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बिखराणी
( २१५ )
बिगोई
८ ढह जाना, मिटना। विसर्जन होना। १० खुलना, | बिगड़ायल, बिगड़ल-वि० १ वर्ण संकर । २ पथ-भ्रष्ट । बद उधड़ना।
चलन । ३ उद्दण्ड, बदमाश । ४ चुगलखोर । ५ ऋद्ध, बिखराणो (बी), बिखरावरणौ (बो)-क्रि० १ किसी पदार्थ के | बिफरा हुमा।
कण या रेशों को इधर-उधर फैलाना, छितराना, पसराना। | बिगड़ो-वि० [सं० द्वि-गुणित] (स्त्री० बिगड़ी) १ दुगुना । २ एकत्र या संगठित हुए को अलग-अलग कराना। | २ दो। -पु० दो की संख्या। ३ लिखावट या अंकन को मिटाना, अलोप कराना । बिगत-देखो 'विगत' । -वार='बिगतवार' ४ अव्यवस्थित या अस्त-व्यस्त कराना। ५ नष्ट कराना, | बिगतापो (बी)-देखो 'विगतारणो' (बो) । ध्वस्त कराना। ६ सोजन, शोथ या वर्म मिटाना । |बिगताळ, बिगताळू-देखो 'विगताळू' । ७ प्रकाशित या विज्ञापित कराना । ८ ढहाना, मिटाना। बिगतावरणो (बी)-देखो 'विगतारणो' (बी)।
९ विसर्जन कराना । १० खुलवाना, उधड़वाना। बिगन-देखो 'विघ्न' । बिखसूचक-पु. चकोर।
बिगनांम-देखो 'विग्यांन' ।
बिगर, बिगरि-देखो 'बगैर'। बिखहर-१ देखो 'विसधर'। २ देखो 'विसहर'।
बिगल-देखो 'बिगुल'। बिखहा-पु० [सं० विष-हन्] गरुड़।
बिगसणौ (बौ)-देखो विकसरणी' (बी)। बिखाद-देखो 'विसाद'।
बिगसारणी (बी), बिगसावरणौ (बौ)-देखो 'विकसाणी' (बो)। बिखेर-स्त्री० पैसे आदि उछालने की क्रिया, शव पर पैसे बिगाड़-पु. १ बिगड़ने की क्रिया या भाव । २ ऐब, खराबी । उछालने की क्रिया ।
३ वैमनस्य, शत्रता । ४ बुराई, अपकार, अहित। ५ हानि बिखेरणी (बी)-क्रि० [सं० विकीर्णक] १ किसी वस्तु के रेशों |
नुकसान । ६ संहार, नाश । ७ विकृति, विकार।। या करणों को इधर-उधर फैलाना, छितराना, पसराना । विगाड़णी (बी), बिगारणौ (बौ)-क्रि० [सं०विकार] १ किसी २ एकत्र या संगठित का अलग-अलग होना, यत्र-तत्र होना।। वस्तु के रूप गुण आदि विकृत करना । २ निर्माण या ३ अव्यवस्थित या अस्त-व्यस्त करना। ४ नष्ट करना,
बनावट में दोष या ऐब रख देना । ३ दुर्दशा करना, खराबी ध्वस्त करना । ५ भंग करना, विसर्जन करना । ६ सोजन,
करना । ४ मन-मुटाव करना, तनाव बढ़ाना। मतभेद शोथ या वर्म मिटाना । ७ खोलना, उधेड़ना । ८ लिखावट
बढ़ाना। ५ कुलीनता मिटाना, कुल गौरव नष्ट करना, या अंकन मिटाना । ९ प्रकाशन या विज्ञापन करना ।
वर्ण संकर करना । ६ प्राचरण, प्रकृति या स्वभाव १० ढहाना, मिटाना।
खराब करना । ७ नाराज करना, क्रुद्ध करना। गुस्से में बिखेराणी (बौ)-देखो 'बिखराणो' (बौ)।
करना । ८ पथ-भ्रष्ट करना, बदचलन करना । ९ सतीत्व
या शील नष्ट करना । १० पतन करना, बरबाद करना, बिखै-देखो 'विसय'।
ह्रास करना । ११ नष्ट करना । १२ प्रतिष्ठा में हानि बिखोरणी (बी)-देखो 'बिखेरणौ' (बी)।
पहुंचाना, बेइज्जती करना । १३ काव्य रचना में दोष बिखो-देखो 'विखो' ।
रखना। १४ हानि करना । १५ व्यर्थ खर्च करना । बिगड़णो (बौ)-क्रि० [सं० विकरण] १ किसी वस्तु का, रूप |
१६ लड़ाई करना, झगड़ा करना । १७ विपरीत या विरुद्ध गुण, स्वभाव की दृष्टि से विकृत होना । २ निर्माण क्रिया
करना। १८ व्यवस्था खराब करना । १६ गुमराह करना, में त्रुटि रह जाने से कोई वस्तु ठीक न बनना । ३ खराब
कुमार्ग पर डालना । २० दूषित या गंदा करना । दशा या अवस्था में पाना, विकृत होना। ४ परस्पर बिगास-देखो 'विकास' । संबंध खराब होना, तनाव होना । ५ आचरण, स्वभाव
बिगासणी (बौ)-देखो 'विका सरणी' (बी)। या प्रकृति में विकार पाना । ६ नाराज, ऋद्ध या गुस्से. में
बिगुण, बिगुणो-वि० [सं० द्वि-गुरिणत] दुगुना । होना । ७ कुलीनता मिटना, कुल गौरव नष्ट होना । ८ उद्दण्ड या अनियंत्रित होना । ९ पथ भ्रष्ट होना, बद
बिगुल-स्त्री० १ एक प्रकार की तुरही। २ उक्त तुरही का
. शब्द । चलन होना । १० पतन होना, ह्रास होना । ११ नष्ट होना । १२ प्रतिष्ठा घटना। १३ काव्य संबधी दोष पाना। बिगूचरणी (बी)-क्रि० [सं० विकोचनम्] १ निदित होना, १४ हानि या नुकसान होना । १५ व्यर्थ खर्च होना । बदनाम होना । २ दुःखी होना, संतप्त होना। १६ लड़ाई होना । १७ विपरीत होना, विरुद्ध होना। बिगोई बिगोई-वि० १ चुगलखोर । २ निंदक ।
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