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फाको
फातमा
या भाव । ३ फल प्रादि की फांक । ४ सिखावट, सीख, | फाट-पु० [देश॰] १ फटने की क्रिया या भाव । २ फटाव, बुद्धि भ्रमित करने वाली बात ।
चिराव, चीरा, दरार । ३ खण्ड, टुकड़ा। फाको-पु० [देश॰] १ टिड्डी के बच्चों का दल । २ देखो फाकी'। फाटक-स्त्री० [सं० कपाट] १ बड़े भवन, पाहते, कारखाने आदि फाखता-स्त्री० [फा० फाख्तः] पडुकी नामक पक्षी।
का बड़ा मुख्य द्वार । २ मुख्य द्वार का कपाट। ३ दरवाजे फाग-पु० [सं० फाल्गुन] १ होली के अवसर पर खेलने का रंग। या रास्ते में, कुत्तों आदि की रोक के लिये लगाया जाने
प्रादि का खेल । २ इस अवसर या फाल्गुन में गाये जाने वाला छोटा कपाट, जाली। ४ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले लोक गीत । ३ फाल्गुन मास के उत्सव । ४ फाल्गुन वाले मवेशियों को बंद कर रखने का स्थान । मास में की जाने वाली शृंगारिक क्रियाएँ । ५ प्रोढ़नी का | फाटकी-स्त्री० [देश॰] १ लकड़ी या लोहे प्रादि की पट्टी । रंग विशेष ।
२ देखो ‘फाटक'। फागण-पु० [सं० फाल्गुन] १ माघ मास के बाद वाला मास | फाटको-पु० [देश॰] १ व्यापारिक सट्टा, जूमा। २ इस सट्ट में
जिसमें होली के उत्सव चलते हैं । २ होली के गीत ।। धन लगाने की क्रिया । ३ हानि-लाभ की अनिश्चितता वाला फागरिणयो-वि० [सं० फाल्गुन] फाल्गुन संबंधी, फाल्गुन का। कार्य । ४ शस्त्र प्रहार । ५ चेजारे के बैठने का पाटिया ।
-स्त्री० स्त्रियों की प्रोढ़नी का एक रंग विशेष । फाटणी (बौ)-क्रि० [सं० स्फाटनम्] १ किसी वस्तु का विदीर्ण फागणी-देखो 'फाल्गुनी'।
होना, चिरना । २ वस्त्रादि साबुत न रहना, टुकड़े या बीच फागण्या-देखो ‘फागणियो' ।
में छेद होना या फट जाना। ३ किसी द्रव पदार्थ में विकृति फागुण-देखो 'फागण'।
पाना । ४ दरार पड़ना, तरेर आना, चिर जाना । ५ अपने फागुरिणयामूग-पु० रबी की फसल के साथ होने वाले मूग । पक्ष से अलग या विरुद्ध होना। ६ अांख या मुह का खुलना, फागुणियो, फागुण्यो-देखो ‘फागणियो'।
चौड़ा होना । ७ त्वचा में दरार पड़ना । ८ तितर-बितर फागोटो-पु० फागुण का एक शृगारिक संभाषण।
होना । मर्यादा का उल्लंघन करना । सीमा छोड़ना । फाड़-देखो ‘फाड' ।
१० बादल आदि मिट कर मौसम साफ होना। फाड़कती, फाइखती, फाड़गती-देखो 'फारगती' ।
फाटोड़ी-वि० (स्त्री० फाटोड़ी) फटा हुआ, फटी हालत में ।
फाटो, फाट्योड़ो-वि० (स्त्री० फाटी) १ फटा हुआ, विदीर्ण । फाडणी (बी)-क्रि० [सं० स्फाटनम्] १ शस्त्र, छुरी, चाकू
२ अश्लील, अशिष्ट । प्रादि से विदीर्ण करना, चीरना । २ वस्त्र, कागज आदि |
फाड-स्त्री० [देश॰] १ एक प्रकार का वस्त्र । २ किसी वस्तु को खींचकर या झटका देकर खण्डित करना, टुकड़े करना।
के लंबे दो खण्डों में से एक । ३ काष्ठ या फल का लंबा ३ चीर-फाड़ करना, शल्य क्रिया करना । ४ किसी समूह
खंड । फांक। या दल के बीच से दो भाग कर देना, बीच में से चीरते हुए
फाडणउ-वि० १ फटने वाला । २ पृथक होने वाला। पार निकल जाना । बीच में रास्ता बना देना। ५ तालाब,
फाडपो (बो)-देखो ‘फाड़णी' (बी)। नदी,जलाशय को तैरकर पार करना । ६ लम्बी वस्तु के दो लम्बे विभाग करना । ७ आपस में विरोध डालना, भेद
फाडसींगो, फाडासींगौ-पु० [देश॰] (स्त्री०फाडसींगी,फाडासींगी)
लंबे व फैले हुए सींगों वाला पशु । भाव कर देना । ८ संपुट की तरह बंद वस्तु को खुला कर देना । ९खोलना, खुली स्थिति में करना । १० अच्छे भावों | काडासुपारी-स्त्री० छालिया (पान की सुपारी) का अर्धभाग। के स्थान पर क्रूर या विरोधी भाव पैदा करना । ११ दूध | फाडी-स्त्री. १ लकड़ी की चीप । २ देखो 'फाड' । ३ देखो प्रादि पदार्थ में अम्ल या विपरीत गुण की वस्तु का योग | 'फाडौ'। (स्त्री०) . देकर विकृत करना, रासायनिक परिवर्तन करना । १२ मकान | फाडो-पु० [देश॰] (स्त्री० फाडी) १ लंबे और फैले हुए सींगों में सेंध लगाना । १३ दरार या विवर करना ।
वाला पशु । २ असामान्य ढंग से लंबे कदम रखने वाला काडो-पु० [देश॰] १ खेत में दो सीतामों के बीच रहने वाली व्यक्ति । ३ पशु का फैला हुआ लंबा सींग । ४ काष्ठ का
जमीन । २ किसी पदार्थ का तोड़ा या चीरा हुअा भाग । चीरा हुमा लंबा खण्ड । ५ छालिया का अर्धगोलाकार
३ खण्डित अंश । ४ भाग, हिस्सा । ५ देखो ‘फाडौ'। अंश। -वि०- अधिक फैला हुआ। फाचर, फाचरियो, फाचरौ-पु० [देश॰] १ पत्थर या लकड़ी का | फातडो-पु. [देश॰] हिजड़ों के साथ रहने व लाग वसूल करने पतला तीक्ष्ण खण्ड, चीप । २ देखो 'पाचरौ'।
वाला व्यक्ति। फाचे-क्रि० वि० [सं० पश्चात्] बाद में, पीछे, पश्चात् । फातमा-स्त्री० [अ० फातिम] मुहम्मद साहब की कन्या ।
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