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पगड़ी
(
११
)
- पगो
पगड़ी-१ देखो 'पाग' । २ देखो 'पेडी'।
पगलियो-देखो 'पगल्यौ' । २ देखो 'पग' । पगड़ी-पु० [सं० प्रगे] १ उषाकाल, सवेरा । २ चौसर के | पगलू-१ पदचिह्न। २ देखो 'पग' ।
खेल में गोटियां रखने की क्रिया । ३ देखो 'पागड़ो' । पगलौ-पु. १ खड़ाऊ, पादुका । २ देखो 'पग' । ३ देखो 'पागल' ४ देखो 'पग'।
पगल्भ-देखो 'प्रगल्भ'। पगचंपणी, पगचंपी, पगचांपणी-स्त्री० १ हाथों से पांवों को पगल्यौ-पु० १ किसी देवता या पीर के, सोने, चांदी या पत्थर
धीरे-धीरे दबाने की क्रिया । २ सेवा शुश्रुषा । ३ खुशामद । आदि पर खुदे पद चिह्न। २ देखो 'पग' । पगछटो-वि० (स्त्री० पगछंटी) चुश्त, फुर्तीला।
पगल्ल, पगल्लौ-१ देखो 'पागल' । २ देखो 'पग' । पगडंडी, पगडांडी-स्त्री० [सं० पदक + दण्ड जंगल या पगवंदरण, पगवंदन-पु० [सं० पदवंदनम्] चरण स्पर्श करने ___मैदान में बना पतला व लम्बा रास्ता ।
की क्रिया । पगरणी (बौ)-क्रि० १ अनुरक्त होना, पासक्त होना । २ लीन | पगवट, पगवट्ट-पु० [सं० पद-वाट:] १ कदम रखने की क्रिया। होना।
२ पैदल चलने की क्रिया । पगत-क्रि०वि० नित्य ।
| पगवाव, पगवावड़ी-स्त्री [सं० पदक-वापिका] पेड़ियों वाली पगतरी-स्त्री० [स० पाद - तल] जूती।
___ वापिका । पगतळ, पगतळी, पगतळी-पु० [सं० पाद + तल] पांव का | पगवाही-वि० [सं० पदक-वह] पांव पैदल । तलुवा, पादतल ।
पगविण-पु० [सं० पद विहीन] सूर्य, रवि । प्रगतियो, पगत्यौ-देखो 'पगथियो' ।
पगसुख-पु० [सं० पद सुख] जूती, उपानह । पगथळी-देखो 'पगतळी' ।
पगह-देखो 'परग'। पगथियो, पथियो-पु० [सं०पदक+स्था] जीने की सीढ़ी, पेड़ी। | पगां-क्रि० वि० १ लिए. वास्ते । २ सामने, चौड़े में, प्रकट में । पगदासी-स्त्री० जूती।
पगाणी, पगांतियो, पगांती, पांत्यो, पगांथियौ, पाथी, पगधोई-स्त्री० १ शादी के अवसर पर वर के पिता के पांव | पगांथ्यौ-पु० [सं० पद-स्था] १ चारपाई का, पावों की धोने की एक प्रथा । २ मेवाड़ की एक नदी ।
तरफ रहने वाला भाग । २ सोते समय पैरों की तरफ पगपड़ण, पगपडण-पु० [सं० पदक + पतनम्] बधू द्वारा बड़ी वाला स्थान । बूढ़ियों के चरण स्पर्श की प्रथा या क्रिया ।
पगांम-देखो 'पैगांम'। पगपलोटण-पु० [सं० पाद-प्रलोटनम्] १ पांव दबाने की क्रिया | पगा-देखो 'पगां' । या भाव । २ पांव दबाने वाला।
पगाई-स्त्री० [सं० प्रकृति ] प्रकृति । (जैन) पगपांन-पु० [सं० पदक-पत्रम्] स्त्रियों के पैरों का आभूषण पगाणी (बौ)-क्रि० अनुरक्त करना, लीन करना। विशेष ।
पगार (रि)-पु० [सं० प्रकार] १ परकोटा, शहरपनाह । पगपांवड़ो (डो)-पु० १ किसी का स्वागत करने के लिये रास्ते २ मार्ग, रास्ता । ३ पराक्रम, शौर्य, बाहुबल । ४ छिछले में बिछाया जाने वाला वस्त्र । २ पायंदाज ।
पानी वाला जलाशय। ५ गढ़,किला। ६ रक्षा, पनाह । पगपाखर-पु० [सं० पदक-प्रखर] जूती।
७ वेतन। -वि० रक्षा करने वाला, रक्षक । पगपावटी-स्त्री० पैरों के बल पर चलाया जाने वाला रहट। पगावणी (बौ)-देखो पगाणो' (बी)। . पगफूटणी-स्त्री० पांवों का एक रोग ।
पगास-देखो 'प्रकास'। पगमड, पगमंडण, पगमंडणा-पु० [सं० पदक-मंडनम्]
पगि-देखो पग'। १ अतिथि के स्वागतार्थ बिछाया जाने वाला वस्त्र, |
| पगी-स्त्री० रहट में लगने वाली लकड़ी विशेष । पायंदाज । २ उक्त वस्त्र पर पांव रखते हुए चलने की |
पगे-देखो 'पगां'। क्रिया। ३ उक्त प्रकार से चलने से बनने वाला पदचिह्न। ।
पगेलो-वि० १ पांवों से चलने योग्य । २ पैदल चलने वाला।
३ पदयात्री। पगरकी, पगरको-देखो 'पगरखी' ।
पगोड़ो पगोठो-देखो ‘पगथियो । पगरखी-स्त्री० [सं० पद-रक्षिका] पांव की जूती।
पगोडौ-पु० स्वर्णकारों का एक उपकरण । पगरखौ-पु० जूते बानाने वालों से लिया जाने वाला कर
पगोतियो, पगोत्यौ, पगोथियो, पगोथ्यौ-देखो 'पगथियो । या टेक्स ।
पगौ-पु० १ रहट के स्तंभ के नीचे रहने वाला पत्थर । पगलड़ो-देखो 'पग'।
२ देखो 'पागौ'।
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