्रेष्ठ । लाना । ३ उत्कण्ठित करना, लालसा जागृत करना । ६ साहसी, निडर । ७ चुनौती मानने वाला, सामना करने ४ चमकाना, दीप्तिमान करना । ५ झुकाना । ६ उत्साहित वाला । ८ चतुर, होशियार । -पु. शाहजादा।
करना, उमंगित करना। ७ देखो 'हुळसणी' (बो)। हुसनैनाकी-पु. एक प्रकार का पौधा व उसका फूल । हळहळ-पु. १ एक पौधा विशेष जिसकी पत्तियां पोषधियों में | हसमंव-देखो 'होसमंद' । काम पाती हैं । २ देखो 'सुळसुळ' ।
हुसिपार-देखो 'होसियार'। हुलाउ-पु० शोरगुल, कोलाहल ।
हसिक-पु. १ हौसला, होश । २ इच्छा, अभिलाषा, कामना । हुलास-पु० [सं० उल्लास] १ हर्ष, प्रसन्नता, खुशी, प्रानन्द । | सियार-देखो 'होसियार'।
२ उत्साह, उमंग । ३ उत्कण्ठा, लालसा । ४ रोमांच । हुसियारक-पु० द्वारपाल, प्रतिहार, दरबान, छड़ीदार । ५ चमक, प्राभा, दीप्ति । ६ एक अलकार विशेष । हसियारगी, हसियारी-देखो 'होसियारी'। ७ किसी ग्रन्थ का एक भाग, अंश, अध्याय । ८ एक छद हुसीयार (रौ)-देखो 'होसियार'। विशेष ।
हुसन-पु० प्र०] मोहम्मद साहब का दोहित्र व हजरत अली हुलासी-वि० [सं० उल्लसित] १ प्रसन्नचित्त, प्रानन्दित । | का दूसरा पुत्र । यह शिया मुसलमानों के लिए पूज्य है।
२ कान्तिवान, दीप्तिवान, तेजस्वी। ६ चमकदार, प्राभा हुसैनो-वि० 'हुसैन' का, हुसैन संबधो। -स्त्री० १ मुसलमानों युक्त। ४ उत्साहित, उमंगित । ५ लालायित ।
की एक भाषा। २ यवन भाषा। ३ एक प्रकार की हुळियार-पु. होली का रंग खेलने वाला।
तलवार। हुल्लड़-पु. [स० हुल] १ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला, कोलाहल । हुसनोकान्हड़ा-पु० सब शुद्ध स्वरों वाला एक राग ।
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( ९२२ )
हण
हुस्तंड-देखो 'हुसंड'।
हूँतउ-देखो 'हूंतो'। हुस्त-देखो 'हुस।
हूँ तळ-क्रि०वि० शामिल, साथ । हुस्यार-देखो 'होसियार'।
हूँ तां, हूं ता-देखो 'हंत'। हुस्यारी-देखो 'होसियारो'।
हूँति हूँती-प्रव्य १ से। २ की। ३ थी। इहव-पु. एक नरक का नाम ।
हूंतू-सर्व० मैं व तू। हुहु, हुहू-पु० १ देवता। २ एक गंधर्व । ३ देखो 'हूहू' । | हूँते-क्रि०वि०१ से, द्वारा। २ होते हुए । ३ वाजिब, ठीक. हूँ-सर्व० [सं० अहम] मैं, मैंने, मुझे। -प्रव्य० १ से । २ द्वारा,
मार्फत । ३ से, अपेक्षाकृत, तुलना में। ४ को। ५ के। हूतौ-प्रव्य० १ से । २ द्वारा, मार्फत, से। ३ के, को। ४ था। ६ हां: ७ वर्तमानकालिक क्रिया "है" का उत्तम पुरुष हूंफणी (बो)-देखो 'हांफणो' (गे)। एक वचन रूप ।
हूँ मड-पु० पंवार राजपूतों को एक शाखा । #करणी-स्त्री०१ किसी जानवर की बोली, पावाज । २ उमंग, | हूँ मणौ (बो)-देखो 'होमणी' (बी)। प्रबल इच्छा ।
हूँ स-स्त्री० [सं० उष्म] १ प्रबल इच्छा, अभिलाषा. उत्कण्ठा । हूँकरणो (बो)-क्रि० १ हुंकार भरना, हुंकारना। २ गर्जना, २ उमंग, उत्साह, जोश । ३ हर्ष, खुशी, प्रानन्द । ४ मोद,
गर्जन करना। ३ सिसकना, रोना। ४ बोलना, पावाज गवं अभिमान । ५ हिम्मत, होसला । ६ प्रवृत्ति । ७ मौज, करना।
मस्ती। ८ प्राभा, कान्ति, दीप्ति, चमक । हूंकर-देखो 'हुंकार'।
हूंसनायक, हूँ सियो-देखो 'हसनायक' । हूँ कळ-पु० [सं० उत्कललनह] १ कोलाहल, शोरगुल । २ हुंकार, हू-स्त्री० शृगाल या सियार की बोलो।
गर्जन । ३ घोड़े की हिनहिनाट। ४ शब्द, ध्वनि । ५ युद्ध हक-स्त्री. १ छाती या सोने में होने वाली तीव्र पीड़ा, दर्द । लड़ाई। ६ सिधु राग । ७ गायन, गाना ।
२ मन की कसक, वेदना, दुःख। ३ तड़प, पाह, कराह । हूँ कळचाळो-पु. उपद्रव, बखेड़ा, दंगा।
४ करुण, क्रन्दन। ५ शोक, समाचार । ६ धड़कन । हकळरणो(बी)-क्रि० १ कोलाहल या शोरगुल होना । २ गरजना, ७ पश्चाताप, खेद । ८ प्रभिलाषा, मनोकामना ।
हुंकारना। ३ हिनहिनाना। ४ शब्द, प्रावाज या ध्वनि | हुकणो (बो)-क्रि० १ छाती या सोने में तीव्र पीड़ा होना, दर्द होना । ५ सिंधु राग गाया जाना ।
होना। २ कसक उठना, वेदना या दुःख होना । ३ कराहना, हकार-स्त्री०१ स्वीकृति, सहमति, हो । २ देखो 'हुंकार।
प्राह भरना, तड़पना । ४ करुण क्रन्दन करना। ५ शोक ह कारो-देखो 'हुंकारी'।
समाचार फैलना । ६ घड़कना, धड़कन होना । ७ पश्चाताप हूँचकम्पो (बो)-देखो 'हुचकणी' (बी)।
या खेद करना। हूँचणी (बौ)-देखो 'हुचणी' (बी)।
हूकळ, हूकल-देखो 'हूंकळ । हूँचौ, हूँछ-पु० 'भुरट' नामक घास की बाल या बीज।
हूकळणो (बौ), हूकलणौ (बी)-देखो 'हूकळणो' (बी)। हट, हूँठ-वि० [सं० पद्ध-चतुष्टय] तीन व माधा, साढ़े तीन ।
हूकळी-स्त्री. फौज के चलने से उत्पन्न ध्वनि, शोर, कोलाहल । -पु० साढ़े तीन को संख्या ।
हूकाधारी-देखो 'होकाधारी'। हूँटो, हूँठो-पु० साढ़े तीन का पहाड़ा।
हूकारो-देखो 'हकारों'। हूँ-वि० लम्बा।
हूको-देखो 'होको'। हडा-पु. चौपड़ के खेल में पासे निरस्त हो जाने की एक
हूचक-पु० [सं० उच्चकन] १ युद्ध, समर, लड़ाई। २ भिड़त, अवस्था।
टक्कर । ३ वीर गति । ४ प्रहार, टक्कर । हूँडी-स्त्री० १ नाभि । २ देखो 'हुंडी'।
हूचकणी (बौ)-देखो 'हुचकणी' (बी)। हूँ डीवाळ-देखो 'हुंडीवाळ' ।
हूचको-देखो 'हुचको'। हू डौ-पु. एक प्रकार की डलिया।
हूचटो-पु० १ झटका । २ धक्का । हूँणहार-देखो 'होणहार' ।
