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२३७ ।
बेअक्सरी
बूढ़ण. (णि, गो)-स्त्री० [सं० वृद्धा] १ वृद्ध स्त्री, वृद्धा बूराणी (बो), बूरावणी (बो)-देखो 'बुरावणो' (बी)। बुढ़िया । २ वीर बहूटी नामक कीड़ा।
बूरी-स्त्री. १ रंग विशेष की मादा मवेशी। २ एक वनस्पति बूदरणी (बी)-क्रि० [सं० वृद्धत्वं] बुद्ध होना, बुढ़ापा पाना। | विशेष । • बूढल (लि, ली)-देखो 'बूढण' ।
बूरी-पु. १ अच्छे किस्म की शक्कर विशेष । २ भूरे रंग की बूढलो-देखो 'बूढ़ी'।
कच्ची चीनी। ३ कोई महीन चूर्ण । ४ देखो 'बुरौ'। बूढ़वेम, बूढ़वम-देखो 'बूढ़जांम'।
बूला-स्त्री० चमड़े की रंगाई का कार्य करने वाली एक बूढ़ाई, बूढ़ापण (पो)-पु० [सं० वृद्धत्वं] १ वृद्ध होने की | चमार जाति, रैगर ।
दशा, अवस्था या भाव । २ वृद्धावस्था का भाव । बूसी-स्त्री० हाथ में रखने की लाठी। बूढ़ापौ-देखो 'बुढ़ापौ'।
बहणी (बो)-देखो 'वहौ ' (बी)। बूद्धि, बूढ़ी-वि० [सं० वृद्धा] वृद्धा अवस्था वाली, वृद्धा। बूहाणी (बी)-देखो 'वहाणों' (बी)। बड़े वारे, बूढ़वार-क्रि० वि० [सं० वृद्ध वेला] वृद्धावस्था में, बूहारणो (बौ)-देखो 'बुहारणी' (बी)। ___ बुढ़ापे में।
बुहारी-देखो 'बुहारी'। बूढ़ी-वि० [सं० वृद्ध] (स्त्री० बूढ़ी) १ वृद्धावस्था वाला, वृद्ध, बैं-सर्व०१ उस,वह । २ । -स्त्री. भेड़ या बकरी की बोली।
बूढ़ा। २ बुजुर्म, दाना । ३ वृद्धि को प्राप्त, बढ़ा हुमा। बॅच-स्त्री० १ लंबी कुर्सीनुमा बैठने का प्रासन, बैठने का लम्बा ४ बुद्धिमान, चतुर । ५ झर-झर, पुराना, क्षीण । | तख्ता । २ न्यायाधीश या सांसदों के बैठने का मासनं । ६ परिपक्व । -पु० १ वृद्धावस्था का प्राणी। २ वृद्ध बॅचरणी (बौ)-देखो 'बांटणो' (बौ) । पुरुष ।
बॅचवाड़ी-पु० बंटवारा, विभाजन, वितरण। बूढोडेरण-पु० [सं० वृद्ध] प्रति वृद्ध एवं संज्ञा शून्य प्राणी। | चारणो(बी), बैंचावणी (बी)-देखो 'बंटाणों' (बी)। बूणा-स्त्री० भाटों की एक शाखा विशेष ।
बेंट-पु० [सं० वण्ट] प्रौजार आदि का दस्ता, हत्था । बूतणी (बी)-देखो 'बूतणी' (बी) ।
बेंडो-देखो 'बैडी' । (स्त्री० बेंडी) बतौ-पु. १ योग्यता, अनुभव । २ हौसला, ज्ञान, बोध । | बॅग-१ देखो 'वेन' । २ देखो 'बहन' । ३ देखो 'वचन' ।
३ मौकात, क्षमता । ४ सामर्थ्य, हस्ती । ५ शक्ति, बल, | बेंत-स्त्री० [सं० वेतस्] १ ताड़ या खजूर की छड़ी विशेष । पराक्रम । ६ प्रायु । ७ शारीरिक क्षमता ।
२ ताड़ या खजूर की शाखा की लकड़ी की छाल का पतला बूरकार-स्त्री० [सं० चीत्कार] चिल्लाहट, चीत्कार ।
रेशा (केन)। ३ बालिश्त। [सं० व्यूतिः] ४ सिलाई के बूथ-स्त्री० १ मांस का टुकड़ा, बोटी। २ गाढ़े खून की ग्रन्थि । वस्त्रों का माप । ___ रक्त पिण्ड ।
बैतरणी (बी)-क्रि० [सं० व्यूतिः करणम् ] सिलाई के वस्त्रों का बूथेळी-देखो 'बथूलो'।
माप लेना। बून-देखो 'बूंद'।
बंतारणी (बी)-क्रि० सिलाई के कपड़ों का माप लिरवाना । बने, बून-क्रि० वि० उस मोर, उधर । -सर्व. उसे, उसको। बैंतालीस-देखो 'बयालीस'। बूब, बूबड़-देखो 'बूब'।
बतावरणों (बी)-देखो 'बैताणों' (बी)। यूबड़ी-१ देखो 'बूबड़ी' । २ देखो 'बूब' ।
बंदी-देखो "बिंदी'। वणी (बी), बूबूरणी (बी)-कि० जोर से बोलना, चिल्लाना। बे-वि० [सं०] १ दो। २ दोनों । -क्रि० वि० [फा०] बूम-देखो 'बूब'।
१ बगैर, बिना। २ अभाव में । ३ उपसर्ग विशेष । -पु. बूमनौ-पु. फकीर।
१ कमल । २ क्रम । ३ जग । ४ नीचजन । ५ संसार । बूर, बूरो-यु० १ प्रहार । २ बौछार । ३ प्रवाह, बहाव ।। ६ साक्षी । ७ देखो 'बे'। -अंत-वि. अनन्त, अन्तहीन
४ समूह । ५ एक प्रकार की घास । ६ अधिक जड़ों वाला -अकल-वि० मूर्ख, बुद्धिहीन । नादान । -प्रकली
एक सुगधित घास विशेष । ७ सुहागा । ८ देखो 'बुरौ'। स्त्री० मूर्खता । नादानी। -अवब-वि० धृष्ट, गुस्ताख । बूरणी (बी)-क्रि० १ गड्ढा खोद कर गाड़ देना, दफना देना।
बदतमीज । असभ्य । प्रशिष्ट । -अदबी-स्त्री० पशिष्टता २ खाई, गड्ढे आदि को पाट देना, समलत कर देना ।
असभ्यता, बदतमीजी, धृष्टता । बलात्कार । ३ क्षत-विक्षत कर मिट्टी में मिला देना । ४ सन देना, बेअक्खरी, बेप्रखरी, बेमख्खरी, बेप्रख्यरी-पु. १ सोलह मात्रा पाच्छादित कर देना । ५ धूल आदि वस्तु के ढेर में दबा का एक छन्द विशेष । २ चौदह वर्ण का एक छन्द विशेष । देना । ६ अधिक देना, भरना ।
-चौसर-पु. एक छन्द विशेष ।
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