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पसकरण-वि० कायर, डरपोक ।
पसायती-पु० 'पसायत' की भूमि या जागीर पाने वाला व्यक्ति । पसको-पु. कायरपन, भीरता ।
पसार-देखो 'प्रसार'। पसगत-देखो 'पसुगत' ।
पसारटौ-पु. पंसारी का कार्य। पसण-देखो 'पिसण'।
पसारणी (बी)-कि० [सं० प्रसारनम्] फैलाना, पसारना, पसणी (बी)-देखो 'फंसपो' (बी)।
विस्तृत करना, छितराना । पसती-पु० [फा० पश्तो] १ साढ़े तीन मात्रा का एक ताल ।
| पसारी-देखो 'पंसारी'। २ अफगानिस्तान की भाषा ।
पसाव-पु० [सं० प्रसाद] १ मेंट, पुरस्कार । २ कपड़ा, वस्त्र । पसत्थ, पसष-देखो 'प्रसस्त' ।
[सं० प्रस्राव] ३ चावल की मांड। ४ किसी पदार्थ से पसथराग-पु० [सं० प्रशस्त-राग] दान-पुण्य, गुरु भक्ति प्रादि के
निकाला गया जलाश । ५ पसीना, स्वेद । ६ देखो 'प्रसाद'। प्रति अनुराग। (जैन)
पसावरण-पु० [सं० प्रस्रावण] मांड, पीच, पानी। पसन्न-१ देखो 'प्रसन्न' । २ देखो 'प्रस्न'।
पसावरणी, (बी)-देखो 'पसाणी' (बी)। पसम-पु० [फा० पश्म] १ रोम, बाल, रोमावली। २ मुलायम
पसीजरो (बी)-क्रि० [सं० प्र-स्विद] १ पिघलना, द्रवित व उत्तम श्रेणी की ऊन । ३ गुप्तांगों के बाल ।
होना । २ दयामय होना। ३ प्रच्छी तरह पक कर फूल पसमीन, पसमीर, पसम्म-पु. [फा० पशमीना] मुलायम ऊन का
जाना। ४ नम होना । ५ पसीना-पसीना होना । बना वस्त्र ।
पसीनी-पु० [सं० प्रस्वेद अधिक गर्मी या श्रम के कारण शरीर पसर-पु० [सं० प्रसर] १ माक्रमण, हमला । २ विस्तार, फैलाव ।
के रोम कूपों से निकलने वाला पानी, पसीना, स्वेद । ३ पिचकारी। पसरकंटाळी-स्त्री० [सं० प्रसर-कंटाली] कंटीले पत्तों वाला एक | पसु-पु० [सं० पशु चौपाया जानवर । -काळ-पु० सर्प, सांप । पौधा विशेष।
-पति-पु० पशुओं के समान गति, पशु योनि । -घातपसरलो (बी)-क्रि० [सं० प्रसरणम्] १ फैलना, विस्तृत होना,
स्त्री० पशु बलि । -ता-स्त्री० पशु के समान क्रिया। छितरना, पसरना । २ पैर फैलाकर सोना । ३ प्रधिक पशुत्व । -धरम-पु० पशुओं के समान प्राचरण । फैलाव करना। ४ आगे बढ़ना।
-नाथ, पति, पती-पु. शिव । सिंह । -भाव-पु० पशुपन,
पशुत्व । -राज-पु० सिंह, शेर। पसराणी (बी), पसरावणी (बी)-क्रि० १ फैलाना, विस्तृत
-लक्षरण, लक्षण-पु. करना, छितराना, पसराना। २ पैर फैलाकर सुलाना।
पशुओं के गुण । ७२ कलाओं में से एक । ३ अधिक फैलाव कराना । ४ आगे बढ़ाना ।
पसुपतास्त्र-पु० [सं० पशुपतास्त्र] शिव का त्रिशूल । पसळी-देखो 'पासळी'।
पसुवो, पन -देखो 'पसु'। . पसवान-पु० [सं० प्सानम्] भोजन । खाद्य ।
पसे-पु० दर्शन । पसवार-देखो 'पसवाड़ी।
पसेउ, पसेव, पसेवी-देखो 'पसीनो'। पसवाई-क्रि० वि० [सं० पाव-पाटक] १ पार्श्व में, बगल में, | पस-स्त्री० हाथों से अंजलि बनाने की मुद्रा । निकट । २ ओर, तरफ।
पसोपेस-पु० [फा० पसोपेश] असमंजस, दुविधा, धर्म संकट । पसवाडी-पु० [सं० पार्श्व:] पार्श्व, बगल, करवट ।
पस्चाताप-देखो 'पछतावो'। पसवाज-पु. नृत्य के समय पहनने का, वेश्यामों का घाघरा। पस्चिम-पु० [सं० पश्चिम] पूर्व के सामने की दिशा, सूर्यास्त पसाइत, पसाइती-देखो 'पसायती' ।
वाली दिशा। -प्रचळ= 'प्रस्ताचल' । -सागर-पु. पसाइतो-देखो 'पसायतो'।
पायर लेण्ड व अमेरिका के बीच का समुद्र ।। पसाउ, पसाउलो-१ देखो 'प्रसाद' । २ देखो 'पसाव'। पस्त-वि० [फा०] पराजित, दबा हुमा, निराश, हताश । पसाणो, (बो)-क्रि० [सं० प्रसावण] १ भात या चावल का मांड | -हिम्मत-वि. साहस रहित, कायर।
निकालना । २ किसी पदार्थ का जलांश निकालना । |पस्ता-देखो 'पिस्ता'। पसाबत, पसायती-पु०१ सेवा या नौकरी के बदले दी जाने | पस्ताणौ (बी)-देखो 'पछताणी' (बी)।
वाली भूमि या जागीर । २ उक्त प्रकार की भूमि को भोगने | पस्ताव-१ देखो 'पछतावो । २ देखो 'प्रस्ताव' । वाला व्यक्ति।
| पस्तावणी, (बी)-देखो पछताणी' (बी)। पसायतबाप-पु. उक्त प्रकार की भूमि के स्वामी से लिया जाने | पस्तावी-देखो 'पछतावों'। बाला कर ।
। पस्तौ-देखो 'पसतो'।
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