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पछिवांण
पछिवांण-देखो 'पछेवारण' ।
७ पीटना, मारना। ८ काबू में करना, वश में करना । पछीत-देखो 'पछीत'।
९ ठीक-ठीक समाहित करना। १० टक्कर लिराना, पछी-क्रि० वि० [सं० पश्चात्] १ बाद में, पश्चात्, तदनन्तर, भिड़वाना । ११ सम्पर्क कराना। १२ संबंध स्थापित कराना। पीछे । २ देखो 'पक्षी'।
पजाब-देखो 'पजावी'। पछीत, पछीतरा-स्त्री० मकान के कक्ष में, दीवार के सहारे पजावगर-पु० [फा०] मिट्टी की ईटें बनाने वाला व्यक्ति । ___ऊंची लगाई जाने वाली पत्थर की पट्टी, टांड । पजावणी (बौ)-देखो 'पजाणी' (बो)। पर्छ, पछे-देखो ‘पर्छ'।
पजावी-पु० [फा० पजावः] मिट्टी की ईटें या खड्डी का, घास-फूस पछेडलु (लू), पछेडलु (लू)-वि. (स्त्री० पछेड़ली) १ बाद का, या कंडों में पकाने के लिये, जमाया हुमा ढेर । पश्चात का। २ पीछे का।
पण, पजूरण, पजूसरण-देखो 'परयू सण'। पछेड़ी-देखो 'पछेवड़ी'।
पजोणी (बो), पजोवरणों (बौ)-क्रि० प्राप्त करना । पछली-स्त्री. १ स्त्रियों के हाथ का एक आभूषण विशेष । पज्ज-पु० [सं० पद्य] मार्ग, रास्ता। २ विधवा स्त्री के हाथ का आभूषण (मेवात)।
पज्जण-पु० [सं० पर्जन्य] १ वर्षा का बादल (जैन)। २ इन्द्र । पछवड़ी-स्त्री० [सं० प्रच्छदः] १ मोटे सूती कपड़े की चादर, | पज्जत, पज्जत्त-वि० [सं० पर्याप्त] १ परिपूर्ण मात्रा में, पूर्ण ।
चद्दर । २ मोटे कपड़े का थान। ३ पगड़ी पर बांधने का | २ सम्पूर्ण । ३ समर्थ, शक्तिशाली । ४ यथेष्ट (जैन)। वस्त्र विशेष । ४ सिरोपाव में पगड़ी के साथ दिया जाने | पज्जत्ता-स्त्री० [सं० पर्याप्त सम्पूर्णता, पूर्णता। वाला वस्त्र । ५ स्री संघ द्वारा पूज्य पाट पर प्रासीन पज्जत्ति-स्त्री० [सं० पर्याप्ति] १ पुद्गलों को ग्रहण करने की करते समय प्रोढ़ाया जाने वाला श्वेत वस्त्र (जैन)। शक्ति । २ शक्ति, सामर्थ्य । ६ देखो 'पछेवड़ो'।
पज्जव-पु० [सं० पर्यव] १ परिच्छेद, निर्णय (जैन)। पछेवड़, पछेवड़, पछेवड़, पछेवड़ो, पछेवडो-पु० [सं० प्रच्छदः २ विशेषता (जैन)। ३ द्रव्य और गुण का रूपान्तर (जैन)
+ पट:] १ प्रायः सफेद रंग का, प्रोढ़ने का वस्त्र । ४ पर्याय। २ सफेद चादर । चद्दर।
पज्जूसरण, पज्जोसवरण, पज्जोसवणा-देखो 'परघ सण' । पछेवाण, पछेवाणि-क्रि०वि० पीछे की ओर ।
पज्झटिका-स्त्री० [सं० पद्धटिका] एक प्रकार का मात्रिक छन्द । पर्छ, पछ-क्रि०वि० [सं० पश्चात्] १ बाद में, तदुपरांत, | पटंगय-स्त्री० एक राग विशेष । तदनन्तर, पीछे । २ फिर । ३ अन्त में।
पटतर-पु० [सं०] १ गूढ़ विषय, गोप्य बात, रहस्य की बात । पछोकड़ो, पछोकडउ, पछोकडो-पु० [सं० पश्चादोक] पीछे का २ भेदोपभेद । ३ पार्थक्य, पृथकत्व, अलगाव । ४ सादृश्य ___ स्थान, पीठ का स्थान ।
कथन । उपम । ५ समानता, सादृश्य । ६ परिवर्तन । पछोड़ी (डी)-देखो 'पछेवड़ी' ।
पटतरह (रो)-स्त्री० १ पाट बैठते समय प्रोढ़ाई जाने वाली पछोपों, पछोपौ-देखो 'पाछोपौ।
चादर । २ प्राचार्य के पाट या गादी पर बैठाया जाने वाला
दूसरा व्यक्ति। पजणी (बी)-क्रि० [सं० प्रजुडनम्] १ बंधन में माना, पकड़ में
पटंबर-पु० [सं०] १ कोशेय, रेशमी वस्त्र । २ वस्त्र, कपड़ा। माना । २ उलझन में प्राना, परेशानी में पड़ना । ३ घुसना,
३ कपटता, धूर्तता । ४ गुप्त भेद । ५ गोप्य विषय । प्रविष्ट होना। ४ घुसकर फंस जाना, अटक जाना, अड़
पटबरि, पटंबरी-वि० १ कपट करने वाला, धुर्त । २ देखो जाना । ५ ठसाया जाना । ६ जड़ा जाना । ७ पीटा जाना,
'पटंबर'। मारा जाना । ८ काबू में प्राना, वश में पाना । ६ ठीक
परबरौ-देखो ‘पटंबर'। ठीक समाहित होना । १० टक्कर लेना, टकराना, भिड़ना। ११ सम्पर्क करना, संबंध स्थापित करना ।
पट-पु० [सं०] १ वस्त्र, कपड़ा । २ महीन वस्त्र । ३ कपाट,
किंवाड़। ४ पर्दा । ५ पालकी के दरवाजे का कपाट । पजामो-देखो 'पाजामौ'।
६ चित्रांकित करने का पत्र या गत्ता। ७ जगन्नाथ, पजाऔ-देखो 'पजावी'।
बद्रीनाथ आदि का चित्र । ८ नदी तट, किनारा । पजाणो (बी)-क्रि० [सं० प्रजोडनम्] १ बंधन में डालना, पकड़ ९ शकट या गाड़ी पर लगाने का छप्पर । १० छत, छाजन ।
में लाना। २ उलझन में डालना, परेशानी में पटकना। ११ कुश्ती का एक पेच । १२ किसी वस्तु के गिरने से ३ घुसाना, प्रविष्ट करना। ४ घुसा कर फंसाना । उत्पन्न 'पट' ध्वनि । १३ नाश, ध्वंस। -क्रि०वि० अटकाना, अड़ाना। ५ ठसाना, ठूसना। ६ जड़ना।। १ शीघ्र, तुरंत, झट । २ देखो 'पट्ट' ।
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