हूचणी (बो), हूछणौ (बो)-देखो 'हुचणी' (बो)। हू पी-देखो होणी'।
हूड-देखो 'हुड'। हत-प्रव्य० १ तृतीया विभक्ति चिह्न, 'से'। २ तुलना में, से।। हण-पु० १ एक प्राचीन मंगोल जाति । २ इस जाति का व्यक्ति।
३ सहित, समेत, युक्त, से। ४ का, के, की। ५ द्वारा, ३ एक राजवश । ४ पवार राजपूतों की एक शाखा। मार्फत । ६ होना क्रिया।
५ देखो 'होणी'।
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महार
हार- देखो 'होणहार' ।
हूणी (बी) - देखो 'होली' (बी) ।
हूत देखो 'हंसी'
हूलद्रव्य - पु० [सं०] हवन सामग्री ।
देखो'ळ'
हूतां हूता देखो 'हंत' ।
-
हूनर, हूनर - देखो 'हुनर' ।
हूपड़ी पु० बैलगाड़ी के थाटे के धागे लगा त्रिभुजाकार तख्ता । बकरणी ( वो) - देखो 'ऊबकणी' (बी) ।
हूणी (बो) - देखो 'हुबली' (बो) ।
हूबहू वि० [फा०] १ बिल्कुल एकसा, समान सew
1
२ बराबर, तुल्य । ३ ज्यों का त्यों, जंसा का जैसा हूबी - स्त्री० ऊंट के तालू में होने वाला ग्रन्थि-रोग । हूबहूब, हूबहूब देखो 'हूबहू' ।
हर-रयो मुसलमानों के हित की परी २ स्वर्ग की प्रप्सरा, परी ३ वेश्या, रंडी, नगर वधू । ४ सुन्दर, स्त्री । हूरळ पु० १ पंने शस्त्र का जोरदार प्रहार । २ शूल, हूक । हूरब-पु० [सं० हूरव: ] शृगाल, गीदड़ ।
,
हूरवर, हूरांवर पु० युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाला योद्धा । हूळ, हूल स्त्री० [सं० शूल] १ प्रहार, प्राधात वार २ भय श्रास ३ कोई भयंकर पीड़ा दर्द ४ दु:ख, कसक, वेदना - पु० ५ चौदहवीं वार उलटाकर बनाया हुधा, शराब ६ देखो 'हुल'
1
-
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हूनगो (बौ) - देखो 'होगी' (बो) ।
स वि० [१] पटल २ शिष्ट, उज्जड़ मूखं ।
सनाइक (नायक) देखो 'क'
( ९२३ )
हलाहल स्त्री० निरन्तर उठती रहने वाली कसक, पीडा, वेदना । हूलियो - पु० [अ० हुलिय: ] १ प्रकृति, शक्ल, चेहरा । हूलिय] १ चाकृति शक्ल बेहरा २ रूपरंग, बनावट । ३ किसी मनुष्य की शक्ल-सूरत का ब्योरा ।
हेकड़ी-देखो हेकड़ीबाज हेकड़ीबाज' |
हेंबर देखो 'वर' |
हेयार पु० हय, घोड़ा,
हेकंकार- वि० समान, तुल्य बराबर
,
कंबल, हेडियो-वि० विमूढ, प्राकृ
हेकंड वि० जबरदस्त जोरदार
हेंस, हँसो-देखो 'हिस्स' ।
हैं हैं [स्त्री० हंसी की धावाज हंसो
हे - प्रव्य० [सं०] १ सम्बोधनात्मक धव्यय, घरे, प्रो २ दर्प, ईर्ष्या, द्व ेष या शत्रुता द्योतक अध्यय । ३ देखो 'है' ।
हेरिए हेली-देखो 'एक'
हेकमन पु० १ मन मिलने की अवस्था ३ एकाग्रता
,
मर्तस्य सहमति अनुराग 1
हेकमहेक - देखो 'एक मेक' ।
हेकर - देखो 'एकर' ।
हेकरसां से देखो एकरसू" । (सू, से) हेकल - देखो 'एकल' ।
कलि, हेकली - वि० केली । हेकले, हेकलं वि० धकेले ।
बेदा हेलो हेलो-देखो 'एकली'
हेकण देखी 'एक'।
करणजमे - वि० इकट्ठा, एकत्रित ।
1
हे कंपली (बी) क्रि० १ कंपायमान होना, कांपना, परांना २ भयभीत होना, डरना । ३ प्राश्चर्य चकित होना ।
हेक वि० [सं० एक]१ एक. एक मात्र २ करीबन दानिया अनुमानित ३ कई कुछ 1
हेकड़ वि० [सं० इकट्] १ एक २ महिल उ ३] देखो 'एकड़' | हेकड़ी - स्त्री० १ उद्दण्डता, घड़ियलपना | २ बलप्रयोग; जोरावरी, जबरदस्ती बलात्कार । ३ शेखी, शान; क्रुड़ ४ सर्व अभिमान मान ५ हठ बाज- वि० शेखी मारने वाला, गर्वीला, घमण्डी, बलवान । हेकड़ी वि० पला ।
,
हेकट, हेकडा, कडा क्रि०वि० १ एकत्र होकर साथ-साथ २ मिल-जुल कर सम्मिलित होकर । ३ एक ही जगह या
स्थान पर ।
कहेको वि० केला, केवल एक ।
-
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हेकहेकोन वि० एक हो, धकेला, कदयों में एक
-
हू- हल्लौ पु० शोरगुल, कोलाहल ।
करणी वि० १ एक । २ प्रकेला । ३ एक बार ।
हूहू - पु० [सं०] १ गन्धवं विशेष । २ देवता । ३ प्रग्नि के हेकांणवइ (ई) - वि० नब्बे तथा एक, इक्याणवे, इकरावे ।
जलने का शब्द, धू-धू धांय धांय ।
हेका वि० १ एक ही २ धकेला क्रि०वि० १ एक मोर;
एक तरफ । २ इधर-उधर । ३ देखो 'एका' ।
काहेक हेकाहेकी देखो 'एकाएक' ।
हे, हेकै देखो 'एकै' ।
खारव
या भाव। २ एकमत; ४ प्रेम, प्यार, स्नेह,
कारु कारू - क्रि०वि० एक बार एक समय ।
10
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हे कोहिक. हे कोहेक क्रि०वि० एक-एक करके, बारी-बारी से । हेको पु० १ एक की संख्या या अंक २ देखी 'एको' - क्रि०वि० एक बार ।
खारव - पु० [सं०] ह्रस या हेष ] शब्द या छावाज ।
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( ९२४ )
हेखि पु० [सं० हर्ष] खुशी, प्रसन्नता, हर्ष ।
३ देखो 'हेटै'। हनिव, हेग्रीव-देखो 'हयग्रोब'।
हेमो-देखो 'हाट'। हेड़-स्त्री. १ चौपाये जानवरों का समूह, झुण्ड । वर्ग । २ भीड़, हेटणी (बी)-क्रि० नीचा दिखाना, निस्तेज करना। समूह । ३ टोली, मण्डली।
हेटलो-वि० (स्त्री० हेटली) नीचे का, नीचे वाला। हेडणी (बी), हेडवरणी (बी)-क्रि० १ हांकना, हांककर ले हेटवाळियो-वि० (स्त्रो० हेटवाळण) १ मातहत, अधीनस्थ ।
