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सौहड़
सोहड़ - देखो 'सुभट' | सोहतो-देखो 'सोहितो' ।
सौहर ०१ प्रसिद्धि स्वाति र कीर्ति य
सोहागरण - देखो 'सुहागरण' ।
कव पु० [सं०] १ स्वामिकार्तिकेय
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( ८६०
२ शिव, महादेव
३ राजा, नृप । ४ विद्वान पंडित । ५ शरीर । ६ बालकों के नौ प्राणपातक यहाँ वा रोगों में से एक।
जननी,
जननी, मात, मातरी, माता, मात्री स्त्री० पार्वती, उमा नव दुर्गानों में से एक ।
स्कंदजित ( जीत ) - पु० [सं०] भगवान विष्णु । स्कंदधर - पु० [सं०] भगवान विष्णु । स्कंध १० [सं०] स्कन्धः] १२ शरीर बदना ४ राजा नृप । ५ नारियल । ६ शाखा, डाल । ७ पार्या छन्द का एक भेद ८ एक नाग विशेष । ९ राम की सेना का एक वानर ।
वृक्ष 1
स्कंधतर (तरु) - पु० [सं० स्कन्ध + तरु ] नारियल का पेड़ । फळ, धफल पु० [सं० स्कन्ध + फल] १ नारियल का पेड़ या नारियल । २ बिल्व स्कंधम स्कंधमणि (मल)- पु० [सं० [म] एक प्रकार का मंत्र या ताबीज । स्कंधार, स्कंधाक्ष, स्कंधाख पु० [सं० स्कंधाक्ष ] देवताओंों के एक गरण का नाम ।
स्कंधावार - पु० [सं० स्कंधावार ] १ सेना, फौज २ सेना का पड़ाव | ३ शिविर ।
स्कूल पु० [सं० स्थल ] पतन
स्तंब पु० [सं०] १. भुट्टा, बाल । २ झाड़ी । ३ गुच्छा ४ स्वरोचिष मन्वन्तर के सप्त ऋषियों में से एक। स्तंबतरण, स्तंयंत्रण स्तंत्रि-पु० [सं०] स्तंव-तुरा ] पास झाड़ी।
स्तंबबन - पु० [सं०] १ खुरपी । २ इंसिया । स्तंभ - ० [सं० स्तम्भ: ] १ खम्मा २ मूर्खता । ३ रोग यादि के कारण होने वाली मूर्च्छा । ४ गतिहीनता । ५ सुन्नता, संज्ञाहीनता न ७ प्रतिबंध, रुकावट साहित्य में एक सात्विक भाव । ९ स्वरोचिष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ।
तं वि० [सं०] रोकने वाला, वीर्य का स्तंभन करने
वाला ।
स्तंभी त्री० [सं०] स्तंभकिन एक देवी स्तंभण पु० [सं० तंमनम्] १ रुकावट, अवरोध २ काम के पांच बारणों में से एक। ३ वीर्यपात रोकने वाली दवा । ४ संभोग के समय वीर्य को रोक रखने की क्रिया, धवस्था या क्षमता ५ देखो 'थंभण' ।
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स्त्रीधन
स्वम पु० [सं०] स्वन] १ किसी स्त्री का उरोज, कुप, चूंची। २ मादा पशु या जानवरों के थन ।
स्तनय पु० [सं०] स्तनद्ययः] बालक, शिशु
स्तनांतर - पु० [सं०] १ हृदय, दिल । २ स्त्रियों के स्तन पर होने वाला एक प्रकार का सामुद्रिक चिह्न ।
स्तव, स्तवण, स्तवन- पु० [सं० स्तवः स्तवनम् ] १ स्तोत्र, स्तव । २ प्रशंसा, स्तुति, गुणगान ।
स्तुति, स्तुती - स्त्री० [सं० स्तुति स्तोत्री० [सं० स्तुति:] १ प्रशंसा, तारीफ |
२ विरुदावली । ३ चापलूसी । ४ देवी-देवताओंों के गुणों का सादर पाठ, जाप प्रार्थना । ५ देवी का एक नाम । - पु० ६ शिव का एक नामः ।
स्लोक-वि० [सं०] स्तोe] १ तनिक, थोड़ा। २
३ कुछ । ४ निम्न ।
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स्तोतर, स्तोत्र स्त्री० [सं० स्तोत्र ] १ प्रशंसा, तारीफ २ विह दावली । ३ प्रशंसा या विनय संबंधी श्लोक, छंद या कविता |
[सं० तृण-सस्तर]
[सं० स्त्रींद्रिय ] योनि, भग
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स्तोम पु० [सं० स्तोमः] १ यश इथन होम २ संग्रह ३ विश्वावली प्रशंसा ४ धन दौलत | स्त्रणतर स्त्रराण, स्वस्तर, स्वस्त्र पु० तृरण शय्या । स्त्रींद्रिय, स्त्रींद्री - स्त्री० स्त्री - स्त्री० [सं०] १ नारी, धौरत । २ पत्नी, भार्या, जोरू । ३ व्याकरण में स्त्रीलिंग का संक्षिप्तरूप ४ मादा जन्तु या प्राणी । करण पु० संभोग, मैथुनकांम-स्त्री० स्त्री या भार्या की कामना, काम वासना मरण, गमन - पु० स्त्री से संभोग, मैथुन - चिन चिह्न पु० स्त्री के लक्षण; स्त्रियोचित चिह्न निशान। योनि । धरम- पु० स्त्रियों का कर्त्तव्य, पत्नीव्रत । स्त्री का मासिक धर्म, राजस्वला प्रवधि। मैथुन संभोग - घरपणी, घरमिणी-स्त्री० रजस्वला स्त्री । — परसंग, प्रसंग, भोग-पु० स्त्री के साथ संभोग, मैथुन । - लवखण, लक्षण, लखण पु० पुरुषों की ७२ कलाओं में से एक स्त्रियोचित छ।पु० व्याकरण में एक लिंग योनि, भग। - बास-पु० स्त्री संभोग के समय उपयुक्त वस्त्र । स्त्री संभोग का उचित स्थान | स्त्री के साथ सहवास । विसय, विर्स - पु० संभोग-संग संभोग समागम पु० संभोग मैथुन
सुख
पु० बृहस्थाश्रम का सुख, स्त्री के मिलन का सुख, संभोग - सेवरण, सेवन - पु० संभोग, मंथुन ।
स्वीप
० श्योतिष में बुध, चन्द्र और शुक्र ग्रह जो स्त्री जाति के माने जाते हैं।
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स्त्रीधन- पु० स्त्रियों के छः प्रकार के धन, जिन पर स्त्रियों का पूर्ण अधिकार हो ।