________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सौरट
( ८५६ )
सौवनदे
सोरट, सोरठ-स्त्री०१ राजस्थान के दक्षिण पश्चिम में स्थित | सोळह-वि० [सं० षोडस् ] दश व छः का योग। -पु० दश व सौराष्ट्र प्रदेश । २ मोड़व जाति का एक राग ।
छः की संख्या व अंक, १६ । सोरठगेड़-स्त्री० शकुनशास्त्र के अनुसार दूल्हा-दुल्हिन के | सोळहकळस्वामी-पु० [सं० षोडशकलास्वामी] चन्द्रमा . परिभ्रमण की गति का नाम ।
सोळहसिंगार (सिणगार, नगार)-पु० [सं० षोडश-गार] सोरठड़ी-वि० १ सौराष्ट्र देश की। २ अच्छी लगने वाली।। स्त्रियों की वे सोलह प्रसाधन-क्रियायें जो उन्हें अधिक ३ देखो 'सोरठ।
चित्ताकर्षक व सुन्दर बनाती है । सोरठमलार-पु० सब शुद्ध स्वरों का, सम्पूर्ण जाति का एक राग। | सोलही-देखो 'सोळो'। . सोरठियो-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष ।
सोळा-देखो 'सोळई'। सोरठी-स्त्री० एक रागिनी विशेष ।
सोलाळी, सोलालो-स्त्री. धरती, पृथ्वी। सोरठी-पु० एक छन्द विशेष ।
सोळासणगार, सोळासिणगार (संगार)-देखो 'सोळह सिंगार' । सोरदाणी-स्त्री० [फा० शोरदानी] बारूद रखने का एक पात्र | सोलियाळ-वि० [सं० सुखलन् + रा.प्र. ईयार] १ कार्य से विशेष ।
निवृत्त, उत्तरदायित्व से मुक्त । २ जो किसी प्रकार का सोरप-देखो 'सोरापो'।
शारीरिक श्रम न कर सकता हो, नाजुक । ३ प्रालसी, सोरभ-देखो 'सौरभ'।
निकम्मा । ४ सुखी। सोरभखी सोरभ्रखो-स्त्री० [फा० शोर + सं० भक्षी] तोप, सोळियो-पु० क्सिी लकड़ी में अन्य लकड़ी फंसाने के लिये किया ___बन्दूक ।
गया छेद । सोरम-देखो 'सौरभ'।
सोळी, सोलो-स्त्री० रहट के चक्र में लगने वाली लकड़ी सोरमदे-स्त्री० एक देवी का नाम ।
__विशेष। सोरमौ, सोरवी-पु० १ पके हुए मांस का रस । २ सब्जी का | सोळे, सोळे, सोळे-देखो 'सोळह' । ___ झोल रस, वसा ।
सोळे क-वि० सोलह के लगभग । सोराई, सोराई-स्त्री. १ पाराम, शांति, तसल्ली । २ सुख । सोळंकांकरी सोळेसारी-स्त्री० सोलह-सोलह छोटे कंकरों से सोरापो, सोरापो-पु० पाराम, सुख, शांति, चैन ।
खेला जाने वाला एक देहाती खेल । . सोरीघर-पु. प्रसूतीग्रह ।
सोळी सोळी-पु० १ एक प्रकार का लोक गीत । २ इस लोक गीत सोरो, सोरो-वि० [स्त्री० सोरी) १ पारामदायक, सुखप्रद ।।
के प्रभाव से होने वाला उत्साह, आवेग, जोश । ३ काति, . २ सहज सरल पोर प्रासान । ३ सम्पन्न, समृद्ध । ४ प्रसन्न,
दीप्ति, तेज । ४ खुशी के गीत । ५ अंगारा । ६ सोलह का खुश । ५ सुखी। -क्रि०वि० प्रासानी से. माराम से ।
वर्ष, सोलहवां वष। -पु० १ बारूद । २ एक प्रकार का क्षार। ३ देखो
सोवन, सोवन-देखो 'स्वरण'। 'ससरो'।
सोवड़ सोड़ि-स्त्री० १ रजाई के नीचे प्रोढ़ने का वस्त्र या
___कम्बल । २ प्रोढ़ने का बिस्तर, रजाई। सोळ सोल-स्त्री० १ वह गाय जिसके स्तन बड़े हों किन्तु दूध , कम देती हो। २ पीतल या लोहे का बना छोटा लटटू
सोवड़ौ-पु० मुह, मुख। जिसको रस्सी के एक छोर पर बांध कर दीवार को सोध
सोवरणग्रह सोवणघर-पु० शयनगृह, शयन कक्ष । देखने के काम लिया जाता है । ३ देखो 'सोळह' ।
सोवरणो-देखो मोहरणो'।
सोवरणो(बो)-१ देखो 'सूबो (बो) । २ देखो 'सोहणों (बी)। सोळपग्गी-पु० १ कनखजूरा । २ सोलह पांव का, रेंगने वाला। एक जीव ।
सोवन-देखो 'स्वररण'। सोलमा (ई, उ). सोळमौं (वौ)-वि० (स्त्री. सोळवीं) पन्द्रह के सोवनकार-देखो स्वरण कार' । बाद वाला, सोलह के स्थान वाला।
सोवनगर, सोनमगिर (निरि, गिरी)-देखो 'स्व रणगिरी'। सोळवी-वि० १ एक मन में सोलह सेर घी वाली । २ सोलह के
| सोवनचिड़ी-देखो ‘सोनचिड़ी'। स्थान वाली।
सोवन जाई, सोवनजुही-देखो 'सोनजुही' । सोळासोनो-पु० १ सोलह बार तपा कर शुद्ध किया हुपा सोना.
सोवनथांभ-पु० स्वण स्तंभ । उत्तम श्रेणी का स्वर्ण। २ अच्छे गुणों वाला ईमानदार
सोवनथाळ-पु० [सं० स्वर्णथाल] सोने की थाली । व्यक्ति (लाक्षणिक)।
सोवनदे-स्त्री० [सं० सुवर्ण-देह वधू के लिये प्रयुक्त होने वाला
For Private And Personal Use Only