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सीव
( ७६८ )
सीव-पु० [सं० सीमा] १ ईश्वर । २ परब्रह्म । ३ देखो सीमा'। सीसी, सीसी-स्त्री० [फा० शीशी] तेल, इत्र, दवा भादि रखने ४ देखो "सिव'।
के काम पाने वाला शीशे का पात्र । सोवरण-1 देखो 'सेंवरण'। २ देखो 'सींवरण' । ३ देखो ‘सीवन'। सोसो-पु० [सं० सीसक] १ नीलापन लिए काले रंग का एक सीवरगो-देखो 'सींवरणो'।
मूल धातु जो तोल में भारी होता है। २ बालू या खारी सीवणी (बौ)-देखो 'सींवरणी' (बो)।
मिट्टी को भाग में गलाने से बनने वाला एक पारदर्शक सीवन-स्त्री. १ सिलाई का कार्य, सिलाई। २ सिलाई का मिश्र धातु । ३ दर्पण, माईना। ४ तेल मादि डालने का ___ जोड़ । ३ सीमा, मर्यादा । ४ देखो 'सीवनी' ।
संकरे मुह का लम्बा पात्र, बोतल । सोवनी-स्त्री० [सं०] लिंग के नीचे से गुदा द्वार तक बनी रेखा। सीह-१ देखो "सिंघ' । २ देखो 'सीत'। सीवर-देखो 'स्रीवर'।
सोहदुमार, सीहदुवार, सीहद्वार-देखो 'सिंहद्वार' । सोवळ-पु० [सं० शीतला] चेचक का रोग, शीतला रोग । सीहरू-पृ० शेर, सिंह। सीबाड़ो-देखो 'सीमाड़ो'।
सोहलोर-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष । सीविका-देखो 'सिविका'।
मोहली-पु०१ एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा । २ देखो सिंह' । सीवक्ख, सीव्रक्ष, सीव्रख-देखो 'स्रोतक्ष'।
सोहवणी-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष । सीस-पु० [सं० शीर्षम्] १ मस्तक, शिर । २ ललाट, भाल । | सीहवाग-पु. १० क्षत्रिय वंश विशेष ।
३ खोपडी, कपाल । [सं०शिष्य ४ शिष्य, चेला, शागिर्द। सोहाणी (बी)-क्रि० प्रशंसा करना, सराहना । -कि०वि० पर, ऊपर।
सीह, सोहू-देखो 'सिंध' । सीसकरणौ (बो)-देखो "सिसकणो' (बी)।
सोहो-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा। सीसहलो, सोसडो-देखो 'सोस'।. .
सु-सर्व. १ उसका । २ क्या । ३ करण व अपादान का चिह्न। सीसढ़ाळ-स्त्री. एक वाद्य यंत्र विशेष ।
-क्रि०वि०१ से। २ द्वारा, मार्फत । ३ अपेक्षा में। सीसतारण-पु० फारस और अफगानिस्तान के बीच का प्रदेश, ४ प्रारंभ से । ५ पर। ६ से, को। ७ के द्वारा। ८ के सीस्तांन ।
साथ, सहित । ६ क्यों, क्योंकर । -वि०१ पूर्वक, सहित । सोसत्रांरण-पु० [सं० शीर्ष त्राण] १ शिर का कवच, टोप । २ देखो 'सु'। २ टोपी, पगड़ी, साफा ।
सुमाळ-स्त्री. १ चिकना होने की अवस्था, चिकनाहट, सीसपत्र-पु० [सं०] १ सीसा नामक धातु । २ इस धातु का | स्निग्धता । २ देखो 'सुबाळी'। पत्तर, चद्दर।
. | सुखड़ो-पु० बादाम, दाख पादि स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ । सीसकूल-पु. औरतों के शिर का एक स्वर्णाभूषण। सुखणी, सुखनी, सुखिली (नी)-देखो 'संखणी'। सीसम-पु० [फा० शीशम] १ एक प्रकार का वृक्ष । २ इस सुग-पु० [सं० शुग] १ मगध पर शासन करने वाला एक
वक्ष की लकड़ी जो इमारती सामान में काम पाती है। क्षत्रिय वंश । २ प्रावला। ३ वटवृक्ष, बरगद । ४ गेहं, सीसमेहल, सीसमै'ल-पु० [फा० शीश-प्र० महल] वह कमरा चावल प्रादि के पौधे पर पाने वाली बाल । ५ पाकड़ वक्ष। .. ___ या मकान जिसकी दीवारों में शीशे जड़े हों।
सुगण-१ देखो 'सुगंध' । २ देखो 'सकुन' । सीसय-देखो "सिस्य'।
सुगवस -पु० [सं० शुगवश] एक क्षत्रिय वश । सीसवद-पु० सीसोदिया वंश का व्यक्ति ।
सुघणी (नी)-१ देखो 'सूघणी' । २ देखो 'सांगणो' । सीसवि-पु० [सं० शिशपा] एक वृक्ष विशेष, सीसम ।
सुधारणा (बो)-क्रि० सूचने के लिये प्रेरित करना, सुघाना । सीसांणी-स्त्री० तोप।
सुज-स्त्री० तयारी। सीसागर-पु. १ काच की चूडियां बनाने वाला कारीगर। सुठ, सुठि, सुठो-देखो 'सूठ' । २ शीशा बनाने वाला कारीगर ।
सुड-पु० [सं० शुण्ड] १ हाथी को कनपटी से बहने वाला मद । सीसागरी-स्त्री. १ मांस खाने के उद्देश्य से मारे गये बकरे के २ देखो 'सूड'। . शिर का मांस । २ सीसागर का कार्य या हूनर ।
सुडडंड, सुडबंड-देखो 'सूडादंड'। सीसाड़णो (बी), सीसाणी (बी), सीसावणो (बो)-क्रि० मुंह सुभुसंड (भुसडि, भुसंडी, भुसुड, डि, डो)-पु० [सं० शुड से सी-सी की ध्वनि करना, सीत्कार करना ।
भुशडि] हाथी, गज। -वि० मस्त, उन्मत्त । सीसिक-पु. १ काच, दर्पण। [सं० सीसक] २ रांगा नामक सुडा-स्त्री० [सं० शुण्डा] १ हाथी की सूड । २ वेश्या, रण्डी। धातु । ३ शिर, मस्तक ।
३ मदिरा, शराब । ४ कुटनी स्त्री।
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