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बुहारी
। २३५ )
बुहारी-पु० १ झाड़ लगाने की क्रिया । २ झाड़ । ३ देखो | बूतणी(बी)-क्रि० [सं०व्यूतीकरणम् ] मापना, निर्धारित करना। 'पूछ-बुहार'।
बूद, बूबड़, बड़ो-स्त्री० [सं० बिन्दु] १ तरल पदार्थ, पानी बुहि-देखो 'बेऊ' ।
आदि का छोटा, कण, कतरा, पृषत । २ पानी का छींटा, बुहुतर, बहुतिरि, बुहुतिरी-देखो 'बमोत्तर' ।
बरसात की बूद। ३ प्रश्र , प्रांसू । ४ स्त्री के गर्भाशय में बुहुत्तर, बहुत्तिरि, बहुत्तिरी-देखो 'बोत्तर'।
पुरुष के वीर्य का गिरने वाला अश । ५ देखो बूदी' । गंग-पू० १ टुकड़ा, खण्ड, अंश । -स्त्री० २ चिनगारी । बबळा-प० (ब.व.) 'दी के राजा
बूवळा-पु० (ब.व.) बूंदी के राज्य पर अधिकार करने वाले ३ द्रव पदार्थ की तेज धार, प्रवाह । ४ चिल्लाहट, रुदन ।। भील । ५ बूझ ।
बूंदा-पु. कान के आभूषण । बूंगरी-देखो 'बुहारी'।
बूदी-पु. १ चूतड़ पर भंवरी वाला बैल । २ कमर का जोड़ । बूगी-देखो 'बूझ'।
-स्त्री० [सं० बिंदु] ३ मोतियों के दानों जैसी बनने वाली गौ-पु० [देश॰] १ बैलगाड़ी के थाटे का, पीछे मुड़ा हुआ बेसन की मिठाई विशेष । ४ देखो 'बूद' । ५ देखो 'बुदी'। शिरा, नोक । २ दीवार में लगे पत्थर या लकड़ी का दौ-पु० १ बड़ी बूद । २ अग्नि, प्राग । ३ जलता हुमा काष्ठ बाहर निकला हुप्रा हिस्सा।
खण्ड। -वि० थोड़ासा, अत्यल्प । बूघरी-देखो 'बुहारी'।
बूब-पु० [सं० बुब] १ पुकार, आवाज । २ चिल्लाहट, त्राहिबूघरी-पु० झाड़ ।
त्राहि । ३ रक्षार्थ की जाने वाली पुकार । ४ चिंघाड़ बूझ-स्त्री० १ किसी प्राणी की संज्ञाहीन होने की अवस्था या
गर्जन । ५ कोलाहल । ६ जोर का धमाका, मावाज । दशा । २ बेहोशी, मूर्छा, गश ।
७ समर वाद्य, रणभेरी। बझियो, झो-पू० १ घास की जड़ों का समूह । २ पोधा, | बडी-स्त्री०१ शाहजादी। २ देखो 'ब'ब'।
क्षप । ३ कंटीली झाड़ी। ४ पानी की 'मूण' पर लगाने । बरण, बरिण-स्त्री० १ त्राहि-त्राहि की पुकार, करुण का रस्सी का ढक्कन । ५ बोतल के मुंह पर फंसाने का
क्रन्दन । २ जोर की आवाज, चिल्लाहट । कार्क, गोटी। ६ 'वेह में रखे जाने वाले कलशों में से
बूबला-देखो 'बूमड़ा। सबसे ऊपर का कलश ।
बूबाड़ौ-देखो 'बूब'। बूट-पु० [सं० विटप] १ वंश, बीज । २ जड़, मूल । ३ अंकुर, बारव-देखो 'बूबरण' ।
कोंपल । ४ फल की लता से जोड़े रखने वाला डंठल । बारोळ-देखो 'बूबरण'।
५ मशीन से बना जूता विशेष । ६ देखो 'बूटो'। बूबी, बीउ-स्त्री० १ आवाज, पुकार । २ झुंझलाहट, घुटन । बूंटको-देखो 'बूट'।
३ आवेश, जोश। टाउपाइ-वि० १ वश को नाश करने वाला । २ पौधे उखाड़ने |
| बूबोजणी (बी)-क्रि० १ गुस्से या क्रोध में घुटना, झुंझलाना ।
२ मावेश या जोश में आना। ३ चिल्लाना । ४ दम घुटना ___वाला।
घबराहट होना । ५ गश खाना।। बूटी-स्त्री० [सं० विटप] १ वनस्पति, पौधा । २ जड़ी,
बूमड़ा-पु० [देश॰] अनाज के दानों के ऊपर का छिलका । औषधि, ३ पौषधि, दवा । ४ मंग, विजिया । ५ कपड़े
बूल, बूल्यौ-देखो 'बांवळ' । आदि पर बनी फूल पत्तियां । ६ खेलने के पत्तों [ताश] पर
बू-स्त्री० [फा०] १ गंध, वास, महक । २ बदबू, दुर्गन्ध । बनी पत्तियां। -वि० [सं० बंड] १ कान कटी हुई ।।
३ आभास, प्रतित । ४ प्रभाव, असर । ५ गर्व, अभिमान । २ विलक्षण, विचित्र ।
[सं०वधू] ६ बच्चों द्वारा माता के प्रति संबोधन । ७ बूढ़ी बूटो-पु० [सं० विटप] १ पौधा, क्षुप । २ अंकुर, कोंपल । औरत के प्रति संबोधन । ३ अनाज की कटाई के बाद जमीन में गड़ा रह जाने वाला
बूई-देखो 'बुई'। हिस्सा । ४ वस्त्रादि पर अंकित पौधे का चित्र । -वि.
बूक, बूकड़, बूकड़ो-स्त्री० [सं० बाहु-वक्त्र] १ हथेली व अंगु[सं० वंड] (स्त्री० बूटी) १ कान कटा हुमा, बूचा ।।
लियों को समेट कर पात्रनुमा बनाई गई मुद्रा। २ बाहु । २ विचित्र, अद्भुत ।
३ गुरदा । ४ हृदय । ५ नरसिंघा, तुरही। ६ नगारा । बूंठ-पु० १ किसी पेड़ या पौधे का फूल, पत्ती व शाखा रहित |
७ तेज, प्रवाह । ८ शस्त्रों की तेज बौछार । ९ देखो खड़ा ठूट, डंठल । २ देखो 'बूटो' ।
'बूकियो' । ठो-१ देखो बूटो' । २ देखो 'बूठ'।.
बूकच, बूकचौ-देखो 'बुगचौ'।
ब
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