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पाकीर
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( ५३ )
बल, सामर्थ्यं । २ जीव, प्राण । ३ पानी, जल । ४ प्रभाव, प्रताप । ५ प्ररण । ६ करवट, बगल । ७ जूती । ८ कारण, हेतु । ६ मर्यादा, प्रतिष्ठा । १० शस्त्रादि की धार ११ चमक । १२ कपड़े में लगाई जाने वाली मांड । १३ खड़ी पाई । १४ तुष्टि, संतुष्टि । १५ मान । १६ सिंचाई | क्रि०वि० [सं० प्राण] १ ही । २ तुरन्त, शीघ्र ३ देखो 'पांणि' ।
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पांणकोर, पांणको पु०बिना धोया, कलप या मांड वाला वस्त्र पांणगौ, पांग-पु० [सं० पान:] १ गांव में पीने के पानी का कुप्रा । २ शराब आदि की गोष्ठी ।
पणदेखो 'पाणिग्रहण'
पांरणव- देखो 'पाणी' । पांरणधर - वि० [सं० प्राणधारिन्] १ शक्तिशाली, बलवान । २ प्राणवान, जीवधारी । पांरणप- देखो 'पाणिप' ।
पांणपखो - पु० घीया पत्थर ।
पणिपुत्र पु० [सं० पानी पुष्य ] पानी पिलाने का पुष्प पांचही देखो 'नहीं'।
पांसि पु० [० पाणि] १ कर हाय २ देखो 'पण' । २ देखो 'पाणी'। देखो''।
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पाणिग्रहण पु० [सं० पाणिग्रहण] विवाह शादी वर द्वारा कन्या का हाथ थाम कर ग्रहण करने की क्रिया ।
पणिणि पाणिन, पांचिनि० [सं० पाणिनि] संस्कृतव्याकरण के प्रख्यात विद्वान् ।
पाणिनीय वि० [सं० पाणिनीय] पाणिनि का बनाया हुया । पाणिप ० १ शक्ति बल सामर्थ्य २ प्रतिष्ठा, मान
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३ कांति, आभा ।
ग्रहण देख परिग्रहण' ।
पांरण - पु० १ एक प्रकार का छंद । २ देखो 'पाणी' ।
पांणत
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पण स्त्री० [सं० पानीयकृत्य ] १ फसल की सिंचाई करना, पांगेची (डी) वि० १ पानी की पानी संबंधी २ पूर्वओं की पुश्तंनी स्वी० पानी के पात्र रखने की जगह परींडा
क्यारियां पाना । २ उक्त कार्य की मजदूरी ।
पांगतियों, पांगती पु० सिचाई करने वाला क्यारियां पाने पाचीधरा स्त्री० पूर्वजों की भूमि
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वाला व्यक्ति ।
पाणिपीड़ - पु० पाणिग्रहण । पांणी - पु० [सं० पानीय] १ जल, पानी । २ शक्ति, बल, सामर्थ्य | ३ चमक, कांति । ४ तेज, ग्रोज । ५ वीर्य । ६ यांसू । ७ इज्जत, प्रतिष्ठा ८ स्वाभिमान । देखो 'पांरिण' । १० किसी पदार्थ का द्रवीय भाग ।
| पांणीहड, पांणीहल- पु० मुक्ता, मोती । पांणीहारी देखो 'पणिहार' ।
पाणीड़ी देखो 'पाणी' ।
पांणीजरो, पांणीझरी- पु० एक प्रकार का यांत्रिक ज्वर । पालीजीबी पु० [सं० पानीयजीव] १ कछुवा, कच्छप २ जल
के जीव ।
पांणीपंथ- देखो 'पांणीपत' ।
पांणीपथौ पु० एक जाति विशेष का घोड़ा ।
पांणीपत, पांणीपथ पु० [सं० पानीपत] दिल्ली के प्रास-पास का एक प्राचीन प्रदेश जहां पर इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुए थे। पी० मृतक के परिवार वालों को बस जल ग्रहण कराने की प्रथा ।
पांणीबाड़ी पु० दाह संस्कार के बाद स्नानादि कर मंजलि देने की क्रिया ।
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पाण- वि० शक्तिशाली, समर्थ । क्रि० वि० लिए, वास्ते, निमित्त देखो 'पा'
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पांनकराड़
पाली-१ देखो 'पौ' २ देवो 'पांण' ।
पांत १ देखी 'पंक्ति'
२ देखो 'पती' |
पांतर, पांतरण स्त्री०
१ विस्मरण, भूल । २ स्याग ।
३ पागलपन |
पांतरण (ब) ० १ छोड़ना, त्यागना। २ भूलना, विस्मृत होना। ३ बुद्धिहीन होना, पागल पन करना । ४ धोखा खाना । पांतरी देखो 'पांतर' ।
पांति-१ देखो 'पांती' २ देखो 'पंक्ति' । पांतिग- देखो 'पातक' ।
पांतोटो, पांती, परियो-देखो 'पांतियों' । पांथो (बौ) - देखो ' पहुंचणी' (बी) ।
पांतियों- पु० [सं० पंक्ति] भोजन के लिये पंक्ति बद्ध बैठाने के लिये बिछाने का लंबा वस्त्र ।
पांती - स्त्री० [सं० पंक्ति] १ हिस्सा, भाग । २ देखो 'पंक्ति' । - बार० हिस्सेदार, भागीदार -बार वि० हिस्से के अनुसार ।
पांन० [सं० पर्णम् ] १ पत्ता पत्र २ कत्था, चुना व सुपारी के
साथ खाने का नागर बेल का पत्ता, ताम्बूल । ३ इसी पान के प्रकार का कोई प्राभूषण या उपकरण । ४ तमाखू | [सं० पा] ५ पीना क्रिया । खान-पान । [सं० पान:] ६ नगाड़ा । ७ सर्प, सांप । ८ ताश का लाल रंग, पान का पत्ता । ९ स्त्रियों के कान का प्रभवा । १० फौलाद की बनी पत्ती ।
पनिक स्त्री० [सं० पानकम्] पेय पदार्थ
पांनकराड़ - पु० शराब का व्यापारी, कलाल ।
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