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बेस्म
देखो 'वेस्म' |
बेस्वाद वि० [फा० वे संस्याद] १ स्वाद रहित २ जिसका स्वाद अच्छा न हो। ३ अप्रिय, अरुचिकर बेह-देखो 'देह' ।
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बेहक वि० [फा०] १ जो हक से बाहर का हो, नाजायज । २ जो उचित न हो, अनुचित । ३ जो न्याय संगत न हो । ४ असत्य । ५ अनधिकृत । ६ देखो 'बहक' ।
बेहerit (at) - देखो 'बहकरणी' (बो) ।
बेहकाणी (at), बेहकावरणी (बौ) - देखो 'बहकारणी' (बी) । बेहड़ देखो 'बे'डी'।
बेहड़ली- देखो बेह' ।
बेहड़ ू - देखो 'बे'ड़ौ' । बेहड़ी-देखो 'मेरो' ।
बेहरी- पु० कंट
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बेहन बेहनड़ी-देखो 'बहन' ।
बेहमाता देखो 'वेमाता' ।
( २४६ )
बेहमी पु० [सं० विश्राम ] भाराम, विश्राम। बेहा- देखो 'विधाता' ।
बेहिसाब - वि० [फा०] १ जिसका कोई हिसाब या लेखा न हो । २ असंख्य अगणित । ३ प्रसीम, अपार । बेहु-देखो 'बेऊ' ।
बेमौ वि० [सं० बधिर ] ( स्त्री० बेहुंगी) १ अस्थिर चित विक्षिप्त, बहिरा । २ लापरवाह ।
बेनर वि० [फा०] १ किसी इनर या कला से रहित
२ जिसके पास कोई काम धंधा न हो । ३ निकम्मा, निठल्ला । ४ मूढ़, मूर्ख ।
बेहतरी स्त्री० १ निठल्लापन निकम्मापन २ हुनर या का
देखो 'देवी' ।
का प्रभाव ।
बेहतर वि० [फा०] जो तुलना में अच्छा, ठीक उचित हो देखो'वेळ' - पु० १ श्रच्छापन, प्रच्छाई । २ भलाई। बेहच वि० [सं० द्वि हस्त]
बेहूड़ो-देखो 'मे'ड़ो' ।
दो हाथों वाला।
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बेहूदगी स्त्री० [फा०] १ असभ्यता, अनाड़ीपन २ अश्लीलता भद्दापन ।
बेहद, बेहद्द - वि० [फा०] १ जिसकी कोई सीमा या हद न हो, पन्त, प्रत्यधिक
असीम पार
३ अगणित असंख्य । । संप ४ मर्यादा से बाहर ५ प्रतिशयोक्तिपूर्ण ६स्य प्रमेय ।
बेहूदी [वि० [फा० बेहूद] [स्त्री० [बेहूदी) १ असभ्य, शिष्ट बदतमीज । २ व्यवहार व श्राचरण की दृष्टि से धनुचित ।
३ अवारा दुश्चरित्र । ४ बेढंगा, बेमेल । ५ व्यर्थ, बेकार ।
बेवी-देखो 'बहदी' ।
[६] अस्त-व्यस्त छिन्न-भिन्न क्षतिग्रस्त बेहाल।
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बेहाल- वि० [फा०] १ अभ्यवस्थित अस्त-व्यस्त २ बिगड़ी दशा या हालत का । ३ संज्ञा शून्य, चेतनाहीन, बेहोश,
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मूच्छित । ४ विकल, व्याकुल, अधीर, दुःखी । ५ दुर्दशाग्रस्त । ६ बेखबर, अनजान। ७ मस्त, मग्न, मोदमय 1
बेहाली स्वी० १ बेहाल होने की दशा वा भाग २ व्याकृ बेचैन, अधीर होने की दशा । ३ अज्ञानता । ४ शोचनीय अवस्था । ५ मस्ती ।
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बैंचली
या वि० [फा०] बेशर्म, निर्लज्ज ।
बेहपाई - स्त्री० १ बेशर्सी, निर्लज्जता । २ बेशर्म होने की | बेहोस - वि० [फा० बेहोश ] १ जिसे होश न हो, मूच्छित, श्रचेत ।
अवस्था या भाव ।
२ असावधान, लापरवाह । ३ श्रालसी, निश्चेष्ट । ४ उन्मत्त, मस्त ।
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बेहररणौ (बो) – देखो 'बँरणो' (बो) । बेहरी [स्त्री० [१] पृथ्वी, धरती 'बहरी' । बेहरौ वि० [सं० द्व े ] ( स्त्री० बेहरी ) १ दूसरी बार, दुबारा ।
धरा २ घोड़ा ३ देखो बेहोसी स्त्री० [फा० बेहोशी ] १ बेहोश होने की दशा या भाव। २ मूर्च्छा, श्रचेतना, शून्यता । ३ प्रसावधानी, लापरवाही । ४ सुस्ती, प्रालस्य । ५ उन्मत्तावस्था, मस्ती । बें-देखो''।
२ दोहरा । स्त्री० १ फूलों का हार । २ एक प्रकार की घास । ३ देखो 'बे ड़ो' । ४ देखो 'बहरी' |
बेहल - पु० १ चारण कवि । २ देखो 'बहल' । बेहली - पु० (स्त्री० बेहली ) ऊंट । बेहवाल देखो 'बेहा
बेहसरगी (बी) देखो 'बहसरणी' (बौ
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बेहैफ - वि० [फा०] १ जिसे कोई चिता या शंका न हो । २ खेद रहित ३ आश्चर्य रहित । ४ मस्त । बेहोंनी देखो 'बिसोनी' ।
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बैंक - पु० [०] रुपयों का लेन-देन, ऋण आदि देने वाला कार्यालय, बजाना ।
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बैकु ंठ, बैकूठ - देखो 'वैकु ंठ' । - वासी 'वैकु ंठवासी' । बैंकति देखो 'बैंक' ।
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- ० [सं० वंगण ] एक पौधा विशेष जिसके फलों की सब्जी बनती है ।
बेंगणी - वि० उक्त फल के रंग जैसे रंग का ।
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बंची (बी) बंदी (बी) क्रि० [सं० विभाजनं] १ वितरण - करना, बांटना । २ विभक्त करना, हिस्से करना ।