जाना। २ एकत्र या इकट्ठा करना, घेरे में लाना। २ नीचे का, नीचे वाला। ३ जो दबता हो, दबाव में ३ भगाना, डराना। ४ ललकारना, चुनौती देना। पाकर रहने वाला। ५ उत्साहित करना, प्रोत्साहन देना। ६ छोड़ना, बधन हटा-क्रि०वि० नीचे, नीचे की पोर। -वि. नीचा, न्यून; मुक्त करना । ७ चलाना, फंकाना। ८ रखना, डालना, | निम्न।
पटकना । ९ खदेड़ना । १० देखो 'हेरणो' (बो)। हेटि हेटी-क्रि०वि० १ नीचे जमीन पर। २ नीचे की पोर, हेडबरोस-वि० घोड़ों के समूह का दान करने वाला दानी। नीचे स्थित । ३ किसी के नीचे। ४ देखो 'हेठी'। हेरोसिंगार-वि० भीड़ या समूह में श्रेष्ठ, वर्ग में अग्रणी। हेटियां-क्रि०वि० नीचे से। हेरवणी (बो)-१ देखो 'हेरणी' (बो) । २ देखो 'हेड़णो' (बो)। हेटे हेट-क्रि०वि १ नीचे की पोर, नीचे, ऊंचाई से नीचे की हेवियो, हेडवीयो-वि० १ 'हेडने' वाला । २ वीर ।
पोर । २ जमीन पर, प्राधार पर । ३ किसी के नीचे, अधीन, हेडाउ, हेडाऊ-पु० [सं० हेडाबुक्क:] १ घोड़ों का व्यापारी, अधिकार में। ४ नीचे। ५ ऊंचाई से नीचे। ६ अधो
सौदागर । २ पशुपों का व्यापारी। ३ पशुषों को घेरने भाग में। वाला, ग्वाला । -वि. जाने वाला।
हेटौ-वि० (स्त्री० हेटी) १ मीचा, न्यून, निम्नस्तर का। हेडि-वि० १ 'हेडने' वाला। २ तलाश करने वाला, लौटाने २ नीच, तुच्छ, होन। ३ जिसकी ऊंचाई कम हो। बाला। ३ देखो 'हे'।
४ तुलना में नोचा । ५ शान्त । हेड़ी-१ देखो 'हेडि' । २ देखो 'हेड़'।
हेट्टिम, हेठिम-वि० [सं० अधोवी] नीच, पामर, जघन्य हेड़ो-पु. १ वह बड़ा भोज जिसमें हर प्रागन्तुक व्यक्ति को संयमधारी, केवल वेषधारी । अधोवर्ती । (जैन)
भोजन कराया जाता है। २ एक पौधा विशेष । हेठ-वि. १ नीचा । २ कम, घटकर । ३ देखो 'हेट'। हेच-वि० [फा०] १ तुच्छ, नाचीज, छोटा । २ व्यर्थ, बेकार। | हठलि-क्रि०वि० नीचे, नीचे की पोर।। हेचणी (बो)-देखो 'हिचरणो' (बो)।
हेठलो-वि० (स्त्री० हेठली) नीचे का, नीचे वाला। हेज-पु० [सं० हृदयज, हृद्य] १ दाम्पत्य, प्रेम, प्यार । ३ मन, हेठि-१ देखो 'हेटी' । २ देखो हेठो' ।
दिल, चित्त । ३ इश्क, लगाव । ४ स्नेह, ममता, प्रेम। हेठियां-देखो 'हेटियां'। ५ वात्सल्य । ६ दोस्ती की भावना, हेत, मेल । हेठिलो-देखो 'हेटलो'। ७ मेलमिलाप, सबंध। ८ श्रद्धा। ९ मादर, सम्मान । हठी-स्त्री. १ अपकीति, प्रप्रतिष्ठा। २ अपमान, बेइज्जती। १० स्वाद, रस।
३ हीनता, न्यूनता, तुच्छता । ४ देखो 'हेटो' । ५ देखो 'हेट'। हेजइ-क्रि०वि० 'हेज' से प्रेम से, प्यार से ।
हेठे, हेठे-देखो 'हेटै'। हेजणी (बी)-क्रि० १ प्रेम करना, प्यार करना, महब्बत करना। हठो-देखो 'हेटो' ।
२ लाड करना; दुलगना। ३ वात्सल्य भाव मे द्रवित हर-देखो 'हेड'। होना । ४ उल्लसित होना, उमगित होना । ५ दोस्ती या
| हंडणी (बो), हेडवणो (बो)-देखो 'हेड़णो' (बी)। मित्रता करना। ६ मेल-मिलाप करना । ७श्रद्धा करना. | हाउ हेडाऊ-देखो 'हेडाऊ'। पादर करना। ८ रस लेना, स्वाद लेना। ९ इश्क या|हडी-स्त्री० सेहो नामक जंतु विशेष । लगाव होना।
हेडोकी, हेडोके, हडोक, हेडौक -क्रि०वि० इस बार, पब को हेजाळ, हे जाळू, हेजालू-वि० १ जिसके मन में प्रेम हो, स्नेह
बार । हो, प्रेमी, स्नेही । २ जिसमें वात्सल्य हो ।
हेणां, हेणा-देखो 'हणा' । हेजि-क्रि०वि० १ 'हेज' से, प्रेम मे, प्यार से । २ देखो 'हेज'। हत-पु. १ प्रेम, प्रीति, स्नेह, प्यार । २ वात्सल्य, ममता, हेजीमोगर-पु० पकाई हुई चने की 'फरको' दाल ।
दुलार । ३ मोह, लगाव । ४ श्रद्धा, भक्ति । ५ पेल-मिलाप, हेजे हेजें, हेज-क्रि.वि. प्रेम से, प्यार से, श्रद्धा से।
सम्पर्क। ६ इश्क, यौनसबंध। ७ प्रानन्द, हर्ष। हेट-वि. १ निम्नस्तर का, नीचा । २ तुच्छ, हीन, नाचीज। ८ देखो 'हेतु'।
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हेतई
(
९२५ )
हेतई-देखो 'हेतु' ।
हेम-पु. [सं० हेमिन्] १ स्वर्ण, सोना, कंचन । २ वह वस्त्र हंतभाव-पु. प्रेम भाव ।
जिस पर सुनहरा कार्य किया हुमा हो। ३ हेमंतऋतु । हेतव-पु. १ चारण कवि । २ कवि । ३ देखो 'हितु' ।
४ सुमेरू पर्वत । ५ पानी, जल । ६ धतुरा । ७ केसर का फूल । हता-देखो 'हेत'।
८ गौतम बुद्ध का एक नाम । ९ बादामी रंग का घोड़ा। हेतारच-देखो हितारथ'।
-वि०१ शीतल, ठण्डा । २ श्वेत सफेद है। ३ पोत, हताळ, हेताळु, हेताळू-वि० । हित चाहने वाला, हितैषी।। पीला । ४ देखो "हिम'। २ प्रेमी, स्नेही।
हेमभद्र, हेममनड़-पु० [स० हेम-प्रति] १ हिमालय, पर्वत । हेति-स्त्री० [सं०] १ पस्त्र, हथियार । २ वज । ३ भाला। । २ सुमेरु पर्वत ।
४ पाघात, चोट, प्रहार । ५ प्रकाश. चमक । ६ अगारा, | हेमअरि-पु० [सं०] स्वर्ण का शत्रु, सोसा। शोला। ७ मधु या चैत्र मास में सूर्य के रथ पर रहने हेमकार-पु० [सं०] १ स्वर्णकार, सुनार । २ सोना, स्वर्ण । वाला प्रथम राक्षस राजा ।
हेमकूट-पु० [सं०] हिमालय के उतर में स्थित एक पर्वत । हेतिकरण-देखो हितकारी'।
हेमकेस-पु० [सं० हेमकेश] शिव का एक नामान्तर । हेती-१ देखो 'हेत' । २ देखो 'हेतु'।
हेमगढ-पु० [सं०] १ सोने का गढ़ । २ लका । हेतु पु० [सं०] १ कारण, वजह, उद्देश्य । २ उद्भव स्थल, | हेमगर, हेमगिर (गिरि, गिरी)-पु० [सं० हेमगिरिः] १ सुमेरू
