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. बोळी
( २५४ )
बौताज
वोळौ -वि॰ [सं० बधिर (स्त्री० बोळी) १ जिसकी श्रवणे- बोहत-देखो 'बहुत' ।
न्द्रिपां बेकार हों, जो सुन नहीं सकता हो, बहग । २ जो | बोहतर-देखो 'बोत्तर'। सुनने के लिये तैयार न हो, सुनने में ध्यान न हो।। बोहदोगी-वि० [सं० बहु-दीप्ति] प्राभा और कान्ति से भरपूर । ३ जिसका स्वर या ध्वनि समाप्त हो गया हो । ४ ऊचा बोहनामी-देखो 'बहुनामी' । या कम सुनने वाला । -पु. चर्मकार ।
बोहरगी-देखो 'बहुरगी'। बोलो-१ वि० बोलने वाला, वाचाल । २ चुप, शांत, खामोश । बोहरा-पु० १ बावरी । २ एक वर्ग विशेष । बोळौधोनर बोळोघौन-वि० बिल्कुल बहरा ।
बोहराळ-पु० एक प्रकार का घोड़ा । बोलो बोली क्रि० वि० १ शांति से, चुपचाप । २ बिना बोले | बोहरूपी-स्त्री. १ पृथ्वी, भूमि । २ लक्ष्मी । ३ देखो 'बहुरूपी' । या कोई खटका या अावाज किये।
| बोहरौ-देखो 'वो'गे'। बोल्लाह-पु. वह घोड़ा जिसकी अयाल व पूछ के बाल | बोहळ-पृ० १ तलवार की धार में की जाने वाली स्नान । सपेट हों।
२ देखो बोहळ'। बोवड़-पु. एक पक्षी विशेष ।
बोहळ गो (बी)-क्रि० १ तलवार की धार में स्नान करना, बोवणी-श्री० [सं० वपनी] १ दुकान लगाने या खुलने पर नहाना । वीर गति प्राप्त होना। २ युद्ध करना । ३ देखो
सर्वप्रथम की गई बिक्री या सौदा । २ प्रथम सौदा। ३ सर्व | 'बोळ गौ' (बी) । ४ देखो 'बौळगो' (बो)। प्रथम की प्राय । ४ कारिंभ, शुरूपात । ५ बोने की बोहळा (बौ)-कि० १ तलवार की धारा में स्नान कराना, क्रिया या भाव।
वीर गति प्राप्त कराना । २ देखो 'बौळाणो' (बौ) बोवणी (बी)-क्रि० सं० वपनम्] १ फसल के लिये बोवाई | बोहलियौ १ देखो 'बैल' । २ देखो 'बौळियौ' ।
करना, अनाज आदि खेत या किसी जगह डालना, बोना । | बोहळा 'बैल' । २ व्यर्थ गमाना, निरर्थक व्यय करना। बरबाद करना । बोहळो देखो 'बोळो' । (त्री बोहळी) ३ डुबाना । ४ पतन करना, गिराना। ५ नुकसान या | बोहा - खो 'बहुत' । हानि पहुंचाना । ६ दुःखी करना।
बोहि बोहित, बोहिति, बोहित्थ, बोहिथ-स्त्री० [सं० वहित] बोवारणी (बों), बोवावणौ (बौ)-क्रि० १ फसल के लिये बोवाई | नाव, जहाज, बेड़ा ।
कराना, बोवाना । २ व्यर्थ गमवाना, बरबाद कराना । | बोहिथस्वांभी-पु० [सं० वहिव-वामी] विष्णु का एक नाम । ३ डुबवाना । ४ पतन कराना, गिरवाना । ५ नुकसान या | बोही-देखो 'वोही' । हानि कराना। ६ दुःखी कराना।
बाहोत-देखो बहुत' । बोसरारणौ (बौ), बोसिराणी (बी)-देखो "विसराणो' (बौ)। बोहोनांमी-देखो ‘बहुनामी' । बोसो-पु० चुम्बन।
बोहोळी, बोहोलो-देखो 'बोळो' । बोह-स्त्री० [फा० बू] १ सुगंध, महक, सौरभ । २ गंध । बोहो- देखो ‘बहुत' ।
३ दुर्गन्ध । ४ प्रवाह, धारा । ५ बौछार । ६ वृद्धि, बढ़ोतरी | बौ'- अव्य० अरे रे । ७ समूह, शुड । ८ बहुत. अधिक, प्रचुर । ६ प्रहार, चोट । | बौ-सर्व० वह, उस । -पु० जुलाहों का एक उपकरण । १० कौशल । ११ उत्साह, ग्रानन्द, चाव । १२ संपुट, पुट, | बौखो देखो 'बोखौ' । लेपन । १३ भाले या बरछो की लंबाई के बराबर का न.प।
बौड़-पु० तेज अंगारा। १४ देखो 'बोध'।
बौछर डौ- देखो 'बोछड़ो'। बोहड़-देखो 'बावड़'। बोहडपो (बौ)-देखो 'बहोडणौ' (बौ) ।
बौछाड़, बौछार, बौछाळ -स्त्री० [सं० वायुछटा] १ वर्षा, बोहडाणी (बो)-देखो 'बहोड़ाणी' (बौ)।
बारिस । २ लगातार गिरने, पड़ने या चलने की क्रिया। बोहछाड़-देखो 'बौछाड़।
३ वर्षा की झड़ी। ४ तीव्र प्रवाह, प्रपात । ५ निरन्तर बोहजूझी, बोह मूझौ-वि० अधिक युद्ध करने वाला, युद्धप्रिय ।
चलने वाला सिलसिला, क्रम । ६ व्यंग, ताना, कटाक्ष । बोहडडीय-वि० १ जो बहुतों को दण्ड दे चुका हो । २ अधिक
वार । ७ तरंग, लहर, वेग । - दण्ड देने वाला । ३ जिसको अधिक दण्ड मिला हो।
बौडी-स्त्री० हाथ में रखने का डंडा । बोहडपो (बी)-देखो 'बहोड़णो' (बी)।
बौत-देखो 'बहुत'। बोहणी (बी)-देखो 'बोधणी' (बौ) ।
! बौताज, बौतायत-देखो 'बहुतायत' ।
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