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पाटण
पाठभेद
पाटण-पु० [सं० पत्तन] १ गुजरात का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक पाटी- स्त्री० [सं० पट्टः,पाटी:] १ परिपाटी, रीति । २ गुणादि का
नगर । २ पाटने की क्रिया या भाव । ३ नगर, शहर । क्रम । गणना क्रम । ३ पाठ, सबक । ४ बच्चों के पढ़ने पाटणमुखी-पु. काजल, कज्जल ।
लिखने की स्लेट या तख्ती। ५ चारपाई की लम्बाई पाटणी-पु. १ वस्त्र विशेष । २ देखो 'पट्टण'।
की ओर की पट्टी। ६ विवाह के समय पढ़ा जाने वाला पाटणी (बी)-क्रि० [सं० पाटनम्] १ किसी चीज की रेल- वेद मंत्र । ७ कान का निचला भाग। ८ जुताई किये खेत
पेल कर देना। २ गड्ढे को बराबर कर देना, बूर देना, को समतल करने का उपकरण। ६ घाव पर बांधने की समतल कर देना। ३ छत या छाजन बनाना । ४ खलल पट्टी। १. किसी कपड़े की कोर अथवा किनारी।
भर देना, अवकाश न रहने देना। रिक्तता न रहने देना। ११ मांग, बालों की पट्टी। १२ मवेशी चराने व घास के पाटयम-पु० [सं० पट्ट-स्तम्भ] १ राज सिंहासन का रक्षक। लिये छोड़ा हुआ भू-भाग । १३ देखो 'पट्ट' । १४ देखो २ राजा। ३ सामन्त, सरदार ।।
'पट्टी' । १५ देखो 'पाट'। पाटथान-पू० [सं० पट्ट-स्थांन] १ किसी राज्य की राजधानी । पाटीपोती-पु० [सं० पट्ट:-पोत] स्लेट साफ करने का छोटा २ धर्म या सम्प्रदाय का मुख्य केन्द्र ।
कपड़ा। पाटनगर-पु० [सं० पट्ट नगर प्रमुख स्थान, राज्य स्थान ।
पाटीहोड़ो-देखो 'पटहोड़ो'। पाटप-वि० [सं० पट्टप] १ प्रधान, मुख्य । २ शिरोमणि ।
| पाटु-पु० [सं० पट्ट] १ बस्त्र विशेष । [सं० पाद] २ लात । पारपा (पति, पती)-पु० [सं० पट्टपति) १ राजा, नृप। पाटयाली-स्त्री० [सं० पाद-पालच] पाट प्रमाणिी की २ युवराज, उत्तराधिकारी।
चोट। पाटरस्यक-पु. [सं० पाट रक्षक] १ राजा, नृप । २ राजगद्दी पाटेपड़ी-स्त्री० एक पक्षी विशेष । की रक्षा करने वाला।
पाटेदार-पु० [सं० पट्ट+फा. दार] पट्टी बांधने वाला। पारायंभ-देखो 'पाटथंभ।
पाटोतो-पु० भोजन की थाली रखने की छोटी चौकी। पाटरियन-पु० [सं० पट्ट] युद्धस्थल, रणक्षेत्र ।
पाटोधर-वि० [सं० पट्ट-धारिन्] १ श्रेष्ट, उत्तम । २ वस्त्रपाटळ, पाटल-पु० [सं० पाटल:] १ एक वृक्ष विशेष । २ एक धारी । ४ वीर, बहादुर । -पु० १ राजा, नप । २ युवराज,
देश । ३ पाडर वृक्ष या इस वृक्ष का फूल। ४ एक प्रकार उत्तराधिकारी। का चावल ।
पाटो-पु० [सं० पट्ट] १ मरहम, पट्टी। २ काष्ठ का बना कोई पाटला, पाटलावती-स्त्री० [सं० पाटलावटी] देवी, दुर्गा।
तख्ता । ३ देखो 'पाट' । ४ देखो 'पाटी'। पाटली-पु० मगध (बिहार प्रदेश) की राजधानी। | पाटोधरण-देखो 'पाटोधर'। पाटली-पू० १ स्त्रियों के हाथ का कंगन । २ बैलगाड़ी के पहिये पाठ-पु० [सं०] १ पढ़ने की क्रिया, पढ़ाई । २ धार्मिक पुस्तक
का एक भाग । ३ चरखे का एक भाग । ४ देखो 'पाटल'। का नियमित पठन । ३ पढ़ने का विषय । ४ प्रतिदिन पढ़ने पाटव-पु० [सं०] १ स्वास्थ्य, पारोग्यता । २ स्फूर्ति, कुशलता। का विषय । ५ पुस्तक का अंश, परिच्छेद, अध्याय । - ३ देखो 'पाटवी'।
६ किसी वाक्य या पंक्ति में शब्दों का अन्तर, पाठान्तर । पाटवी-वि० १ उत्तराधिकारी। २ गद्दी का संभावित ७ फालसा । ८ जवान बकरी जो गर्भवती न हुई हो। प्रधिकारी । ३ रेशमी वस्त्र, कौशेय ।।
६ देखो 'पाठी' । १० देखो 'पाट'। पाटवीराग-स्त्री० वीर राग, सिंधुराग।
पाठक-पु० [सं०] १ पढ़ाने वाला, अध्यापक । २ नित्य पाठ पाटहाथो-देखो 'पटहस्ती'।
करने वाला, पढ़ने वाला। ३धर्मोपदेशक । ४ ब्राह्मणों का पाटाबंध, पाटाबांधण-वि० [सं० पट्ट-बंधनम्१ घावों की भेद । ५ विद्यार्थी । ६ कथावाचक । ७ दीक्षा गुरु ।
मरहम पट्टी करने वाला, जर्राह । २ जिसने युद्ध स्थल में | पाठड़ी-देखो 'पाठ'। कइयों को घायल किया हो। ३ जिसके कई घाव लगे हों पाठडौ-पु० सूअर का जवान बच्चा। व पाटे बंधे हों।
पाठदोस-पु० [सं० पाठ दोष] १ किसी ग्रंथ में लिखावट या पाटाबंधाई-स्त्री० [सं० पट्ट-बंधनम्] १ घावों पर मरहम्म पट्टी छपाई की अशुद्धि । २ वजित रीति से पढ़ने की क्रिया।
करने का कार्य । २ उक्त कार्य का पारिश्रमिक । पाठन-पु. [स०] पढ़ाना क्रिया, अध्यापन । पाहि-१ देखो 'पाट'। २ देखो 'पाटी' । ३ देखो 'पाटौ'। पाठप्रणाली-स्त्री० [सं०] पढ़ने-पढ़ाने की रीति या डंग। पाटिसथान, पाटिस्थान-पु० [सं० पट्ट-स्थान] १ प्रमुख स्थान। पाठभेद-पु० [सं०] किसी ग्रंथ की प्रतिलिपियों में कहीं-कहीं २ सिंहासन । ३ राजधानो।
होने वाला शब्दों या वाक्यों का अन्तर ।
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