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बहाली
बहुतेरो
बहालौ-देखो 'वालौ' ।
बहिस्कार--पु० [सं० बहिष्कार] १ बाहर निकालने की क्रिया । बहाव-पु० [सं० वहनं] १ बहने की क्रिया या भाव । २ पानी २ अलग या पृथक करने की क्रिया या भाव। ३ अनादर,
प्रादि के बहने की गति, बहने का रास्ता। ३ जल प्रवाह बेइज्जती । ४ सम्बन्ध विच्छेद । ५ सामाजिक असहयोग । से उत्पन्न ध्वनि । ४ प्रवाह, धारा, सोता । ५ किसी भावना ६ त्याग । ७ घृणा या असहयोग करने की क्रिया । या विचार धारा का प्रभाव ।
बहिस्क्रत-वि० [सं० बहिष्कृत] १ जिसका बहिष्कार किया जाय बहावरणी, (बी)-देखो 'वहाणी' (बी)।
बहिष्कृन । २ त्यक्त । बहि-अव्य० [सं०बहिस्] १ द्वार के बाहर । २ अन्दर के सामने । बहिस्त-पु० [फा० बहिस्त] स्वर्ग, वैकुण्ठ। बहिकरणो (बो)-देखो ‘बहकणो' (बी)।
बही-स्त्री० [सं० बद्ध] १ लेन-देन का हिसाब रखने की किताब, बहिकाणी (बो), बहिकावणी (बी)-देखो 'बहकाणी' (बी)। पंजिका । २ व्यापार का लेखा-जोखा लिखने की पुस्तक, बहिड़-देखो 'ब'ड'।
पंजिका । -खत, खातो='खाताबही' । बहिड़ौ, बहिडौ, बहिदू-देखो 'बे'डो' ।
बहीचरा-देखो 'बहचराय' । बहिण, बहिणि, बहिणी-देखो 'बहन'।
बहोभाट-पु० वंशावली लिखने वाले भाटों की एक शाखा। बहित्तरि (री)-देखो 'बमोत्तर' ।
बहीर-देखो 'वहीर'। महित्र-देखो 'बहित्र'।
बहुतर, बहुतरि, बहुतरी, बहुत्तर, बहुत्तरि, बहुत्तरी-देखो बहिन, बहिनड़, बहिनड़ी, बहिनडीय,बहिनर,बहिनि,बहिनी-देखो 'बमोत्तर'। __ 'बहन' ।
बहु-१ देखो 'बहुत' । २ देखो 'बहू' बहिनेवी-देखो 'बहनोई'।
बहुअड़, बहुअर, बहुप्राण-देखो 'बहू'। बहिनौ-देखो 'बहानो'।
बहुकांमी-वि० [सं० बहु-कामिन्] १ जो अधिक मैथुन करता बहिफनी-देखो 'बहुफळी'।
हो, ऐयाश, कामी । २ स्त्रण। [सं० बडु-कर्मिन] बहिरंग-वि० [सं बाह्य] १ बाहरी, बाहर का, बाह्य । २ जो ३ जो कार्य में अधिक व्यस्त रहता हो। ४ जिसके पास
किसी क्षेत्र या वर्ग से बाहर हो । ३ जो अनावश्यक हो । अधिक कार्य हो । बहुधंधी। ५ ईश्वर । ४ बाहर की भोर का। -पु० १ बनावट, प्राकार-प्रकार । | बहुखीचड़ी-स्त्री० [सं० वधू-कृसर] नव वधू के स्वागत में किया २ पूजा प्रादि प्रौपचारिक कर्म । ३ देखो 'बहरंगी' ।
जाने वाला भोज। बहिर-१ देखो 'वहीर'। २ देखो 'बाहर'।
बहुगुणी, बहुगुणी-वि० [सं० बहु-गुणिन्] १ जिसमें अनेक गुण बहिर उ-देखो 'बहरो'।
__ हो, गुणवान । २ जो कई कामों में उपयोगी हो। -पु. बहिरखू, बहिरखो-देखो 'बहरखो।
विशेष लक्षणों वाला घोड़ा । । बहिरगत-क्रि० वि० [सं० बहिर्गत] बाहर ।
बहुडपो (बो)-देखो 'बावड़णो' (बी)। बहिरणौ (बौ)-देखो 'बैरणो' (बो)। .
बहुडाणी (बौ), बहुडावरणों (बी)-देखो 'बावड़ाणी' (बौ)। बहिरलापिका-स्त्री० [सं० बहिर्लापिका] काव्य रचना में एक बहुड़ि-१ देखो 'बहुरि'। २ देखो 'बहू'। पहेली।
| बहुचक्र-पु० [सं०] १ जलेबो व इमरती नामक मिठाई। बहिराणौ (बौ), बहिरावरणौ (बो)-देखो 'बैराणी' (बो)। २ फोणी नामक मिठाई। बहिरिखौ-देखो 'बहरखौ' ।
बहुजाण-वि० [सं० बहुज्ञ] १ बहज्ञानी, पंडित । २ चतुर, बहिरो-देखो 'बहरौ'।
बुद्धिमान । बहिल-देखो 'बहल' ।
बहुडाणी (बौ), बहुडावणी (बौ)-देखो 'बावड़ाणी' (बी)। बहिलायत-वि० कृपा पात्र ।।
बहुत-वि० [सं० प्रभूत] १ जो गिनती में अधिक हो । अनेक । बहिल्ल-देखो 'बहल'।
२ मात्रा या परिमारण में अधिक, अत्यन्त । ३ विपुल, प्रचुर, बहिस-प्रव्य० [सं० बहिस] १ बाहिर की भोर, बाहरी । २ द्वार | पर्याप्त । ४ विविध । ५ समूह ।
के बाहर । ३ बाहर की ओर से । ४ देखो 'वहिस' । बहुतर, बहुतरि, बहुतरी-देखो 'बमोत्तर'। ५ देखो 'बहिस्त'।
बहुतरो-देखो 'बोतरी' । बहिस्करण-पु. [सं० बहिष्करण] १ बहिष्कार करने की क्रिया | बहुतात, बहुतायत-स्त्री. १ बहुत होने की अवस्था, अनेकता।
या भाव । २ अलगाव, पृथक्करण । ३ शरीर के बाहर की २ अधिकता, विपुलता, प्रचुरता । पांच ज्ञानेन्द्रियां व पांच कर्मेन्द्रियां।
| बहुतेरौ-क्रि० वि० बहुत से, बहुत बार ।
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