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पुगती
( २३१ )
बुढ़ापो
बुगती-स्त्री० मिट्टी का बना जल-पात्र विशेष । केतली । बुजविल-वि० [फा०] डरपोक, कायर, भीरु । बुगदाव-देखो 'बगदाद'।
बुजदिलो-स्त्री० [फा०] कायरता, भीरुता । बुगदादी-देखो 'बगदादी'।
बुजरग-पु. [फा० बुजुर्ग] १ वृद्ध पुरुष । २ पूर्वज, पुरखा । बुगदी-पु. बोझा ढोने वाला ऊंट।
३ अनुभवी वृद्ध पुरुष । बुगदौ-पु० [अ० बुग्द] एक प्रकार का बड़ा छुरा विशेष । । बजरगो-स्त्री० [फा० बुजुर्गी] बुजुर्ग होने का भाव, बड़प्पन । बुगध्यांनी-देखो 'बकध्यांनी' ।
बुजारणी (बी), बुजावणी (बी)-देखो 'बुझावणो' (बी)। बुगर-पु. १ ऊंटों के लिये प्रसिद्ध एक प्रान्त । २ इस प्रान्त का | बुजी-देखो 'वुजी' । ऊंट ।
बुजुरग-देखो 'बुजरग'। बुगल, बुगलाण-देखो 'बक'।
बुजुरगी-देखो 'बुजरगी'। बुगलामक्त-वि० १ बगले के समान ध्यान लगाकर बैठने वाला, बुज्ज-१ देखो 'बुरज' । २ देखो 'बुज' । ३ देखो 'बुज्झ' ।
पाखडी, ढोंगी, बकध्यांनी। २ कपटी, धूर्त, धोखेबाज। बुज्जी, बुज्झ, बुझ-वि० [फा० बुज] (स्त्री० बुज्जी, बुझी) मूर्ख, बुगलाभक्ति-स्त्री० [सं० बक-भक्ति] १ बगले की तरह ध्यान | - नासमझ । -पु. बकरा ।।
लगाकर बैठने की क्रिया या भाव । २ ढोंग,पाखंड,प्राडम्बर। | बुझणी (बी)-कि० [सं० उज्झति १ दीपक की ज्योति समाप्त ३ प्रवंचना, कपट, छल ।
होना । २ जलते हुए पदार्थ से अग्नि समाप्त हो जाना। बुगलाभगत-देखो 'बुगलाभक्त'।
३ कांतिहीन व निस्तेज होना । ४ मंद, धीमा या प्रवास बुगलाभगति (ती)-देखो 'बुगलाभक्ति' ।
होना। ५ पानी के योग से पग्नि शान्त होना । ६मावेग बुगलियो-पु. १ रहट की माल का पानी गिरने के स्थान पर शांत होना । ७ भूख-प्यास मिटना, तृप्ति होन। । गरम बनी पत्थर की कुण्डी। २ देखो 'बक'।।
वस्तु को विशेष गुण लेने के लिये किसी तरल पदार्थ बुगलौ-पु० १ एक जाति विशेष का घोड़ा। २ देखो 'बक' । में डाल कर ठंडा किया जाना [चूना] । ९ देखो बुगस-पु० [फा०] १ कोमा। २ एक प्रकार का बड़ा छुरा 'बूझणो' (बी)। . विशेष । ३ देखो 'बक'।
बुझविल-देखो 'बुजदिल'। बुगाळ-पु० ग्रास, कौर।
बुझदिली-देखो 'बुजदिली' । बुग्गी-स्त्री. १ गर्दन । २ गर्दन के ऊपर के बाल । ३ ऊंट की | बझाई-स्त्री० बुझाने की क्रिया या भाव । कुकुद के ऊपर के बाल ।
बुझाकड़, बुझाकड, बुनागड़, बुझागर-वि० [सं०बुद्धि+पाकर] बड़को-पु. १ बकरी प्रादि को खिलाया जाने वाला अन्न।। चतुर, बुद्धिमान, अनुभव सिद्ध । २ पानी में कोई वस्तु डूबने की ध्वनि ।
बुझाणी (बी), बुलावणी (बी)-क्रि० १.दीपक की ज्योति बुड़चरणौ (बो)-क्रि० वि० १ तोड़ना । २ काटना, कतराना । समाप्त करना । २ जलते पदार्थ की अग्नि समाप्त करना । ३ पशुओं द्वारा खड़ी फसल खाना। ...
३ कांतिहीन व निस्तेज करना । ४ मंद, धीमा या उदास बुडव-देखो 'बुरद'।
करना । ५ पानी डालकर अग्नि शांत करना । ६ मावेग बुडपांचम-स्त्री. वसंत पंचमी।
शांत करना । ७ भूख-प्यास मिटाना, तप्त करना । ८ गरम बड़बड़ाक-स्त्री० खरगोश के बैठने का स्थान ।
वस्तु को विशेष गुण लेने के लिये तरल पदार्थ में डाल कर बड़बड़ियो, बुबड़ी-पु० [सं० बुद् बुद्] १ हवा भर जाने से | ठंडा करना। देखो 'बूझाणी' (बी)। ' - पानी या किसी तरल पदार्थ में उठने वाला बुदबुदा। बझ्झ-१ देखो 'बूझ' । २ देखो 'बुज्झ' । . . बुल्ला । २ मन में होने वाली खुशी की तरंग ।
बुटाबटो-पु. एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। बरबूटियो-पु० शरीर से मैल उतारने का छोटा पत्थर ।
बुट्ठो (बौ)-देखो 'बूठणो' (बौ) । बुड़ियोतीतर-पु. एक प्रकार का तीतर।
बुड-पु. प्रस्थान, रवानगी, कूच । बुचकार-देखो पुचकार'।
| बुडणी (बो)-देखो 'बूडणी' (बौ) । बुचकारणौ (बी)-देखो 'पुचकारणो' (बी) । बुचकारी, दुचकारी-देखो 'पुचकार' ।
बुड्ढ़ो-देखो बूढ़ो' । बची, बुच्चौ-देखो 'बूची'।
बुढ़ण-देखो 'बूढण'। बुज-स्त्री० [फा० बुज] १ बकरी, प्रजा । २ देखो 'बुज्झ' । बुढ़ाई-स्त्री० वृद्धावस्था, वृद्धत्व । बुजणी (बो)-देखो बुझणौ' (बौ)।
| बुढ़ापी-पु. वृद्ध होने की अवस्था, वद्धावस्था ।
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