निकास, उत्पत्ति । ३ साधन, जरिया। ४ अभिप्राय, पर्वत । २ हिमालय पर्वत। उद्देश्य कारक या उत्पादक विषय । ५ वह व्यक्ति या वस्तु हेमचंद हेमचंदर, हेमचंद्र-पु० [सं० हेमचंद्र] इक्ष्वाकुवंशीय एक जिसके होने से कोई बात हो, प्रमाणित करने वाली बात । राजा । २ कलिकाल सर्वज्ञ के नाम से प्रसिद्ध एक ६ ज्ञापक विषय । ७ तर्क, विज्ञान व न्याय दर्शन में वर्णित |
जैनाचार्य । प्रमाणों में से कोई प्रमाण। ८ एक पल कार विशेष । हेमजा-स्त्री० [सं. हिमजा] १ हरीतको, हरड़ । २ पार्वती, -कि०वि० १ लिये, वास्ते, निमित्त । २ देखो 'हितु'।
उमा। हेतुभेद-पु० [सं०] ज्योतिष में ग्रह-युद्ध का एक भेद ।
| हेमजाळ (जाळक)-पु० एक प्राभूषण विशेष । हेतुमान-वि० [स० हेतु मत्] जिसका कुछ कारण हो, हेतु हो।
हमता-वि० सोने का। हतुवाद-वि० [सं०] १ तर्क विद्या, तर्क शास्त्र । २ कुतर्क । हमतुला-स्त्री० [सं०] १ सोने का तुलादान, तराजू । २ वह ३ नास्तिकता।
तराजू जिसमें सोना तोला जाता है। हतुवादी-वि० [स०] १ उक्त सिद्धान्त को मानने वाला, हमदंता-स्त्री० [सं०] एक अप्सरा विशेष । ताकिक । २ नास्तिक ।
हमदिस, हेमविसा (दिसि)-स्त्री० [स० हिम-दिशा] हिमालय हेतुविद्या-स्त्री० [स०] तर्क शास्त्र ।
या उत्तर दिशा। हे नुहे तुमद भाव -पु. [सं०] कारण और कार्य का संबध ।
हेमपंथ, हेमपथ-पु० [सं० हेम-पथ] १ हिमालय पर्वत । हतू-१ देखो हितु' । २ देखो 'हेतु'।
२ उत्तर दिशा का मार्ग। हते-देखो 'हेतु'।
हेमपरवत-पु. [सं० हेमपर्वत] १ सुमेरू पर्वत । २ स्वर्ण को वह हे तो-वि० १ हतप्रभ, निराश, हतोत्माह । २ देखो 'हत' ।
राशि जो दान में दी जाय । ३ हिमालय पर्वत । हनाळ-स्त्री० घोड़े के सुम की नाल, खुरताल ।
| हेमपुसप (पुस्प)-पु० [सं० हेमपुष्प] १ चम्पा का पुष्प । हेप हेफ-देखो 'हैफ'।
! २ गुलाब का पुष्प विशेष । हेमक-पु० [स.] १ विष्णु । २ ब्रह्मा। ३ गरुड़ । ४ शेर, हेमकूल, हेमकुलिका-स्त्रो० सोनजुड़ी का पौधा ।
सिंह । ५ सुमेरु पर्वत । ६ हिमालय पर्वत । ७ बर्फ, हिम । हेममाळ (माळा)-पु० [सं० हेममालिन्] १ सूर्य, रवि । ८ स्वरण, सोना, कंचन । ६ चंपक वृक्ष । -वि० १सुनहला। २ एक राक्षस विशेष । २ शीतल।
हेमर-देखो 'हयवर'। हेमंत, हेमंतरित (रितु)-स्त्री० [सं० हेमन्त, हेमन्त ऋतु] | हेमलब-पु. विष्णु वोसो का ग्यारहवां वर्ष । (ज्योतिष)
१ छः ऋतुषों में से एक ऋतु जो मिगसर व पौष मास में हेमळ -पु० [स० हमलः] १ स्वर्णकार, सुनार । २ कसोटी। रहती हैं। २ शीतकाल । ३ एक छन्द विशेष ।
३ गिरगिट। हमंत, हेमतो, हेमंतु-देखो 'हेमंत' ।
हेमवत-पु० हिमालय पर्वत । हेमसु हेमसू-देख। हिमासु'।
हेमवतो, हेमवती-स्त्री० [सं० हेमवती] १ पार्वती, गोरी।
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हेमवरण
। ९२६ )
हेळमेळ
२ गंगा नदी । ३ हरीतकी, हरें, हरड़।
३ पीछा करना। ४ फेरी लगाना, चक्कर लगाना, गश्त हेमवरण-वि० १ स्वर्णमय, स्वरि.म। २ पीला । ३ श्वेत, लगाना। ५ देखना, अवलोकन करना । ६ गौर करना, सफद । -पु. १ पीला रंग । २ श्वेत वर्ण ।
टकटकी लगाना, ताकना । ७ विचार करना, पुनरावलोकन हेमवळ -पु० [सं० हेमवल] मुक्ता, मोती।।
करना। हेमसुता-स्त्री० [सं०] पार्वती, गिरिजा, दुर्गा ।
हेरन-१ देखो 'हिरण्य' । २ देखो 'हरण'। हेम हेड़ाऊ-पु० [सं० हेम-हेडाबुक्क:] १ एक चारण जो घोड़ों हरफेर-पु० १ इधर-उधर करने की क्रिया या भाव। २ परिवर्तन,
का प्रसिद्ध व्यापारी व महा दानी था। २ इसके नाम पर फेर-बदल । ३ अदल-बदल । विनिमय । ४ हस्तान्तरण, गाया जाने वाला एक लोक गीत । ।
स्थानान्तरण । ५ घुमाव, चक्कर । ६ शब्दाडंबर, वाग्जाल । हेमांग-देखो 'हेमंग'।
७ कुटिल युक्ति, दावपेच, चाल । ८ अन्तर, फर्क । हेमांगव-पु० [सं० हेम-अंगद] सोने का बाजूबंध ।
९ घट-बढ़। हमांगिर, हेमांगिरि (री)-देखो 'हेमगर'।
हेरम-देखो 'हेरंब'। हेमांरिण, हमारणी-स्त्री० [सं० हेम-खांनी] १ स्वर्ण का खजाना। हेरा-क्रि०वि० जासूसी या गुप्तचरी हेतु ।
२ धन, दौलत, लक्ष्मी। ३ मुद्रा रखने की थैली विशेष | हेराउ, हेराऊ-वि० १ तलाश करने वाला, ढूढने वाला, खोज (प्राचीन)।
करने वाला । २ जासूस, भेदिया। ३ पीछा करने वाला। हेमा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती। २ मंदोदरी की माता, ४ देखने वाला। ५ संदेशवाहक, दूत, चर। एक प्रसरा ।
हेरायत-पु० १ गुप्तचर, जासूस । २ सदेशवाहक, दूत । - वि. हमागिर (गिरि, गिरी)-देखो 'हमगिरि ।
१ खोजने वाला, ढूढने वाला। तलाश करने वाला। हेमाचळ, हेमाचल, हेमाछळ, हेमाजळ-देखो 'हिमाचळ' ।
२ जासूसी करने वाला। ३ पीछा करने वाला । ४ देखने हेमाद्रि, हेमाद्रो-देखो हिमाद्रि' ।
वाला। हेमायत-देखो हिमायत'।
हेरिक-पु० [सं०] १ गुप्तचर, जासूस । २ संदेश वाहक, हेमाळ, हेमाळ (ई) हेमाळय-वि० [सं० हेमन] स्वणिम, दूत, चर।
सुनहरा । -पु० १ दीपक राग का पुत्र एक राग । २ देखो हेरू, हेरुन-देखो 'हेरा'। 'हिमाळय'।
हेरुक-पु० [सं०] १ गणेश, गजानन । २ महाकाल शिव का हेमाळे, हमाळे, हेमाळो-देखो 'हिमाळय'।
एक गरण। हेय-वि० [सं०] १ त्यागने या छोड़ने योग्य, त्याज्य ।। हरू, हरूम-देखो 'हराउ'। २ निकृष्ट, घृणित, बुरा।
हेरी-पु. १ खोजने या तलाश करने की क्रिया या भाव । हेयाळी-देखो पहियाळी' ।
