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फलसाउगाड़
। १३८ )
फसादी
फळसाउगाड़, फळसाउघाड़-पु० अपने समूचे गांव व निकटवर्ती फाळकार-देखो ‘फलहकार'। गावों के लोगों को दिया जाने वाला भोज ।
फळित-वि० [सं० फलित्] फला हुअा । फळसौ-पु. १ भवन, गवाड़ी, ग्राम या नगर का मुख्य द्वार । | फलितज्योतिस-पु० ज्योतिष शास्त्र का एक विभाग ।
२ खेत, बाड़ी आदि के आहते के द्वार पर लगा का कांटों फळियळ-वि० फलयुक्त, फलों वाला । फल सहित । का फाटक ।
फळी-वि० [सं० फलित्] १ फलों से युक्त, फलों वाला । २ फल फळस्थापन-पु० [सं० फलस्थापन] सीमन्तोन्नय-संस्कार, लगनेवाला। -पु. १ फलों वाला वृक्ष, पेड़ । २ वृक्ष, पौधे फलीकरण ।
या लता पर लगने वाला लम्बा संपुट जिसमें बीज होते हैं। फळहकार-पु० [सं० फलकं-कारः] १ मुद्गर ढाल प्रादि बनाने फली।३ प्रोढ़ने के वस्त्र के छोर पर ऐंठन दिये हुए डोरे,
वाला व्यक्ति । २ फलों को तैयार कर रखने व पेश करने | तन्तु । ४ शाखा, वंश। वाला व्यक्ति ।
फळीजणी (बी)-क्रि० [सं० फलम्] १ बकरी या मादा ऊंट का फळहळि (ळी)-स्त्री० [सं०फुल्ल पौलिका, प्र० फुल्ल प्रोलिया] | गर्भवती होना । २. फलयुक्त होना। पीसी हुई दाल में फल मिला कर घी में सेक कर बनाई हुई | फळीभूत-वि० [सं० फलीभूत] सफल । रोटी, फुल्लौरी।
फळीस-पु. १ मोठ, मूग आदि की फलियों का भूसा। २ भुरट फळहिकार-देखो 'फलहकार'।
___ नामक घास के बीज । ३ देखो 'फळी'। फळहुलि-देखो ‘फळहली'।
फळ 'सी-स्त्री० मोठ, मूग आदि फलियों का छिलका । फला-वि० [अ०] अमुक । कल्पित ।
फळ-देखो ‘फळी'। फलांग-स्त्री० [देश॰] १ छलांग, कुदान, कूद कर जाना क्रिया । | फलूरियौ-वि० [देश॰] व्यर्थ का प्रलाप करने वाला। २ देखो 'फरलांग'।
फलोडौ-पु० जलने से होने वाला फफोला । फलांगणो (बो)-क्रि० १ छलांग लगाना, कूदना, लांघना। | फळोदय-पु० [सं० फलोदय] १ फलित ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों के २ बीच की सीढ़ी को छोड़कर आगे बढ़ जाना ।
- योग से शुभाशुभ फल प्राप्ति का समय । २ स्वर्ग । ३ फल फलाणसिंह-देखो 'फलाणो' ।
का प्रत्यक्षीकरण । फलांणियो, फलाणी-वि० (स्त्री० फलाणी) अमुक, कल्पित। फळो-देखो 'फळसौ'।
-पु० अज्ञात व्यक्ति या वस्तु जिसके बारे में बात कही जा | फल्गु-वि० [सं०] १ निरर्थक, बेकार, व्यर्थ । २ निस्सार । ३ क्षुद्र । रही हो।
४ साधारण । ५ वसंत ऋतु । फळाणी (बी)-क्रि० [सं०फलम् ] दो संख्याओं का परस्पर गुणन | फल्गुन-पु० [सं०] १ इन्द्र का नाम । २ देखो 'फागण। करके फल निकालना, हिसाब लगाना ।
फल्गुनी-देखो 'फाल्गुणी'। फळादेस-पु० [सं० फलादेश] ग्रहों के प्रभाव बताने वाली बातें। फवज, फवज्ज-देखो 'फौज'। फळाध्यक्ष-पु. सब प्रकार के फल देने वाला, ईश्वर।
फवारो-देखो 'फंवारौ'। फळापेक्षा-स्त्री० [सं० फलं-अपेक्षा] फल प्राप्ति की अपेक्षा, फवो-देखो 'फुबौ' । कामना, इच्छा, संभावना ।
फव्वज-देखो 'फौज' । फळाफळ-पु०शुभाशुभ फल ।
फसरणौ (बौ)-देखो 'फंसरणी' (बी) । फळायफळाय-स्त्री० बच्चे के रोने की ध्वनि ।
फसत, फसद-देखो 'फस्त' । फळारथी-वि० [सं० फलाथिन् ] फल पाने का इच्छुक ।
फसल-स्त्री० [अ० फस्ल] १ ऋतु, मौसम । २ काल, समय । फलालेन (लॅन)-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र ।
३ निर्धारित ऋतु में पक कर तैयार होने वाली अनाज आदि फळावट-स्त्री० गुणा करने की क्रिया, गुणा करने का परिणाम ।
की पंदावार । ४ कृषि उपज ।
फसळरणो (बी)-देखो 'फिसळणी' (बौ)। फळावणी (बी)-देखो 'फळाणी' (बी) ।
फसळी-वि० [अ० फस्ली] १ फसल का, फसल संबंधी । २ ऋतु फळासव-पु० [सं०] फलों का पासव, पौष्टिक औषधि ।
विशेष में होने वाला। -बुखार-पु० वर्षा ऋतु में होने फळाहार-पु० [सं०] १ केवल फलों का ही माहार । २ व्रत, वाला विषम ज्वर। उपवास के दिन खाने की वस्तु ।
फसारणी (बी)-देखो 'फंसाणो' (बी)। फळाहारी-वि० [सं०] १ केवल फल ही खाने वाला ।। फसाद-देखो "फिसाद' । २ फलाहार संबंधी।
| फसादो-देखो 'फिसादी'।
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