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फाल्गुन
( १४२ ।
फिरंगवाय
फाल्गुन-स्त्री० [सं०] १ अर्जुन का एक नाम । २ अर्जुन वृक्ष । फिटकड़ी-स्त्री० [सं० स्फटिका] श्वेत एवं चमकीला एक खनिज ३ फागण मास ।
पदार्थ। फाल्गुनी-पु० [सं०] १ फाल्गुन मास की पूणिमा । २ पूर्वी व | फिटकडो-पु० [देश॰] सिर में तालू के ऊपर का स्थान । उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र । ३ देखो 'फाल्गुन'।
। फिटकरयणमरिण-स्त्री० स्फटिक रत्न मरिण । फावडियो, फावड़ी, फावड़ो-पु० [देश॰] मिट्टी आदि खोदने | फिटकरी-देखो 'फिटकड़ी'। का लोहे की चद्दर का बना उपकरण विशेष ।
फिटकार -देखो 'फटकार'। फावणो (बौ)-क्रि० [देश॰] १ फंसाना । २ अड़ाना, फिटकारणी (बी)-देखो 'फटकारणो' (बी)।
अटकाना। ३ सफल होना। ४ देखो 'फाबरणी' (बी)। फिटकारियो-वि० [देश॰] शापित, अभिशप्त । फास-देखो १ 'फांसी' । २ देखो 'फांस' । ३ देखो 'स्परस'। फिटकारो-देखो ‘फटकारी' । फासलौ-पु० [अ० फासिल] दूरी, अन्तर ।
फिटकी-स्त्री० बद्दुआ, शाप । फासीगर-देखो 'पासीगर'।
फिटळो-देखो 'फिटोळ' । (स्त्री० फिटळी) फासुम, फासू, फासूय-वि० [सं० प्रासुक] १ साधु के ग्रहण करने | फिटिभ-पु० [सं० स्फटी-फणी] १ सर्प, नाग। २ खटमल ।
योग्य । २ दोष रहित, निर्दोष । ३ व्यर्थ, फिजूल । फिटोफिट-वि० [अं० फिट नाप में सही। किंगररणो (बी)-क्रि० [देश॰] १ लाड में इतराना । २ फूलना, | फिटोळ-वि० [देश॰] १ अवारा। २ बिगड़ेल । ३ बदचलन ।
घमंड करना । ३ क्रोध करना, बिफरना । ४ झुंझलाना । ४ अविश्वनीय । फिद-पु. एक वृक्ष विशेष ।
फिटौ-पु० [देश॰] त्यागना, छोड़ना, क्रिया । परित्याग । फिफर, फिफरड़-देखो ‘फैफड़ो' ।
-वि० (स्त्री० फिटी) १ खुला, ढीला, स्वतन्त्र । २ किसी फिकन-वि० दुष्ट, नीच, पतित, हीन ।
कार्य में संलग्न । ३ उपेक्षित, नगण्य । ४ लज्जित, शर्मिन्दा फिकर-पु० [अ० फिक्र] १ चिंता, सोच । २ किसी कार्य के । ५ अपमानित । प्रति लगन, जागरुकता ।
फितन-पु० [अ० फित्नः] १ एक प्रकार का पुष्प विशेष । फिड़-पु० [देश॰] समूह, ढेर ।
२ इस पुष्प का रज, पुष्पसार । फिड़कली-स्त्री० [देश॰] १ छोटा पतंगा। २ देखो फिरकी' । फितूर-देखो ‘फतूर' । फिड़कलो-पु० [देश॰] १ बड़ा पतंगा। २ वर्षा ऋतु में होने | फितूराळी, फितूरी-वि० १ उपद्रवी, झगड़ालू । २ खुरापात करने वाला पतंगा।
वाला, खुरापाती । ३ धूर्त, कपटी, पाखण्डी, ढोंगी । फिडकियो-पु० [देश॰] १ 'झाल' के पीछे बांधने की रस्सी । ४ विघ्नकारक, बाधक । ५ हानिकारक । २ देखो "फिड़को'।
फिदकड़ी, फिदड़की, फिदड़को-देखो 'फदड़को'। फिड़को-पु० [देश॰] (स्त्री० फिड़की) १ छोटी टिड्डी या टिड्डी | फिदवी-वि० [अ० फिद्वी] १ आज्ञाकारी । २ स्वामिभक्त, ' का बच्चा । २ पतंगा । ३ सनक ।।
विश्वसनीय । ३ सेवक, दास । फिचळणी (बौ)-क्रि० [देश॰] १ चलचित्त होना, विचलित | फिदा-वि० [अ०] १ आसक्त, मोहित । २ वशीभूत ।
होना । २ घृणा करना । ३ कायर होना । ४ इन्कार होना ३ न्यौछावर । वारि । ५ बात से मुकरना।
फिफरड़-देखो 'फैफड़ो'। फिजूल-वि० [अ०] १ व्यर्थ, निरर्थक, बकार । २ निकम्मा, फिफ्फर, फिफ्फरक-देखो ‘फेफड़ो'।
निठल्ला । ३ सारहीन, तथ्यहीन । -खरच-पु० अनावश्यक | फियो-पु० [सं० प्लीहा] पाचन संस्थान का एक अवयव । व्यय । -खरची-स्त्री० अनावश्यक व्यय की क्रिया या | तिल्ली। प्रादत।
फिरंग-पु० [अ० फ्रांक] १ पश्चिम यूरोप का एक देश । फिट-अव्य० [देश॰] तिरस्कार सूचक ध्वनि, धिक् । -वि० [अं॰] २ इस देश का निवासी । ३ अंग्रेज । ४ आतशक रोग
१ उपयुक्त सही, ठीक, मुनासिब । २ ठीक नियोजित या | गर्मी । ५ एक प्रकार का फूल । ६ शराब संग्रह करने का स्थापित । ३ नाप में ठीक ।
एक पात्र । ७ देखो 'फिरंगी'। फिटक-स्त्री० [देश॰] १ चाल, जाल, धोखा । २ कब्जा. वश. | फिरंगण-स्त्री० अग्रेज स्त्री, गौरी स्त्री।
काबू । ३ जालसाजी की नीति । ४ स्वार्थ वश किसी फिरंगथांन-पु० अग्रेजों का देश । की चाल में फंसने की क्रिया । ५ प्रभाव । ६ लज्जा। | फिरंगवाय-पु० १ एक रोग विशेष, पातशक रोग । २ घोड़े की ७ देखो 'स्फटिक'।
इन्द्रियों का एक रोग।
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