२ छान-बीन, जांच-पड़ताल । ३ खबर, पता। ४ पीछा। हेरव, हेरंबी, हेरभ (म)-पु० [स० हेरम्ब] १ गजानन ।
५ गुप्तचरी, जासूसी। ६ खबर, सन्देशा। ७ जासूस, २ हाथी, गज । ३ भैसा। ४ शेखीबाज, वीर ।
गुप्तचर, भेदिया। ८ सन्देशा, सूचना । दूत, संदेश हेरंभमाता-स्त्री० [सं० हेरम्ब-माता:] गणेश की माता पार्वती, |
वाहक । १० खोजी। दुर्गा।
हेळ, हेल-पु० [सं० हेलन] १ क्रीड़ा, खेल, तमाशा । २ खलबली, हेरंमकारी (हेरमा)-पु० घोड़ों की एक जाति या इस जाति हलचल । ३ अपराध, गलती, भूल। ४ अनिष्ट, बुरा। का घोड़ा।
५ उमंग, उत्साह, जोश । ६ लहर, तरंग, हिलोर। हेर-स्त्री. १ खोज या पीछा करने की क्रिया या भाव । ७ समुद्र, सागर। ८ अत्यधिक ठण्डी हवा । ९ माक्रमण,
२ छान-बीन, खोज, तलाश । ३ गश्त, फेरी। -वि० हैरान, हमला, लड़ाई। १० मेल-जोल, घनिष्ठता। ११ बार, व्याकुल ।
दफा, मरतबा । -वि० १ समान, तुल्य, बराबर । २ सहज, हेरह (ई)-पु. एक प्रकार का घोड़ा।
प्रासान । ३ किंचित, थोड़ा। ४ नगण्य. गौण। ५ तरंग हे रउ-देखो 'हेरौ'।
या लहरदार । ६ देखो 'हील'। हरण-स्त्री. १ हेरने, तलाश करने की क्रिया या भाव। हेलइ, हेलउ-देखो 'हेलो' । २ तलाश, खोज, छानबीम ।
हळणो (बी)-१ देखो 'हिळणी' (बी)। २ देखो 'हिळाणो' (बी) हेरणों (बो)-क्रि० १ ढूढना, तलाश करना, खोजना। हेलन-पु०१ दोष, अपराध, कसूर, भूल । २ पाप ।
२ पता लगाना, जासूसी करना, जांच पड़ताल करना। हेळमेळ-पु. १ मित्रता, दोस्ती। २ पनिष्ठता।
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हेळवणी
( ९२७ )
हेळवणी (बौ)-१ देखो 'हिळारणो'(बी)। २ देखो 'हिळणी'(बी) हैंबर, हैंवर-देखो 'हयवर' । हेळहमीर, हेळांहमीर-वि० बहुत बड़ा दानी, दातार। हैंसत-देखो हैसियत'। हेळा, हेला-स्त्री० [सं० इला, हेला] १ पृथ्वी, धरती, भूमि । हैंसु हैं-देखो 'हीसू' ।
२ तरंग, लहर, उमंग। ३ क्रीड़ा, खेल । ४ नायक से | हैंसौ-देखो हिस्सो'। मिलते समय नायिका की विनोद पूर्ण क्रीड़ा की मुद्रा । है-पु० १ जल, पानी । २ देखो 'हय' । ३ देखो 'हे'। ५ दुःख । ६ हल्ला, चिल्लाहट । ७ चढ़ाई। ८ धावा, हैकंड-पु. १ योद्धा, वीर। २ शक्तिशाली, बलवान । ३ दीर्घइमला, पाक्रमण। ९ डांट-फटकार । १० कठिनाई। काय, मोटा-ताजा। ४ बड़ा अफीमची। ५ घोड़ा, अश्व । ११ हीन भावना। १२ तिरस्कार अपमान । १३ सरलता, हैकंप, हैकपरण-पु. भय, डर, त्रास, मातंक । -वि० भयातुर, भोलापन। -क्रि०वि० सरलता से, प्रासानी से। -वि० कंपित, मातंकित । १दानी, दातार । २ काम का पाबन्द। ३ मैला उठाने | हैकपणी (बी)-क्रि० १ डरना; भयभीत होना, घबराना, वाला।
| प्रातंकित होना । २ कंपायमान होना, थर्राना । हेलि, हेली-स्त्री० [सं० सहकेलि] १ सखी, सहेली। २ देखो हैकळ. हैकल-पु० घोड़े के गले में पहनाया जाने वाला गहना 'हवेली।
विशेष । -वि० तौल में अधिक, कुछ ज्यादा। हेलु. हेलू-देखो 'हेलो'।
हैकार-पु. हा-हा कार। हेलूग्राफ-पु० चमक से संकेत देने का एक प्रकार का काच ।
हैखारव-पु० शब्द, पावाज । हेलूर-पु० घोड़ों का समूह ।
हैगळ, हैगाम-पु० घोड़ों का समूह, अश्व दल, घुड़ सेना । हेलूसरणी (बो)-देखो 'हुलसणो' (बो)।
हैप्रोव-देखो 'हयग्रीव'। हेलो-पु. १ सहायतार्थ बुलाने की प्रावाज। २ प्रात पुकार, हैडो-सर्व ऐसा। दर्द भरी पुकार । ३ बुलावा, संबोधन, पुकार । ४ जोर ज-ful, श्री कामि
| हैत-पु० [अ०] १ स्त्री का मासिक धर्म । २ देखो 'हेज' ।
नोज। की लम्बी प्रावाज, पुकार । ५ चिल्लाहट, हो-हल्ला ।।
हैजम-पु०१ सैन्य दल, सेना फौज। २ प्राव, घोड़ा । ३ दल, ६ घोषणा, डिंढोरा। ७ मांग। ८ डिंगल का एक गीत
__समूह । ४ तलवार । (छन्द)।
हैजमप, है जमपत (पति, पती)-पु. सेनापति, सेनानायक । हेव-क्रि०वि० [सं० एव] १ प्रब, वस्तुतः । २ स्वीकृति सूचक हैजो-पु० [प. हैजः] गर्मी की मौसम में होने वाला एक शब्द, हां।
घातक रोग, जिसमें रोगी को क व दश्त अधिक होते हैं। हेवन-वि० प्रति, बहुत ।।
विसूचिका। हेवा-वि० अभ्यस्त, प्रादी, निर्भर ।
हैज्जम-देखो 'हैजम'। हेब-पु० [सं० हयपति] १ बादशाह, सम्राट । २ मुसलमान । हैटलो-वि० (स्त्री० हैटली) नीचे वाला । -पु०१ निम्न, दबा
३ मुर्गी का अण्डा से'ने की क्रिया। ४ अभ्यस्त, प्रादी। हुपा, शोषित । २ देखो 'हेटौ'। -क्रि०वि० प्रब।
हैठे. हैठे-देखो 'हेट'। हेवैपत (पति)-पु. बादशाह, सम्राट ।
हैडइ, हैडई, हैडउ-देखो 'हिरदो'। हेवपुर-पु० दिल्ली नगर का नाम ।
हैडर-पु० घास का सुरक्षित मैदान । हेसमी-पु. एक प्रकार का व्यंजन विशेष ।
हैड हैडौ-देखो 'हिरदो'। हेसा-स्त्री. हिनहिनाने की ध्वनि, पावाज, हींस ।
हरणी (बी)-देखो 'होणो' (बी)। हेसारी-वि० हिसार प्रदेश का।
हतारत, हैतारय-देखो 'हितारथ' । हेहेकार-देखो 'हाहाकार'।
हंताळ-स्त्री० १ घोड़े के सुमों की ठोकर । २ देखो 'हेताळ'। हैं-प्रव्य० १ प्राश्चर्य, भयातुर. हतप्रभ होने की दशा में मुह से | हथंड, हैपट, हथट्ट, हथाट-पु. १ प्रश्वदल, अश्वारोही दल,
होने वाली प्रव्यय ध्वनि । २ किसी बात पर सहमति या घुड सेना । २ सेना, फौज।। इ.जार सूचक अव्यय । ३ 'होना' क्रिया का वर्तमान | हंदर-पु. दीवारों पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का भारी कालिक बहुवचन रूप ।
