________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
www.kobatirth.org
भ्रांति
( ३०८ )
मंगळ
भ्रांति, भ्रांती-स्त्री० [सं० मांति] १ भ्रम, धोखा । २ संदेह, भ्रातीज, भ्रातीजी, धात्रीज, . प्रात्रीजो-देखो 'भतीजो'।
शक । ३ मूल-चूक । ४ घबराहट, परेशानी। ५ मोह। (स्त्री० भ्रातीजी, भ्रात्रीजी) ।
६ प्रमाद । ७ चक्कर, फेरा । ८ एक काव्यालंकार । भ्रासड-स्त्री० भड़भूजे की भट्टी । भ्रांतिजथा-स्त्री० डिंगल का एक अलंकार ।
निंगी-देखो 'भ्रगी'। भ्रांमक-वि० [सं० भ्रामक] १ भ्रम, भुलावे या संशय में रखने | भ्रिकुट, भ्रिगुट-देखो 'भ्रकुटि'।
वाला भ्रमित करने वाला । २ धोखे में रखने वाला । भ्रिगुरिसी-देखो 'भ्रगु' । ३ धूर्त, चालाक । ४ घुमाने वाला।
भ्रिगुलता घिगुलात-स्त्री० विष्णु की छाती पर भृगु ऋषि की भ्रांमणी (बी)-देखो 'भ्रमणो' (बी)।
___ लात का चिह्न। प्रांमर, ग्रामरी-पु. १ दोहे का एक भेद । २ गोला, वृत्त । | भ्रित-स्त्री. १ कोयल । २ देखो 'प्रत्य' ।
परिक्रमा, भांवरी। ४ घूमर नृत्य । -वि० भ्रमर-संबंधी। भ्रिहम-१ देखो 'ब्रह्मा' । २ देखो 'ब्रह्म' । भ्रांमी-स्त्री० १ ब्राह्मण की स्त्री, ब्राह्मणी । २ एक प्रकार का | ब्रह.भ्र-देखो 'भ्र'। गाथा छंद । ३ देखो 'ब्राह्मी' ।
भ्रूण-देखो 'भ्रूण' । भ्राजक-पु० [सं० म्राजकं] स्वचा में स्थित पित्त ।
भ्रूह, धू, भ्रम, भ्रमावळ-पु० [सं०] प्रांख के ऊपर के धनुषा भाजणी (बो)-क्रि० शोभित होना।
कार बाल, भौंह । भ्रकुटि ।
भ्रूज-पु० [सं० प्रणः] १ स्त्री का गर्भ । २ गर्भस्थ शिशु । भ्रात-पु० [सं० भ्रातृ] भाई, सहोदर।।
'-हत्या-स्त्री० गर्भस्थ शिशु की हत्या । गर्भपात कराना। भ्रातविजेसर-पु० श्रीकृष्ण के भाई, बलराम ।
भ्रू भंग-पु० [सं०] तिरछी भ्रकुटि, चढ़े हुए तेवर । भ्राता-पु० [सं० भ्रातृ] १ भाई, सहोदर । २ सगा, संबंधी।
5 विक्षप-पु. टेढ़ी भ्रकुटि की दशा, क्रोधावस्था । भ्रातालछी-पु० [सं० लक्ष्मी-नाता] चन्द्रमा, शशि ।
बृह, मोह, चौह-देखो 'भ्रू'।
म-कदेवनागरी वर्णमाला के 'प' वर्ग का अंतिम वर्ण। मंगत-१ देखो 'मांगत' । २ देखो 'मंगती'। मं-पु. १ मंगलग्रह । २ दुष्ट । ३ गुड़ । ४ मिलन । ५ सुदर। मंगतराय-पु० याचकों का सरदार, याचकों में अग्रणी।
६ रूप । ७ मंगलगीत । ८ उत्सव । ६ देखो 'म'। मंगतवाड़, मंगतवेड़-पु० याचकों का दल ।। मंड-१ देखो 'म्हें । २ देखो ‘में' । ३ देखो 'मय'।
मंगताई-स्त्री. १ मांगने की क्रिया या भाव। २ दीनता व मकड़-१ देखो 'मकड़ो' । २ देखो 'मांकण'।
हीनता का भाव । ३ नीचता । ४ भिक्ष क जैसी हरकतें। मकू-पु० [सं० मंक] गति की शीघ्रता, तेजी, वेग।
मंगतो-पु. (स्त्री० मंगतरण, मंगती) भिखारी, याचक । महो-देखो 'मकड़ों'। मंख, मंत्र-पु० १ चित्रपट दिखाकर निर्वाह करने वाली भिक्ष.
| मंगन-देखो 'मग्न'। जाति । २ देखो 'मख' । ३ देखो मकू' ।
| मंगनी-स्त्री. १ मांगने की क्रिया या भाव । २ मांग कर ली मंग-पु० [सं० मृग] १ सिंह, वनराज । २ देखो 'मांग' । ३ देखो
जाने वाली वस्तु । ३ लड़के-लड़की का वैवाहिक संबंध, 'मारग'। -
सगाई। । मंगजण-देखो 'मांगरण'।
मंगर, मंगरो-१ देखो मगर'। २ देखो 'मगरों'। मंगजाई-देखो 'मगजाई।
मंगळ-वि० [सं० मंगल] १ शुभ, सौभाग्यमय। २ समृद्धिवान । मंगण-देखो 'मांगण'।
३ लाभप्रद । ४ वीर, बहादुर । ५ बंद । -पु. १ कुशल मंगरिष (ली)-देखो 'मंगनी' ।
क्षेम, हित, कल्याण। २ समृद्धि, खुशहाली । ३ हर्ष, मंगसी (बो)-देखो 'मांगणी' (बी) ।
प्रसन्नता, मानन्द । ४ शुभ कार्य । ५ प्रत्येक सप्ताह का
For Private And Personal Use Only