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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिटरो ( ७८२ ) सितिरि सिटगो (बी)-क्रि. १ निर्बल होना, कमजोर होना । २ हताश | सित-वि० [सं० सित] १ श्वेत, सफेद । २ निर्मल, स्वच्छ । या निराश होना । ३ लज्जित या शर्मिन्दा होना। ३ बंधा हुपा । ४ सम्पूर्ण, पूर्ण। [सं० शित] ५ तीक्ष्ण, सिटपिटारणी (बी)-क्रि० किंकर्तव्य विमूढ़ होना। २ असमंजस | तेज। -पु० [सं० सितः] १ शुक्ल पक्ष । २ शुक्र ग्रह । में पड़ना । ३ घबराजाना। ४ दब जाना । ३ शुक्राचार्य । ४ वासुकी। ५ किरण। ६ रजत, चांदी। सिटळ (लो)-वि. (स्त्री० सिटळी) १ पथ भ्रष्ट, पतित। ७ पंडित । २अविश्वसनीय । ३ निर्लज्ज । ४ जो बात पर कायम न रहे। सितकठ-पु० [सं० शितिकंठ] शिव, महादेव । -वि. सफेद सिहाणी (बी), सिटावणो (बी)-१ क्रि० पराजित करना। कंठ या गर्दन वाला । २ लज्जित या शमिन्दा करना । ३ दबाव डालना, दबाना। | सितछद-पु० [स० सितम्छद] हंस । ४ देखो 'सिटणो' (बो)। ५ देखो 'सटाणी' (बो)। सिततुरंग-पु० [सं० श्वेततुरंग] अर्जुन । सिटी-१ देखो 'सीटी' । २ देखो 'सिटौ । सितपक्ख सितपक्खि, सितपक्ष, सितपख-पु० [सं० सितपक्ष] सिटेबाज-वि० १ धोखेबाज, कपटी। २ व्यर्थ मोटी-मोटी बातें | शुक्ल पक्ष। ___ करने वाला। सितपत्र-पु० [सं० श्वेतपत्र] श्वेत कमल । सिटो, सिट्रो-पु० [सं० षष्टिक] १ बाजरी, ज्वार भादि का सितम-वि० [फा०] जोरदार, गजब, प्रभुत। -पु० प्रत्याचार, भुट्टा । २ धोखा, झांसा। अनीति, जुल्म, हठ। -गर-वि० जालिम, अत्याचारी। सिडवाणी-स्त्री. लकडी का डंडा जो बैलगाड़ी या छकड़े में | सितमणि-स्त्री० [सं०] स्फटिक मणि, बिल्लौर । 'जंक' की तरह काम माता है। सितरग-स्त्री. रामबेलि नामक लता । सिणंकरणी (बी), सिरणकरणी (बी)-क्रि० नाक से गंदा पानी सितर, सितर-देखो "सित्तर'। . निकालना, नाक साफ करना । सितांबर-देखो 'स्वेतांबर'। सिण-स्त्री० एक प्रकार की घास। सितांसु-पु० [सं० सिताशु] १ चन्द्रमा। २ कपूर । सिणगार-पु० [सं० शृगार] १ वस्त्र, कपड़ा । २ भाभूषण, सिता-स्त्री० [सं०] १ मिश्री। २ चीनी, शक्कर । ३ शराब, - गहना । ३ एक छन्द विशेष । ४ देखो 'नगार'। मदिरा । ४ सफेद दूब । ५ प्रकाश, रोशनी । ६ सुन्दर स्त्री। सिणगारचौको-स्त्री०१ राज्याभिषेक से पूर्व राजा के शगार के | सिनाब, सिताबी-वि० तीव्र, तेज। -क्रि०वि० [फा० शिताब] लिये बैठने की चौकी । २ राजदरबार के समय राजा के | शीघ्र जल्दी। बैठने का प्रासन । ३ शृगार करने का स्थान । सितार-पु० [फा० सेहतार] एक प्रसिद्ध तार वाद्य ।-बाज, सिणगारण-वि० शृगार करने या कराने वालो। वादक -वि० सितार बजाने वाला, सितार बजाने में दक्ष । सिणगारणो (बो)-क्रि० [सं० श गारणम्] १ सुशोभित करना, | सितारपेसांणो-पु० [फा० सितार: पेशानी] प्रशुभ चिह्न वाला सजाना । २ अस्त्र-शस्त्रों से सज्जित करना। ३ शगार| एक घोड़ा। करना, शृगारना। सितारियो-पु० सितार बजाने वाला व्यक्ति। सिणगारपटी-स्त्री० [स० श गारपट्टिका] स्त्रियों के शिर का | सितारो-पु० [फा० सितारः] १ तारा, नक्षत्र । २ भाग्य, एक प्राभूषण विशेष । किस्मत । सिरणतर, सिरणतरी-स्त्री. धरती पर छितरने वाली एक घास सितावडी-स्त्री०. एक प्रकार का पौधा विशेष ।। विशेष । शखपुष्पी। सितासित-पु० [सं० मित-प्रसित] बलराम । सिणतरी-पु. राजस्थान में पाया जाने वाला एक संतुदार क्षुप । सितास्व-पु० [सं० सिताश्व] . १ अर्जुन का एक नाम । सिरफिरण-स्त्री० धीरे-धीरे निरन्तर होने वाली वर्षा, झडी।। २ चन्द्रमा। सिरणमिणी, सिरणमिणो-वि० (स्त्री० सिणमिणी) उदास, | सिति-देखो "सित'। खिन्न चित्त । रूग्ण। सितिकंठ-देखो "सितकंठ' । सिरिणयो-देखो 'सिपतरौं' । सितियासिमौ (यो), सितियासियो-वि० छियासी के बाद वाला। सित-देखो "सित'। -पु० सत्तासी का वर्ष । सितंग-वि०१ पागल, मूर्ख । २ सनको । सितियासी, सितियासी-वि० [सं० सप्ताशीति] पस्सी भोर सितंतर-वि० [सं० सप्तसप्तति] सत्तर व सात, सतहत्तर ।-पु० | सात के योग के समान । -पु. ८७ का अंक सत्तर व सात को संख्या, ७७ । सितियासोक-वि० सत्तासी के लगभग । सितंतरी-पु० सतहत्तर की संख्या का वर्ष । सितिरि-देखो 'सत्तर'। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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