पत्थर । हैंकप-देखो 'हैकंप'।
हवरा-वादी-सिंधी-पु० मीरखां पींडारी के पास रहने वाला एक हैंजम, हैंज्जम-देखो हैजम' ।
___ मुसलमानी सैनिक दल विशेष । हैंदू-देखो 'हिंदू'।
हैदळ-देखो हयदळ'।
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हैप, हैफ-पृ० [अ० १ प्राश्चर्य, विस्मय, ताज्जुब। सौ-देखो हिस्सो' । २अफसोस, बद।
हेहय-पु० सं०] १ यदुवंश को एक शाखा । २ सहस्रबाहु का हंबर, हैदर-देखो 'इयवर'।
एक नाम :-- अधिराज, राज-पु० सहस्रार्जुन का एक नाम । हैबौ-पु० हल्ला, शोरगुल ।
है-ह-प्रव्य खेद या शोक सूचक ध्वनि । हमल-पु० २ घोड़ा द्वारा नाक से की जाने वाली आवाज
हेहकार-देखो 'हाहाकार'। विशेष । २ देख 'हेमंत' ।
है है बोल- पृ० वीर बनि । है.मर-देन हयवर
हो-अन्ध० १ डोना' क्रिया का संभाव्य रूप । २ देखो हो। हेमवत-वि०म०मवत् १ फं के समान, हिम जैसा।।
होपरडीह, होफरडोह-देखो 'होफरडोह'। २ हिमालय जमा, हिमालय के समान । ३ हिमालय का,
होस-१ दशो 'हम' । २ देखो होस' । हिमाल मचा। ४ हिमालय में होने वाला ।
होंसलो-देखो डोमलो'। मार देबो हमार'
होसियो-वि० कायर डरपोक । ईमामाली-देखो हिमाय' ।
होंसो-पु० एक प्रकार का बल । मुखम. इयमुख १ वडवानल का एक नाम। हो-१० (
मंका हो-पु० (मपुकार या सम्बोधन का शब्द । -प्रव्य०१ हे,
या मम्बोधन का अरे, यो देखो हो ।
होक-स्त्रो०१ सिह की दहाड । २ का । ये, हेय -१ देखो 'हैदर' । २ देखो हिरदो' ।
होकड़ो-देखो 'होको। हरब-देखो 'हेरब'।
होकबो-पु.१ उत्सब, जलसा, समारोह । २ बाहुल्य, अधिकता, हर-मच्यत १ शोकमा निराशा सुचक अव्यय ध्वनि । २ देखो।
पाचुय । हराण, हरान--वि० अ० हैरान] १ परेशान, प्रशान्त, दुःखी,
होकर-देशा होकार तंग । विसश, हताश, थकित । ३ शाश्चर्य चकित,
होकरणों (बो-देखो 'होकरणो' (बौ) । निस्तब्ध, हाका-बकका, विस्मित ।
होकाटाळ-विक जिम का हुक्का-पानी बन्द हो, बहिष्कृत ।
होकाधारी -वि. हुक्का पीने वाला। जिसके हाथ में हुक्का हो । रांनो-स्त्री०प० हैरानी] १ परेशानी, प्रशान्ति, कष्ट, दुःख, तकलीफ । २ निराशा, थकान । ३ प्राश्चर्य, विस्मय ।
हाकापास) (नी)-पु० १ साथ-साथ उठने-बैटने व मिलजुल कर
खाने-पान का अवस्था या भाव २४ा राव-देसो 'हयवर।
-पानी।
होकार-देहो होकार' । हवन-एक घड़गवार, अश्वारहो।
होकारो-१.५ किलो को इगने, चौंकाने, प्रताड़ना देने या हैव-१०१ एक प्रदेश का नाम । २ देखो 'देव'।
सावधान करने की दृष्टि स मूह से किया जाने वाला हवर, हंबरी -देखो 'हयवर'। वान-पु०० हेनान] १ पशु, जानवर, चौपाया। २ उज्जड़,
'हो' म । शब्द, अावाज या नाद । ३ पशुप्रो को
रोकने समधी ध्वनि । ४ घोड़े की हिनहिनाहट, होस । प्रसभ्य या सवार व्यक्ति।
५हकार । ६ मोज मस्ती, प्रानन्द । ७ उत्सव, जलसा । हंबानी या देवानी १ 'हैदान' होने की अवस्था या
८ देखो हुबानी। भाव । २ पण । ३ उजड़पन, असम्यता । -वि. पशुओं
होको-पु.मि टु१ भूम्रपान का एक बड़ा उपकरण। हेवेपत, हवेति-देहो 'हेव पति' ।
२ पालीवाल ब्राह्मणों भ मृ भोज म किया जाने वाला बेराई, हवेराज, हवेराय-देवो 'वेगान;
हैवपत, पति, देव पती-देणे हवपति ।
हालाच कर (क)-पु० ज्योतिष के अन्तर्गत राशि, नक्षत्र, दि हसलो, गल्ली-दबा 'होली' ।
बात का स्पष्टीकरण करने वाला चक। हसाब, हसाव-वि० १ चित, ठीक र देखो हिसाब । होडाहो (को)-देवो होडाहोटी हमियत स्त्री० ०] १ शक्ति, समय, हौसला । २ दशा, होड़ी-पु० दरबान की मजबूती से बन्द कर रखने के लिये
अवस्था, स्थिति, ढग । ३ प्रा स्थिति, वित्तीय अवस्था। लगाया जाने वाला लो या पत्थर का सहारा 6 योग्यता, पात्रता । ५ पान प्रतिष्ठा, इजत । ५ मुल्य, २ मानधिक कष्ट या विकार के कारण शरीर में होने की। भगी, दी।
वाली धारहर। ३ सहारा, रोक ।
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होट
( ९२९ )
होमरणो
होट, होटयो, . होठ, होशलो, होठको-पु०- , [स० पोष्ठ] || होनहार, भावी, होनी। • 'प्राणियों के मुह के किनारे के प्रवयव, प्रोष्ठ, दन्तच्छद । होता-वि० [सं० होत] १ यज्ञ करने वाला, 'पाहुति देने वाला। होड-स्त्री० [सं० होडु] १ बराबरी, समानता । २ प्रतिस्पर्धा ।। २ देखो 'होत' ।।
ईशतं, बाजी। ४ ईा, देष। ५ मुकाबला, सामना । होतासरण-देखो 'हुतासण'। होम्हाक-स्त्री० वीर ध्वनि ।
होती-कि० 'है' का भूतकालिक स्त्री रूप, थी.। -स्त्री०संभावना । होव्होड-देखो 'होडाहो'।
होतो-वि० 'हे' का भूतकालिक रूप. था। होडाहोड-क्रि०वि० १ देखादेखी, दूसरों के अनुकरण से। हाव-१ दखा।
२ प्रतिस्पर्धा या जिद्द के कारण। ३ ईर्ष्या, या द्वषवश होवळ-वि० कम्पित । ४ बराबरी में समता में, तुलना में। ५ शर्त या बाजी होवाय, होवो-देखो 'होदो'। लगाकर । ६ मुकाबले में, सामने ।
होनहार-देखो 'होणहार'। होगाहोगा (डी)-देखो 'होडाहोर्ड' ।
होफ, होफर-स्त्री० १ सिंह की दहाड़, गरजना। २ जोश पूर्ण होशि-देखो 'होड'।
प्रावाज, वीर ध्वनि । ३ पावाज, ध्वनि । होग-क्रि०वि० १ होने के लिये । २ देखो 'होली' ।
होकरडौह-वि० (स्त्री० होफरडीह) सिंह के समान दहाड़ने होगपदारब-देखो 'होणहार'।.
