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फूलो
( १४८ )
फूटोड़ी
फूणो-देखो 'फुरणों।
फूकण-पु० १ फेफड़ा । २ देखो 'फूकणो'। फूतकार-देखो 'फूतकार'।
फूको-देखो १ 'क' । २ देखो 'फुकरणों' । ३ देखो 'फाको' । फूतरी-पु० दिश०] छिलका।
फूल-वि० १ किसी कार्य में जो चतुर या प्रवीण न हो. प्रदक्ष । तारियो-पु. उदयपुर राज्य का प्राचीन सिक्का ।
२ अभद्र, भद्दा, बेशउर । ३ मैला-कुचैला । ४ चाल-चलन फूब-देखो 'फू दौ' ।
का बेढंगा। फूदाळ-देखो 'फूदाळो' ।
| फूड़ियो-पु० ध्वनि । -पु० कुत्ते या बिल्ली का विष्ठा, मल । फूदाळो-वि० (स्त्री०फूदाळी) जिसमें फूदे लगे हों। फूदोंवाला | फुट-स्त्री० [सं० स्फुट] १ फूटने की क्रिया या भाव । २ पृथक फूदी-स्त्री० [देश॰] १ तितली । २ एक लोक नृत्य विशेष । होने का भाव, पृथकता । ३ किसी परिवार, समाज या
३ इस नृत्य के साथ गाया जाने वाला लोक गीत । संगठन के सदस्यों में परस्पर प्रेम, मेल या मतंक्य का ४ देखो 'फू दौ'।
प्रभाव । ४ वैमनस्य, विरोध । ५ संगठन की कमी । फूबौ-पु० [देश॰] १ रंग-बिरंगे धागे, सूत या रुई का छोटा | ६ पौधे की अंकुरित होने की अवस्था । ७ बाजरी के पौधे गुच्छा । २ एक प्रकार की राखी ।
की पेरी में से निकलने वाले अंकुर । फूद्याळी-वि० फूदों वाली, फूदों से युक्त। -डोरी-स्त्री० एक | फूटण, फूटरपी-स्त्री० [सं० स्फूटनम्] १ फूटने की त्रिया या लोक गीत विशेष ।
भाव । २ फूट कर अलग हुअा अंश । ३ शरीर के संधि फूफा-स्त्री. १ जोर से श्वास लेने की क्रिया व ध्वनि । स्थलों में होने वाली पीड़ा। २ व्याकुलता से किया जाने वाला कार्य। .
फूटणी (बी)-क्रि० [सं० स्फूटनम्] १ बर्तन आदि का टूटना, फूफाड़ियो-वि० १ फू-फ़ करने वाला, फुफकारने वाला । बर्तनों में छेद होना । २ टूट-फूट होना । ३ किसी वस्तु २ जल्दबाज । ३ देखो 'फूफ़ाडौ।
के टुकड़े होना । खण्डित होना। ४ ढोल प्रादि वाद्यों का फूफाड़ियो, फूफाड़यो-वि० 'फूफाड़ा' करने वाला फू-पां चमड़ा फट जाना । दरार पड़ना। ५ जलाशय की पाज करने वाला।
या बांध पादि की दीवार में दरार पड़ना । छेद होना । फूफाडौ-पु०१ सर्प प्रादि की फुफकार, फूकार । २ तेज श्वास ६ संगठन या परिवार में मतभेद या विरोध पैदा होना ।
से नाक से उत्पन्न ध्वनि । ३ क्रोधावस्था में ली जाने वाली ७ मर्यादा का उल्लंघन होना । सीमा छोड़ देना । ८ संगतेज श्वास ।
ठन से पृथक होकर भेद दे देना । ९ शरीर के अंग में घाव फूफी-स्त्री० [सं० पुष्पी पिता की बहिन, बूमा।
होना, रक्त बहना, शिर फटना। १० आर-पार होना, फूफौ-पु० [सं० पुष्पा] (स्त्री० फूफी) बूमा का पति, पिता बेध कर निकल जाना । ११ फोड़े, फुसी आदि का फटना । का बहनोई।
१२ गैस, हवा या द्रव पदार्थ भरी वस्तु का सहसा फट फूबदौ-पु. [देश॰] रुई या सूत प्रादि का छोटा गुच्छा। जाना । १३ किसी महत्वपूर्ण या गुप्त बात का प्रसारित फूबी-देखो 'फुबी'।
होना । १४ किसी बात को तीव्र प्रतिक्रिया फूबो-देखो 'कु'बो'।
होना । १५ अवरोध हटने से अबाध गति से 'पावागमन फूभड़ौ-देखो 'पूगड़ी'।
खुलना । १६ विस्फोट होना । १७ स्रोत के रूप में निकफूभी-स्त्री० [सं० पुष्पुम्भी] १ बाजरी की बालों आदि पर लना । १८ प्रस्फुटित या अंकुरित होना । १६ पृथक, अलग
जमने वाली रुई की तरह की परत । २ देखो 'फुबी' ।। या विभक्त होना । २० शरीर के संधि स्थलों में दर्द होना । ३ देखो 'फूदी'।
२१ गुप्त बात या रहस्य का उद्घाटन होना, बात खुलना। . फूभौ-देखो 'फुबौ'।
२२ कहीं से चुपके से खिसकना । जाना । २३ तरल पदार्थ फमदौ-देखो 'फू बदौ'।
का रिसना। फूमी-१ देखो फूभी' । २ देखो 'फुबी' ।
फूटर-वि० [देश॰] १ निर्मल, स्वच्छ । २ देखो 'फूटरौ' । फूस-पु. पौष मास ।
फूटरमल-पु. पति, ख विद । -वि- सुन्दर, मनोहर । फूहारौ-देखो 'फवारौ।
फूटरियो, फूटरौ-वि० [देश॰] (स्त्री० फूटरी) १ सुन्दर, मनोहर । फूही-देखो फुही।
२ गुणवान । ३ साफ-सफाई वाला । सुव्यवस्थित । फू-पु. १ फूक । २ ऋण । ३ भू. भूमि । ४ शरण । ५ वचन । फूटोड़ी, फूटौ-वि० [सं० स्फुट] (स्त्री० फूटी,फूटोड़ी) १ फूटा
६ घास । ७ तिनका, तृण । ५ कूड़ा-करकट, फूस-कचरा। हुआ। २ छिद्रित । ३ टूटा-फूटा, भग्न, खण्डित । ४ दरार ६ कुश।
युक्त । ५ क्षत-विक्षत । ६ हतभाग्य । ७ पृथक व अलग ।
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