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सिंधारणा
( ७७७ )
सिंधु
सिधारणों (बो)-१ देखो "सिणगारणो' (बी)। २ देखो सिरणतरी, सितरो-देखो 'सिणियो' । ___ सहारणी' (बौ)।
सिंदड़ी-देखो 'सींदड़ो'। सिंघाळ-देखो 'सिंघाळौं।
सिंबण, सिदन-१ देखो 'स्यदन'। २ देखो 'संधव'। ३ देखो सिंघाळी-स्त्री० सिंह को सवारी करने वाली दुर्गा ।
__सिंधो' । (स्त्री) सिंघाळी-वि० १ योद्धा, वीर । २ पराक्रमी, बलवान । सिटळी-पु० शुभ रंग का घोडा।
३ सींगोंवाला । ४ श्रेष्ठ, प्राणी । -पु.हाथी, गज। सिववी-स्त्री. एक रागिनी विशेष । सिंघावलोकरण (न)-देखो "सिंहावलोकन'।
सिदारो-देखो 'सिंझारों'। सिंघासण-देखो "सिंहासन'।
सिविया-पु० १ सिंधिया । २ देखो 'संध्या' । सिंघी-१ देखो सिंगी। २ देखो 'सिंघवो'। ३ देखो "सिंहो'। सिरिया-वि० सिंदूर के रंग जैसा । ४ देखो सिंगियो' ।
सिंदुरियो-पु० सिंदूरी रंग का पौधा या वस्तु । -वि. सिंदूर सिंघेस्वरी-स्त्री० [सं० सिंहेश्वरी] १ दुर्गा, देवो । २ पार्वती। का, सिंदूर सबंधो। सिघोड़ी-पु. १ पानी पर तैरने वाली एक लता विशेष का सिंदूर-पु० [सं०] १ सौभाग्यवती स्त्रियों के मांग में भरने का
तिकोना फल । २ सिंघाड़े की तरह तिकोना बना कोई | लाल रंग का एक चूर्ण विशेष । २ देखो 'सिधुर'। पदार्थ या चित्र, सिलाई प्रादि । ३ ऊंट के चारजामे के सिंदूरतिलक, सिंदूरतिलका-स्त्री. १ सुहागिन स्त्री, सधवा। नीचे लगाई जाने वाली गद्दी ।
__-पु० २ हाथी। सिंघोदरी-वि० [सं० सिंहोदरी] १ जिसका पेट या उदर सिंह सिदूरिया, सिंदूरी-स्त्री० । सिंदूर रखने की डिबिया ।
के समान हो। २ सिंह के समान पतली कमर वालो। २ सिंदूर के रंग की चिऊठो। -वि. सिंदूर के रंग का। सिंचरणी (बो)-देखो 'सींचणी' (बी)।
सिंदूवार-पु० वृक्ष विशेष । सिंचन-स्त्री० सिंचाई।
सिंध-पु० [सं० सिंधु] १ पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का सिंचय-पु० [सं०] १ बस्त्र, कपड़ा। २ भावरण । ३ देखो एक प्रदेश । २ पाकिस्तान की एक प्रमुख नदी। ३ मालवा संचय'।
की एक नदी । ४ देखो 'सिंधु। सिंचाण, सिारणी-पु. १ ज मे कुछ छोटा एक शिकारी, सिंधक-पु० [सं० संध्यक] पुष्प, फूल । पक्षी । २ दोहा छन्द का चौथा भेद ।
सिंधचारी, सिंधचीरी-देखो 'सिंधुचरी' । सिंचाई-स्त्री. १ फसल, पोधे प्रादि को पानी देने की क्रिया, | सिंधन-१ देखी 'सनद'। २ देखो "सिंधी'। (स्त्री०)
सिंचन । २ सिंचन संबंधी कर। ३ सिंचन कार्य का सिंधपीरण (पीयण)-पु० अगस्त्य ऋषि । पारिश्रमिक।
सिंधभैरव-स्त्री० एक राग विशेष । सिंचाणो (बी), सिंचावणी (बी)-देखो 'सीचमणो' (बी)। सिंधच-१ देखो 'सैधव' । २ देखो सिंधु' । सिजनो-स्त्री० [सं० शिजनी] १पैरों का प्राभूधरण, पैंजनी, सिधवराग, सिधवा-देखो 'सिधुराग'।।
पायजेब। २ धनुष की डोर, प्रत्यंचा। ३ कटिमेखला के सिंघवी-स्त्री० एक रागिनी विशेष. संकरराग। -वि० सागर का, नपुर, घुघरू।
सागर सम्बन्धी। सिंजरी, सिजारी-देखो 'सिंझारौ'।
सिंधवीराग-देखो 'सिंधुराम' । सिंज्या, सिंज्या-देखो 'संध्या'।
सिंधसागरी-पु० एक प्रकार का घोड़ा, सिज्यारो, सिज्यारो-१ देखो 'सिझारौ' । २ देखो 'संजीरो'। सिंधी-पु. (स्त्री० सिंधण) १ सिंध प्रदेश का निवासी । २ सिंध सिझ, सिंशया, सिना, सिझ्या, सिष्या-देखो 'संध्या' ।
प्रदेश से प्राकर भारत में बसा व्यक्ति। ३ मुसलमानों का सिंझारौ-पु. १ श्रावण कृष्णा ततीया का पर्व दिन । २ इस एक बर्ग। ४ सिंध का घोड़ा। ५ सिंध की भाषा या बोली।
अवसर पर कन्या या वधू के लिए भेजा जाने वाला। ६ शीतकाल में पश्चिमोत्तर से चलने वाली हवा जो फसल सामान ।
के लिये हानिकारक होती है। ७ एक प्रकार की बन्दूक । सिरण-देखो 'सरण'।
८ तलवार को एक मूठ विशेष ।। सिणगार-देखो 'नगार'।
सिधु-पु० [सं० सिंधुः] १ समुद्र, सागर । २ पजाब के पश्चिम सिणगारचौकी-देखो 'मिणगारचौकी'।
में बहने वाला सिंधु नद। ३ इस नद के पास-पास का सिणगारणी-स्त्री० शुगार की सामग्री। -वि० शृगार कराने प्रदेश । ४ हाथी की सूड से निकला पानी। ५ हाथी का वाली।
मद। ६ हाथी। ७ ऊंट। ८ वरुणदेव । ६ मंधों के
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