बाला, यरजने वाला। होणहार, होणहारी, होणार, होणी, होणेहार-स्त्री ऐसी घटना होफरणो (बी)-क्रि०१ गरजना, दहाड़ना । २ जोस में बोलना। या बात जो होकर रहे, होनहार, भवितव्यता, भावी । -वि०
३ क्रोध करना, रोष करना । अपने लक्षण, गुण या कर्तव्यों में जो योग्य लगता हो,
होफरळ-पु० सिंह, शेर।
होबड़-स्त्री. १ ठोड़ी, हिचकी। २ मुंह, मुंख । ३ पोष्ठ; भाग्यशाली, उदीयमान ।
अधर, होठ। ४ देखो 'थोबड़ो'। होणी (बी)-क्रि० [सं० भू, प्रा० होइ] १ स्वयमेव घटना, होना। २ अस्तित्व में माना, बनना। ३. उपस्थित या मौजूद्र
होबरही-पु० उबकाई, मतलो। । रहना। ४ निर्मित होना, रचा जाना। ५ काम बनना या | होम-पु० [सं०] १ हवन, यज । २ यज्ञ में पाहुति देने की सिद्ध होना । ६ पूर्ण होना, पूर्णता की स्थिति में माना।। क्रिया। ७निवत्ति की अवस्था में प्राना। बीतना, गुजरना । होमकाट (काठ)-पू० [सं० होम + काष्ठ] १ यज्ञ की ९ परिणाम, • नतीजा निकलना । १० असर या प्रभाव
लकड़ियां, समीधा । २ देखो 'होमकास्ठी'। पड़ना । हानि या क्षति पहुंचना। १२ भुगतना, बहन करना। १३ उचित क्रम या नियम से चलते रहना ।
होमकास्की-स्त्री० [सं० होमकाष्ठी] यज्ञ को अग्नि दहकाने की १४ परिवर्तित अवस्था में पहचना । १५ जन्मना, उत्पन्न | " फूकनी। होकर सामने पाना । १६ विशेष स्थिति या अवस्था में होम-पू० [सं०] वह गड्ढा या कुंड जिसमें यज्ञ की अग्नि पाना । १७ चमकना, प्रकाशित होना । १८ मिलना, प्राप्त
प्रज्वलित की जाती है। होना । १६ व्यापना, प्राना, छाना । २० किसी रोग या
होमछाळणा-स्त्री० विश्नोइयों में झगड़ा या विवाद तय करने प्रेत बाधा मादि का फैलना। २१ निकलना, प्रगट होना। २२ मिलना, मेंटना। २३ अवतरित होना । २४ विकार
___ सबंधी एक प्रक्रिया। सूचक क्रिया किया जाना । २५ काम निकलना, गरज होमणी-वि. (स्त्री० होमणी) १ होमने वाला, पाहुति देने सरना । २६ नाते-रिश्ते या मोह-ममता में बंधना निकट- बाला। २ नष्ट करने वाला, बरबाद करने वाला। वर्ती या घनिष्ठ बनना।
३ बलिदान करने वाला। होत-पु० [सं० होत्रं यज्ञ. हवन ।
होमणो (बो)-क्रि० [सं० होमम्] १ हवन करना, यज्ञ करना। होतब, होतम्य, होतब, होतभ्य, होतव्यता-स्त्री० [सं० भवितव्यता] | २ यज्ञ की भग्नि में सामग्री डालना, माहुति देना।
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होमपाठ
( ९३० )
होसियार
३ बलिदान करना। ४ जलाना। ५ नष्ट करना, बरबाद | होळी-स्त्री० [सं० होली] १ फाल्गुन की पूणिमा (कभी-कभ. करना । ६ अर्पित करना।
चतुर्दशी) को मनाया जाने वाला हिन्दुनों का एक प्रसिद्ध होमपाठ-पु० यज्ञ के समय बोले जाने वाले मंत्रादि ।
त्योहार । २ इस दिन मुहल्ले या चौक में रोपी जाने वाली होमि-पु० [सं०] १ अग्नि । २ घी, घृत ।
झाड़ी जिसे रात में जलाया जाता है । ३ इस त्यौहार पर
खेला जाने वाला रंग । ४ इन दिनों गाये जाने वाले गीत । होमोजणी (बी)-क्रि० १ अत्यन्त गर्मी या उष्णता महसूस
५ लाक्षणिक प्रथं में पग्नि, प्राग । ६ भाग की लपट, करना, गर्मी से बेचैन होना। २ दुःखी या परेशान होना।
लो। ७ चिनगारी। ८ फाख्ता नामक पक्षी। -[सं० ३ नष्ट या बरबाद होना । ४ मर्पित होना। ५ पाहुति
होलिका] ( एक पुराण प्रसिद्ध राक्षसी जो हिरण्यकश्यप दिया जाना, होमा जाना । ६ बलिदान किया जाना।
की बहन थी। -वि०१ अशक्त, कमजोर। २ कम प्रभावी, होर-स्त्री० इच्छा, अभिलाषा।
हल्की। होरा-स्त्री० [सं०] १ राशि का उदय । २ राशि का प्राधा होलीउ-पु. एक प्रकार का वस्त्र । भाग।
होळीझंझाटी-स्त्री० एक राग विशेष । होरी-देखो 'होली'।
होलेड़ी-देखो 'होळो'। होरीलो-वि० (स्त्री० होरीली) हठ करने वाला, हठी, जिद्दो।।
होळ-क्रि०वि० १ धीरे, धीमे, माहिस्ता । २ मंदगति से । होरो-पु० १ हठ, जिद्द । २ बालक का हठ, बाल हठ ।
होळसीक, होळसे-क्रि०वि० । धीरे से, माहिश्ता से। होल-स्त्री. १ प्रावड़ देवी की बहन एक देवी । २ चित्त, मन,
२ चुपके से। दिल ।
होवणहार-देखो होणहार'। होळका-१ देखो 'होलास्टक' । २ देखो 'होळो'।
होवरणो (बो)-देखो 'होणो' 'बौ)। होलड़-स्त्री० छोटी पंडुकी ।
होवनगार-देखो 'होणहार' । होळां-क्रि०वि० धीरे, पाहिस्ता ।
होवास-पु० घोड़ा, अश्व । होळा-पु. (ब०व०) गेहूँ, चने प्रादि के कच्चे दाने जिन्हें सेक
होस-पु० [फा० होश] १ बुद्धि, अक्ल, ज्ञान-वृत्ति । २ संज्ञा, कर खाया जाता है।
चेतना, होश । ३ विवेक । ४ शिष्टता, सभ्यता । ५ सावहोला-स्त्री० गप्प ।
धानी, सतर्कता। ६ सामान्य मानसिक स्थिति । ७ मौज, होलात-देखो 'हवालात'।
मस्ती। स्मरणशक्ति, याददाश्त । ९ परिपक्वावस्था,' होळावी-पु० एक शिकारी पक्षी विशेष । ,
उत्तरदायित्व संभालने की अवस्था। १० इच्छा, कामना ।
. ११ उत्साह, उमंग। होळास्टक, होलास्टक-पु० [सं० होलाष्टक] १ फाल्गुन शुक्ला प्रष्टमी से होलिका पर्व तक की अवधि । २ इस अवधि
| होसनाइक होसनाक, होसनायक-देखो 'हुसनाक' । में रहने वाला नक्षत्र ।
होसमंद, होसलामद-वि० १ होश वाला, सावधान । २ समझ
