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पुसटो
(
८९
)
पुस्तैन
बहुत ।
पुसटी-देखो 'पुस्टी'।
पुस्करमूळ-पु. एक प्रकार की वनस्पती जिसकी जड़ पौषध में पुसटीमत (मारग)-देखो 'पुस्टीमारग'।
काम पाती है। पुसतक-देखो 'पस्तक'।
पुस्करबरत-पु० [सं० पुष्करावर्तक) मेघों का एक विशेष पुसप-देखो 'पुस्प'।
अधिपति। पुसपकरंड-पु० [सं० पुष्पकरंडक] १ फूल रखने की डलिया। पुस्करी-पु० [सं० पुष्करिन्] हाथी, गज । २ उज्जयिनी के शिवोद्यान का नाम ।
पुस्कळ-वि० [सं० पुष्कल] १ विपुल, पर्याप्त । २ अत्यधिक, पुसपकाळ-पु० [सं० पुष्पकाल] वसंत ऋतु । पुसपकीट-पु० [सं० पुष्पकीट] भ्रमर, भौंरा ।
पुस्ट-वि० [सं० पुष्ट] १ पोषित, पाला हुमा। २ हृष्ट-पुष्ट, पुसपकेतु-पु० [सं० पुष्पकेतु] कामदेव ।
मोटा-ताजा। ३ सम्पन्न, पूर्ण सम्पन्न । ४ बल बद्धक, पुसपगंध-पु० [सं० पुष्पगंध] १ भौंरा, भ्रमर । २ जूही।
पौष्टिक । ५ पूर्ण, पूग । ६ पक्का । पुसपधनाव-देखो 'पुस्पधन्वा'
पुस्टता, पुस्टाई-स्त्री० पुष्ट होने की अवस्था या भाव । पुसपधनु-देखो ‘पुस्पधनु'।
पुस्टि-स्त्री० [सं० पुष्टि] १ पोषण । २ बलिष्ठता । ३ मोटाई, पुसपनक्षत-देखो 'पुस्पनक्षत्र' ।
मुटापा । ४ वृद्धि, पूर्णता । ५ समर्थन, पक्कापन । पुसपपुर-देखो 'पुस्पपुर'।
६ निश्चय । ७ सोलह मात्रामों में से एक । -कर-वि. पुसपबांण-देखो 'पुस्पारण' ।
बलवर्द्धक, पौष्टिक । पुष्ट करने वाला । पुसपमाळ. पुसपमाळा-देखो 'पुस्पमाळा'।
-करण-वि० बल वर्द्धक । पुसपरस-पु० [सं० पुष्परस] १ पुष्प पराग, मकरंद । २ शहद । पुस्टिमत, पुस्टिमारग-पु० [सं० पुष्टिमत, मार्ग] वल्लभाचार्य ३ भौंरा।
| के मतानुसार वैष्णव भक्ति मार्ग । पुसपवाटिका-देखो 'पुस्पवाटिका'।
पुस्तंग-पु० [फा० पुश्त-सं० अंग] १ घोड़े के पिछले पैरों का पुसपनस्टी-स्त्री० [सं० पुष्पवृष्टि] फूलों की वर्षा, कहीं पर फूल ऊपरी भाग । २ घोड़े के पिछले पैरों में होने वाला एक बरसाने का कार्य।
रोग । ३ घोड़े की पीठ के नीचे रहने वाला पट्टा। पुसपसर-पु० [सं० पुष्पसर] कामदेव ।
पुस्त-स्त्री० [फा० पुश्त] १ पृष्ठ भाग, पृष्ठ, पीछा। २ किसी पुसबन-देखो 'पुस्प'।
प्राणी की पीठ। ३ वंशक्रम या प्रायुक्रम से होने वाली पुसरी-पु० रक्त, खून ।
पीढ़ी, पीढ़ी क्रम से होनेवाला प्राणी समूह । ४ लेपन, पुसळाई-स्त्री० द्वार पर लगी लकड़ी की चौखट ।
प्लास्टर । ५ मिट्टी खोदने का कार्य। ६ पुस्तक। ७ हाथ
की लिखी पुस्तक । ८ देखो 'पुस्ती'। पुसळी-देखो 'पुसी'।
पुस्तक-स्त्री० [सं०] १ कोई ग्रंथ, किताब । २ कागजों की पुसाणो (बो)-देखो 'पोसारणी' (बो)।
बंधी हुई जिल्द । ३ घोड़े की दुलती, पिछले पैरों का पुसी-स्त्री० [सं०प्रसर] १ दोने की तरह बनाई गई हथेली की प्राघात । --प्रकास-पु० पुस्तकों का संग्रहालय, पुस्तकालय । मुद्रा। २ उक्त मुद्रा में प्राने लायक वस्तु ।
- साळ-स्त्री० पुस्तकालय । पुस्कर-पु० [सं० पुष्कर] १ जल, पानी। २ कमल। ३ नील पुस्तकाकार-वि० [सं०] पुस्तक के प्राकार में, पुस्तक के रूप में।
कमल । ४ तालाब, सरोवर। ५ प्राकाश, अंतरिक्ष । | पुस्तकालय-पु० [स०] पुस्तकों का संग्रहालय । लाईब्ररी। ६ तलवार की धार । ७ तलवार । ८ तलवार की म्यान । | पुस्तखार-पु० [फा० पुश्तखार] पशुओं की पीठ खुजलाने का ९ तीर, बाण। १० हाथी की जिह्वा का अग्रभाग ।
| लोहे का उपकरण। ११ हाथी की सूड का अग्र भाग। १२ युद्ध, लडाई। | पुस्तग- १ देखो 'पुस्तंग'। २ देखो 'पुस्तक' । १३ सर्प विशेष । १४ विष्णु का एक नाम । १५ शिव । पुस्तनामी-पु० [फा० पुश्त-सं० नाम्न] वंशावली, वंगक्रम । १६ सूर्य, भानु । १७ भग्नपाद नक्षत्र का एक अशुभ योग।। पुस्तबंद, पुस्तबंध-स्त्री० [फा० पुश्त-संबंध] पुश्ते की बंधाई, १८ ढोल की चाम, चर्म । १९ ढोलक का मुख । पुश्ता उठाने की क्रिया। २० अनावृष्टि सूचक बादल । २१ ब्रह्माण्ड के सात विशाल पुस्ती-स्त्री० [फा०] १ जलाघात प्रादि से दीवार या बांध की भागों में से एक । २२ अजमेर के पास का एक तीर्थ । सुरक्षा हेतु मिट्टी प्रादि का दिया जाने वाला सहारा । २३ पीले और बादामी रंग का मृग विशेष । -वि० | २ पालण-पोषण । ३ सहायता-मदद । ४ मजबूती, दृढ़ता । कोमल *। -नाम-पु. विष्णु ।
| पुस्तैन-स्त्री० वंशक्रम, वंशपरंपरा, पीढ़ी ।
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