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बढ़ाबढ़ी
( १७१ )
बणाणी
बढाबढ़ी-स्त्री० [सं० वर्धनम्] १ मर्यादा या सीमा तोड़ने की या धोखे में प्राना, मतिभ्रम होना । १४ सुधरी अवस्था क्रिया या भाव । २ प्रतिस्पर्धा, होड़।
में प्राना, संतोषजनक अवस्था में प्राना। १५ अभिनय बढ़ार-देखो 'बडहार'।
या भूमिका करना । १६ प्राविष्कृत होना। १७ कार्य बढ़ारौ-वि० काटने या चीरने वाला।
सम्पन्न होना, पूर्ण होना । १८ अवसर मिलना, कार्य बढ़ाळी-देखो 'बाढ़ाळी' ।
साधन का मौका मिलना। १९ लक्ष्य सिद्धि होना। २० वश बढ़ाळो-देखो 'बाढ़ाळी'।
चलना । २१ संभव होना । २२ स्थिति बिगड़ने से रहना । बढ़ाव-पु० [स० वर्धनम्] १ बढ़ने की क्रिया या भाव । २ वृद्धि, २३ अप्रत्यासित योग पाना । संयोग बनता । २४ कहीं पर
बढ़ोतरी। ३ विस्तार, फैलाव। ४ विकास, प्रगति । कुछ होना । २५ निर्मित या अंकित होना । २६ सजना। ५ उन्नयन । ६ गति । ७ तीव्रता । ८ कटाव ।
२७ होना । २८ ढोंग करना । २९ व्यापारिक लाभ होना। बढ़ावणौ (बो)-१देखो'बढ़ाणी' (बौ) । २ देखो'बधाणी' (बौ)। ३० प्राप्ति या वसूली होना । ३१ निर्वाह होना, किसी बढ़ावौ-पु० [सं० वर्धनम्] १ मागे बढ़ने की क्रिया, मागे बढ़ने के दशा को चलाते रहना । ३२ व्यवस्था होना। ३३ एकत्र लिये प्रेरित करने की क्रिया। २ प्रोत्साहन । सह।
होना, जुड़ना । ३४ नवीन संबंध होना । ३५ देखो बढ़िया-वि० १ रूप-रंग के अनुसार सुन्दर, अच्छा । २ गुण व | 'बुणगौ' (बी)। स्वभाव से उच्च, उतम श्रेष्ठ । ३ जाति से उच्च।
| बणत-पु. १ मेल-जोल, प्रेम । २ बुनने की क्रिया या भाव । बढ़ोतरी-स्त्री. १ बढ़ने की क्रिया या भाव । २ उत्तरोत्तर होने
३ बुनने का ढंग, बुनावट । ४ बनावट । वाली वृद्धि । ३ उन्नति, तरक्की। ४ व्यापारिक लाभ ।
बणयांणी-देखो वणियांखी' । ५ वार्षिक वेतन वृद्धि । ६ वंश या संतान वृद्धि । ७ पोषण।।
बणरांम-देखो 'बळरांम'। ८ कटने की क्रिया ।९ प्राय या जमा पूजी की वृद्धि ।
बणराई,बणराइ (६),बणराज (राब, राय,राब)-देखो'वनराज' । वण-१ देखो 'वन' । २ देखो 'वण' । ३ देखो 'वणी'।
बणसटी-देखो 'वणस्टी'। बणक-देखो 'वणिक' । बणकर-देखो 'बुनकर' ।
बरपाई-१ देखो 'वणत' । २ देखो 'बुणाई'। बरणखंड-देखो 'वनखंड' ।
बणाक-वि० [सं० वननम्] १ किसी वस्तु को बनाने वाला, बणचर-देखो 'वनचर'।
निर्माता। २ निर्माण कार्य में दक्ष । ३ बुनाई करने वाला। बरज-१ देखो 'विणज' । २ देखो 'वाणिज्य' ।
-पु० १ एक पक्षी विशेष । २ देखो "विनायक' । बरगजरणी (बी)-देखो 'विरजणी' (बी)।
बरणारणी (बी)-क्रि० १ विभिन्न वस्तुओं, तत्त्वों, संसाधनों से बणजार-देखो 'बिणजार' ।
कोई चीज तैयार करना । बनाना, अस्तित्व में लाना । बणजारक, बणजारौ-देखो 'बिणजारौ' ।
२ कोई वस्तु उपयोग की दशा में लाना। ३ नवीन रूप में बणठण-स्त्री. १ सुसज्जित होने की क्रिया या भाव ।
परिवर्तित करना। ४ किसी पद पर प्रासीन करना ।
५ नियुक्त करना । ६ अभिनय या बनावटी प्राचरण के २ सुसज्जित होने की सामग्री।
लिये तैयार करना । ७ अपनी स्थिति को बनाये रखना । बणण-स्त्री० ध्वनि विशेष ।
८ मेल-जोल कराना, संबंध या सम्पर्क कराना, पटवाना । बमणी (बौ)-क्रि० [सं० वननम्] १ विभिन्न वस्तुओं, तत्त्वों, ६ भाव या संबंध बदलाना । १० झगड़े की स्थिति लाना,
संसाधनों से कोई चीज तैयार होना, बनना, अस्तित्व में ठनाना। ११ किसी विशेष अवस्था या दशा में करना । माना । २ कोई वस्तु उपयोग की स्थिति में आना । १२ बेवकूफ बनाना। १३ ठगना, धोखे में लेना। मति ३ नवीन रूप में परिवर्तित होना । ४ किसी पद पर प्रासीन भ्रमित करना। १४ सुधरी या संतोषजनक दशा में लाना । होना । ५ नियुक्त होना । ६ असलियत छिपाने हेतु कुछ १५ अभिनय या भूमिका कराना । १६ प्राविष्कार करना । विशेष अभिनय, प्राचरण या व्यवहार करना । ७ विषम १७ कार्य संपन्न करना, पूर्ण करना । १८ अवसर देना। परिस्थितियों का सामना करते हुए अपनी स्थिति बनाये | मौका देना । १९ लक्ष्य सिद्ध कराना । २० वश चलाना । रखना । ८ मेल-जोल होना, संबंध या सम्पर्क होना, पटना। २१ संभव करना। २२ स्थिति को बिगड़ने से बचाना। ९ भाव या संबंध बदलना । १० झगड़े की स्थिति माना, | २३ अप्रत्यासित योग बनाना । २४ कहीं पर कुछ बनाना। ठनना । ११ किसी विशेष अवस्था या दशा में होना । २५ निर्मित, चित्रित या अंकित करना । २६ सजाना। १२ बेवकूफी या हास्यास्पद अवस्था में होना । १३ ठगी २७ करना। २८ ढोंग कराना । २९ व्यापारिक लाभ
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