दार, बुद्धिमान। होळाहड़ी-पु. एक प्रकार का घोड़ा। होळि-स्त्री. १ जलाशय का वह भाग जहाँ नावें बंधी रहती होसलो-पु० [अ०होसलः] १ किसो कार्य के लिये होने वाली हैं। २ देखो 'होळी'।
सामर्थ्य शक्ति ! २ साहस, हिम्मत । ३ उत्साह, जोश ।
४ सहन शक्ति। ५ जरूरत, पावश्यकता । ६ धृष्टता, होळिका, होलिका, होळिय-देखो 'होळी'।
ढीठाई। ७ उत्तरदायित्व संभालने या कष्ट सहन करने होळियार-पु. १ होली के त्योहार पर चरचरी नृत्य करने की अवस्था। वाला व्यक्ति । २ होली का रंग खेलने वाला, होली खेलने
होसियार-वि० [फा० होशियार] १ चतुर, निपुण, दक्ष, वाला।
कुशल । २ समझदार, बुद्धिमान, व्यवहार कुशल । ३ सचेत, होलींदी-पु० ज्वार का लंबा डल जिसके सिरे को दीपावली सावधान, सतकं, खबरदार । ४ धूर्त, चालाक, ठग, के दिन जलाते हैं।
छलिया।
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होसियारो
हाँ सर्व० मैं इम
होकार देखो 'होकार'।
होसियारी - स्त्री० [फा० होशियारी ] १ चतुरता, निपुणता, कौशल | २ समझदारी, बुद्धिमानी, व्यवहारकुशलता । ३ सतर्कता, सावधानी । ४ चालाकी, घूर्तता, छल, ठगी । होहा स्त्री० १ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला । २ हाहाकार । होहोकार स्त्री०] हाहाकार
होही- पु० पशुओं के लिये एक संकेतात्मक शब्द
हौं - देखो 'होली' ।
हाँगो (बो) - देखो 'होणो' (बो) ।
होस- देखो 'होस' |
हौं - वि० १ था । २ देखो 'हो' ।
होप्रा- देखो 'होवा' |
होक-स्त्री० १ ध्वनि, धावाज, शब्द । २ भय, प्रातंक | atrat - देखो 'होrat' ।
होकर देखो 'होकार' |
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( ९३१ )
होकार स्त्री० [१] दहाड़, गरजना २ जोश पूर्ण भावाज । । ३ जोर की प्रावाज, हल्ला, शोर । ४ चुनौती, ललकार । ५ पुकार, प्रावाज
होड- देखो 'होड' |
हौडाहोड- देखो 'होडाहोड' ।
होय - १ देखो 'होज' । २ देखो 'होदी' |
हौदल पु० गले का एक भाषण विशेष
होम पु० [अ०] पानी संग्रह करने का बड़ा कुण्ड या कोठा
होद ।
होप, होक, होफर देखो 'होफ' । होफरणी (ब)- देखो 'होफरणी' (बी) । होम देखो 'होम'।
हौर पु० १ भय, त्रास, घातंक २ इच्छा, अभिलाषा, कामना । हौल-पु० [ घ०] १ भय, त्रास, घातक, धाक । २ गड्डा, खड्डा । ३ बेचनी, घबराहट |
होकरणी (बी) कि० जोग या क्रोध पूर्ण भावाज करना, होली-देखो 'होली'
दहाड़ना, गरजना ।
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होसबिल ० १ दिन धड़कने का रोग विशेष २ उन्माद रोय ३ देखो 'होलदितो' ।
होलविली वि० डरपोक, कायर, बुजवित धा
भयातुर ।
होळी-देखो 'होळी'।
होळ-देखो 'होळ' |
होळोळणो (बो) - देखो 'हिलोड़णी' (बो) ।
होवणी (at) - देखो 'होली' (बो) ।
हौवा स्त्री० [१] वह पहली हवी जो घाम के साथ पृथ्वी पर पैदा हुई थी (मुसलमान) पु०२ बच्चों को डराने का
एक काल्पनिक जंतु
होस-देखो 'होस'
हौसनाइक, हौसनाक, होसनायक - देखो 'हुसनाक' ।
हिव
ह्यां व्य० यहां पर यहां
ह्यांकी सर्व० १ मेरी २ इनकी वि० यहां को । । । ह्यौ - पु० हृदय । - सर्व ० यह ।
हब - पु० [सं०] १ गहरी बड़ी ३ गहरी गुफा । ४ किरण ६ हृदय, दिल, मन ।
हृदयहृदि हवं ही देखो 'हिरो'।
J
ह्रस्व-वि० [सं०] १ छोटा लघु । २ तुच्छ, थोड़ा । ३ बौना, वामन । - पु० लघु स्वर या लघु मात्रा वाला व्यंजन | ह्राद-पु० [सं०] ह्रादः ] १ शब्द ध्वनि । २ शोरगुल, हल्ला । होवो पु०] [२०] [] १ हाथी पर सवारी के लिये उसकी छावनी हादिनी स्त्री० [सं०] ह्रादिनी] बिजली विद्युत [प्र० १ । पीठ पर बांधने का श्रासन, धम्बारी २ तांगे के धागे २ इन्द्र का वज्र, वज्र । ३ शल्लकी नामक वृक्ष । ४ नदी; पीछे बना, (बैठने वालों के) पांव रखने का स्थान । सरिता । ३ मकान की बालकानी । ४ देखो 'होज' ।
3
झील । २ सरोवर, तालाब । ५ दाइ, जलन। [सं० हृदय ]
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ह्रास पु० [सं०] १ क्षय, कमी । २ विनाश हवंस । ३ क्षीणता । ४ छोटी संख्या । ५ घाटा ६ शब्द, ध्वनि । ७ शोर हल्ला ।
हिब पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा ।
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दुश्य
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( ९३२ )
ह्रिदय हिंदू, हिंदी- देखो, 'हिरदो' ! ह्रींकार - पु० [स०] बीजाक्षर ।
ही - स्त्री० [सं०] १ लज्जा, लाज, शर्म । २ नम्रता, शिष्टता ।
३ मदिरा, शराब ४ दक्ष प्रजापति की कन्या व धर्म की
पाली।
होवेर वि० नेवाला ।
होत होत वि० [सं०] होत] निर्लज, बेशर्म । हलादिणी, हलादिनी - वि० [सं० ह्लादिन् ] १ प्रसन्नताकारक,
२ देखो ह्रानी' ।
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ह्वां व्य० वहाँ ।
हाल देखो 'हवा'
सखियापन पु० समुद्र देश का एक पान विशेष
ह्व - प्रप० १ स्वीकृति सूचक अव्यय, ह्रां । २ है । हृणी (बो) - देखो 'होगी' (ब)
थोड़ो-देखो 'होयोड़ो' (स्त्री० पोड़ी)
इंपौड़ी
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