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फरी
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( १३७ )
फरी-१ देखो 'फरसी' । २ देखो 'फररी' । ३ देखो 'परसु' । फरीक पु० [प्र०] १ वादी या प्रतिवादी २ झगड़ने वाला कोई
पक्ष ।
फरीकन - पु० [अ०] झगड़ने वाले दोनों या सभी पक्ष । करीब - वि० [अ०] अनुपम, अनोखा, प्रद्वितीय। फरसरांम - देखो 'परसुराम' ।
फड़ी ० १ इमारा, संकेत २ फड़कन
फरूणौ (बो) - क्रि० १ उपस्थित होना, हाजिर होना । २ आना दिखाई पड़ना । ३ देखभाल करने के लिये माना । ४ देखो 'फडकणी' (बी)।
फकाणी (धौ), फलकावरी (बी) - क्रि० १ उपस्थित करना, लाना लेकर थाना २ देखो 'फड्को' (बी)। फरुवौ (बी) देखो 'फरकणी' (बौ
फरेब - पु० [फा०] १ छल, कपट । २ चालाकी, घूर्तता ।
फरेबी वि० [फा०] कपटी, भूर्त
फरेसतो, फरेस्तो, फरस्ती- देखो 'फरिस्तों' |
फरोई- देखो 'फरोही' ।
फरोकड़ो-देखो 'फिरोकड़ी' |
फोकस, फरोख, फरोखत स्त्री० [फा० फरोख्त ] बेचने की क्रिया, विक्रय
फरोवस्त, फरोदस्ती - पु० [फा०] १ एक वस्त्र विशेष । २ एक प्रकार का संकर राग । ३ चौदह मात्रानों की एक ताल । फरोळ- पु० उत्पात, उपद्रव ।
फरोळणी (बौ) - देखो 'फुरळणी' (बी) ।
फरोही स्त्री० पशुपालकों से लिया जाने वाला एक कर विशेष फरौ - पु० १ नगर या ग्राम के बाहर की बस्ती । २ पर्वत की तलहटी ।
देखो 'फलांग |
फळंगरणी (बौ) - देखो 'फलांगणी' (बौ ।
फळ - पु० [सं० फलम् ] १ वृक्ष, पौधों व लतानों के फूल के बाद लगने वाला तत्त्व, बीज, बीज का कोष । फल । २ परिणाम, नतीजा ३ शुभाशुभ कर्मों का भुगतान ४ शुभ कर्मों के चार परिणाम- धर्म, काम, मोक्ष ५ लाभ प्राप्ति । ६ कर्मों का प्रतिकार, बदला । ७ न्याय शास्त्र के अनुसार वह अयं जो प्रवृत्ति और दोष से उत्पन्न होता है ८ गणित की क्रिया का परिणाम ९ फलित ज्योतिष के अनुसार ग्रह नक्षत्र की स्थिति से होने वाला सुख या दुःख १० गुण प्रभाव । ११ प्रयोजन । १२ भाले या छुरी प्रादि का पैना या नुकीला भाग । १३ गौरी पूजन के लिये स्त्रियों द्वारा आटे की बनाई जानेवाली सुपारी । १४ जायफल । १५ नारियल । १६ ढाल । १७ हल की फाल । १८ चार की संख्या ।
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फळससकार
फलक, फलकी- पु० [सं०] १ ढाल । २ शस्त्र की धार । [अ०] [२] पाकाश, आसमान ४ देखो 'फुलको' । फलकू - स्त्री० १ बालू रेत । २ देखो 'फलको' । फळकेसर पु० [सं० फल केशर ] नारियल का वृक्ष । फळकोस पु० [सं० फलं+कोष] १ पुरुषेन्द्रिय २ अंडकोश फलको पु० १ फफोला । २ देखो 'फुलको' ।
फळगट फळगडी-स्त्री० [सं० फल + पट्ट] गवार, मोठ प्रादि की फलियों का भूसा ।
फलगर- देखो 'फुलपगर' ।
फळगु-देखो फल्गु' ।
फळप्राही- पु० [सं० फलग्राहिन् ] १ वृक्ष । २ फल को ग्रहण करने वाला ।
फळवर - पु० [सं० फलचर ] वानर, बन्दर
फळढोकळी - स्त्री० गणगौर पूजन के लिये बनाये गये प्राटे के बेरनुमा दाने व वधु वे के पत्ते की पिंडियां ।
पौधों व
फळणी (बौ) - क्रि० [सं० फलम् ] १ वृक्ष, लताओं का फलों से युक्त होना, फलना २ पुष्पित, पल्लवित व फलित होना ३ गृहस्थ का संतान प्रादि से युक्त होना । ४ स्त्री का प्रसव करना । ५ किसी बात, कार्य या प्रयास का शुभाशुभ परिणाम निकलना ६ विस्तार होना, वृद्धि होना ७ एक संख्या का दूसरी संख्या में गुणा होना। फळतरीढ़ाळ स्त्री० एक प्रकार की ढाल । फळद - वि० [सं० फलद] फलदायक ।
फळदान - पु० [सं० फलदान ] १ फलों का दान २ सगाई पर वर को वधू पक्ष की ओर से श्रीफल देने की प्रथा । फळदाइक, फलवाइक देखो 'फळदायक' ।
फळबात - पु० [सं० फल दातृ ] फल देने वाला | फळदायक, फळदायन - वि० [सं०] फल देने वाला, शुभ,
लाभप्रद ।
फळवार वि० [सं० फलं +फा० दार] जिसके फल हों, फलों
वाला ।
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फळ-पु० [सं० पालद] वृक्ष ।
फळपित, फळपिता-पु० [सं० फल पितृ] पुष्प. फूल । फळपुहप, फळपुहाप, फळपुहुप पु० [सं० फल + पुष्पम् ] वह वृक्ष जिसके फल- पुष्प दोनों लगते हों ।
फळप्रव - वि० [सं० फलप्रद ] फल देने वाला, लाभदायक । फळभूम (भूमि प्रोम) स्त्री० [सं० फल-भूमि ] कर्म फल भोगने का स्थान | पृथ्वी, स्वर्ग, नरक ।
फळराज वि० पु० [सं० फलं राजन्] फलों में श्रेष्ठ । - पु० १ तरबूज । २ खरबूजा । ३ ग्राम । फळसंसकार, फळसंस्कार पु० किसी ग्रह के केन्द्र का
[सं० फल- संस्कार ] श्राकाश में समीकरण या मंद-फल निरूपण ।