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फसावरणी
। १३९ )
फाकी
फसावरणौ (बो)-देखो 'फंसाणी' (बौ)।।
डालना, जाल में फंसाना। ३ नर पशु का मादा पशु से फस्त, फस्व-स्त्री० [अ० फस्द] नस को छेद कर दूषित रक्त संभोग करना । निकालने की क्रिया।
फांदळ, फांदाळ, फांदाळी-वि० (स्त्री० फांदळी, फांदाळी) बड़े फहम-स्त्री० [अ० फहम] १ ज्ञान, समझ । २ बुद्धि, अक्ल । पेट या तोंद वाला। ३ ध्यान, खयाल ।
फांदो-पु०१ कोल्हू का मुख्य फंदा, बंधन । २ देखो ‘फंदौ' । फहर-स्त्री० [देश॰] फहरने की अवस्था, क्रिया या भाव।। | फांनूस-पु० [फा० फानूस] १ एक प्रकार बड़ा दीपक, कंडील, फहरणो (बो)-देखो 'फरहरणो' (बौ)।
ज्योति विशेष । २ छत में लटकाने का शीशे का गुलदस्ता फहराणी (बौ), फहरावरणौ (बौ)-देखो 'फरहराणी' (बो)। जिसमें मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। फहरिस्त-देखो 'फैरिस्त'।
| फांफ-स्त्री० [देश॰] १ छोटे पक्षियों का शिकार करने का डंडा । फांक, कांकड़, फांकडी-स्त्री० [सं० फलक] १ ककड़ी आदि २ प्रयत्न, कोशिश । ३ ठण्डो व तीक्ष्ण वायु ।
फलों का अर्धचन्द्राकार काटा हुप्रा खण्ड । २ नारंगी के | फांबड़ी-देखो ‘पोमड़ी' । छिलके के नीचे जुड़े रहने वाले अर्ध चन्द्राकार विभाग। फांस, फांसड़ी-स्त्री० [सं० पाश] १ पशु पक्षियों को फंसाने की ३ खरबूजे पर बनी लंबी रेखाएँ । ४ रेखा, लाइन ।
रस्सी, फंदा । २ जाल, बंधन । ३ सूखी लकड़ी या बांस का फांकरणो (बो)-क्रि० १ झूठ बालना, मिथ्या भाषण करना।। बारीक तंतु जो कांटे की तरह चमड़ी में घुस जाता है। २ देखो 'फाकरणों' (बी)।
४ देखो ‘फांसी'। फांकी-१ देखो ‘फांक' । २ देखो 'फाकी'।
फांसणी (बी)-क्रि० [सं० पाशन] १ पशु या पक्षी को फदे या फांगि-स्त्री० [देश॰] व्यंजन विशेष ।
जाल में फंसाना । २ फसाना, उलझाना । ३ धोखे या जाल फांट-स्त्री० [देश॰] १ कई भागों में बांटने, विभाजन करने की। में लेना, फंसाना । ४ फुसला कर अपने वश में करना ।
क्रिया । २ पृथक या अलग करने की क्रिया । ३ बांटा या | फांसियो-वि० फांसने वाला, बांधने वाला, बंधन में डालने अलग किया हुआ भाग, अंश। ४ युवा बकरी जो गर्भवती
वाला। न हो । ५ औषधियों के महीन चूर्ण को उबाल कर तैयार फांसी-स्त्री० [सं० पाश, प्रा०फासी] १ फसाने का फंदा, पाश । किया हुआ रस, पेय पदार्थ । ६ गठरी । ७ वह स्थान जहां २ बंधन । ३ रस्सी का गोल फदा जिसे अपराधी के गले में मुख्य रास्ते से अन्य दिशा में कोई रास्ता मुड़ता हो।
डालकर खींचकर प्राण दण्ड दिया जाता था। ४ एक कांटरपो (बी)-क्रि० [देश॰] १ बांटना, हिस्से करना, विभाग प्रकार का प्राण दंड ।
। २ अलग करना, पृथक करना। ३ प्रोषधियों | फा-पू०१ विष । २ तीर्थ । ३ बैठक, गूदा । के चूर्ण से रस बनाना । ४ विरुद्ध या विपरीत करना। | फाउ, फाऊ-वि० [देश॰] मुफ्त। -स्त्री० पोरवाल जाति की एक फांटियो-पु. [देश॰] रेखा खींचने या बनाने का एक प्राचीन | वैवाहिक प्रथा । उपकरण।
फाकउ-देखो 'फाको'। कांटो-पु. [देश॰] १ भूत, प्रेत प्रादि से प्रभावित होने की अवस्था | फाकड़ी-देखो ‘फांक' ।
या भाव । २ भिन्नता, भेद । ३ विरोध, शत्रुता । ४ कचरा,काकरणौ (बी)-क्रि० [देश॰]१ पौषधि, चूर्ण, नमकीन यादि भूसा । ५ पृथकता, अलगाव । ६ शाखा । ७ मुख्य रास्ते के
की थोड़ी मात्रा हाथ में लेकर मुह में डालना । २ फक्की बीच से अन्य दिशा में जाने वाला रास्ता। ८ वह स्थान
लगाना । जहाँ से दो रास्ते अलग-अलग होते हैं।
फाकता-देखो 'फाखता'। फांडर-स्त्री०१ बंध्या गाय या मादा ऊंट । २ केवल एक ही बार
फाकर-स्त्री० एक मांसाहारी जानवर । प्रसव करने वाली गाय ।
फाका-पु० [अ० फाका:] १ व्रत, उपवास । २ लंघन । ३ अन्न फांडो-पु० [देश॰] १ बड़ा छेद या सूराख । २ चोरी के निमित्त
या रोटी का प्रभाव । ४ अत्यन्त गरीबी अवस्था । दीवार में बनाई गई सेंध । ३ हाथी की पीठ पर 'तहरू'
-कस-वि० निर्धन, कंगाल । भूखा । व्रतधारी । - कसने की क्रिया या कसावट ।
–कसी-स्त्री. निर्धनता, कंगाली। अन्नाभाव की दशा । फाणस-पु० [सं० पनस] कटहल ।
भूखा रहने की अवस्था। फांव-स्त्री० [देश॰] १ बड़ा पेट, तोंद । २ छलांग, फलांग, फाको-स्त्री० [फा०] १ चूर्ण या प्रौषधि प्रादि की एक बार फावणी (बौ)-क्रि० १ उछलना, कूदना, लांघना । २ बंधन में फाकने लायक मात्रा । २ इस मात्रा को फाकने की क्रिया
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