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फरबट
( १३६ )
फरिस्तो
फरवट-पु. १ चालाक, चतुर, चलता-पुर्जा । २ वर्तमान युग में, ४ छलांग लगवाना, कूदाना । ५ हवा में तैराना। अपना कार्य साधन में चतुर ।
फरहरी-वि० (स्त्री० फरहरी) १ सुडौल, सुगठित, सुन्दर । फरवारण-देखो 'फरमांण' ।
२ सबुक, छरहरा। फरवास-पु. एक प्रकार का वृक्ष विशेष ।
फरहास -देखो 'फरवास' । फरवरी-वि० (स्त्री० फरवी) तेज चलने वाला ऊंट, बैल या | फरहो-देखो 'फरहरी'। घोड़ा।
| फरांस-१ देखो ‘फरवास' । २ देखो 'फांस' । फरस-पु० [सं० स्पर्श] १ छुना क्रिया, स्पर्श। [अं० फर्श फरा-स्त्री० गुफा, कन्दरा। २ पत्थर की चौकोर शिला। ३ गृह का प्रांगन । ४ आंगन
फराक-स्त्री० लड़कियों के पहनने का वस्त्र, गगरी । फाक । में बिछाने की बड़ी दरी। ५ देखो 'परसु' । ६ देखो
फराकत-देखो 'फरागत'। 'परसुरांम'।
फराकी, फराखी-स्त्री० [फा०फराखी] १ विशालता, विस्तृतता। फरसण-देखो 'स्परसण'।
२ छलांग। फरसणा-स्त्री० [सं० स्पर्शनम्] १ पालन, आचरण व फरागत-स्त्री [अ०] १ मल त्याग प्रादि नित्य क्रियामों से
क्रियान्वयन । २ ग्राहय पदार्थ के रूप, रंग, गंध आदि में । निवृत्ति । २ किसी कार्य की पूर्णता, निवृत्ति । ३ मुक्ति, परिवर्तन ।
छुटकारा।
फराडो-पु. १ अधिक वर्षा के बाद वातावरण में कुछ सूखापन फरसणी (बी)-देखो 'परसणी' (बी)।'
होने की दशा । २ एक वर्षा से दूसरी वर्षा के बीच का फरसतो-देखो 'फरिस्तो'।
समय । फरसधर (धरण)-देखो 'परसुधर'। फरसपासण-पु० [सं० स्पर्श-पाषाण] पारस पत्थर ।
फराणी (बी)-देखो 'फिराणी' (बी)। फरसबंध-पु. पक्के प्रांगन वाला ऊंचा स्थान ।
फरामोस-वि० [फा० फरामोश] १ भूला हुआ, विस्मृत । फरसरांम-देखो 'परसुरांम' ।
- . २ भ्रमित । फरसांधर(धरण), फरसाधर(धरण)-देखो 'परसुधर'। फरार-वि० [फा०] १ गायब, लुप्त । २ अपराध के बाद भागा फरसि-१देखो 'परसु' । २ देखो 'परसुरांम' । ३ देखो 'फरसी' हुआ । फरसिरांम-देखो 'परसुरांम' ।
| फरारी-स्त्री. १ भागने, गायब या लुप्त होने की क्रिया । २ देखो फरसी-स्त्री० [सं० परशु] १ कृषि कार्य में काम पाने वाला, |
'फरार' । परस के आकार का, एक उपकरण । २ देखो 'परसु । फराळ-पु० फलाहार, शाकाहार । फरसीचुग्गी-पु०[सं० परशु-चुग्गा] एक प्रकार का शस्त्र विशेष । फरास-पु० [अ० फर्राश] १ तम्बू, शामियाना, दरियां आदि फगसीझालण-पु० परशुराम का एक नामान्तर ।
सामान । २ शामियाना आदि लगाकर व्यवस्था करने वाला फरसीधर (धरण, धारण)-देखो 'परसुधर'।
कर्मचारी । २ देखो 'फरवास'। -खांनो-पु० तम्बू, शामिफरसीसाह-पु० परशुराम का नामान्तर ।
याना प्रादि सामान रखने का स्थान । इस सामान की देख फरसूधर-देखो 'परसुधर'।
रेख करने वाला विभाग । इस विभाग का कार्य । फरसौ-१देखो 'परसु' । २ देखो 'परसुरांम' ।
फरासत-स्त्री० [अ० फिरासत] १ बुद्धि की तीव्रता, बुद्धिमता, फरस्स-१देखो 'परसु' । २ देखो 'परसुराम' । ३ देखो 'फरस' अक्लमंदी। फरस्सी-देखो' फरसी'।
फरासीपखो-पु० हवा करने का काष्ठ का एक पंखा । फरस्सौ-१ देखो 'परसु । २ देखो 'परसुराम' ।
फरि-१ देखो 'फररी'। २ देखो 'फरसी' ३ देखो 'परसु'। फरहहरणी (बी)-क्रि० [देश॰] 'फड़हड़' की ध्वनि करना। फरियाव-स्त्री० [फा० फर्याद] १ दु:खी या त्रस्त व्यक्ति द्वारा फरहव-पु० परिभद्र वृक्ष का नाम ।
रक्षार्थ की जाने वाली पुकार, अन्याय के विरुद्ध उठाई जाने फरहर-देखो ‘फहर' ।
वाली आवाज । २ विनती, अर्जी । ३ अन्यायकर्ता की, फरहरणो (बो)-क्रि० १ वस्त्र, पताका आदि हवा से उड़ना ।। राजा या प्रशासन के पास की जाने वाली शिकायत ।
२ ध्वजारोहण होना। ३ पवन चलना । ४ छलांग लगाना, | फरियादी, फरियादू-वि० [फा० फर्यादी] १ फरियाद संबंधी । कूदना। ५ हवा में तैरना ।
२ फरियादनुमा । ३ फरियाद करने वाला । ४ प्रावेदक । करहराणी (बो), फरहरावणो (बो)-क्रि०१ वस्त्र, पताका आदि | फरिस्तौ-पु० [फा० फिरिश्तः] १ ईश्वर का दूत । २ देवदूत ।
हवा में उड़ाना । २ ध्वजारोहण करना। ३ पवन चलाना ।। ३ विष्णु का पार्षद ।
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