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बांटो
( १९४ )
बांदरमाळ
बांटौ-पु० [सं०वट] १ बांटने की क्रिया या भाव । २ विभाजित | बांणपति (पती, पत्ती)-पु० [सं० बाण-पति] १ महादेव, शिव।
अंश या हिस्सा । ३ जागीरदार को दिया जाने वाला | २ धनुर्धर । उपज का भाग । ४ मवेशियों को खिलाने की खाद्य | बांरणप्रस्थ-देखो 'वानप्रस्थ' । सामग्री विशेष । ५ खलिहान में रखा कटी फसल का बाणभट्ट-पु० [सं०] संस्कृत का एक प्रसिद्ध कवि । गोलाकार ढेर ।
बांरणमौ (बौं)-वि० इकराणु के बाद वाला, बानवे के स्थान बांठ-स्त्री०१ बध्या बकरी । २ मादा सूपर । ३ देखो 'बांटकौ'। वाला । -पु० वानवे की संख्या का वर्ष । ठको (डो)-देखो 'बांटको' ।
बाणाध-पु. सूर्य। बांठौ-पु. कच्चे मकानों की छाजन में काम आने वाला क्षुप । बांरणारसि, बाणारसी-१देखो वाराणसी' । २ देखो 'बनारसी' । बांडकी-देखो 'बांडी'।
बांणाळ (ळो)-१ देखो 'बाण' । २ देखो 'बांणावळी' । बांडपांसू, बांडपाही-पू० [सं० वंड+पार्श्व] वह बल जिसके | बाणाव-देखो 'बरणाव' । अन्तवाली पसली छोटी हो।
बांणावती-स्त्री० [सं० बाणावती] दैत्यराज बाणासुर की पत्नी बांडा-स्त्री० कुम्हारों की एक जाति विशेष ।
का नाम । बांराई-स्त्री० १ शरारत, बदमाशी । २ चालाकी, धूर्तता। बाणाळि, बांरणावळी-वि० [सं० बाणावली] जो धनुविद्या बांडाबीज-स्त्री० अक्षय तृतीया के पूर्व की तिथि ।
में प्रवीण या दक्ष हो । कुशल धनुर्धर । -स्त्री० तीरों की बांडियौ-पु. १ एक प्रकार का छोटी बांह का अंगरखा ।। कतार या बौछार । २ देखो 'बांडो'।
बाणास-स्त्री० [सं० बाण] १ तलवार, खड्ग । २ धनुष । बांडी-स्त्री. १ सर्प विशेष । २ राजस्थान के दक्षिण एवं पूर्व बाणासरण, बाणासणी-पु० [सं० बाणासनं] धनुष, कमान । ___ में बहने वाली दो नदियां । ३ देखो 'बांडो' (स्त्री)। बारणासि-देखो 'बांणास' । बांडेरू--पु० [देश॰] १ 'पाई-माता के भक्त 'सीरवी' । २ देखो बाणासुर-पु० [सं० बारण-असुर] राजा बलि का बड़ा पुत्र ।
सहस्रबाहै। बोडी-वि० [सं० वंड] (स्त्री० बांडी) १ कटे हए 'छ का । बारिण-१ देखो 'वाणी' । २ देखो 'बाण'।
२ उदण्ड बदमाश उत्पाती।-५०१ कटी छका | बांरिणक-१ देखो 'वारणक' । २ देखो 'वणिक' । पशु । २ सुन्नी मुसलमान । ३ बांडा जाति का कुम्हार । |
बारिणयौ-देखों 'वरिणक' । बांदो-देखो 'वांढ़ो'।
बाणी-देखो 'वाणी'।। बांण-वि० चतुर, दक्ष, निपुण । -पु० [सं० बाण] १ तीर
बाण, बारण -वि० [सं० द्विनवतिः] नब्बे और दो। बानवे ।
| -पु० १ नब्बे व दो की संख्या, ९२ । २ देखो 'बांगण' । नामक शस्त्र, सायक, शर । २ तीर का अग्र भाग ।
बाणमौ (वौं)-देखो ‘बांणवो' । ३ निशाना, लक्ष्य । ४ बारूद से छोड़ने का उपकरण ।
बारणेत, बांणत-देखो 'बांनेत' । ५ गाय का स्तन । ६ स्वर्ग । ७ बल । ८ पुत्र, सुत । ९चारण। १० बाणभट्ट । ११ बाणासुर । १२ ध्यान,
बांरणी-पु. एक प्रकार की मोटे दाने की रेत । लगन । १३ महादेव । १४ स्वभाव, प्रकृति । १५ मर्यादा,
| बांय-देखो 'बाथ'। मान । १५ जोर से चिल्लाने की आवाज, रोने की आवाज। बांब-स्त्री० [सं० वांद] १ दूल्हे-दुल्हिन को, इष्ट-मित्रों १७ अग्नि, प्राग । १८ प्राजा । १६ बाण गंगा। २० खाट संबंधियों द्वारा भेंट किया जाने वाला द्रव्य । २ इष्ट-मित्रों बुनने की रस्सी, मूज आदि । २१ ऋतुमति गाय व मैस । | द्वारा दुल्हिन-दूल्हे को दिया जाने वाला भोज । ३ सेवक,
२२ पांच की संख्या । २३ देखो 'वाणी' । २४ देखो 'वाण'। दास । बांणक-१ देखो 'वांणक' । २ देखो 'वणिक' !
बांदड़माळ-देखो 'बांदरमाळ' । बाणगंगा-स्त्री० १ जोधपुर जिले में बिलाड़ा ग्राम के पास | बांदणौ (बौ)-क्रि० [सं० वंदनम्] १ अभिवादन या नमस्कार बहने वाला एक जल स्रोत । २ हिमालय के सोमेश्वर गिरि
करना । २ पूजा करना, अर्चना करना । ३ स्वागत करना । से निकलने वाली एक नदी का नाम । ३ धौलपुर, जयपुर ४ देखो 'बांधणो' (बी)। व बूदी प्रदेशों के पास बहने वाली नदियां ।
बांदर-१ देखो 'वानर'। २ देखो 'बंदर'। बांरणरण, बांगनी-देखो 'बणियांणी' ।
बांदरमाळ, (माळा, वाळ)-स्त्री० [सं० वंदनी+माला] बारणपंजरि-स्त्री० [सं० बाण-पञ्जर] तरकस तूणीर, भाता।। १ मकानों के द्वार या मण्डप की सजावट में लटकाई
' पाए ।
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