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। २४५ )
बेवकूफी-स्त्री० [फा०] १ बेवकूफ होने की अवस्था या भाव ।। बेसरणी-देखो 'बैसणौ'।
२ मढ़ता, प्रज्ञानता, मूर्खता । ३ नादानी, बचपना। बेसणी (बो)-देखो 'बैसणी' (बी)। बेवक्त-क्रि० वि० [फा०] १ कुसमय, असमय । २ अनुपयुक्त बेसबधू-स्त्री० [सं० वेसवधू] नगर वधू, वेश्या, रंडी। अवसर पर।
बेसबर-वि० [फा० बे-सन्न जिसे धैर्य न हो, अधीर, पातुर । बेवडीचड-पु. प्राभूषणों की खुदाई करने का मौजार विशेष । बेसबरी-स्त्री० [फा० देसी] १ अधीरता, मातुराई । बेवड़ी-वि० सं० वट] (स्त्री० बेवड़ी) १ दो तह, परत या २ जल्दबाजी, त्वरा। ३ धैर्य का प्रभाव ।
लटों वाला -२ दुगुना, दोहरा । ३ झुका हुआ मुड़ा बेसमझ-वि० [फा०] १ नासमझ, नादान । रमज्ञानी, मूर्ख । हुप्रा । ४ देखो 'बेड़ो।
३ अनुभवहीन । बेषरण-स्त्री० [सं० वहनं] १ चलने की क्रिया या भाव । बेसमझी-स्त्री० [फा०] १ नासमझी, नादानी । २ अज्ञानता, २ चलने का ढंग।
मूर्खता । ३ अनुभवहीनता। ४ धृष्टता । ५ मूर्खता . वणी-स्त्री० [सं० वेपनी चूल्हे के सामने पाहते की तरह कार्य । बनी छोटी पाली।
| बेसर-पु. १ नाक का माभूषण विशेष । २ बघेरा । ३ देखो बेवणी (बी)-क्रि० [देश॰] १ अवलोकन करना, देखना । 'वेसर'।
२ ध्यान करना, सोचना, विचारना । ३ भागा-पीछा | बेसरज-वि० एक प्रकार का हाथी। सोचना । ४ अनुभव करना, महसूस करना । ५ देखो | बेसरम-वि० [फा० बेशर्म] १ निर्लज्ज, बेशर्म। २ ढीट, धृष्ट । 'वहणी' (बी)।
बेसरमी-स्त्री० [फा० बेशर्मी] १ निर्लज्जता, बेशर्मी । बेवतन-वि० [फा०] १ जिसका कोई देश , प्रदेश या वतन न २ढीटता, धृष्टता।।
हो । २ घरबार रहित । ३ परदेशी । ४ निर्वासित । बेसहूर-देखो 'बेसऊर'। बेवफा-वि० [फा०] १ वफा से रहित, कृतघ्न । २ प्रविश्वासी, बेसाणणी (बी)-देखो 'बैसाणणी' (बी)। धोखेबाज, दगाबाज । ३ बेमुरव्वत, निर्मोही।
बेसांनर-देखो 'स्वानर'। बेवळ-वि० सीधा-सादा, सरल ।
बेसारणी (बी), बेसारणी(बा), बेसारणी(वी), बेसावणी (1) बेवळी, बेवलो-वि० (स्त्री० बेवळी) दोहरा, दिगुणा । -पु० देखो 'बैसाणो' (बी)। दो सींगों का एक कृषि उपकरण ।
बेसास-वि० १ श्वास रहित । २ देखो 'विस्वास'। बेवारण-१ देखो 'विमाण' । २ देखो 'भ्यारण।
बेसासहउ-देखो 'विस्वास' । बेवा-स्त्री० विधवा स्त्री या युवती।
बेसासणी (बौ)-देखो 'विस्वासणों' (बी)। बेवाई-स्त्री० १ विधवापन, वैधव्य । २ देखो 'बिवाई' । बेसी-वि० [फा० बेश] अधिक, ज्यादा, अतिरिक्त । -स्त्री.. ३ देखो 'व्याई'।
[फा०बेशी] १ अधिक होने की दशा या भाव । अधिकता बेवापण, बेवापणी (न)-पु० विधवा होने की अवस्था, वैधव्य, ज्यादती । ३ वृद्धि, बढ़ोतरी । ४ मफा, लाम । रंडापा।
बेसुध-वि०१ बेहोश, अचेत । २ असावधान, लापरवाह । बेबि, बेवे-देखो 'बेऊ"।
३ मूढ़मति, मतिभ्रम । बेसंग-पु० [सं० -संघदो दल, दो दलों का समूह ।
| बेसुधि, बेसुधी-स्त्री०१ सुधी का प्रभाव । २ बेहोशी, मूछी, बेसंसा-वि० संशय या संदेह रहित ।
अचेतना । २ घबराहट, बदहवासी । ४ विमूढ़ता । बेस-१ देखो 'वेस' । २ देखो 'वयस'।
५ देखो 'बेसुध' । सऊर-वि० [फा० बेशऊर] १ असभ्य, अशिष्ट, गंवार ।।
| बेसुमार-वि० [फा०] १ जिसका कोई सुमार या मणना न हो, २ साधारण ज्ञान से रहित, मूर्ख, मूढ़।
अगणित, असंख्य । २ अपार, अत्यधिक । बेसऊरी-स्त्री० [फा०] १ बेसऊर होने की अवस्था या भाव । २ असभ्यता, अनाड़ीपन, गंवारूपन । ३ मूर्खता।
बेसुरत-देखो 'बदसूरत'। बेसक-क्रि०वि० [फा० बेशक] शक या संदेह रहित, निस्संदेह ।।
बेसुर, बेसुरौ-वि०१ संगीत में जो स्वर के मेल में न हो, जिसकी बेसकीमत, बेसकीमती-वि० [फा० वेश-कीमती] बहुमूल्य,
आवाज वाद्य-ध्वनि से न मिलती हो । २ जिस स्वर वा अधिक मूल्य का।
प्रआवाज में मीठास न हो। बेसण-पु० चने का प्राटा ।
बेसूर-देखो 'बेसऊर'। बेसणी-वि.चने के आटे का बना।
बेसोटी-पु. प्रासन ।
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