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पीठलो
(
७८ )
पौषि
पीठलौ-पु० बेसन की, हलवे की तरह बनी सब्जी।
पोतडली, पोतड़ी-देखो 'प्रीत' । पीठवनी-स्त्री० [स० पृष्टि पर्णी] १ एक प्रकार का क्षुप । | पीतता-स्त्री० पीला पन, पीली झांई। २ एक प्रकार का वृक्ष ।
पोतधातु-स्त्री० [सं०] गोपी चंदन । पीठांण, पीठांणि (णी)-पु० युद्ध, लड़ाई।
पीतन, पीतनक-पु० [सं० पीतनम्] १ केशर । २ हरताल । पीठाड़ी-स्त्री० एक प्रकार का गोलाकार पौधा ।
३ वट वृक्ष। पीठि, पीठी-क्रि०वि० [सं० पृष्ठ] १ पीछे । २ देखो 'पीठ'। पीतनायक-पु० [सं० प्रीत-नायक प्राभूषण विशेष । पीठिका-स्त्री० [सं०] १ मूर्ति या खंभे का प्राधार । २ पुस्तक | पीतपट-पु. [सं०] पीला वस्त्र, पीतांबर । के विशिष्ट भागों में से कोई एक ।
| पीतम (मो)-देखो 'प्रीतम' । पीठी-स्त्री० [सं० पिष्टि] १शरीर की त्वचा को कोमल व | पीतरग-पु० [सं०] १ सोना, स्वर्ण । २ अनार । ३ पीला रंग।
सुन्दर बनाने का उबटन विशेष । २ विवाह के समय ऐसा | पीतरगत-वि० [सं० पीत रक्तम्] १ नारंगी रंग का । २ पीत उबटन करने की रीति । ३ पीठी कराते समय गाया जाने वर्णी । -स्त्री०१ केशर । २ पुखराज । वाला लोक गीत ।
पोतरयाई-पु० [सं० पितृव्य] पितृव्य, चाचा। पीढ़, पीढलो-पु० [सं० पीठम् ] प्रासन, पीढ़ा ।
पीतळ-फु० [सं० पित्तलम् ] तांबे और जस्ते के योम से बना पीढ़ियो-पु० [सं० पीठम् ] बैलगाड़ी के थाटे के नीचे लगाया एक मिश्र धातु । - जाने वाला काष्ठ खण्ड विशेष ।
पीतळियौ-वि० १ पीतल का बना, पीतल संबंधी। २ पीतल के पीढ़ी-स्त्री० [सं० पीठिका] १ मूज या सूत की बनी चौकी, पात्र में रहने से हुअा विकृत, कसेला। -पु. पीतल का
प्रासन, पीढ़ा । २ वंश क्रम । ३ वंश क्रम में प्रत्येक क्रम की तसला । कलसा। संतान । ४ किसी देश, समाज या परिवार में किसी पीतळीजरणी (बी)-क्रि० [सं० पित्तलम्] पीतल के बर्तन में निश्चित प्रायु या अवधि में रहने वाले प्राणियों का समूह । | रहने से विकृत होना, कसेला होना । ५ किसी विषय या क्षेत्र विशेष से संबंधित परम्परागत | पीतलोह-पु० [सं०] पीतल । अवस्था। -नामो-पु० वंश वृक्ष, वंशावली ।
पीतवसु-पु. एक देश का नाम । पीढ़ी-पु० [सं० पीठक] बैठने की चौकी, प्रासन ।
पीतवान-पु० हाथी की दोनों आंखों के बीच का स्थान । पीण-देखो 'पीन'।
पीतवास-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ विष्णु का एक नामान्तर । पोरगीहारी-देखो 'पणिहारी'।
पीविदु-पु० [सं०] विष्णु के चरण चिह्नों में से एक । पौणुक-वि० [सं० पा] उपभोग करने योग्य ।
पीतस-स्त्री० सासु । काकी सासु । पोरगी-पु० [सं० पानम्] १ पीना क्रिया या भाव । २ देखो पीतसरी-पु० चचिया ससुर ।। 'परणो'।
पीतांबर-पु० [सं०] १ पीला वस्त्र । २ पूजा-पाठ के समय
पहनने का वस्त्र विशेष, कौशेय । ३ पीला वस्त्र पहनने वाला पीणो (बौ)-क्रि० [सं० पानम्] १ पानी या किसी तरल पदार्थ
व्यक्ति । ४ विष्णु । ५ श्रीकृष्ण । का पान करना, पीना । २ किसी अप्रिय बात को चुप
पीता-स्त्री० [सं०] हल्दी। चाप सह जाना । ३ इसी तरह किसी उग्र मनोविकार |
पीति, पीती-पु० [स० पीती] १ घोड़ा । २ देखो "पित्ती'। को दबा लेना । ४ धूम्रपान करना, नशा करना । ५ शोषण करना, सोखना । ६ पेड़-पौधों, वनस्पतियों
पोतु-पु० [सं० पितुः] १ सूर्य । २ अग्नि । ३ हाथियों के झुण्ड प्रादि का सीचित होना । ७ प्रात्मसात करना । ८ सर्प
का सरदार, यूथपति । विशेष द्वारा अपने श्वास से मनुष्य की प्राण वायू खींच लेना। पोतो-पु० [सं० पित्त] १ यकृत के पीछे नीचे की ओर रहने
वाला पित्त का थैला, पित्ताशय । २ बल, सामर्थ्य । पीतंबर-देखो 'पीतांबर'।
पीत्रांत्री-वि० [सं० पित] १ पिता के वंश से संबंधित । पीत-वि० [सं०] १ पिया हमा, पान किया हुआ । २ भीगा हुआ तर । ३ पीला, पीले रंग का । ४ भूरा। -पु०१ पीला
२ पिता का, पिता संबंधी । -स्त्री. चाची, काकी। रंग । २ भूरा रंग । ३ हरताल । ४ देखो 'प्रीत' । पीत्रीयउ, पीत्रीयु-पु० [सं० पितृव्य] १ चाचा, काका। --चंदण, चंदन-पु० पीला चंदन, हरिचंदन ।
२ कुटुम्ब का कोई वृद्ध पुरुष । पीतभंजणी-पु. पीले चकत्तों वाला घोड़ा।
पोथ-पु० [सं० पीथः] १ सूर्य । २ अग्नि । ३ जल । ४ समय । पीतकुस्मांड-पु० [सं० पीत-कुष्माण्डु] पीला कुष्माण्डु । | पीथि (यो)-पु० [सं० पीथि:] घोड़ा।
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