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बाघमूत
बाजदार
माधमूत-पु० [सं० व्याघ्र-मूत्र] १ सिंह का मूत्र । २ नर मूत्र, | बाचरण-देखो 'वाचन' । - आदमी का मूत ।
बाचरणो (बो)-देखो 'बांचो ' (बी)। बाघवाहिणी-स्त्री० [सं० व्याघ्र वाहिनी] १ पार्वती । २ देवी, बाचबंध-देखो 'वाचाबंध'। दुर्गा ।
बाचरी-देखो 'बहचराय' । बाधिनीकुच-पु० [सं० व्याघ्री-कुच] १ शेरनी के स्तन । २ नौ बाचा-देखो 'वाचा' । -बंध, बंधी 'वाचाबंधी'। की संख्या ।
बाचियो, बाचौं, बाच्यौ-पु०१ प्यार भरा चुम्बन । २ देखो 'वाचौ' बाघेलखंड-पु० मध्य भारत का एक प्राचीन प्रदेश ।
बाछ-१ देखो 'बच्चौ' । २ देखो 'वत्स' । बाघो-देखो 'बागी'।
बाछड़वायो-वि० प्रार्द्र, नम ।। बाड़-स्त्री० [सं० वाटम्] १ झड़बेरी के कांटे या कटीली | बाछड़ियो, बाछड़ , बाछड़ो, बाछल-पु० [सं०वत्स](स्त्री०बाछड़ी)
झाड़ी के सूखे पौधों का बनाया हुग्रा पाहता, प्राड ।। १ गाय का बछड़ा। २ चमड़े की खोल में भूसा भर कर २ सीमा, हद । ३ पाहता । ४ ढेर । ५ कतार । ६ गन्ना । बनाया हया बछड़ा। ३ देखो 'वत्स'। ७ गन्ने की फसल या गन्ने का खेत ।
बाछळ, बाछल-देखो 'वात्सल्य' । बाडणी (बो)-क्रि. १ घुसाना, धंसाना । २ प्रवेश करवाना, | बाछियो-देखो 'वत्स' । पैठाना।
बाछुबाई, बाबाई-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी । बाड़नळ-देखो 'बड़वानळ' ।
बाछो-देखो 'वत्स'। बाड़लियो-१ देखो 'बाड़लो'। २ देखो 'बाड़ो' ।
बाजंत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'। बाड़ली, बाड़ली-पु० स्त्रियों के गले का आभूषण विशेष । बांजंद बाजंद्र, बाज-पु० [सं० वाजिन्, वाजः] (स्त्री० बाजणी) बाड़व, बाड़वी-स्त्री० [सं० वाडवं] १ अग्नि, प्राग । २ समुद्र १ घोड़ा, अश्व । २ तीर में लगने वाला पर । ३ बाजे की
की अग्नि, बड़वाग्नि । ३ विद्युत, बिजली । ४ घोड़ियों का ध्वनि । ४ बजाने का ढंग या तरीका । ५ वेग। ६ सितार समूह । ५ ब्राह्मण।
का पहला तार । ७ बाजा, वाद्य। ८ सूत के तानों के बाड़ियो, बाड़ियो-पु० १ फोग पौधे की, फूल आने से पूर्व की बीच लगाई जाने वाली लकड़ी। वस्त्र । [फा०]
दशा । २ शौच जाते समय पानी ले जाने का बर्तन । १० एक हिंसक पक्षी, शिकरा, बाज, श्येन । ११ कर, ३ देखो 'बाड़ी' ।
महशूल । -वि० १ वंचित, रहित । २ चतुर, निपुण, बाड़ी-स्त्री० [सं० वाटिका] १ उपवन, बगिया, फलबगिया ।
होशियार । ३ विशिष्ट, कोई-कोई । -क्रि० वि०३१ जल्दी, २ घर । ३ गांव के समीप का छोटा खेत । ४ साग-सब्जी
शीघ्र । २ बगैर, बिना । ३ पीछे, उल्टे । -प्रत्य० ४ संज्ञा . बौने का छोटा खेत । ५ तंबू के चारों ओर लगने वाली शब्दों के पीछे लगकर विशेषण बनाने वाला प्रत्यय । कनात । ६ मिट्टी का टोंटीदार बर्तन । ७ प्राबदस्त का
| बाजउठ-देखो 'बाजोठ' । पानी रखने का बर्तन । -वि० कड़वी । स्वाद में तीक्षण ।
| बाजण, बाजणी, बाजरगो-स्त्री० [सं० वादन] १ बाजने की बाड़-वि० अड़ियल, उद्दण्ड । -पु० १ एक प्रकार का पत्थर ।
क्रिया या भाव । २ बजाने का ढंग, तरीका। ३ किसी २ एक प्रकार की कृषि भूमि ।
वाद्य की ध्वनि । ४ ध्वनि युक्त वस्तु, पात्र । -वि. बाड़ोटियो-देखो 'बाड़ो' । बाड़ोतरी-पु० [सं॰ द्वयुत्तर] १ बारह का वर्ष । २ बारह का
[सं० वाद्य] १ बजने वाली। २ ध्वनि करने वाली ।
३ ध्वनिमय । पहाड़ा । ३ एक सो दो की संख्या । ४ एक सौ बारह की संख्या। -वि० बारहवां ।
बाजणी (बौ)-क्रि० [सं० वादनं] १ बाजे का बजना, ध्वनि बाड़ौ-वि० (स्त्री० बाड़ी) १ कर्कस, कटु । २ कटुभाषी ।। होना । २ समय सूचक घंटे का बजना। ३ शस्त्र चलना, ३ कड़वा, खारा, तीक्ष्ण । -पु० [सं० वाट] १ दीवार या
प्रहार होना। ४. लड़ना, भिड़ना, युद्ध करना। ५ वीर कंटीली बाड़ से घिरा क्षेत्र, पाहता । २ रहट के समीप
गति प्राप्त होना । ६ प्रसिद्ध, विख्यात होना । सब्जी प्रादि लगाने का स्थान । ३ सूर्य या चन्द्रमा के चारों ७ ललकारना, पुकारना। ८ कहलाना, पुकारा जाना । पोर बना रहने वाला वृत्त । ४ घर, भवन ।
९ गतिमान होना, चलना । १० पहुंचना, उपस्थित होना । बाच-देखो 'वाच'।
बाजत्र-देखो 'वाद्ययंत्र'। बाचक-वि. १ मुह से खाने वाला । २ अन्याय से पैसा खाने | बाजदार-वि० [फा०] १ शाही कर एकत्र करने वाला, वाला। ३ देखो 'वाचक' ।
बाजगीर । २ बाज रखने वाला। ३ घुड़ सवार ।
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